Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74313 articles
Browse latest View live

केन्द्र सरकार ने इंदिरा आवास के कोटे में भारी कटौती की : मांझी

$
0
0
center-reduce-indira-awas-amount-said-manjhi
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड:जदयू: के वरिष्ठ नेता जीतन राम मांझी ने आज कहा कि केन्द्र सरकार ने राज्य के इंदिरा आवास के कोटे में भारी कटौती की है । श्री मांझी ने यहां के रामसुन्दर दास महिला महाविद्यालय के 38 वां स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करने के बाद कहा कि गरीबो का भला करने वाली केन्द्र  सरकार ने बिहार के इंदिरा आवास के कोटे में काफी कटौती कर दी है । बिहार के योजना आकार को कम करने का प्रयास किया जा रहा है । 

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुदान के रूप में मिलने वाली सहायता राशि को कम कर राज्य के विकास को बाधित करने का कार्य किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय बिहार को विशेष राज्य का र्दजा दिये जाने का  वादा किया गया था लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई  नही की गयी है । उन्होंने आरोप लगाया और कहा कि विपक्ष भ्रम और अफवाह के जरिये अस्थिरता फैलाना चाहती है । 

पुलिस को एक महिला की तलाश, फ्रांस हाई अलर्ट पर

$
0
0
high-alert-in-france
फ्रांसिसी पुलिस पेरिस में व्यंग्य पत्रिका चार्ली हेब्दो के कार्यालय और यहूदी रेस्त्रां पर हमला करने वाले इस्लामिक आतंकवादी का साथ देने वाली एक महिला की तलाश कर रही है। साथ ही पुलिस ने कल पेरिस में .शांति मार्च. के लिए यूरोपीय देशों के नेताों के एकत्रित होने के मद्देनजर उच्च स्तर पर आतंकवाद विरोधी अलर्ट जारी कर रखा है। पुलिस प्रशासन 26 वर्षीय हयात बोमेदिएने की तलाश कर रहा है। पुलिस का कहना है कि उसके पास हथियार है तथा देश पर और भी हमले हो सकते है। बताया जा रहा है कि यह संदिग्ध महिला सुपरबाजार पर हमला करने वाले अमेदी कालिबेली की प्रेमिका है। पुलिस  ने काले कपडे पहने लंबे बालों वाली इस महिला की तस्वीर जारी की है। ली मोंडे समाचार पत्र ने बताया कि बोमेदिएने ने अमेदी से एक धार्मिक समारोह में वर्ष 2009 में शादी की थी। वर्ष 2010 में पुलिस ने बोमेदिएने से इस्लामिक संगठनों के साथ संदिग्ध संबंधों के चलते पूछताछ भी की थी। इस महिला के फरार होने से फ्रांसिसी अधिकारियों को देश में और आतंकवादी हमले होने की चिंता सता रही है। अधिकारियों का कहना है कि मारे गये हमलावरों में से एक की प्रेमिका के बचकर भाग जाने के कारण देश में और हमले हो सकते है। पुलिस ने इस संदिग्ध महिला की तलाश शुरू कर दी है।

र्जमनी की चांसलर एंजेला र्मकेल. ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून तथा इटली के प्रधानमंत्री मेतिओ रेंजी. अरब लीग के प्रतिनिधि. तुर् ी के प्रधानमंत्री के साथ कुछ मुस्लिम अफ्रीकी नेता कल राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांदे के साथ शांति मार्च में हिस्सा लेंगे। वहीं श्री ओलांदे ने कहा है कि देश पर से खतरा अभी टला नहीं है। उन्होंने कहा इन मूर्खो. कट्टरपंथियों का मुस्लिम धर्म से कोई लेना देना नहीं है। फ्रांस पर से खतरा अभी समाप्त नहीं हुआ है। उल्लेखनीय है कि बुधवार को चार्ली हेब्दो के कार्यालय में घुसकर 12 लोगों की हत्या करने वाले दो संदिग्ध हमलावर भाइयों को कल पेरिस के उत्तरी शहर डेममार्टिन एन जोइले में मार गिराया। इसी शहर के एक प्रिंटिंग गोदाम में ये संदिग्ध हमलावर छुपे हुए थे।कोशेर सुपरबाजार में कई लोगों को बंधक बनाने वाले बंदूकधारी की भी मौत हो गयी है। ऐसा माना जा रहा है कि मारे गए तीनों हमलावर  का संबंध एक ही इस्लामिक गुट से है। पुलिस ने बताया कि सुपरबाजार में चार बंधकों की भी मौत हो गयी है। 

हां कांग्रेस है कमजोर : द्विवेदी

$
0
0
janardan-accepted-week-congress
कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने स्वीकार किया है कि देश के कुछ हिस्सों के साथ ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बहुत कमजोर है और इसी वजह से संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन.संप्रग. पिछला लोकसभा चुनाव नहीं जीत सका। श्री द्विवेदी ने कहा ..हां मैं स्वीकार करता हूं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बहुत कमजोर है। यही स्थिति देश के कुछ हिस्सों में भी है। संक्षिप्त दौरे पर यहां आये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि वह नहीं मानते कि कांग्रेस में अन्दरुनी लडाई है। 

अस्वस्थ्य चल रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी से मिलने आये कांग्रेस महासचिव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लिए बगैर कहा ..कुछ लोग कांग्रेस के खत्म होने का सपना देख रहे हैं। ऐसे लोग यह नहीं जानते कि कांग्रेस गिर गिर के उठी है। कांग्रेस एक बार फिर उठेगी और जनता की आशाों पर खरा उतरेगी।.. 

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी फिलहाल तो श्रीमती सोनिया गांधी ही कांग्रेस अध्यक्ष हैं। जब वह पद छोडेंगी तो राहुल गांधी पद संभालेंगे। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम के गांधी परिवार से अलग कांग्रेस अध्यक्ष बनाये जाने सम्बन्धी बयान पर उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।

नीतीश मुख्यमंत्री बनने को बेचैन : सुशील मोदी

$
0
0
nitish-dying-to-be-cm-said-sushil-modi
बिहार विधानमंडल में भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा तो दे दिया लेकिन श्री जीतन राम मांझी को खड़ाऊं  मुख्यमंत्री बना दिया, श्री मोदी ने यहां कहा कि जब श्री मांझी दोबारा मुख्यमंत्री बनने की बात करने लगे और श्री कुमार के भरोसेमंद अधिकारियों का तबादला कर उनके रिमोट कंट्रोल से बाहर हो गये तो श्री कुमार बौखला कर मुख्यमंत्री बनने की जोड़शतोड़ में लग गये है । जदयू के नेतृत्व परिर्वतन की पटकथा राष्ट्रीय जनता दल :राजद: के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के  निर्देश में पटना और दिल्ली में लिखी जा रही है । पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री मांझी की अब उलटी गिनती शुरू हो गयी है । श्री मांझी अपने पद पर रहते हुए जनवरी का महीना भी नही पार कर सकेगे लेकिन लोक लुभावन घोषणाों की झड़ी लगाकर वह सात माह के अनूठे मुख्यमंत्री के रूप में अपना नाम इतिहास में र्दज कराना चाहते है । 

श्री मोंदी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री कुमार कभी भी सत्ता के बिना नही रह सकते. उन्होंने कहा कि श्री कुमार पहली बार वर्ष 2000 में सात दिन के लिये मुख्यमंत्री बने थे लेकिन बहुमत नही जुटा पाने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उस समय श्री कुमार ने कहा था कि वह बिहार की सेवा करने के लिये खूंटा गाडकर रहेगे लेकिन कुछ दिन बाद ही केन्द्र में मंत्री बनने के लिये दिल्ली चले गये। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि गैसल रेल दुघरटना के बाद श्री कुमार ने रेल मंत्री का पद छोडा लेकिन जल्द ही फिर से केन्द्र में मंत्री बन गये 1उन्होंने कहा कि पिछले वर्षा मई माह में श्री कुमार ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और सात महीने बाद ही फिर से मुख्यमंत्री बनने के जुगाड़ में लग गये है । श्री मोदी ने कहा कि श्री कुमार का खड़ाउं पकड़कर मुख्यमंत्री बने श्री मांझी भी आसानी से समपर्ण करने के मूड में नही है । श्री कुमार और श्री मांझी की लड़ाई में प्रदेश का नुकसान हो रहा है । उन्होंने कहा कि मंत्री और अधिकारी मुख्यमंत्री की बात नही सुन रहे है जिसके कारण प्रदेश में विकास का कार्य पूरी तरह से ठप हो गया है । राज्य में हत्या . बलात्कार . अपहरण और लूट की घटनाों के साथ जंगलराजशदो का अंधेरा गहरा होने लगा है ।

न भाजपा में जाउंगा और न ही सपा में : अमर सिंह

$
0
0
amar-singh-reject-to-join-bjp-sp
पूर्व सांसद अमर सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ और समाजवादी पार्टी.सपा.अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से उनकी  मुलाकात को लेकर कोई  अटकल नहीं लगायी जानी चाहिए क्योंकि वह न तो भाजपा में जाने वाले हैं और न ही सपा में. श्री सिंह ने आज यहां कहा कि वह श्री मोदी के कार्य के प्रशंसक हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं  वह भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रशंसक हैं।उन्होंने कहा कि उन्हें भाजपा में भी नहीं जाना है और दस सालों तक वह शांत रहेंगे। 
      
उन्होंने सपा पर कटाक्ष किया कि जिस फिल्मी चकाचाैंध का आरोप लगाकर उन्हें वहां से निकाला गया अब उसी पार्टी के लोग सैफई में फिल्मी सितारों के बीच नाचें। अब किस किस को निकाला जायेगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश में बढते अपराधों पर कहा कि सपा अध्यक्ष श्री यादव खुद कह रहे हैं कि अखिलेश यादव सरकार ठीक नहीं चल रही है तो फिर उन्हे अब कुछ क्या कहने की जरुरत 1उन्होंने आजमगढ के विकास पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि जब श्री यादव के संसदीय क्षेत्र का यह हाल है तो प्रदेश का हाल बताने की जरुरत नहीं है। 

यू टर्न सरकार है मोदी सरकार : केजरीवाल

$
0
0
modi-have-u-turn-government-kejriwal
आम आदमी पार्टी .आप. के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए आज कहा कि उसने पिछले सात महीने में एक भी वादा पूरा नहीं किया है और अब फिर वादों की झडी लगाकर दिल्ली की जनता को गुमराह कर रही है। श्री केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संवाददाताों से कहा कि दिल्ली में आप की बढती लोकप्रियता से भाजपा घबरायी हुई है क्योंकि उसके पास न तो नेतृत्व है और न ही कोई एजेंडा। पिछले सात महीने में मोदी सरकार ने केवल वादाखिलाफी की है और हर वादे पर यूटर्न लिया है। उल्लेखनीय है कि श्री मोदी ने रामलीला मैदान में आयोजित भाजपा की जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि जिन लोगों को धरना देने और आंदोलन करने की मास्टरी है उन्हें यह काम करने दीजिए और सरकार चलाने की जिम्मेदारी भाजपा को दीजिए। उन्होंने श्री केजरीवाल का नाम लिए बगैर कहा कि क्या आपने ऐसा नेता देखा है जो खुद को अराजक कहता हो। अगर आपको अराजकता करनी है तो आप जंगलों में नक्सलियों के साथ जुड जाओ। श्री केजरीवाल ने सिलसिलेवार ढंग से प्रधानमंत्री की हर बात का जवाब दिया लेकिन कहा कि वह निजी आक्षेपों पर कोई जवाब नहीं देंगे। उन्होंने कहा ..श्री मोदी ने सात महीने पहले देश के लोगों जो वादे किए थे उनमें से एक भी पूरा नहीं किया। आज उन्होंने उनमें से किसी भी वादे का जिक्र तक नहीं किया। लेकिन हमने जो भी वादा किया था वह 49 दिन में पूरा किया।

 दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने दिल्ली के पिछले विधानसभा चुनावों में बिजली के बिल में 30 प्रतिशत कमी का वादा किया था लेकिन मोदी सरकार ने पिछले सात महीने में एक बार भी बिजली के दाम नहीं घटाए बल्कि दो बार दाम बढाए। अब सरकार दिल्ली के लिए एलईडी बल्ब की योजना लेकर आयी है जिससे हर साल बिजली के बिल में 300 रुपए की बचत होगी जबकि हमारी सरकार ने बिल आधे कर दिए थे और अगर फिर दिल्ली में आप की सरकार बनती है तो बिजली के बिल आधे किए जाएंगे। आप के नेता कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का र्दजा देने के मामले में श्री मोदी ने अपने भाषण में कुछ नहीं कहा। केंद्र सरकार 2022 तक दिल्ली में सभी झुग्गीवासियों को मकान देने का वादा कर रही है लेकिन जिन झुग्गियों को तोडा जा रहा है उनमें रहने वाले लोग बेघर रहने को मजबूर हैं। सरकार को उनकी कोई चिंता नहीं है। श्री केजरीवाल ने कहा ..प्रधानमंत्री को अपने दफतर से भ्रष्टाचार साफ करने में सात महीने लग गए हैं तो गली मोहल्ले तक पहुंचने में उन्हें कितना समय लगेगा। इसका मतलब यह है कि या तो इन्हें ऐसा करना नहीं आता या फिर इनकी नीयत नहीं है। हमने 49 दिन में दिल्ली से भ्रष्टाचार का सफाया कर दिया था। हम धरना आंदोलन करना भी जानते हैं और सरकार चलाना भी जानते हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर भी निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह महंगाई कम होने का दावा करते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि आज सब्जियां लोगों की थालियों से दूर हो गयी है। दिल्ली में सब्जियों के दाम चार गुना बढ गये हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि भाजपा महिलाों के खिलाफ है और उसके नेता आये दिन उनके बारे में ऊटपटांग बयान देते रहते हैं। प्रधानमंत्री जनधन योजना पर भी कटाक्ष करते हुए आप के संयोजक ने कहा कि बैंक में लोगों के खाते तो खुलवा दिए लेकिन पैसे कहां से आएंगे। भाजपा की रैली को फलाप शो करार देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री. तीन..तीन मुख्यमंत्रियों और कई केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी के बावजूद इस रैली में करीब 25 हजार लोग ही आ पाये।

देश की अखंडता अक्षुण्ण रखने के लिए हर आवश्यक कदम उठाये जाएं : प्रणव

$
0
0
pranab-speech-on-new-year
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने नियंत्रण रेखा पर सीमा पार से संघर्ष विराम उल्लंघन की लगातार हो रही घटनाों और भारत के तटीय इलाके में घुसपैठ की हालिया कोशिश पर चिंता जताते हुए आज कहा कि सीमा की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाये जाने चाहिएं।श्री मुखर्जी ने यहां कहा भारत शांति और अहिंसा के प्रति वचनबद्ध है. लेकिन सीमा को लेकर हम लापरवाह नहीं हो सकते। नियंत्रण रेखा पर लगातार हिंसा और तटीय इलाके में घुसपैठ की हालिया घटनाएं गम्भीर चिंता का विषय हैं। हमें देश की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा तथा सीमाई अखंडता अक्षुण्ण रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के वास्ते तैयार रहना होगा। वह विभिन्न राज्यों के राज्यपालों और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपालों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये नववर्ष का संदेश दे रहे थे। राष्ट्रपति ने शांति और सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों के खिलाफ चौकसी रखने की राज्य सरकारों से अपील भी की। राष्ट्रपति ने कहा संविधान की प्रस्तावना में देश के नागरिकों की विचारों की अभिव्यक्ति. मान्यताों. विश्वास और पूजा के अधिकार सुरक्षित रखने की घोषणा की गई है। संविधान के अनुच्छेदों (19 से 28) में इन अधिकारों की गारंटी सुनिश्चित की गई है।

विकास के मामले में राज्यपालों की भूमिका को लेकर संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची में किये गए उल्लेख का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वाम अतिवाद के खात्मे के लिए न.न केवल विकास की रणनीति पर अमल किया जाना चाहिए. बल्कि इसका प्रतिकार भी किया जाना चाहिए। श्री मुखर्जी ने शिक्षा को विकास का आवश्यक अंग तथा दुरुस्त शिक्षा प्रणाली को प्रबुद्ध समाज का आधार स्तम्भ करार देते हुए राज्यपालों से अपील की कि वे शिक्षण संस्थानों की ओर विशेष ध्यान दें ताकि विद्यार्थी गुणवत्ता युक्त शिक्षा के साथ..साथ देशभक्ति. करुणा. ईमानदारी. सहनशीलता. र्कतव्यपरायणता एवं महिलाों के प्रति सम्मान के सांस्कृतिक मूल्य भी सीख सकें। पिछले वर्ष हुए आम चुनावों में एक पार्टी को बहुमत मिलने और केंद्र में स्थायी सरकार बनने का जिक्र करते हुए उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से देशवासियों की अपेक्षाों पर खरा उतरने के लिए एकजुट प्रयास करने की आवश्यकता भी जताई. उन्होंने कहा ..आइए हम 2015 को शांति. उन्नति और सौहार्द का वर्ष बनाएं।.. उन्होंने 2014 में नयी सरकार द्वारा शुरू किये गए स्वच्छ भारत अभियान. सांसद आर्दश ग्राम योजना. प्रधानमंत्री जनधन योजना. मेक इन इंडिया अभियान और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम कर जिक्र करते हुए कहा कि इसका सफल क्रियान्वयन. बुद्धिमता और राज्यपालों के विशेष प्रयास जरूरी हैं।

मोदी सरकार के काम में विपक्ष रोडे अटका रहा है : अमित शाह

$
0
0
amit-shah-blame-opposition
भारतीय जनता पार्टी.भाजपा. के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वह नरेन्द्र मोदी सरकार केा अपने विकास का एजेंडा लागू करने के  रास्ते में रोडे अटका रहा है । भाजपा की दिल्ली इकाई की तरफ से आज रामलीला मैदान में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने सात माह के कार्यकाल में विश्व में देश की खोई हुई प्रतिष्ठा को  वापस कराने में सफलता हासिल की है । उन्होंने कहा किसरकार को अपना काम करने से रोकने के प्रयास में    विपक्षी दल राज्यसभा में तरह.तरह से अडचने पैदा कर रहा है जिससे अनेक महत्वपूर्ण विधेयक पिछले सत्र में पारित नहीं हो पाये 1 यही आरोप संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने भी अपने भाषण में लगाया.

श्री शाह ने कहा कि विपक्ष की वजह से बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश.एफडीआई. का विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो सका. देश को विकास की राह पर ले जाने के लिए सरकार भूमि अधिग्रहण और कोयला अध्यादेश लाई है और अब खनन अध्यादेश भी लाया जायेगा। उन्होंने कहा कि कि सरकार केा  विकास एजेंडा पर आगे बढने से कोई नहीं रोक पायेगा। वर्ष 2014 को भाजपा के इतिहास का विजय वर्ष बताते हुए श्री शाह ने कहा कि इससे पहले देश निराशा में डूबा हुआ था। श्री मोदी की अगुवाई में सरकार ने काम शुरु किया है लोगों की निराशा और हताशा दूर हुई है और उनमें आशा का संचार और विश्वास का सृजन हुआ है । पिछले साल भाजपा ने तीन राज्यों में सरकार बनाई और जम्मू.कश्मीर में सबसे ज्याद सीटें जीतने का इतिहास रचा. भाजपा को वादा निभाने वाली पार्टी बताते हुए श्री शाह ने दिल्ली के लोगों से अपील की कि अब उसका विजय रथ दिल्ली पहुंचा है और उम्मीद है कि राजधानी की जनता भी उसे पूरा र्समथन देगी. महंगाई का जिक्र करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन.संप्रग. सरकार के कार्यकाल में थोक महंगाई छह से सात प्रतिशत के बीच थी जो श्री मोदी के सात माह के कार्यकाल में घटकर शून्य रह गई है । सात माह में डीजल .पेट्रोल के दाम दस बार कम हुए हैं 1 उपभोक्ता को सालभर में 1500 रुपए से 4500 रुपए का फायदा हुआ है ।

श्री शाह कहा कि देश एक बार फिर तरक्की की राह पर आगे बढने लगा है । दस साल पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन.राजग. की सरकार 8.6 प्रतिशत की विकास दर नयी सरकार को साैंप कर गई थी . लेकिन श्री मोदी की अगुवाई में जब सरकार बनी तो उसे विरासत में 4.6 प्रतिशत की विकास दर मिली। सरकार ने कुछ महीनों में ही अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने का काम किया और यह यह दर बढकर 5.7 प्रतिशत पर आ गई है । सीमा पर पाकिस्तान की गोलाबारी पर श्री शाह ने कहा कि वहां अब स्थिति बदल गई है । गोलीबारी की शुरुआत पाकिस्तान करता है तो हिन्दुस्तान की फौज उसका जवाब देकर समाप्ति करती है । सीमा से गोली आती है तो यहां से गोला जाता है . ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाता है । सीमा की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया गया और तीनों सेनाों को आवश्यक हथियार और उपकरण मुहैया कराये गए हैं. दिल्ली की समस्याों के संबंध में श्री शाह ने कहा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी.आप. ने अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने के केवल वादे किया इस पर वास्तव में काम भाजपा ने किया 1 उन्होंने कहा कि पिछले साल सरकार बनाने में आप के लोग मेट्रो रेल सेवा से रामलीला मैदान पहुंचे थे 1 इसके बाद भी क्या वह कभी मैट्रो से आये. ऐसा नाटक क्यों किया गया 1 सादगी और सहजता की ब्राडिंग करने की क्या जरुरत है । बोगस वोटरों के संबंध में श्री शाह ने कहा कि आप के नेता अपने गिरेबान में झांके 1 उनके पास कितने वोटर कार्ड थे 1 वैट के बारे में आप ने झूठे आंकडे दिए 1 पार्टी के 49 दिन के शासनकाल में 150 छापे पडे 1 आप का झूठ बोलने का रिकार्ड है और उसे कोई नहीं हरा सकता. उन्होंने कहा कि आप नेता दिल्ली छोडकर बनारस प्रधानमंत्री बनने के लिए गए थे 1 देश का विकास उनके लिए कोई मायने नहीं रखता 1 उन्होंने दिल्ली की जनता से अपील की कि राजधानी को विश्व स्तर का शहर बनाने के लिए श्री मोदी का साथ दें और यहां भी भाजपा की सरकार बनवायें. इस मौके पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर . झारखंड के रघुबर दास और महाराष्ट्र के देवेन्द्र फडनवीस का सार्वजनिक अभिनंदन किया गया.


जनता परिवार की एकजुटता की प्रक्रिया तेज

$
0
0
janta-family-process-begin
समाजवादी पार्टी. राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल .यू. के नेताों की आज यहां बैठक हुई जिसमें जनता दल परिवार के दलों के विलय प्रक्रिया को तेज करने पर विचार किया गया। बैठक के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव तथा जद.यू. के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने बताया कि विलय प्रक्रिया के लिये अधिकृत समाजवादी पार्टी.सपा. प्रमुख मुलायम सिंह यादव जल्दी ही जनता दल.एस. के प्रमुख एच डी देवेगौडा तथा इंडियन नेशनल लोकदल के नेताों के साथ बैठक करेंगे . उन्होंने बताया कि अगली औपचारिक बैठक की तिथि श्री मुलायम सिंह यादव निर्धारित करेंगे 1 आज की बैठक में श्री मुलायम सिंह यादव. जद.यू. प्रमुख शरद यादव. श्री लालू प्रसाद यादव . श्री नीतीश कुमार. सपा के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव तथा राजद के नेता पे्रमचंद गुप्ता ने हिस्सा लिया.

श्री लालू प्रसाद याद और श्री नीतीश कुमार ने केन्द्र सरकार द्वारा बार. बार अध्यादेश लाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा कि अगली बैठक में इस मुद्दे पर आंदोलन की रूपरेखा तय करने पर चर्चा की जायेगी 1 उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के हक के खिलाफ अध्यादेश जारी किया है । उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि इंडियन नेशनल लोकदल जनता परिवार के विलय के खिलाफ नहीं है । आज की बैठक में उसका कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं था। श्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने ठग कर लोगों से वोट लिया था। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेताों ने 24 घंटे बिजली देने का वादा किया था लेकिन असलियत यह है कि बिजली है ही नहीं. श्री लालू प्रसाद यादव और श्री नीतीश कुमार पिछले चार दिनों से राजधानी में इस बैठक के लिये श्री मुलायम सिंह यादव का इंतजार कर रहे थे 1 गत चार दिसम्बर को जनता परिवार के दलों की बैठक में विलय के लिये श्री मुलायम सिंह यादव को अधिकृत किया गया था।

मोदी ने आप और केजरीवाल पर जमकर साधा निशाना

$
0
0
modi-target-kejriwal
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम आदमी पार्टी.आप. के संयोजक अरविंद केजरीवाल का नाम लिए बिना उनपर और उनकी पार्टी पर जमकर निशाना साधा और कहा कि राजधानी में एक झूठ की फैक्ट्री चल रही है जिसे जनता स्वयं ही पराजित कर देगी. प्रधानमंत्री ने कटाक्ष किया कि ये नेता अपने को.अराजक कहते हैं। ऐसे में उनसे स्थ्िर सरकार की अपेक्षा करना बेकार है । अराजक तत्वों के लिये दिल्ली में कोई जगह नहीं है।उन्हें तो जंगलों में जाकर माओवादियों के साथ जुड जाना चाहिये. उल्लेखनीय है कि श्री केजरीवाल ने अपने मुख्यमंत्री काल में एक बार धरने पर बैठकर अपने को अराजक एनार्किस्ट करार दिया था। श्री मोदी ने कहा कुछ लोगों को कुछ काम में मास्टरी हासिल है.उन्हें वहीं काम साैंपना चाहिए उन्हें फुटपाथ रोकने की मास्टरी है धरने करने की मास्टरी है आये दिन आंदोलन करने की मास्टरी है । जिसे गाडी चलाना आता हो उसे खाना बनाने का काम नहीं साैंपा जा सकता. उन्होंने कहा हमारी मास्टरी अच्छी सरकार चलाने में है हमें सरकार चलाने की मास्टरी सौंपिए और  जिसको फुटपाथ और आंदोलन करने की मास्टरी है उसे वह काम साैंपिए।

भारतीय जनता पार्टी.भाजपा. की दिल्ली इकाई की तरफ से दिल्ली विधानसभा का चुनावी बिगुल फूंकने और हाल में तीन राज्यों में पार्टी को मिली शानदार सफलता और वहां के नव निर्वाचित मुख्यमंत्रियों का स्वागत करने के लिए ऐतिहासिक रामलीला मैदान में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने आप का नाम लिए उस पर कडे प्रहार किये 1 उन्होंने कहा कि दिल्ली में एक झूठ की फैक्ट्री चल रही है । उनका काम केवल झूठ बोलना  है । हमें उनसे परेशान होने की जरुरत नहीं है । राजधानी की जनता चुनाव में उन्हें स्वयं सबक सिखा देगी. उन्होंने कहा कि आजकल दिल्ली में एक नयी अफवाह फैलायी जा रही है कि सरकारी र्कमचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 साल से घटाकर 58 की जा रही है । सरकार ने तो  इस बारे में कभी कुछ सोचा ही नहीं है । उन्होंने कहा कि हर दिन एक नया झूठ और लोगों को गुमराह करना  यही उनकी राजनीति का तरीका है । प्रधानमंत्री ने दिल्ली के लोगों से किसी प्रकार के बहकावे में नहीं आने की अपील करते हुए कहा  मैं पीठ में छुरा भोंकने वाला इंसान नहीं हूं। दिल्ली के लोगों से स्थिर और पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनने का आह्वान करते हुए पहले ही विकास की दौड में दिल्ली एक साल पीछे चला गया है । उन्होंने  कहा कि दिल्ली की प्रगति के लिये जरूरी है कि अस्थिरता को पनपने नहीं दिया जाये 1 उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 15 साल के राज में जो अधूरे सपने रह गए हैं भाजपा सत्ता में आने पर उनको भी पूरा करेगी

आप की बढती लोकप्रयिता से नर्वस हो गए हैं मोदी: आप

$
0
0
aap-replied-modi
आम आदमी पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आज कहा कि वह आप की बढती लोकप्रियता से नर्वस हो गए हैं। आप के वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव ने कहा लगता है कि आज प्रधानमंत्री नर्वस थे। शायद वह आप की बढती लोकप्रियता से चिंतित है। यही वजह है कि अपने भाषण के दौरान वह अधिकांश समय आप और केजरीवाल के बारे में बोलते रहे। उल्लेखनीय है कि श्री मोदी ने दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में भारतीय जनता पार्टी .भाजपा. की जनसभा को संबोधित करते हुए किसी का नाम लिए बगैर कहा कि जिन लोगों को धरना देने और आंदोलन करने की मास्टरी है उन्हें यह काम करने दीजिए और सरकार चलाने की जिम्मेदारी भाजपा को दीजिए। उन्होंने साथ ही कहा कि क्या आपने ऐसा नेता देखा है जो अपने आप को अराजक कहता हो। अगर आपको अराजकता करनी है तो आप जंगलों में नक्सलियों के साथ जुड जाओ। 
    
इस पर श्री यादव ने कहा कि एक नेता ऐसे थे जो खुद को अराजक कहते थे। उनका संबंध गुजरात से था और उनका नाम महात्मा गांधी था।  पार्टी नेता आशुतोष और मनीष सिसौदिया ने भी श्री मोदी के बयान की आलोचना की। आप के एक अन्य नेता सोमनाथ भारती ने कहा कि प्रधानमंत्री जैसे पद पर बैठे व्यक्ति को किसी विपक्षी नेता के बारे में ऐसा बयान देना शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि श्री मोदी जनता से किए गए वादों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं और इसलिए अपनी नाकामी छिपाने के लिए ऐसे ऊटपटांग बयान दे रहे हैं। 

बिहार विधानसभा के चुनाव में होगी जनता परिवार की असली परीक्षा

$
0
0
bihar-election-janta-pariwar
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी के  विजय रथ को बिहार में रोकने के नाम पर पुराने जनता परिवार की एकता की पहली परीक्षा इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में तय मानी जा रही है जिसे देखते हुए प्रदेश की राजनीति इन दिनों गरमाती जा रही है । विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन :राजग:जीतेगा या जनता दल यूनाइटेड राष्ट्रीय जनता दल गठबंधन की जीत होगी . इन दिनों राजनीतिक और गैर राजनीतिक हलको में यही चर्चायें हो रही है ।एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा उत्साहित है तो दूसरी ओर जद यू राजद के होने वाले विलय से इनके कार्यर्कता भी जोश से लबरेज है । दोनों के ही मजबूत पक्ष है । पिछले वर्ष अप्रैल मई में हुये लोकसभा चुनाव में राजग को बिहार में कुल 40 में से 31 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन इसके ठीक तीन माह बाद ही अगस्त में जब विधानसभा की दस सीटों के लिए उप चुनाव हुए तो उसमें राजग साठ प्रतिशत सीटें हार गया. इस उप चुनाव में राजद जद यू और कांग्रेस गठबंधन को छह सीटें मिली।

इस उप चुनाव में जद यू ने राजद और कांग्रेस से गठबंधन कर लिया था जबकि लोकसभा का चुनाव राजद और जद यू ने अलगशअलग लड़ा था। उप चुनाव में एक साथ मिलकर लड़ने से परिणाम चाैंकाने वाला हुआ और इससे उत्साहित होकर जद यू ने राजद के साथ महागठबंधन बनाने का फैसला कर लिया. लोकसभा चुनाव के मतों के प्रतिशत से भी जद यू और राजद का मनोबल बढ़ा था। लोकसभा की जिन सीटों पर राजग को विजय मिली थी उनमें से 19 सीटें ऐसी थी जहां से उनके उम्मीदवार नहीं निकल पाते यदि राजदशजदयू गठबंधन का उम्मीदवार होता 1 इन 19 सीटों पर राजद शजद यू उम्मीदवारों के मतों को जोड़ देने से राजग से अधिक मत थें 1 ताजा राजनीतिक घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि अब जनता परिवार एक होकर ही रहेगा. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ..दहाड़.. रहे है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजय रथ को बिहार के चुनाव में रोक देंगे 1 लेकिन ऐसा नहीं लगता कि भाजपा श्री यादव के इस दहाड़ से डर गयी हो 1 झारखंड में हालिया जीत से उत्साहित होकर भाजपा ताल ठोक रही है और वह सिर्फ बहुमत के लिए 122 सीट ही नहीं पूरे 175 प्लस का लक्ष्य लेकर चल रही है ।
     
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री राम लाल ने प्रदेश कार्य समिति की बैठक में स्पष्ट संकेत दिया कि पार्टी बिहार में नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी 1 पार्टी ने अपना एजेंडा तय कर दिया है ..जहां चुनाव वहां सरकार. पार्टी के बिहार मामलों के प्रभारी भूपेन्द्र यादव ने भी कहा है कि बिहार 2015 की राजनीतिक का मानक तय करेगा. बिहार में कांग्रेस की स्थिति बेहतर नहीं है और चुनाव में उसे क्षेत्रीय दलों से समझौता करना होगा 1 झारखंड विधानसभा का चुनाव इसका ताजा उदाहरण भी है । आज के समय में कांग्रेस के पास बिहार में उतनी ही सीटें है जितनी कभी नये दलों के खातों में रहा करती थी। कांग्रेस के अभी पांच विधायक हैं और इनमें से एक अगस्त माह में हुए विधानसभा के उप चुनाव में राजदशजदयू के गठबंधन के तहत निर्वाचित हुए है । विधानसभा के इस वर्ष होने वाले चुनाव में दो से अधिक प्रभावशाली केन्द्र नहीं नजर आ रहे है । इससे कोई इंकार भी नहीं कर सकता है कि भाजपा देश की सबसे तेजी से उभरती राजनीतिक शक्ति है । तस्वीर बहुत स्पष्ट है । भाजपा सत्ता में आना चाह रही है जबकि विरोधी उसे रोकने की कोशिश कर रहे है । इस वर्ष के अक्टूबरशनवम्बर में होने वाले बिहार विधानसभा के चुनाव में राजदशजद यू ने बाजी मार ली तो इससे गैर भाजपा दलों का मनोबल देश भर में बढ़ जायेगा . लेकिन यदि जनता का फैसला इसके विपरीत हुआ तो भाजपा की आगे की राह भी आसान हो जायेगी.

सोनिया ने पार्टी को मजबूत करने के उपाय बताने को कहा

$
0
0
sonia-said-to-make-congress-strong
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के सभी प्रदेश प्रमुखों से पार्टी को मजबूत बनाने के लिए संगठन में सुधार तथा भावी रणनीति के बारे में जिला स्तर तक के नेताों से विचार विर्मश कर फरवरी के अंत तक रिपोर्ट भेजने को कहा है। श्रीमती गांधी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों को पत्र लिखकर कहा है कि वे जिला स्तर तक के नेताों के  साथ छोटे छोटे समूहों में विचार विर्मश कर अपनी रिपोर्ट तैयार करें और फरवरी के अंत तक पार्टी हाईकमान के पास भेजें। उन्होंने कहा है कि इन रिपोटा6 के आधार पर अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के आगामी अधिवेशन का एजेंडा तय कर उसे पारित किया जाएगा। यह अधिवेशन मार्च में होने की संभावना है। 

कांग्रेस अध्यक्ष ने यह पत्र 28 दिसंबर को लिखा था जिसे आज सार्वजनिक किया गया है। उन्होंने पार्टी की विचारधारा को आगे बढाने. पार्टी संगठन में सुधारों. पार्टी के भीतर अधिकारों के विकेन्द्रीकरण. नेताों की जवाबदेही जैसे विषयों पर विचार विर्मश करने को कहा है। इसके अलावा समाज के सभी वगा6 का विश्वास जीतने तथा पार्टी का आधार बढाने के उपायों पर भी विचार करने को कहा है। लोकसभा चुनावों और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के मद्देनजर कांग्रेस हाईकमान पार्टी का खोया जनाधार फिर से हासिल करने के प्रयास में है और इसी संर्दभ में यह कवायद की जा रही है।

भारत-अमेरिका साथ मिलकर पूरी दुनिया से कर सकते हैं गरीबी खत्मः केरी

$
0
0
वाइब्रेंट गुजरात समिट में पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा कि अगर भारत और अमेरिका साथ मिलकर काम करते हैं तो सबसे पुराना लोकतंत्र और सबसे बड़ा लोकतंत्र मिलकर दुनिया से गरीबी को खत्म कर देंगे।

केरी के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारतीय गणतंत्र दिवस पर पहले चीफ गेस्ट बनने को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात की भी तारीफ की और कहा कि इस राज्य में विकास की काफी संभावनाएं हैं। केरी ने मोदी और ओबामा दोनों के सफर को एक जैसा बताया और कहा कि दोनों साधारण परिवारों से शीर्ष तक पहुंचे।

इस मौके पर ब्रिटेन के मंत्री इआन लिविंगस्टन ने कहा, 'गुजरात में कोई डिप्लोमैटिक मिशन शुरू करने वाला ब्रिटेन पहला देश है, ब्रिटेन और भारत की साझेदारी को कोई हरा नहीं सकता, हम भारत के साथ एक मजबूत साझेदारी की कामना करते हैं।'भूटान के  प्रधानमंत्री शेरिंग तोगबे ने इस मौके पर हिंदी में भाषण दिया। उन्होंने कहा, 'मैंने मोदी जी से कहा था कि मैं भी धार्मिक यात्रा के लिए वाराणसी और बोधगया जाऊंगा। लेकिन हमारे लिए धार्मिक के साथ-साथ आर्थिक यात्रा भी जरूरी है, इसलिए मैं यहां आर्थिक यात्रा पर आया हूं।'

गुजरात में सातवीं बार 'वाइब्रेंट गुजरात'समिट के शुरू होने पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने गुजरात सरकार से पूछा है कि 2003 से 2014 के बीच उनके राज्य में कितना निवेश हुआ है?  इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को गांधीनगर में 'वाइब्रेंट गुजरात'समिट का उद्घाटन किया। वाइब्रेंट गुजरात समिट में रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बन सकता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन ने पीएम मोदी के अभियान 'मेक इन इंडिया'की तारीफ करते हुए कहा कि 'मेक इन इंडिया'और 'डिजिटल इंडिया'कार्यक्रमों से देश में एक नया उत्साह आया है। अंबानी ने एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि रिलायंस गुजरात में 1 लाख करोड़ रुपये निवेश करेगी।

बिहार : परिवादपत्र ने सरकार को कांपने को मजबूर कर दिया

$
0
0
bihar-human-rights
पटना। बिहार मानवाधिकार आयोग के समक्ष एक परिवादपत्र दाखिल किया गया। इस परिवादपत्र ने सरकार को कांपने को मजबूर कर दिया। इसके आलोक में सरकार ने फौरन पत्र जारी कर दिया। यह पत्र सभी विभाग,सभी विभागाध्यक्ष,सभी प्रमंडलीय आयुक्त और सभी जिला पदाधिकारी को प्रेषित किया गया। अब यह सवाल उठता है दिनांक 14 दिसंबर,2010को जारी पत्र को सरकारी अफसरान अमल कर रहे है? अब देखना है कि सरकार ने नौकरशाह पत्र के जारी करने के पांचवे साल में पांच कदम उठा पाएं हैं? ऐसा तो प्रतीक नहीं हो रहा है।

संपूर्ण मामला यह है कि बिहार मानवाधिकार आयोग के समक्ष एक परिवाद पत्र दाखिल किया गया कि राज्य सरकार के विभिन्न कार्यालयों में बड़े पैमाने पर संविदा के आधार पर कर्मचारी नियुक्त हैं। इन कर्मचारियों से क्षमता से अधिक कार्य कराये जाते हैं। निर्धारित कार्यावधि के अलावे भी/छुट्टी के दिनों में भी इन्हें कार्य करने को बाध्य किया जाता है। अन्यथा अनुशासनहीनता / भुगतान पर रोक लगा देने/कार्यमुक्त कर देने की बात कहीं/की जाती है। बड़े पैमाने पर कर्मचारी संविदा आधारित नियुक्ति होने के कारण विवश होकर शोषण को बाध्य होते हैं तथा अपनी बातों को किसी मंच पर इस आशंका से नहीं उठा पाते हैं कि कही इसके लिए कार्यमुक्त न कर दिया जाय। यह भी आशंका बनी रहती है कि राज्य सरकार के किसी मंच पर अपनी बातों को रखने से क्या न्याय मिल सकेगा?

इस परिवादपत्र के आलोक में अनुरोध है कि अपने विभाग/ अधीनस्थ कार्यालयों में संविदा के आधार पर नियोजित कर्मियों के मामलों में परिवादपत्र में उठाये गये विन्दु की सत्यता की जांच करा ली जाय और यदि परिवादमें सत्यता पायी जाती है तो उसका निराकण करते हुए उन्हें अनुमान्य छुट्टी/ साप्ताहिक अवकाश उपयोग करने देना आदि सुनिश्चित किया जाय। साथ ही, ऐसा उपाय भी किया जाय  िकइस तरह की किसी शिकायत के मिलने पर उसका शीघ्र निराकरण हो और जिम्मेदार पदाधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई भी हो। इस दिशा में कृत कार्रवाई से विभाग को भी अवगत कराने की कृपा की जाय। बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के सरकार के संयुक्त सचिव सरयुग प्रसाद के पत्रांक-3 एम0-112/2010 सा0 4618 को अमल करने सभी विभाग,सभी विभागाध्यक्ष,सभी प्रमंडलीय आयुक्त और सभी जिला पदाधिकारी को दिनांक 14 दिसंबर,2010को अग्रसारित किया गया था। 

वर्ष 2014 में संविदा पर बहाल कर्मियों ने जमकर सरकार के समक्ष फरियाद किए। बिहार राज्य आई.सी.डी.एस. महिला पर्यवेक्षिका एवं कर्मचारी यूनियन, मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा), बिहार राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन, बिहार राज्य कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संद्य, बिहार राज्य संविदा अमीन संद्य, बिहार मौसमी डीडीटी छिड़काव कर्मचारी यूनियन के अलावे अन्य ने भी सड़क पर उतरे। अभी तक मिशनरी और गैर सरकारी संस्थाओं के संविदा पर बहाल होने वाले मुखर नहीं हो पा रहे हैं। यहां तो और अधिक शोषण चरम पर है। घरेलू जांच करने का धौंस जमाते हैं। एक माह के वेतन देने के वादे के साथ मनमानी ढंग से आवेदन लिखकर नौकरी से बाहर कर दिया जाता है।यहां पर खाली हाथ और खाली हाथ चला जाना पड़ता है। ऐसा होने से न वर्तमान और न ही भविष्य खुशहाल होता है। अभी संविदा पर बहाल श्रेणी‘ए’ की नर्सेंज ने मानदेय में इजाफा करने की मांग को लेकर मुंह खोली तो नौकरी से ही हाथ धो देना पड़ा। 




आलोक कुमार
बिहार 

बिहार : सर्प दंश से ग्रसित विक्की तीन साल के बाद जीर्वित घर लौटा

$
0
0
  • घर और पड़ोस में हर्ष का माहौल व्याप्त

जाको रखे साइयां
कटिहार। ओझाओं के द्वारा सर्प दंश से ग्रसित वंदे को झारफूंक करके जहर निकाला जाता है। जब गुनी ओझाओं के द्वारा अंतर-मंतर करके थक जाते हैं। तब जाकर परामर्श देते हैं। घर के किसी दुश्मन के द्वारा कमाल किया गया है। यह जान लें कि प्रेषित सर्प को मात नहीं दिया जा सकता है। और तो और आसानी से ग्रसित जहर को निकलने भी नहीं देता है। एक ही उपाय है कि सर्प से ग्रसित वंदे को केले के पेड़ से बांधकर नदी में बहा दें। 

ओझाओं के कथनानुसार विक्की के परिजनों ने भी किया। उसे सर्प दंश लिया था। काफी झारफूंक करके बाद भी जीर्वित नहीं हुआ। तब परिजनों ने बाजू में जाकर केले के पेड़ ले आए। सांसारिक मोहभंग कर विक्की को पेड़ में बांधा गया। दुःखीमन से विक्की को नदी में बहा दिए। साथ में यह विश्वास भी व्यक्त किए कि उसके पुत्र जीर्वित होकर घर लौटेगा? विज्ञान को मानने वाले कहते हैं कि वंदे के शरीर से निकला प्राण वापस नहीं आ पाता है। यह केवल कुशल चिकित्सक और उसकी मशीन कर सकते हैं। वह भी घंटों के अंदर ही कर सकते हैं। केले के पेड़ से बांधकर नहीं में बहाना अंधविश्वास है। ऐसा करने वाले  यकीनन अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं। 

जब तीन साल के बाद विक्की जीर्वित घर लौटाः ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना.....। इसी तरह की गीत विक्की के परिवार वाले गुनगुनाते रहे। एक दिन सच साबित हो गया। सर्प दंश से ग्रसित विक्की घर लौट आया। ऐसा हो जाने से रचित कहावर्त भी चरितार्थ हो गया। जाको राखे साइयां, मार सके न कोय। आजकल के राजनीतिज्ञों के द्वारा घर वापसी करवाने की राजनीति नहीं,मगर श्रवण ़ऋषि के पड़ोसी विक्की के घर वापसी को लेकर हर्ष का माहौल व्याप्त है। 

क्या करना चाहिए सर्प दंश वाले व्यक्ति कोः जब किसी व्यक्ति को सर्प दंश लेता है। सामने आ जाने वाली मौत से व्यक्ति घबड़ा जाते हैं। हार्ट अटैक हो जाता है। यह देखना चाहिए कि जहां पर सर्प ने दांत गढ़ा दिया है। उसके ऊपर कस से रस्सी से बांध देना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में सर्प विष का प्रसार नहीं होगा। सर्प दंश वाले स्थान पर चाकू से काट देना चाहिए ताकि शरीर से जहर निकल जाए। अगर ऐसा नहीं हो पाता है कि मुंह से दांत गढ़ाए वाले स्थान पर से खून चूसकर निकालकर थूक देना चाहिए। किसी भी हाल में चूसे गए खून शरीर के अंदर नहीं जाए। इस तरह के प्राथमिक उपचार करने के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्र, अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र, अनुमंडल अस्पताल आदि जगहों पर ले जाना चाहिए ताकि एंटी स्नैक टीका दिया जा सके। 



आलोक कुमार
बिहार 

आलेख : भटकाव बनता सम्मान का सवाल....!!

$
0
0
liveaaryaavart dot com
आज के दौर में बेशक बड़प्पन व उदारता दुर्लभ चीज होती जा रही है। लेकिन अतीत में उदारता की एक एेसी ही विरल घटना मेरे दिल को छू गई। दरअसल 90 के दशक में बांग्लादेश की प्रख्यात  लेखिका तस्लीमा नसरीन की पुस्तक लज्जा को लेकर तब बांग्लादेश समेत भारत में भी तहलका मचा हुआ था। भारी विवाद औऱ हंगामे के चलते देश में भी इस पुस्तक को लेकर लोगों में भारी कौतूहल था। लेकिन चूंकि पुस्तक बांग्ला में थी। इसलिए पुस्तक को पढ़ने - समझने का कोई विकल्प लोगों के पास नहीं था। एेसे में एक हिंदी साप्ताहिक ने उक्त पुस्तक का बांग्ला से हिंदी में अनुवाद करा कर उसे धारावाहिक रूप में छापना शुरू किया। 

स्वाभाविक रूप से  लाखों की संख्या में लोगों ने इसे पढ़ना शुरू किया। लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि शुरू के दो अंक में पुुस्तक के अंश के नीचे अनुवादक का नाम नहीं छपा। तीसरे अंक में अंश के बीच पाठकों को एक बॉक्स नजर आया, जिसमें खेद प्रकाश के साथ संपादक का पक्ष था कि गलती से अनुवादक का नाम दो अंकों में नहीं जा पाया। संपादक मंडली का ध्यान जब इस ओर गया और उन्होंने अनुवादक से इसके लिए क्षमा याचना की, तो उन्होॆंने इसका जरा भी बुरा नहीं माना। यह प्रसंग आज के दौर के चमकते - दमकते महंगे खिलाड़ियों के संदर्भ में खासा प्रासंगिक है। जो देखते ही देखते अकूत धन - संपत्ति औऱ शोहरत का मालिक बन जाने के बावजूद हमेशा अपेक्षित संसाधन और सम्मान न मिलने की शिकायत करते रहते हैं। हाल में दो नामचीन खिलाड़ियों का अपना नाम राष्ट्रीय सम्मान के लिए न भेजे जाने पर क्षोभ व्यक्त करना इसी की कड़ी मानी जा सकती है। बेशक खिलाड़ियों को हर संभव सुविधा और सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन अपने लिए खुद ही हमेशा सम्मान - उपाधि की मांग करते रहना और न मिलने पर विवाद की स्थिति पैदा करना क्या उनकी प्रतिष्ठा के अनुरूप मानी जा सकती है। एेसे में दूसरे क्षेत्रों में संघर्ष कर रहे उन साधकों का क्या , जो कुछ न मिलने के बावजूद अपने - अपने क्षेत्र में अनवरत साधना में जुटे रहते हैं। आज के दौर में जरा सा नाम - प्रचार मिलते ही खिलाड़ियों को विज्ञापन व अन्य मद से भारी पैसा मिलने लगता है। 

इसके बावजूद उनकी शिकायतें बनी रहती है। बेशक आज के दौर में सौरव गांगुली और महेन्द्र सिंह धौनी जैसे खिलाड़ी भी है। धौनी ने गुपचुप तरीके से टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेकर एक उदाहरण पेश किया। वहीं सौरव गांगुली पर रिटायरमेंट के बाद से ही राजनीति में शामिल होने का भारी दबाव रहा। कहते हैं कि उन्हें  खेल मंत्री बनाने तक का प्रस्ताव दिया गया। लेकिन किसी भी दबाव के आगे न झुकते हुए उन्होंने राजनीति में जाने से साफ इन्कार कर दिया। लेकिन आश्चर्य तब होता है जब कुछ खेल रत्न यह जानते हुए भी कि विज्ञापन व कमाई के दूसरे रास्तों में व्यस्त रहने के चलते एक दिन के लिए भी वे सदन नहीं जा पाएंगे, इसके बावजूद वे राज्यसभा सदस्यता व दूसरे पदों का लोभ नहीं छोड़ पाते। सम्मान का यह संकट केवल खेल ही नहीं दूसरे क्षेत्रों में भी हावी है। वर्ना क्या वजह थी कि जांबाज माने जाने वाले एक पुलिस अफसर को महज चंद हजार की घूस लेने के आरोप में अपने ही महकमे के एक बूढ़े अधिकारी का गिरेबां पकड़ कर देर तक झिंझोड़ना पड़ा। जबकि इस मामले में उस अधिकारी की ही फजीहत हुई। क्योंकि आरोप साबित नहीं हो सका। लेकिन चैनलों पर वह जांबांज अधिकारी इंस्पेक्टर का कॉलर पकड़ कर एेसे खींच रहा था मानो पाकिस्तान जाकर दाऊद इब्राहिम को धर दबोचा हो। क्या यह सम्मान व प्रचार की भूख का ही नतीजा था। समाज के दूसरे क्षेत्रों में भी सम्मान और प्रचार की यह अंधी भूख  अच्छी - भली और संभावनाशील  प्रतिभाओं को अकाल - काल कवलित करने का कार्य़ करती अाई है। क्योंकि उन पर हमेशा कुछ न कुछ नया और अलग करते रहने का भारी दबाव था। 






तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर ( पशिचम बंगाल) 
संपर्कः 09434453934 

सीहोर : शहीद समाधी स्थल पर 14 जनवरी को श्रद्धांजली सभा

$
0
0
condolance
सीहोर । सैकड़ाखेड़ी मार्ग पर स्थित शहीद के समाधी स्थंल पर आगामी 14 जनवरी को श्रद्धांजली सभा का आयोजन रखा गया है। शहीद सिपाही बहादुर स्मारक निर्माण समिति ने यहां नगर पालिका से व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की है। ताकि जनमानस को यहॉ आवागमन में कोई परेशानी ना आये। 
ज्ञातव्य  है कि विगत 15 वर्षों से बसंत उत्सव आयोजन समिति और स्थानीय पत्रकार संगठनों के आव्हान पर नगर के गणमान्य नागरिकों द्वारा एक श्रद्धांजली समारोह का आयोजन 14 जनवरी को किया जाता है। 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में सीहोर में हुई  क्रांति का अपना एक गौरवमयी इतिहास है जहां क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को सीहोर से खदेड़कर भगा दिया था और सीहोर को 6 माह के लिये अंग्रेज और भोपाल नवाबी शासन से मुक्त करा दिया था। इतना ही नहीं क्रांतिकारी हवलदार महावीर कोठा के नेतृत्व में वलि शाह, आरिफ शाह, सूबेदार रमजूलाल, बुद्धसेन, लक्ष्मण पाण्डेय, रामप्रसाद, देवीदीन, शिवचरण जैसे सैकड़ो क्रांतिकारियों ने 6 माह तक महावीर कौंसिल के बेनर तले सिपाही बहादुर सरकार के नाम से यहां शासन भी चलाया । 14 जनवरी को जनरल ह्यूरोज ने इन्ही देशभक्त क्रांतिकारियों को एक साथ खड़ा कर गोलियों से भुनवा दिया था जिनकी समाधियां आज भी बनी हुई है। इनकी तरफ शासन प्रशासन का ध्यान नहीं है। विगत कुछ वर्षों से यहां हर वर्ष नगर के गणमान्य नागरिक पहुंचकर श्रद्धांजली देते हैं । जहां नगर पालिका द्वारा हर वर्ष आवागमन की व्यवस्था के साथ टेंट दरी की व्यंवस्था् भी की जाती है ।
शहीद सिपाही बहादुर स्मारक निर्माण समिति के महामंत्री ओमदीप ने बताया कि इस वर्ष 14 जनवरी 2015 को शहीद समाधी स्थल पर नगर के सभी प्रबुद्धजनों, समाजसेवकों, राजनेताओं, देशभक्तों से निवेदन है कि वह बड़ी संख्या में पहुॅचकर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करें। समाधी स्थल पर 10.30 बजे श्रद्धांजली सभा का आयोजन रखा गया है। 

आलेख : लोकतंत्र के साये में राज महोत्सव

$
0
0
14 दिन के सैफई महोत्सव का जिसे राज महोत्सव कहा जाना चाहिये, समापन गत 8 जनवरी को धूमधाम के साथ हुआ। महोत्सव में वैसे तो सभी प्रस्तुतियां और कार्यक्रम अनूठे रहे लेकिन आठ चार्टर्ड प्लेन में भरकर बुलाये गये बालीवुड के महंगे कलाकारों की रंगारंग प्रस्तुतियों ने मानो इसकी भव्यता को चरम पर पहुंचा दिया। वैसे तो 8 जनवरी के बाद महोत्सव 4 दिन के लिये और बढ़ाने के लिये घोषणा की गयी है लेकिन आगे सांस्कृतिक व अन्य कार्यक्रमों के सिलसिले का पटाक्षेप इसी दिन कर दिया गया। 

सैफई महोत्सव को लेकर सरकार की गत वर्ष काफी आलोचना हुई थी। मुजफ्फरनगर में शिविरों में रह रहे दंगा विस्थापितों के बच्चे ठंड से मर रहे थे और सरकार के कर्ता धर्ता सैफई के नाच गाने में मस्त थे। इस तरह की आलोचनायें जब मीडिया में सुर्खियों में छायीं तो राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के सारे शीर्षस्थ नेताओं ने मीडिया को लताडऩे में आपा तक खो दिया था। भले ही देश में लोकतंत्र हो लेकिन समाजवादी पार्टी को यह बर्दाश्त नहीं है कि मीडिया के टुच्चे लोग उसकी कारगुजारियों पर उंगलियां उठायें और उन्हें कटघरे में खड़ा करें। समाजवादी पार्टी दल से ज्यादा समर्थ राजवंश के बतौर पहचानी जाने लगी है। जो जानती है कि सत्ता का स्रोत असीम शक्तियों को राजवंश में केन्द्रित करने में है और इस शक्ति का प्रदर्शन भी होता रहना चाहिये। जिसका एक तरीका सम्राट के पैतृक गांव में आमोद प्रमोद की बेनजीर मिसाल कायम करना भी है। लोकतंत्र और समाजवादी नारे के क्षितिज पर घोर सामंतवादी ब्रान्डिंग की नायाब शैली के तहत सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन का जश्न रामपुर में मनाने में भी लोकलाज की सारी मर्यादायें ताक पर रख दी गयी थीं। सो गत वर्ष की आलोचना की वजह से प्रदेश का राजवंश इस वर्ष सैफई महोत्सव के प्रदर्शन में कुछ कृपणता बरतने की सोचेगा, यह कल्पना करना ही नितांत मूर्खता थी और इस कारण इस वर्ष महोत्सव में और ज्यादा चकाचौंध रही। 

राजा महाराजाओं का सुरुचि बोध कला और सौन्दर्य के उनके प्रतिमान जन संस्कृति के प्रतिमानों से पूरी तरह जुदा होते हैं। उनमें विलासिता की इतनी भव्य अभिव्यक्ति होती है कि आम लोग चमत्कृत होकर उनके प्रति और ज्यादा नतमस्तक हो जायें। सामंतवाद में सत्ता को सुदृढ़ करने का एक तरीका राजा महाराजाओं के हर कार्यक्रम में जोरदार तामझाम व आडम्बर के रूप में भी प्रदर्शित किया जाता है। एक गरीब किसान परिवार में जन्मे मुलायम सिंह ने संघर्ष और पुरुषार्थ से राजनीति का बुलंद मुकाम पाया। संघर्ष में मजबूती के लिये समाजवादी आन्दोलन की नैतिक प्रेरणाओं ने उनके मनोबल निर्माण में बड़ी भूमिका अदा की पर मुलायम सिंह ने अपने बचपन में सत्ता का जो स्वरूप और चरित्र देखा उसकी भी अमिट लकीर है उनके मनोजगत में कायम रही। नतीजतन सत्ता में पहुंचते ही समाजवादी आन्दोलन की फीकी प्रतिबद्धता के खूंटे से बंधे रहने के बजाय सत्ता के मद और रंगीनियों के लुत्फ में खुद को चूर करने के लोभ का संवरण उनसे नहीं हो सका। 

सैफई महोत्सव के आयोजन के औचित्य पर कई सवाल हो सकते हैं। सैफई में ऐसा क्या है जिसकी वजह से वहां ऐसा महोत्सव आयोजित करने की जरूरत महसूस की गयी जिसमें सारी राज्य सरकार  काम धाम छोड़कर इसी की तैयारी में जुटी रहती है। भले ही यह कहा जाये कि इस आयोजन में सरकार का एक पैसा खर्च नहीं होता लेकिन पंचायती राज प्रतिनिधियों के सम्मेलन जैसे आयोजनों के बहाने सरकार ने ही इसका खर्चा उठाया है यह प्रत्यक्ष है। लोकतंत्र और समाजवाद विशिष्ट व जन के भेद को खत्म कर नागरिक की एकरूप परिभाषा में पूरे समाज को पिरोने का काम करते हैं लेकिन सैफई में विराट महोत्सव के आयोजन का औचित्य इस आधार पर बताया जाये कि यह अवतार तुल्य सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का पैतृक गांव है तो इसका मतलब है कि राजा का गांव होने के नाते उसे ऐसे विशेषाधिकार से परिपूर्ण आयोजन का पात्र माना गया। गोया वहां पर स्वर्ग से सुन्दर जश्न कराना सरकार का सर्वोपरि कर्तव्य हो। साफ जाहिर है कि इसमें यह ध्वनित होता है कि समाजवादी पार्टी विशिष्ट और जन के भेद को बढ़ाने वाली राजनैतिक संस्कृति की जड़ें मजबूत करने का उपकरण बन गयी हैं।

देश में लोकतंत्र की शुरूआत में जवाहर लाल नेहरू और उसके बाद उनकी पुत्री इन्दिरा गांधी का व्यक्तित्व जनता के लिये सम्मोहनकारी था। नेहरू का कोट पेरिस में धुलने जाता है जैसी दंत कथायें उनके व्यक्तित्व के करिश्मे को और पुख्ता करती थीं। लोगों के जेहन में उनकी भव्यता और विराटता ने ऐसी पैठ बनायी थी कि मतदाता उनके प्रति भक्ति भावना से भरे होते थे जिसके आगे चुनाव में सारे तर्क और लोकतांत्रिक  विवेक बेमानी हो जाता था। मुलायम सिंह को भी उन दिनों की स्मृतियां जरूर होंगी। जो चलचित्र की तरह से उनके मस्तिष्क पटल पर गुजरती होंगी। जिसमें यह भी था कि त्याग शांति की राजनीति के कारण लोगों के श्रद्धाभाजन होने के बावजूद उनके प्रेरणास्रोत डा.राममनोहर लोहिया अपनी स्वीकार्यता को चुनावी जीत के रूप में नहीं भुना पाते थे। सत्ता के लिये जीत सबसे जरूरी है। भले ही वह कैसे भी हासिल की जाये जिसे मुलायम सिंह ने राजनीति के सर्वोपरि सूत्र वाक्य के रूप में आत्मसात किया है। शायद इसी कारण उन्हें लगता है कि सिद्धांतों से चिपके रहने की मनोवृत्ति का कोई सार नहीं है। सत्ता हासिल करने के राजनीति के सिद्ध फार्मूलों और करिश्माई शख्सियत के विंब में अपने को ढालने के लिये वे जो जतन कर रहे हैं सैफई महोत्सव उसका एक नमूना है। मुलायम सिंह की सायास इस मुहिम का नतीजा है कि उनका पूरा परिवार समाज के एक वर्ग में सहज ही नेहरू परिवार की तरह राजवंश के बतौर स्थापित हो गया है। तमिलनाडु की राजनीति की तरह उत्तरप्रदेश में भी मुलायम सिंह और उनकी प्रतिद्वंद्वी मायावती सत्ता के लिये अपेक्षित पात्रता के प्रतीक बनकर स्थापित हो चुके हैं। नतीजतन जिस तरह तमिलनाडु में चेयर रेस जयललिता और करुणानिधि के बीच ही होती है उसी तरह उत्तरप्रदेश में भी सत्ता संघर्ष मुलायम सिंह व मायावती के बीच सिमटा हुआ है। जिसमें अभी तक किसी नये विकल्प की गुंजाइश नहीं देखी गयी थी। हालांकि सत्ता की पात्रता का व्यक्ति पूजा के टोटकों से अर्जित यह मिथक  तोडऩे की जद्दोजहद भाजपा इस बार तमिलनाडु में भी कर रही है और उत्तरप्रदेश में भी। देखिये इसकी कोशिशों का नतीजा क्या हासिल होता है। 




liveaaryaavart dotcom

के पी सिंह 
ओरई 

विशेष आलेख : चुप्पी के इस दौर में सवाल उठाती “पीके”

$
0
0
movie-pk-and-socity
राजकुमार हिरानी के फिल्मों का अलग ही मिजाज होता है, वे विलक्षण रूप से भेड़–चाल से अलग नज़र आते हैं, और ऐसा भी नहीं होता है कि वे अलग लीक पर चलते हुए सिनेमा के मूल उद्देश्य ‘मनोरंजन’ को नज़रअंदाज करते  हों,बल्कि उनकी फिल्में तो आम मसाला फिल्मों से ज्यादा मनोरंजक होती हैं. वैसे तो हमारे फिल्म इंडस्ट्री में अगर कोई फिल्म ज्यादा कामयाब होती है तो ज्यादातर फिल्ममेकर उसी फार्मूले पर धड़ाधड़ फिल्मों की बरसात सी कर देते हैं, लेकिन राजकुमार हिरानी जैसी फिल्मों को बनाना कोई हिट होने का शार्टकट फार्मूला नहीं है, यह तो मेहनत और सिनेमाई क्रिएटिविटी दोनों की मांग करता है। इसलिए हिरानी के हिट फार्मूले की कॉपी करना और चलन में आना थोडा मुश्किल हो जाता है।  

फिल्म मेकिंग बुनियादी रूप से एक क्रिएटिव काम है और इस बात को राजकुमार हिरानी और उनकी टीम ने अपनी पिछली फिल्मों से साबित भी किया है। उनकी सभी फिल्में मनोरंजक तो होती ही हैं साथ ही साथ वे हमारे समय और उसकी समस्याओं पर भी चोट करती हैं और ऐसा करते हुए भी वे मास की ही फिल्म बनी रहती है। ऐसा इसलिए संभव हो पाता है क्योंकि ये फिल्में जनता से उन्हीं की भाषा, व्याकरण, मुहावरों और चुटकलों में संवाद करती है। ट्रेजडी और कामेडी के बीच एक लकीर होती है और हिरानी इस लकीर को अपने सिनेमा की समझ और उसकी ताकत से पाटने में कामयाब हो जाते हैं,यही बात उनको आज के दौर के निर्देशकों में खास बनाती है। उनकी पिछली तीनों फिल्में ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’, ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ और ‘3 इडियट’ इसी बात की मिसाल हैं। “लगे रहो मुन्नाभाई’ जब रिलीज हुई थी उस दौरान मेरी मुलाकात भारत में साम्प्रदायिक सदभाव के पक्ष में खड़े प्रमुख आवाजों में से एक राम पुनियानी से हुई थी। उस समय उन्होंने कहा था कि ‘जिस तरह से हिरानी ने “लगे रहो मुन्नाभाई” में महात्मा गाँधी के विचारों को बहुत ही आसान और स्वभाविक तरीके से पेश किया है उससे उन्हें लगता है कि वे इंसानी भाई चारे और सौहार्द को लेकर भी मेनस्ट्रीम की एक अच्छी फिल्म बना सकते है।‘  

“पीके” देख कर लगता है कि इस बार राजकुमार हिरानी ने यही किया है, उन्होंने इस बार ज्यादा पेचीदा मसला चुना है, क्योंकि हिन्दुस्तान में मज़हब को डील करना खतरे से खाली नहीं है, “पीके” मजहबी नफरतों, ढकोसलों, कर्मकांडों, दिखावेपन और अन्धविश्वास पर बनी फिल्म है। “पीके” एक ऐसे समय आई है जहां एक तरफ मजहब, राजनीति और तिजारत का घालमेल खतरनाक स्तर तक हो गया है, भारत सहित दुनिया का एक बड़ा हिस्सा इस खतरे से जूझ रहा है, पिछले ही दिनों पाकिस्तान में मजहब के नाम पर एक हैवानियत हुई है जहाँ पिशाचों ने नन्हे फूलों के खूनों से अपने जन्नत के हवस की प्यास बुझाई है। भारत में मजहब और सियासत का घालमेल अपने चर्म पर है। वहीँ दूसरी तरफ ऐसी फिल्मों का दौर सा चल पड़ा है जो अलग–अलग होती हुई भी अपने कहानी, ट्रीटमेंट और फार्मूले में तकरीबन एक सी ही होती है, ऐसे दौर में “पीके” सिनेमा के ताकत पर भरोसा जगाती है।


इस फिल्म का कैनवास बहुत बड़ा है, यह शुरू में ही इस बात को स्थापित कर देती है कि इस पूरे ब्रह्मांड में इंसान बहुत छोटा है और हम पृथ्वीवासी तो अभी तक अपने उस गैलक्सी के बारे में ही “ना” के बराबर जानते हैं जिसमें अरबों ग्रह है जबकि इसी तरह की करोड़ों गैलक्सीयां और मौजूद है जिसके बारे में हमें कुछ अंदाजा भी नहीं है। फिल्म में आमिर खान का कैरेक्टर एक एलियन है जो 400 करोड़ मील दूर किसी दूसरे गोले से हमारे गोले (पृथ्वी) पर आया है। वह नंग-धडंग अपने विशेष यान से राजस्थान के किसी अंजान स्थान पर लैंडिंग करता है। पृथ्वी पर उतरते ही उसका सामना इस ग्रह के नंगे कारनामों से होता है, कोई “पीके” का रिमोट कंट्रोल उसके गले से खीच कर भाग जाता है। इससे उसके सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती है क्योंकि इसी रिमोट कंट्रोल के जरिए वह अपने ग्रह के संपर्क में था, इसके बिना वो अपने ग्रह वापस नहीं जा सकता है।

उसका कोई नाम नहीं है, लेकिन उसकी अजीबोगरीब हरकतें देख कर सबको लगता है कि वो “शराब पीके” आया है, इसलिए उसका नाम “पीके” पड़ जाता है। पृथ्वी पर उतरते ही एक चोर उसका रिमोट कंट्रोल चुरा लेता है। रिमोट कंट्रोल के बिना वो अपने ग्रह वापस नहीं जा सकता। यहाँ वह देखता है कि इंसान अपने परेशानी के वक्त किसी भगवान का दरवाज़ा खटखटाते हैं। वो भी अपनी समस्या लेकर मंदिर, मस्जिद और गिरिजाघरों के खूब चक्कर लगता है, वहां खूब चढ़ाव भी देता है और तरह तरह के ढकोसले भी करता है, लेकिन बात नहीं बनती है उलटे वह भगवान,अल्ल्लाह और गॉड के नाम पर चल रहे गोरखधंधे और इन्सानों के बंटवारे से कन्फ्यूज हो जाता है। वह देखता है कि यहाँ भगवान के नाम पर बाकायदा बिजनेस चलाये जा रहे हैं और कुछ लोग इसके ठेकेदार बने बैठे  हैं। एक सीन में “पीके” एक विज्ञान कॉलेज के सामने खाली जगह पर एक पत्थर रखता है और उसे लाल रंग से पोत देता है। कुछ ही समय बाद वहां लोग पैसे चढ़ाना शुरू कर देते है, तंजिया अंदाज में यह बताया गया है कि  यहाँ धर्म से बेहतर कोई धंधा नहीं और विज्ञान पढ़ने वाले भी खूब अंधविश्वास का शिकार होते हैं। बाद में “पीके” को उसका रिमोट कंट्रोल खोजने में साथ देती है टीवी पत्रकार जगत जननी (अनुष्का)। जिसके लिए उसे एक बड़े संत से भी टकराना पड़ता है। आमिर ख़ान ने पीके के किरदार को जिया है, एलियन के रोल में वे पूरी फिल्म में आंखे फाड़े, कान बाहर निकाले हुए बहुत सधे हुए नज़र आते है, लेकिन फिल्म के असली हीरो तो इसकी कहानी और डायलॉग हैं और एक एलियन को “भोजपुरी” बुलवाने का आईडिया तो कमाल का था।

यह भी अपने आप में हम इंसानों पर एक चोट है कि इस फिल्म को बनाने वालों को आमिर के किरदार को एक एलियन बनाना पड़ा है, शायद हमारे पास ऐसे किरदार ही नहीं बचे हैं जो मजहब के नाम पर हो रहे सियासत, धंधे, अन्धविश्वास और नफरतों को लेकर सवाल कर सकें और इनके खिलाफ मजबूती से खड़े हो सकें। इसको लेकर राजकुमार हिरानी ने खुलासा भी किया है कि आमिर के किरदार को एलियन इसलिए बनाया गया क्योंकि उसके दूसरी दुनिया से होने की वजह से विवाद होने की संभावना नहीं है।

  
लेकिन एक ऐसे मुल्क में जहां कट्टरता और अंधविश्वास की जड़ें बहुत गहरी है वह कोई मजहब को लेकर सवाल उठायें और बच कर निकल भी जायें ऐसा होना तो मुश्किल है, खबर है कि फिल्म में कुछ तथाकथित “आपत्तिजनक दृश्यों” को लेकर एक संगठन द्वारा लखनऊ में एक याचिका दाखिल किया गया है और इसमें फिल्म पर बैन लगाने की मांग की गई है। सबसे ज्यादा तथाकथित हिंदूवादी संगठनों द्वारा इस फिल्म को हिन्दुओं के खिलाफ बताया जा रहा है। लेकिन ऐसा है नहीं, "पीके” किसी धर्म के ख़िलाफ़ नहीं है। यह तो सभी धर्मों में इसकी ग़लत व्याख्या करने वालों, धर्म के नाम पर लोगों का शोषण करने वालों,धर्म की ठेकेदारी करने वालों द्वारा आडम्बरों, अन्धविश्वासों और धार्मिक उन्माद के खिलाफ है और इसमें किसी एक खास मजहब को टारगेट नहीं किया गया है।

कुल मिलाकर पीके'एक अति संवेदनशील मुद्दे पर बनी फिल्म है। जो बड़ी और गंभीर बातों को उपदेशात्मक तरीके से नहीं बल्कि हल्के-फुल्के प्रसंगों के जरिये सामने रखती है और ऐसा करते हुए वह फिल्म दर्शकों का भरपूर  मनोरंजन भी करती है। अंत में दर्शक अपने साथ कुछ सवालों को भी लेकर जाता है। मजहबी उन्माद और सौ-दो सौ करोड़ क्लब की पकाऊ फिल्मों के दौर में एक मेनस्ट्रीम की एक फिल्म मजहब के नाम पर हो रहे गोरखधंधे और आडम्बरों से बहुत सलीके और सटीकता से टकराने में कामयाब हुई है । और तीर भी पूरी तरह से आपने निशाने लगा है तभी तो जहाँ तरफ देश के हर कोने में मजहब और नफरत के सौदागर उबल पड़े हैं वहीँ  दूसरी तरफ दर्शक इस फिम को हाथोंहाथ लेकर इसे सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बना देना चाहते हैं ।






liveaaryaavart dotcom


जावेद अनीस 
संपर्क-9424401459
anisjaved@gmail.com 

Viewing all 74313 articles
Browse latest View live




Latest Images