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मुंबई एयरपोर्ट पर मिला आतंकी हमले की धमकी भरा पर्चा

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आए दिन मिल रही आतंकी धमकियों के चलते भले ही देश के मेट्रो शहरों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं लेकिन फिर भी इसका सिलसिला बंद नहीं हो रहा है. मुंबई एयरपोर्ट के टॉयलेट से धमकी भरा एक पर्चा मिला है. इस पर्चे पर आईएसआईएस की धमकी है कि 26 जनवरी को देश में आतंकी हमले किए जाएंगे.

इस पर लिखा हुआ है 'ISIS - 26/01/15 IS BOM OK.'सफेद पर्चे पर यह धमकी लिखी गई है. मेन्स टॉयलेट में यह पर्चा मिला है. इसके बाद से सीआईएसएफ ने एयरपोर्ट पर सुरक्षा बढ़ा दी है. वहीं एक अन्य टॉयलेट में पर्चा मिला है, इस पर लिखा है, '10 january attack by ISIS has been postponed' (आईएसआईएस का 10 जनवरी को किया जाने वाला आतंकी हमला फिलहाल टाल दिया गया है.)

इससे पहले इसी महीने की 7 तारीख को भी मुंबई एयरपोर्ट के टॉयलेट में आतंकी हमले की धमकी वाला संदेश मिला था. एयरपोर्ट के टॉयलेट की दीवार पर उकेरा गया था, 'Attack by ISIS 10.01.15' (आईएसआईएस 10 जनवरी को आतंकी हमला करेगा.) 16 दिसंबर को पेशावर में हुए आतंकी हमले के बाद से ही देश के बड़े शहरों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. गौरतलब है कि 26 जनवरी के मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत के दौरे पर आ रहे हैं.



 

लीला सैमसन ने दिया इस्तीफा

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डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम की फिल्म 'एमएसजी: मेसेंजर ऑफ गॉड'को एफसीएटी से हरी झंडी मिलने के बाद सेंसर बोर्ड की प्रमुख लीला सैमसन ने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है।  उन्होंने बोर्ड के कामकाज में सरकारी दखल के भी संकेत दिए।



गुरमीत राम रहीम की मुख्य भूमिका वाली विवादास्पद फिल्म को फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण (एफसीएटी) द्वारा कल रात रिलीज के लिए हरी झंडी दे दी गई है, जबकि सेंसर बोर्ड ने फिल्म रिलीज करने की इजाजत नहीं दी थी। अब अगले सप्ताह फिल्म रिलीज होने की संभावना है। राम रहीम ने रात 2 बजे सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर लिखा है, 'आपका इंतजार खत्म हुआ। आज दोपहर 1 बजे 'एमएसजी'का प्रीमियर गुड़गांव में किया जाएगा।'

सरकार की ओर लीला सैमसन पर दबाव की बात को खारिज करते हुए सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने साफ किया कि सरकार की ओर से कोई दखल नहीं दी गई थी और न ही फिल्म को लेकर कोई दबाव डाला गया था। अगर चेयरपर्सन को दबाव डाला गया या फिर उनके काम में दखल दी गई, तो वह इसका सबूत दें। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें मीडिया में आई उन खबरों की जानकारी है कि फिल्म रिलीज के लिए एफसीएटी द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है, सैमसन ने कहा, 'मैंने ऐसा सुना है। अभी तक लिखित में कुछ नहीं है। फिर भी यह सेंसर बोर्ड का मजाक है। मेरा त्यागपत्र तय है। मैंने (सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के) सेक्रेटरी को सूचित कर दिया है।'बहरहाल, एफसीएटी के निर्णय को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

सेंसर बोर्ड ने 'मेसेंजर आफ गॉड'फिल्म के मुद्दे को एफसीएटी को भेज दिया था। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने पद छोड़ने का निर्णय क्यों किया, लीला ने फिल्म को कथित मंजूरी मिलने का उल्लेख नहीं किया लेकिन कहा कि बताए गए कारणों में कथित हस्तक्षेप, दबाव, पैनल सदस्यों और संगठन अधिकारियों के भ्रष्टाचार शामिल हैं, जिनकी नियुक्ति मंत्रालय द्वारा की जाती है।

सैमसन के अनुसार, एक ऐसे संगठन का प्रबंधन करना पड़ा है जिसके बोर्ड की नौ माह से ज्यादा समय से बैठक नहीं हुई क्योंकि मंत्रालय के पास सदस्यों की बैठक को अनुमति देने के लिए फंड नहीं है। उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड के सभी सदस्यों और अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। लेकिन चूंकि नई सरकार नया बोर्ड और अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया है, कुछ का कार्यकाल बढ़ा दिया गया और उन्हें प्रक्रिया पूरी होने तक कार्य जारी रखने को कहा गया।

इस बीच सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हमारी सूचना के अनुसार एफसीएटी ने फिल्म को मंजूरी दे दी है। लेकिन लिखित आदेश का इंतजार है।'प्रवक्ता ने कहा कि फिल्म मादक पदार्थ के खिलाफ है और उसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। गृह मंत्रालय इसे लेकर चिंतित है कि फिल्म के रिलीज होने से कुछ वर्गों की ओर से विरोध हो सकता है क्योंकि सिख संगठन फिल्म का विरोध कर रहे हैं। मंत्रालय ने इस संबंध में राज्यों को परामर्श जारी किया है।

राम रहीम की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म शुरू से विवादों से घिरी हुई है। फिल्म में उन्होंने खुद को भगवान बताया है और इसी पर सेंसर बोर्ड ने आपत्ति जाहिर की थी। आपको बता दें कि इस फिल्म को लेकर बीते दिनों पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में जमकर विरोध हुआ था। इससे पहले अकाल तख्त समेत कई सिख संगठनों ने राम-रहीम की इस फिल्म पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए बैन लगाने की मांग की थी।

शाजिया इल्मी बीजेपी में शामिल

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आप की पूर्व नेता शाजिया इल्मी ने आज बीजेपी का दामन थाम लिया। शाजिया पहले ही बीजेपी के लिए प्रचार की बात कह चुकी थीं और अब वो औपचारिक तौर पर पार्टी में शामिल हो गईं। इल्मी के साथ ही मशहूर संगीतकार आनंद राज आनंद भी बीजेपी में शामिल हो गए।

शाजिया इल्मी को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने फूलों का गुलदस्ता पकड़ाकर स्वागत किया। जिसके बाद दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने शाजिया के बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की। इस दौरान दिल्ली बीजेपी के प्रमुख नेता मौजूद रहे।

बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद शाजिया इल्मी ने कहा कि उन्होंने चुनाव लड़ने के बारे मेें नहीं सोचा है। मेरे चुनाव लड़ने के जो कयास लगाए जा रहे हैं, वो गलत हैं। मैं चुनाव नहीं लड़ रही हूं। गौरतलब है कि शाजिया ने 2013 के विधानसभा चुनाव में आप के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इसमें शाजिया को हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद लोकसभा चुनाव में भी गाजियाबाद से चुनाव मैदान में उतरीं वहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव के बाद शाजिया और केजरीवाल के रिश्ते में दरार आ गई थी। जिसके बाद शाजिया ने पार्टी से किनारा कर लिया।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (16 जनवरी)

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जल का सदुपयोग एवं संधारण का संदेश चहूंओर प्रसारित हो-कलेक्टर श्री ओझा

  • हमारा जल, हमारा जीवन कार्यशाला सम्पन्न

भू-गर्भीय जल का सदुपयोग और संधारण की अवधारणा से जन-जन को अवगत कराने के उद्धेश्य से जिले की योजना तैयार की गई है जिसके तहत ‘‘हमार जल, हमारा जीवन’’ से भलीभांति परिचित कराए जाने के उद्धेश्य से हर स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम जिलो में आयोजित किए जाएंगे। हमारा जल, हमारा जीवन पर एक दिवसीय कार्यशाला एसएटीआई के पालिटेक्निक सभागार कक्ष में शुक्रवार को आयोजित की गई थी। जिसे सम्बोधित करते हुए कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को विरासत मेें हम प्रचुर जल संरचनाओं दें इसके लिए हमें जल का सदुपयोग और संरचनाओं के निर्माण हेतु जनजागृति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता का विकास जल के साथ जुडा हुआ है। अनादिकाल से नदियों के किनारे मानव जीवन के साक्ष्य प्राप्त हुए है। वर्तमान युग में जल का जिस मात्रा में दोहन किया जा रहा है उस अनुपात में संचय की प्रवृति का क्रियान्वयन नही किया जा रहा है। उन्होंने जिले में अधिक से अधिक जल संचय की संरचनाओं का निर्माण कराए जाने की बात कही। राष्ट्रीय जल संसाधन के भोपाल से आए वैज्ञानिक श्री टी थामस ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक जिले की कार्ययोजना तैयार की जा रही है जो मुख्य रूप हमारा जल, हमारा जीवन कैसे सुलभ हो पर केन्द्रित होगी। प्रत्येक जिले की कार्ययोजना में उन बिन्दुओं को भी शामिल किया जाएगा जिसमें घर, खेतीबाडी, कृषि, प्राचीन जल स्त्रोतो, नवीन स्त्रोतो का निर्माण के अलावा अन्य संसाधन इत्यादि शामिल है। एसएटीआई के प्रोफेसर श्री आरके पंजाबी ने इस अवसर पर जल की महत्वता को रेखांकित करते हुए उसके सदुपयोग पर जोर दिया। उन्होंने पानी का दुरूपयोग को कैसा रोक जाए को उदाहरणों सहित प्रस्तुत किया। संस्थान की प्रोफेसर श्रीमती रश्मि जैन ने कहा कि प्रकृति ने जो उपहार जल के रूप में दिया है उसके प्रति हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम उसका सम्मान करें और उसकी बढोतरी के प्रयास करें।सीईओ जिला पंचायत श्री सीएम मिश्रा ने कहा कि पानी का प्रबंधन, रखरखाव चिंतनीय है दैनिक जीवन के इसके महत्व को समझना चाहिए। कार्यशाला का संदेश जन-जन तक पहुंचे के सफल प्रयास करने होंगे। कार्यक्रम को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री श्री एमके मुदगल, स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधि श्री रवि चैधरी ने भी सम्बोधित किया। इससे पहले जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री ने कार्यशाला के आयोजन उद्धेश्यों को रेखांकित किया। उन्होंने विभागीय संरचनाओं के माध्यम से जल संचय हेतु किए गए कार्यो की जानकारी दी।

साफ-सफाई के लिए विशेष अभियान चलाएं नपा अमला-कलेक्टर श्री ओझा

कलेक्टर एवं विदिशा नगरपालिका परिषद के प्रभारी अधिकारी श्री एमबी ओझा ने शुक्रवार को निकाय अमले की बैठक आहूत कर उन्हें स्पष्ट शब्दों में सचेत करते हुए कहा कि अमले के द्वारा किए जा रहे साफ सफाई के कार्य स्पष्ट परलिक्षित हो। उन्होंने उपस्थिति सुनिश्चित कराने की भी हिदायत दी। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि धूल साफ करने वाली मशीन का उपयोग रोज किया जाए। उन्होंने ईदगाह चैराहे से पीतल मील चैराहा और चरण तीर्थ मार्ग पर उक्त मशीन से साफ सफाई का कार्य किया जाए। निकाय के भण्डार प्रभारी से उन्होंने कहा कि निकाय के पास कुल कितने वाहन, मशीने है और उनमें से कितने बिगडे है की सूची तैयार कर अपर कलेक्टर को उपलब्ध कराई जाए। विदिशा नगर में साफ-सफाई के लिए और क्या-क्या प्रबंध सुनिश्चित किए जा सकते है के संबंध में स्वंयसेवी संस्थाओं के उपस्थित प्रतिनिधियों से भी विचार विमर्श किया गया जिसमें मुख्यतः नालो की साफ-सफाई, कचरा उठाने और परिवहन के अलावा सड़को की साफ सफाई इत्यादि बिन्दु शामिल है। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि नगर में मुख्य मार्ग के किनारे जहां कही बिना अनुमति के रेत, गिट्टी अथवा अन्य निर्माण सामग्री संधारित पाई जाएगी तो संबंधित स्वामित्व के खिलाफ कठोर कार्यवाही के साथ-साथ सामग्री जप्त करने की कार्यवाही की जाएगी। जिला खनिज अधिकारी को उन्होंने निर्देश दिए कि हर रोज शहर के प्रमुख मार्गाे का निरीक्षण करें और कही पूर्व उल्लेखित सामग्री पाई जाती है तो जप्त करने की कार्यवाही की जाए। कलेक्टर चेम्बर में सम्पन्न हुई इस बैठक में अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया, जिला पंचायत सीईओ श्री चन्द्रमोहन मिश्रा भी मौजूद थे। 

ई-उपार्जन प्रक्रिया से प्रशिक्षित हुए डाटा एन्ट्री आपरेटर

रबी सीजन में कृषकों की फसल गेेहूं का समर्थन मूल्य पर समितियों के माध्यम से क्रय किया जाएगा इसके लिए कृषकों का पंजीयन किया जा रहा है। पंजीयन की अंतिम तारीख 15 फरवरी है। समिति केन्द्रों पर ई-उपार्जन प्रक्रिया को सम्पादित कराने वाले आपरेटरों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण शुक्रवार को विदिशा के अर्श पैलेस में आयोजित किया गया था। जिला आपूर्ति अधिकारी श्री एमके श्रीवास्तव ने आपरेटरों से कहा कि ई-उपार्जन परियोजना अंतर्गत विपणन वर्ष 2015-16 में किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन करने के लिए विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी किसान पंजीयन डाटा एवं नवीन पंजीयन में किसान की समग्र सदस्य आईडी की प्रविष्टि की जानी है जिसमें किसानो का सत्यापित रकबा भी अंकित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिले में समर्थन मूल्य उपार्जन कार्य के लिए 125 केन्द्र संचालित किए जाएंगे। ऐसे किसान जिनके द्वारा पूर्व वर्ष पंजीयन कराया गया है वे अपने दस्तावेजों के आधार पर पूर्व पंजीयन को अपडेट करा सकते है। एनआईसी के डीआईओ श्री एमएल अहिरवार ने ई-उपार्जन साफ्टवेयर के अंतर्गत पंजीकृत किसानों के डाटा में समग्र आईडी नम्बर दाखिल करने की प्रक्रिया की बिन्दुवार जानकारी दी वही एलसीडी प्रोजेक्टर के माध्यम से संबंधितों को प्रशिक्षित भी किया गया।

एसबीआई ने वृद्धाश्रम में दान की उपयोगी सामग्री

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विदिषा-16 जनवरी 2015/स्थानीय श्रीहरि वृद्धाश्रम में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा वृद्धजनों के लिए सुजाता कम्पनी की मिक्सी, 10 पंखे, 25 फायवर कुर्सियां तथा एक टेबिल भेंट की गई। इस अवसर पर बुजुर्गों हेतु रजाई-खोली भेंट करने के साथ उन्हें फल, बिस्कुट भी प्रदान किए गए। बैंकर्स क्लब महिला मण्डल ने इस अवसर पर उपस्थित होकर वृद्धजनों के शुभाषीर्वाद ग्रहण किए। इस अवसर पर भोपाल से पधारीं महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती सुभाश्री घोष, उपाध्यक्ष श्रीमती पण्डा, श्रीमती काजमी, श्रीमती सहाय, सचिव श्रीमती वर्मा सहित विदिषा की सभी शाखाओं के शाखा प्रबंधकों ने वृद्धजनों की सेवा को समर्पित श्रीहरि वृद्धाश्रम में स्थायी रूप से सेवा करने का संकल्प लिया। वृद्धाश्रम संचालन समिति की अध्यक्ष श्रीमती इन्दिरा शर्मा ने भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख शाखा विदिषा, कृषि विकास शाखा, एसएटीआई शाखा, कलेक्ट्रेट शाखा के प्रबंधकों की सेवा धर्मिता का आभार मानते हुए बैंक के भोपाल मण्डल की महिला मण्डल को आश्रम की संचालन व्यवस्था से अवगत कराया। इस अवसर पर संस्था सचिव कृष्णबल्देव भट्ट, सदस्य वेदप्रकाष शर्मा ने एसबीआई महिला मण्डल को स्मृति चिह्न भेंट किए। भोपाल एसबीआई की अनेक शाखाओं की महिला अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित रहीं। 

जीतन राम मांझी को हटाना आसान नहीं: राजीव प्रताप रूड़ी

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बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में मतभेद की खबरों पर केंद्रीय मंत्री    राजीव प्रताप रूड़ी ने आज मुख्यमंत्री के रूप में मांझी के कामकाज की तारीफ की और कहा कि उन्हें पद से हटाना मुश्किल होगा.


रूड़ी से जब कुमार और मांझी के बीच मतभेद की खबरों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने पटना हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘मांझी को हटाना आसान नहीं होगा.’’ रूड़ी के बयान इन अटकलों के बीच आये हैं कि नीतीश ने नयी दिल्ली की अपनी हालिया यात्रा में लालू प्रसाद और शरद यादव जैसे नेताओं से बातचीत में मांझी को हटाने पर जोर दिया था.

मुख्यमंत्री के रूप में मांझी के कामकाज की तारीफ करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि उनके हिसाब से मांझी एक मंझे हुए नेता हैं जो राजनीति की बारीकियों को समझते हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने कुछ महीने पहले बाढ़ और कांटी में एनटीपीसी की तापीय विद्युत परियोजनाओं की शुरूआत के दौरान मांझी का भाषण सुना था और इसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि वह अनुभवी नेता हैं.’’

 रूड़ी ने कहा कि चूंकि मांझी ने अपनी एक जगह बना ली है, इसलिए नीतीश और लालू उनसे नाखुश हैं. भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि दोनों नेता इस बात को नहीं पचा पा रहे कि उनके समांतर किसी और नेता का कद बढ़ गया है. क्या मांझी को पद से हटाये जाने की स्थिति में उन्हें राज्य में नये सिरे से चुनाव कराने की सिफारिश के साथ राजभवन को इस्तीफा सौंप देना चाहिए, इस सवाल पर अपनी राय रखते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तरह की स्थिति नहीं आएगी क्योंकि जदयू और राजद के नेताओं के लिए उन्हें हटाना मुश्किल होगा.

 रूड़ी के इस बयान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कल पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी मांझी को हटाये जाने के किसी कदम के खिलाफ उन्हें समर्थन जताया था और कहा कि भाजपा उन्हें इस तरह की स्थिति से निकालने पर विचार करेगी.

पेट्रोल का दाम 2.42 रुपये और डीजल 2.25 रुपये प्रति लीटर हुआ सस्ता, उत्पाद शुल्क में बढ़ोत्तरी

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से गिरते कच्चे तेल के दाम का फायदा उठाते हुए सरकार ने आज पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क में दो रुपये प्रति लीटर वृद्धि की। बावजूद इसके पेट्रोलियम का खुदरा कारोबार करने वाली सरकारी कंपनियों ने पेट्रोल 2.42 रुपये और डीजल 2.25 रुपये प्रति लीटर सस्ता कर दिया।



अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम पिछले छह साल के निचले स्तर तक गिर चुके हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल, डीजल के दाम में भी उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, सरकार ने इस कमी का पूरा लाभ जनता को देने के बजाय इस अवसर का लाभ राजस्व बढ़ाने में भी किया है। इसके तहत पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क आज दो-दो रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया गया। पिछले नवंबर के बाद डीजल पेट्रोल पर आज चौथी बार उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया है।

वित्तमंत्रालय की आज जारी अधिसूचना के अनुसार बिना-ब्रांड वाले पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर 8.95 रुपये लीटर और बिना-ब्रांड के डीजल पर बढ़ाकर 7.96 रुपये लीटर कर दिया गया। उत्पाद शुल्क वृद्धि के बावजूद पेट्रोल के खुदरा मूल्य में 2.42 रुपये और डीजल के खुदरा मूल्य में 2.25 रुपये लीटर कटौती की गई है। इस कटौती के बाद दिल्ली में पेट्रोल का दाम 58.91 रुपये प्रति लीटर और डीजल का दाम 48.26 रुपये लीटर होगा।

उत्पाद शुल्क में चार बार की गई वृद्धि से सरकारी खजाने में 20,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व पहुंचेगा। इससे सरकार को राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.1 प्रतिशत पर रखने में मदद मिलेगी। उत्पाद शुल्क में आज की गई वृद्धि को मिलाकर पेट्रोल में 7.75 रुपये और डीजल में 6.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती का लाभ जनता को नहीं मिल पाया।

जमुई से नक्सली हेम्ब्रम गिरफ्तार

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बिहार के नक्सल प्रभावित जमुई जिले के लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र से पुलिस ने शुक्रवार को 50 हजार रुपये का इनामी नक्सली रमेश हेम्ब्रम को गिरफ्तार किया है. इसके पास से पुलिस ने कई हथियार भी बरामद किए हैं.

लक्ष्मीपुर के थाना प्रभारी विवेक भारती ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने थाड़ी जंगल में छापेमारी कर रमेश हेम्ब्रम को गिरफ्तार किया है. इस पर सरकार ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा है.

 उन्होंने बताया कि हेम्ब्रम के पास से दो पिस्तौल और 10 गोलियां बरामद की हैं. गिरफ्तार नक्सली से पूछताछ की जा रही है. भारती के अनुसार हेम्ब्रम पर जमुई जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में एक दर्जन से ज्यादा नक्सली मामले दर्ज हैं.

तरुण तेजपाल केस के ट्रायल पर तीन हफ्ते की रोक

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तहलका मैगजीन के पूर्व एडिटर-इन-चीफ तरुण तेजपाल के खिलाफ गोवा के एक कोर्ट में चल रहे ट्रायल पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते के लिए रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान अभियोजन पक्ष तरुण तेजपाल को कई दस्तावेज मुहैया कराए। गोवा पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह मामले की सुनवाई 3 हफ्ते के लिए टाल दे। इस दौरान गोवा पुलिस केस संबंधित दस्तावेज तरुण तेजपाल को मुहैया कराए ताकि वह ट्रायल के दौरान अपना बचाव कर सकें। इन दस्तावेजों में सबूतों से जुड़ी कॉपी वगैरह शामिल हैं। अदालत ने गोवा पुलिस से कहा है कि वह साक्ष्यों की कॉपी, कैमरा फुटेज की अन-एडिटेड कॉपी और फोन रिकॉर्ड मुहैया कराए, जिस आधार पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है।

तेजपाल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि गोवा पुलिस ने अभी तक उन्हें कई डॉक्युमेंट्स नहीं मिले हैं और इस मामले में गोवा कोर्ट में सुनवाई जारी है। अदालत ने गोवा कोर्ट को निर्देश दिया है कि 8 महीने में केस का निपटारा किया जाए। गौरतलब है कि तेजपाल के खिलाफ उनकी एक सहकर्मी ने नवंबर 2013 में रेप का आरोप लगाया था। तेजपाल को इस मामले में पिछले साल 30 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। जुलाई में तेजपाल को जमानत दी गई थी।

 

सुनंदा मामले में थरूर से शीघ्र होगी पूछताछ

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सुनंदा पुष्कर हत्या मामले की जाँच कर रहा विशेष जाँच दल पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर से शीघ्र पूछताछ करेगा। दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री से शीघ्र पूछताछ किए जाने के आज संकेत दिए हैं। उन्होंने पुलिस मुख्यालय के बाहर संवाददाताों से कहा.. मुझे लगता है कि अगले कुछ दिनों में इस मामले में सभी लोगों से पूछताछ की जाएगी। हम इस कार्य को शीघ्र पूरा करेंगे। हमें लगता है कि विशेष जाँच दल इस काम को जल्दी करेगा।

बस्सी ने उन रिपोर्ट का भी खंडन किया जिनमें कहा जा रहा था कि विसरा के नमूने लगभग एक वर्षा पुराने हो चुके हैं और विदेश भेजे जाने के बावजूद भी जाँच में उस जहर का पता नहीं लग सकेगा जिससे सुनंदा की मौत हुई है। पुलिस आयुक्त ने कहा कि नमूने को प्रिजरवेटिव डालकर रखा गया है इसलिए वह खराब नहीं होगा। उन्होंने कई व्यक्तियों से पूछताछ के बाद सामने आई बातों को भी इस वक्त सार्वजनिक करने से इनकार किया। 

कोली की फांसी फिर टली

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा के चर्चित निठारी कांड में मुख्य अभियुक्त सुरेन्द्र कोली की फांसी की सजा पर रोक 28 जनवरी तक बढा दी है। मुख्य न्यायाधीश डा धनंजय यशवंत चन्द्रचूड़ और न्यायाधीश प्रदीप कुमार सिंह बघेल की खंडपीठ ने आज हुयी सुनवाई के बाद कोली की फांसी की सजा पर रोक की अवधि 28 जनवरी तक बढाने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी। अभियोजन पक्ष के वकील अपनी दलीलें न्यायालय के समक्ष पेश कर चुके है जबकि केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार के वकील को अपना पक्ष प्रस्तुत करना अभी बाकी है हालांकि सरकार की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वकील न्यायालय के समक्ष कोली मामले से संबधित सभी दस्तावेज प्रस्तुत कर चुके हैं। पिछले वर्ष 31 अक्टूबर न्यायालय ने पहली बार कोली की फांसी पर रोक 25 नवम्बर तक के लिये बढाई थी जिसके बाद यह पांचवां मौका है जब फांसी पर रोक की अवधि बढाई गयी है। मामले की पिछली सुनवाई 22 दिसम्बर को हुयी थी। इसके बाद वकीलों की हड़ताल के कारण सुनवाई नही हो सकी। 

कोली की फांसी के खिलाफ पीपल यूनियन फार डेमोक्रेटिक राइट्स याचिका दायर की थी जिसमें कोली की दया याचिका को खारिज करने के राष्ट्रपति और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के निर्णय को चुनौती दी गयी थी। इसके लिये याचिकार्कता का तर्क यह था कि दया याचिका को तीन साल और तीन माह की लंबी अवधि तक लंबित रखा गया। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 72 और 161 का हवाला दिया गया है। प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता वी.बी.सिंह तथा केन्द्र सरकार की तरफ से एडिशनल सालीसीटर जनरल अशोक मेहता ने पक्ष रखा तथा कोर्ट को संतुष्ट करने की कोशिश की कि दया याचिका को तय करने में राज्यपाल व राष्ट्रपति के स्तर से कोई विलम्ब नहीं हुआ है। दोनों अधिवक्ताओं का कहना था कि दया याचिका खारिज करने में विलम्ब की वजह स्वयं कोली था न कि सरकार। बहस की गयी कि कोली द्वारा बार बार न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से दया याचिका के निस्तारण में विलम्ब हुआ।

आतंकवादी तारा को कल अदालत में पेश किया जायेगा

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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मास्टरमाइंड एवं खालिस्तान टाइगर फोर्स के स्वयंभू कमांडर जगतार सिंह तारा को कल पटियाला की अदालत में पेश किया जायेगा 1 उसे थाइलैंड से आज देर रातदिल्ली इंदिरा गांधी एयरपोर्ट लाया गया जहां से पंजाब पुलिस उसे यहां लायेगी और कल पटियाला की अदालत में पेश कर रिमांड मांगा जायेगा 1 ज्ञातव्य है कि तारा को थाईलैंड पुलिस के सहयोग से गिरफतार किया गया था।तारा को पंजाब पुलिस .केंद्रीय गुप्तचर एजेंसियों तथा थाई सरकार के सहयोग से पटाया स्थित एक घर से गिरफतार किया गया जहां वह पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई से जुड़े एक व्यक्ति के घर में गुरमीत सिंह पुत्र काका सिंह के फर्जी नाम से रह रहा था। पुलिस उसे प्रत्यर्पण के बाद आज भारत लेकर आयी।गत पांच जनवरी को पकड़े गये इस आतंकी को भारत लाने में ग्यारह दिन लगे हैं.

ज्ञातव्य है कि  तारा मुख्यमंत्री बेअंत सिंह पर 31 अगस्त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय परिसर में हुए आत्मघाती हमले का मास्टरमाइंड था। इस हमले में बेअंत सिंह और 17 अन्य सुरक्षार्कमियों की मौत हो गई थी। इस हमले की साजिश रचने में परमजीत सिंह भ्यौरा और जगतार सिंह हवारा भी शामिल थे . इन तीनों को गिरफतार कर चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल में रखा गया था जहां से ये वर्ष 2004 में जेल में 100 फुट की सुरंग खोद कर फरार हो गए थे।  हवारा और भ्यौरा को बाद में नेपाल से गिरफतार किया गया था लेकिनतारा पहले पाकिस्तान चला गया और वहां से पाकिस्तानी फर्जी पासपोर्ट पर थाईलैंड में रह रहा था। 

विश्वविद्यालय पूर्ण प्रतिबद्धता एवं समर्पण भाव से कार्य करे

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saiyad ansari
झारंखड के राज्यपाल डा. सैयद अहमद ने कहा है कि हमारे विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मिले इस के लिए विश्वविद्यालय परिवार पूणर प्रतिबद्धता एवं र्समपण भाव के साथ कार्य करना चाहिए। डा. अहमद ने आज यहां विनोबा भावे विश्वविद्यालय के शिक्षण एवं प्रशासनिक गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय एवं मानव संसाधन विकास विभाग सहयोगात्मक रूख अपनाते हुए सेवानिवृत शिक्षकों एवं र्कमियों को उनके  सेवानिवृति का लाभ संसमय प्राप्त हो जाय इस दिशा में तत्परता के साथ कार्य करे। 
     
डा. अहमद ने कहा कि रिक्तियों के कारण शिक्षा व्यवस्था प्रभावित न हो इसके निदान के लिए वे यथोचित स्तर पर पहल करेंगे। इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव आर एस पोद्दार  विशेष कार्य पदाधिकारी (न्यायिक)  नलिन कुमार  उच्च शिक्षा निदेशक डी एन ओझा  विनोबा भावे विश्वविद्यलाय के कुलपति डा गुरदीप सिंह एवं अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

हिंदी को न्यायालयों की आधिकारिक भाषा नहीं बनायी जा सकती : केंद्र

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केंद्र सरकार ने हिंदी को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कामकाज की आधिकारिक भाषा बनाये जाने से इन्कार किया है। सरकार ने कल शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा है कि  किसी भी भाषा को न्यायाधीशों पर थोपा नहीं जा सकता। हिंदी को इन न्यायालयों में कामकाज की आधिकारिक भाषा बनाने में केंद्र सरकार को सख्त विरोध का सामना करना पड़ा है। 
      
सरकार ने 18वें विधि आयोग की सिफारिशें मान ली हैं. जिसमें कहा गया है कि हिंदी को आधिकारिक भाषा  बनाना सार्थक नहीं है। जजों को अपना निर्णय अपनी पसंद की भाषा में सुनाने का अधिकार होना चाहिए। हर एक नागरिक और हर एक अदालत को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय जाननेशसमझने का अधिकार है और यह स्वीकार करना होगा कि अंग्रेजी ही अभी फिलहाल ऐसी भाषा है जिससे यह काम हो सकता है। 
      
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि यदि हिंदी को जबरन थोपा गया तो न्यायिक प्रशासन के साथ..साथ न्यायाधीशों की क्वालिटी और उनके निर्णयों पर भी बहुत बुरा असर पडे़गा। दोनों पक्षों के वादशविवाद, कानून की किताबें और केस स्टडी लगभग सभी अंग्रेजी में होते हैं। ऐसे में जजों के लिए अग्रेजी बस संप्रेषण का काम नहीं कर रही होती, बल्कि यह उनके निर्णय का एक हिस्सा होती है। ऐसे में बेहतर है कि जजों पर यह छोड़ दिया जाए कि वह किस भाषा में अपना निर्णय सुनाते हैं।

झामुमो की 31 मई को रांची में जन आक्रोश महारैली

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झारखंड मुक्ति मोर्चा .झामुमो. केन्द्र सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून के विरोध में तथा भारतीय जनता पार्टी .भाजपा. नीत राज्य सरकार द्वारा स्थानीयता नीति की घोषणा किए बगैर नियोजन प्रकि्र या शुरू की जाने के विरोध में 31 मई को  रांची मोरहाबादी मैदान में जन आक्रोश महारैली आयोजित करेगी। पार्टी के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज यहां बताया कि झामुमो 28 जनवरी से 28 फरवरी 2015 तक राज्य में सघन सदस्यता अभियान चलाकर पंचायत स्तर पर न्यूनतम 300 नये सदस्यों को पार्टी तथा आंदोलन में सहयोग करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है। 
    
श्री भट्टाचार्य ने बताया कि 28 जनवरी को राज्य के सभी  प्रखंड मुख्यालय पर पार्टी एक दिवसीय धरना आयोजित  करेगी। उन्होंनेंबताया कि 29 जनवरी से पांच फरवरी तक पार्टी पंचायत स्तर पद यात्रा एवं जन जागरण अभियान चलायेगी तथा 23 फरवरी को जिला मुख्यालय पर धरना देगी। उन्होंने बताया कि पार्टी  दो मार्च को जिला मुख्यालय पर विशाल प्रर्दशन एवं जिला उपायुक्तों के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित करेगी।

लीला सैम्सन के उठाए मुद्दों पर स्पष्टीकरण दे सरकार : कांग्रेस

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कांग्रेस ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की अध्यक्ष लीला सैम्सन के इस्तीफे पर कडी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आज कहा कि सरकार को उन मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए जो उन्होंने उठाए हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यहां संवाददाताों से कहा कि सुश्री सैम्सन का इस्तीफा एक गंभीर मामला है। उन्होंने जिस परिस्थिति और जिन कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया उससे गंभीर सवाल खडे होते हैं। वह कला और संस्कृति जगत की जानीमानी हस्ती हैं। उनकी छवि कभी भी पैसे के पीछे भागने वालों की नहीं रही है। 

श्री सिंघवी ने कहा कि सुश्री सैम्सन ने अपना इस्तीफा देते हुए सरकार पर सेंसर बोर्ड के कामकाम में हस्तक्षेप करने. दबाव डालने. सदस्यों तथा अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए कि यह सब कैसे होता रहा। श्री सिंघवी ने हालांकि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की विवादास्पद फिल्म .एमएसजी. के रिलीज को मंजूरी दिए जाने के मामले पर टिप्पणी करने से इन्कार किया। माना जा रहा है कि इस फिल्म के रिलीज को मंजूरी मिलने के कारण ही सुश्री सैम्सन ने इस्तीफा दिया। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म के रिलीज को मंजूरी देने से मना कर दिया था जिसके बाद यह मामला फिल्म प्रमाण अपीलीय न्यायाधिकरण के पास चला गया था। न्यायाधिकरण ने फिल्म को कुछ शता6 के साथ रिलीज करने की अनुमति दी है।

अच्छे दिन के बदले भाजपा केवल अध्यादेश ला रही है : भट्टाचार्या

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भारत की कम्युनिस्ट पार्टी  मार्क्सवादी लेनिनवादी  के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि अच्छे दिन का वादा कर केन्द्र में सत्ता हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी इस समय केवल अध्यादेश लाने में व्यस्त है। श्री भट्टाचार्य ने आज झारखंड के गिरिडीह जिले के बगोदर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व विधायक महेन्द्र सिंह की 10 वीं शहादत दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में कहा कि भाजपा जनता से किए अपनी वादों को पूरा करने की जगह केन्द्र की मोदी सरकार केवल अध्यादेश लाने का काम  कर रही हैं। उन्होंनें कहा कि देश को कमजोर करने का यह एक षड़यंत्र है और पार्टी किसी भी कीमत पर इसे बर्दास्त नहीं करेगी।      

श्री भट्टाचार्य ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार कोयला नीति में परिवर्तन कर औद्योगिक घराने को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है और इसका विरोध देश भर के र्कमचारी यूनियन कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि निजी करण की नीति को बर्दास्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में जो परिवर्तन किया गया है उसके कारण किसान नाराज है और यह भी परिवर्तन पूंजीपतियों के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा कालाधन लाने तथा हरेक परिवार के खाते में 15 लाख रूपया देने का वादा किया था लेकिन सचाई यह है कि अदानी ग्रुप को आस्ट्रेलिया में कोल ब्लॉक खरीदने के लिए एक हजार करोड़ रूपये का लोन स्टेट बैंक से दिया गया है। उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी की अगुआई वाली झाविमों ..प्रजातांत्रिक.. भाजपा की बी टीम है।  समारोह को भाकपा..माले विधायक राजकुमार यादव और पूर्व विधायक विनोद सिंह ने संबोधित किया।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (16 जनवरी)

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बलीका  की हत्या कर शव गाडा, नग्न मिला शव बलात्कार की आशंका

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झाबुआ-- गुरूवार को जंगल मे बकरीया चराने व कंउे बिनने गई 11 वर्षीय बालीका का शव शुक्रवार को नग्न अवस्था मे नाले किनारे गडा मिला जिसको लेकर ग्रामिणो ने दुषकर्म के बाद हत्या कर ने कि आशंका जताई हे। ग्राम मिंडल के परमार फलिया निवासी  कक्षा 6 टी मे पडने वाली 11 वर्षीय बालीका  ललीता पिता तोलीया गुरूवार को बकरीया चाराने व कंडे बिनने गई थी गुरूवार को शाम तक घर नही लोटने पर परिजनो ने उसे तलाश किया तालाब किनारे लकडी कंउे व तगारी पडी मिली जिससे तालाब मे डुबने की आंशंका बनी व ग्रामिण रात भर उसे तालाब मे खोजते रहे।शुक्रवार की सुबह ग्रामिण उसे फिर तालाब मे तलाश रहे थे तभी उनकी नजर तालाब के किनारे बालका के गले की माला बिखरी पडी मिली ग्रामिणो ने बिखरे माला के मोती से जंगल कि तरफ तलाश किया तो एक फ्राक पडी मिली व समिप ही खुन के निशान दिखे कुछही दूरी पर चप्पल मिली जहा से घसीटे जाने के निशान के पिछे जाने पर नाले के किनारे पत्थर व पत्तो से ढंके बालीका के पेर दिखाई दिए ग्रामिणो ने इस की सुचना पुलीस को दी मोके पर थाना प्रभारी दलबल सहीत पहुचे व सुचना वरिष्ठ अधिकारयो को दी जिस पर एसडीओपी रचना भदोरीया व नायब तहसीलदार किरण गेहलोत  ने मोके पहुच कर पंचनामा बनाकर शव को गडढे से बाहर निकलवाया।हत्यारो ने बेरहमी से शव को कमर से तोड मरोड कर गडढें मे गाडा था उसके उपर भारी पत्थर रखकर पत्तो से ढंक दिया था।बालीका शव देख कर परिजन फुटफुट कर रोने लगे। पुलिस ने शव को परिक्षण के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया।अधिकारीयो का कहना हे कि जांच के बाद ही मामले का खुलासा हो पाएगा।

शासन की जननी सुरक्षा योजना में वाहन चालक ले रहे परिजनो से पेसा
  • जिले में जननी सुरक्षा योजना मे हो रहीं पौबारह, जवाबदारो का नहीं है ध्यान

झाबुआ--- शासन द्वारा जननी सुरक्षा योजना इसलिए चलाई जा रहीं है कि प्रसूति के लिए आने वाली महिलाओं को किसी प्रकार की कोई परेषानी ना हो। इस योजना के तहत परिवार नियोजन पर भी राषि स्वीकृत की गई है वहीं प्रसूति के लिए चिकित्सालयों में आने वाली महिलाओं के लिए वाहन सुविधा भी इस योजना के तहत निःषुल्क उपलब्ध करवाई गई है, लेकिन जिले में इस योजना का माखौल उड़ाया जा रहा है। जिले में वर्तमान में जननी सुरक्षा योजना में परिवार नियोजन करवाने पर कई महिलाओं को जो राषि देना निर्धारित की गई है, वह अब तक नहीं मिली है। वहीं योजना में मिलने वाली निःषुल्क वाहन सुविधा के भी जननी सुरक्षा योजना के वाहन चलाने वाले चालक पैसा ले रहे है। शासन द्वारा जननी सुरक्षा योजना को लागू किए काफी समय हो चुका है, लेकिन जिला चिकित्सालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में इस योजना में रिष्वत लिए जाने के आरोप प्रसूति के लिए आने वाली महिलाओं द्वारा लगाए गए है। जिला चिकित्सालय की ही बात करे तो चिकित्सालय में प्रसूति के लिए प्रसूति चिकित्सालय आने वाली महिलाओं को परिवार नियोजन करवाने के बाद भी इस योजना में जो राषि मिलना चाहिए, वह कई महिलाओं को अब तक नहीं मिली है। वह राषि पाने के लिए भटक रहीं है। पूर्व में महिलाओं द्वारा यह भी षिकायत की गई थी जब भी वह प्रसूति चिकित्सालय के जननी सुरक्षा योजना कक्ष, जहां से महिलाओं को राषि प्राप्त होती है, वहां जाने पर कक्ष पर अक्सर ताला लगा मिलता है। वहीं इस योजना में परिवार नियोजन के लिए प्रोत्साहित करने वाले चाहे वह नर्स, एएनएम या फिर अन्य कोई व्यक्ति हो, उसे भी प्रोत्साहन शुल्क देने का प्रावधान है।

योजना में हो रहीं पौबारह
वर्तमान में जननी सुरक्षा योजना की पौबारह हो रहीं है। कई महिलाओं को परिवार नियोजन कराने का बाद भी उन्हें जो राषि 1400 रू. प्रदान की जाती है, वह नहीं मिलने की बात उनके द्वारा कहीं जा रहीं है वहीं प्रेरित करने वाले को जो प्रोत्साहन राषि 400 रू. मिलना चाहिए, वह भी कईयों को नहीं मिली है। यहां सबसे बड़ी बात यह है कि इस योजना में जब भी किसी भी महिला की डिलेवरी का समय आता है तो उसे जिला चिकित्सालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक लाने एवं ले जाने की जननी सुरक्षा योजना वाहन की व्यवस्था शासन द्वारा निःषुल्क की गई है, ताकि गरीब महिलाओं को परेषानी ना हो, लेकिन इस सेवा के वाहन चालक द्वारा पैसे लिए जाने की षिकायत महिलाओं द्वारा की गई है।

लिए जा रहे 200-250 रू. तक  
ग्राम झायड़ा निवासी राकेष ने बताया कि उसकी पत्नी संगीता की पिछले दिनों डिलेवरी होने पर जननी सुरक्षा योजना वाहन को सूचना देने पर वाहन चालक द्वारा संगीता को मेघनगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाने के 200-250 रू. लिए गए। इस तरह के आरोप कई अन्य महिलाओं द्वारा भी लगाए गए है। उन्होंने बताया कि वाहन चालकों द्वारा उनके परिजनों से इस फ्री सेवा के लिए पैसे लिए गए है।

एफआईआर करवाने पर जेल भेजने की होगी कार्रवाई
इस संबंध में जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डाॅ. जीआर कौषल से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि जननी सुरक्षा योजना में वाहन से डिलेवरी के लिए आने वाली महिलाओं को लाने एवं ले जाने की निःषुल्क सेवा है, यदि कोई वाहन चालक पैसे ले रहे है तो संबंधित द्वारा अगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाई जाती है तो वाहन चालक के खिलाफ जेल भेजने की कार्रवाई की जाएगी। संबंधित गाड़ी का नंबर एवं वाहन चालक का नाम नोट कर ले और एफआईआर दर्ज करवाए, कार्रवाई अवष्य होगी।

सीधे खाते में की जा रहीं राषि जमा
जननी सुरक्षा योजना में परिवार नियोजन पर कई महिलाओं को मिलने वाली राषि का भुगतान नहीं होने पर डाॅ. कौषल ने बताया कि इस योजना में ई-पेमेंट के तहत सीधे हितग्राही के खातें में राषि जमा करने की सुविधा आरंभ हो गई है और जिन महिलाओं ने खाते नंबर दे दिए है, उनके खातों में राषि जमा कर दी गई है। अन्य हितग्राही महिलाएं भी अपना खाता नंबर देती है तो उनके खातों में राषि जमा कर दी जाएगी।

जिले में जननी सुरक्षा योजना के वाहनों पर एक नजर
जिले में जननी सुरक्षा के 20 वाहन चल रहे है। जिसमें चिकित्सालय में दो, इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं सामुदायिक स्वाथ्स्य केंद्रों पर लगभग 18 वाहन चल रहे है।े

उदयपुरिया की घटना पर जिला कांग्रेस ने किया विरोध 

झाबुआ ---झाबुआ से सटे मिण्डल गांव में 11 साल की बालिका से बलात्कार के बाद पत्थर से सिर कुचल कर हत्या के बाद बालिका की लाष को दुर्दान्त अपराधियों द्वारा गड्डे मे गाडने को लेकर जिला कांग्रेस ने पुलिस एवं प्रषासन की लापरवाही एवं ढिलाई को लेकर आक्रोष व्यक्त किया है । पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया एवं युवा कांग्रेस नेता डा. विक्रांत भूरिया ने भाजपा सरकार को आडे हाथ लेते हुए कहा कि कितनी बडी विडंबना है कि बेटी बचाओं अभियान को चुनाव में प्रदेष की भाजपा सरकार खुब भुनाती रही और चुनाव के बाद गहरी निंद सो जाती है । षायद यही कारण है कि झाबुआ मे अभी तक 78 लडकिया आज भी लापता है । और प्रदेष में तो क्या कहनें । देष मे बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेष अव्वल नम्बर पर है । सवाल यह है कि मध्यप्रदेष सरकार सिर्फ मार्केटिंग ही करती रहेगी या जमीनी स्तर पर कुछ कठोर कदम भी उठावेगी ? झाबुआ के निकट मिण्डल में बालिका की बलात्कार के बाद हत्या की घटना पर शांतिलाल पडियार जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आरोपियों पर जल्द से जल्द प्रषासन कार्यवाही करें नही कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर आन्दोलन करेगी । इस घटना को लेकर पूर्व  जिला कांग्रेस अध्यक्ष शांतिलाल पडियार,जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती भूरिया, जितेन्द्र प्रसाद अग्निहोत्री, प्रवक्ता हर्ष भटृ, मानसिंह मेडा, हेमचंद डामोर,पूर्व विधायक जेवियर मेडा ने आक्रोष व्यक्त करते हुए षासन से मांग की है कि आरोपियों को जल्द से जल्द न्यायिक हिरासत मे लिया जावे ।

दिलों में बसे कुविचारों को त्याग कर पवित्र भावनाओं को अंगीकार करे- सौभाग्यसिंह चैहान
  • सत्यसाई समिति ने मनाया मकर संक्रांति पर्व 

झाबुआ---मकर संक्रांति देवताओं  का प्रभातकाल मानी जाती है, इस दिन प्रकृर्ति की सभी शक्तियां जागृत होती है । इस दिन भगवान भास्कर भी दक्षिणायन से उत्तरायण होते है । पितामह भीष्म ने इसी दिन सूर्य के  उत्तरायण आने पर अपने प्राणों का त्याग किया था । इस तरह मकरसंक्रांति पर्व पावनता का प्रतिक माना जाता है । श्री सत्यसाई बाबा ने भी मकर संका्रति को नववर्ष के आगमन का दिन बताते हुए कहा था कि अपने दिलों में बसे कुविचारों को त्याग कर पवित्र भावनाओं को अंगीकार करके आध्यात्म के साथ अपने जीवन में सत्य,धर्म,षांति,प्रेम एवं अहिंसा को लेकर मानव सेवा के इस संकल्प को पूरा करने में अपनी भूमिका का निर्वाह करने का संकल्प लेवें  । उक्त  उदगार श्री सत्यसाई सेवा समिति द्वारा मकर संक्राति के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सौभाग्यसिंह चैहान ने व्यक्त किये ।  मकर संक्राति पर पर गुरूवार को सत्यधाम में नाम संकीर्तन का आयोजन किया गया । श्री सत्यसाई बाबा की पंतग एवं पुष्पों से आकर्षक झांकी ओम प्रकाष नागर एवं हिमांषु पंवार द्वारा बनाई गई । सर्वधर्म नाम संकीर्तन का आयोजन किया इसके बाद मकर संका्रति पर्व पर श्री चैहान ने बालते हुए कहा कि इस दिन उडाई जाने वाली पतंगें  सूर्य के अभिनन्दन एवं मनुष्य की महत्वाकांक्षाओं का प्रतिक मानी जाती है । हमारा देष धर्म प्रधान देष है जहां हर पर्व का अपना धार्मिक महत्व है । इस पर्व के माध्यम से नर सेवा नारायण सेवा के महामंत्र को साकार करने के लिये दान पूण्य किये जाते है । तिल गुड का सेवन भी वाणी मे मीठास का प्रतिक होता है ।उन्होने कहा कि मकर संक्राति पर्व  संकल्प लेने का पवित्र दिन जहा से हम जीव सेवा- षिव सेवा के कार्य शुरू कर सकते है ।

नव परिवर्तन का नाम है मकर संक्राति पर्व
  • जैन तेरापंथी मुनि श्री भूपेन्द्रकुमारजी ने संका्रती पर्व का महत्व बताया।

झाबुआ--- नगर मे पधारे तेरापंथ धर्मसंघ के मुनि श्री भूपेन्द्रकुमारजी ने नेहरु मार्ग निवासी श्री मगनलालजी गादिया के निवास स्थान पर मकर संका्रती पर्व पर श्रावक श्राविकाओ को संबोधित करते हुए बताया कि नव परिवर्तन का नाम संक्राती पर्व है हर पर्व का अपना विषेष महत्व होता है भारतीय संस्कृति मे मकर संक्रंाती का एक विषंेष महत्व है इस दिन सूर्य दक्षिण से उत्तरायण की ओर बढना प्रारंभ कर देता है और जब सूर्य उत्तरायण मे आयेगा उसकी उष्मता और बढ जाएगी। सर्द ऋतु धीरे धीरे उतार पर आ जायेगा। यह पर्व हमे यह प्रेरणा देता है कि हम सूूर्य के समान गतिमान बने रहे, जब तक व्यक्ति गतिमान रहेगा तब तक उसका मूल्य है गतिहीनता आते ही उसके विकास के द्धार बंद हो जायेगे। उसका जीवन व्यर्थ हो जाएगा। बारह राषि मे मकर राषि का अपना महत्व है मकर राषि से सूर्य धनु राषि मे प्रवेष करेगा। धनु राषि मे इस वर्ष शनि का ढया चल रहा है जो धनु राषि वाले लोग है उन लोगो के लिए यह वर्ष चिंतन, मनन व अनुसंधान करने का समय है शनि वह राषि है चाहे तो वह व्यक्ति को अर्ष से पर्ष पर कर सकती है और पराक्रमी हो तों पर्ष से अर्ष तक चढा सकती है धनु राषि वाले व्यक्ति को नयी उर्जा का संचार करना होगा।षनिचर से घबराए नही, उसे शत्रु नही मित्र बनाने का प्रयास करे तो शनि देवता हमारा सहायक बन जाएगा। शनि का कार्य है भ्रमण करना । यह नयी नयी यात्राए करवाएगा और एक जगह स्थिर नही रहने देगा। ज्यो ज्यो यात्राए करेगा वो वो उसका अनुभव बढता जायेगा , वह अनुभव इस जीवन को ठाति बनायेगा। मकर संका्रती का यह पर्व दक्षिण से उत्तरायण की ओर प्ररित करता है उत्तरायण को मोक्षदायी बताया गया है। सूर्य उत्तरायण आते ही हमारे शुभ कार्य होने प्रारंभ हो जाते है हमारे भीतर नए विष्वास का संचार हो जाता है।

मतदानदलों का प्रथम प्रशिक्षण 18 एवं 19 जनवरी को

झाबुआ ---त्रि-स्तरीय पंचायत निर्वाचन 2014-15 को निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने के लिए मतदान दलों के पीठासीन अधिकारी एवं पी. 1 का प्रथम प्रशिक्षण 18 एवं 19 जनवरी को होगा। प्रशिक्षण प्रातः 11 बजे से 4 बजे तक आयोजित होगा। प्रस्तावित  कार्यक्रम के अनुसार उत्कृष्ट उ.मा.वि.झाबुआ में 18 जनवरी 2015 को दल क्रमांक 1 से 129 तक के पीठासीन अधिकारी का, 19 जनवरी 2015 को दल क्रमांक 130 से 137 तक का प्रशिक्षण प्रातः 11 बजे से 4 बजे तक आयोजित किया गया है। शा.क.उ.मा.वि. रामा में 18 जनवरी को दल क्रमांक 1 से 49 तक का एवं 19 जनवरी को दल क्रमांक 50 से 70 तक के पीठासीन अधिकारियों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया है।  शा.बा.उत्कृष्ट उ.मा.वि. रानापुर में 18 जनवरी को दल क्रमांक 1 से 78 तक के पीठासीन अधिकारियों का एवं 19 जनवरी को दल क्रमांक 23 से 120 तक के पी.1 का प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा। शा.उत्कृष्ट उ.मा.वि. पेटलावद में 18 जनवरी को दल क्रमांक 1 से 151 तक के पीठासीन अधिकारियों   एवं 19 जनवरी को दल क्रमांक 15 से 179 तक के पी.1 का प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा। उक्त प्रशिक्षण में दल के पीठासीन, अधिकारी, एवं मतदान अधिकारी 1 को प्रशिक्षण में नियत तिथि एवं समय पर उपस्थित होने के लिए आदेश जारी कर दिये गये है।

पल्स पोलियों अभियान 18 जनवरी को 0 से 5 वर्ष तक के बच्चो को पिलाई जायेगी पोलीयो की दवा

झाबुआ ---जिले में 18 जनवरी एवं 22 फरवरी 2015 को पल्स पोलियो अभियान के दौरान 0-5 वर्ष तक के बच्चो को पोलियो की दवाई पिलाई जाएगी। अभियान की सफलता के लिए कार्ययोजना बना कर संबंधित विभागों को दायित्व सौपे गये है। पोलियो की दवाई पिलाने के लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2026 वेक्सीनेटर, 120 सुपरवाइजर, 376 बी टाईप टीम, 522 सी टाईप टीम, 10 मोबाईल टीम एवं 837 हाऊस टू हाऊस टीम की नियुक्ति की गई है। आगामी 18 जनवरी को जिले के कुल 1 लाख 83 हजार 635 लक्षित बच्चो को पोलियो की दवा पिलाई जायेगी।

बैठक 17 जनवरी को प्रातः 11 बजे
पोलियो अभियान के लिये विभागीय अधिकारियो द्वारा की गई तैयारी की समीक्षा करने के लिये आज 17 जनवरी को प्रातः 11.00 बजे कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में जिला टास्क फोर्स की बैठक कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर की अध्यक्षता में रखी गई है।

निर्वाचन परिणाम की घोषणा आज 17 जनवरी को होगी

झाबुआ --- प्रथम चरण में विगत 13 जनवरी को पेटलावद क्षेत्र में 74 ग्राम पंचायतो में हुवे मतदान के बाद संरपच एवं पंच के निर्वाचन परिणाम की घोषणा विकासखण्ड मुख्यालय पर उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पेटलावद में आज 17 जनवरी को की जायेगी।

छेड़छाड का अपराध पंजीबद्ध 

झाबूआ---फरियादिया कुंए पर पानी भरने गई थी। आरोपी आरोपी मुनसिंग पिता कालू भील, निवासी रातीमाली आया व बुरी नीयत से हाथ पकड़ा, चिल्लाने पर भाग गया। प्र्रकरण में थाना कालीदेवी में अपराध क्रमांक 09/15, धारा 354 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। 

आलेख : अनिवार्य मतदान के शंखनाद का सबब

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चुनाव सुधारों एवं अनिवार्य मतदान के माध्यम से लोकतांत्रिक मूल्यों सुदृढ़ करने के लिये ‘चलो वोट देने’ अभियान का शुभारंभ निश्चित ही भारतीय लोकतंत्र को अधिक स्वस्थ, सुदृढ़ एवं पारदर्शी बनाने की एक सार्थक मुहिम है। भारतीय मतदाता संगठन का गठन और इसके द्वारा मतदान को प्रोत्साहन देने के उपक्रम एक क्रांतिकारी शुरूआत कही जा सकती है। इसका स्वागत हम इस सोच और संकल्प के साथ करें कि हमें इन दिल्ली विधानसभा और उसके बाद होने वाले चुनावों में भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक अपराधीकरण पर नियंत्रण करना है। 

‘चलो वोट देने’ अभियान से मतदान का औसत प्रतिशत 55 से 90-95 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य भारतीय राजनीति की तस्वीर को नया रूख देगा। मतदान करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और कर्तव्य भी है, लेकिन विडम्बना है हमारे देश की कि आजादी के 67 वर्षों बाद भी नागरिक लोकतंत्र की मजबूती के लिये निष्क्रिय है। ऐसा लगता है जमीन आजाद हुई है, जमीर तो आज भी कहीं, किसी के पास गिरवी रखा हुआ है। अनिवार्य मतदान की दृष्टि से भी श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए एक अलख जगाई थी। उस समय सारे देश में एक प्रकंप हुआ, भारतीय राजनीति में एक भुचाल आ गया। शायद इसलिए कि इस क्रांतिकारी पहल का श्रेय नरेंद्र मोदी को न मिल जाए? उस समय यह पहल इतनी अच्छी रही कि इसके विरोध में कोई तर्क जरा भी नहीं टिक सका। गुजरात में अनिवार्य वोट के लिये कानून बना। वैसा ही आज नहीं तो कल, सम्पूर्ण राष्ट्र एवं राज्यों में लागू करना ही होगा और इस पहल के लिये सभी दलों को बाध्य होना ही होगा, क्योंकि भारतीय लोकतंत्र में यह नई जान फूंक सकती है। अब तक दुनिया के 32 देशों में अनिवार्य मतदान की व्यवस्था है लेकिन यही व्यवस्था अगर भारत में लागू हो गई तो उसकी बात ही कुछ और होगी और वह दुनिया के लिये अनुकरणीय साबित होगी। यदि ऐसा हुआ तो अमेरिका और ब्रिटेन जैसे पुराने और संशक्त लोकतंत्रों को भी भारत का अनुसरण करना पड़ सकता है, हालांकि भारत और उनकी परिस्थितियां एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत है। भारत में अमीर लोग वोट नहीं डालते और इन देशों में गरीब लोग वोट नहीं डालते।

भारत इस तथ्य पर गर्व कर सकता है कि जितने मतदाता भारत में हैं, दुनिया के किसी भी देश में नहीं हैं और लगभग हर साल भारत में कोई न कोई ऐसा चुनाव अवश्य होता है, जिसमें करोड़ों लोग वोट डालते हैं लेकिन अगर हम थोड़ा गहरे उतरें तो हमें बड़ी निराशा भी हो सकती है, क्या हमें यह तथ्य पता है कि पिछले 67 साल में हमारे यहां एक भी सरकार ऐसी नहीं बनी, जिसे कभी 50 प्रतिशत वोट मिले हों। कुल वोटों के 50 प्रतिशत नहीं, जितने वोट पड़े, उनका भी 50 प्रतिशत नहीं। गणित की दृष्टि से देखें तो 130 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में सिर्फ 20-25 करोड़ लोगों के समर्थनवाली सरकार क्या वास्तव में लोकतांत्रिक सरकार है? क्या वह वैध सरकार है ? क्या वह बहुमत का प्रतिनिधित्व करती है? आज तक हम ऐसी सरकारों के आधीन ही रहे हैं, इसी के कारण लोकतंत्र में विषमताएं एवं विसंगतियों का बाहुल्य रहा है, लोकतंत्र के नाम पर यह छलावा हमारे साथ होता रहा है। इसके जिम्मेदार जितने राजनीति दल है उतने ही हम भी है। यह एक त्रासदी ही है कि हम वोट महोत्सव को कमतर आंकते रहे हंै। जबकि आज यह बताने और जताने की जरूरत है कि इस भारत के मालिक आप और हम सभी हैं और हम जागे हुए हैं। हम सो नहीं रहे हैं। हम धोखा नहीं खा रहे हैं। 

अनिवार्य वोटिंग का वास्तविक उद्देश्य है, जन-जन में लोकतंत्र के प्रति आस्था पैदा करना, हर व्यक्ति की जिम्मेदारी निश्चित करना, वोट देने के लिए प्रेरित करना। एक जनक्रांति के रूप भारतीय मतदाता संगठन इस मुहिम के लिये सक्रिय हुआ है,यह शुभ संकेत है। इस संगठन के द्वारा यदि कोई वोट देने न जाए तो उसे अपराधी घोषित नहीं किया जायेगा और न उसे जेल में डाला जायेगा। लेकिन इस तरह के जन-आन्दोलन के साथ-साथ भारतीय संविधान में अनिवार्य मतदान के लिये कानूनी प्रावधान बनाये जाने की तीव्र अपेक्षा है। बेल्जियम, आस्ट्रेलिया, ग्रीस, बोलिनिया और इटली जैसे देशों की भांति हमारे कानून में भी मतदान न करने वालों के लिये मामूली जुर्माना निश्चित होना चाहिए। पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस सरकारी नौकरी, बैंक खाता खोलने आदि के लिये मतदान की बाध्यता निश्चित होनी चाहिए। जो व्यक्ति चार-पाँच बार लगातार मतदान न करे तो उसका मताधिकार ही छिन लेने की व्यवस्था आदि के द्वारा ही हम वास्तविक अर्थों में गिरते मतदान के प्रतिशत को उपर उठा सकते है और लोकतंत्र में हर नागरिक की सहभागिता एवं जिम्मेदारी को सुनिश्चित कर सकते हैं। इस तरह के दबावों से ही हम मतदान का 90-95 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे। यदि भारत में मतदान अनिवार्य हो जाए तो चुनावी भ्रष्टाचार बहुत घट जाएगा। वोटरों को मतदान-केंद्र तक ठेलने में अरबों रूपया खर्च होता है, शराब की नदियॉं बहती हैं, जात और मजहब की ओट ली जाती है तथा असंख्य अवैध हथकंडे अपनाए जाते हैं। यह भी देखा गया है कि चुनावों मंें  येन-केन-प्रकारेण जीतने के लिये ये ही राजनीतिक दल और उम्मीदवार मतदान को बाधित भी करते हैं और उससे भी मतदान का प्रतिशत घटता है। अनिवार्य मतदान से इस तरह के भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलेगी, लोगों में जागरूकता बढ़ेगी, वोट-बैंक की राजनीति थोड़ी पतली पड़ेगी। 

जिस दिन भारत के 90 प्रतिशत से अधिक नागरिक वोट डालने लगेंगे, राजनीतिक जागरूकता इतनी बढ़ जाएगी कि राजनीति को सेवा की बजाय सुखों की सेज मानने वाले किसी तरह का दुस्साहस नहीं कर पायेंगे। राजनीति को सेवा या मिशन के रूप में लेने वाले ही जन-स्वीकार्य होंगे। इस बार अनिवार्य मतदान का संकल्प लोकतंत्र को एक नई करवट देगा। ”अभी नहीं तो कभी नहीं।“ सत्ता पर काबिज होने के लिये सबके हाथों में खुजली चलती रही है। उन्हें केवल चुनाव में जीत की चिन्ता रहती है, अगली पीढ़ी की नहीं। अब तक मतदाताओं के पवित्र मत को पाने के लिए पवित्र प्रयास की सीमा का उल्लंघन होता रहा है। अनिवार्य वोटिंग की व्यवस्था को लागू न होने देना एक तरह की त्रासदी है, यह बुरे लोगों की चीत्कार नहीं है, भले लोगों की चुप्पी है जिसका नतीजा राष्ट्र भुगत रहा है/भुगतता रहेगा, जब तब राष्ट्र का हर नागरिक मुखर नहीं होगा। इसलिये अनिवार्य वोटिंग की व्यवस्था को लागू करना नितांत अपेक्षित है। इसके लिये परम आवश्यक है कि सर्वप्रथम राष्ट्रीय वातावरण अनुकूल बने। देश ने साम्प्रदायिकता, आतंकवाद तथा घोटालों के जंगल में एक लम्बा सफर तय किया है। उसकी मानसिकता घायल है तथा जिस विश्वास के धरातल पर उसकी सोच ठहरी हुई थी, वह भी हिली है। पुराने चेहरों पर उसका विश्वास नहीं रहा। मतदाता की मानसिकता में जो बदलाव अनुभव किया जा रहा है उसमें सूझबूझ की परिपक्वता दिखाई दे रही है। यह अनिवार्य वोटिंग का बिगुल ऐसे मौके पर गूंजयमान हो रहा है, जब देश में एक सकारात्मकता का वातावरण निर्मित हो रहा है। 

जनतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण पहलू चुनाव है। यह राष्ट्रीय चरित्र का प्रतिबिम्ब होता है। जनतंत्र में स्वस्थ मूल्यों को बनाए रखने के लिए चुनाव की स्वस्थता अनिवार्य है। चुनाव का समय देश/राज्य के भविष्य-निर्धारण का समय है। इसमें देश के हर नागरिक को अपने मत की आहूति देकर लोकतंत्र में अपनी सक्रिय संहभागिता निभानी ही चाहिए। चुनाव के समय हर राजनैतिक दल अपने स्वार्थ की बात सोचता है तथा येन-केन-प्रकारेण ज्यादा-से-ज्यादा वोट प्राप्त करने की तरकीबें निकालता है जबकि उसका लक्ष्य शत-प्रतिशत मतदान के द्वारा लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने का होना चाहिए। मतदान की प्रक्रिया में शुद्धि न आने एवं शत-प्रतिशत मतदान न होने के मूल कारण हैं- निष्क्रियता, अज्ञान, अभाव एवं मूढ़ता। अनेक मतदाताओं को अपने हिताहित का ज्ञान नहीं है, इसलिए वे हित-साधक व्यक्ति या दल का चुनाव नहीं कर पाते। अनेक मतदाता अभाव से पीडि़त है। वे अपने मत को रुपयों में बेच डालते हैं। अनेक मतदाता मोहमुग्ध हैं, इसलिए उनका मत शराब की बोतलों के पीछे लुढ़क जाता है।

जो जनता अपने वोटों को चंद चांदी के टुकड़ों में बेच देती हो, सम्प्रदाय या जाति के उन्माद में योग्य-अयोग्य की पहचान खो देती हो, वह जनता योग्य उम्मीदवार को संसद-विधानसभा में कैसे भेज पायेगी? स्वच्छ प्रशासन लाने का दायित्व जनता का है। चुनाव के समय वह जितनी जागरूक होगी, उतना ही देश का हित होगा। लोकतंत्र में शासनतंत्र की बागडोर जनता द्वारा चुने हुए सांसदों और विधायकों के हाथों में होती है और इन जनप्रतिनिधियों के चयन में जनता की जितनी अधिक भागीदारी होगी, जनप्रतिनिधि उतने ही सशक्त, योग्य एवं पारदर्शी होंगे। इसी से नैतिक मूल्यों के प्रति आस्थाशील, ईमानदार, निर्लोभी, सत्यनिष्ठ, व्यसनमुक्त तथा निष्कामसेवी जनप्रतिनिधि का चयन हो सकेगा। स्वस्थ राजनीति में ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है, जो निष्पक्ष हो, सक्षम हो, सुदृढ़ हो, स्पष्ट एवं सर्वजनहिताय का लक्ष्य लेकर चलने वाला हो। वोटों के गलियारे में सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने की आकांक्षा और जैसे-तैसे वोट वटारने का मनोभाव-ये दोनों ही लोकतंत्र के शत्रु हैं। लोकतंत्र में जिस ढंग से वोटों का दुरुपयोग हो रहा है, उसे देखकर इस तंत्र को लोकतंत्र कहने का मन नहीं होता। लेकिन अनिवार्य मतदान से हम इन सब विसंगतियों से मुक्त हो सकेंगे और उस स्थिति में हमारा लोकतंत्र दुनिया का आदर्शतम लोकतंत्र होगा।

अनिवार्य वोटिंग की व्यवस्था को लागू करने के लिये जितने राजनीतिक-सरकारी प्रयत्नों की उपयोगिता है, उतनी ही गैर- राजनीतिक प्रयत्नों की जरूरत है। इसके लिये जरूरी है कि समूचे भारत में सभी मतदाताओं के स्वैच्छिक, गैर राजनैतिक, पंथ और सम्प्रदाय निरपेक्ष संगठन बने। प्रत्येक गली-मोहल्ले में भी जागरूक नागरिक मिलकर अपने-अपने मोहल्ले में सभी मतदाताओं का वोट डालने की अनिवार्यता को समझाये। दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस तरह के प्रयत्नों का प्रभाव यदि परिलक्षित होता है जो यह लोकतंत्र की एक नयी सुबह होगी। 




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(ललित गर्ग)
पटपड़गंज, दिल्ली
फोनः 22727486, 9811051133

विशेष आलेख : किरण के आने से रोचक हुई जंग

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kiran bedi join bjp
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वैसे तो भाजपा पूरी तरह से इस बात को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रही थी कि राज्य में नई सरकार उनकी ही पार्टी की बनेगी, कुछ संदेह था तो वह देश की प्रथम आईपीएस महिला किरण बेदी के भाजपा में शामिल होने के बाद दूर हो गया। ऐसा भाजपा को संभवत: लगने लगा है। भाजपा में किरण बेदी के शामिल होने से ऐसा लगने लगा है कि एक नई 'किरणÓ का अभ्योदय हुआ है, जो किसी न किसी रूप में भाजपा को मदद ही करेगी।

दिल्ली में चुनाव की तारीखें घोषित होने के साथ ही राजनीतिक गलियारों में ये सवाल जोर पकड़ रहे थे कि भाजपा किसके सहारे अरविंद केजरीवाल को चुनौती देगी। पहले शाजिया इल्मी और फिर किरण बेदी। किरण बेदी के भाजपा में प्रवेश ने भले ही दिल्ली के राजनैतिक गलियारों में हलचल मचा दी हो और इसे भाजपा का अचरज भरा फैसला माना जा रहा हो, लेकिन यह सही समय पर लिया गया सही निर्णय है। अटकलें बहुमत में आने पर भाजपा की ओर से किरण बेदी को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाए जाने की भी हैं।

दिल्ली में शायद ही कोई हो जो किरण बेदी को न जानता हो। ईमानदारी से भरे सरकारी नौकरी से सामाजिक कार्यकर्ता और अब भाजपा के साथ जुडऩे के उनके सफर में ढेरों उपलब्धियां हैं। भाजपा के इस कदम को सात फरवरी को होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को घेरने के रूप में देखा जा रहा है। बेदी और केजरीवाल दोनों ही अण्णा हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की 'टीमÓ के प्रमुख चेहरे रहे हैं। और यह संयोग है कि दोनों ही चेहरे अब एक-दूसरे के सामने हैं। हालांकि भाजपा ने बेदी को पार्टी ने औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने से इंकार किया है लेकिन उन्हें इस पद के प्रमुख दावेदारों में शामिल होने का संकेत जरूर दिया है। चुनाव से ऐन पहले भाजपा में किरण बेदी के प्रवेश  ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को फिलहाल सांसत में डाल दिया है। किरण बेदी को मुख्यमंत्री बनाया जाए  या कोई और चेहरा मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाले, यह फैसला लेने का अधिकार पार्टी का संसदीय दल लेगा। लेकिन किरण बेदी का प्रवेश निश्चित रूप से भाजपा के चुनाव अभियान को गति देगा।

खुद किरण बेदी ने कहा वह मिशन मोड में हैं और वह दिल्ली को स्थाई सरकार देने आई हैं। ईमानदार और दबंग महिला अधिकारी की छवि वाली किरण बेदी के खाते में कई उपलब्धियां हैं। देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी के तेवर पहली बार उस समय देखने को मिले जब दिल्ली में यातायात आयुक्त रहते पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नो पार्किंग में खड़ी कार को क्रेन से उठवा दिया था। इस घटना के बाद उनका नाम 'क्रेन बेदीÓ पड़ गया। 1994 में उन्हें उनकी बेहतरीन सेवाओं के लिए प्रतिष्ठित रैमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। यह सम्मान समाज सेवा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दिया जाता है। उन्होंने हमेशा ही भ्रष्टाचार के विरोध में देश की महिलाओं में जोश भरा और देश को एक नई दिशा दी। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लडऩे वाले चेहरे को अगर भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतारती है तो यह राजनीतिक दृष्टि से भाजपा के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि दिल्ली के मतदाताओं को भी एक योग्य उम्मीदवार चुनने का अवसर मिलेगा। उन्होंने अपनी शासकीय नौकरी का केवल इस बात को लेकर त्याग कर दिया, क्योंकि उपराज्यपाल की सिफारिश के बावजूद दिल्ली पुलिस कमिश्नर न बनाए जाने से आहत हो गईं थी। कारण यह था कि किरण बेदी के कनिष्ठ अधिकारी को आयुक्त बना दिया गया। इस पूरे मामले में राजनीतिक प्रभावों का पुट दिखाई दिया। परंपरा के विरुद्ध हुआ यह निर्णय भी किरण बेदी की राह को नहीं रोक सका। और अपना स्वाभिमान जाग्रत रखते हुए उन्होंने दिसंबर 2007 में सेवानिवृत्ति से पहले ही पुलिस की नौकरी का परित्याग कर दिया।

किरण बेदी को भाजपा में शामिल होने के फैसले को मीडिया राजनैतिक नजरिए से देख रहा है। लेकिन यह निर्णय मातृशक्ति और महिला सशक्तीकरण का सम्मान है। किरण बेदी भले ही राजनैतिक चेहरा न हों लेकिन वह राजनीति की अच्छाई और बुराइयों से अच्छी तरह परिचित हैं। वह नरेन्द्र मोदी के कामकाज से प्रभावित हैं और उनसे ही प्रेरणा लेकर उन्होंने भाजपा का दामन थामा है। आज राजनीति में भी अच्छे दिनों की दरकार है। भाजपा का उद्देश्य राजनीति के जरिए समाजसेवा है। ऐसे में किरण बेदी जैसे लोगों की ही जरूरत है। भाजपा में किरण बेदी के आने से दिल्ली की चुनावी जंग और रोचक हो गई है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की जनता से धोखाधड़ी का क्या होगा। कांग्रेस ने दिल्ली के मतदाताओं को निराश किया, वहीं आम आदमी पार्टी सरासर छल किया। इसे लेकर मतदाताओं का गुस्सा भीतर ही भीतर खदबदा रहा है। और यह नरेन्द्र मोदी के विजय रथ को आगे बढ़ाने में मददगार होगा।

दिल्ली राज्य में जनता ने कांगे्रस और आम आदमी पार्टी की सरकार को काम करते देखा है। कांगे्रस ने दिल्ली की जनता का गुस्सा देखा और विधानसभा चुनाव में उसको मटियामेट कर दिया। इसके बाद देश भर में हुए चुनावों ने भी कांगे्रस को निराश ही किया है। इससे कहा जा सकता है कि कांगे्रस की हालत में कोई परिवर्तन आने वाला नहीं है। दिल्ली में किए गए तमाम सर्वे भी इसी बात को उजागर करते दिखाई देते हैं कि दिल्ली में भाजपा फिर से सबसे बड़े दल के रूप में आएगा और आम आदमी पार्टी दूसरे नम्बर की पार्टी बनेगी। कांगे्रस की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि उसके पास कोई भी आशावान नेता नहीं है। जहां तक राहुल गांधी की बात है तो उनका जादू न तो पहले कभी चला है और न आगे चलने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। राहुल गांधी की सबसे बड़ी कमजोरी यह मानी जा सकती है कि वह वरिष्ठता को वह आदर नहीं देते जिसके कांगे्रस के वरिष्ठ नेता हकदार माने जाते हैं।







सुरेश हिन्दुस्थानी
लश्कर, ग्वालियर म.प्र.
मोबाइल - 9425101815

सेंसर बोर्ड के 8 सदस्यों ने लीला सैमसन के समर्थन में दिया इस्तीफा

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केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) की अध्यक्ष लीला सैमसन के इस्तीफे के बाद उनके समर्थन में बोर्ड के 8 सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। सूत्रों ने बताया कि लीला के समर्थन में 8 सदस्यों ने दस्तखत किए हैं और सूचना प्रसारण मंत्रालय को भेज दिया है।

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी सेंसर बोर्ड के जिन सदस्यों ने इस्तीफा भेजा है उनमें केसी शेखर बाबू, कांग्रेस कार्यसमिति में सचिव पंकज शर्मा, शाजी करुण, ममंग दई, ईरा भास्कर, राजीव मसंद, शुभ्रा गुप्ता, अरुंधती नाग, एम के रैना, निखिल अल्वा और लोरा के प्रभु शामिल हैं। सरकारी हस्तक्षेप के मसले पर सेंसर बोर्ड के दो सदस्यों एम के रैना और अंजुम राजाबली करीब एक महीने पहले इस्तीफा दे चुके हैं। अध्यक्ष के अलावा कुल 23 सदस्य थे।

लीला सैमसन और ईरा भास्कर के इस्तीफों के बाद उनके साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए प्रख्यात फिल्म निर्माता शाजी एन करूण ने भी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है और साथ ही बोर्ड की कार्यशैली पर गहरा असंतोष जाहिर किया है। बीती शाम सैमसन को अपना इस्तीफा भेजने वाले करूण ने कहा कि वह केवल विवादास्पद फिल्म 'मैसेंजर ऑफ गॉड'को मंजूरी दिए जाने के मुद्दे पर ही इस्तीफा नहीं दे रहे हैं बल्कि उनका इस्तीफा पिछले कुछ समय से सीबीएफसी में संवैधानिक और संगठनात्मक विफलता को लेकर भी है।

करूण ने बताया, मैंने अध्यक्ष को अपना इस्तीफा मेल कर दिया है। यह बिल्कुल स्वाभाविक सी बात है कि जब अध्यक्ष पद छोड़ देता है तो उनके साथ काम करने वाली टीम भी इस्तीफा देती है। मेरी सूचना यह है कि सीबीएफसी के करीब 14 सदस्य पहले ही अपने इस्तीफे दे चुके हैं। करूण ने कहा कि बोर्ड के सदस्य कुछ समय से इस्तीफा देने की सोच रहे थे क्योंकि बोर्ड पिछले 9 महीने से एक तरह से ठप पड़ा है। उन्होंने कहा, हम पिछले नौ महीनों में एक बार भी नहीं मिले हैं। जब भी हम बैठक के लिए कहते थे तो बॉस का जवाब होता था कि इसके लिए पैसा नहीं है। इतना ही नहीं, हमारा कार्यकाल पिछले मार्च में समाप्त हो चुका था। उस समय सरकार ने सूचित किया था कि उपर से पत्र मिलने तक हम पद पर बने रहें। हमने केवल बोर्ड को चलाने के लिए सरकार की मदद के मकसद से काम जारी रखा।
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