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ग्वालियर में कचरे में मिली दान की आंखें, 3 निलंबित

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मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में जारी लापरवाही की श्रृंखला में ग्वालियर में दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। यहां के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जेएएच के कचरे में दान की आंखें मिली हैं। इस मामले में संभागायुक्त के. के. खरे ने नेत्र विभाग के अध्यक्ष डा. यू. सी. तिवारी सहित तीन को निलंबित कर दिया है। ग्वालियर निवासी किशन गंभीर ने अपनी मां के निधन के बाद उनकी आंखों का दान किया था, मगर गुरुवार को आंखें कचरे में होने का खुलासा होने से वे बेहद दुखी हैं। वहीं इस घटना को संभागायुक्त के. के. खरे ने गंभीरता से लेते हुए नेत्र विभाग के अध्यक्ष डा. तिवारी, प्रोफेसर डी. के. शाक्य और एक अन्य कर्मचारी नीति को निलंबित कर दिया है। 

किशन का कहना है कि जेएएच के इस रवैये से वह बेहद आहत हैं और अपनी मां का दोबारा श्राद्ध करने जा रहे हैं। उन्होंने तो अपनी मां की आंखें इसलिए दान की थी ताकि दूसरे का जीवन रोशन हो और मां की यादें जिंदा रहे मगर ऐसा हो न सका। दान की आंखें अस्पताल के कचरे में मिलने का खुालासा होने के बाद गुरुवार को उन परिवारों के लोगों का तांता लगा रहा जिन्होंने अपने प्रियजन की मरणोपरांत आंखें दान की है। कई तो ऐसे लोग थे जिन्होंने दान की गई आंखें तक वापस मांग डाली।

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की : जयललिता

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तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने नए बांध के निर्माण को लेकर को लेकर केरल के पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) से संबंधित अनुरोध को मंजूरी देने के केंद्र सरकार के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमाना बताया है। जयललिता की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा गया पत्र गुरुवार को सार्वजनिक किया गया, जिसमें उन्होंने लिखा है, "केरल के अनुरोध पर गौर करना और उसे मंजूरी देना..सर्वोच्च न्यायालय के सात मई 2014 को दिए गए फैसले की अवमानना है।"

जयललिता ने कहा, "केंद्र सरकार को केरल का अनुरोध मंजूर नहीं करना चाहिए था और प्रस्ताव उन्हें वापस कर देना चाहिए था।"जयललिता ने केरल के इडुक्की जिले में नए मुल्ला पेरियार बांध के निर्माण से संबंधित पर्यावरण प्रभाव आकलन की सलाह पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के गौर करने के बाद मोदी को पत्र लिखा।

जयललिता ने कहा, "ऐसी परिस्थिति में मैं आपके व्यक्तिगत हस्तक्षेप की उम्मीद करती हूं और आग्रह करती हूं कि आप मंत्रालय और उससे संबंधित एजेंसियों को निर्देश देंगे कि भविष्य में केरल के प्रस्ताव को मंजूरी न दें और इसे केरल सरकार को वापस सौंप दें।"जयललिता के मुताबिक, जबकि मुल्ला पेरियार बांध के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय अंतिम फैसला दे चुका है, केरल गुपचुप तरीके से इस फैसले को पलटने की कोशिशों में जुटा है।

उन्होंने कहा, "तमिलनाडु ने पहले ही केरल के पर्यावरण प्रभाव आकलन संबंधी अनुरोध पर तत्काल रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप करने की मांग की है और सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करने के अपने अधिकार सुरक्षित कर लिए हैं। यह फैसला न्यायालय ने जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया है।"

भाजपा तय करेगी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार : रामविलास

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लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने यहां गुरुवार को कहा कि आगमी बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तय करेगी। पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अब चुनौती देने के काबिल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि काफी प्रयासों के बाद भी वे अपनी पुत्री और पत्नी को चुनाव नहीं जिता सके। 

राजग में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "जहां झगड़ा है वहां इसकी जल्दी होती है। राजग में कोई झगड़ा नहीं है।" उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अगर राजग में आते हैं तो उन्हें खुशी होगी।  केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मौजूदा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें संशोधन किया जाएगा। इस संशोधन की तैयारी पूरी कर ली गई है आगमी मानसून सत्र में इसे संसद में पेश किया जाएगा। 

केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले एक साल के दौरान कोई भी भ्रष्टाचार का मुद्दा सरकार के सामने नहीं आया है। महंगाई आज न्यूनतम स्तर से नीचे है और खाद्य पदार्थो के मूल्य में बढ़ोतरी नहीं हुई है।  बिहार में खाद्य सुरक्षा कानून की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आठ करोड़ 71 लाख लोगों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य था, परंतु अभी भी एक करोड़ लोग इससे वंचित हैं। 

हमारे विकास कार्यो का श्रेय लेना चाहती है केंद्र सरकार : नीतीश

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार जहां अपने कोष से प्रदेश का विकास कर रही है, वहीं इसका श्रेय केंद्र सरकार लेना चाहती है। पटना में पुल निर्माण निगम के 40वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार पर जमकर भड़ास निकाली।  उन्होंने कहा, "केन्द्र सरकार 50 हजार करोड़ रुपये बिहार को देने की बात करती है, लेकिन अब तक 50 रुपये भी नहीं दिए। राज्य सरकार अपने कोष से बिहार में जो विकास कार्य कर रही है, उसका भी श्रेय केंद्र सरकार लेना चाह रही है।" 

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं पर विकास में रोड़ा अटकाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार में हुए विकास को देखकर इसके नेता परेशान हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का जो हक है वह भी केंद्र सरकार देने से पीछे हट रही है। 

उन्होंने कहा, "केंद्रीय मंत्री बिहार के लिए विभिन्न पैकेजों की घोषणा करते हैं, लेकिन उन्हें अमलीजामा पहनाने के लिए अब तक कोई पहल नहीं की गई।" मुख्यमंत्री ने दावा करते हुए कहा कि बिहार पुल निर्माण में काफी आगे बढ़ा है। कई क्षेत्रों में जहां पुल के अभाव में लोग सड़क मार्ग से नहीं जा पाते थे, वहां भी लोग अब सड़क मार्ग से पहुंचने लगे हैं। 

बालश्रम विरोधी दिवस विशेष : हमारे भारत वर्ष से कैसे हो बाल मजदूरी का खात्मा ?

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मैं बहुत दिनों से ''बालश्रम''के विरुद्ध एक लड़ाई लड़ रहा हूँ,पहले मैंने जब वर्ष १९९५ से बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता एवं अंतराष्ट्रीय बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री कैलाश जी सत्यार्थी के साथ कार्य करना प्रारम्भ किया था तब मुझे लग रहा था कि ''बलश्रम''जैसी गम्भीर समस्या से सिर्फ हमारा देश ही जूझ रहा है लेकिन जब बचपन बचाओ आंदोलन के माध्यम से मुझे भारत के साथ साथ अन्य देशों की स्थिति जानने का अवसर मिला तो मुझे महसूस हुआ कि बालश्रम की समस्या तो वैशविक समस्या है और इस गम्भीर समस्या ने तो पूरी दुनिया में ही पैर जमा लिए है ।

कुछ लोग मुझे कहते है कि बच्चे काम नहीं करेंगे तो भूखे मर जायेंगे लेकिन उनके पास मेरे सवालों का जवाव नहीं होता है कि जब तक बच्चों से काम कराया जावेगा तब तक वयस्कों के रोजगार पर डाका पड़ता रहेगा । वर्त्तमान दौर में बाजार के वैश्वीकरण तथा बड़े लोंगों के धन एकत्र करने की लोलुपता के कारण बाल मजदूरों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है । खतरनाक और गैर खतरनाक उद्योगों में जहा लगभग भारत में ६ करोड़ बच्चे तिल तिल कर मजदूरी करने को विवस है तो वही दूसरी ओर घरों की चार दीवारों के बीच भी नाबालिग लड़कों एवं लड़कियों से बड़ी संख्या में मजदूरी कराई जा रही है । सामाजिक सरोकार की कमी के कारण बाल मजदूरों की संख्या में निरंतर वृद्दि हो रही है और हम सब मूक दर्शक बन कर तमाशा देख रहे है ।

यह माना जाता है कि भारत में 14 साल के बच्चों की आबादी पूरी अमेरिकी आबादी से भी ज़्यादा है. भारत में कुल श्रम शक्ति का लगभग 3.6 फीसदी हिस्सा 14 साल से कम उम्र के बच्चों का है. हमारे देश में हर दस बच्चों में से 9 काम करते हैं । ये बच्चे लगभग 85 फीसदी पारंपरिक कृषि गतिविधियों में कार्यरत हैं, जबकि 9 फीसदी से कम उत्पादन, सेवा और मरम्मती कार्यों में लगे हैं । स़िर्फ 0.8 फीसदी कारखानों में काम करते हैं । आमतौर पर बाल मज़दूरी अविकसित देशों में व्याप्त विविध समस्याओं का नतीजा है । 

भारत सरकार दूसरे देशों के सहयोग से बाल मज़दूरी ख़त्म करने की दिशा में तेज़ी से प्रयासरत है ।  इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) जैसे महत्वपूर्ण क़दम उठाए हैं । आज यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि इस परियोजना ने इस मामले में का़फी अहम कार्य किए हैं । इस परियोजना के तहत हज़ारों बच्चों को सुरक्षित बचाया गया है ।साथ ही इस परियोजना के तहत चलाए जा रहे विशेष स्कूलों में उनका पुनर्वास भी किया गया है ।  इन स्कूलों के पाठ्यक्रम भी विशिष्ट होते हैं, ताकि आगे चलकर इन बच्चों को मुख्यधारा के विद्यालयों में प्रवेश लेने में किसी तरह की परेशानी न हो ।  ये बच्चे इन विशेष विद्यालयों में न स़िर्फ बुनियादी शिक्षा हासिल करते हैं, बल्कि उनकी रुचि के मुताबिक़ व्यवसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है ।  राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के तहत इन बच्चों के लिए नियमित रूप से खानपान और चिकित्सकीय सहायता की व्यवस्था है ।  साथ ही इन्हें एक सौ रुपये मासिक वजी़फा दिया जाता है ।  

ग़ैर सरकारी संगठनों या स्थानीय निकायों द्वारा चलाए जा रहे ऐसे स्कूल इस परियोजना के अंतर्गत अपना काम अगर निष्ठा एवं ईमानदारी से करें तो हज़ारों बच्चे मुख्य धारा में शामिल हो सकते है । लेकिन अभी भी देश में करोड़ों बच्चे  बाल मज़दूर की ज़िंदगी जीने को मजबूर हैं । समाज की बेहतरी के लिए इस बीमारी को जड़ से उखाड़ना बहुत ज़रूरी है । एनसीएलपी जैसी परियोजनाओं के सामने कई तरह की समस्याएं हैं । यदि हम सभी इन समस्यायों का मूल समाधान चाहते हैं तो हमें इन पर गहनता से विचार करने की ज़रूरत है । इस संदर्भ में सबसे पहली ज़रूरत है 14 साल से कम उम्र के बाल मज़दूरों की पहचान करना । 

आख़िर वे कौन से मापदंड हैं, जिनसे हम 14 साल तक के बाल मज़दूरों की पहचान करते हैं और जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्य हों? क्या हमारा तात्पर्य यह होता है कि जब बच्चा 14 साल का हो जाए तो उसकी देखभाल की जिम्मेदारी राज्य की हो जाती है? हम जानते हैं कि ग़रीबी में अपना गुज़र-बसर कर रहे बच्चों को परवरिश की ज़रूरत है । कोई बच्चा जब 14 साल का हो जाता है और ऐसे में सरकार अपना सहयोग बंद कर दे तो मुमकिन है कि वह एक बार फिर बाल मज़दूरी के दलदल में फंस जाए । यदि सरकार ऐसा करती है तो यह समस्या बनी रह सकती है और बच्चे इस दलदल भरी ज़िंदगी से कभी बाहर ही नहीं निकल पाएंगे । कुछ लोगों का मानना है और उन्होंने यह प्रस्ताव भी रखा है कि बाल मज़दूरों की पहचान की न्यूनतम आयु बढ़ाकर 18 साल कर देनी चाहिए । साथ ही सभी सरकारी सहायताओं मसलन मासिक वजी़फा, चिकित्सा सुविधा और खानपान का सहयोग तब तक जारी रखना चाहिए, जब तक कि बच्चा 18 साल का न हो जाए । कई सरकारें बाल मज़दूरों की सही संख्या बताने से बचती हैं । ऐसे में वे जब विशेष स्कूल खोलने की स़िफारिश करती हैं तो उनकी संख्या कम होती है, ताकि उनके द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यों और कार्यकलापों की पोल न खुल जाए । यह एक बेहद महत्वपूर्ण पहलू है और आज ज़रूरत है कि इन सभी मसलों पर गहनता से विचार किया जाए । 

मौजूदा नियमों के मुताबिक़, जब बच्चा मुख्य धारा के स्कूलों में दाख़िला ले लेता है तो ऐसा माना जाता है कि मासिक सहायता बंद कर देनी चाहिए. जबकि बच्चे या उसके माता-पिता नहीं चाहते हैं कि वित्तीय सहायता बंद हो । ऐसे में उनका अकादमिक प्रदर्शन नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है । यही वजह है कि हर कोई सोचता है कि जब बच्चा मुख्य धारा के स्कूल में प्रवेश कर जाए तो उसके बाद भी उसे सहायता मिलती रहनी चाहिए । आख़िरकार अतिरिक्त पैसे के लिए ही तो माता-पिता अपने बच्चों से मज़दूरी करवाते हैं । इसीलिए किसी भी तरह आर्थिक सहायता जारी रहनी चाहिए. यह तब तक मिलनी चाहिए, जब तक कि वह बच्चा पूर्ण रूप से मुख्य धारा में शामिल होने के क़ाबिल न हो जाए. हालांकि पुनर्वास पैकेज की पूरी व्यवस्था की गई है, फिर भी बच्चे के माता-पिता सरकारी सुविधाओं के हक़दार नहीं माने गए हैं. ऐसे में हर किसी को यह लगता है कि इस संदर्भ में एक सामान्य नियम होना चाहिए, ताकि ऐसे लोगों के  लिए एक विशेष वर्ग निर्धारित हो सके ।  जैसे एससी, एसटी, ओबीसी, सैनिकों की विधवाओं, पूर्व सैनिक और अपाहिज लोगों के लिए एक अलग वर्ग निर्धारित किया जा चुका है । 

बाल श्रमिकों की पहचान के संबंध में एक दूसरी समस्या सामने आई है, वह है उम्र का निर्धारण । इस परियोजना ने चाहे जो कुछ भी किया है, लेकिन कम से कम यह बाल मज़दूरी के संदर्भ में पर्याप्त जागरूकता लाई है । अब यह हर कोई जानने लगा है कि 14 साल के बच्चे से काम कराना एक अपराध है । इसीलिए आज जब कोई बाल मज़दूरी की रोकथाम को लागू करना चाहता है तो एक बच्चा ख़ुद अपनी समस्याओं को हमें बताता है । उसके मुताबिक़, काम करने की न्यूनतम आयु 14 साल से कम नहीं होनी चाहिए । लेकिन इसकी जांच-पड़ताल का कोई उपाय नहीं है । ऐसे में हर कोई ऐसे बच्चों के पुनर्वास के लिए ख़ुद को असहाय महसूस करता है । ये बच्चे न तो स्कूल जाते हैं और न ही इनके जन्म का कोई प्रमाणिक रिकॉर्ड होता है ।इसीलिए ये कहीं से भी अपने जन्म प्रमाणपत्र का इंतज़ाम कर लेते हैं और लोगों को उसे मानने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं होता । लोगों को यह भी लगता है कि  माता-पिता द्वारा बच्चों को काम करने की छूट देने या उनके कारखानों में काम करने पर प्रतिबंध लगना चाहिए, क्योंकि माता-पिता द्वारा काम पर लगाए जाने वाले ऐसे बच्चों की तादाद भी का़फी अधिक है. इन बच्चों को छोटी उम्र में ही काम पर लगा दिया जाता है और ऐसे लोगों की वजह से ही इन बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ता है. एक बार फिर कहना होगा कि इन विशिष्ट स्कूलों में दिए जाने वाले व्यवसायिक प्रशिक्षणों में भी कुछ ख़ामियां हैं. हालांकि मौजूदा नियमों के मुताबिक़ व्यवसायिक प्रशिक्षण का प्रावधान तो है, लेकिन इसके लिए धन का अलग से आवंटन नहीं होता है, जिससे इस तरह के कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक चलाने में कई मुश्किलें आती हैं । 

बाल मज़दूरी ख़त्म करने और व्यवसायिक प्रशिक्षण का लक्ष्य हासिल करने के लिए सबसे पहले हमें उपर्युक्त पहलुओं को समझना बेहद ज़रूरी है. व्यवसायिक प्रशिक्षण के दौरान जिन उत्पादों का निर्माण होता है, उनका विपणन यदि ठीक ढंग से हो तो उसकी लागत पर आने वाले ख़र्च को हासिल किया जा सकता है. लेकिन यह सब परियोजना विशेष, उसके विस्तार और उत्पाद की गुणवत्ता पर निर्भर करता है. साथ ही यह परियोजना का कार्यान्वयन करने वाले व्यक्तिपर भी निर्भर करता है कि वह इन सबका प्रचार-प्रसार ठीक ढंग से कर पा रहा है या नहीं. यह देखने में आया है कि बाल मज़दूरी रोकने संबंधी नियम बन चुके हैं, लेकिन अभी भी इसे ज़मीनी स्तर पर लागू नहीं किया गया है. बाल मज़दूरी को बढ़ावा देने वाले ख़ुद समाज के ग़रीब तबके से आते हैं, इसलिए ऐसे लोगों को हिरासत में लेने या दंडित करने के प्रति भी हमारी कोई रुचि नहीं दिखती. जहां लोग बाल मज़दूरी से परिचित होते हैं, वे इस अपराध से बच निकलने में सफल हो जाते हैं. अत: हमें यहां सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि बाल श्रम अधिनियम (निषेध एवं विनियमन) को सही मायनों में लागू किया जा रहा है या नहीं. यह भी देखा जा रहा है कि जिन बाल मज़दूरों को मुक्त कराया जाता है, उनका पुनर्वास जल्द नहीं हो पाता, नतीजतन वे फिर  इस दलदल में फंस जाते हैं. ऐसे में हमें इसके ख़िला़फ कड़े क़दम उठाने की आवश्यकता है. साथ ही 20 हजार रुपये की राशि एक बाल मज़दूर के पुनर्वास के लिए बेहद ही मामूली राशि है, जिसे बढ़ाए जाने की भी ज़रूरत है. ज़मीनी स्तर पर पुनर्वास को सही ढंग से लागू करने के लिए वित्तीय सहायता के साथ-साथ एक बेहतर पुनर्वास ख़ाका भी बनाया जाना चाहिए. कई सरकारें बाल मज़दूरों की सही संख्या बताने से बचती हैं. ऐसे में वे जब विशेष स्कूल खोलने की स़िफारिश करती हैं तो उनकी संख्या कम होती है, ताकि उनके द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यों और कार्यकलापों की पोल न खुल जाए । 

यह एक बेहद महत्वपूर्ण पहलू है और आज ज़रूरत है कि इन सभी मसलों पर गहनता से विचार किया जाए. यदि सरकार सही तस्वीर छुपाने के लिए कम संख्या में ऐसे स्कूलों की स़िफारिश करती है तो यह नियमों को लागू करने एवं बाल श्रमिकों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने की दिशा में एक गंभीर समस्या और बाधा है. जब तक पर्याप्त संख्या में संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जाएंगे, ऐसी समस्याओं से निपटना मुश्किल ही होगा. यहां बाल श्रम से निपटने की दिशा में न स़िर्फ नए सिरे से सोचने की आवश्यकता है, बल्कि इसके लिए कार्यरत विभिन्न परियोजनाओं को वित्तीय सहायता आवंटित करने की भी ज़रूरत है. कुछ मामलों में बाल श्रमिकों की पहचान की ज़रूरत तो नहीं है, लेकिन इन परियोजनाओं में कुछ बुनियादी संशोधन की आवश्यकता ज़रूर है. इस देश से बाल मज़दूरी मिटाने के लिए अधिक समन्वित और सहयोगात्मक रवैया अपनाने की सख्त आवश्यकता है । 

आप और हम यह कर इस संख्या को कम करने में अपना योगदान दे सकते है :--
* हम सब मिलकर बाल मजदूरी जैसे जघन्य अपराध के विरुद्द लोंगों को जाग्रत करे ।
* अपने घरो,दफ्तरों,दुकानों में बच्चों से काम न करवाये एवं जहां बच्चों से काम कराया जाता हो उन संस्थानों,दुकानों,होटलों का बहिष्कार करे ।
* बालश्रम से बनाये गए उत्पादों का बहिष्कार करें ।
* अगर आपके आस पास कही भी किसी प्रकार का श्रम बच्चों से कराया जा रहा है तो उसकी शिकायत तत्काल पुलिस,श्रम विभाग,बाल कल्याण समिति या बाल अधिकार और मानवाधिकार आयोग को करें ।
* यह सब कार्य कर हम 'स्टॉप चाइल्ड लेबर''अभियान में सहभागी बन कर बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने में सहभागी बन सकते है ।







डॉ राघवेन्द्रसिंह तोमर (अभिभाषक)
महामंत्री,जिला कांग्रेस कमेटी,मंदसौर  
मंदसौर (मध्यप्रदेश)
(डॉ राघवेन्द्रसिंह तोमर, बाल अधिकार एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता )

विशेष आलेख : विभाजन की लकीरें

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सआदत हसन मंटो ने अपनी मशहूर रचना 'टोबा टेक सिंह'में एक मेंटल हॉस्पिटल का जिक्र करते हुए बताया गया कि सन 47 में सिर्फ हिन्दुस्तान के लोग और ज़मीन नहीं बटें थे बल्कि मानसिक रोगियों का भी विभाजन हुआ था, दरअसल कहानी में ये मानसिक रोगी तथाकथित होशमंदों के प्रतीक थे.भारतीय उपमहाद्वीप के उस विभाजन को 66 साल हो रहे हैं जिसके नतीजे में भारत और पाकिस्तान नाम के दो  राष्ट्र अस्तित्व में आए। यह 2015 है जब विभाजन के दौर की संतानें अपने उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं ,लेकिन ऐसा लग रहा है कि समय तीन सौ साठ डिग्री घूम कर फिर वहीँ पहुच गया है जहाँ हम उसे 1947 में छोड़ कर आगे बढ़ आये थे और 'टोबा टेक सिंह” के मेंटल भूतों की वापसी हो गयी है। विभाजन का सोया हुआ जिन्न जाग गया लगता है, हिन्दूओं और मुस्लिमों के नाम पर बनीं सियासी जमातों की राजनीति की मुख्यधारा में वापसी के संकेत बन रहे हैं और पंथनिरपेक्ष, बहुलतावादी और सहअस्तित्व के विचार हाशिये पर पंहुचा दिए गए लगते हैं।

वर्ष 2014 लोकसभा चुवाव ने मुस्लिम वोट बैंक, अल्पसंख्यक समुदाय के समर्थन के बिना भारत में कोई सरकार नहीं बना सकता है जैसे कई मिथ तोड़ दिए थे और देश में पहली बार एक बहुसंख्यकवादी मुकम्मल दक्षिणपंथी सरकार वजूद में आयी थी, जिसके मुखिया ने अपने चुनाव प्रचार के शुरुआत में मुम्बई की गलियों में पड़े पैमाने पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगवाये थे जिसमें बड़े -बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था ‘मैं हिंदू राष्ट्रवादी हूं’। अब जहाँ एक तरफ मुल्क के राजनीतिक पटल पर एक ऐसी राजनीतिक विचार सबसे बड़ी ताकत बन चुकी है जो बहुसंख्यकवाद की पैरोकार है और ऐसे दृष्टिकोण को बढ़ावा दे रही है जिससे राष्ट्र की एकता खतरे में पड़ सकती है, वहीँ दूसरी ओर एक ऐसी सियासी जामत भी पटल पर प्रवेश कर चुकी है जो चारमीनार के परछाईयों को दूर छोड़ते हुए पूरे देश के मुसलमानों के राजनीतिक  गोलबंदी की दिशा में आगे बढ़ रही है। एक तरफ जहाँ आये दिन लव जिहाद, धर्मांतरण और हिन्दू राष्ट्र का शोर उठाया जा रहा है तो दूसरी तरफ यह ऐलान किया जा रहा है कि “इस्लाम सभी धर्मों का वास्तविक घर है और जब सभी धर्मों के लोग इसे अपनाएंगे, तब यह वास्तविक 'घर वापसी'होगी।“

इसी खेल को जारी रखते हुए केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार के सहयोगी पार्टी के नेता और भारतीय संसद के सदस्य संजय राउत ने मुख्यपत्र “सामना” में मुसलमानों से वोट देने का अधिकार छीनने की मांग करते हुए लिखते हैं कि ‘‘अगर मुसलमानों का इस्तेमाल केवल राजनीति करने के लिए इस तरह किया जा रहा है तो उनका कभी विकास नहीं हो सकता। जब तक मुस्लिमों का इस्तेमाल वोट बैंक की राजनीति के लिए होता रहेगा, उनका कोई भविष्य नहीं होगा और इसलिए बालासाहब ने एक बार कहा था कि मुस्लिमों का मताधिकार वापस लिया जाए। उन्होंने सही कहा था।’’ उन्होंने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहादुल-मुस्लिमीन (एमआईएम) और उसके नेताओं ओवैसी बंधुओं की तुलना भी ऐसे जहरीले सांपों से की जो अल्पसंख्यक समुदाय का शोषण करने के लिए जहर उगलते रहते हैं।अब बारी इस खेल के दूसरे खिलाडी एमआईएम के नेता असादुद्दीन ओवैसी की थी जिन्होंने “पलटवार’ करते हुए कहाकि “कोई माई का लाल मुसलमानों मताधिकार नहीं छीन सकता है”।

दरअसल यह दोनों विचारधारायें परजीवी हैं और एक दूसरे को फलने-फूलने के लिए खाद-पानी सप्लाई करने का काम करती हैं, इसीलिए हम देखते हैं कि यह एक दूसरे को जवाब देने में देर नहीं करते हैं।  उस वक्त बंटवारे से पहले भी कुछ ऐसा ही खेल खेला गया था, जब आजादी की लडाई  के दौरान हिन्दू और मुस्लिम कट्टरवादियों ने स्वतंत्रता संग्राम का यह कहकर विरोध किया था कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग राष्ट्र हैं। जहाँ एक तरफ मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने 1940 में भारत के मुसलमानों के लिए अलग राष्ट्र पाकिस्तान की माँग का प्रस्ताव पारित किया गया था जिसके पीछे तर्क था कि “हिन्दुओं और मुसलमानों के धर्म, विचारधाराएँ, रीति-रिवाज़ और साहित्य बिलकुल अलग-अलग है। एक राष्ट्र बहुमत में और दूसरा अल्पमत में, ऐसे दो राष्ट्रों को साथ बाँध कर रखने से असंतोष बढ़ कर रहेगा और अंत में ऐसे राज्य की बनावट का विनाश हो कर रहेगा”, वहीँ दूसरी ओर सावरकर ने 1937 में अहमदाबाद में हुए  हिंदू महासभा के 19वें अधिवेशन के अध्यक्षीय भाषण में कहा था कि “हिंदू और मुसलमान दो अलग राष्ट्र हैं”। 

हमारे समय में भगवा  खेमे जे  सबसे बड़ी आवाज मोहन भगवत कहते हैं कि “भारत एक हिंदू राष्ट्र है और संघ राष्ट्र निर्माण करने वाला संगठन है,वह देश के लोगों में राष्ट्रवाद की भावना भर रहा है, हमें अनुकूल परिस्थितियों का फायदा उठाना है”। आज आरएसएस के लोग देश और कई राज्यों की सरकारों को चला रहा हैं और बहुत की करीने और योजनाबद्ध तरीके से संघ की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं।   इसके बरअक्स ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन(एआईएमआईएम) जैसे सियासी जमात सामने आ रहे हैं, जैसा की इसके नाम से ही जाहिर है एआईएमआईएम मुस्लिम समुदाय के इत्तेहाद की बात करती है यह मुस्लिम समुदाय में साम्प्रदायिक चेतना जागते हुए इसे एक धार्मिक समुदाय से एक ऐसे राजनैतिक समुदाय में परिवर्तित करना चाहती है जिसका वह राजनैतिक प्रतिनिधि कर सके। गौरतलब है कि इसके बरअक्स शिवसेना, संघ और यहाँ तक की बीजेपी के कई नेता यह एलान कहते हुए पाए जा सकते हैं कि उन्हें मुसलमानों के वोट की कोई जरूरत हैं उन्हें तो सिर्फ हिन्दुओं के वोट की ही जरूरत है।

एमआईएम का इतिहास करीब 80 साल पुराना है, आजादी के बाद एमआईएम ने हैदराबाद को हिन्दुस्तान का हिस्सा बनाने का विरोध करते हुए अलग मुस्लिम राज्य का समर्थन किया था, हैदराबाद का भारत में विलय के बाद सरकार ने इस पर बैन लगा दिया था जिसे 1957 में हटाया गया। बैन हटने के बाद से  इस संगठन की बागडोर ओवैसी परिवार के हाथ में है, जिनपर यह आरोप लगते रहे हैं कि वे अपने भड़काऊ भाषणों से हैदराबाद में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते रहे हैं। लेकिन मजलिस के समर्थक उसे भारतीय जनता पार्टी और दूसरे हिन्दू संगठनों का जवाब देने वाली ताकत के रूप में देखते हैं। एआईएमआईएम अब केवल हैदराबाद में असर रखने वाली पार्टी नहीं रह गई है, यह धीरे- धीरे महाराष्ट्र में भी अपनी पैठ जमाती जा रही है हाल में सम्पन्न हुए औरंगाबाद नगर निगम के चुनाव में एआईएमआईएम ने 53 सीटों पर चुनाव लड़ा और 25  सीटों पर पर सफलता हासिल करते हुए वह शिवसेना के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है,  कुल 113 सीटों में से शिवसेना को 29 सीटें मिली और भाजपा को 22 सीटें मिली हैं । इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने दो सीटें जीती थी. यहाँ उसने 31 उम्मीदवार खड़े करते हुए मुंबई में भायखला सीट एवं औरंगाबाद मध्य की सीटों पर जीत दर्ज की थीं । यही नहीं कई सीटों पर उसने कांग्रेस, राकांपा और समाजवादी पार्टी जैसे दलों को नुकसान भी पहुंचाया था, अगले सालों में ओवैसी की पार्टी मगरिबी बंगाल,यूपी, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में अपने विस्तार को लेकर काम कर रही है। एमआईएम की राजनीतिक शैली हिंदूत्ववादी राजनीति की तरह ही है फर्क सिर्फ इतना है यह विपरीत ध्रुव में काम कर रही है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से संघ परिवार के नेताओं द्वारा जिस तरह से हिन्दुतत्व और बहुसंख्यकवाद के पक्ष में खुलकर बयानबाजी की जा रही है उससे  मुस्लिम समुदाय में असुरक्षा की भावना स्वभाविक है, ऐसे में एमआईएम को अपने विस्तार में आसानी होगी और वह मुस्लिम समुदाय की भावना को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर सकती है।  एमआईएम के विस्तार से हिंदू और मुस्लिम वोटों को ध्रूवीकरण होगा और इससे दोनों को ही फायदा होगा। 

1947 में भारत विभाजन के बाद के बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक संघर्षों और देश भर में रक्तपात को देखा गया था। लेकिन पाकिस्तान के विपरीत भारत ने धर्मनिरपेक्ष रास्ते को चुना, जिसकी मिसाल भी दी जाती है, हालांकि इस बीच दोनों समुदायों के बीच तनाव को उभारने की कोशिश भी जारी रहीं और चौरासी दंगे,बाबरी विध्वंस, गोधरा और उसके बाद की घटनायें सामने आयीं, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि विभाजन भी हमारे मजहबी मतभेदों को कम नहीं कर पायी है। आज नफरत की राजनीति अपने उफान पर है,हमारे धर्मनिरपेक्ष और समावेशी होने का दावा फीका पड़ने लगा है, हिंदू और मुसलामान बसाहटों के  मिश्रित क्षेत्र खत्म हो रहे हैं, यह सब आने वाले गंभीर चुनौती की तरफ इशारा हैं।

सदियाँ लग गयी थीं जब इस देश के हिंदुओं और मुसलमानों ने एक साथ मिलकर मिश्रित सभ्यता बनायीं थीं, यह एक ऐसा खूबी थी जिसे दुनिया की दूसरी सभ्यतायें हम से सीख सकती थीं।लेकिन ब्रिटिश शासकों ने भारत में आज़ादी की लड़ाई को नियंत्रित करने के लिए दोनों संप्रदायों के नेताओं में होड़ को पैदा करते हुए "फूट डालो और राज्य करो"की नीति पर अमल किया और योजनाबद्ध रूप से हिन्दू और मुसलमान दोनों संप्रदायों के प्रति शक को बढ़ावा दिया, अब आज हमारे अपने ही लोग ठीक वही काम कर रहे हैं और सांझेपन की इस बहुमूल्य पूँजी को तार–तार किये जा रहे हैं। ताजा मामला गुजरात के अहमदाबाद का है जहा स्कूल अपने यूनिफॉर्म के रंग धर्म के आधार पर तय कर रहे हैं, इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के शाहपुर पब्लिक स्कूल में हिंदू बच्चों की संख्या ज्यादा होने की वजह से वहां बच्चों को भगवा रंग की यूनिफॉर्म दी गई है जबकि दानी लिम्डा पब्लिक स्कूल जहाँ के ज्यादातर बच्चे मुस्लिम हैं उनके लिए हरे रंग का यूनिफॉर्म तय किया गया है।

पाकिस्‍तान के बनने के एक साल बाद मौलाना आज़ाद ने वहीँ की एक पत्रिका को इंटरव्‍यू देते हुए पाकिस्‍तान के लिए एक अंधकारमय समय की भविष्‍यवाणी की थी जो की आज सच साबित हो रही है। उन्होंने कहा था ‘‘सिर्फ इतिहास यह फैसला करेगा कि क्‍या हमने बुद्धिमानी और सही तरीके से बंटवारे का प्रस्‍ताव मंजूर किया था।’’ पकिस्तान का वर्तमान उनके इस भविष्‍यवाणी को सही साबित कर चूका है,  आज हम इससे सबक सीखने को राजी नहीं है और उसी आग से खेल रहे हैं जिनके लपटों में हम पहले भी झुलस चुके हैं, इस बार का जख्म ज्यादा गहरा हो सकता है क्योंकि आग लगाने वाले तो बहुत हैं लेकिन इस आंच को कम करने के लिए हमारे साथ कोई गाँधी, नेहरु और आजाद मौजूद नहीं है।



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जावेद अनीस
ई मेल : Javed4media@gmail.com

आलेख : उत्तर प्रदेश पुलिस में दागियों को ताज

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उत्तर प्रदेश आईपीएस एसोसिएशन ने संवर्ग की चमकदार हैसियत में कालिख पोतने वाले राज्य पुलिस के दो पूर्व मुखियाओं अंबरीश चंद्र शर्मा और आनंद लाल बनर्जी के खिलाफ न केवल निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया है बल्कि मुख्य सचिव आलोक रंजन और वर्तमान पुलिस महानिदेशक अरविंद कुमार जैन से भेंट करके एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस बात पर भी पूरा जोर लगाया है कि उनसे संबंधित आरोपों की निष्पक्ष व बेबाक विवेचना करके उन्हें उनकी तार्किक परिणति तक पहुंचाया जाए। उधर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने जितने त्वरित ढंग से इस मामले में समाजवादी पार्टी और राज्य सरकार को घेरते हुए प्रतिक्रिया दी है उससे यह अनुमान लगाया जाने लगा है कि यह मुद्दा प्रदेश सरकार के लिए आने वाले दिनों में भीषण रूप से संकट कारी तूफान का वायस साबित हो सकता है। एक ओर समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का रोना है कि प्रदेश सरकार के इतने अच्छे कामों के बावजूद प्रचार न हो पाने की वजह से पार्टी को लोगों का उतना रिस्पांस नहीं मिल पा रहा जितना मिलना चाहिए और इस मामले में पार्टी नेतृत्व अपने कार्यकर्ताओं के पेंच आए दिन कसता रहता है। दूसरी ओर पार्टी की बचीखुची लोकप्रियता का भी बेड़ा गर्क करने की वजह बन सकता पूर्व पुलिस अधिकारियों की रिश्वतखोरी का यह मामला जिसमें कि सपा के संरक्षण और प्रोत्साहन की वजह से ही उक्त दोनों अधिकारियों के अपनी कैरियर के बुलंदी तक पहुंचने का सच भी निहित है। ऐसा नहीं है कि सपा नेतृत्व इस नई मुसीबत से अंजान हो इसलिए प्रदेश सरकार इस मामले में कोई न कोई एक्शन जरूर लेगी और यह एक्शन क्या होगा इस पर प्रदेश के हर आम और खास की उत्सुक निगाहें टिकी हुई हैं।

उत्तर प्रदेश में पुलिस के शीर्ष पद के लिए अफसर की बेदाग छवि को अर्हता मानने की कसौटी तो शायद पहले भी नहीं रही। सेवानिवृत्ति के बाद रामजन्म भूमि आंदोलन के नायक बनकर उभरे स्व. शिरीष चंद्र दीक्षित भी उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक का पद सुशोभित कर चुके हैं। श्रीपत सरकार ने जब उन्हें इस पद पर सेवानिवृत्त करने का निर्णय लिया तो विधान सभा में सरकार की विपक्ष ने जमकर छीछालेदार की थी और वजह थी शिरीष चंद्र दीक्षित पर भ्रष्टाचार के जबरदस्त आरोप। प्रेमचंद्र रतूडी को तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से ज्यादा अच्छी तरह से कौन जानता होगा क्योंकि वे 1981-82 में इटावा के एसएसपी रहे। यह पोस्टिंग उन्हें भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद स्व. बलराम सिंह यादव के चाकर बनकर काम करने की वजह से मिली थी और इस दौरान उन्होंने बलराम सिंह यादव को खुश करने के लिए मुलायम सिंह के एनकाउंटर तक की साजिश रचने से परहेज नहीं किया था। जब मुलायम सिंह का वर्चस्व स्थापित हुआ उस समय तक पीसी रतूडी रिटायर नहीं हुए थे। इसके बावजूद उनका बाल बांका नहीं हुआ और उत्तर प्रदेश न सही तो वे उत्तराखंड के डीजीपी बनकर रिटायर हुए लेकिन आईपीएस के इसी उत्तर प्रदेश संवर्ग में जेएन दीक्षित जैसे पुलिस महानिदेशक भी हुए हैं जिन्हें हटाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह को सब तरह से सक्षम होने के बावजूद ऐसे पापड़ बेलने पड़े कि लीक से हटकर उन्होंने जेएन दीक्षित को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया। इससे आईएएस संवर्ग की खिन्नता का सामना उन्हें करना पड़ा पर यह उनकी मजबूरी थी क्योंंकि इसी तोहफे की बदौलत वे जेएन दीक्षित का कांटा हटाकर भी बदनामी बचाने के लिए यह दलील दे पाए कि दीक्षित की ईमानदारी की बुलंद छवि की वजह से ही परंपरा तोड़कर किसी आईपीएस को उक्त पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है ताकि प्रांतीय सेवा में शानदार नस्लों को आगामी दौर में सहेजा जा सके।

बहरहाल काल स्पूफिंग के जरिए हाईटेक जालसाजी करने वाले आगरा के सपा नेता शैलेंद्र अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद अंबरीश चंद्र शर्मा और आनंद लाल बनर्जी किस कदर लूट मचाए हुए थे यह तथ्य पूरे प्रमाणों के साथ सतह पर आ गए। शैलेंद्र अग्रवाल इन दोनों पुलिस अधिकारियों की नाक का बाल था और जब यह दोनों डीजीपी थे तो उसका नाश्ता से लेकर खाना तक इन्हीं के आवास पर इन्हीं के साथ होता था। शैलेंद्र अग्रवाल इनके समय डीजीपी के कक्ष में उस रास्ते से प्रवेश करता था जो उच्चाधिकारियों के लिए आरक्षित होता है। इन दोनों अधिकारियों की मेहरबानी से उसे चौदह गनर मिले हुए थे और इनकी बदौलत वह अपने आप को लोगों के सामने समाजवादी पार्टी के बहुत बड़े नेता के रूप में पेश करने में सफल था। पहले जजों की तरह डीएम और एसपी तक उद्योगपतियों व संपन्न लोगों से घनिष्ठता बनाने में परहेज करते थे लेकिन अब जबकि नौकरशाही के सुप्रीमो तक को इसकी परवाह नहीं है तो जिलों में भी प्रशासन और पुलिस के मुखिया संबंधों के मामले में बेपरवाह हो गए हैं। तस्करी और अन्य काले धंधों से बड़े आदमी बनने वाले लोग जिलों में डीएम एसपी के बेटे बेटियोंं की बर्थ डे पार्टी का आयोजन करते हैं। उन्हें जब भी व्यक्तिगत यात्रा करनी होती है संदिग्ध लोग ही उनके लिए शानदार गाड़ी मुहैया कराते हैं। अफसरशाही को आज अगर कोई सबसे ज्यादा अवांछनीय लगता है तो वह आम आदमी है। उसे अगर पांच मिनट का समय भी उन्होंने दे दिया तो लगता है कि उन्होंने यह जोखिम अपनी उज्ज्वल धवल छवि पर दाग लगने का खतरा मोल लेकर उठाया है। होना यह चाहिए कि जिम्मेदार अधिकारी किनसे मिलते हैं इंटेलीजेंस की यूनिट से सरकार इस बारे में भी रिपोर्ट लेती रही। उनका किसान या प्रमुख व्यापारी नेता और समाजसेवी से निजी दोस्ताना हो तो कोई बात नहीं क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में अच्छे लोगों के साथ सत्संग करने से अधिकारियों की विश्वसनीयता बनती है लेकिन वर्तमान दौर की तरह दलालों, भड़ुओं और काले धंधे करने वालों के साथ अधिकारियों की नजदीकी कतई बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए। जब तक यह स्थिति नहीं बनेगी तब तक गुड गवर्नेंस के प्रयास फरेब साबित होते रहेंगे।

दोनों पूर्व डीजीपी ने अपने कार्यकाल में पुलिस के साथ जो किया वह उनके व्यक्तिगत भ्रष्टाचार से ज्यादा संगीन दूरगामी परिणाम वाला है। इनमें से एक अधिकारी का दरोगा और इंस्पेक्टरों को मलाईदार पोस्टिंग देने का रेट सात लाख रुपए था तो दूसरे का रेट बीस लाख रुपए। इतना ही नहीं यह लोग इंस्पेक्टर बनाने के लिए भी शैलेंद्र अग्रवाल के माध्यम से ही मोटी रकम लेते थे। एक रिटायर दरोगा एके सिंह ने आईना के नाम से एक पुस्तक छपवाई है जिसमें उन्होंने दर्शाया है कि ट्रांसफर, छुट्टी, पोस्टिंग और प्रमोशन सबके लिए सीनियर अधिकारी उस पर डकैती डालते हैं। जाहिर है कि दरोगा और इंस्पेक्टर पुलिस की प्रमुख एग्जीक्यूटिव बाडी है अगर ये नोंचे खसोटे जाएंगे तो अपना घाटा पूरा करने और मुनाफा वसूलने के लिए यह लोगों को नोचेंगे खसोटेंगे। अंग्रेजों के समय जानबूझकर बनाई गई पुलिस की दमनकारी छवि आज भी नहीं बदल पा रही तो उसका कारण यही लूट खसोट है। पुलिस की भूमिका ऐसी होती है कि अगर उसका नैतिक और चारित्रिक स्तर बुलंद नहीं है तो कोई भी शासन कभी भी लोक कल्याणकारी काम नहीं कर सकता। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने एसी शर्मा और एएल बनर्जी के संदर्भ में कुछ बातें उठाई हैं जो निश्चित रूप से प्रासंगिक और विचारणीय हैं। भले ही उन्हें राजनीतिक नीयत से कहा गया हो। इनमें से एक तो यह है कि बहुत वैभव के साथ रहने वाले सारे अफसरों की आय और उनकी परिसंपत्तियों की एकमुश्त जांच कराई जानी चाहिए। दूसरे सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डीजीपी जैसे सर्वोच्च पद पर भ्रष्टाचार के लिए संदिग्ध रहे किसी आईपीएस का पदांकन किसी सूरत में न हो पाए। साथ ही यह भी सुझाव इस दौरान अपेक्षित है कि सरकार ईओडब्लू, विजीलेंस व एंटी करप्शन जैसी पुलिस विंगों को सही तरीके से एक्टीवेट करे। अगर यह शाखाएं उचित गति से कार्यशील हो जाएं तो अफसरों में भ्रष्टाचार पर बुनियादी स्तर से ही रोक हो जाना संभव है। सन् 2002 के कार्यकाल में मायावती ने ऐसा प्रयास किया था लेकिन बाद में उन्होंने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया और जब उनकी पूर्ण बहुमत से सरकार बनी तब भी उन्होंने इसे परवान चढ़ाने की जरूरत नहीं समझी। ध्यान रहे कि यही उत्तर प्रदेश पुलिस है जब कल्याण सिंह ने यहां माफियाओं के राज को खत्म करने के लिए इसी में से एसटीएफ तैयार कराई जिसका रिजल्ट स्काटलैंड यार्ड की पुलिस से भी ज्यादा बेहतर रहा। कलंक कथाओं से उबर कर उत्तर प्रदेश पुलिस का चेहरा शक्तिमान के रूप में उभरे इसके लिए इसमें शीर्ष स्तर से स्वच्छता अभियान तत्काल चलाना जरूरी है।






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के  पी  सिंह 
ओरई 

हिंदी फीचर फ़िल्म "गोल.-गैंग ऑफ़ लिटिल्स

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  • अवहेलना से पनप रहे  चाइल्ड क्राइम की सजीव तस्वीर ‘गोल-गैंग ऑफ लिटिलस’

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आज समूचे विश्व में आम जन समान्य लोनली यानि अकेलापन और इग्नोरेंस यानि अवहेलना जैसी बीमारियों का शिकार है,जो समय रहते इनका सोल्युशन  ढूंढ लेते हैं वो अपने परिवार या अपने प्रियजनों को अपने से दूर नहीं जाने देते ,अपनात्व देकर उनके ह्रदय में समाये.पी.एन ए.एंटरटेनमेंट प्रा.लिमिटेड प्रस्तुत  निर्माता दीपक जैन और निर्देशक वैभव विकास कृत फिल्म ‘गोल- गैंस ऑफ लिटिल’इसी ज्वलंत प्रॉब्लम पर पूरी.मुस्तैदी के साथ फोकस कर .रही है।

अवि(अभिषेक जैन)सत्या(क्र्रिश) बल्ली ( विनय)बेनजीर(रौशनी वालिया ))देहरादून के  जाने माने   दून इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ते हैं,तीनों  दोस्तों में कमाल की  टयूनिंग है और तीनों ही बहुत प्रतिभाशाली हैं.शायद उनकी इन्ही खूबियों की वजह से इस तिकड़ी को ‘गैंग ऑफ मल्टी टॅलेंट्स’ कहा जाता  है.पूरे  स्कूल में इन्हें असाधारण तौर पर लिया जाता है.अवि के पिता गौतम (राहुल सिंह)बैंक  में जनरल मैनेजर हैं और माँ (गीतांजलि)घरेलू महिला है,मगर दोनों के पास अपने बच्चे के लिए  वक्त नहीं है,अवि क्या करता है? उसकी पढ़ाई कैसी चल. रही  है ? उसकी सोसायटी कैसी है? भविष्य को लेकर उसकी अपनी क्या प्लांलिंग  है? इन अहम् मुद्दों को लेकर उसके माता -पिता को  कोई सरोकार नहीं है और ना ही उनके पास  अवि  के लिए  समय  है.सत्या विलक्षण बुद्धि का मालिक है और हरफन मौला  भी,हर समय  कुछ  नया सोचना और कर  गुजरना  उसकी प्रवृति है,बल्ली का पूरा का पूरा दिमाग इंजीनियरिंग वाला  है.इसीलिए  कबाड़ी की दुकानों में वह हर  समय .कुछ ना कुछ  ढूंढता  रहता है,बेनजीर लोअर मिडिल क्लास की लड़की  है वह  अपनी बहनों और मां के साथ रहती है पर सारा परिवार सौतेले भाइयों पर निर्भर है,अवि साइंस का  स्टूडेंट है, फिजिक्स में उसकी मास्टरी है,सत्या कैमेस्ट्री में तेज तर्रार है.ये चारों मिलकर एक ऐसे उपकरण की ईजाद  करना चाहते थे,जो लगातार बैंकों में हो रही सीरियल चोरी को रोक सके मगर बिना पैसों के यह संभव नहीं  है  इसलिए पॉकेट मनी और अनाथ गरीब बच्चों को  टयूशन  देकर जो पैसा अर्न होता है उससे ,सत्या, बल्ली और बेनजीर एक ऐसा उपकरण बनाते हैं   जिससे बैंकों की सीरियल चोरी को रोक जा सके.उपकरण.की ट्रॉयल अवि के कहने पर उसी बैंक  में की जाती है,जिसमें उसके पिता जनरल मैनेजर है.उपकरण के  सही रिजल्ट आने से पहले बैंक में चोरी  हो जाती  है.पुलिस के  इंवेस्टिकेशन पर उन्हें कुछ सबूत ऐसे हाथ लगते हैं कि  चोरी का इल्जाम अवि,सत्य और बल्ली की  गैंग्स पर आजाता  है और उन्हें जेल की सीखचों में बंद कर  दिया जाता  है जबकि श्लिटिल गैंग्सश्बेकसूर और इनोसेंट थी.क्या पुलिस असली चोरों की गैंग्स को  पकड़  सकी ?जब अवि के पिता को अपने बेटे की अप्रत्याशित हरकत का पता चला तो उनका  रुख क्या रहा?आखिर वो कौन से करण रहे जिनकी वजह से स्कूल के प्रिसिपल  (गोविन्द नामदेव)और स्टेट के मुख्यमंत्री बच्चों को  दोषी नहीं मान पाते और हस्तक्षेप करते हैं,? उनका उठाया हुआ कदम क्या कारगर साबित  होता है? प्रतिभाशाली. बच्चों को जब  सरकार पुरस्कृत करती हैं तब उनके पैरेंट्स को क्या अपनी गलतियों का एहसास होता  है ? इन्ही गंभीर गुथियों को  सिलसिलेवार सुलझाएगी चाइल्ड क्राइम और पैरेंट्स की और से की जारही  बच्चों  की अवेहलना पर सटीक  तस्वीर खींची  है-ष्गोल-गैंग्स ऑफ लिटिल..ष् में.

युवा निर्देशक वैभव विकास ने बताया-यूँ तो मैंने  अपने कैरियर  में कई फिल्में.की  हैं,मगर  ष्गोल -गैंग्स ऑफ लिटिलष्मेरे लिए .बहुत  खास  है इसमें मैंने सायक्लोजिकल ढंग से एक गहरी समस्या को उठाने .का प्रयास  किया  है.मझे  खुशी  है मैं  स्क्रिप्ट के अनुसार अपने  काम  को  अंजाम  दे  पाया.मुझे पूरा विश्वास है कि यह फिल्म हरवर्ग को पसंद आएगी.
        
अभिषेक जैन, रौशनी वालिया,दीपराज राणा, विजु खोटे, शहजाद खान,राहुल सिंह,माही भारद्वाज, बलविंदर सिंह,करन और गोविन्द  नामदेव.

निर्माता दीपक जैन, निर्देशक वैभव विकास,कथा -ए. खरे,पटकथा-ए. खरे और वैभव विकास, संगीत -सूरज..गीत - मौला

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (12 जून)

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देश का खजाना भरने वाला किसान स्वयं कंगाल हो गया है: विनय 
  • भारत के अर्थव्यवस्था की रीढ़ किसानांे का शोषण देश की प्रगति के लिए घातक
  • पाँच माह से गन्ना मूल्य के भुगतान को आन्दोलनरत हैं किसान

narkatiaganj news
नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) केन्द्र व राज्य सरकार के काॅरपोरेट जगत के साथ के परोक्ष गठबंधन से किसानांे का शोषण अनवरत जारी है। जिससे बौखलाए किसानों ने भारतीय किसान मंच के नेतृत्व में चरणबद्ध आन्दोलन जारी है। किसानों के आन्दोलन में उनकी एकजुटता नज़र आई। किसानों की एकजुटता ने शासन, प्रशासन और चीनी मिलांे के प्रबंधन को चैकन्ना कर दिया हैं। चम्पारण के चीनी मिलों के लिए सरकार ने अतिरिक्त अनुदान आवंटित कर दिया, किन्तु देश की रीढ़ माने जाने वाले किसानों की बदहाली के लिए कुछ नहीं? किसानों ने भारतीय किसान मंच के बैनर तले चरणबद्ध आन्दोलन के तहत 9 जून 15 को चिलचिलाती धूप में अनुमण्डल कार्यालय के समक्ष रोषपूर्ण प्रदर्शन किया। जिसमें अपने विचार व्यक्त करते हुए भारतीय किसान मंच के संयोजक विनय कुमार यादव ने कहा कि जिस देश का खजाना भरने वाला किसान स्वयं आर्थिक तंगी से गुजरने लगा है, भला उस देश का क्या होगा प्रबुद्धजन सहज अंदाजा लगा सकते है। देश व विदेश के लोगों का पेट भरने वाला किसान खुद भूखमरी के कागार पर है। अपनी उपज मिलों को देने वाला किसान, मजदूरी व अपनी उपज की कीमत के लिए सड़क पर उतरता है, ऐसे शासकों व प्रशासकांे को शर्म आनी चाहिए। भारतीय कृषक समाज की प्रदेश उपाध्यक्ष शीला वर्मा ने कहा कि प्रबंधन की मनमानी पर रोक लगाने के लिए किसान अब संगठित होकर आन्दोलन कर रहे हैं, किन्तु सरकार की कुम्भकर्णी निन्द्रा टूटने का नाम नहीं ले रही है। किसानों के हित की बात कर वोट बटोरने वाले नेताआंे को शर्म आनी चाहिए, देश के किसान जब तक खुशहाल नहीं होंगे देश की प्रगति संभव नहीं, जब तक शत् प्रतिशत् किसानांे का भुगतान नहीं हो जाता वे आन्दोलन को जारी रखेंगे, यह कहना है युवा जनता दल राष्ट्रवादी के प्रदेश अध्यक्ष मनौवर आलम का। किसान मंच के आन्दोलन को भाकपा माले, जद राष्ट्रवादी और कांग्रेस पार्टी के अलावे अन्य किसान संगठनांे में भारतीय किसान संघ का समर्थन भी प्राप्त रहा। उल्लेखनीय है कि विगत पाँच माह से किसानों के गन्ना मूल्य का भुगतान देने में मिल प्रबंधन आनाकानी कर रहा है। न्यु स्वदेशी सुगर मिल के कार्यपालक उपाध्यक्ष ए के तिवारी ने विगत दिनों कहा कि प्रबंधन आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। भाकपा माले नेता मोख्तार मियाँ, जदरा के मनौवर आलम ने कहा कि यदि आर्थिक तंगी है तो मिल कर्मियांे का वेतन कितने माह से रूका है और नव निर्माण कार्य में गति कैसे है? भारतीय किसान मंच के संयोजक विनय कुमार यादव, भारतीय कृषक समाज की प्रदेश उपाध्यक्ष शीला वर्मा ने कहा है कि सरकार से मिलकर कारखाना वाले किसानों का शोषण कर रहे है, जो देश की प्रगति के लिए घातक है। चम्पारण के किसान आन्दोलन को विभिन्न राजनीतिक दलों का समर्थन भी प्राप्त हैं। प्रदर्शन में शामिल होने वालों में श्रीकान्त यादव, महम्म्द हसनैन, डाॅ गुलाम साबिर, जफीर अहमद, कोकिलाकान्त यादव, राजू डे, अभय कुमार, मालती देवी, राधा कुशवाहा, राजु जायसवाल, रामेश्वर शर्मा, विजय मिश्र, ध्रुव यादव, पप्पू पाण्डेय, संजय यादव, सैफ अली, अफान हसन, अमित वर्मा, मुन्ना शेख, भोला मियाँ, ओम प्रकाश सिंह, डिग्री महतो, अजय तिवारी, मकरध्वज गिरी और गाँधी यादव प्रमुख है।

तोमर की डिग्री जांचने बिहार पहुंची दिल्ली पुलिस

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फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर के फर्जी डिग्री मामले में प्रमाण-पत्रों की जांच के लिए दिल्ली पुलिस भागलपुर पहुंची। दिल्ली पुलिस की टीम ने मुंगेर के विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान जाकर नामांकन रजिस्टर और अन्य अभिलेखों की जांच की। तोमर को भी शुक्रवार को संस्थान में लाकर पूछताछ किए जाने की संभावना है। भागलपुर पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि दिल्ली पुलिस तोमर को लेकर गुरुवार देर शाम भागलपुर पहुंची। टीम में शामिल अधिकारी विश्वनाथ सिंह ने विधि संस्थान के प्राचार्य आऱ क़े मिश्रा से मुलाकात की और तोमर से संबंधित जानकाारी हासिल की। 

टीम के सदस्यों ने उपस्थिति पंजी और प्रमाण-पत्र जारी करने वाले रजिस्टर की जांच की। दिल्ली पुलिस ने हालांकि संवाददाताओं को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। इस बीच तोमर को भी शुक्रवार को मुंगेर लाए जाने की संभावना है, जहां उनके इस संस्थान में पढ़ने के संबंध में पुलिस जानकारी हासिल करेगी। संस्थान की नामांकन पंजी के अनुसार, तोमर ने वर्ष 1994 में मुंगेर स्थित विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान के छात्र के रूप में दाखिला लिया था। सूत्रों के अनुसार, पुलिस विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारियों से भी पूछताछ कर सकती है।

धीमी हो सकती है आर्थिक विकास की गति

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भले ही विश्व बैंक समेत तमाम संस्थाओं ने आर्थिक मोर्चे पर भारत के तेजी से ग्रोथ करने की उम्मीद जताई हो, लेकिन शुक्रवार को आने वाले आंकड़े निराश कर सकते हैं। भविष्य में विकास की तस्वीर काफी धुंधली हो सकती है। फैक्ट्रियों, खानों और सर्विस सेक्टर की सालाना उत्पादन रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल माह में प्रॉडक्शन बीते 6 महीने में सबसे निचले स्तर 1.6 फीसदी पर पहुंच गया है, जबकि इससे पहले के महीने में ही यह आंकड़ा 2.1 फीसदी था। यानी महज एक महीने में ही इन अहम सेक्टरों में 0.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। रॉयटर्स के सर्वे के अनुसार मई में उपभोक्ता मुद्रास्फीति 5 फीसदी तक पहुंच सकती है, जबकि अप्रैल में यह दर 4.87 फीसदी थी।

डीबीएस ग्रुप रिसर्च से जुड़े अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, 'भारत आर्थिक विकास की राह में सुस्ती की ओर बढ़ रहा है। शुक्रवार के आने वाले आंकड़े इसकी पुष्टि कर सकते हैं।'ये आंकड़े शुक्रवार की शाम जारी होंगे। बीते माह जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मार्च में समाप्त हुई तिमाही के दौरान भारत ने 7.5 फीसदी की ऊंची विकास दर हासिल कर चीन को पीछे छोड़ दिया था।

मॉनसून के कमजोर रहने पर अर्थव्यवस्था पर और विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। कुछ अर्थशास्त्रियों के मुताबिक मॉनसून कमजोर रहने पर आर्थिक विकास दर 7 फीसदी तक पहुंच सकती है, जबकि बीते साल आर्थिक विकास की दर 7.3 फीसदी थी। कम बरसात होने पर महंगाई भड़केगी, जिससे लोगों के घर का बजट बिगड़ सकता है। इसका सीधा असर कई सेक्टरों में निवेश पर पड़ेगा। नोमुरा के एक विश्लेषक ने कहा, 'कृषि उत्पादन, रूरल डिमांड और खाद्य पदार्थों की कीमतें ही अर्थव्यवस्था का भविष्य तय करेंगी।'

राहुल गांधी दिल्ली के सफाई कर्मियों से मिले

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों से मुलाकात की। ये कर्मचारी पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिलने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। राहुल पटपड़गंज में पूर्वी दिल्ली नगर निगम मुख्यालय में प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों से मिले। हड़ताली कर्मचारियों के साथ बातचीत के दौरान दिल्ली कांग्रेस समिति के अध्यक्ष अजय माकन भी उनके साथ थे।

माकन के आधिकारिक टिवटर खाते से किए गए ट्वीट के मुताबिक, "राहुल वेतन भुगतान में हो रही देरी और अन्य समस्याओं पर प्रदर्शन कर रहे सफाई कर्मचारियों से बात कर रहे हैं।"पूर्वी और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारी वेतन का भुगतान नहीं किए जाने के विरोध में हड़ताल पर हैं। पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने पूर्व में वेतन में देरी के विरोध में मयूर विहार और पटपड़गंज क्षेत्रों में कूड़ा फेंका था।

लंदन में जारी हुई 'इश्क़ कोई न्यूज़ नहीं’ की प्रोमो पुस्तिका

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  • लप्रेक श्रृंखला की दूसरी पुस्तक

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लंदन : 'लप्रेक : फेसबुक फिक्शन श्रृंखला की दूसरी किताब 'इश्क़ कोई न्यूज़ नहीं को पाठकों के बीच लाने की तैयारियाँ जब ज़ोरों  पर हैं, इसी बीच इसका प्रोमो लंदन में आयोजित एक कार्यशाला के उपरान्त अनौपचारिक रूप से लांच किया गया।

एसओएएस, लंदन विश्वविद्यालय, लंदन में 27-28 मई, 2015 को 'हिंग्लिश’ को लेकर हुई दो दिवसीय कार्यशाला के समापन-सत्र के बाद 'लप्रेक’ श्रृंखला की इस दूसरी कड़ी की प्रोमो पुस्तिका जारी तो की ही गई, साथ ही, इस कार्यक्रम में लप्रेककार विनीत कुमार ने दुनिया के अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों से आए लोगों के बीच लप्रेक लिखे जाने के पीछे की पूरी प्रक्रिया की विस्तार से चर्चा करते हुए अपनी पुस्तक की थीम को भी सामने रखा।

यह सच है कि जो न्यूज़ चैनल और मीडिया दुनिया-भर की ख़बरों को अपनी ज़रूरत और मिज़ाज के हिसाब से पेश करता है, उसके माध्यम से ऐसी कई कहानियाँ, इमोशनल मोमेंट्स न्यूज़रूम की चौखट नहीं लाँघ पाते जो खुद मीडिया कर्मियों के बीच के होते हैं। इश्क़ और इमोशन के नाम पर मीडिया भले ही लव, सेक्स, धोखा से लेकर ऑनर किलिंग तक के मामले को लगातार प्रसारित करता रहे, लेकिन क्या सचमुच वह  इश्क़ के इलाके में घुसने और रचनात्मक हस्तक्षेप का माद्दा रखता है। इसी प्ररिप्रेक्ष्य के अन्तर्गत प्रोमो में शामिल कुल पाँच कहानियों में से तीन कहानियों का पाठ करते हुए लेखक ने लप्रेक लिखे जाने की इस पूरी प्रक्रिया की चर्चा की। ट्रैफिक जाम, मेट्रो की खचाखच भीड़, डीटीसी बसों के इंतज़ार के बीच लिखी जानेवाली इन फेसबुक कहानियों के बारे में प्रो.फेरचेस्का  ओरसिनी (हिन्दी एवं दक्षिण एशियाई साहित्य, एसओएएस, लंदन विश्वविद्यालय, लंदन) ने कहा कि इस तरह के लेखन से हिन्दी एक नए पाठक वर्ग के बीच पहुँच सकेगी और जो कहानियाँ अब तक सोशल मीडिया के भरोसे रह गई थीं, उनके हिन्दी पाठकों के बीच किताब की शक्ल में आने से विचार-विमर्श में नया आयाम जुड़ सकेगा।

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में अध्यापन कर रहे ऐश्वर्ज पंडित ने कहा कि ये कहानियाँ बताती हैं कि हिन्दी में अलग तरह की सामग्री आने की गुंजाइश बनी हुई है और यह अच्छा ही है कि इस तरह से अलग-अलग रूपों में हिन्दी का विस्तार हो।

सफाई कर्मियों के वेतन का भुगतान करे दिल्ली सरकार : न्यायालय

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के कर्मचारियों के बकाया वेतन 15 जून तक जारी करे। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई.एस. मेहता की पीठ ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार और ईडीएमसी को यह निर्देश भी दिया कि सड़कों से कचरा हटाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।

न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार, और ईडीएमसी को नोटिस भी जारी किया। याचिका में कर्मचारियों के वेतन भुगतान और सड़कों से कचरा हटाने की मांग की गई है। न्यायालय ने सभी पक्षों को 19 जून तक जवाब सौंपने के लिए कहा है। 

वेतन भुगतान में विलंब से नाराज ईडीएमसी के सफाई कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं और इसके कारण पूर्वी दिल्ली में सड़कों पर कचरा जमा हो गया है। सफाईकर्मियों ने अप्रैल और मई का वेतन न मिलने के कारण काम बंद कर दिया है। ईडीएमसी वित्तीय संकट के कारण अपने लगभग 11,000 सफाईकर्मियों को वेतन भुगतान नहीं कर पाया है।

फीफा अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे जिको

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ब्राजील के महान फुटबाल खिलाड़ी अर्थर कोइब्रा 'जिको'ने फीफा अध्यक्ष पद चुनाव लड़ने का फैसला किया है। फीफा में इन दिनों भ्रष्टाचार के मामलों के कारण उथलपुथल मची हुई है। अध्यक्ष सैप ब्लाटर इस्तीफा दे चुके हैं और कई शीर्ष अधिकारी सलाखों के पीछे हैं। जीको ने कहा कि वह भ्रष्टाचार में ब्लाटर के शामिल होने को लेकर इंकार नहीं कर सकते। उन्होंने कहा है कि इस मामले की जांच चल रही है और वह चाहते हैं कि समय के साथ दोषियों के नाम सामने आते चलें जाएं।

ब्लाटर का स्थान लेने के लिए उत्सुक जिको ने कहा कि अगर फीफा नियम बदले जाते हैं तो उनके इस पद पर चुने जाने की सम्भावना बढ़ जाएगी। जिको ने इस बात पर खुशी जाहिर की है कि अर्जेटीना के महान खिलाड़ी डिएगो माराडोना फीफा उपाध्यक्ष बनना चाहते हैं। जिको 1990 से 92 तक ब्राजील के खेल मंत्री भी रहे हैं। उनका मानना है कि खेल मंत्री के तौर पर मिला अनुभव फीफा में उनके काम आएगा।

रिलायंस की 4जी सेवा दिसंबर तक होगा लॉन्च

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रिलायंस इंडस्ट्रीज की 41वीं एजीएम में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने रिलायंस जियो की 4जी सर्विस को दिसंबर तक लॉन्च करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि दिसंबर में हम कमर्शल ऑपरेशन शुरू करेंगे। अंबानी ने कहा कि इस साल दिसंबर तक लोगों को 4,000 रुपये में 4जी स्मार्टफोन उपलब्ध होंगे। अंबानी ने कहा कि हम प्री-लॉंच टेस्टिंग के दौर में हैं।

अंबानी ने कहा कि हमारा लक्ष्य अगले 3 सालों में 100 फीसदी इलाके में अपनी पहुंच बनाना है। रिलायंस समूह के मुखिया ने कहा कि 2015 के आखिरी तक हम देश के 80 फीसदी लोगों तक पहुंच बनाने में सक्षम होंगे।

अंबानी ने कहा कि रिलायंस जियो के कमर्शल ऑपरेशन के लिए 2017 पहला पूर्ण वर्ष होगा। उन्होंने ने कहा कि हम देश के 29 राज्यों तक अपनी पहुंच बना चुके हैं। देश में हमारा सबसे बड़ा स्पेक्ट्रम है। अंबानी ने यह भी कहा कि रिलायंस जियो अगले कुछ हफ्तों में कई और डिजिटल ऐप लॉंच करने की योजना बना रहा है।

रिलायंस जियो इंफोकॉम ने अप्रैल में आईओएस और एंड्रॉयड सेल फोन पर जियो चैट नाम से इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप्लीकेशन लॉंच किया था। इसे वाट्स ऐप, वीचैट और हाइक को टक्कर देने वाला माना जा रहा है। कंपनी 4जी सर्विस पर कुल 70 हजार करोड़ रुपये की रकम खर्च कर रही है। रिलायंस जियो के बाजार में उतरने से उन कंपनियों को करारा झटका लग सकता है, जो स्पेक्ट्रम पर कैपिटल एक्सपेंडिचर की वजह से पहले ही भारी कर्ज में डूबी हुई हैं। इस मौके पर मुकेश अंबानी ने बताया कि वित्त वर्ष 2015 में कैपिटल एक्सपेंडिचर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का किया है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2015 में चुनौतियों के बावजूद पेट्रोकेम कारोबार ने अच्छा प्रदर्शन किया है। कड़ी चुनौतियों के बावजूद रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 8.60 डॉलर प्रति बैरल का जीआरएम हासिल किया है। पेट्रोकेम कारोबार के कंपनी का वैल्यू एडिशन हो रहा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के पेट्रोकेम कारोबार से 30,000 से ज्यादा एमएसएमई को फायदा होता है।

मुकेश अंबानी ने कहा कि वित्त वर्ष 2016 के अंत तक रिलायंस इंडस्ट्रीज के सारे पेट्रोल पंप शुरू करने की योजना है। वित्त वर्ष 2015 में रिलायंस रिटेल से 70,000 करोड़ रुपये की आय और 784 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल हुआ है। पिछले 5 सालों के दौरान सालाना आधार पर रिलायंस रिटेल की ग्रोथ 30 फीसदी रही है।

मोदी, मुफ्ती नेतृत्व वाली सरकारें विफल : कांग्रेस

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shobha ojha
कांग्रेस ने शुक्रवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और जम्मू एवं कश्मीर में मुफ्ती मोहम्मद सईद सरकार को सभी मोर्चो पर विफल बताया। ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शोभा ओझा ने 2014 के बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास में विफल रहने के लिए जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद को जिम्मेदार ठहराया।शोभा ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ताधारी गठबंधन पर आरोप लगाया कि वे "सिर्फ सत्ता का भोग रहे हैं। राज्य के लोगों की भलाई की इन्हें कोई परवाह ही नहीं है।"

कांग्रेस नेता ने कहा, "यहां लोग हताशा महसूस कर रहे हैं। सरकार ने इन्हें जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया जा रहा। जब पीडीपी विपक्ष में थी तो इन्होंने बड़े-बड़े वादे किए थे।"उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में भाजपा-पीडीपी के सत्ता में आने के बाद से यहां के लोग बेसहारा हो गए हैं। इससे पहले, ओझा ने जम्मू एवं कश्मीर सरकार के खिलाफ आयोजित एक रैली का नेतृत्व किया और श्रीनगर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में महिलाओं के एक सम्मेलन को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि समाज का हर वर्ग राज्य सरकार और केंद्र की प्रधानमंत्री मोदी सरकार की नाकामी से निराश है। ओझा ने कहा, "फिर चाहे जम्मू एवं कश्मीर के लिए राहत की बात हो, देश की सीमाओं की सुरक्षा, काले धन का मुद्दा, किसानों को मुआवाजा, यह सरकार हर मोर्चे पर असफल रही है।"जम्मू क्षेत्र में वन भूमि मुद्दे पर उन्होंने कहा, "भाजपा एक सांप्रदायिक पार्टी के तौर पर जानी जाती है। इसने हमेशा फासीवादी ताकतों को बढ़ावा दिया है। यह हर तरफ से अल्पसंख्यक संगठन विरोधी बनी हुई है।"उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार का बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम सिर्फ एक छलावा है। देश का पैसा दिखावे की चीजों पर बर्बाद किया जा रहा है।"

केजरीवाल को शासन चलाने नहीं आता : सतीश उपाध्याय

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satish upadhyay
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शासन चलाना नहीं जानते, उनकी रुचि सिर्फ ओछी राजनीति करने में है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि केंद्र सरकार ने सफाई कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए दिल्ली सरकार को राशि आवंटित कर दी है, फिर भी वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है, इस कारण सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों की हड़ताल के कारण पूर्वी दिल्ली की कई सड़कों पर कूड़े का अंबार लगा हुआ है, जिससे आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

उपाध्याय ने संवाददाताओं से कहा, "केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को पहले ही पैसे दे दिए हैं। इसलिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस मामले में प्रधानमंत्री को घसीटना बंद करें, कृपया कर ओछी राजनीति न करें।"भाजपा नेता ने कहा कि केजरीवाल लोगों की समस्या का समाधान करने को लेकर गंभीर नहीं हैं और उन्हें सिर्फ दोषारोपण करना आता है। उन्हें सरकार चलाने नहीं आता। मुख्यमंत्री बनने के बावजूद लड़ने में व्यस्त हैं।"

सच तो यह है कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों में भाजपा का शासन है। निगम प्रमुखों ने पैसे का अभाव बताकर सफाई कर्मचारियों का वेतन भुगतान रोक दिया है। हड़ताल के कारण दिल्ली की सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। शहर के सभी कूड़ाघर खाली पड़े हैं और भाजपा कार्यकर्ता लोगों से सड़कों पर कूड़ा डालने के लिए विवश कर रहे हैं, ताकि केजरीवाल सरकार को विफल साबित किया जा सके।

दिल्ली में हार से बौखलाई भाजपा ने केजरीवाल सरकार को नीचा दिखाने के लिए अपने प्रधानमंत्री के 'स्वच्छ भारत अभियान'को भी भुला दिया है और हर तरफ कूड़ा-कचरा बिखेर कर दिल्ली की जनता को बीमार करने पर आमादा है। हर तरफ बिखरी गंदगी इस पर राष्ट्रीय राजधानी की अदालतें भी खामोश हैं।  उधर, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि भाजपा सफाईकर्मियों के मसले का राजनीतिकरण कर रही है। वह निगमों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल रही है और सफाईकर्मियों को दिल्ली सरकार के खिलाफ भड़का रही है। वहीं, कांग्रेस ने दिल्ली में इस संकट के लिए आप और भाजपा दोनों को दोषी ठहराया।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 9 जून को रामलीला मैदान में एक रैली ेकर सफाईकर्मियों से कहा था कि दिल्ली सरकार के पास उन्हें अप्रैल का वेतन देने लायक पैसे हैं और वह वेतन देने को तैयार है, इसके बाद कर्मियों को वेतन देने के लिए भाजपा शासित निगमों के प्रमुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पैसे मांगें। उन्होंने कहा था कि मोदी मंगोलिया को आर्थिक मदद दे सकते हैं तो दिल्ली में उनकी पार्टी के शासन वाले निगमों को वह पैसे क्यों नहीं दे सकते। शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को 15 जून तक सफाई कर्मचारियों के बकाये वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया है।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (12 जून)

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विदिशा क्लीन, ग्रीन बनाने के लिए सहमतियां व्यक्त की गई

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कलेक्टर श्री एमबी ओझा की अध्यक्षता में आहूत बैठक में आज विदिशा को क्लीन एवं ग्रीन बनाने के लिए आवश्यक उपायों पर विचार विमर्श किया गया। कलेक्टेªट के सभाकक्ष में सम्पन्न हुई इस बैठक में जनप्रतिनिधिगण, स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, विदिशा व्यापार महासंघ के प्रतिनिधिगण, महाविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थाओें के अलावा अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया, जिला पंचायत सीईओ श्री चन्द्रमोहन मिश्र, विदिशा एसडीएम श्री आरपी अहिरवार सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे।कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि विदिशा शहर को स्वच्छ और सुन्दर बनाने मेें स्थानीय रहवासियांे की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने नगरवासियों से आग्रह किया कि वे इस कार्य में सहयोग करें। 

पौधरोपण
कलेक्टर श्री ओझा ने दिए गए सुझावों पर अमल लाते हुए कहा कि 21 जून को विदिशा नगर में व्यापक स्तर पर पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जिसमें पांच से छह फीट के पौधे रोपित किए जाऐगे उक्त कार्य बेतवा नदी के दोनो किनारे, राष्ट्रीय राजमार्ग और नवीन कालोनियों में किए जाएंगे। कालोनियों में रोपित किए जाने वाले पौधो की देखभाल वहां रह रहे व्यक्तियों को सौंपी जाएगी। कलेक्टर श्री ओझा ने बताया कि विभिन्न प्रजाति के पांच हजार पौधे शहरी क्षेत्र में और जन अभियान परिषद के सहयोग से ढाई लाख पौधे ग्रामीण क्षेत्रों में रोपित किए जाएंगे। 

स्मृति
कलेक्टर श्री ओझा ने जिले के जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिकों से आग्रह किया कि वे अपने पूर्वजों की स्मृति में पौधरोपण के लिए निर्धारित शुल्क जमा कर करा सकते है। स्मृति पौधो की देखभाल नगरपालिका के अमले द्वारा की जाएगी। 

क्लीन विदिशा
कलेक्टर श्री ओझा ने बताया कि विदिशा शहर को स्वच्छ बनाने के लिए नगरपालिका द्वारा विशेष प्रयास किए जा रहे है। निकाय अमला को फोन पर सूचना देकर कचरा उठाने की भी व्यवस्था क्रियान्वित की जा रही है  इसके लिए प्रारंभिक तौर पर पांच वाहनों की व्यवस्था की गई है। उन्होंने शहरवासियों से अपील की है कि नियत स्थल पर रखी कचरा पेटी में ही कचरा डाले 

डस्टबिन
कलेक्टर श्री ओझा ने नगर के व्यापारियों से कहा कि वे अपने संस्थान का कचरा संग्रह करने के लिए डस्टबिन का ही उपयोग करें। डस्टबिनों का कचरा निकाय अमला वाहनांे मंे संग्रह करेगा। 

योग दिवस में शामिल हों
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को जिले में भी आयोजित किया जाएगा के संबंध में भी इस दौरान विस्तृत जानकारी दी गई और कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित होने का आग्रह किया गया। बैठक में बताया गया कि कक्षा सात से 12 तक के लगभग दो हजार बच्चे 21 जून को जिला मुख्यालय के शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय के खेल मैदान में उपस्थित रहकर योग करेंगे। उक्त कार्यक्रम प्रातः सात बजे से प्रारंभ होगा जो 7.35 बजे तक जारी रहेगा। गणमान्य नागरिकों से आग्रह किया गया कि वे 21 जून की प्रातः साढे छह बजे नियत स्थल पर उपस्थित हो।

स्वास्थ्य पीएस और आयुक्त ने जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया

स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती गौरी सिंह और आयुक्त श्री पंकज अग्रवाल ने आज जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया। इससे पहले पीपलखेडा, टीलाखेडी और इन्दरवास मंे पहुंचकर मिशन इन्द्रधनुष के तहत क्रियन्वित बिन्दुओं की जानकारी मौके पर जाकर प्राप्त की। प्रमुख सचिव श्रीमती सिंह ने जिला चिकित्सालय के लैब, सोनोग्राफी कक्ष, एक्स-रे कक्ष, ओपीडी कक्ष, सर्जिकल वार्ड, डिलेवरी रूम और शिशु वार्ड के अलावा जिला चिकित्सालय में बने डायलेसिस कक्ष का निरीक्षण किया।  निरीक्षण के दौरान वार्डो में की जाने वाली व्यवस्थाओं पर उन्होंने संतोष जाहिर किया। 

स्थल का निरीक्षण
प्रमुख सचिव श्रीमती सिंह और आयुक्त श्री अग्रवाल ने संयुक्त रूप से स्टेडियम के समक्ष बनने वाले 350 बिस्तरीय अस्पताल भवन के स्थल का भी जायजा लिया। इससे पहले कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने सर्किट हाउस में सौजन्य भेंट की और जिले में क्रियान्वित स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में चर्चा की।

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में समाज के हर वर्ग की हो जिम्मेदारी, मुख्यमंत्री श्री चैहान ने की तैयारियों की समीक्षा

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 21 जून को प्रदेश में होने वाले योग कार्यक्रमों में समाज के हर वर्ग को भागीदारी के लिए प्रेरित किया जाए। प्रदेश में राजधानी से लेकर पंचायत स्तर तक होने वाले कार्यक्रमों का व्यवस्थित आयोजन करें। लोगो को योग के लाभो के बारे में जागरूक करें। मुख्यमंत्री श्री चैहान आज यहां मंत्रालय में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए जिलों में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियों की जानकारी ले रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चैहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर दुनिया के 177 देश ने भारत के प्रस्ताव को स्वीकृति देते हुए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर वर्ष 21 जून को मनाने का निर्णय लिया है। अब हम सब की जिम्मेदारी है कि इसका सफल आयोजन करें। जिलों में प्रभारी मंत्री के मार्गदर्शन में कार्यक्रम किए जाएं। इसके लिए लोगो को पहले से प्रशिक्षित किया जाए। इसमें स्थानीय योग संस्थाओं की मदद लें। योग के माध्यम से स्वस्थ रहकर अपनी क्षमताओं का पूर्ण उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि योग के इस स्वैच्छिक कार्यक्रम में अधिक से अधिक लोगों को शामिल होने के लिए प्रेरित करें। सभी जनप्रतिनिधि और अधिकारी-कर्मचारी इसमें शामिल हों। लोगों को पे्ररित करने जिलो में वातावरण बनाया जाए। वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान कार्यक्रम की रूपरेखा बतायी गयी। बताया गया कि पूरे प्रदेश में आगामी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का कार्यक्रम सुबह साढे छह बजे से शुरू होगा। इसमें स्कूल काॅलेज के छात्र, योग संस्थानों के प्रतिनिधि, एनसीसी केडेट, पुलिसकर्मी, शासकीयकर्मी, नागरिक और जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। पंचायत स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश गान और मुख्यमंत्री का संदेश भी प्रसारित होगा। कार्यक्रम सुबह साढे छह बजे से शुरू होकर 7 बजकर 35 मिनिट पर सम्पन्न होगा। इसमें योग आसन, प्राणायाम, ध्यान और शांति पाठ किया जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को लेकर जिले में भारी उत्साह है जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी और विधायक श्री कल्याण सिंह दांगी ने मुख्यमंत्री जी से संवाद स्थापित कर कहा कि जनप्रतिनिधियों के सहयोग से कार्यक्रम की व्यापक तैयारियां की जा रही है। कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने बताया कि योग के लिए नागरिकों और कक्षा सात से बारहवीं तक के बच्चों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। कांफ्रेसिंग के दौरान अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया, जिला पंचायत सीईओ श्री चन्द्रमोहन मिश्र, एसडीएम श्री आरपी अहिरवार, जिला शिक्षा अधिकारी श्री एचएन नेमा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे।

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (12 जून)

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जन समस्या सुनवाई के तहत निर्धारित अवधि में हो समस्याओं का समाधानः हरीश रावत

harish rawat
बागेश्वर, 12 जून (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तहसील परिसर बागेश्वर में जनपदीय अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि ’’जन समस्या सुनवाई एवं समाधान’’ के तहत प्राप्त जन शिकायतों व समाधान से सम्बन्धित विषयों का क्रियान्वयन संजीदगी के साथ निर्धारित समय के अन्दर किया जाये। जनपदवार आयोजित की जा रही विभागीय अधिकारियों की बैठक को उन्होंने दक्षता विकास एवं कार्य क्षमता के आंकलन का भी सहायक बताया। उन्होंने जिले में किये जा रहे सभी विकास कार्यों को समय से पूर्ण करने के निर्देश अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों में गुणवत्ता का विशेष तौर से ध्यान रखा जाये ताकि बनायी जाने वाली योजनाओं का लाभ दीर्घकाल तक जनता को मिल सके। उन्होंने जिला योजना के तहत जिले को दी जाने वाली धनराशि को निर्धारित अवधि के अन्तर्गत शतप्रतिशत व्यय कर लेने के निर्देश भी दिये। उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारी जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अपनी दक्षता का परिचय दें। निर्माण कार्यो की गुणवत्ता का विशेष ध्यान दिया जाये। अधिकारीगण सर्विस प्रोवाइडर के रूप में जनता की बेहतर सेवा करने वाले बनें। जनसमस्याओं को टालें नहीं उनका निराकरण अपने ज्ञान एवं विवेक द्वारा तत्परता से करें। नियमों को जनहित के सापेक्ष खड़ा करें, जन संतुष्टि हमारा मकसद होना चाहिए। अधिकारियों की जन सेवा की भावना जितनी ऊंची व उदार होगी उतना ही जन विश्वास उन्हें प्राप्त होगा । जिला योजना के अन्तर्गत गत वर्ष 70 प्रतिशत से कम व्यय करने वाले लोक निर्माण विभाग व जल संस्थान के अधिकारियों के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि सभी विभागीय अधिकारी जिला योजना के अधीन स्वीकृत बजट का शत प्रतिशत उपयोग करना सुनिश्चित करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों द्वारा समय-समय पर क्षेत्र भ्रमण करते रहने से उन्हें क्षेत्र की स्थिति के बारे में जानकारी होती है साथ ही क्षेत्रीय जनता के साथ विचार-विमर्श होने से उन्हें प्रथम दृष्ट्या समस्याओं का ज्ञान होता है और जनता को विभागीय योजनाओं की जानकारी होती है व उसका विश्वास भी व्यवस्था के प्रति सुुदृढ़ होता है। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि जिला योजना को और अधिक प्रभावी बनाये जाने के लिए उसके अधीन जो कार्य मदें अप्रासंगिक हो गयी हैं उनका चिन्हीकरण किया जाये तथा ऐसी योजनाओं को उसमें शामिल किया जाये जो सीधे जनता से जुड़ी होें। समीक्षा बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, विधायक कपकोट ललित फस्र्वाण, विधायक बागेश्वर चन्दन राम दास, जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, जिलाधिकारी भूपाल सिंह मनराल, अपर जिलाधिकारी हरबीर सिंह, उप जिलाधिकारी फिंचाराम चैहान, पुलिस अधीक्षक चम्पावत डी0 एस0 कुंवर, पुलिस उपाधीक्षक धनी राम, सीएमओ डा. जेसी मण्डल सहित सभी विभागों के अधिकारी मौजूद थे। 

गरूड बनेगा बीज उत्पादन घाटी, बागेश्वर चमकेेगा ताम्र कलस्टर एवं खडि़या उत्पादक के रूप में

बागेश्वर, 12 जून (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जनपदीय अधिकारियों की बैठक के दौरान गरूड़ को बीज उत्पादन घाटी चिन्हित करने तथा बागेश्वर को ताम्र कलस्टर एवं खडि़या उत्पादक क्षेत्र के रूप में विकसित करने के निर्देश दिये। इसके लिए कुछ लोगों को प्रशिक्षण देने की भी बात उन्होंने कही। मुख्यतंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूहों को पैकेजिंग की टेªनिंग देने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये इसके साथ ही बाजार भी उपलब्ध कराने की बात उन्होंने कही। बागेश्वर को वर्ष 2017 तक निर्मल जनपद घोषित किया जाये इसके लिए लगभग 14 हजार शौचालयों के निर्माण की योजना शीघ्र अमल में लाने को कहा इसके लिए धनराशि की अलग से व्यवस्था की जायेगी। जनपप्रतिनिधियों की भी इसमें मद्द ली जाये। सामाजिक क्षेत्र के अधीन समाज कल्याण द्वारा प्रदान की जाने वाली पेंशन योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार करने, कृषि क्षेत्र के सभी विभागों को आपसी समन्वय  से कार्य करने, नियमित जलापूर्ति की व्यवस्था के साथ ही जल संवर्धन योजनाओं पर ध्यान देने के निर्देष भी उन्होंने दिये। मुख्यमंत्री ने सामाजिक क्षेत्र से सम्बन्धित सभी योजनाओं को पूरी ईमानदारी और निष्ठा सहित तेजी के साथ चलाये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा विधवा, वृद्ध, विकलांगों तथा किसानों के लिये पेंशन स्वीकृत की गयीं हैं और अब यह जिले के समाज कल्याण विभाग का दाईत्व है कि तीन माह के भीतर प्रत्येक पेंशनर को उससे सम्बन्धित धनराशि मिल जाये। उन्होंने निर्देश दिये कि समाज कल्याण विभाग गाॅंवों में शिविर लगा कर पात्र लाभार्थियों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न पेंशन योजनाओं से आच्छादित करें। उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिये कि वे समय-समय पर स्वयं भी इसका अनुश्रवण करते रहें। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में एपीएल परिवारों को भी नक़द रहित स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने हेतु मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना प्रारम्भ की गयी है। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न पेंशन योजनाओं में पात्र व्यक्ति छूटने न पाये इसके लिए जहाॅं मासिक आय सीमा में परिवर्तन किया गया है वहीं पेंशन की राशि में भी इजाफा किया गया है। उन्होंने बताया कि परित्यक्ता, निराश्रित, मानसिक रूप से विकृत व्यक्ति की पत्नी को भी भरण-पोषण के लिए धनराशि प्रदान की जायेगी। उन्होंने तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना के सम्बन्ध में जानकारी दी व बताया कि बीस से चालीस वर्ष आयु की महिलाओं को अपंगता अथवा घायल होने की स्थिति में पेंशन दी जायेगी। उन्होंने सूक्ष्म व लघु उद्योगों को बढ़ावा देने, पर्वतीय क्षेत्र को शिक्षा हब के रूप में विकसित करने, आंगनबाड़ी, मिनि व सहायक कार्यकत्रियों के मानदेय वृद्धि व इनके लिए अंशदायी पेंशन योजना, आंगनबाड़ी कल्याण कोष स्थापना, उद्यानों के जीर्णोद्धार हेतु कृषक अनुदान, फलदार बागान स्थापना हेतु अनुदान, पुराने व जीर्ण पौलिहाउसों के दु्रुस्तीकरण हेतु अनुदान के अलावा मेरा गाॅव मेरी सड़क तथा मेरा गाॅंव मेरा धन योजना के बारे में जानकारी दी। इससे पूर्व देर सांय तक जन समस्यायें सुनते हुए मुख्यमंत्री रावत ने भूमि नियमितिकरण से सम्बन्धित प्रकरणों को 31 अगस्त तक निस्तारित करने के निर्देश दिये इसके लिए सम्बन्धित तहसीलदार जिम्मेदार होंगे। पीएमजीएसवाई द्वारा बनायी जाने वाली सड़कों की चैड़ाई कम पाये जाने पर कार्यवाही करने, वर्कचार्ज कर्मियों के कल्याण के लिए कारपस फण्ड की व्यवस्था के उन्होंने निर्देश दिये। उन्होंने गतवर्षों की आपदा में क्षतिग्रस्त विद्यालय भवनों के पुनर्निर्माण के लिए एक करोड़ की धनराशि मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से देने की घोषणा की तथा बागेश्वर से हरिद्वार तक सीधी बस, कफलढूंगा से लिफ्ट सिंचाई योजना, गरूड व बैजनाथ में टैक्सी स्टैण्ड के लिए भूमि व्यवस्था किये जाने की भी मुख्यमंत्री ने घोषणा की। जनता दरबार में उठाई गई समस्याओं के तहत उन्होंने जनपद के अन्तर्गत 02 किमी से 10 किमी0 तक के छूटे हुए मोटर मार्गो को पूर्ण करने की मंजूरी दी। समीक्षा बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, विधायक कपकोट ललित फस्र्वाण, विधायक बागेश्वर चन्दन राम दास, जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, जिलाधिकारी भूपाल सिंह मनराल, अपर जिलाधिकारी हरबीर सिंह, उप जिलाधिकारी फिंचाराम चैहान, पुलिस अधीक्षक चम्पावत डी0 एस0 कुंवर, पुलिस उपाधीक्षक धनी राम, सीएमओ डा. जेसी मण्डल सहित सभी विभागों के अधिकारी मौजूद थे।  शुक्रवार प्रातः जिलाधिकारी भूपाल सिंह मनराल द्वारा मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष हेतु 11 लाख 40 हजार की धनराशि का चैक मुख्यमंत्री को भेंट किया गया।

दो नशा तस्कर दबोचे

देहरादून,12 जून (निस)। आपरेशन नई जिन्दगी चला पुलिस नशे के सौदागरों पर लगाम लगाने की कोशिश में जुटी है। इसी के तहत नेहरू काॅलोनी पुलिस ने अभियान चलाते हुए दो लोगों को चरस सहित गिरफ्तार करने मे ंकामयाबी हासिल की है। मिली जानकारी के अनुसार नेहरू कालोनी पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि क्षेत्र के कारगी चैक पर छात्रों को नशे की सामान की सप्लाई करने वाले कुछ लोग घूम रहे हैं। इस पर पुलिस जब कारगी चैक पहुंची तो वहां मौजूद दो लोगांे ने पुलिस को देख भागने की कोशिश की। लेकिन पुलिस की नाकेबंदी के चलते वह ऐसा नहीं कर पाये। पुलिस ने दोनो को अपनी गिरप्त में ले लिया। तलाशी लेने पर पुलिस को उनके पास से 250 ग्राम चरस बरामद हुई। पूछताछ में उन्हांेने अपने नाम मनोज कुमार व अमित थापा निवासी केदारपुर बताया। पुलिस के अनुसार उक्त दोनो व्यक्ति क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में काफी समय से नशे का सामान सप्लाई करते थे। पुलिस ने दोनो को जेल भेज दिया। 

समस्याओं के निकारण की मांग को लेकर कैम्टी में लगाया जाम

मसूरी, 12 जून (निस)। शुक्रवार की सुबह जौनपुर क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं को लेकर धनोल्टी क्षेत्र के विधायक महावीर सिंह रांगड़ के नेतृत्व में क्षेत्रीय जनता ने कैंप्टी में जाम लगा दिया। इससे गंगोत्री मार्ग पर काफी संख्या में वाहन फंस गये। वहीं मसूरी में भी शुक्रवार को पर्यटकों के भारी संख्या में पहुंचने के चलते वाहनों की लम्बी-लम्बी कतारें देखने को मिली। पहले से ही विभिन्न समस्याओं की मार क्षेल रहे स्थानीय लोगों की नाराजगी यात्रा सीजन पर भारी पड़ती नजर आ रही है। शुक्रवार की सुबह करीब 10.30 बजे टिहरी व देहरादून की सीमा पर ग्रामीण सड़क पर जाम लगाकर धरने पर बैठ गए। इससे वहां भारी जाम लग गया और पर्यटकों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। स्थानीय व्यापारी जाम का विरोध कर रहे थे जिसके चलते स्थानीय व्यापारियों से प्रदर्शनकारियों की नोकझौंक भी हुई। व्यापारियों का कहना था कि यात्रा सीजन के दौरान लोगों को जाम नहीं लगाना चाहिए। इससे पर्यटकों के सामने क्षेत्र की छवि खराब होती है। उनका कहना था कि समस्याओं को लेकर धरना दिया जा सकता है। किन्तु ग्रामीण काफी देर तक अपनी समस्याओं को लेकर जाम लगाए रहे। मौके पर पहंुचकर पुलिस और प्रशासन की टीम ने प्रदर्शनकारियों को किसी तरह से समझाबुझाकर जाम खुलवाया। ग्रामीणों की मुख्य मांगों में कैंप्टी-थत्यूड़ मोटर मार्ग का निर्माण जल्द पूरा करने, कैंप्टी व स्यालसी न्याय पंचायत को दून प्राधिकरण से मुक्त रखने, पेयजल योजनाओं का निर्माण जल्द पूरा करने आदि की मांग शामिल हैं। 

ग्रामीणों ने पुनर्वास कार्यालय पर जड़े ताले

नई टिहरी,12 जून (निस)। पिछले काफी समय से आन्दोलित टिहरी बांध की झील से प्रभावित नंदगांव के ग्रामीणों ने शुक्रवार को पुनर्वास कार्यालय में ताले जड़ दिए। ग्रामीण मुआवजा व पुनर्वास की मांग कर रहे हैं। बांध प्रभावितों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। विस्थापन की मांग को लेकर थौलधार ब्लॉक के अंतर्गत नंदगांव के ग्रामीण पांच मई से जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना दे रहे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक बांध की झील से गांव की जमीन पर लगातार भूस्खलन हो रहा है। साथ ही उनके खेत व मकानों को भी खतरा बना हुआ है। खेती की कई नाली जमीन बांध की झील में समा गई है। इसके बावजूद न तो उन्हें मुआवजा दिया गया और न ही उनका विस्थापन किया जा रहा है। शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े 11 बजे ग्रामीण धरनास्थल से करीब सौ मीटर दूर स्थित पुनर्वास कार्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने कक्षों में उपस्थित कर्मियों को बाहर निकाल दिया। इस दौरान उनकी मौके पर मौजूद पुलिस से झड़प भी हुई। सभी कक्षों में ताले लगाने के बाद ग्रामीण फिर से धरने पर बैठ गए।

घोटाले की सीबीआई जांच कराकर ही दम लेगी भाजपाः रावत

पौड़ी, 12 जून (निस)। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत ने कहा कि आपदा राहत घोटाले की सीबीआइ जांच को लेकर भाजपा अडिग है। उन्होंने कहा कि वह इसकी सीबीआइ जांच करवाकर ही दम लेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार घोटाले मे लिप्त अधिकारियों को बचाने का काम रही है। सरकार की इस मंशा को पूरा नहीं होने दिया जाएगा। पौड़ी में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में डूबी प्रदेश सरकार जनभावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। आपदा के दौरान जो घोटाला हुआ उसकी सीबीआइ जांच जरूरी है। सरकार घोटाले के दोषियों को बचाने में जुटी हुई है। अभी इसमें और भी बड़े खुलासे होने हैं। उन्होंने कहा कि मलेथा के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है। सरकार उपजाऊ जमीन के आसपास क्रशर लगाकर किसानों को बर्बाद करने में तुली हुई है। भाजपा मलेथा के लोगों के आंदोलन के साथ है। पर्वतीय क्षेत्र में लगातार हो रही गुलदार के हमलों की घटनाओं के संबंध में उन्होंने कहा कि वन कानूनों के सरलीकरण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ भाजपा का अभियान जारी रहेगा। 

पिघलते हिमखण्ड यात्रियों के लिए बन सकते हंै मुसीबत

गोपेश्वर, 12 जून (निस)। शीतकाल में भारी बर्फबारी के चलते बने हिमखंड ग्रर्मियों में अब पिघलने लगे हैं। सीजन के दौरान यात्री जिस प्रकार बिना खौफ के हिमखंडों में विचरण कर रहे हैं,वह यात्रियों के लिए कभी भी मुसीबत का सबब बन सकते हैं। स्वर्गारोहिणी यात्रा मार्ग पर भी दर्जनों हिमखंड होने के चलते प्रशासन यात्रियों को फिलहाल माणा से आगे भेजने की मनाही कर रहा है। माणा से आगे स्वर्गारोहिणी ट्रैक पर बसुधारा के पास हिमखंड में आगरा की महिला यात्री की मौत व अन्य यात्रियों के चोटिल होने के बाद प्रशासन की चिंताएं बढ़ गई है। लगातार गर्मी बढ़ने से हिमखंडों के गलने का क्रम जारी है। यही कारण है कि हिमखंड अंदर से भी कमजोर होकर टूटते रहे हैं। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षित आवाजाही को लेकर प्रशासन की चिंताएं बढ़ गई है। प्रशासन की रणनीति है कि बसुधारा तक पैदल ट्रैक पर यात्रियों के साथ स्थानीय गाइड को जरूरी कर दिया जाए ताकि गाइड यात्रियों को सुरक्षित यात्रा को लेकर सतर्क करते रहे। बसुधारा से आगे यात्रा के लिए तो प्रशासन की अनुमति जरूरी कर दी गई है। स्वर्गारोहिणी ट्रैक पर रास्ता अभी भी हिमखंडों के चलते असुरक्षित है। प्रशासन के अधिकारियों को कहना है कि  हिमखंडों से लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। लिहाजा यात्रियों को भी खुद सतर्क रहना होगा। उनका कहना है कि हिमखंडों में दूर से ही यात्री फोटोग्राफी कर बर्फ का आनंद लें।

कई गांवों में पानी की किल्लत

बागेश्वर, 12 जून (निस)। तहसील के कई गांवों में पानी की किल्लत बनी हुई है। बच्चे कई किमी दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं। इन बच्चों पर कभी बस्ते का बोझ है तो ग्रीष्मावकाश में सर पर कनस्तर का बोझ ढो रहे हैं। प्रशासन हो या फिर जन प्रतिनिधि उन्हें पानी की किल्लत दूर करने से कोई लेना देना नहीं है। पेयजल महकमे की लापरवाही के चलते गरुड़ के कई गांवों में पानी की किल्लत बनी हुई है। लोग कई किमी दूर से पानी ढो रहे हैं। कई ग्रामीण तो गोमती व बुरसौल नदी का पानी ढोकर ला रहे हैं। जबकि मध्यम वर्गीय लोग निजी वाहनों से पानी ढो रहे हैं। हालत यह है कि रात भर प्राकृतिक स्रोत में पानी के लिए भीड़ जमा हो रही है। जहां मैदानी क्षेत्र के स्कूली बच्चे ग्रुप या अपने अभिभावकों के साथ गर्मी का अवकाश बिताने के लिए पहाड़ आ रहे हैं वहीं यहां के बच्चे अपनी गर्मियां पानी ढोने में बिता रहे हैं। तहसील के नौघर, सिल्ली, मटेना, गढ़सेर, टीट बाजार, पिंगलों आदि गांव पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। कई ग्रामीण दूषित पानी पी रहे हैं व बीमारी को न्यौता दे रहे हैं।

तापमान में वृद्धि से दहके जंगल

बेरीनाग, 12 जून (निस)। तापमान में हुई बढ़ोत्तरी से जंगलों की आग भड़कने लगी है। तहसील क्षेत्र के तमाम जंगल आग की चपेट में हैं। जंगल की आग कठपतरिया वन चैकी तक पहुंच गई है। उद्यान विभाग नर्सरी में भी भीषण आग लगी हुई है। उद्यान विभाग नर्सरी में आग लगने से नर्सरी परिसर में लगी साग-सब्जी, फलों के छोटे पेड़ जलकर राख हो गया है। उद्यान विभाग के कर्मचारियों ने खासी मशक्कत कर परिसर में लगे पोली हाउसों को बचा लिया है। उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सुबह अचानक जंगल की आग उद्यान विभाग की नर्सरी तक पहुंच गई। कर्मचारियों ने कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पाया। नगर क्षेत्र के पेट्रोल पंप के पास भी सड़क के दोनों ओर आग लगी हुई है। सड़क तक आग पहुंचने से कुछ देर तक वाहनों को रुकना पड़ा, आग बूझने पर ही वाहन आगे बढ़ सके। तहसील क्षेत्र के चैड़मन्या, राईगढ़स्यारी, हजेती, उडियारी, चैकोड़ी, कोटमन्या, धरमघर, पांखू क्षेत्र के जंगलों में भीषण आग लगी हुई है। गराऊ, सामधूरा, उडियारी बैंड, जयनगर गांवों के ग्रामीणों ने गांव तक आग पहुंचने पर रात भर मशक्कत कर आग पर काबू पाया। वन क्षेत्राधिकारी महेश पाठक ने बताया कि जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए अस्थाई मजदूरों की संख्या बढ़ा दी गई है। उन्होंने कहा कि जंगलों में आग लगाने वालों की धरपकड़ के लिए भी एक टीम गठित की गई है।

वर्षा से मिली कुछ राहत

पिथौरागढ, 12 जून (निस)। दस दिनों तक सूखा रहने के बाद सीमांत में मौसम फिर मेहरबान हो चुका है। अलबत्ता जिला मुख्यालय सहित शेष हिस्से में गर्मी ने झुलसाया। मुनस्यारी और धारचूला में गरज के साथ वर्षा होने से जनता ने राहत की सांस ली है। विगत दस दिनों से जिले में वर्षा नहीं हुई है। जिसके चलते जंगलों में आग लगी है तो दिन भर सूरज की गर्मी से लोग बेहाल हैं। घाटियों वाले इलाकों में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस पार कर चुका था। हिमनगरी मुनस्यारी में तक गर्मी पड़ने लगी थी। गुरुवार को मुनस्यारी, मदकोट और धारचूला सहित उच्च हिमालयी भू-भाग में वर्षा हुई। मुनस्यारी में लगातार तीन घंटे तक बादल बरसते रहे। धारचूला में तेज हवाओं के बाद आसमान बरसा। मदकोट में भारी वर्षा से सड़क लबालब हो गई थी। कच्ची सड़क में लोगों का चलना कठिन हो गया था। वर्षा के चलते गोरी और काली नदी घाटी क्षेत्र के लोगों को कुछ राहत मिली है। जिला मुख्यालय पिथौरागढ़, डीडीहाट, बेरीनाग, गंगोलीहाट आदि तहसील क्षेत्रों में दिन भर गर्मी का प्रकोप बना रहा। दोपहर के आसपास कुछ देर के लिए आसमान में हल्के बादल मंडराने के बाद गायब हो गए। मौसम विभाग के अनुसार शुक्रवार से मौसम में परिवर्तन के आसार हैं।

भाजयूमो ने किया बुद्धि-शुद्धि यज्ञ

देहरादून, 12 जून (निस)। केदारनाथ आपदा राहत घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा ने सनातन धर्म मंदिर में शुक्रवार को बुद्धि-शुद्धि यज्ञ का आयोजन किया। आपदा राहत घोटाले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर भाजयूमों 16 जून को मुख्यमंत्री आवास का घेराव भी करेगा। शुक्रवार की सुबह भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता नेहरू कालोनी स्थित सनातन धर्म मंदिर सहित अन्य मंडलों में अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत एकत्रित हुए और प्रदेश सरकार की बुद्धि भ्रष्ट होने का आरोप लगाते हुए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किया। इस मौके पर संगठन के कार्यकर्ताओं ने कहा कि आपदा राहत के नाम पर रूपयों की खुलेआम बंदर बांट हुई। मामला खुलने के बाद सीबीआई जांच न कराकर प्रदेश सरकार घोटालेबाजों को बचाने का प्रयास कर रही है। जिससे प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचारी मानसिकता उजागर हुई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के कार्यकाल में कई घोटाले हुए है। जिनमें  खनन घोटाला, मुख्यमंत्री राहत कोष में घोटाला, एएनएम घोटाला, दरोगा भर्ती घोटाला, जीटीएम घोटाला, तेल बिल घोटाला सहित अन्य घोटाले शामिल है।  जिनपर सरकार पर्दा डालने का काम कर रही है। किन्तु भाजपा प्रदेश को भ्रष्टाचार की आग में और नही जलने देगी। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेश सरकार को घोटालों की सीबीआई की जांच कराने के लिए मजबूर करके ही दम लेगी।  प्रदर्शनकारियों ने कहा कि देव भूमि उत्तराखण्ड की मर्यादाओं को कांगे्रस सरकार ने लगातार तार-तार करने का काम किया है। जिससे देश में इस पवित्र स्थान की छवि खराब हो रही है। यदि कांग्रेस सरकार ने अपनी जनविरोधी मांनसिकता का त्याग नही किया तो वे प्रदेश में सरकार के खिलाफ बड़ा जनान्दोलन चलाने को बाध्य होंगे। 

केन्द्र के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान

देहरादून, 12 जून (निस)। पूर्व सैनिकों ने वन रैंक वन पेंशन को लेकर केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान किया है। आयोजित बैठक मंे पूर्व सैनिकों ने कहा कि जब तक वन रैंक वन पेंशन को लागू नहीं किया जाता तब तक वे केन्द्र के खिलाफ मोर्चा खोले रखेंगे।  शुक्रवार को ईसी रोड स्थित उत्तराखंड एक्स सर्विसमैन लीग के बैनर तले अनेक पूर्व सैनिक संगठनों के प्रतिनिधियों की इस बैठक में वन रैंक वन पेंशन को लागू किये जाने पर केन्द्र सरकार पर दवाब बनाये जाने के लिए जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है। आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि वनरैंक वन पेंशन पर लगातार सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों को गुमराह किया जा रहा है जिसे अब सहन नही ंकिया जायेगा। इस दौरान ब्रिगेडियर के जी बहल ने कहा कि अपनी मांग को लेकर दिल्ली जाना आवश्यक है और वहां पर अपना पक्ष रखना भी जरूरी है। इस मामले पर प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री एवं रक्षा मंत्री से भी भेंट की जायेगी और इसके लिए समय लिया जायेगा, उनका कहना है कि केन्द्र सरकार कह रही है कि दिसम्बर 15 तक वन रैंक वन पेंशन को लागू कर दिया जायेगा, लेकिन दवाब बनाया जाना जरूरी है। इस अवसर पर अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

एबीवीपी ने किया प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

देहरादून, 12 जून (निस)। देश एवं विदेशों में 21 जून को योग दिवस मनाये जाने की 177 देशों की हामी भरे जाने के बाद उत्तराखंड सरकार द्वारा इस दिवस को न बनाये जाने के विरोध में एबीवीपी ने सरकार का पुतला फूंककर अपना विरोध जताया। इस मौके पर एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रदेश सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन को जारी रखा जायेगा। शुक्रवार को एबीवीपी के कार्यकर्ता डीएवी कालेज में एकत्रित हुए और काॅलेज से सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चैक पर पहंुचे। जहां प्रदर्शनकारी एबीवीपी कार्यकर्ताओ ने सरकार के पुतले को आग के हवाले किया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि जहां भारत सहित अन्य देशों ने 21 जून को योग दिवस मनाये जाने की हामी भर दी है और इसके लिए अनेकों कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हंै, वहीं यहां उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार इस दिवस को मनाने से मना कर रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, नहीं तो सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जनांदोलन किया जायेगा। उनका कहना है कि उत्तराखंड देवभूमि है, यहां से योग की शुरूआत हुई है और यहां की सरकार योग दिवस को मनाने से मना कर रही है। यह बडे़ दुर्भाग्य की बात है। वक्ताओं ने कहा कि योग दिवस का सम्मान करने की आवश्यकता है और इसके लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार को भी आगे आना होगा। इस अवसर पर पारस गोयल, अंशुल चावला, सिद्धार्थ राणा, संजय तोमर, विक्रम फरस्वाण सहित अनेकों कार्यकर्ता मौजूद थे।
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