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भारत ने इजरायल से दीर्घकालीन निवेश का प्रस्ताव किया

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यरुशलम, 19 जनवरी, भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इजरायल के साथ अपने देश के संबंधों के महत्व पर जोर देते हुए इजरायल से भारत की अर्थव्यवस्था में दीर्घकालीन निवेश का प्रस्ताव किया है । श्रीमती स्वराज ने कल यहां भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक संबंधों को व्यापक बनाना आवश्यक है । उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच अब तक व्यापारिक संबंध रहा है किन्तु अब इसका विस्तार निवेश मैन्यूफैक्चरिंग तथा सेवाओं तक करना आवश्यक है । उन्होंने कहा कि भारत को गंगा की सफाई स्मार्ट सिटी , डिजिटल इंडिया अभियान में इजरायल की विशेषज्ञता की जरुरत है । 

उन्होंने कहा कि इजरायल को अब व्यापार से आगे बढ़कर भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश के लिए आगे आना चाहिए और उद्योगों में वस्तुओं का संयुक्त उत्पादन शुरू करना चाहिए । सेवाओं के क्षेत्र में दोनों देशों की साझेदारी शुरू की जा सकती है । उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच 1992 में राजनयिक संबंध कायम होने के बाद से दोनों के बीच रक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों की साझेदारी शुरू की जा सकती है । उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच 1992 में राजनयिक संबंध कायम होने के बाद से दोनों के बीच रक्षा के बाद से दोनों के बीच रक्षा के क्षेत्र में सहयोग काफी अधिक बढ़ा है । कृषि के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ा है । उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि दोनों देश शिक्षा विज्ञान तथा टेक्नालाजी के क्षेत्र में भी अपने सहयोग का विस्तार कर रहे हैं ।

एयरबेस में नहीं जा सकता पाक जांच दल : राव इंद्रजीत

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नयी दिल्ली 19 जनवरी, पठानकोट आतंकवादी हमले के बाद आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद पर कार्रवाई के लिए भारत द्वारा पाकिस्तान पर बनाये जा रहे दबाव के बीच रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने आज कहा कि पाकिस्तान के विशेष जांच दल को पठानकोट वायुसैनिक अड्डे में जाने की अनुमति नहीं दी जायेगी। श्री सिंह ने आज यहां संवाददाताओं के इस हमले से जुडे सवालों के जवाब में उम्मीद जतायी कि पाकिस्तान पठानकोट हमले के गुनहगारों पर कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि शायद इस बार कुछ कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि आतंकवाद समूची दुनिया के लिए समस्या है और पाकिस्तान भी आतंकवाद का एक अड्डा है इसलिए उस पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव भी है । 

उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ अब पूरा विश्व एकजुट है और यदि पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनता है तो यह भारत के लिए अच्छा है। इस हमले की जांच में सहयोग के लिए पाकिस्तान के विशेष जांच दल (एसआईटी)के घटनास्थल के दौरे से जुडे सवाल पर उन्होंने कहा ,“ हमारे मंत्री जी ने कहा है कि पाकिस्तान के एसआईटी को (पठानकोट एयरबेस ) के अंदर दाखिल नहीं होने देंगे। ” उल्लेखनीय है कि इस हमले में जैश ए मोहम्मद का हाथ होने के भारत के दावे पर पाकिस्तान ने इसकी जांच के लिए अपनी एसआईटी को यहां भेजने की बात कही थी जिसका भारत ने शुरू में स्वागत किया था लेकिन अभी इसके बारे में कोई निर्णय नहीं हुआ है। पाकिस्तान का कहना है कि उसकी एसआईटी घटनास्थल का दौरा करना चाहती है जिससे कि इस हमले में जैश ए मोहम्मद की भूमिका का पता लगाया जा सके। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान के एसआईटी को पठानकोट एयरबेस में जाने की अनुमति नहीं दी जायेगी।

व्यथित अशोक वाजपेयी का डी लिट् की मानद डिग्री लौटाने का फैसला

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नयी दिल्ली 19 जनवरी, असहिष्णुता के मुद्दे पर साहित्य अकादमी का पुरस्कार लौटाने वाले हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ने दलित शोध छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या से व्यथित होकर हैदराबाद केंद्रीय विश्विद्यालय की डी लिट की मानद उपाधि लौटाने का फैसला किया है। श्री वाजपेयी ने कहा,“ इस घटना ने मुझे व्यथित कर दिया है और इसलिए मैंने यह फैसला किया है । ”  श्री अशोक वाजपेयी ने कहा कि इस घटना से पता चलता है कि विश्व विद्यायल का माहौल कितना दलित विरोधी है और परिसर में असहमति व्यक्त करने का स्थान नहीं है। विश्व विद्यालय प्रशासन ने रोहित को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया। इस घटना की जिम्मेदारी विश्व विद्यालय को लेनी ही होगी । 

उन्होंने कहा कि देश में असहमति के लिए स्थान लगातार कम होता जा रहा है। विश्व विद्यालयों के माहौल को खराब किया जा रहा है तथा छात्रों के बीच ध्रुवीकरण किया जा रहा है।  श्री वाजपेशी ने 16जनवरी को अपने 75वें जन्म दिन पर यूनीवार्ता से बातचीत में कहा था कि देश में पुरस्कार वापसी का सिलसिला भले की खत्म हो गया है लेकिन असहिष्णुता का मुद्दा बना हुआ है।उनके इस बयान के दो दिन बाद ही दलित छात्र की आत्महत्या की घटना हुयी।  श्री वाजपेशी को 20013 में जानीमानी लेखिका कृष्णा सोबती के साथ हैदराबाद विश्व विद्यालय से डीलिट् की मानक डिग्री मिली थी। 

श्री अशोक वाजपेयी ने पिछले दिनों असहिष्णुता के मुद्दे पर न केवल साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया था बल्कि दिल्ली में उन्होंने एक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया था जिसमें नरेन्द्र दाभोलकर, गोविन्द पनसारे और एम एम कलबुर्गी के परिवार के लोगों ने हिस्सा लिया था।  श्री वाजपेयी असहिष्णुता के मुद्दे पर 30 जनवरी को दिल्ली में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत दिवस के अवसर पर एक और सेमिनार आयोजित कर रहे हैं और भविष्य में देश में कई शहरों में भी वह ऐसे सेमिनार आयोजित करेंगे।  हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के विरोध में उपाधि लौटाकर श्री वाजपेयी ने असहिष्णुता पर चल रही बहस को एक बार फिर तेज कर दिया है। 

बिहार में महिलाओं को सरकारी नौकरी में मिलेगा 35 फीसदी आरक्षण

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कैबिनेट की बैठक में मंगलवार को बिहार सरकार ने महिलाओं को सरकारी नौकरी में 35 फीसदी आरक्षण दिए जाने के फैसले पर मुहर लगा दी है. सरकार सभी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण देगी.

सरकार ने आरक्षित और गैर आरक्षित वर्ग में भी महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है. बिहार पुलिस में महिलाओं को अब तक 35 प्रतिशत आरक्षण मिला रहा था. आपको बता दें कि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले वर्ष बिहार दिवस के मौके पर आरक्षण देने की घोषणा की थी.

विशेष आलेख : महान देशभक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस

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महान सेनापति, वीर सैनिक, राजनीति के अद्भुत खिलाड़ी और अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुरुषों, नेताओं के समकक्ष साधिकार बैठकर कूटनीतिक व राजनितिक चर्चा करने वाले तथा भारत के स्वतंत्रता हेतु सम्पूर्ण यूरोप में अलख जगाने वाले सुभाष चंद्र बोस भारतीय इतिहास के ऐसे व्यक्तित्व हैं, जो प्रकृति से साधु, ईश्वर भक्त तथा तन एवं मन से एक महान देशभक्त थे और नेता ऐसे कि आज भी एकमात्र उन्हें ही नेताजी के नाम से जाना जाता है । मोहनदास करमचन्द गाँधी के नमक सत्याग्रह को नेपोलियन की पेरिस यात्रा की संज्ञा देने वाले सुभाष चंद्र बोस का ऐसा व्यक्तित्व था, जिसका मार्ग कभी भी स्वार्थों ने नहीं रोका, जिसके पाँव लक्ष्य से कभी पीछे नहीं हटे, जिसने जो भी स्वप्न देखे, उन्हें साधकर ही दम लिया । उनमें सच्चाई के सामने खड़े होने की अद्भुत क्षमता थी और वे जो भी करते, आत्मविश्वास से करते थे। 

तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूँगा और जय हिन्द जैसे प्रसिद्ध नारे देने वाले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रख्यात नेता नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता जानकी नाथ बोस प्रख्यात वकील थे और उनकी माता प्रभावती देवी सती और धार्मिक महिला थीं। माता - पिता की कुल चौदह संतानों,  छह बेटियाँ और आठ बेटों में से सुभाष नवें स्थान पर थे। सुभाष बचपन से ही पढ़ने में तेज व होनहार थे। उन्होंने दसवीं की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था तथा स्नातक में भी वे प्रथम रहे  थे। कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से उन्होंने दर्शनशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। उसी दौरान सेना में भर्ती हो रही थी।49वीं बंगाल रेजीमेण्ट में भर्ती के लिये उन्होंने परीक्षा दी किन्तु आँखें खराब होने के कारण उन्हें सेना के लिये अयोग्य घोषित कर दिया गया। किसी प्रकार स्कॉटिश चर्च कॉलेज में उन्होंने प्रवेश तो ले लिया किन्तु मन सेना में ही जाने को कह रहा था। खाली समय का उपयोग करने के लिये उन्होंने टेरीटोरियल आर्मी की परीक्षा दी और फोर्ट विलियम सेनालय में रँगरूट के रूप में प्रवेश पा गये। सुभाष स्वामी विवेकानंद के अनुयायी थे। मात्र पन्द्रह वर्ष की अवस्था में सुभाष ने विवेकानन्द साहित्य का पूर्ण अध्ययन कर लिया था। अपने परिवार की इच्छा के अनुसार 15 सितम्बर 1919 को वे भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए इंग्लैंड पढ़ने गये। परीक्षा की तैयारी के लिये लन्दन के किसी स्कूल में दाखिला न मिलने पर सुभाष ने किसी तरह किट्स विलियम हाल में मानसिक एवं नैतिक विज्ञान की ट्राइपास (ऑनर्स) की परीक्षा का अध्ययन करने हेतु प्रवेश ले लिया। इससे उनके रहने व खाने की समस्या हल हो गयी। हाल में एडमीशन लेना तो बहाना था असली मकसद तो आईसीएस में पास होकर दिखाना था। सो उन्होंने 1920 में वरीयता सूची में चौथा स्थान प्राप्त करते हुए पास कर ली।

इसके बाद सुभाष ने अपने बड़े भाई शरतचन्द्र बोस को पत्र लिखकर उनकी राय जाननी चाही कि उनके दिलो-दिमाग पर तो स्वामी विवेकानन्द और महर्षि अरविन्द घोष के आदर्शों ने अधिकार कर रखा है ऐसे में आईसीएस बनकर वह अंग्रेजों की परतन्त्रता कैसे कर पायेंगे? वे जालियाँवाला बाग के नरसंहार से बहुत व्याकुल हुए और उन्होंने 1921 में प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने 22 अप्रैल 1921 को भारत सचिव ई०एस० मान्टेग्यू को आईसीएस से त्यागपत्र देने का पत्र लिखा। एक पत्र देशवन्धु चित्तरंजन दास को लिखा। किन्तु अपनी माँ प्रभावती का यह पत्र मिलते ही कि पिता, परिवार के लोग या अन्य कोई कुछ भी कहे उन्हें अपने बेटे के इस फैसले पर गर्व है। सुभाष जून 1921 में मानसिक एवं नैतिक विज्ञान में ट्राइपास (ऑनर्स) की डिग्री के साथ स्वदेश वापस लौट आये।

भारत वापस आने के बाद नेताजी गाँधीजी के संपर्क में आए और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस में शामिल होकर गाँधीजी के निर्देशानुसार देशबंधु चितरंजन दास के साथ काम करना शुरू किया। बाद में उन्होंने चितरंजन दास को अपना राजनैतिक गुरु मान लिया था। अपनी सूझ-बूझ और मेहनत से सुभाष बहुत जल्द ही काँग्रेस के मुख्य नेताओं में शामिल हो गए। 1928 में जब साइमन कमीशन आया तब काँग्रेस ने इसका विरोध किया और काले झंडे दिखाए। 1928 में काँग्रेस  का वार्षिक अधिवेशन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कोलकाता में हुआ। इस अधिवेशन में अंग्रेज सरकार को डोमिनियन स्टेटस देने के लिए एक वर्ष का वक्त दिया गया। उस दौरान गाँधी पूर्ण स्वराज की माँग से सहमत नहीं थे, वहीं सुभाष को और जवाहर लाल नेहरू को पूर्ण स्वराज की माँग से पीछे हटना मंजूर नहीं था। 1930 में उन्होंने इंडीपेंडेंस लीग का गठन किया। सन 1930 के सिविल डिसओबिडेंस आन्दोलन के दौरान सुभाष को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, लेकिन  गाँधीजी-इरविन पैक्ट के बाद 1931 में उनकी रिहाई हो गई। सुभाष ने गाँधी-इरविन पैक्ट का विरोध किया और  सिविल डिसओबिडेंस आन्दोलन को रोकने के फैसले से भी वह खुश नहीं थे। सुभाष को जल्द ही बंगाल अधिनियम के अंतर्गत दोबारा जेल भेज दिया गया। इस दौरान उनको करीब एक वर्ष तक जेल में रहना पड़ा और बाद में बीमारी की वजह से उनको जेल से रिहाई मिली। उनको भारत से यूरोप भेज दिया गया। वहाँ उन्होंने, भारत और यूरोप के मध्य राजनैतिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाने के लिए कई शहरों में केंद्र स्थापित किये। उनके भारत आने पर पाबंदी होने के बावजूद वे भारत आए और परिणामतः उन्हें  एक वर्ष के लिए जेल जाना पड़ा । 1937 के चुनावों के बाद काँग्रेस पार्टी 7 राज्यों में सत्ता में आई और इसके बाद सुभाष को रिहा किया गया। इसके कुछ समय बाद सुभाष काँग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन (1938) में अध्यक्ष चुने गए। अपने कार्यकाल के दौरान सुभाष ने राष्ट्रीय योजना समिति का गठन किया। 1939 के त्रिपुरी अधिवेशन में सुभाष को दोबारा अध्यक्ष चुन लिया गया। इस बार सुभाष का मुकाबला पट्टाभि सीतारमैया से था। 

सीतारमैया को गाँधी का पूर्ण समर्थन प्राप्त था फिर भी 203 मतों से सुभाष चुनाव जीत गए। इस दौरान द्वितीय विश्वयुद्ध के बादल भी मंडराने लगे थे और सुभाष ने अंग्रेजों को 6 महीने में देश छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया। सुभाष के इस रवैये का विरोध गाँधी समेत काँग्रेस के अन्य लोगों ने भी किया जिसके कारण उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और फॉरवर्ड ब्लाक की स्थापना की। सुभाष ने अंग्रजों द्वारा भारत के संसाधनों का द्वितीय विश्व युद्ध में उपयोग किये जाने का घोर विरोध किया और इसके खिलाफ जनांदोलन शुरू किया। उनके इस आंदोलन को जनता का जबरदस्त समर्थन मिल रहा था। इसलिए उन्हें कोलकाता में कैद कर नजरबन्द रखा गया। जनवरी 1941 में सुभाष अपने घर से भागने में सफल हो गए और अफगानिस्तान के रास्ते जर्मनी पहुँच गए और उन्होंने ब्रिटिश राज को भारत से निकालने के लिए जर्मनी और जापान से मदद की गुहार लगायी। जनवरी 1942 में उन्होंने रेडियो बर्लिन से प्रसारण करना शुरू किया जिससे भारत के लोगों में जबर्दस्त उत्साह बढ़ा। वर्ष 1943 में वे  जर्मनी से सिंगापुर आए। पूर्वी एशिया पहुंचकर उन्होंने रास बिहारी बोस से स्वतंत्रता आन्दोलन का कमान लिया और आजाद हिन्द फौज का गठन करके युद्ध की तैयारी प्रारंभ कर दी। आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना मुख्यतः जापानी सेना द्वारा अंग्रेजी फौज से पकड़े हुए भारतीय युद्धबन्दियों को लेकर किया गया था। इसके बाद सुभाष को नेताजी कहा जाने लगा और उन्होंने जय हिन्द का नारा दिया । 

अब आजाद हिन्द फ़ौज भारत की ओर बढ़ने लगी और सबसे पहले अंदमान और निकोबार को आजाद किया। आजाद हिन्द फौज बर्मा की सीमा पार करके 18 मार्च 1944 को भारतीय भूमि पर आ धमकी। परन्तु द्वितीय विश्व युद्ध में जापान और जर्मनी के हार के साथ, आजाद हिन्द फ़ौज का सपना पूरा नहीं हो सका। कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 को एक विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु ताईवान में हो गयी परंतु उस दुर्घटना का कोई साक्ष्य नहीं मिल सका। सुभाष चंद्र की मृत्यु आज भी विवाद का विषय है और भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा संशय है, जिससे पर्दा उठाने में केंद्र सरकार अब भी हिचकिचा रही है । नेताजी के परिवार के लोगों की माँग और भारी जनदबाव पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी के मौत से सम्बंधित कुछ दस्तावेजों को लोगों के समक्ष रखकर इस संशय रुपी रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन इस मामले से सम्बंधित दस्तावेजों को जारी करने में केंद्र सरकार द्वारा ऊहापोह की राजनीती अख्तियार करने से संशय रुपी बादल अभी भी मंडरा रहे हैं। 






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-अशोक “प्रवृद्ध”-
गुमला
झारखण्ड

विशेष : भारत का संविधान रो रहा है! क्या हमें संविधान का विलाप सुनाई नहीं देता?

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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 में कानून के समक्ष समता और कानून के समान संरक्षण की गारण्टी का मूल अधिकार है। जबकि अनुच्छेद 21 प्रत्येक व्य​क्ति के सम्मान और गरिमा की गारण्टी का मूल अधिकार प्रदान करता है। दोनों अधिकारों को अक्षुण्य बनाये रखने की जिम्मेदारी केन्द्र और राज्य सरकार की है। इसके उपरान्त भी यदि मूल अधिकारों का हनन या उल्लंघन होता है तो अनुच्छेद 32 में सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद 226 में हाई कोर्ट को उचित आदेश देकर मूल अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व सौंपा गया है। इस सबके उपरान्त भी राजस्थान में पाली जिले में भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में और दलित वर्ग की दुल्हन नीतू द्वारा सरकार को अग्रिम सूचना दिये जाने के बाबजूद, राष्ट्रीय अजा आयोग के निर्देशों के बावजूद भी राजस्थान सरकार और स्थानीय प्रशासन दूल्हा और दुल्हन पक्ष को इस बात के लिये आश्वस्त नहीं कर सके कि यदि घोड़ी चढाई की रश्म पूर्ण की जाती है तो भविष्य में उनकी जानमाल को मनुवादियों से कोई खतरा नहीं होने दिया जायेगा। दुष्परिणामस्वरूप दूल्हे पक्ष भय से मुक्त नहीं हो सका और विवाह के बाद की सम्भावित प्रताड़ना के डर से आतंकित ​होकर घोड़ी पर चढे बिना ही तोरण मारा गया।

देश के संविधान और मानव गरिमा को सम्मान देने वाले लोगों को इस घटना को हलके से नहीं लिया जाना चाहिये। इस घटना से पता चलता है कि राजस्थान में दलितों के दिलोदिमांग में कितना भय व्याप्त है। वे किस प्रकार से भयाक्रांत हैं। मनुवादी व्यवस्था का भय और आतंक किस सीमा तक व्याप्त है कि दूल्ह पक्ष की दृष्टि में एक दिन घोड़ी पर चढ जाने की खुशी के बजाय, शेष जीवन असानी से नहीं जी पाने का भय भारी हो गया। हो भी क्यों नहीं, जबकि आये दिन दलितों पर अमानवीय उत्पीड़न होता रहता है।

यह घटना स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार के लिये चुनौती है। सरकार को ऐसे हालातों का नवनिर्माण करना होगा कि अब हर एक के दिल में समानता का भाव पैदा हो। सभी के सम्मान की परवाह सभी करें। हमारे लिये और दलित संगठनों के लिये भी यह घटना बहुत बड़ी चुनौती है। चिन्ता का विषय है।

यहां पर यह बात भी ध्यान देने की है कि दूल्हे पक्ष भय के कारण घोड़ी पर नहीं चढ सका, यह घटना स्थानीय समाचार-पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हुई, लेकिन विवाह के बाद राज्य सरकार की ओर से इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। किसी दलित राजनेता या जनप्रतिनिधि ने इस माले को गम्भीरता से नहीं उठाया। सबसे दु:खद पक्ष तो यह भी है कि ऐसे मामलो में सामान्यत: हाई कोर्ट को स्वयं संज्ञान लेकर राज्य सरकार को नोटिस जारी करना चाहिये था। लेकिन लगता है दलितों की पीड़ा न्यायिक संवेदनाओं को झकझोरने में असफल रही।

हम सब के लिये एक गणतांत्रित संविधान ​के होते देश में इस प्रकार के हालात शर्म का विषय हैं। अब सभी सामाजिक न्याय के चिन्तकों को विचार करना होगा कि वंचित वर्गों को, मनुवादी शोषित वर्गों के आतंक से किस प्रकार से सुरक्षा और संरक्षण प्रदान किया जाये? संविधान के कठोर प्रावधानों के होते हुए कार्यपालिक, व्यवस्थापालिका, न्यायपालिका और प्रेसपालिका सब के सब ऐसे मामलों में ठीक से रश्म-अदायगी तक नहीं करते हैं। इन आमनवीय और असंवैधानिक हालातों को हर हाल में बदलना होगा। कुछ लोगों को सामने आना ही होगा। कुछ को अपने समय का और ऊर्जा का बलिदान भी करना होगा। अन्यथा वंचित वर्गों की दशा, बद से बदतर होती रहेगी और संविधान यों हीं विलाप करता रहेगा। भारत का संविधान रो रहा है! क्या हमें संविधान का विलाप सुनाई नहीं देता?

जय भारत। जय संविधान।
नर-नारी सब एक समान।।




-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'- 
राष्ट्रीय प्रमुख, हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन 
(भारत सरकार की विधि अ​धीन दिल्ली से रजिस्टर्ड राष्ट्रीय संगठन) 
वाट्स एप एवं मो. नं. 9875066111

सब टीवी नया शो- ‘वो तेरी भाभी है पगले‘

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सब टीवी ने अपने नये रोमांटिक काॅमेडी शो ‘वो तेरी भाभी है पगले‘ के साथ नये साल में कदम रखा है। शो की कहानी एक अस्पताल के परिवेश में प्रेम त्रिकोण पर आधारित है। प्यारी डाॅ. दिया (कृष्णा गोकानी) के लिये दो पुरूषों नत्थू नाकाबंदी (अली असगर) और डाॅ रणबीर (एथर हबीब) के बीच प्रेम संघर्ष की ताजगीपूर्ण अवधारणा को प्रस्तुत किया गया है। एक ओर डाॅ. रणबीर यह छिपाने का प्रयास कर रहा है कि वह एक नकली डाॅक्टर है, वहीं दूसरी ओर नत्थू यह नाटक करता है जबकि वह टपोरी है। सीरीज में दिलचस्प मोड़ और हास्यप्रद स्थितियां उत्पन्न करता है। ‘वो तेरी भाभी है पगले‘ का प्रसारण 18 जनवरी 2016 से प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार, रात 10ः30 बजे शुरू हो रहा है। 

वो तेरी भाभी है पगले में प्रमुख तिकड़ी की पृष्ठभूमि यह है कि डाॅ. दिया एक हंसमुख और प्यारी डाॅक्टर है। वह उन लोगों की इज्जत करती है, जो आत्मनिर्भर हैं और अपना रास्ता खुद बनाते हैं। रणबीर, एक रईसजादा है, को डाॅ. दिया से प्यार हो जाता है और वह उसी अस्पताल में एक नकली डाॅक्टर बनकर काम करने लगता है। दूसरी ओर, नत्थू एक गूंडा है, लेकिन उसे भी डाॅ. दिया से इश्क हो जाता है और वह सिर्फ उससे मिलने की खातिर अजीबो-गरीब बीमारियां लेकर अस्पताल में आने लगता है। 

हालात उस समय पेचीदा हो जाते हैं, जब नत्थू और रणबीर दोनों को दिया से प्यार हो जाता है और दोनों ही उसका दिल जीतने के साथ ही अपनी असलियत छिपाने का भरपूर प्रयास करते हैं। दिया उनके इरादों से बेखबर है और दोनों के साथ ही एक जैसा व्यवहार करती है। हालांकि, नत्थू और रणबीर को एक-दूसरे के इरादों के बारे में पता है और इसलिये वे दिया को दूसरे से दूर रखने का प्रयास करते हैं। 

फिल्म ‘‘वायरल‘‘ में नजर आएंगी बिग बाॅस फेम मंदाना करीमी

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अपनी ग्लैमरस अदाओं के साथ बाॅलीवूड में धमाकेदार एंट्री करने वाली इरानियन माॅडल मंदाना करीमी डायरेक्टर आनन्द कुमार की आने वाली फिल्म ‘‘वायरल‘‘ में नजर आयेंगी। सूत्रों की माने तो डायरेक्टर आनन्द कुमार मंदाना को अपनी आने वाली फिल्म वायरल में एक अह्म किरदार आॅफर करने वाले हैं। गौरतलब है कि मंदाना इससे पहले बाॅलीवूड में ‘‘भाग जाॅनी‘‘, ‘‘राॅय‘‘ और ‘‘मैं और चाल्र्स‘‘ जैसी फिल्मों में नजर आ चुकी हैं। अभी टीवी रियालिटी शो बीग बाॅस सीजन-9 में भी मंदाना काफी चर्चा में है।

एन्डेमोल इंडिया के बैनर तले फिल्म ‘‘वायरल‘‘ आनन्द कुमार द्वारा र्निदेशीत एक ऐसी फिल्म है जिसे आजकल की युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस फिल्म में ये दिखाया गया है कि आजकल के युवा वर्ग किस तरह से सोशल मिडिया का गलत इस्तेमाल करके प्यार को भूलते जा रहे है और सेक्स को तवज्जो दे रहें हैं। आनन्द कुमार ने इससे पहले भी कई ऐसे मुद्दों पर फिल्में बनाई है जिसमें उन्होने समाज की बुराईयों को अलग अंदाज में दिखाया है। उनकी ‘‘देशी कट्टे‘‘ और ‘‘जिला गाजियाबाद‘‘ जैसी फिल्में इसका उदाहरण है। इस बारें में विशेष जानकारी देते हुए डायरेक्टर आनन्द कुमार ने कहा ‘‘हमने फिल्म ‘‘वायरल‘‘ के लिए मंदाना को कास्ट करने की सोंची है। अभी तक आॅफिसियल रूप से उनसे कोई बात नहीं हो पाई है, क्योंकि अभी मंदाना बीग बाॅस में बीजी हैं। एक बार उनके बीग बाॅस से बाहर आने के बात इस बारें में उनसे आगे की बात होगी। फिल्म की कहानी इतनी अच्छी है कि मुझे पूरी उम्मीद है कि वो इस फिल्म में काम करने के लिए जरूर राजी हो जायेंगी।

विशेष आलेख : पाकिस्तान पर कितना भरोसा किया जाए

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पंजाब के पठानकोट में किए गए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान ने जिस त्वरित गति से आतंकियों के विरोध में अपनी कार्यवाही को अंजाम दिया है, उससे ऐसा ही लगता है कि पाकिस्तान अब यह समझने लगा है कि आतंकवाद किसी भी रूप में हानिकारक ही है। इस कथित गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान से भीतर ही भीतर इस बात के भी संकेत मिलते दिखाई दे रहे हैं कि भारत का मोस्ट वांटेड आतंकी मसूद अजहर को पाकिस्तान ने केवल नाम मात्र के लिए ही गिरफ्तार किया है। इसके पीछे पाकिस्तान की एक सोची समझी साजिश भी हो सकती है। क्योंकि जिस प्रकार वर्तमान में वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान की छवि आतंकी देश के रूप में प्रचारित हो रही है, पाकिस्तान उस छवि को तोडऩे के लिए ही इस प्रकार की कार्यवाही को अंजाम दे रहा हो। यह बात भी सही है कि मसूद अजहर भारत की तमाम आतंकी घटनाओं का मुख्य सूत्रधार है, और वह पाकिस्तान में खुलेआम रूप से रह रहा है। पाकिस्तान को सही तरीके कार्यवाही को आगे बढ़ाना है तो वह मसूद अजहर को भारत के हवाले कर दे, इससे पाकिस्तान की विश्वसनीयता ही बढ़ेगी। लेकिन लगता है कि पाकिस्तान ऐसा कर ही नहीं सकता, क्योंकि पाकिस्तान में रह रहे आतंकियों का नेटवर्क विश्व स्तर पर फैला हुआ है। जिसे तोडऩा पाकिस्तान की सरकार की बस की बात नहीं है।

पाकिस्तान ने अगर वास्तव में ही मसूद अजहर को बंदी बनाया है तो इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक और कूटनीतिक नीति की सफलता ही मानी जाएगी। क्योंकि नरेन्द्र मोदी ने जिस प्रकार से आश्चर्यजनक रूप से पाकिस्तान की यात्रा की थी, उसका दबाव भी पाकिस्तान और विश्व के कई देशों पर दिखाई देने लगा है। वर्तमान में नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली विश्व स्तर पर कई देशों के लिए चौंकाने वाली कही जा सकती है, क्योंकि जिस भारत के कर्णधार कभी विश्व के देशों के समक्ष अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर पाने का सामथ्र्य नहीं बटोर सकते थे, आज उस स्थिति में आमूलचूल परिवर्तन का प्रादुर्भाव होता दिखाई दे रहा है। विश्व के कई देश भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बराबरी का व्यवहार करते दिखाई देने लगे हैं। इस प्रकार के प्रदर्शन से निश्चित ही भारत कर कद ऊंचा हुआ है।

पाकिस्तान के बारे में भारत ने हर समय अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने वास्तविकता का दर्शन कराया है, लेकिन उस समय भारत की स्थित उस प्रकार की नहीं थी कि कोई भी देश भारत को उतनी गंभीरता से लेता। आज स्थितियों में कुछ सुधार हुआ है। भारत के बारे में विश्व के चिन्तन की धारा में बदलाव आया है। पूरी दुनिया से हमेशा दादागिरी की तरह व्यवहार करने वाले अमेरिका ने भी भारत को पर्याप्त सम्मान देकर भारत विरोधी देशों को कान खड़े करने के लिए बाध्य कर दिया है। इसके अलावा पाकिस्तान भी इस सत्य को जानने लगा है।

पाकिस्तान ने कई बार आतंकवाद के विरोध में अपनी कार्यवाही की है, लेकिन उसके बाद भी आतंकवाद को समाप्त नहीं किया जा सका। हर बार कार्यवाही करने के बाद भी आतंकवाद का भूत और ताकतवर बनकर पाकिस्तान में उभरता है। जिससे यही दिखाई देता है कि पाकिस्तान की आतंकवाद के विरोध में की गईं कार्यवाहियां या तो नाकाफी हैं या फिर पाकिस्तान द्वारा जिन आतंकियों को समाप्त करना चाहिए उनके विरोध में कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। पाकिस्तान अगर वास्तव में ही आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाना चाहता है तो उसे सबसे पहले भारत की सीमा के समीप चल रहे उन आतंकवादी प्रशिक्षण केन्द्रों को समाप्त करने का अभियान चलाना चाहिए जो भारत में आतंक फैलाने के लिए ही चलाए जाते हैं। अन्यथा पाकिसतान का यह अभियान कोरी हवाबाजी ही साबित होगा। यह बात सही है कि जहां से आतंकवादियों को पैदा किया जाता है, वही आतंक फैलाने की मूल जड़ है और जड़ को समाप्त करने से ही आतंकवाद का खात्मा किया जा सकता है।

आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की भूमिका कितनी सख्त हो सकती है, इस बारे में अनेक सवालों के उत्तर खोजा जाना समय की आवश्यकता है। क्योंकि पाकिस्तान ने कई बार आतंक के विरोध में अभियान चलाया है, लेकिन उस अभियान को पाकिस्तान ने जितने जोर शोर से प्रचारित किया परिणाम उतना प्रभावी दिखाई नहीं दिया। इस बात को इससे भी बल मिलता है कि मसूद अजहर ने अपनी कथित गिरफ्तारी के बाद ही यह संदेश दिया कि भारत बदले की कार्यवाही के लिए तैयार रहे। अजहर मसूद को गिरफ्तार किए जाने के बाद इस प्रकार का बयान आना क्या पाकिस्तान की दोगुलेपन को उजागर नहीं करता ?

वर्तमान में आतंकवाद के विरोध कार्यवाही किया जाना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि जिस प्रकार से पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद भारत की शांति व्यवस्था को तहसनहस कर रहा है, उसकी गिरफ्त में खुद पाकिस्तान भी आता जा रहा है। सही मायने में पाकिस्तान में उत्पन्न होने वाला आतंकवाद आज उसके लिए ही भस्मासुर बनता जा रहा है, और एक दिन ऐसी स्थिति भी आ सकती है कि पाकिस्तान की सरकार इन आतंकियों से अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। इसलिए पाकिस्तान को अभी से ही आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्यवाही करना चाहिए, नहीं तो कहीं ऐसा न हो कि पाकिस्तान इस आतंक की आग में जलकर अपने आपको समाप्त करले।

वास्तव में पाकिस्तान ने अपने यहां पर वैश्विक आतंक फैलाने के लिए जो बोया है, पाकिस्तान उसी को काट रहा है। आतंक फैलाने के लिए जो बारूद पाकिस्तान ने इकट्ठा किया है, उस ढेर पर आज वह स्वयं बैठा हुआ दिखाई देता है। वर्तमान में पाकिस्तान के हालात देखकर यह कहा जा सकता है, वह विनाश के मार्ग पर अपने कदम बढ़ा चुका है, जिसे वह रोकना भी चाहे तो भी नहीं रोक सकता। क्योंकि जिन शक्तियों ने पाकिस्तान को इस खतरनाक स्थान तक पहुंचाया है, उसकी घुसपैठ काफी अंदर तक है।

वर्तमान में आतंकवाद का जो स्वरूप पाकिस्तान की धरती पर फन फैलाए खड़ा है, उस सांप को खुद पाकिस्तान ने ही दूध पिला कर बड़ा किया है। आतंकवाद की घटनाओं को अपने संकेत पर संचालित करने वाले दुर्दांत आतंकवादियों की शरण स्थली बने पाकिस्तान ने यह शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन आतंक रूपी सांप खुद उसे ही डंसने लगेगा। वर्तमान में पाकिस्तान के समक्ष सबसे बड़ी दुविधा यही है कि जिस हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम के विरोध में सोचने पर ही पाकिस्तान की सरकार को पसीना छूट जाता है उनके बारे में कार्यवाही कैसे करेगी। पाकिस्तान अगर सच में ही आतंक के विरोध में कार्यवाही चाहता है तो आतंक के इन दोनों अजगरों को फांसी देकर भारत को यह बताना होगा कि देखो हमने आपके दोनों दुश्मनों को मार दिया है। हाफिज सईद ने भारत में जो कहर बरपाया था, उसका दर्द आज मुंबई और पूरा देश भूला नहीं है। पाकिस्तान की सरकार छोटे तौर पर आतंक फैलाने वालों को समाप्त करके आतंक को समाप्त नहीं कर सकती, अगर आतंक समाप्त ही करना है तो बड़े स्तर पर कार्यवाही करनी होगी। आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया को पाकिस्तान की भूमिका को लेकर संदेह हो रहा है, कि क्या वास्तव में पाकिस्तान अपने बयान के अनुसार आतंक के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करेगा या फिर पहले की तरह ही उसका अभियान फुस्स हो जाएगा। पाकिस्तान के पास यह अच्छा अवसर है कि वह विश्व में अपनी विश्वसनीयता को बढ़ाए और सच्चे मन से आतंक के विरोध में कार्यवाही करे।




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सुरेश हिंदुस्थानी
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सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड में एक आतंकवादी ढेर

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श्रीनगर, 20 जनवरी दक्षिणी कश्मीर में पुलवामा जिले के नैना बाटपोरा गांव में आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों ने आज फिर से अभियान शुरू किया और एक आतंकवादी को मार गिराया। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मारा गया आतंकवादी हिजबुल मुजाहिदीन का एक उच्च कमांडर बताया गया है। इस बीच गांव के मस्जिद में मौजूद आम लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। 

सूत्रों ने बताया कि नैना बाटपोरा गांव में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ कल शाम उस समय शुरू हुई जब राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान दस्ते और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल ने आतंकवादियों की मौजूदगी की एक खुफिया सूचना के आधार पर वहां संयुक्त अभियान छेड़ा। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बल के जवान गांव में एक इलाके की ओर बढ़ रहे थे तभी आतंकवादियों ने उन पर स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी जिसके बाद सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई में गोलियां चलाई। मौके पर पहुंचे अतिरिक्त बलों ने आतंकवादियों के भाग निकलने के किसी भी प्रयासाें को विफल करने के मकसद से गांव की घेराबंदी कर दी। बाद में अंधेरा बढ़ने पर अभियान रोक दिया गया। सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के खिलाफ आज सुबह अभियान फिर से शुरू किया गया। अंदेशा है कि आतंकवादियों की संख्या दो से तीन के बीच हो सकती है। 

अंतर्राष्ट्रीय मैच में हेलमेट पहनने वाले पहले अंपायर बने वार्ड

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कैनबरा, 20 जनवरी, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बुधवार को चौथे अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच में हेलमेट पहनकर अंपायरिंग करने उतरने वाले आस्ट्रेलिया के जॉन डेविड वार्ड ने इतिहास रचते हुए अंतरराष्ट्रीय मैच में ऐसा करने वाले पहले अंपायर बन गए। वार्ड इस मैच में इंग्लैंड के जॉन केटरबर्ग के साथ मैदानी अंपायर है। 53 वर्षीय वार्ड इससे पहले छह अंतरराष्ट्रीय वनडे मैचों में अंपायरिंग कर चुके हैं। 

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंपायरिंग का पदार्पण 17 जनवरी 2014 को ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच हुए वनडे में किया था। इसके अलावा वह छह ट्वंटी 20 मैचों में भी अंपा‍यरिंग कर चुके हैं। पिछले वर्ष भारत के घरेलू रणजी ट्राफी मुकाबले के दौरान वार्ड सिर में गेंद लगने से चोटिल हो गए थे जिस वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। चोट से लौटने के बाद उन्होंने पिछले शनिवार को बिग बैश लीग में वापसी करते हुए सिडनी में हेलमेट पहनकर अंपायरिंग की थी।

पूर्व गवर्नर सारा पेलिन ने ट्रंप का किया समर्थन

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एम्स (अायोवा) 20 जनवरी, अमरीकी राज्य अलास्का की पूर्व गवर्नर सारा पेलिन ने रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में दावेदार डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया है। सारा ने कल आयोवा राज्य में एक रैली के दौरान कहा कि ट्रंप बाहरी और अंदरूनी दोनों मोर्चे पर अमरीका की रक्षा करेंगे। उन्होंने कहा, ‘हम बदलाव के लिए तैयार हैं, हम तैयार हैं और हमारे सैनिक एक ऐसे बेहतरीन कमांडर के हक़दार हैं, जिसकी कामयाबी का रिकॉर्ड बताता है कि वो मोलभाव और सौदेबाज़ी करने में माहिर है. वो इस क़ाबिल है कि आपको, फिर से अमरीका को महान बनाने देंगे.. तो आयोवा क्या आप तैयार हैं..’। वर्ष 2008 में अलास्का की पूर्व गर्वनर पेलिन रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जॉन मैकेन की सहयोगी के तौर पर उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदार थीं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई। पेलिन को सुनने के लिए बड़ी तादात में लोग आते थे और वो अक्सर सुर्खियों में रहती थीं। 

ट्रंप की प्रचार मुहिम की तरफ़ से जारी बयान में सारा पेलिन ने कहा, ‘अमरीका के राष्ट्रपति पद के लिए डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन करने पर मुझे गर्व है।’ पेशे से कारोबारी और अरबपति डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी की तरफ़ से उम्मीदवारी की रेस में सबसे आगे हैं। 2008 के चुनाव में नाकामी के बाद पेलिन ने 2009 में अलास्का के गवर्नर पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और वो एक लेखक और राजनीतिक विश्लेषक बन गईं। ट्रंप की प्रचार टीम को उम्मीद है कि पेलिन के समर्थन के बाद रिपब्लिकन पार्टी और मतदाताओं के बीच उनकी पकड़ मज़बूत होगी। ट्रंप के अलावा रिपब्लिकन पार्टी की तरफ़ से उम्मीदवारी की रेस में 11 अन्य दावेदार भी शामिल हैं जिनमें पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के भाई जेब बुश, बेन कार्सन, सीनेटर टेड क्रूज और मार्को रुबियो जैसे लोग शामिल हैं। वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी में उम्मीदवारी पाने की रेस में पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन अभी तक सबसे आगे चल रही हैं। उनके अलावा रेस में छह अन्य दावेदार भी शामिल हैं।

अमेरिकी गठबंधन बल के सेना प्रमुखों की बैठक आज पेरिस में

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पेरिस, 20 जनवरी, कुख्यात आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट(आईएस) के खिलाफ संघर्ष को मजबूती देने के परिप्रेक्ष्य में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और अन्य चार देशों के सेना प्रमुखों की आज यहां बैठक होगी। अमेरिका के रक्षा मंत्री एेश कार्टर ने इस बैठक को अमेेरिका नीत गठबंधन बल में शामिल सहयोगी देशों के रक्षा अधिकारियों की आमने सामने की बातचीत के लिये अवसर बताते हुये कहा कि बैठक में जर्मनी , इटली, आस्ट्रेलिया और नीदरलैँड के रक्षा प्रमुख भी शामिल होंगे। 

श्री कार्टर ने कहा कि गठबंधन बल की वांछित सैन्य क्षमता के अलावा इस बात पर भी विचार किया जायेगा कि आईएस के खिलाफ संघर्ष को और कैसे आगे बढाया जाये। इस संबंध में हम सहयोगी देशों को अपने विचारों से अवगत करा रहे हैं तथा उनके रूख पर विचार किया जायेगा। इस बीच फ्रांसीसी रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम उजागर ना करते हुये बताया कि गठबंधन बल आईएस के खिलाफ संघर्ष में तेजी लाने के संदर्भ में चर्चा करेगा। उल्लेखनीय है कि इराक में आईएस के खिलाफ अमेरिकी नीत गठबंधन बल में शामिल होने वाला फ्रांस पहला देश है। गत नवम्बर में आईएस आतंकवादियों द्वारा पेरिस हमले के बाद सीरिया में आईएस के खिलाफ हवाई हमले करने का कदम बढ़ाया है।

आईएस आतंकवादी समूह ने किया 270 नागरिकों को रिहा

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बेरुत 20 जनवरी, कुख्यात आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट(आईएस) ने सीरिया के पूर्वी शहर डीर अल-जोर से अपहृत किये गये 400 नागरिकों में से 270 को रिहा कर दिया। अपहृत नागरिकों में से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। सीरिया के मानवाधिकार पर्यवेक्षक ने बताया कि इन लोगों को डीर अल-जोर में शनिवार को तब अपहृत किया गया था जब आईएस के लड़ाकों ने सरकार द्वारा नियंत्रित इलाकों पर आक्रमण किया था। इनमें से अधिकांश महिलाएँ एवं बच्चे थे। उन्होंने बताया कि कब्जा किये इलाके के घरों में मंगलवार को छापेमारी के दौरान 50 अन्य लोगों को अपहृत किया गया था। 

मानवाधिकार प्रमुख रामी अब्दुलरहमान ने बताया कि इस आतंकवादी समूह ने पूछताछ के लिए 14 से 55 आयुवर्ग के पुरुष बंधकों को रखा गया है। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के डीर अल-जोर में नागरिकों के खिलाफ हिंसा की निंदा की है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मार्क टोनर एक संक्षिप्त द्वारा इस्लामी राज्य की चर्चा करते हुए कहा कि हमने आई.एस.आई.एल द्वारा बंदी बनाये गये सभी नागरिकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की है।

पाकिस्तान की यूनिवर्सिटी पर आतंकवादी हमला

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पेशावर (पाकिस्तान), 20 जनवरी, उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान की एक यूनिवर्सिटी में आज आतंकवादियों ने घुसकर गोलीबारी शुरू कर दी और इसके बाद ही वहां दो धमाके हुये। गोलीबारी अभी जारी है। यह जानकारी पुलिस ने दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उत्तर पश्चिमी खैबर पख्तूनवा के चरसादा स्थित वाचा खॉँ यूनिवर्सिटी में तीन बंदूकधारियों ने प्रवेश किया और उन्होंने यूनिवर्सिटी की कक्षाओं तथा होस्टलों में छात्रों तथा अध्यापकों पर गोलियां चलानी शुरू की। गोलीबारी से कितने लोग हताहत हुए इस बारे में तुरंत कोई रिपोर्ट नहीं मिल सकी। 

पुलिस ने उपमहानिरीक्षक सईद वजीर ने बताया कि आतंकवादियों की संख्या कतनी है तुरंत इसकी जानकारी नहीं है किन्तु पुलिस यूनिवर्सिटी के अंदर पहुंच चुकी है और गोलीबारी जारी है। उन्होंने कहा कि हमने कार्रवाई शुरू कर दी है और हम छात्रों तथा अध्यापकों को आतंकवादियों की गोलीबारी से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक सब्बीर खाँ ने बताया कि अंग्रेजी विभाग जाने के लिए निकलने ही वाले थे तब तक गोलीबारी शुरू हो गयी। जिस समय गोलीबारी शुरू हुई अधिकांश छात्र अध्यापक कक्षाओं में थे। सब्बीर खाँ ने बताया कि उन्होंने एक अधिकारी को फोन पर किसी को यह बताते सुना कि कई लोग मारे गये।

सेंसेक्स 400 अंक टूटा, 20 महीने के निचले स्तर पर

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बंबई शेयर बाजार का सूचकांक आज 400 अंक से अधिक टूटकर 19 महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गया और निफ्टी भी शुरआती कारोबार में 7,500 के नीचे आ गया. ऐसा चीन से जुड़ी आशंका बरकरार रहने के बीच एशियाई बाजारों में कमजोरी के मद्देनजर कोषों और निवेशकों द्वारा भारी बिकवाली के कारण हुआ.

सूचकांक 335.43 अंक या 1.34 प्रतिशत गिरकर 24,598.90 पर आ गया. धातु, पूंजीगत उत्पाद और सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों के नेतृत्व में सभी खंडों के सूचकांकों में 2.29 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज हुई. सेंसेक्स शुक्रवार को पिछले सत्र में 82.50 अंक चढ़ा था. निफ्टी भी 7,500 के नीचे आ गया. विस्तृत आधार वाला यह सूचकांक 105.70 अंक या 1.39 प्रतिशत टूटकर 7,495.65 पर आ गया.

कारोबारियों ने कहा कि चीन संबंधी आशंका बरकरार रहने के बीच अन्य एशियाई बाजार में नरमी से रख से यहां बाजार का रझान प्रभावित हुआ.

नयनतारा सहगल, नंद भारद्वाज साहित्य अकादमी वापस लेने को राजी

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असहिष्णुता के खिलाफ अपने साहित्य अकदामी अवॉर्ड लौटाने वाले लेखक अब दोबारा अपने अवॉर्ड वापस लेने लगे हैं. एक नाम इनमें नयनतारा सहगल का भी है. उन्होंने हाल ही में अपना अवॉर्ड वापस ले लिया है. जवाहर लाल नेहरू की भांजी सहगल उदय प्रकाश के साथ अवॉर्ड लौटाने वाले पहले साहित्यकारों में से एक थीं.

राजस्थानी लेखक नंद भारद्वाज ने कहा कि इस पूरे मसले पर साहित्य अकादमी की प्रतिक्रिया से वह संतुष्ट हैं. इसलिए उन्होंने भी अपना अवॉर्ड वापस ले लिया है. हालांकि ये दोनों साहित्य जगत में मिसाल कायम कर सकते हैं, लेकिन इस मसले पर पहले ही दो धड़ों में बंटी साहित्यकारों की बिरादरी अब और खंडित हो रही है. 

सहगल ने कहा, अकादमी ने मुझे एक चिट्ठी लिखी है. इसमें कहा गया है कि 'लौटाया हुआ अवॉर्ड रिसीव करना हमारी नीति के खिलाफ है. इसलिए हम यह अवॉर्ड आपको वापस भेज रहे हैं.'सहगल ने अपना एक लाख रुपये का चेक लौटा दिया था. दोनों लेखकों ने अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में अवॉर्ड वापस लेने की पुष्टि की है.

88 साल की नयनतारा को साहित्य अकादमी पुरस्कार 1986 में आए उनके उपन्यास 'रिच लाइक अस'के लिए दिया गया था. उन्होंने अवॉर्ड लौटाते हुए कहा था, मोदी के राज में हम पीछे की तरफ जा रहे हैं. हिंदुत्व के दायरे में सिमट रहे हैं. भारतीय खौफ में जी रहे हैं. उन्होंने साहित्य अकादमी पर भी चुप्पी साधे रखने का आरोप लगाया था.

हिंदी साहित्य के दिग्गज कवि अशोक वाजपेयी अपने फैसले पर अडिग हैं. उन्होंने कहा कि 'मुझे भी अकादमी से चिट्ठी मिली है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि इससे इसकी प्रतिष्ठा वापस आ जाती है. इसलिए मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए लौटाए हुए अवॉर्ड को दोबारा लेने का कोई कारण शेष है.'



आईएस के लिए विध्वंसक होगा 2016: अमेरिका

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दावोस 22 जनवरी अमेरिका ने कहा है कि यह वर्ष आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट(आईएस) के लिए विध्वंसक होगा और इराक एवं सीरिया में उसकी ताकत को साल के अंत तक बहुत कम कर दिया जाएगा। अमेरिका के विदेश मंत्री जाॅन कैरी ने यहाँ चल रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि वर्ष 2016 के अंत तक आईएस को बुरी तरह पछ़ाड़ने का हमारा लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा। हम सही रास्ते पर हैं।” उन्होंने कहा कि आईएस का प्रभाव क्षेत्र पहले ही ईराक एवं सीरिया में 20 से 30 प्रतिशत कम किया जा चुका है। 

उल्लेखनीय है कि अमेरिका समर्थित इराकी सेना ने पिछले महीने रमादी शहर पर पुन: नियंत्रण स्थापित कर आईएस को बड़ा झटका दिया है। हालाँकि कई आलोचकों का मानना है कि आईएस के खिलाफ अमेरिका की रणनीति काफी कमजोर साबित हो रही है क्योंकि उसने लीबिया एवं यमन जैसे देशों में भी अपना प्रभाव स्थापित कर लिया है। 

प्रियंका चोपड़ा ब्रांड एम्बेसेडर क्यों ?

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पर्यटन मंत्रालय ने अपने अतुल्य भारत अभियान के लिए प्रियंका चोपड़ा को अपना नया ब्रांड एम्बेसेडर बनाया है। भारतीय संस्कृति और नारी की गरिमा की पक्षधर समझी जाने वाली भाजपा की सरकार का यह निर्णय अत्यंत गलत और निंदनीय है और मौलिक भारत इसका कड़ा विरोध करता है। हम इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री और पर्यटन मंत्री को शिकायत पत्र तो लिखेंगे ही और आवश्यकता पड़ी तो न्यायालय की शरण में भी जायेंगे।

हमारी आपत्ति के निम्न बिंदु हें -
1) भारत सरकार के द्वारा किसी भी व्यक्ति को अपने किसी अभियान का ब्रांड एम्बेसडर बनाने के मापदंड क्या हें , ये सार्वजानिक होने चाहिए।
2) उस व्यक्ति को ही ब्रांड एम्बेसडर बनाया जाना चाहिए जिसने सार्वजानिक जीवन में भारतीय जीवन और संस्कृति को अपनाया हुआ हो एवं उसका आचरण और व्यवहार ऐसा हो जिससे नारी की गरिमा और मान को ठेस न पहुँचती हो।

प्रियंका चोपड़ा ने फ़िल्मी कलाकार एवं मॉडल के रूप में सदैव नग्नता, अश्लीलता को बढ़ावा देने वाला अभिनय किया है और कई जगह तो यह सेमी- पोर्न फिल्मो के स्तर तक है, जिसके अकाट्य सबूत, फ़ोटो और फ़िल्म की सी डी मौलिक भारत के पास हें। हमारे क़ानूनी सलाहकारों के अनुसार ये भारतीय दंड संहिता के अनुसार अपराध की श्रेणी में हें। हमारा भारत सरकार से प्रशन है कि किस प्रकार एक घटिया व अश्लील काम करने वाली फ़िल्मी नायिका भारत के पर्यटन यानि हमारी विभिन्न धार्मिक विरासतें, संस्कृति और भारतीयता की प्रतिनिधि कैसे बन सकती है।

मोदी ने ‘महामना एक्सप्रेस‘ को दिखाई हरी झंडी

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  • आठ हजार से अधिक दिव्यांगों को बांटे गए 
  • दिव्यांग बच्चों की चिंता, सामाजिक जिम्मेदारी है: 
  • बस दुर्घटना में घायल दिव्यांगों का इलाज सरकार करायेगी 

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modi-flag-mahamana-expressप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त महामना एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। इसके बाद वाराणसी समेत पास-पड़ोस के जिलों से आएं तकरीबन आठ हजार से अधिक दिव्यांगों को संबंधित सुविधाएं बांटी। जिसमें 3458 दिव्यांगों को ट्राईसाइकिल, 1686 को व्हीलचेयर, 1800 को वैशाखी, 1400 को डिजिटल हियरिंग, 1446 को मंद बुद्धि का किट्स, 1589 को कृत्रिम अंग व 300 को वॉकर शामिल है। 

डीरेका में आयोजित सभा में मोदी ने कहा, 1992 से 2014 तक दिव्यांगों के लिए सिर्फ 100 कैंप लगाएं गए। जबकि इससे अधिक 1800 कैंप सालभर में लगाएं जा चुके है। उन्होंने एक्सीडेंट का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ दिव्यांग और मिलना चाहते थे, पर हादसा हो गया। सरकार उनके इलाज का इंतजाम कराएगी। मोदी ने कहा कि दिव्यांग बच्चों की चिंता सामाजिक जिम्मेदारी है। हमें जहां रूल या सिस्टम बदलना होगा, हम बदलेंगे। कहा, मुझ पर भारत ही नहीं दुनिया भर से चारों तरफ से हमला होता रहता है। फिर भी ऐसे हमलों मैं नहीं डरता। कैंप लगने विचैलियों की दुकानें बंद होने से कई परेशान है। कैंप लगने से विचैलिए खत्म हो गए। शायद इसीलिए वह कोसते रहते है। इतनी बड़ी तादाद में श्दिव्यांगोंश् को दिए जाने वाले ये उपकरण अपने आपमें एक विश्व रिकॉर्ड है। पीएम ने विकलांग शब्द की जगह दिव्यांग शब्द दिया है। इससे पहले यह रिकॉर्ड अमेरिका के नाम था। जहां एक साथ 500 लोगों को हियरिंग ऐड और 500 लोगों को व्हील चेयर दी गई थी।

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कहा, मेरी सरकार गरीबों और दलितों के लिए है। मुझे गरीबों की दुर्दशा देखकर बहुत तकलीफ होती है। मैं हमेशा उनके साथ हूं। मैं संघर्ष करने वालों के साथ हूं। मेरी सरकार गरीबों के लिए काम करने को प्रतिबद्ध है। जापान के पीएम शिंजो आबे ने अपने भाषण में काशी का गुणगान किया। आबे ने जापान में बताया कि गंगा आरती देख वे कैसे अभिभूत हो गए थे। आबे का यह भाषण काशी वालों को गौरव की अनुभूति कराता है। मुझ पर चारों तरफ से हमले होते रहते हैं, लेकिन हम पूरी तरह से विकास को गरीबों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। जापान के पीएम ने हाल ही में एक भाषण में गंगा आरती का जिक्र किया था। मैं उनका आभारी हूं। 

हफ्ते में तीन दिन चलने वाली ये ट्रेन दिल्ली से वाराणसी के बीच की 800 किलोमीटर की दूरी 14 घंटे में तय करेगी। ट्रेन में यात्रियों के सुविधा और स्वच्छता का खासा ध्यान रखा गया है। ट्रेन के हर डिब्बे में बायो टॉयलेट और कूड़ेदान की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा एसी कोच में एलईडी स्क्रीन भी लगाई गई है। महामना एक्सप्रेस वाराणसी से हर मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को चलेगी। वाराणसी से ये ट्रेन शाम 6 बजकर 35 मिनट पर रवाना होगी। लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर रात 11 बजकर 50 मिनट पर पहुंचेगी और 11 बजकर 58 मिनट पर छूटेगी। ये ट्रेन दूसरे दिन सुबह 8 बजकर 25 मिनट पर नई दिल्ली पहुंचेगी। नई दिल्ली से महामना एक्सप्रेस हर सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को चलेगी। 

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सरकार ने पिछले एक साल में महामना को भारत रत्न से विभूषित कर इस राष्ट्रीय सम्मान को नई ऊंचाइयां दीं। इसके अलावा महामना पर सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया। केंद्र सरकार ने महामना और बीएचयू के लिए काफी काम किये। 24 दिसम्बर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर टीचर्स एजुकेशन का बीएचयू में लोकार्पण किया था। बीएचयू के शताब्दी वर्ष में आयोजनों के लिए बनी राष्ट्रीय समिति के संरक्षक प्रधानमंत्री हैं। 

दिव्यांगों से भरी बस पलटी, दर्जनों घायल 
भदोही-वाराणसी मार्ग के कपसेठी स्थित दिव्यांगों से भरी बस पलटने से हड़कंप मच गया। इस हादसे में तकरीबन 15 से ज्यादा विकलांग घायल हुए हैं। सभी घायलों को स्थानीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। 
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