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विशेष आलेख : छोटा राजन को देश और दलितों का आदर्श मत बनाइये

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  • “ अपराध का रंग हरा है तो वह आतंकवाद और अगर गैरुआ है तो वह राष्ट्रवाद ,एक मुल्क के रूप में आखिर कहां जा रहे है हम ? “

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अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की इंडोनेशिया के बाली शहर में नाटकीय गिरफ्तारी तथा उसका आनन फानन में भारत लाया जाना किसी पूर्व निर्धारित पटकथा जैसा लगता है .संभव है कि यह कवायद काफी दिनों से की जा रही हो ,जिसे एक खुबसुरत मोड़ दे कर इस अंजाम तक पंहुचाया गया है . केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस बात से इत्तेफाक रखते है ,वे मानते है कि इस दिशा में काफी समय से काम चल रहा था .इसका मतलब यह हुआ कि छोटा राजन की गिरफ्तारी पूर्वनियोजित घटनाक्रम ही था .

वैसे तो यह माना जाता रहा है कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियां उसकी लम्बे वक़्त से मददगार रही है तथा उसे मोस्टवांटेड अंडरवर्ल्ड माफिया दाउद इब्राहीम के विरुद्ध एक तुरुप के पत्ते के रूप में संभाल कर रखे हुए थी मगर यह भी एक सम्भावना हो सकती है कि वर्तमान केंद्र सरकार में भी छोटा राजन के प्रति हमदर्दी रखनेवाले  कुछ लोग हो ,जिन्होंने उसकी ससम्मान गिरफ्तारी का प्रबंध करने में अहम् भूमिका अदा की हो ? फ़िलहाल किसी भी सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है .जैसा कि हम जानते है कि अपराध जगत के सत्य उजागर होने में थोडा समय लेते है ,इसलिए वक़्त का इंतजार करना उचित होगा .

छोटा राजन की गिरफ्तारी होते ही सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन के एक प्रमुख सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता रामदास अठावले की प्रतिक्रिया आई ,उन्होंने कहा कि छोटा राजन को इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि वह दलित है ,जबकि दाउद को नहीं .अठावले के बयान से देश को छोटा राजन की जाति का पता चला.तथ्यात्मक रूप से यह बात सही है कि उसका जन्म 1956 में मुंबई के चेम्बूर इलाके में एक मध्यमवर्गीय दलित परिवार में हुआ था .वह मात्र 11 कक्षा तक पढ़ा कि उसके पिता जो की जो कि एक मिल में नौकरी करते थे ,उनकी नौकरी छूट गयी .आर्थिक तंगी के चलते उसने पढाई छोड़ दी और सिनेमा के टिकट ब्लेक करने लगा .यह काम उसके लिए अपराध जगत का प्रवेशद्वार बना .यहीं से वह राजन नायर नामक माफिया की नजर में चढ़ा जो उस वक्त बड़ा राजन कहलाता था .उसके साथ मिलकर छोटा राजन ने अवैध वसूली ,धमकी ,मारपीट और हत्याएं तक की .1983 में जब बड़ा राजन को गोली का शिकार हो गया तब उसका अपराध का साम्राज्य राजेन्द्र सदाशिव निखिलांजे उर्फ़ छोटा राजन को संभालना पड़ा .फिर उसकी माफिया किंग दाउद से दोस्ती हो गयी .दोनों ने मिलकर काले कारोबार और क्राइम में जमकर भागीदारी निभाई .उनकी दोस्ती इतनी प्रगाढ़ हो गयी थी कि जब पुलिस के शिकंजे से बचने के लिए दाउद दुबई भागा तो वह अपने साथ छोटा राजन को भी ले गया .

दाउद और छोटा राजन का रिश्ता 1992 तक गाढ़ी दोस्ती का रहा ,लेकिन छोटा राजन की मुंबई पर बढती पकड़ से सतर्क हुए दाउद ने उसके साथ विश्वासघात करना शुरू कर दिया .एक तरफ तो साथ में सारे काले कारोबार ,दूसरी तरफ छोटा राजन के खास सहयोगियों पर अपने शूटरों द्वारा प्रहार ,दो तरफ़ा खेल खेल रहा था दाउद .शुरू शुरू में तो छोटा राजन को यह महज़ संयोग लगा लेकिन जब उसके खास साथी बहादुर थापा और तैय्यब भाई की हत्या में दाउद का हाथ होने की पुष्टि हुयी तो दोनों के मध्य दरार आ गयी जो 1993 के मुंबई बम्ब विस्फोट से एक ऐसी खाई में बदल गयी ,जिसे फिर कभी नहीं पाटा जा सका .एक ज़माने के खास दोस्त अब जानी दुश्मन बन चुके थे .फिर जो गेंगवार मुंबई में चली उसने पुलिस का काम सरल कर दिया .माफिया एक दुसरे को ही मार रहे थे .पुलिस का काम वो खुद ही करते रहे और एक दुसरे को निपटाते रहे .इस तरह मुंबई से माफिया का सफाया होने लगा  .दाउद मुंबई बम धमाकों के बाद कराची में रहने लग गया तथा वह आई एस आई के हाथो की कठपुतली बन गया और छोटा राजन अपनी सुरक्षा के लिहाज़ से बैंकाक भाग गया .भारत से दूर दुनिया के दो अलग अलग देशों से दोनों के बीच दुश्मनी और जंग जारी रही . भारत सरकार दोनों को भारत लाने की वचनबद्धता दोहराते रही पर कामयाब नहीं हो पाई ..और अब अचानक अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन सहजता से बाली पुलिस के हत्थे चढ़ गया .वहां की सरकार ने भी बिना कोई हील हुज्जत किये आराम से इतने बड़े अपराधी को भारत को परोसने को एकदम से राज़ी हो गयी ! 

अंततः 27 साल के लम्बे अरसे  बाद 6 नवम्बर 2015 की सुबह 5  बजकर 45 मिनट पर  55 वर्षीय अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की भारत में वापसी हो गयी  .मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉन ने दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरते ही भारत भूमि को चूमा ,धरती माता (भारत माता ) को प्रणाम किया .छोटा राजन के इस एक कारनामे से राष्ट्र निहाल हो गया और देश में उसके लिए सकारात्मक माहौल बनने लग गया . संभव है कि आने वाले समय में उसे आतंकवाद के खिलाफ ज़िन्दगी भर लड़नेवाला योद्धा भी मान लिया  जाये .जिस तरह से उसकी गिरफ्तारी की पूरी घटना कारित की गयी है ,वह इसी तरफ कहानी के आगे बढ़ने का संकेत देती है .

क्या यह महज़ संयोग ही है कि छोटा राजन का एक भाई दीपक निखिलांजे उस  रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया का बड़ा नेता है ,जिसके नेता ने छोटा राजन के प्रति सबसे पहले हमदर्दी जताई है .दीपक हाल ही में प्रधानमंत्री की मुंबई यात्रा के दौरान उनके साथ मंच पर  भी दिखाई दिया था ,उसी पार्टी के नेता और भाजपा के सहयोगी दलित नेता रामदास अठावले छोटा राजन को दलित बता कर एक वर्ग की सहानुभूति बनाने का प्रयास करते है . क्या इसे भी सिर्फ इत्तेफाक ही माना जाये कि छोटा राजन का साला राहुल वालनुज  सिर्फ एक महीने पहले  शिवसेना छोड़कर भाजपा में शामिल होता है और भाजपाई श्रमिक संगठन राष्ट्रीय एकजुट कामगार संगठन का उपाध्यक्ष बनाया जाता है .छोटा राजन के परिजनों की भाजपा से लेकर प्रधानमंत्री तक की  परिक्रमा और रामदास अठावले का दलित सम्बन्धी बयान सिर्फ संयोग मात्र  नहीं हो सकते है ,इतना ही नहीं बल्कि छोटा राजन के एक भाई  आकाश निखिलांजे का यह कहना कि –वह कोई आतंकी नहीं है और अब खुद छोटा राजन द्वारा मीडिया के समक्ष अपने आपको मुंबई पुलिस का प्रताड़ित पीड़ित बताना और यह कहना कि मुंबई पुलिस ने दाउद के इशारों पर उस पर बहुत अत्याचार किये है .बकौल छोटा राजन मुंबई पुलिस में दाउद के बहुत सारे मददगार है ,जिनके नामों के खुलासे होने के दावे किये जा रहे है .

ऐसा लग रहा है कि छोटा राजन के साथ एक अपराधी सा बर्ताव नहीं करके उसे  भारत के खास देशभक्त हिन्दू डॉन  के रूप में प्रस्तुत करके उसका राजनितिक लाभ लेने  का प्रयास  किया जा रहा है ,उसके पक्ष में  हवा बनायीं जा रही है .छोटा राजन के  बयान और भारत सरकार के बयान सब एक खास तरह का माहौल  और कथ्य निर्मित कर रहे है .छोटा राजन ने कह दिया है कि वह ज़िन्दगी भर आतंकवाद के खिलाफ लड़ा है और आगे भी लड़ता रहेगा .तो इसका मतलब यह निकाला जाये कि  अब 70 आपराधिक मामलों में वांछित अपराधी आतंक से लड़ने वाला हीरो बना दिया जायेगा ( ऐसे अपराध जिनमे 20 हत्या के और 4 आतंक निरोधक कानून के अंतर्गत भी मामले है ) यह आतंकवाद को धर्म ,सम्प्रदाय और रंग के चश्मों से देखनेवाली एक खास किस्म की विचारधारा की सफलता नहीं  है ? 

वैसे तो सत्तासीन गठबंधन के लिए छोटा राजन हर दृष्टि से मुफीद है ,वह दलित है ,उसका परिवार अम्बेडकरवादी नव बुद्धिस्ट परिवार रहा है ,उसकी माँ लक्ष्मी ताई निखिलांजे ने मुंबई के तिलकनगर में एक बुद्ध विहार बनवाने में अहम् भूमिका निभाई थी ,वह मुंबई पुलिस से प्रताड़ित एक स्वधर्मी डॉन है ,जिसने बाबरी मस्जिद ढहा दिये जाने के बाद मुंबई धमाकों का बदला लेने वाले धर्मांध और देशद्रोही दाउद के खिलाफ लम्बी जंग लड़ी ,सन्देश साफ है कि जो काम  भारत की सरकारों और सुरक्षा एजेंसियों को करना चाहिए था वह अकेले छोटा राजन ने किया है ,वह कथित इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाला वतनपरस्त भारतीय है ,उसका सम्मान होना चाहिए ,उसकी सुरक्षा होनी चाहिए और उसकी मदद से हमें दाउद जैसे दरिन्दे को धर दबोचना चाहिए .उसकी नाटकीय गिरफ्तारी के तुरंत बाद से ही भक्तगण ऐसा माहौल बनाने में लगे हुए है .इस बीच महाराष्ट्र पुलिस ने सी बी आई की  अन्तराष्ट्रीय अपराधों के अनुसन्धान में विशेष दक्षता को देखते हुए छोटा राजन के खिलाफ सारे मामल उसे  सोंप दिये है .अब छोटा राजन केंद्र सरकार का विशिष्ट अतिथि है तथा उसके जान माल की सुरक्षा करना इस कृतज्ञ राष्ट्र की ज़िम्मेदारी है ! 

छोटा राजन की तयशुदा गिरफ्तारी ,उसके लगभग पूर्वनिर्धारित  प्रत्यर्पण और वायुसेना के विशेष विमान गल्फस्ट्रीम -3 से भारत पदार्पण और दीवाली से ठीक पहले स्वदेश आगमन को एक उत्सव का रूप देना और उसे आतंकवाद के खिलाफ आजीवन लड़नेवाला एक दलित यौद्धा निरुपित कर दिया जाना जिस सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की तरफ ईशारा कर रहा है वह वर्तमान के जेरेबहस असहिष्णु राष्ट्र से भी कई ज्यादा भयानक है .राष्ट्रभक्ति के नाम पर ,आतंकवाद से लडाई के नाम पर एक अपराधी को राष्ट्रनायक बनाने के हो रहे प्रयास निसंदेह डरावने है .हत्यारे  को नायक बनाया जा रहा है. एक माफिया डॉन को दलितों का मसीहा बना कर पेश किया जा रहा है .क्या यह देश इतना कमजोर हो गया है कि हमें आतंकवाद के विरुद्ध लडाई भी आतंकियों को देशभक्ति का चोला पहना कर लड़नी पड़ रही है  ?

हमें याद रखना होगा कि आतंक को धर्म के चश्मे से देखने की यह अदूरदर्शी नीति एक दिन देश विभाजन का कारक बन सकती है .लोग जवाब चाहेंगे कि एक दिन इसी तरह ख़ुफ़िया एजेसियों के द्वारा याकूब मेमन भी लाया गया था ,सरकारी साक्षी बनने के लिए ,फिर वो समय भी आया जब उसे लम्बे समय तक कैद में सड़ाने के बाद फांसी के फंदे पर लटका दिया गया और जिसने इसका विरोध किया वो सभी राष्ट्रद्रोही घोषित कर दिये गये ,क्या इस इतिहास की पुनरावृति छोटा राजन मामले में नहीं होगी ,इसकी कोई गारंटी है ? आज यह सवाल खड़ा हो रहा है कि यह किस तरह का देश हम बना रहे है, जहाँ  पर अक्षम्य अपराधों और दुर्दांत जालिमों को राष्ट्रवाद के उन्माद चादर तले ढंक कर सुरक्षित करने की सुविधा निर्मित कर ली गयी है .हम कितने आत्मघाती सोच को अपना चुके है जहाँ अगर आतंक का रंग हरा है तो वह खतरनाक और आतंक का रंग गैरुआ है तो वह राष्ट्रवाद मान लिया जायेगा .निर्मम सत्ता का यह स्वभक्षी समय है ,हम खुद नहीं जानते कि हम कहां जा रहे है ,पर इतनी सी गुजारिश तो की ही जा सकती है कि छोटा राजन जैसे अपराधी को देश और दलितों का आदर्श बनाने की भूल मत कीजिये .




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-भंवर मेघवंशी -
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार है और दलित ,आदिवासी एवं अल्पसंख्यक 
समुदायों के प्रश्नों पर राजस्थान में कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ता है )



कैप्टन अमरिंदर बनेंगे पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष

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मोगा 07 नवंबर , कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान अब कैप्टन अमरिंदर सिंह को देने का का फैसला किया है। फरीदकोट जिले में कल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा और कैप्टन अमरिंदर के बीच कल बैठक हुई थी। श्री अमरिंदर के नाम की घोषणा कल की जायेगी ।

श्री गांधी ने आज कहा “मैं कांग्रेस को एकजुट करके जा रहा हूं जो अब मिलकर लोगों की लड़ाई लड़ेगी और सत्ता में वापसी करेगी क्योंकि जनता की निगाहें कांग्रेस पर टिकी हैं ।” श्री गांधी ने जनसभा में कहा कि कांग्रेस एकजुट रहेगी तभी अकाली गठबंधन को टक्कर दे सकेगी ।  पिछले दस साल से सत्ता से दूर रही कांग्रेस अब वापसी चाहती है लेकिन इसके लिये अध्यक्ष पद को लेकर चल रहे घमासान पर काबू पाना चुनौती है क्योंकि इसी गुटबाजी के कारण पार्टी को अर्श से फर्श पर आ गई।

व्यंग्य : रिटायरमेंट की पीड़ा ...!!

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मि. खिलाड़ी और लक्ष्मीधर दोनों की आंखों में आंसू थे। क्योंकि दोनों संयोग से एक ही दिन रिटायर हो गए या यूं कहें कि कर दिए गए। हालांकि रिटायर दोनों ही नहीं होना चाहते थे। बल्कि रिटायरमेंट का ख्याल भी दोनों को डरा देता था। मि. खिलाड़ी पिछले तीन साल से टीम में नहीं थे। हालांकि उन्हें भरोसा था कि एक न एक दिन टीम में उनकी वापसी हो जाएगी। मीडिया वाले उनसे अक्सर पूछते ... तो आप रिटायरमेंट कब हो रहे हैं ...  बदले में मुस्कुराते हुए उनका एक ही रटा – रटाया जवाब होता... अभी रिटायरमेंट का मेरा कोई इरादा नहीं है। अपने पूर्ववर्ती दूसरे कथित महान खिलाड़ियों की तरह मन  मारते हुए जब उन्होंने अपने रिटायरमेंट की घोषणा की तो उनके साथ ही उनके लाखों चाहने वालों की आखों से भी आंसू निकल पड़े। अरे अभी उम्र ही क्या हुई थी... अभी तो पट्ठे के भीतर कई साल का क्रिकेट भरा था... वगैरह – वगैरह। 

एक रिटायरमेंट ने उन्हें गुमनामी की दुनिया से निकाल कर सुर्खियों में ला दिया था। कोई भी चैनल खोलो... एक ही दावा मि. खिलाड़ी का रिटायरमेंट के बाद का पहला एक्सक्लूसिव इंटरव्यू... फलां ने सिर्फ हमसे बात की। इससे मैं चकरा जाता हूं। अरे भईया ... रोज तो देख रहा हूं इंटरव्यू, फिर एक्सक्लूसिव कैसे हो गया। चैनल पर एंकर मि. खिलाड़ी से सवाल कर रहा है... रिटायरमेंट के बाद कैसा लग रहा है... आफ कोर्स ... मैं इंज्वाय कर रहा हूं...। क्या आपको अफसोस है कि आपको समय से पहले रिटायर कर दिया गया ... मि. खिलाड़ी इसका बड़ी चतुराई से गोलमोल जवाब दे रहा है... मानो कोई मंजा हुआ राजनीतिज्ञ हो... देखिए जब रिटायर हो ही गया... तो अब गड़े मुर्दे उखाड़ने का क्या फायदा...। सवाल... अब भविष्य का इरादा है... आफ कोर्स मैं नई पीढ़ी के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोल कर देश में खेल का विकास करुंगा। बातचीत के दौरान मि. खिलाड़ी के करियर व शानदार पारियों को महिमामंडित कर बार – बार दिखाया जा रहा है। दूसरी ओर लक्ष्मीधर की पीड़ा दूसरी है। जनाब जन्म से अंधे नाम नयनसुख वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए सिर्फ लक्ष्मीधर नाम लिए ही घूमते रहे। रहे तो पुलिस महकमे में होमगार्ड। 

साथी जवानों की तरह खाकी भी पहनते थे। लेकिन उन जैसों सी बेचारे की किस्मत कहां। पुलिस की नौकरी बजाते हुए एक तरह से दैनिक मजदूर ही बने रहे। लिहाजा उनके साथी जवान जहां चांदी कूटते रहे। हाथ गंदे करते रहने के बावजूद बेचारे के हाथ ज्यादा कुछ नहीं लग पाया। कई बार नौकरी जाते – जाते बची। अधिकारी गीदड़ भभकी देते हुए चेतावनी देते रहते... जानता हूं ... तुम लोगों की तनख्वाह कम है इसलिए इस बार छोड़ रहा हूं... लेकिन अगली बार नहीं छोड़ूंगा। मि. खिलाड़ी की तरह ही एक दिन न चाहते हुए भी रिटायर कर दिए गए। जमा – पूंजी के नाम पर हाथ कुछ नहीं आया। कल्याण के मद में जो रकम कटती थी, उसकी वापसी के लिए भी अधिकारियों के दरवाजे – दरवाजे मत्था टेकते रहे। लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। अब बेचारे की आंखों में आंसू है। बाल – बच्चे उलाहना दे रहे हैं कि जिदंगी भर खाकी पहन कर क्या किया। 

हर पहचान वाले से लक्ष्मीधर पूछता है... अब आगे की जिंदगी कैसे कटेगी। क्योंकि मुझे तो कोई पेंशन मिलेगा नही... न कोई जमा सर्विस ही मिली है। बुढ़ापे में भी चार पैसे कमाने के लिए लक्ष्मीधर ने कई लोगों से मुलाकात की। समय काटने का हवाला देते हुए कुछ काम देने की अपील की। बदले में चंद हजार रुपए के बदले 12 -12 घंटे की चौकीदारी के आफर ने उसे तोड़ कर रख दिया। लेकिन मि. खिलाड़ी की पीड़ा उससे कहीं ज्यादा गहरी है। भले ही कुछ साल खेल कर वह अकूत धन – संपित का मालिक बन गया हो। लेकिन उसका विषाद चेहरे पर साफ नजर आता है। इससे पहले अनेक महान  खिलाड़ियों को इस दौर से गुजरते देख चुका हूं। सचमुच बड़ी त्रासद स्थिति है यह किसी भी खेल प्रेमी के लिए। अपने पसंदीदा खिलाड़ी को इस तरह रोते – बिलखते देखना भला कौन चाहेगा।ऐसे में रिटायर होने वाले खिलाड़ियों के भले के लिए सरकार को तुरंत बूढ़े खिलाड़ियों की एक टीम बना देनी चाहिए। जिससे वे अवसाद से बच सके। 




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तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

विशेष आलेख : या तो बिक जाओ या तो मर जाओ !!!

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जहां पर प्रशासन असंवेदनशील हो चुका हो, जहां मौत के बाद भी नग्न शव की तस्वीरों के लिए नुमाईश सजाई जाती हो, जहां इंसानियत से ज्यादा धर्म पर लोग विश्वास करते हो, जहां सांप्रदायिकता राजनीति का एक अहम पहलू बन चुका हो, जहां नराधमों को नादान कहा जाता हो, जहां कारगिल के शहीदों को धर्म के बिल्ले थमाकर बांटने की कोशिश की जाती हो, जहां भैंसों के खो जाने पर इंसान से ज्यादा खाकी संजीदगी दिखाती हो, जहां पत्रकार की मां से बलात्कार का प्रयास किया जाता हो और विफल होने पर जिंदा जला दिया जाता हो, जहां खबरनवीसों को पीट-पीटकर मार दिया जाता हो....उसे उत्तर प्रदेश कहते हैं. 

हाल ही में एक और लेखक कहें या फिर चिंतक, हां सामाजिक कार्यकर्ता के साथ साथ एक वरिष्ठ पत्रकार रहे राजीव चतुर्वेदी की मौत पुलिस हिरासत  में हो गई. दरअसल माना ये जा रहा है कि पुलिस ने राजीव को इतना प्रताड़ित किया कि राजीव ने दुनिया को अलविदा कह दिया. सपा सरकार में पत्रकारों की हत्या का सिलसिला जारी है. जागेंद्र को जलाकर मार दिया गया, चंदौली के रहने वाले हेमंत को गोली मार दी गई, बरेली जिले के संजय पाठक की हत्या किसी भारी चीज को मारकर कर दी गई. सिर्फ इतनी ही नहीं बल्कि मौतों की फेहरिस्त काफी लंबी है. चित्रकूट और पीलीभीत से भी पत्रकारों पर हमले की खबरें सामने आईं. लेकिन सूबे की सरकार उत्तम प्रदेश का सबूत जुटाने में लगी है. दादरी की घटना के स्याह सच को दबाने में लगी है. 

इन सबके इतर शाहजहांपुर के जगेंद्र की मौत पर निगहबानी करने पर एक सपा नेता का ही हाथ होने की खबर आई. जिसके साथ ये कहना गलत नहीं होगा कि पत्रकार नौकरशाहों, नेताओं, प्रशासन के निशाने पर हैं. लेकिन सवाल ये है कि अभिव्यक्ति की आजादी को महज दिखावा मानते हुए खिलाफत की खबरों के कारण तो मौत नहीं बाटी जा रही. हो भी सकता है. खुन्नस निकालने का तरीका शायद इस तरह का अख्तियार किया गया हो. जो पत्रकारों को कर्तव्य से समझौता करो नहीं तो मर जाओ का डर दिखाती हो. 

बहरहाल राजीव चतुर्वेदी की मौत के बाद सूबे के मुखिया से सवाल है. दरअसल एक महिला पत्रकार ने बीते कुछ महीनों पहले जब अखिलेश से सवाल किया था कि सपा के शासन काल में महिलाएं सेफ नहीं हैं तो जवाब देते हुए अखिलेश ने कहा कि आप तो सेफ हैं...अजी अखिलेश बाबू कहां सेफ हैं पत्रकार. अब जरा आप मौतों की कुल संख्या का पता लगाकर तय करो कि पत्रकार कितना सेफ हैं. लगातार उनके साथ शासन, प्रशासन मौत का खेल खेल रहे हैं. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कमजोर करने की कोशिशें लगातार जारी हैं. खबरों के दीदार को शौक रखने वालों के जहन में मौत का डर कूट कूट कर भरा जा रहा है. सूबे में कलम या तो कलाम बन रही है या फिर बाहुबलियों के नाम का गुणगान करते हुए धड़ल्ले से लोगों को अंधेरे में रखे हुए है. बहरहाल पत्रकारिता दोनों तरह से मर रही है. फिर तरीका चाहे कोई भी हो. इस बार भी शायद सरकार की ओर से मुआव्जे का कोई चेक आंसुओं को पोंछने के लिए तमाम जीरो लेकर उतर आए. लेकिन न्याय सरकार की तमाम योजनाओं के साथ कहीं खो जाएगा.  वरिष्ठ पत्रकार राजीव चतुर्वेदी आपकी हत्या करने वालों को अंकों की गणित के साथ या कहें कीमत के साथ ये यूपी भुलाने को तैयार है. लेकिन आप याद आएंगे जल्द ही. हां तब जब फिर कोई पत्रकार कफन ओढ़ेगा क्योंकि खबर में आंकड़ों के तौर पर जिक्र आपका भी होगा न...




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हिमांशु तिवारी 'आत्मीय'
संपर्क : 08858250015

पुरस्कार का तिरस्कार न करें साहित्यकार : जूदेव

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छत्तीसगढ से भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद रणविजय सिंह जूदेव ने कहा है कि साहित्यकार पुरस्कार स्वीकार करने के बाद उसका तिरस्कार न करें और जो ऐसा कर रहे हैं, वे राजनीतिक द्वेष से ग्रस्त हैं।

श्री जूदेव ने आज यहां पत्रकारों से चर्चा में कहा कि इन दिनों आम लोगों में विकास की बातों को छोड़ कर साहित्यकारों के बीच सम्मान लौटाने की ही चर्चा जोरों पर है। इन सभी मुद्दों की बजाए हमें विकास, पर्यावरण और स्वच्छ भारत मिशन को जारी रखने में अपना अधिक समय देना चाहिए।

भाजपा नेता श्री जूदेव ने कहा कि सच्चे कलमकार व कलाकार किसी को तोड़ने की नहीं, बल्कि जोड़ने की अधिक कोशिश करते हैं। जो लोग पुरस्कार लौटाकर उनका तिरस्कार कर कर रहे हैं, वे राजनीतिक द्वेष से ग्रस्त हैं, वरना कलम और कविता तो अंधी राजनीति के भी नेत्र खोलने की क्षमता रखती है। 

नेपाल के एक और नेता ने भारत पर लगाया आरोप

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काठमांडू, 07 नवंबर, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली के बाद कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल के एक और नेता माधव कुमार नेपाल ने भारत नेपाल सीमा पर अवरोध तथा उसके चलते नेपाल के लिए उत्पन्न कठिनाइयों का ठीकरा भारत के सिर फोड़ा है और तराई की जनता से बहकावे में नहीं आने की अपील की है । नेपाल के एक पूर्व प्रधानमंत्री तथा कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल ( युनाइटेड मार्क्सवादी लेनिनवादी) के वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल ने कल भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह सीमा पर अवरोध खड़ा कर नेपाल को अनावश्यक रुप से दंडित कर रहा है ।

उन्होंने अपनी पार्टी की एक ईकाई द्वारा अायोजित आभार प्रदर्शन बैठक में कहा कि प्रतिबंध के चलते नेपाल को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है । उन्होंने पूछा कि नेपाल में नया संविधान स्वीकार किये जाने को लेकर भारत को क्यों चिन्ता है । उन्होंने कहा कि नये संविधान को भारी बहुमत से स्वीकार किया गया है अत: इसे लेकर किसी भी प्रकार के विरोध को स्वीकार नही किया जा सकता ।

उन्होंने कहा कि अवरोध को लेकर भारत स्वयं अच्छे पड़ोसी की अपनी छवि खराब कर रहा है । उन्होंने मधेसी जनता से अपील की कि वह किसी प्रकार के बहकावे में नही आये । उन्होंने कहा कि मधेसी पार्टियां चुनाव में हार जाने के कारण संविधान का विरोध कर रही हैं ।

अगले वर्ष कम से कम पांच भारतीय संस्थान विश्वस्तरीय होंगे :राष्ट्रपति

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नयी दिल्ली, 07 नवंबर, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने देश में शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए ग्लोबल रिसर्च इंटरएक्टिव नेटवर्क स्थापित किए जाने की वकालत करते हुए आशा व्यक्त की है कि अगले साल दुनिया के शीर्ष 200 शैक्षणिक संस्थानों की सूची में कम से कम पांच भारतीय शैक्षणिक संस्थान शामिल हो जाएंगे ।
श्री मुखर्जी ने तीन दिवसीय विजिटर कान्फ्रेंस के कल समापन पर यह आशा व्यक्त की । इस मौके पर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी तथा केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री हंसराज अहीर भी थे ।

उन्होंने कहा “ जिस तरह शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए फंडिंग के वास्ते “ज्ञान कार्यक्रम ” स्थापित किया गया है उसकी अगली कड़ी के रुप में हम ग्लोव रिसर्च इंटरएक्टिव नेटवर्क लांच कर सकते हैं।” उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं के बीच आपसी समन्वय तथा तालमेल पर जोर देते हुए कहा कि बनारस में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय राष्ट्रीय फैशन टेक्नॉलजी संस्थान के सहयोग से संयुक्त डिग्री कोर्स शुरु कर सकता है । इसी तरह विश्वविद्यालय आईसीटी(सूचना प्रौद्योगिकी ) का इस्तेमाल करते हुए तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर भाषाओं के कोर्स शुरू कर सकते हैं ।

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि कृषि से जुड़े संस्थान आईआईटी , एनआई तथा आईआईटी के साथ जुड़कर कृषि के क्षेत्र में नए शोध कार्य को बढ़ावा दे सकते हैं । उन्होंने उच्च शैक्षणिक संस्थाओं के छात्रों को हर महीने एक घंटे और हर साल 12 घंटे स्थानीय छात्रों को पढ़ाने की सलाह दी और इस तरह देश में 35 करोड़ घंटे की पढ़ाई की जा सकती है । राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के प्रयासों से अब तक राष्ट्रपति भवन में उच्च शिक्षा के लिए सात कान्फ्रेंस हो चुकी हैं । श्री मुखर्जी ने बृहस्पतिवार को इम्प्रिंट योजना को भी लांच किया था ।

भारतीय पुरूष हाकी टीम विश्व रैंकिंग में छठे स्थान पर

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नयी दिल्ली, 07 नवंबर, जबरदस्त फार्म में चल रही भारतीय पुरूष हाकी टीम शनिवार को जारी अंतरराष्ट्रीय हाकी महासंघ(एफआईएच) की विश्व रैंकिंग में दो स्थान की छलांग लगाकर छठे स्थान पर पहुंच गई। एफआईएच ने सभी पांच उपमहाद्वीप चैंपियनशिपों की समाप्ति के बाद विश्व रैंकिंग को जारी किया है जिसमें भारत ने दो पायदान का सुधार किया है और अब वह लंबे अर्से बाद विश्व की शीर्ष पांच टीमों में पहुंचने के भी करीब पहुंच गया है। भारत के 1504 रैंकिंग अंक हैं। दूसरी ओर ओलंपिक के लिये क्वालिफाई कर चुकी भारतीय महिला हाकी टीम 1084 रेटिंग अंकों के साथ 13वें स्थान पर है।

विश्वकप विजेता टीम आस्ट्रेलिया पुरूष विश्व रैंकिंग में और महिला ओलंपिक एवं विश्व चैंपियनशिप हालैंड महिला हाकी टीम रैंकिंग में शीर्ष पायदानों पर बने हुये हैं। पुरूष टीम रैंकिंग के शीर्ष तीन स्थानों पर कोई परिवर्तन नहीं हुआ है और हालैंड दूसरे एवं जर्मनी भी तीसरे स्थान पर बने हुये हैं। इंग्लैंड ने एक स्थान का सुधार किया है और वह चौथे स्थान पर पहुंच गया है जबकि अर्जेटीना भी पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। वेनेजुएला ने सबसे बड़ी छलांग लगाई है और वह 22 स्थान उठकर 47वें स्थान पर पहुंच गया है।

महिला रैंकिंग में इंग्लैंड के हाथों यूरो हाकी चैंपियनशिप 2015 का फाइनल हारने के बावजूद हालैंड अपने शीर्ष स्थान पर बना हुआ है। आस्ट्रेलिया दूसरे और अर्जेंटीना तीसरे स्थान पर हैं जबकि न्यूजीलैंड चौथे स्थान पर हैं। इसके अलावा चीन, इंग्लैंड और अमेरिका क्रमश: पांचवें, छठे और सातवें स्थान पर हैं। डोमिनिक रिपब्लिक ने 51 स्थानों की सबसे बड़ी छलांग लगाई है और वह 37वें स्थान पर पहुंच गया है। एफआईएच ने अफ्रीकी हाकी चैंपियनशिप 2015 की समाप्ति के बाद हाकी टीमों की रैंकिंग घोषित की है।

महँगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल, उत्पाद शुल्क बढ़ा

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नयी दिल्ली 07 नवंबर, सरकार ने शनिवार से पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 1.60 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 40 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दिया है। इससे इनकी कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड(सीबीईसी) की अधिसूचना के अनुसार, अन ब्रांडेड या सामान्य पेट्रोल पर मूल उत्पाद शुल्क 5.46 रुपये से बढ़कर 7.06 रुपये प्रति लीटर हो गया है। अतिरिक्त और विशेष उत्पाद शुल्क सहित पेट्रोल पर कुल 19.06 रुपये का अधिभार हो गया है जबकि पहले यह 17.46 रुपये का था। ब्रांडेड पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 6.64 रुपये से बढ़कर 8.24 रुपये प्रति लीटर हो गया है। लेकिन, इस पर विशेष एवं अतिरिक्त उत्पाद शुल्क पहले की तरह 12 रुपये प्रति लीटर ही रहेगा। 

तेल विपणन कंपनियों ने फिलहाल पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं किया है, लेकिन 15 नवंबर को हाेने वाली अगली नियमित समीक्षा में इसका असर देखा जा सकता है। यदि जरूरी लगा तो कंपनियाँ नियमित समय से पहले भी कीमतों की समीक्षा कर सकती हैं। इसी तरह अन ब्रांडेड या सामान्य डीजल पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क 4.26 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 4.66 रुपये प्रति लीटर हो गया है। विशेष उत्पाद शुल्क सहित डीजल पर कुल उत्पाद शुल्क 10.26 रुपये हो गया है। ब्रांडेड डीजल पर उत्पाद शुल्क 6.62 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 7.02 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इस पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क पूर्व की तरह छह रुपये प्रति लीटर यथावत रहेगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से डीजल और पेट्रोल की कीमतों में कमी आने पर सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2015 तक चार बार इन दोनों पर उत्पाद शुल्क में बढोतरी की थी। चार बार में पेट्रोल पर कुल उत्पाद शुल्क में 7.75 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6.50 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुयी थी और इससे सरकार को 20 हजार करोड रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिला था। 

जम्मू कश्मीर के लिए की 80 हजार करोेड़ रूपये के पैकेज की घोषणा

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श्रीनगर 07 नवंबर, एक दिन की यात्रा पर जम्मू कश्मीर आये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य को एक बार फिर “धरती के स्वर्ग” के रूप में स्थापित करने की प्रतिबद्धता दिखाते हुए 80 हजार करोड़ रूपये के पैकेज की आज घोषणा की। यहां शहर ए कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में एक रैली को सम्बोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा “ हम एक नया कश्मीर, मजबूत कश्मीर बनायेंगे।” प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर के मामले में उन्हें किसी की सलाह या विश्लेषण की जरूरत नहीं है। उन्होने कहा कि राज्य का विकास पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा दिये गये तीन सूत्रीय मंत्र “ कश्मीरियत,जम्हूरियत और इंसानियत” के आधार पर ही किया जायेगा।

राज्य में पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकार के गठन के बाद से प्रधानमंत्री की जम्मू कश्मीर की यह पहली यात्रा है। उन्होंने कहा कि राज्य के तीव्र विकास के लिए युवाओं के लिए तेजी से रोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत है। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में देश की प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में कश्मीरी युवाओं द्वारा किये जा रहे बेहतरीन प्रदर्शन की प्रशंसा की।

उन्होंने वर्षों से कश्मीर की खराब स्थिति पर पछतावा जताते हुए कहा कि यहां कितनी ही पीढियाें ने अपने ख्वाबों को यूं ही दम तोड़ते देखा है। साथ ही लोगों को आश्वासन दिया कि अब वह दिन दूर नहीं जब कश्मीर अपने खोये हुए गौरब को एक बार फिर हासिल कर लेगा।

छोटा राजन दस दिन के पुलिस रिमांड पर

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नयी दिल्ली, 07 नवम्बर, अंडरवर्ल्ड डाॅन छोटा राजन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाने के मामले में आज यहां एक अदालत ने दस दिन के पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। छोटा राजन को गत 25 अक्टूबर को इंडोनेशिया के बाली में गिरफ्तार किया गया था और उसे शुक्रवार सुबह यहां लाया गया था। उसके बाद से ही वह केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के कब्जे में है। 

मुंबई और दिल्ली पुलिस को विभिन्न मामलों में छोटा राजन की कई वर्षों से तलाश थी। केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आज यहां बताया कि छोटा राजन उर्फ राजेन्द्र सदाशिव निखलजे के खिलाफ पासपोर्ट अधिनियम 1976 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और इसके आधार पर ही इसके खिलाफ यह कार्रवाई की गयी है।

झारखंड में चिकित्सकों का सामूहिक अवकाश

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रांची, 07 नवम्बर,  झारखंड में राज्य सरकार के अवकाश नीति के विराेध में आज प्रदेश के सभी सरकारी चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश पर रहने के कारण राज्यभर के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह चरमरा गयी। चिकित्सकों ने प्रखंड में मुखिया से छुट्टी लेने के राज्य सरकार के आदेश के विरोध में यह कदम उठाया है। राजधानी रांची समेत राज्यभर के सदर अस्पतालों में रोगियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पडा है। इस बीच पलामू जिले के डालटनगंज सदर अस्पताल में भर्ती दो मरीजों की मौत हो गयी। 

आधिकारिक सूत्रों ने यहां बतया कि मरने वालों की पहचान मनीष पाल और लक्ष्मन राम के रूप में हुयी है। मनीश पाल मलेरिया से पीड़ित था और उसे गंभीर हालत में आज सबेरे ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जबकि लक्षमन राम सड़क दुर्घटना में कल जख्मी हो गया था, जिसने अस्पताल में दम तोड़ दिया। उल्लेखनीय है कि मुखिया से अवकाश स्वीकृत कराने के सरकारी आदेश का चिकित्सक विरोध कर रहे हैं। चिकित्सकों के अवकाश पर रहने के कारण पलामू जिले की स्वास्थ्य सेवा चरमरा गयी। 

भारत को मज़हबी, तानाशाही वाला देश बनाना चाहता है आरएसएस : राहुल गांधी

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नयी दिल्ली, 07 नवंबर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भारत को एक मज़हबी और तानाशाही वाला देश बनाने के लिये काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी पार्टी संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विचारधारा को चकनाचूर कर देगी। श्री गांधी यहाँ राजीव गांधी सामाजिक अध्ययन संस्थान द्वारा पं. जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जयंती वर्ष के अवसर पर “स्वतंत्रता के बिना शांति नहीं” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूरे देश में भय का माहौल है। देश के इतिहास में ऐसा हुआ है कि जब पहली बार संविधान के विचारों और मूल्यों का खुलकर विरोध करने वाले एक फासीवादी संगठन ने देश में निर्णायक ताकत हासिल की है। उन्होंने कहा कि आरएसएस का मकसद भारत को एक मज़हबी और तानाशाही वाला देश बनाना है। इसे हासिल करने के लिये वर्तमान उदारवादी, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी लोकतांत्रिक गणराज्य को खत्म करना जरूरी है। पिछले 18 माह में देखा गया कि वे सत्ता की ताकत से उन मूल्यों को नष्ट करने को आमादा हैं। यह एक अभूतपूर्व चुनौती है जिसका सामना सभी भारतीय कर रहे हैं। 

श्री गांधी ने पं. नेहरू की पुस्तक ‘भारत एक खोज’ का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि आजादी के बिना अमन संभव नहीं होगा। अमन और आजादी का उनका मंत्र जेल में रहने के दौरान आया था, जो करोड़ों भारतवासियों की दिल की आवाज था। उन्होंने कहा कि पं. नेहरू ने भारत के पराभव के कारणों का उल्लेख करते हुए लिखा था कि इसका कारण यह था कि भारत ने प्रश्न खड़े करना बंद कर दिया था। भारत ने खुद को अपने समेट लिया जबकि दुनिया भर में बहुत बदलाव हो रहा था। इसीलिये पं. नेहरू जीवन भर हमारे विश्वास पर सवाल करते रहे। उन्होंने कहा कि पं. नेहरू बहुत ही सहिष्णु व्यक्ति थे। उन्होंने गीता, कुरान और बाइबिल तीनों में सत्य को देखा। उन्होंने संस्कृतियों और भाषाओं की विविधता में सुंदरता देखी। उनके अनुसार भारत की सहिष्णुता ने ही उसे महान बनाया है। दुनिया को देने के लिये हमारे पास एक सहिष्णुता ही है। कांग्रेस नेता ने कहा कि आज विभिन्न विचाराधाराओं पर चलने वाले लोगों को जिस एक बात ने इकट्ठा किया है, वह है- हमारी स्वतंत्रता, अधिकारों एवं लोकतांत्रिक प्रणाली पर आघात। आज शांति और स्वतंत्रता दोनों ही बुरी तरह से अाहत हैं। उन्होंने हाल में सांप्रदायिक एवं जातीय हिंसा के शिकार लोगों और बुद्धिजीवियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कांग्रेस अभिव्यक्ति एवं बोलने, धर्म एवं उपासना, विचारों एवं विश्वास की आजादी की स्वतंत्रता पर सभी हमलों की निंदा करती है। 

श्री गांधी ने कहा कि वह स्वतंत्रता एवं अधिकारों की रक्षा के लिये इकट्ठा हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक संप्रभु, सेकुलर, समाजवादी एवं लोकतांत्रिक गणराज्य है। यहाँ सबको विचारों एवं अभिव्यक्ति की आजादी है। यह एक ऐसा देश है, जहाँ मतभेद को शक्ति के रूप में देखा जाता है। इस देश में आदिकाल से ही सत्य एवं अहिंसा के सिद्धांत से प्रेरणा मिलती रही है। पं. नेहरू का मानना था कि प्रत्येक भारतीय चाहे वह कितना ही गरीब और कमजोर क्यों न हो, उसे अपने परिवेश की समझ होनी चाहिये तथा यह ज्ञान अनुभव से आता है। उन्होंने कहा कि कोई भी सत्य पर एकाधिकार का दावा नहीं कर सकता। प्रत्येक भारतीय का एक अलग दृष्टिकोण है। ज्ञान कोई स्थिर वस्तु नहीं है। वह निरंतर प्रवाहमान है और उसकी हर वक्त हर व्यक्ति द्वारा लगातार परीक्षा होती है और सवाल होते हैं। जब संघ इसे रोकने की कोशिश करता है तो वह असहिष्णुता ही नहीं होती बल्कि भारतीय जनमानस का अपमान होता है। श्री गांधी ने कहा कि यह देश सबका है। कोई मेहमान भी आये तो उसका भी इससे नाता हो जाता है। इस पर सवाल खड़े करना कि कौन भारतीय है और कौन नहीं, बेहद खराब और खतरनाक बात है और हम सब इसे खारिज करते हैं। उन्होंने संघ प्रमुख श्री भागवत का दशहरा संबोधन दूरदर्शन पर सीधे प्रसारित किये जाने की भी आलोचना करते हुए कहा कि देश को उनकी क्षुद्र मानसिकता झेलने के लिये बाध्य किये जाने की कोई जरूरत नहीं है।

उन्होंने कहा कि वह पिछले कुछ समय से देश भर में जगह-जगह कांग्रेस के कार्यकर्ताओं एवं नेताओं से मिल रहे हैं और उनसे बातचीत कर रहे हैं। उनका इस संवाद से यह विश्वास आैर पक्का हुआ है कि धर्मनिरपेक्षता कांग्रेस के खून में है और सबका सम्मान उसके डीएनए में है। इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन कल पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था। विभिन्न विचारधाराओं पर विश्वास करने वाले शिक्षाविदों, कलाकारों, समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों ने इसमें हिस्सा लिया और देश में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिये खुल कर लड़ाई लड़ने का आह्वान किया।

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जमानत याचिका खारिज

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मुंबई, 07 नवंबर, मुंबई में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए)की विशेष अदालत ने वर्ष 2008 में मालेगांव में हुए बम विस्फोट मामले में आरोपी साध्वी की जमानत याचिका आज खारिज कर दी। विशेष न्यायाधीश ए एस टिकोले ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्ट्या में काफी साक्ष्य मौजूद हैं जिसके कारण याचिका खारिज की गयी। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका )  अदालत के आदेश के खिलाफ वर्ष 2012 में अपील की थी जिसमें स्वास्थ्य समेत  अनेक कारण गिनाये गये थे। साध्वी ने जमानत के लिए याचिका मे कहा कि उसे गलत ढंग से फंसाया गया है और काफी समय से उसे जेल में रखा गया है। 

साध्वी के वकील ने अदालत में कहा कि साध्वी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और अस्पताल के कई दस्तावेज भी पेश किये। जवाहरलाल नहेरू कैंसर अस्पताल और रिसर्च सेंटर भोपाल से 4 फरवरी 2014 को जारी किये गये मेडिकल रिपोर्ट को पेश किया। एनआईए ने साध्वी की जमानत याचिका का विरोध  किया और कहा कि याचिकाकर्ता को सभी तरह की स्वास्थ्य सेवा अस्पताल से उपलब्ध करायी जा रही है। साध्वी पर अन्य लोगों के साथ मिल कर 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में विस्फोट करने का षडयंत्र रचने का आरोप है। इस विस्फोट में छह लोग मारे गये थे। साध्वी को 23 अक्तूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था।

मैं अपने पुरस्कार वापस नहीं कंरूगा : कमल हासन

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चेन्नई 07 नवम्बर, जानेमाने अभिनेता कमल हासन ने आज दोहराया कि वह अपने पुरस्कार वापस नहीं करेंगे क्योंकि वह उस जूरी का सम्मान करते हैंं जिन्होंने उन्हें ये सम्मान दिये। कमल हासन ने अपने 61वें जन्मदिन के मौके पर शाम को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा,“यदि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अनुचित ढंग से दबाया जाता है तो मैं उसके खिलाफ जरूर आवाज बुलंद करूंगा।” उन्होंने कहा कि जानीमानी हस्तियों ने उन्हें इन पुरस्कारों के लिए चुना है और वह देश में असहिष्णुता के कथित माहौल के खिलाफ पुरस्कार लौटाकर उन हस्तियों के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचा सकते। 

उन्होंने कहा,“सरकार ने मुझे ये पुरस्कार नहीं दिये है।”उन्होंने कहा कि उनके या फिल्म निर्माताओं की उनकी टीम के साथ कोई राजनेता शामिल नहीं है।उनकी टीम राजनीति को नहीं समझ सकती इसलिए वे इससे दूर है। राजनीति में अपने प्रवेश की संभावना को एक बार फिर खारिज करते हुए कमल ने कहा,“मेरे हाथ की अंगुली में हर पांच साल में स्याही लगी होती है जिसका मतलब हर चुनाव में वोट डालने से उनकी राजनीति में भागीदारी हो जाती है।

राजग को बहुमत की स्थिति में मुख्यमंत्री का चयन होगा मुश्किल

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पटना,07 नवम्बर, बिहार विधानसभा चुनाव के कल परिणाम घोषित होने के बाद यदि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) को बहुमत मिल गया तो उसके प्रमुख घटक भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के समक्ष मुख्यमंत्री का चयन एक मुश्किल काम होगा । बिहार भाजपा में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं और ऐसी स्थिति में भाजपा के शीर्ष नेताओं के समक्ष किसी एक नाम पर सहमति बनाना कठिन कार्य होगा । एक समय ऐसा माना जा रहा था कि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को पार्टी बहुमत मिलने की स्थिति में मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप देगी ।भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व से ऐसे संकेत यहां मिल रहे थे कि श्री मोदी के नाम पर एक राय है लेकिन बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उसका ताली बजाकर स्वागत नहीं किया । नीतीश कुमार सरकार में श्री मोदी के कैबिनेट सहयोगी रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव भी पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व के इस फैसले को स्वीकार करने में अनिच्छुक दिखे ।श्री यादव ने राज्य के पथ निर्माण एवं स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर अपने कामकाज से अपने को श्री मोदी के बराबर कद वाला नेता साबित करने की कोशिश की थी । श्री यादव वर्तमान में विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं । हालांकि यह देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व मुख्यमंत्री के चयन की स्थिति में श्री यादव पर कितना भरोसा करता है ।

श्री मोदी और श्री यादव ही बिहार भाजपा में कद्दावर नेता नहीं हैं,इसकी फेहरिस्त लंबी है और उनमें से एक है श्री प्रेम कुमार। गया (शहर) क्षेत्र का विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले श्री प्रेम कुमार अपनी चंद्रवंशी(कहार) जाति में काफी लोकप्रिय हैं ।कहार जाति अति पिछड़े वर्ग में शामिल है ।गौरतलब है कि भाजपा विधानसभा चुनाव में अति पिछड़े वर्ग को अपने पक्ष में करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाये हुए थी। चुनावी प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से श्री प्रेम कुमार को कई बार बातचीत करते हुए देखा गया । इससे यह धारणा भी बनी कि मुख्यमंत्री पद की दौड़ में श्री प्रेम कुमार अग्रणी नेताओं में शामिल हैं । श्री सुशील कुमार मोदी विधान परिषद के सदस्य हैं । वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़े हैं। श्री यादव और श्री प्रेम कुमार ने क्रमश: पटना साहिब और गया शहर क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं । श्री मोदी विधान परिषद में विपक्ष के नेता के साथ ही विधानमंडल दल के नेता भी हैं ।भाजपा के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित न करने के फैसले का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फायदा उठाने की खूब कोशिश की । 

महागठबंधन खासकर इसके प्रमुख घटक जनता दल (यूनाईटेड) ने इस मुद्दे को चुनाव के दौरान खूब उछाला और बार-बार कहा कि श्री कुमार के कद का कोई नेता भाजपा में है ही नहीं ।कहा यह भी गया कि बिहार भाजपा में ऐसा कोई नेता ही नहीं है जो श्री कुमार को टक्कर दे सके । भाजपा वरिष्ठ नेताओं को संवाददाताओं के इस सवाल का बार-बार सामना करना पड़ा कि उनका मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन है ।पार्टी नेताओं ने इस प्रश्न का हमेशा यही जवाब दिया कि मुख्यमंत्री का चयन केन्द्रीय भाजपा संसदीय बोर्ड करेगा । पार्टी में वरिष्ठ नेता एवं संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद और केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के नाम पर भी मुख्यमंत्री पद के लिए विचार किया जा सकता है। 

ओआरओपी के लिए अधिसूचना जारी

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नयी दिल्ली.07 नवम्बर, केन्द्र सरकार ने आज सशस्त्र बलों के परिवारों के 23 लाख से अधिक सदस्यों को दीवाली का उपहार देते हुए पूर्व सैनिकों के लिए ‘वन रैंक वन पेंशन’(ओआरओपी) की अधिसूचना जारी कर दी। रक्षा मंत्रालय के मुख्य प्रवक्ता सीतांशु कार ने यूनीवार्ता से इस आशय की पुष्टि की। श्री कार ने ट्वीट किया,“इंतजार खत्म। ओआरओपी के लिए अधिसूचना जारी हो गई है।” उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में सेवानिवृत्त हुए सैनिकों की पेंशन के आधार पर पूर्व सैनिकों की पेंशन निर्धारित की जायेगी और यह योजना एक जुलाई 2014 से लागू होगी। इससे पहले सरकार ने पांच सितंबर को वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की थी जिसके बाद पूर्व सैनिकों ने जंतर मंतर पर भूख हड़ताल खत्म कर दी थी लेकिन धरना जारी रखा था। 

अधिसूचना के अनुसार वर्ष 2013 में एक समान रैंक और सेवाकाल में सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों की न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के औसत के आधार पर पेंशन को फिर से निर्धारित किया जायेगा। सरकार असंगतियों को देखने के लिए एक न्यायिक समिति का गठन करेगी और यह समिति छह महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। श्री कार ने कहा कि भविष्य में हर पांच वर्ष में पेंशन को फिर से निर्धारित किया जायेगा। अधिसूचना जारी होने में देरी से नाराज पूर्व सैन्यकर्मियों ने देश भर में अगले हफ्ते से अपने सेवा पदक लौटा देने की घोषणा की थी।

गोपाल कांडा​ ​-विपाशा बासु के साथ ‘‘भाई मस्ट बी क्रेजी‘‘ के साथ करेंगें नई पारी की शुरूआत

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गितिका शर्मा सुसाईड केस से चर्चा में आए हरियाणा के पूर्व एमएलए गोपाल कांडा बाॅलीवूड में एक प्रोड्यूसर के रूप में कदम रखने जा रहें हैं। सूत्रों की माने तो गोपाल कांडा बाॅलीवूड की हाॅट गर्ल विपाशा बासु को लेकर एक फिल्म बनाने जा रहे हैं। इस फिल्म का नाम ‘‘भाई मस्ट बी क्रेजी‘‘ है ,जो अभी रिलिज हुई बाकी सारी बाॅलीवूड फिल्मों के नाम से थोड़ा हटकर है। ये फिल्म एक रोमांटीक काॅमेडी फिल्म है जो कि आजकल की जेनरेशन की पसंद को ध्यान में रखकर बनाई गई है। 

इस फिल्म में विपाशा बासु के अलावा अभिनेता प्रकाश राज, सुनील ग्रोवर (गुत्थी नाम से प्रचलीत), विजय राज, सुनील थापा और गुग्गी भी अलग-अलग भुमिकाओं में नजर आयेंगें। वेलकम इंटरटेनमेंट के बैनर तले फिल्म ‘‘भाई मस्ट बी क्रेजी‘‘ की शुटींग बैंकाक और नेपाल की खुबसुरत लोकेशन में फिल्माया गया है। पाॅलीटीशियन से प्रोड्यूसर बने गोपाल गोयल कांडा की ये फिल्म बहुत हीं जल्द बड़े पर्दे पर नजर आयेगी। वहीं इस फिल्म के जरिये विपाशा बासु भी अपने आप को एक हिट फिल्म के रेस मंे शामिल करने की भरपुर कोशीश करेंगी।​

इंडस्ट्री के नए चॉक्लेट बॉय हैं कार्तिक आर्यन

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हाल ही रिलीज़ हुए फिल्म 'प्यार का पंचनामा 2'दर्शोकों को खूब पसंद आरही है। इस फिल्म को समीक्षकों ने भी काफी अच्छी रेटिंग दी है, साथ ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छी रफ़्तार से चल रही है। फिल्म के मुख्य अभिनेता कार्तिक आर्यन द्वारा निभाए गए गोगु का किरदार सभी को बेहद पसंद आरहे।  केवल फैंस और दर्शक ही नहीं नामी फिल्म निर्देशक भी कार्तिक आर्यन की काफी तारीफ़ कर रहे हैं। यही वजह की अब कार्तिक को बड़े  निर्देशकों  से अच्छी किरदार के ऑफर्स आना शुरू आना शुरू हो चुके हैं। ट्विटर पर भी  सुभाष घाई, आनंद राय, अनुभव सिन्हा, मिलाप जवेरी जैसे कई बड़े निर्देशकों के करती की तारीफ की है। 

सुभाष घई ने कहा है 'लगातार 5 मिनट तक बोले गए डायलॉग के लिए कार्तिक को ढेर साडी बधाइयां।'आनंद एल राय ने कहा है 'प्यार का पंचनामा 2'के अभिनेताओं से बहुत प्रस्सन हूँ, सभी ने शानदार काम किया है।  भगवान सभी को यश प्रदान करे।'अनुभव सिन्हा ने कहा है 'शानदार फिल्म है 'प्यार  पंचनामा 2', कार्तिक आर्यन की कॉमिक टाइमिंग लाहजवाब है।'इस बात में कोई दोहराय नहीं है की फिल्म 'प्यार  पंचनामा 2'से सभी दिल जीतने के बाद कार्तिक अब बॉलीवुड इंडस्ट्री नए चॉक्लेट बॉय  बन चुके हैं। 

देश गृहयुद्ध और आपातकाल की ओर—क्या हम तैयार हैं?

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nation-and-tolleranceमैं कभी भी किसी जाति के नाम से कोई टिप्पणी लिखने में विश्वास नहीं करता। लेकिन ब्राह्मणों की ओर से सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करना कि——''आरक्षण के फन को कुचलेगा ब्राह्मण संगठन''मुझ जैसे व्यक्ति को संयमित प्रतिक्रिया व्यक्त करने वाले को व्यक्ति को भी जवाबी प्रतिक्रिया व्यक्त करने को विवश किया जा रहा है। यद्यपि खुद ब्राह्मणीय व्यवस्थानुसार ब्राह्मण जाति नहीं, बल्कि कथित हिन्दू धर्म का सर्वोच्च वर्ण है। अत: ब्राह्मण को जाति मानकर नहीं, बल्कि वर्ण मानकर और उनकी असंवैधानिक ललकार को पढकर मैं संवैधानिक सच्चाई और प्रथमदृष्टया नजर आ रहे हालात को लिखने को विवश हूं।

मुझे यह जानकर आश्चर्य होता है कि मात्र 2-3 फीसदी ब्राह्मण वर्ग के लोग सार्वजनिक रूप से देश की तीन चौथाई आरक्षित (3/4) आबादी के संवैधानिक हकों को फन सम्बोधित करके कुचलने की बात करते हैं। मनुवादी तथा कॉर्पोरेट मीडिया ऐसी असंवैधानिक खबर को प्रमुखता से प्रकाशित भी करता है। सरकार चुप्पी साधे हुए है। संविधान को धता बताकर आरक्षण को कुचलने की बात पढकर भी आरक्षित वर्ग के लोग या तो भयभत हैं या फिर उनको अपने बहरूपिये राजनेताओं पर अति-आत्मविश्वास है। क्या इसे संवैधानिक लोकतांत्रित गणतंत्र कहा जा सकता है?

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कारण जो भी हों लेकिन इस समय देश के हालात शर्मनाक और चिन्ताजनक हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अर्थात् आरएसएस और केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और मंत्रियों के बयानों तथा उनके व्यक्तिगत क्रियाकलापों से ऐसा प्रतीत होता है कि आरक्षण तथा जातीय हिंसा के बहाने देश को गृहयुद्ध में धकेला जा रहा है। साफ तौर पर हालात एसे नजर आ रहे हैं कि गृहयुद्ध के बहाने देश में आपात काल लागू कर के सत्ताधारी पार्टी मनुवादी व्यवस्था लागू करने की ओर अग्रसर होती दिख रही है।

गत दिनों पाञ्चजन्य में लिखा गये असंवैधानिक लेख के लेखक, प्रकाशक, मुद्रक और पाञ्चजन्य के विक्रेताओं के विरुद्ध सरकार द्वारा इन पंक्तियों के लिखे जाने तक किसी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नहीं करना। साथ ही साथ देशभर में अचानक दलित—आदिवासी लोगों पर क्रूरतापूर्वक अत्याचारों और हमलों में बढोतरी होना और मीडिया द्वारा चुप्पी, आपात काल लगाये जाने की आशंका को भयावह बनाने का काम कर रहे हैं। जिसके बारे में कुछ समय पूर्व भाजपा के पितृपुरुष कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने भी आशंका जतायी थी। क्या हम फासिस्टवादी लोगों के नेतृत्व में आपात काल के जुल्मों—सितम को झेलने के लिये तैयारी कर रहे हैं?





-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
राष्ट्रीय प्रमुख
हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन
राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान
संपर्क :  9875066111
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