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फिल्म ‘राॅय’ में दोहरे किरदार में पसंद आ रही,अच्छा लगता है : जैकलीन फर्नाडिस

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अपनी मस्त अदाओं और  हाॅट इमेज से हमेशा को सुर्खियों में रहने वाली पूर्व मिस श्रीलंका का सिखाब पाने वाली अभिनेत्री जैकलीन फर्नाडिस  हाऊस फुल 2,मार्डर टू,अलादीन,जाने कहां से आई है,मनकथा जैसी अनेक फिल्मों में अपने जलवे बिखरने के बाद में अब फिल्म‘राॅय’को लेकर सुर्खियोंबटोर रही  है। यह फिल्म 13 फरवरी को रीलिज हो चुकी है जिसे दर्शक काफी पसंद कर रहे है । जैकलीन फर्नाडिस कहती है कि मैं हाॅट लगती हॅू,साथ ही कहती है कि फिल्म किसी छवि को लेकर नही बल्कि अच्छी कहानी पर चलती है । इस फिल्म को लेकर जैकलीन क्या सोचती है,जानते है,उनकी ही जुबानी। 

 क्या आप मानती है कि फिल्म‘‘किक’ से आपके केरियर का कैरियर ‘रीलाॅंच’ हुआ था ?
-जी हाॅ,सच कहॅंू फिल्म ‘किक’से ही बालीवुड में मेरा कैरियर ‘रीलाॅंच’हुआ और फिल्म में सलमान खान थे, फिल्म हिट रही और इससे मेरे केरियर को सफलता
मिली  

आजकल आप चर्चाओं में फिल्म‘‘राॅय’’को लेकर उसके बारे में कुछ कहेंगी ? 
फिल्म‘‘राॅय’’दो नायक और एक नायिका कहानी बेसड है, इस फिल्म मैने पहली बार दोहरे किरदार को निभाया है,और मेरे आपोजिट है रणबीर कपूर और अर्जुन रामपाल है। मैंने  इस फिल्म तरह की कहानी ना तो पढ़ी है,ना सुनी है.और ना ही मैंने इस तरह की किसी फिल्म में कभी काम किया है। मैं एक साथ दो अलग तरह के किरदार को करके आनंद उठाना चाहती थी


फिल्म‘‘ राॅय’’की कहानी या स्क्रिप्ट में ऐसा कौन सा सिरा था, जिसने आपको यह फिल्म करने के लिए इस्ंपायर किया?
-जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि यह फिल्म एक निर्देशक की कहानी है,जो कि लंबे समय से संघर्ष कर रही है.उसके पास फिल्म बनाने के लिए पैसा नही है।जबकि कहानी उसकी बहुत अच्छी है।इस तरह की सिच्युए शन मैं इंडस्ट्री  में अक्सर देखती रहती हूं। इसमें मैजिक वाली कोई बात नही है।

दोहरे किरदार आए आयशा और टिया में फर्क क्या है?
-आयशा एक संघर्षरत फिल्म निर्दे शक है, जिसकी तमन्ना बहुत बड़ी निर्दे शक बनने की है,पर उसे मौका मिल नहीे रहा है.जबकि उसके पास एक बेहतरीन स्क्रिप्ट है,इसके विपरीत आएशा एक चुलबुली बबली सी लड़की है ईमानदार, स्ट्रांग ,माॅर्डन और लाउड है।लंदन में रहने वाली लड़की है,जो कि अपनी फिल्म को बहुत बडे़ पैमाने पर बनाना चाहती है.पर उसे मौका नहीं मिलता है। तो वह कम बजट में बनाने के लिए मलेशिया  पहुंचती है।.वहाॅ कुछ अनचाही घटनाओं का  शिकार हो जाती है। वह स्वाभिमानी होने के साथ एकांत पसंद है। आयषा मुझसे बहुत अलग तरह की लड़की है.जबकि टिया चुप रहने वाली लड़की है.कम बोलती है

अर्जुन रामपाल और रणबीर कपूर के साथ काम करने के क्या अनुभव रहे?
-दोनों अच्छे व अनुभवी कलाकार हैं.फिल्म‘राॅय’के लिए सबसे पहले मुझे और रणबीर कपूर को ही साइन किया गया था । मैंने सबसे पहले रणबीर कपूर के साथ ही शूटिंग की। रणबीर कपूर सेट पर बहुत कम बोलते हैं, पर कैमरे के सामने तो वह कमाल का काम करते हैं। उनके अंदर जबरदस्त एनर्जी है कैमरे के सामने बहुत ही नैच्युरल अभिनय करते हंै। उन्हें रिहर्सल करना पसंद नहीं। जबकि रणबीर कपूर से काफी अलग हैं अर्जुन रामपाल.वह स्क्रिप्ट में पूरी तरह से इंवाॅल्ब रहते थे,पर सेट पर वह सीन को इम्प्रवाइज भी करते थे। शूटिंग शुरू  होने से पहले हमने अर्जुन रामपाल के साथ वर्क शाप भी किया,तो मुझे एक ही फिल्म में अभिनय की दो अलग अलग तकनीक से काम करने वाले कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला.अर्जुन रामपाल की गिनती गंभीर कलाकारों में होती है 

आयशा और टिया के किरदारों  के लिए आपको कोई खास तैयारी करनी पड़ी?
-मुझे टिया का किरदार ज्यादा पसंद है.क्योंकि वह मेरी जैसी नहीं है। जबकि आयशा  का किरदार मेरे जैसा है.जो मैं नहीं हूं,उसे निभाना मुझे बहुत आनंद देता है,इसलिए मुझे टिया पसंद हैं,लेकिन मैं टिया जैसी नही हो सकती, काश ! मैं टिया जैसी हो पाती. वह इमोशनल और संजीदा लड़की है.टिया कम बोलती है इसलिए इस किरदार को निभाने के लिए मुझे चेहरे के हाव भाव और आंखों का  सहारा लेना पड़ा.उसे देखकर लगता है कि उसने अपने अंदर बहुत सारे रहस्य छिपा रखे हैं

फिल्म‘ राॅय’के निर्दे शक विक्रमजीत के साथ काम करने के क्या अनुभव रहे?
-बतौर निर्दे शक यह उनकी पहली फिल्म है,लेकिन वह अनुभवी है,उनके काम देखकर अहसास ही नहीं होता कि वह पहली बार निर्देशन कर रहे हैंै,उन्हें यह अच्छी तरह से पता था कि वह कलाकार से क्या चाहते है।   विक्रम जैसे निर्दे शक के साथ काम करना किसी भी कलाकार के लिए काम करना बहुत आसान हो सकता है

क्या आप विदेशी फिल्में भी कर रही है?
-हां! मैं दो इंटरने शनल फिल्में भी कर रही हूं। यह दोनों फिल्में मैंने ‘किक’से पहले ही साइन की थी जिसमें से एक फिल्म ‘डिफिने शन आॅफ फियर’की शूटिंग कनाडा में हुई है.दूसरी फिल्म‘एकार्डिंग टू मैथ्यू’है,जिसकी कहानी श्रीलंका की है.मगर फिल्म अंग्रेजी  में बनी है। यह फिल्म श्रीलंका में  ही फिल्मायी गयी है.दोनों फिल्मों की शूटिंग पूरी हो चुकी है। इसी साल रिलीज होंगी ।






---अशोक कुमार निर्भय  ---
ईमेल : ashoknirbhay @gmail.com 
संपर्क : 9210043206

दिल्ली सरकार ने नगर निगम के कमिश्नरों को चेतावनी दी

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दिल्ली सरकार ने दिल्ली के तीनों नगर निगम को तीन हफ्ते का अल्टीमेटम देकर कहा है कि घाटे से निकलने का कोई एक्शन प्लान वह दिल्ली सरकार के पास लेकर आए। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने तीनों नगर निगम के कमिश्नरों के साथ बैठक कर साफ़ कह दिया है कि या तो तीन हफ्ते में वे निगम को घाटे से निकालने का एक्शन प्लान लेकर आएं या फिर जाएं।

 डिप्टी सीएम सिसोदिया ने कहा कि निगम घाटे में क्यों चल रहे हैं, इसकी जवाबदेही होनी चाहिए। तीनों नगर निगम के आयुक्तों को कहा गया है कि वह तीन हफ्ते में निगम को घाटे से उबारने का ऐसा प्लान बताएं कि निगम एक साल में कैसे घाटे से निकलेगा। अगर वह प्लान ला सकते हैं तो ठीक है, वर्ना किसी और को उनकी जगह लगाया जाएगा।

दिल्ली सरकार के मुताबिक, तीनों नगर निगम में सबसे खराब हाल पूर्वी दिल्ली नगर निगम का है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम की मेयर मीनाक्षी देवी का कहना है कि निगम अभी कुल सालाना 500 करोड़ रुपये के घाटे में है और उनका सुझाव है कि जैसे पहले एक ही निगम था, वैसे ही दोबारा एक ही नगर निगम बनाया जाए। मीनाक्षी के मुताबिक, इस नगर निगम में रेवेन्यू के स्रोत कम हैं और खर्चा ज्यादा इसलिए निगम की हालत इतनी खराब है कि कर्मचारियों को सैलरी देना भी मुश्किल हो रहा है और पेंशन तो दो साल से नहीं दी गई है।

मेयर के मुताबिक, उन्होंने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मिलने का समय मांगा है, जिसमें वह निगम के हालात पर उनको जानकारी देंगी, लेकिन उनको अभी तक समय नहीं मिल पाया है। आपको बता दें कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम में जहां सालाना घाटा करीब 500 करोड़ रुपये है वहीं उत्तरी दिल्ली नगर निगम मे घाटा सालाना करीब सात सौ करोड़ रुपये है जबकि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में अभी न घाटा है न फायदा।

दिल्ली नगर निगम की आर्थिक हालत हमेशा से ही खराब रही है, लेकिन करीब तीन साल पहले एक नगर निगम को तीन हिस्सों में बांटते वक्त दलील दी गई थी कि इससे पारद्शिता आएगी और कमाए कोई खाए कोई वाली परंपरा बंद होगी। उदाहरण के लिए दक्षिणी दिल्ली इलाके से रेवेन्यू ज्यादा मिलता है जबकि पूर्वी दिल्ली के इलाकों से कम तो ये दलील दी गई थी कि नगर निगम अब खुद अपना राजस्व और खर्चा देखेगा और अपने को मज़बूत करेगा।

हालांकि फैसला राजनीतिक भी था क्योंकि इससे जो दिल्ली के मेयर का पद और कद दिल्ली के सीएम के समतुल्य-सा था, वह तीन हिस्सों में बंटकर कमजोर हो गया और सीएम की ताकत और बढ़ गई। जैसे केंद्र की सरकार दिल्ली को अनुदान या सहायता के रूप में पैसा देती है ठीक वैसे ही दिल्ली सरकार नगर निगम को अपने बजट में अनुदान या सहायता देती है इसलिए दिल्ली की नई आप सरकार का कहना है कि वह नगर निगम को पटरी पर लाना चाहती है और उसका मानना है कि करप्शन के चलते नगर निगम घाटे में है और अब निगमों के ऊपर है कि वह क्या प्लान लेकर आते है। उसके बाद दिल्ली सरकार आगे की कार्रवाई पर विचार करेगी।

सांसद आपसी सदभावना से चलाएं संसद सत्र : राष्ट्रपति

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आज से शुरू हुए संसद के बजट सत्र के हंगामेदार रहने की आशंकाओं के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सभी सांसदों से अनुरोध किया कि वे सहयोग और आपसी सदभावना के साथ अपने उत्तरादायित्वों का निर्वहन करें, लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में सरकार की कोई बदलाव करने की मंशा है।

राष्ट्रपति ने हालांकि कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों और उनके परिवारों के हितों की सुरक्षा को सर्वाधिक महत्व देती है। राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को सांबोधित करते हुए कहा कि मेरी सरकार सुचारू विधायी कार्य संचालित करने और संसद में ऐसे प्रगतिशील कानूनों को बनाने के लिए निरंतर प्रत्यनशील रहेगी जो लोगों की इच्छा और आकांक्षाओं को दर्शाते हैं।

राष्ट्रपति ने सरकार की आगामी वर्ष की योजनाओं को अपने अभिभाषण के जरिये पेश करते हुए कहा कि हमारी संसद लोकतंत्र का परम पावन स्थल है और भारत के लोगों, विशेषकर दूर दराज में रहने वाले अत्यंत निर्धन लोगों ने अपनी आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इस संस्था में अटूट विश्वास दिखाया है। उन्होंने कहा कि मैं संसद के सभी सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि वे सहयोग और आपसी सदभावना के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करें। प्रत्येक नागरिक की देश प्रेम की शक्ति से हम सबको एकजुट होकर एक सशक्त और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए कार्य करना चाहिए। एक भारत, श्रेष्ठ भारत।

राष्ट्रपति ने अपने 20 पृष्ठ के अभिभाषण में कहा, मेरी सरकार के सतत प्रयासों तथा नीतिगत पहलों के परिणामस्वरूप हमारी अर्थव्यवस्था पुन: उच्च विकास पर है। हाल के अनुमानों के अनुसार, हमारी जीडीपी 7.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रही है, जिसने भारत को विश्व में तीव्रतम गति से वृद्धि करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है। उन्होंने आगे कहा, सरकार द्वारा कई निर्णायक कदम उठाने के परिणाम स्वरूप मुद्रास्फीति विशेषकर खाद्य मुद्रास्फीति में रिकॉर्ड कमी आई है, पूंजी बाजार उंचाई के स्तर पर है तथा हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में भी पर्याप्त वृद्धि हुई है।

अपने अभिभाषण में मुखर्जी ने आतंकवाद और वामपंथी उग्रवाद को देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बताया और कहा, मेरी सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावित लोगों एवं प्रभावित राज्यों की सरकारों के समन्वित सहयोग के साथ पूर्णत: प्रतिबद्ध है। जम्मू कश्मीर के विस्थापितों के बारे में उन्होंने कहा कि यह विषय सरकार के एजेंडा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और उसने राज्य में विस्थापितों के लिए अनुकूल माहौल बनाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, इसमें 60 हजार से अधिक कश्मीरी पंडित परिवारों के पुनर्वास को सुगम बनाना शामिल है और सरकार ने इस संबंध में कारगर कदम उठाये हैं, जिनमें अन्य कार्यों के साथ साथ सरकारी नौकरियों, आर्थिक अवसर और सुरक्षा उपलब्ध कराना शामिल है।

पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, यह मानते हुए कि हमारा भविष्य हमारे पड़ोस से जुड़ा हुआ है, मेरी सरकार ने पड़ोसियों के साथ हमारे संबंधों में नई जान फूंकी है और यह दक्षिण एशिया में और अधिक सहाकारिता और मेलमिलाप को बढ़ावा दे रही है। राष्ट्रपति ने साथ ही कहा, हम अपने हितों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं और अपनी सीमाओं की रक्षा और जनता की सुरक्षा करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।


बाजार बढ़त के साथ खुले

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हफ्ते के पहले कारोबारी दिन शुरुआती दौर में सेंसेक्स और निफ्टी में अच्छी बढ़त देखने को मिल रही है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी अच्छी खरीदारी का रुझान है। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.5 फीसदी तक की मजबूती आई है। वहीं मेटल, कैपिटल गुड्स और ऑटो शेयरों में खरीदारी से बाजार को सहारा मिला है। हालांकि कंज्यूमर ड्युरेबल्स और ऑयल एंड गैस शेयरों में बिकवाली देखने को मिल रही है।


फिलहाल बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 90 अंक यानि 0.3 फीसदी की बढ़त के साथ 29322 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 26 अंक यानि 0.3 फीसदी की मजबूती के साथ 8860 के स्तर पर कारोबार कर रहा है।

बाजार में कारोबार के इस दौरान हिंडाल्को, एलएंडटी, कोटक महिंद्रा बैंक, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और टाटा मोटर्स जैसे दिग्गज शेयरों में 2.4-0.8 फीसदी की मजबूती आई है। हालांकि जेएसपीएल, केर्न इंडिया, डीएलएफ, एचडीएफसी, एनएमडीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईटीसी और टाटा स्टील जैसे दिग्गज शेयरों में 3.4-0.2 फीसदी की गिरावट आई है।

कोयला और उर्जा मंत्रालयों से भी दस्तावेज हुए लीक

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कोयला और उर्जा मंत्रालयों से गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने में कथित रूप से शामिल एक और मॉड्यूल का आज दिल्ली पुलिस ने भंडाफोड़ करने का दावा करते हुए कारपोरेट जासूसी मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया और छह अन्य को हिरासत में लिया है.

अपराध शाखा ने इस मामले में जबरन घुसने, चोरी, आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत अलग से प्राथमिकी दर्ज की है क्योंकि यह मॉड्यूल पेट्रोलियम मंत्रालय की जासूसी में शामिल गिरोह से अलग है. पेट्रोलियम मंत्रालय जासूसी मामले में पुलिस ने अभी तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है. इस नए मॉड्यूल में गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान लोकेश के रूप में हुई है जो नोएडा की एक कंसल्टेंसी कंपनी के लिए काम कर रहा था .

अपराध शाखा ने इस सिलसिले में शास्त्री भवन से कम से कम छह लोगों को पूछताछ के लिए उठाया एवं जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं. इस सिलसिले में दिल्ली और आसपास के इलाकों में छापेमारी जारी है. दिल्ली पुलिस के आयुक्त बी. एस. बस्सी ने कहा कि जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि लोकेश कोयला मंत्रालय के साथ ही उर्जा मंत्रालय से भी दस्तावेज हासिल करने में कथित रूप से संलिप्त था. उन्होंने कहा, 'इसलिए हमने मामला दर्ज किया है और हम उसके सहयोगियों को गिरफ्तार करने के लिए प्रयास कर रहे हैं . हमने एक और प्राथमिकी दर्ज की है.'

मॉड्यूल के काम करने के तरीके और इससे किसे लाभ होने के बारे में पूछने पर बस्सी ने कहा कि चूंकि प्राथमिकी कल दर्ज की गई है इसलिए पुलिस लोकेश के सहयोगियों को गिरफ्तार करने के बाद ही ब्यौरा दे पाएगी. अलग से प्राथमिकी दर्ज करने की जरूरत के बारे में पूछने पर बस्सी ने कहा, 'यह दूसरा मॉड्यूल है. यह अलग है और इसका संबंध उस विशेष मामले से नहीं है, हालांकि यह भी उसी तरह का मामला है . चूंकि यह जुड़ा हुआ नहीं है इसलिए हमने अलग से प्राथमिकी दर्ज की.'लोकेश को स्थानीय अदालत में आज दोपहर पेश किया जाएगा और पूछताछ के लिए उसके हिरासत की पुलिस मांग करेगी .

कारपोरेट जासूसी के संदिग्ध मामले का भंडाफोड़ करते हुए दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को पेट्रोलियम मंत्रालय के दो कनिष्ठ अधिकारियों और तीन अन्य बिचौलियों को गिरफ्तार किया जो उर्जा कम्पनियों को सरकार के गोपनीय दस्तावेजों को कथित रूप से लीक करते थे .

पिछले शुक्रवार को दो उर्जा सलाहकार शांतनु सैकिया और प्रयास जैन तथा आरआईएल के शैलेश सक्सेना, एस्सार के विनय कुमार, केयर्न्‍स के के. के. नायक, जुबिलिएंट एनर्जी के सुभाष चंद्रा और एडीएजी रिलायंस के रिषी आनंद को गिरफ्तार किया था .

अन्ना हजारे भूमि अध्यादेश पर आज रात केजरीवाल से मिलेंगे

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भूमि अध्यादेश पर आंदोलन के मद्देनजर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल आज रात दिल्ली में मुलाकात करेंगे. हजारे के सहयोगी दत्ता अवारी ने बताया कि बैठक दिल्ली में महाराष्ट्र सदन में होगी.

सरकार संसद में तथा बाहर गैर राजग दलों के जबर्दस्त विरोध के बीच भूमि अध्यादेश की जगह नया विधेयक ला रही है. भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार भूमि अधिग्रहण के मामले में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के लिए कम से कम 70 प्रतिशत और निजी कंपनियों के लिए कम से कम 80 प्रतिशत भू स्वामियों की सहमति आवश्यक है.

गत दिसंबर में सरकार भूमि कानून में बदलाव करते हुए अध्यादेश लेकर आई थी. इन बदलावों में पांच क्षेत्रोंऔद्योगिक कॉरिडोर, पीपीपी परियोजनाओं, ग्रामीण अवसंरचना, किफायती आवास और रक्षा--के लिए सहमति के उपबंध को भी हटा दिया गया था.

दिल्ली विधानसभा: 70 विधायकों ने लिया शपथ

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दिल्ली विधानसभा का सत्र आज से शुरू हो रहा है. दिल्ली विधानसभा के दो दिवसीय सत्र के पहले दिन 70 विधायकों ने शपथ लिया . इस सत्र में दिल्ली सरकार द्वारा किये गये वादों पर चर्चा होगी जिनमें महिला सुरक्षा और सस्ती बिजली सहित कई गंभीर मुद्दे शामिल हैं. 

यह सत्र कई मायनों में महत्वपूर्ण है इस दौरान नये स्पीकर का चयन किया जायेगा. नव निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने के लिए सदन के एक वरिष्ठ सदस्य को अस्थायी स्पीकर नियुक्त किया जायेगा. गौरतलब है कि  70 सदस्यीय विधानसभा में आप के 67 जबकि भाजपा के तीन विधायक हैं. 
 
विधानसभा सत्र के दूसरे दिन दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग सदन को संबोधित करेंगे. अपने अभिभाषण  में नयी सरकार की नीतियों की झलक पेश करेंगे.  इसके बाद अस्थायी स्पीकर विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चयन में मदद करेंगे. अल्पकाल के इस  सदन का दिल्ली सरकार पूरा इस्तेमाल करने की कोशिश करेगी

मोदी सरकार का वेदों के प्रति ढीला रवैयाहै: रामदेव

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योग गुरु बाबा रामदेव ने बजट सत्र के शुरू से ठीक एक दिन पहले रविवार को नरेंद्र मोदी सरकार को वेदों के प्रचार की तरफ ध्यान देने की नसीहत दे डाली. उन्होंने कहा कि वेदों के लिए ठीक वैसे ही खजाना खोला जाए, जैसा कि अल्पसंख्यक संस्थानों के लिए किया गया है. साथ ही उन्होंने वैदिक शिक्षा का केंद्र खोलने का प्रस्ताव दिया है.

उन्होंने कहा, 'सरकार ने मदरसों को धन दिया है. यह अच्छी बात है. हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं. हम किसी दूसरे धर्म का अपमान नहीं करते और किसी को नीचा दिखाने की हमारी मंशा नहीं है. मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास की बात करती है लेकिन उसके तहत हमारे वेद नहीं आते.

रामदेव वेदों पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे और उन्होंने वैदिक विद्यापीठ की स्थापना कर दुनिया में वैदिक शिक्षा का प्रसार किए जाने की भी मांग की. रामदेव ने आरोप लगाए, 'इस सम्मेलन के आयोजकों ने इस समारोह पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन हमारे सरकार के पास वेदों पर खर्च करने के लिए धन नहीं है. वे इसके लिए अपना खजाना नहीं खोल सकते.

उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि हमारे देश की प्राचीन बौद्धिकता के महत्व को देखते हुए उन्हें इस पर कई हजार करोड़ रुपये खर्च करने चाहिए. वे संस्कृत पर तो खर्च कर रहे हैं, लेकिन वेदों के लिए उनके पास धन नहीं है.'



 

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (23 फ़रवरी)

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नीतीश चैथी बार बने बिहार के मुख्यमंत्री

नरकटियागंज(पच) नीतीश कुमार को चैथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर शहर के जदयू पार्टीजनों में जश्न का माहौल दिखा। नगर अध्यक्ष मुरली मनोहर गुप्ता के नेतृत्व में पूर्व विधायक सुबोध कुमार पासवान, राजन मिश्र, अलखदेव पासवान, प्रकाश गुप्ता, अरविन्द मणी, अनिल कुमार, भोली उर्फ दीनानाथ सोनी, रजनीश कुमार उर्फ मुन्ना, विक्रमा चैधरी, अफरोज आलम तंजीम, कमरूल आरफीन, अजय कुमार, चन्द्र किशोर महतो ने अतीशबाजी की और मिठाइयाँ बाँटी। पूर्व विधायक सुबोध कुमार पासवान ने कहा कि माँझी ने दलितों के लिए काम अच्छा किया लेकिन वे विश्वासघाती है, इसलिए उन्होंने दलितो का विश्वास खो दिया है। दल के अन्य वरीय नेताओ ने भी मांझी पर अपनी भंडास निकाली। उक्त आशय की जानकारी नगर अध्यक्ष की प्रेस विज्ञप्ति द्वारा मिली।

नरकटियागंज अनुमण्डलीय अस्पताल को शीघ्र चालू कराया जाए  आवाज

narkatiaganj news
नरकटियागंज(पच) नरकटियागंज में अनुमण्डल अस्पताल का निर्माण स्वास्थ्य विभाग के आदेश संख्या 45(10) दिनांक 15 जून 2009 द्वारा प्रारंभ हुआ और निर्माण कार्य पूर्ण हो गया। जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का संचालन विगत दो वर्ष से जारी है। अनुमण्डलीय अस्पताल प्रारंभ करने के लिए नवनिर्वाचित विधायक रश्मि वर्मा ने क्षेत्र की जनता की हितों का ध्यान रखते हुए। विधानसभा में अनुमण्डलीय अस्पताल के लिए प्रश्न उठाया। विभागीय पत्राचार किया। उसके उपरान्त स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हो गया। विभागीय पत्रांक 971(10) 19 दिसम्बर 2014, पत्रांक 989(10)20 दिसम्बर 2014 के अनुरूप सिविल सर्जन सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी पश्चिम चम्पारण के पत्रांक 109 दिनांक 22 जनवरी 2015 निर्गत है। नरकटियागंज के समाजिक कार्यकर्ता और पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता मनौवर आलम ने अपने संगठन आवाज के पत्रांक 08/15 दिनांक 21 फरवरी 2015 के माध्यम से मुख्य सचिव बिहार सरकार, प्रधान सचिव विŸा विभाग बिहार, प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग बिहार, सचिव सह कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार, निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएँ बिहार को पत्र देकर निर्मित अनुमण्डलीय अस्पताल को चालू कराने का आग्रह किया है। चुकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नरकटियागंज में स्वीकृत पद के अनुरूप न तो चिकित्सक पदस्थापित है और न चिकित्साकर्मी ही। स्वास्थ्य विभाग का यह कृत्य घोर अनियमितता, लापरवाही, मानवीय संवेदनहीनता और जनविरोधी है। इसलिए आवाज की मांग को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, स्वास्थ्य विभाग के पत्रांक 45(10) दिनांक 15 जून 2009 के अनुरूप अनुमण्डली अस्पताल में चिकित्सा पदाधिकारी, पारा मेडिकल कर्मियांे की पदस्थापना व आवंटन किया जाए। अनुमण्डलीय अस्पताल की आधारभूत संरचना मानक के अनुरूप, मशीन, उपकरण, सामग्रियों की आपूर्ति कर अस्पताल को चालू कराए। बिहार सरकार के जनकल्याणकारी अनुमण्डलीय अस्पताल को चालू करने में बिलम्ब करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध लापरवाही व उदासीनता बरतने जैसे कार्य के लिए उनके विरूद्ध विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए, आवाज को कार्रवाई से अवगत कराया जाए।

एसपी के जनता दरबार का मामला लम्बित, कार्रवाई पर संदेह

नरकटियागंज(पच) गौनाहा थाना के निवासी अम्बिका बैठा पिता स्व.सरयुग बैठा ने पश्चिम चम्पारण के बेतिया पुलिस के जिला कप्तान सौरभ कुमार शाह से पुलिस अधीक्षक बेतिया के जन शिकायत कोषांग में निबंधन संख्या 9240/2014 दिनांक 18 दिसम्बर 2014 में मिलकर शिकायत दर्ज कराया कि उनके पुत्र के साथ दुव्र्यवहार किया गया। उसके बाद उसने शिकारपुर पुलिस में घटना की प्राथमिकी  दर्ज कराई। उस प्राथमिकी का उठा लेने के लिए उनके पुत्र पर दवाब बनाया गया और कातिलाना हमला किया गया। जिस संबंध में गौनाहा थाना में प्राथमिकी दर्ज हैं। उनके पुत्र के जान के दुशमन बने लोगों ने शिकारपुर पुलिस के अंचल निरीक्षक से मिलकर नरकटियागंज में एक मामला दर्ज कराया जिसमें अम्बिका बैठा ने अपने पुत्र को अभियुक्त बनाया गया। श्री बैठा ने बताया है कि उनके पुत्र मंजय लाल सत्यम को पुलिस के अधिकारी किसी भी मामले में फँसाकर जेल भेजने के मूड में है। इसके लिए वे किसी हद तक जाने में नहीं हिचकेंगे। श्री बैठा ने कहा कि उनका पुत्र मीडिया के क्षेत्र में काम करता है और उसका काम गरीब व असहाय तथा दलितो व पिछड़ों के हित में है। यह काम कुछ लोग व उनके पालतू बिचैलियो को पसंद नहीं, जिसके कारण उनके पुत्र पर अत्याचारों की लम्बी फेहरिस्त बना दी गयी है। उपर्युक्त बातों के साथ श्री बैठा ने बताया कि उनका पुत्र अभी जमानत पर है और मीडिया का काम  कर रहा है अलबŸाा उसे फँसाने की साजिश जारी है। पूरे प्रकरण में एसपी बेतिया की चुप्पी संदेहास्पद है।

एक इंटरेक्टिव वेबसाइट फिनिश प्रॉबल्म का अनावरण

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फिनिश प्रॉबल्म एक सूचनाप्रद एवं परामर्शदात्री वेबसाइट है ने पूरे भार में लोगों की मदद, समर्थन करने और परामर्श देने की पहल की है। जीवन सभी क्षेत्रों से लोग ऐसे चिरस्थाई मसलों के बारे में सहायता ले सकते हैं जिनके कारण कभी-कभी अनिश्चितताएं पैदा हो जाती हैं और तनाव पैदा हो सकता है। इन विषयों में स्वास्थ्य एवं जीवनशैली, तंदुरुस्ती और कदकाठी, टूर एंड ट्रैवल्स, इलेक्ट्रानिक्स और आॅटोमोबाइल्स, रिलेशनशिप सलाह, कानूनी और कारपोरेट सलाह, चिकित्सा देखभाल और ज्योतिष शामिल हैं। न केवल  फिनिश प्रोब्लम में एक्सपर्ट टीमें अपने सर्वश्रेष्ठ के साथ आनलाइन मदद करती एवं परामर्श देती हैं बल्कि इन विषयों के संबंध में टेलीफोन काल के जरिये भी मदद करती हैं। इसका अर्थ है कि यह केवल बस जानकारी नहीं है, बल्कि लोगों को उनकी सभी समस्याओं को खत्म करने में जो निर्णय लेने एवं निर्णयों को परखने में उनके लिए कठिनाइयां पैदा करती हैं, मदद करने के लिए एक विशेष मार्गदर्शक होना है। 

अनावरण के समय श्री सुनील सेठी, फैशन काउंसिल आफ इंडिया के प्रेजिडेंट, डा. मलविका सभरवाल, भारत की जानी-मानी स्त्रीरोग विशेषज्ञ और नोवा स्पेशलिटी अस्पताल की एक प्रमुख कंसल्टेंट, श्री मनीष गुप्ता, जेआईएमएस के चेयरमैन और जगन्नाथ यूनीवर्सिटी के कुलपति, डा. सीमा मिड्ढा, सुप्रसिद्ध टैरट कार्ड रीडर जो “टैरट काड्र्स की रानी“ भी कहलाती हैं, श्री निर्मल सिन्हा, चेयनमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, हैंडीक्राफ्ट्स एंड हैंडलूम्स, एक्सपोर्ट कार्पोरेशन लि.,एचएचइसी डा. सोम टगनेट, श्री पुनीत राय, फिनिश प्रोब्लम डाट कोम के संस्थापक, श्रीमती अंजलि राय और श्रीमती वैशली राय, फिनिश प्रोब्लम डा कोम की मैनेजिंग डायरेक्टर्स उपस्थित थे। साथ ही, निधि बगाड़िया, चितवन मल्होत्रा, पूजा गोगिया, अल्मा रांचल, अमनप्रीत वाही, मीनाक्षी दत्त, प्रीति घई, अनुकांत दुबे, रीमा अरोड़ा, नैरा मागो और रेखा चावला भी उपस्थित थे। अगर आप किसी डाक्टर या किसी वकील या किसी दूसरे व्यवसायी से मुलाकात करते हैं तो आप कितना खर्च करते हैं? बस अपनी छोटी-मोटी समस्याओं को हल करने के लिए कुछ सैकड़ों या हजारों रुपये? लेकिन अगर आपको यह पता हो कि बस 10 रुपये में वही परामर्श को आपको मिल जाए, वह भी अपने घर बैठे आराम करते हुए तो यह कितना अद्भुत होगा। जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा है! आज की दुनिया में मार्गदर्शन लेना काफी महंगा और समयखपाऊ भी हो गया है। फिनिश प्रोब्लम अपने यूज़र्स के लिए एक्सपट्र्स द्वारा विभिन्न समस्याओं के बारे में सहायता उपलब्ध कराता है। एक आम आदमी पर समस्याओं का बोझ लदाहै और उनमें से तनाव एक है। फिनिश प्रोब्लम के एक्सपट्र्स यह सलाह देते हैं कि किस तरह तनाव से मुक्त रहा जाए, चिकित्सा आकस्मिकताओं, चिकित्सा करियर, होम्योपैथी और आयुर्वेद के बारे में जाने-माने विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन किया जाता है, तंदुरुस्ती, सौंदर्य एवं जीवशैली के बारे मे प्रशिक्षित प्रोफेशनल द्वारा दिलचस्प नुक्ते बताए जाते हैं, टूर्स एंड टैवल के बारे में अनुभवी एक्सपट्र्स द्वारा अपडेट जानकारी दी जाती है। फिनिश प्रोब्लम एक कंसल्टेंसी एवं परामर्शदा़त्री वेबसाइट है। के पा डाक्टरों, वकीलों, ट्रैवल कंसल्टेंट्स, चार्टेड एकाउंटेंट्स, मनोविज्ञानियों, जीवनशैली विशेषज्ञों, फिटेनस एक्सपट्र्स, न्यूट्रीशनिस्ट, डायटिशियन, इलेक्ट्रानिक्स एवं आटोमोबाइल एक्सपर्ट की एक  टीम एक ही छत के नीचे मौजूद है। आप हमारे एक्सपट्र्स पर भरोसा कर सकते हैं और अपनी सारी समस्याओं के बारे में सीधे काल के जरिये या चैट के माध्यम से चर्चा कर सकते हैं। इसका सरल अर्थ है कि आप सर्वाधिक सुविधाजनक तरीके से आपकी समस्याओं का हल तुंरत मुहैया कराते हैं। आपको बस आसान पूछताछ का जवाब हासिल करने के लिए किसी के पास जाने हेतु भाग-दौड़ करने, बहुमूल्य समय एवं पैसा बर्बाद करने की जरूरत नहीं है क्योंकि हम आपकी मदद करने के लिए यहां हमेशा मौजूद हैं।



अशोक कुमार निर्भय 
संपर्क : 9210043206 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (23 फ़रवरी)

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त्यौहार भाईचारे के प्रतीक शांति समिति की बैठक सम्पन्न

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सभी त्यौहार भाईचारे की भावना को बढ़ावा देते हैं। आगामी त्यौहार होली एवं रंगपंचमी के परिपेक्ष्य में की जाने वाली तैयारियों की बिन्दुवार चर्चा आज शांति समिति की बैठक में की गई। पुलिस अधीक्षक श्री धर्मेन्द्र चैधरी एवं अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया की संयुक्त अध्यक्षता में सम्पन्न हुई इस बैठक मंे उन्होंने समिति के पदाधिकारियों द्वारा जन हितैषी सुझावो के साथ-साथ आवश्यक व्यवस्थाओं को क्रियान्वयन करने के निर्देश संबंधित विभागों के अधिकारियों को दिए। बैठक में साफ-सफाई, आवारा मवेशियों की रोकथाम, पेयजल व्यवस्था, विद्युत आपूर्ति, चिकित्सा, यातायात व्यवस्था, ध्वनि प्रदूषण और नदी घाटांे पर की जाने वाली व्यवस्थाओं के संदर्भ में विभिन्न विभागों के अधिकारियों को जबावदेही सौपी गई है। इस दौरान बताया गया कि धुरेड़ी एवं रंगपंचमी के दिन दोपहर दो बजे से तीन बजे तक अतिरिक्त जल प्रदाय की व्यवस्था नगरपालिका द्वारा की जाएगी। इसके अलावा विभिन्न स्थलों पर पानी के टेंकर भी रखे जाएंगे।

चंदा
अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने कहा कि होली के लिए जबरन चंदा वसूली ना की जाए। खासकर सड़कों के किनारे वाहनो को रोककर चंदा लेने की कार्यवाही ना की जाए। यदि किसी के द्वारा इस प्रकार के कृत्य किए जाते है तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।  पुलिस अधीक्षक श्री धर्मेन्द्र चैधरी ने कहा कि आयोजन समितियों की बैठक थानावार की जाएगी। उन्होंने होलिका दहन स्थल की सुरक्षा मंें आयोजक समिति के सदस्य भी सहयोग करें की अपेक्षा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि धुरेडी, फगुआ (होलिकोत्सव) को भाईचारे की भावना से मनाएं किसी पर जबरदस्ती रंग ना लगाएं। 

कर्णप्रिय ध्वनि
पुलिस अधीक्षक श्री चैधरी ने बताया कि धुरेड़ी, फगुआ पर डीजे पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। कर्णप्रिय  ध्वनि विस्तारक यंत्रों का ही उपयोग करने की सलाह उन्होंने दी। 

होलिका दहन
विदिश शहर में होलिका दहन लगभग सौ स्थलों पर पांच मार्च को किया जाएगा। दहन के पूर्व सड़क पर मिट्टी की परत बिछाने हेतु नगरपालिका के द्वारा मिट्टी उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं होलिका दहन समितियों के सदस्यों से आग्रह किया गया कि वे टेलीफोन, बिजली के खंभो के तारो के नीचे होलिका दहन ना करें। इसके लिए ऊर्जा विभाग एवं नगरपालिका और पुलिस की संयुक्त टीम के द्वारा होलिका दहन स्थलों के निरीक्षण की जबावदेंही सौंपी गए है। 

लकड़ी की व्यवस्था
विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी वन विभाग के द्वारा जलाऊ लकड़ी का प्रबंध नगरपालिका के माध्यम से नियत स्थलों पर भण्डारित कराया जाएगा। शासकीय दर पर जलाऊ लकड़ी उपलब्ध कराई जाएगी। होलिका दहन समितियों के सदस्यों से आग्रह किया गया है कि वे हरे-भरे वृक्ष ना काटें। कलेक्टेªट के सभाकक्ष में आयोजित की गई उक्त शांाति समिति की बैठक मंे समिति के सम्माननीय सदस्यगणों के अलावा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री राय सिंह नरवरिया, विदिशा एसडीएम श्री एके सिंह एवं विभिन्न विभागों के जिलाधिकारी मौजूद थे।

एक मार्च को पल्स पोलियो अभियान, तैयारियों का कलेक्टर द्वारा जायजा

आगामी एक मार्च को पल्स पोलियो अभियान के तहत शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो विमुक्ति की दवा पिलाई जाएगी। इसके लिए तैयार कार्ययोजना की समीक्षा सोमवार को कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने कलेक्टेªट के सभाकक्ष में की। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ प्रमोद कुमार चतुर्वेदी, सिविल सर्जन सह अधीक्षक डाॅ मंजू जैन, डीपीएम डाॅ राजेन्द्र खरे, डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डाॅ एमएस राजावत के अलावा डीआईओ डाॅ निर्मला तिवारी समेत समस्त बीएमओ मौजूद थे। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि पोलियो विमुक्ति दवा पिलाने से कोई बच्चा वंचित ना हो का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने अभियान के दिन जिन बच्चों को दवा नहीं दी जा सकती है उन पर विशेष निगरानी रखी जाए और दूसरे दिन उन्हें घर जाकर पोलियो ड्राप की खुराक दी जाए। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों और स्लिम एरिया में अभियान का विशेष तौर पर क्रियान्वयन किया जाए। उन्होंने की गई कार्यवाही का पालन प्रतिवेदन एवं बेवसाईट पर जानकारी समय पर अंकित करने के निर्देेश दिए। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से क्रियान्वित योजनाओं के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु अब तक की गई योजनावार कार्यवाही की भी जानकारी कलेक्टर द्वारा प्राप्त की गई। अनुविभाग स्तर पर तैयार की समीक्षा बैठक 26 फरवरी की शाम चार बजे आयोजित की जाएगी। इस बैठक में खण्ड स्तरीय चिकित्सा अधिकारियों के अलावा क्षेत्र की समस्त आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं को उपस्थित होने के निर्देश दिए गए है। 

मिशन इन्द्रधनुष
डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डाॅ राजावत ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के द्वारा मिशन इन्द्रधनुष के क्रियान्वयन हेतु गाइड लाइन जारी की है। उक्त मिशन प्रदेश के 15 जिलों में क्रियान्वित किया जाएगा जिसमें विदिशा भी शामिल है। मिशन के तहत स्वास्थ्य गतिविधियों से वंचित क्षेत्रांे के बच्चों को टीकाकरण का विशेष कार्य क्रियान्वित किया जाएगा। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, और स्कूल शिक्षा विभाग का भी सहयोग अपेक्षित है। जिले में मिशन इन्द्रधनुष चार राउण्डों में क्रियान्वित किया जाएगा जिसमंे प्रथम 23 से 31 मार्च, द्वितीय 20 से 27 अपै्रल, तृतीय 18 से 25 मई और अंतिम चतुर्थ राउण्ड 22 जून से 29 जून तक क्रियान्वित किया जाएगा।

शिविर स्थगित

जिला मुख्यालय पर समाजसेवी संस्था तरूण मित्र परिषद के संयुक्त समन्वय से 26 फरवरी को आयोजित होने वाला पोलियो करैक्टिव सर्जरी शिविर अपरिहार्य कारणों से स्थगित किया गया है शिविर आयोजन की तिथि पृथक से जारी की जाएगी।

आपदा प्रबंधन से अवगत हुए कोटवार

डिस्ट्रिक कमाडेंट होमगार्ड के द्वारा थाना स्तर पर आपदा प्रबंधन की कार्यशालाआंे का आयोजन किया जा रहा है। इस कड़ी के तहत शुक्रवार को करारिया थाना परिसर में आपदा प्रबंधन की कार्यशाला का आयोजन किया गया था जिसमें थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चैकीदार, कोटवारों को आपदा के समय निपटने के तरीके से अवगत कराया गया। इसके अलावा पूर्व तैयारियों के परिपेक्ष्य में जानकारी दी गई। कार्यक्रम स्थल पर अतिरिक्त तहसीलदार श्री केएन ओझा, डिस्ट्रिक्ट कमाडेंट श्री संतोष शर्मा, थाना प्रभारी सुश्री अरूणा सिंह एवं कंपनी कमाण्डर श्री उमेश तिवारी विशेष तौर पर मौजूद थे। 

पुर्नमतदान आज

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त्रि-स्तरीय पंचायत आम चुनाव के तृतीय चरण अंतर्गत सिरोंज के मतदान केन्द्र क्रमांक 117 खोदूपुर और नटेरन की ग्राम पंचायत संग्रामपुर, खजूरीदास एवं सेऊ के वार्ड-6 मंे राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देशो के अनुपालन में आज 24 फरवरी को पुर्नमतदान होगा। मतदान का समय प्रातः सात बजे से दोपहर तीन बजे तक का नियत किया गया है।  कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री एमबी ओझा ने जानकारी देते हुए बताया कि सिरोंज विकासखण्ड के मतदान केन्द्र क्रमांक 117 खोदूपुर में जिला पंचायत सदस्य एवं जनपद सदस्य के लिए तथा नटेरन विकासखण्ड की ग्राम पंचायत संग्रामपुर, खजूरीदास में सरपंच पद के लिए तथा ग्राम सेऊ के वार्ड-6 में पंच पद हेतु पुर्नमतदान होगा। 

रिटर्निंग आफीसर
कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकरी श्री ओझा के द्वारा विकासखण्ड नटेरन एवं सिरोंज के मतदान केन्द्रों पर पुर्नमतदान प्रक्रिया सुव्यवस्थित रूप से सम्पन्न कराए जाने हेतु रिटर्निंग आफीसर भी नियुक्त किए गए है। जारी आदेश में उल्लेख है कि नटेरन विकासखण्ड में पुर्नमतदान हेतु तहसीलदार श्री सत्यनारायण सोनी को रिटर्निंग आफीसर बनाया गया है। ग्राम पंचायत संग्रामपुर के मतदान केन्द्रों का प्रभारी अधिकारी का दायित्व तहसीलदार श्री संतोष बिटौलिया को सौंपा गया है। इसी प्रकार सिरोंज के लिए तहसीलदार श्री मनीष शर्मा को रिटर्निंग आफीसर का दायित्व सौंपा गया है इसके अलावा कानून व्यवस्था बनाएं रखने हेतु अधिकारियों को दायित्व सौंपे गए हैं।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (23 फ़रवरी)

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क्षेत्र मे जिते कई युवा सरपंच जनता ने पुरानो का नकारा, दों युगल ने पंचपद पर जित कर बनाया इतिहास

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पारा---त्रिस्तरिय पंचायत चुनाव मे तिसरे दोर के मतदान का समापन रविवार को हूआ।जिसमे क्षेत्र के मतदाताओ ने अपनी अपनी ग्राम सरकार का चुनाव किया वही जिला व जनपद के संचालन के लिए भी अपना प्रतिनिधि दिया।छुट पुट घटनाओ को छोड कर मतदान शांती पुर्ण रहा। प्राप्त जानकारी के अनूसार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तिसरे दोर का मतदान  समपन्न रविवार की सूबह आरंभ होकर दोहपर 3 बजे के पश्चात समपन्न हूए जिनके परिणाम देर रात तक प्राप्त हुए वही जिला पंचायत व जनपद पचांयत के लिए भी मतदाताओ ने अपने क्षेत्र से प्रतिनिधि का चयन किया जिनके परिणाम आने मे अभी देर हे हालाकी पंचायतो के भी परिणाम भी निर्वाचन आयेाग ने विधिवत धोषित नही किए हे फिर भी मतदाताओ के रूझान का पता तो सभी को लग गया हे वही देर रात तक जो परिणाम आए हे वे काफी चैंकाने वाले हे लगभग सभी जगह जनता ने नए युवा सरपंच को मोका दिया हे । विजेता प्रतिनिधियो ने अपने अपने क्षेत्र मे रात को ही विजयी जुलूस निकाला व मतदाता ओ के प्रति आभार प्रदर्शीत कीया। रामा ब्लाक के पारा क्षेत्र की करिब 25 पंचायतो मे से इन्दुबाला डामोर पारा, रेशमा कालु खराडी रातिमाली,खेमसिह झुमका,सज्जनसिह अमलीयार आम्बा,प्रतापसिह छापरीरणवास,दलसिह निनामा ढोचका,ठाकुरसिह सेंगर सागीया, मोतली परमार परमार चुडेली,ललीता अमरसिह मेडा कलमोडा,सरदार सिह डावर पलासडी,बच्चु निनामा धमोई,पप्पु वसूनीया पिथनपूर, वेस्ता बावडी, श्रीमति किराड दोलतपुरा, सेकुरावत नरसिगपुरा, ईन्दरसिह महुडीपाडा,चेनसिह बारीया बलोला,कमला सोमसिह सोलंकी रजला व सन्तु डामोर खयडू आदी सरपंच पद पर विजयी रहे। वही पारा पंचायत के पंच पद हेतु 20 वार्डो मे से 17 का चुनाव हुआ जिनमे से सबसे कम उम्र के प्रत्याशी शुभम सोनी वार्ड क्रमांक 10 से विजयी रहेहे। दो युगल रहे विजयी-- पारा पंचायत मे पंच पद पर चार युगल मेदान मे थे जिसमे से दो युगल वार्ड क्रमांक 17 से बालूसिह मडोड व वार्ड क्रमांक 16 से इनकी पत्नि कसुबाई मडोड दोनो जिते हे वही वार्ड क्रमांक 8 से दिपेश जेन व वार्ड क्रमांक 14 से प्रति दिपेश जेन सफलता प्राप्त की हे वही वार्ड क्रमांक 5 से दिपेश जेन की माता कलावती राजमल जेन भी विजयी रही ज्ञात हो कि दिपेश जेन अपने परिवार के सभी सदस्यो को चुनाव मे खडा किया व कुशल रणनिति अपनाते हुए सभी को एक तरफा जित भी दिलवाई वही अपनी पेनल के भी कई सदस्यो को विजयी करवाया साथ ही उपसरपंच पद के सबसे बडे दावेदार बनकर भी उभरे हे।

चुनाव मे आपसी रंजीष के चलते मकान जलायें
         
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पिटोल---यहा से 10 किमी दुर ग्राम पंचायत गेहलर छोटी मे चुनाव हार जीत के चलते दो पक्षो मे टकराव हो गया जिसमें पण्डा के चुनाव हार जाने से तथा जामसिंग के चुनाव जीत जाने के कारण एवं पूराने विवाद के चलते एक पक्ष ने दुसरे पक्ष के मकानो को आग लगा दी।जिसमे दो मकान जला दिये गये जो कि मुकेष कोटवार एवं ज्योतिया का था।


जीत का जूलुस निकाल कर प्रदर्शीत किया आभार

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पिटोल - ग्राम पंचायत पिटोल के सरपंच चुनाव में लगातार चोथी बार विजय हासिल कर श्री काना गुण्डीया ने सरपचं पद पर कब्जा किया। काना गुण्डीया को पूरे गाॅव के लोगो ने काना गुण्डीया के व्यवहार एवं कुषल कार्य को देखते हुवें लगातार चैथी बार भारी बहुमत से सरपंच बनाया। ज्ञात रहे पिछली बार पिछली बार काना गुण्डीया कि पत्नी हुमा पति काना गुण्डीया को र्निविरोध सरपंच बनाया गया था। ओर इस बार फिर काना गुण्डीया गाॅव के विकास करने एवं सभी वर्गो के लोगो को साथ लेकर चलने तथा इस विष्वास के साथ के अगले पाॅच वर्षो मे पुनः गाॅव के विकास को करने के लिये जीत का आर्षिवाद दिया। सरपचं पद हेतू 4 उम्मिदवार खडे हुवे थे-  पिटोल पंचायत मे सरपंच पद हेतू 4 उम्मीदवार खडे हवे थे जिसमे राजनितिक दलों द्वारा अपने अपने प्रत्याषीयों को विजय बनाने के लिये एडी चोटी का जोर लगाया गया। जिसमे पिटोल कि जनता द्वारा विगत 15 सालों से उत्कृष्ट कार्य कर रहे काना गुण्डीया को चुन कर विजय बनाया गया। जहाॅ कुल 2237 मत डाले गये जिसमे काना गुण्डीया को - 791, तितरीया गुण्डीया को - 379, मकना गुण्डीया को - 279, एवं बाबु गुण्डीया को 155 ओर बाकी के 200 मत रिजेक्ट हो गये। पुलिस विभाग का रहा सराहनिय योगदान - पूरे चुनाव को षांतिपूर्ण सम्पन्न करवाने के लिये वरिष्ठ अधिकारीयों कि देखरेख मे कुण्डला, मसुरीया, ढेकल छोटी, काला पिपल, भोयरा, कोटडा, कालाखुट, बावडी बडी, काकरादरा खुर्द, पिटोल बडी, मण्डली बडी, भीमफलिया, रेता, इन पंचायतों के चुनाव बिना किसी विवाद के षांतीपूर्ण सम्पन्न करवायें गये। जिस कारण पुलिस कि कार्यप्रणाली प्रषंसनीय रही। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी पुलिस कप्तान श्रीमती कृष्णावेणी देसावतु, अति. पुलिस अधिक्षक सुंदरसिंह कनेष, एस डी ओपी. श्रीमती रचना भदोरीया, थाना प्रभारी षेरसिह बघेल, पिटोल चोकी प्रभारी श्री एमएल भाटी, एवं पिटोल चोकी के प्र. आर. निरज सागर, प्र. आ. षराफत हुसैन के साथ पुलिस फोर्स एवं ग्रामीण सहयोग से षांतीपूर्ण मतदान हुआ जिसके लिये सभी बधाई के पात्र है।

वरिष्ठ नागरिक फोरम के स्वाईन फ्लू षिविर का सफल आयोजन हुआ, 1500 से अधिक  लोगों ने उठाया लाभ 

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झाबुआ ---नगर मे स्वाईन फ्ल्यू के संभावित प्रकोप के बचाव के लिये नगर में सोमवार का जिला पेंषनर एसोषिएषन, वरिष्ठ नागरिक फोरम एवं सहायता केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय एकलव्य भवन परिसर थांदला गेट पर निषुल्क स्वाईन फ्लु  निवारण की होम्योपैथिक दवाई वितरण का षिविर आयोजित किया गया । इस अवसर पर जिला आयुष अधिकारी डा. सीएल वर्मा,  होम्यौपेथी चिकित्साधिकारी डा. कैलाष पाटीदार, श्रीमती मंजुला देराश्री, कम्पाउंडर आयुष विभाग, कुमारी शीला सोहनी कम्पाउंडर आयुष विभाग, एवं ष्याम नाडिया आयुष कर्मी द्वारा करीब 1500 से अधिक लोगों को स्वाईनफ्लु रोधी होम्योपेथिक दवाई इन्फ्लूएंजम 200 दवाई का सेवन कराया गया । डा. कैलाषपाटीदार ने इस औषधि के गुणों की जानकारी देते हुए बताया कि फ्ल्यु एवं सर्दी खांसी से बचाव के लिये यह कारगार होम्यौपैथी औषधि है इसका कोई भी साईड इफेक्ट नही होकर इसके तीन दिन तक सेवन करने से सर्दी,खांसी एवं फ्लु होने से बचा जासकता है । वरिष्ठ नागरिक फोरम ,ं सहायता केन्द्र व पेंषनर्स एसोसिएषन के भेरूसिंह राठौर, महेषचन्द्र गुप्ता,रतनसिंह राठौर, पीडी रायपुरिया, गणेष उपाध्याय, यषवंत भंडारी, जयेन्द्र बैरागी, जेएल राठौर, भगवतीलाल षाह, श्रीमती मुन्नीदेवी बाजपेयी राजेन्द्रकुमार सोनी, रणछोडलाल राठौर आदि ने सतत उपस्थित रह कर इस षिविर के सफल आयोजन में अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वाह किया । वरिष्ठ नागरिक फोरम के एमसी गुप्ता ने इस षिविर के आयोजन में आयूष विभाग के डा. सीएल वर्मा एवं उनकी टीम द्वारा दी गई सेवाओं के लिये उनका धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मानव सेवा के इस कार्य में सहयोग करने के लिये उनको साधुवाद दिया ।

नपा अध्यक्ष ने कोपल उद्यान की बाउंडरी वाल एवं वार्ड 11 में पुलिया निर्माण का भूमिपूजन किया 

झाबुआ--- नगरपालिका नगर के सौंदर्यीकरण के साथ ही नगर के विकास के लिये जनहित के कार्यो के माध्यम से षहर को एक आदर्ष नगर बनाने के साथ ही स्वच्छ एवं सुंदर षहर की परिकल्पना को अमली जामा पहिनाने के लिये पूरी पारदर्षिता के साथ कार्य कर रही हॅै। नगर में सभी बगीचों को चरणबद्ध तरिके से विकसित करने की कार्ययोजना को भी क्रियान्वित किया जारहा है तथा नगर के सभी वार्डो में सडकों एवं नालियों के निर्माण के कार्य भी तेजी से किये जारहे है। नगरवासियों का हम भरपुर सहयोग मिल रहा है और हम उनकी अपेक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरने का पूरा प्रयास  कर रहे है । उक्त उदगार नगरपालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया ने सोमवार को स्थानीय इन्दौर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित कोपल उद्यान की 25 लाख की लागत की बाउंडरी वाल के भूमि पूजन के अवसर पर कहीं ।  इस अवसर पर नगरपालिका के पार्षदगण सईदुल्लाखान, महेन्द्र पंवार, जमुना वाखला, संजय सोनी  ओटी, नंदलाल रेड्डी, सहित बडी संख्या में पार्षद गण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे । श्री बारिया ने विधिवत भूमिपूजन कर कार्य का शुभारंभ किया । उन्होने बताया कि यह बाउंडरी वाल बन जाने से जहां बगीचे की सुंदरता में बढोत्तरी होगी वही नगर के लोगों के लिये भी यह अच्छा घुमने लायक स्थान बन जायेगा तथा बगीचे में बच्चों के मनोरंजन के भी साधन भी उपलब्ध रहेगें ।

पुलिया निर्माण का किया भूमि पूजन-
नगर के वार्ड क्रमांक 11 में सुलतानफलिया में नगरपालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया द्वारा सोमवार को ही 27.50 लाख की लागत के पुलिया निर्माण का भूमि पूजन भी नगरपालिका के सभी पार्षदों की उपस्थिति में किया । बरसों से इस वार्ड में पुलिया निर्माण की मांग नागरिकों द्वारा की जारही थी । इस पुलिया निर्माण हो जाने के बाद सुलतानफलिया एवं वार्ड 11 के नागरिकों को आवागमन में काफी सुविधा मिल सकेगी ।

नवनिर्मित रोड का नपा अध्यक्ष ने किया अवलोकन निरीक्षण 

झाबुआ---नगर के वार्ड क्रमांक 1 में राजवाडा चैक से लेकर सर्कीट हाउस तक के रोड के डामरीकरण की मांग को देखते हुए नगरपालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया द्वारा वार्ड पार्षद श्रीमती संगीता महेन्द्रसिंह की सिफारिष पर  रोड के डामरीकरण कार्य का हाल ही में विधायक शांतिलाल बिलवाल एवं जिला भाजपाध्यक्ष शैलेष दुबे के आतिथ्य में भूमि पूजन करवाया था । उक्त रोड को रेकार्ड समय 3-4 दिन में ही पूरे मार्ग का डामरीकरण का कार्य ठेेकेदार मनोहर भंडारी द्वारा पूरा कर दिया गया । सोमवार को नपा अध्यक्ष धनसिंह बारिया, पार्षद सईदुल्लाखान, पार्षद संगीता महेन्द्रसिंह, जमुनावाखला, महेन्द्रसिंह पंवार,  संजय सोनी आदि ने इस रोड का निरीक्षण अवलोकन किया तथा समयसीमा में कार्य पूरा करने के लिये ठेकेदार मनोहर भंडारी का धन्यवाद ज्ञापित किया ।

शांतिपूर्वक निर्वाचन संपन्न होने पर कांग्रेस ने व्यक्त किया आभार

झाबुआ---त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन के तीसरे चरण में जिले के विकासखंडों मे अधिकांष जगह पर सफल एवं शांतिपूर्ण मतदान होने पर जिला कांग्रेस ने इस क्षेत्र के समसत नागरिकों ,स्वयं सेवी संस्थाओं एवं पुलिस ,प्रषासन, मीडिया के कार्यकर्ताओं का हृदय से आभार व्यक्त किया ।  साथ ही इस निर्वाचन कार्य में लगे समस्त कांग्रेस पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं के पार्टी के अधिकांष जनप्रतिनिधियों को जीताने के कार्य की सराहना करते हुए उन्हे भी धन्यवाद ज्ञापित किया ।

त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में कांग्रेस का परचम लहराया, जिला कांग्रेस ने दी बधाईया 

झाबुआ---त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में झाबुआ जिले में तीनों चरणों में जिले के अधिकांष जगहों पर कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्यो, जनपद सदस्यों, सरपंच,उप सरपंच एवं पंचों के निर्वाचित होने पर जिला कांग्रेस ने उन्हे बधाई दी है । पूर्व सांसद एवं प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, जिला कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल मेहता सहित जिला कांग्रेस,ब्लाक कांग्रेस,महिला कांग्रेस ,किसान कांग्रेस,सेवादल, युवा कांग्रेस,एनएसयुआई,सभी प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों ने संयुक्त विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि झाबुआ जिले में एक बार पुनः पंचायत चुनाव मे कांग्रेस का परचम फहराया है ।क्षेत्र की जनता ने भाजपा की जनविरोधी एवं किसान विरोधी नीतियों का पर्दाफाष किया है,जिले की जनता अब भाजपा की करनी और कथनी को समझ चुकी है तथा जिले की जनता का भाजपा की सरकार से भरोसा उठ गया है ।आनेवाले दिनों में कांग्रेस की ही जिला परिषद बनेगी तथा तथा सभी ब्लाकों में भी कांग्रेस की ही जनपद बनेगी । जिला कांग्रेस ने भरोसा जताते हुए कहा है कि कांग्रेस ने हमेषा विकास को ही  महत्व दिया है तथा उन्होने जो वादे किये थे उन्हे इमानदारी से निभाया है । आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी पुनः उभर कर प्रदेष एवं देष मे अपनी सरकार बनायेगी । सेामवार को कांग्रेस समर्थत सरपंचों ने झाबुआ नगर में अपनी जीत की खुषी में पूरे नगर में विजय जुलुस निकाला ।झाबुआ नगर के मध्यम मे थांदला गेट पर इन सभी का स्वागत जिला कांग्रेस महामंत्री जितेन्द्र प्रसाद अग्निहोत्री ने पुष्पहारों एव0ं गुलाल लगा कर स्वागत किया । कांग्रेस समर्थित विजयी समर्थक पूरे नगर मे जुलुस के साथ भ्रमण करके उन्होंने मतदाताओं का आभार व्यक्त किया ।

कैलाष डामोर पर हुए हमले की कांग्रेस ने की कडी निंदा, भाजपा के सरंक्षण में जिला प्रषासन की भूमिका संदिग्ध 

झाबुआ---रानापुर विकासखंड के गा्रम धामनीनाना में सरपंच पद के वोटो की गिनती के बाद रानापुर नगरपरिषद अध्यक्ष कैलाष डामोर एवं उनके सार्थियों पर भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने अपनी हार से बौखला कर जानलेवा हमला किया । कैलाष डामोर गंभीर रूप  से घायल होने पर उन्हे दोहद गुजरात उपचार के लिये रेफर किया गया वही अन्य लोगों का उपचार रानापुर अस्पताल मे किया गया । जिला कांग्रेस ने इस कृत्य की कडे शब्दों में निंदा करते हुए भारतीय जनता पार्टी पर  आपराधिक तत्व के लोगों पर सरंक्षण देने का आरोप लगाया तथा कहा कि जिले में कानून एवं व्यवस्था चरमरासी गई है  भाजपा के नेता खुले आम कानून को अपने हाथों मे लेकर डराने धमकाने का काम कर रहे है तथा ऐसे तत्वों को जो भाजपा के सरंक्षण मे फल फुल रहे है, जिला प्रषासन भी ऐसे लोगों के हाथों का खिलौना बन गया है ,चारों और अराजकता का माहौल है, भाजपा के राज में जनता त्रस्त हो चुकी है तथा कांग्रेस के पक्ष में वोट देकर उन्हे अपना आक्रोष ही व्यक्त किया है । उक्त आरोप पूर्व प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, जिला कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल मेहता, जिला पंचायत अध्यक्षा कलावती भूरिया, ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष रानापुर चन्दू पडियार एवं झाबुआ ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष मानसिंह मेडा ने लगाते हुए जिला प्रषासन से मांग की है कि यदि जल्द ही अपराधियों को पकड कर कार्रवाई नही की तो जिला कांग्रेस सडकों पर उतर कर आन्दोलन करने में पीछे नही रहेगी ।

रामा के मतदान केन्द्र 68 पर आज 24 फरवरी को पुनः मतदान होगा

झाबुआ ---उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि रामा जनपद के मतदान केन्द्र क्रमांक 68 प्राथमिक विद्यालय अतिरिक्त कक्ष भीमकुण्ड में आज 24 फरवरी को पुनः मतदान होगा। मतदान प्रातः 7 बजे से दोपहर 3 बजे तक होगा। मतदान शांतिपूर्ण संपन्न करवाने के लिए सेक्टर अधिकारी पुलिस सेक्टर मोबाइल एवं मतदान दल की डयूटी लगाकर मतदान शांतिपूर्ण निष्पक्ष रूप से संपन्न करवाने के निर्देश दिये गये है।

स्कूल एवं कालेजों ने पढने वाले विद्यार्थियों को स्वाइन फ्लू से बचाने के लिए होगी विशेष व्यवस्था

झाबुआ ---प्रदेश में स्वाईन फ्लू के प्रकरण प्रकाश में आ रहे है। इस हेतु प्रदेश के स्कूलो एवं कालेजों में पढने वाले विद्यार्थियों को स्वाईन फ्लू के लक्षण यथा सर्दी,खासी, बुखार, सर दर्द, बदन दर्द आदि होने पर ऐसे बच्चों को कक्षा में शिक्षक द्वारा तुरन्त चिन्हित किया जावें एवं उन्हें चिकित्सक की सलाह उपरान्त घर पर 5 दिवस विश्राम के लिये सलाह दी जावे। ऐसे विद्यार्थियों से मेडिकल सर्टिफिकेट की माॅग न की जावे। फरवरी मार्च माह में विद्यार्थियों की परीक्षा भी संपन्न होती है। यदि ऐसे विद्यार्थी परीक्षा के लिये आते है तो उन्हें पृथक से बैठने की व्यवस्था की जावे। स्कूल व कालेजो में पढनें वाले विद्यार्थियों को स्वाईन फ्लू से रोकथाम के उपायों के बारे में भी अवगत कराया जावे। विद्यार्थियों को बचाव के लिए बताया जाये कि सर्दी खांसी होने पर रूमाल/टिसू पेपर का इस्तेमाल करे, एवं उपयोग के पश्चात टिसू पेपर को डस्ट बिन में ही डाले। आॅख, नाक व मुॅह को छूने के पूर्व हाथो को अच्छी तरह से साबुन से धो लेवे। भीड-भाड वाले स्थानो पर अनावश्यक जाने से बचे। यदि बच्चों को सर्दी खासी बुखार हो तो उन्हें स्कूल/कालेज न भेजे। हाथ मिलाने से बचे। संभावित रोगी पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थो का उपयोग करे। सादा भोजन एवं अच्छी नींद लेवे। तनाव से बचे। स्वाइन फ्लू से घबराने की आवश्यकता नहीं है। सावधानी में ही बचाव है। उपरोक्त निर्देश जिले के जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी किये गये है।  अपने जिले की अधीनस्थ संस्थाओं को अवगत करा सके।

1 मार्च को पल्स पोलियों अभियान होगा, स्लम एरिया पर होगा विशेष फोकस

झाबुआ --- पल्स पोलियो अभियान अब 1 मार्च रविवार को होगा कलेक्टर श्री बी.चन्द्रशेखर ने निर्देशित किया कि स्लम एरिया के बच्चों पर विशेष फोकस किया जाये। मोबाइल टीम द्वारा ट्रवल करने वाले बच्चों एवं स्लम एरिया में रहने वाले बच्चो पर विशेष फोकस किया जाये। क्योकि ट्रवल करने वाले बच्चे अक्सर छूट जाते है। उन्हें अभियान के दौरान कवर करना अतिआवश्यक है। जिले में 1 मार्च 2015 को पल्स पोलियो अभियान के दौरान 0-5 वर्ष तक के बच्चो को पोलियो की दवाई पिलाई जाएगी। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये गये है।

स्नेह शिविर संपन्न

झाबुआ ---एकीकृत बाल विकास सेंवा परियोजना रानापुर के अंतर्गत  दिनांक 09 फरवरी से 12 दिवसीय पांॅचवे चरण के स्नेह शिविर का दिनांक 21 फरवरी 2015 को आंगनवाडी केन्द्र टाण्डी सरंपच फलिया, काकरादरा परमार फलिया, पुवाला बावडी फलिया, सोतियाकालु, चुई पटेल फलिया, वगाई छोटी माता फलिया, मोरडूंडिया व रानापुर वार्ड क्रमांक 02 में विधिवत् कार्य पूर्ण कर समापन किया गया । 

झाबुआ जनपद में मतगणना कर्मियो का प्रशिक्षण संपन्न, रामा एवं राणापुर में 24 फरवरी को होगा प्रशिक्षण

झाबुआ ---त्रि-स्तरीय पंचायत निर्वाचन 2014-15 के तृतीय चरण के मतदान के लिए जनवद सदस्य एवं जिला पंचायत सदस्य के मतों की गणना 25 फरवरी को प्रातः 7ः30 बजे से जनपद मुख्यालय पर होगी। मतगणना कार्य के लिए नियुक्त शासकीय सेवकों में झाबुआ जनपद के लिए आज 23 फरवरी को शासकीय पाॅलीटेक्नीक काॅलेज झाबुआ में प्रशिक्षण संपन्न हुआ। रामा जनपद के लिए 24 फरवरी को शा.क.उ.मा.वि.रामा में प्रातः 11 बजे से एवं राणापुर जनपद के लिए शा.उत्कृष्ट मा.वि. रानापुर में दोपहर 3 बजे से प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।

छेड़छाड़ का प्रकरण पंजीबद्व 
         
झाबूआ--- फरियादिया ने बताया कि वह नदी पर कपडे धो रही थी, आरोपी नानसिंग पिता मांगीलाल ताहेड़, निवासी चन्द्रगड़ आया व बुरी नियत से पकड कर गिरा दिया, चिल्लाने पर पति के आने पर भाग गया। प्र्रकरण में थाना कालीदेवी में अपराध क्र0 23/14, धारा 354,323 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

शासकीय कार्य में बाधा का अपराध पंजीबद्ध 

झाबूआ---फरियादी पंकज पिता जेपी शर्मा, उम्र 52 वर्ष निवासी जनपद पंचायत थांदला ने बताया कि पंचायत निर्वाचन मतदान केन्द्र क्र0 128 पर मतगणना के रूप में आरोपी कैलाश पिता जीतू बारिया, निवासी वड़लीपाड़ा बैठा था। मतदान सामाग्री जमा करने के बाद पता चला आरोपी कैलाश पुलिस विभाग में शासकीय सेवा में कार्यरत है। प्रकरण में थाना रानापुर में अप0क्र0 51/15, धारा 171-ग व 125 लोक प्रति0अधिनियम 1951 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। निरीक्षक कैलाश बारिया, अपराध अनुसंधान विभाग, पु0मु0 भोपाल में पदस्थ है।

चुनावी रंजीश के चलते दो घरो मे लगाई आग 
             
झाबूआ--- फरियादी मुकेश पिता दिलेया भाभोर उम्र 24 वर्ष निवासी गैलर छोटी ने बताया कि आरोपी नखा पिता राजिया भाभोर एवं अन्य 32, निवासीगण गेलर छोटी ने उसको, हमारा आदमी चुनाव जीत गया, कहते हुए आये व उसकी घास की गरी में आग लगाकर करीब 50,000/- रू0 का नुकसान किया तथा मारपीट की। प्र्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 129/15, धारा 435,323 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादी जोगिया पिता लीमजी भाभोर उम्र 35 वर्ष निवासी गेलर छोटी ने बताया कि आरोपी बाबू पिता हुरजी भाभोर एवं अन्य 05, निवासीगण गेलर छोटी ने उसके घर में आग लगा दी, जिससे घर में रखा सामान तथा चावाल आदि जलकर नुकसान पहुचाया। प्र्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 130/15, धारा 435,323 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

चुनावी हार जीत को लेकर मारपीट की 8 घटना
             
झाबूआ--- फरियादी परथिया पिता गुलाबसिंह डामोर, उम्र 40 वर्ष निवासी नाना धामनी ने बताया कि आरोपी सवा पिता सुमजी भील एवं अन्य-07 नामजद व अन्य निवासीगण धामनी ने उसको, संरपच चुनाव के बाद कैलाश के घर बैठे थे कि आरोपीगण एकमत होकर आये व तुम लोंगो ने हुमजी को सरपंच से हरा दिया है, कहकर अश्लील गांलिया देकर मारपीट की व जान से मारने की धमकी दी। प्र्रकरण में थाना रानापुर में अपराध क्रमांक 50/15, धारा 294,323,147,148,506 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादी सवेसिंग पिता सोमजी भील, उम्र 32 वर्ष निवासी नाना धामनी ने बताया कि आरोपी प्रकाश पिता बाबू एवं अन्य-03, निवासी नाना धामनी ने, तु खुमान के सामने खडा हुआ था, कहकर अश्लील गांलिया दी, मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी। प्र्रकरण में थाना रानापुर में अपराध क्रमांक 52/15, धारा 294,323,506,34 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादी बदिया पिता नरसिंह डांगी, उम्र 40 वर्ष निवासी फूलेडी ने बताया कि आरोपी पानसिंह पिता नवा डांगी एवं अन्य-02, निवासी फूलेडी ने उसको जमीन बेचने की बात पर मारपीट कर अश्लील गांलिया दी व जान से मारने की धमकी देकर घर के कवेलू फोड दिये। प्र्रकरण में थाना मेघनगर में अपराध क्रमांक 35/15, धारा 294,323,506,427,34 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादिया रमीला पति दीपक वसुनिया, उम्र 29 वर्ष निवासी काजली डूंगरी ने बताया कि आरोपी दीपक पिता जामु वसुनिया एवं अन्य-02 निवासी काजली डंूगरी, उसके लडके को मारने लगा, मना करने पर मारपीट कर अश्लील गालिया दी व जान से मारने की धमकी दी। प्र्रकरण में थाना मेघनगर में अपराध क्रमांक 36/15, धारा 294,323,506,34 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादी नानसिंह पिता केसू बिलवाल, उम्र 24 वर्ष निवासी नल्दी छोटी ने बताया कि आरोपी झीतरा पिता हुरजी भाभोर एवं अन्य-05, निवासीगण नल्दी छोटी ने तुमने वोट कहां डाला है, बताने से मना करने पर मारपीट कर अश्लील गांलिया दी व जान से मारने की धमकी दी। प्र्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 127/15, धारा 294,323,506,34 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादी कैलाश पिता भरतलाल भटवेरा, उम्र 40 वर्ष, निवासी पेटलावद ने बताया कि आरोपी सुमित पिता मनोहरलाल भटवेरा, निवासी पेटलावद ने उसके घर में घुसकर, हमारे मामले में क्यों बात करता है, कहकर अश्लील गालिया देकर मारपीट की व जान से मारने की धमकी दी।  प्र्रकरण में थाना पेटलावद में अपराध क्रमांक 66/15, धारा 452,294,323,506,34 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादिया मड़ीबाई पति दल्ला मोरी, उम्र 50 वर्ष निवासी खेड़ी ने बताया कि आरोपी धुमसिंह पिता खुशाल गामड एवं अन्य 03, निवासीगण खेडी ने उसको, तुम लोगों ने मुझे चुनाव में हराया, कहकर अश्लील गालिया देकर मारपीट की व जान से मारने की धमकी दी। प्र्रकरण में थाना कल्याणपुरा में अपराध क्रमांक 34/15, धारा 294,323,506,34 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादी नानसिंह पिता गुमान डामोर, उम्र 60 वर्ष निवासी पिपलिया ने बताया कि आरोपी अकरम पिता मानसिंह खराड़ी एवं अन्य 03, निवासीगण पिपलिया ने, उसको, झाबुआ से अपने घर जा रहा था, आरोपियो ने उसका रास्ता रोककर कहां जा रहा है, कहकर अश्लील गालिया देकर मारपीट की व जान से मारने की धमकी दी। प्र्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 131/15, धारा 341,294,323,506,34 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

विशेष आलेख : संघ प्रमुख को अब अखरने लगा अपना ही मानस पुत्र

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दिवंगत मदर टेरेसा का पोस्टमार्टम करने का न तो यह मौका है और न ही दस्तूर लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उनकी चर्चा करके बर्र के छत्ते में ऐसे मौके पर हाथ क्यों डाला जब संसद के बजट सत्र की शुरूआत हो रही थी। इसकी जिज्ञासा जितनी अन्य लोगों को नहीं है उतनी खुद भाजपा के लोगों को है भले ही वे खुले तौर पर इसे व्यक्त न कर पायें। संघ प्रमुख ने नरेन्द्र मोदी द्वारा ईसाई विश्व में अपनी वानर सेना के उत्पात से जा रहे गलत संदेश और उससे अपनी सरकार व देश को संभावित क्षति का अनुमान करके किसी की भी धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाने की कोशिश करने वालों को सख्त चेतावनी देकर जो संकट प्रबंधन किया गया था उस पर पानी फेर दिया है। संसद सत्र के अवसर पर उनका दिया गया बयान कितना ध्वनि विस्तारक हो सकता है इसका अनुमान उन्हें न हो यह संभव नहीं है। उन्हें मालूम है कि विपक्ष इसकी गूंज को इतना तीव्र कर देगा कि पूरा ईसाई विश्व इसके आघात को बहुत ही गम्भीरता से महसूस करे। नरेन्द्र मोदी ने अन्तर्राष्ट्रीय समीकरणों में लामबंदी का जो तानाबाना देश के लिये बुना है, उनके गुरूर को जमीन पर लाने के लिये, उसके तितर बितर होने का खतरा भी मोहन भागवत को इस तरह का बयान जारी करने से नहीं रोक सका। 

नरेन्द्र मोदी को भाजपा के सारे शीर्ष नेताओं को किनारे धकेल कर प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित करने में संघ ने अपनी बीटो पावर का इस्तेमाल किया था। नरेन्द्र मोदी जब अकेले दम पर भाजपा को लोकसभा में पूर्ण बहुमत दिलाने में कामयाब रहे तो संघ ने जमकर अपनी पीठ थपथपाई थी। अपने बारे में उसका गुमान अंतरिक्ष की ऊंचाइयों के भी पार पहुंच गया था। उनके नेतृत्व में राज्यों के चुनाव में भी अप्रत्याशित सफलता का क्रम जारी रहने से संघ और इतरा गया था लेकिन अब अपने मानस पुत्र से उसे चिढ़ क्यों हो रही है। यह एक सवाल है लेकिन इस लेखक ने शूद्र राज कुछ ही दिन का..... फिर अच्छे दिन आने वाले हैं.... शीर्षक से अपने लेख में संघ के मोदी मोह के अन्र्तविरोधों को उजागर करते हुए बहुत जल्द ही उनके प्रति संघ का मोह भंग हो जाने की आशंका व्यक्त कर दी थी जो अब चरितार्थ भी हो रही है। 

दरअसल लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली पहली अपार सफलता संघ के प्रयासों से सुसुप्त हिन्दू कौम के आत्म सम्मान के प्रकटन का परिणाम जतायी गयी थी। राजनैतिक व्याख्याकार भी इस मामले में संघ को बहुत ओवरएस्टीमेट कर रहे थे जबकि असलियत यह थी कि संज्ञा शून्य मनमोहन सरकार से ऊबी जनता सुसंगठित शासन की तलबगार हो रही थी जिसकी पूर्ति उसे मोदी में नजर आयी जिन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में दृढ़ प्रशासक की छवि बनाकर  अपने आपको पूरे देश में सशक्त विकल्प के रूप में प्रस्तुत कर रखा था। औसत दर्जे के हीरो अमिताभ बच्चन को रातोंरात मिलेनियम स्टार के रूप में स्थापित करने वाले मार्केटिंग के सिद्ध हथकंडों ने मोदी के मामले में भी जबर्दस्त उत्प्रेरक की भूमिका अदा की। इसके बाद मोदी ने जिस तरह से अपनी शुरूआत की। उससे राष्ट्रीय जनमानस में उनके पैर और मजबूत हो गये। खासतौर से विश्व नेता के रूप में अपनी छवि तराशने के लिये जो चोंचले उन्होंने किये वे बहुत कामयाब हुए और उनका यह अनुमान भी सही था कि वर्षों तक गुलाम रहे इस देश में विश्व के प्रमुख देशों और उनके राष्ट्राध्यक्षों से स्वीकृति प्राप्त नेता अपने आप राजनीति का महानायक बन जाता है। इसके बाद संघ की दकियानूस सलाहों का अंधानुकरण करने के जोखिम उन्हें डराने लगे और उन्होंने संघ के एजेण्डे से दूरी बनाना शुरू कर दी। पहले वे संघ को नाराज किये बिना उसकी भूमिका को सीमित करने के प्रयास में थे लेकिन बकरे की मां कब तक खैर मनाती।

संघ परिवार के नेताओं ने घर वापसी और धर्मान्तरण के विरोध के अभियान को इतनी तीव्रता से चलाया कि दिल्ली में ईसाई चर्चों में हुई घटनाओं की प्रतिक्रियाशीलता अमेरिका के व्हाइट हाउस तक जा पहुंची। ओबामा ने उनके साथ अपनी नई-नई यारी की भी परवाह न करते हुए भारत में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता पर यह बयान दे डाला कि अगर गांधी इस समय भारत में होते तो उन्हें बहुत सदमा पहुंचता। संघ के थिंक टैंक इसे लेकर ओबामा पर हमलावर हुए और संघ को उम्मीद थी कि मोदी भी यही लाइन लेंगे लेकिन मोदी ने खेल बिगडऩे के पहले ही  समर्पण की मुद्रा अपनाकर धर्म के आधार पर टकराव पैदा करने वालों  को कार्रवाई की चेतावनी का बयान जारी कर डाला। इसी बीच उन्होंने हिन्दुत्व की लाइन को एक और बात में धता बतायी कि शिवसेना की परवाह न करके वे महाराष्ट्र में शरद पवार से मिलने उनके घर चले गये। जैसे इतना ही काफी नहीं था। 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले और इसके बाद पश्चिमी उत्तरप्रदेश में 2013 और 2014 के दंगों में सरकार का इकतरफा इस्तेमाल करने वाले सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह का अतिरिक्त महिमा मंडित करने के लिये मोदी  उनके पौत्र के तिलक में सैफई पहुंच गये। वह भी ऐसे समय जबकि  अयोध्या में विवादित स्थल पर जल्द ही मंदिर बनने की भविष्यवाणी करने में संविधान की शपथ का भी ख्याल न रखने वाले उत्तरप्रदेश के खांटी स्वयंसेवक राज्यपाल राम नाईक को आजम खां के माध्यम से जलील कराने में मुलायम सिंह ने कोई कोर कसर नहीं उठा रखी थी।   इस तरह के कई प्रसंगों के बाद मोदी की रीति नीति अब संघ को लगता है बहुत अखरने लगी है। संघ प्रमुख मोहन भागवत का बिना किसी संदर्भ के मदर टेरेसा के बारे में बयान शायद उनकी निगाह में बहुत उड़ रहे मोदी को जमीन पर लाने के सुनियोजित उद्देश्य से दिया गया है। इसी के साथ इलेक्ट्रानिक मीडिया ने यह बात उठानी शुरू कर दी है कि अगर संघ की निगाह में मदर टेरेसा धर्मान्तरण कराने वाली पाखण्डी संत थीं तो क्या मोहन भागवत उन्हें दिये गये भारत रत्न अलंकरण को वापस लेने की मांग मोदी सरकार से करेंगे। फिलहाल संघ प्रमुख इस सवाल पर टाल मटोल कर रहे हों लेकिन देर सबेर अगर वे मदर टेरेसा के बारे में व्यक्त की गयी अपनी धारणा में इस मांग को भी जोड़ दें तो आश्चर्य न होगा। 





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के पी सिंह 
ओरई 

आलेख : बदहाल हिंदी पट्टी की भव्य शादियां...!!​

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राजसत्ता के लिए राजनेताओं को लुभाने वाली देश की बदहाल हिंदी पट्टी अपने भीतर अनेक विशेषताएं समेटे हैं तो कमियां भी। पता नहीं क्यों यह वैकुंठगमन के बाद स्वर्गवासी माता - पिता की सामर्थ्य से काफी बढ़ कर श्राद्ध करने और बच्चों की धूम - धाम से शादी करने में जीवन की सार्थकता ढूंढती है। अगर आपने बच्चों की शादी पर दिल खोल कर खर्च किया या  स्वर्ग सिधार चुके निकट संबंधियों के श्राद्ध में पितरों को तृप्त करने में कोई कसर नहीं रहने दी। श्राद्ध भोज पर सैकड़ों लोगों के भोजन की व्यवस्था की। महापात्र को अपनी क्षमता से कई गुना अधिक दान दिया। पंडितों को गमछा और ग्लास के साथ 11 रुपए की जगह अपेक्षाकृत मोटी रकम पकड़ाई। साथ ही गृहस्थी में काम आने लायक कोई अन्य सामान भी दिया तो अाप  एक सफल आदमी है । इसके विपरीत यदि आप दिखावा पसंद नहीं करते। व्यक्तिगत सुख - दुख को अपने तक सीमित रखना चाहते हैं तो आप ...। 

इस बदहाल हिंदी पट्टी के दो बड़े राजनेताओं के बच्चों की बहुचर्चित शादी को ले पता नहीं क्यों मेरे अंदर कुछ एेसे ही सवाल उमड़ने - घुमड़ने लगे। हालांकि इस शादी की भव्यता पर मुझे जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ। क्योंकि यह इस क्षेत्र की विशेषताओं में शामिल है। आपसे एेसी ही उम्मीद की जाती है। धन कहां से आया यह महत्वपूर्ण नहीं बस शादी अच्छी यानी भव्य तरीके से होनी चाहिए। शादी में कितना खर्च हुआ और कितने कथित बड़े - बड़े लोग इसमें शामिल हुए , यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। जिस घर में दर्जनों माननीय हों , बेटा मुख्यमंत्री तो पतोहू देश के सर्वोच्च सदन में हो, उसके घर की शादी में इतना तो बनता है। क्योंकि मूल रूप से उसी क्षेत्र का होने से मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि कई मायनों में अभिशप्त हिंदी पट्टी की सामान्य शादियों में ही लाखों का खर्च और सैकड़ों लोगों का शामिल होना आम बात है। इस संदर्भ में जीवन की एक घटना का उल्लेख जरूर करना चाहूंगा। कुछ साल पहले एक नजदीकी रिश्तेदार की शादी में मुझे अपने पैतृक गांव जाना पड़ा था। आयोजनों से निवृत्त होने के बाद वापसी की तारीख तक समय काटने की मजबूरी थी। लेकिन 12 घंटे की बिजली व्यवस्था के बीच भीषण गर्मी ने मेरा हाल बेहाल कर दिया। एक - एक पल काटना मुश्किल हो गया। आखिरकार मेजबान ने मुझ जैसे शहरी आदमी की परेशानी को समझा और समय काटने के लिहाज से एक अन्य संबंधी के यहां  पास के गांव में आयोजित एक तिलक समारोह में चलने की दावत दी। 

जोर देकर बताया गया कि दुल्हे के पिता बिजली विभाग में है और खाने - पीने की बड़ी टंच व्यवस्था की गई है। मरता क्या न करता की तर्ज पर न चाहते हुए भी मैं वहां जाने के लिए तैयार हो गया। लेकिन पगडंडियों पर हिचकाले खाते हुए हमारे वाहन के आयोजन स्थल पहुंचते ही मेरे होश उड़ गए। क्योंकि वहां का नजारा बिल्कुल सर्कस जैसा था। 12 घंटे की तत्कालीन बिजली व्यवस्था के बीच भी उत्तर प्रदेश के चिर परिचित जैसा वह पिछड़ा गांव दुधिया रौशनी से नहा रहा था। इसके लिए कितने जेनरेटरों की व्यवस्था करनी पड़ी होगी, इसका जवाब तो आयोजक ही दे सकते हैं।  बड़े - बड़े तंबुओं के नीचे असंख्य चार पहिया वाहन खड़े थे। किसी पर न्यायधीश तो किसी पर विधायक और दूसरों पर भूतपूर्व की पदवी के साथ अनेक पद लिखे हुए थे। मंच पर आंचलिक से लेकर हिंदी गानों पर नाच - गाना हो रहा था। माइक से बार - बार उद्घोषणा हो रही थी कि भोजन तैयार हैं ... कृपया तिलकहरू पहले भोजन कर लें। इस भव्य शादी के गवाह मैले - कुचैले कपड़े पहने असंख्य  ग्रामीण थे, जो फटी आंखों से मेजबान का ऐश्वर्य देख रहे थे। 

यह विडंबना मेजबान को असाधारण तृप्ति दे रही थी। मैं समझ नहीं पाया कि एक सामान्य तिलक पर इतनी तड़क - भड़क औऱ दिखावा करना आखिर मेजबान को क्यों जरूरी लगा। आखिर यह कौन सी सामाजिक मजबूरी है जो आदमी को अपने नितांत निजी कार्यक्रमों में तथाकथित बड़े लोगों की अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित करने को बाध्य करती है। दिमाग में यह सवाल भी कौंधने लगा कि जिस सामाजिक व्यवस्था में शौचालय के लिए कोई स्थान नहीं है । सुबह होते ही सैकड़ों बाराती शौच के लिए खुले खेतों में जाते हैं। कोई सामुदायिक भवन नहीं । इसके चलते बारातियों का खुले में खाना - पीना होता है। जिसे असंख्य स्थानीय भूखे - नंगे बच्चे ललचाई नजरों से देखते - रहते हैं। क्या एेसी भव्य शादियां करने वालों को यह विसंगतियां परेशान नहीं करती। यही सोचते हुए मैं उस तिलक समारोह से लौटा था। 





तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934 

सिल्वर स्क्रीन पर यादगार ही किरदार करने की चाहः रवीना टंडन

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ravina tandon
बॉलीवुड की मस्त-मस्त गर्ल रवीना टंडन फिर से सिल्वर स्क्रीन पर अपना जलवा बिखेरने जा रही हैं। रवीना ने शादी के बाद फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया है। लेकिन उनकी चाह है कि अब केवल यादगार ही किरदार करना चाहती है। उन्होंनंे बुढा होगा तेरा बाप और शोभना 7 नाइट्स में विवाह के बाद देखा गया। एक फिल्म बोम्बे वेलवेट में भी काम किया लेकिन फिल्म कब रीलिज होगी इस बारे में रवीना को भी नही पता। सिल्वर स्क्रीन पर एक फिर से आने का मन बना लिया है और अब रवीना अनुराग कश्यप की दो फिल्में में अपना जलवा दिखाती नजर आएगीं। हाल में वह दिल्ली में जायरा डायमंड शो रूम की ओपनिंग में पहुंची इसी दौरान वरिष्ठ फिल्म पत्रकार अशोक कुमार निर्भय की उनसे मुलाकात हुई पेश प्रस्तुत मुलाकात के साझा किये बातचीत के कुछ अंश । 

शादी के पांच के बाद सिल्वर स्क्रीन पर एक फिर से आने का मन बना लिया कैसा लग रहा है ?
अच्छा लग रहा है कला एक ऐसा कीडा है जिसे कलाकार चाह कर भी नही भुला सकता है। लेकिन पंाच कैसे बीते पता ही नही चला। जब अनुराग ने फिल्म में काम करने का आफर दिया तो चाह कर भी मना नही कर पायी।

 यह सब क्या अचानक हुआ ?
जी। दरअसल,अनुराग जी हमेशा से ही मेरे प्रिय निर्देशक रहे हैं। वह हमेशा से ही चाहते थे कि मैं उनके साथ फिल्मों में काम करूं। मैंने उनकी दो फिल्मों में काम करना स्वीकार किया है।

जहां तक मुझे याद है, तो आखिरी बार आपने अनुराग के साथ में फिल्म शूल की थीं ?
जी हाॅ। राम गोपाल वर्मा की इस फिल्म में अनुराग कश्यप ने कहानी भी लिखी थी।जबकि इसके डारेक्टर ई निवास थे। बदलते समय के चलते एक की समकालीन हीरोईनस मे माधुरी और जूही ने भी सिल्बर 

स्क्रीन पर वापिसी की  इसको लेकर क्सा सोचती है ?
माधुरी जूही का वापिसी पर मुझे खुशी है वे गुलाब गंैग नामक सिल्बर स्क्रीन पर वापिसी कर रही है इस फिल्म की कहानी और उसमें उनके किरदार काफी मजबूत है। मैं ऐसी ही यादगार किरदार निभाने की चाह रखती हॅू।

दो दशक से ज्यादा फिल्म इंडस्ट्री में आपने काम किया , कैसा रहा आपका यह सफर? 
अब तक बहुत ही अच्छा रहा है और आगे भी अच्छा रहेगा। मैं उन भाग्यशाली लोगों में हूं, जो इस इंडस्ट्री की पैदाइश हैं। मेरे पिता फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं उन्हें इंडस्ट्री में करीब 50 साल हो गए। मेरी परवरिश यहां हुई और मैं जानती हूं कि एक दिन में इंडस्ट्री में ही अंतिम सांस लूंगी। हर फील्ड, हर लाइन में कुछ ऊंच-नीच तो रहती ही है, मैं लकी हूं कि मेरे आसपास के लोग- फ्रेंड, फैमिली, मजबूती से मेरे साथ खड़े रहे और आज भी खड़े हैं। मैं चाहूंगी कि आगे भी उनका साथ ऐसे ही मेरे साथ बना रहे।

अपनी इस कामयाबी में परिवार को श्रेय देना चाहेंगी?
मेरे अचीवमेंट्स में मेरे परिवार का जो सबसे बड़ा सहयोग रहा शुरुआत में मेरा परिवार नहीं जानता था कि मैं इंडस्ट्री में आऊंगी। लेकिन जब मैंने यह फैसला किया कि मुझे फिल्में करनी हैं तो उन्होंने पूरा सपोर्ट किया। मेरी कोशिश हमेशा बैलंस लाइफ जीने की कोशिश की है। कभी यह नहीं सोचा कि फिल्म इज माई लाइफ। दरअसल, फिल्में मेरी जिंदगी हैं, लेकिन यह मेरी जिंदगी का हिस्सा हैं।

अपने करियर के उतार-चढ़ाव के दौर में आप खुद को बूस्ट-अप करने के लिए क्या करती थीं?
देखिए मुश्किल दौर में आपके साथ आपकी फैमिली होती है। पापा की सलाह हमेशा मेरे लिए काफी मायने रखती थी। पापा इस इंडस्ट्री से थे, उन्होंने भी काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। अप्स ऐंड डाउन तो होते ही हैं। इसकी लिए सब तैयार होते हैं। चढ़ते सूरज को हर कोई सलाम करता है। यह सिर्फ हमारी इंडस्ट्री में ही नहीं बल्कि हर जगह होता है। मुश्किल दौर में बस आपकी फैमिली का सपोर्ट होना जरूरी होता है क्योंकि यह ऐसा दौरा होता है जब आपको पताचलता है कि असल मे आपका दोस्त कौन है और कौन आपके दोस्त नहीं हैं। 

आपने कमर्शल फिल्म की हैं, साउथ की फिल्में की, टीवी शोज किए... कैसा रहा आपका अनुभव?
साउथ की ही नहीं, मैंने मराठी ,बंगाली फिल्में भी की हैं। लैंग्वेज फिल्में करने का मेरा अनुभव बहुत ही अच्छा रहा है यह मेरे लिए गर्व की बात है। फिल्म एक ऐसा जरिया है जो हमेशा यूनिटिड रहता है। कितनी भी पॉलिटिक्स क्रिएट करो लेकिन फिल्में अपने आर्ट और कल्चर से जुड़ी रहतीहै और कला सरहद की सीमाओं से जुड़ी नहीं है। इसके अलावा, टीवी शोज चक दे बच्चे,कामेडी का महामुकाबला,इटस माई लाइफ से जुडने का मौका मिला और मैंने बहुत ज्यादा इंजॉय किया। यह टाइम काफी अच्छा रहा। मेरे बच्चे काफी छोटे थे इसलिए  हफ्ते में एक दिन की शूटिंग के शेड्यूल से मैं आसानी से फैमिली और बच्चों को पूरा टाइम दे पाई।

शादी के बाद मस्त-मस्त गर्ल व्यस्त-व्यस्त गर्ल हो गई, तो कैसे मैंनेज करती हैं?
 जी हां, शादी के बाद काफी व्यस्त शेड्यूल हो जाता है। अब मल्टि-टास्किंग करती हूं। बच्चों के क्लासेज भी याद रखने पड़ते हैं। कभी उन्हें स्विमिंग के लिए लेकर जाना होता है, कभी फुटबॉल, कभी टेनिस। बेटी कथक सीखती है तो वहां भी साथ जाती हूं। मां का रोल तो निभाना ही पड़ता है क्योंकि शादी के बाद प्रायॉरिटीज बदल जाती हैं। मुझे लगता है कि फिल्में जिंदगी भर आती-जाती रहेंगी पर बच्चों का बचपन फिर कभी वापस नहीं आएगा। मेरे लिए यही ज्यादा मायने रखता है।

फिल्मों के अलावा कौन-कौन से शौक हैं?
 म्यूजिक सुनना, खुद को रिलैक्स करने के लिए टीवी शोज देखती हूं। क्रिकेट का बहुत शौक नहीं, लेकिन अब पति और बेटे की वजह से देख लेती हूं। मुझे बच्चों के साथ टाइम बिताना ज्यादा पसंद है। 

आप जायरा डायमंड की ओपनिंग में पहुंची कैसा लग रहा है ? 
बहुत ही अच्छा मेहसूस हो रहा है,क्योंकि इसके एक पहले फैंचजाइज मे मुझे बुलाया था । अनिल अग्रवाल जी मेरे परिवार जैसे संबध है,इसलिए चाह कर भी ओपनिंग कार्यक्रम को स्थागित नही कर पाई। वैसे भी इस शो रूम में ढेरा डिजायन और विरायटी है,जिससे मैं प्रभावित रही हॅू ।



---अशोक कुमार निर्भय---
ई मेल : ashoknirbhay @gmail.com 
संपर्क : 9210043206

बिहार विशेष : नीतिश सफल पर चुनाव में माझी ही होंगे फैक्टर

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बेशक, बिहार में सबकुछ ठीक था। निःसंदेह, उसके लिए नीतीश कुमार ने काफी मेहनत भी की। अराजकता की भेंट चढ़ चुका बिहार में फिर से सुशासन की नींव भी रखी। लोगों ने उन पर पूरा भरोसा कर दुबारा राजगद्दी भी सौंपी। लेकिन अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण उन्होंने बिहार को राजनीतिक भंवर में डाल दिया, इसमें कोई अतिश्योक्ति भी नहीं। मतलब साफ है अगर आज हालत बेकाबू है, पूरे देश में बिहार प्रहसन का विषय बन गया है, तो इसके लिए सिर्फ जीतन राम मांझी ही नहीं नीतीश कुमार भी बराबर के दोषी हैं और और हाईवोल्टेज राजनीतिक घटनाक्रम के बाद मांझी ने इस्तीफा दिया तो नीतिश फिर से मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन माझी के साथ खड़ी भाजपा को बड़ा पुरस्कार तो नहीं मिला, लेकिन मकसद में वह कामयाब जरुर रही। कहा जा सकता है कि वह नीतीश का दलित विरोधी चेहरा बेनकाब करने में सफल रही है। क्योंकि नीतीश कुमार ने एक महादलित को मुख्यमंत्री बनाकर खुद को महिमामंडित कराया और बाद में जब वे रिमोट से संचालित होने से इन्कार कर दिए तो उन्हें हटाकर अपमानित करने का काम किया। और इसे आगामी चुनाव में बीजेपी यहकर भुनायेगी कि संकट के वक्त वह माझी के साथ रही। फिरहाल मांझी को जिस तरह हटाया गया उससे जदयू एक बड़े वोट बैंक से हाथ धोता हुआ दिख रहा है। यदि मांझी अपने पक्ष में उमड़ी सहानुभूति को देखते हुए अपना कोई दल गठित करते हैं तो वह कुल मिलाकर जदयू के लिए एक चुनौती ही बनेगा। जो भी हो, बिहार एक बार फिर जातिवादी राजनीति के कुचक्र में घिरता दिख रहा है। इस तरह की राजनीति किसी भी राज्य का भला नहीं कर सकती 

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ताजा माहौल में जीतन राम माझी ने बहुमत से पहले इस्तीफा यह कर दे दिया कि उनके समर्थकों को खतरा है। सवाल यह नहीं है कि उन्हें खतरा है या उनके समर्थकों को या संख्याबल में कमजोर पड़ गए। सवाल यह है कि जो सोचकर नीतिश ने महादलित कार्ड खेलकर माझी को मुख्यमंत्री बनाया अब मनचाहा न होने पर तीन-तिकड़म से उन्हें बेदखल कर खुद मुख्यमंत्री बन गए। मतलब माझी रबर स्टम्प नहीं बनना चाहते थे तभी तो नीतिश का सत्ता स्वाभिमान फिर से जाग उठा। इन सबके बीच जो हुआ या जो होने वाला है उसे किसी भी तरह जायज नहीं कहा जा सकता। पिछले नौ महीने से बिहार को लेकर नकारात्मक बातें ही सुनने को मिली हैं। हाल के घटनाक्रमों से न सिर्फ बिहार बदनाम हुआ, बल्कि राज्य के संपूर्ण राजनीतिक नेतृत्व की छवि धूमिल हुई है। बिहार के मतदाता इस बात को विधानसभा चुनाव के वक्त जरूर याद रखेंगे। जो भी इस उठापटक में बीजेपी को कही न कही से फायदा तो हुआ है। माझी को समर्थन देकर भाजपा ने संदेश दे ही दिया कि वह पीडि़तों के साथ तो है ही माहदलितों की भी शुभचिंतक है। कहा जा सकता है मांझी को जिस तरह हटाया गया उससे जदयू एक बड़े वोट बैंक से हाथ धोता हुआ दिख रहा है। यदि मांझी अपने पक्ष में उमड़ी सहानुभूति को देखते हुए अपना कोई दल गठित करते हैं तो वह कुल मिलाकर जदयू के लिए एक चुनौती ही बनेगा। भाजपा पहले से ही उसके लिए एक चुनौती बनी हुई है। इन सबके बीच बड़ा सवाल यही है कि चुनाव के दौरान जिस लालू यादव के जंगलराज की दुहाई देकर नीतिश मुख्यमंत्री बने थे अब उन्हीं के साथ मिलकर सुशासन की बात कर रहे है। खुद को राजनीतिक रूप से ताकतवर मान रहे है, लेकिन बिहार और साथ ही शेष देश लालू यादव को भ्रष्टाचार और कुशासन के पर्याय के रूप में ही देखता है। अच्छा तो यही होता कि नीतिश विधानसभा भंग कर फिर से चुनाव कराते, और जनता जो फैसला करती उसके अनुरुप चलते। फिरहाल इस मुद्दे के साथ-साथ मांझी फैक्टर चुनाव में हावी रहेगा, इसके संकेत मिलने लगे है। 

इनसबके बीच विधानसभा चुनाव तक चाहे जो भी सियासी समीकरण बनें-बिगड़े, इतना तो तय है कि उनमें मांझी फैक्टर सबसे ऊपर होगा। नीतीश के दोबारा कुर्सी हासिल करने के रास्ते में मांझी ही वो मोहरा थे जिसका बीजेपी इस्तेमाल कर सकती थी। बीजेपी ने इसके लिए कोई कसर बाकी भी नहीं रखा। फ्लोर टेस्ट में मांझी को समर्थन देने के लिए बीजेपी के तैयार होने की वजह भी नीतीश को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना ही रहा। राजनीति के अखाड़े में सबसे बलवान वही होता है जिसके पास संख्या बल हो। सदन के भीतर विधायकों का सपोर्ट और बाहर जन समर्थन। फिलहाल मांझी के पास दोनों में से कोई भी नहीं था। पिछले लोकसभा चुनाव में भी मांझी को मुंहकी ही खानी पड़ी थी। आने वाले चुनावों में अगर मांझी, बीजेपी का साथ देते हैं फिर तो कोई बात ही नहीं। अगर मांझी बीजेपी से दूरी बनाए रहते हैं तो वो प्रत्यक्ष तौर पर पासवान को और परोक्ष रूप से बीजेपी को भी नुकसान ही पहुंचाएंगे। बीजेपी को भी पता है उसे अब फूंक-फूंक कर कदम रखना ही होगा। नीतीश को मांझी से अब कोई प्रॉब्लम नहीं है। मांझी को किनारे लगाने के लिए उन्हें एड़ी चोटी का जोर लगाना जरूर पड़ा लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए नीतीश इसे भुला सकते हैं। अगर उन्हें लगता है कि मांझी का दूर जाना ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है तो वो येन केन प्रकारेण चाहेंगे कि मांझी जेडीयू में बने रहें. हां, किसी भी मामले में नीतीश को अब उन पर भरोसा नहीं रहेगा। चुनावों में पहले तो मांझी खुद को शहीद साबित करने की कोशिश करेंगे. लोगों को समझाने की कोशिश करेंगे कि उनके साथ जो भी हुआ वो महज दलित होने के चलते हुआ। बात में दम भी है। दलित होने के कारण ही नीतीश ने उस वक्त मांझी को मुख्यमंत्री बनाया। बाद में दलित होने के नाते ही उन्हें कुर्सी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। 

nitish-manjhi-and-biharफिरहाल नौ महीने पुरानी मांझी सरकार के तौर-तरीके और उसके पतन की कहानी ने इतना साफ कर दिया है कि बिहार की राजनीति में अभी कई मोड़ आएंगे। आगे चुनाव है और सियासी झांकियों-झलकियों का क्लाइमेक्स अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। सदन में बहुमत साबित करने के ऐन पहले नाटकीय ढंग से मांझी के कुर्सी छोड़ देने के भविष्य में कई मायने हो सकते हैं। मांझी के शिल्प-शैली में अभी राजनीति की कई कहानियां लिखी जा सकती हैं। आने वाले दिनों में मांझी प्रकरण को भुलाया नहीं जा सकेगा। चुनावी साल और वोटों की सियासत में मांझी को हाशिये पर ढकेलना इतना आसान नहीं होगा। नीतीश कुमार राजनीति के चाणक्य हैं। मांझी के सहारे भाजपा की वार को वे किसी भी हाल में कुंद करना चाहेंगे। शायद नीतीश के मकसद और मंशा को भांप कर ही उनके विधायक मांझी के इस्तीफे की सूचना मिलते ही उत्साहित हो गए और विधानसभा परिसर में ही अपने वरिष्ठ नेता रमई राम को सर-आंखों पर बिठा लिया। राजनीतिक विश्लेषक इसे जदयू में एक और मांझी की तलाश की कोशिश मान रहे हैं। यह अलग बात है कि नई सरकार में रमई राम को उप मुख्यमंत्री से कम कोई पद नहीं चाहिए। अपनी खास शैली में बिहार में नौ महीने तक सरकार चलाकर जीतन राम मांझी खुद में भी एक हस्ती बन गए हैं। सत्ता में रहकर मांझी ने अपने बेबाक अंदाज और तथ्य-कथ्य से एक बड़े वर्ग को प्रभावित भी किया है। अब इतना तो तय है कि मांझी चाहे जिस खेमे में रहें, वे खुद में एक बड़े मांझी होंगे। विधानसभा चुनाव से पहले उनका अगला कदम क्या होगा, यह देखने लायक होगा। अपने कुनबे में विस्तार के लिए वे अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं। भाजपा के साथ भी गठबंधन कर सकते हैं या विकल्पों के ओर दरवाजे भी खुले रख सकते हैं। बिहार की लगभग 20 प्रतिशत महादलितों की आबादी और जीतन राम मांझी के रूप में एक नए नेता के उभार ने भाजपा को सोचने पर मजबूर कर दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद भाजपा बिहार में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है और यही वजह है कि किसी भी हाल में वह मांझी की ताकत को नजरअंदाज नहीं करना चाहेगी। मतलब साफ है कि हर हाल में भाजपा को मांझी का पतवार चाहिए। किसी वजह से अगर ऐसा नहीं हो सका तो जदयू की तरह भाजपा की भी कोशिश होगी कि वह अपने दल में ही मांझी जैसे किसी शख्स को आगे बढ़ाए, नेता बनाए। लोकसभा चुनाव में उदित राज को पार्टी में शामिल कर और रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा से गठबंधन कर भाजपा ऐसी ही कोशिश कर चुकी है।

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लोकसभा चुनाव के बाद से जितने भी राज्यों में चुनाव हुए उनमें बिहार भाजपा के लिए सबसे अहम होगा। दरअसल बिहार कुछ मायनों में नाक की भी लड़ाई है। ऐसे में मांझी प्रकरण का अंत भाजपा के लिए आशा और आशंका दोनों लेकर आया है। नीतीश के महादलित वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश सफल हो गई है। भाजपा ने यह फैसला किया था कि विश्वासमत के दौरान भाजपा विधायक मांझी का समर्थन करेंगे। जाहिर है कि अगले छह महीने में होने वाले चुनाव में इसका लाभ उठाने की कोशिश होगी। मांझी ने खुद ही इस्तीफा दे दिया, यह भाजपा के लिए और बड़ी राहत है। क्योंकि भाजपा कभी नहीं चाहती कि उनके समर्थन को मांझी सरकार के कामकाज पर मुहर के रूप में देखा जाए। मांझी सरकार बचती तो बड़ी आफत हो सकती थी। उस परिस्थिति में अगले छह महीनें तक भाजपा को मांझी सरकार के कामकाज की सफाई देनी होती। परोक्ष रूप से सरकार में न रहते हुए भी चुनाव के वक्त भाजपा के खिलाफ भी सत्ताविरोधी लहर हो सकती थी और इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है कि उसमें भाजपा का अपना वोटबैंक भी कुछ बिखर सकता था। सूत्रों की मानी जाए तो भाजपा को इसका संकेत पहले ही मिल गया था कि मांझी इस्तीफा दे सकते हैं। लेकिन यह आशा थी कि विधानसभा के अंदर दलित मुद्दों को उठाते हुए मर्मस्पर्शी भाषण देते, वह नहीं हुआ। भाजपा को यह कसक है। दिल्ली में यह दर्द भाजपा के कुछ नेताओं में दिखा भी। औपचारिक समीक्षा तो बाद में होगी लेकिन आशंका भी है कि छह महीने में नीतीश पार्टी से लेकर गठबंधन और विलय तक के मुद्दों को कहीं दुरुस्त न कर लें। भाजपा के नेता भी मानते हैं कि पार्टी में नीतीश के मुकाबले कोई सर्वमान्य चेहरा नहीं है। पुरानी दुश्मनी को भूलते हुए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने नीतीश को चेहरा मान लिया है। अब जबकि वह सरकार में होंगे तो ऐसे कई अवसर हो सकते हैं जिसके जरिये महादलितों का विश्वास फिर से जीतने की कोशिश भी हो और विलय की प्रक्रिया भी आसान बनाई जा सके। गौरतलब है कि मांझी को भाजपा ने पूरे महादलित का नेता भले ही करार दिया हो, यह भी सत्य है कि महादलितों में भी हर कोई उन्हें अपना नेता नहीं मान सकता।

मांझी ने अपने संबोधन में एक बार फिर नीतीश कुमार पर निशाना साधकर बताने की कोशिश किया कि नीतीश यही चाहते थे कि वे जो चाहे वही हो। ऐसा दो महीने तक हुआ भी। मुझसे कहा गया कि आप सिर्फ कागजों पर दस्तखत कीजिए। कैबिनेट के मंत्रियों की सूची पर भी मैंने सिर्फ दस्तखत ही किया। मैंने सिर्फ ट्रांसफर की फाइलों पर साइन किया। वह गरीब हो सकते हैं, लेकिन धोखेबाज नहीं हैं। जनता कह रही है कि जदयू-राजद और कांग्रेस का दलित विरोधी गठबंधन बेनकाब हो गया है। माना जायेगा कि कांग्रेस-राजद और जदयू ने पिछड़ों-अति पिछड़ों, दलितों और महादलितों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जेपी, लोहिया और कर्पूरीजी जैसे जननायकों के नाम पर राजनीति करने वालों का इतिहास ही दलित विरोधी राजनीति का रहा है। आज भी सत्ता के लिए इनकी दलित विरोधी सियासत सामने आ रही है। इस नौटंकी में नौ महीने पहले भाजपा ने जद-यू में फूट डालने और उसके जरिये राजनीतिक संकट बढ़ाने में अपना फायदा देखा। उसकी निगाह में पहला लाभ संभवतः यह है कि नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री रहते अपनी पार्टी के लिए महादलित समुदाय का जो राजनीतिक समर्थन तैयार किया, मांझी के हुए कथित अपमान से उसमें सेंध लगने की संभावना है। मांझी ने महादलित कार्ड खेलते हुए ही पहले जद-यू नेतृत्व को दबाव में लाने की कोशिश की। इसमें विफल रहे तो भाजपा को अपने पीछे खड़े होने के लिए तैयार किया। बहरहाल, माझी के इस्तीफा बाद राष्ट्रपति शासन लागू करने की नौबत आई, तो मुमकिन है कि भाजपा का दांव उलटा पड़ जाए। अपनी अनियंत्रित जुबान और जातीय दांवपेच के कारण मुख्यमंत्री के रूप में मांझी जद-यू की परेशानी बन गए थे। ऐसी स्थिति का सामना भाजपा को भी करना पड़ सकता है। 

भाजपा को इतनी कसक तो रह ही गयी कि जिस तरह पूरे प्रकरण में नीतिश का छीछालेदर वह चाहती थी नहीं हो पाया। क्योंकि बहुमत नीतीश के साथ था, लेकिन तय हुआ था कि राज्यपाल के अभिभाषण के बाद मुख्यमंत्री मांझी अपने विश्वास मत प्रस्ताव पर भाषण देंगे और उसके बाद इस्तीफा देने के लिए राजभवन जाएंगे। लोकसभा में अटल विहारी वाजपेयी ने भी ऐसा ही किया था। लेकिन अचानक मांझी ने इस्तीफा देकर सब गुड़गोबर कर दिया। बहरहाल, भाजपा की कोशिश मांझी के सहारे सिर्फ नीतीश कुमार-लालू प्रसाद यादव गठबंधन की फजीहत करवाने की थी। उसमें वह कुछ हद तक कामयाब रही, रामविलास पासवान के दलित आधार में अगर यह महादलित आधार भी जुड़ गया, तो यह काफी बड़ा वोट बैंक हो सकता है और नीतीश कुमार ने दलितों से महादलितों को अलग करके जो राजनीति की थी, उसकी यह काट भी हो सकती है। लेकिन यह देखना होगा कि महादलितों में मांझी का वास्तविक आधार कितना है और क्या मांझी को पद से हटाना महादलितों की अस्मिता का सवाल बन सकता है? मुख्यमंत्री बन जाने के बाद मांझी काफी महत्वाकांक्षी और मुखर हो गए और भाजपा ने उसी महत्वाकांक्षा को हवा दी। अब महत्वाकांक्षी और मुखर मांझी को भाजपा कैसे संभालती है, इसमें उसके राजनीतिक कौशल की परीक्षा है। भाजपा का स्वाभाविक आधार अगड़ी जातियों में है और वह नहीं चाहेगी कि मांझी की वजह से इसमें दरार आए। अगर नीतीश-लालू गठबंधन बरकरार रहता है, तो अगले विधानसभा चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगियों के लिए कठिन चुनौती हो सकती है। नीतीश के लिए चुनौती यह है कि वह गठबंधन को भी बनाए रखें और सुशासन की अपनी छवि को भी। 

राष्ट्रपति शासन लगा तो अपने को अन्याय का शिकार बताकर नीतीश कुमार जनता के बीच भाजपा के लिए कठिन प्रश्न खड़े कर सकते हैं। अगर नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री के रूप में वापसी हुई तो वही होगा, जो नीतीश चाहते थे। उनका दांव अरविंद केजरीवाल की तर्ज पर खुद को बेहतर विकल्प के रूप में पेश करते हुए चुनाव में पलड़ा अपनी तरफ झुकाने पर है। आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई आदि को साथ लेकर वे भाजपा विरोधी व्यापक गठबंधन बनाने की तैयारी में हैं। बहरहाल, सत्ता में होने का नुकसान उनके साथ होगा। असल में भाजपा इसका लाभ उठाने की रणनीति पर चलती, तो शायद उसके लिए ज्यादा फायदे की बात होगी, लेकिन मांझी के दांवपेच में शामिल होकर उसने बड़ा जोखिम लिया है, जिसका परिणाम अनिश्चित है। मांझी का व्यक्तित्व भी भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। वे मांगों की सूची रखकर भाजपा को परेशान कर सकते हैं। भाजपा को उन्हें लेकर सतर्कतापूर्वक आगे बढ़ना होगा। बिहार की जनता देख रही है कि ये लोग कैसे सत्ता के लिए महादलित का अपमान कर रहे हैं। भाजपा दलितों के अपमान का विरोध कर रही है, दलित हितों की बात कर रही है तो नीतीश कुमार कह रहे हैं कि बिहार की पांच में चार पार्टियां उनके साथ हैं। भाजपा ने बता दिया कि नीतिश के साथ चार पार्टियां हों या चालीस, भाजपा दलितों-महादलितों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी। समर्थन समाज के गरीब, पिछड़े-अति पिछड़े, महादलित जैसे वंचित तबकों के पक्ष में है। भाजपा का विरोध बिहार को बर्बाद करने वाली नीतियों, अराजकता और तानाशाही शासन से है। 

बिहार में कुल 38 सुरक्षित सीटें हैं। मांझी चाहें तो इन्हीं पर फोकस करें और इनमें से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर बार्गेन लायक स्थिति बना लें। पिछले चुनाव में इनमें से 19 जेडीयू को, 18 बीजेपी को और एक आरजेडी को मिली थीं। दलितों को एकजुट करने के लिए मांझी अपने हथकंडे भी अपनाते रहते हैं। पटना के एक हॉस्टल में मांझी कहा था दलित छात्रों को जात-पात से उपर उठकर अंतरजातीय विवाह करना चाहिए। अगर हमें एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनना है तब हमें अपनी जनसंख्या को 16 से बढ़ाकर 22 फीसदी करनी होगी। मांझी के पास खुद को दलितों का सबसे बड़ा नेता साबित करने की चुनौती होगी। नौ महीने के शासन के दौरान मांझी ने नौकरशाहों और विधायकों के बीच दलितों की आवाज बन कर उभरने की पूरी कोशिश की। अपनी कैबिनेट से उन्होंने पासवान बिरादरी को महादलित में शामिल कर एक ही साथ नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति नेता राम विलास पासवान दोनों पर निशाना साधा। अब मांझी के फैसले किसी भी वजह से हकीकत भले ही न बन पाएं लेकिन दलित हितों के लिए काम करने का उनका दावा पुख्ता तो होता ही है। 

जीतनराम मांझी की सरकार को समर्थन देकर भाजपा ने स्पष्ट किया है कि वह नीतीश कुमार को दोबारा मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर नहीं आने देना चाहती। भाजपा की ओर से जीतनराम को समर्थन देने के फैसले के बाद नीतीश कुमार को नए सिरे से यह कहने का मौका मिला है कि बिहार में जो कुछ हो रहा है उसके पीछे भाजपा है, लेकिन अब जब वह विपक्ष का नेता बनने के लिए तैयार हो गए हैं तो फिर उन्हें उसी भूमिका का निर्वाह करना चाहिए। फिलहाल यह कहना कठिन है कि भाजपा को जीतनराम को समर्थन देने के बदले अपेक्षित राजनीतिक लाभ मिलेगा ही। उसकी रणनीति जोखिम भरी नजर आ रही है। नीतीश कुमार को मात देने के लिए जीतनराम मांझी पर दांव लगाना उसे महंगा भी पड़ सकता है। यह सही है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद जीतनराम महादलितों के नेता के रूप में उभर आए हैं और यह किसी से छिपा नहीं कि पिछले कुछ समय से वह एक के बाद एक फैसलों के जरिये अपने वोट बैंक को मजबूत करने का काम कर रहे हैं, लेकिन इस बारे में सुनिश्चित नहीं हुआ जा सकता कि वह आगामी विधानसभा चुनाव तक भाजपा के साथ बने ही रहेंगे और उसी के हिसाब से शासन करेंगे। जीतनराम अपने विचित्र बयानों के लिए भी जाने जाते हैं। अभी तक उनके ऐसे बयानों के लिए उन्हें निशाना बनाती रही भाजपा को अब उनका बचाव करना होगा। बिहार में जैसे राजनीतिक हालात उभर आए हैं उसे देखते हुए उचित यही होगा कि वहां जल्द से जल्द नए सिरे से विधानसभा चुनाव हों। एक के बाद एक राजनीतिक प्रयोग बिहार के विकास को बाधित करने का काम कर सकते हैं। यह ठीक नहीं कि पहले नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में हार की कथित जिम्मेदारी लेते हुए मांझी को आगे कर एक प्रयोग किया और फिर जब इससे भी बात नहीं बनी तो उन्होंने लालू प्रसाद से हाथ मिलाकर दूसरा प्रयोग किया। अब भाजपा भी एक नया प्रयोग करती दिख रही है। अपने-अपने राजनीतिक समीकरणों को दुरुस्त करने के लिए ऐसे प्रयोग करते समय यदि सुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं दी जाती तो इससे कुल मिलाकर आम जनता के हितों की अनदेखी ही होती है। बेहतर हो कि एक दूसरे को मात देने के फेर में सक्रिय राजनीतिक दल इस पर विशेष ध्यान दें कि राज्य की जनता क्या चाहती है? नीतीश कुमार खुद मानते हैं कि उत्तराधिकारी के चयन में उनसे गलती हो गई। बहरहाल खराब कानून-व्यवस्था को लेकर बिहार की फिर से चर्चा शुरू हो गई। दूसरे मोर्चे पर भी बिहार की आलोचना शुरू है। विधानसभा चुनाव में जब सिर्फ आठ माह शेष रह गए हों, ऐसे समय में मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी चुनौती से कम नहीं। कानून-व्यवस्था, शासन-व्यवस्था दुरुस्त करने, अधिकारियों पर नियंत्रण रखने से लेकर अपनी पार्टी को भी ठीक रखना होगा। जीतन राम मांझी के जाने से उनके वोट बैंक में ठीक-ठाक सेंध लग गई है। उसे ठीक करने की चुनौती है, तो लालू फैक्टर भी है। उसी लालू के शासन के विरोध में 2005 में चुनाव जीत कर आए थे। राजनीतिक मजबूरी ने एक साथ ला खड़ा किया है। देखना यह कि इंजीनियरी की पढ़ाई करने वाले नीतीश इन नई चुनौतियों से निपटने के लिए कौन सी इंजीनियरिंग करते हैं। अभी जनता परिवार के विलय का टास्क भी शेष है। नीतीश कुमार, को सरकार बनाने का निमंत्रण मिला है। फिर उनको सदन में बहुमत साबित करना होगा। चूंकि नीतीश कुमार जुगाड़ तकनीक में माहिर हैं, इसलिए खरीद-फरोख्त में इनका कोई जोड़ नहीं। यह भी संभव है वे सदन में बहुमत साबित भी कर दें, पर उन्होंने बिहार को राजनीतिक अस्थिरता के दौर में धकेल दिया है। उनकी वजह से डेढ़ साल में बिहार को चार-चार मुख्यमंत्री देखना पड़ेगा। 

जो भी जिस तरह नीतिश ने शक्ति प्रदर्शन कर चैथी बार मुख्यमंत्री बने है और उनके शपथ ग्रहण समारोह में जनता परिवार के नेताओं के अलावा जिस तरह ममता बनर्जी से लेकर तरुण गोगोई तक शामिल हुए उससे ऐसा लगता है कि भाजपा विरोधी मोर्चे को और मजबूत करने की कोशिश की जा रही है। इस कोशिश के परिणाम सामने आने में समय लगेगा। इसलिए और भी, क्योंकि अतीत में इस तरह के जो भी प्रयास हुए हैं वे असफल ही अधिक साबित हुए हैं। नीतीश कुमार ने शपथ ग्रहण के पहले यह स्पष्ट किया कि करीब नौ माह पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देकर गलती की थी, लेकिन इसमें संदेह है कि आम जनता उनकी इस गलती को स्वीकार कर लेगी, क्योंकि जिस समय उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ा था तब उन्होंने यह कहा था कि वह नैतिकता के आधार पर कुर्सी छोड़ रहे हैं। अच्छा हो कि जदयू की ओर से कोई यह स्पष्ट करे कि सच्चाई क्या है? उन्होंने गलती की थी या नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था? अच्छा होता कि वह उस तरह का कोई उदाहरण पेश करते जैसा कर्नाटक के मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े ने पेश किया था। 1984 में लोकसभा चुनावों में बुरी तरह पराजित होने के बाद उन्होंने इस्तीफा देने के साथ ही राज्य विधानसभा के चुनाव नए सिरे से कराना पसंद किया था। वह फिर से चुनाव जीतने में भी कामयाब हुए थे और अपनी राजनीतिक ताकत को रेखांकित करने में भी। इसके विपरीत नीतीश कुमार ने अपनी सारी ताकत अपने ही द्वारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाए गए जीतनराम मांझी को हटाने में लगा दी और वह भी यह स्पष्ट किए बगैर कि आखिर वह ऐसा क्यों कर रहे हैं? चंद दिनों पहले तक जदयू के सभी नेता जीतनराम मांझी की वाहवाही करने में लगे थे। कोई नहीं जानता कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि उनमें खामियां ही खामियां नजर आने लगीं। कहीं यह सब राजद से हाथ मिलाने का परिणाम तो नहीं? यदि मांझी अपने पक्ष में उमड़ी सहानुभूति को देखते हुए अपना कोई दल गठित करते हैं तो वह कुल मिलाकर जदयू के लिए एक चुनौती ही बनेगा। भाजपा पहले से ही उसके लिए एक चुनौती बनी हुई है। भले ही नीतीश कुमार राज्य के विकास को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हों, लेकिन इसमें संदेह है कि वह अगले पांच-छह महीनों में अपनी उस छवि को फिर से हासिल कर सकेंगे जो उन्होंने अपने कार्यकाल के प्रारंभ में अर्जित की थी और जिसके चलते देश में यह विश्वास पैदा हुआ था कि बिहार पटरी पर लौट रहा है। 







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सुरेश गांधी 
लेखक आज तक टीवी न्यूज चैनल से संबद्ध है 

भूमि अधिग्रहण बिल लोकसभा में पेश, विपक्ष का वॉकआउट

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संशोधित भूमि अधिग्रहण बिल को लोकसभा में पेश करने के साथ ही इस पर सदन में जबरदस्त हंगामा मच गया। बिल के विरोध में कांग्रेस ने सदन से वॉकउटक कर दिया। इससे पहले राज्यसभा में भी ऐसे ही हालात नजर आए। कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी, आरजेडी, जेडीयू और तृणमूल कांग्रेस ने भी सदन से वॉक आउट किया। खास बात ये है कि शिवसेना ने भी विपक्ष के सुर में सुर मिलाए हैं। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि ये विरोध राजनीतिक नहीं होना चाहिए। सभी पार्टियों को साथ आना चाहिए, बीजेपी नेताओं को भी आना चाहिए। स्वाभिमान पक्ष के सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि हालांकि हमारी पार्टी एनडीए में शामिल है, बावजूद मैं इसका विरोध करता हूं।

वहीं सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कहा कि ये किसान विरोधी बिल है और इसका गंभीर दुष्परिणाम होगा। अगर जमीन ही नहीं होगी तो खाना कहां से मिलेगा। हमें ये ऑस्ट्रेलिया या अमेरिका से नहीं मिलने वाला। बंजर जमीन का अधिग्रहण करने में हर्ज नहीं है, लेकिन इस बिल के बाद उपजाऊ जमीन का ही अधिग्रहण होगा। जबकि टीएमसी सांसद सौगातो राय ने कहा कि ये किसान विरोध और गरीब विरोध बिल है और इससे कारपोरेट को ही मदद मिलेगी।

ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह लोकसभा में उचित मुआवजे का अधिकार और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास संशोधन विधेयक 2015 पेश किया। विपक्षी दलों के रुख को देखते हुए सरकार के सामने बिल पास कराने की चुनौती है। ये विधेयक पिछले साल दिसंबर में सरकार की तरफ से जारी किए गए अध्यादेश की जगह लेगा। अध्यादेश के जरिए यूपीए सरकार के साल 2013 में पारित किए गए पहले के विधेयक में बदलाव किए गए थे। सरकार ने कहा कि वो इस मसले पर सदन में चर्चा के दौरान विपक्ष की सलाह पर विचार करेगी।

मदर टेरेसा महान इंसान थीं

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के मदर टेरेसा को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह एक महान इंसान थीं और उन्हें बख्श दिया जाना चाहिए। केजरीवाल ने ट्विटर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा, कि मैंने कुछ महीने कोलकाता स्थित निर्मल हृदय आश्रम में मदर टेरेसा के साथ काम किया है। वह महान इंसान थीं, उन्हें बख्श दिया जाए।

गौरतलब है कि भागवत ने सोमवार को राजस्थान के भरतपुर में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के कार्यक्रम के दौरान कहा था कि मदर टेरेसा के गरीबों के लिए किए जाने वाले काम का लक्ष्य उनका धर्मांतरण करना था। भागवत को इसके बाद चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ा था।

आरएसएस का हालांकि कहना है कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। संगठन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा गया है कि मीडिया गलत तरीके से रिपोर्ट दे रहा है। भरतपुर में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व महानिदेशक ने कहा था कि मदर टेरेसा ने उद्देश्य के साथ सेवा थी। इसके जवाब में भागवत ने कहा था कि जैसा कि डॉ एम वैद्य ने कहा है कि मदर टेरेसा के सेवा का उद्देश्य था, लेकिन हम बदले में किसी चीज की अपेक्षा किए बगैर सेवा करते हैं।

अण्‍णा के विरोध प्रदर्शन में केजरीवाल शामिल हुए

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जंतर-मंतर पर भूमि अध्यादेश के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता अण्‍णा हजारे के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने जंतर मंतर पहुंचे हैं। केजरीवाल ने अपने संबोधन में कहा कि मोदी सरकार जो भी संशोधन लाई है यह किसान विरोधी है, गरीब विरोधी है। उन्होंने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कानून जनहित में नहीं है। अब मोदी सरकार का संशोधन भी गलत है। यह प्रॉपर्टी डीलर की तरह काम कर रही है। उन्होंने कहा कि लोगों ने कांग्रेस और बीजेपी को नकार दिया है। केजरीवाल का कहना है कि जनता दोनों दलों को सबक सिखाएगी।

उन्होंने कहा कि आप पार्टी अण्णा हजारे का समर्थन करती है। बतौर मुख्यमंत्री ऐलान करता हूं कि जमीन का मुद्दा दिल्ली में केंद्र के अधीन आता है, लेकिन फिर भी दिल्ली सरकार किसी की भी जमीन जबरन अधिग्रहीत नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि लोगों से जनता को सुविधा के लिए जमीन मांगे तो जनता अपने आप जमीन देगी। देश की जनता पर बुलडोजर चलाने से काम नहीं चलेगा। जब भी दिल्ली में जमीन ली जाएगी, बाजार मूल्य से मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम अण्णा जी के साथ हैं। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के तमाम विभागों के प्रमुखों से कहा कि अण्णा जी से मार्गदर्शन लें।

तीन साल पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में अण्‍णा के साथी रह चुके केजरीवाल सोमवार को महाराष्ट्र सदन गए थे। वह आम आदमी पार्टी का गठन होने के मुद्दे पर दो साल पहले एक-दूसरे से अलग होने के बाद गांधीवादी नेता से मिले थे। कल ही उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रदर्शन में केजरीवाल की भागीदारी के बारे में दोपहर में घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि केजरीवाल की भागीदारी प्रतीकात्मक स्वरूप की हो सकती है। बता दें कि अण्णा ने यह घोषणा की थी कि कोई भी नेता उनके साथ मंच साझा नहीं कर सकता है। लेकिन कल ही उन्होंने केजरीवाल के संबंध में यह छूट दी थी।

एक मार्च को मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं

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जम्मू कश्मीर में मुफ्ती मुहम्मद सईद के नेतृत्व में पीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार एक मार्च को शपथ ले सकती है और दोनों दलों ने अफस्पा और अनुच्छेद 370 पर मतभेदों समेत अन्य सभी मुद्दों पर सहमति का रास्ता निकाल लिया है. गठबंधन को औपचारिकता प्रदान करने के लिए पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती आज शाम भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिलेंगी. दोनों नेता आपसी बातचीत के आधार पर गंठबंधन के एजेंडे को अंतिम स्वरूप देंगे. इसे अंतिम स्वरूप देने के बाद एजेंडा फॉर एलायंस नाम से राज्य व देश की जनता के लिए जारी किया जायेगा. सूत्रों के अनुसार, एक मार्च को मुफ्ती मोहम्मद सईद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. उनके शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी शामिल होने की संभावना है.

सात हफ्तों से दोनों दलों के बीच सरकार बनाने को लेकर बातचीत चल रही है. इसके बाद पीडीपी संरक्षक सईद इस हफ्ते के आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. दोनों दलों के बीच चल रही बातचीत से जुडे सूत्रों ने सोमवार को यहां कहा कि शपथ ग्रहण समारोह एक मार्च को हो सकता है. सूत्रों के अनुसार एक मार्च की तारीख को इसलिए चुना गया क्योंकि यह एक शुभ दिन है.

सूत्रों ने कहा कि सईद छह साल तक राज्य के मुख्यमंत्री होंगे वहीं भाजपा के निर्मल सिंह उप मुख्यमंत्री हो सकते हैं. सईद ने इससे पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन में 2002 से तीन साल तक सरकार चलाई थी. पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में पीडीपी को 87 सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटें मिली हैं और वह सबसे बडी पार्टी के रुप में उभरी. भाजपा को 25 सीटें मिली हैं.

आखिरी समय में किसी तरह के अवरोध की आशंका को खारिज करते हुए सूत्रों ने कहा कि सहमति हो चुकी है और सईद-मोदी की मुलाकात के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) को जारी किया जाएगा.
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