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4 राज्यों में नए राज्यपाल नियुक्त, शीला का इस्तीफा

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sheila dikshit resign
राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं गोवा के राज्यपाल के रूप में मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चार प्रमुख नेताओं को नियुक्त किया गया। मंगलवार को ही केरल की राज्यपाल शीला दीक्षित ने अपने इस्तीफे की घोषणा की। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष वजुभाई रादाभाई वाला कर्नाटक के राज्यपाल का कार्यभार ग्रहण करेंगे, जबकि मृदुला सिन्हा को गोवा के राज्यपाल की जिम्मेदारी दी गई है। तेलंगाना से सी. विद्यासागर राव महाराष्ट्र के राज्यपाल होंगे। महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव कराए जाने हैं। कल्याण सिंह राजस्थान में मार्गरेट अल्वा का स्थान लेंगे। अल्वा का कार्यकाल पांच अगस्त को पूरा हो गया।

वाला कर्नाटक में एच. आर. भारद्वाज का स्थान लेंगे। भारद्वाज जून में सेवानिवृत्त हो गए हैं। बी. वी. वांचू और के. शंकरनारायणन क्रमश: गोवा और महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे चुके हैं। भाजपा नेता कल्याण सिंह (82) उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, जब 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाया गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (संघ) के समर्पित कार्यकर्ता कल्याण सिंह का पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मतभेद हुआ, जिसके बाद उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी।  वर्ष 2014 के आम चुनाव से थोड़े ही समय पहले वह भाजपा में दूसरी बार लौटे।

वाला (76) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। उनका राजनीतिक जीवन जनसंघ से शुरू होता है। किसी समय वह गुजरात के मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। हिंदी की लेखिका मृदुला सिन्हा भाजपा की राष्ट्रीय महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी हैं। वह राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। तेलंगाना के करीमनगर जिले के निवासी विद्यासागर राव वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री थे। विद्यासागर राव (69) अविभाजित आंध्र में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं और करीमनगर से दो बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं। 2014 के चुनाव में वह पराजित रहे।

इस बीच केरल की राज्यपाल पद से इस्तीफा देने वाली शीला दीक्षित ने अपने फैसले के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी दीक्षित ने यहां मीडिया से कहा, "मैंने वही किया जो मेरे दिल ने गवाही दी। मैं इस बारे में कुछ और नहीं कह सकती।"पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में नियुक्त राज्यपालों के बारे में पूछे जाने पर दीक्षित ने कहा, "इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बाद मैं आपसे बात करूंगी।"महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायणन ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया था।

नरेंद्र मोदी के मई में सत्ता संभालने के बाद से अभी तक आठ राज्यपाल इस्तीफा दे चुके हैं। इस्तीफा देने वालों में बी. एल. जोशी (उत्तर प्रदेश), शेखर दत्त (छत्तीसगढ़), अश्विनी कुमार (नगालैंड), एम. के. नारायणन (पश्चिम बंगाल), बी. वी. वांडू (गोवा), वक्कोम बी. पुरुषोत्तम (मिजोरम), के. शंकरनारायणन (महाराष्ट्र) और अब शीला दीक्षित ने इस्तीफा दिया है। कमला बेनीवाल को पहले गुजरात से मिजोरम भेजा गया और फिर छह अगस्त को बर्खास्त कर दिया गया।

भारतीय पुरुष चाहते हैं महिलाए प्रपोज करें : सर्वेक्षण

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man-wants-women-propose-them
आमतौर पर पुरुष ही किसी रिश्ते की शुरुआत की पहल करते हैं, लेकिन एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय पुरुषों की एक बड़ी जमात ऐसी है, जो चाहती है कि महिलाएं पहले प्रपोज करें। एक वैवाहिक पोर्टल ने रिश्तों के संबंध में पुरुषों की सोच को समझने के लिए देशभर के 25 से 36 आयुवर्ग के 6,500 से अधिक अविवाहित पुरुषों को लेकर एक सर्वेक्षण किया। 71.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे चाहेंगे कि उनकी बजाय महिला उन्हें पहले प्रपोज करें।

एक बयान में कहा गया कि सर्वेक्षण में 63.8 प्रतिशत पुरुषों की राय थी कि देश की आधुनिक महिलाएं एक रिश्ते की शुरुआत के लिए पहला कदम स्वयं उठाने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। वहीं, उनमें से 36.2 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि उनके लिए यह यकीन करना मुश्किल है कि महिलाएं ऐसी पहल कर सकती हैं, क्योंकि हमेशा पुरुषों द्वारा ऐसा करने की परंपरा रही है। जहां तक सवाल किस तरह प्रपोज करवाना पसंद करेंगे, का है तो 61.2 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने आमने-सामने बातचीत वाले प्रपोजल को चुना। अन्य के लिए डिजिटल संपर्क से किया गया प्रपोज भी स्वीकार्य था।

वेब पोर्टल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव रक्षित ने कहा, "यह सर्वेक्षण आज के युवाओं की मानसिकता को उजागर करता है। जब शादी का प्रस्ताव रखने की बात आती है, तो परंपरा रही है कि हमेशा पुरुष पहला कदम उठाए, लेकिन यह देखना उत्साहित करता है कि आज अधिकांश पुरुष मानते हैं कि महिलाएं उस परंपरा को बदलने के लिए काफी आश्वस्त हैं।"

विशेष आलेख : सैकड़ों बच्चों को निगल रहा एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम

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आज मीडिया से लेकर अखबार¨ं, बस¨ं, मेट्र¨ ट्रेन¨ं, दफ्तर¨ं हर जगह पर नाइजीरिया से आए नए वायरस इब¨ला की चर्चा चल रही है। वह वायरस जिसे भारत पहुंचे हुए अभी गिनती के दिन हुए हैं लेकिन आने से पहले ही उसने अपना भय ल¨ग¨ं के दिल¨ं में बैठा दिया है। तमाम स्वास्थ्य अधिकारी इस वायरस की भारत में बढ़त क¨ र¨कने में जी-जान से जुटे हुए हैं। लेकिन इसी देश के एक राज्य बिहार में लगभग हर साल एक महामारी उभरती है बच्च¨ं क¨ अपना शिकार बनाती है अ©र चली जाती है। साल-दर-साल यह सिलसिला चलता रहता है लेकिन किसी भी मीडिया या स्वास्थ्य अधिकारी का इसकी तरफ ध्यान नहीं जाता। 
          
बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिले का कोठिया गांव 1995 में पहली बार सुर्खियों में आया था। कांटी प्रखंड के इसी गांव में पहली बार अज्ञात बीमारी से 10 मासूम बच्चों की मौत हो गयी थी। जलेश्वरी देवी वह बदनसीब मां थी, जिसके कलेजे के टुकड़े को इस बीमारी ने अपना पहला शिकार बनाया था। 10 साल की बेटी विभा को बड़े प्यार-दुलार से पाला था, लेकिन उसे क्या पता था कि एक दिन गरीबों का यह रोग उसे जीवन भर आंसू बहाने के लिए छोड़ जायेगा। जलेश्वरी जैसी हजारों बदनसीब मांओं की आंखों से आज आंसू नहीं थम रहे हैं। लाल-पीली बŸाी गाडि़यों में सरकार आती है, साहब आते हैं। बड़े-बड़े दावे, लंबी-चैड़ी घोषणाएं करके चले जाते हैं और इधर गरीबों के लाल एक-एक कर मौत के शिकार बनते जाते हैं। 
         
विशेषज्ञों-चिकित्सकों ने इस अज्ञात बीमारी को एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) नाम दिया। एइएस दो दशक से मुजफ्फरपुर व आसपास के जिलों पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, समस्तीपुर, वैशाली, बेगूसराय आदि में कहर बरपा रहा है। मई-जून में फन उठाने वाली यह बीमारी मुजफ्फरपुर के करीब 236 गांवों में महामारी की तरह आती है और माॅनसून के दस्तक देने के साथ चली जाती है। 1996 में इंसेफलाइटिस से करीब एक हजार बच्चे पीडि़त हुए थे, जिनमें 350 बच्चों की मौत हो गयी थी। 2012 में फिर 184 नौनिहाल मौत की आगोश में समा गये। इस साल अबतक 800 से अधिक बच्चे पीडि़त हुए, जिनमें डेढ़ सौ से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। करीब 20 साल से इस बीमारी के कारणों की खोज में दर्जनों डाॅक्टर, विशेषज्ञ लगे हैं, लेकिन अबतक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाये हैं। 
            
पिछले साल बच्चों के ब्रेन टिश्यू की जांच की घोषणा की गयी थी, पर आज तक टिश्यू को जांच के लिए कैलिफोर्निया नहीं भेजा जा सका है। गत वर्ष ही प्रभावित इलाकों में जैपनीज इंसेफलाइटिस (जेई) का टीका लगाये जाने के लिए अभियान चलाया गया, लेकिन टीकाकरण अभियान की पोल तब खुल गयी, जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्द्धन ने अभी हाल में कोठिया गांव पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया। डाॅ हर्षवर्द्धन ने कहा कि 92 फीसदी बच्चों को टीके नहीं दिये गये। 22-23 जून को भी दो दिन का विशेष टीकाकरण अभियान चलाया गया। 43,269 बच्चों को जेई का टीका दिया गया। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पहले सीएम हैं, जो 1996 के बाद एइएस पीडि़त बच्चों को देखने मुजफ्फरपुर पहुंचे। इससे बड़ी संवेदनहीनता और क्या होगी कि दो दशक में इतने बच्चे मर गये और यहां के एक भी मुख्यमंत्री अभी तक द©रे के लिए नहीं आए ? यह आश्चर्यजनक है कि जहां हर साल सैकड़ों बच्चों की जानें जाती हैं, वहां की चिकित्सा व्यवस्था इतनी लचर है। सदर अस्पताल व एसकेएमसीएच की व्यवस्था देख खुद मुख्यमंत्री झल्ला गये। सदर अस्पताल, मुजफ्फरपुर का शिशु वार्ड वर्षों से बंद पड़ा है। कोमा में गये बच्चों के ब्रेन की जांच व इलाज के लिए न्यूरोलाॅजिस्ट नहीं हैं। अस्पताल में एमआरआई जांच की भी सुविधा आज तक उपलब्ध नहीं करायी गयी। बच्चों को रेफर किये जाने की स्थिति में सरकारी स्तर पर एंबुलेंस की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। मेहसी के दसई पासवान को छह वर्ष के बेटे के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिला और घंटों शव फर्श पर ही पड़ा रहा। 

केजरीवाल मातृसदन अस्पताल में भर्ती पारू के मोहजमा निवासी प्रिया की मां डेजी ने बताया कि बेटी की तबीयत खराब होने के बाद पारू पीएचसी प्रभारी को मोबाइल पर फोन किया। पूरी जानकारी लेने के बाद भी जब, एंबुलेंस नहीं आया तो उसके पिता बेटी को कंधे पर लेकर ही पैदल अस्पताल भागे। इस बीमारी की चपेट में वे ही बच्चे आ रहे हैं, जो मुफलिसी में जी रहे हैं। जिनके तन पर पूरे कपड़े नहीं होते हैं और जो आधी व बासी भोजन कर रात काटते हैं। कुपोषण व गरीबी से लड़ते हुए एक-एक दिन काटना जैसे उनकी नियति बन गयी है। जिनकी मांओं को पता नहीं कि बच्चों को टीके भी लगवाने हैं। परिवारों तक आशा व ममता दीदी, नर्सों व गांव के पीएचसी की पहुंच कागजों पर जरूर है, लेकिन हकीकत में नहीं? यूनीसेफ व राज्य सरकार के कुपोषण दूर करने के लिए चलाये जाने वाले कार्यक्रम भी लाभकारी सिद्ध नहीं हो रहे हंै। पेशे से डाॅक्टर पूर्व केंद्रीय मंत्री डाॅ सीपी ठाकुर कहते हैं कि इंसेफलाइटिस मरीजों में एक बात आम है, वह है कुपोषण। इसके अलावा टीकाकरण में गड़बड़ी व जीवन शैली को ले उदासीनता भी एक बड़ी वजह है। 
         
कुछ डाॅक्टरों का कहना है कि शरीर में शुगर का संतुलित स्तर नहीं होने की वजह से एइएस की चपेट में आये बच्चों की मौत होती है। किंतु इसका कारण समझ से बाहर है। बच्चों में ग्लूकोज चढ़ाने के बाद ब्लड शुगर 100 से अधिक हो जाता है। पर कुछ समय बाद पुनः शुगर का स्तर गिरने लगता है। जानकार बताते हैं कि ब्लड शुगर नियंत्रित हो जाये तो बच्चों को बचाया जा सकता है। उधर, अटलांटा स्थित सेंटर फाॅर डिजीज कंट्रोल व दिल्ली के नेशनल सेंटर फाॅर डिजीज कंट्रोल के एक्सपर्ट इस अज्ञात बीमारी का कारण हाइपोग्लेशिमिया (शरीर में ग्लूकोज का कम होना) बताते हैं। पिछले दिनों वेल्लोर के वायरोलाॅजी एक्सपर्ट डाॅ टी जैकब जाॅन व लखनऊ स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टाॅक्सोलाॅजी के विशेषज्ञ डाॅ मुकुल दास ने अपने शोध में लीची पर संदेह किया है। मई 2014 में प्रकाशित करेंट साइंस के वाॅल्यूम 106, नंबर 9 व 10 में यह जिक्र किया है कि लीची की गुठली में मौजूद मिथाइल इन साइकलोप्रोपाइल (एमसीपीए) टाॅक्सिन होता है। यह शरीर में चीनी के लेबल को तेजी से कम करता है। इस शोध पर सवाल खड़ा करते हुए मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि लीची नहीं खाने वाले व भरपेट भोजन करनेवाले बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इस बार तीन बच्चों के शरीर में ग्लूकोज की मात्रा 400 से ज्यादा थी, जबकि कई बच्चों में 200 से अधिक ग्लूकोज की मात्रा पायी गयी। गत वर्ष 8 अप्रैल को पहला केस सामने आया था, जबकि लीची बहुत बाद में बाजार में आयी थी। 
             
लीची के लिए प्रसिद्ध मुजफ्फरपुर में हर साल पैर पसारते इस बीमारी के लिए लीची को विशेषज्ञ एक कारण मानते आये हैं। शोध का एक कोण इसी ओर घुमता रहा है। इस बार भी चर्चा में लीची आयी, लेकिन पीडि़त बच्चों में पाये गये अलग-अलग लक्षणों से विशेषज्ञों का दिमाग चकरा गया। ग्लूकोज, पोटाशियम एवं सोडियम का बढ़ना-घटना आदि कई लक्षण बच्चों में पाये गये। ये भी बातें सामने आईं कि जो बच्चा रात में खाली पेट सोया, वह भी एइएस की चपेट में आया। कई बच्चों ने रात में भरपेट भोजन किया था, फिर भी उन्हें चमकी के साथ बुखार आया। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ राजेश कुमार कहते हैं कि बिहार का गौरव लीची एंटी आॅक्सीडेंट एवं एंटी वायरल है। इससे किसी भी बीमारी का कारण मान लेना भ्रामक है। लीची में विटामिन सी 70 से 75 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम खाद्य योग्य पदार्थ में होता है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इस साल अमेरिका से भी विशेषज्ञों का दल मुजफ्फरपुर पहुंचा। विशेषज्ञों की और भी कई टीमें आयीं। डाॅ हर्षवर्द्धन समेत तीन-तीन केंद्रीय मंत्री बच्चों को देखने पहुंचे और उम्मीदें जगा कर गये हैं नतीजे तक पहुंचने की, तमाम सुविधाएं मुहैया करवाने की। देखना यह है कि इन वायद¨ं पर अमल कितना ह¨ता है। 






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संतोष सारंग
(चरखा फीचर्स)

आलेख : सुहाग की सलामती करता है हरतालिका तीज

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निर्जला व्रत रख मांगी जाती है सुख-समृद्धि, सुखद वैवाहिक जीवन, संपन्नता और पुत्ररत्न प्राप्ति का वरदान। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन अखंड सौभाग्य की कामना के लिए स्त्रियां यह व्रत रखती हैं। पूरे सोलह श्रृंगार के साथ तैयार होकर शंकर-पार्वती की पूजा में हिस्सा लेती हैं महिलाएं। सुयोग्य, सुन्दर, मनोवांछित, सुशील और स्वास्थ्य जीवन साथी की चाहत में कुंवारी युवतियां तो कुछ ज्यादा ही इस व्रत को रखने में विश्वास रखती है। 

haritalika teej
हरतालिका तीज मतलब सुहाग की सलामती के लिए की जाने वाली पूजा। निर्जल व्रत रख मांगी जाती है सुहाग की लंबी उम्र की कामना। मांगा जाता है सुख-समृद्धि, सुखद वैवाहिक जीवन, संपन्नता और पुत्ररत्न प्राप्ति का वरदान। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन अखंड सौभाग्य की कामना के लिए स्त्रियां यह व्रत रखती हैं। पूरे सोलह श्रृंगार के साथ तैयार होकर शंकर-पार्वती की पूजा में हिस्सा लेती हैं महिलाएं। सुयोग्य, सुन्दर, मनोवांछित, सुशील और स्वास्थ्य जीवन साथी की चाहत में कुंवारी युवतियां तो कुछ ज्यादा ही इस व्रत को रखने में विश्वास रखती है। साल भर होने वाले अन्य व्रतों की तुलना में तीजा व्रत सबसे कठिन माना जाता है। मान्यता है कि यह व्रत संसार के सभी क्लेश, कलह और पापों से मुक्ति दिलाता है। इस बार यह पर्व 28 अगस्त को है। यह व्रत हस्त नक्षत्र में होता है। यह शिव-पार्वती की आराधना का सौभाग्य व्रत है, जो केवल महिलाओं के लिए है। निर्जला एकादशी की तरह हरितालिका तीज का व्रत भी निराहार और निर्जल रहकर किया जाता है। महिलाएं व कन्याएं भगवान शिव को गंगाजल, दही, दूध, शहद आदि से स्नान कराकर उन्हें फल समर्पित करती है। रात्रि के समय अपने घरों में सुंदर वस्त्रों, फूल पत्रों से सजाकर फुलहरा बनाकर भगवान शिव और पार्वती का विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह व्रत सौभाग्य प्रदायक और मंगल दाता है। ब्रह्म (शिव) की ओर अग्रसर होने पर सांसारिक विभूति (विष्णु) उधर से हटाने का प्रयत्‍‌न करती है। किंतु पूर्ण निश्चय पर दृढ़ रहने पर मानव की सखी बुद्धि की सहायता से मनोरथ सफल हो जाता है।  

haritalika teej
किदवंतियों के अनुसार एक बार शंकर-पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठकर सृष्टि के कल्यार्ण मंथन कर रहे थे। तभी पार्वती ने शंकर जी से पूछ लिया कि सभी व्रतों में श्रेष्ठ व्रत कौन-सा है और मैं आपको पत्नी के रूप में कैसे मिली। शंकर जी ने कहा जिस प्रकार नक्षत्रों में चंद्रमा, ग्रहों में सूर्य, चार वर्णों में ब्राह्मण, देवताओं में विष्णु, नदियों में गंगा श्रेष्ठ है उसी तरह व्रतों में हरितालिका व्रत सर्वश्रेष्ठ है। विवाह के बारे में भगवान शंकर ने पार्वती जी से कहा- एक बार जब तुमने हिमालय पर्वत पर जाकर गंगा के किनारे, मुझे पति रुप में प्राप्त करने के लिये कठिन तपस्या की थी, उसी घोर तपस्या के समय नारद जी हिमालय के पास गये तथा कहा की विष्णु भगवान आपकी कन्या के साथ विवाह करना चाहते है। इस कार्य के लिये मुझे भेजा है। नारद की इस बनावटी बात को आपके पिता ने स्वीकार कर लिया, तत्पश्चात नारदजी विष्णु के पास गये और कहा कि आपका विवाह हिमालय ने पार्वती के साथ करने का निश्चय कर लिया है। आप इसकी स्वीकृ्ति दें। नारद जी के जाने के पश्चात पिता हिमालय ने तुम्हारा विवाह भगवान विष्णु के साथ तय कर दिया। यह जानकर तुम्हें, अत्यंत दुःख हुआ और तुम जोर-जोर से विलाप करने लगी। एक सखी के साथ विलाप का कारण पूछने पर तुमने सारा वृतांत सुनाया, कि मैं भगवान शंकर के साथ विवाह करने के लिए कठिन तपस्या प्रारंभ कर रही हूं, उधर हमारे पिता भगवान विष्णु के साथ संबन्ध तय करना चाहते थे। मेरी कुछ सहायता करों, अन्यथा मैं प्राण त्याग दूंगी। सखी ने सांत्वना देते हुए कहा -मैं तुम्हें ऐसे वन में ले चलूंगी की तुम्हारे पिता को पता न चलेगा। इस प्रकार तुम सखी सम्मति से घने जंगल में गई। इधर तुम्हारे पिता हिमालय ने घर में इधर-उधर खोजने पर जब तुम्हें नहीं पाएं तो बहुत चिंतित हुए, क्योकि नारद से विष्णु के साथ विवाह करने की बात वो मान गये थे। वचन भंग की चिन्ता नें उन्हें मूर्छित कर दिया। तब यह तथ्य जानकर तुम्हारी खोज में लग गयें। इधर सखी सहित तुम सरिता किनारे की एक गुफा में मेरे नाम की तपस्या कर रही थी। 

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृ्तिया तिथि का उपवास रहकर तुमने शिवलिंग पूजन तथा रात्रि जागरण भी किया। इससे मुझे तुरंत आपके पूजा स्थल पर आना पडा। आपकी मांग और इच्छानुसार अपकों, अर्धांगिनी रुप में स्वीकार करना पडा। प्रातःकाल में जब तुम पूजन सामग्री नदी में छोड रही थी तो उसी समय हिमालय राज उस स्थान पर पहुंच गयें। वे अपको देखकर पूछने लगे कि बेटी तुम यहां कैसे आ गई तब तुमने विष्णु विवाह वाली कथा सुना दी। यह सुनकर वे तुम्हें लेकर घर आयें और शास्त्र विधि से तुम्हारा विवाह मेरे साथ कर दिया। अर्थात‌ श्रद्धा-विश्वास के द्वारा हरितालिका तीज का व्रत जो भी स्त्री करती है, उसे इस संसार व स्वर्ग लोक के सभी सुख-वैभव प्राप्त होते हैं, उसका सुहाग अखण्ड रहता है। तभी से यह हरितालिका तीज के रुप में जाना जाने लगा। पार्वतीजी ने इस व्रत को 64 वर्षों तक बेलपत्री खाकर फूलों की मंडप में तपस्या की थी। इसलिए तीज की रात्रि में बेलपत्री और फूलों का फुलेहरा भी व्रती महिलाओं द्वारा बांधा जाता है। फुलहरा बांधकर पार्वती जी के इसी स्वरूप की पूजा की जाती है। पार्वती ने भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्ति नक्षत्र में बालू की शिव मूर्ति स्थापित कर निराहार व्रत करके बड़ी श्रद्धा से पूजन कर रात को प्रेम वन्दना के गीत गाते हुआ जागरण किया। इससे शंकर जी का आसन हिल गया और उन्होंने प्रसन्न होकर पार्वती को अपनी अद्र्धागिनी बनाने की स्वीकृति दे दी। पार्वती जी की सखी उन्हे हरण कर सघन वन में ले गई थी अतः इस व्रत का नाम हरितालिका अर्थात हरतालिका पड़ गया। इस व्रत को करने से कुंआरी युवतियों को मनचाहा वर मिलता है और सुहागिन स्त्रियों के सौभाग्य  में वृद्धि होती है तथा शिव-पार्वती उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं। मान्यता यह भी है कि इस दिन को बूढ़ी तीज भी कहा जाता हैं। सास अपनी बहुओं को सुहागी का सिंधारा देती हैं। पूर्वकाल में जब दक्ष कन्या सती पिता के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव की उपेक्षा होने पर भी पहुंच गई, तब उन्हें बडा तिरस्कार सहना पडा था। पिता के यहां पति का अपमान देखकर वह इतनी क्षुब्ध हुईं कि उन्होंने अपने आप को योगाग्नि में भस्म कर दिया। बाद में वे आदिशक्ति ही मैना और हिमाचल की तपस्या से संतुष्ट होकर उनके यहां पुत्री के रूप में प्रकट हुईं। उस कन्या का नाम पार्वती पड़ा। 

पूजन विधि 
छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। सुबह चार बजे उठकर बिना बोले नहाना और फिर दिन भर निर्जल व्रत रखना होता है। हरतालिका तीज पर रात भर भजन होते हैं जागरण होता है। इस व्रत से भगवान शंकर प्रसन्न हुए और पति के रूप में प्राप्त हुए, तभी से सखियां श्रेष्ठ पति प्राप्त होने के लिए निर्जल रहकर हरितालिका व्रत करती हैं। व्रती स्त्री को पहले नित्य कर्म स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर प्रसन्नतापूर्वक वस्त्राभूषणों से श्रृंगार करती है। व्रत के दौरान किसी पर क्रोध नहीं करने का विधान है। तामसिक आहार व अन्न, चाय, दूध, फल, जूस आदि का सेवन नहीं करना होता है। 

व्रत के समय हरि चर्चा व भजन, कीर्तन करते रहना चाहिए और सायंकाल में माँ पार्वती व भगवान शिव की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए, अर्थात्‌ा शिव व पार्वती को उनसे संबंधित श्रृंगार की वस्तुएँ, फल, दक्षिणा अर्पित कर आरती करें। व्रत की कथा सुनें, अपराध क्षमा प्रार्थना कर भगवान को प्रणाम करें और बड़ों व ब्राह्मणों को प्रणाम कर भोजन व दक्षिणा दें, जिससे व्रत पूर्णतया सफल रहता है। कठिन व त्याग के इस व्रत में महिलाएं द्वितीया की रात को ही दातून व मंजन करके, नाना प्रकार के सुहाग से सज और कन्या अपने यथावत रूप में उनके लिए जो मान्य है उन अलंकारों से सज तृतीया के दिन निर्जला व्रत रखती हैं। जिसमें अन्न, जल, फल आदि खाद्य पदार्थों को त्याग कर पूरे दिन व्रत रखा जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि उपवास रखने वाली जो स्त्री इस दिन मीठा खाती हैं वह अगले जन्म में चींटी बनती है। फल खाने वाली वानरी, सोने वाली अजगर की योनी प्राप्त करती है। जो दूध का सेवन करती है तो अगले जन्म में वह सांपनी बनती है। बदलते समय के साथ-साथ इसमें कई बहुत तेजी से परिवर्तन आया है। तीज के दिन कई घरों में गुजिया, खखरिया, पपड़ी और भी ढेर सारे पकवान बनने लगे हैं।

तीज में महिलाएं जब अपने पीहर आती हैं, तब घर में भी रौनक होती है। सहेलियां पीहर में मिलती हैं और तीज की पूजा एक साथ मिलकर करती हैं। तीज पर्व में पीहर आने वाली महिलाओं को भाई की तरफ से तोहफा दिया जाता है साथ ही साथ उनके बच्चों को भी तोहफा दिया जाता है। इस दौरान वर्षों का सुख दुख मायके में महिलाएं बांटती है। मान्यता के अनुसार विवाहित पुत्री को सौंदर्य सामग्री देने की परंपरा है।

अतएवं सृष्टि के विकास व निर्माण हेतु एक उत्तम व सुयोग्य जीवन साथी की तलाश युवा अवस्था की आहट आते ही शुरू हो जाती है। एक ऐसा साथी जो कि गृहस्थ आश्रम के दायित्वों व पति-पत्नी के कर्तव्यों को बाखूबी निभाएँ। दोनों एक-दूसरे के प्रति समर्पित हो, भारत वर्ष में रिश्तों की पवित्रता व मधुरता जग जाहिर है। जहाँ धर्म ग्रंथों में त्रिदेव समूहों के विवाह की कथाओं व जनश्रुतियों का बड़ा ही रोचक उल्लेख मिलता हैं।

कैसे करें हरतालिका व्रत 
सर्वप्रथम उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये  मंत्र का संकल्प करके मकान को मंडल आदि से सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्र करें। घर की लिपाई-पुताई करके केले के खंभे गाड़कर तोरण पताकाओं से मंडप बनाएं। संध्या समय स्नान करके शुद्ध व उज्ज्वल वस्त्र धारण करें। तपश्चात पार्वती तथा शिव की सुवर्णयुक्त (यदि यह संभव न हो तो मिट्टी की) प्रतिमा बनाकर विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी सामग्री सजा कर रखें, फिर इन वस्तुओं को पार्वतीजी को अर्पित करें। शिवजी को धोती तथा अंगोछा अर्पित करें और तपश्चात सुहाग सामग्री किसी ब्राह्मणी को तथा धोती-अंगोछा ब्राह्मण को दे दें। इस प्रकार पार्वती तथा शिव का पूजन-आराधना कर हरतालिका व्रत कथा सुनें। इसके साथ गणेश की स्थापना कर चंदन, अक्षत, धूप-दीप, फल-फूल आदि से षोडशोपचार पूजन भी करनी चाहिए। मेवा मिष्ठान, पकवान आदि का प्रसाद तथा गौरी जी पर सिंदूर, चूड़ी, बिन्दी, चुनरी, महावर, पायल, बिछुआ आदि सुहाग की सारी सामग्री चढ़ाया जाना चाहिए। शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनना चाहिए। वस्त्र, स्वर्ण और गौ का दान करना चाहिए। सुहाग की चढ़ाई गई सामग्री ब्राह्मण को दान देकर कुछ अपने पास सौभाग्य की रक्षा हेतु रख लेनी चाहिए। शिव से प्रार्थना करनी चाहिए कि मेरे पति दीर्घायु हों, मेरा सुहाग अटल हो। कुंवारी कन्याएं शिव से विनम्र प्रार्थना कर वर मांगे कि उनका होने वाला पति सुंदर और सुयोग्य हो। इस प्रकार चतुर्थी को स्नान पूजा कर सूर्योदय के बाद वे पारण कर व्रत तोड़ना चाहिए। पावस की हरियाली और प्रकृति के मनोहारी सौन्दर्य में कजली गाई जाती है। इसलिए इसे कजली तीज भी कहा जाता है। 




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(सुरेश गांधी)

आलेख : भगवान के गुण न आएँ, वो भक्ति है बेकार

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हम सभी लोग किसी न किसी भगवान में आस्था रखते हैं और रोजाना उनका कम से कम एकाध बार तो स्मरण कर ही लिया करते हैं।  भगवान को पाने और मोक्ष प्राप्ति की कामना से लेकर छोटी-मोटी मनोकामना, स्वार्थ और ऎषणाओं की पूर्ति की गरज से अथवा किसी संकट या भय, पीड़ा और दुःखों के समय, औरों से सताये जाने पर या कि अनिष्ट की आशंका और भय से मुक्ति पाने की वजह से हम सारे के सारे लोग ईश्वर को याद करते हैं।

सुखों की अपेक्षा दुःख के समय हम ज्यादा याद करते हैं और उस समय ईश्वर स्मरण की तीव्रता और घनत्व भी अधिक होता है कि क्योंकि हममें से कोई ऎसा नहीं है जो दुःखों को बनाए रखने का इच्छुक हो। हर कोई चाहता है कि दुःख जितने जल्दी हों हमसे दूर हो जाएं। इसलिए दुःखों व पीड़ाओं के समय ईश्वर को याद करने की आवृत्ति और वेग दोनों में बढ़ोतरी हो जाती है।

हम सभी लोग किसी न किसी स्वार्थ-परमार्थ से ही भक्ति, साधना और उपासना, भजन-कीर्तन, सत्संग आदि करते हैं। कुछ बिरले लोगों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश लोग किसी न किसी कामना या भय से ही भगवान की पूजा-उपासना करते हैं और इन लोगों का काम हो जाने के बाद फिर सब कुछ छोड़ दिया करते हैं।

हर इंसान किसी न किसी देवी या देवता की उपासना करता ही है। इस उपासना में यज्ञ-यागादि, पूजा पाठ, साधना, अनुष्ठान से लेकर भगवान को रिझाने के तमाम प्रचलित आयामों का सहारा लेता है। हम सभी लोग अपने आपको भक्त मानने और मनवाने में अत्यन्त गौरव का अनुभव करते हैं और इस पहचान को हमेशा बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयासों में जुटे रहते हैं। 

भक्त के रूप में हमारी प्रतिष्ठा का लाभ हमें समाज में प्राप्त होता है वहीं भक्ति का चौला हमारे कई अपराधों, पापकर्मों और दुष्प्रवृत्तियों पर परदा डाले रखने का भी काम करते हुए हमें सम्मानजनक रूप से संरक्षित भी रखता है। आजकल धर्म और भक्ति का आवरण इतना अधिक शक्तिशाली हथियार हो गया है कि इसका इस्तेमाल कर कोई कुछ भी कर सकता है। सभी प्रकार के भक्तों की अपार भीड़ और भक्ति तथा धर्म के रोजाना होने वाले तमाम आयोजनों के बीच असली भक्तों का टोटा हो गया है। नकली, पाखण्डी और आडम्बरी भक्तों और धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह करने वाले ध्यानयोगियों, बाबों, महंतों और सिद्धों की कोई कमी नहीं है जो अपने नाम पर छोटे-मोटे कियोस्क से लेकर बड़ी-बड़ी दुकानें चला रहे हैं और धर्म को धंधा बनाकर खूब कमा-खा रहे हैं, जमा कर रहे हैं।  पर हकीकत में इनका न धर्म से कोई रिश्ता है, न भक्ति से। हर किस्म के भक्त के जीवन को गहराई से देखें तो साफ पता चलेगा कि भक्ति के उसके दूसरे रोजमर्रा कामों की ही तरह एक अभिनय है जिसे वह रोज जीने की कोशिश करता है और भगवान को भ्रमित करने के जतन करता है।

भक्त वही है जिसमें उपास्यदेव के लक्षण आएं। कोई  श्रीराम का भक्त है, दिन-रात राम-राम करता रहता है और व्यवहार में वे सारे कर्म करता है जो निन्दित एवं त्याज्य हैं, तो ऎसी भक्ति किस काम की। जो व्यभिचार में रमा रहे, असुरों के साथ खाता-पीता और बैठता रहे, राक्षसों जैसा व्यवहार करे, अतिक्रमण करता रहे, मुनाफाखोरी जिसके जीवन का ध्येय हो, परायी जमीन-जायदाद हड़पता रहे, स्ति्रयों के प्रति दुर्भावना रखे, कामुक, भ्रष्ट, रिश्वतखोर और भयप्रदाता हो, जिसको देखकर लोगों में घृणा उत्पन्न हो जाए, जिसके करम पाप भरे हों, पूरा जीवन भोग-विलासी और स्वच्छन्द हो,  जिनके जीवन में मर्यादाओं का कोई स्थान ही न हो, जो राक्षसी वृत्तियों भरे लोगों को सहयोग व प्रोत्साहन देते रहें, ऎसे भक्त किस काम के। ऎसे लोगों को अपने आपको मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का भक्त कहने या  होने का कोई अधिकार नहीं है।

इसी प्रकार जो लोग समाज को दुःख देने वालों, अत्याचार ढाने वालों और शांति भंग करने वाले असामाजिक तत्वों को सहयोग प्रदान करें, उन्हें प्रश्रय दें, लंपट हों और समाज में बुराइयों का प्रसार करने वाले हों, इन लोगों को भगवान श्रीकृष्ण का भक्त होने का कोई अधिकार नहीं है। इसी प्रकार वे लोग भी दुर्गा के भक्त नहीं हो सकते जो शुंभ-निशुंभ, चण्ड-मुण्ड और महिषासुरों को पालते हैं, नालायकों और कलियुगी असुरों का जयगान करते हैं, उन्हें संरक्षण और मदद देते हैं।

भक्ति का यही अर्थ नहीं है कि जिसकी उपासना करें उसका नाम तोते या टेपरिकार्डर की तरह जपते रहें। भक्ति का असली अर्थ यह है कि जिस देवता की हम उपासना करते हैं उसके गुण विशेषों को हम अपने जीवन में उतारें, उन देवी-देवताओं द्वारा किए गए कार्यों को आगे बढ़ाएं तथा समाज और क्षेत्र, देश के लिए आगे आएं, असुरों का संहार करें, समाज को सबल एवं समृद्ध बनाएं और इस प्रकार का माहौल स्थापित करें कि सभी लोग निर्भयतापूर्वक शांति से रह सकें, देश निष्कण्टक हो जाए और असुरों तथा विधर्मियों का खात्मा होता रहे ताकि मानवजाति अपने अस्तित्व को बरकरार रखते हुए आगे बढ़ सके।

हम जिस देवी या देवता की उपासना करें उनके गुणों और विलक्षणताओं को  हमारे जीवन में नहीं उतार पाएं, उनके कार्यों में रुचि न लें, तो हमारी सारी पूजा-उपासना बेकार है और इसका कोई अर्थ नहीं चाहे बरसों तक यों ही माईक लगाकर गलाफाड़ मंत्रों, श्लोकाें का उच्चारण करते रहो, लाखों-करोड़ों मंत्रों के जप करते रहो या अपने आपको परम भक्त मानने और मनवाने का भ्रम बनाए रखो।

ईश्वर की आराधना तभी सफल हो सकती है जबकि हम ईश्वरीय कार्यो में अपने आपको समर्पित करें। ईश्वरीय कार्य संपादन के दो तरीके हैं जो समानान्तर चलते रहते हैं। एक तो असुरों का संहार, दूसरे रचनात्मक कार्यों का विस्तार।  दोनों साथ-साथ चलने पर ही ईश्वर प्रसन्न हो सकता है।

दुष्टों, नालायकों, हरामखोरों, अमानवीय लोगों, चोर-डकैतों, बेईमानों, रिश्वत खाने वालों, कमीनों और निस्तेज, निर्वीर्य, असामाजिक और आसुरी वृत्तियों वाले लोगों के साथ बने रहकर या इनका मददगार बने रहकर की जाने वाली पूजा-उपासना ईश्वर और अपने आप के साथ खुला धोखा है। इसके लिए न हमारी आत्मा हमें कभी माफ कर पाएगी, न परमात्मा। समाज और देश के लिए घातक तत्वों का सफाया करें, यही आज की सबसे बड़ी भक्ति है क्योंकि हर भक्ति की सफलता के लिए शुद्ध भावभूमि और पवित्र पर्यावरण जरूरी है। आज जितनी रचनात्मकता की आवश्यकता है उससे कहीं अधिक साफ-सफाई, शुद्धता और पवित्रता की जरूरत है और यह कार्य करने कोई आसमान से नहीं आने वाला, जो कुछ करना है, हमें ही।




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---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077
dr.deepakaacharya@gmail.com

आलेख : आतंकवाद पाकिस्तान का प्रमुख औजार

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झूठ व फरेब के सहारे पाकिस्तान न सिर्फ सीजफायर का उल्लंघन, घुसपैठ व आतंकवादियों के मदद से हमला कर उसकी कूटनीतिक पूंजी को खाली व सैन्य ताकत को कमजोर कर रहा रहा है, बल्कि आरोप पर आरोप भी लगाएं जा रहा, पर भारत है जहां यही बहस चल रही है कि पाकिस्तानी संगीतकारों को देश में प्रवेश देना चाहिए या नहीं। तमाम समझौतों के बाद भी वह न्यूक्लीयर पावर का धौंस जमा सीजफायर का उल्लंघन कर जताते रहते है कि कश्मीर पर वह एकाधिकार चाहते है। यही वजह है कि भारत में बैठे अलगाववादियों को वह खाद-पानी देते रहते है। भारत जब-जब शांति वार्ता की कोशिश की, तब-तब उसे नुकसान उठाना पड़ा है। कारगिल हमला से लेकर मुंबई धमाका उसके उदाहरण है 

पाकिस्तानी सेना किसी भी दशा में भारत से बातचीत नहीं होने देना चाहता। उसका मकसद सिर्फ भारत की आर्थिक, सैन्य और भौगोलिक बढ़त को किसी भी दशा में कमजोर करना है। इसके लिए वह किसी भी हद तक जाकर गैर पंरपरागत साधनों का इस्तेमाल करता रहा है। भारत परमाणु शक्ति हासिल कर इसकी काट खोजी तो उसने आतंकवाद को विदेश नीति का प्रमुख औजार बना लिया। खासकर अब जब इस्लामी आतंकवाद उसी की धरती पर घटनाओं को अंजाम देकर उसी को चुनौती दे रहा है तो अपनी वजूद बचाएं रखने के लिए भारत विरोध की जरुरत उसे और अधिक होने लगी है। आजादी के बात से अब तक हुए टकरावों पर गौर करें तो हर बार पहले हमला, फिर बातचीत कर बीच का रास्ता निकाला गया और इन सलूसनों में बहुत हद तक पाकिस्तान अपनी बातें मनवाने में सफल भी रहा है। एक बार फिर उन्हीं राहों पर चलकर अपनी बाते मनवाने की फिराक में है। उसे लगता है कि हमलों व खूनखराबों के बाद होने वाले समझौतों से कश्मीर उसे मिल सकता है। हालांकि केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से दो टूक में करारा जवाब दे दिया गया है कि पाकिस्तान जबतक फायरिंग नहीं रोकता कूटनीतिक या बैक चैनल से कोई बातचीत नहीं होगी। इसके लिए सीमा पर तैनात कमान को खुली छूट दी गई है। बावजूद इसके भारत सरकार को संभवतः अधिक दूरगामी तैयारी करनी होगी। 

भारतीय सुरक्षा बलों ने पल्लनवाला सेक्टर में तकरीबन 50 मीटर लंबी ऐसी सुरंग का पता लगाया है, जो पाकिस्तानी इलाके से निकलकर जम्मू-कश्मीर तक पहुंचती। बेशक, यह आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के लिए बनाई जा रही थी। संदेश साफ है। पाकिस्तान में ऐसी ताकतें मजबूत हो गई हैं, जो कश्मीर में फिर से अशांति भड़काने पर आमादा हैं। इन हालातों में हमें खुद को मजबूत बनाकर पाकिस्तान की ओर से होने वाले हमलों के लिए हर पल तैयार रहना होगा। जम्मू इलाके में पाकिस्तान रेंजर्स की फायरिंग से दो नागरिकों की जान गई है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कुछ जवान और कई आम लोग जख्मी हुए हैं। इससे खास कर आरएस पुरा सेक्टर के बाशिंदों में भय और अफरातफरी का माहौल बन गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार की इसमें कितनी और कैसी भूमिका है, इस बारे में तयशुदा रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। इस सिलसिले में पाकिस्तान में शरीफ सरकार को अस्थिर करने के तेज हुए प्रयासों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वहां सेना और खुफिया तंत्र के एक हिस्से के समर्थन से चरमपंथी तत्व खुलकर मैदान में गए हैं। यह अनुमान लगाने का आधार है कि उसी तंत्र की शह पर सीमा और नियंत्रण रेखा पर तैनात पाकिस्तानी बलों ने भारतीय इलाकों पर हमले तेज किए हैं। निहितार्थ यह कि ये चुनौती स्थानीय या फौरी नहीं है बल्कि इसके पीछे भारतीय क्षेत्र में आतंक फैलाने और भारत को सीमा पर लड़ाइयों में उलझाने की सोची-समझी साजिश है। एनडीए के प्रमुख घटक दल शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का प्रधानमंत्री नरेंद्र से मोदी से यह दरख्वास जिसमें उन्होंने कहा है कि अब समय आ गया है कि भारत को पाकिस्तान पर हमला कर देना चाहिए, लाजिमी है। लगातार सीमा पर सीजफायर तोड़ने के मामले में पाकिस्तान पर हमला कर अब उसे सबक सिखाने की जरूरत है। 

कराची में जिन्ना इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर हुए हमले की जिम्मेदारी भले ही पाक के आतंकी संगठन तहरीक-ए-इस्लाम ने ले ली है, बावजूद इसके भारत पर दोष मढ़ने की कोशिश की जा रही है। पाकिस्तानी मीडिया और कुछ एक्सपर्ट्स आंतकियों के पास मौजूद हथियारों के भारत में बने होने का दावा कर भारत को दोष दे रहे हैं। पाकिस्तान के कुछ जाने-माने अखबारों की वेबसाइट्स पर ऐसी खबरें पब्लिश हुई हैं, जिनमें आतंकियों का रिश्ता भारत से होने का कयास लगाया गया है। झूठ व फरेब के सहारे पाकिस्तान न सिर्फ सिर्फ सीजफायर का उल्लंघन, घुसपैठ व आतंकवादियों के मदद से हमला कर उसकी कूटनीतिक ूपजी को खाली को खाली व सैन्य ताकत को कमजोर कर रहा रहा है, बल्कि आरोप पर आरोप भी लगाएं जा रहा, पर भारत है, जहां यही बहस चल रही है कि पाकिस्तानी संगीतकारों को देश में प्रवेश देना चाहिए या नहीं। पाकिस्तान खुलेतौर पर आतंककारियों की शरणगाह बना है। कुख्यात आतंककारी वहां खुलेआम घूम रहे है। खतरनाक जिहादी गुट पाकिस्तानी सेना ने पाले पोसे है। वहां की सरकारें, कट्टरपंथी जमात और सेना कश्मीर के मसले को ज्वलंत बनाएं रखना चाहती है। तमाम समझौतों के बाद भी वह न्यूक्लीयर पावर का धौंस जमा सीजफायर का उल्लंघन कर जताते रहते है कि कश्मीर पर वह एकाधिकार चाहते है। यही वजह है कि भारत में बैठे अलगाववादियों को वह खाद-पानी देते रहते है। संयुक्त राष्ट की आमसभा में खुद नवाज शरीफ ने कश्मीर पर बिल्कुल नकारात्मक भाषण दिया था। भारत जब-जब शांति वार्ता की कोशिश की, तब-तब उसे नुकसान उठाना पड़ा है। कारगिल हमला से लेकर मुंबई धमाका उसके उदाहरण है।  

इसके अलावा कुपवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ में ग्रेनेडियर राहुल कुमार शहीद हो गए, लेकिन बेटे के अंतिम संस्कार तुरंत बाद मातमी माहौल में भी एक पिता का सीना गर्व से चैड़ा है, कहा राहुल कुमार के पिता चाहते हैं कि उनका दूसरा बेटा भी देश की सेवा में जान न्योछावर करे। शहीद राहुल कुमार के पिता अपने बेटे का जिक्र करते हुए कहते हैं, मैंने उसे बड़ा किया और मिलिट्री स्कूल में दाखि‍ल करवाया। सरकार के पास सैनिकों के लिए जरूरी और कड़े नियम नहीं हैं। उन्हें उचित आदेश नहीं दिए जाते और न ही हथि‍यार ही दिए जाते हैं। सरकार खामोश रहती है। मेरे पास दूसरा बेटा भी है और मैं उसे भी देश के नाम पर कुर्बान करने के लिए तैयार हूं। बेशक सलाम करती है देश की जनता ऐसे परिवारीजनों पर। 





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(सुरेश गांधी)

पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह अब भी कोमा में

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व नेता जसवंत सिंह अब भी कोमा में वेंटिलेटर पर हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराए 20वें दिन हो गए हैं, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा है। उनकी हालत में सुधार के बारे में पूछने पर सेना अस्पताल के एक चिकित्सक ने बुधवार को बताया, "उनकी हालत वैसी ही है, कोई सुधार नहीं हुआ है।"

अस्पताल के प्रवक्ता ने को बताया, "उनकी पूरी चिकित्सकीय देखभाल की जा रही है, लेकिन उनमें सुधार नहीं हो रहा है।" 76 वर्षीय जसवंत आठ अगस्त को अपने घर में फर्श पर गिर गए थे, जिसके बाद उनके परिवार ने बेहोशी की हालत में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया था।

असम में बाढ़ से 12 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित

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असम के 16 जिलों में आई बाढ़ से 12 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि जिले में ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों सहित बहुत सी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ के कारण 18 अगस्त से कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को लखीमपुर और मोरिगांव जिले में बाढ़ के कारण दो लोगों की मौत हो गई थी।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एडीएमए) के मुताबिक, राज्य के 16 जिलों में 2,093 गावों में बह्मपुत्र और इसकी सहायक नदियों में आई बाढ़ से कुल 12,65,449 लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ के कारण 1,63,052 लोगों को प्रशासन द्वारा स्थापित 212 राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ से 1,12,635.25 हेक्टेयर भूमि में फसल बर्बाद हो गई।

मोरिगांव, बरपेटा कामरूप, नलबारि, धेमाजी, तिनसुकिया और सोनीपत जिलों में बचाव एवं राहत कार्यो के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और इंनलैंड जल परिवहन विभाग की 100 नौकाएं लगी हैं। अधिकारियों ने बताया कि ब्रह्मपुत्र और इसकी सहायक नदियां जोरहाट, गुवाहाटी, तेजपुर, गोलपारा और धुब्री इलाकों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया प्रधानमन्त्री को नैतिकता का पाठ, दागी न हों मंत्री !

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सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि हालांकि प्रधानमंत्री को मंत्रिमंडल में किसी व्यक्ति को शामिल करने से रोकने का कोई नियम नहीं है, लेकिन संविधान का नैतिक संरक्षक होने के नाते उनसे यह उम्मीद की जाती है कि वह अवांछित लोगों को मंत्री न बनाएं। सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने कहा कि हालांकि संविधान का अनुच्छेद 75 (1) प्रधानमंत्री को किसी को भी मंत्री बनाने का अधिकार देता है, लेकिन दागियों को कार्यकारी जिम्मेदारियां नहीं सौंपी जानी चाहिए।

संविधान सभा में हुई बहस का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कहा कि देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि बहुत सी बातों को संविधान में नहीं लिखा जा सकता, लेकिन परंपरागत तरीके से उनका अनुपालन किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि संवैधानिक पदाधिकारियों से उम्मीद की जाती है कि लोगों ने उनमें जो भरोसा जताया है, उसे वे बरकरार रखें और लोकतांत्रिक मूल्यों का संवर्धन करें।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (27 अगस्त)

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विदेशियों के निवास करने की जानकारी आॅन लाइन देनी होगी

vidisha news
वीजा लेकर आने वाले विदेशी नागरिक जिले के किसी भी भाग में निवास करते है तो संबंधितों को आॅन लाइन फार्म-सी में जानकारी अंकित करनी होगी। इस नवीन प्रक्रिया से जिले के होटल व्यवसाईयों, सराय, लाॅज और गणमान्य नागरिकों को भली भांति अवगत कराए जाने के उद्धेश्य से एक दिवसीय प्रशिक्षण बुधवार को पुलिस लाइन में आयोजित किया गया था। पुलिस अधीक्षक श्री धर्मेन्द्र चैधरी ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि भारत सरकार के जारी दिशा निर्देशानुसार कोई भी विदेशी विदिशा जिले की सीमा में आता है और निवास करता है तो उसकी समुचित जानकारी संकलित करने के लिए फार्म-सी निर्धारित किया गया है जिसके लिए पुलिस विभाग की विशेष शाखा की आईडी से विदेशी नागरिकों की टेªकिंग की जाएगी। पुलिस अधीक्षक श्री चैधरी ने प्रशिक्षण में शामिल व्यवसाईयों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करेंगे की कि उनके यहां कोई भी विदेशी आता है तो अविलम्ब आॅन लाइन जानकारी देकर पुलिस को मदद करेंगे। यदि किसी के द्वारा उक्त कार्य में लापरवाही बरती जाती है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। प्रशिक्षणार्थियों को एनआईसी के डीआईओ श्री एमएल अहिरवार के द्वारा एलसीडी प्रोजेक्ट के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया वही संबंधितों से अपेक्षा व्यक्त की गई कि फार्म-सी की जानकारी अंकित करने में किसी प्रकार की परेशानी हो तो वे पुलिस की विशेष शाखा से सम्पर्क कर सकते है। इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री राय सिंह नरवरिया के अलावा जिले के होटल व्यवसाईयों, सराय, लाॅज और सार्वजनिक गार्डनों के मालिक और प्रतिनिधि मौजूद थे।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना शुभारंभ आज

प्रधानमंत्री जन-धन योजना का शुभांरभ कार्यक्रम जिला मुख्यालय पर 28 अगस्त गुरूवार को जालोरी गार्डन में दोपहर साढे तीन बजे से प्रारंभ होगा। कि जानकारी देते हुए लीड़ बैंक आफीसर श्री गुप्ता ने जिले की सभी जन प्रतिनिधियों एवं गणमान्य नागरिकों से आग्रह किया है कि वे कार्यक्रम में उपस्थित होने का कष्ट करें। 

अनंतिम चयन सूची जारी

एकीकृत बाल विकास परियोजना विदिशा शहरी अंतर्गत वार्ड-27 में आंगनबाडी सहायिका और वार्ड-28 में आंगनबाडी कार्यकर्ता के रिक्त पद की पूर्ति की अनंतिम चयन सूची परियोजना अधिकारी द्वारा जारी कर दी गई है। वार्ड-27 में रिक्त आंगनबाडी सहायिका पद के लिए श्रीमती हेमलता कुशवाह चयनित हुई है वही प्रतीक्षा सूची मंे श्रीमती मनीषा मालवीय शामिल है। इसी प्रकार वार्ड-28 में रिक्त आंगनबाडी कार्यकर्ता के पद हेतु राखी चैधरी चयनित हुई है और प्रतीक्षा सूची में प्रभा शर्मा का नाम शामिल है। परियोजना अधिकारी ने बताया कि जारी अनंतिम चयन सूची के संबंध में यदि किसी अभ्यर्थी को आपत्ति हो तो वे अपने लिखित दस्तावेंजो सहित आपत्ति 29 अगस्त तक परियोजना कार्यालय विदिशा शहरी में जमा कर सकते है।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना की तैयारियों का जायजा 

प्रधानमंत्री जन-धन योजना का जिले में शुभांरभ कार्यक्रम आयोजन के संबंध में अब तक की गई तैयारियों का कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने बुधवार को जायजा लिया। कलेक्टेªट सभाकक्ष में आहूत उक्त बैठक में अपर कलेक्टर श्री शशिभूषण सिंह, बैंकर्स प्रतिनिधि, विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना कार्यक्रम गरिमापूर्ण आयोजित किया जाए इसके लिए हितग्राहियों को अधिक से अधिक कार्यक्रम स्थल पर आमंत्रित करने की बात कही। इस अवसर पर लीड़ बैंक आफीसर्स श्री उमेश गुप्ता ने आयोजन के संबंध में की गई तैयारियों की बिन्दुवार जानकारी दी।

विशेष सुविधाएं
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत खुलने वाले बैंक खातो के लिए जो विशेष सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी उनमें पैसो की सुरक्षा के साथ ब्याज, डेबिट कार्ड के जरिए किसी भी एटीएम से पैसा निकालने की और खाताधारी परिवार का एक लाख रूपए तक का दुर्घटना बीमा के अलावा खातेधारी के लिए कोई न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता नही है। इसके अलावा हितग्राहियों के लिए अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी उनमें हितग्राही भारत में कही भी आसानी से पैसा भेज सकता है हितग्राही को सरकारी योजना की राशि सीधे उनके खाते में भेजी जाएगी। छह माह तक खाते के संतोषजनक परिचालन के बाद ओव्हर ड्राफ्ट की भी सुविधा उन्हें दी गई है। वही पेंशन बीमा इत्यादि से भी लाभ दिया जाएगा।

आवश्यक दस्तावेंज
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत हितग्राहियों कोे बैंको में खाता खोलने के लिए जो दस्तावेंज मान्य किए गए है उनमें आधार कार्ड या आधार नम्बर है तो किसी अन्य प्रमाण पत्र की आवश्यकता नही है। अगर हितग्राही का पता बदल गया है तो अपने वर्तमान पते को स्वंय के द्वारा प्रमाणित कर देना होगा। अगर हितग्राही के पास आधार कार्ड नही है तो मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, ड्रायविंग लायसेंस, प्राधिकृत जन प्राधिकारी अथवा लोक सेवा व सरपंच द्वारा जारी पत्र इनमें से कोई एक दस्तावेंज प्रस्तुत करने पर खाता खोलने की कार्यवाही की जाएगी। यदि किसी हितग्राही के पास पूर्व उल्लेखित साक्ष्यों मंे से एक भी दस्तावेंज नही है तो वे मान्यता प्राप्त संस्थान का पहचान पत्र, नरेगा द्वारा जाॅब कार्ड की प्रति उपलब्ध करा सकता है।

पांच स्टाॅल
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के शुभांरभ स्थल जालोरी गार्डन मंे हितग्राहियों के खाता खोले जाने हेतु बैंको के पांच काउंटर संचालित होंगे।

प्रभारी मंत्री आज विदिशा आएंगे

राजस्व, पुर्नवास मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री श्री रामपाल सिंह राजपूत गुरूवार को विदिशा आएगे। प्रभारी मंत्री का प्राप्त दौरा कार्यक्रम अनुसार 28 अपै्रल की दोपहर दो बजे भोपाल से कार द्वारा प्रस्थान कर दोपहर 3.45 बजे विदिशा आएगे और जालोरी गार्डन में आयोजित प्रधानमंत्री जन-धन योजना के शुभांरभ कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके पश्चात् शाम साढे़ छह बजे भोपाल के लिए प्रस्थान करेंगे।

उच्च शिक्षा मंत्री आज विदिशा आएंगे

उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता 28 अगस्त को विदिशा आएंगे। उनका प्राप्त दौरा कार्यक्रम अनुसार दोपहर 12 बजे भोपाल से प्रस्थान कर एक बजे विदिशा आएंगे और यहां शहनाई गार्डन मंे आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के उपरांत भोपाल रवाना होंगे।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना का शुभांरभ कार्यक्रम

प्रधानमंत्री जन-धन योजना का शुभांरभ जिला मुख्यालय पर 28 अगस्त को सायं चार बजे से जालोरी गार्डन में आयोजित किया गया है। उक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के राजस्व, पुर्नवास मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री श्री रामपाल सिंह राजपूत होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सुनीता सोनकर करेगी। वही विशेष अतिथि के रूप में शमशाबाद विधायक श्री सूर्यप्रकाश मीणा, विदिशा विधायक श्री कल्याण सिंह दांगी, कुरवाई विधायक श्री वीर सिंह पंवार, सिरोंज विधायक श्री गोवर्धन उपाध्याय, बासौदा विधायक श्री निशंक जैन और विदिशा नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती ज्योतिशाह मौजूद रहेगी।

झारखण्ड : अर्चना तिर्की 50 लाख रूपए ले खुश

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  • अन्नन्या की बीमारी और परिवार के अन्य लोगों की जरूरत पूर्ण कर पाएंगी

archana tirki
रांची। झारखंड प्रदेश की रांची में रहने वाली अर्चना तिर्की के.बी.सी.के हाॅट सीट बैठी थीं। उनके सामने 1 करोड़ रूपए जीत लेने की चुनौती थी। इस सर्दी के महानायक अमिताभ बच्चन ने कहा कि अर्चना जी सदैव मुस्कराती रहती हैं। इसके जवाब में अर्चना तिर्की ने कहा कि रोने के लिए भगवान ने बहुत कुछ दिया है। बैंक आॅफ बड़ौदा में अर्चना तिर्की एक अधिकारी हैं। कई बार बैंक की ओर से पदोन्नति करने का आॅफर मिला। अपनी बेटी अन्नन्या और अन्य परिवार के सदस्य को छोड़कर अन्यत्र न जाने का इरादा रखने वाली अर्चना तिर्की ने 25 अगस्त को 7 सवालों के जवाब देकर 3 लाख 20 हजार रूपए जीत पायी थीं। 26 अगस्त को आगे खेलने के लिए तैयार थीं। के.बी.सी. के एंकर अमिताभ बच्चन ने 8 वीं सवाल दागा। मान्यतानुसार आलू की उत्पति कहां हुई थी? इस सवाल के आॅफ्शन में जवाब दक्षिण अमेरिका, एशिया,यूरोप और अफ्रीका था। एंकर ने कहा कि आपके पास 2 हेल्पलाइन है। प्रथम 3 गुणी और डबल डीप है। तब अर्चना ने 3 गुणी का सहारा लिया। इसके बाद तीनों ने मिलकर दक्षिण अमेरिका के पक्ष में जवाब दिया। अर्चना ने तीनों महानुभावों के जवाब के साथ हां में हां मिला दिए। इसके साथ अर्चना तिर्की 6 लाख 40 हजार रू.जीत गयी। 

एक बार फिर अर्चना को हेल्पलाइन का सहारा लेना पड़ा। शेष डबल डीप का सहारा लिया। उन्होंने जवाब में राजीव गांधी का नाम लिया। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पवित्र गंगा की सफाई करने का बीड़ा उठाया था। जो सफल न हो सका। एकबार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी गंगा नदी की सफाई करने का ऐलान कर रखा है। एंकर ने कहा कि यह बिल्कुल ही सही जवाब है। आप 25 लाख रूपए जीत गयी। तक एंकर ने याद दिलाए कि सभी 4 हेल्पलाइन समाप्त हो गया। अब आपको बड़ी सावधानी से जवाद देना है। अगर सवाल का जवाब नहीं आता है। तो खेल बीच में छोड़ सकती हैं। अभी तक जो रकम जीती हैं। वह लेकर जा सकती हैं। अगर आप गेम खेली। जवाब गलत दे दी तो भारी नुकसान होगा। रकम जीतकर 3 लाख 20 हजार रूपए हो जाएगी। हां, एक आॅफ्शन मिल गया है। आपके परिवार वाले स्वीच आॅनकर के हिदायत देते हैं कि आप खेल जारी न रखें। मगर जरूरी नहीं है कि परिवार वालों की हिदायत मान लिया जाए। वह आपके विवेक पर निर्भर करता है। 

अभी एंकर अमिताभ बच्चन समझाकर अगले सवाल पूछे थे कि अतिरिक्त आॅफ्शन लेने की नौबत आ गयी। सवाल था कि आॅडनेन्स फैक्ट्री,कानपुर ने 2014 में खासकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए रिवाल्वर निर्माण किया था? इस सवाल को देखकर अर्चना तिर्की के पतिदेव बेसिल तिर्की ने स्वीच आॅनकर लाल बत्र्ती जला दिए। उनका इशारा था कि 25 लाख रू.जीत गयी हो। रकम लेकर गेम छोड दें। मगर अर्चना ने पतिदेव के इशारे को अनसुना कर दिया। इस अर्चना ने कहा कि पतिदेव के कथन को नहीं मानती हैं। घर में भी नहीं मानती हैं। हम दोनों के बीच में लव मैरेज हुआ था। एंकर की ओर मुखातिर होकर अर्चना ने कहा कि आप भी जया भाभी के साथ लव मैरेज ही किए थे। दोनों ने लव मैरेज के बारे में जाना और मजा लिए। इतना करने के बाद पतिदेव के इशारा को नजरांदाज कर दिया। जवाब में निर्भया और को किनारे करके रिवाल्वर का नाम ‘निर्भिक’ कहकर 50 लाख रूपए जीत गयी। 

 इसके बाद 1 करोड़ रूपए का साल उछाला गया। महिला क्रिकेटरों में प्रथम बार अर्जुन अवार्ड किसे मिला? डायना एडुलजी, शांता रंगास्वामी, अंजली जैन,मिताली राज। इस सवाल को देखते ही अर्चना तिर्की जवाब न देकर गेम छोड़ देने की इच्छा जाहिर कर दी। अर्चना ने मिताली राज को कहा। यह गलत था। एंकर ने कहा कि शांता रंगास्वामी को अर्जुन अवार्ड मिला था। चूंकि आप पहले ही गेम छोड़ दी थीं। आप 50 लाख रूपए जीत गयी हैं। इस तरह अर्चना तिर्की 50 लाख रूपए ले खुश थीं। अन्नन्या की बीमारी और परिवार के अन्य लोगों की जरूरत पूर्ण कर पाएंगी।




आलोक कुमार
बिहार 

आरोप साबित हुए, तो राजनीति छोड़ दूंगा : राजनाथ

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rajnath singh
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बेटे को खराब आचरण के कारण विधानसभा उपचुनाव का टिकट नहीं दिए जाने संबंधी रपटों का खंडन करते हुए बुधवार को कहा कि यदि उनके परिवार के किसी भी सदस्य के खिलाफ आरोप साबित हो जाता है तो वह राजनीति छोड़ देंगे। राजनाथ ने यहां संवाददाताओं से कहा, "मेरे और मेरे परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ कोई भी आरोप साबित हो जाता है, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा और सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लूंगा।"

केंद्रीय गृह मंत्री मीडिया में चल रही उन खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे, जिसमें कहा गया है कि उनके पुत्र के खराब आचरण के कारण प्रधानमंत्री नहीं चाहते कि उन्हें उपचुनाव में टिकट मिले। राजनाथ सिंह ने कहा कि मीडिया में आई खबरों से जब उन्होंने प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह को अवगत कराया तो वे हैरान रह गए और ऐसी खबरों को आधारहीन करार दिया। भाजपा ने राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को विधानसभा उपचुनाव में टिकट नहीं दिया है। माना जा रहा था कि वह नोएडा से पार्टी के प्रत्याशी होंगे। 

कांस्टीट्यूशन एवेन्यू खाली करें प्रदर्शनकारी : न्यायालय

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supreme court of pakistan
पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को सरकार के खिलाफ धरना दे रहे पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और पाकिस्तान अवामी तहरीक (पीएटी) के समर्थकों को कांस्टीट्यूशन एवेन्यू गुरुवार तक खाली करने का आदेश दिया है। अदालत ने दूसरी बार यह आदेश दिया है। दोनों दल प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। डॉन ऑनलाइन की रपट के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश नसीरूल मुल्क की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने पीटीआई और पीएटी के धरने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। 

याचिकाकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत इस प्रदर्शन को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि यह आम जनता के अधिकारों का हनन है। अदालत ने पीएटी और पीटीआई के प्रदर्शनकारियों को आदेश दिया है कि वे गुरुवार तक संसद के सामने के रास्ते को खाली कर दें। मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी। उल्लेखनीय है कि बीते 19 अगस्त से संसद भवन और सर्वोच्च न्यायालय की इमारत के बाहर प्रदर्शनकारी धरने पर बैठे हैं, जिसके कारण सर्वोच्च न्यायालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और सचिवालय कर्मियों को आने-जाने में परेशानी हो रही है। 

मंगवार को दोनों दलों के प्रदर्शनकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उस जगह को खाली करने के आदेश को चुनौती दी थी। दोनों दलों का आरोप है कि 2013 में हुए आम चुनाव में नवाज शरीफ ने गड़बड़ियां की थी। 

तारा के पति को 3 दिन की ट्रांजिट रिमांड

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rakibul hasan khan
राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज तारा शाहदेव से मारपीट और इस्लाम धर्म अपनाने के लिए दबाव डालने के आरोपी उनके पति को यहां की एक अदालत ने बुधवार को तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर झारखंड पुलिस को सौंपने का आदेश दिया। 30 वर्षीय रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन खान को मंगलवार को गिरफ्तार करने के बाद यहां की एक अदालत में पेश किया गया था। बंद कक्ष में हुई सुनवाई के दौरान मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतीश कुमार अरोड़ा ने कोहली और उसकी मां को तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर झारखंड पुलिस को सौैंपने का आदेश दिया।

सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने अदालत को बताया कि झारखंड की एक अदालत ने कोहली के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया है। पुलिस ने कहा कि आरोपी को झारखंड की एक अदालत में पेश किया जाना है, जिसके लिए समय पर उसके रिमांड की जरूरत है। दिल्ली पुलिस और झारखंड पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में कोहली को मंगलवार को दिल्ली-गाजियाबाद की सीमा के नजदीक से गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2009 में हुए पूर्वी जोन चैंपियनशिप में 23 वर्षीया तारा ने स्वर्ण पदक जीता था।

पीएमओ ने राजनाथ के बेटे पर मीडिया रपटों को नकारा

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Prime-Ministers-Office
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बुधवार को इस खबर को खारिज किया कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे को उनके कथित खराब आचरण के कारण उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में टिकट नहीं दिया गया। इससे पहले राजनाथ भी ऐसी खबरों को खारिज कर चुके हैं। पीएमओ ने कहा कि हाल के सप्ताहों में खबरें आईं हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ केंद्रीय मंत्रियों के आचरण और केंद्रीय गृह मंत्री के बेटे के कथित खराब आचरण पर नाखुशी जताई है। इस तरह की रिपोर्ट बिल्कुल झूठ है।

पीएमओ के अनुसार, "इस तरह की खबर बिल्कुल झूठ है और ऐसा कर सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इस तरह के अफवाहों में शामिल लोग देशहित को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इन खबरों को खारिज किया जाता है।"इससे पहले राजनाथ भी ऐसी खबरों को खारिज कर चुके हैं। उन्होंने तो यहां तक कह डाला कि यदि उनके परिवार के किसी भी सदस्य के खिलाफ छोटा सा आरोप भी साबित होता है तो वह सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लेंगे।

वह उन मीडिया रपटों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे, जिसमें कहा गया है कि उनके पुत्र के खराब आचरण के कारण प्रधानमंत्री नहीं चाहते कि उन्हें उपचुनाव में टिकट मिले। ऐसी रपटों की बाबत राजनाथ ने संवाददाताओं से कहा, "मेरे और मेरे परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ कोई भी आरोप साबित हो जाता है, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा और सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लूंगा।"

राजनाथ ने कहा कि मीडिया में आई खबरों से जब उन्होंने प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह को अवगत कराया तो वे हैरान रह गए। उन्होंने ऐसी खबरों को बेबुनियाद करार दिया। भाजपा ने राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव में टिकट नहीं दिया, जबकि माना जा रहा था कि वह नोएडा से भाजपा के प्रत्याशी होंगे।

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (27 अगस्त)

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समीक्षात्मक बैठक में 2015 के आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी पर जोर
  • सभी मतदाताओं के मिले प्यार व वोट के लिए शुक्रिया: फखरूद्दीन खाँ

narkatiaganj-news
नरकटियागंज(अवधेश कुमार शर्मा) विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन हार को लेकर तीन पार्टियांे के जिलाध्यक्षों ने पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक पुरानी बाजार के श्रीराम होटल मंे किया। जिसकी अध्यक्षता कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र शर्मा ने किया, जबकि कार्यकर्ता सम्मेलन का संचालन राजद के जिलाध्यक्ष ईफ्तेखार अहमद ने किया। समीक्षात्मक बैठक में तीनों पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे पर खूब आरोप-प्रत्यारोप लगाये। उसके बाद तीनों पार्टी के नेताओं ने पंचायत और वार्ड स्तर पर अपने संगठन को मजबूत करने पर बल दिया। महागठबंधन के नताओं ने जिलाध्यक्षों पर हार का ठिकरा कार्यकर्ताओं ने फोड़ा। युपीए नेता अफसर ईमाम ने कहा जयचन्द और मीरजाफरों के कारण गठबंधन की हार हुई, फखरूद्दीन तो हार कर जीते। असलम खाँ हक्की ने पार्टी के दोषपूर्ण नीतियों को हार का कारण बताया। भीतरघात व चुनाव प्रबंधन की कमी को हार का कारण पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी उदयभान पासवान ने बताया। सूरज दूबे ने कहा सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने में हम विफल रहे। बरवा-बरौली के मुखिया एहसान अली अंसारी ने कहा हमे तो अपनों द्वारा हराया गया है। अन्त में फखरूद्दीन खाँ ने नरकटियागंज की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया कि उन्होंने उनपर भरोसा किया। फखरूद्दीन खाँ ने कहा कि आइए हम सब शिकवा शिकायत भूलकर मिले और एक नया फिंजा तैयार कर महागठबंधन को नई ताकत दे। युवा कांग्रेस के श्रीकान्त कुमार यादव ने कहा कि अफवाह फैलाना प्रबुद्धवर्ग का काम है। कैलाश यादव ने कहा कि प्रत्याशी स्थानीय कार्यकर्ताओं से सम्पर्क बढाये। उनके अलावे बैठक में अपने विचार रखने वालों मे डाॅ.एन एन शाही, शफीउद्दीन उर्फ टेनी, अनिल कुमार, अब्दुल गफ्फार, खुर्शीद आलम पूर्व विधायक, नन्द किशोर चैधरी, शम्भू पाण्डेय, अब्बास अहमद, राजन मिश्र, शेख भोला, मुरली मनोहर गुप्ता, अलखदेव पासवान, मनान मियाँ, सुरेन्द्र जिवारी, जावेद अख्तर, अनिल कुमार, प्रकाश गुप्ता मुख्य रूप से शामिल हुए और सैकड़ों कार्यकर्ता की बात सुनकर उसको जायज ठहराया।

युवक झुलसा

नरकटियागज(पच) प्रखण्ड के बरवा-बरौली पंचायत के मंगरहरी(बैरिया) गाँव में विगत रात्री एक व्यक्ति के आग से झुलसजाने की खबर मिली हैं। इस बावत आग से झुलस कर घायल हुए युवक रामबालक चैधरी 40 वर्ष पिता योगेन्द्र चैधरी का इलाज नरकटियागंज सरकारी अस्पताल में किया गया। जिसे बेहतर इलाज के लिए बेतिया रेफर कर दिया गया। नरकटियागंज सरकारी अस्पताल के डाॅक्टरों के अनुसार रामबालक 33 प्रतिशत झुलस गया है। आग लगने के कारणों का खुलासा नहीं हो सका है।

अमित शाह ने दिया राजनाथ के बेटे को क्लीन चिट

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amit shah
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ का पक्ष लिया और कहा कि उनके खिलाफ और उनके पुत्र पंकज के खिलाफ सभी अफवाह निराधार हैं। शाह ने हिंदी में जारी एक बयान में कहा है कि राजनाथ और उनके पुत्र के खिलाफ अफवाह निराधार और काल्पनिक है। बयान में कहा गया है, "पार्टी अध्यक्ष के नाते मैं मानता हूं कि हमारे सभी मंत्रियों का आचरण उच्चस्तर का है और इस तरह की अफवाह निराधार है।"

अमित शाह का बयान ऐसे समय में आया है, जब इसके थोड़े ही समय पहले राजनाथ और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बुधवार को इस बात का खंडन किया कि केंद्रीय गृह मंत्री के पुत्र को उत्तर प्रदेश उपचुनाव में कथित अनाचार के कारण नहीं उतारा गया।

भारत-पाक के बीच फ्लैग मीटिंग

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जम्मू-कश्मीर में सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन को लेकर भारत और पाकिस्तान ने फ्लैग मीटिंग की।बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच हुई ये फ्लैग मीटिंग करीब 40 मिनट तक चली।

बीएसएफ के आईजी राकेश शर्मा ने भारत-पाकिस्तान के बीच हुई फ्लैग मीटिंग के बारे में बताया कि आगे भविष्य में भी ये फ्लैग मीटिंग होती रहेगी। उन्होंने कहा कि फ्लैग मीटिंग को लेकर बीएसएफ बहुत ही साकारात्मक है और हम सीमा पर शांति बनाए रखना चाहते हैं।

गौरतलब है कि मंगलवार को भारत द्वारा संघर्ष विराम को लेकर आपत्ति दर्ज कराने के बाद दोनों पक्ष फ्लैग मीटिंग के लिए तैयार हुए थे। दोनों पक्षों के बीच हॉट लाईन पर करीब 10 मिनट तक बात हुई थी।

पुराने कानूनों की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री ने बनाई कमेटी

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 एक ओर जहां योजना आयेाग को सरकार ने नए सिरे से संपादित करने का निर्णय ले लिया है वहीं पुराने कानूनों पर भी अब कैंची चल सकती है। मोदी सरकार पुराने जमाने के अनुपयोगी कानूनों को निरस्त करने जा रही है।

इस कदम के लिए प्रधानमंत्री ने एक कमेटी बनाई है, जो बेकार के कानूनों की पहचान करेगी। ये कमेटी तीन महीने में पुराने पड़ चुके कानूनों की पहचान करेगी। माना जा रहा है कि कमेटी के अध्यक्ष आर. रामानुजम होंगे।

कमेटी में पीएमओ के सचिव वी.के. भसीन, पूर्व सचिव इसके सदस्य होंगे। इस का काम तीन महीने के भीतर अनुपयोगी कानून की पहचान करना होगा व उस पर सरकार सख्त कदम उठाकर देशहित में नई व्यवस्था का श‍िलान्यास करेगी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुनावी भाषणों में पुराने अनुपयोगी कानूनों को समाप्त करने की बाते करते रहे हैं। सत्ता में आने के बाद कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इस काम को प्राथमिकताओं में शामिल किया था। उन्होंने बेकार पुराने कानूनों पर विधि आयोग और राज्यों को पत्र लिख कर रिपोर्ट मांगी थी। अब इस काम को मूर्त रूप दिए जाने का काम शुरु करने की पहल शुरु कर दी गई हैॅ।  

लालू प्रसाद यादव के दिल का हुआ ऑपरेशन, हालत स्थिर

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राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद की बुधवार को यहां मुंबई के एक निजी अस्पताल में छह घंटे लम्बे ऑपरेशन के बाद स्थिति अब स्थिर है। चर्चित हृदय सर्जन रमाकांत पांडा की निगरानी में एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के 20 डॉक्टरों की टीम ने 66 वर्षीय लालू प्रसाद के दिल का ऑपरेशन किया। पांडा पांच साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का ऑपरेशन कर चुके हैं।

इंस्टीट्यूट के उपचेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक पांडा ने कहा, सर्जरी बहुत अच्छी रही। सुबह 10 बजे शुरू हुई सर्जरी शाम करीब चार बजे तक चली जहां हमने उनका महाधमनी वाल्व बदला। हमने उनकी महाधमनी भी ठीक की। पांडा ने कहा, हमें उनके दिल में तीन मिलीमीटर का छोटा छेद भी मिला जिसे सर्जरी के दौरान बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि पूर्व रेलमंत्री की हालत फिलहाल स्थिर है लेकिन उन्हें फिलहाल सांस लेने में मदद के लिए उपकरण लगाया गया है। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद को एनेस्थीसिया दिया गया है और सांस लेने में मदद के लिए पाइप लगाया गया है। आशा है कि कल सुबह तक पाइप हटा दिया जाएगा।

अस्पताल के अनुसार सर्जन दल का नेतृत्व डॉ. रमाकांत पंडा, डॉ. प्रद्योथ कुमार रथ और डॉ. चेतन गांवकर ने किया। शल्यक्रिया पूर्वाह्न पौने दस बजे शुरू हुई और शाम चार बजे के कुछ ही समय पश्चात समाप्त हुई।शल्यक्रिया के बाद डॉ. पांडा ने कहा, आश्चर्य की कोई बात नहीं थी। हमने परिवार को पहले ही सूचित कर दिया था कि हृदय में कई दिक्कतें हैं और वे तैयार थे। अस्पताल ने एक बयान में कहा कि लालू प्रसाद तीन से चार दिन तक आईसीयू में रहेंगे और उन्हें स्वस्थ होने में एक और सप्ताह का समय लगेगा।

डॉ. पांडा ने कहा, शल्यक्रिया त्रुटिरहित रही और लालूजी ने प्रक्रियाओं को बहुत अच्छी तरह सहन किया। डॉक्टर ने कहा कि लालू का ऑपरेशन करने के लिए खून की दो बोतलों का उपयोग किया गया। लालू को अगले तीन दिन आईसीयू में रखा जाएगा और फिर एक सप्ताह तक वे स्वास्थ्य लाभ लेंगे। 
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