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झारखंड में वैन-ट्रक की भिड़ंत, 13 तीर्थयात्री मरे

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झारखंड में शुक्रवार सुबह एक ट्रक और वैन में टक्कर हो गई, जिसमें वैन में सवार 13 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई। हादसे में 12 अन्य लोग घायल हुए हैं। हादसा सुबह करीब छह बजे सरायकेला खरसावां जिले के ईचागढ़ में हुआ। यह जगह राजधानी रांची से करीब 130 किलोमीटर दूर है। वैन सवार तीर्थयात्री ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर बिहार के सीवान जिले में स्थित अपने घर लौट रहे थे।

पुलिस ने बताया कि ट्रक ने वैन में जोरदार टक्कर मारी। वैन में 25 लोग सवार थे। 13 की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बाकी 12 अन्य तीर्थयात्री घायल हुए हैं। उनमें से चार की हालत गंभीर बताई गई है। पीड़ित देवघर के बाबा बैद्यनाथ शिव मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद पुरी गए थे। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने हादसे पर दुख जताया और अधिकारियों को घायलों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के आदेश दिए।

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर (14 अगस्त)

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निःशुल्क महिला स्वास्थ्य शिविरों की बनाई गई सूक्ष्य कार्ययोजना
  • 17 अगस्त से 2 अक्टूबर तक संचालित हांेगे स्वास्थ्य शिविर

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प्रदेश सहित जिले के समस्त स्वास्थ्य संस्थाओं जिला चिकित्सालय, सीएचसी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सिविल अस्पताल तथा ग्राम आरोग्य केन्द्र स्तर पर 17 अगस्त से 2 अक्टूबर 2015 तक आयोजित होने वाले निःशुल्क महिला स्वास्थ्य शिविर की सूक्ष्य कार्ययोजना आज बना दी गई है। इस सिलसिले में जिला कार्यालय में सीहोर जिला प्रभारी एवं उप संचालक स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल डाॅ. प्रज्ञा तिवारी तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की एस.पी.एम.यू. सुश्री अपर्णा मानके सहित मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.आर.के.गुप्ता एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.दिलीप कटैलिहा द्वारा समस्त बी.एम.ओ. से बनावाई गई हैं। ज्ञात हो कि निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का संचालन 17 अगस्त 2015 से संपूर्ण जिले में किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.आर.के.गुप्ता ने बताया कि आयोजित  होने वाले स्वास्थ्य शिविरों का मुख्य उद्देश्य समस्त आयु वर्ग की महिलाओं को विशेषज्ञ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इसके साथ ही महिलाओं में जागरूकता एवं सजगता लाना है। निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों में प्रसूता महिलाओं की चिकित्सकों द्वारा प्रसव पूर्व जांच, आवश्यक प्रयोगशाला जांच, हाई रिस्क का चिन्हांकन एवं एनीमिक महिलाओं का आवश्यकतानुसार प्रबंधन किया जाना है। इस संबंध में आज ग्राम स्तरीय कार्ययोजना बनाई गई। 

सोयाबीन की खेती के लिए किसानो को बर्ड पर्च एवं फिरोमेन ट्रेप लगाने की सलाह

किसान कल्याण एवं कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को सलाह दी है कि जहां सोयाबीन की फसल लगी है वहां पत्ती खाने वाली इल्लियों के प्रकोप की संभावना रहती है। ऐसी स्थिति में किसान फसल में कीटभक्षी पक्षियों के बैठने के लिए बर्ड पर्च एवं फिरोमेन ट्रेप लगाये। वर्षा ऋतु में पत्ती काटने वाली इल्लियां पत्ती न खाते हुए फूलों एवं छोटी फलियों को नुकसान करती है। जिससे अफलन की स्थिति बनने की आशंका रहती है। ऐसी स्थिति में किसानों को सलाह दी है की किसान अपनी फसल का सावधानी से निरीक्षण करे एवं यह सुनिश्चित करे कि उनकी फसल पर इल्लियों का प्रकोप नही है। किसान इल्लियों का प्रकोप दिखने पर सूक्ष्म जीव जैसे ब्यूनेरिया बेसिआना फफूंद अथवा बेसीलस थूरिजिएसिस-बेक्टेरिया अथवा वायरस आधारित कीटनाशक का छिडकाव करे। पत्ती खाने वाले कीडे के लिए रायनेकसीपायर 100 मि.ली.प्रति हेक्टेयर में छिडकाव करे अथवा क्वीनालफास 1.5 लीटर, इण्डोक्लाकार्ब 500 मि.ली. 500 मि.ली.पानी के साथ मिलाकर प्रति हेक्टेयर में  छिडकाव करे। किसानों को सलाह दी है कि सोयाबीन फसल में यदि चक्रभृंग का प्रकोप हो तो फसल पर ट्रायझोफास 800 एस.एल.का छिडकाव करे। किसानों को सलाह दी गई है कि यदि उनके खेत में पानी भरा हो तो पानी को खेतो में अधिक समय तक भरा ना रहने दें अविलंब उसकी निकासी की व्यवस्था करे।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (14 अगस्त)

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गणना सुपरवाइजर एवं सहायक प्रशिक्षित हुए

vidisha news
विदिशा नगरपालिका की मतगणना कार्य 16 अगस्त को जैन काॅलेज में प्रातः नौ बजे से प्रारंभ होगा। उक्त कार्य को सुव्यवस्थित रूप से सम्पादित कराने हेतु नियुक्त गणना सुपरवाइजर एवं सहायकों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण शुक्रवार को जैन काॅलेज में आयोजित किया गया था। प्रेक्षक श्री मोती सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि निर्वाचन प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मतगणना होती है। उन्होंने मतगणना कार्य पूर्ण पारदर्शिता से करने के निर्देश दिए। श्री सिंह ने संबंधितों से कहा कि वे ईव्हीएम से की जाने वाली मतगणना कार्य प्रणाली से भलीभांति प्रशिक्षित हो जाए। गणना संबंधी जो भी शंकाएं हो उसका समाधान अवश्य प्राप्त करें। सहायक रिटर्निंग आफीसर श्री आरपी अहिरवार ने बताया कि विदिशा निकाय की मतगणना कार्य के लिए कुल 90 सुपरवाइजर एवं सहायक नियुक्त किए गए है। मतगणना कार्य स्थल जैन काॅलेज के दो कक्षो में क्रमशः दस-दस टेबिलो पर किया जाएगा। उन्होंने मतगणना टेबिल पर उपलब्ध कराई जाने वाली सामग्री के संबंध में भी जानकारी दी। गणना सुपरवाइजर एवं सहायको को मतगणना के दौरान बरती जाने वाली सावधानियांे के अलावा ईव्हीएम टेबिल पर रखने के दौरान किन-किन बातो से गणना अभिकर्ताओं को अवगत कराया जाना है से एवं गणना के उपरांत अभ्यर्थीवार प्राप्त मतो को अंकित करने, टेबुलेशन करने तथा गणना अभिकर्ताओं को किस क्रम में बैठने की व्यवस्था की जाएगी कि भी विस्तृत जानकारी दी गई। सभी गणना सुपरवाइजर एवं सहायको को ड्यूटी आदेश पत्र के साथ-साथ पहचान पत्र प्रदाय किए जाएंगे। गणना दिवस की प्रातः नियुक्त गणना सुपरवाइजर एवं सहायको की डिकोटिंग की जाएगी ताकि उन्हें उसी समय पता चल सके कि किसी टेबिल पर बैठकर उन्हें मतगणना कार्य करना है। संबंधितों को समझाईंश दी गई कि मतगणना के दौरान अनुशासन बनाएं रखे। नियत टेबिल पर ही कार्यो का सम्पादन करें। गणना सुपरवाइजर एवं सहायको की मदद के लिए एआरओ मौजूद रहेंगे। उनसे कहा गया कि मतगणना के दौरान किसी भी प्रकार की जल्दबाजी ना करें।  प्रशिक्षण में एआरओ श्री चन्द्रमोहन मिश्र ने कहा कि मतगणना कार्य परिशुद्व हो जहां कही भी आरोप प्रत्यारोप हो तो तत्काल संबंधित एआरओ की जानकारी में लाएं। उन्होंने टीमवर्क भावना से गणना कार्य निष्पक्ष निर्विघ्न सम्पन्न कराने की सलाह दी। जिला शिक्षा अधिकारी श्री एचएन नेमा ने ईव्हीएम की कार्यप्रणाली की बिन्दुवार जानकारी दी। उन्होंने गणना सुपरवाइजरों एवं सहायको से कहा कि 16 अगस्त की प्रातः आठ बजे गणना परिसर में पहुंचना एवं नियत टेबिल पर उपस्थित होना सुनिश्चित करें। ठीक प्रातः 8.55 पर ईव्हीएम मशीन टेबिलों पर रखी जाएगी ताकि नौ बजे से गणना कार्य प्रारंभ हो सकें। उन्होंने मतदान केन्द्रों पर ईव्हीएम सील के दौरान लगाई गई पर्ची, कार्ड बोर्ड पर अंकित नम्बर से गणना अभिकर्ताओं को अवगत कराने के उपरांत मतगणना कार्य प्रारंभ करने की सलाह दी। 

प्राधिकारियों को प्रवेश
मतगणना परिसर स्थल जैन काॅलेज में भी उन ही व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाएगा जिनके पास प्राधिकार पत्र होंगे। गणना अभिकर्ता एवं राजनैतिक दलो के पदाधिकारियों को जैन काॅलेज के मुख्य गेट से प्रवेश दिया जाएगा। इनके वाहनो की पार्किंग व्यवस्था जैन स्कूल प्रागंण में की गई है। मीडियाकर्मियों सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारियों को पुलिस लाइन वाले गेट से प्रवेश दिया जाएगा। गणना परिसर में मीडिया कक्ष भी बनाया गया है। जहां मीडियाकर्मियों को बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है उन्हें राउण्डवार मतगणना की जानकारी कक्ष में ही उपलब्ध कराई जाएगी। मीडियाकर्मियों से आग्रह किया गया कि उन्हें जारी किए गए प्रवेश संबंधी परिचय पत्र साथ में अनिवार्य लाएं और संबंधितों द्वारा पूछे जाने वाले उन्हें अवश्य दिखाएं। 

कुपोषण जिले के लिए दाग है-अपर कलेक्टर श्रीमती भदौरिया

vidisha news
विदिशा जिले में यदि कही कोई बच्चा कुपोषित पाया जाता है तो हमारे लिए यह शर्मनाक बात है उक्त विचार अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने शुक्रवार को कुपोषण से जंग सुपोषण के संग कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि विदिशा जिले को कुपोषण जैसे दाग से विमुक्त करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग की महती भूमिका है। वही बच्चों के अभिभावको को कुपोषण कैसे होता है इस बात की जानकारी देने का नैतिक दायित्व हम सबका है। श्रीमती भदौरिया ने कहा कि कार्यशाला के दौरान कुपोषण से विमुक्ति के संबंध में दी जा रही जानकारियों का अक्षरशः क्रियान्वयन ग्रामीण अमला अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में करें। उन्होंने इस कार्य को मिशन के रूप में लेकर विभाग की महिलाएं बढ़-चढ़कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। कार्यशाला में मौजूद चिकित्सकों से श्रीमती भदौरिया ने कहा कि स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान कम वजन के पाए जाने वाले बच्चे को शीघ्र ही एनआरसी में भर्ती कराएं। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री देवेन्द्र सुंदरियाल ने कहा कि सुपोषण अभियान के उद्धेश्यों की प्राप्ति के लिए विभागीय अमले को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिले में सुपोषण अभियान तीन चरणों में आयोजित किया जाएगा। प्रथम चरण सात से 19 सितम्बर तक, द्वितीय चरण दिसम्बर माह की सात से 19 तक अंतिम चरण सात मार्च से 19 मार्च 2016 तक क्रियान्वित किया जाना है। उन्होंने बताया कि आज आरबीएसके की टीम के साथ विभागीय अमला समन्वय कर कुपोषित बच्चों की स्केनिंग कार्य करेगा। उक्त अवधि में आंगनबाडी कार्यकर्ता चाइल्ड प्रोफाइल कार्ड, गृह भेंट एवं ग्राम मेपिंग पुस्तिका में बिन्दुवार जानकारी अंकित करें और एमआईएस में डाटा एण्ट्री कार्य किया जाएगा। जिला पंचायत के सभागार कक्ष में सम्पन्न हुई उक्त कार्यशाला में समस्त परियोजना अधिकारी, सुपरवाईजर मौजूद थे।

वन मंत्री डाॅ शैजवार ध्वजारोहण कर परेड की सलामी लेंगे

विदिशा जिला मुख्यालय पर आयोजित होने वाले 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस समारोह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के वन, जैव विविधता एवं जैव प्रौद्योगिकी मंत्री डाॅ गौरीशंकर शैजवार होंगे। मुख्य समारोह स्थल पर मिनिट टू मिनिट आयोजित होने वाले कार्यक्रमो की रूपरेखा इस प्रकार से है। 15 अगस्त की प्रातः 8.59 बजे मुख्य अतिथि का आगमन, प्रातः नौ बजे ध्वजरोहण एवं राष्ट्रीय गान, प्रातः 9.05 बजे परेड का निरीक्षण, प्रातः 9.10 बजे मुख्यमंत्री जी के संदेश का वाचन, प्रातः 9.25 बजे मार्चपास्ट, प्रातः 9.40 बजे छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं व्यायाम का प्रदर्शन, प्रातः 10.10 बजे पुरस्कार वितरण और प्रातः 10.25 बजे मुख्य अतिथि का कार्यक्रम स्थल से रवाना होंगे।

मध्यान्ह भोजन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ गौरीशंकर शेजवार ग्राम सुनपुरा में आयोजित मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में भी शामिल होंगे।

शुष्क दिवस आज

स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को जिले में शुष्क दिवस घोषित करने के आदेश कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री एमबी ओझा द्वारा जारी कर दिए गए है। जारी आदेश में उल्लेख है कि 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस को विदिशा जिले की समस्त देशी, विदेशी मदिरा दुकानों से मदिरा विक्रय एवं मद्य भण्डारगारों से मदिरा परिवहन निषिद्व किया गया है। कलेक्टर श्री ओझा ने जिला आबकारी अधिकारी को जारी आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए है। 

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (14 अगस्त)

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राजधानी सहित पूरे प्रदेश की स्वच्छ व सुन्दर छवि बनाने के लिए विशेष पहल 

uttrakhand news
देहरादून, 14 अगस्त (निस)। राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल का कहना है कि गुलामी से देश को आजाद करने का महात्मा गाँधी का सपना 15 अगस्त, 1947 में ही पूरा हो चुका है जिसका जश्न हम सब 68 वर्षों से मना रहे हैं किन्तु स्वच्छ भारत के उनके सपने को पूरा करना आजाद देश के प्रत्येक नागरिक का नैतिक दायित्व है। स्वच्छता अभियान को जन आन्दोलन के रूप में चलाकर आजादी के महान आन्दोलनकारी को विनम्र श्रद्धंाजलि दी जा सकती है। ‘स्वच्छ भारत अभियान‘ के तहत एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में शामिल 28 राज्यों की राजधानियों में उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून और हरिद्वार की स्थिति से चिन्तित राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पाल ने राजधानी सहित पूरे प्रदेश की स्वच्छ व सुन्दर छवि बनाने के लिए विशेष पहल शुरू कर दी है। सकारात्मक परिणामों के लिए राज्यपाल ने राज्य में स्थापित प्रतिष्ठित सार्वजनिक और निजी संस्थानो का सहयोग लेने का निर्णय लिया है। इसके अन्तर्गत चरणबद्ध और योजनाबद्ध रूप से कार्य करने के लिए राज्यपाल ने राज्य की राजधानी देहरादून और तीर्थ नगरी हरिद्वार को प्राथमिकता पर लिया गया है। अपनी इस पहल को मूर्त रूप देने के लिए उन्होनें ओ.एन.जी.सी., बी.एच.ई.एल. हरिद्वार, एस.बी.आई, जैसे प्रतिष्ठित सार्वजनिक व निजी संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों सहित सिडकुल तथा नगर निगम देहरादून के एम.एन.ए के साथ आज एक महत्वपूर्ण बैठक कर गहन वैचारिक मंथन किया गया। बैठक में सक्रिय समाज सेवी व उद्यमी डा. फारूख को भी आमंत्रित किया गया था। उन्होंने प्रत्येक प्रतिष्ठान से अपेक्षा की कि वे दोनों शहरों के चिन्हित क्षेत्रों को गोद लेकर शहर की तस्वीर बदलने में सहयोग करें क्योंकि स्वच्छता की छवि के साथ ही राज्य का विकास जुड़ा हुआ है।

गोरीपार में भाजपा की महापंचायत 16 को

पिथौरागढ़। 14 अगस्त (निस)। भारतीय जनता पार्टी 16 अगस्त को गोरीपार क्षेत्र के जौलढूंगा में फिर महापंचायत आयोजित करेगी। क्षेत्र की षिक्षा, बिजली,पैदल पुल और खाद्यान्न की समस्या का अभी तक हल नहीं निकलने पर क्षेत्र वासियों में गहरा आक्रोष व्याप्त है। मुख्यमन्त्री की विधान सभा में गोरीपार क्षेत्र की लगातार हो रही उपेक्षा के खिलाफ आर-पार का संघर्श छेड़ने की रणनीति महापंचायत में बनायी जा रही है। भाजपा के विधान सभा प्रभारी जगत मर्तोलिया ने बताया कि गोरीपार क्षेत्र की जनता और उप जिलाधिकारी मुनस्यारी के बीच जो समझौता हुआ था वह लागू नहीं किया जा रहा है। कांग्रेस सरकार लगातार राजनीतिक द्वेश भावना से गोरीपार क्षेत्र की जनता के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। इसके खिलाफ 13 गांव के लोगों की महापंचायत बुलाई गयी है। इस महापंचायत में सरकार के खिलाफ संघर्श करने की रणनीति बनायी जा रही है। 

हाईस्कूल कनार में पांच कक्षाओं के लिए दो षिक्षक, दो माह बाद भी नहीं पहुंची षिक्षिका
  • भाजपा व युमद ने सीईओ से की षिकायत 

पिथौरागढ़। 14 अगस्त (निस)। धारचूला तहसील के कनार हाईस्कूल में पांच कक्षाओं के लिए मात्र दो अध्यापक तैनात है। मोटर मार्ग से 18 किमी. की दूरी पर स्थिति हाईस्कूल कनार में षिक्षकों के नहीं होने से षिक्षण व्यवस्था ठप चल रही है। एक इण्टर कालेज से स्थानान्तरित षिक्षिका दो माह बाद भी कनार नहीं पहुंच पायी। इस बात नराज अभिभावकों के साथ ही भाजपा ने मुख्य षिक्षा अधिकारी से षिकायत की। उन्होंने गेस्ट टीचर के माध्यम से कनार में सृजित पदों पर नियुक्ति करने की मांग की। हाईस्कूल कनार इस तहसील के सबसे दूरस्थ क्षेत्र में स्थित है। वर्श 2012 में कनार हाईस्कूल का उच्चीकरण तो कर दिया गया लेकिन हाईस्कूल में षिक्षको की व्यवस्था अभी तक नहीं की गयी। हाईस्कूल में 90 से अधिक छात्र-छात्राओं की पांच कक्षाओं के लिए मात्र दो षिक्षक तैनात है। विद्यालय में लिपिक भी तैनात नहीं है। एक षिक्षक के पास प्रधानाचार्य का कार्यभार है तो दूसरा षिक्षक कार्यालय जिम्मेदारी भी उठाता है। कुल मिलाकर हाईस्कूल कनार की षिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। मुख्यमन्त्री की विधान सभा होने के बाद भी प्रत्येक सप्ताह एक पत्र मुख्यमन्त्री को ग्रामीण हस्ताक्षर डाक द्वारा भेज रहे है। बंगापानी में दौरे के दौरान मुख्यमन्त्री के सम्मुख हाईस्कूल की दषा को रखा गया। उसके बावजूद प्रदेष सरकार, क्षेत्रीय विधायक और मुख्यमन्त्री हरीष रावत ही षिक्षा विभाग को इस हाईस्कूल में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की भविश्य की कोई चिन्ता नहीं है। भाजपा विधान सभा प्रभारी जगत मर्तोलिया, युवक मंगल दल कनार के अध्यक्ष भगत सिंह परिहार के नेतृत्व में आज मुख्य षिक्षा अधिकारी से मुलाकात की गयी। बताया गया कि एक इण्टर कालेज से दो माह पूर्व दो जुलाई को स्थानान्तरित अध्यापिका अभी तक कनार नहीं पहुंच पायी है। इस सन्दर्भ में भी विभाग के आला अफसरों को जानकारी दी गयी। लेकिन किसी ने कोई कदम नहीं उठाया। भाजपा नेता जगत मर्तोलिया ने कहा कि मुख्यमन्त्री विधान सभा में षिक्षा व्यवस्था को बुरा हाल है। विद्यालयों में मात्र 10 प्रतिषत षिक्षक भी मौजूद नहीं है। उसके बाद भी विधायक होने के नाते हरीष रावत चुप्पी सादे हुये है। उन्होंने कहा कि अगर कनार में षिक्षकों की तैनाती नहीं हुई तो कनार में ही भूख हड़ताल षुरू की जायेगी।

सानिया को खेल रत्न की पुष्टि, श्रीजेश, रोहित, जीतू को मिलेगा अर्जुन पुरस्कार

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केंद्रीय खेल मंत्रालय ने शुक्रवार को दिग्गज टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा को देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किए जाने की पुष्टि की। मंत्रालय ने इसके अलावा क्रिकेट स्टार रोहित शर्मा, हॉकी गोलकीपर पी.आर श्रीजेश और दिग्गज निशानेबाज जीतू राय सहित 17 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार से नवाजने की घोषणा की।

इनके अलावा अर्जुन पुरस्कार से नवाजे जाने वाले 17 खिलाड़ियों में पहलवान बजरंग और बबीता कुमारी, पुरुष एकल बैडमिंटन खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत, मुक्केबाज मंदीप जांगरा, नाविक स्वर्ण सिह, 400 मीटर धाविका एम.आर पुवम्मा, तीरंदाज संदीप कुमार, 2014 राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता जिमनास्ट दीपा कारमाकर, कबड्डी खिलाड़ी मंजीत चिल्लर और अभिलाषा शशिकांत मात्रे, रोलर स्केटर अनुप कुमार यामा, भारोत्तोलक एस.सतीश कुमार, वुशु एथलीट वाई.सनाथोइ और पैरा-स्विमर सरथ एम.गायकवाड के नाम शामिल हैं। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि इस साल इन पुरस्कारों के लिए नामांकन की भारी संख्या देखी गई थी। न्यायमूर्ति वी.के बाली की अध्यक्षता में चयन समिति ने इन नामों पर विचार कर चुनाव किया। 

ईरान से संबंधों को उच्च प्राथमिकता देता है भारत : मोदी

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भारत दौरे पर आए ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मोदी ने उनसे कहा कि ईरान से संबंधों को भारत उच्च प्राथमिकता देता है। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है, "प्रधानमंत्री ने मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति हसन रोहानी से हुई मुलाकात को याद किया और कहा कि ईरान से रिश्ता भारत की उच्च प्राथमिकता में शामिल है।" मोदी ने परमाणु मसले पर दुनिया की छह शक्तियों के साथ ईरान के करार पर खुशी जताई और जरीफ को इसके लिए बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह बंदरगाह न सिर्फ भारत और ईरान के लिए बल्कि अफगानिस्तान और मध्य एशिया क्षेत्र के लिए फायदेमंद साबित होगा। दोनों नेताओं के बीच पश्चिम एशिया, अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया के हालात पर चर्चा हुई। जरीफ ने कहा कि ईरान, भारत को अपना रणनीतिक साझीदार मानता है। उन्होंने कहा हम मुश्किल समय में भारत से मिले समर्थन को कभी भूल नहीं सकेंगे।  जरीफ ने मोदी को ईरान आने का न्योता दिया। मोदी ने इस पर अपनी सहमति जताई और कहा कि यात्रा की तारीख राजनयिक जरियों से तय कर ली जाएगी।

सायना सेमीफाइनल में, कांस्य सुरक्षित

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भारत की अग्रणी महिला बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल शुक्रवार को यहां जारी विश्व चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंच गईं। इसके साथ सायना ने अपने लिए कम से कम कांस्य पदक पक्का कर लिया। विश्व की दूसरी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी सायना ने क्वार्टर फाइनल में चीन की यिहान वांग को 21-15 19-21 21-19 से हराया। यह मैच एक घंटे 12 मिनट चला।

इन दोनों के बीच यह 12वीं भिड़ंत थी। नौ बार वांग विजयी रहीं हैं जबकि तीन मौकों पर सायना की जीत हुई है। अगले दौर में सायना का सामना इंडोनेशिया की लिंडावेनी फिंतेरी से होगा, जिन्होंने शुक्रवार को चीनी ताइपे की ताए जू यिंग को 14-21, 22-20, 21-12 से हराया। 

कांग्रेस मोदी सरकार के अच्छे कामकाज से घबराई : रविशंकर

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि कांग्रेस बाधाएं पैदा करने वाली राजनीति पर अमल कर रही है। पार्टी ने इसकी वजह भी बताई है। कहा कि मोदी सरकार 'इतना अच्छा काम'कर रही है कि कांग्रेस घबरा उठी है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, "पिछला बजट सत्र बहुत सफल रहा था। कई महत्वपूर्ण विधेयक पास हुए थे। तभी राहुल गांधी ने सोचा कि विधेयक पारित हो रहे हैं और सरकार पहले से अच्छा काम कर रही है। तो, इसलिए अब मुद्दे उठाओ और सदन को न चलने दो।"

प्रसाद ने लोकसभा अध्यक्ष के घर के बाहर कांग्रेस के प्रदर्शन की आलोचना की। उन्होंने कहा, "इसके पहले के लोकसभा अध्यक्षों से हमारा रुख भी अलग होता था, लेकिन हमने तो कभी ऐसा नहीं किया।"उन्होंने सोनिया गांधी से इस पर उनकी राय पूछी और कहा कि बतौर एक महिला वह खुद जानती होंगी कि अर्ध नग्न प्रदर्शनकारियों का होना कितना गलत है।

उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को लोकतंत्र पर कांग्रेस से सबक सीखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने सोनिया गांधी के अध्यक्ष के आसन के सामने प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि किसी पार्टी के मुखिया ने ऐसा पहले कभी नहीं किया। प्रसाद ने कहा, "कांग्रेस का रवैया आलोकतांत्रिक है।"साथ ही कहा कि सरकार अपना अच्छा काम जारी रखेगी।

थोक महंगाई दर रिकार्ड निचले स्तर पर

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थोक महंगाई दर जुलाई में नकारात्मक 4.05 फीसदी दर्ज की गई, जो जून में नकारात्मक 2.4 फीसदी थी। ईंधन महंगाई में 12.8 फीसदी गिरावट ने इस गिरावट में प्रमुख भूमिका निभाई। यह जानकारी शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़े से मिली। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित थोक महंगाई दर जुलाई 2015 में लगातार नौवें महीने नकारात्मक दायरे में रही। थोक महंगाई दर जुलाई 2014 में 5.41 फीसदी थी। यह दर गत वर्ष अक्टूबर से नकारात्मक दायरे में है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, इस दौरान प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई नकारात्मक 3.66 फीसदी, ईंधन महंगाई नकारात्मक 12.81 फीसदी और विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई नकारात्मक 1.47 फीसदी रही।

खाद्य महंगाई दर नकारात्मक 1.16 फीसदी रही, जो जून में 2.88 फीसदी थी और एक साल पहले समान अवधि में 8.47 फीसदी थी। इस दौरान आलू, सब्जी, फल, चावल, अनाज और प्याज जैसी प्रमुख खाद्य वस्तु सस्ती हुई। इस दौरान आलू 49.27 फीसदी सस्ता हुआ। सब्जियां 24.52 फीसदी, फल 4.48 फीसदी, चावल 2.86 फीसदी, अनाज 1.57 फीसदी और प्याज 0.49 फीसदी सस्ता हुए। अंडे, मछली, मांस, दूध आधारित उत्पाद और दाल हालांकि इस बीच महंगा हुए। जुलाई में दलहन 35.75 फीसदी महंगा हुआ। दूध और दूध आधारित उत्पाद 5.30 फीसदी, अंडा, मछली और मांस 2.52 फीसदी महंगा हुए। पेट्रोल इस दौरान 13.33 फीसदी सस्ता हुआ। डीजल 16.75 फीसदी और रसोई गैस 5.02 फीसदी सस्ता हुआ। उल्लेखनीय है कि उपभोकता महंगाई दर भी जुलाई में घटकर 3.78 फीसदी रही है।

थोक और उपभोक्ता महंगाई दर में गिरावट से निवेशकों में उम्मीद जगी है कि भारतीय रिजर्व बैंक नीति दर में कटौती कर सकता है। जायफिन एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवेंद्र नेवगी ने आईएएनएस से कहा, "थोक और उपभोक्ता महंगाई के आंकड़े उम्मीद से बेहतर हैं और बाजार की आरबीआई से दरों में कटौती करने उम्मीद बढ़ी है।"आरबीआई ने जनवरी 2016 तक उपभोक्ता महंगाई दर को छह फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य तय किया है। इन आंकड़ों का शेयर बाजारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा और बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 518 अंकों की तेजी के साथ बंद हुआ।

भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "इस गिरावट से आरबीआई के लिए अगली मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले ही दर घटाने का पक्ष प्रबल हुआ है। खासतौर से इसलिए भी कि औद्योगिक गतिविधियों में सुस्ती छाई हुई है।"फेडरेशन ऑफ चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष ज्योत्स्ना सूरी ने कहा, "इस समय घरेलू मांग को स्थायी तौर पर बढ़ाने की जरूरत है, जिससे क्षमता उपयोग बढ़ेगा और आखिरकार निवेश में तेजी आएगी।"एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, "एसोचैम को विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में लगातार हो रही गिरावट से भी चिंता हो रही है, क्योंकि इससे उद्योग की मूल्य निर्धारण करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे कंपनियों का लाभ भी घट सकता है।"

ग्रीस संसद में तीसरे बेलआउट समझौते को मंजूरी

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ग्रीस की संसद ने शुक्रवार को तीसरे बेलआउट समझौते के मसौदे को मंजूरी दे दी। संसद में इस पर 17 घंटे तक बहस हुई। सरकारी दैनिक 'टू विमा'के मुताबिक, संसद में समझौते के पक्ष में 222 और विपक्ष में 64 मत पड़े। जबकि 11 सदस्य अनुपस्थित रहे। प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास सरकार के लिए चिंता की बात यह रही कि सत्ता पक्ष के 31 सदस्यों ने विरोध में मतदान किया और 11 सदस्य अनुपस्थिति रहे। करीब 85 अरब यूरो (95 अरब डॉलर) के तीसरे बेलआउट की एवज में ग्रीस ने कर बढ़ाने और खर्च घटाने की शर्त स्वीकार कर ली है।

सिप्रास ने कर्जदाताओं से हुइ बातचीत में अपनी सरकार की नीतियों का पक्ष लिया और कहा कि बेलआउट समझौता आवश्यक था। उन्होंने कहा, "17 घंटे की चर्चा इस बात पर केंद्रित नहीं रही कि बेलआउट लिया जाए या दीवालिया हुआ जाए, बल्कि चर्चा यह हुई कि यूरो के साथ रह कर बेलआउट लिया जाए या यूरो से अलग होकर।"प्रधानमंत्री ने कहा, "मेरी सोच स्पष्ट है। हमारे लिए सर्वोत्तम यही है कि हम यूरोप में मौजूदा सत्ता संतुलन के बीच ही इसे हासिल करें।"

बीबीसी के मुताबिक, यूरोजोन के सदस्य देशों के वित्तमंत्री भी शुक्रवार को इस समझौते पर चर्चा कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सिप्रास अगले सप्ताह संसद में विश्वास मत पेश कर सकते हैं। ग्रीस को 20 अगस्त तक यूरोपीय केंद्रीय बैंक को लगभग 3.2 अरब यूरो (करीब 3.5 अरब डॉलर) कर्ज चुकाना है। यदि यह समझौता नहीं हो पाता, तो यूरोपीय केंद्रीय बैंक ग्रीस के बैंकों को आपात कोष देने से मना कर सकता था।

झारखंड में 5 दिन में 30 तीर्थयात्रियों की मौत

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झारखंड में शुक्रवार को एक सड़क हादसे में 13 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई, जिससे राज्य में पिछले पांच दिनों में मरने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है। बिहार के सीवान जिले के 25 लोग वैन से ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर गए थे। वहां से लौटते वक्त उनकी वैन की एक ट्रक से टक्कर हो गई, जिससे वैन में सवार 13 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि उसमें सवार 12 अन्य लोग घायल हो गए।

हादसा सुबह करीब छह बजे सरायकेला खरसावां जिले के ईचागढ़ में हुआ। यह जगह राजधानी रांची से करीब 130 किलोमीटर दूर है। कोडरमा जिले में बुधवार को हुए एक अन्य सड़क हादसे में भी छह तीर्थयात्रियों की जान गई। वे लोग देवघर के शिव मंदिर में पूजा-अर्चना कर लौट रहे थे।

वहीं, सोमवार को देवघर में हुई भगदड़ में 11 श्रद्धालु मारे गए थे। इस घटना ने राज्य सरकार को प्रशासनिक विफलता स्वीकारने के लिए मजबूर कर दिया। इस मामले में उपायुक्त अमित कुमार और पुलिस अधीक्षक पी. मुरुगन को कर्तव्य में लापरवाही बरतने पर निलंबित कर दिया गया।

पूर्व सैनिकों को जंतर-मंतर पर धरना जारी रखने की अनुमति

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'वन रैंक वन पेंशन'की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जून से ही धरना दे रहे पूर्व सैनिकों को पुलिस ने शुक्रवार को जंतर-मंतर से जबरन हटा दिया, लेकिन बाद में इसे जारी रखने की इजाजत दे दी। पुलिस और नागरिक कर्मियों ने स्वतंत्रता दिवस से पहले सुरक्षा के मद्देजनर पूर्व सैनिकों को जबरन जंतर-मंतर से हटाया, जिसके बाद दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की भी हुई। पुलिस उपायुक्त विजय सिंह ने बताया कि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद ने स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर सुरक्षा कारणों से सभी प्रदर्शनकारियों को अपने अभियान के तहत धरनास्थल से हटाया था।

पूर्व सैन्य कर्मियों ने हालांकि यह कहते हुए धरनास्थल से हटने से इंकार कर दिया था कि उनके पास धरने की इजाजत है। इसके बाद कुछ पुलिस कर्मियों ने वहां लगा तंबू गिरा दिया और वहां लगे एक जनरेटर को ले जाने की कोशिश की। इस पर पुलिसकर्मियों और पूर्व सैन्यकर्मियों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई। युनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स-सर्विसमैन के प्रवक्ता कर्नल अनिल कौल (सेवानिवृत्त) ने कहा, "हमने विरोध-प्रदर्शन करने की इजाजत ली हुई थी और शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे। यह कार्रवाई तो हमसे पिंड छुड़ाने की कोशिश है, क्योंकि उनके पास हमारी मांगों का कोई जवाब नहीं है।"

मामले को लेकर चौतरफा आलोचना होती देख अधिकारियों ने यूटर्न लिया और प्रदर्शनकारियों को धरना जारी रखने की इजाजत दे दी। कौल ने बाद में आईएएनएस को बताया, "हमें केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन जारी रखने की मौखिक अनुमति दे दी है।"उन्होंने कहा, "हम हटना नहीं चाहते थे। धक्का-मुक्की में कुछ लोग घायल हुए हैं, लेकिन उन्हें मामूली चोट ही आई हैं।"वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मामले की भनक लगते ही तुरंत घोषणा की कि वह पूर्व सैन्य कर्मियों को समर्थन देने जंतर-मंतर जाएंगे।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने धरनारत पूर्व सैनिकों को जंतर-मंतर से जबरन हटाए जाने की निंदा की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्वतंत्रता दिवस पर पूर्व सैन्यकर्मियों की यह मांग मान लेने का आग्रह किया।  केजरीवाल ने सवालिया लहजे में कहा, "पूर्व सैनिकों को जबरन जंतर-मंतर से हटाया गया? अजीब है। उन्होंने कल तक हमारी हिफाजत की और अब वे स्वतंत्रता दिवस की सुरक्षा के लिए खतरा हो गए?"उन्होंने कहा, "केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने एक साल के भीतर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के दूसरे कार्यकाल जैसा बर्ताव शुरू कर दिया है।"

केजरीवाल ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री से कल (स्वतंत्रता दिवस) लाल किले की प्राचीर से हमारे पूर्व सैनिकों के लिए ओआरओपी की मांग स्वीकार करने की घोषणा करने का आग्रह करता हूं।"यदि 'वन रैंक वन पेंशन'लागू होती है, तो लगभग 25 लाख पूर्व सैन्यकर्मियों को इसका लाभ मिलेगा।

मोदी बिहार में फोर लेन सड़क की आधारशिला रखेंगे

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 18 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक जनसभा को संबोधित करने जब बिहार पहुंचेंगे तो वह यहां पटना तथा बक्सर को जोड़ने वाली फोर लेन सड़क की आधारशिला भी रखेंगे। सहरसा में भाजपा की एक जनसभा को संबोधित करने से पहले प्रधानमंत्री भोजपुर जिले के आरा शहर का दौरा करेंगे, जो राज्य की राजधानी पटना से करीब 60 किलोमीटर दूर है।

भोजपुर के जिलाधिकारी बीरेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने जिला प्रशासन को प्रधानमंत्री मोदी के फोर लेन स्थल के दौरे से वाकिफ कराया। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मोदी पहले ही मुजफ्फरपुर तथा गया में चुनावी जनसभाएं कर चुके हैं।

जीएसटी विधेयक का विरोध नहीं किया : गुलाम नबी आजाद

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कांग्रेस ने शुक्रवार को सरकार के उन दावों को खारिज किया जिसके मुताबिक, उसने मानसून सत्र के दौरान वस्तु एवं सेवा कर विधेयक का विरोध किया और इस बात पर जोर दिया कि पार्टी ही इस कानून की लेखक है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, "यह आरोप कि कांग्रेस जीएसटी विधेयक का विरोध कर रही है निराधार, दुर्भावनापूर्ण तथा पूरी तरह झूठ है। जीएसटी विधेयक की लेखक और वास्तुकार कांग्रेस रही है और कई सालों तक विभिन्न मौकों पर भाजपा इसका विरोध करती रही है।"

आजाद ने कहा कि सबसे कड़ा विरोध गुजरात सरकार तथा गुजरात के वित्त मंत्री की ओर से आया। उन्होंने कहा, "मैं इस बात को स्पष्ट करना चाहूंगा कि जीएसटी विधेयक के लटकने की जिम्मेदार भाजपा है।"उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने करोड़ों लोगों की भावनाओं के सम्मान में ललित मोदी तथा व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) मुद्दे को उठाया और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा राजस्थान व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल करने के कर्तव्यों से बंधी है।  उन्होंने कहा, "देश के लोगों के लिए यह मुद्दा गहरी चिंता का विषय है और इसे संसद में भी तवज्जो दी जाएगी।"

आजाद ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार एकजुट विपक्ष की चिंताओं का समाधान करने व इसका सच सामने लाने में पूरी तरह नाकाम रही है। बेहद बेशर्मी से उसने संसद में कार्यवाही में बाधा का आरोप सामान्य तौर पर विपक्ष और विशेष तौर पर कांग्रेस के सिर मढ़ दिया।"जीएसटी विधेयक पारित कराने को लेकर सरकार संसद का एक विशेष सत्र बुलाने पर विचार कर रही है, की रपटों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "इस बारे में न तो हमें भरोसे में लिया गया और न ही हमें कोई आधिकारिक जानकारी है। यह (विशेष सत्र) केवल अफवाह है। यदि सरकार की ऐसी कोई योजना है, तो शिष्टाचार और लोकतंत्र की मांग है कि विपक्ष को भरोसे में लिया जाए।"वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि सरकार अगले साल अप्रैल से जीएसटी प्रणाली को लागू करने के प्रति दृढ़ है।

एक टेस्ट में सबसे अधिक कैच का रिकार्ड रहाणे के नाम

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किसी एक टेस्ट मैच में सबसे अधिक कैच लेने का रिकार्ड अब भारत के अजिंक्य रहाणे के नाम दर्ज हो गया है। रहाणे ने गॉल में श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में कुल आठ कैच लपके। इससे पहले किसी भी खिलाड़ी ने एक टेस्ट में सात से अधिक कैच नहीं लपके थे। सात कैच लपकने वालों में आस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल, भारत के यजुवेंद्र सिंह, श्रीलंका के हसन तिलकरत्ने, न्यूजीलैंड के स्टीवन फ्लेमिंग और आस्ट्रेलिया के मैथ्यू हेडन का नाम शामिल है।

चैपल ने 1974 में पर्थ में इंग्लैंड के खिलाफ एक मैच में सात कैच लिए थे। इसे 1977 में यजुवेंद्र सिंह ने तोड़ा और फिर उनका रिकार्ड तिलकरत्ने ने 1992 में तोड़ा। फ्लेमिंग ने 1997 में और हेडन ने 2004 में एक मैच में सात कैच लपके। रहाणे की बात करें तो वह श्रीलंका की पहली पारी में तीन और दूसरी पारी में पांच कैच लपकने में सफल रहे। इसमें कुमार संगकारा का भी कैच शामिल है, जो दूसरी पारी में 40 रन बनाकर आउट हुए।

ओआरओपी क्रियान्वयन की निश्चित तारीख दें मोदी : राहुल गांधी

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार सेना में वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) कब लागू करने जा रही है, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक निश्चित तारीख देनी चाहिए। राष्ट्रीय राजधानी में जंतर मंतर पर मुद्दे को लेकर प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों के समर्थन में राहुल ने कहा, "सरकार ने ओआरओपी का वादा किया था, जिसे पूरा किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री को एक खास तारीख देनी चाहिए।" उन्होंने कहा, "यदि वे यह वादा करते हैं कि किसी खास तारीख के दिन ओआरओपी के क्रियान्वयन का वादा पूरा कर दिया जाएगा, तो प्रदर्शन खत्म कर दिया जाएगा। उन्हें केवल एक चीज कहने की जरूरत है कि किसी खास दिन इसका क्रियान्वयन कर दिया जाएगा।"

राहुल ने कहा, "इन लोगों ने देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है। वे सीमा पर शहीद हो गए। उन्हें यहां विरोध-प्रदर्शन करने की इजाजत दी जानी चाहिए।"प्रदर्शन कर रही एक पूर्व सैनिक की पत्नी उस समय भड़क गईं, जब राहुल गांधी प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे और मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, "हम यहां 62 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं, वह पहले क्यों नहीं आए? इस दौरान वह कहां थे? हम अपने प्रदर्शन का राजनीतिकरण करने या किसी राजनीतिज्ञ द्वारा इस मुद्दे को उठाने की मंजूरी नहीं देंगे।"

यदि ओआरओपी का क्रियान्वयन किया जाता है, तो इससे 25 लाख पूर्व सैनिक लाभान्वित होंगे। इससे पहले, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यहां प्रदर्शन स्थल से पूर्व सैनिकों को हटाए जाने की आलोचना की थी और प्रधानमंत्री से ओआरओपी की उनकी मांग को 15 अगस्त को स्वीकार करने की अपील की थी।

'जुमला बाबू'घूम रहे हैं, झांसे में नहीं आना है : नीतीश

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 'जुमला बाबू'कहकर तंज कसते हुए कहा कि वे रि झांसा देने के लिए घूम रहे हैं। पटना के एस. क़े मेमोरियल हॉल में कबीर महोत्सव के मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "बाहर के लोग बिहार आकर बिहारियों का अपमान कर रहे हैं। बिहार को जलील कर रहे हैं। फिर झांसा देने के लिए घूम रहे हैं। दिल्ली में सरकार बनाने के लिए लोगों को किस तरह से भ्रमित किया, सभी को मालूम है।"

उन्होंने आगे कहा, "भाजपा के लोग जो बोलते हैं वह करते नहीं। आजकल प्रधानमंत्री हर आठ-दस दिन पर बिहार आ रहे हैं। बहुत बात बोलेंगे और बाद में भूल जाएंगे।"मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह के काले धन और गरीबों के खाते में 15 से 20 लाख यूं ही आ जाएंगे वाले भाषणों का अडियो टेप सुनाया। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष अमित साह के उस साक्षात्कार का ऑडियो भी सुनाया, जिसमें उन्होंने इसे जुमला व भाषण देने का अंदाज बताया था। 

मुख्यमंत्री ने इन भाषणों का संदर्भ लेते हुए कहा कि जुमला बाबू आएंगे, झांसे में नहीं आइएगा। बिहार पान स्वांसी, चौपाल बुनकर उत्थान महासंघ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आए लोगों से मुख्यमंत्री ने 30 अगस्त को गांधी मैदान में आयोजित स्वाभिमान रैली में आने की अपील की। 

विशेष आलेख : क्या फलित हो पाया है आजादी का सपना?

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पन्द्रह अगस्त हमारे राष्ट्र का गौरवशाली दिन है, इसी दिन स्वतंत्रता के बुनियादी पत्थर पर नव-निर्माण का सुनहला भविष्य लिखा गया था। इस लिखावट का हार्द था कि हमारा भारत एक ऐसा राष्ट्र होगा जहां न शोषक होगा, न कोई शोषित, न मालिक होगा, न कोई मजदूर, न अमीर होगा, न कोई गरीब। सबके लिए शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा और उन्नति के समान और सही अवसर उपलब्ध होंगे। मगर कहां फलित हो पाया हमारी जागती आंखों से देखा गया स्वप्न? कहां सुरक्षित रह पाए जीवन-मूल्य? कहां अहसास हो सकी स्वतंत्र चेतना की अस्मिता?

आजादी के अनेक वर्ष बीत गए पर आज भी आम आदमी न सुखी बना, न समृद्ध। न सुरक्षित बना, न संरक्षित। न शिक्षित बना और न स्वावलम्बी। अर्जन के सारे सूत्र सीमित हाथों में सिमट कर रह गए। स्वार्थ की भूख परमार्थ की भावना को ही लील गई। हिंसा, आतंकवाद, जातिवाद, नक्सलवाद, क्षेत्रीयवाद तथा धर्म, भाषा और दलीय स्वार्थों के राजनीतिक विवादों ने आम नागरिक का जीना दुर्भर कर दिया।

स्वतंत्रता दिवस का हर भारतीय के मन में गहरा उत्साह है, आदर है। छोटा ही सही लेकिन यह हमारे जीवन का एक अहम पड़ाव तो है ही, जो हमें थोड़ा ठहरकर अपने बीते दिनों के आकलन और आने वाले दिनों की तैयारी का अवसर देता है। एक राष्ट्र की तरह एक समाज, एक व्यक्ति के जीवन में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान है। स्वतंत्रता दिवस की दस्तक एक आह्वान है कि हम आजादी के लम्हों की वास्तविक समीक्षा करें। इस ऐतिहासिक अवसर पर हम जहां अतीत को खंगालें वहीं भविष्य के लिए नये संकल्प बुनें। हमें यह देखना है कि आजादी का एक और बीता हुआ वर्ष हमें क्या संदेश देकर जा रहा है और उस संदेश का क्या सबब है। जो अच्छी घटनाएं बीते वर्ष में हुई हैं उनमें एक महत्वपूर्ण बात यह कही जा सकती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जनजागृति का माहौल बना। लेकिन जाते हुए वर्ष ने अनेक घाव दिये हैं, जहां महंगाई  एक ऐसी ऊंचाई पर पहुंची, जहां आम आदमी का जीना दुश्वार हो गया है। साफ-सुथरी राजनीतिक की जिनसे अपेक्षाएं थी उनकी पार्टी की बड़ी हस्तियों के घोटालों की त्रासदी का उजागर होना भी लोकतंत्र की सांसों को कमजोर ही कर रहा है। इधर आम आदमी की वकालत करने वाली पार्टी ने जितने भी चुनावी वायदें किये, वे सभी धीरे-धीरे धराशाही हो रहे है। बड़ी खूबसूरती से जनता की जेबें काटी जा रही है।  

नवीन आर्थिक घटनाओं के संकेत हैं कि हम न सिर्फ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं बल्कि किसी भी तरह का झटका झेलने में सक्षम है। इस साल सेंसेक्स ने लगातार ज्वारभाटा की स्थिति बनाए रखी। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में गिरावट एवं बैंक की ब्याज दरों में भी गिरावट के संकेतों से कुछ आशाएं बांधी है। जब दुनिया की बड़ी आर्थिक एवं राजनीतिक सत्ताएं धराशायी होती हुई दिख रही है  तब भी भारत ने स्वयं को संभाले रखा, यही वह मुकाम है जहां पहुंच कर आजादी का वास्तविक स्वाद आता हुआ दिख रहा है। लेकिन क्या यह सच है या सपना। अभी भी सपना जैसा ही है जिसे सच में बदलना हमारी आजादी का संकल्प होना चाहिए।

मनुष्य का जीवन आज भी विडम्बनापूर्ण और यातनापूर्ण स्थिति से गुजर रहा है।। दुःख-दर्द भोगती और अभावों-चिन्ताओं में रीतती उसकी हताश-निराश जिन्दगी आजादी के अहसास को कमतर करती है। आज भी वह हर मुकाम पर स्वयं को ठगा-सा महसूस करता है। उसकी उत्कट आस्था और अदम्य विश्वास को राजनीतिक विसंगतियों, सरकारी दुष्ट नीतियों, सामाजिक तनावों, आर्थिक दबावों, प्रशासनिक दोगलेपन और व्यावसायिक स्वार्थपरता ने लील लिया है। लोकतन्त्र भीड़तन्त्रा में बदल गया है। दिशाहीनता और मूल्यहीनता बढ़ रही है, प्रशासन चरमरा रहा है। भ्रष्टाचार के जबड़े खुले हैं, साम्प्रदायिकता की जीभ लपलपा रही है और दलाली करती हुई कुर्सियां भ्रष्ट व्यवस्था की आरतियां गा रही हैं। उजाले की एक किरण के लिए आदमी की आंख तरस रही है और हर तरफ से केवल आश्वासन बरस रहे हैं। सच्चाई, ईमानदारी, भरोसा और भाईचारा जैसे शब्द शब्दकोषों में जाकर दुबक गये हैं। व्यावहारिक जीवन में उनका कोई अस्तित्व नहीं रह गया है।

आशा की ओर बढ़ना है तो पहले निराशा को रोकना होगा। इस छोटे-से दर्शन वाक्य में आजादी का आधार छुपा है। मनुष्य में जो कुछ उदात्त है, सुंदर है, सार्थक और रचनामय है, वह सब जीवन दर्शन है और यही जीवन दर्शन आजादी के संकल्प बुनने का आधार है।  खेल के मैदान से लेकर पार्लियामेंट तक सब जगह अनियमितता एवं भ्रष्टाचार  है। गरीब आदमी की जेब से लेकर बैंक के खजानों तक लूट मची हुई है।  छोटी से छोटी संस्था से लेकर सर्वोच्च नीति-नियामक संस्थानों तक सभी जगह लाॅबीवाद फैला हुआ है। साधारण कार्यकत्र्ता से लेकर बड़े से बडे़ धार्मिक महंतों तक में राजनीति आ गई है। पंच-पुलिस से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक निर्दाेष की कहीं कोई सुनवाई नहीं है। भगवान की साक्षी से सेवा स्वीकारने वाला डाक्टर भी रोगी से व्यापार करता है। जिस मातृभूमि के आंगन में छोटे से बड़े हुए हैं, उसका भी हित कुछ रुपयांे के लालच में बेच देते हैं। पवित्र संविधान की शपथ खाकर कुर्सी पर बैठने वाला करोड़ों देशवासियों के हित से पहले अपने परिवार का हित समझता है। नैतिक मूल्यों की गिरावट की सीमा लांघते ऐसे दृश्य रोज दिखाई देते हंै। इन सब स्थितियों के बावजूद हमें स्वतंत्रता के संकल्पों के साथ अपना नजरिया बदलना होगा। जो खोया है उस पर आंसू बहाकर प्राप्त उपलब्धियों से विकास के नये रास्ते खोलने हैं। इस बात को अच्छी तरह समझ लेना है कि अच्छाइयां किसी व्यक्ति विशेष की बपौती नहीं होतीं। उसे जीने का सबको समान अधिकार है। जरूरत उस संकल्प की है जो अच्छाई को जीने के लिये लिया जाये। भला सूरज के प्रकाश को कौन अपने घर में कैद कर पाया है?

आजादी के एक और महत्वपूर्ण वर्ष को अलविदा कहते हुए हमें सकारात्मक होना होगा। तमाम तरह की तकलीफों एवं परेशानियों के बावजूद लोगों की आमदनी कई गुना बढ़ी है। वे बेहतर खा-पहन रहे हैं, बेहतर तालीम पा रहे हैं, गरीबी की मार कम हुई है, गांवों में भी कुछ तो रोशनी दिखाई देती है। अब भी आप कहते हो कि ये सब तो ठीक, लेकिन भाई, अमीर-गरीब का फासला तो बढ़ा है, पल्यूशन कितना बढ़ चुका है, जिंदगी का मतलब टेंशन हो गया है और अब तो पूरी दुनिया खतरे में आ गई है... तो कोफ्त होना लाजिमी है। लेकिन कब तक हम-आप तरक्की की सराहना-प्रशंसा करने से बचने के लिए खामियां तलाशते रहेंगे? मैं समझता हूं, तारीफ से बचने और खामियां खोजने का यह बेमिसाल जज्बा इस मुल्क का कोई निराला गुण है। आखिर हम ऐसे क्यों है?

सदियों की गुलामी और स्वयं की विस्मृति का काला पानी हमारी नसों में अब भी बह रहा है। भारत ने पता नहीं कितनी सदियों से खुद को आगे बढ़ता नहीं देखा। यह लंबा इतिहास, जो हमारी परम्पराओं में पैठ चुका है, हमें भविष्य को लेकर ज्यादा आशावादी होने से बचना सिखाता है। यह जंगल का सरवाइकल मंत्र है कि डर कर रहो, हर आहट पर संदेह करो, हर चमकती चीज को दुश्मन समझो और नाराजगी कायम रखो। इसलिए अगर आमदनी बढ़ रही है, तो उसमें जरूर कोई दमघोंटू फंदा छिपा होगा। तरक्की जरूर बर्बादी की आहट होगी, आजादी में गुलामी के बीज जरूर मौजूद होंगे। इन मानसिकताओं से उबरे बिना हम वास्तविक तरक्की की ओर अग्रसर नहीं हो सकते । जीवन की तेजस्विता के लिये हमारे पास तीन मानक हैं- अनुभूति के लिये हृदय, चिन्तन और कल्पना के लिये मस्तिष्क और कार्य के लिये मजबूत हाथ। यदि हमारे पास हृदय है पर पवित्रता नहीं, मस्तिष्क है पर सही समय पर सही निर्णय लेने का विवेकबोध नहीं, मजबूत हाथ हैं पर क्रियाशीलता नहीं तो आजादी की सार्थक तलाश अधूरी है।

आज देश के जो जटिल हालात बने हुए है, उनमें यह प्रसंग हमारे लिये प्रेरणा बन सकता है। बहुत पुरानी बात है। एक राजा ने एक पत्थर को बीच सड़क पर रख दिया और खुद एक बड़े पत्थर के पीछे जाकर छिप गया। उस रास्ते से कई राहगीर गुजरे। किन्तु वे पत्थर को रास्ते से हटाने की जगह राजा की लापरवाहियों की जोर-जोर से बुराइयां करते और आगे बढ़ जाते। कुछ दरबारी वहां आए और सैनिकों को पत्थर हटाने का आदेश देकर चले गए। सैनिकों ने उस बात को सुना-अनसुना कर दिया, लेकिन पत्थर को किसी ने नहीं हटाया।

उसी रास्ते से एक किसान जा रहा था। उसने सड़क पर रखे पत्थर को देखा। रुककर अपना सामान उतारा और उस पत्थर को सड़क के किनारे लगाने की कोशिश करने लगा। बहुत कोशिशों के बाद अंत में उसे सफलता मिल गई। पत्थर को हटाने के बाद जब वह अपना सामान वापस उठाने लगा तो उसने देखा कि जहां पत्थर रखा हुआ था वहां एक पोटली पड़ी है। उसने पोटली को खोलकर देखा। उसमें उसे हजार मोहरें और राजा का एक पत्र मिला। जिसमें लिखा था- यह मोहरें उसके लिए हैं, जिसने मार्ग की बाधा को दूर किया।  यह प्रसंग हर बाधा में हमें अपनी स्थिति को सुधारने की प्रेरणा देती है।

समय के इस विषम दौर में आज आवश्यकता है आदमी और आदमी के बीच सम्पूर्ण अन्तर्दृष्टि और संवेदना के सहारे सह-अनुभूति की भूमि पर पारस्परिक संवाद की, मानवीय मूल्यों के पुनस्र्थापना की, धार्मिक, राजनैतिक, सामाजिक और चारित्रिक क्रांति की। आवश्यकता है कि राष्ट्रीय अस्मिता के चारों ओर लिपटे अंधकार के विषधर पर आदमी अपनी पूरी ऊर्जा और संकल्पशक्ति के साथ प्रहार करे तथा वर्तमान की हताशा में से नये विहान और आस्था के उजालों का आविष्कार करे।





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(ललित गर्ग)
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विशेष : तो यह अत्यंत कल्याणकारी सिद्ध होगा

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चतुर्दिक स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारियों के मध्य भारतीयों को भारत विभाजन का स्मरण और उस पर टीस उत्पन्न होना भी स्वाभाविक है, और यह भी सत्य है कि वर्तमान समय में हर भारतीय के मन में कहीं न कहीं देश विभाजन का दर्द अवश्य ही पलता रहा है । कुछ लोगों के अनुसार हाल के दिनों में भारत, भारतीय और भारतीयता और अखंड भारत का मुद्दा एक बार पुनः तेजी से उभरा है। पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक और भावनात्मक कई ऐसी वजहें हैं जिससे लोगों का बिश्वास इस बात पर मजबूत हुआ है कि भारत अपने बिछड़े हिस्सों के साथ एक होकर रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में दक्षेश देशों के प्रमुखों के आने और फिर उनकी विदेश यात्राओं को लेकर भी बुद्धिजीवियों ने इस मुद्दे की ओर साफ इशारे किए हैं।

अखंड भारत या वृहत्तर भारत के रूप में ब्रिटिश कालीन भारत के नक़्शे के विपरीत  इतिहासकारों ने माना है कि 1947 में विशाल भारतवर्ष का पिछले दो हजार पांच सौ सालों में हुआ 24वां भौगोलिक और राजनीतिक विभाजन था। 1857 से 1947 के बीच अंग्रेजों ने तो भारत को सात बार ही तोड़ा। विगत दो सौ वर्षों में अपनी एक तिहाई जमीन खो चुके भारत देश को इतिहासकारों ने ईरान, वियतनाम, कंबोड़िया, मलेशिया, फिलीपींस, श्रीलंका, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तिब्बत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और बर्मा से जोड़ा है। वहीं धार्मिक प्रवृति के लोग अखंड भारत के रूप में वाल्मिकी रामायण के नवद्वीप भारत का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। आज से मात्र 1255 वर्ष पहले तक अखंड भारत की सीमा में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश, बर्मा, इंडोनेशिया, कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया, जावा, सुमात्रा, मालदीव और अन्य कई छोटे-बड़े क्षेत्र हुआ करते थे। हालांकि सभी क्षेत्र के राजा अलग अलग होते थे लेकिन कहलाते थे सभी भारतीय जनपद। आज इस संपूर्ण क्षेत्र को अखंड भारत कहा जाता है। आज जिसे हम भारत कहते हैं, वह उसका कुछ अंश ही है, जिसका नाम हिन्दुस्तान है। पहले भारत अखंड और वृहत था। जाति, भाषा, प्रांत और धर्म के नाम पर अखंड भारत को खंड-खंड कर दिया गया। 

पुरातन इतिहास के अनुसार प्राचीन जम्बूद्वीप से लेकर आज का सिमटा भारत अर्थात हिन्दुस्तान संपूर्ण क्षेत्र में पूर्व में आर्यों अर्थात हिन्दुओं का वास था। जहां तक प्राचीन भारतवर्ष का संबंध है तो इसकी सीमाएं हिन्दुकुश से लेकर अरुणाचल, कश्मीर से कन्याकुमारी तक और एक ओर जहां पूर्व में अरुणाचल से लेकर इंडोनेशिया तक और पश्चिम में हिन्दुकुश से लेकर अरब की खाड़ी तक फैली थीं। लेकिन समय और संघर्ष के चलते अब भारत 'इंडिया'बन गया है। 

सम्पूर्ण पृथ्वी को यदि जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण किया जाता है तो सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते हैं, के निवासी भारतवासी मने जाते हैं हैं। इस जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है। हिमालय पर्वत में विश्व की सर्वाधिक ऊँची चोटी सागरमाथा, गौरीशंकर हैं, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरेस्ट नाम देकर इसकी प्राचीनता व पहचान को बदलने का कूटनीतिक षड्यंत्र रचा। भारतवासी पृथ्वी पर जिस भू-भाग अर्थात् राष्ट्र के निवासी हैं उस भू-भाग का वर्णन अग्नि,वायु एवं विष्णु पुराण में लगभग समानार्थी श्लोक के रूप में अंकित है -

उत्तरं यत् समुद्रस्य, हिमाद्रश्चैव दक्षिणम्।
वर्ष तद् भारतं नाम, भारती यत्र संतति।।

अर्थात्- हिन्द महासागर के उत्तर में तथा हिमालय पर्वत के दक्षिण में जो भू-भाग है उसे भारत कहते हैं और वहां के समाज को भारती या भारतीय के नाम से पहचानते हैं। जम्बू द्वीप और भारत राष्ट्र अर्थात देश के सनातन विचार का स्पष्ट प्रमाण भारतीय समाज में किसी भी शुभ कार्य पर संकल्प करने की प्रचलित एक सनातन परम्परा संकल्प स्वयं में एक महत्वपूर्ण प्रमाण है। संकल्प में काल की गणना एवं भूखण्ड का विस्तृत वर्णन करते हुए, संकल्प कर्ता  की पहचान अंकित करने की आदि सनातन काल से निर्बाद्ध चली आ रही परम्परा है। उसके अनुसार संकल्प में भू-खण्ड की चर्चा करते हुए बोलते (दोहराते) हैं कि जम्बूद्वीपे (एशिया) भरतखण्डे (भारतवर्ष) यही शब्द प्रयोग होता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि हिमालय, हिन्द महासागर, आर्यान (ईरान) व इण्डोनेशिया के बीच के सम्पूर्ण भू-भाग को आर्यावर्त अथवा भारतवर्ष अथवा हिन्दुस्तान कहा जाता है। 

यह ऐतिहासिक तथ्य है कि ई. सन् 1800 अथवा उससे पूर्व के विश्व के देशों की सूची में वर्तमान भारत के चारों ओर जो आज देश पाये जाते हैं उस समय देश नहीं थे। भले ही इनमें स्वतन्त्र राजसत्ताएं थीं,परन्तु सांस्कृतिक रूप में ये सभी भारतवर्ष के रूप में एक थे और एक-दूसरे के देश में आवागमन (व्यापार, तीर्थ दर्शन, रिश्ते, पर्यटन आदि) पूर्ण रूप से बे-रोकटोक होता था। इन सभी राज्यों की भाषाएं व बोलियों में अधिकांश शब्द बाज भी संस्कृत के ही हैं। मान्यताएं व परम्पराएं भी समान हैं। खान-पान, भाषा-बोली, वेशभूषा,संगीत-नृत्य, पूजापाठ, पंथ सम्प्रदाय में विविधताएं होते हुए भी एकता के दर्शन होते थे और आज भी होते हैं। जैसे-जैसे इनमें से कुछ राज्यों में भारत इतर यानि विदेशी पंथ (मजहब-रिलीजन) आये तब अनेक संकट व सम्भ्रम निर्माण करने के प्रयास हुए।

यह सर्वसिद्ध तथ्य है कि भारतीय उपमहाद्वीप से ज्यादा सांस्कृतिक, राजनैतिक, सामरिक और आर्थिक हमले और कहीं नहीं हुए हैं। ऐसे उतार-चढ़ाव के मध्य भारतीय इतिहास में यह परिवर्तन क्यों नहीं हो सकता अर्थात ऐसी तब्दीली क्यों आ सकती जो जर्मनी बंटने के 50 वर्षों के भीतर ही वहां मुमकिन होती देखी गई। बर्लिन की दीवार ढह गई । दो हजार सालों के बाद इजरायल का गठन भी किसी मजबूत उदाहरण से कम नहीं। स्मरणीय है कि मोहम्मद गोरी के आखिरी हमले के बाद से लेकर आज तक भारत के इतिहास ने कई उल्लेखनीय करवटें ली हैं।

गौरतलब है कि वृहत्तर भारत की योजना को यूरोपीय महासंघ (यूई) के समान भी देखने की कोशिशें की जाती रही  है। भारत और उसके बिछ़ड़े हिस्सों अथवा पड़ोसी देशों (चीन के अतिरक्त) में हो रही कठिनाइयों, दिक्कतों का हवाला भी दिया जाता रहा है । इसमें कोई संदेह नहीं कि विभाजन से भारत और साथी देशों का बड़ा नुकसान हुआ है। व्यापार, पर्यटन, तीर्थ दर्शन, रिश्ते, पर्वतमाला, नदियों, खानपान, वेशभूषा, भाषा- बोली तक प्रभावित हुआ है। बंगाल, पंजाब, कश्मीर की पूरी भूसंस्कृति टूटी। साझी विरासत, साझे पूर्वज, महापुरुष, साझा इतिहास तक पर बुरा असर पहुंचा है और अपूरणीय क्षति हुई है । 1857 में भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग कि.मी. था। वर्तमान भारत का क्षेत्रफल 33 लाख वर्ग कि.मी. है। नौ पड़ोसी देशों का क्षेत्रफल 50 लाख वर्ग कि.मी. बनता है। चीनी, कपड़ा, कपास, चावल, पेट्रोल तक के कारोबार के साथ ही राजनीति, खेल, युद्ध, मनोरंजन जैसे मुद्दे भी नुकसान से बचे नहीं रहे। विश्व इतिहास साक्षी है कि यूनानी (रोमन-ग्रीक), यवन, हूण, शक, कुषाण, सीरियन, पुर्तगाली, फ्रेंच, डच, अरब, तुर्क, तातार, मुगल और अंग्रेज सभी हमलावरों ने भारतवर्ष (हिन्दुस्तान) पर आक्रमण किया है। इन पुराने हमलावरों के द्वारा अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मलेशिया या बांग्लादेश पर आक्रमण किये जाने का कोई उल्लेख विश्व इतिहास में प्राप्त नहीं होता  ।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति और विश्व इतिहास के जानकारों के अनुसार, अगर इन दस देशों का समूह बन जाए तो प्रत्येक देश से भय को मिटाने की सामूहिक कोशिश अंततः सफल होगी, और राजनीति वोटबैंक से बाहर आएगी। प्रतिवर्ष रक्षा मद के हजारों करोड़ों रुपये बचेंगे और चतुर्दिक समग्र व सर्वांगीण विकास पर इसे खर्च किया जा सकेगा। नागरिकों को आसानी व सहूलियत होने के कारण भारतीय परंपराएं, सभ्यता और इतिहास सुरक्षित और इसके साथ ही हमारा भविष्य, सुंदर और विकसित होगा। भूमंडल के सार्वकालिक और सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक विभुतियों में से एक श्रीअरविंद ने अपने जन्मदिन और वर्तमान भारतीय स्वाधीनता के समय 15 अगस्त 1947 के प्रारंभिक क्षणों में ही रेडियो त्रिची से अपने संबोधन में विभाजन को कृत्रिम मानते हुए इसके दोबारा एकीकरण को स्वाभाविक और अपरिहार्य होने की भविष्यवाणी की थी। जिसके स्मरण में आज भी कुछ लोग चौदह अगस्त को अखंड भारत दिवस के रूप विविध आयोजनों का आयोजन किया करते हैं ।इतिहास के विचार से इन सभी देशों का एक होना चालीस वर्ष, स्तर वर्ष अथवा दो-तीन सौ वर्ष पूर्व अर्थात देश के टूटने से बड़ी और महत्वपूर्ण व अहम घटना होगी। इसके लिए इन सभी देशों में कई समन्वयकारी ताकतें एकजुट होकर काम कर सकती हैं । सबों का साथ आना ही ऐतिहासिक होगा। ऐसा जियोकल्चरल तौर पर अखंड भारत के रूप में, या फिर सोशियो-पॉलीटिकल तौर पर वृहत्तर भारतीय महासंघ के रूप में संभव हो सकता है । अगर ऐसा हो सकेगा तो यह अत्यंत कल्याणकारी सिद्ध होगा ।






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-अशोक “प्रवृद्ध”-

आलेख : रहम की भीख माँगना भी चाहूँ तो किससे कहूँ.........

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भारतीय लोकतंत्र विश्व के प्राचीनतम लोकतंत्र की श्रेणी में माना गया है.लोकतंत्र में हर समस्या का समाधान सिर्फ और सिर्फ बातचीत है .संसद में बातचीत को रोकना लोकतंत्र की हत्या करने जैसा है.हर मुद्दे पर हमे अपनी बात रखने का हमारा मौलिक अधिकार है और इस अधिकार से किसी को रोका भी नही जाना चाहिए तबतक जबतक की किसी अन्य के भावना; आस्था या संवेदना पर अघात नही होता हो. भारत में तो आतंकी को भी उसके बात को रखने की आजादी होती है .पूरा विश्व ने देखा अभी हाल में ही आतंकी देशद्रोही याकूब मेमन को जब फांसी की सज़ा दी गयी तो उसे फांसी से घंटों पूर्व तक अपनी बात रखने की इजाजत ही नही बल्कि आधी रात को देश का शीर्ष न्यायालय बैठा और आतंकी की बात को सूना . 

फिर अपने आपको १३० साल पुरानी पार्टी मानने वाले राजनितिक दल ने जो रवैया मानसून सत्र में अपनाया वह लोकतंत्र के लिए घातक था .मानसून सत्र को जिस तरह से विपक्ष ने वाधित रखा वह संसदीय परम्परा की स्वस्थ व्यवस्था तो कभी नही कहा जा सकता.अगर किसी के प्रति कोई आरोप आप लगाते हैं तो आपको उसकी बात सुनने का भी दम रखना चाहिए .विशेषकर जब संसद चल रहा हो तो मीडिया में बोलने के बजाय संसद में बोलते और सुनते तो सांसदों की मर्यादा में चार चाँद लग जाता . 

भारतीय लोकतन्त्र की विडम्बना है की जिसके ऊपर आरोप लगे उसे अपनी बात कहने की भी इजाजत संसद में नही मिल रही थी .भारत के जनता जिसे संसद में बहस करने के लिए भेजा वो संसद के बजाय सड़कों और मिडिया में अपनी कपोलकल्पित कथाये बाचती रही.ऐसे में भारत के विदेश मंत्री जिसने अपराध किया या नही उसे आप मिडिया ट्राइल के द्वारा उनके चरित्र हनन का जो प्रयास किया वह अत्यंत निंदनीय है.कहा गया है की अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करती है और फिरकापरस्तों की ज़मात जिसने कभी लोकतंत्र में विश्वास ही नही रखा वैसे लोग और उनके खेवनहार को उनके अप्राकृतिक कर्मो के कारण भारत के महान जनता के द्वारा सिरे से खारिज कर देने के बाद भी उसके बचे खुचे लोग आज लोकतंत्र का गला घोंटने को उतारू हैं.

राजनितिक परिवार की पालकी ढ़ोते-ढ़ोते अपनी पीढियां खपाने वालों में अब वो दम नही की सही क्या और गलत क्या है? देश हित में वो सोच सके ?इन पालकी ढ़ोने वालों की यही मानसिक दिवालियापन इन परिवारों की राजनितिक अस्तित्व का आधार है जिसे निकट भविष्य में क्षय होना ही देश हित है. मुझे फिरकापरस्त कांग्रेस को देखकर शोले का वो सम्वाद स्मरण हो आया जिसमे एक कलाकार कहता है –“आधे इधर जायो, आधे उधर जायो, शेष मेरे पीछे आयो”.वही दशा आज संसद में फिरकापरस्त कांग्रेस की हो गयी है.भारत की परम्परा रही है-“अकेले चलो कारवां बनता चला जाएगा” लेकिन तब जब आप सच्चे और देश हित को लेकर चलोगे. लेकिन फिरकापरस्त कांग्रेस के साथ क्या हुआ? चला तो कारवां लेकर किन्तु रह गया अकेला? क्यों?क्योंकि कांग्रेस जैसे सत्तालोभी जिसने सत्ता के लिए देश बाँट दिया हो ,अपने हित के लिए आपत्काल लगा कर अंग्रेजों को भी शर्मसार कर दिया हो उससे देशहित की बात सोचना बालू से तेल निकालने जैसा ही है .

खैर कुछ दिनों में ही अन्य राजनितिक दलों को फिरकापरस्त कांग्रेस की परिवारवाद में सिमटी कलुषित नियति का आभाष हुआ और देश हित में इसे नकार संसद में लौट कर लोकतंत्र के प्रति आस्था व्यक्त किया. कहा गया है की _”समय लौट कर नही आता” आखिर पुरे १७६ घंटो का मानसून सत्र ११९ घंटे बाधित करने वाले लोगों से देश की जनता ये जानना चाहती है की आखिर किस मुद्दे पर आपने संसद ठप्प कर जनता के गाढ़ी कमाई के १९३ करोड़ रूपये अपनी जिद के लिए फूंक दी? 

लोकसभा में श्री मल्लिकार्जुन खड्गे जी के जो सात वचन की बात स्मरण कराये  उन सात वचनों में एक भी वचन की अवहेलना वर्तमान विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने नही की थी फिर इतने दिनों तक संसद को बंधक रखने का अधिकार इन फिरकापरस्तों को किसने दी थी?इतने दिनों तक मिथ्या आरोपों के सहारे देश के विदेश मंत्री का चरित्र हनन करते रहे वो अपनी सफाई देने के लिए दरवाजा खोजती रही .क्या यही लोकतंत्र है ?क्या ऐसा रवैया विपक्ष को करनी थी ? उनके लिए उर्दू की एक शेर उनकी सारी व्यथा को दर्शाती है— “रहम की भीख मांगना भी चाहूँ तो किससे कहूँ ,शहर का शहर कातिल के तरफदारों में है.” 

२१ जुलाई १५ से संचालित संसद सत्र में लगभग पूरा विपक्ष फिरकापरस्त कांग्रेस के फेंके जाल में फंसकर संसद के मानसून सत्र को हो-हंगामा की बारिश में धुलने का अलोकतांत्रिक कार्य किया .जो आरोप सात विन्दुओं में विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर लगया था उन सातों प्रश्नों का सिलसिलेबार ढंग से श्रीमती सुषमा स्वराज ने रखी.सरकार की और से जबाव देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जो तकनिकी पक्ष रखा उससे कांग्रेस का चरित्र वेनाकाव हो गया .सारी गलतियाँ यूपीए सरकार की थी और आरोप मोदी सरकार पर लगा रही थी वर्तमान सरकार को चाहिए की जिस ललित मुद्दे को लेकर फिरकापरस्तों की ज़मात कांग्रेस देश की आर्थिक प्रगति को अवरुद्ध किये हुए है उस मुद्दे को दवाने में जिस जिस का हाथ है उसपर देशद्रोह का मुकदमा दायर हो.

२०१० से २०१४ तक ललित मोदी पर जो आरोप लगे है उसमे एक भी धारा गैरजमानती नही था .देश के किसी कोर्ट में वो वांछित नही है खुद कोर्ट ने उस व्यक्ति के पासपोर्ट को बहाल करने की अनुमति दे रखी हो वैसे में उस व्यक्ति को आप किस आधार पर भगोड़ा कहते हो?इतना ही नही यूपीए सरकार के जमाने में ललित मोदी वैध पासपोर्ट के सहारे ब्रिटेन चले जाते है और उसके भारत से विदेश चले जाने के बाद उस व्यक्ति के खिलाफ देश में लाईट ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया जाता है .तीन तरह के कॉर्नर नोटिस में एक लाईट ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी होने का मतलब है की कोई व्यक्ति अपने देश के घरेलू हवाई अड्डे पर यदि दीखता है तो उसे बाहर जाने से रोका जाय .अब ललित मोदी तो देश से बाहर पूरी वैधानिक तरीको से जा चुका है उसके बाद इस तरह का लाईट ब्लू कॉर्नर नोटिस करना यूपीए सरकार की अपराधिओं से मिलीभगत होना दर्शाता है और जो लोग उस समय इस कुकृत्य में संलिप्त था वैसे देशद्रोहियो को क्यों नही सजा मिलनी चाहिए? परिवार की जकडन में दबा कांग्रेस अपनी दुर्गति के बाद भी देशद्रोही कुकृत्य करने से बाज़ नही आता.अब भी समय है मिथ्या आरोपों के बजाय सार्थक देशहित मुद्दों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर संसद में तथ्यों के साथ अपनी बात रख अपने को सत्ता के मारीचिका से बाहर निकाल ये स्वीकार करे की देश की जनता उसे नकार चुकी है.






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---संजय कुमार आजाद---
रांची-834002 
फोन-9431162589 
मेल azad4sk@gmail.com 
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