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तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी पर रोक बरकरार

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गुलबर्ग सोसाइटी ट्रस्ट में हेराफेरी की आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद फिलहाल गिरफ्तार नहीं किए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इन दोनों की गिरफ्तारी पर लगाई रोक को बरकरार रखते हुए आरोपियों की अग्रिम जमानत की याचिका को और बड़े बेंच को सौंप दिया है.

गिरफ्तारी पर रोक के फैसले को आगे बढ़ाते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने अग्रिम जमानत याचिका को बड़े बेंच के पास भेज दिया. कोर्ट ने कहा कि जब तक इस याचिका पर बड़े बेंच में सुनवाई नहीं होती तब तक गिरफ्तारी पर रोक जारी रहेगी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने गुजरात पुलिस द्वारा सीतलवाड़ और उनके पति जावेद अहमद की गिरफ्तारी पर रोक लगाया था.

तीस्ता पर आरोप है कि उन्होंने गुजरात दंगा पीड़ितों के लिए जमा किए गए चंदे का दुरुपयोग किया. तीस्ता पर एक करोड़ 51 लाख रुपये के फंड के दुरुपयोग का आरोप है. ये पैसा दंगों से जुड़ा एक म्यूज़ियम बनाने के लिए जमा किया गया था. बताया जा रहा है कि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उनके मुंबई और दिल्ली के ठिकानों पर छापा मारा है. यह म्यूजियम गुलबर्ग सोसाइटी में बनना था, जहां 2002 के दंगों में 60 लोग मारे गए थे. लेकिन म्यूजियम बनाने की योजना बाद में रद्द कर दी गई. गुलबर्ग सोसाइटी के 12 लोगों का आरोप है कि तीस्ता ने फंड का गलत इस्तेमाल किया.

मुंबई के निगम स्कूलों में बच्चों को गीता पढ़ाई जाएगी

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अध्यात्म के बारे में छात्रों का ज्ञान बढ़ाने और नैतिक बल के उत्थान के लिए शहर और उपनगर में निगम के सभी स्कूलों में भगवदगीता पढ़ाई जाएगी। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (एमसीजीएम) के निगम उपायुक्त रामदास भाउसाहेब ने कहा, हम छात्रों को स्वतंत्र बनाने और फैसला लेने की उनकी क्षमता को और धार देने के लिए उन्हें भगवदगीता की जानकारी देंगे।

इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कष्णा कॉन्श्सनेस (इस्कॉन) की ओर से 15 मार्च को आयोजित गीता चैंपियन लीग प्रतिस्पर्धा के पुरस्कार वितरण समारोह में उन्होंने यह बात कही। एक प्रेस विज्ञिप्ति के मुताबिक, रामदास ने कहा कि एमसीजीएम के अंतर्गत 1,200 स्कूल हैं और कुल 4,78,000 छात्र हैं। कुल 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से नौ क्षेत्रीय भाषाओं में बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है।

गिरगांव चौपाटी में इस्कॉन के राधा गोपीनाथ मंदिर के आध्यात्मिक गुरू राधानाथ स्वामी ने कहा, हमारे बच्चों हमारा भविष्य हैं। जरूरत है कि हम उनकी हिफाजत करें, उनका ज्ञानवर्धन करें और समक्ष विकसित करें। टीवी, फिल्में और इंटरनेट से बच्चों के सामने हिंसा, अश्लीलता और उन्माद दिखाए जाने का खतरा है जिससे वे नकारात्मक विचार और घटनाओं से आसानी से प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि भगवदगीता के पाठ से उनमें सकारात्मक सोच विकसित होगी और छात्रों को केंद्रित रहकर नैतिक फैसले लेने में मदद मिलेगी।

डीके रवि की मौत की सीबीआई जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन

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कर्नाटक के आईएएस अफसर डीके रवि की मौत की सीबीआई जांच की मांग को लेकर सड़क से संसद तक आज प्रदर्शन हो रहे हैं। कर्नाटक विधानसभा के भीतर और बाहर बीजेपी और जेडीएस विधायकों ने प्रदर्शन किया। विधानसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। रवि की मौत को लेकर बेंगलुरु में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने उग्र प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। तुमकुर में भी भीड़ की पुलिस से झड़प हो गई।

संसद में भी इस मुद्दे को लेकर जमकर हंगामा हुआ, जिसके चलते लोकसभा की कार्यवाही बाधित हुई। हालांकि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि अगर राज्य सरकार सीबीआई जांच की सिफारिश करती है, तो केंद्र सरकार इसके लिए तैयार है। रवि की मौत की जांच सीबीआई से कराने को लेकर कर्नाटक के आईएएस अधिकारियों ने हस्ताक्षर मुहिम शुरू की है। ऑन लाइन शुरू की गई इस मुहिम में अधिकारियों के अलावा राज्य के करीब 13.58 लाख लोग इस पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।

बुधवार को डीके रवि की मां गौरम्मा, उनके भाई, चाचा और दूसरे रिश्तेदार बुधवार देर शाम विधानसभा के मुख्य द्वार के पास धरने पर बैठ गए थे। उनकी मांग थी की उनके साथ इंसाफ किया जाए और सरकार पुख्ता तौर पर साबित करे कि रवि की हत्या नहीं की गई है। परिवार ने आत्महत्या की धमकी भी दी। कुछ ही देर में कन्नड़ रक्षणा वेदी के बीजेपी और जेडीएस के नेता भी परिवार के साथ हो लिए। मामला बिगड़ता देख भारी तादाद में पुलिस बुलानी पड़ी और विधानसभा परिसर के सभी दरवाज़े बंद कर दिए गए, क्‍योंकि पुलिस को लगा कि अगर कन्नड़ रक्षणा वेदी के कार्यकर्ता बड़ी तादाद में परिसर में घुसने में कामयाब हुए तो उन्हें काबू में करना मुश्किल होगा।

बाद में मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या ने परिवार से मुलाक़ात की और भरोसा दिलाया कि सीआईडी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आने के बाद अगर वो संतुष्ट नहीं हुए तो मामले की आगे भी जांच कराई जाएगी। काफी मानमनौव्‍वल के बाद परिवार के सदस्य वहां से रवाना हुए।

सोनिया और अन्ना को भूमि बिल पर गड़करी ने दी बहस की चुनौती

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भूमि अधिग्रहण विधेयक को राजनीतिक रंग नहीं देने का आग्रह करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्ना हजारे सहित विभिन्न नेताओं को किसी भी मंच पर खुली चर्चा के लिए पत्र लिखा है और राष्ट्रहित में इसे पारित कराने में सहयोग मांगा है।

गडकरी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि इस विषय पर सोनिया गांधी, अन्ना हजारे समेत विभिन्न नेताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को किसी भी मंच पर खुली चर्चा के लिए पत्र लिखा है। क्योंकि इस विधेयक के बारे में जो बातें कही जा रही हैं वह जमीनी हकीकत से परे है और इसे राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक के पारित होने पर अधिक से अधिक  रोजगार सजित किया जा सकेगा, सिंचाई के साधन विकसित होंगे, सड़क सम्पर्क बढेगा, स्कूल और अस्पताल खुल सकेंगे। इसके तहत 80 प्रतिशत अधिग्रहण तो सिर्फ सिंचाई के लिए होगा। सिंचाई के साधन बढ़ेंगे तो खाद्यान्न उत्पादन बढेगा।

गडकरी ने दावा किया कि संप्रग सरकार ने जो कानून बनाया था उसमें 13 ऐसे कानून थे जो इसके दायरे में नहीं थे जिसमें कोयला, रेलवे से जुड़े मामले शामिल हैं। हमने इसमें ग्रामीण आधारभूत संरचना, रक्षा के साथ औद्योगिक कारिडोर जोड़ा है। उन्होंने कहा कि इसलिए यह कहना गलत है कि यह किसान विरोधी है, बल्कि इसमें तो किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए विशेष ध्यान रखा गया है और भूमि अधिग्रहण का मुआवजा बढाकर चार गुणा किया गया है।

गडकरी ने कहा कि हम विपक्ष और सामाजिक कार्याकर्ता अन्ना हजारे एवं अन्य लोगों से कहते हैं कि आप किसी भी मंच पर आएं, चाहे इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रिंट मीडिया या कोई अन्य मंच हो, हम खुली चर्चा करने को तैयार है। इस बारे में खुली चर्चा हो जाए।

पांच लाख से कम भीड़ जुटी तो राजनीत से सन्यास ले लूँगा : मांझी

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पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि  हम आज भी जदयू में हैं। पार्टी ने निष्कासित किया है, ये पार्टी के लोग जाने। मेरा मामला न्यायालय में विचाराधीन है। ये बातें पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गुरुवार को गया स्थित आवास में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही।

एक सवाल के जवाब में मांझी ने कहा कि हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा जदयू का एक फ्रंट आर्गनाइजेशन है। रीयल जदयू मेरे साथ है। नीतीश कुमार 'लालटेन'के साथ जा रहे हैं, तो फिर 'तीर'हमारे साथ रहेगा। वे प्रमंडलीय सम्मेलन के माध्यम से आवाम को यह बताना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा उनके 34 निर्णय को रद करना न्यायोचित नहीं था, क्योंकि यह निर्णय जनहित में लिए गए थे। मांझी का दावा है कि 21 अप्रैल को पटना के गांधी मैदान में आयोजित रैली में 5 लाख की भीड़ जुटेगी। अगर भीड़ उससे कम रही तो वे राजनीत से सन्यास लेंगे।

ट्रेन के एसी कोच में एमपी के मंत्री से हथियारों के बल पर लूटपाट

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मध्यप्रदेश के मंत्री जयंत मलैया व उनकी पत्नी सुधा मलैया से चाकू व हथियारों के बल पर लुटेरों ने आज तडके चार बजे मथुरा के पास लूटपाट की. लुटेरे उनसे जेवर, नकदी आदि लूट कर फरार हो गये. मंत्री व उनकी पत्नी जबलपुर हजरत निजामुद्दीन एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहे थे. 

मंत्री व उनकी पत्नी एसी वन बोगी में सवार थे. मंत्री की पत्नी सुधा मलैया का कहना है कि वे सोच भी नहीं सकतीं कि एसी वन बोगी में भी लूटपाट हो जायेगी. चैन पुलिंग के बाद 10 से 12 लुटेरे ट्रेन पर सवार हो गये थे. वे मथुरा के पास कोशीकलां में ट्रेन पर सवार हुए थे. इस लूटपाट के दौरान आरपीएफ ने फायरिंग भी की.

निजमुद्दीन स्टेशन पर इस मामले में एफआइआर दर्ज की गयी है. साथ ही तीन आरपीएफ कर्मियों को सस्पेंड भी किया है. इस मामले की पूरी सूचना दंपती ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु को भी दी है.

भारत विश्व कप में बंगलादेश को 109 रन से हराकर सेमीफाइनल में पहुंचा

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बांग्लादेश क्रिकेट टीम मेलबर्न क्रिकेट मैदान पर गुरुवार को आईसीसी विश्व कप 2015 के दूसरे क्वार्टर फाइनल में भारत के खिलाफ मैंच में 303 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 45 ओवर में 192 रन पर ऑलआउट हो गई। बांग्लादेश को 109 रन से हराकर भारत विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंच गया है। भारतीय गेंदबाजों में  उमेश यादव ने चार विकेट, मोहम्मद शमी और रवींद्र जडेजा ने दो-दो विकेट झटके जबकि मोहित शर्मा को एक विकेट मिला।

तमीम इकबाल 25 रन बनाकर उमेश यादव की गेंद पर आउट हुए जबकि इमरुल कायेस 5 रन बनाकर रनआउट हुए। महमुदुल्लाह 21 रन बनाकर मोहम्मद शमी की गेंद पर धवन को कैच थमा बैठे। सौम्य सरकार 29 रन बनाकर मोहम्मद शमी की गेंद पर धौनी को कैच थमा बैठे। शाकिब अल हसन 10 रन बनाकर जडेजा की गेंद पर शमी को कैच थमा बैठे। मुशफिकुर रहीम 27 रन बनाकर उमेश यादव की गेंद पर कैच आउट हुए। नासिर हुसैन 35 रन बनाकर रवींद्र जडेजा की गेंद पर रोहित शर्मा को कैच थमा बैठे। मशरफे मुर्तजा एक रन बनाकर मोहित शर्मा की गेंद पर आउट हुए। इससे पहले खराब शुरुआत से टीम को उबारते हुये जिम्मेदारी भरी शतकीय पारी खेल रोहित शर्मा (137) और सुरेश रैना (65) ने चौथे विकेट के 122 रन जोड़कर विश्वकप क्वार्टरफाइनल मुकाबले में बंगलादेश के खिलाफ छह विकेट पर भारत को 302 के मजबूत स्कोर तक पहुंचा दिया।
         
कप्तान महेंद्र सिहं धौनी ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय किया लेकिन भारत को शुरुआत में कई झटके झेलने पड़े लेकिन फिर मध्यक्रम के बल्लेबाजों ने धैर्यपूर्ण प्रदर्शन करते हुये 50 ओवरों में छह विकेट के नुकसान पर 302 का मजबूत स्कोर खड़ा कर दिया। टीम की ओर से अहम समय पर जिम्मेदारी निभाते हुये रोहित ने मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर अपना दूसरा और वनडे में कुल सातवां शतक लगाया।
       
सुरेश रैना ने वनडे में अपना 35वां अर्धशतक जमाया और चौथे विकेट के लिये रोहित के साथ 15.5 ओवर में चौथे विकेट के लिये 122 रन की शतकीय साझेदारी निभाकर स्कोर 200 के पार पहुंचाने में मदद की। रोहित ने 126 गेंदों में 14 चौके और तीन छक्के लगाकर 137 रन की बेहतरीन पारी खेली। भारतीय बल्लेबाज ने शुरुआत में काफी धैर्य से रन बटोरे और आखिरी पांच ओवरों में बड़े शॉट्स लगाकर ताबड़तोड़ 38 रन जोड़ डाले।
       
43वें ओवर में रैना एक जीवनदान मिलने के बाद अगली गेद पर आसान कैच देकर कप्तान मशरफे मुर्तजा की गेंद पर मुशफिकुर के हाथों लपके गये। जिम्बाब्वे के खिलाफ आखिरी ग्रुप मैच के शतकधारी रैना ने 57 गेंदों में सात चौके और एक छक्का लगाकर 65 रन की समझदारी पारी खेली। छठे नंबर पर उतरे धौनी ने छह और रवींद्र जडेजा ने 23 रन बनाये।
        
बंगलादेश की ओर से कप्तान मुर्तजा मैदान पर जितना गेंदबाजों और फील्डरों के साथ चर्चा करते रहे उतना ही भारतीय बल्लेबाजों ने उनकी रणनीति का बैंड बजा दिया। बंगलादेश की ओर से मुर्तजा ने 10 ओवरों में 69 रन देकर महंगी गेंदबाजी की और एक विकेट निकाला। मुर्तजा की गेंद पर सबसे अधिक 10 चौके पड़े। तस्कीन अहमद ने 10 ओवरों में  69 रन देकर तीन विकेट लिये रूबेल हुसैन को 10 ओवरों में 56 रन देकर एक और शाकिब अल हसन को 10 ओवरों में 58 रन देकर एक विकेट हाथ लगा। 

जम्मू-कश्मीर में थाने पर आतंकी हमला, तीन सुरक्षाकर्मी शहीद

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जम्मू कश्मीर के कठुआ में शुक्रवार सुबह फिदायीन हमला हुआ. हमला कठुआ के राजबाग थाने पर हुआ, जिसमें सीआरपीएफ के दो जवान और एक पुलिसकर्मी शहीद हो गए. इसके बाद मुठभेड़ में सेना ने दो आतंकियों को मार गिराया गया. जैसे ही हमले की खबर आई जिला प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षाबलों को घटनास्थल पर भेजा दिया था और जम्मू-पठानकोट राजमार्ग को ऐहतियातन बंद कर दिया गया है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि दो से तीन फिदायीन आतंकवादियों का एक समूह शुक्रवार सुबह तड़के राजबाग पुलिस थाने में घुस गया और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. यह पुलिस थाना भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

गृह मंत्री राजनाथ सिंह और गृह सचिव एलसी गोयल ने जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक से बात की और स्थिति की जानकारी ली. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि गृह मंत्रालय स्थिति पर नजदीक से नजर रखे हुए है तथा इस संबंध में और अधिक जानकारी मिलने का इंतजार कर रहा है. सूत्रों ने बताया कि बीएसएफ सांबा-कठुआ क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर सर्च ऑपरेशन चल रहा है. यह पता करने की कोशिश हो रही है कि इस हमले को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ तो नहीं की गई है. जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के गठन के बाद यह आतंकी हमले की पहली बड़ी वारदात है.


रायबरेली के पास पटरी से उतरीजनता एक्सप्रेस , 15 यात्रियों की मौत

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उत्तर प्रदेश में रायबरेली के बछरांवा रेलवे स्टेशन के पास आज देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस के दो डिब्बों के पटरी से उतरने के कारण 15 लोगों की मौत हो गई और 150 से ज्यादा यात्रियों की हालत गंभीर है। 

रेलवे सूत्रों के अनुसार जनता एक्सप्रेस बछरांवा रेलवे स्टेशन के पास पहुंची ही थी कि इंजन से लगे उसके दो डिब्बे पटरी से उतर गये। मौके पर पुलिस, प्रशासन और रेलवे के अधिकारी पहुंच गये हैं। दुर्घटना के कारणों का पता नहीं चल सका है। मामले की जांच के आदेश दे दिये गये हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुआवजे ऐलान किया है। मृतकों को 2 लाख और घायलों को 50 हजार का मुआवजा देने का एलान किया गया है। मुरादाबाद में हेल्पलाइन नंबर 0591-1072 जारी किया गया है।

रेलवे की कायाकल्प परिषद के अध्यक्ष होंगे रतन टाटा

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 रेल बजट में किये गये वादे को पूरा करते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने आज कायाकल्प परिषद का गठन करने की घोषणा की. प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा को इसका प्रमुख नियुक्त किया गया है. यह परिषद रेल नेटवर्क के पुनरोद्धार के लिए सुझाव देगी. प्रभु ने कहा कि परिषद का मकसद नवप्रवर्तन वाले उपाय और प्रक्रिया सुझाना है जिनसे रेलवे के सुधार व बदलाव में मदद मिल सके.

टाटा समूह के मानद चेयरमैन के अलावा रेलवे के दो यूनियन नेता शिव गोपाल मिश्रा व एम रघुवैया भी परिषद में होंगे. ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन व नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमैन के महासचिव परिषद के सदस्य होंगे. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने रेल बजट भाषण में इस परिषद का प्रस्ताव किया था. प्रभु ने कहा, 'हम रेल बजट भाषण में किये गये सभी प्रस्तावों को क्रियान्वित करने का प्रयास कर रहे हैं. कायाकल्प परिषद का गठन भी इनमें से एक प्रस्ताव था.

राज्यसभा में खनिज बिल हुआ पास

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खनिज और खदान (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2015 राज्यसभा में पास हो गया है. इस बिल के पक्ष में 117 वोट पड़े, जबकि 69 सांसदों ने इसका खिलाफ वोट डाला. शुरुआती जानकारी के मुताबिक कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने इस विधेयक के खिलाफ मत दिया.

जबकि सरकार के इस महत्वाकांक्षी बिल का टीएमसी, बीएसपी, बीजेडी, एनसीपी, जेएमएम, एसपी और एआईएडीएमके ने समर्थन किया. वहीं, जेडीयू ने वोटिंग के दौरान वॉकआउट किया. खनिज और खदान (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2015 में खनिजों के आवंटन में पारदर्शिता लाने के लिए खदानों की नीलामी की प्रणाली पेश की गई है.

आपको बता दें कि सरकार ने इस विधेयक से संबंधित अध्यादेश जारी किया था. ये अध्यादेश पांच अप्रैल को निष्क्रिय होने वाला था. अब यह विधेयक अध्यादेश की जगह लागू हो जाएगा.

जम्मू-कश्मीर में सेना के कैंप पर हमला, एक नागरिक घायल

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जम्मू एवं कश्मीर के सांबा जिला स्थित सैन्य शिविर पर शनिवार सुबह आतंकवादियों ने हमला किया, इस हमले में माता वैष्णो देवी मंदिर जाने वाला एक तीर्थयात्री गंभीर रूप से घायल हो गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, सांबा जिले में 82 आर्मर्ड रेजिमेंट के मेसर शिविर पर हुए आतकंवादी हमले में उत्तर प्रदेश का रहने वाला यह तीर्थयात्री गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तुरंत ही सांबा जिले के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे विशेष उपचार के लिए जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भेज दिया।

पुलिस अधिकारी ने बताया, ''आज सुबह सांबा जिले में 82 आर्मर्ड रेजिमेंट के मेसर शिविर में आतंकवादियों ने हमला किया। उन्होंने इस हमले में ग्रेनेड और स्वचालित बंदूकों का इस्तेमाल किया। इस हमले में दो आतंकवादियों के शामिल रहने की संभावना है।''पुलिस अधिकारी के मुताबिक, आंतकवादियों का मुकाबला करने और उन्हें पकड़ने के लिए सुरक्षा बलों की अतिरिक्त टुकड़ियां भेजी गई।

आतंकवादियों ने योजनाबद्ध तरीके से शनिवार सुबह हमले को अंजाम दिया है। क्योंकि इसी दिन से हिंदुओं में प्रचलित नौ दिनों का नवरात्र त्योहार शुरू हो रहा है, जबकि राज्य में इसी दिन मुस्लिम भी नवरोज का पर्व मना रहे हैं। पारसी समुदाय का नववर्ष भी इसी दिन होता है। गौरतलब है कि आतंकवादियों ने 26 सितंबर 2०13 को भी मेसर शिविर पर हमला किया था। उसके बाद उन्होंने कठुआ जिले के हीरानगर पुलिस थाने पर भी हमला किया गया, जिसमें 12 लोग मारे गए थे। इधर, शुक्रवार को कठुआ जिले में राजबाग पुलिस थाने पर भी इसी तरह का आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें दो आतंकवादियों सहित छह लोग मारे गए थे।

खुफिया जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को जम्मू में हुए हमले में चार आतंकवादियों के शामिल होने के संकेत मिले हैं। लेकिन इसमें से सिर्फ दो ही आतंकवादी मारे गए। खुफिया सूत्रों ने बताया कि उनका विश्वास है कि शुक्रवार हमले में बचकर निकलने में कामयाब रहे दो आतंकवादियों ने ही शनिवार को इस हमले को अंजाम दिया है।

एससी-एसटी एक्ट के तहत रेणुका चौधरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रेणुका चौधरी के खिलाफ अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत खम्मम जिला पुलिस ने एक मामला दर्ज किया है. रेणुका चौधरी के खिलाफ दायर शिकायत में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने पिछले साल चुनाव से पूर्व एक स्थानीय नेता से विधानसभा टिकट दिलाने के नाम पर कथित रूप से 1.10 करोड़ रूपये लिए थे और जब इस व्यक्ति की पत्नी ने रूपये वापस मांगे तो उसके साथ गाली गलौच हुआ.

हैदराबाद में हाई कोर्ट के आदेश के बाद मामला दर्ज किया गया है. शिकायतकर्ता बी कलावती ने आरोप लगाया था कि चौधरी ने उसके पति रामजी से वायरा विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने के मकसद से टिकट दिलाने के लिए रूपये लिए थे. खम्मम के सर्कल इंस्पेक्टर श्रीधर ने यह जानकारी दी. रामजी का निधन हो चुका है.

रेणुका चौधरी के अनुसार ‘‘यह पूरी तरह निराधार, झूठा और राजनीति से प्रेरित है. वह कभी अपनी जिंदगी में उस महिला से नहीं मिली.  

महिलाओं के लिए होगा दिल्ली पुलिस में 33 फीसदी आरक्षण

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केंद्र सरकार ने दिल्ली समेत सभी केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस फोर्स में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई।

पुलिस में महिलाओं की ये भर्तियां कॉन्स्टेबल से लेकर सब इंस्पेक्टर रैंक तक होंगी। दिल्ली पुलिस में इन रैंक में फिलहाल 9.5 फीसदी महिला पुलिसकर्मी हैं। 16 दिसंबर गैंगरेप कांड के बाद रेप केस की तहकीकात लेडी सब इंस्पेक्टर को ही सौंपी जाती है।

कई सब डिविजनों के तीन-तीन थानों में एक ही लेडी एसआई है। इस वजह से तीन थानों में दर्ज रेप केसों की जांच एक लेडी पुलिसकर्मी कर रही है। अब महिला एसआई की ज्यादा भर्ती होने से रेप केसों की जांच तेजी से हो सकेगी। अभी लेडी पुलिसकर्मी कम होने के कारण छेड़छाड़, दहेज उत्पीडन और नाबालिग लडक़ी के अपहरण जैसे मामलों की जांच पुरुष पुलिस वाले भी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से इन मामलों की जांच में तेजी आएगी। और पीडिता को जल्द से जल्द न्याय मिल सकेगा।

उत्तरी कोरिया कर सकता है परमाणु हमला

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उत्तर कोरिया ने कहा कि अगर उनके देश पर हमला किया गया तो वह जवाबी कार्रवाई में कभी भी परमाणु मिसाइलों का इस्तेमाल कर सकता है। ब्रिटेन में उत्तर कोरिया के राजदूत हयुन हाक बोंग ने एक समाचार पत्र से बातचीत में कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का एकाधिकार सिर्फ अमरीका के पास नहीं है। अगर अमरीका हमारे ऊपर हमला करेगा तो हम जवाबी कार्रवाई करेंगे। 

हम लोग परमाणु युद्ध का जवाब परमाणु युद्ध से देने के लिए भी तैयार हैं। हम लोग लड़ाई नहीं चाहते हैं, लेकिन हम युद्ध से डरे हुए नहीं हैं। एक सवाल कि क्या उत्तर कोरिया 1993 के परमाणु अप्रसार संधि से बाहर आकर परमाणु बम का इस्तेमाल कर सकता है, इसके जवाब में बोंग ने कहा कि हां इसके लिए किसी समय भी तैयार हैं। यहां के विदेश मंत्री रि सु यंग ने गत तीन मार्च को अपने भाषण में कहा था कि अमरीका से बढ़ते परमाणु खतरे को देखते हुए यदि आवश्यकता पड़ी तो पहले कार्रवाई की जा सकती है। वहीं अमरीका विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने खुफिया मामलों पर टिप्पणी करने से मना कर दिया।

बिहार : मैट्रिक की परीक्षा में जोरदार कदाचार

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  • करतब करने में आगे बाॅय फ्रेंड और पीछे ससुर जी भी
  • यह क्या सरकार की जिम्मेवारी है?

board exam bihar
पटना। 70 फीसदी परीक्षार्थी उत्र्तीण होते हैं बिहार की मैट्रिक की परीक्षा में।माननीय पटना उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से 1996 में 12 फीसदी परीक्षार्थी ही उत्र्तीण घोषित हो सके थे। इस समय 14 लाख परीक्षार्थी परीक्षा दे रहे हैं। 12700 परीक्षा केन्द्र बनाए गए है। इन केन्द्रों में 60 से 70 लाख लोगों का जमावाड़ा हो जाता है।शिक्षा मंत्री पी.के.शाही कहना है कि इस तरह की भीड़ पर गोली कैसे चला सकते हैं। यह तो हरेक प्रदेशों की कहानी है। सभी जगहों पर कदाचार होता है। 

इस बीच माननीय पटना उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया है। डीजीपी को आदेश दिया है। केन्द्र पर अधिक फोर्स तैनात किया जाए। वीडियों कैमरे से परीक्षार्थियों को कैमरे में कैद करें। रामलखन सिंह स्कूल  ने कहा कि इतनी भीड़  सोशल मीडिया फेसबुक पर माउंट कार्मेल स्कूल को अपलोड किया गया है। यह बताने का प्रयास किया गया है। यहां की परीक्षार्थी परीक्षा की भरपूर तैयारी करके परीक्षा देते हैं। यहां पर चिट से परीक्षा हिट इसमें लिखा है कि यहां चिट चलता ही नहीं है। हमलोग खुद अध्ययन करके परीक्षा देते हैं।जूते में चिट और इम्तिहान हिट र फेसबुक में पटना उच्च न्यायालय हस्तक्षेप किए। 

गुरूद्वारा कमेटी द्वारा दिल्ली फतेह दिवस को राष्ट्रीय त्यौहार घोषित करने की मांग

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नई दिल्ली (अशोक कुमार निर्भय ) दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी ने लालकिले पर सिंघो द्वारा 1783 मे की गई फतेह को राष्ट्रीय दिवस के रूप में ऐलानने की मांग करते हुए इस दिन को हर वर्ष मनाने का भी दावा किया है। भारत की आज़ादी 1947 में मिलने की राह में दिल्ली फतेह के दौरान संघो द्वारा मुगल राज की जड़ों उखेड़ने के कारण दिल्ली फतेह दिवस की देश के लिए बड़ी अहमियत होने की भी बात कही गई है। दिल्ली कमेटी द्वारा 21 एवं 22 मार्च को लालकिला मैदान में लगातार दूसरे वर्ष मनाए जा रहे कार्यक्रमों की तैयारीयों का जायज़ा लेने के अवसर पर कमेटी प्रबंधको द्वारा इन बातो का ऐलान किया गया। 

कमेटी अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. ने कहा कि हम भारत सरकार से मांग करते है कि इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने के लिए सरकार ज़रूरी कदम उठाए। जी.के. ने कहा कि 21 मार्च को कीर्तन दरबार के दौरान होने वाले गुरमति समागम में लगभग 1 लाख से ज्यादा संगत आने की संभावना है एवं दुसरे दिन सिखों की आन-बान एंव शान के प्रतीकों को संगतों के सामने 22 मार्च को लाया जाएगा। जिसमें जरनैली मार्च यमुना विहार सेे चल कर खालसाई जाहोजलाल से लालकिला मैदान मंे पहुंचेगा। जिसका नेतृत्व सिंह साहिबानो एवं निहंग सिंह जत्थेबंदीयों के मुखींयों द्वारा किया जाएगा। इस मार्च मंे पुलिस एवं सैना के बैंडो के साथ ही गतका अखाडो भी शस्त्र कला की ताकत दिखांएगे।

जी.के. ने कहा कि दिल्ली समूह सिंह सभाओं, सेवक जत्थों एवं संगतों मंें इन कार्यक्रमों के कारण बहुत उत्साह है एवं दिल्ली की संगत इस संबध में हो रही बैठकों के दौरान जो भी सुझाव दे रही है उनको लागू करने के लिए कमेटी द्वारा पूरी पहलकदमी की जा रही है। कमेटी के महासचिव मनजिन्दर सिंह सिरसा ने कहा कि दिल्ली कमेटी ने पिछले वर्ष दिल्ली फतेह दिवस एक लंबे अंतराल के बाद मनाकर सिखो के सामने मुगल राज के खिलाफ खालसे की जीत के तथ्यों को सामने रखा था, इस कारण राष्ट्रीय दिवस के रूप में इस दिन को मनाने के लिए भारत सरकार को आगे आना चाहिए। सिरसा ने लालकिले में शाम को रोज़ाना होते लाईट एंड सांउड शो के कथानक में सिख इतिहास को भी साथ जोड़ने की सलाह दी है। सिरसा ने दिल्ली के मौरी गेट, मिठाई पुल एवं तीसहज़ारी जैसी एतिहासिक जगहों को सिख कौम की बहादरी एवं जीत के साथ भी जोडा। इन कार्यक्रमों को सीधा प्रसारण करने की जानकारी देते हुए सिरसा ने सिख इतिहास के इन गौरवमयी कार्यक्रमो के कारण कौम द्वारा मान महसूस करने का भी दावा किया। इस अवसर पर अकाली दल की दिल्ली इकाई के प्रभारी बलवंत सिंह रामूवालीया, दिल्ली कमेटी सदस्य हरमीत सिंह कालका, कुलवंत सिंह बाठ, जतिन्दरपाल सिंह गोल्डी तथा पुर्व विधायक जतिन्दर सिंह शन्टी मौजूद थे।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आरक्षित वर्गों के गले की हड्डी ना बन जाये?

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जाट जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग से बाहर करने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने आरक्षित वर्गों और जातियों के समक्ष अनेक सवाल खड़े कर दिये हैं। आगे लिखने से पूर्व यह साफ करना जरूरी है कि जाट जाति आरक्षण की पात्र है या नहीं? इस बात का निर्णय करने का मुझे कोई हक नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिन तर्कों के आधार पर जाट जाति को आरक्षित वर्गों की सूची से बाहर करने का फरमान सुनाया गया है, उसकी समीक्षा करने का हक हर एक नागरिक को है।

भारतीय न्यायपालिका के सामाजिक न्याय से जुड़े निर्णयों के इतिहास पर पर नजर डालें तो ये बात बार-बार प्रामाणित होती रही है कि सुप्रीम कोर्ट का रवैया आरक्षित वर्गों के प्रति संवेदनशील होने के बजाय अधिकतर मामलों में कठोर और नकारात्मक ही रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अनेक बार आरक्षण को छीनने और कमजोर करने वाले निर्णय सुनाये हैं। जिन्हें भारत की संसद द्वारा अनेकों बार रद्द किया है। इसके बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट हर बार किसी न किसी नयी दलील के आधार पर आरक्षण को कमजोर करने या आरक्षित वार्गों के हितों को नष्ट करने वाले निर्णय सुनाता आ रहा है। जिसकी बहुत लम्बी सूची है। देराईराजन, ए आर बालाजी, इन्दिरा शाहनी जैसे प्रकरण सर्वविदित हैं।

अब सुप्रीम कोर्ट ने जाट जाति के आरक्षण को गलत करार देते हुए अपने निर्णय में कही गयी कुल चार बातों को मीडिया द्वारा खूब उछाला जा रहा है। जिसके चलते अनेक आरक्षण विरोधी लेखकों की कलम की धार भी दूसरे आरक्षित वर्गों के प्रति भी पैनी और निष्ठुर हो गयी है। अत: मैं इन्हीं चार बातों पर विश्‍लेषण करना जरूरी समझाता हूँ :- 

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि-‘‘केन्द्र सरकार का फैसला कई साल पुराने आंकड़ों पर आधारित है।’’ पहली नजर में सुप्रीम कोर्ट का तर्क सही है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूर्व में भी सवाल किया था कि जनसंख्या के नवीनतम जातिगत आंकड़ों के बिना किसी भी जाति या वर्ग को कितना प्रतिशत आरक्षण दिया जाये, इस बात का सरकार किस आधार पर निर्णय ले रही है? लेकिन इसके ठीक विपरीत जातिगत जनगणना करवाने के एक हाई कोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह कहते हुए रोक लगा दी कि जनसंख्या की जाति के आधार पर गणना करवाना या नहीं करवाना भारत सरकार का नीतिगत अधिकार है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करने का हक नहीं है। इससे यहाँ सवाल यह उठता है कि "सुप्रीम कोर्ट आखिर चाहता क्या है? जातिगत जनगणना करवाना या इस पर रोक लगाना?"

वहीं इसके ठीक विपरीत वर्तमान निर्णय में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि-‘‘जाट सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम हैं और उन्हें आरक्षण की कोई जरूरत नहीं है।’’ इस टिप्पणी से यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि "जब सरकार के पास जातिगत आंकड़ें उपलब्ध ही नहीं हैं। तो सुप्रीम कोर्ट किस आधार पर इस नतीजे पर पहुँचा है कि जाट जाति सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम है? इससे यह पता चलता है कि न्यायपालिका में आरक्षण का प्रावधान नहीं होने के कारण और सुप्रीम कोर्ट में आर्यों का प्रभुत्व होने के कारण सुप्रीम कोर्ट मनुवादी मानसिकता से ग्रस्त है और कमजोर अनार्य तबकों के प्रति अपने निष्पक्ष नजरिये के प्रति निष्ठावान नहीं है।"

लगे हाथ सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना है कि-‘‘आरक्षण के लिए पिछड़ेपन का आधार सामाजिक होना चाहिए, न कि आर्थिक या शैक्षणिक।’’ यदि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार आर्थिक आधार पर ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता तो फिर सुप्रीम कोर्ट की फुल संवैधानिक बैंच द्वारा इन्दिरा शाहनी के मामले में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ओबीसी) को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण प्रदान करने को हरी झंडी क्यों दी गयी थी? इसके अलावा "सुप्रीम कोर्ट आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान करने की मांग के समर्थन में हड़ताल करने वाले सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों की असंवैधानिक हड़ताल को क्यों जायज ठहरा चुका है।" 

चौथी और सबसे खतरनाक बात सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि-‘‘ओबीसी में आरक्षण के लिए अब तक केवल जातियों को शामिल ही क्यों किया गया है, किसी जाति को इससे बाहर क्यों नहीं किया गया।’’ क्या सुप्रीम कोर्ट का यह रुख क्या सरकार के नीतिगत निर्णयों में खुला हस्तक्षेप नहीं है? एक ओर तो सुप्रीम कोर्ट सरकार के नीतिगत निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं करने के बहाने जातिगत जनसंख्या की जनगणना करवाने के आदेश देने वाले हाई कोर्ट के निर्णय को स्थगित करता है, दूसरी ओर सवाल उठाता है कि आरक्षित वर्ग में शामिल जातियों को बाहर क्यों नहीं किया जाता है? मेरा सीधा सवाल यह है कि "क्या सुप्रीम कोर्ट के पास किसी जाति या वर्ग विशेष के बारे में ऐसे आंकड़े हैं, जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट को पहली नजर में यह निष्कर्ष निकालने का आधार उपलब्ध हो कि फलां जाति या वर्ग को आरक्षण की जरूरत नहीं है? निश्‍चय ही ऐसे आंकड़े नहीं हैं, फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस प्रकार की टिप्पणी करना किस बात का द्योतक है?"

सीधा और साफ मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट अपने विगत इतिहास की भांति आरक्षित वर्गों के प्रति संवेदनशील नहीं है और किसी न किसी प्रकार से आरक्षण व्यवस्था को कमजोर करने के लिये, ऐसे संकेत देता रहता है, जिससे मनुवादी ताकतें आरक्षित वर्गों के विरुद्ध आवाज उठाने को प्रेरित होती रहती हैं। जिससे एक बार फिर से हमारी यह मांग जायज सिद्ध होती है कि-"सामजिक न्याय की स्थापना के लिए न्यायपालिका में भी सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण सुनिश्चत किया जाना जरूरी है।"

इन हालातों मेंं सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्णय को केवल जाट जाति का मामला मानकर हलके में नहीं लिया जाना चाहिये और सभी आरक्षित वर्गों को एकजुट होकर इस प्रकार के आरक्षण विरोधी निर्णयों के दूरगामी दुष्प्रभावों की तुरन्त समीक्षा करनी चाहिये, अन्यथा माधुरी पाटिल केस की भांति ऐसे निर्णय आरक्षित वर्गों के गले ही हड्डी बन जायेंगे।




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-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, 
राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल 
(अनार्यों के हक की आवाज), 
 संपर्क : 98750 66  111

विशेष आलेख : दक्षिणपंथ की ओर “आप” ?

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नयी नवेली, सबसे अलग, अच्छी और भारतीय राजनीति में अमूल चूल बदलाव करने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी अपने पहले संकट से उबरी ही थी कि उसका एक और संकट सामने आ गया है, यह संकट उसके बाकि सियासी दलों से अलग होने के दावे पर ही सवालिया निशान है और उसके पारदर्शी,ज्यादा लोकतान्त्रिक होने के दावे पर बट्टा लगता है। आप लीडरशिप ने पार्टी में सवाल उठाने वाले एक खेमे को पुरानी पार्टियों के उन्हीं तौर- तरीकों को और बेहतर तरीके से इस्तेमाल करते निपटाया है जिनकी वह आलोचना करके थकती नहीं थी। सारे दावे जुमलेबाजी और संभावनायें क्षीण साबित हुई हैं। जनता से स्वराज्य और सत्ता के विकेंद्रीकरण का वादा करने वाली पार्टी इन्हें अपने अन्दर ही स्थापित करने में नाकाम रही है। इन सब पर व्यक्तिवाद और निजी महत्त्वकाक्षा हावी हो गयी, सयाने अरविन्द केजरीवाल अपने आप को पार्टी के हाई-कमांड साबित कर चुके है लेकिन अंत में अरविन्द और उनके लोग जीत तो गए परन्तु “आप” हार गयी है । 

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में “बहुमत के साथ” आप के संस्थापक सदस्यों योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी की सबसे ताकतवर कमेटी (पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी) से हटाने का फैसला पहले से बने बनाए पटकथा के अनुसार संपन्न हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि पार्टी की तरफ से आधिकारिक रूप से इसकी कोई ठोस वजह नहीं बतायी गयी और इन दोनों नेताओं और पार्टी के लोकपाल एडमिरल रामदास के द्वारा उठाये गये आंतरिक लोकतंत्र, एक व्यक्ति एक पद, पार्टी में हाई कमान कल्चर, पारदर्शिता जैसे मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया गया। यह पूरा घटनाक्रम तस्दीक करता है कि पार्टी और उसके शीर्ष नेतृत्त्व ने राजनीति को बदल डालने का दावा करते हुए किस तेजी से पुरानी राजनीतिक संस्कृति व पैतरेबाजियों को सीख लिया और बहुत ही काम समय में वे बड़े से बड़े घाघ नेताओं को पीछे छोड़ते नज़र आ रहे हैं।

इतनी अहम बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक प्लस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने आप को पाक साफ़ और अलग दिखाने के लिए बैठक में हिस्सा नहीं लिया। वजह बतायी गयी कि वे नैचुरोपैथी के जरिए इलाज कराने के लिए छुट्टी पर जा रहे हैं। उनका एक ट्वीट जरूर आया जिसमें उन्होंने लिखा कि ''पार्टी में जो चल रहा है, उससे मैं दुखी हूं उन्होंने इसे  यह दिल्लीवालों के विश्वास के साथ धोखेबाजी बताया और ऐलान किया कि “मैं इस गंदी लड़ाई में नहीं पड़ूंगा” ।

लेकिन संजय सिंह, आशुतोष और आशीष खेतान जैसे केजरीवाल करीबी नेताओं ने प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव के खिलाफ खुलकर निशाना साधा गया, इन्हें “अल्ट्रा लेफ्ट” बताया गया और प्रशांत भूषण के खिलाफ उन्हीं आरोपों को दोहराया गया जो भाजपा और संघ परिवार लगाते रहे हैं। यही नहीं इन दोनों को केजरीवाल के खिलाफ षडयंत्रकारी बताते हुए सख्त कार्रवाई करने की मांग भी की गयी। योगेन्द्र यादव पर कार्रवाई करने के लिए एक स्टिंग करने की भी ख़बरें आयीं जिसमें केजरीवाल के पीए विभव कुमार द्वारा एक महिला पत्रकार का फोन उनकी जानकारी के बिना रिकॉर्ड किया गया जिसे यादव के खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया गया। दरअसल महिला पत्रकार ने एक खबर लगाई थी जिसमें बताया गया था कि कैसे पार्टी हरियाणा में चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन केजरीवाल ने तानाशाही तरीके से यह निर्णय लिया कि दिल्ली से पहले कोई चुनाव पार्टी नहीं लड़ेगी और पार्टी का सार संसाधन और पैसा दिल्ली चुनाव में लगा दिया गया। आरोप लगा कि यह खबर योगेन्द्र यादव द्वारा प्लांट कराई गयी है।

इन सब के बीच योगेन्द्र यादव मीडिया के माध्यम से अपना पक्ष और मुद्दे रखते रहे और पार्टी को चेताते भी रहे कि सब छोटे-मोटे मतभेदों को भुलाकर बड़े दिल से काम करें और लोगों के उम्मीद की इस किरण को छोटा न पड़ने दें। प्रशांत भूषण ने भी कहा कि “मैंने पार्टी के ढांचे में बदलाव को लेकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी को एक ख़त लिखा था जिसे विद्रोह की तरह नहीं देखा जाना चाहिए।"लेकिन सारे दबावों के बीच योगेन्द्र यादव को कहना पड़ा कि “न तोडेगें,न छोडगें, सुधारेगें और खुद भी सुधरेंगें। प्रशांत भूषण ने भीपार्टी में लोकतंत्र, पारदर्शिता, स्वराज और उत्तरदायित्व की जरूरत को दोहराया ।

पार्टी से निकले जाने के बाद इन दोनों के के सकारात्मक रुख के बावजूद  केजरीवाल के करीबी नेताओं  नेताओं (मनीष सिसौदिया, गोपाल राय, पंकज गुप्ता और संजय सिंह) ने सावर्जनिक रूप से योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण के खिलाफ बाकायदा एक बयान जारी करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने  पार्टी को हराने और अरविन्द केजरीवाल की छवि को धूमिल करने के का काम किया है।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मयंक गाँधी  ने  भी ब्लॉग लिखकर पार्टी के अन्दर चल रहे खेल और  अंदरूनी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए , उन्होंने अपने ब्लॉग में योगेंद्र व प्रशांत को पीएसी से निकाले जाने के लिए सीधे केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराते हुए खुलासा किया कि  अरविंद केजरीवाल ने उनसे कहा था कि अगर ये दोनों (योगेंद्र व प्रशांत )'आप'की राजनीतिक मामलों की समिति से रहेंगे, तो वह पार्टी प्रमुख नहीं रहना चाहेंगें।

इस पूरे घटनाकर्म पर आप की समर्पित कार्यकर्ता व ई-मेल टीम की सदस्य श्रध्दा उपाध्याय का  अरविन्द केजरीवाल को संबोधित करता हुआ  ब्लॉग उन हजारों युवा कार्यकर्ताओं की टीस और मोहभंग को दर्शाता है जो एक आदर्श और सपने के साथ पार्टी से जुड़े थे,  श्रध्दा ने लिखा कि, “आज आपने हमें ऐसे अनाथ किया है कि सब धुंधला-सा दिखता है, खुद से ज्यादा उन साथियों की फिक्र है , जिन्होंने परीक्षाएं छोड़ीं, नौकरियां छोड़ीं, घर-परिवार छोड़े...सर, स्वराज भी क्या राजनीतिक जुमला था? आपने तो कहा था कि हम राजनीति को पवित्र कर देंगे! आपने ये कौन-से दलदल में फेंक दिया? ऐसा क्या हो गया कि आपका अंबर भी दागदार हो गया? गलत तो हम सभी हैं, पर सजा सिर्फ उनके हिस्से क्यों आई? इतना पक्षपाती तो कोई और कानून भी नहीं।“

जिस तरीके से  योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को पीएसी से बाहर किया है वह अपने आप में कई सवाल खड़े करता है अगर इसकी वजह  अनुशासनहीनता थी भी  तो केजरीवाल गुट के नेता  योगेन्द्र और प्रशांत जिस तरीके  से सावर्जनिक रूप से को घेरने की कोशिश कर रहे थे उससे लग रहा था कि योगेन्द्र और प्रशांत किसी दूसरी पार्टी के सदस्य हैं। इन दोनो के द्वारा उठाये गये नीतिगत  सवालो पर तो पार्टी के तरफ से कोई जवाब देने की जरूरत भी नहीं समझी गयी ।

“आप” का यह संकट नया नहीं है, पहले भी इससे जुड़े लोग पार्टी में लोकतंत्र ना होने कि शिकायत करते रहे हैं और कई लोग इसी बिना पर पार्टी छोड़ कर जा भी चुके है, इससे पहले एक बार और योगेंद यादव ने आंतरिक लोकतंत्र को लेकर सवाल उठाते हुए केजरीवाल द्वारा पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति के सुझावों को नहीं सुनने की शिकायत की थी, जिस पर केजरीवाल के करीबी मनीष सिसोदिया ने उलटे उनपर हमला बोलते हुए कहा था “योगेन्द्र यादव पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल को निशाना बना रहे हैं तथा पार्टी के अंदरूनी मामलों को सार्वजनिक कर पार्टी को खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं”। उन्होंने चुनाव के बाद हुई पार्टी की हालत का जिम्मेदार योगेन्द्र यादव को ठहराया दिया था । इसी तरह से समय समय पर अन्य नेता  भी पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके है और सुनवाई ना होने  या तो चुप होकर बैठ गये है या  पार्टी छोड़ का जा चुके हैं  ।

दरअसल आम आदमी पार्टी का यह संकट खुद उसी में अंतर्निहित है और देर-सेवर इसे सतह पर आना ही था। पार्टी का खुद कहना है कि वह किसी विशेष विचारधारा द्वारा निर्देशित नहीं है, फिर तो लफ्फाजी और जुमले बचते हैं। ऐसे में वहां व्यक्तिवाद का हावी होना लाजिमी है,वैसे भी भारतीय समाज में करिश्माई और अवतारी व्यक्तित्व का बड़ा महत्व है और अरविन्द केजरीवाल ने एक बार अकल्पनीय चमत्कार किया है, उनकी वोटरों को लुभाने की क्षमता भी उजागर हो गयी है। ऐसे में “आप” के ज्यादातर नेताओं और कार्यकर्ताओं को केजरीवाल को “सुप्रीमो” मान लेना कोई अचंभे की बात नहीं है, “आप” वाले भी बहुत काम समय में यह समझ चुके हैं कि  चूंकि भारतीय राजनीति में वोट नेता के नाम पर ही मिलता है और किसी भी पार्टी को सत्ता वोटों से ही मिलती है, ऐसे में कौन एक व्यक्ति-एक पद, अंदरूनी लोकतंत्र, सोच–विचार, फैसलों  में पारदर्शीता की जकड़न में बंधना चाहेगा और जो लोग इस तल्ख़ सच्चाई को नहीं समझेंगें उनका हश्र पूरी बहुमत के साथ भूषण और यादव जैसे ही होगा। कांग्रेस भाजपा सहित तमाम छोटे-बड़े क्षेत्रीय दलों से ऊबी जनता व लोकतान्त्रिक और जनपक्षीय ताकतों के लिए “आप” का उभार एक नयी उम्मीद लेकर आया था, आशा जगी थी कि “आप” और उसके नेता नयी तरह के राजनीति की इबारत लिखेंगें। हालिया घटनाक्रम “आप” से नई राजनीति’ की उम्मीद पालने वालों के लिए निराशाजनक है, पार्टी के नेता पुरानी राजनीतिक संस्कृति के तरीके से व्यवहार कर रहे है। शायद केजरीवाल और उनके लोग यह भूल गये हैं कि “आप” एक आईडिया है, व्यक्ति नहीं, जैसी की संभावना थी, खुद अरविन्द केजरीवाल "आप"नाम की विचार की सीमा बनते जा रहे हैं।  

“आप” की विचारधारा को लेकर एक बार अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि “हमने व्यवस्था को बदलने के लिये राजनीति में प्रवेश किया है। हम आम आदमी हैं, अगर वामपंथी विचारधारा में हमारे समाधान मिल जायें तो हम वहाँ से विचार उधार ले लेंगे और अगर दक्षिणपंथी विचारधारा में हमारे समाधान मिल जायें तो हम वहाँ से भी विचार उधार लेने में खुश हैं।” पार्टी विचारधारा को लेकर आशुतोष का हालिया ट्वीट भी यही सन्देश देता है जिसमें उन्होंने कहा था कि “आप” मैं दो तरह के विचारों के बीच मतभेद है। एक तरफ़ हैं कट्टर वामपंथी विचारधारा जो कश्मीर में जनमत संग्रह की बात करती हैं,तो दूसरी ओर विकास में यक़ीन करने वाली विचारधारा।" 
यह संभावना जतायी जा रही थी कि केजरीवाल और उनकी "आप"भाजपा और संघ-परिवार पोषित बहुसंख्यक राष्ट्रवाद और इसके खतरों का विकल्प बन सकते है, हालंकि इसके कांग्रेस का एक विकल्प के रूप में उभरने के संभावना ज्यादा थी, लेकिन अब इस संभावना पर भी एक सवाल है, फिलहाल “आप” दक्षिणपंथ की ओर जाती हुई दिखाई दे रही है। लेकिन उन्हें याद रखना होगा की भारतीय राजनीति की क्षितिज पर भाजपा जैसी  धुर दक्षिणपंथी पार्टी का पहले से ही कब्जा है ऐसे में एक और दक्षिणपंथी पार्टी की लिए स्थान  सीमित है ।  
“आप” के पहले उभार के समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक बड़े पदाधिकारी के उस बयान का उल्लेख करना गैर-मुनासिब नहीं होगा जिसमें उन्होंने कहा था संघ की  स्वयंसेवकों को  “आप” में जरूर  शामिल चाहिए जिससे “आप” के अन्दर  संघ के विचारधारा  को स्थान  मिल सके । इसकी झलक हमें समय समय पर दिखाई भी देती है, आम आदमी के बड़े नेता  कुमार विश्वास जो आम नरेंद्र मोदी के बड़े समर्थक रहे हैं और जिन्होंने  अपनी एक कविता में नरेंद्र मोदी की तुलना भगवान् शिव से की है,  आम आदमी पार्टी पूर्व  नेता मल्लिका साराभाई उन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि   विश्वास का नजरिया महिलाओं, समलैंगिकों और अल्पसंख्यकों के प्रति समस्या पैदा करने वाला है जो कि  ठीक नहीं। हाल ही में कुमार विश्वास ने जिस तरह से देश के संविधान और कानून धज्जियां उड़ाते हुए  कश्मीर के अलगाववादी नेता  मसरत आलम  को लेकर बयान दिया है कि, “मसरत जैसे आदमखोर भेडियों को जेल में रखने की जगह गोली मार देनी चाहिए”, वह किसी भी दक्षिणपंथी पार्टी के नेता के विचारों को मात देता है । इसी तरह से आम आदमी द्वारा अपने वेबसाइट पर मोदी और केजरीवाल की एक साथ तस्वीर वाला पोस्टर लगाये जाने का कारनामा सामने आया था जिसमें  “दिल्ली की आवाज: मोदी फॉर पीएम, अरविन्द फॉर सीएम” का स्लोगन दिया गया  था। दरअसल संघ और केजरीवाल का साथ अन्ना आन्दोलन के समय से ही रहा है, खुद मोहन भगवत इस बात का खुलासा कर चुके है कि अन्ना आन्दोलन को संघ का समर्थन रहा है ।

अरविन्द केजरीवाल और उनके समर्थक जो कि विचारधाराविहीन आदर्शवादियों का गुट है  समय समय पर अपने आप को फ्री-थिंकर और व्यवहारवादी  धोषित करते रहे हैं , उनका पूरा आर्थिक चिंतन दक्षिणपंथ के करीब है और वे इसको छुपाते भी नहीं है , वह तो बाकायदा धोषणा करते हैं कि “हमें निजी व्यापार को बढ़ावा देना होगा” , फरवरी 2014  में सीआईआई की एक मीटिंग में केजरीवाल ने  कहा था कि वह 'क्रोनी कैपीटलिज्म" ( लंपट पूँजीवाद) के ख़िलाफ़ है, पूँजीवाद के नहीं और  राज्यसत्ता की बाज़ार के नियमन में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए उनका मानना है कि  सरकार का काम सिर्फ़ प्रशासन चलाना है व्यापार के काम को निजी क्षेत्र पर  छोड़ दिया जाना चाहिए ।

आम आदमी पार्टी और इसके लोग शुरू से ही विकल्प की राजनीति  का  दावा करते रहे हैं, लेकिन लकिन बीतते समय के साथ यह  यह दावे खोखले साबित हो रहे है,  इससे उन लोगों को बड़ी निराशा हुई होगी जो इनके  माध्यम से बड़े बदलाव की  उम्मीद कर रहे  थे । यह  पार्टी तो उन्हीं राजनीतिक व्याकरणों, तौर तरीकों और राजनीतिक संस्कृति को बड़ी तेजी से अपनाती  हुई प्रतीत हो रही है जो हमेशा  से उसके निशाने पर रहे है  । बहरहाल इस महीने के अंत में होने वाली पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक  यह और ज्यादा  स्पष्ट हो जायेगा की भविष्य में यह पार्टी कोन सा रास्ता चुनने वाली है ।





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जावेद अनीस

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ऊर्जा संगम कार्यक्रम का शुभारंभ 27 मार्च 2015 को करेंगे

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  • ऊर्जा संगम देश की नई नीतियों का केंद्र


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विज्ञान भवन दिल्ली  में आयोजित एक दिवसीय  सभा में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ऊर्जा संगम कार्यक्रम का शुभारंभ 27 मार्च 2015 को करेंगे ㅣ जहा अन्य  मंत्रियों  के साथ सी ई ओ, जॉइंट वैंचर पार्टनर्स , इंडस्ट्री लीडर्स टेक्नोलॉजी इन्नोवेटर्स और पालिसी मेकर्स भी उपस्थित  होंगेㅣ ताकि एक दूसरे से चर्चा की  जा सके  भारत में ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में बदलती हुई चुनौतियों एवं अवसर परㅣ 

माननीय प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी जी  के नेतृत्व में हमारा देश  आर्थीक और सामाजिक रूप से ऊपर उठता दिखाई दे रहा हैㅣ  साथ ही साथ उन्नति की राह में  अपने कदम और तेजी से बढ़ा रहा है ㅣ इसलिए देश को अब ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता हैㅣताकि विकास  के साथ कदम मिलाया जा सकेㅣयही समय है  जब हमे देश के हाइड्रोकार्बन इंडस्ट्री के  पिछले कार्यो का मूल्यांकन कर वर्तमान में विचार विमर्श करके भविष्य की नई  नीतियों को बनाना होगा जिससे पूर्ण विकास हो सके ㅣ

राज्य प्राकृतिक गैस एवं संसाधन मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कहा की सरकार द्वारा किये गए कार्यो में देश की  ऊर्जा सुरक्षा रीढ़ की हड्डी की तरह कार्य करती  है ㅣ यह कार्यक्रम  एक इन्वेस्टर फ्रेंडली  मोहोल  स्थापित  करने  और हाइड्रोकार्बन सेक्टर के होनहारो को सबके   समक्ष लाने में मददगार होगा ㅣ

ऊर्जा संगम में वैश्विक स्तर के लोगो के साथ एग्रीमेंट करके देश के ऊर्जा सुरक्षा कारोबार के क्षेत्र में  लम्बे समय तक रहने वाले अवसर प्रदान किये जा सकेंगे ㅣ जिससे सभी क्षेत्रों  को विकास में में बराबरी के अवसर  मिले ㅣ

वित्तीय मंत्री श्री अरुण जैटली संचार एवं आई टी मंत्री रवि शंकर प्रसाद श्री धर्मेन्द्र प्रधान एवं जानेमाने लेखक डॉ डेनियल एर्गिन भी सम्मलेन में  शामिल हो कर सभी को सम्बोधित करेंगे ㅣ प्राकृतिक गैस एवं संसाधन मिनिस्ट्री ने कई ऐसे कार्य शुरू कर  दिए है जो आम जनता के के लिए हितकारी है ㅣचाहे फिर बात बैंक खातों में सीधे कैश जमा करने की हो या फिर गरीबो को 2019 तक  सस्ती से सस्ती और अच्छी  ऊर्जा प्रदान करने की ㅣ इन सभी विषयो पर  ऊर्जा संगम में विचार किया जायगा ㅣ

देश की अंतराष्ट्रीय तेल कंपनी ओ एन जी सी विदेश के साथ जितनी भी राज्यस्तरीय  तेल कम्पनियाँ है वे हाथ मिला चुकी है ㅣ बरौनी रिफाइनररी की इंडियन ऑइल कारपोरेशन इस वर्षा अपने 50 वर्ष पुरे कर रही है और प्राकृतिक गैस एवं संसाधन मिनिस्ट्री के तहत इस मौके को मनाया जायगा ㅣ
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