Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 73692 articles
Browse latest View live

बेहतर मानसून से महंगाई नियंत्रण में रहेगी : जेटली

0
0

better-monsoon-releaf-inflation-jaitely
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि मानसून यदि बेहतर रहा तो खाद्य महंगाई कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने नाबार्ड स्थापना दिवस समारोह में यहां कहा, "ऐसा लगता है कि इस साल इंद्र देव की हमारे ऊपर गत वर्ष के मुकाबले अधिक कृपा है।" जून महीने की भांति बारिश आगे भी बेहतर रहने की उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि कृषि विभाग को देश के अधिकतर हिस्से में बेहतर बारिश रहने की उम्मीद है, जिससे तिलहन और दलहन की अच्छी पैदावार होगी, जिसकी महंगाई को लेकर अभी चिंता देखी जा रही है।उन्होंने कहा, "उम्मीद है कि हमारा अनुमान सच निकलेगा।" मंत्री ने शनिवार को जारी प्रथम तिमाही की अप्रत्यक्ष कर वसूली से संबंधित आंकड़ों का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा, "शनिवार के प्रथम तिमाही के लिए अप्रत्यक्ष कर वसूली के आंकड़े से पता चलता है कि नए आर्थिक फैसलों को छोड़ भी दिया जाए, तो भी सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर की वसूली गत वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 14.5 फीसदी अधिक रही है।"मंत्री ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर तथा सरकार द्वारा उठाए जाने वाले ऐसे कई अन्य कदमों से विकास दर 8-10 फीसदी तक ले जाने की कल्पना निश्चित रूप से साकार होगी। सरकार द्वारा उठाए गए हाल के कुछ कदमों के कारण हुई अतिरिक्त वसूली को भी शामिल कर लिया जाए, तो समग्र अप्रत्यक्ष कर वसूली में प्रथम तिमाही में साल-दर-साल आधार पर 37.4 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है।

कर वसूली बढ़ाने वाले हाल के कदमों में शामिल हैं डीजल और पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि, स्वच्छ ऊर्जा उपकर में वृद्धि, मोटर वाहन और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु को दी गई छूट की समाप्ति और जून में सेवा कर को 12.36 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी किया जाना। शनिवार को जारी आंकड़े के मुताबिक, प्रथम तिमाही में कुल अप्रत्यक्ष कर वसूली 1,53,980 करोड़ रुपये की हुई, जो एक साल पहले समान अवधि में 1,12,094 करोड़ रुपये थी। यह 37.4 फीसदी वृद्धि है। अकेले जून में अप्रत्यक्ष कर वसूली 33.3 फीसदी बढ़ी।

अनधिकृत कॉलोनियों की जगह जमीनी सर्वेक्षण कराएगी आप सरकार

0
0

aap-government-calculate-unauthorized-colony
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने अनधिकृत कॉलोनियों की सीमाएं निर्धारित करने के लिए सैटेलाइट इमेजिंग का इस्तेमाल न करने का मन बनाया है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, इस प्रक्रिया के लिए सरकार अब जमीनी सर्वेक्षण कराएगी।  अनधिकृत कॉलोनियों की सीमाओं का निर्धारण वर्षो से उनके नियमित किए जाने में अड़चन साबित हुआ है। सरकार ने जब पाया कि सीमा निर्धारण की सैटेलाइट इमेजिंग में सटीकता का अभाव है, तो केजरीवाल सरकार ने इस काम के लिए टोटल स्टेशन मशीन (टीएसएम) तैनात की। अधिकारियों के मुताबिक यह विधि अधिक सटीक और विश्वसनीय है। 

2012 में इस तरह की बस्तियों को अधिकृत करने की प्रक्रिया में अनियमितताओं के बाद तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग से इन बस्तियों में निर्मित क्षेत्रों की पुष्टि करने के लिए सैटेलाइट इमेजेस प्रदान करने के लिए कहा था। सरकार के एक अधिकारी ने कहा, "सैटेलाइच इमेज द्वारा सीमा निर्धारण में कई तरह की समस्याएं आ रही हैं। जब बात दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों की हो तो आप सैटेलाइट इमेज पर निर्भर नहीं रह सकते।"

उन्होंने कहा, "टीएसएम पूरी तरह से मानवीय विधि है। सर्वेक्षण करने वाले लोग उपकरणों के साथ इन कॉलोनियों में जाएंगे। यह एक महत्वपूर्ण कदम है। आप कॉलोनियों को अधिकृत करने की प्रक्रिया में तब तक प्रगति नहीं कर सकते जब तक की आप उनकी सीमाएं चिन्हित नहीं कर देते।"उन्होंने कहा, "अच्छी बात यह है कि सर्वे में शामिल लोग इन कॉलोनियों का दौरा करेंगे।"अधिकारी ने कहा, "इस प्रक्रिया के लिए दो निजी कंपनियों को ठेका दिया गया है। सबसे पहले इसका इस्तेमाल नियमन के लिए चुनी गईं 895 अनधिकृत कॉलोनियों में किया जाएगा।"पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तरह ही आप सरकार ने भी अनधिकृत कॉलोनियों के नियमन का वादा किया है। 

शीला सरकार ने 2008 में 1,639 अनधिकृत कॉलोनियों में से 895 कॉलोनियों को नियमित करने का फैसला किया था। हालांकि इनमें से एक भी कॉलोनी अभी तक नियमित नहीं हो पाई है।  सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, "सीमा का मुद्दा अड़चन बन रहा है। अगर सीमा नहीं होगी तो आप नक्शा कैसे तैयार करेंगे।"

व्यापमं घोटाला में सीबीआई जांच सोमवार से, 10 टन दस्तावेज सौंपे जाएंगे

0
0

cbi-starts-vyapam-investigation-from-monday
मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) सोमवार से शुरू कर सकती है। ऐसे में सबसे पहले मामले से जुड़े सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंपे जाएंगे। सूत्रों के अनुसार, मामले की जांच से जुड़े विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के पास लगभग 10 टन दस्तावेज उपलब्ध हैं, जो कम से कम दो ट्रकों में आएंगे। लगभग दो वर्ष पूर्व जुलाई 2013 में व्यापमं घोटाले का खुलासा होने पर यह मामला एसटीएफ को सौंपा गया था और फिर उच्च न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश चंद्रेष भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी बनाई थी, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच कर रहा था। नौ जुलाई, 2015 को सर्वोच्च न्यायालय ने व्यापमं की जांच सीबीआई को सौंपने के निर्देश दिए।  सीबीआई के सोमवार को भोपाल पहुंचने की संभावना है।

एसआईटी के प्रमुख चंद्रेष भूषण ने शनिवार को मीडिया से कहा था, "व्यापमं की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है, लिहाजा तमाम दस्तावेज एसटीएफ द्वारा सीबीआई को सौंपे जाएंगे। अब जांच सीबीआई को ही करनी है।" व्यापमं मामले में कुल 55 प्रकरण दर्ज किए गए थे। अबतक 2100 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, वहीं 491 आरोपी अब भी फरार हैं।  जांच के दौरान कथित तौर पर मामले से जुड़े 48 लोगों की मौत हो चुकी है। एसटीएफ इस मामले के 1200 आरोपियों के चालान भी पेश कर चुकी है। एसटीएफ सूत्र ने कहा, "पिछले दो वर्ष में हुई जांच के दौरान कई आरोपियों और इससे जुड़े लोगों से पूछताछ की गई। उनके बयान भी दर्ज हुए, इन सब का लेखाजोखा भी है। 1200 आरोपियों की केस डायरी भी न्यायालय में पेश की जा चुकी है।" 

सूत्रों का दावा है उपलब्ध दस्तावेज कम से कम दो ट्रकों में आएंगे और उनका वजन लगभग 10 टन होगा। सूत्रों के अनुसार, दस्तावेज एसटीएफ से सीबीआई को सौंपे जाने में एक माह तक का समय लग सकता है। 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (12 जुलाई)

0
0
पात्रता परीक्षा सम्पन्न

vidisha map
मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल भोपाल के द्वारा भृत्य, चैकीदार पद के लिए पात्रता परीक्षा का आयोजन आज रविवार को किया गया था। उक्त परीक्षा के लिए जिले में 19 परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे इन केन्द्रों पर नौ हजार 154 परीक्षार्थी को परीक्षा देनी थी जिसमें से 622 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहें। नकल का एक भी प्रकरण दर्ज नही किया गया है। कलेक्टर श्री एमबी ओझा, अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया और विदिशा एसडीएम श्री आरपी अहिरवार ने परीक्षा केन्द्रों का निरीक्षण किया। 

शिविर सम्पन्न

ला चिकित्सालय में कैंसर उपचार शिविर का आयोजन रविवार को किया गया था। कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने मरीजों से संवाद स्थापित कर उनसे कहा कि वे परेशान ना हों। शासन द्वारा कैंसर का इलाज निःशुल्क कराए जाने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि परीक्षण के उपरांत कैंसर पीडि़त पाए जाने वाले मरीजों की प्रोफाइल तैयार की जाए और उन सभी के राज्य बीमारी सहायता के तहत प्रकरण तैयार कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के शिविर विकासखण्डों पर भी आयोजित किए जाएंगे। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया, एसडीएम श्री आरपी अहिरवार भी साथ मौजूद थे। कैंसर रोग विशेषज्ञ डाॅ श्याम अग्रवाल मिणनाली गौरे ने मरीजों का परीक्षण किया। शिविर में कुल 51 मरीजों ने पंजीयन कराया था। चिकित्सकों ने बताया कि शिविर में ओरल कैंसर के मरीज अधिक पाए गए है जिनका उपचार किया जाएगा। 

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (12 जुलाई)

0
0
8.75 लाख् के सीसी रोड का हुआ भूमि पूजन

jhabua news
झाबुआ---नगरपालिका द्वारा नगर में विकास कार्यो की शुरूवात के क्रम में रविवार को वार्ड क्रमांक 16  के उदयपुरिया क्षेत्र में पटवारी के मकान से सैयद साहब के मकान तक 200 मीटर लम्बे सीसी रोड का शुभारंभ विधायक शांतिलाल बिलवाल एवं जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे, विजय नायर के मुख्य आतिथ्य में  भूमि पूजन कर संपन्न किया गया । इस अवसर पर नगरपालिका अध्यक्ष धनसिंह बारिया, वार्ड पार्षद अविनाष डोडियार, सईदुल्लाखान, सुनील शर्मा, धुमा डामोर, विषालभटृ, रसीदखान, संजय डाबी, जमुना बाखला, राजेन्द्र यादव, बापू डामोर, एनएस मालजी,मनसुख भूरिया, रामभैया,बबलु सकलेचा सहित बडी संख्या में वार्ड के नागरिकगण उपस्थित थे ।पण्डित गणेष उपाध्याय द्वारा मंत्रोच्चार के साथ भूमि पूजन करवाया गया तथा विधायक शांतिलाल बिलवाल,षैलेषदुबे, धनसिंह बारिया सहित पार्षदों ने गेती चला कर सीसी रोड के कार्य का श्रीगणेष किया । नपा अध्यक्ष धनसिंह बारिया के अनुसार 8.75 लाख की लागत से उक्त सीसीरोड का निर्माण कार्य कराया जारहा है। 210 मीटर लम्बे इस मार्ग का सिमेंट कांक्रिट होजाने से वार्डवासियों की लम्बे समय से की जारही मांग पूरी हो जावेगी । जेसीबी मषीन के माध्यम से मार्ग के समतली करण का कार्य रविवार को ही शुरू कर दिया गया तथा समय सीमा में ही उक्त सीसी रोड की सौगात वार्ड के लोगों को  प्राप्त हो जावेगी ।

मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम की शुरूआत,  हर रविवार को गांवो से चयनित 40 विद्यार्थी लेंगे प्रशिक्षण 

jhabua news
झाबुआ---मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह रविवार को अकादमी रिसोर्स सेंटर झाबुआ में आयोजित किया गया । कार्यक्रम अतिथि के रूप में विधायक शांतिलाल बिलवाल, कलेक्टर अरूणा गुप्ता, जिला पंचायत साईओ धनराजू एस., सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग शंकुतला डामोर, जनअभियान परिषद् के संभागीय समन्वयक अमित शाह, जन अभियान परिषद के जिला उपाध्यक्ष शांतिलाल पालीवाल विशेष तौर पर मौजूद थे । कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती के चरणों पुष्प अर्पित कर एवं दीप प्रज्जवलन कर की गई । झाबुआ विधायक शांतिलाल बिलवाल पाठ्यक्रम कहा कि किसी भी योजना की सफलता के लिए जरूरी है कि स्थानीय लोग उसमें रूचि लें । योजना की सफलता में सरकार से ज्यादा जनता का हाथ होता है ।  और ये कार्यक्रम समुदाय में नेतृत्व तैयार सरकार की विकास अवधारणा को लोगों तक पहुंचाने में मददगार साबित होगा । विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान का ये फ्लैगशिप कार्यक्रम है, इस कार्यक्रम के जरिये गांवों की तस्वीर समझने और उसमें नए रंग भरने में काफी मदद मिलेगी । इस अवसर पर कलेक्टर अरूणा गुप्ता ने सभी बधाई दी और कहा कि कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले विद्यार्थियों और मेंटर्स पर काफी बड़ी जिम्मेदारी है, उम्मीद के मुताबिक इसके अपेक्षित परिणाम प्राप्त होंगे । समय-समय पर वे खुद इसमें अपना बहुमुल्य मार्गदर्शन प्रदान करेंगी । कार्यक्रम में जिला पंचायत साईओ धनराजू एस ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ये कार्यक्रम एक अभिनव प्रयोग हैं, अभी तक जो योजनाएं बनती थी, उनका परिणाम एक जैसा प्राप्त नहीं होता था, क्योंकि जो कार्यक्रम किसी और जगह के लिए सही हो , हो सकता है वो झाबुआ में उतना कारगर नहीं हो, हर जगह की अपनी अलग भौगोलिक, सामाजिक आर्थिक स्थिति होती है ।  लेकिन इस कार्यक्रम के जरिये गांव की समस्याओं और विकास कैसे हो इसकी जानकारी शासन प्रशासन तक पहुंचेगी, ताकि गांव के लिए क्या जरूरी है, ये समुदाय ही तय कर सकें । कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए संभागीय समन्वयक जन अभियान परिषद के अमित शाह ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों मे सामुदायिक नेतृत्व तैयार करना । कई लोगों में अपने गांव के विकास के लिए स्वाभाविक अनुराग होता है, जन अभियान परिषद ऐसे विद्यार्थियों को चयन कर उन्हें आदिम जाति कल्याण विभाग  के सहयोग से प्रशिक्षण प्रदान करेगा । ताकि वे अपने कि विभिन्न समस्याओं और विकास में आने वाली बाधाओं को पहचान कर गांव के लोगों के साथ ही उनका समाधान खोजने का प्रयास करेंगे ।  इस पाठ्यक्रम को बैचलर ऑफ सोशल वर्क (कम्यूनिटी लीडरशिप) नाम दिया गया है ।  जनअभियान परिषद के जिला समन्यवक वीरेन्द्र ठाकुर ने बताया कि जिले के सभी विकासखंडों में 12 जुलाई से इस पाठ्यक्रम को शुरू किया जा रहा है, जहां प्रत्येक रविवार को विकासखंड के उत्कृष्ट विद्यालय में कक्षाओं का संचालन किया जाएगा । प्रत्येक ब्लॉक से 40 विद्यार्थियों का चयन किया गया है । झाबुआ में 40 विद्यार्थियों में 14 महिलाएं हैं शेष पुरूष हैं । इन 40 लोगों में से 39 लोग एसटी वर्ग से हैं । कार्यक्रम में बाईओ भारतसिंह सिकरवार, नगर मंडल अध्यक्ष गोपालसिंह पंवार, ब्लॉक समन्वयक दयाराम मुवेल भी मौजूद थे ।  कार्यक्रम के  अंत में पधारे सभी अतिथियों का आभार मेंटर्स शाईनी सिंह ने माना । कार्यक्रम का संचालन वीरेन्द्र सिंह राठौर ने किया ।

महासंपर्क अभियान में प्रत्येक कार्यकर्ता प्राण - प्रण से जुटे - दौलत भावसार

जोबट---भारतीय जनता पार्टी द्वारा देष, प्रदेष वे जिले में चलाये जा रहे अभियान को लेकर कार्यषालाओं का आयोजन मंडलस्तर पर किया जा रहा है। आज रविवार को आलीराजपुर जिले के जोबट ग्रामीण मंडल की एक कार्यषाला बैठक का आयोजन स्थानीय कृशि मंडी परिसर जोबट में किया गया। उक्त कार्यषाला में भाजपा के प्रदेष कार्यकारिणी सदस्य दौलत भावसार मुख्य अतिथि के रूप में एवं भाजपा जिलाध्यक्ष हीरालाल षर्मा विषेश रूप से उपस्थित होकर कार्यकर्ताओं का महासंपर्क अभियान को लेकर मार्गदर्षन किया। महासंपर्क अभियान को लेकर भावसार ने संबोधित करते हुए कहा कि उक्त अभियान को प्रत्येक कार्यकर्ता सफल बनाने हेतु प्राण प्रण अपने अपने क्षैत्र में जुट जायें। महासंपर्क अभियान के दौरान घर घर प्राथमिक सदस्यों को दी जाने वाली सामग्री के बारे में भी उन्होंने विस्तार से बताया और 100 प्राथमिक सदस्य बनाने वाले सक्रिय कार्यकर्ताओं को निर्देष देते हुए कहा कि वे प्रत्येक प्राथमिक सदस्य से जुडे प्रत्येक कार्यकर्ता के घर पहुंचकर भाजपा की केन्द्र एवं प्रादेषिक सरकारों की जनहितैशी योजनाओं की जानकारी दी तथा उसके परिवार को राश्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा अमित षाह का संदेष सुनायें तथा प्राथमिक सदस्यों का प्रपत्र सही जानकारी भरकर लायें तथा प्राथमिक सदस्यों की सदस्यता की पुश्टि हेतु मोबाईल नंबर 18001034444 दबवाकर पुश्टि करवायें। भावसार ने आगे बोलते हुए कहा कि आने वाले समय में हमें संसदीय क्षैत्र के उपचुनाव के लिये कार्यकर्ताओं और जनता को अपने पक्ष में करने के लिये तैयार करना होगा और कांग्रेस से मिलने वाली प्रत्येक चुनौतियों का माकूल जवाब देने के लिये कार्यकर्ता सैनिक के भांति अपने अपने क्षैत्र में एवं बूथ क्षैत्र में पूर्ण तैयारी के साथ तैयार रहें। भाजपा जिलाध्यक्ष हीरालाल षर्मा ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि जिले के प्रत्येक सक्रिय कार्यकर्ता एवं दायित्ववान पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों का दायित्व बनता है कि हम महासंपर्क अभियान को अपने जिले में सफल बनाने हेतु पूर्ण निश्ठा व समर्पण भाव से सहयोग करें। आने वाले समय में हमें कांग्रेस से मिलने वाली प्रत्येक चुनौती का डटकर मुकाबला करना होगा तथा व्यापमं घोटाले को लेकर कांग्रेस द्वारा देष एवं प्रदेष की जनता को जो गुमराह किया जा रहा है उसका माकूल जवाब समय रहते कांग्रेस को देना होगा। महासंपर्क अभियान को लेकर मंडल पदाधिकारियों को कहा कि वे अपने अपने क्षैत्र में बनने वाले सक्रिय सदस्यों को इस अभियान से जुडकर अभियान को सफल बनाने में सहयोग प्रदान करें। महासंर्पक अभियान को लेकर एक बैठक  उदयगढ मंडल के बोरी क्षैत्र में भी आयोजित हुई जिसमें भावसार उपस्थित हुए। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन जोबट ग्रामीण मंडल अध्यक्ष रघुनंदन षर्मा ने किया तथा विषेश रूप से कार्यषाला में उपस्थित सर्वश्री देवेन्द्र श्रीवास्तव, मंडल उपाध्यक्ष श्री सोनी, महामंत्री और कई ग्रामीण क्षैत्रों के सरपंच व पदाधिकारी भी उपस्थित थे। सभी को महासंपर्क अभियान की सामग्री वितरित की गई।

गुमशुदगी का प्रकरण कायम

झाबुआ---फरियादी राकेष पिता सोहन भूरिया निवासी सेलानीपुरा ने बताया कि उसकी पत्नी कोमल पति राकेष भूरिया निवासी सेलानीपुरा, अपने पिता की तबियत खराब होने के कारण मिलने के लिये गई थी, जो घर वापिस नहीं आई। प्रकरण में थाना मेघनगर में गुम इंसान क्रमांक 20/15 कायम कर जांच में लिया गया। 

हिमाचल की विस्तृत खबर (12 जुलाई)

0
0
अढ़ाई साल में नियुक्त की गई 7478 आशावर्कर 

धर्मशाला, 12 जुलाई (विजयेन्दर शर्मा)।    गत अढ़ाई वर्ष की अवधि में 1275 किलोमीटर नई सडक़ों व 120 पुलों का निर्माण किया गया, 2359 किलोमीटर सडक़ों पर क्रास ड्रेन बिछाई गई तथा 1542 किलोमीटर सडक़ों को पक्का किया गया। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के अंतर्गत 574 किलोमीटर नई सडक़ों का निर्माण किया गया तथा 146 बस्तियों को सडक़ों से जोड़ा गया। यह जानकारी जिला लोक सम्पर्क अधिकारी मु0 अमीन शेख चिश्ती ने प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे विशेष प्रचार अभियान के अंतर्गत शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की प्रेई पंचायत के कुठार में रजोल कला मंच द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए दी। जिला लोक सम्पर्क अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि लोगों को आवश्यक औषधियां सुलभ कराने के लिए 45 करोड़ का प्रावधान किया गया है। 502 उत्पादकों द्वारा निर्मित 352 दवाईयां आवश्यक औषधि सूची में शामिल की गई है। उन्होंने बताया कि नए स्वास्थ्य संस्थानों में विभिन्न श्रेणियों के 609 पद सृजित किए गए है। नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए प्रदेश में 116 प्रसव केन्द्र स्थापित किए गए है। 7478 आशा वर्करों की नियुक्ति की गई है। उन्होंने बताया कि रोगी कल्याण समिति के अंतर्गत तैनात 91 दंत चिकित्सा अधिकारियों को सरकारी अनुबंध में लाया गया तथा 63 दंत चिकित्सा अधिकारियों की सेवाएं नियमित की गई है। इस विशेष प्रचार अभियान के अंतर्गत कांगड़ा लोक कला मंच के कलाकारों ने धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र की जंदरागल बडोई व टंग-उथड़ाग्रां पंचायत में, रजोल कला मंच के कलाकारों ने विधानसभा क्षेत्र शाहपुर की ग्राम पंचायत डोहब व कुठार (प्रेई) में तथा नीतिका सुरसंगम कला मंच सिरमौर के कलाकारों ने विधानसभा क्षेत्र जसवां प्रागपुर की पंचायत कडोआ और वगली में सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं पर आधारित लोकगीत, लोकनृत्य तथा लोकनाट्यों के माध्यम से विस्तारपूर्वक जानकारी दी जिससे जहां लोगों का भरपूर मनोरंजन हुआ वहीं लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से भी अवगत करवाया गया। इस अवसर पर नाट्य निरीक्षक श्रीमती नसीम बाला, ग्राम पंचायत प्रेई की प्रधान श्रीमती सरोज चौधरी, ग्राम पंचायत डोहब की प्रधान श्रीमती सोमा कुमारी, उप-प्रधान महेन्द्र सिंह, ग्राम पंचायत जंदरागल के प्रधान राकेश धीमान, टंग-उथड़ाग्रां पंचायत की प्रधान श्रीमती नीलम कुमारी, उप-प्रधान जगदीश चंद, ग्राम पंचायत कडोआ की प्रधान श्रीमती रमा शर्मा, पूर्व प्रधान अशोक कुमार, वार्ड पंच श्रीमती कृष्णा देवी, ग्राम पंचायत वगली के प्रधान मनदीप शर्मा तथा सचिव श्रीमती प्रवीण कुमारी के अतिरिक्त वरिष्ठ नागरिक व कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

20 जुलाई से आरम्भ होगा चिकित्सा शिविर हेतु पंजीकरण: बाली

g s bali
धर्मशाला, 12 जुलाई (विजयेन्दर शर्मा)।    बाल मेले में लगने वाले चिकित्सा शिविर में रोगियों का पंजीकरण 20 जुलाई से आरम्भ किया जाएगा। खाद्य नागरिक आपूर्ति, परिवहन एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री जी. एस. बाली ने जानकारी देते हुए बताया कि 26 व 27 जुलाई को स्थानीय गांधी मैदान में नगरोटा वेलफेयर सोसायटी व बाल विकास मेला द्वारा संचालित किए जाने वाले चिकित्सा शिविर में इस वर्ष लोगों को पहले से अधिक बेहत्तर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के भरपूर प्रयास किए जाएंगे। जिसमें जहां विभिन्न बीमारियों के विशेषज्ञ चिकित्सक मरीजों की जांच करेंगे वहीं रोगियों को टेस्ट करवाने की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी। श्री बाली ने बताया कि विगत कई वर्षों से कांगड़ा जिला के लोगों विशेषत: नगरोटा के युवाओं के योगदान से चलाए जाने वाले इस मेले का बच्चों तथा महिलाओं को बेसब्री से इंतजार रहता है। उन्होंने कहा कि पिछले दशक से आरम्भ इस 13वें चिकित्सा शिविर में टांडा मेडिकल कॉलेज, डीएल कपूर हॉस्पिटल दिल्ली, पीजीआई चण्डीगढ़, डेन्टल क्लब सुन्दरनगर, रोटरी क्लब मारंडा, फोरटीज आदि विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों के सहयोग से लोगों को विभिन्न बीमारियों से निजात दिलवाने के लिए इस दो दिवसीय चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आंखों के ऑपरेशन के अतिरिक्त श्रवण यंत्र तथा नजर के चश्मे भी लोगों को वितरित किए जाएंगे। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में आयोजित किए जाने वाले भव्य चिकित्सा शिविर में मानवता की सेवा में युवाओं द्वारा रक्त दान भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिविर व पंजीकरण हेतु नगरोटा वेलफेयर सोसायटी, बीएमओ बड़ोह, मान सिंह नगरोटा मो. नं. 98050-96534, राकेश नागपाल मो. नं. 94180-27786, अरविन्द चौधरी मो0 नं0 98162-61307, मनोज मेहता मो0 नं0 92185-52196, डॉ. राम स्वरूप चंाद मो0 नं0 98160-40550, अजय वर्मा मो0 नं0 98160-61121 से सम्पर्क किया जा सकता है। इस अवसर पर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मान सिंह नगरोटा, अजय वर्मा, रोशन लाल खन्ना, चरित चौधरी, सुभाष कुमार, संजय भाटिया, बलदेव चौधरी, रविन्द्र शर्मा, रोकश नागपाल, कुलदीप नारायण, अरविंद चौधरी, गोल्डी चौधरी, संजय चौधरी तथा वीना ठाकुर इत्यादि उपस्थित थे।
                   
पंचायतों के विकास पर व्यय हुए 15 करोड़ : लखनपाल
  • बिझड़ी ब्लाक में विकास कार्यों का लिया जायजा

हमीरपुर, 12 जुलाई (विजयेन्दर शर्मा)। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बिझड़ी ब्लाक में ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से पंचायतों के विकास पर 15 करोड़ रूपये की राशि व्यय की गई है ताकि ग्रामीण विकास को नई गति मिल सके। यह जानकारी मुख्य संसदीय सचिव इंद्र दत्त लखनपाल ने रविवार को बिझड़ी ब्लाक में विकास कार्यों का जायजा लेने के उपरांत दी। उन्होंने बताया कि हिमाचल मूलत: ग्रामीण आर्थिकी प्रधान प्रदेश है, इसलिए प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण विकास एवं ग्रामीण आर्थिकी के सुधार के लिए विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं का कार्यान्वयन किया जा रहा है। प्रदेश में कार्यान्वित किए जा रहे ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य निर्धनता उन्मूलन एवं रोजगार सृजन गतिविधियों को बढ़ावा देकर इन क्षेत्रों में बेहतर विकासात्मक अधोसंरचना उपलब्ध करवाना है।  सीपीएस ने कहा कि पंचायतों को स्वच्छ बनाने पर भी विशेष बल दिया जा रहा है तथा गत वित वर्ष में प्रथम चरण में 477 पंचायतों में ठोस तरल कचरा प्रबंधन के लिए कारगर कदम उठाए गए हैं तथा इसी दिशा में अन्य पंचायतों में भी ठोस तरल कचरा प्रबंधन को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि भी स्तर पर पंचायतों में गंदगी नहीं फैल सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने छह वर्ष तक की सभी कन्याओं को मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने का प्रावधान किया गया है, जिस परिवार में लडक़ा नहीं है और दो बेटियां हैं ऐसे परिवारों की महिलाओं को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायक की नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्य संसदीय सचिव ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने अपने अढ़ाई वर्षों के कार्यकाल में विकास की नई इबारत लिखी है तथा इस के लिए पंचायतों में सडक़, स्वास्थ्य तथा शिक्षा की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने की दिशा में भी उपयुक्त कदम उठाए जा रहे हैं ताकि समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके। मुख्य संसदीय सचिव इंद्र दत्त लखनपाल ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि कल्याणकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों के बारे में लोगों को जानकारी पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सके ताकि पात्र लोग समयबद्व सरकार की योजनाओं एवं कार्यक्रमों का लाभ उठा सकें।

सभी गांवों तक चरणबद्व तरीके से होगा सडक़ निर्माण : राणा
  • लोगों से भी जमीन उपलब्ध करवाने का किया आग्रह
  • सडक़ निर्माण को नाबार्ड के तहत तीन करोड़ की राशि स्वीकृत
  • जोल लंबरी पंचायत में सुनीं लोगों की समस्याएं  

हमीरपुर, 12 जुलाई (विजयेन्दर शर्मा)। सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र की सभी गांवों को चरणबद्व तरीके से सडक़ों के साथ जोडऩे के लिए प्लान तैयार किया गया है इस के लिए लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को सरकार की ओर से आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए गए हैं ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को गति मिल सके। यह जानकारी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा ने रविवार को जोल लंबरी के सौंटी में लोगों की समस्याएं सुनने के उपरांत एक जनसभा को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि गांवों तक सडक़ों का जाल बिछाने के लिए आपसी समन्वय के साथ निजी भूमि दान देने में भी सहमति बनाएं ताकि सडक़ निर्माण के लिए कारगर कदम उठाए जा सकें। राणा ने कहा कि सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के उहल में विश्राम गृह निर्मित किया गया जाएगा इसके लिए प्रारंभिक तौर पर पांच लाख की राशि भी स्वीकृत हो गई है ताकि दुर्गम क्षेत्र के लोगों को ठहरने की उचित सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि पुलिस चौकी टौणी देवी के लिए तीस लाख की राशि स्वीकृत हो गई है तथा शीघ्र ही निर्माण कार्य भी आरंभ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कुसाड़ हरिजन बस्ती के लिए सडक़ निर्माण तथा छतरूडू सडक़ पर अलवर्ट बनाने के लिए स्वीकृति मिल गई है इससे लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिलेगी। राणा ने कहा कि सुजानपुर के दुर्गम क्षेत्रों के लिए सडक़ निर्माण के लिए नाबार्ड के तहत तीन करोड़ 11 लाख की राशि स्वीकृत करवाई गई है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को विकास के साथ जोड़ा जा सके। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि पनोह में भ्याल सडक़ के लिए 23 लाख 67 हजार, रंघड़ में सडक़ निर्माण के लिए 84 लाख 14 हजार की राशि स्वीकृत की गई है जबकि अस्थोटा से लंबरी के लिए सडक़ निर्माण पर 45 लाख की राशि स्वीकृत की गई है। उन्होंने बताया कि रंघड़ से सणू के लिए सात लाख सत्तर हजार, जंदड़ू से गांव सुरवाणी के लिए सात लाख सत्तर हजार, खनौली से गांव चमियाणा दी खनौली सडक़ के लिए सात लाख सत्तर हजार, बेरड़ा से सणू दी खाती सडक़ के लिए भी सात लाख सत्तर हजार की राशि स्वीकृत की गई है। राजेंद्र राणा ने कहा कि सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र को आदर्श क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा तथा इस के लिए चरणबद्व तरीके से कार्य किया जा रहा है। राणा ने कहा कि सभी पंचायतों का कार्य बिना किसी भेदभाव के करवाया जा रहा है, लोगों की समस्याओं का त्वरित निदान भी सुनिश्चित किया जा रहा है। इस अवसर पर जिला परिषद सदस्य लेखराज सहित विभिन्न गणमान्य लोग उपस्थित थे।

मध्य एशिया दौरे पर दो गांधी प्रतिमा का अनावरण सौभाग्य : मोदी

0
0

modi-inaugrate-gandhi-statue-in-middle-east
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को किर्गिस्तान की राजधानी में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर मोदी ने कहा कि उन्होंने (महात्मा गांधी) दुनिया को प्रभावी बदलाव लाने के लिए अहिंसा का रास्ता दिखाया। मोदी ने कहा यद्यपि मध्य एशिया का यह उनका पहला दौरा है, वह सौभाग्यशाली हैं कि उन्होंने दो देशों में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया है।  मोदी ने रविवार को तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात के एक पारंपरिक चिकित्सा और योग केंद्र में गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया था। 

उन्होंने कहा कि दुनिया आज दो बड़ी चुनौतियों, आतकंवाद और जयवायु परिवर्तन से जूझ रही है। वहीं महात्मा गांधी ने हमें अकेले दिखाया था कि दोनों समस्याओं से कैसे निपटें। मोदी ने बाद में ट्वीट कर कहा, "गांधी जी की प्रतिमा के अनावरण के दौरान उत्साह को देखकर खुश हूं। भारतीय समुदाय के ज्यादातर लोग, विशेष रूप से नौजवान छात्रों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की।"

उन्होंने कहा, "किर्गिस्तान और भारत भौगोलिक, एतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं। अहिंसा और बातचीत ज्यादा कारगर है। महात्मा गांधी ने यह दिखाया है कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है।"

आलेख : दालों की बढती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए आयात करने का निर्णय

0
0
देश में दालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार 5,000 टन उड़द और 5,000 टन तुअर दाल का आयात करने जा रही हे। उड़द दाल के साथ 5,000 टन तुअर के आयात के लिए सरकार पहले ही निविदा जारी कर चुकी है। उपभोक्ता मामलों के सचिव सी विश्वनाथ ने महंगाई पर राज्यों के खाद्य मंत्रियों के साथ इस सम्बन्ध में हुई बैठक में कहा कि कुछ आवश्यक वस्तुओं में हम महंगाई बढ़ते हुए देख रहे हैं, इसलिए देश में दालों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए 500 टन उड़द दाल का आयात करने पर विचार कर रहे हैं। हमने 5000 टन तुअर आयात के लिए जो निविदा जारी की थी, वह इसी सिंतबर तक हमारे पास आ जाएगी ऐसी हम उम्मीद करते हैं। दरअसल प्रतिकूल मौसम के कारण देश में दलहन उत्पादन 200 लाख टन के नीचे आ गया है। दालों की कीमत पिछले वर्ष के मुकाबले 64 प्रतिशत तक मंहगी हो गई है। बाजार में अधिकतर दालों के खुदरा भाव अभी 100 रूपए किलोग्र्राम हो गया है, और दालों की बढ़ती कीमतों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चिंतित है। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गत दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए निर्देश दिए गए थे कि दाल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए बड़े पैमाने पर आयात किया जाए। साथ ही राज्यों को जमाखोरों पर कार्रवाई करने को कहा गया । खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान का कहना है कि सरकार बढ़ती दालों की कीमतों पर बहुत गम्भीर है। देश में दालों का उत्पादन घटा है जिसके कारण कीमतें बढ़ गई है। ऐसे में जितनी आवश्यकता होगी हम दालों का आयात करेंगे। कैबिनेट की बैठक के बाद परिवहन मंत्री मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि कैबिनेट ने बढ़ती दालों की कीमतों के बारे में बातचीत की और चिंता व्यक्त की है, और दालों की कीमतों पर काबू पाने के लिए बड़े पैमाने पर आयात करने का निर्देश दिया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2014-15 जुलाई-जून फसल वर्ष के दौरान देश में दलहन उत्पादन घटकर 173.8 लाख टन रहने का अनुमान है। कमजोर मानसून और इस साल मार्च-अप्रैल में हुए बेमौसम बारिश के कारण दलहन का उत्पादन गिरा है।

ध्यातव्य है कि हाल में ही केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल में खाद्य वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए यह निर्णय लिया गया था और उक्त निर्णयानुसार ही सरकार के द्वारा दाल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ये उपाय किये जा रहे हैं। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के पास दालों का आयात करना ही फिलहाल सबसे कारगर विकल्प था, अतः इस बारे में केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल का फैसला स्वागतयोग्य है। आम जन कहना है कि दालों की कीमतें हाल में तेजी से चढ़ी हैं। स्वयं सरकार ने भी माना है कि गत एक वर्ष में दालों के दाम में 64 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। इस बात से चिंतित कैबिनेट के द्वारा बड़ी मात्रा में दालों के आयात का निर्णय लिया जाना जनहित में स्वागतयोग्य कदम है । भारत दालों की पैदावार के मामले में वैसे भी आत्मनिर्भर नहीं है और  देश में वैसे भी दलहन का उत्पादन खपत से बहुत कम है I इसलिए सामान्य स्थितियों में भी निजी व्यापार के तहत प्रतिवर्ष 40 लाख टन दलहन का आयात होता है। खेती के पिछले मौसम में पहले कमजोर मानसून और बाद में बेमौसमी बारिश की वजह से हालत ज्यादा बिगड़ गई। पिछले वर्ष खराब मौसम होने के कारण दलहन उत्पादन में भारी कमी आई। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक अपने देश में दलहन की खेती अधिकतर वर्षा सिंचित क्षेत्रों में होती है। यानी मानसून की स्थिति से इसकी पैदावार सीधे प्रभावित होती है। कृषि वर्ष 2014-15 के दौरान सामान्य से कम मानसून के कारण दलहन का घरेलू उत्पादन गिरा। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान के मुताबिक जुलाई 2014 से जून 2015 के बीच दलहन की पैदावार महज 1,73,80,000 टन रह गई, जबकि उसके पिछले एक वर्ष में 1,92,50,000 टन दालें देश में पैदा हुई थीं। नतीजतन, उड़द, तूअर, मसूर, चना और मूंग दालों के दामों में भारी उछाल देखा गया। उत्पादन कम हुआ तो जमाखोरों की भी बन आई। भंडार में पड़ी दालों को बाजार में लाने की बजाय उन्होंने कृत्रिम अभाव भी उत्पन्न किया है। नतीजतन, गरीब तबकों की बात तो दूर, निम्न मध्यम वर्ग की थाली से भी यह जरूरी खाद्य गायब होता गया है। 

एक लम्बी उहापोह के बाद दालों की कीमत पर अंकुश लगाने लिए सरकार के द्वारा आयात करने का निर्णय लिए जाने से स्थिति अब स्पष्ट हो गयी। अभी तक बेमौसम बरसात से खराब हो गये दलहन व अन्य फसलों के कारण केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों और आम उपभोक्ताओं , किसानों के बीच बड़ी उलझन, खींचतान और अनिश्चितता की स्थिति चल रही थी। जिससे अब निजात मिलने की उम्मीद बढ़ गई है । दरअसल पिछले एक वर्ष में दाल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनती जा रही हैं। पिछले एक वर्ष में अलग-अलग दाल की कीमतें 35 से 60 प्रतिशत तक बढ़ी हैं, और अब बड़े स्तर पर आयात कर दाल की उपलब्घता बाजार में बढ़ाने की तैयारी है। दरअसल दाल के दाम थामने में केन्द्र सरकार अब तक नाकाम रही है। स्वयं खाद्य मंत्रालय के ही आंकड़ों के अनुसार 26 मई 2014 को उड़द दाल की कीमत 71 रूपये किलोग्राम थी जो इस वर्ष 9 जून को 114 रूपये हो गई यानी 60 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी। इस दौरान अरहर दाल की कीमत 75 रुपये से बढ़कर 115 रुपये तक पहुँच गई, यानी एक साल में अरहर दाल 53 प्रतिशत महँगी हुई। इस एक साल में चना दाल भी 40 प्रतिशत महँगी हुई। मई 2014 में चना दाल का भाव 50 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो 9 जून को बढ़कर 70 रुपये किलोग्राम हो गया, जबकि इस दौरान मसूर दाल की कीमत 70 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 94 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुँच गई। बड़े बुजुर्गों का कहना है कि गत 40 -50 वर्षों में दाल की कीमतों में इतने लम्बे समय तक तेज़ी नहीं देखी जैसी पिछले एक वर्ष में दिखाई दी है ।

उल्लेखनीय है कि लम्बे समय से देश में दालों का अभाव बना ही हुआ है। देश का दाल उत्पादन हमारी जरूरत से 40 प्रतिशत कम पूर्व से ही चला ही आ रहा है और इस वर्ष फसलों पर बेमौसम बरसात, ओले, आंधी व हवा की मार से दालों का अभाव और बढ़ गया। अभी तक 40 प्रतिशत का अभाव चल रहा है और अब दालों के भावों में एक साल में 40 प्रतिशत भाव भी बढ़ गये हैं। अभाव और मूल्यों दोनों में 40 का आंकड़ा कदमताल कर रहा है। सभी दालों की कीमतें पिछले वर्ष की तुलना में 40 से 61 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। वजह भी यही है देश में उत्पादन और ज्यादा घट गया है और जिन देशों से न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, म्यानमार से आयात होता है वहां भी दालों की फसल कमजोर आयी हैं और भाव ऊंचे चल रहे हैं।

बहरहाल भारत जैसे देश में, जहां आबादी के बहुत बड़े हिस्से को मांसाहार से परहेज है, दालें ही आम इंसान के लिए प्रोटीन का प्रमुख स्रोत हैं। ऐसे में दालों की महंगाई का मारक असर होता है। अफसोस की बात है कि सरकारों के इस तथ्य से परिचित रहने के बावजूद दालों की खेती का क्षेत्र बढ़ाने तथा दलहन की फसल को मौसम की मार से बचाने के पर्याप्त उपाय आज तक नहीं हुए। एनडीए सरकार के सामने इस लक्ष्य को हासिल करना बड़ी चुनौती है। आयात दीर्घकालिक विकल्प नहीं हो सकता। अतः फिलहाल उत्पन्न आपात स्थिति से निपटने के लिए दिखाई गई सरकारी तत्परता तो उचित है, मगर इसके साथ ही ऐसे प्रभावी कदम भी उठाए जाने चाहिए ताकि आने वाले वर्षों में आयात की आवश्यकता न पड़े।



liveaaryaavart dot com

-अशोक “प्रवृद्ध”
गुमला
झारखण्ड

विशेष आलेख : दिग्गी के कार्यकाल की भी हो जांच

0
0
मध्यप्रदेश में वर्तमान में व्यापमं मामला राजनीति का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है, सत्ताधारी दल भाजपा और कांगे्रस दोनों के लिए यह मामला अपने अपने हिसाब से संजीवनी देने का काम कर रहा है, लेकिन जब सच उजागर होगा, तब शायद कहानी कुछ और ही निकल सकती है, अब इस मामले में किसी भी प्रकार की जल्दबाजी न करते हुए जांच एजेंसियों की जांच की प्रतीक्षा करनी चाहिए। व्यापमंं घोटाले में कांग्रेस ने जिस प्रकार की राजनीति की है, उससे यह तो कहा जा सकता है कि कांग्रेस को इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है, अगर जानकारी है तो इसे कांग्रेस की दबाव बनाने की राजनीति भी निरूपित किया जा सकता है। क्योंकि इस मामले में जो अंदर की बात दिखाई देती है, उसमें कांग्रेस के आसपास भी जांच का घेरा दिखाई देता है, हम जानते हैं कि कांग्रेस के सत्ता काल के समय से यह घोटाला चल रहा है, इसमें कांग्रेस के कई लोग भी शामिल दिखाई देते हैं। खुद दिग्विजय सिंह इसमें शामिल हो सकते हैं, क्योंकि इस मामले में कई प्रकरण उनके शासनकाल के भी हैं। दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल की जांच हो जाये तो संभवत: इस प्रकरण का सच सामने आ जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो यह मामला कांगे्रस के गले की घंटी साबित हो सकता है।

कहावत है कि किसी भी मामले में झूठ को अगर सफाई के साथ बोला जाए तो वह झूठ एक अंतराल के बाद सत्य जैसा प्रदर्शित होने लगता है, व्यापमं घोटाले की कहानी में भी कुछ इसी प्रकार का खेल दिखाई देता है। मध्यप्रदेश के व्यापमं घोटाले का मामला भले ही कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर रहा हो, लेकिन इसके पीछे के जो निहितार्थ हैं, उन पर विचार करना बहुत ही जरूरी है, इसमें एक बात तो तय है कि जिस प्रकार से मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार का संचालन कर रहे हैं, उस कारण दूर दूर तक कांग्रेस की वापसी की संभावनाएं दिखाई नहीं देतीं। हमें यह भी ध्यान रझना होगा कि इस प्रकरण में भाजपा शायद उतनी दोषी नहीं है, जितनी कांग्रेस के टार जुडते दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस की राजनीति हमेशा इसी प्रकार की रही है, जब भी कांग्रेस किसी मामले में फँसती दिखाई देती है, कांग्रेस उस मामले में इतना भ्रम पैदा कर देती है कि उसका सच सामने नहीं आ पाता।

व्यापमं घोटाले में कुछ इसी प्रकार का खेल दिखाई दे रहा है, इसमें सत्यता कितनी है, यह तो जांच के बाद पता चलेगा, लेकिन कांग्रेस ने जिस प्रकार से राजनीतिक दबाव बनाने का खेल खेला है, उससी तो ऐसा ही लगता है कि कांग्रेस को इस खेल के अंदर की वे सभी बातें मालूम हैं, जो भाजपा के किसी नेता को नहीं पता, सवाल यह आता है कि कांग्रेस को इसकी एक एक बात का पता कैसे है। शिवराज सरकार के समय उछला यह मुद्दा वास्तव में किसके शासन की देन है, अंदर की बात यह है कि व्यापमं का यह खेल कांग्रेस के शासन काल में प्रारम्भ हुआ, और वही समूह आगे भी सक्रिय रहा, इसमें कांग्रेस के कई नेता भी जेल के अंदर जा चुके हैं। कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना को कौन नहीं जानता, ये भोपाल से विधानसभा का चुनाव तक लड़ चुके हैं, दिग्विजय के खास समर्थक संजीव सक्सेना आज व्यापमं मामले के आरोप में जेल की हवा खा रहे हैं।

व्यापमं घोटाले में जिस प्रकार जांच की मांग की जा रही है, वह जांच तो होनी ही चाहिए, लेकिन इस जांच का दायरा कांग्रेस शासन काल से कर दिया तो शायद का मूल स्वरूप सामने आ जाएगा। कहने का तात्पर्य यह है कि व्यापमं घोटाले का खेल दिग्विजय के शासन काल में शुरू हुआ था। सवाल यह है कि कांग्रेस इस घोटाले की जांच उस समय से क्यों नहीं कराना चाहती। कांग्रेस के नेताओं को लग रहा होगा कि इस प्रकार की जांच होने पर हम ही लपेटे में आ जाएँगे।

वर्तमान में मध्यप्रदेश में कांग्रेस पूरी तरह से हासिए पर है, राजनीतिक रूप से कांग्रेस के पास ऐसा कोई कार्यक्रम भी नहीं है, जिसके सहारे वह अपनी स्थिति में सुधार कर सके, इसलिए यह भी हो सकता है कि कांग्रेस अपनी खोई ताकत को प्राप्त करने के लिए इस मुद्दे को हवा दे रही हो, लेकिन कहीं ऐसा न जाये कि ललित मोदी की तरह यह मुद्दा भी कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी साबित हो जाये। और ऐसा हो भी सकता है कि क्योंकि व्यापमं घोटाले में भाजपा की भूमिका क्या है, यह जांच का विषय हो सकता है, लेकिन कांग्रेस भी इस मामले में अछूती नहीं है। इस मामले में जितने वरिष्ठ चिकित्सकों के नाम सामने आए हैं, वे किसी न किसी रूप में कांग्रेस के नेताओं के नजदीक ही माने जाते रहे हैं। इसके अलावा सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह घोटाला कांग्रेस शासन काल की ही देन है, इस मामले में जो अराजनीतिक व्यक्ति आज भाजपा के समीप दिखाई देते हैं, उनमें से अधिकांशत: कांग्रेस के शासनकाल में कांग्रेस के समीप दिखाई देते थे। ऐसे में यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि इस मामले की अगर शुरू से जांच हो जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच की घोषणा किए जाने पर जितनी ज्यादा भाजपा को खुशी मिली है, उससे ज्यादा कांग्रेस को दुख हुआ है, कारण यह है कि मध्यप्रदेश में कम से कम व्यापमं के मुद्दे पर कांग्रेस अपनी राजनीति करती आई है, अब जांच की घोषणा होने के बाद कांग्रेस के हाथ से यह मुद्दा भी निकल गया। जांच की घोषणा के बाद कांग्रेस ने जिस प्रकार से मौन व्रत धारण किया है उससे तो यही लगता है, कि कांग्रेस गंभीरता से यह नहीं चाहती थी कि इस प्रकरण की जांच हो जाये। कांग्रेसियों को शायद इस बात की भी भनक होगी, कि इस प्रकरण की जांच की परिणति में क्या सामने आयेगा। वर्तमान में कांग्रेस की सबसे बड़ी मजबूरी यह है कि अब कांग्रेस को कोई दूसरा मुद्दा तलास करना पड़ेगा। जिसके सहारे वह मध्यप्रदेश में राजनीति कर सके।

कांग्रेस ने व्यापमं मामले में जो आरोप लगाए हैं उनमें कितनी सच्चाई है यह जांच होने के बाद पता चल जाएगा। लेकिन इन आरोपों को एकदम सच भी नहीं माना जा सकता, क्योंकि मुद्दे को जितनी जोरदार तरीके से उठाया गया, उस जोश के साथ कांग्रेस ने जांच का स्वागत नहीं किया। बस इसी बात से कांगे्रस पर सवालों का पुलिन्दा नजर आता है। हम तो चाहते हैं कि कांगे्रस द्वारा लगाए गए आरोप के लपेटे में कांगे्रस नहीं आए और मध्यप्रदेश में कांगे्रस फिर से राजनीति करने की शक्ति ग्रहण कर अपनी राजनीतिक उपयोगिता प्रमाणित करे। 




liveaaryaavart dot com

सुरेश हिन्दुस्थानी
झोकन बाग, झांसी, उत्तरप्रदेश
मोबाइल 09455099388
(लेखक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और सामयिक विषयों के जानकार हैं)

विशेष : आध्यात्मिकता की सुसंगतता

0
0
क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि आप प्रत्येक क्षंण ’अपने-स्वयं’ के साथ चर्चा करते रहते हैं ? उन क्षणों मे आप अपने अन्दर दो हैं। प्रत्येक विषय पर हमेशा आप ’अपने-स्वयं’ से चर्चा करते रहते हैं कि फलां कार्य किया जाये या फलां कार्य नही किया जाये ? किसके साथ करते हैं आप चर्चा ? उसका अस्तित्व प्रत्येक में अदृश्य है और यदि आप यह सोचते हैं कि उस ’अस्तित्व’ का आप अनुभव कर सकें अथवा उससे परिचित होना चाहते हैं तो इसका तात्पर्य यह होगा कि आप आध्यात्मिक अभिरूचि के व्यक्ति हैं। आध्यात्मिक और दार्शनिक चिन्तन के लिये यह कतई आवश्यक नही है कि व्यक्ति किसी धर्म-विशेष, मज़हब या रिलीजन का अनुयायी अथवा अनुसरणकर्ता हो। धर्म, मजहब, रिलीजन एवं आध्यात्मिकता मे बहुत अन्तर है। आध्यात्मिक चिन्तन के माध्यम से हम  सामाजिक जागृति, समाज की अवधारणां और उसके अस्तित्व के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व का बोध करते हैं। आध्यात्म का सम्बन्ध बिचारधारा से हैं, बिचारों के तंत्र से है और समाज की आवश्यकताओं को समग्र रूप मे उजागर करने वाले दृष्टिकोंण से है। सामान्यतया यह कहा जाता है कि आध्यात्मिक-क्षेत्र सिर्फ संत महात्माओं और भक्ति के क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों के लिये है, परन्तु यह त्रुटिपूर्ण सोच है। वस्तुतः जो भी व्यक्ति आध्यात्मिक चिन्तन के स्वरूप को अंगीकार करेगा वह जीवन मे कभी भी कोई गलत कार्य नही कर सकता है। उसका प्रत्येक निर्णय द्वन्द-रहित, भेदभाव-रहित एवं न्यायपूर्ण होगा, जिससे उसे आन्तरिक सुख एवं शांति प्राप्त होगी।

क्या हमने कभी सोचा है कि जीवन का उद्देश्य क्या है ? जीवन का अर्थ क्या है ? मैं अत्यन्त दृढ़ता के साथ निश्चयात्मक रूप से कह सकता हूं कि शारीरिक सुख और उपभोग जीवन के उद्देश्य नही हो सकते हैं। प्रत्येक दिन खाना, सोना, पढ़ना, घूमना, काम करना ही मात्र जीवन के उद्देश्य नही हैं। सामान्यतया हम कभी जीवन की लम्बाई का आकलन नही करते हैं, जबकि इसे गंणित के माध्यम से दिनों एवं घण्टों मे नापा जा सकता है। हम अपनी अधिकतम आयु का अनुमान करते हुये जीवन के शेष बचे हुये वर्षों मे 365 का गुणन यदि करें, तो जीवन के शेष बचे हुये दिन हम गिन सकते हैं। ध्यान रखना होगा कि सम्पूर्ण जीवन मे हम 1/3 समय तो सिर्फ सोने मे व्यतीत करते हैं। (सामान्यतया 8 घंटे सोते हंै) अर्थात 75 वर्ष की ओसत आयु मे 25 वर्ष तो सोते ही रहे। प्रश्न तो यह है कि अब हमारे जीवन का कितना समय प्रेम करने के लिये, दूसरों की सहायता करने के लिये और अच्छे रचनात्मक कार्यो के लिये बचा है ?    

 





liveaaryaavart dot com

राजेन्द्र तिवारी, अभिभाषक, 
छोटा बाजार दतिया
फोन- 07522-238333, 9425116738
नोट:- लेखक एक वरिष्ठ अभिभाषक एवं राजनीतिक, सामाजिक व प्रशासनिक विषयों के समालोचक हैं। 

व्यंग्य : व्यापक... व्यापमं....!!

0
0
vyapam
पहली बार जब यह शब्द सुना तो न मुझे इसका मतलब समझ में  आया और न मैने इसकी कोई  जरूरत ही समझी। लेकिन मुझे यह अंदाजा बखूबी लग गया कि इसका ताल्लुक जरूर किसी व्यापक दायरे वाली चीज से होगा। मौत पर मौतें होती रही, लेकिन तब भी मैं उदासीन बना रहा। क्योंकि एक तो कुटिल और जटिल मसलों पर माथापच्ची करना  मुझे अच्छा नहीं लगता।दूसरे मेरा दिमाग एक दूसरे महासस्पेंस में उलझा हुआ था। जो जेल में बंद प्रवचन देने वाले एक बाबा से जुड़ा है। क्या आश्चर्य कि उनके मामलों से जु़ड़े गवाहों पर एक के बाद एक जानलेवा हमले बिल्कुल फिल्मी अंदाज में हो रहे हैं। हमले का शिकार हुए कई तो इस नश्वर संसार को अलविदा भी कह चुके हैं। 

लेकिन व्यापमं मामले पर मेरा माथा तब ठनका जब इस घोटाले का पता लगाने गए एक हमपेशा पत्रकार की बेहद रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई।कर्तव्य पालन के दौरान बदसलूकी , हाथापाई या मारपीट तो पत्रकारों के साथ आम बात है। लेकिन सच्चाई का पता लगाने की कोशिश में मौत एेसी कि किसी को कुछ समझ में ही नहीं आए तो हैरानी स्वाभाविक ही है।  तभी पता लगा कि इस घोटाले के चलते अब तक 50 के करीब जानें जा चुकी है। यही नहीं पत्रकार की मौत के बाद भी अकाल मौतों का सिलसिला लगातार जारी रहा। सचमुच देश में घोटालों की श्रंखला में यह बड़ा अजीब घोटाला है। यह तो वही बात हुई कि समुद्र के किनारे पड़े नमक के ढेलों में शर्त लगी कि समुद्र की गहराई इतनी है। किसी ने कहा इतनी तो किसी ने गहराई इससे अधिक बताई। आखिरकार एक - एक कर समुद्र के ढेले गहराई नापने समुद्र में कूदते गए। दूसरे ढेले बाहर उनका इंतजार करते रहे। लेकिन गहराई बताने वापस कौन लौटे। वैसे ही एक महाघोटाला एेसा कि जो भी इसका रहस्य पता करने की कोशिश करे वह शर्तिया अकाल मृत्यु का शिकार बने। इससे पहले तो एेसा बचपन की सस्पेंस फिल्मों में ही देखा था। फिल्म की शुरूआत एक बड़े रहस्य से। पूरी फिल्म में रहस्य का पता लगाने की माथापच्ची। लेकिन इस क्रम में एक - एक कर मौत। 

जो रहस्य का पता लगाने को जितनी बेताबी दिखाए। उसकी लाश उतनी ही जल्दी मिले। बहरहाल एेसी फिल्मों के अंत तक तो रहस्य का शर्तिया पता लग जाता था। लेकिन  व्यापमं का रहस्य ....। सच पूछा जाए तो इस घोटाले के पीछे भी एक अनार - सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ होती है। या यूं कहें कि यह आंकड़ा लाखों पर जाकर टिकता है। नौकरी जिंदगी से भी मूल्यवान हो चुकी है... जॉब एट एनी कॉस्ट। किशोवावस्था तक पहुंचते ही नई पीढ़ी के लिए एक अदद नौकरी जरूरी हो जाती है। अब एक नौकरी के लिए हजार - लाख उमड़ेंगे तो व्यापमं जैसे घोटाले तो होंगे ही। हालांकि दो दशक पहले तक भी स्थिति इतनी विकट नहीं थी।यह शायद उस च र्चित कथन का असर था जिसके तहत नौकरी को हीन और खेती को श्रेष्ठ करार दिया जाता था। मुट्ठी भर पढ़े लिखे लोग ही नौकरी पाने या लेने - देने के खेल को जानते - समझते थे। साधारण लोग दुनिया में आए हैं तो जीना ही पड़ेगा... जीवन है अगर जहर ... तो पीना ही पड़ेगा ... वाली  अपनी नियति को बखूबी समझते थे। बछड़े से बैल बने नहीं कि  निकले पड़े खेत जोतने।  

खेलने - खाने की उम्र में शादी और बाल - बच्चों की त्रासदी झेलने वालों में यह कलमघसीट भी शामिल है। लेकिन विकट परिस्थितियों में भी तय कर लिया कि न तो कभी अपना शहर छोड़ेंगे न अपनों को। देर - सबेर मिनिमम रिक्वायरमेंट पूरा करने का रास्ता भी निकाल ही लिया। लेकिन आज की पीढ़ी इसे लेकर भारी दबाव में है। जैसे मध्य प्रदेश की मौजूदा सरकार। वहां के मुख्यमंत्री ने ठीक ही फरमाया है कि नौकरी लेने - देने में विरोधी या दूसरे दल वाले भी कहां किसी से कम है। बचपन में हमने एक एेसे चेन स्मोकर मंत्री के बारे में सुना था जो सिगरेट के गत्ते पर लिख कर लड़कों को नौकरी देते थे । उनकी असीम कृपा से नौकरी पाने वाले कितने ही आज सेवा के अनेक साल गुजार चुके हैं। इसलिए अभी तो हमें व्यापमं की व्यापकता उजागर होने का इंतजार करना ही पड़ेगा। 




liveaaryaavart dot com

तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं। 

सम्मानित हुए झारखण्ड के पत्रकार व साहित्यकार अमरेन्द्र सुमन

0
0
  • अनहद कृतिः वार्षिक हिन्दी साहित्यिक उर्जायनः काव्य-उन्मेष-उत्सव (विशेष मान्यता सम्मान 2014-15)

litreture-awarded-jharkhand
अंबाला (हरियाणा) से प्रकाशित कला, साहित्य व सामाजिक सरोकारों की पूर्णतः अव्यवसायिक त्रैमासिक ई-पत्रिका अनहद कृति के प्रथम वार्षिक हिंदी साहित्यिक ऊर्जायन की काव्य-उन्मेष-उत्सव स्पर्धा 2014-15 में झारखण्ड के पत्रकार व साहित्यकार अमरेन्द्र सुमन की कविता ’एक वृद्ध की असामयिक मृत्यु से’, विशेष मान्यता सम्मान के लिए चुनी गई है। अनहद कृति त्रैमासिक ई-पत्रिका के समक्ष देश के विभिन्न प्रदेशों से कुल 93 आमंत्रित रचनाओं में से मात्र 13 रचनाओं को ही यह सम्मान प्राप्त हुआ जिनमें अमरेन्द्र सुमन की रचना उत्तमता, गुणवत्ता एवं उपयुक्त विषय-वस्तु-चयन में हर तरह से उत्कृष्टता की कसौटी पर बेहतरीन पायी गई, और इन्हें पाठक जजों एवं निर्णायक मंडल की भरपूर सराहना मिली है। इस सम्मान से सम्मानित अन्य रचनाएँ हैं-मोती (उदय ठाकुर, देहरादून) मैं ओंकार बनना चाहता हूँ (महेश द्विवेदी, इटावा) कबाड़ी (ओम बनमाली, फरीदाबाद) नववर्ष जागरण (मंजू महिमा भटनागर, कोटा, राजस्थान) नीड़ (अनमोल तिवारी कान्हा, कपासन) मातृभूमि वन्दना (गोपाल कृष्ण भट्ट आकुल, महापुरा, जयपुर) नव स्पंदन (विनय कुमार अग्रहरि, फतेहपुर) थकी हुई शाम (पंकज द्विवेदी, सुरेन्द्र नगर, गुजरात) जीवन पश्चाताप नहीं बन सकता (अनुराधा द्विवेदी सिंह, ओबरा थर्मल पावर) आवाहन (मल्लिका मुखर्जी, नवरंगपुरा, गुजरात) हरी नन्हीं घास ( अशोक बाबू माहौर, मोरेना, मध्यप्रदेश) व पुनश्च (श्रीकृष्ण सैनी, अंबाला, हरियाणा)। 
                                     
पी0पी0 प्रकाशन (अंबाला, हरियाणा) के सौजन्य से प्रकाशित त्रैमासिक ई-पत्रिका अनहद कृति के संपादक द्वय पुष्पराज चसवाल व डा0 प्रेमलता चसवाल प्रेमपुष्प ने प्रशस्तिपत्र भेजते हुए कहा है कि अनहद कृति ई-पत्रिका हिन्दी साहित्य के प्रति आपकी समर्पण भावना व साधना की मुक्त कंठ से अनुशंसा करते हुए आपकी कलम के निरंतर उन्नयन, संवर्द्धन व आरोहण की कामना करती है। संपादक द्वय ने यह भी लिखा है कि काव्य-उन्मेष स्पर्धा में प्रतिभागियों द्वारा प्रेषित की गई कुछ काव्य-रचनाओं का काव्यगत सत्य एवं उत्कृष्टता स्तर इतना अधिक प्रभावी व स्पर्धा-मानकों का सम्यक निर्वाह लिए हुए था कि पाठक जजों एवं निर्णायक मण्डल ने इनकी भरपूर सराहना की है। ई-पत्रिका अनहद कृति के माध्यम से विश्व के तमाम देशों में बसने वाले अप्रवासी भारतीयों सहित भारत वंशियों तक कवियों की अभिव्यक्ति पहुँचाने के लिये किये जा रहे अनहद कृति के गंभीर प्रयास का ही प्रतिफल है कि साहित्य की विभिन्न विद्याओं में रचनाओं का आमंत्रण और फिर ई-पत्रिका अनहद कृति में उसे प्रकाशित करने से साहित्य सृजन में तल्लीन रचनाकारों को एक बड़ा प्लेटफार्म प्राप्त हुआ है, जिसका भरपूर लाभ वे उठा भी रहे हैं। 

अनहद कृति द्वारा काव्य प्रतिष्ठा सम्मान के अलावा रचनाओं के काव्यकारों के उत्तम प्रयास को रेखांकित करते हुए विशेष मान्यता सम्मान की व्यवस्था की गई थी। साहित्य के क्षेत्र में कम ही ऐसे संस्थान हैं जहाँ प्रतिभाओं को सम्मानित करने की जिम्मेवारी ली जाती है वरना सभी अपने-अपने तरीके से लोगों को आमंत्रित करते इुए उनका प्रयोग खुद के तरीके से करते हैं परिणामस्वरुप रचनाकारो को वह सम्मान प्राप्त नहीं हो पाता जिसकी कल्पना वे मन में पाले होते हैं। अनहद-कृति के काव्य-उन्मेष-उत्सव अंक (23 जून 2015 से 22 सितम्बर 2015) में स्पर्धा में सम्मिलित सभी कविताओं और उनके रचनाकारों की जानकारी दी गई तथा पाठक-जजों को उनके किये गए कार्यों के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया किया गया। काव्य उन्मेष उत्सव स्पर्धा में सर्वोत्तम चुनी गयी रचनाओं के रचनाकारों, जिनको अनहद कृति का काव्य-प्रतिष्ठा सम्मान प्राप्त हुआ है, विशिष्ट रचनाकार परिशिष्ट में उनकी कविताएँ प्रकाशित होगीें। इसके अलावे एक विशेष हिंदी-दिवस परिशिष्ट (सितम्बर 01 से ले कर सितम्बर 22 तक) प्रकाशित की जाऐगी जिसमें उनकी रचनाओं को विशेष स्थान दिया जाऐगा। 

विशेष आलेख : मोदी नवाज वार्ता : नेपथ्य से मंच तक

0
0
modi-and-sharif
आतंकवाद और वार्ता दोनों साथ नहीं चल सकते लेकिन यह बात अलग है कि डींग हांकने के लिए लच्छेदार डायलाग कहना एक चीज है जबकि ठोस फैसले व्यवहारिक वास्तविकता से निर्देशित और प्रेरित होते हैं। रूस के उफा शहर में संघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी छद्म आन को एक किनारे कर पाकिस्तान के अपने समकक्ष नवाज शरीफ से अंततोगत्वा निर्धारित समय से भी ज्यादा बातचीत की।

इसके पहले जब यूपीए सरकार में थी तो पाकिस्तान से किसी भी स्तर की बातचीत भाजपा के लिए कुफ्र बन जाती थी। अब वक्त यह है कि जब मोदी ने ऐसी अप्रत्याशित पहल की तो भाजपा कुछ कहने के पहले ठिठकने की बजाय बहुत जोश के साथ इसका स्वागत करती दिखी। यह इस देश की राजनीतिक पार्टियों का अजब पाखंड है। राष्ट्रीय महत्व के मामलों में भी उनके बीच कोई सर्वानुमति नहीं है। सत्ता में रहकर जो नीति उन्हें भली लगती है विपक्ष में आते ही उसमें उन्हें देश के लिए खतरा दिखने लगता है। यही बात दूसरे पक्ष की होती है। विपक्ष में रहते जिन चीजों का विरोध करते हुए जुबान नहीं थकती सत्ता में आते ही वही रास्ता उनको ठीक लगने लगता है सो कांग्रेस भी अपना धर्म निभा रही है। उसे मोदी और भाजपा को बेनकाब करने का एक अच्छा मुद्दा मिल गया है। बहरहाल इस तरह के दोहरेपन का अंत राजनीतिक पार्टियों को करना चाहिए। इससे उनकी विश्वसनीयता का क्षरण होता है।

मोदी नवाज शिखर वार्ता के पहले का मंजर देखिए। हाल तक पाकिस्तानी पक्ष के जिम्मेदारों के बयान से तनाव का पारा खतरे के बिंदु तक जा पहुंचा था। जियो टीवी को इंटरव्यू में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जिन अल्फाजों में भारत को चेलैंज करने की कोशिश की थी उनकी अनुगूंज अभी तक मिटी नहीं थी। ख्वाजा आसिफ ने कहा था कि पाकिस्तान को मजबूर किया गया तो वह अपनी रक्षा के लिए परमाणु ताकत का इस्तेमाल करने से परहेज नहीं रखेगा। उन्होंने भारत की ओर इशारा करते हुए देश में आयातित आतंकवाद के बढऩे पर गुस्सा जताते हुए कहा था कि पाकिस्तान के सब्र का इम्तिहान न लिया जाए। उनसे पहले पाक के सेनाध्यक्ष जनरल राहिल शरीक ने भी कम आग नहीं उगली थी। उन्होंने बहुत ही हठधर्मी रुख जाहिर करते हुए कहा था कि कश्मीर के लिए पाकिस्तान हर कीमत चुकाने को तत्पर है और कुछ और समय पहले पूर्व राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ ने भी प्रलाप के अंदाज में कहा था कि पाकिस्तान का परमाणु बम शब-ए-बारात के लिए नहीं है। हालांकि जनरल मुशर्रफ पाकिस्तान में चुके हुए व्यक्तित्व हैं इसलिए सुर्खियों में फिर आने को ऐसे सनसनीखेज वक्तव्य देना उनकी आदत बन गया है जिनको पाकिस्तान में भी कोई भाव नहीं देता।

दरअसल दोनों के बीच उत्तेजक माहौल की पहल भारत की ओर से ही हुई थी। जब भारतीय सुरक्षा बलों पर पूर्वात्तर के उग्रवादियों द्वारा किए गए हमले का बदला लेने के लिए म्यांमार की सीमा में सेना ने एक आपरेशन किया था और इसमें म्यांमार की सीमा में घुसकर कई आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया गया था। भाजपा के नेताओं ने अति उत्साह में इस आपरेशन को लेकर यह कह डाला कि अगर पाकिस्तान से लगी सीमा से आए आतंकवादियों ने देश में कोई जुर्रत की तो अब भारतीय पक्ष शिकायत करने और आरोप लगाने में समय खर्च करने की बजाय उसकी भी सीमा में घुसकर जवाब देगा। इस बड़बोलेपन का नतीजा यह हुआ कि पहले तो म्यांमार ने ही एतराज कर डाला और भारतीय पक्ष को सफाई की मुद्रा में आना पड़ा। कहा गया कि आपरेशन के लिए सीमा को पार नहीं किया गया था पर म्यांमार को सूचित करके उसकी सीमा से सटे इलाके में आपरेशन किया गया था ताकि एक तो म्यांमार को गलतफहमी न हो और दूसरे म्यांमार भी इसमें सहयोग करे।
पाकिस्तान में जाहिर है कि भारतीय पक्ष की इस शेखी पर बहुत ही तल्ख प्रतिक्रिया हुई। इसके बाद पाकिस्तान नेताओं के एक के बाद एक आग उगलते बयान गिरने शुरू हो गए। माहौल इतना ज्यादा बिगड़ गया कि एक बारगी दोनों देशों के बीच किसी भी तरह के संवाद की गुंजायश खत्म हो गई। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश यात्रा पर रवाना होने के समय तक जो संकेत दिए गए उसके मुताबिक उफा में चीन के राष्ट्रपति से तो अलग से शिखर वार्ता का उनका इरादा था लेकिन नवाज शरीफ से उनकी तन्हां भेंट हो सकती है इस संभावना को एकदम नकार दिया गया था। फिर यह चमत्कारिक संयोग कैसे हुआ कि दोनों नेता दुश्मनी भूलकर पुराने रिश्तेदारों की तरह मिल बैठे, यह एक पहेली है।

सरकार चाहे यूपीए की हो या एनडीए की। हकीकत यह है कि फिलहाल भारत ऐसी स्थिति में नहीं है जो अमेरिका के दबाव को झटक सके। अनुमान लगाया जा सकता है कि अमेरिकी आकाओं का ही निर्देश था जिसकी वजह से मोदी और नवाज दोनों को अपनी अकड़ ढीली करनी पड़ी। लोगों को ध्यान होगा कि मोदी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया था। इसके बाद सरकार के गठन के साथ ही पाकिस्तान से विदेश सचिव स्तर की वार्ता की शुरूआत भी की थी लेकिन इसे तब रद्द कर दिया गया जब पाकिस्तान के अधिकारियों ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं को बुलाकर उनसे सलाह मशविरा करने की जुर्रत कर डाली। इस बात पर दोनों देशों के बीच काफी दिनों तक घोर तनातनी बनी रही तब भी यह देखा गया था कि पानी सिर पर चढ़ता देख अमेरिका ने दोनों देशों पर दबाव डाला और नतीजतन नवाज और मोदी ने कुछ प्रसंगों में आपस में हाय हैलो करके अपने बीच अबोलेपन को खत्म करने की पहल की।

हालांकि यह लिखने का मतलब नवाज शरीफ से मोदी द्वारा बात करने को गुनाह साबित करना या इस बिनाह पर एनडीए सरकार की जलालत का हमारा कोई इरादा नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय मामलों में लक्ष्य हासिल करने के लिए वार्ता की प्रक्रिया का अनुशीलन अपरिहार्य है। परमाणु हथियारों के दौर में दो टूक लड़ाई के दम पर अपना लक्ष्य हासिल करने की मूर्खता नहीं की जा सकती। चूंकि भाजपा के कार्यकर्ताओं की मजबूरी है कि वे फंतासी में जीते हैं जिसकी वजह से बहुत दूर तक की सोचने की कुव्वत उनमें नहीं है। तालियां पिटवाने के लिए मोदी द्वारा चुनावी सभाओं में किए जाने वाले भाषणों से उन्होंने तमाम मुगालते पाल रखे थे। वे मोदी को शक्तिमान समझने का भ्रम पाल बैठे हैं और उन्हें लगता है कि पाकिस्तान के साथ समस्याओं का अंत करने के लिए व्यक्तिगत सूरमाई की जरूरत है लेकिन इन समस्याओं से पार पाने के लिए कूटनीतिक कौशल चाहिए।

इस दिशा में मोदी नवाज शरीफ वार्ता उचित पहल है। दोनों देशों और नेताओं के बीच और गर्मजोशी भरने के लिए मोदी ने पाकिस्तान में आयोजित सार्क शिखर सम्मेलन में भाग लेने का नवाज शरीफ का न्यौता स्वीकार करके ठीक ही किया। इस बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश सचिव स्तर की वार्ताओं के दौर भी चलेंगे। नवाज शरीफ का मुंबई हमले के मुकदमे की कार्रवाई में तेजी लाने का ठोस आश्वासन पारस्परिक विश्वास बढ़ाने की दृष्टि से बहुत बड़ा कदम है। कश्मीर में भारत के लिए इस समय नाजुक दौर है और पाकिस्तान को अगर वह इस दौर में कूटनीतिक तरीके से काबू में रखने का उद्देश्य हासिल कर लेता है तो उसे वहां अपना पक्ष मजबूत करने के लिए पर्याप्त मोहलत मिल सकती है। मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में जम्मू कश्मीर में सरकार बनवाकर मोदी ने बहुत बड़ा जोखिम मोल लिया है। बीच में मुफ्ती मोहम्मद सईद इस हद तक आगे बढ़ गए थे कि भाजपा के होश उड़ते नजर आने लगे थे लेकिन शायद पर्दे के पीछे कुछ ऐसा हुआ है कि अब सईद बदले बदले नजर आ रहे हैं। रोजा अफ्तार पार्टी के बहाने भारतीय राजनीति की मुख्य धारा में फिर से अपना विश्वास जमाने की पहल उनके द्वारा की जा रही है। देश की अखंडता और सुरक्षा से जुड़े मामलों में सरकार अपनी हर हरकत को उजागर नहीं कर सकती लेकिन यह आभास सारी घटनाओं को जोड़ कर बनने वाले विंब से किया जा सकता है कि भारत सरकार की ओर से सुचिंतित कार्रवाइयां हो रही हैं जो बेहद सटीक हैं। इसमें उसे कामयाबी मिले इसकी शुभाशा की जानी चाहिए।




liveaaryaavart dot com

के  पी  सिंह
ओरई 

विंबलडन : भारत के नागल बालक युगल वर्ग के चैम्पियन

0
0

sumit-nagal-won-junio-wimbaldon-doubles
भारत के सुमीत नागल ने वियतनाम के नैम होंग ली के साथ रविवार को विंबलडन के बालक युगल वर्ग का खिताब जीत लिया। नागल-होंग ली की आठवीं वरीय जोड़ी ने कोर्ट-1 पर हुए फाइनल मैच में अमेरिका के रिली ओपेल्का और जापान के अकीरा सांटिलान की चौथी वरीय जोड़ी को सीधे सेटों में हरा दिया।

नागल-होंग ली ने रविवार को ही बालक एकल वर्ग के विजेता रहे ओपेल्का और सांटिलान की जोड़ी को मात्र एक घंटा तीन मिनट में 7-6(6-4), 6-4 से हरा दिया।

नागल-होंग ली ने अनुशासित खेल खेला और पहली सर्विस पर 41 में से 34 अंक अपनी झोली में डालने में सफल रहे तथा दो बार विपक्षी जोड़ी की सर्विस ब्रेक की।

सीबीआई जांच की मांग को लेकर अमिताभ ठाकुर दिल्ली रवाना

0
0

amitabh-thakur-leave-to-delhi-to-demand-cbi-probe-to-home-ministry
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव पर धमकाने का आरोप लगाने वाले उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिरीक्षक (सिविल डिफेंस) अमिताभ ठाकुर सोमवार को मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग को लेकर दिल्ली रवाना हो गए। वह दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात कर उन्हें मामले की जानकारी देंगे। अमिताभ ने बताया, "मैं दिल्ली जा रहा हूं। पूरे मामले की जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को दूंगा और यदि मौका मिला तो केंद्रीय गृह मंत्री से भी मुलाकात करूंगा।" भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी ने कहा, "मेरी तीन मुख्य मांगें हैं। पहली मांग यह कि जिस तरह से उप्र में आईपीएस अधिकारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है, उसे रोका जाए। मुलायम सिंह यादव से जुड़े पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से कराई जाए और मुझे व्यक्तिगत तौर पर केंद्रीय सुरक्षा मुहैया कराई जाए।"

अमिताभ ने मुलायम पर गायत्री प्रसाद प्रजापति मामले में उन्हें फोन पर धमकाने का आरोप लगाया है। दोनों के बीच हुई बातचीत का ऑडियो टेप अमिताभ की पत्नी नूतन ठाकुर ने गुरुवार को जारी किया था। अमिताभ ने शनिवार को कहा था कि वह मुलायम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने हजरतगंज थाना पहुंचे थे, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया और कहा कि मामले की जांच के बाद ही वह एफआईआर दर्ज करेगी। उन्होंने इस मामले में अदालत की शरण लेने की बात कही थी। अमिताभ ने अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह पूरे प्रदेश के मुखिया हैं और जब वह इस तरह की धमकी दे रहे हैं, तो वह कुछ भी करा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि उप्र के खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष जरीना उस्मानी और सदस्य अशोक पांडेय के खिलाफ अमिताभ की पत्नी नूतन ने गुरुवार को गोमतीनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। नूतन ने आरोप लगाया है कि उनके पति ने लोकायुक्त के सामने प्रजापति के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। इसी कारण प्रजापति ने आयोग की अध्यक्ष और सदस्य के साथ मिलकर उनके पति के खिलाफ दुष्कर्म के दो फर्जी मामले दर्ज करा दिए हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने माल्या की याचिका खारिज की

0
0

sc-cancel-malya-patition
सर्वोच्च न्यायालय ने उद्योगपति विजय माल्या की उनके खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी। मामला 1996-98 के फार्मूला वन आयोजन के दौरान किंगफिशर का लोगो दिखाने के लिए ब्रिटिश कंपनी को दो लाख अमेरिकी डॉलर के भुगतान का है, जिसके लिए प्रवर्तन निदेशालय ने उनके खिलाफ सम्मन जारी किया था। माल्या पर इस सम्मन की जानबूझकर अवहेलना करने का आरोप है।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस.केहर और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने माल्या पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। माल्या ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उनके खिलाफ जारी सम्मन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था। माल्या ने प्रवर्तन निदेशालय पर विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम का उल्लंघन करते हुए सम्मन जारी करने का आरोप लगाया था।

व्यापमं पर बयान से पलटे भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष

0
0

bjp-president-change-their-statement-on-vyapam
मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले को लेकर पूर्व में दिए विवादित बयान से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान पलट गए। उन्होंने सोमवार को कहा कि व्यापमं से जुड़े लोगों की मौत पर भाजपा को अफसोस है। उन्होंने रविवार को कहा था कि 'भाजपा को व्यापमं मामले में कोई अफसोस नहीं है।'भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष द्वारा रविवार को दिए बयान से पार्टी की काफी किरकिरी हुई। यही वजह है कि नंदकुमार को सोमवार को कहना पड़ा कि व्यापमं से जुड़े लोगों की मौत पर पार्टी को अफसोस है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सराहना करते हुए कहा कि व्यापमं की जांच एसटीएफ को उन्होंने ही सौंपी थी और मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच को लेकर भी उन्होंने पहल की थी।

उल्लेखनीय है कि संवाददाताओं ने रविवार को नंदकुमार से पूछा था कि क्या व्यापमं को लेकर भाजपा को जरा भी अफसोस है? इसके जवाब में उन्होंने कहा था, "बिलकुल नहीं, किस बात का अफसोस? हमें तो इस बात पर गर्व है कि हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ईमानदारी के साथ इस मामले पर कार्रवाई की।"उन्होंने यह भी कहा था कि 'व्यापमं में सात लाख नियुक्तियां हुईं, उनमें एक से दो हजार नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई है। जांच में सब साफ हो जाएगा, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तो गंगाजल की तरह पवित्र हैं।'

ग्रीस संकट पर यूरोजोन में समझौता

0
0

greece-crisis-eurozone-compromise
ग्रीस संकट पर यूरोजोन के सदस्य देशों के बीच तीसरे बेलआउट पैकेज पर चर्चा के बाद सोमवार को समझौता हो गया है। यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने यह जानकारी दी। बीबीसी की रपट के मुताबिक, टस्क ने ट्वीट कर कहा, "गंभीर सुधारों और वित्तीय मदद के साथ ग्रीस को एक बेलआउट पैकेज देने की तैयारी है।"

हालांकि, इस समझौते की जानकारी का अभी खुलासा नहीं किया गया है। यूरोजोन के नेताओं ने बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में 16 घंटों से भी अधिक समय तक बैठक की। ग्रीस यूरोजोन के कहे अनुसार बुधवार तक आर्थिक सुधारों के लिए विधेयक पारित कर सकता है।

लालू ने खुली जीप में शुरू किया राजभवन मार्च

0
0

lalu-march-in-open-jeep-to-governor-house
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने जातीय जनगणना की रपट जल्द प्रकाशित करने की मांग को लेकर सोमवार को यहां राजभवन मार्च कर रहे हैं। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद खुली जीप में सवार होकर रैली का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके साथ सैकड़ों कार्यकर्ता हैं। राजभवन मार्च की शुरुआत गांधी मैदान के जेपी गोलंबर से हुई। यह मार्च डाकबंगला चौराहा, पटना रेलवे स्टेशन होते हुए आर. ब्लॉक चौराहा पहुंचेगा। राजद काफिले को यदि राजभवन की तरफ बढ़ने की अनुमति नहीं मिली, तो आर. ब्लॉक चौराहे पर ही जनसभा का आयोजन किया जाएगा। 

लालू ने राजभवन मार्च शुरू करने के बाद यहां संवाददातओं से कहा कि केंद्र सरकार को जातीय जनगणना की रपट जल्द जारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजद अब इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगा। राजभवन मार्च में राजद के सांसद, विधायक, विधान पार्षद, पार्टी पदाधिकारी एवं सभी जिलाध्यक्ष और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हैं। 

अमित शाह गुरुवार को 'परिवर्तन रथ'को हरी झंडी दिखाएंगे

0
0

amit-shah-will-start-pariwartan-rath-in-bihar
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब चुनावी मूड में आ गई है। इसी मद्देनजर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गुरुवार को पटना के गांधी मैदान में आधुनिक तरीके से निर्मित 160 परिवर्तन रथों (प्रचार रथ) को हरी झंडी दिखाएंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने सोमवार को बताया कि ऑडियो-वीडियो सिस्टम से लैस इन परिवर्तन रथों पर विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ी संख्या में पर्चे भी रहेंगे। ये सभी रथ बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचेंगे। प्रतिदिन ये रथ कम से कम 800 गांवों में पहुंचेंगे और बिहार में परिवर्तन करने की मतदाताओं से अपील करेंगे। उन्होंने बताया कि प्रत्येक रथ पर भाजपा के दो-दो कार्यकर्ता भी सवार रहेंगे। 

भाजपा प्रवक्ता विजय नारायण झा ने बताया कि इन रथों द्वारा पार्टी 100 दिनों में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में एक लाख बैठके आयोजित करने की भी योजना बनाई है। उन्होंने बताया कि आधुनिक रूप से तैयार किए इन रथों पर सवार लोग केन्द्र सरकार की उपलब्धियों से लोगों को अवगत कराएंगे तथा भाजपा की नीति की जानकारी देंगे। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब परिवर्तन के मूड में आ गई है, यही कारण है कि इन प्रचार रथों का नाम 'परिवर्तन रथ'रखा गया है। 
Viewing all 73692 articles
Browse latest View live




Latest Images