स्टिंग आपरेशन सारा भाजपा का किया धराः सीएम
- -बोले, जब तक हम खड़े है तब तक भाजपा सड़क पर रहेगी
देहरादून, 4 अगस्त (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने स्टिंग आपरेशन पर भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सारा किया धरा भाजपा का है। भाजपा को यह स्वीकार करना चाहिए कि इसमें उसकी मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि जब तक हम खड़े हैं, तब तक भाजपा सड़क पर रहेगी। पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा को यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि पूरे मामले में उसकी ही मिलीभगत है। जब भाजपा ही कुछ भी बताने को तैयार नहीं तो ऐसे में हम क्या कर सकते हैं। स्टिंग मामले की सीबीआई जांच के सवाल पर मुख्यमंत्री चुप्पी साध गए। आबकारी स्टिंग आपरेशन करने वाले पत्रकार अशोक पाण्डेय के देहरादून स्थित कांप्लेक्स को तोड़े जाने के मामले में उन्होंने कहा की ये छोटा मामला है। इसमें बोलकर मैं अपनी जुबान खराब नहीं करना चाहता। जो लोग ये आरोप लगा रहे की कांप्लेक्स मैं तुड़वा रहा और मेरे से उनकी जान को खतरा है, ऐसा कहकर वे राज्य का अपमान कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की सुविधाओं में कटौती के मामले में उन्होंने कहा की अगर तिवारी जी कहेंगे तो उनके मामले में विशेष परिस्थितियों में सरकार रियायत देगी। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से कांग्रेसी सांसदों को निलंबित करने के मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि कहा की संसद की कुछ परंपरा है और भाजपा ये परंपरा तोड़ रही है। विपक्ष को विश्वास में लिया जाना चाहिए था। देहरादून के नारी निकेतन से संवासिनियों के गायब होने के मामले को मुख्यमंत्री ने गंभीर बताया। उन्होंने कहा कि इसकी जांच के लिए महिला आयोग को भेजा था। आयोग की रिपोर्ट मिलने पर उच्च स्तरीय समिति से जांच कराने पर विचार किया जाएगा।
स्टिंग आपरेशन की सीबीआई जांच को भाजपा ने दिया धरना
- -सीएम इस्तीफा दें और प्रकरण की सीबीआई जांच होः भाजपा
- -भाजपा नेताओं ने हरीश रावत सरकार पर किए कड़े प्रकार
देहरादून, 4 अगस्त (निस)। सीएम के सचिव मोहम्मद शाहिद के स्टिंग प्रकरण की सीबीआई जाँच की मांग को लेकर भाजपा नेताओं ने दीनदयाल पार्क में धरना दिया। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री हरीश रावत पर जमकर प्रहार किए। भाजपा नेताओं ने कहा कि सीएम हरीश रावत हिटलरशाही चला रहे हैं। स्टिंग में फंसे मोहम्मद शाहिद को रिलीव करने की जगह भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकार का मकान गिरा दिया। भाजपा नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री को तत्काल इस्तीफा देने के साथ ही मामले की जाँच सीबीआई से करानी चाहिए। भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने दीनदयाल पार्क में प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व में धरना दिया। भाजपा नेताओं का कहना था कि सचिव मोहम्मद शाहिद के साथ ही सीएम के सलाहकार रणजीत रावत व हरपाल रावत का भी लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया जाए। धरना स्थल पर आयोजित सभा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का मकान भी अवैध है, इसे भी सरकार को ध्वस्त कराना चाहिए। यह सरकार भ्रष्टाचार की सरकार हो गई है। भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले पत्रकार का मकान ध्वस्त किया जा रहा है। स्टिंग में फंसे सचिव मोहम्मद शाहिद की केंद्र सरकार राज्य में प्रतिनियुक्ति समाप्त कर चुकी है, उसके बावजूद सीएम द्वारा शाहिद को रिलीव नहीं किया गया है। तीरथ सिंह रावत ने कहा कि स्टिंग आपरेशन और आपदा राहत घोटाले सीबीआई जांच कराई जाए। धरना स्थल पर आयोजित सभा में नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार उजागर करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करना उनके घरों को तोड़ना प्रजातंत्र पर हमला करना है। उन्होंने कहा कि कथित स्टिंग आपरेशन करने वाले पत्रकार ने कह दिया है कि मुख्यमंत्री बार-बार कह रहे हैं कि प्राॅपर्टी की जाॅच की जायेगी तो वे इसके लिए भी तैयार हैं। उन्होंने सरकार को आगाह किया है कि वे सम्पत्ति की जाॅच करने तथा अदला-बदली करने को तैयार हैं सरकार जब चाहे तब कार्यवाही कर ले। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचारियों को बचाना तथा भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों के खिलाफ अवैध तरीके से कार्यवाही करना तथा उन्हें डराना यही इस सरकार कार्य रह गया है। उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि जब प्रदेश में चारों ओर सरकार के भ्रष्टाचार की बात उजागर हो गयी है तो स्वयं इस्तीफा देकर पूरे प्रकरण की सी0बी0आई0 जाॅच की संतुति दे देती ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता। इस धरने में पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज, विधायक हरबंश कपूर, विधायक मदन कौशिक, विधायक प्रेमचंद्र अग्रवाल, विधायक संजय गुप्ता, यतीश्वरानंद, आदेश चैहान, प्रेमचंद अग्रवाल, सहदेव सिंह पुंडीर, पूर्व मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, नरेश बंसल, पीके अग्रवाल, लक्ष्मी अग्रवाल, उमेश अग्रवाल, सौरभ थपलियाल, नीलम सहगल समेत भाजपा नेता और कार्यकर्ता बड़ा संख्या में शामिल हुए।
ऑपरेशन स्माइल के तहत 219 बच्चे परिजनों के सुपुर्द किए
- -इस अभियान के तहत प्रदेश में 264 बच्चे चिन्हित किए गए
- -45 बच्चों को पुनर्वास के लिए बाल संरक्षण गृह भेजा गया
देहरादून, 4 अगस्त (निस)। गृह मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश पर पुलिस द्वारा गुमशुदा बच्चों की तलाश के लिए जुलाई माह में चलाए गए ऑपरेशन स्माइल के तहत प्रदेश में 264 बच्चे चिन्हित किए गए। जिनमें से 53 पंजीकृत और 211 अपंजीकृत गुमशुदा बच्चों को तलाशा गया। पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्दू ने बताया कि प्रदेश में यह अभियान 1 जुलाई से 31 जुलाई तक चलाया गया। इन 264 बच्चों में से 219 बच्चों को उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया एवं 45 बच्चों को पुनर्वास हेतु बाल संरक्षण गृह भेजा गया। जिन्हें कि उनके परिजनों से मिलाये जाने हेतु प्रयास किया जा रहा है। हरिद्वार जिले में सर्वाधिक 49, देहरादून जिले में 44, उत्तरकाशी में 30, टिहरी गढ़वाल 28, चमोली में 22, चम्पावत में 16, रूद्रप्रयाग में 16, नैनीताल में 15, ऊधमसिंहनगर 14, बागेश्वर में 11, पौड़ी गढ़वाल में 9, पिथौरागढ़ में 6 और अल्मोड़ा जिले में 4 बच्चे बरामद किए गए। डीजीपी ने बताया कि 13 जिलों की पुलिस टीमों को इस आॅपरेशन में लगाया गया था।
बल्लूपुर रोड में की दुकाने ध्वस्त
देहरादून, 4 अगस्त (निस)। बल्लूपुर रोड चैड़ीकरण के मद्देनजर मंगलवार को प्रशासन ने बल्लूपुर रोड की दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया। इस दौरान व्यापारियों की प्रशासन के साथ झड़प भी हुई लेकिन बाद में कार्यवाही सुचारू हुई और चिन्हित दुकानों को तोड़ दिया गया। विदित हो कि बल्लूपुर रोड चैड़ीकरण के लिए पिछले दिनों लोक निर्माण विभाग द्वारा बल्लूपुर के व्यापारियों को दुकानो पर कब्जा छोड़ने के नोटिस जारी किये गये थे। नोटिस के माध्यम से कहा गया था कि व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों को स्वयं हटा लें नहीं तो उन्हे बलपूर्वक हटाया जायेगा। वहीं व्यापारियों का कहना था कि उन्हे सरकार सर्किल रेट से अधिक पैसा दिलाए साथ ही उचित स्थानों पर बल्लूपुर रोड पर दुकानों को किया ध्वस्त व्यवस्थापित किया जाये। दुकान के बदले दुकान की मंाग को लेकर बीते रोज व्यापारियों ने जिला मुख्यालय में प्रदर्शन भी किया था। व्यापारियों को दिया गया समय समाप्त होने केे बाद मंगलवार को प्रशासन ने मौके पर पहुंच कर बल्लूपुर रोड पर चैड़ीकरण के लिए दुकानों को ध्वस्त करने की कार्रवाई प्रारंभ की। इस दौरान ध्वस्तीकरण का विरोध कर रहे कई व्यापारियों से अभियान चलाने वालों की बहस भी हुई।
वरिष्ठ अधिवक्ता से अभद्रता के विरोध में प्रदर्शन
देहरादून, 4 अगस्त (निस)। दून बार एसोसिएशन ने बीते रोज मसूरी की उपजिलाधिकारी पर एक वरिष्ठ अधिवक्ता से अभद्रता का आरोप लगाते हुए मंगलवार को अधिवक्ताओं ने हड़ताल कर कार्य बहिष्कार करते हुए एसडीएम कार्यालय पर प्रदर्शन किया। बता दें कि सोमवार को बुर्जग अधिवक्ता एस पी त्यागी कोर्ट के काम से एसडीएम कोर्ट गये थे। वहंा किसी बात पर उनका एसडीएम से विवाद हो गया। एसपी त्यागी के अनुसार एसडीएम द्वारा उनके साथ अभद्रता की गयी। उनका कहना है कि कोर्ट मंे एसडीएम ने अपने गनर को आदेश दिये कि उन्हे कोर्ट से बाहर कर दिया जाये। इस बात की जानकारी बार एसोसिएशन को मिली तो वकील आक्रोशित हो गये और उन्होने मंगलवार को हड़ताल का ऐलान कर एसडीएम के कार्यालय पर प्रदर्शन की बात कही। मंगलवार की सुबह पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत दून बार एसोसिएशन के पदाधिकारी बार भवन में एकत्रित हुए वहंा से वह दून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल के नेतृत्व में कार्य बहिष्कार करते हुए हड़ताल पर चले गये। बताया जा रहा है कि इस दौरान अधिवक्ताओं ने जोर दार प्रदर्शन करते हुए हड़ताल जारी रखी। अधिवक्ताओं की मांग थी कि एसडीएम के माफी मांगने पर ही हड़ताल समाप्त की जायेगी। इस दौरान सारे कोर्ट परिसर में कामकाज नहीं हुआ। प्रदर्शनकारियों में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल सचिव अनिल गांधी, सह सचिव भानूप्रसाद सिसौदिया सहित भारी मात्रा में अधिवक्ता मौजूद रहे।
हिमालयी सतत विकास हेतु बहु-हितधारकों की कार्यशाला आयोजित
देहरादून, 4 अगस्त (निस)। हिमालयी क्षेत्रों के सतत विकास के लिए कट एंड पेस्ट की अवधारणा से बाहर निकल कर यहां की परिस्थितियों के अनुरूप प्रेक्टीकल माॅडल विकसित करना होगा। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ गांवों से शुरूआत की जा सकती है। एक स्थानीय होटल में जीबी पंत इंस्टीट्यूट आॅफ हिमालयन एनवायरमेंट एंड डेवलपमेंट द्वारा आयोजित ‘‘हिमालयी सतत विकास हेतु बहु-हितधारकों की कार्यशाला’’ में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि शहरीकरण आर्थिक विकास की प्रक्रिया है। इसके साईड इफैक्ट को कम करके शहरों को स्तरीय जीवन योग्य बनाने के लिए आवश्यक प्राविधानों को पूरा करना होगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि समयचक्र के अनुसार जलवायु परिवर्तन आता है। परंतु पिछले कुछ समय में प्रकृति की विषमताओं में तेजी आई है। लोगों को इसके लिए कैसे तैयार किया जा सकता है, बड़ी चुनौति है। शहरीकरण, सड़कें आदि सभ्यता के विकास के साथ जुड़ी हैं। उदाहरण के लिए पहाड़ों में सड़कें आवश्यकता हैं परंतु इससे हुए मलबे का सही निस्तारण भी उतना ही आवश्यक है। विकास के सामाजिक लागत-लाभ का विश्लेषण किया जाना चाहिए परंतु किसी भी एक्सट्रीम निर्णय से भी बचा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि सतत विकास की प्रक्रिया के हितधारकों में मनुष्य, जीव-जंतु व वनस्पति सभी शामिल हैं। सतत विकास का माॅडल वही है जो कि स्तरीय जीवन देता हो, और पीढि़यों तक उसका लाभ मिले। परंतु इसके लिए कट एंड पेस्ट की थ्योरी से बाहर निकलना होगा। प्रेक्टीकल एप्रोच अपनानी चाहिए। हर गांव में विकास की अपनी क्षमता होती है। विज्ञान व प्रौद्योगिकी की सहायता से इसमें वृद्धि की जा सकती है। प्रो0डीआर पुरोहित ने कहा कि जलवायु परिवर्तन हमेशा से होता रहा है। इसमें कमी-बेशी होती रहती है। जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन के लिए वैज्ञानिक, पर्यावरणविदों के साथ ही प्रशासनिक तंत्र को भी शामिल किया जाना चाहिए। परंतु जलवायु परिवर्तन को बड़े खतरे की तरह भी नहीं लिया जाना चाहिए। इसमें डराने जैसी बातें नहीं होनी चाहिए। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अधिक से अधिक वैज्ञानिक विधियों का उपयोग किया जा सकता है। कार्यशाला के बारे में जानकारी देते हुए संस्था के निदेशक डा.पीपी ध्यानी ने बताया कि कार्यशाला में ‘‘क्लाईमेट चेंज एंड डिजास्टर रिस्क रिडक्शन’’, ‘‘टूरिज्म एंड क्लाईमेट चेंज’’ व ‘‘एनवायरमेंटल गवर्नेंस फार इफेक्टीव क्लाईमेट चेंज एडेप्शन’’ विषयों पर चर्चा की जा रही है।
आपदा प्रभावितों को प्रतिनिधिमंडल सीएम से मिला
देहरादून, 4 अगस्त (निस)। मंगलवार को बीजापुर हाउस में विधायक शैलारानी रावत के नेतृत्व में केदारघाटी से आए आपदा प्रभावितों के प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री हरीश रावत से भेंट की। प्रतिनिधिमण्डल ने चारधाम यात्रा के सफलतापूर्वक संचालन पर प्रशंसा व्यक्त करते हुए इसके लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर आभार जताया। प्रतिनिधिमण्डल में शामिल लोगों ने कहा कि आपदा प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा हरसम्भव निर्णय लिया गया। इससे केदारघाटी के लोगों को काफी राहत भी मिली है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि अभी भी जो लोग राहत प्रक्रिया से अलग रह गए हैं, उनकी पूरी सहायता की जाएगी। उन्होंने प्रमुख सचिव पर्यटन डा.उमाकांत पंवार को निर्देश दिए कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के मानकों को केदारघाटी के आपदा प्रभावित दुकानदारों के लिए वन टाईम शिथिल किया जाए। इससे केदारघाटी के दुकानदार पर्यटन सह व्यवसाय प्रारम्भ कर सकेंगे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि सहायता से वंचित रह गए आपदा प्रभावित मजदूरों, तीर्थ पुरोहितों को जिलाधिकारी द्वारा वेरिफाई की गई सूची के अनुसार सहायता राशि दी जाएगी। वर्ष 2013 की आपदा में मृतकों के माता पिता को भी सहायता राशि दी जाएगी, परंतु यह सहायता केवल उन्हें ही दी जाएगी जिनके परिवार में पहले सहायता राशि नहीं दी गई है। होटल व्यवसायियों के बैक ऋण पर ब्याज माफी के लिए राज्य सरकार जितना कर सकती थी उतना किया गया है। केंद्र सरकार से भी इसके लिए अनेक बार अनुरोध किया जा चुका है। इस अवसर पर विधानसभा उपाध्यक्ष अनुसूया प्रसाद मैखुरी भी उपस्थित थे।
सीएम से मिले केद्रीय रेशम बोर्ड के अध्यक्ष
देहरादून, 4 अगस्त (निस)। मंगलवार को बीजापुर हाउस में केंद्रीय रेशम बोर्ड के चेयरमैन एनएस बिस्से गौड़ा ने मुख्यमंत्री हरीश रावत से भेंट की। श्री गौड़ा ने मुख्यमंत्री श्री रावत से केंद्र सरकार से सीडीपी योजना को पूर्ववत बनाए रखने व रेशम पर कस्टम ड्यूटी को बढ़ाए जाने के लिए अपने स्तर से प्रयास करने का अनुरोध किया। श्री गौड़ा ने कहा कि सीडीपी(केटेलिटिक डेवलपमेंट प्रोग्राम) टेक्सटाईल मंत्रालय के तहत केंद्रीय रेशम बोर्ड की एक महत्वपूर्ण केंद्र प्रवर्तीत योजना है। सेरीकल्चर व रेशम उद्योग के विकास में इस योजना की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अब केंद्र सरकार द्वारा इस योजना में बदलाव किया जा रहा है। इससे रेशम उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। श्री गौड़ा ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा रेशम पर कस्टम ड्यूटी को कम किया गया है। इससे तुलनात्मक रूप से महंगा हो जाने से देशी रेशम की मांग कम हो रही है। केंद्रीय रेशम बोर्ड के चेयरमैन श्री गौड़ा ने मुख्यमंत्री श्री रावत से अनुरोध किया कि वे अपने स्तर से केंद्र सरकार को सीडीपी को पूर्व की ही भांति बनाए रखने व रेशम पर कस्टम ड्यूटी में वृद्धि करने के लिए पत्र लिखें। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सीडीपी में बदलाव व रेशम पर कस्टम ड्यूटी कम करने से न केवल देश के रेशम उद्योग बल्कि इससे जुड़े किसानों को भी नुकसान होगा। उन्होंने श्री गौड़ा को आश्वस्त किया कि वे केंद्र सरकार से इसके लिए अनुरोध करेंगे।
टापर्स कानक्लेव में पर्यावरण एवं विकास पर हुआ व्याख्यान
देहरादून, 4 अगस्त (निस)। टापर्स कानक्लेव के दूसरे दिन अतिथि वक्ताओं ने जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबन्धन और पर्यावरण व विकास जैसे ज्वलंत मुद्दों पर व्याख्यान देकर कानक्लेव में मौजूद टापर्स और विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन करके उनका मार्ग प्रशस्त करने का सफल प्रयास किया। वैचारिक मंथन एवं संपूर्ण व्याख्यान प्रक्रिया सत्र के दौरान राज्यपाल डा0 कृष्ण कांत पाल ने लगातार मौजूद रहकर कानक्लेव की महत्व को और अधिक गरिमा प्रदान की। प्रथम सत्र के अतिथि वक्ता जी.बी.पंत कृषि एवं तकनीकी वि.वि के कुलपति डा0 मंगला राय ने प्रभावी शैली में हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा के मध्य संतुलन बनाकर ‘क्लाइमेट चेंज एण्ड मैनेजमैंन्ट आॅफ नेचुरल रिसोर्सेज’ विषय पर वैश्विक, देश एवं प्रदेश की स्थितियों पर व्यापक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या के दवाब के दृष्टिगत बदलते परिवेश में मूलभूत जरूरतों की पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों का सन्तुलित दोहन आवश्यक है। डा0 राय ने जैनेटिक्स के माध्यम से बसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धान्त पर कार्य करने की सलाह दी। उन्होंने ज्ञान एवं विज्ञान के माध्यम से इको सिस्टम एवं जीवन शैली को सुदृढ़ बनाकर प्राकृतिक संसाधनों के प्रबन्धन से अच्छे परिणामों की आशा जताई। डा0 मंगला राय द्वारा आधुनिक तकनीक से जल उपयोग तथा भूमि के उपयोग की क्षमता बढ़ाने और खेती में वैज्ञानिक के साथ-साथ जैविक तरीकों को अपनाये जाने की बात कही। उपलब्ध संसाधनों के सापेक्ष बढ़ती जनसंख्या के दबाव से बढ़ती आवश्यकताओं से उत्पन्न स्थितियों को चिन्ताजनक बताया। भू-कटाव, वर्षा एवं बाढ़ के कारण होेने वाले नुकसान की ओर अनेक उदाहरणों से ध्यान आकर्षित किया। बाद में उन्होंने टापर्स के जिज्ञासात्मक प्रश्नों का जवाब दिया। आज के वैचारिक मंथन के लिए चयनित दूसरे विषय ‘पर्यावरण एवं विकास’ के मुद्दे पर हिमालयी पर्यावरण के विशेषज्ञ डा0 अजय रावत ने हिमालयी परिक्षेत्र में जैव विविधता पर स्लाइड शो तथा संवादात्मक प्रभावी शैली में तथ्यात्मक जानकारी दी। उन्होंने उत्तराखण्ड की समृद्ध जैव विविधता तथा वृहद हिमालयी क्षेत्र में उत्तराखण्ड के भौगोलिक विभाजन (ज्योलोजिक डिजीजन इन ग्रेटर हिमालय रीजन आॅफ उत्तराखण्ड )की विशेषताओं तथा इन क्षेत्रों में मानव के अनावश्यक हस्तक्षेप के कारण हो रही पर्यावरणीय क्षति पर व्यापक प्रकाश डाला। एक घंटे से अधिक समय के अपने प्रभावी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रो0 रावत ने युवाओं को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाने की कोशिश करते हुए कहा कि विश्व की कई प्राचीन संस्कृतियाँ आज विलुप्त हो चुकी है भारत की गंगा-यमुनी संस्कृति केवल वनों के कारण जीवित है। भारतीय संस्कृति की वाहक गंगा-यमुना का उद्गम स्थल उत्तराखण्ड है जिसकी अरण्य संस्कृति है। यहाँ का प्रत्येक लोक पर्व, लोकगीत प्रकृति से जुड़ा है। उन्होंने प्रकृति के सानिध्य में ही मानव जीवन को सबसे सुरक्षित होने का संदेश दिया। इस दौरान राज्यपाल के सचिव श्री अरूण ढौंडियाल, दून वि.वि के कुलपति प्रो.वी.के.जैन, राज्यपाल के विधि परामर्शी वी.बी.भारती, वित्त नियंत्रक राजभवन, पूनम सोबती भी मौजूद रहे।
कांग्रेस के 25 सांसदों को सदन से बाहर किये जाने का किया विरोध
- -कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
देहरादून, 4 अगस्त (निस)। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने अलोकतांत्रिक तरीके से प्रस्ताव लाकर कांग्रेस के 25 सांसदों को सदन से बाहर किये जाने के विरोध में राज्यपाल से मुलाकात कर उनके माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजा। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधिमण्डल ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपते हुए सांसदों का निलम्बन वापस लिये जाने की मांग की। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि केन्द्र सरकार द्वारा अलोकतांत्रिक तरीके से प्रस्ताव लाकर कांग्रेस के 25 सांसदों को सदन से बाहर किया है, उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस इसका विरोध करते हुए इस कार्रवाई की घोर निन्दा करती है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार ने लोकतंत्र के सभी मानकों एवं मापदण्डों पर कुठाराघात करते हुए अलोकतांत्रिकता का अपना घिनौना चेहरा सबके सामने लाते हुए कांग्रेस पार्टी के 25 सांसदों को, जो देश की जनता के हितों की रक्षा के लिए, उन्हंे जनता ने जो कर्तव्य निर्वहन की जिम्मेदारी दी है, उसके अनुसार सरकार को चेताने का काम कर रहे थे, को संसद से निलम्बित कर दिया। यह भाजपा के फासीवादी एवं तानाशाही चरित्र का द्योतक है, जिसे लोकतंत्र में विश्वास रखने वाला कोई भी दल सहन नहीं करेगा। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कांग्रेस पार्टी का सदैव लोकतंत्र एवं लोकशाही में गहरा विश्वास रहा है और आज देश में लोकतंत्र के जितने भी स्तम्भ हैं, उनकी स्थापना में महात्मा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक एक लम्बा इतिहास रहा है। चुने हुए प्रतिनिधियों को उनके कर्तव्यों से च्युत करना लोकतंत्र के प्रति अपराध है। असहमति के स्वरों को सुनना एवं स्वीकार करना स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है तथा संसद लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा का सर्वोच्च मंच है। सत्ता प्राप्ति के लिए जनता की संवेदनाओं का शोषण करने का भारतीय जनता पार्टी का लम्बा इतिहास रहा है। इस प्रकार का गिरगिटी चरित्र भारतीय जनता पार्टी की पहचान है और वे जब सत्ता में होते हैं तो उनके स्वयं के लिए अलग नैतिक मूल्य एवं कानून होते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि राज्य हैं, जहां पर भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं जो आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हैं। भारतीय जनता पार्टी विशेषकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं लोकसभा अध्यक्ष को कांग्रेस के निलम्बित सांसदों से माफी मांगनी चाहिए तथा कंाग्रेस के सांसदों का निलम्बन वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रपति से कांग्रेस पार्टी के सांसदों का निलम्बन शीघ्र वापस लिये जाने हेतु केन्द्र सरकार को निर्देशित करने की मांग की। राज्यपाल को ज्ञापन देने वालों में प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, मंत्री दिनेश अग्रवाल, प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष व विधायक सरिता आर्य, विधायक सुन्दरलाल मन्दरवाल, हेमेश खर्कवाल, मनोज तिवारी, राजकुमार, शैला रानी रावत, फुरकान अहमद, पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, प्रदेश कांग्रेस मुख्य प्रवक्ता मथुरादत्त जोशी, प्रदेश कार्यक्रम समन्वयक राजेन्द्र शाह, नीति नियोजन के अध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना, प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी, यामीन अंसारी, प्रदेश सचिव विनोद चैहान, ललित जोशी, डाॅ0 आर.पी. रतूड़ी, ताहिर अली, आईटी प्रकोष्ठ के अमरजीत, गिरीश पुनेड़ा, जिलाध्यक्ष दीन मोहम्मद, लालचन्द शर्मा, महानगर महिला अध्यक्ष कमलेश रमन, महानगर कार्यकारी अध्यक्ष पृथ्वीराज चैहान, नूर मोहम्मद, सत्येन्द्र पंवार आदि शामिल रहे।
धर्मनगरी पर चढ़ा कांवड का रंग
हरिद्वार, 4 अगस्त (निस)। कांवड़ मेले का रंग लगातार गाढ़ा होता जा रहा है। मंगलवार को कांवड़ मेला असली रंगत में दिखा और बारह लाख से अधिक कांवडिय़े हरिद्वार पहुंचे। तीसरे दिन तक हरिद्वार पहुंचने और वापसी करने वाले कांवडिय़ों की संख्या 26 लाख तक आंकी गई। आगामी दिनों में कांवडिय़ों की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद है। एक अगस्त से कांवड़ मेला विधिवत रूप से शुरू हुआ था। पहले दिन चार लाख से अधिक कांवडिय़ों ने धर्मनगरी में दस्तक दी। दूसरे दिन यह संख्या 14 लाख से अधिक हो गई थी, तीसरे दिन यह संख्या करीब 26 लाख हो गई थी। चैथे दिन मंगलवार को उम्मीद से कहीं ज्यादा बारह लाख से अधिक कांवडिय़े हरिद्वार पहुचे। प्रशासन का अनुमान है कि आने वाले दिनों में कांवडिय़ों की संख्या में और बढ़ोत्तरी होगी। इन दिनों खासतौर राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तर-प्रदेश आदि राज्यों से कांवडिय़े हरिद्वार पहुंचे हैं। मंगलवार को धर्मनगरी में चैतरफा कांवडिय़े ही कांवडिय़े नजर आए। गंगाद्वार के हृदय स्थल हरकी पैड़ी में तो तिल रखने तक की जगह नहीं रही। यहां दिन भर कांवडिय़ों की आवाजाही का क्रम अबाध गति से चलता रहा और गूंजते रहे बम-बम भोले के जयकारे। हरकी पैड़ी समेत अन्य स्नान घाटों पर कांवडिय़ों ने गंगा स्नान भी किया और कांवड़ में गंगाजल भी भरा। मुख्य कांवड़ मेला स्थल पंतद्वीप में तो रंगत ही अलग थी। चैथे दिन मेघदूतों ने भी कांवडिय़ों पर अपनी कृपा बनाए रखी। सारा दिन धूप में बाकी दिनों की अपेक्षा नरमी रही।