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राजनीतिक हार के डर से विरोधी करा सकते हैं हत्या- मांझी

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आज आशंका जताई कि राजनीतिक हार के डर से उनके विरोधी परिवार समेत उनकी हत्या करा सकते हैं। श्री मांझी ने यहां स्थानीय जिला स्कूल मैदान पर हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (हम) की ओर से आयोजित गरीब स्वाभिमान रैली को संबोधित करते हुए कहा .. पिछले कुछ दिनों से मेरी और मेरे पूरे परिवार की रेकी की जा रही है जैसे अपराधी लोगों को मारने के लिए पहले उनकी रेकी करते है। उन्होंने राज्य सरकार से पूरे मामले पर गंभीरता से जांच कर इसमें शामिल लोगों को सामने लाने का आग्रह किया। हालांकि उन्होंने आशंका जताई कि राज्य सरकार ऐसा नहीं करेगी क्योंकि राज्य सरकार ही उनकाे संरक्षण दे रही है ।

पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनके मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद राज्य में विकास कार्य पूरी तरह ठप हैं। उन्होंने श्री कुमार से पूछा कि म्यूजियम, गंगा नदी में फेरी चलाने, विदेशो में हजारों करोड़ रुपया जमा करने और विधानसभा बनाने के लिए पैसा है, लेकिन संविदा पर बहाल लोगों को मानदेय वृद्धि के लिए पैसा नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपने कार्यकाल के दौरान आखिरी 12 दिनों में लिये गये 34 महत्वपूर्ण फैसलों पर तत्काल लागू करने का आग्रह करते हुए कहा कि उनके द्वारा लिये गये सभी निर्णय राज्य की गरीब और पिछड़े लोगों के विकास से जुड़े हैं।

सुपौल के लोहिया नगर चौक पर डॉ. राम मनोहर लोहिया की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद प्रतिमा धोने के प्रकरण पर श्री मांझी ने कहा .. मूर्ति धोनेवाले लोग ब्राह्मणवादी मानसिकता की नकल करनेवाले समाजवादी हैं ।उन्होंने कहा कि वो और उनके समर्थक विधायक और सभी पूर्व मंत्री चूंकि मूलरूप से जदयू के हैं इसलिए राजद-जदयू के विलय हो जाने की हालत में वो जदयू के झंडे और निशान पर सूबे में राजनीति और सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।

आडवाणी को नहीं मिला भाजपा स्थापना दिवस का निमंत्रण

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भारतीय जनता पार्टी की 35वीं वर्षगांठ के मौके पर आज यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित समारोह के लिए वरिष्ठ नेता एवं संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी को न्यौता नहीं मिला। श्री आडवाणी के निजी सचिव ने ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि स्थापना दिवस के समारोह के लिए न तो कोई सर्कुलर मिला, न कोई निमंत्रण पत्र और न ही संदेश। सचिव ने कहा कि उन्हें पहले मीडिया का काम देखने के नाते वह एसएमएस मिला जो बाकी मीडियाकर्मियों को भेजा गया था।

यह पहला मौका था जब श्री आडवाणी दिल्ली में थे लेकिन न्यौता नहीं मिलने के कारण 11 अशोक रोड पर स्थित पार्टी मुख्यालय में आयोजित समारोह में शरीक नहीं हो पाए। इस समारोह में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू और थावरचंद गहलोत, पार्टी महासचिव राम लाल और दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय सहित कई नेता शामिल थे।

पार्टी की तमाम निर्णायक समितियों से मुक्त किए जाने के बाद श्री आडवाणी अब सिर्फ नवगठित मार्गदर्शक मंडल में हैं। बेंगलुरू में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी उनका नाम वक्ताओं की सूची में नहीं रखा गया था जिससे वह नाराज हो गए थे। ऐन वक्त पर श्री शाह ने उन्हें मनाने और कार्यकारिणी को मार्गदर्शन देने का आग्रह किया था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था।

रक्षा मंत्री पर्रिकर ने पहली स्वदेशी पनडुब्बी लांच किया

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रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड में स्वदेशी तकनीक से निर्मित हो रही पहली पनडुब्बी स्कॉर्पियन को सोमवार को लांच किया। स्कॉर्पियन भारतीय नौसेना के पनडुब्बी कार्यक्रम की महत्वाकांक्षी परियोजना 75 का हिस्सा है। यह कार्यक्रम फ्रांस के सहयोग से चल रहा है। इसके तहत अगले कुछ वर्षो में नौसेना के बेड़े में इसी तरह की छह पनडुब्बियां शामिल की जाएंगी।

भारतीय नौसेना की स्कॉर्पियन श्रेणी की छह स्टील्थ पनडुब्बियों में से पहली ‘कलवारी’ को आज गोदी से बाहर लाया गया । इसके साथ ही पनडुब्बी के समुद्री परीक्षण और सितंबर 2016 में नौसैनिक बेड़े में शामिल करने का रास्ता प्रशस्त हो गया है। राडार पर नजर नहीं आने वाली इस पनडुब्बी को गोदी से बाहर लाये जाने के कार्यक्रम में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भी मौजूद थे। उन्होंने चेताया कि आगे से किसी भी परियोजना में देरी होने पर जुर्माना लगेगा और जल्दी काम पूरा करने पर पुरस्कृत किया जाएगा।

भारतीय नौसेना के लिए छह स्कॉर्पियन श्रेणी की स्टील्थ पनडुब्बियों का निर्माण मझगांव लिमिटेड फ्रांस के एक फर्म डीसीएनएस के साथ मिलकर कर रहा है। इस परियोजना को ‘प्रोजेक्ट 75’ का नाम दिया गया है । इसमें पहले ही करीब 40 महीने की देरी हो चुकी है । इसकी पहली पनडुब्बी 2012 में नौसेना को सौंपी जानी थी, हालांकि अब इसकी तिथि बढ़ाकार सितंबर 2016 कर दी गयी है।

नौसेना ने कहा कि परियोजना अब पटरी पर लौट आयी है और बाकि पांच पनडुब्बियों के सौंपे जाने की समयसीमा कम कर दी गयी है। पर्रिकर ने रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक गोदियों यानी एमडीए और गोवा शिपयार्ड से अगले तीन साल में अपना उत्पादन दोगुना करने को कहा है। उन्होंने कहा, ‘मैंने रक्षा क्षेत्र के सभी सार्वजनिक उपक्रमों को अगले तीन साल में अपना उत्पादन दोगुना करने को कहा है।’

शेषाचलम के जंगल में पुलिस और चंदन तस्करों की मुठभेड़, चंदन तस्कर मारे गए

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आंध्र प्रदेश के चितूर में शेषाचलम के जंगलों में पुलिस और चंदन तस्करों के बीच मुठभेड़ में 20 चंदन तस्कर मारे गए. खबरों के मुताबिक, 150 तस्करों ने पुलिस पर हमला किया था. पुलिस के साथ मुठभेड़ में 20 तस्कर मारे गए.  

 यहां से दुर्लभ लाल चंदन की अंधाधुध कटाई और उसकी तस्करी की जाती है. लाल चंदन केवल राज्‍य के कडपा, चित्तूर और नेल्लोर जिलों की शेषाचलम पहाड़ियों में पांच लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में पाया जाता है.

शुरू में स्थानीय लोग हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं, तस्वीरों के फ्रेम और घर में काम आने वाले डिब्बों के अलावा गुड़ियाएं बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया करते थे, लेकिन 1994 के बाद इस दुर्लभ प्रजाति को काटने पर रोक लगा दी गई और इसे आंध्र प्रदेश से बाहर ले जाना गैर कानूनी करार दे दिया गया.

विशेष आलेख : पोशक तत्वों से भरपूर मडुवा

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दुनिया आगे निकल रही है या फिर हम पीछे छूट गए। बढ़ते समय के साथ मडुवे की खेती का चलन भी कम होता चला गया। हरित क्रांति के विकास के साथ मडुवे की खेती की जगह दूसरी मुनाफे वाली फसलें लेती गयीं। किसानों ने भी अपने खेतों में मडुवे की जगह दूसरी फसलें लगाना षुरू कर दिया। लेकिन देष के कुछ इलाकों में दोबारा से लोगों का रूझान मडुवे की खेती की ओर हो रहा है। सीमांत किसानों के लिए यह आवष्यक है कि वह धान के अलावा वैकल्पिक खेती अवष्य करें। ऐसा इसलिए मडुवे की खेती में कम लागत के चलते मुनाफे की संभावना हमेषा रहती है। मडुवे के अलावा और भी बहुत सारी फसलें हैं जो पानी की कम मात्रा और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती हैं जिनमें सरगुजा, कुरथी, गुदंली आदि फसलें षमिल हैं। झारखंड के देवघर में किसानों का रूझान दोबारा से मडुवे की खेती की ओर हो रहा है। गांव झांझी के किसानों की मडुवा की खेती की ओर बढ़ती दिलचस्पी का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां के किसानों ने मिलकर यहां एक आम सुविधा केंद्र बनाया है। इस सुविधा केंद्र से आस-पास के छह गांवों के किसान मडुवा का बीज उधार लेते हैं। उधार लिए गए बीज के बदले किसान फसल तैयार होने पर बीज का दोगुना दाम देने को तैयार हैं। गौरतलब है कि पहले इस क्षेत्र में मडुवे का इस्तेमाल पोशक आहार के रूप में होता था लेकिन पिछले दो दषकों में यह फसल यहां से पूरी तरह गायब सी हो गयी है।
              
मडुवे की खेेती को इस इलाके में फिर से जीवित करने का श्रेय झांझी के किसानों को जाता है जो उच्चकोटी का मडुवा पैदा कर रहे हैं। मडुवे की खेती के लिए बहुत कम वर्शा की आवष्यकता होती है और इसकी पैदावार बंजर ज़मीन पर भी हो सकती है। यही वजह है कि सूखे से त्रस्त क्षेत्रों में इसकी खेती के लिए बहुत कम पानी की आवष्यकता होती है। इसके अलावा इसकी खेती में दूसरी फसलों के मुकाबले  बहुत ज़्यादा कीटनाषकों का भी इस्तेमाल नहीं होता है जिसकी वजह से इसकी खेती पर लागत कम आती है। मडुवे की खेती से किसान खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य के अलावा पोशण सुरक्षा के लक्ष्य को भी आसानी से हासिल कर सकते हैं। दो दषक पहले तक इस क्षेत्र में मडुवे की खेती का चलन बहुत ज़्यादा था। लेकिन हरित क्रांति के युग में उन्नत किस्म के बीजों के विकास और सिंचाई सुविधाओं के सुधार के चलते मडुवे की खेती का चलन कम होता गया और इसकी जगह ज़्यादा मुनाफे वाली धान की फसल ने ले ली। हालांकि बाद में क्षेत्र में लगातार सूखे के चलते धान की फसल क्षेत्र के लोगों के लिए जी का जंजाल बन गयी। गौरतलब है कि धान की फसल के लिए सिंचाई में बहुत ज़्यादा पानी की आवष्यकता होती है मगर लगातार सूखे के चलते इसकी फसल का किसानों के ज़रिए देखभाल करना कठिन होता गया। क्षेत्र में लगातार कई वर्शों तक धान की फसल के चलते यहां के ग्राउंड वाटर का स्तर भी काफी नीचे चला गया है। इसके अलावा धान की फसल में इस्तेमाल होने वाले महंगे खाद और कीटनाषक की वजह से ज़्यादातर छोटे किसानों को इसकी खेती रास नहीं आई। 
              
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इस समस्या से निजात दिलाने के लिए देवघर के एक गैर सरकारी संगठन प्रवाह ने जर्मन डेवलपमेंट एजेंसी ‘‘वैल्ट हंगर  िहल्फ’’ की मदद से किसानों को परंपरागत फसलों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। गैर सरकारी संगठन के ज़रिए ‘‘वैल्ट हंगर हिल्फ के ‘‘स्थायी एकीकृत कृशि प्रणाली’’ प्रोग्राम के तहत बंजर पड़ी ज़मीन पर मडुआ उठाने के लिए षुरूवात में मदद भी दी गई। इस प्रोग्राम के तहत सीमांत किसानों को कृर्शि क्षेत्र में नवीन पद्धतियां अपनाते हुए न्यूनतम निवेष के ज़रिए ज़्यादा से ज़्यादा लाभ लेने के लिए मदद की जा रही है। 
            
क्षेत्र में मडुवा की खेती दोबारा षुरू होने से किसानों की ओर से भी काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। इसके अलावा सरकार की मदद से देवघर के दूसरे गांवों के किसान भी मडुवा की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं और इसका विस्तार बहुत तेज़ी से हो रहा है। 2012 में जरवाडीह, झांझी और कल्यानरथारी के किसानों ने 1.78 एकड़ ज़मीन पर तकरीबन 9 क्विंटल मडंुवा की पैदावार की थी। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक इस समय 32 गांवों के 550 किसानों ने मडुवा की खेती कर 48 क्विंटल मडुवा का उत्पादन किया है। मडुवे की खेती से किसानों को एक फायदा यह हुआ है कि पहले जिस बंजर ज़मीन पर धान की खेती संभव नहीं थी उसी ज़मीन पर मडुवे की पैदावार बहुत अच्छी हो रही है।
           
मडुवे की खेती के बारे में गैर सरकारी संगठन प्रवाह में कार्यरत बबीता सिंहा का कहना है कि-‘‘ क्षेत्र में बहुत से किसान की मडुवे की खेती की ओर दिलचस्पी बढ़ी है जबकि बहुत से किसान अब भी धान की खेती कर रहे हैं। किसान सहकारी समितियों, किसान क्लब और कृशि विष्वविद्यालय के साथ मेलजोल से किसानों को मडुवे की खेती की ओर प्रोत्साहित किए जाने की ज़रूरत है क्योंकि इसकी खेती का सकारात्मक परिणाम देवघर में देखने को मिलने लगा है। मडुवा के बारे में झांझी गांव के स्थानीय निवासी सिरोमनी सिंह कहते हैं कि- ‘‘मुझे याद की मेरे दादा मडुवे के कई व्यंजन बनवाया करते थे लेकिन जब से धान की फसल का चलन षुरू हुआ तो लोगों की ऐसी धारणा बनती गई कि मडुवे को गरीब परिवार के लोग खाते हैं। ऐसीे सोच रखने वाले लोग मडुवे को सिर्फ एक घास समझते हैं। लेकिन वास्तव में वह लोग इस पारम्परिक खेती के महत्व को नहीं समझते हैं और नहीं जानते हैं मडुवे वास्तव में एक पूर्ण आहार है। 
             
ठंड की शुरुआत होते ही घरों में व्यंजनों की तासीर भी गर्म होने लगी है। मडुवा की रोटी ठंड में सबसे अधिक कारगर है। मडुवे की पहाड़ में बंपर पैदावार होती है। आमतौर पर मडुवा की रोटी पहाड़ों में साल भर खायी जाती है। अधिकतर लोग मडुवा को गेहूं के साथ मिलाकर खाते हैं। लेकिन, मडुवा की तासीर गर्म होने के कारण ठंड में अधिकतर लोग इसकी ही रोटी खाते है। पहाड़ों में मडुवा की रोटी को सब्जी, देशी घी, गुड़ के अलावा हरा धनिया व लहसुन के नमक के साथ बडे़ ही चाव से खाया जाता है। मडुवा बेहद पौष्टिक आहार है। इसमें आयरन और फासफोरस का प्रमुख स्रोत है और मधुमेह के रोगियों के लिए कारगर है। छोटे बच्चों के दिमाग के विकास में सहायक होता है। मडुवा में 71 फीसदी कार्बोहाइड्ेट, 12 फीसदी प्रोटीन, पांच फीसदी फैट होता है। जब मडुवा इतने पोशक तत्वों से मालामाल है और इससे इतने फायदे हैं तो राज्य सरकार को देवघर के अलावा झारखंड के दूसरे जि़लों में किसानों को इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। 








आकृति श्रीवास्तव
(चरखा फीचर्स)

रिज़र्व बैंक के ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मंगलवार को अपनी मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा की। जैसे अनुमान व्यक्त किए जा रहे थी, उसी के अनुसार आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने रीपो रेट में कोई बदलाव न करते हुए इसे 7.5 फीसदी ही रहने दिया। ब्याज दर को लेकर पहले ही यह अनुमान व्यक्त किया गया था कि इसमें कोई बदलाव नहीं होगा क्योंकि इस साल के अंत में पॉलिसी मीटिंगों के बाहर डॉ.राजन ने ऐसे संकेत दिए थे।

अन्य अहम दर सीआरआर में भी आरबीआई ने कोई परिवर्तन नहीं किया और इसे 4 फीसदी ही रहने दिया। गौरतलब है कि सीआरआर या कैश रिजर्व रेशियो वह राशि है जो बैंकों को आरबीआई के पास जमा करनी होती है। ऐनालिस्ट्स का कहना है कि इसका मतलब यह हुआ कि होम और ऑटो लोन में निकट भविष्य में कोई कमी होने की उम्मीद नहीं है। हालांकि इससे पहले इस साल जब आरबीआई ने दो बार रीपो रेट में कटौती की थी, फिर भी भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई और निजी सेक्टर के आईसीआईसीआई ने ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं की थी। इसका परिणाम यह हुआ कि लोन दर दो अंकों में है जिससे ग्रोथ भी प्रभावित हो रही है।

बिहार : केन्द्र और राज्य सरकारों की निषाद विरोधी नीति के कारण ही समुदाय की दुर्गति

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  • निषाद महाकुंभ महारैली में 12 अप्रैल को गांधी मैदान में भड़ास निकालेंगे नेता

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गया।आप मुझे खून दें और मैं आपको आजादी दूंगा। इसी तर्ज पर ‘सन आॅफ मल्लाह मुकेश सहनी‘ कहते हैं कि हमलोगों ने अपना बहुमूल्य 68 साल दे दिये हैं।जिस शख्स को नहीं देना था फिर भी वंदे को दे दिये।देर आए मगर दुरूस्त आए,यह सोझकर अब आपलोगों से अनुरोध है कि समाज के बेहतरी के लिए 68 साल नहीं बल्कि एक साल ही मुझे देकर देखिए कि मैं अपने निषाद समाज के लिए बेहतर से बेहतर मार्ग ढूंढ़ लूंगा। सर्वश्री जय मंगल महतो,धीरेन्द्र कुमार निषाद,उमाशंकर आर्य, जीबोधन निषाद,जीतन बाबा,शैलेश निषाद,अजीत सिंह ललित, पप्पु निषाद, विजय कुमार सहनी आदि नेताओं का कहना है कि केन्द्र और राज्य सरकारों की निषाद विरोधी नीति के कारण ही निषादों की दुर्गति हो रही है। अपने ही प्रदेश में निषाद समुदाय जीविकाविहीन और गृहविहीन बनकर रह गए हैं। भूखमरी एवं कंगाली से बचने के लिए रोजगार की खोज में दूसरे राज्यों में भटक रहे हैं।

वेदव्यास परिषद बिहार निषाद संघ के सरंक्षक राम भजन सिंह निषाद ने कहा कि बिहार सरकार के मत्स्य विभाग के अधिकारी मछली छोड़ अब मछुओं की खेती कर रहे हैं। ‘राज्य सरकार निषादों को कई उपजातियों में बांट रखा है। केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के हठधर्मी के कारण बिहार के निषादों को अनुसूचित जाति का दर्जा घोषित नहीं हो रहा है। मत्स्य विभाग में निषादों का आरक्षण समाप्त कर दिया गया है। यहां तक मछुआ के पद को भी समाप्त कर दिया है। मछुआरा आयोग का गठन भी अधूरा किया गया है। आये दिन निषादों की हत्याएं हो रही है। जिसका ज्वलंत उदाहरण है मुगिला हत्याकांड जहां चार निर्दोष निषादों की नृशंस हत्या कर दी गई। निषादों को सभी दलों द्वारा राजनीतिक पहचान से वंचित किया जा रहा है।ऐसा प्रतीक हो रहा है कि निषादों के प्रति सरकार बहरी होती है उस तक अपनी आवाज पहुंचाने का मात्र केवल एक ही रास्ता है, आंदोलन करना एवं अधिकार मान सम्मान के लिए संघर्ष करना,जिस दिन सरकार निषादों की एकता बल को पहचानेगी, तब सारे अधिकार स्वतः देगी। 

निषाद महाकुंभ महारैली ने अपनी सात सूत्री मांगों के समर्थन में 12 अप्रैल 2012 को 11 बजे से ऐतिहासिक गांधी मैदान में पहुंचने का आग्रह किया है। इन लोगों की मांग है कि निषादों को सभी उपजातियों को निषाद शीर्ष में दर्शाते हुए अनुसूचित जाति में शामिल किया जाय। जलकर,घाट बालू मिट्टी एवं  जल से निकली भूमि की बन्दोबस्ती निषादों को मिले तथा इनको रंगदारों एवं अपराधियों से मुक्त किया जाय। राज्य सरकार द्वारा 10 जुलाई 2014 को मछुआरा दिवस पर की गई घोषणाओं को जैसे 1. एक रूपया टोकन मनी पर जलकरों की वंदोबस्ती, 2. मत्स्यजीवी सहयोग समितियों में से गैर मछुओं को निष्कासित कर केवल परंपरागत मछुआरों को ही सदस्य बनना।मत्स्य विभाग एवं नाविक गोताखोर पुलिस में निषाद युवकों की नियुक्ति , संख्या बल के अनुसार राजनीतिक दल एवं सत्ता में हिस्सेदारी , निषादों की हत्या पर रोक एवं सुरक्षा एवं मुआवजा दिया जाय। फरक्का वैराज में फिश गेट का प्रावधान एवं राज्य सरकार द्वारा निषादों के लिए घोषित अनेक कल्याणकारी योजनाओं की स्वीकृति शीघ्र की जाय। मुजफ्फरपुर आजीजपुर कांड की जांच सीबीआई से करायी जाय तथा निर्दोष मछुआरों पर झूठा मुकदमा वापस किया जाय और राष्ट्रीय मछुआरा आयोग का गठन किया जाय तथा निषाद मूल के व्यक्ति को अध्यक्ष मनोनीत किया जाय एवं राज्य मछुआरा आयोग की अनुशंसाओं को लागू किया जाय। 



आलोक कुमार
बिहार 

सरकार को खेती-किसानी की नहीं, उद्योगपतियों की चिंता

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  • ऽ वंचित समुदाय को खेती व आवास की जमीन देने के वायदे पर अमल नहीं कर रही सरकार
  • ऽ 26 अप्रैल से भोपाल में सैकड़ों आदिवासियों के साथ प्रसिद्ध गांधीवादी राजगोपाल पी.व्ही. करेंगे उपवास

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भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार पर खेती-किसानी की अनदेखी और वंचित एवं आदिवासी समुदाय से किए गए वायदे पर अमल नहीं करने का आरोप लगाते हुए एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रनसिंह परमार ने कहा कि संगठन 26 अप्रैल से भोपाल में बड़ा आंदोलन करने जा रहा है, जिसमें प्रसिद्ध गांधीवादी और एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पी.व्ही. के साथ सैकड़ों की संख्या में आदिवासी एवं वंचित समुदाय के प्रतिनिधि सामूहिक उपवास करेंगे। श्री परमार ने भोपाल में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि एक ओर भारत सरकार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के माध्यम से किसानों की जमीन छिनने का काम कर रही है, जिससे देश भर के किसान चिंतित हैं और आंदोलन कर रहे हैं, तो दूसरी ओर प्रदेश सरकार भी अब उसी राह पर चलते हुए कृषि भूमि को गैर कृषि के कार्यों के लिए उपयोग में बदलना आसान कर खेती-किसानी को चौपट करने पर तूली हुई है।

इस वार्ता में मौजूद राजगोपाल पी.व्ही. ने कहा कि एकता परिषद ने जनादेश 2007 एवं जनसत्याग्रह 2012 सहित कई छोटे-बड़े अहिंसक आंदोलनों के माध्यम से भूमिहीनों, आवासहीनों एवं वंचित समुदाय के लिए व्यापक स्तर पर कानून, नीति एवं नियम बनाने के लिए राज्य सरकारों एवं भारत सरकार को जनपक्षीय फैसला लेने के लिए मजबूर किया, जिस पर अमल करने का वायदा राज्य सरकारों एवं भारत सरकार ने किया था। पर पिछले कुछ समय से देखने में आ रहा है कि सरकारें एक ओर जनता के सामने उनके हितैषी बनने की बात कर रही हैं, तो दूसरी ओर गरीबों एवं किसानों को उजाड़ कर उद्योगपतियों एवं पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाले कानून एवं नियम बना रही है। ऐसे नियमों से प्रदेश एवं देश का विकास नहीं विनाश होगा। देश में अब तक अधिग्रहित किए गए जमीनों में से महज 32 फीसदी का ही उपयोग किया गया है, ऐसे में और जमीन अधिग्रहित करने का क्या औचित्य है? पहले से विस्थापित लोगों का पुनर्वास नहीं हो पाया है और फिर विस्थापन की तैयारी का क्या मायने समझा जाए?

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने के लिए कानून बना रही थी, पर जन दबाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इससे मुकर गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिना उनकी जानकारी के इस तरह के प्रस्ताव लाए गए थे। यह बहुत ही हास्यास्पद है कि मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना इस तरह के बड़े फैसले उनके मंत्री या अधिकारी ले रहे हैं। अब मुख्यमंत्री ने खेती की जमीन को गैर खेती के काम के लिए डायवर्सन को आसान बनाकर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का इंतजाम किया है। एक ओर सरकार लगातार कृषि कर्मण अवार्ड लेकर खेती-किसानी में विकास का ढिंढोरा विदेशों तक पीट रही है, तो दूसरी ओर इस तरह के नियम बनाकर खेती को चौपट करने पर तुली हुई है। प्रदेश में पिछले दिनों हुई ओलावृष्टि से अब तक एक दर्जन से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या कर ली है, पर उनकी चिंता के बजाय वह उद्योगपतियों एवं बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए भू राजस्व संहिता और उच्चतम कृषि जोत कानून में बदलाव कर रही है। सरकार किसानों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए कोई कानून क्यों नहीं बना रही है या फिर उनमें संशोधन क्यों नहीं कर रही है? 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने एकता परिषद द्वारा 2007 एवं 2012 में किए गए आंदोलनों को संबोधित करते हुए अपने को गरीब हितैषी बताया था और भूमिहीनों को भूमि देने और आवास देने का वायदा किया था। भाजपा को 2008 एवं 2013 के चुनावों में इसका फायदा भी मिला, पर क्या उसने वंचितों एवं आदिवासियों से किए अपने उन वायदों को निभाया? उन्होंने कहा था कि गरीब जहां झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं, वहीं उनको पट्टा दिया जाएगा, पर उस पर अमल करने के बजाय वे उद्योगपतियों को कह रहे हैं कि जहां ऊंगली रखेंगे, वहीं जमीन मिल जाएगी। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक जनहित याचिका में कहा कि भूमि संबंधी मामलों के जल्द निपटारा एवं समस्याओं के समाधान के लिए प्रदेश में टास्क फोर्स का पुनर्गठित किया जाए, पर सरकार इसके बजाय उद्योगपतियों एवं बिल्डर के लिए सिंगल विंडो पर काम कर रही है।

श्री राजगोपाल एवं श्री परमार ने कहा कि प्रदेश में औद्योगिक विकास हो, पर यह खेती की सिंचित जमीन और आदिवासियों की आजीविका को खत्म करके नहीं, बल्कि खेती के लिए अनुपयोगी एवं बंजर जमीन पर औद्योगिक विकास हो। उद्योग के लिए जितनी जमीन की जरूरत हो, उससे ज्यादा जमीन उद्योगपतियों को नहीं दी जाए। यदि वे तय समय में उसका उपयोग नहीं करते हैं, तो उनसे जमीन वापस ले ली जाए। उन्हें कृषि भूमि एवं 5वीं अनुसूची में संरक्षित जमीन नहीं दी जाए। सरकार को उद्योगपतियों की चिंता से पहले प्रदेश के वंचित एवं आदिवासी समुदाय की चिंता करते हुए उन्हें कृषि भूमि एवं आवास भूमि देने के वायदे पर अमल करना चाहिए, जिससे कि उनकी आजीविका सुरक्षित हो सके।

सरकार द्वारा प्रदेश की एक तिहाई जनता की अनदेखी के कारण एकता परिषद ने 26 अप्रैल से बड़ा आंदोलन करने का निर्णय लिया है। आंदोलन में प्रसिद्ध गांधीवादी और एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पी.व्ही. के साथ सैकड़ों की संख्या में आदिवासी एवं वंचित समुदाय के प्रतिनिधि सामूहिक उपवास करेंगे, जिसमें भूमि आंदोलन पर देश भर के आंदोलनकारियों का समर्थन लिया जाएगा। पत्रकार वार्ता में एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीष कुमार एवं सुश्री श्रद्धा कश्यप भी मौजूद थीं।

विशेष : कौन करा रहा है मुलायम सिंह की जासूसी

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2014 के लोकसभा चुनाव में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को पूरी उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने की उनकी मुराद इस बार जरूर ही पूरी हो जाएगी। प्रारंभिक आंकलन में सोलहवीं लोकसभा के त्रिशंकु स्वरूप की भविष्यवाणी की जा रही थी। मुलायम सिंह ने इसका हवाला देते हुए अपने कार्यकर्ताओं में जज्बाती जोश पैदा करने के लिए कहा था कि उम्र के हिसाब से यह उनके प्रधानमंत्री बनने का आखिरी मौका है इसलिए उत्तर प्रदेश में पार्टी को ज्यादा से ज्यादा सीटें जिताने के लिए पूरी ताकत लगा दो ताकि समाजवादी पार्टी तीसरे मोर्चे की पार्टियों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सत्ता की दावेदारी के लिए कांग्रेस तक को अपने समर्थन के लिए मजबूर कर सके लेकिन सपा कार्यकर्ताओं का जोश मतदाताओं के मूड के आगे कोई काम नहीं आया। माना यह जाता है कि सपा मुखिया का खुफिया तंत्र सबसे ज्यादा मजबूत है जिसकी वजह से चुनाव के मामले में उन्हें पहले ही अंदाजा हो जाता है कि उनकी और प्रतिद्वंद्वियों की हालत क्या है लेकिन सोलहवीं लोकसभा के चुनाव की वे आखिरी तक थाह नहीं ले पाए। 

जब नतीजे घोषित हुए तो उनकी पार्टी मात्र पांच सीटों पर सिमट कर रह गई। मुलायम सिंह को इससे जबरदस्त सदमा लगा और कुछ दिनों के लिए राजनीतिक सक्रियता के नाम पर वे संज्ञा शून्य हालत में रहे। यहां तक कि अपने बेटे की प्रदेश सरकार के भविष्य की चिंता भी उन्हें सता उठी थी लेकिन चरखा दांव के माहिर और किस्मत के धनी मुलायम सिंह का मनोबल उसी दिन वापस लौट आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचने पर भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने उनकी इस तरह अïगवानी की जैसे भाजपा की निगाह में प्रतिपक्ष के सबसे मजबूत राष्ट्रीय नेता वे हों। मोदी भी उनसे बहुत गर्मजोशी से मिले। इसके बाद मोदी और उनके बीच निजी संबंधों के ऐसे अध्याय को लिखे जाने की शुरूआत हुई जिसमें अखिलेश सरकार के दमन से जूझते रहे भाजपा कार्यकर्ताओं का नए परिस्थितियों में प्रदेश में उग्र प्रदर्शन बेमानी हो गया। मुलायम सिंह के पौत्र सांसद तेजप्रताप सिंह के विवाह समारोह में प्रधानमंत्री की उनके पैतृक गांव में पहुंचकर दी गई हाजिरी और राजद अध्यक्ष लालू से रिश्तेदारी जुडऩे की वजह से जनता परिवार के महाविलय की भूमिका तैयार होने की परिघटना ने तो उन्हें राष्ट्रीय राजनीति के केेंद्र बिंदु में बहुत ही मजबूती से स्थापित कर दिया है लेकिन ऐसी क्या बात है जिसके चलते अपने लिए पूरी तरह से मेहरबान इस राजनीतिक मौसम में भी मुलायम सिंह व्यथित हैं। कोई टीस उन्हें कसक रही है जिसका इजहार मुलायम सिंह ने पार्टी के जिलाध्यक्षों के साथ लखनऊ में हुई बैठक में किया। मीडिया ने इस आयोजन के उनके भाषण के सबसे महत्वपूर्ण अंश को लो प्रोफाइल में रखा जबकि सबसे ज्यादा चर्चा इसी अंश पर होनी चाहिए थी। मीडिया का यह रवैया विचित्र ही कहा जाएगा। उनके भाषण का सबसे सनसनीखेज अंश वह था जिसमें उन्होंने यह कहकर चौंका दिया कि पार्टी के एक वर्ग उन तक की जासूसी करने की हिमाकत कर रहा है।

मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी का गठन करते समय अपने आप में बड़ी शख्सियत वाले नेताओं के भरे पूरे कुनबे को साथ में सहेजा था जिसमें स्वयंभू छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्रा थे तो बेनीप्रसाद वर्मा जिन्हें पार्टी में लाने के लिए मुलायम सिंह को उनके घर जाकर दंडवत होना पड़ा था। रेवती रमण सिंह भी थे जिन्होंने मुलायम सिंह से नेता प्रतिपक्ष का पद छीनकर उन्हें नीचा दिखाया था लेकिन इस अपमान को भूलकर उन्होंने रेवती रमण को भी अपनी पार्टी में जोड़ा। इस तरह समाजवादी पार्टी शुरू में दिग्गज नेताओं के सामूहिक नेतृत्व वाली पार्टी के रूप में अस्तित्व में आई लेकिन धीरे-धीरे मुलायम सिंह ने सारे दिग्गजों को बोनसाई कर दिया और पार्टी तंत्र मुलायम सिंह एंड हिज फैमिली प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में तब्दील हो गया। आज रेवती रमण सिंह जैसे दिग्गज नेता समाजवादी पार्टी में उनके परिवार के कारिंदे बनकर रह गए हैं। वे मुलायम सिंह से इसके बावजूद अलग नहीं जा सकते क्योंकि उनकी अपनी राजनीतिक जमीन इस बीच में बची नहीं रह गई है। मुलायम सिंह के नाम के बिना वे खुद चुनाव नहीं जीत सकते अलग होकर दूसरे को क्या जिताएंगे। जाहिर है कि ऐसी परिस्थितियों में मुलायम सिंह की जासूसी कराने का दुस्साहस या मूर्खता कोई गैर नेता तो कर नहीं सकता लेकिन उनके परिवार में अïवश्य पार्टी पर वर्चस्व को लेकर द्वंद्व छिड़ा हुआ है।

खबरें हैं कि होली के समय जब मुलायम सिंह गंभीर हालत में अस्पताल पहुंच गए थे उस समय उनकी स्थिति को लेकर तरह-तरह की अफवाहें फैल गई थीं। उनके उत्तराधिकार को हथियाने का मंसूबा रखने वाले परिवार के सदस्य उन दिनों इन अफवाहों की गहराई जानने में सबसे ज्यादा दिलचस्पी ले रहे थे। स्वस्थ होने के बाद जब मुलायम सिंह को यह बातें पता चलीं तो उन्हें काफी ठेस लगी। मुलायम सिंह ने अपने परिवार की मजबूती को ही अपनी राजनीतिक शक्ति का मुख्य स्रोत बनाया है। कई बार परिवार में कलह की नौबत आई। मुलायम सिंह ने किसी को सबक सिखाने की नहीं सोची। अपने दिवंगत भाई के पितृविहीन पौत्र का विवाह बेटे अखिलेश की शादी से भी ज्यादा धूमधाम से रचाकर उन्होंने भातृत्व प्रेम के लिए पूजे जाने वाले भगवान राम के आदर्श को जीवंत कर दिया। 2006 के सैफई समारोह में मंच पर ही प्रो. रामगोपाल और शिवपाल के बीच तलवारें खिंचती नजर आने लगी थीं लेकिन फिर भी मुलायम सिंह ने परिवार में फूटन नहीं होने दी। जब अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया था तब मुलायम सिंह की दिली तमन्ना थी कि अब प्रदेश की बागडोर पूरी तरह उनके हवाले कर उनके चाचा लोग राष्ट्रीय राजनीति में सिक्का जमाने के लिए उनके साथ काम करें। मुलायम सिंह अपने अनुजों में शिवपाल सिंह को सबसे ज्यादा स्नेह करते रहे हैं और जिनके कारण उन्हें समय-समय पर भारी आलोचनाएं झेलनी पड़ीं लेकिन उन्होंने काफी शिवपाल सिंह का मनोबल नहीं गिरने दिया। उन शिवपाल सिंह ने ही उनकी बात नहीं मानी। बड़ों के बीच अखिलेश को सरकार में अपना व्यक्तित्व उभारने के लिए शुरू में काफी परेशानी झेलनी पड़ी जिससे मुलायम सिंह को बड़ी वेदना हुई पर वे करते क्या बात घर की थी। 

आखिर उन्होंने रणनीति के तहत पार्टी बैठकों में अपने संबोधनों में जताया कि मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश उन तक की बात नहीं मानते क्योंकि वे किसी की सलाह पर निर्भर नहीं हैं। जाहिर किया कि कुछ मंत्रियों से वे बहुत नाराज हैं लेकिन उनके कहने पर भी अखिलेश ऐसे मंत्रियों को नहीं हटा रहे। शुरू में अखिलेश भी इसे पिता द्वारा अपने ऊपर सीधा हमला मानकर चौंके लेकिन उन्हें बात तब समझ आई जब लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखते हुए पार्टी के अंदर हो रही कानाफूसी के मद्देनजर उन्होंने खुद भी हतमनोबल होकर प्रदेश अध्यक्ष का पद छोडऩे का मन बना लिया लेकिन मुलायम सिंह ने इसे स्वीकार नहीं किया। उन्होंने दोनों पदों पर कोई परिवर्तन न करने का फैसला सुनाकर संदेश दे दिया कि प्रदेश में अखिलेश का निद्र्वंद्व नेतृत्व स्थापित करना उनकी प्राथमिकता है। इसके बाद अखिलेश का आत्मविश्वास बढ़ा और छाया मुख्यमंत्री की छवि से बाहर निकलने के लिए उन्होंने अधिकार पूर्वक अकेले फैसले लेने शुरू कर दिए।

लेकिन मुलायम सिंह की सूझबूझ का जवाब नहीं है जिससे वे पारिवारिक चुनौतियों का प्रबंधन भी अपने तरीके से करने में लग गए हैं। लालू यादव ने जो एक समय प्रधानमंत्री की उनकी दावेदारी में उस समय आड़े आ गए थे जब पूरी पार्टी उनके लिए लगभग सहमत हो गई थी। उनसे वह कटुता भुलाकर उन्होंने रिश्तेदारी के लिए हां यूं ही नहीं कहा। परिवार के अंदर भी अखिलेश की अपनी विश्वसनीय टीम बने इसमें यह उनका मुख्य प्रयोजन रहा। रिश्तेदारी के बाद लालू के माध्यम से ही जनता परिवार के महाविलय की आयोजना को उन्होंने आगे बढ़ाया जिसमें लालू ने उन्हें सर्वमान्य नेता के रूप में स्वीकार किए जाने की भूमिका तैयार की। नई पार्टी का चुनाव चिह्नï भी साइकिल होगा यह संकेत मिले हैं। उत्तर प्रदेश में इसका कोई प्रत्यक्ष लाभ पार्टी को न दिखने की वजह से कई नेताओं ने नेता जी के सामने इस पर सवाल उठाए जिसके जवाब में मुलायम सिंह ने कहा कि सपा को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने के लिए यह जरूरी है। वैसे इस समय जबकि मोदी महाबली की तरह राष्ट्रीय राजनीति में जम चुके हैं और लोकसभा के अगले चुनाव का समय फिलहाल काफी दूर है। सपा को राष्ट्रीय दर्जा मिल जाने से क्या हासिल होने वाला है यह भी एक सवाल है पर मुलायम सिंह की दूरदृष्टि कमाल की है जिसकी वजह से वे अलक्षित निशाने साधते हैं। 

मुलायम सिंह बिहार के चुनाव तक पार्टी की राष्ट्रीय भूमिका को इतना आकर्षक बना देना चाहते हैं कि परिवार के सारे वरिष्ठ सदस्य उसमें खपने में असुविधा महसूस न करें। यह पैंतरा विधानसभा के अगले चुनाव तक शिवपाल सिंह को प्रदेश मंत्रिमंडल छोड़कर राष्ट्रीय भूमिका में आने के लिए रजामंद करने में कारगर सिद्ध हो सकता है। मुलायम सिंह द्वारा अपनी जासूसी का बयान देकर राजनीतिक सनसनी पैदा करने के पीछे दूसरे कारण भी हैं। मोदी का अपने घर गर्मजोशी से स्वागत उनके मुरीद वोट बैंक यानी मुसलमानों को बिल्कुल रास नहीं आया था। इसी बीच हासिमपुरा कांड के दोषी पीएसी जवानों को छोड़े जाने का अदालती फैसला सामने आ गया जिसकी अपील दायर करने में राज्य सरकार कोई रुचि नहीं दिखा रही। सांप्रदायिकता के चैंपियन की पार्टी की सरकार की धर्मनिरपेक्षता के धरातल पर ढुलमुल मानसिकता मुद्दा बनती जा रही है। इसे पाश्र्व में ढकेलने के लिए मुलायम सिंह ने इंदिरा गांधी की स्टाइल में दूसरा शिगूफा उछाल दिया। अपनी जासूसी की चर्चा के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्षों को जमीनों पर कब्जे जैसी करतूतों में शामिल होने के लिए फटकारने और इस मामले में सीमा से ज्यादा बढ़ चुके जिलाध्यक्षों को हटाने का आदेश जारी करके उन्होंने राजनीतिक चर्चाओं का रुख बदलने की कोशिश की है। इसी क्रम में सिंचाई विभाग में आरक्षण की प्रक्रिया से पदोन्नत अधिकारियों और कर्मचारियों को पदावनत करने का अखिलेश सरकार का फैसला सामने आया है। समाजवादी पार्टी को उम्मीद है कि इससे दूसरी तरह की बहसों का बवंडर तेज हो जाएगा और उसमें हासिमपुरा के पीडि़तों की आहें दबकर रह जाएंगी। मायावती ने जब अचानक लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस करने की घोषणा की थी तो समाजवादी पार्टी को लगा था कि अखिलेश सरकार द्वारा उठाए गए कदम के पीछे छिपी मंशा पूरा होने का मौका वे देंगी लेकिन मायावती आरक्षण के मुद्दे पर उतनी मुखर नहीं हुईं जितनी सपा को आशा थी। बहरहाल अभी और गर्मागर्म मुद्दे समाजवादी पार्टी और राज्य सरकार उपजाएगी। यह नेता जी का क्राइसिस मैनेजमेंट का अपना तरीका है।





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के पी सिंह 
ओरई 

मोदी के सांसद तंबाकू खाने का प्रचार कर रहे हैं : शिवसेना

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शिवसेना ने मंगलवार को अहमदनगर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद दिलीप एम. गांधी के उस बयान की आलोचना, जिसमें उन्होंने कैंसर और तंबाकू के बीच कोई संबंध नहीं होने की बात कही थी। पार्टी ने कहा कि इस बयान के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया जाना चाहिए। शिवसेना की ओर से यह टिप्पणी दिलीप के पिछले सप्ताह दिए गए उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि तंबाकू को कैंसर की वजह मानना गलत होगा। उनके इस बयान ने भारत और दुनियाभर के चिकित्सा जगत को चौंका दिया था।

शिवसेना ने कहा है कि गांधी के उस दावे से दुनियाभर का चिकित्सा जगत हैरान है कि इसका कोई प्रमाण नहीं है कि कैंसर की वजह तंबाकू है और तंबाकू खाना पचाने में मददगार है। शिवसेना ने मंगलवार को पार्टी के मुखपत्र 'सामना'के संपादकीय में लिखा, ''यह मत पूछिए कि उन्होंने (दिलीप) इस बारे में कब या कैसे शोध किया, लेकिन उन्होंने गुटखा व तंबाकू लॉबी पर बहुत बड़ा एहसान किया है। वहीं, तंबाकू विरोधी कार्यकर्ताओं को आहत किया है।''

शिवसेना ने गांधी के बयान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तंबाकू-रोधी अभियान शुरू किया है, जबकि दूसरी ओर उनकी पार्टी के सांसद लोगों के बीच 'बिंदास हो तंबाकू खाओ, कैंसर की फिक्र भगाओ'का प्रचार कर रहे हैं। पार्टी ने कहा कि मोदी ने पूरे देश की स्वच्छता का बीड़ा उठाया है, लेकिन उन्हें पहले उन लोगों पर नकेल कसनी चाहिए जो तंबाकू चबाकर सार्वजनिक जगहों पर यहां-वहां थूकते फिरते हैं।


सिमी के 5 संदिग्ध आतंकवादी तेलंगाना में भागने के प्रयास में मारे गए

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तेलंगाना के वारंगल जिले में मंगलवार को हिरासत से भागने का प्रयास कर रहे आतंकवाद के पांच आरोपियों को पुलिस ने मार गिराया। पुलिस के मुताबिक, इन आरोपियों को अदालत में सुनवाई के लिए हैदराबाद लाया जा रहा था। इस दौरान रास्ते में पांचों ने भागने की कोशिश की, तो पुलिस ने इन पर गोलियां चला दी। यह घटना हैदाबाद से लगभग 80 किलोमीटर दूर अलेर और जनगांव के बीच में घटी।

विकारुद्दीन अहमद और उसके चार साथी दो पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल थे। पांचों इस घटना में मारे गए। हैदराबाद में पुलिसकर्मियों पर सिलसिलेवार हमलों के बाद उन्हें 2010 में गिरफ्तार किया गया था। वे वारंगल केंद्रीय कारागार में बंद थे। यह घटना नलगोंडा जिले में हुई मुठभेड़ के बाद हुई है, जिसमें प्रतिबंधित संगठन, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के दो गुर्गों को मार गिराया गया था। इसमें एक पुलिसकर्मी भी शहीद हो गया था।

तेलंगाना में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ  इंडिया (सिमी) के सदस्य असलम के परिजनों ने उसका शव लेने से इंकार कर दिया है। पिछले दिनों तेलंगाना के नलगोंडा में हुई पुलिस मुठभेड़ में सिमी सदस्य असलम और एजाजुद्दीन मारे गए थे। उनकी शिनाख्त के लिए मध्य प्रदेश से पुलिस का एक दल घटनास्थल पर पहुंचा था। उसने मृतकों की पहचान सिमी सदस्यों के रूप में की।

खंडवा के पुलिस अधीक्षक एम.एस. सिकरवाड़ ने मंगलवार को बताया कि असलम खंडवा जिले का रहने वाला है। उसके परिजनों ने पुलिस को लिखित में दिया है कि वह उसका शव नहीं लेना चाहते। उल्लेखनयीय है कि खंडवा जेल से सिमी के सात सदस्य फरार हुए थे। मुठभेड़ में मारे गए असलम और एजाजुद्दीन उन्हीं सात सदस्यों में से थे।


पांच मई से जम्मू कश्मीर की ग्रीष्म कालीन राजनधानी श्रीनगर में होगी

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जम्मू कश्मीर की राजधानी स्थानान्तरित होने की प्रकि्या आगामी 25अप्रैल से शुरू हो जाएगी और सरकारी कार्यालय पांच मई से श्रीनगर में खुल जाएंगे । जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से यहां जारी आदेश के अनुसार जिन कार्यालयों में हफ्ते में पांच दिन कामकाज होता है वे 24अप्रैल से बंद हो जाएंगे जबकि छह दिन वाले कार्यालय 25 अप्रैल से बंद होंगे । आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि सभी कार्यालय पांच मई को श्रीनगर में खुलेंगे । 

सभी विभागों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कामकाज के अंतिम दिन के बाद सभी दस्तावेज बक्से में पैक कर दिये जायं । सभी विभागों को अपनी ऐडवांस पार्टी श्रीनगर में दस्तावेज प्राप्त करने के लिए 20 अप्रैल को यहां से रवाना कर देना होगा जिसमें एक राजपत्रित और पांच गैर राजपत्रित अधिकारी होने चाहिए ।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने प्रधानमंत्री मोदी से की मुलाकात

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जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और राज्य के हालात के बारे में उन्हें अवगत कराया। एक मार्च को मुख्यमंत्री बनने के बाद सईद की प्रधानमंत्री के साथ यह पहली आधिकारिक मुलाकात है। यह मुलाकात कैबिनेट विस्तार की खबरों की पष्ठभूमि में हुयी है जिसमें कहा जा रहा है कि उनकी पार्टी पीडीपी को मंत्री का एक पद मिल सकता है।

इससे पहले सईद और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बीच एक बैठक हुयी। गृह मंत्री के साथ बैठक में सईद ने उन्हें राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति, खासकर पुलिस बलों पर हालिया हमलों के बारे में अवगत कराया। शोपियां जिले में लश्कर ए तैयबा के संदिग्ध आतंकिवादियों ने कल तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। कल रात पहुंचे सईद का जम्मू कश्मीर के विकास से जुड़ी चर्चा के लिए सभी अहम कैबिनेट मंत्रियों से मुलाकात का कार्यक्रम है।

जीतनराम मांझी जनता परिवार में नहीं जाएंगे

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने दरभंगा में कहा कि वो आरजेडी के साथ गठबंधन नही करेंगे. मांझी ने कहा, सीएम से हटाने में लालू यादव ने कोई कसर नहीं छोड़ी. खबरें आ रही थीं कि विलय के बाद लालू यादव बिहार में दलित वोट बैंक के लिए जीतनराम मांझी को समझा-बुझा रहे हैं. विलय की खबरों के बीच कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने जनता परिवार के नेताओं के कांग्रेस में आने का न्योता दिया है. दिग्विजय सिंह ने सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए साथ में आने की अपील की और कहा, आप सभी को पुरानी पार्टी में आने की आग्रह करता हूं.

बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (युनाइटेड) के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि बहुत जल्द ही पुराने जनता दल परिवार के विलय की घोषणा की जाएगी. नई दिल्ली से पटना लौटने के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, "समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव बहुत जल्द एक बैठक बुलाएंगे, जिसके बाद विलय की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी."उल्लेखनीय है कि रविवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें राजद ने पार्टी अध्यक्ष को सभी तरह के फैसलों के लिए अधिकृत किया और सर्वसम्मति से विलय के लिए सहमति दे दी थी.

बैठक के बाद लालू प्रसाद ने घोषणा की थी कि जनता दल परिवार का विलय हो चुका है, बस औपचारिक घोषणा बाकी है. जद (यू) के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो जद (यू) भी अगले एक-दो दिनों में विलय को लेकर नीतीश कुमार को अधिकृत कर देगी.

घऱ नहीं बैठूंगा, ईमानदार राजनीति करूंगा : योगेंद्र यादव

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आम आदमी पार्टी (आप) के विभिन्न पदों से हटाए जा चुके योगेंद्र यादव ने कहा है कि रामलीला मैदान में जो मशाल जलाई गई है, उसे बुझने नहीं दिया जाएगा। अब मेरा संकल्प और पक्का हो गया है। अब मैं घर नहीं बैठूंगा, देश में जाकर ईमानदार राजनीति के लिए काम करूंगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान ही पार्टी में अंतर्कलह शुरू हो गई थी। हमने और प्रशांत ने उम्मी दवारों के चयन पर सवाल उठाए थे। राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाहर संजय, सिसोदिया, पंकज और गोपाल की चिट्ठी का हमने जवाब दिया। मैंने पार्टी के भीतरी मामले सुलझाने की कोशिश की, लेकिन गलत के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाई, इसलिए हमें बाहर किया।

उनके मुताबिक, आप की लड़ाई से कार्यकर्ताओं का हौंसला टूटा है। इससे पूरे देश को नुकसान हुआ है। अब मैं कालर खड़ी कर नहीं कह सकता कि मैं पार्टी का खास हूं। मीडिया में आ रही खबरों से आप को नुकसान है। आप के कारण पार्टी की राजनीति में लोग रुचि लेने लगे हैं। यादव ने यह बातें चंडीगढ़ के सेक्टर 36 में मंगलवार को अपने समर्थकों की बैठक के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि पार्टी में झूठ की राजनीति हो रही है। आगे क्या करना है, इस पर 14 अप्रैल को गुड़गांव में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में होगा। उन्होंने कहा कि मैं यहां कार्यकर्ताओं से बात करने और उनकी बात सुनने आया हूं। जो मसाल जलाई है, उसे जलाए रखना है। आगामी बैठक पार्टी बनाने या किसी के खिलाफ नहीं होगी।

हालांकि इस बैठक में शिरकत करने के लिए प्रशांत भूषण नहीं आए। इस बैठक में हरियाणा के राजीव गोदरा सहित कई समर्थक शामिल हैं। गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में सांसदों को नमक की थैली भेंट करने की रणनीति भी यादव ने चंडीगढ़ में ही तैयार की थी। वहीं, मंगलवार को ही अरविंद केजरीवाल गुट के नवीन जयहिंद ने भी योगेंद्र यादव के समानांतर चंडीगढ़ में ही पार्टी की बैठक बुलाई है। बैठक के बाद जयहिंद समर्थक आइएएस अशोक खेमका के तबादले के विरोध में और किसानों को मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर राजभवन में दस्तक देने का कार्यक्रम है।

योगेंद्र व जयहिंद के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। दोनों एक दूसरे पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करने का कोई मौका नहीं चूकते। नवीन जयहिंद का कहना है कि 'हमारी बैठक में हरियाणा व चंडीगढ़ के कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे। हम पार्टी के बैनर पर मीटिंग कर रहे हैं और दूसरों की पार्टी मीटिंग नहीं है।

कांग्रेस 11 अप्रैल को अपनी मांगों को लेकर रैली निकालेगी

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पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि भाजपानीत केन्द्र सरकार किसान विरोधी फैसले ले रही है और खाद्यान्न के न्यूनतम समर्थन मूल्य को ठंडे बस्ते में डालने के साथ केन्द्र की पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा शुरु की गयी किसानों को बोनस देने की योजना को वापस ले लिया है। 

पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने बेमौसम बरसात से प्रभावित किसानों को मुआवजे की धनराशि जारी करने में केन्द्र सरकार द्वारा किये जा रहे विलम्ब की निंदा करते हुए कहा कि इससे किसानों के प्रति मोदी सरकार के उपेक्षात्मक रवैये का पता चलता है। उन्होंने खुलासा किया कि केन्द्र सरकार गेहूं का आयात कर रही है जिससे पता चलता है कि केन्द्र द्वारा कम उत्पादन की आशा की जा रही है साथ ही उसकी खरीद भी कम रहेगी। 

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि बेमौसम बरसात से खाद्यान्न और आवश्यक वस्तुओं की मुद्रास्फीति दर बढेगी, साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि अच्छे दिनों का तथाकथित दावा करने वाली मोदी सरकार आम आदमी को राहत पहुंचाने में असफल रही है।

मैं माचिस लेकर सफ़र करता हूं, मेरी चेकिंग भी नहीं होती: विमानन मंत्री

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केंद्रीय विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू विवादास्पद बयान देकर विवादों में घिर गए हैं। मंगलवार को दिए अपने एक बयान में उन्होंने कहा कि वह अक्सर हवाई यात्रा के दौरान माचिस की डिब्बी लेकर चलते हैं और अक्सर वह ऐसा करके कानून को तोड़ते हैं। उनकी कोई चेकिंग भी नहीं होती।

उनके बयान से देश में हवाई सुरक्षा की पोल खुलती हुई नजर आती है। गणपति राजू ने कहा है कि वो माचिस (मैच बॉक्स) लेकर विमान के अंदर चले जाते हैं और उनकी कोई चेकिंग (जांच-पड़ताल) नहीं होती।

राजू का यह भी कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सुना कि माचिस की वजह से दुनिया के किसी भी जगह सुरक्षा में कोई चूक होने की घटना सामने आई हो। वह चाहते हैं कि इससे जुड़ी सुरक्षा ड्रील को और अर्थपूर्ण बनाया जाए। ताकि सुरक्षा के स्तर पर किसी भी किस्म की कोई चूक नहीं हो। उन्होंने कहा कि मैं जबसे नागरिक उड्डयन मंत्री बना हूं, मेरी जांच नहीं होती है। मेरे साथ सिगरेट की पैकेट और लाइटर भी रहता है, लेकिन कोई चेक नहीं करता।

उन्होंने कहा कि प्लेन को माचिस की डिब्बी से कैसे हाइजैक किया जा सकता है। पूरी दुनिया में मैंने ऐसी कोई घटना नहीं सुनी है, जहां माचिस की डिब्बी किसी भी तरह का खतरा बनी हो। मंत्री अशोक गजपति राजू ने एक कार्यक्रम में कहा कि मैं बहुत ज्यादा स्मोकिंग करता हूं, इसलिए हमेशा मेरे साथ माचिस की डिब्बी होती है। साथ ही मैं उसे प्लेन में भी लेकर जाता हूं।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर (07 अप्रैल)

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अब 40 प्रतिशत चमक विहीन गेहूं खरीदी जावेगा

राज्य शासन द्वारा निर्देशित किया गया है कि असमय बारिश एवं ओला पाला से फसल प्रभावित हुई है एवं गेहूं की चमक कम हुई है, इस स्थिति को देखते हुए किसानों से 10 के स्थान पर 40 प्रतिशत तक चमक विहीन गेहूं खरीदा जाए। इसी प्रकार सिकुड़े एवं टूटे दाने 6 प्रतिशत के स्थान पर 10 प्रतिशत तक होने पर भी गेहूं खरीदी जाए। जिला आपूर्ति अधिकारी सीहोर ने बताया कि उक्त खरीदी किये गये गेहूं के बोरों पर अलग-अलग प्रकार से चिन्ह लगाया जावेगा तथा एफ.ए.क्यू. गेहूं से पृथक भण्डारण किया जावेगा। उक्त जानकारी के प्रचार-प्रसार एवं कोटवारों से मुनादी हेतु कलेक्टर डाॅ. सुदाम खाडे द्वारा समस्त अनुविभागीय अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है। जिला प्रशासन द्वारा अपील की गई है कि ‘‘किसान आपना गेहूं सुखाकर एवं साफ करके लावे - असुविधा से बचे’’। 

‘‘14 अप्रैल को नलजल योजना संचालन हेतु  पेयजल उपसमिति का गठन करे‘‘

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ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु में किसी भी प्रकार पेयजल संकट व्याप्त न हो, इसके लिऐ ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र में कार्यरत अधिकारी/कर्मचारी सतत् निगरानी रखे, तथा उसकी नियमित मोनिटरिंग की जाये। पेयजल व्यवस्था से संबंधित विभाग अपने-अपने कार्यालयो में एक कन्ट्रोल रूम की स्थापना करे। तथा ग्रामीण क्षेत्र में हैण्डपम्प बिगडने पर पी.एच.ई विभाग के कन्ट्रोल रूम को सूचित करे। उपखण्ड स्तर पर पी.एच.ई विभाग द्वारा कन्ट्रोल रूम की स्थापना क्रमषः सीहोर, आष्टा, बुदनी, इछावर, नसरूल्लागंज में की गई है। इस तरह के निर्देष एवं जानकारी सीहोर कलेक्टर, श्री सुदाम खाडे द्वारा आज आयोजित विडियों कांफ्रेस में दिये। गौरतलब है कि विडिया कांफे्रसिंग सीहोर जिलो के पाॅच विकासखण्ड क्रंमषः सीहोर, इछावर, आष्टा, बुदनी, नसरूल्लागंज के साथ की गई। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कोनिर्देषित किया गया है, कि हर हालत में दिनांक 14. अप्रैल,2015 को आयोजित ग्राम सभा में नलजल योजना के संचालन/संधारण हेतु पेयजल उपसमिति का गठन किया जावे। वर्तमान में जिले में इस समय 260 नलजल योजनाएं है। पेयजल उपसमिति ही भविष्य में संबंधित नलजल योजनाओं का संचालन/संधारण करेगी। नलजल योजना के संचालन/संधारण के अन्तर्गत बिजली बिल का जमा किया जाना, पाईप लाईन में टूट-फूट होना, ट्रांसफारमर का बिगड जाना, पम्प आॅपरेटर की व्यवस्था करना, पम्प जलजाना इत्यादि की जिम्मेदारी पंचायत की पेयजल उपसमिति की होगी। नलजल योजना का जल स्त्रोत सूख जाने परे नवीन जल स्त्रोत पी.एच.ई विभाग करायेगा। विडिया कांफ्रेस में डाॅ. रामाराव भोसले मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, श्री शषि भूषण सिंह अतिरिक्त कलेक्टर, श्री एम.सी. अहिरवार कार्यपालन यंत्री पी.एच.ई. श्री राजीव सिंह जिला परियोजना अधिकारी, महिला बाल विकास,  श्री रवि सिंह अनुविभागीय अधिकारी सीहोर,    श्री त्रिपाठी उपसंचालक पंचायत एवं सामाजिक न्याय, इत्यादि जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे। 

टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश) की खबर (07 अप्रैल)

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शत-प्रतिशत बच्चों का हो टीकाकरण: कलेक्टर 
  • मिशन इंद्रधनुष का हुआ शुभारंभ, जिले में 305 ग्राम चिन्हित

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टीकमगढ़, 7 अप्रैल 2015। कलेक्टर श्री केदार शर्मा ने कहा कि जिले में दो वर्ष तक के सभी बच्चों एवं गर्भवती माताओं का टीकाकरण हो यह सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा मिशन इंद्रधनुष के तहत चिन्हित 305 ग्रामों में सभी चिन्हित बच्चों एवं गर्भवती माताओं का शत-प्रतिशत टीकाकरण किया जाना आवश्यक है। श्री शर्मा ने आज समीपस्थ ग्राम चकरा में आंगनवाड़ी केंद्र क्र. 23-अ पर मिशन इंद्रधनुष के शुभारंभ अवसर पर ये विचार व्यक्त किये।

टीकाकरण से कोई भी बच्चा वंचित नहीं रहे
श्री शर्मा ने कहा कि जन्म के पहले साल में ही बच्चे का पूर्ण टीकाकरण हो जाने से बच्चे को जीवन भर स्वस्थ्य जीवन का बेहतर अवसर प्राप्त होता है। उन्होंने निर्देशित किया कि सभी संबंधित विभाग आपस में पूर्ण समन्वय से शत-प्रतिशत टीकाकरण करायें, टीकाकरण से कोई भी बच्चा वंचित नहीं रहे। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. ए.के. तिवारी, जिला टीकाकरण अधिकारी डाॅ. पी.के. जैन, डाॅ. बी.के गुप्ता, डब्लू.एच.ओ. से एस.एम.ओ. डाॅ. अमित गंभीर, यूनीसेफ से श्री अंशुमान मैत्रा, स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं चिन्हित बच्चे तथा गर्भवती मातायें उपस्थित रहे। इस केंद्र पर 19 बच्चे चिन्हित थे जिनका टीकाकरण किया गया।

कुचबंदिया मुहल्ले में किया अवलोकन
कलेक्टर श्री शर्मा ने इसके पश्चात नये बस स्टेंड के समीप कुचबंदिया मुहल्ले में भी मिशन इंद्रधनुष के तहत आंगनवाड़ी केंद्र मे ंचल रहे टीकाकरण कार्य को देखा तथा जानकारी प्राप्त की। श्री शर्मा प्रतिदिन शाम को मिशन इंद्रधनुष के तहत संचालित टीकाकरण की समीक्षा भी करेंगे।

रैली निकालकर किया जागरूक
आज प्रातः मिशन इंद्रधनुष के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिये प्रशिक्षु ए.एन.एम. एवं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा रैली निकाली गई। इस रैली में कलेक्टर श्री केदार शर्मा, जिला टीकाकरण अधिकारी डाॅ. पी.के. जैन एवं अन्य संबंधित लोग भी शामिल हुए। 

मिशन इन्द्रधनुष
ज्ञातव्य है कि मिशन इन्द्रधनुष प्रथम फेस अंतर्गत प्रथम चरण 07 से 14 अप्रैल 2015 के मध्य एवं  आगामी मई, जून, जुलाई, में भी माह के सात दिवसों में भी सतत् रूप से चलने वाला सपूर्ण टीकाकरण कार्यक्रम हैं जो वर्ष 2020 तक चलेगा। यह शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की एक अनूठी पहल है। मिशन इन्दधनुष के तहत बच्चों के छूटे हुए टीकों की पूर्ति कर बचपन में होने वाली आठ जान लेवा बीमारियों से शिशु को सुरक्षित करना हैं। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी। 

जनपद पंचायतों के सम्मिलन 16 एवं 17 अप्रैल को 

टीकमगढ़, 7 अप्रैल 2015। मध्यप्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 47 के तहत जिले की नव निर्वाचित समस्त छः जनपद पंचायतों में विभिन्न स्थायी समितियों का गठन किया जाना है। इस हेतु कलेक्टर टीकमगढ़ द्वारा मध्यप्रदेश पंचायत तथा जिला पंचायत स्थायी समितियों नियम 1994 के नियम 6 के प्रावधानों के तहत जनपद पंचायतों की स्थायी समितियों के गठन/निर्वाचन के लिये पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। पीठासीन अधिकारी नियत पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों की बैठक कर स्थायी समितियों का गठन/निर्वाचन पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के तहत करवाकर गठित समितियों की सूची कार्यालय को भिजवायेंगे। तदनुसार टीकमगढ़ जनपद हेतु श्री एस.एल. सोनी अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), बल्देवगढ़ हेतु श्री प्रियंक मिश्रा अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), जतारा एवं पलेरा हेतु श्री बी.के. पाण्डेय अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) तथा निवाड़ी एवं पृथ्वीपुर हेतु श्री अतेंद्र सिंह गुर्जर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है। इस हेतु बल्देवगढ़, पृथ्वीपुर एवं पलेरा में 16 अप्रैल को तथा टीकमगढ़, निवाड़ी एवं जतारा में 17 अप्रैल को सम्मिलन आयोजित किये जायेंगे। 

जिले में पेयजल व्यवस्था निगरानी हेतु कंट्रोल रूम स्थापित 

टीकमगढ़, 7 अप्रैल 2015। कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग टीकमगढ़ श्री महेंद्र सिंह ने बताया है कि ग्रीष्म ऋतु मेें ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल व्यवस्था को सतत बनाये रखने एवं हैण्डपंपों को क्रियाशील रखने हेतु कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। तदनुसार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी खंड टीकमगढ़ में दूरभाष क्र. 07683-242406 पर, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी उपखंड टीकमगढ़ में 07683-240290 पर, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी उपखंड जतारा में 07681-254035 तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी उपखंड निवाड़ी में 07680-232018 पर बंद या खराब हेंडपंपों की सूचना दी जा सकती है। इसके साथ ही बंद हैंडपंपों की शिकायत कंट्रोल रूम के अतिरिक्त संबंधित अधिकारियों को भी दर्ज करा सकते है। तदनुसार श्री ए.आर.अहिरवार सहायक यंत्री लो.स्वा.यां.वि. टीकमगढ़ को मो. 09907435381 पर, श्री बी.जी. अहिरवार सहायक यंत्री लो.स्वा.यां.वि. जतारा को मो. 09993269474 पर, श्री एस.पी.सिंह सहायक यंत्री लो.स्वा.यां.वि. निवाड़ी को मो. 09450071874 पर, श्री करन वास्कले उपयंत्री लो.स्वा.यां.वि. बल्देवगढ़ को मो. 09754194317 पर, श्री हेमंत शर्मा उपयंत्री लो.स्वा.यां.वि. बल्देवगढ़ को मो. 09755352210 पर, श्री विनोद गुप्ता उपयंत्री लो.स्वा.यां.वि. जतारा को मो. 09926297307 पर, श्री राकेश सिंह कौशल उपयंत्री लो.स्वा.यां.वि. पलेरा का मो. 09663903924 पर, श्री अनिल कुमार लगरखा उपयंत्री लो.स्वा.यां.वि. निवाड़ी को मो 09415509275 पर तथा श्री जे.पी. अहिरवार उपयंत्री लो.स्वा.यां.वि. पृथ्वीपुर को मो 09893017833 पर बंद या खराब हेंडपंपों की सूचना दी जा सकती है। 

बालाघाट (मध्यप्रदेश) की खबर (07 अप्रैल)

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जिला एवं जनपद पंचायत की स्थाई समितियों के गठन के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त
  • 10 एवं 13 अप्रैल को होगा स्थाई समितियों का गठन

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म.प्र. पंचायत राज अधिनियम 1993 के प्रावधानों के अनुसार कलेक्टर द्वारा जिला पंचायत एवं जनपद पंचायतों की स्थाई समितियों के गठन की तिथियां तय कर दी गई है। स्थाई समितियों के गठन के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर दिये गये है। जिला पंचायत की स्थाई समितियों के गठन की कार्यवाही आगामी 13 अप्रैल 2015 को सम्पन्न कराई जायेगी। जिला पंचायत की स्थाई समितियों के गठन के लिए आयोजित किये जाने वाले जिला पंचायत सदस्यों के सम्मेलन की अध्यक्षता करने संयुक्त कलेक्टर श्री डी.एस. परस्ते को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है। जिले की 10 जनपद पंचायतों में स्थाई समितियों के गठन के लिए 10 अप्रैल 2015 की तिथि निर्धारित की गई है। जनपद पंचायतों की स्थाई समितियों के गठन के लिए जनपद पंचायत सदस्यों के सम्मिलन की अध्यक्षता करने पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर दिये गये है। जनपद पंचायत बालाघाट की स्थाई समितियों के गठन के लिए डिप्टी कलेक्टर श्री पीयूष भट्ट को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है। इसी प्रकार जनपद पंचायत किरनापुर के लिए लांजी के तहसीलदार श्री सी.एल. चौहान, जनपद पंचायत लांजी के लिए अनुविभागीय अधिकारी श्री ओ.पी. सनोडिया, जनपद पंचायत वारासिवनी के लिए तहसीलदार श्रीमती मीनाक्षी इंगले तथा जनपद पंचायत कटंगी के लिए अनुविभागीय अधिकारी श्री जी.सी. डेहरिया को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है। जनपद पंचायत खैरलांजी की स्थाई समितियों के गठन के लिए तहसीलदार श्री दिलीप सिंह मंडावी, जनपद पंचायत लालबर्रा के लिए तहसीलदार श्री बेक, जनपद पंचायत बैहर के लिए  तहसीलदार श्री आर.एन. वर्मा, जनपद पंचायत बिरसा के लिए संयुक्त कलेक्टर श्री एस.सी. परस्ते तथा जनपद पंचायत परसवाड़ा के लिए तहसीलदार श्री ककोड़िया को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है। 

वोटर कार्ड को आधार कार्ड से लिंक कराने 12 अप्रैल को मतदान केन्द्रों पर विशेष शिविर का आयोजन
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के शुध्दीकरण एवं प्रमाणीकरण के लिए मतदाताओं के मतदाता परिचय पत्र को उनके आधार कार्ड नम्बर से लिंक कराने के निर्देश दिये है। इसी कड़ी में आगामी 12 अप्रैल को जिले के प्रत्येक मतदान केन्द्र पर मतदाता परिचय पत्र को आधार कार्ड नम्बर से लिंक कराने आधार कार्ड नम्बर की जानकारी प्राप्त करने विशेष शिविर लगाये जायेंगें। प्रभारी कलेक्टर श्री तरूण राठी ने 12 अप्रैल को मतदान केन्द्र पर आयोजित विशेष शिविर में बी.एल.ओ., ग्राम पंचायत के सचिव, आंगनवाड़ी कार्र्यकत्ता, स्वास्थ्य कार्र्यकत्ता एवं नेहरू युवा केन्द्र के सदस्य को अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिये है। 12 अप्रैल को मतदान केन्द्र पर आयोजित विशेष शिविर में बी.एल.ओ.,ग्राम पंचायत के सचिव, आंगनवाड़ी कार्र्यकत्ता, स्वास्थ्य कार्र्यकत्ता एवं नेहरू युवा केन्द्र के सदस्य उपस्थित रहकर जिन मतदाताओं के आधार कार्ड बन गये है, उन मतदाता का नाम, विधानसभा क्षेत्र का नाम व क्रमांक, मतदाता का वोटर आई.डी. नम्बर, आधार कार्ड नम्बर एवं मोबाईल नम्बर की जानकारी एक प्रपत्र में प्राप्त करेंगें। मतदान केन्द्र पर आयोजित शिविर में प्राप्त जानकारी बी.एल.ओ. द्वारा 13 अप्रैल को निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को प्रस्तुत की जायेगी। निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी यह जानकारी 14 अप्रैल को जिला निर्वाचन कार्यालय में प्रस्तुत करेगा। मतदाता के वोटर कार्ड को उनके आधार कार्ड नम्बर से लिंक कराने के लिए 19 अप्रैल एवं 26 अप्रैल को भी मतदान केन्द्र पर शिविर लगाया जायेगा। इसके अलावा जिन मतदाताओं के आधार कार्ड नं. की जानकारी मतदान केन्द्र पर लगने वाले विशेष शिविर में नहीं ली जा सकी है, उनके आधार नम्बर की जानकारी के लिए 15 अप्रैल से 14 मई 2015 तक प्रत्येक शनिवार एवं रविवार को बी.एल.ओ. द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं के आधार कार्ड नम्बर एवं मोबाईल नम्बर की जानकारी प्राप्त की जायेगी। मतदाताओं से भी अपील की गई है कि यदि उनके आधार कार्ड बन गये हों तो वे 12 अप्रैल को अपने मतदान केन्द्र पर जाकर अपने वोटर कार्ड को आधार कार्ड नम्बर से लिंक कराने चाही गई जानकारी प्रदान करें। मतदाताओं की जागरूकता मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

मनरेगा में मजदूरी कर दर बढ़कर 159 रुपये हुई
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में अकुशल श्रमिकों की एक दिन की मजदूरी में दो रुपये का इजाफा हुआ है। अब मनरेगा में काम करने वाले अकुशल श्रमिकों को रोजाना 159 रुपये मजदूरी मिलेगी। यह दर एक अप्रैल, 2015 से लागू हो गई है। ऐसी अधिसूचना भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी की गई है। एक अप्रैल, 2014 से मनरेगा में अकुशल श्रमिक की दैनिक मजदूरी दर 157 रुपये थी। मनरेगा आयुक्त श्रीमती सीमा शर्मा ने मजदूरी की नई दरों को लागू करने के निर्देश प्रदेश के समस्त जिलों को दिये हैं।

अप्रशिक्षित शिक्षकों की अर्हता की जानकारी 10 अप्रैल तक माँगी
राज्य शिक्षा केन्द्र ने जिला शिक्षा अधिकारियों से अशासकीय स्कूल के अप्रशिक्षित शिक्षकों की अर्हता संबंधी जानकारी 10 अप्रैल तक माँगी है। केन्द्र ने पूर्व में भी अशासकीय स्कूलों में कार्यरत अप्रशिक्षित शिक्षकों की जानकारी निर्धारित प्रपत्र में भेजने के निर्देश दिये थे। कुछ जिलों से प्रायवेट स्कूलों द्वारा सीधे जानकारी भेजी जा रही थी। केन्द्र ने इसे उचित नहीं माना है। सभी डीईओ से कहा गया है कि वे निर्धारित तिथि तक जानकारी भेजें अन्यथा माना जायेगा कि उनके जिले में कोई अप्रशिक्षित शिक्षक शेष नहीं है। इस संबंध में किसी भी स्थिति के निर्मित होने पर संबंधित डीईओ ही उत्तरदायी माने जायेंगे।
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