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बिहार : महादलित मुसहर समुदाय के बीच में हर्ष का माहौल व्याप्त

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गया। इंदिरा आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में मकान बनाया जाता है। वहीं ‘नुरूम’योजना के तहत शहरी क्षेत्र में बहुमंजिला मकान बनाया जाता था। महादलित मुसहर समुदाय के लोग ग्रामीण क्षेत्र की तरह ही शहरी क्षेत्र में मकान बनाने पर जोर देते थे। यूपीए सरकार की पहल पर ‘राजीव आवास योजना’ निर्माण किया गया। इस योजना के तहत एक मंजिला आवासीय इकाई और बहुमंजिला आवासीय इकाई निर्माण करवाना है। इस योजना को लागू करने से महादलित मुसहर समुदाय के बीच में हर्ष का माहौल व्याप्त है। जिस तरह के शहरी क्षेत्र के गरीब लोग आवास निर्माण करवाना चाहते थे। वह सामने आ गया है। 

विकास मित्र सुधीर कुमार माँझी का कहना है कि नगर विकास एवं आवास विभाग, बिहार, पटना द्वारा ‘राजीव आवास योजना’ के प्रथम चरण में राज्य के 38 जिला मुख्यालय के नगर निकायों को इस योजना में शामिल किया गया है। आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पटना फेज-1,पटना फेज-।।, पटना फेज-।।।, गया, दरभंगा, पूर्णिया एवं कटिहार के कुल 7 परियोनाएं स्वीकृत की गई है। इसमें से पटना फेज-1,पटना फेज-।।,गया, दरभंगा, पूर्णिया एवं कटिहार में एक मंजिला आवासीय इकाई का निर्माण नगर निकाय लाभुकों के माध्यम से करायेंगे तथा पटना फेज -।।। में बहुमंजिली आवासीय इकाई का निर्माण बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लि0 (बुडको) खुली एवं पारदर्शी निविदा के माध्यम से करायेंगे। एक मंजिला आवासीय इकाई निर्माण के दरम्यान लाभार्थी अपने हिसाब से उपलब्ध जमीन के आधार पर मानक नक्शे में बदलाव कर सकते हैं, जिसका निर्माण 32 स्क्वायर मीटर से कम नहीं होगा,जिसमें दो कमरे,एक किचेन,टाॅयलेट तथा बाथरूम का होना अनिवार्य होगा। यदि लाभुक इससे बड़े आकार का आवास बनाना चाहे तो बना सकते हैं, परन्तु प्राक्कलित राशि 2 लाख 35 हजार रूपए के अलावा अतिरिक्त व्यय का वहन लाभुक स्वयं करेंगे। 

इस बीच नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने पत्र4/आरएवाई-5/15 2497 न0वि0एवं आ0वि0 के माध्यम से पटना,गया,दरभंगा,कटिहार,पूर्णिया के नगर आयुक्त से कहा है कि राजीव आवास योजना के अन्तर्गत राशि के वितरण हेतु दिनांक 28 मई 2015 को शिविर आयोजित किया जाय। एक शिविर में सामान्यतः 200 लाभुकों को पासबुक वितरित किया जाय। लाभार्थियों को राशि का भुगतान तीन किस्तों में की जायेगी। प्रथम किस्त- नीव खुदाई हो जाने के बाद 30 प्रतिशत, द्वितीय किस्त- प्लीथ लेवल तक कार्य समाप्ति के बाद 50 प्रतिशत और तृतीय किस्त- छत ढलाई होने के बाद 20 प्रतिशत राशि विमुख की जाएगी। 28 मई को प्रथम किस्त विमुख होगा।इस शिविर की तिथि के दिन लाभान्वितों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें विशेष तौर पर योजना की मार्गदर्शिका,मानक डिजाईन,किस्तों की विमुक्ति की प्रक्रिया,गुणवत्ता पर जोर, शौचालय की अनिर्वायता,राशि का समय पर उपयोग सुनिश्चित करते हुए कार्य पूर्ण करना और इसके अलावे विविध पर जानकारी दी जाएगी। 

बिहार : सिर पर चढ़कर बोलने लगा है स्वच्छ भारत अभियान

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गया। सिर पर चढ़कर बोलने लगा है स्वच्छ भारत अभियान का असर। घर और गाँवघर में शौचालय निर्माण करन का संकल्प लिया गया है। स्वच्छ भारत अभियान के बारे में विस्तार से पीएम नरेन्द्र मोदी बातचीत करते हैं। पीएम कहते हैं कि विश्व बैंक के द्वारा आकड़ा पेश किया जाता है कि शौचालय नहीं रहने के कारण गरीब लोग एक साल में 7 हजार रूपए खर्च करते हैं। वहीं पवित्र नदियों को भी प्रदुर्षित करते हैं। हम भारत माता को गंदगी में नहीं रहने देना चाहते हैं।

देश में 48 प्रतिशत लोगों के पास शौचालय नहीं है। वर्ष 2019 तक 11 करोड़ शौचालय निर्माण करना है। इसके लिए 18 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। सरकारी योजनाओं में शौचालय निर्माण करवाना अनिवार्य कर दिया गया है। इंदिरा आवास योजना और राजीव आवास योजनान्तर्गत शहरी गरीबों के आवास को शामिल किया गया है। 

इसमें कई दाता संस्थाओं ने भी भूमिका अदा करने लगे हैं। इसमें वाटर एड इंडिया और सुलभ शौचालय शामिल है। वाटर एड इंडिया ने गैर सरकारी संस्थाओं को सहयोग देने में झोली खोलकर रख दिए हैं। वहीं सुलभ शौचालय संस्थान ने 6 महिलाओं को सम्मानित किया है। जो शौचालय को लेकर घर में बगावत कर दिए। शौचालय नहीं रहने पर चैताली ने दूल्हा को चेतावनी दी। इस ओर ध्यान नहीं देने पर घर को टा-टा-बाई-बाई करके निकल गयी। सुलभ शौचालय संस्थान ने चैताली को 10 लाख रूपए देकर सम्मानित किया। इसी सिलसिले में अनीता को 5 लाख रूपए दिए। शौचालय नहीं बना सकने के कारण संगीता ने मंगल-सूत्र ही लौटा दी। अरवल जिले की स्वीटी कुमारी ने शौचालय निर्माण कर देने का अल्टीमेत्थम दे दी है। इन सभी को सुलभ शौचालय संस्थान के संस्थापक सांसद विन्देश्वरी पाठक ने उत्प्रेरक बना दिया है। 

देश-प्रदेश की सभी जगहों पर इश्क पर नहीं शौचालय पर जोर है। वहीं इसको लेकर मंत्री से संतरी तक चिंतित हैं। तब क्यों न लड़की के पिता जी भी चिंतित नहीं हो? तभी न एक पिताश्री ने बेटी को दहेज में लगे हाथ रेडिमेंट शौचालय ही दे दिए। खबर महाराष्ट्रª की है। एक स्थायी नवीनतम प्रयोग में पिताजी ने यह कदम उठाया। ऐसा करने से लड़की के ससुराल में होने वाले संभावित तनाव खत्म हो गया। अखबारों की सुर्खियों में बलात्कार होने की खबरों से परेशान हो जाते हैं लोग। मजबूरी में घर में शौचालय नहीं रहने के कारण खुले आकाश में शौचक्रिया करते हैं। हद तो उस समय हो जाता है कि महिलाओं को भगवान भास्कर के आगमन और भगवान दिवाकर के विदा होने के बाद ही शौचक्रिया करते हैं। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए अन्य लोग भी दहेज के रूप में रेडिमेंट शौचालय लेने और देने पर सहमत हो गए हैं। 

कैसे बनता है रेडिमेंट शौचालय ?ः अभी तक हमलोगों ने घर में निर्मित शौचालय के बारे में जानते हैं। किसी आयोजनों के अवसर पर शहरों में मोबाइल शौचालय देखा जा सकता है। अब रेडिमेंट शौचालय का उद्भव हुआ है। यह एक गुमटी की तरह है। इसकी जमीन को प्लास्टर करके शीट लगा दी गयी है। पाइप के सहारे मल को गड्ढे में लाया जा सकता है। बेसिंन में नल लगा रहता है। इसे अंदर और बाहर से बंद किया जा सकता है। जो निश्चित तौर पर सुरक्षित है। आप कभी भी शौचालय का उपयोग कर सकते हैं। अब शाम ढलने के बाद खुले में जाकर शौचक्रिया करने के दरम्यान बलात्कार से बचा जा सकता है।।

विशेष आलेख : दो बूंद पानी को तरसते लोग

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भगवान ने प्रकृति को कई अनमोल तोहफों से नवाज़ा है इनमें से पानी भी एक है। कहने को तो जल ही जीवन है लेकिन जहां पर जल ही नहीं, वहां जीवन कैसा होगा, इसका अनुमान आप स्वयं लगा सकते हैं। जम्मू कष्मीर के सीमावर्ती जि़ले पुंछ में पानी की समस्या एक विकराल रूप लिए हुए है। यहां कई स्थानों पर पहाड़ों के चष्मों से बहकर प्रकृति का अनमोल तोहफा यूं ही बर्बाद हो रहा है तो कहीं पर लोगों को कई किलोमीटर दूरी से पानी लाना पड़ता है। पुंछ जि़ले की तहसील हवेली का नाबना गांव भी पानी की समस्या से दो चार है।  पांच हज़ार की आबादी वाले इस गांव में दो पंचायतें हैं नाबना और मदाना। पानी की समस्या के बारे में नाबना पंचायत के स्थानीय निवासी मोहम्मद जुबैर ने बताया कि-‘‘हमारे गांव में सबसे बड़ी परेषानी पानी की है। पानी की समस्या को लेकर हम लोग कई बार अधिकारियों के पास गए हैं लेकिन वह भी हमें पानी देने में असफल साबित हुए हैं। आखिरी कोषिष के रूप हम लोगों ने सोचा कि क्यों न हम अपनी परेषानी को मीडिया के माध्यम से उजागर करें? षायद हमारी समस्या का कोई हल निकल जाए। भगवान की कृपा है कि आप लोग खुद ही हमारी समस्याएं जानने के लिए यहां आ गए।’’ पानी की समस्या के बारे में गांव के सरपंच मोहम्मद अमीन ने बताया कि-‘‘क्षेत्र में पानी की समस्या के बारे में हमने कई बार पीएचई विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों अवगत कराया है मगर किसी के कान जूं तक नहीं रेंगती। आज और कल का बहाना बनाकर हमें टाल दिया जाता है।’’ इसके बाद लोग हमें अपने घरों में ले गए और सभी ने पानी से संबंधित समस्याओं के बारे में खुलकर बताया। स्थानीय लोगों के अनुसार-‘‘नाबाना का वार्ड नंबर सात और आठ अधिकारियों और कर्मचारियों की सबसे ज़्यादा अनदेखी का षिकार है।’’ 
            
इस क्षेत्र में पीएचई विभाग का कोई भी अधिकारी, कर्मचारी और लाइनमैन कभी भी यह जानने नहीं आता कि जनता को पानी मिल भी रहा है या नहीं। हां एक सुपरवाईज़र हैं जिनकी षक्ल कभी कभी देखने को मिल जाती है। जनता ने उनसे जब पानी की समस्या को लेकर सवाल किया तो जबाब में उन्होंने कहा कि-‘‘पानी की लाइन बिछाने के लिए स्टोर में पाइपें मौजूद नहीं हैं। इसके अलावा कोई कर्मचारी भी नहीं है जिसको पानी की सप्लाई के लिए भेजा जा सके।’’ यहां की जनता का साफतौर पर कहना है कि विभाग के अधिकारी सिर्फ आॅफिसों में बैठकर अपना ड्यूटी का समय पूरा करके चले जाते हैं। यहां की ज़्यादातर वाटर सप्लाई योजनाओं का काम पीएचई विभाग ने अधूरा छोड़ रखा है।’’ पानी की समस्या के बारे में उप सरपंच का कहना है कि- ‘‘आप अपनी आंखों से देख सकते हैं कि यहां पानी की कितनी बड़ी समस्या है। उन्होंने बताया कि यहां के लोग तीन किलोमीटर दूर चष्मे से पानी लेकर आते हैं। पानी लाने में आधा दिन बर्बाद हो जाता है क्योंकि पानी लेने के लंबी लाइन होती है।’’ यहां के लोगों ने बताया कि-‘‘हम लोग बारिष होने का बेसब्री से इंतेज़ार करते हैं कि कब बारिष हो और कब हमारे जानवार जी भर के पानी पर सकें।’’ 
            
पिछले साल एक दैनिक अखबार में छपी राष्ट्रीय ग्रामीण पेय जल कार्यक्रम की एक रिप¨र्ट के अनुसार जम्मू कश्मीर की केवल 34.7 प्रतिशत आबादी क¨ नल¨ं के जरिए पीने का साफ पानी उपलब्ध है, जबकि बाकी की 65.3 प्रतिशत आबादी क¨ हैंड पंप, नदिय¨ं, नहर¨ं तालाब¨ं अ©र धाराअ¨ं का असुरक्षित अ©र अनौपचारिक पानी मिलता है। ऐसे में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के पेय जल एवं स्वच्छता विभाग के 2011-2022 की रणनीतिक य¨जना के अनुसार वर्ष 2017 तक, 55 प्रतिशत ग्रामीण परिवार¨ं क¨ पाइप¨ें के जरिए पानी उपलब्ध करवा देने का दावा दिवास्वप्न सा ही लगता है। राश्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या को दूर करने के मकसद से षुरू की गई थी लेकिन नाबना जैसे दूरदराज़ इलाकों में इस स्कीम की हकीकत खुल जाती है। 
          
विष्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 60 प्रतिषत बीमारियों का कारण अषुध्द जल है। भारत में बच्चों की मौत की एक बड़ी वजह जलजनित बीमारियां हैं। अषुध्द पानी पीने से हर साल डायरिया के चार अरब मामलों में से 22 लाख मौतंे होती हैं। पृथ्वी पर कुल 71 प्रतिषत जल उपलब्ध है इसमें से 97.3 प्रतिषत पानी खारा होने की वजह से पीने के योग्य नहीं है। सारी दुनिया पानी की समस्या से जूझ रही है। पानी की कमी के चलते पानी का निजीकरण होता जा रहा है। षहर में ज़्यादातर लोग बंद बोतल पानी खरीदकर पीते हैं। घर घर वाटर प्यूरीफायर यंत्र लगे हुए हैं। किसी न किसी रूप में लोग मिनरल वाटर का प्रयोग कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सीमावर्ती और दूरदराज़ क्षेत्रों में रह रहे लोगों के पास पेयजल की सुविधा उपलब्ध नहीं हैै। केंद्र एवं राज्य सरकार की शुद्ध पेयजल और जल संरक्षण योजनाएं केवल बजट एवं घोशणाओं में ही अधिक दिखती है। इन योजनाओं को ज़मीन पर उतारने की ज़रूरत है ताकि देष के दूरदराज़ क्षेत्रों के लोगों को कम से कम पीने का साफ पानी तो उपलब्ध हो जाए। 





शाहिद हुसैन शाह
(चरखा फीचर्स)

तनु वेड्स मनु रिटर्न्स:- कंगना की होरोइनपंथी

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भारतीयों के लिए सिनेमा मनोरंजन है, जिसके लिए उन्हें कम्प्रोमाइज़ भी करना पड़ता है तभी तो हमारी ज्यादातर सो काल्ड मनोरंजक फिल्मों में “अक्ल” का ध्यान नहीं रखा जाता है और मनोरंजन के नाम पर तर्कहीनता,स्टोरी की जगह स्टार, सेक्स,पागलपन की हद तक हिंसा, हीरोइन के जाघें और हीरो का सिक्स पैक परोसा जाता है, बेचारा दर्शक चुपचाप बिना कोई शिकायत किये इसे हजम करता है, अब तो उन्हें ऐसी फिल्मों की लत भी लग चुकी है, इसी लत की शह पर ही तो इसके मेकर व हीरो करोड़ों का क्लब बनाये फिरते हैं और सवाल उठाने वालों को कुछ “ज्यादा ही समझदार” और प्रतिभा को ना पहचान सकने वाले अहमक करार दे देते है।

हिंदी सिनेमा में इस समय “अक्ल” वाली फिल्में दो तरह के लोग बना रहा हैं, एक के अगुआ अनुराग कश्यप जैसे लोग हैं जो विश्व सिनेमा से जरूरत से ज्यादा प्रभावित हैं और अपने आप को इतना सही और सटीक मानते है कि नकारे जाने के बाद जनता को ही करप्ट घोषित करने लगते हैं, जबकि दिक्कत यह है कि ऐसी फिल्में बनाने वाले हिन्दुस्तानी दर्शकों के टेस्ट को भूल जाते हैं, यहाँ देसीपन नदारद होता है,शायद इसीलिए उनकी फिल्मों को वैसी कमर्शियल सफलता नहीं मिल पाती है। दूसरी खेप वह है जो विश्व सिनेमा से प्रभावित तो है लेकिन उनके विषय के मूल में हिन्दुस्तान के दूरदराज में फैली हुयी कहानियां हैं जो लोगो के जिंदगी के करीब बैठती है, भाषा और समाज की लोकेलिटी भी मौजूद होती है। इनकी फिल्में एक तरह से विश्व सिनेमा और स्थानीयता का खूबसूरत फ्यूजन होती हैं,इस जमात में राज कुमार हिरानी, तिग्मांशु धूलिया, रितेश बत्रा आदि का नाम लिया जा सकता है, निर्देशक आनंद राय इसी स्कूल से आते हैं इससे पहले वे 'तनु वेड्स मनु'और 'रांझणा'दे चुके हैं। 

कहने को तो यह फिल्म चार साल पहले आई 'तनु वेड्स मनु'का सीक्वल है, लेकिन उससे पहले यह अपनी बेटियों के साथ क्रूरता के लिए बदनाम हरियाणा के झज्जर के एक बेटी की कहानी है जो अपने जकड़नों को तोड़ कर उड़ने की कोशिश कर रही है, दत्तो नाम की यही किरदार इस सीक्वल को पहले से ज्यादा खास बना देती है। पहली फिल्म में तनु (कंगना रनौत) और मनु शर्मा (आर माधवन) की शादी के साथ हैप्पी एंडिंग हो जाती है। सीक्वल में वहीं से कहानी आगे बढ़ती है अब वह दोनों लंदन में बस गए हैं, दोनों के रिश्ते इस कदर खराब खराब हो चुके हैं कि तनु अपने मनु को पागलखाने भिजवाकर कानपुर वापस आ जाती है, बाद में मनु का खास दोस्त पम्मी (दीपक डोबरियाल)उसे पागलखाने से वापस इंडिया लाता है, यहाँ दिल्ली में पढ़ाई कर रही हरियाणवी ऐथलीट कुसुम सागवान उर्फ दत्तो की इंट्री होती है जिसे देख कर मनु  हैरान रह जाता है क्योंकि दत्तो तनु की हमशकल है। अब वह कुसुम से प्यार और शादी करने की कोशिश करता है उधर तनु अपने पुराने प्रेमियों रिक्शावाला और राजा अवस्थी (जिमी शेरगिल) को एक्स्प्लोर करती है, किरायेदार चिंटू (जीशान अयूब) भी उससे प्यार करने लगता है । इसके बाद शुरू होती है तनु और मनू के प्यार की टेस्टिंग जिसका शिकार बड़ी मुश्किल से अपना पंख फैला रही दत्तो बनती है, अपनी जान पर खेल कर वह मनु जैसे “सेकंड हैण्ड” पुरुष को झज्जर जिले के अपने गावं ले जाती है और बड़ी हिम्मत दिखाते हुए और सबको मनाकर उससे शादी की सहमती पाती है, लेकिन जब तनु को इसका पता चलता है तो अचानक उसके अन्दर की भारतीय नारी जाग उठती है और वह इस शादी को रुकवाने के लिए कोशिशे शुरू कर देती है। सारी खूबियों के होते हुए भी इस फिल्म का अंत निराश करता है, यह अपने ही खड़े किये हुए बगावती मापदंडों दगा कर जाती है, दरअसल अंत में भारतीय दर्शकों की मानसिकता और बॉक्स आफिस का ध्यान रखा गया है और दत्तो के साथ सात फेरे लेता हुआ मनु शर्मा अंतिम समय में अपनी पत्नी के पास ही वापस जाने का फैसला लेता है जिसमें दत्तो उसकी मदद करती है। गनीमत है कि यहाँ भी दत्तो ही सबसे दमदार किरदार के तौर पर उभर के सामने आती है और आप उसके प्यार में पड़ जाते हैं जबकि तनु और मनु से चिढ़ होने लगती है।

इस फिल्म को दी बातें ख़ास बनती हैं फिल्म की कहानी और कंगना रनौत। फिल्म के राइटर हिमांशु शर्मा मूलतः लखनऊ से हैं और वह मुंबई अकेले नहीं आये हैं, अपने साथ छोटे शहरों की महक, मिजाज और भाषा भी लाये हैं, यहाँ आपको अवध, हरियाणा और पंजाब मिलेगा, वहां के सड़क,गली-मुहल्ले और लोग मिलेंगें। हिम्मत, प्यार, बेवफाई, शादी, उलझन के बीच हंसी केंद्र में बनी रहती है, कहानी का छोटे से छोटा किरदार भी छाप छोड़ता नजर आता है। 'शर्मा जी हम थोड़ा बेवफा क्या हुए आप तो बदचलन हो गये'और 'पिछली बार भैया दूज पर सेक्स किया था'जैसे संवाद अलग ही असर छोड़ते हैं। यह एक नायिका प्रधान फिल्म है यहाँ नायिकायें वर्जनाओं को तोडती हुई नजर आती है, एक साथ इतनी खिलंदड़, बाग़ी, वर्जित कार्य करने वाली, समाज के बने-बनाए नियम तोड़ने वाली नायिकायें शायद ही पहले देखी गयी हों। वे रात में गावं की गलियों में शराब पीकर किसी पुरुष शराबी से टकराती है और सर झटकर आगे बढ़ जाती है,अपने पति को विदेश के पागलखाने भेज कर वापस आ जाती है और हिन्दुस्तान पहुँचने पर सब से पहले  अपने रिक्शेवाले पुराने प्रेमी से गले मिलकर बीते दिनों की याद ताजा कर लेती हैं, उसके दांत थोड़े बड़े और निकले हुए हैं, वह बिना मेकअप के सहज है और मानती है कि मर्द या तो भाई होते हैं या फिर कॉम्पटीटर, झज्जर की होते हुए भी एक बार शादी कर चुके मर्द से प्रेम करती है और  शादी भी भाग कर नहीं करती हैं,अपनी जान जोखिम में डालकर वह गावं आकर सब को बताती है और वहीँ पर शादी करने का फैसला करती है, कहानी इसलिए भी ख़ास हैं क्योंकि यह विशुद्ध मनोरंजन करते हुए भी लड़कियों को ख़ास होने का अहसास कराती है और उन्हें यह बताती है कि अपनी शर्तों पर जीने में कुछ भी गलत नहीं है, और कोई भी ऐसा काम नहीं है जो लड़कियां ना कर सकती हो। यह रूढ़िवादिता पर हमला करती है और आपको अपनी सोच और बड़ा करने का मौका देती है। 

बॉलीवुड में कंगना रनौत नाम की यह हीरोईन हिंदी सिनेमा में नायिका को नये मायने दे रही है, वह फिल्म दर फिल्म ऐसी लकीर खींच रही है जिन पर आने वाली फिल्मी बालाओं को चलना है। जब वह  परदे पर आती है तो उनका होरोइनपंथी किसी भी पुरुष सुपर स्टार के हीरोपंथी से उन्नीस नहीं दिखाई  पड़ता है, इस फिल्म में वह डबल रोल में हैं और इन दोनों किरदारों में वह बिल्कुल अलग लड़कियां दिखती देती हैं,हरियाणवी एथलीट के रोल में तो उन्होंने कमाल कर दिया है, दत्तों को उन्होंने  शिद्दत से जिया है। यह अभी तक का उनका बेस्ट अभिनय है।






जावेद अनीस 
मेल : Javed4media@gmail.com

पाकिस्तान ने 7 दोषियों को फांसी दी

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पाकिस्तान के पंजाब एवं बलुचिस्तान प्रांत की जेलों में बुधवार को सात सजायाफ्ता कैदियों को फांसी दी गई। लाहौर जेल में दो कैदियों को फांसी दी गई। 'जियो न्यूज'की रिपोर्ट के अनुसार, कैदी अब्दुल खलीक को एक महिला की हत्या का दोषी ठहराया गया था, वहीं दूसरा कैदी शहजाद भी हत्या का दोषी था। गुजरात जिले में दो कैदियों को जेल में फांसी दी गई। नसीर अहमद को 2002 में एक व्यक्ति की हत्या का दोषी ठहराया गया था। फैसल महमूद को 1999 में एक की हत्या के अपराध में मौत की सजा सुनाई गई थी। विहाड़ी जिले की जेल में भी दो कैदियों को फांसी दी गई।

अब्दुल सत्तार 1997 में एक 13 वर्षीया बालिका के साथ दुष्कर्म और हत्या का दोषी था। वहीं, कैदी सनाउल्ला को भी 2001 में एक 11 वर्षीया बालिका के साथ दुष्कर्म और हत्या का दोषी ठहराया गया था। बलुचिस्तान के मच जेल में खान मोहम्मद नाम के कैदी को फांसी दी गई। वह 2004 में अपने भाई और भतीजे की हत्या का दोषी ठहराया गया था। पाकिस्तान ने 10 मार्च को देश में मृत्युदंड पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था।

पिछले साल 16 दिसंबर को पेशावर के आर्मी स्कूल में तालिबान आतंकवादियों के हमले के बाद शुरुआत में सिर्फ आतंकवाद संबंधी संबंधित मामलों के लिए ही मृत्युदंड पर से रोक हटाई गई थी, जिसके बाद पाकिस्तान ने 10 मार्च को सभी आपराधिक मामलों के लिए मृत्युदंड पर रोक हटा लिया। पेशावर हमले में 140 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर स्कूली बच्चे थे।

मोदी बताएं, कहां हैं अच्छे दिन : आप

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दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने केंद्र सरकार से सवाल किया है कि अच्छे दिन कहा हैं? पार्टी के करीब 100 समर्थकों ने बुधवार को यहां एक प्रदर्शन के दौरान सरकार से सवाल किए कि 'अच्छे दिन'कहां हैं? आप की दिल्ली प्रदेश इकाई के नेता दिलीप पांडे के नेतृत्व में आप कार्यकर्ताओं ने बुधवार को केंद्र सरकार के एक साल पूरे होने के एक दिन बाद जंतर-मंतर पर उसके खिलाफ प्रदर्शन किया और नारेबाजी की।

पांडे ने कहा, "मुझे तथाकथित 'अच्छे दिन'नजर नहीं आ रहे हैं। मोदी सरकार ने जनकल्याण के लिए जो वादे किए थे, वे कहां हैं। जनता जवाब चाहती है।"प्रदर्शनकारियों के हाथों में जो बैनर थे, उन पर मोदी सरकार के लिए 'मध्य वर्ग विरोधी', 'व्यापारी वर्ग विरोधी', 'किसान विरोधी'लिखा हुआ था।

नाकामियां छुपाने के लिए मेरी भ्रष्‍ट छवि बना रही मोदी सरकार: मनमोहन सिंह

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दो-टूक शब्दों में पूर्व ट्राई चेयरमैन के आरोपों का खंडन किया है और मोदी सरकार के दावों को भी खारिज किया है. उन्होंने पॉइंट्स में बताया है कि कैसे बीजेपी अपनी सालगिरह के जश्न में पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के बारे में झूठे दावे कर रही है. 

मनमोहन ने कहा, 'हम भ्रष्टाचार से लड़ते रहे हैं और लड़ते रहेंगे. मैंने किसी सरकारी दफ्तर का इस्तेमाल खुद के लिए या अपने परिवार के लिए नहीं किया. मोदी सरकार अपनी नाकामियां छिपाने के लिए मेरी भ्रष्ट छवि बनाने की कोशिश कर रही है.'उन्होंने कहा है कि मैंने कभी अपने दफ्तर का इस्तेमाल अपने, परिवार या किसी और के फायदे के लिए नहीं किया. बीजेपी कहती है कि यूपीए के समय देश में 'पॉलिसी पैरालिसिस'था. लेकिन जब मैंने ऑफिस छोड़ा तब भारत चीन के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी.

मनमोहन ने कहा, 'अर्थव्यवस्था को बेहतर दिखाने के लिए सरकार को कुछ आंकड़े मैनेज करने पड़े, लेकिन आरबीआई चीफ कह चुके हैं कि यह बहाली बेहद कमजोर है. अगर आप गौर से देखें तो देश की अर्थव्यवस्था में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा.'मनमोहन ने कहा कि उन्हें यूपीए के कार्यकाल पर गर्व है. जबकि अब कृषि की हालत खराब है और अर्थव्यवस्था में उदासी छाई है. हमें यह पता करने की कोशिश है कि बीजेपी सरकार के साथ क्या गलत है. मोदी का 'मेक इन इंडिया'यूपीए सरकार की नीति की कार्बन कॉपी है.

गौरतलब है कि मंगलवार को मोदी सरकार के सालगिरह के जश्न के मौके पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर खूब आरोप लगाए थे. उधर पूर्व ट्राई चीफ प्रदीप बैजल ने भी अपनी किताब में आरोप लगाया था कि मनमोहन सिंह ने उन्हें 2जी केस में सहयोग न करने पर नुकसाने उठाने की बात कही थी.



कांग्रेस एक साल बाद भी करारी हार को पचा नहीं रही है :नरेंद्र मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी की 'सूटबूट की सरकार'वाली टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा है कि एक साल बाद भी कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अपनी करारी शिकस्त को पचा नहीं पाई है।

पीएम मोदी ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि यूपीए शासन के दौरान गैर-संवैधानिक संस्थाओं के पास ही वास्तविक शक्ति थी। प्रधानमंत्री कार्यालय में सत्ता के केंद्रित होने की आलोचनाओं को खारिज करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री और पीएमओ संवैधानिक व्यवस्था का हिस्सा हैं और इससे बाहर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष उनके विदेश दौरों के बारे में आधारहीन आरोप लगा रहा है।

 मोदी ने कहा कि जीएसटी और प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक कुछ ही समय में पारित होगा और गरीबों, किसानों और गांवों के पक्ष में भूमि विधेयक पर कोई भी सुझाव सरकार स्वीकार करेगी। प्रधानमंत्री ने अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर कहा कि किसी भी समुदाय के खिलाफ हिंसा या किसी तरह का भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान सक्रिय, लोकोन्मुखी सुशासन से ओतप्रोत सुधार पर केंद्रित होगा।

सुरक्षा बलों ने काबुल में चार आतंकियों को मार गिराया

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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से सटे इलाके में रात भर हुई घेराबंदी के बाद बुधवार तड़के भारी हथियारों से लैस चार तालिबानी हमलावरों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया. कई घंटों तक जारी मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों को आज सुबह यह सफलता मिली. जानकारी के मुताबिक इस हमले में कोई नागरिक या सुरक्षाकर्मी हताहत नहीं हुआ है. उप गृह मंत्री मोहम्मद अयूब सालंगी ने बताया कि घटनास्थल से एक रॉकेट ग्रेनेड लांचर, तीन स्वचालित राइफलों और एक हथगोले समेत कई हथियार बरामद किए गये हैं.

अपने अधिकारिक ट्विटर अकाउंट के माध्यम से मो. अयूब सालंगी ने बताया है कि इस दौरान कोई भी नागरिक या सैन्यकर्मी हताहत नहीं हुआ है. काबुल के पुलिस प्रमुख जनरल अब्दुल रहमान रहीमी ने एक गेस्ट हाउस के बाहर संवाददाताओं को बताया कि हमलावरों को उनके लक्ष्य तक पहुंचने से पहले मार गिराया गया. काबुल स्थित इसी गेस्ट हाउस को आतंकी हमलावरों ने निशाना बनाया था.

काबुल शहर के पूरे वजीर अकबर खान जिले में स्वचालित हथियारों की लगातार बौछार और भारी संख्या में विस्फोटों की आवाज आज सुबह पांच बजे बंद हुई. हमले वाली जगह पर कई दूतावास और विदेशी कपंनियां स्थित है. तालिबान ने अपने अधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर हमले की जिम्मेदारी ली है. उल्लेखीय है कि इससे पहले, बीते सोमवार को अफगानिस्तान के अशांत दक्षिणी हिस्से में तालिबान के कई हमलों में कम से कम 26 अफगान पुलिसकर्मी या सैनिक मारे गये थे.

नरकटियागंज (बिहार) की खबर 27 मई)

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फौंकानिया की परीक्षा शांतिपूर्ण सम्पन्न, प्रायोगिक परीक्षा संबंधीत मदरसा में होगी
  • विद्यालय प्रशासन ने परीक्षार्थियांे, शिक्षक व अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया

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नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) स्थानीय अनुमण्डलीय शहर के मुख्यालय स्थित बिहार स्टेट मदरसा बोर्ड द्वारा आयोजित फौंकानिया 2015 की परीक्षा के आखिरी दिन चाक चैबन्द सुरक्षा व्यवस्था रही। इस बावत भाप्रसे अधिकारी सह अनुमण्डल पदाधिकारी कौशल कुमार ने बताया की उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय के केन्द्राधीक्षक हर्ष मिश्र के पत्रांक 08/प दिनांक 26 मई 2015 के आलोक में केन्द्र पर पर्याप्त पुलिस बल मुहैया कराया गया है। सुरक्षा के बीच उच्च विद्यालय परीक्षा केन्द्र पर कुल 950 और पंडित केदार पाण्डेय मेमोरियल इण्टर काॅलेज के केन्द्र पर 499 परीक्षार्थी प्रथम पाली में समाज विज्ञान और दूसरी पाली में अर्थशास्त्र की परीक्षा में शामिल हुए। उल्लेखनीय है कि उच्च विद्यालय परीक्षा केन्द्र के केन्द्राधीक्षक हर्ष मिश्र के अनुसार दूसरी पाली मंे एडभान्स मैथ और इकोनोमिक्स विषय की परीक्षा के दौरान एडवान्स मैथ की परीक्षा में एक भी परीक्षार्थी शामिल नहीं हुए, बल्कि परीक्षा में शामिल कुल 950 विद्यार्थियों ने अर्थशास्त्र की परीक्षा दी। हालाकि मदरसा बोर्ड की गड़बड़ी के कारण 45 वर्ष व 10 वर्ष उम्र के परीक्षार्थी 20 और 14 वर्ष की आयु का प्रवेशपत्र के साथ परीक्षा देते पाए गये। परीक्षा नियंत्रक महम्मद सोहैल ने बताया कि शिक्षक, अधिकारी, दण्डाधिकारी और परीक्षार्थियांे को शांतिपूर्ण परीक्षा सम्पन्न कराने में सहयोग के लिए धन्यवाद है। दण्डाधिकारी कुन्दन कुमार, विभा चैधरी तथा केन्द्राधीक्षक हर्ष मिश्र ने बताया कि परीक्षा के सफल संचालन के लिए सभी सहयोगी धन्यवाद के पात्र है और सबसे अहम बात यह कि सभी परीक्षार्थी काफी अच्छे रहे, उनकी प्रायोगिक परीक्षा उनके अपने मदरसे में 28 और 29 मई को आयोजित होगी।

किसान सलाहकारों की अनिश्चितकालीन हड़ताल छठेे दिन जारी

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नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) नरकटियागंज के किसान सलाहकारों का आन्दोनलन आज छठे दिन जारी रहा। नरकटियागंज प्रखण्ड के सभी किसान सलाहकार भीएलडब्लू /भीईडब्लू के पद पर समायोजन करने के सरकार के वादाखिलाफी के विरूद्ध बिहार राज्य किसान सलाहकार संघ पटना के आह्वान पर नरकटियागंज शाखा के किसान सलाहकार अनिश्चित कालीन हड़ताल पर है। किसान सलाहकार ई-किसान भवन के मुख्य दरवाजे पर तालाबन्दी कर कार्य को बाधित कर चुके है। उसके उपरान्त संघ प्रदर्शन, काला पट्टी, सत्याग्रह, मशाल जुलूस, अर्थी जुलूस और अर्द्ध नग्न प्रदर्शन भी की जाएगी। स्थानीय ईकाइ के अध्यक्ष मुकेश मिश्र ने कहा कि जब तक हमारी मांग पूरी नही होती है तब तक आन्दोलन जारी रहेगा। संघ के सचिव मूरत साह ने बताया कि किसान देश की रीढ है और सलाहकार उनके हितैषि ऐसे में सरकार को किसान सलाहकारों की मांगे मान लेनी चाहिए। किसान सलाहकारों में मुकेश मिश्र, अखिलेश मिश्र मूरत साह, अनिल राम, अनिल कुमार राम, जफरूल हसन, पवन कुमार, अरविन्द दूबे, व अन्य अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। किसान सलाहकारो ने कहा कि हमारी मांगों के समर्थन में जबतक विभागीय पत्र नहीं मिलेगा आन्दोलन जारी रहेगा।

बन्द रेलवे ढाला पार करते समय ट्रेन से कटकर मरा

नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) स्थानीय शिकारपुर थानाक्षेत्र के मुख्य बाजार के अजय पाटवा के पुत्र शिवम कुमार पाटवा मंगलवार की शाम सवारी गाड़ी की चपेट में उस वक्त आ गए जब चाण्डालपुर रेलवे के बन्द ढाला को पार कर रहे थे। इस दौरान उसके साथी उसे छोड़कर फरार हो गये। शिकारपुर पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बुधवार की सुबह भेज दिया है।

छात्र नेता पर हुए हमले के विरोध में आॅल इण्डिया स्टूडेंट्स फेडरेशन रोषपूर्ण प्रदर्शन।

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  • छात्र नेता पर हुए हमले के विरोध में आॅल इण्डिया स्टूडेंट्स फेडरेशन ने किया पी.यू. मुख्यालय पर रोषपूर्ण प्रदर्शन। प्रोक्टर ने त्वरित कार्रवाई करने का दिया आश्वासन।

पटना:- आज ए.आई.एस.एफ. पटना जिला परिषद् के द्वारा छात्र नेता पर हुए हमले के विरोध में रोषपूर्ण प्रदर्शन पटना वि.वि. मुख्यालय पर किया प्रदर्शन का स्वरूप आक्रोशपूर्ण था जो पटना काॅलेज से निकल कर पटना वि.वि. गेट तक गया। आक्रोशित छात्र नारा लगा रहे थे कि छात्र-छात्राओं की सुरक्षा की गारंटी करनी होगी। छात्रों पर हमला नहीं सहेंगे। पेयजल की समुचित व्यवस्था करनी होगी। वाईसी शिम्हाद्री होश मंें आओ के नारे लगा रहे थे। पी.यू. गेट पर आक्रोशित छात्र दो घंटे तक डटे रहे वहीं एक सभा हुई जिसकी अध्यक्षता पुष्पेन्द्र प्रणय ने किया। छात्रों का आक्रोश देख दो घंटे बाद वि.वि. प्राॅक्टर प्रो. डाॅ. संयज कुमार सिन्हा वार्ता के लिए आए। उन्होंने छात्रों के सुरक्षा के सवाल पर कहा कि ल से वि.वि. का सुरक्षा गार्ड डी.डी.ई. के कैम्पस ने चलान काउंटर के पास पर्याप्त संख्या में सुरक्षा दी जाएगी, और पेयजल का समुचित व्यवस्था पूरे पटना वि.वि. में की जाएगी। वहीं हमले में संलिप्त असमाजिक तत्वों को पहचान कर वि.वि. द्वारा कार्रवाई किया जाएगा। और चलान काउन्टर की संख्या बढ़ाई जाएगी। लगभग आधे घंटे तक वार्ता हुई। वहीं आर्ट काॅलेज के प्रिसींपल के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पर वि.वि. जल्द ही निर्णय लेगा। 
इसमें उपस्थित पटना जिला सचिव रूपेश सिंह, जिलाध्यक्ष महेश कुमार, सह-सचिव साजन झा, प्रभात कुमार, सचिवमंडल सदस्य राहुल कुमार, अमित कुमार, सुशिल उमाराज, आमीर आनंद, शशि कुमार, गोविन्द कुमार, देवाशीष कुमार, अफरोज, पवन कुमार सहित दर्जनों छात्रा मौजूद थे। 

बिहार : चार साल के बाद भी उत्र्तीण अभ्यर्थियों को बहाली नहीं की जा रही

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  • सीएम नीतीश कुमार और पूर्व शिक्षा मंत्री पी.के.शाही को सौंपा था मांग पत्र
  • उत्र्तीण सामाजिक विज्ञान के अभ्यर्थियों को किया जा रहा है प्रताडि़त

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पटना। आंदोलन करने पर मजबूर हैं बिहार राज्य टीईटी-एसटीईटी उत्र्तीण संघ। राजनीति शास्त्र अध्ययन करने वाले नेता कर रहे हैं उत्र्तीण सामाजिक विज्ञान के अभ्यर्थियों को प्रताडि़त। सीएम नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री को सौंपा मांग पत्र। चार साल के बाद भी उत्र्तीण अभ्यर्थियों को बहाली नहीं की जा रही है। 

बिहार विघालय परीक्षा समिति,पटना के द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (एक से बारहवीं) का वर्ष 2011 में आयोजन हुआ। जिसमें कक्षा एक से पाँच तक 60,730,छह से आठवीं तक 87,254, नौवीं से दसवीं तक 85,625 और ग्यारहवीं से बारहवीं तक 44,982 अभ्यर्थी उत्र्तीण हुए। बिहार राज्य टीईटी-एसटीईटी उत्र्तीण संघ के प्रदेश संयोजक संतोष कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वर्ष 2012-13 से शिक्षक नियोजन प्रक्रिया आरंभ हुआ। शिक्षक नियोजन नियमावली की जटीलता के चलते अभ्यर्थियों का नियोजन संभव ही नहीं हो सका। इसके बाद पुनः 22 दिसम्बर 2014 से नई नियोजन की प्रक्रिया आरंभ की गयी। शिक्षक नियोजन प्रक्रिया वर्ष 2012-13 के दौरान शेष रिक्तियों के विरूद्ध ही नई नियोजन प्रक्रिया आरंभ की गयी। इसके कारण नई रिक्तियों को शामिल नहीं किया गया। और तो और किसी तरह का सुधार जटिल नियमावली में नहीं किया गया। सरकार के द्वारा जटिल नियमावली और नई प्रक्रियों को ही लागू करने से अभ्यर्थियों का सामाजिक,आर्थिक एवं मानसिक शोषण हो रहा है। 

बिहार राज्य टीईटी-एसटीईटी उत्र्तीण संघ के प्रदेश महासचिव चन्दन शर्मा ने कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत वर्तमान समय में विघालयों में अध्यापन कार्य करने के लिए शिक्षकों की कमी है। इसके कारण विघालयों में बच्चों का पठन-पाठन बाधित हो रहा है। वहीं सरकार के द्वारा समय-समय पर बयानबाजी करके रोजनामचा में खबर उछाली जाती है कि सूबे में शिक्षकों का लाखों पद रिक्त है एवं सभी टीईटी/एसटीईटी उत्र्तीण अभ्यर्थियों को नियोजन किया जाएगा। इस प्रदेश के लोगों के साथ अभ्यर्थियों का दुर्भाग्य है कि चार साल के बाद भी अभ्यर्थियों का नियोजन नहीं किया गया है। इसके कारण अभ्यर्थियों में काफी आक्रोश व्याप्त है। 

सीएम नीतीश और शिक्षा मंत्री को 8 सूत्री माँग पत्र पेश किया गया है। सभी शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्र्तीण को नियोजन हेतु सत्र 2015-16 तक नवसृजित पदों को उच्च माध्यमिक, माध्यमिक एवं प्रारंभिक विघालयों में वर्तमान नियोजन प्रक्रिया में शामिल किया जाए। उच्चतर माध्यमिक/माध्यमिक शिक्षक के लिए आवेदन से वंचित अप्रशिक्षित अभ्यर्थियोंके लिए एनसीटीई, नई दिल्ली को नियोजन में शामिल होने के लिए प्रस्ताव तत्काल भेजा जाए। दिनांक 03.05.2014 को उस समय के शिक्षा मंत्री पी.के.शाही एवं उनके प्रधान सचिव, अमरजीत सिन्हा ने अखबारों के माध्यम से यह घोषणा किए कि बी.एडत्र में नामांकित अभ्यर्थियों को नियोजन में शामिल किया जाएगा। वर्तमान शिक्षक नियोजन को केन्द्रितकृत कैम्प के द्वारा एक दिनांक में नियोजन पत्र वितरण किया जाए। अप्रशिक्षित प्रारंभिक शिक्षक (प्रथम-आठवीं) को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली से प्राप्त छूट 31 मार्च 2015 को देखते हुए नवसृजित पदों को शामिल करते हुए लाभान्वित अभ्यर्थियों का नियोजन किया जाए। इसे अब भी पूरा कर दिया जाए। माध्यमिक/ उच्च प्राथमिक (छठी-आववीं) में सामाजिक विज्ञान के उत्र्तीण अभ्यर्थियों को प्राथमिक विघालय में सामान्य शिक्षक के रूप में नियोजन किया जाए। नियोजन प्रक्रिया में व्यापक धांधली की सशक्त इकाई से जांच कराई जाए एवं नियोजन इकाईयों के मनमाने रवैये पर नियंत्रण किया जाए। टीईटी/एसटीईटी अंक पत्र इंटरनेट पर सार्वजनिक किया जाए। उच्चतर माध्यमिक/माध्यमिक विघालय में वर्तमान नियोजन प्रक्रिया में उर्दू , मैथिली,भोजपुरी,संस्कृत,ललित कला, बांग्ला,शारीरिक शिक्षक,कम्प्यूटर,पाली,वाणित्य एवं अन्य भाषा के रिक्तियों को शामिल किया जाए। 

मैंने कभी पद का दुरुपयोग नहीं किया : मनमोहन

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देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल कभी स्वयं को या अपने परिवार तथा मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं किया। पूर्व प्रधानमंत्री की सफाई के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में उन पर दोबारा प्रहार किया। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि संयुक्त प्रगितशील गठबंधन (संप्रग) सरकार भ्रष्टाचार से लड़ रही थी। उन्होंने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के पूर्व प्रमुख प्रदीप बैजल द्वारा टूजी आवंटन मामले में लगाए गए आरोपों पर सफाई दी। 

बैजल ने आरोप लगाया है कि मनमोहन सिंह ने उन्हें टूजी दूरंसचार लाइसेंस मामले में सहयोग न करने पर खामियाजा भुगतने की चेतावनी दी थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि मनमोहन सिंह ने उनसे तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन से भी सहयोग करने के लिए कहा था। बैजल ने अपनी किताब 'द कंप्लीट स्टोरी ऑफ इंडियन रिफॉर्म : टूजी, पावर एंड प्राइवेट एंटरप्राइजे-ए प्रैक्टिशनर्स डायरी'में यह भी लिखा है कि एकीकृत लाइसेंस की सिफारिशें देने पर मारन ने उन्हें 'गंभीर परिणाम'की चेतावनी दी थी। भाजपा पर बुधवार को हमला करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए बार-बार भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाती है।

उन्होंने कहा, "मैं पूरी विनम्रता से कहना चाहता हूं कि मैंने अपने पद का इस्तेमाल कभी स्वयं को या अपने परिवार तथा मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं किया।"पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाएं खतरे में हैं, और कल्याणकारी देश की संपूर्ण अवधारणा को तीव्र आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के नाम पर ध्वस्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "असंतोष को दबाया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कठिन प्रयास किया कि भारत एक खुले बहुलतावादी, उदार धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रूप में फले फूले और जिसे अपनी साझी विरासत पर गर्व हो। भारत की इस अवधारणा पर ही अब सुनियोजित तरीके से हमला किया जा रहा है। हमें यह समझना होगा कि यह हमला किस तरह से किया जा रहा है और तब हमें उसके जवाब के लिए आगे आना होगा।"

मनमोहन ने यहां भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "मनमोहन ने कहा कि भाजपा नेतृत्व ने दो स्थायी मुद्दे बनाए हुए है, पहला संप्रग में भ्रष्टाचार और दूसरा नीतिगत पंगुता। उन्होंने कहा, "मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम भ्रष्टाचार से लड़ते रहे हैं। हम भ्रष्टाचार से संघर्ष जारी रखे हुए हैं और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा।"वहीं सूरत में पार्टी की प्रेस वार्ता में मनमोहन सिंह पर हमला करते हुए अमित शाह ने कहा कि उनकी जिम्मेदारी केवल निजी तौर पर ईमानदार होना नहीं थी, बल्कि यह भी जिम्मेदारी थी कि उनकी सरकार में कोई भ्रष्टाचार न हो। शाह ने कहा, "खुद से कोई भ्रष्टाचार न करने भर से मामला खत्म नहीं हो जाता। जब 12 लाख करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगे थे तह मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे।"

राजद-जदयू में कोई मतभेद नहीं : लालू प्रसाद यादव

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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल-युनाइटेड के बीच जनता परिवार के विलय को लेकर कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां आने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए एक साथ चुनाव लड़ेंगी। लालू प्रसाद ने मीडिया को बताया, "अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए मैं राजद और जदयू के साथ गठबंधन को लेकर प्रतिबद्ध हूं।" उन्होंने जोर देते हुए कहा, "हमारा गठबंधन निश्चित है।'

उन्होंने कहा कि उनकी सबसे पहली प्राथमिकता चुनाव के पहले धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मजबूत कर सांप्रदायिक भाजपा को सत्ता में आने से रोकने की है। उन्होंने कहा, "मीडिया के एक वर्ग में इस तरह की कुछ आधारहीन खबरें चल रही हैं कि राजद और जदयू या जनता परिवार का विलय नहीं होगा।"लालू ने यह भी घोषणा की कि वह राज्य के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नही हैं। उन्होंने कहा, "मैं मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं हूं। जब मैं चुनाव ही नहीं लड़ सकता तो मैं मुख्यमंत्री पद का दावेदार कैसे हो सकता हूं।"उन्होंने नीतीश कुमार सरकार को अपने समर्थन की बात दोहराई और कहा, "दोनों पार्टियों के नेता सही समय पर बैठक करेंगे और मुख्यमंत्री उम्मीदवार समेत अन्य सभी मुद्दों पर बातचीत करेंगे।"

मनमोहन सिंह मिले नरेंद्र मोदी से

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यहां पर उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। मोदी से मुलाकात के कुछ समय पहले ही उन्होंने छात्रों के एक कार्यक्रम में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अपनी सरकार पर भ्रष्टाचार और नीतिगत निष्क्रियता के आरोपों को खारिज किया। मोदी ने ट्वीट कर लिखा, "डॉ. मनमोहन सिंह जी से मिलकर और उनका 7, आरसीआर (रेसकोर्स रोड) में दोबारा से स्वागत कर बहुत खुशी हुई। हमारे बीच की मुलाकाता बहुत अच्छी रही।" उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अपने आधिकारिक आवास पर स्वागत करते हुए अपनी एक तस्वीर भी ट्विटर पर साझा की।


दोनों नेताओं के बीच मुलाकात उस दौरान हुई है जब भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के पूर्व प्रमुख प्रदीप बैजल ने मनमोहन सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बैजल को टूजी दूरंसचार लाइसेंस मामले में सहयोग न करने पर खामियाजा भुगतने की चेतावनी दी थी। मोदी से मुलाकात करने से पहले दिन में मनमोहन सिंह ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अपनी सरकार पर भ्रष्टाचार और नीतिगत निष्क्रियता के आरोपों को खारिज किया। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने परिवार और मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए उन्होंने कभी भी पद का दुरुपयोग नहीं किया।



मनमोहन सिंह की पार्टी कांग्रेस को हालांकि इस बात की जानकारी नहीं है कि इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच क्या बात हुई। इस संबंध में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आईएएनएस से कहा, "हमने मनमोहन सिंह के दफ्तर से इस मुलाकात की जानकारी मांगी है। जब हमें यह जानकारी मिलेगी, तब हम इसे सभी के साथ साझा करेंगे।"

स्मृति अमेठी की शुभचिंतक हैं तो आईआईआईटी खुलवा दें : प्रियंका

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा बुधवार को दो दिवसीय दौरे पर मां के संसदीय क्षेत्र रायबरेली पहुंचीं। उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर जमकर निशाना साधा। स्मृति लोकसभा चुनाव में प्रियंका के भाई से हार गई थीं। प्रियंका ने कहा कि यदि स्मृति ईरानी ने खुद को अमेठी की बेटी बताया है, तो वह जवाब दें कि वह एक साल से देश की शिक्षा मंत्री हैं, फिर भी अमेठी में अभी तक आईआईआईटी (भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान) क्यों नहीं है? यदि वह अमेठी और रायबरेली की शुभचिंतक हैं, तो कम से कम अमेठी में एक आईआईआईटी खुलवा दें। इससे यहां के लोगों, खासकर युवाओं को लाभ होगा। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए उन्हें कहीं दूर नहीं जाना होगा। 

हालांकि फूड पार्क योजना रद्द किए जाने पर प्रियंका कुछ भी कहने से बचती दिखीं। उन्होंने कहा, "फूड पार्क के बारे में राहुल गांधी आपको अच्छे से बता सकते हैं।" गौरतलब है कि टीवी अभिनेत्री से भाजपा नेत्री बनीं स्मृति ईरानी मंगलवार को अमेठी दौरे पर आई थीं। उन्होंने खुद को यहां की बेटी बताया था। दिल्ली में जन्मीं स्मृति वर्ष 2003 में भाजपा में शामिल हुई थीं। 

स्मृति ईरानी ने वर्ष 2004 का लोकसभा चुनाव दिल्ली के चांदनी चौक से लड़ा था और कांग्रेस के कपिल सिब्बल से हार गई थीं। उस वर्ष गुजरात में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया था और पार्टी नेतृत्व से कहा था कि मोदी से तुरंत इस्तीफा लिया जाए, वरना वह आमरण अनशन करेंगी। पार्टी नेतृत्व ने जब उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी, तब उन्होंने हठ छोड़ दिया था। गुजरात से राज्यसभा सदस्य होने की हैसियत से इस समय वह नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में हैं। 

रायबरेली में प्रियंका गांधी वाड्रा ने सबसे पहले चंद्रीमंडिका खेड़ा में रुककर गांववालों से बात की। इसके बाद वह हैबतपुर खुर्द गांव पहुंचीं। वहां वह रामकुमार माली की झोपड़ी में गईं और उसकी समस्याएं सुनीं।  इस बीच उनसे मिलने पहुंची 80 साल की बुजुर्ग रामकली देवी गिर पड़ीं। प्रियंका ने उन्हें सहारा देकर उठाया, फिर उनकी समस्याएं सुनीं। प्रियंका ने कहा, "हैबतपुर खुर्द गांव में समस्याएं ज्यादा हैं, इसलिए मैं जान-बूझकर यहां का दौरा कर रही हूं।"

गायत्री जयन्ती : मां गायत्री है वेदों की जननी

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भारत भूमि की यह विशेषता है कि यह भूमि कभी भी संतों, महापुरुषों, देवज्ञों, विद्वानों से खाली नहीं हुई, रिक्त नहीं हुई। स्वामी विवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, टैगोर और गांधी सरीखे महापुरुष हमारे आदर्श रहे हैं। उनके कर्म अनुकरणीय हैं। उन्होंने क्या हमारा मार्गदर्शन नहीं किया ? सत्य और अहिंसा का पाठ नहीं पढ़ाया? गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी इसी पावन धरती की उपज थे। इन्होंने सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, एकता, विश्वबन्धुत्व, समानता, भेद-भाव रहित जीवन, सद्वृत्ति, सद्ज्ञान, अहिंसा व राष्ट्रीयता का नारा दिया।

हिंदू धर्म में मां गायत्री को वेदमाता कहा जाता है अर्थात सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मां गायत्री का अवतरण माना जाता है। इस दिन को हम गायत्री जयंती के रूप में मनाते है। हिन्दू संस्कृति में मां गायत्री की महिमा अपरम्पार है। उनकी शक्ति अद्वितीय है, चिर नवीन है, असंदिग्ध है। वे मानव मात्र के कल्याण, उपकार, सुख, सुविधा, शान्ति, आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने, ईश भक्ति, संस्कृत की पहचान, आनन्द, भौतिक उन्नति आदि के हेतु हैं। गायत्री मंत्र- ऊं भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्’-यह सभी मंत्रों में सर्वशक्तिमान मंत्र है। इस मंत्र का विधिपूर्वक जाप एवं गायत्री उपासना अकिंचन भी ज्ञानी-ध्यानी बन सकती है। रोगी, रोग-मुक्त हो जाता है। निर्धन, धनी बन सकता है। कुकर्मी, सुकर्मी बन सकता है। जीवन के सन्तापों से मुक्ति पा सकता है। अभावों का नाश कर खुशहाल जीवन जी सकता है। सुख-शान्ति-आनन्द, धन पा सकता है।

हिंदू धर्म में मां गायत्री को पंचमुखी माना गया है जिसका अर्थ है यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड जल, वायु, पृथ्वी, तेज और आकाश के पांच तत्वों से बना है। संसार में जितने भी प्राणी हैं, उनका शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बना है। इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव के भीतर गायत्री प्राण-शक्ति के रूप में विद्यमान है। यही कारण है गायत्री को सभी शक्तियों का आधार माना गया है इसीलिए भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर प्राणी को प्रतिदिन गायत्री उपासना अवश्य करनी चाहिए।

गायत्री मंत्र की महिमा महान है, आत्मसाक्षात्कार के जिज्ञासुओं के लिए यह मंत्र ईश्वर का वरदान है, केवल गायत्री मंत्र ही, बिना समर्थ गुरु के सतत सान्निध्य के बिना आत्मसाक्षात्कार करने में समर्थ है। इस मंत्र के मानसिक जप के लिए कोई बंधन नहीं होता। मानसिक जप कही भी किसी भी स्थिति में किया जा सकता है। गीता, गंगा और गायत्री प्रभु की तीन विलक्षण शक्तियां हैं जो ममतामई ,परमपवित्र और पतितपावनी हैं। इनसे मनुष्य जाति पाप मुक्त हो, शुद्ध बुद्ध होता है जिससे ईश्वर तत्व का ज्ञान प्राप्त होता है। गायत्री को गुरु मंत्र कहा गया है। माँ गायत्री इतनी ममतामई हंै की वे अपने भक्तों को ज्यादा देर बिलखते नहीं देख सकती अतः वे शीघ्र ही सुधि लेतीं हैं .वे प्रसन्न होने पर अपने भक्तों और श्रद्धालुओं को चारों पुरुषार्थ-धर्मं, अर्थ, काम और मोक्ष का तुरंत ही दान कर देतीं हैं। माँ गायत्री को कामधेनु की संज्ञा भी दी जाती है। माता गायत्री की महिमा वर्णन करना असंभव है। मां गायत्री की भक्ति की निष्पत्ति है- ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’-सब सुखी हांे। हम अच्छा बनने, अच्छा करने और अच्छा दिखने की कामना के साथ यदि मां की उपासना करते हैं तो निश्चित ही चमत्कार घटित होता है। 

धर्म ग्रंथों में यह भी लिखा है कि गायत्री उपासना करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं तथा उसे कभी किसी वस्तु की कमी नहीं होती। गायत्री से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन एवं ब्रह्मवर्चस के सात प्रतिफल अथर्ववेद में बताए गए हैं, जो विधिपूर्वक उपासना करने वाले हर साधक को निश्चित ही प्राप्त होते हैं। विधिपूर्वक की गयी उपासना साधक के चारों ओर एक रक्षा कवच का निर्माण करती है व विपत्तियों के समय उसकी रक्षा करती है।

गायत्री मां, गायत्री वेदों की माता है, जननी है। यह वेद-वेदांग आध्यात्मिक व भौतिक उन्नति, ज्ञान-विज्ञान का अक्षुण्ण भंडार अपने में समेटे है। अतः गायत्री उपासना भक्ति कल्याण का साधन है, इसी से हम उन्नति, सुखमय जीवन-भक्ति व सद्-पथगामी बन सकते हैं। भगवान मनु कहते हैं कि जो पुरुष प्रतिदिन आलस्य त्याग कर तीन वर्ष तक गायत्री का जप करता है, आकाश की तरह व्यापक परब्रह्य को प्राप्त होता है।

मंा गायत्री की साधना और उपासना सच्चे मन से एकाग्र होकर करने वाले साधक को अमृत, पारस, कल्पवृक्ष रूपी लाभ सुनिश्चित रूप से प्राप्त होता है। गायत्री मंत्र को जगत की आत्मा माने गए साक्षात देवता सूर्य की उपासना के लिए सबसे सरल और फलदायी मंत्र माना गया है. यह मंत्र निरोगी जीवन के साथ-साथ यश, प्रसिद्धि, धन व ऐश्वर्य देने वाली होती है। लेकिन इस मंत्र के साथ कई युक्तियां भी जुड़ी है. अगर आपको गायत्री मंत्र का अधिक लाभ चाहिए तो इसके लिए गायत्री मंत्र की साधना विधि विधान और मन, वचन, कर्म की पवित्रता के साथ जरूरी माना गया है।

वेदमाता मां गायत्री की उपासना 24 देवशक्तियों की भक्ति का फल व कृपा देने वाली भी मानी गई है। इससे सांसारिक जीवन में सुख, सफलता व शांति की चाहत पूरी होती है। खासतौर पर हर सुबह सूर्योदय या ब्रह्ममुहूर्त में गायत्री मंत्र का जप ऐसी ही कामनाओं को पूरा करने में बहुत शुभ व असरदार माना गया है।

गायत्री मंत्र की सहज स्वीकारोक्ति अनेक धर्म- संप्रदायों में है। सनातनी और आर्य समाजी तो इसे सर्वश्रेष्ठ मानते ही हैं। स्वामीनारायण सम्प्रदाय की मार्गदर्शिका ‘शिक्षा पत्री’ में भी गायत्री महामंत्र का अनुमोदन किया गया है। संत कबीर ने ‘बीजक’ में परब्रह्म की व्यक्त शक्तिधारा को गायत्री कहा है। सत्साईं बाबा ने भी कहा है कि गायत्री मंत्र इतना प्रभावशाली हो गया है  कि किसी को उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने स्वयं गायत्री मंत्र का उच्चारण करके भक्तों से उसे जपने की अपील की है। इस्लाम में गायत्री मंत्र जैसा ही महत्त्व सूरह फातेह को दिया गया है।     

गायत्री जयंती पर्व गायत्री महाविद्या के अवतरण का पर्व है। यह शक्ति की उपासना का अवसर है। भगवती गायत्री आद्याशक्ति प्रकृति के पाँच स्वरूपों में एक मानी गयी हैं। इनका विग्रह तपाये हुए स्वर्ण के समान है। वास्तव में भगवती गायत्री नित्यसिद्ध परमेश्वरी हैं। किसी समय ये सविता की पुत्री के रूप में अवतीर्ण हुई थीं, इसलिये इनका नाम सावित्री पड़ गया।

कहते हैं कि सविता के मुख से इनका प्रादुर्भाव हुआ था। भगवान सूर्य ने इन्हें ब्रह्माजी को समर्पित कर दिया। तभी से इनकी ब्रह्माणी संज्ञा हुई। कहीं-कहीं सावित्री और गायत्री के पृथक्-पृथक् स्वरूपों का भी वर्णन मिलता है। इन्होंने ही प्राणों का  त्राण किया था, इसलिये भी इनका गायत्री नाम प्रसिद्ध हुआ। उपनिषदों में भी गायत्री और सावित्री की अभिन्नता का वर्णन है।

गायत्री ज्ञान-विज्ञान की मूर्ति हैं। इस प्रकार गायत्री, सावित्री और सरस्वती एक ही ब्रह्मशक्ति के नाम हैं। इस संसार में सत-असत जो कुछ हैं, वह सब ब्रह्मस्वरूपा गायत्री ही हैं। भगवान व्यास कहते हैं- जिस प्रकार पुष्पों का सार मधु, दूध का सार घृत और रसों का सार पय है, उसी प्रकार गायत्री मन्त्र समस्त वेदों का सार है। गायत्री वेदों की जननी और पाप-विनाशिनी हैं, गायत्री-मन्त्र से बढ़कर अन्य कोई पवित्र मन्त्र पृथ्वी पर नहीं है। प्रेषकः




gayatri-jayanti

(ललित गर्ग)
पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

विशेष : गंगा दशहरा अर्थात गंगावतरण की पौराणिक कथा

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भारतवर्ष के पौराणिक राजवंशों में सबसे प्रसिद्ध राजवंश इक्ष्‍वाकु कुल है। इस कुल की अट्ठाईसवीं पीढ़ी में राजा हरिश्‍चन्द्र हुए, जिन्‍होंने सत्‍य की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया । इसी कुल की छत्‍तीसवीं पीढ़ी में अयोध्या में सगर नामक महाप्रतापी , दयालु, धर्मात्‍मा और प्रजा हितैषी राजा हुए। गर अर्थात विष के साथ पैदा होने के कारण वह सगर कहलाए। सगर का शाब्दिक अर्थ होता है विष के साथ जल। हैहय वंश के कालजंघ ने सगर के पिता वाहु को एक संग्राम में पराजित कर दिया था। राज्‍य से हाथ धो चुके वाहु अग्नि और्व ऋषि के आश्रम चले गए। इसी समय वाहु के किसी दुश्‍मन ने उनकी पत्‍नी को विष खिला दिया। जब उन्‍हें जहर दिया गया उस समय वह गर्भवती थी। ऋषि और्व को जब यह पता चला तो उन्‍होंने अपने प्रयास से वाहु की पत्‍नी को विषमुक्‍त कर उसकी जान बचा ली। इस प्रकार भ्रूण की रक्षा हुई और समय पर सगर का जन्‍म हुंआ। विष को गरल कहते हैं। चूकिं बालक का जन्म गरल के साथ हुआ था इस लिए वह स+गर= सगर कहलाया। सगर के पिता वाहु का और्व ऋषि के आश्रम में ही निधन हो गया। सगर बड़े होकर काफी बलशाली और पराक्रमी हुए। उन्‍होंने अपने पिता का खोया हुआ राज्‍य वापस अपने बल और पराक्रम से जीता। इस प्रकार सगर ने हैहयों को जीत कर अपने पिता की हार का बदला लिया। सातों समुद्रों को जीतकर अपने राज्य का विस्तार किया और सगर चक्रवर्ती सम्राट बने। अपने गुरूदेव और्व की आज्ञा मानकर उन्‍होंने तालजंघ, यवन, शक, हैहय और बर्बर जाति के लोगों का वध न कर उन्‍हें विरूप बना दिया। कुछ के सिर मुँड़वा दिए, कुछ की मूँछ या दाढ़ी रखवा दी। कुछ को खुले बालों वाला रखा तो कुछ का आधा सिर मुँड़वा दिया। किसी को वस्‍त्र ओढ़ने की अनुमति दी, पहनने की नहीं और कुछ को केवल लँगोटी पहनने को कहा। संसार के अनेक देशों में इस प्रकार की परम्परा प्राचीन काल में प्रचलित थी । कहीं-कहीं इनकी झलक आज भी दिखती है। भारतीय पौराणिक इतिहास की सबसे महत्‍वपूर्ण कथा गंगावतरण, जिसके द्वारा भारतवर्ष की धरती पवित्र हुई, इन राजा सगर से सम्बन्धित है।

ऋषि अग्नि और्व हैहयों के परम्परागतगत शत्रु थे। उन्‍होंने भी सगर को हैहयों के विरूद्ध संग्राम में हर प्रकार की सहायता प्रदान की। सगर की दो पत्‍नियां थी वैदर्भी और शैव्या। कुछ पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार उनकी पत्नियों का नाम केशिनी तथा सुमति है ।राजा सगर ने कैलाश पर्वत पर दोनों रानियों के साथ जाकर भगवान शंकर की कठिन तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उनसे कहा कि तुमने पुत्र प्राप्ति की कामना से मेरी आराधना की है। अतएव मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि तुम्हारी एक रानी के साठ हजार पुत्र होंगे किन्तु दूसरी रानी से तुम्हारा वंश चलाने वाला एक ही सन्तान होगा।

वैदभी (केशिनी) के गर्भ से मात्र एक पुत्र था उसका नाम था असमंज। वह बड़ा ही दुष्‍ट और प्रजा को दुख पहुँचाने वाला था । जबकि सगर अत्यन्त ही धार्मिक सहिष्‍णु और उदार व्यक्तित्व के स्वामी थे। सगर के लिए असमंज का व्‍यवहार बड़ा ही कष्ट देने वाला साबित हो रहा था। जब उसकी आदतें नहीं सुधरी तो सगर ने असमंज को त्‍याग दिया। असमंज के औरस से अंशुमान का जन्‍म हुआ। वह बहुत ही पराक्रमी था। अंशुमान ने अश्‍वमेघ और राजसूय यज्ञ सम्‍पन्‍न कराया और राजर्षि की उपाधि प्राप्‍त की। शैव्‍या (सुमति) के गर्भ से साठ हजार पुत्र उत्‍पन्‍न हुए। सभी काफी वीर और पराक्रमी थे। उनके ही बल पर सगर ने मध्‍यभारत में एक विशाल साम्राज्‍य की स्‍थापना की ।

सगर न सिर्फ बाहुबली और पराक्रमी थे, बल्कि धार्मिक प्रकृति के व्‍यक्ति भी थे। वे ऋषियों महर्षियों का काफी आदर सत्‍कार और सम्‍मान किया करते थे। वशिष्‍ठ मुनि ने सगर को सलाह दी की अश्‍वमेघ यज्ञ का अनुष्‍ठान करें ताकि उनके साम्राज्‍य का विस्तार हो। पौराणिक मान्यतानुसार प्राचीन काल में किए जाने वाले यज्ञानुष्‍ठानों में अश्‍वमेघ यज्ञ और राजसूय यज्ञ सर्वश्रेष्‍ठ यज्ञ माने जाते थे। उन दिनों बड़े व प्रतापी और पराक्रमी सम्राट ही अश्‍वमेघ यज्ञ का आयोजन किया करते थे। इस यज्ञ में निन्यान्ब्बे यज्ञ सम्‍पन्‍न होने पर एक बहुत अच्‍छे गुणों वाले घोड़े पर जयपत्र बाँध कर राजा सगर ने छोड़ दिया । उस पत्र पर लिखा था कि घोड़ा जिस जगह से गुजरेगा वह राज्‍य यज्ञ करने वाले राजा सगर के अधीन माना जाएगा। जो राजा या जगह स्‍वामी अधीनता स्‍वीकार नहीं करना चाहते , वे उस घोड़े को रोक कर युद्ध हेतु तैयार रहें । घोड़े के साथ हजारों सैनिक साथ-साथ चल रहे थे। एक वर्ष पूरा होने पर उस घोड़ा वापस लौट आना था। इसके बाद ही यज्ञ की पूर्णाहुति सम्भव थी। महाराजा सगर ने अपने यज्ञ के घोड़े श्यामकर्ण की सुरक्षा के लिए हजारो सैनिकों की व्‍यवस्‍था की थी। वीर बाहुबलि सैनिक घोडे़ के साथ निकले, और आगे बढ़ते रहे। सगर का प्रताप चतुर्दिक फैल रहा था। जगह जगह उनके बल-पराक्रम और शौर्य की चर्चा होने लगी। इससे देवाधिपति देवराज इन्‍द्र को शंका हुई। सगर के इस अश्वमेघ यज्ञ से भयभीत होकर इन्‍द्र यह सोचने लगे कि अगर यह अश्‍वमेघ यज्ञ सफल हो गया तो यज्ञ करने वाले को स्‍वर्गलोक का राजपाट मिल जाएगा। इन्‍द्र ने यज्ञ के घोड़े को अपने मायाजाल के बल पर चुरा लिया। इतना ही नहीं उन्‍होंने इस घोड़े को पाताललोक में तपस्‍यारत महामुनि कपिल के आश्रम में छिपा दिया। उस समय मुनि गहन साधना में लीन थे। फलतः उन्‍हें पता ही नहीं लगा कि क्‍या हो रहा है? एक साल पूरा होने को जब आया तो घोड़ा को लौटते न देखकर सगर चिन्‍तित हो उठे। राजा सगर ने अपने साठ हजार पुत्रों को यज्ञ के घोड़े की खोज कर लाने का आदेश दिया। ये पुत्र यज्ञ के घोड़े की खोज में निकल पड़े।

सारा भूमण्डल छान मारा फिर भी अश्वमेध का अश्व नहीं मिला। फिर राजा सगर के सुमति से उत्पन्न साठ हजार पुत्र अश्व को खोजते-खोजते जब कपिल मुनि के आश्रम में पहुँचे तो वहाँ उन्होंने देखा कि सांख्‍य दर्शन के प्रणेता और भगवान् के अंशावतार साक्षात भगवान महर्षि कपिल के रूप में तपस्या कर रहे हैं और उन्हीं के पास महाराज सगर का अश्व घास चर रहा है। कपिल के आश्रम में कपिला गाय कामधेनु थी, जो मनचाही वस्‍तु प्रदान कर सकती थी। यज्ञ के अश्व को वहीँ पर बंधा और चरता हुआ देख सगर के पुत्र उन्हें देखकर चोर-चोर शब्द कर तिरस्कृत, अपमानित और शोर –गुल करने लगे। इससे महर्षि कपिल की समाधि टूट गई। ज्योंही महर्षि ने अपने नेत्र खोले त्योंही सुमति के साठ हजार पुत्र सब जलकर भस्म हो गए। 

यज्ञाश्व के नहीं मिलने से चिन्तित राजा सगर की आज्ञा से उनका पौत्र अंशुमान घोड़ा ढूँढ़ने निकला और खोजते हुए प्रदेश के किनारे चलकर कपिल मुनि के आश्रम में साठ हजार प्रजाजनों की भस्‍म के पास यज्ञ के घोड़े को देखा। अपने पितृव्य चरणों को खोजता हुआ राजा सगर का पौत्र अंशुमान जब मुनि के आश्रम में पहुँचे तो अंशुमान को  महात्मा गरुड़ ने उनके पूर्वजों के भस्म होने का सारा वृतान्त कह सुनाया। गरुड़ ने यह भी बताया कि यदि इन सबकी मुक्ति चाहते हो तो गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाना पड़ेगा। इस समय अश्व को ले जाकर अपने पितामह के यज्ञ को पूर्ण कराओ, उसके बाद यह कार्य करना।इस पर अंशुमान ने महर्षि कपिल की स्तुति और प्रार्थना की । अंशुमान की स्‍तुति से कपिल मुनि ने वह यज्ञ-पशु उसे दे दिया, जिससे सगर के यज्ञ की शेष क्रिया पूर्ण हुई। कपिल मुनि ने कहा, स्‍वर्ग की गंगा जब यहॉं आएगी तब भस्‍म हुए साठ हजार तुम्हारे पूर्वजों को मुक्ति मिलेगी । अंशुमान ने घोड़े सहित यज्ञमण्डप पर पहुँचकर सगर से सब वृतांत कह सुनाया।

महर्षि कपिल की आज्ञानुसार अंशुमान ने स्‍वर्ग की गंगा को भारतभूमि में लाने की कामना से घोर तपस्‍या की। उनका और उनके पुत्र दिलीप का संपूर्ण जीवन इसमें लग गया, परन्तु उन्हें इस कार्य में सफलता न मिली। महाराज सगर की मृत्यु के उपरान्त अंशुमान और उनके पुत्र दिलीप जीवन पर्यन्त तपस्या करके भी गंगा को मृत्युलोक में लाने में सफल न हो सके। सगर के वंश में अनेक राजा हुए सभी ने अपने साठ हज़ार पूर्वजों की भस्मी-पहाड़ को गंगा के प्रवाह के द्वारा पवित्र करने का भरसक प्रयत्न किया किन्तु इस कार्य में वे सफल न हुए।  तत्पश्चात दिलीप के पुत्र भगीरथ ने यह बीड़ा उठाया और गंगा को इस लोक में लाने के लिए गोकर्ण तीर्थ में जाकर कठोर तपस्या की । तपस्या करते-करते कई वर्ष व्यतीत हो जाने पर उनके तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने वरदान माँगने को कहा तो भागीरथ ने अपने पूर्वजों और पृथ्वीलोक के कल्याण हेतु गंगा  की माँग की। वरदान में भागीरथ के गंगा माँगने पर ब्रह्मा ने कहा- राजन! तुम गंगा को पृथ्वी पर तो ले जाना चाहते हो , परन्तु स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरते समय गंगा के वेग को सम्भालेगा कौन? क्या तुमने पृथ्वी से पूछा है कि वह गंगा के भार तथा वेग को संभाल पाएगी?'ब्रह्मा ने आगे यह भी कहा कि भूलोक में गंगा का भार एवं वेग संभालने की शक्ति केवल भगवान शिव में है। इसलिए उचित यह होगा कि गंगा का भार एवं वेग को सम्भालने के लिए भगवान शिव का अनुग्रह प्राप्त कर लिया जाए। महाराज भागीरथ ने वैसा ही किया और एक अंगूठे के बल पर खड़ा होकर भगवान शिव की आराधना की। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने गंगा की धारा को अपनी जटा में सम्भालने के लिए हामी भर दी । तब ब्रह्मा ने गंगा की धारा को अपने कमण्डल से छोड़ा और भगवान शिव ने प्रसन्न होकर गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेट कर जटाएँ बांध लीं। गंगा देवलोक से छोड़ी गईं और शंकर जी की जटा में गिरते ही विलीन हो गईं। गंगा को जटाओं से बाहर निकलने का पथ नहीं मिल सका। गंगा को ऐसा अहंकार था कि मैं शंकर की जटाओं को भेदकर रसातल में चली जाऊंगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा शंकर जी की जटाओं में कई वर्षों तक भ्रमण करती रहीं लेकिन उसे निकलने का कहीं मार्ग ही न मिला। अब महाराज भागीरथ को और भी अधिक चिन्ता  हुई। उन्होंने एक बार फिर भगवान शिव की प्रसन्नतार्थ घोर तप शुरू किया। अनुनय-विनय करने पर शिव ने प्रसन्न होकर गंगा की धारा को मुक्त करने का वरदान दिया। इस प्रकार शिव की जटाओं से छूटकर गंगा हिमालय में ब्रह्मा के द्वारा निर्मित बिन्दुसर सरोवर में गिरी, उसी समय इनकी सात धाराएँ हो गईं। आगे-आगे भागीरथ दिव्य रथ पर चल रहे थे, पीछे-पीछे सातवीं धारा गंगा की चल रही थी।

पृथ्वी पर गंगा के आते ही हाहाकार मच गया। जिस रास्ते से गंगा जा रही थीं, उसी मार्ग में ऋषिराज जहु का आश्रम तथा तपस्या स्थल पड़ता था। तपस्या में विघ्न समझकर वे गंगा को पी गए। फिर देवताओं के प्रार्थना करने पर उन्हें पुन: जांघ से निकाल दिया। तभी से गंगा जाह्नवी कहलाईं। इस प्रकार अनेक स्थलों का तरन-तारन करती हुई जाह्नवी ने कपिल मुनि के आश्रम में पहुँचकर सगर के साठ हज़ार पुत्रों के भस्मावशेष को तारकर उन्हें मुक्त किया। उसी समय ब्रह्मा ने प्रकट होकर भागीरथ के कठिन तप तथा सगर के साठ हज़ार पुत्रों के अमर होने का वरदान दिया। साथ ही यह भी कहा कि तुम्हारे ही नाम पर गंगा का नाम भगीरथी होगा। अब तुम अयोध्या में जाकर अपना राज-काज संभालो । ऐसा कहकर ब्रह्मा अन्तर्ध्यान हो गए। इस प्रकार भगीरथ पृथ्वी पर गंगावतरण करके बड़े भाग्यशाली हुए। उन्होंने जनमानस को अपने पुण्य से उपकृत कर दिया। भगीरथ लम्बी अवधी तक पुत्र लाभ प्राप्त कर तथा सुखपूर्वक राज्य भोगकर परलोक गमन कर गए। युगों-युगों तक बहने वाली गंगा की धारा महाराज भगीरथ की कष्टमयी साधना की गाथा कहती है। गंगा प्राणीमात्र को जीवनदान ही नहीं वरन मुक्ति भी देती है ।

पुरातन ग्रंथों के अनुसार भारतवर्ष के उत्तर में खडा यह हिमालय पर्वत (कैलाश) शिव का निवास है, और शिव के फैले हुए जटाजूट उसकी पर्वत-श्रेणियॉं हैं। त्रिविष्‍टप ( आधुनिक तिब्‍बत) को प्राचीन काल में स्‍वर्ग, अपवर्ग आदि नामों से पुकारा जाता था । उनके बीच स्थित है मानसरोवर झील, जिसकी यात्रा महाभारत काल में पाण्डवों ने सशरीर स्‍वर्गारोहण के लिए की थी । इस झील से प्रत्‍यक्ष तीन नदियॉं निकलती हैं। ब्रह्मपुत्र पूर्व की ओर बहती है, सिन्धु उत्‍तर-पश्चिम और सतलुज (शतद्रु) दक्षिण-पश्चिम की ओर। गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के कार्य में अर्थात गंगावतरण के द्वारा यह स्‍वर्ग का जल उत्‍तराखण्ड की प्‍यासी धरती को देने का , पहुँचाने की तकनीकी का आभियान्त्रिक अर्थात इंजीनियरिंग के सफलीभूत प्रयोग का अभूतपूर्व कमाल होना था । इसके लिए पूर्व की अलकनन्दा की घाटी अपर्याप्‍त थी। परन्तु राजा सगर के वंशजों द्वारा लम्बी अवधि तक धैर्यपूर्वक किया गया यह साहसिक कार्य अंशुमान के पौत्र भगीरथ के समय में पूर्ण हुआ, जब हिमालय के गर्भ से होता हुआ मानसरोवर अर्थात स्‍वर्ग का जल गोमुख से फूट निकला। गंगोत्री के प्रपात द्वारा भागीरथी एक गहरे खड्ड में बहती है, जिसके दोनों ओर सीधी दीवार सरीखी चट्टानें खड़ी हैं। किम्बदन्ती के अनुसार गंगा का वेग शिव की जटाजूट ने सँभाला। गंगा उसमें खो गई, उसका प्रवाह कम हो गया। जब वहॉं से समतल भूमि पर निकली तो भगीरथ आगे-आगे चले। गंगा उनके दिखाए मार्ग से उनके पीछे-पीछे चलीं। आज भी गंगा को प्रयाग तक देखने से उसके तट पर कोई बड़े कगार नहीं मिलते । मानो यह मनुष्‍य निर्मित नगर हो । ऐसा उसका मार्ग यम की पुत्री यमुना की नील, गहरे कगारों के बीच बहती धारा से वैषम्‍य उपस्थित करता है। प्रयाग में यमुना से मिलकर गंगा की धारा अंत में गंगासागर, जिसे महोदधि भी कहा जाता है, में मिल गई। राजा सगर का स्‍वप्‍न साकार हुआ। उनके द्वारा खुदवाया गया सागर भर गया और उत्‍तरी भारतवर्ष में पुन: प्रसन्नता छा गई ।गौर से देखने से ऐसा परिलक्षित होता है कि आज का भारतवर्ष और भारतीयों की प्रसन्नता सचमुच गंगा की ही देन है। मनुष्यों को मुक्ति देने वाली अतुलनीय गंगा नदी का पृथ्वी पर अवतरण ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हुआ था ।संसार की सर्वाधिक पवित्र नदी गंगा के पृथ्वी पर आने अर्थात अवतरित होने का पर्व गंगा दशहरा है । वैसे तो प्रतिदिन ही पापमोचनी, स्वर्ग की नसैनी गंगा का स्नान एवं पूजन पुण्यदायक है और प्रत्येक अमावस्या एवं अन्य पर्वों पर भक्तगण दूर-दूर से आकर गंगा में स्नान-ध्यान, नाम-जप-स्मरण कर मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हैं , परन्तु गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान-ध्यान, दान, तप, व्रतादि की अत्यंत महिमा पुराणिक ग्रन्थों में गायी गई है ।



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-अशोक “प्रवृद्ध”
गुमला
झारखण्ड 

सन्दर्भ ग्रन्थ – वाल्मिकीय रामायण , भविष्य पुराण , स्कन्द पुराण , श्रीमद्भावत पुराण, वराह पुराण आदि ।

भाजपा देश को तानाशाही की ओर ले जाना चाहती है : केजरीवाल

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर करारा प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि उपराज्यपाल को अधिसूचना के माध्यम से ज्यादा शक्तियां देना देश को तानाशाही की तरफ ले जाने का प्रयोग है। 

दिल्ली विधानसभा में अपने संबोधन में केजरीवाल ने उपराज्यपाल नजीब जंग पर प्रहार किया और कहा कि वह केंद्र के इशारे पर चल रहे हैं और आप सरकार के लिए जानबूझकर बाधाएं पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, दिल्ली में जो हो रहा है वह खतरनाक है। यह भाजपा नीत केंद्र का दिल्ली में प्रयोग है। एक-एक कर यह प्रयोग हर गैर भाजपा शासित राज्यों में किया जाएगा। वे देश को तानाशाही की तरफ ले जाना चाहते हैं। मैं सभी गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील करता हूं कि इस मुद्दे पर एकजुट हों।

केजरीवाल ने कहा कि नौकरशाहों की नियुक्ति के साथ ही पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था के मामले में उपराज्यपाल को ज्यादा शक्तियां देने वाली अधिसूचना राजनीतिक हित को ध्यान में रखकर की गई क्योंकि केंद्र आप सरकार को बदनाम करना चाहता है। उन्होंने कहा, यह संवैधानिक मुद्दा नहीं जैसा कि कल भाजपा अध्यक्ष ने कहा। यह राजनीतिक मुद्दा है। केंद्र आप सरकार को विफल करना चाहती है। लेकिन हम संघर्ष जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि दिल्ली में झुग्गी झोपडि़यां जंग के निर्देशों पर तोड़ी जा रही हैं, ताकि लोग आप सरकार से झुब्ध हो जाएं।

देश भर में जल्द ही 60 नई कोयला खदानें खुलेंगी: पीयूष गोयल

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कोयला और बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि सरकार देश भर में 60 नई कोयला खदानें खोलने जा रही हैं. उन्होंने साथ ही कहा कि कोयला आयात रोकने की अभी कोई योजना नहीं है.

गोयल ने यहां संवाददाताओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के एक साल पूरे होने के अवसर पर सरकार की उपलब्धियों पर रोशनी डालते हुए कहा, "मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि आने वाले दिनों में 60 नई खदानें खोली जानी हैं. खदान-दर-खदान एक विस्तृत अध्ययन किया गया है और इसे मंत्रालय के वेबसाइट पर डाला गया है ताकि नई खदानों पर हो रहे विकास पर आप नजर रख सकते हैं."

नई खदानें कोल इंडिया की पांच साल में उत्पादन वर्तमान 50 करोड़ टन से बढ़ाकर दो गुना करने और 150 करोड़ टन तक पहुंचाने की योजना के तहत खोली जाएंगी. उन्होंने कहा कि कोल इंडिया का उत्पादन गत वर्ष 3.2 करोड़ टन बढ़ा. "कोयला उत्पादन बढ़ने से गत वर्ष बिजली उत्पादन 12 फीसदी बढ़ा."उन्होंने बताया कि गांव के 28 करोड़ लोगों, जिन तक बिजली नहीं पहुंच पाई है, उन तक बिजली पहुंचाने के लिए माइक्रो और ऑफ ग्रिड समाधानों पर विचार किया जा रहा है.

गोयल ने एक सवाल के जवाब में यह भी बताया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के एक साल के कार्यकाल में 1,500 गांवों में बिजली पहुंचाई गई है. मंत्री ने कहा कि अभी कोयले का आयात जारी रहेगा. उन्होंने कहा, "आने वाले वर्षो में हम कोयले के क्षेत्र में आत्म निर्भर हो जाएंगे."

बिजली मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में बुधवार को कहा कि गया है, "स्वच्छ ऊर्जा का तरजीह दिया जाएगा. 25 सौर पार्क बनाए जाएंगे, जिसमें से प्रत्येक करीब 100 मेगावाट के होंगे और नवीकरणीय ऊर्जा पारेषण के लिए 38 हजार करोड़ रुपये का एक स्वच्छ ऊर्जा गलियारा बनाया जाएगा."बयान में कहा गया है, "अगले तीन साल में सभी बल्ब बदलकर उसकी जगह एलईडी लगाए जाएंगे. साथ ही बिजली अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्तिकर्ता चुनने का अधिकार मिल जाएगा, जिससे प्रतियोगिता बढ़ेगी और बिजली दर घटेगी तथा सेवा की गुणवत्ता बेहतर होगी."

पिछड़े क्षेत्रों पर ध्यान देने को सरकार की प्राथमिकता बताते हुए बयान में कहा गया है, "पूर्वोत्तर राज्यों में बिजली प्रणाली में सुधार के लिए 9,865 करोड़ रुपये निवेश किए जाने को मंजूरी दी गई है. पश्चिमी क्षेत्र से दक्षिणी क्षेत्र में बिजली पहुंचाने के लिए 26 हजार करोड़ रुपये के निवेश से पारेषण लाइन के लिए मंजूरी दी गई है."
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