सरिता की ताजपोशी से ममता की मंत्री पद की दावेदारी हुई कमजोर, चुनाव के मद्देनदर कांग्रेस ने खेला दलित कार्ड
- दलित महिला को अध्यक्ष पद देने से फायदे की आस में पार्टी
देहरादून,12 मई। विधायक सरिता आर्य को महिला कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। एक तो इस मनोनयन ने पहली बार विधायक बनीं ममता राकेश की मंत्री पद की दावेदारी कई मायनों में कम हो सकती है तो दूसरी तरफ कांग्रेस अपने इस पैंतरे से सूबे के दलित समाज को रिझाकर आने वाले चुनाव में इसका फायदा ले सकती है। कांग्रेस हाईकमान ने नैनीताल की विधायका सरिता आर्य को प्रदेश महिला कांग्रेस का अध्यक्ष मनोनीत किया है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि ऐसा करके कांग्रेस ने एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है। चर्चा है कि इस मनोनयन के बाद पहली बार विधायक बनीं ममता राकेश की कैबिनेट मंत्री पद के लिए की जा रही दावेदारी कमजोर हो सकती है। विधायक बनने के तुरंत बाद ममता ने मंत्री पद की दावेदारी सार्वजनिक रूप से कर दी थी। इसके कांग्रेस के रणनीतिकारों में बेचैनी थी। कहा जा रहा था कि अगर ममता को मंत्री बनाया गया तो पुराने विधायकों में नाराजगी बढ़ सकती है और अगर न बनाया गया तो दलित समाज में यह संदेश जा सकता है कि कांग्रेस एक दलित महिला की उपेक्षा कर रही है। बताया जा रहा है कि इस मामले में गहन विचार-विमर्श के बाद सरिता आर्य का नाम हाईकमान के सामने रखा गया। कहा गया कि सरिता एक तो दलित समाज की महिला हैं। फिर उनके पास सियासी अनुभव भी लंबा है। इस लिहाज से सरिता को अध्यक्ष बनाकर दलित समाज की महिलाओं को अच्छा संदेश दिया जा सकता है। सरिता को अध्यक्ष बनाने के बाद अगर ममता की कैबिनेट मंत्री पद की मांग को नजरअंदाज भी कर दिया जाए तो भी कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है। बताया जा रहा है कि हाईकमान ने इस तर्क से सहमत होने के बाद ही सरिता आर्य के नाम पर मुहर लगाई है। जाहिर है कि अब ममता राकेश की दावेदारी को लेकर कांग्रेस के सामने कोई बड़ा सियासी संकट नहीं आने वाला। ऐसे में ममता की दावेदारी खुद ब खुद कमजोर हो जाएगी। दूसरी तरफ सरिता कुमाऊं मंडल से हैं। कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय समेत प्रदेश कांग्रेस के अधिकांश पद गढ़वाल के हिस्से में आए हैं। ऐसे में सरिता का मनोनयन कुमाऊं की उपेक्षा की बात को दरकिनार करने में सफल हो सकता है। साफ दिख रहा है कि कांग्रेस का यह फैसला 2017 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों का ही एक हिस्सा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेसी रणनीतिकार सरिता की ताजपोशी को किस हद तक भुना पाते हैं।
हरीश और इंदिरा की जुगलबंदी ने किया काम
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि सरिता आर्य की राह सीएम हरीश रावत और सरकार में दो नंबर की हैसियत वाली काबीना मंत्री डा. श्रीमती इंदिरा ह्रदयेश की जुगलबंदी से ही आसान हुई है। इंदिरा काफी समय से सीएम से कह रही थी कि दलित वोटों पर फोकस करने की जरूरत है। मिशन-2017 को फतह करने के लिए दलितों का विश्वास कांग्रेस को जीतना होगा। बताया जा रहा है कि इंदिरा ने ही सरिता आर्य का नाम हरीश को सुझाया। सीएम हरीश ने सियासी गुणा-भाग किया और सरिता के नाम पर सहमति जताई। इसके बाद हाईकमान को सारा गणित समझाया गया और महिला कांग्रेस अध्यक्ष का पद सरिता की झोली में आ गया।
कांग्रेस का हाथ पड़ा पटवारी के गाल पर धारचुला में नेताजी ने एसडीएम के सामने ही जड़ दिया तमाचा
- बे-बस पटवारी रिपोर्ट भी नहीं करा सका दर्ज, आपदा राहत राशि का बंदरबांट चाहते थे नेता
- मना करने पर नेता ने दिखाया सत्ता का रौब, धारचुला से ही विधायक चुने गए हैं सीएम
- हरीश के नजदीक बताए जा रहे हैं नेताजी
देहरादून, 12 मई (निस)। लगता है कि सत्ता के नशे ने कांग्रेसी नेताओं को मदहोश कर दिया है। शायद यही वजह है कि कांग्रेस के हाथ ने एक सरकारी कर्मचारी के गाल पर एक बड़े अफसर की मौजूदगी में ही तमाचा जड़ दिया। अब पटवारी की मजबूरी देखिए कि बेचारा मामले की एफआईआर तक दर्ज कराने की स्थिति में नहीं है। बताया जा रहा है कि मामला आपदा राहत राशि के बंदरबांट का है। यह मामला खासी चर्चा का विषय बना हुआ है। मामला सीमांत क्षेत्र धारचुला का बताया जा रहा है। इसी विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री हरीश रावत विधायक चुने गए हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री के बेहद नजदीक बताए जाने वाले ग्राम सोबला निवासी एक कांग्रेसी नेता की ओर से इलाके के पटवारी पुष्कर सांगुड़ी पर लंबे समय से दबाव बनाकर राहत राशि दिलाने की मांग की जा रही थी। जानकारी के अनुसार आपदा के समय इस व्यक्ति को राहत राशि मिल गई थी। चर्चा तो यहां तक है इस व्यक्ति पर आपदा का पैसा फर्जी तरीके से हड़पने का भी एक मामला दर्ज है। ऐसे में पटवारी ने और राहत राशि दिलाने में अपनी समर्थता जता दी। इसके बाद ये नेताजी सीधे एसडीएम के दफ्तर गए। उस समय पटवारी भी वहां मौजूद था। पटवारी ने नियमों की जानकारी देते हुए राहत राशि देने से साफ इंकार कर दिया। इतना सुनते ही नेताजी तैश में आ गए और पटवारी के गाल पर एक तमाचा जड़ दिया। इससे सकते में आया पटवारी वहां से चुपचाप निकल गया। खास बात यह रही है कि वारदात के वक्त मौजूद एसडीएम भी मौन साधे रहे। इस घटना से लोगों में खासा आक्रोश है। व्यापार मंडल उपाध्यक्ष प्रकाश गुंज्याल, भाजयुमो तहसील अध्यक्ष वीरेंद्र नपलच्याल आदि का कहना है कि एक सरकारी कर्मचारी के साथ सत्ता का धौंस दिखाकर ऐसा सुलूक करना बेहद गलत है। इस पर एसडीएम को अपने स्तर से कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्री के नजदीकी होने के चलते कोई भी अधिकारी सरकारी कर्मचारी के साथ मारपीट का मामला दर्ज करने को तैयार नहीं है। इस मामले में एक अहम बात यह भी है कि क्या सत्ता के रौब में किसी सरकारी कर्मचारी को सरेआम बेइज्जत किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि तमाचा मारने वाले नेताजी खुद को मुख्यमंत्री हरीश का बेहद करीबी बताते हैं। लेकिन क्या सीएम का नजदीकी होने का इस तरह से फायदा उठाया जाएगा।
कर्मचारी संगठनों ने साधा मौन
बात-बात आंदोलन की धमकी देने वाले सरकारी कर्मियों के संगठनों ने भी इस मामले पर मौन साध रखा है। यह मामला पिथौरागढ़ की वादियों से लेकर देहरादून में सत्ता के गलियारों तक खासी सुर्खियों में छाया हुआ है। लेकिन अभी तक किसी भी कर्मचारी संगठन की ओर से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया तक नहीं आई है। ऐसे में सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या सत्ता में रसूख रखने वालों से सरकारी कर्मी इस तरह से पिटते और सरेआम बेइज्जत होते रहेंगे।
सोशल मीडिया में तमाचे की गूंज
भले ही बड़े-बड़े दावे करने वाले मीडिया ने इस मुद्दे को नहीं छुआ। लेकिन सोशल मीडिया में यह मामला छाया हुआ है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ ही सरकार पर भी इस तमाचे को लेकर करारे प्रहार किए जा रहे हैं। सोमवार से ही सोशल मीडिया पर इस तमाचे की गूंज सुनाई दे रही है। इसके बाद भी अगर यह गूंज सरकार के कानों तक नहीं पहुंच पा रही है तो बेचारा पटवारी अकेला कर भी क्या सकता है।
तो नई एफएल-टू नीति में हैं खामियां, आने वाले दिनों में और भी किए जा सकते हैं बदलाव
- फुटकर दुकानों में अब तक नहीं आ पाई शराब, अब तक 60 करोड़ के राजस्व की हुआ नुकसान
देहरादून, 12 मई (निस)। नई एफएल-टू नीति अभी ढंग से लागू भी नहीं हो पाई है और इसमें संशोधन शुरू हो गए हैं। जाहिर है कि इस नीति में खामियां हैं। हालात ये हैं कि नई नीति लागू के 12 दिन बाद भी फुटकर विक्रेताओं को शराब के ब्रांड नहीं मिल सके हैं। नतीजा यह है कि अब तक सरकार को 60 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो चुका है। जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में इस नीति में सरकार को और भी संशोधन करने होंगे। थोक शराब की इन नई नीति को लागू करने के लिए सीएम हरीश रावत ने खुद ही बीड़ा उठाया था। पहले सहयोगी मंत्रियों का विरोध झेला और फिर किसी तरह से इसे लागू करवा ही दिया। मुख्य विपक्षी दल भाजपा इस नीति में शुरू से ही खामियां देख रही थी। लेकिन इसे लागू करने पर आमादा सरकार ने किसी के विरोध की परवाह नहीं की। अब इस नीति की खामियां सामने आन लगी हैं। इसे लागू हुए आज 12 दिन बीत गए हैं। लेकिन फुटकर विक्रताओं के पास शराब के अधिकांश ब्रांड नहीं पहुंच सके हैं। दुकानें खाली पड़ी और शौकीन लोगों को शराब के लिए भटकना पड़ा रहा है। जबकि सरकार ने इस नीति के लागू करने से पहले विज्ञापनों के जरिए सूबे के शौकीन लोगों को बेहतर शराब उपलब्ध कराने का वायदा किया था। बताया जा रहा है कि दुकानों पर शराब न होने से सरकार को राजस्व का भी खासा नुकसान हो रहा है। आबकारी विभाग की ओर से शराब बिक्री से तय किए सालाना राजस्व लक्ष्य के अनुसार सरकार को रोजाना पांच करोड़ रुपये मिलने हैं। इस लिहाज से इन गुजरे 12 दिनों में 60 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो चुका है। बताया जा रहा है कि अब सरकार को भी महसूस हो रहा है कि नीति में कहीं कोई खामी रह गई है। शायद यही वजह है कि एक संशोधन करके शराब कंपनियों की स्थिति को और मजबूत किया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि यह तो अभी शुरूआतभर हैं। इस नई नीति से आने वाले समय में और भी तमाम दिक्कतें आने वाली है। यह भी हो सकता है कि केएमवीएन और जीएमवीएन इस धंधे से अपने हाथ ही खड़े कर दें।
एफएल-2 में माफिया से भारी मात्रा में लेन-देन सिद्ध हो गयाः भट्ट
देहरादून, 12 मई (निस)। नेता प्रतिपक्ष उत्तराखण्ड विधानसभा अजय भट्ट ने कहा कि प्रदेश में एफ0एल0-2 को एक ही व्यक्ति के हाथों में सौंपने और करोड़ों रुपये के अंडरटेबल एग्रीमेन्ट किये जाने का सरकार पर उनके द्वारा लगाया गया आरोप नहीं बल्कि सत्यता है, और यह आज पूरी तरह से सिद्ध भी हो गया है। उन्होंने कहा कि आज पूरे प्रदेश में शराब की सप्लाई नहीं होने से प्रदेश में चारों ओर शराब तस्करी हो रही है और प्रदेश के खजाने को करोड़ों रूपये का चूना आये दिन लग रहा है। इसकी सुध लेने वाला अब प्रदेश में कोई नहीं है, क्योंकि सरकार तो माफियाओं के इशारे पर नाचने में मस्त है। श्री भट्ट ने कहा कि उन्होंने पूर्व में ही कह दिया था कि इस नीति के पीछे भारी मात्रा में लेन-देन हुआ है और इसके लागू होते ही प्रदेश में आबकारी सिस्टम दम तोड़ देगा और चारों ओर तस्करों का बोल-बाला हो जायेगा, आज स्वयं शराब कारोबारियों ने भी कह दिया है कि उन्हें प्रतिदिन का लाखों रूपये का नुकसान हो रहा है जिसकी भरपाई करना मुश्किल हो गया है। श्री भट्ट ने कहा कि सरकार के निजी फायदे के आगे आज न तो बाजारों में ब्राण्ड मिल पा रही है और न ही प्रदेश के खजाने में राजस्व आ पा रहा है। उन्होंने कहा कि एक ओर प्रदेश के मुखिया कहते हैं कि नेता प्रतिपक्ष एफ0एल0-2 के विषेशज्ञ हैं और जब उन्होंने मीडिया के माध्यम से इसका जवाब दिया तो उनकी ओर से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आने से भी सिद्ध हो गया है कि सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि इसमें घोटाला किया गया है। श्री भट्ट ने कहा कि सरकार इतनी बेशर्मी पर उतर आयी है कि उसे अब प्रदेश के राजस्व को आये दिन हो रहे करोड़ों रुपये के राजस्व से भी कोई लेना-देना नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि मात्र माफियाओं को फायदा पहुॅचाने के लिए इस तरह की कुनीति सरकार लायी जिससे प्रदेष को भारी मात्रा में नुकसान झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से माफियाओं के संरक्षण में फल-फूल रही है और इसके लिए गठित उपसमिति में एक माननीय मंत्री जी को तो हस्ताक्षर करने के लिए भी कई दिनों तक ढूॅढ़ना पड़ा काफी जिद्दोजहद के बाद माननीय मंत्री जी से भारी दबाव में हस्ताक्षर कराये गये, इससे भी जनता सरकार की हकीकत समझ गयी थी कि सरकार के मंत्री भी ऐसी नीति प्रदेश में नहीं चाहते थे। श्री भट्ट ने कहा कि शराब माफियाओं के लिए प्रदेश की कुर्बानी दी जा रही है, तो खनन माफियाओं के लिए प्रदेश की जनता की कुर्बानियां आये दिन दी गयी हैं। रामनगर में एक खनन माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद हैं कि अब वे महिला आईएफएस पर भी वार करने से नहीं चूक रहे हैं। खेद है कि इतने गम्भीर प्रकरण में आज तक सरकार द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गयी।
नौसिखिए वाहन चालकों के हाथ थमाई जा रही आम लोगों की जिंदगी की डोत, इंसानी लहू से सुर्ख हो रही पहाड़ की सड़कें
- जीप और टैक्सियां रोजाना हो रही हादसे का शिकार
देहरादून, 12 मई (निस)। पहाड़ में इंसान की जान बेहद गैरजिम्मेदार वाहन चालकों के हाथ की कठपुतली बन चुकी है। शायद ही ऐसा कोई दिन हो जब पहाड़ से किसी जीप दुर्घटना का समाचार न मिलता हो। बदस्तूर चल रहे इस सिलसिले के कारण शासन प्रशासन ही नहीं आम जनमानस भी इन घटनाओं को सामान्य घटना की तरह देख रहा है। जबकि इन घटनाओं में अनेक परिवारों के चिराग असमय बुझ रहे हैं तो कई बच्चे हर रोज अनाथ हो रहे हैं। कहीं सुहागिनों की मांग सूनी हो रही है, कहीं खुशियां मातम में बदल रही हैं, लेकिन न सरकार ही इस ओर ध्यान दे रही है और न ही परिवहन विभाग दुर्घटनाओं को रोकने में संजीदा दिखाई दे रहा है। उत्तरकाशी से पिथौरागढ़ और देहरादून से लेकर चंपावत तक। प्रदेश के हर इलाके की सड़कें हर रोज इंसानी लहू से सुर्ख हो रही हैं। बीते शुक्रवार शाम को पौड़ी जिले में सतपुली-सिसल्डी-लैंसडौन मोटरमार्ग पर एक बाराज की जीप के गहरी खाई में गिर जाने से एक परिवार में खुशी की जगह मातम पसर गया। इस दुर्घटना में दूल्हे के पिता सहित तीन बारातियों की मौत हो गई। दूसरा मृतक दूल्हे का चचेरा भाई था जबकि तीसरा दूल्हे का बहनोही। जिस घर में रात को दुल्हन के आने की खुशियों चहल पहल रहनी थी वहां एक गैरजिम्मेदार जीप चालक की लापरवाही के चलते मातम पसर गया। यह एक घटना तो महज एक बानगीभर है। इस प्रकार की हृदयविदारक घटनाएं हर रोज पहाड़ में घटना आम हो गया है। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि अधिकांश दुर्घटनाएं शादी व विवाह के अवसरों पर हो रही हैं। हालांकि पहाड़ में किसी भी दुर्घटना के बाद सड़क की दुर्दशा को प्रथमदृष्ट्या कारण माना जाता है। लेकिन चालकों का गैरजिम्मेदार रवैय्या ही दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है। अप्रशिक्षित चालकों द्वारा धड़ल्ले से पहाड़ की सड़कों पर वाहन चलाने से अधिकांश दुर्घटनाएं हो रही हैं। जीप टैक्सियों की बढ़ती तादात व सवारियों के लिए चलने वाली गलाकाट प्रतिस्पर्धा के नतीजतन अनेक दुर्घटनाएं हो रही हैं।
बेरोजगारी भी बन रही बड़ा कारण
दरअसल, बढ़ती बेरोजगारी के कारण अधिकांश युवा जीप टैक्सी खरीदकर परिवहन व्यवसाय से जुड़ते जा रहे हैं। सरकार द्वारा राजस्व उगाही के फेर में कांट्रेक्ट कैरेज वाहनों के परमिट खुले किए जाने से बीते एक दशक में पहाड़ में जीप टैक्सी जैसे वाहनों की संख्या में बेतहाशा इजाफा हुआ है। पलायन से खाली हो चुके पहाड़ के गांवों में अपेक्षित संख्या में सवारियां न मिल पाने के कारण इन जीप टैक्सी चालकों के मध्य गलाकाट प्रतिस्पर्धा चलना स्वाभाविक है, जो दुर्घटना का मुख्य कारण बन रहा है। वहीं नौसिखिए चालकों द्वारा ड्राइविंग सीट की कमान संभाले जाने से भी हर रोज मासूम बेमौत मारे जा रहे हैं।
मुआवजे तक सीमित सरकारी कार्रवाई
दिनों दिन हो रही इन दुर्घटनाओं का सबसे स्याह पक्ष सरकार द्वारा इन घटनाओं को गंभीरता से संज्ञान में न लेना है। देहरादून में बैठे आकाओं ने इसका सीधा सा हल ढूंढ लिया है। किसी भी दुर्घटना होने पर सीधे पचास हजार या एक लाख मुआवजे की घोषणा कर दी जाती है। ज्यादा जरूरत होने पर मजिस्ट्रेटी जांच का शिगूफा छोड़ दिया जाता है। लेकिन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कारगर नीति की बात न जनप्रतिनिधि उठाते हैं और न ही पुलिस व प्रशासन के अधिकारी चालान काटने को ही अपनी जिम्मेदारी समझने लगे हैं।
सड़क निर्माण न होने पर आक्रोशित ग्रामीणों ने जाम लगाया
देहरादून, 12 मई (निस)। मसराना-किमोई मोटर मार्ग सहित छहजुला पटटी के अन्य मार्गों के स्वीकृत होने के बाद भी रोड निर्माण न होने पर आक्रोशित ग्रामीण जनता ने सुवाखोली में धनोल्टी मार्ग पर जाम लगा दिया। जिसके कारण उत्तरकाशी, चारधाम जाने वाले यात्रियों, टिहरी, देहरादून एवं धनोल्टी आने जाने वाले यात्रियों के सैकड़ो वाहन घंटों फंस जाने से भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। मसूरी से लगे टिहरी जनपद के जौनपुर विकास खंड के ग्राम किमोई के लिए मसराना से रोड, केम्पटी थत्यूड मार्ग, थत्यूड़ लगड़ासू आदि मार्ग करीब एक दशक पूर्व स्वीकृत मार्ग का 9 वर्ष पूर्व तत्कालीन विधायक ने शिलान्यास भी किया था। लेकिन रोड हरित वन क्षेत्र में आने पर आज तक नहीं बन पाई। वहीं पूर्व के जनप्रतिनिधियों ने भी इस दिशा में ठोस प्रयास नहीं किए जिसके कारण ग्रामीणों में लगातार आक्रोश बढ़ता गया। इस मोटर मार्ग से प्रभावित होने वाले दर्जनो गांवो के ग्रामीणो ने मसूरी धनोल्टी मुख्य मार्ग पर धरना प्रदर्शन किया व रोड़ जाम कर दी। ग्रामीणो की समस्या को सज्ञंान में लेेेते हुए विभागीय अधिकारी वहां पहंुचे व गांव वालो सहित विधायक व ब्लाक प्रमुख से वार्ता की जिस पर ग्रामीणों ने विभागीय अधिकारियों को अवगत कराया कि गत वर्ष भी रोड के लिए एक माह तक आंदोलन किया गया था। लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। लोनिवि के अधिकारियांे ने 15 दिनों के अंन्दर संतोष जनक कार्यवाही का आश्वासन दिया। ग्रामीणांे ने चेतावनी दी कि यदि 15 दिनों के अंदर ठोस कार्रवाई नही की गई तो उसके बाद ग्रामीण उग्र व विशाल चक्का जाम कर धरना आदि आंदोलन करेंगे। मालूम हो कि जौनपुर विकास खण्ड टिहरी गढवाल के पटटी छह जुला के ग्राम सभा काण्डा जाख, किमोई, कोल्टी, मवाणा, मथोली, लगड़ासू, तुनेटा, कफुल्टी, सहित अन्य गांवों में आजादी 68 के साल बाद भी मोटर मांर्ग न होने के कारण क्षेत्र मूल भूत सुविधाओं से वचिंत है। जाम का समाचार सुनकर जनप्रतिनिधि भी राजनैतिक रोटियां सेंकने मौके पर पहुंच गये व जनता के साथ जाम लगा धरने पर बैठ गये। चार घंटे जाम के बाद एडीएम टिहरी प्रवेश डंडरियाल ने कहा किइस मार्ग का प्रस्ताव पहले ही शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन सेंचुरी की बैठक न होने के कारण यह लटका है। मौके पर मौजूद अधिशासी अभियंता लोनिवि थत्यूड एनएस खोलिया ने कहा कि विभाग की ओर से भी पूर्व में प्रस्ताव भेज रखा है, लेकिन मामला सेंचुरी का होने के कारण यह शासन व वन विभाग को देखना है वहीं उन्होंने कहा कि कैम्पटी थत्यूड रोड को सैद्धातिक सहमति मिल गई है जिसका शीघ्र टेडर लगाया जायेगा इस मार्ग के बनने से काफी समस्या का हल हो जायेगा वहीं जो गांव छूट जायेंगे उन्हें संपर्क मार्ग से जोड़ा जायेगा। पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने कहा कि इस मामले में एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिलेगा व उनसे गुहार लगाई जायेगी किइस क्षेत्र के ग्रामीणों की रोड की समस्या का समाधान किया जाये। मौके परं धनोल्टी के विधायक महावीर रांगड़ ने कहा कि यदि शीघ्र इस विषय पर कोई स्ंातोंष जनक कार्रवाई नहीं की गई तो ग्रामीण जनता उग्र आंदोलन के तहत धरना प्रदर्शन के साथ ही सुवाखोली एवं सन्तुरा देवी मंदिर कैम्पटी पर रोड़ पर चक्का जाम करने को बाध्य होगी। प्रदर्शन कारियों में ब्लाक प्रमुख कुवंर सिंह पंवार,जिला पंचायत सदस्य जमुना देवी नौटियाल, आशुतोष कोठारी, क्षेत्र पंचायत सदस्य सुरेंन्द्र रावत लगड़ासू, कमल सिंह असवाल, राय सिंह असवाल, जयपाल कैरवाण काण्डा जाख, विरेन्द्र राणा छनाण़गांव, ग्राम प्रधान मीना देवी किमोई, रतनी देवी काण्डा जाख, भरत सिंह कोल्टी-मवाणा, जयपाल सिंह, संघर्ष समिति के सदस्य सहित बड़ी संख्या में समस्त क्षेत्र की महिला-पुरूष, बुर्जुग व बच्चे मौजूद थे। दूसरी ओर रोड जाम होने के कारण जहां सैकड़ो पर्यटक सुवाखोली में फंसे रहे वहीं एक बारात व दो बीमारों को भी जाम में फंसा रहना पड़ा।
ईको शुल्क को ठेके पर दिए जाने के विरोध में प्रदर्शन करते हुए
देहरादून, 12 मई (निस)। ईको शुल्क को ठेके पर दिए जाने के विरोध में मसूरी नागरिक विकास समिति के तत्वाधान में किंक्रेग पर धरना दिया गया। जिसमें बड़ी संख्या में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया व चेतावनी दी कि यदि ईको शुल्क ठेके पर दिया गया तो किंक्रेग पर जाम लगाया जायेगा वहीं 14 मई टेंडर के दिन नगर पालिका प्रांगण में धरना व प्रदर्शन किया जायेगा। इस दौरान नगरपालिका एव पालिकाध्यक्ष के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। ईको शुल्क को प्राइवेट ठेके पर दिए जाने के विरोध में किंक्रेग पर धरना दिया। धरने पर बड़ी संख्या में महिलाओं, पुरूषों एवं युवाओं ने भाग लिया। इस मौके पर महिला कांग्रेस की अध्यक्ष जसबीर कौर ने कहा कि ईको शुल्क प्राइवेट में देने पर प्र्यटकों को तो परेशानी होगी ही वहीं स्थानीय नागरिकों को अपने शहर में आने के लिए शुल्क देना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि 14 मई को ईको शुल्क के टेंडर पड़ने हैं उस दिन पालिका का घेराव कर तालाबंदी की जायेगी व टेंडर नहीं होने दिए जायेंगे। इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता मेेघ सिंह ंकंडारी ने कहा कि यह लड़ाई मसूरी व आसपास के क्षेत्र की जनता की है इसमें सभी को खुलकर आगे आना चाहिए। उन्होंने कंपनी गार्डन, जवाहर इक्वेरियम व रोपवे में स्थानीय लोगों को अनुबंध के हिसाब से निःशुल्क प्रवेश की अनुमति दी जाय। धरने के दौरान पालिका एवं पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। जरूरत पड़ेगी तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जायेगा। ईको शुल्क के मामले में मुख्यमंत्री सहित कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को भी सूचित किया जा चुका है। धरना देने वालों में मसूरी विधान सभा युवा कांग्रेेस अध्यक्ष एवं पालिका सभासद अनुज गुप्ता, प्रदीप भंडारी, देवी गोदियाल, केदार चैहान, बिल्लू बाल्मीकि, बैशाख सिंह मिश्रवाण, आशीष रावत, अक्षत वर्मा, हरीश टमटा, मनीष धीमान, आरती, जैदा, बीना, कंगा, बीना देवी, शहनाज, सुमन, सोना देवी, राची देवी, अनीता, बिष्ट मीना देवी आदि मौजूद थी। कोठाल गेट पर जिला पंचायत ने भी मसूरी आने वालों पर 50 रूप्ये प्रति वाहन शुल्क लिया जा रहा है वहीं बसों व ट्रकों पर भी शुल्क लिया जाने लगा है जिसका प्रभाव निश्चित ही पर्यटन पर पडे़गा क्यों कि कोठाल गेट के बाद कोल्हूखेत व उसके बाद कैम्पटी में भी शुल्क लिया जा रहा है।
भूकंप के झटकों से फिर कांप उठा उत्तराखंड
- -राज्य के विभिन्न हिस्सों में महसूस किए गए भूकंप के झटके
देहरादून, 12 मई (निस)। उत्तराखंड मंगलवार को फिर भूकंप के तेज झटकों से कांप उठा। मध्याह्न 12.37 बजे देहरादून, श्रीनगर समेत विभिन्न इलाकों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप का अहसास होते ही लोगों में दहशत फैल गई और लोग कार्यालयों और घरों से बाहर निकल गए। भूकंप का केंद्र नेपाल के पास बताया जा रहा है, रिएक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 7.1 मापी गई। उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटकों के महसूस होते ही लोगों में अफरा-तफरी मच गई। काफी देर तक जमीन हिलती रही। भूकंप के झटकों के चलते लोग कार्यालयों और घरों से बाहर निकल गए। भूकंप के दौरान मकान और कार्यालयों के शीशे काफी तेजी से हिलने लगे। राजधानी देहरादून में लगभग दो मिनट तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप इतना तेज था कि घरों और कार्यालयों के अंदर रखा हुआ सामान हिलने लगा। एक महीने के अंदर फिर से आए भूकंप से लोगों में दहशत का माहौल है। कुछ दिनों पूर्व जब नेपाल में भूकंप आया था तो उस समय भी उत्तराखंड भूकंप से कांप उठा था। पहाड़ से लेकर मैदान तक हर जगह भूकंप के झटके महसूस किए गए। प्रदेश में अभी तक कहीं से जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। एक महीने के अंदर उत्तराखंड में कई बार आए झटकों से लोग घबराए हुए हैं। लोग अपने परिचितों को फोन करके एक-दूसरे का कुशल क्षेम पूछ रहे हैं।
24 हजार 148 यात्रियों ने किये केदार बाबा के अब तक दर्शन
देहरादून, 12 मई (निस)। श्रीकेदारनाथ धाम हर दिन एक हजार से अधिक यात्री बाबा के दर्शनों को पहुंच रहे हैं। ऐसे में स्थानीय व्यापारियों के चेहरे भी खिल उठे हैं। प्रशासन और निम के अधिकारी श्रद्धालुओं की सेवा में लगे हुए हैं। उन्हें किसी भी समस्या से न जूझना पड़े, इसके लिए अधिकारी-कर्मचारियों को कड़े निर्देश दिये गये हैं। जिलाधिकारी डाॅ राघव लंगर ने बताया कि मंगलवार को 1298 तीर्थयात्रियों ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किये। अभी तक 24,148 श्रद्धालु भगवान केदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं, जिनमें हैली से सोमवार तक विभिन्न हैलीपेड से श्रीकेदारनाथ तक 8741 या़त्री पहुंचकर व केदारनाथ से हैली द्वारा नीचे को 9567 श्रद्धालु आये हंै। अभी तक कुल 19,833 लोगों का सत्यापन किया गया है, जबकि 11947 यात्रियों का बायोमैट्रिक रजिस्ट्रेशन किया गया है। यात्रा रूट के विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों पर मंगलवार को 1520 यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है, जिनमें सोनप्रयाग 1133 श्रद्धालुओ मेें सात श्रद्धालु अनफिट, गुप्तकाशी मंे 185 श्रद्धालुओं में दो श्रद्धालु अनफिट, जबकि फाटा मंे 202 श्रद्धाओं में सभी स्वस्थ पाये गये। सोनप्रयाग से दोपहर तक 1163 यात्री केदारनाथ के लिए रवाना हुए।
चारधाम यात्रा में न हो इंधन की किल्लतः सीएम
देहरादून, 12 मई (निस)। मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने बताया है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्य सचिव एन रविशंकर व प्रमुख सचिव खाद्य नागरिक आपूर्ति राधा रतूड़ी को निर्देश दिए है कि चार धाम यात्रा मे पेट्रोल व डीजल की किल्लत न हो इसके लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ले साथ ही इस सम्बंध में केन्द्र सरकार के स्तर पर भी बातचीत की जाये। श्री कुमार ने बताया कि प्रदेश में विगत दिनों की भांति पेट्रोल व डीजल की समस्या उत्पन्न ना हो इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिये गये है साथ ही यह भी कहा गया है कि केन्द्र सरकार से अनुरोध किया जाये कि प्रदेश में चार धाम यात्रा चल रही है ऐसे मे पर्याप्त मात्रा मे राज्य को पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाये।
गुप्ता बने निःशक्तजन आयुक्त
देहरादून, 12 मई (निस)। संयुक्त सचिव, कार्मिक अतर सिंह ने बताया कि अपर सचिव, जनगणना, सिंचाई, समाज कल्याण, आयुक्त निःशक्तजन, निदेशक, जनजाति निदेशालय तथा निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण किशन नाथ को आयुक्त, निःशक्तजन के पदभार से अवमुक्त किये जाने का निर्णय लिया गया है। उनके शेष पदभार यथावत रहेंगे। अपर सचिव, पुनर्गठन तथा छात्र कल्याण, अतुल कुमार गुप्ता को वर्तमान पदभार के साथ-साथ आयुक्त, निःशक्तजन के पद पर तैनात किये जाने का निर्णय लिया गया है।
डीएम भूकम्प संम्बधी रिर्पोट शासन को भेजें
देहरादून, 12 मई (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सभी जिलाधिकारियो को निर्देश दिए है कि आज आए भूकम्प के सम्बंध में पूरी रिर्पोट तैयार कर शासन को अवगत कराए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए है कि यदि कहीं पर किसी भी प्रकार का कोई नुकसान पाया जाता है तो उसकी सूचना तुरन्त उपलब्ध कराई जाए साथ ही जिला स्तर पर सभी आपदा प्रबंधन इकाईयों को अलर्ट रखा जाए।
ज्ञातव्य है कि राज्य आपातकालीन परिचालन केन्द्र से प्राप्त सूचना के अनुसार आज उत्तराखण्ड में कई स्थानों पर भूकम्प के झटके महसूस किए गये। अभी तक प्राप्त सूचना के आधार पर कहीं भी कोई नुकसान की सूचना प्राप्त नहीं हुई है।
अंतिम गांव तक पहंुच रहे यात्री
देहरादून, 12 मई (निस)। बदरीनाथ धाम के साथ- साथ देश के अंतिम गांव माणा तक एक किमी पैदल ही नापकर यात्री भीम पुल व्यास व गणेश गुफा सहित सरस्वती नदी उद्गम के दर्शन कर रहे हैं। बदरीनाथ के कपाट खुलने के बाद से ही यात्रियों को देश के अंतिम गांव में रास्ता न खुलने का मलाल था। हालांकि अब माणा गांव निवासियों के गांव में पहुंचने से माणा में रौनक लौट आई है। आर्मी कैम्प के पास हिमखंड हटाने के काम में बीआरओ के जवान जुटे हैं, फिर भी यात्रियों का माणा गांव तक हिमखंड से पैदल ही एक किमी नापकर आवाजाही शुरू हो गई है। यात्री माणा में भीमपुल , सरस्वती नदी उद्गम स्थल , व्यास गुफा, गणेश गुफा सहित अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन कर रहे हैं। बदरीनाथ धाम में भी यात्रा को लेकर उत्साह है। सोमवार को २१३८ यात्रियों ने बदरीनाथ पहुंचकर भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए हैं। मंदिर के सीईओ बीडी सिंह ने कहा कि श्रद्धालु यात्रा को लेकर देश के कोने- कोने से जानकारियां ले रहे हैं। श्रद्धालु पूजा की अग्रिम बुकिंग भी कर रहे हैं।
डीएम के आश्वासन पर विधायक पाण्डे का अनशन समाप्त
देहरादून, 12 मई (निस)। जिलाधिकारी डा. पंकज पांडे के आश्वासन पर गदरपुर के विधायक अरविंद पांडे ने भूमि अधिग्रहण मामले में किसानों को दिये जाने वाले मुआवजे की मांग को चलाया जा रहा आमरण अनशन दूसरे दिन समाप्त कर दिया। जिलाधिकारी ने विधायक पांडे को जूस पिलाकर आमरण अनशन तुड़वाया। आमरण अनशन स्थल पर मंगलवार को जिलाधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर किसानों की अधिग्रहीत की गई भूमि का एक माह के अंदर बाजार मूल्य से अधिक मूल्य पर मुआवजा दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि पूर्व में गेल द्वारा जो भूमि अधिग्रहीत की गयी थी वह मुख्य मार्ग से करीब एक किलोमीटर अंदर थी। अब राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे की भूमि अधिग्रहीत की गई भूमि का बाजार मूल्य पर मुआवजा दिया जायेगा। इसके लिए सम्बन्धित किसानों को सभी आवश्यक प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने होंगे जिसके आधार पर ही मुआवजा दिया जाना संभव होगा। जिलाधिकारी के इस आश्वासन पर विधायक पांडे ने सहमति जतायी और जूस पीकर अनशन तोड़ा। विधायक पांडे ने कहा कि प्रशासन द्वारा व्यक्त की गयी सहमति किसानों की जीत है। अब किसानों को उनकी भूमि का उचित मुआवजा मिलेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन ने अपने वादे के अनुसार किसानों को मुआवजा उपलब्ध नहीं कराया तो उस क्षेत्र के किसान पुनः आंदोलन करने को बाध्य होंगे जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। इससे पूर्व विधायक पांडे के समर्थन में रूद्रपुर, गदरपुर, किच्छा, नानकमत्ता, सितारगंज, दिनेशपुर सहित कई क्षेत्रों से भारी संख्या में किसान एवं पार्टी कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट पहुंचे और उन्होंने नारेबाजी कर अपना समर्थन जताया। इस दौरान विधायक राजकुमार ठुकराल, भारत भूषण चुघ, चन्द्रजीत सुधा, महेंद्र कालड़ा, सूरज खेड़ा, अजय यादव, अनुज पाठक, वीरेंद्र तिवारी, राधेश शर्मा, राजवीर यादव, रजनीश ग्रोवर, अवनीश छाबड़ा, सुनील छाबड़ा, सुनील झाम, संजय ठुकराल, राजेश सक्सेना, अमर पांडे, दीपक कोछर, गौरव आहुजा, करनैल सिंह, दिलीप अधिकारी, गोपी सागर, उत्तम दत्ता, अभिनव छाबड़ा, नीलकंठ राणा, गोपाल प्रजापति, अंकित सिंह, धर्मेन्द्र शर्मा, करन दुआ, अभिनव मिश्रा, अभिषेक मिश्रा, इंद्रसेन खेड़ा, तरूण दुबे सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे।
अधर में लटका मोटरमार्ग निर्माण कार्य, ग्रामीण जनता को हो रही दिक्कतें
रुद्रप्रयाग,12 मई (निस)। पीएमजीएसवाई की लापरवाही से द्यूलाधार-मालखी-गणेशनगर मोटर मार्ग का निर्माण कार्य नौ वर्षो से अधर में लटकने के कारण ग्रामीणों को जान-जोखिम में डालकर आवाजाही करनी पड रही है। विदित हो कि ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित परियोजना के तहत 15 किमी मोटर मार्ग के निर्माण के लिए 650.08 लाख रूपये की वित्तीय स्वीकृति दी गयी थी। साथ ही मोटरमार्ग के पांच वर्ष के अनुरक्षण के लिए 25.25 लाख रूपये की अतिरिक्त स्वीकृति दी गयी थी। भारत सरकार के निर्देशोें के अनुसार मोटरमार्ग का निर्माण कार्य एक अक्टूबर 2007 को शुरू किया जाना था तथा तीस सितम्बर 2008 को मोटर मार्ग का निर्माण कार्य पूरा किया जाना था। साथ ही मार्ग के अनुरक्षण कार्य की तिथि एक अक्टूम्वर 2009 से पांच पर्षाे के लिए तीस सितम्बर 2013 रखी गयी थी। मगर अनुरक्षण कार्य की तिथि समाप्त होने के बीस माह बाद भी मोटर मार्ग का कार्य अधर में लटकने से पीएमजीएसवाई की कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में आ गयी है। पीएमजीसवाई द्वारा भटवाड़ी के निकट लाखों रूपये की लागत से एक किमी मार्ग पर डामरीकरण तो करवाया गया था, मगर डामरीकरण में गुणवत्ता न होने के कारण डामर जल्द ही उखडने से मार्ग उबड-खाबड हो गया है। इसके साथ ही मोटर मार्ग का शेष निर्माण कार्य अधर में लटकने से मार्ग कई स्थानों पर जानलेवा बना हुआ है। मार्ग पर कई स्थानों पर बने गड्डे कभी भी बडे हादसे को आमंत्रणा दे सकते हैं। क्षेत्रीय जनता द्वारा अधर में लटके मोटर मार्ग के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए आवाज उठाई जा चुकी है, लेकिन सरकारी हुक्मरानों की अनदेखी के कारण ग्रामीणों की आवाज फाइलों में ही कैद है। प्रधान सुनीत राणा, प्रमोद नेगी, विक्रम सिंह विष्ट, क्षेपंस माधुरी नेगी, रायसिंह नेगी, राजेन्द्र सिंह राणा का कहना है कि विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के कारण मोटर मार्ग का निर्माण कार्य कई वर्षो से अधर में लटका हुआ है।