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विशेष आलेख : महिला घरेलू कामगारों का श्रममूल्य

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दुनिया भर में 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रुप में मनाया जाता है। भारत में भी 1 मई 1923 से मजदूर दिवस मनाने की शुरुवात हुई। उन्नीसवी शताब्दी के 90 के दषक में अमेरिका के मजदूरों द्वारा काम के घंटे को कम करने के लिए प्रर्दशन और हड़ताल किये जाने लगे, उनकी मांग थी कि आठ घंटे का कार्य दिवस हो। सरकार को मजदूरों के इस आन्दोलन के सामने झुकना पड़ा, उसके बाद से 1 मई 1890 से ‘‘मजदूर दिवस’’ के रूप में मनाया जाने लगा। जाने लगा। लेकिन आज हम यहां बात करेगें एक ऐसे मजदूर वर्ग की जिसका शोषण हमारे देष में सबसे ज्यादा होता है और यह वर्ग है महिला घरेलू कामगार, कहने को भले ही यह कामगार हो लेकिन हमारे देष में इन्हें नौकरानी ही माना जाता है। इन घरेलू कामगारों के काम का नेचर तीन तरीके से होता है, प्रथम जो अनेक घरों में कार्य करती हैं, दूसरे वह जो एक ही घर में सीमित समय के लिए कार्य करती हैं और तीसरे वह जो एक ही घर में पूर्णकालिक कार्य करतीं हैं। 
          
घरेलू कामगार महिलाओं के साथ तरह तरह से क्रूरता, अत्याचार और शोषण होते है। इस तरह के मामले अक्सर सुनने को मिलते रहते हैं। मध्यप्रदेश के पूर्व विधायक भैया राजा (वीर विक्रम सिंह) और उनकी पत्नी आशारानी सिंह को अपनी घरेलू नौकरानी तिजी बाई को आत्महत्या के लिए उकसाने वाले मामले में सजा हुई थी। घरेलू कामगारों खासकर महिलाओं और नाबालिगों के साथ बढ़ते अत्याचार में सिर्फ राजनेता ही शामिल नहीं हैं, बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले, बैंक, बीमा कर्मचारी, प्रोफेसर, चिकित्सक, इंजीनियर, व्यापारी, सरकारी अधिकारी इत्यादी सभी शामिल हैं। 
             
कॉरपोरेट जगत की वंदना धीर घरेलू कामगार किषोरी को अर्धनंगा रखती थी  ताकि वह भाग न जाये, उसके शरीर पर चाकू और कुत्ते के दांत से काटने के जख्म थे वही वीरा थोइवी एयर होस्टेस अपनी घरेलू काम करने वाली एक किशोरी को बेल्ट से पीटती और भूखा रखती थी, बाद में उसे पुलिस ने छुड़ाया। यह तो इनके साथ होने वाले अत्याचार के कुछ केस हैं जो मीडि़या में आ जाने के कारण लोगों के सामने आ गये। वरना हजारों की संख्या में ऐसे घरेलू कामगार होगीं जो अपने नियोक्ता के अत्याचार चाहे वो शारीरिक, मानसिक, षाब्दिक हो, सह रही होगीं। यह हिंसा चारदीवारी के भीतर होने से पता भी नहीं चलता है। जब तक की कोई बड़ी और भयानक दुर्घटना ना हो जाये। घरेलू कामगार महिलाओं को अपने साथ हो रहे हिंसा की षिकायत करने पर रोजीरोटी छीन जाने का डर रहता है। इसी काम से वह अपने घर परिवार को चलाने में सहयोग करती हैं। इसी कारण वह षिकायत करने की हिम्मत नही कर पाती हैं।  
           
होना तो यह चाहिए कि घरेलू कामगार महिलाओं को प्राईवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारी की तरह माना जाना चाहिए और कर्मचारियों को मिलने वाली सामान्य सुविधाएं जैसे-न्यूनतम मजदूरी, काम के घंटों का निर्धारण, सप्ताह में एक दिन का अवकाश, इत्यादि सुविधा मिलनी चाहिए। बहुत से परिवारों में घरेलू कामगार महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार भी किया जाता है। उनके सुख-दुख के समय वह परिवार साथ रहता है, मदद करता है। लेकिन घरेलू कामगार महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाऐं लगातार बढ़ रही हैं। उत्पीडन की घटनाऐं उच्च वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग से ज्यादा आ रही हैं। इसका कारण इस वर्ग द्वारा घरेलू कामगार के प्रति आपसी विश्वास की कमी, सामंती मानवीय स्वभाव, पैसा दे कर खरीदा गुलाम समझना, कम पैसे में ज्यादा से ज्यादा काम कराने की मानसिकता आदि को माना जा सकता है। इसके अलावा शोषण करने वाला वर्ग ज्यादातर ऊंची जातियों के होते हैं और घरेलू कामगार वर्ग ज्यादातर छोटी जातियों से, इसलिए ऊंची जातियों के लोग इनका उत्पीडन-शोषण करने और न के बराबर मजदूरी में हाड़तोड़ मेहनत करवाने को अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं।
          
घरेलू कामगार महिलाऐं आजीविका के लिए सुबह से शाम तक लगातार कार्य करती है। सुबह उठ कर पहले अपने घर का काम करती हैं उसके बाद वह दूसरे के घरों में काम करने जाती हैं। दिनभर काम करने के बाद वापस घर आकर घर का काम भी करती है। उसे एक दिन की भी छुट्टी ना तो अपने घर के काम से और ना ही दूसरों के घरों के काम से मिल पाती है। काम के अत्यधिक बोझ के कारण उसे अक्सर पीठ दर्द, थकावट, बरतन मांजने व कपड़ेे धोने से हाथों और पैर की ऊंगलियों में घाव हो जाते हैं, इसके बावजूद उसे काम करना पड़ता है। अगर उसका स्वास्थ्य खराब हो जाये तो इलाज कराना मुष्किल हो जाता है क्योंकि सरकारी अस्पतालों में समय ज्यादा लगता है और प्राईवेट अस्पताल में पैसे ज्यादा लगता है। 
          
देश में लाखों घरेलू कामगार महिलाऐं हैं लेकिन देष की अर्थव्यवस्था में इसे गैर उत्पादक कामों की श्रेणी में रखा जाता है। इसी कारण देश की अर्थव्यवस्था में घरेलू कामगारों के योगदान का कभी कोई सही आकलन नहीं किया गया। जबकि इनकी संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। इन महिलाओं को घर के काम में मददगार के तौर पर माना जाता है। इस वजह से इनका कोई वाजिब मेहनताना नही होता है। यह पूर्ण रुप से नियोक्ता पर निर्भर करता है। घरेलू कामगार महिलाऐं ज्यादातर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछडे़ और वंचित समुदाय से होती हैं। उनकी यह सामाजिक स्थिति उनके लिए और भी विपरित स्थितियाँ पैदा कर देती है। इन महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न, चोरी का आरोप, गालियों की बौछार या घर के अन्दर शौचालय आदि का प्रयोग न करने को लेकर पाबंदी, साथ में छुआछूत करना जैसे चाय के लिए अलग कप एक आम बात है।
          
घरेलू कामगार महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या उनका कोई संगठन का ना होना है। इस कारण अपने साथ होने वाले अत्याचार का यह सब मिल कर विरोध नही कर पाती है, इनके मांगों को उठाने वाला कोई नही है। घरेलू कामगारों को श्रम का बेहद सस्ता माध्यम माना जाता है। संगठन ना होने के कारण इनके पास अपने श्रम को लेकर नियोक्ता के साथ मोलभाव करने की ताकत नहीं है, इसके कारण नियोक्ता इनका फायदा उठाते हैं। इसी के चलते काम के दौरान हुई दुर्घटना, छुट्टी, मातृत्व अवकाश, बच्चों का पालना, घर, बीमारी की दशा में उपचार जैसी कोई सुविधा इन्हें नहीं मिल पाती है। यदि घर में काम करने वाली किसी महिला के साथ नियोक्ता द्वारा हिंसा की जाती है तो केवल पुलिस में षिकायत के अलावा ऐसा कोई फोरम नहीं है जहां जाकर वह अपनी बात कह सकें और शिकायत कर सकें। कुछ शहरों में स्वंयसेवी संस्थाओं द्वारा घरेलू कामगार महिलाओं के संगठन बने है और कुछ जगह इस तरह के संगठन बनाने की ओर प्रयास किये जा रहे हैं। 
             
देष में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून (2008) है जिसमें घरेलू कामगारों को भी शामिल किया गया है। लेकिन अभी तक ऐसा कोई व्यापक और राष्ट्रीय स्तर पर एक समान रूप से सभी घरेलू कामगारों के लिए कानून नहीं बन पाया है, जिसके जरिये घरेलू कामगारों की कार्य दशा बेहतर हो सके और उन्हें अपने काम का सही भुगतान मिल पाये। घरेलू कामगार को लेकर समय समय पर कानून बनाने का प्रयास हुआ, सन् 1959 में घरेलू कामगार बिल (कार्य की परिस्थितियां) बना था, परंतु वह व्यवहार में परिणित नही हुआ। फिर सरकारी और गैरसरकारी संगठनों ने 2004-07 में घरेलू कामगारों के लिए मिलकर ‘घरेलू कामगार विधेयक’ का खाका बनाया था। इस विधेयक में इन्हें कामगार का दर्जा देने के लिए एक परिभाषा प्रस्तावित की गयी है “ऐसा कोई भी बाहरी व्यक्ति जो पैसे के लिए या किसी भी रूप में किये जाने वाले भुगतान के बदले किसी घर में सीधे या एजेंसी के माध्यम से जाता है तो स्थायी या अस्थायी, अंशकालिक या पूर्णकालिक हो तो भी उसे घरेलू कामगार की श्रेणी में रखा जायेगा।” इसमें उनके वेतन, साप्ताहिक छुट्टी, कार्यस्थल पर दी जाने वाल सुविधाएं, काम के घंटे, काम से जुड़े जोखिम और हर्जाना समेत सामाजिक सुरक्षा आदि का प्रावधान किया गया है। लेकिन इस विधेयक को आज तक अमली जामा नही पहनाया जा सका है। कार्यस्थल में महिलाओं के साथ होने वाली लैंगिक हिंसा को रोकने के लिए देष में ‘‘महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध तथा प्रतितोष) अधिनियम 2013’’ बनाया गया है जिसमें घरेलू कामगार महिलाओं को भी शामिल किया गया है। 
          
नई सरकार ने कुछ समय पहले ही घोषणा की है कि वह घरेलू कामगार के लिए एक विधेयक लाने वाली हैं। अगर घरेलू काम करने वालों को कामगार का दर्जा मिल जाये तो उनकी स्थिति बहुत बेहतर हो सकेगी। वह भी गरीमा के साथ सम्मानपूर्ण जीवन जी सकेगीं। यह भी अन्य कामों की तरह ही एक काम होगा ना कि नौकरानी का दर्जा। 
              
महाराष्ट्र और केरल जैसे कुछ राज्यों में घरेलू कामगारों के लिए कानून बनने से उनकी स्थिति में एक हद तक सुधार हुआ है। मध्यप्रदेष ने घरेलू कामगार महिलाओं के जाॅब कार्ड बनवाये हैं और उन्हें कई सामाजिक सुरक्षा जैसे बच्चों की षिक्षा, कन्या की शादी, इत्यादी सुविधाऐं दी जा रही हैं। लेकिन यह देषव्यापी नही है। लेकिन जब तक घरेलू कामगार महिलाएं संगठित नही होगीं और अपने हक की लड़ाई के लिए आगे नही आयेंगी ,उन्हें वह सम्मान मिलना मुष्किल है जोकि उनका हक है। साथ ही इन्हें मजदूर वर्गो के संघर्ष के साथ भी अपने को जोड़ना होगा। फिर भी असली लड़ाई तो सामंती सोच के साथ है जिसे खत्म कर अमीर गरीब, मालिक नौकर का भेद खत्म करना होगा तभी जाकर समाज में समानता आएगी। यह केवल एक आदमी या एक संस्था के प्रयास से संभव नहीं होगा, इसके लिए समाज के सभी तबकों को आगे आना होगा। 





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उपासना बेहार 
(चरखा फीचर्स)

अगले सप्ताह तेलंगाना के किसानों से मिलेंगे राहुल गांधी

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पंजाब और महाराष्ट्र के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अब अगले सप्ताह तेलंगाना जाएंगे और वहां से किसानों से बातचीत करेंगे.

तेलंगाना कांग्रेस की ओर से मंगलवार रात जारी बयान के अनुसार, 12 मई को आदिलाबाद जिले में राहुल पदयात्रा भी करेंगे. विज्ञप्ति के अनुसार, राहुल गांधी 11 मई को दिल्ली से हैदराबाद पहुंचेंगे और रात भर वहीं रूकेंगे. 12 मई की सुबह वह आदिलाबाद जिले में निर्मल पहुंचेंगे और 15 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकलेंगे.

अमेठी सांसद शाम छह बजे किसानों को संबोधित करेंगे और रात को हैदराबाद लौट आएंगे. अगले दिन वह दिल्ली लौट जाएंगे.

विशेष : हमारी बालबाड़ी की एक ‘समीक्षा’

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samiksha-balwadi
मुझे वृद्वावस्था में बिटिया का बाप कहलाने का सौभाग्य मिला। ईश्वर का धन्यवाद ज्ञापित कंरू या बिटिया की मां को थैंक्स कहूं। मैं सर्वथा औपचारिक नही हूँ, और न ही फिल्मी। मेरे जीवन का दर्शन बड़ा ही सरल और सर्वग्राह्य है। इसको पढ़ने के लिए डाक्टरेट की उपाधि ग्रहण करने की आवश्यकता है।

बिटिया और बेटों में क्या अन्तर होता है, इस पर मुझे कुछ भी नही कहना है। नसीब-नसीब की बात है किसी को सब कुछ ‘मयस्सर’ होता है तो कोई ‘तरसता’ है। मैं अपने अब तक के जीवन काल में किसी भी भौतिक वस्तु के लिए तरसा नहीं हूँ। तात्पर्य यह नहीं कि इन वस्तुओं की बहुतायत है, इसके बावजूद मैंने मानव निर्मित किसी भी वस्तु के प्रति लगाव नहीं रखा। उतना नहीं जितना अन्य रखकर उसकी प्राप्ति के लिए दिन-रात क्या कुछ नहीं कर रहे हैं।

बिटिया/बेटा मानव निर्मित भौतिक चीजें नहीं हैं। ये ईश्वर प्रदत्त हैं। यह सब उन्हें ही मयस्सर होते हैं जिन पर ऊपर वाले की अपार कृपा होती है। यह माना जा सकता है कि मुझ पर ईश्वर/खुदा/गॉड/वाहे गुरू...आदि नाम वाली ‘शक्ति’ की अगाध कृपा है- तभी मुझे बेटा-बेटी की प्राप्ति हुई। ये ईश्वरीय तोहफे अमूल्य हैं। मैं तो स्पष्ट कहूँगा कि माया रूपी संसार में ईश्वर की समस्त लीलाओं से ओतप्रोत है मेरा अपना परिवार, जिसमें उसके विभिन्न रूपों के दर्शन होते हैं। 

मैं अपनी बालबाड़ी का सबसे वरिष्ठ मुखिया हूँ। बाल स्वरूप ईश्वर की नटखट अदाओं से परेशान होना पड़ता है। कभी चश्में पर आक्रमण तो कभी कलम की तोड़फोड़/कागज का फाड़ा जाना। बेटे हैं तो शरारतों पर मना करने पर वह लोग मेरे पास आकर बैठ जाते हैं, अपने-अपने ढंग से तर्क देकर मुझसे हाँ भी मरवाते हैं। क्या करूँ, यदि उनकी हाँ में हाँ न मिलाऊँ तो वह लोग नाराज भी हो जाते हैं। बेटियाँ हैं- इनके बारे में क्या कहूँ। अलग ही अन्दाज में शरारतें करती हैं। तेज आवाज में मना कर दूँ तो मुँह बिचका कर आँखों से जलधार बहाने लगती हैं। यह बात दीगर है कि जब इन सब का मूड ठीक रहेगा तब कभी हाथ, पैर तो कभी सिर दबा कर अपना सेवा भाव प्रदर्शित करती हैं। जरा सी चूक हुई नहीं कि- चश्मा टूट सकता है, हाथ का मोबाइल निष्प्रयोज्य हो सकता है।

सवा वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की आयु के इन प्राणियों की संख्या 5 है। इनकी वजह से मेरी अच्छी खासी वर्जिश (फिजियोथिरैपी) हो जाया करती है, वर्ना लेटे-लेटे मैं रोगी बन जाता हूँ। जब नन्हें-नन्हें हाथों की उँगलियाँ मेरा चश्मा लेकर खेलने लगती हैं, मुझे अचानक अपनी दयनीय स्थिति पर तरस आने लगता है, सोचता हूँ कि काश! मैं बुड्ढा न होता, दृष्टिदोष से ग्रस्त न होता, चश्मा टूटता या फिर कुछ और मुझे किसी प्रकार का गम न होता। 

मैं हमारी बालबाड़ी के इन पाँच नन्हें प्राणियों को नित्य अलग-अलग नामों से बुलाता हूँ। इनके साथ मदारी का खेल खेलता हूँ। बाल स्वरूप ईश्वर मेरे साथ खिल-खिलाकर हँसते हैं। यही सोचकर आनन्दित होता हूँ। मुँह से बच्चों जैसी आवाजें निकालता हूँ और इन प्राणियों के मनोभावों के अनुरूप ही कार्य करता हूँ। भरसक प्रयास करता हूँ कि इन्हें मुझसे कोई शिकायत न हो। मैं ईश्वर के इन बाल स्वरूपों के स्वास्थ्य को लेकर काफी सतर्क रहता हूँ, इसके लिए बाड़ी की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देता हूँ। जब भीं इन्होंने मेरे सीने और शरीर के किसी अंग पर उछल-कूद मचाते हुए सू-सू या छी-छी किया तो मुझे कतई बुरा नहीं लगता है। सर्वप्रथम मैं इनके वस्त्र बदलकर स्वयं के कपड़े बदलता हूँ। इस तरह भगवान और भक्त दोनों स्वच्छ परिवेश में रहकर स्वस्थ हैं। 

मैं भगवान के इन बाल स्वरूपों को देखकर आनन्दित होता हूँ। सबसे छोटा स्वरूप है, उस प्राणी का जिसकी उम्र डेढ़ वर्ष मात्र है। उसका नाम अभी निश्चित तौर पर नहीं रखा गया है, लेकिन उसकी जननी ने ‘समीक्षा’ रखा है। मैं ही नहीं उसकी पूरी बाल मण्डली उसे ‘सानू’ कहकर पुकारती है। नटखट, चंचल और बेहद अक्लमन्द है। हरेक गतिविधि को वह बड़ी बारीकी से देखती है। मैंने ईश्वर को नहीं देखा है, चित्रों चलचित्रों में देखा है उसके बालरूप को। ठीक उसी तरह के क्रिया-कलाप करने वाले हमारी बाल-बाड़ी के प्राणियों को देखकर मैं अभिभूत होता हूँ। मैं नास्तिक से आस्तिक बन गया हूँ। 

एक दिन किसी सम्पादक ने मुझे फोन करके कहा कि अपना अनुभव लिखने के बजाय ऐसा कुछ लिखिए जिससे लोग ‘सबक’ ले सकें। मुझे उनकी बात अखरी, परन्तु जवाब नहीं दिया। उम्र के इस पड़ाव में जब लोग तीर्थ यात्राएँ करते हैं, मोक्ष की कामना करते हैं तब मैं हमारी बाल-बाड़ी में भगवान (ईश्वर) को साक्षात् देखकर वह सब कुछ हासिल कर रहा हूँ जो इने-गिने लोगों को ही नसीब होता होगा। क्यों जाऊँ, तीर्थाटन पर जब ईश्वर मेरे पास अपने समस्त रूपों में विद्यमान हैं?

आप मीडिया में हैं, लिखिए उच्च स्तरीय लेख, लोगों को पढ़ाइए मैं तो वही लिखूँगा, जो नित्य महसूस कर रहा हूँ। जन्मा हूँ इसलिए मृत्यु का कोई भय नहीं क्योंकि एक न एक दिन इस मानव शरीर का परित्याग करना ही है। आप के पास अपने अनुभवों का आलेख प्रेषित करता हूँ, कोई आवश्यक नहीं कि उसका प्रकाशन करके मुझे अनुग्रहीत करें। 

मैं अब मानसिक और शारीरिक रूप से अपने को पूर्णतया स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ। मैं उन जननियों का आभारी हूँ, जिन्होंने बाल स्वरूप ईश्वर जैसे प्राणियों को जन्म दिया है। मैं लेखक/समीक्षक/टिप्पणीकार बाद में हूँ सर्वप्रथम मैं एक ऐसा बुजुर्ग अभिभावक हूँ जो अपनी बालबाड़ी के उपरान्त ही किसी अन्य कार्य को महत्व देता हूँ। तो यह रही हमारे बालबाड़ी की एक ‘समीक्षा’। 




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-डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी  
प्रबन्ध सम्पादक
रेनबोन्यूज डॉट इन

दिल्‍ली को नहीं मिलेगा पूर्ण राज्‍य का दर्जा: सरकार

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दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के कोई आसार नहीं हैं। केंद्र सरकार ने दो टूक कहा है कि वह ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। यह भी साफ हो गया कि सूबे कि आम आदमी पार्टी की सरकार भले ही इस मुद्दे को अपनी प्राथमिकता बताती है, उसने इस सिलसिले में कोई औपचारिक प्रस्ताव केंद्र को भेजा ही नहीं है।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने मंगलवार को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘केंद्र सरकार के पास दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है। जाहिर है इस बारे में कोई विचार नहीं किया जा रहा।’ दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के मामले में खूब सियासी रोटियां सेकी जा रही हैं। आम आदमी पार्टी भी लगातार यह मांग कर रही है। कांग्रेस व भाजपा ने भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग का समर्थन किया है। लेकिन किसी भी पार्टी की सरकार ने दिल्ली को यह अधिकार दिलाने की निर्णायक पहल नहीं की है।

केंद्र के जवाब से यह भी साफ हो गया कि इस मुद्दे पर टकराव सियासी ज्यादा है। केंद्र शासित दिल्ली में पुलिस, दिल्ली विकास प्राधिकरण आदि एजेंसियों पर राज्य सरकार का अधिकार नहीं है। किसी सरकार के पास पुलिस और जमीन के मामले ही नहीं होंगे तो उसके लिए सरकार चलाना मुश्किल हो जाता है। दिल्ली में 1998 में पहली बार शीला दीक्षित की अगुआई में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो बाकायदा विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा गया था और मांग की गई थी कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। इतना ही नहीं, खुद शीला दीक्षित ने अपने विधायकों के साथ राजघाट से जंतर-मंतर तक आयोजित मार्च में हिस्सा लिया था। तब केंद्र में भाजपा की सरकार थी और दोनों सरकारों के बीच तनातनी भी रही। लेकिन दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला। बाद में केंद्र व दिल्ली दोनों जगह कांग्रेस की सरकारों का गठन हो जाने के बाद शीला सरकार ने दिल्ली को पूर्ण राज्य के बदले विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग शुरू कर दी थी।

जानकारों का कहना है कि दिल्ली पूरे देश की राजधानी है। यहां न केवल देश के तमाम वीवीआइपी रहते हैं, बल्कि दुनिया भर के तमाम राजनयिक व अन्य महत्वपूर्ण हस्तियां भी यहां रहती हैं। लिहाजा, सुरक्षा को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हुए ही केंद्र सरकार दिल्ली पुलिस को स्थानीय सरकार के हवाले करने को तैयार नहीं है।

आलेख : सवर्णों की गरीबी का रोना

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सन् 2011 में बिहार सरकार द्वारा राज्य के सवर्णों की सामाजिक शैक्षणिक स्थिति जानने के लिए गठित आयोग की रिपोर्ट पेश हो गई है जिसे चर्चा का विषय बनाए जाने की कोशिश की जा रही है। इस संदर्भ में की जा रही बौद्धिक कसरत का मकसद यह स्थापित करना है कि सवर्णों की हालत भी उतनी ही दयनीय है जितनी दलितों व कई पिछड़ी जातियों की। सभी जातियों में गरीब हैं जिनकी मदद के लिए आरक्षण की व्यवस्था को जातिगत आधार हटाकर आर्थिक आधार पर लागू करके सुधारा जाए।

खबरें आती रहती हैं कि सारे संसार में अपनी हुकूमत चलाने वाले ब्रिटेन में भी सड़कों पर भीख मांगने वाले नजर आ जाते हैं। इंग्लैंड में भी भिखारी हैं। इस आधार पर उसे उन देशों के समकक्ष गरीब या विकासशील घोषित करने की मांग होनी चाहिए जो अतीत में उन पर रहे ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन की वजह से अपनी समृद्धि और वैभव गंवाकर दीनहीन बन गए थे लेकिन ऐसी शातिर मांग करने का साहस विकसित देशों में, उनका कितना भी वैश्विक प्रभुत्व होते हुए भी जागरूक अंतर्राष्ट्रीय जनमत के कारण नहीं हो सकता पर इस देश का तो चलन ही निराला है। गरीबी यहां भगवान की देन है जिसके कारण कोई व्यक्ति गरीब हो या वर्ग, उसे व्यवस्था बदलने की मांग करने की बजाय अपने कर्म ठीक रखकर अच्छे दिन आने के लिए धैर्यपूर्वक अगले जन्म का इंतजार करना चाहिए। सवर्ण गरीबों को भी सरकारी नौकरी में आरक्षण मिले यह मांग केवल शोशेबाजी है क्योंकि इसमें सवर्णों को भी बहुत दिलचस्पी नहीं है लेकिन आरक्षण व्यवस्था के औचित्य के पीछे जो असल तर्क हैं उनका मट्ठा करने के लिए सवर्ण गरीबों के आरक्षण का शोशा एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। 

सरकारी नौकरी में आरक्षण की भारत में लागू की गई व्यवस्था कई उन्नत देशों में पहले से प्रचलित विशेष अवसर के सिद्धांत से प्रेरित है जहां संस्थागत तौर पर किसी समुदाय को अपनी उन्नति से रोका गया था वहां समानता पर आधारित संविधान लागू होने के बाद वंचित समुदायों को विशेष अवसर के सिद्धांत का लाभ न्यायिक औचित्य के तहत दिया गया। अमेरिका तक में नस्लभेद के कारण पिछडऩे को मजबूर हुए कालों को समकक्ष लाने के लिए सरकारी नौकरियों सहित सभी क्षेत्रों में उनकी आबादी के अनुरूप आरक्षण का प्रावधान किया गया। इसके बावजूद वहां पर इस बात के आंकड़े छांटकर कोई नहीं ला रहा कि गोरों में भी कितनी गरीबी और बेरोजगारी है और इस तरह संस्थागत व ऐतिहासिक कारणों से पिछड़ेपन की ओर ढकेले गए कालों के प्रति वहां की सरकार की संवेदना व दायित्व के छीजने की हरकत की जाए। दूसरे आरक्षण के साथ यह उद्देश्य भी जुड़ा हुआ है कि सफल लोकतंत्र के लिए सभी समुदायों को सत्ता के केेंद्रों में समुचित भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए। 

अनुसूचित जाति व जनजातियों के लिए आरक्षण के इतने वर्षों से चले आ रहे प्रावधान के बावजूद आज खबर यह है कि भारत सरकार के चौरासी सचिवों में इन वर्गों से मोदी सरकार को एक भी आईएएस अफसर ढूंढे नहीं मिल पाया है। मोदी के मंत्रिमंडल में भाजपा कोटे से अनुसूचित जाति का कोई वरिष्ठ मंत्री न होना और इस सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपालों में इस वर्ग का प्रतिनिधित्व न हो पाना संयोग मात्र नहीं है। हालांकि यह बात सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वंचित के रूप में चिह्निïत समुदाय से ही आए हैं और उदारता दिखाते हुए संघ ने उनको देश के सर्वोच्च कार्यकारी पद के लिए चुना है लेकिन सभी जानते हैं कि यह उदारता दिखावटी है। यह इसलिए किया गया है कि वैश्विक परिदृश्य के कारण भारतीय समाज में सामाजिक न्याय को लागू करने की जो बाध्यता उपस्थित है उसमें वंचितों के बीच से महत्वपूर्ण पदों के लिए ऐसे मोहरे तलाशना है जो कि अपनी संस्कारगत कमजोरियों की वजह से अंततोगत्वा वर्ण व्यवस्था को बल प्रदान करने वाली प्रक्रियाएं लागू करने के लिए स्वत: प्रेरित रहें। तथाकथित भारतीय धार्मिक सांस्कृतिक विचार ऐसी धारणाओं को पोषित करते हैं जो यह विश्वास जमाती हैं कि योग्यता और योग्यता जन्मना है जिसकी वजह से वर्ण व्यवस्था के विधान में तिरस्कृत किए गए समुदाय के लोगों को उच्च पद देने में जोखिम है। क्या मोदी सरकार इसी तरह की धारणाओं से प्रेरित होकर उच्च पद पर आसीन करने के मामलों में दलितों की क्षमताओं के प्रति शंकालु है।

अतीत में भी इस तरह के उदाहरण मौजूद हैं जब वर्ण व्यवस्था के कर्णधारों ने अभिशप्त समुदायों के लोगों का तात्कालिक तौर पर राजा के रूप में वरण किया लेकिन यह अंतरिम विवशता काल जैसे ही समाप्त हुआ और वर्ण व्यवस्था फिर मजबूती से बनती तो और ज्यादा कठोरता से यह सुनिश्चित किया गया कि भविष्य में उस समुदाय का कोई व्यक्ति सदियों तक इतना आगे न बढ़ पाए कि शीर्ष पद पर कबूलना उसे मजबूरी बन जाए। सवर्णों में भी गरीबी है। यह एक अलग मुद्दा है। इस यथार्थ को सारा संसार जानता है क्योंकि जीडीपी दर के आधार पर जब किसी देश की वास्तविकता का संतुष्टकारी मूल्यांकन नहीं हो पा रहा था तो खुशहाली सूचकांक के रूप में नया पैमाना लाया गया जिसकी रैंकिंग में भारत को पाकिस्तान और बंगलादेश से भी पीछे पाया गया है। जब समूचा भारत ही असंतृप्त है तो सवर्णों के बहुमत की हालत भी गईगुजरी होगी यह तो स्वयंसिद्ध तथ्य है लेकिन सवर्णों की दीनदशा के पीछे कोई संस्थागत कारण नहीं है। आर्थिक क्षेत्र में जिसकी लाठी उसकी भैंस का जंगलराज उदारीकरण की नीतियों से कायम हो गया है जिसमें हर जाति वर्ग का ईमानदार आदमी पिसा जा रहा है। 

गरीबी के आधार पर सवर्णों को आरक्षण देने का कदम एक फरेब होगा क्योंकि आय का प्रमाण पत्र किसी गरीब सवर्ण के लिए बनवाना बेहद मुश्किल है जबकि संपन्न सवर्ण के लिए कम आय का प्रमाण पत्र हथियाना बांए हाथ का खेल है। अभी भी गरीबों के लिए जो योजनाएं लागू हैं उनका लाभ यथार्थ में गरीबों को बहुत कम मिल पा रहा है। दूसरे सवर्णों में जातिवाद अयोग्य लोग सबसे ज्यादा फैलाते हैं क्योंकि उन्हें अपनी क्षमताओं पर भरोसा नहीं होता। तीन तिकड़म करके ऐसे लोग किसी अधिकार के पद पर बैठने के बाद अपनी ही जाति में से उन लोगों को आगे बढ़ाते हैं जो उनकी स्वार्थ पूर्ति करते हों। इस तरह सवर्ण जातिवाद एक ऐसा सिलसिला बन गया है जिसके कारण सक्षम सवर्णों के लिए आगे बढऩा मुश्किल है। दूसरे शब्दों में कहा जाए कि सक्षम और योग्य सवर्ण वंचित जातियों की वजह से नहीं पिछड़ रहे बल्कि अपने ही समाज की खरपतवार उनके रास्ते की रुकावट सिद्ध हो रही है। शेयर बाजार जैसी बाजीगरी व्यवस्थाओं वाली आर्थिक नीतियों का जनवादी विकल्प गरीबी की समस्या का सच्चा समाधान है। यह न करने के लिए भी गलत व्यवस्था के शिकार सवर्णों को आरक्षण का लालीपाप थमाकर बहलाने की कोशिश की जा रही है जिसका विरोध होना चाहिए।




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के पी सिंह
ओरई 

विशेष आलेख : मजदूर विरोधी मोदी सरकार

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असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे मजदूरों के लिए श्रम कानून पहले ही बेमानी हो चुके थे इधर  लेकिन “अच्छे दिनों’’ के नारे के साथ सत्ता में आई मोदी-सरकार के राज में तो संगठित क्षेत्र के मजदूरों की हालत भी बदतर हो गयी है, सत्ता में आते ही इस सरकार ने श्रम-कानूनों में बदलाव को जोर-शोर से आगे बढाने में लग गयी थी, पिछले वर्ष ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फैक्टरी कानून, एप्रेंटिस कानून और श्रम कानून (कुछ प्रतिष्ठानों को रिटर्न भरने और रजिस्टर रखने से छूट) कानून में संशोधन को मंजूरी भी दे थी, इसके अलावा केंद्र सरकार ने लोकसभा के इस सत्र में कारखाना (संशोधन) विधेयक, 2014 भी पेश किया था , इस पूरी कवायद के पीछे तर्क था कि इन ‘सुधारों’’ से निवेश और रोजगार बढेंगे। पहले कारखाना अधिनियम, जहाँ 10 कर्मचारी बिजली की मदद से और 20 कर्मचारी बिना बिजली से चलने वाले संस्थानों पर लागू होता था वहीँ संसोधन के बाद यह क्रमशः 20 और 40 मजदूर वाले संस्थानों पर लागू होगा। ओवर टाइम की सीमा को भी  50 घण्टे से बढ़ाकर 100 घण्टे कर दिया गया है और वेतन सहित वार्षिक अवकाश की पात्रता को 240 दिनों से घटाकर 90 दिन कर दिया है। ठेका मजदूर कानून अब बीस की जगह पचास श्रमिकों पर लागू होगा। औद्योगिक विवाद अधिनियम के नए प्राविधानों के तहत अब कारखाना प्रबंधन को तीन सौ कर्मचारियों की छंटनी के लिए सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी, पहले यह सीमा सौ मजदूरों की थी। अप्रेंटिसशिप एक्ट, 1961 में भी बदलाव किया गया है, अब अप्रेंटिसशिप एक्ट न लागू करने वाले फैक्ट्री मालिकों को गिरफ्तार या जेल में नहीं डाला जा सकेगा। यही नहीं कामगारों की आजीविका की सुरक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में समरूपता लाने संबंधी उपाय राज्य सरकारों की मर्जी पर छोड़ दिए गए हैं। स्पष्ट है कि तथाकथित “सुधार” मजदूर हितों के खिलाफ हैं। इससे मजदूरों को पहले से मिलने वाली सुविधाओं में कानूनी तौर कमी आएगी। 

इस मामले में तो राजस्थान भी भाजपा सरकार तो केंद्र सरकार से भी आगे निकल गई है, राजस्थान सरकार  ने राजस्थान विधानसभा में औद्योगिक विवाद (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2014, ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) राजस्थान संशोधन विधेयक, कारखाना (राजस्थान संशोधन) विधेयक और प्रशिक्षु अधिनियम रखा था जो की पारित भी हो चूका है । औद्योगिक विवाद अधिनियम में बदलाव के बाद अब मजदूरों की छंटनी और कारखाना बंदी के लिये 100 के स्थान 300 कर्मचारियों तक के कारखानो को ही सरकार की अनुमति की बाध्यता रह गई है, जाहिर तौर पर  इससे बडी संख्या में कारखानों को छंटनी करने या बनावटी रूप में कारखाना बंदी करने की छूट मिल जायेगी क्योंकि वे अपने अपने रिकॉर्ड में स्थाई श्रमिको की संख्या 299 तक ही बतायेंगे और बाकी श्रमिको को ठेका मजदूर के रूप में बतायेंगे। इसी तरह से ठेका मज़दूर क़ानून भी  अब मौजुदा 20 श्रमिकों के स्थान पर 50 कर्मचारियों पर लागू होगा। पहले किसी भी कारखाने में किसी यूनियन के रूप में मान्यता के लिए 15 प्रतिशत सदस्य संख्या जरूरी थी लेकिन इसे बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है, इसका अर्थ यह होगा कि मजदूरों के लिए अब यूनियन बनाकर मान्यता प्राप्त करना मुश्किल हो गया है, इससे नियोजको को यह अवसर मिलेगा कि वे अपनी पंसदीदा यूनियनो को ही बढावा दे।

कारखाना अधिनियम में बदलाव के बाद कारखाने की परिभाषा में बिजली के उपयोग से चलने वाले वही कारखाने आयेंगे जहाँ 20 श्रमिक काम करते हो पहले यह संख्या 10 थी। इसी तरह से बिना बिजली के उपयोग से चलने वाले वाले 20 के स्थान पर 40 श्रमिको की संख्या वाले  कारखाने ही इसके दायरे में आयेंगें। इसका मतलब यह होगा कि अब और बड़ी संख्या में श्रमिको को श्रम कानूनो से मिलने वाले फायदे जैसे सफाई, पीने का पानी, सुरक्षा, बाल श्रमिको का नियोजन, काम के घंटे, साप्ताहिक अवकाश, छुट्टियां, मातृत्व अवकाश, ओवरटाईम आदि से महरूम होने वाले हैं।


कुल मिलकर यह संशोधन श्रमिको के अधिकारों को कमजोर करने वाले हैं। शायद इसका मकसद नियोक्ताओं व कॉरपोरेट घरानों को बिना किसी जिम्मेवारी व जवाबदेही के आसानी से अनाप–शनाप मुनाफे कमाने के लिए रास्ता खोलना है।

मोदी सरकार का सरमायेदारों (कार्पोरेट) ने जोरदार स्वागत किया था,इस सरकार से उन्हें बड़ी उम्मीदें हैं, उनके विचारक और पैरोकार बहुत शिद्दत से “आर्थिक विकास” सुनिश्चित करने के लिए “कारोबारी प्रतिकूलताएं” दूर करने की वकालत कर रहे हैं, जिसमें तेजी से आर्थिक एवं कारोबार संबंधी नीतिगत फैसले लेने, सब्सिडी या आर्थिक पुनर्वितरण की नीतियों को सही तरीके से लागू करने की दिशा में कदम उठाने, बुनियादी क्षेत्र में निवेश आदि बातें शामिल हैं। मोदी के विजय के बाद भारत में पूँजीवाद के मुखर चिन्तक गुरचरन दास ने उत्साहित होकर लिखा था  कि “मोदी की जीत के बाद से देश दक्षिणपंथी विचारधारा की तरफ नहीं वरन आर्थिक स्तर पर यह दाहिनी ओर झुक गया है”। श्रम कानूनों में बदलाव की शुरुवात के बाद कॉरपोरेट जगत के हितेषी संतुष्टि प्रकट करते हुए कह रहे हैं कि मोदी 'छोटी सरकार, बड़ा शासन'का वादा बहुत अच्छे से निभा रहे हैं, “इन सुधारों से हमारे आधे कारखानों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और बिज़नेस करना आसान हो जाएगा”।

आखिर कोई वजह तो रही होगी कि एक ज़माने में पूंजीपतियों की चहेती कांग्रेस पार्टी, उनके नज़रों से उतर गयी और उसकी जगह बीजेपी ने ले लिया। यही नहीं भारत में नवउदारवादी आर्थिक सुधारों के पोस्टर पुरुष रहे मनमोहन सिंह की चमक भी फीकी पड़ गयी ,उन्हें एक तरह से नाकारा मान लिया गया और उनकी जगह मोदी की नए पोस्टर पुरुष के रूप में नियुक्ति कर दी गयी है। इसके जवाब के लिए हमें पांच साल पीछे जाना पड़ेगा जब  देश के बड़े-बड़े कॉरपोरेट घरानों ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनवाने की तैयारी पूर्व शुरू कर दी थी। जिस स्तर का मोदी का चुनाव अभियान था वह कॉरपोरेट के मदद की बिना असंभव ही नहीं हो सकता था। 2014 का आम चुनाव सही मायने में देश का पहला कार्पोरेट चुनाव था।

गौरतलब है कि साल 2009 के ‘वाइब्रेंट गुजरात’ सम्मेलन में भारती समूह के प्रमुख सुनील मित्तल ने कहा था कि ‘मोदी को सी.इ.ओ. कहा जाता है, लेकिन असल में वे सी.इ.ओ. नहीं हैं, क्योंकि वे कोई कंपनी या क्षेत्र का संचालन नहीं करते हैं। वे एक राज्य चला रहे हैं और देश भी चला सकते हैं।’ इसी सम्मेलन में अनिल अंबानी ने भी मित्तल के हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा था कि ‘नरेंद्र मोदी ने गुजरात में बहुत अच्छा काम किया है और आप कल्पना कीजिए कि अगर वे देश का नेतृत्व करेंगे तो कितना कुछ हो जाएगा।’ रतन  टाटा ने भी कहा था कि ‘मोदी की अगुआई में गुजरात दूसरे सभी राज्यों से अग्रणी है। सामान्य तौर पर किसी प्लांट को मंजूरी मिलने में नब्बे से एक सौ अस्सी दिन तक समय लगता है, लेकिन ‘नेनो’ प्लांट के संबंध में हमें सिर्फ दो दिन में जमीन और स्वीकृति मिल गई। विदेशी उद्योगपतियों के संगठनों द्वारा भी इसी तरह की बातें कही गयी थीं।


मोदी शायद इन्हीं उम्मीदों पर खरे उतरने की कोशिश कर रहे हैं तभी तो उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में लाल किले से अपने पहले संबोधन में पूरी दुनिया को “कम,मेक इन इंडिया” का आमंत्रण दिया था और अब दुनिया भर में घूम – घूम कर इसकी मुनादी कर करते हुए  भारत को एक ऐसे बाज़ार के तौर पर पेश कर रहे हैं  जहाँ सस्ते मजदूर और कौड़ियों के दाम जमीन उपलब्ध हैं। सरकार  श्रम कानून को दंतहीन बनाने के क्रम में पूरी मुस्तैदी से आगे बढ़ रही है  है। श्रम कानूनों में बदलाव के पीछे मोदी सरकार का तर्क है कि इनमें सुधार किए बिना देश में बड़े विदेशी पूंजी निवेश को आकर्षित नहीं किया जा सकता है, इसके अलावा इसके पीछे मैन्यूफैक्चरिंग की धीमी रफ्तार को तोड़ने, रोजगार के नए अवसर सृजन का तर्क भी दिया जा रहा है। दबे जुबान से यह भी कहा जा रहा है कि मजदूर संगठन श्रम कानूनों का इस्तेमाल निवेशकों को प्रताडि़त करने के लिए करते हैं। इसके पीछे मारुति, हीरो होंडा, कोलकाता की जूट मिल कंपनियों की बंदी से उत्पन्न संघर्ष का उदाहरण दिया जा रहा है।


ऐसे में यह निष्कर्ष निकालना गलत नहीं होगा कि मोदी सरकार के लिए मजदूरों के हितों की जगह देशी, विदेशी पूंजी निवेश ज्यादा महत्वपूर्ण है। श्रम कानूनों में सुधार का फायदा किसी भी कीमत पर मुनाफा कूटने में लगी रहने वाली देशी-विदेशी कंपनियों को ही मिलेगा, मजदूरों को  पहले से जो थोड़ी बहुत आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा मिली थी उन्हें भी छीना जा रहा है। यह कहना भ्रामक है कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में धीमी गति और नए रोजगार सृजन में श्रम कानून बाधक हैं। श्रम कानून तो इसलिए बनाये गये थे कि सरमायेदारों की बिरादरी अपने मुनाफे के लिए मजदूरों के इंसान होने के न्यूतम अधिकार की अवहेलना न कर सकें। धीमी मैन्यूफैक्चरिंग और बेरोजगारी की समस्या तो पूंजीवादी सिस्टम की देन है। वाकई में अच्छे दिन आ गये हैं लकिन गरीब -मजदूरों के नहीं बल्कि देशी–विदेशी सरमायेदारों के। 




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---जावेद अनीस ---
संपर्क - 09424401459
ईमेल : javed4media@gmail.com

विशेष : कब सुधरेगें?

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महिलाओं के लिए कानून और सशक्तिकरण की बात समाज में रह रहकर उठती रहती हैं। समाज में महिलाओं को पुरूष के बराबर अधिकार है। समाज में हर रोज कही न कही महिला उत्पीड़न का मामला आता रहता है। देश में महिलाओं को देवी का रूप माना जाता है। आज उसी देवी पर हर दिन अत्याचार के मामले लगातार होते रहते  हैं। जब हम अख़बार पढ़ते या खब़रिया चैनल देखते हैं तो एक ख़बर अक्सर रहती है। महिला से दुष्कर्म किया गया। इतने सख्त कानून के बाद भी इन दरिंदों को डर नही लगता है। इनको अपने घर की मां, बेटी, बहन का ख्याल नही आता है। आएगा भी कैसे न इन्हें घर के परवाह न परिवार की इज्जत की। किसी मजबूर पर अपनी ताकत दिखाने लगते हैं। 

हाल में ही पंजाब के मोगा में डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल की बस में मां और बेटी के साथ छेड़खानी की घटना सामने आई। जब उन दोनों ने इसका विरोध किया तो बस स्टाफ ने उनके साथ मारपीट की। दरिंदगी की हद तो देखों फिर उन्हे चलती बस से नीचे फेंक दिया गया। जिसमें 14 साल की नाबालिग लड़की की मौके पर ही मौत हो गई जबकि उसकी मां गंभीर हालत में अस्पताल में इलाज हो रहा है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस बात को तो स्वीकार किया कि बदकिस्मती से बस मेरी है। लेकिन इस घटना से मेरा कोई नाता नहीं है। मेरी नजर में यह बहुत बड़ा जुर्म है। दो लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। किसी को भी इस मामले में बख्शा नहीं जाएगा। इतना तो मुख्यमंत्री साहब ने कह दिया। पर उस परिवार से पूछों जिसकी बेटी इस दुनिया को छोड़कर जा चुकी है। पूरा परिवार मातम से टूट गया है। ये पूरी घटना राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को याद दिलाने वाली है। जिसमें चलती बस में 5 हैवानों ने एक लड़की से साथ बुरी तरीके से सामुहिक दुष्कर्म किया। उसके बाद बस से नीचे फेंक दिया। जिसे लेकर देश में काफी जगह विरोध प्रदर्शन भी किया गया। ये घटनाएं देश के अधिकतर कोने में होती है। हर दिन कभी आटो में महिला से छेड़छाड़ ते कभी कार में अगवा कर दुष्कर्म मामले आते हैं। ऐसा लगता हैं कि अब समाज में इंसान कम हैवान ज्यादा रह गए हैं। महिलाएं हर जगह अपने को असुरक्षित महसूस करती हैं। 

दिन हो या रात बस स्टाप हो या रेलवे स्टेशन। महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं उजागर होती रहती हैं। पंजाब के मोगा इलाके में अभी छेड़छाड़ की और बस से नीचे फेकने की घटना के बाद वही पर एक और सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया। मोगा की रहने वाली एक लड़की ने सहेली का पति आरोप लगाया कि 10 लोगों ने किडनैप करने के बाद उसके साथ गैंगरेप किया। महिला सशक्तिकरण की बात तो की जाती है पर कितनी सुरक्षित हैं ये महिलाएं। घर से निकलने के बाद परिवार के लोगों के अंदर एक डर सा बना रहता है। मां- पिता चैन की सांस तब लेते है, जब उनकी बेटी सुरक्षित वापस घर आ जाती है। चुनाव आते ही महिलाओं को अपने वोट के लिए लुभाने के लिए महिला की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी सरकार आई तो होगी। जीतने के बाद कोई वादा किया था ये भूल जाते हैं। महिलाओं की सुरक्षा की परवाह तो छोड़ों इनके ही गुर्गें रिश्तेदार छेड़छाड़ करने लगते हैं। जब कोई बड़ी वारदात सामने आती है, तो कई दिनों तक संसद में गूंज रहती है। नेताओं की टिप्पणी होने लगती है इस पर। कुछ दिनों में सब ठाय-ठाय फुस हो जाती है। 

कानून के साथ-साथ मानसिकता की भी जरूरत है देश को। लोग जब तक अपनी मानसिकता नही बदलेगें। इन घटनाओं को आसानी से नही रोका जा सकता। विकृति मानसिकता के लोगों की  मानसिकता बदलने की बहुत जरूरत है। महिला के शोषण की इन घटनाओं को देखकर मन काफी दुखित होता है। बस दिल से इक ही आवाज आती है, ये हैवानों कब सुधरेगे? 



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रवि श्रीवास्तव
रायबरेली, उ.प्र.
9718895616, 9452500016
लेखक, कवि, व्यंगकार, कहानीकार 
फिलहाल एक टीवी न्यूज ऐजेंसी से जुड़े हैं।

नेपाल का पुराने कपड़े बचा हुआ खाना लेने से इनकार

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नेपाल ने भारत से भूकंप पीड़ितों के लिए बतौर राहत सामग्री में पुराने कपड़े भेजने से मना कर दिया है. नेपाल ने कहा कि पुराने कपड़े और बचा हुआ खाने की उन्हें जरूरत नहीं है. नेपाल में 25 अप्रैल को आए 7.9 रिएक्टर की तीव्रता के भूकंप में तकरीबन 7000 लोगों की मौत हुई और काफी लोग बेघर हो गए थे. भारत ने नेपाल में आई भयावह त्रासदी के बाद सबसे पहले मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया था. सरकार के अलावा कई एनजीओ और कारपोरेट सेक्टरों ने भी नेपाल में करीब नौ करोड़ भूकंप से प्रभावित लोगों की मदद की.

नेपाल के भारत से भेजी गई मदद के विरोध का यह मामला तब सामने आया, जब राहत सामग्री से भरी ट्रेन बिहार में भारत के बॉर्डर के पास बीरगंज पहुंची. नेपाल के अधिकारियों ने कहा कि राहत सामग्री में उन्हें 'आपत्तिजनक'सामान मिला. राहत सामान को रेलवे पोर्ट पर ही खोला गया जिसमें से पुराने कपड़े निकाल दिए गए और सामान को ट्रक में भरकर नेपाल के अलग-अलग हिस्सों में भेज दिया गया.


सलमान ख़ान को पाँच साल जेल की सजा

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12 साल पुराने हिट एंड रन मामले में मुंबई की एक अदालत ने सलमान ख़ान को दोषी क़रार देते हुए पाँच साल क़ैद की सज़ा सुनाई है. सलमान ख़ान को ज़मानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ेगा. जैसे ही सज़ा का ऐलान हुआ, सलमान नीचे बैठ गए और रोने लगे. मुंबई सत्र अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डीडब्लू देशपांडे ने कहा कि सलमान ख़ान पर ग़ैर इरादत हत्या का मामला साबित हुआ है. उन्होंने कहा कि सलमान ही नशे में गाड़ी चला रहे थे और उनके ख़िलाफ़ सभी आरोप सही साबित हुए हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ जब जज ने सलमान को दोषी क़रार दिया, उस समय सलमान की आँखों में आँसू आ गए.

जज देशपांडे ने फ़ैसला सुनाते समय एलेस्टर परेरा और बीएमडब्लू मामले में संजीव नंदा केस का हवाला दिया.
बीबीसी संवाददाता मधु पाल के मुताबिक़ सज़ा पर बहस के दौरान सलमान ने कहा कि वो काफ़ी वक्त से मानवता के लिए काम कर रहे हैं, इस काम को ध्यान में रखा जाए, वो किसी भी तरह से मानवता विरोधी नहीं है.

सलमान ने कहा कि वो अगर जेल जाते हैं तो उनके अलावा कई लोगों को नुकसान होगा क्योंकि उनके उपर लगभग 200 करोड़ रूपए की ज़िम्मेदारी है. सलमान ने ये भी कहा कि वो कान के इंन्फेक्शन से जूझ रहे हैं और सलमान को जेल में जाने से ये गंभीर हो सकता है.

सलमान ख़ान के भाई सोहेल ख़ान और बाबा सिद्दीकी साथ में बाहर आए लेकिन मीडिया से बात करने से मना कर दिया. सलमान ख़ान पर आरोप था कि 28 सितंबर 2002 की रात उन्होंने नशे में अपनी गाड़ी फुटपाथ पर सो रहे लोगों पर चढ़ा दी थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए थे. सलमान ख़ान ने इन आरोपों के इनकार किया था. सलमान का कहना था कि हादसे के समय वे न गाड़ी चला रहे थे और न ही नशे में थे. सलमान के ड्राइवर अशोक सिंह ने भी अदालत से कहा कि उस दिन वही गाड़ी चला रहे थे और गाड़ी का टायर फटने के कारण ये हादसा हुआ.

सरकारी वकील का कहना है कि उन्होंने सलमान ख़ान के ख़िलाफ़ 27 गवाह पेश किए. उनका ये भी आरोप है कि सलमान हादसे के बाद मौक़े से भाग गए थे और न ही उन्होंने पुलिस को ही इस बारे में सूचित किया था. लेकिन सलमान का कहना था कि वे 15 मिनट तक घटनास्थल पर मौजूद थे. मंगलवार देर रात तक सलमान ख़ान के घर फ़िल्म इंडस्ट्री के कई जाने-माने चेहरे पहुँचे. इनमें शाहरुख़ ख़ान और डेविड धवन भी थे.


जनता मोदी के एक साल की समीक्षा करेगी:अखिलेश यादव

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक साल के कार्यो की समीक्षा जनता खुद करेगी। निर्माणाधीन सिद्धार्थ विश्वविद्यालय का निरीक्षण करने आए श्री यादव ने आज यहां पत्रकारों से कहा अब नारो से काम चलने वाला नहीं है बल्कि जनता को काम करके दिखाना होगा। 

श्री यादव ने बताया कि राज्य के निवासी जो नेपाल में रह रहे हैं यदि उनका भी भूकम्प में नुकसान हुआ है तो इसका सर्वे कराकर भी उन्हें मुआवजा दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय का शैक्षिक सत्र आगामी जुलाई से शुरु होगा। 

श्री यादव ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में लडकों और लडकियों के अलग अलग हास्टल बनाने के साथ नेपाली छात्रों के लिए भी अलग से हास्टल का निर्माण कराया जायेगा। उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी वी़ के़ गुप्त, बेसिक शिक्षा अधिकारी कौशल किशोर और पंचायत राज अधिकारी के खिलाफ गडबडी की शिकायत मिलने पर तीनों अधिकारियों के खिलाफ कडी कार्रवाई का एलान किया। 

श्री यादव ने गौतमबुद्ध की जन्मस्थली कपिलवस्तु जाकर मुख्य स्तूप की परिक्रमा कर बौद्ध भिक्षुओं के लिए 20 लोहिया आवास बनाने, कपिलवस्तु के आसपास के गांवो को पक्की सडक से जोडने और पात्रों का सर्वे कराकर पेंशन वितरित करने का भी निर्देश दिया।

राज्यसभा सदस्यों ने की ललित कला अकादमी की स्वायत्ता बहाल करने की मांग

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राज्यसभा में आज सदस्यों ने सरकार पर ललित कला अकादमी के  कामकाज को असंवैधानिक तरीके से अपने हाथ में लेने का आरोप लगाते हुए इसकी स्वायत्ता बहाल करने की मांग की। 

जनता दल यू के अली अनवर अंसारी ने आज शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए कहा कि अकादमी के अध्यक्ष कल्याण कुमार चक्रवर्ती को मनमाने ढंग से पद से हटा दिया गया है। इसके लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी भी नहीं ली गई है। उन्होंने कहा कि सरकार अकादमी में असामान्य स्थिति उत्पन्न होने या वित्तीय अनियमितता पाये जाने पर ही इसके कामकाज को अपने हाथ में ले सकती है। इस मामले में श्री चक्रवर्ती के खिलाफ वित्तीय अनियमित्तता का कोई आरोप नहीं है लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है आैर एक अन्य आरोपी अधिकारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

श्री अंसारी ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक वेनु वासुदेवन को भी अचानक उनके पद से हटा दिया है। उन्होंने कहा कि इन दोनों मामलों में कला क्षेत्र के 130 जाने माने लोगों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर गुहार लगाई है। वह सरकार से इन संस्थाओं की स्वायत्ता बहाल करने की मांग करते हैं। उन्हीं की पार्टी के शरद यादव ने भी कहा कि यह मामला गंभीर है और स्वायत्त संस्थाओं का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।

मार्क्सवादी सीताराम येचुरी ने भी उनकी बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वह संस्कृति मंत्रालय से जुड़ी समिति के अध्यक्ष हैं और समिति ने इस तरह की संस्थाओं की स्थिति के बारे में रिपोर्ट तैयार की थी लेकिन वह किसी कारण से सदन में पेश नहीं हो सकी थी। समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने भी सरकार पर देश की संस्कृति पर कुठाराघात करने का आरोप लगाया।

सरकार भ्रष्टाचार पर बयानबाजी न करे, एक्शन ले: सोनिया गांधी

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ पहली बार मोर्चा खोला। उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से पारदर्शिता, भ्रष्टाचार और गुड गवर्नेंस के बड़े-बड़े वादों को पूरा नहीं किया। सोनिया ने कहा कि, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार बयानबाजी न करे, एक्शन ले। सुबह सोनिया गांधी ने संसदीय बोर्ड की बैठक में पीएम मोदी पर विदेशी धरती पर यूपीए सरकार को बदनाम करने का आरोप लगाया। कांग्रेस आज लोकसभा में इस पर स्थगन प्रस्ताव ला सकती है।

सोनिया गांधी ने सरकार से पीएमओ, रक्षा मंत्रालय समेत कई विभागों को आरटीआई के दायरे में लाने की मांग की। उन्होंने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और लोकपाल समेत सभी उच्च संवैधानिक पदोंं के खाली होने पर सवाल उठाया। सोनिया ने कहा कि, बीजेपी के सांसद महात्मा गांधी के हत्यारे का महिमामंडन कर रहे हैं, जो देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

राहुल गांधी ने मौजूदा सरकार को सूटबूट की सरकार बताया, उन्होंने कहा कि, पीएम मोदी किसानों से उनकी जमीन छीनना चाहते हैं। सरकार में एक ही आदमी के पास सारी पॉवर है। साथ ही आरोप लगाया कि सरकार यूपीए के बनाए गए आरटीआई एक्ट को खत्म करना चाहती है। आम जनता को जानकारी देने से मना किया जा रहा है।

रणनीति बनाने के लिए बीजेपी ने बुधवार को संसदीय दल की बैठक बुलाई। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित किया। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू मंगलवार को सहयोगी दलों के नेताओं से मिले। लोकसभा में बिल पास कराने के लिए उनके सांसदों से सदन में मौजूद रहने का आग्रह किया। संविधान संशोधन बिल होने के कारण इसके लिए दो-तिहाई बहुमत जरूरी है।

वहीं, कांग्रेस समेत सभी विरोधी दलों ने जीएसटी बिल की दोबारा समीक्षा करने की मांग की है। इसके अलावा कालाधन और रियल स्टेट बिल के विरोध में भी पूरा विपक्ष एकजुट हैं। संभावना है कि आज विपक्ष इन बिलों की समीक्षा के लिए एक संसदीय समिति बनाने की मांग संसद में कर सकता है। ऐसे में समय की कमी के चलते जीएसटी बिल इस सत्र में पास होने की उम्मीद कम ही है। लोकसभा का मौजूदा सत्र 8 और राज्यसभा का सत्र 13 मई को समाप्त होगा।

भारत ने आतंकवाद का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया

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भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि आतंकवाद एक ऐसा बड़ा खतरा है, जो विश्व को ठीक वैसे ही जनसंहार के जरिए निगल सकता है, जैसा कि दोनों विश्वयुद्धों में देखने को मिला था। इसके साथ ही भारत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद को हराने के प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि भगवंत बिश्नोई ने कहा कि आज आतंकवाद मानवता के समक्ष मौजूद सबसे बड़े खतरों में से एक के रूप में उभरा है। आतंकवाद एक वैश्विक घटना है और इसे वैश्विक कार्रवाई से ही हराया जा सकता है। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारे प्रयासों में कोई कमी न रहे।
   
द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति की स्मति में संयुक्त राष्ट्र महासभा में आयोजित एक सत्र में शामिल होते हुए बिश्नोई ने कहा कि आतंकवाद की पहुंच के बढ़ने का खतरा है और यह दुनिया को ठीक वैसे ही जनसंहार के जरिए निगल सकता है, जैसा कि हमने दोनों विश्वयुद्धों के दौरान देखा। उन्होंने कहा कि दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के 70 साल बाद तक की गई प्रगति के बावजूद युद्ध पूरी तरह समाप्त नहीं हो सके हैं।

सोलहवीं सदी में संघर्षों में मरने वालों की संख्या 16 लाख से 20वीं सदी में यह संख्या लगभग 11 करोड़ हो जाने के आकलन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि युद्ध और सशस्त्र संघर्षों की घटनाओं में समय के साथ कमी आई हो सकती है, लेकिन लोगों पर इसके वास्तविक असर की व्यापकता बढ़ी है।
   
भारतीय राजनयिक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वैश्विक शासन से जुड़े उन संस्थानों की सेहत का भी ख्याल रखना चाहिए, जिनकी स्थापना दूसरे विश्वयुद्ध की पष्ठभूमि में की गई थी। यह युद्ध मानव इतिहास में सबसे ज्यादा विनाशकारी और तबाही वाला वैश्विक संघर्ष था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भारत के योगदान को रेखांकित करते हुए बिश्नोई ने कहा कि भारतीय सेना में जवानों की संख्या दो लाख से बढ़कर 25 लाख तक पहुंच चुकी है, जो इतिहास का सबसे बड़ा स्वयंसेवी बल है। दूसरे विश्वयुद्ध में भारतीय सेना ने लगभग 87 हजार सैनिक गंवाए थे और हजारों घायल हुए थे।
   
बिश्नोई ने कहा कि सदियों से भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के दर्शन की परंपरा रही है जिसने योद्धाओं को राह दिखाई है। उन्होंने कहा कि यह इस संदर्भ के साथ है कि अहिंसा के प्रचारक  महात्मा गांधी ने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ हमारे तत्कालीन संघर्ष के बावजूद दो विश्वयुद्धों में भारत की भागीदारी का समर्थन किया था।

जांच के घेरे में नहीं है गेट्स फाउंडेशन : सरकार

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सरकार ने बुधवार को उन खबरों को खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि गृह मंत्रालय बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के वित्त पोषण की जांच कर रहा है।

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता केएस धतवालिया ने कहा कि मीडिया के एक वर्ग में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के गृह मंत्रालय की जांच के निशाने पर आने से जुड़ी खबरें तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया। सरकार की ओर से यह प्रतिक्रिया मीडिया के एक वर्ग में आई उन खबरों के बाद आई है, जिनमें कहा गया था कि खुफिया एजेंसियों से जानकारी मिलने के बाद गृह मंत्रालय एक प्रसिद्ध भारतीय स्वास्थ्य संस्था के वित्त पोषण में फाउंडेशन की भूमिका की जांच कर रहा है।

पिछले साल बिल और मेलिंडा गेट्स दोनों को सरकार ने पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया था। यह फाउंडेशन भारत में कई परियोजनाओं से जुड़ी है। इसने पिछले साल जम्मू-कश्मीर के बाढ़ पीड़ितों की भी मदद की थी।

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (06 मई)

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राजेश राम के समर्थन में जनप्रतिनिधियों का सम्मेलन आयोजित 

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नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) त्रिस्तरीय पंचायत राज के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के विधान परिषद सदस्य के निर्वाचन के लिए चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ होने को लेकर निवर्तमान पार्षद की राजनीतिक गतिविधियाँ बढ गई है। इसकों लेकर वार्ड सदस्य से लेकर जिला परिषद् सदस्य तक के दरवाजों पर विधान परिषद् के प्रत्याशियों की दस्तक होने लगी है। सूत्र बताते है कि इसी क्रम में निवर्तमान विधान पार्षद राजेश राम के समर्थन में बिहार के मंत्री व पूर्व सांसद और उनके भाई पूर्णमासी राम ने नरकटियागंज के टीपी वर्मा काॅलेज में जनप्रतिनिधियों का एक सम्मेलन आयोजित किया। जिसमें आशीष वर्मा उर्फ मधु बाबू मुखिया सह पैक्स अध्यक्ष रूपवलिया, गुलरेज अख्तर पूर्व मुखिया रखही, मुखिया अभय सिंह, श्रीबैठा, अब्दुल गफ्फार, मुरली मनोहर गुप्ता समेत अन्य विभिन्न पार्टी के नेता शामिल हुए। उपर्युक्त जनप्रतिनिधि सम्मेलन में राजेश राम ने कहा कि पंचायती राज का उत्थान व जनप्रतिनिधियों को सम्मान दिलाना उनकी प्राथमिकता हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हांेने जनप्रतिनिधियों के सम्मान के लिए लगातार प्रयत्नशील रहने का वादा किया। आयोंजको ने बताया कि मुख्य अतिथि पूर्णमासी राम अपरिहार्य कारणांे से कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। कार्यक्रम में आगामी चुनाव में अपने बहुमूल्य मत से पुनः विधान परिषद् में पहुँचाने की अपील करते हुए, निवर्तमान विधान पार्षद राजेश राम ने सभी जनप्रतिनिधियांे का अभिनन्दन किया। 

छतरपुर (मध्यप्रदेश) की खबर (06 मई)

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राजस्व वसूली का कार्य तत्परतापूर्वक निपटायें: कलेक्टर
  • राजस्व अधिकारियों की समीक्षा बैठक सम्पन्न    

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छतरपुर/06 मई/जिले में भू-राजस्व, पंचायत कर, भू-भाटक, डायवर्सन तथा अन्य मदों में राजस्व राषि वसूली की स्थिति संतोषजनक नहीं है। अतः राजस्व अधिकारी बड़े बकायादारों के विरूद्ध आवष्यक होने पर आरआरसी के तहत प्रकरण दर्ज कर संबंधित को डिमांड नोटिस एवं कुर्की वारंट जारी करने के बाद नीलामी की कार्यवाही कर राजस्व राषि की वसूली करना सुनिष्चित् करें। नीलामी के पूर्व संबंधित विभाग के अधिकारी से सम्पत्ति के मूल्य का आकलन जरूर करायें। उक्त आषय के निर्देष कलेक्टर डाॅ. मसूद अख्तर ने आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सम्पन्न हुयी राजस्व अधिकारियों की बैठक में दिये। उन्होंने तहसीलदारों से कहा कि किसानों के क्रेडिट कार्ड समय पर जारी करायें। कलेक्टर डाॅ. अख्तर ने सीएम हेल्पलाइन सहित वन अधिकार दावा, मानवाधिकार आयोग एवं लोकायुक्त के कुछ प्रकरण लंबित रहने पर संबंधित अधिकारी को निराकरण के निर्देष दिये। उन्होंने जाति प्रमाण पत्र, नामांकन-सीमांकन, भू-अर्जन, षासकीय विभागों को भूमि आवंटन के बारे में भी अधिकारियों को निर्देषित किया। उन्होंने तहसीलदारों से कहा कि संबंधित थाने में सम्पर्क कर षस्त्र लायसेंस की जानकारी प्राप्त करें एवं समय-सीमा में इसके आॅनलाइन डाटाबेस के बारे में भी कार्यवाही सुनिष्चित् करें। इसके पूर्व अपर कलेक्टर एस सी गंगवानी ने आगामी 10 मई को ईपिक कार्ड से आधार नंबर को लिंक करने के लिये आयोजित किये जा रहे विषेष षिविर के बारे में जानकारी दी। जिपं सीईओ डाॅ. सतेन्द्र सिंह ने बताया कि षासन के निर्देषानुसार प्रत्येक विधानसभा स्तर पर 1 करोड़ 60 लाख रूपये की लागत से स्टेडियम का निर्माण कराया जाना है। अतः इसके लिये भूमि का चयन कर लिया जाये। बैठक के पष्चात् गत् स्थानीय निर्वाचन के कार्य में उल्लेखनीय कार्य करने वाले अधिकारियों को प्रषस्ति पत्र का वितरण किया गया।   

मंत्री यषोधरा राजे सिंधिया का आगमन 8 को

छतरपुर/06 मई/प्रदेष षासन की वाणिज्य, उद्योग व रोजगार, खेल एवं युवा कल्याण तथा धार्मिक न्यास व धर्मस्व विभाग की मंत्री श्रीमती यषोधरा राजे सिंधिया 8 मई को प्रातः 10 बजे षिवपुरी से कार द्वारा प्रस्थान कर दोपहर 2 बजे नौगांव तहसील क्षेत्र के ग्राम महेबा आयेंगी। मंत्री श्रीमती सिंधिया महेबा में ईषानगर रोड पर स्थित रामवती इण्डस्ट्रीज इक्यूपमेंट प्रा.लि. के भूमि पूजन कार्यक्रम में षिरकत कर अपरान्ह साढ़े 3 बजे झांसी के लिये प्रस्थान करेंगी।  

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पद से पृथक

छतरपुर/06 मई/एकीकृत बाल विकास परियोजना राजनगर क्रमांक 2 के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केंद्र ओटापुरवा में पदस्थ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गोमती नामदेव को केंद्र संचालन में लापरवाही बरतने, निरीक्षण में अनुपस्थित पाये जाने, आईसीडीएस योजनाओं से हितग्राहियों को लाभांवित नहीं करने, मासिक बैठकों में अनुपस्थित रहने एवं अन्य गंभीर अनियमितता पाये जाने पर पद से पृथक कर दिया गया है। उक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था, किंतु कार्यकर्ता गोमती नामदेव द्वारा नोटिस का जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया।  

स्कूल एवं उच्च षिक्षा राज्य मंत्री 8 को आयेंगे 

छतरपुर/06 मई/प्रदेष षासन के स्कूल षिक्षा एवं उच्च षिक्षा राज्य मंत्री श्री दीपक जोषी 8 मई को प्रातः 10.20 बजे षासकीय वाहन द्वारा झांसी से प्रस्थान कर दोपहर साढ़े 12 बजे छतरपुर आयेंगे। मंत्री श्री जोषी जिला भाजपा कार्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर दोपहर 1.45 बजे महेबा के लिये प्रस्थान करेंगे। आप महेबा में रामवती इण्डस्ट्रीज प्रा.लि. के षिलान्यास समारोह में षिरकत कर सायं 4.45 बजे नौगांव सर्किट हाउस में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। श्री जोषी सायं साढ़े 5 बजे झांसी के लिये प्रस्थान करेंगे।

यात्री बसों के सुव्यवस्थित संचालन हेतु बैठक आयोजित 

छतरपुर/06 मई/स्थानीय पुलिस कण्ट्रोल में जिले के विभिन्न क्षेत्रों में चलने वाली यात्री बसों के सुरक्षित एवं सुविधाजनक आवागमन के संबंध में बैठक का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर डाॅ. मसूद अख्तर सहित पुलिस अधीक्षक ललित षाक्यवार, एएसपी नीरज पाण्डेय, एसडीएम डी पी द्विवेदी, सीएसपी दिनेष सिंह परिहार सहित आरटीओ, बस मालिक एवं विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी एवं पत्रकारगण उपस्थित थे। बैठक में एसपी श्री षाक्यवार ने कहा कि यात्री बसों के स्वामी अपने वाहनों में आपातकालीन खिड़की, प्राथमिक चिकित्सा बाक्स एवं अग्निशमन यंत्र जैसी मूल-भूत आवश्यकताओं की पूर्ति करें अन्यथा वाहन का परमिट व फिटनेस निरस्त कराने के साथ-साथ वाहन स्वामी के विरूद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि 15 दिवस के भीतर वाहन मालिक ड्रायवर-कंडक्टर के लिये वर्दी की व्यवस्था कराना भी सुनिष्चित् करें। क्षमता से अधिक सवारी न बैठायें। बस के पीछे लगी लोहे की जाली भी हटवायी जाये। उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में उनके द्वारा स्वयं औचक निरीक्षण किया जायेगा तथा किसी भी प्रकार की कमी पाये जाने पर चालानी कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने मीडियो कर्मियों से अपील करते हुये कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वाली बसों की फोटो खींचकर उनके व्हाट्सएप नंबर पर भेजें, जिससे दण्डनीय कार्यवाही की जा सके। आरटीओ द्वारा भी बस के संचालन के संबंध में आवष्यक निर्देष दिये गये। बैठक में उपस्थित अन्य अधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा भी अपने-अपने सुझाव रखे गये।  

मिषन इंद्रधनुष का द्वितीय चरण आज से प्रारंभ होगा

छतरपुर/06 मई/जिले के समस्त विकासखण्डों में मिषन इन्द्रधनुष का द्वितीय चरण 7 मई से प्रारंभ होकर 14 मई तक चलेगा। इस दौरान जिले के 697 चिन्हित क्षेत्रों में 0 से 2 वर्ष के 5 हजार 639 बच्चों का टीकाकरण एवं 1 हजार 668 गर्भवती माताओं का टीकाकरण किया जायेगा। मिषन इन्द्रधनुष कार्यक्रम का सीएमएचओ डा. विनोद कुमार गुप्ता द्वारा भ्रमण कर सुपरविजन किया जायेगा। जिला टीकाकरण अधिकारी डा. सुरेष बौद्ध को समस्त विकासखण्डों की माॅनिटरिंग के लिये नियुक्त किया गया है।

सीधी (मध्यप्रदेश) की खबर (06 मई)

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वैष्णोमाता के दर्शन हेतु 9 मई को तीर्थयात्री रवाना होंगे

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सीधी 06 मई 2015    मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजनान्तर्गत सीधी जिले से 151 तीर्थयात्री वैष्णों देवी तीर्थदर्शन के लिए रवाना होंगे। तीर्थदर्शन के ट्रेन रीवा से 9 मई को वैष्णों देवी तीर्थ के लिए रवाना होगी और 14 मई को ट्रेन वापस आएगी। कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने बताया कि जनपद पंचायत से आवेदन पत्रों के परीक्षण के उपरान्त सूची तैयार कराकर जिला सूचना एवं विज्ञान केन्द्र से रेण्डमाईजेशन कराकर अन्तिम सूची तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि जिले से 151 तीर्थ यात्रियों के साथ ही तीन अनुरक्षक भी जायेंगे। कलेक्टर श्री गढ़पाले ने बताया कि यह तीर्थयात्रा पूरी तरह निःशुल्क है। तीर्थ यात्रा के दौरान यात्रियों को भोजन, नाश्ता, पानी, चाय निःशुल्क रूप से उपलब्ध कराया जायेगा।    

भारत पेंशनर्स समाज ने कलेक्टर को दो हजार रूपये की सहायता राशि का चेक सौंपा

सीधी 06 मई 2015    भारत पेंशनर्स समाज जिला सीधी ने बीथिका भवन प्रांगण में 5 मई को नेपाल में आए विनाशकारी भूकम्प में मारे गए नागरिकों के मृत आत्मा की शाॅति के लिए ठीक 11 बजे एक मिनट का मौन रखकर शोक व्यक्त किया। आज पेंशनर्स समाज के अध्यक्ष देवराज सिंह और कार्यकारी अध्यक्ष बी.के.खरे ने कलेक्टर विशेष गढ़पाले को नेपाल त्रासदी के लिए सहायता राशि के रूप में दो हजार रूपये का बैंक ड्राफ्ट सौंपा।   
आज मनाया जायेगा अन्न उत्सव हितग्राहियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जायेगा

सीधी 06 मई 2015    कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आज 7 मई को अन्न उत्सव आयोजित कर समस्त उचित मूल्य की दुकानों में हितग्राहियों को पात्रता के अनुरूप खाद्यान्न वितरित किया जाएगा। इसके साथ ही खाद्यान्न लेने आये हितग्राहियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। स्वास्थ्य परीक्षण के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रत्येक उचित मूल्य की दुकान में स्वास्थ्य शिविर लगाने के निर्देश दिए जा चुके हैं। कलेक्टर श्री गढ़पाले ने अन्न उत्सव के दौरान जिले में स्थित समस्त 426 उचित मूल्य की दुकानों को खुले रखने के निर्देश जारी किया है। उन्होंने कहा है कि अन्न उत्सव के दौरान उचित मूल्य की दुकान में आने वाले शत-प्रतिशत हितग्राहियों को खाद्यान्न वितरित किया जाय। कलेक्टर ने बताया कि खाद्यान्न का वितरण सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक दुकान के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए है।      

आदर्श ग्राम करवाही में 11 मई को शिविर आयोजित होगा

सीधी 06 मई 2015    कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के महाप्रबन्धक श्री चैरसिया को निर्देश दिया है कि 11 मई को सांसद आदर्श ग्राम करवाही में विशेष शिविर आयोजित कर वहाॅ के युवकों से मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के आवेदन पत्र भरवायें और उन्हें इस योजना का लाभ दिलवायें। कलेक्टर ने कहा कि इस शिविर में एल.डी.एम. श्री सिंह एवं बैंकर्स भी उपस्थित रहेंगे। इसी प्रकार 11 मई को ही आर.टी.ओ.विभाग शिविर आयोजित कर वहाॅ के युवाओं के ड्रायविंग लायसेन्स बनायेगा। उन्होंने निर्देश दिए कि शिविर आयोजन का करवाही में अधिक से अधिक प्रचार कर वहाॅ के अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार का लाभ दिया जाय।

आदर्श ग्राम करवाही में उद्यान विभाग 12 मई को शिविर आयोजित करेगा

सीधी 06 मई 2015    कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने निर्देश दिए कि उद्यान विभाग आदर्श ग्राम करवाही में शिविर आयोजित कर वहाॅ के कृषकों एवं हितग्राहियों से फलोद्यान, सब्जी, वर्मी कम्पोस्ट एवं अन्य हितग्राही मूलक योजनाओं के आवेदन फार्म भरवाकर हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ देंगे।

सिहावल में 8 मई को बैठक आयोजित होगी

सीधी 06 मई 2015    कलेक्टर विशेष गढ़पाले की अध्यक्षता में 8 मई को दोपहर 12 बजे से विकासखण्ड सिहावल में बैठक आयोजित की गई है। उपरोक्त बैठक में कलेक्टर श्री गढ़पाले विकास कार्यों की सघन समीक्षा करेंगे। 

सड़क निर्माण की समीक्षा 11 मई को आयोजित होगी

सीधी 06 मई 2015   कलेक्टर विशेष गढ़पाले की अध्यक्षता में टी.एल.बैठक के उपरान्त दोपहर 12 बजे से सड़क निर्माण के प्रगति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई है। उपरोक्त बैठक में लोक निर्माण विभाग, एम.पी.आर.डी.सी., पी.एम.जी.एस.वाई. और एन.एच.ए.आई. विभागों की समीक्षा की जायेगी। 

वाहनों में आपातकालीन द्वार लगायें

सीधी 06 मई 2015    क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी आर.डी.कोल ने समस्त वाहन स्वामियों (बस आपरेटर) को निर्देश दिए हैं कि यात्रीयान (बस में) मध्यप्रदेश शासन के मंशा अनुरूप आपातकालीन द्वारा लगायें। उन्होंने कहा कि आपातकालीन द्वार लगाए जाने पर ही वाहन के फिटनेस, परमिट जारी किए जायेंगे। आपातकालीन द्वार न होने की स्थिति में फिटनेस निरस्ती की कार्यवाही की जायेगी जिसकी समस्त जिम्मेदारी वाहन स्वामियों की होगी।

बालाघाट (मध्यप्रदेश) की खबर (06 मई)

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पेंशन प्रकरणों का शत प्रतिशत निराकरण का लक्ष्य
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कलेक्टर श्री व्ही. किरण गोपाल ने सभ्ज्ञी कार्यालय प्रमुखों को निर्देशित किया है कि वे अपने कार्यालय के 31 मार्च 2015 तक सेवानिवृत्त या मृत कर्मचारियों के पेंशन प्रकरण शीघ्र जिला पेंशन कार्यालय में प्रस्तुत करें। ऐसे पेंशन प्रकरणों का 30 जुन 2015 तक शत प्रतिशत निराकरण करने का लक्ष्य रखा गया है। 31 मार्च 2015 तक सेवानिवृत्त या मृत कर्मचारियों के पेंशन प्रकरणों का निराकरण 30 जून तक अनिवार्य रूप से किया जाना है। आगामी 11 मई 2015 को आयोजित होने वाली टी.एल. बैठक में सभी कार्यालय प्रमुखों को लंबित पेंशन प्रकरणों की जानकारी के साथ उपस्थित रहने के निर्देश दिये गये है। 

सोमेश मिश्रा को लांजी एस.डी.एम. का प्रभार
प्रशासकीय कार्य व्यवस्था के सुचारू रूप से संचालन के लिए कलेक्टर श्री व्ही. किरण गोपाल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सहायक कलेक्टर श्री सोमेश मिश्रा को लांजी एस.डी.एम. का प्रभार सौंपा है। यह आदेश तत्काल प्रभावशील हो गया है।  

इंडियन मेडिकल एसोसियेशन ने दिया,  नेपाल भूकंप पीड़ितों के लिए 1.21 लाख रु. का चेक
नेपाल में 25 अप्रैल 2015 को आये भूकंप से प्रभावित लोगों की मदद के लिए जिले के लोग एवं संस्थायें निरंतर आगे आ रही है। स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारियों द्वारा भूकंप प्रभावितों की मदद के लिए अपना एक दिन का वेतन देने की घोषणा की गईग् है। इसी कड़ी में इंडियन मेडिकल ऐसोसियेशन बालाघाट द्वारा एक लाख 21 हजार रु. की राशि दान में दी गई है। ऐसोसियेशन की अध्यक्ष डॉ. रागिनी पारधी, सचिव डॉ. ज्योतिषी, सदस्य डॉ. सी.के. पारधी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.के. खोसला, डॉ. अजय जैन ने आज कलेक्टर श्री व्ही. किरण गोपाल को सहायता राशि का चेक सौंपा। इस अवसर पर एसोसियेशन के सदस्य भी मौजूद थे। 

बस कंडक्टर से लूट-पाट करने वालों का सुराग देने पर 15 हजार रु. का ईनाम
बालाघाट जोन के पुलिस महानिरीक्षक डी.सी. सागर ने जबलपुर मंडला रोड पर 30 अप्रैल 2015 को मटयारी नदी पुल के पास रात्री में बस रोक कर बस कंडक्टर से मारपीट करने एवं 5 हजार रु. की राशि लूटने वाले अज्ञात आरोपियों का सुराग देने के लिए 15 हजार रु. का ईनाम घोषित किया है। जो कोई भी व्यक्ति आरोपियों के बारे में सूचना देगा और उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित करायेगा उसे 15 हजार रु. का नगद ईनाम दिया जायेगा और सूचना देने वाले का नाम भी गोपनीय रखा जायेगा। उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल 2015 की रात्री में 11.30 बजे जबलपुर से रायपुर जाने वाली बस को मंडला जिले में मटियारी नदी के पुल के पास अज्ञात लोगों ने रोक कर कंडक्टर मथुरा प्रसाद नामदेव को बस से नीचे उतार कर मारा पीटा और उसकी जेब से 5 हजार रु. की राशि निकाल कर फरार हो गये थे। 

पिछड़ावर्ग विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति के आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून
पिछड़ावर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति 2015-16 के लिये आवेदन आमंत्रित किये हैं ।  यह छात्रवृत्ति शोध उपाधि के बाद अध्ययन, शोध उपाधि एवं स्नातकोत्तर अवधि के लिये देय है । आवेदन पत्र का प्रारूप वेबसाइट bcwelfare.mp.nic.in  पर उपलब्ध है ।  पूर्णरूप से भरे हुए आवेदन पत्र 30 जून 2015 तक आयुक्त कार्यालय द्वारा स्वीकार किये जायेंगे ।पिछड़ावर्ग के 18 वर्ष से अधिक और 35 वर्ष से कम आयु वाले अभ्यर्थी विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति योजना का लाभ उठा सकते हैं ।  आयु सीमा विशेष प्रकरणों में 10 वर्ष तक शिथिल भी की जा सकेगी ।  आवेदक एवं उसके अभिभावक की सकल आय 6 लाख रूपये सालाना से अधिक न हो ।  अंतिम रूप से चयन की पुष्टि की सूचना प्राप्त करने के एक वर्ष की समय-सीमा में अभ्यर्थी को विदेश के अधिमान्य विश्वविद्यालय या संस्थान में प्रवेश लेना होगा ।  योजना की विस्तृत जानकारी संबंधित जिले के सहायक संचालक, पिछड़ावर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय से भी ली जा सकती है ।शासकीय या शासन के उपक्रमों में सेवारत अभ्यर्थी अपने आवेदन की अग्रिम प्रति प्रस्तुत कर सकेंगे, अगर उन्हें आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की आखिरी तिथि से 15 दिन के अंदर नियोक्ता के जरिये भी आवेदन देना होगा ।  विधिवत भरे हुए आवेदन पत्र 30 जून 2015 तक कार्यालय आयुक्त पिछड़ावर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण, सतपुड़ा भवन, द्वितीय तल (घ) विंग भोपाल (म.प्र.) पिन कोड 462004 पर प्राप्त किये जायेंगे । आवेदन पत्र पंजीकृत डाक, स्पीड पोस्ट, साधारण डाक या स्वयं के द्वारा प्रस्तुत किये जा सकते हैं । निर्धारित अवधि के बाद प्राप्त होने वाले आवेदनों पर विचार नहीं किया जायेगा । 

पन्ना (मध्यप्रदेश) की खबर (06 मई)

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बस दुर्घटना में मृतकों की जानकारी के लिए हेल्पलाईन शुरू 

पन्ना 06 मई 15/नेशनल हाईवे क्रमांक 75 में पन्ना से 13 कि.मी. दूर मडला घाटी में गत दिवस अनूप बस सर्विस सतना दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस दुर्घटना में 21 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी। इन मृतकों के शव जलने के कारण पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं जिनकी पहचान संभव नही है। कलेक्टर शिवनारायण सिंह चैहान ने इस दुर्घटना में मृत व्यक्तियों के संबंध में जानकारी, उनकी पहचान एवं दावा प्रस्तुत करने के लिए हेल्पलाईन प्रारंभ की है। हेल्पलाईन का दूरभाष क्रमांक 07732-252086 है। यह हेल्पलाईन नम्बर एसडीएम कार्यालय पन्ना में  स्थापित है। जो भी व्यक्ति घटना में मृत हुए व्यक्तियों के संबंध में जानकारी रखता है वह इस हेल्पलाईन में सम्पर्क कर मृतकों के संबंध में जानकारी दे सकता है। इसके अलावा कार्यालयीन समय में एसडीएम कार्यालय पन्ना में उपस्थित होकर जानकारी दी जा सकती है। 

कलेक्टर ने दुर्घटना में घायलों को प्रदान की सहायता राशि

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पन्ना 06 मई 15/गत दिवस पन्ना जिला मुख्यालय के समीप मडला घाटी में हुई बस दुर्घटना में कई व्यक्ति हताहत हुए। दुर्घटना में घायल 13 व्यक्तियों को कलेक्टर शिवनारायण सिंह चैहान ने सहायता राशि के चेक प्रदान किए। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान द्वारा की गई घोषणा के अनुसार गंभीर रूप से घायल 5 व्यक्तियों को 50-50 हजार रूपये तथा मामूलीतौर पर घायल 8 व्यक्तियों को 25-25 हजार रूपये के चेक प्रदान किए गए। उन्होंने उपचार करा रहे घायलों तथा उनके परिजनों से चर्चा करते हुए कहा कि उपचार की पूरी सुविधा निःशुल्क दी जा रही है। सभी तरह की दवाएं तथा जांच की व्यवस्था की गई है। उपचार में किसी तरह की कठिनाई आने पर तत्काल सूचित करें। उन्होंने मौके पर उपस्थित सिविल सर्जन को घायलों की उपचार के लिए आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिए। कलेक्टर श्री चैहान ने जिला अस्पताल जाकर घायलों को सहायता राशि के चेक प्रदान किए। उन्होंने बिक्की उर्फ संजय रावत को निवासी गंज जिला छतरपुर, रामेश्वर अहिरवार निवासी सिंहपुर जिला पन्ना, रजनीश निवासी बडखेरा जिला पन्ना, भरत अहिरवार निवासी सिंहपुर तथा अरविन्द सिंह निवासी कटरा मोहल्ला पन्ना को 50-50 हजार रूपये के चेक प्रदान किए। उन्होंने पप्पू सोनी निवासी चंदौरा, राजेश सेन निवासी खरोनीपुरवा, सूरज अहिरवार निवासी सिंहपुर, लक्ष्मण आदिवासी निवासी हीरापुर सकरिया, सुरेश प्रसाद कुशवाहा निवासी पुरूषोत्तमपुर, फूलवती भटनागर निवासी तिदुनहाई, वीरेन्द्र कोंदर निवासी हिनौती तथा विष्णु तिवारी निवासी पडरहा को 25-25 हजार रूपये के चेक प्रदान किए। दो घायलों को उपचार के लिए मेडिकल काॅलेज रीवा रेफर किया गया है। स्वीकृत सहायता राशि के चेक उन्हें भेजे गए हैं। सहायता राशि चेक प्रदान करते समय एसडीएम पन्ना अशोक ओहरी, तहसीलदार पन्ना बी.एम. शुक्ला, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. एल.के. तिवारी, सिविल सर्जन डाॅ. राजेश श्रीवास्तव एवं संबंधित राजस्व तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे। 
  
तीर्थदर्शन ट्रेन 10 मई को जाएगी रामेश्वरम्

पन्ना 6 मई 15/मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना के तहत तीर्थदर्शन ट्रेन जिले के 165 वरिष्ठ नागरिकों को रामेश्वरम् की तीर्थ यात्रा कराने के लिए 10 मई को सतना रेलवे स्टेशन से प्रस्थान करेगी। इस संबंध में धर्मार्थ अधिकारी तथा हीरा अधिकारी रत्नेश दीक्षित ने बताया कि चुने हुए 165 तीर्थ यात्री अपनी यात्रा टिकट 9 मई तक कलेक्ट्रेट कार्यालय से प्राप्त कर लें। इसके लिए पहचान पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत करना आवश्यक होगी। उन्होंने बताया कि यात्रियों की सुविधा तथा सहायता के लिए 3 कर्मचारी तैनात किए गए हैं। यात्रियों की सहायता के लिए राजेन्द्र प्रजापति सहायक ग्रेड-2 लोक सेवा प्रबंधक कार्यालय, सुधीर कुमार श्रीवास्तव अध्यापक आरपी उमावि. पन्ना तथा केदारनाथ सहायक अध्यापक प्राथमिक शाला रक्सेहा को तैनात किया गया है।  सभी यात्रियों को यात्रा के दौरान भोजन, नास्ता, चाय तथा पानी की निःशुल्क सुविधा दी जाएगी। 

विधिक सहायता के लिए पंजीकृत होंगी स्वयं सेवी संस्थाए

पन्ना 6 मई 15/राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार जिले में विधिक साक्षरता को बढावा देने के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा। इस संबंध में जिला विधिक सहायता अधिकारी प्रदीप त्रिपाठी ने बताया कि विधिक सहायता तथा विधिक साक्षरता के क्षेत्र में कार्य करने के लिए स्वयं सेवी संस्थाएं 12 मई तक निर्धारित प्रपत्र में आवेदन देकर पंजीयन करा सकती हैं। जिले में विधिक सहायता के क्षेत्र में कार्य करने वाली तथा कार्य करने की इच्छुक संस्थाएं आवेदन कर सकती हैं। आवेदन पत्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पन्ना में प्रस्तुत किया जा सकता है। 

मिशन इन्द्रधनुष का दूसरा चरण आज से, सम्पूर्ण टीकाकरण के लिए मिशन इन्द्रधनुष आज से

पन्ना 6 मई 15/जिले के चुने हुए क्षेत्रों मंे दो वर्ष तक शिशुओं एवं सभी गर्भवती माताओं का सम्पूर्ण टीकाकरण करने के लिए 7 मई से मिशन इन्द्रधनुष का दूसरा चरण प्रारंभ किया जा रहा है। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ0 एल.के. तिवारी ने बताया कि जिले के चुने हुए क्षेत्रों में मिशन इन्द्रधनुष के तहत प्रथम चरण में सफलतापूर्वक सम्पूर्ण टीकाकरण किया गया। इसके दूसरे चरण में 5680 शिशुओं तथा 2540 गर्भवती माताओं का सम्पूर्ण टीकाकरण किया जाएगा। टीकाकरण आशा कार्यकर्ताओं एवं एएनएम द्वारा किया जाएगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि मिशन इन्द्रधनुष अभियान को सफल बनाने के लिए चरणवद्ध रूप से सभी तैयारियां कर ली गई हैं। चुने हुए गांव में दीवार लेखन तथा लाउड स्पीकर के माध्यम से टीकाकरण तिथियों का प्रचार-प्रसार किया गया है। टीकाकरण में तैनात सभी कर्मचारियोें को दो चरणों में गहन प्रशिक्षण दिया गया। मिशन इन्द्रधनुष अभियान 7 मई से 14 जून तक चलाया जाएगा। इसके तहत उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाएगा जिनमें किसी कारणवश सम्पूर्ण टीकाकरण नही हो रहा है। अभियान को सफल बनाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से शिशुओं के अभिभावकों तथा गर्भवती माताओं को टीकाकरण का आमंत्रण पत्र दिया गया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा स्वयं सेवी संस्थाओं का भी टीकाकरण में सहयोग लिया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता के साथ-साथ आंगनवाडी कार्यकर्ता भी इसमें अपना पूरा योगदान दे रही हैं। उन्होंने सभी दो वर्ष तक बच्चों तथा गर्भवती माताओं से सम्पूर्ण टीकाकरण कराने की अपील की है। 

जिलेभर में चार चरणों में चलेगा स्कूल चले हम अभियान

पन्ना 6 मई 15/शाला जाने योग्य प्रत्येक बच्चे का शाला में प्रवेश कराने तथा अनिवार्य शिक्षा अधिनियम का कठोरता से पालन सुनिश्चित करने के लिए जिलेभर में 4 चरणों में स्कूल चले हम अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए शासन स्तर से विस्तृत निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इस संबंध में जिला समन्वयक शिक्षा मिशन एस.बी. मिश्रा ने बताया कि अभियान का प्रथम चरण 25 अप्रैल से 5 मई तक चलाया गया। इसमें प्रत्येक ग्राम में वार्ड प्रभारी शिक्षकों की तैनाती की गई। इनके द्वारा 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों की सूची घर-घर सर्वेक्षण करके तैयार की जाएगी। ग्रामवार सूची 9 मई तक जनशिक्षक को प्राप्त होगी। इसे 16 मई तक विकासखण्ड स्तर पर एकत्रित किया जाएगा। अभियान का दूसरे चरण में माध्यमिक शाला के शिक्षक कक्षा 6 में प्रवेश के योग्य बच्चों की सूची तैयार करेंगे। इसमें कक्षा 5वीं की पढाई पूरी करने वाले बच्चों के पालकों से भी सम्पर्क करके बच्चों के शाला में प्रवेश का आग्रह किया जाएगा। निजी स्कूलों में प्रवेश के इच्छुक विद्यार्थियों की पृथक से सूची तैयार करके 9 मई तक प्रधानाध्यापक के माध्यम से जनशिक्षक केन्द्र को उपलब्ध कराई जाएगी। अभियान के तीसरे चरण में कक्षा 8 उत्तीर्ण करने वाले सभी बच्चों को कक्षा 9 में दर्ज कराने की कार्यवाही की जाएगी। माध्यमिक शाला के सभी प्रधानाध्यापक कक्षा 8 उत्तीर्ण विद्यार्थियों की सूची अपने निकटतम हाईस्कूल अथवा हायर सेकेण्डरी स्कूल को उपलब्ध कराएंगे। इसी प्रकार कक्षा 11 में प्रवेश योग्य बच्चों की भी सूची तैयार की जाएगी। प्रत्येक हाई स्कूल प्राचार्य कक्षा 10वीं पास करने वाले विद्यार्थियों की सूची निकट के हाईस्कूल के प्राचार्य को उपलब्ध कराएंगे। इसके साथ-साथ उत्तीर्ण विद्यार्थियों के अभिभावकों से सम्पर्क करके बच्चों के शाला में प्रवेश के प्रयास किए जाएंगे। अभियान के अंतिम चरण में कक्षा 1, कक्षा 6, कक्षा 9 एवं कक्षा 11 में प्रवेश योग्य विद्यार्थियों की सूची एक जून तक एजुकेशन पोर्टल पर दर्ज की जाएगी। जिला समन्वयक ने सभी बीआरसी तथा जनशिक्षकों को शासन द्वारा निर्धारित समय सारणी के अनुसार स्कूल चले हम अभियान की कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। 

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना से सभी विकासखण्डों में होंगे विवाह

पन्ना 6 मई 15/गरीब परिवार की कन्या को विवाह के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना से 25 हजार रूपये की सहायता दी जाती है। इस योजना के तहत मई माह में जिलेभर में सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। इस संबंध में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी चन्द्रशेखर शुक्ला ने बताया कि विकासखण्ड अजयगढ में 15 मई को जनपद परिसर तथा विकासखण्ड पन्ना में 18 मई को सारंगधर मंदिर परिसर में सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। गुनौर मेें 20 मई को जनपद परिसर, शाहनगर में 28 मई को मण्डी प्रांगण तथा विकासखण्ड पवई में 20 मई को माॅ कलेही देवी मंदिर परिसर में सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने सभी एसडीएम तथा जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि निर्धारित तिथियों का व्यापक प्रचार-प्रसार करके पात्र वर-कन्या का तत्काल पंजीयन कराएं। वर-कन्या के लिए 10 हजार रूपये की सावधि जमा रसीदें तैयार कराएं। विवाह संस्कार के लिए आवश्यक सामग्री मंगलसूत्र, विछिया, पायल, वर्तनों की व्यवस्था करें। विवाह समारोह में वरमाला, बैण्डबाजे, प्रकाश, पेयजल तथा भोजन की भी उचित व्यवस्था करें। समारोह में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को अनिवार्य रूप से आमंत्रित करें। उन्होंने आमजनता से सामूहिक विवाह समारोह में पात्र वर-कन्या को लाभान्वित कराने की अपील की है। 

निर्माण कार्यो की मानीटरिंग के लिए दल तैनात

पन्ना 6 मई 15/जनपद पंचायतों तथा ग्राम पंचायतों द्वारा कराए गए निर्माण कार्यो की निगरानी एवं आवास योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए विकासखण्डवार दल तैनात किए गए हैं। इस संबंध में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी चन्द्रशेखर शुक्ला ने बताया कि निगरानी दल में पन्ना तथा पवई विकासखण्ड के लिए अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी अशोक चतुर्वेदी, अनुविभागीय अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा बी.डी. कोरी एवं आडिटर मनरेगा विनोद श्रीवास्तव को तैनात किया गया है। विकासखण्ड अजयगढ, गुनौर एवं शाहनगर के निगरानी दल में सहायक परियोजना अधिकारी एस.के. मिश्रा, सहायक यंत्री जिला पंचायत एस.सी. कोरी तथा आडिटर मनरेगा वेदनारायण अवस्थी को तैनात किया गया है। तैनात दल हर सप्ताह कम से कम 10 ग्राम पंचायतों का निरीक्षण करके जांच प्रतिवेदन निर्धारित प्रपत्र में प्रस्तुत करें। 

बड़वानी (मध्यप्रदेश) की खबर (06 मई)

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जेईई एडवांस कोचिंग का निरीक्षण किया कलेक्टर ने
  • जेईई एडवांस कोचिंग में कलेक्टर ने विद्यार्थियो एवं शिक्षको को दिये बहुमूल्य सुझाव

badwani news
बड़वानी 06 मई/कलेक्टर श्री रवीन्द्रसिंह ने उत्कृष्ट विद्यालय बड़वानी में संचालित जेईई एडवांस परीक्षा कोचिंग का आकस्मिक निरीक्षण कर कोचिंग दे रहे शिक्षको एवं विद्यार्थियो को बहुमूल्य सुझाव दिये है। जिले के शासकीय एवं अशासकीय शिक्षण संस्थानो में पढ़कर जेईई मेन्स परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 33 विद्यार्थियो की संचालित इस निःशुल्क कोचिंग में कलेक्टर ने टिप्स देते हुये सुझाया कि सबसे महत्वपूर्ण है टाईम मेनेजमेंट करते हुये अपने विषय का ऐसा अध्ययन करना, जिसमें रटने की बजाये विषय को पूरी तरह से समझा जाये । जिससे परीक्षा में किसी भी प्रकार पूछे जाने वाले प्रश्नो को समझ कर सही उत्तर दिया जा सके। वही कलेक्टर ने विद्यार्थियो से अव्हान किया कि प्रश्नो संबंधी शंकाओ - जिज्ञासाओ का तुरन्त समाधान करवाये । जिससे जीवन में आये इस अवसर का लाभ सभी सफलतापूर्वक उठा सके । इसी प्रकार कलेक्टर ने कोचिंग हेतु नियुक्त किये गये शिक्षको को भी सुझाया कि विद्यार्थियो को परीक्षा पद्धति व पूछे जाने वाले प्रश्नो के प्रकारो से अनिवार्य रूप से अवगत कराया जाये । साथ ही पूर्व वर्षो में आये प्रश्न पत्रो के आधार पर तैयार किये गये प्रश्न पत्रो पर नियमित रूप से टेस्ट भी ले, जिससे विद्यार्थी परीक्षा कक्ष में उपस्थित होने वाले दबाव में भी बेहतर परिणाम प्राप्त कर सके । इस अवसर पर सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्री आरके श्रोती ने बताया कि इस कोचिंग में शासकीय शिक्षण संस्थानो में पढ़े हुये 28 विद्यार्थियो को तथा अशासकीय शिक्षण संस्थानो में पढ़े हुये 5 विद्यार्थियो को निःशुल्क आवासीय कोचिंग सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है ।विद्यार्थियो को जेईई एडवांस परीक्षा हेतु दी जा रही इस कोचिंग में प्रतिदिन नेट पर उपलब्ध सामग्री सहित देश के प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानो से चर्चा का प्राप्त सामग्री से तथा स्थानीय स्तर पर योग्य शिक्षको द्वारा तैयार सामग्री से पढ़ाई करवाई जा रही है। साथ ही विद्यार्थियो को परीक्षा दबाव सहने हेतु मनोचिकित्सक डाॅ. विजया सकपाल की भी सेवाये उपलब्ध कराई जा रही है । जो अपने अनुभव के माध्यम से विद्यार्थियो का मनोबल बढ़ाने का कार्य कर रही है । कलेक्टर के निरीक्षण के दौरान कोचिंग संस्थान की प्राचार्य श्रीमती मनीषा गौतम, गणित की कोचिंग दे रहे शिक्षक श्री अजय यादव भी उपस्थित थे । 

सरपंच-सचिव अधूरे निर्माण कार्यो को सर्वोच्च प्राथमिकता से पूर्ण कराये -मनेन्द्रसिंह 

बड़वानी 06 मई / जनपद पंचायत बड़वानी के समस्त सरपंच, सचिवो की समीक्षा बैठक जनपद पंचायत कार्यालय बड़वानी में आयोजित की गई । इस बैठक में जनपद पंचायत अध्यक्ष श्री मनेन्द्रसिंह पटेल, उपाध्यक्ष श्री शांतिलाल यादव, खण्ड पंचायत अधिकारी श्री केके चतुर्वेदी ने उपस्थित सरपंच, सचिवो को बताया कि सबसे पहले अपूर्ण निर्माण कार्यो एवं स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत अपूर्ण शौचालयो का निर्माण कार्य पूर्ण कराया जाये । वहीं पंच-परमेश्वर योजना के तहत करवाये जाने वाले कार्यो में सर्वोच्च प्राथमिकता पेयजल संबंधी कार्यो को दी जाये । बैठक के दौरान उपस्थित सचिवो को निर्देशित किया गया कि वे प्रत्येक मंगलवार को पंचायत मुख्यालय पर उपस्थित रहकर ग्रामीणो की समस्याओ का निराकरण जनसुनवाई के माध्यम  से अनिवार्य रूप से करें साथ ही ग्रामीणो को शासन की जनकल्याणकारी योजनाओ का लाभ समय पर दिलवाना सुनिश्चित करें । 
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