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पाकिस्तान ने भारत प्रायोजित आतंकवाद को लेकर साक्ष्य नहीं दिए

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अमेरिका का कहना है कि पाकिस्तान ने अपने देश में आतंकवादी घटनाओं में भारत की कथित संलिप्तता को लेकर उसे कोई साक्ष्य नहीं दिए हैं। समाचार-पत्र 'डॉन'की रपट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि पाकिस्तान ने इस बारे में कोई साक्ष्य अमेरिका को नहीं सौंपा है। पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी ने अपनी हालिया वाशिंगटन यात्रा के दौरान अपने देश में आतंकवादी घटनाओं में भारत की संलिप्तता के आरोप लगाते हुए कहा था कि पाकिस्तान के पास इसे लेकर साक्ष्य हैं।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की वाशिंगटन में नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जब इस बारे में सवाल किए गए तो किर्बी ने कहा, "मुझे नहीं मालूम कि ऐसा कोई साक्ष्य अमेरिका को सौंपा गया है।"किर्बी ने हालांकि भारत के उस दावे पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, जिसमें भारत ने कहा है कि उसके पास अपने देश में आतंकवादी घटनाओं में पाकिस्तान की संलिप्ता के साक्ष्य हैं।

किर्बी ने दोनों देशों से अपने मुद्दों का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से करने की अपील की। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम हो। हम चाहते हैं कि वे साथ मिलकर अपने मतभेदों को दूर करें और द्विपक्षीय समस्याओं का समाधान निकालें।"

अमरनाथ यात्रा शुरू, 8000 से अधिक श्रद्धालु रवाना

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वार्षिक अमरनाथ यात्रा की औपचारिक शुरुआत गुरुवार को हो गई, जब 8000 से अधिक श्रद्धालु जम्मू एवं कश्मीर में बनाए गए दो आधार शिविरों से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए रवाना हुए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि 6,065 श्रद्धालुओं का जत्था गुरुवार सुबह गांदेरबल जिले में बने बालटाल आधार शिविर से रवाना हुआ, जबकि पहगाम के पास बनाए गए नुनवान आधार शिविर से 2,330 श्रद्धालुओं का जत्था रवाना हुआ। करीब दो महीने तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा 29 अगस्त को समाप्त होगी।

जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल एन.एन. वोहरा, जो श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, गुरुवार को पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करेंगे। वह पारंपरिक 'पूजा'में भी शामिल होंगे, जो यात्रा की शुरुआत मानी जाती है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी गुरुवार को पवित्र गुफा में भगवान भोलेनाथ के दर्शन करेंगे। समुद्र तल से 14,500 फुट की ऊंचाई पर बनी इस पवित्र गुफा में इस समय बर्फ की एक ऐसी संरचना बनती है, जिसे श्रद्धालु शिवलिंग मानकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं। अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर अर्धसैनिक बलों और सेना के जवानों की जगह-जगह तैनाती की गई है।

ललित मोदी ने अब लिया सुधांशु मित्तल का नाम

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इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व प्रमुख ललित मोदी ने खुद से जुड़े विवाद में अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुधांशु मित्तल का नाम लिया है। उन्होंने एक ट्वीट के जरिये गुरुवार को कहा कि वह आने वाले दिनों में मित्तल के फर्श से अर्श तक जाने की कहानी का खुलासा करेंगे। ललित ने ट्वीट किया, "सुधांशु मित्तल के फर्श से अर्श तक जाने से जुड़े चार ब्यौरे का इंतजार करें।

भारत में वित्तीय अनियमितता के आरोप झेल रहे ललित ने हवाला कारोबार से जुड़े विवेक नागपाल के साथ मित्तल के संबंधों को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "भाजपा के नेता सुधांशु मित्तल के विवेक नागपाल से क्या संबंध हैं?"इससे पहले बुधवार को ललित ने कहा था कि भाजपा नेता वरुण गांधी ने कुछ साल पहले लंदन में उनसे मुलाकात कर अपनी चाची तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के जरिये सबकुछ ठीक कराने की बात कही थी।

आप सरकार विज्ञापनों पर 526 करोड़ खर्च करेगी

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विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से बचने के लिए आम आदमी पार्टी सरकार ने नया तोड़ निकाल लिया है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक केजरीवाल सरकार ने सरकार की उपलब्धियां जनता तक पहुंचाने के लिए विज्ञापन पर 526 करोड़ रुपए खर्च करेगी। केजरीवाल सरकार ने सरकारी विज्ञापन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बचने के लिए एफएम रेडियो पर ये विज्ञापन चलाएगी।

केजरीवाल सरकार ने जनता के बीच अपनी उपलब्धियां पहुंचाने के लिए रेडियो पर विज्ञापन बुक कर रखे हैं । जो कहा सो किया के नाम से ये विज्ञापन अलग-अलग रेडियो स्टेशन पर कई बार चलेगा। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी विज्ञापनों में मुख्यमंत्री की फोटो के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है।

राजधानी में रिश्वत बंद करने और बिजली पानी का बिल कम करने को लेकर अरविंद केजरीवाल का ये गुणगान का खर्चा कोई और नहीं बल्कि दिल्ली का आम आदमी ही अपनी जेब से दे रहा है। ऐसे विज्ञापनों में अरविंद केजरीवाल का चेहरा भले ही न दिख रहा हो लेकिन पूरे विज्ञापन में अरविंद केजरीवाल का नाम लेकर गुणगाण जरूर हुआ है।

आने वाले दिनों में रेडियो, अखबारों और टीवी पर ऐसे ही विज्ञापनों की भरमार होने वाली है। सरकारी विज्ञापनों में व्यक्ति विशेष या नेताओं का चेहरा न छापे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से केस जीतकर आए केजरीवाल के ही पुराने सहयोगी प्रशांत भूषण इन विज्ञापनों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन बता रहे हैं। प्रशांत भूषण के मुताबिक इस मामले में केजरीवाल सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना का केस दायर करने जा रहे हैं।

वहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ की गई कार्रवाई के तहत सरकारी अधिकारियों की गिरफ्तारियों को लेकर विज्ञापनों के जरिए ढिंढोरा पीटने के चक्कर में सरकार पर गंभीर आरोप लग गए हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ पकड़े गए अधिकारियों और दर्ज की गई एफआईआर को लोगों तक पहुंचाने के लिए दिल्ली में जगह-जगह पर विज्ञापन लगाए हैं। आरटीआई से जवाब मांगने पर कहा गया कि इस पर हुए खर्च की जानकारी नहीं है।

आरटीआई में जब दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय से इन होर्डिंग्स पर हुए खर्चे के बारे में पूछा गया तो मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि उनके पास इस मामले में कोई रिकॉर्ड नहीं है। आरटीआई लगाने वाले बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना के मुताबिक उन्होंने इस मामले में विजिलेंस विभाग में भी आरटीआई लगाई और जानना चाहा कि विज्ञापनों और होर्डिंग्स पर सरकार ने कितने खर्च किये हैं।

खुराना के मुताबिक विजिलेंस विभाग ने भी उत्तर दिया कि उनके पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। हरीश खुराना ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार तीन विज्ञापन कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है और इसी वजह से वो विज्ञापनों पर हुए खर्चे की जानकारी देने से बच रही है। खुराना के मुताबिक ये वही तीनों कंपनियां हैं जो चुनाव के समय आम आदमी पार्टी के चुनाव कैंपेन का विज्ञापन का काम देख रही थीं।

अमरनाथ तीर्थयात्रियाें के लिए राजमार्ग खुलेगा

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जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के तीर्थयात्रियों को लेकर चलने वाले भारी वाहनों के लिए कश्मीर घाटी को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाले श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर दोनों तरफ के रास्ते खोले जाएंगे। एक ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ने आज यहां ‘यूनीवार्ता’ से बातचीत में कहा कि बस और ट्रक समेत अन्य भारी वाहन एक-एक दिन छोडकर श्रीनगर से जम्मू की तरफ दौड़ सकेंगे जबकि हल्के वाहनों के लिए पहले से ही दोनों तरफ के मार्ग खुले हुए है।

उन्होंने बताया कि अमरनाथ तीर्थयात्रियों को लाने वाले भारी वाहनों के लिए दोनों तरफ के मार्ग खाेलने की मंजूरी देने का निर्णय एक उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया। अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर तीर्थयात्रियों को ले जाने वाली बसों समेत अन्य भारी वाहनों को नुनवान पहलगाम और बालताल आधार शिविरों के लिए आज सुबह जम्मू से रवाना किया गया।

अरुणाचल के राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई

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अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री नबाम टुकी ने राज्य की कानून व्यवस्था, उग्रवाद और नशीले पदार्थों के खतरे सहित विभिन्न सुरक्षा मुद्दों को लेकर कल यहां एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। आधिकारिक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि राजभवन में आयोजित इस बैठक में राज्य के गृहमंत्री, संसदीय सचिव(गृह), प्रमुख सचिव(गृह) , पुलिस महानिदेशक और आयुक्त( कर,आबकारी एवं मादक पदार्थ) सहित सेना, अर्धसैनिक बल एवं नारकोटिक्स के उच्चाधिकारी मौजूद थे।

बैठक को संबोधित करते हुये राज्यपाल ने सुरक्षा बलों और अन्य विभागों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सुरक्षा बलों को उग्रवाद विरोधी अभियान और कड़े अनुशासन के दौरान महिलाओं,बच्चों एवं वरिष्ठ नागरिकों पर विशेष ध्यान देने की भी सलाह दी। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश एक शांतिप्रिय राज्य है और इसे कायम रखने के लिये सभी का योगदान जरूरी है। यहां उग्रवाद अभी बढ़ा नहीं है।

रैना ने मोदी के आरोपों को खारिज किया

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भारतीय क्रिकेट टीम के हरफनमौला खिलाड़ी सुरेश रैना ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व प्रमुख ललित मोदी द्वारा अपने ऊपर लगाए गए सट्टेबाजी के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। रैना ने आरोपों का खंडन करने के साथ-साथ यह भी कहा कि वह अपने ऊपर झूठे आरोप लगाने के लिए मोदी के खिलाफ 'कानूनी कार्यवाही'करने पर भी विचार कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मोदी ने शनिवार को कई ट्वीट कर रैना सहित तीन क्रिकेट खिलाड़ियों पर एक भारतीय व्यवसायी से रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि रियल एस्टेट कारोबारी बाबा दीवान ने आईपीएल में खेलने वाले तीन खिलाड़ियों को रुपयों के अलावा रिश्वत के रूप में फ्लैट दिए।

रैना ने गुरुवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा, "हाल ही में मीडिया में मेरे भ्रष्टाचार में संलिप्त होने को लेकर आई खबरों के बारे में मैं पूरी दुनिया के अपने प्रशंसकों से कहना चाहूंगा कि मैंने हमेशा नेकनियती से और पूरे जी-जान से खेला है।"रैना ने कहा, "मैं कभी भी किसी तरह के भ्रष्टाचार में संलिप्त नहीं रहा तथा मेरे ऊपर लगे सारे आरोप झूठे हैं। क्रिकेट खेलना मेरा जुनून है, चाहे किसी भी टीम के लिए मुझे खेलने का मौका मिला हो।"उन्होंने कहा, "मैं इस मामले में आगे की कार्यवाही के लिए अपने कानूनी अधिकारों पर भी विचार कर रहा हूं।"मोदी ने दावा किया है कि दीवान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सट्टेबाजी के दोषी पाए गए गुरुनाथ मयप्पन और राज कुंद्रा का निकट मित्र है।

मोदी ने ट्वीट पर अपनी एक चिट्ठी भी पोस्ट की, जिसे मोदी ने अक्टूबर, 2013 में आईसीसी के मुख्य कार्यकारी डेविड रिचर्डसन को भेजा था और यह सारी सूचना देते हुए कार्रवाई की मांग की थी। आईसीसी ने मोदी के खुलासे के बाद रविवार को स्वीकार किया कि उन्हें मोदी से एक गोपनीय ईमेल मिला था, जिसे आईसीसी ने बीसीसीआई की भ्रष्टाचार रोधी इकाई से भी साझा किया था।

आईसीसी ने बताया कि भ्रष्टाचार रोधी एवं सुरक्षा इकाई (एसीएसयू) को भी यह सूचना दे दी गई है, जो अपनी मानक प्रक्रिया के अनुसार इस पर कार्रवाई कर रहा है। मोदी ने जिन तीन खिलाड़ियों पर आरोप लगाया है उनसे हालांकि अब तक बीसीसीआई या आईसीसी ने कोई पूछताछ नहीं की है। बसीसीआई ने तो तीनों खिलाड़ियों को सारे आरोपों से बरी भी कर दिया है।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (02 जुलाई)

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प्रदेश में अगला वर्ष गरीब कल्याण वर्ष के रूप मंे मनाया जाएगा-मुख्यमंत्री श्री चैहान
  • विदिशा में विशाल श्रमिक सम्मेलन सम्पन्न

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मध्यप्रदेश में वर्ष 2016 गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। इस दौरान गरीबों के कल्याण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ समाज के कमजोर वर्ग के समग्र रूप से गरीब लोगों को दिलाया जाएगा। यह घोषणा मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने आज विदिशा में आयोजित श्रमिक सम्मेलन में की। उन्होंने कहा कि विदिशा में अब तक समाज के कमजोर वर्ग के आठ हजार लोगों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया गया है, इसके अलावा इस वर्ग के आठ हजार अन्य लोगों को शिविर लगाकर लाभ देना सुनिश्चित किया जाएगा। प्रदेश भर में इस तरह के शिविर लगाकर लोगों को लाभांवित करने का लक्ष्य है। श्रमिक सम्मेलन में प्रदेश के राजस्व मंत्री श्री रामपाल सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी, सागर सांसद श्री लक्ष्मीनारायण यादव, विधायक श्री कल्याण सिंह ठाकुर, शमशाबाद विधायक श्री सूर्यप्रकाश मीणा, समाजसेवी श्री मुकेश टण्डन सहित बड़ी संख्या में जिले केे दूरदराज क्षेत्रों से आए श्रमिक और किसान उपस्थित थे। मुख्यमंत्री श्री चैहान ने कहा कि श्रमिकों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही है, श्रमिक भाईयों को उन योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए सभी जिला मुख्यालयों पर शिविर लगाकर पंजीयन की व्यवस्था की गई है, उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के साथ हमेशा यह विडम्बना रही है कि मुसीबत पड़ने पर अब तक उन्हें सामाजिक सुरक्षा नहीं मिल पाती थी। इस दिशा में सरकार ने प्रयास कर श्रमिकों और उनके परिवार जनों के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं ना केवल शुरू की है बल्कि उनका लाभ दिलाना भी सुनिश्चित किया है।समाज के कमजोर वर्ग के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री श्री चैहान ने कहा कि प्रदेश में गरीब परिवारों को एक रूपए किलो के मान से गेहूं-चावल की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। लगभग 70 प्रतिशत आबादी इस योजना का लाभ ले रही है। जिन पात्र लोगों को अभी तक इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, उनको भी यह सुविधा दिलाने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने श्रमिक बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर विशेष जोर देते हुए कहा कि इस समय प्रदेश में ‘‘स्कूल चलो अभियान’’ चलाया जा रहा है। छह साल से अधिक उम्र के हरेक बच्चे को स्कूल भेजना सुनिश्चित करना हर माता-पिता का दायित्व है। बच्चे की फीस, डेªस और किताबों आदि की व्यवस्था सरकार करेेगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में स्मार्ट सिटी बनाए जाने के अभियान का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा कि विदिशा को भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया जा रहा है। विदिशा विधानसभा क्षेत्र मं 1569 करोड़ रूपए के निर्माण कार्य चल रहे है। क्षेत्र की आवश्यकता के अनुरूप और भी विकास कार्य शुरू किए जाएंगे। उन्होंने विदिशा नगर को साफ-सुथरा बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिए। इसके पूर्व प्रभारी मंत्री श्री रामपाल सिंह ने विदिशा के विकास के लिए मुख्यमंत्री श्री चैहान की भूरि-भूरि  सराहना की। उन्होंने कहा कि श्री चैहान विदिशा को प्रदेश के विकसित जिलों में लाने के लिए कृत संकल्पित है। सम्मेलन को सांसद श्री लक्ष्मीनारायण यादव, विधायक श्री कल्याण सिंह ठाकुर ने भी सम्बोधित किया। कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने श्रमिक सम्मेलन के उद्धेश्यों पर प्रकाश डाला। 

हजारो हितग्राही लाभंवित हुए
मुख्यमंत्री श्री चैहान ने शासकीय योजनाओं से लाभांवित होने वाले हितग्राहियों को प्रतीक स्वरूप चेक, सामग्री प्रदाय की। श्रमिक सम्मेलन में विभिन्न विभागों के स्टाॅल भी लगाए गए थे और आगंतुकों को शासकीय योजनाओें एवं कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी स्टाॅलों के माध्यम से दी गई। इस अवसर पर लगभग आठ हजार हितग्राहियों को विभिन्न योजनाओं के तहत लाभांवित किया गया है वहीं बोर्ड परीक्षाओं में मेरिट में आने वाले छात्रों के अलावा 102 गौ-शालाओं को अनुदान दो लाख 41 हजार 512, उद्योग विभाग के सात हितग्राहियों को 14 लाख, उद्यानिकी विभाग के दो कृषकों को डेढ़-डे़ढ लाख रूपए के चेक प्रदाय किए गए है। आयोजन स्थल पर स्वास्थ्य उपचार केम्प में लगभग साढे तीन हजार व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें निःशुल्क दवा प्रदाय की गई। पशु चिकित्सा सेवाएं के द्वारा आयोजित केम्प में 229 पशु पालकों को उनके पशुओं के उपचार के लिए दवाईयां प्रदाय की गई है। सामाजिक न्याय विभाग के द्वारा मौके पर निःशक्तजनों को लाभांवित किया गया है जिसमें 40 को ट्रायसाइकिल, 47 को श्रवण यंत्र, 14 को व्हीलचेयर, 30 को वैशाखी और दो को वाॅकर प्रदाय किए गए है। अनेक हितग्राहियों को पात्रता पर्ची और राशन कार्ड जारी किए गए है।

अधिमान्यता के नियम सरल बनाए जाएंगे-मुख्यमंत्री श्री चैहान

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान गुरूवार को विदिशा प्रेस क्लब के आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। श्री चैहान को वायोवृद्ध पत्रकारा श्री अशोक श्रीवास्तव ने गुलदस्ता भेंट कर और प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री अमित श्रीवास्तव ने शाल श्रीफल देकर स्वागत किया। प्रेस क्लब के अध्यक्ष ने पत्रकारों के हितो से संबंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री जी को सौंपा। मुख्यमंत्री श्री चैहान ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए ज्ञापन के बिन्दुओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को जारी होने वाले अधिमान्यता कार्ड के नियमों का सरलीकरण किया जाएगा। उन्होंने पत्रकारों को आवासीय भूमि उपलब्ध कराए जाने और निजी बसों में पत्रकारों को रियायत देने के संबंध में परीक्षण उपरांत कार्यवाही कराए जाने का आश्वासन दिया। पत्रकार भवन का जीर्णोद्वार कराए जाने का भी आश्वासन दिया। इस अवसर पर प्रभारी मंत्री श्री रामपाल सिंह राजपूत, जिला पंचायत अध्यक्ष तोरण सिंह दांगी, विधायक श्री कल्याण सिंह ठाकुर समेत प्रिन्ट एवं इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के प्रतिनिधि मौजूद थे। 

विदिशा के विकास को देखने आएं लोग
मुख्यमंत्री श्री चैहान रामद्वारा में स्थित रेडियो मन के कार्यक्रम में भी शामिल हुए। उन्होंने यहां कहा कि मुख्यमंत्री के मन की इच्छा है कि विदिशा के विकास को देखने अन्यत्र लोग आएं। उन्होंने रेडियो मन पर अपने संदेश को रिकार्ड कराया जिसमें उन्होंने जिले के नागरिकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों और आस पड़ोस के बच्चों को स्कूल जरूर भिजवाएं। शासन के स्कूल चलें हम अभियान का सभी को सहभागी बनने की अपील की। ताकि शिक्षित विदिशा विकसित विदिशा बन सकें। इस अवसर पर प्रभारी मंत्री श्री रामपाल सिंह राजपूत, सागर सांसद श्री लक्ष्मीनारायण यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष तोरण सिंह दांगी, विधायक द्वय श्री कल्याण सिंह ठाकुर, श्री सूर्यप्रकाश मीणा, समाजसेवी श्री मुकेश टण्डन सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी मौजूद थे।

जिले में अब तक 157.8 मिमी औसत वर्षा दर्ज

जिले में अब तक 157.8 मिमी औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है जबकि गतवर्ष उक्त अवधि में 70.7 मिमी औसत वर्षा हुई थी। दो जुलाई की प्रातः जिले में 7.9 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। अधीक्षक भू-अभिलेख श्रीमती सविता पटेल ने तहसीलों में स्थापित वर्षामापी यंत्रो पर बुधवार की प्रातः दर्ज की गई वर्षा की जानकारी देते हुए बताया है कि विदिशा में 15.4 मिमी, बासौदा में 3.2 मिमी, कुरवाई में 8.8 मिमी, लटेरी में 4 मिमी, ग्यारसपुर में दो मिमी, गुलाबगंज मंे 20 मिमी और नटेरन में 10 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। जबकि सिरोंज तहसील में वर्षा नगण्य रही।

राज्य स्तरीय मीडिया एडवोकेसी वर्कशाप आज

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश के मिशन संचालक श्री फैज अहमद किदवई की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय मीडिया वर्कशाप का आयोजन आज तीन जुलाई को किया गया है। उक्त वर्कशाप जनपद पंचायत विदिशा के सभाकक्ष में प्रातः 11 बजे से आयोजित की गई है। जिले के सम्माननीय पत्रकारों से आग्रह किया गया है कि वे राज्य स्तरीय मीडिया वर्कशाप में उपस्थित होने का कष्ट करें। 

मिशन इन्द्रधनुष
मिशन इन्द्रधनुष देश मंे ऐसे बच्चों को सुखद भविष्य और सुरक्षित जीवन देने की पहल है जिन्हें या तो जीवनरक्षक टीके आंशिक रूप से लगे हंै या उनका टीकाकरण ही नहीं हुआ है। यह अभिनव मिशन देश के 28 राज्यों में 201 जिलों में चलाया जा रहा है इसमें मध्यप्रदेश के 15 जिले भी शामिल है। यह अभियान एक-एक सप्ताह के चार चरणों में है। ये चरण 7 अपै्रल, 7 मई, 7 जून और 7 जुलाई 2015 है। इन चरणों में 0 से 2 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण का लक्ष्य है। अब तक तीन चरण सफलतापूर्वक संचालित किए जा चुके हैं। जिसमें मीडिया की महत्वपूर्ण भागीदारी रही है। मीडिया के बंधुओं को इस मिशन की उपलब्धि और विस्तृत कार्ययोजना की जानकारी देने के उद्धेश्य से उक्त वर्कशाप का आयोजन किया गया है। 

छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर सभी विवि मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेगा एआईएसएफ

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  • 5 अगस्त को राजभवन मार्च, भूमि अधिग्रहण और अन्य जनसमस्याओं को लेकर 21 को बिहार बंद में उतरने का निर्णय
  • नए शैक्षणिक सत्र में दो लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य, राज्य में शैक्षणिक अराजकता व स्थायी कुलाधिपति नहीं होने पर उठाया सवाल, 25 जुलाई कन्वेंशन में भाग लेने दिल्ली जाएगें 100 छात्र, जनशक्ति प्रेस में संवाददाता सम्मेलन आयोजित

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पटना। आॅल इण्डिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन(एआईएसएफ) राज्य के विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक अराजकता की भयावहता के खिलाफ तथा छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर अगामी 15 जुलाई को एक साथ सभी विश्वविद्यालय में प्रदर्शन करेगा। पटना विवि को छोड़ राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में सेशन लेट है छात्रों को कही चार तो कहीं पांच वर्ष समय लग जाता है। पटना विवि कुलपति को तानाशाही चरम पर है ऐसे हालत में राज्य के अंदर कुलाधिपति स्थायी तौर पर नहीं है। केन्द्र की मौजूदा सरकार ने राजभवन को अस्थिर कर दिया है। इसके खिलाफ तथा राज्य के शैक्षणिक सवालों एवं छात्र समस्याओं को लेकर आगामी 5 अगस्त को राजभवन मार्च में पूरे सूबे के विद्यार्थी पटना पहुंचेगें। यह फैसला बुधवार को एआईएसएफ के राज्य परिषद की बैठकमें लिया गया। वहीं 21 जुलाई को भूमि अधिग्रहण एवं अन्य जनसमस्याओं को लेकर बिहार बंद कर सड़क पर उतरने तथा शैक्षणिक संस्थानों को ठप्प करने का ऐलान किया गया। राज्य के अंदर इस शैक्षणिक सत्र में दो लाख छात्र-छात्राओं को सदस्य बनाया जाएगा। 

सदस्यता अभियान दो चरणों में चलेगा। संगठन के 100 छात्र 25 जुलाई को दिल्ली में आयोजित वामपंथी छात्र संगठनों के संयुक्त छात्र कन्वेंशन में शामिल होगें। यह कन्वेंशन शिक्षा के सांप्रदायीकरण एवं बाजारीकरण के खिलाफ दिल्ली में आयोजित है। जनशक्ति प्रेस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एआईएसएफ के नेताओं ने दिल्ली विवि के शिक्षक प्रो जी एन साईबाबा के साथ भेदभाव पर रोष जाहिर किया तथा इसको लेकर पोस्टकार्ड राष्ट्रपति को भेजने की बात कहीं। वहीं राष्ट्रीय परिषद के फैसले के अनुसार 5 नवंबर को संसद का घेराव में हजारों छात्रों के जाने का ऐलान किया। तिरूपपिति(आंध्रप्रदेश) में विगत दिनों राष्ट्रीय परिषद में निर्णयानुसार पेड़ लगाने एवं ब्लड डोनेशन कैम्प लगाने का भी निर्णय लिया गया। वहीं 31 अगस्त को राज्यस्तरीय सांगठनिक कन्वेंशन की भी सहमति बनी। संवाददाता सम्मेलन में एआईएसएफ के राज्य सचिव सुशील कुमार, राज्य सचिवमंडल सदस्य हरेन्द्र कुमार पंडित, राज्य कार्यकारिणी सदस्य मो. गयासुद्दीन, प्रिंस कुमार एंव रंजीत पंडित मौजूद थे।

भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के समर्थन में “Join The Question March”

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Join The Question March
 (भोपाल), आज दिनांक  2 जुलाई 2015 को भोपाल के संगठनों ,नागरिकों,सांस्कृतिक-मीडि़याकर्मी विधार्थीयों द्वारा भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान  "FTII"पुणे के समर्थन में आज ही के दिन देष भर के प्रमुख शहरों में हो रहे “Join The Question March” का आयोजन किया गया। यह विरोध प्रदर्षन भोपाल के बोर्ड आफिस चैराहे पर हुआ जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। विद्ति हो कि हाल ही में सरकार द्वारा भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में की गई नियुक्तियों के खिलाफ वहाॅ के विधार्थी लगातार प्रोटेस्ट कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनमें योग्यता की कमी तो है ही साथ ही साथ यह मोदी सरकार का अकादमिक एवं संस्थानों के स्वायतता और उनमें एक खास विचारधारा के लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया का एक अंग है।  इस दौरान प्रदर्षनकारियों द्वारा भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के विधार्थीयों के मांगों के समर्थन में पर्चा वितरित किया गया, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में जनगीत गाये गये और वर्तमान में सांस्कृतिक व अकादिमिक संस्थानों की परिस्थितियों पर नुक्कड नाटक का आयोजन किया गया। 

इस दौरान प्रगितिशील लेखक संघ के विनित तिवारी ने कहा कि मौजूदा सरकार अपने दंक्षिणपंथी ऐजेंडे को लागू करने के लिए शैक्षिणक संस्थाओं और सांस्कृतिक संस्थानों को विशेष तौर पर अपना निषाना बना रही है, जिसका उद्देष्य आलोचनात्मक तौर तरीकों एवं तर्कवादी सोच पर लगाम लगाया जा सके। इस दिषा में भारतीय इतिहास शोध परिषद,नेष्नल बुक ट्रस्ट जैसे संस्थानों में संघ परिवार और भाजपा से जुड़े लोगों को पहले ही नियुक्त किया जा चुका है, जिनकी उन क्षेत्रों में योग्यता पर भी प्रश्नचिन्ह हैं। जनवादी लेखक संघ के रामप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि सरकार इन संस्थानों में भगवाकरण के ऐजेंडे को लागू कर ही रही है साथ ही साथ इसका उद्देष्य इन संस्थानों के नीजिकरण का रास्ता भी साफ करना है 

प्रगतिशील लेखक संघ के शैलेन्द्र शैली ने कहा कि मोदी सरकार ऐसे कदम उठा कर वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान हटाना चाहती है और इसकी आड में वो अपने काॅरपरेटपस्त और पूँजीवादी नीतियों को लागू करना चाहती है। जनवादी महिला समिति की नीना शर्मा ने कहा कि सांस्कृतिक एवं अकादिमक संस्थाओं पर सरकार एवं संघ परिवार का ये हमला आने वाले अंधेरे दिनों का संकेत है, इसके प्रतिरोध में  सांस्कृतिककर्मीयों,मीडि़या और युवाओं को आगे आना चाहिए। शिक्षा अधिकार मंच के लोकेश  ने कहा कि दरअसल यह दो तरफा हमला है। मोदी सरकार एक तरफ तो संस्थानों का भगवाकरण कर ही रही है, इसी के साथ साथ इन संस्थाओं के नीजिकरण और इनकी धार को कम करने की कवायत भी जारी है ताकि देष में प्रतिरोध एवं जनपक्षीय आवाजों को कम किया जा सकें। 

न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव की उपासना ने कहा कि हम भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के विधार्थीयों के मांगों का समर्कन करते हैं और मांग करते हैं कि देष के षिक्षण और सांस्कृतिक संस्थानों में किसी एक खास विचारधारा को बढ़ावा देने की प्रवृति पर रोक लगाया जाये और इन्हें स्वतंत्र ही रहने दिया जाये। इस दौरान वरिष्ठ कवि कुमार अंबुज ने कविता पाठ भी किया। 

भाजपा के एम.जे. अकबर राज्यसभा उपचुनाव जीते

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एम.जे. अकबर ने झारखंड से राज्यसभा उपचुनाव जीत लिया है। अकबर ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार हाजी हसन अंसारी को 19 मतों के अंतर से हराया। धन की हेराफेरी के आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने भी अकबर को समर्थन दिया है। झारखंड के 81 सदस्यीय विधानसभा में एक सीट रिक्त है, जबकि जेल में बंद दो निर्दलीय उम्मीदवारों को अदालत से मतदान की अनुमति नहीं मिली। इसके साथ ही भाजपा की सहयोगी पार्टी आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) एवं झारखंड जल संसाधन मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी का मत रद्द कर दिया गया। 

झारखंड विधानसभा के महासचिव और उपचुनाव के निर्वाचन अधिकारी सुशील कुमार सिंह ने कहा कि अकबर को 48 मत मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को 29 मत मिले।  अकबर को भाजपा के 43 विधायकों और आजसू के तीन विधायकों का मत मिला। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा, बहुजन समाज पार्टी के एकमात्र विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने भी अकबर के समर्थन में मत दिया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के हाजी हसन अंसारी को अपनी पार्टी के 19 मत मिले। इसके साथ ही कांग्रेस के छह और झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के दो विधायकों का भी समर्थन मिला। अंसारी को मार्क्‍सवादी समन्वय समिति और सीपीआई मार्क्‍सवादी-लेनिनवादी के एक-एक सदस्यों का भी समर्थन मिला। 

यह उपचुनाव के.डी. सिंह के इस्तीफे की वजह से करवाया गया। पहले वह झारखंड से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे और बाद में 2014 में पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा सदस्य चुने गए। 

विशेष आलेख : योग और इस्लाम

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भारत के सबसे लोकप्रिय और यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 27 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग को वैश्विक स्वीकृति दिलाने हेतू किये गए सद्प्रयासों और पहल के नतीजे में  संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दे दी |संयुक्त राष्ट्र संघ के 193 सदस्यों में से तकरीबन 177 सदस्यों ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता देने के प्रस्ताव पर अपनी सम्मति दी |सबसे बड़ी बात है कि 46 मुस्लिम देशों ने भी इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई जिसमें ईरान, क़तर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश भी शामिल हैं |पाकिस्तान, अरब और मलेशिया जैसे जिन चंद देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया उसकी वजह या तो भारत के प्रति उनकी नफरत थी या कुछ कट्टरपंथियों का डर जिन्होंने योग को हिन्दू-विधि बता कर उसके खिलाफ फतवा दे रखा था |योग के गौरव पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा लगाये गए मुहर के बाद सर्वत्र योग को लेकर चर्चाएं आरम्भ है, ऐसे में कुछ मुस्लिम बंधुओं के मन में यह प्रश्न भी उठ रहें हैं कि क्या हम भी योग कर सकतें हैं और हमारा योग करना कहीं शिर्क की श्रेणी में तो नहीं आ जाएगा? इस्लाम की तालीमात और इस आशय पर दुनिया के अलग-अलग मुल्कों से आये मौलानाओं के फतवे यह स्पष्ट कर देतें हैं कि योग सारी मानव जाति के लिए है और इसका किसी एक एक मजहब या किसी पूजा-पद्धति से तआल्लुक नहीं है |  

योग गैर-इस्लामिक नहीं है
                      
योग को लेकर फैलाए जाने वालों भ्रमों में सबसे बड़ा भ्रम ये है कि यह हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ है और इसे करना एक तरह का शिर्क है | 2008 में मलेशिया की नेशनल फतवा काउंसिलद्वारा योग के खिलाफ दिये गए फतवे का आधार इसी बात को बनाया गया था जबकि हकीकत में ऐसा बिलकुल भी नहीं है, महर्षि पतंजलि ने कहीं भी योग को धर्म अथवा उपासना पद्धति से नहीं जोड़ा है, तमाम योगाचार्य भी योग को हिन्दू धर्म की बजाय मानव मात्र से जोड़ कर देखते आये हैं |प्राणायाम के समय ॐ का जो परम्पराबद्ध उच्चारण किया जाता है वह इसे हिन्दू धर्म से इसे जोड़ता है, ऐसी आपत्ति की जाती है परन्तु योग गुरु स्वामी रामदेव जी तथा अन्य योगाचार्यों ने  इस मसले पर ये तक कहा है कि प्राणायाम किसी भी मजहब के लोग कर सकतें है, अगर उन्हें ॐ से आपत्ति है तो ॐ के स्थान पर व्यक्ति अपनी मजहबी आस्था के अनुरूप कोई भी अन्य ईश्वरीय ध्वनि का भी उपयोग कर सकता है। मसलन मुसलमान ॐ के स्थान पर अल्लाह शब्द का प्रयोग कर सकतें हैं | (हालांकि ॐ किसी न किसी रूप में हर मजहब में है, जिसकी विस्तृत चर्चा इसी आलेख में है)
            
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने के प्रस्ताव का समर्थन 46 से अधिक मुस्लिम देशों द्वारा किया जाना इस तथ्य की पुष्टि करता है कि योग का विरोध मजहब से जोड़ कर करने वाले कम ही हैं, ज्यादातर इस्लामिक विद्वानों ने और मुस्लिम मुल्कों ने योग के पक्ष में ही बातें कहीं हैं |उन्होंने कहा है कि योग के गैर-इस्लामिक होने जैसी कोई बात नहीं है, मजहब से परे यह सेहतमंद रहने का मूलमंत्र है |यहाँ तक कि जब मलेशिया के कुछ कट्टरपंथी मौलवियों ने योग को गैर इस्लामिक बताया तब वहां के सुल्तान शरफुद्दीन इदरीस शाह नाराज़ हो गए |उन्होंने कहा कि इस्लामी काउंसिल को योगासन पर प्रतिबन्ध लगाने से पहले सुल्तान से मशवरा करना चाहिए था |एक तरह से यह सुल्तान द्वारा कट्टरपंथियों को लगाई गई फटकार थी |सुल्तान योग पर लगाये फतवे से सिर्फ आहत ही नहीं थे उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में सामान्य जनता पर असर डालने वाला कोई भी फतवा जारी करने से पहले उसे मंजूरी के लिए सुल्तान संघ (मलेशिया में सुल्तान शराफुद्दीन सहित नौ राज्यों के आठ अन्य सुलतान शासक संघ”  का हिस्सा हैं और बारीबारी से इस देश का राजा बनते हैं। यद्यपि सुल्तान का पद मुख्यत: औपचारिक ही है लेकिन मलेशियाई मुस्लिमों में उनका बहुत मान हैं और इस समय सुल्तान शराफुद्दीन वहां के राजा हैं। सुल्तानों को वहां की मलय परंपरा का रखवाला और प्रतीकात्मक इस्लामी प्रमुख माना जाता है। यही दर्जा अन्य सुल्तानों को अपने-अपने राज्यों में हासिल होता है)के पास भेजा जाए |मलेशिया के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब किसी धर्मगुरु के फतवे की सुल्तान ने सार्वजानिक रूप से आलोचना की, इतना ही नहीं मलेशिया की कुल आबादी के तकरीबन 60 फीसदी लोग योग के ऊपर लगाये गए इस फतवे के खिलाफ थे |इस फतवे पर बोलते हुए मलेशिया प्रधानमंत्री अब्दुल्लाह बदावी ने कहा था कि अगर मुसलमान योग को केवल शारीरिक रूप से सेहतमंद रहने के लिए करते हैं तो इसमें कोई बुरी बात नहीं और न ही इस्लाम इसमें आड़े आता है।इंडोनेशिया के आलिम मौलवी मसऊदी ने भी बयान दिया था कि इंडोनेशिया की उलेमा परिषद को इस मुद्दे पर फतवेबाजी नहीं करनी चाहिए थी ।उन्होंने ये भी कहा था कि योग एक बहुत बढ़िया वर्जिश है और यदि किसी मुस्लिम आलिम ने इसके विरुद्ध फतवा दिया तो उससे पहले ही दुविधाओं से जूझ रहे इस्लाम और मुसलमानों पर कट्टपंथ का एक और ठप्पा लग जाएगा।उन्होंने फिर कहा कि इसी प्रकार के ऊलजलूल फतवों के कारण पश्चिमी मीडिया मुसलमानों का मजाक उड़ाता है।

योग के समर्थन में उठने वाली यह आवाज़ सिर्फ मलेशिया और इंडोनेशिया से ही नहीं उठी बल्कि दुनिया के सबसे बड़े मदरसों में एक दारुल उलूम देवबंद, भारत ने भी योग को इस्लामी पद्धति के आधार पर यह कहते हुए मान्य घोषित किया है कि इसमें ॐ के स्थान पर अल्लाह कह देना चाहिए या खामोश रहना चाहिए । दारुल उलूम देवबंद के मीडिया प्रवक्ता आदिल सिद्दीकी ने इस मुद्दे पर कहा कि नमाज और योग में बस नाम का ही अंतर है और जब हम कयाममें बैठकर नमाज पढ़ते हैं तो योग में उसे वज्रासन कहा जाता है और इससे हाजमा ठीक रहता है।

योग का उद्देश्य हिन्दू धर्म प्रचार नहीं
                        
यह यथार्थ है कि योग प्रचार का उदेश्य कभी भी ये नहीं होता कि इसके माध्यम से हिन्दू धर्म का प्रचार किया जाए या इसकी श्रेष्ठता साबित की जाए |योग गुरु बाबा रामदेव समेत जितने भी योग गुरु हैं उन्होंने योग का आधार लेकर हिन्दू-धर्म के प्रचार की कोशिश की हो इसका कोई उदहारण नही मिलता |योग-विद्या के प्रचार का एकमात्र उदेश्य केवल और केवल स्वस्थ और प्रसन्न कहने की एक बढ़िया विधि को फैलाना है | अशरफ एफ0 निजामी ने अपनी किताब नमाज़ : द योग ऑफ़ इस्लाममें स्पष्ट लिखा है, योग एक धर्म नहीं है अपितु विधियों और कौशलों का एक समुच्चय है जो किसी भी धर्म के व्यवहार को ऊँचाई पर ले जा सकता है |निजामी साहब ही की तरह के विचार ईसाई विद्वान फादर एम0 डी0 शैनल का भी है जिन्होंने अपनी लिखी पुस्तक में ये कहा कि योग ईसाई शिक्षाओं की और ले जाने वाला मार्ग है |महर्षि पतंजलि का योग शास्त्र का स्वरुप तो ऐसा है कि कोई नास्तिक भी इसे सहजता से कर सकता है |

नमाज़ भी एक तरह का योगासन है
                 
योग शब्द की उत्पत्ति यूजधातु से हुई है, जिसका अर्थ है जोड़ना |जीवात्मा को परमात्मा से जोड़ने वाला योग है |इस्लाम के पांच बुनियादी अर्कानों में एक नमाज़ भी है, जो एक ऐसी ध्यान विधि है जिसके द्वारा एक मुसलमान खुद को अपने माबूद के करीब करने की कोशिश करता है |योग के करने की क्रियाओं व आसनों को योगासन कहते है इसी आधार पर मिश्र के कई धर्मगुरुओं ने योग को इस्लामी व्यायाम करार दिया था। उन्होंने नमाज को योग और योग को नमाज बताया था। नमाज़ फ़ारसी भाषा का शब्द है, इस शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत के शब्द नम (अर्थात झुकना) और यूज (अर्थात जोड़ना) से हुई है यानि इसका अर्थ योग शब्द के अर्थ के लगभग समानार्थी है |नमाज़ के लिए पवित्र कुरान और हदीसों में प्रयुक्त अरबी शब्द है, सलातजिसका शाब्दिक अर्थ है, निचली पीठ को झुकाना |इन सबका अर्थ ये है कि सलात, नमाज़ और योग ये अलग-अलग भाषाओँ में प्रयुक्त एकार्थी शब्द और एक ऐसा माध्यम है जो हमें हमारे रब के करीब पहुँचने में हमारी मदद करता है |योग और इस्लाम के बीच की कई साम्यतों में सबसे स्पष्ट समानता नमाज़ के आसनों और यौगिक क्रियाओं में प्रयुक्त शारीरिक व्यायामों में है |योग से पूर्व संकल्प किया जाता है तो एक नमाजी नमाज़ पढ़ने से उसकी नीयत करता है, नीयत का अर्थ है इरादा यानि नमाज़ आरंभ करते समय दिल में यह इरादा होना चाहिए कि मैं अब अपना सारा ध्यान अल्लाह की और करता हूँ |रसूल (सल्ल0) ने नमाज़ की नीयत करने की जो दुआ हमें सिखाई उसमें आता है, इन्नी वज्ज्हतो वज्जियायानि मैं अपना सारा ध्यान अल्लाह की और करता हूँ |’

योग हमारे मन, बुद्धि और शरीर को काबू में रखता है और नमाज़ से भी हम यही सब हासिल करतें हैं |अशरफ एफ0 निजामी नाम के मुस्लिम विद्वान् ने योग पर लिखी अपने एक पुस्तक नमाज़: द योग ऑफ़ इस्लाममें लिखा है कि जिस प्रकार नमाज़ से पूर्व वुजू किया जाता है, उसी प्रकार से योग का एक अंग शौच है जो शरीर की सफाई से जुड़ा है| निजामी साहब ने नमाज़ की अवस्थाओं और विभिन्न योगासनों को भी संबद्ध करते हुए अपनी किताब में लिखा है कि सजदा वस्तुतः शशंक आसन है जिससे दिल की बीमारियाँ और रक्तचाप ठीक रहतें हैं, इसी प्रकार नमाज़ का रुकू और योग का पश्चिमोत्तासन एक समान हैं को हमारे घुटनों के दर्द और पीठ की मांसपेशियों को ठीक रखतें हैं |  योग और इस्लाम दोनों की तालीमों से अवगत कई मुसलमान है जो नमाज़ आदि इस्लाम के बुनियादी अर्कानों का पालन तो करते ही हैं साथ-साथ योग भी करतें हैं और इससे उनके इस्लाम पर खतरा भी नहीं आता |  

मुसलमाओं के लिए योग पराया नहीं है
                        
मानव के मन, बुद्धि और शरीर को ठीक रखने के लिए जो भी चीजें आवश्यक हैं, उन सबके इस्तेमाल की ताकीद नबी (सल्ल0) ने अपने उम्मतियों से की है और ऐसे निर्देश देते समय आप (सल्ल0) ने इस बात की कभी परवाह नहीं कि ये चीज़ अरब की नहीं है |  इसकी पुष्टि के लिए कई उदाहरण दिए जा सकतें हैं, यथा आप (सल्ल0) ने अरब वालों को किस्तुलबहरी, जंजबील, मुश्क तथा सफ़रज़ल के इस्तेमाल की ताकीद की |चिकित्सीय गुणों से भरपूर किस्तुलबहरी का पौधा खुसूसन हिंदुस्तान में ही पाया जाता है |व्यापारियों के माध्यम से यह पौधा अरब पहुंचा था | रसूल (सल्ल0) ने अपनी कई हदीसों में पछने लगाने के साथ इसका जिक्र किया है |  बुखारी शरीफ की एक हदीस (जो हजरत अनस से रिवायत है) में आता है, नबी(सल्ल0) ने फरमाया, पछने लगवाना इलाज है और हिंदीककड़ी बेहतरीन दवा है | जंजबील (अदरक) हिंदुस्तान से निकल कर पूरी दुनिया में मशहूर हुआ था |रसूल (सल्ल0) ने कई दफा इसके इस्तेमाल की ताकीद की थी |  कन्नौज के राजा पातक के बारे में आता है कि आपकी मुलाकात नबी (सल्ल0) के कई बड़े-बड़े सहाबा से हुई थी और आपने नबी (सल्ल0) के पास बतौर तोहफा अदरक (जंजबील) का अचार भेजा था जिसे आपने बड़े प्रेम से खाया था और अपने सहाबियों को भी खिलाया था | मुश्क एक बेहतरीन खुशबू है जो हिमालय के वनों में विचरण करने वाले कस्तूरी मृगों के नाभि में पाया जाता है, आप (सल्ल0) ने कई दफा अपनी उम्मतियों को खुशबू के रूप में मुश्क के इस्तेमाल की सलाह दी |सफरजल यानि बेल एक ऐसी नेअमत है जिसकी मूल पैदावार हिंदुस्तान में है |  नबी (सल्ल0) ने अपनी हदीस में फरमाया था, सफ़रज़ल खाओ क्यूंकि वह सीने से बोझ उतार देता है | जाहिर है जब रसूल (सल्ल0) ने कभी भी अपनी उम्मतियों को सिर्फ इस वजह से किसी नेअमत से इस्तेमाल से मना नहीं फरमाया कि वो उनके मुल्क का नहीं तो फिर हम कौन होते हैं जो मानव मन, बुद्धि और शरीर के लिए फायदेमंद योग जैसी नेअमत से खुद को महरूम रखें?

महान योगी भी थे मुहम्मद (सल्ल0)
                    
ओशो रजनीश ने एक जगह कहा है, योग का संबंध इस्लाम, सिख, जैन, हिन्दू आदि से नहीं है |जीसस, मुहम्मद, बुद्ध, महावीर जिसने भी सत्य का साक्षात्कार किया, बिना योग के नहीं किया क्योंकि सत्य का साक्षात्कार योग के बिना नहीं हो सकता |मुहम्मद (सल्ल0) अल्लाह के तरफ से भेजे गए एक बरगुजीदा पैगम्बर तो थे ही साथ ही आपके किरदारों से ये भी जाहिर होता था कि आप (सल्ल0) एक बेहद उच्च कोटि के योगी भी थे|

आष्टांग योग और मुहम्मद (सल्ल0)- महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित योग को ही आष्टांगयोग कहा जाता है,योग के आठ अंग होने के कारण ही इसे आष्टांग कहा जाता है |योग के ये आठ अंग हैं- (1)यम (2)नियम (3)आसन (4) प्राणायाम (5)प्रत्याहार (6)धारणा (7) ध्यान (8)समाधि। उक्त आठ अंगों के अपने-अपने उप-अंग भी हैं। वर्तमान में योग के तीन ही अंग प्रचलन में हैं- आसन, प्राणायाम और ध्यान। योग की परिभाषा देते हुए पतंजलि कहते हैं- 'योगाश्चित्त वृत्तिनिरोधः'अर्थात योग चित्त की वृत्तियों का संयमन है।चित्त वृत्तियों के निरोध के लिए महर्षि पतंजलि ने जिस अष्टांग योग साधना के बारे में बताया है,रसूल (सल्ल0) की मुक़द्दस जिन्दगी में वो सब परिलक्षित होता है|

1).यम:- यह सामाजिक नैतिकता से जुड़ा है, कायिक, वाचिक तथा मानसिक संयम इसका आधार है |इसके तहत अहिंसा (अर्थात अपने शब्द, विचार या कर्म से किसी की भी हानि नहीं करना), सत्य (अर्थात हर हालत में सत्य पर अडिग रहना), अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (चेतना को ब्रह्मज्ञान में अवस्थित करना)तथा अपरिग्रह (आवयकता से अधिक संचित नहीं करना तथा दूसरे की वस्तुओं की कामना नहीं करना) ये पाँच आचार विहित हैं। इनका पालन न करने से व्यक्ति का जीवन और समाज दोनों ही दुष्प्रभावित होते हैं।
नबी करीम (सल्ल0) के महान व्यक्तित्व में ये सारे ही गुण थे |

अहिंसा - आप (सल्ल0) ने अपनी जिन्दगी में कभी भी अपने शब्द अथवा व्यवहार से किसी को हानि नहीं पहुंचाई |आप अहिंसा प्रिय थे और खुदा की बनाई हर रचना से प्रेम करते थे |आपकी रहमत सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं थी वरन् आपके रहमत के समंदर में बेजुबान जानवर और परिंदें भी बसते थे। ये दया इतनी ज्यादा थी कि एक बिल्ली को तकलीफ देने वाली एक महिला के बारे में आपने फरमाया था कि यह औरत इस बिल्ली के कारण नरक में दाखिल होगी, जिसने इसे बांध दिया और न ही उसे छोड़ा ताकि वह जमीन के कीड़े-मकोड़े खा सके |अबू दाऊद शरीफ में ही एक हदीस आई है जो हजरत अब्दुर्रहमान बिन अब्दुल्ला से रिवायत है, वो फरमातें हैं कि हम लोग एक बार नबी (सल्ल0) के साथ सफर में थे। इस बीच नबी (सल्ल0) हाजत के लिये गये तब तक हम एक चिड़ियाँ देखी जो अपने दो बच्चों के साथ थी। हमने उसके चूजों को पकड़ लिया तो उसकी मां जमीन पर आकर तड़पने लगी, इसी बीच रसूल (सल्ल0) आ गये और फरमाया, किसने इस  चिड़ियाँ के बच्चों को तकलीफ दी है? इसके बच्चे को अभी वापस लौटाओ। जिस अरब में लोग इंसान के जिंदा रहने के हक को गवारा नहीं करते थे , उस अरब में रसूल (सल्ल0) ने जानवरों और पशु-पक्षियों के जिंदगी का हक निर्धारित किया आपने फरमाया, जो कोई व्यक्ति बगैर किसी अपराध के किसी गौरैया या उससे बड़े जानवर को मारता है, तो अल्लाह तआला उससे कियामत के दिन इस बारे में उससे सवाल करेगा। (नसाई शरीफ)

सत्य - आपकी सीरत से यह बात भी साबित है आपने अपनी जिन्दगी में हमेशा हक़ (सत्य) पर डटे रहे और कोई भी प्रलोभन आपको सत्य-पथ से डिगा नहीं सका |

अस्तेय (चोरी न करना) - आप पहले इंसान थे जिन्होंने बर्बर अरबों को चोरी जैसी अपराध करने से रोका और उसके लिए कठोर सजा निर्धारित की |

ब्रह्मचर्य - ब्रह्मचर्य का एक अर्थ चेतना को ब्रह्म में अवस्थित करना भी है |रसूल (सल्ल0)का मन और चेतना हर वक़्त ईश्वर से जुड़ा रहता था |खुदा से आपकी ताअल्लुक का आलम ये था कि आप आधी रात या पहर रहते बिस्तर से उठ जाते, मिस्वाक फरमाते, वुजू करते और इबादत में जुट जाते |आप तमाम उम्र तहज्जुद के पाबन्द रहे और कई दफा तो आप सारी-सारी रात खुदा की इबादत में खड़े रहते थे |बुखारी शरीफ में बीबी आयशा (रजि0) से रिवायत एक हदीस है, वो कहतीं हैं मैंने रसूल (सल्ल0) से पूछा, ऐ अल्लाह के रसूल (सल्ल0)|क्या आप वित्र की नमाज़ से पूर्व सो जातें हैं? आपने कहा, ऐ आयशा |मेरी आँखें सोती है पर दिल नहीं सोता |अबू दाऊद शरीफ के किताबुल-तहारत में आता है, हजरते आयशा का बयान है कि रसूल (सल्ल0)हर वक़्त, हर घड़ी, हर लम्हा सिर्फ जिक्रे-इलाही में मसरूफ रहते थे |

अपरिग्रह (आवयकता से अधिक संचित नहीं करना तथा दूसरे के वस्तुओं की कामना नहीं करना) -खुदा ने आप (सल्ल0) को यह अख्तियात दे रखा था कि आप चाहे तो एक शाहाना जिन्दगी बसर करें अथवा किसी फ़कीर की जिन्दगी बसर करे, आपने फ़कीर की जिन्दगी गुजारनी पसंद की और इसी वजह से खुदा ने आपको तमाम नबियों से आला मर्तबा अता किया और क़यामत के दिन आपको सबसे पहला सिफारिश करने वाला होने का एजाज़ बख्शा |आपके फकीराना जिन्दगी का पता इससे भी चलता है कि फतह-मक्का के बाद जब अरब के लगभग तमाम कबीले इस्लाम की गोद में आ चुके थे तब भी आप एक फ़कीर की जिन्दगी जी रहे थे |जुर्कानी ने लिखा है कि उस रोज भी आपके बदन पर जो चादर थी उसकी कीमत 4 दिरहम से ज्यादा न थी |बीबी आयशा (रजि0) आपके अपरिग्रह के बारे में कहतीं हैं कि कई बार तो महीनों गुजर जाते थे और आप (सल्ल0) के घर में चूल्हा नहीं जलता था और आपके पास सिवाय खजूर और पानी के कुछ नहीं होता था पर आपके कभी भी खुदा से इसकी शिकायत नहीं की और हमेशा उनकी दी नेमतों पर सब्र किया |

(2).नियम : इसके तहतमनुष्य को कर्तव्य परायण बनाने से लेकर उसकी व्यक्तिगत नैतिकता का विचार किया गया है। इनके अंतर्गत शौच (यानि शरीर और मन की शुद्धि यानि बाह्य तथा अंतर दोनों ही प्रकार की शुद्धि आती है) , संतोष (उपलब्ध साधनों में ही प्रसन्न रहना), तप (अनुशासित रहना), स्वाध्याय (आत्मचिंतन) तथा ईश्वर प्राणिधान (यानि ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण) का समावेश है।

शौच -नबी (सल्ल0) का मिजाज़ निहायत ही नफासत पसंद था, आपमें आंतरिक शुद्धता तो थी ही और बाह्य शुद्धता से भी आप पाबंद थे |खुद भी साफ़-सफाई से रहते थे और दूसरों से भी साफ़-सफाई से रहने की उम्मीद करते थे |एक आदमी को अपने मैला कपड़ा पहने देखा तो इरशाद फरमाया, इससे इतना भी नहीं होता कि यह अपने कपड़े को धो सके |इसी तरह आपने एक बार एक शख्स को देखा जिसके बाल उलझे हुए थे, आपने फरमाया, क्या उसको कोई ऐसी चीज़ (तेल, कंघी) नहीं मिलती जिससे यह अपने बालों को सँवारे | (अबू दाऊद)
जिस अरब समाज में नबी (सल्ल0) की विलादत हुई थी, उस समाज के लोग साफ़-सफाई और वातावरण का ध्यान रखते थे, वो इस बात को जानते थे कि इन्सान के शरीर, बुद्धि और मन को संतुलित रखने के लिए स्वच्छ वातावरण की आवश्यकता होती है |इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण ये है कि जब नबी (सल्ल0) अपने दूध पीने के जमाने में थे तब आपको बनू-साद कबीले की बीबी हलीमा के हवाले कर दिया गया ताकि आप अरब के देहात के स्वच्छ और खुशगवार वातावरण में पल-बढ़ सकें और आपकी सेहत अच्छी हो सके |

संतोष (उपलब्ध साधनों में ही प्रसन्न रहना)- आप (सल्ल0) को खुदा ने जितनी नेअमतें दी थी आप उसमें प्रसन्न रहते थे |एक बार अल्लाह ने आप (सल्ल0) से पूछा, ऐ हबीब |अगर आप चाहें तो मैं मक्का ही पहाड़ियों को सोना बना दूं मगर आपने इसको पसंद नहीं किया और फरमाया, ऐ मेरे रब |मुझे यही ज्यादा महबूब है कि मैं एक दिन भूखा रहूँ और एक दिन खाना खाऊं, ताकि भूख के दिन खूब तुझसे दुआ मांग सकूं और तेरी हम्दो-सना करने हुए शुक्र बजा लाऊं |आप ऐसे चारपाई पर लेटते थे जो खुरदरे रस्सी से बुनी हुई थी |जब आप बगैर बिछौने के उस चारपाई पर लेटते थे तो आपके नाजुक जिस्म पर रस्सियों के निशान पड़ जाया करते थे | (शिफा शरीफ)

तप (अनुशासित रहना)अनुशासन ही मनुष्य को महान बनाती है, यह सनातन सत्य है |रसूल (सल्ल0) अपनी जिन्दगी में बेहद अनुशासनशील थे जो आपके व्यवहार से, उपदेशों से स्पष्ट परिलक्षित होता है |पवित्र कुरान ने सूरह आले-इमरान में आप (सल्ल0) के इसी स्वभाव के बारे में फरमाया है, ऐ हबीब |खुदा की रहमत से आप लोगों के साथ नरमी से पेश आते हैं |अगर आप कहीं बदअख्लाक और सख्तदिल होते तो यह लोग आपके पास से हट जाते |’आप (सल्ल0) का अपने उपर पूरा नियंत्रण भी था इसका पता उनकी सीरत की इस घटना से चलता है जो हजरत अनस से रिवायत है, वो फरमाते हैं, मैं एक बार नबी (सल्ल0) के हमराह चल रहा था और आप एक नजरानी चादर ओढ़े हुए थे जिसके किनारे मोटे और खुरदरे थे तभी एक बदबी ने आपको पकड़ लिया और ऐसे जबर्दस्त झटके के साथ आपके चादर को खींचा कि आप (सल्ल0) की नर्म और नाज़ुक गर्दन पर चादर के किनारे से खराश आ गई |उस बदबी ने आपसे माल तलब की, आप उस बदबी की तरफ मुड़े और हंस पड़े फिर उसको कुछ माल अता करने का हुक्म दिया |आपके इस व्यक्तिगत अनुशासन के बारे में बीबी आयशा (रजि0) फरमाती हैं, अपनी जात के लिए कभी भी रसूल (सल्ल0) ने किसी स इंतकाम नहीं लिया |’आपकी सीरत में एक नहीं बल्कि हजारों वाकियातें हैं जिससे पता चलता है कि आपने हर मौके पर खुद को अनुशासित रखा, सब्र किया, इंतकाम की कुव्वत रहते हुए भी इंतकाम नहीं लिया | 

स्वाध्याय (आत्मचिंतन)- आपका रूहानी ताल्लुक हर वक़्त खुदा के साथ रहता था |नुबुब्बत मिलने से पहले भी जब आप अरब के लोगों को मार-धार, कत्लो-गारत के कामों में लगा देखते थे तो आप गहन चिंतन में डूब जाया करते थे और प्रायः कई-कई दिनों तक हीरा नाम पर पहाड़ी पर जाकर ध्यानस्थ हो जाया करते थे |मुस्लिम शरीफ में आपके बारे में आता है, आप प्रायः ईशा की नमाज़ के बाद बातचीत नापसंद फर्माते थे |हजरत हिन्द बिन अबू हाला का बयान है कि आप (सल्ल0) बिला जरूरत किसी से गुफ्तगू नही करते थे और अक्सर खामोश रहा करते थे | (शमाईले-तिरमिज़ी) हजरत जाबिर बिन समुरा ने भी आप (सल्ल0) के बारे में यही फ़रमाया कि आप अधिकतर खामोश रहा करते थे |

ईश्वर प्राणिधान (यानि ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण)-आप (सल्ल0) ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पित थे |आम इंसान तो नींद में सबसे कटा सपनों के दुनिया में खोया रहता है और सबसे बेखबर रहता है पर आप (सल्ल0) की नींद का ताअल्लुक केवल आँखों से था और दिल ईश्वर से जुड़ा रहता था |हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह फरमाते हैं, कुछ फ़रिश्ते नबी (सल्ल0) के पास उस वक़्त आये जबकि आप सो रहे थे |फरिश्तों ने आपस में कहा, आप (सल्ल0) सोये हुए हैं |किसी फ़रिश्ते ने कहा, आँखें सो रही है मगर दिल तो जाग रहा है | (बुखारी)

(3)आसन: महर्षिपतंजलि ने स्थिर तथा सुखपूर्वक बैठने की क्रिया को आसन कहा है। आसन का उद्देश्य आसनों के द्वारा शारीरिक नियंत्रण करना है |कुरान के सूरह-अनकबूत की एक आयत में आता है, इस्लामी नमाज़ बुराइयों, पापों, अश्लीलताओं आदि सभी निषिद्ध कर्मों से रोकती है |(नमाज़ भी एक तरह या योगासन है जिसकी चर्चा इस आलेख में विस्तार से हो चुकी है)आप (सल्ल0) को हजरत जिब्रील (अलैहे0) ने नमाज़ सिखाई और आपने यही नमाज़ अपने उम्मतियों को सिखाई और कहा नमाज़ मोमिनों का मेराज़ (उत्थान) है |नमाज़ अल्लाह और उसके बन्दों के बीच संबंध स्थापित करता है |आप (सल्ल0) ने अपने उम्मतियों को नमाज़ में दो सजदों के बीच जो दुआ सिखाई उसमें एक लब्ज आता है, वरफाअनीयानि मेरा रफा फरमा दे, मेरा आध्यात्मिक उत्थान कर |यानि नमाज़ न सिर्फ गुनाहों से पाक रखती है बल्कि हमें आध्यात्मिक ऊँचाइयों तक ले जाती है और कुर्बे-इलाही नसीब करती है |आप (सल्ल0) अपनी जिन्दगी में नमाज़ के बेहद पाबंद थे और कभी भी अपनी नमाज़ तर्क नहीं करते थे |आप (सल्ल0) पंचगाना के अलावे नफ्ल नमाज़ें भी पढ़ते थे और रातों को उठ-उठ कर नमाज़े पढ़ा करते थे |

(4)प्राणायाम: - योग की यथेष्ट भूमिका के लिए नाड़ी साधन और उसके जागरण के लिए किया जाने वाला श्वास और प्रश्वास का नियमन प्राणायाम है। प्राणायाम मन की चंचलता और विक्षुब्धता पर विजय प्राप्त करने के लिए बहुत सहायक है। इस्लाम में कुरान शरीफ की सुंदर आवाज़ में तिलावत करने की बड़ी अहमियत है |हकीम जी0 एम0 चिश्ती ने अपनी पुस्तक द बुक ऑफ़ सूफी हीलिंगमें लिखा है, आरंभ से अंत तक हमारा जीवन सतत साँसों का समुच्चय है और सूफी परम्परा में सांस लेने का तरीका योग की तरह ही है |’कुरान की तिलावत करने वाले कई कारी सांसों के अभ्यास के जरिये ही कुरान की बेहतरीन तिलावत करते हैं |आप (सल्ल0) स्वयं भी बेहतरीन आवाज़ में सांसो के समन्वय के साथ तिलावत करते थे और ऐसा करने वालों को प्रोत्साहित भी करते थे|एक बार हजरत अबू मूसा अशअरी की कीरत से खुश होकर आपने फ़रमाया था, लगता है खुदा ने तेरे गले में हजरत दाऊद का साज़ रख दिया है|

(5)प्रत्याहार: इंद्रियों को विषयों से हटाने का नाम ही प्रत्याहार है। इंद्रियाँ मनुष्य को बाह्यभिमुख किया करती हैं। प्रत्याहार के इस अभ्यास से साधक योग के लिए परम आवश्यक अन्तर्मुखिता की स्थिति प्राप्त करता है। आप (सल्ल0) का अपनी इन्द्रियों पर पूरा नियंत्रण था और अपने उम्मतियों को भी आपने यही तालीम दी थी |

  • तिरमिज़ी शरीफ में हजरत फजाला बिन उबैद से रिवायत है, आप (सल्ल0) ने फरमाया, मुजाहिद वह है जो अपने नफ्स से जिहाद करे यानि नफ्स के खिलाफ चलने की कोशिश करे |
  • हजरत अबू हुरैरा फरमाते हैं, नबी (सल्ल0) ने इरशाद फर्माया, दुनिया मोमिन के लिए कैदखाना है तथा काफ़िर के लिए जन्नत है |
  • हजरत शद्दाद बिन औस से रिवायत है, रसूल (सल्ल0) ने इरशाद फ़रमाय, समझदार आदमी वह है जो अपने नफ्स का मुहासबा करता रहे और नासमझ आदमी वह है जो नफ्स की इच्छाओं पर चले | (तिरमिज़ी)
  • हजरत अब्दुलाह बिन अम्रू से रिवायत है, नबी (सल्ल0) ने इरशाद फ़रमाया, कोई शख्स उस वक्त तक कामिल ईमान वाला नहीं हो सकता जबतक कि उसकी नफ्सानी चाहतें इस दीन के तआबे न हो जाए जिसे मैं लेकर आया हूँ |

(6)धारणा एवम् (7).ध्यान - चित्त को एक स्थान विशेष पर केंद्रित करना अथवा एकाग्र होना ही धारणा है और जब ध्येय वस्तु का चिंतन करते हुए चित्त तद्रूप हो जाता है तो उसे ध्यान कहते हैं। पूर्ण ध्यान की स्थिति में किसी अन्य वस्तु का ज्ञान अथवा उसकी स्मृति चित्त में प्रविष्ट नहीं होती। ध्यान योग का एक महत्वपूर्ण तत्व की नहीं है अपितु योग की आत्मा भी है, जो शरीर, मन, बुद्धि तथा आत्मा के बीच लयात्मक संबंध बनाती है, हमारी उर्जा को केन्द्रित करती है |उर्जा के केन्द्रित होने से शरीर तथा मन में शक्ति का संचार होता है और हमारा आत्मिक बल बढ़ता है |प्राचीन काल से ही तमाम योगी और महान आत्माएं इसी ध्यान-धारणा क्रिया के द्वारा उर्जा को संचित कर न केवल आत्मिक एवम् परलौकिक ज्ञान और दृष्टि प्राप्त करते रहे हैं बल्कि दैवीय वाणियों का प्रकटन भी उन तक हुआ है |ध्यान और धारणा अनावश्यक और नकारात्मक विचारों को मन से निकालकर शुद्ध, सकारात्मक और आवश्यक विचारों को हमारे मस्तिष्क में जगह देता है | ध्यान और धारणा के लिए मन को एकाग्र करने के साथ-साथ शुद्ध, एकांत और पवित्र वातावरण भी चाहिए जहाँ शांति को और मन को विचलित करने वाले तत्व न हो | इस्लाम के प्रवर्तक मुहम्मद (सल्ल0) साहब की मुक़द्दस जिन्दगी का जब 35वां वर्ष शुरू हुआ तब आप तन्हाई पसंद हो गए |आप (सल्ल0) आये दिन अरब के कबीलों के बीच होने वाले खून-खराबा, मार-धार, उनके रहन-सहन और उनकी वहशत से परेशान थे और इन्हीं हालातों के बीच जब आपकी उम्र 40 साल की हुई तो आप (सल्ल0) मक्का-मुकर्रमा से तकरीबन तीन मील दूर स्थित जबले-हीरानामी पहाड़ी के ऊपर एक गार में चले जाया करते थे |यह पहाड़ी ध्यान-धारणा के लिए माकूल जगह थी क्योंकि यहाँ सुकून, अमन और मुक़द्दस वातावरण था |यहाँ आप (सल्ल0) कई-कई दिनों का खाना-पानी साथ ले जाते थे और वहां के पुरसुकून माहौल में इबादते-इलाही में ध्यानस्थ (मसरूफ) हो जाया करते थे |इसी गारे-हीरा में ध्यानस्थ रहने के क्रम में एक दिन आपको ईश्वरीय दूत जिब्रील (अलैहे0) का दीदार हुआ और उनके माध्यम से आप (सल्ल0) को पहली ईश्वरीय वाणी का संप्रेषण भी हुआ |

(8).समाधि :- योग दर्शन समाधि के द्वारा ही मोक्ष प्राप्ति को संभव मानता है। आत्मा का परमात्मा से योग इसी अवस्था में होता है |हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की जिंदगी में शबे-मेराज की घटना काफी महत्व का है, कहा जाता है कि इस मेराज के सफ़र में आप (सल्ल0) को दीदारे-इलाही (खुदा का दर्शन) नसीब हुआ और उम्मत पर नमाज़ फ़र्ज़ की गई; इतना ही नहीं इस मेराज के दौरान आप (सल्ल0) को उम्मत पर पेश आने वाली प्रगतियों के दृश्य भी दिखाए गये मुसलमानों के अंदर मेराज को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं |मुसलमानों का एक वर्ग है जिसकी मान्यता है कि रसूल (सल्ल0)का यह मेराज जिस्म और रूह के साथ हुआ था जबकि दूसरा वर्ग यह मानता है कि रसूल का मेराज उनके पार्थिव शरीर के साथ नहीं हुआ था बल्कि यह एक सर्वोत्कृष्ट कशफ़था जिसमें मनुष्य अपने बिस्तर पर लेते हुए भी दूरवर्ती देशों का सफ़र तय कर लेता है |एक तीसरा वर्ग भी है जो रसूल साहब के एक मेराज को योग से जोड़ता है |जावेद खान (जो ताईकोआन्डों के क्षेत्र में एक जाने-माने नाम हैं) ने माता निर्मला के सानिध्य में सहज योगसीखा और अपने अनुभवों को उन्होंने इस्लाम इनलाईटेंडयानि इस्लाम ज्ञानालोक मेंनाम से लिखी अपनी किताब में कलमबद्ध किया |इस किताब में उन्होंने रसूल (सल्ल0) के मेराज को उनकी आध्यात्मिक ऊँचाई से जोड़ा है और सात आसमानों के उनकी सैर की तुलना शरीर में मौजूद सात चक्रों से की है | इस मेराज की घटना और योग शास्त्र का अध्ययन स्पष्ट कर देता है कि जावेद साहब द्वारा की गई मेराज की यह व्याख्या ही वैज्ञानिकता के धरातल खड़ा है और अहले-इल्म के हर एतराज का माकूल जबाब भी है महर्षि पतंजलि ने अपने ´योग दर्शन´ शास्त्र में शरीर में मौजूद 7 चक्रों का वर्णन किया है, योग में इन चक्रों को सूक्ष्म शरीर का सप्तचक्र कहते हैं। इन सातों चक्रों पर ध्यान करने अर्थात मन को लगाने से आध्यात्मिक व अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। सूक्ष्म शरीर के इन 7 चक्रों का नाम इस प्रकार है-

मूलाधार चक्र- यह जननेन्द्रिय और गुदा के बीच स्थित है। 
स्वाधिष्ठान चक्र- यह उपस्थ में स्थित है।
मणिपूर चक्र- यह नाभिमंडल में स्थित है।
अनाहद चक्र- यह हृदय के पास स्थित है।
विशुद्धि चक्र- यह चक्र कंठकूप में स्थित है।
आज्ञा चक्र- यह भ्रमध्यम में स्थित है।
सहस्त्रार चक्र- यह मस्तिष्क में स्थित है।

इन सारे चक्रों से हमारे कुछ न कुछ क्रियाकलाप जुड़े हुए हैं, जैसे मूलाधार चक्र की उर्जा अगर गड़बड़ हो जाए तो फिर ऐसे व्यक्तियों की प्रवृति काम और हिंसा की तरफ बढ़ती है, स्वाधिष्ठान चक्र की गड़बड़ी इन्सान को अकर्मण्य बना देती है वो मौज-मस्ती और विलासिता में ही जीवन गुजार देता है |इसलिए योगी योग साधना और उसके नियमों के जरिये इन चक्रों की उर्जा को समायोजित करता है. इस कार्य में सर्वोत्कृष्ट होना तब कहलाता है जब इंसान इन चक्रों की उर्जाओं को साध लेता है |कहा जाता है कि कुंडलिनी उर्ध्वगामी होकर "बढ़ती"है, विभिन्न केंद्रों को भेदती हुई सिर के शीर्षस्थान पर जा पहुंचती है, परिणामस्वरूप परमात्मा से मिलन होता है। रसूल साहब के मेराज को देखिये तो ठीक वहां भी ऐसा ही घटित हुआ था , पहले आसमान से लेकर हर आसमान पर जिब्रील की मार्फ़त खुदा ने आपको स्वास्थ्य, देह-शुद्धी, सदाचार, यम-नियम, आहार-विहार इन बातों को समझाया और जब आपने सातवें आसमान यानि सहस्त्रसार चक्र को साधित कर लिया तो वहां आपको कुर्बे-इलाही नसीब हुई. जावेद खान साहब ने तो अपनी किताब में ये तक लिखा है कि जिस बुर्राक से रसूल का 7वें आसमान पर जाना हुआ था वो बुर्राक दरअसल कुंडलिनी है |

नुबुब्बत मिलने से पहले रसूल (सल्ल0) का पाकीजा चरित्र
                        
आप (सल्ल0) के सर से आपके वालिद का साया आपकी विलादत से पूर्व ही हट गया था और आपके सर पर माँ की छाया भी सिर्फ 6 साल ही रही |आमतौर पर देखा जाता है कि यतीम बच्चे सामाजिक परिवेश और अनाथ होने के तानों से खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं और माँ-बाप के परवरिश के अभाव के कारण उनका किरदार ठीक ढ़ंग से जाहिर नहीं हो पाता पर नबी (सल्ल0) के साथ ऐसा नहीं था |रसूल (सल्ल0) के ऊपर पहली वही तब नाजिल हुई जब आप (सल्ल0) अपनी उम्र के 40 वें साल में थे, परन्तु नबी (सल्ल0) के किरदार की ऊँचाई नुबुब्ब्त मिलने के बाद दिखनी शुरू हुई ऐसा नहीं है, नुबुब्बत मिलने से पहले की उनकी जिन्दगी भी उतनी की पाक और संयमित थी |पूरे मक्का में कोई भी नहीं था जिसके मन में आपके चरित्र और स्वभाव को लेकर कोई नकारात्मक धारणा हो |आप (सल्ल0) के दिल में सबके लिए रहमत और इन्साफ का भाव था |लोग अपनी अमानतें आपके पास रखते थे, आपने कभी झूठ नहीं बोला, न किसी मजलूम को सताया, किसी का हक नहीं मारा और न ही कभी किसी के खिलाफ झूठी गवाही दी |आपके इस गैर-मामूली किरदार की वजह संभवतः यही थी कि आप एक ऊँचे दर्जे के योगी भी थे और एक योगी के किरदार की पूर्णता आचार, विचार, व्यवहार सभी में झलकती है जो आपके व्यक्तित्व से भी परिलक्षित है |

ॐ को लेकर आपत्तियां

हर धर्म में है ॐ - हमारे महान ऋषियों ने हज़ारों साल पहले कहा था कि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के समय जो ध्वनि उत्पन्न हुई थी वह ॐ की ध्वनि थी और समूचे ब्रह्मांड सर्वत्र ॐ की ध्वनि की गुंजित हो रही है |आधुनिक वैज्ञानिक लम्बे समय से इस कोशिश में थे कि सूर्य से निकलने वाली ध्वनि को रिकॉर्ड किया जाए पर उन्हें सफलता मिली जब नासा ने 11 फरवरी, 2011 को Solar Dynamics Observatory (SDO) के माध्यम से सूर्य से निकलने वाले चुम्बकीय तरंगो को ध्वनि में रूपांतरित किया तो वो स्तंभित रह गए क्योंकि सूर्य से लगातार निकलने वाली ध्वनि ॐ की थी और यह ध्वनि स्पष्ट सुनाई भी दे रही थी |माण्डुक्य उपनिषद के अनुसार यह ओ३म् शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है- अ, उ और म. प्रत्येक अक्षर ईश्वर के अलग अलग नामों को अपने में समेटे हुए है. जैसे “अ” से व्यापक, सर्वदेशीय, और उपासना करने योग्य है. “उ” से बुद्धिमान, सूक्ष्म, सब अच्छाइयों का मूल, और नियम करने वाला है. “म” से अनंत, अमर, ज्ञानवान, और पालन करने वाला है. तथा यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है | सामान्य शब्द में कहा जाए तो निराकार इश्वर को एक शब्द में व्यक्त किया जाये तो वह शब्द ॐ ही है | ॐ शब्द के उच्चारण से हमारे आसपास सकारात्मक उर्जा फैलने लगता है | ॐ केवल हिन्दुओं का नहीं है, ब्रहमांड के कल-कल में निनादित यह ध्वनि केवल हिन्दुओं की नहीं है, बल्कि सबकी है |  हिन्दू धर्म में ही नहीं बल्कि दुनिया के प्रायः हर धर्म में यह शब्द है ,

बौद्ध धर्म में ॐ - बौधों का मूल मन्त्र ॐ है, उनका प्रसिद्ध मन्त्र है, ॐ मणि पद्मे हुं

जैन धर्म में ॐ -  
जैन ग्रंथों में ॐ की महिमा है, जैन ग्रंथों में आता है कि अर्हत, अशरीरी. आचार्य, उपाध्याय और मुनि इन पाँचों के प्रथम अक्षरों को मिलाकर ॐ बनता है, जो बीज मन्त्र है |  

सिख धर्म में ओंकार - सिखों के पवित्र ग्रंथों में भी सर्वप्रथम ओंकार यानि ॐ ही लिखा गया हैं ओंकार सतनाम करता पुरख

यहूदी और ईसाई मजहब में ॐ-  ईसाइयत की भी मान्यता है कि एक ध्वनि नाद सृष्टि उत्पत्ति का कारण है, युहन्ना की इंजील में आता है, आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। प्रभु ईसा ने कहा था कि मैं अल्फ़ा और ओमेगा हूँ (ओमेगा शब्द ॐ से ही निःश्रित है)

इस्लाम धर्म में ॐ - 1905 में स्वामी रामतीर्थ लखनऊ में कुछ मौलवियों के साथ शास्त्रार्थ करने आये थे, राम ने उन मौलवियों से ॐ का उच्चारण करने को कहा और इसके उच्चारण से मिलने वाली शांति और सकारात्मक उर्जा का एहसास करवाया |स्वामीजी ने उन मौलवियों से कहा कि ॐ का प्रणव नाद ब्रह्माण्ड के कण-कण में तो है ही साथ ही ॐ की विलक्षणता बताते हुए कहा, आंग्लभाषा में OMसे शुरू होने वाले शब्द भी ईश्वर के गुणों के द्योतक हैं जैसे,Omnicompetent अर्थात सर्वकार्यसक्षम, Omniscient अर्थात सर्वज्ञ, Omniscint अर्थात अंतर्यामी, Omnipotent अर्थात सर्वशक्तिमान, Omniscience अर्थात सर्वज्ञ, Omnipresent अर्थात सर्वव्यापी |  इसके बाद स्वामी रामतीर्थ ने उन मौलवियों से कहा, आपके कुरान के सूरह बकरह की जो पहली आयत हैं अलिफ़, लाम, मीम उसका अर्थ क्या है? मौलवियों ने कहा, इसका अर्थ हमें नहीं पता क्योंकि खुदा ने इसे हमसे छुपा कर रखा है और क़यामत के दिन इसका अर्थ बताएगा; तब राम ने उन्हें अरबी व्याकरण के हवाले से समझाया कि कई दफा व्यंजन से पहले और स्वर के बाद अगर लाम आये तो उसका उच्चारण वाओ अर्थात अंग्रेजी अक्षर O की तरह होता है, (उदाहरण देते हुए उन्होंने समझाया, निजामुद्दीन को अरबी में निजमुलद्दीन लिखतें हैं पर पढ़ते हैं निजामुद्दीन)  यानि अलिफ़, लाम मीम का अर्थ है ॐ | उपरोक्त तथ्यों से यह साबित है ॐ किसी एक मजहब का नहीं है, ॐ रुपी ब्रहमांड नाद के उच्चारण को योग में रखने का उद्देश्य यही था कि इसके उच्चारण के द्वारा हम सकारात्मक और तेजोमयी उर्जा से परिपूर्ण हो सकें |  इसलिए योग के दौरान ॐ शब्द का जप या उच्चारण गैर-इस्लामिक नहीं है फिर भी अगर किसी को इसके उच्चारण से आपत्ति है तो वह ॐ की जगह अल्लाह का उच्चारण करके भी योग कर सकता है|  

योग का संदेश : खुश रहना और खुशियाँ बांटना- योग का एक बड़ा मकसद खुद भी खुश रहना और अपने माध्यम से दूसरों को भी खुश रखना है |योग हमें हमारी क्रोध, इर्ष्या, जलन आदि की बुरी भावना से हमें मुक्त करता है तो जाहिर है योग के माध्यम से हमारा व्यवहार ऐसा हो जाता है कि दूसरे भी हमसे खुश रहतें हैं |इस्लाम में एक पूरा महीना ही इबादत, परहेज और रूहानी तरक्की के लिए रख दिया गया है |रमजान का महीना पूरे एक महीने तक के इम्तेहान का महीना है क्योंकि इसमें इन्सान एक महीने तक आहार-विहार का संयम रखता है, अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखता है और रब की इबादत में मशगूल रहता है |फिर इस कड़े परीक्षा के महीने के बाद बतौर तोहफा आता है ईद का त्यौहार जो खुश रहने और खुशियाँ बांटने का त्यौहार है |खुशहाल लोग, अपनी अपनी हैसियत से कुछ पैसा या जरूरत का सामान गरीब लोगों को देते हैं। इस तरह उन लोगों को भी जिनकी माली हैसियत उतनी नहीं है, ईद की खुशी में शामिल किया जाता है। एक तरह से यह इस त्यौहार का बड़ा संदेश है कि दुनिया को बनाने वाले की नज़र में उसकी कोई भी रचना छोटी नहीं है |खुद भी खुश रहना और खुशियाँ बांटना जिन्दगी का मकसद है, यही योग और ईद दोनों का सन्देश है |

अंत में-
      
योग भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा विश्व को दी गई सबसे अमूल्य देन है, जो केवल हिन्दुओं के लिए ही नहीं अपितु सारे मानव जाति के लिए एक वरदान है |योग केवल शारीरिक व्यायाम तक सीमित नहीं है, महर्षि पतंजलि के अनुसार यह शरीर मन, बुद्धि और आत्मा को जोड़ने की समग्र जीवन पद्धति है। शास्त्रों में 'योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:', ‘मनः प्रशमनोपायः योगःतथा समत्वं योग उच्यतेआदि विविध प्रकार से योग की व्याख्या की गयी है, जिसे अपनाकर व्यक्ति शान्त व निरामय जीवन का अनुभव करता है। योग का अनुसरण कर संतुलित तथा प्रकृति से सुसंगत जीवन जीने का प्रयास करने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, जिसमें दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों और मतों के मानने वाले शामिल हैं | योग हम सबके लिए है इसलिए वो लोग जो योग और इस्लाम दोनों ही की तालीम से अवगत हैं, मानतें हैं कि योग जाहिर और बातिन दोनों को परिशुद्ध करने का रास्ता है |वो मानतें हैं कि अगर सही मनोभाव के साथ इस्लाम का अध्ययन किया जाए तो योग के गैर-इस्लामिक होने लायक कोई बात ही नहीं है क्योंकि इस्लाम की तो यह मान्यता है कि मानव-शरीर खुदा की नेअमत है जिसे ठीक रखना मानव की अपनी जिम्मेदारी है और इसलिए योग इसका एक बेहतर माध्यम हो सकता है |योग को किसी धर्म विशेष से जोड़कर उससे द्वेष करने के बजाय शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जोड़कर देखना उदार दृष्टि का परिचायक है। हर धर्म के कुछ सकारात्मक पहलू होते हैं इसलिए जो भी इन सकारात्मक बातों को अपने कट्टरपंथ में नकारता है तो ऐसा करके वह केवल अपना ही नहीं अपितु अपने धर्मभाइयों का भी नुकसान करता है। इसलिए आज ये आवश्यक है कि मानव-कल्याण की भावना रखने वाला हर व्यक्ति खुद भी योग रुपी खुदाई नेअमत से जुड़े और योग के सन्देश को दुनिया के कोने-कोने में प्रसारित करे।



(अभिजीत )












विशेष : छत्तीसगढ़ की धनवार जनजाति की भांति मीणा जनजाति के सभी समानार्थी

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नामों को जोड़कर संशोधित अधिसूचना जारी करवाने हेतु प्रधानमंत्री को पत्र
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जयपुर। हक रक्षक दल (HRD) के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ ने भारत के प्रधानमंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, जनजाति मंत्री, अध्यक्ष राष्ट्रीय जनजाति आयोग, नयी दिल्ली और अनेक सांसदों को पत्र लिखकर साग्रह सहयोग मांगा है कि जिस प्रकार से वर्ष 2013 में छत्तीसगढ की धनवार जनजाति के धनुवार और धनुहार दो समानार्थी एवं समकक्ष नामों (Synonyms or Equivalent Names) को जोड़कर जनजातियों की सूची को संशोधित किया गया था, उसी प्रकार से जनजातियों की सूची में ‘‘मीना/Mina’’ जनजाति के सभी समानार्थी एवं समकक्ष नामों (Synonyms or Equivalent Names) को जोड़कर संशोधित अधिसूचना जारी करवाई जावे। हक रक्षक दल के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ अपने पत्र में लिखा है कि-

1. यह कि जनजातियों की सूची में क्रम 9 पर मीना/Mina नाम से अधिसूचित जनजाति राजस्थान में ‘मीणा/मीना, मैना/मैणा, मेंना/मेंणा, मेना/मेणा’ इत्यादि समानार्थी एवं समकक्ष नामों (Synonyms or Equivalent Names) से जानी और पहचानी जाती रही है।

2. यह कि प्रारम्भ में काका कालेकर आयोग द्वारा उक्त बिन्दु 1 में वर्णित जनजाति को मीणा जनजाति नाम से जनजातियों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी, लेकिन सरकारी बाबुओं ने मीणा जनजाति को अंग्रेजी में Mina अनुवाद करके क्रम संख्या 9 पर मीणा/Meena के बजाय Mina जनजाति के नाम से अधिनियमित ओर अधिसूचित कर दिया गया।

3. यह कि 1976 में राजभाषा अधिनियम लागू किये जाने के बाद Mina नाम अंग्रेजी में अधिसूचित मीणा जनजाति को को सरकारी अनुवादकों ने हिन्दी में ‘मीना’ अनुवादित करके मीना/Mina के रूप में जनजातियों की सूची में फिर से अधिनियमित और अधिसूचित कर दिया गया।

4. यह कि इस प्रकार काका कालेकर आयोग द्वारा जिस ‘मीणा’ जनजाति को जनजातियों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की गयी थी, उस जनजाति को सरकारी बाबूओं ने अंग्रेजों ने मीना/Mina जाति बना दिया। जिसके चलते सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर मीणा के साथ-साथ मीना शब्द भी प्रचलन में आ गया। इसी दौरान मीणा जाति के अंग्रेजी नहीं जानने वाले व हिन्दी माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मीना/मीणा का अंग्रेजी अनुवाद सरकारी पाठशालाओं में सरकारी अध्यापकों द्वाराMeena लिखना सिखाया जाता रहा।

5. यह कि उपरोक्तानुसार मीणा जनजाति को सरकारी बाबुओं और सरकारी अध्यापकों ने मीना/मीणा/Meena बना दिया गया। इसीलिये किन्हीं अपवादों को छोड़कर राजस्थान में सभी मीणाओं को मीना/मीणा/Meena नाम से ही जनजाति के जाति प्रमाण-पत्र बनाये जाते रहे हैं।

6. यह कि स्वतन्त्रता संग्राम में बढचढकर भाग लेने वाले मीणा जनजाति के स्वाभिमानी लोग सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से अत्यधिक पिछड़े होने के बावजूद अत्यधिक लगनशील, परिश्रमी और व्यसनमुक्त जीवन व्यतीत करते रहे हैं। इस कारण प्रारम्भ से ही मीणा जनजाति के अभ्यर्थियों ने प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता अर्जित करके सरकारी नौकरियॉं हासिल की और प्रशासनिक, प्रबन्धकीय और तकनीकी सहित सभी क्षेत्र में अपनी निष्ठा तथा बौद्धिक क्षमताओं का लोहा मनवाया। मगर आरक्षण विरोधी एवं सामाजिक न्याय की अवधारणा के विरोधियों को मीणा जनजाति की सांकेतिक प्रगति भी सहन नहीं हुई। अत: आरक्षण विरोधी शक्तियों ने मीणा जनजाति की उभरती प्रतिभाओं को आरक्षण से वंचित करने के दुराशय से मीणा जनजाति का जनजाति स्टेटस/आरक्षण समाप्त करने का सुनियोजित षड़यंत्र रच डाला। जिसके तहत कोर्ट का सहारा लेकर, सरकारी बाबुओं की गलतियों की सजा मीना/मीणा/Meena जनजाति की वर्तमान युवा पीढी को दी जा रही है। जबकि राजस्थान की मीणा जनजाति के बारे में मौलिक जानकारी रखने वाले हर एक व्यक्ति को इस बात का अच्छी तरह से ज्ञान है कि जनजातियों की सूची में शामिल मीना/Mina जाति को हमेशा से स्थानीय बोलियों में ‘मीणा/मीना, मैना/मैणा, मेंना/मेंणा, मेना/मेणा’ इत्यादि नामों से बोला और लिखा जाता रहा है। मीणाओं की वंशावली लेखक जागाओं की पोथियों में भी इसके ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद हैं। यही वजह है कि राजस्थान सरकार भी राजस्थान हाई कोर्ट को स-शपथ अवगत करवा चुकी है कि मीणा और मीना एक ही जाति है, केवल अंग्रेजी में स्पेलिगं (Meena/Mina i.e. ee/i) का अन्तर है। लेकिन राजस्थान सरकार संशोधित अधिसूचना जारी करवाने हेतु केन्द्र सरकार को सिफारिश नहीं कर रही है। साथ ही राजस्थान सरकार द्वारा मीणा/Meena जनजाति के लोगों को जाति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किये जाने और मीना/मीणा/Meena/Mina जनजाति के लोगों के मीणा/Meena जाति के नाम से प्रशासन द्वारा अब से पहले जारी किये जा चुके/बनाये जा चुके जनजाति प्रमाण-पत्रों को मीना/Mina जनजाति के नाम से संशोधित नहीं करने के आदेश भी जारी किये जा चुके हैं। जिससे मीणा जनजाति की उभरती युवा प्रतिभाओं को सामाजिक न्याय और आरक्षण से वंचित करने का षड़यंत्र सफल होता दिख रहा है। लेकिन शांति और सौहार्द के लिये ख्याति प्राप्त राजस्थान की मीना/मीणा/Meena/Mina जनजाति के लोगों को और विशेषकर नौकरी और उच्च शिक्षा की उम्मीद लगाये बैठे मीना/मीणा/Meena/Mina जनजाति के युवा वर्ग को आपकी लोकप्रिय भारत सरकार से संवैधानिक सामाजिक न्याय की पूर्ण उम्मीद है।

आग्रह: अत: उपरोक्तानुसार अवगत करवाते हुए इस संगठन के लाखों समर्थकों, कार्यकताओं और सदस्यों की ओर से साग्रह अनुरोध है कि-समान परिस्थितियों में संविधान अनुच्छेद 342 के प्रावधानों के तहत वर्ष 2013 में संसद के मार्फत भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ की ‘धनवार’ जनजाति के समानार्थी नाम धनुहार और धनुवार को जनजातियों की सूची में जोड़कर धनवार जनजाति के साथ इंसाफ किया था।
कृपया देखें-The Constitution (Scheduled Tribes) Order (Second Amendment) Bill, 2013. "(b) the Dhanuhar and Dhanuwar communities to the list of Scheduled Tribes in Chhattisgarh. The two communities in Chhattisgarh have been added as synonyms or equivalent names of the Dhanwar community which is currently listed as a Scheduled Tribe in Chhattisgarh."
पुन: उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार द्वारा हाई कोर्ट में पेश शपथ-पत्र के अनुसार मीणा जनजाति ही मीना जनजाति है। अत: धनवार जनजाति की भांति मीना/Mina जनजाति के सभी निम्न समानार्थी एवं समकक्ष नामों (Synonyms or Equivalent Names) को भी जन जातियों की सूची में जोड़कर निम्न प्रकार से भूतलक्ष्यी प्रभाव सहित संशोधित अधिसूचना जारी किया जाना इंसाफ और न्यायसंगत है :
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क्रम 9 : ‘मीणा/मीना/Meena/Mina, मैना/मैणा/Maina, मेंना/मेंणा/Mainna, मेना/मेणा/Mena’
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डॉ. निरंकुश ने अन्त में लिखा है कि आशा है कि भारत सरकार लोक कल्याण व सामाजिक न्याय की अवधारणा और मीणा जनजाति की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उपरोक्तानुसार वैधानिक कदम उठाकर न्यायप्रिय और लोकप्रिय सरकार संचालित होने का परिचय देगी। हक रक्षक दल (HRD) के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ ने मीणा जनजाति के सभी मित्रों से अनुरोध किया है कि पत्र को प्रिटं करवाकर इस पत्र की कम से कम एक लाख प्रति प्रधानमंत्री को भेजी जावें, जिससे भारत सरकार समस्या की गम्भीरता को समझकर तुरन्त संशोधित अधिसूचना जारी करने का न्यायसंगत कदम उठा सके। प

अभिनय मेरा नशा है -- संतोष साहू

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फिल्मी दुनिया में बिना फिल्मी बैकग्राऊंड के बहुत संघर्ष करना पड़ता है मगर जब आपके पास मेहनत,लगन और धैर्य जैसे तीन रत्न हो तो सफलता एक दिन जरूर कदम चूमती है।  सपनों का शहर मुंबई में रोज नए लोग अपने आँखों  में यह सपना संजोये आते हैं कि एक न एक दिन यह मायानगरी उन्हें शोहरत और दौलत देगी। फिल्मो का क्रेज ही ऐसा है कि एक बार इसका चस्का लगा और जिन्दगी भर चिपका। ऐसा ही एक साधारण शक्ल सूरत वाला नौजवान संतोष साहू छत्तीसगढ़ राज्य के उर्जानगरी कहे जाने वाले शहर कोरबा से अपनी किस्मत आजमाने बॉलीवुड मुंबई में आये यह सपना लेकर कि एक दिन वह भी चमकता स्टार बन सके। बचपन से फिल्मे देखने के शौक से इनकी अभिनय के प्रति दीवानगी ऐसी हुई कि और किसी काम में मन ही नहीं लगे इसीलिए इन्होंने सीधा मुंबई का रास्ता पकड़ा। संतोष का एक ही फंडा है सुनना सबकी करना अपनी। मुंबई पहुँचने के बाद जबरदस्त संघर्ष किये, फिल्म मेकर से मिले कई धक्के खाए लेकिन हिम्मत नहीं हारे। पैसे खत्म हो गए तो मार्केटिंग जॉब के साथ थिएटर किये। मिलनसार स्वभाव के कारण धीरे धीरे फिल्मी मित्र बनने लगे और अनुभव भी होता गया तथा किस्मत भी साथ देने लगा। 

लेखक निर्देशक संदीप तिवारी ने संतोष की प्रतिभा को पहचाना और उन्होंने अपनी 2 फिल्म  अभिशाप, कामसूत्र और आटे दाल का भाव में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए चुना है। संदीप तिवारी का कहना है कि ‘संतोष समर्पित कलाकार है वह सेट पर हमेशा अपने डायरेक्टर की बातों को समझकर अभिनय करता है और मेरी उनके साथ अच्छी ट्यूनिंग रहती है।’ संदीप तिवारी की दोनों फिल्मों की शूटिंग लखनऊ में शुरू हो रही है। इसके बाद संतोष अपने डांस डायरेक्टर मित्र सुनील मोटवानी द्वारा निर्देशित हिंदी फिल्म श् एन जी ओ श् में भी एक पुलिस वाले के रूप में नजर आएंगे। इन दिनों वे अपनी फिल्म ‘मोर माटी मोर फर्ज’को लेकर व्यस्त हैं, यह फिल्म छत्तीसगढ़ी, भोजपुरी और हिंदी में बनने जा रही है। 

हेमा मालिनी की मर्सिडीज और एक ऑल्टो में टक्कर, ड्राइवर गिरफ्तार

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राजस्थान के दौसा में बीजेपी सांसद व अभिनेत्री हेमा मालिनी की मर्सिडीज और ऑल्टो में टक्कर हो गई। इस हादसे में एक बच्ची की मौत हो गई, जबकि हेमा मालिनी समेत पांच लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने हेमा मालिनी के ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है और उसके खिलाफ गैर-इरादतन हत्या और ओवरस्पीडिंग का मामला दर्ज किया गया है।

जिला कलेक्टर (दौसा) स्वरूप पवार ने यह जानकारी देते हुए बताया कि हेमा मालिनी एक मर्सिडीज कार से भरतपुर से जयपुर की ओर जा रही थीं जबकि दूसरी ऑल्टो कार जयपुर से लालसोट की तरफ जा रही थी। मिड-वे के निकट दोनों कारों में भिड़ंत हुई। उन्होंने बताया कि सांसद हेमा मालिनी हादसे के तुरंत बाद एक अन्य कार से जयपुर की तरफ रवाना हो गईं।

पवार के अनुसार, ऑल्टो कार में सवार पांच लोगों में से एक बच्ची की मौत हो गई जबकि चार लोग घायल हो गए। घायलों को दौसा के एक अस्पताल ले जाया गया जहां दो की हालत नाजुक होने पर जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल रेफर कर दिया गया है। हादसे में मृतक बच्ची की पहचान सोनम (4) के रूप में हुई है जबकि सीमा, हनुमान, शिखा और सोमित घायल हुए हैं।

हेमा मालिनी को दौसा से जयपुर के अस्पताल में पहुंचाने वाले डॉक्टर शिव कुमार ने बताया कि वह हेमा मालिनी को वह अपनी कार में जयपुर ले गया। हेमा के माथे से खून बह रहा था और उन्होंने तेज गाड़ी चलाने को कहा क्योंकि उन्हें बहुत दर्द हो रहा था। उन्होंने बताया कि हादसे के समय सांसद की मर्सिडीज कार का एयरबैग खुल जाने की वजह से उनको कम चोट आई। साथ ही अभिनेत्री के साथ कार में चालक के अलावा दो लोग और सवार थे।

शर्मा के अनुसार, ऑल्टो कार गलत दिशा से आ रही थी और इस दौरान दोनों वाहनों में तेज टक्कर हुई। टक्कर के बाद दोनों वाहन डिवाइडर पर चढ़ गए। कोतवाली थाना (दौसा) के जांच अधिकारी दिलीप कुमार ने बताया कि ऑल्टो कार में सवार लालसोट निवासी हनुमान खंडेलवाल ने मर्सिडीज कार चालक के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने जिस कार में सांसद हेमामालिनी सवार थी उसके चालक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 279, 336, 337 और 304 के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। मर्सिडीज और ऑल्टो भी जब्त कर ली है।

फोर्टिस अस्पताल सूत्रों के अनुसार, सड़क हादसे में घायल सांसद हेमा मालिनी आईसीयू में भर्ती हैं। हेमामालिनी के सिर, कमर,नाक में चोट लगी है। आंख के ऊपर लगी चोट से काफी खून भी निकला है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दौसा के कोतवाली थाना क्षेत्र में दो कारों की भिडंत के हादसे पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट के जरिये कहा, दौसा की दुर्घटना की खबर से उन्हें गहरा दुख है। मैं पीड़ितों के लिए प्रार्थना करती हूं। हम तत्काल राहत और चिकित्सा प्रदान करने के लिए प्रयास कर रहें हैं।

यह सड़क हादसा रात करीब आठ बजकर 55 मिनट पर हुआ। हादसे की सूचना मिलते ही जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट स्वरूप पवार, पुलिस अधीक्षक अंशुमान सिंह भौमिया समेत अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे।

बिहार का हत्या आरोपी दिल्ली में हुआ गिरफ्तार

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बिहार के रहने वाले हत्या के एक आरोपी और करोल बाग इलाके में फर्जी पहचान से ढाबा चला रहे एक व्यक्ति को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त (अपराध) रविंद्र यादव ने बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान भरत यादव के रूप में की गई है। वह बिहार के भोजपुर जिले में एक युवक की नशंस हत्या का आरोपी है। उसकी गिरफ्तारी कराने में मददगार किसी तरह की सूचना देने पर 15,000 रूपये का इनाम था।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि बिहार पुलिस की कई टीमें उसे ढूंढ रही थी लेकिन गिरफ्तारी से बचने के लिए वह अक्सर ठिकाना बदल लेता था। दिल्ली में आरोपी करोलबाग इलाके में एक ढाबा चलाता था। उसे अपराध शाखा की एक टीम ने कल प्रगति मैदान में भैरो मंदिर के पास से गिरफ्तार किया।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपी ने इस बात का खुलासा किया कि वह भोजपुर में अवैध रूप से शराब का धंधा करता था। अपने भतीजे हलचल की पिछले साल नवंबर में हुई हत्या का बदला लेने के लिए उसने अपने साथियों के साथ इस साल 27 फरवरी को भुवन नाम के व्यक्ति की हत्या कर दी थी।

सभी संगठनो को लेकर हम पत्रकारों के हितो की रक्षा करेगें -संतोष गंगेले

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भोपाल - प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह जी चौहान ने अधिमान्यता अवधि एक साल से बढ़ा कर दो साल कर दी तथा पत्रकारों के हितों में कडा कानून बनाने की घोषणा विदिशा प्रेस क्लब की मांग पर की जिसका गणेश शंकर विधार्थी प्रेस क्लब प्रांतीय समिति  स्वागत करती है साथ ही सरकार का आभार ब्यक्त करते हुए अपनी आने मांगो को पूरा करने ज्ञापन भेजा गया है। 

राजधानी सहित मध्य प्रदेश  के सभी पत्रकारों साथिओ -मध्य प्रदेश के पत्रकारों के हितों की रक्षा व उनकी समस्याओ को लेकर गणेश शंकर विधार्थी प्रेस क्लब के संरक्षकगण ,कार्यवाहक अध्यक्ष ,महा सचिव ,सचिव सभी पदाधिकारीगण ,लगातार प्रदेश सरकार के संपर्क में रहते है।  हम चिल्ला कर कार्य करने पर विश्वास  नहीं  करते है ??? हम हर अपनी मांग लिखित में सरकार के मंत्री महोदय ,जनसम्पर्क विभाग ,राजनैतिक नेताओ को दे कर पूरी करवाने में लगे है।  परिणाम सभी आपके सामने है। 

गणेश शंकर विधार्थी प्रेस क्लब प्रांतीय समिति की और से मै [संतोष गंगेले ] प्रदेश सरकार को लिखित ज्ञापन दे चूका हूँ की उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन कराया जावे ,मजीठिया आयोग के अनुसार पत्रकारों को वेतन दिलाओ ,मध्य प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को आदेशित किया जावे की प्रत्येक जिला कलेक्टर आवश्यक रूप से हर तीन माह में किसी भी अवकाश के दिन  जिला के पत्रकारों से रु व रु होकर पत्रकारों की ब्यक्तिगत समस्याओ को सुनकर उनका निराकार समय सीमा में किया जावें।  जिला जनसम्पर्क विभाग अपने अपने जिला के पत्रकारों के परिचय पत्र जारी करे ,जिससे पत्रकारों की पहचान बानी रहे।  जिला जनसम्पर्क अधिकारी तहसील स्तर पर पत्रकारों की कार्यशाला का साल में आयोजन कराई जावें।  जिला के प्रत्येक थाना में पत्रकारों की सूचि रखी जावें जिससे पुलिस पत्रकारों में होने बाले विवाद समाप्त होगें।  प्रदेश सरकार को सुझाव सहित मांग पत्र भेजा गया है की प्रत्येक जिला से , प्रत्येक माह दर्शनीय स्थलों ,तीर्थ स्थलों पर पत्रकारों का भ्रमण कार्यक्रम निश्चित किया जावें।  प्रदेश के ऐसे पत्रकारों की जिला प्रशासन की पहचान पर आर्थिक मदद की जावे जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर है।  पत्रकारों के बच्चो को शिक्षा के क्षेत्र में कोटा [आरक्षण ] दिया जावें। 

गणेश शंकर विधार्थी प्रेस क्लब प्रांतीय अध्यक्ष की ओर से ज्ञापन दिए जा चुके है तथा भोपाल जाकर व्यक्तिगत सम्बंधितजनो से मिलने की योजना तैयार की जा चुकी है। 

बिहार : वर्ष 2014 में भाजपा के इवेंट मैनेजमेंट रहे प्रशांत किशोर

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  • इस बार भाजपा सरकार

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पटना। इस बार भाजपा सरकार लाने का प्रयास तेज कर दिया गया है। बाढ़ सुरक्षा तटबंध पर ही बीजेपी ने दीवार लेखन शुरू कर दिया है। फुलवारीशरीफ में स्थित नया टोला में अख्तर हुसैन नामक साइन पेंटर रहते हैं। इनको दायित्व सौंपा गया है। 6 फीट लम्बा और 4 फीट चैड़ा दीवार पर पेंट करके भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल का फूल बनाकर श्लोगन लिखे कि इस बार भाजपा सरकार। अख्तर हुसैन कहते हैं कि 1 फीट जगह छोड़कर दीवार लेखन करना है। एक दीवार लेखन पर 10 रूपए दिए जाते हैं। 

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वर्ष 2014 में भाजपा के इवेंट मैनेजमेंट प्रशांत किशोर के हाथ में था।लोक सभा की तरह बिहार विधान सभा चुनाव में प्रशांत किशोर का सहयोग नहीं लिया जा रहा है। लगता है कि भाजापाई अपने ही पैमाने से इस बार भाजपा सरकार लाने की तैयारी में है। नीतीश कुमार के द्वारा होल्ंिडग आसमान में लगाया जा रहा है तो भाजपा के द्वारा जमीन पर दीवार लेखन और पोस्टर प्रदर्शन करने में लगे हैं। सूबे के नेताओं का यकीन है कि मतदाताओं के सिर पर पी.एम.मोदी का जादू चढ़कर बोलेगा। हाल के दिनों में केन्द्रीय सरकार के द्वारा जन उपयोगी योजना लायी गयी है। इससे आम लोग फायदा उठाने लगे हैं। इसका असर चुनाव के समय पड़ेगा ही। साफ छवि वाले मोदी की बातों पर आम लोग भरोसा करने लगे हैं। इनका देश-प्रदेश-विदेश में प्रभाव बढ़ा है। 

सी.एम.नीतीश कुमार से बदला भी लेना है। जनता के साथ विश्वासघात किए हैं। वहीं जंगल राज कायम करने वाले की गोद में जाकर बैठ गए हैं। साढ़े नौ साल में एक बार ही लोगों के घर में जाकर दस्तक दे रहे हैं। जो नीतीश सरकार के खिलाफ जाएगा। लोग जाग गए हैं। सब कुछ जानते हैं। बस हां में हां मिलाकर कमल छाप पर ही मुहर लगा देंगे। भाजपानीत समर्थक भी वैतरणी पार करने में सफल हो जाएंगे। 180 प्लस सीट पर कब्जा कर लेंगे। 

मत सम्मत : सर्वोच्च न्यायालय का सराहनीय फैसला !!!

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माननीय सर्वोच्च न्यायालय का बलात्कार के संबंध में एक बहुत ही सराहनीय निर्णय यह आया है की बलात्कार या यौनशोषण\यौनप्रतारणा  जैसे गंभीर अपराधिक मामले में समझौता करके मामले को ख़त्म नहीं किया जा सकता । वैसे यह निर्णय जिस मामले में आया है , उस मामले में पीड़िता भी समझौता नहीं चाहती थी , लेकिन पीड़िता के इच्छा के खिलाफ बलात्कारी को उच्च न्यायालय द्वारा पीड़िता से समझौता करने के लिए बलात्कार के आरोपी को जमानत दिया जाना भी आश्चर्यजनक ही था । इस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज करते हुए  सर्वोच्च न्यायालय ने बलात्कार तथा यौनशोषण को महिला के लिए उसके शरीर रूपी मंदिर को अपमान करने वाला, समाज में कलंकित करवाने वाला  तथा हर तरह से महिला का जीवन को बर्बाद कर देने वाला मानते हुए इस तरह के  मामलों  में अपराधी के साथ किसी तरह का हमदर्दी को अन्याय माना है ,जो सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश अतिसुखद है । 

अब उम्मीद यह भी करनी चाहिए की सर्वोच्च न्यायालय के ही दो  न्यायाधीशों के ऊपर अभी जो दो साल पहले दो  युवती वकीलाईन ने यौनशोषण का आरोप लगाई थी , उसके मीडिया रिपोर्ट के ऊपर सर्वोच्चन्यायालय ने मात्र इसलिए बैन  लगवा दी थी ,की मीडिया में रिपोर्ट होते रहने से यौनशोषक न्यायाधीशों के खिलाफ  कार्यवाही करना आवश्यक हो जाता । साथ ही यदि आरोप फर्जी था तो सर्वोच्चन्यायालय ने यह भी खुलासा नहीं किया की दोषी युवती दोनों वकीलाईन के खिलाफ क्या एक्सन लिए गए ? क्योंकि शायद आईपीसी तथा सीआरपीसी इन दोनों में न तो सर्वोच्चन्यायालय के न्यायाधीशों के पास बलात्कार\यौनप्रतारना\यौनशोषण का विशेषाधिकार होगा , और नहीं ही किसी वकीलाईन युवती के पास ही सीआरपीसी या आईपीसी ने किसी न्यायाधीश के ऊपर बलात्कार इत्यादि का फर्जी आरोप लगवाने का विशेषाधिकार दिया होगा । 

अब जब माननीय सर्वोच्चन्यायालय ने ही खुद बलात्कार इत्यादि को इतना बड़ा गंभीर अपराध माना है , तो सर्वोच्चन्यायालय से यह भी उम्मीद की जानी चाहिए की आगे से यदि कोई सर्वोच्चन्यायालय के ही जज यदि यौनशोषण इत्यादि के आरोपी हों , तो उसके लिए मीडिया रिपोर्ट पर बैन नहीं लगाई जायेगी ताकि दोषी न्यायाधीश या दोषी युवती वकीलाईन या अन्य युवती के ऊपर कानूनी कार्यवाही की जा सके ,  ताकि बलात्कार इत्यादि की पीड़ित महिला के साथ इन्साफ हो सके ,जिससे समाज में कोई गलत मेसेज न जाकर एक सही मेसेज जाए । 




आमोद शास्त्री , 
दिल्ली
संपर्क : 9818974495, 
9312017281 , 

आतंकवादियों को फारुख अबदुल्ला छोड़ना नहीं चाहते थे: पूर्व रॉ चीफ

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण की घटना के समय यात्रियों को मुक्त कराने के बदले तीन खूंखार आतंकवादियों को छोड़ने का फैसला होने के बाद एक बैठक में तत्कालीन रॉ प्रमुख एएस दौलत पर चीख पड़े थे।



दौलत ने आज इस वाकये को याद किया। उन्होंने कहा कि फारूक को लगा कि केंद्र सरकार का फैसला एक गलती है और वह इस्तीफे के इरादे से राज्यपाल गिरीश चंदर सक्सेना के साथ बैठक के लिए पहुंचे थे, हालांकि राज्यपाल ने उन्हें शांत कराया। उन्होंने एक टीवी कार्यक्रम में कहा कि जब 24 दिसंबर को विमान का अपहरण हुआ तो आपदा प्रबंधन समूह (सीएमजी) की ओर से उस वक्त गड़बड़ी हुई जब विमान को अमतसर उतरने पर नहीं रोका गया।



दौलत ने कहा, कोई फैसला नहीं लेना चाह रहा था और इस असमंजस में पंजाब पुलिस के पास कोई दिशानिर्देश नहीं पहुंचाया गया। वे बहस करते रहे और विमान उड़ गया। पूर्व रॉ प्रमुख ने कहा कि सीएमजी ने 155 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को मुक्त करने की एवज में तीन आतंकवादियों को छोड़ने पर सहमति दी और फिर आठ दिनों के अपहरण संकट का अंत हुआ। जिन तीन आतंकवादियों को छोड़ा गया उनमें से दो मुश्ताक लतराम और मौलाना मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर की जेल में बंद हैं।
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