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प्रधानमंत्री के वादा के बावजूद बिहार को विशेष दर्जा नहीं मिला-नीतीश

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य को विशेष दर्जा दिये जाने का वादा किया था लेकिन केन्द्र में उनकी सरकार के 15 महीने के कार्यकाल के बाद भी अब तक इस दिशा में कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी है । श्री कुमार ने यहां अपने सरकारी आवास में आयोजित ..जनता के दरबार में मुख्यमंत्री ..कार्यक्रम के बाद संवाददाताओ से बातचीत में कहा कि श्री मोदी ने पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान वादा किया था कि केन्द्र में उनकी सरकार बनने पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा . विशेष पैकेज और विशेष ध्यान दिया जायेगा । उन्होंने कहा कि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के 15 महीने के बाद भी अब तक विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गयी है । उन्होंने कहा कि इसके विपरीत सरकार ने संसद में यह घोषणा की कि उसके पास बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने से संबंधित कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है । 

मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे यह स्पष्ट हो गया है कि श्री मोदी सिर्फ वादा और घोषणा में विश्वास रखते है लेकिन इसे पूरा करने के लिए गंभीर नहीं रहते । उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार देने का भी वादा किया गया था लेकिन अभी तक युवा श्री मोदी के वादे के अनुरूप रोजगार मिलने का सिर्फ इंतजार ही कर रहे है । उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब इस तरह के झूठे वादे को समझ गयी है और फिर इसमें फंसने वाली नहीं है । श्री कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के कल पटना आगमन पर वह उनका स्वागत करने के लिए जय प्रकाश नारायण हवाई अड्डे पर जायेंगे । उन्होंने स्पष्ट किया कि वह आरा में होने वाले कार्यक्रम में श्री मोदी के साथ शरीक नहीं होंगे । उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी :भाजपा: के नेता सिर्फ संवाददाता सम्मेलन कर झूठ का प्रचार करते है और इनके अलावा उन्हें कोई काम नहीं है । उन्होंने कहा कि पार्टी का कार्य तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ:आरएसएस: के कार्यकर्ता ही कर देते है । 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना के गांधी मैदान में 30 अगस्त को होने वाली महागठबंधन की रैली ऐतिहासिक होगी । उन्होंने कहा कि इस रैली की सफलता के लिए पूरी तैयारी की जा रही है । उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर महागठबंधन के घटक दलों का कार्यकर्ता सम्मेलन का भी आयोजन किया जायेगा ताकि रैली की सफलता के लिए मजबूती से तैयारी हो पाये । उन्होंने कहा कि महागठबंधन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी .राकांपा: के लिए तीन सीटें छोड़ी गयी है । श्री कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सेवानिवृत सैन्यकर्मियों के लिए वन रैंक-वन पेंशन का वादा किया था लेकिन इसे अब तक पूरा नहीं किया गया जबकि सरकार के 15 माह का कार्यकाल समाप्त हो चुका है । उन्होंने कहा कि यह बताया जा रहा है कि इसकी गणना की जा रही है लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन:संप्रग: सरकार ने भी इसकी गणना करायी थी । उन्होंने कहा कि वादा करने समय ही यह सोचना चाहिए था कि इसे कैसे लागू किया जायेगा ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों की शिकायतों के निवारण के लिए मॉनसून सत्र में विधानमंडल में एक विधेयक पारित किया गया है और इसे अधिनियम का रूप देने के बाद लागू किया जायेगा । उन्होंने कहा कि इसे लागू करने के पूर्व संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा ताकि समय सीमा के अंदर लोगों के शिकायत के निवारण में कोई समस्या पैदा न हो । उन्होंने कहा कि यह शायद अंतिम जनता दरबार कार्यक्रम है क्योंकि अगले कार्यक्रम के पहले चुनाव की घोषणा किये जाने की संभावना है । उन्होंने कहा कि चुनाव की घोषणा होने पर आचार संहिता लागू हो जाता है और फिर इसके कारण इस कार्यक्रम को आयोजित करना संभव नहीं हो पाता । 

भारत में दस खरब डॉलर के निवेश की संभावनाएं: मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के उद्योगपतियों से भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करने का आह्वान करते हुए कहा कि देश में तुरंत दस खरब डॉलर के निवेश की संभावनाएं मौजूद हैं। श्री मोदी ने यूएई दौरे के दूसरे दिन पूरी तरह सौर ऊर्जा और गैर परंपरागत स्रोतों पर आधारित मसदर सिटी में स्थानीय व्यवसायियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में अब फैसला लेने वाली सरकार है जिसके पास पूर्ण बहुमत है। 

उन्होंने कहा कि भारत ने बीमा, रेलवे और रक्षा विनिर्माण सहित कई क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोला है। उन्होंने कहा कि देश में नवीकरणीय ऊर्जा, बंदरगाहों और किफायती आवास के क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं हैं।

75 अरब डॉलर का बनेगा भारत-यूएई ढाँचागत निवेश कोष

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भारत में रेलवे, बंदरगाह, सड़कों, हवाई अड्डों और औद्योगिक गलियारों के क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के तेजी से विस्तार के लिए 75 अरब डाॅलर का निवेश जुटाने के वास्ते भारत- संयुक्त अरब अमीरात (यूएई ) ढाँचागत निवेश कोष की स्थापना की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी और अाबू धाबी के युवराज मोहम्मद बिन जायेद अल नाह्यान के बीच आज यहाँ हुई शिखर बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में यह जानकारी दी गई। सूत्रों का कहना है कि यूएई की निवेश की प्रतिबद्धता चीन और जापान से भी अधिक है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री की चीन और जापान यात्रा के दौरान दोनों देशों ने बड़े निवेश के समझौते किये थे। वक्तव्य के अनुसार, भारत में उभर रहे निवेश के नये अवसरों के मद्देनज़र यूएई अपने वित्तीय संस्थानों को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा। 

पचहत्तर अरब डॉलर का निवेश कोष स्थापित कर उसके माध्यम से भारत में रेलवे, बंदरगाहों, सड़कों, हवाई अड्डों, औद्योगिक गलियारों सहित अगली पीढ़ी के आधारभूत ढांचे के विस्तार में याेगदान किया जाएगा। भारतीय कंपनियों को यूएई में ढाँचागत विकास में भागीदारी की सुविधा मिलेगी। दोनों देश ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देंगे जिसमें भारत में पेट्रोलियम पदार्थों के रणनीतिक भण्डारण के विकास सहित कई क्षेत्रों में यूएई की साझेदारी शामिल होगी। दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देंगे और अगले पाँच साल में कारोबार में 60 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य हासिल करने के लिए अपने अपने संसाधनाें का उपयोग करेंगे। यूएई लघु एवं मध्यम उद्यमों के क्षेत्र में भारत की विशेषज्ञता का लाभ उठाकर एक बड़ा औद्योगिक बेस तैयार करेगा। यूएई के शैक्षणिक संस्थानों तथा भारत के विश्वविद्यालयों एवं उच्च अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग मजबूत किया जाएगा। 

भारत एवं यूएई नवीकरणीय ऊर्जा, सतत विकास, बंजर भूमि में खेती, मरुस्थलीय पारिस्थतिकी, शहरी विकास एवं उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं तथा अंतरिक्ष खासकर उपग्रह प्रक्षेपण सहित विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिक सहभागिता को बढ़ावा देंगे। भारत ने यूएई के अल आईन में पश्चिम एशिया का पहला अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने तथा 2021 में मंगल मिशन शुरू करने की योजना की सराहना की। दोनों देश स्वास्थ्य, कृषि, विज्ञान एवं तकनीक सहित विभिन्न क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए भी सहयोग करेंगे। वक्तव्य में कहा गया है कि भारत में आर्थिक सुधार तो तेजी से हो रहा है और वहाँ निवेश एवं कारोबार का माहौल सुधर रहा है जबकि यूएई एक उन्नतिशील एवं वैविध्यपूर्ण अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रही है। ऐसे में दोनों देश मिलकर परिवर्तनकारी आर्थिक साझेदारी की क्षमता रखते हैं जाे न केवल दोनों देशों की सतत समृद्धि तय करेगी, बल्कि 21वीं सदी को एशिया की सदी बनाने में मददगार होगी। 

नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल के खिलाफ बंद होगा केस

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने बड़ी राहत दी है। उनके खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में लगे भ्रष्टाचार के आरोप की फाइल को बंद किया जाएगा। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया और राहुल के खिलाफ अंग्रेजी अखबार नेशनल हेराल्ड का स्वामित्व पाने के लिए धोखाधड़ी और गबन करने का आरोप लगाया था।

इस मामले में पिछले वर्ष जून में सोनिया और राहुल को समन भेजा गया था। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए केस को बंद करने का फैसला किया। ईडी के फैसले पर सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर कांग्रेस ने इस केस को बंद कराया है।

वहीं कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने कहा कि यह पूरा मामला राजनीतिक प्रतिशोध का था। अब पूरे देश को भी यह बात पता चल गई है। सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि वर्तमान समय में 2000 करोड़ की संपत्ति सोनिया गांधी की स्वामित्व वाली कंपनी यंग इंडिया को ट्रांसफर की गई है, जिसमें 76% शेयर राहुल और सोनिया गांधी के हैं, जबकि 24% शेयर अन्य के हैं।

बिहार में 'मांझी-द माउंटेन मैन'टैक्स फ्री होगी

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि बिहार सरकार फिल्म 'मांझी-द माउंटेन मैन'को राज्य में पहले ही टैक्स फ्री कर चुकी है. नीतीश कुमार ने 'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री'नामक कार्यक्रम के मौके पर कहा, 'बिहार सरकार फिल्म 'मांझी-द मांउटेन मैन'पर टैक्स फ्री की घोषणा पहले ही कर चुकी है'. यह फिल्म गया जिले के गहलौर गांव के गरीब मजदूर दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित है. उन्हें 'मांउटेन मैन'के नाम से भी जाना जाता था.

उन्होंने अपनी पत्नी की याद में बस हथौड़े और छेनी के उपयोग से ही पहाड़ के बीच से रास्ता बना दिया था. उनकी पत्नी इलाज के अभाव में मर गई थीं क्योंकि निकटतम अस्पताल तक पहुंचने में इस पहाड़ के चलते काफी समय लगता था. मुख्यमंत्री ने अतीत में'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री'कार्यक्रम में एक बार मांझी के लिए अपनी कुर्सी छोड़कर उनके प्रति दुर्लभ सम्मान प्रदर्शित किया था. फिल्म का निर्देशन केतन मेहता ने किया है. नवाजुद्दीन सिद्दिकी दशरथ मांझी के किरदार में हैं. राधिका आप्टे उनकी पत्नी की भूमिका कर रही हैं. फिल्म 21 अगस्त को रिलीज होगी. 

विशेष : पुरातन भारतीय साहित्य में नाग अर्थात सर्प

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पुरातन भारतीय साहित्य में नाग शब्द का सर्प और हस्ती दोनों अर्थों में बहुतायत से प्रयोग हुआ है । नग पर्वत को कहा जाता है । लेकिन वेद में नाग या नग शब्द का उल्लेख नहीं मिलता । ब्राह्मण ग्रन्थों में भी नाग शब्द का प्रयोग एकाध स्थान पर ही उपलब्ध है । उपनिषदों में नाग को पांच उपप्राणों में से एक कहा गया है । वैदिक आधार पर नाग शब्द का अर्थ लगाने के लिए नाग शब्द को  न + अघ, अर्थात् जिसमें अघ, पाप नहीं है, अथवा जो पापों का वर्जन करता है, के रूप में देखा जाता है । घ घनत्व अर्थात  घनता को कहते हैं । जहां घनता नहीं है, विरलता है, वह अघ है । विकास का दूसरा स्तर न + अघ हो सकता है, जहां अघ का किसी प्रकार से वर्जन कर दिया गया है । ऐसा प्रतीत होता है कि विकास का तीसरा स्तर गण या घण है जिससे गणेश या घणेश की कल्पना की गई है । गणेश को नाग या हस्ती का शिर प्रदान किया गया है । हस्ती की विशेषता यह है कि उसके भ्रूमध्य से शुण्ड निकल कर नीचे तक फैलती है । यह घ प्राप्त करने का एक उपाय हो सकता है । ऋग्वेद की कईं ऋचाओं में घनः वृत्राणां ( ऋग्वेद 8.96.18), घनं वृत्राणां ( ऋग्वेद 3.49.1) आदि कथनों के माध्यम से घन शब्द का प्रयोग वृत्रों के हनने के लिए किया गया है । संस्कृत साहित्य में हाथी का घन पर्याय विरल ही मिलता है। घन धातु दीप्ति अर्थ में है। बृहदारण्यक उपनिषद 24. 12  व 43.13 में इस ब्रह्माण्ड को प्रज्ञानघन, विज्ञानघन, रसघन कहा गया है ।  कुछ विद्वानों के अनुसार पापकर्म के फल के नियन्ता के रूप में नाग शब्द की कल्पना की गई है । नल की कथा में यह उल्लेख मिलता है कि नल ने कर्कोटक नाग की अग्नि से रक्षा की, इसके प्रत्युपकार स्वरूप कर्कोटक ने नल से कहा कि वह दस तक गिनती गिने । जैसे ही नल ने दस कहा, कर्कोटक ने उसे डस लिया जिससे नल का वर्ण कृष्ण हो गया । इसका अर्थ यह हुआ कि पाप कर्मों के फलस्वरूप जो कार्य - कारण श्रृङ्खला विद्यमान है, जो इतिहास विद्यमान है, नाग उस शृङ्खला को अपने विष से कृष्ण बना सकता है । नागों को कद्रू के पुत्र कहा गया है । कद्रू को कर्द्द या कर्दम धातु के आधार पर समझने का प्रयास किये जाने पर कर्दम का अर्थ है – जो पाप या कार्य - कारण की शृङ्खला अग्नि द्वारा जला दी जाती है, वह कर्दम या कीचड बन जाती है । ऋग्वेद की ऋचाओं में नाक शब्द प्रकट हुआ है जिसे स्वर्गलोक का पर्यायवाची समझा जाता है । हमारे पास नाक शब्द ही उपलब्ध है । स्कन्द पुराण 2.4.30.23 का कथन है कि पुण्य कर्म के फल के रूप में नाक की प्राप्ति होती है जबकि पापकर्म के फल के रूप में नरक की । एक का अधिपति शतक्रतु है तो दूसरे का यम । 

पुराणों में गरुड द्वारा नागों के भक्षण , नागपाश खोलने, अग्नि द्वारा भी नागों अथवा सर्पों को जलाए जाने  की कई कथाएं मिलती हैं । अग्नि द्वारा भी नागों अथवा सर्पों को जलाए जाने के आख्यान उपलब्ध हैं – जैसे जनमेजय के सर्प सत्र में । पौराणिक ग्रंथों के अनुसार नाग धीमी गति से साधना में प्रगति का मार्ग है, जबकि अग्नि या गरुड त्वरित गति से साधना में प्रगति का मार्ग है । एक पितृयान मार्ग है तो दूसरा देवयान मार्ग ।  उपनिषद में इसे प्राण और रयि नाम दिया गया है । रयि शब्द से पुराणों में रयिवत्, रैवत, रेवा, रेवती आदि शब्द बने हैं । यही कारण है कि गरुड या अग्नि की प्रवृत्ति नाग या सर्प का भक्षण करने की होती है । लेकिन धीमी प्रगति वाली क्रिया को नष्ट नहीं किया जा सकता । इसे ही जनमेजय के सर्पसत्र में आस्तीक द्वारा नागों की रक्षा के रूप में दिखाया गया है । धीमी प्रक्रिया वाली साधना का उपयोग ब्रह्म को सुब्रह्म बनाने में किया जा सकता है । इसका अर्थ है कि काम, क्रोध आदि जो सर्प हैं, वह हमारे शरीर में विष फैलाते हैं । क्रोध आने पर रक्त में कुछ विशेष प्रकार के रस मिल जाते हैं जिन्हें विष कहा जा सकता है । लेकिन पुराण कथाओं से संकेत मिलता है कि काम, क्रोध आदि को भी मिटाने की आवश्यकता नहीं है, अपितु उनका सदुपयोग करके सौभरि बनने की, आस्तीक बनने की, आस्तिक्य बुद्धि उत्पन्न करने की आवश्यकता है । पुराणों में गरुड द्वारा नागों का भक्षण करने, नागपाश खोलने आदि के सार्वत्रिक उल्लेख आते हैं । गरुड का पर्यायवाची नाम सुपर्ण है । वैदिक कर्मकाण्ड में सुपर्णचिति का निर्माण किया जाता है । चिति का अर्थ है चेतना को व्यवस्थित बनाना । जो कर्म अव्यवस्था उत्पन्न करते हैं, वह पाप कहलाते हैं । अतः यह स्वाभाविक है कि चेतना को सुपर्ण का रूप देकर नागों का नाश किया जा सकता है । भविष्य पुराण 1.34.23  तथा गरुड पुराण 1.19.7 में ग्रहों के नागों के साथ तादात्म्य का कथन है । इस कथन के अनुसार अनन्त नाग भास्कर का रूप है, वासुकि सोम का, तक्षक मंगल का, कर्कोटक बुध का, पद्म बृहस्पति का, महापद्म शुक्र का और कुलिक व शंखपाल शनि का । अन्यत्र ग्रहों को सुपर्ण कहा जाता है । अतः यह विचारणीय है कि किस स्थिति में ग्रह नाग रूप हैं, किस स्थिति में सुपर्ण रूप । हो सकता है कि ग्रहों की नीच स्थिति नाग रूप हो और उच्च स्थिति सुपर्ण रूप । 

उपनिषदों में सार्वत्रिक रूप से पांच उपप्राण के रूप में नाग,कृकल, कूर्म, देवदत्त व धनञ्जय का वर्णन आया है । नाग का कार्य उद्गारादि, कूर्म का कार्य अक्षि उन्मीलन – निमीलन, कृकर या कृकल का कार्य क्षुधा आदि, देवदत्त का कार्य तन्द्रा या विजृम्भण या निद्रादि और धनञ्जय का कार्य मृत गात्र की शोभादि कहा गया है ( त्रिशिख ब्राह्मणोपनिषद 2.85, योगचूडामणि उपनिषद 25,  जाबालदर्शनोपनिषद 4.34 , शाण्डिल्योपनिषद 1.4 आदि )। शाण्डिल्योपनिषद में श्लेष्मा को धनञ्जय का कार्य कहा गया है । जाबालदर्शनोपनिषद 4.20 में नागादि वायुओं की स्थिति त्वक्, अस्थि आदि में कही गई है । 

शिव पुराण 2.1.12.34 में नागों द्वारा शिव के प्रवाल – निर्मित लिङ्ग की पूजा का उल्लेख है । स्कन्द पुराण में शतरुद्रिय के संदर्भ में नागों द्वारा विद्रुम – निर्मित शिवलिङ्ग की पूजा का उल्लेख आता है । पुराणों में सार्वत्रिक रूप से सर्पों का जन्म ब्रह्मा के बालों से कहा गया है । ब्रह्माण्ड पुराण 1.2.8.35  में उल्लेख आता है कि तप के अन्त में ब्रह्मा ने देखा कि उनके तप के फलस्वरूप राक्षस, गुह्यक आदि क्षुधाविष्ट प्रजा की सृष्टि हुई है जो जलों का भक्षण करने को आतुर है। इससे ब्रह्मा को क्रोध उत्पन्न हुआ । इससे उनके केश शीर्ण हो गए । यह शीर्ण हुए बाल बार -बार ऊपर उठने का प्रयास करते थे । शिर के बालों के कारण उनका व्याल नाम पडा, अपसर्पण के कारण सर्प, हीनत्व से अहि, पन्नत्व से पन्नग इत्यादि । जो उनका अग्निगर्भ क्रोध था, वह सर्पों के मुख का विष बन गया । इस आख्यान में बाल या वाल शब्द महत्त्वपूर्ण है । सर्पों से सम्बन्धित बहुत सी पौराणिक कथाओं में किसी न किसी प्रकार से बाल का समावेश किया गया है ।

महाभारत का केन्द्रबिन्दु हस्तिनापुर है जिसका दूसरा नाम नाग अथवा नागसाह्वया है । कुछ विद्वानों के अनुसार उपनिषदों में पांच उपप्राणों यथा, नाग, कृकल, कूर्म, देवदत्त व धनञ्जय आदि का जो व्याख्या किया गया है, उसे  ही व्याख्या करने का ग्रन्थ महाभारत हो सकता है । गरुड पुराण 1.19.14 में सर्प विष हरण हेतु मन्त्र ॐ कुरु कुले स्वाहा कहा गया है । कुरु का न्यास गले में किया जाता है जबकि कुल का न्यास गुल्फ (लोकभाषा में एडी या घुट्टी) में। स्वाहा का पादयुगल में । ऐसा प्रतीत होता है कि यह मन्त्र महाभारत ग्रन्थ का मूल है । कुरुकुल को उपनिषदों का कृकल कहा जा सकता है । कृकल शब्द की व्याख्या इस प्रकार से की जा सकती है। कृक का अर्थ होता है ध्वनि की पुनरावृत्ति करना । कृकवाकु मयूर को कहते हैं । वह ध्वनि सुनकर तुरन्त उसकी पुनरावृत्ति करता है । पुराणों में इसे केका शब्द कहा गया है जो मुनियों के आश्रम में मन्त्रों की ध्वनि सुनकर उसकी पुनरावृत्ति करता है । पुराणों की अन्य कथाओं में कृकल के पुनरावृत्ति अर्थ की व्याख्या इस प्रकार की गई है कि राजा नृग ने किसी गौ का एक ब्राह्मण को दान किया । किसी कारण से उसी गौ का दूसरी बार दूसरे ब्राह्मण को भी दान हो गया । इससे राजा नृग को ब्राह्मण के शापवश कूप में कृकलास या छिपकली बनकर रहना पडा जिसका कृष्ण ने उद्धार किया । महाभारत में कुरु कुल का वर्णन है । राजा कुरु अष्टाङ्ग धर्म की कृषि करते हैं । कुरु का दूसरा रूप कुरुक्षेत्र है जो गीता का मूल है। आज के चिकित्सा विज्ञान में इतना तो ज्ञात है कि हमारे शरीर में जिन नयी कोशिकाओं का जन्म होता है, उनका मूल अस्थियों के अन्दर स्थित मज्जा है । लेकिन मन्त्र कुरु कुले स्वाहा के न्यास से संकेत मिलता है कि और अधिक प्रतथ रूप में कोशिकाओं का जन्म स्थान गुल्फ के अन्दर स्थित मज्जा है जिसे कुल कहा गया है । 





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-अशोक “प्रवृद्ध”-
दुमका 
झारखण्ड 

आलेख : भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सामूहिक चिन्तन जरूरी

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  • विकास के लिए सकारात्मक सोच जरूरी

अच्छे सपने देखना बुरी बात नहीं है, और इस सपने को खुली आँख से देखा जाये तो और भी अच्छा है। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि इन सपनों में किसी प्रकार का संकुचन ना हो। मतलब साफ है कि व्यापक दृष्टि से सपने देखे जाएँ तो यह समग्र विकास की अवधारणा को ठोस आधार प्रदान करने में सहायक सिद्ध होते हैं। व्यक्तिगत हितों का परित्याग करके जो सपना देखा जाता है, उसमें देश का हित होगा ही, यह निश्चित है। वास्तव में जिन सपनों में राष्ट्रीयता के भाव का संचार होता है, उससे देश को आगे बढ़ाने में मजबूत और स्वर्णिम राह का निर्माण होता है।

हमारा चिंतन हमेशा इस प्रकार का होना चाहिए कि बड़े हित को प्राप्त करने के लिए छोटे हितों का परित्याग हो। क्योंकि जब बड़ा हित प्राप्त होने की राह दिखाई देने लगती है तो छोटे हित स्वत: ही निस्तारित हो जाते हैं। देशहित हमारा बड़ा हित है। यहाँ पर एक सवाल करना समीचीन लग रहा है कि क्या हम राष्ट्रीय हितों को साधने के लिए अपने व्यक्तिगत हित का त्याग नहीं कर सकते? दुनिया के सभी देशों में देखा जाता है कि देश से किसी भी बुराई को दूर करने के लिए वहाँ की सरकार द्वारा कोई अभियान चलाया जाता तो उस देश के नागरिक अपना प्रथम कर्तव्य समझकर उस अभियान को व्यापक समर्थन प्रदान करते हैं। कहना तर्कसंगत होगा कि वहाँ के नागरिकों के मन में अपने राष्ट्र के प्रति गहरा अनुराग दिखाई देता है। यह अनुराग ही उस देश के लिए मजबूती का आधार बनता है।

हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सपना देखा है, वह सपना है देश से बुराई को मिटाने का। कुछ लोग मानते हैं कि भ्रष्टाचार नामक बुराई देश से समाप्त ही नहीं हो सकती। यह विचार सीधे तौर पर निराशा का संचार करता है। ऐसे में यह कहना जरूरी है कि जो लोग भ्रष्टाचार को जीवन का अंग मान बैठे हैं, ऐसे लोग कभी नहीं चाहेंगे कि देश से इस बुराई का अंत हो। मेरा उन लोगों से कहना है कि किसी भी समस्या को हटाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता होती है। क्योंकि केवल सरकारी प्रयासों से ही कोई काम सफल नहीं हो सकता, इसके लिए पूरे देश को सरकार का समर्थन करना चाहिए। सरकार ने योजना बना दी है, सरकारी स्तर पर खुद सरकार के मंत्रियों ने इसका पालन भी शुरू कर दिया है। अब जरूरत आम जनता की भागीदारी की है। आमजनता और अन्य राजनीतिक दल जितना सरकार का सहयोग करेंगे, उतनी ही जल्दी इस समस्या से निजात मिलेगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से एक बहुत ही अच्छी बात कही है कि मेरा सपना है कि देश से भ्रष्टाचार रूपी समस्या समाप्त हो। प्रधानमंत्री का यह सपना खुली आंख से देखा गया एक ऐसा सपना है, जिसे पूरा करने की दिशा में वर्तमान में हर देशवासी मन से चाहता है, लेकिन यह भी सब जानते हैं कि केवल चाहने भर से कुछ नहीं हो सकता। इसके लिए सामूहिक प्रयास भी करने होंगे। भाषण समाप्त होने के तुरंत बाद देश के विद्युतीय समाचार माध्यमों ने जिस प्रकार का दृश्य दिखाया उससे तो ऐसा ही लगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश से भ्रष्टाचार को समाप्त करने की बात कहकर बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो। जिस देश में इस प्रकार के राष्ट्रहितैषी अभियानों को आलोचनाओं के भंवर से गुजरना पड़ता हो उस देश का तो भगवान ही मालिक है।

भारत को मजबूत बनाने की दिशा में आगे बढऩे से पहले इस बात का अध्ययन करना बहुत जरूरी है कि हमार भारत देश क्या है। क्या वर्तमान में जो स्वरूप दिखाई देता है वही मात्र भारत है? अगर हमारे चिन्तन की दिशा यही रही तो हम भारत को वह प्रगति और विकास नहीं दे पाएंगे, जिससे भारत ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में आगे दिखाई देंगे। हो सकता है कि कई लोगों को यह लगता हो कि यह काम हो ही नहीं सकता, लेकिन जब कोई व्यक्ति काम शुरू कर देता है तो वह किसी न किसी परिणाम को प्राप्त होता ही है। भारत के बारे में अध्ययन करना है तो हमें गुलामी से पूर्व की कालावधि में जाना होगा। वर्तमान में हमें केवल गुलामी के बाद वाला ही इतिहास बताया जाता है, जो वास्तविकता में भारत का इतिहास है ही नहीं। वह तो गुलामी का इतिहास है। हम जानते हैं कि गुलामी के कालखण्ड में भारत को समाप्त करने के भरसक प्रयास किए गए। भारत के कई टुकड़े किए गए। हम जरा इस बात को सोचें कि संकल्प करने से क्या नहीं हो सकता, अगर अभी संकल्प नहीं किया तो आने वाले दिनों में हम क्या होंगे, इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

अब जरा दूसरी बात का भी अध्ययन कर लिया जाए तो अच्छा रहेगा। जब देश से अंगे्रजों को भगाने की कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय एकता का प्रदर्शन करके स्वतंत्रता प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा था, उस समय स्वतंत्रता संग्राम के वीर योद्धाओं ने ऐसे भारत की कल्पना भी नहीं की होगी, जो आज दिखाई दे रहा है। आज भारत भूमि पर गुलामी के पद चिन्ह विद्यमान हैं। कहीं ध्वस्त मानबिन्दुओं के अवशेष दिखाई देते हैं, तो कहीं मुगलों और अंगे्रजों के नामों को महिमामंडित करने वाले स्थान। हमने निराशावाद को अपनाकर इन नामों को इस प्रकार से अपना लिया जैसे यह अपने ही हों। क्या यह गुलामी की मानसिकता को उजागर नहीं करता।

हमें इस बात की चिन्तन करना चाहिए कि हम किस प्रकार का भारत चाहते हैं। महात्मा गांधी ने कहा था कि मैं एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहता हूं जिसमें गरीब से गरीब भी यह अनुभव करे कि यह मेरा भारत है, मेरा अपना है। जिसमें ऊंच नीच का कोई भेद नहीं हो। क्या गांधी के सपनों का वह भारत वर्तमान में दिखाई देता है। आज हमारे देश के प्रधानमंत्री गांधी जी के भारत को मूर्त रूप देने के लिए अग्रसर हो रहे हैं, यह आलोचना का विषय नहीं, बल्कि इसे जोरदार समर्थन दिए जाने की जरूरत है। जितना इस अभियान को समर्थन मिलेगा, हमारा देश उतना ही मजबूती की राह पर अग्रसर होता चला जाएगा।

मैं देश के राजनीतिक दलों से आहवान करना चाहता हूं कि एक बार सारे अंतर विरोध छोड़कर केवल इस बात को साक्षी भाव से अंगीकार करें कि जिस देश में मैं रहता हूं मुझे उसके लिए कार्य करना चाहिए। मेरे व्यक्तिगत जीवन में कभी नकारात्मकता का भाव भी न हो। कहा जाता है कि जो बुराई देखता है, उसे सब कुछ बुरा ही नजर आएगा, और जो केवल अच्छाई देखना चाहता है उसे बुराई में अच्छाई नजर आएगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ, सुंदर और मजबूत भारत बनाने के बारे में जो सपना देखा है। उस सपने को पूरा करने के लिए पूरे देश से एक ही आवाज आना चाहिए कि आज के बाद मेरा हर कदम मेरे मजबूत भारत के लिए ही होगा। जो राजनीतिक दल इस प्रकार के अभियान में राजनीति करते हैं, वह कहीं न कहीं देश का ही नुकसान करते दिखाई देते हैं। यही नकारात्मक राजनीति है। देश के राजनीतिक दलों को इस नकारात्मकता के भंवर से निकलना चाहिए। जहां तक कांगे्रस पार्टी का सवाल है तो उसे प्रथम तो इस बात का चिन्तन करना चाहिए कि उसे देश की जनता ने क्यों नकार दिया। हम जानते हैं कि आज के युवा को कोई भी मूर्ख नहीं बना सकता, क्योंकि देश के राजनीतिक दलों की हर गतिविधि की जानकारी उसे तुरंत मिल जाती है। देश का हर युवा सूचना तंत्र से पूरी तरह जुड़ा हुआ है।




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सुरेश हिन्दुस्थानी
झोकन बाग, झांसी, उत्तरप्रदेश
मोबाइल 09455099388
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

विचार : ऐसा भविष्य जिसका भूत और वर्त्तमान आजतक नहीं !!!

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जो भी राजनेता या राजनीतिकदल पाखण्डवादी अध्यात्म के समर्थक होते हैं , या अनेक प्रकार की मानवीय आस्था के आड़ में राजनीति करते हैं , ऐसे नेताओं के कार्य का कभी वर्तमानकाल या भूतकाल ठीक उसी तरह नहीं होता जैसे पाखंडी अध्यात्म तथा अनेकों आस्था के माध्यम से सुख चाहने वालों का इसके लिए कभी वर्तमानकाल या भूतकाल नहीं होता । "भविष्य का सुख"जो एक लालच का विषय रहा है , उसी के माध्यम से पाखंडी अध्यात्म को फैलाने वाले धर्मगुरू तथा नेता का भूतकाल तथा वर्तमानकाल मालामाल रहता है , लेकिन बेचारी निश्छल जनता इस माध्यम से उस  भविष्य के सुख की चाह के इंतज़ार में रहती है , जिस भविष्य का वर्तमानकाल या भूतकाल सैकड़ों सालों से न तो आजतक कभी हुआ और  न होगा । 

हाँ , इस माध्यम से भारतीय मानव  के ज्ञान-विज्ञान के विलुप्त के साथ साथ ईमानदारी तथा शारीरिक मजबूती की क्षमता का क्षीण अवश्य होता रहा , जो गुलामी से लेकर सभी तरह के दुःख का कारण बना , और यही एक कारण आज भी है की मानिसक विक्षिप्तता के कारण आज भी भारतीय अधिकाँश जनता गुलामी की मानसिकता का शिकार हैं ।  



आमोद शास्त्री , 
दिल्ली , 
मोब= 9818974495 & 9312017281

पुस्तक समीक्षा : हिस्ट्री आॅफ दि संताल्स आॅफ जंगल तराई (1800-1855)रि-विजिटेड

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  • जंगल तराई में संतालों के आगमन से लेकर संताल-हुल तक का पुनर्मूल्यांकन

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संताल परगना क्षेत्र का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। इस क्षेत्र की अपनी संस्कृति रही है, पहचान रही है। खान-पान, आचार-विचार, वेश-भूषा, आतिथ्य सत्कार व दण्ड प्रक्रिया जनजातीय आबादी की प्रकृति व उनकी परंपरा-संस्कृति को आज भी अक्षुण्ण बनाए हुए है। किसी क्षेत्र विशेष की तत्कालीन परिस्थ्तिियों व उससे उत्पन्न विषमताओ-बिडम्बनाओं व पराकाष्ठाओं से प्रभावित व्यवस्था के आलोक में लगातार हो रहे उथल-पुथल को सहेज कर एक पुस्तक का आकार देना वर्तमान दौर में काफी कठिन ही नहीं दुष्कर भी है। हिस्ट्री आॅफ दि संताल्स आॅफ जंगल तराई (1800-1855) रि-विजिटेड पुस्तक के लेखक व इतिहासकार डा0 सुरेन्द्र झा व शिव शंकर राउत द्वारा संयुक्त रुप से लिखी गई उपरोक्त पुस्तक में जंगल तराई में संतालों के आगमन से लेकर संताल-हुल तक का पुर्नमूल्यांकन किया गया है। पिछले तीस-चालीस वर्षों से अध्ययन-अध्यापन व शोध के क्षेत्र में विशिष्टता हासिल करने वाले संताल परगना महाविद्यालय, दुमका के इतिहास विभाग के प्रोफेसर (वर्तमान में प्राचार्य) डा0 सुरेन्द्र झा के अनुसार तत्कालीन अंग्रेज वाईसराय वारेन हेस्टिंग्स ने वर्ष 1772 में जंगल तराई को सैनिक जिला बनाया था, मौटे तौर पर जिसे हम आज संताल परगना कहते हैं। अठारहवीं शताब्दी के पूर्व पहाडि़या, घटवाल, खेतोरी, छिटपुट ब्राहमण, राजपूत, मुसलमान व दूसरी अन्य जातियों के लोग ही मुख्यतः इस क्षेत्र में निवास करते थे। 

जंगल तराई पूर्व में जनशून्य था महज एक मिथ्या है। पुस्तक में लेखकद्वय ने स्पष्ट किया है कि भारतीय इतिहास के सभी चरणों में इस क्षेत्र की महत्वपर्णू भूमिका रही है। प्रसिद्ध चीनी यात्री मेगास्थनीज व ह्वेंगसान के विवरणो से भी यहाँ की सभ्यता की झलक मिलती है। पाल वंश के शासनकाल में शिवपाल द्वितीय की राजधानी हुआ करती थी यह क्षेत्र। पुस्तक के अनुसार प्राचीन काल से ही क जंगल (राजमहाल) के इतिहास का विवरण मिलता है। वर्ष 1576 के राजमहाल युद्ध में मुगल साम्राज्य के प्रसार में इसी तरह की भूमिका का निर्वाह किया गया, जैसा कि उपरोक्त वर्ष में हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा गया था। हिस्ट्री आॅफ दि संताल्स आॅफ जंगल तराई (1800-1855) रि-विजिटेड के पहले अध्याय में दस्तावेजी प्रमाणों के साथ इन सारी बातों का जिक्र विस्तार से किया गया है। ब्रिटीश शासन के पारंभ में पहला गंभीर विद्रोह इसी क्षेत्र से हुआ था जो धटवाल-पहाडि़या विद्रोह के नाम से जाना जाता है। इस तरह के अन्य विवरण भी लेखकद्वय की इसी पुस्तक से प्राप्त होते है, जिसके लिये भी समकालीन दस्तावेजों को उद्धृत किया गया है। वर्ष 1770 में भीषण अकाल से प्रारंभ यह विद्रोह (1803 ई0 तक) लगभग 33 वर्षों चला जिसने नवजात ब्रिटीश साम्राज्य की जड़ों को हिला कर रख दिया था। इसी विद्रोह को नियंत्रित करने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने ’सख्ती व रियायत’ की दोहरी नीति अपनायी थी, परिणामस्वरुप सख्ती के साथ पहाडि़या समाज को दबाने का प्रयास हुआ। 

इतना ही नहीं बड़े ही अमानवीय तरीके से उनकी हत्याएँ भी हुई। अपने कुकृत्य पर पर्दा डालने व पहाडि़या समुदाय को फिर से रिझाने के ख्याल से कैप्टन ब्रुक, ब्राउन व क्लीवलैंड ने वर्ष 1796 में नन रेगुलेशन प्रशासनिक पद्धति प्रारंभ किया। इस पद्धति के तहत  पेंशन व अन्य मौद्रिक लाभ का लालच देकर पहाडि़या समुदाय को रिझाने का प्रयास किया गया। कालांतर में विनिमय अर्थव्यवस्था को समाप्त कर बाजारीय व मौद्रिक अर्थव्यवस्था को संताल परगना में लागू कर दिया गया। पुस्तक में वर्णित तथ्यों के अनुसार अंग्रेजों का मुख्य उद्देश्य लगान की वसूली में वृद्धि करना था। यह तभी संभव था जब झूम पद्धति से खेती छोड़कर पहाडि़या-घटवाल हल-बैल के माध्यम से उसे प्रारंभ कर देते। पहाडि़या समुदाय ने अपनी जीवन पद्धति को छोड़ना नहीं चाहा। जंगलों-पहाड़ों में ही वे रहना पसंद करते थे। क्लीवलैण्ड की मृत्यु के बाद पहाडि़या समुदाय के लिये सुविधा पद्धति में विकृति आ गईं। बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर भागलपुर के मजिस्ट्रेट मि0 सदरलेंड को जाँच का आदेश दिया गया जिन्होनें वर्ष 1819 ई0 में अपनी रिपोर्ट सौंपा और पहाडि़या समुदाय के लिये सुरक्षित क्षेत्र के रुप में दामिन-ई-कोह बनाने की अनुशंसा की जो अंततः वर्ष 1833 में अधिघोषित हुआ। इस बीच वीरभूम, बर्द्धमान, बांकुड़ा हजारीबाग, धालभूम इत्यादि क्षेत्रों से संताल जनजाति दामिन-ई-कोह में प्रवेश करना चाहते थे। वे काफी मेहनती व जंगलों को काटने में दक्ष थे। 

अंग्रेज अफसरों ने दामिन-ई-कोह के कानून को शिथिल करते हुए संतालों को उस क्षेत्र में बसने के लिये प्रोत्साहित किया किन्तु शीघ्र ही संतालों ने अंग्रजांे के खिलाफ विद्रोह कर दिया। सतही तौर पर विश्लेषण करते हुए डा0 काली किंकर दत्त व सूचिव्रत सेन जैसे इतिहासकारों ने इस विद्रोह को महाजनों, जमींदारों व पुलिसिया अत्याचारों के कारण घटित होता हुआ दिखाया है। इस पुस्तक में अधिक गंभीरता व नये दृष्टिकोण से विद्रोह के कारणों को दर्शाया गया है। लेखक द्वय के अनुसार ब्रिटीश औपनिवेशिक व्यवस्था, मौद्रिक अर्थव्यवस्था, भूमि में व्यक्तिगत सम्पत्ति का अधिकार व सभी रैयतों से अलग-अलग नकद लगान की वसूली, संतालों के लिये नन रेगुलेशन एडमिनिस्ट्रेशन की सुविधा का अभाव इसके मौलिक कारण हैं। जमींदार, महाजन व पुलिस के अत्याचार व शोषण विद्रोह के कारण अवश्य थे किन्तु ये सारे लोग औपनिवेशिक वादी अर्थव्यवस्था व प्रशासनिक नीतियों की उपज थी। दामिन-ई-कोह में वस्तुतः कोई जमींदार नहीं था। सरकार ही खुद जमींदार थी। 

महाजनों को अंग्रेजों ने बसाया जिसका प्रमाण सर्वे रिपोर्ट में है क्योंिेक उन्हें नकद लगान की वसूली करनी थी। नन रेगुलेशन प्रशासन के कारण संतालों को बंगाल सिविल कानून के अन्तर्गत सिविल कोर्ठ जाना होता था। जहाँ पर महाजन, पुलिस व कोर्ठ के  अमला खुलकर शोषण करते थे। 1827 के रेगुलेशन-1 के अनुसार संतालों को नव आगंतुक माना गया था और इसलिये नन रेगुलेशन का स्थायी कानून लागू नहीं था। विद्रोह का यह सबसे मोलिक व महत्वपूर्ण कारण था। सारी बुराईयाँ इसी में निहित थीं। लार्ड कार्नवालिस द्वारा वर्ष 1796 के अधिनियम 20 में पुलिस को असीमित अधिकार दिये गए थे। खुलकर जिसका उन्होनें दुरुपयोग किया। समग्र दृष्टिकोण से लेखकद्वय ने कारणों के मूल में जाकर संताल विद्रोह की व्याख्या की है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि कुल 195 पृष्ठों में तैयार पुस्तक हिस्ट्री आॅफ दि संताल्स आॅफ जंगल तराई (1800-1855) रि-विजिटेड बुद्धिजीवियों, इतिहासकारों, शोधार्थियों व विद्यार्थियों के लिये गहन अध्ययन का विषय है।


--अमरेन्द्र सुमन--



पुस्तक का नामः-   हिस्ट्री आॅफ दि संताल्स आॅफ जंगल तराई  (1800-1855) रि-विजिटेड
पुस्तक के लेखकद्वयः- डा0 सुरेन्द्र झा व शिव शंकर राउत
प्रकाशकः-              आयुष्मान पब्लिकेशन हाउस, न्यू दिल्ली (इण्डिया)
पुस्तक का मूल्यः-     मात्र 600/- रुपया
पृष्ठ संख्याः-         195 

69वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उप राजधानी दुमका में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने किया झण्डोत्तोलन

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  • विकास की चुनौतियों को पूरा करने के लिये सरकार प्रतिबद्ध-राज्यपाल

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तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दुमका में ईंजीनियरिंग काॅलेज की स्थापना की गई है। शैक्षणिक कार्य यहाँ प्रारम्भ भी हो चुका है। अन्य तकनीकी विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा रही है। राज्य के प्रत्येक जिले में कम-से-कम एक पाॅलिटेक्निक संस्थान हो, इसके लिए राज्य के 17 विभिन्न जिलों में कुल 20 नये राजकीय पाॅलिटेक्निक संस्थानों की स्थापना की योजना का प्रस्ताव है। पूर्व से स्थापित 10 राजकीय पाॅलिटेक्निक व 03 राजकीय महिला पाॅलिटेक्निक संस्थानों के आधारभूत संरचना को बेहतर व उपरोक्त के आधुनिकीकरण हेतु कार्य किया जा रहा है। संताल परगना क्षेत्र के लोगों में विज्ञान के प्रति अभिरूचि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दुमका में आधुनिक तारामण्डल के निर्माण की दिशा में कार्य करने की योजना है। राज्य के विकास के लिए किसानों की खुशहाली आवश्यक है। कृषि रथ के माध्यम से किसानों में जागरूकता लाने का कार्य किया जा रहा है।  किसान पोर्टल के माध्यम से राज्य के 5 (पांच) लाख से अधिक कृषकों का निबंधन कर कृषि से संबंधित उपयोगी जानकारी एसएमएस के माध्यम से उन्हें उपलब्ध करायी जा रही है। हजारीबाग के बरही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना की जा रही है, जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गई। इस केंद्र की स्थापना से कृषि अनुसंधान व विकास को बढ़ावा मिलेगा। सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए सरकारी तालाबों के जीर्णोद्धार की योजना पर काम चल रहा है जिससे 2600 (दो हजार छः सौ) हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचित क्षेत्र का विस्तार हो सकेगा। तसर राॅ सिल्क उत्पादन के क्षेत्र में झारखण्ड अग्रणी है, संताल परगना क्षेत्र का इसमें बहुत बड़ा योगदान है। इसे और विस्तारित करने के उद्देश्य से  4,860 रेशम उत्पादकों को उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 69 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर पुलिस लाईन मैदान में राष्ट्रीय घ्वजारोहण के बाद अपने संबोधन में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कही। उन्होनें कहा मेगा हैन्डलूम कलस्टर योजनान्तर्गत गोड्डा व आस-पास के इलाकों में एक लाख बुनकरों को लाभान्वित किया जाऐगा। राज्य में निवेश को बढा़वा देने व औद्योगिक माहौल को आकर्षक बनाने के लिए नियमों में व्यापक सरलीकरण किया गया है। उद्योगों की स्थापना के लिए सिंगल विन्डो सिस्टम पर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। इससे राज्य में निवेश की प्रक्रिया आसान होगी एवं उद्योगों की स्थापना को बल मिलेगा। युवाओं की खेल प्रतिभा को निखारने व सही दिशा के लिए क्रीड़ा विश्वविद्यालय व  क्रीड़ा अकादमी की स्थापना का निर्णय सरकार ने लिया है। इसके लिए सीसीएल के साथ एमओयू किया गया है। विधानसभा भवन व झारखण्ड उच्च न्यायालय भवन  निर्माण का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। दुमक में समाहरणालय भवन का निर्माण कार्य प्रगति पर है। पाकुड़ में नये समाहरणालय भवन का लोकार्पण जुलाई में संपन्न हो चुका है। राज्यपाल ने कहा बिजली, सड़क, रेलवे, पानी, शिक्षा व स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के प्रयास जारी हैं। कोडरमा-हजारीबाग रेल खण्ड पर 20 फरवरी, 2015 को प्रधानमंत्री द्वारा तथा 04 जून, 2015 को रेल राज्यमंत्री द्वारा दुमका-रामपुर हाट रेल खण्ड परिचालन का शुभारंभ किया जा चुका है। झारखण्ड सरकार व रेल मंत्रालय के बीच विभिन्न परियोजनाओं हेतु एमओयू का नवीकरण किया गया है। अगले दो वर्षो के अन्दर उपरोक्त को पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि छोटानागपुर-संताल परगना के बहुत बडे़ हिस्से व आबादी को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ा जा सके तथा आर्थिक विकास को गति मिल सके। अपने 45 मिनट के संबोधन में राज्यपाल ने कहा ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिये  झारखण्ड सरकार ने 4,000 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिये एनटीपीसी के साथ एमओयू किया है। संताल परगना क्षेत्र में विद्युत व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए दुमका-जसीडीह विद्युत संचरण लाईन की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। अक्षय ऊर्जा के स्त्रोतों का पूर्ण उपयोग हेतु सभी सरकारी भवनों पर रूफ्ट सोलर पावर प्लांट लगाया जाना है। राज्यपाल ने कहा इस राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाएँ हैं। वनों व प्राकृतिक सौंदर्य के स्थलों को इको-टूरिज्म योजना के तहत विकसित करने की सरकार की योजना से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से स्थानीय निवासियों को रोजगार का अवसर मुहैया कराया जाऐगा। 

भ्रष्टाचार मुक्त झारखण्ड निर्माण के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास तेज कर दिए गए हैं। राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए सरकार ने निगरानी ब्यूरो को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के रूप में पुनर्गठित करते हुए इसकी संरचना, कार्य, दायित्व व शक्तियों का निर्धारण किया है ताकि शांति व अमन-चैन के साथ राज्य का विकास हो सके। राष्ट्र की संप्रभुता, अखंडता व एकता की रक्षा के लिए अपनी जान तक की परवाह न करते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले उन सभी वीर सैन्य कर्मियों के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए राज्यपाल ने उनके परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट किया।  उन्होनें कहा स्वतंत्रता प्राप्ति के राष्ट्र ने कई क्षेत्रों में उपलब्धियाँ अर्जित कर विश्वपटल पर अपनी पहचान स्थापित की है, झारखण्ड का योगदान कम नहीं है। राज्य के विकास का पूर्ण लाभ सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों तक बेहतर ढ़ंग से पहुँचे इसके लिए सरकार प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। उन्होनें कहा, ग्रामीणों के जीवन-स्तर में सुधार लाये बिना राज्य के पूर्ण विकास की परिकल्पना बेईमानी है।  केन्द्र व राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं का संचालन कर एक-एक व्यक्ति तक  उसका लाभ पहुँच सके इसके लिये मनरेगा, इंदिरा आवास योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, ग्रामीण सड़कों का निर्माण, पुल-पुलिया का निर्माण एवं समेकित जलछाजन प्रबंधन के बेहतर तरीके से क्रियान्वयन हेतु सरकार गंभीरतापूर्वक कार्य कर रही है।
                       
उन्होनें कहा मनरेगा के तहत जिन्हें 100 दिन का रोजगार प्राप्त हो चुका है, उनके लिये प्रोजेक्ट लाइव योजना का संचालन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री द्वारा इस वर्ष शुभारंभ की गई प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना व अटल पेंशन योजना से अधिक-से-अधिक लोगों को जोड़ने हेतु सरकार प्रतिबद्ध है। बीपीएल कार्डधारियों के लिये प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत सरकार द्वारा प्रथम वर्ष के प्रीमियम का भुगतान किया जा रहा है। राज्य में जनसंवाद कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत आम जन टाॅल फ्री नं. 181 पर अपनी शिकायत व सुझाव दर्ज करा सकते हैं। शिकायतों के निष्पादन व सुझावों पर अमल हो रहा है तथा इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। लोक कल्याणकारी, संवेदनशील, पारदर्शी व बेहतर प्रशासन की स्थापना तथा विकास में जनता की सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु सरकार प्रयासरत है। सूचना तकनीक का अधिक-से-अधिक उपयोग कर प्रशासन को सर्व सुलभ व पारदर्शी बनाने के लिये सरकार प्रयासरत है। प्रशासनिक सुधार की दिशा में उल्लेखनीय कदम बढ़ाते हुए समान कार्य प्रकृति वाले विभागों को एकीकृत कर विभागों के पुनर्गठन का कार्य सम्पन्न किया गया है, परिणामस्वरुप  43 के स्थान पर अब 31 विभाग ही रह गए हैं।
                        
राज्यपाल ने कहा नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति के तहत 77 नक्सलियों नेे अब तक अत्मसमर्पण किया है। राज्य के विभिन्न जिलों में महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित अपराध की रोकथाम के लिए प्रत्येक जिले में महिला एवं बाल संरक्षण के लिय एक थाना का चुनाव किया गया है। महिलाओं व बच्चों से संबंधित शिकायतों एवं समस्याओं के निराकरण हेतु महिला व चाइल्ड हेल्पलाईन नम्बर चालू किया गया है। राज्य के बाहर लापता व गुमशुदा बच्चों की बरामदगी हेतु आॅपरेशन मुस्कान क्रियाशील है जिसके तहत प्रथम चरण में विभिन्न राज्यों के 25 नगर क्षेत्रों में कुल 153 बच्चों तथा द्वितीय चरण में 11 राज्यों के 35 नगरों में कुल 496 बच्चों को  बरामद किया गया। बच्चों के पुनर्वास व उन्हंे उनके परिवार से जोड़ने के लिए बाल कल्याण समिति का गठन किया गया है जो गाँव से लेकर शहर व  विधानसभा से लेकर पंचायत तक ई-डिस्ट्रिक्ट योजना के तहत जोड़ा जाएगा।   इस परियोजना के अन्तर्गत जनता के लिए आवश्यक सुविधाओं को आॅन-लाईन करने की व्यवस्था की जा रही है।
                         
उन्होनें कहा राज्य की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने की दिषा में असाध्य रोगों हेतु चिकित्सा अनुदान के लाभार्थियों में बी0पी0एल0 के अतिरिक्त रु0 72,000/- वार्षिक आय तक वाले परिवारों को चिकित्सा सहायता योजना के लाभार्थी के रूप में सम्मिलित किया गया है। सरकार द्वारा असाध्य रोगों यथा गुर्दा प्रत्यारोपण हेतु रु0 5.00 लाख (पांच लाख), कैंसर के लिए रु0 4.00 लाख (चार लाख) एवं अन्य असाध्य रोगों के लिए अधिकतम रु0 2.50 लाख (दो लाख पचास हजार) अनुदान के रूप में दिया जा रहा है। सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई टाॅल फ्री नं0-104 पर आम जनता स्वास्थ्य से संबंधित जानकारियां के माध्यम से प्राप्त कर सकती है, जो बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार का एक नवीन प्रयास है। 
                         
उन्होनें कहा दुमका जिले में 500 शैय्या वाले चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल की स्थापना हेतु कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है तथा इसके लिए भूमि भी उपलब्ध करा दी गयी है। शिक्षित नागरिक ही किसी भी राज्य के विकास के आयाम को निर्धारित करते हैं। सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए 4,552 (चार हजार पांच सौ बावन) इंटर प्रशिक्षित शिक्षकों एवं 487 (चार सौ सत्तासी) उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। माध्यमिक शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए 318 (तीन सौ अट्ठारह) नव उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में लम्बे समय से रिक्त पड़े 1871 (एक हजार आठ सौ इकहत्तर) पदों पर सहायक शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है। इसके अतिरिक्त इंटर प्रशिक्षित शिक्षकों के 12,000 (बारह हजार) तथा स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों के 3,963 (तीन हजार नौ सौ तिरसठ) पदों पर नियुक्ति हेतु जिलों में नियुक्ति प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। राज्य के कक्षा 10 में पढ़नेवाले एस0टी0/एस0सी0 श्रेणी के छात्र/छात्राओं को एल0ई0डी0 आधारित सोलर स्टडी लैम्प सुलभ कराने का कार्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। वत्र्तमान समय में इन्टरनेट की महत्ता को देखते हुए इस वित्तीय वर्ष से कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय में पढ़ने वाली सभी छात्राओं को मुफ्त टैबलेट सरकार द्वारा दिये जाने की योजना है। 

मध्याह्न भोजन योजना के अन्तर्गत भोजन को पौष्टिक बनाने के लिए सप्ताह में तीन दिन अण्डा/फल भी बच्चों को दिया जा रहा है। उच्च व तकनीकी शिक्षा किसी भी राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाती है। पर्यटन विभाग तथा झारखण्ड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड का एक समेकित पोर्टल तैयार किया जा रहा है, जो झारखण्ड के पर्यटन स्थलों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने के साथ-साथ पर्यटकों के लिए आवश्यक आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। नई दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर पर दुमका के मलूटी मंदिर की सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक विरासत की आकर्षक झांकी का प्रदर्शन किया गया, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ।  यह राज्य के लिए गौरव का विषय है। सरकार ने मलूटी मंदिर के जीर्णोंद्धार, संरक्षण एवं विकास कार्य के लिए आई0टी0आर0एच0डी के साथ एम0ओ0यू0 किया है। सरकार ने देवघर महोत्सव, बासुकिनाथ महोत्सव, इटखोरी महोत्सव (चतरा), माघी मेला (साहेबगंज) तथा हिजला मेला (दुमका) को राजकीय महोत्सव घोषित किया है। आज श्रावणी मेला विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। प्रत्येक वर्ष इसमें लाखों-लाख की संख्या में राज्य व राज्य के बाहर के श्रद्धालु आते हैं, इन्हें अपेक्षित सुविधायें सरकार कराने की दिषा में प्रयास किया जा रहा है। विकास का लाभ राज्य के सभी वर्गों तक पहंुचे, सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है। जनता की सहभागिता एवं रचनात्मक सहयोग से राज्य के समक्ष आने वाली चुनौतियों का सामना करने में सरकार सक्षम होगी, ऐसा मेरा विश्वास है। आइये, आज हम सभी एक समृद्धशाली व खुशहाल झारखण्ड का निर्माण करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने का संकल्प लें।

स्वतंत्रता दिवस-2015 परेड में 19 टुकडि़यों ने भाग लिया
स्वतंत्रता दिवस 2015 के अवसर पर परेड में भाग लेने वाले 19 टुकडि़यों को डी0एस0पी0 पिताम्बर सिंह खैरवार फस्र्ट इन कमान्ड के रूप में तथा एस0आई0 सचिन कुमार दास सेकेन्ड इन कमान्ड थे। 19 टुकडि़यों के लीडरों में आई.आर.बी. ‘‘बी’’ कम्पनी रामगढ़ ब्लाॅक, अ.नि.स. छट्ठू राम; जैप 05 देवघर, अ.नि.स. रानेश्वर सिंह;जैप 09 साहेबगंज, अ.नि.स. षिवबालक सिंह;साहेबगंज जिला बल, प्रा.अ.नि. सी.के. बोदरा;गोड्डा जिला बल $ दुमका जिला बल, प्रा.अ.नि. संत कुमार राम;दुमका जिला बल $ पाकुड़ जिला बल, प्रा.अ.नि. किषुन बिहारी राम; गृह रक्षा वाहिनी, दुमका, अ.नि. महेन्द्र;पी.टी.सी. बैण्ड, हजारीबाग, हवलदार रामसागर मुरारी;$2 नेषनल स्कूल, दुमका - एन.सी.सी., दीपक कुमार; सिदो कान्हु गर्लस स्कूल, दुमका 


जिला स्कूल, दुमका- एन.सी.सी., सुमन झा;सिदो कान्हु उच्च विद्यालय, दुमका - एन.सी.सी., अजय कुमार; मुख्यालय, दुमका - स्काउट, मो0 अख्तर आलम;$2 जिला स्कूल, दुमका - स्काउट, विकास कुमार साह;संत तेरेसा गर्लस हाई स्कूल, दुधानी - गाईड, संगीता किस्कु; आवासीय विद्यालय कड़हलबील, दुमका - गाईड, अनिता टुडू;राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, दुमका - गईड, सुनिता बास्की; श्वान दस्ता, दुमका, अखिलेष कुमार सिंह एवं फायर ब्रीगेड, दुमका, भरत मोहन लाल प्रधान ने भाग लिया तथा राष्ट्रगान में राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, दुमका, अनुसूचित जनजाति आवासीय बालिका उच्च विद्यालय कड़हरबील एवं बाल भारती, दुमका। राष्ट्रीय ध्वज के प्रभारी सार्जेन्ट रंजीत कुमार तथा निरीक्षण वाहन चालक राजीव रंजन थे। 

राज्यपाल से मिलकर उच्च न्यायालय के खंडपीठ की मांग की
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गोपेश्वर प्रसाद झा के नेतृत्व में दिन शुक्रवार को अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल झारखंड के राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू से मिला। प्रतिनिधि मंडल में संघ के अध्यक्ष सहित महासचिव सुबोधचंद्र मंडल, सरकारी अधिवक्ता सह पूर्व अध्यक्ष रामजी साह, गंगाराम महतो, राजा खान, कुमार प्रभात, प्रदीप कुमार सिंह व जुथिका मुर्मू शामिल थे। उपराजधानी दुमका में झारखंड उच्च न्यायालय के खंडपीठ की स्थापना की मांग राज्यपाल से की गई। बिहार रिआॅगेनाईजेशन एक्ट 2000 के तहत राज्य की राजधानी में उच्च न्यायालय के खंडपीठ की स्थापना के प्रावधान से राज्यपाल को अवगत कराया गया। संघ के अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा  संताल परगना आदिवासी बहुल क्षेत्र है। वर्तमान मे झारखंड उच्च न्यायालय मे करीब 8 हजार मामले संताल परगना क्षेत्र के लंबित है। उपराजधानी होने के नाते दुमका में खंडपीठ की स्थापना के लिए पूर्व में काफी प्रयास किये जा रहे है। इसके लिए लगभग 16 एकड़ जमीन अधिग्रहित किया जा चुका है। वन क्षेत्र की जमीन के लिए वन विभाग ने मुआवजा भी प्राप्त कर लिया है,  बावजूद मामला ज्यों का त्यों लटका हुआ है। सरकारी अधिवक्ता सह पूर्व अध्यक्ष रामजी प्रसाद साह ने कहा सरकार व मुख्य न्यायणीश चाहें तो दुमका सर्किट कोर्ट बिठाई जा सकती है। 

मैट्रिक-इन्टर टाॅपर छात्र-छात्राओं को राज्यपाल ने किया पुरस्कृत बी.बी.सारस्वत
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स्वतंत्रता दिवस 2015 के अवसर पर उप राजधानी दुमका में झंडोत्तोलन के बाद राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने मैट्रिक तथा इन्टरमीडिएट में जिले में टाॅप करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया। बालक वर्ग में उच्च विद्यालय रानीबहाल दुमका के छात्र संदीप सेन तथा बालिका वर्ग में सं0 बा0 उ0 म0 वि0 महारो के राजलक्ष्मी मुखजी को , इन्टर मीडिएट विज्ञान बालक वर्ग में $2 जिला स्कूल, दुमका के छात्र अथर परवेज, जबकि बालिका वर्ग में $2 नेषनल उच्च विद्यालय के छात्रा अनुराधा भारती पुरस्कृत की गई। इन्टर कला क्षेत्र में जगन्नाथ मिश्र इन्टर काॅलेज काठीकुण्ड के विषाल कुमार एवं कस्तुरबा, दुमका के सलमा खातुन को तथा इन्टर वाणिज्य में एम0 जी0 इन्टर काॅलेज रानेष्वर के कृतिमोर तथा कस्तुरबा सरैयाहाट के चंचला कुमारी को मैट्रिक में टाॅप आने पर पुरस्कृत किया गया। अतिवृष्टि के कारण 5 अगस्त 2015 को मयूराक्षी नदी में स्नान करने गये स्कूली बच्चों के डूब जाने के उपरांत नदी से शव को निकालने में सराहनीय भूमिका के लिए रामचन्द्र साह, रामचन्द्र मंडल, अषोक मंडल, उत्तम मण्डल,भोला मण्डल, धरमदेव पुजहर पप्पु शर्मा दिलिप स्वर्णकार, सौरभ कुमार, गिरिधारी झा, हलधर मंडल को प्रषस्ति प्रत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। 
       
शहीदों के त्याग व बलिदान के कारण ही दासता से मुक्त हुए-राज्यपाल 
69 वें स्वतंत्रता दिवस (राष्ट्रीय पर्व) समारोह की सुखद बेला में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी सहित अन्य महान विभूतियों व झारखंड के अमर शहीदों-बिरसा मुण्डा, सिदो-कान्हु, चाँद-भैरव, बुधु भगत, नीलाम्बर-पीताम्बर, शेख भिखारी, टिकैत उमराॅंव सिंह, ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, पांडेय गणपत राय सहित उन सभी वीर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा इन शहीदों के त्याग व बलिदान के कारण ही अंग्रेजी दासता से मुक्त हुआ हमारा देश। दुमका के एतिहासिक पुलिस लाइ्र्रन मैदान में झंडोत्तोलन के बाद अपने संबोधन में उपरोक्त बातें झारखण्ड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कही। उन्होनें कहा इन वीर सपूतों की बदौलत ही हम स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिक कहलाने का गौरव प्राप्त कर रहे हैं। उप राजधानी दुमका के पुलिस लाईन मैदान में 15 अगस्त को झंडोत्तोलन के बाद अपने संबोधन में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा।

​‘ज़िंदगी गुलजार है‘ की वापिसी

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लौटा! जिं़दगी द्वारा अपने दर्शकों को आनंद उठाने का एक बेमिसाल कारण दिया जा रहा है। ज़िंदगी चैनल पर हाल के दिनों में सबसे हिट रहे शो ‘जिंदगी गुलजार है‘ की चैनल पर वापसी हो रही है। फवाद खान और सनम सईद अभिनीत शो का प्रसारण 15 अगस्त से शाम 7 बजे से शुरू हो रहा है। इस प्रकार दर्शकों को कशाफ और जारून के जादू को दोबारा जीवंत बनाने का मौका मिलेगा। कशाफ (सनम सर्दद) एक मध्यम वर्गीय परिवार की बेटी है। उसके अब्बू ने दूसरी महिला से शादी करने के लिये और बेटा पाने के लिये उसकी अम्मी को तीन बेटियों के साथ छोड़ दिया था। 

कशाफ जब एक एलीट यूनिवर्सिटी से जुड़ती है, तो उसके मन में असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है। कहानी में कशाफ और जारून (फवाद खान) के बीच के संबंधों पर जोर दिया गया है। जारून एक संभ्रात और टूटे हुये परिवार का लड़का है। कहानी में दिखाया गया है किस प्रकार यूनिवर्सिटी में उनकी मुलाकात नापसंदगी के साथ होती है और फिर दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं तथा एक खूबसूरत परिवार बन जाता है। सुल्तान सिद्दीकी द्वारा निर्देशित शो में सनम सईद, फवाद खान, समीना पीरजादा सहित कई दिग्गज कलाकारों ने प्रमुख भूमिका निभाई है। यदि आपने ‘जिं़दगी गुलजार है‘ नहीं देखा है, तो इस बार देखें। देखते रहिये, ‘जिं़दगी गुलजार है‘, 15 अगस्त से शाम 7 बजे, प्रत्येक सोमवार से शनिवार, सिर्फ ज़िंदगी पर

अब होगा जलवा ए आर रहमान और एन.एच7 वीकेंडेर का...!!!

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यदि म्यूजिक की बात हो तो, जुबान पर विलक्षण ए. आर. रहमान का नाम न आये हो ही नहीं सकता।कई बार के राष्ट्रीय पुरूस्कार और ऑस्कर विजेता और टाइम मैंगज़ीन द्वारा सबसे ज़्यादा प्रभवित करने वाली शख्सियत से नवाज़े गए रहमान अब कुछ ऐसा करते नज़र आएंगे जो आज तक  नहीं देखा गया होगा।इस वर्ष वह बकार्डी एन एच 7 वीकेंडेर में अपनी प्रस्तुति के साथ दर्शकों के बीच में एक ऐसा जादू बिखेरने जा रहे है जो आज तक कभी महसूस नहीं किया गया होगा।

सन् 2010 से ही बकार्डी एन. एच 7 वीकेंडेर, दर्शकों के लिए म्यूजिक में हमेशा  बहुत कुछ नया प्रदर्शित करते रहे हैं और दुनियाभर के चुनिंदा और जोशीले कलाकारों को इस मंच के माध्यम से उनके चहेते फैंस के सामने प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित करते रहें हैं।और इसीलिए इसे भारत का हैप्पीएस्ट म्यूजिक फेस्टिवल का खिताब दिया गया है।दिल्ली, पूना और l में इस फेस्टिवल की शानदार प्रस्तुतियों को देखने के बाद शायद ही कोई ऐसा म्यूजिक दीवाना होगा जो ए. आर. रहमान जैसे दिग्गज कलाकार और एन. एच.7 वीकेंडेर के दीवाने दर्शकों से भरपूर इस सुनहरे अवसर को  खोना चाहेगा ।

प्रधानमंत्री एक माह में तीसरी बार बिहार पहुंचे

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प्रधानमंत्री बनने के बाद एक माह के अंदर तीसरी बार बिहार दौरे पर आज यहां पहुंचे श्री नरेन्द्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया । वायुसेना के विशेष विमान से एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री श्री मोदी का पटना के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविन्द और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्यों ने उनका स्वागत किया । श्री मोदी हवाई अड्डा से हेलीकाप्टर से सीधे आरा के लिए प्रस्थान कर गये जहां 62 सौ करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली बक्सर-पटना फोरलेन समेत राज्य की दस राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे। 

प्रधानमंत्री के साथ केन्द्रीय सड़क परिवहन. राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी भी साथ आये हैं । श्री मोदी इसके बाद सहरसा जायेंगे और वहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से आयोजित परिवर्तन रैली को संबोधित करेंगे। ऐसी संभावना है कि प्रधानमंत्री बिहार के लिए 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा करेंगे। प्रधानमंत्री के बिहार दौरे के दौरान सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये है। आरा की सभा के दौरान ड्रोन से भी निगरानी की व्यवस्था की गयी है । सभास्थल वीर कुंवर सिंह मैदान के आसपास बड़ी संख्या में पुलिस और सुरक्षा बल के जवान तैनात किये गये हैं । 

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की पत्नी शुभ्रा का निधन

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राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की पत्नी शुभ्रा मुखर्जी का आज यहां निधन हो गया। वह 75 साल की थीं। श्रीमती मुखर्जी लंबे समय से बीमार चल रही थीं और उन्होंने 10 बजकर 51 मिनट पर राजधानी स्थित सेना के रिसर्च एंड रेफरल (आरआर) अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में अंतिम सांस ली। उन्हें गत सात अगस्त को सांस लेने में तकलीफ के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चिकित्सकों ने उन्हें गहन निगरानी में रखा था।

अविभाजित भारत के पश्चिम बंगाल के जेसोर (अब बंगलादेश) में 17 सितम्बर 1940 को जन्मीं श्रीमती मुखर्जी की शादी 13 जुलाई 1957 को हुई थी। इनके दो पुत्र, अभिजीत मुखर्जी और इंद्रजीत मुखर्जी तथा एक पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी हैं। श्रीमती मुखर्जी न केवल एक प्रतिभावान चित्रकार थीं, बल्कि रवीन्द्र संगीत की बेहतरीन गायिका भी थीं। पेंटर के तौर पर उनकी अनेक एकल और सामूहिक प्रदर्शनियां भी आयोजित की गई थीं, जबकि बतौर गायिका उन्होंने ‘गीतांजलि ट्रूप’ की स्थापना की थी। देश की प्रथम महिला नागरिक ने दो पुस्तकें भी लिखी हैं।

इंडोनेशियाई विमान में सवार सभी 54 लोगों के शव मिले

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इंडोनेशिया के पापुआ प्रांत के पर्वतीय क्षेत्र में दो दिन पहले दुर्घटनाग्रस्त हुए त्रिगना हवाई सेवा के यात्री विमान में सवार सभी 54 लोगों के शव मिल गये हैं और तलाशी एवं बचाव दल ने विमान का ब्लैक बॉक्स भी बरामद कर लिया है। परिवहन मंत्रालय के अधिकारी जूलियस अरिवदा बैराटा ने कहा “स्थानीय समयानुसार एक बजकर 40 मिनट पर त्रिगना हवाई सेवा के विमान का ब्लैक बॉक्स मिला।” इससे पहले राष्ट्रीय तलाशी एवं बचाव एजेंसी ने आशंका जतायी कि एटीआर-42-300 विमान नदी में गिरने से पहले बिनटैंग पर्वतीय जिले में किसी पहाड़ी से टकराया होगा। विमान में सवार सभी लोग इंडोनेशिया के नागरिक थे।

एजेंसी के अभियान निदेशक मेजर जनरल हेरोनिमस गुरु ने संवाददाताओं से कहा कि यात्रियों के शव बरामद कर लिए गए है। उन्होंने कहा “आशंका है कि विमान पहाड़ी से टकराकर नदी में गिरा था।” इस विमान में 44 वयस्क, पांच बच्चे और शिशु तथा चालक दल के पांच सदस्य सवार थे। यह विमान दूरवर्ती गांवों के लिए चार लाख 70 हजार डॉलर की सहायता राशि भी ले जा रहा था।

हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन रुपयों का विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से कोई संंबंध है या नहीं। त्रिगना हवाई सेवा कंपनी को सुरक्षा एवं नियामक चिंताओं के कारण वर्ष 2007 से यूरोपीय संघ ने प्रतिबंधित कंपनी की सूची में शामिल कर रखा है। वर्ष 1991 में विमानन सेवा शुरु करने से लेकर अब तक त्रिगना हवाई सेवा के विमानों के साथ 14 गंभीर घटनाएं हो चुकी है।

विमानन क्षेत्र में इंडोनेशिया का रिकार्ड खराब रहा है। गत दिसंबर में एयर एशिया का विमान जावा समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसमें सवार सभी 162 लोगों की मौत हो गई थी। जून में सैन्य विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से 100 से ज्यादा की मौत हो गई थी।

नवाज शरीफ ने भारत के साथ वार्ता के एजेंडे को मंजूरी दी

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पाकिस्तान तथा भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की अगले सप्ताह नयी दिल्ली में होने वाली बैठक की विषय सूची को मंजूरी दे दी है । श्री नवाज शरीफ ने यह मंजूरी कल आंतरिक तथा विदेश नीति से संबंधित मंत्रियों की बैठक में दी । मंत्रियों की यह बैठक लगभग तीन घंटे तक चली । बैठक में प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा तथा विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज, गृहमंत्री चौधरी निसार अली खां , वित्त मंत्री इशाक डार, विदेशी मामलों के प्रधानमंत्री के सहायक तारिक फातमी तथा विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी ने भाग लिया । 

बैठक के बाद सरताज अजीज ने कहा कि पाकिस्तान अपना एजेन्डा भारत को उसकी पुष्टि के लिए भेजेगा।सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने 23 तथा 24 अगस्त को नयी दिल्ली में होने वाली इस बैठक में बलूचिस्तान, कराची तथा कबायली क्षेत्र की अशांति में भारत की संलिप्तता का सवाल उठायेगी । 

शुभ्रा मुखर्जी के निधन पर मोदी, साेनिया ने जताया शोक

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत विभिन्न दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की पत्नी शुभ्रा मुखर्जी के निधन पर गहरा दु:ख जताया है। श्रीमती मुखर्जी का आज यहां सेना के रिसर्च एंड रेफरल (आरआर) अस्पताल में निधन हो गया। वह 75 वर्ष की थीं और पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं। श्री मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा, “मुझे श्रीमती शुभ्रा मुखर्जी के निधन की खबर से गहरा दुख पहुंचा है। दु:ख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं राष्ट्रपति जी और उनके परिवार के साथ हैं।” उन्होंने कहा कि श्रीमती मुखर्जी के व्यक्तित्व में गहरी आत्मीयता थी। उन्हें कला, संस्कृति और संगीत प्रेमी के तौर पर याद किया जाएगा।

श्रीमती गांधी ने कहा कि दु:ख की इस घड़ी में वह, कांग्रेस पार्टी और पूरा देश शोक संतप्त परिवार के साथ है। जनता दल (यू) के अध्यक्ष शरद यादव ने श्रीमती मुखर्जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह संगीत के प्रति समर्पित थीं और जीवनभर इसके लिए समर्पित रहीं।

सुप्रीम कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी

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सुप्रीम कोर्ट को धमाके से उड़ाने की धमकी मिली है. प्राप्त जानकारी के अनुसार एक अज्ञात मेल भेजकर यह धमकी दी गयी है. बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट प्रशासन को यह मेल पिछले सप्ताह भेजा गया था जिसके बाद यहां की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है.

1993 मुंबई धमाके के आरोपी याकूब मेमन को फांसी की सजा सुनाने वाले जज दीपक मिश्रा को भी धमकी भरा खत मिल चुका है. जज दीपक मिश्रा को पिछले दिनों डाक के द्वारा एक बेनाम खत मिला है जिसमें उन्हें जान से मारने की धमकी दी गयी है. इस संबंध में दिल्ली के तुगलक रोड थाने में मामला दर्ज कर लिया गया. इस खत के बाद याकूब मेमन को फांसी की सजा सुनाने वाले तीनों जजों की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. खत के ऊपर किसी का नाम नहीं लिखा है. 

बिहार को मिला सवा लाख करोड़ रूपये का विशेष आर्थिक पैकेज

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज बिहार के लिए सवा लाख करोड़ रूपये के विशेष आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की । श्री मोदी ने यहां रमना मैदान में 62 सौ करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली बक्सर- पटना फोरलेन. 22 कौशल विकास केन्द्र के अलावा नौ राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास करने के बाद बिहार के विकास के लिए सवा लाख करोड़ रुपये का विशेष आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इसके अलावा राज्य में पूर्व से चल रही योजनाओं के तहत 40 हजार 657 करोड़ रुपया दिया जायेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव के समय बिहार को 50 हजार करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की थी , लेकिन जब उनकी सरकार बनी और बिहार के लिए पैकेज के संबंध में विचार किया गया तब लगा कि राज्य के विकास को लेकर जो उनकी सोच है उसके लिए 50 हजार करोड़ रुपया पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके बाद उनकी सरकार ने राज्य को सवा लाख करोड़ रुपये का  पैकेज देने का निर्णय लिया, लेकिन संसद का मानसून सत्र चालू रहने के कारण उन्होंने बिहार के पिछले दौरों में इसकी घोषणा नहीं की। श्री मोदी ने कहा कि राज्य को इससे पहले भी दो बार विशेष पैकेज दिया गया था। इसमें से पहला पैकेज दस हजार करोड़ रुपये का श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकारके समय तब मिला था जब बिहार का विभाजन हुआ था । उन्होंने कहा कि इसमें से वर्ष 2013 तक राज्य सरकार नौ हजार करोड़ रुपया ही खर्च कर पायी और एक हजार करोड़ रुपया खर्च नहीं हो पाया। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2013 में बिहार में एक राजनीतिक तूफान आया जिसकी चर्चा आज वह नहीं करेंगे, इसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री दिल्ली पहुंचकर केन्द्र सरकार के सामने काफी गिड़गिड़ाये और इज्जत की दुहाई देकर बिहार के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ किया। इसके बाद केन्द्र ने बिहार के लिए 12 हजार करोड़ का पैकेज दिया, लेकिन इसमें भी वाजपेयी सरकार के दिये गये पैकेज में से बचे एक हजार करोड़ रुपये को जोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि अबतक इस राशि में से मात्र चार हजार करोड़ रिपीट चार हजार करोड़ रुपया ही खर्च हुआ है। वर्ष 2013 और 2014 तक इसमें से मामूली खर्च ही किया गया था लेकिन जब केन्द्र में उनकी सरकार बनी तब जाकर कुछ खर्च हो पाया। श्री मोदी ने कहा कि सवा लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज के अतिरिक्त पूर्व की सरकार के समय के बाकी 8282 करोड़ , राष्ट्रीय राजमार्ग की चालू योजनाओं के 12 हजार
करोड़ और बांका में लोक निजी भागीदारी से स्थापित होने वाले विद्युत संयंत्र के लिए 20 हजार करोड़ रुपया को जोड़ दिया जाये तो बिहार को एक लाख 65 हजार करोड़ रुपया  मिलेगा। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका वादा है कि आज जो घोषणा की गयी है उसे वह लागू कर के रहेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस राशि से बिहार के विकास को नयी ताकत  मिलेगी और बिहार पूर्वी भारत के विकास में अहम भूमिका अदा करेगा । श्री मोदी ने कहा कि देश की समस्याओं से मुक्ति विकास के रास्ते ही मिल सकती है। उन्होंने कहा कि नौजवानों को रोजगार, गांवों का विकास, किसानों का भला और गरीबी से मुक्ति विकास से ही संभव है। विकास के लिए बिहार में नयी ताकत मिले और बिहार नयी ऊचाइयों को पार करे इसके लिए राज्य को सवा लाख करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को आगे बढ़ना है तो पूर्वी भारत के पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम को आगे बढ़ना ही होगा । बिना इसके देश का भला नहीं होने वाला है । उन्होंने कहा कि उनकी सरकार टुकड़ों में नहीं सोचती है और टुकड़ों में विकास हो भी नहीं सकता है। जबतक समेकित योजना न बनायी जाये तो परिणाम नहीं निकलता है। इसलिए उनकी सरकार  ने मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और अब स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसी योजना शुरु की है।

सवा लाख करोड़ रुपए के नए पैकेज, चालीस हजार करोड़ के अतिरिक्त निवेश, सामाजिक सुरक्षा के व्यापक कार्यक्रमों और टैक्स में छूट के द्वारा औद्योगीकरण को बढ़ावा देने से बिहार में विकास के नए रास्ते खुलेंगे। सरकार का लक्ष्य राज्य के युवा वर्ग को रोजगार देने के लिए अधिक से अधिक औद्योगिक इकाइयों की स्थापना करने की है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आयकर कानून में संशोधन कर बिहार के पिछड़े क्षेत्रों में नए उद्योग स्थापित करने हेतु संयंत्र और मशीनरी की लागत में 15 प्रतिशत की राशि के बराबर टैक्स में अतिरिक्त कटौती का प्रावधान किया गया है। यह कटौती एक अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2020 तक की अवधि के बीच हुए निवेश पर लागू होगी। साथ ही नए संयंत्रों और मशीनरी में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए भी एक अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2020 तक की अवधि के बीच पिछड़े क्षेत्रों में निवेश की 15 प्रतिशत अतिरिक्त राशि अवमूल्यन भत्ते के तौर पर पहले वर्ष में दी जाएगी। वर्ष 2013 में 12,000 करोड़ रुपए की लागत से बिहार के लिए एक विशेष योजना की घोषणा की गई थी। केंद्र द्वारा इन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में तेजी लाई गई है। इसके तहत बचे हुए कार्यक्रमों को 8,282 करोड़ रुपये की धनराशि मुहैया कराकर पूरा किया जाएगा।

FTII के डायरेक्टर पुलिस की मदद से छुड़ाए गए

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एफटीआईआई परिसर में उग्र हड़ताली छात्रों को काबू करने के लिए बीती रात वहां पुलिस ने प्रवेश किया. पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर छात्रों की भीड़ को तितर-बितर किया. यहां छात्र अधूरे डिप्लोमा परियोजना के आकलन को अनुचित बताते हुए निदेशक प्रशांत पाथराबे का घेराव कर रहे थे.

परिसर में करीब 40 छात्रों ने कल शाम पाथराबे का घेराव किया जिससे वहां तनाव फैल गया और छात्र वहां से तब तक नहीं हटे जब तक कि उन्होंने 2008 बैच की अधूरी फिल्म परियोजना के जारी आकलन पर उचित  जवाब नहीं दिया. इससे पहले आज शाम पाथराबे ने कहा था कि छात्रों ने उनका घेराव किया लेकिन वह सुरक्षित हैं. इधर छात्रों के एक प्रतिनिधि ने कहा कि उन्होंने निदेशक को उनके कार्यालय में रोक लिया था  क्योंकि उन्होंने फिल्म परियोजनाओं के अनुचित आकलन को जारी रखने का निर्णय किया था.

एफटीआईआई छात्र संगठन ने आरोप लगाया है कि आकलन राजनीतिक रूप से प्रेरित है और 2008 बैच के 50 छात्रों से अधूरी परियोजनाओं के कारण ज्यादा समय तक  परिसर में रहने से छुटकारा पाना है. पार्थराबे ने कहा कि आकलन को लेकर वह मंत्रालय के आदेशों का पालन कर रहे हैं.
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