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आलेख : ट्रेन में वसूली का धंधा।

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देश मे यात्राओं की रीढ़ मानी जाने वाली रेलवे में जबरन वसूली का धंधा बखूबी चलता है। एक तरफ केंद्र सरकार भ्रष्ट्राचार कम होने की बात कर रही है तो वही दूसरी तरफ इसे बढ़ावा मिल रहा है। रेल विभाग का एक काला सच जिसमें सामान्य का टिकट लिए यात्रियों से वसूली कर उन्हें स्लीपर में बैठने की परमीशन देते है। इस काम को बखूबी अंजाम दिया जाता है।

टीटी और आरपीएफ के जवानों के मिलीभगत का ये खेल बखूबी चलता है। ये वो यात्री होते हैं जिन्हें पता होता है कि टीटी को 100-50 रूपए देकर सामान्य का टिकट लेकर आराम से स्लीपर में बैठकर जाओ। टीटी के टिकट चेक करने पर लोग टिकट के साथ रूपया भी निकाल लेते हैं। और टीटी महाशय जुर्माना की पर्ची न काटते हुए रूपए को कोट की जेब में रख लेते हैं। 

स्लीपर क्लास में ट्रेन की फर्श पर बैठे यात्रियों में अधिकतर के पास सामान्य का टिकट होता है। रात्रि के समय फर्श पर सोने की वजह से आरक्षण कराए हुए यात्रियों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन टीटी और रेलवे सुरक्षा बल के जवानों को इससे क्या मतलब है। उन्हें तो पैसा वसूलना है।

रेलवे सुरक्षा बल के जवानों की बात करें तो पैसा कमाने के लिए फर्श पर बैठे लोगों से टिकट मांगते हैं। सामान्य का टिकट मिलने पर चालान की धमकी देते हैं। अगर यात्री उनके मन मुताबिक पैसा नही देता तो मारपीट शुरू कर देते हैं। जिनकों सुरक्षा के लिए रखा जाता है वो इतना बुरा बर्ताव करते हैं ताजुब की बात है। सरकार से शायद कम वेतन इन लोगों को मिलता होगा। तभी ट्रेन में अपना डंका बजाते हैं। 

एक सच्ची घटना के बारे में जानकारी देना चाहता हूं। जून 10 को पदमावत ट्रेन से दिल्ली के लिए रवाना हुआ था। मुरादाबाद तक तो कोई पूछने नही आया था कि टिकट दिखाओ। मुरादाबाद के बाद 2 टीटी चेक कर रहे थे। उनसे आगे 3-4 रेलवे सुरक्षा बल के जवान चल रहे थे। एस-4 में कुछ यात्री जो फर्श पर सो रहे थे। उनके पास सामान्य श्रेणी का टिकट था। 

तभी रेलवे सुरक्षा बल के जवानों ने लोगों को जगाकर टिकट मांगा। सामान्य श्रेणी का टिकट देखते ही वो आग बबूला हो गए। एक लड़का जो अपने परिवार के साथ सफर कर रहा था उसे मारना शुरू कर दिए। जिसे देखते हुए और जो थे लोगों ने 200 रुपए उन्हें दिए। थोड़ी देर बाद टीटी ने टिकट मांगा तो वो भी पैसे की मांग करने लगा। 
उन लोगों ने सारी बात बताई तो टीटी का कहना था उनका क्या हक है। मै अभी आरपीएफ के जवानों से बात करूंगा। उसमें से एक बिना टिकट बैठा लड़के ने पांच सौ का नोट दिया जिसमें से टीटी ने 2 सौ वापस कर बाकी चालान न करके अपने जेब में डाल लिया। ये एक रात और एक ट्रेन की बात हुई। हर रोज न जाने कितनी वसूली करते होगें ये लोग। ऐसे में जुर्माना न काटकर पैसा अपने जेब में रखने से सरकार को भी घाटा होता है। हमेशा खबरो में भी रेलवे घाटे में चलने की बात रहती है। सुरक्षा के नाम पर खिलवाड़ होता है रेलवे में। वसूली करने में आगे है। 

सरकार दावे करती है कि भ्रष्ट्रचार कम हो रहा है, इस भ्रष्ट्राचार के लिए हम सब जिम्मेदार है। सरकार दावे करती है रेलवे की सुविधाओं के बारे में कहीं न कहीं ये खोखली जरूर होती हैं। आखिर कब तक ये वसूली का खेल चलता रहेगा। कब तक रेलवे को वित्तीय घाटा उठाना पड़ेगा। 




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रवि श्रीवास्तव 
स्वतंत्र पत्रकार
Email- ravi21dec1987@gmail.com

ऋचा चड्ढा बनी 'पत्रकार '

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ऋचा चड्डा आजकल एक के बाद एक दमदार और अच्छी भूमिकाओं वाली फिल्मों में खूब काम कर रही हैं।इस क्रम को जारी रखने के लिए वो अलग अलग प्रयोग करने से भी नहीं हिचकिचाती हैं।यदि किसी फ़िल्म में उन्हें सशक्त कैमियो की भी भूमिका भी प्रस्तावित की जा रही है तो वह उसे पूरी मेहनत और लगन से एक मुकाम तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई पड़ती हैं।

ऋचा ने हाल ही में सुभाष सिंह की आने वाली फ़िल्म 'चाक एंड डस्टर'में एक विशेष कैमियो भूमिका की है।वह इस फ़िल्म में एक पत्रकार का चरित्र निभा रही हैं, जो कि वास्तविक ज़िन्दगी से प्रेरित है। कहने के लिए तो यह सिर्फ एक कैमियो है लेकिन ऋचा का किरदार इस फ़िल्म में बेहद दमदार है।सूत्रों की माने तो ऋचा ने अपनी राजनैतिक पत्रकार मित्र राणा अयूब से प्रेरणा लेकर इस किरदार को निभाया है।यह पहला मौका है जब ऋचा एक पत्रकार के रूप में सिल्वर स्क्रीन पर नज़र आएँगी।

उपरोक्त के बारे में जब हमने ऋचा से पुछा तो उन्होंने इस पर सहमति जताते हुए कहा - "शुक्र इस बात का है कि हम रियल लोकेशन पर यानि क़ि वास्तविक न्यूज़ स्टूडियो में शूट कर रहे थे और इसलिए वहाँ मौजूद विशेषज्ञों से इस किरदार को निभाने के सूत्र स्वतः ही मिलते गए।"

विशेष आलेख : मां वैष्णव धाम है शक्ति आराधना का जाग्रत स्थल

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मां वैष्णव का धाम शक्ति आराधना का जाग्रत स्थल माना जाता है। यहां पर अन्य देवी मंदिरों की भांति देवी की साकार और श्रृंगारित प्रतिमा न होकर मां वैष्णवी तीन पिण्डियों के सामूहिक स्वरुप में दर्शन देती है। मां काली (दाएं), मां सरस्वती (बाएं) और मां लक्ष्मी (मध्य) के रूप में विराजमान है। जिनकी दर्शन मात्र से ही हर प्रकार की मुरादें पूरी होने के साथ ही दूर हो जाते है सारे पाप और कष्ट। यहां देश के कोने-कोने से तो श्रद्धालुओं का मां के दर्शन को आना होता ही है, यहां वही भक्त पहुंच पाता है, जिसे मां का बुलावा होता है और जो एकबार मां के द्वार पहुंच गया, वो फिर कहीं और नहीं जाता 

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चमत्कार के एक-दो नहीं ढेरों कहानियां अपने अंदर समेटे हसीन वादियों में त्रिकूट पर्वत पर गुफा में विराजमान है आदि शक्ति जगत जननी माता वैष्णो देवी। खासियत है कि यहां अन्य देवी मंदिरों की भांति देवी की साकार और श्रृंगारित प्रतिमा न होकर मां वैष्णवी तीन पिण्डियों के सामूहिक स्वरुप मां काली (दाएं), मां सरस्वती (बाएं) और मां लक्ष्मी (मध्य) के रूप में भक्तों को दर्शन देती है। कहते है जो श्रद्धालु मां का पूजा विधि-विधान व तौर-तरीकों से कर लिया उसकी हर प्रकार की मुरादें पूरी होने के साथ ही दूर हो जाते है सारे पाप और कष्ट। मां का ये धाम अनोखा व अद्भूत इसलिए भी है कि माता वैष्णवी अधर्म और दुष्टों का नाश कर जगत कल्याण के लिए आज भी वैष्णव धाम में वास करती है। मां अपने किसी भी भक्त को खाली हाथ नहीं भेजती, तभी तो मां के दर्शन को हर रोज लाखों श्रद्धालु पहुंचते है। कहा यह भी जाता है कि मां के दर्शन मात्र से शत्रु तो परास्त होते ही है, मिल जाता है राजसत्ता सुख का वरदान। मां के आशीर्वाद से बिगड़े काम भी तो बनते ही हैं, सफलता की राह में आ रही बाधाएं भी दूर हो जाती है। मुश्किलों को हरने वाली मां के शरण में आने वाला राजा हो या रंक मां के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते है। मां की कृपा से असंभव कार्य भी पूरे हो जाते है। ताज्जुब इस बात का है कि देश के कोने-कोने से तो श्रद्धालुओं का मां के दर्शन को आना होता ही है, यहां वही भक्त पहुंच पाता है, जिसे मां का बुलावा होता है और जो एकबार मां के द्वार पहुंच गया, वो फिर कहीं और नहीं जाता। 

कहते है दरबार में नित्य होने वाली मां के चारों रुपों की आरती का दर्शन कर लेने मात्र से हजार अश्वमेघ यज्ञ के फलों की प्राप्ति होती है। चैत यानी वासंतिक व शारदीय नवरात्र के नौ दिनों तक विशाल मेला लगता है। इस मेले में लाख-दो लाख नहीं बल्कि 25-30 लाख से भी अधिक श्रद्धालु पहुंचते है। कहते है मां वैष्णवी एक मात्र ऐसी जागृत शक्तिपीठ है जिसका अस्तित्व सृष्टि आरंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद भी रहेगा। शक्ति को समर्पित यह मनोरम व दिव्य स्थल जम्मू-कश्मीर के कटरा स्थित मां वैष्णवी या त्रिकूट पर्वत पर है। यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है। मंदिर, 5,200 फीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर है। यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ-स्थल है, जो वैष्णो देवी या माता रानी और वैष्णवी के रूप में भी जानी जाती हैं। जहां तक मातारानी के पहाड़ों पर विराजमान होने का सवाल है तो मां वैष्णव देवी ही नहीं बल्कि गुवाहाटी में कामख्या, हरिद्वार में मनसा देवी सहित लगभग सभी माताओं के मंदिर पहाड़ों पर होते हैं। यहां तक की मां दुर्गा का एक नाम पहाड़ोंवाली भी है। दरअसल, हमारे वेद-पुराणों में पंच-तत्व के महत्व को बताया गया है। सृष्टि की रचना पंचतत्वों से हुई है तो इंसान के शरीर भी इन्हीं पंचतत्वों से बने हुए हैं। ये पंच तत्व हैं जल, वायु, अग्नि, भूमि और व्योम अर्थात आकाश। इन पांचों तत्वों के अधिपति एक-एक देवता भी हैं। जल के अधिपति गणेश हैं तो वायु के विष्णु. भूमि के शंकर हैं तो अग्नि के अग्निदेवता वहीं व्योम के देवता हैं सूर्य। शक्ति यानी दुर्गा को संपूर्ण धरती की अधिष्ठात्री माना गया है। साथ ही वे शक्ति का प्रतीक हैं। जानकारों की मानें तो पहाड़ों को धरती का मुकुट और सिंहासन माना जाता है। मां इस संपूर्ण सृष्टि की अधिष्ठात्री हैं, इसलिए वे सिंहासन पर विराजती हैं। यही वजह है कि लगभग सभी महत्वपूर्ण और प्राचीन देवी मंदिर पहाड़ों पर ही स्थित है। 

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पौराणिक मान्यताएं 
पौराणिक मान्यता है कि मां वैष्णो देवी ने भारत के दक्षिण में रत्नाकर सागर के घर जन्म लिया। उनके लौकिक माता-पिता लंबे समय तक निःसंतान थे। दैवी बालिका के जन्म से एक रात पहले, रत्नाकर ने वचन लिया कि बालिका जो भी चाहे, वे उसकी इच्छा के रास्ते में कभी नहीं आएंगे. मां वैष्णो देवी को बचपन में त्रिकुटा नाम से बुलाया जाता था। बाद में भगवान विष्णु के वंश से जन्म लेने के कारण वे वैष्णवी कहलाईं। जब त्रिकुटा 9 साल की थीं, तब उन्होंने अपने पिता से समुद्र के किनारे पर तपस्या करने की अनुमति चाही। त्रिकुटा ने राम के रूप में भगवान विष्णु से प्रार्थना की। सीता की खोज करते समय श्री राम अपनी सेना के साथ समुद्र के किनारे पहुंचे। उनकी दृष्टि गहरे ध्यान में लीन इस दिव्य बालिका पर पड़ी। त्रिकुटा ने श्री राम से कहा कि उसने उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार किया है। श्री राम ने उसे बताया कि उन्होंने इस अवतार में केवल सीता के प्रति निष्ठावान रहने का वचन लिया है। लेकिन भगवान ने उसे आश्वासन दिया कि कलियुग में वे कल्कि के रूप में प्रकट होंगे और उससे विवाह करेंगे। इस बीच, श्री राम ने त्रिकुटा से उत्तर भारत में स्थित माणिक पहाडि़यों की त्रिकुटा श्रृंखला में अवस्थित गुफा में ध्यान में लीन रहने के लिए कहा। रावण के विरुद्ध श्रीराम की विजय के लिए मां ने नवरात्र मनाने का निर्णय लिया। इसलिए उक्त संदर्भ में लोग, नवरात्र के 9 दिनों की अवधि में रामायण का पाठ करते हैं। श्रीराम ने वचन दिया था कि समस्त संसार द्वारा मां वैष्णो देवी की स्तुति गाई जाएगी। त्रिकुटा, वैष्णो देवी के रूप में प्रसिद्ध होंगी और सदा के लिए अमर हो जाएंगी। 

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मान्यता यह भी है कि माता वैष्णो के एक परम भक्त श्रीधर, जो कटरा से 2 किमी दूर हसली गांव में रहता था, की भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने एक मोहक युवा लड़की के रूप में उनको दर्शन दी। युवा लड़की ने विनम्र पंडित से भंडारा (भिक्षुकों और भक्तों के लिए एक प्रीतिभोज) आयोजित करने के लिए कहा। पंडित गांव और निकटस्थ जगहों से लोगों को आमंत्रित करने के लिए चल पड़े। उन्होंने सभी गांववालों व साधु-संतों को भंडारे में पधारने का निमंत्रण देने के साथ ही एक स्वार्थी राक्षस भैरवनाथ व उसके शिष्यों को भी आमंत्रित किया। इस विशालतम आयोजन की रुपरेखा देख एकबारगी गांववालों को विश्वास ही नहीं हुआ कि निर्धन श्रीधर भण्डारा कर रहा है। भैरव नाथ ने श्रीधर से पूछा कि वे कैसे अपेक्षाओं को पूरा करने की योजना बना रहे हैं। उसने श्रीधर को विफलता की स्थिति में बुरे परिणामों का स्मरण कराया। भंडारे में भैरवनाथ ने खीर-पूड़ी की जगह मांस-मदिरा का सेवन करने की बात की तब श्रीधर ने इस पर असहमति जताई। भोजन को लेकर भैरवनाथ के हठ पर अड़ जाने के कारण श्रीधर चिंता में डूब गए, तभी दिव्य बालिका प्रकट हुईं और भैरवनाथ को समझाने की कोशिश की किंतु भैरवनाथ ने उसकी एक ना मानी। तब कन्यारुपी वैष्णवी देवी ने श्रीधर से कहा कि वे निराश ना हों, सब व्यवस्था हो चुकी है। उन्होंने कहा कि 360 से अधिक श्रद्धालुओं को छोटी-सी कुटिया में बिठा सकते हो। उनके कहे अनुसार ही भंडारा में अतिरिक्त भोजन और बैठने की व्यवस्था के साथ निर्विघ्न आयोजन संपन्न हुआ और श्रीधर की लाज रखने के लिए मां वैष्णो देवी कन्या का रूप धारण करके भण्डारे में आई। साथ ही दुनिया को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया। भंडारा सकुशल संपंन होने पर भैरवनाथ ने स्वीकार किया कि बालिका में अलौकिक शक्तियां थीं और आगे और परीक्षा लेने का निर्णय लिया। उसने त्रिकुटा पहाडि़यों तक उस दिव्य बालिका का पीछा किया। रास्ते में जब भैरवनाथ ने उस कन्या को पकड़ना चाहा, तब वह कन्या वहां से त्रिकूट पर्वत की ओर भागी और उस कन्यारूपी वैष्णो देवी हनुमान को बुलाकर कहा कि भैरवनाथ के साथ खेलों मैं इस गुफा में नौ माह तक तपस्या करूंगी। इस गुफा के बाहर माता की रक्षा के लिए हनुमानजी ने भैरवनाथ के साथ नौ माह खेला। इस तरह 9 महीनों तक भैरवनाथ उस रहस्यमय बालिका को ढूंढ़ता रहा, जिसे वह देवी मां का अवतार मानता था। कहते हैं उस वक्त हनुमानजी मां की रक्षा के लिए मां वैष्णो देवी के साथ ही थे। हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर एक बाण चलाकर जलधारा को निकाला और उस जल में अपने केश धोए। आज यह पवित्र जलधारा बाणगंगा के नाम से जानी जाती है, जिसके पवित्र जल का पान करने या इससे स्नान करने से भक्तों की सारी व्याधियां दूर हो जाती हैं। नदी के किनारे, जिसे चरण पादुका कहा जाता है, देवी मां के पैरों के निशान हैं, जो आज तक उसी तरह विद्यमान हैं। इसके बाद वैष्णो देवी ने अधकावरी के पास गर्भ जून में शरण ली, जहां वे 9 महीनों तक ध्यान-मग्न रहीं और आध्यात्मिक ज्ञान और शक्तियां प्राप्त कीं। भैरव द्वारा उन्हें ढूंढ़ लेने पर उनकी साधना भंग हुई। जब भैरव ने उन्हें मारने की कोशिश की, तो विवश होकर वैष्णो देवी ने महाकाली का रूप धारण कर पवित्र गुफा के द्वार पर प्रकट हुईं और भैरव का सिर धड़ से ऐसे अलग किया कि उसकी खोपड़ी पवित्र गुफा से 2.5 किमी की दूरी पर भैरव घाटी नामक स्थान पर जा गिरी। आज इस पवित्र गुफा को अर्धक्वांरी के नाम से जाना जाता है। अर्धक्वांरी के पास ही माता की चरण पादुका भी है। यह वह स्थान है, जहां माता ने भागते-भागते मुड़कर भैरवनाथ को देखा था। भैरव ने मरते समय क्षमा याचना की। देवी जानती थीं कि उन पर हमला करने के पीछे भैरव की प्रमुख मंशा मोक्ष प्राप्त करने की थी। उन्होंने न केवल भैरव को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्रदान करते हुए न सिर्फ उसे अपने से उंचा स्थान दिया, बल्कि वरदान देते हुए कहा कि मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं माने जाएंगे, जब तक कोई भक्त मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा। अतः श्रदालु आज भी भैरवनाथ के दर्शन को अवशय जाते हैं। वह स्थान आज पूरी दुनिया में भवन के नाम से प्रसिद्ध है। भैरवनाथ का वध करने पर उसका शीश भवन से 3 किमी दूर जिस स्थान पर गिरा, आज उस स्थान को भैरोनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस बीच वैष्णो देवी ने तीन पिंड (सिर) सहित एक चट्टान का आकार ग्रहण किया और सदा के लिए ध्यानमग्न हो गईं। उसके बाद से श्रीधर और उनके वंशज मां वैष्णो देवी की पूजा करते आ रहे हैं। 

क्या है वैष्णव देवी तीन पिडियों का रहस्य 
माता की तीन पिण्डियों के संबंध में पुराण कथा अनुसार राक्षस महिषासुर के दुष्टता और आंतक से पीडित इन्द्र सहित सभी देवता ब्रह्मा और शिव के साथ जाकर वैकुण्ठ में विष्णु भगवान से मिले। देवताओं ने विष्णु भगवान से इस संकट से छुटकारा दिलाने की प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने दिव्य-दृष्टि से जानकर बताया कि महिषासुर की मृत्यु केवल एक नारी के द्वारा ही संभव है, देवताओं द्वारा नहीं। इसके बाद देवताओं द्वारा स्तुति करने पर ब्रह्मा, विष्णु और शिव के सामुहिक तेज से एक नारी स्वरुप शक्ति की उत्पत्ति हुई। इस शक्ति में ब्रह्मा के अंश से महासरस्वती, विष्णु के अंश से महालक्ष्मी और शिव के अंश से महाकाली पैदा हुई। गुफा में तीन पिण्डियां इन तीन देवी रुपों का प्रतीक है। इनका सामूहिक स्वरुप ही मां वैष्णवी है। बाहरी रुप से अलग-अलग दिखाई देने पर भी इन तीन रुपों में कोई भेद नहीं है। माना जाता है कि वैज्ञानिकों ने भी इन पिण्डियों के रहस्य को जानना चाहा। उनके द्वारा वैज्ञानिक निष्कर्षों में भी यह पाया कि गुफा में यह तीन पिण्डियां बिना आधार के स्थित है यानि दिव्य पिण्डियां बिना किसी सहारे के हवा में खड़ी है, जो अद्भुत है। आध्यात्मिक दृष्टि से अलौकिक शक्ति का रुप यह तीन पिण्डियां इच्छाशक्ति, ज्ञान शक्ति और क्रियाशक्ति की प्रतीक है। इस तथ्य को व्यावहारिक जीवन से जोड़े तो पाते है कि जीवन में इच्छा, विद्या और कर्म के अभाव में किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती है। शाक्त ग्रंथों में भी आदिशक्ति वैष्णवी ने शक्ति के इन अवतारों का मुख्य उद्देश्य देवताओं की रक्षा, मानव-कल्याण, दानवों का नाश, भक्तों को निर्भय करना और धर्म की रक्षा बताया है। माता वैष्णवी की चमत्कारिक पिण्डियों की भांति ही वैष्णव मां की पवित्र गुफा में बहने वाला जल भी रहस्य का विषय है। इस जल का स्त्रोत वैज्ञानिकों को भी नहीं मिला। यही कारण है कि माता के दरबार से धर्मावलंबी भक्तों का अटूट आस्था और विश्वास है। इस बहते जल को भी वह मां का आशीर्वाद और उसका सेवन समस्त पापों को नष्ट करने वाला मानते हैं। माना जाता हैं कि यहीं पर मां ने भैरवनाथ का वध किया था और उसका सिर 3 किमी की दूरी पर जाकर गिरा था। यहां बीच में विराजती हैं लक्ष्मी माँ जिनके बाएं पार्श्व में महाकाली और दाहिनी पार्श्व में हैं सरस्वती। इन तीनों का मिलाजुला रूप ही वैष्णव देवी कहलाता हैं। महाकाली और लक्ष्मी के बीच में छतरी हैं. बाएं पार्श्व में महाकाली के पास ज्योति जलती रहती हैं। तीनों माताओं के सामने पिंडियां हैं। मूर्तियों के सामने नीचे बहुत ध्यान से देखना पड़ता हैं इन पिंडियों को। वास्तव में इन पिंडियों के ही दर्शन किए जाने हैं। माना जाता हैं कि ये पिंडियंां प्राकृतिक रूप से उभर आई हैं। 

संगीतमय यात्रा की भी है योजना 
देश-विदेश से श्री माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु जल्द ही संगीतमय वातावरण में यात्रा कर सकेंगे। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की ओर से शुरू किए गए कई प्रोजेक्ट शीघ्र चालू कर दिए जाएंगे। इसके लिए बाणगंगा से भवन तक श्रद्धालुओं को भक्तिमय संगीत के लिए ऑप्टिकल फाइबर बिछा और अर्धकुंवारी से भवन तक स्पीकर लगा दिए गए हैं। श्रद्धालु दुगर्म चढ़ाई चढ़ते समय संगीतमय वातावरण का आनंद उठा सकेंगे। इसके अलावा 14 किलोमीटर लंबे भवन मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे, एलएएन और ईपीएबीएक्स श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लगाए गए हैं ताकि आपातकाल में उन्हें तुरंत सूचना मुहैया करवाई जा सके।

शीघ्र ही रोप-वे भी लगेंगे 
माता के भवन से भैरो घाटी तक रोप-वे प्रोजेक्ट का भी काम तेजी से चल रहा है। शीघ्र ही इसे भी चालू किया जाएगा ताकि भैरो मंदिर तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को मुश्किल न हो। गर्भगृह में श्रद्धालुओं के लिए भी विशेष बंदोबस्त किए गए हैं। मल्टिी स्पैशिलिटी अस्पताल चालू होगा जिसके लिए नारायण हृदयालय के साथ अस्पताल चलाने के लिए करार हुआ है। लगभग 230 बेड का अस्पताल बन कर तैयार है। 

क्या है मां का चढ़ावा 
यहां अपनी मर्जी से चढ़ावे की व्यवस्था नहीं हैं। इसीलिए मां के दर्शन के साथ-साथ चढ़ावे का भी बहुत महत्त्व हैं। ऐसे में स्त्रियां, ब्याहता हो या कुंआरी, मां को चूडि़यां जरूर चढ़ाती हैं। जब पुरोहित चूडि़यों को माता की मूर्ति के चरणों में रख कर उनमे से कुछ चूडि़यां प्रसाद के रूप में लौटाते हैं तब लगता हैं जैसे मां का आशीर्वाद मिल गया। मान्यता हैं कि मां के दर्शनोपरांत शक्ति, ज्ञान और धैर्य की रश्मियां भक्त के शरीर में संचार कर जाती हैं जो तीनो माताओं की द्योतक हैं। इस सम्पूर्ण शक्ति को मां वैष्णवी ने कड़ी तपस्या के बाद पाया था। यहां से पहाडी रास्ते पर आगे बढ़ने के बाद शिव मंदिर हैं जहां शिवलिंग के दर्शन किए जाते हैं। 

कैसे पहुंचें मां के दरबार
मां वैष्णो देवी की यात्रा का पहला पड़ाव जम्मू होता है। जम्मू तक आप बस, टैक्सी, ट्रेन या फिर हवाई जहाज से पहुंच सकते हैं। जम्मू ब्राड गेज लाइन द्वारा जुड़ा है। गर्मियों में वैष्णो देवी जाने वाले यात्रियों की संख्या में अचानक वृद्धि हो जाती है इसलिए रेलवे द्वारा प्रतिवर्ष यात्रियों की सुविधा के लिए दिल्ली से जम्मू के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जाती हैं। जम्मू भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 1 ए पर स्थित है। अतः यदि आप बस या टैक्सी से भी जम्मू पहुंचना चाहते हैं तो भी आपको कोई परेशानी नहीं होगी। उत्तर भारत के कई प्रमुख शहरों से जम्मू के लिए आपको आसानी से बस व टैक्सी मिल सकती है। वैष्णो देवी के भवन तक की यात्रा की शुरुआत कटरा से होती है, जो कि जम्मू जिले का एक गांव, जो वर्तमान में शहर का रुप ले चुका है। जम्मू से कटरा की दूरी लगभग 60 किमी है। जम्मू से बस या टैक्सी द्वारा कटरा पहुंचा जा सकता है। जम्मू रेलवे स्टेशन से कटरा के लिए बस व रेल सेवा भी उपलब्ध है जिससे 2 घंटे में आसानी से कटरा पहुंचा जा सकता है।

वैष्णों देवी यात्रा की शुरुआत
मां वैष्णो देवी यात्रा की शुरुआत कटरा से होती है। अधिकांश यात्री यहां विश्राम करके अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। मां के दर्शन के लिए रातभर यात्रियों की चढ़ाई का सिलसिला चलता रहता है। कटरा से ही माता के दर्शन के लिए निःशुल्क यात्रा पर्ची मिलती है। यह पर्ची लेने के बाद ही आप कटरा से मां वैष्णो के दरबार तक की चढ़ाई की शुरुआत कर सकते हैं। यह पर्ची लेने के तीन घंटे बाद आपको चढ़ाई के पहले बाण गंगा चैक पॉइंट पर इंट्री करानी पड़ती है और वहां सामान की चेकिंग कराने के बाद ही आप चढ़ाई प्रारंभ कर सकते हैं। यदि आप यात्रा पर्ची लेने के 6 घंटे तक चैक पोस्ट पर इंट्री नहीं कराते हैं तो आपकी यात्रा पर्ची रद्द हो जाती है। अतः यात्रा प्रारंभ करते वक्त ही यात्रा पर्ची लेना सुविधाजनक होता है। पूरी यात्रा में स्थान-स्थान पर जलपान व भोजन की व्यवस्था है। इस कठिन चढ़ाई में आप थोड़ा विश्राम कर चाय, काफी पीकर फिर से उसी जोश से अपनी यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। कटरा, भवन व भवन तक की चढ़ाई के अनेक स्थानों पर क्लॉक रूम की सुविधा भी उपलब्ध है, जिनमें निर्धारित शुल्क पर अपना सामान रखकर यात्री आसानी से चढ़ाई कर सकते हैं। कटरा समुद्रतल से 2500 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। यही वह अंतिम स्थान है जहां तक आधुनिकतम परिवहन के साधनों हेलिकॉप्टर को छोड़कर आप पहुँच सकते हैं। कटरा से 14 किमी की खड़ी चढ़ाई पर भवन (माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा) है। भवन से 3 किमी दूर भैरवनाथ का मंदिर है। भवन से भैरवनाथ मंदिर की चढ़ाई हेतु किराए पर पिट्ठू, पालकी व घोड़े की सुविधा भी उपलब्ध है। 

हेलिकाॅप्टर की सुविधा 
कम समय में मां के दर्शन के इच्छुक यात्री हेलिकॉप्टर सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं। लगभग 1040 रुपए खर्च कर दर्शनार्थी कटरा से साँझीछत (भैरवनाथ मंदिर से कुछ किमी की दूरी पर) तक हेलिकॉप्टर से पहुँच सकते हैं। इसके लिए भक्तों को यात्रा शुरु करने के ठीक एक-डेढ़ महीने पहले आनलाइन बुकिंग कराना होता है। आनलाइन बुकिंग न कराने से यात्रा टिकट का मिलना मुश्किल होता है। 

टैम्पों की सुविधा 
हाल ही में अर्धक्वाँरी से भवन तक की चढ़ाई के लिए बैटरी कार भी शुरू की गई है, जिसमें लगभग 4 से 5 यात्री एक साथ बैठ सकते हैं। माता की गुफा के दर्शन हेतु कुछ भक्त पैदल चढ़ाई करते हैं और कुछ इस कठिन चढ़ाई को आसान बनाने के लिए पालकी, घोड़े या पिट्ठू किराए पर लेते हैं। घोड़े वाले 1000-1500 रुपये तक लेते है जबकि पालकी वाले 4000-5000 रुपये लेते है। छोटे बच्चों को चढ़ाई पर उठाने के लिए आप किराए पर स्थानीय लोगों को बुक कर सकते हैं, जो निर्धारित शुल्क पर आपके बच्चों को पीठ पर बैठाकर चढ़ाई करते हैं। 

ठहरने का स्थान
माता के भवन में पहुँचने वाले यात्रियों के लिए जम्मू, कटरा, भवन के आसपास आदि स्थानों पर माँ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की कई धर्मशालाएं व होटले हैं, जिनमें विश्राम करके आप अपनी यात्रा की थकान को मिटा सकते हैं, जिनकी पूर्व बुकिंग कराके आप परेशानियों से बच सकते हैं। आप चाहें तो प्रायवेट होटलों में भी रुक सकते हैं। जिनके रेंट 500-1000 रुपये तक है। 

आसपास के दर्शनीय स्थल
कटरा व जम्मू के नजदीक कई दर्शनीय स्थल ‍व हिल स्टेशन हैं, जहां जाकर आप जम्मू की ठंडी हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकते हैं। जम्मू में अमर महल, बहू फोर्ट, मंसर लेक, रघुनाथ टेंपल आदि देखने लायक स्थान हैं। जम्मू से लगभग 112 किमी की दूरी पर पटनी टॉप एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। सर्दियों में यहां आप स्नोफॉल का भी मजा ले सकते हैं। कटरा के नजदीक शिव खोरी, झज्झर कोटली, सनासर, बाबा धनसार, मानतलाई, कुद, बटोट आदि कई दर्शनीय स्थल हैं।

इन बातों का रखें ख्याल 
वैसे तो माँ वैष्णो देवी के दर्शनार्थ वर्षभर श्रद्धालु जाते हैं परंतु यहां जाने का बेहतर मौसम गर्मी है। सर्दियों में भवन का न्यूनतम तापमान 3 से 4 डिग्री तक चला जाता है और इस मौसम से चट्टानों के खिसकने का खतरा भी रहता है। अतः इस मौसम में यात्रा करने से बचें। ब्लड प्रेशर के मरीज चढ़ाई के लिए सीढियों का उपयोग ‍न करें। भवन ऊँचाई पर स्थित होने से यहां तक की चढ़ाई में आपको उलटी व जी मचलाने संबंधी परेशानियां हो सकती हैं, जिनसे बचने के लिए अपने साथ आवश्यक दवाइयां जरूर रखें। चढ़ाई के वक्त जहां तक हो सके, कम से कम सामान अपने साथ ले जाएं ताकि चढ़ाई में आपको कोई परेशानी न हो। पैदल चढ़ाई करने में छड़ी आपके लिए बेहद मददगार सिद्ध होगी। ट्रेकिंग शूज चढ़ाई में आपके लिए बहुत आरामदायक होंगे। माँ का जयकारा आपके रास्ते की सारी मुश्किलें हल कर देगा। 




(सुरेश गांधी)

बिहार : विदेशी तरानों से गूंज रहा कोसी क्षेत्र...!

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  • - नेपाल के जनकपुर में 06 व जलेष्वर में 02 एफएम रेडियो स्टेषन संचालित हैं और प्रसारण समय 18-24 घंटे का है, जिसमें 12 घंटे तक विज्ञापन का ही प्रसारण होता है 


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कुमार गौरव, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा: पिछले कई सालों से सूबे का मिथिलांचल व कोसी क्षेत्र नेपाली रेडियो (एफएम) यानी विदेषी तरानों की चपेट में है। सांस्कृतिक, राजनीतिक व मनोरंजन से भरपूर रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति कर नेपाली रेडियो कम समय में ही श्रोताओं के नब्ज को टटोलने में सफल रहा है। क्षेत्रीय भाशा में कार्यक्रमों की प्रस्तुति का ही नतीजा है कि एफएम श्रोताओं की संख्या में जहां लगातार इजाफा दर्ज किया गया है, वहीं भारतीय राजस्व को भी बट्टा लग रहा है। पड़ोसी देष नेपाल द्वारा कांतिपुर एफएम रेडियो, हैलो मिथिला, मिथिला जलेष्वर नाथ, जनकपुर रेडियो टूडे, जानकी मिथिलांचल रेडियो (नेपाल), कंचनजंघा समेत एफएम रेडियो का प्रसारण सूबे के अन्य इलाकों के साथ साथ कोसी क्षेत्र (सहरसा, सुपौल व मधेपुरा) में भी किया जा रहा है। मैथिली, हिंदी व भोजपुरी श्रोताओं की कोई कमी नहीं है और क्षेत्रीय भाशा में कार्यक्रम की प्रस्तुति कर श्रोताओं के साथ साथ लाखों के विज्ञापनों में भी सेंधमारी हो रही है। तमाम सरकारी वायदों के उलट अब तक एक भी एफएम रेडियो स्टेषन का षिलान्यास तक नहीं किया गया है जिससे क्षेत्र के लोगों को नेपाली एफएम ही मनोरंजन का एकमात्र विकल्प नजर आता है।  

गौरतलब है कि नेपाली रेडियो में विज्ञापन की दरें कम होने के कारण नेपाल से सटे कोसी क्षेत्र के व्यापारियों के अलावा विभिन्न एजेंसियां विज्ञापन करा रही हैं। चुनावी मौसम में विभिन्न राजनीतिक पार्टी के नेतागण अपना प्रचार प्रसार नेपाली रेडियो (एफएम) के माध्यम से करवाते हैं, जिससे भारत सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। भारतीय मुद्रा के सहारे संचालित नेपाली एफएम करोड़ों रुपए वार्शिक विज्ञापन षुल्क के तौर पर वसूल मालामाल हो रहे हैं, लेकिन अधिकारियों को इस बात की सुधि तक नहीं है। बता दें कि मैथिली भाशा में कार्यक्रमों की प्रस्तुति होने के कारण जहां षाम होते ही क्षेत्र में नेपाली एफएम की धूम मचने लगती है वहीं लोकप्रियता हासिल करने की होड़ में कोसी क्षेत्र के लगभग 80 फीसदी व्यवसायियों खासकर सीमाई क्षेत्र (वीरपुर, त्रिवेणीगंज, पिपरा, सिमराही, किषनपुर, निर्मली, सरायगढ़ व अन्य) के काॅस्मेटिक उत्पादकों का प्रचार प्रसार इन्हीं एफएम रेडियो के जरिये होता है। एक ओर जहां व्यवसायी तबका बिक्रीकर व आयकर की चोरी कर लाखों के वारे न्यारे कर रहे हैं, वहीं विज्ञापन के नाम पर करोड़ों रुपया विदेष भेजकर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और प्रशासन को इस बात की कोई फिक्र तक नहीं है। ज्ञात हो कि नेपाल के जनकपुर में 06 व जलेष्वर में 02 एफएम स्टेषन संचालित हैं। 

जिनका प्रसारण समय 18-24 घंटे तक का है, और लगभग 12 घंटे तक विज्ञापन प्रसारित किया जाता है। ऐसे में प्रति सेकेंड की दर से विज्ञापन षुल्क वसूलने वाले इन एफएम स्टेषन की कमाई का अंदाजा षायद आपको लग चुका होगा। सूत्रों की मानें तो नेपाली एफएम स्टेषन संचालकों द्वारा बूस्टिंग स्टेषन का भी सहारा लिया जाता है ताकि दूरस्थ क्षेत्र के श्रोताओं को भी साफ व स्पश्ट आवाज सुनायी पड़ सके। ज्ञात हो कि कोसी क्षेत्र से पूर्णिया स्थित एफएम स्टेषन की दूरी कुछ खास नहीं है, लेकिन अच्छी सर्विस न होने के कारण लोग नेपाली एफएम को ही ट्यून करना बेहतर समझते हैं। केंद्र व बिहार सरकार के अलावा अधिकारियों की षिथिलता का ही परिणाम है कि कोसी क्षेत्र में एफएम रेडियो स्टेषन (पूर्णिया को छोड़कर) स्थापित करने की योजना महज चुनावी षिगुफा साबित हो रही हैं। ज्ञात हो कि वर्श 2005 में तात्कालीन सूचना व प्रसारण मंत्री रविषंकर प्रसाद ने दूरदर्षन केंद्र, सहरसा के उद्घाटन समारोह में कोसी क्षेत्र में एफएम रेडियो स्टेषन षुरु किये जाने की घोशणा की थी, लेकिन इतने साल बीतने के बाद भी नतीजा सिफर रहा। क्षेत्र में अब तक एफएम रेडियो स्टेषन नहीं खुलने से न सिर्फ सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है बल्कि लोगों को क्षेत्रीय कार्यक्रम सुनने के लिए नेपाली एफएम का ही सहारा लेना पड़ता है। बताते चलें कि सूबे का कोसी क्षेत्र आए दिन विभिन्न आपदाओं के भंवरजाल में फंसा होता है और दूरसंचार की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण आमलोगों खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को काफी परेषानी का सामना करना पड़ता है। 

यदि सरकार इस दिषा में सार्थक प्रयास करे तो न सिर्फ लोगों को मनोरंजन हाथ  लगेगा बल्कि सूचनाएं आदान प्रदान करने में भी एफएम रेडियो सषक्त भूमिका अदा करेगा। बता दें कि बरसात के दिनों पूरा इलाका टापू में परिवर्तित हो जाता है जबकि सेसमिक मैप जोन में भी कोसी क्षेत्र को बेहद खतरनाक बताया गया है और आए दिन धरती डोलती है वहीं गर्मी की तपिष भी कोसी क्षेत्र के लोगों के लिए आफत बनकर आती है और प्रतिवर्श अगलगी में हजारों घर व लाखों की संपत्ति खाक होती है। ऐसे में यदि एफएम रेडियो स्टेषन बेषक सरकारी तंत्र के लिए सूचनाएं आदान प्रदान करने के लिए सषक्त माध्यम बन सकता है। इलाके में यदि इस दिषा में कदम उठाए गए तो न सिर्फ आपदा प्रबंधन को दुरुस्त किया जा सकेगा बल्कि कृशकों को हर नई जानकारियों से लैस किया जा सकेगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। पड़ोसी देष नेपाल में दनादन एफएम रेडियो स्टेषन की संख्या बढ़ती जा रही है, वहीं सरकारी उदासीनता का ही परिणाम है कि कोसी प्रमंडलीय क्षेत्र में एक भी एफएम रेडियो स्टेषन का षिलान्यास तक नहीं हो सका है। 

बिहार : घर की शोभा बढ़ा रहा योजना में मिला रेडियो !

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  • - महादलित समुदाय के लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा रेडियो निषुल्क दी गई है जिसका लाभ तो मिला लेकिन घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहने के कारण रेडियो में बैट्री नहीं लगा पा रहे हैं

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मधेपुरा: सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के मकसद से महादलित परिवारों में बांटी गई रेडियो महज षोभा की वस्तु बन कर रह गई है। बैट्री नहीं लगा पाने व रखरखाव के अभाव में रेडियो बेकार साबित हो रहा है। इतना ही नहीं योजना से लाभान्वित अब रेडियो बेच रहे हैं। यही कारण है कि महादलित के लिए चलाए गए विषेश योजना धरातल पर उतरने के बजाए दम तोडने के कगार पर है। कई महादलित समुदाय के लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा रेडियो निषुल्क दी गई है जिसका लाभ तो मिला लेकिन घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहने के कारण रेडियो में बैट्री नहीं लगा पा रहे हैं। 

योजनाओं की जानकारी देने को दिया गया रेडियो: महादलित परिवार के सदस्यों को सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के मकसद से रेडियो का वितरण किया गया था लेकिन आमतौर पर ऐसा देखने को मिल रहा है कि अधिकांष महादलित परिवारों को सरकारी योजनाओं से या तो कोई सरोकार नहीं रहता है या फिर उन्हें सही तरीके से रेडियो टयून करना नहीं आता है। वे तो सिर्फ रेडियो का उपयोग म्यूजिक सुनने के लिए ही रेडियो टयून करते हैं। योजना के तहत मिले रेडियो का इस्तेमाल नेपाली एफएम से प्रसारित होने वाले म्यूजिकल व रंगारंग कार्यक्रम सुनने के लिए करते हैं। जिस कारण महादलित परिवारों को सरकारी योजनाओं की जानकारी से महरूम होना पड़ता है।  

बिचैलियों की रही चांदी: मधेपुरा में रेडियो वितरण के लिए षिविर लगाया गया था लेकिन इसमें बिचैलियों की चांदी रही। बडे पैमाने पर फर्जी तरीके से रेडियो का वितरण किया गया जबकि कई लाभुक इस योजना से वंचित रह गए। 

क्या कहते हैं ग्रामीण: जिले के बिहारीगंज प्रखंड के कार्तिक ऋशिदेव, सीतो ऋशिदेव, उपेंद्र ऋशिदेव, रंजीता ऋशिदेव, राजेष ऋशिदेव, पप्पू ऋशिदेव, बबलू ऋशिदेव, बेचनी देवी, कारी ऋशिदेव, संजय जक, रेखिया देवी समेत कई अन्य का कहना है कि उन्हें रेडियो योजना का लाभ तो मिला परंतु तंगहाली के कारण बैट्री नहीं खरीद पाने से उन्हें रेडियो से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों से वंचित होना पडता है। ग्रामीण कहते हैं कि प्रतिमाह बैट्री खरीदने के लिए राषि की व्यवस्था नहीं हो पाती है इस वजह से उन्होंने रेडियो को अपने घरों में ताक पर रख दिया ळें



-कुमार गौरव-

विशेष : एस पी की यादें, गुलाम मीडिया के गुलाम कर्मी!

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आज इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में चल रहे एस.पी.सिंह स्मृति व्याख्यानमाला में मैं भी देर से ही सही लेकिन समय से पहुंचा था! कुछ लकीरबाजी कुछ फकीरबाजी होती रही। एस.पी.सिंह के साथ काम करने और न करने का खुशी व अफसोस जाहिर किए जाते रहे। उनके होने न होने की स्थिति का समाजशास्त्रीय अध्ययन होता रहा। कुल मिलाकर बात यह निकलकर आई कि पूंजी का सब खेल है और हम पूंजी के गुलाम। कोई लेट कर गुलामी कर रहा है, कोई झूक कर तो कोई इन दोनों से इतर।मीडिया की सच्चाई यही है। राहुल देव इस बात को जोर देकर कहते रहे कि आखिर मीडिया कॉरपोरेट से दूर कब रहा है। मीडिया हमेशा से कॉर्पोरेट के अधीन ही रहा है। वो बात दीगर है तब कुछ स्पेस जनसरोकारिता के लिए होते थे आज नहीं। 

मीडियाकर्मियों को कार्पोरेट और जनसरोकारिता में सामंजस्य बिठाने के बारे में सोचने की जरूरत है। इसी बात को आआपा नेता आशुतोष भी दोहराते रहे। उन्होंने यहां तक कहा कि आज मीडियाकर्मियों की आर्थिक स्थिति इसी कार्पोरेटाइजेशन के कारण सुधरी है। स्टींगरों की स्थिति के बारे में एक मित्र ने जब सवाल किया तो उनका जवाब था कि स्टींगर अपनी खबर न दें! उन्हें जवाब मिला कि तब तो टीवी चैनल खबरों के अभाव में मर जायेंगे! उनका भाव था कि ऐसी स्थिति नहीं आयेगी। आशुतोष से किसी ने पूछ लिया की आप जब नौकरी छोड़े थे तब आपकी सैलरी कितनी थी? वे बिना बताएं दूसरी बातों अपनी बात रखते गए। अंजना ओम कश्यप यहां पर भी अपनी गरम मिज़ाजी का परिचय दिए बिना नहीं रह पायीं! उनको इस बात का डर था कि कहीं उनकी व आशुतोष की साझा तस्वीरें कोई ट्वीटर पर न लगा दे। शायद विवाद से बचना चाहती थी अंजना! वैसे भी उनके अनुसार उनके साथ भक्त लोग ज्यादा ट्वीटर-ट्वीटर खेलते हैं! पत्रकारिता में आज भी पत्रकारिता बची हुई है, इस बात को साबित करने का उन्होंने भरसक प्रयास किया लेकिन जो सुनने आए थे वो भी गलती से पत्रकारिता से ही जुड़े हुए थे। ऐसे में काले दाल की खिचड़ी का स्वाद कैसा होता है, सब जानते थे। 

सच्चाई यही है कि अब मीडिया में कोई मंच नामक संस्था बची नहीं है। अब संवाद का समय है। भाषण सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है। अब मीडिया के बड़े संपादकों को यह मान लेना चाहिए कि वो जो कह रहे हैं उसका क्रॉस वैरीफिकेशन करने की तकनीक नई पीढ़ी के पास है! आज की पीढ़ी भ्रम में कम है, समझ में ज्यादा। इस बात को जिस दिन मीडिया के तथाकथित ट्रेंड मेकर समझ जायेंगे उस दिन से मीडिया में व्याप्त ‘आपातकाल’ की आशंका दूर होती नज़र आयेगी!



आशुतोष कुमार सिंह
स्वच्छ भारत अभियान 

कांग्रेस ने ललित मोदी मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की मांग की

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कांग्रेस ने ललित मोदी मुद्दे पर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। कांग्रेस ने कहा कि यह प्रधानमंत्री के हित में है कि वह भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करें। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने मीडिया से कहा कि भारत की जनता प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग शुरू करे, इसके पहले उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए।

आजाद ने कहा, "यह प्रधानमंत्री के हित में है कि वह भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करें। अन्यथा यह घटना पूरी दुनिया में उनका पीछा करेगी। वह इससे बच नहीं सकते।"उन्होंने कहा, "यदि वह शांत रह गए तो एक समय आएगा, जब जनता उनके इस्तीफे की मांग शुरू कर देगी।"

आजाद ने प्रधानमंत्री के वादे को याद दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सत्ता में आने के बाद सबसे पहला काम वह यह करेंगे कि विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाएंगे, लेकिन उन्होंने ललित मोदी को भारत लाने के लिए एक पत्र तक नहीं लिखा। आजाद ने कहा, "देश के नागरिक पूछ रहे हैं कि विदेश मंत्री या राजस्थान की मुख्यमंत्री के खिलाफ क्या कार्रवाइयां की गईं हैं। हरेक घंटे राजस्थान की मुख्यमंत्री के खिलाफ नए सबूत सामने आ रहे हैं।"

नरकटियागंज (बिहार) की खबर (28 जून)

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कांग्रेस पार्टी अल्पसंख्यक विभाग के जिला अध्यक्ष बने खुर्शीद आलम 
  • मौर्या काॅम्प्लेक्स में सम्मान समारोह आयोजित 

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नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) नरकटियागंज शहर स्थित मौर्या काॅम्पलेक्स में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नवनियुक्त जिला अध्यक्ष अल्पसंयक विभाग खुर्शीद आलम के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के जिला अल्पसंख्यक विभाग के जिलाध्यक्ष पद पर वरीय कांग्रेसी व पुरानी बाजार नरकटियागंज के निवासी खुर्शीद आलम का मनोंनयन होने पर, स्थानीय कांग्रेसियों में हर्ष है। सम्मान समारोह की अध्यक्षता जिला के पूर्व अध्यक्ष सैयद रेयाजुद्दीन हैदर ने किया, जबकि संचालन प्रखण्ड कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार ने किया। सैयद रेयाजुद्दीन हैदर ने कहा कि कांग्रेस ने कभी छलावे की राजनीति नहीं की है। कांग्रेस ने हमेशा दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों के साथ राष्ट्र के विकास का कार्य किया है। खुर्शेद जैसे समर्मित नेता को पार्टी ने जो जिम्मेदारी सौंपी है उसे वे बखूबी निभाने की क्षमता रखते है। अभिनन्दन समारोह में सिकटा विधानसभा के पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी खुर्शीद आलम, प्रदेश सचिव अनुराग सिंह, संगठन सचिव बाबूजान अंसारी, फजलुर्रहमान, अहमद हुसैन, रमाशंकर दूबे, शैलेश मिश्र, मुन्ना आलम उर्फ नमीर असलम, हाजी अहमद हुसैन, आफताब आलम, दिलशाद अहमद, अहमद हुसंैन, भोला मियाँ उर्फ शेख सेराजुद्दीन, आशीष वर्मा उर्फ मधूबाबू, सुरेश प्रसाद कुशवाहा, दिलशाद अहमद, शैलेश मिश्र, इम्तेयाज आलम, गुलरेज अख्तर, दिनेश कुमार जायसवाल, बरकतुल्लाह, सुग्रीव महतो व अन्य शामिल हुए। प्रखण्ड अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार व सुरेश प्रसाद कुशवहा ने कहा कि सभी कार्यकर्ता विधान परिषद् के चुनाव मंे निर्वाचित जनप्रतिनिधियांे से कांग्रेस प्रत्याशी राजेश राम को विजयी बनाने की अपील की। उल्लेखनीय है कि सुरेश प्रसाद कुशवाहा और अब्दुल गफ्फार को पार्टी ने सात पंचाययत का प्रभारी भी बनाया हैं। अपने सम्मान समारोह के उपरान्त खुर्शेद आलम ने सभी कार्यकत्र्ताआंे के प्रति आभार व्यक्त करतें हुए, पार्टी को मजबूती प्रदान करने अपील की।

नदी पुल के नीचे से चोरी की बाईक बरामद, पुलिस ने किया तीन को गिरफ्तार

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नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) शिकारपुर थानाक्षेत्र के पण्डई नदी पुल के नीचे लावारिश हालत में एक मोटर साईकिल के फेंके जाने की सूचना पर विलम्ब से पहुँची पुलिस ने देर शाम तीन युवकों को गिरफ्तार किया हैं। इस बावत शिकारपुर थानाध्यक्ष हरिश्चन्द्र ठाकुर ने बताया कि तीनांे युवकों से पूछताछ जारी है, अनुसंधानन प्रभावित नहीं हो इसलिए हिरासत में लिए गये युवकों के नाम का खुलासा नहीं किया गया हैं। बताया जाता है कि हीरो होण्डा पैसन बी आर 22 ई 4451 अजीत पाण्डेय के नाम से है जो शिकारपुर अवर निबंधन कार्यालय मंे दस्तावेज नवीस है। उनके पिता जी जब एक अखबार में संवाददाता थे तभी से उसपर प्रेस लिखा हुआ था। शिकारपुर थानाध्यक्ष हरिश्चन्द्र ठाकुर ने गिरफ्तार युवकांे का नाम नहीं बताया किन्तु इतना तो तय है कि अजीत उर्फ पप्पू पाण्डेय की मोटरसाईकिल पुलिस सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को चोरी गई थी तो प्राथमिकी कब दर्ज हुई और उपर्युक्त मोटरसाईकिल का उपयोग चोरों ने किस काम में किया। उसके उपरान्त नदी के एक गडढे में उसे छुपा कर रख दिया। उसकी सीट व फ्युल टैंक खोलकर अलग क्यो रखा गया था। ऐसे न जाने कितने अनुत्तरित प्रश्न लोगांे के मन में कौंध रहे है। किसी ने तो इसे बहुत बड़ी साजिश करार दिया है तो किसी ने पुलिस को नीचा दिखाने का प्रयास। क्योंकि पप्पू पाण्डेय ने बताया कि मोटर साइकिल शिकारपुर थाना से 100 मीटर की दूरी पर मुख्य मार्ग में खड़ी थी। आखिर मोटरसाईकिल चुराने वालों ने प्रेस लिखी गाड़ी को निशाना क्यों बनाया यह बात प्रबुद्धजनांे के मन में बिजली से कौंध रही हैं।

फरार होने की सूरत में जय प्रकाश की सम्पत्ति हुई कुर्क

नरकटियागंज(पश्चिम चम्पारण) नरकटियागंज नगर परिषद के वार्ड संख्या दो निवासी नगर पार्षद रिंकू देवी के पति जय प्रकाश के घर शिकारपुर पुलिस ने कुर्की जब्ती की कार्रवाई को अंजाम दिया। इस बावत हरिश्चन्द्र ठाकुर थानाध्यक्ष ने बताया कि उनपर हत्या के मामले में न्यायालय ने आत्म समर्पण करने का निर्देश जारी किया था। किन्तु जय प्रकाश जो जेपी के नाम से जाने जाते है, उन्होंने स्वयं को पुलिस के हवाले नहीं किया तो न्यायालय ने सम्पत्ति कुर्क करने का निर्देश शिकारपुर पुलिस को दिया। सम्पत्ति कुर्क करने पहुँचे अधिकारियों में सिविल ड्रेस में पुलिस निरीक्षक सीता राम सिंह, थानाध्यक्ष हरिश्चन्द्र ठाकुर, अवर निरीक्षक जीतेन्द्र कुमार और अवर निरीक्षक पीएन यादव के साथ पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल मौजूद रहा।

बेतिया सिविल सर्जन कार्यालय में अनियमितता, डीडीसी का औचक निरीक्षण कमी अनुपस्थित

बेतिया(पं. चम्पारण) जिला के सिविल सर्जन कार्यालय में ईमानदार कहे जाने वाले जिला पदाधिकारी लोकेश कुमार सिंह ने डीडीसी जवाहर प्रसाद को जाँच के लिए भेंजा। इसी क्रम मंे उप विकास आयुक्त श्री प्रसाद को सिविल सर्जन कार्यालय के रोकड़पाल रमाशीष बैठा समेत करीब दर्जन भर स्वास्थ्यकर्मियांे को अनुपस्थित पाया। उल्लेखनीय है कि जिला के उपविकास आयुक्त करीब साढे दस बजे सीएस कार्यालय पहुँचे तो अधिकांश कर्मी आए भी नहीं थे। डीडीसी ने जिन्हे अनुपस्थित पाया उनमंे रोकड़पाल रामाशीष बैठा, लिपिक मुर्तुजा हुसैन, अनिमेष कुमार, अर्चना वर्मा, नेयाज अहमद खाँ, अरविन्द कुमार, प्रतिनियुक्त लिपिक तरूण कुमार गुप्ता, विपिन कुमार, जुम्मन अंसारी व शिवनारायण ठाकुर के नाम मुख्य है। उपविकास आयुक्त ने विगत चार वर्ष से कार्यालय में जमे कर्मियों के स्थानान्तरण के लिए डीएम को प्रस्ताव भेजने की बात पत्रकारांे को बताया, उन्होंने यह भी बताया कि रोकड़पाल की अनुपस्थिति के कारण कैशबुक का सत्यापन नहीं हो सकां। जवाहर प्रसाद उपविकास आयुक्त ने बताया कि अनुपस्थित स्वास्थ्यकर्मियों का वेतन कटौती कर विभागीय कार्रवाई को लिखा जा रहा है।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (28 जून)

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मुख्यमंत्री श्री चैहान गुरूवार को रूबरू होंगे आमजनों से व्यवस्थाओं का जायजा

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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान दो जुलाई गुरूवार को विदिशा आएंगे और पुरानी कृषि उपज मंडी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान आमजनों से रूबरू होंगे। मुख्यमंत्री के प्रवास को ध्यानगत रखते हुए की जाने वाली व्यवस्थाओं का आज कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने जायजा लिया। कृषि उपज मंडी प्रागंण में इस अवसर पर स्थानीय विधायक श्री कल्याण सिंह ठाकुर, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी, समाजसेवी श्री मुकेश टण्डन, श्री संदीप सिंह डोंगर के अलावा अन्य जनप्रतिनिधि और पुलिस अधीक्षक श्री धर्मेन्द्र चैधरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री राय सिंह नरवरिया, विदिशा एसडीएम श्री आरपी अहिरवार समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे। मुख्य आयोजन स्थल कृषि उपज मंडी प्रागंण में की जाने वाली व्यवस्थाओं का कलेक्टर एवं अन्य के द्वारा जायजा लिया गया। कलेक्टर श्री ओझा ने बताया कि आयोजन स्थल पर विभिन्न विभागों के द्वारा स्टाॅल भी लगाए जाएंगे ताकि आमजनों की समस्याओं से अवगत होकर उनका यथाशीघ्र निराकरण किया जाना संभव हो सकें। मंडी प्रागंण में स्थित टीन शेडो में विभागीय स्टाॅल लगाए जाएंगे इसके अलावा आयोजन स्थल पर स्वास्थ्य उपचार केम्प का भी आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चैहान के दो जुलाई के प्रस्तावित भ्रमण कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कलेक्टर श्री ओझा ने बताया कि आमजनों की मूलभूत, व्यक्तिगत और सार्वजनिक समस्याओं से कृषि उपज मंडी के प्रागंण में अवगत होंगे और निराकरण के संबंध मंे आवश्यक कार्यवाही विभागों के अधिकारियों द्वारा की जाएगी। इसके पश्चात् मुख्यमंत्री श्री चैहान विदिशा प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे। तदोपरांत वार्डो का भ्रमण कार्यक्रम प्रस्तावित है।  कलेक्टर श्री ओझा ने मुख्यमंत्री जी के प्रवास को ध्यानगत रखते हुए विभिन्न विभागों के अधिकारियों को कार्यक्रम स्थल पर की जाने वाली तैयारियों के परिपेक्ष्य में आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि डोम आकार में पंडाल लगाया जाएगा जो वाटर प्रूफ हो। इसी प्रकार कार्यक्रम में शामिल होने वाले आमजनों की सुविधाओं के परिपेक्ष्य में उन्होंने आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए है। 


पन्ना (मध्यप्रदेश) की खबर (28 जून)

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गामीण बैंक कर्मियों की एक दिवसीय हङताल 30  जून को होगी 
  • नौ सूत्रिय मांगो को लेकर कर्मचारी अधिकारी करंेगे काम बंद हङताल 

panna map
पन्ना /मध्यांचल गा्रमीण बैक के अधिकारी कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगो को लेकर 30 जून 2015 को काम बंद हङताल रखेगे यह आंदोलन गा्रमीण बैक कर्मियो के राष्टीय संगठन े  ( एआईआरआरबीईए) के साथ यूनीआईटेड फारम आॅफ गा्रमीण यूनियन बैंक के आंवाहन पर किया जा रहा है। गा्रमीण बैंक कर्मी भारत सरकार द्धारा आर आर बी एक्ट 1976 में किये गये संसोधन का विरोध कर रहे है। मध्याचंल गा्रमीण बैंक आॅफीसर्स संगठन के महा सचिव संतोष पान्डेय ने बताया कि भारत सरकार गा्रमीण बैंक अधिनियम में संसोधन करके निजी हाथो में देने  की योजना बना रहे जिससे गा्रमीण बैंको के निजीकरण को बढावा मिलेगा और गा्रमीण बैंक अपने मूल उदेद्शय से भटक कर निजी कंपनियो के हितो को पूरा करने में लग जायेगे जो गा्रमीण बैक कर्मचारियो और उसके गा्रहको के साथ धोखा है । श्री पान्डेय ने बताया कि हाल में मेन पावर के लिये नावार्ड महाप्रबंधक एस के मित्रा के नेतृत्व में गठित कमेटी की अनुसंसा  लागू करके सरकार आव्वहारिकता का परिचय दे रही है  उसका भी विरोध किया जा रहा है । आदोंलन के सबंध में मुख्य बिंदु  यह है गा्रमीण बैको का निजी करण नही किया जाये  गा्रमीण बैको  में अनुकंपा नियुक्ती स्कीम लागू की जाये  प्रवर्तक बैको कंे सामान पेंशन पीएफ कटोती एंव अन्य सुविधओ में सामानता लाई जाये । गा्रमीण बैको में द्धि पक्षीय वेतन समंझोता के अनुसार लागू किया जाये  गा्रमीण बैको के लिये मानव संसाधन हेतू लागू की गई मित्रा कमेटी की अनुसंसा को वापिस किया जाये गा्रमीण बैको  में  आउट सोसिग समाप्त की जाये आये स्थाई दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियो का नियिमीकरण किया जाये गा्रमीण बैको में नव नुयक्त कार्यलय सहायको को ग्रजुएशन एन्कीमंेट प्रदान करना जारी रखा जाये । गा्रमीण बैको में अधिकारी एंव कर्मचारियो के लिये बराबर एक समान ग्रजुटी भुगतान की स्क्ीम लागू की जाये गा्रमीण बैको के लिये भी आईबीए निगोसिएटिंग फाॅरम घोषित किया जाये। 

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (28 जून)

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हरीश रावत ने अपने मन की बात बताने के बजाय लोगों के मन की बात सुनी 
  • 65 से ज्यादा लोगों का फोन घुमाकर लिया फीडबैक

देहरादून, 28 जून। उधर दिल्ली में प्रधानमंत्री जब मन की बात कर रहे थे तो इधर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत राज्य के दूर-दराज के लोगों को फोन घुमाकर उनकी समस्याओं से रूबरू हो रहे थे। बीते दिन ही मुख्यमंत्री हरीश रावत ने घोषणा की थी कि वे अब राज्यवासियों से खुद व सीधे उनकी मन की बात सुनेंगे। जिसमें में सफल भी हुए हैं। रविवार को उन्होने राज्य के लगभग सभी जनपदों के 65 से ज्यादा लोगों से बात की।  मुख्यमंत्री हरीश रावत प्रदेश के प्रत्येक जनपद के 5-5 लोगों को रेंडम आधार पर फोन किया। बहुत से लोगों ने अपनी व्यक्तिगत तो बहुत से लोगों ने अपने क्षेत्र की समस्याओं के बारे में जानकारी दी। अनेक लोग राज्य सरकार की कार्यप्रणाली से संतुष्ट थे तो कई लोगों ने राज्य सरकार से अपनी अपेक्षाएं भी बताईं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपने मन की बात लोगों को बताने की बजाय प्रदेश के लोगों के मन की बात जानने को प्राथमिकता दी है। वर्ष 2013 की आपदा से प्रभावित लोगों के ऋणों पर ब्याज की माफी के लिए केंद्रीय विŸा मंत्री को लिखे पत्र के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि आपद प्रभावितों की राज्य सरकार अपने संसाधनों से जितनी सहायता कर सकती थी, की गई है। अब केन्दीय वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि भारत सरकार उत्तराखण्ड के आपदाग्रस्त जिलों (जनपद रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर एवं पिथारौगढ़) के लोगों के पर्यटन व्यवसाय, भवन, होटल भवन, दुकान, कृषि भूमि व फसलों की व्यापक हानि से प्रभावित व्यक्तियों को इनके बैंक ऋण पर लग रहे ब्याज की अगले 3 वित्तीय वर्षों क्रमशः 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 हेतु माफी दिए जाने की स्वीकृति प्रदान करने का कष्ट करंे, ताकि आपदा प्रभावित लोग अपने कार्यो व व्यवसाय की पुनःस्थापना कर मूल ऋण को लौटाने में सक्षम हो सके। स्मार्ट सिटी व अमृत शहर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिटी  के तौर पर देहरादून का चयन होना है। हमने अमृत शहर के तहत पर्वतीय क्षेत्रों के लिए मानकों में शिथिलीकरण का केंद्र सरकार से अनुरोध किया था, परंतु केंद्र ने सभी राज्यों लिए समान मानक रखे हैं। इससे उŸाराखण्ड जैसे राज्यों को अधिक लाभ नहीं होगा। चारधाम यात्रा पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने यात्रा को नियमित किया है। कहीं भी यात्री फंसे नहीं हैं और न ही चारधाम यात्रा रूकी है। राज्य सरकार ने यात्रियों की सुविधाओं के लिए सारी पुख्ता व्यवस्थाएं कर रखी हैं। भारी बरसात के कारण सभी यात्रियों को आवश्यकतानुसार सुरक्षित स्थानों पर ठहराया गया। ऐसा कोई यात्री नहीं था जिससे प्रशासन के लोग सम्पर्क में नहीं थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सोनप्रयाग से आगे केदारनाथ की पैदल यात्रा को सावधानी के तौर पर 30 जून तक रोका गया है। परंतु केदारनाथ यात्रा के लिए आए बहुत से यात्रियों ने सोनप्रयाग से आगे बढ़ने की अनुमति न दिए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। इससे जाहिर होता है कि चारधाम यात्रा पर आ रहे लोगों में सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं के प्रति किसी प्रकार की आशंका नहीं है। लोग अभी भी चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं।

केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या घटाने से पहले सहमति लेंः सीएम  
रविवार को बीजापुर में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि दिल्ली में नीति आयोग के तहत मुख्यमंत्रियों के उपसमूह की बैठक में केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या को घटाने का निर्णय लेने से पहले सभी राज्यों की सहमति ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे में इतने वर्षों में देश के समावेशी विकास के लिए जो योजनाएं केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के तौर पर प्रारम्भ की गईं उन्हें समाप्त किया जाना आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों के लिए सही नहीं है। विकास की धारा में सभी राज्यों को साथ लेकर चलना होगा। केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के माध्यम से दी जा रही सहायता को बंद करने से उŸाराखण्ड जैसे राज्यों की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

सीएम ने कर्मियों को दी चेतावनी, बीमारी का बहाना बना पहाड़ में नौकरी करने से किया मना तो होगी जांचः हरीश रावत
प्रदेश में कार्यरत कतिपय सरकारी कार्मिकों द्वारा पहाड़ पर अपनी सेवा देने में की जा रही आनाकानी पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गम्भीर नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायत आती रहती है कि प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में तैनाती से बचने के लिए कतिपय कार्मिकों द्वारा अपनी अथवा अपने परिजनों की बीमारी का बहाना बनाकर चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये जा रहे हैं, जो उचित नहीं है। मुख्यमंत्री ने सुगम क्षेत्रों में तैनाती के लिए प्रस्तुत किये जाने वाले चिकित्सा प्रमाण पत्रों की सक्षम स्तर से जांच कराने के निर्देश मुख्य सचिव एन. रविशंकर को दिये हैं। उन्होंने कहा कि यदि जांच में चिकित्सा प्रमाण पत्र गलत पाए जाते हैं, तो गलत प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने वाले कार्मिकों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लायी जाय।

1984 बैच के यूटी कैडर के आईएएस अफसर नेगी हो सकते हैं नए मुख्य सचिव !
  • मुख्यमंत्री हरीश से हो चुकी पहले दौर की बातचीत, केजरीवाल भी बनाना चाहते थे दिल्ली का सीएस
  • मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के निवासी हैं रमेश, इस समय अरुणाचल प्रदेश के हैं मुख्य सचिव

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देहरादून, 28 जून। अरूणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव रमेश नेगी जहां पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के दिल्ली के मुख्य सचिव के रूप में पहली पसंद थे लेकिन केन्द्र सरकार से तनातनी के चलते वे उन्हे अपने राज्य का मुख्य सचिव नहीं बना सके लेकिन अब वही नेगी उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत की पहली पसंद बन चुके हैं और हरीश रावत व नेगी की इस बारे में एक दौर की बातचीत भी हो चुकी है ऐसा विश्वस्त सूत्रों का कहना भी है। हालांकि सूबे के नए मुख्य सचिव की तस्वीर पर छाया कुंहासा अभी पूरी तरह से छंटता नहीं दिख रहा है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सरकार किसी दूसरे प्रदेश के अफसर को भी यहां का मुख्य सचिव बना सकती है। इस रेस में अरुणचाल प्रदेश के मुख्य सचिव रमेश नेगी का नाम तेजी से उभर रहा है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत से उनकी पहले चरण की बातचीत हो भी चुकी है। सूबे के मौजूदा मुख्य सचिव एन.रविशंकर अगले माह जुलाई में सेवा निवृत्त हो रहे हैं। पहले यह कहा जा रहा था कि सरकार उन्हें तीन माह का सेवा विस्तार देने की तैयारी में है। लेकिन इस बारे में तैयार बताया जा रहा प्रस्ताव अब तक केंद्र सरकार के पास भेजने की सूचना नहीं है। जाहिर है कि सरकार अन्य पहलुओं पर भी विचार कर रही है। सरकार के पास अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा और एस. राजू का भी विकल्प है। लेकिन इनके मामले में भी कोई सुगबुगाहट नहीं है। वैसे भी शर्मा इसी साल अक्टूबर में रिटायर होने वाले हैं। बताया जा रहा है कि सरकार शर्मा के बारे में फैसला लेने में हिचकिचा रही है। केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर तैनात उत्तराखंड कैडर के आईएएस अमरेंद्र सिन्हा और शत्रुघन सिंह यहां आने को तैयार नहीं है। ऐसे में सरकार बाहर के मुख्य सचिव लाने पर भी विचार कर रही है। बताया जा रहा है कि सरकार की निगाहें यूटी कैडर के रमेश नेगी पर भी हैं। पर्यावरण व ऊर्जा में विदेश से उच्च शिक्षा प्राप्त मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के निवासी रमेश नेगी 1984 बैच के एजीएमयू (केंद्र शासित प्रदेश) कैडर के अफसर हैं और इस समय अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव पद पर काम कर रहे हैं। 2008 से 2012 तक वे दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य अधिशाषी अधिकारी के पद पर भी काम कर चुके हैं। उनकी गिनती ईमानदार और तेजतर्रार अफसरों में की जाती है। दिल्ली में तैनाती के दौरान ही उनकी मुलाकात वहां के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से हुई थी। केजरीवाल जब दुबारा से दिल्ली के सीएम बने तो उन्होंने रमेश नेगी को वहां का मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश की। लेकिन मोदी सरकार ने उनकी मंशा पर पानी फेर दिया। बताया जा रहा है कि केंद्र में जल संसाधन मंत्री रहते हरदा की मुलाकात भी रमेश नेगी से हुई थी। हरदा अब नेगी तो उत्तराखंड लाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि दोनों के बीच पहले चरण की बातचीत हो भी चुकी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार किस अधिकारी को एन. रविशंकर उत्तराधिकारी बनाने का फैसला करती है।

ईडी की नजरों में चढ़े अचानक करोड़पति बन हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाने वाले मंत्री
  • दून की जमीनों में लगाया गया बेतहाशा पैसा, चर्चित बिल्डर से ताल्लुकातों की भी होगी जांच
  • एक पूर्व मंत्री भी सत्ता के वक्त बने करोड़पति

देहरादून, 28 जून। कांग्रेस सरकार में साझीदार दो मंत्री अचानक मंत्री बनते ही करोड़पति बन गए हैं। बताया जा रहा है कि मंत्री पद हासिल होने के बाद से इन राजनेताओं की कमाई कई गुना बढ़ गई है। जमीनों और हाउसिंग प्रोजेक्ट में इन मंत्रियों ने करोड़ों रुपये का इंवेस्ट किया है तो स्टोन क्रशरों में भी इनकी हिस्सेदारी बताई जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने इनकी गोपनीय ढंग से जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि जांच के दायरे में एक पूर्व मंत्री का भी नाम है। कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के किस्से यूं तो कई बार सामने आते रहे हैं। किसी मंत्री के अवैध खनन कारोबारी से रिश्तों को उजागर करने वाली तस्वीरें मीडिया में छाई रहती है तो किसी पर ऐसे कारोबारियों को संरक्षण देने का आरोप लगता रहा है। किसी नेता की शराब कारोबारी से नजदीकी है तो कोई अपने चहेतों को रेवडियां बांटता दिख रहा है। नया मामला मंत्रियों के अचानक ही करोड़पति बनने और उनकी संपत्ति की पड़ताल प्रवर्तन निदेशालय से होने की सुगबुगाहट तेज हो रही है। बताया जा रहा है कि एक मंत्री जी 2012 में विधायक बन गए थे। पहली बार विधायक बनने वाले इन मंत्री महोदय के नसीब में काबीना मंत्री बनना लिखा था। लिहाजा सूबे के सियासी हालात कुछ ऐसे बने कि मंत्री का पद मिल भी गया। दूसरे वाले भी पहली बार विधायक बने। यह अलग बात है कि उन्हें मंत्री पद हासिल करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। एक मंत्री जी चुपचाप अंदाज में काम करने के आदी हैं तो दूसरे को सुर्खियों में रहने की आदत है। बताया जा रहा है कि इन मंत्रियों की संपत्ति में अनायास ही खासा इजापा हुआ है। एक मंत्री जी को स्टोन क्रशरों में साझीदार बताया जा रहा है तो जमीनों में भी जमकर इंवेस्ट करने की खबर है। दूसरे मंत्री जी के बिल्डरों से गहरी नजदीकियां बताई जा रही है। इन्होंने बेनामी जमीनें तो खरीदी ही है, हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में भी घुमा फिर कर पैसा लगाया है। बताया जा रहा है कि सूत्रों ने इसकी खबर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को भी दी। अब ईडी इनका इतिहास और भूगोल खंगालने में जुटा है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि ईडी ने कुछ सरकारी महकमों से भी जानकारी मांगी है। ये महकमे सीधे तौर पर मंत्री जी के अधीन हैं। ऐसे में अफसरों को जानकारी देने में पसीने छूट रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि एक पूर्व मंत्री भी ईडी की जांच के दायरे में हैं। भाजपा सरकार के समय में अहम महकमे संभालने वाले इन नेताजी की हरिद्वार में बेइंतहा संपत्ति बताई जा रही है। ये मंत्री जी सदन में प्रश्नकाल के दौरान अचानक ही बीमार पड़ने के लेकर उस समय भी चर्चा में रहते रहे हैं। मंत्री बनने से पहले इतना इतिहास कुछ और था और पांच साल मंत्री रहने के बाद संपत्ति की भूगोल ही बदल गया है। बताया जा रहा है कि ईडी इनकी भी तहकीकात में जुटा है। बहरहाल, सियासी गलियारों में चल रही इस सुगबुगाहट की सच्चाई क्या है, यह तो आने वाले समय में ही साफ होगा। लेकिन इतना तय है कि ईडी को अगर सबूत मिल गए तो सरकार की फजीहत निश्चित है।

अब कांग्रेस विधायक सुबोध ने की मंत्रियों के नाम सार्वजनिक करने की मांग
प्रवर्तन निदेशालय के पास सूबे के दो मंत्रियों के नाम आने के मामले में कांग्रेस विधायक सुबोध उनियाल ने अपनी ही सरकार से मामले की जांच कर नाम सार्वजनिक करने की मांग की। शनिवार को ढालवाला में आयोजित प्रेस वार्ता में विधायक सुबोध उनियाल ने कहा की प्रदेश में मात्र 11 मंत्री हैं। नाम सार्वजानिक न होने तक सभी मंत्री सवाल के घेरे में रहेंगे। उन्होंने मांग कि मुख्यमंत्री जांच कर स्थिति स्पष्ट करें।

एक डाक्टर भी दायरे में !
इसी तरह से शहर के प्रतिष्ठित लोगों में शुमार एक डाक्टर महोदय भी जांच के दायरे में बताए जा रहे हैं। सरकार किसी भी दल की रहे, इन डाक्टर महोदय की सत्ता तक पकड़ बनी रहती है। सरकार के विवेकाधीन कोष से खास लोगों के उपचार के मामले में भी इनका अस्पताल सबसे आगे रहता है।   

कैलास मानसरोवर महिला यात्री की मौत 

देहरादून, 28 जून (निस)। रविवार को भारत-तिब्बत सीमा से डेढ़ किमी दूर चीन में भारत लौट रहा कैलास मानसरोवर के पहले दल में शामिल महिला की मौत हो गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार, रविवार को कैलास मानसरोवर यात्रा का पहल दल भारत लौट रहा था। इस दौरान भारत-तिब्बत सीमा से करीब डेढ़ किमी दूर चीन सीमा में दल में शामिल महिला बीना गुप्ता (56 वर्ष) निवासी कश्मीरी गेट, नार्थ दिल्ली की मौत हो गई। शव चीन अधिकारियों के पास है। शव को भारत लाने के लिए विदेश मंत्रालय से बात चल रही है। अभी मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है। वहीं, दल भारत लौट आया है।

कैसे आबाद हो ख्ेात व कैसे रुके पलायन व चकबन्दी पर गोष्ठी आयोजित 

पौड़ी, 28 जून (निस)। गरीब क्रान्ति अभियान के बैनर के तले विकास खण्ड स्तर पर ‘‘कैसे आबाद हो ख्ेात व कैसे रुके पलायन व चकबन्दी’’ की भूमिका को लेकर आयोजित जनजागरूकता गोष्ठी में आज प्रतिभागियों एवं वक्ताओं ने कई बहूमूल्य सुझाव दिये। मुख्य अतिथि गणेश गरीब जी उत्तराखण्ड में पलायन की त्रासदी पर बोलते हुए उन्होनें कहा कि समय रहते हुऐ यदि चकबन्दी नहीं की गयी तो उत्तराखण्ड में बाकी बचे हुऐ लोग भी पलायन करने में मजबूर हो जोयेगें उन्होने विकासखण्ड बीरोंखाल के विभिन्न ग्रामों से आये प्रधानों, क्षेत्र एंव जिला पचायत सदस्यों व समाजिक कार्यकर्ताओं का आवाहन किया कि वे जनता को चकबन्दी का सन्देष गांव गांव पहंुचाने का प्रयास करें क्योकि अन्ततः चकबन्दी क्षेत्रों में ही लागू होना है जिसके लिये जन सहभागिता अपरिहार्य है। उन्होने चकबन्दी के लाभ के बारे में सीधी और सामान्य जानकारी जनसमुदाय के बीच में रखी और कहा कि उत्तराखण्ड में अपार सम्भावनाएं हैं। लेकिन इसके लिये भूमि का एकत्रीकरण करना होगा। आजादी के बाद देश कई प्रान्तों में चकबन्दी करने से वहां कृषि उत्पादकता कई गुनी बढी और वहां सम्पन्नता आई। लोग अपनी जमीन योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने को तैयार हैं बसरते उनकी जमीन एक जगह पर हो। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ब्लाक प्रमुख बीरोंखाल ने आश्वासन दिया कि विकासखण्ड की ओर से प्रस्ताव सरकार को भेजेंगे साथ ही चकबन्दी के विचार को आगे बढाने के लिये आगे भी पूर्ण सहयोग देने को कहा। 75 वर्षीय पूर्व ब्लाक प्रमुख दयाल सिंह बिष्ट ने कहा कि एक समय ऐसा था जब लोग गरीब जी के इस अभियान का विरोध किया करते थे लेकिन आज के सन्दर्भ में उनकी बात अक्षरस उचित सिद्ध होने लगी है। उत्तराखण्ड बनने के बाद पर्वतीय क्षेत्र में सिर्फ पलायन ही हुया है खेत बन्जर व गांव खंडर हुये हैं उन्होने कहा कि बन्दरों व अन्य जंगली जानवरो के आतंक से निपटने के लिये सरकार की और से कोई पहल नहीं की जा रही है। जिससे पलायन बढ रहा है उन्हाने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि इसी तरह अगर पलायन होता रहा तो जनप्रतिनिधियों की संख्या अगले परिसीमन में और घट जायेगी। उद्यान विषय के जानकार हल़्द्धानी से आये केवलानन्द तिवारी ने बागबानी पर जोर देकर कहा कि उत्तराखण्ड में बागवानी के क्षेत्र में बहुत कुछ किया जा सकता है बषर्ते उनको गंभीरता से चलाया जाय आज हम हिमाचल का सेब, असम का केला व नागपुर का सन्तरा खाने को मजबूर हैं यदि हमने उद्यान के क्षेत्र में सही नीति बनाकर कार्य किया होता तो उत्तराखण्ड भारत के अनेक राज्यों में विभिन्न किस्मों के फलों की आपूर्ति करता। पूर्व प्रधानाचार्य वाचस्पति बहुखण्डी ने कहा कि स्वैछिक चकबन्दी नहीं राज्य में अनिवार्य चकबन्दी लागू होनी चहिये। सुन्द्रियाल प्रोडक्शन के मनीष सुन्दरीयाल ने कहा कि यदि हम हिमाचल की बात करते है तो हमें हिमाचल की तर्ज विकास नीतियां बनानी पडेगी। उन्होने कहा सरकार टैक्टर को तो सब्सीडी दे रही है मगर हल लगाने के लिये बैल के लिये उनके पास कोई सब्सीडी नहीं है। पर्यावरण विद् डा जे0पी0 सेमवाल ने कहा कि गांव में समृद्धि लानी है तो चकबन्दी करनी होगी। इस चर्चा जनार्दन बडाकोटी, तनु पंत, कुलबीर रावत छिलबट, एल मोहन कोठियाल रविन्द्र रावत बीरोंखाल जिला सघर्ष समिति के अध्यक्ष चित्र सिंह कण्डारी आदि वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे। चर्चा में ग्रामीण अंचल से आये लोगों ने कई सवाल उठायें चकबन्दी विशेषज्ञों द्धारा उनका उत्तर दिया गया। इस कार्यक्रम में चीड़ हटाओ, बांज लगाओ आन्दोलनकारी रमेश बौडाई, क्षेत्र पंचायत सदस्य मुकेश पोखरियाल, कई गा्रम सभाओं के प्रधान के साथ-साथ ध्यान पाल सिंह गुसाईं, राजेश बहुखण्डी मोहन सिंह, देवेन्द्र नेगी, भागेश्वरी देवी, शाकम्बरी देवी, अरविन्द सिंह, विनोद रावत बिनू भाई, विष्णु रावत, अनूप पटवाल आदि लोग शामिल थे कार्यक्र्रम का संचालन हेमन्त नेगी एंव बलबन्त गुसाई द्धारा सयुंक्त रूप से किया गया।

21 माह बाद भी बलुवाकोट में खतरा बरकरार, 20 परिवारों के घरों की सुरक्षा का सवाल

धारचूला,28 जून (निस)। वर्ष 2013 की आपदा की विनाशकारी तस्वीर अभी भी नहीं बदली है। 21 माह बाद भी बलुवाकोट के 20 परिवारों के घरों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं हो पायी है। बाजार के मध्य से बहने वाले नाले से हो रहे कटाव को रोकने के लिए अभी तक कोई इन्तजाम नहीं किया गया। इस नाले से बाढ़ सुरक्षा कार्य को भी खतरा होने की सम्भावना है। भाजपा ने राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर इन परिवारों की सुध लेने की मांग की। 16-17 जून 2013 की भयानक आपदा ने नदी किनारें स्थित बलुवाकोट की तस्वीर बदल दी थी। 21 माह बाद भी सरकार इस कस्बे को सुरक्षित रखने का इन्तजाम नहीं कर पायी है। बलुवाकोट बाजार के मध्य में बहने वाले नाले के पानी से लगातार भूकटाव हो रहा है। इससे जमीन भी धस गयी है। इसके आस-पास के 20 परिवार भी आवासीय घरों को खतरा पैदा हो गया है। इन परिवारों द्वारा लगातार प्रशासन और सरकार को पत्र व्यवहार किया जा रहा है। अभी तक सरकार ने इन आपदा प्रभावितों की सुध नहीं ली है। इस नाले को पक्का बनाये जाने और भूकटाव और धसाव को रोके जाने के लिए सुरक्षा दीवार बनाये जाने की मांग की जा रही है। अभी तक सरकार ने आपदा प्रभावितों की इस मांग को अनुसुनी कर दी है। मुख्यमन्त्री विधान सभा में बलुवाकोट की तरह कई गांवों के सैकड़ो परिवार आज भी खतरे में जी रहे है। लाखों रूपये की लागत से बने इनके आवासीय भवन खतरे में आ जाने के कारण इन परिवारों की रात की नींद उड चुकी है। भाजपा ब्लाक प्रभारी जगत मर्तोलिया ने आज प्रदेश के राज्यपाल को पत्र भेजकर इन परिवारों की दास्ता भेजी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमन्त्री की विधान सभा में आपदा प्रभावितों के घरों को बचाने के लिए भी कोई प्रयास नहीं हो रहे है। देहरादून में बैठकर मुख्यमन्त्री सफेद झूठ बोल रहे है। विधान सभा की वास्तविक तस्वीर के सामने आ जाने से मुख्यमन्त्री की पुर्ननिर्माण के दावे की पोल खुल गयी है।

आठ माह से बिजली के पोल सड़क में वोट के लिए उपचुनाव में डाले गये थे पोल, जाराजिबली की जनता के साथ मजाक

धारचूला,28 जून (निस)। आठ माह पूर्व हुए उपचुनाव में वोट लेने के लिए कांग्रेसियों ने जाराजिबली ग्राम वासियों को ठगने के लिए बिजली के पोल बांसबगड़ के निकट सड़क में डाल दिया। मुख्यमन्त्री ने वोट लेने के बाद ग्रामवासियों से किये गये वायदे को नहीं निभाया। बिजली के पोल आज भी सड़क किनारें पडे़ हुए है। इस वादा खिलाफी से जाराजिबली के ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। राज्यपाल को पत्र लिखकर इसकी षिकायत करते हुए जाराजिबली को तत्काल विद्युतीकृत करने की मांग की । उपचुनाव में मुख्यमन्त्री को जिताने के लिए कांग्रेसियों ने धारचूला विधान सभा की जनता से कई वायदें किये। आठ माह बीत जाने के बाद मुख्यमन्त्री के चुनाव में किये गये वायदों की पोल खुलने लगी है। इन वायदों में से एक जाराजिबली में बिजली पहुचाने का मामला भी है। आजादी के 68 वर्षो के बाद भी जाराजिबली गांव में बिजली नहीं पहुंच पायी है। इसको देखते हुए कांग्रेसियों ने उपचुनाव से पूर्व जौलजीवी-मदकोट मोटर मार्ग में बांसबगड के निकट बिजली के पोल लाकर सड़क के किनारें रख दिये। जाराजिबली तक यह संदेष पहंुचा दिया कि बिजली के पोल सड़क किनारें पहुंच गये है। उपचुनाव के बाद जाराजिबली गांव बिजली से जगमगा जायेगा। कांग्रेसियों के इस झूठ में आकर जाराजिबली वासियों ने उपचुनाव में मुख्यमन्त्री हरीश रावत का साथ दिया। उसके बाद भी अभी तक इन बिजली के पोलों का ढुलान कार्य तक शुरू नहीं हो पाया है। उत्तराखण्ड विद्युत कारपोरेशन के प्रस्तावित गांवों में भी जाराजिबली का नाम नहीं है। बिजली विभाग द्वारा अभी तक जाराजिबली के विद्युतीकरण की कोई स्वीकृति नहीं ली गयी है। मुख्यमन्त्री को उपचुनाव में जितवाने के लिऐ कांग्रेसियों ने जाराजिबली वासियों के साथ इस प्रकार का भद्दा मजाक किया। जगत मर्तोलिया ने प्रदेश के राज्यपाल को पत्र लिखकर जाराजिबली को विद्युतीकरण किये जाने की मांग की। मर्तोलिया ने कहा कि मुख्यमन्त्री ने उपचुनाव में जो वायदे किये थे एक भी पूरे नहीं हुए। वादाखिलाफी से जनता यह समझ चुकी है कि मुख्यमन्त्री के विधायक होने से न क्षेत्र का विकास होता है और न ही बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलता है। मुख्यमन्त्री से सीमान्त की जनता का मोह भंग हो चुका है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय जनता की समस्याओं और सरकार द्वारा की गयी घोशणाओं को पूर्ण करवाने के लिए भाजपा जनता को साथ में लेकर आन्दोलन कर सरकार पर दबाव बनायेगी।

मल्ला जोहार में गरारी का पट्टा टूटा, ग्रामीण फंसे
  • गोरी नदी पर रिलकोट-खिलांच के मध्य पुल नहीं होने से बढ़ी दुशवारिया 

धारचूला,28 जून (निस)। मुनस्यारी तहसील के मल्ला जोहार में गोरी नदी पर रिलकोट-खिलांच के मध्य बनी गरारी का पट्टा टूट गया। इस कारण नदी आर-पार जाने की आवाजाही बन्द हो गयी है। इस स्थान पर लगातार पुल निर्माण की मांग की जा रही है। आपदा के बाद पुल बह जाने के दो वर्ष बाद भी उत्तराखण्ड की सरकार इस जगह पर पुल नहीं बना पायी। जिलाधिकारी के सम्मुख इस मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि हैली-काप्टर मे करोड़ो रूपये खर्च करने वाले मुख्यमन्त्री को इसका जबाब देना होगा। मल्ला जोहार के गोरी नदी पर रिलकोट-खिलांच के बीच बनी पुलिया वर्ष 2013 की भीषण आपदा में बह गयी थी। इस स्थान पर 10 लाख रूपये की लागत से गरारी जबरन बना दिया गया। जबकि खिलांच के ग्रामीण इस स्थान पर पुलिया निर्माण की मांग कर रहे थे। वर्ष 2014 तथा इस बार भी इस स्थान पर पुलिया का निर्माण नहीं हो पाया। गरारी के निर्माण में की गई मनमानी और मानक विरूद्ध कार्य के कारण गरारी का पट्टा एक वर्ष में ही टूट गया है। जबकि इस गरारी का उपयोग बस वर्ष में केवल छः माह ही ग्रीष्म काल के दौरान होता है। उसके बावजूद गरारी का पट्टा टूट गया और टूटी हुई गरारी से ही ग्रामीण जान हथेली में रखकर आर-पार जा रहे है। मवेशियों और बकरियों को गोरी नदी पार कराकर ले जाने में ग्रामीण असफल हो चुके है। खिलांच के ग्रामीणों के सामने यह मुसीबत खड़ी हो गयी है कि वे अपने पालतू जानवरों को छोड़कर कहां जाये। मुख्यमन्त्री की विधान सभा का यह नजारा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। आपदा के बाद मुनस्यारी तहसील में दस करोड़ से अधिक की राशि पुर्ननिर्माण के नाम पर खर्च की जा चुकी है। इस राशि के उपयोग पर गम्भीर आरोप लगते रहे है। रिलकोट-खिलांच के मध्य गोरी नदी पर पुल बनाने के लिए क्यों आपदा की राशि नहीं दी गयी। यह सवाल आम लोगों के गले नहीं उतर रहा है। भाजपा नेता जगत मर्तोलिया ने आज जिलाधिकारी से इस मामले की शिकायत की। उन्होंने कहा कि मुख्यमन्त्री की विधान सभा में आपदा के बाद दो वर्ष बीत जाने के बाद भी यह स्थिति है। आम जनता आपदा के बाद से परेशान है और आपदा के बजट पर लूट मची हुई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमन्त्री अगर पुल नहीं बना सकते है तो उन्हें विधान सभा के पद से त्याग पत्र दे देना चाहिए। 15 दिन के भीतर प्रशासन और क्षेत्रीय विधायक ने कोई कार्यवाही नहीं की तो मुनस्यारी में लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में तालाबन्दी की जायेगी।

फड़-फेरी व अस्थाई बाजार वालों को हटाना अब प्रशासन के बस में नहीं

देहरादून,28 जून (निस)। भारत सरकार द्वारा नगरीय फेरी व्यवसायी (आजीविका सुरक्षा तथा व्यवसाय विनियम) अधिनियम 2014 लागू होने के बाद फड़-फेरी वालों तथा अस्थाई बाजारों के व्यापारियों को उनके स्थान से हटाना अब पुलिस, प्रशासन, नगर निगम तथा नगर निकायों के अधिकारियों के बस में नहीं रह गया है। इस अधिनियम के अनुसार वेडिंग जोन निर्धारित करने या पथ विक्रेताओं को स्थानांतरित करने पर निर्णय लेने व कार्यवाही करने का अधिकार अब केवल धारा 22 के अन्तर्गत गठित 40 प्रतिशत फेरी व्यवसासियोें के प्रतिनिधित्व वाली ”नगर फेरी समिति” को है। राष्ट्रीय स्तरीय सूचना अधिकार कार्यकर्ता तथा कानून विशेषज्ञ नदीम उद्दीन एडवोकेट को सूचना अधिकार के अन्तर्गत नगरीय फेरी व्यसायी (अजीविका सुरक्षा तथा फेरी व्यवसाय विनियम) अधिनियम 2014 के अन्तर्गत उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाई गयी नियमावली की प्रति शहरी विकास निदेशालय के लोेक सूचना अधिकारी ने उपलब्ध करायी है। उसके नियम 6(2) के अनुसार भी नगर फेरी समिति द्वारा वर्तमान फेरी वालों तथा अस्थाई व्यापरियों का सर्वेक्षण तथा नगर फेरी समिति द्वारा उन्हें लाइसंेस जारी होने तक न तो हटाया जायेगा और न ही विस्थापित किया जायेगा। नदीम को शहरी विकास निदेशालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार उत्तराखंड नगरीय फेरी व्यवसायी (अजीविका सुरक्षा तथा फेरी व्यवसाय विनियम) नियमावली 2015 के नियम 12 तथा अधिनियम की धारा 22 के अनुसार नगरीय फेरी समिति में न्यूनतम 40 प्रतिशत सदस्य फेरी संगठनों से हांेगे जो उनके द्वारा स्वयं चयनित किये जायेंगेे जिसमें न्यूनतम एक तिहाई महिला प्रतिनिधि होनी अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त न्यूनतम 10 प्रतिशत सदस्य स्वयं सेवी संस्था तथा समुदाय आधारित संगठनों से हांेगे। इसके अतिरिक्त इस समिति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक तथा अपंग व्यक्तियों को नगर फेरी समिति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जायेगा। नदीम को उपलब्ध करायी गयी नियमावली के नियम 16 तथा फेरी अधिनियम की धारा 27 के अन्तर्गत फेरी वालों तथा अस्थाई व्यापारियों के पुलिस तथा अन्य अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न किये जाने पर भी रोक लगायी गयी है। नदीम ने बताया कि अगर किसी अधिकारी द्वारा भारत सरकार द्वारा 01 मई 2014 से लागू फेरी व्यवसायी अधिनियम के उल्लंघन में किसी अस्थाई व्यापारी, फेरी, फड़ वाले या अस्थाई बाजार को स्थानांरित करने तथा हटाने की कार्यवाही की जाती है तो वह गैर कानूनी है तथा संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 166, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारास 13(1) (डी) तथा 13(1) (सी) तथा एस.सी.एस.टी. एक्ट के अपराधों के मुकदमें दर्ज कराये जा सकते है। इसके अतिरिक्त लोकायुक्त, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, अ.जाति, अ.ज.जा. महिला, मानवाधिकार तथा बाल अधिकार आयोग की शरण लेने के साथ सम्बन्धित सेवा नियमों के अन्तर्गत भी ऐसे अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही करायी जा सकती है तथा नुकसान का मुआवजा न्यायालयों के माध्यम से वसूला जा सकता है।

नदी किनारे बसे गांव की सुरक्षा ठण्डे बस्ते में सीएम की विधान सभा का हाल

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पिथौरागढ़, 28 जून (निस)। वर्ष 2013 की आपदा के बाद पौने दो वर्ष का समय बीत गया। गोरी, काली और धौली गंगा के किनारे बसे गांवों की सुरक्षा का कोई इन्तजाम नहीं हो पाया। विधायक के साथ ही सीमान्त को मुख्यमंत्री भी मिला। उसके बाद भी आपदाग्रस्त इन गांवों की सुरक्षा के लिये बाढ़ सुरक्षा का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया।स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर बाढ़ सुरक्षा कार्य के लिये राज्य सरकार पर दबाव बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार नहीं जागी तो सड़क में उतरक सीएम के खिलाफ आन्दोलन होगा। वर्ष 2013 की आपदा को लम्बा समय बीत चुका है। आपदा से खतरे में आ चुके गोरी नदी के किनारे बसे खिनवा गांव, सेराघाट, सेरा, भदेली, उमडगाड़ा, छोरीबगड़, बांसबगड, मौरी, लुम्ती, चामी, घट्टा बगड़ तथा काली नदी के किनारें बसे गो-घाटीबगड़, छारछुम, नया बस्ती, कालिका, निगांलपानी, ऐलागाड, तवाघाट और धौली गंगा के किनारे बसे सोबला, दर, तीजम, सुमदुम, वतन, उमचिया सहित दर्जनों गांवो को बचाने के लिये आज भी सुरक्षा के इन्जाम तक शुरू नहीं हो पाये है। नदी किनारे इन गांवों में रहने वाले लोगों पर आज भी खतरा मडरा रहा है। कई घर नदी के ओर लटके हुये है। नदी किनारे खतरे में आ चुके आवासीय भवनों को सरकार ने खतरे में नहीं माना है। जिस कारण इन परिवारों को अभी तक न मुआवजा मिला है और नहीं इनके सुरक्षित आवास के लिये सरकार ने कुछ किया है। उत्तराखण्ड की सरकार आपदा के पौने दो वर्ष बाद भी नदी किनारें बसे इन गांवों को बचाने के लिये कोई पुख्ता व्यवस्था तक नहीं कर पायी। आलम यह है कि नदी की आवाज से ही इन परिवारों की रात की नीद उड़ जाती है। वर्षात आने और नदी का जल स्तर बढ़ने में अब मात्र तीन माह का समय शेष बचा है। सीमान्त क्षेत्र को विधायक ही नहीं मुख्यमन्त्री मिल गया। उसके बाद भी इस क्षेत्र की आपदाग्रस्त तकदीर अभी तक नहीं बदली है। भाजपा के जिला प्रवक्ता जगत मर्तोलिया ने डीएम के माध्यम से राज्यपाल को पत्र भेजकर यह मांग उठाई है कि राजभवन की ओर से राज्य सरकार को इन गांवों को बचाने के लिये बाढ़ सुरक्षा का कार्य शुरू करने के लिये आदेशित किया जाये। उन्होंने कहा कि मुख्यमन्त्री ने चुनाव जीतने के बाद वायदा किया था कि वह इन गांवों को बचाने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ेगे। आज मुख्यमन्त्री इन गांवों की ओर देखने तक की आवश्यकता नहीं समझ रहे है। गोरी,काली और धौली गंगा के किनारे बसे गांवों को बचाने के लियेसीएम के खिलाफ आपदा प्रभावितों को साथ में लेकर आन्दोलन करेगी।

धारचूला में गो-सेवा की प्रतीक बनी लीला कुंवर, घायल गो की सेवा करना बनाया अपना धर्म

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धारचूला, 28 जून (निस)। धारचूला नगर और उसके आस-पास घायल गायों की सेवा करते-करते सामाजिक कार्यकर्ती लीला कुंवर गो-सेवा की प्रतीक बन चुकी है। प्रत्येक दिन गो-सेवा के लिये समय निकालना लीला का नित्य कर्म बन गया है। दूध दूधने के बाद गायों को लावारिस छोड़ने वाले लोगांे के मन में गो- माता के प्रति प्रेम जगाने के लिये लीला कुंवर जन जागरण अभियान चलाने वाली है। ताकि सभी गो-माता का महत्व समझे। धारचूला के आर्मी तिराहे के निकट पहाड़ी में घास चरते वक्त गिरकर घायल हो चुकी दो गायों की सेवा में इस बीच सुश्री कुंवर जुटी हुई है।  धारचूला नगर में आज अगर कोई गाय घायल हो जाती है तो सभी की जुबा पर एक शब्द आता है कि जल्द लीला को फोन लगाओ वही इसकी सेवा करेगी। गो-माता की सेवा का कार्य लीला कुंवर लम्बे समय से कर रही हैं। इस बीच आर्मी तिराहे से दो गायें घास चुगती हुई चट्टान से नीचे गिर गयी। जैसे ही इसकी सूचना लीला कुंवर को मिली तो वह पहले गायों को देखने गयी। देखने से मालूम हुआ कि एक गाय का पैर फैक्चर हो चुका है और दूसरी गाय चोट लगने से जख्मी हो चुकी है। दोनों गाय घायल अवस्था में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने की स्थिति में नहीं है। गोरखा रेजीमेन्ट के परिक्षेत्र में घायल गायें पड़ी हुई है। सुश्री कुंवर ने सबसे पहले गोरखा रेजीमेन्ट के जवानों से बातचीत की और जवानों ने गायों को सुरक्षित रखने के लिये अपनी तैयारियां शुरू कर दी। गायों की सुरक्षा की जिम्मा गोरखा रेजीमेन्ट उठा रही है। सुश्री कुंवर की सूचना पर पशु चिकित्सालय धारचूला के चिकित्सक डाॅ. केके जोशी, डाॅ. सर्वेश्वर, फार्मसिस्ट महेन्द्र सिंह हंयाकीं, कलम सिंह धामी, धन सिंह पालीवाल, बीर सिंह धामी, हरि दत्त भट्ट की टीम ने दोनों गायों को चिकित्सी सुविधा दी। डाॅ. सर्वेश्वर ने फैक्चर पैर पर बांस का सहारा बांधते हुये गाय के पैर पर प्लास्टर लगा दिया है ताकि गया जल्दी ठीक हो सके। धारचूला नगर में दूध दूहने के बाद गायों को आवारा छोड़ने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है। बाजार में घूमते हुये इन गायों का चोटिल होना आम बात है। चोटिल गायों की एक मात्र सहारा लीला कुंवर है। लीला द्वारा पशुपालन विभाग की मदद से इन गायों का उपचार कराया जाता है। घायल गायों को उपचार के समय एक सुरक्षित स्थान पर रखना चुनौती पूर्ण कार्य है। हालांकि अभी जैसे-तैसे इन गायों का उपचार चल रहा है। घायल गायों को उपचार के समय चारा, घास आदि की व्यवस्था के लिये सुश्री कुंवर को नगर के समाज सेवी जसवन्त नबियाल, भीमराज नबियाल, रमेश वर्मा, राजेन्द्र लाल वर्मा, हीरा वर्मा, ओम प्रकाश वर्मा, प्रद्युमन गब्र्याल, कैलाश रावत, भूपेन्द्र थापा, लक्ष्मी परमार, डीसी रायपा, सागर शर्मा, जल संस्थान के अवर अभियन्ता कमल किशोर आदि लोग मद्द करते है। सुश्री कुंवर का कहना है कि वह आम लोगों में जन जागृति लाने के लिये घर-घर सम्पर्क कर रही है ताकि सभी लोग गो-माता को दूध पीने के बाद सड़क में न छोड़े। उन्होंने इसके लिये सरकारी प्रयास किये जाने की मांग भी की है।

एक की मौत के बाद भी नहीं जागी लोनिवि गोरी नदी में बना मवानी-दवानी झूलापुल जर्जर

देहरादून, 28 जून (निस)।  धारचूला और मुनस्यारी के मध्य में बंगापानी-मवानी दवानी के बीच गोरी नदी में बना झूलापुल जानलेवा बन गया है। एक ग्रामीण की मौत के बाद भी झूलापुल की मरम्मत का कार्य आपदा के डेढ वर्ष बाद भी नहीं हो पाया। वर्श 2013 की आपदा में क्षतिग्रस्त हुये इस झूलापुल की मरम्मत की मांग लम्बे समय से उठायी जा रही है। झूलापुल में लगे लोहे की तीन चैनों में से एक चैन आपदा के समय टूट गया था जिस कारण झूलापुल एक ओर को झुक गया है। कभी भी इस पुल से एक बड़ा हादसा हो सकता है। गोरी नदी में बनी इस झूलापुलिया की दुर्दषा वर्श 2013 में 16-17 जून का आयी विनाशकारी आपदा से शुरू हुई। झूलापुल में लगे लोहे के एक चैन के टूट जाने से झूलापुल एक ओर का झुक गया है। झूलापुल के दोनों ओर सुरक्षा के लिये रैलिंग बनाये जाने की लम्बे समय से मांग की जा रही है। लोक निर्माण विभाग अस्कोट के अधिकारी इस मांग को हमेशा अनसुना करते रहे है। झूलापुल में बंगापानी की ओर से 19 सितम्बर, 2014 को मवानी-दवानी निवासी 35 वर्षीय नारायण सिंह नेगी पुत्र राम सिंह की पैर फिसलने से गोरी नदी में बह जाने के कारण मौत हो गयी। अगर इस स्थान पर रैलिंग बना होता तो इस व्यक्ति की मौत नहीं होती। 35 वर्षीय नारायण सिंह सीमा सड़क संगठन में मजदूरी का कार्य करता था। इस मजदूर की मौत के बाद उसके दो बच्चे और पत्नी बेसहारा हो गये है। इस दर्दनाक हादसे के बाद भी लोनिवि के कानों में जू तक नहीं रेंग रही है। झूलापुल से प्रतिदिन एक हजार से अधिक लोगांे की आवाजाही रहती है। इण्टर कालेज मवानी-दवानी, विद्यामन्दिर सहित अन्य विद्यालयों के 800 से अधिक बच्चे प्रतिदिन इस पुल से आर-पार जाते है। मवानी-दवानी में आर्युवैदिक अस्पताल है। इसी के साथ इस झूलापुल से ग्राम पंचायत मवानी-दवानी, आलम, दारमा, माणी धामी, दाखिम, धामीगांव, घरूड़ी के ग्रामीणों का प्रतिदिन आना-जाना रहता है। गोरी नदी पर बने इस पुल के प्रति लोनिवि का रवैया हमेशा ठीक नहीं रहा है। भाजपा जिला प्रवक्ता जगत मर्तोलिया ने रविवार को डीएम और लोनिवि के अधिशासी अभियन्ता को ज्ञापन देकर अस्कोट डिविजन द्वारा की जा रही लापरवाही पर सख्त कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि आपदा के करोड़ो रूपये लोनिवि ने बिना निविदा आमन्त्रित किये फूंक दिये है। उन्होंने कहा कि आपदा से क्षतिग्रस्त इस झूलापुलिया के मम्मत के लिये क्यों धन स्वीकृत नहीं किया गया इसके लिये जिम्मेदार अधिकारी को तत्काल निलम्बित किया जाना चाहिए।

उत्तराखंड के महाविद्यालयों में 58 प्रतिशत प्रवक्ताओं के पद रिक्त

देहरादून, 28 जून (निस)। उत्तराखंड के 90 सरकारी महाविद्यालयों में शिक्षकों (प्रवक्ताओं) के 58 प्रतिशत पद रिक्त है। इसमें गढ़वाल मंडल के 48 महाविद्यालयों में 62 प्रतिशत पद तथा कुमाऊं मंडल के 42 महाविद्यालयों में 57 प्रतिशत प्रवक्ताओं के पद रिक्त है। उक्त खुलासा राष्ट्रीय स्तर के सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट को उच्च शिक्षा निदेशालय, उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है। उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना अधिकार के अन्तर्गत राष्ट्रीय स्तर के सूचना अधिकार कार्यकर्ता, काशीपुर निवासी नदीम उद्दीन एडवोकेट को उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार उत्तराखंड के 90 सरकारी महाविद्यालयों में प्रवक्ताओं के कुल स्वीकृत 1656 पदों में से 971 पद रिक्त है केवल 685 प्रवक्ता ही नियमित कार्यरत है। इन रिक्त पदों में से 408 पदों पर संविदा पर शिक्षक कार्यरत है। इसके बाद भी 563 पद रिक्त है जिन पर कोई प्रवक्ता व संविदा शिक्षक कार्यरत नहीं हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश भर में 20 ऐसे नियमित प्रवक्ता भी है जो महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य नहीं कर रहे है जिसमें 2 प्रतिनियुक्ति के कारण महाविद्यालयों में कार्यरत नहीं है तथा 18 त्याग पत्र व अन्यत्र कार्यरत प्रस्तुत तथा दीर्घ अवधि से अनुपस्थित हैं। इनके पदों को जोड़ते हुये कुल 583 पदों पर कोई शिक्षक कार्यरत नहीं हैै। नदीम को उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार रिक्त 971 पदों में सर्वाधिक रिक्त पद 95 अंग्रेजी विषय के है जबकि शारीरिक विज्ञान, टूरिज्म, दर्शनशास्त्र तथा पत्रकारिता विषय का कोई पद रिक्त नहीं है। अन्य रिक्त पदों में हिन्दी के 85, संस्कृत के 44, भूगोल के 45, अर्थशास्त्र के 74, राजनीतिक शास्त्र के 81, समाजशास्त्र के 61, इतिहास के 52, शिक्षा शास्त्र के 18, मनोेविज्ञान के 7, शारीरिक शिक्षा के 6, गृह विज्ञान के 15, सैन्य विज्ञान के 9, बी0एड.के 15, संगीत के 5, सांख्यिकी के 3, भूगर्भ विज्ञान के 8, विधि 5, चित्रकला के 3, बेसिक हयूमेनेटिज 1, मानव विज्ञान 2, बेसिक साइंस 1, भौतिक विज्ञान 53, रसायन विज्ञान 58, जन्तु विज्ञान 50, वनस्पति विज्ञान 51, गणित 44, वाणिज्य 62, बी0वी0ए0 3, बी0सी0ए0 6, एम0बी0ए0 5, बी0टी0एस0 1, कम्प्यूटर विज्ञान के 3 पद रिक्त है। नदीम को उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार कुमाऊं मंडल के कुल 42 सरकारी महाविद्यालयोें में कुल 821 पदों में से 354 पदों पर ही नियमित प्रवक्ता कार्यरत है। शेष 467 पद रिक्त है। इनमें से केवल 198 पदों पर संविदा शिक्षक कार्य कर रहे हैै। जबकि संविदा शिक्षकों के पदों को छोड़कर भी 269 पद रिक्त है जिस पर कोई शिक्षक कार्य नहीं कर रहा है। इसी प्रकार गढ़वाल मंडल के कुल 48 सरकारी महाविद्यालयों में कुल 835 स्वीकृत पदों मेें से 524 पद रिक्त हैं इनमें से 210 पदों पर संविदा शिक्षक कार्यरत हैं। जबकि संविदा शिक्षकों के पदों को छोड़कर भी 314 पदों पर कोई शिक्षक कार्यरत नहीं है। नदीम को उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से यह भी स्पष्ट है कि इन रिक्त पदों के जल्दी भरने की भी कोई उम्मीद भी नहीं है क्योंकि बिल्कुल रिक्त 563 पदों में से अधियाचन भी केवल 273 पदों का ही भेजा गया है। लोेक सेवा आयोग द्वारा अगर इन  सबका चयन कर भी दिया जाता औैर सभी शिक्षक कार्य करते रहते हैं तो भी प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में 290 पदों पर कोई प्रवक्ता व शिक्षक कार्य नहीं करेगा।

सिल्ट ने थामी टरबाइन, विद्युत उत्पादन घटा 

देहरादून, 28 जून (निस)। नदियों में सिल्ट  आने से राज्य के जल विद्युत गृहों में विद्युत उत्पादन लगातार घट रहा है। गाद ने टरबाइनों की गति पर रोक लगा दी है। इससे प्रदेश में कई जगह बिजली कटौती होने लगी है।
उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) के जल विद्युत गृहों से एक करोड़ 61 लाख 90 हजार यूनिट बिजली मिली थी। शनिवार को यह ग्राफ महज 86 लाख 30 हजार यूनिट पर पहुंच गया। जबकि शनिवार को राज्य की विद्युत मांग तीन करोड़ 33 लाख 50 हजार यूनिट रही। बिजली की कुल उपलब्धता केंद्रीय पुल और अन्य स्रोतों को मिलाकर 3.11 करोड़ यूनिट रही। पहाड़ी क्षेत्रों में अत्यधिक बरसात में सिल्ट आने से बंद हुए यूजेवीएनएल के मनेरी भाली-प्रथम (90 मेगावाट) और मनेरी भाली-द्वितीय 304 मेगावाट से शनिवार शाम चार बजे से विद्युत उत्पादन शुरू हो गया।चीला 144 मेगावाट जल विद्युत गृह में भारी मात्रा में सिल्ट आने से विद्युत उत्पादन नहीं हुआ। यूजेवीएनएल का कालागढ़ जल विद्युत गृह पहले से बंद चल रहा है।

हेमकुंड से रेस्क्यू अभियान शुरू, पांच हेलीकाॅप्टर लगाये 

गोपेश्वर, 28 जून (निस)। बारिश और भूस्खलन के कारण हेमकुंड में फंसे 3500 यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रशासन ने रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया है। पांच हेलीकॉप्टरों के जरिए सिख यात्रियों को घांघरिया से गोविंदघाट लाया जा रहा है, जबकि बीमार यात्रियों को सीधे जोशीमठ पहुंचया जा रहा है। बीते दिनों बारिश के कारण बदरीनाथ हाईवे समेत हेमकुंड पैदल मार्ग भी भूस्खलन के कारण कई जगहों पर बाधित हो गया था। जिसके चलते कई यात्री विभिन्न पड़ावों पर फंस गए थे। एसडीआरएफ और पुलिस की मदद से कई यात्रियों को बाहर निकाला गया था, लेकिन कुछ यात्री घांघरिया आदि में ही फंसे रह गए। रविवार को इन यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान शुरू हो गया है। अभियान मे पांच हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है।

लोनिवि की दादागिरी आरटीआई फोटो स्टेट 50 रुपये प्रति 

गोपेश्वर, 28 जून (निस)। सूचना के अधिकार अधिनियम को लेकर विभागों ने अपने ही नियम बना रखे हैं। सूचना देने के नाम पर बकायदा रेट तय किए गए हैं। लोक निर्माण विभाग कर्णप्रयाग को ही ले लीजिए। सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में सूचना मांगने पर प्रति पृष्ठ दो रुपये के हिसाब से आरटीआइ कार्यकर्ता को सूचना देने का प्राविधान है। लेकिन कर्णप्रयाग के लोनिवि कार्यालय में तैनात लोक सूचना अधिकारी ने आरटीआइ कार्यकर्ता को जो पत्र लिखा है वह चैंकाने वाला है। असल में लोक सूचना अधिकारी ने आरटीई कार्यकर्ता से 72 पेज की सूचना देने एवज में 3600 रुपये शुल्क चुकाने की बात लिखी है। दरअसल, कर्णप्रयाग में पिंडर नदी पर पुल का निर्माण चल रहा है। आरटीआइ कार्यकर्ता व उमट्टा के पूर्व प्रधान अरविंद सिंह चैहान ने 18 मार्च को सूचना अधिकार के तहत इस पुल की मूल डीपीआर, ड्राइंग व रिवाइज्ड डीपीआर की सूचना मांगी थी। 30 मार्च को लोक सूचना अधिकारी ने आरटीआइ कार्यकर्ता को जवाब दिया कि पुल की मूल डीपीआर व रिवाइज्ड डीपीआर 216 पृष्ठों की है। लोक सूचना अधिकारी ने पत्र में शुल्क को लेकर स्थिति साफ नहीं की गई। आरटीआइ कार्यकर्ता ने 11 अप्रैल को अरविंद चैहान ने आरटीआइ की धाराओं का हवाला देते हुए सूचना सीडी में उपलब्ध कराने के लिए लोक सूचना अधिकारी को पत्र लिखा। एक मई को लोक सूचना अधिकारी ने फिर से कार्यालय में स्केनर न होने का हवाला देकर सीडी में सूचना देने से हाथ खड़े कर दिए। इस पत्र में भी लोक सूचना अधिकारी ने शुल्क का कोई जिक्र नहीं किया। 19 मई को आरटीआइ कार्यकर्ता ने फिर से पत्र लिखकर सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मिलने वाले दस्तावेजों के शुल्क की जानकारी मांगी। 18 जून को लोक सूचना अधिकारी को पत्र भेजकर बताया कि सूचना 72 पृष्ठों में हैं। इसके लिए उन्हें प्रति पृष्ठ 50 रुपये का शुल्क जमा करने को कहा है। इस मामले में आरटीई कार्यकर्ता ने सूचना आयोग में शिकायत की गई है। मामले में लोक सूचना अधिकारी व सहायक अभियंता लोनिवि कर्णप्रयाग रघुवीर सिंह का जवाब सुनिए। उनका कहना है कि डीपीआर व ड्राइंग की फोटो स्टेट देहरादून से कराई गई है। उसका जो भी बिल लगा है। उस हिसाब से आरटीई कार्यकर्ता से शुल्क मांगा गया है।

मौसम ने श्रद्धालुओं को मायूस किया 

रुद्रप्रयाग, 28 जून (निस)। बाहरी प्रदेशों से भगवान केदारनाथ के दर्शनों को आए श्रद्धालुओं की उम्मीदों पर मौसम की बेरुखी ने पानी फेर दिया है। बारिश के चलते केदारनाथ यात्र मार्ग कई स्थानों पर अवरुद्ध चल रहा है। इस कारण जिला प्रशासन ने तीन दिनों तक सोनप्रयाग से आगे यात्रियों की रवानगी रोक दी है। अब भक्त बिना भगवान के दर्शन किए ही वापस लौट रहे है। ये सभी लोग हवाई सेवाओं से यात्र करने में अपनी असमर्थता जता रहे है। पूर्व दिनों की भांति इन दिनों भगवान केदारनाथ की यात्र करने के लिए बाहरी प्रदेशों से बड़ी भारी तादाद में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है। भक्तों पर भगवान की भक्ति इस कदर चढ़ी हुई है कि वे इस मौसम में भी भगवान के दर्शनों को जाने के लिए तैयार बैठे है। बीते बुधवार रात्रि को हुई भारी बारिश के चलते सोनप्रयाग से मुनकटिया के बीच हाईवे व पैदल मार्ग कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त चल रहा है, जबकि सोनप्रयाग में गौरीकुंड हाईवे पर बनाया गया मोटरपुल मंदाकिनी व सोननदी के तेज प्रवाह में बह गया है। यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए आगामी तीन दिन तक प्रशासन ने सोनप्रयाग से आगे जाने पर रोक लगा दी है। ग्वालियर मध्य प्रदेश से आए महेश प्रसाद का कहना है कि वे भगवान केदारनाथ के दर्शनों के लिए यहां आए है। वे विगत दो दिनों से फाटा में रुके हुए है। मौसम खराब होने के चलते मार्ग बाधित चल रहा है। वे मार्ग खुलने का इंतजार कर रहे है। उन्होंने कहा कि यदि आगे जाने नहीं दिया जाता है तो वे यहीं से भगवान को हाथ जोड़कर वापस लौट जाएंगे। तमिलनाडु से आए सुरसनहरन ने बताया कि वे छह लोग केदारनाथ की यात्र पर आए थे। वे पैदल मार्ग से ही केदारनाथ जाना चाहते है, लेकिन मार्ग बंद होने के चलते उन्हें भारी दिक्कतें हो रही है। तीन दिन बाद पैदल मार्ग आवाजाही के लिए खुलने की संभावना है। दो जुलाई को उनके ट्रेन की रिजर्वेशन है। यदि इससे पहले कुछ नहीं होता है तो वे अपने घर की ओर निकल पड़ेंगे। क्योंकि हवाई सेवा से सफर करने में वे समर्थ नहीं है। फोटो मैटिक पंजीकरण के नोडल अधिकारी कुंदन सिंह ने बताया कि प्रशासन की ओर से निर्देशित किया गया है कि केवल हेली सेवाओं से जाने वाले यात्रियों का ही पंजीकरण किया जाए, लेकिन यह पता नहीं चल पा रहा है कि कौन यात्री हेली से जाएगा।

कांग्रेस अध्यक्ष के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने पुलिस मुख्यालय ने मांगा सेवायोजन के लिए प्रस्ताव, एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्लाओं के दिन बहुरने के आसार
  • किशोर ने एसडीआरएफ में नियुक्ति देने का किया है आग्रह, आपदा प्रबंधन विभाग में तैनाती करने पर भी हो रहा मंथन

देहरादून,28 जूून(निस)। 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद एसएसबी की ओर गुरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित किए गए ग्रामीण सरकारी सेवाओं में नियुक्ति की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। गुरिल्लाओं का कहना है कि पूर्वोतर राज्य मणिपुर में सरकार ने गुरिल्लाओं को सरकारी सेवाओं में नियुक्तित दी हैं। ठीक उसी तरह राज्य या केंद्र सरकार उत्तराखंड में भी उन्हें सरकारी सेवाओं में नियुक्ति दें। अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के आग्रह पर सरकार ने पुलिस मुख्यालय से इस बारे में प्रस्ताव मांग है। करीब एक दशक से आंदोलनरत गुरिल्लाओं की मांग है की जो प्रशिक्षित लोग सरकारी सेवाओं में नियुक्ति की आयु सीमा पार कर चुके हैं, उन्हे सरकार पेंशन दें। उत्तराखंड में करीब 8000 गुरिल्ला अपनी इन्हीं मांगों को लेकर समय-समय पर आंदोलन करते आए हैं। एक बार फिर गुरिल्ला आर पार की लड़ाई के मूड में है। गुरिल्लाओं की बैठक में राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कड़ा आक्रोश जताया गया। तय किया गया की यदि सरकार अपने वायदे के अनरूप कोई निर्णय नही लेती है तो एक बार फिर सड़कों पर आंदोलन किया जाएगा। दरअसल, चीन से युद्ध के बाद गृह मंत्रालय अधीन करने वाली ने एसएसबी स्वयं सेवकों की भर्ती कर उन्हें बकायदा गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण दिया था। बाद में उत्तर पूर्व क्षेत्र में राज्यों में स्वयंसेवकों को एसएसबी की नियमित सेवा में नियुक्ति दी गई और जो नियुक्ति के योग्य नहीं था उन्हें अन्य वित्तीय लाभ व सुविधायें यथा पेंशन, ग्रेच्यूटी, भत्ते आदि दिए गए। लेकिन  उत्तराखंड में ऐसा कुछ नहीं किया गया। अब एक बार यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्य़क्ष किशोर उपाध्याय ने इस बारे में मुख्यमंत्री हरीश रावत से मुलाकात करके उन्हें एक पत्र दिया। इस पत्र में किशोर ने कहा कि राज्य सरकार इस समय राज्य आपदा राहत फोर्स (एसडीआरएफ) के गठन की दिशा में काम कर रही है। इस फोर्स का गठन किया भी जा चुका है। ऐसे में एसएसबी की ओर से गुरिल्ला युद्ध में पारंगत इन लोगों को इस फोर्स में समाहित किया जा सकता है। इससे जहां एक तरफ इन लोगों को रोजगार मिल सकेगा, वहीं एसडीआरएफ का कार्यक्षमता को और भी बढ़ाया जा सकेगा। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री को किशोर का यह सुक्षाव पसंद आया और उन्होंने पुलिस मुख्यालय को इस बारे में एक प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है। यह अलग बात है कि पुलिस मुख्यालय ने सात माह बाद भी इस प्रस्ताव को बनाने की दिशा में काम शुरू नहीं किया है। इधर, एक अन्य जनप्रतिनिधि बह्मानंद डालाकोटी के आग्रह पर मुख्यमंत्री ने पुलिस मुख्यालय से कहा है कि इस बात का भी परीक्षण करा लिया जाए कि इन प्रशिक्षित गुरिल्लाओं का आपदा प्रबंधन में किस तरह से उपयोग किया जा सकता है। जाहिर है कि अगर पुलिस मुख्यालय ने इस मामले में उचित और सकारात्मक प्रस्ताव तैयार किया तो इस प्रशिक्षित गुरिल्लाओं की सालों पुरानी मुराद पूरी हो सकती है। बताया जा रहा है कि इस प्रस्ताव के अमलीजामा पहनने के बाद नौकरी की आयुसीमा पूरी कर चुके प्रशिक्षितों को सरकार मासिक पेंशन देने पर भी विचार कर सकती है।

तिहाड़ जेल से दो कैदी सुरंग खोद भाग निकले

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देश की सबसे सुरक्षित और हाईटेक माने जाने वाली तिहाड़ जेल में दो कैदियों ने सुरंग खोद डाली और भाग निकले। रविवार को हुई इस घटना के बाद पुलिस ने एक कैदी को मौके से ही पकड़ लिया जबकि दूसरा भागने में सफल रहा। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, जावेद और फैजान नाम के दो कैदी जेल नंबर-7 में बंद थे। कहा जा रहा है कि दोनों जेल नंबर-8 और वहां उन्होंने सुरंग खोदी। जेल से होकर गुजरने वाले खुफिया नाले से जावेद फरार हो गया, लेकिन फैजान को पकड़ लिया गया।

तिहाड़ जेल देश में सबसे सुरक्षित जेल मानी जाती है। इस जेल में कई बड़े मामले के आरोपियों और दोषियों को रखा गया है। सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस के साथ साथ सीआरपीएफ और तमिलनाडु स्पेशल पुलिस (टीएसपी) तैनात रहती है। कहा जा रहा है कि दोनों ने सुरंग खोदने के लिए मैक्निकल टूल्स का इस्तेमाल किया। बताया जा रहा है कि इस नाले की जानकारी जेल प्रशासन के अलावा किसी को नहीं है, इसलिए इसे खुफिया नाला कहा जाता है।

एशिया की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ में यह तीसरी बार जेल से किसी कैदी के भागने की घटना हुई। इससे पहले बिकनी किलर के नाम से जाने-जाने वाले चार्ल्स शोभराज भी जेल से भाग गया था। उससे पहले फूलन सिंह हत्यामामले में आरोपी शेर सिंह राणा भी जेल तोड़ कर भागा था। 

व्यापमं घोटाले के एक और आरोपी की संदिग्ध मौत

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मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले का रहस्य दिनोंदिन गहराता जा रहा है। इस घोटाले से जुड़े एक और आरोपी नरेंद्र कैलाश सिंह तोमर (30) की शनिवार की देर रात इंदौर की जिला जेल में संदिग्ध हालत में मौत हो गई। मृतक के भाई ने नरेंद्र की मौत के पीछे साजिश की आशंका जताई है और इस घटना की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। यह व्यापमं घोटाले के 41वें आरोपी की मौत है।

जिला जेल अधीक्षक आर.सी. भाटी ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि मुरैना के पोरसा गांव निवासी नरेंद्र (पिता कैलाश सिंह तोमर) को 24 फरवरी को जिला जेल में लाया गया था। उसके खिलाफ व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षा में सल्वर के रूप में किसी और के नाम पर परीक्षा देने का आरोप था। शानिवार की रात लगभग 11 बजे उसकी तबीयत खराब होने की सूचना जेल अधिकारियों को मिली थी। उसे पहले जेल में ही प्राथमिक उपचार दिया गया। मगर उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई। इसके बाद उसे एमवाई अस्पताल भेजा गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। 

नरेंद्र के भाई विक्रम सिंह तोमर ने संवाददाताओं से कहा कि वह 26 जून को ही अपने भाई से जेल में मिलकर आया था, वह पूरी तरह स्वस्थ था। जेल प्रशासन दिल का दौरा पड़ने से मौत होने की बात कह रहा है, जो गले नहीं उतर रही है। उन्होंने कहा कि परिवार में किसी को भी दिल की बीमारी नहीं है। विक्रम ने सरकार से इस घटना की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। व्यापमं घोटाले में पकड़े गए 40 आरोपियों की मौत हो चुकी है। नरेंद्र 41वां आरोपी है, जिसकी मौत हुई है। 

विपक्षी कांग्रेस ने भाजपा सरकार से नरेंद्र की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की मजिस्ट्रियल जांच की मांग की है।कांग्रेस प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने कहा कि व्यापमं घोटाला शिवराज सिंह चौहान के राज का महाघोटाला है। इस सिलसिले में 41वीं मौत होना इस बात का सूबत है कि इसकी जड़ें काफी गहरी और दूर तक फैली हुई है। उन्होंने कहा, "लगता है, इस महाघोटाले में शंका की सुई जैसे-जैसे बड़े सफेदपोश लोगों की ओर घूमेगी, इससे जुड़े लोगों की संदिग्ध हालात में मौत का सिलसिला जारी रहेगा।"

कांग्रेस ने सरकार से मांग की है कि व्यापमं घोटाले के आरोप में जेल में बंद पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, खनिज माफिया सुधीर शर्मा और हाल ही में गिरफ्तार डीमेट घोटाले के मास्टर माइंड यू.सी. उपरीत की जेल में सुरक्षा बढ़ाई जाए।

विदेश मंत्रालय का ललितगेट पर जानकारी देने से इनकार

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विदेश मंत्रालय ने आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी से जुड़े पासपोर्ट मामले के बारे में कोई भी जानकारी देने से मना कर दिया है। आरटीआई के तहत इस बारे में जानकारी मांगी गई थी। ऐसा तब हुआ है जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ललित मोदी की मदद करने के आरोपों पर विपक्ष के निशाने पर हैं।


आरटीआई के तहत विदेश मंत्रालय से ललितगेट से जुड़े सात सवाल पूछे गए थे। इनमें एक सवाल यह भी था कि ललित का पासपोर्ट बहाल करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील न करने का फैसला किसका था। विदेश मंत्रालय ने 26 जून को दिए गए अपने जवाब में कहा है कि सवाल नंबर 1 से 3 आरटीआई एक्ट के प्रावधानों के तहत नहीं आता। इसके अलावा सवाल नंबर 4 से 7 के बारे में विदेश मंत्रालय के दफ्तर में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है। हालांकि मंत्रालय ने कहा कि यह अर्जी वित्त मंत्रालय और होम मिनिस्ट्री के साथ ही पासपोर्ट और वीजा डिविजन को भेज दी गई है।

IPL स्पॉट फिक्सिंग मामले में आज अदालत श्रीसंत पर तय करेगी आरोप

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आईपीएल-6 स्पॉट फिक्सिंग मामले में सोमवार को दिल्ली की अदालत फैसला सुनाने वाली है. साल 2013 में स्पॉट आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग का मामला सामने आया था, जिसमें क्रिकेटर श्रीसंत, अजीत चंडिला और अंकित चव्हाण के अलावा दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील को भी आरोपी बनाया गया था. 23 मई को मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है.

दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक स्पॉट फिक्सिंग मामले में कुल 42 लोग आरोपी हैं, जिनमें से 6 फरार हैं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीना बंसल कृष्णा ने 23 मई को इस मामले में आरोप तय करने को लेकर सोमवार का दिन निर्धारित किया था. उन्होंने आरोपियों की ओर से पेश हो रहे वकीलों को 6 जून तक लिखित में अपना पक्ष रखने को कहा था.

मामले में पुलिस की जांच पर अदालत ने ही सवाल उठाए हैं. कोर्ट का कहना है कि प्रथम दृष्टया कोई साक्ष्य नहीं दर्शाता कि आरोपियों ने मैच फिक्स किए हैं. आरोप तय करने को लेकर हुई जिरह के दौरान पुलिस ने आरोपियों के मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी में शामिल होने के अपने दावे को पुख्ता करने के लिए आरोपियों के बीच टेलीफोन पर बातचीत का संदर्भ दिया था.

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (28 जून)

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जय बजरंग व्यायाम शाला में खिलाडियों का हुआ सम्मान

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झाबुआ---शनिवार को जय बजरंग व्यायाम षाला द्वारा व्यायाम शाला स्थित हनुमान मंदिर पर हनुमान चालिसा, संकटमोचन पाठ, बजरंग बाण पाठ केे साथ ही महाआरती का आयोजन शाम छः बजे किया गया । कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय खिलाडी श्री सुषील वाजपेयी द्वारा किया गया कार्यक्रम में बाॅडी बिल्डिंग एसोसिएषन के अध्यक्ष श्री मनीष व्यास, श्री नारायणसिंह जी ठाकुर, श्री ललितजी शर्मा द्वारा खिलाडियों को उदबोधन में मार्गदर्षन प्रदान किया गया एवं सौरभ सोनी ,राजीव शुक्ला एवं साथी खिलाडियों द्वारा जबलपुर में आयोजित म0प्र0 पावर लिफटिंग चैम्पियनषीप में हिस्सा लेकर अपने-अपने भार वर्गो में उत्कृष्ट प्रदर्षन करने वाले खिलाडीयो श्री गुलाब सिह, उमेष, पींजू, अनिल, सुनिल, हबला भाबोर का सम्मान किया गया एवं राष्ट्रीय खिलाडी श्री सुषील वाजपेयी को हेैवीवेट में कांस्य पदक प्राप्त किये जाने व मध्यप्रदेष पावर लिफटीग ऐसोसियषन द्वारा बैस्ट रैफरी हेतु सम्मानित किये जाने पर बधाई दी जाकर सम्मानित किया गया । वर्षो से जय बजरंग व्यायाम शाला द्वारा कुष्ती, बाॅडी बिल्डिंग, पावर लिफटिंग, आदि खेलो में निःषुल्क प्रषिक्षण दिया जाता रहा है जिससे विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में खिलाडियों द्वारा झाबुआ जिले का नाम रोषन किया है एवं आगामी सत्र के लिये विभिन्न खेलो हेतु खिलाडीयो का प्रवेष 15 अगस्त से प्रारंभ किया जावेगा । नगर एवं आसपास के खिलाडी रूचिगत खेल अनुसार प्रवेष प्राप्त कर खेल हेतु प्रषिक्षण प्राप्त कर सकते है जो कि पूर्णतः निषुल्क है । जय बजरंग व्यायाम शाला में युवाओ को संस्कार एवं सेवा की षिक्षा अनवरत रूप से दी जा रही है । कार्यक्रम का आभार सचिव श्री चंदनजी द्वारा किया गया । उक्त जानकारी जय बजरंग व्यायाम शाला के चंदू खलीफा एवं राजेष बारिया द्वारा दी गई।

पण्डित पौराणिक को दी गई सस्नेह बिदाई ।

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झाबुआ---विवेकानंद कालोनी स्थित श्री उमापति महादेव मंदिर पर 19 से 27 जून तक उमापति महिला मंडल द्वारा आयोजित देवी भागवत पुराण कथा का आयोजन किया गया था । नौ दिनों तक देवी भगवती के चरित्र के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र पर संगीत मय प्रवचन पण्डित प्रेम नारायण पौराणिक ने बडे ही सुन्दर तरिके से प्रस्तुत कर ज्ञात गंगा प्रवाहित की थी । रविवार 28 जून को प्रातः श्री उमापति महादेव मंदिर पर महिला मंडल एवं भक्त मंडल की ओर से पण्डित पौराणिक को  बिदाइ्र दी गई । हाउंसिंग बोर्ड कालोनी स्थित माता अम्बाजी के मंदिर से देवी भावगत को श्रद्धालु महिलाओं ने सिर पर रख कर उमापति के दरबार तक लाया तथा पंडित जी को बिदाई दी गई । इस अवसर पर बडी संख्या में महिला मंडल की सदस्यायें श्रीमती विद्याव्यास, गीतादेवीषाह, राधा सोलंकी, रानी परमार,ष्यामा बाई, आषा कालानी, षिवकुमारी सोनी, कलावती मसानिया कला गेहलोत  रानीबाई स्नेहलतारावल के अलावा श्रीकृष्ण माहेष्वरी, मोहनलाल व्यास, श्री पण्ड्या, मधुसुदन शर्मा मनोज भाटी सहित बडी संख्या में लोग उपस्थित थे । पण्डित पौराणिक ने नगर में देवी भागवत कथा में नगरवासियों द्वारा दिये गये सम्मान एवं सहयोग के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया ।

उमापति  महादेव मंदिर में दानपात्र तोड कर की चोरी 

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झाबुआ ---नगर में  तथा कालोनियों में चोरी की वारदाते थमने का नाम ही नही ले रही है ।अब तो चोर भगवान के मंदिर पर भी हाथ साफ करने में गुरेज नही कर रहे है । विवेकानंद कालोनी स्थित  श्री उमापति महादेव मंदिर जहां शनिवार सायंकाल को ही देवी भागवत कथा के नौ दिवसीय कार्यक्रम का समापन हुआ है, पर रात्री साढे 12 से डेढ बजे के बीच किसी बदमाष ने षिव मंदिर में लगे दान पात्र का नकुचा तोड कर उसमें करीबन 10 हजार रूपये की राषि की चोरी कर ली है । मंदिर के पूजारी घनष्याम बेैरागी ने जानकारी देते हुए बताया कि कथा समापन के बाद रात्री में मंदिर में करीब साढे ग्यारह बजे तक आवाजाही बनी रही । रात्री में पूजारी भी मंदिर अहाते मे  गहरी निंद में सोये हुए थे कि इस अवधि में किसी बदमाष  ने दरवाजे पर लगे दान पात्र का नकुचा सावधानी के साथ  तोड करउसमें रखी सभी रकम को ले भागा । दान पात्र में सिर्फ पांच रूपये के सिक्के वह छोड गया है । प्रातःकाल इस चोरी का पता लगते ही पुलिस को खबर की गई किन्तु पुलिस ने एक जवान को भेज कर थाने में आवेदन देने की बात कह कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली ।ज्ञातव्य है कि पिछले तीन दिनों में इसी कालोनी में दो घरों में घुस कर बदमाष मोबाईल, एवं  दीवार पर लटके पेंट की जेब मे रखे करीब 1500 रूपये की रकम पर हाथ साफ कर लिया है । लोगों ने एक बदमाष को मध्यरात्री में कालोनी में रैकी करते हुए भी देखा है । पण्डित घनष्याम बेरागी द्वारा पुलिस में इस चोरी की घटना की रिपोर्ट दज्र करवाई जारही है । नगर में इन दिनो चोरियों का गा्रफ तेजी से बढ रहा है तथा लोगों में असुरक्षा की भावना बढ रही है । यदि ऐसे अपराधों पर रोक नही लगाइ्र गइ्र तो बदमाषों को दिन ब दिन हौसलें बुंलद होते रहेगें ।

पेंषनरों के लिये डिजिटल प्रमाणपत्र की व्यवस्था 

झाबुआ---जिलापेंषनर एसोसिएषन के जिला अध्यक्ष रतनसिंह राठौर एवं प्रचार मंत्री राजेन्द्र सोनी ने संयुक्त जानकारी देते हुए बताया कि  प्रदेष सरकार ने पेंषनरों एवं परिवार पेंषनरों के लिये आॅन लाईन जीवन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने की व्यवस्था की है । यह व्यवस्था ऐसे  पेंषनरों के लियेे ही लागू होगी जिनके पास आधार कार्ड नम्बर उपलब्ध है । उक्त नवीन व्यवस्था का उपयोग अधिक से अधिक पेंषनर एवं परिवार पेंषनर द्वारा किया जाना है । श्री राठौर के अनुसार ससंयुक्त संचालक कोष एवं लेखा इन्दौर से प्राप्त निर्देषानुसार बेव साईट डब्ल्युडब्ल्युडब्ल्युजीवनप्रमाणजीओव्र्हीआइएन पर उपलब्ध है। सभी पेंषनरों से नवीन व्यवस्थानुसार जीवनप्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का अनुरोध किया गया है ।

8 जुलाई को द्वारका एवं 16 जुलाई को रामेष्वरम जायेगी मुख्यमंत्री तीर्थदर्षन यात्रा

झाबुआ---जिला पेंषनर एसोसिएषन के जिलाध्यक्ष रतनसिंह राठौर, सरंक्षक भेरूसिंह राठौर, वरिष्ठ नागरिक फोरम के अध्यक्ष विद्याराम शर्मा एवं उपाध्यक्ष एमसी गुप्ता से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री तीर्थदर्षन योजना के अंतर्गत 8 जुलाई को तीर्थदर्षन यात्रा द्वारका एवं 16 जुलाई को रामेष्वरम् जायेगी । जिले को द्वारका के लिये 206 एवं रामेष्वरम के लिये 115 का कोटा आबंटित हुआ है । उक्त तीर्थयात्रा में आवेदन जमा कराने की अन्तिम तिथि द्वारका के लिये 2 जुलाइ्र एवं रामेष्वरम के लिये 6 जुलाई है । ईच्छूक पेंषनर एवं वरिष्ठ नागरिकगण अपने आवेदन दो प्रतियों में मय पासपोर्ट आकार के स्वयं के छाया चित्र, वोटर आईडी, आधारकार्ड या किसी भी जन्म प्रमाणिकरण के प्रमाण की छाया प्रति सहित अपने क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं जनपद पंचायत कार्याय में जमा करा सकते है । शर्तो के अनुसार जिन्होने पूर्व में मुख्यमंत्री तीर्थदर्षन में एक बार यात्रा कर ली है उन्हे दोबार इसकी पात्रता नही रहेगी तथा जो व्यक्ति आयकर दाता नही हो वे यात्रा का लाभ ले सकते है ।जिला पेंषनर संघ एवं वरिष्ठ नागरिक फोरम ने अधिक से अधिक पेंषनरों एवं वरिष्ठ नागरिकों  से इस योजना का  लाभ लिये जाने की अपील की है ।

योग एवं प्राणायाम को मानव जीवन के औराग्यता के लिये एक चमत्कारिक साधन- डा. बर्वे
  • आठ दिवसीय मधुमेह नियंत्रण षिविर का समापन हुआ 

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झाबुआ---बेंगलोर योग अनंुसधान संस्थान एवं आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वावधान में आठ दिवसीय मधुमेह रोग निदान योग षिविर का समापन रविवार को प्रातः 8 बजे पैलेस गार्डन पर किया गया । समापन समारोह में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. सुभाषचन्द्र बर्वे मुख्य अतिथि के रूप  में  उपस्थित थे । विषेष अतिथि रोटरी क्लब के सचिव जगदीष सिसौदिया थे । कार्यक्रम की अध्यक्ष कमलेष कुमार शुक्ला ने की । 21 जून से 28 जून तक लगातार आठ दिनों तक मधुमेह रोग निवारण के लिये योग के माध्यम से लोगों को आसनों एवं प्राणायाम सेप्रषिक्षण दिया गया । कार्यक्रम के प्रारंभ में 21 जून को  उपस्थित सभी लोगों की शक्ररा परीक्षण किया गया था । लगातार आठ दिनों तक योगाभ्यासी का समापन दिवस पर पुनः शर्करा जांच की गई तो आष्चर्यजनक परिणाम सामने आये । सभी योगाभ्यासियों की शुगर आठ दिन योग करने से नियंत्रण मे पाई गई । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. सुभाष बर्वे ने संबोधित करते हुए योग एवं प्राणायाम को मानव जीवन के औराग्यता के लिये एक चमत्कारिक साधन बताते हुए कहा कि यदि व्यकित व्यवस्थित खानपान रखे तो शुगर  को आसानी से नियन्त्रित किया जा सकता है । शुगर बीमारी उतनी खतरनाक नही है जितने उसके काम्पलिकेषन खतरा पेदा करते हे । इसलिये व्यक्ति का खान पान में पुरी सावधानी रखना चाहिये । मनुष्य को  सफद खाद्य पदार्थे जेसे शक्कर एवं उससे बनी चीजे, नमक, चांवल आदि सीमित मात्रा में उपयोग में लेना चाहिये । व्यक्ति को योग नियमित रूप  से करना चाहिये तथा अपनी दिनचर्या को नियमित रखने से शुगर बीमारी को नियंत्रि़त किया जासकता है । उन्होने कहा कि शुगर बीमारी होने से व्यक्ति को घबराना नही चाहिये । मानसिक तनाव के कारण भी यह बीमारी बढती है इसलिये सदेव प्रसन्नतापूर्ण वातावरण में रहना चाहिये । उन्होने आयोजकों द्वारा षिविर के माध्यम से शुगर नियंत्रण के लिये जो पहल प्रारंभ की गई हेै वह निष्चित ही सराहनीय है । कार्यक्रम के विषेष अतिथि रोटरी क्लब सचिव जगदीष सिसौदिया ने कहा कि योग भगावे रोग निष्चित ही शुगर के लिये एक रामबाण है । योग के माध्यम से न सिर्फ शुगर बल्की कई रोगों के नियंन्त्रण में मदद मिलती है । आज समुचे विष्व में योग के प्रति लोगों का लगाव दिखाई दे रहा है ।उन्होने योग षिविर के आयोजको को धन्यवाद ज्ञापित कर साधुवाद दिया । इस षिविर के दौरान डा. रमेष सोंलंकी एवं डा. रवीन्द्र सिसौदिया द्वारा समय समय पर शर्करा की जांच की गई । मधुमेह योग सप्ताह कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये श्री बलीराम बिल्लोरे, विजय चैहान, नीरजसिंह राठौर, दिलीपकुष्वाह,  ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया ।  योग प्रषिक्षण  रविराजसिंह राठौर  के मार्गदर्षन  आठ दिनों तक योगाभ्यास कराया गया । मुख्य अतिथि के हाथो  श्री राठौर शाल श्रीफल से सम्मान किया गया । आठ दिवसीय इस आयोजन में लगातार उपस्थित रह कर राजीव शुक्ला,दीपक माहेष्वरी, अमीत जैन, मुकेष संघवी, नरेन्द्रसिंह राठौर,षैलेन्द्र राठौर,निलेष घोडावत,सौरभ सोनी, संजय डाबी, भूपेन्द्र कोठारी, महिपाल रुनवाल, मंगलाराठौर, साधना चैहान, श्री कोठारी, ने षिविर को सफल बनाने में अपनी सार्थक भूमिका का निर्वाह किया । कार्यक्रम का संचालन बलीराम बिल्लोरे ने किया आभार प्रदर्षन विजय चैहान ने किया ।

दिल्ली पुलिस ने ग्रामीण लड़कियों को आत्म सुरक्षा के गुर सिखाए

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नई दिल्ली। दिल्ली में महिला अपराधों से निबटने के लिए और महिलाओं को अपनी रक्षा में सक्षम बनाने के उदेश्य से दिल्ली पुलिस व  द्वारका हैलो मॉम संस्थान (एन जी ओ) के संयुक्त प्रयास से दक्षिणी-पश्चिमी दिल्ली के पौचनपुर गाँव में स्थित बाल्मीकि चौपाल परिसर में आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। दिल्ली पुलिस की युवा योजना के तहत इस शिविर का आयोजन हुआ।  इस आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर में लगभग 65 लड़कियों को प्रशिक्षण शिविर के अंतर्गत आत्म सुरक्षा के गुर सिखाए गए। संस्था की अध्यक्षा रजी कुरूप एवं प्रवक्ता रीता माथुर ने बताया कि इस आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में दक्षिणी-पश्चिमी जिला पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त नुपुर प्रसाद तथा एस.एच.ओ. कुलदीप सिंह रावत ने प्रशिक्षिण ग्रहण करने वाली  लड़कियों को सराहा। 

कार्यक्रम के समापन अवसर पर दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में प्रशिक्षणार्थियों को सहभागिता पत्र प्रदान किए गए। दिल्ली पुलिस की ओर से आत्म सुरक्षा से जुडी जो तकनीकी शिक्षा आत्मबल बढ़ाने और रक्षा करने की तरकीबें बताई गयी  इनमें विभिन्न तरह के पंच, टाइल व ईट को तोड़ने सहित कई तरह की तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया था । समारोह में लड़कियों ने अपना दमखम दिखाते हुए कराटे,मार्शल आर्ट और ताइक्वांडो की मिली जुली तकनीकों से सभी का ध्यान खींचा।

व्यंग : देश में 'विदेश ' ... !!

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​किसी बीमार राजनेता व मशहूर शख्सियत के इलाज के लिए विदेश जाने की खबर सुन कर मुझे बचपन से ही हैरत होती रही है। ऐसी खबरें सुन कर मैं अक्सर सोच में पड़ जाता था कि आखिर जनाब को ऐसी क्या बीमारी है, जिसका इलाज देश में नहीं हो सकता। शायद विदेश के किसी पहाड़ में उनके मर्ज की संजीवनी बूटी छिपी हो। य द्यपि ज्यादातर राजनेता सत्ता से हटने के बाद ही इलाज के लिए विदेश जाते हैं। सत्तासीन राजनेताओं के बारे में कम ही सुना जाता है कि कोई इलाज के लिए विदेश जाए। देश के एक प्रदेश के चिर कुंवारे एक मुख्यमंत्री के साथ ऐसे ही गजब हो गया। बताते हैं कि अरसे बाद उस मुख्यमंत्री को विदेश  जाने की सूझी। लेकिन वे विदशी धरती पर पैर भी नहीं रख पाए थे कि उनके सूबे में उनके सर्वाधिक भरोसेमंद ने ही उन्हें कुर्सी से उतारने की पूरी व्यवस्था गुचपुच तरीके से कर डाली। गनीमत रही कि समय रहते मुख्यमंत्री को इसकी भनक लग गई और सूबे में लौटते ही उन्होंने पहला काम अपने उस भरोसेमंद को पार्टी से निकालने का किया। इसके बाद से उन्होंने विदेश की कौन कहे , देशी दौरे में भी भारी कटौती कर दी। 

पहले सत्ता से बेदखल राजनेताओं के इलाज के लिए ही विदेश जाने की खबरें  सुनी – पढ़ी  जाती थी। लेकिन पिछले कुछ सालों में  सिर्फ राजनेता ही नहीं बल्कि उनके बाल – बच्चों के भी किसी न किसी बहाने विदेश जाने की खबरें अक्सर सुनने – पढ़ने को मिला करती है। अब ऐसे ही विदेशी दौरे देश के कुछ राजनेताओं की गले की हड्डी साबित हो रहे हैं। लेकिन कायदे से देखा जाए तो विदेशी दौरों का मोह गांव – कस्बे के नेताओं में भी प्रेशर – सूगर की बीमारी की तरह फैल रही है। फ र्क सि र्फ इतना है कि देहाती या कस्बाई स्तर के जो नेता विदेशी दौरे नहीं कर पाते, उन्होंने देश में ही विदेश का प्रबंध कर लिया है। जैसे विदेशों में बसे भारतवंशी चाहे जहां रहे , वे अपने बीच एक छोटा हिंदुस्तान बनाए रखते हैं, वैसे ही अपने देश में इस वर्ग ने विदेश का प्रबंध कर लिया है। यह देशी विदेश उनके गांव – कस्बे से कुछ दूर स्थित जिला मुख्यालय भी हो सकता है तो प्रदेश की राजधानी भी। 

राजनीति का ककहरा सीख रहे नेताओं की नई पौध ज्यादातर लोगों पर भौंकाल भरने के लिए  स्वयं के कार्यक्षेत्र से कुछ दूरी पर स्थित जिला मुख्यालय के कचहरी या कलेक्ट्रेट में होने की दलीलें देती है। मेरे शहर में कई नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने प्रदेश की राजधानी में डेरे का इंतजाम कर लिया है। जब जैसी सुविधा हो वे इस देश – विदेश के बीच चक्कर काटते रहते हैं।  जब कभी अपने क्षेत्र में कोई अप्रिय परिस्थिति उत्पन्न हुई  नेताजी झट बोरिया – बिस्तर बांध कर इस कृत्रिम विदेश की यात्रा पर निकल  पड़ते हैं। फिर अनुकूल परिस्थिति की सूचना पर लौट भी आते हैं। यह देशी – विदेश कई तरीके से उनके आड़े वक्त पर काम आता है। किसी झमेले से बचने के लिए नेताजी मोबाइल पर ही बहकने लगते हैं... अरे भाई, मैं तुम्हारी परेशानी समझ रहा हूं, लेकिन क्या करूं ... मैं इन  दिनों बाहर हूं। लौट कर देखता हूं कि क्या कर सकता हूं। 

किसी के पास न्यौता आया कि फलां कार्यक्रम में आपको विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहना ही है... लेकिन नेताजी इससे संतुष्ट नहीं है तो झट चल दिया इसी देशी – विदेश का दांव। अरे नहीं भाई .... फलां दिन तो मैं बाहर रहने वाला हूं.. बहुत जरूरी काम है... माफ करना। मेरे शहर में नेताओं की एक नई पीढ़ी तैयार हुई है जिन्होंने देश के किसी सुदूर हिस्से में स्थित किसी प्रसिद्ध तीर्थ स्थली को ही अपना विदेश बना लिया है। जो राजनैतिक दांव – पेंच में उनके बड़े काम आता है। किसी भी प्रकार की असहज स्थिति उत्पन्न होते ही नेताजी झट वहां के लिए निकल जाते हैं। फिर करते रहिए मोबाइल पर रिंग पर रिंग। प्रत्युत्तर में बार – बार बस स्विच आफ की ध्वनि। किसी विश्वस्त सहयोगी से संप र्क करने पर पता लगता है कि भैया तो फलां दिन ही फलां तीर्थ पर निकल गए। हैरत की बात तो यह है कि परिस्थिति अनुकूल होते ही नेताओं की यह नई पौध शहर वापस भी लौट आती है। दांव – पेंच में मात के मामलों में यह उनके लिए ढाल साबित होती है। क्योंकि अपने बचाव में नेताजी फौरन दलील फेंकते हैं कि अरे मैं तो शहर में था नहीं... व र्ना  क्या मजाल उसकी कि ऐसा करने की जुर्रत करे। खैर अब निपटता हूं उनसे। बेशक विदेश यात्राओं के दौरान विवादास्पद से मुलाकात कर फंसे देश के नामचीन नेताओं के सामने भी निश्चय ही ऐसी कोई मजबूरी रही होगी। व र्ना जानते – बुझते अपना हाथ कौन जलाता है भला...।  




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तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934, , 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं। 

नालंदा में स्कूली छात्रों की मौत बाद गुस्साए लोगों ने निदेशक को पीट - पीटकर मार डाला

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नालंदा के स्कूल में जिन दो बच्चों की मौत के बाद गुस्साई भीड़ ने स्कूल के डायरेक्टर को पीट-पीटकर मार डाला था, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उन दो बच्चों की मौत पानी में डूबने से हुई थी। लोगों का आरोप था कि डायरेक्टर ने बच्चों को पीट-पीटकर मार डाला और संदिग्ध मौत दिखाने के लिए पानी में शव डाल दिए। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हुआ है कि बच्चों की मौत डूबने से ही हुई थी।

बिहार के नालंदा के जगदीशपुर में एक स्कूल हॉस्टल में रहने वाले दो बच्चों की लाश पास के तालाब में मिली। इसके बाद गांववाले इस कदर गुस्साए कि उन्होंने स्कूल में जमकर तोड़फोड़ की। स्कूल बसों में आग लगा दी। लेकिन इतने भर से उनका गु्‌स्सा नहीं थमा। लोगों ने स्कूल के डायरेक्टर को बहुत बुरी तरह से पीटकर उसकी जान ले ली। गुस्साए लोगों ने लाठी, डंडा, पत्थर, लात-घूंसा सबसे पीट-पीट कर डायरेक्टर को अधमरा कर दिया। डायरेक्टर की एक आंख निकाले जाने की भी खबर है। पुलिस ने किसी तरह डायरेक्टर को वहां से ले जाकर अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसकी मौत हो गई।

घटना नालंदा में डीपीएस स्कूल की है। डीपीएस के दो छात्रों की मौत से आक्रोशित ग्रामीणों ने स्कूल भवन और स्कूल के दो वाहनों मे आग लगा दी, साथ ही स्कूल के डायरेक्टर की बेरहमी से पिटाई कर हत्या कर दी। नाराज ग्रामीणों ने स्कूल बिल्डिंग और स्कूल के दो वाहनों मे आग लगा दिया। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस को देखते ही ग्रामीण भड़क गए। गांववालों ने पुलिस पर जमकर पथराव किया। जिसमें थानाध्यक्ष समेत कई पुलिसकर्मी जख्मी हो गए।

दरअसल इस आवासीय विद्यालय के दो छात्रों का शव जब ग्रामीणों ने पानी से बाहर निकाला तो एक बच्चे की आंख और कान में गहरे जख्म के निशान मिले। जिसके बाद ग्रामीण भड़क गए और बवाल शुरू कर दिया। लोगों का आरोप है कि विद्यालय के डायरेक्टर ने दोनों छात्रों की बेरहमी से पिटाई की। जिससे दोनों की मौत हो गई और घटना को दुर्घटना में बदलने के लिए छात्रों के शवों को पानी में फेंक दिया गया।

बिहार : बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओं अभियान में जुड़े

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  • सेल्फी विद डाॅटर पर सेल्फी भेजेंगे तो पीएम बेहतर होने पर री-ट्वीट करेंगे

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पटना। मैंने आप लोगों से आग्रह किए थे। आप गर्मी की छुट्टियों में भ्रमण करने जाएंगे। वहाँ की विचित्र तसवीर खींचे। विभिन्न जगहों की तसवीर को इंक्रेबिडल इंडिया के तहत प्रेषित किए। इससे जाहिर होता है कि भारत में अनेकानेक दर्शनीय स्थान हैं। मनमोहक दृश्य विराजमान हैं। जिसे राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करना है। वह काम सरकारी स्तर पर नहीं किया जा सकता था। जिसे आपलोगों ने अंजाम देने में कामयाब हो गए। विश्व भारत को जानने को इच्छुक हैं। हमें अपने विरासत पर गर्व है। रेडियो पर पी.एम.ने ‘मन की बात’की। यह नौवीं प्रस्तुति है।

अभी हमलोगों ने 20 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाएं। राजपथ योगपथ बन गया। जो विश्वविख्यात हो गया। यू.एन.ओ. से गाँव स्तर तक के लोगों ने योग किए। जो विश्व रिकाॅड भी बना। हम अपने युवाओं से और आई.टी.प्रोफेसनल्स से आग्रह करते हैं कि योगा पर आॅन लाइन डाटावेस तैयार करें। दुनिया को योग शिक्षक देना हमारी जिम्मेवारी है। इसे नियमित करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त 2014 को कहे थे कि हमें शौचालय निर्माण करवाना है। साढ़े चार लाख शौचालय निर्माण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। हमने करीब-करीब स्कूलों में शौचालय निर्माण करने में कामयाब हो गए हैं। जो अधूरे है उसे पूर्ण करवा देना है। काम करती और दौड़ती सरकार ने जन सुरक्षा योजना के तहत 10 करोड़ लोगों को जोड़ने में सफल हो गए हैं। अब एक जन आंदोलन चलाना है। अगस्त माह में रक्षा बंधन है। इस बार भाइयों को चाहिए कि अगर बहना राखी बांधने आती हैं तो बहनों को जन सुरक्षा योजना से रक्षा करें। आप अपनी बहना को 12 और 330 रूपए वाली जन सुरक्षा योजना की गिफ्ट प्रधान करें। इस समय 7 लाख लोगों ने जन सुरक्षा के कवच ले लिए हैं। 

पी.एम.मोदी ने कहा कि जल ही जीवन है। बूंद-बूंद पानी को बचाना है। गाँव का पानी गाँव में और शहर का पानी शहर में ठहर जाए। वर्षा का पानी बर्बाद न हो। जलछाजन व्यवस्था को अपनाने पर बल दिया। छत का पानी को जमा करके पीने योग्य बनाकर पीना चाहिए। आगे कहा कि अगर जिदंगी में हरियाली लानी है तो जगहों को हराभरा बनाएं। वृक्षारोपन पर जोर दिया। अगर आप पेड़ लगाते हैं तो पेड़ लगाते समय बगल में पुराना घड़ा भी गाड़ दें। ऐसा करने से जल्द से जल्द पेड़ बढ़ जाता है। बरसात के समय में उबालकर पानी को पीने को कहा। वेस्ट इज वेल्थ है। कूड़ों का उपयोग मानव की आवश्यकता की पूर्ति करने में कर सकते हैं। अब तो बिजली भी उत्पन्न हो रहा है। नाली के पानी को शुद्धिकरण करके पटवन के रूप में व्यवहार कर सकते हैं।

पी.एम.मोदी ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में 2022 में 2 करोड़ लोगों को घर देने का निश्चय किया गया है। केवल घर ही नहीं देंगे। बुनियादी सुविधाओं को भी उपलब्ध करवाएंगे। सारी सुविधाओं को पहुँचाने का प्रयत्न होगा। मौके पर पी.एम.ने कहा कि बेटी बचाओं,बेटी पढ़ाओं अभियान में शानदार कार्य सरपंच जी कर रहे हैं। हरियाणा के बीवीगंज पंचायत के सरपंच सुनील जागलान ने बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं मुहिम चला रहे हैं। बेटी बचाओं,बेटी पढ़ाओं का सेल्फी भेजो प्रतियोगिता आयोजित करते हैं। अगर आपलोग भी सेल्फी भेजते हैं तो उसे री-ट्वीट करेंगे और बेहतर टैगलाइन भेजने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा।  रुेमसपिम ूपजी कंनहीजमत पर सेल्फी प्रेषित करें। आप बारिश का मजा लें।पकौड़ी, समौसा, पाॅपकाॅन.चाय आदि खाकर मजा लेते रहें। 
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