विष्व पर्यावरण दिवस पर: व्यगं---लो फिर आ गया मौका खुद को विद्वान साबित करने का
- विश्व पर्यावरण दिवस पर सुनाई देंगे संरक्षण के जुमले, सरकार की नीतियों पर किए जाएंगे करारे-करारे प्रहार
- अंत में किया जाएगा अगले बरस फिर मिलने का वायदा
देहरादून। सावधान! जागते रहो। एक और मौका कल आने वाला है। यह मौका खुद को विद्वान साबित करने के लिए पर्यावरण बचाने वाली लफ्फाजी करने का। कुछ लोग पर्यारवरण पर चिंता जता कर होंगे। जिन्हें कहीं से पैसा मिला है वो बता रहे होंगे कि कुछ न होने के बावजूद भी बहुत कुछ हो रहा है। जिन्हें नहीं मिला वो गालियां बकेंगे कि कुछ नहीं हो रहा है। सरकार के प्रयास महज दिखावा है। कुछ लोग यह बताएंगे कि अगर हम भी न होते तो कुछ भी न हुआ होता। कुछ लोग ईको सेंसटिव जो पर अपनी विद्वता दिखा रहे होंगे। क्योंकि विद्वता ऐसा आचरण है जो ऐसे ही मौकों पर दिखाया जा सकता है। खैर जाने दीजिए फिर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिखाए जाएंगे। उस पर केदार आपदा का फोटो तो होगा ही, साथ में टिहरी डेम का फोटो होगा, श्रीनगर का भी फोटो होगा, केदार आपदा पर व्यख्यान में केवल अफसोस होगा। गालियां टिहरी को नहीं, श्रीनगर को पडेे़ेंगी। गालियां भी तो अब वक्ती मांग की मोहताज हैं। बहुत बड़ी इंडस्ट्री है गालियों की जिसे समझने के लिए अभी प्रशिक्षण मॉडयूल बनाए जा रहे हैं। कुछ दिनों बाद गालियां किसे, कब और कैसे देनी है इसके बारे में भी विस्तार से अतिरिक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा सकते है या प्राथमिक पाठशाला में साइंस की पुस्तक के अंत मे आओं करके सीखें की तर्ज पर अमल में लाई जा सकती हैं। ताकि गालियों के प्रयोग को फौरी अर्थव्यवस्था के रूप मे परिभाषित कर कार्यक्रम को रोजगार परक किया जा सके। कुछ देर बाद ये गदर्भ विलाप खतम हो जाएगा। सारे लोग अपने अपने घर चले जाएंगे। कुछ खच्चर सायंकालीन बुलावे पर कहीं जाने के लिए तैयार रहेंगे। तपोवन, विष्नुगाड़, मंदाकिनी, नंदाकिनी , भागीरथी, भिलंगना और फिर गंगा सब पर बहस होगी और फिर इन्ही के तट पर ये बातें विसर्जित कर दी जाएंगी। फिर एक वादा होगा की अब अगले बरस ही आएंगे। ठीक इसी समय, इसी दिन, इसी तरह हम तो आने के लिए तैयार ही हैं। तुम भी तैयार रहना। ठीक ऐसे ही इसी तरह , जुलाई का महीना आएगा धारी देवी डूब रही होगी जो इसे बचाने में अगवा बने थे उनके मकानों पर नींव रखी जा रही होगी। नई गाडियां आ रही होंगी , देहरादून में जमीनों का सौदा हो रहा होगा , शहरों की माम अपने अंग्रेजी दा बच्चों को सालभर डर्टी पहाड़ी क्या और कैसे होते हैं समझा रही होंगी। बेटा बीस नही ट्वेन्टी बोलते है कहते कहते सर पकड़ कर बैठ रही होगी। यंहां पहाड़ मे चिंताग्रस्त खांटी पहाड़ी पिता पर्यावरण बचाओ मुहिम की बारीकियाँ सुनते सुनते बूढ़ा . सदियां बीत जांयेंगी ना सिरोबागड रहम के मूड मे है और ना ही खिसकते पहाड़, बस पर्यावरण गाँव की बूढ़ी मां के पैरो के छालों मे ही बया होता रहा है। सुना है कि वहां पर्यावरण लगा हुआ है। वरना पैरों के छाले और झुकी कमर के साथ साथ अधमरे घुटने गवाह न बने होते। फिर भी अब इस लोकतंत्र में गढ़े हुए गणतंत्र पर एक रस्म और निभा देनी बहुत जरूरी होती है कि पर्यावरण दिवस की शुभकामना दे दी जाएं। ताकि विद्वानों की श्रेणी में शामिल होने का अवसर मिल सके।
मुख्यमंत्री हरीष रावत ने निकाले तरकष में रखे पुराने तीर, कुंभ, स्टुर्जिया और ढेंचा घोटालों की दबी फाइलों को निकाला बाहर
- बोले, इन घोटालों की भी हो सीबीआई से जांच, आयोग दो मामलों में दे चुका है अपनी रिपोर्ट
- कैग ने कुंभ में किया है गड़बडि़यों का खुलासा
देहरादून, 4 जून । आपदा राहत राशि में घोटाले के आरोपों से घिर रही कांग्रेस सरकार के मुखिया पहले तो असहज से दिखे। लेकिन अब उन्होंने भाजपा के खिलाफ हमलावर तेवर अपना लिया है। सीएम हरीश रावत ने भाजपा शासन काल में हुए घोटालों की फाइलों पर पड़ी धूल को साफ करवा लिया। इसके बाद सीएम हरीश रावत ने इन्हीं पुराने हथियारों के साथ भाजपा पर हमला बोल दिया है। हरदा कह रहे हैं कि क्या इन मामलों की जांच भी सीबीआई से करा ली जाए। राहत राशि घोटाले के खुलासे के बाद सरकार की ओर से की गई बयानबाजी ने इस मामले को और भी तूल दे दिया है। सीएम के बयानों को आधार बनाकर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश में हैं। लगातार हमलों से सरकार के मुखिया हरीश रावत पहले तो असहज से दिखे। लेकिन अफसरों के साथ मजबूती से खड़े रहे। हमला और तेज हुआ तो सीएम हरीश रावत आफेंसिव मोड यानि हमलावर अंदाज में सामने आए हैं। इतना ही नहीं सीएम हरीश रावत ने पुराने हथियारों को भी निकाल लिया है। बताया जा रहा है कि सरकार के मुखिया की इच्छा के अनुसार अफसरों की टीम ने इन हथियारों पर लगी जंक को साफ करके फिर से धारदार कर दिया है। सीएम हरीश रावत के ये हथियार भाजपा शासन काल में हुए ढेंचा बीज घोटाला, स्टुर्जिया जमीन घोटाला और कुंभ घोटाला है। सूत्रों ने बताया कि इस घोटालों की फाइलों पर पड़ी धूल को साफ करके नए सिरे से नोटिंग की पूरी तैयारी कर ली गई है। सीएम का एक इशारा मिलते ही अफसरों की टीम नोटिंग करके इन मामलों सीबीआई के हवाले कर सकती है। शायद यही वजह है कि अब हरदा साफ कह रहे हैं कि भाजपा की ओर से आपदा राहत राशि घोटाले की बात तो की जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या इन मामलों की जांच भी सीबीआई से करा ली जाए। सीएम हरीश रावत बता रहे हैं कि ढेंचा बीज घोटाले और स्टुर्जिया घोटाले में जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी है। इसी तरह कुंभ घोटाले का खुलासा कैग की रिपोर्ट में हो चुका है। हरदा की ओर से भाजपा को एक तरह से चुनौती देते हुए कहा जा रहा है कि अगर शांत नहीं बैठे तो इन मामलों को जांच के लिए सीबीआई के पास भेज दिया जाएगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपाई खेमा मुख्यमंत्री हरीश रावत के इन हथियारों का सामना कैसे करती है।
तो क्यों नहीं लिया कोई एक्शन
सीएम हरीश रावत ने भाजपा पर जिस तरह से हमला किया है, उससे कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि अगर जांच आयोग ने घोटालों की रिपोर्ट सरकार के पास भेज दी है तो इन पर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या विपक्ष की आवाज को इस अंदाज में दबाने के प्रयास को जायज करार दिया जा सकता है।
पहले क्यों मानी सूचना आयुक्त की सिफारिश
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आपदा राहत राशि घोटाले में सीबीआई जांच की सिफारिश करने वाले सूचना आयुक्त पर भी हमला बोल दिया है। सीएम का कहना है कि सूचना आयुक्त का काम सूचना दिलवाना और न देने वाले के खिलाफ एक्शन लेने का है। उन्हें किसी मामले में कोई फैसला देने या फिर सिफारिश करने का कोई अधिकार नहीं है। जब सूचना आयुक्त के पास कोई अधिकार ही नहीं है तो उनके फैसले के अनुसार सीबीआई जांच की सिफारिश आखिर क्यों की जाए। मुख्य सचिव जांच कर रहे हैं। उनकी रिपोर्ट के आधार पर एक्शन लिया जाएगा। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि सरकार ने सूचना आयुक्त की इससे पहले की सिफारिश पर अमल क्यों किया। यहां बता दें कि इन्हीं सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने एनएचआरएम में दवा घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। सरकार ने इस पर अमल भी किया था।
तो बड़ा मामला क्या होता है नेताजी, कांग्रेसी नेता धीरेंद्र ने आपदा राहत घोटाले को बताया छोटा
देहरादून, 4 जून(निस) । आपदा राहत राशि घोटाले को लेकर भाजपा के हमले से कांग्रेसी नेता बौखलाए से दिख रहे हैं और कुछ भी बयान दे रहे हैं। इसी क्रम में सरकारी दायित्वधारी धीरेंद्र प्रताप ने आपदा राहत घोटाले को छोटा करार दिया और इस मामले को खत्म करने की सलाह दे डाली। सूचना आयुक्त अनिल शर्मा की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद से भाजपा हमलावर रुख अपनाए हुए और कांग्रेसी नेता बौखलाए से दिख रहे हैं। पहले कांग्रेस अध्यक्ष किशोर ने इस मामले में सूचना आयुक्त पर हमला किया तो अब धीरेंद्र प्रताप इस मामले को छोटा बता रहे हैं। मीडिया को जारी बयान में उन्होंने कहा कि यह तो एक छोटा सा मामला है। इसे तूल नहीं दिया जाना चाहिए। अब अगर करोड़ों की गड़बड़ी को नेताजी छोटा सा मामला बता रहे हैं तो लगे हाथ उन्हें यह भी स्पष्ट कर देना चाहिए कि आखिर कितने करोड़ को घोटाले को कांग्रेस बड़ा मामला मानेगी। सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेसी नेताओं को इस मुद्दे पर कोई सटीक जवाब नहीं सूझ रहा है। यही वजह है कि अनावश्यक बयानबाजी की जा रही है।
भारतीय स्टेट बैंक ने एमडीडीए का कोई आदेश मिलने से किया साफ इंकार, रिवर वैली प्रोजेक्टःनहीं रुकी फार्मों की बिक्री
- बिल्डर की मनमानी पर नहीं हो रहा कोई नियंत्रण , बिल्डर ने फार्म बिक्री से कर ली डेढ़ करोड़ की कमाई
- खुद बेचे आवेदन फार्म के पैसों का कोई हिसाब नहीं, एसबीआई में फार्म की बिक्री बढ़ाने को दिया प्रजेंटेशन
देहरादून, 4 जून । भारतीय स्टेट बैंक की शाखाओं से की जा रही रिवर वैली प्रोजेक्ट के फ्लैट खरीदने के लिए आवेदन पत्रों की बिक्री पर दो रोज बाद भी कोई रोक नहीं लग सकी है। स्टेट बैंक के मुख्य प्रबंधक का कहना है कि उन्हें एमडीडीए से कोई भी आदेश नहीं मिला है और फार्म की बिक्री नियमों के तहत ही की जा रही है। बिंडलास ग्रुप का हाउसिंग प्रोजेक्ट रिवर वैली पहले रोज से खासी चर्चा में हैं। इस प्रोजेक्ट में लगभग तीन हजार फ्लैट बनने हैं और इसमें से 15 फीसदी यानि साढ़े चार सौ फ्लैट ईएसडब्ल्यु वर्ग के हैं। इन ईएसडब्ल्यु फ्लैट का आवंटन एमडीडीए की ओर से गठित होने वाली एक समिति को करना है। इस प्रकार से बिल्डर के पास 2550 फ्लैट की आम लोगों के लिए बचते हैं। कायदे से बिल्डर को इन्हीं की बुकिंग करनी चाहिए थी। लेकिन मोटी कमाई करने के लिए बिल्डर ने अपने प्रोजेक्ट का समाचार पत्रों और होर्डिंग्स के माध्यम से जमकर प्रचार किया। इतना ही नहीं प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने के लिए आवेदन पत्रों की बिक्री के लिए भारतीय स्टेट बैंक, यूको बैंक और उत्तराखंड ग्रामीण बैंक से करार कर लिया। आम लोग इन्हीं बैंकों की वजह से बिल्डर के झांसे में आ गए। नजीता यह रहा कि अब तक 25 हजार तक फार्म बिक्री होने की खबर है। एक फार्म 570 रुपये का बेचा जा रहा है। इस लिहाज से बिल्डर के खाते में अब तक लगभग डेढ़ करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। इसके अलावा बिल्डर अपने स्तर से भी फार्मों की बिक्री कर रहा है। इसका कोई ब्योरा नहीं कि यहां के कितने फार्म बेचे गए हैं। अब बात फ्लैट आवंटन की। आवेदन पत्र में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि हजारों आवेदकों में से 2550 लोगों को फ्लैट किस आधार पर आवंटित किए जाएंगे। बिल्डर की इन गड़बडि़यों का खुलासा ने किया तो हरकत में आए एमडीडीए ने सभी बैंकों को खत भेजकर फार्म की बिक्री तत्काल रोकने और अब तक बिके फार्मों का पैसा बिल्डर के खाते में ट्रांसफर न करने को कहा। साथ ही सरकार को पत्र भेजकर पूछा कि क्या बिल्डर द्वारा अपने फार्म बेचने के लिए सरकारी बैंक से करार करना और लाटरी के माध्यम के फ्लैट बेचना कानूनी रूप से जायज हैं। एमडीडीए के इस एक्शन से लगा कि बिल्डर की मनमानी पर अब शायद कुछ अंकुश लग सकेगा। लेकिन आज दो रोज बाद भी किसी भी बैंक ने फार्मों की बिक्री नहीं रोकी। स्टेट बैंक का पता नहीं क्या इंट्रेस्ट है कि अपने कर्मियों को बिल्डर के प्रजेंटेशन से यह समझाने की कोशिश की गई कि ज्यादा से ज्याद फार्म कैसे बेचे जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि यह प्रजेंटेशन बुधवार की शाम को दिया गया। इस बारे में भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक बर्थ्वाल ने बातचीत में कहा कि बैंक को फार्म बिक्री रोकने के बारे में कोई आदेश नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि बैंक ने फार्म बेचने का करार किया है। अब बिल्डर फ्लैटों का आवंटन कैसे करेगा, इससे बैंक का कोई वास्ता नहीं है।
वापस नहीं होगा फार्म का पैसा
बताया जा रहा है कि बिल्डर की सियासत और अफसरशाही में गहरी पकड़ है। इसी की दम पर आम जनता से आवेदन फार्म की बिक्री के नाम पर करोड़ों रुपये कमाए जा रहे हैं। इस आवेदन फार्म पर इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि हजारों आवेदकों में से 2550 लोगों को कैसे चुना जाएगा। अलबत्ता यह जरूर लिखा गया है कि फार्म की राशि नान रिफंडेबुल है। जाहिर है कि आम जनता से पैसा ऐंठने का काम योजनाबद्ध तरीके से किया गया है। जाहिर है कि जिन लोगों को फ्लैट नहीं मिलते हैं उनके फार्म खरीदने का पैसा बिल्डर का हो जाएगा। इतनी बड़ी गड़बड़ी पर भी आवास विभाग का मौन तमाम सवालात खड़े कर रहा है।
क्या है आयुक्त को धमकी का सच, फैसले से पहले ही केंद्र सरकार को भेजा था खत
- राज्य से सुरक्षा न मांगने पर भी सवाल
देहरादून, 4 जून । राज्य सूचना आयुक्त अनिल शर्मा को धमकी मिलने का राज गहराता जा रहा है। बताया जा रहा है कि आयुक्त ने आपदा राशि घोटाले में फैसला लिखने से पहले ही केंद्र सरकार को अपनी सुरक्षा के लिए खत भेज दिया था। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर सूचना आयुक्त को कैसे इल्म हो गया था कि फैसला देने के बाद उन पर हमला किया जा सकता है। और अगर इस तरह का इल्म हो भी गया था तो उन्होंने इस बारे में राज्य सरकार से संपर्क क्यों नहीं किया। सूचना आयुक्त को धमकी मिलने का मामला खासा रहस्यमय दिख रहा है। सूचना आयुक्त को फोन पर जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। इसके बाद भी पुलिस अभी तक इस बात का खुलासा नहीं कर रही है कि आखिर धमकी दे कौन रहा है और इसके पीछे उसका मकसद क्या है। सवाल यह भी है कि क्या धमकी देने वाले को किसी ने हायर किया है। इन अहम सवालों का जवाब देने को कोई भी तैयार नहीं है। पुलिस कह रही है कि उसे इस मामले में कोई सूचना नहीं दी गई है। पड़ताल से एक अहम बात यह सामने आ रही है कि सूचना आयुुक्त अनिल शर्मा ने आपदा राहत राशि घोटाले के मामले में सरकार को रिपोर्ट भेजने से पहले ही केंद्र सरकार के गृह विभाग को अपनी सुरक्षा के लिए खत भेज दिया था। अब यह खत राज्य सरकार के पास पहुंच गया है और राज्य का गृह विभाग इसकी पड़ताल कर रहा है। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर सूचना आयुक्त को यह पहले ही कैसे पता चल गया कि उन पर हमले की कोशिश की जा सकती है। जाहिर है कि अगर उन्हें इस बात का इल्म भी हो गया था तो उन्हें यह भी पता होगा कि धमकी देने वाला कौन हैं। इसके बाद भी उन्होंने राज्य सरकार के अफसरों को इस बारे में कोई जानकारी क्यों नहीं दी। अनिल शर्मा उत्तराखंड राज्य के सूचना आयुक्त है, क्या उन्हें अपनी ही सरकार पर भरोसा नहीं है। बहरहाल, हालात इशारा कर रहे हैं कि इस धमकी के मामले में कोई गहरा राज छुपा है और इसके तार राज्य की ही किसी ताकतवर शख्सियत से जुड़े हैं। शायद यही वजह है कि .सूचना आयुक्त ने राज्य सरकार को इस बारे में जानकारी देने की बजाय सीधे केंद्र सरकार से ही संपर्क किया। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस मामले की जांच कब होती है और क्या सच सामने आता है।
सूचना आयुक्तों के पद अपात्रों की नियुक्तियां, पूर्व सीएस ने सीएम को 2014 में भेजी थी एक रिपोर्ट
- नपल्च्याल के अलावा कोई अन्य आयुक्त नहीं था प्रख्यात, आवेदकों ने खुद ही सरकार के जमा किए अपने बायोडाटा
- तत्कालीन राज्यपाल ने भी फाइल पर लिखी प्रतिकूल टिप्पणी
देहरादून, 4 जून । उत्तराखंड में सूचना आयुक्तों के पदों पर वर्ष 2010 से अब तक अपात्रों की ही नियुक्तियां हुई हैं। सूचना आयुक्त बनाए गए लोग सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 15(4) में उल्लेखित पात्रता नहीं रखते हैं। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता तथा कानून विशेषज्ञ नदीम उद्दीन एडवोकेट को शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना से हुआ। आरटीआई एक्ट की 2005 की धारा 15(4) के अनुसार राज्य सूचना आयुक्त नियुक्त होने के लिए दो योग्यताएं आवश्यक हैं। पहला वह समाज में प्रख्यात व्यक्ति हो, दूसरा वह विधि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, समाजसेवा प्रबंध, पत्रकारिता, जनसंपर्क माध्यम या प्रशासन और शासन के क्षेत्र में व्यापक ज्ञान व अनुभव रखता हो। नदीम को मिली सूचना से स्पष्ट है कि नियुक्ति के लिए संस्तुति करने वाली मुख्यमंत्री, नेता विपक्ष तथा मुख्यमंत्री द्वारा नामित सदस्य की समिति ने नियुक्ति में इन दोनों योग्यताओं पर विचार ही नहीं किया है। इनके बायोडाटा में न तो यह लिखा है कि वे किस क्षेत्र में व्यापक ज्ञान और अनुभव रखते हैं और न ही समाज में प्रख्यात होने को ही स्पष्ट किया है। तत्कालीन मुख्य सचिव सुभाष कुमार की ओर से आठ जनवरी-14 को सीएम को भेजी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय कार्यरत कोई भी सूचना आयुक्त किसी क्षेत्र विशेष में व्यापक ज्ञान तथा अनुभव नहीं रखते थे और न ही वह प्रख्यात व्यक्ति ही थे। इसी रिपोर्ट के पैरा 10 में लिखा गया है कि वर्तमान में मुख्य सूचना आयुक्त सहित कुल पांच आयुक्तों में से सिर्फ मुख्य सूचना आयुक्त ही शासन और प्रशासन में व्यापक ज्ञान और अनुभव रखने में प्रख्यात हैं। अन्य सभी विविध क्षेत्रों में ज्ञान एवं अनुभव रखने वाले हैं। नदीम को मिली सूचना से भी यह स्पष्ट है कि अभी तक सूचना आयुक्तों की नियुक्ति कोई प्रक्रिया अपनाकर या पात्र व्यक्तियों से बायोडाटा आमंत्रित करके नहीं की गई है। बल्कि सूचना आयुक्त पद पर नियुक्त व्यक्तियों ने स्वयं ही अपने बायोडाटा बिना मांगे उपलब्ध कराए हैं। नदीम ने बताया सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों में सितंबर 2012 में नामित शर्मा बनाम भारत संघ के निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी पालन नहीं किया गया है। 2014 में नियुक्त सूचना आयुक्त के नाम की संस्तुति के लिए बिना समिति की मीटिंग के ही तीनों सदस्यों से अलग-अलग सहमति ली गई है। तत्कालीन राज्यपाल अजीज कुरैशी की प्रतिकूल टिप्पणी में कहा गया है कि मेरा यह स्पष्ट मत है कि ऐसे पदों पर मुख्य सचिव के स्तर के लोगों के नाम ही प्रस्तावित किया जाना उचित एवं लाभदायक होगा। नदीम ने राज्यपाल को इन तथ्यों को अवगत कराते हुए भविष्य में सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां पारदर्शी तरीके से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत करने की मांग की है।
केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू और मुख्यमंत्री हरीश रावत की मुलाकात
- जौलीग्रांट व पंतनगर एयरपोर्ट के विस्तार पर चल रहा विचार: अशोक गजपति राजू
- केन्द्रीय मंत्री द्वारा सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन: मुख्यमंत्री
देहरादून, 4 जून(निस)। गुरूवार को बीजापुर अतिथि गृह में केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू और मुख्यमंत्री हरीश रावत के मध्य विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि राज्य मंे पर्यटन की असीम संभावनाएं है। राज्य सरकार द्वारा जो प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजे गये है, उन पर शीघ्र विचार कर निर्णय लिया जायेगा। पंतनगर हवाई अड्डे को कार्गो एयर पोर्ट के रूप में विकसित किया जायेगा। इसके साथ ही जौलीग्रांट व पंतनगर एयरपोर्ट के विस्तार पर भी विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार मिलकर नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में काम करेंगे। राज्य सरकार द्वारा प्रस्ताव दिया गया है कि हैलीड्रोम में हैलीकाप्टर की नाईट लैडिंग सुविधा दी जाय, इस पर सुरक्षा एवं अन्य सभी बिन्दुओं पर विचार कर शीघ्र निर्णय लिया जायेगा। केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के जो भी प्रस्ताव केन्द्र स्तर पर लंबित है, उनके समाधान शीघ्र ही किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के साथ आज की मुलाकात सार्थक रही है। राज्यहित में कुछ प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजे गये है, जिन पर केन्द्रीय मंत्री द्वारा सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्ताव दिया है कि जौलीग्रांट हवाई अड्डे को अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा दिया जाय। उन्होंने कहा कि हमने देहरादून व पंतनगर हवाई अड्डे के विस्तार का भी अनुरोध किया गया है। राज्य में चारधाम यात्रा के साथ ही हेमकुण्ड साहिब, कैलाश मानसरोवर यात्रा होती है, जिसमें देश-विदेश से पर्यटक व तीर्थ यात्री आते है। इसे देखते हुए चण्डीगढ़ व अमृतसर से देहरादून के लिए हवाई सेवाएं शीघ्र प्रारम्भ की जाएं। पंतनगर एयपोर्ट को निर्यात के लिए कार्गो हब के तौर पर विकसित किया जाए। दिल्ली से पंतनगर के लिए एयर इण्डिया की रोकी गई हवाई सेवा को पुनः प्रारम्भ किया जाए। मुख्यमंत्री ने जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट को एमआरओ विकसित किए जाने के लिए उपयुक्त बताते हुए कहा कि इसके लिए सिविल एवियेशन अथाॅरिटी के पास पर्याप्त भूमि भी उपलब्ध है। इससे जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट में अधिक पार्किंग बेज चंतापदह इंले व अंतर्राष्ट्रीय उडानों के लिए नई टर्मिनल बिल्डिंग अन्य अवस्थापना सुविधाएं भी विकसित की जा सकती है। इससे एयरपोर्ट अथाॅरिटी आॅफ इंडिया की आय भी बढ़ेगी। उत्तराखण्ड में पर्यटन विकास के लिए हवाई सेवाओं के विस्तार पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की आर्थिक गतिविधियों व स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए पर्यटन की अहम भूमिका है। पर्यटन विकास में हवाई सेवाएं सहायक सिद्ध होगी। प्रदेश में सिविल एवियेशन डेवलपमेंट अथाॅरिटी बनाई गई है, जिसके अंतर्गत पर्वतीय क्षेत्रों में तीन एयरफील्ड व लगभग 60 हेलीपेड विकसित किए जा रहे है। इसमें भारत सरकार प्राथमिकता से सहयोग करें। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट मंे 24 घंटे संचालन की सुविधाएं विकसित की जाएं। यहां रात्रिकालीन पार्किंग की व्यवस्था करने से देहरादून से दिल्ली के लिए सुबह की हवाई सेवा प्रारम्भ की जा सकती है। एयर नेवीगेशन सर्विसेज के तहत देहरादून व पंतनगर एयरपोर्ट को ब्।ज्.2 व ब्।ज्.1 के रूप में अपग्रेड किया जाए। यहां आईएलएस सुविधाएं भी सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है। पर्वतीय क्षेत्रों में मानकों के अनुरूप भूमि की अनुपलब्धता को देखते हुए यहा 3 टथ्त् फील्ड्स के लिए लाईसेंसिंग में छूट दी जाए। नेपाल व तिब्बत बार्डर के निकट के एयरपोर्ट व हैलीपेड पर नाईट लेंडिंग सुविधाएं विकसित किए जाने के लिए छत्तीसगढ़ की भांति ही केन्द्रीय मदद दी जाए। राज्य में एयर कनेक्टीवीटी को बढ़ावा देने के लिए गैर लाईसेंस वाले एयरपोर्ट पर 9 से 20 सीट के एयरक्राफट की अनुमति दी जाए। केन्द्र सरकार द्वारा देहरादून व पंतनगर हवाई अड्डो में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने पर राज्य सरकार से वैट आदि में छूट के संबंध में सहमति मांगी गई थी, जिस पर राज्य सरकार द्वारा सहमति दे दी गई है। बैठक में सभा सचिव विजयपाल सजवाण, औद्योगिक सलाहकार रणजीत सिंह रावत, मुख्य सचिव एन.रविशंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, अपर सचिव नागरिक उड्डयन अक्षत गुप्ता सहित नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
मानव कल्याण के लिए पर्यावरण संरक्षण में दें सक्र्रिय योगदान: मुख्यमंत्री
देहरादून, 4 जून(निस)। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेशवासियों को मानव कल्याण के लिए पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया है। पर्यावरण संरक्षण में आम जनता की भागीदारी जरूरी है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जनजागरूकता के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किए जाने की आवश्यकता है। देश के ही नहीं अपितु वैश्विक पर्यावरण में भी उŸाराखण्ड की अहम भूमिका है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वनों के अवैज्ञानिक कटान, गैस उत्सर्जन, ओजोन परत के क्षरण आदि पर्यावरण असन्तुलन की दृष्टि से पूरे विश्व की समस्या बन गयी है। साथ ही अजैविक कचरे के हानिकारक प्रभावों के प्रति जनसामान्य में अधिक से अधिक जनजागरूकता की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास और पर्यावरण में संतुलन आज की आवश्यकता है। उन्होंने सरकारी प्रयासों के साथ ही जनता, जन प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं आदि से अपील की है कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन चेतना जागृत करने और इसके संवर्द्धन के लिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर अपना सक्रिय सहयोग प्रदान करें।
पांच व छह जून को मुख्यमंत्री टिहरी व उत्तरकाषी में
देहरादून, 4 जून(निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत 5 व 6 जून को टिहरी व उत्तरकाशी के भ्रमण पर रहेंगे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री श्री रावत 05 जून, 2015 शुक्रवार को प्रातः देहरादून से प्रस्थान कर नई टिहरी पहंुचेंगे। जहां वे प्रातः 10.50 बजे से 01.00 बजे तक विकास भवन नई टिहरी में कार्यकर्ताओं के साथ भेंट करेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री श्री रावत जिला मुख्यालय नई टिहरी मंे विभिन्न विभागों की समीक्षा कर रात्री विश्राम भागीरथीपुरम गेस्ट हाउस नई टिहरी में करेंगे। दिनांक 06 जून, 2015 शनिवार को मुख्यमंत्री श्री रावत नई टिहरी से प्रस्थान कर उत्तरकाशी पहंुचेंगे। जहां वे जिला मुख्यालय में अपराह्न 01.00 बजे से 03.00 बजे तक कार्यकर्ताओं के साथ भेंट करेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री श्री रावत जिला मुख्यालय, उत्तरकाशी में 03.00 बजे से 05.00 बजे विभिन्न विभागों की समीक्षा कर रात्री विश्राम लोक निर्माण विभाग अतिथि गृह उत्तरकाशी करेंगे। 07 जून, 2015 रविवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत उत्तरकाशी से प्रस्थान कर प्रातः 10.00 बजे देहरादून पहंचेंगे। प्रातः 10.20 बजे से 3.45 तक शासकीय कार्यो का निस्पादन करेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री श्री रावत सायं 04.00 बजे से 05.00 बजे तक रेंजर्स ग्राउण्ड में गोल्ड किक्रेट टूर्नामेंट के फाइनल एवं पुरस्कार वितरण समारोह में सम्मिलित होंगे। इसके बाद वे सायं 5.15 बजे से 6.30 बजे तक शासकीय कार्याे का निष्पादन करेंगे। मुख्यमंत्री श्री रावत रविवार को ही सायं 8.00 बजे नई दिल्ली के लिए रवाना होंगे।