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विशेष आलेख : दुकान की मुर्गी, दाल बराबर.

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एक कहावत है घर की मुर्गी, दाल बराबर. लेकिन अब शायद दाल के बढ़ते दाम को देखकर  ये कहना गलत नही होगा, दुकान की मुर्गी दाल बराबर. जिस तरह से देश में दाल के दाम आसमान में चढ़े हैं. इसका असर साफ लोगों में देखा जा रहा है. लोगों की थाली से दाल का गायब हो जाना. अब दाम ही इतना बढ़ चुका है कि लोग करें तो क्या. जितने की एक किलो दाल खरीदेंगे उतने में तो 4 से 5 दिनों की सब्जी ले आएगें. मंहगाई का बढ़ना जनता के लिए कोई नई बात नही है. अभी कुछ दिनों पहले प्याज को लेकर त्राहि- त्राहि मची थी. प्याज सब्जी से गायब हो रही थी. जनता इस मंहगाई से उभरी ही थी कि दाल ने अपना कहर दिखा दिया. 

कहते हैं कि दाल में कुछ काला है. अचानक से बढ़े दाल के लगभग दोगुने से ज्यादा दाम को देखकर तो ये कहावत इकदम फिट बैठती है. जरूर दाल में कुछ काला जरूर है. वैसे तो दाल के दामों को लेकर बहुत सी बातें सामने आई थी. पैदावार की कमी भी बताया गया. बरसात की कमी के कारण दाल की पैदावार कम हुई.  लेकिन दाल की जमाखोरी से मुंह नही मोड़ा जाता. पैदावार का न होना तो कुदरत की देन है. लेकिन स्टॉक को जमाकर रखना तो व्यापारियों के हाथ में है. जिसे उन्होने जमाखोरी कर अपना फर्ज बखूबी निभाया है. अपने फायदे के लिए लोगों की थाली से दाल छीन ली. दाल के बढ़ते दामों को सरकार देखती रही. बढ़ते दामों को देखकर सरकार को वो कहावत याद जरूर आनी चाहिए थी. जिसे अकसर गड़बड़ होने का अंदेशा होने पर बोला जाता है. 

दाल में कुछ काला है. यहां तो पूरी दाल ही काली होने के साथ स्टॉक भी खाली निकला. मतलब जमाखोरी की वजह से बाजार में दाल की कमी से दाम आसमान छू गए. सरकार ने छापेमारी में जमाखोरी की 75 हजार टन दाल बरामत की गई.  सरकार पहले से इस पूरे प्रकरण में सतर्क रहती है तो शायद दाल के दाम इतने नही बढ़ते. लेकिन कहते है ‘अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत’  जब तक सरकार अपने ठोस कदम बढ़ाती तब तक गरीब की थाली से दाल गायब हो चुकी थी. देश में मंहगाई की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है.

 एक तरफ त्योहार का आना दूसरी तरफ दाल का थाली से जाना. इस मंहगाई को लेकर जनता तो रो रही है. जितने रूपए में लोग महीने भर की दाल खरीद कर लाते थे, अब उतने में एक किलों दाल मिल रही है. छोटे-छोटे व्यापारी तो दाल रखना ही छोड़ चुके है. बाजार से जब वो इतनी मंहगी खरीद कर लाएगें तो जाहिर सी बात है कि कुछ फायदा लेकर बेचेंगे. सरकार दाल का इंपोर्ट करेगी तो जाकर जनवरी तक दाल के दामों में गिरावट आएगी. 
अगर मंहगाई बढ़ने की एक वजह जमाखोरी है तो सरकार को जमाखोरों के खिलाफ सख्त कार्यवाई करे. ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो. 




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रवि श्रीवास्तव
स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, व्यंगकार, 
ravi21dec1987@gmail.com

जिन्दगी पर दो नये शोज

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खूबसूरत कहानियों को पेश करने वाला चैनल ज़िंदगी चैनल के दो नवीनतम शोज दाम एवं अश्क 26 अक्टूबर एवं 29 अक्टूबर से दर्शकों बीच होगे। ये दो ऐसी खूबसूरत कहानियां हैं, जो हमें अपनी भावनात्मकता से अभिभूत कर देंगी।

दाम जारा एवं मलीहा नामक दो बेहतरीन सहेलियों की कहानी को पेश करने के लिए तैयार है, जिनकी दोस्ती आर्थिक असमानताओं के बावजूद भी अटूट बनी रहती है। इस अटूट दोस्ती में उस समय चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं, जब मलीहा का भाई जुनैद जारा से विवाह करने की चाहत का इज़हार करता है। मलीहा यह नहीं बर्दाश्त कर पाती कि निम्न सामाजिक वर्ग से ताल्तुक रखने वाली उसकी सहेली उसकी भाभी बन जाएगी। जारा और जुनैद के प्रेम को तोड़ने के लिए वह अपनी सहेली को अपने भाई से दूर चले जाने के लिए ‘दाम’ की पेशकश करती है।
  
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प्रेम अथवा धन के बीच चयन को ले कर यह नाटकीयता काफी गहरी हो जाती है। अमीना शेख, आदिल हुसैन, सनम बलूच एवं सनम सईद के अभिनय से सुसज्जित ‘दाम’ जीवन की सामाजिक जटिलताओं पर प्रकाश डालता है। माहरीन बब्बर की यह अनूठी रचना सच्चे प्रेम एवं सच्ची दोस्ती को परख की कसौटी पर प्रस्तुत कर दर्शकों को एक अद्भुत कहानी की सौगात देती है।

अश्क का प्रीमियर 29 अक्टूबर को रात 9.30 बजे होगा। अश्क प्रेम के विविध स्वरुपों को दर्शकों के समक्ष पेश करेगा। यह रोहैल (फवाद खान) की कहानी है, जो तुर्की में रहता है एवं उसने कभी भी प्रेम में पीड़ा का एहसास नहीं किया है। उसकी दोस्त मदीहा ने उससे प्यार किया था, लेकिन यह प्यार एकतरफा था। मदीहा के दिल को तोड़ कर रोहैल अपनी चचेरी बहन मेहरुन्निसा से शादी करने के लिए पाकिस्तान जाता है, लेकिन यहां आने के बाद वह उसे अस्वीकार कर देता है एवं उसकी बहन जैबुन्निसा से शादी करने की इच्छा जाहिर करता है। इन दोनों बहनों में काफी प्यार रहता है और रोहैल के अचानक बदल जाने से दोनों को काफी तकलीफ होती है और वे क्रोध से भर जाती हैं। जैब रोहैल से अपनी बहन का प्रतिशोध लेने के लिए शादी के लिए तैयार हो जाती है। दिलों की धड़कन फाउद खान एवं माहरीन राहील सहित बेहतरीन सितारों के अभिनय से सुसज्जित यह शो इस कथा में सन्निहित जटिल भावनाओं का प्रदर्शन करने के लिए तैयार है।

अभिनेता बनने का सपना पूरा हुआ : अभिनव कुमार

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बालीवुड में दस्तक देने वाले अभिनव कुमार ने कई फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएं कीं लेकिन मशहूर निर्माता और निर्देशक अनिल शर्मा की ‘‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो’ से उनको सही मायने में पहवान मिली।  इस फिल्म में उन्हें नोटिस में भी लिया गया। उसके बाद खासा संघर्ष करना पड़ा। अभिनव कुमार स्क्रीन नाम है इस अभिनेता का, जिन्होंने एक थिल्रर फिल्म ‘‘जी लेने दो एक पल से’ बड़े स्क्रीन पर हीरो के रूप में हिंदी सिनेमा में दस्तक दी है। अभिनव बताते है कि ‘बचपन से ही मैं हिंदी फिल्मों का दीवाना रहा हूं, कई फिल्मों ने मेरे अंदर अपना घर बना लिया है जो लगातार मुझे इसी दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करती रही हैं।’अभिनव एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं, लेकिन उनका परिवार डाक्टर बनाना चाहता था किन्तु उनका सपना तो एक्टर बनने का था अभिनव कहते है कि‘‘मेरे माता-पिता भी मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे लेकिन मेरा रुझान शुरू से फिल्मों की तरफ रहा। जब उन्हें मेरी मंशा का पता चला तो वे लोग बहुत नाराज हुए मगर मेरे बड़े भाई वीरेंद्र प्रधान ने मेरा बहुत साथ दिया और आगे बढ़ने में आर्थिक मदद भी की।’ अभिनव का वास्तविक नाम है, धु्रव कुमार सिंह जो बुलंदशहर के टोडी नांगला गांव के हैं। बीएससी तक की पढ़ाई कर चुके अभिनव का लगाव थियेटर से था। अभिनव ने बताया कि अभिनय के प्रति लगावा  उनको बाल्यकाल से ही रहा था। युवा होने पर मैंने श्रीराम सेंटर से एक्टिंग का कोर्स किया।उसके बाद में पीछे मुडकर नही देखा।

सुना था कि आपने स्माल स्क्रीन पर काम किया है?
जी हाॅ। मैंने दो टेली फिल्म ‘‘लाडली’ और ‘‘नौकर’ में काम किया। उसी ने मायावी दुनिया का रास्ता दिखा दिया। फिर एक डॉक्यूमेंट्री ‘‘देख चांद की ओर’ किया जिसने समझा दिया कि अपना चांद तो मुंबई है और वहां गये बिना सपना पूरा नहीं होगा।

ऐसी भी चर्चा है कि जबतक फिल्म में हीरो का रोल नहीं करेंगे, तबतक घर की ओर रूख  नहीं जायेंगे ?
यह मेरा सपना है, इस प्रण से मुझे बल भी मिला है। मैं पिछले 14 साल से अपने गांव नहीं गया हैं। मैंने कसम खा रखी है कि जबतक फिल्म में हीरो का रोल नहीं करूंगा, तबतक गांव नहीं जाउगा। अब वह संकल्प पूरा होने जा रहा है। 

लेकिन कई अच्छी फिल्मों के आफर के बाद उनको छोडने की कोई खास वजह ?
मुझे पहले लीड रोल का ऑफर मिला था, लेकिन जिस तरह की फिल्में मिल रही थीं, उसमें काम करने का मतलब था कि फिर कभी गांव-घर वाले को मुंह नहीं दिखा पाऊंगा। लेकिन निर्माता शरद चंद्र और निर्देशक संजीव राय ने थिल्रर फिल्म ‘‘जी लेने दो एक पल’ में खूबसूरत ऑफर देकर मेरे जीवन और शायद करियर को भी खुशी के पलों से भर दिया।’ 

आपने निर्माता- निर्देशक आर.एस. विकल के साथ भी एक फिल्म की थीं उसका क्या हुआ ?
आर.एस. विकल के निर्देशन में बनी फिल्म ‘‘दहक’ में कैमरा फेस किया मगर वह रिलीज नहीं हो पाई। ‘‘उस फिल्म से फायदा यह मिला कि मुझे सीमा विश्वास और जरीना वहाब जैसे कलाकारों के साथ काम कर बहुत कुछ सीखने और समझने को मिला।

बालीवुड में आगे का सफर कैसा रहा ?
उसके बाद खासा संघर्ष करना पड़ा। ‘‘कुछ क्षेत्रीय फिल्मों में भी हाथ आजमाया लेकिन लगा कि अपने लक्ष्य से भटक जाऊंगा। तब फोकस सिर्फ बॉलीवुड पर ही कर दिया। समय जरूर लगा लेकिन इस बात की तसल्ली है कि बेहतर रास्ते पर आया। उसके बाद में ‘‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो’ रही। रोल छोटा था लेकिन अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और बॉबी देओल सरीखे नामचीन स्टारों के काम को करीब से देखने-समझने का मौका मिला और इंडस्ट्री को भी करीब से देख पाया।‘‘

‘‘जी लेने दो एक पल’ को लेकर क्या सोचते है?  मेरी पूरी उम्मीद ‘‘जी लेने दो एक पल’ पर ठहर गयी है। ‘‘यह पूरी तरह से पारिवारिक पृष्ठभूमि पर आधारित है. इसमें पति-पत्नी के रिश्ते में आस्था और विश्वास को मुस्तैदी से पिरोया गया।

विशेष आलेख : अपने सिधांत से ओझल होते गैर सरकारी संगठन

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होता ये है कि भले पुलिस शब्द हमारे कान के पास से गुजरे तो एक नेगटिव फीलिंग आ सकती है लेकिन जैसे NGO शब्द आता है एकदम परोपकारी वाली फीलिंग आने लगती है जैसे मानो हमारी हितो की रक्षा सिर्फ यही करते है पुलिस, चुने हुए नेता सारे के सारे थोड़े फीके से लगने लगते है| हालाँकि यह सही चीज नहीं है अगर NGO से संबंधित संस्थाओं के थोड़े करीब जाओगे थे तो बहूत सारी समीकरणों से रूबरू होने का मौका मिलेगा| इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि सारे के सारे NGO वैसे ही है| काफी सारे NGO बिल्कुल अपने सैधांतिक तौर पर अच्छा काम भी कर रहे है| एक बड़ा ही इंटरेस्टिंग फैक्ट आपके हवाले कर रहा हु टाइम्स ऑफ़ इंडिया के साभार से, हर 600 लोगों पर एक NGO हमारे देश  में है वही हर 943 लोगों पर एक पुलिस| एक NGO में कितने सारे लोग काम करते है अब उसके हिसाब से अंदाजा लगा लीजिए कि कितने लोगों पर कितने एक्टिविस्ट काम करते है|इतनी भरी भरकम संख्या होने के बाद भी समस्या वही की वही है इसका कारण है कि ज्यादातर गैर सरकारी संगठन संवाद नहीं विवाद में विश्वास रखने लगे है| काफी सारे अच्छे भी है जो बहूत सच्चे काम कर रहे है लेकिन उनकी संख्या आज के तारीख में बहूत ही कम है| 

ग्रीनपीस की कहानी 
हाल में कुछ महीनों पहले एक बात निकल के आई थी कि सरकार ने बहूत सारी NGO को बंद कर दिया है| नाम है ग्रीन पीस 40 देशों के साथ समन्यवय बैठाकर काम करते थे| अगर इसके बारे में बढ़िया से जानने की कोशिश करोगे तो पता चलेगा कि इन्हें किसी ने बैन नहीं किया बल्कि नियम तोड़ने की वजह संभावित एक्शन लिया गया है| एक कानून है FCRA(फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट)  जो कहता है कि कोई भी NGO अपने मिले हुए फण्ड का 50% से ज्यादा पैसा अपने एडमिनिस्ट्रेशन जैसे प्रचार प्रसार, पोस्टर, होर्डिंग, घुमाई फिराई के लिए नहीं कर सकते| लेकिन वो लोग 60% से ज्यादा पैसा उपयोग करते रहे है| और कहाँ उपयोग करते थे उन पैसों का तो स्थानीय मजदूरों की गोलबंदी करके सरकार के खिलाफ बिगुल फुकने के लिए| थर्मल पॉवर, मीनिंग, नुक्लेअर पॉवर के उपयोग के लिए विरोध करते है| जो जहाँ है उसे पड़े रहने देने से विकास होगा या बढ़िया तरीके से उपयोग से विकास होता है| ऐसे में अगर सरकार लगाम कसती है जो अपने विदेशी फण्डो का उपयोग सामाजिक उद्देश्य के बजाए राजनितिक गतिविधियों के लिए करते है तो शायद गलत नहीं कहा जा सकता है| सच्ची सहमती लोकतंत्र की हिस्सा है लेकिन जब यह निजी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बाहरी देनदारों द्वारा प्रेरित हो जाए तो यह देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए भी खतरा साबित हो सकती है|

उनकी एक बड़ी ही इंटरेस्टिंग कहानी है बिहार के धरनाई गाँव के सन्दर्भ में| सरकार से अपील किया एक्टिविस्ट्स ने कि धरनाई जैसे गांवो तक बिजली नहीं पहुच पाती है इसलिए हमारे पास एक प्लान है यहाँ सोलर से बिजली बनाकर इन्हें दे सकते है| करोड़ों रुपये खर्च करके पूरा माइक्रो ग्रिड बैठाया जाता है यही नहीं एक्टिविस्ट लोगो यह भी तय करते है कि सोलर प्लेट US based Zemlin Surface Optical Corporation का ही होना चाहिए इसके लिए दबाव भी बनाया था| इसका समीकरण तो समझना होगा न कि आखिर उसी इक्विपमेंट के लिए क्यों फाॅर्स करते है| जैसे ही बारिश का मौसम आया है उसका एफिशिएंसी कम हो गया और फिर वही काम स्थानीय लोगो को भड़काना शुरू कि सरकार बाकी के शहरों और दुसरे राज्य के गांवो को 'रियल इलेक्ट्रिसिटी'देती है और तुम्हे इन्ही माइक्रो ग्रिड के सहारे बेवकूफ बनाते है| अंत हुआ यूँ कि 1981 में नक्सलियों से मिलकर सारा का सारा ग्रिड तोडवा दिया गया इस चीज के मांग के लिए कि हमें रियल इलेक्ट्रिसिटी चाहिए तब से दिया जल रहा था आज का मुझे पता नहीं है कि क्या स्तिथि है| जबकी होना यह चाहिए था कि बारिश के मौसम के लिए कुछ बिजली स्टोर करने के लिए समाधान ढूँढना था बजाए इसके| 

उद्देश्य से भटकते  
ऐसे और भी कई उदाहरण मिल जाएँगे जिनका उद्देश्य तक तय नहीं होता है कि उन्हें करना क्या है| मैंने कई ऐसे NGO भी देखे है जो दिन में फण्ड इकठ्ठा करते है तमाम तरह के तामझाम के द्वारा और शाम को पार्टी करते है| कॉलेज में ज्यादातर NGO लड़के और लड़कियों का मिलाप और एन्जॉय करने का एक प्लेटफ़ॉर्म साबित होता है| कुछ NGO वाले टूर पर भी जाते है और सेल्फी लेकर कवर फोटो में डालते है| ये तो नॉन सीरियस NGO की बातें थी और भी कई सारी बातें है इसके आधार पर अनुमान लगा लीजिए| लेकिन कुछ जो सीरियस है वो नौटंकी भी करते है| जैसे गाँव में जाएँगे विडियो बनाएगे इंटरव्यू लेंगे और इमोशनल होकर चाइल्ड लेबर और न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलने पर अपनी पीड़ा व्यक्त करेंगे| बस कहानी ख़त्म इसका हल कौन ढूंढेगा ? इसका कोई प्लान नहीं होता है| जबकी ऐसे समस्याओं का निदान ढूँढना ही उनका पहला उदेश्य है| वो इन समस्याओं के निदान तक तब तक नहीं पहुच सकते जब तक एक विचार वाली धारणा से ऊपर नहीं उठते| क्युकी उनका निष्कर्ष और एक्शन तय होता है कि विरोध करना ही है चाहे कुछ भी हो जाए| और उसके लिए एविडेंस ढूढने में लग जाते है और बहूत मेहनत करते है जो सही दिशा में नहीं है|

उन्हें पहले समस्या का सही रूप से विश्लेषण करना चाहिए और उस विश्लेषण और मूल्यांकन के आधार पर हल ढूंढने के लिए आगे बढ़ते रहना चाहिए| एक उदाहरण से बेहतर तरीका से समझ सकते है जैसे गाँव में जाकर चाइल्ड लेबर और न्यूनतम मजदूरी ना मिलने वाली समस्या पर डाकमेंट्री बनाते है और उसके सामानांतर FDI को भी कोसते है अपने तर्कों से| शायद वो लोग भी जानते होंगे कि FDI उनके द्वारा व्यक्त किए गए सो कॉल्ड पीड़ा का समाधान FDI भी हो सकता है जिससे पंजीकृत होने के बाद सिस्टेमेटिक तरीके से मेहताना और चाइल्ड लेबर जैसी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है| लेकिन ऐसा होता नहीं है उनके डिक्शनरी में FDI जैसे तमाम विकास वालें शब्दों का शाब्दिक अर्थ ही विरोध होता होगा| होता यह है कि सिर्फ एक पहलु के तरफ ही झाकने की कोशिश करते है| आज कल के NGO वाले लोग किसी सुझाव पर पहुचना नहीं चाहते| चाहिए ये कि गैर सरकारी संगठन के एक्टिविस्ट्स किसी भी समस्या के लिए संवाद करें और अक साफ़ लाइन खीचकर एक निष्कर्ष पर पहुचे| लेकिन ऐसा होता नही है विरोध करना उनका लगभग पर्यावाची शब्द बन सा गया है|

अंत में निष्कर्ष के रूप में मै यही कहना चाहूँगा कि इसमें काफी सुधार की जरूरत है| चुकी आईबी की रिपोर्ट में भी ऐसे NGO को आंतरिक सुरक्षा का खतरा बताया है| विदशो से फण्ड पाने वाले बहूत सारे ऐसे NGO है जिनका नियमतः पंजीकरण नहीं हुआ है| यहाँ तक कि गृह मंत्रालय कि रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि भारत में 20 लाख NGO है लेकिन 2% से भी कम है जो FCRA के तहत पंजीकृत है| बहूत सारे ऐसे भी है जो नियमतः अपना वैधानिक वार्षिक रिपोर्ट तक जमा नहीं करते| इसलिए हर समस्या के दो पहलु होते है सकारात्मक भी आयर नकारात्मक भी| बस NGO चलते समय हमें ध्यान में ये रखकर काम करना चाहिए कि नकारात्मक चीजे सकारात्मक पर ज्यादा हावी न हो| और उसी आधार पर एक महीन लाइन खीचकर एक निष्कर्ष पर पहुचना चाहिए ताकी विकास का काम रुके नहीं| दूसरी बात यह कि जो नियम कानून बनाएं गए है उसे नियमित रूप से पालन करते रहे| संसदिए घेरे के अन्दर रहकर अच्छा करने का प्रयास करे जिससे ऐसी संस्थाओ को हर किसी से प्रोत्साहन मिल सके| 




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गौरव सिंह
वेल्लोर

विशेष आलेख : सम्मान वापसी का मुद्दा कुण्ठाग्रस्त भावना का प्रतीक

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जैसे ही 26 मई 2014 को नरेन्द्र भाई मोदी ने प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली थी, उसके बाद से ही देश के कुछ तथा-कथित नकारात्मक सोच के आधुनिकतावादियों को मोदी की लोकप्रियता एवं केन्द्रीय सरकार की पारदर्शितापूर्ण कार्य-शैली पच नही पा रही है। इन्होने योजनाबद्ध तरीके से प्रधानमन्त्री मोदी के बिरोध की एक मुहिम चला रखी है। इनके पास कोई भी सारगर्भित मुद्दे नही हैं। बामपंथी और कांग्रसी विचारधारा से प्रेरित सहित्य जगत के लेखक, शायर, कवियों ने अपने-अपने सम्मान लौटाने का एक फैशन बना कर सुर्खियों और टी.वी. चेनलों पर बहस के माध्यम से चर्चित होने के रास्ते पहचान लिये है। वस्तुतः सम्मान बापिस करने पर इन्हे कोई नुकसान नही हो रहा है, हां देश के प्रधानमन्त्री की छबि का कुत्सित प्रयास अवश्य हो रहा है। सम्मान बापिसी मे फायदा ही फायदा है। 

पहले सम्मान मिलने से चर्चित हुये थे, अब सम्मान बापिसी के कारण सुर्खियों मे हैं। सच तो यह है कि ये देश-विदेश मे प्रधानमन्त्री मोदी की प्रशंसा और लोकप्रियता के कारण ये कुण्ठित हो रहै हैं। कांग्रेस के शासन-काल मे इन्हे सम्मान प्राप्ति की उपलब्धि हुई थी, तो फिर कांग्रेस के सत्ताच्युत होने के बाद उसके प्रति बफादारी भी तो प्रदर्शित करना है। राजतन्त्र मे ऐसा ही होता था, जैसे ही राजा, गद्दी से उतरा, तो उसके सिपहसलार भी राज-दरबार से रूख्सत हो कर अपनी अपनी वफादारी गद्दी-च्युत राजा के प्रति समर्पित भाव से प्रदर्शित करते थे। अन्तर सिर्फ इतना है कि प्रजातन्त्र मे प्रधानमन्त्री को ये गालियां देते हैं और राज-तन्त्र मे इसकी इजाजत नही थी। हां इतना जरूर समझ मे आ रहा है कि सम्मान लेते समय जो राशि इन्होने प्राप्त की थी, क्या उसे भी बापिस किया है ? सम्मान प्राप्ति के कारण जो सुविधायें उपभोग की हंै, क्या उनकी भारपाई भी कर रहै हैं ? सम्मान बापिसी की सिर्फ घोषणां और उसका प्रमाणपत्र दिखा कर सुखियों मे आने का सस्ता व सुलभ रास्ता है। इनकी असहिष्णुता और सम्मान बापिसी का मुद्दा तब कहां था जब देश के अन्दर कांग्रेस की सत्ता को बचाने के लिये सन् 1975 मे ऐमरजेन्सी थोपी गई थी और हजारों नेताओं को जेल मे ठूंस दिया था, श्री जय प्रकाश नारायंण पर लाठियां बरसाईं थीं। सन् 1985 मे सिक्खों का कत्लेआम हुआ था। तब इतने असंवेदनशील क्यों हो गये थे ?  

देश के समक्ष प्रश्न तो यह है कि सम्मान बापिसी के इनके मुद्दे क्या हैं ? एक तो उ.प्र. का दादरी काण्ड है, जहां मोहम्मद अखलक नामक व्यक्ति के घर पर हमला होने का आरोप इस आधार पर बताया गया है कि उसके घर मे गाय का गोश्त खाया जा रहा था। यद्यपि इस अपराध मे उ.प्र. पुलिस ने गिरफ्तारियां भी कर ली हैं। सम्मान बापिसी की दौड़ मे लगे ये साहित्यकार इस ओर सोच ही नही रहे हैं कि दादरी काण्ड उत्तर-प्रदेश का है, स्थानीय स्तर पर कानून और व्यवस्था को बनाये रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन और राज्य-शासन की होती है। यद्यपि स्वंय मोदी और भाजपा के नेताओं ने दादरी काण्ड की कड़ी निंदा की है। सम्मान बापिसकर्ताओं को उत्तर-प्रदेश मे जातिगत राजनीति से उत्पन्न आतंक व अपराध बढ़ने के कारण और अपराधों के प्रेरकों पर चर्चा करने मे भय लगता है। 

इस दिशा मे उनकी संवेदनशीलता क्यांे प्रकट नही होती है ? इतनी भी हिम्मत नही कर सके कि उ.प्र. मे बढ़ रहे अपराधों पर चर्चा भी करते। सम्मान बापिसी के कारण की दूसरी घटना दिनांक 12 अक्टूबर 2015 को मुम्बई मे शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने सुधीन्द्र कुलकर्णी के मुुंह को काला करने की बताते हैं। इस घटना के पीछे का कारण पाकिस्तान के पूर्व विदेश मन्त्री खुर्शीद कसूरी की किताब का विमोचन होना शिवसेनिकों को गवंारा नही था। गौर करना होगा कि पाकिस्तान के मुद्दे पर, चाहे क्रिकेट मैच हो या गुलाम अली का गायन, शिवसेना का विरोध होता ही रहता है। इस घटना की घोर निंदा महाराष्ट्र के मुख्यमन्त्री देवेन्द्र फड़नवीस ने की थी। इस घटना मे भाजपा के कार्यकर्ताआंे की कोई भूमिका नही रही है। 

गत समय स्वंय को इतिहासकार होने का क्लेम करने वाले इरफान हबीब ने दो बाते अत्यन्त आपत्तिजनक कही हैं, प्रथमतः राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ व आई.एस.आई.एस. मे कोई खास अन्तर नही है। द्वितीयतः स्वतन्त्रता संग्राम आन्दोलन मे आर.एस.एस. ने क्यों भाग नही लिया। इरफान हबीब साहब, आप अपना यह मत एक मात्र इसी कारण व्यक्त कर रहे हैं कि भारत मे लोकतन्त्र है और  राष्ट्रीय-स्वयं-सेवक-संघ जैसे शान्तिप्रिय व राष्ट्रवादी संगठन का वृहद रूप मे फैलाव है जिसकेे सायें मे प्रजातन्त्र सुरक्षित हैं। इरफान हबीब साहब, यदि हिम्मत है तो आई.एस.-आई.एस. वाले क्षेत्र मे जा कर इस आंतकवादी संगठन के खिलाफ कुछ बोल कर दिखाओ। इरफान हबीव मे यदि हिम्मत है तो आंतकवादियों के खिलाफ पाकिस्तान मे जा कर आतंकवादियों के विरूद्ध कुछ  कहें। तब उन्हे पता चलेगा कि संघ और आई.एस.-आई.एस. मे क्या अन्तर है। 

सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की गुदगुदी मे रहते हुये भारत ही एक ऐसा स्थान है, जहां पूर्वाग्रह व राजनीति से प्रेरित हो कर साहित्य जगत के कथित सम्मानित बुद्विजीवी खुल कर प्रधानमन्त्री को गालियां देते हैं। इरफान हबीब साहब जैसे अनेकों कथित आधुनिकतावादियों को ज्ञात होना चाहिये कि संघ एक सामाजिक एवं राष्ट्रवादी चिन्तन का संगठन है। संघ का एक ही धर्म है, ‘‘राष्ट्रवाद’’ संघ की एक ही जाति है, ‘‘राष्ट्रीयता’’ संघ की एक ही सोच है कि जो ‘‘भारत माता’’ को अपनी मां, भारत की धरती को अपनी जन्म भूमि, कर्म भूमि व मातृ भूमि मानते हैं, वे राष्ट्रवादी विचारधारा के हैं और इसके विपरीत जो रहते तो भारत मे हैं, भारत का हवा पानी अन्न ग्रहण करते हैं और अन्दर ही अन्दर से राष्ट्र बिरोधी गति विधियों मे लिप्त है, उन्हे भारत के हितैशी नही माना जा सकता।
इरफान हबीब साहब जैसे इतिहास के अल्पज्ञानियों को यह ज्ञात नही है कि स्वतन्त्रता संग्राम आन्दोेलन मे संघ की महात्वपूर्ण भूमिका थी। संघ के प्रथम सर-संघचालक डाॅ. हेडगेवार जन्म से ही देश-भक्त थे। विदेशी सत्ता का विरोध व चरित्र निर्माण के लिये उन्होंने नव-युवकों  में देश-भक्ति का बीजारोपण करने के उद्देश्य से संघ की स्थापना की थी । महात्मा गान्धी के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के फलस्वरूप सन् 1921 में जब डाॅ. हैडगेवार जेल में थे तो उनके मन में स्वतन्त्रता प्राप्ति के उद्देश्य से एक ऐसे देश-व्यापि अभेद्य संगठन की रचना का बिचार आया था, जो दुर्बलताओं से मुक्त हो। उस समय कांग्रेस, स्वतन्त्रता संग्राम आन्दोलन का एक मंच था। डाॅ. हेडगेवार ने स्वराज आन्दोलन में भाग लिया था और उन्होने ने ब्रिटिश न्यायाधीश के समक्ष अपना जो कथन दिया था, उसकी प्रतिक्रिया में न्यायाधीश ने उन पर ‘ब्रिटिश शासन का राजद्रोही’ की टिप्पणीं की थी तथा सन् 1921 में एक वर्ष के कठोर कारावास के लिए जेल भेजा था। संघ की स्थापना के पांच वर्ष बाद सन् 1930 में डाॅ. हैडगेवार के साथ संघ के स्वयं सेवक भी सत्याग्रह में शामिल हुये थे और जेल गए थे। तत्समय संघ के प्रत्येक स्वयं सेवक को शपथ लेनी होती थी कि वह हिन्दू राष्ट्र की स्वतन्त्रता  के लिये कार्य करेगा । जब कांगे्रस ने सन् 1930 के लाहौर अधिवेशन मे ‘पूर्ण-स्वराज’ की घोषणंा की थी तब डाॅ. हेडगेवार ने संघ की सभी शाखाओं को निर्देश दिये थे कि सभी स्वयं सेवक कांगे्रस पार्टी को ‘पूर्ण-स्वराज’ के प्रस्ताव पर वधाई संदेश भेजें।


     

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राजेन्द्र तिवारी, अभिभाषक, दतिया
फोन- 07522-238333, 9425116738
rajendra.rt.tiwari@gmail.com
नोट:- लेखक एक वरिष्ठ अभिभाषक एवं राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक विषयों के समालोचक हैं।

टीबी, मलेरिया, डेंगू और काला अजार के नियंत्रण के लिए शोध में निवेश

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टीबी, मलेरिया, डेंगू और काला अजार के प्रभावकारी नियंत्रण और अंतत: उन्मूलन के लिए शोध कार्य में, जापान के ग्लोबल हेल्थ इनोवेटिव टेक्नोलॉजी फण्ड (जीएचआईटी-फण्ड) ने अमरीकी डालर १०.७ मिलियन का निवेश किया है. जीएचआईटी-फण्ड के निदेशक डॉ बीटी स्लिंग्सबी ने सीएनएस को साक्षात्कार में बताया कि जीएचआईटी-फण्ड पिछले ढाई साल से इन रोगों से सम्बंधित शोध कार्य में निवेश कर रहा है. टीबी और मलेरिया की दवाएं बेअसर होती जा रही हैं क्योंकि दवा प्रतिरोधकता बढ़ रही है. उदाहरण के तौर पर, ग्रेटर-मेकोंग सब-रीजन जो दक्षिण पूर्वी एशिया का क्षेत्र है, वहाँ दवा प्रतिरोधक मलेरिया का प्रकोप है. डेंगू का भी प्रकोप बढ़ रहा है. ७० साल बाद जापान में २ साल पहले डेंगू महामारी फैली थी. इन रोगों से निजात पाने के लिए आवश्यक है कि हमारे पास अधिक प्रभावकारी जांच, वैक्सीन और दवाएं हों, इसीलिए हम इस क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं.

मलेरिया
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनुसार, २१४ मिलियन लोगों को पिछले साल मलेरिया हुआ और ४३८,००० लोग मृत हुए. जीएचआईटी-फण्ड के डॉ स्लिंग्सबी ने कहा कि यदि हम ऐसी दवाओं पर नहीं शोध कर रहे हैं जो दवा प्रतिरोधक मलेरिया पर भी कारगर हों, तो एक तरह से हम समस्या बढ़ा ही रहे हैं. जीएचआईटी-फण्ड ने आर्थिक सहयोग के जरिये ताकेदा फार्मा, मेडिसिन्स फॉर मलेरिया वेंचर (एमएमवी), और मेलबोर्न विश्वविद्यालय को शोध करने में मदद की है कि ऐसे विकल्प तैयार हों जो दवा प्रतिरोधक मलेरिया पर भी कारगर हों.यह शोधकर्ता मलेरिया कीटाणु के कोशिकाओं में 'प्रोटियेसम'गतिविधि पर रोक लगाने वाली दवा खोज रहे हैं. ऐसी दवा कैंसर उपचार में भी उपयोग होती है. यदि 'प्रोटियेसम'गतिविधि पर रोक लगेगी तो मलेरिया कीटाणु मृत हो जायेगा.

त्वचीय और अंतर काला अजार
अंतर काला अजार पर तो फिर भी कुछ कार्य हुआ है और निवेश हुआ है, पर त्वचीय काला अजार पर नगण्य कार्य हुआ है. काला अजार से विश्व में २ मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हैं, और इस रोग में बड़ी पीड़ा होती है, विकृतियाँ होती हैं, त्वचा में अलसर बन जाते हैं और प्रमुख अंग भी प्रभावित हो सकते हैं, और यदि इसका उपचार न हो तो यह (अंतर काला अजार) घातक भी हो सकती है. इसीलिए जीएचआईटी-फण्ड ने काला अजार सम्बंधित शोध में अमरीकी डालर १.८३ मिलियन का निवेश किया है. ऑहियो विश्वविद्यालय, नागासाकी विश्वविद्यालय और म्च्गिल्ल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इस शोध पर कार्य करेंगे. दोनों प्रकार के काला अजार के लिए वैक्सीन बनाने पर शोध होगा.

डेंगू
डेंगू महामारी के रूप में विश्व भर में फैला हुआ है. ताज्जुब होगा यह जान कर कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास डेंगू सम्बंधित कोई मजबूत आंकड़ें तक नहीं हैं, सिर्फ कुछ शोध के आधार पर अनुमानित रिपोर्ट हैं. डेंगू पर कार्य अतिआवश्यक है जिससे कि इस पर रोक लग सके. जीएचआईटी-फण्ड के डॉ बीटी स्लिंग्सबी ने बताया कि डेंगू पर शोध होना इसलिए भी जरुरी है क्योंकि इसके अनेक प्रकार हैं (सीरो-टाइप) इसीलिए डेंगू के नियंत्रण के लिए एक वैक्सीन बनाना वैज्ञानिक रूप से बड़ी चुनौती है. जीएचआईटी-फण्ड ने अमरीकी डालर ६१२,९०२ का अनुदान यूरोपियन वैक्सीन इनिशिएटिव्, नागासाकी विश्वविद्यालय और इंस्टिट्यूट पस्तुएर को दिया है जिससे कि इस दिशा में शोध हो सके.

टीबी
विश्व में पिछले साल, ९ मिलियन लोगों को टीबी हुई और १.५ मिलियन मृत हुए. वर्त्तमान में सबसे अधिक उपयोग होने वाली टीबी वैक्सीन, बीसीजी वैक्सीन, हालाँकि बच्चों को खतरनाक किस्म की टीबी से बचाती है और कुछ हद तक टीबी से बचाती है, परन्तु इस वैक्सीन से टीबी उन्मूलन नहीं हो सकता क्योंकि इसका प्रभाव सीमित है. जीएचआईटी-फण्ड के डॉ स्लिंग्सबी ने बताया कि इसीलिए जीएचआईटी-फण्ड ने बीसीजी वैक्सीन के साथ उपयोग हो सकने वाला बूस्टर वैक्सीन के शोध में निवेश किया है जिससे कि बीसीजी वैक्सीन का प्रभाव अधिक समय तक रहे. इस शोध के नतीजे अक्टूबर २०१८ तक आने की उम्मीद है. इस बात में कोई संदेह नहीं कि हमें बेहतर और अधिक प्रभावकारी जांचें, वैक्सीन और दवाएं चाहिए जिससे कि इन बीमारियों का नियंत्रण, और उन्मूलन हो सके. परन्तु जो जांच, वैक्सीन और दवा मौजूद हैं उनका उपयोग जिम्मेदारी से होना चाहिए जिससे कि दवा प्रतिरोधकता जैसी चुनौतियाँ हम स्वयं ही न बढ़ाएं.




बाबी रमाकांत, 
सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस)

बिहार में मतगणना के शुरूआती रूझान में महागठबंधन ने बनायी बढ़त

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पटना 08 नवम्बर, बिहार में मतगणना के शुरूआती रूझान में जनता दल यूनाइटेड :जदय: की अगुवाई वाले महागठबंधन ने बढ़त बना ली है, राज्य निर्वाचन कार्यालय के अनुसार मतगणना के पहले चक्र की समाप्ति के बाद राजग ने 11और महागठबंधन ने 15 सीट पर बढ़त बना ली है, वहीं एक सीट पर निर्दलीय आगे है । महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बायसी ,बरौली ,बेलागंज ,चकाई, फतुहा ,गरखा ,जमुई ,नालंदा ,रानीगंज ,साहेबपुरकमाल और संदेश जबकि जनता दल यूनाईटेड (जदयू) अस्थांवा ,बड़हरिया और महाराजगंज और कांग्रेस सिकन्दरा में आगे है । 

वहीं भाजपा ने अरवल ,बगहा,दरौली ,गुरूआ,हाजीपुर ,झाझा ,कसबा,मोतिहारी और तेघड़ा और वजीरगंज तथा सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने शिवहर में बढ़त बनायी है । वाल्मीकिनगर में निर्दलीय प्रत्याशी आगे है ।

पत्रकार से बदसलूकी पर अनुपम खेर ने मांगी माफी

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नयी दिल्ली 08 नवंबर, असहिष्णता के नाम पर पुरस्कार वापसी के विरोध में जनपथ से राष्ट्रपति भवन तक निकाले गये मार्च में शामिल कुछ लोगों द्वारा एक महिला पत्रकार से बदसलूकी किए जाने की घटना पर अभिनेता अनुपम खेर ने आज माफी मांगी। श्री खेर ने घटना पर खेद जताते हुए कहा“ अगर किसी व्यक्ति ने इस तरह की हरकत की है तो यह बहुत ही निंदनीय है और मैं उसकी तरफ से माफी मांगता हूं। ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि जो मार्च सहिष्णुता के लिए निकाला गया है उसमें असहिष्णुता की कोई जगह नहीं है।”

गौरतलब है कि देश में बढ़ती असिहष्णुता का आरोप लगाते हुए 80 से अधिक बुद्धिजीवियों द्वारा पुरस्कार लौटाये जाने के विरोध में श्री खेर के नेतृत्व में सरकार समर्थक लेखकों और कलाकारों ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च किया और राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मिलकर देश की छवि को खराब करने वाली ताकतों के प्रति अपना विरोध दर्ज किया।

मार्च में पद्म विभूषण से सम्मानित प्रख्यात नर्तक बिरजू महाराज, जानेमाने लेखक नरेंद्र कोहली, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर, चर्चित गायक अभिजीत और मशहूर लोक गायिका मालिनी अवस्थी, समाज विज्ञानी मधु किश्वर, फिल्म अभिनेता राजा बुंदेला और अशोक पंडित समेत कई कलाकारों ने भाग लिया। 

बिहारी बाबू की अनुपस्थिति में ‘बाहरी बनाम बिहारी’ की लड़ाई खत्म : शत्रुघ्न

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पटना 08 नवम्बर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा ने बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली प्रखंड जीत को लोकतंत्र और बिहार की जनता की विजय करार दिया है। श्री सिन्हा ने माइक्रो ब्लाॅगिंग साइट ट्विटर पर लिखा , “ यह लोकतंत्र और बिहार की जनता की विजय है। मैं राज्य के लोगों को सलाम करता हॅूं। 

ऐसा प्रतीत होता है कि बिहारी बनाम बाहरी ( बिहारी बाबू की अनुपस्थिति में ) की लड़ाई हमेशा के लिए खत्म हो गयी है। भाजपा नेता ने ट्वीट किया , “ मेरे सभी विजयी दोस्तों को बधाई और अपने लोगों से आत्ममंथन की अपील करता हॅूं। बेहतर भविष्य के लिए पार्टी को तत्काल आत्मचिंतन , बेहतर रणनीति , टीम वर्क और समन्वय की जरूरत है। बिहार के लोगों को एक बार फिर सलाम ।

बिहार के रास्ते पर अागे बढ़ सकती है कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 08 नवंबर,  बिहार में क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर भारतीय जनता पार्टी को धूल चटाने में मिली सफलता से उत्साहित कांग्रेस अपनी मुख्य प्रतिद्वंद्वी को मात देने के लिये अन्य राज्यों में भी इसी रास्ते पर चल सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण के बाद से जीत के लिये तरस रही कांग्रेस के लिये बिहार के चुनाव परिणाम संजीवनी की तरह हैं और इससे निश्चित रुप से उसे भाजपा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरुद्ध अपनी लड़ाई को और तेज करने की ताकत मिलेगी। कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का सपना लेकर चल रहे श्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की बिहार फतह की इच्छा धूल धूसरित होने से पार्टी की खुशी छिपाये नहीं छिप रही है। 

काफी समय के बाद चुनाव परिणाम के दिन कांग्रेस मुख्यालय में जश्न का माहौल दिखा। पार्टी का कहना है कि इस जीत से पूरे देश में कांग्रेस और उसके समर्थकों तथा स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों से जुड़े लोगों का उत्साह बढेगा। पार्टी नेताओं का कहना है कि बिहार ने फिर से रास्ता दिखाया है और देश को टूटने से रोका है। पार्टी का मानना था कि बिहार में यदि श्री मोदी जीतेंगे तो देश में विघटनकारी ताकतें मजबूत होंगी। इसलिये कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार में जनतादल यू और राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर महागठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभायी और पार्टी पूरी ताकत के साथ इसके साथ खड़ी हुयी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार चुनाव को देखते हुये कांग्रेस की चुनावी रणनीति में बदलाव आ सकता है तथा वह अन्य राज्यों में भी भाजपा को मात देने के लिये स्थानीय दलों के साथ हाथ मिला सकती है। 

विश्लेषकों का कहना है कि श्री मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राज्यों में हुये चुनावों पर गौर किया जाये तो साफ है कि भाजपा को उन राज्यों में सफलता मिली जहां उसका कांग्रेस से सीधा मुकाबला था लेकिन अन्य दलों के सामने वह पस्त हो गयी जैसा कि पहले दिल्ली में और अब बिहार में हुआ। पार्टी महासचिव शकील अहमद ने भाजपा को परास्त करने के लिये राज्यों में स्थानीय दलों के साथ गठबंधन करने की संभावना को खारिज नहीं किया लेकिन कहा कि यह राज्य की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। जहां लगेगा कि हम अकेले जीत सकते हैं तो वहां अकेले लड़ेंगे और जहां गठबंधन जरुरी होगा वहां ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी लोकसभा चुनाव के बारे में पहले ही यह बात कह चुकी है। 

विधानसभा चुनावों के बारे में यदि राज्य इकाई गठबंधन के बारे में कहती है तो पार्टी उस पर विचार करेगी। पिछले एक वर्ष में हुये विधानसभा चुनावों में जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र में कांग्रेस ने अपने सहयोगियों से नाता तोड़कर अकेले चुनाव लड़ा और दोनों जगह उसे हार का सामना करना पड़ा। दिल्ली और हरियाणा में भी उसने अकेले चुनाव लड़ा और वहां भी उसे हार का मुंह देखना पड़ा। दिल्ली विधानसभा चुनाव में तो उसका खाता भी नहीं खुल सका।

जीत से गदगद लालू ने मोदी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदाेलन की घोषणा की

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पटना 08 नवम्बर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली प्रचंड जीत को बिहार की जनता की ओर से दीपावली का तोहफा बताते हुए केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने की घोषणा की और कहा कि श्री मोदी सत्ता में बने रहे तो देश टुकड़ों में बंट जायेगा। श्री यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह जीत पिछड़ों , दलितों , गरीबों , मजदूरों और महिलाओं की है। 

उन्होंने कहा कि इन वर्गो ने जिस सपने के साथ महागठबंधन को ऐतिहासिक बहुमत दिया है उनके अरमानों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा जायेगा। एक सवाल के जवाब में श्री यादव ने कहा कि नीतीश कुमार महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे और उन्हीें के नेतृत्व में नई सरकार का गठन होगा। राजद अध्यक्ष ने कहा कि इस जीत के बाद वह जल्द ही देश में प्रधानंमत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जन आंदोलन करेगें जिसे केन्द्र सरकार धराशाई हो जायेगी। 

उन्होंने कहा कि वह लालटेन (राजद का चुनाव चिह्न) को लेकर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जाकर वहां श्री मोदी के विकास को ढुढेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। इससे पूर्व मुख्यमंत्री श्री कुमार ने राजद सुप्रीमों के आवास पर जाकर उन्हें जीत की बधाई दी।

बिहार चुनाव में प्रचंड जीत पर नीतीश को मिलनी शुरु हो गयी हैं ढेरों बधाइयां

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पटना,08 नवम्बर(वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ,गृह मंत्री राजनाथ सिंह,पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली प्रचंड जीत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई दी है। जनता दल(यूनाईटेड)के वरिष्ठ नेता श्री कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी कि प्रधानमंत्री ने उन्हें फोन कर बिहार में महागठबंधन की जीत पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा,‘‘प्रधानमंत्री ने अभी-अभी मुझे फोन किया और बधाई दी।” 

इसके बाद उन्होंने अन्य ट्वीट में लिखा,“सोनिया जी बधाई के लिए धन्यवाद। धन्यवाद ममता जी।अरविंद जी धन्यवाद । मुख्यमंत्री ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को फोन कर उन्हें जन्म दिन की बधाई दी।इस पर श्री आडवाणी ने उन्हें जीत पर मुबारकबाद देेते आशीर्वाद दिया ।भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी श्री कुमार को फोन कर प्रचंडजीत पर बधाई दी। मुख्यमंत्री को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने भी फोन चुनाव में उन्हें भारी जीत पर बधाई दी है । श्री कुमार को भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं केन्द्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने भी फोन कर बधाई दी ।भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दूरभाष पर बधाई दी।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (08 नवम्बर)

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रतलाम लोकसभा उप चुनाव : किसानो से नहीं होगी कर्ज की वसूलीए ब्याज भी सरकार भरेगी 
  • उदयगढ़ में आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री का एलान

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उदयगढ़ध्आलीराजपुर. रविवार को लोकसभा उप चुनाव को लेकर आलीराजपुर जिले के उदयगढ़ में आयोजित जनसभा में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एलान किया कि किसानों को सूखे के संकट से उबारने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास करेगीए उनसे कर्ज की वसूली नहीं होगी और ब्याज की राशि भी सरकार देगी। 

’’फसल खराब हुई हैए जिन्दगी नहीं होने देंगे’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश न होने के कारण किसानों की फसलें खराब हो गई हैं। संकट की घड़ी में सरकार उनके साथ हैए किसानो की जिंदगी खराब नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि किसानों को फसलों के मुआवजा के साथ.साथ फसल बीमा का लाभ भी दिया जाएगा। रबी की फसल के लिए 10 फीसदी राशी जमा करने पर बिजली का ट्रांसफार्मर लगाया जाएगा और किसानों को अस्थाई बिजली कनेक्शन देने का कहा और आगामी तीन वर्षो में स्थाई कनेक्शन तथा किसान के खेत तक पाईप लाईन पंहुचाने का वादा किया।

’’मुख्यमंत्री से पहले परिवार का सदस्य हुं’’ण्
श्री चौहान ने कहा कि किसानों से कर्ज वसूली नहीं होगी। किसान ब्याज की चिंता नहीं करें। ब्याज की राशि सरकार द्वारा भरी जाएगी। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में मनरेगा के कार्य खोले जाएंगेए बेटे.बेटी की शादी भी मामा करवाएंगे। श्री चौहान ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से पहले प्रदेश की सात करोड जनता के परिवार के सदस्य हैं। उन्होने गांव की बेटीए छात्र आवास गृह योजनाए वन अधिकार अधिनियम आदि पर भी अपनी बात रखी और कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार अन्य उपाय भी कर रही है। इन उपायों से किसान खेती के साथ.साथ पशुपालन एवं अन्य व्यवसाय भी कर सकेंगे। उन्होंने किसानों से कम पानी वाली फसलों की खेती करने का सुझाव दिया और कहा कि नौजवान युवक.युवतियों को रोजगार के लिए बैंकों से प्रकरण बनवाए जाएंगे। आरक्षण खत्म नहीं होगा और पुलिस विभाग में महिलाओं के लिए 35 प्रतिषत आरक्षण तय किया जाएगा।

’’दिलीपसिंह के सपनो को पूरा करने के लिए निर्मला को जिताना है’’
श्री चौहान ने रतलाम लोकसभा उप चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार सुश्री निर्मला के लिए वोट अपील करते हुए कहा कि स्वण् दिलीपसिंह भूरिया आदिवासी वर्ग के मसीहा थे। मुख्यमंत्री ने दिलीपसिंह भूरिया के अधूरे सपनोंध्कार्यो को पूरा करने के लिए सुश्री निर्मला भूरिया को भारी मतो से विजय बनाने का उपस्थित जन समुदाय को संकल्प दिलवाया। इसी दौरान उदयगढ़ के काग्रेस समर्थित सरपंच गजराजसिंह मोर्य ने भाजपा की सदस्यता ली। स्वागत भाषण विधायक माधौसिंह डावर ने दियाए इससे पहले लोकसभा की भाजपा प्रत्याशी निर्मला भूरियाए जिले के प्रभारी मंत्री अंतरसिंह आर्यए खरगौन.बडवानी सांसद सुभाष पटेल पटेलए भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष अमरदीपसिंह मोर्यए पूर्व मंत्री महेन्द हार्डियाए राजेन्द्रसिंह गेहलोत आदि ने भी अपनी बात रखी। प्रदेश संगठन मंत्री अरविन्द मेनन सहित संगठन व भाजपा के स्थानीय व जिला पदाधिकारी भी इस दौरान मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन एड्वोकेट कलमसिंह कलेस और आभार भाजपा जिला उपाध्यक्ष राकेश अग्रवाल ने व्यक्त किया। .झ मुख्यमंत्री श्री चैहान हेलीकाप्टर से दोपहर 1ण्50 बजे भाजपा लोकसभा प्रत्याषी निर्मला भूरिया को साथ लेकर उदयगढ़ बायपास स्थित सभा स्थल पर पंहुचे। .झ बडी तादाद में उमडा जनसैलाबए हेलीकाप्टर देखने के लिए बच्चों ने किया घंटेभर तक इंतजार .झ जनसभा में दोनो हाथ उठाकर दिलाया निर्मला बनाम भाजपा को जिताने का संकल्प

भाजपा सरकार ने किया हर वर्ग का उत्थान - केन्द्रीय मंत्री तोमर

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सारंगी---रतलाम झाबुआ संसदीय सीट पर हो रहे उपचुनाव के प्रचार के लिये षनिवार को केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर अपने एक दिवसीय भ्रमण के दौरान पेटलावद विधानसभा के ग्राम सारंगी एवं बामनिया में महती आमसभाओं को संबोधित किया। इस अवसर पर आपके साथ मंधाता ( ओंकारेष्वर ) के विधायक लोकेन्द्रसिंह तोमर, युवा मोर्चा प्रदेष अध्यक्ष अमरदीप मौर्य, कुक्षी के पूर्व विधायक मुकामसिंह किराडे, भाजपा प्रदेष कार्यकारिणी सदस्य दौलत भावसार, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेन्द्रसिंह मोटापाला, मार्केटिंग अध्यक्ष नवीनचंद्र बोडायता, सीसीबी बैंक के पूर्व उपाध्यक्ष भूपेन्द्रसिंह बोडायता सहित कई भाजपा नेता उपस्थित थे। इस अवसर पर महती जनसभा को केन्द्रीय मंत्री तोमर मंधाता विधायक लोकेन्द्रसिंह तोमर, दौलत भावसार, नवीनचंद्र बोडायता, सुरेन्द्रसिंह मोटापाला एवं मुकामसिंह ने संबोधित किया। केन्द्रीय मंत्री श्री तोमर ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेष में 15 साल से भाजपा की सरकार काबिज है और इनने आदिवासी, किसान, मजदूर से लगाकर हर वर्ग के लिये एवं उनके उत्थान के लिये कार्य किया है। आपके क्षैत्र में मुख्यमंत्री षिवराजसिंह चैहान के प्रयासों से माही परियोजना का विस्तार कर नहरों का जल बिछाया जा रहा है जिससे आपका क्षैत्र हरा भरा हो सके। किसानों के लिये मध्यप्रदेष की भाजपा सरकार ने 0 प्रतिषत ब्याज पर लोन उपलब्ध कराने की योजना लागू की है। उसमें संषोधन करते हुए अब यदि किसान सोसायटी से 1 लाख का लोन उठाता है तो साल भर बाद उसे मात्र 90 हजार रूपये ही मूलधन भरना होगा। खेती को बढावा देने के लिये कई महत्वपूर्ण निर्णय प्रदेष सरकार ने लिये है जिसका लाभ सीधे सीधे मध्यप्रदेष के किसानों को मिल रहा है। तोमर ने आगे बोलते हुए कहा कि कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर है कांग्रेस सरकारों में कांग्रेस प्रत्याषी कांतिलाल भूरिया मंत्री रहे है परंतु मंत्री रहते संसदीय क्षैत्र के लिये कोई महत्वपूर्ण काम नही किया है। सोनिया एवं राहुल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज सम्पूर्ण देष में कांग्रेस मुददाविहीन हो गई है कांग्रेस के नेता झूठ एवं दुश्प्रचार का सहारा लेकर भाजपा सरकार व संगठन को बदनाम करने में लगे है। कार्यक्रम में स्वागत भाशण नवीनचंद्र बोडायता ने दिया। इस अवसर पर बडी संख्या में आदिवासी, किसान, महिला एवं ग्रामवासी उपस्थित थे। उक्त जानकारी भाजपा जिला मीडिया प्रभारी राजेन्द्र सोनी ने दी।

ढेढ लाख की अवेघ शराब जप्त अरोपी फरार

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पेटलावद--- कलेक्टर के निर्देश आबकारी विभाग ने  आज छापामार करवही करते हुए पेटलावद थाने के अर्तगत कुडियापाडा गांव के केलाश वसुनिया के निवास से करिब ढेढ लाख रुपए मुल्य की 75 पेटी अवेघ शराब बरामद कर आबकारी अधिनियम के तहत कारवाही की हे प्राप्त जानकारी के अनुसार कलेक्टर को यहा अवेघ भण्डारण की सुचना मिलि थी जिस पर यह कारवाही की गई हे फिलहाल आरेपी फरार बताया जाता हे।

‘‘गाय गोहरी’’ की परंपरा को भाजपा द्वारा छीने जाने की कोशिश से आदिवासियों में आक्रोश
  • भाजपा आदिवासियों के जीवन में दखलंदाजी बंद करेः कांग्रेस

झाबुआ---रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा की सांसे फूलने लगी है और उसकी हिम्मत मतदान के एक पखवाड़े के पहले ही जवाब देने लगी है। इसके अलावा प्रदेश मंे भाजपा की सरकार के बड़े-बड़े दावों और मुख्यमंत्री द्वारा की गई आसमान छूती घोषणाओं पर से भी शायद विश्वास उठ गया है। इसी का नतीजा है कि वह संसदीय क्षेत्र के आदिवासियों की परंपराओं में घुसपैठ कर भोले-भाले आदिवासियों को गुमराह कर उनके वोट हासिल करने के कुचक्र चला रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी नेता भूरसिंह अजनार, गंगाबाई, रतनसिंह भाबर, फौजदारसिंह, सुलोचना रावत, मानसिंह मेड़ा, जामसिंह डामोर, महेश पटेल, राजेन्द्र पटेल, मार्था डामोर, अनरी चैहान, कलावती गेहलोत, लक्ष्मीदेवी खराड़ी, प्रभुदयाल गेहलोद, वालसिंह मेड़ा, जेवियर मेड़ा, वीरसिंह भूरिया, रूपसिंह डामोर तथा माना भाई बड़वा, कांतिलाल बारिया आदि ने भाजपा को चेतावनी दी है कि वह आदिवासियों की संस्कृति में किसी प्रकार की दखलंदाजी करने की कोशिश न करे अन्यथा उसको आदिवासी समाज के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस के वरिष्ठ आदिवासी नेताओं ने आज जारी बयान में कहा कि खरीफ की फसल आने पर दीपावली के अवसर पर आदिवासी लोग गाय गोहरी का पर्व मनाते हैं, जिसके अंतर्गत आदिवासी लोग अपनी गायों के सिंग रंगते हैं और उनको सजाकर पूजा करते है। यह आदिवासियों की एक पूरानी परंपरा है। भाजपा आदिवासियों के वोट लेने के लिए अपने खर्च पर आदिवासियों की गायों के सींग रंगने-रंगाने का अभियान पूरे संसदीय क्षेत्र में चला रही है। भाजपा के इस कृत्य से आदिवासियों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है और ऐसा मान रहें है कि भाजपा अपने राजनीतिक स्वार्थ को पूरा करने के लिए उनकी परंपरा की राजनीति करवा रही है। आदिवासी नेताओं ने आगे कहा कि आदिवासी भोले जरूर हैं, लेकिन उनको अपनी संस्कृति और जीवन पद्धति को बनाये रखने और अपने पर्व-त्योहारों को अपनी ही परंपरा के अनुसार मनाने में बाहरी संगठन अथवा समुदाय की दया अथवा सहायता की जरूरत नहीं है। यदि भाजपा ने सींग पोतने का यह ‘‘चुनावी गौरखधंधा’’ तत्काल बंद नहीं किया तो आदिवासी उसका कड़ा विरोध करेंगे।

बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की ऐतिहासिक जीत पर भूरिया ने दी बधाई

झाबुआ---पूर्व केन्द्रीय मंत्री, आदिवासी नेता लोकसभा उपुचनाव के कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की ऐतिहासिक जीत पर अपनी ओर से हार्दिक बधाई दी है और कहा कि जनता के साथ विश्वासघात करने वालों की ऐसी ही दुर्गति होती है। श्रीभूरिया ने महागठबंधन की इस अभूतपूर्व जीत पर कांग्रेस की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालुप्रसाद यादव को सफल रणनीति बनाने के लिए एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अहंकार को नसीहत दी है। श्री भूरिया ने आगे कहा कि बिहार विधानसभा के परिणामों ने भाजपा के पतन की शुरूआत कर दी है साथ ही आने वाले रतलाम-झाबुआ संसदीय उपचुनाव में भी भाजपा की पराजय को निश्चित कर दिया है। कांग्रेस नेता ने आगे कहा है कि मध्यप्रदेश के घोषणावीर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान भाजपा के लिए प्रचार करने बिहार गये थे और वहां अपनी सभाओं में उन्होने खुब झुठ कहा। चैहान ने बिहार प्रचार में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि मध्यप्रदेश के किसानों को 1200 रूपये प्रति वर्ष के भुगतान पर भरपूर बिजली दी जा रही है जबकि वस्तुस्थिति यह है कि ना तो किसानों को पर्याप्त बिजली मिल रही है वरन उन्हे हजारों रूपयों में बिल थमाए जा रहें है। भाजपा को इन तथाकथित नेताओं के द्वारा झूठ बोल कर जनता को गुमराह करने का परिणाम भाजपा की करारी हार के रूप में झेलना पड़ा है। बिहार चुनाव में महागठबंधन की इस ऐतिहासिक विजय पर गोपाल कालौनी स्थित कार्यालय पर कांग्रेस पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने जमकर आतिशबाजी की तथा एक-दूसरे को बिहार में महागठबंधन की जीत की मिठाई खिलाकर बधाई दी। इस अवसर पर चुनाव संचालक शांतिलाल पडियार, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ठा. जोरावर सिंह, प्रकाश राका, यतीन्द्र शर्मा, आलोक भटट, विनय भाबर, जिला कांग्रेस प्रवक्ता हर्ष भटट, आचार्य नामदेव, जितेन्द्र प्रसाद अग्निहोत्री, राजेश भटट, मुकेश बैरागी, प्रकाश बामनिया, गजेन्द्र चैहान, विकास भाबर, आदि उपस्थित थे। झाबुआ में युवा कांग्रेस द्वारा भी स्थानीय राजवाड़ा चैक पर जमकर आतिशबाजी की गई तथा संसदीय क्षेत्र के अन्य क्षेत्रों में भी कांग्रेसजनों द्वारा आतिशबाजी कर जश्न मनाया।

नरेन्द्र सिंह तौमर अपना प्रमाण पत्र भाजपाई नेताओं को दें अन्य नेताआंे को नहीं

 झाबुआ---रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में बामनिया की सभा में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर द्वारा स्व. दिलीप सिंह भूरिया एवं उनकी बेटी निर्मला भूरिया भाजपा प्रत्याशी को ईमानदारी का प्रमाण पत्र देते हुए कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के विरूद्व आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर कडे शब्दों मे निंदा करते हुए जिला कांग्रेस कमेटी झाबुआ के अध्यक्ष निर्मल मेहता, चुनाव संचालक शांतिलाल पडियार, जिला कांगे्रस कार्यवाहक अध्यक्ष सुश्री कलावती भूरिया, वरिष्ठ अभिभाषक ठा. जोरावर सिंह, राजेन्द्र प्रसाद अग्निहोत्री, यतिन्द्र शर्मा, जितेन्द्र प्रसाद अग्निहोत्री, प्रवक्ता हर्ष भटट, आचार्य नामदेव कांग्रेस नेता हेमचंद्र डामोर, आशीष भूरिया आदि ने पलटवार करते हुए कहा कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया का 40 वर्ष का राजनीतिक जीवन बेदाग रहा है। तोमर तो अभी केन्द्रीय मंत्री बने है परंतु भूरिया जी कई वर्षों पूर्व केन्द्र में राज्यमंत्री तथा केन्द्रीय मंत्री के रूप में काम कर चुके है और इन्होने अपनी सनिष्ठता पर जरा भी आंच नही आने दी है। भूरिया को तोमर के प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। यदि वे प्रमाण पत्र देने को उतावल हो रहें है तो भाजपा नेताओं को दे जो कि व्यापम जैसे घोटाले में पूरी तरह से लिप्त है तथा आज भी खुले आम घुम रहंे है। कांग्रेस नेताओ ने सख्त लहजे में कहा है कि कांतिलाल भूरिया विधायक के साथ-साथ 4 बार सांसद के रूप में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनके आचरण पर आज तक किसी ने उंगली उठाने की हिम्मत नहीं की है। तोमर द्वारा भूरिया जी पर टिप्पणी करना लाखो मतदाताओं का अपमान करना है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि दरअसल चंबल में रेत माफिया की ढाल के बतौर काम करने के लिए चर्चित नरेन्द्रसिंह तोमर को खुद अपने क्षेत्र की जनता से अपनी करनी का प्रमाण पत्र जारी कराना चाहिए। वे यह भी बताएं कि 2014 का लोकसभा चुनाव उन्होने मुरेना कि बजाए ग्वालियर से क्यों लड़ा था ? और उनके मंत्रालय में सारा काम राजा हरिशचंद्र की नीति में हो रहा है ? 

कल्पना भूरिया के नेतृत्व में महिलाएं आज रामा व पारा में करेंगी कांग्रेस प्रत्याशी का चुनाव प्रचार

झाबुआ---महिला नेत्री कल्पना भूरिया के नेतृत्व में महिलाएॅ आज पारा एवं रामा में कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के पक्ष मे अपना चुनाव प्रचार करेंगी। वे प्रातः 11 बजे पारा पहुंचेगी तथा वहां पर कांग्रेस पदाधिकारियों एवं महिला कार्यकर्ताओं से मिलेगी तथा एक रेली के रूप में ढोल-ढमाकों के साथ नगर के विभिन्न वार्डों में घर-घर जाकर अपना सघन चुनाव प्रचार करेगी तत्पश्चात वे रामा ब्लाॅक के कालीेदवी में जाकर अपना चुनाव प्रचार करेंगी। ब्लाॅक महिला कांग्रेस अध्यक्ष शारदा अमरसिंह, जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष प्रकाश राका, रूपसिंह डामोर, पूर्व विधायक वालसिंह मेडा, ब्लाॅक कांग्रेस अध्यक्ष रामा केमता डामोर, फतेहसिंह भाबर कालीदेवी, जिला महामंत्री सलेल पठान, राकेश कटारा, खेमजी भूरिया, बहादूर अम्लियार, अमर सिंह भूरिया, आदि ने इस रैली में अधिक से अधिक महिलाओं एवं कार्यकर्ताओं को सम्मिलित कर रैली को सफल बनाने की अपील की है।

इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों एवं मतदान दलो का द्वितीय रेन्डमाईजेशन संपन्न

झाबुआ---लोकसभा उप निर्वाचन-2015 के लिए प्रयुक्त होने वाली इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों का द्वितीय रेण्डमाईजेशन आज 08 नवम्बर को कलेक्टर कार्यालय के सभा कक्ष में कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डाॅ अरूणा गुप्ता, प्रेक्षक श्री अमित कुमार, सीईओ जिला पंचायत श्री अर्जुनसिंह डावर एवं निर्वाचन लडने वाले अभ्यर्थियों राजनीतिक दल प्रतिनिधि तथा प्राधिकृत प्रतिनिधि की उपस्थिति में किया गया। एवं मतदान दलों का द्वितीय रेण्डमाईजेशन एनआईसी कक्ष में कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डाॅ अरूणा गुप्ता, प्रेक्षक श्री अमित कुमार, सीईओ जिला पंचायत श्री अर्जुनसिंह डावर एवं जिला सूचना एवं विज्ञान अधिकारी श्री कन्नौज की उपस्थिति में किया गया।

लोकसभा उप निर्वाचन हेतु 1800-233-1292 टोल फ्री नम्बर जारी

झाबुआ---लोकसभा उप निर्वाचन 2015 में निर्वाचन कार्य हेतु जिला पंजीयक कार्यालय में कन्ट्रोल रूम स्थापित किया गया है। कन्ट्रोल रूम में 1800-233-1292 टोल फ्री नम्बर स्थापित कराया गया है। जिले के समस्त नागरिकों को निर्वाचन संबंधी कोई भी शिकायत/जानकारियाॅ प्राप्त करना हो, तो उक्त टोल फ्री नम्बर से प्राप्त या प्रदाय कर सकते है।

5 नवम्बर को आबकारी विभाग ने 7050 मूल्य की शराब जप्त की

झाबुआ---लोकसभा उप निर्वाचन-2015 के दौरान अवैध मंदिरा पर प्रभावी नियंत्रण हेतु जिले में गठित आबकारी उडनदस्ता के कार्यपालिक स्टाफ द्वारा 5 नवम्बर 2015 को जिले में 06 छापे डाले गये तथा उक्त छापों में कुल 06 प्रकरण कायम किये गये। उक्त प्रकरणो में 44 लीटर देशी, विदेशी व हाथ भट्टी शराब जप्त की गई, जिसका अनुमानित बाजार मूल्य रूपये 7050/- है।

मेरिट कम मीन्स एवं राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा संपन्न
  • कलेक्टर डाॅ. अरूणा गुप्ता ने देखी व्यवस्थाएॅ
  • दो पर्यवेक्षको को कारण बताओं सूचना पत्र जारी

झाबुआ---जिले में मेरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति एवं राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा आज 8 नवम्बर को 21 परीक्ष केन्द्रो पर संपन्न हुई। कलेक्टर डाॅ. अरूणा गुप्ता ने परीक्षा केन्द्र की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। राष्ट्रीय मेंरिट कम मीन्स परीक्षा में जिले के 7 हजार 245 तथा राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा में 2 हजार 759 प्रतिभागियों ने परीक्षा दी। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्रीमती शकुन्तला डामोर ने मेघनगर, थांदला एवं परवलिया के परीक्षा केन्द्रो का निरीक्षण किया। परीक्षा केन्द्र मेघनगर में बालक उत्कृष्ट विद्यालय में परीक्षा के लिए नियुक्त पर्यवेक्षक श्री सतीश पाटीदार एवं श्रीमती शकुन्तला शाह को कार्य पर अनुपस्थित पाये जाने पर नोटिस जारी किया गया।

 अवैध शराब के दो प्रकरण दो आरोपि गिरफ्तार अवैध शराब जप्त 

झाबुआ---थाना थांदला की पुलिस टीम द्वारा आरोपी बबलु पिता सीफीया बारीया, उम्र 45 वर्ष, निवासी सजेली के कब्जे से 22 पाव प्लेन देशी दुबारा शराब कीमती 880/- रूपये की जप्त की गई। प्रकरण में थाना थांदला में अपराध क्रमांक 345/15, धारा 34-ए आब. एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। थाना कोतवाली झाबुआ की पुलिस टीम द्वारा आरोपी कोदरिया पिता मानसिंह मेडा, उम्र 32 वर्ष, निवासी धावलिया के कब्जे से 24 पाव प्लेन देशी दुबारा शराब व 08 बीयर व 8 क्वाटर अंग्रेजी शराब कीमती 2480 रूपये की जप्त की गई। प्रकरण में थाना कोतवाली में अपराध क्रमांक 685/15, धारा 34-ए आब. एक्ट का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

स्थाई वारंटी गिरफ्तार

झाबुआ--पुलिस अधीक्षक जिला संजय तिवारी ने बताया कि स्थाई वारंटी राजदेव पिता पुनमचंद पटलिया, उम्र 22 वर्ष, निवासी सरदारपुर जिला धार, जो कि फौ0मु0नं0 385/2015, धारा 279,337,304-ए भादवि में फरार चल रहा था, को थाना कोतवाली झाबुआ की पुलिस टीम द्वारा गिरफतार किया गया। पुलिस अधीक्षक ने उक्त स्थाई वारंटी की गिरफ्तारी पर पुलिस टीम को बधाई दी है एवं पुरूस्कृत किये जाने की घोषणा की है।

 अधिक शराब पीने से मोत

झाबुआ---फरियादी पातलिया पिता भीमा भील, उम्र 55 वर्ष निवासी जांम्बुखेडा ने बताया कि जोगडिया पिता केरू मेडा, उम्र 50 वर्ष निवासी नटकिया वडली की अधिक शराब पीने से मृत्यु हो गयी। प्रकरण में थाना राणापुर में मर्ग क्रमांक 50/15, धारा 174 जा.फौ का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

नरेन्द्र मोदी की केन्द्र सरकार इस हार से सबक लेगी : भाकपा

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पटना, 08 नवम्बर। इस चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की करारी हार हई है। इस चुनाव परिणाम से स्पष्ट हो गया है कि बिहार की जनता ने भाजपा द्वारा चलाये गये भड़काऊ, गैर जरूरी भावनात्मक एवं असहिष्णुता फैलाने वाले चुनाव अभियान को पसंद नहीं किया। इस के साथ ही केन्द्र सरकार की जनविरोधी आर्थिक नीतियों के कारण दाल, प्याज आदि जैसी उपभोक्ता वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों के खिलाफ भी जनता ने एनडीए के खिलाफ वोट दिया। हम आषा करते हैं कि संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी की केन्द्र सरकार इस हार से सबक लेगी और अपनी नीतियों में बदलाव लायेगी। 
जदयू, राजद और कांग्रेस को भी अपनी इस जीत पर इतराना नहीं चाहिए। क्योंकि उनकी यह जीत उनकी लोकप्रियता के कारण नहीं है, बल्कि भाजपा की नीतियों के खिलाफ नकारात्मक जनादेष है। नीतीष कुमार के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार राज्य की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगी और वर्षों से लंबित जनसमस्यओं, बेरोजगारी, राज्य का औद्योगिकरण, कृषि में सुधार, बिजली-पानी संकट, भूमि सुधार, बेघरों को घर, आवासीय भूमि, महिलाओं, दलितों एवं अन्य कमजोर वर्गों पर हो रहे उत्पीड़न और अत्याचार पर रोक तथा व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अपराध पर अंकुष आदि का समाधान करने की दिषा में ठोस कदम उठायेगी, ऐसी हम आषा करते हैं। 

हमें यह जरूर खेद है कि वामपंथ को इस चुनाव में अपेक्षा के अनुसार सफलता नहीं मिली फिर भी जनता के फैसले का हम सम्मान करते हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अन्य वामदलों के साथ एकता बनाकर जनता की समस्याओं को लेकर अपना संघर्ष जारी रखेगी तथा नई राज्य सरकार के काम-काज पर पूरी नजर रखेगी ताकि राज्य सरकार जनता का अहित करने वाली नीतियों और कार्यक्रमों को लागू नहीं करने पाये। 

बिहार चुनाव : भाकपा-माले की हुई पुनर्वापसी, 3 सीटों पर जीत

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  • भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति को धूल चटाने के लिए बिहार की जनता का क्रांतिकारी अभिनंदन
  • भाजपा के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश के कारण महागठबंधन को मोहलत मिली, 
  • बिहार में वामपंथी राजनीति को मिलेगी नई धार, वाम एकता को मजबूत करते हुए जनता के संघर्षों को किया जाएगा तेज

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पटना 8 नवंबर 2015, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति को धूल चटाने के लिए बिहार की जनता के प्रति पूरे पार्टी परिवार की ओर से क्रांतिकारी अभिनंदन किया है. उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम मोदी सरकार के खिलाफ पनप रहे आक्रोश का खुला प्रदर्शन है. प्रधानमंत्री मोदी के 17 महीनों का कार्यकाल पूरे देश की जनता के लिए बेहद बुरे दिन साबित हुये हैं. जनता के जरूरी सवालों को दबाकर भाजपा ने सांप्रदायिक-भड़काऊ राजनीति के जरिए चुनाव को सांप्रदायिक दिशा देने की कोशिश की थी, लेकिन वामपंथी-लोकतांत्रिक आंदोलनों की भूमि बिहार में भाजपा की एक न चली और जनता ने उनकी चाल कोे पूरी तरह खारिज कर दिया है.

उन्होंने कहा कि विगत लोकसभा चुनाव में जिन उम्मीदों के साथ देश की जनता ने मोदी की सरकार बनाई थी, उन उम्मीदों का पूरी तरह गला घोंट दिया गया है. आज देश में महंगाई की मार और बढ़ गयी है, भ्रष्टाचार का दायरा व्यापक हो गया है, पूरा देश डर व भय के माहौल में जी रहा है. साहित्यकार, इतिहासकार, संस्कृतिकर्मी सबके सब इस सरकार के खिलाफ प्रतिरोध में उतरे हुए हैं. इसलिए बिहार विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की निगाह थी. चुनाव परिणाम ने पूरे देश को आश्वस्त किया है कि इस देश में असहिष्णुता, सांप्रदायिक उन्माद और काॅरपोरेटपरस्ती की राजनीति नहीं चलने वाली है. 

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के खिलाफ आक्रोश इतना तीखा था कि महागठबंधन को मोहलत मिल गयी है. बिहार की जनता के दिल में विकास की गहरी चाहत है, भूमि सुधार, गरीबों के वास-आवास के लिए जमीन, शिक्षा, सम्मानजनक रोजगार, स्वास्थ्य, न्याय आदि प्रश्नों पर बिहार की जनता लंबे समय से संघर्षरत है. पिछले 25 वर्षों  बिहार में लालू प्रसाद-नीतीश कुमार की ही सरकार है, लेकिन ये उम्मीदें अभी तक पूरी नहीं हुई है. हम उम्मीद करते हैं कि नई सरकार जनता के इन प्रश्नों पर गंभीरता से काम करेगी.

उन्होंने आगे कहा कि बिहार की जनता ने बिहार विधानसभा में संघर्ष की आवाज को मजबूत किया है. भाकपा-माले ने बलरामपुर, तरारी व दरौली में जीत हासिल करते हुए अपनी  पुनर्वापसी की है. यह जीत अपने हक-अधिकार के लिए संघर्षरत बिहार के गरीबों-दलितों-अल्पसंख्यकों, मजदूर-किसानों, महिलाओं और छात्र-नौजवानों की जीत है. यह बिहार में वामपंथी राजनीति को नई धार देने वाली साबित होगी. बिहार के वाम दलों ने इस चुनाव में एकताबद्ध होकर जनता के एजेंडे पर जबरदस्त तरीके से चुनाव अभियान को संचालित किया और चुनाव को वामपंथी दिशा देने का प्रयास किया. भाकपा-माले इस जीत के लिए बिहार की वाम कतारों का भी क्रांतिकारी अभिनंदन करती है. भाकपा-माले वाम एकता और मजबूत करेगी और जनता के मुद्दों को न सिर्फ विधानसभा के भीतर मजबूती से उठाएगी बल्कि सड़कों पर भी एकताबद्ध वाम आंदेालन को तेज करेगी.

बिहार के चुनाव का राष्ट्रीय स्तर पर पड़ेगा प्रभाव :नीतीश कुमार

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बिहार विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह बिहार की भावना और स्वाभिमान की जीत है। नीतीश ने कहा कि बिहार के लोगों ने इस चुनाव में महागठबंधन को जीताने का पहले ही मन बना लिया था। जद-यू, राजद और कांग्रेस की साझा प्रेस कांफ्रेंस में नीतीश ने रविवार को कहा, 'मैं इस जीत के लिए बिहार के मतदाताओं को धन्यवाद देता हूं। हमें सभी वर्गों का समर्थन मिला है। सभी तबके ने महागठबंधन को समर्थन किया है। हम मिलजुलकर एक सकारात्मक सोच के साथ काम करेंगे। किसी के प्रति दुर्भावना नहीं रखेंगे। हम विपक्ष का सम्मान करेंगे। इस चुनाव पर देश भर की निगाहें टिकी हुई थीं।'

बिहार के नतीजों का राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य के भी मायने हैं। देश को एक सशक्त विपक्ष की जरूरत है। राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में बिहार की भूमिका है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा, 'इतना शानदार ढंग से जनादेश देने के लिए मैं बिहार के सभी वर्गों के समक्ष नतमस्तक हूं। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनेगी। हम अब केंद्र की सरकार के लिए चुनौती पेश करेंगे। इस जीत के बाद हम दिल्ली पर चढ़ाई करेंगे। सबसे पहले हम बनारस में जाएंगे। बिहार को लेकर हम कोई समझौता नहीं करने वाले हैं।'

लालू ने कहा, 'बिहार में जीत पर पीएम मोदी ने नीतीश को बधाई दी है। यह अच्छा शिष्टाचार है लेकिन उन्होंने बधाई दिल से दी है कि नहीं, यह पता नहीं। इस चुनाव का दूरगामी परिणाम होगा।'जदयू नेता ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग द्वारा आक्रामक प्रचार किये जाने और चुनाव में ध्रुवीकरण के प्रयासों के बावजूद लोगों ने जो भारी जनादेश दिया है, इससे पता चलता है कि सभी वर्ग के लोगों की उनसे कुछ अपेक्षाएं हैं और उन्हें पूरा करने के लिए वह अपनी तरफ से भरपूर प्रयास करेंगे।

लगातार तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने जा रहे नीतीश कुमार ने यह कहते हुए केंद्र में मजबूत विपक्ष के लिए गैर भाजपाई दलों को एकसाथ आने का सुझाव दिया कि बिहार चुनाव का राष्ट्रीय महत्व है और अब जरूरी हो गया है कि वे एक मजबूत विकल्प देने के लिए साथ काम करें। उनके साथ राजद प्रमुख लालू प्रसाद और बिहार कांग्रेस प्रमुख अशोक चौधरी भी थे।

कुमार ने कहा ‘बिहार चुनाव के नतीजों का राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि देश भर की निगाहें इस पर टिकी थी। परिणाम से यह स्पष्ट हो गया है कि लोग राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत विपक्ष और मजबूत विकल्प चाहते हैं।’ कुमार ने कहा ‘बहुत आक्रामक अभियान चलाया गया (भाजपा द्वारा) और एक खास तरह का माहौल बनाने की कोशिश की गयी। लोगों ने उसे खारिज कर दिया, ध्रुवीकरण के प्रयासों को अस्वीकार कर दिया और अपनी राय बता दी। यह भारी जनादेश है और विनम्रता के साथ हम सबको इसकी उम्मीद थी।’ उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों के सहयोग के बिना इतनी बड़ी जीत मुमकिन नहीं थी।

कुमार ने कहा कि नयी सरकार के गठन की प्रक्रिया के तहत जल्द ही महागठबंधन में शामिल दलों के विधायकों की अलग से और एकसाथ बैठक होगी। नयी सरकार की प्राथमकिताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनके संयुक्त घोषणा पत्र में इनका उल्लेख पहले ही किया जा चुका है और समावेशी विकास की अपनी दृष्टि पर बल दिया।

प्रसिद्ध पत्रकार बबन प्रसाद मिश्र का निधन

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रायपुर 08 नवम्बर, छत्तीसगढ के जाने माने पत्रकार एवं साहित्यकार बबन प्रसाद मिश्र का यहां दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे। श्री मिश्र काे कल शाम उस समय हृदयाघात हुआ जब वह विश्व संवाद केंद्र की ओर से आयोजित ‘साहित्य एवं समाज’ विषय पर आयोजित एक सेमीनार में थे। उन्हें तत्काल एक निजी अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर देवेन्द्र नगर मुक्तिधाम में किया गया। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने श्री मिश्र के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

16 जनवरी 1938 को अविभाजित मध्य प्रदेश के बालाघाट में जन्मे श्री मिश्र ने 1962 में हिन्दी दैनिक ‘युगधर्म’ में सहायक संपादक के रूप में अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ में प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में उन्होंने चार दशक तक अपनी सेवायें दी। वह रायपुर से प्रकाशित ‘युगधर्म ’ और ‘नवभारत’ समाचारपत्र में संपादक रहे। उन्होंने छत्तीसगढ साहित्य परिषद की स्थापना की थी और छत्तीसगढ सांसकृतिक विकास परिषद के अध्यक्ष रहे। राज्य सरकार ने वर्ष 2005 में हिन्दी साहित्य में योगदान के लिये उन्हें पंडित सुंदरलाल शर्मा साहित्यिक पुरस्कार से नवाजा था।

बिहार को पैकेज का एक -एक पैसा दिया जाएगा : राजनाथ

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नयी दिल्ली 08 नवंबर, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन की जीत पर बधाई देते हुए आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राज्य के लिए घोषित पैकेज देने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यहां कहा कि श्री मोदी ने बिहार के लिए जो पैकेज घोषित किया था, उसके एक - एक शब्द का पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के विकास का हमारा सपना तभी पूरा होगा जब राज्यों का विकास होगा। श्री मोदी ने विधानसभा चुनावों से पहले बिहार के लिए 125 करोड रुपए का आर्थिक पैकेज घोषित किया था।

श्री सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार बिहार के लोगों के जनादेश का पूरा सम्मान करती है। उन्होंने महागठबंधन की जीत के लिए श्री कुमार अौर राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव काे बधाई दी और उम्मीद जताई कि नयी सरकार के नेतृत्व में बिहार विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनावों में विजय के लिए जनता दल यूनाईटेड के अध्यक्ष शरद यादव को भी बधाई दी। 

विपक्षी दलों ने बिहार के नतीजों को मोदी की हार बताया

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नयी दिल्ली 08 नवम्बर, कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों ने बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन की जीत को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों और भारतीय जनता पार्टी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा की हार करार दिया है जबकि भाजपा ने कहा है कि इस हार के लिए किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। 

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन की जीत को अहंकार पर विनम्रता की विजय बताते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ खिलाफ राज्य की जनता का फैसला है। उन्होंने कहा, “यह विभाजनकारी शक्तियों पर एकता की, अहंकार पर विनम्रता की, नफरत पर प्यार की जीत है।” श्री गांधी ने कहा कि बिहार में महागठबंधन की जीत में श्री मोदी के लिए एक संदेश है। यह जीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के विरुद्ध नहीं है बल्कि श्री मोदी, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ है। उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि हिन्दू को मुसलमान से लड़ाकर चुनाव नहीं जीते जा सकते। भाजपा ने अपनी हार स्वीकार करते हुए कहा कि इसके लिए श्री मोदी या किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा कि इन चुनावों में पार्टी की हार की व्यापक समीक्षा की जायेगी। यह पूछे जाने पर क्या इस हार की जिम्मेदारी श्री मोदी के ऊपर है श्री माधव ने कहा कि हार या जीत के लिए किसी एक को जिम्मेदार ठहराने की प्रथा हमारी पार्टी में नहीं है। हार के कई कारण हो सकते हैं। समीक्षा करने के बाद पार्टी खामियों को दूर करने का प्रयास करेगी।

जदयू के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि भाजपा ने अनेक हथकंडे अपनाये लेकिन बिहार की जनता फिर भी महागठबंधन के साथ रही। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन की जीत को राज्य के लोगों और उनके स्वाभिमान की जीत बताते हुए कहा कि इससे लगता है कि देश के लोग सशक्त विकल्प और विपक्ष चाहते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बहाने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा और इन नतीजों को नफरत करने वालों के गाल पर तमाचा करार दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को विदेश घूमना छोड़कर सरकार चलाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। 

केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा कि बिहार में हार के लिये प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदारी लेनी चाहिये। शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि इस चुनाव में श्री नीतीश कुमार राजनीति के महानायक बनकर उभरे हैं और यह चुनाव देश की राजनीति को ‘नयी दिशा’ देगा। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने श्री नीतीश कुमार को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने चुनाव से पहले बिहार के लिए आर्थिक पैकेज का जो वादा किया था, वह हर कीमत पर पूरा किया जाएगा। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि उनकी पार्टी जनादेश का सम्मान करती है और उम्मीद जताई कि नयी सरकार बिहार को विकास के पथ पर ले जायेगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि बिहार के नतीजे सहिष्णुता की जीत और असहिष्णुता की हार है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि बिहार में जुमलों की हार और विकास की सरकार बनी है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पत्नी के पासपोर्ट का आवेदन लौटाया

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अहमदाबाद, 08 नवंबर, गुजरात में पासपोर्ट जारी करने वाले क्षेत्रीय कार्यालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ विवाह के बाद से ही अलग रह रही उनकी पत्नी जशोदाबेन के पासपोर्ट के आवेदन को यह कह कर लौटा दिया है कि इसके साथ विवाह का प्रमाण पत्र अथवा संयुक्त हलफनामा नहीं होने के कारण यह अपूर्ण है। क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी जेड ए खान ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि नियमों के मुताबिक उक्त दस्तावेज आवेदन के साथ होने चाहिए। 

श्रीमती जशोदाबेन, जो एक सेवानिवृत्त शिक्षिका हैं और अपने भाई अशोक मोदी के साथ उत्तर गुजरात के महेसाणा जिले के एक कस्बे में रहती हैं, ने विदेश में रहने वाले अपने रिश्तेदारो से मुलाकात के लिए पासपोर्ट का अावेदन दिया था। श्री अशोक मोदी ने भी पासपोर्ट के आवेदन को लौटाये जाने की पुष्टि की और कहा कि अब इस मामले में कानूनी विकल्पों पर गौर किया जाएगा। श्री मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन के साथ दिये अपने हलफनामे में पत्नी के स्थान पर जशोदाबेन का नाम लिखा था। 
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