Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74203 articles
Browse latest View live

विशेष : जीवन व्यस्त भले ही होे, लेकिन अस्त-व्यस्त नहीं

$
0
0
वर्तमान जीवन का हाल यह है कि यहां चीजें सरपट भाग रही हैं। लोग जल्दी में हैं। उन्हें डर है कि कहीं धीमें पड़ गए तो आगे बढ़ने की रेस में पीछे न छूट जाएं। इस आपाधापी में वे तमाम तरह की गड़बडि़यों में शामिल हैं। इसी तरह के जीवन ने व्यक्ति को लापरवाह एवं अस्तव्यस्त बनाया है। न सोने का कोई टाइम है, न जागने का। न काम की कोई जवाबदेही और न दिनचर्या का अता-पता। हमें अस्त-व्यस्त हमारी सोच करती है, दूसरा कोई नहीं। असल में जीवन में छोटी-छोटी समस्याएं आती रहती है, लेकिन प्रगति का घोंसला छोटी-छोटी आदतों के तिनकों से बुनकर ही तैयार होता है। इसलिये अपने जीवन के हर पल को सार्थक बनाने के लिये व्यस्त भले ही बने, लेकिन अस्त-व्यस्त नहीं। सही समय पर सही कार्य करना ही संतुलित जीवन का आधार है। जो समय बीत गया वह फिर नहीं आता। इसलिये समय को पहचानो, समय की परवाह करो अन्यथा समय तुम्हारी परवाह नहीं करेगा।

आप इस क्षण में यदि असंतुष्ट हैं तो किसी अन्य क्षण में भी असंतुष्ट ही रहेंगे। आप अपनी वर्तमान अवस्था में यदि संतुष्ट नहीं है और सोच रहे हैं कि अमुक जैसे हो जाए तब संतुष्ट हो जायेंगे, सुखी हो जायेंगे तो यह आपके मन का भ्रम ही है। मन की परिधि पर जीने वाला व्यक्ति मन की मानकर जीने वाला व्यक्ति कभी भी सुखी जीवन नहीं जी सकता। वह सदैव असंतुष्ट रहेगा क्योंकि असंतुष्ट रहना मन का स्वभाव है। मन सदा भविष्य में जीता है, महत्वाकांक्षा में जीता है, दूसरों जैसे होेने की चाह से भरा रहता है मन सदा। दुनिया में असफल लोगों की दो श्रेणियां हैं। एक वे लोग जो विचार पर पूरा मनन नहीं करते और बिना योजना के कार्यान्वयन पर उतर आते हैं और दूसरे वे जो हर विचार पर खूब मनन करते हैं, योजना बनाते हैं परन्तु इसको आगे नहीं बढ़ाते उसे कार्य रूप नहीं देते। सही तरीका है कि विचार पर मनन करें। अपने समय, साधन और समझ के अनुरूप योजना बनाएं और कार्यक्षेत्र में कूद पड़े। हमें सदा परिश्रम करते रहना चाहिए क्योंकि परिश्रम से जो संतुष्टि मिलती है वह और किसी चीज से नहीं मिलती। वास्तव में संसार के सभी चर्चित महापुरुष हमारे जैसे इंसान ही थे। यह उनका तप और त्याग था जिसकी वजह से वे महानता अर्जित कर सके और शिखर तक पहुंचे।

योगशास्त्र में एक शब्द आता है- सजगता। इसका अर्थ है आप जो भी करें, जाग कर करें, होशपूर्वक करे। आप जो कर रहे हैं और जो बोल रहे हैं उसका आपको बोध होना चाहिए। अपने कर्तव्य का बोध, अपने वक्र्तृत्व का बोध यदि आपके भीतर नहीं होगा तो उसका परिणाम तेली के बैल के समान ही रहेगा। जीवन भर चलकर भी तेली का बैल कहीं पहुंचता नहीं, एक ही सर्कल में घूमता रहता है। शिक्षित-सा दिखने वाला एक युवक दौड़ता हुआ आया और टैक्सी ड्राइवर से बोला-‘‘चलो, जरा जल्दी मुझे ले चलो।’’ हाथ का बैग उसने टैक्सी में रखा और बैठ गया। ड्राइवर ने जल्दी से टैक्सी स्टार्ट कर दी और पूछा-‘‘साहब, कहां चलना है?’’ युवक ने कहा-‘‘अरे, कहां-वहां का सवाल नहीं है, सवाल जल्दी पहुंचने का है। बिना लक्ष्य के ही ड्राइवर ने टैक्सी को दौड़ा दिया। ऐसी स्थितियां हमें अक्सर देखने को मिलती है। किसी के पास यह सोचने और बताने का समय नहीं है कि आखिर उसे कहां जाना है? हर कोई यही अनुभव कर रहा है कि दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है, वह दौड़ रही है, इसलिए बस हमें भी दौड़ना है।

आज का व्यक्ति इसी तरह की व्यस्तता का जीवन जी रहा है। क्योंकि उसकी जीवन शैली कोरी प्रवृत्ति प्रधान है। कोरी प्रवृत्ति प्रधान जीवन शैली होने के कारण व्यक्ति का जीवन व्यस्त नहीं बल्कि अस्त-व्यस्त हो गया है। व्यस्तता व्यक्ति के लिये बुरी नहीं, अन्यथा व्यस्तता के अभाव में ‘खाली दिमाग शैतान वाली’’ कहावत चरितार्थ हो सकती है। किन्तु अति सर्वत्र वर्जयेत् के अनुसार अति व्यस्तता व्यक्ति के लिए हानिकारक है। अति व्यस्तता का एक प्रमुख कारण है-उतावलापन व अधीरता। उतावलापन वर्तमान युग की महामारी है। अबालवृद्ध सभी इस रोग से ग्रस्त हैं। प्रत्येक कार्य के प्रति जल्दीबाजी, काम तत्काल होना चाहिए तथा उसका परिणाम भी तत्काल होना चाहिए। चाहे डाॅक्टर के पास जाना हो या किसी अफसर के पास या किसी साधु के पास। व्यक्ति चाहे कुछ भी देने के लिए तैयार है किन्तु उसका कार्य शीघ्रताशीघ्र होना चाहिए, वह प्रतीक्षा की बात ही नहीं जानता। जीवन में जहां इतनी अधीरता व जल्दीबाजी होती है वहां व्यक्ति निश्चित रूप से मानसिक तौर पर अस्त-व्यस्त हो जाता है। इससे केवल बनते हुए काम ही नहीं बिगड़ते अपितु लाभ को हानि में, सफलता को असफलता में बदल देता है।

प्रायः लोगों को जो कुछ मिलता है उसका पूरा आनंद नहीं ले पाते। जो नहीं मिला उसके लिए ही अपनी किस्मत को रोते रहते हैं या ईश्वर से शिकायत करते रहते हैं। जो व्यक्ति अपने पास उपलब्ध साधनों की अपेक्षा नई-नई इच्छाएं करता रहता है और इस प्रकार उदास रहता है वह सदा लोभ-लालच में फंसकर अपने मन का चैन खो बैठता है। प्रश्न उठता है उतावलापन क्या है? व्यक्ति के किसी भी कार्य को दूरगामी परिणामों पर विचार किए बिना हड़बड़ी में बिना सोचे-समझे कार्य को कर डालने की आदत को उतावलापन कहते हैं। यह आदत व्यक्ति के स्वयं के जीवन को ही अस्त-व्यस्त नहीं करती वरन् परिवार और समाज में भी अव्यवस्था को जन्म देती है तथा जिसकी परिणति अनेक रोगों में देखी जाती है। अमरीका के प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ. लुही जैकोबली का मानना है कि आधुनिक युग में मनुष्य जितना बेचैन व अधीर है उतना कभी नहीं देखा गया। हर समय दौड़-धूप और हर काम में उतावलेपन व अधीरता ने मनुष्य के मन और मस्तिष्क को खोखला बना दिया है। अधीर व्यक्ति हमेशा कठिन और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने से कतराता है। ऐसे व्यक्ति प्रायः मानसिक तौर पर उदासी, मायूसी, घबराहट और तनाव से घिरे रहते हैं तथा शारीरिक स्तर पर रक्तचाप, कैंसर, अल्सर और हृदयघात जैसी बीमारियों से पीडि़त रहते हैं।

मनोचिकित्सकों के अनुसार हड़बड़ी से हड़बड़ी पैदा होती है। इस प्रकार से शरीर में यह चक्र चलता रहता है और यह चक्र इतना सुदृढ़ हो जाता है कि व्यक्ति मात्र यंत्र बनकर रह जाता है। लंदन के डाॅक्टर जेनिस लियो का कथन है कि आज की दुनिया तेज गति की दीवानी भले ही हो किन्तु इस फास्ट लाइफ ने लोगों का चैन छीन लिया है तथा अनेक रोगों को जन्म दिया है। उनमें से एक प्रमुख रोग है नर्वस ब्रेक डाउन। जिसके कारण व्यक्ति का मन शंका-कुशंका, भय और भ्रम की आशंका से घिर जाता है। ऐसे व्यक्ति स्वयं तो समस्याग्रस्त रहते ही हैं तथा दूसरों के लिए समस्या पैदा करते रहते हैं। वर्तमान युग की इस बीमारी से निपटने के लिए जरूरी है-धैर्य का विकास हो व कार्य करने की शैली योजनाबद्ध ढंग से अपनायी जाए। ध्यान, योगाभ्यास, प्राणायाम, जप, स्वाध्याय तथा चिंतन-मनन जैसी सरल क्रियाओं के द्वारा इस अस्त-व्यस्तता से निजात पायी जा सकती है। अति अस्त-व्यस्तता व्यक्ति को चिड़चिड़ा व क्रोधी बना देती है। शांत चित्त और मधुर व्यवहार के द्वारा इस व्याधि से सहज ही छुटकारा पा सकते हैं। इसके लिये जरूरी है व्यक्ति का स्वयं पर अनुशासन हो,  अस्त-व्यस्त जीवन शैली को व्यवस्थित व संतुलित करने के लिए व्यक्ति अपने जीवन में प्रवृत्ति के साथ निवृत्ति की आदत डालें। हर समय काम ही काम नहीं, अकाम भी जरूरी है। इससे उसकी जीवनशैली व्यवस्थित होगी तथा जीवन को एक नई दिशा व नया आलोक मिलेगा।

किसी ने सही कहा है कि दुनिया को जीतने से पहले हमें स्वयं को जीतना चाहिए। आज के आधुनिक जीवन में सबसे बड़ी समस्या तो मन की उथल-पुथल से पार पाने की है। हम जितना आराम और सुख चाहते हैं आज के प्रचलित तरीकों से उतना ही मन अशांत हो रहा है। हर  अस्त-व्यस्त इंसान महसूस करता है कि उसे लंबे अर्से से सुकून नहीं मिला। जबकि सुकून हमें खोजना पड़ता है ना कि हमें हथेली में सजा मिलेगा कि आओं और सुकून का उपभोग करो और चलते बनों। आज की जीवनशैली की सबसे बड़ी समस्या समय का ना होना यानी अस्त-व्यस्तता भी है। तथाकथित प्रगति की दौड़ में शामिल इंसान की जीवनशैली का तो यही हाल है कि रात को बारह बजे तक जागना और सुबह नौ बजे तक सोना फिर काम की आपाधापी में पड़ जाना और काम इतना कि खुद के लिए भी समय ना मिलना।

हमें यह मानकर चलना चाहिए कि  जिन्दगी का कोई भी लम्हा मामूली नहीं होता, हर पल वह हमारे लिये कुछ-न-कुछ नया प्रस्तुत करता रहता है। इसके लिये जरूरी है कि हम रोज स्वयं को अनुशासित करने का प्रयास करते रहे। प्रवृत्ति और निवृत्ति, काम और अकाम, कर्मण्यता और अकर्मण्यता दोनों के बीच संतुलित स्थापित करें। जीवन न कोरा प्रवृत्ति के आधार पर चल सकता है और न ही कोरा निवृत्ति के आधार पर। स्वस्थ और संतुलित जीवन-शैली के लिए जरूरी है दोनों के बीच संतुलन स्थापित होना। संतुलन के लिये जरूरी है ध्यान। यही एक ऐसी प्रक्रिया है, जो हमें सुख शांति प्रदान करती है। आपको जिंदगी में सुकून चाहिए तो ध्यान को अपने दैनिक जीवन के साथ जोड़ें। यह आपको सुकून तो देगा ही, जीने का अंदाज ही बदल देगा। एक मोड़, एक नया प्रस्थान मालूम देगा।





liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

विशेष आलेख : बैगा समुदाय की परम्परागत खा़द्य सुरक्षा, पोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति

$
0
0
baiga tribal
डिन्डोरी मध्यप्रदेश का वह  जिला  है , जिसके विषय में राज्य स्त्तर के  अधिकारी  यह मानकर चलते हैं कि यहां तो समस्याएं हैं ही, अतः कौन इनमंे अपना सर खपाये ? राजनीतिक नेतृत्व के पास अपनी समस्याएं हैं, अब भला बच्चों का स्वास्थ्य ,टीकाकरण माताओं की प्रसूति की सेवा आदि भला वोट बैंक कैसे बन सकती है ? 
          
बैगा जनजाति वह आदिम जनजाति है, जो कि ब्रिटिश शासन काल के प्रारंभ तक पहाड़ों के ऊपर वनों  में अपनी आदिम जीवन पद्वति के साथ निवास करती थी। जिन्हें शासन ने पहाड़ से नीचे लाकर ग्रामों में बसाया। इस प्रक्रिया के साथ ही उनकी समग्र पोषण व स्वास्थ्य ज्ञान परंपरा का क्षय प्रारंभ हो गया। इस प्रकार ‘‘बैगा’’ जिसका शाब्दिक अर्थ ही प्रकृति की शक्तियों का उपयोग कर इलाज करने वाला होता है और जो वास्तव में जड़ी-बूटी से स्वास्थ्य संरक्षण का विशारद था, वही आज परम्परागत ज्ञान से वंचित हो गए हैं। 
          
बैगा आदिम जनजाति प्रकृति की सबसे निकट समुदाय में से एक है। वह बेवर खेती पद्वति के द्वारा अन्न उत्पादन करते रहे हैं जिसे पर्यावरण के तथाकथित हितचिंतक वन का विनाषा मानते है और उस पर रोक लगाने की बात करते है। जिसके परिणामस्वरूप बैगाओं की नई पीढी में बेवर खेती पद्वति के प्रति नकारात्मक रूझान बनता जा रहा है और वह आधुनिक कृषि से जुडी हाइब्रिड जी.एम. आदि की ओर आकर्षित हो रहे है। बैगा अपनी बेवर पद्वति की खेती में एक साथ कई बीज बोते थे। इससे कम वर्षा होने पर ज्यादा पानी वाली फसले तो मर जाती लेकिन कम पानी वाली फसलें जीवित रह जाती है इस प्रकार हमेषा खाद्य उत्पादन श्रंृखला बनी रहती है। बैगा कोदो, कुटकी, समां उगाते रहे हैं। कोदो, कुटकी खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से सर्वाधिक विष्वसनीय खाद्य पदार्थ है। उन्हे उत्पाद पश्चात एक बार मिट्टी की कोठी में भंडारित करने के बाद वर्षो तक सुरक्षित किया जा सकता है। ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जब 40 से 50 वर्ष पश्चात खाद्य भण्डारों के खोलने पर कोदो या कुटकी का संग्रहित भण्डार उत्तम खाने योग्य आवस्था में प्राप्त हुआ है। इसके अतिरिक्त बैगा परम्परागत् रुप से कई तरह के फल फूल कन्द छाल व पत्तियां कई तरह की भाजी, पीहरी (मषरूम), ज्वार, मक्का से अपनी खाद्य आवष्यकता की पूर्ति के लिए करते रहे है। लेकिन डिन्डोरी मण्डला कर्वधा और बिलासपुर के मध्य अमरकण्टक रायपुर और जबलपुर इन उत्पादों के बडे बाजार बन गये है। यही से बाजार व्यवस्था से इनके शोषण की श्रंृखला का अनचाहा विकास हुआ है। आंधाधुंध दोहन व शोषण से इस संपदा का लगभग विनाष हो गया। उदाहरण के लिए बैगा को वनों में 12 से अधिक किस्म के कन्द मिलते थे, यह कन्द आवष्यकता पडने पर जंगल से खोदे जाते और उससे पूरे समुह का पेट भर जाता था। इनमें कनिहाकांदा 10 से 15 किलो तक का होता था। अब इन्हे ढुंढने पर भी प्राप्त करना कठिन हो रहा है। अत्यधिक दोहन से कई बीज ही खत्म हो गये हैं। अतः यदि कोई चाहे भी तो इसके पुर्नउत्पादन प्रक्रिया को चलाया जाना कठिन है अतः आवष्यकता  सामुदायिक बीज बैंक बनाने की है, जहां असानी से बैगा को परम्परागत् बीज उपलब्ध हो सके। आज आवष्यकता बेवर खेती के फायदे, पारम्परिक बीजों के गुण, उनका स्वास्थ्य पर प्रभाव, सामाजिक आर्थिक महत्व, पर सामाजिक षिक्षण कार्यक्रम चलाकर पारम्परिक, मिश्रित और प्राकृतिक रूप से बेवर कृषि प्रणाली को पुनः उपयोग में लाने की जरुरत है जिससे बैगा की परम्परागत खाद्य सुरक्षा को  निरंतर रखा जा सके
               
डि़डोरी जिले के करंजिया व बजाग विकासखण्ड के 52 गांव जहां बैगा जाति सर्वाधिक,सघन रूप से निवास करते है, उन गांवों को सम्मलित रुप से बैगा चक कहा जाता हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि करंजिया विकासखण्ड के बैगा चक स्थित बहारपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आज भी किसी चिकित्सक की नियुक्ति नहीं है। एक चतुर्थ श्रेणी के स्वास्थ्य कर्मचारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित कर रहे हैं। आधारभूत सुविधा के नाम पर यहाँ फोन, अम्बुलेंस, जननी एक्सप्रेस सेवा जैसी कोई भी सुविधा नहीं है। समस्याएं तब और भी गंभीर हो जाती हैं जब प्रषासन द्वारा लक्ष्य प्राप्ती के लिए जंगल के अन्दर की बैगा महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया जाता है, जहां कोई सुविधा ही नही है और जब मामला बिगड़ जाता है तो उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र करंजिया भेजते हैं। जहां भी कोई महिला चिकित्सक ना होने के कारण उसे पुनः जिला चिकित्सालय डिन्डोरी रेफर कर दिया जाता है।  
            
दो वर्ष पूर्व एक ही माह में ग्राम खारिदिह में रम्मू बैगा की पत्नी और गर्भस्थ शिशु मारे गये। फिर कहानी को दौहराते हुए पवन की पत्नी और गर्भस्थ शिशु यानि जच्चा और बच्चा दोनों ही मारे गए। यह  सिलसिला निरंतर जारी है, इसी जून 2013 में कुंवर सिंह ने अपने शिशु को खोया, तो वही जुलाई में  कौशल्या बाई ने अपने शिशु जन्म देने के बाद शिशु का चेहरा भी नही देख पाई। यह सब कुछ हुआ संस्थागत प्रसव के लक्ष्य पूर्ति हेतु किये गये गैरनियोजित व अनियमित प्रयासों के परिणाम स्वरुप। टीकाकरण की नियमितता व प्रभावशीलता को इस तरह समझा जा सकता है कि चैरादादर स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र सड़क मार्ग से 27 से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यहाँ बारिश के समय किसी भी तरह पहुंचना कठिन और असंभव है। उपस्वास्थ्य केंद्र में कोई फ्रिज की व्यवस्था नहीं है, फिर भी टीकाकरण नियमित हो रहा है। यहां की ‘‘कोल्ड चैन’’ कैसे चलती है यह रहस्य का विषय है। 
           

बैगा अपनी परम्परागत जड़ी -बूटी के ज्ञान में ही अपने बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा देखते हैं लेकिन अब स्थिति यह है कि उनकी परम्परागत् पद्वति हाथ से छूट ही गई है और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बहुत ही जर्जर है। ऐसे में बैगा समुदाय के सामने यह सवाल मुंहबाये खड़ा है कि अपने स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं के लिए कहाॅ जायें ?





विनोद पटेरिया
(चरखा फीचर्स) 

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (11 अप्रैल)

$
0
0
एलबीएस प्रकरण में एसआईटी की जांच प्रक्रिया पर उठे सवाल, क्यों नहीं दर्ज हो रहे रूबी के बयान
  • अब तक सौरभ जैन से भी नहीं हुई पूछताछ की कोशिश, रूबी के परिजनों को नहीं रहा पुलिस की जांच पर भरोसा
  • कई स्वमंसेवी संगठन अब उठा रहे सीबीआई जांच की मांग

uttrakhand news
देहरादून, 11 अप्रैल। देश की प्रतिष्ठा से जुड़े लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में घुसपैठ मामले की चल रही जांच की प्रक्रिया पर तमाम सवालात खड़े हो रहे हैं। इस मामले में सबसे संदिग्ध नजर आ रहे अकादमी के उप निदेशक सौरभ जैन से अब तक पूछताछ न होने के साथ ही मजिस्ट्रेट के सामने रूबी के बयान तक दर्ज नहीं कराए गए हैं। अब रूबी के परिजनों के साथ ही कई स्वमंसेवी संगठन भी मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं। एसआईटी की अब तक की पूरी जांच रूबी के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। रूबी के सीधे आरोप के बाद भी इस मामले में अकादमी के उप निदेशक सौरभ जैन से एसआईटी ने कोई पूछताछ नहीं की है। इतना ही नहीं रूबी की ओर से सौरभ जैन के खिलाफ दी गई तहरीर के आधार पर कोई मुकदमा भी कायम नहीं किया गया है। एसआईटी का जांच का आलम यह है कि गिरफ्तारी के बाद रूबी को चार दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई और कुछ सामान भी बरामद किया। एसआईटी के इस रुख से परेशान रूबी ने अब अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत के सामने खुद ही अपने बयान दर्ज करने की गुहार लगाई है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि रूबी के बयान दर्ज करवाने में आखिर एसआईटी इतनी देरी कैसे कर रही है। बताया जा रहा है कि डर इस बात का है कि अगर रूबी ने मजिस्ट्रेट के सामने भी सौरभ जैन पर आरोप लगाए तो उन्हें भी जांच के दायरे में लेना एसआईटी की मजबूरी बन जाएगा। शायद इसी वजह से एसआईटी अब तक महज रूबी की ही घेराबंदी में लगी है। एसआईटी इस जांच प्रक्रिया से रूबी के परिजनों में भी असंतोष फैल रहा है। रूबी के परिजन अब खुले तौर पर एसआईटी पर आरोप लगा रहे हैं कि सौरभ जैन को बचाने के लिए रूबी को अकेले ही बलि का बकरा बनाया जा रहा है। परिजनों के साथ ही कई स्वमंसेवी संगठन भी अब इस मामले को सीबीआई के हवाले करने की मांग कर रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि राज्य सरकार का इस मामले में क्या रुख रहता है।

आज ईवीएम में बंद हो जाएगा भगवानपुर विधानसभा सीट के उप चुनाव का नतीजा, न पार्टी, न प्रत्याशी, प्रतिष्ठा तो नेताओं की दांव पर
  • कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री हरीश रावत का साख का सवाल, भाजपा प्रत्याशी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री निशंक ने झोंकी ताकत

देहरादून, 11 अप्रैल। भगवानपुर विधानसभा सीट के लिए हो रहे उप चुनाव में मतदान की प्रक्रिया आज पूरी हो जाएगी। अहम बात यह है कि यह उप चुनाव बेहद दिलचस्प अंदाज में हुआ है। इस चुनाव में यूं तो भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होना है। लेकिन अहम बात यह है कि चुनाव के नतीजे से सीएम हरीश रावत और पूर्व सीएम डा. रमेश पोखरियाल निशंक का सियासी कद होगा, न कि पार्टी या फिर प्रत्याशी का। काबीना मंत्री  सुरेंद्र राकेश की मृत्यु से खाली हुई भगवानपुर विधानसभा सीट के लिए आज मतदान चल रहा है। इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में स्व. सुरेंद्र की पत्नी ममता राकेश और भाजपा की ओर से राजपाल सिंह प्रत्याशी हैं। 2012 के बाद से कोई भी उप चुनाव न हारने वाली कांग्रेस जीत के अपने सिलसिले को बरकरार रखना चाहती है तो भाजपा पर हार का मिथक तोड़ने का दबाव है। अहम बात यह है कि दोनों ही दलों के प्रत्याशी चुनावी दांव-पेचों से पूरी तरह से अंजान है। यह वजह है कि दोनों दलों के आला नेताओं ने ही चुनावी कमान संभाल रखी है। पिछले कुछ रोज गतिविधियों पर नजर डालें तो पूरा उप चुनाव मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक के बीच ही सिमटा दिख रहा है। निशंक की ओर से प्रचार के दौरान हरीश सरकार की घेराबंदी की जा रही है तो हरीश की ओर से निशंक कार्यकाल के कारनामों को उजागर किया जा रहा है। हालात ये हैं कि डा. निशंक ने अपने समर्थकों के साथ भगवानपुर क्षेत्र में ही पिछले एक पखवाड़े से डेरा जमा लिया था तो सीएम हरीश के कई दौरे किए और प्रचार के अंतिम दो दिन भगवानपुर क्षेत्र में ताबड़तोड़ सभाएं और प्रचार किया। जाहिर है कि हरीश के ऊपर जीत का सिलसिला बरकरार रखने का जिम्मा है तो निशंक को डोईवाला उपचुनाव में हुई हार का दाग धोना है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जीत हरीश की होती या फिर निशंक की। क्योंकि इस उप चुनाव में न तो पार्टी फोकस में रही और न ही प्रत्याशी। ऐसे में उप चुनाव का नतीजा ही दोनों दिग्गजों का सियासी कद तय करेगा।

डाक्टर जोशी की गिरफ्तारी से स्वास्थ्य विभाग में आक्रोश, कुमाऊं में ओपीडी का बहिष्कार
  • डाक्टर को विजिलेंस ने भेज दिया जेल, बरामद पैसे के बारे में होगी पूछताछ

देहरादून, 11 अप्रैल। काशीपुर सरकारी अस्पताल के सीएमएस डाक्टर बीसी जोशी की गिरफ्तारी से कुमाऊं के स्वास्थ्य विभाग में भारी आक्रोश है। पीएमएस संघ के आह्वान पर पूरे कुमाऊं में आज इस घटना के विरोध में ओपीडी का बहिष्कार किया गया। फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने भी इस घटना पर आक्रोश जताया है। इधर विजिलेंस ने डाक्टर को अदालत में पेश करके रिमांड पर लेने की कोशिश की। विगत दिवस निजी प्रेक्टिस के आरोप में गिरफ्तार किए गए डा. जोशी को लेकर कुमाऊं के स्वास्थ्य विभाग में भारी आक्रोश है। पीएमएस संघ के आह्वान पर आज कुमाऊंभर के डाक्टरों ने ओपीडी का बहिष्कार किया। संघ का कहना है कि अगर डाक्टर के खिलाफ लगाए गए झूठे आरोप वापस नहीं लिए गए तो आंदोलन और तेज कर दिया जाएगा। ओपीडी के बहिष्कार से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इधर फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने भी इस घटना पर भारी आक्रोश व्यक्त किया है। इधर, विजिलेंस ने डाक्टर जोशी को अदालत में पेश किया। विजिलेंस के इंस्पेक्टर उत्तम सिंह जिमिवाल ने बताया कि डाक्टर को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7/13 (ए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। डाक्टर के आवास से मिली नगदी और अन्य कीमती सामान के बारे में डाक्टर से पूछताछ की जाएगी। अभी तक उनके ऊपर सरकारी सेवा में रहते हुए भी निजी प्रेक्टिस करने का आरोप है।

कहीं आपसी विवाद तो जड़ में नहीं
काशीपुर से मिली जानकारी के अनुसार सीएमएस डा. बीसी जोशी और एक आर्थोपैडिक सर्जन के बीच तैनाती के लेकर विवाद चल रहा था। इस सर्जन का पहले तबादला कर दिया गया था। कोई डाक्टर न होने की वजह से ट्रामा सेंटर में एक संविदा डाक्टर की तैनाती कर दी गई थी। इस बीच सर्जन फिर से काशीपुर आ गए और ट्रामा सेंटर में तैनाती की मांग की। सीएमएस ने कहा कि वहां पहले से डाक्टर काम कर रहा है। इसके बाद सर्जन ने अस्पताल परिसर में ही धरना भी दिया था। इस बारे में सर्जन के खिलाफ एक्शन भी हुआ था। बताया जा रहा है कि डा. जोशी के खिलाफ शिकायत करने वाला व्यक्ति उस सर्जन का नजदीकी रिश्तेदार है।

दैनिक कर्मियों का समायोजन शीघ्रःअशोक, आयकर कर्मचारी महासंघ का सम्मेलन संपन्न
  • 36 जिलों के प्रतिनिधियों ने की शिरकत

देहरादून, 11 अप्रैल(निस)। आयकर कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कनौजिया ने कहा कि दैनिक वेतनभोगी कर्मियों के समायोजन समेत उनकी अन्य मांगों का शीघ्र ही समाधान कराया जाएगा। यहां आयकर भवन में आयोजित रीजनल सम्मेलन में कनौजिया ने कहा कि कर्मियों की समस्याओं के समाधान के लेकर उनके संघ की केंद्र सरकार से वार्ता चल रही है। जल्द ही सभी समस्याओं का समाधान करा लिया जाएगा। इस सम्मेलन में सीएम बड़ोल, अजय तिवारी, जसवंत सिंह नेगी, नरेंद्र शेखर, प्रीतम सिंह, दलवीर सिंह, राजेश कुमार समेत तमाम कर्मियों ने शिरकत की। इसके अलावा आगरा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, कानपुर और देहरादून समेत 36 जिलों से आए आमंत्रित प्रतिनिधियों में सम्मेलन में हिस्सा लिया।

पनाश वैलीः अब बैंक के डायरेक्टर आए मैदान में राजस्व विभाग के अफसरों से मिलने की कवायद तेज
  • एक अफसर ने मिलने से कर दिया इंकार, राजस्थान की एक बैंक ने किया है फाइनेंस
  • बैंक निदेशकों के भी हिस्सेदार होने की चर्चा

देहरादून, 11 अप्रैल। पनाश वैली हाउसिंग प्रोजेक्ट पर छाए संकट के बादलों से निजात पाने के लिए अब इस प्रोजेक्ट को फाइनेंस करने वाली बैंक के निदेशक मैदान में आ गए हैं। बताया जा रहा है कि ये लोग सूबे के राजस्व अफसरों से मिलने की कोशिश में हैं। एक चर्चा यह भी तेज हो रही है कि बैंक के निदेशक इस पनाष वैली प्रोजेक्ट में खुद भी हिस्सेदार हैं। पिछले काफी समय से पनाश वैली हाउसिंग प्रोजेक्ट खासी चर्चा में हैं। इसकी जमीन को राजस्व विभाग की ओर से दी गई एनओसी को जिलाधिकारी निरस्त कर चुके हैं। इसके बाद एमडीडीए ने भी इस प्रोजेक्ट का मानचित्र निलंबित कर दिया है। इससे इस प्रोजेक्ट के बंद होने के आसार है। तमाम लोग इस प्रोजेक्ट में लगाए गए पैसे के डूबने की आशंका से हलकान हैं। बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट को राजस्थान के जयपुर स्थित आदर्श सहकारी क्रेडिट बैंक लिमिडेट ने फाइनेंस किया है। चर्चा है कि इस प्रोजेक्ट के लिए लागत से  तीन गुना लोन लिया गया है। यह भी कहा जा रहा है कि इस पनाश वैली प्रोजेक्ट में सहकारी बैंक के निदेशक और उनकी नजदीकी रिश्तेदार भी हिस्सेदार है। अगर यह प्रोजेक्ट बंद होता है तो सहकारी बैंक का वित्तीय स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही अगर मामले की जानकारी सेबी या रिजर्व बैंक तक पहुंची तो जांच के दायरे में बैंक के निदेशक भी आ सकते हैं। शायद यही वजह है कि बैंक के दो निदेशक अब देहरादून में डेरा जमा चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि जयपुर से आए लोगों ने सूबे के राजस्व अफसरों से मिलकर कोई रास्ता तलाशने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। यह वजह है कि ये लोग राजस्व अफसरों से मिलने की कवायद में हैं। बताया जा रहा है कि राजस्व विभाग के एक बड़े अफसर तक पहुंचने में इन लोगों को सफलता भी मिल गई। लेकिन उस अफसर ने इन लोगों से किसी भी तरह की बातचीत करने या फिर मिलने से साफ इंकार कर दिया है। बताया जा रहा है कि ये लोग अब और बड़े अफसर से मिलने का माध्यम तलाश रहे हैं। यहां बता दें कि इससे पहले पनाश वैली के स्थानीय कर्ताधर्ता एक दरबारी के माध्यम से मुख्यमंत्री हरीश रावत तक पहुंच चुके थे। सीएम ने कोई मदद करने से इंकार कर दिया और एक बड़े अफसर के पास जाने की नसीहत दी थी। सूत्रों ने बताया कि उस बड़े अफसर ने पनाश वैली के कारिंदे अपने अंदाज में समझा दिया कि कुछ होने वाला नहीं है। शायद यही वजह है कि अब जयपुर के लोगों ने मामले को निपटाने की पहल की है। देखने वाली बात यह होगी कि पनाश वैली का यह मामला क्या रुख लेता है।

दिल्ली में कांग्रेस की भू- अध्यादेष के खिलाफ रैली को लेकर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी

देहरादून,11 अपै्रल,(निस)। केन्द्र सरकार के भू- अध्यादेष के खिलाफ 19 अपै्रल, 2015 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित किसान खेत मजदूर रैली को सफल बनाने के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा विभिन्न जनपदों के लिए पार्टी पदाधिकारियों को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मथुरादत्त जोशी ने विज्ञप्ति के माध्यम से उक्त जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय ने रैली की सफलता के लिए उत्तराखण्ड प्रदेश की भागीदारी सुनिश्चित करने की दृष्टि से जिलेवार पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है। जिसके अन्तर्गत जनपद हरिद्वार में प्रदेश उपाध्यक्ष जोत ंिसह बिष्ट, प्रदेश महामंत्री यामीन अंसारी एवं प्रदेश सचिव संजय किशोर, जनपद देहरादून में प्रदेश उपाध्यक्ष एस.पी. सिंह इन्जीनियर, प्रदेश महामंत्री जोत सिंह नेगी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य आनन्द उपाध्याय एवं श्री महेश राणा, जनपद पौड़ी में प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश बाल्मीकि प्रदेश महामंत्री श्री प्रदीप बगवाडी एवं प्रदेश सचिव श्री दीप बोहरा, रूद्रप्रयाग में प्रदेश उपाध्यक्ष भुवन नौटियाल, प्रदेश महामंत्री श्री दिनेश व्यास एवं प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य कुंवर ंिसह राणा जिला टिहरी में प्रदेश उपाध्यक्ष काजी निजामुद्दीन, प्रदेश महामंत्री राजपाल बिष्ट एवं प्रदेश सचिव जयप्रकाश नौटियाल, उत्तरकाशी में प्रदेश उपाध्यक्ष शंकर चन्द रमोला, प्रदेश महामंत्री जयपाल जाटव एवं प्रदेश सचिव गोपाल चमोली, जिला चमोली में प्रदेश महामंत्री राजेश जुवांठा, प्रदेश सचिव मूर्ति सिंह नेगी एवं प्रदेश सचिव सूरज राणा, जिला अल्मोड़ा में प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती जया बिष्ट, प्रदेश महामंत्री अनुपम शर्मा, प्रदेश सचिव अरूण चैहान, जिला पिथौरागढ़ में प्रदेश उपाध्यक्ष भगीरथ भट्ट, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य हरीश आर्य एवं प्रदेश महामंत्री हरीश पनेरू, जिला चम्पावत में प्रदेश उपाध्यक्ष ममता हलदर, प्रदेश महामंत्री रामसिंह कैडा एवं प्रदेश सचिव राम पाण्डे, जिला बागेश्वर में प्रदेश उपाध्यक्ष शिव कुमार मित्तल, प्रदेश महामंत्री जगत ंिसह खाती एवं प्रदेश सचिव गणेश उपाध्याय, जनपद उधमसिहनगर में प्रदेश उपाध्यक्ष महेन्द्र सिंह पाल, प्रदेश महामंत्री खजान पाण्डे, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य इकबाल भारती एवं प्रदेश सचिव राजेन्द्र खववाल तथा नैनीताल जनपद में प्रदेश उपाध्यक्ष स0 साहब ंिसह, प्रदेश महामंत्री करण महरा एवं प्रदेश सचिव महेश जोशी को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी बताया कि पूर्व विधायक एवं सलाहकार मुख्यमंत्री श्री रणजीत सिंह रावत को रैली के समन्वयक की जिम्मेदारी सौंपी गई है तथा सभी जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षगण अपने-अपने जनपदों में संयोजक होंगे तथा सभी आनुषांगिक संगठनों के अध्यक्षगण तथा किसान कांग्रेस तथा श्रम प्रकोष्ठ के अध्यक्षगण अपने-अपने जनपदों में संयोजक सदस्य होंगे। श्री जोशी ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी द्वारा सभी पदाधिकारीगणों से अपेक्षा की गई है कि वे अपने प्रभार वाले जनपद के वरिष्ठ नेताओं, कार्यकर्ताओं व जनता से समन्वय स्थापित करते हुए कार्यक्रम की सफलता को सुनिश्चित करेंगे।  

आइएसबीटी में फैली अव्यवस्थाओं को देख मुख्यमंत्री हुए नाराज
  • हरीष रावत ने अधिकारियों को लगायी फटकार

uttrakhand news
देहरादूनः 11 अपै्रल,(निस)।  मुख्यमंत्री ने शनिवार को आइएसबीटी में फैली अव्यवस्थाओं पर सख्त नाराजगी व्यक्त की कि पूर्व में उनके द्वारा दिये गये निर्देशों का रैम्की संस्था तथा एम.डी.डी.ए. द्वारा ठीक से कार्यवाही नहीं की गई है। मुख्यमंत्री ने मौके पर उपस्थिति अधिकारियों को निर्देश दिये कि आई.एस.बी.टी. के प्रवेश द्वार व सड़क पर अनाधिकृत बसों को हटाया जाय। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाय कि मुख्य सड़क मार्ग पर किसी भी प्रकार से यातायात प्रभावित न हो। इसके बाद मुख्यमंत्री ने आई.एस.बी.टी. के पास बन रहे फ्लाई ओवर कार्य का निरीक्षण किया। उन्होंने सचिव लोनिवि को निर्देश दिये कि फ्लाई ओवर कार्य को तेजी से पूरा किया जाय। इसके दोनो साइड सर्विस लेन बनायी जाय, जो डामरीकृत हो। इससे धूल आदि नहीं उडे़गी और यातायात भी सुगम होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल यहां खुदी सड़क के गड्ढ़े भरकर तारकोल की एक परत तत्काल बिछा दी जाए ताकि स्थाई व्यवस्था होने तक आने जाने वालों को असुविधा ना हो। मुख्यमंत्री ने लोनिवि अधिकारियों को निर्देश दिये कि फ्लाई ओवर निर्माण में गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाय। यह भी ध्यान रखा जाय कि निर्माण कार्य से किसी भी व्यक्ति को कोई असुविधा न हो। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि सड़क के किनारे बह रहे नाले की भी साफ-सफाई की जाय। साथ नाले को ऊपर से ढक दिया जाय। मुख्यमंत्री ने सचिव एम.डी.डी.ए. को निर्देश दिये कि टर्नर रोड़ की सड़क को 30 अप्रैल तक पूरा कर लिया जाय। जिलाधिकारी देहरादून को निर्देश दिये गये कि आई.एस.बी.टी. और टर्नर रोड़ पर कुछ बिजली के खम्भे अव्यस्थित है, उन्हें ठीक किया जाय। साथ ही जल निगम, जल संस्थान, दूरसंचार, बिजली आदि विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर यह तय किया जाय कि फ्लाई ओवर और सड़क निर्माण कार्य के दौरान सभी लोग एक साथ कार्य करे, ताकि बार-बार सड़क को खोदना न पड़े। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, मुख्य सचिव एन.रविशंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री ओम प्रकाश, सचिव लोनिवि अमित नेगी, जिलाधिकारी देहरादून रविनाथ रमन सहित लोनिवि, एमडीडी.ए. आदि विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को मिलेगा 50 हजार रूपये साल अनुदान

देहरादूनः 11 अपै्रल,(निस)। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत राज्य के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों (पति व पत्नी) को 50 हजार रूपए की वार्षिक अुनदान राशि उपलब्ध करवाई जाएगी। बीजापुर में आयोजित प्रेस वार्ता में यह जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बताया कि बुजुर्ग स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को व्यर्थ में परेशानी ना हो इसके लिए निर्णय लिया गया है कि उन्हें प्रति वर्ष 50 हजार रूपए की राशि उपलब्ध कराई जाएगी ताकि उनके स्वास्थ्य की देखरेख में कोई कमी ना रहे। मुख्यमंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना में लाभार्थियों के पंजीकरण में आशा कार्यकत्रियों द्वारा बेहतरीन काम किया गया है। इसके लिए सरकार द्वारा आशाओं को 1 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि वन टाईम दी जाएगी। सीएम ने कहा कि देहरादून में इस योजना के तहत लाभार्थियों के पंजीकरण के काम में तेजी लाए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में बेमौसम की बारिश व बर्फबारी से किसानों व बागवानों को हुए नुकसान को देखते हुए काश्तकारों की सहायता के लिए राज्य स्तर पर अनेक निर्णय लिए गए हैं। नुकसान का मुआवजे जल्द से जल्द काश्तकारों को मिल जाए, इसके लिए 25 करोड़ रूपए का कोष स्वीकृत किया गया है। इसमें से कृषि व हाॅर्टीकल्चर को एक-दो दिन में 5-5 करोड़ दे दिए जाएंगे। यदि आवश्कता हुई तो राज्य सरकार द्वारा और भी धनराशि की व्यवस्था कर दी जाएगी। मुआवजा वितरण में शिथिलता ना आए इसके लिए अपर सचिव कृषि व हाॅर्टीकल्चर को जिम्मेवारी दी गई है। काश्तकारों को हल्दी व अदरक का बीज 75 प्रतिशत केवल इस वर्ष के लिए अनुदान पर उपलब्ध करवाया जाएगा। सामान्य स्थितियों में इस पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। काश्तकारों को मिनी किट भी निशुल्क वितरित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि पूर्व में निर्णय लिया जा चुका है कि किसानों को दिए गए सहकारी ऋणों की 6 माह तक वसूली नहीं होगी और इस अवधि के ब्याज का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। इसी प्रकार 1 अपेै्रल से 30 सितम्बर तक 6 माह के लिए किसानों पर राजस्व बकाया, सिंचाई बकाया को भी माफ किया गया है। इस अवधि का बिजली सरचार्ज भी राज्य सरकार वहन करेगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रभावित किसानों व फसलों का आंकलन अभी मौटे तौर पर किया गया है। सरकार की प्राथमिकता प्रभावित काश्तकारों को तुरंत राहत देना है। मुख्यमंत्री ने कहा विŸाीय वर्ष 2014-‘15 में योजनागत व्यय विगत वर्षों की तुलना में कहीं अधिक रहा है। प्लान के तहत कुल 13634 करोड़ के परिव्यय में से 10157 करोड़ रूपए का व्यय किया गया जो कि पिछले वर्षों की तुलना में उत्साहवर्धक है। आपदा के पुननिर्माण के लिए तीन वर्षीय योजना तैयार की गई थी जिस पर विपरीत परिस्थितियों में भी तेज गति से काम हो रहा है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कृषि व हाॅर्टीकल्चर विभागों के अधिकारियों के साथ प्रभावित काश्तकारों को राहत पहंुचाने के कार्यों की समीक्षा की और आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बैठक में कृषि मंत्री डा.हरक सिंह रावत, विधायक मदन सिंह बिष्ट, मुख्य सचिव एन रविशंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव ओमप्रकाश, सचिव निधि पाण्डे सहित संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (11 अप्रैल)

$
0
0
जिला सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक सम्पन्न

vidisha map
स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज की अध्यक्षता में शनिवार को जिला सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक मंे प्रभारी मंत्री श्री रामपाल सिंह राजपूत भी मौजूद थे। प्रदेश के राजस्व, पुर्नवास मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री श्री राजपूत ने कहा कि अधिकारी अपने उत्कृष्ट कार्यो से जाने जाएं। उन्होंने कहा कि योजनाओं के क्रियान्यवन में स्थानीय रणनीति भी बनाई जाए। प्रभारी मंत्री श्री राजपूत ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह की मंशा है कि विदिशा जिला आदर्श जिले के रूप में जाना जाए। इसके लिए सभी विभागों के अधिकारी आपसी समन्वय स्थापित कर माॅडल रूप दें। उन्होंने ग्रीष्मकाल के दौरान पेयजल आपूति सतत बनी रहे के पुख्ता प्रबंध सुनिश्चित करने की निर्देश दिए। विदिशा जनपद पंचायत के सभागार कक्ष मंे हुई इस बैठक में मुख्यतः ग्रामीण विकास एवं केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं की गहन समीक्षा की गई। इसके अलावा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, इंदिरा आवास योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, त्वरित ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रम, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, निर्मल भारत अभियान, मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, एकीकृत जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम, राष्ट्रीय भूमि रिकार्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम, केन्द्र प्रवर्तित योजना (एनयूएलएम, आईएलसीएस, आरएवाय) की अद्यतन प्रगति की जानकारियां पावर पे्रजेन्टेशन के माध्यम से प्रस्तुत की गई। इससे पहले गत बैठक में लिए गए निर्णयों का पालन प्रतिवेदन का वाचन जिला पंचायत के सीईओ द्वारा किया गया। स्थानीय सांसद श्रीमती स्वराज ने कहा कि योजनाआंे के क्रियान्वयन में सार्थक परिणाम परिलक्षित होेे। उन्होंने जिले के विकास के लिए पृथक से कार्ययोजना तैयार की जाए। जिन योजनाओं में केन्द्र सरकार से आवंटन की आवश्यकता है को शीघ्र उपलब्ध कराए जाने का आश्वासन दिया। 

पहल विदिशा का लोकार्पण
बैठक के दौरान अतिथियों ने ‘‘पहल विदिशा’’ के नाम से तैयार की गई वेबसाइट का लोकार्पण किया। उक्त बेवसाइट में कौशल उन्नयन कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित कराने और ग्रामों के बेरोजगार युवक-युवतियां सुगमता से लाभ ले सकंे के उद्धेश्य से बनाई गई बेवसाइट का जिला ई-गवर्नेंस द्वारा संचालन किया जा रहा है। जिले के समस्त शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियां कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी घर बैंठे प्राप्त कर सकंे इसके लिए बेवसाइट को टोल फ्री नम्बर 1800-2333-819 से भी जोड़ा गया है। बेवसाइट पर कौशल उन्नयन से संबंधित विभागांे की समस्त जानकारियां अंकित की गई है। आमजन बेवसाइट चंींसअपकपेींण्पदवि पर क्लिक कर बेवसाइट की जानकारियों का उपयोग कर सकते है। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि प्रभारी मंत्री, सांसद और विधायकों द्वारा जो योजनाओं के क्रियान्वयन में मार्गदर्शन दिया गया है उसका अक्षरशः पालन संबंधित विभागों के अधिकारी करना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ-साथ अन्य अधोसंरचनाओं के निर्माण कार्यो को शीघ्र अतिशीघ्र पूर्ण कराया जाएगा। बैठक में शमशाबाद विधायक श्री सूर्यप्रकाश मीणा, कुरवाई विधायक श्री वीर सिंह पंवार सहित अन्य सदस्यगणों के अलावा पुलिस अधीक्षक  श्री धर्मेन्द्र चैधरी, वन संरक्षक श्री एकेएस चैहान, अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (11 अप्रैल)

$
0
0
आज से पूरे सप्ताह नगर होगा श्रीमद भागवत कथा ज्ञान गंगा में सराबोर, नगर में निकलेगी भव्य शोभायात्रा

झाबुआ---श्री मद भागवत कथा ज्ञान गंगा समिति द्वारा पूराना हाउंसिंग बोर्ड कालोनी स्थित श्री तीर्थेन्द्रधाम पर कथा व्यास डा, स्वामी कृष्णषरण देवजी महाराज के श्रीमुख से ज्ञानगंगा प्रवाहित होनें का दुर्लभ अवसर आज से नगर की जनता को सात दिनों तक प्राप्त होगा । आज 12 अप्रेल को शहर में निकाली जाने वालीे शोभा यात्रा एवं कलश यात्रा के तयषुदा कर रूट के अनुसार शोभा यात्रा एवं कलश यात्रा प्रातः 9 बजे पैलेस गार्डन से शुरू होगी, जो राजवाड़ा चैक, आजाद चैक, बाबेल चैराहा, थांदला गेट, बस स्टेंड, उत्कृष्ट विद्यालय, विवेकानंद काॅलोनी, पुराना हाउसिंग बोर्ड होती हुई तीर्थेन्द्र नगर कार्यक्रम स्थल पर पहुुचेगी। इस दौरान विशेष बग्गी में डाॅ. कृष्ण शरण देवजी महाराज विराजित रहेंगे। कलश यात्रा में 101 कलश लेकर बालिकाएं चलेगी। पूरा नगर आज तीर्थवत बन जायेगा तथा शोभायात्रा का नगर के हर चैराहे पर पुष्पवर्षा कर  अभिनंदन-स्वागत किया जावेगा ।

कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील
समिति के हर्ष भट्ट, नीरज राठौर एवं गोपालसिंह पंवार ने बताया कि 12 अप्रेल को आयोजित शोभायात्रा की समापन तीर्थेन्द्र नगर पर होगा । 13 अप्रेल से स्वामीजी के श्रीमुख से भागवत कथा दोपहर 3 बजे से प्रारंभ होगी । विषेष रूप  से 15 अप्रेल को कृष्ण प्राकट्य एवं नंदोत्सव आकर्षण का केन्द्र रहेगा । परमात्मा की साक्षात अनुभूति कथा के दौरान हर श्रद्धालु को प्राप्त होगी । 16 अप्रेल को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव का अभिनव आयोजन कथा के दौरान होगा । 17 अप्रेल को रूकमणी विवाह का आयोजन होगा एवं इस अवसर पर ब्रजधाम की तरह फुलो की होली खेली जावेगी । 18 अप्रेल का भक्त एवं भगवान का मार्मिक प्रसंग सुरदामा चरित्र एवं परिक्षित मोक्ष की कथा में श्रीमद भागवत कथा के सम्पूर्ण सार का निचोड साकारता प्रदान करेगा । 19 अप्रेल को पूर्णाहूति एवं महाप्रसादी का आयोजन प्रात5 9 बजे से होगा। श्रीमद् भावगत ज्ञान गंगा समिति के सदस्य राधेश्याम परमार, मोहन माहेश्वरी, अजय रामावत, कन्हैयालाल राठौर, नाना राठौर, किशन माहेश्वरी, शेष नारायण मालवी, अर्चना राठौर, हंसा झाला, नलिनी बैरागी, किर्ती देवल, लता देवल, किरण देवल, रजत भाटी, हर्ष भट्ट, राजेन्द्र सोनी, विक्की पंवार, राघवेन्द्रसिंह सिसौदिया, राधेश्याम पटेल, दीपक व्यास आदि ने सात दिवसीय भागवत कथा में बड़ी संख्या में शामिल होकर धर्मलाभ लेने अपील की है।

महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवन ही हम सबके लिये सन्देष- शांतिलाल चैहान
  • माली समाज ने ज्योतिबा फुले की जन्म जयंती मनाई ।

jhabua news
झाबुआ---महात्मा ज्योति बा फुले न सिर्फ माली समाज के वरन देष के आजादी के आन्दोलन में भी उनकी भूमिका का नकारा नही जासकता है । महात्मा जैसे कार्यो के कारण उन्हे यह गौरवषाली स्थान भारत के इतिहास में प्राप्त हुआ है । 11 अप्रेल 1827 को महाराष्ट्र  के सतारा जिले में हुआ था । उनका असली नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले था । 19 वी सदी के एक बडे समाज सुधारक के रूप  मेुं उन्हे समरण किया जाता है । समाज सुधार के क्षेत्र में  उन्होने अपने जीवनकाल में षिक्षा,कृषि जाति प्रथा और महिला सषक्तिकरण के कार्य में अनुकरणीय कार्य किया । देष में 1848 में पहली बार उन्होने लडकियों के लिये पुणे में पहली पाठषाला की स्थापना की थी । ष्षुद्रो पर हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाने का श्रेय भी उन्हे ही जाता है । ऐसे देष के महान सपूत को स्मरण कर हम सभी गौरवान्वित है। उक्त बात आज स्थानीय बाडी हनुमान मंदिर परिसर में महात्मा ज्योति बा फुले की जन्म जयंती के अवसर पर संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि शांतिलाल चैहान ने व्यक्त किये । महात्मा ज्योति बा फुले के जन्म दिवस पर स्थानीय बाडी हनुमान मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सेवा निवृत व्याख्याता शांतिलाल चैहान, अध्यक्षता महेन्द्रसिंह गेहलोत व विषेष अतिथि पूर्व नपा उपाध्यक्ष विजय चैहान, थे। ज्योतिबा फुले एवं सावित्री फुले के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर समाज जनों में उनका स्मरण किया तथा उनके बताया मार्गो पर चल कर समाजोत्थान का संकल्प लिया । इस अवसर पर  महेन्द्रसिंह गेहलोत ने अपने प्रभावी उदबोधन में  महात्मा ज्योति बा फुले को महान समाज सुधारक बताते है कहा कि उनके किसानों और नीचले वर्ग के लोगों के अधिकारों के लिये किये गये अथक परिश्रम की वजह से उन्हे महाराष्ट्र उस सदी के समाज सुधारकों की सूची में विषेष स्थान दिया गया । इस अवसर पर विजय चैहान ने कहा कि  महात्मा ज्योति बा फुले ने मुस्लिक हिनदु,ईसाई सिक्ख सभी सम्प्रदायों की एकता के लिये कार्य किया । स्वयं संविधान निर्माता बाबा साहेब आम्बेडकर भी उन्हे अपना गुरू मानते थे  । पण्डित जवाहर लाल नेहरू भी उनसे काफी प्रभावित थे । उन्होने 24 सितंबर 1973 के सत्यषोधक समाज की स्थापना की । वे ही इस संस्था के पहले कार्यकारी व्यवस्थापक तथा कोषाध्यक्ष रहे । वही सावित्री बाई फुले ने भी नारी मुक्ति आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाई । सति प्रथा, बाल विवाह तथा विधवा विवाह को लेकर उन्होने समाज को बदलने के लिये सक्रियता से कार्य किया  वे देष की पहली महिला अध्यापिका रही । महात्मा फुले एवं सावित्री फुले का जीवन ही हम सब के लिये  अनुकरणीय है। उन्होंने समाज को संगठित व एकजुट होने का आव्हान किया तथा आगामी समय में जिले के अन्य क्षैत्रों में भी इस प्रकार के आयोजन के लिये बैठक कर समाज को गति देने की बात कही। करीब 2 घण्टे तक चले कार्यक्रम में सभी ने महात्मा ज्योति बा फुले के जीवन से षिक्षा प्राप्त कर सषक्त एवं एकता के सूत्र से बंधा भारत बनाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का संचालन मदनलाल अंडेरिया ने एवं आभार विनोद गेहलोत ने मान। इस अवसर पर चंदु भाई माली, सुखदेव गेहलोत, हेमेन्द्रसिंह चैहान, बाबुलाल अजमेरा, उच्छबलाल चैहान, सोहनभाई, प्रदीप माली, निलेष परखुन, प्रवीण चैहान, दीपक गेहलोत, बंटी माली के अलावा समाज के युवाजन एवं महिलायें उपस्थित थे।

युवतियों ने की साक्षरता की पहल

झाबुआ---जिले के ग्राम बिलिडोज में युवतियों ने अपने गाॅव को साक्षर बनाने हेतु मुहीम को प्रारम्भ किया है। जिसके अन्तर्गत शारदाविद्या किषोरी समुह द्वारा घर-घर जा कर निरक्षर लोंगों का साक्षर बनाने हेतु प्रयास किया जा रहा है। पिछले 45 दिनों में समुह द्वारा 40 ग्रामीणों का साक्षर किया है। तथा यह मुहीम के माध्यम से जल्द ही पूर्ण ग्राम को साक्षर बनाया जाएगा।

चोरी का प्रकरण पंजीबद्व 

झाबुआ--फरियादी अब्दुल रहीम पिता अब्दुल मजीद मुसलमान, उम्र 52 वर्ष निवासी केसुर हतर मोहल्ला थाना सादलपुर जिला धार ने बताया कि वह कंपनी पीथमपुर से तुफान मैक्स क्र0एम0पी0-11 टी आरएस/8739 को डीलेवरी हेतु सुरत गुजरात जा रहा था, मेधनगर नाके पर एक व्यक्ति ने हाथ दे कर गाडी रोकी व बोला मुझे दाहोद तक छोड दो, उसने उसे बिठा लिया, रानापुर रोड पर पेशाब करने के लिये उतरा, तभी अज्ञात आरोपी वाहन चालू कर चोरी कर ले गया। प्र्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अप0क्र0 251/2015 धारा 379 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

पत्नि के पीयर जाने की जिद पर पति ने कि पत्थर मार कर हत्या  

झाबुआ--- फरियादी कैलाश पिता शैतान मेडा, उम्र 30 वर्ष निवासी बेहडदा ने बताया कि आरोपी गोविन्द्र पिता नाहरसिंह डामर, निवासी बेहडदा व उसकी पत्नि चिलुबाई गुजरात से मजदुरी करके घर जा रहे थे। पाडलघाटी से घर आते समय चिलुबाई पियर जाने की जिद करने लगी। आरोपी ने उसकी पत्नी चिलुबाई के सिर में पत्थर मारकर उसकी हत्या कर दी। प्र्रकरण में थाना मेघनगर में अपराध क्रमांक 129/15, धारा 302 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया

गो-वध का अपराध पंजीबद्ध 

झाबुआ---आरोपी भीमसिंह पिता कन्नु भाबोर, उम्र 25 वर्ष निवासी जामनिया, वाहन क्र0 एमपी0-45-जी-0971 का मालीक अपने वहन में आठ केडे ठुस-ठुस कर भरे हुए ले जा रहा था, जिसे रंगे हाथों पकडा। थाना मेघनगर में अप0क्र0 72/15, धारा 4,6,6 म0प्र0गोवध प्रति0 अधिनियम 2004 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

कांग्रेस अध्यक्ष अभी सोनिया ही रहें- अमरिंदर

$
0
0
now-sonia-should-be-the-congress-president
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को जल्दी ही पार्टी की कमान सौंपे जाने की अटकलों के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आज कहा कि अभी श्रीमती सोनिया गांधी को ही पार्टी अध्यक्ष रहना चाहिए। कैप्टन सिंह ने एक टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में कहा कि श्री गांधी को अभी पार्टी में नंबर दो की भूमिका में उपाध्यक्ष पद पर ही रहना चाहिए। उनका कहना था कि नेतृत्व में तुरंत परिवर्तन नहीं होना चाहिए। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता कैप्टन सिंह ने कहा कि पार्टी में दो ‘पावर सेंटर’ नहीं होने चाहिए, जैसे सैन्य बलों में भी एक ही केंद्र होता है। 

कांग्रेस में पीढ़ीगत परिवर्तन के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसा एक दिन में नहीं हो सकता। नयी पीढ़ी के लिए रास्ता बनाने की खातिर वरिष्ठ नेताओं को एक दिन में किनारे नहीं किया जा सकता। इस सवाल पर श्री गांधी को पार्टी में दस साल हो चुके हैं और उन्हें शीर्ष पद सौंपने का समय आ गया है, कैप्टन सिंह ने विनोदपूर्ण ढंग से कहा कि वह इस स्तर पर ‘ कैप्टन’ हो सकते हैं ‘जनरल’ नहीं। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस के अभियान के दौरान श्री गांधी के अवकाश पर जाने को सही न.न ठहराते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने पार्टी उपाध्यक्ष को ई-मेल भेजकर अवकाश पर न.न जाने की सलाह दी थी लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। 

नीतीश सरकार पर काल्पनिक आरोप लगा रहे हैं सुशील मोदी - जदयू

$
0
0
modi-confusing-bihar-public-jdu
बिहार प्रदेश जनता दल यूनाइटेड  के प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय कुमार सिंह ने आज कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने बिहार के साथ धोखा किया है इसलिए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के पास केन्द्र की उपलब्धियां गिनाने के लिए कुछ भी नहीं है और इसी वजह से वे जनता को गुमराह करने के लिए नीतीश सरकार के खिलाफ काल्पनिक आरोप लगा रहे हैं । श्री सिंह ने यहां कहा कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने बिहार के लोगों के लिए कुछ नहीं किया तो भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी लोगों का ध्यान भटकाने लगे हैं । मुद्दों से भटकाना भाजपा के जीन में ही शामिल है । 

उन्होंने कहा कि पिछले ग्यारह महीने में केंद्र की मोदी सरकार ने विकास का काम नहीं किया और लोगों का ध्यान बांटने के लिए हिंदुत्व, धर्मांतरण और लव जेहाद जैसे मुद्दों पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने लगे। जदयू प्रवक्ता ने श्री सुशील कुमार मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें जानना चाहिए कि उनकी पार्टी के 98 सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 63 सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है। ऐसे में अपराध मुक्त राजनीति कैसे होगी । उन्होंने कहा कि एडीआर रिपार्ट के अनुसार वर्ष 2014 में भाजपा में अपराधी सांसदों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। यही नहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दलों में प्रमुख शिवसेना में तो 83 फीसदी सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज है जबकि 44 प्रतिशत सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसी तरह लोक जनशक्ति पार्टी के 67 प्रतिशत सांसदों पर आपराधिक जबकि 17 प्रतिशत सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। 

राज्य सरकार किसानों की बदहाली के लिए जिम्मेदार : सिन्धिया

$
0
0
state-responsible-for-framar-said-jyotraditya
कांग्रेस सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आरोप लगाते हुये कहा कि मघ्यप्रदेश में किसानों की बदहाली के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। भिण्ड जिले में नौ किसानों की मौतें हो चुकी है यह सरकार के लिए बेहद शर्म की बात है। किसानों के लिए इससे बडी दुःखद की घडी और दूसरी नहीं हो सकती। पहले सरकार ने बोनस बंद कर दिया अब उनकी जमीनों छीनने की तैयारी है। श्री सिंधिया ने आज जिला मुख्यालय से 20 किलो मीटर दूर स्थित मेहगांव क्षेत्र के ग्राम अडोखर में फसल को ओलावृष्टि से हुए नुकसान के सदमे में मरे किसान सुमत सिंह नरवरिया के निवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। सिन्धिया ने कहा कि प्रदेश के किसानों के लिए यह दुःखद स्थिति सरकार ने निर्मित की है। 

उन्होने कहा कि यह अवसर राजनीति करने का नहीं, न वह राजनीति करने आए हैं, वे किसानों के आंसू पोछने आए है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस केन्द्र सरकार के भूमि अधिग्रहण विल का पुरजोर विरोध कर रही है और इसे किसी भी सूरत में लागू नहीं होने देगी। तथा किसानों के हितों की रक्षा के लिए हर तरह का संघर्ष करेंगी। सिन्धिया ने प्रदेश में हो रहे अवैध खनन पर भी तल्ख टिप्पणी की और आरोप लगाया कि सरकार और खनन माफिया की सांठगांठ से ही प्रदेश में अवैध खनन हो रहा है, इसलिए इसे जानबूझकर नहीं रोका जा रहा है। सिन्धिया का काफिला ग्वालियर से दोपहर लगभग एक बजे भिण्ड के लिए रवाना हुआ था। वे सबसे पहले गोहद क्षेत्र के बसरा गांव में सदमे से मरे किसान वीरेन्द्र सिंह गुर्जर के घर पहुचे। सिन्धिया भिण्ड के भीमनगर में निवास करने वाली कैंसर रोगी प्रचार अभियान की पोस्टर फेस रही मृतिका सुनीता तोमर के घर भी उनके परिजनों को ढांढस बंधाने पहुचे।

मोदी विमान तो पार्रिकर खरीद रहे थे मछली : कांग्रेस

$
0
0
modi-flight-and-goa-cm-fish-purchase
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घाेषणा करने और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के इस यात्रा में उनके साथ न.न होने पर चुटकी लेते हुए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि ऐसे मौके पर रक्षा मंत्री गोवा में मछली खरीदने में लगे थे। श्री सिंह ने टि्वटर पर लिखा है “ प्रधानमंत्री जब फ्रांस में लड़ाकू विमान खरीद रहे थे, हमारे रक्षा मंत्री गोवा में मछली खरीद रहे थे।” उन्होंने कहा कि यह ‘न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन का एक उदाहरण है। उन्होंने टि्वटर पर एक फोटो भी अपलोड किया है, जिसमें श्री पर्रिकर हॉथ में मछली पकड़े हुए हैं। उन्होंने इस यात्रा में प्रधानमंत्री के साथ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के न.न होने पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री जब विदेश में समझौतों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं तो विदेश मंत्री मध्य प्रदेश के विदिशा में श्री मोदी की भविष्य की उपलब्धियों का बखान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह ‘ न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन’ का एक और उदाहरण है। 

कांग्रेस महासचिव ने एक और टि्वट में कहा कि श्री मोदी का इस तरह फ्रांस से तुरंत पूरी तरह तैयार 36 राफेल जेट खरीदना क्या भारत की नयी रक्षा खरीद नीति है। उन्होंने सवाल किया है कि क्या नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और केंद्रीय सतर्कता आयोग इस पर ध्यान देगा। भारतीय जनता पार्टी द्वारा विगत में तत्कालीन प्रधानमंत्री की मनमोहन सिंह की विदेश यात्राओं पर सवाल खड़े करने के संदर्भ में भी उन्होंने एक टि्वट लिखा है। श्री सिंह ने कहा है, पाकिस्तान में लखवी की रिहाई हो रही है, किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं और प्रधानमंत्री विदेश यात्रा कर रहे हैं। यदि डॉ. मनमोहन सिंह ने यह किया होता तो उस पर भाजपा तथा आर एस एस की क्या प्रतिक्रिया होती

कम आबादी के बावजूद पूर्वोत्तर का राष्ट्र के विकास में अहम योगदान : प्रणव

$
0
0
north-east-participating-in-development
पूर्वोत्तर राज्यों को भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा करार देते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि कम आबादी के बावजूद इन राज्यों ने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने एक सांस्कृतिक महोत्सव ‘पूर्वोत्तर के गीत एवं नृत्य’ के उद्घाटन भाषण के दौरान कहा, “पूर्वोत्तर राज्य भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। आबादी कम होने के बावजूद इन राज्यों ने देश के विकास में व्यापक योगदान दिया है। इस क्षेत्र के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई थी। क्षेत्र के अनेक राजनीतिज्ञों ने भी राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया।” 

श्री मुखर्जी ने गीत और नृत्य को पूर्वोत्तरवासियों के दैनिक जीवन का हिस्सा करार देते हुए कहा कि पूर्वोत्तरवासी अपनी मेजबानी और शिष्टाचार के लिए जाने जाते हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भरा पूरा है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता से भरे उत्सव पूर्वोत्तर राज्यों और देश के शेष हिस्सों के बीच के अंतर को पाटने में मदद करेंगे। सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन मेघालय सरकार और पूर्वोत्तर परिषद के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में हो रहे आर्थिक विकास से न केवल उस इलाके के लोग, बल्कि पूरा देश लाभान्वित होगा। 

पूर्वोत्तर इलाकों के स्थानिक फायदों और समृद्ध संसाधनों का उल्लेख करते हुए श्री मुखर्जी ने कहा कि इन कारणों से पूर्वोत्तर राज्य भारत के पूरब में स्थित पड़ोसी देशों से व्यापार बढ़ाने का महत्वपूर्ण केंद्र है। पूर्वोत्तर क्षेत्र केंद्र सरकार की ‘पूरब की ओर देखो’ नीति पर अमल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस नीति के तहत भारत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन ‘आसियान’ के सदस्य देशों के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने को इच्छुक है। ये देश तेजी से विकास के रास्ते पर अग्रसर राष्ट्रों में शामिल हैं। 

बिहार को जंगल राज से मुक्त करायेंगे. अमित शाह

$
0
0
will-free-bihar-jangal-raj-said-amit-shah
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि बिहार विधानसभा के आगामी चुनाव को लेकर जनता परिवार इकट्ठा हो रहा है लेकिन इसमें जनता निकल गई है और केवल परिवार बच गया है। श्री शाह ने आज यहाँ मोरहावादी मैदान में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुये कहा कि बिहार विधानसभा के चुनाव जीतकर पार्टी अपनी सरकार बनायेगी और राज्य को जंगल राज से मुक्त करायेगी। उन्होंने कहा कि जनता परिवार में केवल परिवार बचा है तथा शून्य और शून्य के मिलने से कुछ नहीं होने वाला है। 

उन्होंने भूमि अधिग्रहण विधेयक को किसानों के हित में करार देते हुये कहा कि कांग्रेस पार्टी से भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ बोलने का कोई नीतिक अधिकार नहीं है क्योंकि इस पार्टी के परिवार के दामाद ने 50 एकड़ जमीन किसानों से जबरदस्ती ले ली है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता सरकार की उपलब्धियों को गरीबों, किसानाें तक पहुँचने का काम करेंगे तथा लोगों से सीधा संपर्क स्थापित करेंगे। 

उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय के शताब्दी वर्ष में गरीबों के उत्थान के लिये काम किया जायेगा तथा वर्ष 2016 में देश से मैला ढोने के काम से लोगों को मुक्त करा दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं के नारे को लेकर पार्टी के कार्यकर्ता लोगों के बीच जायेंगे और संपर्क अभियान चलायेंगे

सामाजिक परिवर्तन की सफलता की कहानियों को प्रमुखता दे मीडिया : नीतीश

$
0
0
social-news-must-place-media-said-nitish
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया से चटपटी खबरों से बचकर समाज में परिवर्तन लाने वाली सफलता की कहानियों को प्रमुखता देने का आह्वान करते हुए कहा कि समय आ गया है कि उन्हें समाज के विकास में महत्वपूर्ण निभानी चाहिए। श्री कुमार ने आज यहां आद्री और पोपुलेशन फांउडेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में स्वास्थ्य .महिला और विकास .मीडिया की भूमिका विषय पर आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि मीडिया को चटपटी ख़बरों की जगह समाज को शिक्षित और परिवर्तन लाने वाली कहानियों को प्रमुखता देनी चाहिए। उन्हाेंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन में मीडिया की अहम भूमिका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता शिक्षा रही है क्योंकि शिक्षा के बिना विकास की बात बेमानी है। इसमें भी ख़ास कर महिला शिक्षा क्योंकि महिलाओं के साक्षर होने से उनके बीच एक क्रांति की शुरूआत हो रही है। उन्होंने कहा कि महिला शिक्षा को ब़ढावा देने के लिए उनके कार्यकाल के दौरान पहले पोशाक योजना . इसके बाद साईकिल योजना और फिर छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति दिए जाने की शुरूआत की गयी है।

श्री कुमार ने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश को प्रोत्साहन देने के लिए छात्राओं को मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के तहत पोशाक की राशि दी जा रही है। इसके अलावा बालिकाओं के लिए साईकिल योजना आरंभ की गयी जिससे उनमें एक नया आत्मविश्वास आया कि वे भी सामाजिक परिवर्तन का कारक बन रही हैं। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं को अमल में लाए जाने के पहले लड़कियां छठी कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया करती थीं पर इन योजनाओं ने अब हालात बदल दिए हैं। बालिका शिक्षा के क्षेत्र में यह कदम मील का पत्थर साबित हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा .. साईकिल योजना सामाजिक क्रांति लेकर आई और विशेषकर ग्रामीण इलाकों में साईकिल पर स्कूल जाती हुई छात्राओं को बदलते बिहार की कहानी को बयां करती है। उन्होंने कहा कि इस योजना की सफलता का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि योजना की शुरूआत से पूर्व जहां 12़ 5 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर थे वहीं योजना के बाद यह आकड़ा महज दो प्रतिशत पर सिमट गया है..। श्री कुमार ने कहा कि लड़कियों के लिए आरंभ की गयी योजना के सकरात्मक परिणाम से उत्साहित होकर सरकार ने बाद में इस योजना को लड़कों के लिए भी लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि जहांतक महिला सशक्तिकरण का सवाल है साईकिल योजना ने बिहार के आंतरिक भागों में एक क्रांति का सूत्रपात किया है। इसने बालिका में विश्वास की भावना जगायी है। उन्होंने कहा कि यह एक किस्म की सामाजिक क्रांति है जिसने बिहार की बालिकाओं की शिक्षा में ऐतिहासिक परिवर्तन लाया है।

विशेष आलेख : जलवायु परिवर्तन खाद्य सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा

$
0
0
जलवायु परिवर्तन की समस्या एक विष्वव्यापी समस्या बनती जा रही है। इस समस्या ने देष के किसानों का जीना मुहाल कर दिया है। असमय बारिष से किसानों की फसलें बर्बाद हो गयीं और देष के कोने कोने से किसान आत्महत्या की खबरें सुनने को मिल रही हैं। अगर असमय बारिष का यह सिलसिला आगे भी इसी तरह जारी रहा तो यह समस्या और ज़्यादा विकराल रूप ले सकती है। यूपी में जो अन्नदाता दूसरों के लिए साल भर के अनाज का बंदोबस्त करते थे उनके लिए फसल के बर्बाद होने के बाद जीयो या मरो की स्थिति पैदा हो गई है। उत्तर प्रदेष में लगभग एक महीने में 135 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। बेमौसम बारिष की वजह से किसानों की तकरीबन 70 प्रतिषत फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है। सरकारेें राहत पहुंचाने के बजाय अभी भी नुकसान के आंकड़े जुटाने में लगी हुई हैं। यूपी में बेमौसम बारिष एवं ओलावृश्टि से अब तक 40 जि़लों में फसलों को 1100 करोड़ से ज़्यादा का नुकसान हो चुका है। जबकि राज्य में 175 करोड़ रूपये की सहायता राषि का वितरण हो सका है। इसके अलावा राज्य सरकार ने 300 करोड़ रूपये और जारी करने के निर्देष दिए हैं। वहीं जम्मू एवं कष्मीर में सितंबर, 2014 में आई बाढ़ और अब फिर मार्च, 2015 में बाढ़ जैसे हालात का पैदा होना एक गंभीर मौसमी घटना कहा जा सकता है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती की आबोहवा में गंभीर उतार-चढ़ाव आ रहे हैं। मौसमी तेवर में इस तरह के बदलाव के कारण ही पिछले एक दषक में भारी बर्फबारी, सूखा, बाढ़, गर्मी के मौसम में ठंड जैसी घटनाएं देखने को मिल रही हैं। पूना स्थित मौसम विज्ञान संस्था ‘‘इंस्टीट्यूट फॉर ट्रॉपिकल मटीरियलॉजी’’ के अनुसार दुनिया भर में हिमालय की पूरी शृंखला और तिब्बत में सबसे ज्यादा तापमान बढ़ा है। संस्था के मुताबिक वैसे तो जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ रहे हैं लेकिन पिछले 150 सालों में दुनियाभर में जीतना तापमान बढ़ा है उससे दो गुना या उससे ज़्यादा तापमान तिब्बत और हिमालय में बढ़ा है। कष्मीर में जो आपदा आई है, हिमाचल और उत्तराखंड में जो बारिष और हिमस्खलन और भूस्खलन हो रहे हैं उन सब में जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा हाथ है।
             
एक दैनिक अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015 जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के लिहाज़ से 100 साल के रिकाॅर्ड तोड़ रहा है। पिछले 100 साल में भूमध्य सागर से उठे पष्चिमी विक्षोभ हर दूसरे या तीसरे साल मार्च-अप्रैल में राजस्थान पहुंचते रहे हैं। पहले पष्चिमी विक्षोभ से 7 से 10 साल में एक बार हल्की बारिष या आंधी जैसी घटनाएं होती थी। लेकिन 2015 के मार्च-अप्रैल में जितने भी विक्षोभ पाक से राजस्थान आए, हर बार आंधी, ओले-बारिष का कहर बरपा। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार 100 साल में पहली बार विक्षोभ के बारिष-हिमपात में बदलने का प्रतिषत 100 फीसदी देखा गया। सर्दी, गर्मी, बारिष सब अपने समय से षिफ्ट हो रहे हैं। आगे ऐसा ही रहा तो जून-जुलाई की खरीफ की बुवाई भी षिफ्ट हो सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र जयपुर के मुताबिक अप्रैल में लू चलनी चाहिए जबकि ओले पड़ रहे हैं। दिसंबर की जगह सर्दी जनवरी-फरवरी में पड़ी। बारिष भी एक-दो माह आगे षिफ्ट हो सकती है। जलवायु परिवर्तन कई देषों की खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। 
              
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (एफएओ) ने चेतावनी दी है कि उच्च तापमान, सूखा, बाढ़ और मिट्टी की उर्वरता में कमी के कारण मध्यपूर्व के कई देशों में कृषि को बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है। एफएओ की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न भूख और कुपोषण जैसी समस्याओं का सबसे अधिक प्रभाव गरीबों, कुपोषितों और वैसे लोगों पर पड़ेगा, जो स्थानीय खाद्यान उत्पादन पर निर्भर हैं। देष के अलग-अलग हिस्सों में हुई असमय बारिष इसका जीता जागता उदाहरण है। जलवायु परिवर्तन हमारे जीवन पर कई ढ़ंगों से असर डालता है। ‘‘क्लाइमेट एषिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में 44 प्रतिषत लोगों ने पिछले दस सालों में यह महसूस किया है कि खेती की पैदावार घट रही है। किसानों ने महसूस किया है कि पैदावार खासतौर से अनियमित बारिष के कारण कम हुई है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर्सरकार पेनल की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एषिया में जलवायु परिवर्तन का गंभीर असर होगा और भारत जैसे देषों में बाढ़ और सूखे के कारण भोजन की कमी होगी। खेती पर आधारित अर्थव्यवस्था वाले देषों को इससे भारी नुकसान होने की संभावना है। यह रिपोर्ट आगे बताती कि जलवायु परिवर्तन का बुरा असर गेहंू की पैदावार पर पड़ेगा। उत्तर प्रदेष में मार्च माह से लगातार हो रही असमय बारिष से गेहंू की फसल को बड़ा नुकसान है। आमतौर से अप्रैल महीने से गेहंू की फसल की कटाई षुरू हो जाती है। लेकिन अभी भी फसल खेतों में खड़ी हुई है। जलवायु परिवर्तन की तुलना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आतंकवाद से कर चुके हैं। मोदी ने जलवायु परिवर्तन को उसी तरह चिंता का कारण बताया था जिस तरह आतंकवाद आज वैष्विक चिंता का कारण बन चुका है। जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए वैष्विक स्तर पर जागरूक अभियान चलाने की ज़रूरत है। अगर सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए आवष्यक कदम नहीं उठाए तो हमारी आने वाली पीढ़ी को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। 






liveaaryaavart dot com

गौहर आसिफ
(चरखा फीचर्स)

विशेष : भारतीय योग की विश्व मान्यता का सन्देश

$
0
0
प्राचीन काल में भारत से शुरु हुआ योग ने बीते दशकों में दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया है। अब भारत के आग्रह पर योग के महत्व को मान्यता देते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया है। यह शायद पहला अवसर है, जब भारतीय योग से जुडे़ ज्ञान को पश्चिम समेत दुनिया के ज्यादातर देशों ने मान्यता दी है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस प्रस्ताव को जितने बहुमत  से पारित किया गया, यह भी एक ऐतिहासिक घटना है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने के लिये हाल ही में अपनी अमेरिका की यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने पहले भाषण में योग दिवस मनाए जाने की पुरजोर पैरवी की थी। असल में यह एक ऐसा प्रस्ताव जो सम्पूर्ण विश्व के स्वास्थ्य और मानवता के उन्नयन के लिये था। 

योग भारतीयों के जीवन का एक अभिन्न अंग रहा है। लेकिन अब यह संपूर्ण विश्व का विषय एवं मानव मात्र के जीवन का अंग बन रहा है-यह दुनिया के सकारात्मक परिवर्तन का द्योतक है। मनुष्य नाना प्रकार के संस्कार रूपी रंगों से रंगे हुए शरीर में रहता है, लेकिन योगाभ्यास द्वारा तपाया गया शरीर रोग, बुढ़ापा आदि से रहित होकर स्वरूपानुभूति के योग्य होता है। आज के इस आपाधापी, अशांति, तनाव एवं असंतुलन के युग में बढ़ते मनोदैहिक रोगों का मुख्य कारण विसंगतिपूर्ण जीवन-शैली है। इसका एक कारण भौतिकता की होड़ भी है जिससे मानव की मानसिक चंचलता बढ़ी है एवं आध्यात्मिकता से वह वंचित होता गया है। नित्य नए रोगों के निवारण, व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक उत्थान, व्यक्तित्व विकास, कार्यक्षमता में अभिवृद्धि, तनावमुक्ति के लिए ध्यान जहां शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम है वहीं यह भौतिक उन्नति को सहज बनाने की प्रक्रिया है। इसके अभ्यासी पुरुष कभी रोगी नहीं हो सकते। वे निरंतर योग साधना के माध्यम से अपना इतना विकास कर सकते हैं कि हर चुनौती को सहजता से स्वीकार कर सकें। यह ध्यान पद्धति पारिवारिक संबंधों एवं रिश्तों में प्रगाढ़ता एवं मैत्री का भी सशक्त माध्यम है। यही कारण है कि आज समूची दुनिया में योग की मांग बढ़ रही है और इसकी आपूर्ति के लिए भारत की ओर सभी देश आशा भरी दृष्टि से देख रहे हैं। विश्व योग दिवस के माध्यम से योग की उपयोगिता बढ़ेगी और दुनिया में व्यापक रचनात्मक परिवर्तन दिखाई देंगे।

जाहिर है इन बदलते हालात में भारत अपने इस पुरातन एवं अति प्राचीन योग पद्धति के जरिए बेशुमार फायदा उठा सकता है। योग पर और अधिक ध्यान दिया जाए उसकी एक केन्द्रीय सुनियोजित व्यवस्था बनायी जाए तो भविष्य में यह ध्यान पद्धति धन कमाने के बेहतर जरिए की ओर ले जा सकती है। ऐसा इसलिए है क्योेंकि योग की जरूरत जीवन के हर क्षेत्र में महसूस की जा रही है। सिर्फ भारत में ही नहीं, विदेशों में भी योग को लेकर एक दिलचस्पी जग रही है। विदेशों में हमारे कई योग गुरु पहले से ही काम कर रहे हैं, जिनमें महेश योगी, ओशो आदि रहे हैं और इधर योग गुरु बाबा रामदेव के शिविर भी तमाम मुल्कों में लग रहे हैं। प्रेक्षाध्यान शिविरों का भी विदेशों में आकर्षण बढ़ा है। प्रतिवर्ष लगने वाले अंतर्राष्ट्रीय प्रेक्षाध्यान शिविर में विदेशों से आने वाले शिविरार्थियों एवं प्रशिक्षणार्थियों के अनुभवों से ज्ञात होता है कि विदेशों में प्रेक्षाध्यान की कितनी मांग है। बात इन चंद योग गुरुओं के शिविरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि योग की जो नयी मांग पैदा हुई है उसमें वैसे अनुभवी एवं दक्ष योग प्रशिक्षकों की भी जरूरत है, जिनका बेशक बड़ा नाम नहीं है पर वे कुशल योग प्रशिक्षक हैं। यूरोप और अमेरिका के अलावा रसिया, जापान, चीन और सिंगापुर जैसे देशों में भी योग प्रशिक्षकों की मांग बढ़ रही है। और विशेषतः भारतीय योग प्रशिक्षकों और योग गुरुओं की तो जबरदस्त मांग है। 

बेशक योग के प्रति बढ़ती दिलचस्पी और स्वास्थ्य जागरूकता के नए रुझानों के कारण योग प्रशिक्षक के लिए कार्य अवसरों में दिनोंदिन बढ़ोतरी ही हो रही है, लेकिन जरूरत के मुताबिक हमारे पास योग प्रशिक्षक हैं ही कितने? हमारे देश में ऐसी कोई केन्द्रीय संस्था नहीं है, जो इन योग प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता और प्लेसमेंट जैसे मामलों की निगरानी करें। हालांकि दिल्ली स्थित भारतीय योग संस्थान और विश्वायतन, मुंगेर स्थित बिहार स्कूल आॅफ योगा, नय्यर डैम (केरल) का शिवानन्द आश्रम, पुणे स्थित बी.के.एस.आयंगर स्कूल और पट्टाभि जायसे जैसी दर्जनों संस्थाएं यहां निजी तौर पर काम कर रही हैं और उन्हीं से भारतीय योग प्रशिक्षक तैयार होकर निकलते हैं। पर एक केन्द्रीय व्यवस्था की जरूरत तो तब भी है। इस दिशा में भारत सरकार को भी योग प्रशिक्षक तैयार करने एवं विदेशों में भारतीय योग को प्रतिष्ठित करने की दिशा में चिन्तन करना चाहिए। एक केन्द्रीय योग संस्थान का गठन किया जाना चाहिए।

ऐसा नहीं है कि योग के प्रशिक्षक विदेशों में ही जरूरी हों। भारत के शहरों और कस्बों में भी योग बतौर फैशन प्रचलन में आ चुका है। आगे चलकर जब मेडिकल टूरिज्म पूरे उफान पर होगा और विदेशों में लोग चिकित्सा के लिए बड़ी संख्या में भारत का रुख करना  शुरू करेंगे, तो योग एक बेहतर करियर संभावना वाला क्षेत्र बनकर सामने आएगा। फिलहाल भारत में ही एक योग प्रशिक्षक की प्रतिमाह आय 20,000 से लेकर 50,000 रुपये तक हो सकती है तो विदेशों में और भी अच्छे वेतनमान पर योग-प्रशिक्षक जा सकेंगे। भारत में भी योग जागृति के लिये विविध उपक्रम संचालित किये जाने चाहिए। वैसे योग प्रशिक्षक सामुदायिक केन्द्रों तथा सार्वजनिक पार्कों में सशुल्क योग शिविरों का आयोजन करते हैं। वे स्कूल, काॅलेजों तथा अन्य संगठनों में योग सिखाते हैं। योग प्रशिक्षक का कार्यक्षेत्र विस्तृत है और भविष्य अधिक संभावनाओं से भरा दिखाई दे रहा है। योग प्रशिक्षक जनसेवा के ध्येय के मकसद से योग प्रचारक बनने से लेकर किसी मंदिर, अस्पताल, जिम या खेल संस्थान आदि कहीं भी अपने लिए आजीविका ढूंढ सकते हैं।

योग को सिर्फ कैरियर की नजर से या आम जन के स्वास्थ्य में सुधार की नजर से ही नहीं, बल्कि देश की चिकित्सा निर्भरता के पैमाने से भी देखने की जरूरत है। विशेषतः भारत की तरक्की और बढ़ते समग्र विकास की दृष्टि से भी योग को मूलभूत आधार बनाये जाने की जरूरत है। अगर हम चाहते हैं कि नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य एवं उन्नत कार्यक्षमता सुलभ हो तो योग को एक युक्ति के रूप में अपनाया जा सकता है। योग केवल मनुष्य की जीवनशैली को संतुलित और समृद्ध ही नहीं बनाता बल्कि यह पर्यावरण को भी दोषमुक्त करता है। योग के द्वारा ऐसी जागृति मनुष्य मस्तिष्क में होती कि वह जलवायु परिवर्तन से निपटने में दुनिया की मदद कर सकता है। याद रहे जलवायु परिवर्तन से जुड़ी एक रिपोर्ट में कहा भी गया है कि लोगों में जो गुस्सा देखा जा रहा है और जिस तेजी से दुनिया में आत्महत्याएं बढ़ रही हैं, उनका एक कारण जलवायु में हो रहा बदलाव भी है। दुनिया के देशों ने इस समस्या को समझा और योग को इससे निपटने का आसान और सर्वसुलभ माध्यम माना। वैसे भी योग में मानवता को एकजुट करने की अद्भुत शक्ति है क्योंकि योग में ज्ञान, कर्म और भक्ति का समन्वय एवं समागम है।

मानसिक तनावों से जर्जर होता आज का मनुष्य संतोष और आनन्द की तलास में इधर-उधर भटक रहा है। शांति का अहसास महसूस करने के लिए उतावला हो रहा है। वह अपनी जीवन बगिया के आसपास से स्वार्थ, क्रोध, कटुता, ईष्र्या, घृणा आदि के काँटों को दूर कर देना चाहता है। उसे अपने इस जीवन रूपी उद्यान में सुगंध लानी है। उसे उस मार्ग की तलाश है जो उसे शरीर से दृढ़ और बलवान बनाये, बुद्धि से प्रखर और पुरुषार्थी बनाये, भौतिक लक्ष्यों की पूर्ति करते हुए उसे आत्मवान बनाये। निश्चित रूप से ऐसा मार्ग है और वह मार्ग योग का ही मार्ग है। महर्षि पतंजली ने योगदर्शन का नाम दिया है। योगदर्शन एक मानवतावादी सार्वभौम संपूर्ण जीवन दर्शन है। आधुनिक युग में योग का महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि हमारी व्यस्तता और भागदौड़ भरी जिन्दगी ने हमे रोगों से घेर दिया है। आज हम देख रहें हैं कि मधुमेह, रक्तचाप, मोटापा, सिर-दर्द, छोटी उम्र में बालों का सफेद होना आदि जैसे आम रोग देखे जा रहे हैं। अत्यधिक तनाव, प्रदूषण, कैरियर की चिंता इत्यादि ने इन्सान को रोगग्रस्त बना छोड़ा है। आज युवाओं में कम मेहनत में ज्यादा पाने की हौड़ ने उन्हें अविवेकी बना छोड़ा है और इसी के चलते नौकरी प्रतिस्पर्धा का दूषण बन कर रह गई है जो आत्महत्याओं का बड़ कारण बन रही है। योग की जीवनशैली से ही हम इन समस्याओं से मुक्ति पा सकेंगे। योग एक ऐसी अमूल्य औषधि है जो बिना मूल्य आप को स्वस्थता प्रदान कर सकती है, आप को शक्तिवर्धक बना सकती है, आप का आत्म-विश्वास बढ़ा सकती है और स्वस्थ शरीर का आशीर्वाद भी दे सकती है। विश्व में अमनचेन ला सकती, इंसानों के बीच बढ़ती दूरियों को पाट सकती है। आर्थिक विकास के साथ-साथ एक आदर्श समाज निर्माण कर सकती है।  उठिए योग के महत्व को जानिए, पहचानिए और जीवन में उसे अपनाइये।




liveaaryaavart dot com

(ललित गर्ग)
पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

विशेष : दलितों में फिर अलगाव का खतरा

$
0
0
फ्रांस की राज्य क्रांति ने आधुनिक विश्व को समता, बंधुत्व और स्वतंत्रता के तीन सूत्र दिए। यह सूत्र लोकतंत्र की बुनियाद बने। बाबा साहब डा. अंबेडकर को आज के समय शीर्षस्थ दलित नेता के रूप में पेेश किया जा रहा है लेकिन यह उनकी संपूर्ण नहीं खंडित छवि है। अमेरिका में पढ़े होने की वजह से नए समाज के गढऩे को लेकर वे जो सपना देखते थे वह फ्रांस की राज्य क्रांति के सिद्धांतों पर बुना हुआ था। व्यक्तिगत जीवन में मिले अनुभव की वजह से वर्ण व्यवस्था को लेकर उनके मन में गहरा असंतोष था। इस कारण जातिगत भेदभाव का कोई प्रसंग आ जाने पर वे उग्र हो जाते थे लेकिन यह उनका संचारी भाव था स्थाई भाव नहीं इसीलिए उन्होंने वर्ण व्यवस्था को माध्यम बनाकर दलितों के साथ किए गए अमानवीय बर्ताव का बदला लेने की कल्पना नहीं की। अगर वे ऐसा करते तो अछूत सत्ता या दलित सत्ता की स्थापना के लिए संघर्ष उनके एजेंडे में होता। स्वाभाविक रूप से ऐसी सत्ता तब उन्होंने इसलिए चाही होती कि उनके लोग आतातायी वर्ग के साथ वही सुलूक करने में समर्थ हो सकेें जो उनके पूर्वजों के साथ किया गया था लेकिन डा. अंबेडकर नैतिक चेतना से ओतप्रोत थे इसलिए वे अपने संघर्ष को सार्वभौम न्याय पर आधारित व्यवस्था के निर्माण की जद्दोजहद में केेंद्रित कर सके।
डा. अंबेडकर के पहले और उनके बाद भी दलित आंदोलन की एक धारा बदला लेने की भावना से प्रेरित रही थी। 

इसकी प्रेरणा का मुख्य स्रोत था औपनिवेशिक षड्यंत्र के तहत गढ़ा गया यह मिथक कि दलित व अन्य शूद्र भारत के मूल नागरिक हैं जिन पर बाहर से आए आर्यों ने आधिपत्य कर लिया और जैसा कि होता है विजित कौम को गुलाम बनाकर रखने के लिए उन्होंने वर्ण व्यवस्था जैसी मानवता विरोधी व्यवस्था ईजाद की। राष्ट्रीय एकता के लिए यह धारणा बेहद घातक थी। इस धारणा के मजबूत होने पर देश के विघटन का एक और आधार तैयार होने की आशंका थी। डा. अंबेडकर ने इस धारणा को निर्मूल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके पास अकादमिक अध्ययन था जिसकी वजह से वे वस्तुपरकता और तथ्यों पर आधारित पूर्ण परिपक्व विश्लेषण भारतीय समाज की अवधारणा के बारे में प्रस्तुत कर सके। इसमें उन्होंने जाति व्यवस्था को लेकर मूल और बाहरी के अंतर को पाट दिया। उन्होंने यह स्थापना दी कि जाति व्यवस्था का निर्माण उस समय हुआ जब द्रविड़, सीथियंस, मंगोल और आर्यों के बीच रोटी बेटी के घनिष्ठ संबंध बन चुके थे जिससे उनमें रक्त और नस्ल के आधार पर अलग-अलग वर्गों को चिह्निïत करने की कोई गुंजायश नहीं रह गई थी। वे सवर्ण और शूद्रों को एक जैसे पूर्वजों की संतान मानते थे। लोकतांत्रिक जरूरतों के अनुरूप समाज के पुनर्गठन के लिए यह बेहद जरूरी था।

उन्होंने दलितों के साथ हुए भेदभाव व अत्याचार के प्रतिकार के लिए जितना आंदोलन चलाया उसमें अपना लक्ष्य मुख्य रूप से यह ध्वनित किया कि जब दोनों एक ही जैसे पूर्वजों की संतान हैं तो आपसी तौर पर घनिष्ट मेलमिलाप के लिए उन्हें जातिगत जकड़बंदी को तोडऩे को तत्पर होना पड़ेगा। नौकरियों में आरक्षण उनके लिए यह लक्ष्य हासिल करने का एक प्रक्रियात्मक तरीका था। इससे जहां दलितों को प्रशासन में भागीदारी मिली वहीं उन्हें यह उम्मीद थी कि जब जातिगत श्रेष्ठता के प्रतिमान अच्छे अवसरों के लिए बेमानी हो जाएंगे तो इसमें जिनका निहित स्वार्थ है वे भी जाति व्यवस्था के प्रति मोहभंग के लिए मजबूर होने लगेंगे। इस तरह जातिगत चेतना समाप्त होगी और नागरिक व वर्ग चेतना उसक स्थान ले लेगी।

लोकतंत्र सहित शुरूआती तमाम राजनीतिक प्रयोग इसी परिणति की ओर अग्रसर प्रतीत हुए। जातिगत पहचान समाप्त करने के लिए उन्होंने दलित समाज के अंदर से नई पहल का आगाज किया। इसमें सारे दलितों को अलग-अलग पहचान भुलाकर धर्म परिवर्तन के माध्यम से एक बौद्ध पहचान में गुथ जाने पर जोर था। इसका संक्रमण अन्य समाजों में भी होने की बहुत उम्मीद थी लेकिन यह अजब विपर्यास है कि नई आर्थिक नीतियां लागू होने के बाद के दौर में वर्ग चेतना के निर्माण की प्रक्रिया तो अवरुद्ध हो गई है लेकिन जातिगत पहचान ने बहुत ही मुखर तरीके से सिर उठा लिया है। भारतीय लोकतंत्र जातिगत शक्ति संतुलन पर आधारित एक व्यवस्था का पर्याय बन गया है। इसमें लाजिमी तौर पर जातियों के बीच वर्चस्व को लेकर उठापटक भी तेज हुई है। नई अर्थ नीति के साथ परंपरावादी व्यवस्था का घालमेल भारतीय समाज के लिए विकृत भविष्य का संकेत दे रहा है।

यह प्रक्रिया कुछ इस तरह चल रही है जिसमें दलितों को एक बार फिर अलगाव में धकेलने की कार्रवाइयां जोर पकड़ चुकी हैं। दलित एक ध्रुव पर हैं और दूसरे ध्रुव पर न केवल सवर्ण जातियां बल्कि मध्य जातियां भी उनके साथ हैं। यह गठजोड़ दलितों के आरक्षण लाभ में कटौती के लिए तत्पर है। उत्तर प्रदेश में पदोन्नतियों में आरक्षण समाप्त करने जैसे कदम ने दलितों के बीच जो संदेश दिया है वह मूल बनाम आर्य भारत की दफन हो चुकी खाई को फिर से जीवित करने का कारण बन सकता है। यह बहुत ही जटिल स्थिति है। बाबा साहब की सन्निकट आगामी जयंती के अवसर पर चिंतन का सबसे बड़ा एजेंडा यही होगा कि भारत में डिरेल हो चुका लोकतंत्र पटरी पर कैसे आ सके जिसके लिए जातिगत पहचान जैसी पुरानी संरचनाओं का अंत नितांत जरूरी है। बाबा साहब की विचारधारा और उनकी कार्रवाइयां इस मामले में आज भी लाइट पोस्ट का काम कर सकती हैं। इस कारण बाबा साहब की इस बार होने वाली जयंती में उनकी लिखी किताबों के पुस्तकालय और वाचनालय स्थापित करने व अंबेडकर वादी विचारधारा को केेंद्र बनाकर गोष्ठियों व संगोष्ठियों का सिलसिला बनाने की जरूरत है।





liveaaryaavart dot com

के पी सिंह
ओरई 

भारत सरकार की महत्वांकाक्षी ‘नुरूम’योजना टाॅय-टाॅय फिस्सः सिस्टर डाॅरोथी

$
0
0
  • विस्थापितों को 5 किलोमीटर के ही दायरे में पुनर्वास करें

slum-scheem-bihar
पटना। गैर सरकारी संस्था आश्रय अभियान के तत्वावधान में 5 सूत्री मांग को लेकर धरना दिया।पटना शहर में सर्दियों से गरीब लोग रहते हैं। इसे सरकार के द्वारा झोपड़पट्टी यानी स्लम कहा जाता है। स्लम में रहने वालों को सरकार के द्वारा न्यूनतम आवश्यकताओं को पूर्ण करवायी जाती है।इसमें भारत सरकार की महत्वांकाक्षी‘नुरूम’योजना चलायी जाती है। अपने उद्देश्य में ‘नुरूम’योजना लगभग पटरी से उतरी नजर आ रही है। 

एक दिवसीय धरना में काफी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं। आश्रय अभियान की निदेशिका सह सचिव सिस्टर डाॅरोथी फर्नाडिस ने धरना का संचालन किया। उपस्थित लोगों ने मुट्ठी बांधकर जोरदार ढंग से नारा बुलंद किए। जिस जमीन पर हम बसे, जमीन हमारी है, जो जमीन सरकारी है,वो जमीन हमारी है,विकास के नाम पर विस्थापन नहीं चाहिए,पटना शहर हमारा आपका,नहीं किसी का बाप का, हम अपना आवास मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते। 

मौके पर आश्रय अभियान की निदेशिका सह सचिव सिस्टर डाॅरोथी फर्नाडिस का कहना है कि यह बहुत दुखद परिस्थिति  है। पटना शहरी गरीबों को उनके भूखंड से विस्थापित किया जाता है। सरकार के इशारे पर प्रशासन रौबदार बनकर जबरन गरीबों को भूखंड से खदेड़ देते हैं। एक तरफ राजीव आवास योजना के तहत शहरी गरीबों को बसाने हेतु सरकार के द्वारा सघन सर्वे अभियान चलाया गया। फिर भी प्रशासन द्वारा गरीबों को हटाने की कार्रवाई करने से बाज नहीं आ रहे हैं। अभियान की सचिव सिस्टर डाॅरोथी ने घोर आश्चर्य जताया और कहा कि सरकार की क्रियाकलाप समझ से परे है। इसमें आखिरकार सरकार की दुरंगी नीति का बू आ रही है। बिहार में वर्ष 2005 में शहरी गरीबों को आवास मुहैया कराने हेतु भारत सरकार की महत्वांकाक्षी ‘नुरूम’ योजना आयी थी। जो बिहार में टाॅय-टाॅय फिस्स साबित हो रही है। अभी शहरी गरीबों को बसाने हेतु राजीव आवास योजना लायी गयी है। इस योजना के तहत व्यापक सर्वे किया गया। जिस पर अमल नहीं किया जा रहा है। 

सामाजिक कार्यनेत्री सिस्टर डाॅरोथी ने कहा कि मलाही पकड़ी व रेनबो फिल्ड स्लम को नाला उड़ाही के नाम पर हटा दिया गया है। हजारों की संख्या परिवार बेघर हो गए। पटना शहर के स्लम में दोनों स्लम सबसे पुराना स्लम है। उसी तरह प्रशासन की तलवार वार्ड नम्बर 9 में रहने वाले सहगड्डी मस्जिद स्लम वालों पर लटक रही है। यहां पर सरकार के द्वारा इको पार्क का विस्तार की जा रही है। अब विकास के नाम पर गरीबों को उजाड़ देना निश्चित है। विकास का मतलब यह नहीं है कि राज्य के संस्कृति व सभ्यता को ध्वस्त कर दिया जाए। हमलोगों की संस्कृति बिहार की संस्कृति गरीब मजदूर एवं किसान ही हैं। 

धरनाार्थियों की मांग है कि राजीव आवास योजनान्तर्गत पटना शहर के सभी पटना नगर निगम द्वारा चिन्हित 112 स्लमों को शीघ्र बसाया जाए। पटना नगर निगम द्वारा जो स्लम चिन्हित नहीं है उसे चिन्हित करते हुए शीघ्र बसाया जाए। दीघा रेलवे क्रोसिंग के नजदीक बसे स्लमों यथा आर.ब्लाॅक,धोबी घाट,पुनाई चक,शिवपुरी,दीघा को विस्थापित करने से पूर्व 5 किलोमीटर के दायरे के अंदर ही कहीं पुनर्वासित किया जाए। नाले के किनारे बसे मलाही पकड़ी एवं रेनबो फिल्ड स्मलम को नाला उड़ाही के दरम्यान प्रशासन द्वारा हटाये जाने के पश्चात 5 किलोमीटर के दायरे मेें कहीं भी बसाया जाए। हार्डिग रोड यथा हज भवन के पीछे स्थित सहगड्डी मस्जिद स्लम का शीघ्र कराया जाए। 

इन सब मांगों को लेकर विस्तार से विचार व्यक्त करने वालों में सर्वश्री सुगम्बर पासवान, गोबिन्द बसंल, दिलीप पटेल, रामाशीष ठाकुर,राजेश मंडल,रंजीत चंदवंशी,धनंजय यादव,सुदर्शन, मनोज, चमरू राम, अवधेश पाण्डे, रामेश्वर बिंद, राजेश मल्लिक के साथ रूकमणि देवी, आशा देवी, तनुजा, सरस्वती देवी, उर्मिला देवी,शमीमा खातुन,लालती देवी थे। 




आलोक कुमार
बिहार 

बिहार : शारीरिक चुनौती झेलने वाले विक्टर केरोबिन को मिला 16 साल पेंशन

$
0
0
  • वह 13 साल से महज पेंशन पुस्तिका नष्ट हो जाने से पेंशन लेने से महरूम हो रहा है
  • वार्ड संख्या 13 की वार्ड सदस्या गुडि़या देवी ने जिलाधिकारी कार्यकर्मी के गुप्त मंत्रणा को पालन नहीं की 

handicap-bihar-news
पटना।जिलाधिकारी कार्यालय से कर्मचारी आए थे।अपने साथ पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत के वार्ड संख्या 13 की वार्ड सदस्या गुडि़या देवी को साथ में लेकर आए थे। उन कर्मचारियों ने वार्ड सदस्या गुडि़या देवी को गुप्त मंत्रणा दिए। वार्ड सदस्या को पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत की मुखिया ममता देवी के पास शारीरिक चुनौती झेलने वाले विक्टर केरोबिन को ले जाना था। वहां पर मुखिया ममता देवी से वार्ता करके पेंशन कार्ड बनवाकर पेंशन शुरू करवा देना था।मगर 5 साल के बाद भी वार्ड सदस्या ने अपना कत्र्तव्य निर्वाह नहीं की। इस तरह जिलाधिकारी कार्यालय से आने वाले कर्मचारियों के आदेश को ठेंगा दिखा दी। 

हां, जन प्रतिनिधि के कारण ही शारीरिक चुनौती झेलने वाले विक्टर केरोबिन निशक्ता सामाजिक सुरक्षा पेंशन से महरूम कर दिए गए हंै। इनको बिहार सरकार के सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पेशन (जिला पटना) के तहत पेंशन भुगतान किया जाता था। महज अपंग की पेंशन पुस्तिका नष्ट हो जाने से पेंशन मिलना बंद हो गया है। वह पेंशन लेने से 13 साल से महरूम हैं। 

मजे की बात है कि विक्टर केरोबिन को 1 अप्रैल 1986 से पेंशन मिलना शुरू हुआ। पेंशन पुस्तिका नष्ट हो गया। मगर पेंशन पुस्तिका की छायाप्रति बना लिया गया है।इस पुस्तिका के अनुसार सितम्बर 2002 तक ही पेंशन मिला।इस तरह विक्टर केरोबिन को 1 अप्रैल 1986 से सितम्बर 2002 तक यानी 16 साल तक पेंशन मिला। इस बाबत गैर सरकारी संस्था चिंगारी ग्रामीण विकास केन्द्र के सचिव ने 18 मार्च 2010 को जिलाधिकारी के पास पत्र लिखकर जानना चाहा कि आखिरकार क्यों शारीरिक चुनौती से जूझने वाले विक्टर केरोबिन को पेंशन देना बंद कर दिया गया है? इस पत्र के आलोक में जिलाधिकारी कार्यालय से कर्मचारी विक्टर केरोबिन के घर आए। विक्टर के घर जाने के पहले वार्ड सदस्या गुडि़या देवी को भी साथ में लेकर आए।जिलाधिकारी को प्रेषित कागजात देखने के बाद इस क्षेत्र की वार्ड सदस्या को आदेश दिए कि विक्टर केरोबिन को ले जाकर पश्चिमी दीघा की मुखिया जी से पेंशन शुरू करने को कह दें। यह विडम्बना है कि वार्ड सदस्या ने 5 साल के बाद भी मुखिया जी के पास नहीं गयी और न ही जाकर वस्तुस्थिति से मुखिया जी को ही अवगत करवाया। इसके कारण विक्टर केरोबिन को पेंशन चालू नहीं हो सका है। 

चिंगारी ग्रामीण विकास केन्द्र के सचिव ने अपने पत्र में 18 मार्च 2010 को लिखा है कि विक्टर केरोबिन पुत्र केरोबिन सोलोमन,ग्राम- बांसकोठी,पंचायत दीघा,प्रखंड पटना सदर,अनुमंडल पटना सदर और जिला पटना के मूल निवासी हैं। सरकार के द्वारा विक्टर केरोबिन को 1 अप्रैल 1986 को पेंशन देने की स्वीकृति प्रदान की गयी। इनका लेखा संख्या 1102/86-87 है। इनका अंतिम निकासी सितम्बर 2002 को है। कतिपय कारणों से फिलवक्त पेंशन की सुविधा बंद कर दी गयी है। आप से आग्रह है कि उक्त पेंशन पर निर्भर रहने वाले अपंग विक्टर केरोबिन को पेंशन चालू करने का कष्ट करेंगे। नये सिरे से निशक्ता सामाजिक सुरक्षा पेंशन कार्यक्रम से लाभान्वित किया जाए। इस समय विक्टर केरोबिन के सिर पर से मां-बाप की छाया उठ चुकी है और भाई-भाभी के मखदुमपुर बगीचा,शिवाजी नगर मार्ग में स्थित घर में रहते हैं।अंत में लिखा गया है कि आप महोदय से आग्रह है कि लेखा संख्या 1102/86-87 की जांच करा लें। और इसे चालू करके पुराने समय की बकाये राशि को एकमुश्त आंवटन करने का कष्ट करेंगे। 




आलोक कुमार
बिहार 

'आप'के 15 विधायकों ने बिजली की दरों में वृद्धि की मांग का विरोध किया

$
0
0
aap-mla-protest
नई दिल्ली (अशोक कुमार निर्भय) आम आदमी पार्टी के 15 विधायकों ने बिजली की दरों में वृद्धि की मांग से जुड़ी बिजली वितरण कंपनियों की अपील का विरोध करते हुए कहा कि ये कंपनियां दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) को गुमराह कर रही हैं। डीईआरसी को लिखे एक पत्र में विधायकों ने नियामक को वे कारण बताएं जिनके आधार पर बिजली वितरण कंपनियों की बिजली की दरों में वृद्धि की मांग से जुड़ी याचिकाओं को नामंजूर किया जाना चाहिए। 

आप ने एक बयान में कहा कि उसके विधायकों ने बिजली वितरण कंपनियों के कार्यशील पूंजी पर उंची ब्याज दर मांगने के आधार और साथ ही उनके द्वारा बताई गई बिजली खरीद की कीमतों में विसंगतियों पर सवाल किएबयान के अनुसार, इनमें से हर विधायक ने बिजली वितरण कंपनियों की याचिकाओं पर सार्वजनिक सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का एक मौका देने के लिए डीईआरसी को अपने नाम दिए। बिजली वितरण कंपनियां अपने बकाया भुगतानों के लिए विनियमन को कारण बताकर जनता को गुमराह कर रही हैं। बिजली वितरण कंपनियों की अक्षमता का बोझ जनता पर नहीं पड़ने दिया जाएगा। 

बयान में कहा गया कि इन विधायकों ने कहा है कि सभी तथ्यों एवं स्थितियों को ध्यान में रखते हुए डीईआरसी को एक निष्पक्ष नियामक के तौर पर अपनी विश्वसनीयता बहाल करने के लिए इन कंपनियों को बिजली की दरें तत्काल कम करने का आदेश देना चाहिए। विधायकों ने उपभोक्ताओं के मीटर की रीडिंग में गलत तरीकों का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया। डीईआरसी को पत्र लिखने वाले विधायकों में आदर्श शास्त्री (द्वारका), अमानतुल्ला खान (ओखला), नरेश शदव (महरौली), रितु राज (किराड़ी) समेत अन्य शामिल हैं।

दिल्ली भाजपा विधायकों ने उपराज्यपाल से मिल तुरंत लोकायुक्त नियुक्त करने की मांग रखी

$
0
0
delhi-bjp-demand-lokayukt
नई दिल्ली(अशोक कुमार निर्भय)।  दिल्ली विधानसभा में मात्र तीन  भाजपा के विधायकों ने  उपराज्यपाल श्री नजीब जंग से मुलाकत करके  दिल्ली में तुरंत लोकायुक्त एवं उप लोकायुक्त नियुक्त करने की मांग की है । अपने को सशक्त्त विपक्ष बताने वाले नेता  विजेन्द्र गुप्ता के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने उपराज्यपाल के संज्ञान में लाया कि संवैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार दिल्ली में लोकायुक्त का पद रिक्त होने के 6 माह में भरना अनिवार्य है पर 5 नवंबर, 2013 को तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस एम.एम. सरीन के सेवा निवृत्त होने के बाद से यह पद रिक्त है। 

 विधायकों ने उपराज्यपाल को बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय भी इस मसले को लेकर चिंतित है और 26 सितंबर 2014 को एक मामले डब्ल्यू. पी(सी) 6037/2014 के फैसले में अपनी चिंता प्रकट करते हुये तुरंत लोकायुक्त नियुक्ति की संस्तुति कर चुका है।  भाजपा विधायकों श्री गुप्ता, श्री ओ.पी. शर्मा एवं श्री जगदीश प्रधान ने कहा है कि आश्चर्य होता है कि मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी जो खुद को लोकपाल-लोकायुक्त आंदोलन के प्रहरी बताते नहीं थकते दिल्ली सरकार में लोकायुक्त की नियुक्ति पर आज भी चुप हैं और 2013-2014 में 49 दिन की सरकार में भी लोकायुक्त नियुक्ति की फाइल दबाये चले गये। गुप्ता ने कहा है ऐसा लगता है कि अपने विधायकों मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर, असीम अहमद खान, नरेश बल्यान, संजीव झा, रितुराज गोविंद, अमानतुल्लाह खान, अखिलेश त्रिपाठी एवं श्री सहीराम पहलवान  जैसों के कार्यकलाप देख मुख्यमंत्री अरविन्द  केजरीवाल अब जानबूझकर लोकायुक्त नियुक्ति से किनारा कर रहे हैं। दिल्ली में अगर लोकायुक्त नियुक्त हो जाये तो शायद ऐसे विधायक कुछ ही दिनों में अयोग्य घोषित कर दिये जायेंगे।

मोतीनगर के वृद्ध मनोरंजन केंद्र की अभी तक नहीं ली प्रशासन ने सुध

$
0
0
old-age-home
नई दिल्ली (अशोक कुमार निर्भय)। मोतीनगर का वृद्ध मनोरंजन केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। मोतीनगर क्षेत्र के बुजुर्ग मंद पड़ती आखों की रोशनी के बीच टकटकी लगाकर वृद्ध मनोरंजन केंद्र में सुविधाओं के बहाल होने का इंतज़ार कर रहे है। सांसद मीनाक्षी लेखी ने इस मनोरंजन केंद्र का उदघाटन किया था, लेकिन उन्होंने भी उसके बाद कोई सुध नहीं ली। गौरतलब है की रिलेशन ऑफ़ इंडिया न्यूज़ ने सर्वप्रथम इस मुद्दे को उठाया था। जानकारी सांसद महोदय को प्रकाशित समाचार की प्रति देकर ध्यान भी दिलाया था।  राष्ट्रीय राजनीति  ने मशगूल रहने वाली लोकप्रिय सांसद महोदया को अपने संसदीय क्षेत्र के इस  वृद्ध मनोरंजन केंद्र की सुध लेने का समय नहीं मिला। यहाँ तक की क्षेत्रीय निगम पार्षद को भी इस तरफ ध्यान देने के लिए कहने का समय भी नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह रोजाना अपने भाषणों में कहते है की सांसद काम करें और भाजपा के विकास को जनता तक ले जाकर मजबूत बनाये। लेकिन यहाँ के प्रतिनिधियों के पास बुजुर्गों की सुनने का समय नहीं है।

आप को बता दें की वर्तमान में इस मनोरंजन केंद्र में कुर्सियां तो कुछ है लेकिन अधिकतर टूटी है.वृद्ध मनोरंजन केंद्र में महिला और पुरुष शौचालय नहीं बना है। मनोरंजन केंद्र की दीवार टूटी पड़ी है जिसके चलते आवारा जानवरों और अपराधी तत्वों की यह शरणस्थली बन चूका है। मनोरंजन केंद्र के भीतर बने पार्क में ना घास और पेड़ पौधे लगे है और न ही बैठने के लिए बेंच।मनोरंजन के नाम पर ना टीवी रखा है और ना ही कैरम,डॉट्स,लूडो जैसे मनोरंजन खेलों के साधन। गेट पर अधिकतर समय ताला जड़ा रहता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गेट के बाहर के फ्रूट की फूटपाथ पर अवैध रेहड़ी पुलिस और निगम निरीक्षक की मिलीभगत लगती है,इसी फ्रूट वाले ने चाबी बनाकर अपनी रेहड़ी भीतर खड़ी करनी शुरू कर दी है। धीरे-धीरे निगम का यह वृद्ध मनोरंजन केंद्र भूमाफियाओं के कब्जे में होगा ऐसा देखने से प्रतीत होता है।  गौरतलब है कि यहाँ के हालात देखकर लगता है की भाजपा निगम में सत्ताधीश बनकर बैठी है किन्तु केंद्र सरकार की योजनाओं और प्रधानमंत्री के कहने का कोई असर दिखाई नहीं देता। इस वृद्ध मनोरंजन केंद्र की बदहाली के जिम्मेदार सी एस डी विभाग उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अफसरों को यह हालात पता है किंतु फिर भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाना उनकी मज़बूरी को दर्शाता है ?  
Viewing all 74203 articles
Browse latest View live




Latest Images