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बिहार : पटना डेक्लेयरेशन : फासीवाद पर विजय की 70वीं सालगिरह

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वैसे तो द्वितीय विष्वयुद्ध का प्रथम प्रहार 1 सितम्बर, 1939 को ही आरंभ हो चुका था, किन्तु 22 जून, 1941 को तत्कालीन सोवियत संघ पर हिटलर के आक्रमण ने पूरे परिदृष्य को नया आयाम दे दिया। सोवियत संघ पर उक्त हमले से पूर्व हिटलर की फौज ने मात्र 35 दिनों के अंदर पोलैंड को, 44 दिनों में फ्रांस को धूल चटा दिया और बेल्जियम को तो एक ही दिन में परास्त कर दिया, नार्वे, नीदरलैंड, डेनमार्क जैसे देष भी उसके षिकार बन चुके थे। हिटलर का आकलन था कि वह सोवियत संघ को कुछ हफ्तों की कार्रवाई के जरिए बर्बाद कर देगा। 1941 की गर्मियों तक नाजी़ जर्मनी ने यूरोप के अधिकांष भागों पर कब्जा जमा लेने के उपरांत जिस योजना का उद्घोष किया था उसके तहत ईरान, इराक व मिस्र पर कब्जा जमाने के साथ-साथ ब्रिटेन और अमरीका पर हमला करते हुए भारत में प्रवेष करने का लक्ष्य निर्धारित था। अपने फासीवादी मंसूबों को मूत्र्त रूप देने के लिए हिटलर ने पीले बालू और उगते सूर्य की पृष्ठभूमि में ताड़ के पेड़ पर काले स्वस्तिक का प्रतीक चिह्न भी बना लिया था। 

अपनी मंषा को जगजाहिर करते हुए हिटलर ने कहा था ‘‘हमें रूसी सेना को तहस-नहस करने, लेनिनग्राद, मास्को और काॅकेसस पर कब्जा करने से ज्यादा कुछ करना है। हमें पृथ्वी से उस देष का नामो निषान मिटाना है और वहाँ की जनता को मौत की नींद सुला देना है।’’ यह तो सर्वविदित है कि द्वितीय विष्वयुद्ध के दौरान प्रायः  साढ़े पांच करोड़ लोगों की जानें गयी और 2.8 करोड़ लोग अपंग हो गये जिसमें से दो करोड़ लोग तो सिर्फ सोवियत संघ के थे, जो न सिर्फ अपने समाजवादी देष की वरन् विष्व सभ्यता की फासीवाद से रक्षा के लिए शहीद हुए। 1941 में 1945 के बीच चार वर्षों तक सोवियत संघ की बहादुर जनता ने फासीवाद के खिलाफ दुर्घर्ष संघर्ष किया, लाल सेना ने नाजी सेना की 607 टुकडि़यों को नष्ट कर दिया जो उत्तरी अफ्रीका, इटली और पष्चिमी यूरोप के मोर्चों पर नाजी सेना को हुए नुकसान से तीगुनी संख्या थी। सोवियत सेना को इस दौरान 1418 दिनों तक 3000 से 6200 कि॰मी॰ की सीमा पर जंगजू संघर्ष करना पड़ा। यह इतिहास का सर्वाधिक खूनी व विनाषकारी युद्ध था जिसका दूरगामी परिणाम मानवजाति की भावी पीढि़यों को देखने को मिला। सोवियत संघ ने फासीवाद को षिकस्त देकर न सिर्फ समाजवाद के प्रथम दुर्ग की हिफाजत की बल्कि पूरी दुनिया में राष्ट्रीय मुक्ति संग्रामों को नई ऊर्जा, गति और संदर्ष मुहैय्या कराया। 

द्रष्टव्य है कि 1933 में जर्मनी की सत्ता पर काबिज होने के साथ ही हिटलर ने सोवियत राज्य सत्ता को मटियामेट करने, अंतरराष्ट्रीय मजदूर वर्ग और राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों को कुचलने तथा कम्युनिस्टों व फासिज्म़ के अन्य विरोधियों को मिटा देने के अपने मंसूबों को जाहिर कर दिया था। इतना ही नहीं अपने मकसद को प्राप्त करने के लिए उसने तीस के दषक में अनेक सैन्य-राजनैतिक गठजोड़ों का सहारा लिया जिनमें सबसे महत्वपूर्ण थी ‘कमिंटर्न विरोधी संघि’(1936)। पहले इसमें जर्मनी और जापान शामिल हुए, 1937 में इटली के शामिल होने के बाद यह एक खतरनाक ‘धुरी’  बन गयी, 1939 आते-आते हंगरी, मनचुकुओ (चीन से निकला कठपुतली राज्य), स्पेन, बल्गेरिया, फिनलैंड, रोमानिया, डेनमार्क और स्लोवाकिया, क्रोषिया व नानकिंग की कठपुतली सरकारें भी इस सैन्य गठजोड़ का हिस्सा बन गयीं। 

तत्कालीन वैष्विक परिदृष्य का जायजा लेते हुए 1936 में ही कांग्रेस के लखनाऊ और फैजपुर अधिवेषनों की अध्यक्षता करते हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्पष्ट उल्लेख किया कि दुनिया दो खेमों में बंटी हुई थी। एक फासीवाद व साम्राज्यवाद का खेमा और दूसरा, समाजवाद व राष्ट्रीय मुक्ति का खेमा। 1941 में सोवियत संघ पर नाज़ी हमले को इसी पृष्ठभूमि में देखते हुए कलकत्ता में फ्रेंड्स आॅफ सोवियत यूनियन नामक मैत्री संगठन की प्रथम इकाई गठित की गयी जिसमें सरोजिनी नायडू, जवाहरलाल नेहरू, कवि गुरू रवीन्द्र नाथ टैगोर के साथ-साथ प्रो॰ हीरेन मुखर्जी, भूपेष गुप्त आदि ने अहं भूमिका निभाई थी। भारतीय कवियों श्री श्री, मखदूम मोहीउद्दीन और षिवमंगल सिंह सुमन ने फासीवाद से जुझ रहे सोवियत सैनिकें और जनता की वीर गाथाओं को अपनी  कृतियों में उकेरा।  भारतीयों को तब यह भी मालूम नहीं था कि हिटलर ने अपने ‘निर्देष -32’ (जिसे बाद में ‘आॅपरेषन ओरिएंट’ कहा गया) में सोवियत सेना को नेष्तनाबूत कर काॅकेसस के रास्ते भारत पर फासिज्म़ की विजय पताका फहराने का ब्लूप्रिंट पेष किया था। परंतु तब साम्राज्यवाद और फासिस्ट प्रतिक्रयावाद के विरूद्ध निर्मित भारतीय मानस ने सबको प्रेरित किया था।  इतना ही नहीं सोवियत संघ पर नाज़ी हमले के समय तक युद्ध की स्थितियां इस कदर बिगड़ चुकी थीं कि आरंभिक हिलाल-हुज्जत, टालमटोल और वाग्चातुर्य को दरकिनार करते हुए ब्रिटिष प्रधानमंत्री विंसटन चर्चिल को यह घोषणा करनी पड़ी कि ‘रूस के समक्ष मौजूद खतरा खुद हमारा खतरा है’ आगे चलकर अमरीकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट को भी फासीवाद के बढ़ते खतरे के दुष्परिणामों की चिंता हुई और 1944 आते-आते ऐतिहासिक विकासक्रम में पष्चिमी देषों को भी फासीवाद विरोधी गठजोड़ मंें शामिल होने को विवष होना पड़ा। 

बहरहाल सोवियत जनगणों और लाल सेना ने फासीवाद के विरूद्ध अपने महान देष-भक्तिपूर्ण युद्ध में 9 मई, 1945 को विजय हासिल की और बर्लिन के पतन के उपरांत विष्व सभ्यता के नये युग का सूत्रपात हुआ, दुनियाभर में राष्ट्रीय मुक्ति संघर्षों और नई सामाजिक आर्थिक व्यवस्थाओं के निर्माण की प्रक्रिया को नई ऊर्जा मिली तथा साम्राज्यवाद के मुकाबले नई विष्व व्यवस्था का मार्ग प्रषस्त हुआ। इस प्रकार फासीवाद पर विजय के बाद के दषकों में एषिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका के अनेकानेक देषों ने उपनिवेषवाद और नवउपनिवेषवाद को एक-एक करके उखाड़ फेंका।

 सारतः फासीवाद पर विजय और नई विष्व व्यवस्था की ओर प्रस्थान बीसवीं सदी में मानवजाति की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। बिडंबना, फिर भी, यह कि फासीवाद पर विजय के 70 वर्ष पूरे होने के बाद भी हम देख रहे हैं कि  विष्व के बदलते शक्ति संतुलन और पूंजीवादी जगत में उभरते एक के बाद दूसरे आर्थिक संकट के मद्देनजर पूंजीवाद ने अपने पैंतरे बदलने आरंभ कर दिए हैं और बीती सदी के आठवें दषक से ही दुनिया के समक्ष भूमंडलीकरण का सपना परोसते हुए आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के ऐसे युग का सूत्रपात किया है जिसने भूमंडलीय काॅरपोरेट (निगमित) साम्राज्यवाद का दानवी रूप ग्रहण कर लिया है और एकध्रुवीय विष्व के नाम पर संयुक्त राज्य अमेरिका की दादागिरी का षिकार बनाया जाने लगा है जिसके अनेक नमूने विगत तीन दषकों में देखने को मिले हैं। इस नई परिमार्जित और परिष्कृत योजना के तहत काॅरपोरेट औद्योगिक पूंजी और अंतराष्ट्रीय वित्त पूंजी के सहमेल (गठजोड़) से देषी-विदेषी काॅरपोरेट पूंजी ने विष्व की विकासषील अर्थव्यवस्थाओं पर अपना संकट उड़ेलना शुरू कर दिया है।  काॅरपोरेट पंूजी और अंतराष्ट्रीय वित्त पंूजी के गठजोड़ ने दुनिया को एक बार फिर फासीवाद के मुहाने पर ला खड़ा कर दिया है जिससे कि दुनिया में उसका राजनीतिक और आर्थिक वर्चस्व कायम हो सके। और इस उद्देष्य को प्राप्त करने के लिए युद्ध और तनाव थोपे जा रहे हैं, पर्यावरण को नष्ट किया जा रहा है, सैन्य-औद्योगिक गठजोड़ को पुनर्जीवित किया जा रहा है, भांति-भांति की विघटनकारी, विभाजक और कट्टरपंथी शक्तियों व प्रवृतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है, ‘पहल लोकतंत्र’ के छद्म के पीछे से लोकतंत्र की हत्या करने का सिलसिला जारी है। फासीवाद की कथनी और करनी में ऐसा ही अंतर होता है - हिटलर ने भी खुद को राष्ट्रीय सोषलिस्ट घोषित किया था मगर एवज मंे जो कुछ दुनिया को दिया वह था दुर्दांत नाजीवाद/ फासीवाद का एक और घिनौना रूप। 
वैष्विक स्तर पर हो रहे इन खतरनाक बदलावों की पृष्ठभूमि में देखें तो हमारे देष भारत में फासीवाद का खतरा त्वरित दस्तक दे रहा है, हालिया भूकंप के अनवरत पुनरावृत हो रहे झटकों की तरह। केन्द्रीय सत्ता प्रतिष्ठान पर नरेंद्र मोदी के काबिज होने के उपरांत सांप्रदायिक विभाजन और उन्माद को जिस ढंग से बढ़ावा दिया जा रहा है उसे यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की उन्मादी हिन्दुत्ववादी विचाराधारा द्वारा संचालित और देषी-विदेषी काॅरपोरेट पूंजी द्वारा संपोषित ढ़ाँचे के अंतर्गत देखंे तो फासीवाद का खतरा आसन्न दिखाई पड़ेगा। यह महज एक संयोग नहीं कि आर॰एस॰एस॰ के प्रचारक भी काले रंग की टोपी पहनते हैं, स्वस्तिक चिह्न का उपयोग करते हैं और बारंबार एक ही झूठ को प्रचारित कर उसे सच बनाने का वैसा ही यत्न करते हैं जैसा नाजी प्रचार तंत्र का प्रमुख गोवेल्स किया करता था। नवउदारवादी मुक्त बाजारी अर्थव्यवस्था के पैरोकारों और उनकी नियति के नियंता संयुक्त राज्य अमरीका व उसके सहभागियों के डार्लिंग बने नरेन्द्र मोदी जिस षिद्दत और रफ्तार से विष्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विष्व व्यापार संगठन के नुस्खे पर दृढ़तापूर्वक चल रहे हैं वह भारतीय राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम की विरासत, देष की गंगा-जमुनी संस्कृति, स्वावलंबन और स्वराज सबके लिए खतरे की घंटी हैं और इसलिए यह सभी देषभक्तों, प्रगतिषील, वामपंथी व लोकतांत्रिक शक्तियों के लिए गंभीर चुनौती है।

इसी पृष्ठभूमि में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की पहल पर आयोजित यह पटना कन्वेंषन (29 मई, 2015) समस्त फासीवाद विरोधी शक्तियों से गोलबंद होकर निर्णायक संघर्ष की तैयारी में जुट जाने का आह्वान करता है। और सभी वामपंथी दलों, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक दलों, सामाजिक सौहार्द, शांति व एकजुटता के लिए कार्यरत संगठनों, जनसंगठनो,ं गैर सरकारी सामाजिक संगठनों के साथ-साथ समस्त देषभक्त शक्तियों से अपील करता है कि वे पारस्परिक संपर्क संवाद स्थापित कर इस अभियान को वृहतर आयाम मुहैय्या करें। इस कार्य में हमें 1975 में पटना में आयोजित विष्व फासीवाद विरोधी सम्मेलन से प्रेरणा लेनी चाहिए क्योंकि तबके छिपे रूस्तम फासीवादी आज प्रकट और मुखर होकर न सिर्फ सामने खड़े हैं, बल्कि खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। फासीवाद पर विजय की 70वीें सालगिरह के उपलक्ष्य में आयोजित कन्वेंषन फासिज्म़ के  नये अवतारों के विरूद्ध निर्णायक संकल्प के साथ यह पटना डेक्लेयरेषन स्वीकृत एवं जारी करता है। 

फीफा के पांचवीं बार अध्यक्ष चुने गए ब्लाटर

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सेप ब्लाटर शुक्रवार को लगातार पांचवीं बार फुटबाल की विश्व नियामक संस्था फीफा के अध्यक्ष चुन लिए गए। पहले चरण के मतदान में ब्लाटर और उनके प्रतिद्वंद्वी जॉर्डन के प्रिंस अली बिन अल-हुसेन किसी को भी दो तिहाई बहुमत हासिल नहीं हो सका, जिसके कारण दूसरे चरण के मतदान की नौबत आई। हालांकि प्रिंस अली बिन अल-हुसेन ने इसके बाद अपना नाम वापस ले लिया और ब्लाटर बिना दूसरे चरण के मतदान के फीफा के अध्यक्ष घोषित कर दिए गए। पहले चरण के मतदान में ब्लाटर को 133 मत मिले थे, जबकि अल-हुसेन 73 हासिल कर सके। 

ब्लाटर 1998 से लगातार फीफा के अध्यक्ष हैं और यह उनका पांचवां कार्यकाल होगा। गौरतलब है कि अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार के व्यापक आरोपों के बीच बुधवार को फीफा के सात अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद ब्लाटर चारों ओर से आलोचना झेल रहे थे और उनसे इस्तीफा देने की मांग की जा रही थी।

नीतीश, लालू गठबंधन से भाजपा को मिल सकती है चुनौती : शत्रुघ्न सिन्हा

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू यादव में यदि गठबंधन हो जाता है तो आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। सिन्हा ने कहा, "नीतीश कुमार और लालू प्रसाद अब भी काफी लोकप्रिय हैं। यदि दोनों नेता औपचारिक तौर पर साथ हो जाते हैं, तो भाजपा के लिए चुनौती पैदा कर सकते हैं।" उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं को अपने विरोधियों को कमजोर नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी को नई रणनीति तैयार करनी चाहिए, क्योंकि नीतीश और लालू एक साथ भाजपा के विरोध में खड़े होंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के विरुद्ध एक मजबूत नेतृत्व चाहिए।

सिन्हा ने यहां संवाददाताओं से कहा, "आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को एक कप्तान चाहिए। भाजपा को अपने प्रतिद्वंद्वी के विरुध एक नेता पेश करना चाहिए।"उन्होंने कहा कि पार्टी के संसदीय बोर्ड और राज्यस्तरीय नेताओं को एक नाम तय करना चाहिए, जो चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करे। उन्होंने कहा कि पार्टी का नेता ऐसा होना चाहिए, जिसकी छवि स्वच्छ हो, जो लोकप्रिय हो। उन्होंने साथ ही कहा, "मैं मुख्यमंत्री की दौर में नहीं हूं। लेकिन यदि पार्टी चाहेगी, तो मैं कोई भी भूमिका लेने के लिए तैयार हूं।"

आईआईटी-मद्रास : छात्र समूह पर प्रतिबंध, मंत्रालय ने दी सफाई

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तमिलनाडु स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-मद्रास में नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना वाला पर्चा बांटने वाले एक छात्र समूह पर संस्थान के प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को सफाई दी कि इस प्रकरण में उनके मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं है, संस्थान ने कार्रवाई अपने नियम के तहत की है। स्मृति ने यह सफाई तब दी, जब मीडिया में खबर आई कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को शिकायत मिली कि छात्रों का एक समूह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना कर रहा है और इस संबंध में पर्चा बांट रहा है। इस पर मंत्रालय ने आईआईटी-मद्रास को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। छात्र समूह पर कार्रवाई की कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।

स्मृति का यह बयान आईआईटी-मद्रास से संबंधित उन खबरों के आलोक में आया है, जिसमें कहा गया है कि संस्थान ने विद्यार्थियों के एक स्टडी सर्किल 'अंबेडकर पेरियार स्टडी सर्किल (एपीएससी)'के खिलाफ एक अज्ञात व्यक्ति की शिकायत के आधार पर कार्रवाई की है।  शिकायत में कहा गया था कि छात्र समूह संस्थान परिसर में विवादित पर्चे और पोस्टर बांटकर विद्यार्थियों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "आईआईटी-मद्रास ने अपने नियम-कानूनों के तहत कार्रवाई की है। मंत्रालय की इसमें कोई भूमिका नहीं है। मंत्रालय ने सिर्फ इसे मिली शिकायत को आईआईटी-मद्रास के निदेशक को उनकी टिप्पणी लेने के लिए अग्रसारित किया था।"बयान में कहा गया, "संस्थान ने अपने नियम-कानूनों के तहत कार्रवाई की है।"

इसमें आगे कहा गया है, "आईआईटी स्वायत्त संस्थान हैं। वे अपने नियम कानूनों के तहत मामलों को निपटाने में सक्षम हैं। इस मुद्दे पर आईआईटी-मद्रास ने बयान जारी कर स्पष्टीकरण दे दिया है।"मंत्रालय ने 15 मई को संस्थान को भेजे गए पत्र में कहा था कि उसे अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे गए पत्र में एपीएससी के पर्चे सहित छात्रों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। मंत्रालय ने संस्थान से उसकी टिप्पणी मांगी थी। पत्र में कहा गया था कि कुछ विवादित पोस्टर और पर्चे संस्थान में हर कहीं चिपकाए और वितरित किए जा रहे हैं। बयान के मुताबिक, अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है, "एक समूह अंबेडकर पेरियार स्टडी सर्किल अनुसूचित जन जाति और अनुसूचित जाति के छात्रों को भटकाने की कोशिश कर रहा है और उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केंद्र सरकार का विरोध करने के लिए उकसा रहा है। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदुओं के विरोध में नफरत फैलाने की भी कोशिश कर रहे हैं।"पत्र में कहा गया कि वे आईआईटी-मद्रास का उपयोग लोकप्रियता पाने के लिए कर रहे हैं।

आईआईटी-मद्रास के प्रवक्ता ने इस पर कहा है कि संस्थान छात्रों की अभिव्यक्ति सीमित नहीं करता है और छात्रों से उम्मीद करता है कि वह संस्थान की मर्यादा के तहत गतिविधियों को अंजाम दें। आआईटी मद्रास के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि परिसर में कई छात्र संगठन हैं। उनमें से कुछ संगठन छात्रसंघ का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनका संचालयन, निर्वाचन खुद छात्र ही करते हैं। बयान में कहा गया, "कुछ छात्र संघ विद्यार्थियों के हित और कल्याण के लिए गठित हुए हैं। संस्थान के संसाधनों के इस्तेमाल के इच्छुक छात्र समूहों को पहले मान्यता प्राप्त करनी होती है और निर्वाचित छात्र प्रतिनिधियों वाले बोर्ड ऑफ स्टूडेंट द्वारा तय किए दिशानिर्देशों का पालन करना होता है।"निर्धारित दिशानिर्देशों के तहत कोई भी छात्र समूह संस्थान का नाम (आईआईटी-मद्रास) या इसकी आधिकारिक संस्थाओं का नाम अपनी गतिविधियों के प्रचार या समर्थन जुटाने के लिए बिना इजाजत इस्तेमाल नहीं कर सकता।

प्रवक्ता ने कहा, "एपीएससी ने अपनी बैठक में संस्थान के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है। आमतौर पर दिशा-निर्देशों के उल्लंघन में उनकी मान्यता समाप्त कर दी जाती है और उन्हें छात्रों के बोर्ड के समक्ष अपना पक्ष पेश करना होता है। वर्तमान मामले में भी यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है।"इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, "मोदी सरकार की आलोचना करने पर आईआईटी के छात्रों के एक समूह पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब आगे किस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा?"उन्होंने कहा, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारा अधिकार है। हम विरोध और चर्चा को दबाने की किसी भी कोशिश के खिलाफ लड़ेंगे।"नेशनल स्टुडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने भी यहां स्मृति ईरानी के आवास के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया। 

आस्ट्रेलियन ओपन के क्वार्टर फाइनल में हारीं सायना

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सर्वोच्च विश्व वरीयता प्राप्त भारतीय बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल शुक्रवार को 750,000 डॉलर इनामी राशि वाले आस्ट्रेलियन ओपन सुपरसीरीज के क्वार्टर फाइनल में हारकर बाहर हो गईं। सिडनी ओलम्पिक पार्क-1 में हुए महिला एकल वर्ग के क्वार्टर फाइनल मैच में दूसरी वरीय सायना को पांचवीं वरीय चीन की शिजियान वांग ने सीधे गेमों में 21-15, 21-13 से हरा दिया। सायना दोनों ही मैचों में वांग को मामूली संघर्ष कर सकीं और 41 मिनट में मैच हार गईं।

मैच की शुरुआत संघर्षपूर्ण हुई, लेकिन शिजियान ने अपने गेम में तेजी लाते हुए 14-10 की बढ़त ले ली, जिसे तुरंत ही सायना ने 14-14 से बराबर कर लिया। इसके बाद हालांकि शिजियान ने लगातार छह अंक अर्जित कर गेम पॉइंट पर पहुंचा दिया और आसानी से अपने नाम कर लिया। 

दूसरे गेम में शुरुआती बढ़त ले चुकी शिजियान को सायना कुछ देर ही चुनौती दे सकीं। 10-10 से स्कोर बराबर रहने के बाद शिजियान ने फिर अपना आक्रामकता बढ़ा दी और जीत के लिए अगले 11 अंक हासिल करने में मात्र तीन अंक गंवाए। सायना के टूर्नामेंट से बाहर होते ही टूर्नामेंट से भारत की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई।

इंडियन ऑयल का शुद्ध लाभ 33 फीसदी घटा

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सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल ने शुक्रवार को कहा कि 2014-15 की चौथी तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 33 फीसदी कम रहा। कंपनी ने कहा कि आलोच्य अवधि में उसे 6,285 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ, जो एक साल पहले समान अवधि में 9,389 करोड़ रुपये था। कुल आय आलोच्य अवधि में 30 फीसदी घटकर 94,791 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 1,35,465 करोड़ रुपये थी।

कंपनी ने अपने बयान में कहा, "औसत रिफायनिंग मार्जिन जनवरी-मार्च तिमाही में प्रति बैरल 8.77 डॉलर रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 2.17 डॉलर थी।"कंपनी ने साथ ही कहा कि 2014-15 में उसकी रिफायनिंग मार्जिन घटकर 0.27 डॉलर प्रति बैरल रह गई, जो एक साल पहले 4.24 डॉलर प्रति बैरल थी। आलोच्य तिमाही में कंपनी का संचालन लाभ 32 फीसदी घटकर 9,284 करोड़ रुपये रहा। बंबई स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी के शेयर 1.36 फीसदी गिरावट के साथ 355.95 रुपये पर बंद हुए।

कोयला सचिव ने मनमोहन से तथ्य छुपाए थे : सीबीआई

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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को यहां की एक अदालत को बताया कि तत्कालीन कोयला सचिव एच.सी.गुप्ता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से झारखंड के राझरा कस्बे में कोयला ब्लॉक आवंटन संबंधी मामले में तथ्य छुपा लिए। आरोप तय होने के सिलसिले में बहस को आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ लोक अभियोजक वी.के.शर्मा ने विशेष न्यायाधीश भारत पराशर को बताया कि गुप्ता ने विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लि. (वीआईएसयूएल) सहित झारखंड के राझरा उत्तरी कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में मनमोहन सिंह से तथ्य छुपाए। सीबीआई ने आरोप लगाया कि गुप्ता ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और अन्य के साथ मिलकर कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में वीआईएसयूएल को लाभ पहुंचाने के लिए आपराधिक साजिश रची।

शर्मा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने वीआईएसयूएल के लिए नहीं, बल्कि राझरा उत्तर कोयला खदानों के लिए दो अन्य कंपनियों की सिफारिश भी की थी। उन्होंने कहा कि गुप्ता द्वारा मनमोहन सिंह को भेजी गई फाइल में इस बात की जानकारी नहीं दी गई थी। यहां तक कि इस्पात मंत्रालय ने कोयला ब्लॉक के लिए वीआईएसयूएल के नाम की भी सिफारिश नहीं की। शुरुआत में इस्पात मंत्रालय ने कोयला ब्लॉक के लिए वीआईएसयूएल के नाम की सिफारिश नहीं की, लेकिन बाद में झारखंड के पूर्व कोयला सचिव ए.के.बसु ने स्क्रीनिंग समिति की बैठक के समक्ष कंपनी के नाम पर जोर दिया।

अपने बचाव में गुप्ता ने अदालत को बताया कि कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए वीआईएसयूएल पूरी तरह से योग्य थी। बुधवार को गुप्ता ने कहा था कि ब्लॉक आवंटन पर आखिरी फैसला तत्कालीन कोयला मंत्री मनमोहन सिंह ने लिया था। अदालत ने स्पष्टीकरण के लिए यह मामला 30 जून तक के लिए स्थगित कर दिया।

विशेष आलेख : अजा-अजजा आरक्षण स्थायी व्यवस्था

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  • अजा-अजजा को सरकारी शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में मिला आरक्षण संविधान की स्थायी व्यवस्था, जबकि राजनेता और सरकार जनता को करते रहे-भ्रमित
  • कुछ दुराग्रही लोग आरक्षण को समानता के अधिकार का हनन बतलाकर समाज के मध्य अकारण ही वैमनस्यता का वातावरण निर्मित करते रहते हैं। वास्तव में ऐसे लोगों की सही जगह सभ्य समाज नहीं, बल्कि जेल की काल कोठरी और मानसिक चिकित्सालय हैं।
gujjar reservation
26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ, जिसे 65 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और इस दौरान विधिक शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इसके बावजूद भी सभी दलों की सरकारों और सभी राजनेताओं द्वारा लगातार यह झूठ बेचा जाता रहा कि अजा एवं अजजा वर्गों को सरकारी शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मिला आरक्षण शुरू में मात्र 10 वर्ष के लिये था, जिसे हर दस वर्ष बाद बढाया जाता रहा है। इस झूठ को अजा एवं अजजा के राजनेताओं द्वारा भी जमकर प्रचारित किया गया। जिसके पीछे अजा एवं अजजा को डराकर उनके वोट हासिल करने की घृणित और निन्दनीय राजनीति मुख्य वजह रही है। लेकिन इसके कारण अनारक्षित वर्ग के युवाओं के दिलोदिमांग में अजा एवं अजजा वर्ग के युवाओं के प्रति नफरत की भावना पैदा होती रही। उनके दिमांग में बिठा दिया गया कि जो आरक्षण केवल 10 वर्ष के लिये था, वह हर दस वर्ष बाद वोट के कारण बढाया जाता रहा है और इस कारण अजा एवं अजजा के लोग सवर्णों के हक का खा रहे हैं। इस वजह से सवर्ण और आरक्षित वर्गों के बीच मित्रता के बजाय शत्रुता का माहौल पनता रहा।

मुझे इस विषय में इस कारण से लिखने को मजबूर होना पड़ा है, क्योंकि अजा एवं अजजा वर्गों को अभी से डराया जाना शुरू किया जा चुका है कि 2020 में सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षण संस्थानों में मिला आरक्षण अगले दस वर्ष के लिये बढाया नहीं गया तो अजा एवं अजजा के युवाओं का भविष्य बर्बाद हो जाने वाला है।

जबकि सच्चार्इ इसके ठीक विपरीत है। संविधान में आरक्षण की जो व्यवस्था की गयी है, उसके अनुसार सरकारी शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में अजा एवं अजजा वर्गों का आरक्षण स्थायी संवैधानिक व्यवस्था है। जिसे न तो कभी बढाया गया और न ही कभी बढाये जाने की जरूरत है। क्योंकि सरकारी नौकरी एवं सरकारी शिक्षण संस्थानों में मिला हुआ आरक्षण अजा एवं अजजा वर्गों को मूल अधिकार के रूप में प्रदान किया गया है। मूल अधिकार संवैधानिक के स्थायी एवं अभिन्न अंग होते हैं, न कि कुछ समय के लिये।

इस विषय से अनभिज्ञ पाठकों की जानकारी हेतु स्पष्ट किया जाना जरूरी है कि भारतीस संविधान के भाग-3 के अनुच्छेद 12 से 35 तक मूल अधिकार वर्णित हैं। मूल अधिकार संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा होते हैं, जिन्हें किसी भी संविधान की रीढ की हड्डी कहा जाता है, जिनके बिना संविधान खड़ा नहीं रह सकता है। इन्हीं मूल अधिकारों में अनुच्छेद 15 (4) में सरकारी शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये अजा एवं अजजा वर्गों के विद्यार्थियों के लिये आरक्षण की स्थायी व्यवस्था की गयी है और अनुच्छेद 16 (4) (4-क) एवं (4-ख) में सरकारी नौकरियों में नियुक्ति एवं पदोन्नति के आरक्षण की स्थायी व्यवस्था की गयी है। जिसे न तो कभी बढाया गया और न ही 2020 में यह समाप्त होने वाला है।

यह महत्वपूर्ण तथ्या बताना भी जरूरी है कि संविधान में मूल अधिकार के रूप में जो प्रावधान किये गये हैं। उसके पीछे संविधान निर्माताओं की देश के नागरिकों में समानता की व्यवस्था स्थापित करना मूल मकसद था, जबकि इसके विपरीत लोगों में लगातार यह भ्रम फैलाया जाता रहा है कि आरक्षण लोगों के बीच असमानता का असली कारण है।

सुप्रीम कोर्ट का साफ शब्दों में कहना है कि संविधान की मूल भावना यही है कि देश के सभी लोगों को कानून के समक्ष समान समझा जाये और सभी को कानून का समान संरक्षण प्रदान किया जाये। लेकिन समानता का अर्थ आँख बन्द करके सभी के साथ समान व्यवहार करना नहीं है, बल्कि समानता का मतलब है-एक समान लोगों के साथ एक जैसा व्यवहार। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये संविधान में वंचित वर्गों को वर्गीकृत करके उनके साथ एक समान व्यवहार किये जाने की पुख्ता व्यवस्था की गयी है। जिसके लिये समाज के वंचित लोगों को अजा, अजजा एवं अपिवर्ग के रूप में वर्गीकृत करके, उनके साथ समानता का व्यवहार किया जाना संविधान की भावना के अनुकूल एवं संविधान सम्मत है। इसी में सामाजिक न्याय की मूल भावना निहित है। आरक्षण को कुछ दुराग्रही लोग समानता के अधिकार का हनन बतलाकर समाज के मध्य अकारण ही वैमनस्यता का वातावरण निर्मित करते रहते हैं। वास्तव में ऐसे लोगों की सही जगह सभ्य समाज नहीं, बल्कि जेल की काल कोठरी और मानसिक चिकित्सालय हैं।

अब सवाल उठता है कि यदि अजा एवं अजजा के लिये सरकारी सेवाओं और सरकारी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की स्थायी व्यवस्था है तो संसद द्वारा हर 10 वर्ष बाद जो आरक्षण बढाया जाता रहा है, वह क्या? इस सवाल के उत्तर में ही देश के राजनेताओं एवं राजनीति का कुरूप चेहरा छुपा हुआ है।

सच्चार्इ यह है कि संविधान के अनुच्छेद 334 में यह व्यवस्था की गयी थी कि लोक सभा और विधानसभाओं में अजा एवं अजजा के प्रतिनिधियों को मिला आरक्षण 10 वर्ष बाद समाप्त हो जायेगा। इसलिये इसी आरक्षण को हर दस वर्ष बाद बढाया जाता रहा है, जिसका अजा एवं अजजा के लिये सरकारी सेवाओं और सरकारी शिक्षण संस्थाओं में प्रदान किये गये आरक्षण से कोर्इ दूर का भी वास्ता नहीं है। अजा एवं अजजा के कथित जनप्रतिनिधि इसी आरक्षण बढाने को अजा एवं अजजा के नौकरियों और शिक्षण संस्थानों के आरक्षण से जोड़कर अपने वर्गों के लोगों का मूर्ख बनाते रहे हैं और इसी वजह से अनारक्षित वर्ग के लोगों में अजा एवं अजजा वर्ग के लोगों के प्रति हर दस वर्ष बाद नफरत का उफान देखा जाता रहा है। लेकिन इस सच को राजनेता उजागर नहीं करते!



डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’

आलेख : बेअसर विपक्ष से उम्मीदें

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इसमें कोई दो राय नहीं है कि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका उतनी ही अहम है जितनी सरकार की। एक साल पूरा होने के मौके पर हर तरफ सरकार के काम का मूल्यांकन हो रहा है। 26 मई को सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक साल पूरे किये तो विपक्ष ने गांधी परिवार के अगुवाई में। इस लिहाज से विपक्ष का मूल्यांकन किया जाना भी स्वाभाविक है। पिछले एक साल में ज्यादातर मौकों पर विपक्ष बेअसर साबित हुआ है। या ये भी कह सकते है कि सरकार का पक्ष ज्यादा असरदार रहा है। इसलिए दूसरे साल में विपक्ष से ढेर सारी उम्मीदें है।

पिछले सरकार के कामकाज से नाराज जनता के बीच जब नरेंद्र मोदी ने उम्मीद की बीज बोई तो जनता ने भी अपने वोट की शक्ति से उसे बखूबी सींचा। उम्मीद का यह पेड़ अब एक साल का हो गया है इसलिए जनता की टकटकी निगाह अब पेड़ के फल पर है। वादों से भरे इस साल में जन-धन और बीमा सुरक्षा योजना ने तो दिल को छू लिया लेकिन रोटी भूखे इंसान का पहले निवाला बने इसके लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। बुनियादी सुविधाएँ बिजली, सड़क और छत के अलावा सबके लिए रोजगार और स्वास्थ्य बीमा सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इसलिए सरकार के साथ-साथ विपक्ष को भी ये सुनिश्चित करना होगा कि योजनायें अमली जामा पहने। योजनायें कही आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति का शिकार ना हो जाये। विपक्ष को चाहिए कि वो सरकारी योजनाओं का मूल्यांकन जनता के बीच जाकर करे न कि पंच सितारा होटल और न्यूज़ चैनल्स के स्टूडियो में। असली हिंदुस्तान वातानुकूलित कमरे में नहीं गावों में बसता है। विपक्ष को सरकार से पूछना चाहिए कि जनधन योजना के तहत अभी तक दुर्घटना बीमा कितनों को मिली है और जनधन के कितने खातेदारों ने 5,000 रुपये का ओवरड्राफ्ट का फायदा लिया है। आर्थिक प्रगति के मोर्चे पर सरकार द्वारा उठाये जाने वाले कदम का भविष्य में क्या असर होगा इसका गंभीरता पूर्वक अध्ययन किया जाना चाहिए ना कि विरोध करने मात्र के लिए विरोध करना चाहिए। अगर नीतियां सही नही है तो वैचारिक स्तर पर ठोस चुनौती दी जानी चाहिये और अगर सही है तो देश हित में इसका समर्थन भी किया जाना चाहिए।

विपक्ष का प्रेस कॉन्फ्रेंस के द्वारा विरोध करने के तरीके का असर ज्यादा होगा अगर इनके प्रतिनिधि जनता के बीच जाएँ और सरकारी नीतियों में जो खामियाँ उसे बताएं।  साथ ही उसका कोई ठोस विकल्प भी पेश करें। वो ज़माना गया कि नेता चुनाव हारने के बाद दोपहर की नींद खींचने लगते हैं और सरकार को अपनी ग़लतियों से लड़खड़ाकर गिर जाने का इंतज़ार करते है। वर्तमान में विपक्ष गर्मी की दोपहरी में सुस्ता रहा है। सरकार के दावों को चुनौती देने की उसकी कोई योजना नज़र नहीं आती। संख्याबल में कांग्रेस भले ही कम हो लेकिन इसके आस पास की संख्या वाले विपक्ष में कई दल है। इन सभी दलों को मिलकर कोई साझा कार्यक्रम के बारे में सोचना चाहिए जिससे सरकार को भी चुनौती मिले और एक बेहतर प्रतिस्पर्धा हो।



live aaryaavart dot com

राजीव सिंह

इन्फर्नो की शूटिंग के लिए जुरासिक वर्ल्ड के प्रमोशन से गायब हैं इरफान

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अगर यह कहें तो गलत नहीं होगा की इन दिनों इरफान खान की डिमांड सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों में भी ज़ोरों शोरों पर हैं. अपनी हालिया रिलीज़ फिल्म पीकू में अपने ज़बरदस्त परफॉर्मन्स से दर्शकों की वाहवाही बटोर रहे इरफान खान पर ग्लोबल ऑडियंस इस कदर मेहरबान हैं की वह जल्द से जल्द इरफान खान को बुडापेस्ट में टॉम हैंक्स की फिल्म इन्फर्नो की शूटिंग करते हुए देखना चाहती है. फिलहाल खबर है की अपनी पिछली फिल्म जुरासिक वर्ल्ड में नज़र आए इरफान खान टॉम हैंक्स की इस फिल्म के कमिटमेंट को पूरा करने में इस कदर जी जान से जुटे हैं की वह भारत में हो रहे जुरासिक वर्ल्ड की प्रमोशन में चाहकर भी हिस्सा नहीं ले पा रहे. 

सिर्फ यही नहीं यह भी खबर है की इस फिल्म का निर्माण करनेवाली स्टूडियो भारत में इसका एक भव्य प्रीमियर करना चाहती है और उनकी मंशा है की भारत में इस फिल्म के प्रतिनिधि इरफान खान इसमें बढ चढ़कर हिस्सा लें लेकिन अफसोस चाहकर भी इरफान इस प्रीमियर को अटेंड नहीं कर पाएंगे. इसके अलावा स्टूडियो ने भारत में काफी प्रमोशनल एक्टिविटीज़ ऑर्गनाइज की है लेकिन दो इंटरनेशनल फिल्म प्रीमियर को छोड़कर इरफान किसी अन्य प्रमोशनल एक्टिविटीज़ में भाग नहीं ले पाएंगे. सूत्रों की मानें तो इस फिल्म के प्रमोशन के लिए इरफान के समयानुसार स्टूडियो ने ज़बरदस्त प्रमोशन की योजना बनायी थी लेकिन अब इरफान किसी में भी हिस्सा नहीं ले पाएंगे. 

हालांकि इस बात का इरफान को काफी दुःख है और यही वजह है की अपने व्यस्त समय में से फिल्म की पूरी कास्ट के साथ इरफान ने दो इंटरनेशनल प्रीमियर अटेंड करने की योजना बनाई है. अब इसे देखकर यह बात आसानी से कही जा सकती है की इरफान वाकई काफी व्यस्त सितारे हो चुके हैं जिन्हें दो टाइम ज़ोन के बीच तादात्म्य स्थापित करना पड़ रहा है. 

सरकार जमीन अधिग्रहण पर तीसरी बार अध्यादेश लाएगी

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केंद्र सरकार जमीन अधिग्रहण पर तीसरी बार अध्यादेश लाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर हुई कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश लाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई। अब इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास मंज़ूरी के लिए भेजा जाएगा। मौजूदा अध्यादेश की मियाद 3 जून को ख़त्म हो रही है।

पिछले सत्र में सरकार ने लोकसभा में तो भूमि अधिग्रहण बिल को पास करा लिया था, लेकिन एकजुट विपक्ष के हमलावर रुख़ और अल्पमत के बीच राज्यसभा में बिल पास नहीं हो सका था। दरअसल विपक्ष लगातार ज़मीन अधिग्रहण बिल का ये कहते हुए विरोध कर रहा है कि ये बिल किसानों के खिलाफ और उद्योगपतियों के लिए मददगार है। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में इस बिल को पास करवाना टेढ़ी खीर बन गया है।

शुक्रवार को जमीन अधिग्रहण विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति की पहली बैठक में कई विपक्षी सदस्यों ने सरकार द्वारा 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों को बदलने के औचित्य को लेकर सवाल उठाए। विधेयक के समर्थन में सरकार के तर्कों पर असंतोष जताते हुए सदस्यों ने इस मुद्दे पर जवाब की मांग की।

बीजेपी सदस्य एसएस अहलूवालिया की अध्यक्षता में हुई बैठक में ग्रामीण विकास मंत्रालय और कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने सदस्यों के समक्ष 'भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा के अधिकार और पारदर्शिता से संबंधित अधिनियम, 2013'में किए गए संशोधनों पर प्रेंजेटशन दिया।

सूत्रों ने कहा कि दोनों मंत्रालयों के अधिकारियों ने संशोधनों की व्याख्या की तो कांग्रेस, बीजेडी, तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने भूमि अधिग्रहण करते समय सहमति के प्रावधान को हटाने और सामाजिक प्रभाव आकलन की जरूरत को समाप्त करने के औचित्य पर सवाल पूछे। अध्यादेश के माध्यम से करीब छह महीने पहले संशोधन किए गए थे, जिनमें सहमति के प्रावधान को हटा दिया गया था।

प्रेंजेटेशन के दौरान कुछ सदस्यों ने औद्योगिक कॉरिडोरों के लिए भूमि अधिग्रहण पर और अधिक स्पष्टता चाही। कई सदस्यों ने मांग की कि यह मुद्दा जटिल है इसलिए वे संशोधनों के औचित्य पर मंत्रालयों का समग्र जवाब चाहेंगे। सूत्रों के अनुसार ग्रामीण विकास और विधि समेत कई मंत्रालय समिति को अगले महीने की शुरुआत में संयुक्त उत्तर दे सकते हैं। समिति मॉनसून सत्र के पहले दिन रिपोर्ट पेश कर सके, इस लिहाज से हर हफ्ते में दो बार बैठक होगी। मॉनसून सत्र सामान्यतया जुलाई के मध्य में शुरू होता है।

भारत में पड़ सकता है बड़ा अकाल

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देश के कई हिस्सों में गरमी से अबतक हजारों लोगों की मौत हो गयी है. हालांकि मॉनसून के समय पर आने की खबर को लेकर लोगों में राहत है. लेकिन इस राहत की खबरों के बीच एक परेशान करने वाली खबर भी है. अमेरिकी संस्था एक्यूवेदर ने अनुमान लगाया है कि भारत में बड़ा आकाल आने वाला है. भारत में मॉनसून आने में परेशानी होगी और पानी के अभाव में फसलों को काफी नुकसान होगा. एक्यूवेदर के अनुसार चक्रवाती तूफान भारत में समय पर मॉनसून आने नहीं देगा जिसका बुरा असर भारत पर पड़ेगा.  

 
अमेरिकी एजेंसी ने भारत के अलावा पाकिस्तान के लिए भी खतरे की घंटी बजायी है. अकाल की स्थिति की संभावना जताने के पीछे अमेरिकी एजेंसी का दावा है कि यह एल नीनो प्रभाव के कारण पैदा होगा. समुद्र में तापमान का उतरा चढ़ाव बना रहता है. इसे एल नीनो कहते हैं. इसी के कारण चक्रवातीय तूफान आता है. इसी तूफान के कारण भारत और पाकिस्तान में मॉनसून आने में परेशानी होगी.
 
भारतीय मौसम विभाग भी इस स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ है लेकिन इसे पूर्वानुमान मानते हुए संयमित रवैया अपना रहा है. भारतीय मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में माना कि इस बार बारिश औसत की 93 फीसदी होने की संभावना है. हालांकि यह पूर्वानुमान है भारतीय मौसम विभाग भी उम्मीद जता रहा है कि पूर्वानुमान से ज्यादा बारिश हो.  

IIT मद्रास के बाहर प्रदर्शन, कई हिरासत में

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आईआईटी मद्रास कैंपस के अंदर एक स्टूडेंट ग्रुप पर लगे बैन के विरोध में शनिवार को द डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI ) ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार और एचआरडी मिनिस्टर स्मृति ईरानी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। 

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी बहस भी हुई। DYFI के एक वॉलंटियर ने कहा कि तमिलनाडु में 'आरएसएस का एजेंडा'लागू होने नहीं दिया जाएगा। प्रदर्शन तेज होने की आशंका के मद्देनजर पुलिस ने कैंपस की सुरक्षा बढ़ा दी है। गौरतलब है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बैन को फ्री स्पीच के खिलाफ बताया था। इसके बाद, एनएसयूआई ने शुक्रवार को ईरानी के घर के बाहर प्रदर्शन भी किया था। हालांकि, इसके बाद स्मृति ने राहुल गांधी पर निशाना साधा।

सूत्रों के मुताबिक, पीएमओ ने भी इस मामले में रिपोर्ट मांगी थी। उधर, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने आईआईटी मद्रास प्रबंधन द्वारा स्टूडेंट ग्रुप पर लगाए गए बैन के फैसले से खुद को अलग कर लिया है। एचआरडी ने कहा कि अंबेडकर पेरियार स्टडी सर्कल(एपीएचसी) द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ कथित तौर पर नफरत फैलाने के मामले में हुई कार्रवाई आईआईटी मद्रास ने अपने प्रोसिजर और गाइडलाइंस का पालन करते हुए किया था। एजुकेशन सेक्रेटरी सत्या एन मोहंती ने कहा कि आईआईटी एक स्वायत्त संस्था है। ऐसे फैसलों में मिनिस्ट्री का कोई रोल नहीं होता। हमारे पास एक शिकायत आई, जिसे हमने आईआईटी मद्रास को फॉरवर्ड कर दिया। हमने इस मामले में कोई निर्देश नहीं दिया था। वहीं, आईआईटी मद्रास ने अपने फैसले को सही ठहराया है।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर (30 मई)

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बसंत दासवानी बने प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष


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सीहोर। प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन का जिला अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार बसंत दासवानी को नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति पर जिले के पत्रकार साथियों ने बधाई दी है। प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री एचएस भारतीय की सहमति से प्रदेश अध्यक्ष महेश दीक्षित ने सीहोर जिले का दायित्व वरिष्ठ पत्रकार बसंत दासवानी को सौंपा है। श्री दासवानी ने बताया कि पत्रकारों के हित में सक्रिय भूमिका निभाते हुए पत्रकारों को एक जुटकर संगठन को मजबूती प्रदान करने की दिशा में कार्य किया जाएगा, साथ ही जिले में शीघ्र ही कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। 


राजस्थान लागू करेगा म.प्र. में हुये महात्मा गांधी नरेगा के नवाचारों को 
  • अपर मुख्य सचिव, डा. अरूणा शर्मा से मिले राजस्थान मनरेगा के डायरेक्टर
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राजस्थान मनरेगा के डायरेक्टर श्री रोहित कुमार सहित अधिकारियो के दल ने अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा विकास आयुक्त श्रीमती अरूणा शर्मा से गत बुधवार मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने म.प्र. में मनरेगा मे हुये नवाचारो के बारे मे जानकारी हासिल की। मुलाकात के दौरान श्री रोहित कुमार ने कहां की म.प्र. में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन अन्य राज्यो की तुलना मे बेहतर हुआ है। म.प्र. में महात्मा गांधी नरेगा मे लागू अन्य योजनाओ से अभिसरण, ईएफएमएस इलेक्ट्रानिक फण्ड मैनेजमैंट सिस्टम तथा पारदर्शिता पूरे देश अभिनव है। इस दौरान अपर मुख्य सचिव डा. अरूणा शर्मा ने बताया की म.प्र. देश का पहला ऐसा राज्य है जहां 74 प्रतिशत सम्पत्तियों का निर्माण हुआ है। प्रदेश मे मनरेगा को अन्य योजनाओ के साथ अभिसरण कर सीमेंट कांक्रीट सड़क, अनाज गोदाम, पंचायत भवन, ग्रेवल सड़क, आगंन बाडी भवन, इत्यादि निर्माण के कार्य किये गये है। जिससे न केवल प्रभावी क्रियान्वयन हुआ है वहीं इससे जाॅब कार्डधारियों को रोजगार उपलब्ध भी कराया गया है। डा. शर्मा ने बताया की प्रदेश में वर्तमान में लगभग 84 लाख जाॅब कार्डधारी परिवार है जिन्हें योजना प्रारंभ से लगभग 179 करोड़ 64 लाख मानव दिवस सृजित कर रोजगार उपलब्ध कराया गया है। 32 करोड 60 लाख अनुसूचित जाति, 73 करोड 95 लाख अनुसूचित जनजाति, वर्ग के जाॅब कार्डधारियो को प्रदेश मे महात्मा गांधी नरेगाने रोजगार उपलब्ध कराया है। वही इनमें से  77 करोड 58 लाख मानव दिवस का रोजगार महिलाओ को दिया गया है। राजस्थान मनरेगा के डायरेक्टर श्री रोहित कुमार सहित अधिकारियो के दल ने मनरेगा के क्रियान्वयन को समझने के लिए म.प्र. राज्य रोजगार गारंटी परिषद के अधिकारियों एवं कर्मचारियो से मुलाकात कर होशंगाबाद जिले का भ्रमण कर मनरेगा के तहत निर्मित परिसम्पत्तियों का अवलोकन किया तथा जाॅब कार्डधारी परिवारो एवं हितग्राहियो से मुलाकात की ।
2 करोड 22 लाख की लागत से 17 माह में बना नवीन जिला पंचायत भवन 
  • ग्रामीण यांत्रिकी सेवा सीहोर ने किया उल्लेखनीय समय मे निर्माण
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मुख्य कार्यपालन अधिकारी डा. आर.आर. भोसले ने बताया की जिले में जिला पंचायत भवन की आवश्यकता को देखते हुये 26.04.2013 को नवीन भवन के निर्माण का निर्णय लिया गया जिस पर अधीक्षण यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा भोपाल द्वारा तकनीकी स्वीकृति 2 करोड 22 लाख की जारी की गई तथा पंचायत राज संचालनालय भोपाल 23.12.2014 को प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर नवीन जिला पंचायत भवन निर्माण हो हरी झंडी दिखाई गयी । कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा सीहोर श्री अब्दुल अजीम खाॅन के देखरेख में 21606 वर्गफीट में बने नवीन भवन का निर्माण महज 17 माह में पूर्ण कर लिया गया। डा. आर.आर. भोसले ने बताया की नवीन जिला पंचायत भवन निर्माण के लिए जिले मे पूर्व से प्राप्त स्टाम्प शुल्क की शेष राशि 1 करोड 84 लाख का उपयोग किया गया तथा स्टाम्प शुल्क के ब्याज की राशि के साथ परफ्रारमंेस ग्राण्ट मद की राशि का उपयोग पंचायत राज संचालनालय की स्वीकृति उपरांत करते हुये भवन का निर्माण कराया गया। म.प्र. के मुख्यमंत्री श्री शिवराज ंिसह चैहान एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव के उपस्थिति में दिनांक 1 जून 2015 को नव निर्मित भवन का लोकार्पण किया जावेगा।

अब देसी कागज पर ही छपेंगे नोट

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केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने  और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने होशंगाबाद जिले में 495 करोड़ रुपये के लागत से नोट पेपर फैक्ट्री का उद्घाटन किया. होशंगाबाद स्थित नोट करेंसी पेपर फैक्ट्री में अब 1000 रुपये का नोट बनेंगे.

उद्घाटन के बाद नोट पेपर की पहली खेप नासिक रवाना हो गयी. गौरतलब है कि नोट पेपर फैक्ट्री के उद्घाटन के बाद अब विदेशों से नोट पेपर आयात नही करना पड़ेगा. नयी पेपर फैक्ट्री सिक्यॉरिटी प्रिंटींग ऐंड मिटिंग कॉपरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा शुरू  किए गए बैंक नोट पेपर के देशीकरण का हिस्सा है. इस नये पेपर फैक्ट्री के उद्घाटन के साथ ही देश की कागज की छपाई की कुल क्षमता 18000 टन हो जाएगी. न्यू बैंक पेपर का शिलान्यास तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुख्रर्जी ने दिसम्बर 2011 में किया था. 

गौरतलब है कि, कई विशेषज्ञो का मानना था कि नोट के पेपर विदेशों से आयात होने से जाली नोट के कारोबार पर नकेल लगाना आसान नही था लेकिन अब देश में नोट पेपर के निर्माण होने से जाली नोटो पर रोक लगा पाने में आसानी होगी. 

नरकटियागंज (बिहार) की खबर 30 मई)

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शीला वर्मा कांग्रेस में शामिल

नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) स्थानीय शिकारपुर राजनीति घराने की एक अन्य बहू शीला वर्मा ने विगत दिनों कांग्रेस का दामन थाम लिया है। वे पूर्व से भारतीय कृषक समाज की प्रदेश उपाध्यक्ष रही है। उनके कांग्रेस में शामिल होने से क्षेत्रीय कांग्रेस की राजनीति में गरमाहट आ गयी है। उनके कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर कांग्रेसजनों ने स्वागत किया है।

विधिज्ञ संघ नरकटियागंज, शंभूशरण अध्यक्ष व जहाँगीर आलम खाँ सचिव निर्वाचित 

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नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) अनुमण्डल स्थित विधिज्ञ संघ नरकटियागंज का द्विवार्षिक चुनाव शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। विधिज्ञ संघ का चुनाव पर्यवेक्षक दिलीप झा और समसुद्दीन मेकरानी की निगरानी में गहमागहमी के बीच पूरा हुआ। विधिज्ञ संघ (बार) के 2015 में सम्पन्न हुए चुनाव में अध्यक्ष पद पर रवीन्द्र उपाध्याय के 20 मत के मुकाबले 27 मत प्राप्त कर शंभूशरण निर्वाचित घोषित हुए। सचिव पद पर विकास कुमार के 22 मत के जबरदस्त मुकाबले में 26 मत प्राप्त कर जहाँगीर आलम खाँ दूसरी बार सचिव निर्वाचित घोषित किए गये। सहायक सचिव पद पर मनोरंजन वर्मा के 17 मत के मुकाबले 35 मत प्राप्त कर सुशील कुमार मिश्र विजयी हुए। कोषाध्यक्ष पद पर प्रभात कुमार श्रीवास्तव के 14 मतों के मुकाबले भुवनेश्वर मिश्र ने 38 मत प्राप्त कर कब्जा जमाने में सफलता प्राप्त किया, जबकि उपाध्यक्ष पद पर उमेश मिश्र निर्विरोध निर्वाचित हुए। उनके अलावे कार्यकारिणी सदस्य के रूप में राजू श्रीवास्तव, देवांशु कुमार, हरिलाल राम, मनोज कुमार और मनोज मिश्र पहले ही निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए जा चुके हैं। अधिवक्ताओं के संगठन के द्विवार्षिक चुनाव में निर्वाचित सदस्यो व पदाधिकारियों को बधाई देने वालांे में अधिवक्ता नन्दन चैधरी, वीरेन्द्र ओझा, मनीष कुमार, धीरज कुमार, राधेश्याम तिवारी, महम्मद कौशर, राजेश कुमार, मनोज कुमार समेत करीब चार दर्जन से अधिक अधिवक्ता है। नवनिर्वाचित अध्यक्ष व सचिव क्रमशः शंभूशरण व जहाँगीर आलम खाँ ने सभी अधिवक्ताआंे को साधुवाद देते हुए कहा है कि आपके भरोसा पर खरा उतरने का प्रयास किया जाएगा।

मतदाता जागरूकता के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं प्रभातफेरी सम्पन्न

नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) स्थानीय प्रखण्ड अन्तर्गत समेकित बाल विकास सेवा परियोजना के तहत संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से मतदाता जागरूकता अभियान के तहत नगर परिषद के 169, 173, 175, 176 और 192 केन्द्रों पर प्रभातफेरी निकाली गई। प्रभातफेरी के दौरान उपर्युक्त केन्द्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी सहायिका व क्षेत्र की अन्य महिलाओं के साथ सक्रिय दिखी। प्रभातफेरी के पूर्व अपने अपने केन्द्र की महिलाओ व किशोरियों के बीच आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपने विचार रखे और बताया कि मतदान आपका अधिकार है। अपने अधिकार के प्रति सचेत रहे और मतदान कर अपने कत्र्तव्य का निर्वहन हमेशा करे। प्रभातफेरी के दौरान लोगों मे यह जानने की उत्सुकता रही कि आखिर आंगनबाड़ी वाले लोग इतनी सुबह क्यों घूम रहे है और इसका कारण क्या है।

सेमीफाइनल मंे पुरानी बाजार ने सीएसके को हरा कर फाइनल में स्थान सुरक्षित किया, आलोक वर्मा टी 20 टेनिस बाॅल क्रिकेट प्रतियोगिता

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नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) स्थानीय शहर के उच्च विद्यालय के मैदान पर खेले जा रहे आलोक वर्मा टी 20 टेनिस बाॅल दिवा-रात्री क्रिकेट प्रतियोगिता का पहला सेमीफाइनल शुक्रवार को खेला गया। जिसमें टाॅस सीएसके कप्तान सुमित ने टाॅस जीतकर पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया। पहले बल्लेबाजी करते हुए सीएसके की टीम ने निर्धारित 16 ओवर में 96 रन ही बना सकी। जबकि जवाब में खेलते हुए पीबीआर की टीम ने निर्धारित लक्ष्य 14 वे ओवर में तीन विकेट के शेष रहते पूरा कर लिया। इस प्रकार सीएसके की टीम का आलोक वर्मा टी 20 टेनिस बाॅल क्रिकेट प्रतियोगिता में सेमीफाइनल तक का सफर समाप्त हो गया। पुरानी बाजार वारियरर्स की टीम फाइनल मंे अपनी जगह बना चुकी है।

आॅरकेस्ट्रा के दौरान फायरिंग दो जख्मी

नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) गौनाहा थाना क्षेत्र के पकड़ी बिसौली गाँव में बारात आॅरकेस्ट्रा के दौरान हुई गोलीबारी मंेे दो लोगों के घायल होने की खबर है। सूत्र बताते है कि आॅरकेस्ट्रा के बहाने पुरानी रंजीश को लेकर विकास व अजय को गोली मार दी गयी। जिससे बारात में भगदड मच गयी घटना की खबर पर पाकर गुरूवार की रात्री पुलिस पकड़ी बिसौली पहुँच गई। मामले की जाँच की जा रही है और पुलिस का कहना है कि गोली चलाने वालों की पहचान कर ली गई है।

प्रजापिता बीके ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा नशामुक्ति के लिए प्रदर्शनी आयोजित

नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय ईकाइ द्वारा 31 मई विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर 30 मई 2015 को रेलवे परिसर में धूम्रपान और नशापान के विरोध में दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ बीके की स्थानीय सेवाकेन्द्र संचालिका बीके अविता ने कियां। इस अवसर पर नशापान के दूरगामी व दुष्प्रभाव के संबंध मंे लोगों को बताया गया। बीके भाई व बहनों ने आम व खास लोगों को मद्य व नशापान के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक करते हुए, बताया कि यदि आप अपने बच्चांे व परिवार से वास्तव मंे प्रेम करते है तो अपने दुव्र्यसन को ईश्वर की झोली में डाल दे। उल्लेखनीय है कि प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय प्रारंभ से दुव्र्यसन यथा नशा मुक्ति, धूम्रपान व मद्य निषेध के विरूद्ध सकारात्मक पहल करता आया है।

ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री गमांग ने छोड़ा कांग्रेस का दामन

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दिग्गज नेता और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग ने शनिवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कोरापुट लोकसभा सीट से नौ बार कांग्रेस सांसद रह चुके गमांग ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फैक्स किए गए पत्र में लिखा कि उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि उन्हें 1999 से पार्टी में अपमानित किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने बताया कि वह किसी और पार्टी में शामिल नहीं हो रहे हैं। लेकिन उनके बेटे ने संकेत किया है कि पिता और बेटा दोनों जल्दी एक राष्ट्रीय पार्टी में शामिल होंगे। गमांग ने यहां संवाददाताओं को बताया, "मैं तत्काल प्रभाव से कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। मैंने यह फैसला इसलिए किया क्योंकि पार्टी नेतृत्व द्वारा मुझे बहुत अपमानित किया गया है।"

गमांग ने कहा कि वह स्वतंत्र व्यक्ति बनना चाहते हैं। हालांकि उनका राजनीति छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने किसी और पार्टी में शामिल होने के लिए कांग्रेस नहीं छोड़ी है। गमांग ने कहा, "मैंने कुछ भी गलत नहीं किया। मैं आजाद बनना चाहता था। एक बार यह फैसला लेने के बाद अब वापस कांग्रेस में जाने का सवाल ही नहीं उठता।"कांग्रेस से अलग होने के कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि वह 17 अप्रैल,1999 से पार्टी छोड़ना चाहते हैं, जब संसद में अटल बिहारी वाजपेई सरकार के खिलाफ वोट देने के कारण पैदा हुए विवाद से निपटने में पार्टी ने उनका साथ नहीं दिया था।

उन्होंने कहा, "साल 1999 में, मेरे वोट से वाजपेई सरकार गिरने के बाद से मुझे सार्वजनिक तौर पर अपमानित होना पड़ रहा है, तब से पार्टी और इसके नेताओं ने सच का खुलासा नहीं किया और ना ही सार्वजनिक आलोचना से मुझे बचाया ।"गमांग ने कहा, "मुझे लगता है कि पार्टी के प्रति मेरी वफादारी, पार्टी के लिए बोझ हो गई है।"जनजातीय नेता गमांग ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ कांग्रेस द्वारा जारी विप से अलग मतदान किया था।

हालांकि उन्होंने किसी अन्य पार्टी में शामिल होने की बात से इंकार किया है, फिर भी उनके बड़े बेटे शिशिर गमांग ने संकेत दिया है कि वह और उनके पिता जल्द ही एक राष्ट्रीय पार्टी में शामिल होंगे। शिशिर ने कहा, "निकट भविष्य में हम एक राष्ट्रीय पार्टी में शामिल होंगे। सारी चीजें चार-पांच दिनों में स्पष्ट हो जाएंगी।"गमांग 17 फरवरी, 1999 से छह दिसंबर 1999 तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे हैं। वह नौ बार कांग्रेस सांसद और चार बार केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं।

ब्लाटर का फीफा अध्यक्ष चुना जाना शर्मनाक : रोमारियो

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ब्राजील के पूर्व दिग्गज फुटबाल खिलाड़ी रोमारियो ने सेप ब्लाटर के फिर से फीफा का अध्यक्ष चुने जाने के बाद कहा कि फुटबाल का दमन जारी रहेगा। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, ब्राजील के मौजूदा संघीय सीनेटर रोमारियो ने ब्लाटर के लगातार पांचवीं बार फीफा का अध्यक्ष चुने जाने पर निराशा जाहिर की। रोमारियो ने कहा, "ब्लाटर का फिर से फीफा का अध्यक्ष चुना जाना शर्मनाक है। मैं ऐसा नहीं कहूंगा कि मैं इससे चकित हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं इससे नाराज नहीं हूं। मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने तक वह फीफा में 20 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लेंगे। यह दुखद है कि फुटबाल का दमन जारी रहेगा।"

उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरी फीफा के शुक्रवार को हुए 65वें अधिवेशन में ब्लाटर अपने एकमात्र प्रतिद्वंद्वी जॉर्डन के अली बिन प्रिंस अल-हुसेन के अपना नाम वापस लेने के बाद स्वत: अध्यक्ष चुन लिए गए। शुक्रवार को अध्यक्ष पद के लिए हुए पहले चरण के मतदान में ब्लाटर को 133 और अल-हुसेन को 73 मत मिले थे। ब्लाटर जरूरी दो तिहाई बहुमत से दूर रह गए थे, जिसके कारण दूसरे चरण के मतदान की नौबत आई, लेकिन अल-हुसेन के हटने के कारण दूसरे चरण का मतदान कराना ही नहीं पड़ा।

'वन-रैंक-वन-पेंशन'के लिए प्रतिबद्ध हूं : मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार सेवानिवृत सैनिकों के लिए काफी समय से लंबित 'वन-रैंक-वन-पेंशन' (ओआरओपी) को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी ने ट्विटर पर कहा, "सरकार ओआरओपी को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसमें कोई संदेह नहीं है।" ओआरओपी के तहत समान रैंक से अलग-अलग तिथियों पर सेवानिवृत हुए सैनिकों के लिए एक समान पेंशन राशि लागू करने की मांग रखी गई है। एक अन्य ट्वीट में मोदी ने कहा कि उनकी एक साल की सरकार में भ्रष्टाचार का एक भी मामला सामने नहीं आया है।

प्रधानमंत्री ने समाचार पत्र 'द ट्रिब्यून'को दिए गए एक साक्षात्कार का लिंक साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा, "मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि एक साल में भ्रष्टाचार का एक भी मामला सामने नहीं आया है।"भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन पर मोदी ने कहा, "भ्रष्टाचार बिल्कुल बर्दाशत नहीं किया जाएगा।" मोदी ने ट्विटर पर जारी संदेशों की श्रृंखला में कहा, "मैंने देश में जो संभावनाएं देखी हैं, उनके आधार पर मैं मानता हूं कि गरीब और पिछड़ा बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।"

उन्होंने किसानों को देश का आधार बताते हुए लिखा, "किसान देश की रीढ़ हैं। कृषि क्षेत्र में उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हमें कृषि का आधुनिकीकरण करने की जरूरत है।"एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, "स्वच्छ भारत मिशन को मिली प्रतिक्रिया से हैरान हूं, यह मेरी कल्पना से परे है।" 

यूईएफए ने मेरे खिलाफ जो किया नहीं भूलुंगा : ब्लाटर

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फुटबाल की विश्व नियामक संस्था फीफा के पांचवीं बार अध्यक्ष चुन लिए गए सेप ब्लाटर ने कहा है कि वह माइकल प्लाटिनी के नेतृत्व में यूरोपीय फुटबाल संघ (यूईएफए) द्वारा मुसीबत के समय में उनके खिलाफ नफरत फैलाने के लिए चलाए गए अभियान को भूल नहीं पाएंगे। वेबसाइट 'गोल डॉट कॉम'ने शनिवार को ब्लाटर के हवाले से कहा, "यूईएफए से सिर्फ एक व्यक्ति की ओर से नहीं बल्कि पूरे संगठन की ओर से मेरे खिलाफ नफरत फैलाई गई। 1998 में जब मैं पहली बार अध्यक्ष बना उसमें भी यूईएफए का सहयोग नहीं था।"

ब्लाटर ने कहा, "मैं सभी को माफ कर दूंगा, लेकिन मैं इसे भूलुंगा नहीं।"अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरी फीफा के शुक्रवार को हुए 65वें अधिवेशन में ब्लाटर लगातार पांचवीं बार अध्यक्ष चुन लिए गए। उल्लेखनीय है कि यूईएफए के अध्यक्ष माइकल प्लाटिनी ने भ्रष्टाचार के आरोप में फीफा के सात अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद ब्लाटर से पद छोड़ने के लिए कहा था।
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