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बिहार विशेष : भाई-बहन के सात्विक स्नेह का प्रतीक है सामा-चकेवा

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पटना 24 नवम्बर, भाई -बहन के प्यार का प्रतीक लोक पर्व सामा-चकेवा को लेकर पूरे मिथिलांचल में उत्सव जैसा माहौल है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तिथि सप्तमी से पूर्णिमा तक चलने वाले इस नौ दिवसीय लोकपर्व सामा-चकेवा में भाई-बहन के सात्विक स्नेह की की गंगा निरंतर प्रवाहित हो रही है जो कार्तिक पूर्णिंमा के साथ ही खत्म हो जायेगी सामा-चकेवा सिर्फ भाई-बहन की नहीं बल्कि पर्यावरण से संबद्ध भी माना जाता है। यह लोकपर्व छठ के दिन से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा तक मनाया जाता है। इस लोकपर्व के दौरान पिछले एक सप्ताह से शाम ढ़लते ही बहने अपने-अपने डाला में सामा चकेवा को सजा कर सार्वजनिक स्थान पर बैठ कर गीत गा रही है। छठ के सुबह के अर्घ्य खत्म होते ही गांव की सड़कों पर लोकगीत ‘सामा खेलबई हे ...’ के महिलाओं द्वारा स्वर सुनाई पड़ने के साथ बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान के एक अनोखे पर्व का आगाज़ हो जाता है। भले ही पाश्चात्य संस्कृति के आक्रमण से देश-गांव अछूता नहीं है, फिर भी लोक-आस्था और लोकाचार की प्राचीन परंपरा से जुड़े भाई-बहनों के बीच स्नेह का लोकपर्व सामा-चकेवा मिथिलांचल में आज भी काफ़ी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। 

सामा-चकेवा के पौराणिक गीतों के बोल सामूहिक रूप से मिथिलांचल की परंपरा को जीवंत बनाते हैं। सप्तमी को छठ गीत के थमते ही और शाम होते ही गांव की फ़िज़ां सामा-चकेवा के गीतों से गुलज़ार हो जाती है। चूल्हा-चौका के बाद गांव की लड़कियां रात में चौराहे पर जुटकर सामा-चकेवा के गीत .... “सामचक-सामचक अइया हे .... ” ... गाना शुरु कर देती हैं। साथ ही शुरु होता है विवाहित महिलाओं द्वारा जट-जटिन का खेल। बहनें अपनी पारंपरिक वेशभूषा में लालटेन के प्रकाश में गाती दिखती हैं। कितना मनोरम दृष्य होता है! जहां एक ओर भाई-बहन के स्नेह की अटूट डोर है, वहीं दूसरी तरफ़ ननद-भौजाई की हंसी-ठिठोली भी कम नहीं। इस पर्व की एक बड़ी रोचक परंपरा है। पर्व के दौरान भाई-बहन के बीच दूरी पैदा करने वाले चुगला-चुगली को सामा खेलने के दौरान जलाने की परंपरा है। इसका मकसद बड़ा ही प्यारा है। चुगला-चुगली तो प्रतीक हैं – उद्देश्य तो है सामाजिक बुराइयों का नाश। इस पर्व के दौरान बहन अपने भाई के दीर्घ जीवन एवं सम्पन्नता की मंगल कामना करती है। सामा, चकेवा के अलावा डिहुली, चुगला, भरिया खड़लिस, मिठाई वाली, खंजन चिरैया, भभरा वनततीर झाकी कुत्ता ढोलकिया तथा वृन्दावन आदि की मिट्टी की मूर्ति का प्रयोग होता है। पौराणिकता और लौकिकता के आधार पर यह लोक पर्व न तो किसी जाति विशेष का पर्व है और न ही मिथिला के क्षेत्र विशेष का ही। यह पर्व हिमालय की तलहट्टी से लेकर गंगातट तक और चंपारण से लेकर पश्चिम बंगाल के मालदा-दीनाजपुर तक मनाया जाता है। दीनाजपुर मालदाह में बंगला भाषी महिलाएं भी सामा-चकेवा के मैथिली गीत ही गाती हैं। जबकि चंपारण में भोजपुरी मिश्रित मैथिली गीत गाए जाते हैं। नौ दिवसीय इस पर्व का कल यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन भले ही समापन हो जायेगा लेकिन बहनों के लिए अपने भाई के प्रति प्रेम की धारा पूरे साल अविरल बहती रहेगी। 

दक्षिण का औरंगजेब था टीपू सुल्तान : पांचजन्य

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नयी दिल्ली, 24 नवंबर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ ने मैसूर रियासत के शासक टीपू सुल्तान को ‘दक्षिण का औरंगजेब’ बताते हुए एक लेख में कहा है कि उसने एक ही दिन 700 ब्राह्मणों को फांसी पर लटकाया था और लाखों हिन्दुओं तथा ईसाइयों को जबरन मुसलमान बनाया था। लेख में लिखा गया है कि हाल में कर्नाटक सरकार ने टीपू जयंती मनाकर टीपू के विवाद को खत्म करने के बजाय बढ़ा दिया है। उसके पीछे कर्नाटक सरकार की मंशा मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करना था। टीपू का जन्मदिन 20 नवंबर को पड़ता है, लेकिन सरकार ने टीपू की जयंती 10 नवंबर को छोटी दीवाली के दिन मनाने का फैसला किया। दरअसल, यह वह दिन है जिस दिन टीपू ने 700 मेलकोट आयंगार ब्राह्मणों को फांसी पर चढ़ाया था। 

पांचजन्य का कहना है कि केवल हिन्दू ही नहीं, ईसाइयों ने भी टीपू जयंती का विरोध किया था। ईसाई नेता अल्बान मेनेजेस ने कहा कि टीपू ने 1784 में मंगलौर के मिलेग्रेस चर्च को तहस-नहस कर दिया था। टीपू ने अंग्रेजों के लिए जासूसी के शक में 60 हजार कैथोलिकों को बंदी भी बना लिया था और उन्हें मैसूर तक पैदल चलने के लिए मजबूर किया था, जिस वजह से चार हजार कैथोलिकों की मौत हो गई थी। लेख में कहा गया है कि कर्नाटक के अलावा केरल और तमिलनाडु भी लोग टीपू के अत्याचारों का शिकार बने। मैसूर सल्तनत पर टीपू का शासन सन् 1782 से 1799 तक रहा और इस दौरान अंग्रेजों द्वारा शासित तमिलनाडु पर उसने कई बार चढ़ाई की थी। टीपू दुश्मन सेना के पकड़े गए सभी सैनिकों का धर्म परिवर्तन करवाकर अपनी सेना में शामिल करता था। इसके अलावा उसके समय बड़ी संख्या में आम तमिलों को भी मुसलमान बनाया गया। 

लेख के मुताबिक टीपू ने केरल के मालाबार क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराया था और इसकी पुष्टि खुद उसके लिखे पत्रों से होती है। उन्नीस जनवरी, 1790 को बुरदुज जमाउन खान को एक पत्र में टीपू ने लिखा है, “क्या आपको पता है कि हाल में मैंने मालाबार पर एक बड़ी जीत दर्ज की है और चार लाख से ज्यादा हिन्दुओं से इस्लाम कबूल कराया।”  उन्नीसवीं सदी में ब्रिटिश सरकार में अधिकारी रहे लेखक विलियम लोगान की किताब 'मालाबार मैनुअल'का हवाला देते हुए लेख में कहा गया है कि कैसे टीपू ने अपने 30,000 सैनिकों के दल के साथ कालीकट में तबाही मचाई थी। टीपू हाथी पर सवार था और उसके पीछे उसकी विशाल सेना चल रही थी। पुरुषों और महिलाओं को सरेआम फांसी दी गई। उनके बच्चों को उन्हीं के गले में बांध पर लटकाया गया। 

लेख में कहा गया है कि टीपू ने अपने राज्य में लगभग पांच लाख हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाया। हजारों की संख्या में कत्ल कराए। टीपू के शब्दों में, “यदि सारी दुनिया भी मुझे मिल जाए, तब भी मैं हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने से नहीं रुकूंगा।” साल 1964 में प्रकाशित किताब ‘लाइफ ऑफ टीपू सुल्तान’ का जिक्र भी जरूरी है। इसमें लिखा गया है कि उसने तब मालाबार क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा हिन्दुओं और 70,000 से ज्यादा ईसाइयों को मुसलमान मत अपनाने के लिए मजबूर किया। 

अनूप चेतिया को भी शांति प्रक्रिया में शामिल करे सरकार : उल्फा

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नयी दिल्ली 24 नवम्बर, पूर्वोत्तर में सक्रिय उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असमन (उल्फा) ने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया है कि हाल में बंगलादेश द्वारा सौंपे गये अनूप चेतिया को भी शांति प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि उनके बिना वार्ता अधूरी रहेगी। केन्द्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि की अध्यक्षता में आज यहां असम सरकार के प्रतिनिधियों और उल्फा नेताओं की बैठक हुई, जिसमें वार्ता प्रक्रिया की प्रगति की समीक्षा की गई। बैठक में उल्फा नेताओं ने अपनी यह मांग रखी । श्री महर्षि ने सरकार के प्रतिनिधियों से उल्फा नेताओं की मांग पर विचार करने को भी कहा। उल्फा नेताओं ने अनूप चेतिया को बंगलादेश से स्वदेश लाने में सरकार द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना की । उल्फा नेता अरविंद राजखोवा ने बैठक के बाद कहा कि यदि अनूप चेतिया को बातचीत में शामिल नहीं किया जाता है तो इसका परिणाम नहीं निकलेगा।

गृह मंत्रालय की विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह वार्ता सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और यह सहमति बनी कि वार्ता प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए जल्दी ही अगली बैठक की जायेगी। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने भी बातचीत में सकारात्मक परिणाम निकलने की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा है कि सरकार कई संगठनों से बात कर रही है और इसके अच्छे परिणाम निकलेंगे। अनूप चेतिया को हाल में बंगलादेश ने भारत को सौंपा था और उसके बाद से ही वह गुवाहाटी की जेल में बंद है। समीक्षा बैठक में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों , उल्फा नेता राजखोवा, सरकार के प्रतिनिधि पी सी हलदर, वी के पिपरसेनिया और असम सरकार के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। 

विधायक किसी भी स्तर पर गलती नहीं करे : लालू यादव

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पटना 24 नवम्बर, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने आज पार्टी के विधायकों को सचेत किया कि वे किसी भी स्तर पर गलती नहीं करे क्योंकि विरोधी चतुर एवं चालक है और इसी इंतजार में है । श्री यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के घटक राजद को मिली सफलता के बाद पहली बार यहां पार्टी के प्रदेश कार्यालय में विधायक , विधान पार्षद , सांसद , पूर्व सांसद , पूर्व विधायक और जिलाध्यक्षों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि इस बार के चुनाव में पिछड़े , अति पिछड़े , दलित , महादलित , महिलाओं और सभी वर्ग के गरीब लोगों ने महागठबंधन के उम्मीदवारों को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभायी है । चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवारों को प्रचंड बहुमत मिला है और इसी का नतीजा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ । राजद अध्यक्ष ने पार्टी के विधायकों को किसी तरह की गलती नहीं करने की नसीहत देते हुए कहा कि विपक्षी काफी चतुर एवं चालाक है और महागठबंधन के विधायकों की गलती करने के इंतजार में है । इस मूल मंत्र को पार्टी के सभी विधायकों को ध्यान में रखने की जरूरत है । उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार के गठन होने के साथ ही यह चर्चा होने लगी कि कुछ ही दिनों की यह सरकार है । 

श्री यादव ने कहा कि इस तरह की बात कौन लोग कह रहे है यह किसी से छुपा हुआ नही है । यह भी कहा गया कि मंत्रियों के विभाग के बटवारे को लेकर खींचतान होगी लेकिन इस तरह से सब निर्णय लिया गया कि एक भी बात किसी को मालूम नही हो सका । उन्होंने भरोसा दिलाया और कहा कि लोगों ने जो प्रचंड बहुमत दिया है उस पर वह मुख्यमंत्री श्री कुमार के नेतृत्व में आगे बढेंगे । राजद अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में विकास के लिये महागठबंधन की सरकार पूरी तरह से वचनबद्ध है और इसके लिये सभी उपाय किये जायेंगे । लोक नायक जायप्रकाश नारायण ने सम्पूर्ण क्रांति का नारा दिया था और इसे पूरा करने के लिये वंचित लोगों को मुख्य धारा में लाना जरूरी है । उन्होंने कहा कि न्याय के साथ विकास एवं सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर सरकार काम कर रही है । श्री यादव ने कहा कि जिन लोगों ने महागठबंधन को जनादेश दिया है अब उनकी सामूहिक जिम्मेवारी बनती है कि सरकार को बेहतर ढंग से चालने में अपना योगदान दें । यदि गरीबों का हिस्सा कहीं मारा जा रहा है तो इसकी तत्काल शिकायत करनी चाहिए और इससे एक व्यक्ति जहां नाराज होगा वहीं पांच हजार लोग खुश होंगे । उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों की जिम्मेवारी अब और बढ गयी है । 

राजद अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से सूर्य की रौशनी सभी पर समान रूप से पड़ती है ठीक उसी तरह से प्रदेश का विकास होगा । चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के तमाम प्रपंच को लोगों ने विफल कर दिया । उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान लोगों को भ्रम में डालने के लिये गौ मांस और आरक्षण को समाप्त करने जैसे कई मुद्दे उठाये गये । प्रदेश के लोगों ने इन बातों पर ध्यान न देकर महागठबंधन के पक्ष में बहुमत दिया है । श्री यादव ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता शिक्षा , चिकित्सा , बिजली , स्वच्छ पेयजल और रोजगार है । इसी तरह विधि-व्यवस्था बनाये रखने के लिये पुलिस को पूरी छूट रहेगी । उन्होंने कहा कि अन्याय अब बर्दास्त नहीं किया जायेगा और यदि किसी के साथ इस तरह की कोई बात होती है तो वह सीधे उनसे मिलकर शिकायत कर सकता है । सबको इंसाफ मिले इसकी पूरी व्यवस्था की गयी है । राजद अध्यक्ष ने कहा कि बिहार की हकमारी कभी भी बर्दास्त नहीं की जायेगी और यदि हक नही मिला तो आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया जायेगा । अब अगली चढाई दिल्ली की है । उन्होंने कहा कि चुनाव में लोगों ने दिल्ली पर विजय के लिये भी जनादेश दिया है । श्री यादव ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 17 जनवरी को होगा और इसके लिये पार्टी का सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है । पूर्व सांसद जगदानंद सिंह को केन्द्रीय चुनाव अधिकारी बनाया गया है । उन्होंने कहा कि 15 दिसम्बर से प्रत्येक जिला इकाई का संगठानात्मक चुनाव होगा । 

कांग्रेस ने की आमिर के बयान की तारीफ

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नयी दिल्ली, 24 नवंबर, कांग्रेस ने ‘असहिष्णुता’ पर मशहूर अभिनेता आमिर खान के बयान की तारीफ करते हुए आज आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपने आलोचकों को ‘देशद्रोही तथा राष्ट्र विरोधी’ करार दे रही है। प्रमुख विपक्षी दल ने कहा कि बाॅलीवुड अभिनेता ने असहिष्णुता पर जो बयान दिया है, वह देश की जनता की भावनाओं को प्रतिबिम्बत करता है और इस तरह के बयान क्यों आ रहे हैं इसके कारणों की पड़ताल करने की बजाए सरकार आलोचकों पर हमला कर रही है। 

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आमिर के बयान को सही ठहराते हुए कहा “सरकार और मोदीजी पर सवाल उठाने वालों को देशद्रोही ठहराने के बजाय सरकार को ऐसे लोगों की व्यथा समझनी चाहिये। देश में समस्या सुलझाने का यही तरीका है न कि डराना, धमकाना।” कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि असहिष्णुता को सहन करना कायरता है। कम से कम भाजपा सहिष्णु बनकर कलाकारों, विचारकों तथा वैज्ञानिकों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार करे। 

राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा कि देश में कई मुद्दे हैं जिन पर गैरराजनीतिक लोगों ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोग कोशिश कर रहे है कि सत्ता से बाहर के लोगों को डरा -धमका कर रखा जाए। पार्टी महासचिव शकील अहमद ने कहा कि आमिर खान के बयान को लेकर लोग उन्हें कोस रहे हैं, देश में बढ़ती असहिष्णुता का यह सबसे अच्छा उदाहरण हैं। 

झारखंड में अवैध खनन रोकने का आदेश

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रांची 24 नवम्बर, झारखंड के मुख्यमंत्री के सचिव सुनील बर्णवाल ने कोडरमा के उपायुक्त की निगरानी में कोडरमा में हो रहे अवैध उत्खनन को रोकने के लिए तीन विभागों की टीम गठित करने का निदेश दिया है। श्री बर्णवाल ने आज यहां इस मामले की जांच का जिम्मेदारी उपायुक्त को सौंपते हुए कहा कि खानए वन एवं पुलिस विभाग की एक संयुक्त टीम गठित कर पूरे प्रकरण की जांच की जाए और अवैध खनन तत्काल रोकने के लिए फौरन टीम भेजी जाये। उन्हें शिकायत मिली थी कि झुमरी तिलैया के आसपास के क्षेत्र डोमचांचए ढ़ाव आदि में ब्लू मोतीए पत्थर  और अभ्रक का अवैध उत्खनन किया जा रहा हैए जहां 15 दिन पूर्व चार व्यक्तियों की मौत हो गयी थी। खनन विभाग कोडरमा अब तक 220 मुकदमे दर्ज कर चुका हैए जिसके तहत 431 लोगों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए भी मामला लंबित है। सचिव ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई करने का निदेश दिया। 

श्री बर्णवाल आज यहां मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में आए मामलों की समीक्षा कर रहे थे।सिंचाई विभाग चांडिल से सहायक अभियंता के पद से 30 जून 2015 को सेवानिवृत्त हुए नंदलाल मंडल को पेंशन और सेवानिवृत्ति का लाभ नहीं मिलने के मामले पर श्री बर्णवाल ने कहा कि विभागीय स्थापना शाखा की यह जिम्मेवारी बनती है कि कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की तिथि से दो.तीन माह पूर्व ही सभी कागजात अद्यतनन कर लिये जायें। उन्होंने इस मामले में विभाग के जिम्मेदार अधिकारी से शो.कॉज पूछने का आदेश दिया। श्री बर्णवाल ने कहा कि सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के साथ ही पेंशन तथा अन्य लंबित राशि ;ग्रेच्युटी का भुगतान शुरू हो जाना चाहिए। इसमें किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। अगर कोई आरोप है या विभागीय कार्यवाही चल रही हो तो यह स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिएए ताकि किसी के साथ नाइंसाफी न हो। 

उन्होंने साहिबगंज में इसी वर्ष 13 फरवरी को शंकर यादव की हत्या कर मुफस्सिल थाना के बगल में स्थित रेलवे लाइन पर शव फेंक दिये जाने से जुड़े मामले की भी समीक्षा की । जिले के पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले में अभियुक्तों का नाम ज्ञात नहीं है। अतः मामला अनुसंधान के अंतर्गत है। इस पर मुख्यमंत्री के सचिव ने पूछा कि क्या 9 महीने किसी अनुसंधान के लिए काफी नहीं हैंघ् उन्होंने अति शीघ्र इस मामले का पटाक्षेप करने का निर्देश दिया। समीक्षा बैठक में रामगढ़, पलामू,गढ़वा और गिरिडीह के चार गांवों में ट्रांसफार्मर के जले होने या किसी अन्य वजह से बिजली की आपूर्ति नहीं किये जाने की शिकायत आयी। सभी शिकायतों पर बिजली वितरण निगम लिमिटेड को यथाशीघ्र कार्रवाई का निर्देश दिया गया। इसके अलावा बोकारो से दीपक कुमार के बकाया वेतन भुगतान , देवघर से भूमि अधिग्रहण के बाद मुआवजा भुगतान, धनबाद में जल मीनार से पानी की आपूर्ति करने, गुमला से सुकान्ति देवी के भूमि विवाद, पूर्वी सिंहभूम से पंचायत भवन के निर्माण, हजारीबाग से ईंट बनाने की फैक्ट्री में मजदूर की मौत, खूंटी से एक महिला के विधवा पेंशन, लातेहार से दो कर्मियों की सेवा समाप्ति और रांची से राशन वितरण में गड़बड़ी से जुड़े मामलों की समीक्षा की गयी। कई मामलों का निष्पादन होने की सूचना भी जिलों से दी गयी, जबकि कुछ लंबित मामलों में यथा शीघ्र कार्रवाई का निर्देश दिया गया। 

बिहार के बाद अब देश में पुनर्वापसी कर रही कांग्रेस : चौधरी

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पटना, 24 नवम्बर, बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और राज्य के शिक्षा मंत्री डा0 अशोक चौधरी ने मध्य प्रदेश के रतलाम-झाबुआ लोकसभा उप चुनाव में कांग्रेस की जीत पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद देश में पार्टी की पुनर्वापसी जारी है । श्री चौधरी ने आज यहां कहा कि इस जीत के लिये राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी बधाई के पात्र है । उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता से मँहगाई पर नियंत्रण लगाने, भ्रष्टाचार खत्म करने, सत्ता में आने के 100 दिनों के अन्दर कालाधन वापस लाने और प्रत्येक वर्ष दो करोड़ युवाओं के लिये रोजगार का सृजन करने सहित कई लोक लुभावन वायदे किये थे, लेकिन डेढ़ वर्ष से केन्द्र में सत्ता में रहने के बावजूद प्रधानमंत्री ने एक भी वायदे पूरे नहीं किये । 

कांग्रेस नेता ने कहा कि बिहार की जनता के साथ, देश की जनता भी अब उनके झूठे इरादों से परिचित हो गई है। मँहगाई का आलम यह है कि दाल, प्याज एवं खाद्य तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी को कांग्रेस मुक्त भारत बनाने की बातें कहना शोभा नहीं देता है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि गुजरात के पंचायत चुनावों के परिणाम भी कांग्रेस के पक्ष में ही होगी । 

भारत का लोहा मानने लगी है दुनिया: नरेंद्र मोदी

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सिंगापुर 24 नवंबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को विकास की नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाने का संकल्प दोहराते हुए आज कहा कि पिछले कुछ समय में उठाये गये कदमों के कारण दुनिया अब भारत का लोहा मानने लगी है और उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहती है। श्री मोदी ने यहां भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सिर्फ अपने पांच हजार साल के पराक्रम का गुणगान करके हम आगे नहीं बढ़ सकते। हमें पिछली पीढ़ियों के पराक्रम से प्रेरणा लेकर अपने वर्तमान को उज्ज्वल बनाने और भविष्य की मजबूत नींव रखने के लिए पुरुषार्थ करना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया अब बदल रही है और भारत को भी दुनिया के साथ कदमताल करना होगा। आज दुनिया का समृद्ध से समृद्ध देश भी अकेले नहीं चल सकता। दुनिया के विभिन्न देशों के साथ रिश्ते बढ़ाने के लिए किए गये अपनी सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सिर्फ चार देशों से दोस्ती बनाने से अब काम नहीं चल सकता। भारत को दुनिया में अपनी जगह बनानी है तो विभिन्न देशों के साथ अपने संबंधों को ताजगी देनी होगी। अब भारत का वक्त बदला है और दुनिया का हर देश भारत के साथ भागीदारी करना चाहता है। दुनिया आज भारत को एक बाजार के रूप में नहीं देखती है। उसकी सोच अब बदल चुकी है।

श्री मोदी ने कहा कि हमें अपने आपको कोसने की प्रवृत्ति छोड़नी होगी तभी दुनिया हमारा सम्मान करेगी। उन्होंने कहा कि हम लंदन के शेयर बाजार में पहली बार रेलवे रुपी बाॅड लेकर आ रहे हैं। यह दुनिया में भारत के प्रति विश्वास पैदा करने से संभव हुआ है। इसे भारत की आर्थिक क्षमता की मिसाल बताते हुए उन्होंने कहा कि हर भारतीय को इसे गौरव के रूप में देखना चाहिये। उन्होंने कहा कि पिछले 18 महीनों में कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने हमारे साथ यूरेनियम आपूर्ति के लिए समझौते किये हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यूरेनियम सिर्फ पैसों से नहीं खरीदा जा सकता है बल्कि इसके लिए दुनिया का आप पर भरोसा भी होना जरूरी है। देश को विकास की नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए विदेशी निवेश की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के लिए इस समय एक अवसर है। उनकी सरकार ने इसके लिए रेलवे में शत प्रतिशत, रक्षा क्षेत्र में 49 प्रतिशत और अहम प्रौद्योगिकी के साथ शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का रास्ता खोला है। रक्षा क्षेत्र में भारी आयात का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा,“ आजादी के 70 साल बाद भी हर चीज हम आयात करें यह उचित नहीं है। देश के सवा सौ करोड़ लोग क्या इन्हें खुद नहीं बना सकते।” 

उन्होंने कहा,“ हम रोने के लिए आंसू गैस भी बाहर से लाते हैं। इस स्थिति को बदलने की जरूरत है और इसीलिये विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है।” अपनी सरकार द्वारा पारदर्शिता बरते जाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ माह में कई रक्षा सौदे किये गये हैं लेकिन एक पर भी उंगली नहीं उठी है। उन्होंने कहा कि अगर आप समर्पण के साथ अपने सपने पूरा करने के लिए काम करते हैं तो सिद्धि आपके चरण चूमने के लिए तैयार रहती है। सिद्धि के लिए तपस्या करनी पड़ती है। सिंगापुर की समृद्धि का उदाहरण देते हुए श्री मोदी ने कहा कि मछुआरों का एक गांव आज दुनिया का एक समृद्ध देश बन गया है और हमें उससे भी सीखने की जरूरत है। सिंगापुर में और दुनिया के अन्य देशों में बसे भारतीयों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वे जहां भी गये वहां के लोगों को अपना बना लिया। 

शो मस्ट गो ऑन ---- संभावना सेठ

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शो मस्ट गो ऑन यह एक बहुत ही लोकप्रिय कहावत है और अभिनेत्री संभावना सेठ इसमें पूरी तरह से विश्वास करती हैं। पिछले 20 दिनों से ब्रोंकाइटिस और अस्थमा से पीड़ित होने के बाद वे अस्पताल में भर्ती होने के कगार पर थीं लेकिन उन्होंने एक अवार्ड शो के लिए अपनी रिहर्सल  तथा नागपुर में एक कॉलेज में पर्फॉर्मेंस के कारण इसके लिए मना कर दिया... संभावना के कार्य की हर किसी ने प्रशंसा की तथा उन्हें सोशल मीडिया पर शीघ्र स्वस्थ होने की अनगिनत शुभकामनाएं भी प्राप्त हुईं। 

संभावना ने भोजपुरी अवार्ड्स कार्यक्रम में पर्फॉर्मेंस करने का प्रबंध किया और इसके बाद सीधे नागपुर के लिए प्रस्थान किया। उन्हें फिल्म लाड़ला...के लिए सर्वश्रेष्ठ आइटम नंबर हेतु अवार्ड दिया गया और उन्होंने शो में पर्फॉर्मेंस भी दी लेकिन जब वे अपनी पर्फॉर्मेंस कर रही थी, बीच में ही, बारिश शुरू हो गयी लेकिन संभावना ने अपने संपूर्ण कार्यक्रम को संपन्न किया। लेकिन एक ही चीज ने उन्हें परेशान कर दिया कि उद्योग में उनके समकालीन कलाकार अपनी ट्रॉफी नहीं प्राप्त कर पाए और न ही अपनी पर्फॉर्मेंस दे पाए क्योंकि भारी बारिश के कारण आयोजकों ने कार्यक्रम को समाप्त करने के निर्णय लिया था ।

संभावना सेठ :- मैं काफी पहले से शो को करने के लिए प्रतिबद्ध थी और चाहे मेरा स्वास्थ्य हो या कोई अन्य कारण हो, मैं सदैव अपनी प्रतिबद्धता- चाहे वह पेशेवर हो या निजी हो उसको पूरा करने में विश्वास करती हूं, मैं दृढ़ता से मानती हूं कि यह वह चीज है जो किसी व्यक्ति को आगे उन्नति के मार्ग पर ले जाती है।

निर्देशक पैन नलिन ,शाहरुख़ खान के लिए रखेंगे विशेष स्क्रीनिंग

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फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस'के निर्देशक पैन नलिन अपनी फिल्म शाहरुख़ को दिखाना चाहते थे जिसके लिए वो विशेष तैयारियां कर रहे हैं। अपनी पहली फिल्म'संसारा'बनाने से काफी अरसे पहले पैन नलिन ने शाहरुख़ खान पर डाक्यूमेंट्री बनाई थी। फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे'के सुपर हिट होने के बाद शाहरुख़ खान भारत के सुपरस्टार बन चुके थे। जब पैन नलिन को फ्रांस के कैनाल प्लस द्वारा सिनेमा के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष में डॉक्यूमेंट्री बनाने को कहा गया था।  उसी समय पैन नलिन ने शाहरुख़ पर छोटी से डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई थी। इन सब के अलावा शाहरुख़ ही पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हे पैन सबसे पहले अपनी फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' ट्रेलर दिखाया था। ट्रेलर देख शाहरुख़ काफी प्रसन्न थे और उन्होंने फिल्म देखने की इच्छा जताई थी। शाहरुख़ की बात  गौर करते हुए निर्देशक पैन नलिन उनके लिए फिल्म  विशेष स्क्रीनिंग  योजना बना रहे हैं। 

इस बारे में बताते हुए निर्देशक पैन नलिन ने कहा है 'जब मेरे फिल्म के एडिटर श्रेयस  एडिटिंग पूरी की थी उसके बाद इस फिल्म का ट्रेलर देखने वाले शाहरुख़ सबसे पहले व्यक्ति थे। इसी के ज़रिये मुझे शाहरुख़ के साथ  अपनी फिल्म बाटने का मौका मिला। फिल्म का ट्रेलर देखकर शाहरुख़ काफी खुश थे और वो अब पूरी फिल्म देखना चाहते हैं ,इसी वजह से हम शाहरुख़ के लिए फिल्म की एक विशेष स्क्रीनिंग की योजना बना रहे हैं। मुझे यकीन जिस तरह फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस'पूरी दुनिया को पसंद आरही है ,शाहरुख़ को भी यह फिल्म ज़रूर पसंद आएगी।  

इतिहास में पहली बार, गिनीज बुक के रिकॉर्ड पर एक फिल्म

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नई  दिल्ली ! दिल्ली के फिल्म लेखक एवं निर्देशक अमित कुमार, प्रसिद्ध व्यवसायी सिद्धार्थ सिंघमर,कुलदीप सिंह के साथ मिलकर गिनीज बुक के रिकॉर्ड पर आधारित फिल्म बना रहे हैं। इस फिल्म का निर्माण लेखक और निर्देशक अमित कुमार और निर्माता सिद्धार्थ सिंघमर व कुलदीप सिंह के बैनर अलेरिक फिल्म्स एंड प्रोडक्शन और ए एंड एस  फिल्म के तले होगा। माँडल और बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता सचिन राठी  इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहें हैं ! निर्माता एवं  निर्देशक ने फिल्म के माध्यम से समाज को एक सामाजिक और सार्थक सन्देश देने की कोशिश की है जिससे  जीवन जीने का नया मकसद मिल सके और भारतीय समाज उनसे गौरान्वित हो सके ! सामाजिक सन्देश के साथ यह फिल्म पूरी तरह से मनोरंजन से भरपूर है जिसे आप अपनी पूरी फैमिली के साथ देखना पसंद करेंगे !  लगान, स्वदेश, इकबाल, 3 इडियट्स जैसी फिल्मे भी इसी तरह का उदहारण रही हैं जिनसे समाज को नई दिशा मिली थी ! 

फिल्म के लेखक और निर्देशक अमित कुमार का कहना है कि दर्शकों को उनकी फिल्म के जरिये सामाजिक सन्देश के साथ मनोरंजन प्रदान करने की कोशिश की गयी है ! लेखक और  निर्देशक अमित कुमार के अनुसार फिल्म की पटकथा येईसी है जो दर्शकों को बांध के रखेगी, फिल्म की पृष्ठभूमि गांव पर आधारित है ! यह दो युवाओं की कहानी पर आधारित है जो अपने गांव का विकास करने के साथ अपने गांव का नाम पूरी दुनिया में रोशन करना चाहते हैं । वो अपने मकशद में कामयाब कैसे होते हैं यह फिल्म देखने पे ही पता चलेगा! फिल्म में सामाजिक सन्देश के साथ दर्शको को भीतर तक गुदगुदाएगी! यह दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि फिल्म में हास्यरस भरपूर होगा ! 

निर्माता सिद्धार्थ सिंघमर ने बताया की कहानी के पात्रो में जान डालने के लिए वे मशहूर बॉलीवुड अभिनेता ओम पूरी,टिकू तलसानिया ,मुकेश तिवारी ,बिजेंद्र काला, को फिल्म में ले रहे हैं ओम पुरी जी गांव के रोमांटिक सरपंच का किरदार निभाएंगे। सिद्धार्थ ने  कहा कि पूरी फिल्म मनोरंजन और प्रेरणा से भरी हुई है। फिल्म का अनोखा शीर्षक और प्रेरणादायक कहानी लोगो को अपनी और आकर्षित करेगी! यह दावे के साथ कहा  जा सकता है की फिल्म भारतीय सिनेमा और विदेशो में अच्छा वय्वसाय करेगी ! यह ऐसी फिल्म होगी जिसकी चर्चा लोगो की जुबान पर होगी!

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मॉडल और अभिनेता सचिन राठी के मुताबिक जब उन्हें लेखक और निर्देशक अमित कुमार जी ने मुख्य भूमिका निभाने के लिए संपर्क किया तो उन्हें विश्वास हो गया था की यह मूवी उनके  करियर का टर्निंग पॉइंट होगी और दर्शको को बहुत पसंद आएगी! उन्होंने कहा की कहानी सुनने के बाद उन्होंने फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने के लिए हा कर दी! सचिन के मुताबिक, ''उसे लेखक और निर्देशक का आत्म-विश्वास सबसे ज्यादा आकर्षित किया । उन्होंने कहा कि मुख्य भूमिका के लिए मुझसे संपर्क किया,और मुझे पूरी कहानी सुनाई उसी पल, मैंने हाँ कर दिया हो गया |इमरान शर्मा के चरित्र को चरितार्थ करना बहुत ही चुनौती पूर्ण था इसके लिए मैं काफी मेहनत कर रहा हूँ  कर रहा हूँ मुझे ओमपुरी जी का प्राकृतिक अभिनय का तरीका काफी पसंद है और मैं काफी उत्साहित हूँ उनके साथ काम करने को लेकर |मैं भी हरयाणा के गाँव से हूँ लेकिन फिर भी गाँव के यंग लोगो से मिल रहा हूँ ताकि वर्तमान स्तिथि को समझ कर इमरान शर्मा के चरित्र की गेहराई में जा सकूँ | यह मेरी पहली फिल्म है और मैं अपने आप को साबित करना है और इस फिल्म में मेरे चरित्र का औचित्य साबित करने के लिए अपना पूरा प्रयास करूँगा , उन्होंने यह भी कहा। "

फिल्म का निर्माण करके बॉलीवुड इंडस्ट्री में प्रवेश कर रहे बिल्डर से निर्माता बने सिद्धार्थ सिंघमर और कुलदीप सिंह ने कहा कि वे हमेशा सोचते थे की ऐसी फ़िल्में बनाये जो समाज को कुछ सन्देश दे सके और जब उनके  दोस्त लेखक अमित कुमार से फिल्म के विषय और स्टोरी पर कई चर्चा हुई तो वे पूरी तरह से संतुष्ट दिखे।  यह कहा जा सकता की अमित कुमार जी एक भावुक निर्माता हैं! कहानी सुनने के बाद उन्होंने तुरंत ही फिल्म के पात्रो के लिए ऑडिशन शुरू कर दिया। सिद्धार्थ जी ने बताया की फिल्म की स्क्रिप्ट पर बहुत मेहनत की गयी है ! फिल्म की स्क्रिप्ट को और मजबूत बनाने के लिए गिनीज़ बुक संगठन के अधिकारियो से बात की जा रही हैं ! गिनीज़ बुक के  अधिकारियो से नवीनतम डेटा लेने की बात भी की जा रही है ! सामाजिक सन्देश के साथ जीवन जीने की नई  राह दिखती यह फिल्म नौजवानो  को विशेष रूप से पसंद आएगी !

आलेख : लिट्टी-चोखा, मुर्गा-दारु के बीच वोटरों की बोली

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जी हां, गांवों में प्रधानी का चुनाव क्या है, वोटरों की लाटरी लग गयी है। कहीं लिट्टी-चोखा, मुर्गा-दारु का दावत चल रहा है तो कहीं पूरा का पूरा एकजूट होकर वोट की कीमत मांग रहा है। प्रत्याशी भी प्रधान बनने के लिए मान-मनौउअल के बीच वोटरों की हर इच्छा पूरी करते नजर आ रहे है। आलम यह है कि एक-एक वोट की बोली लग रही है 

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यूपी के गांवों में प्रधानी चुनाव की विसात बिछ चुकी है। नामांकन के बाद प्रत्याशी मैदान मारने के लिए हर हथकंडे अपनाते हुए वोटरों पर दिल खोलकर मेहरबान है। कहीं लिट्टी-चोखा, मुर्गा-दारु की दावत है तो कहीं एक-एक वोट की कीमत लग रही है। तो कहीं कहीं मंदिर व मस्जिद बनाने के नाम पर लाखों रुपये दिये जा रहे है। आलम यह है कि प्रत्याशी हाथ में मुर्गे, बकरे और दारू की बोतल लिए गांव के पगडंडियों की खाक छान रहे है। इस खेल में राजनीतिक दल से लेकर पुलिस व प्रशासन कुंडली मारे बैठे हैं तो समाज सुधारक भी चुप हैं। कहा जा सकता है गांवों में बसने वाला लोकतंत्र इस घिनौने खेल बर्बाद हो रहा है। इसकी बड़ी वजह है उन सियासी दलों का जिन्हें प्रधानी के जरिए अपना वोट बैंक जुटाने का फिक्र है। मतलब साफ है ग्राम प्रधानी चुनाव में जो नंगा नाच या यूं कहें नोटों के इस दंगल में विकास की बात बेमानी हो जायेगी। गांव विकास के नाम पर मिलने वाले लाखों-करोड़ों का बंदरबांट करने की नींव चुनाव से पहले ही रख दी गयी है। जो जितेगा वह विकास के पैसे से ही अपनी भरपाई करेगा और जो हारेगा वह दी गयी रकम की वसूली के लिए कुछ भी कर गुजरने पर आमादा होगा। यानी एक तरफ विकास के नाम पर धनराशि की बंदरबांट तो दुसरी तरफ गांव-गांव में खून-खराबा का ताना-बाना बुना जा रहा है। 

यहां जिक्र करना जरुरी है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की नींव पंचायती राज व्यवस्था है। देश में सबसे अधिक पंचायतें उत्तर प्रदेश में हैं। विडम्बना देखिए की इसी नींव को चुनावों में मुर्गा-दारू व पैसे से सींचा जा रहा है। देखा जाय तो 14वीं पंचवर्षीय योजना के तहत इस बार यूपी के गांवों में विकास के लिए 2015 से 2020 तक तकरीबन 35,775 करोड़ रुपए खर्च होने है। मनरेगा में ही हर ग्राम पंचायत को 10 लाख रुपए मिलेंगे। खास बात यह है कि ग्राम पंचायतों की विकास की योजनाएं ग्राम पंचायत स्तर पर ही बनाने की योजना है। मतलब कुल मिलाकर पैसे का खेल है। चुनाव बाद जो पंचायतें गठित होंगी, वे भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी होगी। परिणाम क्या होंगे यह समय बताएगा। लेकिन इनसे विकास की उम्मीद करना बेमानी है। फिरहाल, अभी तक तो लोकसभा-विधानसभा चुनाव में ही धनबल और बाहुबल लड़े जाते रहे हैं। लेकिन पंचायत चुनाव ने इन चुनावों को भी पीछे छोड़ दिया है। प्रत्याशी दिल खोलकर पैसे लूटा रहा है तो बिकने वाला वोटर डंके की चोट पर कह रहा है उसकी कीमत क्या है। यह सब रात के अंधेरे में नहीं, दिन के उजाले में हो रहा है। भारत की राजनीति ने शायद ऐसी मंडिया नहीं देखी होंगी और ऐसा बाजार भी नहीं देखा होगा, जहां नीलामी और बिकने का ऐसा उत्सव खुल्लमखुल्ला मनाया जा रहा हो। तमाम गांवों में घूमने व चुनाव को समझने के बाद कहा जा सकता है कि पंचायतों के चुनाव में पैसे का जो जहर घुला है, वह न सिर्फ पंचायती राज व्यवस्था को ही बर्बाद कर डालेगा बल्कि लोकतंत्रिक मूल्यों को भी नष्ट कर देगा।
प्रत्याशियों के लिए इस समय जात-पात से ऊपर वोटर भगवान बना बैठा है। लोकतंत्र के इस उत्सव में भक्त भगवान् को मानने के लिए हर जुगत भिड़ा रहे हैं। लेकिन गांव के वोटर रूपी भगवान भी प्रत्याशियों की खूब परीक्षा ले रहे हैं।  भगवन को मनाने के लिए मुर्गा-दारू की दावतें दी जा रही हैं। कच्ची पक्की सब तरह की। ज्यादातर पंचायतों में दारू की नदियां बह रही हैं। यह हैसियत पर निर्भर है कि कौन देशी ठर्रा पिला रहा है और कौन विलायती। वोट की नगद कीमत तय की जा रही है। घर के सदस्यों के अनुसार पैसे भिजवाये जा रहे हैं, हलवाइयों के पौ बारह हैं। समाजसेवा, दयालुता व दरियादिली ऐसी की किसी गरीब के बेटा-बेटी के फटे जूते, कपड़े व स्वेटर देखकर प्रत्याशियों की आंखों से आंसू बह निकलते हैं। तुरंत ही साथ चल रहे समर्थकों को आदेश दे देते हैं कि जाओ स्वेटर लाकर दो आकर। गांव वालों की मजा है। मतदाताओं को इस बात की चिन्ता नहीं, कि जो पैसा बांट कर चुनाव जीतेंगे, वह पांच साल तक जमकर सरकारी पैसे की लूट भी करेंगे। प्रत्याशियों ने कच्ची-पक्की अंग्रेजी हर तरह की दारू की व्यवस्था कर रखी है। पुलिस प्रशासन के डंडे के बाद भी हजारों लीटर अवैध शराब पकड़ी जा रही है। गांवों में तो दारू को लेकर नारे भी बने हुए हैं. ‘कच्ची दारु कच्चा वोट, पक्की दारु पक्का वोट, इंग्लिश दारु सॉलिड वोट.’। यानी एक-एक प्रत्याशी 10 से 20 लाख खर्च कर प्रधानी कब्जाने की होड़ में है। यानी लोकतंत्र पैसातंत्र में बदल रहा है, जो खतरनाक है। हाल यह है कि कहीं-कहीं चुनाव प्रचार के दौरान बांटी गई शराब लोगों की जान ले ले रही है। 

जहां तक विकास की बात है इस बार पंचायतों को तकनीकी सहायता के लिए ग्राम पंचायत रिसोर्स ग्रुप का गठन क्लस्टर स्तर पर किया जाएगा। 10 ग्राम पंचायतों के समूह को मिलाकर एक क्लस्टर बनाया जाएगा जो कि एक समन्वय इकाई की तरह कार्य करेगा। जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक क्लस्टर पर एक प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। ग्राम पंचायतों को पंचायतीराज और ग्राम्य विकास विकास से सचिव स्तर के दो कर्मचारी, 18 सफाई कर्मचारी तथा मनरेगा के तहत संविदा पर 10 कर्मचारी दिए जाएंगे। प्रति 12 ग्राम पंचायतों के क्लस्टर पर स्वास्थ्य विभाग के 12 एनएनएम, 12 आशाएं तथा आईसीडीएस की 24 महिलाएं एवं बच्चों और गर्भवती महिलाओं की मदद करेंगी। यही नहीं ग्राम्य विकास विभाग से संविदा पर तकनीकी सहायक, पुशपालन विभाग से एक एलईओ तथा साक्षरता एवं वैयिक्तक शिक्षा विभाग से 12 साक्षरता प्रेरक दिए जाएंगे। स्वच्छ भारत मिशन पर 1533 करोड़, पंचायत भवन पर 20.53 करोड़, अंत्येष्टि स्थलों के विकास पर 100 करोड़, सीसी रोड व केसी ड्रेन नाली पर 450 करोड़, एसबीएम योजना के तहत प्रति ग्राम पंचायत प्रति वर्ष 15 लाख रुपए यानि 5 वर्ष में 75 लाख रुपए, चयनित ग्राम पंचायत भवन निर्माण के लिए 20.53 करोड़ रुपए यानि 5 साल में पूरे प्रदेश के लिए 102.65 करोड़ रुपए, 14 वें वित्त आयोग के तहत प्रति ग्राम पंचायत 6.54 लाख रुपए और 448 रुपए प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष, राज्य वित्त आयोग से प्रति ग्राम पंचायतों को मिलेगा प्रति वर्ष औसतन 4.19 लाख रुपए, बीएचएसजी फंड के तहत प्रति ग्राम पंचायत को मिलेगा 10000 रुपए, मनरेगा से मिलेगा 438005.54 लाख रुपए मिलेगा। 





(सुरेश गांधी)

बिहार : ..और अब गांधीगिरी के दम पर बदलेंगे ‘पठन पाठन‘

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  • - विश्वविद्यालय द्वारा बनाए गए नियम यदि सही तरीके से लागू कर दिये जाएं तो बेहतर होगा पठन पाठन 
  • - विवि में षैक्षणिक कैलेंडर सही तरीके से लागू नहीं होने के कारण तीन वर्श के कोर्स को पूरा करने में करीब पांच वर्षों का इंतजार करना पड़ता है

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कुमार गौरव/गौतम राय, सहरसा:भले ही सूबाई सरकार दुरूस्त पठन पाठन के लाख दावे पेष करे लेकिन भूपेंद्र नारायण मंडल विष्वविद्यालय, लालूनगर मधेपुरा की स्थिति लापरवाही व लेटलतीफी से बेहद चिंतनीय होती जा रही है। हालांकि विभागीय पदाधिकारियांे की अपनी राय है और वे कुछ और ही दलील पेष करते हैं। विवि अंतर्गत महाविद्यालयों का पठन पाठन दिनोंदिन गिरता ही जा रहा है। यही कारण है कि अब छात्रों ने उग्र प्रदर्षन नहीं करने की ठानी है। अब सड़कों पर और विवि गेट के सामने धरना प्रदर्षन भी नहीं होगा। छात्र अब गांधीगिरी अपनाएंगे। अब उन्होंने ठान ली है कि गांधीगिरी के दम पर वे न सिर्फ अपना विरोध प्रदर्षन करेंगे बल्कि पठन पाठन दुरूस्त करने हेतु छात्र छात्राओं को भी नियमित रूप से महाविद्यालय आने की अपील करेंगे ताकि 75 फीसदी उपस्थिति के साथ साथ बेहतर पठन पाठन को वे आत्मसात भी कर सके। इसी कड़ी में स्नातक प्रथम वर्श के छात्र जितेंद्र कुमार बेहद संजीदगी के साथ अपनी दलील पेष करते हैं। उनका कहना है कि अब उग्र रूप से नहीं बल्कि गांधीगिरी के दम पर अपनी बात महाविद्यालय प्रबंधन के समक्ष रखी जाएगी। जितेंद्र, अविनाष कुमार, दिलखुष, पायल गुप्ता, चाहत कुमारी, सागर कुमार, आदर्ष कुमार, सन्नी, धीरज कुमार समेत अन्य का कहना है कि विष्वविद्यालय द्वारा बनाए गए नियम यदि सही तरीके से लागू कर दिये जाएं तो बेषक पठन पाठन बेहतर होगा लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। 

बंद हो ट्यूषन प्रथा: वहीं ट्यूषन प्रथा पर तंज कसते हुए जितेंद्र कहते हैं कि महाविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर अक्सर क्लास लेने में कोताही बरतते हैं और महीने में एकाध दिन ही दर्षन देते हैं जबकि निजी ट्यूषन के दम पर लाखों के वारे न्यारे करते हैं। ऐसे में गरीब छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है। उनके अभिभावकों को निजी ट्यूषन सेंटर में फीस जमा करने में काफी परेषानी होती है। खासकर विज्ञान और वाणिज्य संकाय के छात्रों को तो ट्यूषन फीस देने में तो दिन में ही तारे नजर आने लगते हैं। सहरसा, सुपौल और मधेपुरा जैसे कस्बाई जिलों में पटना सरीखे फीस वसूले जाते हैं। यही नहीं यहां के ट्यूषन सेंटर्स पर तो समय समय पर लुभावने आॅफर्स भी दिए जाते हैं ताकि भीड़ तंत्र को बढ़ावा देकर मोटी फीस वसूली जा सके। सुबह हो या षाम कोसी क्षेत्र की अमूमन हरेक गलियों में कुकुरमुत्तों की तरह उग आए ट्यूषन सेंटर्स पर छात्रों की भीड़ जमने लगती हैं। उन्हें न तो क्वालिटी एजूकेषन की परवाह है और न ही महाविद्यालय में 75 फीसदी उपस्थिति की चिंता।   

क्वालिटी एजूकेषन का नितांत अभाव: इन संस्थानों में क्वालिटी एजूकेषन मसलन फैकल्टी मेंबर हो या न हो, लेकिन हर गली मोहल्ले में कोचिंग संस्थान के बैनर व बोर्ड टंगे जरुर दिख जाते हैं। कारोबार से जुड़े ऐसे लोग पहले घर घर जाकर ट्यूषन पढ़ाते हैं और अपनी पहचान बनाते हैं। तगड़ा नेटवर्क बनने के बाद कारोबारी ट्यूषन सेंटर में क्लास लगाते हैें। आॅल इंडिया काउंसिल फाॅर टेक्नीकल एजूकेषन यानी एआईसीटीई का भी मानना है कि क्वालिटी के बजाए क्वांटिटी का नकारात्मक असर अब देखने को मिल रहा है। उधर, सूबे की राजधानी में भी कमोबेष यही स्थिति है। 5,500 कोचिंग संस्थानों का सालाना टर्नओवर एक हजार करोड़ रुपए का है। इन कोचिंग संस्थानों में करीब साढ़े तीन लाख बैंकिंग, रेलवे, कर्मचारी चयन आयोग समेत अन्य परीक्षाओं के छात्र हैं। जबकि डेढ़ लाख मेडिकल व इंजीनियरिंग के छात्र कोचिंग क्लास ले रहे हैं। आपको षायद याद होगा कि फरवरी 2010 को कोचिंग संस्थानों की मनमानी के खिलाफ पटना में छात्रों का गुस्सा फूटा था। यह गुस्सा कोई अचानक पैदा नहीं हुआ था बल्कि सालों से पनप रहा था। कोचिंग संस्थान की मनमानी के मद्देनजर मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा नई नीति बनाने की घोशणा कर दी गई, लेकिन नीति को सही तरीके से धरातल पर उतारा नहीं जा सका है। यही हाल कमोबेष कोसी प्रमंडल का भी है। कुछेक को छोड़ दे ंतो बाकी संस्थान न तो रजिस्टर्ड हैं और न ही किसी नियमों की पालना ही करते हैं। सुबह हो या फिर षाम बच्चों की लंबी कतार इन कोचिंग संस्थानों के बाहर दिखने लगती है जबकि स्कूल कालेजों में इनकी संख्या आमतौर पर नदारद ही रहती है और विवि में छात्रों का उग्र प्रदर्षन किसी भी वक्त अस्थिरता पैदा कर सकता है।

यहां भी पलायन की समस्या: आमतौर पर लोग रोजी-रोटी की तलाष में पलायन करते हैं लेकिन बीएनएमयू की स्थिति ऐसी है कि यहां के छात्र बेहतर पठन पाठन और समय पर स्नातक/स्नातकोत्तर करने के लिए अन्य विवि का रूख करते हैं। विवि में षैक्षणिक कैलेंडर सही तरीके से लागू नहीं होने के कारण तीन वर्श के कोर्स को पूरा करने में करीब पांच वर्शों का इंतजार करना पड़ता है। न तो समय पर परीक्षा की तिथि घोशित होती है और न ही परीक्षाफल ही घोशित होता है। लिहाजा, छात्रों को इसका भुगतान भुगतना पड़ता है। वहीं 75 फीसदी उपस्थिति के बारे जितेंद्र कहते हैं कि अधिकांष छात्र बीएनएमयू में एडमिषन लेकर अन्यत्र पढ़ाई करने चले जाते हैं और परीक्षा का वक्त निकट आने पर सेटिंग गेटिंग के दम पर न सिर्फ अपना फार्म भरते हैं बल्कि उनकी 75 फीसदी उपस्थिति भी रजिस्टर में अंकित मिलती है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि विवि द्वारा बनाए गए नियमों की धज्जियां कैसे उड़ाई जा रही है।

छात्र पढ़ें अथवा करें महाविद्यालय का परित्याग: बीएनएमयू के प्रतिकुलपति जेपीएन झा कहते हैं कि विवि में अध्ययनरत छात्रों की महाविद्यालय से बढ़ी दूरी को कतई बर्दाष्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने सख्त व स्पश्ट लहजे में कहा कि छात्र पढ़ें अथवा महाविद्यालय का परित्याग करें। विवि द्वारा बनाए गए नियमों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अनुपस्थित रहने वाले छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और आर्थिक दंड भी सुनिष्चित की जाएगी। वहीं महाविद्यालयों में षिक्षकों की कमी के बारे श्री झा कहते हैं कि जल्द ही इस दिषा में सार्थक कदम उठाए जाएंगे।     

बिहार विशेष : हरेक साल बेनकाब होता है प्रशासन ...!

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  • - करोड़ों की आबादी को आगाह करने के लिए न तो मौसम विभाग का कोई कार्यालय है और न ही कोई विकसित तंत्र व प्रणाली
  • - आपदा की घड़ी में सड़कों पर मचती भगदड़ और सड़क व टापू सरीखे क्षेत्र में विस्थापितों का डेरा इस बात का द्योतक है कि लोगों को आपदा प्रबंधन का ककहरा तक मालूम नहीं

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कुमार गौरव, सहरसा: आपको षायद साल 2008 में आई प्रलंयकारी बाढ़ (कुसहा त्रासदी) का नजारा याद होगा, कोसी की धार में जहां कई बस्तियां उजड़ गई वहीं दूसरी ओर हजारों लोग काल की गाल में समा गए। इसके ठीक तीन साल बाद यानी 2011 में आए भूकंप का नजारा भी याद होगा, दिन रविवार (18 सितंबर) था और षाम के तकरीबन 06 बजकर 15 मिनट हो रहे थे। धरती 35 सेकेंड क्या डोली अपने साथ कई सवालों को संग ले आयी। 35 सेकेंड तक सड़कों पर अफरा तफरी का माहौल बना था और देष-विदेष से लोग इंटरनेट व मोबाइल पर अपने रिष्तेदारों से संपर्क साधने की जुगत में लगे हुए थे। गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 35 सेकेंड की इस त्रासदी के दरम्यान 212,000,000 ट्वीट्स पर गमों का सैलाब सा उफन पड़ा था, और लोग अपने संदेषों में सिर्फ भूकंप की ही चर्चा करते दिख रहे थे। कमोबेष यही हाल 2015 का भी था जब नेपाल के तराई क्षेत्र में आए भूकंप से कोसी क्षेत्र की धरती कांपी और आमजन सड़कों पर डरे सहमे नजर आ रहे थे यह सिलसिला एकाध सप्ताह तक चला और लोग प्रतिदिन भूकंप के झटकों का इंतजार करते और थोड़ी बहुत कंपन होते ही सड़क पर दौड़ पड़ते। कोसी क्षेत्र की अमूमन हरेक गलियों में ऐसा नजारा आम हो चला था। भूकंप के बाद लोग अपने रिष्तेदारों का ही कुषलक्षेम पूछते दिखते थे। हरेक चैक चैराहे पर बुजुर्ग यही चर्चा करते दिख रहे थे कि षुक्र मनाइये कि 1934 वाला भूकंप नहीं आया, वरना नजारा कुछ और ही होता। आफत को भांप राज्य सरकार आनन फानन में भूकंप रोधी भवन निर्माण संबंधी कानून को हरी झंडी तो जरुर दिखा दी लेकिन षायद सूबे में लचर आपदा प्रबंधन को दुरुस्त करने की कवायद भूल गई। तभी तो कोसी क्षे़त्र के अमूमन तीनों जिलों में आपदा प्रबंधन के नाम पर महज खानापूर्ति ही की जा रही है। अब जबकि पांचवीं बार नीतीष कुमार मुख्यमंत्री चुन लिए गए हैं और आपदा प्रबंधन मंत्री के तौर पर मधेपुरा के राजद विधायक प्रो चंद्रषेखर को सेवा करने का मिला है, ऐसे में लोगों में उम्मीद जगी है कि आपदा प्रबंधन के नाम पर बेहद पिछड़े कोसी क्षेत्र को बेहतर और हाइटेक सुविधाएं मयस्सर होंगी। साथ ही आमजनों के अलावे किसानों को भी ससमय तमाम जानकारियां उपलब्ध होंगी। 

एक रिपोर्ट की मानें तो भूकंप के सबसे संवेदनषील क्षेत्रों में सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया व कटिहार को भी षामिल किया गया है। वहीं सेसमिक मैप जोन आॅफ इंडिया में बिहार का कोसी क्षेत्र मसलन सहरसा, सुपौल व मधेपुरा को जोन-5 में रखा गया है। मसलन क्षेत्र में किसी भी वक्त आफत की घंटी बज सकती है। बहरहाल बात तो हो गयी कभी कभार धरती डोलने की यानी भूकंप की। अब बात करते हैं हरेक साल आने वाली आफत यानी बाढ़ की। भले ही यह समस्या आमजनों को बेहद पीड़ा देने वाली व दुखद हो, लेकिन प्रषासनिक अमला इन तमाम समस्याओं से कोई इत्तेफाक नहीं रखता है। तभी तो लाखों की आबादी को पूर्वानुमान के आधार पर आगाह करने के लिए कोसी क्षेत्र में न तो मौसम विभाग का कोई कार्यालय है और न ही कोई विकसित तंत्र या संबंधित प्रणाली। आपदा प्रबंधन के नाम पर क्षेत्र में महज खानापूर्ति ही की जा रही है। आपदा की घड़ी (भूकंप) में सड़कों पर मचती भगदड़ व बाढ़ के दिनों सड़क व टापू सरीखे क्षेत्र में विस्थापितों का डेरा इस बात का द्योतक है कि लोगों को आपदा प्रबंधन का ककहरा तक मालूम नहीं। कोसी प्रमंडल के गांवों में गर्मी की रातें अक्सर आफत लेकर आती हैं और महज एक चिंगारी से सैकड़ों घर स्वाहा हो जाते हैं। लोगों का आसियाना पल भर में राख हो जाता है और उन्हें आर्थिक तौर पर काफी नुकसान होता है। बावजूद इसके कोसी क्षेत्र में अगलगी की समस्या से निपटने के लिए बेहतर दमकल की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पायी है। हरेक साल लाखों की आबादी बरसात के दिनों बाढ़ से जूझने के बाद गर्मी के दिनों अगलगी की समस्या से निपटने के लिए रातभर जागते हैं और बचाव के उपाय ढूंढ़ते रहते हैं। यह सिलसिला कई दषकों से जारी है और अब तक न तो किसी सफेदपोषों ने और न ही किसी प्रषासनिक पदाधिकारियों ने ही इस दिषा में सार्थक प्रयास किया है। जबकि कोसी की धरती ने कई नेताओं को राश्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। अनुमान लगाया जा सकता है कि कोसी प्रमंडल की लाखों की आबादी कैसे और क्यों बेबसी और जीवट मानव सभ्यता के लिए जानी जाती है। 

आष्चर्य की बात तो यह है कि प्रषासनिक आला अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि क्षेत्र में आपदा प्रबंधन के नाम पर कुछ खास प्रगति नहीं हुई है। हरेक साल बाढ़ के दिनों प्रषासन बेनकाब होता है और लचर प्रषासनिक व्यवस्था की पोल भी खुलती है लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं होता है। बता दें कि आपदा प्रबंधन के नाम पर समय समय पर लोगों को नुक्कड़ नाटक और सरकारी तौर पर आपदा से बचने के उपाय बताए जाते हैं ताकि लोग तत्काल अपनी रक्षा कर सके। पूरे राज्य में पटना और मुजफ्फरपुर के अलावा सहरसा में ही एयर बेस (आपदा) बनाए गए हैं ताकि लोगों को समय पर सारी सुविधाएं मयस्सर हो सके लेकिन जब आपदा की बारी आती है तो सारी सुविधाएं और दावे धरे के धरे रह जाते हैं और कोसी क्षेत्र के लोगों को मिलती है तो बस बेबसी और जीवट मानव सभ्यता। 

रोडमैप तैयार कर होगी त्वरित कार्रवाई:षुक्लपक्ष से विषेश बातचीत के दरम्यान आपदा प्रबंधन मंत्री, बिहार प्रो चंद्रषेखर कहते हैं कि आपदा प्रबंधन को ले जल्द ही रोडमैप तैयार कर अमल में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के दिषा निर्देषों को गंभीरता से अमल में लाया जाएगा ताकि बिहार प्रदेष खासकर कोसी क्षेत्र के लोगों को ससमय और बेहतर जानकारियां उपलब्ध हो सके। उन्होंने षुक्लपक्ष द्वारा पेष किए गए सुझाव का भी स्वागत करते हुए कहा कि जल्द ही कोसी क्षेत्र में दमकल विभाग की गाडि़यों को न सिर्फ दुरूस्त किया जाएगा बल्कि गाडि़यों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। उन्होंने अगलगी से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए दस किलोमीटर की दूरी पर सब स्टेषन बनाए जाने की भी बात कही और इसे अमल में लाए जाने का आष्वासन दिया ताकि प्रभावितों को ससमय दमकल की सुविधाएं नसीब हो सके।   

लगाए जाते हैं कैंप: वरीय उप समाहर्ता (आपदा, सुपौल) कहते हैं कि नेषनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स (एनडीआरएफ) की टीम द्वारा आपदा के दिनों जगह जगह कैंप लगाए जाते हैं। साथ ही हरेक पंचायत से पांच व्यक्तियों को प्रषिक्षित करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हालांकि उन्होंने संसाधनों की कमी का भी रोना रोया। कहते हैं कि पूर्वानुमान संबंधी जानकारी के लिए कोसी क्षेत्र को जल संसाधन विभाग पूर्णिया पर ही निर्भर होना पड़ता है। लिहाजा, अनुमान लगाया जा सकता है कि लाखों की आबादी को आगाह करने के लिए प्रषासन कितना सतर्क है।

बिहार विशेष : अबकी बार, विकास की बयार...!

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  • - बाढ़, अगलगी जैसी प्राकृतिक समस्याओं के अलावे अन्य बुनियादी समस्याओं का निदान षायद न तो सफेदपोषों के पास है और न ही प्रषासनिक अमलों के पास
  • - यही वजह है कि हरेक साल अगलगी और कोसी की त्रासदी से हजारों जिंदगानी लील हो जाती हैं और आष्वासन की घुट्टी के दम पर ही कोसी के लोगों को जिंदगी की लड़ाई लड़नी पड़ती है

बिहार विशेष : अबकी बार, विकास की बयार...!
कुमार गौरव, सहरसा:कोसी क्षेत्र में रणनीतिक चूक ने जहां भाजपा की नैया डुबोई वहीं जातिगत समीकरण के दम पर महागठबंधन को बंपर जीत का मौका मिला। इस क्षेत्र में विधानसभा का चुनावी परिणाम भले ही चैंकाने वाला लग रहा हो लेकिन अप्रत्याषित नहीं है। इसकी पटकथा भाजपा के रणनीतिकारों ने तैयार कर दी थी। विकास कार्यों पर जोर देने के बदले प्रतिद्वंदियों पर गंभीर आरोप लगाने और जातीय समीकरण साधने की कोषिष तथा प्रत्याषियों के चयन में चूक के कारण ही भाजपा को करारी षिकस्त का सामना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने विकास का मुद्दा खूब उछाला लेकिन अधिसूचना जारी होने के बाद पार्टी का ज्यादा फोकस विरोधियों पर आजादी के बाद से ही अब तक राज्य को विकास की पटरी से उतारने और जातीय राजनीति करने के आरोप लगाने पर रहा। रही सही कसर गौ मांस और आरक्षण के मुद्दे ने पूरा कर दिया। एक तरह से महागठबंधन को उसके ही मैदान में मात देने की आत्मघाती रणनीति थी। कोई दो राय नहीं कि नीतीष के षासनकाल में पिछले दस सालों में बिहार की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। भाजपा नेताओं ने सब पर एक साथ आरोप मढ़ने के क्रम में प्रदेष सरकार में करीब सात साल तक अपनी भागीदारी का भी जिक्र करना बंद कर दिया। इस तरह महागठबंधन को घेरने के चक्कर में उन्होंने पिछले दस साल की उपलब्धि का पूरा श्रेय नीतीष कुमार को दे दिया। खास बात यह रही कि भाजपा जदयू के अलग होने के डेढ़ साल के षासनकाल में इस इलाके में एक भी नए और उल्लेखनीय विकास कार्य षुरू तक नहीं कराए जा सके। सिर्फ घोशणाएं हुईं। कोसी क्षेत्र के लोग ऐसी घोशणाओं का परिणाम कोसी महासेतु पर रेल सुविधा बहाल होने, सहरसा से फारबिसगंज और पूर्णिया तक आमान परिवर्तन, मधेपुरा में रेल कारखाने की षुरूआत कराने, सहरसा में बहुप्रतिक्षित ओवरब्रिज निर्माण, सहरसा से पटना, बेगूसराय और खगडि़या जिला को जोडने वाले डुमरी पुल का निर्माण, बैजनाथपुर स्थित पेपर मिल, सहरसा से लंबी दूरी की ट्रेनों का परिचालन षुरू कराने, मजदूरों का पलायन रोकने आदि के रूप में खूब देख व भुगत चुके हैं।  

गफलत में रहे भाजपाई: सूबे में राजनीतिक उठापटक का दौर लोकसभा चुनाव के बाद से ही षुरू हो चुका था। पोस्टर वार, जगह जगह होर्डिंग्स और जुमलों का दौर षुरू हो चुका था। नीतीष कुमार लोकसभा चुनाव में मिली हार का ठीकरा अपने सिर फोडते हुए इस्तीफा देकर जातिगत समीकरण दुरूस्त करने के चक्कर में जीतन राम मांझी को सत्ता सौंप दियाा और कोसी क्षेत्र के एक अन्य कैबिनेट मंत्री को उप मुख्यमंत्री की कुर्सी का प्रलोभन देकर राजनीतिक रस्साकसी तेज करने की कवायद जहां तेज कर दी थी वहीं भाजपाई लोकसभा चुनाव की जीत की खुमारी से उबर नहीं पाये और नतीजतन 13 विधानसभा सीटों में से महज एक पर ही जीत दर्ज कर सके। अमूमन सभी विधानसभा में भितरघात और अपनों का अलग हो जाना भाजपा के लिए घातक साबित हुआ। यही वजह है कि हालांकि सुपौल जिलान्तर्गत छातापुर विधानसभा से हाल ही में जदयू छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले नीरज कुमार सिंह बबलू ने जीत दर्ज कर पहली बार इस विधानसभा में कमल खिलाया। वहीं सहरसा विधानसभा से भाजपा के आलोक रंजन झा को हार की कोई आषंका नहीं थी लेकिन पिछले कार्यकाल में उनके निकम्मेपन को जनता ने सिरे से नकार दिया और राजद के अरूण यादव को जीत का सेहरा बांध दिया। पहली बार मिली जीत से उत्साहित विधायक अरूण यादव कहते हैं कि क्षेत्र का विकास उनकी प्राथमिकताओं में षामिल है और तमाम रूके कार्यों को पूरा कराना उनका मकसद है और विकास की बयार बहेगी। 

...और अब विकास की बारी: चुनावी परिणाम सामने आने के बाद अब लोगों के बीच विकास कार्यों की चर्चा आम हो चली है। जीवट मानव सभ्यता के मषहूर रहे कोसी प्रमंडलीय क्षेत्र विकास की किरणों से कोसों दूर है। बाढ़, अगलगी की समस्या तो यहां के लोगों के लिए प्राकृतिक देन है और इन समस्याओं का निदान षायद न तो सफेदपोषों के पास है और न ही प्रषासनिक अमलों के पास। यही वजह है कि हरेक साल अगलगी और कोसी की त्रासदी से हजारों जिंदगानी लील हो जाती हैं। हरेक साल महज आष्वासन की घुट्टी के दम पर ही कोसी के लोगों को जिंदगी की लड़ाई लड़ने के लिए अकेले छोड़ दिया जाता है। वहीं बुनियादी सुविधाओं की बात करें तो कोसी क्षेत्र के लोगों को कुछ खास मयस्सर नहीं है। प्रमंडलीय षहर सहरसा की बात करें तो यहां बुनियादी सुविधाओं का नितांत अभाव हैै। साफ सफाई, सड़क निर्माण, गांवों तक बिजली की तारें, साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट, स्ट्रीट लाइट, नाला निर्माण, चार बार उद्घाटन हुए रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कार्य, स्टेडियम निर्माण कार्य, पर्यटन स्थल का विकास कार्य, हवाई अड्डे का निर्माण कार्य, लचर प्रषासनिक व्यवस्था के कारण लगातार बढ़ रही घटनाओं से सहरसा वासी त्रस्त हैं। उन्होंने जो जनादेष दिया है इन समस्याओं के निराकरण हेतु। हालांकि वर्तमान विधायक इन तमाम समस्याओं से निजात पाने की भरसक कोषिष की बात तो करते हैं लेकिन यदि ऐसा होता है तो बेषक सहरसा की जनता उन्हें सिर आंखों पर बिठाएगी। वहीं सिमरी बख्तियारपुर, सोनवर्शा और महिशी विधानसभा की बात करें तो यकीन मानिए आपको ऐसा नहीं लगेगा कि आप किसी विधानसभा क्षेत्र में हैं। खासकर बरसात के दिनों तो ऐसा प्रतीत होता है कि हम किसी टापू सरीखे क्षेत्र में हैं और यहां के लोगों ने विकास का स्वाद चखा ही नहीं। अबकी बार सिमरी बख्तियारपुर में विकास के कुछ अलग मायने लगाए जा रहे हैं। दरअसल पूर्व सांसद रहे जदयू के दिनेष चंद्र यादव के सामने भाजपा के युसूफ सलाउद्दीन थे जो राजनीतिक तौर पर उतने परिपक्व नहीं थे जितने कि दिनेष चंद्र यादव। पिछली सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं के खिलाफ काफी चिल्ल पो मचाने वाले श्री यादव के सामने सिमरी बख्तियारपुर को विकास की पटरी पर सरपट दौड़ाने की चुनौती जहां सिर चढ़कर बोलेगी वहीं आसपास के दियारा क्षेत्रों में लगातार बढ़ रहे क्राइम को रोकना भी उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं। कमोबेष यही हाल सोनवर्शा और महिशी विधानसभा की भी है। लघु उद्योग और अन्य विकास कार्य क्या चीज है इसकी जानकारी क्षेत्र के लोगांे को नहीं है। यहां के लोगों के लिए जनप्रतिनिधि का तात्पर्य महज छोटी मोटी समस्याओं का निराकरण करने वालों से ज्यादा कुछ नहीं है। पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाओं के बावजूद महिशी विधानसभा कोसों दूर है। कयास लगाए जा रहे हैं कि राजद के अब्दूल गफूर को कैबिनेट में जगह मिल सकती है और क्षेत्र का विकास भी होगा। खुद विधायक का कहना है कि अब विकास से कोई समझौता नहीं होगा और क्षेत्र का हरसंभव विकास किया जाएगा। इस मामले में मधेपुरा की स्थिति थोड़ी बेहतर मानी जा सकती है। मधेपुरा विधानसभा के प्रो चंद्रषेखर विकास के ही दम पर पिछली बार चुने गए थे और अबकी बार तो उन्हें पूर्ण जन समर्थन प्राप्त हुआ हैै। ऐसे में विकास कार्य का न होना षायद बीते दिनों की बात साबित हो सकती है। प्रो चंद्रषेखर कहते हैं कि पहले भी उन्होंने काफी विकास कार्य कराया और अबकी बार तो तमाम विरोधों के बावजूद उन्हें जीत हासिल हुई है और विकास की दरिया बहेगी इसमें फिलहाल संदेह नहीं। आलमनगर से दिग्गज जदयू नेता नरेंद्र नारायण यादव की जीत हुई है और उन्हें जो जनाधार प्राप्त हुआ है उसका आधार विकास कार्य ही है और जनता को उनसे ये दिल मांगे मोर...वाली अपेक्षा है। बिहारीगंज और सिंहेष्वर विधानसभा की स्थिति औसत ही कही जा सकती है। पर्यटन क्षेत्र में षुमार होने के बाद भी सिंहेष्वर में बुनियादी सुविधाओं का नितांत अभाव है। हालांकि सिंहेष्वर विधायक रमेष ऋशिदेव विकास का दम भरते हैं। वहीं पहली बार बिहारीगंज से जीत का स्वाद चखने वाले निरंजन मेहता ने राजद से मंत्री रहे और हालिया भाजपा में षामिल हुए रविंद्र चरण यादव को पटखनी दिया है। ऐसे में विकास कार्य उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कस्बाई सरीखे क्षेत्र को विकास की पटरी पर लाना उनकी प्राथमिकता है और षायद यह उनकी अग्निपरीक्षा भी साबित हो। बात सुपौल जिला की करें तो यहां की हर तबके की जनता ने एकतरफा मतदान कर साबित कर दिया कि नीतीष कैबिनेट में मंत्री रहे बिजेंद्र प्रसाद यादव का फिलहाल दूसरा कोई विकल्प नहीं। अच्छी सड़क और बिजली की सौगात देकर बिजेंद्र ने साबित कर दिया कि पूरी जनता उनके साथ है। निर्मली, पिपरा और त्रिवेणीगंज विधानसभा की स्थिति भी कमोबेष वैसी ही है जैसी कि अन्य औसत व कस्बाई सरीखे विधानसभा क्षेत्र की है। हालांकि जिले का छातापुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा के नीरज कुमार सिंह बबलू के खाते में गया और लोगों ने पूरी उम्मीद के साथ उनके समर्थन में मतदान किया। खुद नीरज कुमार सिंह बबलू कहते हैं कि चाहे कुसहा त्रासदी का वक्त हो या फिर अन्य विपदा हर वक्त उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है और आगे भी यह कारवां बढ़ता ही चला जाएगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सड़क, बिजली और बेहतर प्रषासनिक व्यवस्था स्थापित करने समेत कई विकास कार्य किए और उसका तोहफा उन्हें इस विस चुनाव में मिला। 

साक्षात्कार : काजी जी क्यों दुबले हुए शहर के अंदेशे में- लक्ष्मीकांत वाजपेयी

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  • संतों की पिटाई के मामले में बीजेपी करेगी सात दिन का धरना
  • यूपी में बीजेपी के मुकाबले में कोई नहीं है- लक्ष्मीकांत वाजपेयी 

lakshmi kant vajpeyee interview
लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करके भले ही भाजपा ने केंद्र में सरकार बना ली हो लेकिन विकास का वो दावा याद करके आज जनता का जहन खटास से भर गया है. जिसका नतीजा दिल्ली में तो देखने को मिला ही साथ ही बिहार ने भी कथित तौर पर करिश्माई मोदी को अस्वीकार करके फिर से एक बार हो, नीतीशे कुमार हो को अपनी पहली पसंद बता दिया. जनता का कहना है कि तानाशाही की वजह से बिहार ने भाजपा को दरकिनार कर दिया. अब लोगों के दिलों में सवाल हैं कि जिस विकास का ख्वाब मोदी जी ने दिखाया था वो कब हकीकत बनेगा. विकास के इंतजार की इंतहा कुछ इस हद तक हो चुकी है कि सोशल मीडिया पर भी लोग विकास के लिए तरह तरह से गुजारिश कर रहे हैं. इसी संदर्भ में आपके आत्मीय ने यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी से बात की....आईये जानते हैं सवालों के जवाब-

सवाल- बनारस में संतों की निर्ममता से पिटाई हुई, वाहन खुद पुलिस द्वारा फूंक दिए गए. भाजपा की ओर से इस पूरे घटनाक्रम पर कोई पहल नहीं हुई. 
जवाब- बनारस में संतों की पिटाई के मामले में भारतीय जनता पार्टी 26 तारीख से सात दिनों का धरना देने जा रही है. 

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सवाल- लोकसभा चुनावों के दौरान आपके नेतृत्व में बीजेपी को 71 सीटें मिली लेकिन मैन ऑफ द मैच अमित शाह को बना दिया गया इस पर आपकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.        
जवाब- कमल के फूल के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था और स्वाभाविक है कि अमित शाह जी उत्तर प्रदेश के केंद्र की तरफ से प्रभारी थे. तो श्रेय उनको ही जाना चाहिए. 

सवाल- ....तो दिल्ली में तो हार का ठीकरा अमित शाह जी पर फोड़ना चाहिए था क्योंकि वो राष्ट्रीय अध्यक्ष थे 
जवाब- ये बात आप राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से पूछें. मेरे हिसाब से सर्वसंयुक्त जिम्मेदारी है. अमित शाह जी को अगर श्रेय मिला तो हमें कोई आपत्ति नहीं है. हमारे लिए खुशी की बात है कि हमारे प्रभारी को श्रेय मिला. 

सवाल- फिलवक्त सोशल मीडिया में एक मैसेज वायरल हो रहा है कि मोदी जी ने अपने पीए से पूछा कि अब कहां का दौरा बाकी है तो पीए कहता है कि बस सर दिल का दौरा बाकी है....तो सवाल ये है कि असल में मोदी जी लोगों के दिल का दौरा कब करेंगे या विदेशी दौरा ही करने का इरादा है. 
जवाब- सोशल मीडिया में कोई कुछ कहने लगा और हम जवाब देने लेगे तो ऐसे इंपार्टेंट व्यक्ति नहीं ये प्रश्न पूछने वाले.

सवाल- वाजपेयी जी सबसे ज्यादा प्रचार तो भाजपा सोशल मीडिया के जरिए ही कराती है 
जवाब- इसका मतलब जरूरी है कि हम हर बात का जवाब दें. 

सवाल- जनता कह रही है कि बीजेपी बिहार में तानाशाही की वजह से हार गई आप क्या कहेंगे.. 
जवाब- हमारा संगठन चल रहा है और हमें तो आपत्ति नहीं है. और वो प्रश्न उठायेंगे काजी जी क्यों दुबले हुए शहर के अंदेशे में.....( मतलब- अपनी चिंता न करके दूसरे की चिंता करना) 

सवाल- काला धन वापस कब आएगा और लोगों के खाते में पंद्रह लाख कब पहुंचेंगे.
जवाब- दस साल तक कालाधन वापस न लाने वाले लोग. कालाधन जमा कराने वाले और कराने में सहयोग करने वाले लोगों को ये हक नहीं है कि हमसे पूछे कि कालाधन कब आएगा. हमने जितनी कार्यवाही की है आज उसकी प्रगति संतोषजनक है. 

सवाल- मुनव्वर राणा ने कहा कि ऐ हुकूमत हम तुझे नामर्द (कमजोर) कहते हैं तो क्या बीजेपी कमजोर हो चुकी है.
जवाब- अमर्यादित और अलोकतांत्रिक शब्द बोलने वाले लोगों की बात का जवाब नहीं दिया जाता. उसका जवाब जनता देगी. 

सवाल- आजम ने कहा था कि अगर बिहार में बीजेपी जीती तो दंगे होते रहेंगे तो क्या बीजेपी दंगे वाली पार्टी है 
जवाब- आजम खां ब्रहम्म वाक्य जनार्दनम् नहीं हैं. और अमर्यादित और अलोकतांत्रिक टिप्पणी करना उनका शगल हो गया है इसलिए उनकी टिप्पणी का जवाब देना भाजपा के लिए कोई जरूरी नहीं है. 

सवाल- बिहार में भाजपा की हार का मतलब आप क्या मानते हैं
जवाब- उत्तर प्रदेश से बिहार का क्या मतलब. राष्ट्रीय नेतृत्व और बिहार राज्य सारी चीजें तय करेगा. 

सवाल- वरिष्ठ नेताओं को बीजेपी में कोना पकड़ा दिया जाता है लेकिन अशोक सिंघल के शोक समारोह में अमित शाह को पिछली वाली पंक्ति में बैठा दिया गया....क्या पार्टी को वरिष्ठ नेताओं की जरूरत फिर से पड़ गई है. 
जवाब- आप देख लीजिए उत्तर प्रदेश के पोस्टरों को उनमें तो हर जगह वरिष्ठ नेता नजर आएंगे. छह महीने पहले के भी पोस्टर लगे होंगे उसमें भी देख लीजिए. बाकी स्वाभाविक सी बात है बड़े नेता आगे होंगे. लाइन से लगा के किया है. पर, मैंने भी देखा वहां तो पहली लाइन में बैठे हुए थे अमित शाह जी. 

सवाल- यूपी में 2017 विधानसभा चुनावों के लिहाज से आपकी पार्टी की रणनीति क्या होगी. 
जवाब- मेरा मानना है कि रणनीति बताने के लिए नहीं होती. बाकी वक्त आने दीजिए सब सामने होगा. 

सवाल- आप यूपी में भाजपा बनाम किसे मानते हैं.
जवाब- चुनाव शुरू होने दीजिए तब पता चलेगा. बाकी मुकाबले में तो कोई नहीं है. 



हिमांशु तिवारी ‘आत्मीय’
संपर्क : 08858250015

बिहार : कार्तिक पूर्णिमा पर नदियों-सरोवरों में लाखों लोगों ने लगायी आस्था की डुबकी

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पटना 25 नवम्बर, कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बिहार में लाखों श्रद्धालुओं ने आज गंगा-गंडक के संगम समेत विभिन्न नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगायी तथा मंदिरों में पूजा-अर्चना की। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर राजधानी पटना में देर रात से ही ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों का आने का सिलसिला शुरु हो गया जो अभी तक जारी है । गंगा तटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंध बल और राज्य आपदा प्रबंधन बल के जवान संयुक्त रुप से नौकाओं से लगातार गंगा नदी में गश्त लगा रहे है । कार्तिक पूर्णिमा के दिन ऐहतियात के तौर पर प्रशासन की ओर से निजी नौकाओं के गंगा नदी में परिचालन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है । 

राजधानी पटना में काली घाट , कृष्णा घाट , गांधी घाट, पटना कॉलेज घाट समेत विभिन्न घाटों पर आज तड़के से आस्था की डुबकी लगाने वालों का तांता लगा रहा । स्नान के बाद लोगों ने विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना की और दान किया । राजधानी में कार्तिक पूर्णिमा को लेकर प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये है । विभिन्न घाटों पर सादे लिवास में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गयी है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जहां पुलिस जवान चौकस दिखे वहीं सड़कों पर यातायात को नियंत्रित करने के ट्रैफिक पुलिस के जवान मुस्तैद है ।

हाजीपुर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार गंगा-गंडक के संगम पर करीब डेढ़-दो लाख श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी और प्रसिद्ध बाबा हरिहर नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद लोगों ने सोनपुर स्थित एशिया प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र पशु मेला का लुत्फ भी उठा रहे है । भागलपुर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सुल्तानगंज स्थित उत्तर वाहिनी गंगा नदी में हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगायी और पहाड़ पर स्थिति बाबा अजगैबी नाथ मंदिर में पूजा अर्चना की । इसके अलावा कहलगांव , भागलपुर शहर और नाथ नगर में भी कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लोगों ने गंगा नदी में पवित्र स्नान कर पूजा अर्चना की । उत्तर बिहार में भी लाखों लोगों ने बुढ़ी गंडक , कमला और कोसी नदियों में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पवित्र स्नान किया और मंदिरों में पूजा अर्चना की। इस के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने विभिन्न सरोवरों और तालाबों में स्नान कर पूजा अर्चना की । 

भारत-पाक सीरीज पर पीसीबी ने नवाज़ से मांगी स्वीकृति

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कराची, 25 नवंबर, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने भारत के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय सीरीज खेलने को लेकर अपने देश के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ से स्वीकृति मांगी है और इस संदर्भ में उन्हें एक रिपोर्ट भेजी है। पीसीबी अध्यक्ष शहरयार खान ने यह जानकारी देेते हुये बताया कि उन्होंने दिसंबर में प्रस्तावित इस द्विपक्षीय सीरीज के लिये एक रिपोर्ट पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भेजी है। उन्होंने कहा, “हमने सीरीज के संदर्भ में एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भेज दी है और भारत के साथ तटस्थ स्थान पर सीरीज खेलने के लिए उनसे स्वीकृति मांगी है।” हालांकि मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि यह सीरीज भारत और पाकिस्तान में नहीं होने के बजाय अन्य किसी देश में हो सकती है। 

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने प्रस्तावित सीरीज संयुक्त अरब अमीरात में खेलने से इंकार कर दिया था जहां पाकिस्तान अपनी घरेलू सीरीज खेल रहा है। पीसीबी ने भी भारत की मेजबानी में यह सीरीज खेलने से इंकार किया है। उम्मीद की जा रही है कि यह सीरीज श्रीलंका में आयोजित हो सकती है। शहरयार ने बताया कि किसी तटस्थ स्थल पर यह सीरीज आयोजित करने के लिये बातचीत जारी है। हालांकि उन्होंने संभावित स्थल के तौर पर श्रीलंका का नाम नहीं लिया। गत रविवार को दुबई में पीसीबी प्रमुख ने बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर से मुलाकात की थी जिसके बाद दोनों देशों के क्रिकेट बोर्डों ने सीरीज की संभावना को लेकर अंतिम निर्णय अपने अपने देशों की सरकारों पर टाल दिया था।

बिहार : एससी-एसटी कल्याण मंत्री संतोष कुमार निराला का अभिनंदन

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बक्सर। बक्सर जिले के राजपुर विधान सभा से संतोष कुमार निराला विजयी हुए हैं। महागठबंधन के घटक जदयू परिवार के सदस्य हैं। आजकल एससी-एसटी कल्याण मंत्री संतोष कुमार निराला का अभिनंदन किया जा रहा है। इनके साथ राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष वि़द्यानंद विकल भी शिरकत कर रहे हैं।एक दिन में जगह-जगह पर मंत्री का अभिनंदन हो रहा है। बक्सर इंडस्ट्रीयल एरिया द्वारा सम्मान समारोह में मंत्री जी सम्मानित हुए। आरा परिसदन में विकास मित्र और एससी/एसटी कर्मचारी सं़द्य के सदस्यों ने अभिवादन किए। वहीं कल्याण विभाग के अम्बेडकर छात्रावास,बक्सर में अभिनंदन किया गया। मंत्री के द्वारा जरूर ही अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति की समस्याओं का आकलन भी करते होंगे। बहुत सारी समस्याओं से जूझ रहे हैं। 
राज्य महादलित आयोग के प्रथम अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि ने सीएम नीतीश कुमार को महादलितों के कल्याण और विकास के लिए अनुशंसा किए थे। इसमें कुछ अनुशंसा को पूर्ण की गयी और अनेक अधूरी ही छोड़ दी गयी। जरूरत है कि प्रथम अध्यक्ष विश्वनाथ ऋषि की अनुशंसा को अक्षरः लागू कर दी जाए। जिस उद्देश्य से सीएम नीतीश कुमार ने वर्ष 2007 में राज्य महादलित आयोग की स्थापना की थी। वह उद्देश्य पूर्ण नहीं हो सका है। उसे पूर्ण करने की आवश्यकता है। 
उल्लेखनीय है कि बिहार में 23 तरह के दलित रहते हैं।सीएम नीतीश कुमार ने 22 जातियों को ही आयोग में शामिल किए थे। केवल केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान की जाति ‘दुसाध’ को ही हाशिए पर छोड़ रखा गया। अब महागठबंधन सरकार के किंग मेकर लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि सभी दलितों को महादलित घोषित कर दिया जाए। अगर सीएम नीतीश कुमार द्वारा किंग मेकर के कथन को मान लेते हैं तो बिहार में कोई दलित नहीं रहेंगे। सब के सब महादलित हो जाएंगे। दलित को पदोन्नत करके महादलित बनाने का सवाल नहीं है। सवाल हाशिए में रहने वाले महादलितों का कल्याण और विकास सुनिश्चित किया जाए। इनकी बुनियादी समस्याओं को दूर करनी होगी। रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शौचालय, रोजगार, मार्ग, बिजली,शुद्ध पेयजल आदि जरूर ही मुहैया करवाना चाहिए। 
किसी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति की मौत हो जाती है। तब विधवा के परिवार में कबीर अंत्येष्ठि योजना से ही राशि मिल पाती है। इसके बाद मृत्यु प्रमाण-पत्र,एफआईआर,पोस्टमार्टम आदि कागजात उपलब्ध नहीं करा सकने के कारण परिवारिक लाभ योजना, लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से महरूम हो जाते हैं। कोई ऐसी व्यवस्था हो कि केवल अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति के मृतक परिवार के सदस्य आवेदन दें। आवेदन प्राप्त करने वाले ही कार्यालय अपने स्तर से प्रमाण-पत्र प्राप्त करें। ऐसा करने से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति के लोगों को सरकारी योजनाओं से अधिकाधिक लाभ मिल पाएगा। ऐसे लोग सरकारी दफ्तर में जाते हैं तो उनसे मुंहमांगी रकम वसूल कर ली जाती है।

बिहार : ईसा मसीह की तुलना गोंद से ईसाई समुदाय के द्वारा उपदेशक की हो रही निन्दा

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पटना। किसी कागज आदि को गोंद से जोड़ा जाता है। इसी तरह ईसा मसीह हैं, जो संसार के लोगों को जोड़ने का कार्य करते हैं। पवित्र परमप्रसाद में उपस्थित ईसा मसीह को ग्रहण करके लोग एकमय हो जाते हैं। यह कथन कुर्जी पल्ली के सहायक पल्ली पुरोहित फादर सुशील साह का है। आगे फादर सुशील साह ने कहा कि पश्चिम चम्पारण जिले में है बेतिया। बिहार में आए भयंकर अकाल से बेतिया में रहने वाले लोग तबाह हो गए। तबाही के दंश झेलने वाले धर्म परिवर्तन कर ईसाई धर्म अंगीकार कर लिए। अंग्रेजों के समय ईसाई पुरोहितों का बोलबाला था। अंग्रेजों ने पुरोहितों को जमींदार बना दिया। अंग्रेज पुरोहित लगान वसूली का कार्य किया करते थे। एक तो अकाल और द्वितीय लगान देने का बोझ से ईसाई धर्म अंगीकार करने वाले बढ़ई,बनिया,नाई आदि परेशान होने लगे। 

सन् 1874 में ईसाई समुदाय लगान का विरोध किएः 
पश्चिम चम्पारण में है बेतिया। धर्म परिवर्तन कर ईसाई बने थे। पिछड़ी जाति के लोगों के पास जमीन थी। पेशेवर लघु किसान थे। उस समय जमींदार के रूप में पादरी थे। पादरी ही लगान वसूली किया करते थे। एक ओर भयंकर अकाल और दूसरी ओर लगान देने की मजबूरी से धर्मान्तरित ईसाई बेहाल हो गए। इन लघु किसानों ने निश्चय किया कि पटना धर्मप्रांत के पूर्व बिशप हार्टमन से मिलकर फरियाद करें। बैलगाड़ी की व्यवस्था किए और बेतिया से 200 किलोमीटर की दूरी तय करके पटनासिटी पहुंचे। बिशप हार्टमन के सामने लगान वापसी करने का अनुरोध किए। इस अनुरोध को बिशप हार्टमन ने अस्वीकार किए तब जाकर ईसाइयों ने कहा कि अगर लगान वापस नहीं करेंगे तो फिर से हिन्दू धर्म अंगीकार कर लेंगे। इस धमकी को बिशप ने बेतिया के जमींदार पादरी तक संदेश पहुंचा दिया। बेतिया के जमींदार पुरोहित ने साफ तोर पर कहा कि अगर आप लोग धर्म परित्याग करते हैं तब चर्च में रखे परमप्रसाद को लेकर चले जाएंगे। जब जमींदार पुरोहित परमप्रसाद लेकर जाने लगे तब ईसाई समुदाय ने चर्च के द्वार पर घुटना टेक कर गुहार लगाने लगे कि हमलोग धर्म परित्याग नहीं करेंगे। उपस्थित लोगों ने 141 साल पुरानी बात सुनी। फादर सुशील साह से पूछा गया तो उनका कहना है कि बेतिया के लोग कहते हैं। मगर यह सच्ची बात है। 

आप अखबार में प्रकाशित नहीं कर सकतेः फादर सुशील साह का कहना है कि आप इस बात को अखबार में नहीं डालेंगे। घर वापसी का मुद्दा बन जाएगा। तब पुरोहित को 141 साल की पुरानी बात को उपदेश में बोलना ही नहीं चाहिए। वह भी कहीं और सुनी बातों को हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों के सामने बोले। यहां पर उपस्थित लोग सुने और समझे भी। फिर अखबार में खबर नहीं प्रकाशित करने की बात कर रहे हैं? यह तो ईसाई समुदाय को जानना चाहिए कि उनके पूर्वज क्रांतिकारी थे। एकजूट होकर पुरोहितों के मनमाने का विरोध किए थे। वह आज के पुरोहित और सिस्टर कर रहे हैं। खुद फादर सुशील साह ही कर रहे है। दादागीरी कर रहे हैं कि मैंने आपको नहीं बुलाया है। उनको कहा गया कि आमत्रंण किया गया है। तब जाकर शांत हुए। हां, आज भी पूर्वजों के मार्ग पर चलने की जरूरत है। स्कूलों, काॅलेजों, प्रशिक्षण केन्द्र आदि में पुरोहित और सिस्टरे मनमौजी किया करते हैं। इन लोगों को सबक सीखाने की जरूरत है। बिहारियों के साथ अन्याय हो रहा है। 
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