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विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (08 अप्रैल)

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मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत आवेदन आमंत्रित

  • रामेश्वरम तीर्थ दर्शन के लिए तीर्थ यात्री एक मई को रवाना होंगे

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मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत जिले के तीर्थ यात्री एक मई को स्पेशल टेªन जो विदिशा से रामेश्वरम् तीर्थ दर्शन के लिए रवाना होगी। जिले के तीर्थ यात्रिओं से निर्धारित प्रारूप में आवेदन 23 अपै्रल तक आमंत्रित किए गए है। इच्छुक तीर्थ यात्री अपने आवेदन में समुचित जानकारियां अंकित करने के उपरांत अंतिम तिथि तक नजदीक के तहसील कार्यालय में जमा कर सकते है। लक्ष्य से अधिक आवेदन प्राप्त होने पर तीर्थ यात्रिओं का चयन कम्प्यूटर रेण्डमाइजेशन प्रणाली से किया जाएगा।  मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना की जिला नोड्ल अधिकारी श्रीमती नेहा भारती ने जानकारी देते हुए बताया है कि धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के द्वारा जिले को 247 तीर्थ यात्रिओं का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। तीर्थ यात्रिओं के साथ सुरक्षा के लिए एक चार का गार्ड भी भेजा जाएगा। इसके अलावा पांच अनुरक्षक भी तीर्थ यात्रिओं के साथ रवाना होंगे। तीर्थ यात्री विदिशा रेल्वे स्टेशन से एक मई को रवाना होंगे और छह मई को वापिस आएंगे। नोड्ल अधिकारी ने समस्त तहसीलदारों को निर्देश दिए है कि मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के प्राप्त आवेदनों को 23 अपै्रल की शाम तक जिला मुख्यालय की मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना शाखा को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें ताकि चयनित तीर्थयात्रिओं की सूची 25 अपै्रल तक संचालक तीर्थ दर्शन योजना एवं आईआरसीटीसी को उपलब्ध कराई जा सकें। चयनित तीर्थ यात्रिओं को विदिशा रेल्वे स्टेशन तक अपने संसाधनों से पहुंचना होगा।

दो प्रकरणों में आर्थिक मदद जारी

विदिशा उपखण्ड अधिकारी श्री आरपी अहिरवार ने आरबीसी के दो प्रकरणों में आर्थिक मदद जारी कर दी है। 
जारी आदेश में उल्लेख है कि विदिशा तहसील के ग्राम बर्रो के श्री राजेन्द्र पुत्र हरीसिंह कुशवाह की मृत्यु अग्नि दुर्घटना में हो जाने के कारण मृतक की पत्नी श्रीमती वैजन्तीबाई को एक लाख पचास हजार रूपए की तथा ग्राम गढ़ला के श्री विजय सिंह रघुवंशी की मृत्यु सर्पदंश से हो जाने के कारण मृतक की पत्नी श्रीमती लक्ष्मीबाई को पचास हजार रूपए की आर्थिक सहायता जारी की गई है।

अमानक उर्वरक के क्रय विक्रय पर प्रतिबंध

प्रयोगशाला को भेजे गए नमूनांे में से अमानक स्तर के पाए गए उर्वरक, स्कंध लाट/बैच को विदिशा जिले में क्रय विक्रय और भण्डारण के साथ-साथ परिवहन पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करने के आदेश अनुज्ञापन अधिकारी (उर्वरक) एवं किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक श्री बीएल बिलैया के द्वारा जारी कर दिए गए है। जारी आदेश में उल्लेख है कि उर्वरक निर्माता कंपनी मैसर्स खेतान केमिकल्स एण्ड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड निमरानी जिला खरगौन का उर्वरक एसएसपी 16 प्रतिशत लाट नम्बर दिसम्बर 2014 का सेम्पल प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति ग्यारसपुर से उर्वरक निरीक्षक द्वारा लिया गया था। जो प्रयोगशाला से रिपोर्ट के आधार पर विश्लेषण सही नही पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से पूर्व उल्लेखित लाट नम्बर के उर्वरक को प्रतिबंधित किया गया है।

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (08 अप्रैल)

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जमीनी हकीकत से कोसों दूर चारधाम यात्रा तैयारियों के दावे, भगवान भरोसे ही यात्रा करेंगे श्रद्धालु
  • यात्रा मार्ग की अधिकांश सड़कें बेहद खस्ता हाल, प्री-फैब्रिक शौचालय के दावों में नहीं कोई सच्चाई
  • ट्रामा सेंटरों में भी नहीं हो सकीं पूरी व्यवस्थाएं, जीएमवीएन की तैयारियों को भी नहीं गया परखा

देहरादून 8 अप्रैल । सरकार के पर्यटन मंत्री और अफसर देहरादून में बैठकर चारधाम यात्रा की तैयारियों के चाक-चैबंद होने के दावे कर रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं अलग है। यात्रा मार्गों की हालत बेहद खस्ता है और अन्य जरूरी सुविधाएं भी महज कागजों में पूरी कर ली गईं लगती है। अगर अब भी सरकारी सिस्टम नहीं चेता तो इस बार यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान के भरोसे ही अपनी यात्रा पूरी करनी होगी। चारधाम यात्रा सीजन शुरू होने में अब चंद रोज ही बाकी है। सरकार की ओर से तमाम व्यवस्थाएं चाक-चैबंद होने के लगातार दावे किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि सबकुछ दुरुस्त कर लिया गया है। इस बार यात्रियों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी। न्यूज वेट ने सरकार के इन दावों की पड़ताल कराई तो पता चला कि सब कुछ वैसा नहीं है, जैसा कि दावा किया जा रहा है। सरकार का पूरा फोकस केवल केदारधाम और कुछ हद तक बदरीनाथ धाम पर ही है। गंगोत्री और युमनोत्री धाम की ओर अभी तक किसी की तव्वजो नहीं गई है। पहले बात खस्ताहाल सड़कों की। केदारनाथ धाम की सड़क को ऋषिकेश से देवप्रयाग तक ही ठीक कहा जा सकता है। इससे आगे की सड़क जगह-जगह अभी भी क्षतिग्रस्त है। कहीं गढ्डे हैं तो कई सड़क टूटी है। कई स्थानों पर अभी भी मलबा पड़ा हुआ है। रुद्रप्रयाग के कलियासौंण के बीच की सड़क बेहद खराब है। केदारनाथ धाम के रास्ते में आने वाले पैणी, हैलंग, गौरीकुंड और सोनप्रयाग में सड़क की स्थिति को ठीक नहीं कहा जा सकता है। बदरीनाथ धाम के लिए जाने वाली सड़क गौचर, कर्णप्रयाग और नंदप्रयाग में खस्ता हाल है। हनुमान चट्टी के पास सड़क आपदा के वक्त टूटी थी। इसे अब तक ठीक नहीं किया जा सका है। यमुनोत्री धाम की बात करें तो इसकी सड़क को देहरादून से यमुना पुल तक ही ठीक कहा जा सकता है। इससे आगे डामरा, नौगांव से यमुनोत्री तक रास्ता बेहद खराब है। इस धाम का पांच किलोमीटर लंबे पैदल ट्रैक की भी किसी ने सुध नहीं ली है। गंगोत्री धाम की बात करें तो यह मार्ग बड़कोट और धरासू बैंड तक ही ठीक है। इसके आगे ब्रह्मखाल, भटवाड़ी,गंगानानी,हर्षिल तक सड़क बेहद ही खराब है। सरकार की ओर से यात्रा मार्गों पर प्री-फैब्रिक शौचालय की बात की जा रही है। जमीनी हकीकत बता रही है कि यह काम अभी तक सरकारी फाइलों में ही चल रहा है। जगह-जगह पीने के पानी की व्यवस्था का दावा भी हवाई ही साबित हो रहा है। गढ़वाल मंडल विकास निगम या फिर पर्यटन विभाग के पास इस बात का कोई डाटा नहीं है कि यात्रा मार्ग पर एक समय में अधिकतम कितने यात्रियों के कहां-कहां ठहरने का इंतजाम हो सकता है। रास्ते के अस्पतालों में बने ट्राम सेंटरों की व्यवस्थाओं को अब तक दुरुस्त नहीं किया जा सका है। जाहिर है कि सरकारी तंत्र के दावों और जमीनी हकीकत में कोई समानता नहीं है। सरकार भले ही देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तमाम व्यवस्थाएं करने की बात प्रचारित कर रही है। लेकिन सच्चाई यही है कि इस बार भी यात्रा भगवान के भरोसे ही होगी।

भगवान पुर उप चुनावः ममता राकेश की जीत को पक्की मानकर लड़ रही कांग्रेस, बेहद दिलचस्प मोड़ पर पहुंचा सियायी संग्राम
  • कांग्रेस संगठन ने झोंक दी अपनी पूरी ताकत, मुख्यमंत्री हरीश खुद भी जुटे चुनाव प्रचार में

देहरादून 8 अप्रैल । भगवानपुर विधानसभा सीट के लिए चल रही चुनाव प्रक्रिया का भले ही ज्यादा शोर नहीं राजधानी तक सुनाई नहीं दे रहा है। अलबत्ता सियासी गलियारों में यह उप चुनाव चर्चा का विषय बना हुआ है। एक तरफ कांग्रेस को सहानुभूति लहर के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की आस है तो भाजपा सरकार की खामियां गिनाकर उप चुनाव में खाता खोलने की तैयारी कर रही है। काबीना मंत्री सुरेंद्र राकेश की मृत्यु के बाद रिक्त हुई इस सीट के लिए 11 अप्रैल को मतदान होना है। ऐसे में चुनाव प्रचार गुरुवार शाम पांच बजे से थम जाएगा। कांग्रेस इस चुनाव में अपनी प्रत्याशी ममता राकेश की जीत तय मानकर चल रही है। कांग्रेस के रणनीतिकारों को लग रहा है कि स्व. सुरेंद्र की मृत्यु से उनकी पत्नी ममता के लिए लोगों के दिलों में सहानुभूति और इसकी के चलते कांग्रेस के चुनाव चिन्ह वाला बटन खूब दबेगा। इसके बाद भी कांग्रेस कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भगवनापुर में ही अपनी टीम के साथ डेरा जमा लिया। इंदिरा ह्रदयेश समेत कई मंत्रियों के भी दौरे हो चुके हैं। अब खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुनाव प्रचार का समय समाप्त होने तक वहीं जमे रहने का फैसला लिया। कांग्रेस की ओर से इस चुनाव में काबीना मंत्री के तौर पर स्व. सुरेंद्र राकेश की ओर से कराए गए कामों के साथ ही राज्य सरकार के कामों का भी जिक्र किया जा रहा है। कुल मिलाकर कांग्रेस को लग रहा है कि इस उप चुनाव में भी उसकी जीत का सिलसिला जारी रहेगा। दूसरी तरफ भाजपा ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा के कई दिग्गज नेता भगवानपुर इलाके में राज्य सरकार की नाकामियों का जिक्र करके पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं। शुरुआती दौर में बेहद कमजोर बताए जा रहे भाजपा प्रत्याशी को कांग्रेस अब हल्के में नहीं ले रही है। माना जा रहा है कि भाजपा नेताओं की मेहनत से पार्टी प्रत्याशी अब कांग्रेस प्रत्याशी के मुकाबले में आ गए हैं। अहम बात यह है कि भाजपा राज्य में अब तक हुए तीन उप चुनाव में से एक में भी जीत दर्ज नहीं कर सकी है। भाजपा नेता इस उप चुनाव में अपनी हार के इस मिथक को तोड़ना चाहती है।

भाजपा की ओर से निशंक मोर्चे पर
पिछले उप चुनाव में डोईवाला सीट पर हुई भाजपा की हार के बाद पार्टी के ही कुछ नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार के मौजूदा सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक पर अंगुलियां उठाई थी। इस बार निशंक किसी को कोई मौका ही नहीं देनाचा चाहते हैं। निशंक अपनी टीम और समर्थकों के साथ इस उप चुनाव के मैदान में डटे हुए हैं। इसमें कोई राय नहीं है कि अगर इस उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत होती है, इसका अधिकांश श्रेय निशंक के खाते में ही जाएगा। इससे हाईकमान की नजरों में भी निशंक का कद बढ़ेगा और आने वाले समय में निशंक को इसका सियासी लाभ भी मिल सकता है। यह वजह है कि निशंक पूरी दम-खम के साथ भगवानपुर में डटे हुए हैं।

पुलिस महानिदेशक ने निवर्तमान मुख्य सचिव की साख पर उठाए सवाल, झूठा था सुभाष का एफिडेविट !
  • मनमाने अंदाज में काम कर रहे डीजीपी बीएस सिद्धू, दरोगा ने हिम्मत दिखाई तो सिखा दिया करारा सबक

देहरादून 8 अप्रैल । पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू भले ही कई आरोपों में घिरे हों। लेकिन मनमानी वाला उनका अंदाज बदलता नहीं दिख रहा है। एक दारोगा को करारा सबक सिखाने वाले डीजीपी ने इस बार तो सूबे की नौकरशाही के पूर्व प्रमुख सुभाष कुमार की साख पर ही सवाल उठा दिए हैं। अब सरकार है कि सब कुछ जानकर भी अंजान सी बनी हुई है। डीजीपी सिद्धू एक जमीन खरीदने के मामले में आरोपों के घेरे में हैं। इस जमीन के विवादित साबित होने के बाद डीजीपी ने रजिस्ट्री रद्द करवा ली और स्टांप शुल्क वापसी के लिए विभाग को खत लिखा। इसी बीच जमीन से पेड़ कटवाने का मामला तूल पकड़ गया। इसकी सुनवाई अब ग्रीन ट्रब्यूनल में हो रही है। इस मामले में भी डीजीपी अपने अंदाज में काम कर रहे हैं। ग्रीन ट्रब्यूनल ने गवाही के लिए मामले की जांच करने वाले दारोगा निर्विकार को तलब किया। पुलिस महकमे ने उन्हें ट्रब्यूलन में जाने की अनुमति ही नहीं दी। अब ट्रब्यूनल ने दारोगा के साथ ही रुद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक को भी तलब किया है। ग्रीन ट्रब्यूनल में फंसने की आशंका के मद्देनजर डीजीपी ने अब सूबे के पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की साख पर ही सवाल उठा दिए हैं। दरअसल, तत्कालीन मुख्य सचिव ने ग्रीन ट्रब्यूनल के आदेश पर अपनी ओर से एक एफिडेविट दाखिल किया है। सूत्रों का कहना है कि इस एफिडेविट में डीजीपी के खिलाफ कई साक्ष्य दिए गए हैं। ग्रीन ट्रब्यूनल इसी एफिडेविट के आधार पर अपनी जांच आगे बढ़ा रहा है। इस बार डीजीपी ने इस शपथपत्र पर ही सवाल उठा दिए हैं। बताया जा रहा है कि डीजीपी ने सरकार को एक पत्र दिया है। इसमें कहा गया है कि पूर्व मुख्य सचिव की ओर से दिए गए शपथपत्र में कई खामियां हैं। इसमें संशोधन करते हुए नया शपथपत्र दाखिल किया जाना चाहिए। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की ओर से दिए गए शपथपत्र में झूठे तथ्यों का समावेश किया गया है। अगर यकीनी तौर पर ऐसा है तो यह सवाल भी बाजिब है कि सुभाष कुमार ने आखिर ऐसा क्यों किया। क्या उन्हें इस बात का अंदेशा नहीं रहा होगा कि झूठा शपथपत्र देने के आरोप में उनके खिलाफ भी कोई एक्शन हो सकता है। जानकारों का कहना है कि अगर डीजीपी के लग रहा है कि तत्कालीन मुख्य सचिव ने गलत शपथपत्र दिया है तो उन्हें ग्रीन ट्रब्यूनल में ही इसे चेलैंज करना चाहिए था। कहा जा रहा है कि अगर सरकार की ओर से कोई संशोधित शपथपत्र दिया जाता है तो इसकी आंच पूर्व मुख्य सचिव तक आएगी। बहरहाल, नौकरशाही के मुखिया के रूप में तत्कालीन मुख्य सचिव की ओर से दिए गए शपथपत्र पर सवाल उठाकर डीजीपी ने एक बार फिर साफ कर दिया है उनके काम करने के अंदाज में कोई बदलाव नहीं आया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार का इस मामले में क्या रुख रहता है।

मुख्यमन्त्री पर लगाया झूठ बोलने का आरोप, भूमि उपलब्ध कराना राज्य सरकार के अधिकार में 
  • भाजपा ने आपदा राहतकोश पर ष्वेत पत्र जारी करने की उठाई मांग

देहरादून 8 अप्रैल । भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमन्त्री और क्षेत्रीय विधायक हरीश रावत पर सफेद झूठ बोलने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि पुर्नवास के मामले में मुख्यमन्त्री झूठ बोलकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की जुगत में है। मुख्यमन्त्री 2013 की आपदा में जमा हुई आपदा राहतकोष के खर्च पर श्वेत पत्र अभी तक जारी नहीं कर पाये। राहतकोष से आपदा प्रभावितों के दुख-दर्द दूर करने की जगह कोष का गलत उपयोग किया गया है। भाजपा जिला प्रवक्ता तथा ब्लाक प्रभारी जगत मर्तोलिया ने प्रेस को बयान जारी कर मुख्यमन्त्री द्वारा मंगलवार को आपदा प्रभावितों के पुर्नवास के मामले में दिये गये बयान पर प्रतिक्रिया जारी की। उन्होंने कहा कि पुर्नवास करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। आपदा राहत कोष में अरबों रूपये जमा हुये। इस धन से आपदा प्रभावितों को राहत और पुर्नवास का पैकेज दिया जाना था। राज्य सरकार ने इस धन को अन्य मदों में खर्च कर दिया है। राज्य में हो रहे धन की बर्बादी के कारण आज राज्य आर्थिक संकट के मुहाने पर है। सरकार पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है कि वह आपदा राहतकोष से किये गये खर्च पर जनता के बीच श्वेत पत्र जारी करें। लेकिन सरकार इससे बच रही है। क्योंकि सरकार ने आपदा प्रभावितों को सहायता देने के नाम पर जमा हुये धन को अपने ऐशो आराम में खर्च कर दिया है। उन्होंने कहा कि सिविल भूमि पर राज्य सरकार आपदा प्रभावितों को बसा सकती थी। तराई भाबर में खुरपिया फार्म की लीज समाप्त हो चुकी है। इस फार्म पर आपदा प्रभावितों को बसाने की जगह कांग्रेस के एक प्रभावशाली नेता को कोडि़यों के दाम लीज देने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावितों को जमीन देने और पुर्नवास करने की जिम्मेदारी में विफल हो चुकी कांग्रेस सरकार अब 22 महिनें के बाद केन्द्र सरकार के पाले में बात डाल रही है।  उन्होंने कहा कि आपदाग्रस्त राज्यों में राज्य सरकार द्वारा ही पुर्नवास किये जाने का प्राविधान है। मर्तोलिया ने कहा कि भाजपा चाहती है कि पात्र आपदा प्रभावितों को मुआवजा व पुर्नवास मिले। जबकि सोबला के चार कांग्रेसी परिवारों को अविवाहित युवकों को परिवार मानकर फर्जी तरीके से मुआवजा और पुर्नवास पैकेज दिया गया है। जबकि आज भी धारचूला और मुनस्यारी के अधिकांश पात्र आपदा प्रभावितों को मुआवजा तक नहीं मिल पाया है। 

धारचूला- भाजपा नेता जगत मर्तोलिया ने कहा कि सीमान्त की 156 जातियों को केन्द्रीय आरक्षण नहीं मिलने की पीछे राज्य सरकार द्वारा की गयी कानूनी भूल मुख्य कारण है। उप चुनाव में मुख्यमन्त्री के लिए वोट छल से हासिल करने के लिए जल्दबाजी में उक्त आरक्षण दिया गया। 2017 में प्रदेश में भाजपा की सत्ता आने के बाद इस कानूनी भूल को ठीक किया जायेगा। उसके बाद केन्द्रीय आरक्षण का रास्ता साफ होगा। उन्होंने कहा कि धौलीगंगा फेज -2 तथा गोरीगंगा फेज-1 के निर्माण के लिए मोदी सरकार ने धौली निकेतन धारचूला में एनएसपीसी का न्यू प्रोजेक्ट स्थापित कर दिया है। डीपीआर बनने के बाद केन्द्र सरकार दोनों परियोजनाओं को शुरू करेगी। इसके लिए क्षेत्रीय सांसद अजय टम्टा विशेष रूचि से कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि 10 वर्षो तक केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रही। हरीश रावत को इसका हिसाब जनता को देना चाहिए।

बेमौसमी बारिष के चलते किसानों से राजस्व वसूली स्थगित, सहकारी ऋणों पर ब्याज व बिजली सरचार्ज  की भरपाई राज्य सरकार करेगी

uttrakhand news
देहरादून 8 अप्रैल । प्रदेश में बेमौसम की बारिश व ओलावृष्टि से किसानों को हुए व्यापक नुकसान को देखते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किसानों से 6 माह की राजस्व व सिंचाई वसूली, सहकारी ऋणों पर ब्याज व बिजली सरचार्ज माफ करने के निर्देश दिए हैं। किसानों से 1 अप्रैल से 30 सितम्बर तक की उपरोक्त सभी वसूलियां माफ करने के निर्देश दिए गए हैं। सहकारी ऋणों पर ब्याज व बिजली सरचार्ज  की भरपाई राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। साथ ही केंद्र सरकार को भी पत्र लिखकर किसानों पर केंद्र सरकार की संस्थाओं व वाणिज्यिक बैंकों के बकाया की वसूली को भी स्थगित करने का अनुरोध किया जाएगा। बुधवार को बीजापुर में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में किसानों को हुए नुकसान की समीक्षा की गई। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि किसानों को हुए नुकसान का आंकलन पूरी गम्भीरता से किया जाए और इसमें प्रदेशभर के किसानों को हुए वास्तविक नुकसान को शामिल किया जाए। मार्च में हुए नुकसान के साथ ही पिछले दो-तीन दिनों में बारीश से हुए नुकसान को भी शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों से स्थानीय काश्तकारों से मिल रहे फीडबैक के अनुसार पिछले दो-तीन दिनों की बारिश से फसलों को बहुत क्षति हुई है। जहां खेतों में खड़ी फसलें व फलदार पेड़ों की बौर चैपट हो गई हैं वहीं अब अदरक सहित अन्य पौध भी नहीं बोई जा सकती है। किसानों को इससे भी नुकसान हुआ है। कृषि व हाॅर्टीकल्चर के अधिकारियों को वैकल्पिक प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए कि किसानों व काश्तकारों को मदद पहुंचाने के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है।  मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को पौधरोपण की तैयारियों में अभी से जुट जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वन विभाग की कार्यप्रणाली में तेजी लाए जाने की आवश्यकता है। 14 वें विŸा आयोग में वृक्षारोपण के लिए केंद्रीय सहायता समाप्त होने की बात कहे जाने पर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अगस्त माह तक का प्रोजेक्शन प्रस्तुत करें। आवश्यक धनराशि राज्य योजना या अन्य स्त्रोत से उपलब्ध करवाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूकेलिप्टस के ऐसे पेड़, जो कि निर्धारित आयुसीमा को पार कर गए हैं और जो खराब हो गए हों या जिनसे नुकसान सम्भावित हो, को काटने के लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूरा करने में तेजी लाई जाए। प्रदेश में वन विभाग की 40 डिवीजनों में चिन्हित स्थानों में  छोटे-छोटे जलाशय विकसित किए जाएं। वहां चीड़ के पेड़ों को चैड़ी पŸिायों के पेड़ों से प्रतिस्थापित किया जाएं। चीड़ से हमारे जंगलों की जैव विविधता समाप्त हो रही है और खाद्य-श्रंृखला टूटने से जंगली हिंसक जानवर गांवों व शहरों में घुस रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग को इनोवेटिव होने की जरूरत है। इको पर्यटन की योजना के समान ही अन्य नई योजनाएं बनाएं जिससे वन विभाग की आय भी बढ़े और स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो। बैठक में कृषि मंत्री डा.हरक सिंह रावत, वन मंत्री दिनेश अग्रवाल, मुख्य सचिव एन रविशंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव कृषि एस रामास्वामी, प्रमुख सचिव वन डा.रणवीर सिंह, प्रभारी सचिव हाॅर्टीकल्चर निधि पाण्डे सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।  

बिहार : केबुल तार से उतरकर आयी मौत ने आयुष को डंसकर चली गयी

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  • एरिया के विकास मित्र सुधीर कुमार का भगीना था मृतक

death-news-patnaपटना। केबुल तार से उतरकर आयी मौत ने आयुष कुमार को बोलने लायक भी नहीं छोड़ा। जबतक परिजनों को मालूम होता,तबतक काफी विलम्ब हो गया था। फिर भी परिजन किसी तरह से लाडला को उठाकर चिकित्सक के पास ले गए। डाक्टर केशव ने आला लगाकर जांच किया और नो मोर कहकर चले गए। इसके साथ ही स्कूली छात्र आयुष कुमार की अकाल मौत हो गयी। 
मौत के सदमे से महादलित मुसहरों में आक्रोश व्याप्त है। आवासीय भूमिहीन होने के कारण मुसहर समुदाय के लोग पटना-दीघा रेलखंड के दीघा घाट हाॅल्ट के किनारे झोपड़ी बनाकर रहते हैं। अपने झोपडि़यों में मुसहर समुदाय के लोग टी.वी.भी रखते हैं। आज बुधवार को आयुष कुमार ने टी.वी.खोलकर धारावाहिक देखना चाह रहे थे। इस बीच केबुल तार में बिजली प्रवाहित होने लगा। इसकी चपेट में आने से आयुष कुमार (10 साल ) की मौत हो गयी। 

एरिया के विकास मित्र सुधीर कुमार का मृतक भगीना है। महादलित मुसहर विनोद मांझी की शादी सुधा देवी के संग हुई है। दोनों के सहयोग से चार संतान हैं। तीन पुत्र और एक पुत्री हैं। शिव सागर,विकास कुमार,आयुष कुमार और कुमकुम कुमारी हैं। कदमकुआं स्थित कुम्मरार में संचालित महादलित आवायीय विघालय में शिव सागर और विशाल कुमार पढ़ते हैं। राजकीय प्राथमिक विघालय,मुसहर टोली में आयुष कुमार (10साल) और कुमकुम कुमारी पढ़ती हैं। यहां पर अकाल मौत के पहले चतुर्थ कक्षा में अध्ययनरत था। मौत की सूचना मिलने के बाद महादलित आवासीय विघालय में पढ़ने वाले शिव सागर और विशाल कुमार घर आ गए हैं। मां-बाप के विलाप होते देख बच्चे भी जोरजोर से रोने लगे।शिव सागर ने अनुज आयुष कुमार को मुखाग्नि दिया। धनाभाव के कारण मृतक को गंगा किनारे बालू में गाढ़ दिए। रो-रोकर मां-बाप का बुरा हाल हो रहा है। 



आलोक कुमार
बिहार 

डॉ शिबनकृष्ण रैणा से प्रो जीवनसिंह की अनुवादकला पर विस्तृत बातचीत

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  • अनुवाद राष्ट्र-सेवा का कर्म है

shiven raina
(राजस्थान साहित्य अकादमी के  प्रथम अनुवाद-पुरस्कार से सम्मानित,भारतीय अनुवाद परिषद, दिल्ली द्वारा द्विवागीश पुरस्कार से समादृत, उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान, बिहार राजभाषा विभाग, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय तथा देश की अन्य कई महत्वपूर्ण साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा डॉ० रैणा को उनके योगदान के लिए पुरस्कृत-सम्मानित किया जा चुका है। अंग्रेजी, कश्मीरी तथा उर्दू से डा0 रैणा पिछले ३० वर्षों से निरन्तर अनुवाद-कार्य करते आ रहे हैं और अब तक इनकी चैदह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनकी सर्वत्र प्रशंसा हुई है। डॉ० रैणा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला में अधेता भी रहे हैं, जहाँ उन्होंने ‘भारतीय भाषाओं से हिन्दी में अनुवाद की समस्याएँ’ विषय पर शोधकार्य किया है.यह कार्य संस्थान से प्रकाशित हो चुका है.सम्प्रति डॉ०रैणा संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार के सीनियर फेलो हैं. प्रसिद्ध अनुवादक,शिक्षाविद एवं लेखक  डॉ०शिबनकृष्ण रैणा से प्रो० जीवनसिंह की अनुवादकला पर विस्तृत बातचीत के कुछ अंश यहाँ पर प्रस्तुत हैं.)

प्रश्न०:आपको अनुवाद की प्रेरण कब और कैसे मिली ? 
उ०:१९६२ में कश्मीर विश्वविद्यालय से एम.ए.(हिन्दी) कर लेने के बाद मैं पी-एच.डी. करने के लिए कुरुक्षेत्र विश्ववि़द्यालय आ गया (तब कश्मीर विश्वविद्यालय में रिसर्च की सुविधा नहीं थी) यू.जी.सी. की जूनियर फेलोशिप पर ‘कश्मीरी तथा हिन्दी कहावतों का तुलनात्मक अध्ययन’ पर शोधकार्य किया। 1966 में राजस्थान लोक सेवा आयोग से व्याख्याता हिन्दी के पद पर चयन हुआ।प्रभु श्रीनाथजी की नगरी नाथद्वारा मैं लगभग दस वर्षों तक रहा.यहाँ कालेज-लाइब्रेरी में उन दिनों देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाएँ : धर्मयुग, सारिका, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, नवनीत, कादम्बिनी आदि आती थीं.। इन में यदा-कदा अन्य भारतीय भाषाओं से हिन्दी में अनुवादित कविताएँ/कहानियाँ/व्यंग्य आदि पढ़ने को मिल जाते। मुझे इन पत्रिकाओं में कश्मीरी से हिन्दी में अनुवादित रचनाएँ बिल्कुल ही नहीं या फिर बहुत कम देखने को मिलती। मेरे मित्र मुझसे अक्सर कहते कि मैं यह काम बखूबी कर सकता हूँ क्योंकि एक तो मेरी मातृभाषा कश्मीरी है और दूसरा हिन्दी पर मेरा अधिकार भी है। मुझे लगा कि मित्र ठीक कह रहे हैं। मुझे यह काम कर लेना चाहिए। मैं ने कश्मीरी की कुछ चुनी हुई सुन्दर कहानियों/कविताओं/लेखों/संस्मरणों आदि का मन लगाकर हिन्दी में अनुवाद किया। मेरे ये अनुवाद अच्छी पत्रिकाओं में छपे और खूब पसन्द किए गए। कुछ अनुवाद तो इतने लोकप्रिय एवं चर्चित हुए कि अन्य भाषाओं यथा कन्नड़, मलयालम, तमिल आदि में मेरे अनुवादों के आधार पर इन रचनाओं के अनुवाद हुए और उधर के पाठक कश्मीरी की इन सुन्दर रचनाओं से परिचित हुए। मैंने चूंकि एक अछूते क्षेत्र में प्रवेश करने की पहल की थी, इसलिए श्रेय भी जल्दी मिल गया।

प्रश्न०: अब तक आप किन-किन विधाओं में अनुवाद कर चुके हैं ?
उ0:मैंने मुख्य रूप से कश्मीरी, अंग्रेजी और उर्दू से हिन्दी में अनुवाद किया है। साहित्यिक विधाओं में कहानी, कविता, उपन्यास, लेख, नाटक आदि का हिन्दी में अनुवाद किया है।

प्रश्न० आप द्वारा अनुवादित कुछ कृतियों के बारे में बताएंगे ?
उ0:मेरे द्वारा अनुवादित कृतियाँ, जिन्हें मैं अति महत्वपूर्ण मानता हूँ और जिनको आज भी देख पढ़कर मुझे असीम संतोष और आनंद मिलता है, ‘प्रतिनिधि संकलन:कश्मीरी’(भारतीय ज्ञानपीठ)१९७३, ‘कश्मीरी रामायण: रामावतार चरित्र’ (भुवन वाणी ट्रस्ट, लखनऊ)१९७५ ‘कश्मीर की श्रेष्ठ कहानियाँ’ (राजपाल एण्ड संस दिल्ली)१९८० तथा ‘ललद्यद’ (अंगे्रजी से हिन्दी में अनुवाद, साहित्य अकादमी, दिल्ली) १९८१ हैं। ‘कश्मीर की श्रेष्ठ कहानियाँ’ में कुल 19 कहानियाँ हैं। कश्मीरी के प्रसिद्ध एवं प्रतिनिधि कहानीकारों को हिन्दी जगत के सामने लाने का यह मेरा पहला सार्थक प्रयास है। प्रसिद्ध कथाकार विष्णु प्रभाकर ने मेरे अनुवाद के बारे में मुझे लिखा :‘ये कहानियाँ तो अनुवाद लगती ही नहीं हैं, बिल्कुल हिन्दी की कहानियाँ जैसी हैं. आपने, सचमुच, मेहनत से उम्दा अनुवाद किया है।’

प्रश्न०:अपनी अनुवाद-प्रक्रिया पर कुछ प्रकाश डालिए।
उ0: अनुवाद प्रक्रिया से तात्पर्य यदि इन सोपानों/चरणों से है, जिनसे गुजर कर अनुवाद/अनुवादक अपने उच्चतम रूप में प्रस्तुत होता है, तो मेरा यह मानना है कि अनुवाद रचना के कथ्य/आशय को पूर्ण रूप से समझ लेने के बाद उसके साथ तदाकार होने की बहुत जरूरत है। वैसे ही जैसे मूल रचनाकार भाव/विचार में निमग्न हो जाता है। यह अनुवाद-प्रक्रिया का पहला सोपान है। दूसरे सोपान के अन्तर्गत वह ‘समझे हुए कथ्य’ को लक्ष्य-भाषा में अंतरित करे, पूरी कलात्मकता के साथ। कलात्मक यानी भाषा की आकर्षकता, सहजता एवं पठनीयता के साथ। तीसरे सोपान में अनुवादक एक बार पुनः रचना को आवश्यकतानुसार परिवर्तित/परिवर्धित करे। मेरे विचार से मेरे अनुवाद की यही प्रक्रिया रही है।

प्रश्न०:अनुवाद के लिए क्या आपके सामने कोई आदर्श अनुवादक रहे ?
उ0:आदर्श अनुवादक मेरे सामने कोई नहीं रहा। मैं अपने तरीके से अनुवाद करता रहा हूँ और अपना आदर्श स्वयं रहा हूँ। दरअसल आज से लगभग 30-35 वर्ष पूर्व जब मैंने इस क्षेत्र में प्रवेश किया, अनुवाद को लेकर लेखकों के मन में कोई उत्साह नहीं था, न ही अनुवाद कला पर पुस्तकें ही उपलब्ध थीं और न ही अनुवाद के बारे में चर्चाएँ होती थीं। इधर, इन चार दशकों में अनुवाद के बारे में काफी चिंतन-मनन हुआ है। यह अच्छी बात है।

प्रश्न०:क्या आप मानते हैं कि साहित्यिक अनुवाद एक तरह से पुनर्सृजन है ? 
उ0:मैं अनुवाद को पुनर्सृजन ही मानता हूँ, चाहे वह साहित्य का हो या फिर किसी अन्य विधा का। असल में अनुवाद मूल रचना का अनुकरण नहीं वरन् पुनर्जन्म है। वह द्वितीय श्रेणी का लेखन नहीं, मूल के बराबर का ही दमदार प्रयास है। मूल रचनाकार की तरह ही अनुवादक भी तथ्य को आत्मसात करता है, उसे अपनी चित्तवृत्तियों में उतारकर पुनः  सृजित करने का प्रयास करता है तथा अपने अभिव्यक्ति-माध्यम के उत्कृष्ट उपादानों द्वारा उसको एक नया रूप देता है। इस सारी प्रक्रिया में अनुवादक की सृजन-प्रतिभा मुखर रहती है 

प्रश्न०: अनुवाद करते समय किन-किन बातों के प्रति सतर्क रहना चाहिए ?
उ.०:यों तो अनुवाद करते समय कई बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए जिनका विस्तृत उल्लेख आदर्श अनुवाद/अनुवन्दक जैसे शीर्षकों के अन्तर्गत ‘अनुवादकला’ विषयक उपलब्ध विभिन्न पुस्तकों में मिल जाता है। संक्षेप में कहा जाए तो अनुवादक को इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। (1) उसमें स्रोत और लक्ष्य भाषा पर समान रूप से अच्छा अधिकार होना चाहिए। (2) विषय का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए। (3) मूल लेखक के उद्देश्यों की जानकारी होनी चाहिए। (4) मूल रचना के अन्तर्निहित भावों की समझ होनी चाहिए। (5) सन्दर्भानुकूल अर्थ-निश्चयन की योग्यता हो। एक बात मैं यहाँ पर रेखांकित करना चाहूंगा और अनुवाद-कर्म के सम्बन्ध में यह मेरी व्यक्तिगत मान्यता है। कुशल अनुवादक का कार्य पर्याय ढूंढ़ना मात्र नहीं है, वह रचना को पाठक के लिए बोधगम्य बनाए, यह परमावश्यक है। सुन्दर-कुशल, प्रभावशाली तथा पठनीय अनुवाद के लिए यह ज़रूरी है कि अनुवादक भाषा-प्रवाह को कायम रखने के लिए, स्थानीय बिंबों व रूढ़ प्रयोगों को सुबोध बनाने के लिए तथा वर्ण्य-विषय को अधिक हृदयग्राही बनाने हेतु मूल रचना में आटे में नमक के समान फेर-बदल करे। यह कार्य वह लंबे-लंबे वाक्यों को तोड़कर, उनमें संगति बिठाने के लिए अपनी ओर से एक-दो शब्द जोड़कर तथा ‘अर्थ’ के बदले ‘आशय’ पर अधिक जोर देकर कर सकता है। ऐसा न करने पर ‘अनुवाद’ अनुवाद न होकर मात्र सरलार्थ बनकर रह जाता है। 

प्रश्न०:मौलिक लेखन और अनुवाद की प्रक्रिया में आप क्या अंतर समझते हैं ? 
उ.०:  मेरी दृष्टि में दोनों की प्रक्रियाएं एक-समान हैं। मैं मौलिक रचनाएं भी लिखता हूँ। मेरे नाटक, कहानियाँ आदि रचनाओं को खूब पसन्द किया गया है। साहित्यिक अनुवाद तभी अच्छे लगते हैं जब अनुवादित रचना अपने आप में एक ‘रचना’ का दर्जा प्राप्त कर ले। दरअसल, एक अच्छे अनुवादक के लिए स्वयं एक अच्छा लेखक होना भी बहुत अनिवार्य है। अच्छा लेखक होना उसे एक अच्छा अनुवादक बनाता है और अच्छा अनुवादक होना उसे एक अच्छा लेखक बनाता है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, पोषक हैं। 

प्रश्न०: भारत में विदेशों की तुलना में अनुवाद की स्थिति के विषय में आप क्या सोचते हैं ?
उ०: पश्चिम में अनुवाद के बारे में चिन्तन-मनन बहुत पहले से होता रहा है। कहने की आवश्यकता नहीं कि जिस तरह ज्ञान-विज्ञान एवं अन्य व्यावहारिक क्षेत्रों में पश्चिम बहुत आगे है, उसी तरह ‘अनुवाद’ में भी वह बहुत आगे है। वहाँ सुविधाएं प्रभूत मात्रा में उपलब्ध हैं, अनुवादकों का विशेष मान-सम्मान है। हमारे यहाँ इस क्षेत्र में अभी बहुत-कुछ करना शेष है। 

प्रश्न०: भारत में जो अनुवाद कार्य हो रहा है, उसके स्तर से आप कहाँ तक सन्तुष्ट हैं ? इसमें सुधार के लिए आप क्या सुझाव देना चाहेंगे।
उ.०: साहित्यिक अनुवाद तो बहुत अच्छे हो रहे हैं। पर हाँ, विभिन्न ग्रन्थ- अकादमियों द्वारा साहित्येत्तर विषयों के जो अनुवाद सामने आए हैं या आ रहे हैं, उनका स्तर बहुत अच्छा नहीं है। दरअसल, उनके अनुवादक वे हैं, जो स्वयं अच्छे लेखक नहीं हैं या फिर जिन्हें सम्बन्धित विषय का अच्छा ज्ञान नहीं है। कहीं-कहीं यदि विषय का अच्छा ज्ञान भी है तो लक्ष्य भाषा पर अच्छी/सुन्दर पकड़ नहीं है। मेरा सुझाव है कि अनुवाद के क्षेत्र में जो सरकारी या गैर सरकारी संस्थाएं या कार्यालय कार्यरत हैं, वे विभिन्न विधाओं एवं विषयों के श्रेष्ठ अनुवाद का एक राष्ट्रीय -पैनल तैयार करें। अनुवाद के लिए इसी पैनल में से अनुवादकों का चयन किया जाए। पारिश्रमिक में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए। 

प्रश्न० आप अनुवाद के लिए रचना का चुनाव किस आधार पर करते हैं ?
उ.०:देखिए, पहले यह बात स्पष्ट हो जानी चाहिए कि हर रचना का अनुवाद हो, यह आवश्यक नहीं है। वह रचना जो अपनी भाषा में अत्यन्त लोकप्रिय रही हो, सर्वप्रसिद्ध हो या फिर चर्चित हो, उसी का अनुवाद वांछित है और किया जाना चाहिए। एक टी.वी. चैनल पर मुझसे पूछे गए इसी तरह के एक प्रश्न के उत्तर में मैंने कहा था - ‘प्रत्येक रचना/पुस्तक का अनुवाद हो, यह ज़रूरी नहीं है। हर भाषा में, हर समय बहुत-कुछ लिखा जाता है। हर चीज़ का अनुवाद हो, न तो यह मुमकिन है और न ही आवश्यक! मेरा मानना है कि केवल अच्छी एवं श्रेष्ठ रचना का ही अनुवाद होना चाहिए। ऐसी रचना जिसके बारे में पाठक यह स्वीकार करे कि सचमुच अगर मैंने इसका अनुवाद न पढ़ा होता तो निश्चित रूव से एक बहुमूल्य रचना के आस्वादन से वंचित रह जाता। 

प्रश्न0: : अनुवाद से अनुवाद के बारे में आप की क्या राय है?
उ0:: प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो  की वह पंक्ति याद आती है जिसमें वह कहता है कि कविता में कवि मौलिक कुछ भी नहीं कहता,अपितु नकल की नकल करता है।‘फोटो-स्टेटिंग’ की भाषा में बात करें तो जिस प्रकार मूल प्रति के इम्प्रेशन में और उस इम्प्रेशन के इम्प्रेशन में अन्तर रहना स्वाभाविक है,ठीक उसी प्रकार सीधे मूल से किए गये अनुवाद और अनुवाद से किए गये अनुवाद में फर्क रहेगा।मगर,सच्चाई यह है कि इस तरह के अनुवाद हो रहे हैं।तुर्की,अरबी,फ्रैंच,जर्मन आदि भाषाएं न जानने वाले भी इन भाषाओं से अनुवाद करते देखे गए हैं।इधर,कन्नड़,मलयालम,गुजराती,तमिल,बंगला आदि भारतीय भाषाओं से इन भाषाओं को सीधे-सीधे न जानने वाले भी अनुवाद कर रहे हैं।ऐसे अनुवाद अंग्रेज़ी या हिन्दी को माध्यम बनाकर हो रहे हैं।यह काम खूब हो रहा है।

प्रश्न  : अनुवाद-कार्य के लिए अनुवाद-प्रशिक्षण एवं उसकी सैद्धान्तिक जानकारी को आप कितना आवश्यक मानते हैं?
उ    : सिद्धान्तों की जानकारी उसे एक अच्छा अनुवाद-विज्ञानी या जागरूक अनुवादक बना सकती है,मगर प्रतिभाशाली अनुवादक नहीं।मौलिक लेखन की तरह अनुवादक में कारयित्री प्रतिभा का होना परमावश्यक है।यह गुण उसमें सिद्धान्तों के पढ़ने से नहीं,अभ्यास अथवा अपनी सृजनशील प्रतिभा के बल पर आसकेगा। यों,अनुवाद-सिद्धान्तों का सामान्य ज्ञान उसे इस कला के विविध ज्ञातव्य पक्षों से परिचय अवश्य कराएगा।

प्रश्न०: अनुवाद में स्रोत भाषा के प्रति मूल निष्ठता के बारे में आपकी क्या राय है ?
उ.०:मूल के प्रति निष्ठा-भाव आवश्यक है। अनुवादक यदि मूल के प्रति निष्ठावान नहीं रहता, तो निश्चित रूप से ‘पापकर्म’ करता है। मगर, जैसे हमारे यहाँ (व्यवहार में) ‘प्रिय सत्य’ बोलने की सलाह दी गई है, उसी तरह अनुवाद में भी अनुवाद में भी प्रिय लगने वाला फेर-बदल स्वीकार्य है। दरअसल, हर भाषा में उस देश के सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा ऐतिहासिक सन्दर्भ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में रहते हैं और इन सन्दर्भों का भाषा की अर्थवत्ता से गहरा संबंध रहता है। इस अर्थवत्ता को ‘भाषा का मिज़ाज’ अथवा भाषा की प्रकृति कह सकते हैं। अनुवादक के समक्ष कई बार ऐसे भी अवसर आते हैं जब कोश से काम नहीं चलता और अनुवादक को अपनी सृजनात्मक प्रतिभा के बल पर समानार्थी शब्दों की तलाश करनी पड़ती है। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि भाषा और संस्कृति के स्तर पर मूल कृति अनुवाद कृति के जितनी निकट होगी, अनुवाद करने में उतनी ही सुविधा रहेगी। सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक दूरी जितनी-जितनी बढ़ती जाती है, अनुवाद की कठिनाइयाँ भी उतनी ही गुरुतर होती जाती हैं। भाषा, संस्कृति एवं विषय के समुचित ज्ञान द्वारा एक सफल अनुवादक उक्त कठिनाई का निस्तारण कर सकता है। 

प्रश्न०: आप किस तरह के अनुवाद को सबसे कठिन मानते हैं और क्यों ?
उ.०: अनुवाद किसी भी तरह का हो पर अपने आप में एक दुःसाध्य/श्रमसाध्य कार्य है। इस कार्य को करने में जो कोफ़्त होती है, उसका अन्दाज़ वहीं लगा सकते हैं जिन्होंने अनुवाद का काम किया हो। वैसे मैं समझता हूँ कि दर्शन-शास्त्र और  तकनीकी विषयों से संबंधित अथवा आंचलिकता का विशेष पुट लिए पुस्तकों का अनुवाद करना अपेक्षाकृत कठिन है। गद्य की तुलना में पद्य का अनुवाद करना भी कम जटिल नहीं है। 

प्रश्न०:लक्ष्य भाषा की सहजता को बनाए रखने के लिए क्या-क्या उपाय सुझाना चाहेंगे ? 
उ.०:सुन्दर-सरस शैली, सरल-सुबोध वाक्य गठन, निकटतम पर्यायों का प्रयोग आदि लक्ष्य भाषा की सहजता को सुरक्षित रखने में सहायक हो सकते हैं। यों मूल भाषा के अच्छे परिचय से भी काम चल सकता है लेकिन अनुवाद में काम आने वाली भाषा तो जीवन की ही होनी चाहिए। 

प्रश्न०: किसी देश की सांस्कृतिक चेतना को विकसित करने में अनुवाद की क्या भूमिका है ? 
उ०:अनुवाद-कर्म राष्ट्र सेवा का कर्म है। यह अनुवादक ही है जो भाषाओं एवं उनके साहित्यों को जोड़ने का अद्भुत एवं अभिनंदनीय प्रयास करता है। दो संस्कृतियों, समाजों, राज्यों, देशों एवं विचारधाराओं के बीच ‘सेतु’ का काम अनुवादक ही करता है। और तो और, यह अनुवादक ही है जो भौगोलिक सीमाओं को लांघकर भाषाओं के बीच सौहार्द, सौमनस्य एवं सद्भाव को स्थापित करता है तथा हमें एकात्मकता एवं वैश्वीकरण की भावना से ओतप्रोत कर देता है। इस दृष्टि से यदि अनुवादक को समन्वयक, मध्यस्थ, सम्वाहक, भाषायी-दूत आदि की संज्ञा दी जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। कविवर बच्चन जी, जो स्वयं एक कुशल अनुवादक रहे हैं, ने ठीक ही कहा है कि अनुवाद दो भाषाओं के बीच मैत्री का पुल है। वे कहते हैं - ‘अनुवाद एक भाषा का दूसरी भाषा की ओर बढ़ाया गया मैत्री का हाथ है। वह जितनी बार और जितनी दिशाओं में बढ़ाया जा सके, बढ़ाया जाना चाहिए ...।’ 

प्रश्न०: अनुवाद मनुष्यजाति को एकदूसरे के पास लाकर हमारी छोटी दुनिया को बड़ा बनाता है।इसके बावजूद यह दुनिया अपने-अपने छोटे अहंकारों से मुक्त नहीं हो पाती-इसके कारण क्या हैं?आप इस बारे में क्या सोचते हैं?
उ०:   देखिए,इसमें अनुवाद/अनुवादक कुछ नहीं कर सकता। जब तक हमारे मन छोटे रहेंगे,दृष्टि संकुचित एवं नकारात्मक रहेगी,यह दुनिया हमें सिकुड़ी हुई ही दीखेगी ।मन को उदार एवं बहिर्मुखी बनाने से ही हमारी छोटी दुनिया बड़ी हो जाएगी।

प्रश्न०:  अच्छा,यह बताइए कि कश्मीर की समस्या का समाधान करने में कश्मीरी-हिन्दी एवं कश्मीरी से हिन्दीतर भारतीय भाषाओं में अनुवाद किस सीमा तक सहायक हो सकते हैं?
उ०: कश्मीर में जो हाल इस समय है ,उससे हम सभी वाकिफ़ हैं।सांप्रदायिक उन्माद ने समूची घाटी के सौहार्दपूर्ण वातावरण को विषाक्त बना दिया है। कश्मीर के अधिकांश कवि,कलाकार,संस्कृतिकर्मी आदि घाटी छोड़कर इधर-उधर डोल रहे हैं और जो कुछेक घाटी में रह रहे हैं उनकी अपनी पीड़ाएं और विवशताएं हैं। विपरीत एवं विषम परिस्थितियों के बावजूद कुछ रचनाकार अपनी कलम की ताकत से घाटी में जातीय सद्भाव एवं सांप्रदायिक सौमनस्य स्थापित करने का बड़ा ही स्तुत्य प्रयास कर रहे हैं। मेरा मानना है कि ऐसे निर्भिक लेखकों की रचनाओं के हिन्दी अनुवाद निश्चित रूप से इस बात को रेखांकित करेंगे कि बाहरी दबावों के बावजूद कश्मीर का रचनाकार शान्ति चाहता है और भईचारे और मानवीय गरिमा में उसका अटूट विश्वास है और इस तरह एक सुखद वातावरण की सृष्टि संभव है।ऐसे अनुवादों को पढ़कर वहां के रचनाकार के बारे में प्रचलित  कई तरह की बद्धमूल/निर्मूल स्थापनाओं का निराकरण भी  हो सकता है।इसी प्रकार  कश्मीरी साहित्य के ऐसे श्रेष्ठ एवं सर्वप्रसिद्ध रचनाकारोंजैसे,लल्लद्यद,नुंदऋषि,महजूर,दीनानाथ रोशन,निर्दोष आदि, जो सांप्रदायिक सद्भाव के सजग प्रहरी रहे हैं, की रचनाओं के  हिन्दी अनुवाद कश्मीर में सदियों से चली आरही भाईचारे की रिवायत को निकट से देखने में सहायक होंगे।                 

अलवर राजस्थान के किसानों को रोड पर लाने की शुरूआत!

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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अलवर में जापानी कम्पनी को 500 एकड़ जमीन देंगी। क्यों? क्योंकि इस जमीन में जापानी इन्वेस्टमेंट जोन स्थापित होगा! इसमें सैरेमिक्स, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और मैन्यूफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों पर फॉक्स होगा। 

लेकिन सरकार को यह भी बतलाना चाहिए कि- क्या उक्त निर्णय/घोषणा से पूर्व इस तथ्य का आकलन किया गया है-कि इस कारण कितने किसान हमेशा को बेरोजगार होंगे? यदि नहीं तो क्यों नहीं किया गया? जिन किसानों की बेसकीमती उपजाऊ जमीन जापानी कम्पनी/कार्पोरेट को दी जाएगी उनके स्थाई पुनर्वास की क्या कोई जमीनी योजना है या नहीं?

इस बारे में राजस्थान सरकार को खुलासा करना होगा। स्थानीय किसान नेता होने का दावा करने वाले वर्तमान, निवर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों को इस बारे में सजग होकर सामने आना होगा। अन्यथा केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून (काले कानून) की आड़ में अगले चार सालों में न जाने कितने किसानों को आत्महत्या करने को मजबूर किया जाएगा?

सत्यम घोटोला मामले में रामालिंगा राजू समेत सभी 10 आरोपी दोषी करार

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सत्यम घोटाले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बी रामालिंगा राजू को दोषी ठहराया है। साथ ही सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में दूसरे नौ लोगों को भी दोषी करार दिया है। कोर्ट ने रामालिंगा राजू को आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का दोषी पाया है। इस तरह से कोर्ट ने इस मामले में सभी दस आरोपियों को दोषी करार दिया है। गौर हो कि राजू अपनी कंपनी में करोड़ों का फर्जी मुनाफा दिखाने के आरोपी है। सजा का ऐलान शुक्रवार को किया जाएगा।

देश की सबसे बड़ी लेखा धोखाधड़ी माना जा रहा यह घोटाला सात जनवरी 2009 को तब प्रकाश में आया जब कंपनी के संस्थापक और तत्कालीन अध्यक्ष बी रामलिंगा राजू ने कथित तौर पर अपनी कंपनी के बही खाते में हेराफेरी तथा साल  तक करोड़ों रूपये का मुनाफा बढ़ा चढ़ा कर दिखाने की बात कबूल की थी। अपने भाई रामा राजू और अन्य के साथ फर्जीवाड़े की बात कथित तौर पर स्वीकार करने के बाद आंध्रप्रदेश पुलिस के अपराध जांच विभाग ने राजू को गिरफ्तार कर लिया। मामले में सभी 10 आरोपी अभी जमानत पर हैं। करीब छह साल पहले शुरू हुए मामले में लगभग 3000 दस्तावेज चिह्नित किये गए और 226 गवाहों से पूछताछ हुयी।

रामलिंगा राजू के अलावा अन्य आरोपी उनके भाई और सत्यम के पूर्व प्रबंध निदेशक बी रामा राजू, पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी वदलामणि श्रीनिवास, पूर्व पीडब्लूसी ऑडिटर सुब्रमणि गोपालकृष्णन और टी श्रीनिवास, राजू के एक अन्य भाई बी सूर्यनारायण राजू, पूर्व कर्मचारियों जी रामकृष्ण, डी वेंकटपति राजू और श्रीसाईलम तथा सत्य के पूर्व आंतरिक मुख्य ऑडिटर वी एस प्रभाकर गुप्ता हैं। आमदनी बढ़ा चढ़ाकर दिखाने, खाता में हेरफर, फर्जी सावधि जमा के साथ ही विभिन्न आयकर कानूनों का उल्लंघन करने के सिलसिले में राजू और अन्य पर आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत गलत रिटर्न भरने, फर्जीवाड़ा, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और विश्वासघात का मामला दर्ज किया गया था। फरवरी 2009 में सीबीआई ने जांच का जिम्मा संभाला और तीन आरोप पत्र (7 अप्रैल 2009, 24 नवंबर 2009 और 7 जनवरी 2010) दाखिल किया जिसे बाद में एक साथ मिला दिया गया।

मुकदमे के दौरान, सीबीआई ने आरोप लगाया कि घोटाले की वजह से निवेशकों को 14,000 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ जबकि बचाव पक्ष ने आरोपों के जवाब में कहा कि जालसाजी के लिए आरोपी जिम्मेदार नहीं हैं और केंद्रीय एजेंसी की ओर से मामले से संबंधित दाखिल सभी दस्तावेज मनगढंत हैं और कानून के मुताबिक नहीं है। प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन रोकथाम कानून के तहत उनके खिलाफ एक आरोप पत्र दाखिल किया था। पिछले साल जनवरी में आयकर अदायगी मामले में आर्थिक अपराध के लिए एक विशेष अदालत ने रामलिंगा राजू की पत्नी नंदिनी राजू और बेटों तेजा राजू और रामा राजू समेत पूर्व सत्यम प्रमुख के 21 रिश्तेदारों को दोषी ठहराया था।

पिछले साल आठ दिसंबर को कंपनी कानूनों के विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन के सिलसिले में गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) की ओर से दर्ज करायी गयी शिकायतों के मामले में आर्थिक अपराध से संबंधित एक विशेष अदालत ने रामलिंगा राजू, रामा राजू, वदलामणि श्रीनिवास और पूर्व निदेशक राम म्यानामपति को छह महीने जेल की सजा सुनायी और जुर्माना लगाया।

विवधतापूर्ण किरदार पसंद है: जोनिता डोडा

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चंडीगढ़ दी सोहनी कुड़ी तथा ‘चक जवाना’ एवं ‘यारा ओ दिलदारा’ जैसी फिल्मों से एक खास मुकाम बनाने वाली जोनिता डोडा आज पंजाबी एवं साऊथ इंडियन फिल्मों में अपना विशेष मुकाम बना चुकी हैं। जिन्हें कभी चंडीगढ़ छोडने के नाम से ही बुखार हो जाता था, उन्होंने अपना ख्वाब पूरा करने के लिए मुंबई तक का सफर तय किया। हाल में उनकी पंजाबी फिल्म ‘पत्ता पत्ता सिंघा दा वैरी’, जो कि 17 अप्रैल को रिलीज होने जा रही है का इंतजार दर्शकों को ही नहीं बल्कि स्वयं उन्हें भी है। साउंड बूम एंटरटेनमैंट एवं फतेह स्पोर्टस क्लब द्वारा निर्मित इस फिल्म का निर्देशन नरेश गर्ग ने किया है। हाल ही में जोनिता से कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश:

अपनी नई फिल्म के बारे में कुछ बताएं?
‘पत्ता पत्ता सिंघा दा वैरी’ के बारे में मैं यही कह सकती हूं कि यह एक फैमिली ड्रामा एवं एक्शन फिल्म है, जिसमें वह एक गांव की लडकी बनी हैं और खूब पढ़-लिख कर टीचर बनना चाहती है, जिससे कि वह अपने गांव के हर बच्चे को शिक्षित कर सके। उसी के जीवन से जुड़ी परिस्थितियां फिल्म को इस तरह से आगे बढ़ाती हैं कि यह दर्शकों को बांधे रखेगी। इस फिल्म में पंजाबी के सुप्रसिद्ध गायक एवं गीतकार राज काकड़ा हीरो हैं, जिनकी यह दूसरी फिल्म है। फिल्म का संगीत बहुत खूबसूरत है तथा गीत सिचुएशन से जुड़े हुए हैं। इसमें नीतू पंधेर, शिवेन्द्र महल एवं शकूर राणा इत्यादि ने काम किया है तथा संगीत बीट मनिस्टर ने दिया है।

नई फिल्म साइन करने से पहले क्या देखती हैं?
मेरे लिए फिल्म की कहानी जानना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यदि कहानी में दम है, तभी उसमें काम करने का फायदा है। उसके अलावा एक अच्छा निर्देशक ही आपके भीतर से बेस्ट निकाल सकता है।

क्या हमेशा से अभिनेत्री बनने का ही सोचा था?
नहीं ऐसा नहीं है, मुझे लगता है कि मेरी तकदीर में ही भगवान ने अभिनेत्री बनना लिखा था, तभी तो रास्ते अपने आप बनते चले गए। देखा जाए तो अब तक की अभिनय यात्रा मेरे लिए सुखद ही रही और सबका प्यार मुझे कुछ अच्छा करने को प्रेरित करता गया।


साउथ इंडियन मूवी में भाषा और इमोशन की कभी मुश्किल नहीं आई?
नहीं ऐसा नहीं है, किसी भी चीज में मुश्किल तब आती है, जब हम उसे पूरी तरह से समझ नहीं पाते और काम करने का मजा भी तभी है, जब आप उसे किसी चुनौती की तरह लेते हैं। असिस्टेंट डायरेक्टर आपको पूरा सीन समझा देता है, जिससे कि डायलॉग बोलते हुए इमोशन अपने आप ही आ जाते हैं। यही चीज आपको दर्शकों से जोड़ देती है। यही कारण है कि साउथ इंडियन मूवी करते हुए उन्हें कोई विशेष समस्या नहीं आई।

किस तरह के रोल करने पसंद हैं?
एक एक्टर हर तरह के रोल करना चाहता है, क्योंकि किसी एक तरह के रोल करना ही आपको टाइप्ड बना देता है। हर तरह का रोल करते हुए आप बहुत कुछ सीखते हैं, फिर भी रोमांटिक एवं कॉमेडी रोल मेरे दिल के ज्यादा करीब हैं, क्योंकि इनसे दर्शक भी स्वयं को ज्यादा जोड़ पाते हैं।

बिजी शेड्यूल में भी समाज सेवा के लिए वक्त कैसे निकाल पाती हैं?
कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो आपके दिल से जुड़ी होती हैं। मेरे पेरेंटस मुझे और मेरे भाई को हमेशा यही कहते हैं कि हमेशा दूसरों की मदद करो, ताकि यह दुनिया हमेशा खूबसूरत बनी रहे। प्यार और सेवा से ही तो दूसरों का दर्द दूर किया जा सकता है। यह जरूरी नहीं कि समाज सेवा आप पैसे से ही कर सकते हैं, बल्कि अपना वक्त दे कर भी आप सामने वाले की मदद कर सकते हैं। मैं कन्या भ्रूण हत्या, सीनियर सिटीजंस से जुड़े मामले एवं एड्स कंपेन से सक्रिय रूप से जुड़ी हूं।

खाली वक्त में क्या करती हैं?
जब भी खाली वक्त मिले तो स्वीमिंग और ड्राईव करना पसंद करती हूं क्योंकि दोनों ही चीजें आपको स्ट्रैस फ्री रखती हैं। इसके अलावा परिवार के साथ वक्त गुजारना तथा अपने पेटस सेलिया और सुल्तान के साथ खेलना मुझे बेहद पसंद है।

आपका सक्सैस मंत्र क्या है?
जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं, इसलिए अपने लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाते ही रहना चाहिए। प्रतिस्पर्धा कितनी ही क्यों न हो कड़ी मेहनत करना कभी न छोड़ो।

इस फिल्म के बाद क्या कर रही हैं?
एक मलयालम फिल्म के अलावा मैं एक ओर पंजाबी फिल्म करने जा रही हूं।




---प्रेमबाबू शर्मा---

याकूब मेमन की मौत की सजा बरकरार

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उच्चतम न्यायालय ने आज याकूब अब्दुल रजाक मेमन की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के मामले में अपनी मौत की सजा की समीक्षा करने का आग्रह किया था। न्यायमूर्ति ए आर दवे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मेमन की पुनिर्वचार याचिका खारिज कर दी। वह इस मामले में एकमात्र ऐसा दोषी है जिसे मौत की सजा सुनाई गई है।

शीर्ष अदालत ने 2 जून 2014 को मेमन की मौत की सजा के अनुपालन पर रोक लगा दी थी। इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने 21 मार्च 2013 को मेमन को सुनाई गई सजाए मौत की पुष्टि की थी। न्यायालय ने इस मामले में टाडा अदालत द्वारा 10 अन्य को सुनाई गई मौत की सजा को घटाकर उम्रकैद में तब्दील कर दिया था जिन्होंने मुंबई में विभिन्न स्थानों पर आरडीएक्स लदे वाहन खड़े किए थे।

प्रधानमंत्री मोदी का फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की यात्रा आज से शुरू

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को तीन देशों के नौ दिवसीय दौरे की शुरुआत कर रहे हैं. इस यात्रा में वह फ्रांस, जर्मनी और कनाडा का दौरा करेंगे. प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस दौरे की जानकारी दी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "मैं आज अपना फ्रांस, जर्मनी और कनाडा का दौरा शुरू कर रहा हूं."

अपने इस दौरे से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने एक अंग्रेजी अखबार दिए एक इंटरव्यू में पीएम ने कहा कि 10 माह पुरानी केंद्र सरकार ने राजनीति, प्रशासन और अर्थव्यवस्था के संदर्भ में भारत की वैश्विक विश्वसनीयता को बहाल किया है और अपनी गतिशीलता के माध्यम से पूर्व की संप्रग सरकार के दौरान पैदा हुई नीतिगत पंगुता को हटाने का काम किया है.

पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने अपनी कई पहलों के जरिये पारदर्शिता, क्षमता और गति के माध्यम से हमारी क्षमता में भरोसा जगाने का काम किया है. इंटरव्यू में मोदी ने कहा, ‘‘ अब विश्वास बहाल हो गया है प्रशासन, आर्थिक प्रगति और वैश्विक स्तर पर स्वाभिमान को गति मिली है. आप इसे देख सकते हैं.’’ उन्होंने कहा कि आईएमएफ, ओईसीडी और अन्य वैश्विक संस्थानों ने आने वाले महीनों एवं वषरे में बेहतर वृद्धि की भविष्यवाणी की है. इस तरह से भारत वैश्विक रडार पर फिर से आ गया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की उपलब्धियों को अतीत के संदर्भ में देखा जा रहा है.

मोदी ने कहा, ‘‘ किस स्थिति में जनता हमें सत्ता में लाई? और अब क्या स्थिति है? अब क्या किसी तरह की नीतिगत पंगुता है? नहीं. क्या पारदर्शिता से जुड़ा कोई मुद्दा है? नहीं. क्या शासन में कोई ठहराव है? नहीं. इसके बजाय गतिशीलता आ गई है. ’’न्यायपालिका से जुड़े मुद्दे पर मोदी ने कहा कि ऐसे उदाहरण है, जहां उसकी पहल से अच्छे परिणाम सामने आए हैं और ऐसे भी उदाहण है जहां पीड़ा सामने आई है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैं न्यायपालिका का विश्लेषण नहीं करना चाहूंगा, विशेषज्ञों को इसे देखना चाहिए.’’

तीन दिन पहले मोदी ने कहा था कि न्यायपालिका को फाइव स्टार एक्टिविज्म के प्रति सजग रहना चाहिए. मोदी ने कहा, ‘‘ हमने कई पहल की है जिसने पारदर्शिता, क्षमता और गति के साथ परिणाम देने की हमारी क्षमता में भरोसा जताने का काम किया है. हम देश के गरीब लोगों के हितों और उनके सशक्तिकरण को देख रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘नेक इरादे के साथ सुशासन हमारी सरकार का प्रतीक है. ईमानदारी के साथ अमल करना हमारी मुख्य अभिलाषा है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयला और स्पेक्ट्रम की नीलामी से यह बात सिद्ध हुई है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तब पारदर्शिता संभव है. वहीं प्रत्यक्ष नकद अंतर के जरिये एलपीजी सब्सिडी प्रदान करना सरकार की गरीबों की मदद करने की रणनीति का उदाहरण है.

उन्होंने कहा कि सरकार की दिशा इस वर्ष के बजट में प्रदर्शित हुई है जिसमें रेलवे के लिए भविष्योन्मुखी योजना के साथ बिजली संयंत्रों और उर्वरक संयंत्रों के लिए गैस प्रदान करने जैसी पहल सरकार की समृद्ध और शक्तिशाली भारत की दृढ़ प्रतिस्पर्धा को रेखांकित करते हैं. भारत-पाक संबंधों पर मोदी ने कहा कि भारत सभी लंबित मुद्दों पर पाकिस्तान से चर्चा करने को तैयार है लेकिन यह आतंकवाद और हिंसा मुक्त माहौल में होना चाहिए. मोदी ने कहा कि शांति तभी स्थापित की जा सकती है जब माहौल ठीक हो. उन्होंने कहा, ‘‘ हम आतंकवाद और हिंसा से मुक्त माहौल में पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मामलों पर द्विपक्षीय वार्ता करने को तैयार हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इस दिशा में आगे बढ़ने का आधार शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र होना चाहिए.’’

मध्य प्रदेश : किसानों के साथ धोखा किया प्रदेश सरकार ने,

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  • प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे किसानों को दिया जा रहा आधा ऋण, कांग्रेस नेता जोकचन्द्र का आरोप 

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पिपलिया स्टेशन (निप्र)। प्रदेश की किसान विरोधी भाजपा सरकार ने किसानों को सोसायटियों के माध्यम से मिलने वाले ऋण में रबी व खरीब की फसल का एक साथ ऋण न देकर अन्नदाताओं की कमर ही तोड़ दी है, सरकार ने ऋण वसूली तो पूरी कर ली, लेकिन वापस ऋण देने में आधा पैसा ही दिया जा रहा है, यह अन्नदाताओं के साथ धोखा है। 31 मार्च तक बैंकों ने येन-केन प्रकारेण ऋण की अदायगी कर ली अब बैंक पुनः ऋण देने से मुकर गई है, जिससे किसानों की आर्थिक हालात और भी खराब हो गई है। कांग्रेस नेता श्यामलाल जोकचंद्र ने बताया पूर्व में सोसायटियों के माध्यम से किसानों को प्रति हेक्टेयर ऋण मिलता था, जिसमंे सोयाबीन की फसल पर 24 हजार व गेंहू की फसल पर 33 हजार की राशि मिलती थी व 25 प्रतिशत खाद बीज के रूप में एकसाथ मिलती थी, जो एक वर्ष में 31 मार्च तक बैंक को पुनः जमा करनी पड़ती थी, इस वर्ष बेमौसम बरसात व ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गई, फिर भी किसानों से सोसायटियों ने पठानी वसूली कर राशि जमा करवाई, 

कुल प्रति हेक्टेयर 43 हजार की राशि जमा करने के बाद किसान अब वापिस ऋण लेंने गए तो बैंक ने मात्र आधी राशि का ही ऋण दिया, बाकी कहा की सरकार का नया प्रावधान है कि अब बाकि का ऋण 6 महीने बाद मिलेगा, जोकचंद्र आगे बताया अन्नदाता यह धोखा बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है, प्राकृतिक आपदा के बावजूद बमुश्किल से किसानों ने बैंक की ऋण अदायगी की, अब बैंक ऋण नहीं दे रही तो अन्नदाता कहां जाए, जोकचंद्र ने बताया प्रदेश के मुख्यमंत्री किसान हितेषी होने का नाटक करते है, गत दिनों ओलावृष्टि हुई, मल्हारगढ़ विधान सभा के गांव हरसोल में मुख्यमंत्री ने आकर किसानों को फसलों का मुआवजा देने, फसल बीमा देने व बैंकांे की वसूलियां स्थगित करने जैसी बातंे बड़ी जोर-शोर से की, नोटंकी करने वाले मुख्यमंत्री ने यहाँ तक कह दिया था की ओले किसानों के खेत में नही मुख्यमंत्री की छाती पर गिरे है। परन्तु भोपाल जाते ही किसानों के ऋण को आधे से भी कम कर दिया, आज तक ऐसी असंवेदनशील सरकार कही न देखी, जोकचंद्र ने बताया  अन्नदाताओं का रोज अपमान हो रहा है, वह सरकार का जुल्म सह रहा है, कोई सुनने वाला नहीं है, एसी सरकार के खिलाफ बड़े जन आंदोलन की जरुरत है।

मुफ्ती नहीं देंगे कश्मीरी पंडितों को अलग जमीन

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आज कश्मीरी पंडितों को जमीन देने के मुद्दे पर जबरदस्त हंगामा हुआ है। कल तक पंडितों को जमीन देने की बात कहने वाले मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद अब पलट गए हैं। 

उनका कहना है कि कश्मीरी पंडितों को उनके घरों में ही वापसी कारवाई जाएगी और उनके लिए कोई अलग से कालोनी नहीं बनाई जाएगी। गौरतलब है कि अलगाववादी यासीन मलिक ने पंडितों को जमीन देने का विरोध किया था। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमैन यासीन मलिक ने कहा है कि अगर कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के लिए अलग से कॉलोनी बसाई गई तो कश्मीर विश्व का दूसरा इजरायल बन जाएगा।

यासीन ने राज्य के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद पर राज्य में आरएसएस का एजेंडा लागू करने का भी आरोप लगाया। इस योजना को लेकर राज्य सरकार को जम्मू-कश्मीर में कई दलों और अलगाववादियों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद और गृह मंत्री राजनाथ सिंह की मंगलवार को दिल्ली में हुई बैठक में इस पर चर्चा हुई थी। मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने केंद्रीय गृह मंत्री को आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार घाटी में कश्मीरी पंडितों की टाउनशिप के लिए जल्दी से जल्दी जमीन का अधिग्रहण कर उसे उपलब्ध कराएगी।

जद यू के बागी विधायकों ने चुनाव चिह्न और पार्टी के झंडा पर अपना दावा ठोका

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जनता दल यूनाईटेड के बागी विधायकों ने जनता परिवार में पार्टी के विलय का विरोध करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर जद यू के चुनाव चिह्न और झंडा पर अपना दावा किया है । जद यू के बागी विधायक राजीव रंजन ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि देश की छह राजनीतिक पार्टियां राष्ट्रीय जनता दल . जनता दल यूनाइटेड . समाजवादी पार्टी और अन्य तीन ने विलय कर नयी राजनीतिक पार्टी का गठन करने जा रही है । उन्होंने कहा कि वह बिहार के नालंदा जिले के इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र से जद यू के विधायक है । वह और उनके साथ पार्टी के कई अन्य विधायक इस विलय के खिलाफ है और वे नयी पार्टी में नहीं जाना चाहते हैं।
             
श्री रंजन ने कहा कि संविधान की दसवीं अनुसूची में यह भी स्पष्ट है कि कोई छोटा ग्रुप या एक विधायक भी चाहे तो वह उस पार्टी में रह सकता है जिससे वह चुन कर आया है । उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में वह और उनके साथी अन्य विधायक जदयू में ही रहेंगे । इसलिए चुनाव आयोग से आग्रह है कि वह जदयू का चुनाव चिह्न तीर और झंडा उनके धड़े के साथ रहने दे ।

शिक्षा मुनाफे का कारोबार नहीं बल्कि मानवाधिकार हो - सत्यार्थी

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 नोबल पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं बचपन बचाओ आंदोलन के नेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि शिक्षा मुनाफे का कारोबार नहीं, बल्कि मानवाधिकार होना चाहिए और मुख्य रूप से यह सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए। श्री सत्यार्थी ने आज यहां संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन(यूनेस्को) द्वारा विश्व में शिक्षा की रिपोर्ट जारी होने के बाद पत्रकारों से यह बात कही। यह रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने जारी की। यूनेस्को द्वारा आयोजित इस समारोह में श्री सत्यार्थी विशिष्ट अतिथि थे।

उन्होंने कहा कि शिक्षा मूलत: राज्य की प्राथमिकता होनी चाहिए और इसकी पूरी जिम्मेदारी उसे निभानी चाहिए। सरकार इसकी खुद फंडिग करें या पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से इसका विकास करें पर यह मुनाफे का कारोबार हरगिज नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा केवल दान या परमार्थ कार्य नहीं है, बल्कि यह मानवाधिकार है और विश्व के हर नागरिक को यह प्राप्त होना चाहिए।

23 अप्रैल से राज्यसभा का नया सत्र

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 23 अप्रैल से राज्य सभा का नया सत्र शुरू करने की स्वीकृति दे दी है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। संसद के बजट सत्र के ब्रेक के दौरान ही राज्यसभा का सत्रावसान हो गया था। 

23 अप्रैल से सदन का 235वां सत्र शुरू होगा, जो 13 मई को समाप्त होगा। बजट सत्र के दूसरे भाग के तहत लोकसभा का सत्र 20 अप्रैल से शुरू होकर आठ मई को समाप्त होगा।

वाड्रा ने अपनी सुरक्षा की परवाह नहीं की, सुरक्षाकर्मियों को जनहित में लगाया

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद और उद्योगपति राबर्ट वाड्रा ने आज लोदी गार्डन में लावारिस बैग मिलने पर अपनी निजी सुरक्षा की परवाह नहीं करते हुए अपने सुरक्षाकर्मियों को व्यापक जनहित में लगा दिया। श्री वाड्रा के निजी सचिव मनोज अग्रवाल ने यहां बताया कि लोदी गार्डन में सुबह की सैर के दौरान श्री वाड्रा के सुरक्षाकर्मियों को झाड़ी में दो बैग पड़े होने की सूचना मिली। 

उन्होंने इसकी जानकारी श्री वाड्रा को दी और उनसे सुरक्षा के लिए पार्क से निकलने का आग्रह किया। लेकिन श्री वाड्रा ने अपनी सुरक्षा की परवाह नहीं करते हुए पार्क से बाहर जाने से मना कर दिया और सुरक्षाकर्मियों को इस झाड़ी के आस पास घेरा बनाने तथा लाेगों को इस ओर जाने से रोकने के लिए कहा। श्री वाड्रा ने इस संबंध में पुलिस को भी सूचित करने के निर्देश दिए। सूचना मिलने पर पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। जांच में पता चला कि बैग में मोबाइल फोन हैं। श्री वाड्रा को अति विशिष्ठ लोगों की श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है।

शिक्षा के लिए हर साल दुनिया में 22 अरब डालर की कमी

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दुनिया में अभी 12 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं और शिक्षा के लिए हर साल 22 अरब डालर बजट की कमी है तथा केवल एक तिहाई देशों ने ही अब तक सबको शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त किया है। जहां तक शिक्षा में लैंगिक समानता का सवाल है, एक तिहाई देशों में लडके एवं लड़कियों की प्राथमिक शिक्षा में समानता नही है जबकि माध्यमिक शिक्षा में दुनिया के आधे देशों में लैंगिक समानता नहीं है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की सबको शिक्षा की विश्व निगरानी रिपोर्ट में यह तथ्य सामन आये हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने आज यह रिपोर्ट जारी की । रिपोर्ट में कहा गया है कि सबको शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में भारत ने काफी प्रगति की है और अब केवल दस प्रतिशत छात्र ही स्कूली शिक्षा से वंचित हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के केवल 47 प्रतिशत देशों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं में सौ प्रतिशत दाखिला हो पाया है जबकि भारत समेत 8 प्रतिशत देश जल्द ही यह लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे। 20 प्रतिशत देश इस लक्ष्य से काफी दूर है। इस तरह 1999 की तुलना में अब दुनिया के दो तिहाई बच्चे प्री-प्राइमरी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने में गरीबी अभी भी समस्या बनी हुई है और यही कारण है कि अगर दुनिया का एक अमीर बच्चा स्कूल में पढ़ता है तो चार गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित है। अगर दुनिया का 100 अमीर बच्चा स्कूल की पढ़ाई पूरी करता है तो गरीब बच्चों में से केवल बीस ही अपनी पढ़ाई पूरी कर पाते हैं। रिपोर्ट में पाठ्यक्रमों में लैंगिक, पूर्वाग्रह,स्कूलों में लड़कियों के साथ यौन हिंसा तथा मिहला टीचरों की कमी पर भी गहरी चिंता व्यक्त की गयी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 78 करोड 10 लाख निरक्षर प्रौढ़ लोगों में से दो तिहाई महिलाएं है। सब सहारा अफ्रीकी देशों की आधी महिलाएं भी निरक्षर है।

पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों पर वार्ता को तैयार है भारत: मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनकी सरकार आतंकवाद और हिंसा से मुक्त माहौल में पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों पर वार्ता के लिए तैयार है। श्री मोदी ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा, “भारत दक्षिण एशिया में शांति और समृद्धि चाहता है। इसी के मद्देनजर सार्क के नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया गया था। लेकिन शांति और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। शांति तभी आ सकती है जब उसके लिए सही माहौल हो। पाकिस्तान के साथ वार्ता आगे बढ़ाने का आधार शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने के सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने और उनकी पार्टी भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया था कि राष्ट्र विरोधी तत्वों और आतंकवादियों पर किसी तरह की नरमी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लेकिन हमें व्यापक तस्वीर नहीं भूलनी चाहिए। यह गठबंधन समकालीन राजनीतिक परिदृश्य में सबसे अहम है। जन भागीदारी और सुशासन से देश की सबसे मुश्किल समस्या सुलझायी जा सकती है।

यह पूछने पर कि वह अपने दस महीने के कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियां क्या मानते हैं, श्री मोदी ने कहा कि इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि किन परिस्थितियों में लोगों ने हमें चुना। तब प्रशासन पूरी तरह से पंगु हो गया था और सरकार कोई फैसले नहीं ले रही थी। लेकिन अब स्थिति वैसी नहीं है। अब पारदर्शी तरीके से फैसले लिए जा रहे हैं और सरकार तेजी से काम कर रही है। नेक इरादों के साथ सुशासन हमारी सरकार का ‘हॉलमार्क’ बन गया है।

श्री मोदी जो आज फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की यात्रा पर रवाना हो गए ने एक सवाल के जवाब में कहा कि ये तीनों देश दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं और भारत के विकास में अहम भूमिका निभा सकती हैं। कनाडा के पास हाइड्रोकार्बन और दूसरे प्राकृतिक संसाधनों के भंडार है। फ्रांस और जर्मनी के पास विनिर्माण और कौशल की भरपूर क्षमता है। 

सत्यम घोटाला में राजू को 5 करोड़ का जुर्माना, 7 साल की सज़ा

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सत्यम घोटाला मामले में कोर्ट ने रामलिंगा राजू को 7 साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही उन पर 5 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया है। इसके अलावा बाकी 9 दोषियों को भी 7-7 साल की सजा सुनाई है। इससे पहले आज हैदराबाद की विशेष अदालत ने सभी 10 आरोपियों को दोषी करार दिया था।

देश में खातों में गड़बड़ी का यह सबसे बड़े मामला है। छह साल तक चली अदालती कार्यवाही के दौरान 200 से भी ज्यादा गवाहों और 3 हजार से ज्यादा दस्तावेजों की जांच की गई। कॉरपोरेट क्षेत्र के इस बड़े घोटाले का पर्दाफाश जनवरी 2009 में हुआ था।

सत्यम कम्प्यूटर्स सर्विसेज लिमिटेड के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष बी रामलिंगा राजू ने कंपनी के खाते में छेड़छाड़ की बात स्वीकार की थी, जिससे कंपनी शेयर होल्डर को करीब 14 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। इस मामले में राजू समेत 10 मुख्य आरोपी शामिल हैं।

फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की यात्रा पर रवाना हुए मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फ्रांस, जर्मनी और कनाडा की दस दिन की यात्रा पर आज रवाना हो गये। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उनके साथ गये हैं। श्री मोदी आज शाम पेरिस पहुँचेंगे। वह नौ से लेकर 12 अप्रैल तक फ्रांस में, 12 से 14 तक जर्मनी में और 14 से 16 अप्रैल की रात तक कनाडा में रहेंगे। वह 18 अप्रैल को स्वदेश लौटेंगे। श्री मोदी दस दिन के दौरान इन देशों के सात स्थानों पर जायेंगे जहाँ देश की आैद्योगिक एवं आर्थिक प्रगति और देश में रोज़गार को बढ़ावा देने के एजेंडे को आगे बढ़ायेंगे।

प्रधानमंत्री का सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम जर्मनी में है जहाँ वह दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक मेले हनोवर मैसे का जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के साथ 12 अप्रैल को उद्घाटन करेंगे। एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले में भारत मुख्य साझेदार देश के रूप में भाग ले रहा है। इस मेले में विश्व के 6000 शीर्ष आैद्योगिक इकाइयों के प्रतिष्ठान भाग लेगें और दो लाख से अधिक शीर्ष कारोबारी जुड़ेंगे। भारत की साढ़े तीन सौ कंपनियाँ इसमें भाग ले रहीं हैं।

फ्रांस में वह कल शाम पेरिस में सूर्यास्त के पहले सीन नदी में राष्ट्रपति फ्राँसुआ होलान्दे के साथ नाैका विहार करेंगे जिस दौरान दाेनों नेताआें के बीच ‘नाव पर चर्चा’ भी होगी। श्री मोदी ऐसे पहले भारतीय शासनाध्यक्ष होगें जिन्हें फ्रांस के राष्ट्राध्यक्ष से ऐसा दुर्लभ सम्मान हासिल होगा। उम्मीद की जाती है कि इस नाैकायन के दौरान दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा कर सकते हैं।

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (09 अप्रैल)

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अस्पताल मंें घटिया ईंट सोलिंग कार्य देखने पहुँचे एसडीओ अभियंताओं को लगाई फटकार

narkatiaganj news
नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) नरकटियागंज सरकारी अनुमण्डल अस्पताल मंे चल रहे ईंट सोलिंग कार्य में घटिया किस्म की ईंट का उपयोग किया जा रहा है, सन्मार्ग दैनिक समाचारपत्र में 7 अप्रील 2015 को छपी खबर का असर यह कि मंगलवार को भाप्रसे अधिकारी व अनुमण्डल पदाधिकारी नरकटियागंज सरकारी अस्पताल में ईंटीकरण को देखने पहुँचे और निर्माण कार्य में लगे कनीय अभियन्ता और विभागीय सहायक अभियन्त पर बिफर पड़े। उन्होंने कडे़ लहजे में जनकल्याण के लिए अस्पताल परिसर में कराए जा रहे ईंट सोलिंग कार्य को प्राक्कलन के अनुरूप तैयार करने निर्देश दिया। गौरतलब है कि अस्पताल परिसर बरसात के दिनों जल जमाव से ग्रस्त हो जाता है। शहर व क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने वाला अस्पताल जल जमाव व कीचड़ से बदहाल रहता है। अनुमण्डल पदाधिकारी की पहल पर यदि समुचित मिट्टी और ईंट का प्रयोग होता है तो कितना अच्छा होगा। कौशल कुमार ने अपनी जाँच के दौरान घटिया ईंट देखा तो उनके चेहरे देखने लायक थे। क्योंकि अस्पताल परिसर में लगाये जा रहे ईंट की गुणवत्ता काफी घटिया किस्म की थी। जिससे ईंट सोलिंग कराना जनहित में उचित्त प्रतीत नहीं हो रहा। अब देखना यह है कि सरकारी अस्पताल के ईंट सोलिंग कार्य में सही ईंट का उपयोग किया जाएगा अथवा अनुमण्डल पदाधिकारी के निर्देश भी नक्कारखाने की तूती साबित होगी।

वेतनमान मिलने तक आन्दोलन को संकल्पित, नियोजित शिक्षक हड़ताल पर

नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) नरकटियागंज के पोखरा चैक स्थित रामजानकी मंदिर परिसर में नियोजित शिक्षकांे की एक बैठक सम्पन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता धरणीकान्त मिश्र ने की। संघ के जिला महासचिव ने कहा कि वेतनमान की लड़ाई को लेकर प्रदेश के सभी नियोजित शिक्षक संगठनों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया है। जबतक नियोजित शिक्षकों के वेतनमान की मांग पूरी नहीं की जाएगी तब तक हड़ताल जारी रखी जाएगी। संघ के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार सभी शिक्षको ने पीके शाही और नीतीश कुमार के विरोध में नारेबाजी की। सभी शिक्षकों ने अपनी एकता का परिचय देने का संकल्प लिया और हड़ताल को सफल बनाने की इच्छाशक्ति जताई। अन्य शिक्षक नेताओं ने कहा कि शिक्षकों की गोलबन्दी से कोई भी लड़ाई लड़ी  जा सकती है। टीईटी एसटीईटी शिक्षक संघ के अध्यक्ष राजेश कुमार ने कहा कि सभी संगठन के शिक्षकों को नियोजित शिक्षकों के वेतनमान की मांग पूरी होने तक आन्दोलन में बढचढ कर शामिल होना चाहिए। बैठक में शेख निजामुद्दीन, अमित कुमार, प्रमोद पासवान, प्रमोद ठाकुर, रोहित राम, महम्मद गुफरान, आनन्द कुमार, सुनिल कुमार, विकास कुमार, राजीव वर्मा, रवीश कुमार, धीरज उपाध्याय, धनन्जय मिश्र, रमेश तिवारी, विशाल कुमार गुप्ता, महम्मद ताहिर, वीरेन्द्र कुमार, कमलेश कुमार, खुशबू कुमारी, श्वेता कुमारी, कुमारी किरण और रामेश्वर यादव शामिल हुए। 

शिक्षा विभाग कुंभकर्णी निन्द्रा में, गौनाहा प्रखण्ड के ग्रामीणों ने किया हंगामा

नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबा गौनाहा शिक्षा विभाग के विरूद्ध जागरूक ग्रामीणों ने आन्दोलन किया। बताते हैं कि गेन्हरिया स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय के अभिभावकांे ने बुधवार को काफी हंगामा किया। इस बावत ग्रामीणों ने बताया कि प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी ने पूरी शिक्षा व्यवस्था को चैपट कर रखा है। जिसके कारण कोई शिक्षक नियमित स्कूल नहीं आता। गौनाहा के बीईओ के कार्यशैली का नमूना देखिए कही छात्र-छात्राएँ अधिक हैं तो शिक्षक का आभाव है। किन्तु प्राथमिक विद्य़ालय गेन्हरिया में एक अजूबा है, जहाँ नामांकित बच्चो की संख्या महज 60 है और शिक्षक की संख्या 4 है। नियमित विद्यालय पहुँचने वालों में प्रधान शिक्षिका शांति कुमारी और सुशिला दवी का नाम आता है किन्तु उनके लिए भी गाँव के लोग बताते है कि 11 बजे तक लेट नहीं और दो बजे के बाद भेंट नहीं वाली कहावत चरितार्थ है। ग्रामीण रमाशंकर महतो, राजाराम महतों, सुरेश, विजय, राजेश, रमेश, ओमप्रकाश  और अशोक महतो बताते हैं कि शिक्षा विभाग के सभी लोग मिलकर सरकारी योजनाओं की लुटिया डुबोने मे लगे है। उल्लेखनीय है कि बीईओं विजय कुमार वर्मा की शह पर प्रखण्ड के करीब अधिकांश विद्यालयांे के हालात यही है। इतना ही नहीं कई विद्यालय में शिक्षक कभी जाते ही नहंी और उन्हें पूरा भुगतान मिलता है। कई विद्यालय में मध्यान्ह भोजन की राशि का उठाव कर लिया जाता है और उसका बन्दरबाँट किया जाता हैं। पूछे जाने पर बीईओ श्री वर्मा का बयान होता है ऐसा नहीं होता और जाँचकर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उसी अंदाज में गेन्हरिया प्राथमिक विद्यालय के संबंध में उन्होंने कहा कि जाँचकर उचित कार्रवाई की जाएगी।

निजी अस्पताल व क्लिनीक के सामने कचरा का उठाव नहीं होने से परेशानी

नरकटियागंज(पचं.) नगर परिषद् नरकटियागंज में इन दिनांे काम होने लगा है अलबत्ता किए जाने वाले कार्य का लाभ स्थानीय आम व खास को नहीं मिल रहा है। नगर परिषद् के विकास कार्यों की जहाँ सराहना की जा रहीं है वहीं उनके किए गये गलत कार्यों से लोग परेशानहाल है। नगर परिषद् नरकटियागंज की कारगुजारी से लोग त्रस्त है, नाली का कचरा निकाल कर सरेआम सड़क पर छोड़ देना आम बात है। हद तो उस वक्त हो जाती है जब लोगों की स्वास्थ्य का ख्याल रखने वाले निजी क्लिनीक के सामने गंदगी पड़ी रह जाती है। नगर परिषद् द्वारा सफाई कराए जाने को बहुत अच्छी पहल मानने वाले बुद्धिजीवियों ने भी नाली से निकले कचरों का उठाव नहंीं किए जाने पर ऐतराज जताया हैं। डाॅ. आर भी स्नेही बताते हैं कि एक तो सफाई काफी कम होती है और सफाई होती भी है तो उसके बाद कचरों का उठाव नहीं किया जाता है, यह अच्छी बात नहीं है। आर के मेमोरियल अस्पताल के संचालक डाॅ एजाज अहमद का कहना है कि नगर परिषद् खूब सफाई कराए लेकिन नप प्रशासन को चाहिए कि वे लोगों को स्वास्थ्य प्रदान करने वाले सरकारी और निजी क्लिनीक के सामने सफाई के बाद पड़ कचरों का उठाव शीघ्र सुनिश्चित कर दें ताकि मरीज व चिकित्सा कार्य में लगे लोगांे को असुविधा नहीं हो।
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