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उत्तराखंड की विस्तृत खबर (31 मई)

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जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल के नारों के बीच हेमकुण्ड यात्रा शुरू

देहरादून,31 मई । ‘‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल‘‘ ऋषिकेश के हेमकुंड  लेकर गोविन्द घाट व  वहां से लेकर  हेमकुंड तक तक के समूचे मार्ग पर यही सुनाई  रहा है ,बच्चा बूढ़ा हो  या जवान हर किसी के मुंह से अनायास ही निकल रहे ये शब्द पर्वतीय मार्ग को  देदिव्यमान कर रहा है लगता है बस कुछ दूरी पर गुरु गुरुगोविंद सिंह के दर्शन साक्षात दर्शन हो  सकते हैं। पूरा वातावरण गुरु के जयकारे से जय -जय कार हो रहा है इन्हीं जयकारों के साथ हेमकुंड साहिब के लिए रविवार की सुबह सिख यात्रियों का जत्था रवाना हो गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार सुबह नौ बजकर 55 मिनट पर सिख तीर्थयात्रियों के जत्थे को सरोपा भेंट कर किया। जिसके बाद 1500 से अधिक तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हो गए। यात्रियों का जत्था जो बोले सो निहाल के जयकारे के साथ हेमकुंड साहिब के लिए हुआ रवाना। रविवार सायं यात्रा के प्रमुख पड़ाव घांघरिया पर जत्‍था पहुंचेगा। जिसके बाद सोमवार की सुबह यह जत्‍था हेमकुंड साहिब धाम पहुंचेगा। एक जून को सुबह नौ बजे हेमकुंड साहिब के कपाट खुल जाएंगे। कपाट खुलने के मौके पर हेमकुंड में करीब छह हजार तीर्थयात्रियों के मौजूद रहने की उम्मीद है। यहां आस्था पथ पर अटलाकोटी से हेमकुंड तक तीन किमी पैदल मार्ग पर बर्फ होने से तीर्थयात्रियों को दिक्कतें उठानी पड़ सकती हैं, लेकिन हेमकुंड साहिब के लिए निकले तीर्थयात्रियों की आस्था, उत्साह और जुनून देखते ही बन रहा है। इससे पहले सीएम रावत रविवार को सुबह नौ बजकर 15 मिनटर पर हेलीकॉप्टर से गोविंदघाट पहुंचे। सबसे पहले सीएम ने गोविंदघाट गुरूद्वारे में आयोजित अरदास में भाग लिया। सीएम ने सिख तीर्थयात्रियों को हेमकुंड धाम के लिए रवाना करते दौरान तीर्थयात्रियों को बारिश और बर्फबारी में सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने का आह्वान किया। गोविंदघाट में सिख रेजीमेंट की बैंड धुनों के साथ तीर्थयात्री रवाना हुए। हेमकुंड साहिब और यात्रा पड़ावों पर रविवार को मौसम साफ रहा। करीब छह सौ तीर्थयात्री पहले ही हेमकुंड साहिब पहुंच गए। कई तीर्थयात्री पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, अमृतसर, रीठासाहिब से पैदल गोविंदघाट पहुंचे हैं। हेमकुंड साहिब में अब भी करीब चार फीट बर्फ जमी हुई है। घांघरिया में भी निचली चोटियों पर बर्फ जमी हुई है, जिससे दोपहर बाद यहां बर्फीली हवाएं चल रही हैं। तीर्थयात्री अपने साथ यहां पर्याप्त गर्म कपडे़ लेकर आएं। अपने साथ सिर दर्द, बदन दर्द और बुखार की दवा भी साथ लेकर आएं। हेमकुंड साहिब धाम के लिए तीर्थयात्री तीन किमी तक बर्फीले रास्ते से होकर गुजरेंगे। यहां पैदल मार्ग पर जगह जगह प्रशासन ने रस्सियां लगाई हुई हैं, जिनके सहारे तीर्थयात्री आस्था पथ पर आगे बढ़ेंगे। यह तीन किमी पैदल मार्ग अटलाकोटी हिमखंड से हेमकुंड साहिब तक है। अटलाकोटी से आगे घोड़े-खच्चरों की आवाजाही भी नहीं होगी। लिहाजा यात्रियों को पैदल ही यह तकलीफदेह रास्ता पार करना होगा। तीन किमी के इस पैदल रास्ते पर वन वे सिस्टम होगा। हेमकुंड साहिब से लौटने वाले यात्रियों के जत्थे के बाद ही दूसरा जत्था अटलाकोटी से रवाना होगा। यहां चप्पे-चप्पे पर पुलिस और एसडीआरएफ के जवान तैनात रहेंगे। जिलाधिकारी अशोक कुमार का कहना है कि चटख धूप में हिमखंड पिघल रहे हैं। बर्फ एक माह के भीतर पिघल जाएगी, जिसके बाद रास्ता सुगम हो जाएगा।

हेमकुंड साहिब है सात पर्वत शिखरों के बीच स्थित
श्री हेमकुंड साहिब धाम सात शिखरों के बीच 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मान्यता है कि सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने यहां तपस्या की थी। बताया जाता है कि वर्ष 1933 में टिहरी के ग्रंथी संत सोबन सिंह ने इस स्थान की खोज की थी। इसके बाद अहोलदर बाबा मोदन सिंह ने यहां भव्य गुरुद्वारे का निर्माण कराया। श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे के पास ही पवित्र सरोवर और लक्ष्मण मंदिर स्थित है। हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को गोविंदघाट से पुलना तक तीन किमी वाहन से और 16 किमी का पैदल सफर तय करना पड़ता है।

डंडी-कंडी और घोड़े की है सुविधा
हेमकुंड साहिब की पैदल यात्रा को सुखद बनाने के लिए गोविंदघाट में डंडी, कंडी और घोड़ों की व्यवस्था भी है। गोविंदघाट से अटलाकोटी तक 16 किमी पैदल मार्ग पर घोड़े पर जाया जा सकता है। इससे आगे तीन किमी पैदल मार्ग बर्फीला होने के कारण प्रशासन ने इस बार यहां घोड़े की आवाजाही रोक ली है जबकि डंडी-कंडी से तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब तक जा सकते हैं। डंडी संचालक वजन के हिसाब से तीन दिन का पैकेज लेकर तीर्थयात्रियों को हेमकुंड तक ले जाते हैं। एक दिन गोविंदघाट से घांघरिया तक जाया जाता है। दूसरे दिन हेमकुंड साहिब के दर्शन कर पुनरू घांघरिया और तीसरे दिन गोविंदघाट आते हैं। हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए इस बार गोविंदघाट से हेलीकॉप्टर की भी व्यवस्था है। तीर्थयात्री गोविंदघाट से 14 किमी दूर स्थित कांजिला तक हेलीकॉप्टर से जा सकते हैं। यहां से धाम तक पांच किमी की पैदल यात्रा उन्हें फिर भी करनी होगी। यहां डेक्कन कंपनी का हेलीकॉप्टर अपनी सेवाएं देगा। हेलीकॉप्टर में जाने का किराया 3200 रुपए और आने-जाने का किराया 6400 रुपए रखा गया है। हेमकुंड साहिब यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने गोविंदघाट पहुंचे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जोशीमठ से भी हेलीकॉप्टर सेवा शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक सेवा शुरू करने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।

हेमकुंड जाने की नहीं होगी दोपहर दो बजे बाद अनुमति
गुरुद्वारा प्रबधंन कमेटी ने तीर्थयात्रा की समय सारिणी तय की है। तय किया गया कि दोपहर दो बजे के बाद गोविंदघाट से किसी भी तीर्थयात्री को हेमकुंड साहिब जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सुबह से ही दोपहर दो बजे तक तीर्थयात्रियों को पांच से 10 लोगों के जत्थे में गोविंदघाट से भेजा जाएगा। बारिश और बर्फबारी होने पर तीर्थयात्रियों को भ्यूंडार, घांघरिया, गोविंदघाट और हेमकुंड धाम में रोक लिया जाएगा। गोविंदघाट से पुलना तक तीर्थयात्री वाहन से जाएंगे।

यहां है यात्रा के दौरान ठहरने की व्यवस्था
यात्रा के दौरान तीर्थयात्री गुरुद्वारा हरिद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, नगरासू, जोशीमठ, गोविंदघाट और गोविंदघाम घांघरिया में रात्रि विश्राम के लिए ठहर सकते हैं। यहां खानपान की भी उचित व्यवस्था रहती है। इन गुरुद्वारों में प्रतिदिन लंगर भी लगते हैं। यात्रा मार्ग पर कई जगहों पर लंगर भी लगने शुरू हो गए हैं। भकुंडा और नंदप्रयाग में भी लंगर की व्यवस्था है।

गुदड़ी के लालों से गुरूजनों का भेदभाव, राजकीय इंटर कालेज माजरी माफी में चैंकाने वाले नतीजे

देहरादून, 31 मई। एक ओर जहां उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में पर्वतीय स्कूल के छात्रों ने अपना परचम लहराया वहीं राजधानी देहरादून स्थित राजकीय इंटर कालेज माजरी माफी में मस्साब के कृपा पात्र छात्र-छात्राएं प्रयोगात्मक परीक्षा में शत प्रतिशत अंक प्राप्त करने में कामयाब रहे लेकिन ये छात्र सैद्धांतिक परीक्षा में दहाई का अंक भी नहीं छू पाये। जबकि इसी स्कूल के उन छात्रों ने प्रथम श्रेणी हासिल की जिन्हें मस्साब ने प्रयोगात्मक परीक्षा में कमत्तर आंका गया। उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में इस बार विद्यालय शिक्षा द्वारा चलाया गया अभिनव प्रयोग सफल रहा। दसवीं कक्षा के लिए विशेष रूप से चलाई गई कक्षाओं के नतीजे चैंकाने वाले रहे। राजकीय इंटर कालेज माजरी माफी में राजनीतिक विज्ञान के प्रवक्ता श्री अंकित जोशी के नेतृत्व में चलाई गई इन कक्षाओं के छात्र-छात्राओं ने बोर्ड परीक्षा में उच्च स्थान हासिल किया। प्रेरणाप्रद व उपचारात्मक कक्षाओं में शामिल होने वाले दसवीं के छात्र-छात्राओं ने राजकीय इंटर कालेज माजरी माफी स्कूल के इतिहास में पहली बार छह छात्र-छात्राएं प्रथम श्रेणी जबकि 10 छात्र-छात्राएं द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। गौरतलब है कि इन छात्र-छात्राओं को प्रयोगात्मक परीक्षा में स्कूल के अध्यापकों द्वारा कमत्तर आंका गया और उन्हें कम अंक दिये गये। जबकि इसके उलट उन छात्र-छात्राओं को प्रयोगात्मक परीक्षा में शत-प्रतिशत अंक दिये गये जो कभी भी प्रेरणाप्रद व उपचारात्मक कक्षाओं में शामिल नहीं हुए थे। शिक्षकों के कृपा पात्र ये छात्र-छात्राएं सैद्धांतिक परीक्षा में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाये। जिससे यह सवाल खड़ा हो जाता है कि क्या शिक्षा के मंदिर में भी गुरू भेदभाव पर उतर आये हैं। आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि विद्यालय में 6 छात्र-छात्राएं जो प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए उनमें से किसी को भी प्रयोगात्मक परीक्षाओं में शत-प्रतिशत अंक नहीं दिये गये। ऐसे भी 6 छात्र-छात्राएं हैं जो कुछ ही अंक से प्रथम श्रेणी पाने से वंचित रह गये हैं। गौरतलब है कि जिन छात्रों को प्रयोगात्मक परीक्षा में शत प्रतिशत अंक दिये गये हैं वे सभी पिछले वर्ष भी फेल थे जबकि प्रथम श्रेणी से पास होने वाले किसी भी छात्र-छात्रा को प्रयोगात्मक परीक्षा में पूरे अंक नहीं दिये गये। यहां तक कि स्कूल में 81.8 फीसदी अंक हासिल कर स्कूल में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले छात्र को भी प्रयोगात्मक परीक्षा में कमत्तर आंका गया। जिसका खामियाजा छात्राओं को भुगतना पड़ा। 

आपदा घोटाले पर बड़ा सवालः क्या सरकार करेगी सीबीआई जांच की संस्तुति
  • केदारनाथ आपदा के दौरान अफसरों की मौज का मामला, राहत राशि खर्च पर शुरूआती दौर से ही उठते रहे सवाल

देहरादून,31 मई(निस)। केदारनाथ धाम में आपदा के तत्काल बाद से ही सरकारी मशीनरी की भूमिका पर सवाल उठने शुरू हो गए थे। सूचना अधिकार से मिली जानकारी से अब साफ हो गया है कि सरकारी सिस्टम ने राहत राशि का जमकर दुरुपयोग किया। ऐसे में अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि इस घोटाले का मास्टर माइंड और हैं और क्या सरकार ने इन अफसरों के चेहरों को बेनकाब करने के लिए सूचना आयुक्त की सीबीआई जांच की सिफारिश पर अमल करेगी। 2013 में भीषण त्रासदी से एक तरफ आम जनता और देशभर से आए तीर्थयात्री परेशान थे तो सरकारी मशीनरी और नेता हवाई सैर में व्यस्त थे। हर कोई प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के नाम पर हेलीकाप्टर में घूम रहा था। उस वक्त भी इस हवाई सैर पर तमाम सवाल खड़े हो रहे थे। अब सूचना अधिकार के तहत मिली जानकारी से साफ हो गया है कि मामला केवल हवाई सैर का ही नहीं था। यह मामला तो पूरी तरह से मौज-मस्ती का ही निकला। आम लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा था और अफसरों की फौज पकवान खा रही थी। सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर बेहद तल्ख टिप्पणी की है। आयुक्त शर्मा ने कहा कि आपदा के दौरान जब लोग मर रहे थे तो सरकारी सिस्टम की आत्मा भी मर गई थी। सूचना आयुक्त ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए सरकार से सिफारिश की है कि इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए। इस मामले में दो अहम सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल यह है कि आखिर इस घोटाले का असली मास्टर माइंड कौन है। हवाई सैर पर एक करोड़ से ज्यादा की रकम किसके इशारे पर खर्च की गई। लोगों को हवाई यात्रा की अनुमति किसके इशारे पर दी गई। दूसरा अहम सवाल यह भी है कि अब इस मामले में सरकार का रुख क्या रहेगा। उस वक्त आपदा राहत के कामों में कमी बताने वाले तत्कालीन केंद्रीय मंत्री हरीश रावत इस समय सरकार के मुखिया है। क्या हरदा इस पूरे घोटाले के आरोपियों के चेहरों पर पड़ा शराफत का मुखौटा हटाने के लिए सीबीआई जांच की संस्तुति करेंगे।

निजी फर्मों से बंटवाया गया मुआवजा
इस मामले में कई और खुलासे अभी बाकी है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने पीडि़त लोगों को मुआवजा बांटने के लिए निजी फर्मों का सहारा लिया। बताया जा रहा है कि इन फर्मों के लोगों ने एक पार्टी विशेष से जुड़े पीडितों को मनमाने ढंग से मुआवजा बांटा। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने इस बारे में विधानसभा में भी सवाल लगाया था। लेकिन सरकार ने गोलमोल जवाब देकर इसे रफा-दफा कर दिया।

कैबिनेट ने माफ की फर्जी मुआवजे की रिकवरी
सूत्रों ने बताया कि कई जिलों में फर्जी तरीकों से तमाम लोगों को सरकारी पैसे से मुआवजा बांट दिया गया। इस बारे में जिलाधिकारियों ने जांच के बाद मामले सही पाए और सभी लोगों से पैसे की रिकवरी के नोटिस भी जारी कर दिए। इसके बाद राज्य मंत्रिमंडल ने एक फैसला करके फर्जी तरीके से बांटे गए मुआवजे की रिकवरी को रोक दिया। जाहिर है कि यह देश का पहला उदाहरण होगा, जिसके सरकारी पैसे की बंदरबांट की रिकवरी को माफ किया गया हो।

यह तो बहुत छोटा मामला प्रकाश में आया है। यह घोटाला करोड़ों रुपये का है। मामले में केवल कुछ अफसर ही नहीं, बल्कि पूरी सरकार शामिल है। भाजपा इस पूरे मामले की सीबीआई जांच से कम पर कुछ भी मानने को तैयार नहीं है।- अजय भट्ट, नेता प्रतिपक्ष

यह एक गंभीर मामला है। भ्रष्टाचार और घोटालों के प्रति मुख्यमंत्री की जीरे टालरेंसी है। निश्चित रूप से इस मामले की गहन जांच करवा कर दोषियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।- सुरेंद्र कुमार, मुख्यमंत्री के मीडिया को-आर्डिनेटर

केदारनाथ सहित उŸाराखण्ड के पुनर्निर्माण सामूहिक इच्छाशक्ति का प्रतीक: हरीष रावत

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देहरादून,31 मई(निस)। केदारनाथ सहित उŸाराखण्ड के पुनर्निर्माण के लिए हमारे लोगों ने विपरीत परिस्थितियों में जो काम किया, वह उŸाराखण्ड की सामूहिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है। प्राकृतिक आपदाएं राज्य, सरकार, समाज व व्यक्तियों के धैर्य की परीक्षा लेती हैं। एक स्थानीय होटल में विभिन्न नागरिक संगठनों द्वारा आयोजित अभिनंदन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वर्ष 2013 की त्रासदी के समय हमारे लोगों ने धैर्य बनाए रखा, उसी का परिणााम है कि चार धाम व हेमकुण्ट साहिब की यात्राएं सफलतापूर्वक संचालित की जा रही हैं। चार धाम यात्रा पर जिस उत्साह से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आ रहे हैं उससे स्पष्ट है कि देश दुनिया के लोगों का उŸाराखण्ड के प्रति विश्वास लौटा है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने वर्ष 2013 की आपदा में काल कलवित हुए लोगों की स्मृति को नमन करते हुए कहा कि अभी पुनर्निर्माण कार्यों का केवल पहले चरण का काम हुआ है। बहुत सा काम अभी करना है। पांच से अधिक जिलों में आई आपदा से वर्षों में विकसित की गई व्यवस्थाएं छितरा गईं। परंतु ऐसे समय हमारे लोग धैर्यपूर्वक काम में लगे रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत से लोग कहते थे कि चारधाम यात्रा को स्थगित कर देना उचित रहेगा। परंतु ऐसा करने से हमारे मनोबल पर विपरीत असर पड़ता। हमने आम श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा को प्रारम्भ करने करने का निर्णय लिया। पिछले वर्ष लगभग 4 लाख श्रद्धालु आए। जबकि इस वर्ष अभी तक चार लाख से अधिक श्रद्धालु चारों धाम के दर्शन कर चुके हैं। हेमकुण्ट साहिब की यात्रा में भी अपार उत्साह देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हिमालय व गंगा हमारी आस्था हैं और आस्था को कभी रोका नहीं जा सकता है। हमें खुशी है कि हम लोगों की आस्था को बनाए रखने के लिए व्यवस्थाएं कर पाए। अभी तो केवल प्रारम्भिक काम हुआ है। आज भी 363 गांवों को विस्थापन होना है। परंतु हमारी मजबूरी है कि इसे हम केवल अपने संसाधनों से नहीें कर सकते हैं। इसमें केंद्र का उदार सहयोग आवश्यक है। जब तक हम हिमालय को ठीक नहीं रखेंगे तब तक देश को भी ठीक नहीं रखा जा सकता है। नमामि गंगा के तहत गंगा तभी स्वच्छ रह सकती है जब हमारे प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित किया जाए। स्वच्छ भारत जो कि पहले निर्मल भारत के नाम से संचालित था के तहत हमने दो जिलों को पूर्ण निर्मल जिले बनाने का निर्णय लिया है। इसमें केंद्र से सहायता मिलनी अभी बाकी है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी का आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने उŸाराखरण्ड को ग्रीन बोनस दिए जाने का समर्थन किया है। पहले हमें विशेेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने के नाते 90ः10 के अनुपात में केंद्रीय सहायता मिलती थी जिसे कि अब 50ः50 किया जा रहा है। केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 10 प्रतिशत बढ़ाने से पहले से समृद्ध राज्यों को ही अधिक लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बदली परिस्थितियों में भी हम राज्य के विकास को रूकने नहीं देंगे। परंतु नीतिगत बदलाव अचानक नहीं किए जाने चाहिए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने पूर्व संासद स्व0 मनोरमा डोबरियाल शर्मा का भावपूर्ण स्मरण करते हुए खुशी जाहिर की कि उनके अधूरे कार्यों को करने के लिए उनके परिजन प्रयासरत हैं। उन्होंनेे कहा कि देहरादून में जितनी नागरिक सुविधाएं बढ़ाई जाती हैं उससे अधिक संख्या में लोग बसने के लिए आ रहे हैं। ग्रीन देहरादून बनाने में हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे। मनारेमा डोबरियाल शर्मा मेमोरियल फाउण्डेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सांसद राजबब्बर, विधायक उमेश शर्मा काउ, कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा सपा के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ एसएन सचान, सिटू के वीरेन्द्र भण्डारी, सीएमएम के सुरेन्द्र सिंह सजवाण, पीएचडी चैम्बर्स के एचडी तनेजा, सीआईआई के मनु कोचर, कुमायू मण्डल मोटर्स एसोसिएशन के महेन्द्र सिंह बिष्ट, गढ़वाल मण्डल मोटर्स के सुरेश सिंह, उत्तरांचल पंजाब महासभा के जे.एस.आनन्द, गढ़वाल सभा के रोशन धस्माना, ब्राह्मण सभा शशिबल्लभ शास्त्री, गुरूद्वारा रेसकोर्स के प्रधान हरभजन सिंह, उत्तरांचल सिक्ख फेडरेशन के अध्यक्ष गुरूदीप सिंह, सिक्ख सेवा जत्था के अध्यक्ष गुलजार सिंह, गुरूद्वारा सिंह सभा के सचिव सेवा सिंह, दून वैलफेयर रेजिडेन्शियल सोसाईटी के डाॅ. महेश, व्यापर मण्डल के चन्द्रगुप्त विक्रम, सरदार अमरजीत सिंह, मोहम्मद अकरम, हाफिज अकरम कुरैशी सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी, शिक्षाविद्, होटल, टूरिज्म, ट्रेवल व्यवसाय व विभिन्न संगठनो से जुड़े लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री दीनानाथ द्वारा की गई जबकि स्वागत भाषण श्रीमती आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा द्वारा दिया गया।  

आलेख : क्रीमीलेयर एक धोखा है-अजा एवं अजजा वर्गों में क्रीमी लेयर सम्भव नहीं!

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मोहनदास कर्मचन्द गांधी द्वारा देश के सभी वंचित वर्गों को हमेशा के लिये पंगू बनाये रखने के लिये जबरन थोपे गये पूना पैक्ट को लागू करने के लिये भारत के संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक न्याय का उल्लेख किया गया है। जिसके क्रियान्वयन के लिये संविधान के अनुच्छेद 16 (4) में पिछड़े वर्गों को प्रशासन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिये अजा एवं अजजा वर्गों को आरक्षण प्रदान करने के प्रावधान किये हैं। जिसके तहत इन वार्गों को 22.50 फीसदी आरक्षण प्रदान किया गया है।

इस सम्बन्ध में सबसे पहले तो यह समझना बहुत जरूरी है कि संविधान में व्यक्तियों को नहीं, बल्कि अजा-अजजा वर्गों में शामिल मिलती-जुलती जातियों को वर्गीकृत करके आरक्षण प्रदान किया गया है। आरक्षण प्रदान करने के दो आधार निर्धारित किये गये हैं :-

1. ऐसा वर्ग जो सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा हो। तथा 
2. सरकार के अधीन प्रशासनिक पदों पर उस वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं हो।
नोट : सुप्रीम कोर्ट की राय में इन दोनों में से कोर्इ भी एक अकेली या आर्थिक शर्त आरक्षण प्रदान करने की कसौटी नहीं हो सकती है।

इसके विपरीत संविधान लागू होने के दिन से लगातार आर्य-मनुवादियों की ओर से यह झूठ प्रचारित किया जाता रहा है कि आरक्षण का उद्देश्य वंचित वर्गों के सभी गरीब लोगों को नौकरी लगाना है। जबकि वंचित वर्गों के सम्पन्न व धनाढ्य लोग पीढी दर पीढी आरक्षण का लाभ लेकर अपने ही वर्गों के साथ अन्याय कर रहे हैं। ऐसा कहकर मनुवादी आरक्षित वर्गों के उन आम-गरीब लोगों की सहानुभूति प्राप्त कर लेते हैं, जिनको मनुवादियों के गुप्त दुराशय का ज्ञान नहीं है। क्योंकि आरक्षण का मकसद प्रत्येक आरक्षित व्यक्ति को नौकरी देना या गरीबी उन्मूलन नहीं है। क्योंकि यदि अजा एवं अजजा वर्गों को 100 फीसदी आरक्षण भी दे दिया जावे तो भी 1000 साल में भी प्रत्येक व्यक्ति को नौकरी नहीं दी जा सकती। फिर भी मनुवादी क्रीमीलेयर की बात करके एक ही तीर से अनेक निशाने साधते रहे हैं। जैसे-

1. प्रशासन में आरक्षित वर्गों के मजबूत प्रतिनिधि पैदा नहीं होने देना। ताकि आरक्षित वर्गों का हक आगे भी आसानी से छीना जाता रहे।
2. पदोन्नति का आरक्षण समाप्त करवाना।
3. आरक्षण के मूल आधार को आर्थिक घोषित करवाकर खुद मनुवादी आरक्षण का लाभ प्राप्त करने में सफल हो सकें। और
4. आरक्षित वर्गों के प्रथम श्रेणी लोक सेवकों को अनारक्षित घोषित करवाकर आरक्षित वर्गों की एकता को विखण्डित किया जा सके।

इसीलिये सुप्रीम कोर्ट ने अनेकानेक मामलों में साफ शब्दों में कहा है कि अजा एवं अजजा वर्गों को आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया गया है, न दिया जा सकता है :-

1. इन्दरा साहनी बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया, ए आर्इ आर.1993 में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अनुच्छेद 16 (4) आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान करने की अनुमति नहीं देता है। सुप्रीम कोर्ट के बहुमत ने कहा कि किसी एक व्यक्ति के आर्थिक विकास के आधार पर उसके बच्चों को आरक्षण से वंचित नहीं किया जा सकता।
2. उत्तर प्रदेश बनाम प्रदीप टण्डन, ए आर्इ आर-1975 में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि गरीबी के आधार पर किसी व्यक्ति या समूह को आरक्षण नहीं दिया जा सकता, क्योंकि गरीबों का कोर्इ जाति समूह या वर्ग नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि गरीब तो सारे भारत में और सभी जातियों में पाये जाते हैं

इसलिये यदि गरीबी के आधार पर आरक्षण दिया जाना शुरू हो गया तो आरक्षण का मूल संवैधानिक मकसद ही समाप्त हो जायेगा। क्योंकि आरक्षण का संवैधानिक मकसद हजारों वर्षों से वंचित वर्गों के प्रतिनिधियों का प्रशासन में चयन करने के लिये, अर्हक योग्यताओं में छूट के साथ आरक्षण प्रदान किया जाना जरूरी था, जिससे कि चयनित आरक्षित लोक सेवक प्रशासन में अपने-अपने वर्गों का सशक्त प्रतिनिधित्व करते हुए अपने-अपने वर्गों को न्याय और संरक्षण प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो सकें।

लेकिन इसके विपरीत अजा, अजजा एवं अन्य पिछड़ा वर्ग सहित सभी आरक्षित वर्गों के आम लोगों का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि- नौकरियों के लिये आयोजित चयन प्रतियोगिताओं में तुलनात्मक रूप से मैरिट में कम अंक प्राप्त करने के बावजूद भी, इन वर्गों के लोग आरक्षण के आधार पर सरकारी सेवाओं में उच्च पद प्राप्त तो कर लेते हैं, लेकिन पद प्राप्त करते ही अधिकतर लोग अपनी जाति और समाज के प्रति अपनी सामाजिक जिम्मेदारी (पे-बैक टू सोसायटी) को भूल जाते हैं। जबकि उन्हें तुलनात्मक रूप से कम योग्य होते हुए भी राज्याधीन पदों पर अपने वर्ग का प्रतिनिधित्व करने के संवैधानिक मकसद से आरक्षित पदों पर चयनित किया जाना मूल उद्देश्य है।

इसी का दूसरा पहलु यह भी है कि यदि उच्च पदों पर आरक्षित वर्गों के चयनित लोगों को क्रीमीलेयर अर्थात् आर्थिक आधार पर आरक्षित वर्गों से बाहर करना शुरू कर दिया गया तो सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु प्रदान किये गये आरक्षण का मूल मकसद अर्थात् सभी राज्याधीन पदों पर अजा एवं अजजा वर्गों का उनकी जनसंख्या के अनुपात में शसक्त प्रतिनिधित्व स्थापित किया जाना, कभी पूर्ण ही नहीं हो सकेगा। क्योंकि यदि उच्च आय/क्रीमीलेयर लागू करके आरक्षित वर्ग के लोगों को आरक्षित सूची से बाहर कर दिया गया तो उच्च पदों पर पदस्थ होते हुए आरक्षित वर्ग में चयनित होकर भी अजा एवं अजजा वर्ग के उच्चाधिकारी, संवैधानिक मकसद के अनुसार अपने ही वर्ग के लोगों का ठीक से प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं। क्योंकि यदि उन्हें क्रीमीलेयर के आधार पर उनके पैतिृक वर्गों से बाहर कर दिया गया तो उनसे, उनके पैतिृक वर्गों का र्इमानदारी से प्रतिनिधित्व करने की अपेक्षा करना अन्यायपूर्ण और संविधान के विपरीत होगा।

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो यही होगा कि अजा एवं अजजा वर्गों का प्रशासन में प्रतिनिधित्व कौन करेगा? केवल यही नहीं, क्रीमीलेयर के लागू होते ही पदोन्नति में आरक्षण का औचित्य ही समाप्त हो जायेगा। अत: क्रीमीलेयर एक धोखा है और अजा एवं अजजा वर्गों के प्रशासनिक प्रतिनिधियों की बेर्इमानी, असफलता या अपने वर्गों के प्रति निष्ठा नहीं होने का समाधान क्रीमीलेयर लागू करना नहीं है, बल्कि आरक्षित वर्ग के उच्च पदस्थ लोक सेवकों को प्रशासन और सरकार में अपने-अपने वर्गों का र्इमानदारी और निष्ठापूर्वक प्रतिनिधित्व करने के लिये, कड़े कानून बनाकर और संवैधानिक तरीके से पाबन्द किये जाने, अन्यथा दण्डित किये जाने की सख्त व्यवस्था की तुरन्त जरूरत है। 





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-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' 
राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, 
नेशनल चेयर मैन-जर्नलिस्ट, मीडिया एण्ड राइटर्स वेलफेयर एसोसिएशन और राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान, 
मो. 98750 66111, 
baaaoffice@gmail.com

रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों के साथ

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  • 11 दिवसीय धार्मिक नैतिक संस्कार शिविर सम्पन्न

उदयपुर 31 मई। श्री जैनाचार्य देवेन्द्र महिला मण्डल द्वारा आयोजित किये गये 11 दिवसीय 13 वें जैन धार्मिक नैतिक संस्कार शिविर का आज भुवाणा रोड़ सिथत देवेन्द्र धाम में बच्चों की गीत-संगीत की रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ शिविर का समापन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महापौर चन्द्रसिंह कोठारी, विशिठ अतिथि समाज सेवी किरणमल सावनुसखा,इन्दरसिंह मेहता, रंजना मेहता  थे। मण्डल की अध्यक्ष सुधा भण्डारी ने बताया कि समापन समारोह में बच्चों द्वारा शिविर के दौरान सीखी अपनी कलाओं का प्रदर्शन में उनकी परछाई दिखाई दी। कार्यक्रम में बालिकाओं ने ‘मम्मी-मम्ी मुझको..’ नामक लघु नाटिका प्रस्तुत की। शिविर के दौरान रेन्शी राजकुमार मेनारिया द्वारा सिखायी मार्शल आर्ट कूडो का बालक-बालिकाओं ने प्रदर्शन किया तो उपस्थित दर्शकों ने तालियों के साथ उत्साहवर्धन किया। शिविरार्थियों ने कार्यक्रम में योग कलाओं का भी प्रदर्शन किया। बालिकाओं ने इस अवसर पर संगीतमय नवकार मंत्र का जाप किया। नृत्य का प्रशिक्षण लेकर बच्चों ने ‘केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारे देस..’ गीत पर नृत्य की प्रस्तुति दी। मण्डल की मंत्री ममता रांका ने बताया कि इस अवसर पर बच्चों ने ‘भक्ति की है रात दादा आज थ्हाने आणो है..’, ‘वदंन मेरा लिजिए,महाश्रमण गुरूराज..’ गीत पर पर नृत्य की प्रस्तुति दी। रांका ने बताया कि शिविर में इस वर्ष 140 बच्चों ने भाग लिया। 
इस अवसर पर मुख्य अतिथि चन्द्रसिंह कोठारी ने बच्चों द्वारा शिविर के दौरान तैयार की गई पेन्टिग का अवलोकन करने के बाद कहा कि बच्चों द्वारा जो भी बनाया जैसा भी बनाया वह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण यह है कि शिविर में उनके उस रूझान का पता चला जिस पर वे जीवन में आगे बढ़ सकते है। बच्चों को उसी रूणन के अनुरूप आगे बढ़ाना चाहिये ताकि उनकी प्रतिभा निखर कर सामने आ सकें। प्रारम्भ में मण्डल अध्यक्ष सुधा भण्डारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए मण्डल द्वारा किये जा रहे कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की। समारोह में बच्चों ने शिविर के दौरान प्राप्त किये अपने संसकारों के अनुभवों को बांटते हुए कहा कि यह शिविर उनके जीवन की दिशा बदलने में उपयोगी साबित होगा। समारोह का संचालन श्रीमति कमलेश ने किया एंव उद्घाटन रंजना मेहता ने किया। ममता रांका ने वर्ष भर किये गये कार्यो की जानकारी दी। इस अवसर पर पिछले लम्बे अर्से से सेवा कार्य कर रहे समाज सेवियों का सम्मान किया गया। शिविर में सहयोग करने वाले योग गुरू अशोक प्रेमलता जैन, धार्मिक अध्ययन व नैतिक संस्कारो का बीजारोपण करने वाले परमेश्वर पोरवाल श्रीमती राजकुमारी पोरवाल, नृत्य प्रशिक्षण देने वाले रीतू नावेडिया,ललिता बाफना, मीनू छाजेड़,शीतल जोशी, शुभम चित्तौड़ा ने, आत्म रक्षा एवं जूड़ो कराटे के प्रशिक्षक राजकुमार मेनारिया, ड्राइंग व पेपर आर्ट का प्रशिक्षण देने वाली नेहा कोठारी, प्रज्ञा, सपना जैन व चिन्मय को भी सम्मानित किया गया। 

पांच छात्राओं को मिलेगी छात्रवृत्ति- 
श्रीमती रांका ने समारोह में घोषणा करते हुए कहा कि देवेन्द्र महिला मण्डल  की ओर से पांच जैन बालिकाओं को उच्च स्तरीय शिक्षा हेतु प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।  इस अवसर पर इन्द्रा चोरडिया, तरूणा सागर, कोमल जैन,संध्या नाहर, मंजू मेहता, सुषमा मेहता, जूली जैन, रंजना जैन, ललिता जैन, स्नेहा सिसोदिया, रेखा चोरडिया, सुनीता सागर, अंजली जैन ने शिविर के दौरान अपनी सेवायें दी। 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (31 मई)

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कागपुर ग्राम का समग्र विकास होगा

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विदिषा जिले के प्रभारी मंत्री श्री रामपाल सिंह राजपूत आज अल्पप्रवास पर विदिषा जिले के ग्राम कागपुर आए। उन्होंने ग्राम की समस्याओं के संबंध में श्री सौदान सिंह बघेल एवं ग्रामीणो से चर्चा की। चर्चा उपरांत प्रभारी मंत्री श्री राजपूत ने ग्रामीणो को आष्वासन देते हुए कहा कि सरकार की सभी योजनाओं का लाभ सुपात्रों को दिया जाएगा। ग्राम में मुख्य रूप से जो निर्माण कराए जाएंगे उनमें हाई स्कूल की बाउण्ड्रीवाल एवं तालाब का जीर्णोद्वार के साथ-साथ घाटो का निर्माण, खेल मैदान, उद्यान इत्यादि शामिल है प्रभारी मंत्री ने कहा कि ग्राम में नवीन पुलिस चैकी खोले जाने की कार्यवाही शीघ्र सम्पादित की जाएगी। इस अवसर पर श्री सौदान सिंह ने बताया कि मुख्य सड़क जो लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई जा रही है उसका जीर्णोद्वार शीघ्र किया जाए एवं कार्य गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए। श्री रामपाल सिंह जी ने अधिकारियों को निर्देष दिए कि वे अपने मार्गदर्षन में आवष्यक कार्य शीघ्र कराए एवं उनकी गुणवत्ता का विषेष ध्यान रखें। प्रभारी मंत्री श्री राजपूत ने अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ तालाब का निरीक्षण किया एवं उसके आसपास सौदर्यीकरण के लिए पौधरोपण करने के निर्देष दिए। 

निरीक्षण
प्रभारी मंत्री श्री रामपाल सिंह राजपूत ने बेतवा नदी के चरण तीर्थ पर बन रहे नवीन पुल के निर्माण कार्यो का भी निरीक्षण किया एवं अधिकारियों को आवष्यक निर्देष दिए। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दंागी, समाजसेवी श्री मुकेष टण्डन, श्री संदीप सिंह डोंगर, श्री अरविन्द श्रीवास्तव, ग्यारसपुर जनपद पंचायत के पूर्व अध्यक्ष श्री छत्रपाल शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री राय सिंह नरवरिया, विदिषा उपखण्ड अधिकारी श्री आरपी अहिरवार, अजाक डीएसपी श्री शर्मा, तहसीलदार श्री रविषंकर राय एवं विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद थे। 

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (31 मई)

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प्रदेषस्तरीय महासंपर्क अभियान की कार्यषाला में जिला भाजपा के सदस्यों ने लिया भाग 

झाबुआ---राजधानी भोपाल में सम्पन्न भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता महाअभियान की राज्यस्तरीय कार्यषाला में जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे, विधायक शांतिलाल बिलवाल, महामंत्री राजू डामोर, जिले के महासंपर्क अभियान के प्रभारी विजय नायर, सदस्यता अभियान के जिला प्रभारी कमलेष दांतला ने भाग लिया । जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री षिवराजसिंह चैहान ने देष में नई का्रंति आने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान देष में व्याप्त यथा स्थितिवाद की जकड़न से जनता को आजाद किया है और देष में आर्थिक, औद्योगिक विकास का नया ताना-बाना बुनकर रोजगार सृजन का महाअभियान आरंभ किया है, जिससे सभी ओर महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करनें के लिए आषाएं, उमंगें दिखाई दे रही है। पार्टी का महासंपर्क अभियान नरेन्द्र मोदी सरकार के नेतृत्व में देष में आयी विकास क्रांति और मध्यप्रदेष के बढ़ते चरण से जन-जन को अवगत करानें का एक प्रभावी मंच बनेगा। इस  अवसर पर प्रदेष अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चैहान ने कहा कि भारतीय जनसंघ की स्थापना वैचारिक अनुष्ठान को लेकर डाॅ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने की थी, हम विकास के साथ इस प्रतिबद्धता को लगातार आगे बढ़ा रहे है। देष की जनता ने हमें समर्थन दिया है और भारतीय जनता पार्टी के रूप में हम देष के उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पष्चिम में जनता का विष्वास अर्जित करनें की दिषा में तीव्र गति से बढ़ रहे है। कार्यषाला में मुख्यमंत्री षिवराजसिंह चैहान ने कहा कि प्रदेष मध्यप्रदेष में कृषि का परिदृष्य बदलेगा और अब किसान सिर्फ गेंहू और धान की काष्त पर अलिंबित नहीं रहेगा। फल-फूल उद्यान की औषधि खेती, दुग्ध क्रांति को सफल बनाया जायेगा। प्रदेष में आंगनवाड़ी में अंडा नहीं, दूध बच्चों और गर्भणी माताओं को सुलभ किया जायेगा। उन्होनें कहा कि महिला सषक्तिकरण के लिए नीति बनाई जा चुकी है। पुलिस की तरह अन्य महकमों में भी 33 प्रतिषत आरक्षण की व्यवस्था की गयी है। महिला उद्यमी को उद्योग लगाने पर सात वर्ष तक ब्याज नहीं भरना पड़ेगा, इसे सरकार वहन करेगी। उन्होनें कहा कि इन उपलब्धियों को हम महासंपर्क अभियान के माध्यम से जन-जन तक पहुंचायें। महासंपर्क अभियान में कार्यकर्ता चेहरे पर मुस्कान और उत्साह के साथ सदस्यों के घर पहुंचें और उनसें आत्मीय संबंध बनाकर उन्हें एहसास करायें कि वे ऐसे दल के सदस्य बनें है जो समाज और राष्ट्र के लिए समर्पित है। उक्त कार्यषाला में आगामी दिनों में पार्टी द्वारा महा संपर्क अभियान में मंडल स्तर तक किये जाने वाले कार्यो के बारे में भी जानकारी दी गई है ।श्री दुबे ने बताया कि जिले में भाजपा द्वारा प्रादेषिक निर्देषों के अनुरूप् सभी कार्यक्रम संचालित किये जावेगें तािा आगामी 1 से 15 जून के बीच जिले के सभी भाजपा मंडलों में प्रषिक्षण एवं बैठकांे का आयोजन किया जावेगा ।

जिला भाजपा कोर ग्रुप की बैठक आज

झाबुआ---जिले में भारतीय जनता पार्टी के महासंपर्क अभियान को सुचारू रूप  से संचालित करने तथा केन्द्र तथा प्रदेष सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर आज 1 जून को दोपहर 3 बजे से सांसद दिलीपसिंह भूरिया के निवास पर  जिला भाजपा कोर कमेटी की विषेष बैठक आयोजित की गई है । जिला प्रभारी राजेन्द्रकुमार सोनी ने जानकारी देते हुए बताया कि कोर कमेटी की बैठक की अध्यक्ष जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे द्वारा की जावेगी । बैठक में सांसद दिलीपसिंह भूरिया के अलावा विधायक सुश्री निर्मला भूरिया,षांतिलाल बिलवाल, कलसिंह भाबर के अलावा कोर गु्रप के सभी सदस्यगण भी उपस्थित रहेगें ।

तम्बाकू सेवन से होता है तन-मन-धन का नाश - विधायक
  • तम्बाकू निषेध दिवस पर संस्था ‘‘आव्हान सोश्यल वेलफेयर आर्गनाईजेशन‘‘ ने किया ेसंगोष्ठि का आयोजन जिसमें  थादला विधायक ने रखे अपने विचार

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थांदला----तम्बाकू सेवन से तीन चीजो का नाश होता है वह तन, मन और धन । तम्बाकू शरीर तो खराब करती है साथ ही यह मन और पैसा दोनों का विनाश करके रख देती है। यह बात आज दिनांक को तम्बाकू निषेध दिवस पर आयोजित संगोष्ठि में थांदला विधायक श्री कलसिंहजी भाबर ने कही। तम्बाकू निषेध दिवस पर नवांकुर योजनान्तर्गत चयनित संस्था ‘‘आव्हान सोश्यल वेलफेयर आर्गनाईजेशन‘‘ द्वारा म.प्र.जन अभियान परिषद् के मार्गदर्शन में बावडी मन्दिर परिसर में नशामुक्ति संगोष्ठि का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि श्री कलसिंह जी भाबर विधायक थांदला एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री राजु वैद्य तथा विशेष अतिथिं जन अभियान परिषद् के जिला समन्वयक वीरेन्द्रसिंह ठाकुर, रहे।  संगोष्ठि का शुभारंभ सर्वप्रथम कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं जिला समन्वयक द्वारा भारतमाता के चित्र पर माल्यार्पण एवं द्विप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर सर्वप्रथम जिला समन्वयक द्वारा तम्बाकू निषेध दिवस पर को लेकर जिले भर में आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी तथा प्रतिभागियों को तम्बाकू सेवन से होने वाले दुष्परिणामांे के बारे में बताया एवं यह किस तरह से धुम्रपान से होने वाले धुंए से अपने परिवार के मासूम सदस्यों , खासकर बच्चों की सांसों में भी जहर घोल देते जिससे उन्हें गंभीर प्रकार की बिमारियों से ग्रसित कर देते है। तम्बाकू के कारण हर साल 60 लाख लोग मौत का शिकार हो रहे है । इस प्रकार से जिला समन्वयक द्वारा प्रतिभागियांे को जानकारी दी। इसके पश्चात् प्रमुख वक्ता एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री राजु वैद्य ने बताया कि नियमित रूप से धुम्रपान करने वाले 50 प्रतिशत लोग तंबाकू से होने वाली बिमारियों जैसे कि दिल का दौरा , कैसर और दमा वाली फेफडों की बिमारियों का शिकार होकर मौत के मुंह में चले जाते है तथा कई और प्रकार से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री कलसिंह जी भाबर विधायक द्वारा प्रतिभागियों को जानकारी दी की धुम्रपान से किसी का भला नही , तंबाकू में एक भी स्वास्थ्यवर्धक गुण नही है। धुम्रपान ना सिर्फ सिगरेट या बीडी पाने वालों की सेहत खराब करता है बल्कि उन लोगो को भी अपनी चपेट में ले लेता है जो खुद सिगरेट या बीडी नही पीते, लेकिन उन लोगो के साथ जीवन बिताने के लिए विवश है। सिगरेट या बीडी से कोसो दूर रहने वाले रिश्तेदार तथा आफिस में साथ काम करने वाले सहकर्मी बेवजह पैसिव स्मोकिंग के शिकार हो जाते है इससे लाखों लोग हर साल मर जाते है। तम्बाकू का धुंआ हृद्य और दिमाग की नाडियों पर कई तरह से वार करता है। विधायक जी ने बताया कि धुम्रपान छोडने वालों के परिवार के लोगो और दोस्तों पर भी जिम्मेदारी आती है कि वे अपने दोस्त या परिजन की इस लत से छुटकारा पाने में उसकी मदद करें। जिस तरह आस-पास के लोग या रिश्तेदार बीमार पडने पर तत्परता से अस्पताल ले जाते है वैसे ही लत छुडाने में भी सहायता कर सकते है धुम्रपान छुडवाने के लिए बातो से, इशारों से या डाक्टर की सलाह से जैसे भी संभव हो धुम्रपान की आदत से लोगो को मुक्ति दिलाए। संगोष्ठि मंे आव्हान सोंश्यल वेलफेयर आर्गनाईजेशन संस्था के सदस्यों ने भी अपने विचार प्रतिभागियों के सम्मुख रखे। सगोष्ठि में ब्लाक समन्वयक वर्षा डोडियार , संस्था कें अध्यक्ष हेमेन्द्र अग्रवाल, सचिव चन्द्रकान्त कोरी, भरत बामनिया एवं सदस्यगण तथा थांदला नगर के गणमान्य नागरिक माणकलाल जैन, सावलियाजी सोलंकी, अजय चैहान, तुलसीराम, सुरेन्द्र, यशवन्त पंचाल, मोहन, उमेश पंकज, एवं प्रस्फुटन समितियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। संगोष्ठि कार्यक्रम का संचालन राजु वैद्य एवं आभार प्रदर्शन ब्लाक समन्वयक वर्षा डोडियार ने माना ।

एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन

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झाबुआ---पुलिस कप्तान आबिद खान के निर्देशन में अ0जा0क0 शाखा द्वारा दिनांक 30.5.2015 को स्थानीय पुलिस लाईन स्थित  सामुदायिक भवन में ‘‘समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता’’ विषय पर एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन किया गया ।  इस सेमीनार में प्रत्येक थाने से 01 उनि/सउनि, 01 प्र0आर0/01 आर0 /रक्षित केन्द्र से 04 आर0प्र0आ/यातायात से 01 आरक्षक तथा अजाक थाने से 05 आर0प्रआर0 इस प्रकार कुल 37 कर्मचारियों द्वारा भाग लिया गया । स्ेामीनार में पुलिस अधीक्षक अति0 पुलिस अधीक्षक सुंदर सिंह कनेश, अ0अ0पु0 झाबुआ श्रीमती रचना भदौरिया, उप पुलिस अधीक्षक अजाक राजाराम अवासिया के साथ साथ शासकीय अभियोजक मानसिंह भूरिया द्वारा जिले के कर्मचारियों को व्याख्यान दिया जाकर प्रशिक्षण प्रदान किया गया ।  पुलिस अधीक्षक झाबुआ श्री खान द्वारा एससी/एसटी एक्ट के अन्तर्गत कर्मचारियों को विवेचना के दौरान आने वाली कठिनाइयों से अवगत कराया गया । साथ ही अवगत करवाया गया कि इस एक्ट की आवश्यकता क्यों पड़ी । उपस्थित विवेचको द्वारा भी तर्क वितर्क किया जाकर पुलिस अधीक्षक एवं शासकीय अभियोजक मान सिंह भूरिया से परामर्श प्राप्त किया गया । इससे पूर्व अति0 पु0अ0 झाबुआ श्री कनेश द्वारा सेमीनार का शुभारंभ किया जाकर समाज के कमजोर वर्गो के प्रति संवेदनशील होकर पीडि़त व्यक्ति को विधिसम्मत सहायता प्रदान किए जाने पर प्रकाश डाला गया ।  अ0अ0पु0 झाबुआ श्रीमती रचना भदौरिया द्वारा उपस्थित कर्मचारियों को राहत प्रकरणों से संबंधित जानकारी प्रदान की गई । इसी प्रकार उ0 पु0अ0 अजाक श्री अवासिया द्वारा एससी/एसटी एक्ट की महत्ता पर अपने विचार व्यक्त किए गए ।

घर के बाहर सोई दो नाबालीग का अपहरण 

झाबुआ--- फरियादी बाबू पिता फरू गरवाल, उम्र 37 वर्ष निवासी मौजीपाडा ने बताया कि उसकी लडकी उम्र 17 वर्ष व गटटू की लडकी उम्र 12 वर्ष दोनों घर के बाहर एक ही पलंग पर सोई थी। दोनों नाबालिग लडकियों को रात में अज्ञात बदमाश अपहरण कर ले गया। एक लडकी के पास मोबाइल है। प्र्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 379/15, धारा 363 भादवि एवं 7-8 लैगिंग अप0 बा0संर0अधि0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। 

छेडछाड के दो अपराध पंजीबद्ध 

झाबुआ--- फरियादिया ने बताया कि मेरी अचानक तबियत खराब होने से दवाई लेने डाॅक्टर के पास जा रही थी। आरोपी पप्पू पिता भोदरिया निनामा, निवासी झाझंड कुंआ का मो0सा0 लेकर रास्ते में मिला व बुरी नीयत से उसका हाथ पकडा, चिल्लाई, हाथ छुडाकर भाग आयी। प्र्रकरण में थाना कल्याणपुरा में अपराध क्रमांक 103/15, धारा 354 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादिया ने बताया कि नर्मदा ग्रामीण बैंक, गोपाल काॅलोनी की आॅफिस में काम कर रही थी। आरोपी बिटटू पिता राजेन्द्र यादव, निवासी झाबुआ का आॅफिस के सामने स्कूटी खडी कर फरि0 को बुलाया व बुरी नीयत से हाथ पकडा, चिल्लाने पर भाग गया। प्र्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 378/15, धारा 354 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

 अज्ञात करणो से मौत

झाबुआ---फरियादी दिनेश पिता कन्हैयालाल पाटीदार, उम्र 38 वर्ष निवासी कालीखेत तहसील जोबट ने बताया कि संजय पिता नारायण रावत, उम्र 38 वर्ष निवासी कालीखेत तहसील जोबट का शासकीय विद्यालय के क्वाटर ग्राम परवलिया में अकेला रहता था। उसके द्वारा बदबू आने पर उसके घर में देखने पर संजय की लाश जमीन पर पडी थी। अज्ञात कारण से मृत्यु हो गयी। प्र्रकरण में थाना काकनवानी में मर्ग  क्रमांक 19/15, धारा 174 जा0फौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। 

तेलंगाना व आंध्र में लू से मरने वालों का आंकड़ा 2,200 पार

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आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लू से कोई राहत नहीं मिलते हुए नहीं दिख रही है। दोनों राज्यों में रविवार को लू के कारण 45 लोगों की मौत हो गई। राज्य में लू से अब तक कुल 2,200 लोग मारे जा चुके हैं। लू के कारण आंध्र प्रदेश में 25 लोगों की मौत हो गई, जबकि तेलंगाना में 20 लोगों की जान चली गई।  अधिकारियों ने शनिवार की रात तक दोनों राज्यों में लू के कारण 2,177 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी। पिछले दो हफ्तों में लू के कारण आंध्र प्रदेश में 1636 लोगों की जान जा चुकी है वहीं तेलंगाना में 541 लोगों की मौत हुई है। हैदराबाद मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि दोनों राज्यों में अगले दो से तीन दिनों तक लू के थपेड़े यू हीं जारी रह सकते हैं। मौसम विभाग के अधिकारियों ने लगातार बढ़ रहे तापमान के लिए मानसून आने में देरी को जिम्मेदार ठहराया। 

केरल में 30 मई को मानसून आने की संभावना थी, लेकिन अब मौसम विभाग का कहना है कि मानसून में चार से पांच दिनों की देरी हो सकती है।  तेलंगाना के सभी 10 जिलों और आंध्र प्रदेश के दक्षिण तटीय जिलों में अधिकतम तापमान दर्ज किया गया।  तेलंगाना का हनामकोंडा सबसे ज्यादा गर्म स्थान रहा, यहां पर रविवार का अधिकतम तापमान 47 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। नलगोंडा, रामगुंडम और खम्मम में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस था, वहीं हैदराबाद का अधिकतम तापमान 41 डिग्री दर्ज किया गया। तेलंगाना के सभी जिलों में पिछले दो दिनों से रुक-रुक कर बारिश हुई है, बावजूद इसके तेलंगाना का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक बना हुआ है। आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिला स्थित जंगमहेश्वरपुरम में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दक्षिण तटीय आंध्र के अन्य जिलों में तापमान 41 से 44 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया।

वन रैंक-वन पेंशन पर सरकार जानबूझकर कर रही देरी : कांग्रेस

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) के मुद्दे पर पूर्व सैन्यकर्मियों को आश्वासन देने पर कांग्रेस पार्टी ने रविवार को सरकार पर जानबूझकर इसमें देरी करने का आरोप लगाया। कांग्रेस का कहना है कि इस मामले में पर्ववर्ती संप्रग सरकार की आलोचना करना सही नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने यहां संवाददाताओं से कहा, "सरकार जानबूझकर ओआरओपी योजना में देरी कर रही है।" मोदी द्वारा अपने रेडियो संबोधन 'मन की बात'में पूर्व सैन्यकर्मियों को आश्वासन देने के बाद माकन ने यह टिप्पणी की। मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि उनकी सरकार जल्द ही ओआरओपी मुद्दे पर समाधान निकालेगी। कांग्रेस नेता ने कहा, "इस मुद्दे पर मोदी द्वारा यूपीए सरकार की आलोचना करना सही नहीं है।"

इस मुद्दे को जटिल और पिछले 40 सालों से लंबित बताते हुए मोदी ने कहा कि सरकार के संबंधित अधिकारी इस मुद्दे का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने पूर्व सैन्यकर्मियों को इस मामले में हो रही राजनीति से दूर रहने को कहा। माकन ने सवाल उठाते हुए कहा, "प्रधानमंत्री अपनी मन की बात कार्यक्रम में विदेशों से काला धन लाना और फ्रांस के साथ राफेल विमान समझौते पर स्पष्टीकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को क्यों नहीं उठाते।"उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को उम्मीद थी कि मोदी देश की आर्थिक स्थिति और देश में बेरोजगारी पर चर्चा करेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

'मेक इन इंडिया'लूट का निर्लज्ज न्योता : दीपांकर भट्टाचार्य

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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी-लेनिनवादी) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने यहां रविवार को कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था पर आक्रामक नीतिगत हमले शुरू कर दिए हैं। 'मेक इन इंडिया'विदेशी पूंजीपतियों को भारत के प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों की लूट का निर्लज्ज न्योता है।कैसरबाग स्थित गांधी प्रेक्षागृह में भाकपा (माले) के दो दिवसीय अखिल भारतीय कार्यशाला के अंतिम दिन भट्टाचार्य ने कहा कि पूर्ण बहुमत के रथ पर चढ़ी मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था पर आक्रामक नीतिगत हमले शुरू कर दिए हैं। सरकार के भूमि हड़प अध्यादेश का व्यापक विरोध हुआ है और होता रहेगा। भीषण फसल तबाही और अनवरत कृषि संकट से उबारने में सरकार नाकाम रही है।  भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार बहुत जल्दी कार्पोरेट और अमीरों की सरकार के रूप में कुख्यात हो गई है। कालाधन वापस लाने, महंगाई घटाने और अच्छे दिन के वादे वाकई 'जुमले'साबित हुए हैं। 

उन्होंने कहा कि अभी एक वर्ष पहले तक मोदी लहर 'सर्वग्रासी'लग रही थी लेकिन एक साल बाद ही वास्तविकता कुछ और दिखी। महंगाई से लेकर हर मोर्चे पर विफल इस सरकार के खिलाफ जनाक्रोश तेज हो रहा है और देश में बड़े संघर्षो की परिस्थितियां बन रही हैं। दूसरी ओर भाजपा अपनी नाकामियों पर परदा डालने के लिए ऐसी उपलब्धियों का प्रचार करने में लगी है, जिनका फायदा किसी को महसूस ही नहीं हो रहा है। भट्टाचार्य ने कहा कि नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों का भाषण लोग 'बेमन'से सुन रहे हैं। लोग समझ रहे हैं कि इस सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क है, जिसके कई उदाहरण सामने आए हैं और कई आना अभी बाकी हैं। 

उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि हर कार्यकर्ता को सचेत भूमिका में आना होगा और पार्टी का योजनाबद्ध विस्तार करना होगा। उन्होंने आंदोलनों की बरंबारता, बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत बनाने और पार्टी में महिलाओं, मजदूरों, नौजवानों, किसानों, बुद्धिजीवियों की तादाद बढ़ाने पर जोर दिया। कैसरबाग स्थित गांधी प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यशाला के अंतिम दिन तीन सत्रों में पार्टी संगठन और 28 जुलाई 2014 को लिए गए कार्यभारों के क्रियान्वयन पर बातचीत हुई। इसके अलावा कार्यशाला में पार्टी संगठन, जनसंगठनों और पहलकदमियों को मजबूत करने के साथ-साथ वाम दलों के साथ संयुक्त कार्यवाहियों और अखिल भारतीय लोकतांत्रिक मंच के गठन और उसकी गतिशीलता बढ़ाने पर चर्चा की गई।

नए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर लगी राष्ट्रपति की मुहर

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार नया भूमि अधिग्रहण अध्यादेश संसद में पेश करने की अनुमति दे दी। केंद्र सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण पर तीसरी बार अध्यादेश लाया गया है। इससे पहले जारी किए गए अध्यादेश की मियाद चार जून को समाप्त हो रही है। राष्ट्रपति भवन के एक अधिकारी ने कहा कि स्वीडन और ब्रसेल्स की यात्रा पर रवाना होने से पहले राष्ट्रपति ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा शनिवार को तीसरी बार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाने का फैसला लिए जाने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया था। सरकार के इस फैसले की कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों ने कड़ी निंदा की। 

इस विवादित विधेयक के प्रावधानों पर विस्तृत रूप से चर्चा के लिए भूमि विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया था। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा 2013 में बनाए गए भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन करते हुए मोदी सरकार ने पहली बार अध्यादेश पिछले साल दिसंबर में जारी किया गया था। इसके बाद अप्रैल में दोबारा से अध्यादेश जारी किया गया था।

शकुंतला गैमलिन ने मंत्री सत्येंद्र पर लगाया आरोप

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दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में छिड़ी 'जंग'के बीच एक नए विवाद को जन्म देते हुए राष्ट्रीय राजधानी की प्रमुख सचिव (बिजली और उद्योग) शकुंतला गैमलिन ने केजरीवाल सरकार के उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन पर आरोप लगाया है कि वह उन पर औद्योगिक भूखंडों को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड में तब्दील करने को लेकर दबाव डाल रहे हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग को लिखे अपने पत्र में गैमलिन ने कहा, "उद्योग मंत्री मेरे ऊपर मंत्रिमंडल के लिए ऐसी एक टिप्पणी सौंपने का लगातार दबाव डाल रहे हैं, जिसमें शहर की औद्योगिक भूमि को लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड में तब्दील करने का प्रस्ताव हो।"यह मामला रविवार को प्रकाश में आया है। 

उन्होंने लिखा, "मामले के कानूनी प्रभाव से संबंधित तथ्यों जैसे कि भूमि का मुद्दा दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, उनके संज्ञान में लाया जा चुका है।"सत्येंद्र जैन ने गैमलिन के आरोपों को खारिज करते हुए संवाददाताओं से कहा, "मैं यह नहीं समझ पाता हूं कि अगर हम अपने अधिकारी से कुछ काम करने के लिए कहते हैं तो उन्हें वह दबाव क्यों लगता है?"जैन ने इस पत्र को मीडिया में लीक करने के मामले पर भी सवाल उठाए।  जैन ने पूछा, "जिस पत्र के बारे में आप बात कर रहे हैं, शकुंतला गैमलिन को वह पत्र उपराज्यपाल की जगह मुझे लिखना चाहिए था और इस पत्र को मीडिया में लीक करने की क्या आवश्यकता थी।"

इससे पहले गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त करने पर दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल के बीच विवाद पैदा हो गया था।  अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले के अधिकार को लेकर मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है। केजरीवाल ने गैमलिन पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बिजली वितरक कंपनियों के लिए लॉबिंग करने का आरोप लगाया था।  विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गैमलिन द्वारा लगाए गए आरोपों पर आम आदमी पार्टी (आप) पर जमकर हमला बोला।

भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा, "दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन द्वारा भूमि के उपयोग के नियमों में बदलाव की कोशिश के आज के खुलासे से यह बिल्कुल साफ हो गया है कि केजरीवाल सरकार ने शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त करने का विरोध क्यों किया था, क्योंकि वह पहले ही दिल्ली सरकार के अवैध कामों पर आपत्ति जता चुकी थीं।"उन्होंने उपराज्यपाल जंग से इस मामले की जांच के आदेश देने की भी मांग की।

विशेष : सूटकेश के साए से निकलता देश

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महान क्रांतिकारी देशभक्त वीर सावरकर ने कहा था –“ बिना युद्ध के स्वातंत्र्य एकाएक प्राप्त नही होता,परन्तु यह भी सच है कि गुलाम राष्ट्र एकाएक युद्ध करने की स्थिति में नहीं आता.” यह विदेशियो से भारत की मुक्ति के संदर्भ में उनके स्पष्ट विचार थे. १५ अगस्त १९४७ को सिर्फ सत्ता का हस्तांतरण विदेशियो से कोंग्रेसिओ के हाथो हुआ जिसे हम आज आज़ादी मानते हैं. लगभग छ:दशक से ज्यादा समय तक इस देश पर लोकतंत्र के नाम पर राजतंत्र चलता रहा वह भी फिरकापरस्तों की ज़मात कांग्रेसियो के कुटिल नीतिओ से सिर्फ एक परिवार के तानाशाही रवैये को देश झेलता रहा. 

१९४७ के युवा अपने आँखों में स्वर्णिम भविष्य के सपने बुनते जो भारत की कल्पना की थी वह तो नही हाँ उन्हें और उनके संतानों को एक ऐसा भारत मिला जिसकी शानो शौकत,जिसके महापुरुषों, जिसके संस्कार और संस्कृति को इन फिरकापरस्त कांग्रेसियो ने मार्क्स मुल्ला और मैकाले से गठजोड़ कर धुल धूसरित करने का अथक प्रयास किया.इन फिरकापरस्त और दहशतगर्दों की ज़मात ने देश के विकास को विनाश में बदलने का जो प्रयास किया उसका वीभत्स रूप आज भी जम्मू कश्मीर हो या पूरा पूर्वोतर क्षेत्र बंगाल हो या केरल, कहीं आतंकबाद, कहीं अलगावबाद, कहीं नक्सलवाद, कहीं जातिवाद से भारत का समाज रक्तरंजित हुआ.

देश आर्थिक रूप से भी और सामरिक रूप से भी कमजोर हुआ. इनके अराजक नेतृत्व में भारत की स्थिति क्या थी वो जग ज़ाहिर है.ऐसे विषम त्राश्दी से मुक्ति के लिए पिछले साल भारत के महान जनता ने जो जनादेश दिया वह अपने सत्तारोहण के पहली वर्षगाँठ मना रहा है .एक साल कोई बड़ा समय नहीं होता और  जनता ने जो पांच साल का जनादेश दिया उसके अनुसार अभी कोई मूल्यांकन करना जल्द्वाज़ी होगी फिर भी ऐसा माना गया है की ‘पालने में ही पूत के पैर के लक्ष्ण दीखते’ हैं. वर्तमान सरकार के कार्यकलापों को देखकर तो ऐसा लगता है की देश की पंगु शाशन व्यवस्था अब सूटकेश के सहारे नहीं चल रही बल्कि सूटकेश के साए से मुक्त हो रही है.

नेहरु के ज़माने में मूंदड़ा से शुरू हुआ यह सूटकेश का खेल बदस्तूर सोनिया नियंत्रित मनमोहन सरकार तक ज़ारी रहा.भारत के इन सुट्केशों से स्विट्ज़रलैंड से लेकर इटली तक गुलज़ार होता रहा और हम भारतीय मनरेगा के मदहोश में डूबे अपनी विनाश की कहानी में अपनी जवानी गलाते रहे? 

अभी हाल ही में वर्मान सरकार के एक साल पुरे होने के अवसर पर देश भर के युवाओं के वीच एक सर्वेक्षण हुआ जिसके आधार पर आज भी वर्तमान नेतृत्व का सितारा बुलंद है. देश के ६१ फीसदी युवा इस सरकार को सूझ बुझ की सरकार मानते हैं ६२ फीसदी नौकरीपेशा मानते हैं की देश में बदलाव आया है.६१ फीसदी लोग इस सरकार के कामकाज से संतुस्ट हैं.वर्तमान सरकार द्वारा कालेधन पर गंभीरता और कठोर क़ानून के साथ साथ स्वच्छ भारत अभियान ,प्रधानमंत्री जनधन योजना ,मेक इन इंडिया,पेंशन योजना,सुरक्षा बीमा जैसे सामाजिक सरोकार के मुद्दे पर देश भरोसा करने को तैयार है.

आज देश के युवा ये मान रहें हैं की शैक्षणिक क्षेत्र में जो काम हो रहे है वो आवश्यक और सही दिशा में हैं , इन युवाओं का मानना है की मेक इन इंडिया के साथ स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, आइआइटी,आइआइएम, स्मार्ट सिटी कोंसेप्ट और बैंको की सहभागिता से देश में खासकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुले है. जो युवा कलतक अँधेरी कालकोठरी में अपने भविष्य तवाह कर नशे की ओर या असमाजिक गतिविधिओं की ओर अग्रसर हो रहे थे वे आज अपने सुनहले भविष्य को सम्बारने में लगे है.यह बदलाव देश की आर्थिक और सामाजिक दोनों ही क्षेत्रों के लिए वरदान है. 

देश की आधी आवादी यानी महिलाओं ने भी वर्तमान सरकार के कामकाज को सकारात्मक माना है .महगाई और आर्थिक विकास पर सरकार के फैसलो के साथ इन महिलाओं ने अपनी रजामंदी देकर पहले के सुट्केशो बाली सरकार से अच्छी और सशक्त सरकार मानी है.

देश की विदेश नीति को भी भारत के आम नागरिको ने सराहा है. भूटान से मंगोलिया तक की यात्रा और भारत के साथ अन्य देशों की बढती सहभागिता, पूर्ववर्ती सुट्केशो में आस्था रखने वाली  सरकार से बेहतर और देशहित में निर्णय लेने वाली सरकार के रूप में मानती है.

वर्तमान सरकार के नेतृत्व पर गहरी आस्था रखने बाली भारत की जनता उस दौर को याद कर आज भी सिहर जाती है जब देश के प्रधानमंत्री को नियंत्रित और निर्देशित किया जाता था. साल २००४ में किसी कारणवश देश का प्रधानमंत्री नही बनने के बाद जिस तरह से फिरकापरस्तों की ज़मात कांग्रेस ने सोनिया गांधी के त्याग रूपी  इंद्रजाल को ऐसा फैलाया की कुछ समय के लिए भारत के आम नागरिक इस इंद्रजाल में फंस ही गये.सोनिया गांधी के इशारों पर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् जैसे गैर संवैधानिक संस्था का गठन कर देश की कोष का अरवों-खरवो का नुक्सान किया और  प्रधानमंत्री के पद को एक तरह से कैद कर रखा था, 

वह दौर था जब राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के अध्यक्षा भारत्त के प्रधानमन्त्री को नियंत्रित रखती मानो प्रधानमंत्री नही एक अनुसेवक हो और इसके सदस्य देश के मंत्री को अपने इशारों पर और पूरी परिषद् देश के कैविनेट को अंगुलियो पर नचाती रहती जिसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ा और विश्व में भारत की छवि घोटालेवाजो की जन्नत के देश के रूप में बनी.नेहरु के ज़माने में जो सूटकेश की साइज़ 5”X6”  थी वह सोनिया नियंत्रित मनमोहन सरकार में बढ़कर 500”X600” की हो गयी .भारत की जनता निराशा के गर्त में डूबा था .आज देश को यह विश्वास हो रहा है की देश का नेतृत्व एक सशक्त हिन्दुस्तानी नागरिक के हांथों में है जो भारत को एकबार फिर समर्थ और सशक्त भारत बनाने की दिशा में कार्यशील है.

आज का भारत फिरकापरस्तों और तथाकथित सेकुलर गिरोहों से मुक्ति चाहता है.आज का भारत अपने प्राचीन गौरवशाली परम्परा को स्मरण कर अपने संस्कृति और संस्कार पर अभिमान करना चाहता है .आज का भारत फिर एक बार विश्वगुरु बनने की अभिलाषा रखता है तथा वह सनातन संस्कृति जिसे वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास है की चाहत रखता है.देश सुट्केशी परम्परा के जोंको से मुक्ति की आस में थी जिसे वर्तमान सरकार हर क्षेत्रों से इन जोंको से मुक्ति दिलाने हेतु प्रतिबद्ध दिखती है.
                                                                                                      


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---संजय कुमार आजाद---
Email- azad4sk@gmail.com

जनता परिवार का विलय अभी नहीं, आरजेडी-जेडीयू के बीच हो सकता है गठबंधन

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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले ही सियासी समर अपने शबाब पर है. पटना से लेकर नई दिल्ली तक हर किसी की नजर जनता परिवार पर टिकी है. लेकिन सीटों की माथापच्ची और 'एक नेता'पर खींचतान के बीच सबसे बड़े उलटफेर के साथ रविवार को घोषणा की गई है कि प्रदेश में चुनाव से पहले जनता परिवार का विलय नहीं होगा. 

जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इस बाबत आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा कि अब महाविलय नहीं होगा, लेकिन चुनाव गठबंधन में ही लड़ा जाएगा. यानी जेडीयू और आरजेडी जनता परिवार से इतर गठबंधन की डगर पर हैं. बताया जाता है क‍ि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद 3 जून से जिला स्तर के अधिकारियों के साथ बैठक शुरू करेंगे और पार्टी का चुनाव अभियान 18 जून से शुरू होगा. सिंह ने कहा कि बिहार में चुनाव विकास के मुद्दे पर ही लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा, 'शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और कृषि के क्षेत्र में जितना काम हुआ है, उससे बिहार की तस्वीर बदल गई है.'


इस बीच खबर है कि बिहार के चुनाव के लिए कांग्रेस सत्तारूढ़ जेडीयू को चुन सकती है और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए नीतीश कुमार का समर्थन भी कर सकती है. हालांकि, चुनाव में नेता कौन होगा यह आरजेडी-जेडीयू गठबंधन पर निर्भर करेगा, क्योंकि पिछले दिनों के घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि लालू प्रसाद नीतीश को नेता मानने से परहेज कर रहे हैं. जबकि राज्य के कांग्रेस नेताओं है कि अगर आरजेडी-जेडीयू के बीच गठबंधन नहीं भी होता है तो कांग्रेस नीतीश कुमार के साथ जा सकती है.

कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो राज्य कांग्रेस के प्रमुख अशोक चौधरी ने शनिवार को नई दिल्ली में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की है. समझा जा रहा है कि चौधरी ने राहुल को सुझाव दिया है कि अगर आरजेडी-जेडीयू का गठबंधन नहीं होता तो कांग्रेस को नीतीश के साथ जाना चाहिए. पार्टी हाई कमान से भी जेडीयू को प्राथमिकता देने के संकेत मिल रहे हैं. कहां फंसा है पेच


गौरतलब है कि राज्य में सितंबर-अक्टूबर में चुनाव होने हैं और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद नीतीश को विधानसभा चुनाव के लिए एक साझा मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से हिचकिचा रहे हैं. लालू ने बीते दिनों मांझी को भी जनता परिवार में शामिल करने की बात कही थी. ऐसे में मांझी को लेकर आगे वह क्या रुख अपनाते हैं यह देखने वाली बात होगी. इसके अलावा आरजेडी 243 सदस्यों वाली विधानसभा में 140 सीटों पर अपना दावा पेश कर रही है, जो जेडीयू को स्वीकार नहीं है. दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के राजेंद्र चौधरी का कहना है कि जनता परिवार के विलय संबंधी सभी फैसले मुलायम सिंह यादव को ही लेने हैं. उन्होंने कहा कि इस संबंध में दूसरे दलों के नेताओं से बातचीत चल रही है.

पत्रकारिता दिवस विशेष : पत्रकारिता को कमाई का जरिया बना लिए है दलाल पत्रकार

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हर कोई अखबार में काम तो करना चाहता है लेकिन उसके पीछे उस व्यक्ति के कई कारण होते हैं। यानी आज पत्रकारिता बुरे दौर से गुजरने पर मजबूर हैं। अरे अब तो वह दौर आ चुका है कि पैसे के लिए वे अपने ही किसी साथी की बलि बहुत ही संयत भाव से चढा सकते हैं। माना कि पत्रकारिता अब मिशन नहीं, यह एक प्रोफेशन और बिजनेस हो चला है। मगर क्या हर प्रोफेशन और बिजनेस का कोई एथिक्स नही होता? चंद टुकड़ों पर अपनी जमीर बेचना ही अब कुछ के लिए पत्रकारिता बन गयी है। ताज्जुब तो इस बात का है कि इस घिनौने करतूतों में मालिकान सिर्फ इसलिए साथ देते है कि वह उनके स्वार्थो का बखूबी ख्याल रखता है। खास बात तो यह है कि पत्रकारों के हितों की रक्षा करने वाले कई संगठन बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर होती है। उनकी लफ्फाजी सिर्फ पत्रकारों की तालियां बटोरने के लिए होती है। जिसके बल पर वह चंदाखोरी करते हैं। जहां पत्रकारों के हितों की बात आती है तो इन संगठनों के नेता कहीं नजर नहीं आते हैं  

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बात उन दिनों की है जब समाज में व्याप्त अंधविश्वास और कुरीतियां चरम पर थी। ब्रतानियां हुकूमत की लाठियां हिन्दुस्तानियों पर कहर बनकर टूट रही थी। बहु-बेटियों की अस्मत खुलेआम चैराहों पर नीलाम हो रहे थे। भारतीयों के सामाजिक सरोकारों व धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात किया जा रहा था। मजदूर को मजदूरी के बदले यातनाएं दी जा रही थी। जुर्म का बगावत करने वाले समाज के हर तबके का हंटर के बल पर हक छिना जा रहा था। उस दौर में पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने उदन्त मार्तण्ड नामक मैग्जिन निकालकर न सिर्फ लोगों के दुखों को साझा किया, बल्कि उनकी आवाज को मैगजिन के जरिए तानाशाहों की नींद हराम कर दी। समाज में व्याप्त कुरीतियों पर प्रहार किया। अपने पत्रों के जरिए जनता में हक व इंसाफ के प्रति जागरूकता पैदा की। लेकिन किसे पता था 190 साल पूर्व जुगल व राजा राममोहन राय की जोड़ी ने पत्रकारिता की नींव रखी वह आज इस मुकाम पर होंगी कि उसे चैथे स्तंभ का दर्जा मिल जायेगा। मतलब साफ है समाज में पत्रकार का सम्मान खत्म होता जा रहा है। कुछ लोग धंधा करने के लिए पत्रकार का चोला ओढ़ लेते हैं तो कई पत्रकार धीरे-धीरे यह धंधा अपना लेते हैं। इसे बढ़ावा देने में संस्थानों का भी कम हाथ नहीं। लोकतंत्र का चैथा खंभा बुरी तरह हिल रहा है। जनता को वही खबरें मिल रही हैं जिससे चैनल या अखबारों को फायदा हो। अपने फायदे और पैसे के लिए वे किसी भी विज्ञापन को खबर बनाकर पेश कर रहे हैं। सबसे शर्म की बात यह है कि वे पैसे की लालच में वे राय भी दे रहे हैं। इस पेशे में ये सोच कर आया था कि इमानदारी का इकलौता पेशा यही बचा है जिसके माध्यम से देश और समाज की सेवा कर सकता हूं लेकिन करीब आने पर पता चला कि यहां भी सफाई की जरूरत है। स्वतंत्रता जैसे शब्द के मायने भी इस पेशे से खत्म हो गए हैं। बड़ी मछली छोटी मछली को निगलने के लिए तैयार बठी है, शायद इसी कारण पत्रकारिता सिर्फ शब्द बनकर रह गया है। 

फिरहाल देखा जाय तो 190 वर्षों में हिंदी अखबारों एवं समाचार पत्रकारिता के क्षेत्र में काफी तेजी आई है। साक्षरता बढ़ी है। पंचायत स्तर पर राजनीतिक चेतना बढ़ी है। आज प्रत्येक श्रेणी की जनता बड़ी लगन और उत्सुकता से दैनिक पत्रों को पढ़ती है। कहा जा सकता है भारत की साधारण जनता तक पहुंचने के लिए दैनिक समाचार पत्र ही सर्वोतम साधन हैं। देश-देशांतर के समाचारों के साथ भाषा और साहित्य का संदेश भी दैनिक पत्रों द्वारा आसानी से जनता तक पहुंचा सकते हैं और पहुंचाते आये हैं। लेकिन बदलते परिवेश में सबकुछ उलट-पलट हो चला है। पत्रकारिता मिशन नहीं व्यवसाय हो गया है। समय के साथ-साथ पत्रकारों के उद्देश्य, मतलब भी बदलते रहे और कलम कुछ ऐसे व्यक्तियों के पास भी पहुंची जिन्होंने केवल स्वार्थसिद्धि, भ्रष्टाचारियों की तरह कलम का उपयोग कर पत्रकारिता जगत में अपने ऐबो हुनर को दर्शाया। वे स्वार्थसिद्धि की खातिर कलम के साथ न्याय व तालमेल नहीं बैठा सके। यही खास वजह है समाज के लोक निर्माण का यह महत्वपूर्ण स्तम्भ भरभराने की कगार पर है। आज कलम कुछ ऐसे हाथों में भी पहुंच गयी है जिन्हें पत्रकारिता से कुछ लेना-देना नहीं। अवैध कारोबार कर वे कलम को अपना सुरक्षा कवच बनाये हैं और पुलिस से बच कर निकल जाते रहे हैं। बहुत से तथाकथित पत्रकारों ने पत्रकारिता जैसे इज्जतदार पेशे की बदनामी करके रख दी है, कुछ अखबार ऐसे हाथों में पहुंच चुके हैं जिनका कलम से कोई लेना-देना नहीं। यही समस्यायें आज पत्रकारों के बीच दरारें पैदा कर रही हैं। 

हर कोई अखबार में काम तो करना चाहता है लेकिन उसके पीछे उस व्यक्ति के कई कारण होते हैं, यानी आज पत्रकारिता बुरे दौर से गुजरने पर मजबूर हैं। अरे अब तो वह दौर आ चुका है कि पैसे के लिए वे अपने ही किसी साथी की बलि बहुत ही संयत भाव से चढा सकते हैं। भदोही में एक पत्रकार के साथ घटित पुलिसिया व प्रशासनिक तांडव तो एकबानगी है। ऐसी दर्जनों घटनाएं है जो प्रशासनिक व पुलिस के चंछ टुकड़ों पर पल रहे तथाकथित पत्रकार यां यूं कहें दलाल सच को उजागर करने वाले पत्रकार के ही दुश्मन बन गए। इससे बड़ी बिडंबना और क्यां हो सकती है इस तरह के प्रशासिनिक व पुलिस के दलाल पत्रकार सारी मर्यादाएं लांघ अपनी गवाही तक दिए। बलातकार की शिकार दलित महिला के आरोपी से कालीन कारोबारियों से लाखों की दलाली लेकर अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया। माना कि पत्रकारिता अब मिशन नहीं, यह एक प्रोफेशन और बिजनेस है. मगर क्या हर प्रोफेशन और बिजनेस का कोई एथिक्स नही होता? चंद टुकड़ों पर अपनी जमीर बेचना ही अब कुछ के लिए पत्रकारिता बन गयी है। ताज्जुब तो इस बात का है कि इस घिनौने दलाल पत्रकार का साथ अखबार मालिकान सिर्फ इसलिए देते है कि वह उनकी भी जेबे गरम करता है। 

बदलाव के इस दौर में ‘जाके पैर न फटे बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई’ का जुमला उछालकर पत्रकार और पत्रकारिता के स्वरूप और दायित्वों को समेटना बेमानी है। मेरी दृष्टि में ‘मिशन’ से ‘प्रोफेशन’ के दौर में पहुंची पत्रकारिता के लिए व्यावसायिक नैतिकता (प्रोफेशनल एथिक्स) का महत्व सबसे ऊपर है। इसके बावजूद समूचा परिदृश्य निराशापूर्ण है। कितना भी प्रोफेशनलिज्म हो, पत्रकारिता का मूलमंत्र या पत्रकारिता की आत्मा ‘मिशन’ ही है और  वही रहेगी। तभी तो देश के लगभग 65,000 से ज्यादा स्ट्रिंगर और अल्पकालिक संवाददाता-पत्रकार पत्रकारिता की सेवा में जुटे हुए हैं। मोटी तनख्वाह या तनख्वाह न पाने वालों का असली मानदेय ‘मिशन’ की पूर्ति से मिलने वाला संतोष ही है। आखिर अपना कैमरा संभाले कमर तक पानी में घुसकर या नक्सलियों के ‘डेन’ (अड्डों) में जाकर कवरेज करने वाले किस पत्रकार की भरपायी की जाती है? या फिर आतंक के महासागर पाकिस्तान में मीडिया के लिए समाचार या कंटेंट जुटाने-लाने के लिए अपनी जान गंवा देने वाले, सिर कटा लेने वाले डैनियल पर्लो को भला कितना वेतन मिलता है?  

ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में गणेश शंकर विद्यार्थी, तकवी शकंर पिल्ले, राजेंद्र माथुर,सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय की जमाने की पत्रकारिता की कल्पना करना मूर्खता होगी। लेकिन इतना तो जरूर सोचा जा सकता है कि हम जो कर रहे हैं, वो वाकई पत्रकारिता है क्या। सब जानते हैं कि भारत में देश की आजादी के लिए पत्रकारिता की शुरूआत हुई। पत्रकारिता तब भी हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई भाषाओं में होती थी। लेकिन भाषाओं के बीच में दीवार नहीं थी। वो मिशन की पत्रकारिता थी। आज प्रोफोशन की  पत्रकारिता हो रही है। पहले हाथों से अखबार लिखे जाते थे। लेकिन उसमें इतनी ताकत जरूर होती थी कि गोरी चमड़ी भी काली पड़ जाती थी। आज आधुनिकता का दौर है। तकनीक की लड़ाई लड़ी जा रही है। फोर कलर से लेकर न जाने कितने कलर तक की प्रिटिंग मशीनें आ गई हैं। टीवी पत्रकारिता भी सेल्युलायड, लो बैंड, हाई बैंड और बीटा के रास्ते होते हुए इनपीएस, विजआरटी, आक्टोपस जैसी तकनीक से हो रही है। लेकिन आज किसी की भी चमड़ी पर कोई फर्क नहीं पड़ता। शायद चमड़ी मोटी हो गई है।

आज का भारतीय मीडिया अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है. मीडिया के काफी बड़े हिस्से ने सरकार से हाथ मिला लिया है और एक ने उससे भी आगे बढ़कर अपने व्यावसायिक हितों के लिए समानांतर सरकार चलाने जैसी कोशिश भी की है। पत्रकारिता एक व्यवसाय का रूप ले चुकी है. इस समय भारत में देशभक्ति से पूर्ण पत्रकारिता की जरूरत है जो आजादी से पहले हुआ करती थी। आज सस्ती टीआरपी की होड़ लगी है। एक बार भारत ने अग्नि मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया, यह महत्वपूर्ण समाचार भारतीय समाचार पत्रों और टीवी में बड़ी खबर बनकर नहीं आई लेकिन दूसरे देशों के समाचार पत्रों में इस खबर को कहीं अधिक प्राथमिकता दी। समाज में व्याप्त बुराइयां इस पवित्र पेशे को भी दागदार बना चुकी हैं। जब दर्पण ही दागदार हो गया तो वह भला कैसे बता सकेगा समाज की सच्ची तस्वीर। भद्र लोगों के पेशे पत्रकारिता में आज के समय दिखाई देने वाला ट्रेंड काफी निराशाजनक है। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चैथा स्तंभ माना जाता है। जब न्यायपालिका को छोड़कर लोकतंत्र के बाकी स्तंभ भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो ऐसे समय पत्रकारिता की सामाजिक जिम्मेदारी कहीं अधिक बढ़ जाती है। लेकिन दुखद बात तो यह है कि अब तो समाचारों की विश्वसनीयता पर भी संदेह होने लगा है। पत्रकारों का यह दायित्व है कि वे लोगों को सही खबरों से अवगत कराएं और उनमें लोकतंत्र की आस्था को मजबूत करें। 

इससे बड़ी बिडम्बना और क्या हो सकती है जब अखबारों के मालिक ही राजनीतिक दलों से डील कर पैसे लेकर उनके पक्ष में समाचार छापते हैं, तब फिर मातहत अधिकारी और कर्मी भी तो यही करेंगे। गंगा गंगोत्री से ही मैली हो रही है। सफाई की शुरुआत भी वहीं से करनी होगी लेकिन बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा? लोग पत्रकार क्यों बनते हैं-जन सेवा के लिए या फिर जैसे-तैसे पैसा कमाने के लिए। माना अब पत्रकारिता अब मिशन नहीं रहा, लेकिन इसको मिशन बनाया जा सकता है। तेज सफर में पत्रकारों को पत्रकारिता जगत के लिए शहीद भी होना पड़ा परन्तु इन कलम के रखवालों ने अपनी कलम की रोशनी को कम नहीं होने दिया और भ्रष्टाचार जैसे कुकुरमुत्ते का विनाश किया लेकिन समय बदलते ही कलम की रोशनी पर भी तेज आंच आयी जो आज भी बदस्तूर जारी है। पत्रकारिता जगत में पत्रकारों को हर पल अपने जान-माल का खतरा भी रहा है लेकिन कलम के रखवालों ने अपनी कलम की रोशनी को यूं ही जाय नहीं होने दिया और अपनी कलम की रोशनी को पूरे पत्रकारिता जगत पर बिखेर कर रोशन कर दिया। पत्रकार एक ऐसा शब्द है जिसकी रक्षा करना हर कलम के जादूगर का फर्ज है और यही सोच ले बहुत से कलम के हुनरदारों ने पत्रकारिता जगत में धूम-धड़ाके से प्रवेश किया परन्तु समाज ने उन्हें उनका फर्ज भुलाकर अपनी मुट्ठी में कैद करने की कोशिश शुरू कर दी। पत्रकार को मुट्ठी में कैद करने की चालें देश के गद्दारों, भ्रष्टाचारियों, अवैध धंधे करने वालों ने करके पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुंचाकर कलम के हुनर को दबाने की कोशिश की और हरदम उनका प्रयास और तेज है। 

दूसरी समस्या पत्रकारों के सामने जान के खतरे के रूप में भी आन पड़ी है। आज के इस भ्रष्टाचारी दौर में पत्रकार जब भी किसी भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करना चाहता है तो उसे जान से मारने की धमकी दी जाती है। आज पत्रकारिता दिवस के अवसर पर समस्त देश के पत्रकारों, लेखकों, बुध्दिजीवियों, को पीत-पत्रकारिता त्याग समाज में जन्मे पाप, भ्रष्टाचार, घोटालों का भंडाफोड़ कर पत्रकारिता जगत की गरिमा को बनाये रखने के प्रण लेने चाहिये। सब चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार देश के चैथे स्तम्भ को मजबूत बनाये रखने में अपनी भागीदारी निभायें। सभी स्वार्थों का त्यागकर पत्रकारिता जगत में बेखौफ कलम चलाकर भ्रष्टाचारियों के चेहरे बेनकाब करने चाहिए। वह दौर-ए-गुलामी था, यह दौर-ए-गुलामां है-पत्रकारिता के संघर्ष की इससे दो दिशाएं साफ होती हैं। तब ‘मिशन’ था अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति का और अब दौर है आर्थिक-सामाजिक-राजनीतिक दासता से मुक्ति का। इसी ‘मुक्ति’ की चाहत के साथ समर्पित भाव से काम करने वाले दुनिया के 29 देशों में 141 पत्रकारों ने अपनी जानें गंवा दीं। आंकड़े देखें, तो सीरिया पत्रकारों व पत्रकारिता के लिए सबसे खतरनाक देश है। भारतीय पत्रकारिता के बारे में भी कहा गया-‘तलवार की धार पे धावनो है’- पत्रकारिता तलवार की धार पर दौड़ने के समान है। सचमुच इन 141 पत्रकारों ने सिर्फ एक वर्ष 2012 में ऐसा कर दिखाया। इनके जज्बे को भी सलाम करने का मौका है- पत्रकारिता दिवस। हमें पत्रकारिता में सच्चाई के लिए लड़ना सिखाया गया था और मेरा भी वही उद्देश्य था और इसीलिए मैं मीडिया से जुड़ा भी लेकिन सच्चाई वो नहीं थी वो तो सिर्फ एक परछाई थी जिसे मैं पकड़ने की कोशिश कर रहा था। भदोही में कुछ टीवी न्यूज चैनल व प्रिंट मीडिया के पत्रकारों का हाल यह है कि थाने में जाकर पुलिस वालों से 100-100 रुपए वसूल करते हैं, और यदि कोई ना करे तो उन्हें ब्लैक मेल करते हैं। अब तक पुलिस के बारे में तो सुनता था, लेकिन पुलिस वालों को ब्लैक मेल किया जाने लगा है। 






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---सुरेश गांधी---
लेखक आज तक टीवी न्यूज चैनल से संबंद्ध है 

सलमान खान के प्रशंसकों की फेहरिस्त में शमिल गौतम अरोड़ा

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रणबीर कपूर व दीपिका पादुकोण अभिनीत इम्तिआज अली की फिल्म तमाषा से बॉलीवुड के रुपहले परदे पर दिखेंगे। दिल्ली के गौतम अरोड़ा। सलमान खान बॉलीवुड का जाना पहचाना नाम है और वही उनके चाहने वालों की लिस्ट भी बहुत लम्बी है हालत चाहे जो भी हो उनके चाहने वालो ने कभी उनका साथ नहीं छोडा उनके चाहने वालों की संख्या में हमेशा इजाफा ही हुआ चाहे वो उनकी फिल्मों की वजह से हो चाहे उनके लोगो की मदद करने की वजह से सलमान खान हमेशा की लोगो की चहते रहे है । उनके फैंस के साथ साथ बॉलीवुड के स्टार्स भी सलमान के फेवर में रहते है बॉलीवुड के बडे स्टार्स भी सलमान की दिलदारी की वजह से वो उनकी सराहना करने में नहीं चूकते । 

वही अब इस लिस्ट एक और नाम जुड गया है इम्तिआज अली की मूवी के साथ अपना डेब्यू कर रहे गौतम अरोरा भी इस बॉलीवुड स्टार के फैन है साथ ही साथ वो सलमान खान को अपना इंस्पिरेशन मानते है। गौतम अरोड़ा डीजे एवं माॅडल भी हैं वही अब वह इम्तिआज अली की फिल्म तमाषा से बॉलीवुड के रुपहले परदे पर दिखेंगे। इम्तिआज अली द्वारा निर्देशित तमाशा में मैेन लीड में रणवीर कपूर और दीपिका है। गौतम को बचपन से ही अभिनय का शौक था,लेकिन बालीवुड में कोई दूर तक रिश्तेदार नही था। इसलिए काफी मे सघर्ष करना पडा। पहले माॅडलिंग फिर डीजे और अभिनय । 

आज वह तीनों ही जगह सक्रिय है। गौतम अरोरा ने बताया कि सलमान खान में मुझे जो बात प्रेरित करती है वो ये है कि हो कभी हार नहीं मानते कभी बदलते नहीं है चाहे कितनी ही बडी सफलता हासिल हो जाए । अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को कभी अपने काम के बीच नहीं आने आने देते, किसी की मदद करने के दौरान भी वो किसी को जताते नहीं है या बताते नहीं है कि मैंने यह काम किया है और उनकी यही सब काबिलियत में अपने अंदर लाना चाहता हु जो जरूर मुझे 1 अच्छा एक्टर बनाने में करेगी साथ ही एक अच्छा इंसान बनाने में भी । है।

विशेष आलेख : सड़क न होने के कारण लोगों की जिंदगी बनी नर्क

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हमारे देष की लगभग 70 प्रतिषत जनसंख्या गांव में निवास करती है। षहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों  में समस्याओं की भरमार है। ग्रामीण क्षेत्र आज भी षिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। जम्मू कष्मीर के सीमावर्ती जि़ले पुंछ में भी तमाम मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। राज्य और केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाएं यहां पहुंचते पहुंचते दम तोड़ देती हैं। राजनेताओं और अधिकारियों के जनता से किए गए तमाम वादों के बावजूद भी तहसील मंडी के अडा़ई गांव में आज भी विकास की किरन नहीं पहुंच सकी है। न जाने यहां की जनता को किस अपराध की सज़ा मिल रही है। अड़ाई गांव में वैसे तो तमाम मूलभूत सुविधाओं का अभाव है लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या सड़क की है। अड़ाई गांव दो पहाडि़यों के आगोष में बसा हुआ है जिसमें तीन पंचायतें अड़ाई मलकां, अड़ाई हवेली और अड़ाई पीरां हैं। यहां के लोगों में पढ़ लिखकर आगे बढ़ने का पूरा कौषल है मगर सड़क और दूसरी बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते यह लोग आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। जबकि षहरों में लोगों को सभी मूलभूत सुविधाएं आसानी से सुलभ हो जाती है। षहरों के मुकाबले गांव के लोगों के पिछड़ेपन का बस यही एक कारण है। 
          
सड़क की समस्या के बारे में ‘‘अंजुमन देही कलमकाराने मंडी’’ के सदस्य व यहां के स्थानीय निवासी रियाज़ मलिक कहते हैं-‘‘सड़क न होने की वजह से अड़ाई गांव आज तक विकास की किरन नहीं पहुंच सकी है। इसके अलावा यहां जब कोई बीमार पड़ जाता है तो मोहल्ले के लोगों को सहायता के लिए बुलाना पड़ता है। चारपाई पर बांधकर मरीज़ को पहाड़ी से उतारकर सड़क तक लाया जाता है ,फिर गाड़ी में डालकर अस्पताल ले जाया जाता है। इस तरह बीमार की जिंदगी भगवान भरोसे रहती है।’’ सड़क न होने के कारण यहां के बच्चे षिक्षा से भी वंचित हो रहे हैं। सड़क न होने के कारण षिक्षक समय से स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं। क्योंकि यहां के गांव के ज़्यादातर स्कूलों में षिक्षक षहर से आते हैं। वह स्कूल समय से नहीं पहुंच पाते इसलिए घर बैठना ही उचित समझते हैं। सड़क से होने वाली परेषानियों के बारे में मुष्ताक का कहते हैं कि-’‘अगर हमारे गांव में सड़क होती तो बाज़ार से आटा, चावल और दूसरे ज़रूरत के सामान कंधे पर लादकर घर ले जाने में हमें दो घंटे का समय नहीं लगता।’’ 
            
इसी गांव के मोहल्ला कीरां मुरिया के स्थानीय निवासी जहांगीर अहमद सड़क की वजह से होने वाली परेषानियों के बारे में बताते हुए कहते हैं कि-‘‘षायद परेषानियां हमारे भाग्य का हिस्सा बन चुकी हैं। चुनाव नज़दीक आने पर बहुत सारी राजनीतिक पार्टियों के ज़रिए वादे किए गए कि आपकी समस्याओं को दूर किया जाएगा। लेकिन चुनाव के बाद सभी अपना पल्ला झाड़ कर चले गए। हमारे गांव में सड़क का काम साल 2000 में षुरू हुआ था। सड़क निकालने वाली मषीन भी आ गई थी मगर बाद में पता नहीं किया हुआ मषीन वापस चली गई और आज तक काम षुरू नहीं हो सका है। मायूसी के साथ जहांगीर आगेे कहते हैं कि अगर उस समय सड़क का निर्माण हो गया होता तो आज हमारे गांव में अस्पताल होता, मोबाइल नेटवर्क होता और दूसरी सारी सुविधाएं उपलब्ध होतीं। मगर अफसोस कि हमारे भाग्य में तो सिर्फ दुख ही लिखे हैं। सड़क न होन की वजह से हमें और भी दूसरी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं जो हमारी जिंदगी के लिए बहुत ज़रूरी हैं।’’ इससे एक बात साफ हो जाती है कि यहां विकास तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक कि यहां सड़क के निर्माण का कार्य षुरू न हो जाए। सड़क से दूसरे षहरों से तालमेल बढ़ता है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की जिंदगी बेहतर होती है। 
           
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की षुरूआत दूर-दराज़ क्षेत्रों में सड़क संपर्क को बेहतर बनाने के उद्देष्य से  दिसंबर 2000 में की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देष्य ग्रामीण क्षेत्रों में 500 या इससे अधिक आबादी वाले ( पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में 250 की आबादी वाले गांव ) सड़क-संपर्क से वंचित गांवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना था। 2014-15 में इस योजना के अंर्तगत 14,389 करोड़ जबकि 2015-16 के बजट में 14, 291 करोड़ की भारी भरकम राषि आवंटित की गई है। बावजूद इसके अड़ाई गांव के लोगों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का लाभ आज तक नहीं मिल सका है। यहां की जनता अभी भी सड़क की सुविधा से वंचित है। 
          
सवाल तो यह है कि सीमा के इतना समीप होने पर भी यहां के लोगों का कोई हाल पूछने वाला नहीं है। यहां के लोग सरकार से अपील करते हुए कहते हैं कि कब तक हमें मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाएगा और कब हमारी इन समस्याओं का हल निकलेगा? अधिकारियों और राजनेताओं से उम्मीदें लगा लगा कर यहां के लोगों की हिम्मत अब जबाब दे गयी है। केंद्र में बीजेपी और राज्य में पीडीपी और बीजेपी गठबंधन की सरकार है। ऐसे में यहां के लोगों की उम्मीदें और ज़्यादा बढ़ी हुई हैं कि समस्याओं का हल जल्द से जल्द होगा। देखना यह है कि सरकार इनकी उम्मीदों पर खरा उतर पाती है या नहीं। मोदी सरकार के अच्छे दिनों की षुरूआत को तकरीबन एक साल हो चुका है। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी यहां के लोगों के अच्छे दिन अभी तक नहीं आए हैं। 




मोहम्मद शब्बीर
(चरखा फीचर्स)

बिहार : सिसिल साह ने राजनीतिक में कदम बढ़ाया

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पटना। अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के लोग राजनीति में कम हैं।ईसाई समुदाय का नेतृत्वकर्ता नहीं चाहते हैं कि कोई राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करें। सदैव नेतृत्वकर्ता चाहते हैं कि ईसाई समुदाय मायावी जाल में ही फंसे रहे। आप जानते हैं कि ईसाई समुदाय का नेतृत्वकर्ता कौन हैं? जी हाँ,ईसाई समुदाय का नेतृत्वकर्ता ईसाई धर्मगुरू जन हैं।जो विशुद्ध तौर पर गैर सरकारी संस्थाओं के प्रमुख हैं। ऐसे लोग नहीं चाहते हैं कि उनके दायरे से बाहर कोई भी व्यक्ति जाए। कुछ विशेष लोग हैं जो उनके मायावी जाल और उनके दायरे से निकलकर राजनीतिक एवं मीडिया क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे लोगों को परिणाम भी भुगतना पड़ जाता है। गैर सरकारी संस्थाओं के प्रमुख और ईसाई धर्मगुरूओं की गिद्धदृष्टि पड़ जाती है। मौका मिलते ही सबक सीखाने से बाज नहीं आते हैं। 

खैर, इस तरह की चुनौती ग्रहण करके सिसिल साह ने राजनीतिक में कदम बढ़ाया। सिसिल साह ने कांग्रेस का दामन पकड़ा। कांग्रेसियों ने जोर से सिसिल साह को पकड़ लिए। इनके कार्यकुशलता के आलोक में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक पद पर आसीन कर लिए। कई सालों तक बखूबी कार्य किए। अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचारों को प्रमुखकता से उठाया। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग में पत्र लिखे। बिहारी होने के नाते बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष पद पर बिहारी ईसाई को मनोनीत करने की दिशा में पत्राचार किए। 

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक पद पर रहकर सिसिल साह ने पटना सिटी स्थित पादरी की हवेली महागिरजाघर को पर्यटक स्थल घोषित करने की कोशिश की। इसका सार्थक परिणाम सामने आ गया है। बिहार सरकार ने पादरी की हवेली महागिरजाघर को पर्यटक स्थल घोषित कर दी। इसके अलावे गुड फ्राइडे के अवसर पर सर्वधर्म सद्भावना प्रार्थना सभा आयोजित करते हैं। क्रिसमस के अवसर पर साम्प्रदायिकता रथ निकालते हैं। राजधानी के गिरजाघरों में सद्भावना बनाएं रखने का आग्रह करते हैं। 

यूपीए सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून-2013 के पक्ष में अखबारों में विचार व्यक्त करते हैं। लोक सभा और विधान सभा चुनाव के अवसर पर अल्पसंख्यक क्षेत्रों में भ्रमण करके मतदाताओं को कांग्रेसी प्रत्याशियों को विजयी बनाने का माहौल तैयार करते हैं। इनके बढ़ते कदमों के आलोक में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी ने बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के उपाध्यक्ष पद पर सिसिल साह को पद स्थापित किया है। अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक पद पर रहकर संगठन का कार्य करते थे। 

तेंदुलकर, गांगुली, लक्ष्मण बीसीसीआई सलाहकार समिति में

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पूर्व क्रिकेट सितारे सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वी.वी.एस. लक्ष्मण को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की क्रिकेट सलाहकार समिति में सोमवार को शामिल किया गया। बीसीसीआई के सचिव अनुराग ठाकुर ने ट्विटर पर इस खबर की पुष्टि की। उन्होंने ट्वीट किया, "दिन की अच्छी शुरुआत! किक्रेट हस्तियों- सचिन, वीवीएसलक्ष्मण और सौरव गांगुली के साथ फोन पर बात हुई, ये सभी बीसीसीआई क्रिकेट सलाहकार समिति से जुड़ेंगे।"

ठाकुर ने लिखा, "मैं सचिन, सौरव गांगुली, वीवीएसलक्ष्मण के बीसीसीआई से जुड़ने पर उनका स्वागत करता हूं। आपके दिशानिर्देशन और सहयोग को लेकर गौरवान्वित हूं। हम एक नई शुरुआत करने जा रहे हैं।"

मोदी सरकार करगिल शहीदों का केस अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में नहीं ले जाएगी

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करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना की कस्टडी में बेरहमी से मारे गए शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के मामले को मोदी सरकार भी अंतरराष्ट्रीय अदालत में नहीं ले जाएगी । पिछली यूपीए सरकार ने भी कहा था कि इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में ले जाना संभव नहीं है। शहीद कालिया के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाने की मांग की थी, जिसका जवाब मोदी सरकार को अगली सुनवाई की तारीख 25 अगस्त को देना है।

4 जाट रेजिमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया और 5 अन्य जवान-अर्जुन राम, भंवर लाल बागड़िया, भिक्खा राम, मूला राम व नरेश सिंह 15 मई, 1999 को करगिल के काकसर सब-सेक्टर में लापता हो गए थे। अगले महीने 9 जून को पाकिस्तान ने उनके बुरी तरह से क्षत-विक्षत शव भारत को लौटाए थे। सौरभ कालिया के शव की स्थिति को देखने के बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर फैल गई थी और इसे युद्धबंदियों को लेकर जिनीवा संधि का उल्लंघन बताया गया था। एक साल पहले एक पाकिस्तानी सैनिक का विडियो भी यू-ट्यूब पर आया था, जिसमें वह कह रहा था कि करगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के एक अधिकारी को यातना देने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी।

शहीद सौरभ कालिया के पिता डॉ. एन के कालिया पिछले 16 सालों से अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए सरकारों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में गुहार लगा चुके हैं। लेकिन, पिछली यूपीए सरकार की तर्ज पर मोदी सरकार ने भी इस केस को आगे नहीं ले जाने का फैसला किया। एन के कालिया की ओर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सरकार का कहना है कि इसे अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में ले जाना व्यावहारिक नहीं है। संसद में राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर के सवाल पर विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह की ओर से दिए गए जवाब से सरकार का आधिकारिक रुख सामने आया है।

वी के सिंह ने अपने जवाब में पिछले दिनों कहा था, 'पाकिस्तानी सेना के इस जघन्य और नृशंस अपराध के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बताया जा चुका है। 22 सितंबर, 1999 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा और अप्रैल 2000 में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भारत बयान दे चुका है। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट से कानूनी तौर पर न्याय पाने के विकल्प भी गंभीरत से विचार किया गया, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं लगा।'

एनडीए सरकार के इस रुख से एन के कालिया के साथ-साथ उन भारतीयों को भी झटका लगा है, जिन्हें यह उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार एक शहीद को इंसाफ दिलाने के लिए कठोर कदम उठाएगी। अंग्रेजी अखबार 'मेल टुडे'से बात करते हुए डॉ एन के कालिया का कहना है, 'मुझे उम्मीद थी कि बीजेपी सरकार ज्यादा राष्ट्रभक्त होगी। लेकिन, दुखद है कि केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद सरकार का रुख नहीं बदला है।'

इस मामले में पिछले साल फरवरी में यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में नहीं जा सकती है, पाकिस्तान इसकी इजाजत नहीं देगा। मनमोहन सिंह सरकार ने तो आश्चर्यजनक रूप से यहां तक कहा था कि हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि ऐसा कदम उठाने से पड़ोसी देश के साथ हमारे रिश्ते प्रभावित होंगे और अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में जाना बाध्यकारी कानूनी अधिकार नहीं है।

राजा ने कंपनियों को नाजायज लाभ पहुंचाने की साजिश रची : ईडी

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित मनी लॉन्डरिंग मामले की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत को बताया कि पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा ने अयोग्य कंपनियों को दूरसंचार लाइसेंस आवंटित करने के लिए अन्य आरोपियों के साथ साजिश रची। ईडी के विशेष लोक अभियोजक आनंद ग्रोवर ने इस मामले में अंतिम बहस के दौरान विशेष न्यायाधीश ओ.पी.सैनी को बताया कि इसके लिए स्वान टेलीकॉम प्रा. लि. के प्रमोटरों ने कुसेगांव रियल्टी प्रा. लि. और सिनेयुग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट के जरिए कलैगनार टीवी को 200 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। उन्होंने कहा कि इस राशि को वैध वित्तीय लेन-देन की आड़ में दिया गया।

ईडी ने कहा कि उनकी जांच से यह खुलासा हुआ है कि इस अवैध भुगतान को वैध दिखाने के लिए इस 200 करोड़ रुपये की राशि को एक अतिरिक्त राशि के साथ दिखाया गया। यह धनराशि उस दिन वापस की गई थी, जिस दिन केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने राजा को पूछताछ के लिए सम्मन किया था। अभियोजन पक्ष को कुछ देर सुनने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 27 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित मनी लॉन्डरिंग मामले में राजा के अलावा डीएमके प्रमुख एम.करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल और अन्य के खिलाफ भी मुकदमा चल रहा है। आरोपियों पर मनी लॉन्डरिंग रोकथाम विधेयक (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (01 जून)

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योजनाओं का लाभ सुपात्रांे को अविलम्ब पहुंचाए-कलेक्टर श्री ओझा

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कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने आज टीएल बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देेते हुए कहा कि शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ संबंधित सुपात्रों को अविलम्ब दिलाया जाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही परलिक्षित होने पर संबंधित विभाग के अमले के साथ-साथ जिलाधिकारी पर कार्यवाही की जाएगी। कलेक्टर श्री ओझा ने बताया कि मुख्यमंत्री जी का विदिशा भ्रमण कार्यक्रम बन रहा है अतः निर्माण कार्यो को सम्पादित कराने वाले विभाग अद्यतन जानकारियां शीघ्र जमा कराना सुनिश्चित करें जिसमें मुख्य रूप से ऐसे निर्माण कार्य जो पूर्ण हो गए है अथवा जिन निर्माण कार्यो को शुभांरभ कराना है उसकी सूची जिला कार्यालय को शीघ्र उपलब्ध कराएं। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि जिलाधिकारी मुख्यालय पर रहना सुनिश्चित करते हुए समय पर कार्यालय पहुंचे ताकि अधीनस्थ अमला की भी उपस्थिति समय पर हो का परीक्षण करें। उन्होंने कहा कि शासकीय कार्यालयों के औचक निरीक्षण के लिए दल गठित किए गए है जो सप्ताह में कम से कम तीन दिन कार्यालयों का निरीक्षण करेंगे। इस दौरान अनुपस्थित पाए गए कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही की जाएगी। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि जिले के सभी विकासखण्डो में कृषि क्रांति रथ भ्रमण कर रहे है रथ के साथ जिन विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है वे साथ रहना सुनिश्चित करें और भ्रमण ग्राम में विभागीय योजनाओं की जानकारी देते हुए ग्राम के सुपात्रों को उसका लाभ दिलाने का प्रयास करंें। उन्होंने हर रोज भ्रमण की जानकारी बेवसाईट पर अपलोड करने के कार्य पर असंतोष जाहिर करते हुए किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक को संबंधितों के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिए। कलेक्टर श्री ओझा ने जाति प्रमाण पत्र के कार्यो की भी इस दौरान समीक्षा की। उन्होंने कहा कि आगामी शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के पहले जो आवेदन प्राप्त हुए है उन्हें जाति प्रमाण पत्र दिलाया जाना शत प्रतिशत क्रियान्वित किया जाए। इसी प्रकार उन्होंने शाला परिसर में निर्माण कराए जाने वाले शौचालयों के संबंध में दिए। बैठक में टीएल बैठक में मुख्यमंत्री हेल्प लाइन, मानव अधिकार आयोग, पीजी सेल, समाधान आॅन लाइन और जन शिकायत निवारण के प्राप्त आवेदनों पर अब तक संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाहियों की बिन्दुवार जानकारियां प्रस्तुत की गई। कलेक्टेªट सभाकक्ष में सम्पन्न हुई इस बैठक में अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया, जिला पंचायत सीईओ श्री चन्द्रमोहन मिश्र, विदिशा उपखण्ड अधिकारी श्री आरपी अहिरवार, संयुक्त कलेक्टर कु माधवी नागेन्द्र समेत समस्त विभागों के अधिकारी मौजूद थे। 

बाढ़ नियंत्रण उपायो की समीक्षा 

कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने सोमवार को जिले में बाढ़ अतिवर्षा के पूर्व की जाने सुरक्षाओं और उपायों की विस्तृत समीक्षा की। कलेक्टेªट के सभाकक्ष में आहूत इस बैठक में उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों से कहा कि वे छोटे-बडे़ सभी प्रकार के डेमों पर नजर रखे। जब भी डेमो से पानी छोडना हो तो उसकी पूर्व सूचना जिला प्रशासन के साथ-साथ संबंधित क्षेत्र के एसडीएम को लिखित एवं मोबाइल पर सम्पर्क कर दें। कलेक्टर श्री ओझा ने डिस्ट्रिक्ट कमाण्डेट होमगार्ड से तैयारियों के परिपेक्ष्य में की गई कार्यवाही के संबंध में बिन्दुवार जानकारी प्राप्त की। उन्होंने बताया कि गोताखोरो की सूची तैयार की जा चुकी है आवश्यक उपकरण उपलब्ध है। नदी पुलो पर बेरीयर लगाने की कार्यवाही शीघ्र की जाएगी।  कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि गतवर्ष जिन बस्तियों में वर्षारूपी जल का ठहराव अधिक हुआ है उन क्षेत्रों को चिन्हित कर लिया गया है। इन क्षेत्रों पर विशेष नजर रखी जाएगी। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि प्रत्येक तहसील, जनपद में भी एक-एक बाढ़ नियंत्रण कंट्रोल रूम का संचालन किया जाए। उन्होंने अस्थायी शिविर बनाए जाने हेतु स्थलांे का चिन्हांकन कर सूची जिला कार्यालय को प्रेषित करने के निर्देश दिए वही स्वास्थ्य विभाग केअधिकारियों से कहा कि डिपो होल्डरों के पास पर्याप्त दवाईयां भण्डारित कराई जाए। इसी प्रकार पशु हानि ना हो के लिए विभाग पृृथक से कार्य योजना तैयार करें। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि बांधो से पानी छोड़े जाने के पहले निचले स्तर की बस्तियों के रहवासियों को भी सूचित किया जाए। उन्होंने इन क्षेत्रों के लोगों से सतत सम्पर्क करने हेतु उनके मोबाइल नम्बरों की सूची संकलित करने के भी निर्देश दिए। इससे पहले जिला स्तर पर बाढ़ नियंत्रण हेतु तैयार की गई कार्ययोजना पर विचार विमर्श किया गया। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि प्रत्येक तहसील स्तर पर कम से कम चार-चार तैराक, गोताखोर की नियुक्तियां की जाएं इस कार्य में स्थानीय तैराकों का भी सहयोग लिया जाए। उन्होंने उनके मोबाइल नम्बर थानांे में दर्ज कराने की भी अपेक्षा संबंधितों से व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मुख्य नदी नालों के मार्गो पर बेरीकेट््््स, ड्राफगेट लगाने के प्रबंध सुनिश्चित किए जाएं। उन्होंने स्थानीय एसडीएम एवं एसडीओपी से इसी प्रकार की बैठक पृृथक से आहूत कर स्थानीय गणमान्य नागरिकों कोे बाढ़ नियंत्रण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों से अवगत कराने की अपेक्षा व्यक्त की।

जिला पंचायत की सामान्य बैठक पांच को 

जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी की अध्यक्षता में जिपं की सामान्य बैठक पांच जून को आयोजित की गई है यह बैठक जिला पंचायत के सभाकक्ष में दोपहर एक बजे से प्रारंभ होगी। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री चन्द्रमोहन मिश्र ने जानकारी देते हुए बैठक एजेण्डा के संबंध में बताया कि समस्त विभागों में चल रही जनकल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों तथा समग्र स्वच्छता अभियान एवं प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन बीमा योजना और अटल पेंशन योजना की समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा बैठक में पावर प्रेजेन्टेशन के माध्यम से जिन विभागों के द्वारा प्रस्तुतियां प्रस्तुत की जाएगी उनमें शिक्षा, कृषि, पीएचई, पीडब्लयूडी और आरईएस शामिल है।

मलेरिया रथ को हरी झंडी दिखाई

जिले में भी जून मासांत तक मलेरिया नियंत्रण और प्रचार-प्रसार गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जाएगा ताकि आमजन मलेरिया किन कारणो से होता है से भलीभांति अवगत होकर उन कारणो का निदान अपने घरो में कर सकें। जिला चिकित्सालय परिसर में मलेरिया निरोधक माह के परिपेक्ष्य में आज प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था जिसका जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी ने शुभांरभ किया। इस अवसर पर समाजसेवी श्री मुकेश टण्डन, श्री संदीप सिंह डोंगर, श्री छोटे लाल समरवार भी मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ बीएल आर्या ने मलेरिय नियंत्रण के लिए क्रियान्वित गतिविधियोें का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने पर बल दिया। उन्हांेने मलेरिया के लक्षणों से भी अवगत कराया। इस अवसर पर सिविल सर्जन सह अधीक्षक डाॅ मंजू जैन, जिला मलेरिया अधिकारी डाॅ अहिरवार भी मौजूद थे। 

हरी झंडी दिखाई
मलेरिया नियंत्रण के उपायों से आमजनों को अवगत कराने के उद्वेश्य से तैयार मलेरिया रथ को अतिथियों द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि रथ जिले के सभी विकासखण्डो में भ्रमण कर प्रचार-प्रसार की गतिविधियों का क्रियान्वयन करेगा। ग्रामीण क्षेत्रो में बुखार से पीडि़तो की रक्त पटिटका भी रथ के माध्यम से संग्रह की जाएगी। रथ छह जून तक विदिशा शहरी क्षेत्रो का भ्रमण करेगा। इसके पश्चात् पांच से आठ जून तक ग्यारसपुर, नौ से 12 जून तक त्योंदा एवं ग्रामीण क्षेत्र, 13 से 16 जून तक बासौदा, 17 से 19 जून तक कुरवाई, 20 से 23 तक सिरोंज, 24 से 26 तक लटेरी, 27 एवं 28 नटेरन और 29 से 30 जून तक पीपलखेडा क्षेत्र में भ्रमण करेगा।

दो हजार से अधिक आपत्तियां प्राप्त हुई

विदिशा नगरपालिका निर्वाचन 2015 के लिए दावे आपत्तियां प्राप्ति का कार्य आज एक जून को समाप्त हो गया। उपखण्ड अधिकारी एवं रजिस्ट्रीकरण अधिकारी श्री आरपी अहिरवार ने बताया है कि निकाय के 39 वार्डो में 41 केन्द्रो पर प्राधिकृत कर्मचारियो के द्वारा दावे आपत्तियां प्राप्ति का कार्य किया है। अंतिम तिथि एक जून तक प्राप्त किए  गए दावे आपत्तियांे के संबंध में उन्होंने बताया कि कुल दो हजार 181 दावे आपत्तियां दर्ज की गई है जिसमें परिवर्धन प्रारूप ‘‘क’’ की 1481 संशोधन प्रारूप ‘‘ख’’ की 27 और निरसन प्रारूप ‘‘ग’’ संबंधी 673 आवेदन प्राप्त हुए है। प्राप्त आवेदनों का रजिस्ट्रीकरण एवं सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों के द्वारा निराकरण किया जाएगा। 
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