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झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (13 मई)

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जिले  में सदस्यता महा अभियान को लेकर समीखा बैठक का हुआ आयोजन
  • 15 मई को  पेटलावद में होगी जिला स्तरीय कार्यषाला 

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झाबुआ---भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता अभियान को लेकर बुधवार को जिला भाजपा कार्यालय में महासदस्यता अभियान के प्रभारी अजय कुष्वाह की उपस्थिति में जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे, विधायक झाबुआ शांतिलाल बिलवाल, विधायक थांदला कलसिंह भाबर, जिला प्रभारी विजय नायर की उपस्थिति में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया जिसमें जिले के सभी 11 मण्डलों के अध्यक्ष एवं सदस्यता अभियान के मंडल प्रभारियों सहित भाजपा जिला महामंत्री प्रवीण सुराणा,नपा अध्यक्ष धनसिंह बारिया, पुरूषोत्तम प्रजापति, मंडल अध्यक्ष गोपालसिंह पंवार, बंटी डामोर, मेजिया कटारा, कमलेष डामोर, संजयषाह, राजमल चोपडा, भूरू चैहान, मुकेष मेहता, संजय कहार, शांतिलाल पालिवाल, संतोष लाखन, संदीप पिपाडा,राजेष जैन, श्रीमती संगीता सोनी, षंकरलाल राठौर, मांगीलाल दुर्गेष्वर, बबलू सकलेचा सहित बडी संख्या में भाजपा पदाधिकारी उपस्थित थे । बैठक में जिला भाजपाध्यक्ष शैलेष दुबे एवं अजय कुष्वाह द्वारा मंडलवार सदस्यता अभियान की समीक्षा करते हुए सहयोग निधि एकत्रिकरण के बारे में मंडलवार समीक्षा करते हुए आवष्यक निर्देष दिये गये । इस  अवसर पर जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि महा जनसंपर्क अभियान को लेकर प्रदेष भाजपा के निर्देषानुसार आगामी 15 मई को पेटलावद में दोपहर 1 बजे से  जिला स्तरीय कार्यषाला का आयोजन किया गया है जिसमें  जिले में निवास रत सभी प्रदेष एवं जिला स्तरीय भाजपा पदाधिकारियों, सभी मोर्चा प्रकोष्ठों के अध्यक्ष एवं जिला संयाजकों एवं पदाधिकारियों, मंडल के सभी पदाधिकारियों, पालक संयोजक,विस्तारक, नगरपालिका एवं नगर परिषदों के अध्यक्षों , मंडी समितियों के अध्यक्षों गा्रम व नगर केन्द्रों के पदाधिकारियों को अनिवार्यरूप  से इस जिला स्तरीय कार्यषाला में सहभागी होना अनिवार्य है । जिला स्तरीय कार्यषाला में इन्दौर के पूर्व महापौर, एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्णमूरारी मोघे एवं प्रदेष स्तरीय पदाधिकारियों द्वारा मार्गदर्षन प्रदान किया जावेगा । श्री दुबे ने सभी सभी संबधितों को अनिवार्य रूप  से इस जिला स्तरीय कार्यषाला में भाग लेने की अपील की है ।

जिला स्तरीय लोक कल्याण शिविर 14 मई को
          
झाबुआ---जिला स्तरीय लोक कल्याण शिविर ग्राम पंचायत कुन्दनपुर जनपद पंचायत रानापुर में आज 14 मई 2015 गुरूवार को आयोजित किया जावेगा। शिविर में जन समस्यााओं का निकराकरण मौंके पर ही किया जाएगा एवं अधिकारियों द्वारा विभागीय योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। 

राज्य बिमारी सहायता निधि से बाबू के वाल्व का आप्रेशन होगा

झाबुआ---म0प्र0 राज्य बिमारी सहायता निधि अंतर्गत श्री बाबु पिता अर्जुन उम्र 25 वर्ष निवासी ग्राम सजवानी छोटी तहसील झाबुआ  जिला झाबुआ के एक वाल्व का आॅप्रेशन करवाने के लिए अस्पताल के एस्टीमेट अनुसार 1 लाख 30 हजार राशि स्वीकृत की गई है। इलाज के लिए राशि गोकुलदास हास्पिटल डाॅ. सर्जु प्रसाद मार्ग इंन्दौर 452001 को दी गई है

जिले के सभी बचत बैंक खाता धारको के बीमा करवाये .कलेक्टर
  • बैंकर्स जनपद स्तर पर शिविर लगाकर करे कार्यवाही

jhabua news
झाबुआ---प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योती बीमा योजना मे जिले के सभी बचत बैंक खाता धारको के बीमा करवाये। बैंकर्स अपने सभी बचत बैंक खाता धारको से योजना संबंधी फार्म भरवाकर बीमा करवाये।बीमा करने एवं योजनाओ की जानकारी देने के लिए 20 मई से जनपद एवं ग्रामीण स्तर पर शिविर लगाये। उक्त निर्देश आज 13 मई को कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में संपन्न हुई बैकर्स की बैठक मे कलेक्टर श्रीमती अरूणा गुप्ता ने सभी बैकर्स को  दिये। बैठक में एलडीएम पाण्डे सहित बैंक प्रतिनिधि उपस्थित थे। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना मे वार्षिक प्रीमियम 12 रूपये मे 2 लाख रूपये तक का दुर्घटना बीमा एवं दुर्घटना जनित स्थायी विकलांगता भी शामिल है। प्रधानमंत्री जीवन ज्योती बीमा योजना मे वार्षिक प्रीमियम 330 रूपये मे 2 लाख रूपये तक का दुर्घटना बीमा है।उक्त दोनो योजनाओ मे बीमा अवधि 1 जून से 31 मई निर्धारित है। अटल पेंशन योजना सभी ऐसें बचत बैंक खाता धारको के लिए है जिनकी उम्र 18 से 40 वर्ष है। इस योजना मे मासिक पेंशन का निर्धारण 42 रूपये से 210 रूपये प्रतिमाह निवेशानुसार 60 वर्ष की आयु से एक हजार से 5 हजार रूपये तक पेंशन का भुगतान किया जाएगा। योजनाओ मे लाभ लेने के लिए अपनी बैंक शाखा मे जाये और फार्म भरे।

कंट्रोल रूम स्थापित
योजनाओ मे लाभ लेने के लिए जिला स्तर पर स्थापित कंट्रोल रूम दूरभाष क्र 07392..244325 पर संपर्क कर सकते है।

तालाब मे डुबने से मोत

झाबुआ---फरियादी शोभान पिता खेता सिंगाडिया, उम्र 30 वर्ष निवासी भीमपुरी ने बताया कि मृतिका रोशनी पुत्री मकन सिंगाडिया, उम्र 08 वर्ष निवासी भीमपुरी की तालाब के पानी में डुबने से मृत्यु हो गयी। थाना काकनवानी में मर्ग क्र0 18/15, धारा 174 जा0फौ0 का कायम कर विवेचना में लिया गया।

अज्ञात कारण से मोत घाटी मे मिली लाश
           
झाबुआ---फरियादी लुणचन्द्र पिता कान्हा मेडा, उम्र 45 वर्ष निवासी टेमरिया ने बताया कि मृतक कालुसिंह पिता भीमा कटारा, उम्र 45 वर्ष निवासी पत्थरपाडा करवड रोड पर खामडीपाडा घाटी के निचे अज्ञात कारण से मरा पडा मिला। थाना पेटलावद में मर्ग क्र0 23/15, धारा 174 जा0फौ0 का कायम कर विवेचना मे लिया हे।

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (13 मई)

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राजधानी में निजी बिल्डरों की मनमानी का थमता नहीं दिख रहा सिलसिला, आवेदकों को लाटरी से किया जाएगा फ्लैटों का आवंटन
  • रिवर वैली प्रोजेक्ट ने बनाई लाटरी की योजना, एक आवेदन फार्म की कीमत है 570 रुपये 
  • हजारों की संख्या में बिक रहे आवेदन के फार्म, महज 2550 फ्लैट ही बिल्डर के पास उपलब्ध
  • महज फार्मों से ही हो जाएगी लाखों की कमाई

देहरादून,13 मई । देहरादून में निजी बिल्डरों की मनमानी पर कोई अंकुश लगाने वाला नहीं है। नतीजा यह है कि अब मकानों के आवंटन के लिए लाटरी सिस्टम शुरू किया जा रहा है। इस नए सिस्टम से बिल्डर को लाखों रुपये तो केवल आवेदन फार्म की बिक्री से ही मिल जाएंगे। लाटरी में अगर मकान नहीं निकला तो आवेदन पत्र खरीदने में खर्च किए गए पैसे वापस भी नहीं मिलेगे। बताया जा रहा है कि सरकारी नियमों की खामियों का फायदा उठाकर ऐसा किया जा रहा है। दून में आवासीय कालोनी बनाने बिल्डर जमकर मनमानी कर रहे हैं। नियमानुसार कुल आवासों का 15 फीसदी हिस्सा ईएसडब्लयू (आर्थिक रूप से कमजोर तबका) के लिए आरक्षित होता है। लेकिन देहरादून की किसी भी कालोनी में इस नियम का पालन नहीं किया गया है। सरकारी तंत्र की ओर से इन्हें नोटिस जारी करके खानापूरी भर कर दी जाती है। कई कालोनियों में बिल्डर के फ्लैट तो बेच दिए। लेकिन तमाम काम अधूरे छोड़ दिए है। सर्विस टैक्स अदा न करने के मामले भी सामने आते रहे हैं। इन बिल्डरों के रसूख के आगे सरकारी सिस्टम मौन साधे बैठा है। अब दून के एक बिल्डर ने नया फंडा शुरू कर दिया है। इस बिल्डर से अपने प्रोजेक्ट का जमकर प्रचार-प्रसार किया। नतीजा यह है कि लोगों में इस कालोनी में मकान लेने की होड़ सी मच गई है। रिवर वैली नामक इस हाउसिंग प्रोजेक्ट को सरकारी सिस्टम के अनुसार चलाने की कोशिश हो रही है। प्रोजेक्ट के प्रमोटर से भारतीय स्टेट बैंक से टाईअप किया है। इस बैंक की तमाम शाखाओं से आवेदन फार्म की बिक्री कराई जा रही है। इसके अलावा बिल्डर अपने स्तर से भी इन आवेदन फार्मों की बिक्री करवा रहा है। एक आवेदन पत्र की कीमत 570 रुपये रखी गई है। इसे जमा करते वक्त फ्लैट की कीमत के अनुसार ही 75 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक जमा करने होंगे। यहां तक तो सिस्टम को ठीक माना जा सकता है। लेकिन इससे आगे कुछ गड़गड़झाला सा लग रहा है। इस रिवर वैली प्रोजेक्ट में विभिन्न कैटेगरी के कुल तीन हजार फ्लैट बनने हैं। इनमें से 15 फीसदी ईएसडब्लयू के लिए आरक्षित हैं। इस लिहाज से बिल्डर के पास कुल 2550 फ्लैट ही बच रहे हैं। आवेदन फार्मों की बिक्री जमकर हो रही है। सूत्रों ने बताया कि अब तक बैंक के माध्यम से लगभग सात हजार से ज्यादा फार्म बिक चुके हैं। फिर तमाम फार्म बिल्डर खुद भी बेच रहा है। ऐसे में फ्लैटों का आवंटन लाटरी के माध्यम से ही होगा। जाहिर है कि 2550 लोगों को ही फ्लैट मिल सकेंगे। बाकी आवेदकों की फार्म खरीद की राशि बिल्डर के खाते में ही जाएगी। इसके अलावा आवेदन फार्म के साथ जमा होने वाली राशि भी बिल्डर के खाते में महीनों तक जमा रहेगी। जाहिर है कि प्रोजेक्ट शुरू होते ही बिल्डर के खाते में करोड़ों की रकम जमा हो जाएगी। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या निजी बिल्डर को लाटरी से मकान बेचने का अधिकार है। सरकारी अफसरों की कहना है कि कानून में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि निजी बिल्डर लाटरी से मकान नहीं बेच सकता। जाहिर है कि कानून की इसी खामी का फायदा उठाकर बिल्डर मकान लेने के इच्छुक लोगों को फार्म लेने के लिए प्रेरित कर रहा है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि बिल्डर उतने ही फार्म क्यों नहीं बेच रहा है, जितने की उसके पास फ्लैट हैं। आखिर हजारों की संख्या में आवेदन फार्म बेचने के पीछे बिल्डर की मंशा क्या है। भले ही एक व्यक्ति के 570 रुपये की कोई ज्यादा अहमियत न हो, लेकिन हजारों की संख्या में फार्म बिकने से बिल्डर के खाते में तो लाखों रुपये आ जाएंगे। इससे अच्छा धंधा और हो भी क्या सकता है।

---बैंक ने बिल्डर को लाटरी से मकान बेचने के बारे में कोई अनुमति नहीं दी है। वैसे भी बैंक को इस बारे में कोई अधिकार नहीं हैं।महेश बत्थर््ावाल, मुख्य प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक, कामर्शियल शाखा
--एमडीडीएम केवल ईएसडब्लयू वाले फ्लैट का आवंटन ही लाटरी से करेगा। अन्य फ्लैट बिल्डर अपने स्तर से ही बेचेगा। वह कैसे बेचता है, इसका एमडीडीए से कोई लेना-देना नहीं हैं।पीसी दुम्का, सचिव, एमडीडीए
--हमारे पास लाटरी से फ्लैट बेचने की अनुमति है। बेहतर होगा कि आप रिवर वैली के दफ्तर में आकर बात करे।  प्रवीन, प्रतिनिधि रिवर वैली, मो.

एक मंत्री ने मुबंई में रंगीन की शाम, सरकारी खर्च पर ऐश करने में एक अफसर ने की मदद
  • विभागीय कार्यक्रम के सिलसिले में मुंबई गए थे नेता जी

देहरादून,13 मई। इस कांग्रेस सरकार में एक मंत्री जी का महिला प्रेम तो पहले से ही जगजाहिर था। अब उनका साथ निभाने के लिए एक दूसरे मंत्री जी भी महिला प्रेमी हो गए हैं। बताया जा रहा है कि मंत्री ने मुंबई प्रवास के दौरान एक शाम रंगीन करने के लिए सरकारी खजाने से पैसा पानी की तरह बहाया। बताया जा रहा है कि इस काम में मंत्रीजी का साथ दिया सूबे के एक चर्चित नौकरशाह ने। अब यह मामला किसी तरह से खुला तो नेता और अफसर चटखारे लेकर इसकी चर्चा कर रहे हैं। दरअसल, यह बात कुछ महीने पहले की है। बड़ी मशक्कत के बाद कैबिनेट मंत्री बनने वाले एक नेता जी अपने विभाग के एक कार्यक्रम में शामिल होने मुंबई गए थे। साथ में पूरा सरकारी अमला और मंत्री जी का स्टाफ भी था। विभागीय कार्यक्रम किसी तरह से पूरा हुआ तो अचानक मंत्रीजी को किसी ने मुंबई में मनाई जा सकने वाली हसीन शाम का जिक्र किया। अब दिल ही तो बात मंत्री जी को जम गई। सोचा इसका भी लुफ्त उठा लिया जाए। बताया जा रहा है कि दिल में हसीन सपने देखते ही मंत्री जी ने साथ गए अफसरों से इस बारे में बात की। कहा गया है कि शाम रंगीन करने में पैसा बहुत खर्च होगा। बताया जा रहा है कि मंत्रीजी पूरा मन बना चुके थे। ऐसे में सोचा कि जब सरकारी खजाने से करोड़ों रूपये पानी में बहाए ही जा रहे हैं तो कुछ और बह जाएंगे। क्या फर्क पड़ता है। वैसे भी ऐसे मौके बार-बार आने वाले नहीं हैं। ऐसे में क्यों न विभागीय नौकरशाह से कहा जाए कि वही शाम रंगीन करने की व्यवस्था का जिम्मा संभालें। मंत्रीजी ने जोश में आकर आला नौकरशाह को फरमान सुना दिया कि रंगीन शाम का इंतजाम किया जाए। ये नौकरशाह जनाब तो पहले से ही वहां के गुर्गों से संपर्क थे। उन्होंने अपने तरकस के सारे तीर मंत्री जी को खुश करने के लिए आजमा दिए। आखिरकार मंत्रीजी की शाम को खास करने का इंतजाम भी हो गया। बताया जा रहा है कि शाम रंगीन करने के इंतजाम में विभाग को लाखों रुपये चुकाने पड़े। पैसे जाने का दर्द न मंत्री को हुआ और ना नौकरशाह को, क्योंकि दोनों की जेब से तो वे पैसे गए नहीं। पैसा गया सरकारी खजाने से। बताया तो यह भी जा रहा है कि यह पैसा सूबे के ब्रांड अंबेसडर बनाए गए एक क्रिकेटर के नाम पर खर्च किया गया। बताया जा रहा है कि यह मामला उस वक्त गरमाया जब लोगों ने कहा जिसे ब्रांड अंबेसेडर बनाया है, उसे चारधाम यात्रा संचालन से पहले बुला तो लो। लेकिन अंबेसडर साहब नहीं आए। अरे जनाब वो तो आते तो तब जब उन्हें कुछ माल मिला होता। इन्हें दिया जाने वाला माल तो कहीं और खर्च हो गया। इसके बाद से ही मंत्रीजी की शाम रंगीन होने का मामला खासी सुर्खियों में आ गया है।

उत्तराखंड में शराब महंगी, तस्करी बढ़ी, खाली पड़ी दुकानें, राजस्व का हो रहा नुकसान

देहरादून,13 मई (निस)। उत्तराखंड में शराब अब महंगी हो गई है। वैट में बढ़ोतरी से इंग्लिश शराब की कीमत 15 प्रतिशत और देशी में 10 प्रतिशत का इजाफा होगा। ऐसा पहली बार हुआ है जब पॉलिसी जारी होने के बाद वैट में बढ़ोतरी हुई है। प्रदेश में इस साल आबकारी नीति को लेकर पहले ही बहुत बवाल हो चुका है. सरकार ने विचलन के तहत शराब के वैट में बढ़ोतरी का निर्णय लिया है।लेकिन इसका सीधा असर शराब के तस्करों को फायदा पहुंचाने वाला साबित हो रहा है। पड़ोसी राज्यों हरियाणा, पंजाब सहित हिमाचल व चंडीगढ़ में शराब के दाम अब भी उत्तराखंड से काफी कम है। बीते कई सालों से शराब की तस्करी उत्तराखंड की राजधानी ही नहीं बल्कि राज्य के दूर दराज तक के इलाकों तक में होती रही है। इसका खामियाजा उत्तराखंड को शराब से मिलने राजस्व में हानि से होता है। हालांकि, आबकारी विभाग के पास अभी तक वैट बढ़ोत्तरी के आदेश नहीं पहुंचे हैं। आयुक्त वाणिज्य कर दिलीप जावलकर ने शराब की कीमतों में वैट बढ़ाए जाने की संस्तुति की है। देहरादून में शराब के शौकीनों पर नई आबकारी नीति काफी भारी पड़ रही है। कई कंपनियों द्वारा मोल भाव किए जाने की वजह से शराब का संकट गहरा गया है। पहले तो शराब के ब्रांड को लेकर रार चल रही थी। लेकिन दो दिनों से ठेकों पर रम के अलावा कोई दूसरी शराब नहीं मिल रही है। चुनिंदा ठेकों पर शराब है, लेकिन उसके अधिक दाम वसूले जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि जिस तरह से शराब की मारामारी चल रही है यह स्थिति दो-तीन दिनों में समाप्त होने वाली नहीं हैं। आबकारी विभाग की नई नीति ने शराब के शौकीनों के साथ-साथ ठेकेदारों तक को परेशान कर दिया है। गौरतलब है कि इस साल शराब के ठेकों का आवंटन 31 मार्च के बजाय 15 अप्रैल को हुआ था. नई आबकारी नीति बनाने को लेकर अधिकारी बहुत पसोपेश में थे। इस कारण एक पखवाडे़ का वक्त नई आबकारी नीति बनाने में लग गया था। एफएल -2 की घोषणा एक मई को हो पाई। एफएल -2 का लाइसेंस राज्य मंडी परिषद को दिया गया है, जबकि शराब की सप्लाई जीएमवीएन व केएमवीएन के स्टोर से होनी हैं। अब शराब कंपनियों की लामबंदी से शराब का शहर में टोटा बन गया है. देहरादून के जिला आबकारी अधिकारी पवन सिंह का कहना है कि जल्द ही मामले का निदान कर लिया जाएगा और शराब की सप्लाई में कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी। वहीँ शराब के ठेकेदारों का कहना है कि अब उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि वे लाइसेंस की फीस जमा कर चुके हैं, लेकिन उन्हें शराब की आपूर्ति नहीं मिल पा रही है.

सरकार नहीं दिला पा रही गन्ना उत्पादक किसानों को उनका बकाया पैसा, अब नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में जाने की तैयारी
  • भाकियू की कोर कमेटी की बैठक में हुआ फैसला, चीनी मिलों पर बकाया हैं किसानों से 555 करोड़
  • अब नियमानुसार ब्याज की मांग करेंगे किसान

बाजपुर (ऊधमसिंह नगर),13 मई (निस)। भारतीय किसान यूनियन ने  राज्य की चीनी मिलों पर किसानों की बकाया राशि 555 करोड़ का भुगतान दिलाने के लिए अब नैनीताल उच्च न्यायालय की शरण में जाने का फैसला किया। भाकियू की कोर कमेटी ने तय किया है एक जनहित याचिका के माध्यम ने गन्ना मूल्य के साथ ही बकाया राशि पर ब्जाय भी दिलाने की मांग की जाएगी। भाकियू ने इसकी पूरी कार्य योजना भी तैयार कर ली है और अगले सप्ताह तक याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल कर दी जाएगी। एक फार्म हाउस पर हुई भाकियू कोर कमेटी की बैठक में गन्ना मूल्य भुगतान के मामले में प्रदेश सरकार  पर गन्ना उत्पादक किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया गया। भाकियू की यूथ विंग के मंडलीय महासचिव विकास डोगरा ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार गन्ना उत्पादक किसानों के साथ छल कर रही है। मेहनतकश किसान प्रकृति की मार से बेहाल है तो  गन्ने को चीनी मिलों तक पहुंचाने के बाद भी झोली खाली है। कुदरत की मार से पीडि़त किसानों को उम्मीद थी कि सरकार चीनी मिलों से भुगतान कराकर उन्हें सदमे से उबरेगी। लेकिन सरकार और चीनी मिलों ने कुछ नहीं किया। इतना ही नहीं कर्जा देने वाले बैंक, गन्ना समितियां  किसानों से वसूली पर आमादा हैं। उन्होंने कहा कि अब प्रदेश सरकार से दो-दो हाथ करना मजबूरी बन गया है। हरिद्वार की इकबालपुर, लक्सर, तथा उत्तमनगर  चीनी मिलों पर लगभग 345 करोड़  ऊधमसिंह नगर की नादेही, बाजपुर, गदरपुर, सितारगंज तथा किच्छा चीनी मिल पर लगभग 180 करोड़ तथा देहरादून की डोईवाला चीनी मिल पर लगभग 30 करोड़ बकाया बना है। सरकार ने पहले जीओ में अगेती प्रजाति के गन्ने के लिए 290 रुपये तथा सामान्य प्रजाति के लिए 280 रुपये कीमत तय की थी। इसमें कहा गया है कि मिलें गन्ना क्रय करने की तिथि से 14 दिन में 40 रुपये कम की दर से भुगतान करेंगी। अवशेष मूल्य मिल बंद होने के तीन माह के अंदर अदा किया जाएगा। भुगतान न करने पर मिलें ब्याज सहित भुगतान करेंगी।  उन्होंने कहा कि सरकार के अडि़यल रवैये के चलते न्यायालय अलाव कोई मददगार नही दिख रहा है। भाकियू की कोर कमेटी ने तय किया है कि किसान अब सरकार के आग हाथ नहीं फैलायेगा और अगले सप्ताह उच्च न्यायालय में किसानों का हक दिलाने को जनहित याचिका दायर कर दी जाएगी। वरिष्ठ किसान नेता दलजीत सिंह गौराया ने कहा कि चीनी मिलों में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा वित्तीय कुप्रबंधन के लिये किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। किसानों के उनका हक चाहिए और इसे देने की जिम्मेदारी सरकार की है। 

मुकदमे को कमजोर करने की कवायद तेज, अवैध खनन का माल नहीं किया जब्त
  • कल्यााणी पर हमले का मामला, एक स्टोन क्रशर पर डाला गया था करोड़ों का माल
  • क्रशर को दिया जा रहा माल गायब करने का मौका, पुलिस और प्रशासन के अफसरों ने साध लिया मौन

बाजपुर (ऊधमसिंह नगर),13 मई (निस)। इसे सियासी संरक्षण ही किया जाएगा कि एक महिला आईएफएस अफसर कल्याणी पर हुए हमले की जांच भी भगवान भरोसे चल रही है। आलम यह है कि अवैध खनन करके एक स्टोन क्रशर पर भेजे गए करोड़ों रुपये की रेता-बजरी की ओर किसी का ध्यान नहीं है। जानकारों का मानना है कि नियमानुसार इसे जब्त न करके मामले को हल्का करने की कवायद की जा रही है। 29 अप्रैल की रात को महिला आईएफएस कल्याणी पर हुए हमले की असली वजह अवैध खनन ही था। अफसर इस अवैध खनन को रोकने गई तो उसे लगभग बंधक बनाकर रखा गया और खनन चलता रहा। अफसर के साथ मारपीट भी की गई। एफआईआर में भी इस बात का जिक्र है कि अवैध रोकने की कोशिश करने पर महिला अफसर पर हमला किया गया। बताया जा रहा है कि अवैध खनन से निकले रेता-बजरी को बन्नाखेड़ा के एक स्टोन क्रशर पर भेजा जाता रहा। इस मामले में एफआईआर होने के बाद नैनीताल जिले के बैलपड़ाव थाने की पुलिस ने मुख्य आरोपी कुलविंदर सिंह किन्दा व दो अन्य को गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद पुलिस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया लगता है। शायद यही वजह है कि 50 अन्य अज्ञात लोगों में से किसी को भी पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है। मामला यहीं तक नहीं है। पुलिस ने वारदात के 14 दिनों बाद भी स्टोन क्रशर पर डाले गए रेता-बजरी की कोई सुध नहीं ली। बताया जा रहा है कि स्टोन क्रशर प्रबंधन को इस माल को एडजस्ट करने का मौका दिया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस इस समय सियासी दबाव में काम कर रही है। यही वजह है कि पुलिस या प्रशासन ने अवैध खनन करके निकाले गए रेता-बजरी के बारे में स्टोन क्रशर प्रबंधन से कोई पूछताछ नहीं की।

खनन विभाग ने भी नहीं लिया कोई एक्शन
कायदे से खनन विभाग को अवैध खनन से निकाले गए माल के बारे में स्टोन क्रशर से जानकारी करनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बताया जा रहा है कि खनन वाला पूरा इलाका एक उपनिदेशक के अधीन आता है। लेकिन सरेआम हो रहे अवैध खनन पर उप निदेशक की निगाह आज तक नहीं गई। अवैध खनन रोकने गई महिला अफसर पर हमले के बाद भी उप निदेशक ने मामले की जांच करने या फिर अवैध खनन वाले माल को जब्त करने की कोई कोशिश नहीं की। बताया जा रहा है कि उप निदेशक पर एक बड़े सियासी नेता का हाथ हैं और ये अफसर उन्हीं के इशारे पर सारा काम करता है।

अवैध खनन की अलग होनी चाहिए थी रिपोर्ट
इस मामले में एक अहम बात यह भी है कि महिला अफसर पर हमले की रिपोर्ट तो दर्ज कर ली गई। लेकिन वन अधिनियम या खनन अधिनियम के तहत किसी ने भी रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई। अगर ऐसा किया गया होता तो स्टोन क्रशर पर डाले गए माल की जब्त करने या फिर निकाले गए माल पर रायल्टी वसूल की जा सकती थी। लेकिन सरकारी राजस्व की इस बड़ी हानि पर किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा यह रहा है कि स्टोन क्रशर पर डाले गए माल खुर्द-बुर्द कर दिया गया।

बाजपुरः गुटीय संघर्ष में दो जख्मी, दो दिग्गजों के समर्थकों के बीच जमकर चले लाठी-डंडे
  • पीडि़त पक्ष की ओर से कोतवाली पर किया गया प्रदर्शन, एक लाख रुपये लूटने का आरोप, एक घायल युवक गंभीर

बाजपुर (ऊधमसिहं नगर),13 मई (निस)।  गुटीय रंजिश को लेकर हुए एक विवाद में दर्जनों युवकों ने दो युवाओं की लाठी डंडों और तलवारों से हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। घटना में घायल एक युवक की हालत नाजुक बताई जा रही है। पीडि़त पक्ष ने एक लाख रुपये भी लूटने का आरोप लगाया है। घटना के बाद एक गुट के समर्थकों ने कोतवाली हंगामेदार प्रदर्शन किया और सड़क जाम कर धरना दिया। कोतवाली सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बन्नाखेड़ा निवासी सरदूल तथा नागेंदर अपने ट्रैक्टर ट्राली पर खाली ड्रम व गैलन आदी रख कर डीजल लेने के लिए आए थे। देर रात लगभग सवा नौ बजे के करीब दोनों युवक रामराज रोड स्थित हुडडा पेट्रोल पंप पर डीजल नहीं मिलने पर एक जीप से बाजपुर स्थित अन्य पेट्रोल पंपों पर तेल का पता करने लगे। पीडि़तों ने बताया कि जैसे ही दोनो युवक एनडीटी पेट्रोल पंप पर पहुंचे तो वहां पहले से ही घात लगा कर बैठ दर्जनभर युवकों ने उन पर सुनियोजित तरीके से हमला कर दिया। उन्होंने बताया कि अचानक हुए इस हमले से वे घबरा गए। आरोपी युवकों ने उन्हें घेर कर उन के साथ मारपीट शुरु कर दी। उन्होंने बताया कि वे किसी तरह बच कर जीप से वापिस भागे पर आरोपी युवकों ने उन्हें बाजपुर गुरुद्वारे के समीप पकड़ लिया और फिर  उन पर धारधार हथियारों से हमला कर उन्हें गम्भीर रुप से घायल कर दिया। पीडि़त युवकों ने आरोप लगाया कि हमलावर लोगों ने उन के पास रखे एक लाख रुपये भी छीन लिए। पीडि़त युवकों की ओर से अमर रंधावा, काका, गुल्लू, अमृत, सत्तू, सोनी, हैप्पी, बिरसा आदी को नामजद किये जाने की बात कही जा रही है। दोनो पीडि़तों ने बताया कि वे किसी तरह बच कर कोतवाली बाजपुर पहुंचे और वहां पहुंच कर उन्होंने अपने समर्थकों को घटना की सूचना दी। इधर घटना की सूचना पा कर दर्जनो समर्थक भी कोतवाली पहुंच गए और क्षेत्र में हो रही गुंडागर्दी को लेकर हो हल्ला मचाने लगे। बाद में आक्रोशित समर्थक कोतवाली बाजपुर के सामने सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और तत्काल आरोपी युवकों की गिरफतारी की मांग करने लगे। जाम लगने से दूर दूर तक वाहनो  की लंबी-लंबी लाइनें लगी रहीं। बाद में पुलिस ने मामले की एफआईआर दर्ज कर ली। बताया जा रहा है कि पीड़ित पक्ष सत्ताधारी गुट और आरोपी मुख्य विपक्षी दल के बताए जा रहे हैं। 

फांसी पर झूलती मिली छात्रा, कारण अज्ञात

देहरादून, 13 मई (निस)। रायपुर थाना क्षेत्रा तरला आमवाला में आज सुबह मानसिक रूप से परेशान एक छात्रा ने अपने ही कमरे में फांसी पर झूलकर जान दे दी। आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है। पुलिस ने शव का पंचनामा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भ्ेाज दिया है। रायपुर पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आज सुबह तरला आमवाला निवासी दिलीप सिंह की 16 वर्षीय पुत्री लक्ष्मी का शव परिजनों ने उसके कमरे में झूलते हुए देखा और थाना पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस को परिजनों ने बताया कि सुबह जब लक्ष्मी रोज की तरह स्कूल जाने के लिए कमरे से बाहर नहीं आई तो परिजन उसके कमरे में गए। यहां कमरे में लक्ष्मी को फांसी पर झूलते देख कर सबके होश फाख्ता हो गए। परिजनों ने लक्ष्मी के शव को नीचे उतारा और आसपास के लोगों को इस बात की जानकारी दी। उधर मौके पर पहुंची पुलिस ने लक्ष्मी के कमरे एवं बैग की भी तलाशी ली लेकिन ऐसा कोई सुसाईड नोट नहीं मिला। परिजनों से भी बात करने पर ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आई जिससे कि आत्महत्या के कारणों की पुष्टि हो सके। परिजनों का कहना है कि लक्ष्मी ने कभी भी ऐसी कोई बात या परेशानी उनके साथ साझा नहीं जो कि उसके द्वारा इस कदम का उठाने की ओर इशारा करती हों। पुलिस के अनुसार इस मामले में अब लक्ष्मी के सहपाठियों से भी जानकारी जुटाई जाएगी। क्षेत्र के लेागों का कहना है कि 16 वर्षीय कक्षा 11 की छात्रा लक्ष्मी मिलनसार स्वभाव की थी और सामान्यतः खुश ही रहती थी।

मुख्यमंत्री ने जाना यात्रा मार्गों का हाल, मानसरोवर व ओम पर्वत का किया जाये प्रचार प्रसार:मुख्यमंत्री

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देहरादून,13 मई (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार देर रात्रि तक सचिवालय में हेमकुंड साहिब, मानसरोवर यात्रा तथा पिण्डारी ग्लेशियर ट्रेक रूट यात्रा के संबंध में पिथौरागढ़, चमोली व बागेश्वर जनपदों के जिला अधिकारियों के साथ वीडियों कान्फ्रेसिंग के माध्यम से व्यवस्थाओं की समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को निर्देश दिये कि मानसरोवर यात्रा पर आने वाले प्रत्येक यात्री की सुख सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाय। कुमांयू मण्डल विकास निगम के अतिथि गृहों को और बेहतर बनाया जाय। मानसरोवर यात्रा के अलावा  ऊँ पर्वत व छोटा कैलाश यात्रा का भी अधिक प्रचार-प्रसार किया जाय। के.एम.वी.एन ऐसी योजना बनाये, जिससे स्थानीय युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिले। कुटी, बुद्दी व नाबी गांव में होम स्टे योजना को मूर्तरूप दिया जाय। छोटा कैलाश और होम स्टे योजना को प्रोत्साहित करने के लिए के.एम.वी.एन. द्वारा 50 प्रतिशत सब्सिडी योजना तैयार की जाय। जौलजीवी में के.एम.वी.एन. का अतिथि गृह के साथ ही हैलीपैड भी बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि मानसरोवर यात्रा के पारंपरिक यात्रा मार्ग को बनाये रखा जाय। इससे कोई छेड़छाड़ न की जाय। आपदा की स्थिति को देखते हुए वैकल्पिक मार्गों का विकास भी किया जाय। गुंजी से धारचूला के बीच एस.डी.आर.एफ. की यूनिट भी तैनात की जायेगी। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ व लोनिवि अधिकारियों को निर्देश दिये कि मानसरोवर यात्रा मार्ग को पूरी तरह से सुचारू करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जाय। तवाघाट-पांगल-गरबाघाट मोटर मार्ग को सुचारू करे। इसके लिए वहां पर नियमित रूप से मशीने रखी जाय। सिरका-मालपा-लमारी मोटर मार्ग का तत्काल ठीक किया जाय। कालापानी से लिपुलेख और नाबीढांग से गंुजी तक के मोटर मार्ग का रखरखाव लोनिवि तथा गंुजी से आगे के मोटर मार्ग की मरम्मत आदि बी.आर.ओ. व जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि मानसरोवर यात्रा मार्ग पर पीने का पानी, शौचालय व जगह-जगह शेड जरूर होने चाहिए। नदी किनारे के मार्ग पर रेलिंग लगायी जाय। के.एम.वी.एन. अपने कुछ लोगो को हाई एल्टीटयूड मे कार्य करने के लिए प्रशिक्षित करे। इसके लिए अलग से यूनिट भी बनायी जा सकती है। यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 5 लाख रुपये की धनराशि की स्वीकृति दी गई। मुख्यमंत्री ने सचिव आपदा को निर्देश दिये कि जनपद पिथौरागढ़ व चमोली को 2-2 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि दी जाय। जबकि यात्रा मार्ग के अन्य जनपदों व बागेश्वर को एक-एक करोड़ रुपये देने के निर्देश दिये। हेमकुंड साहिब यात्रा की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी चमोली को निर्देश दिये कि गोविन्दघाट-घांघरिया मोटर मार्ग को 25 मई तक हर हाल में सुचारू कर दिया जाय। उन्होंने कहा कि वे स्वयं घांघरिया तक जायेंगे और व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला प्रशासन लोनिवि विभाग के माध्यम से हेमकुंड तक रास्ता सुचारू करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जाय। यात्रा मार्ग पर पानी, शौचालय, बिजली की पर्याप्त व्यवस्था की जाय। प्रत्येक 500 मीटर पर पानी की व्यवस्था रहनी चाहिए। यात्रा मार्ग पर बायोडाइजस्ट शौचालय लगाये जाय। साथ ही प्रत्येक यात्री का बायोमिट्रिक रजिस्टेशन किया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे स्वयं यात्रा शुरू होने से पहले घांघरिया तक जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे और यदि किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही पायी गई, तो संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जायेगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने पिंडारी यात्रा की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी बागेश्वर को निर्देश दिये कि पिंडारी क्षेत्र में ट्रेकिंग रूट को और बेहतर बनाया जाय। साथ ही खराब मोटर मार्ग को दुरूस्त करने के लिए कार्य किये जाय। मुख्यमंत्री ने सचिव पर्यटन को निर्देश दिये कि सभी ट्रेकिंग रूट का मास्टर प्लान तैयार किया जाय। बैठक में पर्यटन मंत्री दिनेश धनै, सभा सचिव हेमेश खर्कवाल, अध्यक्ष अल्पसंख्यक आयोग नरेन्द्रजीत सिंह बिन्द्रा, मुख्य सचिव एन.रवि शंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री ओम प्रकाश, सचिव पर्यटन डाॅ. उमाकांत पंवार, सचिव लोनिवि अमित नेगी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। 

बिहार : गया के कमिश्नर के मकान में दरार, गैस, बिजली के उपकरण इस्तेमाल ना करें

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  • जलजला का अधिक असर बिहार और सिक्किम पर पड़ेगा?

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पटना। नेपाल में 7.3 और अफगानिस्तान में 6.9 से चलकर जलजला आया। नेपाल में एक के बाद एक 6 बार जलजला आया। प्रथम 12.35 बजे 7.3 की तीव्रता ,द्वितीय 12 बजकर 47 बजे मिनट पर  5.6 की तीव्रता,तृतीय 01 बजकर 06 मिनट पर 6.3 की तीव्रता,चतुर्थ  01 बजकर 36मिनट पर 5.0 की तीव्रता,पांचवी 01 बजकर 43 मिनट पर 5.1 की तीव्रता और छठी 01बजकर 51 मिनट पर 5.2 की तीव्रता पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेपाल में एक के बाद एक 16 झटके महसूस किया गया। 

एक फिर 12 मई काला दिवस बनकर सामने आया। आज के ही दिन 2008 में चीन में भूकंप आया था। आज जलजला नेपाल, चीन और अफगानिस्तान से उठा। भूकंप का केन्द्र नेपाल के कोडारी बना।यह काठमांडू से 80 किलोमीटर की दूरी पर भूकंप केन्द्र है । चीन से 22 किलोमीटर की दूरी पर केन्द्र है। 

इसका असर पूरे उत्तर भारत और पूर्वी भारत के लोगों को हिला दिया। बिहार में भी पड़ा। सूबे के विभिन्न जिलों में रहने वाले लोग भी जलजला का महसूस किए। प्रथम बार 12.35 मिनट, द्वितीय बार 12.47 और तृतीय बार 1 बजकर 6 मिनट पर आया। मात्र 31 मिनट के अंदर एक के बाद एक 4 झटके मजसूस किए। इस तरह के भूकंप के झटके से 17 दिनों के अंदर फिर से भूकंप आ जाने से लोग घबरा गए हैं। सभी लोग जान बचाने में जूट गए। स्थिति यह हो गयी कि चिकित्सक और कर्मचारी फरार हो गए। सीटी स्केन करवाने वाली मरीज को स्केन प्लेट पर ही छोड़कर नौ दो ग्यारह हो गए। वहीं जलजला महसूस होने पर पश्चिम चम्पारण में बैठक करने वाले पुलिसकर्मी फौरन सभास्थल से बाहर निकल गए। इसके आलोक में सीएम नीतीश कुमार सचेत हैं। सभी अधिकारियों को मैदानी क्षेत्र में जाने का निर्देश दे दिया है। पिछले बार की तरह अधिकारियों से कह दिए हैं कि गांवघर से सूचना लें। उसी के अनुसार मुआवजा और राहत दें। लोगों को धैर्य का परिचय देने को कहा है। इस समय साहस दिखाने की जरूरत है। रात में खुले जगह पर रहना चाहते हैं वहां पर बिजली और पानी का प्रबंध कर दिया गया है। घरों में दरार होने के बारे में सूचना दें। सूचना के बाद इंजीनियर जाकर छानबीन करेंगे। कुदरती चीज का सामना मिलजुलकर करना है। अफवाहों पर ध्यान नहीं देंगे। भूंकप की भविष्यवाणी नहीं की जाती है। भूमि के नीचे प्लेट में टकराव होता है। टकराने से उर्जा निकलता है। धरती को हिलने पर नियंत्रण नहीं कर सकते तो मन पर नियंत्रण किया जा सकता है। आज रतजंगी करेंगे। आपलोगों की तरह रात में जागे रहेंगे। चिंता के भाव है। इसी लिए मंत्रीमंडल की बैठक नहीं किए हैं। कल से गर्मी की छुट्टी होगी। अभिभावक और बच्चों को ध्यान में रखकर निर्णय लिया गया।

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बिहार में 20 लोगों की मौत होने की खबर है। वहीं 46 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। नेपाल में 28 लोगों की मौत हो गयी है। सैकड़ों लोग घायल हैं। 25 अप्रैल के भूकंप के बाद नेपाल में 8 हजार से अधिक और भारत में 72 लोगों की मौत हो गयी। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव श्री व्यास जी का कहना है कि बिहार में 3 लोगों की ही मौत हो गयी है। मृतक पटना,सीवान और दरभंगा से हैं। मृतक के परिजनों को 4-4 लाख रूपए दिए जा रहे हैं। घायलों का इलाज जारी है। कुछ लोगों को मलहम पट्टी करके घर भेज दिया गया। उनका कहना है कि गया के कमिश्नर के मकान में दरार पड़ गयी है। इंजीनियरों को भेज दिया गया है। प्रधान सचिव का कहना है कि जलजला का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। जब जलजला आ जाए तो हिम्मत से मुकाबला करना है। भगदड़ और हंगामा करने की जरूरत नहीं है। भूकंप को महसूस करने के बाद तुरंत घर से बाहर खुला आकाश में निकल जाना चाहिए। अगर घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं तो किसी टेबल के नीचे जाकर बचाव करना चाहिए। गैस,बिजली के उपकरणों को बंद कर देना चाहिए। बिजली प्लग को भी निकाल लें। लिफ्ट का प्रयोग नहीं करें। सीढ़ी से ही आए।बच्चों और बुर्जुगों के निकाले और बाद में खुद निकले। सिर पर हाथ रखकर निकले। 

विशेषज्ञों का कहना है कि यह 25 अप्रैल का ही असर है। उर्जा का ट्राॅसफर होता है। जो एक सप्ताह से एक महीने तक बरकरार रहता है। इससे बिहार और सिक्किम पर अधिक खतरा है। 

बिहार में भूकंप से 27 लोगों की मौत और 79 लोग घायल

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पटना। बिहार में भूकंप से तबाही का सिलसिला जारी है। 27 लोगों की मौत और 79 लोग घायल। सरकार ने स्कूलों में गर्मी की छुट्टी घोषित कर दी। इस बार 25 अप्रैल से अधिक भयाक्रांत लोग दिखे। खौफजदा लोगों ने अपने परिजनों को बेहतर ढंग से संदेश नहीं दे सके। इसके कारण दीवार से टकराकर घायल होने और ह्नदय गति रूक जाने से मौत की गोद में समा गए। 

पटना शहर के बगल में बालूपर मोहल्ला स्थित है। यहां पर त्रिवेणी पासवान के पुत्र ध्रुव पासवान की मौत गोली और राॅड से मार कर दी गयी थी। मगर परिजनों ने हत्या को भूकंप के समय में दीवार से टकराकर मौत हो जाने वाली कहानी प्रस्तुत कर पुलिस के समक्ष अलग ही रूप देने पर अमादा थे। बाजाप्ता त्रिवेणी पासवान के हस्ताक्षर से आवेदन पत्र पुलिस को दिया गया। इसमें कहा गया कि परिजनों ने भूकंप की खबर बेहतर ढंग से नहीं दिए। उनकी खबर आग में घी डालने वाला साबित हुआ। अपने घर में ध्रुव पासवान सो रहे थे। बिछावन को जमीन बिछाए थे। जब गहरी नींद में ध्रुव पासवान को भूकंप आने की खबर दी गयी तो बेचैन हो उठे। आव न ताव देखा, वह झट से उठा और जाकर दीवार से टकरा गए। इस दीवार में जर्बदस्त टक्कर होने से धुव्र कुमार गंभीर रूप से घायल हो गया। सिर में जोरदार टक्कर लगने से सिर फट गया। सिर का पिछला हिस्सा खुल गया। रक्त प्रवाह होने लगा। बिछावन के बगल में खून का थल्ला जम गया। वह कुछ ही पल में दम तोड़ दिया। वह 35 साल का था। परिजनों ने दीघा थाना को सूचना दिए। मौके-ए-वारदात पुलिस आ पहुंची। कागजी खानापूत्र्ति करने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम करने के लिए पीएमसीएच भेज दिया। मृतक की असामयिक मौत पर परिजन रो-रो कर बुरा हाल कर लिए। इस पर गहन छानबीन करने के बाद पता चला कि ध्रुव पासवान की हत्या कर दी गयी है। बिछावन के बगल से खाली घोखा और राॅड बरामद कर लिया गया। इस बीच पुलिस ने ध्रुव पासवान की मां को गिरफ्तार कर लिया है। 

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स्व. बंगाली राम के पुत्र मुनारिक राम की मौतः वहीं कुर्जी बालूपर गांधी पथ गली में रहने वाले स्व. बंगाली राम के पुत्र मुनारिक राम को भूकंप की खबर मिलते ही बेचैन हो उठे। घर के अंदर चैकी पर सोने वाले मुनारिक राम को सूचना मिली। नींद से जागकर जान बचाने वाले मुनारिक राम को जोरदार दिल का दौरा पड़ा। घर के दरवाजे पर आते ही गिर पड़े। फिर उठ नहीं सके। इस हालात में पहुंच गए मुनारिक राम को चिकित्सकीय सुविधा दिलवाने का असफल प्रयास किया गया। राह में ही दम तोड़ दिए। वे 65 साल के थे। अपने पीछे विधवा सहित 2 लड़के और 6 लड़कियां छोड़ दिए। 

इन दोनों को मिलाकर भूकंप से मरने वालों की संख्या 29 पहुंच गयी है। हालांकि आधिकारिक तौर पर 9 लोगों की ही पुष्ठि की गयी है। इस संख्या से और अधिक संख्या हो सकती है। इस बीच सीएम नीतीश कुमार ने लोगों से संयम बरतने को कहा है। दुखद समय में मिलजुल कर कार्य करने पर बल दिया। अफवाहों पर ध्यान देने को नहीं कहा गया है। अगर किसी चीज की जानकारी लेनी है तो पटना समाहरणालय से सूचना ले सकते हैं। 



आलोक कुमार
पटना 

बिहार : हुजूर! कारगिल चैक पर पंचायत रोजगार सेवक हैं अनशन पर

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  • पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चैधरी जांच करेंगे
  • एकमात्र मांग है पंचायत सचिव के पद पर समायोजित कर देंः श्री चौबे 

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पटना।बिहार सरकार दृढ़संकल्प है। सूबे में संविदा पर बहाल कर्मियों की दशा-दिशा सुधारने में। पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चैधरी को जिम्मा सौंपा गया है। तमाम संविदा पर बहाल लोगों के बारे में अनुशंसा सरकार को दें। तब जाकर सरकार के द्वारा इस संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा। हुजूर ! अभी कारगिल चैक पर पंचायत रोजगार सेवक अनशन करने पर उतारू हैं। इनके बारे में जरूर ही निर्णय लीजिएगा। बिहार राज्य पंचायत रोजगार सेवक संघ का अनशन जारी है। ऐतिहासिक गांधी मैदान के समीप कारगिल चैक पर 12 दिनों से अनशनकारी जमे हुए हैं। अनशन स्थल से अनशनकारी सह संघ के प्रदेश अध्यक्ष देवता प्रसाद दीक्षित ने कहा कि जबतक सरकार हमारी मांग नहीं मान लेती है तबतक हम डटे रहेंगे, चाहे इस दौरान हमारी जान क्यों न चली जाए!

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बताते चले कि 2007 में बिहार में पंचायत रोजगार सेवकों की बहाली बी.सी.सी.ई.से विधिवत परीक्षा,साक्षात्कार एवं चिकित्सकीय जांच के उपरांत की गई। इतने प्रक्रियाओं के पालन होने की वजह से सभी को लगा कि इसमें भविष्य निहित है। 2 साल के संविदा होने के बावजूद सरकार अभी तक लगातार 8 साल से काम ले रही है। अगर समायोजित भाषा में कहा जाए तो सरकार हम सभी का आर्थिक एवं मानसिक रूप से दोहन कर रही है। इस मंहगाई के दौर में अत्यल्प मानदेय एवं अनिश्चित भविष्य को लेकर कौन कार्य कर सकता है? क्या यह शोषण नहीं है?आज एक पंचायत रोजगार सेवक इतने कम मानदेय पर घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर कैसे कार्य कर रहा है क्या इसकी जिम्मेदारी एक कल्याणकारी सरकार को नहीं है? इस निरंकुश सरकार के विरूद्ध आज हम सबने पुनः आंदोलन करने का निर्णय किया है। 

बिहार सरकार ने पिछले 8 दिसम्बर 2014 को निर्णय किया था कि सभी पंचायत रोजगार सेवकों को पंचायत सचिव की इसी बहाली में 25 प्रतिशत वेटेज 5 साल उम्र में छूट दिया जाएगा। इसपर बाद में माननीय पटना उच्च न्यायालय ने भी अपना आदेश 13 जनवरी 2015 का दिया था। लेकिन सरकार इस मामले में भी कुछ नहीं कर पाई है। 

इस अवसर पर बिहार राज्य पंचायत रोजगार सेवक संघ के महामंत्री रंजीत कुमार, कोषाध्यक्ष शरद कुमार, अनिल कुमार दिवाकर, मो. नसीरूद्दीन , संजीव कुमार, विकास कुमार , भारती जी एवं सैकड़ों की संख्या में पंचायत रोजगार सेवक उपस्थित थे। एक विशेष भेंट में कुमार सुधांशु चैबे ने कहा कि सरकार से एकमात्र मांग है कि हम पंचायत रोजगार सेवकों को पंचायत सचिव के पद पर समायोजित कर दें। पंचायत रोजगार सेवक संघ के आहवन पर पटना के कारगिल चैक पर हवन कार्य कर्म । सरकार को सदबुद्धि आये और जल्द से एक मात्र मांग समायोजन पुरा करे।



आलोक कुमार
पटना 

हैबिटैट फिल्म फेस्टिवल के पांचवे दिन दर्शकों ने देखी सदमा

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इंडिया हैबिटैट सेंटर के द स्टेन ऑडिटोरियम में आयोजित हैबिटैट फिल्म फेस्टिवल के पांचवे दिन दर्शकों का उत्साह बरक़रार था। दिनांक १२ मई को मलयालम मोविएनेगुलुकल निर्देशक अवीरा रेबेका , असामीज  मूवी  अड़ोमया निर्देशक बॉबी शर्मा  बरुआ और हिंदी मूवी  सदमा निर्देशक  बालू महेन्द्रा मुख्या आकर्षण के केंद्र रही I 

इसके अलावा निर्देशक अवीरा रेबेका दर्शकों से रूबरू भी हुए I दिनांक १३ मई २०१५ को एक हज़ारची  नोट मराठी , कोलफ कश्मीरी और सागर हिंदी मूवी दिखाई जाएँगी I

बजट सत्र का समापन, 24 विधेयक पारित

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संसद का बजट सत्र बुधवार को समाप्त हो गया। तीन महीने तक चले सत्र के दौरान भूमि अधिग्रहण विधेयक सहित कई मुद्दों पर टकाराव के बीच कुल 24 विधेयक पारित किए गए, वहीं भूमि विधेयक को अंतत: समीक्षा के लिए संयुक्त समिति को भेज दिया गया। विपक्ष व सत्ता पक्ष के बीच तकरार के बीच भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पारित हो गया। सदन का यह सत्र बेहद उत्पादक रहा। इस दौरान कोयला खान विधेयक, बीमा कानून संशोधन विधेयक, खान व खनिज संशोधन विधेयक व काला धन विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया गया, वहीं वस्तु एवं सेवा कर विधेयक को राज्यसभा की प्रवर समिति को भेज दिया गया।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बजट सत्र के पहले चरण में भले ही अनुपस्थित रहे, लेकिन दूसरे चरण में उन्होंने बेहद आक्रामक ढंग से वापसी की। इस दौरान उन्होंने भूमि अधिग्रहण विधेयक, इंटरनेट निरपेक्षता, अमेठी में फूड पार्क तथा किसानों से संबंधित मुद्दों को लेकर सरकार का जमकर घेराव किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार ने भूमि विधेयक तथा वस्तु एवं सेवा कर विधेयक को भले ही लोकसभा में पारित करवा लिया, लेकिन राज्यसभा में बहुमत के अभाव में वह ऐसा नहीं कर पाई। यह सत्र दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की शर्मनाक हार के बाद शुरू हुआ था, जिसे लेकर विपक्ष ने कई बार सरकार को आड़े हाथों लिया। कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने सरकार को कई विधेयकों को स्थायी समिति के पास समीक्षा के लिए भेजने की मांग की और कई बार वे ऐसा कराने में सफल रहे।

इस दौरान, विपक्ष ने कश्मीरी अलगाववादी मसरत आलम की रिहाई तथा अंडरवर्ल्ड माफिया दाऊद इब्राहिम के ठिकाने के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया। कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों ने पूर्ति समूह से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रपट के आधार पर नितिन गडकरी से इस्तीफे की भी मांग की। गडकरी पूर्ति समूह में एक प्रमोटर थे। 23 फरवरी को शुरू हुए बजट सत्र के पहले चरण के बाद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को फिर से जारी करने के लिए राज्यसभा का सत्रावसान किया गया। 23 अप्रैल को राज्यसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई। काला धन तथा व्हिसलब्लोअर संरक्षण (संशोधन) विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने के लिए लोकसभा के सत्र को तीन दिन आगे बढ़ाया गया।

संसद की कार्यवाही पर नजर रखने वाली अनुसंधान एजेंसी 'पीआरएस लेजिस्लेटिव'के आउटरीच हेड अहक्षु राय ने आईएएनएस से कहा, "सत्र के समापन के साथ लोकसभा की उत्पादकता इतिहास में सर्वाधिक 123 फीसदी रही।"संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने सत्र की उच्च उत्पादकता पर संतुष्टि जताई, लेकिन उन्होंने लोकसभा के निर्धारित 35 में से 32 कार्य दिवस के दौरान विपक्ष पर कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करने का आरोप भी लगाया।  उन्होंने कहा कि विपक्ष ने 32 दिनों में से 20 दिन प्रश्नकाल को निलंबित करने के लिए नोटिस दिया। राज्य सभा में विपक्ष ने 32 में से 15 दिन कार्यवाही स्थगित करने की मांग की।

उन्होंने कहा, "ऐसी मांगें गंभीरता तथा नियमों के सम्मान में कमी को दर्शाती हैं, जिसके कारण संसद के बहुमूल्य समय का नुकसान होता है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस परंपरा में परिवर्तन होगा।"बजट सत्र के दौरान दोनों सदनों में कुल 24 विधेयक पारित हुए, जो पिछले पांच वर्षो के दौरान सर्वाधिक है।

आलेख : अवतार का अर्थ है अवतरण अर्थात अवतरित होना !!

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अवतार यानि अवतरित होना न कि जन्म लेना, प्रकट होना जिस प्रकार क्रोध प्रकट होता है वह अवतरित नही होता उसे तो अहंकार जन्म देता है परन्तु अवतार का जन्म नही होता जन्म दो के संयोग से प्राप्त होता है, जैसे अहंकार और इर्ष्या का संयोग क्रोध जन्मता है | लोक मान्यता है कि अवतार अपनी लीला के द्वारा व्यावहारिक रूप से अर्थात प्रेक्टिकली कर्म कर के दिखाता है | जो - जो कर्म अवतार करता है, उसे अन्य सहायक अवतार नही कर पाते वह उनका बखान प्रचार करने वाले प्रचारक मात्र भर होते हैं बाकि रही बात अंश की हर जड़-चेतन भूत प्राणी उसी एक परमात्मा का अंश मात्र होता है |अवतार लेने के समय भगवान माया को अपने अधीन कर लेते हैं |

अवतार का अर्थ है अवतरण l प्रश्न उत्पन्न होता है कि किसका अवतरण ?
इसका स्पष्ट वर्णन करते हुए महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास ने श्रीमद्भगवद्गीता में योगीराज श्रीकृष्ण के मुख से कहलवाया है कि “जो - जो जगत् में वस्तु, शक्ति विभूति श्रीसम्पन्न हैं , वे जान मेरे तेज के ही अंश से उत्पन्न हैं ॥“ 

श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय १८-४० में अंकित है –
यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा ।
तत्तदेवावगच्छ त्वं मम तेजोंऽशसम्भवम् ॥ - श्रीमद्भगवद्गीता १० - ४१ 
अर्थात – (यत् तत् विभूतिमत्) जो - जो ऐश्वर्ययुक्त , (सत्वम्) श्रेष्ठ पदार्थ हैं , (श्रीमत् ऊर्जितम् एव) अथवा कान्तियुक्त तथा शक्तियुक्त भी हैं l

(तत् तत् एव त्वं अवगच्छ) तुम उसे (मम तेजोंऽश सम्भवम्) मेरे तेज के अंश से उत्पन्न समझों l
स्मरणतः भगवदगीता में मम् मया इत्यादि शब्दों से अभिप्राय परमात्मा के और परमात्मा से समझना चाहिए l
इस प्रकार श्लोक का अभिप्राय यह बनता है कि इस संसार में जो - जो ऐश्वर्य , कान्ति और शक्तियुक्त पदार्थ हैं, सब परमात्मा के तेज के एक अंश से ही बने हैं l 

यह सर्वविदित तथ्य है कि प्रत्येक प्राणी में प्राण (कार्य करने की शक्ति) परमात्मा की ही देन है l ब्रह्मसूत्र में भी कहा है कि “वाकादि इन्द्रियों के कार्यों से (प्राणी में) उस परमात्मा के चिह्न का पता चलता है .” – ब्रह्मसूत्र १-३-१८ 

तत्पश्चात लिखा है कि ‘यह अर्थात प्राण शक्ति उसने इतर (जीवात्मा) की सलाह से कार्य करने के लिए दी हुई है l ” 

अभिप्राय यह है कि प्राणियों के प्राण अर्थात कार्य करने की शक्ति परमात्मा की है और जो विशेष विभूतियुक्त श्रीमत् और ऊर्जितम् पदार्थ अथवा प्राणी होते हैं , उनमे परमात्मा की विशेष शक्ति होती है l ऐसे प्राणी ही परमात्मा का अवतार कहाते हैं l

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि आर्य इतिहास में जिस – जिस अवतार का वर्णन आया है , वे परमात्मा की विशेष प्राण – शक्ति को रखने वाले थे l इन अवतारों की गणना पुराणों में कराई गई है , ये सब ऐतिहासिक व्यक्ति हुए हैं l वास्तव में पुरातन भारतीय परम्परा (पद्धति) में इतिहास इन अवतारों का ही इतिहास है l यह पुराणों में मिलता है . इस कारण पुराण इतिहास के अंग हैं l

यह स्मरण रखा जाये कि यह आवश्यक नहीं कि अवतार मनुष्य – तुल्य प्राणी ही हो l मुख्य बात जो एक अवतार में देखने की है , वह है उसमें ईश्वरीय शक्ति . यहाँ यह भी स्मरण रखनी चाहिए कि परमात्मा का तेज अर्थात प्राण तो जीवों में भी है और निर्जीव वस्तुओं में भी है l जब परमात्मा की विशेष शक्ति किसी निर्जीव पदार्थ में होती है तो उसे देवता कहती है l जैसे अग्नि , इंद्र , वायु , वरुण इत्यादि l वे भी अवतार तब होते हैं जब वे इस सृष्टि में में विशेष ऐश्वर्ययुक्त अथवा सामर्थ्य युक्त कार्य करने के योग्य होते हैं l

महाभागवत् पुराण में अवतारों की गणना इस प्रकार है -
ब्रह्मा 
सनक , सनन्दन , सनातन और सनत्कुमार 
वराह 
नारद
नर – नारायण 
कपिल 
दत्तात्रेय 
यज 
ऋषभदेव
पृथु
मत्स्य 
कच्छ 
धनवन्तरि 
मोहिनी 
नरसिंह 
वामन
परशुराम 
व्यास 
राम
कृष्ण
बुद्ध 
कल्ङ्कि 
इन अवतारों की गणना करने के उपरांत महाभागवत् पुराण का रचयिता पुराणकार कहता है-

अवतारा ह्यसंख्येया हरे: सत्वनिधेर्द्विजा :l
यथाविदासिनः कुल्याः सरसः स्यु: सहस्त्रशः ll
ऋषयो मनवो देवा मनुपुत्रा महौजशः l
कलाःसर्वे हरेरेव सप्रजापतयस्तथा ll
भागवत महापुराण १-३-२६,२७ 

अर्थात . जैसे एक सरोवर से हजारों नाले - नदियाँ निकलती हैं सत्वनिधि भगवान से सहस्त्रों ही अवतार हुए हैं l
वे ऋषि – मुनि , देव और मनु - पुत्र महान ओज वाले हुए हैं l यह वही बात हुई जो भगवद्गीता १० – ४१ में कही गई है l

परमात्मा का तेज विशेष रूप में जब किसी पदार्थ अथवा प्राणी में आता है तो वह अवतार कहाता है l अवतार चेतन तत्व भी होते हैं और अचेतन तत्व भी l चेतन -  अचेतन का अन्तर है “ईक्षण” करने की शक्ति में l ईक्षण से अभिप्राय है कार्य करने का स्थान ,  काल और दिशा का निश्चय करना l जो ऐसा करने की सामर्थ्य रखता है उसे चेतन कहते हैं और जो नहीं रखता वह अचेतन कहाता है l कुछ प्राकृतिक पदार्थ भी विशेष ओजयुक्त , ऐश्वर्यवान और सामर्थ्यवान देखे जाते हैं l उन्हें भी अवतार माना जाता है l यही पुराणों की पद्धति है l दोनों में अन्तर भी यहाँ स्पष्ट है l अचेतन अवतार एक कार्य के लिए ही होते हैं और उस कार्य के उपरान्त उनका अस्तित्व नहीं रहता l अचेतन अवतार इच्छानुसार अनेक कार्य करता है l

इस कथन का प्रमाण भी श्रीमद्भगवदगीता में ही उपस्थित है l परमात्मा की विशेष विभूति से युक्त पदार्थों की गणना गीता में की गई है l उस गणना में जहां राम और कार्तिकेय का कथन है , वहाँ उसमे वज्र और हिमालय का नाम भी है l जहां बृहस्पति ,भृगु को परमात्मा की विशेष विभूति वाला माना है , वहाँ अक्षरों में ओं (ओउम्) और समासों में द्वन्द्व को भी बताया है l इस प्रकार किसी भी पदार्थ को ,जिसमें परमात्मा के तेज का अंश है , उसे परमात्मा का अवतार माना है l

अवतार परमात्मा स्वयं नहीं हो सकता l कृष्ण स्वयं परमात्मा नहीं थे l राम भी परमात्मा नहीं थे l इसी भान्ति बुद्ध तथा अन्य अवतार परमात्मा नहीं कहे जा सकते l वे केवल परमात्मा के तेज अर्थात प्राण की विशेष मात्र को रखने वाले होते हैं l अतः पुराणों में वंशों का चरित् (वंशानुचरित्) से अभिप्राय है कि इन अवतारों और उनसे संपन्न होने वाली घटनाओं का वर्णन .इस प्रकार भूमण्डल के इतिहास से अभिप्राय है अवतारों का इतिहास . जन साधारण की गाथाएं भी पुराणों में हैं ,परन्तु इतने लम्बेकाल लगभग उनचालीस लाख वर्ष काल का इतिहास लिखने में केवल विशेष विभूति युक्त पदार्थो (अवतारों) का वर्णन ही किया सकता था . इन अवतारों का इतिहास का वर्णन कर दिए जाने से भूमण्डल विशेष रूप में भारतवर्ष का पूर्ण इतिहास इसमें आ जाता है l


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अशोक “प्रवृद्ध”
गुमला 
(झारखण्ड)

विशेष आलेख : समाजवादी पार्टी में क्षत्रिय नेतृत्व को लेकर टकराहट

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समाजवादी पार्टी में क्षत्रिय नेतृत्व को लेकर आपस में ही ठन गई है। एक समय था जब राजा भैया समाजवादी पार्टी के क्षत्रिय चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट किए जा रहे थे लेकिन आजकल ग्राम्य विकास राज्य मंत्री अरविंद सिंह गोप पार्टी हाईकमान के चहेते बन गए हैं और राजा भैया की जगह उन्हें बढ़ाया जा रहा है जबकि राजा भैया हाशिए पर डाल दिए गए हैं। 

महाराणा प्रताप जयंती पर क्षत्रिय भावनाओं का सम्मान करने के लिए अखिलेश सरकार द्वारा अवकाश की घोषणा के श्रेय को लेकर अरविंद सिंह गोप और राजा भैया खुलेआम एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए। एक ओर कई जिलों में प्रताप जयंती पर क्षत्रिय महासभाओं द्वारा कराए गए आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर अरविंद गोप ने अवकाश के लिए क्षत्रिय समाज की ओर से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आभार जताया। दूसरी ओर राजा भैया समर्थकों ने अरविंद गोप की काट में कोई कसर न रखते हुए पोस्टर और होर्डिंग लगवाकर यह साबित किया कि प्रताप जयंती पर छुट्टी राजा भैया के प्रयासों की देन है।

अरविंद गोप और राजा भैया के बीच चल रही इस खींचतान को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के परिवार में वर्चस्व को लेकर चल रही जंग से भी जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव राजा भैया को उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि की वजह से शुरू से ही नापसंद करते हैं और प्रतापगढ़ में सीओ जियाउल हक की हत्या के बाद तो उन्हें राजा भैया से जैसे एलर्जी ही हो गई। मुलायम सिंह के दबाव में उन्होंने राजा भैया की मंत्रिमंडल में वापसी तो कर ली लेकिन राजा भैया की सरकार में वह प्रमुखता नहीं रह गई जो पहले देखी जाती थी। दूसरी ओर पार्टी को एक क्षत्रिय चेहरे की जरूरत भी थी। इस मामले में अरविंद गोप पर अखिलेश यादव ने इसलिए भरोसा किया कि उनकी पृष्ठभूमि राजनीतिक है। वे लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ से होकर मुख्य धारा की राजनीति में आए हैं। उनका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। नई पीढ़ी में हर समाज में नेतृत्व की स्वीकार्यता के लिए पैमाने बदले हुए हैं। इसी को ध्यान में रखकर अखिलेश हर जाति के चेहरे के बतौर उन लोगों को अपनाने के पक्षधर हैं जो अपेक्षाकृत निष्कलंक छवि के हों और साथ ही जिनकी पृष्ठभूमि राजनीतिक हो। जिनका विवादों से रिश्ता है उन सबको अखिलेश ने अपने जमाने में किनारे किया है। वे ऐसा ही सुलूक आजम खां के साथ भी करते लेकिन उन पर अखिलेश का जोर नहीं है।

राजा भैया के विरुद्ध उनकी प्रतिकूल भावनाओं के पीछे अमर सिंह का भी एक कोण है। अमर सिंह को लेकर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के परिवार में ही तमाम दांवपेंच खेले जा रहे हैं। शिवपाल सिंह उनकी खुलेआम पैरवी कर रहे हैं जबकि रामगोपाल जबरदस्त विरोध में हैं और यह भी स्पष्ट हो चुका है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पूरी तरीके से रामगोपाल के प्रभाव में हैं। राजा भैया के बारे में माना जाता है कि उनके गाडफादर आज भी अमर सिंह ही हैं। इस कारण उन्हें हैसियत में रखने के पैंतरे मुख्यमंत्री शुरू से ही आजमा रहे हैं। अरविंद सिंह गोप की क्षमताओं पर शुरू में उन्हें पूरा विश्वास नहीं था लेकिन अब जबकि अरविंद सिंह ने पूरे प्रदेश में अपनी जगह बना ली है तो उनके लिए गोप को आगे करके राजा भैया को बौनसायी करना सरल हो गया है।

सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह तक अखिलेश और रामगोपाल की पेशबंदी के आगे असहाय हो चुके हैं। उन्होंने कुछ समय पहले अपने आवास पर पूरे परिवार को इकट्ठा किया था। इसके एक दिन पहले उनकी अमर सिंह से लंबी बातचीत हुई थी। इसी को लेकर वे अमर सिंह की पार्टी में वापसी के लिए परिवार में माहौल बनाना चाहते थे लेकिन रामगोपाल ने अब खुलेआम इसको नकार कर मुलायम सिंह को एक तरह से चुनौती सी दे डाली है। इतना ही नहीं जनता दल परिवार के महाविलय से राज्य सभा में उनका नेता पद छिन जाने के जो आसार बन रहे थे उससे बिफर कर रामगोपाल ने यह भी कह दिया कि बिहार विधान सभा के चुनाव होने के पहले तक महाविलय संभव नहीं है। अप्रत्याशित रूप से लालू उनके साथ आ गए हैं। इससे पहले मुलायम सिंह यादव महाविलय को लेकर जिस तरह से दृढ़ता के साथ इसे अंतिम फैसला घोषित कर चुके थे उसको देखते हुए अनुमान यह था कि अब पार्टी में किसी की हिम्मत नहीं होगी कि इसमें अड़ंगेबाजी करे पर रामगोपाल ने खुलेआम उनके फैसले को नकार दिया और मुलायम सिंह की बोलती बंद है। परिवार के अंदर की यह अदावत समाजवादी पार्टी के भविष्य को आखिर कहां ले जाएगी यह सियासी पंडितों के लिए अटकल का विषय है लेकिन फिलहाल तो राजा भैया के धुंधले चल रहे सितारे अरविंद सिंह गोप के अचानक तेजी से दैदीप्यमान होने के कारण अस्ताचल में डूबते नजर आ रहे हैं। आगे जो भी हो।





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के  पी  सिंह 
औरई 

'गब्बर इज़ बैक'एन्ड ही इज मोर डैंजर

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शोले फिल्म के ओरिजिनल क्लाइमैक्स में ठाकुर द्वारा गब्बर को मारते हुए दिखाया गया था  जिसे बाद में सेंसर बोर्ड की दखल के बाद बदलना पड़ा, सेंसर बोर्ड नहीं चाहता था कि फिल्म में ठाकुर का किरदार कानून को अपने हाथ में ले। लगभग चालीस साल बाद आयी “गब्बर इज बेक” के क्लाइमैक्स में सरकारी कर्मचारियों की बेधड़क हत्यायें करने वाले फिल्म के “हीरो” को किसी शहीद की तरह फांसी की सजा पाते हुए दिखाया गया है, यही वह फर्क है जो हम 1975 और 2015 के बीच की अपनी फिल्मों में पाते हैं। तो क्या यह परिवर्तन सिर्फ फिल्मों के मामले में हुआ है और हमारे समाज, संस्कृति और राजनीति के कोने इससे अछूते है? जरा ठहर कर विभिन्न क्षेत्रों के सितारों पर एक नज़र डाल लीजिये जवाब खुद बखुद मिल जायेगा,आज साहित्य के सबसे बड़े ब्रांड और सितारे चेतन भगत है, संगीत में हनी सिंह और मिक्का सिंह,  सिनेमा में सलमान खान,अक्षय कुमार, अध्यात्म में बाबा रामदेव,आशाराम,राजनीति में नरेंद्र मोदी,केजरीवाल,अमित शाह, ओवेसी ब्रदर्स हैं। इस लिस्ट को देख कर स्पष्ट है कि अब हमारे नायक बदल गये है, अब वे दूध के धुले नहीं हैं और ना ही वे मूल्यों की परवाह करते हैं, श्रेष्ठ  होने का पैमाना भी बदल चूका है। लीडरों, नायकों के साथ चलने की जगह उनके पीछे चलने की भेड़चाल की प्रवृति और ज्यादा हावी हो गयी है। 

हम उदारीकरण के दौर में हैं जहाँ अपने आप को बाजार में बनाये रखने के वास्ते सब को ब्रांड बनने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है,अगर एक बार भी आप ब्रांड बन गये तो सक्सेस हैं, फिर  आप चाहे अन्दर से कितने भी खोखले और फर्जी ही क्यों ना हो और जो ब्रांड नहीं बन पाता है उसे हाशिये पर ही रहना है, फिर वह चाहे कितना भी प्रतिभाशाली क्यों ना हो, इस खेल का  दूसरा नियम यह है कि ब्रांड वही बनता है जो मार्किट के रिक्वायरमेंट के हिसाब से फिट बैठता है, तभी तो ठीक पार्लियामेन्ट के पास आत्महत्या कर लेने वाला एक किसान न्यूज़ इंडस्ट्री के लिए एक ब्रांड बन जाता है जबकि वर्षों से ग्रामीण भारत के अलग–अलग हिस्सों में आत्महत्या कर रहे हजारों किसानों की आत्महत्यायें का कोई न्यूज़ वैल्यू नहीं बन पाता है, इन ब्रांड्स को ही रोल माडल के रूप में गढ़ा जा रहा है, लोगों में इनकी लत डाली जा रही है जो बाद में  करोड़ों की संख्या में फैन्स बनते हैं, फैन्स होने की पहली शर्त अंधभक्त होना है। हमारे दौर के “रोल माडल” तानाशाह भी होते जिनका करोड़ों फैन्स आँख और कान बंद करके फालो करते है। सलमान खान से जुडी हालिया घटना इसका ताजा मिसाल है। 

1975 में आई फिल्म शोले का खलनायक गब्बर सिंह इस फिल्म का ही नहीं हिंदी सिनेमा का भी एक ब्रांड है, अब 2015 में फिल्मी परदे पर गब्बर एक बार फिर वापस आ गया है, इस बार वह विलेन नहीं हीरो है, हालांकि उसके कारनामे एक विलेन की ही तरह हैं लेकिन उसके विलेननुमा करतूतों का ना केवल महिमामंडित किया है बल्कि 'नाम विलेन का, काम हीरो का'जैसे पंच लाइन के साथ उसे स्थापित करने की कोशिश भी की गयी है। शोले फिल्म में गब्बर अगर अपने करतूतों पर शर्मिंदा नहीं भी था तो भी कम से कम उसने नायक बनने की कोशिश नहीं की थी। लेकिन गब्बर इज बैक का गब्बर एलान करता है “ना मैं सरकारी हूँ ना गैर कानूनी, ना मैं कोई नेता हूँ और ना ही कोई टेररिस्ट, काम से हीरो नाम से विलेन हूँ, मैं गब्बर हूँ”।

गब्बर इज बैक 2002 की तमिल फिल्म 'रमन्ना'का रीमेक है। इसका निर्देशन मशहूर दक्षिण भारतीय निर्देशक क्रिश और निर्माण संजय लीला भंसाली ने किया है, फिल्म का मुख्य किरदार कॉलेज प्रोफेसर है जो दिन में पढ़ाने का काम करता है और रात में एक शहरी गुरिल्ला समूह का नेता बन जाता है, उसका भ्रष्टाचार से निपटने का सीधा तरीका है, पहले वह टारगेट  विभाग के दस सबसे ज्यादा भ्रष्ट अधिकारियों का लिस्ट बनाकर उनका अपहरण करवाता है फिर उनमें से टॉप करप्ट को मार कर चौराहे पर लटका देता है और बाकि लोगों को फ्री कर देता है, इससे उस विभाग के सभी अधिकारियों में गब्बर का खौफ पैदा हो जाता जिसके डर से वे रिश्वत लेना बंद कर देते हैं, अपने इस काम से वह एक तरह से जनता खासकर युवाओं के  बीच हीरो बन जाता है, उसके गुरिल्ला समूह के सदस्य उसके स्टूडेंट्स ही होते हैं। खुद का एंटी करप्शन फोर्स बनाने से पहले अजय (अक्षय कुमार) अपनी गर्भवती पत्नी के साथ आम जिंदगी जी रहा होता है, लेकिन जिस फ्लैट में वह रहा होता है वह खराब जमीन पर बने होने के कारण अचानक भरभरा कर ढह जाता है, इस हादसे में वह अपनी पत्नी को खो देता है, बिल्डर के खिलाफ सबूत होने के बावजूद उसे इन्साफ नहीं मिलता है, अंत में वह इस बिल्डर से बड़ा ब्रांड बनने और उसको मारने में कामयाब हो जाता है, गब्बर को पकड़ने के लिए लगायी गयी पुलिस बेकवूफ़ है और वह ज्यादातर एक कांस्टेबल का मजाक उड़ाने का काम करती है जो उन सबके बीच ज्यादा काबिल और स्मार्ट है क्योंकि उसके पास गब्बर को पकड़ने के लिए ज्यादा अच्छे आईडियाज हैं। फिल्म के आखिरी हिस्से में जब गब्बर को गिरफ्तार कर जेल ले जाया जाता है तो लाखों के संख्या में गब्बर के प्रशंसक पुलिस वैन को चारों ओर से घेर लेते हैं और उसे बेगुनाह घोषित करते हुए रिहा करने की मांग करते हैं। यह भीड़ गब्बर की इतनी बड़ी अंधभक्त होती है कि पुलिस ऑफिसर को गब्बर से रिक्वेस्ट करना पड़ता है कि अपने प्रशंसकों को रास्ता छोड़ने के लिए कहे। इसके बाद पुलिस वैन की छत पर चढ़ने के लिए वह अपनी हथेलियों को आगे करता है ताकि गब्बर ऊपर चढ़ सके। इस सीन के जरिये दिखाया गया है कि कैसे व्यवस्था के लोग भी गब्बर के विचारों से सहमत है,लेकिन कानून से बंधे होने के कारण वह मजबूर है। फिल्म का कोई भी किरदार ऐसा नहीं है जो गब्बर और उसके तौर तरीकों को गलत बताता हो। क्लाइमैक्स में कई हत्याओं के दोषी फिल्म के “हीरो को अपने उन्मादी समर्थकों को संबोधित करने का मौका भी दिया जाता है जिसमें वह कहता है कि “मैंने जो किया वह सही है लेकिन जो रास्ता चुना वह गलत है” यहाँ वह अपनी गलती मानते हुए भी अपराधियों को मार कर सड़क पर लटका देने के कृत्य को ग्लेरोफाई करता है। हालांकि उसे फांसी की सजा मिलते हुए दिखाया गया है लेकिन इसमें भी उसे बाकायदा भगत सिंह बनाने की कोशिश की गयी है।  फिल्म में केवल एक प्राइवेट संस्था को टारगेट किया गया है और फिल्म का यही हिस्सा वास्तविक और प्रभावी बन पड़ा है, इसमें प्राइवेट अस्पतालों की असंवेदनशीलता और उनका किसी भी कीमत पर मरीज और उसके परिवार के खून का आखरी कतरा तक चूस लेने की लालच को दिखाया गया है। लेकिन अंत में यह एक खतरनाक विचार पर आधारित फिल्म है जो भीड़ तंत्र के न्याय और तानाशाही की वकालत करती है इसमें हमारे समय के कुछ गंभीर मुद्दों को बहुत ही वाहियात तरीके से हल करते हुए दिखाया गया है । कोई कितना बड़ा गुनाहगार क्यों ना हो उसको इस तरह से मार देना गैर कानूनी और बीमार मानसिकता है, इसी तरह से लोगों में खौफ पैदा करने के लिए हत्यायें करना भी आतंकवाद की श्रेणी में आता है। 

गब्बर इज बैक कमाई के मामले में 2015 की सबसे बड़ी ओपनर फिल्म बन कर उभरी है। जो फिल्म के पॉपुलरटी और इसके व्यापक स्वीकारता को दर्शाता है। तो क्या इसका मतलब है कि इसमें दर्शाये गए विचारों की हमारे समाज में व्यापक रूप से स्वीकारता है? शायद ऐसा ही है, जरा याद कीजिये नागालैंड के दीमापुर की घटना जहाँ हजारों की संख्या में उन्मादी भीड़ पहले दीमापुर केंद्रीय जेल को तोड़कर रेप के आरोपी को बाहर निकालती है फिर उसे नंग धडंग करके, पीट-पीट कर अधमरा कर देती है और अंत में उसे चौराहे पर फांसी पर लटका दिया जाता है। इस दौरान मध्युगीन मानसिकता और तौर-तरीकों को मात देती इस भीड़ के आधुनिक मोबाइल / स्मार्ट फोन के कैमरे, जब इस हिला देने वाले कृत्य को कैद करने के लिए चमचमाते है तो एक झटके में हमारे समाज का अँधेरा पक्ष सामने आ जाता है।   

''पचास पचास कोस दूर तक जब कोई रिश्वत लेता है तो सब कहते हैं मत ले वरना गब्बर आ जाएगा''जैसे डायलाग सुनकर अरविन्द केजरीवाल की याद आ जाती है, गब्बर इज बेक और अरविन्द केजरीवाल दोनों का मुख्य थीम भ्रष्टाचार है। उन्होंने पिछले चंद सालों में खुद को भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार के विरुद्ध सबसे बड़े ब्रांड के रूप में स्थापित किया है, वे घोषणा कर रहे हैं कि “ईमानदारी ही मेरी विचारधारा है” यह नायक भी चमत्कारी है जो अपने तीन साल के पोलिटिकल कैरियर में चूका हुआ मान लिए जाने के बावजूद दिल्ली में सत्तर में से सरसठ सीटें जीत कर शानदार वापसी करता है, हर नायक अपने जलवे की कीमत वसूलता है। केजरीवाल भी अपने अधिनायकवादी रूप को सामने लाकर यही कर रहे हैं, फिल्म के एक दृश्य में टेक्सी वाला कहता है कि गब्बर के डर से रिश्वतखोरी कम हो गयी है जिसका उसे बहुत फायदा मिला है जो दिल्ली के ऑटो वालों की कहानियों से मेल खाती हैं।  

आज भारतीय राजनीति में मोदी और केजरीवाल सबसे बड़े ब्रांड है और अब राहुल एक ब्रांड बनने की कोशिश शुरू कर रहे हैं। “ब्रांड मोदी” को बहुत बारीकी से गढ़ा गया है, इसमें विकास और हिन्दुतत्व का परफेक्ट मिश्रण है, मोदी और केजरीवाल को उदारीकरण की पैदाइश, विचारधारा विहीन मध्यवर्ग और नौजवान पीढ़ी का जबरदस्त समर्थन प्राप्त है, यह भ्रष्ट, नाकाबिल और पुराने तौर–तरीकों के हिसाब से सियासत करने वाले राजनीतिज्ञों से उकता चूका है। फिल्म का एक डायलाग है “हमारे ज्यदातर नेता और मंत्री जाहिल और अपराधी हैं”,ध्यान रहे गब्बर इज बैक सिंगल स्क्रीन नहीं मल्टीप्लेक्स को ध्यान में रखकर बनायीं गयी है। इसका  आडियंस मध्य, उच्च मध्यवर्ग, कालेज स्टूडेंट्स हैं, जिसका इस हद तक गैर-राजनीतिकरण किया जा रहा है जिससे वह महज  फैन और अंधभक्त और कंज्यूमर ही बना रहे ।

अभी तक हमारी मसाला फिल्मों के हीरो आम तौर पर छोटे और स्थानीय क्रिमनल्स को सबक सिखाने या उनसे निजात पाने के लिए कानून हाथ लेते थे,लेकिन इस फिल्म में गब्बर पूरे संस्थान को चैलेंज करता है और उसके समान्तर खुद को अराजकवादी संस्थान रूप खड़ा करने का प्रयास करता है, यह हमारे मध्य और उच्चमध्यवर्ग के उसी सोच का ही प्रकटीकरण है जो समस्याओं को हल करने के लिए “सब को लाइन में खड़ा करके गोली मार देना चाहिए” जैसे ब्रहम सूत्र की वकालत करता है।अच्छे सिनेमा का मकसद समाज की स्याह हिस्से को सामने लाकर उसे आईना दिखाना है गब्बर इस बेक अच्छा सिनेमा नहीं कहा जा सकता है क्योंकि यह खुद उसी स्याही से रंगी हुई है। 




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जावेद अनीस 
Javed4media@gmail.com

सड़क विकास प्राधिकरण के महाप्रबंधक द्वारा आरटीआई का उड़ाया मखौल

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  • जानकारी के नाम पर आवेदक को भेजे कोरे कागज 

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सिरोंज। सूचना के अधिकार की जानकारी देने में सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा किस प्रकार की अनियमितताएं बरती जा रही हैं इसके अनेक उदाहरण सामने आ रहे हैं। ताजा मामला उस समय सामने आया जब आरटीआई कार्यकर्ता विनोद सेन द्वारा म0प्र0 ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण, परियोजना क्रियांवयन इकाई-2 कार्यालय विदिषा में एक जानकारी चाही गई थी, मांगी गई जानकारी में लोकसूचना अधिकारी एंव महाप्रबंधक जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी द्वारा जिस प्रकार आवेदक को गुमराह किया गया है, उससे सूचना के अधिकार की जानकारी जैसे महत्वपूर्ण अधिकार का किस प्रकार मखौल उड़ाया गया है यह बात स्पष्ट हो गई है। 

यह है मामला 
आरटीआई कार्यकर्ता विनोद सेन द्वारा दिनांक 31/12/2014 को म0प्र0 ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण, परियोजना क्रियांवयन इकाई-2 कार्यालय विदिषा में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई जिसे समय सीमा में न दिये जाने पर 4/2/2015 को प्रथम अपील उसी कार्यालय में की गई जिसके फलस्वरूप उन्हें नित नये-नये बहाने बनाकर गुमराह किया जाता रहा, और इस संबंध में एक अन्य आवेदन आवेदक द्वारा दिया गया जिसमें पूर्व में मांगी गई जानकारी न दिये जाने का उल्लेख किया गया, जिसकी पावती भी आवेदक के पास उपलब्ध है। 

कोरे काग़जों में पहुंचाई गई जानकारी 
उस समय महाप्रबंधक अजय दिवाकर नाम के  अधिकारी का गैरजिम्मेदार रवैया सामने आया जब उन्होंने जानकारी देने के एवज में कोरे कागज़ आवेदक को डाक से पहुंचा दिये गये। इस प्रकार के गै़र जिम्मेदारी पूर्ण रवैये को लेकर कलेक्टर विदिषा से इसकी षिकायत की गई जिसके संबंध में कलेक्टर ने इस मामले में जांच का आष्वासन फिलहाल आवेदक को दिया है। 

जानकारी न देने का पत्र ही पहंुचा दिया आवेदक को 
महाप्रबंधक अजय दिवाकर द्वारा पहुंचाया गये पत्र में उस समय और भी अधिक आष्चर्य हुआ जब पत्र के विषय में यह दर्षाया गया कि आवेदक को जानकारी नहीं दी जा रही है, लेकिन आगे पत्र में यह भी बताया गया कि आवेदक को जानकारी भी दी जा रही है, एक ही पत्र में देा प्रकार की बात लिखने से यह बात समझ से परे हैं कि कौन सी बात को सही माना जाये, जानकारी देने वाली बात को या फिर जानकारी न देने वाली बात को। 

पत्रों में सूचना के अधिकार के नियमों का हुआ खुला उल्लंधन 
लोक सूचना अधिकारी/महाप्रबंधक द्वारा आवेदक के पत्रों को पड़ने से ऐसा प्रतीत होता है कि या तो उन्हें सूचना के अधिकार के नियमों की पूर्ण जानकारी नहीं है या फिर उनके द्वारा लिखवाये गये पत्रों को बिना पड़े ही उनके द्वारा हस्ताक्षर कर आवेदक को पत्र पहुंचा दिये गये अन्यथा बिना जानकारी का अवलोकन और प्रथम अपील के बाद भी  राषि जमा करने जैसी बात न लिखी गई होती। 

महाप्रबंधक के विरूद्ध कार्यवाही की अपील 
आवेदक श्री सेन द्वारा कलेक्टर को दिये गये अपने आवेदन में स्पष्ट किया गया है कि उन्होंने प्रथम बार दिनांक 31/12/2014 को कार्यालय से जानकारी चाही गई थी, जिसकी प्रथम अपील दिनांक 4/2/2015 को की गई थी, उसके पष्चात् इस मामले में ध्यानार्षण के रूप में दिनांक 25/4/2015 को जानकारी देने के संबंध में आवेदन कार्यालय महाप्रबंधक को दिया गया। इस संबंध में आवेदक श्री सेन का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारी द्वारा इस प्रकार का गै़र जिम्मेदाराना रवैया अपनाये जाने से वह बहुत आहत हुए हैं और कलेक्टर महोदय से अपने द्वारा लिखित षिकायत की गई है जिसमें महाप्रबंधक अजय दिवाकर के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की मांग की है। 

बिहार : किसान विरोधी भूमि अधिग्रहण अध्यादेश वापस लो

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  • 14 मई को पटना में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का विशाल राज्य स्तरीय प्रतिरोध मार्च

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पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके राष्ट्रीय जनत्रांतिक गठबंधन (राजग) की नरेन्द्र मोदी सरकार ने देश के किसानों के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है। किसानों की जमीन छीन कर बड़े पूंजीपतियों को सौंपने के लिए इस सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को एक अध्यादेश जारी करके बदलदिया है। किसानों और विपक्षी दलों के कड़े विरोध के कारण पिछले 31 दिसम्बर को जारी अध्यादेश कानून नहीं बन सका तो उसने पिछले 4 अप्रैल को फिर वैसा ही अध्यादेश जारी कर दिया। इस सरकार के एक मंत्री वेंकैया नायडू ने ऐलान किया है कि सरकार किसानों के ‘विरोध का परिणाम भुगतने को तैयार है।’

अंग्रेजों के जमाने में 1894 में बने भूमि अधिग्रहण कानून में किसानों को कोई अधिकार नहीं था। वही कानून दो साल पहले तक जारी था। किसानों और वामपंथी लोकतांत्रिक दलों के आंदोलन की वजह से 2013 में नया भूमि अधिग्रहण कानून बना जिसमें पहली बार किसानों को कुछ अधिकार दिये गये, जैसे वाजिब मुआवजा, पुनर्वास, अधिग्रहण का समुदाय पर होने वाले असर का मूल्यांकन, सिंचित और बहुफसली जमीन का बचाव, जिस मकसद से जमीन ली जाएगी उसका पूरा न होने पर जमीन किसानों को वापस करना और सबसे बढ़कर 70-80 फीसद किसानों की और ग्राम सभा की सहमति की अनिवार्यता। अध्यादेश द्वारा 2013 के कानून में नरेन्द्र मोदी सरकार ने वाजिब मुआवजा वाले प्रावधान को छोड़कर बाकी सभी प्रावधानों को बेअसर बना दिया है। 

काॅरपोरेट घरानों और बड़े पूंजीपतियों, बिल्डरों और भूमि माफियाओं को तुष्ट करने के लिए सरकार के इस किसान विरोधी कदम का क्या असर होगा, इसकी ओर खुद सरकार के सी.ए.जी.(नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक ) ने इशारा किया है। उसने कहा है कि सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण सम्पत्ति का ग्रामीण क्षेत्रों से काॅरपोरेट दुनिया में हस्तांतरण का जरिया बन गया है। उघोगीकरण के नाम पर विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) खोलने के लिए किसानों से छीनकर उघोगपतियों को दी गयी लाखों एकड़जमीन का आधा हिस्सा खाली पड़ा है। हकीकत यह है कि सरकार किसानों,खेत मजदूरों और दूसरे ग्रामीणों की जीविका छीनकर उनकी जमीन धनकुबेर पूंजीपतियों , बिल्डरों और भूमि माफियाओं को जमीन जायदाद कारोबार और सट्टेबाजी के लिए दे रही है। यह केवल किसानों के लिए ही नहीं, पूरे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसलिए इस समाज विरोधी कदम को रोकना ही होगा।

22 वें महाधिवेशन में काला अध्यादेश को वापस लेने की मांग कीः भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 22 वें महाधिवेशन (पुडुचेरी, 25 से 29 मार्च 2015 ) ने 14 मई 2015 को पूरे देश में इस काला अध्यादेश को वापस लेने की मांग को लेकर जोरदार आंदोलन करने का आह्वान किया गया है। पार्टी की बिहार ईकाई ने इस मांग को लेकर 14 मई 2015 को पटना में 12 बजे दिन में गांधी मैदान से आर.ब्लाॅक चैराहा तक विशाल राज्य स्तरीय प्रतिरोध मार्च करने का आह्वान किया है जिसमें पार्टी के महासचिव एस.सुधाकर रेड्डी ऐटक के महासचिव का. गुरूदास दासगुप्ता और भारतीय खेत मजदूर यूनियन के महासचिव नागेन्द्र नाथ ओझा प्रमुख वक्ता होंगे। 

बिहार राज्य साक्षरता प्रेरक संघ द्वारा 11 सूत्री मांग को लेकर अनशन पर

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पटना। बिहार विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता हैं नंद किशोर यादव। पेयजल की समस्या को लेकर बांकीपुर विधान सभा के प्रतिनिधि नवीन किशोर उपवास पर थे। विधायक 25 घंटे के उपवास पर थे। उनका उपवास तोड़वाने के बाद प्रतिपक्ष के नेता पहुंचे बिहार राज्य साक्षरता प्रेरक संघ के अनशन स्थल पर। अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान सरकार गूंगी और बहरी है। ऐसी सरकार के सामने जान भी देने से फर्क पड़ने वाला नहीं है। आपलोग अनशन करके जान जोखिम में मत डाले। अनशन को तोड़कर जनांदोलन शुरू करें। इसमें भारतीय जनता पार्टी और मेरा व्यक्तिगत सहयोग प्राप्त होगा।

बिहार राज्य साक्षरता प्रेरक संघ के बैनर तले ऐतिहासिक गांधी मैदान के बगल में स्थित कारगिल चैक पर 11 मई से 11 सूत्री मांग को लेकर बेमियादी अनशन पर हैं। अनशन करने वालों में सर्वश्री इन्द्रभूषण कुमार, संतोष कुमार,रंजीत कुमार यादव,ईश्वरी सिंह, ललन कुमार, गोविन्द कुमार,रामजी राम, सुश्री पुष्पा कुमारी, कंचन कुमारी, कुमारी विघा, सरीता झा,शिखा कुमारी,मंजू कुमारी,सावित्री देवी और बरकत उल्लाह आदि हैं। 72 घंटे के बाद भी चिकित्सक आकर अनशनकारियों की सुधि नहीं लिए। हारकर निजी चिकित्सकों की सेवा ली गयी। विनायक पालिका प्रायवेट हाॅस्पिटल के चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी आए थे। बिहार राज्य साक्षरता प्रेरक संघ के प्रदेश सचिव ने कहा कि सरकार की सौतेलेपन रवैया के कारण 14 मई को सड़क मार्च और 12 बजकर 30 बजे आत्मदाह करने का निश्चय लिए हैं। 

सितम्बर 2011 से साक्षरता प्रेरकों की बहाली प्रारंभः साक्षर भारत मिशन योजनान्तर्गत भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय और जन शिक्षा निदेशालय,बिहार के द्वारा निरक्षता को खदेड़ने के लिए बिहार सरकार के रोस्टर क्लियर करने के बाद 18 हजार 500 साक्षरता प्रेरकों की नियुक्ति की गयी है। मैट्रिक उत्र्तीण और अनुभव रखने वालों को बहाल किया गया है। 38 जिले के सभी पंचायतों में बहाल हैं। एक पंचायत में 2 साक्षरता प्रेरकों को बहाल किया जाता है। निरक्षर 10 महिला और 10 पुरूषों को साक्षर किया जाता है। इन नव साक्षरों 6 माह के बाद महापरीक्षा में बैठकर परीक्षा देकर सफल होकर साक्षरों के गढ़ में प्रवेश करते हैं। इस महाकार्य में 10 वीं कक्षा के 30 विघार्थियों का चयन करके सहयोग लिया जाता है। इनके महाकार्य में जुड़ने से मैट्रिक की परीक्षा में 20 ग्रेस मार्क दिया जाता है। 

केन्द्र और राज्य सरकार की विकासशील योजनाओं में योगदानः साक्षरता प्रेरकों के द्वारा केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी लोगों को देते हैं। उन योजनाओं से लाभ लेने का मार्ग बताते और सहयोग करते हैं। स्वयं सहायता समूह का निर्माण करते हैं। मतदाता जागरूकता अभियान चलाते हैं। पारिवारिक सर्वे करते हैं। वंचित समुदाय के बच्चों को विघालय में दाखिला दिलवाते हैं। बच्चों के अभिभावकों के बीच में शिक्षा के प्रति चिंगारी लगाकर मशाल का रूप धारण करवाते हैं। 

नुक्कड़ नाटक का मंचन भी करते हैंः साक्षरता प्रेरकों के द्वारा नुक्कड़ नाटकों का मंचन किया जाता है। कुपोषण मुक्त बिहार और बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं का मंचन कर रहे हैं। इस तरह के आयोजन करने से पंचायत और गांवघर में गहरा प्रभाव पड़ता है। इसका प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।

पंचायत लोक शिक्षा केन्द्र पर सूर्य ग्रहणः केन्द्र और राज्य सरकार की नीयत ठीक नहीं। सितम्बर 2011 में पंचायत लोक शिक्षा केन्द्र खोला गया। इसके रखरखाव के लिए 2250 रूपए तय किया गया। ऊंगली पर गिनकर चार माह तक 2250 रू.निर्गत किया गया। इसके बाद राशि पर ही सूर्य ग्रहण लग गया। वहीं सितम्बर 2011 से चयनित साक्षरता प्रेरकों को 2 हजार रूपए मासिक मानदेय निर्धारित किया गया। उक्त मानदेय में 4 साल के अंदर बढ़ोतरी नहीं की गयी। जबकि केन्द्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों को मोटी रकम देने के साथ साल में दो बार मंहगाई भत्ता दिया जाता है। वहीं सरकार के ही द्वारा न्यूनतम मजदूरी निर्धारित सालाना किया जाता है। मगर साक्षरता प्रेरकों के मानदेय में बढ़ोतरी नहीं की गयी। और तो और पिछले 24 महीने से मानदेय भुगतान नहीं किया जा रहा है। 

दिल्ली सरकार के 'मीडिया के खिलाफ'सर्कुलर पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

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उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को अपने एक अहम फैसले में दिल्ली सरकार के उस सर्कुलर पर रोक लगा दी, जिसमें मानहानि करने पर मीडिया संस्थान पर कार्रवाई की बात की गई थी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वकील अमित सिब्बल की अर्जी पर यह आदेश दिया।

गौरतलब है कि छह मई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरिवद केजरीवाल की सरकार ने यह सर्कुलर जारी किया था। इसमें अधिकारियों से कहा था कि यदि मीडिया संस्थान कोई ऐसी खबर दिखाते या प्रकाशित करते हैं, जिससे मुख्यमंत्री या सरकार की छवि खराब होती है या फिर किसी तरह का नुकसान पहुंचता है तो वे प्रधान सचिव (गृह) के पास इसकी शिकायत दर्ज कराएं, जिससे दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

कांग्रेस के नेता अजय माकन ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि केजरीवाल न केवल मीडिया की आवाज दबाना चाहते थे बल्कि आम आदमी और राजनीतिक दलों की आवाज भी दबाना चाहते हैं। भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि लोकतंत्र में मीडिया का काम सही पक्ष को सामने लाना है।

नोएडा एक्सटेंशन की जमीन किसानों को नहीं होगी वापस: सुप्रीम कोर्ट

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देश की सर्वोच्च अदालत ने यूपी के किसानों को बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा एक्सटेंशन इलाके में जमीन वापसी की किसानों की याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत के इस फैसले से इलाके में फ्लैट खरीदने वाले लोगों और बिल्डर्स को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने इस ओर किसानों की 18 अर्जियों पर एक साथ सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को आगे बढ़ाया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 1400 रुपये गज और 10 फीसदी डवलपमेंट के लिहाज से किसानों का मुआवजा दिया जाए और अधि‍ग्रहण को बरकरार रखा जाए.

बताया जाता है कि अर्जी देने वालों में ऐसे किसान भी थे जो अभी तक इलाके में खेती कर रहे हैं. किसानों की मांग थी कि अब जब नया कानून आ गया है तो नए अधि‍ग्रहण कानून के तहत मुआवजा दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया.

अदालत के इस फैसले से जाहिर तौर पर बिल्डर्स को बड़ी राहत मिली है. एक आंकड़े के मुताबिक, इलाके में करीब 30 हजार फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इलाके में बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण हो चुका है, ऐसे में जमीन लौटा पाना संभव नहीं है.





सीबीआई के पूर्व निदेशक के मुलाक़ातों की जांच होगी

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सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत कुमार सिन्हा की कोलगेट और टूजी मामलों के आरोपियों के साथ कथित मुलाकातों को अनुचित ठहराते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि इस मामले की जांच की जानी चाहिए। इसके साथ ही न्यायालय ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को न्यायालय की मदद के लिए कहा है।

न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इन आरोपों में दम है कि सिन्हा ने मामलों के जांच अधिकारियों की अनुपस्थिति में इन लोगों से मुलाकातें कीं। पीठ ने सीवीसी से कहा कि वह इस पूरे मुद्दे पर छह जुलाई से पहले एक रिपोर्ट दायर करे। न्यायाधीश कुरियन और न्यायाधीश ए के सीकरी की सदस्यता वाली इस पीठ ने कहा, हमें इस निवेदन में दम नजर आता है। सीबीआई निदेशक द्वारा जांच अधिकारियों की अनुपस्थिति में इन लोगों से मुलाकात करना अनुचित है।

पीठ ने सिन्हा की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें सिन्हा ने कथित झूठी गवाही के लिए वकील प्रशांत भूषण के अभियोजन की मांग की थी। भूषण ने दरअसल एक गैर सरकारी संगठन की ओर से याचिका दायर करके मांग की थी कि कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में जांच को प्रभावित करने के लिए अपने पद के कथित दुरुपयोग के लिए सिन्हा के खिलाफ विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच करवाई जाए।

राम मंदिर निर्माण पर संत चाहते हैं कि भाजपा वादा पूरा करे

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राज्यसभा में बहुमत नहीं होने की वजह से राम मंदिर निर्माण के लिए कानून पारित करने में असमर्थता संबंधी केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बयान से नाराज अयोध्या के संतों ने आज भाजपा को उसके चुनावी वायदे की याद दिलाते हुए कहा कि वह उन लोगों से विश्वासघात ना करे, जिन्होंने उसे सत्ता में पहुंचाया है। राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य एवं पूर्व सांसद राम विलास वेदान्ती ने कहा कि राजनाथ सिंह के बयान से संत नाराज हैं। उनका मानना है कि भाजपा वादाखिलाफी नहीं करेगी और वायदे के मुताबिक राम मंदिर निर्माण का रास्ता तैयार करने के लिए कानून बनाएगी।

वेदान्ती ने कहा कि राजनाथ सिंह जब भाजपा अध्यक्ष थे, तब 2013 के महाकुम्भ के दौरान उन्होंने संतों से वायदा किया था कि यदि सत्ता में आये तो भाजपा मंदिर निर्माण को अमली जामा पहनाने के लिए कानून बनाएगी और अब संत चाहते हैं कि भाजपा अपना वह वायदा पूरा करे। संसद के उच्च सदन में बहुमत नहीं होने के बारे में राजनाथ की चिन्ता पर वेदान्ती ने कहा कि अक्तूबर 2016 तक सत्ताधारी पार्टी राज्यसभा में आरामदायक स्थिति में आ जाएगी।

उन्होंने कहा कि तब तक केन्द्र निर्विवादित 67 एकड भूमि राम जन्मभूमि न्यास को सौंप दे और विवादित भूमि के लिए वह 2016 में कानून बना सकता है। वेदान्ती ने आगाह किया कि यदि भाजपा ने राम भक्तों के साथ विश्वासघात किया और मंदिर निर्माण का रास्ता नहीं तैयार किया तो उन्हें पता है कि उनका भविष्य क्या होगा।

मोदी और जिनपिंग के बीच राजनीतिक व सीमा मुद्दे पर हुई बातचीत

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चीन पहुंचने के बाद औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आज शियान में मुलाकात हुई. शी जिनपिंग ने नरेंद्र मोदी का चीन आने पर स्वागत किया है. दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाकर तस्वीरें खिंचवाई. इस मुलाकात के दौरान भी दोनों के दिमाग में पिछले साल चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के भारत दौरे की मुलाकात की पृष्ठभूमि दिखाई दी. भारतीय समयानुसार ये मुलाकात करीब एक बजे हुई. दोनों नेता मीडिया के सामने लाल कालीन पर खड़े होकर तस्वीर खिंचवाते दिखे. मुलाकात के बाद नरेंद्र मोदी ने हाथ हिलाकर वहां उपस्थित मीडिया और अन्य लोगों का अभिवादन किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके शानदार स्वागत को लेकर खुशी जताते हुए कहा है कि 'ये मेरा नहीं बल्कि पूरे भारत का सम्मान है.'गौरतलब है कि मोदी के यहां पहुंचने पर भव्य स्वागत देखने को मिला है. कई जगहों पर रंगारंग कार्यक्रमों और पारंपरिक तौर-तरीकों का आयोजन इसी तर्ज पर दिखाई दिया, जैसा पिछली बार जिनपिंग के भारत आने पर यहां दिखाई दिया था. इस मुलाकात के बाद अब नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ मीटिंग शुरू कर चुके है. इस मीटिंग में मुख्य रूप से दोनों देशों के आपसी व्यापार और सहयोग के विभिन्न बिन्दुओं पर बातचीत होगी. 

इसके पहले पीएम मोदी की चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के गृह नगर शियान की यात्रा को लेकर वहां के स्थानीय लोगों में भारी उत्साह दिखा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने मोदी के समर्थन में जुड़ी भीड़ की तस्वीर भी ट्वीट में शेयर की.

राहुल गांधी करेंगे तेलंगाना में किसानों के साथ पदयात्रा

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार से तेलंगाना की दो दिन की यात्रा पर जाएंगे जिसमें वह आदिलाबाद जिले में 15 किलोमीटर की पदयात्रा भी करेंगे। तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष मल्लू विक्रमार्का के अनुसार राहुल देश में और खासतौर पर राज्य में किसानों की हालत को समझने के लिए यहां आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष गुरुवार रात निर्मल कस्बे में ठहरेंगे। दो जून, 2014 को आंध्र प्रदेश से अलग राज्य बनने के बाद यह राहुल की पहली तेलंगाना यात्रा होगी और इसे पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है। अलग तेलंगाना राज्य के निर्माण का श्रेय लेने और आक्रामक अभियान चलाने के बावजूद कांग्रेस पिछले साल राज्य विधानसभा चुनाव हार गयी थी।

राहुल गुरुवार शाम चार बजे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचेंगे और उस्मानिया विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ संक्षिप्त बातचीत करेंगे। छात्र रोजगार के मुद्दों पर आंदोलन कर रहे हैं। इसके बाद राहुल सड़क रास्ते से निर्मल की ओर रवाना होंगे और रास्ते में कुछ जगहों पर रूक सकते हैं। अगले दिन यानी शुक्रवार को वह सुबह सात बजे वडियाला गांव से पदयात्रा निकालेंगे। टीपीसीसी नेता ने कहा, ‘वह उन किसानों के परिवारों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना देंगे जिन्होंने तेलंगाना में खेती पर संकट की वजह से खुदकुशी कर ली।’ राहुल शाम चार बजे कोराटिकाल गांव में किसानों को संबोधित करेंगे और इसके बाद हैदराबाद लौट आएंगे। मल्लू के मुताबिक वह शुक्रवार रात आठ बजे दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (14 मई)

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उद्यान विभाग के अधिकारी को शोकाॅज नोटिस, दो कर्मचारी निलंबित

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कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने बासौदा एसडीएम के पालन प्रतिवेदन पर उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक श्री सत्येन्द्र सिंह तोमर को शोकाॅज नोटिस जारी करते हुए तीन दिवस के भीतर जबाव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है वही बासौदा के ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी श्री नारायण सिंह अहिरवार और नर्सरी प्रभारी श्री जगदीप सिंह राजपूत को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की कार्यवाही की गई है। निलंबित दोनो कर्मचारियों का मुख्यालय लटेरी के अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय नियत किया गया है। उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा। ज्ञातव्य हो कि दैनिक अखबार में प्रकाशित योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही संबंधी खबरों को संज्ञान में लेते हुए अधिकारियों को कार्यवाही कर अवगत कराने के निर्देश पूर्व मेें ही दिए गए थे। गुरूवार को एक दैनिक अखबार में प्रकाशित खबर की मध्यप्रदेश वाटर सेक्टर रिस्ट्रकचरिंग परियोजना के तहत प्राप्त होने वाले प्लास्टिक के कैरेट जो संबंधित किसानों को निःशुल्क प्रदाय किए जाने थे जिसमें से 250 नग ना तो किसानो को वितरित किए गए है और स्टाक में भी नही पाए गए है। कि जांच बासौदा एसडीएम द्वारा तहसीलदार से कराई गई। एसडीएम के पालन प्रतिवेदन पर पूर्व उल्लेखितों पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा के अधिनियमों के तहत कार्यवाही की गई है।

अवकाश की अनुमति, जाति प्रमाण पत्र लक्ष्य पूर्ति उपरांत

शासन के दिशा निर्देशानुसार जिन वर्गाे के विद्यार्थियों को स्थायी जाति प्रमाण पत्र प्रदाय किए जाने है की अद्यतन स्थिति की समीक्षा गुरूवार को अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने की। कलेक्टेªट के सभाकक्ष में सम्पन्न हुई इस बैठक में जिला पंचायत सीईओ, समस्त अनुविभागीय राजस्व अधिकारी, तहसीलदार और जनपदों के सीईओ, जिला शिक्षाधिकारी मौजूद थे। अपर कलेक्टर श्रीमती भदौरिया ने कहा कि उन ही राजस्व अधिकारियों को अवकाश की स्वीकृति प्रदाय की जाएगी जिनके द्वारा जाति प्रमाण पत्रों के लक्ष्यों की पूर्ति की जाएगी। उन्होंने लोक सेवा गारंटी केन्द्रों के माध्यम से उपखण्ड अधिकारियों के कार्यालयों को भेजे गए जाति प्रमाण पत्र और उनका निराकरण की समीक्षा तहसीलवार की। उन्होंने लोक सेवा गारंटी केन्द्रो के प्रबंधकों को सख्त निर्देश दिए कि तहसील कार्यालयों को प्रेषित किए जाने वाले आवेदनांे का रिकार्ड अपडेट रखे। समीक्षा बैठक में जानकारी दी गई कि जिले में दो लाख 71 हजार 613 विद्यार्थियों को जाति प्रमाण पत्र प्रदाय किए जाने है जिसमें से लोक सेवा गारंटी केन्द्रों के माध्यम से एक लाख 72 हजार 293 आवेदन दर्ज किए गए है और 66 हजार 769 प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके है जिसमें से सर्वाधिक विदिशा विकासखण्ड में 17 हजार 472 इसके पश्चात् सिरोंज में 13 हजार 696, बासौदा में छह हजार 742, ग्यारसपुर में तीन हजार 888, कुरवाई में पांच हजार 268, लटेरी में चार हजार 844, नटेरन में चार हजार 982 और शमशाबाद में आठ हजार 877 आवेदन निराकृत किए जा चुके है। आवेदनों की आॅन लाइन प्रक्रिया की समुचित जानकारी जिला प्रबंधक श्री अमित अग्रवाल ने एलसीडी प्रोजेक्टर के माध्यम से तहसीलवार दी जिसमें जारी किए गए जाति प्रमाण पत्र, प्राप्त आवेदन और दर्ज संख्या की जानकारी सम्मिलित थी।

बीमा अनिवार्य कराएं

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत जिले में अब तक क्रियान्वित कार्यवाही की आज अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन ने समीक्षा की। बैठक में जिला पंचायत के सीईओ श्री चन्द्रमोहन मिश्र, लीड़ बैंक आफीसर श्री उमेश गुप्ता समेत समस्त एसडीएम, तहसीलदार, जनपदों के सीईओ मौजूद थे। कलेक्टेªट सभाकक्ष में सम्पन्न हुई इस बैठक में अपर कलेक्टर श्रीमती भदौरिया ने कहा कि सरकार द्वारा सस्ती दर पर बीमा योजना प्रारंभ की गई है। सभी शासकीय अधिकारी, कर्मचारी एवं वे अपने परिजनों को इन बीमा योजनाओं से पंजीकृत कराएं। उन्होंने योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर बल देेते हुए कहा कि जिले की समस्त आंगनबाडी कार्यकर्ता, पंचायत सचिवों और रोजगार सहायको के माध्यम से निचले स्तर तक जानकारी प्रेषित की जाए। जिला पंचायत के सीईओ श्री मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत जिले में जो बैंकों में खाते खोले गए है उन्हें कम से कम पचास रूपए जमा कराने के लिए अभिप्रेरित करें ताकि उन्हें प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना से जोडा जा सकें और उन्हें बैंको की पासबुक की प्राप्ति हो सकें। इसी प्रकार उन्होंने ग्रामीण अमले को भी बीमा योजना से जोड़ने का आग्रह किया है। श्री मिश्रा ने कहा कि जिले के ऐसे पेंशनधारी जिनके बैंकों में खाते है और वे बीमा योजना की पात्रता रखते है उन्हें भी इसका लाभ दिलाया जाए।लीड़ बैंक आफीसर श्री उमेश गुप्ता ने इस दौरान जानकारी दी कि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के लिए आवेदक का किसी भी बैंक में सेविंग खाता होना अनिवार्य है। खाताधारी के द्वारा सहमति सहघोषणा फार्म भरकर देने पर उनके बैंक खाते से अपने आप बीमा राशि की कटौत्रा की जाएगी। दोनो बीमा योजनाओं के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मई 2015 नियत की गई है। श्री गुप्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री अटल पेंशन योजना जो एक जून से प्रारंभ होगी के लिए भी प्रीमियर दर 12 रूपए नियत की गई है। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के लिए प्रीमियर राशि 12 रूपए है आवेदक की आयु 18 से 70 वर्ष होना चाहिए। बीमित को दुर्घटना में मृत्यु होने पर दो लाख रूपए की राशि मिलेगी। अंगो की अपंगता होने पर एक लाख रूपए की राशि दी जाएगी। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के लिए वार्षिक प्रीमियम राशि 330 रूपए है आवेदक की आयु 18 से 50 वर्ष होनी चाहिए। किसी भी स्थिति में मृत्यु होने पर दो लाख रूपए की राशि प्रदाय की जाएगी।

भूकम्प पीडि़तों को राशि भेंट 

पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने नेपाल के भूकम्प पीडि़तों के लिए एक दिन का वेतन कुल राशि 86 हजार 300 रूपए संग्रह कर गुरूवार को अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया को विभाग के उप संचालक श्री एमएल मेहरा और अन्य ने भेंट की है।
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