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झारखण्ड विशेष : राजसत्ता और ग्रामसत्ता के बीच संघर्ष क्यों?

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झारखंड में राजससत्ता और ग्रामसत्ता के बीच संघर्ष पिछले लगभग 150 वर्षों से जारी है। इसकी शुरूआत अंग्रेजों के भारत आने के बाद हुई जब उन्होंने कानूनी जामा पहनाकर जीवन जीने के मूल संसाधन - जंगल और जमीन पर कब्जा करना प्रारंभ किया। इसके खिलाफ बाबा तिलका मांझी, सिदो-कान्हो और कई आदिवासियों ने बगावत की और राजसत्ता ने उन्हें फांसी पर लटका दिया। इसी क्रम में बिरसा मुंडा को जेल में डाल दिया गया जहां उनकी मृत्यु हो गयी। आजादी के बाद इन संसाधनों पर कब्जा करने की प्रक्रिया भारतीय शासकों के साथ-साथ व्यापारी वर्ग ने भी प्रारंभ की क्योंकि शासन को अप्रत्यक्ष रूप से व्यापारी वर्ग ही चलाने लगे। उन्होंने अपने फायदे के अनुसार कानून और नीतियां बनवायी लेकिन ग्रामसत्ता ने इसे स्वीकार नहीं की और न कभी हार मानी इसलिए संघर्ष जारी रहा। 

झारखंड राज्य गठन के बाद भी राजसत्ता और ग्रामसत्ता का संघर्ष थमने के बजाये और ज्यादा गहराता चला गया। खूंटी जिला स्थिति तपकारा में कोईल-कारो परियोजना का विरोध करने वाले आंदोलनकारियों पर पुलिस ने फायरिंग की जिसमें 8 लोग शहीद हुए। लेकिन राजसत्ता यहां के संसाधनों को बेचने का काम जारी रखा, जिसके लिए 104 एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर हुए। दूसरी ओर ग्रामसत्ता ने संसाधनों को बेचने के खिलाफ मोर्चा खोलकर रखा। फलस्वरूप, अधिकांश एम.ओ.यू. को जमीन पर नहीं उतारा जा सका। कोल्हान में जिंदल स्टील, भूषण स्टील और एस्सार का विरोध करने वालों के खिलाफ मुकदमा किया गया वही दुमका जिले के काठीकुंड में पावर प्लांट का विरोध करने वालों पर गोली चली, जिसमें 2 लोग शहीद हुए, कई घायल हैं और कई आंदोलनकारियों को महीनों तक जेल में बंद रखा गया। जब आदिवासियों ने जादुगोड़ा स्थित यूसीएल के खिलाफ मोर्चा खोला तो वहां भी राजसत्ता का दमन जारी रहा। इसलिए सवाल यह उठता है कि आखिर राजसत्ता और ग्रामसत्ता के बीच का संघर्ष का कोई अंत है? यह समझना बहुत जरूरी है कि इस संघर्ष के पीछे मौलिक कारण क्या है? और इसका अंत क्या होगा? 

संसाधन पर कब्जाः झारखंड में देश का कुल 40 प्रतिशत खनिज सम्पदा है, जो मुख्यतः आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्थित है। आदिवासी समुदाय का जीवन चक्र प्रकृतिक संसाधन - जल, जंगल और जमीन पर आधारित है। साथ ही यह समुदाय लाभ पर आधारित नहीं है तथा सामुदायिकता, समानता और स्वतंत्रता इसके प्रमुख चरित्र है, जिसकी वजह से इस समुदाय ने प्रकृतिक संसाधनों का आपने जरूरत के हिस्साब से उपयोग किया लेकिन निजी फायदे के लिए इसका दोहन नहीं किया। इन्हें यह पता है कि उनका जीवन धरती पर तभी तक है जबतक प्राकृतिक संसाधन बरकरार हैं। लेकिन राज्यसत्ता इन संसाधनों का आर्थिक विकास के नाम पर दोहन कर उससे भारी मुनाफा कमाना चाहती है इसलिए इसे किसी भी कीमत पर अपने कब्जे में करना चाहती है। लेकिन ग्रामसत्ता इससे देने को तैयार नहीं है क्योंकि ग्रामसत्ता का आधार भी ये संसाधन ही हैं।  

अन्यायपूर्ण नीतिः राजसत्ता ने प्रारंभ से ही अन्यायपूर्ण नीति बनायी और उसको लागू किया। संसाधन समुदाय के कब्जे में था लेकिन अंग्रेज सरकार ने 1793 में स्थायी बंदोबस्त कानून लाकर समुदाय को ही तितर-बितर कर दिया। इसके बाद 1865 में जंगलों को कानूनी जामा पहनाकर अपने कब्जे में कर लिया। पुनः विकास के नाम पर 1894 में भूमि अधिग्रहण कानून, इंडस्ट्रिज डेवलपमेन्ट एंड रेग्यूलेशन एक्ट 1951 एवं कोल व्यारिंग एक्ट 1957 बनाया गया। वन्यजीवन संरक्षण के नाम पर 1972 में और वन संरक्षण के नाम पर 1980 में कानून बनाया गया। इस तरह से कानूनी जामा पहनाकर राजसत्तापूरी तरह से प्रकृतिक संसाधनों पर कब्जा जमा लिया। वहीं ग्रामसत्ता के भारी विरोध को देखते हुए राजसत्ता ने संताल परगना काश्तकारी अधिनियम, विलकिल्सन रूल्स, छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, वन अधिकार कानून एवं पुनर्वास नीति बनायी, लेकिन इसको ईमानदारी पूर्वक लागू ही नहीं किया गया। ये क्रांतिकारी कानून और नीतियां सिर्फ जनाक्रोस को दबाने के लिए बनाया गया। लोगों के आजीविका के संसाधन विकास, वन एवं वन्यजीवन संरक्षण एवं राष्ट्रहित के नाम पर छिन लिया गया लेकिन उन्हें न ही उचित मुआवजा दिया गया और न ही किसी तरह की पुनर्वास की गई।

ग्रामसत्ता को नाकारनाः अंग्रेज सरकार को ग्रामसत्ता के ताकत का एहसास था और ग्रामसत्ता के विरोध को झेल नहीं पाने के कारण ही अंग्रेजो ने संताल परगना काश्तकारी अधिनियम, विलकिल्सन रूल्स एवं छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम बनाये थे। लेकिन आजादी के बाद भारत सरकार ने आदिवासियों के ग्रामसत्ता को ही नाकार दिया। इसका कारण यह था कि अगर ग्रामसत्ता को मजबूत बनाया गया होता तो राजसत्ता प्राकृतिक संसाधनों का दोहन नहीं कर पाती। लेकिन आदिवासियों के भारी विरोध के बाद केन्द्र सरकार ने भी 1996 में पेसा कानून के माध्यम से आदिवासी ग्रामसत्ता को कुछ हद तक संवैधानिक अधिकार दे दिया। लेकिन झारखंड राज्य के गठन के बाद राज्यसत्ता ने फिर से झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 के द्वारा ग्रामसत्ता को छलते हुए उसकी असली ताकत को समाप्त खत्म कर दिया गया है। फलस्वरूप, राज्यसत्ता और ग्रामसत्ता के बीच संघर्ष जारी है। इसकी वजह यह है कि राज्यसत्ता को मालूम है कि अगर ग्रामसत्ता मजबूत हो गया तो उनसे प्राकृतिक संसाधन छिनकर बाजार में बेचना बहुत मुश्किल हो जायेगा। इसलिए ग्रामसत्ता को नाकार कर उसे कमजोर कर दिया जाये ताकि अंत में ग्रामसत्ता स्वयं को राजसत्ता के हवाले कर दे। लेकिन ग्रामसत्ता अभी भी कुछ हद तक ताकतवर है फलस्वरूप राजसत्ता के खिलाफ संघर्ष जारी है।  

ताकतवर बनने की नीति: आज दुनियां में जिनके पास जितना ज्यादा संसाधन है वह उतना ही ताकतवर है। इसीलिए भारत सरकार देश के पूरे संसाधनों को अपने कब्जे में लेकर दुनियां को अपने ताकत का एहसास कराना चाहती है। चूंकि देश में संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद सरकार ताकतवर नहीं बन पायी है। लेकिन वहीं दूसरी ओर अधिकतर राज्य ऐसे हैं, जिनकी निर्भरता 70 से 80 प्रतिशत केन्द्र सरकार पर ही रहती है। लेकिन खासकर आदिवासी बहुल राज्य, जिनके पास प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में है वे केन्द्र से ज्यादा स्वतंत्र है तथा आत्मनिभर बनना चाहते हैं। इसलिए वे इन संसाधनों को पूरी तरह से जनता से छिनकर अपने कब्जे में करना चाहते है, जिससे कि वे इससे बेचकर आर्थिक रूप से आत्मनिभर बने तथा केन्द्र सरकार को अपने ताकत का एहसास करा सके। लेकिन अभी तक प्राकृतिक संसाधन ग्रामसत्ता के अधीन है और ग्रामसत्ता इन संसाधनों को किसी भी कीमत पर राज्य के कब्जे में देने को तैयार नहीं है क्योंकि ये संसाधन ही ग्रामसत्ता के ताकत का मुख्य आधार हैं।

राजसत्ता का दमनः राजसत्ता जिसका प्रमुख दायित्व लोगों के संवैधानिक प्रदत्त अधिकारों को सुनिश्चित करना है। लेकिन झारखंड में यह हमेशा से ही विपरीत दिशा में चलती दिखती है। जब-जब लोगों ने अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर सरकार के अन्यायपूर्ण नीतियों का अहिंसक तरीके से विरोध किया है तब-तब उन्हें राजसत्ता का दमन झेलना पड़ा है। लोग कई गोलीकांड में मारे गये, उनके खिलाफ मुकदमा किया गया, उन्हें जेल में डाला गया और उन्हे यातना दी गई। इतना ही नहीं अन्यायपूर्ण विकास प्रक्रिया का विरोध करने वालों को विकास विरोधी, देशद्रोही और नक्सलवाद का समर्थक तक कहा गया। लगभग 1000 लोग पुलिस फायरिंग और फर्जी मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं और 6000 लोगों विभिन्न जेलों में बंद हैं। इसलिए अगर इस तरह से राजसत्ता का दमन जारी रहेगा तो स्वाभाविक है कि राज्यसत्ता और ग्रामसत्ता के बीच संघर्ष होगा। इसलिए राज्यसत्ता को आत्मविश्लेषन करना चाहिए कि क्या वह अपने संवैधानिक दायित्वों का सही तरीके से निर्वाहण कर पा रहा है?

ऐसी स्थिति में राज्यसत्ता और ग्रामसत्ता के बीच सदियों से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए राजसत्ता को ही कुछ ठोस कदम उठाना होगा। इसके लिए सबसे पहले ग्रामसत्ता को स्वीकार करते हुए पेसा कानून के तहत राज्य के योजना निमार्ण, कार्यान्वयन एवं अनुपालन में भागीदार बनाना, राजसत्ता का दमन रोकना, लोगों के संवैधानिक अधिकारों को ईमानदारी पूर्वक सुनिश्चित करना, आजीविका के संसाधना से बेदखल किये गये लोगों को संसाधन मुहैया कराना तथा अन्यापूर्ण तरीके से लोगों का संसाधन छिनना बंद करना होगा। ग्रामसत्ता को प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार देना ही इसमें सबसे बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा जो राज्यसत्ता और ग्रामसत्ता के टकराव को समाप्त कर देगा। लेकिन अनुत्तारित प्रश्न यह है कि क्या राज्यसत्ता इसके लिए तैयार भी होगा?



live aaryaavart dot com---ग्लैडसन डुंगडुंग ---
लेखक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। 

छत्तीसगढ़ : बहुचर्चित यूटीआई धोटाला मामला।

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छ0ग0। चिरमिरी निगम के बहुचर्चित यूटीआई धोटाले के आरोपी महापौर डम्बरू बैहरा को दी गयी जमानत की षर्तों का उलंधन करते हुए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेषन में दिल्ली जाने के कारण चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकत्र्ता राजकुमार मिश्रा ने न्यायालय में आवेदन पेष कर मांग किया है कि जमानत की षर्तो का उलंधन करने के कारण आरोपी महापौर का जमानत निरस्त किया जाय। इस आवेदन पर न्यायालय ने चिरमिरी थाना प्रभारी को जांच का आदेष दिया। 
     
यूटीआई धोटाले में न्यायालय द्वारा दिये आदेष के बाद चिरमिरी थाना में दर्ज प्राथमिकी क्र.319/2013 (छ0ग0 षासन विरूद्ध डम्बरू बैहरा (महापौर) व दो अन्य) दिनांक-16.07.2013, अंर्तगत धारा-409, 34 में चिरमिरी पुलिस द्वारा आरोपी महापौर डम्बरू बैहरा को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेष करने पर दिनांक 04.12.2013 को प्रभारी न्यायालय मनेंद्रगढ़ द्वारा आरोपी महापौर को दी गयी जमानत में, जमानत की षर्तो का उल्लंधन करने के कारण आरोपी का जमानत निरस्त करने हेतु आरटीआई कार्यकत्र्ता राजकुमार मिश्रा ने प्रभारी न्यायालय मनेंद्रगढ़ में आवेदन प्रस्तुत किया है।
     
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नगर पालिक निगम चिरमिरी (निगम) में वर्ष 2007 में छ0ग0 राज्य षासन से 4 करोड़ 55 लाख 80 हजार रू. षहर में गौरव पथ निर्माण हेतु प्राप्त हुआ था। आरोपी महापौर व तात्कालिक 2 आयुक्तों के मीलीभगत से इस राषि में से 2 करोड़ 50 लाख का यूटीआई का कैष लिक्वीड प्लान में षेयर खरीद लिया गया। आरोपी महापौर जनहित की इस राषि को षेयर एजेंट के रूप में अपने ही नाम से षेयर खरीदें थे। निगम में महापौर होने के कारण उन्हें राज्य षासन से मानदेय प्राप्त होता है और इस षेयर खरीदी से उन्हें कमिषन प्राप्त हुआ था तथा प्रोत्साहन के रूप में विदेष धूमने गये थे। इस प्रकार उन्हें दोहरा लाभ मिला था।
     
महापौर व दो अन्य आयुक्तों के विरूद्ध चिरमिरी थाना में दर्ज इस एफआईआर पर चिरमिरी पुलिस आरोपी महापौर को गिरफ्तार कर मनेंद्रगढ़ न्यायालय में पेष की थी जिसमें न्यायालय द्वारा आरोपी महापौर का जमानत इस षर्त के अधीन स्वीकार किया गया कि वह न्यायालय के बिना अनुमति के छ0ग0 छोड़कर बाहर नही जायेगा।
     
दिनांक-17, 18 व 19 जनवरी 2014 को दिल्ली के रामलीला मैदान में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेषन हुआ था इस अधिवेषन में कोरिया जिले के तीनों विधायक श्रीमति चंपा देवी पावले, श्री ष्याम बिहारी जयसवाल, श्री भईयालाल राजवाडे, चिरमिरी निगम के आरोपी महापौर श्री डम्बरू बेहरा, मनेंद्रगढ़ के नगर पालिक अध्यक्ष श्री धमंेद्र पटवा आदि षामिल होने के लिए दिल्ली गये थें। न्यायालय द्वारा दिये गये जमानत के उक्त षर्तो के विपरीत आरोपी महापौर  न्यायालय से अनुमति लिए बिना छ0ग0 से बाहर दिल्ली चले गये जो जमानत के षर्तो का स्पष्ट रूप से उल्लंधन है। आरटीआई कार्यकत्र्ता राजकुमार मिश्रा के द्वारा न्यायालय में पेष आवेदन में कहा गया है कि इस तथ्य से स्पष्ट है कि आरोपी महापौर न्यायालय के आदेषों का पालन नही करते, न्यायालय के प्रति कोई सम्मान नही रखते व कानूनी तथ्यों की अनदेखी करने का आदि हैं। इस कारण आरोपी महापौर का जमानत निरस्त किया जाय। इस तरह आरोपी महापौर न्यायालय के आदेष का निरादर कर रहे हंै।
     
आरटीआई कार्यकत्र्ता राजकुमार मिश्रा ने अपने आवेदन में मांग किया है कि आरोपी महापौर के दिल्ली रेल/वायु मार्ग से आने जाने, उक्त अधिवेषन के परिचय पत्र, उसके मोबाईल का उक्त समय अवधि का लोकेषन आदि के जांच से स्पष्ट हो जायेगा कि उपरोक्त समय अवधि मंे आरोपी महापौर कहां थे। आरोपी महापौर रूलिंग राजनीतिक पार्टी के पहंुच और पैरवी का व्यक्ति होने के कारण अपने दिल्ली होेने के साक्ष्य को विलोपित करा सकतें है या किसी तरह से छेड छाड कर सकतें है। न्यायहित में एैसी परिस्थिति में इस तथ्य की जांच सक्षम प्राधिकारी या पुलिस अधीक्षक से कराया जाना चाहिए। आरटीआई कार्यकत्र्ता राजकुमार मिश्रा के इस आवेदन पर न्यायालय ने चिरमिरी थाना प्रभारी को आदेष किया गया है कि पुलिस जांच कर प्रतिवेदन पेष करें कि आरोपी महापौर ने क्या जमानत की षर्तों का उलंधन किया है अथवा नही।

असम की युवती के साथ दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म

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delhi gang rape
दिल्ली में असम की 21 वर्षीया युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना सामने आई है। पुलिस ने रविवार को बताया दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि कुछ ही समय पहले दिल्ली आई युवती के साथ शनिवार दोपहर को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर स्थित एक मकान में दुष्कर्म किया गया। पीड़िता आरोपियों में से एक को जानती थी।

घटना के बाद आरोपी युवती को मकान में ही छोड़कर भाग खड़े हुए। पीड़िता ने बाहर आकर वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति से मदद मांगी और पुलिस को बुलाया। पुलिस ने बताया कि आरोपी राहुल और हारुण को शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया गया।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (23 फरवरी )

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आम आदमी पार्टी झाबुआ की झाडु यात्रा 25 फरवरी से

झाबुआ --आम आदमी पार्टी की राष्टीय स्तर की झाडु यात्रा के तारतम्य मे दुसरे चरण की यात्रा 25 फरवरी को सुबह 9 बजे से बस स्टेण्ड झाबुआ से शुरू होगी जो मेघनगर, कल्याणपुरा, रंभापुर, अगराल, थांदला, पेटलावद, बामनिया, खवासा, रायपुरिया होते हुये अगले दिन 26फरवरी को रतलाम जिले मे प्रवेष करेगी । झाडु यात्रा का उदेष्य लोकसभा मे सदस्यता अभियान चलाना तथा राजनिति मे परिवारवाद की समाप्ति, व्यवस्था परिवर्तन, किसी भी स्तर पर अपराधीकरण  को समाप्त करना तथा तथा भा.ज.पा. एवं कांग्रेस पार्टी के कार्यकाल मे हुये घोटालो एवं परिवारवाद तथा अपराधिकरण के बारे मे जनजागृति किया जाना है । आम आदमी पार्टी के जिला संयोजक पारमसिंह भूरिया, डाॅ. अंबिकाप्रसाद पाठक, एडवोकेट नरेंद्रसिंह सोलंकी, शरद पारीक, अनिल कटारा, दिनेष डामोर, आषीक हुसैन, कैलाष डोडियार, करणसिंह सिंगाड, इस्माईल भाई, लालचंद देवल, महेष वर्मा, जितंेन्द्र राठोर, संजय राठौर, मन्नु मोहनिया ने आम जनता से बडी संख्या मे झाडु यात्रा मे भाग लेने की अपील की है । आम आदमी पार्टाी ने जनता से अपील की है कि अब समय आ गया है आजादी की दुसरी लडाई लडने के लिये जनता घरो से बाहर निकले और व्यवस्था परिवर्तन के लिये आगे आये ।

ईसाई समुदाय ने मनाया परिवार दिवस

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झाबुआ --रविवार स्थानीय कैथोलिक महागिरजाघर के प्रांगण में इसाई समुदाय ने हर्षोल्लास के साथ परिवार दिवस पर्व मनाया। सुबह 8 बजे से ही बड़ी संख्या में इसाई परिवार प्रांगण में एकत्रित होना शुरू हो गये। पर्व की शुरूआत प्रार्थना से हुई व लधु ख्रीस्तीय समुदाय ने वार्ड क्रमाक के अनुसार अपनी अपनी प्रस्तुतीयाॅ दी जो कि किसी न किसी संदेश का वर्णन करती व एक नया संदेश प्र्रस्तुत कर रही थी। प्रथम प्रस्तुती प्रर्थना नृत्य के द्वारा युवाओं ने दी ।समुह गान माधोपूरा द्वारा प्रस्तुत किया गया । राजपूताना बोर्डिंग द्वारा  आंधी को शांत करना येसु मसिह के द्वारा  किस प्रकार किया गया, सुंदर नाटक  प्रस्तुत किया गया । श्रमदान महादान की प्रस्तुति स्नेह सदन बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत की गई । भीली नाटिकारातगी अनेबात गीसेमनरी ब्रदर्सद्वाराप्रस्तुत की जिसमे ंआदिवासी समुदायका शोषण, राजनैतिक ,धार्मिक एवं अशिक्षा पर दर्शाया गया । तत्पश्चात नृत्य एवं नाटिका  की संुदर प्रस्तुति  चर्च माहल्ला लघु ख्रिस्तीय समुदाय क्रमांक 1 के निवासियों ने सर्वप्रथम संुदर नाटिका  अंधे केा दृश्टिदान प्रस्तुत की गई । प्रस्तुतिकरण फ्रांसीस मेडा ,श्रीमती सबिना मेडा, रोजाली खराडी, रेखा मचार श्वेता मेडा जस्टीन शुभम, नयन व नृत्य वार्ड क्रमांक 1 के बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया गया । वार्ड 2 एवं 3 चर्च कालानेी  के बच्चों ने जागो सोने वालों नाटक प्रस्तुत किया । इस आयोजन के बाद पवित्र महागिरजाघर में मिस्सा बलिदान प्रार्थनासभा आयोजित की गई जिसमेंप्रमुख याजक फा. पीटर खराडी, सहायक याजक फा. रिबेलों, फा. स्टीफन, फा. राॅयल, फा. जार्ज,व अन्यपल्ली के फादरगणप्रार्थनासभा मे शामील हुए । फा. पीटर खराडी ने परिवार के बारे में अपने उदबोधन में पवित्र परिवार के स्वरूप  पर जोर देते हुए कहा कि परिवार ही धर्म की आत्माहोती है  जो परिवार के एकता,घार्मिकता,मिलनसारितापर जोर देताहै । परिवार एक पवित्रता युक्त परिवार बन जता है । अंत में सभी समाजजनों ने एक दूसरेपरिवासरों कोपरिवार दिवस की बधाइ्र्रया दी । उक्त जानकारी देते हुए वैभव खराडी ने कहा कि कार्यक्रम का संचालन जेराम बाखला द्वारा किया गया । कार्यक्रम का सफल बनाने में विनय मेडा अमीत मेडा, दिलीपसिंह खराडी,मनोहर बारिया, अनिल भूरिया एवं समस्त फादरगणों, मातामरिया समिति, पल्लीपरिषद का सराहनीय योगदान रहा ।

मर्ग का 01 प्रकरण कायम 

झाबूआ--फरियादी भूपेन्द्र पिता उमरावसिंह चैहान उम्र 58 वर्ष निवासी सारंगी ने बताया कि आरोपी नारायण पिता बालु मुणिया उम्र 19 वर्ष निवासी सामलीपाडा ने मृतक को बेहोशी हालत में सीएचसी सारंगी भर्ती किया गया था दौराने ईलाज मृत्यु हो गयी। प्रकरण में थाना कालीदेवी में मर्ग क्रमांक 4/14, धारा 174 जाफौ. का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

वार्ड बाय पर छेडछाड का आरोप

झाबूआ--फरियादिया ने बताया कि आरोपी मुकेश पिता पानसिंह खराडी वार्ड बाय सीएच झाबुआ ने फरियादिया का बुरी नियत से हाथ पकडा व अश्लील बात की बाद चिल्लाने पर भाग गया। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अपराध क्रमांक 103/14, धारा 354 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

पत्नि बनाने के नाम पर किया बलात्कार 

झाबूआ--फरियादिया ने बताया कि अपने भाई तौलिया व कालिया के साथ रोज की तरह जंगल मे मवेशी चराने गई थी आरोपी मुन्दरू पिता जोरसिंग मेडा निवासी दुधी थाना कालीदेवी का आया व फरी को हाथ पकडकर अपनी पत्नि बनाने के लिये अपने घर गांव दुधी ले गया व जबरन बलात्कार किया । प्रकरण में थाना कल्याणपुरा में अपराध क्रमांक 38/14, धारा 363,366,376 भादवि एवं 3/4 ले.अ.बा.स. अधि. 2012 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

मवेशी चराते किया अपहरण का प्रयास

झाबूआ--फरियादिया ने बताया कि आरोपी देहिया पिता राहिंग खराड़ी निवासी अमलवानी,  दिलीप पिता कटीया, दिलीप पिता केकडिया भूरिया, केकडिया पिता नासिया भूरिया निवासी पारेवा ने फरी. जंगल मे मवेशी चरा रही थी आरोपीगण आये व आरोपी दिलिप की औरत बनाने की नियत से जबरन पकडकर ले जाने लगे व आरोपी केकडिया व दिलिप ने बुरी नियत से हाथ पकडे व चिल्लाने पर आरोपी भाग गये। प्रकरण में थाना कालीदेवी में अपराध क्रमांक 27/14, धारा 354,363,366,34 भादवि व 7/8 ले.अ.बा.स. अधि. 2012 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

कट्टा अडा कर की लाखो की लूट

झाबूआ--फरियादी आशीष पिता अनोखीलाल खेमसरा उम्र 48 वर्ष निवासी कल्याणपुरा ने बताया कि अज्ञात 06 बदमाश अपनी मोसा. से अपने घर से अपनी दुूकान पर पहूॅचा मोसा. रोकी तभी अचानक दो मोसा. पर अज्ञात 06 आरोपी लगभग 17-18 साल के फरी. की दुकान पर आये व फरी. को देशी कट्टा अडाकर नगदी 2,62,000/-रू0 लुट लिये चिल्लाने पर आस-पास के अरुण, रुगनाथ व दलिया आये तो बदमाशो ने उन्हे पत्थर मारे व उक्त नगदी लुटकर ले गये । प्रकरण में थाना कल्याणपुरा में अप0क्र0 37/14, धारा 395 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। फरियादी संजय पिता मांगीलाल उर्फ मंगलसिंह हाडा उम्र 22 वर्ष निवासी झाराडाबर ने बताया कि अज्ञात 03 बदमाश अपने घर झाराडाबर अपनी नई मोसा हीरो होण्डा साईन बिना नंबर से आ रहा था परवीन के खेत के पास अज्ञात 03 व्यक्ति रोड पर खडे थे ने फरी. को पत्थर मारे जिससे फरी. मोसा. से गिर गया बाद दो आरोपीयो ने फरी. के साथ लकडी से सिर, कमर मे मारपीट की व फरी. से उसकी मोसा. व एटीएम कार्ड एम मोबाईल सीम नबंर 9713673381 व 9424837251 एवं अन्य कागजात लुटकर ले गये । कुल किमती 55,000 रु। प्रकरण में थाना मेघनगर में अप0क्र0 34/2014, धारा 395 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

सांसद भुरिया ने 3 करोड 50 लाख के पंचायत भवनो का भूमीपूजन किया

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झाबुआ--- क्षैत्रिय सांसद कांतीलाल भुरिया रानापूर बस स्टेण्ड पर 3 करोड .65 लाख की लागत से निर्मित होने वाले 21 ग्राम पंचायतों में राजीव गांधी सेवा केन्द्र भवन का भूमीपूजन शनिवार दोपहर मे  किया ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश पूर्व अध्यक्ष एवं क्षेत्रिय सांसद कांतिलाल भूरिया थे विशेष अतिथि जिला कांग्रेस अध्यक्ष शान्तिलाल पडियार एवं अध्यक्षता जिला पंचायत अध्यक्ष सुश्री कलावती भूरिया ने की । इस अवसर पर राजीव गांधी सेवा केन्द्र भवन ग्राम पंचायत भूतखेडी , खडकुई ,कंजावानी, जूनागांव, माछलियाझिर ,बन, पाडलवा, डाबतलाई, भोडली, कुशलपुरा, माण्डली नाथू, भूरीमाटी, अधांरवड ,मोहनपुरा भूरका, भाण्डाखेडा, पुवाला,धामनी नाना, सरदारपुरा आदि ग्राम पंचायत में किया गया प्रत्येक भवन इसमें प्रत्येक भवन की लागत 15.47 होगी। इस अवसर पर एक सभा का आयोजन भी किया गया इस अवसर पर मुख्य अतिथी श्री कांतिलाल भूरिया ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार को पर्याप्त राशि भेजी है किन्तु कोई भी उसका बताने के लिए तैयार नहीं है केन्द्र सरकार ने ग्रामीणों के उत्थान के लिए अनेक योजनाएं बनाई किन्तु भाजपा की सरकार इसका ईमानदारी से पालन नहीं कर रही है तथा भ्रष्टाचार की भेट चढ रही है भाजपा की नियत में खोट है। जो म0प्र0 में भाजपा सरकार विकास कार्य बता रही है वह केवल कागज पर ही है हकिकत में कुछ नहीं है। भूरिया ने केन्द्र सरकार की योजनाओं का बखान करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार गरीबों के लिए राज्य सरकार के माध्यम से करोडो रूपया दे रही है किन्तु भाजपा सरकार आम आदमी को गुमराह कर अपनी योजना बता रही है तथा उसमें भी भारी बन्दरबाट की जा रही है।कांग्रेस ने जो भी जिले में विकास कार्य किए वे आपके सामने है भाजपा का कोई कार्य नहीं है जो जनता के सामने दिखाया जा सके।राज्य सरकार की सडकों की हालत खस्ता है जगह जगह से उखड रही है तथा कोई देखने वाला नहीं है भाजपा के दलाल चन्दाखोरी में लगे हुए है । इस अवसर पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष शांतिलाल पडियार ने कहा कि इस तरह के भवन ग्रामीण क्षेत्रों में बनने से जहां पंचायत के कार्यो में सुविधा होगी वहीं ग्रामीणों को रोजगार भी प्राप्त होगा।उन्होने कहा कि कांग्रेस पार्टी ग्रामीणों के हितों में अनेक योजना चला रही है उसका लाभ आम जनता को प्राप्त हो इस लिए सभी को एकजुट होना होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष सुश्री भूरिया ने हमारे प्रदेश मे बेटिया सुरक्षित नही है। प्रदेश सरकार केन्द्र की योजनाओ अपनी योजना बताकर गरीब लोगो की आखो मे धुल झोख रही है।सुश्री कलावती भूरिया ने कहा कि 15 वर्ष पूर्व जो अधिकार पंचायत पदाधिकारीयों को थे वह इस  भाजपा सरकार ने पंचायती राज में पंचायत पदाधिकारीयों के अधिकार को सिर्फ कम ही नहीं किया बल्कि समाप्त कर दिया है। सुश्री भूरिया ने कहा कि हमारे लोकप्रिय सांसद कांतिलाल भूरिया ने आदिवासीयों की आवाज को पूरे देश में बुलंद किया है तथा केन्द्र सरकार की अनेक योजनोओं का क्रियान्वयन करवाया है। आने वाले चुनाव में कांग्रेस को पुनः जिताना है तथा भाजपा के सपनों को चकनाचुर करना है। ब्लाक अध्यक्ष चन्दुलाल पडियार ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि सांसद कांतिलाल भूरिया एवं कलावती भूरिया के अथक प्रयासों से रानापुर क्षेत्र को जो विशेष सोगाते प्राप्त हुई है उसके लिए हम आभारी है। रानापुर क्षेत्र पर सांसद एवं जिला पंचायत की विशेष कृपा रही है साथ ही कांग्रेस नेता रूपसिंह डामोर, नगर पंचायत अध्यक्ष कैलाश डामोर, देवल परमार,दरियावसिंह मानंिसंह मेडा, मानसिंह वसुनिया, मानसिंह परमार,रमेश मेडा चोरमाण्डली आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये । कार्यक्रम का संचालन हरेन्द्र डोशी ने किया एवं आभार सिराजुद्वीन शेख ने माना । इस अवसर पर अजहर हुसैन सांसद प्रतिनिधि , प्रवक्ता हर्ष भटट डा. भाटी एवं मेहमुद जकरीया वीरसिंह बन,वेसिया पाडलवा, सोहन पाडलवा, माजूसिंह, कालिया भाई, कनु भाई बसेर , विजय शाह, केसरीबाई मेडा, प्रेमचन्द्र टिकडी, जामसिंह सरपंच पाडलवा, दरियावसिंह रमेश राठौर, मुदित शर्मा भानु बबेरिया, केमता डामोर, जोगडिया सरपंच, कालुसिंह रेहन्दा, सहित सरपंच पंच तडवी एवं कांग्रेस के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित थे।

भाजपा मे व्यक्ति पूजा की बजाय कार्यकर्ताओं की ताकत को दिया जाता है महत्व-षैलेष दुबे
  • भाजपा अजजा मोर्चा ने किया जिलाध्यक्ष का स्वागत 

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झाबुआ----भारतीय जनता पाटी एक ऐसा संगठन है जो व्यक्ति पूजा की बजाय कार्यकर्ताओं की शक्ति पर संचालित होता है । व्यक्ति कितने ही बडे पद पहूंच जावे किन्तु उसकी वास्तविक ताकत तो पार्टी के कार्यकर्ता ही होते है । इस दल में संगठन ही सर्वोपरी होता है। पार्टी के अध्यक्ष एक संगठन की व्यवस्था होती है ।  और मिलने वाला सम्मान भी कार्यकर्ताओं की ताकत का ही होता है । अनुसूचित जनजाति मोर्चा इस जिले के परिवेष मे काफी अहम भूमिका निभा रहा है और मोर्चे से जुडे तमाम कार्यकर्ताओं में बदलाव की तडफ विद्यमान है। हम सभी राजनीति में काम करते है यह ईष्वर की मर्जी से ही हो रहा है कि हम ऐसे दल से जुडे है जो सर्व कल्याण की सोच रखता है। पार्टी के कार्यकर्ता ही घर घर जाकर विधायक सांसद के लिये वोट मांगते है और मतदाता भी उन्हे विकास की गारंटी मान कर प्रत्याषी के पक्ष में मतदान करता है । अजजा मोर्चा जिले में काफी सक्रियता से कार्य कर रहा है और हम पूरी तरह विष्वस्त है कि आगामी लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को पटकनी देकर इतिहासमे पहली बार भाजपा का परचम लहराने जारहे है । उक्त बात रविवार को सामुदायिक केन्द्र मे आयोजित जिला  अनुसूचित जनजाति मोर्चे द्वारा आयोजित स्वागत समारोह मे मुख्य अतिथि के रूप  में जिला भाजपा अध्यक्ष शैलेष दुबे ने व्यक्त किये । जिले के अजजा मोर्चा द्वारा आयोजित जिला भाजपाध्यक्ष श्री दुबे के सम्मान समारोह हेतु आयोजित कार्यक्रम में विधायक शांतिलाल बिलवाल, नपा अध्यक्ष धनसिंह बारिया, अजजा मोर्चे के प्रदेष महामंत्री कल्याणसिंह डामोर, प्रदेष कार्य समिति सदस्य दोलत भावसार, पूर्व जिलाध्यक्ष मूलचंद बामनिया, मंडल अध्यक्ष द्वय मेजिया कटारा एवं गोपालसिंह पंवार,मडी उपाध्यक्ष बहादूर हटिला, मोर्चे के जिलाध्यक्ष ष्यामा ताहेड,  मालसिंह मेडा, मीडिया प्रभारी राजेन्द्र सोनी, मोर्चे के उपाध्यक्ष भूपेष सिंगोड सहित पूरे जिले के हर मंडल के अध्यक्ष एवं पदाधिकारी एवंकार्यकर्ता उपस्थित थे । मोर्चे के जिला अध्यक्ष श्यामाताहेड ने श्री दुबे का पुष्पहारों से स्वागत करते हुए उन्हे बहुमुखी प्रतिभा का धनी एवं राजनैतिक, सामाजिक एवं हर क्षेत्र में सतत सहयोग करने वाला व्यक्तित्व बताया तथा आगामी लोकसभा चुनाव में श्री दुबे के नेतृत्व में कांग्रेस का जिले से सुपडा साफ करने का संकल्प व्यक्त किया । मुख्य अतिथि श्री दुबे ने अपने उदबोधन में  कार्यकर्ताओं की प्रसंषा करते हुए कहा किपार्टी द्वारा तय किये गये उम्मीदवार के पक्ष मे हम सभी एक जूट होकर लोकसभा चुनाव में भाजपा को एतिहासिक जीत दिलायेगें । उन्होने क्षेत्रीय सांसद कांतिलाल भूरिया पर भी व्यंग करते हुए कहा कि उनके साथ तमाम माफिया जुडे हुए है । केरोसिन माफिया,खाद्यान्न माफिया,षराब माफिया,खदान माफियाओं आदि से उनके संबंध होकर उनकी मदद से अभी तक चुनाव जीतते आये है और इन लोगों को कांतिलाल का भरपुर आषीर्वाद प्राप्त है। श्री दुबे ने कहा कि  चुनावआते ही उन्हे क्रिकेट मैच कराने तथा जिले में अपने डाक्टर पुत्र एवं पुत्रवधु के माध्यम से स्वास्थ्य षिविर लगाने की याद आई है । भाजपा के बढते प्रभाव से वे घबरा रहे है और आज गली गली गांव गांव में घुम रहे है ।उन्हे आप सभी लोगों का डर बना हुआ है ।उन्होने कार्यकर्ताओं से आगामी 50-60 दिनों तक अविरल काम करने तथा जनसम्पर्क बना कर भाजपा के पक्ष में वातावरण बनाने का आव्हान किया । विधायक शांतिलाल बिलवाल ने अपने उदबोधन में भाजपा के 6 मोर्चो एवं प्रकोष्ठों का जिक्र करते हुए कहा कि इस लोकसभा सीट पर अजजा मोर्चा काफी महत्वपूर्ण है क्यो पूरी लोकसभा सीट इसी वर्ग के लिये आरक्षित है ।उन्होने बुथ स्तर तक कडी मेहनत करके भाजपा की जीत निष्चित करने के लिये कार्यकर्ताओं को जुट जाने का आव्हान किया ।  इस अवसर पर मूलचंद बामनिया ने अपने प्रेरक उदबोधन में लोक सभा चुनाव में एकजूट होकर श्री दुबे के नेतृत्व में लोकसभा फतह करने का आव्हान किया । प्रदेष कार्यसमिति के सदस्य दोलत भावसार ने भी कहा कि अभी परिवर्तन की बयार चल रही है और केन्द्र सरकार जो महंगाई भ्रष्टाचार,घोटाले करके देष को नीचे की और धकेल रही है ऐसी कांग्रेस सरकार को जडमूल से खतम करके नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाकर स्वर्णीम राष्ट्र बनाने के लिये दिन रात मेहनत करना है । मोर्चे के प्रदेष महामंत्री कल्याणसिंह डामोर ने भी मोर्चे की भूमिका एवं कार्यकर्ताओं की महेनत से लोक सभा चुनाव में भाजपा की जीत एवं देष मे नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिये कार्य करने का आव्हान किया  । कार्यक्रम के आरंभ में भारतमाता, पण्डित दीनदयाल उपाध्याय एवं डा.श्यामा प्रसाद मुकर्जी के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर तथा माल्यार्पण किया गया कार्यक्रम कासंचालन भूपेष सिंगोड ने किया तथा आभार प्रदर्षन अजमेरसिंह भूरिया ने व्यक्त किया ।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (23 फरवरी )

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आओ बनाएं अपना मध्यप्रदेश का आयोजन आज
  • शिलान्यास, लोकार्पण के अलावा हितग्राहीमूलक योजनाओं से लाभांवित होगे हितग्राही  

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आओ बनाएं अपना मध्यप्रदेश के साथ-साथ जिला स्तरीय कृृषि विज्ञान मेला सह प्रदर्शनी का आयोजन आज सोमवार को जिला मुख्यालय पर किया गया है। जिसमें लगभग 89 करोड़ में लोकार्पण, शिलान्यास और हितग्राहीमूलक योजनाओं से लाभांवित होने वाले हितग्राहियों को योजनाओं अंतर्गत लाभांवित किया जायेगा। जिसमें विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 21284 हितग्राहियों को 3155.85 लाख के चेक, उपकरण एवं अन्य सामग्री के अलावा 649 निर्माण कार्यो का शिलान्यास जिसकी लागत 4153.77 लाख है। कार्यक्रम स्थल पर अतिथियों द्वारा जिन निर्माण कार्यो का लोकार्पण किया जायेगा उनमेें 256 कार्यो की लागत 1556.29 लाख है। स्टेडियम के समीप प्रागंण में आयेाजित होने वाले आओ बनाएं अपना मध्यप्रदेश और जिला स्तरीय कृषि विज्ञान मेला सह प्रदर्शनी की तैयारियां पूर्ण की जा चुकी है। 

जिला स्तरीय कृृषि मेला का आयोजन
मेला परिसर में प्रदर्शनी, स्टाॅल की व्यवस्था चार खंडों में की गई है इनमें क्रमशः पहले खण्ड अंतर्गत जैविक उत्पाद प्रदर्शन, जैविक प्रमाणीकरण से संबंधित विभिन्न संस्थाओं के स्टाॅल, दूसरे खण्ड में विभिन्न निजी संस्थाओं के खाद, बीज, दवा आदि के स्टाॅल, तृृतीय खण्ड मंे विभिन्न कृषि उपयोगी यंत्रों से संबंधित स्टाॅल होंगे एवं चतुर्थ खण्ड में विभिन्न शासकीय विभागों कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, रेशम, मछली पालन, कृृषि अभियांत्रिकी, बैंकिग, बीज निगम, सहकारिता आदि के स्टाल होंगे। इन सभी स्टाल, प्रदर्शनी के माध्यम से विभिन्न शासकीय एवं अर्द्धशासकीय योजनाओं की जानकारी, नवाचार, आधुनिक कृृषि तकनीक एवं प्रक्रिया का प्रदर्शन किया जायेगा। मेले में तकनीकी सूत्रों के अंतर्गत मुख्य वक्ता के रूप में प्रथम दिवस डाॅ0व्ही0बी0उपाध्याय, अधिष्ठाता कृृषि महाविद्यालय गंजबासौदा, द्वितीय दिवस डाॅ0सोमदत्त, निदेशक, केन्द्रीय मत्स्य संस्थान पवारखेड़ा, एवं तृृतीय दिवस डाॅ0व्ही0एस0गौतम, अधिष्ठाता कृृषि महाविद्यालय सीहोर के व्याख्यान होंगे। व्याख्यान उपरांत कृृषकों से परिचर्चा एवं समस्याओं का समाधान किया जायेगा। उपरोक्त व्याख्यानों के अतिरिक्त भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भोपाल, केन्द्रीय कृृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल, कृृषि महाविद्यालय गंजबासौदा एवं सीहोर के कृृषि वैज्ञानिक भी कृृषक उपयोगी समसामयिक जानकारी उपलब्ध करायेंगे। 

'संडेसभा'एक अविष्कार है, जिसमें सुंदर जीवन की ओर. प्रशिक्षण दिया जाता है

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पटना। 23 फरवरी 2014। 'संडेसभा'। वैज्ञानिक कुमार राजीव ने कहा कि 'संडेसभा'एक अविष्कार है, जिसमें सुंदर जीवन की ओर... प्रशिक्षण दिया जाता है, जो अनोखा है। यहां कार्इ भी व्यकित अपने दिल की बात निडर होकर कह सकता है। प्रत्येक व्यकित विशेष कार्य करने के लिए धरती पर अवतरित हुआ है, वह अत्यंत सुंदर और प्रतिभाशाली है। कोर्इ भी व्यकित देशप्रेम में समय-जुबान का पक्का हो, आचरण, आहार, व्यवहार सर्वोतम कर इस अभियान में हमसफर, 'संडेसभा'और 'सतसभा'में भाग लेकर समर्थक, गृहस्थ आश्रम में रहकर अभियान को गति देने पर लोकसेवक, ब्र ह्राचर्य पालन कर अभियान को गति देने वाला लोककर्ता एवं कांतिकारी बन सकते हंै। देशप्रेम  कोर्इ राजनितिक, सामाजिक, गैरसरकारी संस्था नहीं है, यह एक विचार है, जो सबको उद्देश्य से प्यार करता है। 

 मुख्य अतिथि दुलाल चंद्र गोस्वामी ( निर्दलिय विधायक) ने कहा कि काम करके दोस्ती करें, बोलकर नहीं। देशप्रेेम अभियान के विचारों को सराहते हुये कहा कि इसे तन-मन-धन से सहयोग करने कि जरूरत है। वहीं अभियान के प्रशिक्षु लोककर्ता धन्नजय ने कहा कि आज भारत में नेताओं कि नहीं, क्रांतिकारियों जरूरत है। मौजुदा व्यवस्था को बदलने का समय आ गया है।  सभा में लाककर्ता नीतेश कुमार, प्रशिक्षु लाककर्ता नवल कुमार, मनोज कुमार, पुष्कर, हमसफर अमरेस, संजीव, संजय, मिथलेश, समर्थक बंशी गोपाल, रामबृक्ष मौजुद थे। 

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (23 फ़रवरी )

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हरीश ने राहुल को 21वीं सदी में भारत का ध्वजवाहक बताया, नरेन्द मोदी पर मुख्यमंत्री ने कसे तंज

harish rawat rahul gandhi
देहरादून 23 फरवरी(निस)। मंच से रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राहुल गांधी को 21वीं सदी में भारत का भविष्य बताया तो वहीं गढवाल सांसद सतपाल महाराज को देश व दुनिया में धार्मिक पहचान को नया स्वरुप देने वाला बताया। यशपाल आर्य को दलितों, पिछडों एवं शोषितों के लिये संघर्षरत बताते हुए इंदिरा हृयदेश को उत्तराखंड की दीदी कहा। उन्होंने राहुल गांधी का अभिनंदन करते हुए कहा कि शिवालिक के इस आंचल में प्रकृति खुलेमन से आपके स्वागत करती है। यहां पर मौसम विभाग की भविष्यवाणी के चलते मुख्यमंत्री की चिंता दिखाई दे रही थी। वहीं भीड को देखकर गदगद हुए मुख्यमंत्री ने राहुल को दिल्ली लौट पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी को उनके आदेश व भावना के अनुसार प्रदेश की पांचों सीटें जीतने का संदेश पहुंचाने को भी कहा। वहीं मुख्यमंत्री ने जून माह में आई आपदा के बारे में बोलते हुए नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा कि मोदी ने उस समय बड़े-बड़े दावे किये, लेकिन वह राहुल गांधी ही थे जो आपदा पीडितों का दुःख-दर्द जानने सडक मार्ग से गुप्तकाशी तक पहुंच गये थे। मुख्यमंत्री ने एक बार फिर नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका आपदा के समय उत्तराखंड आना राजनीतिपरक था व बाद में उनकी रैली भी चुनावी रैली थी वहीं राहुल गांधी की उस समय की उत्तराखंड यात्रा व आज की सभा को उन्होंने भावनात्मक जुडाव से सराबोर बताया। यहां मुख्यमंत्री यह बताना भी नहीं भूले कि 25-30 दिन पहले केदारघाटी के लोग राहुल गांधी से मिले थे जहां राहुल गांधी ने उनके दुःख-दर्द को उमझा था। मुख्यमंत्री ने यहां तक कहा कि कुछ लोग दर्द को उखेडने का काम करते हैं जबकि राहुल गांधी दुख दर्द को बांटने का काम करते हैं। तोडने वाले तो बहुत मिल जायेंगे लेकिन देश को जोडने वालों की जरुरत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का पुरा ध्यान पुनर्निमार्ण व पुनर्वास के काम पर है। उन्होंने कहा कि विकास हर एक तक पहुंचे यही उनका लक्ष्य है। उन्होंने लोगों से कहा कि अब सरकार उनके पास पहुंचेगी जिसके लिये खाका तैयार कर लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस उपाध्यक्ष के सामने यह भी जताया कि वह सबको साथ लेकर चल रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि विजय बहुगुणा ने जहां तक कार्यों को अंजाम दिया था उन्होंने उसके बाद की जिम्मेदारी ली है यहीं नहंीं इस मुहिम में विजय बहुगुणा व सभी लोग उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी को 21वीं सदी का ध्वजवाहक बताते हुए लोगों से आवहान करते हुए कहा कि वह कांगे्रस का साथ दें नहीं तो यह तिरंगा व कांगे्रस उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। इससे पहले मंच पर राहुल गांधी के साथ पहुंचे हरीश रावत ने नारेबाजी कर रहे लोगों से कहा कि यहां केवल सोनिया गांधी, राहुल गांधी जिन्दाबाद, हम सबका भविष्य जिन्दाबाद के नारे लगाये जायें। यह बात दीगर रही कि कांग्रेस के सभी वक्ताओं के नरेन्द्र मोदी पर छोडे जा रहे तीर यह साफ ब्यां कर रहे थे कि उनके दिलों जहन में नरेन्द्र मोदी का खौफ हो न हो असर साफ दिखाई पड रहा है।

राहुल की रैली रही फ्लापः ध्यानी

देहरादून 23 फरवरी(निस)। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रवक्ता प्रकाशसुमन ध्यानी ने राजधानी देहरादून में आहूत राहुल गांधी की रैली को फ्लाप करार दिया। उन्होंने कहा सरकारी तंत्र के पूरे दुरूपयोग और सरकारी अमले को पूरा झोंकने के बावजूद कांगे्रस भीड़ जुटाने में नाकाम रही। पुलिस वाले हजारों की संख्या में सादी वर्दी में तैनात किए गये। आर.टी.ओ. के द्वारा जबरदस्ती बस मालिकांे से बसंे लेकर कांग्रेस की रैली में लगाई गयी। मजदूरों को रैली में लाने के लिए ध्याड़ी दी गई। सुरक्षा और प्रबन्धन के नाम पर सैकड़ों की संख्या में सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों को रैली स्थल पर तैनात किया गया। इसके वाबजूद इसी स्थान पर होने वाली नरेन्द्र मोदी की रैली के सामने राहुल की रैली आधी भी नही रही। रैली के नतीजे से साफ है कि कांग्रेस को मुख्यमंत्री बदलने से कोई फायदा नही हुआ और हरीश रावत तिमाही परीक्षा में फेल हुये। कागंे्रस ने हरीश रावत के नाम का गुब्बारा फूला रखा था वह परेड ग्राउण्ड में फुस्स हो गया। इस रैली के बाद कांग्रेस के कार्यकत्र्ता निराश होगें तथा भाजपा पूर्ण आक्रमकता के साथ चुनाव में उतरेगी।   श्री ध्यानी ने कहा कि मोदी जी ने इसी मंच से कहा कि हम उत्तराखण्ड के लिए औद्योगिक पैंकेज एनडीए सरकार की तर्ज पर देंगे और विशेष राज्य का दर्जा भी बढ़ायेंगे। राहुल गांधी ने इन बातों पर चुप्पी साधकर उत्तराखण्ड के साथ धोखा किया। महिलाओं के लिए घडिय़ली आॅसू बहाने वाली कांग्रेस केाई भी महिला सशक्तिकरण की योजना उत्तराखण्ड में लागू करने में असफल रही है। पंचायत चुनाव बार-बार टालकर सरकार अपनी घबराहट को छुपा नहीं पा रही है। यदि कांग्रेस से महिलाआंे की हितैशी होती तो जिन पंचायतों में महिलाआंें को भाजपा ने 50 प्रतिशत आरक्षण दे रखा है उनके चुनाव को टालती नहीं। रैली की असफलता के बाद अब कांग्रेस के अन्दरूनी झगडे ़ और बढ़ेगें।

अनुशासित पार्टी होने के दावांे की निकाली हवा

देहरादून 23 फरवरी(निस)। भले ही कांग्रेस के नेता पार्टी के अंदर अनुशासन की बात करते ना थकते हो, लेकिन पार्टी के अंदर कितना अनुशासन है। इसका प्रमाण एक बार फिर आज राहुल गांधी की रैली के दौरान मिल गया, जब आला नेताओं की ओर से मना करने के बावजूद भी नेताओं के समर्थक पार्टी के स्थान पर अपने नेताओं के पक्ष में जमकर नारेबाजी करते दिखे। कांग्रेस पार्टी के आला नेता समय-समय पर पार्टी के अंदर अनुशासन का दावा करते रहे है, लेकिन हर बार पार्टी के कार्यकर्ता ही किसी न किसी तरह से उनके पार्टी नेताओं के अनुशासन में होने सम्बन्धी दावों की हवा निकालते रहे है। ऐसा ही कुछ आज उस समय देखने को मिला, जब मंच से पार्टी के आला नेताओं की ओर से कार्यकर्ताओं को व्यक्ति विशेष के स्थान पर कांग्रेस पार्टी के पक्ष में नारेबाजी करने का आह्वान किया गया। पार्टी के आला नेताओं का यह आह्वान कार्यकर्ताओं ने कुछ ही देर में हवा कर दिया। नेताओं के समर्थक अपने नेता को पार्टी के प्रति सबसे अधिक निष्ठावान साबित करने के लिए उनके पक्ष में नारेबाजी करने लगे। उनकी नारेबाजी में पार्टी की बजाय नेता का नाम सबसे अधिक आ रहा था। इसके अलावा कई अन्य मामलों में भी पार्टी में अनुशासन की बात हवा-हवाई होती दिखी। इससे साफ हो गया कि पार्टी के आला नेता महज अनुशासन की ही बात कर सकते है, जबकि हकीकत में पार्टी के अंदर ऐसा कुछ भी नहीं है। इस दौरान जब पार्टी के नेताओं से इस सम्बन्ध में पूछा गया, तो वह कुछ भी कहने से बचते दिखे। 

राहुल ने की आपदा की समीक्षा

देहरादून 23 फरवरी(निस)। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी राहुल रविवार सुबह 10.20 बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से हेलीकॉप्टर से सहस्त्रधारा और और फिर सड़क मार्ग से राजपुर रोड स्थित होटल अकेता पहुंचे। राहुल के साथ प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी व अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां पहुंचने के बाद होटल अकेता में केदारघाटी और अन्य जिलों में आपदा के बाद पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा की। राहुल के साथ मुख्यमंत्री हरीश रावत, अन्य मंत्री और मुख्य सचिव भी मौजूद रहे। राहुल गांधी ने पुनर्वास व पुनर्निर्माण कार्याें में तेजी लाने के निर्देश भी दिये। राहुल गांधी ने उत्तराखंड की सभी बंद सड़कें जल्द से जल्द खोलने के लिए भी कहा है। जिसपर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 31 मार्च तक सभी सड़कें खोलने का भरोसा जताया। इससे पूर्व राहुल के दून पहुंचने पर मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य ने भी स्वागत किया। 

आप कार्यकर्ताओं काले झंडे दिखाने से पूर्व गिरफ्तार

देहरादून 23 फरवरी(निस)। रैली के लिए दून में आए राहुल गांधी को काले झण्डे दिखाने जा रहे आम आदमी पार्टी के जिला संयोजक सहित कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इन सभी कार्यकर्ताओं को सभा होने तक पुलिस लाईन में ही रखा गया था। उद्योगपति मुकेश अंबानी से गैस सौदा रद्द करने सहित अन्य मांगों को लेकर रविवार को आम आदमी पार्टी के जिला संयोजक संजय भट्ट के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी को काले झण्डे दिखाने की रणनीति बनायी हुई थी। जैसे ही ‘आप’ के दो दर्जन से अधिक कार्यकर्ता काले झण्डे ले कर राहुल गांधी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सहारपुर चैक से परेड ग्राउण्ड के लिए कूच करने लगे तो उसी समय पुलिस ने उनको वहीं घेर लिया। ‘आप’ कार्यकर्ताओं ने इस गिरफ्तारी का जबरदस्त विरोध किया लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी और उनको गिरफ्तार कर पुलिस लाईन भेज दिया। गिरफ्तार होने वालों में संजय भट्ट, सुनिता सिंह, राजेश बहुगुणा, कमल देवराड़ी, विशाल चैधरी, मनोज  काम्बोजतथा यशवीर आर्य शामिल थे।

भीड जुटाने को कांग्रेसियों ने झोंकी पूरी ताकत

देहरादून 23 फरवरी(निस)। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में भीड़ जुटाने के लिए कांग्रेसियों ने पूरी ताकत झांेक दी थी। दूर-दूर से आये लोगों की भीड़ को रोकने के लिए खाने की व्यवस्था भी की गयी थी। रेंजर्स ग्राउण्ड में खाना लेने के लिए लोगों की बड़ी लम्बी लाईन लगी दिखी। रविवार को कांग्रेस राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की रैली के लिए भारी भीड़ जुटाने का दावाकांग्रेस के बड़े से लेकर छुटभैय्ये नेताओं ने किया था। अपने इस दावे को हर स्तर पर खरा साबित उतरने  में इन नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी। हर नेता ने अपने क्षेत्र की मलिन बस्तियों तक के लोगों के हाथों में पार्टी के पोस्टर और झण्डे थमाकर परेड ग्राउण्ड तक पहंुचाया। लोगों लम्बी लाईन में लगे तभी मिला खाना की भीड़ सुबह 11 बजे से ही परेड ग्राउण्ड पहंुचने लग गयी थी लेकिन इन लोगों को इतनी देर तक सभा स्थल पर रोकना कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को भारी पड़ रहा था। इस दौरान जहां इन छुटभैय्ये नेताओं ने माईक संभाल कर भाषण बाजी में जनता को उलझाये रखा वहीं दूरस्थ क्षेत्रों से आयी जनता के लिए भी नेताओं नेखाने का इंतजाम भी कर रखा था। कहीं जनता को सभा स्थल में ही खाने के पैकेट और पानी पहंुचाया गया तो वहीं रेंजर्स ग्राउण्ड में खाना लेने के लिए लोगों की लम्बी लाईनें लगी हुई थी। लम्बी लाईन में घण्टों खड़े होने के बाद इन लोगों को खाना नसीब हुआ। चाहे जो भी हो लेकिन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के सामने जबरदस्त भीड़ जुटा कर इन नेताओं ने अपनी और प्रदेश कांग्रेस की लाज बचा ली।

रैली के चलते नही लगा संडे मार्केट, व्यापारियों को करना पड़ा नुकसान का सामना

देहरादून 23 फरवरी(निस)। रविवार को परेड मैदान में आयोजित राहुल गांधी की रैली के चलते संडे मार्केट का कारोबार पूरी तरह से ठप रहा। इस दौरान व्यापारियों को नुकसान का सामना करने पर विवश होना पड़ा। तिब्बती मार्केट में प्रत्येक माह के हर रविवार को संडे मार्केट लगता है। इस दिन रविवार को व्यापारियों द्वारा दुकानें लगायी जाती है। संडे मार्केट को खरीददारी के लिए दूर दराज से लोग संडे बाजार में खरीददारी के लिए पहंुचते है। जिससे यहां पर काफी भीड लगी रहती है। इससे व्यापारियों का कारोबार चलता है। परेड ग्राउंड में नेताओं की रैली से उनके कारोबार पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पडता है। क्योंकि रैली के दौरान प्रशासन द्वारा संडे को लगने वाले बाजार कों बंद करा दिया जाता है। जिससे दुकानदारों के व्यापार पर इसका असर पडता है। 23 फरवरी को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की रैली के दौरान परेड ग्राउंड के आसपास जीरो जोन घोषित किया गया। इस दिन संडे मार्केट को लगने वाला बाजार भी बंद कराया गया। जिससे संडे मार्केट का कामकाज ठप रहा। इसके अलावा रैलियों के कारण तिब्बती मार्केट व इंदिरा मार्केट के कारोबार भी प्रभावित रहा। इससे पूर्व 15 दिसम्बर को हुई नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान भी रविवार के दिन इनका व्यापार प्रभावित रहा। रैलियों के चलते दुकानें बंद होने से दुकानदारों को काफी नुकसान झेलना पडता है। संडे मार्केट को बाजार बंद होने से पल्टन बाजार में इसका असर देखने को मिला। पल्टन बाजार में भीड का दबाव काफी बढ गया था। रविवार को संडे मार्केट बंद होने से खरीददारी के लिए आए लोगों ने पल्टन बाजार की ओर रूख किया। जिसके चलते पल्टन बाजार में काफी दबाव रहा। व्यापार बंद होने से नाराज दुकानदारों का कहना था कि राजनीतिक दल अपने स्वार्थों के लिए तो रैली का आयोजन कर लेते है, लेकिन उसका नुकसान हम जैसे गरीब व्यापारियों को अपनी-अपनी दुकानें बंद करके उठाना पड़ता है। 

रैन बसेरा बनाने को दी गयी एनओसी निरस्त

देहरादून 23 फरवरी(निस)। एमडीडीए को रैन बसेरा बनाने को दी गयी एनओसी नगर निगम ने निरस्त कर दी। गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नगर निगम व एमडीडीए को शहर में अलग-अलग स्थानों पर रैन बसेरा बनाने का निर्देश दिए थे। जिस पर एमडीडीए और नगर निगम ने संयुक्त काम शुरू किया। तीन स्थानों पर नगर निगम ने एमडीडीए को भूमि मुहैया करायी। जिस पर एमडीडीए रैन बसेरा बनाएगा। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण द्वारा शहर के तीन स्थानों पर रैन बसेरे बनाने के लिए जमीन का चयन कर लिया गया है। एमडीडीए द्वारा शहर के चंदननगर,जीएमएस रोड व आईएसबीटी में नगर निगम के जमीनों पर रैन बसेरा बनाने की तैयारी की जा रही है। चंद्रनगर में रैन बसेरा बनाने के लिए नगर निगम द्वारा एमडीडीए को एनओसी दिया गया। चंदननगर में रैन बसेरा बनाने को लेकर नगर निगम कर्मचारियों ने विरोध कर कार्यालय में कामकाज ठप कर दिया गया। कर्मचारियों का कहना था कि चंदननगर में निगम की आवासीय कालोनी है। यहां पर रैन बसेरा बनाए जाने से गंदगी का साम्राज्य हो जाएगा। जिससे कालोनी में लोगों को काफी दिक्कतें उठानी पडेगी। कर्मचारियों के विरोध के बाद निगम कर्मचारियों ने ने मेयर विनोद चमोली से वार्ता के बाद एमएनए से मिले। एमएनए अशोक कुमार ने एनओसी निरस्त करने की जानकारी दी। एनओसी निरस्त केबाद कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार समाप्त कर दिया।

रजत जयंती सम्मान समारोह का आयोजन

देहरादून 23 फरवरी(निस)। हिमालय पर्यावरण सोसाइटी द्वारा रविवार को रजत जयंती सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान संस्था के सहयोगी व उत्कृष्ठ कार्य करने वालों को सम्मानित किया गया।
रविवार को एक होटल में हिमालयपर्यावरण सोसाइटी की ओर से रजत किया गया। कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष जगदीश बाबला ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में संस्था कई वर्षो से कार्य कर रही है। इसके लिए कहीं से भी कोई आर्थिक सहयोग नहीं है। संस्था के सदस्य आपसी सहयोग से कार्य किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि संस्था ने पर्यावरण जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया गया। इसके अलावा स्वयं सेवियों के सहयोग से यूकेलिप्टिस, अमलतास, तून,खैर, शीशम, हरड, बहेडा आंवला, नीम,कचनार, पीपल, पीलखन, बरगद आदि के चार लाख 85 हजार से अधिक पौधें का रोपण किया गया। उन्होंने कहा कि संस्था को एफआरआई एवं ईको टास्क फोर्स ओएनजीसी महिला समिति की अध्यक्ष श्रीमती शोभना वाही द्वारा समय-समय पर निःशुल्क उपलब्ध कराए जाते है।

राहुल की सुरक्षा को लेकर चाक-चैबंद व्यवस्था

देहरादून 23 फरवरी(निस)। रविवार को राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर चाक-चैबंद व्यवस्था की गयी थी। सभा स्थल की ओर प्रवेश करने वाले हर मार्ग पर दोहरी चैकिंग व्यवस्था की गयी थी जिसके चलते सड़क में लोगों की लम्बी लाईनें लगी हुई थी। परेड ग्राउण्ड में सभा के लिए लोगों की भीड़ को देखते हुए सभी प्रवेश मार्गों पर जबरदस्त भीड़ दिखायी दे रही थी। प्रवेश मार्गों में मेटल डिटेक्टर द्वार लगाये गये थे। सभा स्थल के समीप राहुल गांधी की रैली के लिए जा रहे लोगों की जबरदस्त चैकिंग की जा रही थी। चैकिंग का एक घेरा पार करने के बाद परेड में भी मेटल डिटेक्टर लगाये गये थे जहां से इन लोगों को चैकिंग कराने के बाद ही भीतर जाने दिया जा रहा था। दोपहर बारह बजे तक तो खुफिया विभाग और पुलिस कर्मी चैकस हो कर लोगों की चैकिंग कर रहे थे लेकिन जब सभास्थल की ओर आने वाले लोगों की भीड़ बढ़ने लगी तो इन्हें कण्ट्रोल करना पुलिस को भारी पड़ने लगा। जब सभा स्थल की ओर आने वाली भीड़ का दबाव बढ़ने लगा तो सुरक्षा कर्मचारियों ने भी चैकिंग के नाम पर खानापूर्ति करनी शुरू कर दी और लोगों को जल्दी-जल्दी भीतर भेजना शुरू कर दिया क्योंकि लोगों में राहुल को सुनने की जल्दी मची हुई थी।

जान से मारने की धमकी का मामला दर्ज कराया

देहरादून 23 फरवरी(निस)। एक व्यक्ति ने कुछ लोगों पर अपनी सम्पति पर आपराधिक नियत से घूमने व मना करने पर मारपीट करने व जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज कराया है। मिली जानकारी के अनुसार माजरा निवासी अनिल कुमार जैन पुत्र प्रेमचन्द जैन ने पटेलनगर थाने में अरूण कुमार हाण्डा, पंकज कुमार हाण्डा व दो तीन अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। अनिल कुमार का कहना है कि उसका निंरजनपुर पटेलनगर में प्लाट है। जहां वर्तमान में निर्माण कार्य चल रहा है। अनिल कुमार का कहना है कि ये लोग वहां आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने की नियत से आये। उन्होंने जब ऐसा करने से इनको मना किया तो उन्होंने अनिल कुमार से मारपीट की व जान से मारने की धमकी दी।

फड़-खोखा प्रभावितों ने की भूख हड़ताल

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पिथौरागढ/देहरादून,23 फरवरी (निस)़। ऐक्टू से संबद्व सोरघाटी फड़-खोखा यूनियन ने हटाए गए फड़-खोखा प्रभावितों को तत्काल नई दुकानें दिए जाने सहित सात सूत्रीय माॅगों को लेकर आज गांधी चैक में सात घंटे की भूख हड़ताल की। भूख हड़ताल में सैंकड़ों फड़-खोखा प्रभावितों ने भाग लिया। उन्होने राश्ट्रीय फेरी नीति 2009 को तत्काल लागू करने की माॅग भी जोरदार ढंग से उठाई। इस मौके पर नगरपालिका अध्यक्ष और क्षेत्रीय कांग्रेसी विधायक के खिलाफ नारेबाजी भी की गई। यूनियन के बैनर तले गाॅधी चैक में सात घंटों तक चली भूख हड़ताल में यूनियन के सदस्यों ने नगरपालिका और जिला प्रषासन की बेरूखी पर गहरा दुःख प्रकट किया। इस मौके पर हुई भूख हड़ताल की अध्यक्षता यूनियन के अध्यक्ष सुषील खत्री ने की। उन्होने हड़ताल की षुरूआत करते कहा कि सितंबर माह से लगातार नगरपालिका और स्थानीय प्रषासन के अधिकारियों से मुलाकात की जा रही है लेकिन अभी तक हटाए गए फड़-खोखा प्रभावितों को स्थाई और अस्थाई रोजगार के लिए नए स्थान और दुकानें उपलब्ध कराए जाने के मामलो को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। यूनियन के दबाव में जिलाधिकारी ने एक कमेटी बनाई थी। जिसने अभी तक अपनी रिपोर्ट पर कोई तात्कालिक कदम नहीं उठाए है। यूनिययन अध्यक्ष खत्री ने कहा कि इंतजार की घड़ी अब समाप्त हो गई है। फड़-खोखा चलाने वाले प्रभावित एकजुट होकर प्रषासन और जनप्रतिनिधियों की हकीकत सामने लाते हुए इनके खिलाफ हल्ला बोल आंदोलन चलाएंगें। यूनियन के कोशाध्यक्ष विमलदीप फिलिप ने कहा कि फड़-खोखा प्रभावितों के हितों की अनदेखी अब ज्यादा दिन तक नहीं चलेगी। पिथौरागढ़ नगरपालिका परिशद ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की भी अवहेलना की है। उन्होने कहा कि इस यूनियन को मजबूत बनाने के साथ ही राश्ट्रीय फेरी नीति के लाभों को आम सदस्यों तक पहुंचना भी हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि अस्पताल के सामने बने फड़-खोंखों को सूप्रीम कोर्ट के आदेषों के विपरीत हटाया गया तो नगरपालिका के अध्यक्ष और अधिषासी अधिकारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना का वाद दायर किया जाएगा। इस मौके पर राश्ट्रीय फेरी नीति लागू करने, टाउन वैंडिंग कमेटी का गठन करने, हटाए गए प्रभावितों को तुरंत व्यवसाय स्थल उपलब्ध कराने, फड़-खोखा हटाने से पूर्व पुनर्वास की व्यवस्था करने, सूचना अधिकार अधिनियम की अवहेलना करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की माॅग जोरदार ढंग से उठाई गई। भूख हड़ताल स्थल पर हुई सभा का संचालन यूनियन अध्यक्ष सुषील खत्री ने किया और सभा को यूनियन के सचिव लक्ष्मण प्रसाद, ललित ढोकटी, जीवन राम, संतोश फुलेरा, सुभाश जोषी, त्रिभुवन खत्री, भूपेंद्र सिंह, नजर मोहम्मद, दीपक भैंसोड़ा, किषन सिंह, षेखर जोषी, ललित यादव ने विचार रखें। भाकपा माले के जिला सचिव जगत मर्तोलिया, जिला प्रवक्ता गोंविंद कफलिया, पत्रकार अंबिका माहरा ने भी यूनियन के समर्थन में भूख हड़ताल में बैठी और उन्होंने कहा कि ज्याद दिन तक उपेक्षा नहीं चलेगी। क्योंकि फड़-खोखा प्रभावितों के परिवारों के सामने दो वक्त की रोटी जुटाने का संकट पैदा हो गया है।

जनरल खण्डूड़ी ने शोक जताया

देहरादून,23 फरवरी (निस)़। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल (से.नि.) भुवन चन्द्र खण्डूड़ी एवीएसएम ने पौड़ी जिले के चैबट्टाखाल तहसील के पास हुई कार दुर्घटना में छः लोगों की असमय मृत्यु होनेे पर शोक व्यक्त किया है तथा मृतकों के परिवारजनांे से फोन पर वार्ता कर गहरी संवेदना व्यक्त की है। पूर्व मुख्यमंत्री ने  कहा है कि ईश्वर मृतकों के परिवारजनों को इस दुःख की घड़ी को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। 

पशु पक्षियों के संरक्षण को हो गम्भीर: जंगली

देहरादून,23 फरवरी (निस)़। पर्यावरण प्रेमी रामबाबू जंगली ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि पशु पक्षियों के संरक्षण के प्रति गंभीरता अपनाई जाए व संबधित कानूनों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। पर्यावरण प्रेमी रामबाबू का मानना है कि राज्य पक्षी मोनाल जंगलों से लुप्त होते जा रहे हैं। लेकिन सरकार इनके संरक्षण के लिए कोई ध्यान नहीं दे रही है। पर्यावरण को यदि बचाना है तो पेड़ों का कटान रोकना बेहद जरूरी है। हमें जल, जंगल और जमीन को बचाना होगा, तभी जीव जंतु व पर्यावरण सुरक्षित रह पाएगा। उनका कहना था कि उन्होंने अपना सारा जीवन वन्य जीव जंतु, पक्षियों एंव पर्यावरण सुरक्षा में बिना किसी स्वार्थ के लगा दिया है और सरकार से मांग करते हैं कि पेड पौधों के कटान पर रोक लगाए तथा इनका अनावश्यक दोहन रोका जाए। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय उद्यान एंव अभ्यरणों के आस-पास मानवीय गतिविधियों पर रोक लगाये जाने की मांग को भी जोरदार ढंग से उठाया। इसके अलावा रासायनिकों के अनावश्यक इस्तेमाल से विलुप्त हो रहे पक्षियों और जानवरों की भी रक्षा होनी चाहिए। 

सत्ता की भूखी है बीजेपीः राहुल गांधी

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  • महाप्रलय को मैने बहुत करीब से देखा

rahul in uttrakhand
देहरादून, 23 फरवरी। परेड ग्राउंड में आयोजित रैली में राहुल गांधी ने अपने संबोधन में सबसे पहले उत्तराखंड के लोगों को धन्यवाद अदा किया। उन्होंने कहा कि जून में आई आपदा से उत्तराखंड के साथ ही पूरे देश को झटका लगा। उन्होंने कहा कि उस वक्‍त मैं उत्तराखंड आया और इस महाप्रलय को करीब से देखा। लेकिन मैंने देखा कि इस आपदा के समय देश के साथ उत्तराखंड के सभी लोग एक साथ थे। उत्तराखंड को इस आपदा से उबारने में सेना का पूरा हाथ था।भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा कदमअपने संबोधन में राहुल ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बीजेपी भ्रष्टाचार की बात करती हैं। लेकिन आरटीआई लाकर कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा कदम उठाया है।

राहुल ने कहा ‌कि बीजेपी सत्ता की भूखी है और उसके लिए कुछ भी कर सकती है। उन्होंने कहा कि गुजरात में आरटीआई लागू नहीं है। गुजरात के विकास के लिए नरेद्र मोदी खुद को जिम्मेदार बताते हैं, लेकिन गुजरात को महिलाओं ने खड़ा किया है।

इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी देहरादून स्थित परेड ग्राउंड में पहुंचे। उनके साथ अंबिका सोनी व हरीश रावत भी साथ में मौजूद रहे। राहुल गांधी को सुनने के लिए ग्राउंड में भारी संख्या में लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। मंच से मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने संबोधन में राहुल गांधी को 21वीं सदी में भारत का भविष्य बताया और उत्तराखंड आने के लिए उनका धन्यवाद किया। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री ब‌हुगुणा, कैबिनेट मिनिस्टर इंदिरा हृदयेश व सतपाल महाराज ने मंच से लोगों का अभिवादन किया।

सतपाल महाराज ने राहुल का गुणगान करते हुए कहा कि राहुल इतिहास रचने वाले युवा नेता हैं। उनके छूने के बाद नौ‌ सिलेंडर 12 हो गए। उन्होंने कहा कि कर्ज माफ करने के बाद किसान राहुल के आभारी हो गए है। इस दौरान सतपाल महाराज ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह 18 घंटे काम करते हैं।
राहुल रविवार सुबह 10रू20 बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से हेलीकॉप्टर से सहस्त्रधारा और और फिर सड़क मार्ग से होटल अकेता पहुंचे। राहुल के साथ प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी व अन्‍य ‌वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।

बिहार : 66 साल के बाद भी शासक के द्वारा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं

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दानापुर। बिहार विधान सभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि देश में दो तरह के लोग रहते हैं। एक मिनरल वाटर पीते हैं। द्वितीय गड्ढा का पानी पीते हैं। 66 साल के बाद भी शासक के द्वारा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं कर पाना दुर्भाग्य है।

बिहार विधान सभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने दीप जलाकर गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति की रजत जयंती का उद्घाटन किया। इसके अलावे प्रगति भवन का लोकार्पण भी किया। राजनीति क्षेत्र में आने के पहले सामाजिक कार्यकर्ता की तरह कार्य करने वाले श्री चौधरी ने कहा कि प्रारंभ में रोटी,कपड़ा और मकान के बारे में बात करते थे। अब उसमें शिक्षा और स्वास्थ्य को भी जोड़ दिया है। इसको लेकर जोरदार ढंग से कार्य करने की जरूरत है। आज गरीब लोगों से रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य और शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। मगर सरकार का प्रयास हो रहा है, गरीबों न्यूनतम सुविधाओं को उपलब्ध कराया जाए।

ऑक्सफैम इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक प्रविन्द कुमार प्रवीण ने आज रविवार को कहा कि आजादी के 66 बरस में दूध से मंगहा पानी बिक रहा है। यह एक साजिश के तहत किया जा रहा है। प्रकृति प्रदत्त पानी को बंद बोतल में करके कीमत बटोरी जा रही है।

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गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति की रजत जयंती के अवसर पर आगे कहा कि जमीन की जंग को जन आंदोलन बनाने वाले लोग भूख और जमीन की लड़ाई को अंतिम मुकाम तक पहुंचाने में पीछे नहीं पड़े। इस आंदोलन को विस्तारित करने की जरूरत है ताकि सरकार भूख और जमीन के मुद्दे को गंभीरता से ले। साफ तो पर कहा कि जमीन ही मूल्यवान वस्तु है। जमीन ही सामाजिक और राजनीतिक औकांत तय करती है। इस अवसर पर अल्पसंख्यक आयोग की उपाध्यक्ष पद्मश्री सुधा वर्गीज ने कहा कि नारी शिक्षा को मजबूती से लागू करने की जरूरत है।

इसके पहले आगत अतिथियों का स्वागत प्रगति ग्रामीण विकास समिति के सचिव प्रदीप प्रियदर्शी ने किया। प्रगति ग्रामीण विकास समिति के कार्यकारिणी समिति के सदस्य उमेश कुमार ने 25 साल के कार्य प्रगति के बारे में चर्चा किए। समारोह का संचालन मंजू डूंगडुंग ने किया। पैक्स के परिजयोजना पदाधिकारी आरती वर्मा, किसान आयोग के अध्यक्ष सी.पी.सिंह, प्रकाश कुमार, राम बाबू, पूर्व मुखिया साधूशरण आदि ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर पुष्पा लकड़ा, विजय गौरेया, वी.के.सिंह. अनिल पासवान, सिंधु सिन्हा, स्वाति कश्यप आदि उपस्थित थे।  प्रयाग सेन्टर के द्वारा नुक्कड़ नाटक पेश किया गया। गया जिले के फतेहपुर प्रखंड के गिद्धनी गांव में रहने वाले आदिवासियों ने मुख्यअतिथियों को प्रघारना (नृत्य) करते कार्यक्रम मंच तक ले गए। इसका नेतृत्व सिरका मुंडा ने किया।




आलोक कुमार
बिहार 

विशेष : वह बंधुआ मजदूर थीं,उसे वहां से मुक्ति मिली, तब पट्टा पर खेत ली और करने लगी खेती

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पालीगंज। एक समय में बंधुआ मजदूर थीं। जब उसे बंधुआ मजदूरी के बंधन से मुक्ति मिली। पट्टा पर खेत ली और खेती करने लगी। और तो और वह कुछेक माह के बाद आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका बनने वाली हैं। अभी तक आप जरूर ही आश्चर्य व्यक्त कर रहे होंगे? यह हम नहीं कह रहे हैं। बल्कि किस्मत की धनी रेवंती देवी कह रही हैं। जो समाज के किनारे ठहर जाने वाले महादलित मुसहर समुदाय के बद मांझी और केसरी देवी की पुत्री हैं। दोनों के 4 संतान हैं। 3 बहन और 1 भाई है।

पटना जिले के नक्सल प्रभावित पालीगंज से रेवंती देवी दानापुर आयीं। गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति की रजत जयंती के अवसर पर आयीं। उसे बिहार विधान सभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी जी के भाशण ठीक लगा। हमलोग प्रारंभ में बंधुआ मजदूर थे। मां-बाप के साथ बच्चे भी बंधुआगिरी के बंधन में जकड़े थे। प्रगति ग्रामीण विकास समिति के भइया प्रदीप प्रियदर्शी जी खनपुराटाढ़ी मुसहरी में कार्यसेवा शुरू किए। सरकार से संवाद करने के बाद बंधुआ मजदूरी के बंधन से मुक्ति मिली। रेवंती देवी कहती हैं कि गरीबता के कारण मां-बाप बाल्यावस्था में बाल विवाह कर दिए। उस समय 14 साल की थीं। वह अपना पति का नाम अशोक मांझी बताती हैं। परन्तु रेवंती ससुराल नहीं गयीं। नैयर में रह गयीं। इसका नतीजा निकला कि अशोक मांझी ने विवाह विच्छेद कर दिए। वह दूसरी शादी नहीं।

प्रगति ग्रामीण विकास समिति से प्रेरणा पाकर बचत समूह बनाया गया। इसी समूह की राशि से पट्टा पर खेत लेकर खेती किए। हमलोग सभी लोग मिलकर खेती करने लगे। मेहनत रंग लाने लगा। खेत में काम भी करते और पढ़ाई भी शुरू किए। इस बीच एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष पी.व्ही.राजगोपाल जी के बुलाया पर जनादेश 2007 सत्याग्रह पदयात्रा में शिरकत किए। ग्वालियर से दिल्ली तक पांव-पांव चले।

विघालय परित्याग करने से नियमित स्कूल नहीं जाते थे। बाहर से ही फार्म भरे। अन्ततः 2008 में मैट्रिक  द्वितीय श्रेणी से उर्त्तीण हो गए। मैट्रिक उर्त्तीण होने के बाद भी पट्टा पर खेत लेकर खेती करना छोड़े नहीं। 2009 में 22 हजार रूपए में 4 बीघा खेत लिए। जो सालाना भुगतान करके खेती कर रहे हैं। इस बीच आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका बनने के लिए आवेदन दिए। 2013 में सेविका के रूप में चयन हो गया है। आंगनबाड़ी का कोड नम्बर 223 है। 40 बच्चों का चयन भी कर लिए हैं। कुछ माह के बाद बच्चों को पढ़ाना शुरू कर देंगे।

रेवंती देवी कहती हैं कि हमलोग पालीगंज प्रखंड के खनपुराटाढ़ मुसहरी में रहते हैं। सरकारी जमीन पर रहते हैं। मगर वासगीत पर्चा निर्गत नहीं किया गया है। 350 घरों की मुसहरी में आठ सौ की आबादी है। अभी यहां से सिर्फ तीन लोग ही मैट्रिक उर्त्तीण हुए हैं। सरकार की ओर से चापाकल गाढ़ा गया है। शौचालय का प्रबंध नहीं किया गया है। पहले लोग रोजगार की तलाश में पलायन करते थे। मनरेगा लागू होने के बाद पलायन रूका है। 150 घरों को जॉब कार्ड निर्गत किया गया है। मगर आरएसबीवाई से लाभान्वित नहीं करवाया जा रहा है।



आलोक कुमार
बिहार 

विशेष आलेख : मेरे देश की संसद मौन है!

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एक आदमी,रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है।
वह सिर्फ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूं-
यह तीसरा आदमी कौन है?
मेरे देश की संसद मौन है ।’

धूमिल ने जब यह कविता लिखी होगी तब शायद उन्हें 15 वीं लोकसभा के अंतिम सत्र में एक सांसद द्वारा सदन में छिड़के गए पेपर स्प्रे का ना तो मतलब पता होगा और न ही इसके उपयोग का तरीका । क्योंकि उस दौर में न तो वैश्वीकरण का मायाजाल था और न ही आधुनिकता की परिकाष्टा थी। दरअसल, वह दौर समाजवादी सोच का भारत था, जहां रह रहकर अत्यंत आध्यात्मिक तौर पर समझाया जाता था कि प्रजा ही राजा है, वही असली मालिक है और संसद में बैठे नुमांइदे उनके नौकर हैं । जनता जैसे आदेश देगी वैसा ही होगा और उस दौर में नेताओं ने भी इस सच को स्वीकारा था। तभी तो एक बार जनरल डिब्बे में यात्रा कर रहे देश के सम्मानित व्यक्ति और समाजवादी सोच के संसद सदस्य डा. राममनोहर लोहिया ने रतलाम स्टेशन पर पीने वाले पानी के लिए ट्रेन की चैनपुलिंग कर दी थी। तब भी कार्यकर्ता थें, लेकिन आज की तरह नहीं । लोहिया ने उन कार्यकर्ताओं से कहा कि नेहरू को फोन लगाया जाए,उनसे यह कहा जाए कि जनरल बोगी में सफर करने वाले एक आम आदमी को अपने दिए हुए टैक्स के पैसे से पानी पीना है । तब तत्कालिन प्रधानमंत्री नेहरू ने बाकायदा माफी भी मांगी थी और तब के रेलमंत्री जॉन मथाई को देश के तमाम ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था करने का तुरंत आदेश दिया था।

उस दौर में चुनावी प्रक्रिया के अर्थ भी अलग होते थे। उस दौर में भी विपक्ष होता था लेकिन आज की तरह नहीं । उस दौर का विपक्ष उंगलियों पर गिन लिया जाता था, बावजूद इसके सत्ता पक्ष का सम्मानित होता था। इतना ही नहीं वह संक्षिप्त विपक्ष समय —समय पर सत्ता के जनविरोधी कदमों का विरोध भी करता था, लेकिन आज की तरह नहीं । तभी तो नेहरू ने जब विपक्ष में बैठे उस दौर के कांग्रेसी नेता राममनोहर लोहिया से अनुरोध किया कि आप भी सत्ता पक्ष के साथ आ जाईए, तब लोहिया ने कहा कि ‘हम जब आपके साथ आ जाएंगे तब इस देश का भला कौन करेगा । मतलब यह कि सिर्फ सत्ता पक्ष ही रहेगा तब वह तानाशाह बन जाएगा। चलिए हम आपके उंट होंगे और आप हमारे हाथी। उस वक्त बात को नेहरू जी ने मजाकिया अंदाज में जरूर लिया लेकिन बाद में उन्ही ने लोहिया के इस कदम को एतिहासिक बताया था। यानि की सत्ता और विपक्ष में एक बेहद सहयोग से भरा माहौल होता था। बावजूद इसके धूमिल ने अपनी कविता में लोकतंत्र की जो रेखाचित्र खींच डाली उसमें सत्ता और जनता के बीच साफ तौर पर एक दूरी दिखाई दे रही थी। यह धूमिल की खासियत ही थी जो उन्हें लोकतंत्र के उस शुरुआती दौर में भी रोटी बनाने और उससे खेलने वाले में जमीन आसमान का अंतर दिखाई देता था, यह उनकी दृष्टि थी, जो छल को परत दर परत देख पाती थी।

लेकिन ऐसा नहीं है कि संसदीय मर्यादाओं और सहयोग की भावनाएं उसी दौर में होती थी। कभी—कभी लगता है कि वह दौर आज भी जिंदा है, तभी तो 15 वीं लोकसभा का अंत जिस भावनाओं और प्यार के साथ हुआ उसने पिछले लोकसभा के सारे गिले—शिकवे को एक ही झटके में खत्म कर दिया । संसद में मौजूद लगभग हर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि ने एक दूसरे को जिस अंदाज में अगले लोकसभा सत्र में मौजूद रहने की शुभकामनाएं दी उससे एक समय के लिए लगा की जी नहीं.. अभी संसद जिंदा है, यहां मौजूद जनप्रतिनिधि के दिल में प्यार— जज्बात जैसे शब्द जिंदा हैं । सबने किसी न किसी रूप में अपनी भावनाएं जाहिर की लेकिन इन सब के केंद्र में संसद के बुजूर्ग सदस्य लालकृष्ण आडवानी रहें  तो बाद में आडवानी ने भी अपनी आसुंओं और शुक्रिया को संसद के पटल पर रख दिया । एक बार के लिए ऐसा लगा की हमारे संसद सदस्यों में कमाल की भावनाएं हैं। कोई चुटकी भी लेता है तो उसमें भी उसकी संवेदनाएं झलकती हैं और झलके भी क्यों न? क्योंकि 15 वीं लोकसभा का आखिरी सत्र जो था, या यूं कहें आखिरी दिन भी था। न जाने कौन आए 16 वीं लोकसभा में, इसलिए बहने दो आंसुओं को, कहने दो जमाने को..सहने दो सितम को.. जैसे जुमले याद आने लगें।

अब अगर बात की जाए अतीत यानि 15 वीं लोकसभा की, तो 15 वीं लोकसभा का आख़िरी सत्र बेहद हंगामेदार साबित हुआ। इस लोकसभा के आख़िरी सत्र में मिर्च के स्प्रे, सदस्यों के निलंबन और लगातार शोर-गुल ने संसदीय कर्म में गिरावट का जो परिचय दिया, उसे देर तक याद रखा जाएगा। वहीं अंतरिम रेल बजट पेश करते वक्त रेल मंत्री का भाषण सदन के पटल पर रखकर काम चलाया गया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, जब केंद्रीय मंत्री अपनी सरकार का विरोध व्यक्त करते हुए 'वेल'में उतरे हों। आम बजट और रेल बजट बगैर चर्चा के पास हो गए। इस सत्र में लोकसभा के सीधे प्रसारण को रोककर तेलंगाना विधेयक को पारित किए जाने को आपातकाल से जोड़कर देखा गया । इस फ़ैसले को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी अपने विदाई भाषण में काफी मुश्किल भरा बताया। बतौर प्रधानमंत्री वे सदन में आख़िरी बार नज़र आए थे, इसलिए उन्होंने संसद के सभी सदस्यों का शुक्रिया भी अदा किया।

लेकिन अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह के शासनकाल में आर्थिक उदारीकरण से जुड़े अनेक विधेयकों को पास नहीं किया जा सका। जीएसटी और डायरेक्ट कोड जैसे काम अधूरे रह गए । बांग्लादेश के साथ सीमा को लेकर समझौता नहीं हो पाया। लोकसभा में पड़े सत्तर के आसपास बिल लैप्स हो गए । इतनी बड़ी संख्या में बिल पहले कभी लैप्स नहीं हुए । सन 2010 के लोकसभा का छठा सत्र लगभग पूरी तरह 2जी 'घोटाले'को लेकर संयुक्त संसदीय समिति बनाने की माँग के कारण ठप रहा । हद तो तब हुई जब फरवरी 2012 में तत्कालीन रेल मंत्री व तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिनेश त्रिवेदी ने रेल बजट पेश किया, जिसमें किराया-भाड़ा बढ़ाने का प्रस्ताव था। तृणमूल कांग्रेस की प्रधान ममता बनर्जी ने न सिर्फ उस घोषणा की निंदा की, बल्कि रेल मंत्री को पद से हटाने का फैसला भी सुना दिया। ऐसा पहली बार हुआ जब रेल बजट एक मंत्री ने पेश किया और उसे पास करते वक्त दूसरे मंत्री थे। संसदीय राजनीति के लिए ऐसी घटनाएं अटपटी थीं ।

हालांकि दूसरी ओर इस लोकसभा के कार्यकाल के दौरान सरकार ने कई अहम विधेयकों को पारित भी किया। जिसमें 'लोकपाल बिल'का जिक्र होना जरूरी है। अगर थोड़ा पिछे चले जाएं तो 2009 में जब 15वीं लोकसभा आई तो सरकार ने आते ही शिक्षा का अधिकार क़ानून पास करा दिया था। फिर महिलाओं के आरक्षण बिल को 2010 में राज्यसभा में पास करा लिया गया। लेकिन उसी दौरान 2 जी स्कैम,कॉमनवेल्थ गेम्स में हुई घोटालेबाजी ने 2010 के शीतकालीन सत्र से संसद के कामकाज में ठहराव लानी शुरू कर दिया। बावजूद इसके 2013 में खाद्य सुरक्षा विधेयक, भूमि अधिग्रहण बिल, और दिसंबर आते-आते लोकपाल विधेयक भी पास हो गया।

यह बात अलग है कि इन विधेयकों को पास कराने के दौरान उन पर कभी राजनीतिक सहमति नहीं बन पाई । मसलन, जब महिला आरक्षण बिल पास हो रहा था तो समाजवादी पार्टी के 7-8 सांसदों को सस्पेंड करना पड़ा, तब जाकर बिल पास हो पाया था। उसी तरह तेलंगाना बिल पास कराने के लिए लोकसभा और राज्यसभा से सांसदों को सस्पेंड करना पड़ा। सदन में चर्चा कम और हंगामा ज़्यादा हुआ, कभी कोई दल संसद को वॉक आउट करता तो कभी कोई । यानि की संसद अब मौन नहीं था, और न ही मौन होना चाहता था, उसे तो बस अपनी जिद मनवानी थी।

लेकिन संसद की गरिमा को बचाने के लिए यह जरूरी है कि आपस में राजनीतिक समझ बनाई जाए। एक बात यह भी है कि संसद सदस्यों की गरिमा कम हुई है , इसके लिए संसद सदस्य ही जिम्मेवार हैं । अब लोगों के अंदर संसद के प्रति यह इमेज बन चुकी है कि यहां सिर्फ तू-तू, मैं-मैं ही होती है । उपराष्ट्रपति जी ने दुखी होकर एक सत्र में कहा भी था कि हम लोगों के बीच क्या इमेज दे रहे हैं। हालांकि कई लोग मानते हैं कि संसद के कार्यवाही को जब मीडिया ने फोकस करना शुरू किया तभी से हंगामें बढ़े हैं शायद यह भी कारण हो सकता है लेकिन एक सच यह भी है कि आज कोई सदस्य कोई विषय उठाना चाहते हैं और उन्हें मौका नहीं मिलता तो वे सदन की कार्यवाही में रूकावट डाल कर अपनी बात कहना चाहते हैं। दूसरी बात यह भी है कि राजनीतिक कारणों से सदन में रुकावट डालना स्क्रिप्टेड होने लगा है । यानि संसद में हंगामें तय हैं, तो मौन का कोई सवाल ही नहीं है, और जब हंगामें ​होंगे तो जनता से जुड़े सवालों का क्या होगा? यह भी सोच कर डरावना लगता है।

ऐसे में धूमिल की यह कविता कहीं न कहीं सार्थक भी है। क्योंकि इसी लोकसभा में भ्रष्टाचार के मुददे पर जिस तरीके से अन्ना—रामदेव के आंदोलन के जरिए जनता सड़क पर उतरी उससे देश के भविष्य और लोकतंत्र को कठघरे में खड़ा कर दिया है। यानि जन का जो तंत्र है वह अब जन का नहीं रह गया है। ऐसे में यहां अब जन—जनार्दन केवल रोटी बेलता है, खाते तो देश के हंगामेंदार संसद के जनप्रतिनिधि ही हैं। बहरहाल, लोकसभा के अगले सत्र में कुछ नए चेहरे भी होंगें और कुछ पूराने भी, सब्र कीजिए वो क्या करते हैं।




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---दीपक कुमार---
फोन :9555403291
इमेल : Deepak841226@gmail.com
लेखक हिन्दुस्थान समाचार से जुड़े हैं।




जीरापुर में आयोजित हुआ पत्रकारों का महासम्मेलन

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  • पत्रकारों की सेवा के लिए मुझे अपनी जमीन भी बेचना पड़ी तो बेच दूंगा – संतोष गंगेले

journalist meet
जीरापुर [ राजगढ़ ]। पत्रकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना गया है लेकिन देश के किसी संविधान में किसी कानून में पत्रकारों को विशेष का दर्जा नही दिया गया और न ही शासन द्वारा आंचलिक स्तर तक पत्रकारों को सहायता प्रदान की जाती है । गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब का गठन मेने केवल इसलिए किया है की पत्रकारों को विशेष दर्जा मिले । इस संगठन में निस्वार्थ भाव से पत्रकार जुड़ें और निशुल्क सदस्यता लें मेरे पास अपनी पैत्रिक सम्पतियों में कुछ जमीन है अगर पत्रकारों की सेवा के लिए मुझे वह भी बेचनी पड़ी तो बेच दूंगा उक्त उदगार राजगढ़ जिले के जीरापुर में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में गणेशशंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब के प्रदेशाध्यक्ष संतोषकुमार गंगेले नोगांव छतरपुर ने कहे । उन्होंने कहा की पत्रकार की कलम निस्वार्थ एवं निष्पक्ष भाव से चलती रहेगी तो देश उन्नति की और अग्रसर होता रहेगा । आगामी 23 मार्च को भोपाल में विशाल सम्मलेन पर विचार मंथन किया गया।

पत्रकारों को मिले प्रोत्साहन
journalist meet
हमारे आंचलिक पत्रकार कई तरह की मुसीबतों का सामना करते हुए छोटे छोटे गाँवों से दबंगों का सामना करते हुए समाचार खोजकर लाते हे जिससे प्रशासन को अंतिम व्यक्ति तक योजनाएं पहुँच रही या नही इसका ज्ञान होता है उक्त बात नवभारत के जिला ब्युरो गोविंद बड़ोने ने कहते हुए कहा की ऐसे पत्रकारों को जिला मुख्यालय से जनसम्पर्क कार्यालय द्वारा सहानुभूति एवं उत्साहित करने के लिए वर्ष में एक बार सम्मानित किया जाना चाहिए जिससे की पत्रकारों का उत्साह बना रहे । कार्यक्रम के विशेष अतिथि कलेक्टर आनन्द शर्मा ने पत्रकारों पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा की सरस्वती का पुजारी एवं हथियार के रूप में कलम का प्रयोग करने वाला पत्रकार किसी से कम नही होता । कार्यक्रम को नपाध्यक्ष दिनेश पुरोहित, पूर्व नपाध्यक्ष गोकरण वर्मा, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्ञानसिंह गुर्जर ने भी संबोधित किया ।

तहसील स्तर पर बने पत्रकार भवन
कार्यक्रम में संबोधन के दौरान मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक हजारीलाल दांगी ने कहा की में अपने विधायक निधि से मेरे विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर एवं जीरापुर तहसीलों में पत्रकार भवन बनवाऊंगा और राजगढ़ जिले के अन्य विधायकों से भी कहूँगा साथ ही प्रदेश सरकार से में आग्रह करूँगा की सभी तहसील मुख्यालयों पर पत्रकार भवन बने ताकि प्रशासनिक अधिकारी, पत्रकार और जनप्रतिनिधि बैठकर प्रदेश के विकास में गति दे सके ।

उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए किया पुरुस्कृत
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संगठन के द्वारा जिले में उत्कृष्ट एवं ठोस खबरों के साथ निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए गोविंद बड़ोने नवभारत, कमल खस दे.जागरण,भानु ठाकुर पत्रिका, सतेन्द्र भारिल्ल दे.भास्कर,तनवीर वारसी सहारा समय और ओम व्यास ई टीवी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया । उल्लेखनीय है की जिले में सकारात्मक पत्रकारिता के साथ ही प्रशासनिक स्तर पर हलचल पैदा कर देने वाली ख़बरों के लिए यह प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है ।
ये रहे उपस्थित कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों गणेशशंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब के संभागीय अध्यक्ष माखन विजयवर्गीय, गजराजसिंह मीणा संभागीय महामंत्री, भोपाल जिलाध्यक्ष दीपक बिड़ला,गोपाल माहेश्वरी राही राष्ट्रीय हिंदीमेल ब्यूरों, तनवीर वारसी सहारा समय, ओम व्यास ईटीवी, श्रीनाथ दांगी दे.भास्कर, कमल खस ब्युरो दे.जागरण प्रमुख रूप से उपस्थित थे वहीँ जिले भर से आये पत्रकारों में प्रमुख रूप से मुकेश सेन,विनोद शर्मा, अलीमबाबा, गिरिराज किशोर गुप्ता,रामबाबू सक्सेना,पीसी चन्द्रावत, अजय साहू, रमाकांत शर्मा, राजेश भारती,देव नागर, रोशनखत्री, ओम गुप्ता, पंकज शर्मा, मनीष शर्मा, ओम राठोर, शमशेरखान, मोहन गुप्ता, राकेश भानपुरा, अजय टेलर,रामु जमींदार, योगेश भावसार, वसीमखान, राजेश राठोर, बीएल गुर्जर, मनीष राठोर, रवि टेलर,चन्दन सिंगी,शरद भावसार, पवन सोनी, कमलेश शर्मा सहित जिले भर के पत्रकार एवं गणमान्य नागरिक और जनप्रतिनिधि मोजूद थे । कार्यक्रम के आयोजक गणेशशंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब जिलाध्यक्ष ने सभी का आभार व्यक्त किया एवं संचालन राधेश्याम पुरबिया ने किया । कार्यक्रम के अंत में सभी ने सहभोज किया ।

राजीव गांधी हत्याकांड मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

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सर्वोच्च न्यायालय राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले पर रोक लगाने के लिए केंद्र द्वारा दायर याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगा।

अतिरिक्त महाधिवक्ता सिद्धार्थ लुथरा ने न्यायालय को बताया कि तमिलनाडु सरकार के पास दोषियों की रिहाई का कोई अधिकार नहीं हैं, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश पी.सतशिवम की पीठ सुनवाई के लिए तैयार हो गई।

सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह ही तीन दोषियों को रिहा करने के फैसले पर रोक लगा दी थी। इन दोषियों की दया याचिका के लंबे समय से लंबित रहने पर उनके मृत्युदंड को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया था।

आलेख : बुनियादी सुविधाओं से वंचित सरहदी इलाके

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जम्मू एवं कष्मीर के जि़ला पुंछ के मेंढर का सरहदी गांव बनलोई कुदरती हुस्न से मालामाल है। यह गांव पहाड़ों के दामन में बसा हुआ है। मेंढर से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव कुदरत के अनमोल तोहफों की एक जीती जागती मिसाल है।  साल 2013 में मेंढर का यह इलाका सरहद पर गोलाबारी होने की वजह से सुर्खियों में रहा। इस इलाके के लोगों को हर वक्त गोलाबारी होने का खतरा सताए रहता है। इस इलाके के लोग मौत के साए में अपनी जिंदगी जीने को मजबूर हैं।  । यहां हर ओर कुदरत की रंगीनियां नज़र आती है। यहां के कुदरती मंज़र देखने के काबिल हैं।  लेकिन यहां आकर देखा जाए, इन लोगों से मिला जाए तो इनकी  परेषानियां जानने के बाद आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि किस तरह यह लोग अपनी जिंदगी गुज़र बसर करतेेे हैं। इसी जन्नतनुमा इलाके के लोग इक्कीसवीं सदी में बुनियादी सुविधाओं बिजली, पानी, स्वास्थ्य और षिक्षा आदि से महरूम हैं। 
         
अफसोस की बात तो यह है कि इस इलाके में पानी की आज भी कोई उचित सुविधा नहीं हैं। इस इलाके में पानी का केवल एक ही स्रोत है। इस स्रोत से ही महिलाएं एक कतार में खड़ी होकर पानी हासिल करती हैं। रहमत बी (28) कहती हैं कि यह हमारे लिए नया नहीं हैै, हम लोग इसी तरह कतार में खड़े होकर पानी हासिल करके अपने सरों पर पानी के मटके उठाकर तकरीबन आधा किलोमीटर का सफर तय करके अपने घरों को पहुंचते हैं।  इस बारे में रहमत बी आगे बताती हुए कहती हैं कि हम लोग बारिष, बर्फबारी और चिलचिलाती हुई धूप में भी इसी तरह पानी ढोकर लाते हैं। इस इलाके के प्रति सरकार की बेतवज्जोही सफर नज़र आती है। महिलाएं घर परिवार संभालें या फिर भी पानी लादकर लाएं समझ से परे है। इस इलाके को देखकर कहा जा सकता है कि इस इलाके के लोग आज भी पुराने ज़माने जैसी जिंदगी गुज़र बसर कर रहे हैं। इस इलाके की जनता का कहना है कि हमें यकीन नही हो रहा है कि हम दूनिया के सबसे बढ़े लोकतंत्र का हिस्सा हैं। 
         
इस इलाके में अगर षिक्षा की बात की जाए तो यहां सिर्फ एक हाईस्कूल है और तीन मीडिल स्कूल हैं। गांव वाले मेहनत व मषक्कत करके अपने बच्चों को पढ़ना लिखाना चाहते हैं। मगर इलाके में षिक्षा की स्थिति अत्यंत दयनीय है। अध्यापकों की कमी की वजह से बच्चों का भविश्य अंधकारमय हो रहा है। इस इलाके की स्थानीय निवासी फिरदौस अंजुम (18)  कहती हैं,’’ हमारे इलाके में कोई भी लड़की एमए बीएड नहीं है। यहां के लड़के लड़कियां दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसकी वजह यह है कि इलाके में कोई हायर सेंकेंडरी स्कूल नहीं है।’’ तीन हज़ार की आबादी वाले इस इलाके में हायर सेकेंडरी स्कूल का न होना इंतेहाई अफसोसनाक है। ज़रूरत इस बात की है कि सरकार इस इलाके में जल्द जल्द हायर सेकेंडरी को मंज़ूरी दे ताकि यहां के बच्चे और बच्चियां उच्च षिक्षा हासिल करके देष के विकास में एक अहम योगदान दे सकें। 
        
सरकार को समस्याओं से भरे इस इलाके की ओर जल्द से जल्द ध्यान देने की ज़रूरत है। अगर देष को तेज़ी से तरक्की करना है तो देष में तालीमी निज़ाम के ढ़ाचे को बेहतर बनाना होगा। बिना षिक्षा के निज़ाम को बेहतर बनाए हम विकास की राह पर गामज़न नहीं हो सकते। सिंचाई विभाग ने जो कदम पानी के बचाओ के लिए उठाए हंै। उनका इस्तेमाल हमारे इलाके में बिल्कुल नहीं हो रहा है। फरवरी, मार्च, जून और जुलाई में इस इलाके में इतना पानी होता है कि यह पानी दूसरे इलाकों में सैलाब लाता है। अगर सिंचाई विभाग पानी को इकठ्ा करने के लिए कुछ बंदोबस्त कर दे तो इस पानी का इस्तेमाल दूसरे इलाकों में भी हो सकता है। हिंदुस्तान का सबसे बड़ा सरमाया यही ग्रामीण इलाके हैं और मुल्क की तरक्की में भी इन्हीं ग्रामीण इलाकों से जुड़ी हुई है। अगर सरकार ने इन ग्रामीण इलाकों की ओर ध्यान देना छोड़ दिया तो हम यह कैसे कह सकते हैं कि हम दूनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा हैं। अगर देष को तरक्की करना है तो ग्रामीण इलाकों को छोड़कर हम तरक्की की राह पर गामज़न नहीं हो सकते। लिहाज़ा हुकूमत को चाहिए कि जल्द से जल्द ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए ज़रूरी कदम उठाए।




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हामिद शाह हाशमी
(चरखा फीचर्स)  

लोजपा पर संशय बरकरार, उदितराज बीजेपी में हुए शामिल

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इंडियन जस्टिस पार्टी के नेता उदितराज भाजपा में शामिल हो गए हैं। ऐसा सुनने में आ रहा है कि लोक जनशक्ति पार्टी ने भाजपा में शामिल होने का फैसला कर लिया है। जल्द ही दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी।  
माना जा रहा है कि अगले एक-दो दिन में रामविलास पासवान से दोस्ती पर कोई औपचारिक घोषणा हो सकती है। बिहार में उपेंद्र कुशवाहा को जोड़ने के बाद भाजपा लोजपा को भी साथ लाकर चुनावी समीकरण दुरुस्त करना चाहती है। बताते हैं कि खुद पासवान पर पार्टी के अंदर से बहुत दबाव है।

लोजपा के कई नेताओं का मानना है कि पिछले वर्षों में पार्टी को उस वोट बैंक का लाभ नहीं मिला, जिसके लिए नीति बनाई गई थी। अब जब प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को एसआइटी ने बरी कर दिया है, तो भाजपा के बहिष्कार का कोई कारण नहीं है। सूरजभान सिंह ने खुलकर भाजपा से गठजोड़ की पैरवी कर दी है। पासवान के कई अन्य नजदीकी भी यही चाहते हैं। दरअसल, कांग्रेस-राजद-लोजपा गठजोड़ को लेकर भी कोई ठोस बात नहीं हो पाई है। ऐसे में एक रास्ता अपनाना जरूरी है।

 लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने अभी किसी गठजोड़ से इनकार किया, लेकिन साथ ही कहा कि पार्टी के अंदर कई विचार हैं। उम्मीद है कि लोजपा संसदीय बोर्ड की बैठक मंगलवार को होगी। ध्यान रहे कि बिहार में भाजपा पहले ही मोदी का ओबीसी कार्ड खेल रही है। अगर पासवान भी साथ आए तो राजग बड़े वोटबैंक का दावा कर सकती है। गठजोड़ की पुष्टि तो भाजपा के नेता भी नहीं कर रहे हैं, लेकिन पटना में सुशील मोदी ने सीबीआई के मुद्दे पर पासवान का बचाव शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि पासवान को उलझाने की कोशिश हो रही है। हालांकि, औपचारिक घोषणा से पहले कई सीटों पर सहमति बनाना कठिन होगा। दूसरी तरफ पासवान के दलित मोर्चे में रह चुके उदितराज सोमवार को भाजपा में शामिल हुए। माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें उत्तर प्रदेश में किसी सीट से चुनाव भी लड़ा सकती है। अगर उदितराज और पासवान राजग में जुटे तो इसी के सहारे उत्तर प्रदेश में बसपा वोटबैंक को तोड़ने की कोशिश भी होगी।

केजरीवाल ने लिखी राहुल गांधी को चिट्ठी

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बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को गैस प्राइसिंग के मुद्दे पर चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में केजरीवाल ने 1 अप्रैल से गैस के दाम बढ़ाए जाने के मुद्दे पर अपना रुख साफ करने को कहा है। राहुल को भेजी गई इस चिट्ठी में लिखा गया है कि 1 अप्रैल से गैस के दाम बढ़ जाएंगे। इससे सीएनजी के दामों में बढोतरी होगी और देश में त्राहि-त्राहि मच जाएगी। इसी गैस से बिजली का उत्पादन भी होता है। इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर नरेंद्र मोदी और आप चुप क्यों हैं।

कहा जा रहा है कि यूपीए की सरकार बनने पर आप (राहुल) प्रधानमंत्री होंगे। ऐसे में इस मसले पर आप की चुप्पी ठीक नहीं। लोगों का मानना है कि यूपीए सरकार का कोई भी फैसला आपके परिवार की मंजूरी के बिना नहीं होता है। गैस के दाम बढ़ाने का फैसला भी सरकार ने आपके परिवार से पूछकर लिया होगा। फिर भी लोग आपके मुंह से सुनना चाहते हैं कि क्या आप मुकेश अंबानी को 8 डॉलर प्रति यूनिट गैस के दाम का समर्थन करते हैं। तीन दिन पहले केजरीवाल ने ऐसी ही एक चिट्ठी नरेंद्र मोदी को भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने ठीक ऐसे ही सवाल मोदी से पूछे थे। केजरीवाल ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर मोदी, बीजेपी और अंबानी पर कई आरोप लगाए थे।

पढ़ें पूरी चिट्ठी -
आदरणीय श्री राहुल गांधी जी
गैस घोटाले मामले में श्री मुकेश अंबानी जी के खिलाफ आम आदमी पार्टी सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी।
आरोप है कि यूपीए सरकार के कुछ मंत्रियों ने श्री मुकेश अंबानी को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने की मंशा से गैस के दाम बढ़ाने का निर्णय लिया है। श्री मुकेश अंबानी जी को वर्ष 2000 में तत्कालीन एनडीए. सरकार ने गैस निकालने के लिए कुछ गैस के कुएं दिए थे। अंबानी जी को 17 साल तक 2.3 डॉलर प्रति यूनिट के हिसाब से सरकार को गैस देनी थी। लेकिन बाद में समय-समय पर सरकार पर गलत तरीके से दबाव डालकर श्री मुकेश अंबानी ने गैस के दाम 4 डॉलर प्रति यूनिट से भी ज़्यादा करवा लिए। आरोप है कि इन कुओं से गैस निकालने का खर्च मात्रा 1 डॉलर प्रति यूनिट से भी कम आता है। इसका मतलब केंद्र सरकार श्री मुकेश अंबानी को 1 डॉलर से भी कम की चीज़ के 4 डॉलर दे रही है। हद तो तब हो गई जब केंद्र सरकार ने आदेश पारित कर दिए कि 1 अप्रैल 2014 से श्री मुकेश अंबानी को 8 डॉलर प्रति यूनिट के हिसाब से गैस के दाम दिए जाएंगे। कहा जा रहा है कि श्री मुकेश अंबानी को इससे सालाना 54,000 करोड़ का नाजायज़ फायदा होगा। पूरे दिल्ली राज्य का सालाना बजट 40,000 करोड़ होता है। यानी कि सरकार मुकेश अंबानी जी को पूरी दिल्ली के बजट से भी ज्यादा का नाजायज़ फायदा दे रही है। और ये सारा पैसा हम लोगों की जेब से जायेगा। आखिर क्यों?
1 अप्रैल से देश के अंदर त्राहि-त्राहि मच जाएगी। सीएनजी के रेट बहुत बढ़ जाएंगे। इससे पूरे देश के अंदर यातायात महंगा हो जाएगा। इसी गैस से देश में बिजली का उत्पादन होता है, तो बिजली भी बहुत महंगी हो जाएगी। इसी गैस से खाद बनती है, तो खाने-पीने की सभी चीज़ें महंगी हो जाएंगी। आप समझ सकते हैं कि देश में कितनी ज़्यादा महंगाई हो जाएगी।
आप और मोदी जी अभी तक इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं? यह एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण मुद्दा है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि यू.पी.ए. की सरकार बनती है तो आप प्रधनमंत्री होंगे। इस वजह से इतने महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर आपकी चुप्पी ठीक नहीं है। वैसे तो लोगों का मानना है कि मौजूदा यू.पी.ए. सरकार कोई भी महत्त्वपूर्ण निर्णय आपके परिवार से पूछे बिना नहीं लेती। लोगों का मानना है कि यह निर्णय भी सरकार ने आपके परिवार से पूछ कर ही लिया होगा। पर फिर भी लोग आपके मुंह से सुनना चाहते हैं कि क्या आप मुकेश अंबानी जी को 8 डॉलर प्रति यूनिट गैस के दाम देने का समर्थन करते हैं?
लोग यह भी कह रहे हैं कि चुनाव के कुछ महीने पहले ही आखिर गैस के दाम दुगने करने के ऑर्डर क्यों किए गए? क्या बदले में श्री मुकेश अंबानी जी ने कांग्रेस को एक नंबर या दो नंबर में चंदा दिया है? या अन्य कोई
फायदा पहुंचाया है? यदि हां, तो वो क्या है? जब आम आदमी पार्टी सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच ने इस मामले में श्री मुकेश अंबानी जी के खिलापफ एफआईआर दर्ज की तो भाजपा और कांग्रेस दोनो के वरिष्ठ नेताओं ने उसका घोर विरोध किया। क्या दोनों पार्टियों के मुकेश अंबानी जी के साथ इतने घनिष्ठ संबंध हैं?
आप और मोदी जी दोनो देश विदेश में घूमने के लिए हैलिकॉप्टर और निजी हवाई जहाज़ों का इस्तेमाल करते हैं। ये हेलिकॉप्टर, हवाई जहाज़ किसके हैं? अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक आप खुलेआम श्री मुकेश अंबानी के जहाज़ों में घूमते हैं। लोग कहते हैं कि मोदी जी भी उनका जहाज इस्तेमाल करते हैं। क्या वो जहाज़ आपको फ्री में मिलते हैं या आप उनका किराया देते हैं? जनता में ये चर्चा है कि आपकी एक-एक रैली पर कई करोड़ रुपये खर्च होते हैं। ये सारा पैसा किसका है कुछ लोगों का कहना है कि श्री मुकेश अंबानी आपको फंड कर रहे हैं। क्या यह सच है?
नीरा राडिया टेप में यह निकलकर आया है कि श्री मुकेश अंबानी जी बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि कांग्रेस तो श्री मुकेश अंबानी की दुकान है। लोग कहते हैं कि केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों की पोस्टिंग में श्री मुकेश अंबानी की दख़ल-अंदाज़ी होती है और वास्तव में यू.पी.ए. की सरकार तो श्री मुकेश अंबानी जी ही चलाते हैं। क्या यह सच है?
इसलिए आपसे हाथ जोड़कर विनती है कि आप इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़ें और देश की जनता को निम्नलिखित प्रश्नों के जवाब दें:
1-क्या आप श्री मुकेश अंबानी को 8 डॉलर प्रति यूनिट गैस के दाम देने का समर्थन करते हैं? यदि नहीं, तो क्या आप अपनी सरकार से कहकर इस आदेश को रद्द करवाएंगे?
2- श्री मुकेश अंबानी जी के साथ आपके और आपकी पार्टी के क्या संबंध हैं?
3-आपके चुनाव प्रचार पर कितना पैसा खर्च हो रहा है और वो पैसा कहां से आ रहा है?
4-क्या आप श्री मोइली को इस बार लोकसभा की टिकट देंगे, आपके कई मंत्रियों पर भी समय-समय पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं जैसे श्री सलमान खुर्शीद, श्री कमल नाथ, श्री शरद पवार, श्री पी. चिदांबरम, श्री कपिल सिब्बल इत्यादि। क्या आप इन सबको टिकट देंगे?
चूंकि इस पत्र में जनता से संबंधित अहम मुद्दे उठाए गए हैं, इसीलिए मैं इस पत्र को सार्वजनिक कर रहा हूं। आप चाहे मुझे सीधे इस पत्र का जवाब न दें, लेकिन यदि आप इन मुद्दों पर अपने विचार सार्वजनिक रूप से बयान कर देंगे तो लोगों के मन के संदेह दूर हो जाएंगे।

दिल्ली में राष्ट्रपति शासन पर कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

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उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने को चुनौती देने वाली आम आदमी पार्टी की याचिका पर केंद्र से जवाब तलब किया है।  उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए आप की ओर से उठाये गए मुद्दों पर 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा। 
    
पीठ ने भाजपा और कांग्रेस को नोटिस जारी करने से इंकार करते हुए इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 7 मार्च निर्धारित कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह केवल इसके संवैधानिक पहलुओं को देखना चाहती है और इसे राजनीतिक प्रतिस्पर्धा नहीं बनने देना चाहती है। आप की याचिका में कांग्रेस और भाजपा को भी पक्ष बनाया गया है। 
    
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह संवैधानिक विषय है, इसलिए जिसने भी आदेश जारी किया है, उसे जवाब देना होगा। पीठ ने कहा कि हम नहीं चाहते कि यह राजनीतिक विवाद बने। न्यायालय में जब यह कहा गया कि दो पार्टियों के खिलाफ आरोप है, तब पीठ ने कहा कि जब यह आयेगा, तब देखेंगे। आप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने याचिका दायर करने से संबंधित तथ्यों की व्याख्या की। शीर्ष अदालत ने 21 फरवरी को इस याचिका पर आज सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की थी जिसमें उपराज्यपाल को दिल्ली विधानसभा भंग करने और लोकसभा चुनाव के साथ फिर से चुनाव कराने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था।

पानी के निजीकरण में लगे हैं ठेकेदारों के नेता : राजेंद्र

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rajendra singh water man
उत्तर प्रदेश एवं केन्द्र सरकार ठेकेदारों द्वारा संचालित है। हमारी संसद एवं विधानसभाओं में ठेकेदारों के नेता ही पहुंचते हैं। वे पानी, नदी सबका निजीकरण करने मंे लगे हुए हैं और अपने मतदाता को लोभी, लालची बनाकर उन्हें परावलम्बी बना रहे हैं। इन्हें ही ये लोकतन्त्र कहते हैं। यह बात शनिवार को प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन में जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का लोकतांत्रिक प्रबंधन करने वाला लोकादेश 2014 समस्त नागरिकों को सम्मान पूर्वक जीवन जीने का अधिकार देता है। साथ ही निजीकरण रोककर सामुदायिक अधिकार करने की पक्षधर है। इस पक्ष को उभारने के लोक उभार को लोक आधार बनाने की इच्छा से भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जल, नदी, पर्यावरण पर देश भर में कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकतार्ओं का एक मार्च को सम्मेलन आयोजित किया गया है।

राजेन्द्र सिंह ने कहा कि लोकादेश पेयजल सुरक्षा अधिनियम, नदी पुर्नजीवन, भूजल-पुर्नभरण द्वारा सम्भव है। इसलिए लोकादेश में 21 सूत्रीय कार्यक्रम बनाया गया है। पेयजल सुरक्षा अधिनियम गरिमा एवं विना भेदभाव के सभी को पानी की सुनिश्चितता की पैरवी करता है। 

लोकादेश के संदर्भ में देशव्यापी आन्दोलन के लिए विभिन्न विश्वविद्यालय, कालेजों के 200 से अधिक कार्यकर्ता तैयार किए गए हैं, जो आम मतदाताओं को जागरूक कर रहे हैं। दर्जनों नदियों पर नदी वेसिन के लोगों द्वारा यात्राएं प्रारम्भ की गई हैं। जन-जल जोड़ों अभियान देश भर के पानी, नदी व प्रकृति पर कार्य करने वाले कार्यकतरओ का अभियान है। 

लोकादेश में प्रमुख रूप से देश के समस्त नागरिकों को शुद्व पेयजल सुनिश्चित करने के लिए भारतीय संविधान की धारा 21 के अनुसार जल पर सामुदायिक संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित करने का प्रयास होगा।

जल पुरुष ने कहा कि जल संरचनाओं को अतिक्रमण, प्रदूषण एवं शोषण से मुक्त कराने के लिए उनका सीमांकन एवं चिन्हीकरण कराकर उसके रोकथाम का प्रयास, नदियों, तालाबों एवं अन्य पारम्परिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए कठोर प्रावधान करने तथा उसमें महिलाओं के अनुभवों व उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। 

राष्ट्रीय जल नीति में महिलाओं को अधिक महत्व नहीं दिया गया है। जबकि महिलाएं पानी की समस्याओं को ज्यादा नजदीक से जानती और समझती हैं। नदियों को पुर्नजीवित करने के लिए केन्द्र, प्रदेश सरकार एवं स्थानीय स्तर पर साफ-सुथरी और स्पष्ट नीति बनाकर उसका क्रियान्वयन कराया जाएगा।

तलाशी के दौरान तेजपाल के सेल में मिला मोबाइल फोन

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tarun tejpal
जेल अधिकारियों ने रविवार को तहलका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल के सेल की अचानक की गई जांच के दौरान मोबाइल फोन बरामद किया। तेजपाल गोवा के वास्को सिटी स्थित सदा उप कारा में बंद हैं।अचानक जांच के दौरान अनुमंडल दंडाधिकारी गौरिश शांखवालकर ने नौ मोबाइल फोन बरामद किए। अन्य सेल से हेडफोन, एमपी3 प्लेयर, सिगरेट और तंबाकू के पैकेट भी बरामद किए।

एक अधिकारी ने कहा कि सेल संख्या 14 जिसमें तेजपाल और अन्य चार कैदियों को रखा गया है, से मोबाइल फोन बरामद हुआ। तेजपाल ने हालांकि कहा कि यह फोन उनका नहीं है। महानिरीक्षक जेल मिहिर वर्धन ने छापे की पुष्टि की है।

उन्होंने हालांकि बताया कि उन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है। तेजपाल करीब दो माह से न्यायिक हिरासत में बंद हैं। उनके खिलाफ अपनी एक कनिष्ठ सहयोगी के साथ दुष्कर्म करने का आरोप है।

सुनंदा की हत्‍या हुई थी, उसके मुंह में रूसी जहर डाला गया था : सुब्रमण्यम स्‍वामी

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केंर्दीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत रोज नए-नए खुलासे हो रहे है।भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि थरूर की पत्नी की मौत आकस्मिक नहीं भी बल्कि उनकी हत्या की गई थी।उन्होंने ये भी कहा कि जरूरत पड़ने पर वो अपने दावे के समर्थन में भी सबूत दे सकते हैं।स्वामी ने ट्वीट कर कहा है कि सुनंदा के पेट से लेकर ऊपर तक कई जगहों पर गंभीर जख्म थे।उनकी नाक दबाकर मुंह खोला गया जिसमें रूसी जहर डाला गया।स्वामी के आरोप पर शशि थरूर भड़क गए हैं।उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद करार दिया। 

थरूर का कहना है कि सुनंदा की मौत में कोई साजिश नहीं है।गौरतलब है कि सुनंदा दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में रहस्यमय हालात में मृत पाई गई था।एसडीएम ने इस मामले की जांच की थी लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई केस दर्ज नहीं किया है।परिवार का कहना था कि सुनंदा तनाव में थी।
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