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सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी : मांझी

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अपने बयानो के कारण अक्सर विवादो में घिरने वाले बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आज अपने आलोचकों पर कटाक्ष करते हुये कहा कि सबकुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी सच है दुनिया वालो कि हम है अनाड़ी. श्री मांझी ने  यहां श्रीकृष्ण स्मारक भवन में एस.के मंडल गु्रप ॉपं इंस्टीच्यूसंस के स्थापना दिवस समारोह मे कहा कि वह कोई विद्वान नहीं है । उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ देखा है उसी के आधार पर बोलते है । उन्होंने कहा कि उसी पर लोगों में चर्चा होने लगती है और वही चर्चा उन्हें चर्चित बना देती है । मुख्यमंत्री ने समारोह में मौजूद पारा मेडिकल छात्रश छात्राों से कहा कि एसी करनी कर चलो तू हंस जग रोये. उन्होंने कहा कि सेवा को अपना धर्म बनाना चाहिए. वह भी सबकी सेवा करने की इच्छा रखते है । सेवा को ही सबसे बड़ा धर्म कहा जाता है । दूसरों की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है दूसरों को दुख देने से बड़ा कोई पाप नहीं है ।

 श्री मांझी ने कहा कि निजी क्षेत्र में बेहतर काम हो रहा है लेकिन दुख की बात है कि सरकारी क्षेत्र में वही काम चौपट हो जाता है । उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सरकारी शिक्षक को 40 हजार रूपया वेतन मिलता है जबकि निजी स्कूल के शिक्षक को मात्र 10 हजार रूपया ही मिलता है । बावजूद इसके सरकारी स्कूल के शिक्षक समय पर स्कूल नहीं आते और न ही पढ़ाई पर ध्यान देते है । इसी का नतीजा है कि सरकारी स्कूल से बच्चे ठीक से क ख ग भी नहींजानते जबकि निजी स्कूल के बच्चे तीसरी कक्षा में ही अंग्रेजी बोलने लगते है । मुख्यमंत्री ने बातशबात पर आंदोलन करने वाले सरकारी र्कमियों को सरकार की मजबूरी और राज्य की आर्थिक स्थिति को समझने की नसीहत देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने बिहार का 20 हजार करोड़ रूपया काट लिया है । उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का र्दजा मिल जाता तो किसी को नारा.प्रर्दशन और जुलूस निकालने की जरूरत नहीं होती .सरकार सबकी मांगे पूरी कर देती. श्री मांझी कहा कि बिहार में जितनी तकनीकी शिक्षण संस्थान होनी चाहिए थी उतनी नहीं है । राज्य सरकार इस कमी को दूर करने में लगी है । उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी क्षेत्र के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना जगनी चाहिए तभी दोनोंतरफ अच्छे माहौल बनेंगे और अच्छी प्रतिभाऐं निकल कर सामने आयेंगी 1 शिवा राम 2040 वार्ता   
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भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर समाप्त : जेटली

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि आर्थिक विकास में गिरावट का दौर समाप्त हो चुका है और चालू वित्त वर्ष की दूसरी तथा तीसरी तिमाही में भारी महंगाई में कमी आयी है। उन्होंने कहा कि वैश्विक हालात भी भारत के अनुकूल हो गये है और सुधार की जारी प्रक्रिया के कारण अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होग। उन्होंने कहा कि वृहद आर्थिक संतुलन हासिल करने के लिए घरेलू नीतियां बनायी गयी है। श्री जेटली ने सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर  मानव संसाधन और विकास समूह के प्रतिनिधियों के साथ यहां बजट पूर्व चर्चा में कहा कि सरकार ने समाज के उपेक्षित एवं कमजोर तबके के लिए जारी कार्यक्रमो के अतिरिक्त विशेष सामाजिक कार्यक्रम भी शुरू किये हैं। इन कार्यक्रमों में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) भी शामिल जो स्वच्छता और स्वास्थ्य मानको में सुधार के उद्देश्य से शुरू किया गया है। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन धन योजना और रूपे डेबिट कार्ड से वित्तीय समावेशन को आधार मिलेगा और खाताधारको का वित्तीय सशक्तिकरण होगा। उन्होंने कहा कि देश की 63 प्रतिशत आबादी 15 से 59 वर्ष आयु वर्ग की है और वे देश के लिए अपार संभावनाों के द्वार है लेकिन यह सरकार के लिए बहुत बडी चुनौती भी है। श्री जेटली ने कहा कि लाभों का हस्तांतरण तभी हो सकता है जब हमारी आबादी स्वस्थ  शिक्षित और दक्ष होगी। इसके लिए सरकार सामाजिक बुनियादी सुविधाों के विकास पर निवेश कर रही है।  वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने कौशल विकास पर विशेष ध्यान देने के साथ ही मेक इन इंडिया पर भी जोर दिया है ताकि रोजगार के अवसरों में सुधार हो और वृहद स्तर पर नौकरी के अवसर मिले। कौशल विकास पर जोर देते हुये इसके लिए अलग से मंत्रालय बनाया गया है।

हेमंत सोरेन विधानसभा में विपक्ष के नेता घोषित

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झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष दिनेश उरांव ने आज विधानसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा .झामुमो. को मुख्य विपक्षी दल का र्दजा प्रदान करते हुये इसके नेता हेमंत सोरेन को मुख्य विपक्षी दल का नेता घोषित किया। श्री उरांव ने सदन में कहा कि झामुमो ने उन्हें पत्र लिखकर सूचित किया है कि पार्टी ने 26 दिसंबर को श्री सोरेन को झामुमो विधायक दल का नेता चुना है। सभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा में झामुमो के विधायकों की संख्या को देखते हुये उसे मुख्य विपक्षी दल का र्दजा प्रदान किया जाता है तथा उसके नेता श्री सोरेन को नेता विपक्ष घोषित किया जाता है। इससे पहले सदन मे आज झामुमो के अमित यादव ने सिल्ली विधानसभा क्षेत्र के राहे प्रखंड में लगातार हो रही हत्या के मामले को उठाया और कहा कि सिल्ली के पुलिस उपाधीक्षक और थाना प्रभारी की भूमिका संदिग्ध है और पूरे मामले की केन्द्रीय जांच ब्यूरो .सीबीआई. से जांच होनी चाहिये 1 इस पर राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सी पी सिंह ने कहा कि हत्याकांड में शामिल लोगों पर कार्रवाई होगी। 

झामुमो विधायक दल के नेता श्री सोरेन ने कहा कि वह कल सिल्ली विधानसभा क्षेत्र गये थे और वहां भय का माहौल है। प्राथमिकी र्दज होने के बावजूद भी गिरफतारी नहीं की जा रही है। सिल्ली के पुलिस उपाधीक्षक और थाना प्रभारी की संलिप्तता दिख रही है। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि रघुवर दास की सरकार में इन मामलो का संज्ञान लिया गया है और झामुमो विधायक अमित महतो को घर पर तथा उन्हें व्यक्तिगत रुप से सुरक्षा प्रदान की गयी है। इस बीच चंदनकियारी के विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि चंदनकियारी में मिथेन गैस निकलने से आग लगी हुई है। इस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिये. कांग्रेस के मनोज यादव ने कहा कि हजारीबाग जिले में गंभीर बिजली संकट उत्पन्न हो गया है। डीवीसी को बकाये का भुगतान कर इस संकट से उबारा जाये। संसदीय कार्य मंत्री श्री सिंह ने बाद में तीन हजार 181 करोड़ सात लाख रुपये से अधिक की द्वितीय अनुपूरक अनुदानो की मांग की सूची 2014श।5 को सदन मेंपेश की। इसके बाद श्री उरांव ने सदन की कार्यवाही कल ग्यारह बजे दिन तक के लिये स्थगित कर दी।

विशेष आलेख : फिर भी मैली ही रह गयी गंगा !!

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गंगा-यमुना और अदृश्‍य सरस्वती के पावन संगम तट पर बसा प्रयाग अनादि काल से धार्मिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों की केन्द्र स्थली रहा है। देव और मानव, सभी ने यहां अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यज्ञ, तप, दान, स्नान, दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया है। धर्म ग्रंथों में उल्लिखित अतीत की उन्हीं परंपराओं और उद्देश्यों को जीवंत बनाए रखने के लिए आज भी हर वर्ष माघ मास में पूज्य शंकराचार्य, धर्माचार्य, आचार्य तथा साधु-संतों के साथ साधकों और श्रद्धालुओं का एक विशाल समागम होता है, जिसे पूरा विश्व "माघमेला"के नाम से जानता और पहचानता है। इस माघ मेले में हर वर्ष देश-विदेश के करोड़ों लोग बिना किसी आमंत्रण और निमंत्रण के अपनी ज्ञान पिपासा शांत करने तथा मोक्ष प्राप्ति की लालसा में यहां आकर जप, तप, दान, पुण्य करते हैं। संगम तट पर माघ मास में इस धार्मिक आयोजन के पीछे तर्क दिया जाता है कि माघ मास में सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो वह पृथ्वी के बहुत करीब होता है, उसी समय चन्द्रमा भी पृथ्वी के समीप होता है। सूर्य और चन्द्र की पृथ्वी से निकटता का अनुकूल प्रभाव संगम के जल पर पड़ता है। इन्हीं मान्यताओं के कारण माघ पूर्णिमा तक त्रिवेणी तट पर माघ मेले का आयोजन प्रारंभ हुआ।सो इस साल भी  इलाहाबाद मे संगम की रेती पर करीब 16 सौ बीघे मे तम्‍बूओं का शहर आबाद हो गया ।दो हजार से अधिक धार्मिक व सामाजिक संस्‍थाओं के शिविर मे एक महीने के कल्‍पवास के लिए पांच लाख से अधिक  श्रृध्‍दालुओ ने घर बार छोड़ कर तम्‍बूओं की नगरी मे अपना आशियाना बना लिया है ।लेकिन एक बार फिर वह गंगा मे आचमन के लिए साफ पानी के मोहताज हैं ।देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विकास और सुधार संबंधी उत्साहजनक चिंताओं मे से एक चिंता  गंगा उध्दार से जुड़ी है। गंगा को मां कहकर सत्ता में आई केन्द्र सरकार ने अब भले ही गंगा और अन्य नदियों की सफाई का बीड़ा उठाया हो। लेकिन गंगा नदी आज भी उतनी ही मैली है जितनी मोदी सरकार के बनने से पहले थी ।सरकार के तमाम दावों और योजनाओं के बाद भी इस पवित्र नदी को साफ करने व श्रृध्‍दालुओं को स्‍नान के लायक पानी देने का काम आज तक कागजों से आगे नही बढ़ सका है ।   सदियों तक करोड़ों लोगों को मोक्ष का अहसास दिलाने वाली गंगा आज खुद अपनी ही संतानों से अपने वजूद को बचाने की गुहार लगा रही है । प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सरकारें सिर्फ माघ मेलें या इस तरह के दूसरे आयोजनों पर गंगा मे  स्वच्छ पानी के लिए अग्नि परीक्षा के लिए तैयार रहतें है।जिससे समय पर उनका ये मंसूबा भी पूरा नही हो पाता है । पौष पूर्णिमा पर पहला स्नान पर्व बीत गया लेकिन गंगा अब भी असमान्‍य दिख रही है वहीं साधू –संत और श्रृध्‍दालु अब भी आचमन के साफ पानी के लिए परेशान दिख रहे हैं ।तमाम संतों ने गंगा की इस हालत को अपना विरोध भी जताया है ।गंगा मे पानी की कमी के कारण श्रृध्‍दालुओं को खड़े – खड़े स्‍नान करना पड़ा ।सरकारी आंकड़ों मे ही बताया जा रहा है कि गंगा लज स्‍तर 76 मीटर के आसपास ही है । सरकारी तौर पर  गंगा व युमना के किनारे स्थापित उद्योगों को चेतावनी दी गयी थी कि सभी उद्योग जीरो डिस्चार्ज के नियम का पालन करते हुए परिसर से किसी भी हालत में प्रदूषित उत्प्रवाह बाहर न जाने दें। कानपुर व उन्नाव में स्थापित टेनरी उद्योगों तथा गंगा के किनारे स्थापित शराब व चीनी मिलों को विशेष तौर पर सख्त निर्देश थे कि कारखानों का गंदा पानी गंगा में नहीं गिरना चाहिए।सरकार के सख्त निर्देशों के बावजूद गंगा में गंदा पानी गिराने के के पुख्ता सबूत मिलने पर बोर्ड प्रशासन ने कड़े तेवर अपनायें हैं और उद्योगों को बंद करने का अभियान शुरू किया है।

बताया जाता है कि कानपुर, उन्नाव सहित गंगा के किनारे स्थापित अन्य जिलों के एक दर्जन से अधिक ब़डे उद्योगों को बंद कराने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिन उद्योगों के खिलाफ बंदी आदेश जारी किए गए हैं, उन्हें सील कराने के लिए संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है। इसके साथ ही गंगा के किनारे के दो दर्जन से अधिक जनपदों में उद्योगों की निगरानी के लिए जिला प्रशासन व बोर्ड के अधिकारियों की कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी प्रत्येक सप्ताह अपनी रिपोर्ट बोर्ड प्रशासन व शासन को भेजा करेगी। इलाहाबाद में जब-जब गंगा नदी में पानी लाल हुआ उसके पीछे मुख्य रूप से मुजफ्फरनगर, मेरठ, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली व उन्नाव के चमड़ा उद्योग, डिस्टीलरी, पेपर मिलें सहित 134 उद्योग जिम्मेदार पाए गए थे।लेकिन मजबूत इच्‍छाशक्‍ति की कमी के चलते कभी भी इन पर नकेल नही कसी जा सकी और गंगा मे प्रदूषण फैलाने वाले उद्दोग सरकारों की सुस्‍ती का बेजा लाभ उठानें मे लगे हैं  जिसके के चलते आज तक गंगा , यमुना और तमाम भागों में अपना आंचल खोलकर करोड़ों जीवन संवार रही अन्य नदियों की सफाई का अभियान परवान नही चढ़ सका ।
                                  
भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी गंगा जो भारत और बांग्लादेश में मिलाकर 2510 किमी की दूरी तय करती हुई
उत्तरांचल में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भू भाग को सींचती है, देश की प्राकृतिक संपदा ही नहीं, जन जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। 2071 कि.मी तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपना सफर तय करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के
अति विशाल उपजाऊ मैदान का र्निमाण करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। 100 फीट की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ और देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौंदर्य और महत्व के कारण गंगा नदी के प्रति बार - बार विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण जिक्र किया गया हैं।

इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पाई ही जाती हैं मीठे पानी वाले दुर्लभ डालफिन भी पाए जाते हैं। यह कृषि पर्यटन साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। गंगा नदी विश्व भर में अपनी शुद्धीकरण क्षमता के कारण जानी जाती है। गंगा जल में यह शक्ति गंगोत्री और हिमालय से आती है। जब गंगा हिमालय से नीचे उतरती है तो इसमें कई तरह की मिट्टी कई तरह के खनिज, कई तरह की जड़ी बूटियाँं मिल जाती है। लंबे समय से प्रचलित इसकी शुद्धीकरण की मान्यता का वैज्ञानिक आधार भी है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। नदी के जल में ऑक्सीजन की मात्रा को बनाए रखने की असाधारण क्षमता है। लेकिन गंगा के तट पर घने बसे औद्योगिक नगरों के नालों की गंदगी सीधे गंगा नदी में मिलने से गंगा का प्रदूषण पिछले कई सालों से भारत सरकार और जनता की चिंता का विषय बना हुआ है। औद्योगिक कचरे के साथ-साथ प्लास्टिक कचरे की बहुतायत ने गंगा जल को भी बेहद प्रदूषित किया है। वैज्ञानिक जांच के अनुसार गंगा का बायोलाजिकल ऑक्सीजन स्तर 3 डिग्री (सामान्य) से बढ़कर 6 डिग्री हो चुका है। गंगा में 2 करोड़ 90 लाख लीटर प्रदूषित कचरा प्रतिदिन गिर रहा है। गंगा के किनारे बसे छोटे-बड़े करीब 100 शहरों के नालों का पानी बिना ट्रीटमेंट के गंगा में डाल दिया जाता है। 80 फीसदी कचरा गंगा नदी का सीधे नगर निगमों की नालियों के जरिये आता है, जबकि इस नदी में फेके गए कुल कचरे का करीब 15 फीसदी औद्योगिक स्त्रोतों से आता है। 12 से 13 अरब लीटर जल-मल हर दिन गंगा में डाला जाता है,।

गंगा नदी में प्रदूषण भार को कम करने के लिए 1985 में स्‍व राजीव गांधी द्वारा गंगा कार्य योजना  का शुभारंभ
किया गया था। कार्यक्रम खूब धूमधाम के साथ शुरू हुआ था । लेकिन इस दौरान गंगा, यमुना, गोदावरी सहित विभिन्न नदियों के संरक्षण पर 2607 करोड़ रुपये की भारी भरकम रकम भी नदियों में प्रदूषण का स्तर कम करने में विफल रही ।यही नही भारत सरकार ने गंगा को 2009 में राष्ट्रीय नदी तो घोषित कर दिया । गंगा एक्शन प्लान व राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना भी लागू की गई ।गंगा में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए घड़ियालों की मदद ली गयी  । शहरों की गंदगी को साफ करने के लिए संयंत्रों को लगाया जा रहा है और उद्योगों के कचरों को इसमें गिरने से रोकने के लिए कानून बने हैं। बावजूद इसके इन नदियों में आज भी प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है और इतना सबकुछ होने के बावजूद गंगा के अस्तित्व पर संकट के बादल छाए हुए हैं । इसके साथ ही धार्मिक भावनाएँ आहत न हों इसके भी प्रयत्न किए जा रहे हैं।  2007 की एक संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के अनुसार हिमालय पर स्थित गंगा की जलापूर्ति करने वाले हिमनद की 2030 तक समाप्त होने की संभावना है। इसके बाद नदी का बहाव मानसून पर आश्रित होकर मौसमी ही रह जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा सहित अन्य कई नदियों की सफाई को अपनी सरकार की प्राथमिकताओं में रखा है। इसके तहत अलग मंत्रालय का गठन भी किया गया है। मंत्रालय ने गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए सचिवों की समिति बनाकर इसका खाका तैयार करना शुरु कर दिया है। केंद्रीय बजट 2014-15 में 2,037 करोड़ रुपयों की आरंभिक राशि के साथ नमामि गंगे नाम की एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन परियोजना शुरु की गई है । तमाम कवायदें चल रही हैं, पर यह बेहद जरूरी है कि गंगा सफाई अभियान पर हो रहे खर्च की मॉनीटिरंग हो और जबावदेही तय हो। यदि अधिकारी, मंत्री और कर्मचारी सही तरीके से ईमानदारी से अपना दायित्व पूर्ण करते, तो आज गंगा को प्रदुषण मुक्त बनाया जा सकता था। आज आवश्यकता है कि गंगा की निर्मलता के लिए चलाए जानेवाले अभियानों को केवल चर्चा और विवाद का मुद्दा न बनाया जाए, वरन इस मिशन को गंगापुत्र होने के नाते सरकार, समाज और देशवासियों को अंगीकृत करना होगा।अगर जनता  और सरकार ने अब भी सामूहिक प्रयास किये  तो वह दिन दूर नहीं जब गंगा फिर से अपने गौरव को प्राप्त करेगी और करोड़ों लोगों के लिए वास्तव में मोक्षदायिनी बनेगी  ।
                                







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** शाहिद नकवी **

बिहार : 52 दिनों से बिहार अनुबंधित परिचारिका श्रेणी‘ए’ एसोसिएशन हड़ताल पर

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  • 9 दिनों से अनशन करने वाली नर्सेंज बेहाल, नौकरशाह बेलापरवाह

bihar strike
पटना। बिहार में सरकार के द्वारा ‘सत्याग्रह’ करने वालों की सुधि नहीं ली जाती है। महादलित मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की बात नौकरशाह सुनते ही नहीं है। उनके आदेश को अनसूना करके सही मिसाल नौकरशाह पेश नहीं कर रहे हैं। भारत रत्न पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को माने तो वह  अच्छी बात नहीं है। सत्याग्रह करने वाले स्थल आर.ब्लाॅक चैराहा और कारगिल चैक चैराहे से इतर राज्य की नर्सेंज पीएमसीएच परिसर में हड़ताल पर हैं। संविदा पर बहाल नर्सेंज  20 नवम्बर 2014 से हड़ताल पर हैं। इस बीच स्थायी नौकरी की मांग को नर्सेंज नौकरशाहों के समक्ष मनुहार करते रहे। सभी जगहों के द्वार पर दस्तक देकर हार-थक कर 3 जनवरी 2015 से अनशन करने को बाध्य हो गयीं। मानव सेवा करने वाली नर्सेंज कलतक मरीजों को अस्पताल में ग्लूकोज सलाइन चढ़ाते थे। आज सड़क पर नर्सेंज अपने वीरांगना सहेलियों को ग्लूकोज सलाइन चढ़ा रही हैं। वर्तमान राजनीति माहौल को देखकर ही सूबे के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि मैं टेस्ट मैच खेलने नहीं आया हूं। वनडे भी नहीं खेल रहे हैं। मैं तो टी-20 मैच खेल रहा हूं।मुख्यमंत्री की ऐसी स्थिति को भापकर मंत्री और अधिकारी सीएम को भाव देते नहीं हैं। हां,जबतक सीएम की संवैधानिक पद पर आसीन हैं तबतक मंत्री से लेकर संतरी तक को सीएम के हुक्म को पालन करना ही  चाहिए। अगर कोई सीएम की कुर्सी की महिमा का पालन नहीं करते हैं तो ऐसे लोगों को कैच आउट कर देना चाहिए।

मंत्री से संतरी तक वर्तमान सीएम के संदर्भ में कहते हैं कि जो सीएम खुद ही सलामत नहीं हैं तो दूसरे लोगों को क्या सलामत रखेंगे? इसी के आलोक में सीएम के आदेश को नौकरशाह भी व्यवहार किया करते हैं। नौकरशाह अभी सीएम के आदेश को लालफीताशाही के शिकार फाइल को खंगालने में लगे हैं। कैसे संविदा पर बहाल नर्सेंज लोगों के साथ ‘न्याय’किया जाए?

सही मायने में बिहार में सत्याग्रहियों की धैर्य की अग्नि परीक्षा की जाती है। इस समय आर.ब्लाॅक चैहारे के समीप बिहार राज्य संविदा अमीन संद्य और पीएमसीएच परिसर में बिहार अनुबंधित परिचारिका श्रेणी‘ए’ एसोसिएशन सत्याग्रह पर डटे हैं। इस समय हाड़ कंपाने वाली हवा चल रही है। कंपकंपाने वाली हवाओं के थपेड़े खाकर सत्याग्रहियों का हाल बेहाल हैं। वहीं मंत्री और उनके नौकरशाह कार्यालय और अपने आवास में हिटर जलाकर उर्जा ग्रहण कर रहे हैं। रजाई और हिटर की गर्मी लेने वाले नौकरशाह हिटलर की तरह सत्याग्रहियों के साथ व्यवहार किया जा रहा है।अब तो केन्द्रीय और राज्य के नेताओं की तरह ही बोल बोलने लगे हैं नौकरशाह और आश्वासन भी देने लगे हैं।उन तथाकथित नेताओं की ही तरह तोल मोलकर बोली बोलकर पलटी मार दे रहे हैं। इससे सत्याग्रही नर्सेंज सर्तक हैं।आश्वासन को लिखित आश्वासन देने की मांग करने लगे हैं।

बिहार अनुबंधित परिचारिका श्रेणी‘ए’ एसोसिएशन की महासचिव और बिहार परिचारिका निबंधन परिषद की सदस्य प्रमिला कुमारी भी अनशन पर हैं। कहती हैं कि हमलोग आधुनिक नर्सिंग की जननी फ्लोरेंस नाइटिगल की बेटियां हैं। मानव सेवा करने की शपथ ग्रहण की हैं। सरकार के वादा खिलाफी करने पर हड़ताल पर हैं। इस पर मुख्य भूमिका स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मलहौत्रा ने निभायी है। इसके कारण हड़ताल को अनशन के रूप में तब्दील करना पड़ा। एकमात्र मांग है संविदा पर बहाल श्रेणी‘ए’ नर्सेंज को स्थायी नौकरी में बहाल कर लें। हमलोगों ने महात्मा गांधी के मार्ग पर चलकर विभिन्न तरह के सत्याग्रह किए। मानव ऋखंला बनाए। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन किए। नूतन वर्ष के अवसर पर नर्सेंज गांधीगीरी भी किए। नेताओं और नौकरशाहों को नव वर्ष की शुभकामनाएं देती रही । जल्द से जल्द जिद्द सरकार छोड़े और सत्याग्रहियों की मांग पूर्ण कर दें।




आलोक कुमार
बिहार 

विशेष आलेख : सरकार गठन की राह में उमर का रोड़ा

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जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन की प्रक्रिया के बीच कार्यवाहक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के ताजा कदम ने राज्य के राजनीतिक हालात में नया मोड़ ला दिया है। जम्मू कश्मीर के कार्यवाहक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद की जिम्मेवारी छोडऩे का निर्णय लिया है। उमर ने राज्यपाल एनएन वोहरा से कहा है कि सीमा पर स्थिति और बाढ़ पीडि़तों की समस्या को देखते हुए राज्य को पूर्णकालिक प्रशासक की जरूरत है। उमर अब्दुल्ला के इस फैसले के बाद राज्यपाल पर राज्य में जल्द सरकार गठित कराने का दबाव बढ़ गया है। संवैधानिक सीमाओं के कारण जम्मू कश्मीर में 19 जनवरी के पहले सरकार गठन होना आवश्यक है। अगर इस अवधि में राज्य में सरकार गठन नहीं हो सकता है राज्य में राज्यपाल शासन का विकल्प बचता है। 

उमर अब्दुल्ला के इस कदम से राज्य में लोकतांत्रिक सरकार के गठन की प्रक्रिया को झटका जरूर लगा है। जम्मू कश्मीर की 87 सदस्यीय विधानसभा में पिछले महीने हुए चुनाव में पीडीपी को सर्वाधिक 28 सीटें मिली हैं, जबकि 25 सीटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर है, वहीं, नेशनल कान्फ्रेंस को 15 सीटें मिली हैं, कांग्रेस को 12 सीटें व छोटे दलों एवं निर्दलियों को सात सीटें मिली हैं। पिछले दिनों राज्य की प्रमुख पार्टियों के नेताओं से सरकार गठन के सवाल पर राज्यपाल एनएन बोहरा ने चर्चा की थी और इस चर्चा के बाद पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने यह संकेत दिया था कि उसका रुख नरम है और वह राज्य में भाजपा के साथ सरकार बना सकती है। उस दौरान मुफ्ती ने भाजपा के शीर्ष नेता व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ भी की थी। यह अलग बात है कि इन संकेतों के बावजूद राज्य में अब तक सरकार गठन की प्रक्रिया गति पकड़ती नहीं दिख रही है। लेकिन यह भी सत्य है कि इन्हीं दोनों दलों के बीच ही सरकार गठन की वार्ता चल रही है।

जम्मू कश्मीर में चुनाव के बाद जो राजनीतिक तस्वीर सामने आई है, उससे उमर अब्दुल्ला और कांगे्रस को जबरदस्त झटका लगा। राष्ट्रीय पार्टी का तमगा लटकाए कांगे्रस कई राज्यों के साथ जम्मू कश्मीर में भी चौथे स्थान पर है, इसलिए कांगे्रस तो किसी भी प्रकार की राजनीतिक भूमिका में नहीं है। कांगे्रस के पास केवल ताकते रहने के अलावा कोई काम ही नहीं है। यही कांगे्रस के लिए बहुत ही शर्मिन्दगी वाली स्थिति है कि राज्य में उसकी जोड़ीदार रही नेशनल कांफे्रंस भी कमोवेश इसी प्रकार की हालत में है। हालांकि नेशनल कांफ्रेंस को तीसरा स्थान मिला है। इन सभी बातों से एक बात जरूर साफ हो रही है कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा को बहुमत मिला है। जरा विचार करें कि अगर जम्मू और कश्मीर अलग अलग राज्य होते तो क्या स्थिति रहती। स्पष्ट है कि जम्मू में भाजपा की और कश्मीर में पीडीपी की स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनती। जम्मू कश्मीर की वास्तविक स्थिति तो यही है कि वहां तीन राज्य हैं, जो वर्तमान में एक नाम जम्मू कश्मीर के नाम से संचालित हो रहा है। जम्मू कश्मीर में जब दो बड़े दल सरकार बनाने के लिए अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं, तब उमर अबदुल्ला को इस प्रकार का राजनीतिक पेच नहीं फंसाना चाहिए। जम्मू कश्मीर में जनादेश उमर अबदुल्ला के पक्ष में कतई नहीं हैं, लेकिन उन्होंने देश में चली आ रही एक परिपाटी का मखौल उड़ाया है, हम जानते हैं कि नई सरकार बनने तक प्रदेश में वर्तमान मुख्यमंत्री को ही कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाए रखना पड़ता है। जो सवाल उमर अबदुल्ला ने उठाया है वह यह है कि बाढ़ पीडि़तों की समस्या को देखते हुए राज्य में पूर्णकालिक प्रशासक जरूरी है, बात तो उनकी सही है, लेकिन फिर सवाल पर सवाल, उमर अबदुल्ला ने अपने पूर्णकालिक मुख्यमंत्री रहते हुए इतनी सक्रियता क्यों नहीं दिखाई? 

नेशनल कांफे्रंस के नेता और जम्मू कश्मीर के कार्यवाहक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जब यह लगने लगा कि राज्य में उनकी पार्टी को वह सम्मान प्राप्त नहीं हो रहा, जो आज पीडीपी और भारतीय जनता पार्टी को मिल रहा है, तो उसने इस प्रकार का कदम उठाया है, ऐसा लगने लगा है। सरकार गठन के लिए दोनों दलों भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) के बीच बातचीत के दौर में अचानक उमर अब्दुल्ला का अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होने का निर्णय कई सवाल उठा रहा है। उमर के सामने ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि वह 19 जनवरी तक अपनी जिम्मेदारी नहीं संभाल पा रहे हैं। क्या उन पर भीतरी या बाहरी दबाव है, या फिर उनका यह कदम सोची समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है जिससे सरकार गठन की प्रक्रिया में रुकावट आए और राज्य राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़े। जम्मू-कश्मीर में आए चुनाव नतीजे वाकई चौंकाने वाले रहे हैं। विधानसभा चुनाव में राज्य में दूसरे नम्बर की पार्टी के रूप में उभर कर आई भाजपा के अस्तित्व को अलगाववादी और पाकिस्तान से संचालित राज्य की राजनैतिक ताकतें भले ही नहीं पचा पाएं लेकिन इन चुनाव नतीजों ने यह स्पष्ट कर दिया कि जम्मू-कश्मीर के लोग अब खुली हवा में सांस लेना चाहते हैं और पहली बार किसी राजनैतिक दल ने उन्हें उनकी उम्मीदों और अपेक्षाओं का अहसास किया है। कांग्रेस, नेशनल कॉंफ्रेंस के राज की असलियत समझ चुकी राज्य की जनता अब राज्य का विकास चाहती है। सालों से आतंकवाद का दंश झेल रहे इस राज्य ने आतंक की आग में खोया ही है। हर समय दहशत के साये में जी रहे लोगों के सामने पहली बार अवसर और विकल्प नजर आए हैं। अलगाववादी और कथित राजनीतिक ताकतें यही चाहती हैं कि राज्य का सालों पुराना ढर्रा पटरी से न उतरे। हिंसा और आतंक की आड़ में राजनीति करने वाली ताकतें पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) पर भी दबाव बनाने से नहीं चूक रही हैं। कार्यवाहक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का कदम भी कुछ इसी तरह का आभास देता है। कैसे भी हो भाजपा के कदमों को रोका जाए। ऐसा नहीं है कि उमर अब्दुल्ला अगर कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी से मुक्त हुए तो नई सरकार के गठन की प्रक्रिया थम जाएगी। जैसी कि खबरें हैं भाजपा और पीडीपी दोनों ही दलों के बीच बातचीत जारी है। दोनों ही दल राज्य के हितों को सर्वोपरि रख कर सरकार के गठन की संभावनाएं तलाश रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन अंतिम विकल्प है और लगता नहीं है कि ऐसे कोई हालात बनेंगे।




---सुरेश हिन्दुस्थानी---
लश्कर, ग्वालियर म.प्र.
मोबाइल - 9425101815

बागा कस्बे पर बोको हराम के हमले में र्दजनों की मौत

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नाइजीरिया के उत्तरपूर्वी कस्बे बागा में बोको हराम के आतंकवादियों ने पिछले दो दिनों के दौरान र्दजनों लोगों की हत्या कर दी और कई घरों में आग लगा दी। प्रत्यक्षदशियों ने कल इस बात की जानकारी देते हुये बताया कि गत सप्ताह के अंत में बोको हराम ने इस कस्बे पर कब्जा जमा लिया था। उन्होंने बताया कि आतंकवादी पिछले दो दिनों से वहां हमले कर रहे हैं जिसमें र्दजनों लोग मारे जा चुके हैं। 

जिला प्रमुख अब्बा हसन ने बताया कि चड झील के किनारे बसे इस कस्बे पर जब आतंकवादियों ने हमला किया तब करीब 100 लोगों की मौत हो गयी थी। दो स्थानीय लोगों ने बताया कि मंगलवार को आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलियां चलायी और इमारत में आग लगा दी। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों द्वारा गत सप्ताह के अंत में एक सैन्य कैंप को ध्वस्त करने के बाद कस्बे में तैनात सभी सैनिक वहां से भाग गये थे।

शशि थरूर आज शाम दिल्ली के लिए होंगे रवाना

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सुनंदा पुष्कर की रहस्यम मौत के सिलसिले में दिल्ली पुलिस द्वारा  हत्या का मामला र्दज करने के बाद से ही  पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर की मुश्किलें बढती जा रही हैं और ऐसी खबरे हैं कि केरल के एक आयुर्वेदिक केन्द्र में अपना उपचार बीच में ही छोड कर वह आज शाम दिल्ली रवाना होने वाले हैं। हालांकि पुलिस ने हत्या मामले में श्री थरूर से पूछताछ की कोई बात अभी नहीं कही है लेकिन ऐसी खबरों का बाजार गर्म है कि देर सबेर उनसे भी पूछताछ की जाएगी। श्री थरूर पिछले दस दिनों से केरल के गुरूवायुर के समीप चवाकाड में पेरूमईआमाना आयुवेर्ेदिक केन्द्र में अपना उपचार करा रहे हैं। उपचार के कुछ दिन ही और शेष रह गए हैं लेकिन इसी बीच श्री थरूर ने दिल्ली वापसी का कार्यक्रम बना लिया है।उनसे जुडे अधिकारियों ने बताया कि श्री थरूर वापसी के पहले पत्रकारों से बातचीत करेंगे। 
    
उपचार केन्द्र के महानिदेशक साजी कुरूप ने बताया कि श्री थरूर पिछले कुछ दिनों से किसी भी मीडियार्कमी से नहीं मिल रहे थें जबकि कयी पत्रकार लंबे समय से उनसे मिलने की कोशिश में लगे हुए थे।उन्होंने कहा कि दिल्ली वापसी का कार्यक्रम देखते हुए श्री थरूर का उपचार आज ही खत्म किया जा रहा है। श्री थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में हत्या का मुकदमा र्दजा होने की खबरें आने के साथ ही कयी राष्ट्रीय चैैनल और स्थानीय मीडिया के पत्रकार श्री थरूर से मिलने के लिए उपचार केन्द्र पहुंचे थे लेकिन वह किसी से नहीं मिल रहे थे। सुनंदा पुष्कर गत वर्ष 17 जनवरी को दक्षिणी दिल्ली स्थित एक होटल के कमरे में मृत पायी गयी थीं।उस समय कराए गए पोस्टमार्टम रिपोंर्ट में उनकी मौत जहर से हुयी बतायी गयी थी।हालांकि दिल्ली स्थित आयर्ुविज्ञान संस्थान की जाचं में जहर के प्रकार का सही पता नहीं लग सका था। मधूलि

राजपक्षे ने अपनी हार स्वीकार की, सीरीसेना बनेंगे नए राष्ट्रपति

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श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के लिए कल हुए चुनाव के बाद मतगणना में काफी पीछे चल रहे निवर्तमान राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने आज अपनी पराजय स्वीकार कर ली। श्री राजपक्षे के एक करीबी सहयोगी तथा वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा हमारे पास कोई अच्छी खबर नहीं है। मुझे लगता है कि जनता बदलाव चाहती है और यही लोकतंत्र है। राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि श्री राजपक्षे ने विपक्ष के एक नेता से मुलाकात करके अपने विपक्षी मैथरीपाल सीरीसेना की विजय स्वीकार कर ली है। यह खबर फैलते ही राजधानी कोलंबो में आतिशबाजी होने लगी तथा पटाखे चलने की तेज आवाजे सुनाई देने लगी। निर्वाचन आयोग ने बताया है कि अभी तक 32 लाख 60 हजार मतों की गणना हो चुकी है जिसमें सीरीसेना को 51.3 प्रतिशत तथा राजपक्षे को 46.9 प्रतिशत मत प्राप्त हुए है।

श्री राजपक्षे की सरकार में शामिल रहे पूर्व मंत्री सिरीसेना नवंबर में सरकार से बाहर हो गए थे और उसके बाद से यह विपक्ष की ओर से एक मजबूत दावेदार माने जा रहे थे। सिरीसेना.63. ने देश में भ्रष्टाचार समाप्त करने तथा।00 दिनों के भीतर राष्ट्रपति के विशेष अधिकारों को समाप्त करके देश में संसदीय लोकतंत्र बहाल करने की बात की है जिसके तहत न्यायपालिका. पुलिस तथा कार्यपालिका एक स्वतंत्र संस्थान होंगे। सिरीसेना ने राष्ट्रपति को असीमित अधिकार देने वाले संविधान के 18वें संशोधन को हटाने में भी रूचि दिखाई है। राष्ट्रपति के संयोजक विजयानंदा हिराथ ने बताया कि श्री राजपक्षे ने रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात कर सत्ता के निर्विध्न हस्तांतरण की बात की है। सिरीसेना की ताजपोशी आज की जा सकती है। एक दशक तक राष्ट्रपति के पद पर आसीन रहे श्री राजपक्षे ने तय समय से दो वर्ष पूर्व ही चुनाव करा दिए थे लेकिन उनकी गिरती लोकप्रियता का पूरा फायदा सिरीसेना को मिला। 

मित्तल, रुईया को तलब करने संबंधी आदेश खारिज

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भारती सेल्यूलर लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) सुनील भारती मित्तल और एस्सार समूह के प्रवर्तक रवि रुईया को आज उस वक्त बड़ी राहत मिली जब उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के शासन काल में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आरवंटन से संबंधित मामले में उनके आरोपी के तौर पर पेश होने के निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया। मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति ए के सिकरी की खंडपीठ ने निचली अदालत के समन आदेश के खिलाफ श्री मित्तल और श्री रुईया की अपील मंजूर कर ली और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि निचली अदालत का समन तय अदालती प्रक्रिया के अनुरूप नहीं है। हालांकि उसने स्पष्ट कर दिया कि आरोप से संबंधित पुख्ता तथ्य और दस्तावेज जब कभी सामने आएंगे. दोनों को तलब किया जा सकेगा। न्यायालय ने गत वर्ष चार दिसम्बर को इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। श्री मित्तल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फली. एस. नरीमन ने दलील दी थी कि विशेष अदालत ने उनके मुवक्किल को सम्मन जारी करके गलती की है क्योंकि आरोप पत्र में उन्हें आरोपी के रू प में नामित नहीं किया गया था।

 श्री नरीमन ने दलील दी थी कि सीबीआई के सहायक विधिक सलाहकार ने कहा था कि सिर् लोकसेवकों को ही आरोपी बनाया जायेगा। उस समय सीबीआई के तत्कालीन निदेशक एपी सिंह ने कहा था कि कंपनियों को भी आरोपी बनाया जा सकता है. पर विशेष न्यायाधीश ने एक कदम आगे बढकर श्री मित्तल को आरोपी के रू प में तलब कर लिया। उन्होंने कहा था कि प्रबंध निदेशक को कंपनी के किसी आपराधिक कृत्य के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि उसके खिलाफ साक्ष्य न. न हो। उन्होंने कहा कि तत्कालीन संचार मंत्री प्रमोद महाजन और तत्कालीन संचार सचिव श्यामल घोष के साथ श्री मित्तल की बैठकों को लेकर कथित दावे में कुछ भी अनोखा नहीं है। हालांकि सीबीआई के वकील के.के. वेणुगोपाल ने दलील दी थी कि आरोप पत्र में नाम न.न होने के बावजूद दोनों को आरोपी बनाया जा सकता है. क्योंकि उनकी कंपनी उनके इशारे पर ही काम कर रही थी। श्री वेणुगोपाल ने यह भी कहा था कि किसी कंपनी में हो रहे भ्रष्टाचार को उसके मालिक से अलग करके नहीं देखा जा सकता। उन्होंने कहा था कि श्री रुईया के खिलाफ बहुत अधिक साक्ष्य तो नहीं हैं. लेकिन जांच एजेंसी सबूत इकट्ठा कर लेगी। निचली अदालत ने 19 मार्च 2013 को श्री मित्तल और श्री रुईया को पेश होने के लिए तलब किया था।

करूणानिधि रिकार्ड 11वीं बार द्रमुक के अध्यक्ष चुने गये

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तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम.करूणानिधि को रिकार्ड 11 वीं बार द्रविड मुनेत्र कषगम.द्रमुक.का अध्यक्ष चुन लिया गया है। द्रमुक की आज यहां हुई महापरिषद की बैठक में श्री करूणानिधि को फिर से पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया।श्री के अनबाझागन और श्री एम.के.स्टालिन को क्रमश:पार्टी का महासचिव और कोषाध्यक्ष चुन लिया गया।      

श्री करूणानिधि की पुत्री और राज्यसभा सदस्य के.कनिमोझी को पार्टी की महिला इकाई का सचिव चुना गया है।यह पहली बार है कि उन्हें पार्टी में कोई पद दिया गया है।इन सभी लोगों को र्सवसम्मति से चुना गया है। मीडिया में इस तरह की खबरें थी कि श्री स्टालिन महासचिव का पद चाहते है और ऐसा नहीं होने पर उन्होंने कोषाध्यक्ष के पद और पार्टी से इस्तीफा देने की धमकी दी थी।हालांकि श्री स्टालिन ने अपने इस्तीफे की रिपोर्टो को खारिज करते हुए इन्हें अफवाह बताया था और कहा था कि वह पार्टी में किसी उच्च पद की इच्छा नहीं रखते हैं।

टाटा स्टील ने नोआमुंडी में खनन दुबारा शुरू किया

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देश की अग्रणी इस्पात कंपनी टाटा स्टील ने झारखंड के नोआमुंडी में लौह अयस्क खनन का काम दुबारा शुरू कर दिया है। कंपनी ने आज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को बताया कि झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य सरकार ने उसे वहाँ खनन की अनुमति दी है जिसके बाद कंपनी ने खनन कार्य शुरू कर दिया है। उसने बताया कि खदान की मरम्मत का काम जारी है। 

बीएसई ने मीडिया में आयी एक खबर पर कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा था जिसके जवाब में टाटा स्टील ने यह जानकारी दी है।

नवाज शरीफ हैं पाक के सबसे धनी सांसद

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपनी और अपनी पत्नी की सम्मिलित सम्पत्ति को जो ब्योरा दिया है उसकी कीमत लगभग दो अरब रूपये है।इस खुलासे के बाद वह पाकिस्तान के सबसे धनी सांसद बन गये हैं। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपने इस ब्योरे में रियल एस्टेंट में अपनी सम्पत्ति का विवरण डाला है लेकिन विभिन्न कंपनियों में अपने और अपनी पत्नी के शेयरों और देश से बाहर अपनी सम्पत्ति की कोई जानकारी नहीं दी है। 
    
इसी तरह खिलाडी से राजनेता बने तहरीक.ए.इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान यूं तो बाकी राजनीतिज्ञों पर उनकी सम्पत्ति को लेकर निशाना साधते रहते हैं. लेकिन उन्होंने खुद अपनी सम्पत्ति के खुलासे के संबंध में सबसे कम पारर्दशिता ही दिखायी है।उन्होंने अपनी सम्पत्ति का ही कभी खुलासा नहीं किया और न ही उसकी बाजार कीमत का ही कभी विवरण दिया।उनका दावा है कि उनकी अधिकतर सम्पत्ति या तो पैतृक है या फिर उन्हें तोहफे के रूप में मिली है। 
    
इमरान खान का दावा है कि इस्लामाबाद के निकट मोहरा गांव में 37.5 एकड में बनी कोठी उन्हें तोहफे में मिली है हालांकि उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि उन्हें यह तोहफा किसने और क्यों दिया। पंजाब के मुख्यमंत्री और उनके बेटे हमजा शहबाज ने भी पंजाब विधानसभा के सदस्य के रूप में अपनी सम्पत्ति का विवरण जारी किया है।

पिता के नक्शे कदम पर चल रहे हैं उमर अब्दुल्ला

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जम्मू कश्मीर के कार्यवाहक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अपने पिता फारूक अब्दुल्ला के नक्शे कदम पर चल रहे हैं और राज्य में 2002का इतिहास दोहराया जाता नजर आ  रहा है । वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में भी खंडित जनादेश आया था। हालांकि उस समय नेशनल कांप्रेंस .नेकां.28सीटों के साथ सबसे बडी पार्टी बनकर उभरी थी तथा 20सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे और 16सीटों के साथ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी .पीडीपी.तीसरे नम्बर की पार्टी थी। सबसे बडी पार्टी होने के बावजूद नेकां ने सरकार बनाने का दावा नहीं किया था।तत्कालीन कार्यवाहक मुख्यमंत्री डा फारूक अब्दुल्ला ने भी कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद बने रहने से इनकार कर दिया था।उस समय भी केंद्र में भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने डा अब्दुल्ला से कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का आग्रह किया था।दोनों शीर्ष नेताों के आग्रह के बाद डा अब्दुल्ला ने पार्टी के पदाधिकारियों के अलावा राज्य के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक करके स्थिति पर विचार शविर्मश किया था। 

 बैठक  के बाद डा अब्दुल्ला ने अपने रूख पर बरकरार रहने का फैसला किया. उन्होने कहा था कि वह नैतिकता के आधार पर यह निर्णय ले रहे हैं. इसके बाद तत्कालीन राज्यपाल गिरीश चंद्र सक्सेना ने 18 अक्टूबर को राज्यपाल शासन लगा दिया था।उनके बेटे उमर ने सीमा पर फायंिरग और बाढ की आपदा का हवाला देकर कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद से मुक्त होंने की इच्छा व्यक्त की है । बारह वर्ष पहले के राज्य के सियासी मंच के कई किरदार अभी भी मौजूद हैं. पीडीपी संरक्षक मुफती मोहम्मद सईद की भूमिका में कोई बदलाव नहीं आया है ।वह उस समय भी गठबंधन सरकार बनाने की कोशिश कर रहे थे. तब और अब में फर्क इतना है कि उस समय वह कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए प्रयासरत थे जबकि अब वह भाजपा के साथ गठबंधन की कोशिश में लगे हैं. वर्ष 2002 मे 15 दिन राज्यपाल शासन लगा और उसके बाद कांग्रेस और पीडीपी की गठबंधन सरकार बनी 1हालांकि कांग्रेस की अपेक्षा चार सीटें कम मिलने के बावजूद तीन शतीन वर्ष के कार्यकाल में मुफती सईद पहले मुख्यमंत्री बने थे 1  वर्ष 2002 का इतिहास हूबहू दोहराया जाएगा या इसमें कोई बदलाव आयेगा.यह आने वाला समय ही बतायेगा।

उत्तराखंड की विस्तृत खबर 09 जनवरी)

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आपदा प्रबंधन विभाग फिर फेल, मौसम विभाग को भी नहीं लगी बर्फीले तूफान की खबर

देहरादून,9 जनवरी। सूबे के आपदा प्रबंधन विभाग ने केदारनाथ आपदा के बाद भी कोई सबक नहीं लिया है। यही वजह है कि उच्च पर्वतीय क्षेत्र में इस तूफान की चपेट में आए लोगों की वक्त पर कोई मदद नहीं की जा सकी। लगभग आठ घंटे बाद सूचना राजधानी पहुंची तो सीएम की पहल पर अलर्ट जारी किया गया। इस मामले में आपदा प्रबंधन और मौसम विभाग दोनों ही पूरी तरह से फेल साबित हुए है। 16 जून 2013 को केदारनाथ में कुदरत ने कहर ढाया है। उस वक्त दो रोज तक इसकी सूचना ही सरकार को नहीं मिल सकी थी। मीडिया ने अपने तंत्र के आधार पर इसका खुलासा किया तो सरकार की ओर से बचाव और राहत कार्य शुरु किया था। उसी वक्त से कहा जा रहा है कि आपदा प्रबंधन विभाग को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। ताकि इस तरह की आपदा के वक्त लोगों को वक्त पर राहत दी जा सके। लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। विगत दिवस चमोली, उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ जिलों के ऊंचाई वाले इलाकों में इस बर्फीले तूफान ने अपना कहर ढाया। इससे कोई जनहानि होने की खबर तो अब तक नहीं है, लेकिन लोगों का काफी नुकसान हुआ है। सैकड़ों मकानों के क्षतिग्रस्त होने की खबर है। अहम बात यह है कि इस तूफान के बारे में सरकार को लगभग आठ घंटे बाद ही जानकारी हो सकी। इन जिलों का आपदा प्रबंधन विभाग सोता रहा। किसी भी जिले से राज्य मुख्यालय को इस बारे में कोई इनपुट वक्त पर नहीं मिला। प्रभावित लोगों ने खुद ही किसी तरह से फोन करके इस बारे में सूचना दी तो सरकारी मशीनरी हरकत में आई। इसके बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत के निर्देश पर सात जिलों को अलर्ट जारी किया गया। प्रबंधन प्राधिकरण ने चार और पांच जनवरी को इस तरह के तूफान के आने की आशंका जाहिर की थी। इस पर राज्य मौसम विभाग ने इस तरह के किसी तूफान के आने की आशंका से ही इंकार कर दिया। नतीजा यह रहा है कि प्राधिकरण की चेतावनी को नजर अंदाज कर दिया गया। सवाल यह भी उठ रहा है कि राज्य मौसम विभाग क्या करता रहा। उसने प्राधिकरण की चेतावनी को तो गलत बताने में देरी नहीं की ,लेकिन सटीक अनुमान खुद भी नहीं लगा सका। माना जा रहा है कि अगर प्राधिकरण की चेतावनी को ध्यान में रखते हुए ही कोई तैयारी कर ली गई होती तो लोगों को इस तूफान का सामना नहीं करना होता। सौभाग्य से कोई जनहानि नहीं हुई अगर दुर्भाग्यवश ऐसा कुछ हो जाता तो इसकी जिम्मेदारी किसके सर आती। बहरहाल, एक बार फिर साबित हुआ है कि राज्य में आपदा प्रबंधन विभाग ने न तो कोई तैयारी की है और न ही केदारनाथ आपदा से कोई सबक लिया है। इतना ही नहीं मौसम विभाग भी कारगर भूमिका नहीं निभा पा रहा है। 

ग्रामीण उत्पादों को मार्केट उपलब्ध करवाना होगा तभी सुधरेगी गांवों की अर्थव्यवस्थाः मुख्यमंत्री

uttrakhand newsदेहरादून 9 जनवरी,(निस)। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ग्रामीण उत्पादों को मार्केट उपलब्ध करवाना होगा। मशीनी प्रतियोगिता में टिके रहने के लिए हाथ के हुनर को निखारने की आवश्यकता है। शुक्रवार को एफआरआई में एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत आयोजित कार्यशाला ‘‘स्वालम्बन की ओर’’ का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों व उत्पादक समूहों के मार्केट लिंकेज पर प्राथमिकता से काम करना होगा। आईफेड के फेज-दो को हमें अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के अंतिम अवसर की तरह लेना चाहिए। सीएम ने कहा कि एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना में योग्य व प्रतिबद्ध ऐसे लोगों को जोड़ा जाए जिनमें प्रबंधन की क्षमता हो। ग्रामीण व पर्वतीय क्षेत्रों में काम कर रहे स्वयं सहायता समूहों को इतना क्षमतावान बनाना होगा कि वे ना केवल स्वावलम्बी बन सकें बल्कि भविष्य में परियोजना के समाप्त होने पर विपरीत परिस्थितियों में भी अपना अस्तित्व बना कर रख सकें। सीएम ने कहा कि पूर्व में भी अनेक परियोजनाएं संचालित की गई हैं। हमें अतीत के अनुभवों से लाभ उठाकर सुनिश्चित करना होगा कि पहले की गई गलतियां फिर से ना हों। सरकारी स्तर पर ऐसी संस्थाओं के मार्केट लिंक बनाने में सहयोग किया जाएगा। पर्वतीय उत्पादों को वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार विकसित करना होगा। केदारनाथ, बदरीनाथ, प्रमुख तीर्थ स्थलों व स्थान-स्थान पर लगने वाले मेलों में स्वयं सहायता समूहों को अपने उत्पादों के विपणन के अवसर उपलब्ध करवाए जाएं। सीएम ने कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य सचिव को निर्देशित किया कि ग्रामीण व पर्वतीय उत्पादों के समुचित विपणन के लिए कार्ययोजना बनाएं। उन्होंने कहा कि राज्य के हैंडीक्राफ्ट को संगठित रूप देना होगा। जलागम, आईफेड, जायका आदि परियोजनाओं में धन की कमी नहीं है। परंतु इन योजनाओं का औचत्यि तभी है जब इनके माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था व ग्रामीणों की आजीविका में सुधार ला सकें। स्थानीय लोगों के हाथ के हुनर पर ध्यान देने की जरूरत है। जायका, जलागम व आईफेड के लिए अलग-अलग क्षेत्र  निर्धारित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर विभिन्न स्टालों का निरीक्षण किया। साथ ही तीन प्रशिक्षण माॅड्यूलों का विमोचन व परियोजना की वेबसाईट को लांच किया। कार्यक्रम में विधायक हरबंस कपूर, विधायक गणेश गोदियाल, मुख्य परियोजना निदेशक विजय कुमार सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए स्वयं सहायता समूहों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। 

गांधीजी के आदर्शों व सिद्धांतों का अनुसरण करना चाहिए: हरीष रावत

देहरादून 9 जनवरी,(निस)। महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलकर ही मानव सभ्यता को बचाया जा सकता है। हमें गांधीजी के आदर्शों व सिद्धांतों का अनुसरण करना चाहिए। हर रोज व हर पल ऐसा आचरण करना है जिससे गांधीजी के दिखाए गए रास्ते पर चल सकें। शुक्रवार को गांधी पार्क में महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से भारत वापसी के शताब्दी समारोह में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बीसवीं सदी के महानायक गांधीजी ने हमारे स्वतंत्रता संघर्ष से गरीबों, किसानों को जोड़ा। उन्होंने इसे सभी वर्गों, धर्मों, क्षेत्रों व जातियों का आंदोलन बना दिया। गांधीजी ने गरीबों, दलितों के साथ ही सभी धर्मों के लोगों को विश्वास दिलाया कि उनका अपना स्वराज होगा, अपनी सरकार होगी जो कि गरीबों के लिए काम करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका से भारत वापिस आने के बाद पूरे देश का दौरा किया। वे गरीबों, किसानों, दलितों के साथ रहे और पढ़े लिखे लोगों तक सीमित रहे आजादी के आंदोलन को जनसामान्य का आंदोलन बना दिया। गांधीजी के सिद्धांतों की प्रासंगिकता वर्तमान वैश्विक परिदृश्यों में और भी अधिक हो गई है। इस अवसर पर सर्वधर्म सभा का आयोजन हुआ और रामधुन सहित विभिन्न भजनों की प्रस्तुति की गई। मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम में प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।  

गंाधी दर्षन से बेरोजगारी हो सकती है दूर: विधानसभा अध्यक्ष

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देहरादून 9 जनवरी,(निस)। महात्मा गांधी के दर्शनों व विचारों पर यदि हम चलने का प्रयास करें तो समाज में शान्ति, अहिंसा अमन चैन से रह सकते हैं। गांधी ने शिक्षा के साथ-साथ समाज के लिए जो काम किया तथा देश की आजादी में जो भूमिका निभाई उसे हमेशा याद रखा जायेगा। यह बात जिला सर्वोदय मण्डल देहरादून द्वारा डीबीएस काॅलेज में महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रिका से लौटने के 100 वर्षों पर युद्ध, शान्ति व अहिंसा विषय पर आयोजित गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि रूप में संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल ने कही। श्री कुंजवाल ने कहा कि आज जहाॅं विदेशों में गांधी के जीवन पर  चिन्तन व शोध चल रहे हैं वही अपने देश में युवा पीढ़ी का गांधी को भुलना चिन्ता जनक है। उन्होंने कहा कि गांधी के विचार व चिन्तन को अपने जीवन में उतारना होगा तभी हम आगे बढ़ पाऐंगे। उन्होंने कहा की गांधी दर्शन एक ऐसा दर्शन है। यदि गांधी के दर्शन व सिद्धान्त को देश अपनाना शुरू कर दे तो इससे बेरोजगारी दूर हो पाएगी। उन्होंने कहा की जो परेशानियाॅ आज पैदा हो रही हैं वह व्यक्ति की स्वयं पैदा किये और मनुष्य ने प्रकृति के साथ जिस तरीके से छेड़ छाड़ कि है उसका खामियाजा आज लोगों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश और दुनियाॅं को सोचना पढ़ेगा कि वे गांधी के सिद्धान्तों पर चलें यदि ऐसा नहीं हुआ तो देश और  दुनियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा इससे पूर्व सर्वोदय मण्डल के जिला अध्यक्ष सर्वोदय मण्डल द्वारा महात्मा गांधी की विचार व चिन्तन के लिए किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी। गोष्ठि में शिक्षा विद् नन्द नन्दन पाण्डे, योगेश बहुगुणा, विजय जड़धरी, त्रिपेन सिंह चैहान, चिनमय व्यास, डाॅ. विजय शंकर शुक्ल, डाॅ. अशोक नारंग, कमला पन्त, प्रत्युसवत्तसला आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। गांष्ठी की अध्यक्षता कुमाऊ विश्व विद्यालय डाॅ. जोशी व संचालन धीरेन्द्र नाथ तिवरी ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा गांधी जी की जीवनी पर आधारित फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। 

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (09 जनवरी)

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छात्राओं के बीच कम्प्युटर की शिक्षा दे रहा एकरा

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नरकटियागंज(पच) गूगल और डीईएफ के सहयोग से बिहार के पश्चिम चम्पारण जिला अन्तर्गत एसोसियशन फाॅर कम्युनिटी रिसर्च एण्ड एक्शन(एकरा) के तहत ग्रामीण महिलाओ व लड़कियों को गाँव-गाँव पहुँचकर महिलाओं को तकनिकी शिक्षा देते हुए। कम्प्युटर की शिक्षा देनी हैं। इसी क्रम में एकरा ने लगभग नवम्बर 2014 से जिला के विभिन्न प्रखण्ड में कम्प्युटर की शिक्षा प्रारम्भ किया है। नरकटियागंज प्रखण्ड के राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय मनवा-परसी, हरपुर, भेडिहरवा के छात्राओ के बीच कम्प्युटर की शिक्षा दी जा रही है ताकि वे कम्प्युटर के जरिये देश व दुनिया की खबरे घर बैठे लेती रहे। इस कार्यक्रम में मास्टर ट्रेनर जावेद आलम और राहुल कुमार की भूमिका सराहनीय है।

मदरसा शिक्षक व मान्यता प्राप्त सांख्यिकी स्वयंसेवकों ने दिया सीएम को ज्ञापन

नरकटियागंज (पच) राज्य के 2460 नये मदरसा शिक्षकों ने 4 सूत्री मांगपत्र मुख्यमंत्री को पेश किया। जिसमें 737 मदरसा के अभिलेख जो सचिवालय में लम्बित है उसका निष्पादन करने, मदरसा बोर्ड में लम्बित 200 से अधिक अभिलेख मंगा कर वेतन भुगतान करने और 2460 मदरसा में पढने वाले छात्र-छात्राओं को पोशाक राशि उपलब्ध कराने की मांग की हैं। अन्यथा संघ के प्रेसिडेन्ट जैनुल हक ने मदरसा शिक्षकों ने पूरा राज्य में आन्दोलन चलाने की धमकी दी है। जबकि मान्यता प्राप्त सांख्यिकी स्वयं सेवकों ने आमरण अनशन तोड़वाकर दिये आश्वासन की याद दिलाते हुए ए एस भी को सांख्यिकीकर्मी घोषित कर साठ वर्ष की आयु तक काम लेने व समुचित मानदेय उपलब्ध कराने संबंधी स्मारपत्र सौंपा।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (09 जनवरी)

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प्रगति का सूचक है विज्ञान-कलेक्टर श्री ओझा , जिला स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी का शुभांरभ 

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विदिशा जिला मुख्यालय के शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय में शुक्रवार को कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने जिला स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी का शुभांरभ किया। यहां उन्होंने कहा कि आधुनिक युग विज्ञान प्रगति का सूचक है जिस देश में जितना अधिक विज्ञान के क्षेत्र में कार्य हुए है वह देश उतना अधिक अग्रसर हुआ है। कलेक्टर श्री ओझा ने विद्यालयीन विद्यार्थियों का हौंसला अफजाई करते हुए कहा कि इसी विद्यालय से पढ़कर श्री कैलाश सत्यार्थी ने उल्लेखनीय कार्य कर नोबल पुरस्कार प्राप्त किया है। उन्होंने विद्यालय की गरिमा और बढ़ाने की अपेक्षा विद्यार्थियों से व्यक्त की। श्री ओझा ने कहा कि विज्ञान के तथ्यों की जानकारी प्राप्ति के लिए आवश्यक हुआ तो अन्य जिलो के वैज्ञानिकों को आमंत्रित कर विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया जाएगा। अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने कहा कि सभी बच्चों में प्रतिभा होती है बस मात्र उस प्रतिभा का पहचान कर निखारने की आवश्यकता है इस कार्य में गुरूजनों की महती भूमिका है। उन्होंने जिले से अच्छे वैज्ञानिक बनकर जिले का नाम रोशन करें। कार्यक्रम को एसडीएम श्री एके सिंह ने भी सम्बोधित किया। 

माडलो का निरीक्षण
जिले के विभिन्न स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा नौ से ग्यारहवीं तक के विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए माॅडल जो विज्ञान पर आधारित है का मौके पर कलेक्टर सहित अन्य ने निरीक्षण किया और विद्यार्थियों का हौंसला अफजाई किया। 

नेत्र परीक्षण
उत्कृष्ट विद्यालय परिसर में सेवा सदन नेत्र चिकित्सालय भोपाल के चलित नेत्र एम्बुलेंस के माध्यम से स्कूली विद्यार्थियों के साथ-साथ संस्था के गुरूजनों का भी निःशुल्क नेत्र परीक्षण किया गया।

स्टेंडिग कमेटी की बैठक आज

त्रि-स्तरीय पंचायतों के निर्वाचन के अंतर्गत विदिशा जिला पंचायत के विभिन्न वार्डो के विधिमान्य उम्मीदवारों को आदर्श आचार संहिता एवं निर्वाचन संबंधी अन्य जानकारियां मुहैया कराए जाने के उद्धेश्य जिला स्तरीय स्टेंडिंग कमेटी की बैठक 10 जनवरी को आयोजित की गई है। यह बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष शाम पांच बजे से प्रारंभ होगी। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री एमबी ओझा की अध्यक्षता में आहूत उक्त बैठक में संबंधित उम्मीदवारों को निर्वाचन अभिकर्ता की नियुक्ति, नियत प्रारूप में प्रतीको की जानकारी, मतदान अभिकर्ता एवं गणना अभिकर्ता नियुक्त करने के साथ-साथ मतदान का समय व तिथि के अलावा निर्वाचन आयोग के नवीन दिशा निर्देशों से अवगत कराया जाएगा।

मंदबुद्धि निःशक्तजनों का स्वास्थ्य परीक्षण जारी

जिले केे चिन्हित मंदबुद्धि निःशक्तजनों के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु सत्संग भवन में दो दिवसीय उपचार केम्प का आयोजन किया गया है। प्रथम दिन शुक्रवार 449 अविकसित निःशक्तजनों का पंजीयन कर उनका उपचार चिकित्सकों के द्वारा किया गया। शिविर का शुभांरभ अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उन्होंने निःशक्तजनों का हौंसला अफजाई करते हुए उनके परिजनों से कहा कि नियमित व्यायाम कराने और स्नेह से देखभाल करने पर दवाईयों का असर दोगुना हो जाता है। उन्होंने कहा कि मंदबुद्धि के व्यक्ति जितना अधिक प्रसन्न रहेंगे उतना जल्दी उनमें सुधार होने की संभावना है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के निःशक्तजनों के कल्याण हेतु किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी इस दौरान प्राप्त की। सामाजिक न्याय विभाग के उप संचालक श्री सीएल पंथारे ने बताया कि जिले में 2996 मंदबुद्धि के निःशक्त चिन्हित किए गए है इनमें से 1219 निःशक्तजनों को आर्थिक सहायता योजनांतर्गत क्रमशः पांच-पांच सौ रूपए की राशि हर माह प्रदाय की जा रही है। इन सभी निःशक्तजनों का एक-एक लाख रूपए का बीमा भी कराया जा चुका है। ऐसे निःशक्त जो 18 वर्ष से ऊपर के हितग्राहियों को लीगल गर्जियनशिप के प्रमाण पत्र भी प्रदाय किए और उन्हें इस दौरान निरामय बीमा कार्ड भी मुहैया कराए गए। शिविर स्थल पर संयुक्त कलेक्टर सुश्री माधवी नागेन्द्र, डिप्टी कलेक्टर सुश्री नेहा भारती, जिला पंचायत के अतिरिक्त सीईओ श्री भूपेश गुप्ता तथा अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिसर के विषय विशेषज्ञ डाॅक्टरो के अलावा निःशक्त एवं उनके अभिभावकगण मौजूद थे। 

पुलिस अधीक्षक द्वारा नगद इनाम की घोषणा

पुलिस अधीक्षक श्री धर्मेन्द्र चैधरी ने दो प्रकरणों के फरार आरोपियों की सूचना देने अथवा गिरफ्तारी कराने में मदद करने वाले के लिए नगद राशि क्रमशः दो-दो हजार रूपए देने की घोषणा की। जारी उद्घोषणा अनुसार थाना पथरिया के लिखित अपराध प्रकरण 141/14 के आरोपी कमर खां पुत्र ईसाक खां निवासी ग्राम बमूरियाताल एवं सिविल लाइन थाने में दर्ज अपराध प्रकरण 318/12 के आरोपी गणेश बैरागी पुत्र भगवान दास बैरागी निवासी करैयालखेडा रोड विदिशा के आरोपी विरूद्व फरियादी ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। उक्त दर्ज अपराध प्रकरण के फरार आरोपी की सूचना देने अथवा गिरफ्तारी कराने में मदद करने वाले के लिए पुलिस अधीक्षक द्वारा नगद राशि क्रमशः दो-दोे हजार रूपए की राशि देने की घोषणा की हैै। सूचना देने वाला व्यक्ति चाहे तो उसका नाम गोपनीय रखा जाएगा।

मांझी को हटाना आत्मघाती होगा : नरेन्द्र सिंह

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बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को पद से हटाये जाने की अटकलों के बीच सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड  में घमासान छिड़ गया है और अब कुछ मंत्री भी उनके र्समथन में आगे आकर इसे पार्टी के लिए आत्मघाती कदम बता रहे है । जदयू में दो धड़ा साफ बटा नजर आ रहा है । एक धड़ा श्री मांझीेके साथ खड़ा है तो दूसरा उन्हें बदलने की मांग कर रहा है । श्री मांझी के हाल के कुछ विवादित बयानों को आधार बनाकर दूसरा धड़ा मुख्यमंत्री को बदलकर श्री नीतीश कुमार को फिर से राज्य की जिम्मेवारी संभालने पर जोर दे रहा है । ऐसे लोगों में संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार. खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री श्याम रजक और जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी प्रमुख हैं. वहीं दूसरी ओर श्री मांझी को हटाये जाने के विरोध में खड़े राज्य के कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह ने कहा कि श्री नीतीश कुमार इतने परिपक्व और अनुभवी है कि उन्हें नही लगता है कि वह राजनीतिक आत्महत्या जैसा कोई कदम उठायेंगे. उन्होंने कहा कि श्री मांझी को श्री कुमार ने ही मुख्यमंत्री बनाया था और उन्हें चार माह के बाद ही वह बदल दें ऐसा नहीं लगता है।

श्री सिंह ने कहा कि वैसे भी कहा जाता है कि जो बनाता है वह बिगाड़ता नहीं है । इसलिए उन्हें नहीं लगता कि श्री नीतीश कुमार ऐसा कोई काम करेंगे जिससे पार्टी को नुकसान हो 1 उन्होंने कहा कि इसके बावजूद यदि श्री मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो वह पार्टी के लिए आत्मघाती साबित होगा. शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल भी श्री मांझी के र्समथन में आगे आये है 1 उन्होंने कहा कि मांझी मंत्रिमंडल के सदस्य है और उन्हें अभी तक कोई ऐसी जानकारी नहीं है कि श्री मांझी को बदला जा रहा है । उन्होंने कहा कि उनकी समझ में श्री मांझी का अभी कोई विकल्प भी नहीं है इसलिए उन्हें बदला नहीं जा सकता है । बावजूद इसके यदि ऐसा निर्णय होता है तो वह पार्टी के लिए घातक होगा. परिवहन मंत्री रमई राम ने दलित मुख्यमंत्री के मुद्दे पर श्री मांझी के विचार का र्समथन करते हुए कहा कि वह भी इसके पक्षधर हैं कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री कोई दलित हीं हो। उन्होंने अगले मुख्यमंत्री के रूप में श्री नीतीश कुमार को आगे रखकर विधानसभा चुनाव लड़ने की पार्टी की आम राय और श्री मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने की चर्चा के बारे में पूछे जाने पर अभी कुछ भी कहने से इंकार किया.

उधर जदयू के बागी विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू और रविन्द्र राय ने श्री नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनमें हिम्मत है तो वह श्री मांझी को मुख्यमंत्री के पद से हटाकर देखें 1 उन्होंने दावा किया कि पार्टी के अधिकांश विधायक श्री मांझी के साथ हैं और वे किसी भी कीमत पर श्री मांझी को पद से हटने नहीं देंगे. श्री ज्ञानू ने कहा कि जनता दल परिवार का विलय राष्ट्रीय जनता दल जदयू का नहीं होगा बल्कि श्री नीतीश कुमार और श्री लालू प्रसाद यादव का व्यक्तिगत विलय होगा।उन्होंने दावा किया कि जदयू पूर्ववत बना रहेगा. इस बीच राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि सिर्फ बडें़ नेताों :लालूशनीतीश: के मिलने से कोई फायदा नहीं होगा 1 इसके लिए दोनों दलों में हर स्तर पर सहमति बनानी होगी 1 उन्होंने कहा कि कार्यक्रम. नीति और सिद्धांत के आधार पर विलय होगा इसलिए इसके लिए सभी संबंधित दलों को अधिवेशन बुलाकर इसके लिए प्रस्ताव लाना होगा.

जम्मू.कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा

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जम्मू.कश्मीर में किसी भी दल के सरकार नहीं बना सकने की स्थिति को देखते हुए राज्यपाल शासन लगा दिया गया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जम्मू.कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा द्वारा राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को कल रात दी गयी रिपोर्ट के बाद यह फैसला लिया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि श्री उमर अब्दुल्ला ने अनुरोध किया है कि उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पद से मुक्त कर दिया जाए। उल्लेखनीय है कि जम्मू.कश्मीर विधानसभा के गत माह हुए चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। पीपुल्स डेंमोक्रेटिक पार्टी को र्सवाधिक 28 सीटें मिली हैं जो बहुमत से 16 कम है। भाजपा को 25. नेशनल कांफ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली हैं।

जम्मू.कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 19 जनवरी को समाप्त हो रहा है और उससे पहले नयी सरकार का गठन होना जरूरी है। लेकिन श्री उमर अब्दुल्ला के कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पद पर नहीं रहने के फैसले को देखते हुए राज्यपाल को अपनी रिपोंर्ट जल्दी भेजनी पड़ी। सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय ने राज्यपाल की रिपोर्ट कल रात प्रधानमंत्री कार्यालय को जरूरी कार्रवाई के लिए भेज दी थी। समझा जाता है कि राष्ट्रपति ने राज्यपाल शासन लागू करने को अपनी सहमति दे दी है। भाजपा की नियमित प्रेस कांफ्रेंस में पूछे जाने पर दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राज्य में स्थायी सरकार के लिए चर्चा चल रही है। विधानसभा का कार्यकाल 19 जनवरी को समाप्त हो रहा है लेकिन कार्यवाहक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पद पर बने रहने में अनिच्छा जताई है। यही वजह है कि राजकाज चलाने के लिए वहां राज्यपाल शासन लगाया गया है। कांग्रेस ने कहा है कि राज्य में लोकतांत्रिक सरकार बनाने की जिम्मेदारी पीडीपी तथा भाजपा की है जिन्हें सबसे ज्यादा सीटें मिली है। पार्टी की प्रवक्ता शोभा ओझा ने संवाददाताों के सवालों पर कहा कि जनता ने खंडित जनादेश दिया है और सरकार बनाने की जवाबदेही इन दोनों दलों की है। 

सहारा प्रमुख को सुप्रीम कोर्ट से राहत

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उच्चतम न्यायालय ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को राहत प्रदान करते हुए विदेश की अपनी परिसम्पत्तियों से ऋण जुटाने का उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया। हालांकि इस मामले में उन्हें विदेशी मुद्रा विनिमय के लिए रिर्जव बैंक की अनुमति लेनी पड़ेगी। न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सहारा प्रमुख को जमानत राशि जुटाने के लिए विदेश स्थित अपने होटलों से 105 करोड़ डॉलर जुटाने की मंजूरी दी. ताकि वह जमानत राशि के तौर पर 5000 करोड़ रुपये नकद और 5000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जुटा सकें।      

न्यायालय के  निर्देशानुसार सहारा समूह विदेश से पैसा जुटाने के लिए रिर्जव बैंक और अन्य संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेगा। शीर्ष अदालत ने लेनदेन से संबंधित सभी जरूरी काया6 को निपटाने के लिए श्री रॉय को तिहाड़ जेल के भीतर अस्थायी कार्यालय के इस्तेमाल की अनुमति भी दी। सहारा प्रमुख 12 जनवरी से 20 फरवरी तक फोन और कम्प्यूटर की सुविधाएं भी इस्तेमाल कर सकेंगे। भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ एक विवाद में श्री रॉय एवं उनके दो निदेशक चार मार्च 2014 से तिहाड़ जेल में बंद हैं।
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