मुख्यमंत्री ने की माफियाओं और भ्रष्ट नौकरशाहों के गठजोड़ पर गहरी चोट
- मलेथा वासी जीते, माफियाओं की हुई हार, अब नहीं लगेगा एक भी क्रशर
- ग्र्रामीणों के आगे झुकी सरकार
देहरादून, 21 सितम्बर (राजेन्द्र जोशी)। मलेथा में चल रहे स्टोन क्रेशर व हॉट मिक्स प्लांट पर एक बार फिर मुख्यमंत्री ने खनन माफियाओं,स्टोन क्रेशर माफियाओं और भ्रष्ट नौकरशाहों के गठजोड़ को गहरी चोट देकर यह सन्देश देने की कोशिश की है कि शांत व शुद्ध आबोहवा को माफियाओं के जंगलराज से खत्म नही करने दिया जायेगा. वहीं मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि मलेथा में किसी प्रकार के स्टोन क्रशर या ऐसी किसी गतिविधि को नहीं चलने दिया जाएगा। जिलाधिकारी को इस संबंध में क्रशर गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री की इस पहल का मलेथा व श्रीनगर वासियों के स्वागत करते हुए उनका धन्यवाद किया है कि उन्होंने इलाके की उपजाऊ जमीन को रेगिस्तान बनने से बचा दिया है. गौरतलब हो कि पर्वतीय मलेथा को हराभरा करने के लिए बहुत पहले माधो सिंह भंडारी ने जिद्द की थी और नहर बनाकर इस भूमि को हरियाली की कालीन बना दिया। कुछ इसी तरह की जिद्द इस बार ग्रामीणों ने की और इस जमीन को बचने के लिए 137 दिनों तक आन्दोलन किया. नौकरशाहों और माफियाओं के गठजोड़ ने स्टोन क्रशर लगा कर मलेथा की हरियाली छीनने की जब कोशिश की तो उन्होंने आंदोलन छेड़ दिया। आखिरकार मलेथा के ग्रामीणों के आगे सरकार को झुकना पड़ा। शनिवार को जिलाधिकारी ने मलेथा में स्वीकृत सभी चार स्टोन क्रशर संचालन की अनुमति रद्द कर दी । उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार की ओर से मलेथा में चार स्टोन क्रशरों को स्वीकृति दी गई थी। इनमें देवेंद्र दत्त बलूनी के स्टोन क्रशर को 12 फरवरी 2014 और दिनेश सिंह पडियार के स्टोन क्रशर को 28 जून 2014 को स्थापित करने के आदेश हो गए थे। ये दोनों स्टोर क्रशर स्थापित तो हो गए हैं लेकिन इसे शुरू नहीं किया गया है। अरविंद रणावत और रैपाल सिंह बिष्ट के स्टोन क्रशर का मामला पाइप लाइन में है। इतना ही नहीं सूत्रों के तो यहाँ तक जानकारी दी है कि जो स्टोन क्रेशर शेष अब लगने वाले स्टोन क्रेशर तो सरकारी जमीन में ही लगाने की अनुमति भ्रष्ट नौकरशाहों ने दे दी थी.जिसका इलाकेवासियों द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा था.
अगर मानकों की बात की जाय तो मलेथा में एक भी स्टोन क्रशर को मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए। लगता है कि अनुमति देते समय अफसरों ने राजस्व विभाग, खनन, वन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और भूगर्भ विज्ञानियों के तय मानकों की नियमावली पढ़ी ही नहीं है या उसकी जानबूझकर अनदेखी की है. क्रशरों से होने वाले नुकसान पर भी शायद चर्चा नहीं की गई। अगर ऐसा होता तो स्कूल, मंदिर, आबादी और वृक्षों से आच्छादित मलेथा में क्रशरों को कतई स्वीकृति नहीं मिल पाती। मलेथा में दो क्रशर लग चुके हैं, जिनमें कुछ समय तक काम भी चला पर 13 अगस्त से मलेथा आंदोलन के बाद से ये क्रशर भी बंद हैं। तीन अन्य क्रशर संचालकों ने भी साइड डेवलपमेंट का काम शुरू करने के बाद बंद कर रखा है। पर्वतीय क्षेत्र में स्टोन क्रशर लगाने के लिए सरकारी वन से न्यूनतम दूरी 100 मीटर होनी चाहिए। मलेथा में दो क्रशर आरक्षित वन क्षेत्र से 50 से 60 मीटर तक की ही दूरी पर हैं। इतनी ही दूरी पर ग्रामीणों की नाप भूमि भी है। जहां बहुउपयोगी तथा बहुमूल्य खैर के वृक्ष हैं। इसी तरह, मलेथा ग्राम पंचायत का हिस्सा रहे चैपडियां गांव में स्वीकृत क्रशर तो नदी से 50 मीटर दूर भी नहीं है, जबकि नदी से क्रशर 100 मीटर दूर होने चाहिए। मानक कहते हैं कि धार्मिक स्थल से न्यूनतम दूरी 125 मीटर होनी चाहिए, लेकिन यहां तो गुरु माणिकनाथ मंदिर और माधो सिंह भंडारी स्मारक स्वीकृत क्रशरों से 75 मीटर दूर भी नहीं है। बता दें कि हर वर्ष रोपाई के पहले दिन ग्रामीण ढोल-नगाड़ों के साथ लोग यहां पारंपरिक रूप से पूजा-अर्चना करते हैं। यहां का पुराना नागराजा मंदिर भी मानकों में तय दूरी की जद में ही हैं। स्वीकृत हुए क्रशर बस्ती से महज 30-40 मीटर की ही दूरी पर लग रहे हैं, जबकि यह दूरी कम से कम 175 मीटर होनी चाहिए। बताते चलें कि स्टोन क्रशर लगाने के विरोध में क्षेत्र के लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिया था । जनाक्रोश के बाद सीएम हरीश रावत ने बस दुर्घटना वाले दिन 14 सितंबर को श्रीनगर दौरे के दौरान डीएम युगल किशोर पंत को स्टोन क्रशरों की समीक्षा के निर्देश दिए थे। वहीँ जिलाधिकारी युगल किशोर पंत ने बताया कि मलेथा क्षेत्र के लिए स्वीकृत चारों स्टोन क्रशरों के संचालन की अनुमति रद्द कर दी गई है और मुख्यमंत्री के आदेशो की तामिली के लिए कीर्तिनगर के तहसीलदार बीएस मंडागी को दे दिए गए हैं जो संबंधित पक्ष को यह आदेश तामील करा चुके हैं ।
राज्य गठन का लाभ सूदूर, दूरस्त क्षेत्रों में अन्तिम छोर तक पहंुचना चाहिए
- हड़ताल किसी समस्या का हल नहीं: मुख्यमंत्री
देहरादून 21 सितम्बर, (निस) । हड़ताल किसी समस्या का हल नही है, संवाद व वार्ता से हर समस्या का निदान संभव है, इसलिए मैंने समस्त कर्मचारी संगठनों से भेंट करने का समय रखा है, श्रीमती इन्दिरा हृदयेश की अध्यक्ष्ता में मंत्री मंण्डल की स्थाई समिति इसलिए गठित की है, और मुख्य सचिव निरन्तर कर्मचारी संगठनों से वार्ता कर रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब जनता के प्रति भी उत्तरदाई है, उनको होने वाली कठिनाई पर भी सर्वप्रथम विचार किया जाना चाहिए। मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों की हड़ताल से सामान्य व्यक्ति त्रस्त है। कर्मचारी संगठनों की मागों को लम्बे समय से लम्बित बताते हुए कर्मचारियों से आग्रह किया है कि वेतन विसंगतियों व विभिन्न संवर्गों, पदोन्नति के सवालों सेे सम्बंधित है। आज सभी संगठन अपनी समस्याओं का अविलम्ब समाधान चाह रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संगठनों को समझना होगा कि इन समस्याओं के समाधान के लिए मुझे व सरकार को भी थोड़ा समय चाहिए। क्योंकि यदि जल्दबाजी में निर्णय लिये गये, तो हम विसंगतियों का हल ढूंढने के स्थान पर कई और विसंगतियां पैदा करेंगे। श्री रावत ने कहा कि कर्मचारी संगठनों के मध्य लगभग 20 वर्ष कार्य करने के अनुभव के दौरान मैंने कभी भी कर्मचारी संगठनों को ऐसे मामलों में हड़ताल पर जाते हुए नही देखा है जिनमें एक ही संर्वग में 3 अलग संर्वग हड़ताल की ताल ठोके हुए हो या अधिकारी के साथ तना-तनी को लेकर हड़ताल की जाती हो। वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कर्मचारी संगठन मुझे कुछ न्याय संगत समय देंगे तो मैं उनकी मागों का समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध हूं। राज्य की आर्थिक स्थिति को चुन्नौती पूर्ण मानते हुए रावत ने कहा कि राज्य की वर्तमान आर्थिक स्थिति का आंकलन करने के लिए व नये राजस्व के स्त्रोत तलाशने का जिम्मा पूर्व मुख्य सचिव इन्दु कुमार पाण्डेय को सौपा गया है, जिससे कि राज्य कर्मचारियों के साथ-साथ राज्य की विकास योजनाओं के लिए आर्थिक संसाधन जुटाकर सरकार सबके हित में विकास को गति दे सके। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में आज भी अधिकारी और कर्मचारी उत्तराखण्ड के मुकाबले कम वेतन पाते है।
मुख्यमंत्री ने कर्मचारी संगठनों को बतायी असलियत
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड़ राज्य ने हम सब को बहुत कुछ दिया है, मैं आठवा मुख्यमंत्री हूं यदि राज्य नही बना होता तो शायद हम में से कोई उप्र का मुख्यमंत्री न बन पाता, यहीं स्थिति विधायकों व अधिकारियों के लिए भी है, हम सब का दायित्व उन व्यक्तियों के प्रति है जिनकें लिए यह राज्य बनाया गया है।
पिछले छह महीने में हर वर्ग के लिये किया काम
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने पिछले छः माह में समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं को शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही राज्य के विकास का भी एक खांका भी खीचा गया है। हमने वृद्धावस्था, विकलांग, विधवा पेंशन में वृद्धि करते हुए इसे 400 रुपये से बढ़ाकर 800 रुपये किया है। परित्यक्ता, निराश्रित मानसिक विकृत व्यक्ति की पत्नी को भरण-पोषण के लिए 400 रुपये प्रतिमाह, 60 वर्ष से अधिक आयु वाले पुरोहितों तथा किसानों को पेंशन देने का निर्णय लिया गया है।
सस्ती दरों पर राशन देने की योजना की लागू
प्रदेश में सस्ती दरों पर सबको खाद्यान्न के लिए राज्य खाद्य योजना लागू करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि महिला, वृद्धों के लिए विशेष खाद्यान्न योजना लागू की जायेगी। राज्य के समस्त बीपीएल व एपीएल परिवारों को नकदरहित स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना प्रारम्भ करने का निर्णय लिया है। हर आपदा व दुर्घटना मे बीमे का लाभ प्रभावितों को देने की संभावना को तलाश रहा हुॅ। तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना शुरू की गई है। इसके तहत 20 से 40 आयु तक की महिलाओं को अपंगता होने अथवा घायल होने पर 800 रुपये प्रतिमाह देने का निर्णय। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सहायिकाओं के लिए अंशदायी पेंशन शुरू करते हुए मुख्यमंत्री आंगनबाड़ी प्रोत्साहन योजना शुरू करने का निर्णय लिया गया है। उत्तराखण्ड राज्य देश में सर्वाधिक वीरता अनुदान राशि देने वाला राज्य है। कन्या शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए गौरा देवी कन्या धन को 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है। राज्य के लोक कलाकारों हेतु कोष स्थापित किया गया है।
पर्यावारण पर भी किया काम
पर्यावरण की दिशा में कदम उठाते हुए हमने सुन्दर लाल बहुगुणा के सपने के अनुरूप ‘‘धार ऐंच पाणी, धार पर डाला, बिजली बनाला खाला-खाला’’ हमारा पेड़-हमारा धन में प्रति पेड 300 रुपये देने का निर्णय लिया है। कर्मचारी हितों को देखते हुए कर्मचारी कल्याण निगम की स्थापना करने का निर्णय लिया गया है। इन सभी निर्णयों को पूरा करने के लिए मैं आप सब पर करों के रूप में आर्थिक बोझ नहीं डालना चाहूंगा। श्री रावत ने कहा कि राज्य गठन की अवधारणा के अनुरुप सरकार आगे बढ़ रही है। राज्य कर गठन का लाभ मात्र हम को नही बल्कि सूदूर, दूरस्त क्षेत्र में अन्तिम छोर तक पहॅुचना चाहिए। प्रश्न यह नही की मुख्यमंत्री हरीश रावत है या कोई और अपितू यह है कि राज्य विकास के पथ पर किसी गति से चल रहा है। जनभावना का सम्मान हो रहा है या नही।
मुख्यमंत्री तक पहुंची अंकित नृशंस हत्या की गूंज
देहरादून 21 सितम्बर,(निस): रविवार को मुख्यमंत्री आवास बीजापुर अतिथि में अंकित हत्या कांड, जनसघर्ष समिति बालावाला के सदस्यों ने विवेक विहार बालावाला में स्व. अंकित थपलियाल की नृशंस हत्या के सन्दर्भ में मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन मुख्यमंत्री के मीडिया मीडिया सुरेन्द्र कुमार को सौंपा। मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक जसवीर सिंह के साथ समिति के सदस्यों से भेंट की। उन्होंने बताया कि घटना की जांच पुलिस द्वारा गहनता से की जा रही है, इसके लिये पुलिस की कई टीमें गठित की गई है, जो अपना कार्य कर रही है। समिति के सदस्यों ने मांग की, कि बालावाला में पुलिस चैकी तथा दुलहनी नदी के किनारे कटीलीं तार-बार लगाकर क्षेत्रीय जनता को सुरक्षा प्रदान की जाय। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री के निर्देश पर सोमवार को मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुुरेन्द्र कुमार एवं मीडिया समन्वयक जसवीर सिंह बालावाला जायेगें। समिति के सदस्यों के साथ पुलिस चैकी के लिये स्थान व दुलहनी नदी क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण करेंगे। इस अवसर पर जनसघर्ष समिति के मुख्य संयोजक मदन सिंह नेगी, मानसिंह रावत, श्रीमती राजेश्वरी रावत, गोपाल सिंह, मोहन सिंह नेगी, सुभाष नौटियाल आदि उपस्थित थे।
आधार कार्ड बनाते समय न दें पैसे ये निःशुल्क बनता हैः वित्तमंत्री
देहरादून/हल्द्वानी 21 सितम्बर(निस) आधार कार्ड हमार राष्ट्रीय स्तर का पहिचान है। आने वाले समय मंे बिना आधार कार्ड के सरकारी योजनाओ का अनुदान नही मिल पायेगा वही रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तुओ की सब्सिडी भी आधार कार्ड के होने पर ही बैक खातो के माध्यम से दी जायेगी यह बात वित्तमंत्री डा0 श्रीमती इन्दिरा हृदयेश ने कही है। उन्होने कहा है कि वर्ष 2015 से बैक खाता खोलने मे आधार कार्ड अनिर्वाय रूप से लागू कर दिया जायेगा। उन्होने कहा कि शतप्रतिशत लोगो के आधार कार्ड बनाये जाने के लिए जगह -जगह पर विशेष शिविर आयोजित किये जा रहे है ताकि लोगो को घर के दरवाजे पर ही आधार कार्ड बनाने की सुविधा मिल सके। उन्होने कहा कि सरकार द्वारा आधार कार्ड बनाने के लिए अनेको एजेन्सियांे सेे अनुबन्ध किया है। डा0 हृदयेश ने कहा कि आधार कार्ड निशुल्क बनाये जा रहे है। उन्होंने कहा कि ऐसा जानकारी में आ रहा है कि आधार कार्ड बनाये जाने हेतु लोगो से 50 रूपये वसूली स्टेशनरी फोटोकापी के लिए की जा रही है। जो कि उचित नही हे। उन्होने जनसाधारण से अपील की है कि ऐसी शिकायते जिलाधिकारी एवं उपजिलाधिकारी से करे तथा फार्म के साथ लगाये जाने वाले दस्तावेजो की फोटोकापी कराकर अपने साथ ले जायें। उन्होने दूरभाष पर जिलाधिकारी अक्षत गुप्ता को निर्देश दिये कि आधार कार्ड से प्राप्त होने वाली शिकायतो का प्राथमिकता पर निस्तारण कराये तथा वसूली करने वालो पर अनुशासनात्मक कार्यवाही भी करें। उन्होने जनसाधारण से अपील की है कि अपने आसपास लगने वाले आधारकार्ड कैम्प मे अवश्य भाग ले अपने परिवारजनों के भी कार्ड बनवायें। वित्तमंत्री द्वारा अपने आवास संकलन में अनेको जनसमस्याये सुनकर निस्तारण के लिए अधिकारियो को निर्देश दिये।
राज्यपाल ने किया राज्यस्तरीय गौवर्धन रैली का विधिवत शुभारंभ
देहरादून 21 सितंबर (निस)। उत्तराखंड के राज्यपाल डा0 अज़ीज़ कुरैशी ने कहा कि देश के करोड़ो लोगांे की आस्था व श्रद्धा की प्रतीक गौमाता की रक्षा व संवर्धन के लिए उसे ‘राष्ट्रमाता‘ के पद पर सुशोभित करने जैसी प्रत्येक मांग का व्यक्तिगत तथा राज्यपाल की हैसियत से भी प्रबल आधिकारिक समर्थन करते हैं। राज्यपाल ने गौवध ंअथवा गौहत्या की सख्त मुख़ालफत करते हुए यह भी कहा कि गौ-संरक्षण सम्बंधी मान्यताओं, भावनाओं व कानूनों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिक होने के अधिकार से वंचित किया जाना चाहिए। गौ-रक्षा के संदर्भ में अपने विचारों की अभिव्यक्ति से पूर्व आज राज्यपाल ने देहरादून के परेड ग्राउण्ड में ‘भारतीय गौ क्रान्ति मंच‘ द्वारा आयोजित एक दिवसीय ‘राज्य स्तरीय गौ वर्धन जन-जागरण रैली‘ का मुख्य अतिथि के रूप में दीप प्रज्जवलित करके विधिवत शुभारंभ किया। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में उपस्थित गौ भक्तो को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कई ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख भी किया। गौ रक्षा के लिए अपने प्रयासों के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि वे स्वयं अपने विद्यार्थी जीवन यानि विगत 50 वर्षो से गौ हत्या रोकने के लिए दिल से प्रयासरत् हैं। इसी क्रम में उनके द्वारा विगत वर्ष दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड सहित अनेक प्रदेशों के कुरैशी समाज के प्रमुख प्रतिनिधियों का देहरादून में एक सम्मेलन आयोजित कराया गया था। उस सम्मेलन में कुरैशी बिरादरी ने गौ हत्या न करने की प्रतिज्ञा लेने के साथ ही यह भी संकल्प लिया था गौ हत्या में शामिल होने वाले को कुरैशी बिरादरी से पूर्णतः बहिष्कृत किया जायेगा। इस अवसर पर राज्यपाल को गौ क्रान्ति के अग्रदूत गोपालमणि द्वारा रचित ‘धेनु मानस ग्रंथ‘ भेंट किया गया तथा गौ माता को राष्ट्रमाता के रूप में प्रतिष्ठित किये जाने सम्बंधी पाँच सूत्रीय मांग पत्र भी राज्यपाल को सौंपा गया। यह मांग पत्र राष्ट्रपति को सम्बोधित किया गया है जिसे राज्यपाल के माध्यम से उन तक पहँुचाया जायेगा।
गैरसैंण में कांग्रेस प्रदेश कार्यालय खोलने की घोषणा स्वागत योग्य कदम: कुंजवाल
देहरादून 21, सितम्बर(निस)। गैरसैंण राजधानी प्रदेश की जनता की भावना से जुड़ा मुददा है। कांग्रेस पार्टी द्वारा गैरसैंण मे पार्टी का प्रदेश कार्यालय खोलने की घोषणा स्वागत योग्य कदम है और भी अन्य जो राष्ट्रीय पार्टियां यदि गैरसैंण में अपना कार्यालय खोलना चाहती हैं तो उन्हें जमीन उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा। प्रदेश में कर्मचारियों द्वारा हड़ताल दर हड़ताल किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। कर्मचारियों द्वारा अपने हितो की मांग उठाना ठीक है परन्तु काम रोककर हड़ताल करना ठीक नहीं है क्योंकि इससे आम जनता को दिक्कतें उठानी पड़ती है। सरकार व शासन को भी चाहिए कि वह कर्मचारियों की जायज मांगों का तत्काल समाधान करें और इस हेतु सरकार व कर्मचारियों को आपसी सामंनजस्य से काम करना चाहिए। लेकिन अनावश्यक दबाव की राजनीति से भी कर्मचारियों को दूर रहना चहिए। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य की निर्माण एजेन्सियों से ही निर्माण कार्य कराये जाने का निर्णय सरकार का सराहनीय प्रयास है। इस हेतु प्रदेश की निर्माण एजेन्सियों को सक्षम बनाये जाने की जरूरत है। विकास कार्यो को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभावार विकास कार्यो की समीक्षा बैठक किये जाने से निर्माण व विकास कार्यो में जहां तेजी आयेगी वहीं क्षेत्रीय जनता की समस्याओं का समाधान भी द्रुत गति से होगा।