सरकार के राष्ट्रहित और श्रमिकों के हित में हड़ताल पर नहीं जाने की अपील के बावजूद श्रमिक संगठनों के हड़ताल पर अडिग रहने और इसमें असंगठित क्षेत्र के कामगारों के भी शामिल होने के ऎलान से बुधवार को बैंकिंग, बीमा, परिवहन, सार्वजनिक उपक्रम, कोयला, खनन उद्योग, बिजली, बंदरगाह तथा डाक आदि सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
पश्चिम बंगाल सरकार ने देशव्यापी हड़ताल के दौरान अपने कर्मचारियों की उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया है और गैरहाजिर रहने वालों के वेतन काटने की चेतावनी दी है। श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने श्रमिक संगठनों से राष्ट्रहित में हड़ताल पर नहीं जाने की अपील करते हुए मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन के लिए न्यूनतम वेतन अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव किया जाएगा और श्रमिकों के हितों की रक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि श्रमिकों की 12 में से नौ मांगों पर लगभग सहमति बन चुकी है और रेलवे में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, सरकारी कंपनियों में विनवेश और ठेका श्रमिकों के मुद्दे को छोड़कर सभी पर लगभग सहमति बन चुकी है। हड़ताल से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होने के बारे पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि एक श्रमिक संगठन ने हड़ताल में शामिल नहीं होने की घोषणा की, जबकि तीन चार ने तटस्थ रहने की बात कही और इस हड़ताल का असर बहुत कम रहेगा।
न्यूनतम वेतन 15000 हजार रूपए करने तथा श्रम सुधारों को लेकर इंटक, एटक, सीटू, भामस, हिमस, टीयूसीसी, सेवा, एक्टू, यूटक, एलपीएफ और कर्मचारियों के महासंघों ने हड़ताल का आह्वान किया है। रेलवे को इस हड़ताल से बाहर रखा गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ इस हड़ताल में शामिल नहीं होगी। हड़ताल का आह्वान करने वाले संगठनों के नेताओं का दावा है कि सरकार की हटधर्मिता के कारण वे हड़ताल का रास्ता अपनाने पर मजबूर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मजदूर वर्ग में जो आक्रोश है, उससे हड़ताल को न केवल व्यापक सफलता मिलेगी, बल्कि अन्य क्षेत्र के लोगों का भरपूर समर्थन मिलेगा। इन संगठनों से लगभग 10 करोड़ मजदूर जुडे हैं।
असंगठित क्षेत्र के मजदूर 15 हजार न्यूनतम मासिक मजदूरी की मांग को लेकर आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होंगे। यह पहला मौका है, जब असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे देश के 92 प्रतिशत मजदूर भी ट्रेड यूनियनों की हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। वर्किग पीपुल्स चार्टर द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेस में बंधुआ मुक्ति मोर्चा के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में असंगठित क्षेत्र के 46 करोड़ मजदूरों का योगदान है, फिर भी उन्हें सरकार 15 हजार रूपए न्यूनतम मासिक मजदूरी देने को तैयार नहीं है।
बुधवार को ट्रेड यूनियनों की हड़ताल में असंगठित क्षेत्र के भी मजदूर भाग लेंगे। देशभर में मजदूरों की हड़ताल को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार के वित्त विभाग ने एक परिपत्र जारी किया है जिसमें राज्य सरकार के कर्मचारियों को कार्यालय आने का आदेश दिया गया है। परिपत्र में कहा गया है कि अगर कोई कर्मचारी हड़ताल के दौरान अनुपस्थित रहता है तो उसका वेतन काट लिया जाएगा। बुधवार को होने वाली हड़ताल को देखते हुए सरकार ने मंगलवार को दफ्तरों में रूकने की इजाजत दे दी है। इस परिपत्र में राज्य सरकार के मंगलवार रात नाबान्ना, तोडी मैंसन और विकास भवन में अधिकरियों के रूकने का इंतजाम करने का निर्देश दिया है। राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस सरकार ने लोगों से ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) और अन्य राष्ट्रीय मजदूर संघों के द्वारा की जा रही हड़ताल को विफल करने का आह्वान किया है।
गोरखा मुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने हड़ताल में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। जीजेएम ने मंगलवार को कहा कि केन्द्र सरकार के श्रम कानूनों और सुधारों के खिलाफ आहूत देशव्यापी हड़ताल में उनकी पार्टी हिस्सा नहीं लेगी। जीजेएम के अनुसार, इन कानूनों से कथित तौर पर मजदूरों के अधिकारों का हनन होता है।