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छतरपुर (मध्यप्रदेश) की खबर (29 अप्रैल)

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खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का हुआ समापन
  • आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ दिखायी गयीं 54 फिल्में    

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छतरपुर/29 अप्रैल/म0प्र0 षासन के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का मंगलवार को समापन हो गया। इस फिल्म महोत्सव में देष-विदेष की कुल 54 फिल्मों का प्रदर्षन हुआ। ये फिल्में खजुराहो के षिल्पग्राम के अलावा चार होटलों में दिखायी गयीं। इनमें 6 बुंदेली फिल्मों का भी प्रदर्षन किया गया। महोत्सव में देष-विदेष के सुप्रतिष्ठित फिल्म निर्माता, निर्देषक एवं कलाकारों ने भाग लिया। महोत्सव के दौरान ओम पुरी, मनमोहन षेट्टी, रमेष सिप्पी, दीप्ति नवल, डाॅ. चंद्र प्रकाष द्विवेदी, प्रकाष झा, गोविंद निहलानी, ब्रैण्डन हिल, मीता वषिष्ठ आदि फिल्मकारों ने हिस्सा लिया। 25 से 28 अप्रैल तक आयोजित चार दिवसीय फिल्मोत्सव के दौरान फिल्मकारों एवं दर्षकों के बीच संवाद कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। संवाद सत्रों में दर्षकों की जिज्ञासाओं का समाधानकारक उत्तर फिल्म विष्लेषकों द्वारा दिये गये। षिल्पग्राम खजुराहो में आयोजित समापन कार्यक्रम के अवसर पर कलेक्टर डाॅ. मसूद अख्तर एवं पुलिस अधीक्षक श्री ललित षाक्यवार बतौर अतिथि षामिल हुये। समापन कार्यक्रम में उन्होंने संगाीत एवं साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिये जनार्दन खरे, गंगाप्रसाद बरसैंया, बृजेन्द्र सिंह एवं अवंतिका दुबे को सम्मानित किया। समापन अवसर पर फिल्म पत्रकार अली पीटर जोन की एक पुस्तक का विमोचन भी उपस्थित अतिथियों द्वारा किया गया। समापन अवसर पर षोले फिल्म का प्रदर्षन हुआ। इस फिल्म महोत्सव के आयोजन में प्रयास प्रोडक्षन एवं उसके प्रमुख अभिनेता, निर्देषक राजा बुन्देला का समन्वय प्रमुख रहा। समापन कार्यक्रम में बुन्देली एवं अन्य अंचलों के लोकगीतों व लोकनृत्यों के अलावा मुम्बई के कलाकारों ने आकर्षक प्रस्तुतियां दी। दर्षकों की भीड़ ने इन्हें खूब सराहा। कार्यक्रम में एसडीएम रविन्द्र चैकसे, तहसीलदार बलवीर रमन के अलावा अन्य प्रषासनिक अधिकारी, गणमान्य नागरिक एवं बड़ी संख्या में  आमजन उपस्थित थे।   

ग्रीष्मकालीन खेल प्रषिक्षण षिविर का आयोजन 6 से

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छतरपुर/29 अप्रैल/खेल एवं युवा कल्याण विभाग, छतरपुर द्वारा प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 30 दिवसीय ग्रीष्मकालीन खेल प्रषिक्षण षिविर का आयोजन किया जा रहा है। प्रषिक्षण षिविर का आयोजन जिला मुख्यालय सहित विकासखण्ड मुख्यालय एवं ग्रामीण स्तर पर भी होगा। इस संबंध में आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में अपर कलेक्टर एस सी गंगवानी की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में खेल व युवा कल्याण अधिकारी प्रदीप अविद्रा द्वारा षिविर के आयोजन की व्यवस्था हेतु रूपरेखा प्रस्तुत करने के उपरांत जानकारी दी गई कि स्थानीय बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम में आगामी 6 मई से 5 जून तक फुटबाल, बेसबाल, बास्केटबाल, मलखम्ब, हाॅकी, जूडो, बैडमिंटन, बालीबाल तथा खो-खो खेल विधा का प्रषिक्षण दिया जायेगा। प्रषिक्षण प्रतिदिन प्रातः 6 से 8 बजे तक दिया जायेगा। इसी प्रकार जिले के समस्त विकासखण्ड मुख्यालयों पर विकास खण्ड षिक्षा अधिकारी संबंधित विकासखण्ड के उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य से समन्वय स्थापित कर खेल प्रषिक्षण षिविर आयोजित करायेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रषिक्षण षिविर का आयोजन नेहरू युवा केंद्र छतरपुर द्वारा तथा पायका केंद्रों में पायका केंद्र प्रभारी षिविर आयोजन करवायेंगे। प्रषिक्षण षिविर में भाग लेने वाले इच्छुक खिलाड़ी प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से 8 बजे तक एवं सायं 5 से 6 बजे तक स्टेडियम परिसर छतरपुर में जूडो प्रषिक्षक षंकर लाल रैकवार एवं मलखम्ब खेल प्रषिक्षक सुरेष निगम से निःषुल्क आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त पुलिस लाइन स्थित जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी कार्यालय से भी आवेदन प्राप्त किया जा सकता है। बैठक में समस्त बीईओ सहित सहायक आबकारी आयुक्त पी एल राकेष, क्षेत्र संयोजक आजाक डाॅ. नारायण सिंह, डाॅ. पुष्पेन्द्र पटेरिया, डाॅ. डी सी जैन, एस के मिश्रा, मंडी निरीक्षक षिवभूषण निगम, डाॅ. राम प्रताप सिंह यादव, नसरूद्दीन, कुर्बान बेग, मान सिंह खेल प्रषिक्षक उपस्थित रहे।     

के.सी. मिश्रा प्रेक्षक नियुक्त

छतरपुर/29 अप्रैल/राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नगर परिषद्, घुवारा के अध्यक्ष व पार्षद पदों के निर्वाचन हेतु फोटोयुक्त मतदाता सूची तैयारी के कार्य का निरीक्षण करने हेतु सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर के सी मिश्रा 9993956666 को प्रेक्षक नियुक्त किया गया हे। प्रेक्षक श्री मिश्रा 2 मई तक प्रतिदिन नगर परिषद्, घुवारा के आम निर्वाचन हेतु तैयार की जा रही मतदाता सूची के कार्य का निरीक्षण करेंगे।    

मासिक लोक अदालत में 12 हजार 398 प्रकरण निराकृत

छतरपुर/29 अप्रैल/जिला न्यायालय परिसर में आयोजित मासिक लोक अदालत में कुल 12 हजार 398 प्रकरणों का निराकरण किया गया। जिला विधिक सहायता अधिकारी  अमित षर्मा ने उक्त जानकारी देते हुये बताया कि लोक अदालत में पारिवारिक विवादों से संबंधित 19 एवं राजस्व मामलों के 12 हजार 379 प्रकरणों का निराकरण किया गया। नेषनल लोक अदालत में कुल 23 लाख 54 हजार 940 रूपये की राषि हितग्राहियों में वितरित की गयी है। 

गंभीर अपराधों की समीक्षा बैठक आज

छतरपुर/29 अप्रैल/जिला न्यायालय के अंतर्गत लंबित चिन्हित, जघन्य एवं सनसनीखेज अपराधों की समीक्षा बैठक का आयोजन 30 अप्रैल को किया गया है। कलेक्टर डाॅ. मसूद अख्तर की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सायं 5 बजे से आयोजित होने वाली इस बैठक में सभी संबंधितों को जानकारी के साथ उपस्थित रहने के निर्देष दिये गये हैं।

कंप पीड़ितों को नपा कर्मचारी देंगे एक माह का भत्ता

  • अध्यक्ष और पार्षदों ने भी लिया एक माह की वेतन देने का निर्णय

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छतरपुर। नेपाल में आए विनाषकारी भूकंप से तबाह हुए परिवारों की मदद के लिए नगर पालिका परिषद छतरपुर के कर्मचारियों ने अच्छी पहल की है। कर्मचारियों और अध्यक्ष सहित सभी पार्षदों ने भूकंप पीड़ित परिवारों की मदद के लिए सहयोग राषि भेजने का निर्णय लिया है। इस राषि का ड्राफ्ट गुरूवार को तैयार कराया जाएगा और फिर राज्य सरकार के सहयोग से इसे नेपाल के भूकंप पीड़ितों को भेजा जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर पालिका परिषद छतरपुर के सभागृह में अध्यक्ष अर्चना गुड्डू सिंह एवं प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी आरसी चतुर्वेदी की विषेष उपस्थिति में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें सभी कर्मचारियों और पार्षदों ने हिस्सा लिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी कर्मचारी अपना एक माह का एरियर्स भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए देंगे। नगर पालिका के कर्मचारियों को प्रतिमाह 6 प्रतिषत एरियर मिलता है, यह राषि सभी कर्मचारियों की मिलाकर लगभग 1 लाख रूपये होती है। इसके अलावा अध्यक्ष और पार्षद भी अपना एक माह का वेतन भूकंप पीड़ितों को सौंपेगंे। यह राषि भी लगभग 1 लाख रूपये होती है। इस प्रकार नगर पालिका परिषद छतरपुर के जनप्रतिनिधियों एवं कर्मचारियों के सहयोग से नेपाल के भूकंप पीड़ितों को यह राषि सहयोग के तौर पर भेजी जाएगी। नगर पालिका अध्यक्ष अर्चना गुड्डू सिंह ने इस मौके पर कहा कि पीड़ित मानवता की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है और नगर पालिका तथा उसके कर्मचारी मानवता की सेवा में कभी पीछे नहीं रहेगें। उन्होंने कहा कि जल्दी ही यह राषि भूकंप पीड़ितों को भेजी जाएगी।

कर्मचारियों ने जताया शोक
बैठक के बाद नगर पालिका के सभी कर्मचारियों ने नगर पालिका कर्मचारी बाल मुकुंद शुक्ला की माताजी श्रीमती जमुना बाई के निधन पर शोक जताया और दो मिनिट का मौन रखकर मृत आत्मा की शांति हेतु ईष्वर से प्रार्थना की। ज्ञात हो कि श्रीमती जमुना बाई का गत दिवस वृद्धा अवस्था के चलते निधन हो गया था। वे 87 वर्ष की थीं तथा पिछले कई महीनों से अस्वस्थ्य चल रहीं थीं। नगर पालिका अध्यक्ष अर्चना गुड्डू सिंह सभी पार्षदों व कर्मचारियों ने ईष्वर से पीड़ित परिवार को यह गहरा आघात सहन करने की शक्ति देने हेतु प्रार्थना की है। 

बालाघाट (मध्यप्रदेश) की खबर (29 अप्रैल)

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आदिवासी महिला की जमीन बेचने की अनुमति के लिए फर्जी पंचनामा का मामला
  • कटंगी एस.डी.एम. ने पटवारी को किया निलंबित

एक आदिवासी महिला के नाम की जमीन को बेचने के लिए कलेक्टर से अनुमति प्राप्त करने के लिए फर्जी पंचनामा प्रस्तुत करने के कारण कटंगी के एस.डी.एम. श्री जी.सी. डेहरिया ने पटवारी हल्का नम्बर-08 के पटवारी सिध्दार्थ मेश्राम को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। कटंगी तहसील के ग्राम बासी की आदिवासी महिला सेवन्ता बाई की जमीन बेचने के लिए कलेक्टर की अनुमति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया था। कटंगी के एस.डी.एम. को जमीन बेचने की अनुमति देने के लिए प्रकरण की जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा गया था। एस.डी.एम. श्री डेहरिया ने पटवारी सिध्दार्थ मेश्राम को मौके पर जाकर जमीन की मालिक का अभिमत लेकर पंचानामा प्रस्तुत करने के निर्देश दिया था। पटवारी द्वारा पंचनामा तैयार कर लाया गया था, जिसमें महिला सेवन्ता बाई को अपनी जमीन बेचने के लिए तैयार बताया गया था। आदिवासी वर्ग के व्यक्ति की जमीन को बेचने की अनुमति की जांच की प्रक्रिया के अनुसार एस.डी.एम. के समक्ष जमीन की मालिक के बयान दर्ज कराने होते है। बासी की सेवन्ता बाई को अपना बयान दर्ज कराने के लिए कटंगी एस.डी.एम. के समक्ष बुलाया गया तो उसने साफ शब्दों में कहा कि वह अपनी जमीन नहीं बेचना चाहती है और न ही उसने जमीन बेचने की अनुमति देने के लिए कोई आवेदन दिया है। सेवन्ता बाई के बयान के बाद साफ हो गया कि उसके नाम की जमीन को बेचने के लिए पटवारी के साथ मिली भगत कर कोई अन्य व्यक्ति कार्य कर रहा है। सेवन्ता बाई के नाम की जमीन हड़पने के लिए उसे धोखे में रखकर उसकी जमीन बेचने की अनुमति के लिए दूसरे ही व्यक्तियों द्वारा आवेदन लगाया गया है। धोखाधड़ी के इस मामले में कटंगी एस.डी.एम. ने जिम्मेदार पटवारी को निलंबित करने के साथ ही जिला प्रशासन को जमीन बेचने की अनुमति के लिए आवेदन करने वाले लोगों के विरूध्द एफ.आई.आर. दर्ज कराने की अनुशंसा की है।  

75 मानसिक/बहुविकलांगों को 500 रु. मासिक की पेंशन मंजूर
जिले के विभिन्न ग्रामों एवं नगरीय क्षेत्रों के 75 मानसिक रूप से विकलांग एवं बहुविकलांग व्यक्तियों को कलेक्टर श्री व्ही. किरण गोपाल द्वारा 500 रु. मासिक की पेंशन मंजूर की है। पेंशन मंजूरी का आदेश संबंधित नगरीय निकाय एवं जनपद पंचायत को भेज दिया गया है। म.प्र. शासन की इस योजना के अंतर्गत मानसिक एवं बहुविकलांग व्यक्तियों को हर माह 500 रु. की पेंशन प्रदान की जाती है। इस योजना में गरीबी रेखा एवं जाति का कोई बंधन नहीं है। उप संचालक सामाजिक न्याय श्रीमती हर्षिका सिंह ने बताया कि नगरीय क्षेत्र कटंगी के वार्ड नं.-04 की उमा गौर व हर्षित ठाकुर तथा वार्ड नं.-13 के चन्द्रशेखर वाघाड़े को 500 रु. मासिक की पेंशन मंजूर की गई है। इसी प्रकार नगरीय क्षेत्र लांजी के वार्ड नं-03 की कुमारी ज्योति राउत, वार्ड नं.-15 की कुमारी अंजनी अस्तने व वार्ड नं.-02 की कुमारी रोशनी नगपुरे, वारासिवनी के वार्ड नं.-08 के मोहन ठाकुर व श्रुति राठोर, वार्ड नं.-10 की कुमारी रिया ढकने, वार्ड नं.12 के विशाल कुमार गोखले व हिमेश पांचे, वार्ड नं.-04 की सुनारी बाई धुर्वे, नगरीय क्षेत्र बालाघाट के वार्ड नं.11 की कुमारी रेशमा चौरागढ़े, वार्ड नं.10 की अलबिना खान, वार्ड नं.14 के ऋषभ तिवारी व कुमारी शिवानी तिवारी, वार्ड नं.-13 के गणेश बनकर, वार्ड नं.22 की मीना दुबे, वार्ड नं.-12 के हर्ष गुरूंग, वार्ड नं-19 की शबाना व वार्ड नं.-06 के अनिल कुमार जैन, नगरीय क्षेत्र मलाजखंड के वार्ड नं.-22 के दुर्गेश कुमार मुगवाह, वार्ड नं.20 के शमीम खान, वार्डं.-23 की कुमारी देवीका यादव व वार्ड नं.-09 के अन्वेश राणा को 500 रु. मासिक की पेंशन मंजूर की गई है। जनपद पंचायत किरनापुर के ग्राम बेनेगांव की आंचल, ककोड़ी के साहब रिनायत व मुंडेसरा के तुषार, जनपद पंचायत वारासिवनी के ग्राम नांदगांव की तिरंजा बाई, पुसुटोला-एकोड़ी की प्रीति बिसेन व कौलीवाड़ा की कोमल बिसेन, जनपद पंचायत बालाघाट के ग्राम कोसमी की डाली सिल्हारे, क्रमारी प्रमिला, कुमारी लक्ष्मी बिन्झोड़े, कुम्हारी के किसनलाल काटेकर, अविनाश बिसोने, पाथरवाड़ा के रणजीत गराड़े, निराशा लिल्हारे, भरवेली के हितांशु गराड़े, पचपेढ़ी की लक्ष्मी बाई पटले व ग्राम खुरसोड़ी के साहिल दशहरे को 500 रु. मासिक की पेंशन मंजूर की गई है। जनपद पंचायत लालबर्रा के ग्राम डोरली के अनुप कुमार, बुधाटोला-कोपे की कुमारी हिना, चिचगांव की कुमारी मीनाक्षी, नैतरा के दिनेश, चन्द्रपुरी के साहिल खान, बबरिया के संदीप व महेश कुमार, जनपद पंचायत कटंगी के ग्राम लोहमारा की भागरता बाहे, सावन पंचेश्वर व देवका सहारे, देवरी के मनन, बोलडोंगरी के नोहित कुमार पटले, महकेपार की कुमारी अपेक्षा बंसोड़, कोसमटोला के दिगम्बर गौपाले, देवठाना के दीपक वगारे, आगरवाड़ा के जीवनलाल रहांगडाले, नवेगांव के मोहन कटरे व लक्ष्मण कटरे, जनपद पंचायत परसावाड़ा के ग्राम लिंगा की कुमारी आचल बोपचे, चंदना की संगीता व गोविंद बोरीकर, जनपद पंचायत खैरलांजी के ग्राम कटंगी-कोथुरना की जिरन बाई, नवेगांव-3 की कुमारी साक्षी नगपुरे, खैरी की सत्यशीला, टेमनी के साहिल गजभिये, मिरगपुर की गीता नेवारे, सुकड़ीघाट की सुलोचना देशमुख, घुबड़गोंदी के परमेश्वर कावड़े, उमाशंकर राउत, परमेश्वर भगत, राजेश मेश्राम राजेश्वरी बघेल, नोनसा की तारन बाई बिसेन व ग्राम अतरी के जितेन्द्र को 500 रु. मासिक की पेंशन मंजूर की गई है। 

05 मई को रोजगार मेले का आयोजन, बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार का सुनहरा अवसर
जिले के शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सुलभ कराने के मकसद से जिला रोजगार कार्यालय के तत्वावधान में आगामी 05 मई 2015 को जाब फेयर(रोजगार मेला) का आयोजन किया जा रहा है। जिले के बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार पाने का यह एक सुनहरा अवसर हो सकता है। जिला रोजगार अधिकारी व्ही.के. सदाफल ने बताया कि 05 मई 2015 को जिला रोजगार कार्यालय बालाघाट में आयोजित रोजगार मेले में देश/प्रदेश की विभिन्न कम्पनियों द्वारा अनेक पदों पर योग्य आवेदको का चयन किया जाना है। चयनित आवेदको को नियमानुसार वेतनमान भत्ते, आवास एव अन्य सुविधायें प्रदान की जावेगी । चयन के लिए आवेदको की शैक्षणिक योग्यता आई.टी.आई वेल्डर, इलेक्टिशयन, भवन निर्माण एव अन्य आवेदको के लिए दसवी, बारहवी कक्षा उत्तीर्ण रखी गई है। आवेदकों की आयु सीमा 18 से 35 वर्ष तक होना चाहिये। मेले में रोजगार के लिए आने वाले आवेदक को अपनी शैक्षणिक योग्यता की अंक सूची एवं फोटो आदि लेकर उपस्थित होना होगा। 

पंजीयक कार्यालय में किराये के वाहन के लिए निविदा आमंत्रित
जिला पंजीयक कार्यालय बालाघाट में मासिक दर पर किराये के वाहन की आवश्यकता है। इसके लिए वाहन मालिकों से निविदा आमंत्रित की गई है। निविदा का फार्म कलेक्ट्रेट भवन स्थित कक्ष क्रमांक-201 से प्राप्त किया जा सकता है। निविदा 06 मई 2015 को शाम 5 बजे तक जमा की जा सकती है। निविदा 07 मई को प्रात: 11 बजे खोली जायेगी। 

सी.आर.पी.एफ. की टीम ने आतंकवादी हमले से बचने किया माक ड्रील, केन्द्रीय विद्यालय भरवेली में विद्यार्थियों को दिया खतरों से बचने का मंत्र
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केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल(सी.आर.पी.एफ.) की 123 वीं बटालियन के कमांडेंट श्री ओमप्रकाश के मार्गदर्शन में आज 29 अप्रैल 2015 को केन्द्रीय विद्यालय भरवेली में आतंकवादी हमले से बचने के लिए माक ड्रील का अभ्यास किया। इस अभ्यास के दौरान पाकिस्तान के पेशावर मिलट्री स्कूल में हुए आंतकवादी हमले की तरह का बनावटी हमला किया गया और उससे बचाव के तरीके बताये गये। यह सारी कार्यवाही बटालियन के उप कमांडेंट नरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में उप निरीक्षक संजय वर्मा द्वारा सम्पन्न कराई गई और विद्यार्थियों को ऐसे हमलों से बचाव की जानकारी दी गई। इस दौरान विद्यालय के स्टाफ एवं बच्चों को साहसी एवं बहादुर बनने के लाभ एवं जान-माल की हानि को रोकने संबंधी उपाय बताये गये। माक ड्रील में विद्यालय के प्राचार्य पी. रामकृष्णा, स्टाफ एवं बच्चों ने ध्यानपूर्वक एवं उत्साह के भाग लिया और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल(सी.आर.पी.एफ.) की बटालियन के इस सहयोग के लिए सराहनी की गई। 

वन अपराध में लिप्त दो मोटर सायकल को राजसात करने की कार्यवाही
balaghat newsवन विभाग द्वारा वन अपराध में संलिप्त पाये जाने पर दो मोटर सायकिल को राजसात करने की कार्यवाही की जा रही है। वाहन मालिक को 15 दिनों के भीतर उप वन मंडल अधिकारी बालाघाट(सा.) के कार्यालय में उपस्थित होकर अपना रखने कहा गया है। इसके बाद दोनों वाहनों को राजसात करने एक पक्षीय कार्यवाही की जायेगी। 29 सितम्बर 2013 को टी.व्ही.एस. मोटर सायकल क्रमांक एम.पी.-50-बी.ए.-8846 को 08 नग बीजा चिरान का अवैध रूप से परिवहन करते हुए पकड़ा गया था और उसे जप्त किया गया था। इस मोटर सायकिल के मालिक ग्राम पाथरवाड़ा निवासी विजय ऊर्फ पप्पू पिता उदेलाल को चार नोटिस देकर वन मंडल कार्यालय में उपस्थित होने कहा गया है। लेकिन वाहन मालिक आज तक वन मंडल के कार्यालय में उपस्थित नहीं हुआ है।इसी प्रकार 06 जुलाई 2013 को हीरो होंडा मोटर सायकल क्रमांक एम.-22-ई.-2708 को बीजा लट्ठा का अवैध रूप से परिवहन करते पाये जाने पर जप्त किया गया था। इस इस मोटर सायकल के मालिक ग्राम पाथरवाड़ा निवासी राजेन्द्र पिता दीपचन्द लोधी को पांच बार नोटिस देकर वन मंडल के कार्यालय में उपस्थित होने कहा गया है। लेकिन वाहन मालिक आज तक वन मंडल के कार्यालय में उपस्थित नहीं हुआ है। वन अपराध में लिप्त दोनों मोटर साईकिल के मालिकों को अंतिम अवसर देते हुए 15 दिनों के भीतर उप वन मंडल अधिकारी बालाघाट(सा.) के कार्यालय में उपस्थित होकर अपना रखने कहा गया है। इसके बाद दोनों वाहनों को राजसात करने एक पक्षीय कार्यवाही की जायेगी। 

लांजी की मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य के लिए प्रेक्षक नियुक्त
नगरीय क्षेत्र लांजी की पुनरीक्षित मतदाता सूची तैयार करने के लिए म.प्र. राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सेवानिवृत्त डिप्टभ् कलेक्टर बी.जी. पांडे को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। श्री पांडे ने अपना कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने आज लांजी में बी.एल.ओ. की बैठक लेकर उनके कार्य की समीक्षा की तथा उन्हें निर्देशित किया कि 01 जनवरी 2015 को आधार मानकर तैयार की मतदाता सूची 03 मई 2015 तक वेंडर को उपलब्ध करा दी जाये। मतदाता सूची में 01 जनवरी 2015 को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले सभी मतदाताओं के नाम होना चाहिए। मतदाता सूची में गलत या मृत व्यक्तियों के नाम नहीं होना चाहिए। 

व्यापम ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित करेगा 1000 नये कियोस्क, आवेदकों को मिलेगी स्थानीय स्तर पर फार्म भरने की सुविधा
व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) आवेदकों की सुविधा के लिये ग्रामीण क्षेत्र में 1000 नये कियोस्क स्थापित करेगा। तकनीकी एवं उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि इससे आवेदकों को स्थानीय स्तर पर विभिन्न परीक्षाओं के फार्म भरने की सुविधा मिलेगी। साथ ही अन्य योजनाओं के संबंध में जानकारी भी कियोस्क से मिल सकेगी। प्रदेश में वर्तमान में 6,520 कियोस्क है। इसमें से 3,535 शहर में और 2,985 ग्रामीण क्षेत्र में हैं। व्यापमं के अध्यक्ष श्री एम.एम. उपाध्याय ने जानकारी दी कि कियोस्क की स्थापना में 60 हजार  पये की लागत आती है। यह राशि हितग्राही को व्यापमं द्वारा दो किस्त में अनुदान के रूप में दी जायेगी। प्रथम किस्त 35 हजार पये की होगी। दूसरी किस्त 25 हजार  पये कियोस्क के 6 महीने तक सफल संचालन के बाद दी जायेगी। श्री उपाध्याय ने बताया कि कियोस्क उन क्षेत्रों में स्थापित होंगे जहाँ ऑनलाइन फार्म भरने की पर्याप्त सुविधा नहीं है। ऐसे क्षेत्र मुख्यत: आदिवासी बहुल और पिछड़े ग्रामीण अंचल हैं। इसके माध्यम से 1000 ग्रामीण युवकों को रोजगार भी मिलेगा। जिला-स्तर पर कियोस्क हितग्राहियों का चयन कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जायेगा। इसमें कुल लागत 6 करोड़  पये आयेगी।

इस साल भी चार चरण में 'स्कूल चलें हम अभियान', पहले चरण की गतिविधियाँ एक जून तक चलेंगी
मध्यप्रदेश में शाला जाने से वंचित रह गये बच्चों के लिये इस साल भी चार चरण में 'स्कूल चलें हम अभियान'शुरू कर दिया गया है। विगत 25 अप्रैल से शुरू अभियान का पहला चरण एक जून तक चलेगा। इस दौरान ग्राम/वार्ड शिक्षा पंजी को अद्यतन किया जायेगा। राज्य शासन ने सभी जिला कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को अभियान को सफल बनाने के लिये निर्धारित समय-सीमा में कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा है। पहले चरण में 5 मई तक कक्षा एक प्रवेश योग्य बच्चों की सूची तैयार करवायी जायेगी। इसके लिये शिक्षकों को ग्राम/वार्ड प्रभारी बनाया जायेगा। बड़े गाँव में जरूरत अनुसार एक से अधिक शिक्षक तैनात होंगे। इस दौरान 6 से 14 वर्ष तक के ऐसे बच्चों की जानकारी इकट्ठा की जायेगी जो विभिन्न कारण से शाला से बाहर हो चुके हैं। प्रभारी शिक्षक घर-घर जाकर ग्राम शिक्षा पंजी के लिये सर्वे करेंगे। कक्षा एक में दर्ज होने वाले बच्चों की ग्रामवार सूची प्रभारियों द्वारा 9 मई के पहले जन-शिक्षक को दी जायेगी, जो 16 मई तक विकासखंड स्त्रोत समन्वयक  को सूची सौंपेंगे। कक्षा 6 में प्रवेश योग्य बच्चों की सूची बनाने के लिये प्रत्येक मिडिल शिक्षक को शाला प्रभारी बनाया जायेगा। शाला प्रभारी शिक्षक पाँचवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने वाले बच्चों की सूची 5 मई तक तैयार करेंगे। वे बच्चों के पालकों से सम्पर्क कर प्रवेश की जानकारी देंगे। यदि कोई पालक अपने बच्चों को अशासकीय शाला में प्रवेश दिलवाना चाहता है, तो उसकी जानकारी भी रजिस्टर में अंकित की जायेगी। सभी बच्चों की संकलित सूची की एक प्रति मिडिल स्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा जन-शिक्षक को 9 मई तक उपलब्ध करवाई जायेगी। कक्षा 8 उत्तीर्ण करने वाले सभी बच्चों को कक्षा 9 में दर्ज करवाया जायेगा। इसके लिये प्रत्येक माध्यमिक शाला के प्रधानाध्यापक का दायित्व होगा कि वह कक्षा 8 पास करने वाले विद्यार्थियों की सूची निकटस्थ हाई अथवा हायर सेकेण्डरी स्कूल को उपलब्ध करवाये। पाँच मई तक पालकों से सम्पर्क के दौरान उन्हें बच्चों को समीप के हाई स्कूल में दर्ज करवाने के लिये प्रेरित किया जायेगा। कक्षा 10 पास करने वाले बच्चों को कक्षा 11 में दर्ज करवाया जायेगा। इसके लिये प्रत्येक हाई स्कूल का प्राचार्य कक्षा 10 पास करने वाले विद्यार्थियों की सूची निकटस्थ हायर सेकेण्डरी स्कूल को उपलब्ध करवायेगा। हायर सेकेण्डरी स्कूल में बच्चों को प्रवेश दिलवाने के लिये प्रेरित करने का कार्य भी 5 मई तक होगा। हाई/हायर सेकेण्डरी स्कूल के प्राचार्य द्वारा 10 मई तक अकादमिक समन्वयक और 9 वीं कक्षा में प्रवेश की सूची उपलब्ध करवाई जायेगी। कक्षा एक, 6, 9 एवं 11 में प्रवेश योग्य बच्चों की सूची एक जून को एजुकेशन पोर्टल पर दर्ज की जायेगी।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (29 अप्रैल)

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दर्षन दो घनष्याम नाथ मोरी अंखिया प्यासी रे, भजनों से भक्तिमय हुआ पूरा वातावरण,
  • महाआरती के साथ हुआ त्रिदिवसीय समारोह का समापन

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झाबुआ---गोपाल कालोनी स्थित श्री गोपाल मंदिर का 45 वां वार्षिकोंत्सव समारोह पूर्वक भव्याति भव्य पैमाने पर मनाया गया । सोमवार से षुरू हुए त्रि दिवसीय आयोजन में  अखण्ड जाप,भजन संध्या, एवं सत्संग का आयोजन किया गया जिसमे बडी संख्या में गोपालभक्तों ने भागीदारी की । बुधवार को  मोहिनी एकादषी के अवसर पर हर वर्ष मनाया जाने वाला यह वार्षिकोत्सव की व्यापक तैयारियरा गुरू भक्तों द्वारा की गई । मंदिर को भव्य तरिकें से सजाया गया तथा तमाम आवष्यक व्यवस्थायें भी की गई जिससे समारोह को और उत्साह मिले । मंगलवार की रात्री को गुरूभक्तों द्वारा रात्रि जागरण कर भजन कीर्तन किये गये ।बुधवार को प्रातः 9-30 बजे से श्रीगुरू पाद पूजन तथा भजनांजलि का आयोजन किया गया । गुरूभक्तों द्वारा बडे भाव विभोर होकर लाखे बेसीये रे करोडो उभिये रे, तमे तो भजन करावे नी .... दर्षन दो घनष्याम नाथ मोरी अंखिया प्यासी रे, मन मंदिर की जोत जगाओं घट घट वासी रे.... गोपाल कालोनी म्हारा गुरूजी बिराजे, दुनिया मां डंकों बाजे जी ओ ओ... मोहन प्यारा लागी दे तारी माया... रंगाया तारा रंग मां  हूं तो बन्यों छू दीवाना थारा संग मां ...... हरी नु भजन,सदा हरी नु भजन, प्रेमियों ना लक्ष्य सदा हरी नूं भजन आदि भजनों के द्वारा पूरा वातावरण भक्ति मय हो गया । दोपहर 12 बजे हजारों भक्तों की उपस्थिति में श्री गोपाल प्रभू  घनष्याम प्रभू  बाबजी और रामषंकर जी जानी मोटा बाबजी की महाआरती की गई । प्रसादी का वितरण कर महा प्रसादी का आयोजन किया गया । सायंकाल भजन संध्या का आयोजन भी किया गया । इस अवसर पर वार्षिकोत्सव में भाग लेने के लिये जिले से ही नही बल्कि पडौसी राज्य गुजरात, राजस्थान, इन्दौर, महूं, रतलाम,उज्जैन एवं देष के अन्य हिस्सों से  बडी संख्या में भक्त जनों ने आकर गुरूभक्ति का लाभ लिया।

सक्रिय सदस्यता अभियान को लेकर भाजपा रानापुर मंडल की बैठक संपन्न


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झाबुआ---बुधवार दोपहर मे स्थानीय पाडल घाटी सोसायटी पर भारतीय जनता पार्टी रानापुर मंडल की बैठक हुई जिसमें सक्रिय सदस्यता एवं महाजनसंपर्क अभियान को लेकर विचार विमर्ष किया गया। बैठक को संबोधित करते हुए मंडल प्रभारी मुकेष मेहता ने कहा कि सक्रिय रूप से काम करने वाला ही पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता है जिस प्रकार हमने घर घर जाकर सक्रिय सदस्य बनाकर पार्टी को विष्व की सबसे बडी पार्टी बनाया है उसी प्रकार महाजनसंपर्क अभियान को भी पूरा करना है। आगामी 3 माह तक पार्टी द्वारा दिए गए काम को भी पूरा करना है। बैठक में भाजपा मंडल अध्यक्ष शैलेन्द्र राठौर महामत्री रामेष्वर नायक, विधायक प्रतिनिधि कांतिलाल प्रजापत,मंडी अध्यक्ष भंवरसिंह बिलवाल, आईटी सेल के सहसंयोजक कौषल सोनी, दिलीप पार्षद सहित बडी संख्या में पार्टी के पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधी बडी संख्या में उपस्थित थे। बैठक के पष्चात मंडल अध्यक्ष को सक्रिय सदस्यता की रसीद बुके मंडल प्रभारी मुकेष मेहता द्वारा दी गई।

म्यूजिक समर केंप का आयोजन

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झाबुआ---प्रेशितालय सेमिनरी झाबुआ में कैथोलिक डायसिस झाबुआ के युवा आयोग के यूथ डायरेक्टर फादर सोनू वसुनिया के मार्गदर्षन में म्यूजिक समर केंप 17 अप्रैल से चलाया जा रहा है। इस आवासीय समर केंप में कुल 25 छात्र- छात्राएं भाग ले रही है जिसमें राजकुमार मुरारे इंदौर हारमोनियम सिखा रहे है जबकि राम जाधव इंदौर द्वारा गिटार सिखायी जा रही है एवं विपुल सारोलकर संगीत गायन का प्रषिक्षण दे रहे है। छात्र - छात्राओं के म्यूजिक प्रषिक्षण, स्पोकन इंग्लिष, लघुनाटिकाओं का मंचन करना भी सिखाया जा रहा है। म्यूजिक समर केंप में संगीत - गायन, हारमोनियम, ढोलक, गिटार, तबला भी सिखाया जाता है। यूथ डायरेक्टर फादर वसुनिया ने बताया कि समर केंप में दिनांक 10 मई  तक जारी रहेगा जिसमें छात्रों के व्यक्तित्व विकास के लिये सिस्टर किरण सोरंग एवं ब्रदर माइ्रकल मकवाना, ब्रदर प्रकाष डामोर एवं राकेष डांगी का सहयोग लिया जा रहा है उक्त जानकारी कैथोलिक डायसिस मीडिया प्रभारी पीटर बबेरिया ने दी।

पीडित महिलाओं को देगे व्यवसायिक प्रशिक्षण, प्रशिक्षण के लिए आवेदन 30 मई तक

झाबुआ---राज्य शासन ने विपतिग्रस्त और ऐसी पीडित महिला जिनके परिवार में कोई भी नही है इन्हे अपने पैरो पर खडा करने के लिये व्यावसायिक प्रशिक्षण देगी। ऐसी महिलाये मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना में 30 मई तक आवेदन दे सकेगी। योजना में बलात्कार पीडित महिला या बालिका दुव्र्यापार से बचाई गई महिलायें, ऐसिड विक्टिम, दहेज पीडित, अग्नि पीडित, जेल से रिहा, परित्यकता एवं तलाकशुदा महिलाए शासकीय, अशासकीय आश्रम गृह बालिका गृह, अनुरक्षण गृह आदि गृहो में निवासरत बालिका महिलाए आवेदन कर सकेगी। सामान्य वर्ग महिलाओं की उम्र 45 वर्ष से कम हो और विधवा परित्यागता, तलाकशुदा, अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति, पिछडा वर्ग की 60 वर्ष तक रखी गई है। ऐसी महिलाओं को फार्मेसी, नर्सिग, फिजियोथेरेपी, ब्यूटी शियन, कम्प्यूटर, आया, दाई, वार्ड परिचर, डिप्लोमा, शार्ट हैण्ड टाईपिंग, शार्ट टर्म मैनेजमेंट कोर्स कुंकिग, बैंकिग, आई.टी.आई पाठयक्रम हाॅस्पिेटलिटी होटल इवेट मेनेजमेन्ट प्रयोगशाला सहायक का प्रशिक्षण, बी.एड,डी एड अन्य प्रशिक्षण जो कि शासन द्वारा समय-समय पर निर्धारित किये जाते है। उपरोक्त विषय में से जो भी ट्रेड जिले में उपलब्घ होगा उनमें से प्रशिक्षण दिया जायेगा। दुर्रव्यापार से बचाई गई महिलाये एवं परिव्यक्ता,तलाकशुदा महिलाओं जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। उनके आवेदन प्राप्त किये जा सकेगे। इस हेतु आवेदन का प्रारूप जिला महिला संशक्तिकरण कार्यालय जिला झाबुआ से प्राप्त कर सकते है।

किसानोे को कीट नियंत्रण के लिए सलाह

झाबुआ---आगामी पांच दिनों के मौसम पूर्वानुमान के आधार पर किसानो को कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा सलाह दी है कि जायद फसल मूॅग में रसचूसक कीट के नियंत्रण हेतु थायोमिथाक्सिम दवा 5-7.5 मि.ली टंकी की दर से छिडकाव करे मॅूग की फसल में समय पर सिंचाई करे। आम के बाग में 7 से 10 दिन के अंतराल से थाला विधि सिंचाई करे। बेर के देसी जाति के पुराने पेड में बडिंग हेतु पेड की उचित उचाई से कटाई करे। सब्जियाॅ रेड पम्पकिन बिटल कीट के नियंत्रण हेतु ट्रायजोफाॅस दवा 800 मि.ली. हेक्टे की दर से छिडकाव करे।  कुकरविटेसी परिवार की सब्जियों जैसे की लौकी, गिलकी, तुरई, करेला तथा भिण्डी, तरबूज एवं खरबूजा की समय पर सिंचाई करे। पशुओं को कृमि विहीनीकरण हेतु दवा दे। पशुओं को दिन में छायादार स्थान पर रखे व दिन में तीन बार ठण्डा व स्वच्छ जल पिलाए। पशुओं के हरे चारे हेतु ज्वार व रिजका की 7 से 10 दिन के अंतराल से सिंचाई करे। दुधारू पशुओं को हरा चारा 25 किलो प्रति पशु प्रतिदिन व संतुलित आहार एवं मिनरल की आपूर्ति हेतु पशु के हिसाब से खुराक दे।

ग्राम पंचायतों में पात्र हितग्राहियों को पेशन नहीं दी तो सचिव की नौकरी जाएगी

झाबुआ---जिले में समस्त ग्राम पंचायतों के अंतर्गत हितग्राही जो पेंशन की पात्रता रखते है उन्हें सरपच एवं संचिव अनिवार्य रूप से पेंशन की राशि का भुगतान सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर प्रदान करे। हितग्राही को पेंशन से वंचित करना या विलम्ब करने या समय पर भुगतान नहीं होने पर संबंधित सचिव एवं सरपंच को पद से पृथक करने की कार्यवाही की जावेगी। 10 मई तक ऐसे छुटे हुए समस्त हितग्राहियों को जोडने का कार्य किया जावे। उक्त निर्देश मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत झाबुआ श्री धनराजू एस. द्वारा सचिवों को दिये गये।

जन अभियान परिषद् द्वारा गठित समितियों द्वारा ग्रामों में चलाया जा रहा जल को सहेजने हेतु जल संरक्षण अभियान
  • जल संरक्षण हेतु श्रमदान के माध्यम से किए जा रहे कार्य, साथ ही प्यासे लोगो की प्यास बुझाने हेतु प्याऊ की व्यवस्था की जा रही

झाबुआ--- म.प्र.जन अभियान परिषद् के विकासखण्डों में गठित प्रस्फुटन समितिया ग्राम विकास के विभिन्न आयामो पर कार्य कर रही है। जिसमें वर्तमान समय में जल संरक्षण के अन्तर्गत तालाब गहरीकरण, कुआ गहरीकरण आदि कार्य श्रमदान के माध्यम से विषेष रूप से किए जा रहे है। ग्राम विकास प्रस्फुटन समितियों द्वारा अपने ग्रामों में तालाब गहरीकरण , कुआ गहरीकरण कार्य श्रमदान के माध्यम से किया जा रहा है । जिससे पानी की समस्या को कम कर जल का संरक्षण किया जा सके तथा जल के स्तर को बढाया जा सके । रानापुर विकासखण्ड के ग्राम भोडली में ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति द्वारा दिनांक 19 अप्रैल 15 को कुआ गहरीकरण के श्रमदान कार्यक्रम में 11 सदस्यों ने 2 घण्टें श्रमदान कर 1 ट्राली मिट्टी निकाली जिसमें समिति अध्यक्ष अपसिंह चैहान एवं नवांकुर संस्था आदिवासी चेतना सेवा षिक्षण संस्था का सराहनीय योगदान रहा । इसी क्रम में रानापुर ब्लाक के ही सारस्वट ग्राम में ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति सारस्वट द्वारा 24 अप्रैल 15 को तालाब गहरीकरण श्रमदान के माध्यम से किया गया जिसमें 13 सदस्यों ने 2 घण्टें श्रमदान कर 1 ट्राली मिट्टी निकाली गई।  श्रमदान कार्यक्रम में समिति अध्यक्ष जवला , सचिव बापूसिंह एवं, समिति सदस्यगण तथा नवांकुर संस्था के प्रतिनिधि षाकीर खान, नरेन्द्र वसुनिया  एवं ब्लाक समन्वयक प्रवेष षर्मा उपस्थित रहे।
विकासखण्ड झाबुआ के मार्गदर्शन में चयनित ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति हीरापुर में समिति द्वारा शुद्व पानी का प्याउ का शुभारंभ कार्यक्रम में ब्लाक समन्वयक दयाराम मुवेल एवं नवांकुर  संस्था प्रतिनिधि दिनेश मोरी , समिति अध्यक्ष बलिया हटिला एवं सचिव भारत हटिला तथा समिति सदस्यगण नरसिंग मुणिया, नानिया नलवाया, मोहन नलवाया, मुकेश हटिला, छग्गु हटिला, राजेश हटिला इन कार्यकर्ताओं के सहयोग से शुद्व पानी की व्यवस्था की गई। जिसमें श्रीमति कमली हटिला द्वारा प्रतिदिन पानी पिलाने के लिए अपनी सेवा देगी। कार्यक्रम का आभार समिति सचिव भारत हटिला द्वारा किया गया।

दहंेज प्रताड़ना का अपराध पंजीबद्ध 

झाबुआ---फरियादिया निवेदिता पति अजय उर्फ महेश डांगरा, उम्र 26 वर्ष निवासी थांदला हाल मुकाम जिला धार ने बताया कि आरोपी अजय उर्फ महेश पिता कमलनाथ डांगरा, निवासी थांदला ने उसको दहेज की मांग कर प्रताडित कर क्रुरता पूर्वक व्यवहार करता था व चरित्र शंका को लेकर आये दिन मारपीट करता था। दिनांक 19.03.2015 को आरोपी ने उसको मारपीट कर घर से निकाल दिया व वापस घर नहीं आने दिया। प्र्रकरण में थाना थांदला में अपराध क्रमांक 114/15, धारा 498-ए,500,506 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

दिवार मे संेध लगाकर की चोरी 

झाबुआ---फरियादी राजू पिता गुलाब सिंह गामड, उम्र 40 वर्ष निवासी छापरी ने बताया कि आरोपी संदेही अनिल पिता केगु निवासी छापरी ने उसके घर की दीवार खोदकर अन्दर घुस कर पेटी में रखे चांदी के जेवर किमती 20,000/-रूपये के चुराकर ले गया। प्र्रकरण में थाना कालीदेवी में अप0क्र0 50/2015 धारा 457,380 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
    
कुए डुबने से मौत 
  
झाबुआ--फरियादी नाथु पिता देवा डावर, उम्र 35 वर्ष निवासी कालीदेवी ने बताया कि ने बताया कि मृतिका लक्ष्मी पिता नाथु डावर, उम्र 10 वर्ष निवासी कालीदेवी की कुंए के पानी मंे डूबने से मृत्यु हो गयी। प्र्रकरण में थाना कालीदेवी में मर्ग क्रमांक 14/15, धारा 174 जाफौ का कायम कर विवेचना में लिया गया।

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (29 अप्रैल)

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भारत और नेपाल के आपसी सहयोग से होना है इस महत्वाकांक्षी पावर प्रोजेक्ट का निर्माण
  • अधर में पंचेश्वर बांध परियोजना का भविष्य
  • दोनों देश इस पावर प्रोजेक्ट को लेकर बेहद उत्साहित, आमजन के साथ ही भूगर्भ वैज्ञानिक इसके विरोध में
  • भारतीय भूभाघ क्षेत्र में ज्यादा खतरे की है आशंका, लगभग 30 हजार लोगों का करना होगा विस्थापन
  • भारत के 314 और नेपाल के 23 गांव डूब क्षेत्र में

देहरादून,29 अप्रैल। नेपाल-भारत के सहयोग से बनने वाले पंचेश्वर बाँध पॉवर प्रोजेक्ट का भविष्य अभी भी अधर में लटका है। एक ओर केंद्र और उत्तराखंड सरकार के साथ ही नेपाल सरकार भी इस बांध के निर्माण में रुचि ले रहे हैं तो वहीं दोनों देशों की जनता और भू-गर्भ विज्ञानी इस परियोजना का विरोध करते नजारा आ रहे हैं। रोटी-बेटी के संबंधों से जुड़ा उत्तराखंड का महाकाली नदी के आस-पास कुमाऊं का हिस्सा और धारचुला से महेंद्रनगर तक फैला महाकाली नदी पार पश्चिमी नेपाल का हिस्सा इस बांध को बनाए जाने के कतई पक्ष में नहीं हैं। वहीँ भूगर्भशास्त्री भी इसे नेपाल का कम बल्कि भारत के लिए ज्यादा खतरा मान रहे हैं। बांध प्रभावित क्षेत्र नेपाल महेंद्र नगर के महेंद्र बराल का कहना है कि बांध बनने फायदा कम और नुकसान ज्यादा दिखाई देता है। एक तो लोगों को विस्थापन की मार झेलनी होगी तो दूसरा नई जगह व्यवसाय जमाने में समय लगेगा। अगर सिर्फ बिजली  ही सरकारों का लक्ष्य है तो यह योजना हमारे लिए नगण्य है। सरकार को नागरिकों की चिंता पहले रखनी चाहिए। नेपाल के ही तुएराज जोशी का कहना है कि भारत के साथ हमारे रोटी-बेटी के रिश्ते हैं। सरकारें कोई भी रही हों लेकिन महाकाली नदी आरपार हमारा आपसी व्यवहार कभी एक दुसरे के प्रति कलुषित नहीं हुआ। दो देशों के इन संबंधों को यथावत रखने के लिए दोनों देशों की सरकार को इसके हर व्यावहारिक पहलू पर भी ध्यान देना चाहिए। उत्तराखंड में पहाड़ के पानी और पहाड़ की जवानी को रोकने के जुमले राज्य बनने से पहले से ही अक्सर सुनाई देते है। इन पर आजतक अमल राज्य की सरकारें नहीं कर पाई। राज्य बनने के बाद भी पहाड़ का पलायन का प्रतिशत बढ़ता ही जा रहा है। लंबे अरसे से पहाड़ों में बांधों को लेकर आमजन को रोजगार दिलाने के बातें तो की गई लोकिन क्षेत्रीय जनता को लाभ कम ही मिल पाया है। पंचेश्वर बांध को लेकर भारत और नेपाल के लोग आज भी नहीं चाहते है कि बड़ी परियोजना बने। जिससे उनकी संस्कृति, सभ्यता, योजनाओं की बलि चढ़ जाए। मुख्यमंत्री हरीश रावत भी जहां एक ओर इस बांध के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सहमत नजर आए वहीँ दूसरी ओर उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पंचेश्वर बाँध के कारण टनकपुर जौलजीवी मार्ग बाधित न हो। बनबसा के अभिषेक जोशी व बांध प्रभावित क्षेत्र में आने वाले बनवसा के ही मोहन चंद का कहना है कि इस बांध के बनने से जहां 30 हजार लोगों को विस्थापन की पीड़ा झेलनी पड़ेगी वहीँ उनके बसे बसाए ब्यापार सब चैपट हो जाएंगे। पंचेश्वर बांध को लेकर भारत और नेपाल के लोगों से जब बात हुई तो उनका कहना था कि जिस क्षेत्र में पंचेश्वर बांध का निर्माण किया जाना है वो भूकंप की दृष्टि से जोन पांच में होने के कारण संवेदनशील है। क्षेत्रीय जनता कहती है कि विकास के नाम पर किया जाने वाला विनाश कहीं न कहीं आमजन के हित में नहीं होता। चाहे भारत हो या नेपाल दोनों ही देशों के लोगों का कहना है कि कभी मोटर मार्ग के विस्तारीकरण की बात हो रही है तो कभी रेलवे लाइन की। दोनों तरफ जनता ही परेशान होगी। बांध परियोजना से लाभ की आशा कम है ही वहीँ हमारा आपसी व्यापार भी इस बांध की भेंट चढ़ जाएगा भू-वैज्ञानिकों ने भी पंचेश्वर बांध को संवेदनशील मानते निर्माण को नकारा है। इस पर छोटी-छोटी हलचलों से भी भूकंप की आशाएं समय-समय पर बताई जाती है। वहीँ स्थानीय लोगों का मानना है कि विस्थापन की स्थिति में कम से कम 30 हजार लोगों को अपनी जमीन मकान से बेदखल होकर अन्यत्र बसना होगा। बांध को लेकर बनी डीपआरों में भारत के 314 गांव व नेपाल के 23 गांव को डूब क्षेत्र में दर्शाया गया है। हालांकि अभी तक पंचेश्वर बांध को लेकर तीन डीपाआर तैयार की गई है। इसमें आज तक क्षेत्र के निवासियों को ये जानकारियां उपलब्ध नहीं है कि बांध डूब क्षेत्र में कहां से कहां तक का क्षेत्र प्रभावित होगा। इन तमाम आशंकाओं के बीच में स्थानीय स्तर आमजन का बांध का विरोध ही नजर आता है। चंद लोग ही बांध बनने के बाद क्षेत्र की विकास की बात करते है। पद्मश्री केएस वाल्दिया का कहना है कि इस बांध के बनने से नेपाल को कम नुकसान है। जबकि भारत के बनबसा और टनकपुर क्षेत्र का मीलों भूभाग डेंजर जोन में आ जाएगा। क्योंकि इसके जमीन के नीचे की सिल्ट बेहद कमजोर हैं और बांध का दबाव सहन नहीं कर सकेंगी। अब अगर ऐसे में इस बांध का निर्माण होता है तो क्या यह सिर्फ विकास के लिए ही दृष्टिगोचर होगा या फिर इसमें छिपा विनाश भी हम देख सकेंगे।

कहीं फजीहत की वजह न बन जाए सीएम का वैध नहीं उपनल में नेगी की नियक्ति
  • राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं नेगी, अब उन्हें अब दिया उपनल का अध्यक्ष का तोहफा

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देहरादून, 29 अप्रैल। लंबे समय तक इंतजार कराने के बाद सीएम हरीश ने अपने जन्मदिन के अवसर तक कांग्रेसी नेताओं को सरकारी दायित्व का तोहफा दिया है। इन्हीं में से एक सेवा निवृत्त लेफ्टिनेंट जनल गंभीर सिंह नेगी को उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (उपनल) का अध्यक्ष बनाया गया है। अब इनकी नियुक्ति पर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह नियुक्ति संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है और विवाद बढ़ा तो इसे निरस्त किया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष पद पर की गई नेगी की नियुक्ति पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है। कहा जा रहा है कि इस नियुक्ति को करने से पहले सरकार ने या तो विधिक राय नहीं है या फिर अफसरों ने इस कानूनी खामी की ओर सरकार का ध्यान दिलाना जरूर नहीं समझा। गौरतलब है कि जनरल नेगी वर्ष 2006-7 में राज्य लोक सेवा आयोग के चेयरमैन के पद पर रह चुके हैं और संविधान के अनुच्छेद 319 ( बी) मुताबिक ऐसा कोई व्यक्ति जो किसी राज्य में पब्लिक सर्विस कमीशन के अध्यक्ष पद पर रह चुका हो उनको किसी दूसरे राज्य में लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या केंद्रीय लोक सेवा आयोग में मेंबर और चेयरमैन तो बनाया जा सकता है लेकिन उनकी नियुक्ति केंद्र व राज्य सरकार के अधीन किसी पद पर नहीं की जा सकती। इतना ही नहीं बल्कि माननीय सुप्रीम कोर्ट नें यूनियन ऑफ इंडिया बनाम यू डी दिवेदी (1997 ) 3 एस सी सी मामले में साफ तौर पर संविधान के इस अनुच्छेद को अत्यन्त महत्वपूर्ण मानते हुये यहां तक कहा है कि यह उन पर भी लागू होगा जिनको कुछ समय या कुछ घंटे के लिये भी नियुक्त किया गया हो। अब प्रश्न यहां यह उठता है कि आखिर वो कौन सा ऐसा कारण है कि राज्य सरकार न तो संविधान की परवाह कर रही है और न ही माननीय सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग की। बहरहाल भले ही श्री नेगी को उपनल अध्यक्ष पद पर नियुक्त कर दिया गया है लेकिन यह कभी भी खतरे में पड़ सकती है।

ये सीओ के निलंबन का सच : सीएम की पुत्री के विवाह समारोह में प्रदर्शन की थी तैयारी
  • किच्छा में पुलिस हिरासत में युवक की मौत का मामला, परिजन कर रहे हैं पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी की मांग 
  • एसएसपी और डीआईजी ने कई रोज पहले की थी संस्तुति, सीओ को बचाने में जुटे रहे कई नेता और बड़े अफसर

देहरादून, 29 अप्रैल। । किच्छा में पुलिस हिरासत में एक युवक की मौत के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी आरोपी पुलिस अफसरों और कर्मियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हो रहा था। इससे परेशान युवक के परिजनों ने सीएम की पुत्री के विवाह समारोह स्थव पर प्रदर्शन की चेतावनी दी थी। इसके बाद हरकत में आई सरकार ने सीओ को निलंबित कर दिया। परिजन अभी भी गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हैं। विगत 20 अप्रैल को ऊधमसिंह नगर जिले की किच्छा कोतवाली क्षेत्र के गांव रामेश्वरपुर निवासी जसविंदर सिंह नामक 32 वर्षीय युवक की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। तमाम प्रदर्शन के बाद सीओ और एसएसआई के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद परिजनों की मांग के बाद भी इनकी गिरफ्तारी नहीं हो की गई। इतना ही नहीं एसएसपी और डीआईजी के संस्तुति के बाद निलंबन तक नहीं किया गया था। बताया जा रहा है कि सीओ को बचाने के लिए कई नेताओं के साथ ही पुलिस के बड़े अफसर भी पैरोकारी में लगे थे। कोई एक्शन न होता देख युवक के परिजनों ने सीएम हरीश रावत की पुत्री के विवाह समारोह के दौरान प्रदर्शन का ऐलान किया था। इसके बाद सरकारी मशीनरी हरतक में आई विवाह समारोह से 24 घंटे पहले ही सीओ का निलंबन आदेश जारी कर दिया गया। कहा जा रहा है कि अगर परिजनों की ओर से इस तरह की चेतावनी नहीं दी गई होती तो सीओ को शायद निलंबित भी नहीं किया गया होता।

युवक के गांव में पुलिस तैनात

किच्छा (ऊधमसिंह नगर)। गांव रामेश्वरपुर में आज बुधवार को रस्म पगड़ी के बाद परिजनों व अन्य लोगों का हल्द्वानी की ओर कूच का कार्यक्रम तय है। हल्द्वानी में आज ही सीएम की पुत्री का विवाह समारोह भी है। इस लिहाज से गांव में भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। माना जा रहा है कि ग्रामीणों को हल्द्वानी की ओर जाने से रोकने के लिए ही पुलिस फोर्स तैनात किया गया है।

नहीं आ सके पूर्व सीएम बहुगुणा
किच्छा (ऊधमसिंह नगर)। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा को आज रस्म पगड़ी कार्यक्रम में शामिल होना था। लेकिन वे आ नहीं सके। बताया जा रहा है कि बहुगुणा को दिल्ली से ट्रेन से आना था। लेकिन रेलवे स्टेशन पर लेट पहुंचने की वजह से बहुगुणा ट्रेन नहीं पकड़ सके। बताया जा रहा है कि बहुगुणा के यहां के दौरे से मामले में सियासी रंग मिल सकता था। क्योंकि बहुगुणा ने इन दिनों मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावती तेवर अपना रखे हैं।

विजय को रास नहीं आ रहा मुख्यमंत्री हरीश का केंद्र सरकार से पैसे की मांग करना बोले, इससे खराब हो रही उत्तराखंड की साख
  • बहुगुणा उवाच : केंद्र से हर मौके पर मिल रही है उचित सहायता

देहरादून, 29 अप्रैल। इस सियासत के रंग भी अजीब है। खुद मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से बार-बार मदद मांगने वाले विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री हरीश रावत का यही अंदाज रास नहीं आ रहा है। विजय को लग रहा है कि बार-बार मदद की मांग करने से उत्तराखंड राज्य की छवि खराब हो रही है। अब विजय को यह भी महसूस हो रहा है कि केंद्र से राज्य सरकार को समय पर मदद मिलती रही है। पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा इन दिनों उत्तराखंड की सियासत में अपना वजूद तलाशते दिख रहे हैं। विजय के सीएम की कुर्सी के हटने के बाद मौजूदा सीएम हरीश रावत ने अपनी सियासी चालों ने उन्हें हाशिए पर धकेल सा दिया है। उनकी किसी भी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आलम यह है कि खुद दावेदारी करने के बाद भी उन्हें राज्यसभा में जाने का मौका नहीं दिया गया। विजय अपने खास सिपहसालार विधायक सुबोध उनियाल को कैबिनेट मंत्री बनवाने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं। लेकिन उनकी इस मांग को हवा में उड़ा दिया जा रहा है। यही वजह है कि विजय इस समय हरीश विरोधी रुख अपनाए हुए हैं। मौका चाहें जो हो, विजय की ओर से हरीश पर सियासी हमला करने का सिलसिला जारी रह सकता है। इसी क्रम में दो ताजे मामले सामने आ रहे हैं। एक तो किच्छा के रामेश्वरपुर निवासी एक युवक की मौत में सरकार के रुख का विरोध का है। इस गांव के लोगों ने सीएम की पुत्री के विवाह के दौरान प्रदर्शन का एलान किया तो विजय दिल्ली से इस गांव में आने को तैयार हो गए। अब विजय ने अपने तरकश से नया तीर निकालकर हरीश पर निशाना साधा है। सीएम हरीश पिछले लंबे समय के केंद्र सरकार पर उत्तराखंड की उपेक्षा का आरोप लगा रहे है। सीएम की ओर से कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर राज्य के बजट में कटौती की जा रही है और हरिद्वार कुंभ के लिए पैसा नहीं दिया जा रहा है। सीएम चारधाम यात्रा के लिए भी पैसा मांग रहे हैं। अब विजय को यह रास नहीं आ रहा है। मीडिया से बातचीत में पूर्व सीएम ने कहा कि बार-बार केंद्र सरकार से पैसा मांगना ठीक नहीं है। इससे उत्तराखंड राज्य की छवि खराब हो रही है। केंद्र सरकार राज्य की हर मौके पर मदद करती रही है। 2013 में आई आपदा के वक्त वे सीएम थे। उस समय भी केंद्र ने भरपूर मदद की। विजय के इस रुख से साफ हो गया है कि पूर्व सीएम का रुख अब हरदा की ओर और भी सख्त हो गया है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में विजय की ओर से हरीश पर ओर भी सियासी हमले हो सकते हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि सियासत के मंझे खिलाड़ी हरीश इन हमलों पर क्या तेवर दिखाते हैं।

मुख्यमंत्री के जन्मदिवस पर पुलिसअधिकारियों द्वारा उत्तराखण्ड के नक्षे का केक कटवाना षर्मनाक : अजय भट्ट

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देहरादून, 29 अप्रैल। नेता प्रतिपक्ष, अजय भट्ट, ने कहा कि प्रदेश के मुखिया के जन्मदिवस पर पुलिस अधिकारियों द्वारा प्रदेश के नक्षे का जिसमें सम्पूर्ण जनपदों को भी दर्शाया गया हो केक कटवाना अत्यधिक शर्मनाक व उत्तराखण्ड प्रदेश का अपमान है। उन्होने कहा कि इन अधिकारियों के प्रदेश के मुख्यमंत्री से क्या निजी सम्बन्ध हैं उनसे उन्हें कोई लेना देना नहीं है, किन्तु उन्हें जन्मदिवस के अवसर पर उपहार के रूप में प्रदेश के नक्षे का केक भंेटकर उसे चाकू से कटवाना अत्यधिक शर्मनाक है। श्री भट्ट ने कहा कि एक ओर प्रदेश की कांग्रेस सरकार आये दिन नये-नये घोटाले कर प्रदेश की जनता के पेट में रोज चाकू घोंप रही है और अधिकारियों द्वारा उनसे प्रदेश के नक्से पर चाकू मरवाने से साबित हो गया है कि प्रदेश के प्रति सरकार कितनी संवेदनहीन बनी हुई है। उन्होंने कहा कि आखिर सरकार को स्वयं ही सोचना चाहिए था कि प्रदेश के नक्से पर इस तरह से चाकू मारकर काटना कहाॅ तक उचित है।  श्री भट्ट ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी के जन्मदिवस पर प्रदेश के आबकारी विभाग ने जिसे वे स्वयं देख रहे हैं और उन्हीं की देख-रेख व दिशा-निर्देष पर एफ0एल0-2 का तोहफा दे दिया था, किन्तु सरकार ने जहाॅ करोड़ों रूपये के वारे-न्यारे कर आबकारी विभाग की नीति परिवर्तन कर प्रदेश की जनता के पेट में चाकू मारा वहीं दूसरी ओर प्रदेश के नक्षेे पर चाकू मारकर साबित कर दिया कि सरकार अपने निजी हितों के लिए प्रदेश की जनता और उनकी आस्था के साथ कोई समझौता कर सकती है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एक अधिकारी द्वारा प्रदेश के नक्षे का केक बनवाना और अपने अधिकारियों सहित दल-बल के साथ बीजापुर गेस्ट हाउस पहुॅचकर प्रदेश के नक्षे पर चाकू चलवाना उनकी और सरकार की मंशा तथा मानसिकता को दर्शाता है कि वे किस कदर प्रदेश के प्रति संवेदनशील हैं तथा प्रदेश का कितना सम्मान करते हैं। भट्ट ने कहा कि सरकार अपने अहंकार में प्रदेश का सम्मान करना भी भूल गयी है आने वाले दिनों में जहाॅ प्रदेश की जनता उसे पूरी तरह से सबक सिखाने को पलक बिछाये बैठी है वहीं देवभूमि भी ऐसी सरकार को कभी माफ नहीं करेगी। 

भूकम्प प्रभावितों के लिए एक माह का वेतन दिया 

देहरादून, 29 अप्रैल (निस)। प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति, तीर्थाटन प्रबन्धन एवं धार्मिक मेले तथा युवा कल्याण मंत्री, दिनेश धनै ने गत शनिवार 25 अप्रैल, 2015 को नेपाल राष्ट्र में आये विनाशकारी भूकम्प से प्रभावितों की सहायता के लिए अपना एक माह का वेतन दिया है। उन्होंने इस हेतु अपना वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया है।

पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम का राजभवन में स्वागत 

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देहरादून, 29 अप्रैल (निस)। उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल ने आज पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के राजभवन पहुॅचने पर उन्हें पुष्प गुच्छ और उत्तरीय भेंट कर उनका स्वागत एवं अभिनंदन किया।पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम ने राज्यपाल को स्वलिखित व स्वहस्ताक्षरित पुस्तक ‘बियोंड 2020‘  की एक प्रति भेंट की। राज्यपाल ने भी उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया। ऋषिकेश में एक निजी डेंटल काॅलेज के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने के बाद डा. कलाम ने कुछ समय के लिए राजभवन का आतिथ्य ग्रहण किया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, देहरादून स्थित एक और निजी स्कूल के बच्चों के साथ इंटरेक्शन (बातचीत) के बाद डा. कलाम आज ही दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे। 

मेडिकल वेस्ट मैनेजमैंट की समस्या को कार्यशाला आयोजित 

देहरादून, 29 अप्रैल (निस)। प्रदेश में बढ़ती मेडिकल वेस्ट की समस्या को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, नवज्योति सोसाईटी एंव टोक्सिक्स लिंक के सामूहिक तत्वधान में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर अपने विचार रखते हुए महानिदेशक स्वास्थ्य जीसी जोशी ने कहा कि सभी प्रकार का अपशिष्ट प्रबन्धन महत्तवपूर्ण है। जिसके विषय में जानकारी होनी चाहिए है। जैव अस्पताल अपशिष्ट के प्रबन्धन का सवाह है तो विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबन्धन के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। पीएसबी निदेशक श्रीमती कुसम नरियाल ने कहा कि प्रदेश में मेडिकल बेस्ट मैनेजमेंट के लिए दो संस्थाऐं सामने आयी है। जिनके प्रयास से प्रदेश में मेडिकल बेस्ट का अच्छी तरह निपटारा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट कराना इसलिए आवश्यक हो गया है कि एचआईवी जैसे बीमारी को फैलाने में यह भी सहायक है। टोक्सिकस लिंक की कुमारी कंकना दास ने अपने विचार रखते हुए कहा कि प्रत्येक अस्पताल में नियमित रूप से अस्पताल अपशिष्ट प्रबन्धन का प्रशिक्षण होना चाहिए। दुनिया भर में स्वास्थ्य एजेसिया ने आज यह माना है कि साफ-सफाई व उचित अपशिष्ट प्रबन्धन अच्छी स्वास्थ्य सेवाऐं प्रदान करने के मूल है। उन्होंने कहा कि ऐसे अस्पतालों की संख्या मे वृद्धि हुई है जो अपने अस्पतालों के अपशिष्ट के प्रबन्धन में निवेश कर रहे है और अपने कर्मचारियों का संक्रमण की संभावना को कम करने के लिए प्रशिक्षण दे रहे है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मेडिकल वेस्ट मैजेनमेंट के लिए केवल एक ही संस्था काम कर ही है। लेकिन प्रदेश में स्थित 10 हजार अस्पतालों तक उसकी पहुंच नहीं है और न ही संसाधन प्रयाप्त है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अधिकतर राष्ट्रीय राजमार्ग एवं नदियों के किनारे पर मेडिकल वेस्ट डंम्प किया जा रहा है जिसके कारण यह खतरनाक है। उन्होंने बताया कि भारत में अस्पतालों में पारें के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए सितम्बर 2014 में मिनामाटा कनवेंशन में हस्ताक्षर किये है। पारे से अलग- अलग तरीकों से नुकसान पहंुचता है। उन्होंने बताया कि टोक्सिकस लिंक उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर अस्पतालों के कर्मचारियों को टेªनिंग देगा जिससे कि वेस्ट मैनेजमेंट सही तरीके से हो सके। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कहा गया है कि अगामी बजट में केन्द्र सरकार से मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए बजट की मांग की जायेगी।

चारधाम यात्रा के लिए डीजीसीए की  अनुमति न मिलने से कांग्रेस नाराज

देहरादून, 29 अप्रैल (निस)। देहरादून-प्रदेशा कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने केदारनाथ में केन्द्र सरकार द्वारा हैलीकाॅप्टर से यात्रा की अनुमति न मिलने के कारण केदारनाथ दर्शन करने वाले श्रद्वालुओं को अत्यधिक असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। जबकि 21, अपै्रल से धारधाम यात्रा का शुभारम्भ हो चुका है, राज्य सरकार द्वारा बार-बार अनुरोध करने के बावजूद भी अभी तक केन्द्र सरकार के उड्डयन मंत्रालय द्वारा चारधाम यात्रा की अनुमति प्रदान नही की है। केदारनाथ दर्शन करने वाले यात्री गौरीकुण्ड, फाटा एवं निंलचोली आदि विभिन्न स्थानों में रूके हुए है, जिससे स्थानीय प्रशासन को भी अत्यधिक असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है, हैलीकाॅप्टर कम्पनियों को भी काफी हानि उठानी पड़ रही है तथा राज्य सरकार की छवि पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होनेें कहा कि केन्द्र सरकार के इस रवैये से स्थानीय लोगों तथा व्यापारियों के रोजगार पर हथौड़ा पड़ रहा है। कांगे्रस उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी द्वारा केदारनाथ यात्रा पैदल करने से श्रद्वालुओं का विश्वास चारधाम यात्रा की ओर बडा है देश और विदेश के श्रद्वालुओं में इसका अच्छा सन्देश गया है, परन्तु केन्द्र सरकार के उपेक्षा के कारण यात्रियों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड रहा है, श्री उपाध्याय ने भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सासंदों से केन्द्र सरकार से बात कर सहयोग करने की अपेक्षा की है।

डाकपत्थर पुलिस चैकी प्रभारी को बर्खास्त करने की मांग 
  • -बजरंग दल के कार्यकर्ता वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिले 
  • -युवती की शिकायत पर कार्रवाई न करने का आरोप 

देहरादून, 29 अप्रैल (निस)। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने डाकपत्थर पुलिस चैकी प्रभारी को बर्खास्त करने की मांग की है। दल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले डेढ़ वर्ष से छेड़छाड़ की शिकायत पर पुलिस द्वारा आज तक तक कार्यवाही नहीं की गई है। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में एसएसपी को एक ज्ञापन सौंपा। एसएसपी को सौंपे गए ज्ञापन में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि डाकपत्थर पुलिस शिवपुरी कालोनी डाकपत्थर निवासी अंजना बिष्ट की शिकायत को गंभीरता से नहीं ले रही है। कई बार शिकायत करने के बावजूद पुलिस उल्टा शिकायतकर्ता को धमकाने का कार्य कर रही है। बजरंग दल के जिला संयोजक अमित तोमर ने कहा कि पुलिस की इस प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उनका कहना है कि अंजना बिष्ट के पड़ोस में जिशान अली पुत्र उस्मान खान रहता है जिसे वह बड़ा भाई समझ कर उसका सम्मान करती थी, लेकिन नवम्बर 2013 में जिशान ने उसे अश्लील टिप्पणी की और दोस्ती के लिए कहा, मना करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। इसकी शिकायत मां व भाई से करने के बाद जिशान को डांटा गया और उसने सभी के सामने हाथ जोड़कर अपनी गलती स्वीकार की, लेकिन इसके बाद भी जिशान बाज नहीं आया और वह उसका फिर से पीछा करने लगा और 24 मार्च को घर से बाहर उसे रोककर उसका हाथ पकड़ लिया। इसकी सूचना महिला हेल्पलाइन कंट्रोल रूम को फोन पर दी गई, शिकायत की जांच के लिए पुलिस के अधिकारी घर आये और पुलिस को सभी घटनाक्रम की जानकारी दी और इसके लिए जिशान को पुलिस चैकी बुलाया गया जहां पर उसे थोड़ा डांटकर घर भेज दिया गया, लेकिन पुलिस ने किसी भी प्रकार की कार्यवाही जिशान के खिलाफ  नहीं की, जिससे उसके हौसले बुलंद हो गये और वह दिन-प्रतिदिन उसे परेशान करने लगा। उनका कहना है कि पुलिस को सूचना दिये जाने के बाद भी किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई बल्कि शिकायतकर्ता को ही पुलिस द्वारा डराने-धमकाने का काम किया गया। उनका कहना है कि अंजना जब भी घर से निकलती है तो जिशान व उसके चार-पांच दोस्त उसका पीछा करते हैं और मौका मिलने पर वह गालीगलौच भी करते हंै, कई बार उसका हाथ पकड़कर गाड़ी में घसीटने का प्रयास जिशान व उसके मित्रों ने किया, लेकिन उनका यह प्रयास कामयाब नहीं हो पाया और वह अब खौफ में जीने के लिए मजबूर है। कई बार शिकायत करने के बाद भी डेढ़ साल बाद भी उसके खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगता है। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि शीघ्र ही डाकपत्थर पुलिस चैकी प्रभारी के खिलाफ कार्यवाही की जाए और युवती को न्याय प्रदान किया जाए।

हिमाचल की विस्तृत खबर (29 अप्रैल)

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मुफ्त  वाई-फाई सुविधा वाला प्रदेश का पहला शहर बनेगा जोगिन्द्रनगर 
  • मुख्यमंत्री की जोगिन्द्रनगर को नगर परिषद का दर्जा देने की घोषणा 

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मण्डी  ,  29  अप्रैल, (विजयेन्दर शर्मा) ।  मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने आज मण्डी जिले के जोगिन्द्रनगर शहर को मुफ्त वाई-फाई सुविधा प्रदान करने और शहरभर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जोगिन्द्रनगर इस तरह की सुविधा वाला प्रदेश का पहला शहर होगा, जिससे न सिर्फ असामाजिक तत्वों पर नजर रखने में मदद मिलेगी बल्कि शहर की स्वच्छता भी सुनिश्चित होगी। उन्होंने जोगिन्द्रनगर में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए यह घोषणा की और कहा कि यह प्रदेश सरकार की अपनी तरह की एक नई पहल है।  मुख्यमंत्री ने नगर पंचायत जोगिन्द्रनगर को नगर परिषद का दर्जा देने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि नगर परिषद वाई-फाई और सीसीटीवी कैमरा परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी होगी। इससे पूर्व, श्री वीरभद्र सिंह ने 1.40 करोड़ रुपये की लागत से पस्सल, मचकेहड़ और नईनाम कूहल बहाव सिंचाई योजना और 7.51 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले राजकीय महाविद्यालय जोगिन्द्रनगर के सभागार की आधारशिलाएं रखीं। मुख्यमंत्री ने 1.45 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित अधीक्षण अभियन्ता, लोक निर्माण विभाग वृत, जोगिन्द्रनगर के कार्यालय भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने   1.50 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित जोगिन्द्रनगर अस्पताल के अतिरिक्त खंड और  39 लाख रुपये की लागत से पुराना मेला मैदान में निर्मित पार्किंग स्थल का भी लोकार्पण किया। उन्होंने बैला, सकमड़ और अलगा पेटू में 94 लाख रुपये और चलहारग व छम्ब कूहल में 94.40 लाख रुपये की लागत से बनने वाली उठाऊ सिंचाई योजनाओं की आधारशिलाएं रखीं। श्री वीरभद्र सिंह ने जोगिन्द्रनगर में बहुमंजिला पार्किंग स्थल के निर्माण की भी घोषणा की। उन्होंने उपायुक्त को भूतपूर्व सैनिकों के लिए शीघ्रातिशीघ्र उपयुक्त भूमि ढंूढने के निर्देश दिए ताकि भूतपूर्व सैनिक इस भूमि का उपयोग अस्पताल, कैंटीन और विश्राम गृह के निर्माण के लिए कर सकें। मुख्यमंत्री ने राजकीय उच्च विद्यालय रोपड़ी और द्राहल को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के तौर पर स्तरोन्नत करने और कन्या विद्यालय जोगिन्द्रनगर में विज्ञान खण्ड के निर्माण की घोषणाएं की। इस विज्ञान खण्ड के निर्माण पर 95 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है और गत दो वर्षों के दौरान प्रदेश के दूरदराज एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 16 महाविद्यालय खोलने के अतिरिक्त 719 विद्यालय खोले अथवा स्तरोन्नत किए गए हैं ताकि ग्रामीण युवाओं को उनके घरद्वार के नजदीक उच्च शिक्षा की बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाने में देश भर में अग्रणी राज्यों में शुमार है और प्रदेश की साक्षरता दर भी अन्य कई राज्यों की तुलना में कहीं बेहतर है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता दे रही है और प्रदेशवासियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाना सरकार की प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार नेरचैक में स्थित इएसआईसी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल का संचालन करने के लिए तैयार है, क्योंकि केन्द्र सरकार ने इसे आरम्भ करने में अनिच्छा जताई है। श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार सभी पंचायतों को वाहन योग्य सडक़ों से जोडऩे के लिए प्रतिबद्ध है और आज प्रदेश में लगभग 34 हजार किलोमीटर वाहन योग्य सडक़ों का नेटवर्क है, जिससे विकास को नया आयाम मिला है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्य को केन्द्र सरकार से 3 और राष्ट्रीय उच्च मार्गों की सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का सर्वांगीण विकास प्रदेशवासियों की मेहनत और राज्य में सत्तासीन रही कांग्रेस सरकारों के प्रयासों से संभव हुआ है और भाजपा केवल विकास का श्रेय लेने का प्रयास कर रही है। उन्होंने विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं की नाम पट्टिकाएं हटाने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पट्टिकाओं को हटाने से इतिहास नहीं बदल सकता और दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती विद्या स्टोक्स ने इस अवसर पर कहा कि हिमाचल एक समृद्ध राज्य है, जहां केवल 8 प्रतिशत लोग ही गरीबी रेखा से नीचे हैं। उन्होंने कहा कि सभी गांवों को पेयजल और विद्युत सुविधा उपलब्ध करवाई गई है, जिसका श्रेय प्रदेश में सत्तासीन रही कांग्रेस सरकारों को जाता है। श्रीमती स्टोक्स ने कहा कि प्रदेश की कुल 53,604 बस्तियों में से 32,416 बस्तियों को प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 70 लीटर पेयजल उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 22,647 हेक्टेयर भूमि को कृषि योग्य बनाया है और वर्तमान वर्ष के लिए 500 हेक्टेयर भूमि को कृषि योग्य बनाने का लक्ष्य रखा गया हैै। स्वास्थ्य मंत्री श्री कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेशवासियों को बेहतर एवं सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप प्रदेश सरकार स्वास्थ्य नेटवर्क को और मजबूत बनाने पर बल दे रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को आधुनिक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से बिलासपुर जिले में एम्स स्थापित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त नाहन, चम्बा और हमीरपुर में तीन चिकित्सा महाविद्यालय खोले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डा. राजेन्द्र प्रसाद चिकित्सा महाविद्यालय, टांडा और इन्दिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय, शिमला को सुपर स्पेशियलिटी केन्द्रों के तौर पर विकसित किया जा रहा है, जहां अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं।  

बस अड्डों के निर्माण के लिये 70 करोड़ रूपये का प्रावधान: बाली
  • जन कल्याणकारी कार्यक्रमों को घर-घर तक पहुंचायें कार्यकर्ता 

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धर्मशाला, 29 अप्रैल ( विजयेन्दर  शर्मा) । कार्यकर्ता संगठित व अनुशासित होकर सरकार की नीतियों एवं जन कल्याणकारी कार्यक्रमों को लोगों के घर तक प्रचारित करें। यह विचार खाद्य आपूर्ति, परिवहन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री जीएस बाली ने नगरोटा बगवां में आयोजित ब्लॉक कांग्रेस समिति के कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम में व्यक्त करते हुये कहा कि आज के संदर्भ में सभी कार्यकर्ताओं को यह दायित्व बन जाता है कि वह प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रहे कार्यक्रमों व योजनाओं को प्रभावी ढ़ंग से प्रचारित करके लोगों तक पहुंचायें ताकि समाज का हर वर्ग इससे लाभान्वित हो सके। उन्होंने कहा कि राजनीतिक परिवेश में मौजूदा स्थिति अनुकूलता के लिये आवश्यक है कि संगठन के सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ता अपना सामंजस्य बिठा कर संगठन की एकता के लिए कार्य करें। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आहवान किया कि वे कार्यकर्ताओं को जोडऩे के लिए ग्रामीण स्तर पर जाकर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करें जिसमें उन्होंने युवाओं के लिये रोजगारोन्नमुखी एवं करियर निर्माण से सम्बन्धित शिविरों का आयोजन करने पर बल दिया ताकि बेरोजगार युवा स्वरोजगार की और उन्नमुख हों। श्री बाली ने इस अवसर पर यह जानकारी देते हुये बताया कि प्रदेश में परिवहन निगम के बस अड्डों के निर्माण के लिये 70 करोड़ रूपये व्यय करने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि नगरोटा बगवां में 9 करोड़ रूपये की लागत से नये बस अड्डे का निर्माण किया जायेगा। खाद्य आपूर्ति, परिवहन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री जीएस बाली ने इस अवसर पर जानकारी देते हुये बताया कि शीघ्र ही हिमाचल प्रदेश के बसों के बेड़े में 650 नई बसें जोड़ कर इस बेड़े को विस्तार दिया जा रहा है ताकि लोगों को कम किराये की बसों से लाभान्वित किया जाये। उन्होंने कहा कि उनका ध्येय है कि वह प्रदेश वासियों को कम किराये में आधुनिक व सुरक्षित परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाई जाये। श्री बाली ने इस अवसर पर बताया कि नगरोटा बगवां में बन रही परिवहन निगम की कार्यशाला का कार्य प्रगति पर है और इस पर 4 करोड़ रूपये व्यय किये जाने का प्रावधान है। उन्होंने जानकारी देते हुये बताया कि नगरोटा बगवां, कुल्लु तथा शिमला में दक्षता केन्द्र आरंभ किये जा रहे हैं जिसमें चालकों एव परिचालकों को प्रशिक्षित किया जायेगा। परिवहन मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि नगरोटा बगवां इंजिनियरिंग कॉलेज में इस सत्र से एमबीए एवं बीबीए की कक्षायें आरंभ की जा रही हैं तथा रामपुर में आरंभ किये जाने वाले इंजिनियरिंग कॉलेज की दो विषयों की कक्षायें फिलहाल इंजिनियरिंग कॉलेज सुन्दरनगर में आरंभ की जा रही हैं। उन्होंने नेपाल में भुकम्प की त्रास्दी के पीडितों के लिये 2 मिनट का मौन रखा और पीडि़तों की सहायता के लिये अपनी और से प्रधानमंत्री राहत कोष मेें एक लाख रूपये देने की घोषणा की। उन्होंने क्षेत्रवासियों से आग्रह किया कि वे अपने भवनों का निर्माण भूकम्प रोधी तकनीक से करवायें तथा भवन निर्माण में निर्धारित मापदंडों का पालन करें। उन्होंने नगरोटा बगवां में बनने वाले कांग्रेस भवन के निर्माण के लिये 10 लाख रूपये देने की घोषणा की।  इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस के महासचिव श्री अजय वर्मा, जिला कांग्रेस के महासचिव श्री मनोज मैहता व रोशन लाल खन्ना, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष श्री मान सिंह चौधरी सहित पार्टी के विभिन्न कार्यकर्ता उपस्थित थे।  इसके उपरांत खाद्य आपूर्ति, परिवहन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री जीएस बाली ने नगरोटा बगवां विश्राम गृह में लोगों की समस्यायें भी सुनीं तथा उनका समाधान किया। 

स्पर्म स्टेशन के आधुनिकीकरण पर व्यय होंगे 11 करोड़: बुटेल
  • भरमात में पशु औषधालय और मिडल स्कूल को लोकार्पण

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धर्मशाला, 29 अप्रैल ( विजयेन्दर  शर्मा) । स्पर्म स्टेशन पालमपुर के आधुनिकीकरण के लिए भारत सरकार के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को 11 करोड़ रुयपे का प्रोजेक्ट स्वीकृति के लिए भेजा गया है, जबकि 5 करोड़ की लागत से तरल नाइट्रोजन प्लांट भी स्थापित किया जा रहा है। जिससे प्रदेश में पशु कृत्रिम गर्भाधान अनुपात में व्यापक सुधार होगा। यह जानकारी विधान सभा अध्यक्ष, श्री बृृज बिहारी लाल बुटेल ने बुधवार को पालमपुर हलके की ग्राम पंचायत मुहाल होल्टा के गांव भरमात में मुख्यमंत्री अरोग्य पशुधन योजना के अंतर्गत पंचायत पशु औषधालय और कृत्रिम गर्भाधान सुविधा का लोकार्पण करने के उपरांत लोगों को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आर्थिकी में पशुधन का विशेष महत्व है और प्रदेश में लगभग 70 प्रतिशत आबादी पशुपालन क्षेत्र से प्रत्यक्ष रुप में जुड़ी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों और पशुपालकों के उत्थान और विकास को कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि जिला कांगड़ा में 526 पशु संस्थानों और औषधालयों में कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा आरंभ कर दी गई है तथा शेष संस्थानों में चरणबद्ध तरीके यह सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। श्री बुटेल ने कहा कि उनके हलके की प्रत्येक पंचायत में पशु औषधालय की सुविधा पशुपालकों के लिए उपलब्ध करवा दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पशुपालकों को कृत्रिम गर्भाधान के लिए अमरीकन उन्नत किस्म के टीके स्पर्म स्टेशन पालमपुर के माध्यम से उपलब्ध जा रहे हैं, जिससे आने वाले समय में प्रदेश में दूध उत्पादन में वृद्धि होगी। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष, श्री बृज बिहारी लाल बुटेल ने राजकीय माध्यमिक पाठशाला भरमात में कक्षा छठी में अंकिता का दाखिला कर विधिवत शुभारंभ किया और इसे नि:शुल्क किताबें भी भेंट की। उन्होंने कहा कि भरमात बनूरी होल्टा पेयजल के सुधार के लिए 357 लाख रुपये व्यय किये जा रहे हैं जिससे इन क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि भरमात में  30 लाख लीटर क्षमता का पेयजल शुद्धिकरण सयंत्र भी स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस पर 160 लाख रुपये व्यय किए जा रहे हैं, जिससे लगभग 52 गावों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा। उन्होंने मिडल स्कूल भरमात तथा वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल चंदपुर को सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के  5-5 हजार रुपये देने की घोषणा की। कार्यक्रम में स्थानीय ग्राम पंचायत प्रधान जगत राम, उपप्रधान अजय कुमार, बीडीसी सदस्य राज कुमार, रोशन लाल चौधरी, निशा शर्मा, एसएमसी अध्यक्ष सलोचना देवी,  राम कुमार वर्मा, सोहन सिंह, राम प्रकाश, केके पटियाल, सहायक निदेशक पशुपालन डॉ0 अशोक शर्मा, डॉ0 एम पी शामा, डॉ0 विरेंद्र पटियाल,  उप जिला शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार, एसडीओ संजय ठाकुर, तहसील कल्याण अधिकारी विजय शर्मा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी और क्षेत्र के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

पॉलिटेक्रिक लेटरल एंट्री एन्ट्रंास टैस्ट के लिये आवेदन पत्र आमंत्रित

हमीरपुर, , 29 अप्रैल ( विजयेन्दर  शर्मा) ।  हिमाचल प्रदेश  राज्य के सरकारी तथा नीजि पॉलिटेक्रिक संस्थानों में द्वितीय वर्ष इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स  के लिये  इच्छुक पात्र अभ्यर्थियों से शैक्षणिक सत्र 2015-16 के लिये लेटरल एंट्री के लिए 11 मई 5 बजे तक ऑन लाईन पर आवेदन करें । यह जानकारी सचिव, हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड ने दी । उन्होंने बताया कि  लेटर एंट्री स्कीम के तहत उम्मीदवार को  12 वीं कक्षा साईंस या साईंस व्यवसायिक विषय के साथ  या साईंस तकनीकी के साथ  या मैट्रिक 2 वर्षीय  आईटीआई/सीओ ई सहित होना अनिवार्य है।  उन्होंने बताया कि जो विद्यार्थी उक्त स्ट्रीम के साथ  मार्च 2015 की परीक्षा में अप्पीयर हुए हैं वह भी परीक्षा में बैठने के पात्र होंगे, लेकिन उन्हें काऊंसलिंग के समय उतीर्ण होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा ।    प्रवेश परीक्षा हेतू सामान्य वर्ग 650 रूपये तथा एससी/एसटी/ओबीसी श्रेणी के  उम्मीदवारों के लिये 400 रूपये शुल्क  निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि शुल्क युको बैंक अथवा  किसी भी अन्य बैंक में कम्प्यूटराईजड  जनरेटड चलान द्वारा जमा करवाना सुनिश्चित करें। अधिक जानकारी के लिये  उम्मीदवार समीप की सरकारी /निजी पॉलिटेक्रिक या आईटीआई में ऑनलाईन आवेदन फार्म भरने के लिये सम्पर्क कर सक ते हैं।    उन्होंने बताया कि प्रोस्पैक्ट बोर्ड की वैब साईट  पर उपलब्ध है।  

जेएनबी में कक्षा 9वीं की प्रवेश परीक्षा के लिये आवेदन पत्र आमंत्रित

हमीरपुर, , 29 अप्रैल ( विजयेन्दर  शर्मा) ।  प्राचार्य, जवाहर नवोदय विद्यालय, डूंगरी ने जानकारी दी है कि शैक्षणिक सत्र 2015-16 के लिये जेएनबी, डूंगरी में कक्षा 9वीं में रिक्त स्थानों को भरने के लिये प्रवेश परीक्षा हेतू आवेदन पत्र जमा करवाने के लिये अन्तिम तिथि  15 मई निर्धारित की गई है।  उन्होंने बताया कि कक्षा 9वीं में प्रवेश के इच्छुक विद्यार्थी प्रवेश परीक्षा के लिये आवेदन पत्र जेएनबी, डूंगरी के कार्यालय से  प्राप्त कर सकते हैं । उन्होंने बताया कि प्रवेश परीक्षा 7 जून (रविवार)  को 9 बजे जेएनबी, डूंगरी के आयोजित की जाएगी। उन्होंने बताया कि इच्छुक विद्यार्थी आवेदन पत्र वैब साईट पर भी डाऊनलोड कर सकते हैं।

सभी कर्मचारियों को आईकार्ड जारी करने पर दिया बल
  • उपमंडल स्तर पर जेसीसी बैठकें जल्द आयोजित करने बारे दिशा निर्देश    
  • रिक्त पदों के साथ साथ आवासीय कालोनी की मरम्मत पर भी चर्चा
  • कर्मचारियों के समस्याओं का त्वरित निपटारा किया जाएगा सुनिश्चित : उपायुक्त

हमीरपुर, , 29 अप्रैल ( विजयेन्दर  शर्मा) ।  अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ जिला हमीरपुर की संयुक्त सलाहाकार समिति की वार्षिक बैठक में सभी कर्मचारियों को आईकार्ड दिए जाने का मामला उठाया गया तथा इस संबंध में विभागाध्यक्षों को उचित कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए, इसके साथ ही उपमंडल स्तर पर जेसीसी की बैठकें आयेाजित करने के लिए भी उपमंडलाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देने पर सहमति जताई गई है। बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त रोहन चंद ठाकुर ने की गई जिसमें  पिछली मीटिंग में उठाए गए मामलों पर चर्चा की गई तथा अधिकांश मामलों में आवश्यक कार्रवाई होने पर संतोष भी जताया गया। इसमें जिला स्तर, ब्लाक स्तर, तहसील स्तर पर सभी विभागों में आवासीय भवनों का निर्माण करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है इसके साथ ही आवासीय कालोनियों की आवश्यक मरम्मत का मामला भी उठाया गया। वहीं कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों ने हमीरपुर, अणु, हीरानगर, बाईपास के लिए मुद्रिका बस चलाने की मांग भी उठाई गई जबकि आवासीय कालोनी में पार्क के निर्माण के लिए भी आवश्यक कदम उठाने की बात कही गई। महासंघ के पदाधिकारियों ने अपने एजेंडे में विभागों में रिक्त चल रहे पदों को भरने के बारे राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजने पर चर्चा की गई, क्षेत्रीय अस्पताल हमीरपुर में पार्किंग की उपयुक्त व्यवस्था करने, एटीएम स्थापित करने तथा गर्भवती महिलाओं के लिए ओपीडी के साथ ही पर्ची इत्यादि बनाने का काउंटर खोलने पर भी चर्चा की गई ताकि गर्भवती महिलाओं को ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी पड़े। इस अवसर पर जिला कोषाधिकारी के कार्यालय में आगुंतकों के लिए विशेष कमरे उपलब्ध करवाने पर भी चर्चा की गई जबकि केंद्रीय व अन्य राज्यों की तरह प्रदेश में भी पांच दिवसीय कार्य सप्ताह किया जाए इसके अतिरिक्त मेडिकल बिलों का त्वरित भुगतान सुनिश्चित करने पर भी चर्चा की गई। इस अवसर पर उपायुक्त रोहन चंद ठाकुर ने कहा कहा कि गत वर्ष की जेसीसी की मीटिंग के लगभग सभी मामलों का निपटारा सुनिश्चित कर दिया गया है जिसमें उपायुक्त कार्यालय व तहसील कार्यालयों में यूपीएस तथा बैटरियां उपलब्ध करवाने, लघु सचिवालय में एटीएम खुलवाने बारे, तहसील कार्यालयों में लिटिजैंट शैड निर्माण करने,वार्ड नंबर दो पूल्ड कालोनी शिव मंदिर के पास सामुदायिक केंद्र का निर्माण करने, हर्बल गार्डन नेरी में कार्यरत बेलदार कर्मचारियों को सेवाकाल पूर्ण करने पर नियमितिकरण का मामला, जिला हमीरपुर अस्पताल में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को पूर्ण करने के मामलों में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की गई है। उपायुक्त रोहन चंद ठाकुर ने कहा कि जिला प्रशासन कर्मचारियों की समस्याओं के त्वरित निदान सुनिश्चित करने के लिए हमेशा कृतसंकल्प रहा है तथा भविष्य में भी कर्मचारियों की समस्याओं का समयबद्व निपटारा सुनिश्चित किया जाएगा। इस अवसर पर अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष मान चंद राणा ने मुख्यातिथि का स्वागत करते हुए कर्मचारियों की समस्याओं से जिला प्रशासन को अवगत करवाते हुए कहा कि जिला प्रशासन तथा कर्मचारियों के बीच हमेशा ही सौहार्द पूर्ण संबंध रहे हैं तथा आपसी सहयोग और समन्वय के साथ अधिकांश समस्याओं का निपटारा सुनिश्चित किया गया है।
   इस अवसर पर एसीटूडीसी डा आशीष शर्मा ने जेसीसी की मीटिंग की कार्रवाई का संचालन किया गया, इस अवसर पर एसडीएम हमीरपुर डा चांद प्रकाश शर्मा सहित महासचिव जितेंद्र राणा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिनेश कुमार, संतोष कुमार एवं बिहारी लाल उपप्रधान, वित्त सचिव मनोहर, अतिरिक्त महासचिव संजी प्रभाकर, संयुक्त सचिव राकेश डटवालिया, विशन सिंह, महासंघ की बड़सर ब्लाक इकाई के अध्यक्ष सुरेश शर्मा, शहरी इकाई के प्रधान ओम प्रकाश, नादौन ब्लाक के प्रधान दरशोक सिंह, सुजानपुर खंड के प्रधान आशोक ठाकुर, जिला कार्यकारिणी के समस्त सदस्य तथा खंडों एवं सभी विभागों के प्रधान एवं महासचिव उपस्थित थे।

हरोली उत्सव ने रचा इतिहास, जब तक सृष्टि तब तक होता रहेगा यह उत्सव: मुकेश अग्रिहोत्री 

ऊना, 29 अप्रैल ( विजयेन्दर  शर्मा) ।  उद्योग मंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने कहा है कि हरोली उत्सव का कोई इतिहास नहीं था लेकिन इस उत्सव की धमाकेदार शुरूआत ने ही एक इतिहास रच दिया है और जब तक सृष्टि का वजूद रहेगा, यह उत्सव इसी शान से आयोजित होता रहेगा। उद्योग मंत्री हरोली उत्सव पर एकत्रित विशाल जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हरोली में विकास और जनकल्याण के एजेंड़े को सर्वोंपरि रखने सहित  ग्रामीण जनता की जिंदगी में खुशियों और उल्लास के रंग भी इसी तरह भरे जाते रहेंगे । उन्होंने कहा कि हरोली की जनता को जहां ऐसे उत्सवों के माध्यम से देश के बड़े कलाकारों से रूबरू होने का मौका मिलेगा, वहीं हरोली की प्रतिभाएं भी निखर कर सामने आयेंगी। उन्होंने कहा कि हरोली उत्सव में हजारों की तादाद में हरोली वासियों ने शिरकत करके यह साबित कर दिया है कि उन्हें अपने हलके में ऐसे उत्सव की बेसब्री से प्रतीक्षा थी और डटकर मेहनत करने वाले हरोली वासी फुर्सत के पलों में ऐसे उत्सवों के जरिए अपना उल्लास भी बांटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि शोभायात्रा से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उमड़ी भीड़ का उत्साह ही इस उत्सव की सफलता को बयान करता है। उद्योग मंत्री ने कहा कि हरोली वासियों के लिए इससे बड़ी खुशी की सौगात क्या हो सकती है कि उत्सव की शुरूआत ही पंजाब के स्टार कलाकार गुरदास मान के गीतों से हो रही है । उन्होंने मंच पर गुरदास मान को हिमाचली शाल, टोपी व स्मृति चिन्ह प्रदान करके समानित भी किया। इससे पूर्व उन्होंने हरोली उत्सव स्मारिका का विमोचन किया जिसमें हरोली की सांस्कृतिक व धार्मिक धरोहर के अलावा हरोली के चहुमुखी विकास पर विशेष बहुरंगी सामग्री प्रकाशित की गई है। 
                                
हिमाचली टोपी पहनकर विभोर हो गए गुरदास मान
मंच पर जब उद्योग मंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने गुरदास मान को हिमाचली टोपी पहनाई तो गुरदास मान विभोर हो उठे। उन्होंने अभिभूत होते हुए कहा कि उनके सिर पर जो मान रखा गया है, वह बेशकीमती है और इसका वह पूरा आदर करते हैं। उन्होंने मुक्तकंठ से उद्योग मंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि हरोली वासी सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें ऐसा कर्मठ और प्रगतिशील जनप्रतिनिधि मिला है जो इस क्षेत्र के विकास के लिए दिन रात प्रयत्नशील है। 
                            
रंग बिरंगी आतिशबाजी से जगमगा उठा आसमान
हरोली उत्सव की प्रथम रात्रि को जब आसमान रंंगबिरंगी आतिशबाजी से जगमगाया तो अद्भुत नजारा उपस्थित हो उठा जिसका लोगों ने भरपूर आनंद लिया। उद्योग मंत्री कार्यक्रम के समापन तक पंडाल में रहे। हजारों की तादाद में मौजूद लोगों ने भी पूरे अनुशासन में रहते हुए सांस्कृतिक संध्याा का भरपूर आनंद उठाया। इस अवसर पर उद्योग मंत्री की धर्मपत्नी प्रो. सिमी अग्रिहोत्री , मुय संंसदीय सचिव लोक निर्माण विनय कुमार, जिला कांग्रेस अध्यक्ष एडवोकेट वीरेन्द्र धर्माणी, डीसी अभिषेक जैन, एसपी अनुपम शर्मा, एडीएम राजेश कुमार मारिया, एसडीएम धनवीर ठाकुर, हरोली ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष रणजीत राणा,  जिला कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक ठाकुर , एडवोकेट धर्मसिंह, जिला परिषद सदस्य दर्शना देवी, नीलम मनकोटिया, सुमन ठाकुर, जिला महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेखा राणा, हरोली ब्लाक महिला कांग्रेस अध्यक्ष मधु धीमान, स्वां वूमैन फैडरेशन की चेयरपर्सन सुभद्रा देवी , युवा कांग्रेस अध्यक्ष नछत्र सिंह, पवन ठाकुर, सतीश बिट्टूख्, वीरेन्द्र मनकोटिया, राकेश दत्ता , कांगढ़ के प्रधान विनोद बिट्टू सहित  विभिन्न पंचायतों के प्रधान व अन्य गणमान्य लोग उपसिथत थे। 

विशेष : भारत नाम में हैं विश्व गुरू की धमक

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कहा जाता है कि कोई देश जब अपना अतीत भूल जाता है, तब वह धीरे धीरे पतन की ओर कदम बढ़ाने की अग्रसर होता है। ऐसा उन्हीं देशों में होता है जहां निजत्व का गौरव नहीं होता। ऐसे देश प्राय: अपने स्वर्णिम और सुखद भविष्य की बुनियाद नहीं रख पाते। भारत देश के बारे में ऐसा कतई नहीं माना जा सकता। भारत के पास अतीत की ऐसी सुंदर परिकल्पना है जो केवल भारत का ही नहीं, अपितु पूरे विश्व का दिशादर्शन करने का सामथ्र्य रखती है, लेकिन समस्या इस बात की है कि वर्तमान में भारत के लोग अपनी सनातन संस्कृति से विमुख होते जा रहे हैं। फिर भी भारत की शाश्वत संस्कृति पर कुठाराघात करने वाले कथित बुद्धिजीवी अपने मंसूबों को बार बार सफल करने का सपना देखते रहते हैं।

अपनी बात प्रारंभ करने से पहले मुझे एक कहानी याद आती है, कहानी का भाव यह है कि अपने पास सब कुछ होते हुए भी आज हमें इस बात का ज्ञान नहीं है कि हमको जाना कहां हैं। हमारे देश के कुछ लोग आज ऐसे रास्तों में भटकाव की स्थिति में जाते जा रहे हैं, जहां भूलभुलैया के अलावा कुछ भी नहीं है। कहा जाता है कि हमारा देश जब पूरी तरह से भारत था, तब वैश्विक ज्ञान की अतुलनीय धारा का प्रवाह पूरे विश्व को आलोकित करता हुआ दिखाई देता था। अगर हम भारत के इतिहास का अध्ययन करेंगे तो यह बातें स्वत: ही प्रमाणित हो जाएंगी। आज हम जिस इतिहास का अध्ययन कर रहे हैं, वह वास्तव में भारत का इतिहास है ही नहीं, वह तो गुलामी का इतिहास है। वर्तमान में हमको जो इतिहास पढ़ाया जा रहा है, वह अंगे्रजों या मुगलों के शासन काल का है। इस काल के इतिहास में में भारत कमजोर ही दिखाई देगा। लेकिन अगर इससे पूर्व का इतिहास पढऩे को मिले तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी। भारत को जो इंडिया नाम दिया गया, वह अंग्रेजों की कूटनीतिक देन थी। उन्होंने भारत के नाम को ही नहीं पूरी भारतीयता को ही नष्ट करने का प्रयास किया, जिसके चिन्ह आज भी हमें दिखाई दे जाते हैं। वास्तव में देखा जाए तो भारत में आज भी विश्व गुरू के सामथ्र्य वाली धमक और झलक है। अगर भारत अपने पुराने मार्ग पर चलना प्रारंभ करदे तो वह दिन दूर नहीं होगा जब भारत पुन: विश्व को मार्गदर्शन देने की मुद्रा में आ जाएगा।

भारत के एक सामाजिक कार्यकर्ता की याचिका पर हाल ही में सर्वोच्च न्यायपालिका ने केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों को सूचना पत्र जारी कर पूछा है कि इंडिया को भारत और इंडियंस को भारतीय कहा या लिखा जाना चाहिए। क्या भारत और भारतीय शब्दों का उपयोग (संंवैधानिक एवं शासकीय कामकाज, आदेश निर्देश एवं दस्तावेजों में भी) आधिकारिक रूप से होना चाहिए। इंडिया का नाम भारत किए जाने संबंधी याचिका पर उच्चतम न्यायालय की यह पहल निश्चित ही भारतीयों के स्वाभिमान को अपमानित होने से बचाने का एक सुअवसर है। हर भारतीय चाहता है कि आजादी के 68 साल बाद ही सही लेकिन हिन्दुस्तान को दो सौ वर्षों तक गुलाम रखने वाले अंग्रेजों की अंग्रेजियत का अब भारत से नामो निशान मिट जाना चाहिए। दुनिया हमारे देश को भारत या हिन्दुस्तान के नाम से जाने न कि अंग्रेजों द्वारा दिए गए नाम से। सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के बाद वोट बैंक की राजनीति करने वालों और हिन्दुस्तान की संस्कृति और संस्कारों को खंडित करने में जुटी ताकतों के पेट में मरोड़ हो सकती है। सर्वोच्च न्यायालय के सूचना पत्र पर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से सकारात्मक प्रतिक्रिया की आशा करना बेमानी होगी। क्योंकि यह ताकतें चाहती हैं कि भारतीय अपनी मूल जड़ों से हमेशा कटे रहें, जिससे अगली एक दो पीढ़ी तक देश विरोधी ताकतें अपना काम आसानी से सम्पन्न कर सकें।

याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता निरंजन भटवाल ने अपनी याचिका में यह स्पष्ट किया है कि संविधान में इंडिया शब्द का उपयोग केवल संदर्भ के रूप में ही हुआ है। याचिका में सभी गैर सरकारी संगठनों एवं निगम मण्डलों आदि को आधिकारिक एवं गैर आधिकारिक कामों के लिए भारत शब्द का प्रयोग करने के निर्देश देने हेतु अनुरोध न्यायपालिका से किया गया है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी तथ्यों को अध्ययन करने के बाद ही केन्द्र और राज्य सरकारों को यह सूचना पत्र जारी किए हैं। अधिकांश राज्य सरकारें और केन्द्र सरकार इस निर्णय के पक्ष में ही होंगे कि भारत के शासकीय एवं अशासकीय दस्तावेजी प्रणाली से इंडिया शब्द को मिटाकर उसके स्थान पर भारत को स्थापित किया जाए। भारत में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का संचालन करने वाले जनप्रतिनिधि संसद के दोनों सदनों, विधानसभाओं और नगरीय परिषद सभाओं में भी हिन्दी और अंग्रेजी में प्रश्न पूछते समय और उत्तर देते समय देश और देशवासियों को अपमानित कर देने वाले शब्द इंडिया और इंडियन का नहीं बल्कि हमें गर्वित कर देने वाले भारत शब्द से हमारे देश को संबोधित करें। इसी प्रकार अंग्रेजी और हिन्दी में देश के अंदर और विदेशों में दिए जाने वाले अपने भाषणों और संबोधनों में भी भारत शब्द का उपयोग करें। पूरी दुनिया अभी हिन्दुस्तान को इंडिया नाम से संबोधित करती है। हमें गर्व उस समय होगा जब पूरा विश्व हिन्दुस्तान को इंडिया नहीं बल्कि भारत के नाम से संबोधित करेगा। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने चूंकि सरकारों से ही अभिमत मांगा इस कारण इंडिया को भारत शब्द किए जाने के संबंध में केवल सरकारों को ही अपना पक्ष न्यायालय में प्रस्तुत करना है। अगर न्यायालय देश की जनता से इस संबंध में अभिमत चाहता तो स्थिति अकल्पनीय होती। पूरा देश एक मत से खड़ा होकर सिर्फ यही जवाब देता कि बहुत हुआ अब और नहीं झेलेंगे अंग्रेजों की गुलामी। अब हिन्दुस्तान गुलामी की जंजीरें तोड़कर न केवल अपने पैरों पर खड़ा है बल्कि पूरे विश्व को अपने साथ लेकर प्रगति पथ पर दौड़ाने की नेतृत्व क्षमता भी रखता है। इस कारण अब अंग्रेजियत की हर वह निशानी मिटानी होगी जो हमें गुलामी की याद दिलाकर निराशा के अंधेरे कुंए में धकेलने का काम करती है।

इसके अलावा अगर भारत देश के बारे में आध्यात्मिक भाव से अध्ययन किया जाए तो केवल यही कहा जा सकता है कि भारत में आध्यात्म ही एक ऐसा क्षेत्र है जिसका मुकाबला विश्व का कोई भी देश नहीं कर सकता। हम जानते हैं कि भारत में जो भी धार्मिक नगरी हैं वहां कई अंगे्रज ऐसे मिल जाते हैं जो अपने देश से केवल घूमने के उद्देश्य से आते हैं, लेकिन भारत की सांस्कृतिक धारा में इस प्रकार रम जाते हैं कि फिर यहीं के होकर रह जाते हैं फिर अपने देश में जाने का नाम भी नहीं लेते। क्या भारतीय संस्कृति का यह उदाहरण वैश्विक सर्वग्राह्यता का प्रतीक नहीं है। इतना ही नहीं वर्तमान में पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति के प्रति लोगों का झुकाव निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। हमारे आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया जाए तो वह भी भारत नाम को ही उच्चारित करते हैं, इंडिया नाम तो नहीं है। तभी तो कहा गया है कि हिमालयं समारभ्य यावदिंदुसरोवरम्। तं देवनिर्मितं देशं हिंदुस्थानं प्रचक्ष्यते। हमारे देश को देव निर्मित माना जाता है। इसी प्रकार उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्। वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र संतति:। इस श्लोक में भारत वर्ष में निवास करने वाली संतति के बारे में बताया है कि यहां की जनता भारतीय है, इंडियन नहीं। भारत नाम के बारे में देश के सर्वोच्च न्यायालय ने जिस प्रकार से सरकारों से पूछा है उससे यह तो लगने लगा है कि अब देश को आहत करने वाले से नामों से बहुत जल्दी छुटकारा मिल जाएगा और जिस भारत की कल्पना हमारे मनीषियों ने की थी, फिर से वैसा ही सांस्कृतिक भारत उदित होगा।





सुरेश हिन्दुस्थानी
झांसी उत्तरप्रदेश
संपर्क : 09425101815

विशेष आलेख : बेटियों की बलि आखिर कब तक

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हमारे देष में बेटियों के साथ भेदभाव की कहानी नई नहीं है जिसके कारण अनेक राज्यों में लिंगानुपात का अंतर बढ़ रहा है। भ्रूण हत्या जैसी घटनाएं रूक नहीं पा रही है जबकि बेटियों को षिक्षा और रोज़गार सुलभ कराने में सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर बाधाएं बराबर कायम हैं। कहने को जमाना बदल चुका है लेकिन कुछ लोग आज भी पुरानी सोच के साथ जी रहे हैं। लड़कियों को आज भी समाज में बुरी नजर से देखा जाता है। इस आधुनिक दौर में भी कुछ लोग ऐसा करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे परिवारों में अगर लड़का होता है तो पूरे घर में खुषी का माहौल छा जाता है। लेकिन लड़की पैदा हो जाए तो मातम सा छा जाता है। आखिर ऐसा क्यों? जंग का मैदान हो या खेल का मैदान या राजनीति अथवा कोई भी प्रतिस्पर्धा वाला क्षेत्र, लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। इसके बावजूद लड़कियों को परिवार या समाज में उनका अधिकार मिलना तो दूर उन्हें जन्म से पहले ही मां के गर्भ में खत्म कर देने का घिनौना पाप जारी है। इसके अलावा अगर लड़की जन्म ले भी लेती है तो उसकी भावनाओं का हर पल गला घोटा जाता है। हमारे देश में आज भी ऐसे कई परिवार हैं जहां लड़कियां अपनी इच्छा के कपड़े भी नहीं पहन सकतीं। इसके अलावा कुछ परिवारों में लड़की को नाना-नानी और दूसरे रिष्तेदारों के यहां भी जाने की इजाजत नहीं क्योंकि माता-पिता को हमेषा इस बात का डर रहता है कि यदि उनकी बेटी बाहर निकली तो उसके साथ कहीं कुछ गलत न हो जाए। ऐसी बातें सुनते-सुनते लड़कियां स्वयं भी घर से बाहर जाने से डरने लगी हैं। इसके पीछे बहुत से कारण है क्योंकि घर के साथ-साथ समाज में महिलाओं के साथ छेड़-छाड़ की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। 
          
स्त्री-पुरूश के अनुपात में लगातार हो रही कमी के चलते जम्मू एवं कष्मीर सरकार ने एक नई पाॅलिसी षुरू की है। इस पाॅलिसी के तहत हर नवजात बालिका को 14 वर्श तक प्रतिमाह 1000 रूपये दिए जाएंगे। राज्य के वित्तमंत्री डाक्टर हसीब दराबू ने इस पाॅलिसी का एलान करते हुए कहा कि-‘‘ इस तरह 21 साल की आयु तक पहुंचने तक प्रत्येक नवजात बालिका को 6.5 लाख रूप्ये प्राप्त होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना को सरकार प्रतिकूल लिंग अनुपात वाले छह जि़लों में एक पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर भी षुरू कर सकती है। हर साल राज्य में तकरीबन एक लाख बालिकाएं जन्म लेती हैं। अगर हम एक तिहाई आबादी की बात करतें तो इस तरह छह जि़लों में तकरीबन 35 हज़ार बालिकाएं होंगी और इन पर तकरीबन 35 करोड़ रूपये से ज़्यादा का खर्च आएगा।’’ 2011 की जनगणना के अनुसार जम्मू एवं कष्मीर में लिंग अनुपात घटकर 889 रह गया था। इसमें सबसे ज़्यादा चैकाने वाली बात यह है की 6-10 की उम्र के बच्चों के लिंगानुपात में तेज़ी से गिरावट आ रही है। 2011 की जनगणना के अनुसार राश्ट्रीय स्तर पर जहां एक हजार पुरूशों के मुकाबले 940 महिलाएं हैं वहीं 2001 की जनगणना के अनुसार यह संख्या 922 थी। सरकार लिंगानुपात में कमी लाने के लिए नई-नई नीतियां बना रही है। तमाम प्रयासों के बावजूद भी लिंगानुपात का अंतर बढ़ता जा रहा है। 
           
खतरे की घंटी बज चुकी है, इससे पहले की खतरा सिर पर आ जाए हमें इसके लिए जरूरी कदम उठाने होंगे। सोनोग्राफी के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार की ओर से बहुत सारे कदम उठाए गए हैं। बावजूद इसके इस तकनीक का गलत इस्तेमाल आज भी जारी है। कुछ डाक्टर थोड़े से पैसे के लालच में इस घिनौने अपराध में षामिल हो जाते हैं और इसका खामियाज़ा उस बच्ची को भुगतना पड़ता है जिसने अभी दुनिया में जन्म ही नहीं लिया। जो लोग समाज और इंसानियत के कातिल हैं और जिन लोगों ने लड़कियों के कत्ल को अपना पेषा बना लिया है, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। लोगों को भी चाहिए कि वह मिलकर रोषनी की एक नई षमा जलाएं और समाज को रूढि़वादी सोच से निकालकर बुलंदी की ओर ले जाएं। हमें गंभीरता से सोचना होगा कि यदि हम घर में खुशियां चाहते हैं तो केवल लक्ष्मी की पूजा से यह संभव नहीं है। हमें बेटियों के जीवन और उसकी महत्ता को समझना होगा। वंश की चाहत में अंधे समाज को समझना होगा कि बेटी को जि़दगी दिये बिना बेटे के जन्म का सपना हकीकत में नहीं बदल सकता। इस महत्ता को जितनी जल्दी समझा जायेगा भविष्य को उतना ही बेहतर बनाया जा सकेगा।
           
लड़कियों के पैदा होने पर खुष न होने की एक बड़ी वजह यह भी होती है कि अक्सर माता-पिता सोचते हैं कि गरीबी में हमारा जिंदगी गुजरना मुष्किल हो रहा है। ऐसे में इसके बड़े होने पर हम इसकी षादी कैसे करेंगे। इसके विपरीत बेटे के प्रति अक्सर माता-पिता की सोच होती है कि यह पढ़ लिखकर हमारे बुढ़ापे का सहारा बनेगा। यही वजह है बेटों के मुकाबलेे बेटियों से भेदभाव होता है। हमें अपनी इस सोच को बदलना होगा। 
        
गर्भावस्था के दौरान ही बहुत से लोग यह पता करने की कोषिष करते हैं कि मां जिस बच्चे को जन्म देने वाली है वह लड़का है या लड़की। अगर वह लड़की होती है तो दुनिया में आने से पहले ही मां के गर्भ में खत्म कर दिया जाता है। यही वजह है कि देष में स्त्री-पुरूश अनुपात घट रहा है। हालांकि इसमें कमी अवश्य आई है। परंतु इसे अधिक संतोषप्रद नहीं कहा जा सकता है। इसके लिए अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। इसके लिए राज्य सरकारों, केन्द्र सरकार और गैर सरकारी संगठनो को एक मंच पर आकर साथ काम करना होगा। भारतीय दंड संहिता की धारा 315 एवं 316 के अनुसार जन्म से पहले व जन्म के बाद कन्या षिषू  हत्या कानूनी अपराध है। लिंग चयन का मूल कारण पुरूष-प्रधान समाज में महिलाओं और लड़कियों की निम्न स्थिति है जो लड़कियों के साथ भेदभाव करता है। पुत्र को महत्व देने की संस्कृति के चलते लिंग निर्धारण के लिए अल्ट्रासाउंड तकनीक का प्रयोग किया जाता है, जिसके बाद प्रायः कन्या भ्रूण की हत्या कर दी जाती है। लिंग चयन दहेज प्रथा का समाधान नहीं है। दहेज प्रथा तब तक कायम रहेगी जब तक लोग बेटियों को भार समझते रहेंगे। इसके लिए आवश्यक है कि समाज में महिलाओं को दोयम स्थिति से निकालकर बराबरी का दर्जा दिया जाए। लड़कियों को संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिले तो दहेज की मांग रूकने के साथ उन्हें बराबरी का दर्जा भी मिलेगा। इससे लोग बेटियों को बोझ नहीं समझेंगे जिससे कन्या भ्रूण हत्या पर भी लगाम लग सकेगी। राज्य सरकारों, केंद्र सरकार, तमाम सरकारी व गैर सरकारी संगठनों के लाख प्रयासों के बावजूद कन्या भ्रूण-हत्या के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। दुर्भाग्य से शिक्षित और संपन्न तबके में यह कुरीति ज्यादा है। गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 के अन्तर्गत, गर्भाधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्म से पहले कन्या भ्रूण-हत्या के लिए लिंग परीक्षण करना, इसके लिए सहयोग देना व विज्ञापन करना कानूनी अपराध है, जिसमें 3 से 5 वर्ष तक की जेल व 10 हजार से 1 लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है। इस कानून के तहत लिंग जांच करवाने वाले व करने वाले दोनों ही दोशी होते हैं। कानून के अनुसार लिंग जांच करने वाले चिकित्सक का पंजीयन हमेषा के लिए रद्द हो सकता है। बावजूद इसके कन्या भ्रूण-हत्या के मामलों में लगातार इजाफा होता जा रहा है। कन्या भ्रूण-हत्या के बढ़ते मामलों की वजह से स्त्री-पुरूश लिंगानुपात में कमी हो रही है और यह समाज के लिए एक बड़ा खतरा बनती जा रही है। 
            
बेटी बचाओ अभियान जो आज पूरे देष में चलाया जा रहा है इसका श्रेय वास्तव में मध्य प्रदेष के मुख्यमंत्री षिव राज सिंह चैहान को जाता है जिसने 1 अक्टूबर 2007 को इस योजना की षुरूआत की थी। मोदी सरकार का दावा है कि वह महिला एवं बाल विकास पर सरकार विषेश ध्यान दे रही है। इसके साथ ही कई षहरों में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने की योजना पर 150 करोड़ रूपये खर्च करने का प्रावधान बजट में किया गया है। यह योजना गृह मंत्रालय द्वारा संचालित की जाएगी। इस योजना को राश्ट्रीय स्तर सराहना मिली। इसके स्वरूप को केंद्र सरकार ने स्वीकारते हुए मोदी सरकार ने इस बार के आम बजट में महिलाओं एवं बालिकाओं को हर क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं को षामिल किया है उसमें ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’ योजना भी षामिल है।  सरकार के साथ साथ हमारी भी जि़म्मेदारी है और समय की मांग भी कि हम बच्चियों और महिलाओं  के लिए एक ऐसा वातावरण तैयार किया जाये जहां नारी के अधिकारों का हनन करने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए।  






नाजि़या सुल्ताना
(चरखा फीचर्स)

आईपीएस संवर्ग की भद् पीटने वाली रिटायर दरोगा की सनसनीखेज पुस्तक

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सेवानिवृत्त पुलिस उपनिरीक्षक अशोक कुमार सिंह की पुस्तक आईना अगर किसी प्रतिष्ठित प्रकाशन से छपी होती तो बहुत चर्चित हो जाती क्योंकि इसमें उन्होंने आईपीएस संवर्ग को जिस तरीके से आईना दिखाया है। वह विस्फोटक की हद तक सनसनीखेज है। भूमिका में उन्होंने लिखा है कि उन्होंने मुकदमेबाजी से अपने को बचाने के लिये किसी का नाम लेने से किताब में परहेज रखा है लेकिन भूमिका की बात अलग है सायास संयम रखते हुए भी वे कई जगह नाम लेकर अपने उच्चाधिकारियों पर फट पड़े। उनका कहना है कि आईपीएस अधिकारियों पर सरकार इतना खर्चा करती है जबकि वे किसी काम के नहीं हैं और न कोई काम करते हैं। उन्होंने फोर्स में पुलिस के कमांडर यानि आईपीएस संवर्ग के प्रति कितनी नफरत धधकती है इसका इजहार अपने शब्दों में किया है। आईपीएस अधिकारियों को अपनी ही फोर्स में अपने बारे में इस धारणा को लेकर सचेत हो जाना चाहिये और छवि बदलने की कोशिश करनी चाहिये ताकि पुलिस में कहीं कोई अनहोनी न हो। हालांकि कई आईपीएस अधिकारियों के प्रति अशोक कुमार सिंह ने बेहद श्रद्धा भी दिखाई है। विशेष रूप से डीजीपी रहते हुए देवराज नागर द्वारा सब इंसपेक्टर से इंसपेक्टर के रूप में पदोन्नति के लिये बनायी गयी व्यवस्था पर उनका बार-बार आभार अशोक कुमार सिंह ने जताया है। 

पुलिस की लोगों के बीच खराब छवि के लिये सिर्फ आईपीएस ही जिम्मेदार हैं। इस बात से सहमत होना बहुत मुश्किल है लेकिन यह बात अवश्य ही सही है कि देश की दूसरी सर्वोच्च सेवा के कई अधिकारी ऐसे हैं जो अपनी गरिमा की परवाह नहीं करते। किसी भी संस्था या समूह में नैतिक उत्थान उन लोगों के आचरण पर निर्भर करता है जो सर्वोच्च स्थिति में होते हैं। फोर्स के साथ इसी कारण आईपीएस अधिकारियों को शोषण और अपमानपूर्ण व्यवहार करने से बचना चाहिये। अशोक कुमार सिंह ने साफ साफ कहा कि कई आईपीएस अधिकारी खुलेआम थाना बेचते हैं और निर्लज्जता पूर्वक महीना वसूल करते हैं। अगर किसी कारणवश महीना आने में देर हो जाये तो दरोगा का कैरियर बर्बाद करने में कसर नहीं छोड़ते। उनकी पुस्तक के फ्लैप पर उसका यह अंश छापा गया है कि एक-एक अधिकारी पुलिस अधीक्षक, उपमहानिरीक्षक रेंज, महानिरीक्षक जोन पर सरकार उनकी व्यवस्था हेतु 25 से 30 लाख रुपये प्रति माह खर्च करती है। यदि यह पद अपने स्वयं के भ्रष्टाचार पर नियंत्रण न कर सके एवं नान गजटेड के भ्रष्टाचार को नियंत्रित न कर सके तो अपराध नियंत्रण में अधिकारियों की बौद्धिक सहभागिता बालू से तेल निकालने की तरह है। ऐसे में इन पदों की उपयोगिता क्या है। क्या केवल नान गजटेड को दंड के लिये ये पद सृजित किये गये हैं। 

पुस्तक में वाक्य विन्यास त्रुटिपूर्ण है और शैली भी गड़बड़ है। संपादन भी चुस्त दुरुस्त न होने से कई बार कुछ चीजों की इतनी ज्यादा पुनरावृत्ति हुई है कि लगता है जैसे व्यक्तिगत तौर पर हुए कड़वे अनुभवों का प्रलाप भर पुस्तक में व्यक्त हुआ हो। इसके बावजूद पुस्तक में कई तथ्य रहस्योद्घाटन के रूप में हैं। जिसकी वजह से पुस्तक को एक बार पढऩा शुरू करें तो आखिरी तक पढऩे की ललक पैदा हो जाती है। पुलिस के ढांचे में कितनी कमियां हैं इसकी एक बानगी पुस्तक में देखने को मिलती है। पुलिस में केवल भ्रष्टाचार की वजह से ही गड़बडिय़ां नहीं हैं। विभाग के पतन के लिये इससे भी ज्यादा कई और कारक जिम्मेदार हैं। अशोक कुमार सिंह ने नाम लेकर बताया कि किस तरह पुलिस के अधिकारी जातिवाद की मानसिकता के आधार पर काम करते हैं। वर्तमान राजनीति के स्वरूप की वजह से नये लोगों को गलतफहमी है कि इस तरह का भेदभाव सवर्ण बनाम दलित या सवर्ण बनाम पिछड़ी जातियां अथवा पिछड़ी जातियां बनाम दलित के उभरे द्वंद्व का नतीजा है लेकिन सही बात यह है कि वंचित जातियां तो बहुत बाद में इस स्थिति में आयीं कि वे अपने अस्तित्व का अहसास करा सकेें लेकिन सवर्ण जातियों के अन्दर ही संकीर्ण मानसिकता से जो दुराग्रह कार्यशील रहते हैं। उनकी मौजूदगी तो सनातन रही है। अशोक कुमार सिंह ने दिखाया है कि किस तरह इसका कचोटने वाला अनुभव उनको हुआ और इस अनुभव ने उन्हें किस सीमा तक आहत किया। जातिवादी मानसिकता की वजह से कुछ अधिकारियों ने फोर्स के सबसे कामचोर लोगों को सर्वोच्च पद दिलाकर समूचे फोर्स का किस तरह से मनोबल गिराया। इसका भी उल्लेख सप्रमाण पुस्तक में है। 

खाकी का रैंक कोई भी हो लेकिन उसकी इमेज यह है कि यह जनता को लूटने और उसका बर्बर दमन करने वाला तंत्र है लेकिन पुस्तक को पढऩे से पता चलता है कि पुलिस खुद किस कदर अपनों से ही लूटी जाती है। पुलिस का दरोगा समाज में तानाशाह की तरह देखा जाता है लेकिन जब वह विभागीय कार्रवाई में फंसता है तो अधिकारी कागजों में प्रथम दृष्टया ही उजागर उसकी निर्दोषिता को जांचने की तकलीफ गवारा नहीं करते और उसके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई कर डालते हैं। इसका अहसास भी यह पुस्तक कराती है। अशोक कुमार सिंह की धारणा यह है कि मुठभेड़ में अपराधी को मार डालना अपराध नियंत्रण का सर्वोच्च तरीका है जो कि सही नहीं है लेकिन इस बारे में उनकी जो ईमानदार बयानी है। उससे यह जरूरत महसूस होने लगती है कि मानवाधिकारों को लेकर परंपरागत पुलिस जनों में ब्रेनवाशिंग की कितनी जरूरत है। अशोक कुमार सिंह ïवर्ण व्यवस्था के पिरामिड में उच्च स्थान पर रहते हुए भी अपने को पीडि़त होने से नहीं बचा सके क्योंकि यह व्यवस्था हर जाति का उत्पीडऩ करती है लेकिन वे यह नहीं जान पाये कि जब सामाजिक परिवर्तन शुरू हुआ और दलितों पिछड़ों ने आपराधिक माध्यम से बगावती इरादे झलकाना शुरू कर दिये तो यह उद्दंडता स्वाभाविक रूप से उच्च जातियों को इस हद तक नागवार गुजरीं कि वे ककड़ी चोरों को फांसी देने पर आमादा हो गये और इसमें पुलिस का इस्तेमाल हुआ। एक दौर रहा जब उत्तरप्रदेश में पुलिस की मुठभेड़ विशेषज्ञता के पीछे इसी तरह की प्रेरणायें काम कर रही थीं और अशोक कुमार सिंह उसी दौर में पुलिस में रहकर अपना यह कर्तव्य निभा रहे थे। जिसे आज का इतिहास नाइंसाफी ठहरा रहा है। 

एक संस्था में तमाम गड़बडिय़ों को सम्पूर्णता में देखने के बाद ही उसमें वांछित परिवर्तन हो सकते हैं लेकिन अशोक कुमार सिंह में इस दृष्टि का अभाव रहा है। उन्होंने उत्तरप्रदेश के वर्तमान अपर महानिदेशक कानून व्यवस्था मुकुल गोयल जैसे आईपीएस अधिकारियों का सानिध्य नहीं मिल पाया। जिनका तबादला जब हुआ तो पूरा फोर्स इस बात पर आमादा था कि अपने साफ सुथरे और फोर्स के लिये सच्चे संरक्षक की भूमिका निभाने वाले अपने कप्तान की सबसे शानदार विदाई वे कैसे कर सकें और उन्हें कैसे एक ऐसा स्मृति चिन्ह दे सकेें जो कि यादगार हो। 

आईपीएस संवर्ग की आलोचना के अतिरेक में उनकी पुस्तक में इसी तरह के कई अफसरों का प्रशंसनीय जिक्र दबकर रह गया है। आईपीएस अफसरों की पुलिस के लिये अपनी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है इस तथ्य की उपेक्षा नहीं की जा सकती। पुस्तक की इन कमियों के बावजूद आईना सचमुच पुलिस विभाग के लिये एक आईना है। जिसमें समुद्र मंथन की तरह एके सिंह ने कई अमृत बिन्दुओं को निकाल पाया है। खुद अशोक कुमार सिंह की भी कार्यशैली सेवा में रहते हुए मानवीयता के काफी नजदीक रही। इस कारण उनकी आलोचना उतनी चुभने वाली नहीं लगना चाहिये। उनके गुबार के पीछे जो दर्द है उसे समझते हुए पुलिस के वर्तमान कर्ता धर्ता अगर कोई सुधार का कार्यक्रम बना पाते हैं तो उनकी पुस्तक की सार्थकता सिद्ध हो जायेगी।




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के पी सिंह 
ओरई

छात्रों से मनमानी फीस लेने का आरोप, विदिशा का रजिसटरड लुटेरा कालेज

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विदिशा बीएम बीएड कालेज के तमाम छात्रों ने शुक्रवार को कलेक्टोरेट पहुंचकर कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन एसडीएम आरपी अहिरवार को सौंपा। ज्ञापन में छात्रों ने कहाकि कालेज प्रबंधन प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर छात्रों से मनमानी वसूली कर रहा है। छात्र राहुल, राकेश भूरिया, राजेश अहिरवार, सोनू कुशवाह, कैलाश खांडवे, रानी सिंह, स्वाती दांगी, रश्मि नामदेव, फरहाना खान, मालती कुशवाह, जितेंद्र शाक्य, दीपक यादव और अशोक ठाकुर आदि ने बताया कि नियमित फीस के अलावा छात्रों ने प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर 5 हजार रुपए जमा कराने को कहा जा रहा है। 

राशि जमा नहीं करने पर प्रायोगिक परीक्षा में नहीं बैठने की धमकी दी जा रही है। पहले भी छात्रों से स्टेशनरी, अनुपस्थिति, लेशन प्लान, नामांकन आदि के नाम पर अलग से राशि वसूली जा चुकी है। सालाना परीक्षा के दौरान भी 1500 रुपए की जगह 2520 रुपए फीस ली जा रही है और उसकी रसीद भी नहीं दी जा रही है। यहां स्टाफ की सूची तो लंबी है लेकिन पढ़ाने वाले शिक्षक केवल 2 ही हैं। वे शिक्षक दूसरे कालेजों में भी पढ़ाने जाते हैं। इस संबंध में एसडीएम आरपी अिहरवार ने कहा कि छात्रों की शिकायत मिली है। कॉलेज संचालक को बुलाकर मामले की जांच पड़ताल की जाएगी।  और अब कार्यवाही न होने पर 1 मई को मुख्य मंत्री के विदिशा आगमन पर करेंगे मुलाकात। 

विशेष : अफसोस का सतरंगी सूचकांक

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ऑस्कर वाइल्ड कहते थे कि दुनिया में चर्चित होने से भी बुरी चीज चर्चित न होना है। शेयर बाजार में निवेश करना अच्छा है बुरा देखने वाले का चश्मा इसका आकलन अपने तरीके से करता रहा है। हालांकि सेंसेक्स चर्चा में जरूर रहता है। चर्चा में हिस्सा लेने वाले शहरी कबीलों के काबिल योद्धाओं की संख्या भले ही सीमित हो लेकिन सेंसेक्स के प्रति इनका समर्पण, दीवानापन और उम्मीद का कोई सानी नहीं है। हर दिन रोमांच से भरपूर सतरंगी सूचकांक का सफर करने वाले खिलाडियों के हाथ लगता है कभी आशा कभी निराशा, कभी घाटा तो कभी मुनाफ़ा। लेकिन एक चीज कभी साथ नहीं छोड़ता है वह है अफसोस। पेश अफसोस का सतरंगी सूचकांक।

प्रथम रंग, शेयर बाजार में जब एक निवेशक या ट्रेडर पैदा होता है तो उसे लगता है की रोमांच से भरे इस दुनिया में मेरा प्रादुर्भाव पहले ही हो जाना चाहिए था। उसे इस बात का अफसोस होता है की हमने कमाई के अनगिनत मौकों को शायद गवां दिया है। दूसरा रंग, बाजार में आगमन के साथ ही अगर कोई शेयर खरीदा और दाम बढ़ गया तो उसे इस बात का अफ़सोस होता है कि हमने ज्यादा शेयर क्यों नहीं खरीदा। अगर ज्यादा शेयर खरीदा होता तो मोटी कमाई हो सकती थी। तीसरा रंग, कोई शेयर खरीदा और भाव घट गया तो अफ़सोस इस बात का होता है कि हमने इस शेयर को खरीदा ही क्यों। इसे और नीचे के स्तर पर खरीदना चाहिए था या इसके बदले कोई और शेयर खरीदना चाहिए था। चतुर्थ रंग, किसी शेयर को खरीदने का मन बनाकर नहीं खरीदता है और इसका भाव बढ़ जाता है फिर इस बात का अफ़सोस होता है कि हमने इसको खरीदा क्यों नहीं, खरीद लेना चाहिए था। एक अच्छा मौका हाथ से निकल गया आज। शायद ही इतना अच्छा दूसरा मौका मिले। पंचम रंग, कोई शेयर बेचा और भाव बढ़ गया तो इस बात का अफ़सोस होता है कि हमने क्यों बेच दिया। बेचने के लिए और भाव बढ़ने का इंतजार करना चाहिए था। छठा रंग, कम संख्या में शेयर बेचा और भाव घट गया तो इस बात का अफ़सोस होता है कि हमे और ज्यादा या फिर पूरी होल्डिंग बेच देना चाहिए था। ऐसा ना कर मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी। सप्तम रंग, आखिरकार इस बात का अफ़सोस होता है कि हम शेयर बाजार में आये ही क्यों।
लेकिन इन सब के अलावा राकेश झुनझुनवाला इस बात के उदहारण है जिन्होंने शेयर बाजार में कमाई कर आज अकूत सम्पति के मालिक है।




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---राजीव सिंह---
Email – rajivr.singh@yahoo.co.in

आलेख : कुदरत आखिर क्यों नाराज ?

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संसार में कुदरत ने देखने के लिए खूबसूरत नजारे दिए हैं। जिसे देखकर दिल को कितना सुकून मिलता है। लेकिन कुदरत पिछले कुछ सालों से जैसे संसार में रह रहे प्राणी से नाराज चल रही हो। हर बार साल कुदरत का कहर संसार में कहीं न कई बरप रहा है। 25 अप्रैल दिन शनिवार को नेपाल में अचानक एक प्रकति का तांडव देखने को मिला। भूकंप के तेज झटके ने एक पल में नेपाल की साऱी खुशियां छीन ली। इन तेज झटकों का असर भारत के कई राज्यों में भी देखने को मिला। कुदरत ने अपनी नाराजगी को लेकर हजारों बेगुनाहों की जान को छीन लिया। हसतें खिलखिलाते परिवारों में दुख का सागर उमड़ गया। हर तरफ शोर था बचावों। बड़ी-बड़ी इमारतों को ऐसे गिरते देखा गया, जिसे बनाने में सालों का समय लग जाता है। जिधर भी नजर जा रही थी, बस मलवे में दबे लोगों को निकाला जा रहा था। लाशों को ढेर देखकर आंख से आंसू नही खून आ रहा था। आखिर ऐसा क्या हुआ जो कुदरत संसार कें प्राणियों से नाराज हो रही है। 

कुदरत के सामने क्या बूढ़ा, क्या जवान, क्या बच्चा सब उसके इस क्रोध का शिकार हो गए।  बात करें हम अगर 16 जून 2013 का दिन,  भारत में उत्तराखंड के लिए विनाश का काला समय था। जिसने हज़ारों की संख्या में लोगों की ज़िंदगियों को छीन लिया था । वहां जो बच भी गए, उनका घर कारोबार सब कुछ उजड़ गया। प्रकृति के इस कहर से केदारनाथ, रूद्र प्रयाग, उत्तरकाशी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे। उत्तराखण्ड में आई उस भीषण आपदा को लेकर हर लोगों के मन में अलग अगल सवाल उठता था कि उत्तराखंड में आई ये विपदा प्राकृतिक है या इसके लिए प्रकृति के साथ मानवीय छेड़छाड़ जिम्मेदार है। बात कुछ भी रही हो पर देवभूमि के तबाही को अभी साल भर ही बीता था। कि धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर में हुई भारी बारिश की वजह से जम्मू और श्रीनगर में लोगों को जबरजस्त बाढ़ का सामना करना पड़ा है। एक बार फिर कुदरत का कहर जम्मू में देखने को मिला। आखिर अब प्रकृति इतनी क्यों खफा दिख रही है।  

उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के वो जख्म अभी ठीक तरह से भर नही पाए हैं।  केदारनाथ के दर्शन को गए वो लाखों लोगों ने जिस तरह से अपने ऊपर इस आपदा को झेला उसे सुनकर हमेशा लोगों की रूह कांप उठेगी। वहां के लोगों ने इस आपदा को धारी देवी की नाराजगी बताई। धारी देवी काली का रूप माना जाता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार उत्तराखंड के 26 शक्तिपीठों में धारी माता भी एक हैं। एक बांध  निर्माण के लिए 16 जून की शाम में 6 बजे शाम में धारी देवी की मूर्ति को यहां से विस्थापित कर दिया गया। इसके ठीक दो घंटे के बाद केदारघाटी में तबाही की शुरूआत हो गयी थी।  केदारनाथ में पहले भी बारिश होती थी, नदियां उफनती थी और पहाड़ भी गिरते थे। केदारनाथ में श्रद्धालु कभी भी इस तरह के विनाश का शिकार नहीं बने थे। प्रकृति की इस विनाश लीला को देखकर कुछ लोगों की आस्था की नींव हिल गई थी। धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले भी इस कहर से अछूते नही रहे । 

कुछ महीनों पहले जम्मू और कश्मीर में कुदरत ने भयावह कहर बरपाया है।  जम्मू में आई इस आपदा का सामना एक बार फिर सेना के जिम्मे गई थी । बाढ़ से आई भयानक तबाही में बहुत से लोगों ने अपनी जान गवाई । एक बार फिर कुदरत को नाराज करने का दुस्साहस किसी ने किया है । बचाव कार्य में लगी सेना लोगों को बाढ़ से बाहर निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर ले गई थी।  धरती के स्वर्ग को घूमने गए लोग भी वहां इस भीषण तबाही में फसें पड़े थे। उनके परिजन भी परेशान हो रहे थे । नेपाल में भूकंप से मरने वालों की संख्या 5093 पहुंची। 80 लाख लोग प्रभावित। नेपाल में तेजी से राहत और बचाव कार्य हो रहा है ।  नेपाल में इस आपदा में फसें लोग और देश के लोग बस एक ही बात सोंच रहे है कि एक बार फिर कुदरत आखिर क्यों नाराज हुई  है ?







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---रवि श्रीवास्तव---
रायबरेली, उ.प्र.
संपर्क : 9718895616, 9452500016
लेखक, कवि, व्यंगकार, कहानीकार 
फिलहाल एक टीवी न्यूज ऐजेंसी से जुड़े हैं।

विशेष आलेख : क्या कांग्रेस के “अल्फ्रेड द ग्रेट” बन पायेंगें राहुल गाँधी ?

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यह राजनीति में ब्रांडिंग और “निवेश” का युग है, जहाँ ब्रांड ही विचार है और विज्ञापन ही सबसे बड़ा साधन है, मोदी ने 2014 की गर्मियों में इस बात को साबित किया था और अब राहुल गाँधी इसे दोहराने के लिए कमर कस रहे हैं. लेकिन समस्या यह है कि आभासी दुनिया के बल पर गढ़ी  गयी छवियों के बनने और बिगड़ने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है अब नये मतदाता को लम्बे समय तक वफादार भी नहीं बनाये रखा जा सकता है, उसे तो अपने वोट (निवेश) का कम समय-सीमा में रिटर्न चाहिए या कम से कम इसकी फीलिंग होती रहनी चाहिए. अकेले मोदी के चेहरे और उनकी “निजी टीम” के बल पर धमाकेदार जीत के साथ पूर्ण बहुमत में आई मोदी सरकार अपने एक साल पूरे करने को है और ऐसा प्रतीत होता है कि इसी के साथ मोदी को मिला वॉकओवर भी खत्म होने को है, जनता अच्छे दिनों के इन्तेजार से उकताने लगी है, पूर्व में सभी सरकारों की कमियों को दूर कर देने और जन आकांक्षाओं को एक ही झटके में पूरे कर देने के चुनावी डायलाग अब कसौटी पर है. बेजान और पस्त पड़े विपक्ष में भी हरकत दिखाई पड़ने लगी है । 

पिछले कुछ सालों के दौरान देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, सेंटर और  एक के बाद एक सूबों में अपनी सरकारें  गवाने के बाद उसके भविष्य पर ही सवालिया निशान लग गया था, इसके साथ ही नेहरु खानदान और पार्टी के वारिस राहुल गाँधी के नेतृत्व पर भी सवाल उठने लगे थे. देश व जनता की बात तो दूर खुद उनकी ही पार्टी के नेता ही खुलेआम उन्हें सियासत के लिए अनफिट करार देने लगे थे और उनके अंडर काम करने की अनिच्छा जताने लगे थे. इसकी ठोस वजहें भी रही हैं, अपने ग्यारह साल के पॉलिटिकल कैरियर में राहुल ज्यादातर समय अनिच्छुक और थोपे हुए गैर-राजनीतिक प्राणी लगे,वे भारतीय राजनीति की शैली, व्याकरण और तौर-तरीकों के लिहाज से अनफिट नजर आये. उनकी छवि एक “कमजोर” 'संकोची'और 'यदाकदा'नेता की बन गयी जो अनमनेपन से सियासत में है। 

ताजा विवाद राहुल गांधी के लम्बी छुट्टी पर चले जाने की टाइमिंग को लेकर ही हुआ था। अब अपनी इस 59 दिनों के बहुचर्चित आत्मचिंतन के बाद वे वापस आ गये हैं, बीते 19 अप्रैल को हुई किसान रैली को उनकी री-लांचिंग बताया गया। इसीलिए सबकी निगाहें भी उन पर थी । रैली में वे बदले हुए, सधे और आक्रामक नज़र आये, एक साल के दौरान पहली बार उन्होंने मोदी सरकार पर सीधा हमला करते हुए इसे सरमायेदारों की सरकार बताया. कांग्रेस की इस किसान रैली को कई विश्लेषक पार्टी के पुनर्जन्म और राहुल गांधी के नए अवतार का उदय बता रहे हैं.रैली के अगले दिन संसद में राहुल गाँधी ने अपना अब तक का सबसे अच्छा भाषण दिया, निशाने पर एक बार फिर मोदी और उनकी सरकार थी,उन्होंने सरकार को 'सूट-बूट की सरकार बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह सुझाव भी दिया कि वे किसानों से जाकर उनका हाल लें और उद्योगपतियों से किए वादे तोड़ कर किसानों से किये गये वायदे को निभायें. इसके अगले ही दिन संसद में राहुल गाँधी “नेट न्यूट्रेलिटी” के मुद्दे को उठाते हुए सरकार पर हमला बोलते हुए नजर आये, उन्होंने आरोप लगाया कि, "प्रत्येक युवा के पास नेट का अधिकार होना चाहिए। लेकिन सरकार इसे कुछ कॉरपोरट को सौंपने की कोशिश कर रही है।"इस दौरान उनका  नरेन्द्र मोदी पर हमला भी जारी रहा, टाइम पत्रिका में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ किये जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, “ओबामा द्वारा नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करना तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से पूर्ववर्ती सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गार्वाचेव की प्रशंसा करने के समान है जिनके शासनकाल में सोवियत संघ का विघटन हो गया था ।“ राहुल गाँधी के इस नए रूप को देख कर कांग्रेस और कांग्रेसी बहुत गद–गद हैं और हों भी क्यूँ ना करीब एक साल बाद नेपथ्य और विपक्ष के रूप में तकरीबन निष्क्रिय रहने के बाद उसे अपने “भावी नेता” में कुछ हलचल और प्रतिरोध की उम्मीद जो  जगी है। 

इधर हर बीते दिन के साथ सरकार अपने ही वायदों और जनता के उम्मीदों के बोझ तले दबी जा रही है,अच्छे दिन,सब का साथ सब का विकास, गुड गवर्नेंस, काला धन वापस लाने जैसे वायदे महज चुनावी लफ्फाजी साबित हुए हैं, सरकार की उसकी छवि भी कारपोरेट हितेषी बनती जा रही है, इधर भूमि अधिग्रहण पर मोदी सरकार के ‘अड़ियल रुख’ ने उस पर किसान विरोधी होने का ठप्पा भी लगा दिया है. इन सब के बीच विपक्ष को एक बार फिर अपनी ताकत जुटाने और एकजुट होने का मौका मिल गया है, एक तरफ जहाँ जनता परिवार एकजुट हो रहा है तो वहीँ सीताराम येचुरी के मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव चुने जाने के बाद लेफ्ट भी चर्चा में आ गया है। कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार के जिद “भूमि अधिग्रहण विधेयक” और किसानों के मुद्दों को अपनी राजनीतिक वापसी के लिए चुना है, यह ऐसे मुद्दे है जो देश की 67 प्रतिशत जनता पर सीधे असर करते है, पार्टी 19 अप्रैल को हुई अपने किसान रैली और संसद में राहुल के बहुचर्चित भाषण के बल पर यह सन्देश देने में काफी हद तक कामयाब हुई है कि मोदी सरकार किसान विरोधी और उद्योग जगत की हितेषी है. इसका असर किसानों और आम जनता के बीच कितना होगा इसके बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन इससे पहली बार मोदी सरककर बैकफुट पर नजर आ रही है, हडबडाहट में वेंकैया नायडू जैसे सीनियर नेता  राहुल गांधी के बयान को शैतान का प्रवचन बताते हुए नज़र आ रहे हैं। दूसरी तरफ राहुल गाँधी “नेट न्यूट्रेलिटी” जैसे मुद्दे को उठाकर पहली बार सीधे तौर पर युवाओं से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं. जाहिर तौर पर जहाँ एक तरफ किसानों को साधने की कोशिश में हैं तो वहीँ दूसरी तरफ  वे युवाओं के बीच भी अपनी पैठ बनाना चाहते हैं ।

मोदी सरकार के सामने चुनौती है कि उन्होंने पिछले साल मई में जो हासिल किया था उसे बचाये रखना है, जबकि राहुल और उनकी पार्टी पहले से ही काफी-कुछ हार चुके है अब उनके पास खोने के लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं है, अब उनके पास तो बस एक बार फिर से वापसी करने या विलुप्त हो जाने का ही विकल्प बचताहै। ऐसा पहली बार लगा है कि राहुल गाँधी ने सत्ता के इस खेल में वापसी करने विकल्प चुना है, इधर  आम आदमी पार्टी भी अपनी साख को लगातार कमजोर करती जा रही है,अंदरूनी विवाद से उनकी छवि को काफी नुक्सान हुआ है ,इन सबके बीच राहुल गाँधी पार्टी को बदलने से पहले खुद को बदलते हुए नज़र आ रहे है, छुट्टी से वापसी के बाद राहुल गांधी का नया अवतार सामने आया है, इन सबसे उत्साहित कांग्रेस पार्टी विपक्ष की भूमिका में फिट होते हुए दिखाई दे रही है, जो कि भाजपा के लिए चिंता का सबब हो सकता है ।

राहुल की उनकी नयी शुरुआत कांग्रेस के लिए उम्मीद जगाने वाला है लेकिन यह है तो एक आगाज ही, कांग्रेस की इस उम्मीद को अपना अंजाम पाने लिए अभी लम्बा सफर तय करना है और कई कसौटियों पर खरा उतरना है। राहुल को अभी भी पार्ट टाइम, अनिच्छुक नेता की छवि से बाहर निकलने के लिए और प्रयास करने होंगें। वे “नेट न्यूट्रेलिटी” का मुद्दा तो उठा रहे हैं लेकिन अभी भी सोशल मीडिया से दूरी बनाये हुए है, युवाओं से जुड़ने के लिए उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना भी सीखना होगा। इसी तरह से पिछले कई वर्षों से वे पार्टी को बदल डालने की हड़बड़ी में दिखाई दे रहे थे, अपनी इस हड़बड़ी को पीछे छोड़ते हुए सबसे पहले उन्हें जनता के बीच अपने आप को एक नेता स्थापित करना होगा और पार्टी को सियासी सफलता भी दिलानी होगी. ऐसा करके ही वे अपने आप को देश की जनता के बीच और खुद की पार्टी के अन्दर एक लीडर के तौर पर स्थापित कर सकते हैं, इसके बाद ही वे पार्टी को अपने हिसाब से बदल और चला सकते है। राहुल गांधी जब अपनी बहुचर्चित छुट्टी पर गये थे तो  मेघालय के सीएम मुकुल संगमा ने उनकी तुलना “अल्फ्रेड द ग्रेट” से कर रहे थे, 1100 साल पहले इंग्लैंड का एक राजा जो जंग हारने के बाद रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था लेकिन जब वापस आया तो उसने हर मोर्चे पर जीत हासिल की। “अल्फ्रेड द ग्रेट” बनना तो दूर की कौड़ी है फिलहाल तो यही देखना बाकी है कि कैसे राहुल गाँधी अपने आप को एक थोपे गये नेता के छवि से बाहर निकाल पाने में कामयाब होंगें और कबतक अपने इस नए तेवर को बरकरार रख पाते हैं ।







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---जावेद अनीस---
ईमेल : Javed4media@gmail.com

‘जातिवादी समाज गुलामी, रंगभेद से बदतर’ : अरूंधति राय

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नई दिल्‍ली, 29 अप्रैल, अरूंधति राय ने कहा कि जातिवाद से ग्रस्त समाज, गुलामी और यहां तक कि रंगभेदी समाज से भी बदतर है। वे नई दिल्ली स्थित कांस्टीटयूशन क्लब में 29 अप्रैल को भारत की पहली पूर्णतः हिंदी-अंग्रेजी द्विभाषी पत्रिका फारवर्ड प्रेस की छठवीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहीं थीं। ‘‘बहुजन राजनीति और साहित्य का भविष्य‘‘ विषय पर केन्द्रित इस कार्यक्रम में अनुप्रिया पटेल, रामदास अठावले, अली अनवर, रमणिका गुप्ता, ब्रजरंजन मणि, श्योराज सिंह बेचैन, जयप्रकाश करदम, सुजाता परमिता व अरविंद जैन सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने हिस्सेदारी की।

‘‘यह एक महत्वपूर्ण विचार है‘‘, राय ने फारवर्ड प्रेस की चौथी बहुजन साहित्य वार्षिकी का लोकार्पण करने के बाद कहा। वे बहुजन साहित्य व अन्याय- जनित क्रोध से जातिवाद का मुकाबला करने के विचार की बात कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई लड़ते हुए भी हमें अपने दिलों में ‘‘न्याय, प्रेम, सौन्दर्य, संगीत व साहित्य को संजोकर रखना चाहिए‘‘ और इस लड़ाई को ‘‘कड़वाहट से भरे बौने बने बिना‘‘ लड़ना चाहिए।

आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के मुखिया अली अनवर ने कहा कि पसमांदा, बहुजन पहले हैं और मुसलमान बाद में। ‘‘हम अल्पसंख्यक नहीं कहलाना चाहते। हम तो बहुजन हैं‘‘, उन्होंने कहा। वे रामदास अठावले के इस प्रस्ताव पर चकित थे कि ऊँची जातियों के आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबके को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इस तरह के किसी भी निर्णय के लिए ‘‘मानसिक दृष्टि‘‘ से तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि केवल सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ापन ही आरक्षण का आधार होना चाहिए।

‘‘डी-ब्राहमनाईंजिग हिस्ट्री‘‘ के लेख ब्रजरंजन मणि ने ‘‘सामाजिक प्रजातंत्र‘‘ की बात कही और बहुजनों के बीच ‘‘मुक्तिदायिनी एकता‘‘ पर जोर दिया। फिल्म निर्माता सुजाता परमिता ने कहा कि दलित-बहुजन इतिहास में संस्कृति के पुत्र रहे हैं परंतु धर्म का इस्तेमाल उन्हें दास बनाने और उनकी संस्कृति  को उनसे छीनने के लिए किया गया। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अगर दमित समुदाय शिक्षित हो जाएगा तो उनके नेता समझौते करना बंद कर देंगे।

श्योराज सिंह बेचैन ने कांशीराम से उनकी चर्चा का स्मरण किया। यह तबकी बात है जब बसपा, उत्तरप्रदेश में भाजपा के साथ मिलकर पहली बार अपनी सरकार बनाने जा रही थी। बेचैन ने कांशीराम को सलाह दी कि सत्ता के पीछे दौड़ने की बजाए उन्हें एक पत्रिका शुरू करनी चाहिए क्योंकि ‘‘सामाजिक शक्ति, सांस्कृतिक शक्ति व बौद्धिक शक्ति‘‘ ही बहुजनों का सही अर्थों में सशक्तिकरण करेगी।

इस मौके पर द्वितीय महात्मा जोतिबा व क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले बलीजन रत्न सम्मानों से ब्रजरंजन मणि, ए. आर. अकेला (कवि, लोकगायक, लेखक व प्रकाशक) व डॉ हीरालाल अलावा (सीनियर रेसिंडेट, एम्स व जय आदिवासी युवा शक्ति के संस्थापक) से सम्मानित किया गया।  

पेट्रोल 3.96 और डीजल 2.37 रुपये प्रति लीटर महंगा

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वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की बढती कीमतों के मद्देनजर पेट्रोल के दाम 3.96 रुपये प्रति लीटर व डीजल के दाम 2.37 रुपये प्रति लीटर बढ गए हैं। यह बढोतरी आज मध्य रात्रि से लागू होगी।

 इससे पहले पेट्रोल व डीजल के दाम में दो बार कमी की गई थी। इंडियन आयल कारपोरेशन के अनुसार इस बढोतरी के बाद दिल्ली में पेट्रोल के दाम मौजूदा 59.20 रुपये से बढकर 63.16 रुपये प्रति लीटर, डीजल के दाम 47.20 रुपये से बढकर 49.57 रुपये प्रति लीटर हो जाएंगे।


उल्लेखनीय है कि इससे पहले दो अप्रैल व 16 अप्रैल को पेट्रोल के दाम में क्रमश: 49 पैसे व 80 पैसे प्रति लीटर जबकि डीजल के दाम में क्रम 1.12 रपये व 1.30 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी।



 अगस्त से फरवरी के दौरान पेट्रोल के दाम में कुल मिलाकर दस कटौतियों में 17.11 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई जबकि अक्तूबर से फरवरी के दौरान डीजल के दाम में छह कटौतियों में कुल मिलाकर 12.96 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई। इसके बाद 16 फरवरी को पेट्रोल के दाम में 0.82 रुपये प्रति लीटर तथा डीजल के दाम में 0.61 रुपये प्रति लीटर की बढोतरी की गई। एक मार्च को दाम फिर बढे। उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र की आईओसी, भारत पेट्रोलियम व हिंदुस्तान पेट्रोलियम हर महीने की एक व 16 तारीख को पेट्रोल-डीजल के दामों की समीक्षा करती हैं।

पंजाब के मोगा में बस से फेंकी गई मां-बेटी, लड़की की मौत

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पंजाब के मोगा में डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल की बस में मां और बेटी के साथ पहले छेड़खानी हुई। विरोध करने पर बस के स्टाफ ने उन दोनों के साथ मारपीट की और फिर उन्हें चलती बस से फेंक दिया गया। 14 साल की नाबालिग लड़की की मौके पर ही मौत हो गई जबकि उसकी मां को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह ने प्रश्नकाल रोककर लोकसभा में इस घटना पर चर्चा की मांग की। स्पीकर सुमित्रा महाजन ने आश्वासन दिया कि शून्यकाल में इस मुद्दु पर चर्चा की जाएगी। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी शकील अहमद ने इस मामले तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है। इस बीच मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने संवाददाताओं से बातचीत में इस बात की स्वीकार किया कि बदकिस्मती से बस मेरी है। लेकिन इस घटना से मेरा कोई नाता नहीं है। मेरी नजर में यह बहुत बड़ा जुर्म है। दो लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। किसी को भी इस मामले में बख्शा नहीं जाएगा।

मोगा में जिस बस में इतनी भीषण वारदात को अंजाम दिया गया है वह ऑर्बिट कंपनी की है और इसके स्वामी पंजाब के डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल हैं। आरोपी बस ड्राइवर और कंडक्टर दोनों फरार हैं। घटना के करीब 12 घंटे बाद पुलिस ने गुरुवार सुबह हत्या का मामला किया। महिला अस्पताल में भर्ती है और फिलहाल बेहोश है। महिला की उम्र करीब 35 साल बताई जा रही है।

घटनाक्रम के मुताबिक, महिला अपने बेटे और बेटी के साथ बस में सफर कर रही थी। बाघा पुराना के रास्ते में बस में सवार लोगों ने महिला से छेड़छाड़ की। महिला के विरोध करने पर बस में सवार कंडक्टर और ड्राइवर ने भी इन लोगों का साथ दिया और मारपीट भी की। महिला ने ड्राइवर को बस रोकने के लिए गुहार लगाई मगर उसने एक ना सुनी और बाद में महिला और उसकी बेटी को चलती बस से धक्का दे दिया। नाबालिग लड़की की मौके पर ही मौत हो गई और लड़की की मां गंभीर रूप से घायल हो गई।

फिलहाल महिला को मोगा के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है और चिकित्सकीय जांच चल रही है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और कार्रवाई करने का आश्वासन दे रही है। पुलिस महिला के होश में आने का इंतजार कर रही है ताकि उसका बयान लिया जा सके।

हक रक्षक दल (HRD) की स्थापना क्यों?

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 देश में संविधान लागू है, कानून का राज है और पहले से अनेक सामाजिक संगठन संचालित हैं, फिर भी एक और नया संगठन, आखिर क्यों? यहाँ यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन की जरूरत क्यों?

क्या हम सब के लिए गम्भीर विचारणीय विषय नहीं है कि अब किसान नाम के लिए ही अन्नदाता रह गया है! कारखाने लगाने की जरूरत से बीस तीस गुना अधिक खेती की जमीन किसानों से ओनेपौने दाम पर छीनकर कार्पोरेट घरानों और विदेशी कम्पनियों को भेंट की जा रही हैं! असंवेदनशील सरकारों द्वारा कृषिबीमा के नाम पर बीमा कम्पनियों का संरक्षण और किसानों का भक्षण जारी है! दुष्परिणामस्वरूप हर दिन किसान मर रहे हैं।
देश का सबसे बड़े वंचित वर्ग ओबीसी का विधायिका में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना तो बहुत दूर, सरकारी नौकरियों में ओबीसी की वास्तविक जनसंख्या से आधा भी प्रतिनिधित्व/आरक्षण नहीं दिया जा रहा है और ओबीसी को पदोन्नति में आरक्षण की कोई व्यवस्था तक नहीं!

वास्तव में कड़वा सच तो यह कि ओबीसी में शामिल जातियों का वर्गीकरण जानबूझकर इस प्रकार से किया गया है कि ओबीसी जातियां आपस में ही लडती रहें और कभी भी एकजुट नहीं हो सकें!

जबकि इसके ठीक विपरीत आर्य जिनकी कुल आबादी बमुश्किल दस फीसदी होगी, वे नब्बे फीसदी सत्ता और संसाधनों पर स्थायी रूप से काबिज हैं! यही मूल वजह है, कि जाति आधारित जनसंख्या के आधिकारिक आंकड़े सार्वजनिक नहीं किये जा रहे हैं!

व्यवस्था पर काबिज आर्यों की यह बहुत गहरी साजिश है! जिसका सबसे बड़ा सबूत संविधान के अनुच्छेद तेरह के होते हुए मनुस्मृति सहित अनेक संविधान विरोधी और अमानवीय कथित धर्मग्रंथों का प्रकाशन, विक्रय और पठन-पाठन जारी रहना और इस मामले में न्यायपालिका, जन प्रतिनिधियों एवं मीडिया की चुप्पी अनेक सवाल खड़े करती है!

क्षत्रियों का इक्कीस बार सर्वनाश करने वाले संसार से सबसे बड़े और क्रूरतम हत्यारे परशुराम को धार्मिक आतंक के जन्मदाता मनु को सार्वजनिक रूप से भगवान की संज्ञा दी जा रही है! संसार के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी एकलव्य से धोखा करने वाले द्रोणाचार्य को महागुरू और निहत्थे मोहनदास करमचन्द गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम को अपना आदर्श मानने वाले खुद को राष्ट्रभक्त घोषित कर चुके हैं! ऐसे लोग या तो खुद ही या अपने गुर्गों के मार्फ़त इस देश कि सत्ता और व्यवस्था को संचालित कर रहे हैं!

संसद और संविधान की सामाजिक न्याय की पवित्र भावना और लोक कल्याणकारी अवधारणा को दरकिनार करते हुए न्यायपालिका 1951 बार-बार और लगातार आरक्षण को कमजोर करने वाले निर्णय सुनाती आ रही है! माधुरी पाटिल केस में एक-एक आरक्षित को जाति प्रमाण पत्र जारी करने से पूर्व अपराधियों की भांति उसकी जाति की छानबीन और परीक्षण करने का निर्णय सुनाने वाली न्यायपालिका आज भी सम्पूर्ण रूप से आर्यों और अंग्रेजी के शिकंजे में कैद है!

आम और ख़ास के लिए न्याय की सोच और भाषा बदल जाती है! आरक्षित वर्गों का प्रशासन में प्रतिनिधित्व करने के लिए चयनित, आरक्षित वर्गों के उच्च पदस्थ लोक सेवकों को #आर्यों द्वारा अपने शिकंजे में कैद करके, आरक्षित वर्गों के हितों को संरक्षित नहीं होने दिया जा रहा रहा है! संविधान के विपरीत अजा एवं अजजा के लोक सेवकों को प्रथम श्रेणी मिलने के बाद पदोन्नति में आरक्षण से मनमाने तरीके से वंचित किया जा रहा है!

सरकारी सेवाओं को ठेकेदारी और आऊटसोर्सिंग के हवाले करके आरक्षित वर्गों के लिए आरक्षित हजारों निम्न श्रेणी के पदों को परोक्ष रूप से समाप्त किया जा रहा है!

सरकारी विभागों में आरक्षित वर्गों के रिक्त पदों को दशकों तक दुराश्यपूर्वक रिक्त रखने वाले अनारक्षित वर्ग के उच्चाधिकारियों के विरुद्ध किसी तरह की कानूनी कार्यवाही नहीं करके, ऐसे अपराधियों को सरेआम असंवैधानिक कृत्यों के लिए संरक्षण प्रदान किया जा रहा है!

भ्रष्टाचार, अत्याचार, तानाशाही और मनमानी चरम पर है, लेकिन जिम्मेदारी, उत्तरदायित्व और त्वरित दांडिक कार्यवाही की कोई पुख्ता और असरकारी व्यवस्था नहीं है!

नौकरशाही विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही की ओट में बड़े-बड़े अपराधों को अंजाम देकर भी सजा से बची रहती है!

इस सब का मूल कारण सत्ता उन वर्गों के लोगों के हाथ में होना है, जिनकी देश की आजादी में कोई भूमिका नहीं थी! जिन्होंने आजादी से पहले भी लोगों का शोषण किया और उनके वंशज आजादी के बाद भी देश की जनता का शोषण कर रहे हैं!

बांधों के नाम पर न्याय से वंचित, शोषित और दमित आदिवासियों के पूर्वजों की शमशान भूमि और कुल देवताओं को जलमग्न करके उनके पुनर्वास की कोई सकारात्मक योजना नहीं बनाई जाती, बल्कि न्याय मांगने वालों को नक्सली घोषित करके बेरहमी से मारा जा रहा है! आरक्षित वर्गों के जन प्रतिनिधि, वास्तव में जन प्रतिनिधि नहीं, बल्कि दल प्रतिनिधि बन चुके हैं! जिनके लिए जनता के दुःख और दर्द की कोई परवाह नहीं, बल्कि उनको अपनी पार्टी के हाई कमान के आदेशों की पालना की चिंता अधिक सताती रहती है!

लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में जाने जाना वाली प्रेस, मनुवादियों और कार्पोरेट के शिकंजे में आकर अब मीडिया बन चुकी है! अर्थात प्रेस अब मध्यस्त चुकी है, जिसमें पेड न्यूज का बोलबाला है! मीडिया में दलित, दमित, शोषित, वंचित, अल्पसंख्यक, पिछड़े और आदिवासियों का नगण्य प्रतिनिधित्व है! ऐसे में लोक कल्याणकारी राज्य व्यवस्था की स्थापना एक सपना बन कर रहा गया है! जनता के हक सरेआम कुचले जा रहे हैं!

अन्याय के गहरे और घने अंधकार के सामने इंसाफ का दीपक जलाने, इंसाफ की कमी को जनता के सामूहिक सहयोग से भरने के पवित्र इरादे से हम "हक रक्षक दल सामाजिक संगठन"के नाम से हाजिर हुए हैं! बावजूद इसके कि चतुर और चालाक मनुवादियों ने अनेक अनार्यों को मलाई खाने में सांकेतिक हिस्सेदारी देकर अपने साथ में बिठा रखा है, जिसके बदले में कुछ वर्गद्रोही अनार्य होकर भी, अनार्यों की जड़ काटने में लगे हुए हैं, फिर भी-उम्मीद पर दुनिया कायम है, देखते हैं कि हम क्या कर पाते हैं?

हम सभी अच्छे, सच्चे और स्वाभिमानी अनार्यों का आह्वान करते हैं-आइये वास्तविक आजादी और सामान भागीदारी की संवैधानिक जंग में आपकी हिस्सेदारी जरूरी है!

हमारे इरादे नेक और पूरी तरह से संविधान सम्मत हैं, फिर भी इस संगठन की स्थापना का मूल जानने से पूर्व हमारे इस आह्वान को जानना और समझना होगा कि मुठ्ठीभर मनुवादी आतताई इस देश के कर्मशील, ईमानदार और स्वाभिमानी लोगों को अकारण तंग नहीं करें, अन्यथा परिणाम सुखद नहीं होंगे! आर्यों को समझना होगा कि अब यदि उनके द्वारा अपने षड्यंत्रों और कुचक्रों बंद नहीं किया गया तो अनार्यों को अन्याय को ध्वस्त करने वाला इन्साफ का चक्र चलाने को विवश होना पड़ेगा!

अब आर्य मनुवादियों के हजारों सालों के विभेदकारी षड्यंत्रों को दफन करने का समय आ गया है, क्योंकि देशवासियों को समान भागीदारी, वास्तविक इंसाफ और हर क्षेत्र में सहभागिता के बिना देश में लोकतंत्र होने का कोई मतलब नहीं रह जाता है!

अभी तक मुठ्ठीभर आर्यों द्वारा दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़ों को आपस में लड़ाने के लिए जमकर साजिशें रची जाती रही हैं! साढ़े छ दशक बाद भी दलित और आदिवासियों को किसी भी क्षेत्र में उनकी जनसंख्या की तुलना में एक चौथाई प्रतिनिधित्व तक नहीं मिला है!

मानवता और समानता के वायदे करने वाले समाज में मेहतर जाति अभी भी मैला ढोने को विवश है! संडासों और सीवर लाइनों में कोई मनुवादी हिस्सेदारी नहीं माँगता है!

सरकारी सेवा में निचले पायदान पर कार्यरत लोक सेवकों (ग्रुप-डी) से उच्चपदस्थ अफसरों द्वारा अपने घरों पर गुलामों की भांति बेगार करवाई जाती है! जिससे आहत होकर अनेक लोक सेवक आत्महत्या तक करने को विवश हो रहे हैं!

सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, प्रशासनिक और सांस्कृतिक न्याय की प्राप्ति तथा भारत के संविधान में वर्णित समस्त मूल अधिकारों के क्रियान्वयन के साथ-साथ बराबरी की व्यवस्था कायम करने के लिए, देशभर में आम-ओ-ख़ास को शामिल करते हुए सतत जन जागरण अभियान चलाने और दलित, दमित, आदिवासी, वंचित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हितों की संवैधानिक तरीके से रक्षा करने तथा करवाने के लिए अब हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन एक नेशनल रजिस्टर्ड संगठन के रूप में स्थापित हो चुका है!

केवल इतना ही नहीं, बल्कि हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन का दिल्ली से राष्ट्रीय स्तर पर रिकार्ड समय में रजिस्ट्रेशन हुआ है। दिनांक : 27.02.2015 को इस संगठन की विधिवत स्थापना हुई, 13 मार्च, 2015 को रजिस्ट्रेशन हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया और 29 अप्रेल, 2015 को रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी हो गया।

हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन की संस्थापक राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल पदाधिकारियों के नाम और पदनाम इस प्रकार हैं :-

01. श्री डॉ. पुरुषोत्तम मीणा-राष्ट्रीय प्रमुख-जयपुर, राजस्थान
02. श्री शंकर सिंह दादूसिंह खोकड-राष्ट्रीय उप प्रमुख-अमरावती, महाराष्ट्र
03. श्री अमीनुद्दीन सिद्दीकी-राष्ट्रीय सहायक प्रमुख-दिल्ली
04. श्री रूपचन्द मीणा-राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष-सीकर, राजस्थान
05. श्री पवन मीणा-राष्ट्रीय उप कोषाध्यक्ष-कोटा, राजस्थान
06. श्री उम्मेद सिंह रेबारी-राष्ट्रीय सचिव-जयपुर, राजस्थान
07. श्री राजेंद्र तानाजी बागुल-राष्ट्रीय सचिव-नाशिक, महाराष्ट्र
08. श्री विनय सिंघल-राष्ट्रीय सचिव-कोटा, राजस्थान
09. श्री कांति लाल रोत-राष्ट्रीय सचिव-डूंगरपुर, राजस्थान
10. श्री मनोज कु. मीणा-राष्ट्रीय सचिव-भरतपुर, राजस्थान
11. श्री जयप्रकाश मीणा-राष्ट्रीय उप प्रवक्ता-दौसा, राजस्थान
12. श्री जगदीश बामनिया-राष्ट्रीय संगठन सचिव-नीमच, मध्य प्रदेश
13. श्री अशोक कु. मीणा-राष्ट्रीय संगठन सचिव-रायपुर, छत्तीसगढ़
14. श्री बदन सिंह मीणा-राष्ट्रीय कार्यालय सचिव-बड़ोदरा, गुजरात
15. श्री प्रदीप सिंह-राष्ट्रीय कार्यालय सचिव-मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश

इस अवसर पर हमारे सभी निन्दकों, आलोचकों, समालोचकों, सहयोगियों, शुभचिंतकों, समर्थकों और आत्मीयजनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संघठन,

'मोदी कृष्ण हैं, राहुल पागल हैं': साक्षी महाराज

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लगातार विवादित बयान दे रहे साक्षी महाराज ने एक बार फिर आपत्तिजनक टिप्पणी की हैं। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी पागल हैं। उन्हें राजनीति की एबीसीडी तक नहीं आती है। यही नहीं उन्होंने कहा कि खेती की बारे में उन्हें पता ही क्या है, वे किसानों के हमदर्द बनने का दिखावा कर रहे हैें।
उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए मोदी को भगवान कृष्ण तक बता डाला। उन्होंने नेपाल में भारत की मदद को लेकर महाभारत काल की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह द्रोपदी के चीर हरण के समय द्रोपदी ने कृष्ण को याद करते हुए कहा थी कि गिरधर तुम कहां हो साड़ी खींची जाती है। यह सुनकर गिरधारी तुरंत सहायता के लिए आए थे। ठीक उसी तरह मोदी संकट में पड़े नेपाल के मदद को आगे आए हैं।

गौरतलब है कि साक्षी महाराज इससे पहले भी अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में रहे हैं। हाल ही में राहुल गांधी पर हमला करते हए भाजपा सांसद ने कहा था कि राहुल ने बिना शुद्ध हुए केदारनाथ के दर्शन किए थे जिसके चलते नेपाल और भारत में भूकंप आया।

भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा है। उन्होंने शुक्रवार को राहुल को पागल करार दिया। कहा- ‘राहुल को राजनीति का एबीसीडी भी नहीं पता।’ बता दें कि राहुल भूमि अधिग्रहण विधेयक और किसानों की फसल बर्बादी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार घेर रहे हैं। उन्हें निशाने पर लेते हुए साक्षी महाराज ने यह भी कहा, ''राहुल को पता होना चाहिए कि वे पीएम के बारे में क्या बोल रहे हैं? राहुल पगला गए हैं, उन्हें राजनीति की एबीसीडी भी नहीं पता और आज खेती-किसानी की बात कर किसानों का रहनुमा बनने का दिखावा कर रहे हैं।''यही नहीं, बीजेपी सांसद ने मोदी की तुलना भगवान श्री कृष्ण से कर दी। साक्षी महाराज पहले भी अपने बयानों के कारण विवादों में रहे हैं।

साक्षी ने कहा, ''महाभारत काल में जब द्रौपदी चिल्ला रही थी कि दौड़ो गिरधारी, मेरी साड़ी खिंची जाती है, तब एक पल की भी देरी गिरधारी ने नहीं की और द्रौपदी की लाज रखी। भगवान कृष्ण की तरह मोदी जी ने नेपाल को संभालने का काम किया हैं। मोदी कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि ईश्वरीय शक्ति हैं।''साक्षी महाराज ने कहा कि आज भारत भ्रष्टाचार मुक्त बन चुका है। उन्होंने कहा, ''जब मोदी ने बागडोर संभाली थी तो दो संकल्प लिए थे। एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत और दूसरा कांग्रेस मुक्त भारत। भ्रष्टाचार मुक्त भारत तो हम बना ही चुके हैं और कांग्रेस मुक्त भारत का संकल्प कांग्रेस के खुद के करमो से हो जाएगा।''

साक्षी महाराज ने पहली बार कोई विवादित बयान नहीं दिया है। इससे पहले भी उन्होंने नेपाल में भूकंप आने को लेकर राहुल गांधी को जिम्मेदार बताया था। उन्होने कहा था, ''राहुल गांधी बीफ यानी गोमांस खाते हैं और बिना शुद्दि किए ही वो केदारनाथ बाबा के दर्शन करने के लिए चले गए। इस कारण शिव भगवान गुस्सा हो गए और उनका गुस्सा प्रलय बनकर धरती पर फूटा है। इसका खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं। जो भी हो रहा है, उसके लिए सिर्फ और सिर्फ राहुल गांधी ही जिम्मेदार हैं।''

अंडमान में भूकंप का झटका

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अंडमान में शुक्रवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। दोपहर 2:29 बजे रिक्टर पैमाने 5.3 तीव्रता वाले झटके से अफरातफरी मच गई। भूकंप का झटका लगने के बाद अंडमान में सुनामी की आशंका जताई गई थी जिसे बाद में खारिज कर दी गई।

भूकंप का केंद्र पापुआ न्यू गिनी की राजधारी कोकोपो से 111 किलोमीटर दूर बताया जा रहा है। हालांकि पैसिफिक सुनामी वॉर्निंग सेंटर ने चेताया है कि भूकंप के केंद्र के 299 किलोमीटर की दूरी में सुनामी की लहरें आ सकती है। पापुआ न्यू गिनी में अकसर भूकंप आते हैं। पापुआ न्यू गिनी भारत के दक्षिण पूर्व में स्थित एक द्वीपीय देश है। वहां की जनसंख्या 70 लाख 59 हजार है। इससे पहले पिछले महीने अंडमान द्वीप समूह के उत्तरी भागों भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

मालूम हो कि नेपाल में 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद से नेपाल और भारत के कई राज्यों में लगातार झटके आ रहे हैं। भारत में खासकर उत्तर-पूर्व राज्यों में भूकंप के झटकों का आना लगातार जारी है।
इसी दौरान पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए गए। पूर्वोत्तर के राज्य खासकर असम, नागालैंड में इसकी तीव्रता मध्यम रही।

बादल के मंत्री ने बस में छेड़छाड़ और लड़की की मौत को बताया 'कुदरत की मर्जी'

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बादल परिवार की ट्रांसपोर्ट कंपनी ऑर्बिट की बस में सफर कर रही मां-बेटी से छेड़छाड़ और लड़की की मौत के मामले में पीड़ित परिवार एक तरफ जहां इंसाफ की मांग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर पंजाब सरकार के वरिष्ठ मंत्री सुरजीत सिंह रखरा ने इस घटना पर शर्मनाक बयान दिया है। रखरा ने इस घटना को 'कुदरत की मर्जी'करार दिया है। एक और मंत्री जोगिंदर पाल जैन ने कहा है कि यह मामला कोर्ट से बाहर निपट जाए तो अच्छा है।

रखरा ने इस घटना पर बुरी तरह घिरी बादल सरकार का बचाव करते हुए कहा कि 'हम यानी सरकार सिर्फ सुरक्षा दे सकते हैं, बाकी तो कुदरत की गल है।'कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला, प्रताप सिंह बाजवा और आप नेता भगवंत मान ने रखरा के इस बयान की कड़ी निंदा की है। मंत्रियों के ऐसे बयान के बाद यह सवाल उठने लगा है कि राज्य सरकार इस मामले को लेकर कितनी गंभीर है।

मृत लड़की के रिश्तेदारों ने उसका अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया है और उसका शव यहां शवगृह में रखा हुआ है। मृत बेटी के पिता ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे न्याय चाहिए। मैं अपनी बेटी के लिए इंसाफ चाहता हूं। बादल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए जिसकी बस थी।’ उन्होंने सवाल किया, ‘क्या दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं है जो उनके (सुखबीर सिंह बादल) खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा सके।

लड़की के पिता ने कहा कि मोदी सरकार कहती है कि अपराध चाहे कोई भी करे, उसे सजा मिलनी चाहिए, चाहे वह राष्ट्रपति हो या कोई और।’ 26 लाख रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी की पेशकश के सवाल पर लड़की के पिता ने कहा, ‘न मैं धन चाहता हूं न सरकारी नौकरी। मुझे केवल इंसाफ चाहिए।’

हरियाणा सरकार ने रामदेव को दवा का नाम बदलने की सलाह दी थी: खट्टर

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रामदेव की फार्मेसी की एक आयुर्वेदिक दवा को लेकर उत्पन्न विवाद के बीच हरियाणा सरकार ने आज कहा कि उसने योगगुरू को इस उत्पाद का नाम बदलने की सलाह दी थी क्यांेकि इससे लोग गुमराह हो सकते हैं. राज्य सरकार ने योगगुरू को राज्य का ब्रांड एम्बेसेडर बना रखा है.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हालांकि कहा कि राज्य सरकार उनके इस स्पष्टीकरण से संतुष्ट है कि इस दवा का गर्भ में पुत्र होने से कोई लेना-देना नहीं है तथा उसका नाम बस औषधीय पादप के नाम पर रखा गया है. खट्टर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने उनसे कहा कि "क्या इस दवा पुत्रजीवक बीज: का नाम बदला जा सकता है. लेकिन उन्होंने कहा कि यह प्राचीन नाम है, न कि उन्होंने यह नाम दिया. अतएव उसका नाम बदलना उनका अधिकार नहीं है. ’’ मुख्यमंत्री से पूछा गया था कि क्या दवा के नाम ‘पुत्रजीवक बीज’ से लोग भ्रमित हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि रामदेव ने कहा कि यह दवा एक औषधीय पादप से बनती है और वह पुत्र एवं पुत्री में कोई भेदभाव नहीं करती. जब खट्टर से पूछा गया कि क्या उनकी सरकार राज्य में इस दवा पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई कदम उठा सकती है क्योंकि हरियाणा में पहले से ही असंतुलित लिंगानुपात है, तो उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने जो भी स्पष्टीकरण दिया है, हमें उसे स्वीकार करना चाहिए. ’’ कल राज्यसभा में जदयू सांसद के सी त्यागी की अगुवाई में विपक्षी सांसदों ने इस दवा पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.
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