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नई आय सीमा को स्पष्ट करें जेटली : आम आदमी पार्टी

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धनी लोगों के लिए एलपीजी सब्सिडी खत्म करने की केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए आम आदमी पार्टी (आप) ने सरकार से पूछा है कि वह स्पष्ट करे कि किस आय सीमा तक के लोगों को सब्सिडी का लाभ मिलेगा। आप ने बयान जारी कर कहा, सरकार को स्पष्ट कर देना चाहिए कि नई आय सीमा क्या होगी, जिसमें सब्सिडी का लाभ मिलेगा। जेटली को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी तरह के लोगों का क्या मतलब है, क्योंकि वह केंद्रीय कैबिनेट में सबसे धनी मंत्री हैं, जिनके पास 70 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है।

पार्टी ने चेतावनी दी कि अगर निम्न मध्य आय वर्ग के लोगों को सब्सिडी का लाभ नहीं दिया जाता है, तो पार्टी धरना-प्रदर्शन करेगी। पार्टी ने कहा, हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि अगर निम्न मध्य वर्ग को लाभ से वंचित किया जाता है, तो आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को लेकर धरना-प्रदर्शन करेगी। वित्तमंत्री ने शुक्रवार को कहा था कि सरकार धनी लोगों के लिए एलपीजी सब्सिडी खत्म करने पर विचार कर रही है। जेटली ने कहा था, भारत को अगला महत्वपूर्ण निर्णय करना है कि क्या मेरी तरह के लोग एलपीजी सब्सिडी लेने के हकदार हैं।

एलपीजी उपभोक्ताओं को वर्तमान में 12 सिलेंडर सब्सिडी दर पर मिलते हैं और इसके बाद जरूरत पड़ने पर उन्हें बाजार दर पर सिलेंडर खरीदना होता है। सब्सिडी वाले सिलेंडर की कीमत दिल्ली में 414 रुपये है, जबकि इसकी बाजार दर 880 रुपये है। आप ने कहा, जेटली की तरह के लोगों को जिनकी संपति 70 करोड़ रुपये से ज्यादा है या जिनकी मासिक आय 10 लाख रुपये से ज्यादा है, उन्हें वास्तव में सब्सिडी की जरूरत नहीं है और सरकार को पहले सुनिश्चित करना चाहिए कि डीजल पर चलने वाले एसयूवी सब्सिडी वाले डीजल पर नहीं चलें।

भारत हमारे लिए सबसे तेज बढ़ते बाजारों में से एक: ट्वीटर

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सोशल नैटवर्किंग वैबसाइट ट्वीटर की उपाध्यक्ष (वैश्विक मीडिया) कैटी जैकब स्टेनटन ने आज कहा कि भारत कंपनी के लिए सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कंपनी भारत में और अधिक निवेश कर रही है।

स्टेनटन का यह बयान भारत में इंटरनैट के बढ़ते इस्तेमाल के बीच आया है। उद्योग संगठन आईएएमएआई के अनुमान के अनुसार इस साल के आखिर तक भारत इंटरनैट उपभोक्ताआें की संख्या के लिहाज से अमरीका को पीछे छोड़ देगा। स्टेनटन ने यहां एचटी लीडरशिप समिट में कहा, ‘‘भारत हमारे लिए बड़ा बाजार है। यह हमारे सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है। हम यहां और अधिक निवेश करेंगे।’’  उन्होंने कहा कि अमरीका स्थित ट्वीटर के लिए अब 78 प्रतिशत ट्रैफिक अमरीका के बाहर से आता है जो कि उदीयमान बाजारों की बढ़ती महता का परिचायक है। 

नवीनतम त्रैमासिक रपट के अनुसार 30 सितंबर 2014 को समाप्त तिमाही के दौरान ट्वीटर के औसत मासिक सक्रिय उपयोक्ता 28.4 करोड़ थे। बड़े मीडिया पर सोशल मीडिया के प्रतिकूल असर के बारे में उन्होंने कहा कि ट्वीटर मीडिया कारोबार में प्रौद्योगिकी कंपनी है।

संन्यास लेने से पहले नंबर वन बनना चाहती हूं : सानिया

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भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने आज कहा कि वह खेल को अलविदा कहने से पहले विश्व रैंकिंग में नंबर वन की पायदान पर काबिज होना चाहती है। उन्होंने कहा, 'मैं इस समय दुनिया में छठे स्थान पर हूं और संन्यास लेने से पहले मैं नंबर वन बनना चाहती हूं।'वह सीआईआई यंग इंडियंस 'युवा सम्मेलन'में बोल रही थी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि युवाओं खासकर लड़कियों में खेल संस्कृति पैदा करने के लिए भारत को लंबा सफर तय करना होगा।

उन्होंने कहा, 'लेकिन काफी बदलाव आ गया है। मुझे उम्मीद है कि आगे भी आएगा, जब लड़कियों को खेलों में कैरियर बनाने के लिये कठिन हालात का सामना नहीं करना होगा।'सानिया ने कहा कि उसने पैसे या शोहरत के लिए टेनिस को नहीं अपनाया बल्कि यह उसका जुनून था। उसने कहा कि कैरियर की शुरुआत में उसे काफी आलोचना सहनी पड़ी, लेकिन वह उनसे पार पाने में कामयाब रही।

झारखंड की जनता भाजपा के शासन से ऊब चुकी है : मांझी

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बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड :जद यू: के वरिष्ठ नेता जीतन राम मांझी ने आज कहा कि झारखंड की जनता भारतीय जनता पार्टी भाजपा के शासन से ऊब चुकी है और उनके सामने बिहार एक रोल मॉडल के रुप में उभर कर आया है। 

श्री मांझी ने झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार कर लौटने के बाद यहां कहा कि बिहार सरकार ने सामाजिक समरसता कायम किया है और हर क्षेत्र में महिलाों को आरक्षण देने का काम किया है । उन्होंने कहा कि झारखंड चुनाव में जद यू . राष्ट्रीय जनता दल :राजद: और कांग्रेस के  उम्मीदवार को निश्चित रुप से इसका फायदा मिलेगा 1 

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिति खराब थी जिसके लिए केन्द्र सरकार से मदद मांगी गयी थी और नहीं मिलने पर एक हजार करोड़ रुपये बिहार सरकार ने अपने मद से खर्च किया था। इस राशि को केन्द्र सरकार नहीं लौटा रही है । उन्होंने यह भी कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार को विशेष राज्य का र्दजा देते हैं तो वह उनकी जयशजयकार करेंगे

बीजेपी है नफरत फैलाने वाली पार्टी : सोनिया गांधी

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झारखंड में पहले चरण के चुनाव प्रचार के आखिरी दिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने डाल्टनगंज में केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी ने सत्ता के लालच में लोगों से झूठे वादे किए, जबकि कांग्रेस ने हमेशा लोगों के सम्मान के लिए काम किया। सोनिया ने बीजेपी को नफरत फैलाने वाली पार्टी बताया।

सोनिया ने कहा, सत्ता के लालच में बीजेपी ने लोगों से वादे किए, लेकिन वादे पूरे नहीं किए। बीजेपी की सरकार में यहां अपराध बढ़ा। सोनिया ने कहा कि कुर्सी के लिए बीजेपी किसी भी हद तक जा सकती है। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ कांग्रेस पार्टी है, जिसने सभी वर्गों के लिए लोगों के लिए काम किया, वहीं, बीजेपी समाज में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर रही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपना मत देने से पहले तमाम पहलुओं पर विचार करें।

सोनिया गांधी ने कहा कि लोगों के सम्मान के लिए कांग्रेस ने  काम किया, लेकिन अच्छे दिन के लुभावने वादे के साथ जो लोग सत्ता में आए, उनकी नाकामयाबी हर कोने से नजर आ रही है। सोनिया गांधी ने कहा कि जनता के विकास के लिए इस देश के प्राकृतिक संसाधन उनके हाथ में होने चाहिए और उनकी पार्टी ने ही आदिवासियों तथा गरीबों को यह अधिकार देने की पहल की थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पहल पर आदिवासियों, गरीबों, दलितों, पिछड़ा वर्ग के लोगों और अल्पसंख्यकों को भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अधिकार दिए गए थे, लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार इसमें संशोधन करने का विचार कर रही है।

सोनिया ने दावा किया कि पिछली यूपीए सरकार के प्रयासों और उसकी विकास योजनाओं से ही आज देश को विकसित देश बनने की ओर में बढ़ने में मदद मिल रही है। झारखंड की समस्याओं के लिए बीजेपी पर हमला बोलते हुए सोनिया ने कहा कि लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि राज्य में 14 साल में 11 साल बीजेपी सत्ता में रही है, लेकिन यहां समस्याएं जस की तस रहीं। उन्होंने आरोप लगाया, जब यूपीए सरकार केंद्र में थी तो झारखंड को बिजली, सड़क, पेयजल तथा स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए करोड़ों रुपये दिए गए थे, लेकिन बीजेपी शासित राज्य में उसका कोई इस्तेमाल नहीं किया गया।

सोनिया ने कहा कि आज वे (बीजेपी) कुपोषण की बातें करते हैं, लेकिन बीजेपी के शासन वाले राज्यों के लाखों ऐसे लोगों पर वे ध्यान क्यों नहीं दे रहे हैं। झारखंड में देश की 40 फीसदी खनिज संपदा है, फिर भी यह राज्य पिछड़ा क्यों है...आज भी झारखंड में अंधेरा है।

आम बजट में दूसरी पीढ़ी के सुधारों का ऐलान होगा: जेटली

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आम बजट 2015 में दूसरी पीढ़ी के कई आर्थिक सुधारों का ऐलान किया जाएगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में अभी ज्यादातर क्षेत्रों को और अधिक खुला बनाने की जरूरत है. इसके लिए पूंजी की वाजिब लागत के साथ-साथ नीतियों व कर व्यवस्था में स्थिरता की जरूरत है.

उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार द्वारा किए गए उपायों के प्रभावी होने के बाद 2015- 16 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर छह फीसदी से ऊपर पहुंच जाएगी और इसके बाद हम ‘उच्च आर्थिक वृद्धि दर की राह पर चल पड़ेंगे. दूसरी पीढ़ी के सुधारों की पूरी सूची पड़ी है. इसके अलावा 'ऐसे सुधारों की भी पूरी सूची है जो इस लिए तैयार खड़ी है क्योंकि पीछे हुई कुछ चीजों को खत्म किया गया है. उसमें से एक कोयला अध्यादेश है जो एक चीज को खत्म करने की बात है.'

एनडीए सरकार के कदमों की तारीफ करते हुए जेटली ने कहा कि पिछले छह महीनों के दौरान कई कदम उठाए गए हैं जिससे उत्साह बढ़ा है. उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था काफी नीचे चली गई थी और निराशा का भाव फैल गया था. लेकिन बीते छह महीनों के दौरान घरेलू निवेशकों के साथ-साथ विदेशी निवेशकों ने भी काफी रुचि दिखानी शुरू की है. हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था में उनका भरोसा बुरी तरह टूट चुका था.

पटना विश्वविद्यालय कुलपति का बयान अमर्यादित एवं निन्दनीय,

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  • ऐसे कुलपति को अविलंब बर्खास्त करें राज्य सरकार-।

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आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन ;।प्ैथ्द्ध पटना विश्वविद्यालय कुलपति द्वारा दिए गए अमर्यादित बयान का घोर भत्र्सना एवं निन्दा करता है। यह बयान कुलपति के शैक्षणिक योग्यता एवं फासीवादी सोच को दर्शाता है। एक तरफ जहाँ वि॰वि॰ में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। वहीं दूसरी तरफ पटना वि॰वि॰ कुलपति द्वारा लिए जा रहे अलोकतांत्रिक निर्णय जो छात्र विरोधी है। उसे वापस न लेना कुलपति के हठधर्मिता को दर्शाता है। 
ज्ञात हो कि ।प्ैथ् ने शुक्रवार को पटना वि॰वि॰ में विभिन्न शैक्षणिक सवालों को लेकर प्रदर्शन किया था, उसके बाद कुलपति द्वारा दिया गया बयान दर्शाता है कि कुलपति को संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार के बारे मंे ज्ञान नहीं है। कुलपति वि॰वि॰ के शैक्षणिक माहौल एवं लोकतांत्रिक वातावरण को खत्म करना चाहत हैं इसे ।प्ैथ् कभी होने नहीं देगा।
।प्ैथ् सारे छात्र संगठनों से अपील करता है कि आये हम सब मिलकर पटना वि॰वि॰ कुलपति के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करें और ऐसे कुलपति को पटना वि॰वि॰ से खदेड़ने का काम करें। वहीं राज्य सरकार से माँग करते हैं कि ऐसे अलोकतांत्रिक, फासीवादी, अमर्यादित बयान देने वाले कुलपति को अविलंब बर्खास्त करें ताकि पटना वि॰वि॰ मंे शैक्षणिक एवं लोकतांत्रिक माहौल कायम हो सके।

बिहार : 24 नवंबर को धरना देंगे पथ विक्रेता

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पटना, 23 नवंबर। नेशनल हाॅकर्स फेडरेशन के आह्नान पर फुटपाथ दुकानदार एवं फल-सब्जी विक्रेता, आजीविका संरक्षण और पथ विनियमन अधिनियम 2014“ लागू करवाने हेतु विधान सभा के समक्ष धरना देंगे। 

फेडरेशन के बिहार-झारखण्ड के अध्यक्ष उमेश आनन्द, महासचिव अमृत प्रसाद एवं पटना जिला के सचिव जितेन्द्र कुमार ने एक प्रेस बयान के माध्यम से जानकारी दी है कि पथ-विक्रेताओं के लिए केन्द्रीय स्तर पर आजीविका संरक्षण और पथ विक्रय का विनियमन अधिनियम 2014 संसद से पारित किया गया है। लेकिन नियमावली का केन्द्रीय स्तर पर निर्माण नहीं हो सका है। नियमावली का केन्द्रीय स्तर पर निर्माण हेतु पथ-विक्रेता दिनांक 24 नवंबर को विधान सभा के समक्ष धरना देंगे एवं नगर विकास मंत्री से प्रतिनिधिमंडल मिलकर नियमन के निर्माण के लिए दबाव डालेंगे।

माओवाद की समस्या का हल विकास से : सोनिया गांधी

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को कहा कि माओवाद की समस्या का हल विकास से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश की जनता के विकास के लिए प्राकृतिक संसाधन लोगों के हाथ में होने चाहिए। वह झारखंड के डाल्टनगंज और गुमला में चुनावी सभाओं को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने नक्सल समस्या महज कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है। सोनिया ने कहा कि माओवाद की समस्या का समाधान विकास से और संविधान की रूपरेखा के भीतर तलाशा जा सकता है। उन्होंने कहा कि गुमराह हुए युवाओं को मुख्यधारा में लौटाया जा सकता है।

सोनिया ने कहा कि जब 14 साल पहले झारखंड बनाया गया था, तब सिर्फ तीन जिलों में नक्सलवाद था और अब यह लगभग पूरे राज्य में ही फैल गयी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पहल पर आदिवासियों, गरीबों, दलितों, पिछड़ा वर्ग के लोगों और अल्पसंख्यकों को भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अधिकार दिये गये थे लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार इसमें संशोधन करने का विचार कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी छोटा नागपुर और संथाल परगना काश्तकारी कानूनों में बदलाव का प्रयास कर रही है जिसमें झारखंड में आदिवासियों की जमीन का संरक्षण का प्रावधान है।

सोनिया झारखंड 25 नवंबर को होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए प्रचार के आखिरी दिन पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि हम अधिनियम में किसी भी बदलाव का विरोध करते हैं। सोनिया ने दावा किया कि पिछली यूपीए सरकार की कोशिशों और उसकी विकास योजनाओं से ही आज देश को विकसित देश बनने की दिशा में बढ़ने में मदद मिल रही है।

मेरी योजना की नकल कर रहे हैं मोदी : मुलायम

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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यंग्य करते हुए दावा किया है कि गांवों को गोद लेने और शौचालय बनवाने की योजनाएं उनकी नकल हैं। मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे के शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, वह (मोदी) गांवों को गोद लेने की बात कर रहे हैं। हमने 1990 में ही गांव को गोद लेने की योजना चलाई थी। प्रधानमंत्री मेरी नकल कर रहे है। मैं यह सब पहले कर चुका हूं। गांवों में शौचालय बनवाने की योजना हमने 1990 में शुरू की थी।

प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान पर कटाक्ष करते हुए सपा मुखिया ने कहा, गंदगी गरीबी के कारण है, गरीबी मिटा दीजिए, गंदगी अपने आप खत्म हो जाएगी। मुलायम ने इस मौके पर विधायकों और मंत्रियों समेत पार्टी के नेताओं को कम से कम दो-दो गांवों को विकास के लिए गोद लेने की सलाह देते हुए कहा, आप सब लोगों को कम से कम दो-दो गांवों का विकास सुनिश्चित करना चाहिए। मुलायम ने कहा, यदि आप सब लोग अपने-अपने क्षेत्रों में काम करें और अपनी जिम्मेदारी समझें, तो परिवर्तन दिखने लगेगा।

प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों का स्वागत करते हुए सपा मुखिया ने कहा, मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि यह अच्छा है कि वे विदेश दौरे कर रहे है। हमें अन्य देशों और पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध विकसित करने चाहिए तथा दुश्मनी कम करनी चाहिए। मैं उनसे पूछंगा कि कितने देशों से दोस्ताना बढ़ा है।

जांच के सिलसिले में रामपाल को सतलोक आश्रम ले जाया गया

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गिरफ्तार किये गये स्वयंभू संत रामपाल को हरियाणा पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जा रही जांच के सिलसिले में रविवार को उसके सतलोक आश्रम ले जाया गया। एसआईटी उससे आश्रम में हथियार समेत मिली अन्य सामग्री के बारे में पूछताछ करेगी। 63 वर्षीय रामपाल को हिसार जिले के बरवाला स्थित आश्रम से 19 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस को आश्रम परिसर में पिछले चार दिन से चल रही सघन तलाशी में काफी चीजें मिली हैं और पुलिस इस बारे में पूछताछ के लिए रामपाल को आश्रम परिसर में ले गयी।
    
रामपाल को अदालत की अवमानना के मामले में गिरफ्तार किये जाने के एक दिन बाद पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में पेश किया गया था। बाद में हिसार की एक अदालत ने उसे पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। उस पर नये मामले दर्ज किये गये थे। पुलिस ने आज बताया कि आश्रम में कई लॉकर मिले हैं और पुलिस रामपाल से इस बारे में भी सवाल करेगी।
    
रामपाल समर्थकों और पुलिस के बीच गतिरोध के दौरान पांच महिलाओं और एक नवजात की मृत्यु हो गयी थी तथा मंगलवार को हुई झड़पों में 200 से ज्यादा लोग घायल हो गये। पुलिस ने तलाशी अभियान के लिए आश्रम को तीन हिस्सों में बांट दिया है। भूमिगत बंकरों की भी जांच की जा रही है। पुलिस को कल आश्रम से एक बुलेट प्रूफ वाहन, एक तेल का टैंकर, दो ट्रैक्टर और कई दोपहिया वाहन मिले। किले जैसे आश्रम से बड़ी मात्रा में हथियार और गोलाबारूद, पेट्रोल बम तथा तेजाब के सिरिंज भी मिले थे। पुलिस ने कहा कि आश्रम बहुत बड़े परिसर में फैला है इसलिए तलाशी अभियान कुछ दिन और चलेगा।

हिमाचल की विस्तृत खबर (23 नवम्बर)

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राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री द्वारा बस दुर्घटना पर शोक व्यक्त

शिमला, 23  नवंबर ( विजयेन्दर शमौ ) ।  राज्यपाल श्रीमती उर्मिला सिंह तथा मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने आज सिरमौर जिले के राजगढ़ के हरीपुरधार के समीप हुई निजी बस दुर्घटना में मारे गए 6 लोगों के प्रति गहरा शोक प्रकट किया है। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति तथा शोक संतप्त परिजनों को इस अपूर्णीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की भी कामना की है।

मुख्यमंत्री ने मानवीय सेवा में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका को सराहा

himachal news
शिमला, 23  नवंबर ( विजयेन्दर शमौ ) ।  मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि गरीब, जरूरतमंद एवं मानवता की सेवा करना ईश्वर की सेवा के समान है तथा मानवता की सेवा में ही सच्ची खुशियां निहित हैं। मुख्यमंत्री आज हमीरपुर जिला के सुजानपुर टिहरा में जन कल्याण के प्रति समर्पित गैर सरकारी संगठन सर्वकल्याणकारी संस्था के 15वें वार्षिक समारोह की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीतिज्ञों को समर्पित होकर जनसेवा करनी चाहिए क्योंकि लोगों ने उन्हें यह बेहतर अवसर प्रदान किया है। महात्मा गांधी का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि सही अर्थों में सामाजिक कार्यकर्ता थे, यही वजह है कि देशवासी उन्हें भरपूर प्रेम करते थे। उन्होंने कहा कि ऐसी बहुत सी गैर सरकारी संस्थाएं हैं जो समाज सेवा से जुड़ी हैं परन्तु सर्वकल्याणकारी सभा ने अपनी विशेष पहचान बनाई है और लोगों के दिलों में अपनी छाप छोड़ी है। सर्वकल्याणकारी संस्था के अध्यक्ष श्री राजिन्द्र राणा के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि श्री राणा राजनीतिज्ञ से अधिक एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने लोगों से भी मानवमात्र की सेवा के लिए कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सुजानपुर टीहरा एक ऐतिहासिक महत्व का स्थल है तथा  हमें अपनी परम्परओं एवं भाषाओं के संरक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सुजानपुर टीहरा के समान प्रदेश के अन्य भागों जैसे चम्बा, मंडी इत्यादि में स्थित बड़े मैदानों के संरक्षण की आवश्यकता है, क्योंकि ये मैदान आजादी पूर्व के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमीरपुर जिले ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास के अनेक आयाम स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डा. यशवंत सिंह परमार के प्रयासों से हमीरपुर का गठन संभव हुआ। उन्होंने कहा कि आज हमीरपुर राज्य का सबसे साक्षर जिला है और प्रदेश सरकार इसे शिक्षा केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए प्रयासरत है। प्रदेश सरकार ने हाल ही में चंबा तथा सिरमौर के साथ-साथ हमीरपुर में भी मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की घोषणा की है ताकि जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। वीरभद्र सिंह ने वर्तमान प्रदेश सरकार के कार्यकाल के दौरान हमीरपुर जिला तथा विशेषकर सुजानपुर टीहरा में करोड़ों रुपये की लागत से किए गए विकास कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उप मंडल आरम्भ करने के साथ-साथ क्षेत्र में मिनी सचिवालय भवन का भी निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने क्षेत्र में विकास गतिविधियों को कार्यान्वित करने में लोगों के सहयोग का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोग भाईचारे एवं सदभावना के साथ रहते हैं तथा लोगों को ऐसे समाज विरोधी तत्वों से सावधान रहना चाहिए जो लोगों को ऊपरी व निचले हिमाचल के नाम पर बांटने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग कभी भी प्रदेश के सच्चे हितैषी नहीं हो सकते। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सुजानपुर को स्तरोन्नत कर नागरिक अस्पताल तथा सुजानपुर टिहरा में नये बस अड्डे के निर्माण की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सुजानपुर टिहरा में विपणन यार्ड के निर्माण की संभावनाओं को तलाशा जाएगा, जिसके लिए उन्होंने कृषि उत्पादन विपणन समिति को इस मामले पर शीघ्र कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने ग्राम पंचायत बगैड़ा के बीड़, ग्राम पंचायत सकन्दर के सिसवां तथा ग्राम पंचायत टिपरी के नौंहगी में आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्रों को आरम्भ करने की भी घोषणा की। उन्होंने राजकीय माध्यमिक पाठशाला खेरी तथा माध्यमिक पाठशाला बधेड़ा को स्तरोन्नत कर उच्च पाठशाला करने की भी घोषण की। 

मुख्यमंत्री ने राज्य में वित्तीय संकट को नकारा

शिमला, 23  नवंबर ( विजयेन्दर शमौ ) ।  हमीरपुर जिले के सुजानपुर टिहरा में आज आयोजित सर्वकल्याणकारी संस्था के 15वें वार्षिक समारोह के पश्चात मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने प्रदेश में वित्तीय संकट की अफवाहों पर विराम लगाते हुए कहा कि राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक है और वित्तीय संकट जैसी कोई स्थिति नहीं है। कहा कि विकास कार्यों को कार्यान्वित करने के लिए हर राज्य केन्द्र सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त करता है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्तीय संकट के सम्बन्ध में भाजपा द्वारा फैलाई गई चर्चाएं वास्तविकता से कोसों दूर हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने कार्यकाल के दौरान भी राज्य में विकासात्मक गतिविधियों को कार्यान्वित करने के लिए ऋण लिए थे तथा प्रत्येक सरकार केन्द्र सरकारों से ऋण लेती है। यदि वर्तमान कांग्रेस सरकार ने केन्द्र से ऋण लिया है तो इसमें गलत क्या है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विकास कार्यों को कार्यान्वित करने के लिए राज्य सरकार के पास पर्याप्त बजट उपलब्ध है।

सर्व शिक्षा अभियान के प्रभावी कार्यान्वयन में हिमाचल अव्वल

शिमला, 23  नवंबर ( विजयेन्दर शमौ ) ।  प्रारम्भिक स्तर पर गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार ने प्रभावी पग उठाए हैं। गुणात्मक शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार शिक्षा क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान कर रही है।  हिमाचल देश के गिने-चुने राज्यों में से एक है, जहां प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लक्ष्य को हासिल किया गया है और अब, प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश, सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) को प्रभावी ढंग से लागू करने वाले देश के अग्रणी राज्यों में एक है। प्रदेश में जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम के प्रयासों की पूर्ति के लिये सर्व शिक्षा अभियान को शुरू किया गया था। इसके माध्यम से सभी बच्चों में मानवीय क्षमताओं में निखार लाने का अवसर प्रदान करने की कोशिश भी की गई है।सर्व शिक्षा अभियान एक निश्चित समयवाधि के भीतर प्राथमिक तथा अपर प्राथमिक स्तर पर गुणवत्तापूर्ण बुनियादी शिक्षा सुनिश्चित बनाने पर केन्द्रित कार्यक्रम है।गुणात्मक शिक्षा में सुधार की दिशा में प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भारत सरकार ने भी प्रशंसा की है। वर्ष 2013-14 में पहली से आठवीं कक्षा तक की उपलब्धियों को लेकर किए गए सर्वेक्षण में मानव संसाधन मंत्रालय ने प्रदेश की पीठ थपथपाई है। हिमाचल प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान द्वारा किए गए आंकलन सर्वेक्षण के आधार पर एक स्वतन्त्र एजेन्सी ‘स्कौच’ ने प्रदेश को ‘स्कौच ऑर्डर ऑफ मेरिट’- भारत की उत्कृष्ट शासन परियोजना-2014 से सम्मानित किया है।हिमाचल प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान के सफल कार्यान्वयन के सार्थक परिणाम सामने आये हैं। प्रारम्भिक शिक्षा के लिये मिश्रित शैक्षणिक विकास सूची में प्रदेश 12वें से चौथे स्थान पर पहुंच गया है। यह सब प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के प्रत्येक भाग में शिक्षण संस्थान खोलने तथा शिक्षा जैसे बृहद क्षेत्र के लिये समुचित बजट का प्रावधान करने का प्रतिफल है। इस वित्त वर्ष के दौरान शिक्षा पर 4,282 करोड़ रूपये खर्च किये जा रहे हैं, जो अन्य क्षेत्रों की तुलना में सर्वाधिक हैं। वर्ष 2014-15 के दौरान एसएसए के लिये 250 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है, जो गत वित्त वर्ष की तुलना में 16 प्रतिशत अधिक है। एसएसए के माध्यम से राजकीय पाठशालाओं में अधोसंरचना विकास पर अभी तक 426.18 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं। पहली से आठवीं कक्षा तक लर्निंग इंडिकेटर विकसित करने वाला हिमाचल एक मार्गदर्शक राज्य बनकर उभरा है, और ये अध्ययन सूचक प्रदेश में शैक्षणिक सत्र 2014-15 से कार्यान्वित किये गये हैं। इसके अलावा, प्रदेश प्रारम्भिक स्तर तक सभी बच्चों का बृहद उपलब्धि सर्वेक्षण करने वाला देश का पहला राज्य है। अध्ययन स्थिति का स्कूल स्तर पर जबकि विस्तृत स्तर पर जिला तथा राज्य स्तर पर सर्वेक्षण किया जा रहा है।कस्तूरबा गान्धी बालिका विद्यालयों और लर्निंग लीडरशिप फांउडेशन पायलट स्कूलों में अध्ययनरत लड़कियों के सशक्तिकरण के लिये विज्ञान, प्रोद्यौगिकी एवं नवीन प्रक्रिया में यथोचित सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। देश के 279 कस्तूरबा गान्धी बालिका विद्यालयों से 22,946 लड़कियों में प्रदेश की तीन लड़कियों ने उत्कृष्ट स्थान हासिल किया। इन लड़कियों ने राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र संग्रहालय, नई दिल्ली में 7 नवम्बर, 2014 को आयोजित अभिनन्दन समारोह में भाग लिया। प्रदेश ने सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत विभिन्न कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये प्रशिक्षण कैलेण्डर विकसित किया है। बैठकों, कार्यशालाओं, फीडबैक, बेसलाईन और मॉनीट्रिंग रिपोर्टस् के आधार पर प्रशिक्षण की आवश्यकता का आंकलन किया गया है। प्रशिक्षण के दौरान स्कूलों में अध्ययन सत्र को सुनिश्चित बनाकर प्रशिक्षण को पूर्व के मुकाबले अधिक व्यवहारिक बनाया गया है। स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अन्तर्गत स्कूलों में ही प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। इस परियोजना के तहत तकनीकी का उपयोग करके अध्ययन सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है।     अध्ययन के मापदण्डों और स्कूलों में सतत् एवं वृहद मूल्यांकन (सीसीई) के कार्यान्वयन को कारगर बनाने के लिये विषय व कक्षावार आंकलन शीट को विकसित किया गया है। पहली से पांचवी कक्षा तक के पाठ्यक्रम को संशोधित किया गया है। कला शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिये भारतीय ब्रिटिश परिषद् तथा डी.ई.ए.ए एवं एन.सी.ई.आर.टी, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में एकीकृत कला अध्ययन कार्यक्रम आरम्भ किया गया है। ‘प्रथम’ की भागीदारी से विज्ञान और गणित विषयों के पाठन में स्कूलों को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के अन्तर्गत लाया गया है। इन विषयों के शिक्षण में आईसीटी का उपयोग करने के लिये सभी शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है। अप्पर प्राईमरी स्तर पर विज्ञान और गणित विषयों के अध्ययन के उद्देश्य से एक सौ स्कूलों को ‘प्रथम’ के अन्तर्गत शामिल किया गया है। प्राथमिक पाठशालाओं में पहली कक्षा में प्रवेश की दर को बढ़ाने के लिये मौजूदा प्राथमिक पाठशालाओं के परिसर में ही आंगनवाड़ी केन्द्रों को स्थापित किया जा रहा है।

मैसी ने हैटट्रिक के साथ तोड़ा 59 साल पुराना रिकॉर्ड

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स्पेन के अग्रणी क्लब बार्सिलोना के स्टार स्ट्राइकर लियोनेल मेसी ने सेविला के खिलाफ मैच में न केवल हैट्रिक गोल दागते हुए ला लीगा में नया इतिहास रचा बल्कि टीम की 5-1 की शानदार जीत में भी अहम भूमिका निभाई। मैच का पहला गोल मेसी ने 21वें मिनट में किया। इसके बाद 72वें मिनट में गेंद को दूसरी बार गोलपोस्ट में भेजने के साथ ही मेसी ने ला लीगा में सर्वाधिक 252 गोल करने का कीर्तिमान भी कायम कर दिया। तीसरा गोल मेसी ने मैच खत्म होने से 12 मिनट पहले किया। मैच के बाद मेसी ने कहा कि उन्होंने कभी ऐसी कल्पना नहीं की थी कि वह ला लीगा में सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बन जाएंगे।

ला लीगा में इससे पहले सर्वाधिक गोल करने का रिकॉर्ड टेल्मो जारा (251) के पास था। जारा ने 1955 में एथलेटिक बिल्बाओ क्लब की ओर से खेलते हुए यह रिकॉर्ड बनाया था। जारा का निधन 85 साल की उम्र में फरवरी-2006 में हुआ। ला लीगा में सर्वाधिक गोल का कीर्तिमान कायम बनाने के बाद अर्जेटीनी स्टार मेसी ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, "मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं महान टेल्मो का कीर्तिमान तोड़ पाऊंगा। मैं ऐसा केवल आप सभी साथियों और प्रशंसकों के समर्थन के कारण कर सका हूं। इस साथ के लिए आप सभी का धन्यवाद।"

सेविला के साथ इस मैच में बार्सिलोना की ओर से दो अन्य गोल नेमार और इवान राकिटिक ने किए। दूसरी ओर एक अन्य मैच में रियल मेड्रिड ने इबार को 4-0 से हराया जबकि मलागा को एटलेटिको मेड्रिड से 1-3 से हार का सामना करना पड़ा।

दो भारतीयों को पोप फ्रांसिस ने दी संत की उपाधि

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पोप फ्रांसिस ने रविवार को भारत से एफ कुरियाकोस एलियास चवारा और सिस्टर यूफ्रेसिया इलुवेंथिकल को वेटिकन में संत घोषित किया। दोनों लोगों के कैननाइजेशन,  जो कैथलिक प्रक्रिया में अंतिम चरण के तौर पर जाना जाता है, के साथ सदियों पुराने साइरो मालाबार कैथलिक चर्च में तीन संत हो गये हैं। इससे पहले सिस्टर अलफोंसा को 2008  में इस पद पर विभूषित किया गया था। साइरो मालाबार कैथलिक चर्च के सूत्रों ने यहां कहा कि केरल के दोनों लोगों को वेटिकन में सेंट पीटर्स स्क्वायर में एक विशेष प्रार्थना सभा के दौरान संत घोषित किया गया।

चर्च के विद्वानों के अनुसार साइरो मालाबार चर्च रोम के साथ फुल कम्युनियन रखने वाले 22 ईस्टर्न चर्चों में से एक है। साइरो मालाबार चर्च की जड़ें पहली ईसवी सदी में केरल के तटीय क्षेत्र में ईसाई धर्म प्रचारक सेंट थॉमस की यात्रा से जुड़ी हैं। वेटिकन के सेंट पीटर्स स्क्वायर में विशेष प्रार्थना सभा के दौरान चवारा और यूफ्रेसिया को पोप द्वारा संत घोषित किये जाने के साथ ही केरल के सभी चर्चों में उल्लास और आध्यात्मिक उत्साह की लहर दौड़ गई जहां बड़ी संख्या में लोग प्रार्थना सभाओं के लिए एकत्रित हुए।

वेटिकन में समारोह में भी बड़ी संख्या में केरल के श्रद्धालु,  दो कार्डिनल,  बिशप, पादरियों तथा ननों ने शिरकत की। चवारा और यूफ्रेसिया के जीवन से जुड़े केरल के तीन स्थानों में पिछले कई दिन से उत्सव का माहौल था। इनमें कोट्टायम का मनमान, एर्णाकुलम का कूनाम्मावू और त्रिशूर का ओल्लूर है।

मोदी सरकार अफवाह तथा झूठ बोलकर सत्ता में आयी नीतीश

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने आज आरोप लगाया और कहा कि केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी:भाजपा: की अगुवाई वाली नरेन्द्र मोदी सरकार केवल अफवाह तथा झूठ बोलकर लोगों से वोट लेकर सत्ता में आयी है और फिर से इसी प्रयास में लगी हुई है । श्री कुमार ने यहां ..संपर्क यात्रा..के क्रम में सुपौल जिले के राघोपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अफवाह और झूठ बोलकर वोट लेने का काम किया है । अगले वर्ष होंने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा फिर से इसी प्रयास में लगी हुई है । उन्होंने कहा कि बिहार में अब यह होने वाला नहीं है । 

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के लोग भाजपा और उसके नेता श्री नरेन्द्र मोदी को अच्छी तरह से अब समझ चुके है तथा किसी तरह के भुलावे में आने वाले नहीं है । बिहार के लोग समय आने पर सबक सिखाने के लिए तैयार बैठे है । उन्होंने कहा कि राज्य के 20 हजार गांव में उनके प्रयास से बिजली पहुंचाई गयी और घर शघर में टीवी लगे 1 इसी टीवी को देखकर लोकसभा चुनाव के समय भाजपा को वोट मिल गया।

औद्योगिक विकास के लिए सभी सहायता उपलब्ध कराएगी बिहार सरकार

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बिहार सरकार ने राज्य के औद्योगिक विकास के लिए उद्योंगपतियों ने आगे आने की अपील करते हुए कहा है कि उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। बिहार के विकास आयुक्त एस.के. नेगी ने अन्तरराष्ट्रीय व्यापार मेला में राज्य स्थापना दिवस के अवसर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उद्योगों की स्थापना के लिए सभी विभाग एक निश्चित सीमा के अन्दर स्वीकृति प्रक्रिया को पूरी करते हे। श्री नेगी ने कहा कि औद्योगिक समस्याों का समाधान खुद मुख्यमंत्र जीतन राम मांझी अपने स्तर पर भी कर रहे है। उद्योगों की सुविधा के लिए आधारभूत ढांचो के विकास पर भारी रकम खर्च की गई है और विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को सुदृढ किया गया है।

श्री नेगी ने बिहार को बड़ा बाजार बताते हुए कहा कि वहाँ सस्ते और कुशल मानव संसाधन है। इसके अलावा भूगर्भ जल भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि विधि व्यवस्था की स्थिति काफी अच्छी है. जो उद्योगों की स्थापना के लिए आर्दश माहौल पैदा करता है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बिहार सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है जो निवेशकों को हर तरह की सुविधा सुगमता से उपलब्ध कराने का प्रयास करेगा। इसके अलावा औद्योगिक समस्याों के समाधान के लिए औद्योगिक कैबिनेट की बैठक शुरू हो गई है। विकास आयुक्त ने कहा कि सामान्य उद्यमियों की तुलना में महिला उद्यमियों को पाँच प्रतिशत अधिक अनुदान दिया जा रहा है।

श्री नेगी ने बताया कि सरकार ने हाल के वषा6 में तीन लाख करोड़ रूपये के उद्योगों की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इनमें से दो लाख करोड़ रूपये केवल ऊर्जा के क्षेत्र के लिए है। उन्होंने ऊर्जा उद्योगों की स्थापना के लिए कोल लिंकेज की समस्या आ रही है जिसे केन्द्र सरकार के समक्ष रखा गया है। उन्होंने बताया कि हाल के वषा6 में 272 उद्योगों की स्थापना हुई है तथा।76 का निर्माण कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी निवेश हुआ और कई राइस मिलों की स्थापना हुई हैं। राज्य में चीनी मिल और स्टील के क्षेत्र में भी उद्योगपतियों ने रूचि ली है। उन्होंने कहा कि बिहार में दुग्ध उत्पादन. मत्स्य पालन. पोल्ट्री तथा कृषि के क्षेत्र में निवेश की भारी संभावना है। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि के क्षेत्र में मशीनीकरण करना चाहती है. जिसके लिए भारी निवेश की जरूरत है। श्री नेगी ने कहा कि राज्य में बिजली आपूर्ति व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर 5000 करोड़ रूपये खर्च किये जायेंगे।

केशरीनाथ त्रपिाठी बिहार का कार्यभार भी संभालेंगें

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राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को बिहार के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार साैंपा है। 

राष्ट्रपति भवन की आज यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार बिहार के राज्यपाल डा0 डी वाई पाटिल का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है। उसके बाद श्री त्रिपाठी अगले आदेश तक बिहार के राज्यपाल का कार्य देखेंगे।  

बिहार : ‘हर व्यक्ति को खुद ही ईसा मसीह के ऊपर अटूट विश्वास करने की जरूरत’

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  • ईश्वरीय विश्वास पर आधारित एक मानव समाज की स्थापना के लिए प्रार्थना

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पटना। ईसाई समुदाय ने ईसा मसीह के प्रति अपनी भक्ति एवं विश्वास व्यक्त किए। आशा दीप,फेयर फील्ड काॅलोनी से युख्रीस्तीय यात्रा प्रारंभ की गयी। इसमें पटना और आसपास के कोई पांच हजार की उपस्थिति में ईसा मसीह के प्रति विश्वभर में ईश्वरीय विश्वास पर आधारित एक मानव समाज की स्थापना के लिए प्रार्थना की गयी।

कुर्जी पल्ली के प्रधान पल्ली पुरोहित फादर जोनसन केलकत, येसु समाजी ने कहा कि इस वर्ष की यात्रा का उद्देश्य ‘आज के सामाजिक जीवन में पारिवारिक जीवन का महत्व’ था। दीघा में स्थित फेयर फील्ड काॅलोनी में होली क्राॅस सोसायटी नामक संस्था के द्वारा संचालित आशा दीप है। दोपहर में युख्रीस्तीय यात्रा प्रारंभ की गयी। इसके बाद यात्रा संत पौल्स हाई स्कूल में जाकर रूकी। यहां पर प्रार्थना की गयी। इस अवसर पर फादर अनिल मिंज, येसु समाजी ने कहा कि ख्रीस्तीय समुदाय को विश्वास प्रकट करने का अवसर मिला है। अव्वल हर व्यक्ति को खुद ही ईसा मसीह के ऊपर अटूट विश्वास करने की जरूरत है। जो अपने विश्वास और अनुभव से अन्य लोगों को प्रभावित कर सके। फादर मिंज ने विश्वासियों को ईसा मसीह की मां मरियम और उनके 12 शिष्यों के बारे में उदारहण प्रस्तुत कर लोगों प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। 

युख्रीस्तीय यात्रा का विशेष आर्कषक सफेद पोशाक पहले बालक और बालिकाओं के द्वारा प्रभु येसु ख्रीस्त की स्तुति में पुष्प बिखेरना रहा। वार्षिक यात्रा में पुष्प बिखेरना का कार्य बच्चे और बच्चियां करती हैं। जिनको प्रथम परमप्रसाद ग्रहण करने का अवसर प्राप्त हुआ। इन लोगों को 2014 के मई माह में प्रथम परमप्रसाद मिला है। धर्मपरायण महिला ग्रेसी आल्फ्रेड और बेर्नादेक्त सोरेन के नेतृत्व में बच्चों ने पुष्प बिखेरी। ये लोग कैनोपी में रहने वालों के सामने पुष्पार्पित किए। 

इसके बाद यात्रा दानापुर -पटना-दीद्या मुख्य सड़क पर आ गयी। लगभग 12 तोरण द्वार बनाया गया था। इसमें पवित्र बाइबिल से लिए उक्ति को लिपिबद्ध किया गया था। वहीं आनंद के पांच भेद वाले माला बिनती पढ़ी गयी। ‘राजा येसु जय बोलो, प्यारो राजा येसु जय बोला.....। मैं तुम्हें शांति दूंगा, आओ, आओ....नामक गीत और भजन गाए। आवागमन नियत्रिंत करने की जिम्मेवारी दीघा थाने के थानाध्यक्ष कामाख्या नारायण सिंह को सौंपा गया था। इनके साथ एसआई कंचन देवी और अन्य 10 पुलिस थे। अन्य स्वयंसेवकों के सहयोग से युख्रीस्तीय यात्रा कुर्जी पल्ली के प्रांगण में स्थित प्रेरितों की महारानी ईश मंदिर में जमा हो गए। यहां पर पुरोहित ने आर्शीवाद दिए। इसके बाद कुर्जी पल्ली के सहायक पल्ली पुरोहित फादर सुशील साह ने संध्याकालीन मिस्सापूजा किए। 

युख्रीस्तीय यात्रा के नेतृत्व करने वालों में पल्ली पुरोहित फादर जोनसन, येसु समाजी, सहायक पल्ली पुरोहित फादर सुशील साह,फादर अनिल मिंज और फादर अगस्टीन हेम्ब्रम समेत पल्ली परिषद के सदस्य सुशील लोबो,जेवियर लुइस,चार्ली ग्राब्रिएल, राकेश मोरिस, सिसिल साह,राजन साह,स्टेला साह,एस.के.लौरेंस आदि कर रहे थे। धन्यवाद ज्ञापन पल्ली पुरोहित फादर जोनसन केलकत, येसु समाजी ने दिया। 




आलोक कुमार
बिहार 

विशेष : आखिर क्यों दहका शिक्षा की राजधानी बीएचयू

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सवाल फिर से मुंह बाएं खड़ा है कि जिस छात्र संघ चुनाव को लेकर पूरा परिसर न सिर्फ हर रोज आग के गोले में दहकता रहा, छात्रावास माफियाओं की शरणस्थली बना रहा, सत्र एक-दो नहीं कई साल पीछे चल रहे थे, आईएएस-पीसीएस सहित वैज्ञानिकों का इस बगिया से निकलना बंद हो गया जैसे तमाम अनछूए पहलू क्या एक बार फिर से बीएचयू में घर करने लगी है। कहा जा सकता है समय रहते सबकुछ जल्द ठीक नहीं किया गया तो 18 साल बाद हम फिर से वहीं पहुंच जायेंगे जहां से तांडव की शुरुवात हुई थी। ताजा सर्वे भी बता रहे है कि 90 प्रतिशत विश्व विद्यालय नहीं चाहते छात्रसंघ चुनाव तो फिर क्यों मुठ्ठीभर लोग लोकतंत्र की बहाली के नाम पर क्यों बदनाम कर रहे है इस पूर्वांचल के आक्सफोर्ड को। कहीं अपनी नेतारुपी दुकान को चलाने की तैयारी तो नहीं। फिरहाल अशांति फैलाकर हक व अधिकार मांगना कहीं से भी न्याय संगत नहीं हो सकता  

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सब कुछ शांत। पठन-पाठन से लेकर सत्र तक बिल्कुल समयबद्ध। फिर 18 साल बाद ऐसी कौन सी आफत आॅन पड़ी, जो कुछ ही पलों में धूं-धूं कर दहक उठा। लाठियां चटकने लगी। बंदूक की गोलियां फीजा को दहशत में बदल दी। पूरा परिसर पुलिस-पीएसी छावनी में तब्दील हो गया। डाक्टर हो या प्रोफेसर या फिर पढ़ाकू छात्र सबके सब भाग खड़े हुए। जीं हां बात हो रही पं मदन मोहन मालवीय के हाथों लगाई उस पौधे की जो भारत ही नहीं पूरी दुनिया में सर्वविद्या की राजधानी के रुप में जाना जाने लगा है। शिक्षा की बगिया बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय में गुरुवार व शुक्रवार यानी 20-21 नवम्बर की सायंकाल कुछ ऐसा ही हुआ। अरसे से शांत पड़ा शिक्षा का परिसर फिर से अशांत हो चला है। जनवरी 1997 जैसा खौफनाक मंजर लोगों के आंखों के सामने फिर से ताजा हो गया। उस वक्त भी भगदड़, पथराव, फायरिंग के बीच दो छात्र मौत के आगोश में समा गए थे। हालांकि इस बार कुछ छात्रों सहित पुलिसकर्मियों के घायल होने के सिवा कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। लेकिन सवाल फिर से मुंह बाएं खड़ा है कि जिस छात्र संघ चुनाव को लेकर पूरा परिसर न सिर्फ हर रोज आग के गोले में दहकता रहा, छात्रावास माफियाओं की शरणस्थली बना रहा, सत्र एक-दो नहीं कई साल पीछे चल रहे थे, आईएएस-पीसीएस सहित वैज्ञानिकों का इस बगिया से निकलना बंद हो गया, जैसे तमाम अनछूए पहलू क्या एक बार फिर से बीएचयू में घर करने लगी है। कहा जा सकता है समय रहते सबकुछ जल्द ठीक नहीं किया गया तो 18 साल बाद हम फिर से वहीं पहुंच जायेंगे जहां से तांडव की शुरुवात हुई थी। मतलब साफ है, काशी के बुद्धजीवियों को देखना व समझना होगा कि इस षडयंत्र के पीछे कहीं राजनीतिक दल अपनी दुकान चलाने की घिनौनी साजिस तो नहीं रच रहे। अगर ऐसा है तो फिर शिक्षा की इस बगिया को बचाने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा। यहां जिक्र करना जरुरी है कि विश्व विद्यालय के छात्र कदापि नहीं चाहते कि विश्व विद्यालय परिसर एक बार फिर 18 साल पीछे के अपने इतिहास को दोहराएं। शायद यही वजह भी है कि आॅनलाइन कराएं गए सर्वे में 90 फीसदी छात्रों ने छात्रसंघ चुनाव को नकारने के लिए यानी खिलाफ अपनी वोटिंग की है। 

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आखिर क्या वजह है कि बीएचयू को रस्तोगी जैसा प्रशासनिक अधिकारी नहीं मिल रहा है। लिंगदोह कमेटी की उस रिपोर्ट को अगर मान भी लिया जाएं कि छात्रों को जनतांत्रिक प्रक्रिया से अलग नहीं किया जा सकता तो क्या उस जनतांत्रिक अधिकार को हासलि करने के लिए हंगामा ही एक रास्ता है। कदापि नहीं, इसकी मंजूरी नहीं दी जा सकती। लाठी या हंगामा या आंदोलन, अधिकार का हल नहीं है। इसे सुझबुझ व सहमति से ही गैर राजनीतिक बुद्धजीवियों को हल करना होगा, जो वाकई बीएचयू को दुनिया के उंचाई पर देखना चाहते है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एक्ट, एक्ट क्रमांक 16, वर्ष 1915 महामना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा सन् 1916 में वसंत पंचमी के पुनीत दिवस पर की गई थी। जिसे आज पूरब के ऑक्सफोर्ड के रूप में ख्याति प्राप्त है। इस विश्वविद्यालय के मूल में डॉ एनी बेसेन्ट द्वारा स्थापित और संचालित सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज की प्रमुख भूमिका थी। इस विश्वविद्यालय के दो परिसर है। मुख्य परिसर (1300 एकड़) वाराणसी में स्थित है। मुख्य परिसर में 3 संस्थान, 14 संकाय और 124 विभाग है। विश्वविद्यालय का दूसरा परिसर मिर्जापुर जनपद में बरकछा नामक जगह (2700 एकड़) पर स्थित है। यह एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। इसके प्रांगण में विश्वनाथ का एक विशाल मंदिर सहित सर सुंदरलाल चिकित्सालय, गोशाला, प्रेस, बुकडिपो एवं प्रकाशन, टाउन कमेटी (स्वास्थ्य), पी.डब्ल्यू.डी., स्टेट बैंक की शाखा, पर्वतारोहण केंद्र, एन.सी.सी. प्रशिक्षण केंद्र, हिंदू यूनिवर्सिटी नामक डाकखाना एवं सेवायोजन कार्यालय भी विश्वविद्यालय तथा जनसामान्य की सुविधा के लिए इसमें संचालित हैं। श्री सुंदरलाल, पं मदनमोहन मालवीय, डॉ एस. राधाकृष्णन् (भूतपूर्व राष्ट्रपति), डॉ अमरनाथ झा, आचार्य नरेंद्रदेव, डॉ रामस्वामी अय्यर, डॉ त्रिगुण सेन (भूतपूर्व केंद्रीय शिक्षामंत्री) जैसे मूर्धन्य विद्वान यहाँ के कुलपति रह चुके हैं। लेकिन जब से छात्र संघ के चुनाव की नींव इस विश्व विद्यालय में पड़ी, तभी से विश्वविद्यालय की आधारभूत संरचना तो बिगड़ी ही अध्यन अध्यापन का स्तर भी बिगड़ चुका था। 90 के दशक में जब प्रो रस्तोगी ने कमान संभाली तो ना सिर्फ सत्र रेगुलर हो गए बल्कि पठन-पाठन भी कुछ हद तक बेहतर हो चला था। लेकिन एक बार फिर आईएएस व डाक्टर-वैज्ञानिक पैदा करने की फैक्ट्री कहा जाने वाला यह विश्वविद्यालय आज केवल इतिहास के पन्नों में ही स्वर्णिम है, वर्तमान बहुत ही खराब है और इसी वर्तमान के भरोसे भविष्य भी अंधकार में है। आये दिन बवाल और पढ़ाई का गिरते स्तर की वजह से पूरब के ऑक्सफोर्ड का सूर्य अस्ताचल को जा रहा है।

एक बार फिर इन दिनों विश्वविद्यालय में चुनाव का माहौल बना और सभी दल अपने-अपने तरह से छात्रों को रिझाने में लगे हैं। कोई मोदी के नाम पर को तो कोई जेएएनयू के इतिहास पर। लेकिन गुरुवार को नामांकन प्रक्रिया के दौरान इस कदर माहौल बिगड़ा कि पूरा परिसर तोड़फोड व आगजनी की भेट चढ़ गया। फैली अराजकता के केंद्र में बिरला हॉस्टल रहा। यहां के ए, बी और सी हॉस्टल के सामने वाले मार्ग पर एक ओर छात्रों का दल तो दूसरी ओर पुलिस के जवान मोर्चा लिए हुए थे। मतलब गुरुवार को केंद्रीय कार्यालय में जो हुआ वह बीएचयू के सौ वर्षो के इतिहास में कभी नहीं हुआ था। छात्रों का समूह कुलपति व रेक्टर कार्यालय में पहुंचा, तोड़फोड़ की। कुलपति व रेक्टर से भी हाथापाई की। यहां पर एक छात्र की ही पल्सर बाइक को छात्रों ने आग के हवाले कर दिया। छात्रों के पत्थर फेंकने से जब कुछ पुलिसकर्मी चोटिल हुए, तब पुलिस ने एंटी राइट गन का इस्तेमाल किया और रबर बुलेट छोड़ने के साथ ही आंसू गैस के गोले दागे। पुलिस की कार्रवाई के बाद भी छात्र मानने को तैयार नहीं थे। अंततः भारी उपद्रव के बीच आइपीएस क्षेत्रधिकारी कोतवाली शालिनी ने छात्र परिषद चुनाव स्थगित करने का एलान किया, चीफ प्रॉक्टर प्रो. एके जोशी ने भी इसकी पुष्टि कर दी। हालांकि छात्रसंघ की मांग को लेकर आंदोलनरत छात्रों पर लाठीचार्ज और फायरिंग को पूर्व छात्र नेता बीएचयू प्रशासन की साजिश मानते हैं, तो बुद्धजीवी तबका दलगत-जातीयता के साथ ही विश्व विद्यालय के ही प्रशासनिक अफसरों के बीच चल रही गुटबाजी बताते है। गृह मंत्रालय को भेजी गई खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में भी कुछ इसी तरह की बात कही गयी है। कहा गया है कि प्रशासनिक अफसरों के बीच चल रही ब्राह्मण बनाम ठाकुर की उपज ही घटना का कारण है। इन्हीं के सह पर छात्रसंघ चुनाव व छात्र परिषद विवाद की नींव पड़ी। इन्हीं दो गुटों में आपस की जातिगत होड़ कैंपस से लेकर पान की दुकानों तक अक्सर लोगों के बीच चर्चा होती रही है। रिपोर्ट में जातिगत गुटों के मुखिया के साथ परिसर से रिटायरमेंट होने के बाद भी कुछ छात्र व शिक्षकों अपनी वजूद बनाएं रखने के लिए विवादों को समय-समय पर हवा देते रहते है। बीएचयू कुलपति ने जिन दो अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की है, वह भी गुटबाजी राजनीति के खिलाड़ी है। छात्रों पर लाठीचार्ज भी प्रशासनिक अफसरों के एक गुट के सह पर की गई है। 

फिरहाल वाराणसी प्रधान मंत्री का संसदीय क्षेत्र है। बावजूद इसके वे मूकदर्शक बने हैं। अभी हाल में यहां आईं मानव संसाधन व विकास मंत्री स्मृति ईरानी से छात्रों ने मुकम्मल छात्रसंघ की मांग की थी। शतरुद्र प्रकाश, पूर्व मंत्री व बीएचयू के पूर्व छात्र नेता का आरोप है कि बीएचयू प्रशासन चाहता ही नहीं कि यहां छात्रसंघ बने। इसमें केवल कुछ ऐसे शिक्षकों की भूमिका प्रभावी है जिनकी गतिविधियां छात्रसंघ बनने पर रुक जाएंगी। भ्रष्टाचार की पोल खुल जाएगी इसलिए जब जब छात्रसंघ की बात उठती है, बीएचयू में गोली चलती है। भूपेंद्र सिंह रिंटू, बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व महामंत्री का कहना है कि छात्रसंघ छात्रों व विवि प्रशासन के बीच एक मजबूत प्लेटफार्म होता है, विवि को इस बात पर ध्यान देना चाहिए था। छात्रसंघ, कर्मचारी संघ व शिक्षक संघ के रहने से विवि में अराजकता का माहौल नहीं बनता। छात्रसंघ की मांग कर छात्र गुनाह नहीं कर रहे। प्रमोद कुमार मिश्र, पूर्व छात्र नेता बीएचयू कहते है कि लंबे समय से बीएचयू में तानाशाही चल रही है। यहां के कुछ लोग किसी भी कुलपति को आते ही घेर लेते हैं और अपने मन से निर्णय करवाने लगते हैं। जब-जब छात्रसंघ की बात आती है तो यही बताते हैं कि यहां के छात्र अराजक हैं। छात्रसंघ बनते ही स्थिति विकट हो जाएगी जबकि ऐसा नहीं है। इसी शहर के दूसरे विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव हुए, कहीं कुछ नहीं हुआ, लेकिन बीएचयू में शिक्षकों ने उपद्रव करवा दिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. गिरीशचंद्र त्रिपाठी बीएचयू के नए कुलपति होंगे, यह अच्छी खबर है। लेकिन उनके सामने चुनौतियों ढेरों होंगी। उन्हें रस्तोगी जैसे वाइस चांसलर के नक्शे-कदम या फिर कहें उनसे भी अधिक कड़ा रुख अपनाते हुए साहसिक कदम शिक्षा के इस बगिया को बचाने के लिए उठाने ही पड़ंगे। फिरहाल बीएचयू में गुरुवार और शुक्रवार को हुई हिंसा की जांच इलाहाबाद हाईकोट के रिटायर जज जस्टिस शैलेंद्र सक्सेना करेंगे, तो बुद्धजीवियों को उम्मीद जगी है कि वह न्याय करेंगे। अपनी कुछ न कुछ ठोस सोच देंगे, कि आखिर क्या वजह रही जो शिक्षा की इस बगिया को हिंसा की आग में झोका गया और कौन लोग इसके जिम्मेदार है। दो दिन बीएचयू को हिंसा की आग में झोंकने वाले बाहरी अराजक तत्व थे या अंदर के ही लोग थे यह तो जांचोपरांत ही पता चल पायेगा। बीएचयू में छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर हुए संघर्ष से बिगड़े हालात पर राष्ट्रपति को भी दखल देने की जरुरत है। प्रधानमंत्री को अपने निर्वाचन क्षेत्र के इस हिंसक वारदात पर चुप्पी तोड़नी ही चाहिए। विवि की गौरवशाली परंपरा रही है। इसका ख्याल रखना प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है। यहां अधिकतम छात्र शांतिपूर्ण माहौल चाहते हैं। कुछ ऐसे हैं, जिन्हें बाहरी तत्व अपने प्रभाव में लेकर अशांति फैलाते हैं। आखि रवह कौन लोग है जो बाहरी छात्रों को बुलाकर अपनी दुकान चलाना चाह रहे है। इस पर भी गहन विचार व कार्यवाई की जरुरत है। यह अफसोस है कि पिछले कई वषो से बीएचयू प्रशासन बीएचयू का हित सोचने वाले बुद्धजीवियों को सहभागिता का अवसर नहीं देती। परिसर का माहौल छात्रसंघों की वजह से अक्सर बिगड़ा है। किसी भी शिक्षण संस्थान में अराजक तत्वों की गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए। परिसर को स्वस्थ और स्वच्छ बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं जाना चाहिये। कहा जा सकता है कि जब से बीएचयू से छात्र राजनीति खत्म हुई, काफी कुछ सुधार देखने को मिलने लगा था। परिसर में माफियाओं के जमावड़ा पर विराम लग गया था। बीएचयू के कुछ संकायों की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी थी। कुछ लोग मानते है कि बदले माहौल में प्रधानमंत्री का पूरा फोकस संसदीय क्षेत्र व आसपास के इलाकों के विकास पर है। विकास का मानक व्यापार और पर्यटन से पूर्ण होता है। इनके विकास के लिए अनुकूल माहौल चाहिए। छात्रसंघ के रहते माहौल नहीं बन पाएगा। सन-90 के पहले के माहौल की याद कर व्यापारी, उद्यमी अब भी सिहर जाते हैं। दो दशक पहले तक रहे छात्रसंघ के चलते किन-किन परेशानियों से दो-चार होना पड़ता था। उस तरह के माहौल के दोहराव से बचने के लिए छात्रसंघ चुनाव न हो तो अच्छा है। पीएमओ के अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रलय को भी कमोवेश कुछ इसी तरह के फीडबैक दिए गए है। 

सवाल यह है कि छात्रसंघ बहाली की मांग को लेकर जो छात्र या नेता लोकतंत्र की दुहाई देते विश्व विद्यालय परिसर में व्याप्त भ्रष्आचार व विश्व विद्यालय प्रशासनिक अधिकारियों पर भ्रष्टाचार व मनमानी की बात कहकर चुनाव की बात कर रहे है उसे अन्य तरीकों से भी आवाज उठा सकते है। क्या जरुरी है कि भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए छात्र संघ ही जरुरी है। छात्रसंघ की आड़ में क्या-क्या होता हे यह भी किसी से छिपा नहीं है। छात्रों सहित विश्व विद्यालय का हितेषी होने का ढ़ोंग रचने वालों को यह जान लेना चाहिए कि अहिंसात्मक तरीके से भी अपनी बातें मनवाई जा सकती है। विश्व विद्यालय के अधिकारियों की कथित भ्रष्टाचार वाले आरोपों को सबूतों के साथ प्रदर्शन से लेकर कोर्ट-कचहरी तक का सहारा ले सकते है। अपनी मांगों को लेकर शांतिप्रिय आंदोलन खड़ा कर सकते है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिनका यह चुनाव क्षेत्र भी है तक अपनी बात पहुंचा सकते है, लेकिन वह ऐसा करना ही नहीं चाहते। उन्हें तो छात्रसंघ चुनाव की आड़ में अपनी नेतागिरी की दुकान जो चटकानी है। अगर वाकई में विश्व विद्यालय का छात्र चुनाव चाहता तो आनलाइन कराएं गए सर्वे में 90 फीसदी छात्र छात्रसंघ चुनाव के खिलाफ अपनी वोटिंग क्यों करते। सच तो यह है कि विश्व विद्यालय के छात्र चुनाव के पक्ष में है ही नहीं। चुनाव तो वही चाहते है जो इस आड़ में अध्यक्ष, महामंत्री आदि चुने जाने के बाद विधायक-सांसद होने का ख्वाब देख रहे है। खास बात यह है कि छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए जो तोड़फोड़ का सहारा ले रहे है या बाहरी विद्यालयों के बच्चों को बुलाकर परिसर में अराजकता का माहौल पैदा कर रहे है वह किसी न किसी मंत्री, विधायक या सांसद के खानदान-परिवार से जुड़े है। सूत्र बताते है कि परिसर में चुनाव की नामांकन प्रक्रिया बिल्कूल शांत तरीके से चल रही थी। लेकिन सपा व राछास समर्थकों का एक साथ दिखना विद्यार्थी परिषद को रास नहीं आया तो बाकी के संगठनों के मन में अपनी मजबूती को लेकर शंकाए होने लगी। नामांकन प्रक्रिया की नोकझोंक को आधार बनाकर प्रदर्शन के साथ तांडव पर उतर आएं। इस तांडव में किसकी कितनी भागीदारी है यह तो जांच का विषय है, लेकिन कहा जा सकता है कि परिसर में जो कुछ भी हुआ इसके लिए राजनीतिक दल ही जिम्मेदार है। क्योंकि यदि इन राजनीतिक दलों से जुड़े समर्थकों की पैठ इतनी ही मजबूत होती तो बीएचयू के 90 प्रतिशत छात्रों ने छात्रसंघ के खिलाफ अपनी राय न दी होती। पिछले कुछ दिनों से चल रहे घटनाक्रमों को देखकर लगने लगा है कि परिसर के भीतर पूर्णतः अराजकता की स्थिति व्याप्त हो गई है। दमन के साथ-साथ छात्र आक्रोश बढ़ता जा रहा है और हर वर्ग का छात्र अपने तरीके से अपनी भड़ास निकालने पर आमादा है। शुक्रवार की घटना छात्रों के बढ़ते हुए आक्रोश के दबाव से फूटी क्रोधाग्नि रही। इसने यह तय कर दिया है कि प्रशासन, छात्रों की मानसिक हालत समझने में नाकाम रहा है। इस परिस्थिति के लिए जिम्मेदार माने जा रहे सुरक्षातंत्र से जुड़े लोगों ने समय समय पर आग में घी डालने का ही काम किया। फायरिंग, लाठीचार्ज, आगजनी, और छात्र परिषद चुनाव के समर्थन व विरोध की आवाज भले ही अब दब गई हो लेकिन बीएचयू के खराब हालात के संदेश कुछ और ही गुल खिला सकते हैं। छात्र आंदोलन का जो विकृत रूप परिसर में दिखाई पड़ा, उसे लाठी व अनुशासनात्मक कार्रवाई के बल पर भले दबा दिया गया लेकिन विश्वविद्यालय खुलने के बाद की क्या स्थिति होगी, समय बताएगा। 




(सुरेश गांधी )

पूर्व पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा का निधन

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पूर्व केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं गैैस मंत्री मुरली देवड़ा का आज सुबह तीन बजकर 25 मिनट पर निधन हो गया।वह 77 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

उनके परिवार में एक पुत्र है। उनके शव को अंतिम र्दशन के लिये आज दोपहर 12 बजे कांग्रेस कार्यालय में रखा जायेगा तथा आज शाम चार बजे उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा।
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