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राजीव हत्याकांड के 4 अन्य दोषियों की रिहाई पर रोक

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rajiv gandhi
सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड के शेष चार दोषियों की रिहाई पर भी गुरुवार को रोक लगा दी है। अदालत ने कहा है कि फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील किए जाने के बाद सजा भुगतने वाले कैदियों को सजा में छूट देने के बारे में वह प्रक्रिया का निर्धारण करेगी। इससे पहले राजीव हत्याकांड के तीन प्रमुख साजिशकर्ताओं की रिहाई पर शीर्ष अदालत 20 फरवरी तक रोक लगा चुकी है।

मामले के जिन चार दोषियों को तमिलनाडु सरकार ने रिहा करने का प्रस्ताव किया था और गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाया है उनमें जयकुमार, रॉबर्ट पायस, पी. रविंचंद्रन ओर एस. नलिनी हैं। प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एन. वी. रमण की पीठ ने कहा, "हमारी चिंता यह नहीं है कि राज्य उन्हें रिहा करने जा रहा है या नहीं, बल्कि हर राज्य को नियम और कायदे का ध्यान रखना होगा। हम उचित प्रक्रिया का निर्धारण करेंगे।"

तमिलनाडु सरकार द्वारा पेश किए गए दोषियों की रिहाई के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.सतशिवम की पीठ ने केंद्र सरकार की याचिका पर छह मार्च को सुनवाई के निर्देश दिए हैं। अपने आदेश को और स्पष्ट करते हुए प्रधान न्यायाधीश सतशिवम ने कहा, "हमारा इरादा उनकी रिहाई रोकना नहीं है। हम सिद्धांत तय करना चाहते हैं जिसका सभी राज्यों को पालन करना होगा।"

उन्होंने कहा, "हम इस फैसले (फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने) के लिए जवाबदेह हैं। हम इस समस्या को एक सप्ताह के भीतर सुलझा देंगे।"इस बात का संकेत देते हुए कि तमिलनाडु सरकार ने सजा में छूट देने का फैसला लेने में अपनी शक्ति का हड़बड़ी में प्रयोग कर लिया, प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "सबसे पहले कैदी को सजा में छूट का आवेदन देना होगा, उसके बाद सरकार द्वारा कोई फैसला लेने से पहले उसे उपयुक्त न्यायालय के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।" 

सुब्रत रॉय भूमिगत, बैरंग लौटी लखनऊ पुलिस !!

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subrat roy
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को गिरफ्तार करने के लिए गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद गुरुवार शाम को सुब्रत राय के घर पहुंची लखनऊ पुलिस की टीम बैरंग लौट गई। लखनऊ पुलिस की एक टीम यहां गोमती नगर इलाके में स्थित सहारा प्रमुख के घर 'सहारा शहर'में पहुंची। पुलिस अधीक्षक (गोमती पार) हबीबुल्ला हसन के नेतृत्व में पुलिस की टीम सहारा शहर के अंदर करीब साढ़े चार बजे शाम में घुसी और करीब डेढ घंटे बाद बाहर निकली। हसन ने बाहर आकर संवाददाताओं को बताया, "घर में सुब्रत नहीं मिले। उनकी मां व अन्य परिजनों से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि सुब्रत कहां हैं उन्हें नहीं पता है। घर के अंदर डॉक्टर भी थे।"

पुलिस का अगला कदम क्या होगा इस सवाल पर हसन ने कहा, "इसका जवाब वरिष्ठ पुलिस अधिकारी देंगे।"सुब्रत के घर के अंदर जाने से पहले हसन ने कहा था, "सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उन्हें गिरतार करने के आदेश का पालन किया जाएगा।"सुब्रत राय के सर्वोच्च न्यायालय में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित नहीं होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को उनके विरुद्घ गैर-जमानती वारंट जारी किया और अदालत के आदेश का पालन करने के लिए चार मार्च तक की मोहलत दी।

अदालत ने इससे पिछली सुनवाई में राय को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए थे। न्यायमूर्ति क़े एस़ राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति ज़े एस़ खेहर की पीठ ने कहा, 'हम सुब्रत राय सहारा को गिरतार करने के लिए गैर जमानती वारंट जारी करते हैं। उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा और चार मार्च को दो बजे दिन में इस अदालत में उनकी पेशी होगी।'

अदालत वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी के तर्क से प्रभावित नहीं हुई कि राय की 94 वर्षीय माता की हालत गंभीर है और राय उनके पास रहने के लिए गए हैं। जेठमलानी ने कहा, "उनकी माता मर रही हैं। वह उनके साथ हैं, उनका हाथ थामे हैं।"सवाल उठ रहा है कि अगर सुब्रत के वकील ने कहा कि वह अपनी बीमार मां के साथ हैं तो वह घर में लखनऊ पुलिस को मां के साथ क्यों नहीं मिले?

सर्वोच्च न्यायालय ने 20 फरवरी को राय को और सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) तथा सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) के तीन निदेशकों-अशोक राय चौधरी, रवि शंकर दूबे और वंदना भार्गव-को 26 फरवरी को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया था।

राय और तीनों निदेशकों को इसलिए व्यक्तिगत रूप से अदालत में पहुंचने का निर्देश दिया गया था, क्योंकि सहारा की कंपनियां निवेशकों से वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर के जरिए जुटाई गई 24 हजार करोड़ रुपये की राशि में से 19,000 करोड़ रुपये की राशि चुकाने के लिए गारंटी के रूप में सेबी के पास बिना कर्ज वाली संपत्ति का मालिकाना हक जमा करने में असफल रही है। सहारा ने हालांकि दिसंबर 2012 में सेबी के पास 5,120 करोड़ रुपये जमा कर दिए थे।

मां का दूध पीने वाले बच्चे पढ़ाई में अच्छे

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mother breast feed
जो बच्चे मां का दूध पीते हैं, वे ज्यादा तेज दिमाग होते हैं। मां के दूध में कोई ऐसा छुपा गुण होता है, जिससे बच्चे कुशाग्र हो जाते हैं। मां का दूध बच्चे के लिए सबसे पौष्टिक भोजन होता है यह बात तो हमें पता है लेकिन मां के दूध में छुपे गुणों के कारण उनके कुशाग्र होने की बात एक ताजातरीन अध्ययन में कही गई है। अध्ययन के मुताबिक ऐसे बच्चे स्कूल में आमतौर पर दूसरों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। अभी तक शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया था कि जो बच्चे मां का दूध पीकर बड़े होते हैं, वे बुद्धि परीक्षण में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

ऐसा क्यों हैं, इसका पता नहीं लगाया जा सका था। लेकिन अब ताजा अध्ययन में समाजशास्त्रियों ने बच्चों की परवरिश में दो मुख्य बातों का जिक्र किया है, एक तो बच्चे के भावनात्मक संकेतो पर प्रतिक्रिया देना और दूसरा नौ महीने की उम्र से बच्चे को विभिन्न पठन सामग्रियां पढ़ कर सुनाना। 

उताह की ब्रिंघम यंग यूनिवर्सिटी के प्रमुख अध्ययनकर्ता बेन गिब्स ने कहा, "अपने बच्चे को दुग्धपान कराने वाली महिलाएं दोनों चीजें करती हैं। यह बच्चे की परवरिश का ही नतीजा है, जो उसे दूसरों से अलग बनाता है।"शोधकर्ताओं ने अध्ययन में यह भी पाया कि बच्चों के दब्बू और कमजोर होने का कारण बचपन में अनुकूल परवरिश न होना भी हो सकता है।

केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी

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यूपीए सरकार जाते-जाते आचार संहिता लागू होने से पहले कुछ अहम फैसलों पर तेजी से मुहर लगा रही है। शुक्रवार को इसी सिलसिले में कैबिनेट ने महंगाई भत्ता में 10 पर्सेंट बढ़ोतरी करने का फैसला किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता मौजूदा 90 पर्सेंट से बढ़ाकर 100 पर्सेंट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दिया है। इससे 50 लाख कर्मचारियों और 30 लाख पेंशनभोगियों को लाभ होगा।

केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता और पेंशनभोगियों को महंगाई राहत बढ़ाकर 100 पर्सेंट कर दिया गया है। कैबिनेट के अजेंडे में डीए को 100 पर्सेंट करने की बात प्रमुखता से शामिल थी। महंगाई भत्ते में इजाफा चुनाव आयोग की तरफ से आचार संहिता लागू होने से पहले करना था। महंगाई भत्ते में दहाई में अंक में यह लगातार दूसरी वृद्धि होगी। इससे पहले सरकार ने पिछले साल सितंबर में महंगाई भत्ते में 10 पर्सेंट वृद्धि की घोषणा की थी, जो कि 1 जुलाई 2013 से प्रभावी हो गया। महंगाई भत्ते में यह बढ़ोतरी एक जनवरी 2014 से लागू होगी। सरकार महंगाई भत्ते में वृद्धि के लिए उपभोक्ता मूलय सूचकांक पर आधारित पिछले 12 महीने के आंकड़ों की गणना करती है।

बिहार : वह खुद से ही खाना बनाती हैं तब जाकर खाना खाती हैं..........

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फतेहपुर। वह खुद से ही खाना बनाती हैं, तब जाकर खाना खाती हैं। अगर ऐसा संभव न हो सका तो भूखले पेट सो जाती हैं।  गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास  समिति के सिल्वर जुबली के अवसर पर सामूहिक भोज का आयोजन किया गया। पैक्स के कार्य क्षेत्र गया, जहानाबाद, अररिया, भोजपुर, नालंदा, दरभंगा, कटिहार और बांका से पुराने और नए सामाजिक कार्यकर्ता आए थे। वहीं ऑक्सफैम इंडिया के कार्य क्षेत्र मुजफ्फरपुर, मधेपुरा,सहरसा, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, अरवल,बक्सर,भोजपुर, जमुई और पटना के अलावे सुपौल के हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने प्रीति भोज का लुफ्त उठाए। 

गया जिले के फतेहपुर प्रखंड के गिद्धनी गांव से आयी महिला ने प्रगति भवन में सेवारत दौलत कुमार अकेला और सन्नी कुमार से कहा कि दूसरे लोगों के हाथ से बना भोजन नहीं करती हूं। इसके आलोक में मुझे चालव,दाल और सब्जी उपलब्ध करा दें ताकि खुद ही भोजन बनाकर खा सकूं। अगर आप मांगी गयी सामग्री उपलब्ध नहीं कराएंगे तो भूखे ही रह जाऊंगी। उसे सामग्री उपलब्ध करा दिया गया। आप तस्वीर में देख सकते हैं। इनका कहना है कि अगर किसी जगह पर साधन उपलब्ध नहीं हो पाता है तो फल खाकर रह जाती हूं। 

उसी तरह जहानाबाद जिले के मखदुमपुर प्रखंड में रहने वाली फूलमंती देवी भी हैं। मगर वह खाना नहीं बनायी। अलबता चना खाकर भूख को मिटायी। वह अपने साथ चना और फल लेकर आती हैं। उसी का सेवन करती हैं। फूलमंती देवी जनादेश 2007 और जन सत्याग्रह 2012 सत्याग्रह पदयात्रा के दौरान खुद ही खाना बनाकर खाती थीं। चना खाकर भी गुजारा कर लेती थीं। इसी तरह अजय कुमार मुखर्जी भी थे। जो सिर्फ घर में निर्मित भोजन को ही ग्रहण करते हैं। बाजारू भोजन को छूते भी नहीं हैं। 



आलोक कुमार 
बिहार 

पैक्स की असल पहचान देखने को मिली।

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मध्यप्रदेश। पैक्स की असल पहचान देखने को मिली।  पैक्स के द्वारा गैर सरकारी संस्थाओं को सहयोग दिया जाता है। इस सहयोग से धन्य होकर एनजीओ गांवघर में समुदाय आधारित संगठनों का निर्माण करते हैं। इन सीबीओ की शक्ति और उपलब्धि को जन उत्सव कार्यक्रम के दौरान देखा गया। 

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोई 17 जिलों से समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) ने हिस्सा लिए। सीबीओ के लगभग 2000 लोग उपस्थित रहे। जन उत्सव पर एकत्रित हुए सीबीओ ने उपलब्धियों को प्रस्तुत किए। स्थानीय जन नेतृत्व करने वाले जश्न मनाए।जमीनी स्तर से सीख को साझा किए। स्थानीय लोक नृत्य और संगीत पेश किए। गर्भवती माताओं और बच्चों की देखभाल के लिए, किशोरों  की शादी को लेकर उत्पन्न समस्याए। स्थानीय समुदायों के हकों पर प्रकाश डालते है कि समारोह के लिए एक सांस्कृतिक संवाद की पेशकश की  गयी।

इसके पहले पैक्स के हेड अभिनव कुमार ने आगत अतिथियों और जमीन से जुड़े नेतृत्व करने वालों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि पैक्स की शक्ति और ऊर्जा आज यहां मौजूद है। जन समुदाय के भीतर हमारे कार्यक्रम विकसित किया गया। नेतृत्वक्षमता को देखना और उन्हीं के नेतृत्व में उत्सव करना है। दो दिनों तकयह जश्न मनाया गया। हमारा अधिकार, हमारी आवाज को लेकर ग्रामीण मुद्दों को उछालते रहना है। 

जन उत्सव में प्रदेश के 17 जिलों से आए दो हजार से ज्यादा सामुदायिक नेताओं ने राजधानी में रैली निकाल कर एकजुटता प्रदर्शित की। जन उत्सव में उन्होंने स्वास्थ्य एवं भूमि अधिकार की मांग की और रोजगार गारंटी कानून एवं वन अधिकार कानून में व्यापक सुधार करने की मांग की है। ये 17 जिले देश के सबसे पिछड़े जिलों में चिह्नित हैं। पैक्स (पूअरेस्ट एरियाज सिविल सोसायटी) एवं 15 अन्य सहयोगी स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा निशात मंजिल में ‘जन उत्सव’ का आयोजन किया गया।

सामाजिक रूप से कमजोर तबके के ये सामुदायिक नेता आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक, महिला एवं विकलांग समुदाय से आते हैं एवं विकास की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए अपने समुदाय को प्रेरित एवं जागरूक कर रहे हैं। पैक्स के कार्यक्रम अधिकारी प्रशांत ने कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ बिना भेदभाव के सामाजिक रूप से पिछड़े समुदाय तक पहुंचना चाहिए। सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन के लिए ग्राम स्तरीय समितियों में इन समुदाय आधारित संगठनों की सक्रिय भागीदारी सुनिष्चित करने की जरूरत है।

जितेंद्र शर्मा ने कहा कि वन अधिकार कानून 2006 के तहत कानून के तहत किए गए सभी खारिज दावों को ग्राम स्तर पर तीन माह के भीतर समीक्षा की जाए एवं सामुदायिक दावे को भी सुनिश्चित किया जाए। रवींद्र सक्सेना ने कहा कि भूमिहीनों के लिए भूमि अधिकार सुनिश्चित किया जाए और इसमें महिलाओं के नाम से जमीन आबंटित किया जाए। प्रत्येक भूमिहीन परिवार को कम से कम 5 एकड़ कृषि भूमि सुनिश्चित करने का कानून बनाया जाए। 2003 में जमीन वितरण पर लगाई गई रोक को हटाया जाए। डॉ. एच.बी. सेन ने कहा कि स्वास्थ्य को अधिकार के रूप में मान्यता मिले। जिला एवं ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों एवं  पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को दूर किया जाए। डॉक्टर के लिए ग्रामीण एवं दुर्गम इलाकों में 5 साल सेवा देना अनिवार्य किया जाए। जीत परमार ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तहत बाजार मूल्य के अनुसार मजदूरी का प्रावधान किया जाए। सामाजिक अंकेक्षण बिना वीडियोग्राफी के मान्य नहीं किया जाए। सामाजिक अंकेक्षण में स्वैच्छिक संस्थाओं एवं जन संगठनों को भी शामिल करने का प्रावधान हो।




आलोक कुमार
बिहार 

अदालत ने केजरीवाल को आपराधिक अवमानना मामले में बतौर आरोपी तलब किया

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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके खिलाफ भाजपा नेता नितिन गडकरी द्वारा दायर एक आपराधिक अवमानना शिकायत में एक अदालत ने आज बतौर आरोपी तलब किया। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गोमती मनोचा ने केजरीवाल को 7 अप्रैल के लिए सम्मन जारी किया। यह सम्मन गडकरी की याचिका पर जारी किया गया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि आम आदमी पार्टी के नेता ने पार्टी की भारत के सर्वाधिक भ्रष्ट लोगों की सूची में उनका नाम डाल कर उनकी मानहानि की है।
    
गडकरी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद और अधिवक्ता अजय दिगपॉल ने दलील दी कि केजरीवाल ने उनके मुवक्किल और भाजपा नेता की छवि धूमिल करने तथा उनकी गरिमा कम करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से उनके :गडकरी के: खिलाफ बयान दिया। उनकी दलील थी कि केजरीवाल ने 57 वर्षीय गडकरी के खिलाफ बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाए। अदालत ने 18 फरवरी को गडकरी तथा अधिवक्ता नीरज के बयान शिकायतकर्ता तथा गवाह के तौर पर दर्ज किए। बयान में गडकरी ने दावा किया कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने उनकी सार्वजनिक छवि धूमिल करने के लिए कथित भ्रष्ट राजनीतिज्ञों की सूची में उनका नाम शामिल किया। 
    
गडकरी ने बयान में कहा बिना किसी आधार के क्षूठे और मानहानि वाले बयान देना आरोपी (केजरीवाल) की आदत है। आरोपी और उनकी पार्टी के सदस्यों द्वारा दिए गए बयानों से मेरी छवि प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कथित बयान आरोपी और उनकी पार्टी के सदस्यों ने यह जानते हुए दिया कि यह पूरी तरह क्षूठा है, बेबुनियाद है और मेरी प्रतिष्ठा धूमिल करने के इरादे से दिया गया है।
    
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि 31 जनवरी को केजरीवाल ने कथित भारत के सर्वाधिक भ्रष्ट लोगों की एक सूची पेश की, जिसमें उनके सहित विभिन्न नेताओं के नाम डाले गए थे। केजरीवाल ने कई नेताओं पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाया है और कहा है कि उनके खिलाफ आगामी लोकसभा चुनावों में आप प्रत्याशी खड़े करेगी।

राज्यनामाः (झारखण्ड) 25 फरवरी 2014 को विधायक सीता सोरेन ने हाॅर्स ट्रेडिंग मामले में आत्मसमर्पण किया

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राज्यसभा चुनाव (2012) में हाॅर्स ट्रेडिंग मामले में बुरी तरह फंसी जेएमएम विधायक सीता सोरेन ने अंततः कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया

अविभाजित बिहार से 15 नवम्बर 2000 को अलग हुआ देश का 28 वाँ राज्य झारखण्ड के 13 वर्ष 4 माह के इतिहास में वर्तमान सांसद (निर्दलिय) व पूर्व मुख्यमंत्री मधुकोड़ा से लेकर मंत्री एनोस एक्का, हरिनारायण राय, कमलेश सिंह व अन्य ने जहाँ एक ओर हजारों करोड़ रुपये का घोटाला कर देश के मानचित्र पर झारखण्ड को शर्मसार करने का काम किया वहीं, यह सिलसिला एक मर्तबा जो चल निकला, इसने परंपरा का ही रुप ले लिया। इस राज्य में बाबूलाल मराण्डी से लेकर हेमन्त सोरेन तक कुल 5 नेताओं ने बारी-बारी से राज्य की बागडोर संभाली। किसी ने बड़े-बड़े एमओयू पर हस्ताक्षर कर औने-पौने दाम पर लौह अयस्क, कोयला, अभ्रक, बाॅक्साईड व अन्य मूल्यवान खनिज के अनगिनत खदानों को बेचा तो किसी ने आदिवासी-मूलवासी, स्थानीयता नीति व 1932 का खतियान लागू कर राज्य की मूल भावनाओं से खिलवाड़ कर अवाम को दो भागों में बाँटने का काम किया। औद्योगिकरण के नाम पर पूँजीपतियों के हाथों राज्य को किसी ने गिरवी किया तो जल-जंगल, जमीन की दुहाई देकर किसी और ने अवाम को विकास के रास्ते से भटकाने का प्रयास किया। इस राज्य के रहनुमाईयों ने स्वार्थ की राजनीति में यह भी नहीं सोंचा कि अवाम की वास्तविक समस्याएँ क्या हैं ? राज्य की वास्तविक चिन्ता क्या होनी चाहिए ? किसी का कोई सरोकार नहंी रहा राज्य की मूलभूत समस्याओं से, और न ही किसी ने भविष्य में इसकी तरक्की के कोई सपने देखे। इस राज्य की राजनीति आदिवासी-गैर आदिवासी, अगड़ी-पिछड़ी, बाहरी-भीतरी की चक्की में पिसती रही और राज्य का भविष्य तय करने वाले नेताओं द्वारा अपना उल्लू साधा जाता रहा। 

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक व सूबे के कद्दावर नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के ज्येष्ठ पुत्र स्व0 दुर्गा सोरेन की मृत्यु के बाद हाशिये पर आ चुकी उनकी पत्नी सीता सोरेन ने लम्बी पारिवारिक लड़ाई के बाद पिछले विधान सभा चुनाव में जामा विस क्षेत्र से जीत दर्ज कर पार्टी में अपनी मुकम्मल पहचान तो बनाई किन्तु पारिवारिक स्नेह से दूर रहने की वजह से दूसरे रास्ते की ओर उनका झुकाव बढ़ता चला गया। राज्य में झामुमों-काँग्रेस गठबंधन सरकार में मंत्री पद प्राप्ति के अपने अधिकार पाने की लगातार कोशिशों के बाद भी जब विधायक सीता सोरेन को संज्ञान में नहीं लिया गया तो परिवार के बीच शीतयुद्ध सी स्थिति में विद्रोह की चिंगारी  पनपने लगी जो धीरे-धीरे ज्वाला का रुप लेने लगा। यह दिगर बात है कि दबाव में यह ज्वाला कुछ समय तक के शांत हो गया। किन्तु यह भी सच है कि लाख चाहने के बाद भी झामुमों आलाकमान व उनके पुत्र तथा पार्टी के युवा नेता हेमन्त सोरेन ने मुख्य धारा से विधायक सीता सोरेन को अलग-थलग रखा। 02 फरवरी 2014 को गाँधी मैदान दुमका में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के 35 वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर जामा विधायक सीता सोरेन सहित विधायक मथुरा महतों, जय प्रकाश भाई पटेल, अकिल अख्तर व एक अन्य की अनुपस्थिति से प्रतीत होने लगा कि सबकुछ ठीक-ठाक नहंी चल रहा। पार्टी की अंदरुनी व्यवस्था में कहीं न कहीं एक बड़ी खाई मौजूद है, आनन-फानन में  जिसे नहीं सुलझाया जा सकता। 

समग्र रुप से पार्टी में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की ललक का ही परिणाम रहा कि अति महात्वाकांक्षी सीता सोरेन अर्थशास्त्र की मृग-तृष्णा में बुरी तरह फंसती चली गई, और राज्य सभा चुनाव-2012 में हुई हाॅर्स ट्रेडिंग मामले में 25 फरवरी को राजधानी राँची स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश आर0 के0 चैधरी की अदालत में आत्मसमर्पण कर खुद को कोर्ट के हवाले उन्हें करना पड़ा। न्यायिक हिरासत में बाद में जिन्हें विरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार भेज दिया गया। हाॅर्स ट्रेडिंग मामले में सीता सोरेन देश की एकमात्र महिला विधायक हैं जिनकी गिरफतारी हुई तथा जिन्हें विरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार के अपर डिवीजन महिला सेल में रखा गया। राज्यसभा चुनाव-2012 में झारखण्ड में हाॅर्स ट्रेडिंग मामले में 6 आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया गया था, इनमें निर्दलिय प्रत्याशी आर0 के0 अग्रवाल (इन दिनों जेल में) निर्दलिय प्रत्याशी पवन धूत व सुनील माहेश्वरी के खिलाफ आरोप गठन की कार्रवाई पूरी की जा चुकी है। अदालत के आदेश पर 19 फरवरी को सीता सोरेन के सरकारी आवास व 21 फरवरी 2014 को भुवनेश्वर में उनके उनके पिता बी0 एन0 माझी के घर की कुर्की-जब्ती की गई। विदित हो 30 मार्च 2012 को झारखण्ड में राज्यसभा चुनाव के दिन आयकर आयुक्त ने राजधानी राँची में नामकुम स्थित एक इनोवा कार से सवा दो करोड़ रुपये की जब्ती की थी। चुनाव आयोग ने 01 अप्रेल 2012 को राज्य सभा चुनाव के वोटो की गिनती पर रोक लगा दिया तथा भारत के राष्ट्रपति से चुनाव रद्द करने की अपील की। 05 अप्रैल 2012 को हाईकोर्ट राँची ने मामले में सीबीआई जाँच का आदेश दिया था। 19 अप्रैल 2012 को सीबीआई ने राज्यसभा चुनाव-2012 में हाॅर्स ट्रेडिंग के मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी। 04 जून 2013 को सीबीआई ने कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया था। 13 जून 2013 को अदालत ने अभियुक्तो के विरुद्ध सम्मन जारी किया। अदालत द्वारा सम्मन जारी किये जाने के बाद से लगातार फरार चल रही सीता सोरेन उनके पिता बी0 एन0 माझी व निजी आप्त सचिव राजेन्द्र मंडल के खिलाफ 22 जून 2013 को गिरफतारी वारंट जारी किया गया। गिरफतारी वारंट जारी होने के बाद भी कोर्ट को धूल झोंक रही जामा की विधायक सीता सोरेन के विरुद्ध 13 नवम्बर 2013 को कुर्की-जब्ती का इश्तेहार चिपकाया गया। 05 फरवरी 2014 को कोर्ट द्वारा कुर्की-जब्ती का आदेश जारी किया गया। 14 फरवरी को तीन अभियुक्तों के खिलाफ आरोप गठन हुआ। 19 फरवरी 2014 को विधायक सीता सोरेन के आवास की कुर्की-जब्ती हुई। 21 फरवरी को भुवनेश्वर स्थित उनके पिता के आवास की कुकी-जब्ती हुई। लगातार दबाब से पूरी तरह टूट चुकी सीता सोरेन ने 25 फरवरी को अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। 

दारु-बालू तो बेचा ही जा रहा, पोषाहार के सामान भी दिल्ली-मुम्बई की कम्पनियों के हाथों बेची जा रही-बाबूलाल मराण्डी

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झामुमों-काँग्रेस व बीजेपी ने राज्य को लूटने का काम किया। हरियाणा के पूँजीपति व रिलायंस के एजेण्ड को राज्यसभा भेजकर मोटी रकम की उगाही की गईं। राज्य में दारु-बालू व पोषाहार की सामग्रियाँ तक दिल्ली-मुम्बई की कम्पनियों के हाथों बेची जा रही। वर्तमान सरकार लूली-लंगड़ी बन चुकी है। 

पिछले तीन दशकों से देश व राज्य की राजनीति का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा संताल परगना का प्रमण्डलीय मुख्यालय जिला दुमका अपनी दागदार छवि के लिये भी काफी मशहूर रहा। काँग्रेस, बीजेपी, झामुमों, राजद जैसी पार्टियाँ देश की राजधानी दिल्ली में झारखण्ड की आवाज बुलंद कर ही नहीं सकती। क्षेत्रीय पार्टी झामुमों ने काँग्रेस, बीजेपी व राजद की दलाली कर अपना उल्लू सीधा करने का काम किया। बीजेपी-काँग्रेस व झामुमों ने बारी-बारी से राज्य को लूटा-खसोटा। अर्जुन मुण्डा, शिबू सोरेन, मधुकोड़ा व हेमन्त सोरेन ने राज्य की खनिज सम्पदा यथा- कोयला, लोहा, बाॅक्साईड, अभ्रक खदानों को औने-पौने दाम पर बेच डाला। 25 फरवरी को गाँधी मैदान, दुमका में ’’मिशन 2014-14 लोकसभा में जीत’’, कार्यक्रम के तहत हजारों की संख्या में पहुँचे कार्यकर्ताओं की विशाल रैली को संबोधित करते हुए झाविमों सुप्रिमों व सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मराण्डी ने उपरोक्त बातें कही। श्री मराण्डी ने कहा वर्तमान सरकार के मुखिया व उनके सगे-संबंधियों ने बालूघाट तक को नहीं छोड़ा। दिल्ली व मुम्बई के हाथों इसे भी बेच डाला। मीड डे मील में टेण्डर की प्रक्रिया प्रारंभ कर यहाँ की महिलाओं के हिस्से प्राप्त काम पर बाहरी कम्पनियों का हस्तक्षेप यह साबित करता है कि झामुमों को राज्य की जनता से कोई लेना-देना नहीं रह गया है। राज्य में दारु तक की दूकानें बाहरी कम्पनियों के हाथों बेची जा रही। राज्य सभा चुनाव-2012 में हाॅर्स ट्रेडिंग में सीबीआई की गिरफत में फंसी सीता सोरेन पर अप्रत्यक्ष बार करते हुए श्री मराण्डी ने कहा यह इस मामले में झामुमों विधायकों का शामिल होना इस बात का द्योतक रहा है कि झामुमों सिर्फ लूट की राजनीति में ही विश्वास करती है। बाप-बेटा, उनके रिश्तेदार सभी लूटने में लगे हैं। मिशन-2014 में कार्यकर्ताओं का आहवान करते हुए श्री मराण्डी ने कहा लोकसभा चुनाव-2014 में जेवीएम को 14 सीटों पर बहुमत के साथ जीत दिलाने से ही राज्य की बदहाली पर अंकुश लगाया जा सकता है। उन्होनें कहा सीबीआई की जाँच सही तरीके से हो तो झामुमों के सभी विधायक होटवार की जेल में होगें। राज्यसभा चुनाव में काँग्रेस-झामुमों ने हरियाणा के पूँजीपति को लाकर खड़ा कर दिया। भाजपा-आजसू ने रिलायंस के एजेण्ड को राज्यसभा भेज दिया। इन सभी पार्टियों से सावधान रहने की जरुरत है। श्री मराण्डी ने कहा वर्ष 2013 में इस राज्य में 5 हजार से अधिक आपराधिक घटनाएँ घटी। पुलिस अपराधियों की बजाय पैसे वालों को गिरफत में लेती है ताकि सरकार तक पैसे पहुँचाएँ जा सकें। 28 महीनें के अपने मुख्यमंत्रित्व काल की चर्चा करते हुए श्री मराण्डी ने कहा उनके शासन काल में सूबे से अपराधियों का पलायन हो चुका था। अपराध करने से अपराधी खौफ खाते थे, आज दर्जनों उग्रवादी संगठन फल-फूल रहे हैं। झामुमों-काँग्रेस गठबंधन की वर्तमान सरकार लूली-लंगड़ी हो चुकी है। इस राज्य में बाप-बेटा दोनों कमाने पर लगे हैं।

babu lal marandi
विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होः- विशेष राज्य की चर्चा करते हुए श्री मराण्डी ने कहा उद्योग-धंधे लगाने की जरुरत जहाँ एक ओर इस राज्य में है वहीं इस मुद्दे पर शिबू सोरेन का विरोध यह दर्शाता है कि सूबे की अवाम से इन्हें कोई लेना-देना नहीं रह गया। परिवारवाद के शिकार शिबू सोरेन को मात्र अपने परिवार की चिन्ता रह गई है। यहाँ कोई बालू बेच रहा है तो कोई दारु। कोई पोषाहार का अनाज बेचकर ही अपनी झोली भर रहा है। विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने से झारखण्डी माँ-बहनें दूसरे राज्यों की ओर पलायन नहीं करेगीं। रोजगार का सृजन होगा। युवाओं को काम प्राप्त होगा। शिक्षा की बद्तर हालात में सुधार की गंुजाईश नजर आऐगी। उन्होनें कहा जिस जिले से बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ हैं उसी जिले के विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति नहीं है। आदिवासी छात्रावास की बच्चियाँ जिन स्थितियों में रह रही हैं उसे देखकर दुःख होता है। गाँव के विद्यालय में शिक्षक नहीं हैं। विश्वविद्यालय में कुलपति नहीं है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी इत्यादि तमाम तरह की व्यवस्थाओं को लकवा मार गया है। कार्यकर्ताओं व अवाम का आहवान करते श्री मराण्डी ने कहा एक अच्छे राज्य की परिकल्पना तभी सार्थक होगी जब जेवीएम को बहुमत के साथ जीत प्राप्त होगी। श्री मराण्डी ने आने वाले लोकसभा चुनाव के लिये कार्यकर्ताओं को तैयार रहने को कहा। झाविमों केन्द्रीय उपाध्यक्ष सबा अहमद, केन्द्रीय समिति के प्रधान महासचिव  व पोड़ेयाहाट के विधायक प्रदीप यादव, अबु तालिब अंसारी, अल्पसंख्यक मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष खालिद खलील, महेशपुर विस क्षेत्र के विधायक मिस्त्री सोरेन, दुमका लोक सभा क्षेत्र प्रभारी पारितोष सोरेन ने भी वर्तमान सरकार पर कटाक्ष करते हुए जनता को भरमाने वाली सरकार कहा। उपरोक्त नेताओं ने एक स्वर में कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा आने वाले समय में झाविमों बहुमत से जीत हासिल करे इसके लिये गाँव-गाँव तक लोगों से संपर्क स्थापित कर झाविमों के विजन से उन्हें अवगत कराने का काम किया जाय। इस अवसर पर दुमका लोकसभा क्षेत्र सह प्रभारी रणधीर सिंह, माधव महतों व सूर्या हाँसदा, आदिवासी मोर्चा के महासचिव कृष्णा सोरेन, केन्द्रीय कार्यसमिति के छोटू मुर्मू, पिण्टु अग्रवाल, अनूप कुमार सिन्हा, भोली गुप्ता, मनोज कुमार जायसवाल, रविकांत मिश्र, जिलाध्यक्ष रमेश मुर्मू, जिला महामंत्री धर्मेन्द्र सिंह, जिला उपाध्यक्ष विवेकानन्द राय, पीडी झा, विनोद यादव, श्याम राणा, रविन्द्र वास्की, सचिव मार्था हाँसदा, आशीष मुर्मू, मो0 कबीर, विभीषण पुजहर, प्रखण्ड अध्यक्ष सुबोध यादव (सरैयाहाट) बलराम राणा (मसलिया) कालू बनर्जी (रानेश्वर) रमेश मुर्मू (शिकारीपाड़ा) जीतलाल राय (रामगढ़) रामफल लायक (जामा) पंकज मुुर्मू (दुमका) अब्दुल सलीम (काठीकुण्ड) बाबूराम मुर्मू (जरमुण्डी) राजेश ंिसह (युवा दुमका नगर अध्यक्ष) शैलेन्द्र हेम्ब्रम (आदिवासी मोर्चा) टिंकु गण (महिला मोर्चा) युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष अशोक यादव, चन्द्रमोहन हाँसदा, गोड्डा जिलाध्यक्ष धनंजय यादव व मनोज यादव, केन्द्रीय कार्यसमिति सदसय प्रमोद विद्यार्थी व  रुसीलाल टुडू व अन्य मौजूद थे।  






अमरेन्द्र सुमन
रांची

सहारा प्रमुख अदालत में आज होंगे पेश

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पैराबैंकिंग और रियल एस्टेट के नाम पर निवेशकों से पैसे इकट्ठा करने वाले सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय ने शुक्रवार को लखनऊ पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। लेकिन सुब्रत रॉय की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस राधाकृष्णन ने उनकी गिरफ्तारी के लिए जारी गैर जमानती वारंट पर विचार करने से इनकार कर दिया है। अब उन्हें हर हालत में 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में पेश होना होगा। 

इससे पहले सुब्रत रॉय ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जज और मीडिया के नाम जारी दो पेजों के बयान में गुरुवार को लखनऊ के सहारा शहर स्थित अपने घर पर लखनऊ पुलिस को न मिलने की वजह बताई। उन्होंने कहा कि वह अपनी मां छबि रॉय की सेहत के बारे में डॉक्टरों से सलाह लेने घर से बाहर गए थे। उन्होंने बयान में कहा कि उन्हें 3 मार्च तक अपने घर में नजरबंद रहकर मां के साथ वक्त गुजारने की अनुमति दी जाए। गुरुवार को लखनऊ पुलिस ने कहा था कि सुब्रत रॉय न तो अपनी मां के साथ घर पर हैं और न ही अस्पताल में। पुलिस ने यह भी कहा था कि उनके परिवार को भी यह नहीं मालूम है कि वह कहां हैं। लेकिन गुरुवार को ही सुब्रत रॉय ने कई अखबारों में विज्ञापन देकर दावा किया था कि वह अपनी मां के साथ हैं और उन्हें छोड़कर कहीं नहीं जा सकते हैं। ऐसे में सुब्रत रॉय के विरोधाभासी बयानों से संदेह पैदा होता है। सवाल उठता है कि अगर उन्हें डॉक्टरों की सलाह लेने के लिए बाहर ही जाना था, तो वे इसकी जानकारी खुद परिवार को या पुलिस को फोन पर दे सकते थे।  

आलेख : रामविलास का भाजपा मिलाप ...!!

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ramvilas chirag paswan
लोजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के अपने परंपरागत मित्र लालू प्रसाद यादव या नीतिश कुमार के बजाय भाजपा का दामन थामने पर आश्चर्य भले ही व्यक्त किया जा रहा हो, लेकिन इसके आसार बहुत पहले से नजर आने लगे थे। क्योंकि रामविलास पासवान के पास इसके सिवा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। लालू यादव के साथ गठबंधन का परिणाण वे एक बार भूगत चुके थे। नीतीश कुमार के साथ दोस्ती में भी उनके सामने जोखिम था। लिहाजा अवसरवादी राजनीति के जीवंत मिसाल रामविलास पासवान के लिए  12 साल बाद फिर राजग में लौटना ही सर्वाधिक सुविधाजनक था। वैसे भी रामविलास पासवान हमेशा धारा के साथ बहने में यकीन करते हैं। मंडल राजनीति की उपज पासवान यदि वीपी सिंह की अंगुली पकड़ कर राजनीति की पगडंडी पर चले, तो देवगौड़ा से लेकर गुजराल और वामपंथी दल और फिर एकदम यू टर्न लेते हुए वाजपेयी सरकार की शोभा बढ़ाने से भी नहीं हिचकिचाए। 

एेसे में भारत में घुसे अवैध बंगलादेशियों को भारत की नागरिकता देने की मांग कर चुके पासवान यदि फिर उसी भाजपा के साथ हो गए, जिसे वे पिछले 12 साल तक कोसते रहे, तो इस पर आश्चर्य कैसा। वैसे अवसरवादिता के लिए सिर्फ पासवान को ही क्यों दोष दिया जाए। एक राज्य की मुख्यमंत्री को पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों को जेल से रिहा करना जरूरी लगा क्योंकि इससे उसे अपने प्रदेश में राजनैतिक फायदा मिलना तय है।  देशद्रोह व अन्य जघन्य अपराध में जेलों में बंद रहे पंजाब के भुल्लर और कश्मीर के अफजल गुरु के मामले में पंजाब और कश्मीर में लंबी राजनीतिक पारी खेली जा चुकी है । एक और महिला मुख्यमंत्री ने राजकाज संभालते ही मस्जिदों के इमामों के लिए मासिक भत्ते का एेलान कर दिया। यह जानते हुए भी सरकारी खजाने की हालत खराब है, और इससे दूसरे वर्गों में भी एेसी मांग उठ सकती है।  बिहार के कथित सुशासन बाबू कहे जाने वाले मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को अचानक अपने प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने का सूझा, और लगे हाथ उन्होंने बंद का ऐलान भी कर दिया। क्योंकि आखिर लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें भी तो अपने तरकश में कुछ तीर सजाने हैं। केंद्र सरकार जल्द ही अपने कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने वाली है, यह जानते हुए भी इससे सरकारी खजाने पर अरबों का बोझ बढ़ेगा, साथ ही देश में महंगाई और आर्थिक असमानता भी भयंकर रूप से बढ़ेगी। 

लेकिन सरकार मजबूर है क्योंकि सरकार चलाने वालों को जल्द ही चुनावी दंगल में कूदना है, और एकमुश्त वोट पाने के लिए सरकारी कर्मचारियों को खुश करने से अच्छा उपाय और कुछ हो नहीं सकता। केंद्र की देखादेखी राज्यों की सरकारें भी अपने कर्मचारियों का समर्थन पाने के लिए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने को मजबूर होंगी। इससे देश में कायम अराजकता का और बढ़ना बिल्कुल तय है। लेकिन सवाल है कि देश के उन करोड़ों लोगों का क्या होगा , जो रोज कमा कर खाते हैं। महंगाई के अनुपात में जिनकी कमाई रत्तीभर भी नहीं बढ़ पाती।




तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर ( पशिचम बंगाल) 
संपर्कः 09434453934 
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं। 

छत्तीसगढ़ में नक्सली हमला, छह पुलिसकर्मी शहीद

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छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में शुक्रवार सुबह हुए नक्सली हमले में पुलिस के छह जवान शहीद हो गए और चार अन्य घायल हुए हैं। घायलों की हालत नाजुक बनी हुई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, दंतेवाड़ा स्थित कुंआकोंडा से बचेली के बीच सड़क निर्माण कार्य किया जा रहा है, जिसकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। कुंआकोंडा के थानेदार विवेक शुक्ला अपने 12 सहयोगियों के साथ तीन मोटर साइकिल पर सवार होकर निर्माण स्थल की ओर रवाना हुए थे।

पुलिसकर्मियों के कुआंकोंडा और बचेली के बीच स्थित खूटपार गांव के नजदीक पहुंचने पर जंगल में पहले से घात लगाए नक्सलियों ने उनपर गोलीबारी शुरू कर दी, जिस पर पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। लगभग एक घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद नक्सली घने जंगल और पहाड़ियों की आड़ लेकर भाग गए। मुठभेड़ में छह जवान शहीद हो गए हैं और चार घायल हुए हैं। शहीद जवानों के शव एवं घायलों को दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय लाया गया है, जहां घायलों का उपचार जारी है। दंतेवाड़ा सहायक पुलिस अधीक्षक एस.आर. भगत ने जवानों की शहादत एवं घायल होने की पुष्टि करते हुए बताया कि नक्सलियों की तलाश में पुलिस की टीमें नक्सलियों के संदिग्ध ठिकानों की ओर रवाना कर दी गई हैं।

नरेंद्र मोदी का सोनिया गांधी पर कटाक्ष, ‘ 10 नंबरी गांधी ने आंध्र का ये क्या हाल कर दिया: मोदी

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आंध्र प्रदेश के बंटवारे के दौरान मची अराजकता के लिए सोनिया गांधी को जिम्मेदार ठहराते हुए बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी ने उन्हें 10 नंबरी करार दिया. मोदी का इशारा कांग्रेस अध्यक्ष के निवास स्थान 10 जनपथ की तरफ था. मगर 10 नंबरी शब्द का इस्तेमाल बदमाशी के संदर्भ में भी किया जाता है. अभी पिछले दिनों ही कांग्रेस नेता और विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने मोदी को नपुंसक कहा था. इस पर अगले दिन राहुल गांधी ने नाराजगी जाहिर की थी. बीजेपी ने भी राजनीतिक सभ्यता का हवाला दिया था. देखना होगा कि अब मोदी का ये बयान क्या गुल खिलाता है.

कर्नाटक के गुलबर्गा इलाके में शुक्रवार को एक रैली संबोधित करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री बोले कि देखिए 10 नंबरी गांधी ने क्या किया आंध्र प्रदेश के साथ. कांग्रेस ने बच्चा पैदा करने के साथ ही मां को मार दिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी भी चाहती है कि तेलंगाना बने और सीमांध्रा भी खूब तरक्की करे. मगर कांग्रेस तो उस डॉक्टर की तरह पेश आई, जो जचगी के बाद मां को ही मार देता है. मोदी ने कहा कि हम मां और बच्चा, दोनों को बचाना चाहते हैं.

तेलंगाना बनाने का श्रेय कांग्रेसियों द्वारा लिए जाने पर कटाक्ष करते हुए नरेंद्र मोदी बोले कि मैं सलाम करता हूं उन सभी को. जिन्होंने अपनी छाती पर गोलियां झेलीं तेलंगाना राज्य बनाने के लिए. फिर पुराने राज्य के घावों पर मरहम रखते हुए मोदी बोले कि मैं सीमांध्रा जाऊंगा और सारे प्रयास करूंगा ताकि वहां के लोगों के घाव भर सकें.

गुलबर्गा के लोगों को इतिहास की याद दिलाते हुए मोदी बोले कि देश 1947 में आजाद हुआ था. मगर गुलबर्गा नहीं. सरदार पटेल ने हैदराबाद के निजाम पर दबाव बनाया, तब गुलबर्गा आजाद हुआ. अगर सरदार नहीं होते, तो हैदराबाद और गुलबर्गा जाने के लिए पाकिस्तान का वीजा लेना पड़ता.

बेगूसराय में साहित्यकारों का समागम

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  • साहित्यकारों ने किया दिनकर की मिट्टी को नमन ! 
  • दो दिवसीय साहित्यिक समागम सम्पन्न


= शरीर में एक अंग का विकास होना तरक्की नहीं कैंसर का लक्ष्ण है- डा. विश्वनाथ त्रिपाठी
= विचार की भूमि से ही विचार पैदा होता है- शशिशेखर, प्रधान संपादक ’हिन्दुस्तान’ 
= जनतंत्र को मानवीय बनाने की जरुरत है- खगेन्द्र ठाकुर
= एक समय प्रतिस्पर्द्धा थी कौन कितना त्याग करता है और आज कौन कितना संचय करता है- सुधांशु रंजन, दूरदर्शन
= मुर्दों को जगाने का काम कबीर कर रहे थे-  संजय श्रीवास्तव, प्रलेस महासचिव उप्र.


khagendra thakur
26-27 फर., बेगूसराय, आप अपने लिए लड़ते हैं तभी हारते हैं। सही जगह पहुँचने के लिए सही घोड़ा औए ठीक सवार भी चाहिए। जो लोभी होगा वह निडर कैसे हो सकता है? जो लोग संस्कृति की बात करते हैं कभी उन्होंने- नरहरि दास, मीरा, कबीर, सूर व तुलसी का नाम नही लिया..।

क्या अंबानी को जरूरत है समाजवाद की..? शरीर का एक अंग विकसित हो तो वह तरक्की नहीं कैंसर है। हमने सपने बदल दिये हैं। इसमें अमीर अपने ख्वाहिश पूरा कर लेता है लेकिन गरीब बेरोजगार की फ़ौज बिकने के लिए तैयार है.. बाबरी मस्जिद तुड़वा लीजिए या दंगा करवाइये..। ये बाते विप्लवी पुस्तकालय, गोदरगावाँ के 84 वाँ वार्षिकोत्सव में वरिष्ठ साहित्यकार डा. विश्वनाथ त्रिपाठी ने कही। वे ’आजादी के दीवानों के स्वप्न और वर्तमान भारत’ विषय पर आयोजित आमसभा में बोल रहे थे।

विषय प्रवेश करते हुए दूरदर्शन के एंकर सुधांशु रंजन ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम में भारतीय परंपरा के पौराणिक ऎतिहासिक उदाहरणों को श्रोताओं के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि न्यायोचित समाज का निर्माण करना देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। हमारे यहाँ नेता सत्ता का मोह नहीं छोड़ते। एक समय प्रतिस्पर्द्धा थी कि कौन कितना त्याग करता है और आज कि कौन कितना संचय करता है.. एक तरह का विश्वासघात है उन शहीदों के साथ..।
    
प्रो. वेदप्रकाश (अलीगढ़ मुस्लिम विश्व. हिन्दी विभाग के प्राध्यापक) ने कहा कि भगत सिंह क्रांतिकारी के साथ प्रखर बुद्धिजीवी भी थे। पुस्तकालय कैसे क्रांति का केंद्र बन सकता है यह भी भगत सिंह ने सिखाया। इंकलाव निरंतर चलनेवाली प्रक्रिया है..।
    
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ आलोचक डा. खगेन्द्र ठाकुर ने कहा कि ..सुभाष चंद्र बोस गांधी के विकल्प बन गये थे। प्रेमचंद की एक नारी पात्र कहती है कि जान की जगह गोविन्द को बैठाने से क्या होगा.. चेहरा बदलने से क्या होगा..? उन्होंने आगे कहा कि जनतंत्र सिमटता जा रहा है, जिसके पास खाने-पीने का साधन नहीं है उसके लिए कौन सा जनतंत्र है..जनतंत्र पर जनता का नियंत्रण नहीं है.. इस जनतंत्र को मानवीय बनाने की जरुरत है ।
    
डा. संजय श्रीवास्तव (उप्र प्रलेस महासचिव) ने कहा कि देश में सांप्रदायिकता की खेती की जा रही है.. चाय की चुस्कियों के साथ !
    
bihar prales begusarai
बिहार प्रलेस महासचिव राजेन्द्र राजन ने कहा कि युवा पीढ़ी में आधुनिकता और करोड़पति, अरबपति बनने की होड़ लगी है, एक तरफ़ इनके ठाट-बाट हैं तो दूसरी ओर भूख, अभाव, शिक्षा आवास व सुरक्षा के लिए तरसते लोग। युवाशक्ति की ऊर्जा क्षीण हो रही है.. हम  किस हिन्दुस्तान को बनाना चाहते हैं..? एक नई किस्म की राजनीति चल रही है.. कुर्सी की राजनीति.. समाज को मानवीय बनाने के लिए सपने देखने की जरुरत है..।
     
समारोह का यादगार लमहा प्रसिद्ध रंगकर्मी प्रवीर गुहा द्वारा निर्देशित व रवीन्द्रनाथ टैगोर लिखित नाटक ’विशाद काल’ का मंचन एवं दिनकर शर्मा द्वारा प्रेमचंद की कहानी का एकल मंचन भी महत्वपूर्ण रहा।
    
समारोह के दूसरे दिन 27 फ़रवरी को चन्द्र्शेखर आजाद (शहादत दिवस) के सम्मान में आयोजित संगोष्ठी के मुख्य वक्ता दैनिक ’हिन्दुस्तान’ के प्रधान संपादक शशिशेखर (नई दिल्ली) थे। उन्होंने ’लोक जागरण की भारतीय संस्कृति और कट्टरता के खतरे’ पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विचार की भूमि से ही विचार पैदा होता है..। क्या कारण था कि 1947 से पहले स्कूलों में अलख जगा करता था। हम आसानी से एक एक हो जाते थे। आज वैसी सोच नहीं है.. । हमने उस आइने को छिपा दिया है जिसे कन्फ़्युशियस पास रखते थे..। यह आईना हमें हमारी जिम्मेवारी का एहसास कराता है। उन्होंने कहा कि सवालों के हल शब्दों से नहीं कर्म से होता है..।
    
इस सत्र के प्रथम वक्ता प्रो. वेदप्रकाश ने कहा कि लोक जागरण भारत कि विरासत रही है..। आत्म जागरण का मतलब आत्म कल्याण के साथ-साथ जन कल्याण भी होनी चाहिए। 
    
डा. संजय श्रीवास्तव ने संगोष्ठी के वैचारिक विमर्श को आगे बढ़ाते हुए कहा कि लोक जागरण का अग्रदूत कबीर से बड़ा कोई नहीं हुआ.. मुर्दे को जगाने का काम कबीर कर रहे थे। बुद्धकाल को लोक जागरण नहीं मानना हमारी बड़ी भूल होगी। हम आज भी कबीर के सहारे खड़े हैं.. हमें आज कबीर की जरुरत है..।
    
इस सत्र में डा. विशनाथ त्रिपाठी, सुधांशु रंजन ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता जीडी कालेज के पुर्व प्राचार्य प्रो. बोढ़न प्र. सिंह ने की। कार्यक्रम में उमेश कुवंर रचित पुस्तक ’भारत में शिक्षा की दशा व दिशा’ का लोकार्पण भी किया गया।

समारोह में वरिष्ट पत्रकार शशिशेखर ने स्कूली बच्चों को सम्मानित किया। इस अवसर पर ’हिन्दुस्तान’ के वरीय स्थानीय संपादक डा. तीरविजय सिंह, विनोद बंधु सहित अतिथि एवं स्थानीय साहित्यकार मौजूद थे। हजारों दर्शक व श्रोंताओं साथ भाकपा राज्य सचिव राजेन्द्र सिंह, रमेश प्रसाद सिंह, नरेन्द्र कुमार सिंह, धीरज कुमार, आनंद प्र.सिंह, सर्वेश कुमार, डा. एस. पंडित,डा. अशोक कुमार गुप्ता, सीताराम सिंह, चन्द्रप्रकाश शर्मा बादल, दीनानाथ सुमित्र, सीताराम सिंह, अनिल पतंग, दिनकर शर्मा, वंदन कुमार वर्मा, अमित रौशन, परवेज युसूफ, आनंद प्रसाद सिंह, मनोरंजन विप्लवी, अरविन्द श्रीवास्तव आदि की उपस्थिति ने आयोजन को यादगार बना दिया।






अरविन्द श्रीवास्तव, 
मोबाइल- 9431080862.
मधेपुरा (बिहार) 

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर (28 फरवरी )

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इस वक्त मु यमंत्री राजनीति न करे-अरुण यादव
  • तबाह किसानों की बीच पहुंचे प्रदेशाध्यक्ष

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सीहोर। क्षेत्र में ओलावृष्टि, तेज हवाओं के साथ गिरे पानी से तबाह हुई फसलों को लेकर इस वक्त अन्नदाता और धरती पुत्र संकट में इस वक्त प्रदेश के मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राजनैतिक बयानबाजी छोड़कर किसानों की दयनीय स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। उक्त विचार शुक्रवार एक दर्जन से अधिक गांवों के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहे। इस अवसर पर ओले से हुई तबाही पर किसानों का पक्ष रखते हुए श्री यादव ने कहा कि कई गांवों में किसानों की फसल पूरी तरह जमीदोज हो गई है। इस वक्त किसानों के बिजली के बिल सहित अन्य कर्ज माफ कर तीन दिन में सर्वे कर मुआवजा वितरण होना चाहिए। इस संबंध में जानकारी देते हुए जलज छोकर ने बताया कि शुक्रवार को श्री यादव ग्राम छापरी, सेमरादांगी, मुंगावली, रायपुरा, मूंडला खुर्द, तरोनिया, सतरोनिया सहित एक दर्जन से अधिक गांवों के दौरे पर रहे और किसानों से ढांढस बांधते हुए कहा कि केन्द्र सरकार किसानों के साथ है। श्री यादव ने किसान रघुवीर सिंह दांगी, देवी सिंह, भगवत सिंह, बाबूलाल, राधेश्याम, प्रताप सिंह, आनंद पाटीदार, नारायण पटेल, जीवन और चंदर सिंह आदि के खेतों का मुआयना किया। इस दौरान सेमरादांगी के किसान रघुवीर ने बताया कि ओला वृष्टि से किसानों के कबेलू और फसलों को नुकसान पहुंचा है। इस समय किसानों की फसल पूरी तरह पक कर तैयार थी। वही क्षेत्र में कई किसानों ने फसलों की कटाई भी की थी। उन किसानों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है। इस दौरे के दौरान जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कैलाश परमार, शैलेन्द्र पटेल, ओम वर्मा, बाबूलाल पटेल, राजेश यादव भूरा, कमलेश कटारे, हरीश राठौर, राहुल यादव, जलज छोकर, राजाराम बड़े भाई, राजीव गुजराती, रघुवीर दांगी, आशीष गुप्ता, भगत सिंह तोमर आदि शामिल थे। इन कांग्रेसजनों ने श्री यादव से किसानों को राहत दिलाने की मांग की। 

वेटलिफ्टिंग में चमके सितारे, पहलवानों का सम्मान 

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सीहोर। छिंदवाडा में आयोजित राज्य स्तरीय वेट लिि टंग प्रतियोगिता में जिले के कुंवर विश्वजीत और कान्हा त्यागी के जोरदार प्रदर्शन की बदौलत इस प्रतियोगिता में दो गोल्ड मिलने पर युवा कल्याण खेल विभाग के अधिकारी आनंद स्वामी ने दोनों गोल्ड विजेताओं का स मान करते हुए बताया कि यह पहला मौका है जब ग्रामीण क्षेत्रों से किसी वेट लिि टरों द्वारा राज्य स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर गोल्ड जीता है। उक्त दोनों पहलवानों का आगामी आठ मार्च से रांची में होने वाली राष्ट्रीय वेटलिि ंटग प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ है। इस अवसर पर अन्य खिलाड़ियों ने भी पहलवानों को बधाई दी है। बधाई देने वालों में चंद्रशेखर डागर, राजेन्द्र सेन, नरेश, आशीष शर्मा, अतुल तिवारी आदि शामिल है।  

 डाॅ.गुप्ता ने प्रभारी सीएमएचओ का कार्यभार संभाला

प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.आर.सी.गुप्ता आज अपने पद से सेवानिवृत्त हुए। डाॅ.आर.सी.गुप्ता के सेवानिवृत्त होेने के कारण वरिष्ठता मापदण्ड के आधार जिला चिकित्सालय सीहोर में पदस्थ वरिष्ठ चिकित्सक एवं अस्थी रोग विषेषज्ञ डाॅ.आर.के.गुप्ता को कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत के निर्देषानुसार प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रभारी सौंपा गया है। डाॅ.आर.के.गुप्ता ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय पहुंचकर प्रभारी सीएमएचओ का कार्यभार आज कार्यभार ग्रहण कर लिया है। इस अवसर पर कार्यालय के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन

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केन्द्र के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन मंत्रिमंडल ने अगले आम चुनावों से पहले अपनी आखिरी बैठक में आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का आज फैसला किया। सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की यहां हुई बैठक में आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया गया।   

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी ने राज्य के विभाजन के विरोध में इसी माह अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्यपाल ई एस एल नरसिम्हन ने इसके बाद केन्द्र को भेजी अपनी रिपोर्ट में आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी।
     
संसद ने अपने पिछले विस्तारित शीतकालीन सत्र में आंध्र प्रदेश के विभाजन का विधेयक पारित किया था। लेकिन केन्द्र सरकार ने राज्य के विभाजन की तारीख के बारे में अब तक कोई फैसला नहीं किया है। गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश विधानसभा के चुनाव भी लोकसभा चुनावों के साथ ही कराए जाने हैं।  
    
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश में स्थिति का जायजा लेने के लिए पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह, केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और अपने राजनीतिक सचिव अहमद पटेल के साथ बातचीत की थी। आंध्र प्रदेश में इससे पहले 1973 में जय आंध्र आंदोलन के दौरान राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।

बंबई शेयर बाजार सूचकांक 21,000 अंक के पार

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बंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक टीसीएस, टाटा मोटर्स और हिन्डाल्को जैसी प्रमुख कंपनियों के शेयरों में लिवाली बढ़ने से 133 अंक चढ़कर 21,000 अंक से ऊपर बंद हुआ। नवंबर के बाद सर्वाधिक साप्ताहिक बढ़त दर्ज करते हुए सेंसेक्स ने पुन: 21,000 के स्तर को पार किया है। बाजार सूत्रों का कहना है कि विदेशी निवेशकों की धारणा मजबूत बनी हुई है। भारतीय शेयरों में वह शुद्ध खरीदार बने हुये हैं।

अमेरिका के फेडरल की चेयरपर्सन जानेट येलेन ने कल कहा कि बॉंड खरीद कार्यक्रम में बदलाव को वह नपे तुले ढंग से ही आगे बढ़ायेंगे। इसका बाजार पर अनुकूल असर दिखा। बई शेयर बाजार :बीएसई: का संवेदी सूचकांक आज 133.13 यानी 0.63 प्रतिशत बढ़कर 21,120.12 अंक पर बंद हुआ। इससे पहले सूचकांक 24 जनवरी को 21,000 के स्तर से उपर निकला था। इस सप्ताह के दौरान पिछले चार दिनों में सूचकांक 450 अंक बढ़ चुका है। आज कारोबार के दौरान सूचकांक 21,140.51 अंक तक बढ़ गया था।

विशेषज्ञों ने कहा कि सभी की निगाहें तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों पर हैं। एनएसई: का निफटी भी आज 38.15 अंक यानी 0.61 प्रतिशत बढ़कर 6,276.95 अंक पर बंद हुआ। बीएसई-30 सूचकांक में 18 कंपनियों के शेयर लाभ में रहे। टीसीएस, टाटा मोटर्स, सन फार्मा, ओएनजीसी और भेल में अच्छा लाभ दर्ज किया गया। हालांकि, घाटे वाले शेयरों में मारति सुजूकी सबसे प्रमुख रही। कार निर्माता इस कंपनी का शेयर 4.54 प्रतिशत लुढक गया। कंपनी के प्रस्तावित गुजरात संयंत्र को लेकर निवेशक चिंतित हैं।

करुणनिधि की गठबंधन के संकेत

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 एम़ करुणानिधि ने नरेन्द्र मोदी को कठिन परिश्रमी और अच्छा दोस्त बताया है। इस टिप्पणी को लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के लिए संकेत भेजने के तौर पर देखा जा रहा है।

तमिल दैनिक दिनामलार को दिए साक्षात्कार में करुणानिधि का यह बयान आया है। साक्षात्कार में 90 वर्षीय द्रमुक नेता ने भाजपा से संभावित गठबंधन के बारे में कुछ नहीं कहा। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में व्यक्तिगत विचार के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि मोदी की व्यस्त चुनावी रैलियों से पता चलता है कि वह कठिन परिश्रमी हैं । वह मेरे अच्छे मित्र भी हैं।

यह पूछने पर कि हाल में राज्य द्रमुक के सम्मेलन में उन्होंने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी सांप्रदायिक ताकतों से गठबंधन नहीं करेगी तो क्या इससे मतलब भाजपा से है । इस पर करुणानिधि ने पलटवार करते हुए पूछा कि क्या आप दावे के साथ कह सकते हैं कि भाजपा सांप्रदायिक है।

यह पूछने पर कि क्या चुनावों के बाद द्रमुक के भाजपा नीत गठबंधन में शामिल होने की संभावना है तो उन्होंने कहा कि भविष्यवाणी नहीं कर सकते और कह नहीं सकते कि लोकसभा चुनावों के बाद क्या स्थिति बनती है ।

प्रत्याशी अब चुनावों में ज्यादा पैसे खर्च कर सकेंगे

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सरकार ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के खर्च की अधिकतम सीमा बढ़ाने के निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया कि इसमें उम्मीदवारो के चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोजन नियमावली ।962 में संशोधन को मंजूरी दी गई।


विज्ञप्ति के अनुसार लोकसभा चुनावों में उम्मीदवार अब अधिकतम 70 लाख रुपए खर्च कर सकेंगे। वहीं अरुणाचल प्रदेश, गोवा, सिक्किम, अंडमान निकोबार, चंडीगढ़, दादर और नगर हवेली, दमन और दीव, लक्षदीप और पुंडुचेरी के उम्मीदवारों के लिए यह अधिकतम सीमा 54 लाख रुपए होगी। इसी तरह विधानसभा के उम्मीदवार अब अधिकतम 28 लाख रुपए चुनाव खर्च कर सकेंगे। अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और पुंडुचेरी के लिए खर्च की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपए होगी।

रामविलास पासवान सिद्धांत विहीन नेता : नीतीश

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के गठबंधन के बारे में कहा कि इस गठबंधन को सिद्धांतों से कोई लेना-देना नहीं है। पटना में शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने यह साबित कर दिया है कि राजनीति में विचारधारा नाम की कोई चीज नहीं होती।

उन्होंने पासवान को सिद्धांतविहीन नेता बताते हुए कहा, वो परिस्थिति के साथ सिद्धांत में भी परिवर्तन कर लेते हैं। जैसी परिस्थिति, वैसा निर्णय, वैसा रास्ता। नीतीश ने पासवान पर प्रहार करते हुए कहा कि पासवान ने यह साबित कर दिया है कि उनके कार्यों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा कोई दूसरा आदमी नहीं कर सकता और ऐसा कोई दूसरा मामला भी नहीं हो सकता। उल्लेखनीय है कि अगामी लोकसभा चुनाव को लेकर गुरुवार को भाजपा और लोजपा में गठबंधन हुआ है। दोनों पार्टियों में हुए समझौते के अनुसार बिहार में लोजपा सात सीटों पर चुनाव लड़ेगी। गौरतलब है कि लोजपा पूर्व में भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा रह चुकी है।

दोहा के रेस्‍तरां में विस्फोट, 12 की मौत

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कतर की राजधानी दोहा में गुरुवार की सुबह एक पेट्रोल स्टेशन के पास स्थित एक रेस्टोरेंट में हुए विस्फोट में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और 30 घायल हो गए। यह जानकारी अधिकारियों ने दी। बीबीसी के मुताबिक, कतर पुलिसबल के प्रमुख मेज जे सादा अल-खुलैफी ने बतया कि मारे गए सभी लोग एशियाई और अरबी थे। घायलों में से कुछ की हालत गंभीर है। शुरुआती संकेतों से पता चलता है कि एक तुर्की रेस्टोरेंट के ऊपर बने प्राकृतिक गैस का टैंक फटने से विस्फोट हुआ।

दुर्घटना सुबह दस बजे के (जीएमटी 7 बजे) के बाद मशहूर लैंडमार्क मॉल और पेट्रोल स्टेशन के पास हुई। विस्फोट से इसतांबुल रेस्टोरेंट का कुछ हिस्सा गिर गया। हालांकि अधिकारी विस्फोट को दुर्घटना बता रहे हैं, लेकिन यह अस्पष्ट है कि टैंक में आग कैसे लगी।दोहा में भारतीय दूतावास के एक अधिकारी ने बताया कि हमें हताहतों के बीच किसी भारतीय के होने की कोई सूचना नहीं मिली है। कतर में लगभग 600,000 प्रवासी भारतीय रहते हैं।
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