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खुली सीमा : नशे के अजगर का सरहदी गांवों में फैलता जहर...!

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  • - भीमनगर चेकपोस्ट के इर्द-गिर्द कुकुरमुत्ते की तरह उग आई दुकानें तस्करी के लिए स्टाॅक प्वाइंट का काम करती है, फल फूल रहा है कारोबार
  • - इंडो-नेपाल बार्डर स्थित नो-मेंस लैंड के दोनों ओर जहां बस्तियां हैें उन क्षेत्रों में तस्कर ज्यादा सक्रिय हैं, सूत्रों की माने तो तस्कर महज बीच की भूमिका निभाते हैं जबकि उनके कैरियर एजेंट अहम भूमिका निभाते हैं

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कुमार गौरव, सुपौल:इंडो-नेपाल बार्डर पर 10 साल पहले जब एसएसबी व कस्टम की जब तैनाती हुई थी तो ऐसा लग रहा था कि अब तस्करी बीते दिनों की बात होगी, लेकिन खुली सीमा के आर पार आज भी तस्करों की गतिविधि बदस्तूर जारी है। एक ओर जहां एसएसबी तैनाती के बाद कुछ दिनों तक तस्करी पर अंकुष लगा रहा वहीं दूसरी ओर तस्करों ने जुगाड़ तंत्र का सहारा लेते हुए पगडंडियों, महिलाओं, साइकिल व ठेले के जरिए तस्करी को अंजाम देने में जुट गए। नतीजतन इंडो-नेपाल बार्डर से मसाला, नषीले पदार्थ, हथियार, खाद यूरिया, इलेक्टिानिक गुड्स, तेल, कपड़े समेत कई अन्य प्रतिबंधित सामानों की तस्करी का खेल जारी रहा। गत वर्श 19 संदिग्धों 19 लोगों की गिरफतारी के साथ 02 करोड़ 76 लाख 68 हजार 104 रुपए की तस्करी के सामान जब्त करने में एसएसबी को सफलता हासिल हुई। तस्करी के मामले में वीरपुर थाना में दो मामले भी प्रतिवेदित हुए, जिसमें कांड संख्या-66/10 एडीपीएस यूरेनियम तस्करी से संबंधित कांड संख्या-154/10 एडीपीएस मामले भी दर्ज हैं। गौरतलब है कि बार्डर एरिया में दलहन, तेलहन, खाद यूरिया की तस्करी भारतीय क्षेत्र से नेपाल के लिए होती है जबकि लहसून, लौंग, दालचीनी, सुपारी, नषीले पदार्थ, हथियार व लकड़ी की तस्करी नेपाल से भारीय क्षेत्र के लिए होती है। बता दें कि भीमनगर चेकपोस्ट के इर्द-गिर्द कुकुरमुत्ते की तरह उग आई दुकानें तस्करी के लिए स्टाॅक प्वाइंट का काम करती है। मिली जानकारी अनुसार क्षेत्र की आबादी की तुलना में यहां दुकानों की संख्या अधिक है। इन्हीं दुकानों से तस्कर सामानों को इधर से उधर करते हैं। क्षेत्र में जितने बड़े तस्कर हैं उनका अपना अलग नेटवर्क है जबकि छोटे स्तर के तस्कर पगडंडियों, महिलाओं, साइकिल व ठेले की मदद से तस्करी को अंजाम देते हैं। बता दें कि इंडो-नेपाल बार्डर स्थित नो-मेंस लैंड के दोनों ओर जहां बस्तियां हैें उन क्षेत्रों में तस्कर ज्यादा सक्रिय हैं। सूत्रों की माने तो तस्कर महज बीच की भूमिका निभाते हैं जबकि उनके कैरियर एजेंट अहम भूमिका निभाते हैं। नोट के प्यासे एजेंट को दोनों तरफ की भौगोलिक परिस्थितियों व भाशाई ज्ञान होता है और तो और छोटे व मासूम बच्चों को भी नषीले पदार्थों की तस्करी में षामिल कर अपना काम आसान बनाते हैं। लिहाजा, तस्करी आसान हो जाती है। गत वर्श इंडो नेपाल बार्डर स्थित भीमनगर एरिया में दस साल के मासूम को एसएसबी जवानों ने कब्जे में लिया था जिनके पास नषीले पदार्थ बरामद किए गए थे। दरअसल तस्करों का साम्राज्य साम दाम दंड भेद की नीति पर संचालित होती है और एसएसबी की सख्ती के बाद भी तस्कर नई राहें तलाषते हैं और तस्करी को अंजाम देते हैं। 

विषेश बातचीत के क्रम में सहायक कमांडेंट, एसएसबी इन बातों से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि खुली सीमा होने के कारण पूर्णरुपेण रोकथाम संभव नहीं है। बावजूद इसके गष्त लगाई जाती है और हरेक माह छोटे बड़े तस्करों की गिरफतारी भी हो रही है। कहते हैं कि लाखों रुपए के सामान मसलन खाद, यूरिया, हथियार, मसाला, इलेक्टानिक गुडस, लकड़ी, नषीले पदार्थ व अन्य प्रतिबंधित सामानों की रिकवरी किए गए। साथ ही 10 तस्करों की गिरफतारी के साथ साथ 04 संदिग्ध कष्मीरी को भी हिरासत में लिया गया। तो, कमियों के बावजूद एसएसबी की निगरानी जारी है। ध्यान देने वाली बात यह है कि क्षेत्र में फ्लड लाइट नहीं होने के कारण रात्रि प्रहर जवानों को गष्त लगाने में कड़ी मषक्कत करनी पड़ती है। दरअसल सीमाई क्षेत्र में लाइट की समुचित व्यवस्था नहीं है और कई बार बैठकों में इस बारे चर्चा होने के बाद भी कार्रवाई सिफर है। उधर, गुप्त सूचना का संकलन कर सरकार व पुलिस को अलर्ट करने वाला खुफिया विभाग भी बैषाखी पर चल रहा है। विभाग को न तो कार्यालय है और न ही पर्याप्त संसाधन। गुप्तचरों को काफी कम राषि मिलने से सही समय पर सभी सूचनाएं विभाग को नहीं मिल पाती हैं। ज्ञात हो कि विभाग को अपना कार्यालय नहीं रहने के कारण सहरसा, सुपौल, मधेपुरा तीनों जिले का कार्य देखने वाले डीएसपी, सहरसा एसपी कार्यालय के विदेष षाखा में बैठते हैं। एक ओर जहां सरकार पुलिस आधुनिकीकरण की बात कहती है वहीं दूसरी ओर सबसे महत्वपूर्ण विभाग की हालत बैषाखी पर चलने जैसी है। लिहाजा, सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि अंतरराश्टीय सीमा से सटे होने के बावजूद कोसी क्षेत्र में खुफिया विभाग किस तरह अपने कार्यों को अंजाम दे रहा है। 

सघन चेकिंग अभियान चलाया जाता है- सभी बीओपी पर पदाधिकारियों एवं जवानों को सतर्क कर तस्करी की रोकथाम के लिए सघन रुप से चेकिंग अभियान चलाया जाता है। नेपाल आने और जाने वाले लोगों की तलाषी के साथ साथ वाहनों की सघन रुप से जांच की जाती है-सहायक कमांडेंट, एसएसबी। 

जानकारी मिलने पर होती है कार्रवाई: कस्टम हमेषा सतर्क रहती है, जानकारी मिलने पर कार्रवाई भी की जाती है। पगडंडियों से तस्करी की जानकारी उन्हें नहीं मिली है- कस्टम अधीक्षक, भीमनगर।

सुरक्षात्मक उपायों पर सीएम से होगी चर्चा: अंतरराश्टीय सीमा होने के कारण यह केंद्र सरकार का मामला है, बावजूद इसके 22 लाख की आबादी वाले जिला सुपौल व खासकर विस क्षेत्र की सुरक्षा के संदर्भ में मामले को लेकर सीएम से चर्चा की जाएगी। साथ ही उन्होंने बताया कि सीमाई क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से हाइवे निर्माण को भी हरी झंडी मिल गई है- नीरज कुमार सिंह बबलू, स्थानीय विधायक ।

संसाधनों की है कमी: तीनों जिले में बेहतर काम हो रहा है, गुप्त सूचना का संकलन कर विभाग को भेजा जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि संसाधन की कमी है किंतु उपलब्ध संसाधन से ही तीनों जिले में कार्य को गति दी जा रही हैै- डीएसपी, खुफिया विभाग, कोसी रेंज।

विशेष आलेख : क्या आल्हा भी हुए थे बुद्ध से प्रेरित

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बैरागढ़ का शारदादेवी पीठ, यहीं पर आल्हा ने अपनाया था शांतिमार्ग।
बैरागढ़ का शारदादेवी पीठ, यहीं पर 
आल्हा ने अपनाया था शांतिमार्ग।
जालौन जिले में एट रेलवे स्टेशन के पास बैरागढ़ धाम नाम का एक तीर्थस्थल है। जहां शारदा देवी की पूजा होती है। वैसे तो इस देश में देवी-देवताओं के मंदिरों की कोई कमी नहीं है और हर मंदिर की कहानी ऐसी है जिससे सिद्ध किया जा सके कि जिसकी चर्चा की जा रही है उसकी महिमा की सानी का कोई दूसरा मंदिर सारे देश में तो क्या दुनिया में नहीं हो सकता। बावजूद इसके शारदापीठ का विशिष्ट महत्व है और जब भी मैं वहां गया मैंने मंदिर के शिखर पर आल्हा द्वारा उलटी कर गाड़ी गई सांग का दूसरा सिरा देखा तो लगा कि आल्हा जैसे युद्धपिपासु ने जब ऐसा किया तो उसका साफ मतलब था कि वह संकल्प ले चुका था कि भविष्य में कभी युद्ध नहीं करेगा। इसी कारण बैरागढ़ युद्ध के बाद आल्हा गायब हो गया और आज तक माना जाता है कि आल्हा अमर है, लेकिन उसे देखा नहीं जा सकता।


साफ जाहिर है कि बैरागढ़ के युद्ध के दौरान ऐसा कुछ जरूर हुआ जिससे आल्हा के मन में युद्ध को लेकर वितृष्णा हो गई। महाकवि जगनिक कृत महाकाव्य आल्ह खंड की गूंज अब देश के कई कोनों में सुनी जाती है। भले ही आल्हा सम्राट नहीं थे, लेकिन वे कहीं से अशोका दि ग्रेट से कम पराक्रमी नहीं थे। उनका हृदय परिवर्तन कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक द्वारा क्रांतिकारी ढंग से अपने आपमें किए गए बदलाव के समकक्ष है। तथागत बुद्ध की शिक्षाओं से प्रभावित होकर अशोक ने युद्ध का परित्याग करते हुए अहिंसा का अनुशीलन करने का जो निर्णय लिया उसी के चलते इतिहास में आगे चलकर वे अशोक महान के रूप में स्थापित हो गए। अशोक की प्रेरणा तो तथागत थे पर आल्हा किनसे प्रेरित होकर बदले यह एक रहस्य है। जानबूझकर तथ्यों पर परदा डालकर बैरागढ़ को दूसरे कलिंग के रूप में पहचान नहीं मिलने दी गई। यह निश्चित रूप से एक षड्यंत्र प्रतीत होता है क्योंकि बैरागढ़ में शारदापीठ पर वर्षों से आ रहे बुजुर्ग भक्तों ने मुझे बताया कि ३०-४० साल पहले तक यहां नवदुर्गा के अवसर पर बलि देने की प्रथा कायम थी, जहां आल्हा ने खून-खराबे से मुंह मोड़ा वहां बलि की परम्परा इसे क्या कहा जाए? यह तो वैसा ही है जैसे तथागत बुद्ध का जहां निर्वाण हुआ वहीं कर्मनाशा मगहर बन गया। सैकड़ों वर्षों बाद जब कबीर ने मगहर में शरीर छोड़ने का फैसला किया तब लोगों को अपनी चेतना में झकझोर महसूस हुई। पीपल के पेड़ पर मशान का वास क्यों घोषित हुआ, यह भी लोगों को अब पता चल चुका है। आल्हा ने जिसके प्रभाव में वशीभूत होकर मार्ग बदला शांति के उसी मसीहा को चिढ़ाने के लिए यहां बलि परम्परा की शुरुआत प्रतीत होती है।

जगनिक के आल्ह खंड व उससे प्रेरित होकर आल्हा पर लिखे गए अन्य ग्रंथों में आल्हा-ऊदल का चेहरा दूसरी तरह का है और डीवी डिग्री कॉलेज उरई के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रवक्ता रहे ८० वर्षीय डॉ. जयदयाल सक्सेना ने आल्हा को काफी शोध करके जिस शक्ल में पेश किया वह बिल्कुल ही अलग है। निरपेक्ष लोगों को आल्हा के इस रूप के बारे में भी जानना चाहिए ताकि भावनात्मक और आदर्शवादी लोग जिस तरह बुंदेलखंड के लिजलिजेपन को महिमामंडित करते रहे हैं उनसे हो रहे नुकसान की भरपाई हो सके और सारा देश जान सके कि बुंदेलखंड भी तथागत बुद्ध के कर्मक्षेत्र की तरह क्रांतिकारी विचारों की भूमि है। जयदयाल जी ने आल्हा के बारे में यह निरूपण आदरणीय डॉ. तुलसीराम द्वारा सम्पादित भारत अश्वघोष के नवम्बर-दिसम्बर १९९७ के अंक में किया था। संयोग से मैंने इस पत्रिका के लिए उत्तर प्रदेश ब्यूरो चीफ के रूप में काम किया है। आल्हा को लेकर जयदयाल जी की क्रांतिकारी स्थापना पर अलग से एक पूरे ब्लॉग की जरूरत है, लेकिन आज मैं केवल उनके लेख के कुछ चुनिंदा अंश यहां उद्धृत कर रहा हूं।

जयदयाल जी लिखते हैं- आल्हा ने धर्म के नाम पर अंधश्रद्धा, ढोंग, चमत्कारों, अवैज्ञानिक कर्मकांडों की पनपती दुकानों, मंदिरों-मठों को हतोत्साहित किया। इसके लिए उन्होंने बल प्रयोग नहीं किया और न ही मंदिर-मठों को तोड़ा। उन्होंने ज्ञान के प्रकाश से इस अज्ञान अंधकार को मिटाने का भरसक प्रयास किया। उन्होंने समझाया कि मानव ही प्रकृति की श्रेष्ठ कृति है। इसी की सेवा वास्तविक धर्म है। पीड़ित मानवता के कष्ट निवारण से बढ़कर और कोई धर्म नहीं है। प्रतीक के रूप में उन्होंने मनियादेव (मानवदेव) की पूजा का विधान किया। शायद आल्हा ने श्रीकृष्ण से प्रेरणा ली हो। कृष्ण ने भी इंद्र के स्थान पर गोवर्धन की पूजा का विधान किया था। मनियादेव की पीठ की पूजा की जाती है। उनका मुंह तथा वक्ष दीवाल में चुना है। मात्र पीठ ही दिखाई पड़ती है। लोग पीठ ही पूजते हैं। भाव यह है कि मनुष्य की सेवा उसको पहचान कर अपना-पराया समझकर या ऊंच-नीच के भाव से नहीं करना चाहिए। बिना किसी भेदभाव के समान रूप से हर मानव की ही नहीं हर प्राणी की सेवा करना ही मनियादेव की पूजा है।

जयदयाल जी ने आल्हा की पृष्ठभूमि बताते हुए लिखा है कि- आल्हा की मां देवल कबीलियाई आदिवासी समाज की बेटी थी। उनका कबीला आर्थिक, सामाजिक विषमता और वर्ग विभाजन के अभिशाप से मुक्त था। कबीले का मुखिया सयानों में प्रथम ही होता था। इससे अधिक कुछ नहीं। इन्हीं संस्कारों के कारण देवल ने राजा परमाल द्वारा पुरस्कार में दी गई राजनर्तकी लाखा पाथुर को न केवल वेश्यावृति से मुक्त किया बल्कि अपनी सहेली बनाकर बराबरी का दर्जा दिया। आल्हा ने सामाजिक, आर्थिक न्याय का पहला पाठ अपनी माता से ही सीखा था। आजीवन वे आल्हा की प्रेरक ऊर्जा बनी रहीं। आल्हा की पत्नी सुनवा ने देवर ऊदल को माता देवल का महत्व बताते हुए कहा था- माता देवल सी मिलि हैं ना चाहे लेओ जनम हजार। आल्हा के संरक्षक सैयद के बारे में जयदयाल जी ने लिखा है कि वे आल्हा के पिता के घनिष्ट मित्र मूलतः ईरान या मध्य एशिया के घोड़ों के व्यापारी थे। आल्हा के पिता की हत्या हो जाने पर तालहन सैयद ने आल्हा और उनके भाइयों के लालन-पालन शिक्षा-दीक्षा तथा सैन्य प्रशिक्षण का दायित्व अपने ऊपर ले लिया। उन्होंने ही अल्लाह की नियामत मानकर उनका नाम आल्हा रखा। उनके प्रति कृतज्ञता के कारण ही आल्हा ने चाचा सैयद को देवत्व प्रदान कर सम्मानित कराया। आज भी बुंदेलखंड के गांव-गांव में सैयद पूजे जाते हैं। सैयद के नेतृत्व में आल्हा ने महोबा में ही उत्तम अश्वों की नस्लवृद्धि तथा पालने तथा चिकित्सा की व्यवस्था बंद की। अश्वों की आयात बंद कर सेना को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाया। मूर्ख रजवाड़े आल्हा के उत्तम सैन्य अश्वों को उड़नबछेरा ही समझते रहे।

जयदयाल जी की यह पंक्तियां भी पढऩे लायक हैं- तत्कालीन सामंती सेनाएं पंडितों, ज्योतिषियों के अंधविश्वासी कर्मकांडों से बुरी तरह जकड़ी हुई थीं। इन्हें से पूछकर सैन्य अभियान गठित किए जाते थे। सगुन-मुहूर्त आदि का बड़ा महत्व था जो प्रायः घातक प्रमाणित होते थे। आल्हा ने अपनी सेना को इन बेड़ियों से मुक्त किया। उन्होंने स्पष्ट घोषित किया- सगुन बिचारैं बनिया बांटूं, जो व्यापार बंज को जाय और जब दुश्मन पर हल्ला बोलौ तबहीं समय है बोई सगुन है। जयदयाल जी ने लिखा है कि दलितों को सम्मानित तथा न्यायोचित स्थान दिलान के अपराध में आल्हा के परिवार को बनाफर (वन में फलने वाले असभ्य जंगली प्राकृत जन) कहकर अपमानित किया गया। आल्ह खंड की इस पंक्ति को उन्होंने उद्धृत किया- जात बनाफर की ओछी है। डॉ. जयदयाल जी लिखते हैं आल्हा को ओछी यानी नीची जाति में धकेला गया। इतना ही नहीं सामाजिक बहिष्कार भी किया गया। आल्ह खंड के कवित्त की पंक्ति है- इनको पानी कोऊ न पीवै ओछी जात बनाफर क्यार। ऐसे अपमानों से आल्हा विचलित नहीं हुए। उन्होंने अपने वनवासी मूल पर कभी लज्जा का अनुभव नहीं किया। वे गर्व से अपने को बनाफर कहते रहे। आल्हा के सैन्य संगठन में ऊंचे पदों पर किस तरह कुजात स्थापित थे और आल्हा ने अपनी पत्नी सुनवा के नेतृत्व में किस तरह गुप्तचर महिला सैन्य संगठन चलाया, यह जयदयाल जी के लेख का सबसे आकर्षक अध्याय है। ऊदल को उनके विवाह अभियान के समय शत्रु के बंदीगृह से मुक्त करने की घटना को उन्होंने जिस कोण से प्रस्तुत किया है उसे पढ़कर मथुरा राज्य के खिलाफ बगावत करने वाले कृष्ण और राधा की जनसेना यानी पीपुल्स आर्मी का स्मरण हो आता है। 

फिलहाल तो यह कहना है कि आल्हा के प्रभाव क्षेत्र में किसान जातियों के हाथ में खेती का मालिकाना अधिकार पूरे उत्तर भारत की परम्परा से अलग होना आश्चर्य की बात नहीं है। जालौन जिले को ही लें जहां अपने गुमान में चूर क्षत्रियों की तीन प्रमुख रियासतें एक ही तहसील में हैं। वहीं मुहाना घाट से लेकर कोंच और काफी हद तक जालौन के इलाके में जमींदार-लम्बरदार या तो लोधी हैं या कुर्मी। उनके इलाके में क्षत्रियों का अतापता नहीं है। जयदयाल जी के चश्मे से आल्हा को पढ़ने के बाद महोबा से लेकर उरई तक किसान जातियों की जमींदारी देखकर कुछ अजूबा नहीं लगता बल्कि यह आल्हा द्वारा रखी गई नींव का स्वाभाविक परिणाम प्रतीत होता है। 




के  पी  सिंह
ओरई 

गीता को वापस लाने की प्रक्रिया जारी : सुषमा

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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार को कहा कि कराची (पाकिस्तान) से मूक-बधिर भारतीय युवती गीता को स्वदेश वापस लाने के लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने का काम चल रहा है। सुषमा ने ट्वीट किया, "हम गीता को भारत वापस लाने के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर रहे हैं।" उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि बीते कुछ दिनों के दौरान पंजाब, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के चार परिवारों ने यह दावा किया है कि गीता उनकी बेटी है, जिसके बाद उन्होंने इन चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों से उनके दावों का सत्यापन करने के लिए कहा है। सुषमा ने ट्वीट किया, "गीता ने संकेतों के माध्यम से पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त से बातें की और बताया कि वह सात भाई-बहन है। उसने बताया कि वह अपने पिता के साथ एक मंदिर के दर्शन के लिए गई थी। उसने 'वैष्णव देवी'लिखा। इस जानकारियों के आधार पर कृपया गीता के परिवार को ढूंढने में मदद करें।"

सुषमा ने मंगलवार को बताया था कि कराची स्थित एधि फाउंडेशन में पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त टी. सी. ए. राघवन ने गीता से मुलाकात की थी, जहां वह पिछले 15 साल से गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले जाने के बाद रह रही है। सुषमा ने राघवन से कराची जाकर गीता से मुलाकात करने के लिए कहा था। गीता की मदद का प्रयास कर रहे पाकिस्तान के अग्रणी मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी गीता की तस्वीरें लेकर अक्टूबर 2012 में भारत आए थे, लेकिन तब उन्हें इस मामले में कोई सफलता नहीं मिली थी। गीता 2003 में गलती से पाकिस्तान की सीमा में चली गई थी। तब वह 11 साल की थी। उसे पाकिस्तान रेंजर्स ने लाहौर में देखा था। इसके बाद उसे पाकिस्तान के सामाजिक कल्याण संगठन एधि फाउंडेशन को सौंप दिया गया था। संस्था की संचालक बिल्कीस एधि ने उसे गीता नाम दिया था।

झारखंड में डायन बताकर 5 महिलाओं की हत्या

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झारखंड में शनिवार तड़के पांच महिलाओं पर डायन होने का आरोप लगाकर उनकी पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। घटना राजधानी रांची से 40 किलोमीटर दूर मांडर में घटी है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, "शुक्रवार रात गांव के युवकों ने पांच महिलाओं को उनके घरों से जबरदस्ती बाहर निकाला और डंडे और लोहे की छड़ से उनकी पिटाई की। गांव वालों का आरोप था कि ये महिलाएं काले जादू का अभ्यास करती थीं।"

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। पांचों महिलाएं अलग-अलग परिवार की हैं। उनके शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए गए हैं। झारखंड में इस साल 750 महिलाओं पर डायन होने का आरोप लगाकर उनकी हत्या की जा चुकी है।

बिहार, हिमाचल में नए राज्यपाल

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को बिहार और हिमाचल प्रदेश के नए राज्यपालों की नियुक्ति की। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, रामनाथ कोविंद को बिहार और आचार्य देवव्रत को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।

पेशे से वकील कोविंद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दलित मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष हैं और दो बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं।

आस्ट्रेलिया के लिए क्लार्क अभी भी मूल्यवान : बॉर्डर

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पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान एलन बॉर्डर ने टीम के वर्तमान कप्तान माइकल क्लार्क की तारीफ करते हुए कहा कि उन्हें एशेज श्रृंखला के बाद भी अपनी कप्तानी जारी रखनी चाहिए। ट्रेंट ब्रिज मैदान पर मौजूदा एशेज श्रृंखला के चौथे टेस्ट मैच में आस्ट्रेलिया अपना वजूद बरकरार रखने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। आस्ट्रेलिया लगातार चौथी बार इंग्लैंड में एशेज श्रृंखला हारने की कगार पर है। मौजूदा श्रृंखला में कप्तान क्लार्क अपनी खराब फार्म से जूझने के कारण काफी आलोचनाओं का शिकार भी हुए हैं। वहीं इग्लैंड की बेहतरीन गेंदबाजी के आगे आस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी पस्त होती नजर आ रही है। 

इतनी आलोचनाओं के बावजूद क्लार्क का समर्थन कर रहे बॉर्डर का कहना है कि क्लार्क जानते हैं कि वह क्या चाहते हैं, उन्हें दबाव में देखा जा रहा है लेकिन यह समझने वाली बात है कि उन पर यह दबाव उनकी और उनकी टीम की परिस्थितियों के कारण है। बॉर्डर का मानना है कि वर्तमान टीम में अभी भी क्लार्क की भूमिका जरूरी है और उनके मौजूदा रिकार्ड उन्हें यह हक देते हैं। वह अच्छा खेलना चाहते हैं और वह अपने खेल में काफी मेहनत करते हैं। उन्हें अपनी शर्तो पर फैसला लेने का हक है। 

बिहार : परिवर्तन रैली के पहले फाड़े गए मोदी के पोस्टर

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राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की गया में रविवार को होने वाली परिवर्तन रैली से पहले रैली से संबंधित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बैनर-पोस्टर किसी ने फाड़ दिए। इस रैली को प्रधानमंत्री संबोधित करने वाले हैं। इसकी जानकारी शनिवार सुबह जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं व कार्यकर्ताओं को हुई तो हंगामा शुरू हो गया। पुलिस के अनुसार, परिवर्तन रैली से संबंधित नरेंद्र मोदी के दर्जनों बड़े होर्डिग्स करीमगंज, ओवर ब्रिज के आसपास लगाए गए थे। शुक्रवार की देर रात असामाजिक तत्वों ने मोदी के इन होर्डिग्स को फाड़ दिया। इन पोस्टरों पर लगे नरेंद्र मोदी की तस्वीर में चेहरे को फाड़ा गया है। 

भाजपा कार्यकर्ताओं को जब इसकी जानकारी हुई तो हंगामा शुरू हो गया। शहर के कई स्थानों पर राजग कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की और प्रदर्शन किया। पुलिस अधिकारियों द्वारा समझाए जाने के बाद कार्यकर्ता शांत हुए।  रैली के संयोजक और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि असामाजिक तत्वों ने मोदी के बैनर-होर्डिग्स को फाड़ दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर पर ही स्टेशन और इसके आसपास के क्षेत्रों से भी मोदी के बैनर-पोस्टर हटाए गए या फाड़े गए हैं। सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल के जरिए मुख्यमंत्री रैली को असफल करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "जनता दल (युनाइटेड) द्वारा ऐसे पोस्टर लगाए जा रहे हैं जैसे कल वे (नीतीश कुमार) ही आने वाले हैं। शादी किसी की है और शहनाई कोई और बजा रहा है।"

बिहार : मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने जिलाधिकारियों संग की बैठक

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बिहार पहुंची भारत निर्वाचन आयोग की टीम ने अपने दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन शनिवार को पटना में राज्य के सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक की। राज्य निर्वाचन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त डॉ़ नसीम जैदी व उनकी टीम ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों से बातचीत कर राज्य में चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की और अधिकारियों को जरूरी निर्देश भी दिए। बैठक में सुरक्षा के साथ निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर चर्चा की गई। अधिकारियों ने आयोग की टीम के सामने कुछ समस्याएं भी रखीं। खास तौर से नक्सल प्रभावित इलाकों में शांतिपूर्ण मतदान कराने की चुनौती को लेकर विचार-विमर्श किया गया। 

डॉ़ जैदी ने जिलाधिकारियों को चुनाव से संबंधित सभी मामले जल्द निपटाने के निर्देश दिए और पुलिस अधीक्षकों से आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर सख्ती बरतने और चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले फरार अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने की बात कही। आयोग की टीम राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी बैठक करेगी। उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग की टीम शुक्रवार को राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। टीम ने उनकी समस्याएं सुनीं और सुझाव भी लिए। 

प्रधानमंत्री की रैली के विरोध में नक्सलियों ने की बंद की घोषणा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रविवार को गया में होने वाली रैली के विरोध में नक्सालियों ने उसी दिन एक दिवसीय मगध प्रमंडल बंद की घोषणा की है। नक्सलियों ने इस दिन को 'काला दिवस'के रूप में मनाने का एलान किया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के एक दिवसीय बंद और प्रधानमंत्री की रैली को देखते हुए गया में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं तथा अत्यधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस गश्त तेज करने का निर्देश संबंधित थाना प्रभारियों को दिया गया है। 

नक्सलियों ने वाहन मालिकों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थकों को रैली में जाने के लिए वाहन उपलब्ध नहीं कराने की चेतावनी दी है। नक्सलियों ने वाहन देने पर अंजाम भुगतने की धमकी भी दी है। मगध प्रमंडल के गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद, अरवल को नक्सल प्रभावित जिला माना जाता है। अक्टूबर-नवम्बर में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाला है। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने इस बंदी के पीछे अप्रत्यक्ष रूप से राज्य सरकार का हाथ बताया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की मुजफ्फरपुर रैली के दिन भी नक्सलियों ने बंद की घोषणा की थी। 

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (08 अगस्त)

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अंतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस, 9 अगस्त के अवर पर आदिवासी समाज और उनकी दशा दिशा : कांतिलाल भूरिया

झाबुआ---झाबुआ,अलीराजपुर व रतलाम आदिवासी बहुल क्षेत्र का एक गौरवमयी इतिहास रहा है। भील, भीलाला, पटलिया समाज अपनी शूरता, वीरता, कर्मठता और सांस्कृतिक विरासतों के कारण देश के अन्य आदि समाजों में विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण स्थान रखते है। झाबुआ, जोबट और अलीराजपुर राठौर वंशीय रियासतों के पहले इस क्षेत्र पर आदिवासी जनजाति का प्रभुत्व था। अंग्रेस इतिहासकार माल्कम ने भी अपनी पुस्तक ‘‘मैमोर्यस‘‘ मे इसकी पुष्टि की है। सन 1857 की क्रांति का महानायक तात्या टोपे जब दक्षिण भारत लोट रहा था, अलीराजपुर जिले के नानपुर ग्राम में वहां के शाषक एवं अंग्रेजों के विरूद्व बगावत में अलीराजपुर के भिलालों ने सहयोग किया। झाबुआ रियासत में राजशाही एवं अंग्रेजों के विरूद्व स्वतंत्रता आंदोलन में थांदला के गवला डामर, गजेसिंग , देवीचंद डामर पेटलावद के अमरसिंग डामर, रजला के धनसिंग भील ईटावा (थांदला) के रामसिंग, जूरीया वसुनिया काकनवानी के देवीचंद डामर, झाबुआ की बसंती बाई आदि के योगदानों को विस्मृत नहीं किया जा सकता। विराट परिप्रेक्ष में देखे तो निमाड़ का भीमा नायक, सोरवा का छीतू भील, मालवा का टांटया भील अंग्रेजी हुकुमत के लिए चुनौती बन गए थे। इसके पूर्व मेवाड़ के सूर्य महाराणा प्रताप केहल्दीघाटी युद्व में भी आदिवासी वीरों ने मुगल सेना के छक्के छुड़ा दिये थे। आजादी के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी चाहते थे कि हर गरीब, वंचित और शोषित जनजाति के लागों को समानता, स्वतंत्रता का वरदान मिले, शोषण, अत्याचार से मुक्ति मिले। क्या बापु का यह सपना पूरी तरह से फलीभूत हुआ घ् सरल-तरल , व्यवहार कुशल , ईमानदार और कर्मठ आदिवासी आज भी बडे़ सवेरे उठता है सूर्य की रश्मियां उसे खेतों की राह दिखाती है। मूसलाधार वर्षा, कंपाती सर्दी और झुलसाती गर्मी में भी जी-जान लगा कर वह बंजर और बेजान जमीन की कोख से उपज ले लेता है। किन्तु ओने-पोने दामों में रईस-साहुकारों को बेचकर अभावों का जीवन जीता है। आज वादे बडे-बडे किन्तु इरादे केवल स्वार्थ सिद्वी के है। पृथ्वीपुत्रांे को ना तो पीने के लिए शुद्व जल मिलता है, मजदूरों को फेक्ट्री में काम करते हुए सिलिकोसिस ग्रस्त होकर अपनी जान गवानी पड़ रही है तथा केमीकल प्लांटों के कारण खेतीहर भूमी भी बंजर होती जा रही है। आदिवासी रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर है तथा दर-दर भटक रहे है। नारों-भाषणों एवं घोषणओं के शब्द जाल में देश-प्रदेश की सरकार कब तक खिलवाड करती रहेगी घ्  अतराष्ट्रीय आदिवासी दिवस हमारे चिंतन , मनन और विचार संप्रेषित करने का विषय है। क्या हम सब जनजाति लोग गैर आदिवासी जनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी योग्यता , प्रतिभा और ग्रामीय जीवन के कोशल के साथ विकास के उच्च पायदानों को स्पर्श कर सकते है घ् यह आत्म मंथन हमें करना होगा। साथ ही उन तत्वों को भी रेखांकित करना होगा जो हमारी एकता और संस्कृति को नष्ट करने में लगे है। हमें उन कुरीतीयों को भी दूर करना होगा जो हमारी उन्नति में बाधक है। साथ ही हनुमान शक्ति को जागृत करना होगा जो हमें ‘‘ भेदन्ति इति भिल्ला‘‘कहकर लक्ष्य की ओर ले जाती है। हम सब जिस मिटटी की कसम खाते है वही हमारा धन है ,देश उसी का नाम है। देश -प्रदश में चारों ओर आदिवासी अंचलों में जो लोगगीत और गाथाएं गंुजती है उसमें देशप्रेम की भावना कुट-कुट कर भरी है। देश की उन्नति में हमारा समाज अपनी महत्ती भूमिका निभाने के लिए भी कृत संकल्पित रहा था, रहा है और हमेशा रहेगा।

सेवाकार्यो की अनुठी मिसाल है रोटरी क्लब- कलेक्टर श्रीमती अरूणा गुप्ता
  • रोटरी क्लब का अधिष्ठापन समारोह सम्पन्न, सतत सेवा कार्य का लिया गया संकल्प 

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झाबुआ---विष्व के लिये उपहार का लक्ष्य लिये स्थानीय नीजि गार्डन में शनिवार को रोटरी क्लब झाबुआ का वर्ष 2015-16 के रोटरी पदाधिकारियों का अधिष्ठापन समारोह का आयोजन किया गया । समारोह में जिला कलेक्टर डाॅ.श्रीमती अरूणा गुप्ता कलेक्टर झाबुआ मुख्य अतिथि के रूप  में उपस्थित थी वही पूर्व मण्डलाध्यक्ष आलोक बिल्लोरे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की । विषेष अतिथि के रूप  में कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक आबिद खान उपस्थित रहे ।  रो. लोकेन्द्र पापालाल पूर्व मंण्डलाध्यक्ष इस अधिष्ठापन समारोह में शपथ अधिकारी के रूप  में सम्मिलित हुए । कार्यक्रम के शुभारंभ की विधिवत घोषणा रो. दिनेष सक्सेना ने की तत्पष्चात रोटरी चतुर्विध मंत्र का वाचन रो. हेमेन्द्र द्विवेदी द्वारा किया गया । तत्पष्चात अतिथियों द्वारा मां सरस्वती  एवं रोटरी के संस्थापक पाॅल हैरीस एवं शहीद चन्द्रषेखर आजाद की प्रतिमा एवं चित्र पर माल्याप्रण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ।इस अवसर पर सरस्वती वंदना कुमारी आयुषी अरोडा द्वारा प्रस्तुत की गई । कार्यक्रम में स्वागत उदबोधन रो. जगदीष सिसौदिया ने करते हुए रोटरी के सेवा कार्यो के विभिन्न आयामों की  जानकारी दी उन्होने कहा कि रोटरी क्लब को समाज से बहुत सारी अपेक्षायें है जिसे पूरा करने में रोटरी क्लब समाज के प्रति अपने दायित्वों का सतत निर्वाह करेगा। तत्पष्चात नवनियुक्त अध्यक्ष रो. व्ही.एस.भाबोर एवं सचिव रो. संजय व्यास द्वारा अपनी कार्यकारिणी सहित पदभार ग्रहण कर सेवा का संकल्प लिया गया । इस अवसर पर कलेक्टर श्रीमती गुप्ता एवं पुलिस अधहीक्षक आबिद खान को रोटरी क्लब का मानद सदस्य बनाया गया । मुख्य अतिथि कलेक्टर श्रीमती डा.अरूणागुप्ता ने अपने प्रेरक उदबोधन में कहा कि जिले में आने का मेरा मुख्य उद्देष्य षिक्षा एवं स्वास्थ्य  के क्षेत्र मे इस आदिवासी अंचल को अग्रणी बनाना है । इस कार्य को पूरा करने के लिये रोटरी जैसे समाजसेवी संस्था का आगे आना बहुत ही जरूरी है । रोटरी क्लब झाबुआ द्वारा पूर्व में भी इस क्षेत्र में काफी  अनुकरणीय सहयोग दिया गया । उन्हे अपेक्षा है कि आगामी समय में क्लब एवं प्रषासन मिल कर जिले में निरक्षरता के कलंक एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में महती भूमिका निभायेगें ।  प्रषासन स्तर पर रोटरी क्लब को वांछित सहयोग देने में प्रषासन कटिबद्ध रहेगा । पुलिस अध्सीक्षक आबिद खान ने कहा कि रोटरी हर व्यक्ति की जुबान पर है । हर कोई इसके सेवा कार्यो से परिचित है । रोटरी क्लब के विभिन्न नये आयामों के बारे में भी उन्हे आज जानकारी मिली है । रो. आलोक बिल्लोर ने अपने उदबोधन में कहा कि झाबुआ मे सेवा कार्यो के लिये काफी स्कोप हे और मेरी हमेषा ही यहां आने की इच्छाषक्ति बनी रहती है । झाबुआ रोटरी क्लब मंडल 3040 का सब से वरीष्ठ क्लब होकर यहां के सभी रोटेरियन काफी उत्साह के साथ सेवा कार्यो में जुटे रहते है और अन्यो को प्रेरणा देते है ।उन्होने पूर्व में किये गये अनेकों सेवा कार्यो की प्रसंषा करते हुए क्लब के सदस्यों से सतत सेवा कार्य में जुटे रहने का आव्हान किया । रो, लोकेन्द्र पापालाल ने शपथ अधिकारी का दायित्व निभाते हुए सभी रोटरी सदस्यों को सेवा कार्य करने का संकल्प दिलाया ।तथा नवीन सदस्यों को रोटरी पीन लगा कर सदस्यता ग्रहण करवाई गई ।वही इनरव्हील के पदाधिकारियों ने भी अपना पदभार ग्रहण किया । अधिष्ठापन समारोह के दौरान मुख्य अतिथियों द्वारा नगर के प्रतिभावान छा़त्रों एवं राष्ट्रीय स्तर के खिलाडियों का सम्मान किया गया । सम्मानित किये गये छात्रों में यथार्थ मिश्रा, हिमांषु चैरसिया, महेष डामोर, श्यामु गुण्डिया, कुमारी सुनेहा हुसैन, कु. प्रियंका बेरागी,कु. विधि जैन, षान्तनु व्यास, कु.षालिनी व्यास, कु. पूर्वा त्रिवेदी, जितेन्द्र नामदेव, सचिन सिंगाडिया, हेमांग सिसौदिया एवं रोषन डामोर तथा खिलाडी सुषील बाजपेयी का स्मृति चिन्ह एवं नगद राषि तथा प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया । नवागत अध्यक्ष व्ही एच भाबोर ने रोटरी क्लब के आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि रोटरी द्वारा सौपे गये सेवा कार्यो को टीम भावना के साथ पूरा करने का संकल्प दोहराया । इस अवसर पर रो. नुरूद्दीनभाई बोहरा, प्रतापसिंह सिक्का, शैलेन्द्र चोरे, प्रदीप रूनवाल, हेमेन्द्र द्विवेदी, प्रदीप जैन, देवेन्द्र पटेल,जयेन्द्र बेैरागी, इनरव्हील क्लब की श्रीमती ज्योति रांका, सविता अग्रवाल,पुष्पा संघवी, रेखा राठौर, शीला बहिन, एवं अन्य सदस्यगण उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन रो. मनीषव्यास एवं रो. उमंग सक्सेना ने किया तथा आभार प्रदर्षन नवागत सचिव संजय व्यास ने किया । कार्यक्रम के अंत मे अतिथियों को क्लब द्वारा स्मति चिन्ह भेंट किये गये ।

सत्य साई समिति ने स्कूली छात्राओं को पेन,कापी का किया वितरण

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झाबुआ---बाल विकास कार्यक्रम श्री सत्यसाई बाबा द्वारा प्रारंभ किया गया वहकार्यक्रम है जिसके माध्यम से बच्चों में बाल्यकाल से ही नैतिक षिक्षा देने के साथ ही उनमें मानवीय मूल्यों को प्रस्फुटित करना भी हेै ।स्वयं सत्यसाई बाबा बच्चों से इतना अधिक प्रेम करते थे   कि बच्चो में उन्हे उज्जवल भारत नजर आता था । सत्य धर्म शांति प्रेम और अहिंसा के महामंत्र के माध्यम से उन्होने सर्वधम्र समभाव का जो उदाहरण प्रस्तुत किया वह देष की साम्प्रदायिक सौहार्द्रता के लिये आज भी सामयिक हेै । उक्त उदगार श्री सत्यसाई सेवा समिति की बाल विकास कन्विनर श्रीमती कृष्णा चैहान ने शनिवार को स्थानीय बस स्टेंड स्थित कन्या माध्यमिक विद्यालय में सत्यसाई सेवा समिति द्वारा स्कूली बच्चों को कापी, पेन एवं फल वितरण के लिये आयोजित कार्यक्रम में बच्चों को संबोधित करते हुए कही । समिति द्वारा स्कूल की 84 छात्राओं को एक एक कापी, पेन एवं केले का वितरण किया गया । इस अवसर पर स्कूुल की प्रधानाध्यापिका श्रीमती सिसिल्या मावी, वरिष्ठ षिक्षिका सुमनलता खरे, एम के श्रीवास्तव एवं षिक्षिका निर्मला पाठक एवं समितिकी बाल विकास गुरू ज्योति सोनी  के हाथो से भी स्कूली बच्चों को पेन कापी एवं फल का वितरण किया गया ।

बुरी नीयत से हाथ पकडा

झाबुआ---फरियादिया ने बताया कि वह घर के अंदर सोई थी। आरोपी मुन्ना पिता मांगू डिंडोर, निवासी कटारा धामनी का घर में घुस गया व बुरी नीयत से हाथ पकडा चिल्लाने पर लकडी से मारपीट कर चोंट पहॅुचाई व जान से मारने की धमकी दी। प्रकरण में थाना रानापुर में अप0क्र0 333/2015, धारा 354,456,323,506 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

देशी शराब के 24 पाव जप्त आरोपी गिरफ्तार 
        
झाबुआ---थाना कालीदेवी पुलिस के द्वारा आरोपी कालिया पिता कलसिंग अजनार, उम्र 40 वर्ष निवासी भैसाकराई के कब्जे से 24 क्वाटर देषी प्लेन शराब कीमती 820/-रूपये की जप्त की गई। प्रकरण में थाना कालीदेवी में अप0क0 113/15, धारा 34-ए आब0एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (08 अगस्त)

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छह कर्मचारियों को शोकाॅज नोटिस जारी

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आदिम जाति कल्याण विभाग के माध्यम से संचालित छात्रावासों के तीन अधीक्षक और तीन अन्य कर्मचारियों को अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया के द्वारा शोकाॅज नोटिस जारी किया गया है। संबंधितों को निर्देश दिए गए है कि तीन दिवस के भीतर जबाव प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें अन्यथा एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी। जिला संयोजक श्री विवेक पांडे के द्वारा गत दिवस गुलाबगंज, नटेरन, शमशाबाद की छात्रावासों का औचक निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण के दौरान लापरवाही परलिक्षित होने और छात्राओं के द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने के फलस्वरूप जिन कर्मचारियों को शोकाॅज नोटिस जारी किया गया है उनमें प्री-मैट्रिक कन्या छात्रावास नटेरन की अधीक्षिका श्रीमती ममता अहिरवार और चैकीदार श्री हल्केराम अहिरवार को तथा गुलाबगंज छात्रावास का रसोइया श्री विजय कुमार अहिरवार और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी श्रीमती बबली बाई को और शमशाबाद की कन्या छात्रावास की अधीक्षिका श्रीमती सुधा साहू तथा घुमक्कड जाति बालक छात्रावास शमशाबाद के अधीक्षक श्री केएन मीना को शोकाॅज नोटिस जारी किया गया है। 

जिले में अब तक 550.6 मिमी औसत वर्षा दर्ज

जिले में अब तक 550.6 मिमी औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है जबकि गतवर्ष उक्त अवधि में 563.8 मिमी औसत वर्षा हुई थी। ज्ञातव्य हो कि जिले की सामान्य वर्षा 1133.8 मिमी है। आठ अगस्त की प्रातः आठ बजे दर्ज की गई जिले की औसत वर्षा 7.9 मिमी है। अधीक्षक भू-अभिलेख श्रीमती सविता पटेल ने तहसीलों में स्थापित वर्षामापी यंत्रो पर शनिवार की प्रातः दर्ज की गई वर्षा की जानकारी देते हुए बताया है कि विदिशा में 12 मिमी, बासौदा में 9.6 मिमी, कुरवाई में 26.4 मिमी, सिरोंज में 4.1 मिमी, ग्यारसपुर एवं नटेरन में एक-एक मिमी और गुलाबगंज में 9 मिमी वर्षा दर्ज की गई है लटेरी तहसील में वर्षा नगण्य रही।

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (08 अगस्त)

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बाबा मोहन उत्तराखण्डी का त्याग अविस्मरणीय: धीरेन्द्र प्रताप

देहरादून,8 अगस्त (निस)। उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष व दर्जा प्राप्त  राज्य मन्त्री धीरेन्द्र प्रताप ने बाबा मोहन उत्तराखण्डी द्वारा गैरसैंण को उत्तराखण्ड राज्य की राजधानी बनाए जाने की मांग को लेकर 38 दिवसीय उपवास के बलिदान दिए जाने की घटना को ‘महान त्याग’ की संज्ञा देते हुए,उत्तराखण्ड राज्य के नवनिर्माण में,उनके योगदान को अविस्मरणीय बताया है।  बाबा उत्तराखण्डी की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर यहां जारी एक बयान में धीरेन्द्र प्रताप ने कहा कि,उनका यथासभंव प्रयास रहेगा कि बाबा उत्तराखण्डी की शहादत का यथोचित सम्मान हो व इसके लिए,उन्होने मुख्यमन्त्री श्री हरीश रावत को पत्र लिखकर,गैरसैंण विधान सभा परिसर में उनकी आदमकद प्रतिमा लगाए जाने का सुझाव दिया है। प्रताप ने कहा,जब उत्तराखण्ड आन्दोलन चल रहा था उन्होने सतपुली में बाबा से भेट के दौरान,उन्हे उत्तराखण्ड सयुंकत सघंर्ष समिति का पौड़ी जनपद का सरक्षंक बनाया था,जो साथ अतं तक बना रहा।      उन्होने कहा ‘गैरसैंण को राजधानी बनाने का उनका सपना,हम सबका सकंल्प है,जिसे हम पूरा करके रहेगें,और यही उन्हे सच्ची श्रद्वांजलि होगी।

संसाधनों के बीच कर्मचारियों के हितों के लिए तत्पर है सरकार: हरीश रावत

देहरादून, 8 अगस्त (निस)। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों के होते हुए भी कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखने के लिए तत्पर है। राज्य कर्मचारियों की वाजिब मांगों को अवश्य पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार के स्तर पर राज्यों को सहायता की नीति स्पष्ट नहीं है। अभी अनिश्चय बना हुआ है कि विभिन्न योजनाओं में केंद्र से किस अनुपात में सहायता मिलनी है। यहां तक कि अभी एससी स्काॅलरशिप का पैसा भी केंद्र से नहीं मिला है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय के लिए भी अपे्रल से केंद्र से कुछ भी राशि नहीं मिली है। यह बात शनिवार को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री हरीश रावत से भेंट के दौरान कही। मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि राज्य के विकास में कर्मचारियों की अहम भूमिका है। राज्य कर्मचारियों को नुकसान न हो, इसके लिए प्रयास किया रहा कि वेतन विसंगितियों के मामले जल्द से जल्द से हल कर लिये जाएं। परिषद के अध्यक्ष ठा0प्रह्लाद सिंह ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि  मुख्यमंत्री श्री रावत के निर्देश पर कर्मचारियों के अनेक मामलोें का निस्तारण कर दिया गया है। उन्होंने वेतन विसंगिति के लम्बित मामलों के बारे में मुख्यमंत्री को जानकारी दी।
इस अवसर पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रतिनिधिमण्डल में अरूण पाण्डे, शक्ति प्रसाद भट्ट, नंद किशोर त्रिपाठी, ओमवीर सिंह, रेनु लाम्बा, सुनिता सरीन, सुशीला तोमर सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।

महंगाई के विरोध में कांग्रेसियों ने रैली निकाल किया प्रदर्शन
  • -जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन

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देहरादून, 8 अगस्त (निस)। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने देश में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के विरोध में राजधानी देहरादून में केंद्र सरकार के खिलाफ रैली निकालकर प्रदर्शन किया। कांग्रेसियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी भेजा। ज्ञापन में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर अुकंश लगाए जाने की मांग की गई है। सुबह 10 बजे महिला कांग्रेस, युवक कांग्रेस एवं एन.एस.यू.आई. के कार्यकर्ता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में कांग्रेस भवन में एकत्रित हुए। वहां से कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रैली निकालते हुए जिला मुख्यालय कूच किया। रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि केन्द्र में भाजपा नीत सरकार का एक वर्ष से अधिक का कार्यकाल पूर्ण होने पर पूरे देश की जनता अपने को ठगा सा महसूस कर रही है। विगत लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा उनकी पार्टी के नेताओं ने जिस तरह से पूरे देश की जनता से वायदा किया था कि सत्ता में आने के सौ दिन के अन्दर महंगाई पर काबू किया जायेगा। केन्द्र सरकार को एक वर्ष से अधिक का समय बीतने के उपरान्त आज सभी भारतवासी अपने आप को छला व ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने देश की जनता का ध्यान बढ़ी हुई महंगाई की ओर आकर्षित किया था तथा जनता से यह वायदा था कि केन्द्र में सत्ता में आने के बाद देश की जनता को सभी वस्तुएं सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराई जायेंगी। परन्तु भाजपा के वरिष्ठ नेता अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार के इस मुख्य मुद्दे से पूरी तरह से मुकर गये हैं तथा महंगाई घटने के बजाय सुरसा के मुंह की भांति बढ़ती जा रही है। केन्द्र सरकार के कार्यकाल को 14 माह का समय व्यतीत हो चुका है, परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा महंगाई की रोकथाम के लिए कोई कदम नही उठाया है। केन्द्र की भाजपा नीत सरकार ने सत्ता में आने के 100 दिन के अन्दर महंगाई पर काबू करने के वायदे के विपरीत एक वर्ष में दामों में डेढ़ से दो गुना बढ़ोत्तरी हुई है। श्री उपाध्याय ने आरोप लगाते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें लगातार घटने के बावजूद केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा उस अनुपात में खुदरा बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में कमी नहीं की गई, जबकि बढ़ती कीमतों का बोझ आम जनता पर डाला जा रहा है। कच्चे तेल की कीमतें अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की कीमतों के अनुपात में कम की जानी चाहिए थी। यदि डीजल-पेट्रोल के दाम घटे हैं तो महंगाई क्यों नहीं घटी है। उन्होंने कहा कि पिछली यू.पी.ए. सरकार द्वारा आम आदमी को मंहगाई से राहत पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई खाद्यय सुरक्षा योजना जैसे कानून बनाने का काम किया जिसका उद्देश्य गरीब को भरपेट भोजन देना था, परन्तु भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आते ही इस योजना को बन्द कर गरीब आदमी के पेट पर लात मारने का काम किया है। गत एक वर्ष में आवश्यक वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़े हैं। इसका कारण है कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा बडे सरमायेदारों, जमाखोरों व मुनाफाखोरी को संरक्षण दिया जा रहा है। खाद्य पदार्थों जैसे आटा, चावल, दाल, खाद्यय तेल, सब्जी तथा फलों के मनमाने दाम वसूल कर देशकी जनता का शोषण किया जा रहा है। बढ़ती महंगाई के कारण गरीब आदमी का जीना दूभर हो गया है तथा दो जून की रोटी की व्यवस्था करना भी उसके लिए कठिन हो गया है। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के शासन में अनाज उत्पन्न करने वाला किसान आत्म हत्या को मजबूर हो रहा है। कांग्रेस पार्टी ने यूपीए सरकार के कार्यकाल एवं भाजपा नीत सरकार के कार्यकाल में कीमतों में हुई वृद्धि का चार्ट भी ज्ञापन के साथ संलग्न करते हुए मांग की कि यू.पी.ए. सरकार द्वारा जो खाद्यय सुरक्षा कानून बनाया गया था उसे यथा रूप में लागू किया जाय तथा केन्द्र सरकार बडे व्यापारियों को लाभ पहुंचाने की बजाय आम जनता को राहत देने के लिए मंहगाई को काबू करे। प्रदर्शन करने वालों में प्रदेश उपाध्यक्ष जोत ंिसह बिष्ट, महामंत्री आनन्द सिंह रावत, मुख्य प्रवक्ता मथुरादत्त जोशी, प्रेदश कार्यक्रम प्रभारी राजेन्द्र शाह, गोदावरी थापली, प्रदेश सचिव विनोद चैहान, महेश प्रताप राणा, सुनीता प्रकाश, ममता गुरूंग, प्रवक्ता लखपत बुटोला, मधु सेमवाल, सुरेन्द्र रांगड़, आशा टम्टा, संतोष कश्यप, श्यामसिंह चैहान, कमलेश रमन, धर्म सिंह पंवार, ललित मोहन जोशी, लीला शर्मा, जसविन्दर गोगी, साबेज खान, अनन्द सुमन सिंह, अमरजीत ंिसह, महानगर कार्यकारी अध्यक्ष पृथ्वीराज चैहान, लालचन्द शर्मा, हेमा पुरोहित, मधु थापा, सीमा, सरिता, शशिबाला, अंजना बालिया, राधिका शर्मा, कामिनी गोदियाल, पुष्पा पंवार, विशाल मौर्य, अरूण चमोली, गिरीश पुनेड़ा, चन्द्रकला, सरोज शर्मा, पायल बहल, किरन तिवारी, कमला देवी, पार्षद बीना बिष्ट, मीना बिष्ट, गंगा क्षेत्री, कृष्णा चैहान, विपुल नौटियाल, गौतम डोगरा, सुरेश बिष्ट, सुनील पंवार, सुलेमान अली, नासिर हुसैन, रामकुमार वालिया, अनुराधा तिवारी सहित सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल रहे। 

जिलाधिकारियों को एहतियात बरतने के निर्देश

देहरादून, 8 अगस्त (निस)। मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने सभी जिलाधिकारियों को एडवाइजरी जारी कर लगातार हो रही बारिश को देखते हुए जरूरी एहतियात बरतने के लिए कहा है। उन्होने संभावित खतरे वाले स्थानों पर विशेष निगरानी बरतने के निर्देश दिए है। इसके साथ ही उन्होंने एसडीआरएफ को भी एलर्ट रहने के लिए कहा है।

अकूत संपति अर्जित करने वाले पत्रकारों की जांच हो
  • -जर्नलिस्ट यूनियन ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

देहरादून, 8 अगस्त (निस)। जर्नलिस्ट यूनियन आॅफ उत्तराखंड ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को एक पत्र भेजकर राज्य गठन के बाद ऐसे पत्रकारों की जांच की मांग की है जिन्होंने इस अवधि में अकूत सम्पति अर्जित की है। यूनियन के महामंत्री गिरीश पंत ने सीएम को भेजे पत्र में कहा कि मीडिया की आड़ में कुछ लोगों द्वारा स्टिंग आपरेशन के नाम पर पत्रकारिता को रसातल में पहंुचाने का कार्य किया जा रहा है। यूनियन ऐसे किसी भी कृत्य की घोर निन्दा करती है जिससे कि आम जनता के बीच पत्रकारिता जैसे पवित्र कार्य को कलंकित होना पड़े। उन्होंने कहा कि यूनियन का उद्देश्य सदैव पत्रकारों के हित संरक्षण केे साथ ही पत्रकारिता के उच्च आर्दशों की स्थापना करना है। यूनियन स्टिंग आपरेशन अथवा खोजी पत्रकारिता के कभी भी विरोध में नहीं रही है। यदि शासन प्रशासन में कहीं भी भ्रष्टाचार है तो उसे हर हाल में उजागर कर ऐसे भ्रष्टाचारियों को दंडित किया जाना चाहिए। निश्चित ही राज्य के चैथे स्तम्भ पत्रकारिता का यह पुनित कार्य है और यूनियन हमेशा इसका समर्थन करती रहेगी। उन्होंने चिंता जतायी कि उत्तराखंड बनने के बाद इस देवभूमि को साफ्ट टारगेट समझकर पत्रकारों के भेष में अवांछित तत्वों ने प्रवेश पा लिया जिन्होंने पत्रकारिता के नाम पर ब्लैकमेलिंग कर अकूत सम्पति अर्जित की है। निश्चित ही इस राज्य में पत्रकारों को जिला एवं राज्य स्तरीय मान्यता दिये जाने के नियमों तथा अब तक राज्यस्तरीय मान्यता दिये जाने की समीक्षा करने की आवश्यकता है जिससे कि भविष्य में अवांछनीय तत्व मान्यता के नाम पर ब्लैकमेलिंग का व्यापार न कर सकें। उन्होंने मुख्यमंत्री से राज्य गठन के बाद ऐसे पत्रकारों की जांच की मांग की है जो इस अवधि में अकूत सम्पति के मालिक बने बैठे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान प्रदत अभिव्यक्ति के अधिकार की रक्षा के लिए पीत पत्रकारिता को हतोत्साहित किया जाना जरूरी है।

चार जिलों के गठन का शासनादेश पुनर्जीवित करने की मांग

देहरादून, 8 अगस्त (निस)। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को 204वां अनुस्मारक भेजकर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय में चार जिले गठित करने के लिए जारी शासनादेश को फिर से पुनर्जीवित करने का अनुरोध किया है। नेता प्रतिपक्ष की ओर से मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा गया है कि भाजपा सरकार की ओर से आठ दिसंबर 2011 को प्रदेश में रानीखेत, डीडीहाट, यमुनोत्री एवं कोटद्वार को जिला बनाने के संबंध में शासनादेश जारी किया गया था। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद इस शासनादेश को किनारे कर दिया है। इस कारण सभी जिलों की क्षेत्रीय जनता की मांग अभी तक अधूरी ही है। उन्होंने कहा कि रानीखेत को जिला बनाने के लिए वर्षाे से क्षेत्रीय जनता संघर्ष कर रही है। लोगों को अपना काम कराने के लिए कई किमी दूर अल्मोड़ा मुख्यालय आना पड़ता है। इन सभी क्षेत्रों को जिला बनाने से स्थानीय लोगों को राहत मिलेगी साथ ही इन क्षेत्रों में विकास को भी गति मिलेगी। वहीं एक बयान में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भाजपा आज भी शराब नीति को लेकर सरकार पर लगाए गए अपने आरोपों पर अडिग है। सरकार ने एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए अंडर टेबल एग्रीमेंट किया है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की ओर से शराब नीति पर दिए गए फैसले के बारे में भाजपा को कुछ भी नहीं कहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा कभी इस मसले पर न्यायालय गई ही नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझना होगा कि कोर्ट ने यह नहीं कहा कि स्टिंग आपरेशन गलत है।

प्रदेश में धारा 371 लागू करने की मांग 

देहरादून, 8 अगस्त (निस)। उत्तराखंड क्रांति दल (ऐरी गुट) के केंद्रीय अध्यक्ष पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा कि राज्य में नया भू-प्रबंधन लागू होना चाहिए, ताकि कृषि योग्य जमीन को बचाया जा सके। एक बयान में उन्होंने कहा कि प्रदेश में महज छह से नौ फीसद तक ही कृषि योग्य जमीन बची है। बड़े पैमाने पर विकास कार्य जनता की जमीनों पर कराए जा रहे हैं। जमीनों को बचाने के लिए उन्होंने उक्रांद के नीति पत्र 1992 के अनुसार राज्य में धारा 371 या उस जैसे भू-प्रबंधन कानून बनाने की मांग की। इसके साथ ही त्रिपाठी ने संगठन के ही नीति पत्र के मुताबिक प्रदेश में 23 जिले व कमिश्नरेट बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। कहा कि इससे विकास का असुंतलन समाप्त हो जाएगा। प्रदेश की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कांग्रेस व भाजपा सरकार पर आरोप जड़े। उन्होंने कहा कि दोनों ही दलों की सरकारों ने प्रदेश की प्रगति को बाधित करने का काम किया।

कांग्रेस घोषणा पत्र समीक्षा एवं प्रचार समिति की बैठक 

देहरादून, 8 अगस्त (निस)। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की अध्यक्षता में प्रचार समिति की अध्यक्ष एवं काबिना मंत्री डाॅ0 इन्दिरा हृदयेश के निवास पर घोषणा पत्र समीक्षा एवं प्रचार समिति की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में सरकार की तीन साल की उपलब्धियों पर विस्तृत चर्चा की गई। सरकार द्वारा विभिन्न पेंशन योजनाओं एवं मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ जैसी योजनाओं के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही इस बात पर भी जोर दिया गया कि आज तक जनहितकारी योजनाओं के जारी हुए शासनादेशों का संकलन करते हुए पुस्तिका बनाकर आम जनता की जानकारी के लिए प्रकाशित की जाय ताकि आम जनता को भी सरकार द्वारा किये गये विकास कार्यों की जानकारी मिल सकें। बैठक में सरकार द्वारा पार्टी घोषणा पत्र पर अब तक हुए कार्यों तथा जो कार्य होने बाकी हैं उन पर विस्तार से चर्चा की गई। यह भी तय किया गया कि बची हुई घोषणायें जिन विभागों से सम्बन्धित हैं उनसे सम्बन्धित मंत्रियों को पार्टी स्तर पर भी स्मरण कराया जाय।बैठक में प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इस बात पर बल दिया कि सरकार की उपलब्धियों का शीघ्र संकलन तैयार कर कार्यकर्ताओं में उत्साह संचार करने के उद्देश्य से प्रचार समिति के माध्यम से ब्लाक व ग्राम स्तर तक पहुंचाया जाय जिसके लिए विधानसभा स्तर पर होने वाले ’बातचीत‘ कार्यक्रमों के माध्यम से कार्यकर्ताओं तक पहुंचाई जाए। बैठक में सर्वसम्मति से यह भी सुझाव आया कि युवाओं को खेल प्रतिभा से जोड़ने के लिए जनपद, ब्लाक स्तर पर मिनी स्टेडियमों का निर्माण करवाया जायेगा तथा महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं लघु उद्यमों के माध्यम से स्वरेाजगार से जोड़ा जाय तथा उनके उत्पादनों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए ठोस नीति बनाई जाय। नीति नियोजन समिति के अध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना घोषणा पत्र समीक्षा समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक रामंिसह सैनी, सदस्य सचिव याकूब सिद्धिकी, सुन्दरलाल मुयाल एवं महानगर कार्यकारी अध्यक्ष पृथ्वीराज चैहान उपस्थित रहे।

मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करवाने को कमेटी बनेगीः सीएम

देहरादून, 8 अगस्त (निस)। फेडरेशन आॅफ पीटीआई एम्प्लाॅइज की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि लोकतंत्र की सफलता के लिए विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका व मीडिया के सेल्फ रेगुलेशन की आवश्यकता है। राज्य व देश के प्रति हम सभी को अपनी जिम्मेवारी समझनी होगी और उसी के अनुरूप अपनी कमियों को स्वतः दूर करना चाहिए। प्रदेश में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करवाने के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि देश दुनिया के पर्यावरण में उŸाराखण्ड अहम योगदान दे रहा है। 65 फीसदी फोरेस्ट कवर के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए हमेशा अग्रणी रहे उŸाराखण्ड को बहुत से लोग धर्म, पर्यावरण के नाम पर सीख देते हैं और यहां अनेक प्रकार के बैन लगाने की मांग करते हैं। राज्य में क्या-क्या नहीं किया जाए इसके बारे में विस्तार से कहा जाता है परंतु प्रदेश के विकास व आर्थिकी के लिए क्या किया जाए, इस पर मौन साध जाते हैं। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उŸाराखण्ड को पर्यावरण की रक्षा के लिए केंद्र सरकार से सहायता उपलब्ध करवाने की बजाय इसे प्राप्त विशेष राज्य के स्तर को भी समाप्त कर दिया गया है । मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास में पब्लिक पार्टनरशिप को बढ़ावा दिया जा रहा है। उŸाराखण्ड में हर संस्थान बिल्डिंग प्रोसेस में हैं। हमारी प्राथमिकताएं स्पष्ट होनी चाहिए कि देश व राज्य को किस तरफ ले जाना है। समय के साथ सिस्टम में बदलाव स्वाभाविक होता है परंतु सिस्टम के मूलभूत आधार नहीं बदले जाने चाहिए। इस अवसर पर फेडरेशन के चेयरमैन जोन गुन्जालविस, महासचिव एमएस यादव सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

कृषि को बढ़ावा देने के लिए जनपदों के चुनिन्दा इण्टरकालेज बनगे कृषि केन्द्र: हरीश

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देहरादून, 8 अगस्त (निस)। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पर्वतीय क्षेत्रों में छोटी-छोटी वाटर बाड़ी बनाने के साथ ही जल संवर्द्धन योजनाओं के अन्तगर्त चाल खाल व चेक डेम से सम्बंधित योजनाओं के क्रियान्वयन पर बल दिया है। उन्होने टिहरी झील का नाम श्री देव सुमन के नाम पर रखने सम्बंधी आदेश शीघ्र निर्गत करने के निर्देश जिलाधिकारी टिहरी को दिये। उन्होने टिहरी के सुरकंडा पब्लिक स्कूल में उर्दु विषय की स्वीकृति के साथ ही प्रदेश में 50 उर्दु अध्यापको की तैनाती के निर्देश भी सचिव शिक्षा को दिये है। सचिवालय में जनपद टिहरी की नरेन्द्रनगर, प्रतापनगर व टिहरी विधानसभा क्षेत्रों के लिये मार्च 2015 तक मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओ के क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए उन्होने योजनाओं व निर्माण कार्यो के क्रियान्वयन की प्रगति पर सन्तोष व्यक्त किया। उन्होने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि को बढ़ावा देने के लिए जनपदो के 2-3 इण्टर कालेजो को कृषि केन्द्र के रूप मे विकसित करने के निर्देश भरसार औद्यानिक विश्वविद्यालय को दिये गये है। जिन स्कूलों में पर्याप्त रूप में कृषि भूमि उपलब्ध होगी वहां कृषि विषय खोलने पर विचार किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने पावकी देवी (नरेन्द्र नगर) में उप तहसील व महाविद्यालय, मुनि की रेती में स्टेडियम, कोडियाला में एलोपेथिक डिस्पेंशरी, तिमली जमोला में स्वास्थ्य उपकेन्द्र की स्वीकृति के साथ ही नरेन्द्रनगर में केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना हेतु प्रस्ताव केन्द्र सरकार को प्रेषित करने को कहा। उन्होने तपोवन, ढ़ालावाला तथा मुनि की रेती में कामर्शियल बेस पर पार्किंग के निर्माण के निर्देश दिये। प्रतापनगर में राजीव गांधी अभिनव स्कूल, झील किनारे तीन सड़को की स्वीकृति के साथ ही डोबरा चांटी पुल का निर्माण कार्य 15 अगस्त से आरम्भ करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये। उन्होने कहा कि कोरियन कम्पनी द्वारा डिजाइन दे दी है। उसके अनुसार तैयार की जा रही डीपीआर के अनुसार शीघ्र कार्य आरम्भ किया जाय। उन्होने झील में डूबे गांवो की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिये इन गांवों की सूची तैयार कर उनके साईनेज तैयार किये जाय। उन्होने सुगीतलासी में प्राथमिक स्वास्थय केन्द्र की स्थापना, टिहरी झील से लगी सड़को पर सुरक्षात्मक उपाय करने, नकोट में पशु सेवा केन्द्र की स्थापना, टिहरी में बस डिपो की स्वीकृति प्रदान करने के साथ ही तीनो विधासभा क्षेत्रों के लिये सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा व खेल आदि से सम्बंधित योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की । बैठक में पर्यटन मंत्री दिनेश धनै, सभा सचिव एवं विधायक प्रतापनगर विक्रम सिंह नेगी, विधायक नरेन्द्र नगर सुबोध उनियाल, मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री ओमप्रकाश सहित सम्बंधित विभागों के प्रमुख सचिव, सचिव, अपर सचिव, विभागाध्यक्ष एवं जिलाधिकारी टिहरी आदि उपस्थित थे।

बिहार में 'परिवर्तन यात्रा'करेगी भाजपा

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बिहार में राज्य विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब राज्य भर में 'परिवर्तन यात्रा'करेगी। यह यात्रा 12 अगस्त से प्रारंभ होगी। विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के बिहार प्रभारी बनाए गए केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने शनिवार को पटना में संवददाताओं से कहा कि बिहार में 'बदलाव का आंदोलन'शुरू हो गया है। यहां के लोग बिहार में अब बदलाव के लिए तैयार हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए इस महीने अपने अभियान के तहत एक साथ चार 'परिवर्तन यात्रा'की घोषणा करते हुए कहा कि इस यात्रा के दौरान भाजपा के कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर अपनी बात रखेंगे। 

केंद्रीय रसायन एवं उवर्रक मंत्री अनंत कुमार ने कहा, "भाजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल अन्य दलों के साथ चुनाव में उतरेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जुलाई महीने में पटना से परिवर्तन रथ को राज्य के सभी हिस्सों में रवाना किया था। इसी के तहत पार्टी इस महीने 'परिवर्तन यात्रा'प्रारंभ करने जा रही है।" अनंत ने कहा कि परिवर्तन यात्रा की शुरुआत 12 अगस्त को की जाएगी और यह 28 अगस्त तक चलेगी। यात्रा के दौरान सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में जाकर जनसभा का आयोजन किया जाएगा। 

उन्होंने कहा कि लोगों से सीधा संपर्क कायम कर मतदाताओं से राज्य में राजग की सरकार बनाने के लिए तैयार किया जाएगा, जिससे बिहार में सुशासन स्थापित हो सके। पहली यात्रा सारण जिले के 'हरिहर क्षेत्र'से शुरू होगी। इस यात्रा का नेतृत्व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी करेंगे।

व्यापमं घोटाला : सीबीआई की 5 नई प्राथमिकी में 38 आरोपी

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मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को पांच और नई प्राथमिकी दर्ज की है। इनमें कुल 38 लोगों को आरोपी बनाया गया हैं। सीबीआई द्वारा अब तक 60 प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। सीबीआई के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार शनिवार को पहली प्राथमिकी पुलिस आरक्षक (कांस्टेबल) भर्ती परीक्षा 2012 को लेकर दर्ज करते हुए तीन व्यक्ति को आरोपी बनाया गया है। दूसरी प्राथमिकी पीएमटी 2006 को लेकर है, इस मामले में 30 लोग आरोपी बनाए गए हैं। तीसरी प्राथमिकी पुलिस उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) भर्ती परीक्षा 2013 की है। इस मामले में दो आरोपी बनाए गए हैं। चौथी प्राथमिकी पुलिस आरक्षक (कांस्टेबल) भर्ती परीक्षा 2012 को लेकर है, जिसमें दो आरोपी हैं। सीबीआई की पांचवीं प्राथमिकी पुलिस आरक्षक (कांस्टेबल) भर्ती परीक्षा 2009 की है। इसमें एक आरोपी है। 


सीबीआई के अनुसार इन प्राथमिकी में मध्य प्रदेश परीक्षा मान्यता अधिनियम 1937, धोखाधड़ी, सूचना प्रौद्योगिकी सहित भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किए गए हैं। सीबीआई ने यह पांचों प्राथमिकी नई दर्ज की है। ज्ञात हो कि राज्य में इंजीनियरिंग कालेज, मेडीकल कॉलेज में दाखिले से लेकर विभिन्न विभाग की भर्तियों की परीक्षा (पीएससी को छोड़कर) व्यापमं आयोजित करता है। इन दाखिलों और भर्तियों में हुई गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद जुलाई 2013 में पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। 



इस मामले की एसटीएफ फिर उच्च न्यायालय के निर्देश पर एसआईटी की देखरेख में एसटीएफ ने जांच की। इस मामले में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से लेकर व्यापमं के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी सहित वरिष्ठ अधिकारी व राजनीतिक दलों से जुड़े लोग जेल में हैं। राज्यपाल रामनरेश यादव पर भी सिफारिश करने का प्रकरण दर्ज है। वहीं जांच के दौरान 48 लोगों की मौत का भी मामला गरम है। 

बिहार में मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती होगी : जैदी

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मुख्य निर्वाचन आयुक्त डॉ़ नसीम जैदी ने यहां शनिवार को कहा कि आगमी विधानसभा चुनाव में मतदान केंद्रों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की जाएगी। निर्वाचन आयोग शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है। पटना में दो दिनों तक राजनीतिक दलों और अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि राज्य में 99़ 9 प्रतिशत मतदाताओं के पास मतदाता पहचान पत्र पहुंच गए हैं।  उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों ने कुछ सुझाव दिए हैं उस पर आयोग विचार कर आगे की रणनीति तय करेगा। 

उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को राज्य में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने के निर्देश दिए गए हैं। जैदी ने कहा, "सभी जिलाधिकारियों को चुनाव से संबंधित सभी मामले जल्द निपटाने के निर्देश भी दिए गए हैं तथा अपराधी प्रवृत्ति के लोगों पर सख्ती बरतने और चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के पूर्व फरार अपराधियों की गिरफ्तारी तय करने की बात कही गई।"राज्य के सभी अधिकारियों से चुनाव आचार संहित का पालन सुनिश्चित करवाने के भी निर्देश दिए गए हैं। 

उन्होंने चुनाव की तैयारियों पर संतुष्टि जताते हुए कहा कि मतदान केंद्रों पर बुनिवादी सुविधाएं उपलब्ध रहे इसकी भी आयोग द्वारा तैयारी की जा रही है। राज्य में चुनाव के दौरान धन दुरुपयोग करने वाले क्षेत्रों की पहचान कर उन क्षेत्रों पर विशेष नजर रखने का निर्देश भी दिया गया है। उल्लेखनीय है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त के नेतृत्व में आई चुनाव आयोग की टीम शुक्रवार को राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी तथा उनकी समस्याओं और सुझावों की जानकारी प्राप्त की थी। शनिवार को टीम ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों सहित राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की। 

मेरे कार्यकाल में नहीं हुआ व्यापमं घोटाला : दिग्विजय

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कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यहां शनिवार को कहा कि मध्य प्रदेश व्यावसायिक मंडल (व्यापमं) घोटाला उनके कार्यकाल में नहीं हुआ था। उन्होंने चुनौती दी कि किसी के पास उनकी लिखी कोई सिफारिशी पर्ची मिल जाए तो उन्हें जो भी सजा दी जाए, वह भुगतने को तैयार हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद दिग्विजय सिंह मीडिया से मुखातिब थे। मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले पर दिग्विजय ने अपने कार्यकाल को बेदाग बताया। उन्होंने कहा, "मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हताशा में उलटे-सीधे बयान दे रहे हैं। मेरे कार्यकाल में नियमों का जरा भी उल्लंघन नहीं हुआ था। उस समय की एक भी भर्ती पर कभी कोई दाग नहीं लगा था।"

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, "अगर किसी के पास मेरी लिखित कोई भी सिफारिशी पर्ची मिल जाए तो मैं जो भी सजा मिले वो झेलने को तैयार हूं।"गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज ने एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान कहा है कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर्चियों से भर्तियां करते थे। उनका दावा है कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय के कार्यकाल में एक नहीं सैकड़ों नियुक्तियां पर्चियों पर की गईं। उनकी लिखी पर्चियां आपको मिल जाएंगी, उस समय राज्य में अंधेर हुआ था।

उनके इस बयान के बाद दिग्विजय सिंह भाजपा पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के एक मंत्री और दो मुख्यमंत्री घोटाले में फंसे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं। इन मामलों पर वह चुप्पी साधे हुए हैं, जिस कारण संसद में गतिरोध बना हुआ है। उन्होंने कहा कि घोटाले में फंसे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तथा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पहले इस्तीफा दें, फिर इनकी कारगुजारियोंकी जांच हो। सुषमा ने तो संविधान की शपथ का उल्लंघन किया है, इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई हो। 

भाजपा के बारे में दिग्विजय ने कहा, "यह पार्टी इतनी जल्दी रंग बदल देती है, जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते।" उत्तर प्रदेश की राजधानी पहुंचे दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। इसके बाद वह कांग्रेस के पूर्व सांसद हर्षवर्धन के घर गए। हर्षवर्धन के इकलौते पुत्र का हाल ही में निधन हो गया था। दिग्विजय यहां के गोमतीनगर में रह रहींअपनी पुत्री से मिलने उनके घर भी गए।

विधार : भटकता भारतीय समाज !!!

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कुछ बातों में जहां बहुत बुराइयां होती है तो उसमें अच्छाईयां भी कम नहीं , और कुछ बातों में जहां अच्छाइयाँ होती है , उनमें बुराइयों की भी कमी नहीं । स्वामी विवेकानंद जी से उनकी माँ ने जब स्वामी जी अमेरिका में  थे तब एक पत्र के द्वारा पूछी थी = "बेटा भारत में बहुत विधवाएं हैं , क्या अमेरिका में भी  विधवाएं हैं" ? तिसपर स्वामी जी ने माँ को पत्र लिखते हुए उत्तर दिया = "माँ !  अमेरिका में भारत से कहीं अधिक कुँवारी विधवाएं हैं" । इसमें गूढ़ार्थ छुपा  है ।  स्वामी जी के अनुसार जो महिलायें विवाह पूर्व ही विवाह की सभी खुशियाँ प्राप्त कर चुकी हुई है , कालान्तर में विक्षिप्त होकर ऐसी अमेरिकन महिलाएं दारू तथा सिगरेट का सहारा ले लेती हैं । 

आज यदि देखा जाय तो भारत में तलाक के सर्वाधिक कारण देर से शादी के कारण शादी पूर्व ही बहुत सारे अध्ययनरत या  नौकरीपेशा स्त्री-पुरुषों द्वारा बिना शादी के लिवइनरिलेशन में रहना या शादी पूर्व स्त्री-पुरुषों द्वारा   कई कई पुरुषों  तथा कई कई  महिलाओं द्वारा आपस में मित्रता के आड़ में शादीपूर्व शादी के सभी सुखों के प्राप्त कर लेने के कारण बाद में शादी हो जाने के उपरांत आपस में भारतीयता की मूल पहचान पति-पत्नी में  घनिष्ठ-प्रेमसंबंध  को वे  न के जैसा कायम रख पाते या बनापाने में सक्षम हो पाते हैं , जो ऐसी बात जिस तरह का समाज में कल्चर डेवलप हो चुका है , उन कारणों से स्वाभाविक रूप में होती है । ऐसे अधिकतर माता-पिता जब शादी के बाद माँ-बाप बनते हैं तो अपने संतान के अंदर मानवीयगुण या मानवता युक्त संस्कार को दे पाने में अक्षम हो जाते हैं , जिस कारण जहाँ किशोर या युवा समाज के प्रति  संवेदनहीन तथा उच्छृंखल  हो जाते हैं वहीं देशभक्ति इत्यादी की सार्थक भावना न के बराबर रह जाती है, जो भारतीय समाज में अब कहीं भी देखा जा सकता है , देश की राजधानी दिल्ली में तो ऐसी  स्थिति चरम पर है  । 

किसी भी दम्पति के लिए थोड़ा सा भी आपसी विवाद को  बर्दाश्त कर पाना इसलिए मुश्किल होता है की वे शादी पूर्व इसबात के लिए अभ्यस्त हो चुके होते हैं की सुरेश कैसे सर आँखों पर बिठा कर रखता था ? दिनेश कैसे हर इच्छाओं को दो मिनट में पूरा करता था ? रमेश कैसे हर पल चाँद-तारे को तोड़कर ला देने के लिए उत्सुक रहता था । वहीं शादी के उपरांत जब पति-पत्नी को सामाजिक मर्यादा ,  घरेलू तथा बाल-बच्चों के रूप में  जीवन के कई यथार्थ हकीकत का सामना करना पड़ता है तो शादी से पूर्व सुरेश , रमेश , दिनेश से की हुई अय्यासी के कारण विवेकशून्य दम्पति उस हकीकत का सामना कर पाने में असमर्थ होते हैं , जिस कारण भारतीय  समाज में पढ़े लिखे लोगों में  तलाक के मामले बहुत अधिक ही  बढ़ रहे हैं । 



आमोद शास्त्री , 
दिल्ली । 
मोब = 9818974495 & 9312017281

विशेष : पूर्णतः परिष्कृत, समृद्ध भाषा है सर्वभाषाओं की जननी संस्कृत

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  • (संस्कृत दिवस- दस अगस्त पर विशेष )

 संसार की समृद्धतम भाषा संस्कृत भारतीय संस्कृति का आधारस्तम्भ है। देवभाषा के नाम से जानी जाने वाली संस्कृत संसार की समस्त भाषाओं की जननी है। वेद भी संस्कृत भाषा में होने के कारण इसे वैदिक भाषा भी कहा जाता है। संस्कृत शब्द का अर्थ होता है- परिष्कृत, पूर्ण एवं अलंकृत। संस्कृत में बहुत कम शब्दों में अधिक आशय प्रकट किया जा सकता है और इसमें जैसा लिखा जाता है, वैसा ही उच्चारण भी किया जाता है। संस्कृत में भाषागत त्रुटियाँ नहीं मिलती हैं। संस्कृत का अध्ययन मनुष्य को सूक्ष्म विचारशक्ति प्रदान करता है और मौलिक चिंतन को जन्म देता है। इससे मन स्वाभाविक ही अंतर्मुख होने लगता है। सनातन संस्कृति के सभी मूल शास्त्र वेद,उपनिषद्, ब्राह्मण, आरण्यक, इतिहास, पुराण, स्मृति आदि ग्रंथ संस्कृत भाषा में ही हैं। अतः उनके रसपान व ज्ञान में गोता लगाने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान होना नितान्त आवश्यक है। 

देवभाषा संस्कृत के उच्चारणमात्र से दैवी गुण विकसित होने लगते हैं। अधिकांश मंत्र संस्कृत में ही हैं। इस भाषा का ज्ञान सभी भारतवासियों को होना ही चाहिए। विद्यालयों में इसकी शिक्षा आवश्यक रूप से सभी बच्चों को मिलनी चाहिए। माननीय सर्वोच्च न्यायालय को सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने बताया था कि केन्द्रीय  विद्यालयों में शिक्षा पाठ्यक्रम में 6 से 8 तक संस्कृत ही तीसरी भाषा होगी। जर्मन पढ़ाया जाना गलत है और गलती को जारी नहीं रखा जा सकता। इस पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, हमें क्यों अपनी संस्कृति भूलनी चाहिए। संस्कृत के जरिये आप अन्य भाषाओं को आसानी से सीख सकते हैं। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। सरकार अगले सत्र से इसे बेहतर तरीके से क्रियान्वित करे। परन्तु खेद की बात है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद सरकार के द्वारा इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई ।

भाषाविदों के अनुसार भी संस्कृत सर्वभाषाओं की जननी है त्तथा विश्व की सभी भाषाओं की उत्पत्ति का तार कहीं-न-कहीं संस्कृत से ही जुड़ा हुआ है।यही कारण है कि विभिन्न भाषाओं में संस्कृत के शब्द बहुतायत में पाये जाते हैं। कई शब्द अपभ्रंश के रूप में हैं तो कई ज्यों-के-त्यों हैं। संस्कृत का अखंड प्रवाह पालि, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं में बह रहा है। चाहे तमिल, कन्नड़ या बंगाली हो अथवा मलयालम, ओड़िया, तेलुगू, मराठी या पंजाबी हो – सभी भारतीय भाषाओं के लिए लिए संस्कृत ही अन्तःप्रेरणा-स्रोत है। आज भी इन भाषाओं का पोषण और संवर्धन संस्कृत के द्वारा ही होता है। संस्कृत की सहायता से कोई भी उत्तर भारतीय व्यक्ति तेलुगू, कन्नड़, ओड़िया, मलयालम आदि दक्षिण एवं पूर्व भारतीय भाषाओं को सरलतापूर्वक सीख सकता है। यही कारण है कि आज ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और कोलम्बिया जैसे प्रतिष्ठित 200 से भी ज्यादा विदेशी विश्वविद्यालयों में संस्कृत पढ़ायी जा रही है। 

 संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यंत परिमार्जित एवं वैज्ञानिक है। यह सर्वाधिक प्राचीन, पूर्णतः वैज्ञानिक एवं समृद्ध भाषा है। वैज्ञानिकों का भी संस्कृत को समर्थन संस्कृत की वैज्ञानिकता अर्थात बड़ी-बड़ी वैज्ञानिक खोजों का आधार होने के कारण ही बनी है। वेंकट रमन, जगदीशचन्द्र बसु, आचार्य प्रफुल्लचन्द्र राय, डॉ. मेघनाद साहा जैसे विश्वविख्यात वैज्ञानिकों को संस्कृत भाषा से अत्यधिक प्रेम था और वे वैज्ञानिक खोजों के लिए ये संस्कृत को आधार मानते थे। प्राचीन वैज्ञानिकों एवं संस्कृत प्रेमियों के अनुसार संस्कृत का प्रत्येक शब्द वैज्ञानिकों को अनुसंधान के लिए प्रेरित करता है। प्राचीन ऋषि-महर्षियों ने विज्ञान में जितनी उन्नति की थी, वर्तमान में उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। ऋषि-महर्षियों का सम्पूर्ण ज्ञान-सार संस्कृत में निहित है। 

भारतीय वैज्ञानिकों के साथ ही पाश्चात्य विद्वानों ने भी संस्कृत की समृद्धता को स्वीकार किया है। सर विलियम जोन्स ने 2 फरवरी, 1786 को एशियाटिक सोसायटी के माध्यम से सारे विश्व में यह घोषणा करते हुए कहा था, संस्कृत एक अदभुत भाषा है। यह ग्रीक से अधिक पूर्ण है, लैटिन से अधिक समृद्ध और दोनों ही भाषाओं से अधिक परिष्कृत है। यही कारण है कि ब्रिटिश विद्यालयों में संस्कृत अनिवार्य बनता जा रहा है। लंदन के सेंट जेम्स कान्वेंट विद्यालय अर्थात स्कूल, जहाँ बच्चों को द्वितिय भाषा के रूप में संस्कृत सीखना आवश्यक है, का मानना है कि संस्कृत से छात्रों में प्रतिभा का विकास होता है। यह उनकी वैचारिक क्षमता को निखारती है, जो उनके बेहतर भविष्य के लिए सहायक है। याद्दाश्त को भी बेहतर बनाती है । संस्कृत शिक्षाविद् पॉल मॉस के अनुसार संस्कृत से सेरेब्रेल कॉर्टेक्स सक्रिय होता है। किसी बालक के लिए उँगलियों और जुबान की कठोरता से मुक्ति पाने के लिए देवनागरी लिपि व संस्कृत बोली ही सर्वोत्तम मार्ग है। वर्तमान यूरोपीय भाषाएँ बोलते समय जीभ और मुँह के कई हिस्सों का और लिखते समय उँगलियों की कई हलचलों का इस्तेमाल ही नहीं होता, जब कि संस्कृत उच्चारण- विज्ञान के माध्यम से मस्तिष्क की दक्षता को विकसित करने में काफी मदद करती है। डॉ. विल डुरंट के अनुसार संस्कृत आधुनिक भाषाओं की जननी है। संस्कृत बच्चों के सर्वांगीण बोध ज्ञान को विकसित करने में मदद करती है। कई शोधों में यह पाया गया कि जिन छात्रों की संस्कृत पर अच्छी पकड़ थी, उन्होंने गणित और विज्ञान में भी अच्छे अंक प्राप्त किये। वैज्ञानिकों का मानना है कि संस्कृत के तार्किक और लयबद्ध व्याकरण के कारण स्मरणशक्ति और एकाग्रता का विकास होता है।

यह जान कि आधुनिक विज्ञान के लिए संस्कृत वरदानरूप बन सकती है, सारा संसार संस्कृत ज्ञान प्राप्ति के पीछे दौड़ पड़ा है , और हम हैं कि ज्ञान-विज्ञान के इस अथाह भण्डार से मुख मोड़ इसे मृत भाषा बनाने पर तुले हैं । वर्तमान समय में संस्कृत भाषा विश्वभर के विज्ञानियों के लिए शोध का विषय बन गयी है। यूरोप की सर्वश्रेष्ठ पत्रिका फोर्ब्ज द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार संस्कृत भाषा कम्पयूटर के लिए सबसे उत्तम भाषा है तथा समस्त यूरोपीय भाषाओं की जननी है। अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा का भी इस बात कि पुष्टि करते हुए कहना है कि अंतरिक्ष में सिर्फ संस्कृत की ही चलती है और सूर्य किरणों से स्वतः ॐ शब्द की निष्पति होती रहती है । आधुनिक विज्ञान सृष्टि के रहस्यों को सुलझाने में बौना पड़ रहा है। अलौकिक शक्तियों से सम्पन्न मंत्र-विज्ञान की महिमा से विज्ञान आज भी अनभिज्ञ है। उड़न तश्तरियाँ ,एलियन आदि की कई ऐसी बातें हैं जो आज भी विज्ञान के लिए रहस्यमय बनी हुई हैं। प्राचीन संस्कृत ग्रंथों से ऐसे कई रहस्यों को सुलझाया जा सकता है। विमान विज्ञान, नौका विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त हमारे ग्रंथों से प्राप्त हुए हैं। इस प्रकार के और भी अनगिनत सूत्र हमारे ग्रंथों में समाये हुए हैं, जिनसे विज्ञान को अनुसंधान के क्षेत्र में दिशानिर्देश मिल सकते हैं। वर्तमान में अगर विज्ञान के साथ संस्कृत का समन्वय कर दिया जाय तो अनुसंधान के क्षेत्र में बहुत उन्नति हो सकती है। हिन्दू धर्म के प्राचीन महान ग्रंथों के अलावा बौद्ध, जैन आदि धर्मों के अनेक मूल धार्मिक ग्रंथ भी संस्कृत में ही हैं। 

वर्तमान समय में भौतिक सुख-सुविधाओं का अम्बार होने के बावजूद भी मानव-समाज अवसाद, तनाव, चिंता और अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त है क्योंकि केवल भौतिक उन्नति से मानव का सर्वांगीण विकास सम्भव नहीं है। इसके लिए आध्यात्मिक उन्नति अत्यंत आवश्ययक है। समाज को यदि पुनः संस्कारित करना हो तो हमें फिर से सनातन धर्म के प्राचीन संस्कृत ग्रंथों का सहारा लेना ही पड़ेगा। हमारे प्राचीन संस्कृत ग्रंथ शाश्वत मूल्यों एवं व्यावहारिक जीवन के अनमोल सूत्रों के भण्डार हैं, जिनसे लाभ लेकर वर्तमान समाज की सच्ची और वास्तविक उन्नति सम्भव है। संस्कृत के शब्द चित्ताकर्षक एवं आनन्ददायक भी हैं, जैसे- सुप्रभातम्, सुस्वागतम्, मधुराष्टकम् के शब्द आदि। बोलचाल में यदि संस्कृत का प्रयोग किया जाय तो हम आनंदित महसूस करते हैं। परंतु अफसोस कि वर्तमान में पाश्चात्य अंधानुकरण से संस्कृत भाषा का प्रयोग बिल्कुल बंद सा हो गया है। यह अत्यंत क्षोभनाक स्थिति है कि सिर्फ दस अगस्त को संस्कृत दिवस के रूप में इस महान भाषा को स्मरण कर हम अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं ।संस्कृत के उत्थान के लिए हमें अपने बोलचाल में संस्कृत का प्रयोग शुरु करना होगा। बच्चों को पाठ्यक्रम में संस्कृत भाषा अनिवार्य रूप से पढ़ायी जानी चाहिए। और उन्हें इसे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। विद्यार्थियों को वैदिक गणित की शिक्षा दिलाई जाये तो वे गणित के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ सकते हैं। संस्कृत भाषा हमारे देश व संस्कृति की पहचान है, स्वाभिमान है। हमें इस भाषा को विलुप्त होने से बचाना होगा।




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-अशोक “प्रवृद्ध” -
गुमला
झारखण्ड 

नेपाल की भूकंप पीड़ित महिलाओं द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प वस्तुओं की प्रदर्यानी

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नई दिल्ली, राजधानी में नेपाल की भूकंप पीड़ित महिलाओं द्वारा बनाई हस्तशिल्प वस्तुओं की प्रदर्शनी देखने को मिली जिसका आयोजन स्वरोजगारी महिलाओं की एसोसिएशन, सेवा द्वारा हंसिबा शोरूम में किया गया था। मुख्य अतिथि के रूप में महामहिम श्री दीप कुमार उपाध्याय, राजदूत, नेपाल दूतावास ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह की पत्नी श्रीमती गुरषरण कौर, नैना लाल किदवई, कंट्री हेड भ्ैठब् और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी सम्मानित अतिथियों के रूप में उपस्थित थे। 

रीमा नानावटी, सेवा की डायरेक्टर कहना था, “यहां 19 लाख से अधिक गरीब महिलाएं हैं जो सेवा के साथ जुड़ी हुई हैं। हम पिछले 7 साल से नेपाल में काम कर रहे हैं। इसलिए हम नेपाल के लोगों के साथ इतने अच्छे से जुड़े हुए हैं। भूकंप आने के बाद, सेवा के साथ जुड़ी महिलाएं नेपाल में गई और पीड़ित परिवारों के साथ रहीं और उन्हें दुबारा से अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित किया। और यहां नेपाल की महिलाओं द्वारा बनाई गई हस्तशिल्प वस्तुओं की प्रदर्शनी के साथ उपस्थित हैं। जल्दी ही, हम दूसरे शहरों में भी इसका आयोजन करेंगे।“ 

‘तीज‘ के त्यौहार को देखते हुए यह फैसला किया गया था कि यह प्रदर्शनी सेवा के पहले स्टोर ‘हंसिबा‘ में दिल्ली में 7 से 14 अगस्त, 2015 तक आयोजित की जाएगी। उत्पाद ‘एलो‘ (जिसके बारे में ऊपर बताया गया है) के देशी फाइबर से बनाए गए हैं और इनको बनाने में उनकी परंपरागत तकनीक ‘ढाका‘ का प्रयोग किया गया है। ये उत्पाद भारतीय उपभोक्ताओं की पसंद और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं।   

विशेष आलेख : संवेदनशील व्यवस्थाओं के मामले में लचर सरकार

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सुरक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बिजली पानी यह ऐसे मोर्चे हैं जिन पर किसी भी सरकार को सबसे पहले ध्यान देना चाहिए। इन व्यवस्थाओं में गड़बड़ी संवेदनशील स्थितियों का निर्माण करने वाली सिद्ध होती है जिससे लोग इस कदर भड़क जाते हैं कि कानून व्यवस्था का संकट पैदा हो जाता है। उत्तर प्रदेश की सरकार आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे और लखनऊ मेट्रो का डंका पीटकर आने वाले चुनाव के लिए लोगों का दिल जीतने की बहुत कोशिश कर रही है लेकिन उसे मालूम नहीं है कि उक्त मोर्चों पर स्थितियां दुरुस्त न होने की वजह से उसकी लोकप्रियता का ग्राफ किस कदर नीचे खिसकता जा रहा है।

पिछले एक पखवाड़े में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने दूसरी बार सरकारी डाक्टरों को आगाह किया है। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर सरकारी डाक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस से बाज नहीं आते तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा लेकिन उनकी यह चेतावनी कोरी भभकी साबित हो रही है। सरकारी अस्पतालों की हालत बेहद गई बीती होती जा रही है। डाक्टरों ने अमानवीय रवैए की पराकाष्ठा कर दी है। दर्जनों लोग प्रदेश भर में प्रतिदिन सरकारी अस्पतालों में उपचार के नाम पर होने वाली लापरवाही की वजह से बेमौत मरते हैं। इसका सरकार की क्षमता और छवि को लेकर लोगों में कितना गलत संदेश जा रहा होगा शायद इसका पूरी तरह अनुमान न तो स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन को है और न ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को।

उरई में 5 अगस्त को जिला अस्पताल की इमरजेंसी में जो कुछ हुआ उसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा। इसके बाद सारे डाक्टरों ने इकट्ठा होकर हड़ताल कर दी। उनके शक्ति प्रदर्शन में अगले दिन जालौन में गोली लगने से घायल एक होनहार नौजवान सूर्यप्रताप सिंह को समय पर इलाज न मिलने की वजह से बेवजह जान गंवानी पड़ी। डाक्टर समाज के प्रतिष्ठित वर्ग में आते हैं। उनके सम्मान और सुरक्षा की चिंता अवश्य ही प्राथमिकता के आधार पर होनी चाहिए लेकिन सवाल यह है कि 5 अगस्त और इसके पहले कई बार अस्पताल की इमरजेंसी में तोडफ़ोड़ व मारपीट हुई वह किन लोगों के द्वारा की गई। इस पहलू पर गौर करना चाहिए कि डाक्टरों के साथ घटना करने वाले वे लोग रहे जिनका मरीज जिंदगी और मौत से जूझ रहा था और इस कारण जिनका कलेजा मुंह में था। वे इमरजेंसी में डाक्टरों को अपमानित करने नहीं उन्हें जिंदगी देने वाला फरिश्ता मानकर पहुंचे थे। 

ऐसी परिस्थिति में अच्छे से अच्छा दबंग भी कितना निरीह हो जाता है मनुष्य के मनोविज्ञान को जानने वाले इसका अंदाजा कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में अगर कोई हिंसक होने की हद तक आक्रामक हो जाए तो उसकी वजह साधारण नहीं हो सकती। निश्चित रूप से ऐसी घटनाएं उस उत्तेजनापूर्ण परिस्थिति की देन रही जिनमें कातर लोगों ने देखा कि उनका अपना सरेआम मौत के मुंह में जा रहा है और ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर है कि अपनी अलमस्ती छोडऩे के लिए तैयार नहीं है। अपने को बेमौत मरने देने के लिए कोई तैयार नहीं हो सकता। इस कारण लोगों में आवेश पैदा होना स्वाभाविक है। संगठित वर्ग के दबाव और कानून के दमनकारी इस्तेमाल से ऐसी विस्फोटक स्थितियों को शांत करने की कल्पना मूर्खता पूर्ण है बल्कि इन कोशिशों से संकट और गहराएगा क्योंकि इसमें एकतरफा कार्रवाई पीडि़त पक्ष को किसी भी हद तक कर गुजरने के लिए उकसा सकती है। जाहिर है कि ऐसी स्थितियां पैदा होने पर उनकी कीमत तो आखिर सरकार को ही चुकानी पड़ेगी।

इसलिए सरकार को चाहिए कि वह बयानबाजी करने की बजाय सरकारी अस्पतालों की हालत सुधारे। इमरजेंसी में बेबस मरीजों के तीमारदारों को बाजार से बेजरूरत महंगा इंजेक्शन खरीदने के लिए मजबूर करना, सर्वसुविधा संपन्न होते हुए भी जिला अस्पताल से एक झटके में मरीजों को इसलिए रिफर कर देना कि गैर कानूनी तरीके से अस्पताल में खड़ी रहने वाली प्राइवेट एंबुलेंस और वे जिन दूसरे शहरों के प्राइवेट नर्सिंग होम में मरीज को ले जाने के लिए उसके तीमारदारों को रास्ते में तैयार करते हैं उन नर्सिंग होम से कमीशन मिल सके, सरकारी अस्पताल की दवाएं, पट्टियां, इंजेक्शन ले जाकर घर में मोटी फीस पर क्लीनिक चलाना यह बहुत बड़ा गुनाह है और पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश में यह आम बात हो गई है। 

लोकतंत्र में इलाज के अभाव में गरीब से गरीब आदमी को नहीं मरना चाहिए तभी उसकी सार्थकता है लेकिन डाक्टरों के रवैए की वजह से आज हालत यह है कि गरीब तो छोडि़ए कोई मध्यम वर्गीय व्यक्ति भी स्वास्थ्य संबंधी बड़ी बात हो जाने पर बचाए जाने की संभावना होने के बावजूद मरने के लिए मजबूर है। डाक्टर संगठित हैं लेकिन आम जनता का कोई संगठन नहीं है। नेता भी संगठित लोगों की ही बात करते हैं लेकिन लोकतंत्र में जनता जनार्दन ही अंततोगत्वा भाग्य विधाता होती है। यह बात सरकार को समझ लेनी चाहिए। इस कारण वह बड़े बड़े प्रोजेक्ट के आधार पर राजनीति में बढ़त पाने का सब्जबाग देखना उसे छोडऩा पड़ेगा अगर उक्त बुनियादी व्यवस्थाएं चुनाव तक ध्वस्त बनी रही।



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के  पी  सिंह 
ओरई 
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