Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74226 articles
Browse latest View live

लखनऊ में छात्रा की हत्या, शव को मशीन से किए गए टुकड़े-टुकड़े

$
0
0
  • पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला काटकर हत्या के बाद मशीन से शरीर को कई हिस्सों में काटने की पुष्टि, रेप से इनकार। हालांकि सूत्रों की मानें तो मर्डर से पहले उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए जाने की बात सामने आ रही है  
  • मृतका के वजाईनल स्लैब को फोरेंसिक लैब भेजा गया 

लखनऊ। शहर हो देहात यूपी का कोना-कोना थर्रा रहा है। खासकर पुलिस के संरक्षण में पल रहे छुट्टा साड़ की तरह अपराधी खुलेआम घटनाओं को अंजाम दे रहे है और सरकारी तंत्र उन्हें बचाने की हर जुगत कर रही है। बुधवार को तो अपराधियों ने सारी हदें ही पार कर दी। अपराधियों ने युवी संग न सिर्फ सामूहिक बलात्कार किया, बल्कि शरीर को मशीन से काटकर टुकड़े-टुकड़े करने के बाद शव को सरेराह फेंककर चलते बने। मामला शहीद पथ का है। परिजनों के मुताबिक गौरी श्रीवास्तव अंबेडकर लॉ कॉलेज में वह फस्र्ट सेमेस्टर की छात्रा है। 
पुलिस के मुताबिक मृतका अमीनाबाद थाना क्षेत्र के गणेशगंज स्थित ग्रेन मार्केट की रहने वाली थी। उसके पि‍ता शिशिर श्रीवास्तव पेशे से फैब्रीकेटर थे। लड़की बीते रविवार घर से पिता की जैकेट ड्राईक्लीन कराने के लिए निकली थी। काफी देर होने के बाद जब वह वापस नहीं आई तो मां ने फोन किया, लेकिन मोबाइल स्विच ऑफ था। मां के मुताबिक, शाम छह बजे एक लड़के ने उनकी बेटी का फोन उठाया और जल्द ही बात करवाने की बात कही। इसके बाद फोन फिर से स्विच ऑफ हो गया। रविवार देर शाम घरवालों ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। सोमवार सुबह दस बजे उनकी बेटी के मोबाइल से एक युवक की कॉल आई। उसने कहा कि उनकी बेटी पीजीआई में एडमिट है। इसके बाद आनन-फानन में घरवाले पीजीआई पहुंचे, लेकिन वहां भी कुछ पता नहीं चला। बाद में मंगलवार को थाने से सूचना मिली कि पीजीआई थाना क्षेत्र के वृंदावन कॉलोनी में एक लड़की का शव बरामद हुआ है। मंगलवार सुबह गौरी के पिता शिशिर श्रीवास्तव ने पीजीआई थाना पहुंचकर फोटो और कपड़ों से अपनी बेटी की शिनाख्त की। इंटीरियर डेकोरेटर शिशिर ने बताया कि गौरी रविवार दोपहर करीब एक बजे उनकी जैकेट ड्राईक्लीनर को देने के लिए घर से निकली थी। 

दूसरी ओर, लाश की शिनाख्त होने के साथ ही कई टुकड़ों में बंटी गौरी की लाश और हत्या का रहस्य उलझ गया है। पुलिस को शक है कि किसी करीबी ने ही गौरी की निर्मम हत्या की है। पोस्टमार्टम में सामने आया है कि छात्रा की बड़ी बेरहमी से हत्या की गई और उसे किसी धारदार मशीन से काटा गया। हत्या के एक-डेढ़ घंटे में ही लाश को ठिकाने लगा दिया गया। हालांकि पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस ने गौरी के फेसबुक फ्रेंड सहित पांच युवकों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। पोस्टमार्टम में शामिल डॉक्टरों का कहना है कि गौरी के हत्यारों ने क्रूरता की सीमाएं तोड़ डाली थीं। बचने के लिए उसने संघर्ष किया, लेकिन शरीर में अंदरूनी चोटें आने के कारण गौरी का ब्रेन हैमरेज हो गया। डॉक्टरों का मानना है वह कोमा में चली गई होगी, जिसके बाद झटके से उसके गर्दन पर धारदार हथियार से हमला किया गया। डॉक्टरों ने बताया कि जिस हिसाब से गौरी के अंग काटे गए उससे साफ है कि इसमें किसी मशीन का इस्तेमाल किया गया। उसकी जान निकलने से पहले ही उसका बायां हाथ भी काटा जा चुका था। गर्दन और बाएं हाथ के काटे जाने तक शॉर्प कटिंग का न होना इस ओर इशारा करता है, वहीं शरीर के बाकी अंग मौत के बाद काटे गए क्योंकि इन अंगों के कट बेहद शॉर्प हैं। अनुमान है कि गौरी की हत्या रविवार शाम सात से आठ बजे के बीच की गई। 

पुलिस पर लापरवाही का आरोप
इस मामले में पुलिस चार युवकों (टिंकू सोनकर, आदित्य गुप्ता, एहसान और अभिषेक) को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। मामले की जांच में जुटे अफसरों के मुताबिक, लड़की को मोबाइल पर कॉल करके आशियाना स्थित ईको पार्क बुलाया गया था। लड़की की कॉल डिटेल्स में सामने आया कि वह कई लड़कों से बातचीत करती थी और कभी-कभी तो यह बातचीत घंटों तक चलती थी। बताया जा रहा है कि एक हफ्ते पहले लड़की ने किसी बात से नाराज होकर आदित्य को थप्पड़ भी मारा था। वहीं, मृतका के पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने शुरू से ही इस मामले में लापरवाही बरती है। यदि समय रहते उसकी बेटी का मोबाइल ट्रेस कर लिया जाता तो आज उसकी जान बच जाती।





liveaaryaavart dot com

---सुरेश गांधी---


होमगार्ड्स इंस्पेक्टर लाखों के वेतन के रुपये ले फरार

$
0
0
बिहार की राजधानी पटना में एक होमगार्ड इंस्पेक्टर अपने जूनियर साथियों के वेतन के एक करोड़ 33 लाख लेकर फरार हो गया। सरकारी धन को लेकर फरार हुए आरोपी इंस्पेक्टर की तलाश में छापेमारी की जा रही है। साथ ही पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कानूनी केस दर्ज कर लिया है। 

पटना के होमगार्ड्स कार्यालय में तैनात इंस्पेक्टर एमएल पासवान को जूनियर साथियों के वेतन भत्ते के भुगतान के लिए नकद राशि दी गई थी। सारा कैश इंस्पेक्टर के कब्जे में आया तो उन्होंने ऑफिस जाना बंद कर दिया। जब होमगार्ड ने वेतन न मिलने की शिकायत की तो मामले की पड़ताल शुरू की गई। वैशाली के रहने वाले इंस्पेक्टर मेवालाल से संपर्क करने की कोशिश की गई तो विभाग को असफलता हाथ लगी। 

मोबाइल और अन्य साधनों से भी जब आरोपी इंस्पेक्टर से संपर्क नहीं हो पाया तो पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की।

यूपी के नए डीजीपी एके जैन क्या पुलिसिया अवैध वसूली पर लगाम लगा पायेंगे?

$
0
0
जी हां, तफतीश हो या फिर थानों पर तैनाती या फिर फर्जी रपट दर्ज कर अवैध वसूली करने वाले पुलिस पर लगाम लगा पायेंगे नए डीजीपी अरविन्द कुमार जैन यह बड़ा सवाल बन गया है। क्योंकि पुलिस की अवैध वसूली से जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। सर्वाधिक पुलिसिया उत्पीड़न का शिकार आम गरीब आदमी ही है तभी तो जांच हो या फिर तफतीश बगैर वसूली के काम पूरी करना अब तो पुलिस अपनी तौहिनी समझने लगी है। शायद यही वजह भी है खुलेआम डकैती डालने से लेकर ईनामी माफियाओं व अपराधियों से मिलकर साठगांठ कर किसी की हत्या, लूट या जनता में दहशत फैलाकर धनादोहन करने वाला इंस्पेक्टर संजयनाथ तिवारी बखूबी अपने काम को अंजाम दे रहा है और वसूली करने वाले पुलिस अधिकारी उससे भारी भरकम रकम लेकर मलाईदार थानों पर तैनाती करते चले आ रहे है  

up dgp
यह किसी से छिपा नहीं है कि पुलिस थानों में तैनात होता है एक कारखास, जिसके जिम्मा होता है शराब, गांजा, टैक्सी स्टैंड, माफियाओं, चोरों, लूटेरों से माहवारी वसूली। यह वसूली सीधे थानेदार की संरक्षण में होता है और वसूल की गयी मोटी रकम का एक बड़ा हिस्सा जिले के पुलिस अधिकारियों के पास तय समय पर पहुंचता है। नतीजा जब कभी भी इससे संबंधित शिकायतें कभी सूबे के सीनियर अधिकारियों तक जाती है जांच रिपोर्ट में फर्जी बयानों का आधार बनाकर न सिर्फ दोषी पुलिसकर्मी अपनी बचत कर लेते है, बल्कि उल्टे ही शिकायतकर्ता के खिलाफ फर्जी रपट दर्ज कर घर-गृहस्थी तक लूटवा लेते है। शायद यही वजह है बगैर पैसे लिए पुलिसिया तफतीश पूरी नहीं होती या यूं कहे पैसा ही है पुलिसिया तफतीश की अहम् कड़ी। और जगह-जगह मौत से लेकर हर तरह के घिनौना खेल सालों साल से चल रहा है और सबकुछ सरकार में शामिल लालफीताशाही व माफियाओं के शह पर। क्योंकि इनका भी कार्यकाल सिर्फ दो माह का होगा। 31 मार्च 2015 को होंगे रिटायर हो जायेंगे। ऐसे में उनके समक्ष बड़ी चुनौती होगी। हालांकि उनका कहना है कि इस कम समय का सद्पयोग सद्भाव बनाने और कानून व्यवस्था दुरुस्त करने में लगायेंगे। पुलिस में रहकर पुलिस की छवि धूमिल करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करेंगे। जांबाज पुलिसकर्मियों की हौसला अफजाई में भी कसर नहीं छोड़ी जाएगी। वह खुद गश्त पर निकलेंगे। जिलों का दौरा करेंगे और पुलिस का मनोबल बढ़ाने के सभी जरूरी यत्न किए जाएंगे। वह पुलिस को संदेश देना चाहते हैं कि निष्पक्ष और ठोस कार्रवाई करे, निदरेष प्रताडि़त नहीं होना चाहिए। नागरिकों का उत्पीड़न कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

फिरहाल इनसबके बीच ईमानदार छबि के वर्ष 1979 बैच के आईपीएस अरविन्द कुमार जैन से जनता को काफी उम्मीदें है। तेज तर्रार आईपीएस अफसरों में गिने जाने वाले एके जैन का दावा है कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था बनाए रखना व अवैध वसूली में लिप्त पुलिसकर्मियों को सबक सिखाना उनकी पहली प्राथमिकता है। थानों पर आने वाले पीडि़तों के प्रार्थना पत्र पर शत प्रतिशत एफआईआर दर्ज करने के साथ कोई निर्दोष न फंसे, इसकी हिदायत दी गयी है। पीडि़तों के प्रार्थना पत्र पर थाना स्तर पर ही निस्तारण के आदेश है। इसकी मानिटरिंग लगातार आईजी, डीआईजी और एसपी द्वारा किया जाता रहेंगा। प्रदेश पुलिस ईमानदारी, निष्ठा, लगन और बिना भेदभाव के कार्रवाई करें। गरीब तबकों, महिलाओं, बच्चियों और छात्राओं के साथ होने वाली घटनाओं पर सख्ती से निपटा जाए। प्रदेश के सौहार्द को बिगाड़ने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। खुद के 24 घंटे ऐक्टिव रहने के साथ-साथ डीजी मुख्यालय के अन्य अफसरों को भी लगातार ऐक्टिव रहने की हिदायत दे दी गयी है। इसके अलावा पुलिस विभाग की छवि को धूमिल कर रहे पुलिसकर्मियों से सख्ती से निपटने की भी बात कही है। कहा तो यहां तक है कि कोई कितना भी रसूखदार होगा, यदि दोषी है तो सख्त कार्रवाई होगी। उनके कार्यालय के दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे। पीडि़त कभी भी उनके कार्यालय में आकर मिल सकते हैं। लेकिन अब यही देखना है कि उनके यह दावे कहा तक सच साबित हो पाते है। इंसपेक्टर संजयनाथ तिवारी जैसे पुलिसकर्मियों पर नकेल कस पायेंगे या फिर सब वैसे ही चलता रहेगा जैसा चलता रहा है। 

डीजीपी जैने ने अपने संदेश में प्रदेश के आला पुलिस अफसरों से कहा है कि वह घटना होने पर घटनास्थल पर तुरंत पहुंचे और उनके द्वारा बारीकी से उसका निरीक्षण की जाए। कार्यालय के बजाय अफसर फिल्ड में लगातार बने रहें। गौरतलब है कि अखिलेश सरकार के अब तक के ये 7वें डीजीपी है। डीजीपी जैन का परिवार मेरठ में रहता है। उनकी बेटी न्यूयॉर्क में रहती है और बेटा गुड़गांव में फाइनेंस कंपनी में अफसर है। मूल रूप से मेरठ जोन के सहारनपुर मालीगेट निवासी अरविंद कुमार जैन के पिता जसवंत जैन ने 1976 में मेरठ के सिविल लाइन में मकान बना लिया था। अपनी पीढ़ी के परिजनों में अरविंद जैन सबसे छोटे हैं। सबसे बड़ी बहन मंजू गर्ग नोएडा में रहती हैं। वहीं बड़े भाई अरुण कुमार जैन मेरठ में परिवार और मां मदनश्री के साथ रहते हैं। अरविंद जैन 1979 के आइपीएस अफसर हैं। उनकी पहली तैनाती भी मेरठ में एएसपी पद पर रही। सूबे में विभिन्न पदों पर तैनाती के बाद उनको 2009 में एडीजी कानून व्यवस्था के महत्वपूर्ण पद पर बैठाया गया। एडीजी रेलवे और डीजीपी ट्रेनिंग का कार्यभार भी उनके जिम्मे रहा। अरविंद के पिता जसवंत जैन लोक निर्माण विभाग में अधीक्षण अभियंता थे। ऋषिकेश में उनकी तैनाती के दौरान अरविंद कुमार का जन्म हुआ था। जहां-जहां पिता की तैनाती रही, वहीं एके जैन की पढ़ाई हुई। पिता की दस वर्ष पहले मृत्यु हो चुकी है। अरविंद की पुत्री गीतिका जैन उनके साथ रहती हैं। बड़ा बेटा प्रांजल जैन गुडगांव में फाइनेंस कंपनी में अफसर है। बेटी सुनैना जैन न्यूयॉर्क में पढ़ाई कर रही है। उन्होंने आधुनिक इतिहास में एमए किया है। 11 अक्टूबर 2013 को डीजी के पद पर प्रोन्नति मिलने के बाद डीजी प्रशिक्षण निदेशालय उत्तर प्रदेश बनाया गया। इन्हें सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस मेडल एवं विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति का पुलिस मेडल मिला हैं।

प्रदेश पुलिस के मुखिया नियुक्त अरविंद जैन को एक साथ कई चुनौतियों से जूझना होगा। अपराध, कानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने की चुनौती तो सामने होगी ही, बसपा सरकार के करीबी होने का अतीत भी उनकी राह में रोड़ा बनेगा। उनके हिस्से में जहां लश्कर-ए-तैयबा के उस खूंखार आतंकी उमर शेख की गिरफ्तारी की उपलब्धि है, जिसे विमान यात्रियों को छुड़ाने के बदले तत्कालीन केंद्र सरकार ने छोड़ा दिया था। सांप्रदायिक उपद्रव पर नियंत्रण का उन्हें खासा अनुभव है। 1979 में आइपीएस में चयनित होने के बाद वह सांप्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील शहरों में ही तैनात रहे। फिरोजाबाद, फतेहपुर, फैजाबाद, हरिद्वार देहरादून के एसएसपी का दायित्व उन्होंने निभाया। गाजियाबाद का एसएसपी रहते हुए उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार आतंकी उमर शेख को गिरफ्तार कराया। 11996 में डीआइजी पद पर प्रोन्नत होने के बाद तत्कालीन सरकार ने उन्हें वाराणसी, आगरा और मेरठ रेंज के डीआइजी का जिम्मा दिया। 2001 में आइजी पद पर प्रोन्नत होने के बाद वह वाराणसी और लखनऊ जोन के महानिरीक्षक पद पर भी तैनात हुए। 1 अगस्त 2009 में एडीजी पद पर प्रोन्नत होने पर तत्कालीन बसपा सरकार ने उनके लिये नया पद सृजित करते हुए उन्हें अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था (पश्चिम) का जिम्मा सौंपा। समाजवादी सरकार बनने के बाद वह पीटीसी मुरादाबाद, भीमराव अंबेडकर पुलिस अकादमी में तैनात रहे। जिन्हें कम महत्वपूर्ण पद माना जाता है। डीजी पद पर प्रोन्नत होने पर सपा सरकार ने उन्हें डीजी प्रशिक्षण के पद पर तैनात किया। 







---सुरेश गांधी---

मुक्तिबोध के बाद गुम हुई ऊर्जा की तलाश है विमल कुमार की कविता…

$
0
0
bihar-prales
मुक्तिबोध के बाद की हिन्दी कविता में जो ओज, जो ऊर्जा, जो संभावना दिखाई देती है, वह आठवें दशक के बाद की हिंदी कविता में मुझे दिखाई नहीं देती। परंतु आठवें दशक के बाद जिन कवियों ने हिंदी कविता की चमक को बचाए रखा है उन कवियों में कवि विमल कुमार भी हैं. यह वक्तव्य वरिष्ठ आलोचक डॉ. खगेन्द्र ठाकुर 'बिहार प्रगतिशील लेखक संघ' द्वारा आयोजित दिल्ली से पधारे कवि विमल कुमार की प्रतिरोधी कविताओं के  पाठ के समय दिया। यह काव्य-पाठ कवि रैदास  जी के जन्म-दिवस को समर्पित था। पटना के जनशक्ति भवन में इस एकल काव्य-पाठ की अध्यक्षता डॉ.  खगेन्द्र ठाकुर ने की तथा संचालन कवि शहंशाह आलम ने किया।

     इस अवसर पर कवि विमल कुमार ने अपनी बीसियों कविता का पाठ किया।  उन्होंने सत्ता की खामियों और सरकार की नाकामियों पर जम कर प्रहार किया। उन्होंने अपनी कविता में कहा - ऐसा वक्त आ गया है कि अब तुम हत्यारे को हत्यारा नहीं कह सकते… होनी ही चाहिए बहस/ लोकतंत्र में रवि बाबू / होनी ही चाहिए / नहीं किया जा सकता इससे इंकार। उन्होंने एक जलाते हुए शहर की यात्रा, बूढ़ी स्त्री के लिए अपील, पानी का दुखड़ा, मुक्ति का इंतजार, सबसे ताकतवर आदमी शीर्षक द्वारा बाज़ारवाद और एक ध्रुवीय विश्व को आड़े हाथ लिया। काव्य-पाठ में 'डिजिटल इंडिया'से  जुडी उनकी कविता -

न मैं गांधी के मुल्क में रहता हूँ / न मैं बुद्ध के देश में रहता हूँ / मेरे घर का पता बदल गया है यारों/ मैं अब डिजिटल इंडिया में रहता हूँ ..। इस कविता को श्रोताओं ने खूब सराहा

 समापन वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ कवि अरुण कमल ने कहा कि विमल कुमार की कविताओं में सत्ता का विरोध भाव बना हुआ है। इन्होंने सत्ता से कभी समझौता नहीं किया है। संचालन करते हुए कवि शहंशाह आलम ने कहा कि विमल कुमार का संग्रह  'अंधेरे में एक औरत से बातचीत'आज भी मेरी प्रिय कविता पुस्तक में शामिल है। इस कविता पर उन्हें प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल सम्मान भी मिला है। कवि की 'पानी का टुकड़ा'भी पठनीय है..

इस  अवसर पर वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा, वरिष्ठ कथाकार अवधेश प्रीत, प्रेम कुमार मणि, संतोष दीक्षित, कवि अरविन्द श्रीवास्तव, संजय कुमार कुंदन, राकेश प्रियदर्शी, गणेश जी बागी रंगकर्मी अनीश अंकुर एवं बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव राजेन्द्र राजन आदि उपस्थित थे। धन्यवाद-ज्ञापन सुमंत ने किया। काव्य- पाठ का समापन पटना के वरिष्ठ फोटोग्राफर कृष्ण मुरारी किशन के निधन पर शोक - संवेदना व्यक्त करने के बाद किया गया।

आलेख : चुनावी मौसम, देश भक्ति का आलम

$
0
0
चुनावी मौसम आते ही राजनीतिक पार्टियों के नेताओं में जबरजस्त देश भक्ति का आलम जाग उठता है। जो 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन देखने को मिलता है। हर प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में गाने देश भक्ति के गाने बजते हैं। कार, आटो, से लेकर रिक्शा तक में हम जिएगें और मरेगें ए वतन तेरे लिए, दिल दिया है जान भी देंगें ए वतन तेरे लिए। वाह क्या राजनीति है? ये आलम सिर्फ चुनाव के समय ही जगता है। जब तक वोट नही पड़ जाता। अच्छा तरीका है जनता को लुभाने का। ये गाना बजते –बजते अचानक आवाज़ आती है अपने क्षेत्र के विकास के लिए फलां पर वोट देकर फलां को भारी मतों से विजयी बनाए। इतना ही नही ये पार्टियां अपने कार्यों के लिए गाना भी तैयार कर लेती है। जिसे चुनाव प्रचार में अपने बखान में बजाती रहती है। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो जाता है। 

हमने अपने कार्यकाल में क्षेत्र का इतना विकास किया है, तो दूसरा कहता है कि एक बार आप हमें अपना प्रतिनिधि बनाए मै आप के क्षेत्र में विकास की गंगा बहा दूंगा।  अगर अपने विकास कार्यों पर इतना भरोसा है तो गुणगान करने की क्या जरूरत है? ये पब्लिक है सब जानती है। ये चुनावी वादे सिर्फ रैलियों में सुनाई पड़ते हैं। उसके बाद क्या कहा था, याद नही रहता है। किसी -किसी का तो ये आलम रहता है कि जीत के बाद क्षेत्र का दौरा करने में अपने को असहाय मससूस करते हैं। क्षेत्रवासियों को अपने प्रतिनिधि से मिलने के लिए भी पापड़ बेलने पड़ते हैं। बड़ी हसीं आती है और दुख ही होता है जब ये सुनने को मिलता है वोट किसी और को दिया है तो अपनी फरियाद भी उसी को सुनाओ। चुनावी दिनों में हाथ जोड़कर विनती कर जनता से अपना बहुमूल्य वोट हमे देना कहते हैं। जीतने के बाद परेशानी को नही सुनते। सुने भी क्या पांच साल तो राजा हैं। अगले चुनाव में फिर जनता को लॉलीपाप पकड़ा देंगें। कुछ प्रतिनिधि क्षेत्र के लिए अच्छा भी कार्य करते हैं। उनके क्षेत्र की जनता सराहना करते हुए चुनते भी है। 

अगर इन राजनीतिक पार्टियों को वो देश भक्ति का गाना समझ में आ जाए जिसे वो अपने चुनाव प्रचार में दिन भर इधर से उधर बजाते रहते हैं। तो शायद देश का कल्याण हो जाए। चलो देश का नही अपने क्षेत्र का ही कल्याण कर ले। जिसे लेकर लोग परेशान रहते हैं। ऐसे आटो पर देश भक्ति के गाना बजाने से कोई सच्चा देश भक्त साबित नही होता। वो भी सिर्फ चुनाव प्रचार- प्रसार में। उसके बाद तो राम जाने। कई तो रैलियों में भाषण देने में इतना मसहूल हो जाते हैं, कि राष्ट्र के सम्मान का प्रतीक तिरंगा झुका रहे या उसका अपमान हो कोई फर्क नही। बस कुर्सी मिल जाए किसी तरह।  जो तिरंगें का सम्मान नही कर सकता वो राष्ट्र और क्षेत्र के लोगों का क्या करेगा।  दिल्ली विधानसभा चुनाव सात फरवरी को है,  राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों में देश भक्ति का आलम जाग उठा है। नतीजे आने तक ये आलम ऊफान भरता जाएगा।





liveaaryaavart dot com

रवि श्रीवास्तव
लेखक, कवि, व्यंगकार, कहानीकार
माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में परास्नातक किया है।
फिलहाल एक टीवी न्यूज़ ऐजेंसी से जुड़े है।
Email- ravi21dec1987@gmail.com

विशेष : मन की बात के दौर में तन की बात

$
0
0
एक तरफ हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बड़े भाई तुल्य अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा को बुला कर दिल्ली में मीना बाजार की याद ताज़ा करा दी वही दूसरी तरफ एआईबी नामक बहुचर्चित ह्यूमर फैक्ट्री ने हास्य व्यंग के मुखौटे में पश्चिम से आयातित ट्रेंड इंसल्ट ह्यूमर का अपने देश में भी श्रीगणेश कर दिया। और इस तंदूर में रोस्ट करने के लिए जिन दो मुर्गों को लाया गया वो थे फिल्म स्टार अर्जुन कपूर और रणवीर सिह। मास्टरशेफ की भूमिका में आये करण जोहर और साथ में एआईबी की पूरी टीम चार हज़ार रुपये प्रति टिकट की दर से टिकट खरीद कर आई क्रीम ऑडियंस का सिर्फ एक मकसद था:

तुम मुझे गालियां दो मैं तुम्हे तालियां दूंगा
इस खास शो को देखकर ऐसा लगा जैसे अब कपिल शर्मा, गुथ्थी इत्यादि के भाड़गिरी के दिन लदने वाले हैं. एक नए तरह की इंसल्ट कॉमेडी में गला फाड़ कर हँसने के लिए मन की बात'की नही बल्कि सिर्फ तन की बात'की ज़रुरत है। यूट्यूब पर अब तक कई मिलियन व्यूज इस शो मिल चुके हैं. देश में किसी कारगर साइबर लॉ की अनुपस्थिति में इस बार लगाम कसने की कोई गुंजाइश भी दिखती नज़र नहीं आ रही है। अभिव्यक्ति की आजादी की इस ताजा व्याख्या ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। हमारे लिए सबसे ज्यादा मायने क्या रखता है मन की बात या सिर्फ तन की बात शो का शंखनाद बजाया करण जौहर ने। लेकिन ये अनसुने करते हुए कि इस इंसल्ट ह्यूमर को देश का कोई मिडिल क्लास परिवार नहीं देख पाया। करन ने स्टेज पे कदम रखते हुए ये घोषणा की- 

आओ गंध मचाएं 
इस शो को इतना अधिक पॉलिटिकली इनकरेक्ट रखा गया कि इसका समूचा स्वर गुलज़ार के उस गाने से इंस्पायरेड लगा ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको ठगा नहीं  चाहे पीएम मोदी हो, बच्चन परिवार, खान, कपूर्स या फिर फिल्म इंडस्ट्री की तमाम अभिनेत्रियो के शारीरिक गठन और उनके विवादस्पद इस्तेमाल। साथ ही, इस शो में मेल बॉडीज के प्रति भी कोई स्टेप ब्रदरली ट्रीटमेंट नहीं किया गया और करण जोहर को भी मुर्गा बनते हुए इस लेवल तक खड़ा कर दिया गया कि-

 बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ, आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
 रोस्टिंग दर्शक 1949 में न्यूयार्क में शुरू हुए एक कॉमेडिक आर्ट में शुरू हुए एक कॉमेडिक आर्ट फॉर्म है जो बाद में दुनिया भर में किसी जंगल की आग की तरह फैला। ये देखना दिलचस्प रहा की दर्शकों को ज़बरदस्ती हँसाने के लिए एक प्रयोगशाला जैसा माहौल की शुरुआत हुई जिसकी सिर्फ एक मर्यादा तय की गई -

यहां किसी तरह की मर्यादा का कोई पालन नही होगा
इस ऐतिहासिक शो में अपनी बातों को ईमानदारी से कहने का जो व्याकरण अपनाया गया वो ये की हम किसी भी तरह की सांकेतिक भाषा का प्रयोग क्यों करें भला. यूट्यूब में जारी उस इवेंट की वीडियो में भी बखूबी एक डिस्क्लेमर लगा दिया गया है-द फॉलोविग वीडियो इस फिल्दी, रुड एंड ऑफ़ेन्सि (ये वीडियो गन्दी है और इसका उद्देश्य है गंध मचाना) जिनको लोड लेना है वो न देखे

एआईबी के कॉमेडियन आशीष सैकिया ने बताया की अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा नहीं आई क्योंकि उनको ये बता दिया गया था की इस शो में ४ हज़ार लोगों के सामने १० लोग मिल कर एक आदमी की स्टेज पर भी बजायेंगे। यही वजह सुनकर करण जौहर मुँह में पानी भरकर आ गए कि ऐसा मौका फिर कहाँ मिलेगा। हम शुक्रगुजार हैं। दूसरे रॉकस्टार रोडीज़ शो के मशहूर रघुराम ने बड़े फL से बताया कि उन्होंने अभी से पहले एक साथ ज़्यादा लडकियों के दर्शन अपनी ऑडिशन के दौरान ही किया है. उन्होंने बड़े शान से कहा -गालियाँ दो, लाखों चुतिये देखेंगे.

रघु ने रणवीर और अर्जुन को सलाह दी की -अगर तुम लोग इसी तरह अपने जॉब में हार्डवर्क करते रहोगे तो एक दिन आदित्य चोपड़ा जी को भी ब्लोजॉब दे सकोगे। इस टीम की एक मात्र महिला सदस्य अदिति मित्तल की इंट्रोड्यूस करने के लिए ये कहा गया-गूगल पर अदिति मित्तल टाइप करने से ये लिख कर आ जाता है की भाई आज तू बिना हिलाये सो जा। इस शो ने एक तरह से देश में साइबर लॉज़ की गैर मौजूदगी के माहौल में अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर लोकतंत्र के छाती पर चढ़ कर मूंग दलने से कम कोई काम किया हो, ऐसा लगता तो नहीं है. इस शो में हज़ारों लोग आये लेकिन इसे पूरी दुनिया के अरबों लोगों तक परोसने में आवारा (डिजिटल मीडिया) मीडिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. इस नई इंसल्ट कॉमेडी की स्वागतोष्ठी क्रांति के प्रैक्टीशनर्स किसी सरकारी स्कूल के वो लौंडे लफाड़े लगे हैं जिनकी कोई गर्लफ्रेंड शायद इसलिए भी नहीं बन पाती थी क्योंकि उन्हें हमेशा लिग का अनुवाद सेक्स समझ में आता था। 

अपना देश भी है बड़ा दिलचस्प। देश को इंतज़ार था, अच्छे दिन का और एआईबी ने परोस दिए नंगे दिन. देश का टीनेजर और ठरकी प्रवृति के दर्शकों के जोश को देखकर फील हो रहा है जैसे होली और दिवाली दोनों साथ मनाने का मौका मिल गया हो. अब ये देखना दिलचस्प होगा की यूट्यूब पर वायरल बन चुके हँसा हँसा कर खून बढ़ाने वाले इस अमीर चोचले को रोकने के लिए किसी और पहलाज निहलानी को ढूंढ निकाला जायेगा, या फिर महाराष्ट्र सरकार अब जाग कर पता लगाएगी की इस शो के ऑर्गनाइजसã को परमिशन किसने दी. ये भी हो ॉसकता है की पिछले दिनों महाराष्ट्र चुनाव में बुरी तरह पिट चुकी एमएनएस कार्यकर्ताओं को बिजी रहने के लिए आखिरकार एक काम मिल ही गया। 



liveaaryaavart dot com

---पंकज दुबे---

बोको हराम के हमले में सौ से अधिक की मौत

$
0
0
boko-haram-attack-100-dead
कैमरून के उत्तरी इलाके में स्थित फोटोंकोल कस्बे में कल इस्लामी आतंकवादी संगठन बोको हराम के हमले में सौ से अधिक लोग मारे गये। स्थानीय अधिकारी अबात्चोउ अबात्चा नें बताया िक कल सुबह बोको हराम के आतंकवादियों ने हमला कर दिया। हमले में सौ से अधिक लोग मारे गये हैैं। आतंकवादियों ने लोगों के घरों और कस्बे की मस्जिद पर हमला किया तथा कई घरों में आग लगा दी। उन्होंने कहा... आतंकवादियों ने हमले के दौरान मेरे एक बेटे को गोली मार दी जिससे उसकी मौत हो गयी। कैमरून के एक अखबार के अनुसार आतंकवादियों ने कई लोंगों की गला रेतकर हत्या कर दी। 

कैमरून के सूचना मंत्री इस्सा चिरोमा ने बताया कि बोको हराम के आतंकवादियों तथा कैमरून की सेना के बीच संघर्ष में करीब 50 आतंकवादी मारे गये तथा इसमें छह सैनिक भी शहीद हो गयें। अफ्रीकी संघ ने पिछले सप्ताह बोको हराम के आतंकवादियों से निपटने के लिए पाँच क्षेत्रीय देशों की सेंना से मिलकर सात हजार 500 सैनिकों का एक बल तैयार किया था। चाड की सेना तथा राज्य द्वारा संचालित टेलीविजन ने कल कहा था कि गम्बरू तथा नगाला से बोको हराम का पूरी तरह सफाया कर दिया गया इसमें करीब दो सौ आतंकवादी मारे गये तथा नौ सेना के नौ जवान शहीद हो गये।

अर्थशास्त्रियों से आर्थिक हालात पर चर्चा करेंगे मोदी

$
0
0
modi-calls-economist-meet
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नवगठित राष्ट्रीय भारत परिर्वतन संस्थान.. नीति आयोग..में पहली बार देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ देश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा करेंगें। करीब 65 वर्ष पुराने योजना आयोग के स्थान पर नवगठित नीति आयोग के साथ श्री मोदी की यह पहली बैठक होगी। देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों की इस बैठक का संचालन वित्त मंत्री अरूण जेटली करेंगे।इसमें वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा तथा योजना राज्य मंत्री राव इंदौरजीत सिंह के साथ ही आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या तथा आयोग के पूर्णकालिक सदस्य डा बिबेक देबराय और डा वी के सारस्वत भी मौजूद रहेंगे। सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविन्द सुब्रमण्यम भी इसमें शिरकत करेंगे। श्री मोदी ने इस बैठक  में भाग लेने के लिए जिन अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों को आमंत्रित किया है उनमें अशोक गुलाटी  बिमल जालान जी. एन. बाजपेयी  मुकेश बुटानी  नितिन देसाई  पार्थसारथी शोम पुलापरे बालाकृष्णन  राजीव लाल  आर. वैनाथन  राजीव कुमार  शंकर आचार्य  सुबीर गोर्कण  स्वामीनाथन अय्यर  टी. एन. नाइनन विजय केलकर और डॉ. वाई. वी. रेड्डडी शामिल है। उनके अतिरिक्त प्रधानमंत्री कार्यालय  वित्त मंत्रालय और आयोग के वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें मौजूद रहेंगे। स्वतंत्र भारत में संभवत: यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री बजट पर अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से सुझाव मांगने जा रहे है। वित्त मंत्री बजट पूर्व चर्चा के दौरान अर्थशास्त्रियों के साथ विचार विर्मश कर चुके हैं लेकिन माना जा रहा है कि इस बैठक में होने वाले फैसले अगले बजट का हिस्सा हो सकते हैं. संसद का बजट सत्र 23 फरवरी से शुरू हो रहा है और 28 फरवरी को अगले वित्त वर्ष का बजट पेश किया जायेगा।

श्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर योजना आयोग के स्थान पर नया संगठन बनाने का ऐलान किया था। गत एक जनवरी को श्री मोदी ने योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग गठित किया और इसके लिए उपाध्यक्ष  पूर्णकालिक सदस्यों और विशेष आमंत्रित सदस्यों का ऐलान किया था। योजना आयोग का काम देश के लिए योजनायें बनाने और उसके लिए धनराशि आवंटित करना था जबकि नीति आयोग का मुख्य काम सरकार को नीतिगत सलाह देना और केन्द्र तथा राज्यों के बीच सहकारी संघवाद को बढावा देना है। इसके माध्यम से प्रधानमंत्री केन्द्र राज्य संबंध को मजबूत बनाना चाहते हैं और केन्द्रीय नीतियों के निर्माण में राज्यों की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आठ फरवरी को आयोग की संचालन परिषद की बैठक होगी जिसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेश के उप राज्यपाल भाग लेंगें। देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केन्द्र शासित प्रदेश के उप राज्यपालों को संचालन परिषद का सदस्य बनाया गया है।

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (05 फ़रवरी)

$
0
0
शहीदों की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ से लोग परेशान, प्रशासन मौन

narkatiaganj news
नरकटियागंज(पच) वतन के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले अमर शहीद वीर सपूतों ने यह सपना नहीं देखा होगा कि उनकी प्रतिमाओं को भी आने वाली पीढ़ी सम्मान नहीं देगी। जिस तरह से महात्मा गाँधी की प्रतिमाएँ बना उसकी आत्मा को नेताओं ने देश निकाला दे दिया है, उसी प्रकार वीर सपूतों की आत्मा भी आज का मंजर देखकर मानों आँसू बहा रही होंगी। स्थानीय विधायक रश्मि वर्मा को हाई स्कूूल चैक पर स्थित अमर शहिद सरदार भगत सिंह और हवलदार अब्दुल हमीद की प्रतिमा पर छतरी लगाने की मांग को लेकर वहाँ के लोगों ने जैसे ही रोका, भाप्रसे अधिकारी सह एसडीओ नरकटियागंज कौशल कुमार ने लोगों के मुखातिब कहा कि वे जल्द ही इस दिशा में कार्य कर उनकी प्रतीमा के उपर छतरी लगाने का कार्य प्रारंभ करा देगें। इसके लिए लोगों को एक बार एसडीओ कार्यालय में आने को कहा गया है। उल्लेखनीय है कि नरकटियागंज में हाईस्कूल चैक पर आजादी के दीवाने सरदार भगत सिंह और देश के सीमा के पहरेदार अब्दुल हमीद की प्रतिमा स्थापित हैं। गणतंत्रता दिवस के दिन उस रास्ते से गुजर रही विधायक रश्मि वर्मा से लोगों ने छतरी लगाने की उम्मीद लगायी। अनुमण्डल पदाधिकारी ने कहा कि इस प्रकार के कार्य करने के लिए स्थानीय प्रशासन सक्षम है। इस अवसर पर राजेन्द्र हजरा(पासवान), विनोद कुमार गुप्ता, अजय प्रसाद ने अनुण्डल पदाधिकारी से कहा कि अमर शहीदों की प्रतिमा की घेराबन्दी नहीं होने से असमाजिक तत्वों द्वारा प्रतिमा को नुकसान पहँुचाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि असमाजिक तत्वों ने अमर शहीद सरदार भगत सिंह की प्रतिमा की टोपी, कान व नाक तोड़ने वालोें के विरूद्ध किसी ने कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकी है। अब्दुल हमीद की प्रतिमा के साथ भी कुछ इसी तरह की हरकत की गयी है। इसके लिए ने किसी समाजसेवी ने किसी प्रकार का कदम उठाया है और नहीं किसी प्रशासनिक अधिकारी ने ही कोई निरोधात्मक कार्रवाई किया है। उपर्युक्त स्थल का अतिक्रण कर, गंदगी फैलाई जा रही है। जिससे शहीदो का एक प्रकार से अपमान किया जा रहा हैं, जो उनके सम्मान और समाजहित में उचित नहीं है। 

उत्पाद कार्यालय का परित्यक्त भवन बना मनचलों का अड्डा

नरकटियागंज(पच) नरकटियागंज शहर में इन दिनों मनचलों की खूब चाँदी कट रही है, जिससे स्कूल जाने वाली व नहीं जाने वाली लड़कियों का खुलेआम घूमना दुश्वार हो गया हैं। उत्पाद कार्यालय का परित्यक्त भवन मनचलों का अड्डा बन गया हैं। सूत्र बताते है कि आए दिन किशोर व नवयुवकों की टोली किसी लड़की को अपना शिकार बनाने से नहीं हिचक रहे। उधर लोकलज्जा के भय से लड़की व उसके परिजन उनके विरूद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई से परहेज कर रहें है। जिसका नाजायज फायदा किशोरों व युवाओं की टीम उठा रही हैं। उल्लेखनीय है कि उत्पाद कार्यालय का परित्यक्त भवन अक्सर गाँजा पीने व अन्य नशा करने वालों से गुलजार रहता है। पूरे इलाके के नशेड़ी व मनचले वहाँ अक्सर रहकर गैरसमाजिक गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं। गाँजा व अन्य नशीले पदार्थ की गंध से आस-पास के लोगों को काफी परेशानी होती हैं। इतना ही नहीं शहर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के आस-पास मनचलों की टीम मंडराती नजर आती हैं। कुछ तो ऐसे भी है जो कोचिंग और स्कूल के समय पर शहर के विभिन्न चैक-चैराहों पर फब्तियाँ कसने से बाज नहीं आते। शिकारपुर थानाध्यक्ष आनन्द कुमार ने इस बावत बताया कि उन्हें गँजेड़ी, मनचलों व नशेडि़यों के संबंध में जानकारी नहीं थी, लेकिन अब वे वहाँ नज़र नहीं आएँगे।

हेमंत ने आदिवासियों के लिए की आरक्षण की मांग

$
0
0
hemant-demand-reservation-for-tribals
झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने राज्य के .आदिवासियों. और .मूलवासियों. के लिए तीसरी और चौथी श्रेणी की नौकरियों में 100 प्रतिशत आरक्षण समेत सरकारी नौकरियों में 50 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कल 43वें स्थापना दिवस के अवसर पर श्री सोरेन ने यहां कहा कि जब झारखंड वासी नौकरी के लिए बिहार. पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ जैसे राज्यों में जाते है तो वहां उन्हें पीटा जाता। उन्होंने कहा कि इस दशा में भी हमें दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों का  लाल कालीन बिछाकर फूलों से स्वागत करना चाहिए। 
     
श्री सोरेन ने कहा कि बडे व्यावसायिक घरानों की नजरें राज्य की खनिज सम्पदा पर रहती है। अंबानी और अडाणी राज्य से कोयला लेते है। उन्होंने कहा.. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सत्ता में आने के बाद सबसे पहला काम टाटा लीज एग्रीमेंट का नवीनीकरण करने का किया। उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हर सप्ताह नयी दिल्ली जाते है लेकिन .व्यावसायिक घरानों से हरी झंडी न मिलने. के कारण मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है। राज्य में भारतीय जनता पार्टी का सरकार बनाने का मकसद था कि गुजरात के व्यापारी यहां बिजनेस कर सकें। श्री सोरेन ने कहा कि केन्द्र सरकार ने जनधन योजना की शुरूआत की लेकिन गरीब लोगों के खातों में धन डालने के बजाय उनके हाथों में झाडू थमा दी।

इशरतजहां मुठभेड़ प्रकरण के आरोपी पुलिर्सकमी को जमानत

$
0
0
ishrat-jahan-fake-encounter-police-grant-bail
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने इशरात जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी वरिष्ठ पूर्व पुलिर्सकमी पी पी पांडे को आज जमानत दे दी। अदालत ने सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री पांडे को एक लाख के बांड तथा पचास पचास हजार के दो निजी मुचलकों पर जमानत देते हुए उन्हें देश नहीं छोड़ने की ताकीद की। साथ ही उनसे हर माह के पहले गुरूवार को पेशी देने के भी आदेश दिये। 15 जून 2004 को जब अहमदाबाद के निकट इशरत जहां  उसके पुरूष मित्र जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई तथा दो अन्य को पुलिस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश के लिए आये आतंकवादी समझ कर मार गिराया था  उस समय श्री पांडे अहमदाबद के संयुक्त पुलिस कमिश्नर (अपराध) के पद पर थे। 

अदालत ने गत 28 जनवरी को श्री पांडे की जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। उनके वकील ने दलील दी थी कि यह कार्रवाई केंद्रीय गुप्तचर एजेंसी खुफिया ब्यूरो (आईबी) से मिली सूचना पर की गयी थी। सीबीआई ने वर्ष 2013 में इस मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था। 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी श्री पांडे पिछले डेढ़ साल से जेल में थे। इस मामले में कुल सात आरोपी बनाये गये थे। जिनमें से पांच को अब तक जमानत मिल चुकी है।

तृणमूल सांसद एवं राज्य सभा सदस्य सृंजय बोस ने इस्तीफा दिया

$
0
0
srinjoy-bose-resign-from-tmc
शारदा चिट फंड घोटाला मामले में आरोपी तृणमूल कांग्रेस पार्टी से राज्य सभा सदस्य और बंगाली समाचार पत्र प्रतिदिन के संपादक ुसृंजय बोस ने स्थानीय अदालत से जमानत पर रिहा होने के बारह घंटे बाद ही आज राज्यसभा की सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। श्री बोस अभी शहर के निजी नर्सिंग होम में भर्ती हैं। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पार्टी और साथ ही राज्यसभा सदस्यता से तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देने की बात कही है। श्री बोस अदालत के आदेश के बाद जमानत पर रिहा हुए है और शहर के एसएसकेआईएम अस्पताल में गर्दन की समस्या के कारण भर्ती हुए हैं। 

श्री बोस ने बताया कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों और सत्तारूढ़ पार्टी के मुखपत्र बंगाली दैनिक ..जागो बंगला .. का संपादक पद छोड दिया है। शहर की अलीपुर अदालत ने कल शाम उन्हें सशर्त जमानत पर रिहा किया था। उन्हें शारदा चिट फंड घोटाला मामले में शामिल होने के आरोप में 20 नवंबर को गिरफतार किया गया था। अदालत ने एक लाख के निजी मुचलके पर श्री बोस को सशर्त जमानत पर रिहा किया है।

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (05 फ़रवरी)

$
0
0
उत्तराखंड के महाविद्यालयों में 58 प्रतिशत प्रवक्ताओं के पद रिक्त

देहरादून, 05 फरवरी। उत्तराखंड के 90 सरकारी महाविद्यालयों में शिक्षकों (प्रवक्ताओं) के 58 प्रतिशत पद रिक्त है। इसमें गढ़वाल मंडल के 48 महाविद्यालयों में 62 प्रतिशत पद तथा कुमाऊं मंडल के 42 महाविद्यालयों में 57 प्रतिशत प्रवक्ताओं के पद रिक्त है। उक्त खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट को उच्च शिक्षा निदेशालय, उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है। उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना अधिकार के अन्तर्गत सूचना अधिकार कार्यकर्ता, काशीपुर निवासी नदीम उद्दीन एडवोकेट को उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार उत्तराखंड के 90 सरकारी महाविद्यालयों में प्रवक्ताओं के कुल स्वीकृत 1656 पदों में से 971 पद रिक्त है केवल 685 प्रवक्ता ही नियमित कार्यरत है। इन रिक्त पदों में से 408 पदों पर संविदा पर शिक्षक कार्यरत है। इसके बाद भी 563 पद रिक्त है जिन पर कोई प्रवक्ता व संविदा शिक्षक कार्यरत नहीं हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश भर में 20 ऐसे नियमित प्रवक्ता भी है जो महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य नहीं कर रहे है जिसमें 2 प्रतिनियुक्ति के कारण महाविद्यालयों में कार्यरत नहीं है तथा 18 त्याग पत्र व अन्यत्र कार्यरत प्रस्तुत तथा दीर्घ अवधि से अनुपस्थित हैं। इनके पदों को जोड़ते हुये कुल 583 पदों पर कोई शिक्षक कार्यरत नहीं हैै। श्री नदीम को उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार रिक्त 971 पदों में सर्वाधिक रिक्त पद 95 अंग्रेजी विषय के है जबकि शारीरिक विज्ञान, टूरिज्म, दर्शनशास्त्र तथा पत्रकारिता विषय का कोई पद रिक्त नहीं है। अन्य रिक्त पदों में हिन्दी के 85, संस्कृत के 44, भूगोल के 45, अर्थशास्त्र के 74, राजनीतिक शास्त्र के 81, समाजशास्त्र के 61, इतिहास के 52, शिक्षा शास्त्र के 18, मनोेविज्ञान के 7, शारीरिक शिक्षा के 6, गृह विज्ञान के 15, सैन्य विज्ञान के 9, बी.एड.के 15, संगीत के 5, सांख्यिकी के 3, भूगर्भ विज्ञान के 8, विधि 5, चित्रकला के 3, बेसिक हयूमेनेटिज 1, मानव विज्ञान 2, बेसिक साइंस 1, भौतिक विज्ञान 53, रसायन विज्ञान 58, जन्तु विज्ञान 50, वनस्पति विज्ञान 51, गणित 44, वाणिज्य 62, बी.वी.ए. 3, बी.सी.ए. 6, एम.बी.ए. 5, बी.टी.एस 1, कम्प्यूटर विज्ञान के 3 पद रिक्त है। श्री नदीम को उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार कुमाऊं मंडल के कुल 42 सरकारी महाविद्यालयोें में कुल 821 पदों में से 354 पदों पर ही नियमित प्रवक्ता कार्यरत है। शेष 467 पद रिक्त है। इनमें से केवल 198 पदों पर संविदा शिक्षक कार्य कर रहे हैै। जबकि संविदा शिक्षकों के पदों को छोड़कर भी 269 पद रिक्त है जिस पर कोई शिक्षक कार्य नहीं कर रहा है। इसी प्रकार गढ़वाल मंडल के कुल 48 सरकारी महाविद्यालयों में कुल 835 स्वीकृत पदों मेें से 524 पद रिक्त हैं इनमें से 210 पदों पर संविदा शिक्षक कार्यरत हैं। जबकि संविदा शिक्षकों के पदों को छोड़कर भी 314 पदों पर कोई शिक्षक कार्यरत नहीं है। श्री नदीम को उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से यह भी स्पष्ट है कि इन रिक्त पदों के जल्दी भरने की भी कोई उम्मीद भी नहीं है क्योंकि बिल्कुल रिक्त 563 पदों में से अधियाचन भी केवल 273 पदों का ही लोक सेवा आयोग को भेजा गया है। लोेक सेवा आयोग द्वारा अगर इन  सबका चयन कर भी दिया जाता औैर सभी शिक्षक कार्य करते रहते हैं तो भी प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में 290 पदों पर कोई प्रवक्ता व शिक्षक कार्य नहीं करेगा।

उत्तराखण्ड में स्थापित हो ‘‘अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद शोध संस्थान’’: डाॅ0 निशंक

uttrakhand news
देहरादून,5 फरवरी (निस)। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार से लोकसभा सदस्य डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक जी से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान डॉ निशंक ने उत्तराखंड में आयुर्वेद, आयुष ग्राम तथा आयुष शिक्षा की दशा दिशा पर गहन चर्चा की. डॉ निशंक ने कहा कि हिमालयी राज्य उत्तराखंड आयुर्वेद का जन्मदाता है. विभिन्न प्रकार की जीवनदायिनी औषधीय जड़ी बूटियों के लिए देवभूमि विश्व विख्यात हैआज सम्पूर्ण विश्व आयुर्वेद तथा इससे सम्बंधित योग, चिकित्सा, शिक्षा तथा जीवन पद्धति को अपनाने के लिए आतुर है. ऐसे में आयुर्वेद की भूमि उत्तराखंड से अभिनव प्रयोग कर पूरी दुनिया में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा एवं औषधीय पद्धति को पहुँचाया जा सकता है डॉ निशंक ने केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री से अनुरोध किया कि उत्तराखंड में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का आयुर्वेद शोध संस्थान तथा विश्व स्तरीय आयुष ग्राम की स्थापना हेतु पहल की जाय. ज्ञात हो कि डॉ निशंक ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उत्तराखंड में आयुर्वेद पद्धति के बेहतर संवर्धन एवं संरक्षण हेतु सभी जनपदों में आयुष ग्रामों की स्थापना की थी तथा राज्य को प्रथम आयुर्वेद विश्वविद्यालय की सौगात भी दी थी

उग्र हो रहा पूर्व एमएनए तबादला मामला 

देहरादून, 05 फरवरी(निस)। नगर निगम के पूर्व एमएनए के तबादला का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार एक कैबिनेट मंत्री के दबाव पर तबादले का आरोप लगने के बाद मंत्री दिनेश अग्रवाल ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि किसी भी अधिकारी को अपने सर्विस रूल में रहना चाहिए और उससे बाहर नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी मंत्री ने पूर्व एमएनए के तबादले के लिए दबाव नहीं बनाया है। सरकारी जमीनों पर कब्जा कराने वालों को सरकार के किसी व्यक्ति का समर्थन नहीं है। विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल ने इस मामले में कड़ा रूख अपनाते हुए कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में टिकट के दावेदार कुछ लोग इस बात को तूल दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व एमएनए के तबादले में उनका कोई हाथ नहीं है। नगर निगम राजनीतिक जमीन का अड्डा बन गया है। पार्षदों को अपने-अपने क्षेत्र में सफाई व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। दिनेश अग्रवाल ने कहा कि किसी भी अधिकारी को अपने सर्विस रूम के दायरे में ही रहना चाहिए। सरकार के किसी भी मंत्री का सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वाले लोगों को संरक्षण नहीं है। बताते चले कि एमएनए रहे हरक सिंह रावत ने आनन-फानन में किए गए तबादले के बाद एक मंत्री का तबादले पर दबाव बताया था। जिसके तहत उन्होंने शासन को भी एक शिकायत पत्र सौंपा था।

गुलदार की खाल के साथ तीन तस्कर दबोचे

देहरादून, 05 फरवरी (निस)। पुलिस ने ऋ षिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर ऑल्टो कार से गुलदार की एक खाल, हड्डिया व खोपड़ी सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी गुलदार की खाल व अन्य अंगों को हरिद्वार में किसी तस्कर को बेचने जा रहे थे। देवप्रयाग थाना प्रभारी हेमंत खंडूड़ी ने बताया कि गुरुवार सुबह डिग्री कॉलेज के समीप वाहन चेकिंग की जा रही थी। करीब सवा आठ बजे श्रीनगर की ओर से आ रही आल्टो कार संख्या यूके09-7445 की जब तलाशी ली गई। उसमें गुलदार की एक खाल, हड्डी व खोपड़ी बरामद हुई। मामले में पुलिस ने कुलदीप सिंह 28 पुत्र दर्शन सिंह, दिवान सिंह 38 पुत्र सोवन सिंह दोनों निवासी चमियाड़ी ङ्क्षहडोलाखा तथा वीरेंद्र सेमवाल 60 पुत्र दयानंद रूमधार ललूड़ीखाल देवप्रयाग को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वह खाल व अन्य अंगों को बागवान से हरिद्वार एक अन्य तस्कर को बेचने जा रहे थे। पुलिस ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर कार को भी कब्जे में ले लिया है। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने करीब पांच माह पूर्व ललूड़ीखाल के जंगल में गुलदार का शिकार किया था। सूचना मिलने पर रेंजर डांगचैरा कुशाल सिंह रावत भी यहां पहुंचे। पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल संजय गुंज्याल ने देवप्रयाग पुलिस के सराहनीय कार्य पर 2500 रुपये नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है।

उत्तराखण्ड के पंडित की यूपी में गोली मार कर हत्या

देहरादून, 05 फरवरी(निस)। शामली में पूजा पाठ करने के लिए अपनी बहन के घर आए पंडित का शव शामली में मिला जिसका पुलिस ने लावारिस में अंतिम संस्कार कर दिया। पंडित को शामली से ही फोन कर बुलाया गया था और शामली पहुंचने के बाद उनके सिर में गोली मार कर हत्या कर दी गयी। दून मे अपनी बहन के घर आए पंडित के लापता होने के बाद डोईवाला एवं शामली पुलिस में कई चक्कर काटने के बाद भी कार्रवाई की दिशा तय नहंी हो पाई। लगातार पुलिस थानों के चक्कर काटने के बाद थके-हारे परिजनों ने एसएसपी से मदद की गुहार लगाई है लेकिन यहां भी उन्हें मामला उत्तर प्रदेेश पुलिस क्षेत्र का होने के कारण चलता कर दिया गया है। इस मामले में डोईवाला पुलिस का रवैया भी अधिक सहयोग वाला नहीं रहा और पुलिस ने भी सूचना मिलने के कई दिनों तक तो गुमशुदगी ही दर्ज नहीं की। बताया जा रहा है कि इस मामले की शिकायत शामली पुलिस में दर्ज कर ली गयी है और आज एसएसपी देहरादून ने शामली पुलिस से इस मामले में परिजनेंा को पूर्ण सहयोग करने को कहा है।  मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में पंडिताई करने वाले पंडित हर्षवर्द्धन पोखरियाल (48) देश भर में पूजा-पाठ करने के लिए आते-जाते हैं। 13 जनवरी को हर्षवद्धन के पास शामली से एक फोन आया जिसमें फोन करने वाले ने अपना नाम योगेंद्र बताया और कहा कि वह अपनी बहन के घर पूजा कराना चाहता हैं। सारी बात तय होने के बाद पंडित हर्षवर्द्धन डोईवाला केशवपुर बस्ती निवासी अपनी बहन बिंदी देवी के घर आए। यहां से अगले दिन वह सुबह छरू बजे शामली के लिए बस से निकले। शाम को पंडित हर्षवर्द्धन ने अपनी पत्नी को पौड़ी में फोन किया कि योगेंद्र नाम का यह व्यक्ति उन्हें अपनी बाईक में इधर-उधर घुमा रहा है और तय स्थान पर नहीं ले जा रहा है। इसके बाद पंडित हर्षवर्द्धन का फोन बंद हो जाता है। काफी प्रयासों के बाद भी जब फोन नहीं मिलता तो पंडित हर्षवर्द्धन के भाई जगदीश पोखरियाल ने डोईवाला पुलिस को इस घटना के बारे में जानकारी दी लेकिन पुलिस ने उनकी पंडित हर्षवर्द्धन की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज नहीं की। कई चक्कर लगाने के बाद डोईवाला पुलिस ने 21 जनवरी को गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की और शामली पुलिस से संपर्क किया। शामली पुलिस से संपर्क करने पर पता लगा कि शामली के बाबरी थाना क्षेत्र में 17 जनवरी को गन्ने के खेतों में एक शव मिला था जिसके सिर में गोली मार कर हत्या की गयी थी जिसका 19 जनवरी को लावारिस में पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया था। इस जानकारी के आधार पर परिजन शामली पहुंचे और पुलिस द्वारा खींचे गए फोटो एवं कपड़ों के आधार पर मृतक की शिनाख्त पंडित हर्षवर्द्धन पोखरिया के तौर पर की। परिजनों ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराने के लिए शामली पुलिस के भी कई चक्कर काटे लेकिन यहां मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। परिजन डोईवाला पहुंचे लेकिन यहां भी पुलिस ने घटना स्थल शामली को होने के कारण रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इसके बावजूद परिजन पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटते रहे, लेकिन मुकदमा दर्ज कराने में परिजनों को निराशा की ही सामना करना पड़ा। आज परिजन एसएसपी देहरादून से मिले और मदद की गुहार की। एसएसपी देहरादून ने शामली एसएसपी से बात की और परिजनों को इस बात की जानकारी दी कि पंडित हर्षवर्द्धन की हत्या का मुकदमा शामली में दर्ज किया जा चुका है। एसएसपी ने इस संबंध में परिजनेंा को पूरी मदद करने का आश्वासन दिया और एसएसपी शामली से भी हत्या में लिप्त दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सहयोग मांगा। उधर बताया जा रहा है कि इस मामले में पुलिस ने पूर्व में योगेंद्र को हिरासत में लेते हुए उसके पास से पंडित हर्षवर्द्धन का मोबाईल भी बरामद किया था लेकिन बाद में योगेंद्र एवं उसके भाईयों को छोड़ दिया गया।

समाधान पर सीएम का आदेश भी बेअसर

देहरादून, 05 फरवरी(निस)। मुख्यमंत्री के निर्देशों का कई अधिकारियों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है। यही कारण है समाधान पोर्टल के जरिए भी समस्याओं का समय पर निस्तारण नहीं हो पा रहा है। कई मामले लंबित पड़े हैं। उत्तराखंड सरकार के समाधान पोर्टल के जरिए विभागीय शिकायतोंध्समस्याओं के त्वरित निस्तारण के कुछ समय पहले सीएम हरीश रावत ने सबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया था। लेकिन शायद कुछ विभागों पर इसका असर नहीं हुआ है। यही कारण है कि लंबे समय से समस्या से सबंधित आवेदनों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। जिला स्तर पर भेजे गए शिकायती आवेदनों के लंबित रखने के मामले में देहरादून जनपद पहले नबंर पर है। दून में सबसे ज्यादा 47 आवेदन लंबित पड़े हुए हैं। जिलाधिकारियों के स्थानान्तरण के बावजूद भी समाधान के जरिए भेजे जा रहे शिकायती आवेदनों के निस्तारण में कोई तेजी होती नहीं दिख रही है। वहीं निदेशालय स्तर शहरी विकास विभाग कीे हालात कुछ इसी तरह है। शहरी विकास विभाग के अन्तर्गत कुल भेजे गए ३३ आवेदनों में से 21 आवेदन लंबित पड़े हुए हैं। काफी समय से लंबित आवेदनों पर विभाग की नजर उदासीन बनी हुई है। यही हाल देहरादून जनपद का भी है। सवाल उठ रहा है कि आखिर सीएम के निर्देशों का अधिकांश अधिकारी समय पर पालन क्यों नहीं कर रहे हैे। जनता दरबार का आयोजन नहीं होने से समाधान पोर्टल के जरिए ही शिकायतोंध्समस्याओं के निराकरण की उम्मीद जगी है। सरकार ने भी इस पोर्टल के जरिए शिकायतों के समाधान में तेजी लाने के निर्देश दिए।

तेज रफ्तार डंपर ने दो भाईयों को कुचला, मौत

देहरादून, 05 फरवरी(निस)। पटेलनगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत सभावाला में दो बच्चों को डम्पर ने कुचल दिया। जिससे उपचार के दौरान ही अस्पताल में उनकी मौत हो गई। इस दुर्घटना के बाद गुस्साए स्थानीय लोगों ने हंगामा किया और सड़क पर जाम लगाया। घटना की सूचना पर पंहुचे सीओ विकास नगर, सीओ सदर वहां पंहुचे। पुलिस ने डंपर चालक को गिरफ्तार कर लिया है। इस घटना के बाद दोपहर तक वहां तनाव की स्थिति बनी हुई थी। दो बच्चों की मौत के बाद सीएम और डंपर स्वामी ने मुआवजे की बात की। लेकिन गुस्साए लोग शांत नहीं हुए। वहीं लगातार कर्मशियल वाहनों की टक्कर से हो रही दुर्घटना के मामले सामने आने के बाद भी पुलिस की सुस्ती टूटने का नाम नहीं ले रही है। खनन सामग्री वाले वाहनों की रफ्तार पर मेहरबानी का यह एक और उदाहरण है। मिली जानकारी के अनुसार गुरूवार सुबह पटेल थाना क्षेत्र के अन्तर्गत सभावाला मेें पत्थर से भरे लोडिंग डम्पर ने दो सगे भाईयों आदेश कौशिक(17) व राकेश काशिक(15) नया गांव मार्ग पर जा रहे थे। उस वक्त वहां कोहरा फैला हुआ था। इसी दौरान तेज रफ्तार डम्पर ने दोनों भाईयों को अपनी चपेट में ले लिया। प्रत्यक्षदशर््िायों की मदद से घायलों को महन्त इन्द्रेश अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। दो भाईयों को कुचलने के बाद फरार हुए डंपर चालक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। हादसे के बाद स्थानीय लोगों भूरपूर गांव मार्ग को बंद कर दिया। जिससे आने-जाने वाले लोगों खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ा। प्रशासनिक अधिकारी झरना कमठान व सीओ सदर सहित भारी मात्रा मेें पुलिस बल वहां पहुंचा। कुछ देर बाद विधायक सहदेव सिंह पुण्डीर भी मौके पर पहुंचे। जहां उन्होंने स्थानीय लोगों को समझाने की कोशिश की मगर लोग शांत नहीं हुए। स्थानीय लोगों को कहना था कि आरोपी डम्पर चालक को पकड़े जाने पर वो लोग मार्ग सूचारू करेंगे। भारी मशक्कत करते हुए पुलिस ने आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद स्थनीय लोगों ने जाम को खोल दिया। साथ ही पुलिस ने बताया कि आरोपी चालक का डम्पर सीज कर दिया गया है। वहीं आरोपी चालक के खिलाफ आगे की कार्यवाही की जा रही है। घर के दोनों चिराग बुझने के बाद से घर में मातम पसरा हुआ है। वहीं हादसे के बाद से मृतक बच्चों की मां बेसुद बताई जा रही है। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री और डंपर स्वामी द्वारा मुआवजे की बात करना बताया गया। लेकिन गुस्साए लोग फिर भी शांत नहीं हुए।

आंदोलनकारियों का अनशन जारी

देहरादून, 05 फरवरी(निस)। चिन्हीकरण समेत विभिन्न मांगों को लेकर उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी मंच ने शहीद स्मारक में अनशन जारी रखा। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे केन्द्रीय अध्यक्ष नन्दा बल्लभ पांडे ने कहा कि जिस तरह से लगातार आंदोलनकारियों को अनदेखा किया जा रहा है उसे किसी भी तरह से प्रकार से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सभी आंदोलनकारियों को पेंशन के दायरे में लिया जाये, राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा दिया जाये। दस प्रतिशत आरक्षण को कैबिनेट में पास कर विधेयक बनाया जाये। अनशन के दौरान बैठे दामोदर रावत ने कहा कि नेता, अधिकारी व पुलिस सब अपने कल्याण में लगे है परन्तु राज्य आंदोलनकारियों की किसी को भी चिन्ता नहीं है। अभी तक आंदोलनकारियों की किसी को भी चिन्ता नहंीं है। अभी तक उत्तराखंड आंदोलनकारियों में सरकार भटकाने में लगी है अब वे आरपार की लड़ाई लडने के मूड़ में है। इस मौके पर लक्ष्मी रावत, बिमला पंवार, सुशीला रावत, विनोद असवाल, मनोहरी रावत, सरोज थपलियाल, पुष्पा रावत, सुनिता धिल्डियाल, सुनील जुयाल, रेवती बिष्ट, ऊषा लखेड़ा, अमर सिंह नेगी, बीर सिंह, सुशीला चन्दोला, सुनील जुयाल, वीके चतुर्वेदी, उर्मिला शर्मा, सुलोचना मैनवाल, संदीप भट्ट, आदि मौजूद थे।

लोगों ने किया जिलाधिकारी कार्यालय में प्रदर्शन 

देहरादून, 05 फरवरी(निस)। ग्राम हर्रावाला के स्थानीय लोगों ने एन एच 72 लक्ष्मण नाला के पास विस्थापितों की मांग को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय में प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे स्थानीय लोगों ने कहा कि ग्राम हर्रावाला में लक्ष्मण नाला के पास पूर्व सर्वे में पूरी बस्ती विस्थापित हो रही थी। पूर्व मुख्यमंत्री एंव जिलाधिकारी के निर्देश पर पुनरू सर्वे किया गया जिसके अनुसार कुछ भू-स्वामी की जमीन का रकबा अधिग्रहण से बच गया और कुछ का अधिग्रहण में आ गया। जिसके रिपोर्ट सर्वे कानूनगों एवं लेखपाल द्वारा भू अधिग्रहण अधिकारी एवं एनएच 72 को सौंपी गयी, जिसको लेकर पूरा जनवरी माह 2015 समय व्यतीत हो गया। एसएलओ विभाग द्वारा मौखिक बताया गया कि आपका कितना रकबा अधिग्रहण में जा रहा है। आज उसका मुआवजा ले लीजिए जिसकी कार्यवाही उन लोगों ने फरवरी माह के प्रथम सन्ताह से शुरू की। लेकिन अभी तक मुआवजे की कोई भी रकम उनको नहीं मिली। उन्होंने कहा कि रिएलायनमेंट के लिये एनएच72 के द्वारा एवं एसएलओ विभाग द्वारा देरी की गयी है। जिसके लिये हम आज के सर्किल रेट के हकदार है तथा हमें भवन तोडने के लिये लगभग 3 माह का समय तथा आज का सर्किल रेट देने के आदेश जारी करने की कृपा करें। प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी ने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया। इस मौके पर राम प्रसाद, विमलेश देवी, राकेश कुमार, अमरीश कुमार, अमरीश कुमार, रामफल, मूल चन्द्र आदि मौजूद थे। 

आपराधिक पृष्ठभूमि छिपाने वाले नेता का निर्वाचन हो सकता है रद्द

$
0
0
sc-on-crmininal-background-elecion
उच्चतम न्यायालय ने राजनीति के अपराधीकरण पर अंकुश लगाने की दृष्टि से आज एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि कोई उम्मीदवार लंबित आपराधिक मुकदमों से संबंधित जानकारी छुपाता है तो उसका निर्वाचन रद्द किया जा सकता है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा ..आपराधिक पृष्ठभूमि को छिपाना उम्मीदवारों के भ्रष्ट कृत्यों की श्रेणी में आता है। सार्वजनिक जीवन से भ्रष्टाचार और राजनीतिक के अपराधीकरण को समाप्त करना समय की मांग है। शीर्ष अदालत ने कहा ..नामांकन पत्र भरने के वक्त आपराधिक पृष्ठभूमि. खासकर जघन्य अपराधों अथवा भ्रष्टाचार अथवा नैतिक मूल्यों से संबंधित अपराधों को उजागर करना कानूनी रूप से अनिवार्य है। लेकिन उम्मीदवार इसे छुपाता है तो उसका निर्वाचन निरस्त किया जा सकता है।

न्यायालय का यह फैसला 2006 के उस मामले में आया है. जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के कोयम्बटूर के एक पंचायत सदस्य का निर्वाचन यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि उसने नामांकन पत्र भरते समय लंबित आपराधिक मामलों को छुपाया था। तत्कालीन पंचायत सदस्य ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी। राजनीति के अपराधीकरण पर अंकुश लगाने की दिशा में एक कदम बढाते हुए न्यायालय ने 2013 में व्यवस्था दी थी कि आपराधिक मामलों में दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले जनप्रतिनिधि की संसद या विधान मंडल की सदस्यता स्वत: समाप्त हो जाएगी और पूरी सजा काट लेने के छह साल बाद ही वह फिर से चुनाव लड़ सकेगा।

तीस से अधिक सीटें मिलने का कांग्रेस का दावा

$
0
0
makan-claim-30-seats-in-delhi
कांग्रेस महासचिव एवं दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की प्रचार अभियान समिति के प्रमुख अजय माकन ने दावा किया है कि कांग्रेस को इस चुनाव में 30 से अधिक सीटें मिलेंगी। श्री माकन ने एक टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में विभिन्न चुनाव र्सवेक्षणों को खारिज करते हुएच कहा कि दिल्ली में कांग्रेस को नकारा नहीं जा सकता। पार्टी 30 सीटें आसानी से जीत सकती है। चुनाव सवेक्षणों में कांग्रेस को दो से सात सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है।     

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी नेताों की इन बातों को गलत बताया कि कांग्रेस के चुनाव प्रचार में शीर्ष नेतृत्व गायब है। उन्होंने कहा कि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी प्रचार अभियान में लगे हुए है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि उनकी पार्टी का मुख्य मुकाबला भाजपा के साथ है और आम आदमी पार्टी .आप. एक बुलबुले की तरह है। उन्होंने इन अटकलों को भी गलत बताया कि फिर से खंडित जनादेश आने पर कांग्रेस इस बार भी आप को र्समथन देगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का यह विचार है कि किसी भी परिस्थिति में आज का भी र्समथन नहीं लिया जायेगा। आप की तरफ से चुनाव से पहले इस तरह के संकेत मिले थे कि कांग्रेस उसे सरकार बनाने के लिए र्समथन दे लेकिन पार्टी ने इनकार कर दिया।

बाल्यावस्था देखरेख एवं विकास पर कार्यशाला सम्पन

$
0
0
child care development
लखनऊ, 5 फरवरी। बाल्यावस्था देखरेख एवं विकास पर सेव द चिल्डेन द्वारा उ0प्र0 फोर्सेस के साथियों का क्षमतावर्धन कार्यशाला का आयोजन होटल मैरियाड में किया गया। इस कार्यशाला में प्रदेश के 35 प्रतिभगियों ने प्रतिभाग किया। 

इस अवसर पर यूनीसेफ प्रतिनिधि डा0 रिचा पाण्डेय ने उत्तर प्रदेश में कुपोषण की गम्भीरता पर चर्चा करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश मे कुपोषण की दर बहुत अधिक है स्वास्थ्य एवं आई0सी0डी0एस0 के चल रहे कार्यक्रमों में कुपोषण की समस्या के समाधान का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 3 वर्ष से कम आयु के 42 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं। वहीं 52 प्रतिशत बच्चे छोटे कद और 19.5 प्रतिशत बच्चे सूखा रोग से ग्रसित हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए राज्य पोषण मिशन का गठन किया गया है जिससे कुपोषण को समाप्त करने का प्रयास तेजी से किया जा रहा है। उन्होने कुपोषण के मुख्य करणों पर चर्चा करते हुए बताया कि अगर 10 मुख्य बातों पर पर हम प्रयास करें तो कुपोषण की समस्या को काफी सीमा तक कम किया जा सकता है। जिससे किशोरी बालिका एवं गर्भवती मां को सुपोषित किया जा सकता है।

इस अवसर पर पोषण मिशन के डायरेक्टर अमिताभ प्रकाश ने बताया कि मिशन  बहुत तेजी के साथ कार्य करते हुए इसकी पहुंच हर जिले पर बनाते हुए जिलास्तरीय अधिकारियों के साथ इस कार्यक्रम हेतु समन्वय स्थापित करने में कामयाबी हासिल की है। उन्होंने कहा कि इस अभियान की जन भागीदारी से ही शत्-प्रतिशत सफलता हासिल की जा सकती है। इसमें स्वैच्छिक संगठनों द्वारा भी महत्वपूर्ण पूर्ण निभायी जा सकती है। उन्होंने बताया कि स्वयं सेवी संगठनों की भूमिका पोषण मिशन में हर स्तर पर सुनिश्चित की गई है। उन्होंने स्वयं संस्था के प्रतिनिधियों से वस्तु स्थिति से अवगत कराते रहने की भी अपेक्षा व्यक्त की। 

प्रतिभागियों को एन0आर0एच0एम0 के महाप्रबंधक सामुदायिक सहभागिता श्री राजेश झा ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने में सेवाओं व समुदाय के बीच की दूरियों को कम कर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जा सकता है इसमें समाज के हर लोगों को आगे आने की आवश्यकता है इस कड़ी में गैर सरकारी संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेश में प्रसव सेवाएं बेहतर हुई है तथा मातृ मृत्यु दर में कमी आई है ।

सेव द चिल्डे्न के प्रतिनिधि सुनीलजी ने अपने बताया कि सेव दी चिल्डे्न बच्चो के स्वास्थ्य एवं विकास के लिए दृढ संकल्पित है । उन्होने कहा कि देश व प्रदेश में कुपोषण एक मुददा है इसके लिए हम सबको सरकार के साथ मिल कर काम करने की जरुरत । श्री कुमार ने बताया कि कुपोषण का चक्र बच्चे के जन्म से शुरू होता है और ध्यान न देने के कारण परिवार में कुपोषण की स्थिति निरंतर चलती रहती है। उन्होंने बताया कि देश में प्रत्येक दूसरी महिला एनीमिया की शिकार होती है। कुपोषण को दूर करने के लिए मुख्य 3 बातों पर ध्यान दे दे ंतो कुपोषण को काफी हद तक दूर करने में मदद मिल सकती है। ये हैं-बच्चे के जन्म के 1 घंटे के अंदर उसे मां का दूध पिलाया जाये, 6 माह तक केवल मां का दूध ही पिलाया जाये तथा 6 माह के बाद  मां के दूध के साथ समय पर पौष्टिक आहार दिया जाये।

उ0प्र0फोर्सेस के राज्य समन्वयक रामायण यादव ने बताया कि फोर्सेस छोटे बच्चों के उपर कार्य करने वाला एक राष्टीय नेटवर्क है जिसका मुददा ही 0- 6 साल के बच्चे है। उन्होने बताया कि 6 वर्ष से कम आयु की अवस्था में एक बच्चे में 85 प्रतिशत दिमाग का विकास होता है ऐसे में इस आयु समूह पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इस अवसर पर विभिन्न जनपदों से आये प्रतिनधियों ने अपने क्षेत्र में दो आगनवाड़ी केन्द्र को माउल अगनवाड़ी बनाने का निर्ण लिया।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (05 फ़रवरी)

$
0
0
हज यात्रियो को प्रषिक्षण के लिये मास्टर ट्रेनस एवं फील्ड ट्रेनरों का होगा चयन 

jhabua map
झाबुआ---जिला हज कमेटी के अध्यक्ष अयुबखान झमाभाई ने जानकारी देते हुए बताया कि मध्यप्रदेष राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष जनबा हाजी इनायत हुसैन कुर्रेषी से मिले निर्देषों के अनुसार केन्द्रीय हज कमेटी  ने निर्णय लिया है कि हज यात्रियों को हज संबंधी प्रषिखण देने के लिये मध्यप्रदेष राजय के लिये फिल्ड ट्रेनर  एवं दो मास्टर ट्रेनरों का चयन किया जाना है। फिल्ड ट्रेनर के लिये ऐसे आवेदकों जिन्हे हज संबंधित कार्य का अनुभव हो,ऐसे खादिमुल हुज्जात जिन्हे हज संबंधि समस्त प्रकार का अनुभव हो एवं जो हज की धार्मिक रीतियों की जानकारी रखते हो तथा 50 वर्ष तक की आयु हो,जिन्होने कम से कम एक हज आदा किया हो, अंग्रेजी भाषा का पूर्ण ज्ञान होने के साथ ही हिन्दी और उर्दू की पूरी जानकार रखते हो, जो हज संबंधित प्रषिक्षण कार्यक्रमों के लिये समय दे सकते हो,पूरी तरह स्वस्थ्य हो, कंप्यूटर का जिन्हे ज्ञान हो तथा उनके विरूद्ध किसी भी प्रकार का आपराधिक प्रकरण किसी भी न्यायालय में दर्ज न हो ऐसे पुरूष एवं महिलायें इस पद के लिये आवेदन कर सकते है ।वही मास्टर ट्रेनर्स के लिये जो व्यक्ति हज संबंधि कार्य से प्रतिनियुक्ति पर सउदी अरब में में कार्य करने का अनुभव रखता हो तािा असिस्टेंट हज आफीसर, हज असिस्टेंट,मेउीकल आफीसर या खादिमुल हुज्जाज जिन्हे हज संबंधित कार्य का अनुभव हो तथा हज की धार्मिक रीतियों की जानकारी रखता है, जिनकी आयु 50 साल से अधिक नही हो, कम से कम एक बार हज अदा किया हो, अंग्रेजी का पूर्ण जानकार हो तथा हिन्दी एवं उर्दू की पूरी जानकारी हो, जो ट्रेनिंग देने के लिये समय दे सकता हो, पूर्ण रूप  से स्वस्थ हो, कम्प्यूटर का ज्ञान हो तथा उसके खिलाफ किसी प्रकार का आपराधिक प्रकरण किसी भी न्यायालय में दर्ज न हो ऐसे पुरूष एवं महिलायें यदि अर्हताए रखते हो तो आवेदन कर सकते है । फिल्ड ट्रेनर के लिये चयनीत आवेदकों को मध्यप्रदेष राज्य हज कमेटी भोपाल द्वारा भोपाल में प्रषिक्षण दिया जावेगा वही  मास्टर ट्रेनरों  के लिये चयनीत आवेदकों को हज कमेटी आफ इण्डिया मुम्बई द्वारा हज हाउस मुम्बई में  प्रषिक्षण दिया जावेगा उसके बाद उन्हे भोपाल मे प्रषिक्षण देकर तैयार किया जावेगा । जिला हज कमेटी के अध्यक्ष अय्युब खा झमाभाई ने  इच्छूक आवेदन जो इन दोनों के लिये अर्हताए पूरी करते हो निर्धारित आवेदन पत्र मध्यप्रदेष राज्य हज कमेटी ताजुल मसजिद के पीछे सुलतानिया रोड भोपाल से लेकर 12 फरवरी तक मध्यप्रदेष राज्य हज कमेटी भोपाल के कार्यालय में जमा करावें ।श्री झमाभाई के अनुसार अन्तिम तिथि के बाद प्राप्त आवेदनों पर  कोई विचार नही किया जावेगा ।उन्होने बताया कि हज कमेटी द्वारा आवष्यकतानुसार  इन लोगों की हज, अंग्रेजी , उर्दू एवं अरबी से संबंधित परीक्षाए भी  ली जासकती है ।

मेघनगर एवं थांदला में 80 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ

झाबुआ ---त्रि-स्तरीय पंचायत निर्वाचन 2015 के लिए द्वितीय चरण में झाबुआ जिले में मेघनगर थांदला जनपद में आज 5 फरवरी को मतदान हुआ। मेघनगर जनपद पंचायत की 61 एवं थांदला जनपद की कुल 67 ग्राम पंचायतों में मतदान हुआ। साथ ही मेघनगर जनपद के 18 एवं थांदला जनपद के 19 सदस्यों एवं 5 जिला पंचायतों सदस्यों के लिए भी ईव्हीएम के माध्यम से मतदान हुआ। मतदान षांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। मेघनगर एवं थांदला क्षेत्र में 80 प्रतिषत से अधिक मतदाताओं ने मतदान किया।

पंच एवं सरपंच के मतो की गणना मतदान समाप्ति, के तुरंत बाद मतदान केन्द्र पर ही होगी
द्वितीय चरण के मतदान के लिए आज 5 फरवरी गुरूवार को मतदान हुआ। पंच, सरपंच के चुनाव के लिए मतदान समाप्ति के तुरंत बाद मतदान केन्द्र पर ही मतो की गणना की गई। जनपद सदस्य एवं जिला पंचायत सदस्य की विकासखण्ड मुख्यालय पर उत्कृष्ट बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मेघनगर एवं  शासकीय उत्कृष्ट बालक उत्कृष्ट हायर सेकेण्डरी विद्यालय थांदला में ईव्हीएम से मतो की गणना 08 फरवरी रविवार को प्रातः 7.30 बजे से प्रारंभ होगी। पंच सरपंच पद के निर्वाचन परिणाम की घोषणा 9 फरवरी को की जाएगी। जनपद सदस्य के निर्वाचन परिणाम की घोषणा 27 फरवरी को जनपद मुख्यालय पर एवं जिला पंचायत सदस्य के निर्वाचन परिणाम की घोषणा 28 फरवरी को जिला मुख्यालय पर की जायेगी।

उपभोक्ता संरक्षण में जागरूकता के लिए एनजीओ होगें पुरूस्कृत, आवेदन करने के लिये 6 फरवरी अंतिम तिथि

झाबुआ---उपभोक्ता संरक्षण के लिए राज्य एवं संभाग स्तरीय पुरूस्कार योजना में उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने तथा उपभोक्ता संरक्षण के क्षैत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों एवं व्यक्तियों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य शासन द्वारा राज्य एवं संभाग स्तरीय पुरूस्कार दिये जाते है। यह पुरूस्कार प्रतिवर्ष विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस 15 मार्च के अवसर पर प्रदान किये जाते है। इन पुरूस्कारों के लिये ऐसे संगठन एवं व्यक्तियों का चयन कलेण्डर वर्ष 01 जनवरी 2014 से 31 दिसम्बर 2014 तक की अवधि में हासिल उपलब्धियों के आधार पर किया जावेगा। इस वर्ष भी राज्य स्तरीय पुरूस्कार योजना के अंतर्गत प्रदेश के ऐसे स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों एवं व्यक्तियों को चुना जावेगा जो उपभोक्ताओं के हित संरक्षण से सक्रिय रूप से जुडे है। इसमें ग्रामीण आदिवासी एवं पिछडे़ क्षैत्र में कार्यरत संगठनों को प्राथमिकता दी जावेगी। राज्य स्तरीय तीन पुरूस्कार में प्रथम पुरूस्कार रूपये 30000/- मय प्रशस्ति पत्र के, द्वितीय पुरूस्कार रूपये 20000/- मय प्रशस्ति पत्र के, तृतीय पुरूस्कार रूपये 10000/- मय प्रशस्ति पत्र के, प्रदान किया जायेगा। संभाग के तीन पुरूस्कार में प्रथम पुरूस्कार रूपये 6000/- मय प्रशस्ति पत्र के, द्वितीय पुरूस्कार रूपये 4000/- मय प्रशस्ति पत्र के, तृतीय पुरूस्कार रूपये 2000/- मय प्रशस्ति पत्र के, प्रदान किया जायेगा। आवेदन करने वाले उपभोक्ता संगठनों का समिति पंजीकरण अधिनियम 1960 या ऐसे किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है। संगठन उपभोक्ता संरक्षण से सबंधित गतिविधियों में पिछले तीन वर्षो से सक्रिय रूप से जुडे होना चाहिए। साथ ही ऐसे संगठन गैर राजनैतिक और गैर मालिकाना हक के प्रबंध के अंतर्गत संचालित होना चाहिए। राज्य स्तरीय पुरूस्कार हेतु आवेदक व्यक्ति/संस्थाए अपने आवेदन 06 फरवरी 2015 तक अपने जिले के कलेक्टर कार्यालय में आवेदन करें राज्य स्तरीय पुरूस्कार के लिए कलेक्टर अपनी अनुशंसा सहित 15 फरवरी 2015 तक आयुक्त खाद्य को आवेदन अग्रेषित करेगे। संभागीय पुरूस्कार हेतु कलेक्टर अनुशंसा सहित संबधित आयुक्त को भेजेगे। राज्य स्तरीय पुरूस्कार के लिये इच्छुक संस्थाए/व्यक्ति आवेदन की अग्रिम प्रति सीधे खाद्य संचालनालय को प्रस्तुत कर सकते है। विलंब से प्राप्त आवेदन स्वीकार नही किये जावेगें।

अवैध शराब जप्त आरोपी गिरफ्तार 
     
झाबूआ---थाना थांदला पुलिस द्वारा आरोपी संजय पिता याकुब वसुनिया, उम्र 27 वर्ष, निवासी धामनी के कब्जे से 12 बीयर, 53 क्वार्टर प्लेन शराब, कीमती 2,700/-रू0 की जप्त की गई। प्रकरण में थाना थांदला में अपराध क्रमांक 33/2015, धारा 34-ए आबकारी एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

अपहरण का अपराध पंजीबद्ध 
          
झाबूआ--- फरियादी मेहताब पिता नानसिंह मेडा, उम्र 45 वर्ष निवासी कालापीपल ने बताया कि उसकी लडकी कपडे सिलवाने झाबुआ आई थी। आरोपी टेटिया पिता केसरा सिंगाडि़या निवासी आम्बाखोदरा बहला-फुसला कर उसे अपनी पत्नी बनाने के लिये भगाकर ले गया। प्र्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 78/15, धारा 363 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

काला धन mआमले में 60 लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है

$
0
0
 जिनेवा के एचएसबीसी बैंक में भारत के करीब 60 कालाधन खाताधारकों और कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस कार्रवाई के दौरान सरकार इन लोगों के नामों का खुलासा भी कर सकती है।

आपको बता दें कि जिन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है, उनमें कुछ कॉर्पोरेट, कारोबारी घराने और अन्य लोग शामिल हैं। इस दिशा में आयकर विभाग ने अपनी जांच पूरी कर ली है। एसआईटी के निर्देशों पर इन लोगों के खिलाफ अभियोजन के लिए शिकायतें दाखिल की हैं। इन खातों में 1500 से 1600 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इन मामलों में 31 मार्च तक की सीमा है, जिसके बाद इनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि ये मामले 2008-09 की अवधि से संबंधित हैं।

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एमबी शाह की अगुवाई वाली एसआईटी ने दिसंबर, 2014 में सरकार और सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एचएसबीसी की जिनेवा शाखा की लिस्ट में से काला धन रखने वाले खाताधारकों के नामों को जल्द बताया जाएगा। इससे पहले स्विटजरलैंड ने कहा है कि वह भारत के साथ तेजी से सहयोग कर रहा है। याद रहे कि स्विटजरलैंड ने पहले भारतीयों के स्विस बैंक खातों के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया था।

बिहार : दिल चाहता है इक छोटी-सी छत सर ऊपर

$
0
0
  • केन्द्र और राज्य सरकार भी आवासीय सुविधा उपलब्ध कराती
  • जन संगठनों के दबाव पर घर का अधिकार देने पर चर्चा जोरों पर

bihar news
पटना। दिल चाहता है इक छोटी-सी छत सर ऊपर हो। इसको लेकर गरीबों को केन्द्र और राज्य सरकार भी आवासीय सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रत्यन्नशाील हैं। कल्याणकारी सरकार के पीछे जन संगठन भी दबाव देने लगे है कि लोगों को घर का अधिकार कानून प्रदान कर दें। इस पर जोरदार चर्चा जारी है। 

बहरहाल, करीब 7 दशक से 34 परिवार संत माइकल उच्च विघालय और बाढ़ सुरक्षा तटबंध के बीच में रहते हैं। यहां के लोग आजीवन तिनका जोड़-जोड़कर घर बनाए। अंत में सड़क चैड़ीकरण और गेट खोलने के नाम पर मकान को तोड़ दिया गया। संत माइकल उच्च विघालय ने पटना उच्च न्यायालय में मामला दायर कर रखा था। इसके आलोक में माननीय पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर लोकल प्रशासन ने आशियाना को ढाह दिया। कुछ परिवार मकान के मलवे में ही रहने को बाध्य हैं। आखिर कब नौकरशाह विस्थापन के पूर्व पुनर्वास की व्यवस्था कर देने वाले कल्याणकारी सरकार के प्रावधानों को लागू करेंगे? ऐसा नहीं करने के कारण प्रभावित दरदर की ठोकर खाने को बाध्य हैं। 

bihar news
करीब 7 दशक से रहते हैं दलितः यहां पर अधिकांश दलित पासवान जाति के लोग रहते हैं। आरंभ में झुग्गी-झोपड़ी में रहते थे। जो संत माइकल उच्च विघालय और सुरक्षा तटबंध की दीवार से नीची ही रहती थी। जब गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर करने वालों को इंदिरा आवास योजना से मकान निर्माण करवाने के लिए राशि मिली। तब वह मकान संत माइकल उच्च विघालय और सुरक्षा तटबंध की दीवार से ऊपर  बना दिए। इसके कारण विघालय के स्वरूप कुरूप होने लगा। हद तो उस समय हो गया कि किसी ने विज्ञापन के होल्डिंग ही लगा दिए। इस बाबत दबाव डालने पर होल्डिंग को उतारा गया। 

इंदिरा आवास योजना के तहत मिली राशिः 45 हजार रू. इंदिरा आवास योजना में मिले। इसमें अपने स्तर से और अधिक राशि लगाकर मकान बनाया गया। पटना-दानापुर मुख्यमार्ग के बालूपर मोहल्ला के सामने लिट्टी बेचने वाली ने महाजन से 5 रू.सैकड़ा व्याज पर 70 हजार रू. लेकर मकान बनाया। इसी तरह कुर्जी पुल के समीप मछली बेचने वाले ने 70 हजार रू.में मकान खरीद किया था। अभी साल भी पूरा नहीं हुआ था। जो जेसीबी के मुंह में समा गया। डेढ़ लाख रू.लगाकर सुनील पंडित ने मकान बनाया था। 

अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय की लीना लियो भी रहती थींः परिवार में सदस्यों की संख्या बढ़ जाने के कारण लीना लियो के पति सुनील पंडित ने द्वितीय तल्ला मकान बना रखा था। बड़ी निर्दयता से जेसीबी से ढाह दिया गया। इस समय काफी मुश्किन से जीवन बिता रहे हैं। मकान तोड़ते समय लीना लियो गाल पर हाथ रखकर टूटते मकान को निहारते रही । उसी तरह सुनील पंडित भी कर रहा था। कोई इधर तो कोई उधर बैठकर विलाप करते रहे। जिला प्रशासन से जमीन देने की मांग कर रहे थे। अभी यह हाल है कि कुछ पाने की उम्मीद में किसी के बुलावा पर चले जा रहे हैं। वहां से निराश होकर लौट रहे हैं। 

संत माइकल हाई स्कूल के प्राचार्य पर आरोपः यहां के लोगों ने संत माइकल उच्च विघालय के प्राचार्य पर आरोप लगाया है कि उन्होंने ही मकान तोड़वाने में अहम भूमिका अदा किए हैं। संत माइकल स्कूल से आॅफर आया था कि अगर आपलोग ईसाई धर्म स्वीकार कर लेते हैं तो मकान नहीं तोड़ा जाएगा। इसे नहीं स्वीकार करने के कारण मकान तोड़वा दिया गया। इस बाबत लोगों ने बैनर पर ईसाई बनो और घर बचाओं का नारा भी अंकित किए थे। प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया ने ईसाई बनो घर बचाओं को प्रमुखता से उठाया। यहां के लोगों ने बाद में यह कहकर बैनर उतार लिया कि साम्प्रदायिक दंगा भड़क सकता है?ऐसा बैनर न लगाकर मांगों से लिखित बैनर लगाना चाहिए था। 

अपने आगे अतिक्रमण करने नहीं देते मिशनरी?ः अपने आलिशान स्कूल, काॅलेज, हाॅस्पिटल, निकेतन आदि के सामने अतिक्रमण लगाने नहीं देना चाहते हैं मिशनरी। पर्यावरण संस्था तरूमित्र के सहयोग से मिशनरी बगान लगाना शुरू कर देते हैं। पहले बोरिंग रोड में शुरू किए। धीरे-धीरे मिशनरी संस्थाओं के सामने बगान बनाने लगे। ऐसा करने से अतिक्रमण नहीं लगता था। इसमें नौकरशाह भी सहयोग देते थे। यहां के लोगों का कहना है कि संत माइकल उच्च विघालय ने मुख्यमार्ग का अतिक्रमण किया था। जब जिला प्रशासन ने सड़क चैड़ीकरण करने के नाम पर अतिक्रमित जमीन को मुक्त करा दिया। यहां पर बच्चे खेलते थे। अतिक्रमण हटते ही दीवार खड़ी करके द्वार खोल दिए। अब यहां पर स्कूल भवन बना दिया गया है। दीघा क्षेत्र के बच्चे नहीं खेल पाते हैं। दीघा के लोगों का कहना है कि संत माइकल स्कूल भी सरकारी जमीन अतिक्रमण किए हैं। इस बाबत पटना उच्च न्यायालय में मामला दर्ज दायर किया गया है। वहां पर न्यायाधीशों से आग्रह किय गया है कि आपलोगों ने गरीबों का घर ढाह देने का आदेश निर्गत किया है। अब आप सरकारी जमीन अतिक्रमण करने वालों की भी जमीन खाली करवाने का आदेश निर्गत कर दें।




आलोक कुमार
बिहार 

विशेष आलेख : मुलायम सिंह की नजर में कौन मंत्री हैं दागी

$
0
0
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव एक बार फिर अपने बेटे के लिए धर्मसंकट का कारण बनते नजर आए। गाहे-बगाहे प्रदेश सरकार के नाकारा और अपना घर भरने वाले मंत्रियों के खिलाफ बमकना उनका शगल बन चुका है। बुधवार को मुलायम सिंह यादव ने फिर कहा कि कार्यकर्ताओं का भरोसा खो चुके मंत्रियों को अगर नहीं हटाया जाता तो पार्टी को अगले विधान सभा चुनाव में मुश्किल हो जाएगी। एक तरफ उन्होंने आभास दिया कि सरकार की स्वच्छ छवि का महत्व उन्होंने स्वीकार कर लिया है। दूसरी ओर उन्होंने खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति का जिक्र आने पर उनका पूरी तरह बचाव करने में भी कोई संकोच नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रजापति के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई सबूत नहीं हैं जबकि लोकायुक्त की जांच जिन साक्ष्यों के आधार पर आगे बढ़ी है उनको देखते हुए बच्चा-बच्चा जान गया है कि बीपीएल रहे प्रजापति किस तरह रातोंरात करोड़ों की दौलत के मालिक बन गए हैं। फिर सरकार के चेहरे को स्वच्छ बनाने के लिए उन्हें किन मंत्रियों की दरकार है। यह एक पहेली बन गया है।

मनुष्य का भाग्य और त्रिया का चरित्र विधाता भी नहीं जानता। यह एक पुरानी कहावत है लेकिन नई कहावत यह है कि पिता क्या चाहते हैं पुत्र भी यह नहीं जानता। पहले भी मुलायम सिंह सार्वजनिक रूप से अखिलेश को अपने बदनाम मंत्रियों को हटाने की चेतावनी दे चुके हैं। मुलायम सिंह के सरकार को मुश्किल में डालने वाले बयानों पर जब अखिलेश से पूछा गया था तो उन्होंने बहुत ही विषाद भरे अंदाज में जवाब दिया था कि वे समझ नहीं पाते कि नेता जी कब पार्टी के अध्यक्ष हो जाते हैं और कब पिता बन जाते हैं। मुलायम सिंह एक ओर मुख्यमंत्री पर दागी मंत्रियों को दंडित करने के मामले में कमजोरी बरतने की तोहमत लगाते हैं तो दूसरी ओर यह भी कहते हैं कि लोक सभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ऐसे मंत्रियों को उन्होंने खुद बचाया जो कि उनकी बहुत बड़ी गलती थी। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस समय सिर्फ अपना घर भरने की चिंता करने वाले मंत्रियों से कार्यकर्ताओं की नाखुशी का जिक्र वे कर रहे थे उस समय उन्होंने अपनी बात के समर्थन में नारद राय और मनोज पांडेय से हामी भरवाई। यहां भी विरोधाभास है। इन्हीं मनोज पांडेय पर मुलायम सिंह इस बात के लिए खफा थे कि लोक सभा चुनाव में उन्हें तरजीह देकर हैलीकाप्टर क्यों मुहैया कराया गया जबकि वे पार्टी को कोई लाभ नहीं पहुंचा सके। इसी नाराजगी की वजह से मनोज पांडेय के विभाग में फेरबदल किया गया था। अब उन्होंने जाहिर किया है कि गायत्री प्रजापति ही नहीं मनोज पांडेय भी उन मंत्रियों में नहीं हैं जो उनके निशाने पर हैं।

आश्चर्य की बात यह है कि जिस समय मुलायम सिंह यह बयान दे रहे थे उस समय उनके चचाजाद भाई और पार्टी में नंबर टू रामगोपाल यादव संकेत दे रहे थे कि गायत्री प्रजापति से जल्द ही छुटकारा पा लिया जाएगा। समाजवादी पार्टी एक घरेलू कंपनी में बदल गई है और राज्य सरकार का संचालन भी खानदानी रियासत की तरह हो रहा है। जिस तरह से रियासतों में पारिवारिक कलह के चलते सत्ता के केेंद्र बदलते रहते हैं। उसी तरह सपा मुखिया के परिवार में भी वर्चस्व के केेंद्र में बदलाव होता रहता है। सपा मुखिया के सगे भाई शिवपाल सिंह यादव और चचाजाद भाई रामगोपाल यादव के बीच पुरानी अदावत है। 2004 में जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे पुलिस अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में दोनों के बीच संबंध इतने तल्ख हो गए थे कि सैफई महोत्सव के समय सार्वजनिक रूप से यह देखा गया था कि शिवपाल से नाराज होने की वजह से ही मंच से पुकारे जाने के बावजूद रामगोपाल यादव ने महोत्सव के संचालन के लिए राजी होना तो दूर मंच तक पर पहुंचना गंवारा नहीं किया था।

इस बीच अघोषित रूप से यह तय हो गया था कि राष्ट्रीय राजनीति में सपा मुखिया का प्रतिनिधित्व रामगोपाल यादव करेंगे और प्रदेश की राजनीति में यह जिम्मा शिवपाल सिंह के हवाले रहेगा। इसके बावजूद शिवपाल सिंह ने अतिक्रमण करके राष्ट्रीय राजनीति में भी पार्टी की ओर से दखल शुरू कर दिया। राष्ट्रीय गठबंधन के लिए हो रही तमाम पहल में रामगोपाल की जगह वे नजर आए। पार्टी के आइडियोलाग के रूप में मान्यता पाने के लिए आचार्य नरेंद्र देव और लोहिया जी की जयंती पर बड़े-बड़े अखबारों में संपादकीय पृष्ठ पर उनके अग्रलेख प्रकाशित होने लगे। मुलायम सिंह यादव ने भी कई मौकों पर शिवपाल सिंह के पुरुषार्थ को सराहा और संकेत दिया कि वे राष्ट्रीय राजनीति में भी शिवपाल सिंह को अब बड़ी भूमिका देने के इच्छुक हैं लेकिन अंततोगत्वा मुलायम सिंह अपने सामने अपने परिवार में विघटन न होने देने के लिए भी कृत संकल्पित नजर आते हैं। इस कारण वे रामगोपाल को हाशिए पर फेेंकने से बाज आने को मजबूर हो गए। हाल में रामगोपाल का दबदबा राष्ट्रीय राजनीति में भी बढ़ा है और ऐसा लगता है कि प्रदेश में भी उनके दखल को अखिलेश ज्यादा मान्यता दे रहे हैं। इस द्वंद्व के बीच मुलायम सिंह के मन में अपने सगे अनुज के प्रति जब मोह जगता है तो लगता है उनसे मिले फीडबैक को महत्व देते हुए वे अपने बेटे की सरकार के कतिपय अनाम मंत्रियों के खिलाफ गुबार निकालना शुरू कर देते हैं इसीलिए मुलायम सिंह के ताजा भाषण के बाद अब इस बात की छानबीन शुरू हो गई है कि वे मंत्री कौन हैं जो रामगोपाल यादव की ज्यादा चेलागीरी करने की वजह से शिवपाल की नजरों में खटक गए हैं। क्या उन मंत्रियों को सपा मुखिया का कोपभाजन बनकर अपनी बलि चढ़वानी पड़ेगी या फिर जिस दिन मुलायम सिंह और रामगोपाल यादव की अंतरंग बैठक हो जाएगी उस दिन उनके भाव फिर बदल जाएंगे और वे ही उन मंत्रियों को बख्शने के लिए मुख्यमंत्री से कहेंगे जिन्हें हटाने का इशारा अभी वे दे रहे हैं। चर्चा इस बात की है कि डीजीपी के रूप में एएल बनर्जी के सेवानिवृत्त होने के बाद उनके उत्तराधिकारी की तलाश में भी शिवपाल और रामगोपाल की अलग-अलग पसंद की वजह से बड़ी खींचतान हुई। इसी कारण कुछ महीनों के पुलिस महानिदेशकों की नियुक्ति करके घरेलू संघर्ष विराम का माहौल पैदा किया गया है। चर्चा यह है कि अखिलेश यादव प्रो. रामगोपाल पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं जिन्होंने गत विधान सभा चुनाव के पहले ही अखिलेश को मोहन सिंह के बयान के प्रसंग में उक्त दिग्गज समाजवादी नेता के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करके अपना मुरीद बना लिया था।

मुलायम सिंह के बयानों के पीछे उनकी घरेलू उठापटक की प्रतिच्छाया होने की बात पता चलना उनके मोहभंग का कारण होगा जो सपा मुखिया के बयानों से भ्रमित होकर यह मान बैठते हैं कि उन्होंने मोदी से मुकाबला होने की वजह से शायद अब राजनीति करने की अपनी पुरानी कार्यशैली बदलकर लोकलाज के मानकों के अनुरूप पार्टी और सरकार को संचालित कराने की मानसिकता बना ली है। मोदी के लगभग अपराजेय और अलंघ्य बन जाने के इस दौर में दिल्ली विधान सभा चुनाव में केजरीवाल ने जिस तरह से उनकी चूलें हिलाई हैं उससे अन्य राजनीतिज्ञ सबक ले रहे हैं। उन्हें लगता है कि अब जनता गुड गर्वनेंस और स्वच्छ छवि के प्रति बेहद संवेदनशील हो गई है जिसके कारण कानून के राज का सम्मान न करने पर बहुत जोखिम है। पर मुलायम सिंह के मामले में अभी भी यह बात अपवाद ही है क्योंकि कुछ भी हो जाए वे अपना मौलिक चरित्र नहीं बदल सकते। इसके पहले भी कई बार सत्ता गंवाकर उन्हें दुर्दिनों का सामना करना पड़ा लेकिन अंततोगत्वा उन्होंने वीरभोग्या वसुंधरा के अपने विश्वास में कभी परिवर्तन नहीं किया क्योंकि इसी विश्वास से प्रेरित होकर काम करने की वजह से वे अलोकप्रिय होते हैं और यही विश्वास उनकी गाड़ी को फिर पटरी पर चढ़ाने का कारण बनता है।






mulayam-and-uttar-pradesh

के पी सिंह
ओरई 
Viewing all 74226 articles
Browse latest View live




Latest Images