Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74188 articles
Browse latest View live

भारत-श्रीलंका के बीच असैन्य परमाणु समझौता

$
0
0
अपने संबंधों को नए स्तर तक ले जाते हुए भारत और श्रीलंका ने सोमवार को एक असैन्य परमाणु समझौते पर दस्तखत किए और रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए। मैत्रीपाला सिरीसेना के बीच हुई वार्ता के बाद इसकी घोषणा की गई। वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने एक रचनात्मक एवं मानवीय रूख अपनाकर मछुआरों से जुड़े संवेदनशील मुद्दे का समाधान तलाशने को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की।

सिरीसेना के साथ एक संयुक्त प्रेस सम्मेलन में मोदी ने कहा, ‘असैन्य परमाणु सहयोग पर द्विपक्षीय समझौता हमारे आपसी विश्वास की एक और अभिव्यक्ति है। श्रीलंका द्वारा हस्ताक्षरित यह पहला इस तरह का समझौता है। इससे कृषि एवं स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों सहित अन्य मामलों में भी सहयोग के नए रास्ते खुलते हैं।’ शनिवार को यहां पहुंचे सिरीसेना ने श्रीलंका का राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना। उन्होंने हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में महिंदा राजपक्षे को मात दी थी। राजपक्षे पिछले 10 साल से श्रीलंका के राष्ट्रपति पद पर आसीन थे।

परमाणु समझौते के तहत ज्ञान एवं विशेषज्ञता के अंतरण एवं आदान-प्रदान, संसाधन साझा करने, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल में कर्मियों के क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण जैसे सहयोग किए जाएंगे। रेडियोधर्मी कचरा प्रबंधन और परमाणु एवं रेडियोधर्मी आपदा राहत तथा पर्यावरण संरक्षण में भी सहयोग किया जाएगा।

दोनों देशों ने तीन अन्य समझौतों पर भी दस्तखत किए जिसमें कृषि के क्षेत्र में सहयोग शामिल है। एक और समझौते पर दस्तखत हुए जिसके तहत श्रीलंका नालंदा विश्वविद्यालय परियोजना में हिस्सा ले सकेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह और श्रीलंकाई नेता इस बात पर भी सहमत हुए कि रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाया जाए।

उन्होंने कहा, ‘हमने अपने समुद्री सुरक्षा सहयोग, जिसमें मालदीव के साथ त्रिपक्षीय स्वरूप भी शामिल है, में प्रगति का भी स्वागत किया।’ मोदी ने कहा कि उनका मानना है कि दोनों देशों का भाग्य ‘एक-दूसरे से जुड़ा’2 है और ‘हमारी सुरक्षा एवं समृद्धि को बांटा नहीं जा सकता।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर ‘अच्छी चर्चा’ हुई। उन्होंने कहा कि भारत इस बात से सम्मानित महसूस कर रहा है कि सिरीसेना ने पदभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना। मछुआरों के मुद्दे पर मोदी ने कहा कि उन्होंने और सिरीसेना ने इसे ‘सर्वोच्च महत्व’ दिया।

उन्होंने कहा, ‘यह दोनों पक्षों के लोगों की आजीविका को प्रभावित करता है। हम इस बात पर सहमत हुए कि इस मुद्दे पर एक रचनात्मक एवं मानवीय रवैया अपनाया जाना चाहिए।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम दोनों पक्षों के मछुआरों के संघों को जल्द मिलने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। उन्हें एक ऐसा समाधान निकालना चाहिए जिसे दोनों सरकारें आगे बढ़ा सके।’






सस्ती बिजली को लेकर सियासत

$
0
0
दिल्ली में सस्ती बिजली के आम आदमी पार्टी के वादे पर पीएम के बयान के बाद सियासत शुरू हो गई है। रविवार को प्रधानमंत्री ने कहा था कि जिन राज्यों के पास बिजली नहीं है वो जनता को मुफ्त बिजली देने का वादा करते हैं। पीएम के इस बयान पर आम आदमी पार्टी ने उनसे दिल्ली को सस्ती बिजली मुहैया कराने की अपील की थी। लेकिन पीएम के इस बयान पर कांग्रेस हमलावर अंदाज में सामने आई है। पार्टी के नेता मनीष तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री पंजाब की अकाली-बीजेपी सरकार के किसानों को फ्री बिजली के वादे पर क्यों खामोश हैं?

सस्ती बिजली का ये वादा दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत की बड़ी वजह बना। अब सबकी नजर इस पर है कि आखिर केजरीवाल दिल्ली को आधे दाम पर बिजली कैसे दिलाएंगे। बिजली पैदा करने में बेहिसाब खर्च होता है और सस्ती बिजली का बोझ खजाने पर पड़ता है। इसी के मद्देनजर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुटकी लेते हुए लोगों को इस परेशानी से आगाह किया।

प्रधानमंत्री ने गुजरात का हवाला देते हुए याद दिलाया कि बतौर मुख्यमंत्री उन्होने बिजली की कीमत बढ़ाई थी। तत्काल तो इसकी आलोचना हुई, लेकिन बाद में इसका फायदा हुआ। पीएम के इस बयान पर आम आदमी पार्टी ने तो सहयोग की अपील कर खामोश हो गई। लेकिन अब कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाते हुए पीएम पर हमला किया। मनीष तिवारी ने पूछा कि पंजाब में अकाली-बीजेपी की सरकार किसानों को मुफ्त बिजली दे रही है उस पर वो क्या कहेंगे?

जाहिर है नेता सियासत का मौका क्यों चूकेंगे भला, लेकिन दिल्ली में सस्ती बिजली सचमुच एक बड़ा मुद्दा है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सब्सिडी के जरिए बिजली दरें कम करने का भरोसा दिया है। जानकारों के मुताबिक इससे सरकारी खजाने पर सालाना 1600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। सवाल है कि आम आदमी पार्टी खजाने पर पड़ने वाले इस बोझ की भरपाई कैसे करेगी।  

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (17 फ़रवरी)

$
0
0
150 फिट गहरी खाई मे गिरी बस, 12 की मोत 40 घायल

jhabua news
पारा--धार-झाबूआ की सीमा से लगे सरदारपूर थाने के आंर्तगत आने वाले माछलीया घाट पर इन्दोर से राजस्थान के गलीयाकोट जा रही अनूबंधीत निजि यात्री बस अनियत्रीत होकर माछलीया घाट मे करिब 150 फिट गहरी खाई जा गीरी जिससे घटना स्थल पर ही 12 यात्रीयो की मोत होगई व करिब 40 यात्री घायल होगए मृमको व घायलो थांदला व मेघनगर क्षेत्र के ज्यादा तर नागरीक हे।घटना रात्री करिब नो बजे के आस पास की हे मोके पर धार व झाबुआ के एसपी व कलेक्टर दोने तत्काल पहुचे व खाई मे उतर कर अपनी निगरानी मे बचाव कार्य शुरू करवाया। झाबुआ की मेडीकल की टीमो ने पहुच कर विषम परिस्थितीयो मे मृतको व घायलो को निकाल कर चिकित्सालय भिजवाया।ड्रायवर शमीम ने बताया की बस मे करिब 70 सवारीया थी देर रात मुख्यमंत्री शिवराज सिह चोहान ने घटना पर गहरा दुख जताते मृतको को 1 लाख रूप्ए व घायलो को 50हजार रूप्ए आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। 

आलेख : राजनीति में 'जीतनराम' ......!!​

$
0
0
manjhi-and-bihar
अपने  माही यानी टीम इंडिया के कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी का जब भारतीय टीम में चयन हुआ तो अरसे तक मीडिया उन्हें धोनी - धोनी कहता रहा। आखिरकार उन्हें खुद ही सामने आकर कहना पड़ा कि वे धोनी नहीं बल्कि धौनी हैं। इसी तरह 2104 लोकसभा चुनाव के बाद बिहार की राजनीति में अचानक जिस तरह से मुख्यमंत्री के तौर पर जीतनराम मांझी का अवतरण हुआ तो शुरू में मुझे लगा कि नाम में कहीं कुछ गलती हो रही है। उनका असली नाम शायद जीतराम है । उन्हें गलती से जीतनराम कहा जा रहा है। लेकिन बाद में पता चला कि जीतनराम ही सही है। चुनाव में अपनी पार्टी की शोचनीय पराजय की जिम्मेदारी लेते हुए जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और जीतनराम को अपनी कुर्सी पर बिठाया तो मुझे अचरज हुआ कि आखिर इसके लिए उन्हें जीतनराम ही उपयुक्त क्यों लगे। 

अाज नीतीश कह रहे हैं कि जीतनराम को मुख्यमंत्री बना कर उन्होंने गलती की। लेकिन देखा जाए तो भारतीय राजनीति में यह अनुभव काफी पुराना है। अपनी विरासत सौंपने को लेकर प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री यहां तक कि ग्राम - प्रधान से लेकर पंचायत प्रधान तक अतीत में इस प्रकार के कसैले अनुभव से दो - चार हो चुके हैं। 90 के दशक में शरद पवार ने अपनी जगह सुधाकर राव नाइक को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनवा कर कुछ एेसा ही कड़वा स्वाद चखा था। जानकार तो बताते हैं कि खुद शरद पवार ने अतीत में अपने राजनैतिक गुरू के साथ कुछ एेसा ही सलूक किया था। इसी दौर में पूर्व प्रधानमंत्री  नरसिंह राव ने सीताराम केसरी को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवा कर उनसे जीतनराम जैसी परिस्थितयां झेली थी। शीर्ष स्तर पर ही  नहीं गांव - कस्बों तक में तपे - तपाए नेताओं को जीतनराम जैसी परिस्थितयां सपने में भी डराती है। मुझे याद है 1995 में पंचायत और नगरपालिका चुनावों में आरक्षण की शुरूआत हुई। तब कई दिग्गजों को मन मार कर अपने चुनाव क्षेत्रों के लिए आरक्षण के लिहाज से उम्मीदवार ढूंढने पड़े। अपने अनुभव के बल पर नौसिखिए उम्मीदवारों की जीत भी सुनिश्चित कर दी। लेकिन जल्द ही वे अपने बाल नोंचने लगे। जिस उम्मीदवार को चुन कर चुनाव में खड़ा कराया और अपनी जिम्मेदारी पर जनता से वोट देने की अपील की। उन्हीं के सामने कान पकड़ कर इसे अपने जीवन की बड़ी भूल बताने लगे। इसके बावजूद बहुत कम अपनी पुरानी जगह पहुंच सके। ज्यादातर के लिए उनकी तलाश भस्मासुर ही साबित हुए। 

नगरपालिका राजनीति के एक दिग्गज का चुनाव क्षेत्र अनुसूचित जनजाति उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित हो गया। पार्टी के दबाव पर मन मार कर उन्होंने एक उम्मीदवार की तलाश की। जैसे - तैसे उसे जीता भी दिया। लेकिन जल्द ही मारे तनाव के  नेताजी सुगर - ब्लडप्रेशर दोनों के मरीज बन गए। कुरेदने पर बिफरते हुए नेताजी शुरू हो गए। अपनी तलाश को जीवन की भयंकर भूल बताते हुए  कहने लगे कि जनता उन्हें जानती है। जिनसे कह कर जिसे निर्वाचित करवाया, आज वही जनता उन्हें गालियां दे रही है। वजह जानने की कोशिश करने पर नेताजी ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि कमबख्त न कुछ समझता है न समझने की कोशिश करता है। तूफान पीड़ितों के मुआवजे की सूची बनी तो उसने उस पर हस्ताक्षर करने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि लाभार्थियों में उसके परिवार के सदस्यों को क्यों न शामिल किया जाए। जिद के आगे झुकते हुए सभासद की पतोहू का नाम लाभार्थियों में शामिल किया गया। पार्टी की सलाह को दरकिनार करते हुए सभासद पतोहू के साथ लाभ में  मिला समान रिक्शे पर लाद  कर घर पहुंचे। यह दृश्य देख उन्हें चुनाव जितवाने वाले तपे - तपाए नेता का ब्लड प्रेशर कई दिनों तक चढ़ा रहा। 

अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित एक अन्य चुनाव क्षेत्र के नेताजी का अनुभव तो और भी कड़वा रहा। अपनी आपबीती सुनाते हुए नेताजी ने कहा कि योग्य बता कर जिस नासमझ को निर्वाचित करवाया। उसकी कारस्तानी ने मुझे असमय ही दिल की मरीज बना दिया। क्योंकि वह अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझता था। जनता के उलाहने पर वह लोगों पर ही बरस पड़ता और उलटे सवाल करता कि क्या मैने आप लोगों से वोट मांगे थे। मैं तो इस पचड़े में पड़ना ही नहीं चाहता था। आप लोगों ने ही मुझे दबाव कर चुनाव लड़वाया। अब भुगतो। इस परिस्थिति में उसे क्षेत्र के परंपरागत उम्मीदवार पूरे पांच साल तक बेहद तनावग्रस्त रहे औऱ क्षेत्र के सामान्य श्रेणी में शामिल होने के बाद ही उनका उनसे पीछा छूटा। इसे देखते हुए मुझे राजनेताओं से सहानुभूति होने लगी है और समझ में आने लगा कि राजनीति में परिवारवाद इतना हावी क्यों है। 





तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल) 
संपर्कः 09434453934 

विशेष आलेख : लक्ष्मी चाहिये, बेटी क्यों नहीं ?

$
0
0
save girl child
‘‘मैं आप के पास बेटी की जि़न्दगी की भीख मांगने आया हूं’’ पानीपत में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के यह भावुक शब्द वास्तव में भारत में बेटी के प्रति हमारे समाज की संकीर्ण सोच को उजागर करते हैं। हमने आधुनिक परिधान और रहन-सहन तो अपना लिया परंतु मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया है। आज भी अधिकांश परिवारों में बेटा और बेटी में भेदभाव किया जाता है और यह भेदभाव संभ्रात और उच्च शिक्षित घरों में देखने को मिलता रहा है। इसका प्रमाण ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में कन्या भ्रूण हत्या की खबरों की अधिकता है। 21 वीं सदी के इस दौर में आज भी कुछ परिवारों में लड़कों के मुकाबले लड़कियों के साथ दोहरा बर्ताव किया जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि हमनें लड़कियो को कभी भी लड़कों की बराबर समझा ही नहीं। लड़का स्कूल जाता है, पर लड़की नहीं। कुछ परिवारों में लड़के को मां अपने पास बैठाकर खाना खिलाती है जबकि लड़की को नहीं। लड़के को बाहर जाने की पूरी आजादी होती है जबकि लड़की को नहीं। लड़के को माता-पिता बुढ़ापे की लाठी समझते हैं जबकि लड़की को नहीं। इसके विपरीत लड़की को परिवार वाले बोझ समझते कि जब यह बड़ी होगी तो इसकी षादी में दहेज देना पड़ेगा। परिवार के लोगों की इसी मानसिकता के चलते लड़कियों के साथ भेदभाव की कहानी पारिवारिक स्तर से ही षुरू हो जाती है। लड़के की इच्छा  में लोग भगवान से दुआ करते हैं, व्रत रखते हैं जबकि लड़कियों को मां के गर्भ में जन्म लेने से पहले ही खत्म कर दिया जाता है। 

राज्य सरकारों, केंद्र सरकार, तमाम सरकारी व गैर सरकारी संगठनों के लाख प्रयासों के बावजूद कन्या भ्रूण-हत्या के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। दुर्भाग्य से संपन्न तबके में यह कुरीति ज्यादा है। गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 के अन्तर्गत, गर्भाधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्म से पहले कन्या भ्रूण-हत्या के लिए लिंग परीक्षण करना, इसके लिए सहयोग देना व विज्ञापन करना कानूनी अपराध है, जिसमें 3 से 5 वर्ष तक की जेल व 10 हजार से 1 लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है। इस कानून के तहत लिंग जांच करवाने वाले व करने वाले दोनों ही दोशी होते हैं। कानून के अनुसार लिंग जांच करने वाले चिकित्सक का पंजीयन हमेषा के लिए रद्द हो सकता है। बावजूद कन्या भ्रूण-हत्या के मामलों में लगातार इजाफा होता जा रहा है। कन्या भ्रूण-हत्या के बढ़ते मामलों की वजह से स्त्री-पुरूश लिंगानुपात में कमी हो रही है और यह समाज के लिए एक बड़ा खतरा बनती जा रही है। 1000 पुरूशों पर महिलाओं की संख्या को लिंगानुपात कहते हैं। रेत की नगरी कहे जाने वाले राजस्थान में भी इस समस्या ने एक विकराल रूप लिया हुआ है। राजस्थान के बीकानेर, जोधपुर, जयपुर, श्रीगंगाधर डूंगरपुर, झालावाड़, बासवाड़ा, बाड़मेर और उदयपुर जि़ले में स्त्री-पुरूश अनुपात लगातार घटता जा रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार  राश्ट्रीय स्तर पर जहां एक हजार पुरूशों के मुकाबले 940 महिलाएं हैं वहीं राजस्थान में यह संख्या 928 है जबकि 2001 की जनगणना के अनुसार यह संख्या 922 थी। राजस्थान में स्त्री-पुरूश अनुपात राश्ट्रीय स्तर पर पुरूश स्त्री अनुमान से 12 कम है। इसका मुख्य कारण यह है कि गर्भावस्था के दौरान ही बहुत से लोग यह पता करने की कोषिष करते हैं कि मां जिस बच्चे को जन्म देने वाली है वह लड़का है या लड़की। अगर वह लड़की होती है तो दुनिया में आने से पहले ही मां के गर्भ में खत्म कर दिया जाता है। यही वजह है कि राजस्थान समेत दूसरे राज्यों में स्त्री-पुरूश अनुपात घट रहा है। 1981 में 0.6 साल के बच्चों लिंग अनुपात 962 था, जो 1991 में घटकर 945 हो गया और 2001 में यह 927 रह गया। इसका श्रेय मुख्य तौर पर देष के कुछ भागों में हुई कन्या भू्रण की हत्या को जाता है। सरकार ने 2011 व 12 तक बच्चों का लिंग अनुपात 935 और 2016-17 तक इसे बढ़ाकर 950 करने का लक्ष्य रखा है। 
            
भारतीय दंड संहिता की धारा 315 एवं 316 के अनुसार जन्म से पहले व जन्म के बाद कन्या षिषूू हत्या कानूनी अपराध है। लिंग चयन का मूल कारण पुरूष-प्रधान समाज में महिलाओं और लड़कियों की निम्न स्थिति है जो लड़कियों के साथ भेदभाव करता है। पुत्र को महत्व देने की संस्कृति के चलते लिंग निर्धारण के लिए अल्ट्रासाउंड तकनीक का प्रयोग किया जाता है, जिसके बाद प्रायः कन्या भ्रूण की हत्या कर दी जाती है। लिंग चयन दहेज प्रथा का समाधान नहीं है। दहेज प्रथा तब तक कायम रहेगी जब तक लोग बेटियों को भार समझते रहेंगे। इसके लिए महत्वपूर्ण यह है कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए समाज में महिलाओं को दोयम स्थिति से निकालकर बराबरी का दर्जा दिया जाए। लड़कियों को संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिले तो दहेज की मांग रूकने के साथ उन्हें बराबरी का दर्जा भी मिलेगा। इससे लोग बेटियों को बोझ नहीं समझेंगे जिससे कन्या भ्रूण हत्या पर भी लगाम लग सकेगी। 
           
वर्तमान में लड़कों के मुकाबले लकडि़यों की संख्या कम हुई है जिसकी वजह से असंतुलन होने के कारण समाज में लड़कियों के खिलाफ हिंसा पनपी है। आगे भी समाज में लड़कियों की असुरक्षा और उनके प्रति बर्बरतरा बढ़ेगी। समाज में हर स्तर पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़, अपहरण और बलात्कार की घटनाओं में लगातार इजाफा इस बात का प्रमाण है। अगर कन्या भ्रूण-हत्या का यह सिलसिला इसी रफ्तार से चलता रहा तो भविश्य में स्त्री-पुरूश का लिंगानुपात में और कमी आएगी। अगर ऐसा हुआ तो इसका प्रभाव हमारी आने वाली नस्लों को सदियों तक भुगतना पड़ेगा। खतरे की घंटी बज चुकी है, इससे पहले की खतरा सिर पर आ जाए हमें इसके लिए जरूरी कदम उठाने होंगे। सोनोग्राफी के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार की ओर से बहुत सारे कदम उठाए गए हैं। बावजूद इसके इस तकनीक का गलत इस्तेमाल आज भी जारी है। जो लोग समाज और इंसानियत के कातिल हैं और जिन लोगों ने लड़कियों के कत्ल को अपना पेषा बना लिया है, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। लोगों को भी चाहिए कि वह सब मिलकर अपने समाज में रोषनी की एक नई षमा जलाएं और समाज को रूढि़वादी सोच से निकालकर बुलंदी और रोषनी की ओर ले जाएं। हमें गंभीरता से सोचना होगा कि यदि हम घर में खुशियां चाहते हैं तो केवल लक्ष्मी की पूजा से यह संभव नहीं है। हमें बेटियों के जीवन और उसकी महत्ता को समझना होगा। वंश की चाहत में अंधे समाज को समझना होगा कि बेटी को जि़दगी दिये बिना बेटे के जन्म का सपना हक़ीक़त में नहीं बदल सकता। 






नियाज अहमद 
(चरखा फीचर्स)

महाशिवरात्रि पर विशेष: शिव और शक्ति का मिलन है महाशिवरात्रि

$
0
0
प्रदोष काल में स्फटिक शिवलिंग को शुद्ध गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान व धूप-दीप जलाकर ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्रः प्रचोदयात, मंत्र का जाप करने से समस्त बाधाओं का शमन होता है। महामृत्युंजय मंत्र ‘ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टीवर्धनम. उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योर मुक्षीय मामृतात.’ का जाप रुद्राक्ष की माला से करने से मिलता है सभी तरह के बीमरियों व अकाल मौतों होती है रक्षा 

kashi vishwanath
जब तपस्वीनी बनी पार्वती। तब तप से डोल उठी धरती। पर्वत पुत्री की भक्ति देखकर झूक गयी भोले की विरक्ति। खुल गयी भोले की झोली। बनने चले उमा के पति। तीनों लोक बने बाराती। हो गया शिव और शक्ति का मिलन। वो दिन कहलाएं महाशिवरात्रि। सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त की। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि भी कहा गया। इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से की गयी पूजा-अर्चना से होता है अद्भूत चमत्कार। भगवान भोलेनाथ शीघ्र हो जाते है प्रसन्न। खोल देते है भक्तों के किस्मत का द्वार। पूरी हो जाती है हर मनोकामना। शिव स्तिुति व उँ नमः शिवाय का ज पके साथ रात्रि जागरण करने से मिल जाता है हजार अश्वमेघ यज्ञ के समान फल। बेलपत्र का पत्ता-पत्ता बरसाता है खुशिया अपार। सभी भोगों के साथ हो जाता है मोक्ष की प्राप्ति और नास हो जाते है सभी पापों का क्षय करने वाले विघ्न। जी हां, इस बार यह महाशुभ दिन यानी महाशिवरात्रि 17 फरवरी को है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाला महाशिवरात्रि पर्व हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भगवान शिव के पूजन का सबसे बड़ा पर्व भी है। 

kashi vishwanath
वैसे तो हिन्दु ग्रंथों तथा मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को प्रत्येक माह की चतुर्दशी तिथि प्रिय है परन्तु सभी चतुर्दशी तिथियों में फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को अतिप्रिय है। सत्वगुण, रजोगुण तथा तमोगुण तीनों गुणों में से तमोगुण की अधिकता अन्य दिन की अपेक्षा रात्रि में अधिक है। इस कारण भगवान शिव ने अपने लिंग के प्रादुर्भाव के लिए फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की मध्यरात्रि को चुना। इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने तथा शिवपूजन, शिव कथा के साथ ही व्रत के दूसरे दिन ब्राह्माणों को यथाशक्ति वस्त्र-क्षीर सहित भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट करने का विधान हैं। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार इस सृष्टि से पहले सत और असत नहीं थे केवल भगवान शिव थे। तीनों लोकों की अपार सुंदरी तथा शीलवती गौरां को अर्धांगिनी बनाने वाले शिव प्रेतों और पिशाचों से घिरे रहते हैं। उनका रूप बड़ा अजीब है। शरीर पर मसानों की भस्म, गले में सर्पों का हार, कंठ में विष, जटाओं में जगत-तारिणी पावन गंगा तथा माथे में प्रलयंकार ज्वाला उनकी पहचान है। बैल को वाहन के रूप में स्वीकार करने वाले शिव अमंगल रूप होने पर भी भक्तों का मंगल करते हैं और श्री-संपत्ति प्रदान करते हैं। यह दिन जीव मात्र के लिए महान उपलब्धि प्राप्त करने का दिन भी है। बताया जाता है कि जो प्राणि मात्र इस दिन परम सिद्धिदायक उस महान स्वरूप की उपासना करता है वह परम भाग्यशाली होता है। इसके बारे में संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के मुखारविन्द से कहलवाया है कि शिवद्रोही मम दास कहावा, सो नर सपनेहु मोहि नहिं भावा अर्थात‌ जो शिव का द्रोह कर के मुझे प्राप्त करना चाहता है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता। इसीलिए श्रावण मास में शिव आराधना के साथ श्रीरामचरितमानस पाठ का बहुत महत्व होता है। शिव की महत्ता को शिवसागर में और ज्यादा विस्तृत रूप में देखा जा सकता है। शिवसागर में बताया गया है कि विविध शक्तियाँ, विष्णु एवं ब्रह्मा जिसके कारण देवी और देवता के रूप में विराजमान हैं, जिसके कारण जगत का अस्तित्व है, जो यंत्र हैं, मंत्र हैं. ऐसे तंत्र के रूप में विराजमान भगवान शिव को नमस्कार है। दक्षिण भारत का प्रसिद्ध और परमादरणीय ग्रन्थ नटराजम भगवान शिव के सम्पूर्ण आलोक को प्रस्तुत करता है। इसमें लिखा गया है कि मधुमास अर्थात् चैत्र माह के पूर्व अर्थात् फाल्गुन मास की चर्तुदशी को प्रपूजित भगवान शिव कुछ भी देना शेष नहीं रखते हैं। इसमें बताया गया है कि त्रिपथगामिनी’ गंगा जिनकी जटा में शरण एवं विश्राम पाती हैं, त्रिलोक अर्थात आकाश, पाताल एवं मृत्युलोक वासियों के त्रिकाल यानी भूत, भविष्य एवं वर्तमान को जिनके त्रिनेत्र त्रिगुणात्मक बनाते हैं। 

चतुर्दशी तिथि के स्वामी है शिव 
kashi vishwanath
ज्योतिषि पं रामदुलार उपाध्याय का कहना है कि चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं। सूर्य देव भी इस समय तक उत्तरायण में आ चुके होते हैं। चंद्रमा अपनी क्षीणस्थ अवस्था में पहुंच जाते हैं। इसके चलते बलहीन चंद्रमा सृष्टि को ऊर्जा देने में असमर्थ हो जाते हैं। चंद्रमा का सीधा संबंध मन से कहा गया है। अब मन कमजोर होने पर भौतिक संताप प्राणी को घेर लेते हैं तथा विषाद की स्थिति उत्पन्न होती है। जिससे कष्टों का सामना करना पड़ता है। चंद्रमा शिव के मस्तक पर सुशोभित है। अतः चंद्रदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शिव का आश्रय लिया जाता है। इसीलिए इसे परम शुभफलदायी कहा गया है। शिव को देवाधिदेव महादेव इसलिए कहा गया है कि वे देवता, दैत्य, मनुष्य, नाग, किन्नर, गंधर्व पशु-पक्षी एवं समस्त वनस्पति जगत के भी स्वामी हैं। शिव की अराधना से संपूर्ण सृष्टि में अनुशासन, समन्वय और प्रेम भक्ति का संचार होने लगता है। इसीलिए, स्तुति गान कहता है- मैं आपकी अनंत शक्ति को भला क्या समझ सकता हूँ. अतः हे शिव, आप जिस रूप में भी हों उसी रूप को मेरा आपको प्रणाम। शिव शब्द का अर्थ है ‘कल्याण करने वाला’। शिव ही शंकर हैं। शिव के श का अर्थ है कल्याण और क का अर्थ है करने वाला। शिव, अद्वैत, कल्याण- ये सारे शब्द एक ही अर्थ के बोधक हैं। शिव ही ब्रह्मा हैं, ब्रह्मा ही शिव हैं। ब्रह्मा जगत के जन्मादि के कारण हैं। अतः महाशिवरात्रि पर सरल उपाय करने से ही इच्छित सुख की प्राप्ति होती है। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है। परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही महाशिवरात्रि कहा गया है। माना जाता है कि इस दिन शिव की शादी हुई थी। इसलिए रात्रि में शिवजी की बारात निकाली जाती है। इसलिए प्रायः ज्योतिषी शिवरात्रि को शिव अराधना कर कष्टों से मुक्ति पाने का सुझाव देते हैं। शिव आदि-अनादि है। सृष्टि के विनाश और पुनरूस्थापन के बीच की कड़ी हैं। वास्तव में शिवरात्रि का परम पर्व स्वयं परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की स्मृति दिलाता है। पौराणिक कथा है कि एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं? उत्तर में शिवजी ने पार्वती को शिवरात्रि के व्रत का उपाय बताया। इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय से पहले ही उत्तर-पूर्व में पूजन-आरती की तैयारी कर लेनी चाहिए। सूर्योदय के समय पुष्पांजलि और स्तुति कीर्तन के साथ महाशिव रात्रि का पूजन संपन्न होता है। उसके बाद दिन में ब्रह्मभोज भंडारा के द्वारा प्रसाद वितरण कर व्रत संपन्न होता है। यह अपनी आत्मा को पुनीत करने का महाव्रत है। इस व्रत को करने से सब पापों का नाश हो जाता है। हिंसक प्रवृत्ति बदल जाती है। निरीह जीवों के प्रति आपके मन में दया भाव उपजता है। शिव और शक्ति का सम्मिलित स्वरूप हमारी संस्कृति के विभिन्न आयामों का प्रदर्शक है। हमारे अधिकांश पर्व शिव-पार्वती को समर्पित हैं। शिव औघड़दानी हैं और दूसरों पर सहज कृपा करना उनका सहज स्वभाव है। 

kashi vishwanath
नौ ग्रहों से भी है शिवलिंगों का संबंध 
मान्यता यह भी है कि जिस प्रकार भगवान शिव के त्रिशूल, डमरू आदि सभी वस्तुओं तथा शिव का संबंध नौ ग्रहों से जोडा गया है, उसी प्रकार भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों का संबंध बारह चन्द्र राशियों से जोडा गया है, जो इस प्रकार है-मेष राशि का संबंध श्रीसोमनाथ ज्योतिर्लिंग, वृष राशि का श्रीशैल ज्योतिर्लिंग, मिथुन राशि का श्रीमहाकाल ज्योतिर्लिंग, कर्क राशि का श्रीऊँकारेश्वर अथवा अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग, सिंह राशि का श्रीवैद्यनाथधाम ज्योतिर्लिंग, कन्या राशि का श्रीभीमशंकर ज्योतिर्लिंग, तुला राशि का श्रीरामेश्वर ज्योतिर्लिंग, वृश्चिक राशि का श्रीनागेश्वर ज्योतिर्लिंग, धनु राशि का श्रीविश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, मकर राशि का श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग, कुम्भ राशि का श्रीकेदारनाथधाम से मीन राशि का संबंध श्रीघुश्मेश्वर अथवा श्रीगिरीश्नेश्वर ज्योतिर्लिंग से है। 

व्रत व पूजन विधि 
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, स्त्री-पुरुष, बालक, युवा और वृद्ध सभी इस व्रत को कर सकते हैं। इस व्रत के विधान में सवेरे स्नानादि से निवृत्त होकर उपवास रखा जाता है। व्रत को रखने वाले जन को उपवास के पूरे दिन भगवान भोले नाथ का ही ध्यान करना चाहिए। व्रत का संकल्प सम्वत, नाम, मास, पक्ष, तिथि-नक्षत्र, अपने नाम व गोत्रादि का उच्चारण करते हुए करना चाहिए। इसके लिये हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि सामग्री लेकर शिवलिंग पर छोडना चाहिए। प्रातः स्नान करने के बाद भस्म का तिलक कर रुद्राक्ष की माला धारण करनी चाहिए। इसके ईशान कोण दिशा की ओर मुख कर शिव का पूजन धूप, पुष्पादि, पंचामृ्त (गंगाजल, दुध, दही, घी, शहद), सुगंधित फूल, शुद्ध वस्त्र, बेल पत्र, दीप, नैवेध, चंदन का लेप, ऋतुफल आदि पूजन सामग्री से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है, प्रत्येक पहर की पूजा में उँ नमः शिवाय व शिवाय नमः का जाप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जाप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जाप किया जा सकता हैं। चारों पहर में किये जाने वाले इन मंत्र जापों से विशेष पुन्य प्राप्त होता है। 

जलाभिषेक 
उपावस की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते है। अभिषेक करने के लिये सबसे पहले एक मिट्टी का बर्तन लेकर उसमें पानी भरकर, पानी में बेलपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग को अर्पित करते है। शिवपुराण का पाठ सुनना चाहिए। मन में असात्विक विचारों को आने से रोकना चाहिए। अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है। रात्रि में जागरण कर वेदमंत्र संहिता, रुद्राष्टा ध्यायी पाठ ब्राह्मणों के मुख से सुनने से यह व्रत और अधिक शुभ फल देता है। शिव प्रसन्‍न हो जाएं तो फिर परीक्षाओं में सफलता, असाध्य रोगों से छुटकारा, घर में खुशियों का वास होगा और नौकरी की बाधाएं दूर होंती है। विवाह संबंधी परेशानियां, अड़चनें दूर होंगी और जल्‍द विवाह का योग बनेगा। इस दिन शिवलिंग पर जल अथवा दूध की धारा लगाने से भगवान की असीम कृपा सहज ही मिलती है। इनकी कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है। इस दिन त्रिपुण्ड लगाकर, रुद्राक्ष धारण करके, शिवजी को बिल्व पत्र, ऋतु फल एवं पुष्प के साथ रुद्र मंत्र अथवा ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए। जय-जय शंकर, हर-हर शंकर का कीर्तन करना चाहिए। कोई विशेष कामना हो तो शिवजी को रात्रि में समान अंतर काल से पांच बार शिवार्चन और अभिषेक करना चाहिए। किसी भी प्रकार की धारा लगाते समय शिवपंचाक्षर मंत्र दृ ‘नमः शिवाय’ का जप करना चाहिए। 

रात्रि जागरण 
शिवरात्रि पर सच्चा उपवास यही है कि हम परमात्मा शिव से बुद्घि योग लगाकर उनके समीप रहे। उपवास का अर्थ ही है समीप रहना। जागरण का सच्चा अर्थ भी काम, क्रोध आदि पांच विकारों के वशीभूत होकर अज्ञान रूपी कुम्भकरण की निद्रा में सो जाने से स्वयं को सदा बचाए रखना है। इस व्रत को लगातार 14 वर्षो तक करने के बाद विधि-विधान के अनुसार इसका उद्धापन कर देना चाहिए। शिवरात्रि के दिन एक मुखी रूद्राक्ष को गंगाजल से स्नान करवाकर धूप-दीप दिखा कर तख्ते पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। शिव रूप रूद्राक्ष के सामने बैठ कर सवा लाख मंत्र जप का संकल्प लेकर जाप आरंभ करें।

प्रमुख जाप मंत्र 
शिवरात्रि के प्रदोष काल में स्फटिक शिवलिंग को शुद्ध गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान करवाकर धूप-दीप जलाकर ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्रः प्रचोदयात, मंत्र का जाप करने से समस्त बाधाओं का शमन होता है। बीमारी से परेशान होने पर और प्राणों की रक्षा के लिए महामृत्युंजय मंत्र ‘ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टीवर्धनम. उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योर मुक्षीय मामृतात.’ का जाप करें। याद रहे, महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करें। यह मंत्र दिखने में जरूर छोटा दिखाई देता है, किन्तु प्रभाव में अत्यंत चमत्कारी है। 

व्रत में क्या करें भोजन?
व्रत के दिन चढ़ाया गया नैवेद्य खाना निषिद्ध है। जो इस नैवेद्य को खाता है वह नरक के दुखों का भोग करता है। इस कष्ट के निवारण के लिए शिव की मूर्ती के पास शालीग्राम की मूर्ती का रहना अनिवार्य है। यदि शिव की मूर्ती के पास शालीग्राम हो तो नैवेद्य खाने का कोई दोष नहीं है। व्रत के व्यंजनों में सामान्य नमक के स्थान पर सेंधा नमक का प्रयोग करते हैं और लाल मिर्च की जगह काली मिर्च का प्रयोग करते हैंफ। कुछ लोग व्रत में मूंगफली का उपयोग भी नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में आप मूंगफली को सामाग्री में से हटा सकते हैं। व्रत में यदि कुछ नमकीन खाने की इच्छा हो तो आप सिंघाड़े या कूटू के आटे के पकौड़े बना सकते हैं। इस व्रत में आप आलू सिंघाड़ा, दही बड़ा भी खा सकते हैं। साबूदाना भी खाया जा सकता है। साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है और इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन सी भी होता है। इसका उपयोग अधिकतर पापड़, खीर और खिचड़ी बनाने में होता है। व्रतधारी इसका खीर अथवा खिचड़ी बना कर उपयोग कर सकते हैं। 

महाशिवरात्रि व्रत कथा
एक बार. एक गाँव में एक शिकारी रहता था। पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था। वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधवश साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी। शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि की कथा भी सुनी। संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपनी दिनचर्या की भाँति वह जंगल में शिकार के लिए निकला, लेकिन दिनभर बंदीगृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था। शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा। बेल-वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो बेलपत्रों से ढँका था। शिकारी को उसका पता न चला। पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियाँ तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरीं। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बेलपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पीने पहुँची। शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, मृगी बोली, मैं गर्भिणी हूँ। शीघ्र ही प्रसव करूँगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं अपने बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे सामने प्रस्तुत हो जाऊँगी, तब तुम मुझे मार लेना। शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी झाडि़यों में लुप्त हो गई। शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिंता में पड़ गया. रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। तभी एक अन्य मृगी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर न लगाई, वह तीर छोड़ने ही वाला था कि मृगी बोली, हे पारधी! मैं इन बच्चों को पिता के हवाले करके लौट आऊँगी। इस समय मुझे मत मार। शिकारी हँसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूँ, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूँ। मेरे बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे होंगे। उत्तर में मृगी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी, इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर मैं थोड़ी देर के लिए जीवनदान माँग रही हूँ। हे पारधी! मेरा विश्वास कर मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूँ। मृगी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के आभाव में बेलवृक्ष पर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। पौ फटने को हुई तो एक हष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्व करेगा। शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला, हे पारधी भाई! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि उनके वियोग में मुझे एक क्षण भी दुःख न सहना पड़े, मैं उन मृगियों का पति हूँ। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण जीवनदान देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे सामने उपस्थित हो जाऊँगा। मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटना-चक्र घूम गया। उसने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा, मेरी तीनों पत्नियाँ जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएँगी। अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूँ। उपवास, रात्रि जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया था। उसमें भगवद् शक्ति का वास हो गया था। धनुष तथा बाण उसके हाथ से सहज ही छूट गए। भगवान शिव की अनुकम्पा से उसका हिंसक हृदय कारुणिक भावों से भर गया। वह अपने अतीत के कर्मों को याद करके पश्चाताप की ज्वाला में जलने लगा। थोड़ी ही देर बाद मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसके नेत्रों से आँसुओं की झड़ी लग गई। उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया। देव लोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहा था। घटना की परिणति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प वर्षा की। तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए। 




liveaaryaavart dot com

सुरेश गांधी 
भदोही 

किरण बेदी को सीएम उम्मीदवार बनाना भाजपा की गलती : संघ

$
0
0
दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त के बाद आरएसएस ने किरण बेदी पर हार का ठीकरा फोड़ दिया है। संघ ने किरण बेदी को सीएम उम्मीदवार बनाए जाने को बीजेपी की बड़ी भूल माना है। संघ ने अपने मुखपत्र में लिखे एक लेख में कई सवाल भी उठाए हैं।

संघ के मुखपत्र पांचजन्य में दिल्ली चुनावों में हार के कारणों पर ताजा विश्लेषण जारी किया गया है जिसमें किरण बेदी को सीएम उम्मीदवार बनाए जाने को बीजेपी की बड़ी भूल माना है। इसके साथ ही संघ ने पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी को पार्टी की हार की एक बड़ी वजह माना है। संघ ने मुखपत्र में छापे गए इस विश्लेषण को ‘आकांक्षाओं की उड़ान’ नामक शीर्षक दिया है।

इसमें सवाल उठाया गया है, ‘बीजेपी क्यों हारी? क्या बेदी को सीएम उम्मीदवार बनाना सही था? अगर हर्षवर्द्धन या दिल्ली बीजेपी के दूसरे नेताओं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया होता तो परिणाम दूसरे होते?’ लेख में सवाल उठाए गए हैं कि क्या बीजेपी नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच पहुंचाने में नाकाम रही? क्या पार्टी पूरी तरह मोदी लहर पर निर्भर थी? क्या पार्टी संगठन में एकता, योजना और कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान न होने की वजहों से हारी?

गौरतलब है कि इससे पहले बीजेपी की सीएम पद की उम्मीदवार किरन बेदी ने ब्लॉग में अपनी हार स्वीकार करते हुए राजनीतिक दलों के लोकलुभावन वादों पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने ‘मुफ्तखोरी’ की आदत को समाज के लिए गलत बताया था। बेदी ने कहा कि वह चुनावों में पूरी ऊर्जा और अनुभव झोंकने के बावजूद हार गईं।

ममता का जादू बरकरार, उपचुनाव में जीतीं दोनों सीटें

$
0
0
Trinamool-Congress-Retains-Krishnaganj-Leads-in-Bongaon
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी का जादू बरकरार है! पश्चिम बंगाल की एक लोकसभा सीट और एक विधानसभा सीट के लिए उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों ने परचम लहराया है। ये दोनों सीटें तृणमूल के पास थीं। तृणमूल कांग्रेस ने करीब 37 हजार वोटों के अंतर से पश्चिम बंगाल की कृष्णगंज विधानसभा सीट पर भारी जीत दर्ज की। इसके साथ बोंगांव लोकसभा सीट भी उसके उम्मीदवार ने दो लाख वाटों के भारी अंतर से जीती। कृष्णगंज विधानसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार सत्यजीत बिस्वास को 95,397 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के मानबेंद्र को 58,398 मत मिले। इस तरह तृणमूल के उम्मीदवार ने 36,960 मतों के अंतर से जीत हासिल की। सीपीआई इस चुनाव में 37,614 मतों के साथ तीसरे नंबर पर रही। कांग्रेस को चौथा स्थान मिला।

बोंगांव (सुरक्षित) लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार ममताबाला ठाकुर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के उम्मीदवार सुब्रत साहा से करीब दो लाख मतों से हराया। इस सीट पर भी बीजेपी ने सीपीएम उम्मीदवार देबेश दास को तीसरे नंबर पर खिसका दिया। इस साल कोलकाता नगर निगम और 2016 में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इन उपचुनावों को अहम माना जा रहा था। इस दोनों सीटों के लिए 13 फरवरी को मतदान हुआ था। बोंगांव (सुरक्षित) लोकसभा सीट के लिए 79.80 प्रतिशत और कृष्णगंज विधानसभा सीट के लिए 81.80 प्रतिशत मतदान हुआ था।

तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कपिल कृष्ण ठाकुर का पिछले साल 13 अक्टूबर को निधन हो जाने के कारण बोंगांव लोकसभा सीट खाली हो गई थी। उप-चुनावों में तृणमूल ने उनकी पत्नी ममताबाला को उम्मीदवार बनाया था। इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार सुब्रत, मंजुल कृष्ण ठाकुर के बेटे हैं। मंजुल कृष्ण ठाकुर पिछले महीने तृणमूल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। सीपीएम ने पूर्व मंत्री देबेश दास और कांग्रेस ने कुंतल मंडल को इस सीट पर उतारा था। तृणमूल कांग्रेस के विधायक सुशील बिस्वास के पिछले साल 21 अक्टूबर को निधन के कारण कृष्णगंज सीट रिक्त हो गई थी। इस सीट पर तृणमूल ने बिस्वास, सीपीआई ने अपूर्ब बिस्वास, बीजेपी ने मानबेंद्र राय और कांग्रेस ने नित्यगोपाल मंडल को उम्मीदवार बनाया था।

बाबा जलेश्वर नाथ

$
0
0
कहते हैं शिव की महिमा अपार है...........कहीं तो वो पहाड़ों पर जाकर बसे हुए हैं तो कहीं जल में समाकर........ऐसा ही एक मंदिर जनकपुर के पास जलेश्वर में है जहां शिव जी सालों भर जल के अन्दर रहते हैं . इस मंदिर का महात्म पद्म पुराण में भी है. 

इस मंदिर में बाबा जलेश्वर नाथ सालों भर जल में रहते है मंदिर में जल ही जल नज़र आता है और जल में फूल बेलपत्र तैरते नजर आते हैं.लेकिन उनकी पूजा रोज होती है. इस मंदिर में दर्शन पूजा करने लोग दूर दूर से आते हैं और सीढियों पर से ही जल में  बाबा की पूजा कर फूल बेलपत्र प्रसाद चढ़ा देते हैं. साल में मात्र शिवरात्री के दिन जलेश्वर नाथ का दर्शन किया जा सकता है. एक दिन पहले से ही पम्प लगाकर निरंतर मंदिर से जल बाहर निकाला जाता है. उस दिन भक्त जलेश्वर नाथ मंदिर के भीतर जाकर पूजा करते हैं, पर शाम में जैसे ही पम्प बंद होता है फिर से बाबा जलमग्न हो जाते हैं. 

इस मंदिर में शिव लिंग के पास ही कुआं है जिससे लगातार जल निकालता रहता है . आश्चर्य की बात यह है की सैलून भर बाबा के जैम में रहने के बावजूद मंदिर में न काई रहता है न गंध. यह शिव की महिमा ही तो है.

दिल्ली में मुफ्त पानी पर जल बोर्ड और सीएम की बैठक टली

$
0
0
कल कैबिनेट की पहली बैठक हुई थी जिसमें बिजली और पानी पर संबंधित विभागों से रिपोर्ट मांगी गई थी. केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड को भी निर्देश दिया कि वह हर परिवार को हर महीने 20,000 लीटर मुफ्त पानी देने का प्रस्ताव तैयार करे.

बिजली की कीमतों में 50 फीसदी कटौती और मुफ्त पानी मुहैया कराना ‘आप’ के प्रमुख चुनावी वादों में शामिल था. केजरीवाल के अलावा उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, परिवहन मंत्री गोपाल राय, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, गृह मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री आसिम अहमद खान और सामाजिक कल्याण तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री संदीप कुमार भी बैठक में मौजूद थे.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आज वित्त एवं उर्जा विभाग को निर्देश दिए कि वे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा निजी बिजली वितरण कंपनियों का ऑडिट पूरा होने तक बिजली की दरों में 50 फीसदी कटौती के चुनावी वादे को लागू करने के लिए अपने प्रस्ताव भेजें.’’ सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला भी किया गया कि नवनिर्वाचित दिल्ली विधानसभा का पहला सत्र 23 और 24 फरवरी को आयोजित किया जाए ताकि नए विधायकों को शपथ दिलाई जा सके और स्पीकर एवं डिप्टी-स्पीकर का चुनाव हो सके.

भारत समेत 60 देश आतंकवाद पर अमेरिका में आयोजित शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे

$
0
0
हिंसक चरमपंथ से मुकाबला करने के लिए अमेरिका में आज से शुरू हो रहे शिखर सम्मेलन में भारत समेत 60 से अधिक देश भाग लेंगे। यह सम्मेलन ऐसे समय पर आयोजित किया जा रहा है जब आईएसआईएस की गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं और फ्रांस एवं डेनमार्क में हाल ही में आतंकी हमले हुए हैं।

वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि घरेलू स्तर पर बढ़ते आतंकवाद के मद्देनजर तीन दिवसीय इस शिखर सम्मेलन के पहले दो दिन घरेलू चरमपंथ पर प्राथमिक रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सम्मेलन के आखिरी दिन यानी बहस्पतिवार को 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधि विदेशी लड़ाकों सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व शक्तिशाली संयुक्त खुफिया समिति के अध्यक्ष आर एन रवि करेंगे। भारत पिछले कई दशकों से विदेश समर्थित आतंकवाद से पीड़ित रहा है और नक्सलियों एवं माओवादियों समेत घरेलू हिंसक चरमपंथ की चुनौतियों का सामना कर रहा है। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कल कहा, यह हिंसक चरमपंथ को रोकने और उससे निपटने के लिए हमारे वैश्विक गठबंधन को विस्तत एवं गहरा करने का एक समग्र एवं बहुत महत्वाकांक्षी एजेंडा है।

इस सम्मेलन में हिंसक चरमपंथियों और उसके समर्थकों पर अंकुश लगाने, उन्हें  अमेरिका एवं अन्य देशों में लोगों एवं समूहों को हिंसा के लिए उकसाने से रोकने की खातिर घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों पर बल दिया जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के नेतत्व में विदेश मंत्री जॉन केरी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुजैन राइस समेत प्रशासन के शीर्ष अधिकारी व्हाइट हाउस सम्मेलन को संबोधित करेंगे। ओबामा सम्मेलन को दो बार संबोधित करेंगे।

पिछले कुछ माह में हुई घटनाओं खासकर सीरिया और इराक में आईएसआईएस के उभार और फ्रांस तथा डेनमार्क में हुए हालिया आतंकी हमलों को देखते हुए यह सम्मेलन महत्वपूर्ण हो गया है। अधिकारी ने बताया, हिंसक चरमपंथ से निपटना आतंकवादियों और विशेषकर आईएसआईएल जैसे संगठनों से निपटने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न तरीकों में से केवल एक तरीका है। उन्होंने कहा कि सूचना साझा करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी सरकारों को पता हो कि कौन नुकसान पहुंचा सकता है और बचाव के लिए क्या कदम उठाये जा सकते हैं।

सम्मेलन में हिंसक चरमपंथ से निपटने के लिए प्रभावशाली तकनीकों एवं रणनीतियों पर बल दिया जाएगा। 19 फरवरी को मंत्रिस्तरीय बैठक के बाद तीन दिवसीय सम्मेलन में एक विज्ञप्ति जारी की जा सकती है जिसमें उन चिंताओं एवं मुख्य विषयों का जिक्र किया जाएगा जिन पर सम्मेलन में चर्चा हुई। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि इस विज्ञप्ति में, सरकारों तथा अन्यों की प्रतिबद्धताओं का भी जिक्र किया जाएगा।


माँ को दो घंटे तक बच्‍चे को दूध पिलाने से रोकने के कारण बच्चे की तड़प-तड़प कर मौत

$
0
0
तेलंगाना में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानकर आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे। इस घटना ने जहां श्रम कानूनों का उल्‍लंघन किया है वहीं इंसानियत को शर्मसार भी कर दिया है। एक साइट इंजिनियर ने निर्माण कार्य में मजदूरी कर रही महिला को उसके बच्चे से हमेशा के लिए दूर कर दिया। इंजीनियर ने कथित तौर पर उसके 6 माह के बच्‍चे को दो घंटे तक दूध नहीं पिलाने दिया जिसके कारण बच्‍चे की तड़प-तड़प कर मौत हो गई।

घटना के बाद वहां मौजूद मजदूरों में जबरदस्त रोष देखने को मिला। प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक घटना तेलंगाना के मेदक जिले में सात फरवरी को हुई। वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारी ए राम रेड्डी ने बताया कि इंजीनियर के खिलाफ आईपीसी की धारा 304-ए के तहत मुकदमा दर्ज किया है। रेड्डी ने बताया कि जांच के लिए बच्‍चे का शव कब्र से निकाला जा सकता है ताकि दोबारा पोस्‍टमार्टम किया जा सके। पुलिस ने बताया कि महिला से और गहनता से पूछताछ की जा रही है। चुकि महिला घटना के बाद से अपने घर वापस चली गई है तो उसके वापस लौटने का भी इंतजार किया जा रहा है। पुलिस ने बताया कि इंजीनियर महबूबनगर का रहने वाला है। पुलिस ने बताया कि महिला के बार-बार अनुरोध करने पर भी उसने बच्‍चे को दूध पिलाने की अनुमति नहीं दी जिससे बच्‍चे की मौत हो गई।


अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में मंदिर में तोड़फोड़

$
0
0
महाशिवरात्रि उत्सव से ठीक पहले वाशिंगटन में एक मंदिर की दीवार पर नफरत फैलाने वाला संदेश लिख दिए जाने और वहां बने स्वास्तिक के चिन्ह पर स्प्रे कर दिए जाने से यहां रहने वाला समुदाय स्तब्ध है। यह घटना उस समय हुई जब अज्ञात बदमाशों ने सिएटल मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में एक मंदिर की दीवार पर स्वास्तिक के उपर स्प्रे कर दिया और फिर पेंट से गेट आउट लिख दिया। यह मंदिर पूरे उत्तर पश्चिम के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है।

स्नोहोमिश काउंटी के शेरिफ का विभाग इस मामले की जांच एक द्वेषपूर्ण उत्पीड़न की घटना के तौर पर कर रहा है। कल काउंटी के शीर्ष अधिकारियों ने मंदिर का दौरा किया। हिंदू मंदिर एवं सांस्कृतिक केंद्र, बोथेल, वाशिंगटन के न्यास बोर्ड के अध्यक्ष नित्य निरंजन ने पीटीआई भाषा को बताया, इस तरह की चीज अमेरिका में नहीं होनी चाहिए। किसी को निकल जाने के लिए कहने वाले आप कौन होते हैं यह प्रवासियों का देश है।

आज मंदिर में भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि का उत्सव मनाया जा रहा है। निरंजन ने बताया कि कुछ साल पहले मंदिर की बाहरी दीवार पर किसी ने स्प्रे कर दिया था लेकिन इस घटना को कानून प्रवर्तन प्राधिकारियों के संज्ञान में इसलिए नहीं लाया गया क्योंकि वहां कुछ भी लिखा नहीं गया था।

निरंजन ने कहा, हमें कोई अंदाजा नहीं है कि यह किसने किया। कुछ ही ब्लॉक की दूरी पर स्थित स्काईव्यू जूनियर हाई स्कूल पर भी स्वास्तिक बनाया गया था और लिखा गया था, मुस्लिमों यहां से निकलो। यह मंदिर यहां लगभग दो दशकों से है, और मौजूदा इमारत में दूसरे चरण का निर्माण कार्य हाल ही में शुरू हुआ है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) ने इस घटना की निंदा की है।

एचएएफ के सरकारी संबंधों के निदेशक जे कंसारा ने कहा, एक बड़े हिंदू त्योहार से पहले यह अपराध हुआ है जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों की विशेष चौकसी की जरूरत रेखांकित करता है। कंसारा ने कहा, हम बॉथेल शहर के पुलिस विभाग द्वारा की जा रही व्यापक जांच से उत्साहित हैं। एचएएफ तब तक स्थानीय समुदाय के जरिए शहर, राज्य और संघीय अधिकारियों के साथ सहयोग करता रहेगा, जब तक साजिशकर्ता को न्याय के कटघरे तक नहीं ले आया जाता।

अमेरिका में, पिछले कुछ समय से हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं में इजाफा देखा गया है। पिछले साल वर्जीनिया की लोउडोउन काउंटी और जॉर्जिया के मोनरो में ऐसी ही घटनाएं देखने में आई थीं। एक जनवरी 2015 से न्याय विभाग ने अपराध दर्ज करने वाले सभी फार्म में नफरत फैलाने की आशंका से किए गए अपराध के तहत हिंदू विरोधी श्रेणी को शामिल करने का आदेश दिया था। एचएएफ बोर्ड की सदस्य पदमा कुप्पा ने कहा, पूजास्थल वे स्थान हैं, जहां लोग सुरक्षित रह सकें, शांत रह सकें और दूसरों की सेवा के लिए प्रेरित हो सकें। उन्होंने कहा, सिएटल में हिंदू मंदिर में छेड़छाड़ किए जाने के अलावा बीते सप्ताहांत में एक मस्जिद में हुई आगजनी की घटना से समुदायों के बीच डर और अविश्वास पैदा हो गया।

लाहौर में पुलिस लाइन के पास जोरदार धमाका, 8 की मौत

$
0
0
पाकिस्तान के लाहौर में मंगलवार को पुलिस लाइन के पास ब्लास्ट हुआ. इस ब्लास्ट में 8 लोगों की मौत हो गई जबकि कई लोेग जख्मी हो गए. पाकिस्तान के न्यूज वेबसाइट डॉन के मुताबिक, ब्लास्ट लाहौर के किला गुज्जर सिंह में पुलिस लाइन के मेन गेट के पास हुआ. शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार ब्लास्ट पार्किंग में खड़ी एक गाड़ी में हुआ. ब्लास्ट के तुरंत बाद पूरे इलाके को सुरक्षा बलों ने घेर लिया. धमाके से आसपास की गाड़‍ियां भी आग की चपेट में आ गई. धमाका इतना जबरदस्त था कि पास की बिल्डिंग के शीशे में दरार आ गई.


चश्मदीदों ने बताया कि पुलिस लाइन के अंदर से गोली की आवाज आई थी, लेकिन अध‍िकारियों ने बताया कि गोली ब्लास्ट के बाद कानून प्रवर्तन एजेंसी के सदस्यों ने चलाई थी. घायलों को पास के मायो और गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां ब्लास्ट हुआ वहां से पाकिस्तान रेलवे हेडक्वाटर भी पास में है.

आपको बता दें, इसी महीने 13 फरवरी को पाकिस्तान के पेशावर शहर में स्थित एक शिया मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान पाकिस्तानी तालिबान आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में 19 लोगों की मौत हो गई थी और 50 लोग घायल हो गए थे. 

जनवरी में भी सिंध प्रांत के शिकारपुर स्थित एक शिया मस्जिद पर भी ऐसा ही आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें 60 से अधिक लोग मारे गए थे.




बीएसएफ जवान ने शिविर में गोली चलाई, एक की मौत

$
0
0
अपने ही साथियों को मार डालने के एक संदिग्ध मामले में बीएसएफ के एक जवान ने आज बल के कैंप में अपनी सर्विस राइफल से कथित तौर पर गोली चलाकर अपने एक साथी की जान ले ली और चार अन्य को जख्मी कर दिया। बीएसएफ के मालदा सेक्टर के महानिदेशक राज सिंह राठौड़ ने बताया कि फरक्का के निकट 17 माइल पर तैनात 20 वीं बटालियन से जुड़े बीएसएफ के एक कर्मी द्वारा की गई गोलीबारी में एक जवान की मौके पर ही मौत हो गई। उन्होंने बताया कि हमले में घायल चार अन्य को मालदा शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि सुबह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के फरक्का बटालियन कैंप में कांस्टेबल बसंत सिंह ने कथित तौर पर सोते हुए अपने साथियों पर गोलियां चलाईं। हेड कांस्टेबल मूलचंद ने घटनास्थल पर दम तोड़ दिया। घायल कांस्टेबलों कमाल बासा, एस़ क़े प्रभाकर और सुरेंद्र को अस्पताल पहुंचाया गया। अधिकारियों ने बताया, सिंह की इंसास राइफल से चली गोलियों के कारण ये सभी जख्मी हुए। उन्होंने बताया कि सिंह ने यह कदम क्यों उठाया, इसके बारे में जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि सिंह (35) फरार है और उसकी तलाश की जा रही है।

 घटना की जांच जारी है, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक मोदी ने घटना की पुष्टि की लेकिन कहा कि अभी तक पुलिस में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।


अन्ना का आन्दोलन होगा 24 फरवरी को जंतर-मंतर पर

$
0
0
प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा है कि वे भ्रष्टाचार और भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ बड़ा आन्दोलन छेड़ेगे। उनके आन्दोलन की शुरुआत 24 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर से होगी। अन्ना ने कहा कि मोदी सरकार उद्योगपतियों के हित में काम कर रही है और किसान विरोधी सरकार है। उन्होंने आगे कहा कि अच्छे दिन केवल उद्योगपतियों के आए हैं।

उन्होने कहा, 'मैंने अब तक 2 सरकारें गिराई है और 6 मंत्रियों को वापस घर भेजा है। 'अन्ना एक बार फिर वैसा ही आन्दोलन करने की बात कर रहे हैं। हालांकि इस बार वे अनशन नहीं करेंगे क्योंकि डॉक्टरों ने उन्हें अनशन करने से मना किया है। अन्ना ने कहा कि मोदी तो केवल उद्योगपतियों के हित में सोचते हैं और आम जनता की उन्हें फिक्र नहीं है। अन्ना के मुताबिक यह शासन अंग्रेजों के हुक्मशाही से भी ज्यादा खतरनाक है और प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार पर महज आश्वासन देते हैं। अन्ना ने कहा कि किसानों को नहीं पता उनकी जमीन छीन ली गई है। मेरे गांव की 400 एकड़ जमीन सरकार ने अधिग्रहित कर ली है।

नीतीश ही बिहार में मौजूदा संकट के लिए जिम्मेदारः रामविलास पासवान

$
0
0
बिहार में मचे राजनीतिक संकट ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है। प्रदेश के मौजूदा संकट को लेकर हर दिन सियासी पार्टियां एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ने का आरोप लगा रही है। आरोप-प्रत्यारोप की इस जंग में अब लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) भी कूद गई है। राजग की सहयोगी लोजपा ने इसके लिए सीधे-सीधे नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी अध्यक्ष रामविलास ने कहा है कि प्रदेश के मौजूदा संकट के लिए सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं।

रामविलास पासवान ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा है कि 'बिहार में मुझे कमजोर करने के लिए जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया गया। ऐसा करते हुए नीतीश कुमार, मांझी को कठपुतली की तरह नचाना चाहते थे, लेकिन जब वे अपने विवेक से काम करने लगे तब नीतीश कुमार ने उन्हें सीएम पद से हटाने की ठान ली।'पासवान ने कहा कि जदयू मांझी प्रक्रण के पीछेे भाजपा का हाथ होने का आरोप लगाती है। लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि अगर आज कोई बिहार की राजनीतिक स्थिति का फायदा उठा रहा है तो आखिर ये मौक़ा किसने दिया। इतना ही नहीं राम विलास पासवान ने मांझी को उनके पद से हटाने के पीछे जाति का मामला भी बताया।

20 फरवरी को जीतन राम मांझी को विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करना है। इसके लिए भाजपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन राम विलास पासवान ने ये साफ कह दिया है कि वे जीतन राम मांझी को अपना समर्थन देंगे।

11 मार्च को विमानपत्तन प्राधिकरण के कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे

$
0
0
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के कर्मचारी संघ ने 11 मार्च को देश भर में हड़ताल करने का एलान किया है। हड़ताल हवाईअड्डों को निजी हाथों में सौंपने की कवायद के खिलाफ किया जाएगा। एयरपोर्ट्स अथॉरिटी एंप्लाइज यूनियन के महासचिव और संयुक्त फोरम सदस्य बलराज सिंह अहलावत ने नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू को सोमवार को एक पत्र भेजकर इस फैसले की जानकारी दी है।

अहलावत ने कहा कि 11 मार्च को हड़ताल पर जाने से पहले कर्मचारी 24 फरवरी से बैठक विरोध प्रदर्शन की शुरूआत करेंगे। अहलावत ने आरोप लगाया कि पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा दिल्ली और मुंबई हवाईअड्डे का निजीकरण एक घोटाला था और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एएआई बोर्ड से मंजूरी लिए बिना बेंगलुरू और हैदराबाद के पुराने हवाईअड्डों को बंद कर दिया।

अहलावत ने कहा कि सरकार अब चार और हवाईअड्डों को 5,000 करोड़ रूपए में निजी कंपनियों को देना चाहती है, जिसका आधुनिकीकरण एएआई कर चुकी है। प्राधिकरण ने चेन्नई, कोलकाता, जयपुर और अहमदाबाद हवाईअड्डे को निजी कंपनियों को सौंपने के लिए देश-विदेश की कंपनियों से अर्हता आवेदन (आरएफक्यू) आमंत्रित की है। गजपति राजू ने गत सप्ताह यहां हवाईअड्डों के निजीकरण को देश हित में बताया था। मंत्री ने कहा, जो विरोध करना चाहत हैं, वे करेंगे और जो समर्थन करना चाहते हैं, वे करेंगे। आप वह करते हैं, जो देश के हित में होता है।  

विघुतकर्मी संयुक्त संघर्ष मोर्चा,बिहार के बैनर तले अनिश्चितकालीन हड़ताल कल से

$
0
0
bihar electricity strike
पटना। आश्वानसन की घुंटी पीने वाले विघुतकर्मी परेशान हैं। बिजली रानी को घर-घर तक पहुंचाने वाले सात सूत्री मांग को लेकर संघर्षरत हैं। 19 सितम्बर 2013 को सरकार,प्रबंधन और यूनियन के बीच में त्रिपक्षीय लिखित समझौता की गयी। इसके पश्चात समझौते को 17 फरवरी 2014 को पुनःनवीकृत भी की गयी।समझौते को 17 फरवरी 2015 तक लागू ही नहीं किया। थकहार कर विघुतकर्मी संयुक्त संघर्ष मोर्चा,बिहार के बैनर तले अनिश्चितकालीन हड़ताल पर 18 फरवरी को सुबह 6 बजे से जाने को बाध्य हो गए हैं। 

बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एसोसिएशन के सचिव संजीव शर्मा और बिहार पावर वर्कस यूनियन के महामंत्री महेश प्रसाद सिन्हा ने संयुक्त रूप से बताया कि प्रबंधन एवं सरकार के द्वारा संविदा कर्मियों तथा मानव बल को छलने का कार्य किया गया है। 3 साल से हम संविदाकर्मी अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। सात सूत्री मांगों में है। बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों,पदाधिकारियों एवं अभियंताओं की सेवा अभिलम्ब वर्तमान वेतनमान पर नियमित की जाय। मानव बलों को बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी एजेंसी से हटाकर सीधे अपने अनुबंध पर रखे, ताकि हो रही दुर्घटनाओं में कमी आ सके। एजेंसी के द्वारा बहाल मानव बलों को तत्काल मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि की जाय। साप्ताहिक अवकाश, आकस्मिक , ई0पी0एफ0 एवं ई0एस0आई0सी0 का लाभ दिया जाय। बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी का कार्य करते हुए दुर्घटनाग्रस्त मानव बमों का इलाज का संपूर्ण खर्च कम्पनी के द्वारा देय किया जाय। कम्पनी का कार्य करते समय कर्मियों की मृत्यु पर क्षतिपूर्ति लाभ दी जाय। अंत में मृत मानव बलों के आश्रितों की नियुक्ति कम्पनी में की जाने की व्यवस्था की जाय। इन मांगों को लेकर 10 एवं 11 दिसम्बर 2014 को सरकार और प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट करने के लिए दो दिवसीय सांकेतिक भूख हड़ताल पर रहे। राज्य के 6 जिला पदाधिकारियों के समक्ष आंदोलन किया गया। 

इस बीच विघुतकर्मी संयुक्त संघर्ष मोर्चा,बिहार के द्वारा घोषित आंदोलन के आलोक में काॅन्ट्रेक्ट विघुतकर्मियों की हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए सोमवार की सुबह सचिवालय स्थित लेबर कमिश्नर परवेज आलम की पहल पर वार्ता शुरू हुई। लेकिन, बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी जीएम एचआर राजीव रंजन सिन्हा,बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी के जीएम एचआर आरएन सहाय द्वारा ठोस आश्वासन नहीं दिए जाने के कारण वार्ता विफल हो गई। इस मौके पर बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एसोसिएशन सचिव संजीव शर्मा,बिहार पावर वकर्स यूनियन के महामंत्री महेश प्रसाद सिन्हा एवं मानव बल के संयोजक संजय पांडेय उपस्थित थें। 
मानव बल के लोगों का कहना है कि बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के द्वारा मानदेय के रूप में 5 हजार रूपए दिए जाते है। इसमें ठेकेदार और कनीय अभियंता बंदरबांट करके 4 हजार रूपए मानदेय देते हैं। विरोध करने पर मानव बल से हटा देने की धमकी देते हैं। वहीं मानव बलों को कनीय अभियंताओं के द्वारा हड़काना शुरू कर दिया गया है। अगर कल से होने वाली हड़ताल में शामिल होंगे तो तलवान की नौंक पर नौकरी होगी। मौका मिलते ही नौकरी से हटा दिए जाओंगे। 

वहीं उपभोक्ता भी परेशान होने लगे हैं। अगर बिजली नहीं आपूर्ति होगी तो जीना मुहाल हो जाएगा। क्रिकेट लवभर भी हलकान होने लगे हैं। वल्र्ड कप मैच नहीं देख पाएंगे। राजनीति से तालुकात रखने वाले को मझधार में मांझी की नाव डूबने और ऊपलाने की खबर देख और सुन नहीं सकेंगे। 



आलोक कुमार
बिहार 

भू अधिग्रहण अध्यादेश निरस्त करो - भू अधिग्रहण नहीं, भू अधिकार चाहिए |

$
0
0
  • 19 फरवरी को कलेक्ट्रेट में भू अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में सभा|

liveaaryaavart dot com
टोंको-रोंको-ठोंको क्रन्तिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्र सरकार दवारा लाए गए भू अधिग्रहण अध्यादेश को निरस्त करने की मांग को लेकर संसद के समक्ष 23  - 24 फरवरी 2015 को आयोजित रैली में किसानो से बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील करते हुए कहा है कि अब तक देश भर के जन संगठन एवं राजनयिक दल अलग - अलग भू अधिग्राहण के खिलाफ संघर्ष करे रहे है लेकिन पहली बार सभी ने मिलकर एक साथ इस मुद्दे पर संघर्ष करने का फैसला किया है । जन आंदोलनों के राष्ट्रिय समन्वय, अखिल भारतीय वन श्रम जीवी मंच, राष्ट्रिय किसान मजदूर संगठन, एकता परिषद, युवा क्रांति, जन संघर्ष समन्वय समिति, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, जन पहल, भरष्टाचार विरोधी जन आंदोलन, किसान संघर्ष समिति, संयुक्त किसान संघर्ष समिति, इंसाफ, दिल्ली समर्थक समूह, घर बचाओ - घर बनाओ आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन, अखिल भारतीय किसान सभा, किसान मंच,  टोंको-रोंको-ठोंको क्रन्तिकारी मोर्चा दवारा यह राष्ट्रव्यापी आंदोलन संयुकत रूप से किया जाएगा ।

इस कार्यक्रम में श्री अन्ना हज़ारे, डॉ. सुब्बाराव, सुश्री मेधा पाटकर, डॉ. सुनीलम, रघुवंश प्रसाद सिंह, देवब्रत विस्वाश, हनानमुल्ला, अतुल अंजान, राजगोपाल, राजेंद्र सिंह, अखिल गोगई, अमरनाथ भाई, विश्वम्भर चौधरी, अक्षय कुमार , राकेश रफीक, कर्नल नयन, कमांडर यशवंत, सूफी गिलानी, विनोद सिंह, ऋषिपाल अमबावत, मनवीर भाटी, अशोक चौधरी सहित देशभर के हजारो किसान सम्मिलित होंगे ।

जन आंदोलनों के राष्ट्रिय समन्वय दवारा अंग्रेजो के दवारा बनाये गए भू अधिग्रहण कानून 1894  को रद्द करने की मांग को लेकर देश भर में संघर्ष करने के साथ -साथ संसद पर कई धरने प्रदर्शन किए गए थे । जन संघर्ष समन्वय समिति एवं अखिल भारतीय वन श्रम जीवी मंच दवारा भी लगातार संसद पर प्रदर्शन किए गए । देशभर के किसान संगठनो के संघर्ष के चलते तथा अनेक किसानो के शहीद होने के बाद संप्रग सरकार को मज़बूरी में भू अधिग्रहण कानून 2013  बनाना पड़ा । यह कानून वर्तमान लोकसभा अध्क्षय सुमित्रा महाजन की अध्क्ष्यता में बनी संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर सभी पार्टियो की सहमति - समर्थन से संसद में पारित किया गया था । हालाँकि इस कानून में जन संगठनो की मांग के अनुसार कृषि भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगाने तथा ग्राम सभा - मोहल्ला सभा की सहमति के बिना अधिग्रहण न करने के प्रावधान नहीं थे लेकिन जान संगठनो के तमाम सुझाओ को संप्रग सरकार ने स्वीकार किया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दवारा तत्काल 60  हजार हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण करने तथा आगामी 2  वर्षो में डी. एम. आई. सी जैसी तमाम परियोजनाओं के लिए 3 लाख 70 हजार हेक्टेयर जमींन  का अधिग्रहण करने की आड़ में भू अधिग्रहण अध्यादेश 2014 "संसद"को दरकिनार कर लाया गया है,  जिसे निरस्त करने के लिए संसद पर किसानो की महारैली का आयोजन 23 -24  फरवरी को जंतर -मंतर पर किया गया है । 

श्री तिवारी ने बताया है की दिल्ली रैली में सामिल होने हेतु 22 फरवरी को सीधी से जत्था रवाना होगा तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाये गये किसान विरोधी भू- अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध में कलेक्ट्रेट सीधी में 19 फरवरी को 12 बजे से एक सभा की जाएगी | सभा को समाजवादी बिचारों वाले राजनीतिक दल तथा जन आंदोलनों के साथी संबोधित करेगे |
Viewing all 74188 articles
Browse latest View live


Latest Images