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पटरी से उतरी टॉय ट्रेन, 2 विदेशियों की मौत, 20 जख्‍मी

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शिमला रेलमार्ग पर कालका के क़रीब एक टॉय ट्रेन के पटरी पर से उतर जाने के कारण दो ब्रितानी महिलाओं की मौत हो गई और पांच घायल हो गए हैं. जानकारी के अनुसार ये ट्रेन ब्रिटेन के 37 पर्यटकों ने बुक की थी. घायलों को इलाज के लिए चंडीगढ़ भेजा गया है. हादसा कालका से करीब तीन किलोमीटर दूर हुआ.

रेलवे के प्रवक्ता के अनुसार चार कोच वाली ये ट्रेन विदेशियों के एक समूह ने बुक की थी. दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर ट्रेन कालका स्टेशन से रवाना हुई. करीब 12.58 बजे ट्रेन के दो कोच पटरी से उतर गए. इस हादसे में दो विदेशियों की मौत हो गई जबकि पांच अन्य लोग घायल हो गए.

 सूत्र के अनुसार घायलों को पहले कालका के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में चंडीगढ़ भेजा गया. शुक्रवार आधी रात को एक अन्य ट्रेन हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी और सात अन्य घायल हुए थे. कर्नाटक के गुलबर्गा में सिकंदराबाद-कुर्ला दूरन्तो एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे मर्थुर नाम की जगह पर शुक्रवार आधी रात को पटरी से उतर गए थे.

भारत-चीन लद्दाख सीमा पर तनाव, सेना ने चीन के निगरानी टावर को गिराया

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लद्दाख में भारत और चीन की फौजें एक बार फिर आमने सामने आ गई हैं। लद्दाख के बुर्तसे इलाके में दोनों देशों के बीच टेंशन तब बढ़ गई जब पैट्रोलिंग लाइन पर चीन की ओर से बनाए गए वॉच टावर को इंडियन आर्मी ने गिरा दिया। इस इलाके में बॉर्डर के दोनों तरफ बीते कुछ दिनों से फौज की तादाद बढ़ रही है।

चीनी सेना ने पैट्रोलिंग लाइन (वह लाइन जिसके भीतर रहकर गश्त लगाई जाती है) के नजदीक वॉच टावर बना लिया था। शुक्रवार को भारतीय सेना और इंडो तिबतन बॉर्डर पुलिस ने मिलकर टावर को उखाड़ फेंका। इसके बाद दोनों तरफ फौज की तादाद बढ़ने लगी।

अगस्त 2014 : चीनी सैनिक लद्दाख के बुर्तसे क्षेत्र में भारतीय बॉर्डर में 25 किलोमीटर अंदर तक घुस गए थे। इंडियन आर्मी के गश्ती दल ने पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के अधिकारियों को देखा था। इसके बाद गश्ती दल लौट आया था। अगले दिन जब जवान फिर गश्ती पर निकले, तब भी चीनी सैनिकों की जगह में कोई बदलाव नहीं आया। उन्होंने 'यह चीनी इलाका है, वापस जाओ'लिखा झंडा ले रखा था। भारतीय गश्ती दल के साथ क्विक रिएक्शन टीम भी गई, लेकिन चीनी सैनिकों ने जगह छोड़ने से मना कर दिया था।

सितंबर 2014 : 30 चीनी सैनिक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को पार कर भारतीय बॉर्डर में 500 मीटर अंदर घुस गए थे और तंबू गाड़ दिए थे। मामले की खबर मिलते ही इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के 70 जवानों को इलाके में तैनात किया गया था।

जुलाई 2013 : चीन की आर्मी बुर्तसे में भारतीय चौकियों के दो किलोमीटर पास तक आ गई थी। यह जगह लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से करीब 30 किलोमीटर दूर है। इसी महीने चुमार सेक्टर में चीन की आर्मी घुस आई थी। उससे पहले 11 जुलाई को उनके हेलीकॉप्टर ने हमारे एयर स्पेस का वॉयलेशन किया था।

अप्रैल 2013 : लद्दाख के दिप्सांग के मैदानों में ही टकराव की स्थिति पैदा हुई थी जब चीनी सेना ने भारत के अंदर 19 किलोमीटर तक अपने खेमे गाड़ दिए थे। कुछ दिन बाद दोनों फौज इस बात पर राजी हुई कि पूरे लद्दाख में 15 अप्रैल से पहले की स्थिति बनाकर रखी जाएगी। इसके बाद ही भारत और चीन की आर्मी पीछे हटी।

चीनी सेना ने 2014 में 334 बार भारतीय इलाके में घुसपैठ की। यह घुसपैठ लद्दाख के आसपास के इलाकों में हुई है। पिछले साल अगस्त में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब भारत यात्रा पर थे, तब भी लद्दाख में 10 दिन से ज्यादा समय तक घुसपैठ विवाद के चलते भारत-चीन की आर्मी आमने-सामने थी। हालांकि, नवंबर 2014 में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि छुटपुट घटनाएं कई क्षेत्रों में होती रहती हैं। इन्हें एक-दो दिन के भीतर ही सुलझा लिया जाता है। इन्हें आप घुसपैठ की बड़ी घटना नहीं कह सकते। चीन से सटे बड़े हिस्से पर बॉर्डर इमेजनरी है। वहां दोनों ओर की आर्मी एक-दूसरे की तरफ चली जाती हैं।

बता दें कि भारत और चीन के बीच विवादित इलाका 4000 किलोमीटर का है। लेकिन चीन का कहना है कि सीमा विवाद वाला क्षेत्र महज 2000 किलोमीटर का है। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर में से अक्साई चीन को चीन के ही सुपुर्द कर दिया है। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच 18 दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है।

उत्तर प्रदेश के 1 लाख 71 हजार शिक्षामित्रों की नियुक्ति रद्द

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उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में तैनात एक लाख 75 हजार शिक्षामित्रों की नियुक्त‍ि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है. शनिवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की डिवीजन बेंच ने यह आदेश दिया. चीफ जस्टिस के अलावा इस बेंच में जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस यशवंत वर्मा थे. श‍िक्षामित्रों की नियुक्त‍ि का आदेश बीएसए ने जारी किया था, जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया.

शिक्षामित्रों की नियुक्त‍ि को लेकर वकीलों ने कहा था कि इनकी भर्ती अवैध रूप से हुई है. जजों ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों की तैनाती बरकरार रखने और उन्हें असिस्टेंट टीचर के रूप में समायोजित करने के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के वकीलों की दलीलें कई दिनों तक सुनीं.

हाईकोर्ट ने कहा, 'चूंकि ये टीईटी पास नहीं हैं, इसलि‍ए असिस्टेंट टीचर के पदों पर इनकी नियुक्ति नहीं की जा सकती.'शिक्षामित्रों की तरफ से वकीलों ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने नियम बनाकर इन्हें समायोजित करने का निर्णय लिया है, इसलि‍ए इनकी नियुक्त‍ि में कोई कानूनी दिक्कत नहीं है. हालांकि कोर्ट ने इसे नहीं माना. यह भी कहा गया कि शिक्षामित्रों का चयन प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की कमी के कारण किया गया है.

जीतनराम मांझी के बेटे 4.65 लाख रूपए के साथ पकडे गए

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बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री और हिंदुस्‍तानी आवाम मोर्चा के अध्‍यक्ष जीतन राम मांझी के बेटे प्रवीण मांझी को जहानाबाद पुलिस ने हिरासत में लिया है। बताया जा रहा है कि उनके पास से 4.65 लाख कैश बरामद हुए हैं।

जहानाबाद जिले के मखदुमपुर पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत वाहनों की चैंकिग के दौरान पुलिस ने यह रकम बरामद की। पुलिस मांझी के बेटे से पैसे के स्‍त्रोत के बाबत भी पूछताछ कर रही है।

बिहार में अगले महीने चुनाव होने वाले हैं, जिसके चलते राज्‍य में आदर्श आचार संहिता लागू है। इसके तहत किसी को भी 50 हजार रुपये से ज्‍यादा नकद ले जाने की अनुमति नहीं है। लिहाजा मांझी के बेटे के पास से बड़ी रकम की बरामदगी होने के चलते उन्‍हें हिरासत में लिया गया है।

राजनाथ सिंह पाकिस्तान और चीन से सटे सीमावर्ती इलाकों का दौरा करेंगे

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केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह अगले सप्ताह पाकिस्तान और चीन से सटे सीमावर्ती इलाकों का दौरा करेंगे. पाकिस्तान और चीन सीमा पर जारी तनाव के बीच गृहमंत्री दोनों देशों से सटी सीमा पोस्ट का दौरा करेंगे और हालात का जायजा लेंगे. पाकिस्तान की ओर से इन इलाकों में लगातार संघर्षविराम का उल्लंघन किया जाता है हालांकि पिछले दिनों दिल्ली में चले पाकिस्तान रेंजर्स और बीएसएफ के डीजी लेबल की वार्ता के बीच गृहमंत्री ने साफतौर पर पाकिस्तान से कहा था कि पहली गोली भारत नहीं चलाता है. पाकिस्तान की ओर से भारतीय सेना को उकसाया जाता है. वहीं दूसरी ओर लद्दाख के बुर्तसे इलाके में भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है. आपको बता दें कि पैट्रोलिंग लाइन पर चीन की ओर से बनाए गए वॉच टावर को इंडियन आर्मी ने गिरा दिया है जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव व्याप्त है.

जम्मू-कश्मीर की सीमा से सटे इलाकों के तीन दिवसीय दौरे पर राजनाथ सिंह साम्बा में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के लिए बनाये गए अफसर मेस का उद्घाटन करेंगे. मंगलवार से शुरू हो रही इस यात्रा के दौरान वह संभवत: उन सेक्टरों की चौकियों पर भी जाएंगे जहां अकसर संघर्षविराम का उल्लंन होता रहता है. गृहमंत्री उसके बाद पूर्वी लद्दाख के चुमार क्षेत्र में जाएंगे जहां सितंबर 2014 में भारतीय और चीनी सेना के बीच तनातनी हो गयी थी. उसके बाद वह हॉट स्प्रींग में पुलिस स्मारक और थाकुंग तथा चुशुल स्थित आईटीबीपी के पोस्ट पर भी जाएंगे. राजनाथ सिंह चीन-भारत सीमा पर स्थिति का जायजा लेंगे और सीमा की सुरक्षा करने वाले आईटीबीपी के सैनिकों के साथ बातचीत करेंगे. संभावना है कि वह सीमावर्ती इलाकों में चल रहे विकास कार्यों के संबंध में स्थानीय प्रशासन और सीमा सडक संगठन के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे.

भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी के पास हाल ही में टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी. टकराव की यह स्थिति उसी इलाके में पैदा हुई थी जहां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अप्रैल 2013 में कैंप लगाए थे और जिसकी वजह से तीन हफ्ते तक गतिरोध की स्थिति बनी हुई थी. इस घटना से वाकिफ अधिकारियों के मुताबिक, चीनी सेना ने लद्दाख के उत्तर में स्थित बुत्र्से में अस्थायी कुटिया बनाई थी जिसे शुक्रवार को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और थलसेना के जवानों ने तोड दिया. बताया जाता है कि चीन की नजर इस इलाके पर है. यह इलाका काराकोरम राजमार्ग की निगरानी में भारत को लाभ पहुंचाता है. काराकोरम राजमार्ग चीन द्वारा अवैध कब्जे में लिए गए क्षेत्र को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से जोडता है. इसके अलावा, दौलत बेग ओल्डी में एक अडवांस्ड ग्राउंड लैंडिंग (एजीएल) सुविधा है जिसे अगस्त 2013 में चालू किया गया था. भारतीय वायुसेना ने समुद्र तट से 16614 फुट की उंचाई पर स्थित इस हवाई पट्टी पर एक सी-130जे सुपर हरक्यूलीज परिवहन विमान को उतारने में सफलता पाई थी. कुटिया बनाए जाने की सूचना आईटीबीपी के जवानों को मिलते ही इस अर्धसैनिक बल और थलसेना का एक संयुक्त गश्ती दल इलाके में भेजा गया और कुटिया को तोड डाला गया.


श्रीनगर में हाफ मैराथन में विरोध प्रदर्शन, चले पत्थर

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श्रीनगर में आयोजित हुई पहली अंतरराष्ट्रीय हाफ मैराथन के दौरान विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। हजरतबल इलाके में कार्यक्रम स्थल पर युवकों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई। युवकों ने नारेबाजी की और सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंके, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे।

पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान कुछ लोगों ने मंच पर प्लास्टिक की बोतलें फेंकीं। पुलिस के मुताबिक इस दौरान कोई घायल नहीं हुआ और स्थिति अब नियंत्रण में है। 21 किलोमीटर लंबी इस हाफ मैराथन को हजरतबल में कश्मीर यूनिवर्सिटी से सुबह 6:30 बजे हरी झंडी दिखाई गई थी।

इस मैराथन के लिए 15 हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था और इसमें करीब 15 अंतरराष्ट्रीय एथलीट ने भी हिस्सा लिया। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले थे, लेकिन बाद में तनाव बढ़ने के कारण उन्होंने अपनी भागीदारी रद्द कर दी।

प्रधानमंत्री मोदी फेसबुक के हेडक्वार्टर जाएंगे

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 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी दौरे के दौरान सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के हेडक्वार्टर्स जाएंगे। रविवार को इस बात का एलान खुद फेसबुक के को-फाउंडर और सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने किया। फेसबुक पर अपने एक पोस्ट में उन्होंने बताया कि इस महीने के आखिरी में पीएम मोदी फेसबुक हेडक्वार्टर्स आएंगे। वहां मुलाकात के अलावा लोगों के सवालों का जवाब भी देंगे। जुकरबर्ग ने अपने एफबी पेज पर मोदी से पूछने के लिए सवाल भी मांगे हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में यह भी कहा,''पीएम मोदी और मैं इस बात को लेकर चर्चा करेंगे कि हम साथ कैसे काम कर सकें ताकि सोशल और इकोनॉमिक चैलेंज को दूर किया जा सके।''

पीएम मोदी इस महीने के अंत में न्यूयॉर्क जा रहे हैं। मोदी 24 से 30 सितंबर तक अमेरिका में होंगे। 26 और 27 सितंबर को मोदी कैलिफोर्निया में सिलिकॉन वैली जाएंगे। इसी दौरान वह फेसबुक के ऑफिस जाएंगे। जुकरबर्ग की पोस्ट के मुताबिक, पीएम 27 सितंबर को सुबह 9:30 एक इवेंट में हिस्सा लेंगे। इवेंट का लाइव वीडियो जुकरबर्ग और पीएम मोदी के पेस्ट पर शेयर की जाएगी। सिलिकॉन वैली में मोदी फेसबुक के अलावा टेक कंपनियों, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट के चीफ से भी मुलाकात करेंगे। बता दें कि पिछले महीने साल जुकरबर्ग दिल्ली आए थे और मोदी से मुलाकात की थी।

दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट में से एक फेसबुक का हेडक्वार्टर्स अमेरिका के कैलिफोर्निया में है। मेनलो पार्क में इसी साल कुछ महीने पहले फेसबुक का हेडक्वार्टर्स शिफ्ट हुआ है। फेसबुक का ऑफिस 430,000 sqft में फैला है। मोदी 70वें यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली (संयुक्त राष्ट्र महासभा) में शिरकत करने अमेरिका जा रहे हैं। 28 सितंबर को वह अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिलेंगे। ओबामा से मोदी की सालभर के भीतर यह तीसरी मुलाकात होगी।

ईसाई मिशनरियों से चिपके रहने वाले राजन साह ने मिथ्या तोड़ दिए

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पटना। भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं राजन साह। अबतक ईसाई समुदाय को कांग्रेसी समर्थक ही समझा जाता था। सदैव ईसाई मिशनरियों से चिपके रहने वाले राजन साह ने मिथ्या तोड़ दिए हैं। कई सामाजिक एवं आर्थिक संस्थाओं से जुड़े रहे। मास्टर ऑफ आर्ट्स-सोशल वर्क तक अध्ययन करने वाले 33वर्षीय राजन ने निदानसंस्था की नौकरी को परित्याग कर बीजेपी का दामन थामे हैं। फिलवक्त दीघा थाना अर्न्तगत मगध कॉलोनी में रहते हैं। पति और पत्नी के समेत 2 बच्चे हैं। अभी राजन नवयुवतियों का हॉस्टल खोल  रखें हैं।
इस संदर्भ में राजन साह कहते हैं कि वर्षों से बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेणु देवी के संपर्क में रहे। पश्चिमी चम्पारण जिले के बेतिया मूल के राजन साह ने बेतिया क्रिश्चियन क्वार्टर में रहने वाले क्रिश्चियनों के मत को चुनाव समय में बीजेपी के प्रत्याशी के पक्ष में हवा बनाकर मतदान करवाने में अहम किरदार निभाते रहे हैं।
इसके आलोक में बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष सैयद खालिद कमाल ने कहा है कि राजन साह आपकी कार्य कुशलता को देखते हुए, आपको भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा का क्षेत्रीय प्रभारी मनोनीत किया जाता है। इस तरह 12अगस्त 2015से अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश क्षेत्रीय प्रभारी राजन साह हो गए।
अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश क्षेत्रीय प्रभारी राजन साह ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार के द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के कल्यार्ण और विकास के लिए योजना चलायी जाती है। इन योजनाओं से सूबे के 38जिले के ईसाइयों को लाभ पहुंचाने का कार्य करेंगे। ऐसा करके अधिकाधिक ईसाई समुदाय को बीजेपी के सदस्य बनाया जाएगा। फिलवक्त जंगलराज की खात्मा करने की दिशा में जोरदार प्रयास कर रहे हैं। उनका प्रयास रहेगा कि अल्पसंख्यकों की जनसंख्या में मुस्लिम समुदाय अव्वल है। इसके बाद ईसाई समुदाय है। इनको राजनीतिक लाभ मिले। बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग में, 20सूत्री कार्यक्रम में, अल्पसंख्यक वित्त आयोग आदि में सीधे ईसाई समुदाय के लोगों को ही मनोनीत करें। इस पर कदापि फादर और सिस्टरों को मनोनीत किया जाए।

बिहार : अनुकम्पा के अधार पर नियुक्ति के मामले को टाल-मटोल

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पटना।चपरासी के पद पर मोहन महतो कार्यरत थे बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम में। लेखा विभाग में लेखापाल थे रामकुमार चौधरी।चतुर्थवर्गीय पर पर थे बृजनंदन सिंह। विश्वनाथ राय माली थे। किरानी के पद पर राजेन्द्र चौधरी कार्यरत थे। चौकीदार थे सुरेन्द्र प्रसाद। टाईपिस्ट अश्विनी कुमार थे। इन लोगों के साथ 25 लोग है जो बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम में काम करते थे। 

जिला प्रशासन के द्वारा निर्देशित स्थल गर्दनीबाग में शनिवार को राजकीय लोक उपक्रम महासंघ (भारतीय मजदूर संघ) के आह्वान पर बिहार पुलिस भवन निर्माण भवन के मृत कर्मियों के आश्रितों द्वारा आमरण अनशन सत्याग्रह किया गया।  मौके पर विधवा क्रांति देवी कहती हैं, कि उनके पतिदेव मोहन महतो का निधन 1992 में हो गया। वह लगातार 23 सालों से घर से दफ्तर तक मैराथन दौड़ लगा रही हैं।मेहनत करने के बाद आश्वासन की घुंटी पिलायी जाती। शंकर कुमार महतो कहते हैं कि उनके पिताश्री रामकुमार चौधरी का देहावसान 1998 में हुआ। सुनैना देवी कहती हैं कि उनके पतिदेव बृजनंदन सिंह का निधन 1999 में हो गया। सुनील कुमार के पिताजी विश्वनाथ राय का निधन 2000 में हुआ। रत्ना प्रिया कुमारी कहती हैं कि उनके पिताश्री राजेन्द्र चौधरी का देहांत 2007 में हो गया। 2009 में सुरेन्द्र प्रसाद का निधन हो गया। उनका पुत्र गणेश कुमार ने जानकारी दिए। अग्नि पुष्पम कुमार कहते हैं कि उनके पिताश्री अश्विनी कुमार 2011 में परलोक चले गए। 

अनशन करने वालों में अग्नि पुष्पम कुमार कहते हैं कि बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम में अनुकम्पा के अधार पर नियुक्ति के मामले को टाल-मटोल करने पर अनुकम्पा के हकदार आश्रितों द्वारा आमरण-अनशन करने का निर्णय लिया। बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम की निदेशक पर्षद की दिनांक 18.03.2015 को आयोजित बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार अनुकम्पा के आधार पर नियोजन का आदेश दिया गया। दिनांक 18.06.2015 तक पुनः अनुकम्पा के आश्रितों से आवेदन पत्र बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम, मुख्यालय में सचिव के माध्यम से अग्रतर कार्रवाई हेतु मांगा गया। दिनांक 18.06.2015 तक आवेदन देने के बाद जब अनुकम्पा के आश्रितों ने सचिव से मिले तो सचिव ने कहा कि आपलोगों को नियुक्ति एक सप्ताह के अंदर कर दी जाएगी, लेकिन 45दिन गुजर जाने के बावजूद भी हमलोगों की नियुक्ति नहीं हुई। अनुकम्पा के आश्रितों के मन में एक बार फिर से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पूर्व की भांति इस बार भी अनुकम्पा के आश्रितों के नियुक्ति में टाल-मटोल की स्थिति अपनाई जा रही है और जान-बुझकर किसी साजिश के तहत मामले को लंबित करने की कोशिश की जा रही है, ताकि तब तक बिहार में आदर्श आचार संहिता लग जाए और अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति का मामला ठंडे बस्ते में चला जाए। आगे अग्नि पुष्पम कुमार कहते हैं कि बिहार भवन निर्माण निगम में रोज नई नियुक्तियां की जा रही हैं,निगम में वर्ग 3 एवं वर्ग 4 में बहुत सारी रिक्तियां भी है।आग्रह किया गया है कि अनुकम्पा के आधार पर जल्द से जल्द नियुक्ति कर दी जाए। 

मजे की बात है कि अभी-अभी मृत कर्मियों के आश्रितों द्वारा आमरण- अनशन सत्याग्रह शुरू ही किया गया। उधर बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के अधिकारियों के बीच में हड़कम्प मच गया। महामहिम राज्यपाल, सीएम आदि समेत 17 लोगों के पास प्रतिलिपि प्रेषित कर दिया गया। आननफानन में द्विपक्षीय समझौता वार्ता शुरू की गयी। बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के सचिव आनंद कुमार श्रीवास्तव ने दो सप्ताह का समय मांगा। इनके साथ सहायक सचिव कर्म लाल और निजी सचिव जितेन्द्र कुमार थे। वहीं अनशनकारियों की ओर से राजकीय लोक उपक्रम कर्मचारी महासंघ संगठन मंत्री जगदीश मंडल,संयुक्त सचिव गोपाल तिवारी और कार्यालय सचिव अनिल कुमार रूर्खेबार के अलावे बिहार पुलिस बिल्डिग कंसटक्शन के उपाध्यक्ष सुखू शाह थे। 

एक सवाल के जवाब में अनशनकारी अग्नि पुष्पम कुमार ने कहा कि बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के अधिकारी 15 दिनों का समय दिया है। इस बीच चयनित 25 मृतकों के आश्रितों को अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति कर लेंगे। हमलोगों ने अनशनकारियों की ओर भी 15 दिनों का समय दिया है। इस तरह अधिकारियों के पास पूरे 30 दिनों का समय है। अपना वादा पूरा कर लें। 

बिहार : असुविधाओं के बीच में आंदोलन करने को बाध्य

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  • आंदोलन करने की अनुमति मांगने पर 7 सूत्री आदेश को करना पड़ता है पालन
  • सीएम ग्राम रक्षा दल के सदस्यों को ग्रामीण पुलिस के पद पर बहाल कर दें

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पटना। ग्राम रक्षा दल के अध्यक्ष हैं सिकन्दर पासवान। 17 अगस्त को आवेदन दिए थे। 22 अगस्त से गर्दनीबाग में अनिश्चितकालीन धरना एवं तीन दिवसीय भूख हड़ताल के आयोजन की अनुमति मांगे थे। पुलिस निरीक्षक-सह-थानाध्यक्ष, गर्दनीबाग थाना के डी0आर0 सं0-2877/15,दिनांक- 21/08/2015 द्वारा अनुशंसा के आलोक में जिला दण्डाधिकारी का कार्यालय,पटना (जिला नियंत्रण कक्ष) का आदेश जारी किया गया। हरेक आयोजनकर्ता को 7 सूत्री आदेश को पालन करना पड़ता है। 

धरना/प्रदर्शन/अनशन का आयोजना पूर्णतः शांतिपूर्ण ढंग से चिन्हित स्थल पर किया जायेगा। धरना/प्रदर्शन/अनशन के आयोजन के दरम्यान यातायात बाधित नहीं किया जायेगा। धरना/प्रदर्शन/अनशन के दौरान किसी भी तरह का उत्तेजक/भड़काऊ भाषण नहीं दिया जायेगा। धरना/प्रदर्शन/अनशन के दौरान सरकारी/अर्द्ध सरकारी सम्पति का किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचायेंगे। अनुमति प्राप्त धरना/प्रदर्शन/अनशन /समारोह के निर्धारित स्थल/जुलूस मार्ग के अतिरिक्त किसी अन्य मार्ग का प्रयोग नहीं करेंगे एवं प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेंगे। धरना/प्रदर्शन/अनशन स्थल पर प्रयोग हेतु ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी से अनुमति प्राप्त होने पर ही करेंगे। धरना/प्रदर्शन/अनशन का आयोजन आवेदन में अंकित अवधि तक के लिए मान्य होगा। किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर आदेश स्वतः रद्द समझा जायेगा तथा उल्लंघन करने वाले व्यक्ति/संस्था पर नियमानुसार विधि सम्मत आवश्यक कानून कार्रवाई की जायेगी। 

भूख हड़ताल करने वाले रामविलास दास ने कहा कि प्रशासन के द्वारा आंदोलनकारियों की सुविधाओं का ख्याल नहीं किया गया है। काफी कम जगह पर आयोजन करने को कहा जाता है। अगर अकस्मात बारिस हो जाए तो आंदोलन करने वालों को पानी से भींगना पर जाता है। जमीन पर पानी पसर जाने से खड़ा होकर आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ता है। पेयजल और शौचालय भी उपलब्ध नहीं है। अगर शौचालय है तो पैसा फेंकना पड़ता है। किसी तरह की रियायत नहीं दी जाती है। रामप्रवेश कुमार का कहना है कि दोनों तरफ से प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर आंदोलनकारियों को पिटाई कर दी जाती है। रामानुज चौरसिया का कहना है कि हमलोगों को नक्सलियों से लोहा लेने के लिए 2012 में बहाल किया गया। सरकार के द्वारा एक पैसा भी नहीं दिया जाता है। केवल टार्च और लाठी थमा दिया गया है। इसके सहारे नक्सलियों की पहचान करके थानाध्यक्ष को सूचना देते हैं। गांव के चौकीदारों के साथ मिलकर कार्य करते हैं। उनको मोटी रकम मिलती है। और हम ग्राम रक्षा दल के सदस्यों से बेगारी करायी जाती है। विनोद कुमार ने सीएम नीतीश कुमार से आग्रह किए हैं कि हम ग्राम रक्षा दल के सदस्यों को ग्रामीण पुलिस के पद पर बहाल कर दें। अभी 60 हजार ग्रामीण पुलिस के पद खाली है। इसी पद पर बहाल कर दिया जाए। 

व्यंग्य : खास को यूं आम मत बन बनाओ ...प्लीज...!!

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बचपन में अपने हमउम्र बिगड़ैल रईसजादों को देख कर मुझे उनसे भारी ईष्या होती थी। क्योंकि मेरा ताल्लुक किसी प्रभावशाली नहीं बल्कि प्रभावहीन परिवार से था। मैं गहरी सांस लेते हुए सोचता रहता ... काश मैं भी किसी बड़े बाप का बेटा होता , या एट लिस्ट किसी नामचीन मामा का भांजा अथवा किसी बड़े  चाचा का भतीजा ही होता तो मैं भी ऐसी शरारतें कर पाता। फिर आशावादी दृष्टिकोण मेरे मन को समझाता ... अभी तो पूरी पिक्चर बाकी है मेरे दोस्त... इतना निराश होने की भी जरूरत नहीं है। किसी बड़ी हस्ती का बेटा, भतीजा या भांजा न बन सका तो क्या हुआ ... क्या पता कल को मेरा रिश्ता किसी बड़े ससुराल से जुड़ जाए। मैं किसी बड़ी हस्ती का दामाद, जीजा या साढ़ू ही बन जाऊं। लिहाजा जिंदगी की लाख जिल्लतें झेलता हुआ मैं अभी ख्याली पुलाव में उलझा हुआ ही था कि धुर्तों की एक टोली मेरे घर शादी का रिश्ता लेकर आ धमकी। मुझे लगा कि शायद किस्मत बदलने का मेरा नंबर आखिरकार आ ही गया। बात लेने – देने की हुई तो मैने कहा कि कम से कम मुझे इतना तो दे ही दीजिए कि गृहस्थी के हल में जुतने लायक साम्थर्य मैं जुटा सकूं। इस पर शातिरों ने हंसते हुए जवाब दिया  ... बच्चे हम न तो दहेज के खिलाफ हैं और न ही हमारे पास पैसों की ही कोई कमी है... लेकिन ऐसा है कि हमारे खानदान में शादी में ज्यादा कुछ देने का रिवाज नहीं है। 

इस पर पलटवार करते हुए मैने कहा  .... ठीक है दहेज नहीं देंगे तो कुछ ऐसा सामान तो दीजिएगा जिससे जिंदगी की गाड़ी आसानी से खींची जा सके ...। बदले में जवाब मिला कि हमारे यहां शादी में सामान देने को दोष माना जाता है। आखिरकार मेरी अल्पबुद्धि को लगा कि ये लोग दरअसल कान घुमा कर पकड़ना चाहते हैं। बंदे न तो दहेज के खिलाफ हैं और न हीं इनके पास पैसों की कमी है तो फिर प्राब्लम क्या है... निश्चय ही इनका इरादा कुछ और है। जो चीजें शादी में दी जाती है हो सकता है उससे कई गुना ज्यादा ये शादी के बाद दें। बस फिर क्या था ... राजी – खुशी मैं चढ़ गया सूली पर। लेकिन जल्द ही मुझे इस बात का अहसास हो गया कि मैं भयानक चक्रव्यूह में फंस चुका हूं। इसी का साइड इफेक्ट कहें कि भरी जवानी क्या किशोरावस्था में ही मैं बुढ़ापे की गति को प्राप्त होने लगा। अपने देश में अभिजात्य व ताकतवर व र्ग के साथ भी अक्सर यही दोहराने की कोशिश की जाती है। बेचारे कितनी मेहनत से किसी मुकाम पर पहुंचते हैं। लेकिन कभी कहा जाता है कि आम – आदमी के बीच रह कर उनकी परेशानियों को समझने की कोशिश करें तो कभी विशेष नहीं बल्कि साधारण विमान से यात्रा के उपदेश का महाडोज पिलाया जाता है। किसी बड़े नेता को सनक सवार हुई तो झट आदेश जारी कर दिया कि उनकी पार्टी के माननीय गांव – कुचे में जाकर गरीबों के घरों में सिर्फ रुकें ही नहीं बल्कि वहीं जो मिल जाए वही खाकर गुजारा करें। बीच में चलन चला कि सभी बड़े लोग अपना – अपना मोबाइल नंबर सार्वजनिक करें। 

नतीजा क्या हुआ... । बेचारों को क्या – क्या नहीं झेलना पड़ा। आधी रात को फोन करके लोग गली – कुचों की  प्राब्लम नौकरशाहों व राजनेताओं को सुनाने लगे। बड़ी मुश्किल से मोबाइल स्विच आफ, नॉट रिचेबल अथवा नॉट रिस्पांडिंग करके सिरदर्द से छुटकारा मिला। लेकिन  अब तो हद ही हो चुकी है कि मामला उनके बाल – बच्चों तक जा पहुंचा है। कहा जा रहा है कि बड़े लोगों के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में पढ़ें। दलीलें पेश की जा रही है कि इससे समाज में समानता कायम होगी। हो सकता है सरकारी स्कूलों की दशा भी सुधर जाए। यह तो सरासर खास को आम बनाने की त्रासदी ही है। साधारण श्रेणी में यात्रा या गरीबों के घरों में कुछ खा – पी लेने तक तो बात ठीक थी, लेकिन यह क्या ...। अब बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने भेजें। कहां तो गांव – कस्बों में भी लोग बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने से कतराते हैं और अब ....। हे भगवान....। क्या यही दिन देखने के लिए आम से खास बने थे। फिर भी आशावादी दृष्टिकोण रखते हुए ताकतवरों को निश्चिंत रहना चाहिए। आखिरकार साधारण श्रेणी में यात्रा व गरीबों के घर रुकने के सिलसिले का हश्र तो सबको पता ही है।




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तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर, मेदिनीपुर 
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं। 

विशेष : जातिगत सियासत में फंसी रह गई आरक्षण

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मुख्यधारा से विचलित 

हाल के दिनों में जिस तरह से आरक्षण को लेकर जातिगत भूचाल सियासत में आ गई है वो कई नए प्रश्नों को तो जन्म दे ही रहा है साथ ही साथ आरक्षण का सतहीकरण करते-करते मंडल कमीशन के सतह पर पहुचने को भी मजबूर कर रहा है| सबसे महत्वपूर्ण बात है इस विषय को समझना कि आरक्षण किसके लिए बनाई गई थी, इसका मूल उद्देश्य क्या था, आज हम इसे किस स्तर पर देख रहे है और कौन लोग इसके हक़दार है, उन हक़दार लोगो तक इसकी पहुँच कैसी है| इन प्रश्नों को बेहतर तरीके से जाने बगैर आरक्षण के ऊपर सवालिया निशान लगाना उचित नहीं होगा| इसका बेहतर तरीके से मूल्यांकन किए बगैर आर्थिक पैमानों पर आरक्षण को देखना कितना मुनासिब होगा| क्या आरक्षण को कल्याणकारी निति या गरीबी उन्मुल्यन निति के तौर पर देखना भी उचित है| क्या जातिगत पैमाना के अलावां कोई और पैमाना हो सकता है जो इस आरक्षण के उद्देश्य को पूरा करते दिख रहा हो| जातिगत सियासत ऐसे सैकड़ो प्रश्नों के बीच आरक्षण को झुलाता रह गया|

अगर पूना पैक्ट के समझौते की ओर झाकने की कोशिश करेंगे तो पाएँगे कि आरक्षण वो माध्यम है जिससे जातिविहीन राष्ट्र की कल्पना की जा सके| इसका उद्देश्य था जातिविहीन राष्ट्र के रूप में, लेकिन राजनितिक दंगल में वोटों के ध्रुवीकरण के रूप में उपयोग होने की वजह से अपनी मुख्य धारा से पूरी तरह विचलित हो चूका है| इसके परिणाम स्वरुप हार्दिक पटेल जैसे लोग पैदा हो रहे है| हार्दिक जैसे लोगो को लगता है कि आरक्षण एक गरीबी उन्मुल्यन निति है एक कल्याणकारी निति है, जभी उन्होंने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो के लिए आरक्षण को हल के रूप में देखा  जबकी सच्चाई यह है कि आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो के लिए आरक्षण नहीं सुनयोजित सुविधा की जरूरत होती है| इसलिए आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो को सरकार से अच्छी निति और सुविधा की मांग करनी चाहिए| सरकार को ऐसे मसलो पर अपनी बनाई हुई निति पर पुनर्विचार करनी चाहिए कि आखिर वो लोग ऐसी चीजो की मांग क्यों कर रहे है| उनकी मांग को अनदेखा करने के बजाय उनके लिए आरक्षण के अलावां कोई और हल ढूढने का प्रयास करनी चाहिए क्युकी हो सकता है कि पटेल समुदाय आर्थिक रूप से थोडा पिछड़ गया हो लेकिन सामाजिक रूप से आज भी बहूत सशक्त है, हार्दिक के कंधो पर बन्दुक उसका प्रमाण है|

मंडल कमीशन एक नई मोड़ 
आरक्षण की दिशा में मंडल कमीशन एक नए मोड़ के रूप में आया था| हालाँकि मंडल कमीशन की रूपरेखा जनता पार्टी के समय हो गई थी लेकिन जनता पार्टी उसे लागू कर पाती, उसके पहले ही वह टूट गई और चुनाव के बाद में इंदिरा गांधी सत्ता में आ गईं थी| कांग्रेस सरकार ऐसे में किसी तरह से आरक्षण के पक्ष में नहीं थी यहाँ तक कि उन दिनों इंदिरा गाँधी ने इसे बैशाखी के रूप में जिक्र भी किया था| लेकिन पिछडो के विकास का सहारा लेकर गैर कांग्रेसी वोट बैंक बनाने के चक्कर में वी.पी. सिंह ने चौ. देवीलाल से राजनितिक प्रतिस्पर्धा की वजह से जल्दीबाजी कर दी थी| चुकी वी. पी. सिंह जानते थे कि चौधरी देवीलाल का किसानों पर अच्छा प्रभाव है। उन्हें पता था कि यदि यह रैली हुई तो दिल्ली का प्रशासन डोल जाएगा। इसलिए उस रैली का मुक़ाबला करने के लिए वी. पी. सिंह ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट संसद में पेश कर दी| कुछ नेताओ ने और समय देकर इसपर पुनर्विचार करने की मांग की थी| लेकिन शरद यादव के पुरजोर समर्थन और रामविलास पासवान की चर्चा की शुरुआत के आगे वी.पी. सिंह ने एक की नही मानी| इसलिए पिछड़ों के उद्देश्य का मंडलीकरण के बजाय देश की राजनीति का मंडलीकरण होना सही नहीं था|

इन्ही कारणों से जातिविहीन राष्ट्र की कल्पना की बजाय लेकिन आज सिर्फ वोट बैंक मात्र बन कर रह गई है| हो सकता था कि मंडल के आधार पर होता तो मंडलीकरण ठीक होता, लेकिन मंडलीकरण दूसरी तरफ चला गया. इसके दो खास वजह थे| पहला, सवर्ण और अन्य पिछड़ा वर्ग के बीच नई समस्याएँ पैदा हो गईं थी। अन्य पिछड़ा वर्ग को नौकरियों में 27 प्रतिशत का आरक्षण प्राप्त हो रहा था जबकि सवर्णों के लिए 50.5 प्रतिशत ही नौकरी के अवसर रह गये थे| जनसख्या के आधार पर सवर्णों के बीच प्रतिस्पर्धा का बढ़ना लाजमी था क्योंकि एस. सी. और एस. टी. के लिए 22.5 प्रतिशत पहले से ही आरक्षण था| दूसरा, आजादी के बाद से 1990 तक उत्तरप्रदेश और बिहार में एक मध्यम वर्ग उभर कर सामने आया| जो सत्ता में भागीदारी करते जनता पार्टी का गठन भी कर चूका था| सत्ता में भागीदारी की इस इच्छा की वजह से जो मंडल कमीशन की बुनियादी तब्दीली की बातें थीं वो कहीं और गुम हो गईं| इसके परिणाम स्वरुप मंडल कमीशन अपनी बनाई गई बुनियादी बातों से दूर होता गया और जातिविहीन राष्ट्र के बजाय जातिगत खांचो में बटता गया|

चुनातियों से भरा कोई और विकल्प 
सत्यमेव जयते में एक ऐसा उदहारण मिला जिसमे आरक्षण के सहारे आईएएस की कुर्सी तक पंहुचे व्यक्ति को, उच्च वर्ग से संबध रखने वाले अपने चपरासी द्वारा की गई भेदभाव से परेशान होकर इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ जाता है| यहाँ आर्थिक रूप से संपन्न होने के बावजूद भी सामाजिक सरोकार के आगे आईएएस अधिकारी को हारना पड़ गया| इसी सामाजिक असमानता को ख़त्म करके ही जातिविहीन राष्ट्र की परिकल्पना आरक्षण का मुख्य उद्देश्य था | कई ऐसे उदहारण मिलते है जो जातिगत आरक्षण वाले मसले को ध्वस्त करते नजर आते है| तब प्रश्न खड़े होते है कि उन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए और क्या पैमाना हो सकता है? कई लोगो का मानना होता है आर्थिक आधार पर दिया जा सकता है| आर्थिक आधार जातिगत आधार से भी खतरनाक साबित हो सकता है| दुसरे शब्दों में कहूँ, जो भी सही दिशा में थोडा बहूत प्रभाव दिख रहा है वो सीधे 180 अंश पर घूम कर अभिशाप साबित हो सकता है| इसके पीछे दो कारण देना चाहूँगा|

पहला, आर्थिक आधार पर आज तक जितनी नीतियाँ बनी है उनकी सफलता की एफिशिएंसी हमसे छुपी नहीं है| अभी तक गरीबी रेखा किस रेखा को माना जाए इसका भी बहूत पारदर्शी पैमाना नहीं है| कई बार ग्रामीण इलाको में ऐसे भी दिक्कते आई है कि जिनके पास गरीबी निर्धारण करने वाली कार्ड (BPL) होनी चाहिए वो नहीं होती है और जो लोग आर्थिक रूप से समृद्ध है उनके पास बनी होती है| ऐसे में सोचिए कि अगर आर्थिक आधार पर आरक्षण दे दिया गया तो प्रयोगशाला में उल्टी प्रतिक्रिया होनी लाजमी है| इससे आर्थिक असमानता कम होने के बजाय और भी गहिराती चली जाएगी| धनो का केन्द्रीकरण उन लोगो के हाथो में होता चला जाएगा जो आर्थिक और सामाजिक दोनों ही रूपों से समृद्ध है|

दूसरा, कई मर्तबा सुनने में आया है कि लोग कहते है कि गरीबी की कोई जाती नहीं होती| अगर गरीबी की कोई जाती नहीं होती तो ऐसा क्यों होता है कि जाती के पैमाने पर जैसे जैसे निचे जाते है वैसे वैसे गरीबी की झलक मिलने लगती है| जाती और गरीबी से कोई न कोई संबंध तो होगा | अगर जाती के बजाय आर्थिक रूप के तय किया गया तो लोगों में अपने आप को गरीब प्रदर्शित करने की दौड़ और तेज हो जाएगी| कम से कम जाती के क्षेत्र में अपने आप को पिछड़ी जाती साबित करने के लिए ठोस कारणों की तो जरूरत पड़ती है लेकिन आर्थिक क्षेत्र में अपने आप को पिछड़ा साबित करने के लिए किसी खास वजह की जरूरत नहीं पड़ेगी| अगर पड़ी भी तो बड़ा ही लचीला होगा, मतलब ये कि पिछड़ा साबित करने के अपेक्षाकृत अपने आप को गरीब प्रदर्शित करना ज्यादा आसान है | 

मूल्यांकन और संसोधन ही उचित उपाय  
आरक्षण का समयानुसार मूल्यांकन नहीं किया गया| इसका मूल्यांकन बेहद जरूरी सिर्फ इसलिए नहीं है कि हमें प्रग्राम के प्रोग्रेस के बारे में पता चलेगा, बल्कि इसलिए भी है कि क्या सुधार लाया जा सकता है ताकि इसके उद्देश्य को आसानी से पूरा किया जा सके| चुकी दशको से सिर्फ जातियों को जोड़ा ही गया है हटाया किसी भी जाती को नहीं गया| इसलिए अस्थिरता की स्तिथि बन रही है जिसमे सभी जातियां अपने आप को पिछड़ा साबित करने के होड़ में लगी हुई है| सरकार का सिर्फ एक आरक्षण निति से बहूत सारे लक्ष्यों का साधना कही न कही बेईमानी होगी| इसलिए आरक्षण जिस लिए बनाई गई थी सिर्फ उस लक्ष्य के आधार पर छोड़ दिया गया होता तो शायद हमने थोड़ी ज्यादा सफलता पा ली होती| ये कहना भी उचित नहीं होगा कि हमने कुछ हासिल नहीं किया है| किया है मगर रफ़्तार धीमी रही है| पूर्वजो ने जितनी अपेक्षा की थी उतनी नहीं हो पाई लेकिन काफी कुछ बदलाव आया है| 

अभी भी बहूत सारी चुनौतियाँ है जिनका मूल्यांकन करके हल निकलना बेहद जरूरी है | जब भी घर बनाते है तो हम ये निश्चित करते है कि कहाँ खिडकीयां लगानी है और कहाँ दरवाजे जिससे आसानी से घर में रह सके| ठीक उसी प्रकार हमें इस बात का ध्यान रखना है कि आरक्षण रुपी घर में कहाँ और किस जगह इस सुविधा को देनी चाहिए| मूल रूप से ग्राउंड लेवल पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है बजाय सिर्फ ऊपर के ताकी जो सीटें खाली रह जाती है तमाम क्षेत्रो में, उस चुनौती पर जीत हासिल की जा सके| मुझे लगता है ऐसे ही संसोधनो की आवश्यकता है जिससे इसके लक्ष्य को पाया जा सके| आरक्षण का मूल्यांकन एक सिरे से करना बेहद जरूरी है नहीं तो इस समस्या से निकलने के बजाय तमाम जातियों के बीच अपने आप को पिछड़ा साबित करने की होड़ दिनों दिन बढती जाएगी और हार्दिक पैदा होते रहेंगे|  



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गौरव सिंह
वेल्लोर

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (13 सितम्बर)

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पेटलावद में हुयी घटना की न्यायिक जांच करायी जायेगी
  • मृतकों के परिजनों को मिलेंगे पाँच-पाँच लाख रूपये
  • मृतकों के परिजनों को पात्रतानुसार रोजगार मुहैया कराया जायेगा
  • मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने पेटलावद पहुंचकर घटना का जायजा लिया
  • घायलों एवं मृतकों के परिजनों से मिले-हरसंभव मदद का दिलाया भरोसा

jhabua news
झाबुआ---मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज इंदौर संभाग के झाबुआ जिले के पेटलावद पहुंचकर घटना का जायजा लिया। वे शनिवार को यहां हुये एक भीषण हादसे के घायलों तथा मृतकों के परिजनों से मिले। उन्होंने यहां कहा कि पेटलावद में हुये भीषण हादसे की न्यायिक जांच करायी जायेगी। मृतकों के परिजनों को पाँच-पाँच लाख रूपये दिये जायेंगे। मृतक के पात्र परिजन को योग्यता अनुसार रोजगार मुहैया कराया जायेगा। किसी भी हाल में अपराधी को छोड़ा नहीं जायेगा। अपराधी की सूचना देने वाले को एक लाख रूपये दिये जायेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज सबसे पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पेटलावद पहुंचकर घायलों से मिले। उन्होंने घायलों की स्वास्थ्य की जानकारी ली तथा उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। इसके अलावा मुख्यमंत्री श्री चौहान हादसे में मृत हुये लोगों के परिजनों से भी मिले तथा उन्हें सांत्वना दी। उन्होंने राज्य शासन की ओर से उन्हें हर संभव सहायता दी जाने की बात कही। झाबुआ जिले के प्रभारी मंत्री श्री अंतरसिंह आर्य, विधायक सुश्री निर्मला भूरिया, श्री शांतिलाल बिलवाल, श्री कलसिंह भाबर, श्री नागरसिंह चौहान, श्री माधोसिंह डाबर सहित अन्य जनप्रतिनिधि, संभागायुक्त श्री संजय दुबे, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री विपिन माहेश्वरी, कलेक्टर श्रीमती अरूणा गुप्ता, पुलिस अधीक्षक श्री जी.जी.पाण्डे भी उनके साथ थे। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान पेटलावद पहुंचने पर सीधे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गये। यहां पर भर्ती घायलों से मिले तथा उन्हें उपलब्ध करायी जा रही चिकित्सा सुविधाओं की जानकारी ली। उन्होंने चिकित्सकों को निर्देश दिये कि घायलों के उपचार में कोई किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़े। घायलों को बेहतर से बेहतर चिकित्सा मुहैया करायें। उन्होंने घायलों के परिजनों को आश्वस्त किया कि घायलों के उपचार में जो भी राशि व्यय होगी वह सम्पूर्ण राशि राज्य शासन वहन करेगा। इसके अलावा शासन द्वारा हर संभव आवश्यक मदद दी जायेगी। इसके पश्चात मुख्यमंत्री जी घटना स्थल के आसपास एकत्र स्थानीय नागरिकों से मिले । उन्होंने सभी की बात को गंभीरता से सुना तथा स्थानीय नागरिकों द्वारा दिये गये सुझावों पर अमल करने का भरोसा दिलाया। इसके बाद मुख्यमंत्री श्री चौहान ने घटना स्थल का जायजा लिया। घटना स्थल का मुआयना करने के बाद उन्होंने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये। श्री चौहान ने कहा कि घटना की न्यायिक जांच करायी जायेगी। दोषी व्यक्तियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जायेगी। दोषियों को छोड़ा नहीं जायेगा। दोषियों की जानकारी देने वाले को एक लाख रूपये दिये जायेंगे। उन्होंने पेटलावद नगर में पैदल भ्रमण कर पीड़ित परिवारों से मिले तथा घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने मृतकों के परिजनों को घर-घर जाकर सांत्वना दी तथा यह गहन दुख सहन करने के लिये शोक संतप्त परिवार को शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की। मुख्यमंत्री श्री चौहान स्थानीय मुक्तिधाम भी गये जहां मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया था। वहां मुख्यमंत्री ने मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।

पेटलावद त्रासदी के मृतकों की दी गई श्रद्धांजलि, घायलों के स्वास्थ्य लाभ के लिये प्रार्थना की गई 

झाबुआ---शनिवार को पेटलावद में हुए जिलेटिन ब्लास्ट के हादसें में 100 से अधिक लोगों के काल कवलित होने तथा करीब 300 से अधिक लोगों के गंभीररूप से घायल होने को लेकर नगर में धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा मृतात्माओं की शांति एवं परिवार के लोगों को इस असह्स वेदना को सहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिये लिये प्रार्थनायें की गई । स्थानीय राजवाडा चौक स्थित श्री सत्यनारायण मंदिर पर श्री सार्वजनिक गणेश मंडल झाबुआ के सदस्यों ने सायंकाल एकत्रित होकर पेटलावद त्रासदी में मारे गये लोगों को दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि अर्पित की । इस अवसर पर मंडल के अध्यक्ष राजेन्द्र अग्निहौत्री, महा सचिव नानालाल कोठारी, रविराजसिंह राठौर, मनीष बैरागी, निरंजन, श्री शाह,सौभाग्यसिंह चौहान, मोहन माहेश्वरी, शेषनारायण मालवीय,जनार्दन शुक्ला, श्री त्रिवेदी, राजेन्द्र सोनी ,मनीष व्यास, नीरजसिंह राठौर आदि ने मृतात्माओं का श्रद्धांजलि अर्पित की । राजवाडा चौक पर विश्व हिन्दू परिषद एवं बजरंग दल द्वारा श्री पेटलावद त्रासदी में मारे गये लोगों की आत्मीय शांति एवं घायल हुए लोगों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ्स की कामना करते हुए दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा सभी मृतकों की आत्मा की शांति के लिये सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया । स्थानीय संकट मोचन हनुमान मंदिर  हनुमान टेकरी पर भी पेटलावद ब्लास्ट में मारे गये लोगों की आत्मीय शांति के लिये हनुमान मंदिर पर एकत्रित होकर दो मिनट का मौन रख कर परमात्मा से सदगति प्रदान करने के लिये प्रार्थना की गई तथा घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिये प्रार्थना कर शोक संतप्त परिवारों को इस वज्राघात को सहन करने की शक्ति प्रदान करनें की प्रार्थना की गई ।

भाजीबीनि आज पेटलावद में लगायेंगा विशेष केंप
  • पेटलावद ब्लास्ट में मृतक बीमा धारक के मृत्यु दावा तुरंत होंगे मंजूर

झाबुआ---भारतीय जीवन बीमा निगम के अध्यक्ष एस के राय, क्षैत्रिय कार्यालय भोपाल के क्षैत्रिय प्रबंधक नाद नियाल, मंडल प्रबंधक मुखर्जी ने पेटलावद की दुखद घटना पर मृतकों  के परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की एवं दुर्घटना में हुए घायलों को शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। भाजीबीनि मंडल कार्यालय इंदौर द्वारा दुर्घटना में जो भाजीबीनि के बीमा धारक थे उनके मृत्यु दावा उनके परिवार को शीघ्र मिले इसलिये पेटलावद में भाजीबीनि के एसबीए ऑफिस में जो थांदला रोड पर खुश्बु गार्डन के सामने है एक विशेष केंप 14 सितंबर को आयोजित होगा जिसमें मंडल कार्यालय के अधिकारी मौजूद रहेंगे। कैंप में बीमा दावा को मंजूर करने की तैयारी की जावेगी। क्षैत्रिय प्रबंधन ने उक्त दुर्घटना में हुए मृत्यु दावा को जांच से मुक्त कर दिया है केवल सरकारी प्रमाणीकरण एवं अभिकर्ता के लक्ष्य को आधार मानकर दावा मंजूर कर दिया जायेगा ताकि भुगतान नामिनी को तत्काल मिला जावेगा। सभी धारक के परिवार से अपील की गई है कि 14 सितंबर को एसबीए ऑफिस पेटलावद दोपहर 1 से 4 बजे तक पहुंचकर दावा प्रस्तुत करें । उक्त जानकारी भाजीबीनि के सीनियर बिजनेस एसोसिएट बी एन भटेवरा ने दी।

पेटलावद कांड के आरोपी कासवा पर प्रकरण दर्ज
          
झाबुआ--- पेटलावद कांड के मुख्य आरोपी राजेन्द कासवा ने मांगीलाल राठौर के मकान में किराये से लेकर प्रत्यक्ष रूप से बीज दवाईयों का व्यापार व अंदर की ओर विस्फोटक सामग्री लायसेंस ई/सी/बी/एमपी/30/2765(ईएस 2678) दिनांक 13.03.15 जिसकी अवधि 31.05.2020 तक है का संग्रह अपनी दुकान में किया जिसमें करीब 8ः20 बजे सुबह विस्फोट होने से आसपास खडे़ व्यक्ति पास की दुकान में खड़े व्यक्ति व सेठिया रेस्टोरेंट में काम कर रहे कर्मचारी आटा चक्की पर आये व्यक्ति, मकान, दुकान, वाहन मंे नुकसान हुआ व कुल 80 व्यक्तियों की मृत्यु होेकर मृतक 73 व्यक्ति नामजद व 07 व्यक्तियों की पहचान नहीं हो पाई है। 100 लोग करीबन घायल हुये बल व जनता की मदद से गंभीर घायल हुये बल व जनता की मदद गंभीर घायल व घायलों को अलग-अलग अस्पतालों में रैफर किया गया। प्रकरण में थाना पेटलावद में अप0क्र0 363/15 धारा 304,287 भादवि एवं विस्फोटक अधिनियम 1908 की धारा 3/4 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। 

मर्ग का प्रकरण पंजीबद्ध
         
झाबुआ---फरियादी पंुजा पिता तेजिया खराड़ी उम्र 55 वर्ष निवासी मियाटी ने बताया कि दिवान पिता पुंजा खराड़ी उम्र 22 वर्ष नारजी पिता कसना के घास की बीड़ में मरा पड़ा मिला। प्रकरण में थाना थांदला में मर्ग क्र. 69/15 धारा 174 जा0फौ0 का कायम कर विवेचना में लिया गया।

मांझी 25 सीटों की मांग पर अड़े

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सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में जीतन राम मांझी पर पेंच फंसा हुआ है. सीट बंटवारे के फॉर्मूले से मांझी खुश नहीं है. बीजेपी ने 17 सीटों पर खुद के टिकट और 5 सीटों पर बीजेपी के टिकट पर लड़ने का ऑफर दिया है लेकिन मांझी 25 सीट से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं.

जीतन राम मांझी के मसले पर बीजेपी में कल दिन भर चलीं बैठकें चलीं. रात में भी अनंत कुमार, धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव ने की बैठक. तीनों नेता मांझी से भी मिले और इसके बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सारा ब्योरा दिया.

सूत्रों के मुताबिक मांझी ने कहा कि 'अगर बीजेपी हमें इतनी सीटें दे रही है तो उम्मीदवारों को हमारी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर ही लड़ने दे.'सूत्रों के मुताबिक मांझी ने बीजेपी से कहा कि 'मुझे चुनाव नहीं लड़ना, आप सभी सीटों पर लड़ लीजिए.'मांझी और बीजेपी में अगर आज सबकुछ ठीकठाक रहा तो मांझी और अमित शाह की आज मुलाकात हो सकती है. सीट विवाद के बीच मांझी ने पटना जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया है.

आज दिल्ली में अमित शाह के घर पर बिहार बीजेपी के कोर ग्रुप की बैठक है जिसमें सुशील मोदी, मंगल पांडे, भूपेंद्र यादव और अनंत कुमार रहेंगे मौजूद. वहीं बिहार चुनाव को लेकर NDA में सीट बंटवारे पर मांझी की नाराजगी को देखते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का मैसूर दौरा रद्द हो गया है.

नारी सशक्तिकरण प्रभावित है टीवी शो ‘‘एक लक्ष्य‘‘

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नारी सशक्तिकरण कथानक पर आधारित दूरदर्शन पर सोमवार से शुक्रवार दोपहर 2ण्30 बजे प्रसारित टीवी शो देश की नारी शक्ति को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है। शो के प्रमोशन के लिए  निर्मात्री करण गुप्ता, गीतांजली मिश्रा, प्रीयंका जोशी और नेहा ठाकुर के अलावा भारतीय नौसेना की लेफ्टीनेंट कमांडर दीपीका चैधरी चीफ गेस्ट के रूप में आई गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा भी मौजूद थी।  गौरतलब है कि दूरदर्शन पर आने वाला ये धारावाहिक देश की नारियों को सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती है। शो के बारे जानकारी देते हुए निर्मात्री करण गुप्ता ने बताया ‘‘ये धारावाहिक बनाने का हमार एक हीं लक्ष्य है कि हम देश की नारियों को सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर संकू। आज हमारे देश की नारियाॅ जो लगभग हर फील्ड में आगे है अगर हमारी इस छोटी सी कोशिश की वजह से वो भारतीय सेना में शामिल होती है तो मैं ये समझूंगी की हमारी ये मेहनत कामयाब हुई है‘‘।

 अपने बचपन के अनुभवों को शेयर करते हुए गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा ‘‘आज जब मैं अपने बचपन को याद करती हूॅ तो उस जमाने में हमारे पास इतनी आॅपरचुनिटी नहीं थी। मैं अपने घर मंे इकलौती ऐसी लड़की थी जिसे काॅलेज जाकर पढ़ाई करने का अवसर प्राप्त हुआ वरना उस जमाने में लड़कियों पर बहुत पाबंदी हुआ करती थी। और आज जब मैं देखती हॅू कि हमारे देश की लड़कियाॅ लगभग हर फील्ड में लड़कों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। मुझे खुशी है कि करण ने मुझे ये मौका दिया कि मैं देश की नारी शक्ती को सेना में शामिल होने के लिए जागरूक करू‘‘। दीपिका चैधरी और टीवी सिरियल के अन्य कलाकारों ने भी भारतीय नारियों को सेना में शामिल होने की अपील की। 

जिन्दगी की नई प्रस्तुति, कश्माकश

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प्रत्येक संबंध की अपनी राह होती है... कुछ रिश्तों में निरंतर टकराव देखा जाता है, तो कुछ अन्य गलतफहमियों का शिकार होते हैं। लेकिन जब गलत फहमियां शक में बदल जायें, तो इससे रिश्ता हमेशा के लिये खत्म भी हो सकता है। ज़िंदगी द्वारा ‘कश्माकश‘ की पेशकश की जा रही है, जिसका प्रसारण प्रत्येक सोमवार से शनिवार, रात 10 बजे किया जायेगा। इस शो में आपको दो शादियों में टकराव, पछतावे और रहस्यों की कहानी दिखाई जायेगी। यह दिखाता है कि किस प्रकार एक छोटा सा शक किसी मजबूत रिश्ते को भी बर्बाद कर सकता है।

‘कश्मकश‘ दो कपल्स सबा (सजल अली), यूसुफ मिर्जा (अफान वहीद) और रहाना (जुग्गुन काजिम) एवं डाॅ अदील (फैजल रहमान) की जिंदगी की कहानी है। एक दुर्घटना में रहाना और यूसुफ कोमा में चले जाते हैं और जब उन्हें अस्पताल लाया जाता है, तो उन्हें गलती से पति-पत्नी समझ लिया जाता है। इससे रहाना के पति डाॅ अदील और यूसुफ की पत्नी सबा दंग रह जाते हैं। डाॅ. अदील यह सोचकर सकते में आ जाते हैं कि उनकी पत्नी किसी और पुरूष के साथ थी और सबा भी यह सोचती है, लेकिन सबा अपने पति को संदेह का लाभ देती है, लेकिन डाॅ. अदील अपनी गलतफहमी को ही सच मान बैठता है। सबा और अदील क्या करेंगे? यूसुफ और रहाना खुद को कैसे बेकसूर साबित करेंगे?

मीटिंग के अगले ही दिन पाकिस्तान ने तोड़ा सीजफायर, बीएसएफ का अफसर शहीद

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पाकिस्तान अपने वादे पर एक दिन भी नहीं टिका। शनिवार को बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच डीजी लेवल की बातचीत खत्म होने के अगले ही दिन यानी रविवार रात पाकिस्तान ने एक बार फिर सीजफायर तोड़ा। पाकिस्तान की तरफ से की गई फायरिंग में बीएसएफ का एक अफसर शहीद हो गया। खबरों के मुताबिक पाकिस्तानी रेंजर्स ने हैवी वेपंस के साथ ही मोर्टार का भी इस्तेमाल किया। बीएसएफ ने भी पाकिस्तानी रेंजर्स की फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया। यह घटना जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में हुई। डीजी लेवल की बातचीत में दोनों देश इस बात पर तैयार हुए थे कि बॉर्डर पर तनाव कम किया जाएगा। पाकिस्तान ने भी वादा किया था कि वह फायरिंग नहीं करेगा। जबकि भारत ने कहा था कि पहली गोली हम नहीं चलाएंगे।

शहीद हुए बीएसएफ अफसर का नाम सोहन लाल बताया गया है। पाकिस्तान की ओर से फायर किया गया एकमोर्टार उनके करीब फटा। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान ने सांबा जिले में इंटरनेशनल बॉर्डर पर भी फायरिंग की। दोनों देशों के बीच पिछले महीने एनएसए लेवल की बातचीत रद्द होने के बाद सीजफायर उल्लंघन के मामले तेजी से बढ़े हैं। पाकिस्तान ने जुलाई से अब तक 192 बार सीजफायर तोड़ा है।

होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह पाकिस्तान और चीन से लगने वाली बॉर्डर पोस्ट्स का मंगलवार से दौरा करेंगे। पाकिस्तान से सटी बॉर्डर पर लगातार सीजफायर तोड़ा जा रहा है। जबकि लद्दाख के बुर्तसे इलाके में भारत और चीन के बीच तनाव शनिवार को तब बढ़ गया जब पैट्रोलिंग लाइन पर चीन के बनाए वॉच टावर को इंडियन आर्मी ने गिरा दिया। इसके बाद दोनों तरफ फौज की तादाद बढ़ने लगी।
तीन दिन का होगा दौरा
- राजनाथ सबसे पहले जम्मू-कश्मीर जाएंगे। यहां वह सांबा में आईटीबीपी के नए ऑफिसर्स मेस का उद्धाटन करेंगे।
- माना जा रहा है कि राजनाथ उन पोस्ट्स पर भी जाएंगे जहां लगातार पाकिस्तान की तरफ से फायरिंग की जाती रही है।
- इसके बाद राजनाथ चुमार (लद्दाख) के उस बॉर्डर एरिया में जाएंगे जहां सितंबर 2014 में भारत और चीन के बीच टकराव हुआ था।
- होम मिनिस्टर आईटीबीपी की थाकुंग और चुशुल पोस्ट पर भी जाएंगे। यहां वह ताजा हालात का जायजा लेंगे।
- राजनाथ यहां लोकल एडमिनिस्ट्रेशन के अफसरों से भी मुलाकात कर डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट्स की जानकारी लेंगे।

बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के डायरेक्टर जनरल की 3 दिन से चल रही बातचीत शनिवार को खत्म हुई। बीएसएफ के डीजी डीके पाठक और पाक रेंजर्स के चीफ मेजर जनरल उमर फारुक बुर्की ने साझा बयान पर दस्तखत किए। इसमें पाकिस्तान रेंजर्स ने बॉर्डर पर शांति बनाए रखने और इसके लिए आपसी भरोसा बढ़ाने के रास्ते तलाशने पर रजामंदी जताई थी।

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को उनसे मिलने आए पाकिस्तान रेंजर्स के डीजी मेजर जनरल उमर फारूख बुर्की को कई मुद्दों पर खरी-खरी सुनाई। इधर भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत रही थी, उधर जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में एलओसी पर पाकिस्तान ने शुक्रवार सुबह 4 से 5 बजे के बीच फायरिंग की थी।
- राजनाथ : भारत पाकिस्तान सहित सभी पड़ोसियों से अमन चाहता है। यही वजह थी कि मोदीजी ने शपथ ग्रहण पर सभी पड़ोसी देशों के नेताओं को बुलाया। अटलजी भी कहा करते थे कि हम दोस्त बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं। हम कभी आप पर पहले गोली नहीं चलाएंगे। लेकिन घुसपैठ रोकना आपकी जिम्मेदारी है।
- बुर्की : मैं सिर्फ एक फोर्स का डीजी हूं। मैं आपकी तरह लीडर नहीं हूं। इसलिए मैं कोई कमिटमेंट नहीं दे सकता। लेकिन आपका मैसेज पाकिस्तान की लीडरशिप तक जरूर पहुंचा सकता हूं। हमारा मुल्क भी अमन चाहता है। कभी-कभी गलतफहमी के चलते फायरिंग हो जाती है।
- राजनाथ : हिंदुस्तान में पाकिस्तान से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। हमारे यहां मुस्लिमों के 72 फिरके हैं। इतने फिरके (सेक्शन) किसी और देश में नहीं हैं। 
- बुर्की : आपका मुल्क काफी बड़ा और महान है। हम आपसे अच्छे रिश्ते चाहते हैं।
क्या ये है सीजफायर तोड़े जाने की वजह?
दिल्ली में बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच बातचीत चल रही है। ये दोनों सिक्युरिटी फोर्स इंटरनेशनल बॉर्डर पर तैनात है। वहीं, इंडियन आर्मी और पाकिस्तानी फौज की तैनाती एलओसी पर है। पाकिस्तानी आर्मी हमेशा से भारत के साथ किसी भी तरह की बातचीत के खिलाफ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स में यही कहा जा रहा है कि पाकिस्तानी आर्मी नहीं चाहती कि डीजी लेवल की बातचीत में कोई कामयाबी हासिल हो।


यूएस ओपन : नोवाक जोकोविच ने दसवां ग्रैंड स्लैम जीता

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यूएस ओपन के फाइनल मुकाबले में नोवाक जोकोविच के सामने रोजर फेडरर की एक नहीं चली और जोकोविच ने इस साल अपना तीसरा ग्रैंड स्लैम खिताब जीत लिया है। उन्होंने यूएस ओपन फाइनल में वर्ल्ड नंबर 2 रोजर फेडरर को 6-4, 5-7, 6-4, 6-4 से हराया। चार सेट तक चले इस मुकाबले का पहला सेट जोकोविच ने जीता। दूसरे सेट में फेडरर अपनी वापसी करने में कामयाब रहे, लेकिन इसके बाद के दो सेट में वे जोकोविच को हरा नहीं पाए।

करीब तीन घंटे तक चले इस मुकाबले में दोनों खिलाड़ियों ने जोरदार खेल दिखाया। खासकर फेडरर ने आक्रामक टेनिस का खेल दिखाने की कोशिश की, हालांकि अपनी कोशिश में फेडरर कामयाब नहीं हुए। फेडरर 2009 के बाद पहली बार यूएस ओपन फाइनल में पहुंचे थे। इस बार फाइनल मुकाबले से पहले उन्होंने जिस तरह का खेल दिखाया था, उससे उम्मीद बंधी थी कि वे अपने करियर का 18वां ग्रैंड स्लैम खिताब जीत सकते हैं, लेकिन जोकोविच ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

शीर्ष वरीयता प्राप्त जोकोविच ने बेहतरीन खेल दिखाया, खासकर कोर्ट कवरेज के मामले में वे लाजवाब दिखे।उन्होंने दूसरी बार यूएस ओपन का खिताब जीता है, लेकिन जोकोविच के करियर का दसवां ग्रैंड स्लैम खिताब है। इससे पहले उन्होंने विंबलडन फाइनल में भी रोजर फेडरर को हराकर खिताबी जीत दर्ज की थी।

आज हो सकता है मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट के दोषियों की सजा पर फैसला

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जुलाई 11, 2006 को मुंबई लोकल ट्रेनों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले में सेशंस कोर्ट आज (सोमवार) सजा पर फैसला सुना सकती है। मामले पर आज कोर्ट में सजा पर बहस होगी। अगर बहस पूरी हो जाती है तो फैसला आज ही सुना दिया जाएगा। घटना के 9 साल बाद हाल ही में कोर्ट ने 13 में से 12 आरोपियों को दोषी करार दिया था।


गौरतलब है कि नौ साल पहले 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेन में सिलसिलेवार धमाके हुए थे, जिसमें 187 लोगों की मौत हुई थी और 800 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। यह धमाके प्रेशर कुकर बम से कराए गए थे। पहला धमाका दोपहर 4.35 के आसपास हुआ था, थोड़ी ही देर में माटुंगा, बांद्रा, खार, जोगेश्वरी, बोरीवली तथा भायंदर के पास उपनगरीय ट्रेनों में धमाके हुए। इन धमाकों में 188 लोगों की मौत हुई थी और 824 घायल हुए थे।

पुलिस के मुताबिक मार्च 2006 में लश्कर-ए-तैयबा के आजम चीमा ने अपने बहावलपुर स्थित घर में सिमी और लश्कर के दो गुटों के मुखियाओं के साथ इन धमाकों की साजिश रची थी। पुलिस के मुताबिक मई 2006 में बहावलपुर के ट्रेनिंग कैंप में 50 युवकों को भेजा गया। उन्हें बम बनाने और बंदूकें चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही कड़ी पूछताछ के दौरान अपनाए जाने वाले हथकंडों से निपटने का प्रशिक्षण दिया गया।


तालिबान ने जेल पर हमला कर कैदियों को छुड़ाया

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अफगानिस्तान के गजनी में एक जेल पर हमला कर तालिबान के आतंकियों ने लगभग 352 कैदियों को छुड़वा लिया है। इसमें 150 तालिबानी कैदी भी शामिल हैं। यह हमला रविवार-सोमवार रात करीब 2 बजे किया गया। तालिबान का दावा है कि सुसाइड बॉम्बर्स और बंदूकधारियों के इस आत्‍मघाती हमले में 40 सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई है।

गजनी के गवर्नर ऑफिस में कार्यरत सुरक्षा अधिकारी अफसर मोहम्मद अली अहमदी ने बताया कि घटनास्थल पर दो संदिग्ध सुसाइड बॉम्बर्स के शव मिले हैं। उन्होंने कार में बैठकर जेल के मुख्य दरवाजे को विस्फोट से उड़ाया था। उन्होंने बताया कि चार सुरक्षाकर्मियों के अलावा सात तालिबानी आतंकी मारे गए हैं। सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि हमलावरों ने अफगान सैनिकों की यूनिफॉर्म पहनी हुई थी।

 प्रवक्ता के अनुसार सभी कैदियों को हमलावारों ने दो बजे जेल पर हमला कर छुड़वा लिया। प्रवक्ता ने बताया कि सुसाइड बॉम्बर्स ने 40 अफगान सिक्युरिटी और जेल गार्ड्स को मार गिराया और मुजाहिद्दीनों को छुड़ा लिया।

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