14 महीनें तक शासन करने वाली पिछली सरकार के मुखिया अपने शासनकाल में झारखण्ड ने विकास की गंगा बहाने तक की बात ताल ठांेक-ठोंक कर करते रहे। झारखण्ड में भाजपा सरकार के गठन के बाद कृषि एवं गन्ना विकास विभाग में वतौर मंत्री प्रभार लेने तक मात्र 3 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई थी। 14 महीनें की सरकार ने अपने कार्यकाल में मात्र 3 प्रतिशत राशि ही खर्च की थी। ढाई सौ करोड़ रुपये की राशि सरेण्डर करने की बात जब विभागीय सचिव ने कहा तो यह सुनकर उन्हें घोर आश्चर्य हुआ, हैरानी हुई। भूमि अधिग्रहण कानून पर विरोध करने वालों का मुँह, क्षेत्र में काम के माध्यम से बंद कर दिया जाऐगा। आउटडोर स्टेडियम में एक दिवसीय प्रमण्डल स्तरीय किसान मेला सह कृषि प्रदर्शनी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपरोक्त बातें मंत्री रणधीर सिंह ने कहा। गोड्डा के सांसद निशिकांत दूबे की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में इस अवसर पर दुमका की विधायक व राज्य में कल्याण मंत्री डा0 लुईस मराण्डी, नगर पंचायत मधुपुर के उपाध्यक्ष संजय यादव, संयुक्त निदेशक कृषि, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी दुमका, प्रोजेक्ट डायरेक्टर आत्मा, संताल परगना प्रमण्डल के विभिन्न जिलों यथा-देवधर, जामताड़ा, पाकुड़, साहेबगंज व गोड्डा में पदस्थापित विभिन्न पदाधिकारियों सहित विभिन्न जिलों से दुमका पहुँचे लाभुकों व अन्य की उपस्थिति में कृषि मंत्री श्री सिंह ने कहा अधिकारियों को गाँव-गाँव तक सरकारी कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार के लिये जाने की जरुरत है ताकि सरकारी कार्यक्रमों की जानकारी ग्रामीण क्षेत्र के लोग पूरी तरह से जान सकें।
संताल परगना प्रमण्डल के किसानों के बीच केन्द्र व राज्य सरकार के भूमि अधिग्रहण नीतियों की जानकारी दी जानी चाहिए। मंत्री श्री सिंह ने कहा अप्रैल से गाँव-गाँव तक कृषि जागरुकता से संबंधित कृषि रथ निकाला जाऐगा। झारखण्ड के तमाम प्रमण्डलों में प्रमण्डल स्तरीय किसान मेला सह कृषि प्रदर्शनी लगाई जाऐगी। उन्होनें कहा पूरे राज्य का दौरा वे स्वयं करेगें। कृषि की अब तक की धारणाओं को बदला जाऐगा। जैविक खाद को बढ़ावा दिया जाऐगा। पूरे राज्य में कुल 40 कोल्ड स्टोरेज हैं जिनमें से मात्र 15 ही सही हालत में है। मंत्री रणधीर सिंह ने कहा किसानों को सोलर डीजल पम्प देने की योजना है जो जल्द ही अपने अस्तित्व में आ जाऐगा। उन्होनें कहा कृषि में अबतक जो घोटाला इुआ है उसे और चलने नहीं दिया जाऐगा। अधिकारियों को चेतावनी देते हुए मंत्री ने कहा रोहिणी नक्षत्र से लेकर 15 जून तक किसानों को बीज की प्राप्ति हो जानी चाहिए। उन्होनें कहा आदिवासी भाई-बहनों को आगे बढ़कर काम करने की आवश्यकता है। डेयरी फार्म के लिये 50 प्रतिशत अनुदान पर आदिवासी भाई-बहनों के लिये गव्यपालन की योजना है, लक्ष्य को और अधिक बढ़ाया जाऐगा। स्पेशल फण्ड की कोई कमी होने नहीं दी जाऐगी। मसानजोर डैम विस्थापितों के लिये केन सिस्टम फिशरीज को बढ़ावा दिया जा रहा है। 75 प्रतिशत अनुदान पर सुकर तथा बकरी व मुर्गा इत्यादि का कारोबार स्थापित किया जा सकता है। कार्यकम की अध्यक्षता कर रहे गोड्डा के सांसद निशीकांत दूबे ने कहा झारखण्ड में मात्र 5.6 प्रतिशत भूमि ही कृषि योग्य है।
संताल परगना में यह प्रतिशत और भी कम है। मात्र तीन-साढ़े तीन प्रतिशत इस क्षेत्र की भूमि कृषि कार्य के लिये अनुकुल है। झारखण्ड की जमीन पर स्थित मसानजोर डैम से उप राजधानी दुमका को न तो कृषि और न ही पेयजल के लिये पानी प्राप्त हो पाता है। दुमका से सांसद रहे शिबू सोरेन ने मसानजोर से दुमका को पानी तक अपने कार्यकाल में उपलब्ध नहीं करा सके। कृषि व रोजगार की भारी कमी है पूरे संताल परगना प्रमण्डल में। इस जिले में 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। उधोग-धंधों सहित स्कील डवलपमेंट की भारी कमी है। श्री दूबे ने कहा आदिवासियों की जमीन के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए किन्तु रसैल रिपोर्ट के आधार पर कानून बनाए रखने की जरुरत है। उन्होनें कहा संताल परगना से तीन-तीन मुख्यमंत्री हुए किन्तु आदिवासी-गैरआदिवासी, अगड़ी-पिछड़ी, बाहरी-भीतरी की रणनीति में ही व्यस्त दिखे। इस क्षेत्र के विकास की सुधि किसी ने नहीं ली। डाॅग स्क्वायड के लिये दुमका में पशु रेफरल हाॅस्पीटल है। इस हाॅस्पीटल का शिलान्यास वर्ष 2010 में हुआ था किन्तु अभी तक इसे साधनसंपन्न नहीं बनाया जा सका है। हाॅस्पीटल, एजुकेशन, मीड डे मील की भारी कमी है। जब आदमी को भोजन ही प्राप्त नहीं हो रहा तो फिर कृषि और शिक्षा की बात बेईमानी है। हर खेत को पानी और हर हाथ को काम भाजपा का पुराना नारा है जिसे पूरा करना है। उन्होनें कहा 85 प्रतिशत किसान मार्जिनल खेती पर निर्भर हैं। पूरे इस्टर्न इंडिया में दुमका को छोड़कर डेयरी काॅलेज कहीं नहीं है। उन्होनें कहा हाॅर्टीकल्चर काॅलेज दुमका में खोला जाऐगा। संताल परगना में एक कृषि विश्वविद्यालय खोला जाऐगा। सेन्ट्रल ट्राईबल यूनिवरसिटी के लिये केन्द्र से कई मर्तबा उन्होनें बात भी की है। प्रधानमंत्री से आग्रह किया है। श्री दूबे ने कहा केन्द्र से जो भी सहायता इस राज्य के लिये बन सकेगा उसे जरुर पूरा किया जाऐगा। कल्याण मंत्री डा0 लुईस मराण्डी ने कहा ग्रामीण स्तर पर कार्यशालाओ के माध्यम से लोगों में जागरुकता की जरुरत है। सोयाबीन, राजमा, शिमला मिर्च जैसी चीजों का उत्पादन संताल परगना प्रमण्डल के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है इसे अधिकाधिक जगहों पर ले जाने की जरुरत है। खेती के अलावे मार्केटिंग की व्यवस्था भी जरुरी है। अलग-अलग जगहों की मिट्टी के अनुसार फसलों का उत्पादन होना चाहिए। कृषि को मजबूत करने की जरुरत है। अभी भी 80 प्रतिशत लोग कृषि पर ही निर्भर हैं। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक कृषि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर किसानों के बीच पावर टीलर, कीटनाशक छिड़काव मशीन तथा अन्य वस्तुओं का वितरण भी किया गया।