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विशेष : माननीयों के 'क्षमा -पर्व 'के मायने......!!

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झारखंड की सीमा से लगते पश्चिम बंगाल के वन क्षेत्रों में माओवादी गतिविधियां तब सिर उठा ही रही थी। इस बीच जिले में एक एेसा युवा आइपीएस अधिकारी आया जो कुछ ज्यादा ही जोशीला था। वह हर किसी को चोर - बेईमान समझ लेता था। माओवादियों के मददगारों की तलाश में  राजधानी के आस - पास छापे पड़े तो उस युवा पुलिस अधिकारी ने कई बुद्धिजीवियों को भी हिरासत में ले लिया। जिनमें एक शिक्षक भी शामिल था। हालांकि जिला मुख्यालय में वरीय अधिकारियों के पूछताछ में उस पर प्रथम दृष्टया  आरोप भी प्रमाणित नहीं हो सका, लिहाजा उसे छोड़ दिया गया। लेकिन पुलिस की गिरफ्त से छूटने के बाद वह शिक्षक घर नहीं गया, बल्कि रेलवे ट्रैक पर किसी ट्रेन के नीचे जाकर आत्महत्या कर ली। क्योंकि बेवजह  पुलिस कार्रवाई से उसके आत्मसम्मान को गहरा धक्का लगा था । यह आम आदमी का आत्मसम्मान था, जो अनावश्यक रूप से गहरे तक आहत हुआ था। यहां पीड़ित के सामने माफी मांगने या लेने - देने का कोई विकल्प नहीं था। जैसा हम अपने देश के 'माननीयों 'के मामले में देखते - सुनते हैं। 

देश की सबसे बड़ी पंचायत की कार्यवाही को देखते हु्ए तो कुछ एेसा ही प्रतीत होता है मानो हमारे माननीयों का कभी खत्म न होने वाला क्षमा - पर्व चल रहा हो। चाहे  जितनी बेसिर - पैर की बातें कह दें, किसी पर बेवजह कोई भी  गंभीर आरोप लगा दें। बस माफी मांग ली, और बात खत्म। गलती करने वाले ही नहीं बल्कि उनका विरोध करने वाले भी माफी मांगने पर इतना जोर देते हैं कि लगता है कि बस इसी  से दोषी का सात खून माफ हो सकता है। हाल में एेसे कई उटपटांग बयान जनता ने सुने । फिर संसद में लगातार हंगामा , माफी मांगने का दबाव, माफी मांगी और मामला सलट गया। पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद हैं कल्याण बंद्योपाध्याय। पेशे से बड़े वकील तो हैं ही. जनाब आग उगलने वाले भाषणों के लिए भी खूब जाने जाते हैं। लोकसभा चुनाव 2014 के प्रचार के दौरान उन्होंने नरेन्द्र मोदी के हाथ - पांव तोड़ देने की बात कह कर  खूब सुर्खियां बटोरी थी। चुनाव जीत कर संसद पहुंचे तो लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन पर भाजपा नेत्री की तरह बर्ताव करने का गंभीर आरोप लगा दिया। बात बढ़ी तो माफी मांग ली। 

इधर सूबे की राजनीतिक परिस्थितयों से विचलित होकर कुछ दिन पहले  उन्होंने एक बार फिर नरेन्द्र मोदी के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री को भी अपने निशाने पर लेते हुए आपत्तिजनक बातें कह दी। संसद में हंगामा हुआ और माफी मांगने का दबाव भी बढ़ा। पहले दिन तो उन्होंने माफी मांगने से यह कहते हुए साफ इन्कार कर दिया कि उन्होंने कोई गलत बात नहीं है। लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के इस आग्रह पर कि माफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता, उन्होंने यह कहते हुए माफी मांग ली  कि यदि उनकी बातों से किसी की भावनाएं आहत हुई हों, तो वे क्षमा चाहते हैं। बस मामला खत्म। इस बीच हमने कई माननीयों को अपनी बात पर क्षमा याचना करते देखा  तो विरोधियों को इसके लिए दबाव बनाते हुए भी। लेकिन एक बंद्योपाध्याय ही क्यों उटपटागं  और विवादास्पद  बयान देने वाले 'नायाब हीरे 'तो अमूमन हर राजनीतिक पार्टियों के तरकश में सजे नजर आते हैं। सवाल उठता है कि क्या देश की जनता माननीयों को अनवरत क्षमा पर्व मनाने के लिए ही चुनती है। या संसद की कार्यवाही क्षमा मांगने या लेने - देने से आगे भी बढ़ेगी। जनता की गाढ़ी कमाई से चलने वाली संसद की कार्यवाही के दौरान यदि हमारे माननीय इसी तरह क्षमा मांगते और करते हुए ही अपना समय बर्बाद करेंगे तो गंभीर मसलों पर चर्चा कब होगी। सबसे बड़ा सवाल यह कि क्षमा मांग लेने भर से क्या गंभीर से गंभीर बयानों और गलतियों पर पर्दा डालने का विकल्प आम आदमी के पास भी है। बेशक जवाब नहीं में ही है। आम आदमी के मामले में तो हम यही देखते हैं कि आधारहीन आरोप लगने पर भी पीड़ित के लिए इससे पीछा छुड़ा पाना मुश्किल होता है। 





तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934 
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं। 

विशेष आलेख : धर्मांतरण पर दोहरा मापदण्ड क्यों?

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भारत में धर्मांतरण के मुद्दे पर राजनीतिक दलों द्वारा हमेशा ही दोहरा मापदण्ड अपनाया जाता है। किसी मुसलमान द्वारा जब घर वापिसी की जाती है, तब देश में कोहराम मच जाता है, इसके अलावा जब हिन्दुओं को धर्मांतरित किया जाता है, तो सारे राजनीतिक दल और मीडिया आंखें बन्द करके बैठ जाता है। हम जानते हैं कि भारत के मुसलमानों के पूर्वजों को मुगलकालीन शासकों द्वारा भय दिखाकर या तलवार के दम पर धर्मांतरित किया गया। लेकिन जब कोई मुसलमान अपने मूल धर्म में वापस आता है, तो उसकी प्रशंसा की जाना चाहिए। अगर यह भी नहीं कर सकते तो कम से कम इस विषय पर राजनीति तो बिलकुल नहीं होना चाहिए।

विश्व के जितने भी देश धर्मांतरण के दंश को झेलने को मजबूर हैं, वह किसी न किसी तरीके से अराष्ट्रीयता की ओर ही चलते जा रहे हैं। भारत देश में यह समस्या वर्षों से चली आ रही है, हम जानते हैं कि आज हमारे देश में जितने भी मुसलमान हैं, वे सभी हिन्दुओं की संतानें हैं। उनके पूर्वज हिन्दू ही थे। कई मुसलमान इस बात को खुले रूप में गौरव के साथ स्वीकार करते हैं। लेकिन कुछ कट्टरपंथी मुसलमान विदेशी शक्तियों के हाथों में खेलकर गुमराह करने का खेल खेल रहे हैं। यही खेल देश में एक बार विभाजन के रूप में हमारे सामने उपस्थित हो चुका था, जिसमें भारत से टूटकर पाकिस्तान नाम का नया का नया देश बना। जहां तक सांस्कृतिक परिवेश की बात की जाए तो पाकिस्तान का अपना कोई सांस्कृतिक परिवेश नहीं है। पाकिस्तान की मूल और पुरातन संस्कृति में हमेशा भारत ही दिखाई देगा। इस सत्य को भले ही पाकिस्तान के कट्टरपंथी राजनेता भुलाने का प्रयास करने का नाटक करें, लेकिन सत्य तो यही है कि पाकिस्तान का इतिहास भारत के सांस्कृतिक वातावरण से ही जन्मित होता है। इस बात को इस प्रकार भी कहा जा सकता है कि पाकिस्तान का जन्मदाता भारत है। अब सवाल यह है कि क्या कोई भी देश या व्यक्ति अपने जन्मदाता को भूल सकता है, अगर उसने भुलाने का प्रयास किया तो एक दिन वह स्वयं स्वयं ही विनाश के मार्ग पर चला जाएगा।

भारत के मुसलमानों को यह सत्य स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि यही उनका सांस्कृतिक इतिहास है, और यही उनकी संस्कृति है। कई स्थानों पर भारत के मुसलमान इस सत्य को खुले रूप में स्वीकार कर भी रहे हैं तो भारत के मुस्लिम परस्त राजनीतिक दलों को अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर खतरा दिखाई देने लगा है। राजनीतिक दलों द्वारा इस प्रकार का खेल सामाजिक एकता के भाव को समाप्त करने का षडय़ंत्र ही कहा जाएगा। आज की स्वार्थ भरी राजनीति का अध्ययन किया जाए तो यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि भारत के कुछ देश घाती राजनीतिक दल पूर्णत: अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति का ही अनुसरण कर रहे हैं। वास्तव में इस प्रकार की राजनीति का खेल बन्द होना चाहिए। भारत के सांस्कृतिक वातावरण के विरोध में उठने वाली आवाज का हर स्तर से विरोध ही होना चाहिए, लेकिन हमारे देश में तुष्टीकरण का खेल प्रारंभ हो जाता है।

आजादी के पूर्व से ही धर्मांतरण को झेल रहे भारत देश में इन राजनीतिक दलों द्वारा उस समय आवाज नहीं उठाई जाती, जब ईसाई संस्थाएं लोभ के सहारे हिन्दुओं को धर्मांतरित करतीं हैं, इतना ही नहीं कई मुस्लिम संस्थाएं भी विदेशों से अनाप शनाप धन लेकर हिन्दुओं को मुसलमान बनाने का कुचक्र चला रहीं हैं। हम जानते हैं कि जिस अनुपात में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ रही है, उस अनुपात में मुसलमान पैदा नहीं हो रहे हैं। इसे साफ तौर कहा जाए तो यही कहा जा सकता है कि जब सौ मुसलमान पैदा होते हैं तब नए मुसलमानों की जनसंख्या डेढ़ सौ से दो सौ के बीच बढ़ जाती है। सवाल यही है कि सौ के अलावा जो मुसलमान बढ़े हैं वह कहां से आए। क्या यह धर्मांतरित मुसलमान नहीं हैं? या फिर किसी और देश से घुसपैठ करके आते हैं। यह सत्य है कि भारत में घुसपैठ भी हो रही है, तो धर्मांतरण भी किया जा रहा है। इस सत्य को राजनीतिक दलों को स्वीकार करना ही होगा।

आगरा में हुए घरवापिसी कार्यक्रम के सहारे भारत में धर्मांतरण के मुद्दे पर बहस का विषय मिल गया है। यह कार्यक्रम पूरी तरह से घरवापिसी का ही था, क्योंकि जिन मुसलमानों ने उस कार्यक्रम में भाग लिया, वे सभी पूर्व में लालच में आकर मुसलमान बन गए थे, इस कार्यक्रम के माध्यम से वे वापस अपने समाज में आना चाह रहे थे। एक बात और इस कार्यक्रम के बारे में कहा यह जा रहा है कि उनको राशनकार्ड बनवाने का लालच दिया गया। लेकिन इसमें एक बात साफ दिखाई देती है कि जो फोटो और वीडियो समचार माध्यमों में प्रकाशित और प्रसारित किए गए, उनको देखने से कहीं भी यह नहीं लगता कि उनसे जबरदस्ती की गई है, वे सभी स्वेच्छा से हवन करते देखे गए। लेकिन जैसे ही इस कार्यक्रम के बाद वे घर पहुंचे एक घण्टे बाद ही उस बस्ती में कट्टरपंथी मुसलमान और समाजवादी पार्टी के नेताओं सहित हिन्दू विरोधी मानसिकता वाले लोग पहुंचे तब घटनाक्रम का पूरा कथानक ही बदल गया। सवाल यह आता है कि इन लोगों के पहुंचने के बाद ही स्वर क्यों बदल गए। बस यहीं से शुरू होता है इस घटना का राजनीतिक खेल। मेरा मानना तो यही है कि घरवापिसी के कार्यक्रम का विरोध करने से पहले इस बात की जांच होना चाहिए कि उस बस्ती में इन नेताओं और कट्टरपंथियों ने क्या किया। लोगों ने अपने बयान क्यों बदले?

आज भारत देश का कोई भी मुसलमान इस बात का दावा नहीं कर सकता है कि उनके पूर्वज मुसलमान थे। क्योंकि यह सर्वथा सत्य है कि इन सभी मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू ही थे। इनके पूर्वजों को कभी न कभी मुसलमान बनाया गया, यह भी सत्य है कि यह स्वेच्छा से मुसलमान नहीं बने। मुगलकालीन शासकों का इतिहास पढऩे से यह स्वत: ही प्रमाणित हो जाता है कि इनको तलवार के दम पर जबरदस्ती मुसलमान बनाया गया। कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने मुसलमान बनना स्वीकार नहीं किया, उन पर मुगल शासकों ने अमानवीय अत्याचार किए, उनसे अपने घर का मैला तक उठवाया गया। आज जिन लोगों को हम बाल्मीकि के रूप में जानते हैं, धन्य हैं वे लोग जिन्होंने मैला उठाना स्वीकार किया लेकिन अपना धर्म नहीं छोड़ा। ये हमारे बन्धुजन हमेशा ही समाज के लिए अभिनन्दनीय पात्र बने रहेंगे।

यह बात सही है कि हिन्दुओं ने हमेशा ही पूरी वसुधा को अपना परिवार माना है। भारत के पुरातन इतिहास के अध्ययन करने पर पता चलता है कि हिन्दुओं ने कभी भी तलवार के दम पर किसी का दमन नहीं किया। भारत ने सबको ज्ञान का उपदेश दिया। यही हिन्दू दर्शन की विशेषता है। इसके विपरीत मुसलमान मारकाट को ही अपना धर्म मानता है, हालांकि यह बात भारत के संदर्भ में नहीं है, क्योंकि यहां के मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू ही थे। इसके लिए मुस्लिम देशों का उदाहरण हमारे सामने हैं, वहां बंदूक के सहारे पूरा खेल खेला जा रहा है। वर्तमान में जो लोग मुसलमान से हिन्दू बन रहे हैं, उनके प्रारब्ध के संस्कार हिन्दू हैं। जब वह संस्कार जाग्रत होंगे, तो स्वत: ही उनके अंदर हिन्दुत्व की हिलोर उठेगी। हम जानते हैं कि अनुवांशिक संस्कार कभी मिटते नहीं हैं। वह कभी न कभी प्रस्फुटित होकर ही रहते हैं। आज जब धर्मांतरित मुसलमानों के अंदर इस बात का प्रस्फुटन हो रहा है, तब सभी को इस बात का स्वागत करना चाहिए और सांस्कृतिक भारत बनने की दिशा में अपनी भूमिका का निर्वाह करना चाहिए।






सुरेश हिन्दुस्थानी
लश्कर, ग्वालियर म.प्र.

चुनाव विशेष : चीजें बदलती हैं तो उसका सिस्टम भी बदल जाता है।

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  • 30-40 वर्ष पूर्व चुनाव का तरीका कुछ और ही हुआ करता था, 
  • वर्तमान समय का चुनावी तरीका काफी हाईटेक हो चुका है-कमलाकांत प्र0 सिन्हा

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विश्व का सर्वाधिक वृहत लोकतांत्रिक देश है भारत। इस देश की अपनी कार्यपालिका, व्यवस्थापिका व न्यायपालिका है। सबकी अपनी-अपनी जिम्मेवारी। सबके अपने-अपने महत्व भी हैं। सरकार के सारे अंग यों तो अलग-अलग हैं, किन्तु अंग सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए। एक-दूसरे के दायित्वों की निगरानी व उनपर अंकुश का सिस्टम भी अलग-अलग है। चाहे चुनाव से संबंधित व्यवस्था की बात हो या फिर सरकार बनने से लेकर उसे चलाने तक की व्यवस्था की बात। संसद के दोनों सदनों-लोकसभा व राज्य सभा सहित राज्यों में विधानसभा व विधान परिषद् सदस्यों का निर्वाचन आम जनता के मतों के आधार पर ही तय होता है। एमपी, एमएलए का निर्वाचन अलग-अलग, किन्तु प्रक्रिया एक-दूसरे से मिलती-जुलती। जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि ही संसद के दोनों सदनों सहित राज्य विधानसभा व विधान परिषद्ों में जाते हैं तथा मंत्रीपरिषद के गठन बाद एक स्थिर सरकार की कल्पना साकार होती है, और फिर सरकार एक निश्चित कार्यावधि तक अपने दायित्वों की पूर्ति करती है। वर्तमान चुनाव पद्धति काफी हाईटेक (आधुनिकता से पूरी तरह लवरेज) दिखलाई पड़ता है। जहाँ एक ओर आकाशवाणी, दूरदर्शन, न्यूज एजेन्सी, प्रिट मीडिया, सोशल साईट यथा-फेसबुक, ट्यूटर, वार्डसअप, मोबाईल एसएमएस व अन्य माध्यमों से विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा प्रचार-प्रसार का काम तेजी से अपनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर परंपरागत तरीकों से चुनाव प्रचार-प्रसार व जनसंपर्क का अस्तित्व जमींदोज होता जा रहा। मतदाताओं को अपने-अपने प़क्ष में रिझाने की बात हो या फिर मताधिकार की बात। इस साईवर युग में सबकुछ मिनट व सेकेण्ड में तब्दील होता जा रहा है। 

देश से समाज सिमटता जा रहा। समाज से परिवार और परिवार से बच्चे सिमटते जा रहे। बच्चों से सिमटता जा रहा उनका नैसर्गिक संस्कार, तौर-तरीका व शिष्टाचार। यूँ कहें-पूरा विश्व आधुनिकता की चकाचैंध में गुम होता चला जा रहा, ऐसे में परंपरागत व्यवस्थाओं का दम तोड़ना कोई अचरज की बात नहीं रह गई है। 70 के दशक में राजनीति अपने मूल्यों-सिद्धान्तों पर आधारित हुआ करती थी। विचारों-सिद्धान्तों से कोई समझौता नहीं किया जाता था। पलभर में मिट्टी से सोना हो जाने का कोई तरकीब नहीं था मौजूद। इस तरह की अन्य कोई व्यवस्था नहीं थी। वह समय कुछ और था, अब का समय कुछ और है। अविभाजित बिहार में स्व0 कर्पूरी ठाकुर के मुख्यमंत्रित्व काल में मंत्री रहे पूर्व विधायक कमलाकांत सिन्हा आगे बढ़ने की प्रक्रिया में वर्तमान व्यवस्था को जहाँ एक ओर काफी सशक्त मान रहें, वहीं दूसरी ओर अपनी मौलिकता को भूलता जा रहा मनुष्य को खबरदार भी करने से चूक नहीं रहे। उनका कहना है, वर्तमान समय में नेताओं के पास कुछ करने के लिये समय काफी कम रह गया जबकि अधिक से अधिक धन कमाने की चाहत उनकी बढ़ती चली जा रही। वह भी संक्षिप्त समय में। आम जनता की स्थिति भी कमोवेश वैसी ही रह गई है। अपने समय के स्मरण को ताजा करते हुए वे कहते हैं-70 के दशक में किसी खास स्थान पर किसी बड़े नेता के आगमन की खबर सुनकर ही लोग प्रसन्न हो जाया करते थे। महीनों पूर्व से उनके आगमन के दीदार में उन्हें बैचेन देखा जाता था । 

काफी गंभीरता से उनका भाषण सुनते व उसका विश्लेषण करते। उनकी अपनी प्रतिष्ठा होती, उनका अपना सम्मान होता। उनकी अपनी सोंच होती और भाषण का उनका मूल्यांकन होता। अब नेताओं को सुनने के लिये दूर-दराज से लोग नहीं आते। उनमें वैसा कोई आकर्षण नहीं रह गया। न विद्धता की कोई पुट रहती। वे ही आते उनके करीब भाषणस्थल तक लाने व वापस ले जाने की पूरी व्यवस्था की जो जिम्मेवारी उठाते। भीड़ जुटाने के लिये गाँव-देहात में विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ताओं द्वारा औरत-मर्द बच्चों को पैसे दिये जाते हैं। उनके लिये भोजन की व्यवस्था की जाती है। जिनके सोने-बैठने के इंतजाम किये जाते हैं। और तो और यह समय ऐसा है कि मात्र थोड़ी सी भीड़ को कैमरे में इस कदर कैद कर लिया जाता है और फिर उसे विभिन्न चैनलों के माध्यम से इसकदर दिखलाया जाता है कि प्रतीत होता है नेताजी के आगमन की खबर सुनकर लाखों लोग मैदान में अपना आशियाना बना लिये हों। पूर्व विधायक ने अपने समय के चुनाव की चर्चा करते हुए कहा 70 के दशक में मात्र 10 से 15 हजार रुपये के अंदर लोग विधानसभा का चुनाव लड़ लिया करते थे। अब एक विधानसभा में एक पार्टी की ओर से करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं। उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ विधानसभा की दहलीज तक पहुँचना होता है। बाद में वे जों चाहेगें वैसा करेगें। न तो सरकार के आला मंत्रियों का कोई डर रहता है और न ही आम-अवाम ही। पूर्व विधायक श्री सिन्हा का कहना है-उन्होनें अपने चुनाव प्रचार कार्यक्रम में काफी हद तक पदयात्रा व सायकिल की सवारी को ही प्रश्रय दिया था। 

एक जुगाड़ गाड़ी हुआ करता था जिसे प्रचार कार्य में लगाया जाता था किन्तु उक्त गाड़ी का कोई भरोसा नहीं हुआ करता था। कब वह सवारी का साथ छोड़ जाय। जनसंपर्क व दीवार लेखन के माध्यम से मतदाताओं को जागरुक किया जाता था। गाँव/पंचायतों के चैपालों पर वे लोगों की समस्याओं को सुना करते थे। माइकिंग की कोई खास व्यवस्था नहीं की जाती थी। अब एसएमएस के जरिये वोटिंग ज्ञान से लोगांे को रुबरु कराया जाता है। हाँ यह दिगर बात है कि पहले जिसतरह लोग बिना पाबंदी के अपने अभिव्यक्ति के अधिकार का गलत प्रयोग कर लिया करते थे उसमें भारी कमी आई। बड़े सलीके से लोग अब एक-दूसरे के विरुद्ध बयानबाजी करते हैं। यदा-कदा नेतागण अपनी सीमाओं को लांघते हुए भी देखे जा रहे। वर्तमान समय में बूथों के मैनेजमेंट का अलग विभाग होता है। गाँव-देहात के लोगों को आकर्षित करने के अलग कानून-कायदे होते हैं। प्रचार तंत्र पर अलग खर्च व निगरानी होती है। विरोधियों के विरुद्ध आग उगलने के लिये खास तौर पर कार्यकर्ताओं सहित नेताओं को प्रशिक्षित किया जाता है। करोड़ों रुपये चुनाव लड़ने में खर्च कर दिये जाते हैं। समय बदलता जा रहा है, लोगांे की मानसिकता में भी काफी कुछ बदलाव देखने को मिल रहा। बहकावे में लोग कम आ रहे। मतदाता वैसा ही कर रहे जो उनकी अंतरात्मा कह रही। अच्छे-बुरे का परिणाम वे समझ रहे। किसकी सरकार कितनी सुरक्षा आम जनता को देनेवाली है उसका सार समझ में आ रहा। यह सच ही कहा गया है कि चीजें बदलती हैं तो उसका सिस्टम भी बदल जाता है। 






अमरेन्द्र सुमन
दुमका 

राजनीति में फिर से वापस नही आना चाहते है अमिताभ

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बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन राजनीति के क्षेत्र में फिर से कदम नही रखना चाहते है। अमिताभ ने वर्षा 1984 में इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था और विजयी हुये थे लेकिन उन्होंने तीन साल बाद ही सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया था।अमिताभ राजनीति में अपने प्रवेश को एक भूल मानते हैं। उनका कहना कि वह यह भूल दोबारा कभी नहीं दोहराएंगे। 

अमिताभ ने कहा राजनीति में जाना एक भूल थी। मैं भावनाओं में बहकर उस क्षेत्र में गया लेकिन बाद में मुझे अहसास हुआ कि राजनीतिक अखाड़े की वास्तविकता.भावनाओं से बहुत अलग है। इसलिए मैंने राजनीति छोड़ दी।मैंने दोबारा कभी राजनीति में वापस जाने की बात नहीं सोची।

अमेरिका सुरक्षा कवच को भेदने मे सक्षमत मिसाइल का चीन ने किया परीक्षण

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चीन ने अमेरिका के मिसाइल रोधी कवच को भेदने में सक्षम एक सुपर सोनिक प्रक्षेपास्त्र का सफंल परीक्षण किया है। चीन के रक्षामंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। रक्षामंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार इस मिसाइल .वू 14. का  देश के पश्चिमी हिस्से में किसी स्थान पर सफंल परीक्षण किया गया। हालांकि इसमें कहा गया है कि यह परीक्षण किसी देश की सैन्य क्षमता को नजर में रखते हुए नहीं किया गया है।वेबसाइट पर मिसाइल के बारे में इससे अधिक कोई जानकारी नही दी गयी है।     

रूस की समाचार एजेंसी रिया नोवोंस्ती ने मिसाइल की खूबियां गिनाते हुए खबर दी है कि वू 14 मिसाइल को परीक्षण के दौरान एक इंटर कांटिनेंटल मिसाइल के जरिए दागा गया।इस प्रक्रिया के एक चरण में वू 14 मिसाइल वायुमंडल की ऊपरी सतह पर जाकर दागी गयी मिसाइल से अलग हो गयी और बाद में ध्वनि की गति से करीब दस गुना अधिक तेजी से यानी करीब 12800 किलोमीटर की तेज रफतार से धरती की ओर लपकी।

रक्षा जानकारों के अनुसार  दक्षिण चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर पडोसी देशों के साथ बढती तनातनी के बीच अपनी रक्षा क्षमता को दुरूस्त करने की तैयारियों  के मद्देनजर संभवत चीन ने यह परीक्षण किया है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इतनी तेज गति वाले सुपरसोनिक मिसाइल प्रौद्योगिकी पर  रूस की .टेक्टिकल मिसाइल वेपन कंपनी. नए सिरेसे अनुसंधान कर रही है।इस प्रौद्योगिकी पर वर्ष 1980 में प्रतिबंध लगा दिया गया था। यूक्रेन को लेकर पश्चिमी देशो के साथ बढते तनाव के कारण चीन और रूस की नजदीकियां बढने की खबर है।ऐसा माना जा रहा है कि मिसाइल की इस प्रौद्योगिकी में भी दोनों देश कहीं साथ साथ आ रहे हैं।

झारखंड : 13 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान समाप्त 60 प्रतिशत से अधिक मतदान

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झारखंड में चौथे चरण में 15 विधानसभा क्षेत्रों में से 13 विधानसभा क्षेत्रों में आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान समाप्त हो गया और  दो विधानसभा क्षेत्रों मे अब भी मतदान जारी है जबकि इस दौरान 60 प्रतिशत से अधिक मतदाताों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.  राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी पी के जाजोरिया ने आज यहां बताया कि चौथे चरण में मधुपुर    देवघर :अजा : जमुआ :अजा : चंदनकियारी :अजा : निरसा  झरिया    टुंडी  बाघमारा विधानसभा क्षेत्रों में आज सुबह सात बजें से मतदान शुरु हुआ और तीन बजे दिन में शांतिपूर्ण मतदान समाप्त हो गया जबकि बोकारो और धनबाद विधानसभा क्षेत्रों में आज सुबह सात बजे से मतदान शुरु हुआ और शाम के पांच बजे तक मतदान होगा 1 इन क्षेत्रों में 60 प्रतिशत से अधिक मतदाताों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. 
      
श्री जाजोरिया ने बताया कि इन क्षेत्रों में 16 महिला उम्मीदवार समेत कुल 217 उम्मीदवार चुनाव मैदान मे है जबकि  कुल मतदाता 4348709 है । इन 15 विधानसभा क्षेत्रों में 12 सामान्य  और तीन अनुसूचित जाति के लिये है । इन क्षेत्रों में कुल मतदान केन्द्रों की संख्या 3718 है । 

राज्य में चौथे चरण के चुनाव में जो प्रमुख नेता मैदान में है उनमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी    राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी   पर्यटन मंत्री सुरेश पासवान    पशुपालन एवं मत्स्य मंत्री मन्नान मल्लिक    पूर्व मंत्री मथुरा महतो  पूर्व मंत्री उमाकांत रजक    पूर्व विधायक निर्भय शाहाबादी    विधायक विनोद कुमार सिंह पूर्व विधायक चन्दि्रका महथा  पूर्व मंत्री सरफराज अहमद  और विधायक अरुप चटर्जी शामिल है ।

नशे के कारोबार का धन आतंकवाद में होने का शक जताया मोदी ने

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नशे के कारोबार का धन आतंकवाद में लगने का अंदेशा जताते हुए आज  कहा कि नशा एक सामाजिक बुराई है और इससे समग्रता से निपटने की जरूरत है। श्री मोदी ने आकाशवाणी पर  अपने कार्यक्रम .मन की बात. में नशीले पदार्थ बेचकर अर्जित किए जाने वाले धन का इस्तेमाल आतंकवाद में हो सकता है। नशे की समस्या की समस्या से निपटने के लिए सरकार प्रयास कर रही है लेकिन इसके लिए समग्रता से जुडने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह मानसिक सामाजिक एवं चिकित्सकीय समस्या है। इसके इलाज के लिए व्यकि्त स्वयं. परिवार. यार दोस्त. समाज. सरकार. कानून सब को मिलकर एक दिशा में काम करना पडेगा। उन्होंने कहा कि सरकार नशा मुक्ति के लिए हर कदम उठा रही है और इसके वास्ते जल्द ही हेल्पलाइन स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है। श्री मोदी ने माता पिता तथा समाज के साथ ही सोशल मीडिया सें भी इस दिशा में ठोस पहल करने का आग्रह करते हुए कहा है कि सोशल मीडिया सशक्त माध्यम है और उसके जरिए इस बुराई से निबटने में आसानी होगी इसलिए इस मीडिया को नशामुक्त भारत के लिए आंदोलन चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसमें मां बाप को इसमें अहम भूमिका निभानी होगी। बच्चा जब 16 साल की उम्र में आ जाए तो उसके साथ माता पिता को दोस्त की तरह व्यवहार करने की जरूरत है। 

श्री मोदी ने कहा कि नशा.ड्रग्स. थ्री डी. तीन बात लाता है । ये थ्री डी. डार्कनेस. अंधेरा. डिस्ट्रक्शन.विध्वंस. और डिवास्टेशन.विनाश. है. प्रधानमंत्री ने नशे के कारोबार से आने वाले पैसे का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में होने का अंदेशा जताते हुए कहा कि  नशे के लिए खर्च किए जाने वाले पैसे का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में किया जा सकता है। इस पैसे से वे गोलियां खरीदी जा सकती है जो हमारे युवाों और जवानों की छातियों को छलनी करती है। उन्होंने नशा करने वालों को संबोधित करते हुए कहा.. जिन पैसों से आप ड्रग्स खरीदते हो वे पैसे कहां जाते हैं। यही ड्रग्स के पैसे अगर आतंकवादियों के पास जाते होंगे। इन्हीं पैसों से आतंकवादी अगर शस्त्र खरीदते होंगे।और उन्हीं शस्त्रों से कोई आतंकवादी मेरे देश के जवान के सीने में गोलियां दाग देता होगा। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र एकीकरण को बढावा देते हुए युवाओं से पूर्वोत्तर भारत के भ्रमण का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को पूर्वोत्तर भारत का भ्रमण अवश्य करना चाहिए। उन्होंने युवाों को पे्ररित करते हुए कहा.. मैं कहता हूं दोस्तो. प्रकृति देखनी है. ईश्वर को प्राकृतिक रूप देखना है तो पूर्वोत्तर जरूर जाईये।

श्री मोदी ने इस अवसर पर 21 जून को  विश्व योग दिवस घोषित करने के लिए विश्व समुदाय का आज आभार व्यक्त किया।उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने इस महान परंपरा को विकसित किया था उससे पूरा विश्व जुड गया है।योग व्यकि्तगत जीवन में तो लाभ करता है लेकिन योग ने दिखा दिया है कि वह दुनिया को जोडने का कारण भी बन सकता है।     युवाों को प्रोत्साहित करते हुए श्री मोदी ने विश्व कप जीतने वाली दृष्टिहीन क्रिकेट टीम तथा जम्मू कश्मीर कि के रट टीम को उनके बुलंद हौसले के लिए बधाई दी है। दक्ष्िण अफ्रीका में भारतीय टीम ने दृष्टिहीन क्रिकेट विश्व कप जीता है। जम्मू कश्मीर की कि्रेकेट टीम ने मुंबई में एक मैच के दौरान मुंबई क्रि केट टीम को हराया है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को क्रिसमस और नववर्ष की बधाई भी दी।उन्होंने कहा .. मेरी आपको सबको क्रिसमस की बहुत बहुत शुभकामनाएं हैं। वर्ष 2015  की भी मैं पहले ही आप सबको बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। 
    
उन्होंने  हैरानी जताई कि आकाशवाणी के कलाकार क्षेत्रीय भाषा में प्रसारित होने वाली .मन की बात. कार्यक्रम को कैसे उनकी आवाज में ही जनता तक पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा ..मैं हैरान हूं कि विविध प्रोदेशिक भाषाों में जब यह कार्यक्रम प्रसारित होता है तो कुछ लोग मेरी ही जैसी आवाज निकालकर इसे प्रसारित करते हैं। इतना बढिया काम आकाशवाणी से जुडे हमारे कलाकार कर रहे हैं मैं उन्हें बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री की आकाशवाणी पर ..मन की बात.. कार्यक्रम में अपने विचारों को साझा करने का यह तीसरा कार्यक्रम है। इस बार उन्होंने नशे की बुराई को अपना विषय बनाया और ट्वीट किया कि इस मुद्दे पर कई लोगो ने उसने अपने विचार व्यक्त किए हैं और प्रतिक्रियाएं देकर अपने अनुभवों को उनसे साझा किया है।

अजहर की नजर में भारत दावेदार, वीरू और गंभीर का आस्ट्रेलिया पर दांव

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पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने अगले वर्ष फरवरी मार्च में होने वाले विश्वकप खिताब के लिए भारत को प्रबल दावेदार बताया है जबकि विश्वकप संभावितों में शामिल न किए जाने वाले भारतीय बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग और गौतम गंभीर ने मेजबान आस्ट्रेलिया पर दांव लगाया है। शोएब अख्तर. वसीम अकरम समेत अजहरूद्दीन. सहवाग और गंभीर शनिवार को विश्वकप दावेदार को लेकर एजेंडा आजतक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। अगले वर्ष न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया की संयुक्त मेजबानी में आयोजित होने वाले विश्वकप खिताब के संभावित विजेता के बारे में अजहरूद्दीन ने कहा.. अगर भारत इस दिशा में कडी मेहनत करें तो वह विश्वकप जीत सकता है। भारत के आक्रामक बल्लेबाज सहवाग ने कहा कि उनकी पसंदीदा टीम तो आस्ट्रेंलिया और दक्षिण अफ्रीका है और इन दोनों के पास टीमों के जीतने का अच्छा मौका है। वहीं गंभीर ने कहा कि आस्ट्रेलिया अपने घरेलू मैदान पर अच्छा खेलती है तो विश्वकप जीतने की उनकी प्रबल संभावना है। 

पूर्व पाकिस्तानी तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने पाकिस्तान की संभावनाों पर कहा कि जब पाकिस्तान विश्वकप में खेलता है तो वे प्रशंसकों की उम्मीदों के कारण जबर्दस्त दबाव में आ जाते है। हालांकि उन्होंने कहा कि भारत का बल्लेबाजी क्रम बहुत मजबूत है और यहीं कारण है कि भारतीय टीम मैच जीतती है। शोएब ने साथ ही कहा कि 2015 का विश्वकप तेज गेंदबाजों का होगा और जिस टीम के पास अच्छे तेज गेंदबाज होंगे वो जीत की प्रबल दावेदार होगी। पूर्व पाकिस्तानी गेंदबाज और अब उद्घोषक वसीम अकरम ने कहा कि उनकी नजर में दक्षिण अफ्रीका मजबूत टीम है और वह विश्वकप जीत सकती है। भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित विश्वकप विजेता के बारे में अकरम ने कहा कि इसके बारे में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। 

अजहरुद्दीन ने भारतीय टीम में महेन्द्र सिंह धोनी और युवा बल्लेबाज विराट कोहली को सबसे मजबूत खिलाडी बताया जबकि सहवाग ने डेल स्टेन और एबी डीविलियर्स को अपना पसंदीदा खिलाडी बताया। अपने क्रिकेट करियर के दौरान किस खिलाडी से सबसे ज्यादा डर लगता था. इस बारे में शोएब ने कहा कि वह अकरम से डरते थे जबकि अजहरुद्दीन ने कहा कि उन्हें सुनील गावस्कर से डर लगता था।

हाकी इंडिया का पाकिस्तान के साथ दि्वपक्षीय सीरीज से इंकार

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हाकी इंडिया ने चैंपियंस ट्राफी हाकी टूर्नामेंट के सेमीफाइनल मुकाबले में भारत को हराने के बाद पाकिस्तानी खिलाडियों द्वारा प्रशंसकों की तरफ अशिष्ट इशारे और भद्दा व्यवहार करने के लिए अगले वर्ष मार्च में चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ दि्वपक्षीय सीरीज में न खेलने का निर्णय लिया है। भारत के खिलाफ शनिवार को एक रोमांचक मुकाबले में 4..3 से जीत र्दज करने वाली पाकिस्तानी खिलाडियों के व्यवहार से नाराज हाकी इंडिया के अध्यक्ष नरेन्द्र बत्रा ने .यूनीवार्ता. को बताया कि यह रवैया स्वीकार नहीं किया जा सकता है। बत्रा ने कहा.. हमें पाकिस्तानी संघ से बिना शर्त माफी चाहिए। हमने 2015 के मार्च में एक दिवपक्षीय सीरीज कराने की योजना बनायी थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। मैं एएफआईएच की कमजोर प्रतिक्रिया से भी हैरान हूं। उन्होंने अपने बयान में कहा कि हो सकता है कि पाकिस्तानी खिलाडियों को र्दशकों ने उकसाया है। अगर मैं आपके खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करुं तो आप मेरे खिलाफ भी कार्रवाई कर सकते है। हम खिलाडियों के खिलाफ कडी कार्रवाई करने की मांग करते है।

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ शानदार प्रर्दशन करते हुए चैंपियंस ट्राफी के फाइनल मुकाबले में प्रवेश किया लेकिन कलिंगा स्टेडियम में उनके जश्न का तरीका भारतीय प्रशंसकों और मीडिया को रास नहीं आया। जीत के बाद सभी पाकिस्तानी खिलाडियों ने अपनी शर्ट उतार कर प्रशंसकों की तरफ अशिष्ट इशारे किए जिसे खेल के क्षेत्र में स्वीकार नहीं किया जा सकता। बत्रा ने इस मामले पर कडा रूख अपनाते हुए कहा.. पाकिस्तानी खिलाडियों ने गत शाम जो भी किया उससे उनकी संस्कृति झलकती है। जिस तरीके पाकिस्तानी कोच संवाददाता सम्मेलन छोडकर चले गए वो भी काफी बचकानी हरकत थी। वहीं अंतर्राष्ट्रीय हाकी संघ.एफआईएच. ने मैच के बाद एक आधिकारिक बयान में कहा.. भारत और पाकिस्तान के  बीच सेमीफाइनल मैच जीतने के बाद पाकिस्तानी खिलाडियों के जश्न के व्यवहार को टूर्नामेंट निदेशक होने के नाते हमने जांच की। हमनें इस बारे में पाकिस्तान के मुख्य कोच शहनाज शेख से बात की है और उनसे कहा है कि पाकिस्तानी खिलाडियों का व्यवहार एएफआईएच के स्तर पर स्वीकार करने योग्य नहीं है।

टूर्नामेंट निदेशक विएर्ट डोयर ने कहा पाकिस्तान की टीम के कई खिलाडियों का व्यवहार चिंता के योग्य है। किसी एक व्यक्ति को इसका दोषी ठहराना कठिन है और ऐसा हो सकता है कि खिलाडियों का यह व्यवहार किसी की प्रतिक्रिया के बदले में आया हों।

 डोयर ने कहा शहनाज शेख ने माफी मांगी है और सुनिश्चित किया है कि ऐसा व्यवहार दोबारा नहीं किया जाएगा। इसे देखते हुए हमने निर्णय लिया है कि आगे किसी प्रकार की कार्रवाई की जरुरत नहीं है। पाकिस्तानी खिलाडियों के अशिष्ट व्यवहार के दौरान पाकिस्तानी कोच मैदान पर मौजूद थे। प्रेस कान्फ्रेंस में शुरु में तो शेख ने इस बारे में बात करने से मना कर दिया लेकिन जब उत्तेजित मीडिया ने खिलाडियों के इस व्यवहार के लिए उनके बयान की मांग की तो उन्होंने कहा.. जो भी उन्होंने किया उसके लिए मैं माफी मांगता हूं। वे बच्चों की तरह है मैं क्या कर सकता हूं। वहीं भारतीय कप्तान सरदार सिंह और हाई परफोर्मेंस  निदेशक रोलेंट ओल्टमैंस ने पाकिस्तानी खिलाडियों के इस व्यवहार की कडी निंदा की। ओल्टमैंस ने कहा मैंने पाकिस्तानी खिलाडियों को ज्यादा नहीं देखा लेकिन जो उन्होंने किया वो बहुत ज्यादा था।.. 

सरदार ने कहा उन्हें इस तरीके से जीत का जश्न नहीं मनाना चाहिए था। स्टेडियम में कुछ परिवार आए हुए थे और उन्हें अपनी शर्ट नहीं उतारनी चाहिए थी। यहां तक कि एशियाई खेलों में पाकिस्तान के खिलाफ जीतने पर हमने इस तरह जश्न नहीं मनाया था।

मोदी के मेक इन इंडिया पर उठने लगे सवाल

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी .मेक इन इंडिया. कार्यक्रम के शुरू होने के तीन महीने के अंदर ही सवाल उठने लगे हैं। ये सवाल इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि ये विपक्ष के कोरे आरोप नहीं हैं. बल्कि इन्हें पिछले एक साल में महंगाई को काबू करने और अर्थव्यवस्था में तेजी लाने वाले रिर्जव बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने उठाया है। इसके अलावा .मेक इन इंडिया. अभियान की शुरूआत के बाद के पहले महीने में ही औद्योगिक उत्पादन बढ़ने की बजाय घट कर तीन साल के न्यूनतम स्तर पर आ गया है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने भारतीय अर्थव्यवस्था को विकास के नये स्तर तक ले जाने के लिए मेक इन इंडिया अभियान की घोषणा की थी जिसकी शुरूआत 25 सितंबर को की गयी। लेकिन. जब अक्टूबर महीने के औद्योगिक उत्पादन के ॉंकड़े जारी किये गये तो अनपेक्षित रूप से उत्पादन बढ़ने की बजाय 4.2 प्रतिशत घटकर तीन साल के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया। यद्यपि इसे सीधे मेक इन इंडिया से नहीं जोड़ा जासकता लेकिन यह गिरावट चिंता का सबब अवश्य है। इस तथ्य के दो पहलू हैं। पहला यह कि पहले से यहाँ जो कंपनियाँ हैं सरकार उनका मनोबल ऊंचा बनाये रखने में नाकाम रही है। दूसरे. औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने के लिए कुछ लीक से हटकर करने की जरूरत है। 

सरकार मेक इन इंडिया की इस समस्या का राम बाण समाधान बताती है। लेकिन. 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी की आहट तीन..चार साल पहले ही पहचान लेने वाले आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनकी मानें तो यह सही है कि विनिर्माण और निर्यात के दम पर पिछले 30 साल में एशियाई देशों ने काफी तरक्की की है. पर इसका यह मतलब नहीं कि हम भी उसी राह पर चलकर तरक्की कर सकते हैं। उन्होंने कहा ..भारत अलग देश है और उसकी अर्थव्यवस्था अलग दौर में उभर रही है।.. यह वह दौर है जब दुनिया अभी भी 2008 की मंदी से पूरी तरह उबर नहीं पायी है। जिन विकसित देशों ने चीन में निवेश किया था वहाँ बेरोजगारी का संकट है। अब वे अपने ही देश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं।

 इसलिए श्री राजन कहते हैं कि मेक इन इंडिया के साथ मेक फॉर इंडिया भी जोड़ा जाना चाहिये। यानि भारत में तो बनायें ही भारत के लिए भी बनायें। साथ ही उनका मानना है कि विनिर्माण या किसी खास क्षेत्र पर जोर देने की जरूरत नहीं है जैसा की सरकार कह रही है। वह विदेशी कंपनियों को विशेष छूट देने में भी यकीन नहीं रखते। उनका कहना है कि आप भारतीय कंपनियों और उद्यमियों के लिए यहाँ कारोबार के अनुकूल परिस्थितियाँ पैदा करें और वही परिस्थितियाँ विदेशी निवेशकों को भी आर्कषित करने में कामयाब होंगी। कुल मिलाकर श्री राजन मेक इन इंडिया के खिलाफ नहीं हैं बल्कि इसे सरकार जिस तरह और जिस लक्ष्य के साथ लागू करना चाहती है उससे यह सहमत नहीं है। सरकार का जोर विदेशी पूँजी पर है जबकि श्री राजन को विदेशी पूँजी की बजाय घरेलू पूँजी पर ज्यादा भरोसा है। सरकार दूसरे देशों को अपने बाजार के रूप में देखती है जबकि वह पहले घरेलू माँग पूरी करने पर जोर देते हैं ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके। 

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को श्री राजन और औद्योगिक उत्पादन के ॉंकड़ों से उठे इन सवालों से मायूस होने की बजाय सीख लेते हुये आगे बढ़ने की जरूरत है ताकि देश की वर्तमान जरूरतों और मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक परिदृश्य के अनुरूप उसे ढाल कर सफल बनाया जा सके।

दो हजार बस्तियों के लोग आर्सेनिक पानी पीने को मजबूर

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देश में आर्सेनिकजनित रोगों के कारण एक लाख से अधिक लोगों की मौत तथा साढे सात लाख लोग इससे पैदा हुई बीमारियों की चपेट में होने के बावजूद छह राज्यों की करीब दो हजार बस्तियों के लोगों के पास आर्सेनिकयुक्त जल पीने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।  यह जानकारी भू जल में आर्सेनिक की मात्रा संबंधित विषय पर डा. मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली प्रक्कलन समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दी है।आर्सेनिक जल के सेवन से सफेद दाग. रक्त की कमी. पैर में सूजन. यकृत. फेफडे और नस संबंधी बीमारियां. गैंगरीन तथा कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की करीब साढे सात लाख आबादी आर्सेनिक  जल के सेवन से होने वाली छोटी..बडी बीमारियों से पीडित हैं। इनमें करीब तीन लाख से ज्यादा लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने की वजह आर्सेनिक जल को बताया गया है। इन रोगों के कारण एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। आर्सेनिक का असर फल और सबि्जयों में आ रहा है जिससे यह बीमारी ज्यादा तेजी से फैल रही है।

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्सेनिक जल पीने से मनुष्यों के साथ ही पशुों में भी इन बीमारियों के लक्षण दिखने लगे हैं। जमीन के भीतर का यह आर्सेनिकयुक्त पानी नदियों में भी पहुंच गया है और गंगा जैसी कई नदियां इसकी चपेट में आ गई हैं। आर्सेनिक की मात्रा वाला पानी मछलियों के लिए भी खतरनाक है और इसकी वजह से मछलियों की कई प्रजातियों के विलुप्त होने की आशंका जताई जा रही है। समिति ने पाया है कि देश के सात राज्यों बिहार. र्कनाटक. पंजाब. उत्तर प्रदेश. पश्चिम बंगाल. असम और मणिपुर की 199। बस्तियां पूरी तरह से आर्सेनिक की चपेट में हैं और इन बस्तियों के लोगों के पास आर्सेनिकजनित जल को पीने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इनमें सबसे अधिक 1124 बस्तियां पश्चिम बंगाल की. 424 असम की तथा  357 बस्तियां बिहार की है। रिपोर्ट के अनुसार भू जल में आर्सेनिक तेजी से फैल रहा है। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 13 राज्यों के 98 जिलों के भू जल में आर्सेनिक की अत्यधिक मात्रा पाई गई है। इसी तरह से दस राज्यों के 86 जिले ऐसे हैं जहां आर्सेनिक की मात्रा निर्धारित मानक से ज्यादा पहुंच चुकी है। कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए समिति ने कहा है कि नौ राज्यों के 71 जिलों में भू जल में आर्सेनिक की मात्रा पाई गई है।

 समिति ने इस बात पर चिंता जताई कि आर्सेनिक का प्रभाव लगातार बढने के बावजूद  सरकारी स्तर पर इसे रोकने के पर्याप्त प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। यहां तक 2012 की जल नीति में आर्सेनिक की मौजूदगी का कोई जिक्र नहीं किया गया है। आर्सेनिक लोगों में घातक रोग पैदा कर रहा है और इसकी वजह से लोग कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं लेकिन इससे निबटने के लिए अलग बजट आवंटन की व्यवस्था तक नहीं की गई है। जल में आर्सेनिक की रोकथाम के उपायों में आर्सेनिक मिलावट रहित जल उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल दिया गया है लेकिन सरकारी स्तर पर इस दिशा में कोई उपाय नहीं हुए हैं।समिति का कहना है कि देश में ग्रामीण क्षेत्र की 80 फीसदी और शहरी क्षेत्र की 50 आबादी घरेलू आवश्यकताों की पूर्ति के लिए भू जल का इस्तेमाल करती है इसलिए लोगों को आर्सेनिक से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए काम करने की जरूरत है। 
     
समिति ने हैरानी जताई है कि देश में आर्सेनिक जल के सेवन से होने वाली बीमारी से लाखों लोग पीडित हैं और हजारों लोगों की मौत हो चुकी है फिर भी इस संबंध में कोई ठोस अथवा केंद्रीयकृत आंकडा उपलब्ध नहीं है। समिति ने इसे सरकार का लापरवाही से भरा रवैया बताया है। रिपोर्ट में इस बात पर भी चिंता व्यक्त की गई है कि मिट्टी. फसलों और सबि्जयों में आर्सेनिक की मात्रा बढ रही है और इसके कारण मनुष्य. पशु तथा अन्य जीवजंतु तेजी से इससे होने वाली बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं लेकिन आर्सेनिक की बढती मात्रा पर नजर रखने के लिए कोई तंत्र विकसित नहीं किया गया है।

झाबूआ (मध्यप्रदेश) की खबर (14 दिसम्बर)

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नेशनल लोक अदालत मे 73 हजार से अधिक प्रकरणो का निराकरण हुआ, लोक अदालत मे टुटा हुआ परिवार एक हुआ

झाबुआ ---आज 13 दिसम्बर को शासन के निर्देशानुसार नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। अपर न्यायाधीश झाबुआ के न्यायालय मे कैलाश डामोर एवं पुष्पा डामोर का घरेलू हिंसा के विगत दो वर्षो से लंबित घरेलू हिंसा के प्रकरण का निराकरण हुआ पति पत्नि दोनो ने साथ रहना स्वीकार किया। नेशनल लोक अदालत मे आज लगभग 73 हजार से अधिक प्रकरणो का निराकरण हुआ। लोक नेशनल लोक अदालत मे 13 विभागो के लगभग 71703 प्रकरणो का निराकरण हुआ लोक नेशनल लोक अदालत मे उपायुक्त सहकारिता की खण्डपीठ मे 53 केसेस मे 2158635 रूपये की राजस्व वसूली हुई। केन्द्रीय सहकारिता बैंक की खण्डपीठ मे  334 केसेस मे 7295996 रूपये की राजस्व वसूली हुई। लोक अदालत का शुभारंभ मुख्य कार्य पालन अधिकारी जिला पंचायत श्री धनराजू एस, श्री के सी बांगर विशेष न्यायाधीश, श्री डी एस चैहान अपर न्यायाधीश श्री रविकांत सोलंकी श्री राजकुमार चैहान न्यायायिक मजिस्टेट की उपस्थिति मे हुआ।

भाजपा नगर मंडल ने जिला अस्पताल परिसर की साफ सफाई की 

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झाबुआ--- भारतीय जनता पार्टी नगर मंडल झाबुआ द्वारा रविवार को विधायक शांतिलाल बिलवाल के मुख्य आतिथ्य में  जिला चिकित्सालय परिसर में स्वच्छता अभियान चलाया गया । भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष गोपालसिंह पंवार ने जानकारी देते हुए बताया कि स्वच्छ भारत अभियान के तहतगये स्वच्छता अभियान में विधायक शांतिलाल बिलवाल के अलावा प्रदेष भाजपा कार्य समिति के सदस्य दौलत भावसार, अजजा मोर्चे के प्रदेष महामंत्री कल्याणसिंह डामोर के अलावा महामंत्री कीर्ति भावसार, पार्षद सीता सोलंकी, निर्मला अजनार, जमुना वाखला, नंदलाल रेड्डी, रमीला निनामा भूपेंष सिंगोड,  बाबूलाल अग्रवाल, दिनेष बैरागी, नाथू कामलिया, दिलीप कुष्वाह, अमीत, रमेष जैन, विजय चैहान, संदीप कानूनगो, विमल दाणी, बच्चुभाई मैकेनिक, राजेन्द्रकुमार सोनीे आदि ने स्वच्छता के इस अभियान में भाग लिया । मंडल अध्यक्ष गोपालसिंह पंवार ने बताया कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत नगर मंडल द्वारा सतत रूप  से स्वच्छता के इस अभियान कों चलाया जाता रहेगा ।

भाजपा नगर मंडल ने चलाया सदस्यता अभियान

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झाबुआ --- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमीत शाह की मंषा नुसार तथा प्रदेष भाजपा एवं जिला भाजपाध्यक्ष शैलेष दुबे के निर्देषानुसार भारतीय जनता पार्टी नगर मंडल ने गोपालसिंह पंवार के द्वारा स्थानीय आजाद चैक पर भारतीय जनता पार्टी का सदस्यता अभियान चलाया गया । आजाद चैक में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेष भाजपा प्रतिनिधि दौलत भावसार, प्रदेष अजजा मोर्चे के महामंत्री कल्याणसिंह डामोर, निर्मला अजनार, दिलीप कुष्वाह, नंदलाल रेड्डी,  कीर्ति भावसारा, बबलू सकलेचा, बाबूलाल अग्रवाल, राजेन्द्रकुमार सोनी, रमेष जैन, जमुना वाखला, विवके मेडा, विमल दाणी, भूपेंष सिंगोड सहित बडी संख्या में नगर मंडल एवं जिला भाजपा के पदाधिकारियों ने मोबाईल के माध्यम से गा्रमीणजनों एवं नागरिकों को भाजपा की सदस्यता दिलवाई । नगर मंडल द्वारा चलाये गये इस अभियान में रविवार को 135 से अधिक नये सदस्यों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की ।

कंग्रेस ने सब्जी व्यापारियों के साथ-हाट बाजार के स्थान परिवर्ततन कीया विरोध

झाबुआ--- झाबुआ में हाट बाजार का स्थान परिवर्ततन का जिला कांग्रेस ने विरोध किया है तथा इसे नगर पालिका का गलत निर्णय माना है।हाट बाजार का स्थान परिवर्ततन से सब्जी व्यापरीयों के साथ स्थानीय व्यापारीयों को जहां नुकसान है वही ग्रामीणों को परेशानीयों का सामना करना पडेगा।कृर्षि मंडी में मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है।इससे महिलाओं को काफी परेशानीयों का सामना करना पडेगा। उक्त बात जिला कांग्रेस की ओर से जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती भूरिया ने कहा कि नगर पालिका एवं प्रशासन का यह एक गलत निर्णय है । बीच शहर से एक ओर हाट बाजार मडी प्रागणं में लगाने से जहां हाटबाजार में आने वाले दुकानदार प्रभावित हो रहे है वही स्थानीय व्यापारी जो बाजार में दुकान लगा कर बैठे है उन्हे भी आर्थिक नुकसान होगा साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली गरीब आदिवासी एवं अन्य जनता को भी इससे परेशान होना पडेगा। उक्त बात कहते हुए सुश्री भूरिया ने कहा कि सब्जी व्यापारी एवं हटवाडीयों को जहां आज नगरपालिका ने परेशान करते हुए उन्हे दुर मंडी प्रागण में भेजा तथा दुकानदारों को खदेडा यह एक निन्दीय बात है। नगर से इतनी दुर हाट बाजार लग जाने से जहां नगरवासियों को भी भारी परेशानी उठानी पडी वहीं ग्रामीण जनता को भी बडा पैदल चल कर मडी प्रागण पहुंचे। तथा हाट बाजार इतनी दुर लगने से गृहणीयों एवं महिलाओं को काफी परेशानी होगी।अलग अलग स्थानों पर दुकाने लगने से जहां समय की बबार्दी होगी वहीं आटो रिक्शा भाडा आदि का आर्थिक भार भी जनता को सहना पडेगा। नगर पालिका एवं प्रशासन को सर्व सुविधा स्थान पर हाट बाजार लगाया जाना चाहिए जहां पर व्यापारी एवं हाटवाडियों एवं आम जनता को सुविधा मिले सुश्री भूरिया ने कहा कि नगर पालिका में चुने हुए पदाधिकारी का यह जिम्मेदारी है कि वह जनता को सुविधा उपलब्ध करावे न की उन्हे परेशानीयों में डाले। जब नगरपालिका इतनी लम्बे समय के पश्चात भी झाबुआ में सब्जी मंडी के लिए स्थान तय नहीं कर पाई वही नगर पालिका द्वारा मटन मार्केट हेतु स्थान तय कर लिया किन्तु सब्जी एवं हाटबाजार का स्थान तय नहीं कर पाई । नगर पालिका द्वारा बिना सोचे समझे कृर्षि मंडी में हाट लगाया जा रहा है जिससे राजस्व की भी नुकसानी होगी तथा मंडी प्रागण में यदि वह हाट में वसुली करती है वह भी गलत है वह स्थान उनका है ही नहीं जो वसुल करेगे। सुश्री भूरिया ने जनता से अपील की है वे सब्जी व्यापारीयों एवं स्थानीय व्यापारियों का साथ देकर व्यापरियों की समस्या का निदान करे तथा ऐसे गैर जिम्मेदार आदेश को मान्य करने के लिए वह बाध्य न हो । इस सबंध में जो भी आन्दोलन होगा उसमें कांग्रेस व्यापारी के साथ रहेगी और जनता भी उनका साथ दे।

लुट के पांच अपराधों में दो आरोपी गिरफ्तार, दो किलो चांदी सहीत नकद बरामद 
       
झाबूआ---पुलिस अधीक्षक श्रीमती कृष्णा वेणी देसावतु ने बताया कि घटना दिनांक 14.10.2014 की रात को फरियादी मोहनलाल पिता कन्हैयालाल राठौर, निवासी रानापुर के धर में आरोपी दारू पिता अनसिंह, प्रकाश पिता नाना भील , कानजी पिता कमजी निनामा भील, दरू और मकोडि़या निवासी बियाडाबर थाना कालीदेवी ने घर में घुसकर फायर कर डरा-धमका कर 05 किलो चांदी 80 हजार रूपये नगदी लुट कर ले गये थे। घटना दिनांक को ही फरियादी एवं मोहल्ले वालों ने पुलिस की मदद से आरोपी प्रकाश और भारू को पकड लिया, जिनके पास से 03 किलो चांदी 50 हजार 400 रूपये बरामद कर लिये थे। उनके साथ कानजी, दरू व मकोडिया अंधेरे का फायदा उठाकर 02 किलो चांदी व 30 हजार रूपये लेकर भाग गये थे। जिस पर थाना रानापुर में अपराध क्रमांक 373/2014 धारा 394 भादवि का पंजीबद्ध किया गया। उनके दो साथी दरू और मकोडिया अभी फरार चल रहे है। घटना दिनांक 29.08.2014 की दरम्यानी फरियादी शैलेन्द्र पिता जगदीश वसुनिया, निवासी तारखेडी के यहाॅ अज्ञात 03-04 बदमाशों ने घर के दरवाजे की चटकनी तोडकर घर मंे घुसकर फरि0 की पत्नि के साथ लठ्ठ से मारपीट कर 05 हजार रूपये नगदी व चांदी के जेवरात ले गये। प्रकरण में थाना रायपुरिया में अपराध क्रमांक 204/14 धारा 394 भादवि का पंजीबद्ध किया गया। घटना दिनांक 31.08.2014 को फरियादी प्रदीप पिता गोपाल राठौर, निवासी सदर बाजार, निवासी झकनावदा के यहाॅ अज्ञात 03-04 बदमाश घर के उपर कमरे में घुसकर अलमारी का ताला तोड़कर चांदी के जेवरात और नगदी कुल मश्रुका 1,20,000/-रूपये चुराकर ले गये। प्रकरण में थाना रायपुरिया में अपराध क्रमांक 206/14 धारा 394 भादवि का पंजीबद्ध किया गया। आरोपी थाना रायपुरिया के अपराध क्रमांक 161/2014 धारा 457,380 भादवि एवं थाना कालीदेवी के अपराध क्रमांक 201/2014 धारा 394 भादवि में भी फरार चल रहे थे। विवेचना के दौरानआरोपी कानजी पिता कमजी निनामा, उम्र 25 वर्ष, आरोपी मुकेश पिता कालू भाबर, उम्र 23 वर्ष निवासीगण बियाडाबर को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 02 किलो चांदी व 2,000/-रूपये बरामद किया गये। आरोपी को गिरफ्ताकर करने मंे पुलिस थाना रायपुरिया के थाना प्रभारी श्री गोपाल सिंह सूर्यवंशी, उनि झिरमल सापल्या, उनि पी0आर0 पटेल, सउनि मोहन सिंह डावर, प्र0आर0 विजय मिश्रा, आर 74 रूपसिंह, प्र0आर0 सईयद, प्र0आर0 दिनेश, आर0 बसू, आर0 लालसिंह, आर0 तानसिंह, आर. चालक मुकेश का विशेष सराहनीय योगदान रहा है। पुलिस अधीक्षक ने उक्त सफलता पर पुलिस टीम को बधाई दी एवं पुरस्कार किये जाने की घोषणा की है।

छेडछाड का अपराध पंजीबद्ध 
           
झाबूआ--- फरियादिया ने बताया कि आरोपी अमृत पिता छोगालाल देवडा निवासी झाबुुआ को फरि0 की माता ने बोला तु रात में दुकान 01ः00 बजे के पहले बंद कर लिया कर, इसी बात पर से आरोपी ने फरियादिया की मां के साथ मारपीट की फरि0 के छुडाने पर बुरी नियत से हाथ पकडा व कुर्ती फाड दी। प्र्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 856/14, धारा 354,323 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। 

रेल्वे क्रासीग के पास मिली लाश, मृतक गया था फायनेन्स कि किश्त जमा कराने

झाबूआ---फरियादी पांगू पिता वेस्ता डामोर, उम्र 48 वर्ष, निवासी सजेली मालजी सात ने बताया कि मृतक रमेश पिता वेस्ता डामोर, उम्र 40 वर्ष निवासी सजेली मालजी सात का बुलेरो की किस्त भरने झाबुआ गया था। जो वापस घर नहीं पहूॅचा, जिसकी लाश रेल्वे क्रासिंग के पास मिली है। प्र्रकरण में थाना मेघनगर में मर्ग क्रमांक 36/14, धारा 174 जाफौ का कायम कर  विवेचना में लिया गया।

किट नाशक दवा पीने से मोत
झाबूआ --- फरियादी हकरिया पिता दितीया, उम्र 46 वर्ष, निवासी वार्ड बाई सीएच झाबुआ ने बताया कि मृतिका लीलाबाई पति कमलेश, उम्र 40 वर्ष निवासी अमरादरा की जहरीली किट नाशक दवा पिने से ईलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। प्र्रकरण में थाना काकनवानी में मर्ग क्रमांक 48/14, धारा 174 जाफौ का कायम कर  विवेचना में लिया गया।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (14 दिसम्बर)

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मुख्यमंत्री श्री चैहान ने बाढ़ वाले गणेश मंदिर में पूजा अर्चना की

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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान आज रविवार को अल्प प्रवास पर विदिशा आए। मुख्यमंत्री श्री चैहान ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के साथ बेतवा नदी के तट पर स्थित श्री बाढ़ वाले गणेश मंदिर में गणेश जी की भक्तिभाव से पूजा अर्चना की। इस अवसर पर ग्यारसपुर जनपद पंचायत अध्यक्ष श्री छत्रपाल शर्मा, श्री मुकेश टण्डन समेत अन्य जनप्रतिनिधियों के अलावा कलेक्टर श्री एमबी ओझा, पुलिस अधीक्षक श्री धर्मेन्द्र चैधरी, जिला पंचायत सीईओ श्री चन्द्रमोहन मिश्रा, एसडीएम श्री एके सिंह, तहसीलदार श्री रविशंकर राय और अन्य अधिकारीगण मौजूद थे। 

पति की मौत से आहत महिला ने चिता पर कूदकर आत्महत्या की

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बिहार की राजधानी पटना से करीब 250 किलोमीटर दूर सहरसा जिले के कचहरी पुलिस आउट पोस्ट के परमनिया गांव में पति की मौत से आहत एक वृद्ध महिला ने उसकी जलती चिता पर कूद कर आत्महत्या कर ली। सहरसा से यहां प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिले के परमनिया गांव निवासी राम चरित्र मंडल .75 वर्ष . पिछले कुछ समय से कैंसर से पीडि़त थे और शनिवार की सुबह उनकी मौत हो गयी। शनिवार देर शाम उनका अंतिम संस्कार घर के नजदीक चहारदीवारी के अंदर कर दिया गया। 

अंतिम संस्कार के बाद परिजन जब घर लौटे तब राम चरित्र मंडल की पत्नी सत्तर वष्रीय गहवा देवी को लापता पाया। खोजबीन के दौरान परिजनों ने देखा कि गहवा देवी अपने पति की चिता पर जल रही है। इसके बावजूद परिजनों ने उसे बचाने का प्रयास नहीं किया और उन्होंने महिला पर लकडि़या रख दी। हालांकि गहवा देवी के पुत्र रमेश मंडल का कहना है कि उनकी माँ की मौत घर में हुई है लेकिन उसे भी पिता जी के चिता पर जला दिया गया है। इस बीच कुछ ग्रामीणों ने महिला को मानसिक रूप से बीमार बताया है। घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है। 

बिहार में कांग्रेस बनायेगी 50 लाख सदस्य

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बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने आज कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी ने राज्य में पचास लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। श्री चौधरी ने यहां पार्टी की सदस्यता शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी के जनाधार को मजबूत करने के उद्देश्य से पूरे देश में सदस्यता अिभयान चलाया जा रहा हैं। बिहार में 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं गया में 50 से 60 हजार सदस्य बनाने का टारगेट रखा गया है। 

कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बूढ़ा सुग्गा पोस नहीं मानता.. वाले बयान को उनका व्यक्तिगत बयान बताया और कहा कि  श्री मांझी बिहार के मुख्यमंत्री हैं और कोई भी बयान दायरे में रहकर देना चाहिए। शब्दों के चयन पर उन्हें ध्यान देना होगा मुख्यमंत्री पद किसी जाति विशेष का नहीं होता।

भाजपा ने अपने शासनकाल में झारखंड को लूटा : सुरजेवाला

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कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा झारखंड चुनाव के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में अपने नौ वर्ष के शासनकाल में प्रदेश में भ्रष्ट कुशासन पूंजीवाद  और चहेते उद्योगपतियो को यहां की सम्पत्त्ि लुटा कर जनता को उनके प्राकृतिक संसाधनों    जंगलो  भूमि व रोजगार से वंचित करने का काम किया है । श्री सुरजेवाला ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रदेश के गठन के 14 वर्षो में सबसे अधिक समय तक भाजपा की सरकारे रहीं लेकिन भाजपा ने अपने शासन काल में राज्य में भ्रष्टाचार. नक्सलवाद   पिछड़ेपन को बढ़ावा दिया 1 उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने बिजली  इस्पात एवं कंपनियों के साथ 1 69 198.26 करोड़ रुपये के कुल 42 समझौते किये थे लेकिन इतने लंबे शासन के बावजूद एक भी करार को लागू नहीं किया गया है । श्री सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने 15 नवंबर  2002 को पूरे गाजे बाजे के साथ सुकरहटु में ग्रेटर रांची की आधारशिला रखी थी। उस समय कहा गया था कि ये परियोजनाये झारखंड को आधुनिकतम योजनाबद्ध और देश की सबसे बेहतरीन राजधानी मुहैया करायेगी तथा रांची देश के र्सवश्र्रेष्ठ व्यापार केन्द्र के रुप में उभरेगा लेकिन हम पूछना चाहते है कि उस योजना का क्या हश्र हुआ है । क्या भाजपा के नेता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के लोगों को इसका जवाब देंगे.

श्री सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा और उसके नेता प्रदेश में व्याप्त पिछड़ेपन    दिवालिया हालात    चौतरफा गरीबी और मानव विकास सूचकांक की दुर्दशा के लिये सीध्ो तौर पर दोषी है ।उन्होंने कहा कि नये कोयला खान : विशेष प्रावधान : अध्यादेश से झारखंड जैसे कोयला उत्पादक राज्यों को रॉयल्टी एवं रोजगार के अवसरो का नुकसान उठाना पड़ेगा और ये सारे कोयला संसाधन निजी कंपनियों को साैंप दिये जायेंगे इससे सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न कंपनियो जैसे कोल इंडिया लिमिटेड उसकी सहयोगी कंपनियों सेंट्रल कोल फील्डस लिमिटेड  रांची का एकाधिकार समाप्त हो जायेगा 1 इन स्थितियों में झारखंड के लिये कोयला रॉयल्टी से 20 हजार करोड़ रुपये का राजस्व कहां से जुटाया जायेगा जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और उनके सहयोगी अपनी जनसभाों में राज्य को कोयला रॉयल्टी दिये जाने का प्रचार करते आ रहे है और प्रदेश की भोलीशभाली जनता को गुमराह कर सत्ता हथियाने  की फिराक में है ।  उन्होंने कहा कि कांग्रेस की स्पष्ट बहुमत वाली सरकार से ही झारखंड में संतुलित एवं समग्र विकास संभव है ।

काले धन पर अब हवाई बयानबाजी कर रही भाजपा : नीतीश

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जनता दल यूनाईटेड .जदयू. के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने काले धन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आज एक बार पिंर करारा प्रहार किया और कहा कि काले धन को लेकर देश की जनता से बडे़शबडे़ वादे करने वाले आज तरहशतरह के हवाई बयानबाजी में व्यस्त है। श्री कुमार ने समस्तीपुर जिले के मुसरीघरारी में संवाददाताों से बातचीत में कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी .भाजपा. और उसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने काले धन के मुद्दे को देश की जनता से बडे़शबडे़ वादे किये थे।यहां तक कहा गया कि सरकार बनने की स्थिति में सौ दिन के अंदर विभिन्न विदेशी बैंकों में जमा हजारों करोड़ रूपये के काले धन को देश में लाया जायेगा। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा ..सौ दिन की बात तो दूर अबतो छह माह का समय निकल गया लेकिन काला धन अबतक वापस नहीं आया। जदयू नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री समेत सभी भाजपा नेताों ने लोगों को गुमराह कर चुनावी लाभ लिया था।अब जब वादा पूरा करने की बात आई तो भाजपा नेता केवल हवाई बयानबाजी कर लोगों को वास्तविकता से गुमराह करने में लगे है। इसी तरह भाजपा ने नौजवानों को रोजगार देने का वादा किया था लेकिन अपने वादे के उल्ट सरकार ने नियुक्ति पर ही रोक लगा दी।

 श्री कुमार ने कहा कि नियुक्तियों पर रोक लगने के कारण लाखो बेरोजगारों की आशाों पर पानी फिर गया है। केन्द्र सरकार ने देश के युवाों के साथ धोखा किया है। देश के प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव में जो वादा किया था. उसे पूरा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार पर बिहार के साथ भेदभाव बरतने का आरोप लगाया और कहा कि चुनाव के समय के राज्य को विशेष पैैकेज और र्दजा देने की बात कही गयी थी लेकिन अब तो केन्द्रीय सहायता में ही कटौती कर दी गयी है। कटौती के कारण इंदिया आवास . मनरेगा जैसी केन्द्र प्रायोजित योजनायें प्रभावित हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा पूरे देश में सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने में लगी है जिसका ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश के आगरा में जबरन धर्मातरण का मामला है। भाजपा जैसे साम्प्रदायिक शक्तियों से देश को बचाने के लिए तमाम विपक्षी दल आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट हो रहे हैं और जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम भी आयेंगे। श्री कुमार ने कहा कि केन्द्र की वादाखिलाफी के विरोध में आगामी 22 दिसम्बर को नई दिल्ली में राजद. जदयू समेत अन्य विपक्षी दलों ने महाधरना का आयोजन किया है।इस महाधरना के माध्यम से केन्द्र की जनविरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जायेगा।उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के महाविलय की प्रक्रिया चल रही है। इस सिलसिले में सार्थक बातचीत हुई है जिसके सकारात्मक परिणाम शीघ्र दिखाई देंगे। जदयू नेता ने कहा कि संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी द्वारा राज्यव्यापी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा परास्त होगी।

अनुच्छेद 370 पर फैसला जम्मू कश्मीर की जनता को करना है : जेटली

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केद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि अनुच्छेद 370 पर फैसला जम्मू कश्मीर की आवाम को लेना है । श्री जेंटली ने शीतकालीन राजधानी के बाहरी इलाके छन्नी में एक चुनावी सभा के बाद संवाददाताों के सवाल के जवाब में कहा अनुच्छेद 370 को हटाना है या बने रहना है .इसका फैसला जम्मू कश्मीर की जनता को करना है ।इसके नफे शनुकसान को यहां की जनता ही समझती है ।
      
श्री जेटली ने कहा कि राज्य की दो क्षेत्रीय पार्टियां नेशनल कांप्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी .पीडीपी. राज्य में सरकार नहीं बना सकतीं और कांग्रेस की कोई अहम भूमिका नहीं रहेगी 1उन्होंने दावा किया कि भाजपा मिशन 44प्लस हासिल करेगी और जो पार्टी साथ में आना चाहेगी उसके साथ भाजपा गठबंधन करेगी. भाजपा नेता ने कहा कि भाजपा क्षेत्रीय भेदभाव को दूर करके तीनों क्षेत्रो के विकास की पक्षधर है और वह विकास की राजनीति चाहती है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में 49 फीसदी वोटिंग

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जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए चौथे चरण का मतदान रविवार को शांतिपूर्वक संपन्न हो गया। चुनाव आयोग के मुताबिक, राज्य में विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में 49 फीसदी वोटिंग हुई। प्रशासन ने कहा कि मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्वक संपन्न हो गई और कहीं से भी हिंसा की कोई खबर नहीं मिली है। श्रीनगर जिले के अमीर कदाल विधानसभा क्षेत्र में प्रत्यक्षदर्शियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार हीना बट पर आरोप लगाया कि उन्होंने एक मतदान केंद्र के अंदर एक मतदान अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया।

घटना की खबर इलाके में फैलने के बाद नेशनल कांफ्रेंस के नाराज कार्यकर्ताओं ने बट और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। भाजपा उम्मीदवार को मतदान केंद्र से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए वहां अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी पहुंच गए, क्योंकि वहां नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पहुंच गए थे। राज्य में चौथे चरण के मतदान के दौरान रविवार को अर्धसैनिक बलों की 440 कंपनियां तैनात की गई थीं। इसे अलावा राज्य पुलिस के जवान भी तैनात थे।

चौथे चरण के मतदान के दौरान जिन प्रमुख लोगों की किस्मत ईवीएम में बंद हुई है, उनमें मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद, और मंत्रियों में अली मुहम्मद सागर, जीए मीर और पीरजादा सईद शामिल हैं। विधानसभा अध्यक्ष मुबारक गुल की किस्मत का फैसला भी इसी चरण के मतदान में ईवीएम में बंद हो गया है। विधानसभा चुनाव के पांचवें और अंतिम चरण का मतदान 20 दिसंबर को होगा और मतों की गिनती 23 दिसंबर को होगी।

गैर मुस्लिम महिलाओं का रेप करना जायज : इस्लामिक स्टेट

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कट्टरपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने गैर-मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को दास बनाने और उनके साथ यौन संबंध बनाने को जायज ठहराया है। सीएनएन की रपट के मुताबिक, इस संदेश को पर्चो द्वारा प्रचारित किया जा रहा है। आईएस के इस पर्चे का शीर्षक है: महिला दास और उनकी स्वतंत्रता। जिन्हें आतंकवादियों के कब्जे वाले इराक के शहर मोसुल के लोगों में बांटा गया।

इन पर्चो में यह भी दावा किया गया है कि गैर मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को बेचा जा सकता है और किसी को उपहार स्वरूप भी दिया जा सकता है। मोसुल के एक निवासी ने आईएस के पर्चो पर कहा कि हममें से ज्यादातर लोग इन पर्चो को लेकर हैरान हैं, पर हम कुछ कर नहीं सकते।

सीरिया और इराक में इस आतंकवादी संगठन के उदय के बाद से आईएस द्वारा अपहृत किए गए कई महिलाओं और बच्चों को बेचा जा चुका है और उनके साथ बलात्कार किया जा चुका है। यह आरोप उन सभी आरोपों से ज्यादा सनसनीखेज हैं, जो कि आईएस पर अब तक लगते आए हैं, जैसे बेकसूर लोगों को शरिया कानून के मुताबिक आईएस की विचारधारा का समर्थन नहीं करने पर मौत के घाट उतार देना आदि।

आईएस आतंकवादियों ने अल्ला के नाम पर पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के सर कलम करने के कृत्य को भी उचित ठहराया। इन पर्चो में कहा गया है कि अगर महिलाएं मुस्लिम नहीं है तो उनको बंधक बनाया जा सकता है। ज्यादातर पर्चो पर महिला दासों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए आईएस की नीतियों के बारे में लिखा है, साथ में इनको जायज ठहराने के लिए कुरान के पवित्र पाठों का हवाला दिया गया है।
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