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मंदिर तोड़ने गयी पुलिस पर पथराव , 15 पुलिसकर्मी घायल

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हाजीपुर 27 जनवरी, बिहार में वैशाली जिले के नगर थाना क्षेत्र के बगमली मुहल्ले में कल देर रात मंदिर तोड़ने गई पुलिस पर आक्रोशित ग्रामीणों के पथराव , आगजनी और तोड़फोड़ में हाजीपुर के सदर अनुमंडल पदाधिकारी समेत 15 पुलिसकर्मियों को घायल हो गये जबकि इस मामले में वार्ड पार्षद को गिरफ्तार कर लिया गया । पुलिस सूत्रों ने आज यहां बताया कि पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस ने कल रात बगमली मुहल्ले में स्थित बासुदेव मंदिर को तोड़ने गयी थी । उग्र ग्रामीणों ने मंदिर तोड़ने का विरोध किया और देखते ही देखते पुलिसकर्मियों पर पथराव और आगजनी कर हाजीपुर के सदर अनुमंडल पदाधिकारी समेत 15 पुलिसकर्मियों को घायल कर अवर निरीक्षक संजय कुमार का सर्विस रिवाल्वर छीन लिया । उग्र ग्रामीणों ने सहायक पुलिस अधीक्षक राशिद जमा की सरकारी गाड़ी एवं दो ट्रैक्टरों को आग के हवाले भी कर दिया । सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में वार्ड पार्षद सुभाष निराला को गिरफ्तार कर लिया गया है । उग्र ग्रामीणों ने आज सुबह से ही वार्ड पार्षद के गिरफ्तारी के विरोध में हाजीपुर -लालगंज रोड़ पर आगजनी कर सड़क यातायात अवरूद्ध कर दिया है । 

सूत्रों ने बताया कि इस घटना में हाजीपुर के सदर अनुमंडल पदाधिकारी आर कुमार , दो पुलिस निरीक्षक , तीन अवर निरीक्षक और पांच महिला पुलिसकर्मी समेत 15 पुलिसकर्मी घायल हो गये । सभी घायल पुलिसकर्मियों को सदर अस्पताल हाजीपुर भेजा गया है । कल रात से ही इस इलाके में स्थिति तनावपूर्ण है लेकिन नियंत्रण में है । पुलिस के अनुसार बासुदेव मंदिर के पास सुबह से ही भारी मात्रा में महिलाएं और पुरूष श्रद्धालु डटे हुए है तथा मंदिर तोड़ने का विरोध कर रहे है । मंदिर के समीप पुलिस गश्त तेज कर दी गयी है । इसबीच तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए तिरहुत कमिशनर अतुल प्रसाद , पुलिस महानरीक्षक पारसनाथ एवं पुलिस उप महानिरीक्षक हाजीपुर पहुंच गये है और मंदिर के मुद्दे पर सर्किट हाउस में आला अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे है । अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया गया है । घटनास्थल से 200 मीटर की दूरी पर 2 दमकल, 5 एम्बुलेंस व दंगा नियंत्रण वाहन को भी तैनात किया गया है। उल्लेखनीय है कि पटना उच्च न्यायालय ने गत दिनों वैशाली जिले के नगर थाना क्षेत्र के बगमली मुहल्ले में स्थित बासुदेव मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया था। आदेश का अनुपालन नहीं होने को लेकर अवमानना वाद की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने जिलाधिकारी रचना पाटिल और नगर परिषद् हाजीपुर के कार्यपालक पदाधिकारी को तलब कर फटकार लगाई थी और आदेश के अनुपालन का निर्देश दिया था जिसपर संज्ञान लेते हुए पांच दिनों पहले भी काफी संख्या में पुलिस बल को भेजकर मंदिर तोड़ने की कोशिश की गई थी पर उस वक्त भी पुलिस को सफलता नहीं मिल पाई थी।न्यायालय ने 25 जनवरी को इसी मामले में दुबारा सुनवाई करते हुए वैशाली की जिलाधिकारी रचना पाटिल और नगर परिषद् के कार्यपालक पदाधिकारी को जमकर फटकार लगाते हुए बिहार के मुख्य सचिव, गृह सचिव और नगर विकास के प्रधान सचिव को 27 जनवरी को कोर्ट में तलब करने की तिथि निर्धारित की है। 

लालू के खिलाफ दाखिल एक और मुकदमा वापस

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पटना 27 जनवरी, बिहार में पटना की एक अदालत ने राज्य सरकार की ओर से मुकदमा वापस लेने की अर्जी को स्वीकार करते हुए आज राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को आरोप विमुक्त कर दिया । अभियोजन पक्ष की ओर से सरकार के मुकदमा वापसी के निर्देश का हवाला देते हुए सहायक अभियोजन पदाधिकारी ने एक आवेदन दाखिल कर यह मुकदमा वापस लिये जाने की अनुमति देने की प्रार्थना की थी । इस मामले पर सुनवाई के बाद प्रथम श्रेणी की न्यायिक दंडाधिकारी गायत्री कुमारी ने प्रार्थना स्वीकार करते हुए मुकदमा वापस लेने की अनुमति देते हुए श्री यादव को आरोप विमुक्त कर दिया । 

मामला वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव के दौरान पाटलिपुत्रा लोकसभा क्षेत्र से राजद उम्मीदवार मीसा भारती के रोड शो के दौरान सरकारी फोटोग्राफर के कार्य में बाधा पहुंचाने का था । इस संबंध में पुलिस ने परसा बाजार थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की थी और फिर बाद में आरोप पत्र भी दाखिल किया था । 

बढ़ चला बिहार अभियान पर श्वेत पत्र जारी करे सरकार : सुशील कुमार मोदी

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पटना 27 जनवरी, बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नीतीश सरकार से ..विजन डॉक्यूमेंट 2025..तैयार करने के लिए ..बढ़ चला बिहार अभियान..में हुए खर्च पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग की है । भाजपा विधानमंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज यहां कहा कि बढ़ चला बिहार अभियान के तहत जन भागीदारी कार्यक्रम के जरिये तैयार होने वाला विजन डॉक्यूमेंट 2025 की सच्चाई से प्रदेश के लोग अवगत होना चाहते है । इस अभियान के तहत किन-किन क्षेत्रों में कार्यक्रम हुए और कितना खर्च हुआ यह लोगों को पता होना चाहिए । उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या यह सच नहीं है कि इस अभियान के जरिये सरकारी खर्च पर विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड (जदयू) का प्रचार किया गया । श्री मोदी ने कहा कि राज्य सरकार को तत्काल श्वेत पत्र जारी कर बढ़ चला बिहार अभियान के तमाम तथ्यों का खुलासा करना चाहिए । जन भागीदारी कार्यक्रम के जरिये विजन डॉक्यूमेंट 2025 तैयार करने के लिए प्रदेश के 40 हजार गांवों में 400 सुसज्जित प्रचार वाहनों से पर्यवेक्षक ,तकनीशियन के साथ सभाऐं करनी थी । इसके लिए सिटीजन एलायंस कंपनी को प्रति सभा 2,833 रूपये और नियुक्त पर्यवेक्षक एवं कर्मी को क्रमश: 30 हजार और 11,756 रूपये प्रतिमाह की दर से भुगतान करना था । 

भाजपा नेता ने कहा कि जन भागीदारी के अलाव राज्य एवं जिला स्तर पर गौरव ,गोष्ठी, उद्घोष ,बिहार व्याख्यानमाला ,जिज्ञासा ,राज्य के बाहर प्रवासी बिहारियों के बीच बिहार डेवलपमेंट डायलॉग तथा संवाद जैसे कार्यक्रम आयोजित किया जाना था । सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ये सारे कार्यक्रम कब और कहाँ हुए । उन्होंने कहा कि साथ ही इन कार्यक्रमों पर कितना खर्च किया गया इसका भी खुलासा होना चाहिए । श्री मोदी ने कहा कि क्या यह सच नहीं है कि 20 मई 2015 को सरकार ने उत्तर प्रदेश के नोयडा की जिस सिटीजन एलायंस प्राइवेट लिमिटेड को इस कार्यक्रम के प्रचार के लिए सूचिबद्ध किया था ,उसका निबंधन उसी साल 15 फरवरी को मात्र एक लाख रूपये के शेयर पूंजी के साथ हुआ था । भाजपा ने उस समय जब इस मामले को उजागर किया तब ढ़ाई महीने बाद 15 जुलाई 2015 को इसमें संशोधन करते हुए सिटीजन एलायंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ हैदराबाद की जे डब्लू माईडसेट प्राइवेट लिमिटेड को जोड़ दिया गया । उन्होंने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि बढ़ चला बिहार अभियान की पीआर एजेंसी से जदयू का बिहार विधानसभा का चुनाव प्रचार करने वाली एजेंसी का क्या संबंध था । 

भाजपा नेता ने कहा कि सच्चाई यह है कि जिलों में न तो पर्याप्त संख्या में प्रचार वाहन भेजे गये ,न उनमें निर्धारित उपकरण लगे , न सभाऐं हुई लेकिन बाद में मुख्यमंत्री की ओर से जिला जनसंपर्क पदाधिकारियों पर दबाव बनाकर झूठे विपत्रों को सत्यापित करा कर प्रचार एजेंसी सिटीजन एलायंस और पर्यवेक्षकों -कर्मियों को करोड़ों रूपये का भुगतान कराया गया । ऐसे में सरकार को तत्काल श्वेत पत्र जारी कर बढ़ चला बिहार अभियान के तहत कार्यक्रमों में खर्च और तैयार किये गये विजन डॉक्यूमेंट 2025 का खुलासा करना चाहिए । 

नीतीश ने सात निश्चय को पूरा करने के लिये अधिकारियों के साथ की बैठक

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पटना 27 जनवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज सरकार के सात निश्चय को पूरा करने के लिये अधिकारियों के साथ बैठक की । मुख्यमंत्री श्री कुमार ने बैठक में सरकार के सात निश्चयों को पूरा करने के लिए बजट में किये जा रहे प्रबंधों की जानकारी ली । मुख्यमंत्री की सहमति के बाद सभी विभागों के बजट को योजना विकास विभाग को भेज दिया गया । बैठक में राज्य के वित मंत्री अब्दुल बारी सिद्दकी के अलावा योजना विकास मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव धर्मेन्द्र सिंह गंगवार, मुख्यमंत्री के सचिव चंचल कुमार, अतीश चन्द्रा एवं अन्य विभागीय सचिव उपस्थित थे। 

गौरतलब है कि बिहार सरकार ने 25 जनवरी को ही सरकार के सात संकल्पों को अगले पांच वर्षो में सही ढंग से क्रियान्वयन करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बिहार विकास मिशन का गठन किया है । सरकार के सात निश्चय हैं आर्थिक हल, युवाओं पर बल , अवसर बढ़े, आगे बढ़े , हर घर बिजली लगातार, हर घर नल का जल, घर तक पक्की गली-नालियां, शौचालय निर्माण, घर का सम्मान और आरक्षित रोजगार महिलाओं का अधिकार । 

साहेबगंज में बनेगा मल्टी मॉडल हब : नितिन गडकरी

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रांची,27 जनवरी, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, जहाज रानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि झारखंड में दो नये राष्ट्रीय राजमार्ग बनाये जाएंगे। उन्हाेंने यह भी भरोसा दिलाया कि जून 2017 तक रांची-टाटा रोड का काम पूरा हो जायेगा और साहेबगंज में 534 करोड़ की लागत से मल्टी मॉडल हब बनेगा। राजधानी रांची के प्रोजेक्ट भवन स्थित सचिवालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री गडकरी ने आज कहा कि झारखंड में करीब 14000 करोड़ रुपये की लागत से 1428किमी तक बनने वाली सड़क परियोजनाअों को मंजूरी प्रदान कर दी गयी है। उन्होंने बताया कि 580 करोड़ की छह सड़क परियोजनाओं पर काम शुरु हो गया है, जबकि 847 करोड़ रुपये की 13 सड़क परियोजनाअों को भी स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है। इसके अलावा कालीबारी डुमरिया-बेलदर-पटमदा व चाईबासा-हाता-घोड़ाबांधा पथ पूर्वी सिंहभूम के दो नये राष्ट्रीय राजमार्ग को भी मंजूर किये जाने की घोषणा की है। 

उन्होंने बताया कि साहेबगंज को स्मार्ट सिटी के रुप में विकसित किया जायेगा, यह झारखंड के लिये ग्रोथ इंजन का काम करेगा। बंदरगाह के बन जाने से बनारस से हल्दिया तक जल परिवहन सुगम होगा। उन्होंने कहा कि जल परिवहन सड़क परिवहन से सस्ता होता है। श्री गडकरी ने कहा कि साहेवगंज में गंगा नदी पर 2000 हजार करोड़ रुपये की लागत से पुल बनेगा, जिसका शिलान्यास अगले महीने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। उन्होंने कहा कि 500 करोड़ की लागत से रांची-पलामू रोड को उत्क्रमित किया जायेगा। धनबाद बाईपास के संबंध में केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि डी0पी0आर0 बनायेें, भू-अर्जन के लिये आधा पैसा केन्द्र सरकार देगी। इस भूमि का उपयोग कई कल्याणकरी कार्यों के लिये किया जायेगा। 

झारखंड में ऊर्जा परियोजनाओंं का जिक्र करते हुये श्री गडकरी ने कहा कि राज्य सरकार फ्लाई-एश से ईंट निमाण कर उसके निर्यात करने के बारे में विचार करे। बंगलादेश इसके लिये बेहतर बाजार हो सकता है। श्री नितिन गडकरी ने सड़क हादसों का जिक्र करते हुये कहा कि हर साल तकरीबन पांच लाख सड़क हादसे ह होते हैं जिनमें तकरीबन तीन लाख लोग घायल होते हैं। इसकी एक वजह फर्जी तरीके से ड्राईविंग लाइसेंस का बनना है। इसे दूर करने के लिये पूरे राज्य में ड्राईविंग ट्रेनिंग सेंटर खोलें जायेंगे, जहां कम्प्यूटराइज्ड तरीके से वाहन चालन परिक्षण की जांच कर चार दिन के अंदर लाइसेंस निर्गत किये जायेंगे। 

इस मौके पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश को स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की सौगात दी थी। श्री गडकरी ने उस दूरदृष्टि को रफ्तार दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नितिन गडकरी के इरादे नेक हैं,हौसले बुलंद हैं, गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों का विकास इनका लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राज्य की जीवन रेखा वहाँ की सड़कों को माना जाता है। राज्य के विकास में परिवहन व्यवस्था का अहम योगदान है। सड़काें के राष्ट्रीय अौसत के मामले में झारखंड काफी पीछे है लेकिन आने वाले समय में राज्य में सड़कों का जाल बिछेगा तथा सर्वाेत्तम सड़कों के लिये झारखंड को जाना जाएगा। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद एम­ जे­ अकबर, राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ,मुख्य सचिव राजीव गब्बा, प्रधान सचिव पथ निर्माण विभाग राजबाला वर्मा,मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार एवं सचिव सुनील कुमार वर्णवाल और वी0एन0 सिंह भी उपस्थित थे। 

विशेष आलेख : वैदिक ग्रंथों में भारतीय राष्ट्र की कल्याण कामना

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पुरातन भारतीय परम्परानुसार जिस प्रकार एक जीवात्मा का निवास एक शरीर में होता है और परमात्मा का निवास इस विशाल ब्रह्मांड में है, ठीक उसी प्रकार देश एक शरीर है तो राष्ट्र उसकी आत्मा है। देश भौतिक तत्व है, दृश्यमान है, स्थूल है, दृश्य अर्थात दिखता है, जबकि राष्ट्र अदृश्य है, सूक्ष्म है, दिखता नहीं है। देश सभ्यता है, तो राष्ट्र संस्कृति है। देश भौतिक है तो राष्ट्र एक आध्यात्मिक विचार है। देश को आध्यात्मिक विचारों से अथवा सांस्कृतिक मूल्यों से ही महान बनाया जा सकता है। भारत कभी विश्वगुरू था तो केवल अपने उत्तुंग राष्ट्रीय आध्यात्मिक भावों के कारण ही था। वैदिक ग्रंथों में भारतीय राष्ट्र की अवधारणा स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है और वेदों में भारत राष्ट्र की महिमागान के साथ ही राष्ट्र के कल्याण की कामना की गई है । वैदिक ग्रंथों के अध्ययन से इस सत्य का सत्यापन होता है कि राष्ट्र की अवधारणा भी वेदों‌ विशेषकर ऋग्वेद तथा अथर्ववेद  में‌ व्यक्त है। सहस्त्राब्दियों से ऋग्वेद के अनेक मंत्र हमारी मातृभूमि तथा संस्कृति के गुणों और मह्त्व की प्रेरणा देते आए हैं और आज भी ये मंत्र अत्यन्त प्रासंगिक तथा उपयोगी‌ हैं । विश्व का सर्वाधिक प्राचीन परमेश्वरोक्त ग्रन्थ ऋग्वेद इसकी पुष्टि करता है -
श्रेष्ठं यविष्ट भारताग्ने द्युमन्तमा भर ।
वसो पुरुस्पृहं रयिम्‌ ॥ -ऋग्वेद 2-7-1

अर्थात - भारत वह देश है जहाँ के ऊर्जावान युवा सब विद्याओं में अग्नि के समान तेजस्वी विद्वान हैं, सब का भला करने वाले हैं, सुखी हैं और जिऩ्हें ऋषिगण उपदेश देते हैं कि वे कल्याणमयी, विवेकशील तथा सर्वप्रिय लक्ष्मी को धारण करें । वैदिक परम्परा में ब्राह्मण के लिए लक्ष्मी ज्ञान है , क्षत्रिय के लिए बल है, वैश्य के लिए धन है और शूद्र के लिये सेवा है ।
ऋग्वेद में ही कहा है -
त्वं नो असि भारता sग्ने वशाभिरुक्षाभि: ।
अष्ठापदीभिराहुत: ॥ -ऋग्वेद 2-7-5

अर्थात - भारत में सभी विषयों में‌ अग्नि के समान तेजस्वी विद्वान गायों तथा बैलों के द्वारा खेती कर समृद्ध तथा सुखी‌ हैं , और आठ सत्यासत्य निर्धारक नियमों द्वारा संचालित जीवन जीते हैं। ऋग्वेद 6-16-45 में ऋषि प्रार्थना करते हैं कि, हे सभी विषयों में अग्नि के समान तेजस्वी विद्वान ! आप निरंतर उऩ्हें ज्ञान देते हो जो ज्ञानवान हैं, अत: आप और अधिक ज्ञान प्राप्त कर उऩ्हें‌ ज्ञान दीजिये ।
राष्ट्र कल्याण की कामना करते हुए ऋग्वेद में कहा है –
तस्मा अग्निर्भारत: शर्म यंसज्ज्योक्‌ पश्यात्‌ सूर्यमुच्चरन्तम्‌।
य इन्द्राय सुनवामेत्याह नरे नर्याय नृतमाय नृणाम ॥ -ऋग्वेद 4-25-4

अर्थात - सभी विषयों में अग्नि के समान तेजस्वी विद्वानों को धारण करने वाला भारत सभी मनुष्यों को घर के समान सुख दे, और जो यह कहते हैं कि विद्यावान, उत्तम शीलवान मनुष्यों के मुखिया (इन्द्र) कुशल तथा ऐश्वर्यवान समाज का निर्माण करें, वे बहुत काल तक सूर्योदय देखें। वेदों में ईश्वर से भारत, भारतीय व भारतवासियों की कल्याण की कामना की गई है। ऋग्वेद 6-16-19 में कहा है - हे अग्नि के समान तेजस्वी विद्वतजन, प्रकाश देने वाले, मेघ के द्वारा वर्षा कराने, भरण पोषण करने वाले और मानव की चेतना जगाने वाले, श्रेष्ठ स्वामी सूर्य की स्तुति करते हुए उनका हम सदुपयोग करें। ऋग्वेद 3-53-12 में विश्वामित्र कहते हैं, हे मनुष्य ! हम (इंद्र) की स्तुति करें‌ जो अंतरिक्ष तथा पृथ्वी दोनों के द्वारा भारत में जन्म लेने वालों की रक्षा करता है । ऋग्वेद 3-23-2 के अनुसार, हे अग्नि ! धारण कर्ता और पालन कर्ता और विद्वानों के वचनों के श्रोता और श्रेष्ठ प्रेरणाकारक से प्रेरित पुरुष अनुकूल दिवस पर श्रेष्ठ कौशल के द्वारा धन उत्पन्न करने वाली अग्नि को मन्थन द्वारा उत्पन्न करें जो हम लोगों के लिये सुमार्ग में अग्रणी होवे, (हे अग्नि)आप बहुल धन तथा अन्नादि की कृपादृष्टि रखें।
भारतीळे सरस्वति या व: सर्वा उपब्रुवे ।
ताताश्रिये ॥ - ऋग्वेद 1-188-8

अर्थात - हे भारत माता, हे धरती माँ, हे सरस्वती मैं प्रार्थना करता हूं कि आप हमें लक्ष्मी प्राप्त करने के लिये प्रेरणा दें। अर्थात हमें भारत माता, धरती माँ और विद्या का सम्मान करते हुए धन कमाना है। ऋग्वेद1-142-9 के अनुसार, भारती (भारत माता अर्थात धारण पोषण करने वाली), इला धरती तथा वाक्‌देवी सरस्वती शुद्ध, अमर और देवों को समर्पित यज्ञ का संपादन करने वाले अग्नि देव विशाल यज्ञ को सफ़ल करें। अर्थात, किसी‌ भी महान कार्य को करने के लिये यह तीनों देवियों तथा ऊर्जा के देव अग्नि आवश्यक होते हैं। ऋग्वेद 2-1-11 के अनुसार हे विद्या देने वाले विद्वान देव प्रकाशमान अग्ने ! आप दानशील शिष्य के विकास के लिए अन्तरिक्ष को प्रकाशित करने वाली सूर्य की‌ माता अदिति के समान विद्या के गुणों को प्रकाशित करते हैं। यज्ञ संपादिका, विद्याशील भारती तथा ज्ञानवृद्ध इला आपके सम्मान को बढ़ाती हैं। हे धन के पालन हारे आप मेघहन्ता सूर्य के समान तथा ज्ञान विज्ञानयुक्त वाक्देवी के समान हैं। ऋग्वेद 3-4-8  तथा ऋग्वेद 7-2-8 के अनुसार, प्रबुद्ध, प्रवृद्ध तथा संस्कारित निस्वार्थ सेवा करने वाली‌ भारती (भारतमाता), दिव्य एवं विचारशील पुरुषों को निस्वार्थ संसाधन प्रदान करने वाली‌ इला (पृथ्वी) और अग्नि के समान तेजस्वी ज्ञान विज्ञानमय वाणी वाली सरस्वती, यह तीनों देवियां यहां के (भारत के) वायुमंडल में उपलब्ध हैं, सभी मनुष्य इनका आश्रय लें। ऋग्वेद 3-62-3  में कहा है - हे वज्रधारी इन्द्र और हे ब्रह्माण्ड के नियंता वरुण हमारे पास उचित धन हो, हे पवन देव मरुत हम सब वीर और कुशल हों जो लक्ष्मी प्राप्त कर सकें। वरुत्री: अर्थात हमारी रक्षक देवी, होत्रा अर्थात यज्ञ संपादिका, तथा भारती अर्थात संपूर्ण विद्याओं को पूर्ण करती वाणी की हम शरण लें जो दोनों हाथों से हमारी रक्षा करें। अर्थात- बिना सैन्य शक्ति तथा नैतिकता, वीरता, कौशल, कार्य संपादन की क्षमता तथा श्रेष्ठ विद्या एवं संचार शक्ति के न तो हम लक्ष्मी प्राप्त कर सकते हैं और न अपनी रक्षा।
भारती पवमानस्य सरस्वतीळा मही ।
इमं नो यज्ञमा गमन्‌ तिस्रो देवी: सुपेशस: ॥ ऋग्वेद 9-5-8

अर्थात - हमारे सोम यज्ञ में उत्तम गुणों वाली तीन देवियां - भारती, सरस्वती एवं महान इला - सम्मिलित हों। ध्यातव्य  हो कि ऋग्वेद में इन तीन देवियों -भारत माता, ज्ञान और कार्य करने की जमीनी क्षमता की महिमा बार बार गाई गई है।ऋग्वेद 10-110-8 के अनुसार, हमारे यज्ञ में सूर्य की सी कान्ति वाली भारती, और मनुष्य को ज्ञानी बनाने वाली इळा और उत्तम ज्ञानदा सरस्वती शीघ्र आवें । तीनों उत्तम कार्य करने वाली, प्रकाश और ज्ञान के देने वाली देवियां इस उत्तम आसन पर सुखपूर्वक विराजें । ऋग्वेद 1-22-10 में प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि, हे कार्यकुशल विद्वान अग्ने ! हमारी रक्षा करने के लिये कुल रक्षक देवियों को यहां ले आओ; हमें ऐसी वाणी (भारती) दो जिससे हम देवों को बुला सकें एवं निष्ठापूर्वक सत्य भाषण कर सकें।

इस प्रकार यह स्पष्ट कि ऋग्वेद में भारत, भारती अथवा भारतवासी के अनेक अर्थ हैं। जैसे, सब का पोषण करने वाला, अग्नि के समान तेजस्वी तथा भला करने वाला, विद्यावान, उत्तम शीलवान, वाणी के महत्व को समझने वाला, सुख प्रदान करने वाला, चरित्रवान, ज्ञान प्रदान करने वाला, योग्य मुखिया को चुनने वाला, मानवीय चेतना से प्रेरित, भारत माता, धरती माँ और विद्या का सम्मान सहित उपयोग करने वाला, शक्ति और कौशल के द्वारा धन पैदा करने वाला, अपनी रक्षा के लिये चौकस, ऊर्जा का सही उपयोग करने वाला, गुणवानों का सम्मान करने वाला, भारती, इला, सरस्वती तथा अग्नि की सहायता से कार्यों को यज्ञ की‌ भावना से करने वाला इत्यादि। लोगों का कहना है कि ऐसे गुण वाले भारत के रहने वाले भारतवासी भारतीय हैं, बाकी सब इण्डिया में रहने वाले इण्डियन हैं ।ऋग्वेद के अनुसार हमारी राष्ट्र की परिभाषा का मुख्य आधार संस्कृति है, जीवन मूल्य हैं, और अथर्ववेद के कुछ सूक्त भी जनमानस में मानसिक एकता तथा समानता का उपदेश देते  हुए इसी‌ भावना को बल प्रदान, पुष्टि और सुदृढ़ करते हैं। अथर्ववेद के अनेक सूक्त राष्ट्र की‌ भावनात्मक एकता के लिये बहुत ही उपयोगी ज्ञान, उपदेश देते हैं । इस दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण अथर्ववेद के 1-20, 6-64, 3-30, 3-8-5 आदि सूक्तों के अनुसार अथर्ववेद में मंत्रों में समानता (सामंजस्य) के होने पर बहुत बल दिया गया है। इच्छाओं, विचारों, उद्देश्यों, सकल्पों आदि की एकता के लिये जन मानस में‌ उनके मनों का द्वेषरहित होना, आपस में प्रेम भावना का होना आवश्यक है। वेदों का यह ज्ञान मनुष्य मात्र की एकता का आह्वान करता है, किन्तु विभिन्न देशों की प्रतिद्वन्द्वता तथा कुछ देशों के जीवन मूल्य इन भावनाओं के विपरीत होने के परिप्रेक्ष्य में  इऩ्हें हमारे राष्ट्र की रक्षा के लिये अनिवार्य शिक्षा मानना चाहिये ।




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-अशोक “प्रवृद्ध”-
गुमला
झारखण्ड

प्रियंका की फैन श्रुति बनी ‘नंबर वन ड्रामेबाज की टाॅपर

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प्रियंका चोपडा की फैन श्रुति चैबे चैनल एंन्टरटेंटमेंट पर शुरू हुए रियल्टी शो‘ नंबर वन ड्रामेबाज की प्रतिभागी बन चुकी है। उनको उम्मीद है कि एक दिन वह ही शो की विजेता होगी और बालीवुड में प्रियंका की तरह ही लोकप्रिय बनेगी। देशभर में चले आडिशन में भाग लेने वाले हजारों बाल प्रतिभागियों को पछाडते हुए श्रुति ने टाॅप 100 के बीच अपनी जगह बना चुकी है,और टाॅप 10 तक की दूरी उनके लिए मायने नही रखती है। उनको विश्वास है कि वह एक दिन अभिनय में बेहतर अभिनेत्री बनेगी और अपने परिवार का नाम रोशन करेगी। शो‘ नंबर वन ड्रामेबाज में जगह बनाने से उनको काफी खुशी हो रही है। लेकिन यह उनके लिए एक बडी चुनौती की शुरूआत भी है।

गाजियाबाद वैशाली के सनवेली इन्टरनेशनल स्कूल की छात्रा श्रुति ने बताया ‘मुझे बचपन से ही अभिनय के प्रति लगाव के अलावा नृत्य भी मेरी पहली पंसद है। लेकिन अभिनय को करियर के रूप में अपनाने की प्रेरणा उनके माता पिता से मिली। श्रुति की इस सफलता पर उसके परिवारजन और स्कूल में खुशी का महौल है और श्रुति को शो में जगह पाने के लिए बधाई दे रहे है यहां कि स्कूल में उनको सम्मानित भी किया गया है। अपनी माता पिता की प्रेरणा से अभिनय की दुनियां में आयी श्रुति को पूरा भरोसा है कि वह शो कि प्रथम विजेता होगी।  श्रुति माॅ इस बात करे स्वीकार है,कि उनकी बेटी में टैलेंट तो है और वह टीवी और फिल्मों में कलाकरों के अभिनय को गौर से देखती है,फिर उसी शैली की नकल करने का प्रयास करती है,या यूं कहे कि वह हर किरदार में रमने का प्रयास करती है।

प्राइड ग्रुप आॅफ होटल्स ने खोला अपना पहला लक्जरी होटल

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नई दिल्लीः द प्राइड ग्रुप आॅफ होटल्स ने दिल्ली में अपना पहला लक्ज़री (अपस्केल) होटल- प्राइड प्लाजा होटल खोलने की आज घोशणा की। प्राइड प्लाज़ा होटल, एरोसिटी, नई दिल्ली समूह का पहला लक्ज़री होटल है। राजसी अंदाज वाले इस होटल में बेहद षानदार 385 बेहतरीन कमरे और सुइट, 5 अत्याधुनिक बैंक्वेट हाॅल, आकर्शक एवं विस्तृत डाइनिंग क्षेत्र, आउटडोर स्विमिंग पूल, फिटनेस सेंटर और आॅरा स्पा उपलब्ध है, जो सही मायने में भारतीय आतिथ्य और पारंपरिक सेवाओं को प्रतिबिंबित करता है।

प्राइड प्लाजा होटल में लक्जरी आतिथ्य की सभी विषेशताओं को समाहित किया गया है, होटल के रेस्टोरेंट्स में प्रमाणिकता और वैभवषाली ज़ायके का उपयुक्त मेल की पेष की जाती है, जो मेहमानों के दिलों में यादगार डाइनिंग अनुभव की छाप छोड़ती है। यह खाने-पीने के षौकीनों, जो प्रमाणिक एषियन व्यंजनों की बारीरिकियों या अंतरराश्ट्रीय व्यंजनों की खुषबूदार ज़ायके का स्वाद लेना चाहते हैं, उनके लिए यहां के रेस्टोरेंट्स  किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। दिन में खाने-पीने के लिए उपलब्ध रेस्टोरेंट - कैफे प्राइड, पैन-एषियाई रेस्टोरेंट - ओरिएंटल स्पाइस और दिली काउंटर- मिस्टर कन्फेक्षनर में पेस्ट्री और केक जैसे आकर्शक कन्फेक्षनरी और बेकरी उत्पादों की पेषकष की जाती है। आकर्शक सजावट वाला लाउंज बार स्टैलियन में जोषीले काॅकटेल, माॅकटेल और विष्व-स्तरीय बेवरिजेज के साथ दिन भर की थकान और तनाव को दूर कर सकते हैं। यहां का वेलनेस सेंटर आॅरा (व्त्।) अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस फिटनेस सेंटर और रिलेक्सिंग स्पा है, जो आपको सुकून और आराम की एक खुराक से कहीं ज्यादा की पेषकष करता है।

इस होटल की भव्य षुरूआत के मौके पर द प्राइड ग्रुप आॅफ होटल्स के प्रबंध निदेषक श्री एस. पी. जैन ने कहा, ‘‘आतिथ्य क्षेत्र में अपने गहन अनुभव और ज्ञान के साथ प्राइड ग्रुप आॅफ होटल्स के तौर पर हमें नए आतिथ्य सेगमेंट के कारोबार में उतरते हुए खुषी हो रही है। यह सेगमेंट कारोबारी और छुट्टियां मनाने आने वाले पर्यटकों के बीच में अपना अपस्केल ब्रांड बनाया है। हमने एरोसिटी में प्राइड प्लाजा होटल के नाम से अपना लक्जरी होटल षुरू किया है और 2016 के अंत तक हम प्राइड प्लाजा ब्रांड का विस्तार अहमदाबाद और कोलकाता में करने की संभावना तलाष रहे हैं। दिल्ली और गुड़गांव के समीप एरोसिटी में स्थित यह होटल सर्वाधिक सुगम गंतव्य में से है, जहां लोग ठहरने, छुट्टियां बिताने और बैठकों को यादगार बनाने के लिए षानदार सेवाओं और सुविधाओं के लिए जाना पसंद कर सकते हैं।’’

डिनर डेट से लेकर सामाजिक मेलजोल या आॅफिस से आउटिंग तक प्राइड प्लाजा होटल खास तरह के बने व्यंजनों की एक गौरवषाली यात्रा पर ले जाता है और प्रत्येक व्यंजन में भव्यता समाहित होती है। चाहे यहां ठहरना हो, बिज़नेस विज़िट हो या परिवार के छुट्टियां बितानी हो, या फिर काॅन्फ्रेंस या सोषल गैदरिंग करना हो- आप यहां खुद के लिए पर्सनलाइज़्ड सेवाओं के अनुभव का अहसास कर सकते हैं।

फिल्म की शूटिंग से ब्रेक लेकर लंदन जाएंगे पूरब कोहली

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प्रतिभाशाली अभिनेता पूरब कोहली का करियर ग्राफ इनदिनों आसामना छूता नज़र आरहा है। इसकी वजह है उनकी हाल ही रिलीज़ हुई उनकी फिल्म 'एयरलिफ्ट', दर्शक फिल्म की तारीफें करते थक नही रहे हैं। इससे पहले पूरब अपनी आगामी फिल्म 'रॉक ओन 2'की शूटिंग में पूरी व्यस्त हो जाए, पूरब ने फिल्म की शूटिंग से एक छोटा सा ब्रेक लेने का मन बनाया है। पूरब हाल ही में बेटी के पिता बने हैं इसीलिए वो अपनी फिल्म से छोटा सा ब्रेक लेकर अपनी बेटी 'इनाया'से मिलने जाना चाहते हैं। फिल्म रॉक ओन 2'की शूटिंग'एक हफ्ते तक रुकी हुई है और इसी मौके का फायदा  उठाते हुए पूरब ने बेटी से मिलने  लंदन जाने का प्लान बनाया है।  

पूरब अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ तो बड़ी ही समझदारी से निभा रहे हैं। इसी के साथ पूरब अपनी ज़िन्दगी के इन दोनों ही पहलुओं क आनंद उठा रहा हैं। 

बिहार : सर्द हवाओं के बीच में पड़ गयीं बीमार नागमणि और राजमंति की असमय मौत

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  • कुर्जी मोड़ बिन्द टोली में बिन्द समुदाय के बीच पसरा मातम
  • नौकरशाह लिहाफ में मजे लेते रहे और लोग कपकपाते रहें

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पटना। बिन्द टोली से विस्थापित लोग परेशान हैं। नौकरशाहों ने सर्द हवाओं में ही लोगों को आश्रयहीन बना दिये। लोग दीघा से उजड़कर और कुर्जी में आकर बसने लगे। गंगा नदी के किनारे और रेत के ऊपर ही लोगों को गुजारा करना हैं। अभी तक लोग दुरूस्त से बसे नहीं हैं। राजन महतो और दुर्गावती देवी की पुत्री नागमणि कुमारी को निमोरियों हो गया। नागमणि कुमारी के दादा देवेन्द्र महतो कहते हैं कि कोई 7 हजार रूपये इलाज में खर्च करने के बाद भी पोती को बचा नहीं पायें। अदिया महतो और परमशीला देवी की पुत्री राजमंति कुमारी को ठंड लगने से मौत हो गयी। स्वास्थ्य विभाग को कदम उठाने की जरूरत है। ताकि कुछ और असमय मौत न हो सके।

कुर्जी बिन्द टोली में रहते हैं देवेन्द्र महतो और लीला देवीः इन दोनों के पुत्र राजन महतो और पुत्र वधु दुर्गावती हैं। राजन और दुर्गावती के सहयोग से बच्ची का जन्म हुआ। दुर्गावती का प्रथम प्रसव है।इन लोगों के घरों में 12 दिन पूर्व बच्ची का जन्म हुआ। बच्ची का नाम है नागमणि। जो निमोनिया की चपेट में आ गयी हैं। हालत गंभीर है। 
जी, महज 5 दिन पहले ही ट्रैक्टर पर चढ़कर दुर्गावती आयी थीं। बिन्द टोली से कुर्जी बिन्द टोली आने समय में दुर्गावती की गोदी में 7 दिन की बच्ची नागमणि थीं। ट्रैक्टर पर मां और बेटी बैठी थीं। तेजी से ट्रैक्टर चलने से नागमणि हवा पी ली। कुर्जी बिन्द टोली में 1 दिन ही ठीक रहीं। उसके बाद 4 दिनों से बीमार हैं। पहले बुखार हुआ और उसके बाद निमोनिया की चपेट में पड़ गयी। तुरंत चिकित्सक के पास लिया गया। कुर्जी मोड़ के चिकित्सक के पास चिकित्सा करवा रही हैं। दवा-दारू चल रहा है। हरा रंग का मलत्याग कर रही हैं। अभी रात में सर्द हवा चलती है। इसके कारण मासूम बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। प्रशासन की ओर से कार्रवाई जरूरी है। 

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कुर्जी मोड़ बिन्द टोली में हिलती-डूलती चलती थीं राजमंति कुमारीः अभी वह तेरह साल की थीं। जब चार साल की थीं तो शरीर से धात गिरने लगा। इसके बाद माहवारी होने लगा। अभी भी माहवारी की दौर से गुजरती थीं। इसके कारण काफी कमजोर हो गयी। वह हिलती-डूलती चलती थीं। राजमंति कुमारी की दीदी आशा देवी कहती हैं कि स्नायु में खराबी आ जाने के कारण शरीर हिलता था। दीघा अल्पना सिनेमा हाॅल के सामने डाक्टर विनय कुमार सिंह से दिखाया गया। दवा-दारू चला और अब राशि नहीं रहने के कारण इलाज नहीं करा पा रहे थे। 
गरीबी के दलदल में राजमंति कुमारी के परिवार। दीघा बिन्द टोली के झुग्गी -झोपड़ी में रहते थे। यहां से विस्थापित होने के बाद कुर्जी मोड़ बिन्द टोली में अदिया महतो और परमशीला देवी रहती हैं। इनके पांच संतान हैं, चार लड़की और एक लड़का। सबसे छोटी लड़की राजमंति कुमारी थीं। इस बीच अदिया महतो की मौत हो गयी। विधवा परमशीला देवी को पेंशन मिलती है। राजमंति कुमारी को भी पेंशन मिलने की संभावना है। कुछ रकम संग्रह करने के बाद चिकित्सक से दिखाने का प्रस्ताव की थीं। शास्त्री नगर में स्थित जयप्रकाश हड्डी रोग हाॅस्पिटल में स्नायु रोग विशेषज्ञ से दिखाया जाएगा। जो पूरा नहीं हो सका।

व्यंग्य : 'सर 'का डर ...!!

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जल्दी -जल्दी खाना खा... डर लगे तो गाना गा...। तब हनुमान चालिसा के बाद डर दूर करने का यही सबसे आसान तरीका माना जाता था।क्योंकि गांव - देहात की कौन कहे, शहरों में भी बिजली की सुविधा खुशनसीबों को ही हासिल थी। लिहाजा शाम ढलने के बाद शहर के शहर अंधेरे के आगोश में चले जाते थे। हर तरफ डिबरी या लालटेन की लौ टिमटिमाती नजर आती। ऐसे में यदि किसी को जरूरी काम से बाहर निकलना पड़ जाए तो उसकी घिग्गी बंध जाती थी। खैर बचपन के उस दौर में एक बात  ब्रह्म वाक्य की तरह अटल थी कि फिल्मी हीरो किसी से नहीं डरते। सात - सात को साथ मारते हैं। हम सीट पर बैठे सांस रोक कर देख रहे हैं कि पर्दे पर हीरो चारो ओर से घिर चुका है। लेकिन वह डरता नहीं, बल्कि घेरने वालों को ही घेर कर मार रहा है। 70 के दशक में महानायक ने तो हद ही कर दी। 

कुछ गुंडे - बदमाश हाथ धो कर उसके पीछे पड़े हैं। उसे इधर - उधऱ ढूंढ रहे हैं। हम कांप रहे हैं कि बेचारे का अब क्या होगा। लेकिन यह क्या वह तो ढूंढने वाले के डेरे पर ही बेफिक्री सेपांव पसार कर लेटा है और दरवाजे पर ताला लगा कर उन्हें चुनौती देता है। फिर एक - एक कर सभी की जम कर पिटाई और पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज रहा है।किशोर होने तक हमारे भीतर यह धारणा बैठी रही कि फिल्मी पर्दे वाले सर किसी से डर नहीं सकते।हालांकि यदा - कदा यह सुनने को जरुर  मिलता कि फलां हीरो के यहां इन्कम टैक्स की रेड पड़ी है और बेचारा परेशान है। लेकिन हमें विश्वास नहीं होता था। हम सोचते थे कि हमारा हीरो रेड मारने वालों की एेसी - तैसी करके रख देगा। कम से कम उन्हें खरी - खोटी तो जरूर सुनाता होगा। लेकिन जल्द ही यह मिथ टूटने लगा। तोप सौदे में नाम आने पर एक महानायक बुरी तरह से डर गए। वहीं मुंबई बम धमाके के बाद असलियत खुली कि फिल्मी दुनिया से जुड़े तमाम सर सबसे ज्यादा डरे रहते हैं। इतना ज्यादा कि कोई भी गुंडा - मवाली उन्हें धमका लेता है। उनके डर भी कई प्रकार के होते हैं। माफिया और गुंडे - बदमाश  तो अपनी जगह है ही इन्कम टैक्स और तमाम तरीके के कानूनी नोटिसों का खौफ उनकी नींद हराम किए रहता है। बेचारे चैन से सो भी नहीं पाते। वर्ना क्या वजह है कि माइक हाथ में आते ही ये तमाम सर डर का रोना लेकर बैठ जाते हैं। इतना भयाक्रांत तो गांव - कस्बे के घुरहू - कल्लू भी नजर नहीं आते। 

यह सिलसिला अब भी बदस्तूर जारी है। एक नायक न दम भरा कि इनटालरेंस भरे माहौल में अब उसे डर लगने लगा है। दूसर उससे भी आगे निकल गया। उसने यहां तक कह दिया कि डर के चलते उसकी पत्नी बाल - बच्चों समेत देश से निकल जाने की सोचती है। वैसे ही जैसे नाराज बीवी मायके जा बैठती है। बिल्कुल उसी तरहउनकी अ र्दंागिनी  विदेश निकलने की सोचती रहती है ।  फिल्मी पर्दे वाले तमाम सरों के डर से सहमित जताते हुए दूसरी दुनिया के दूसरे सर थोक के भाव में सरकार से मिले पुरस्कार वापस लौटाने लगे।बड़ी मुश्किल से यह बवाल थम पाया था लेकिन हाल में एक दूसरे सर बोल पड़े कि उन्हें हर समय कानूनी नोटिस का डर लगा रहता है। पता नहीं कब उनके यहां नोटिस पहुंच जाए। तमाम सरों के उचित - अनुचित डर से हम इसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि बड़े नाम वाले तमाम सर बुरी तरह से डर के शिकार हैं। उनसे ज्यादा निडर तो गांव - शहरों में रहने वाले वे आम - आदमी हैं जिन्हें जिंदगी कदम - कदम पर डराती है, लेकिन वे निडर बने रह कर उनसे जूझते रहते हैं।





तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

विशेष : 66 साल बाद ही सही संविधान खरीदकर गणतंत्र मनाने की शुरूआत करें।

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26 जनवरी, 2016 को हम गण्तंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं। गण्तंत्र को समझने से पहले हमें आजादी को समझना जरूरी है। 'स्वतंत्रता दिवस'जिसे हमें 'भारत की आजादी'बताया और पढ़ाया जाता रहा है। करोड़ों रुपया खर्च करके जिसका हर साल हम जश्न मनाते रहे हैं। दरअसल यह आजादी है ही नहीं। अर्थात् 15 अगस्त, 1947 को घटित आजादी की घटना एक ऐसी घटना थी, जो भारत के इतिहास में पहले भी अनेकों बार घटित होती रही। अर्थात् भारत की प्रजा, विभिन्न राजाओं और बादशाहों की गुलाम रहते हुए एक शासक से आजाद होकर दूसरे शासक की गुलाम बनती रही। शासक अर्थात् राजा और बादशाह बदलते रहते थे, लेकिन प्रजा गुलाम की गुलाम ही बनी रहती थी।

15 अगस्त, 1947 को भी इससे अधिक कुछ नहीं हुआ था। भारत की सत्ता गोरे अंग्रेजों से काले अंग्रेजों को स्थानान्तरित कर दी गयी गयी। आम लोग 15 अगस्त, 1947 से पहले जैसे थे, वे वैसे के वैसे ही रहे। उनकी स्थिति और जीवन में कोई मौलिक या प्रत्यक्ष बदलाव नहीं आया। यद्यपित भारत के आदिवा​सी कबीलों में गण और गणतंत्रात्मक शासन व्यवस्था का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। फिर भी भारत के इतिहास में 26 जनवरी, 1950 के दिन बड़ी घटना घटी। सम्पूर्ण भारत पहली बार, एक दिन में, एकसाथ गणतन्त्र बना। यह भारत के इतिहास में अनौखी और सबसे बड़ी घटना मानी जा सकती है। हालांकि अनेक विधि-विशेषज्ञ संविधान सभा के गठन की उसकी वैधानिकता और उसकी प्राधिकारिता पर लगातार सवाल खड़े करते रहे हैं।

भारत के गणतंत्र बनते ही भारत के इतिहास में पहली बार समपूर्ण भारतीय जनता को विचार, मत और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता और आजादी के उपयोग की उम्मीद की जगी। मगर बहुत कम समय में सब कुछ निरर्थक सिद्ध हो गया। संविधान को धता बताकर बकवास (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Va-वैश्य+Sसंघी) वर्ग के शोषक मनुवादी, काले अंग्रेज और पूँजीपति मिल गए और भारत की सम्पूर्ण व्यवस्था को अपने शिकंजे में ले लिया।

1925 में जन्मा और गांधी के हत्यारे का मानसपिता (वैचारिक जन्मदाता) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) यकायक जवान हो गया। जिसका मूल मकसद सम्पूर्ण संवैधानिक व्यवस्था पर वकवास वर्ग के आर्यश्रेृष्ठ ब्राह्मणों का वर्चस्व स्थापित बनाये रखना था। संघ ने देशहित, राष्ट्रहित, जनहित, समाजहित जैसे आदर्शवादी जुमलों को लोगों की संवेदनशील भावनाओं की चाशनी में लपेटकर सारी बातों को राष्ट्रभक्ति और हिन्दू धर्म से जोड़ दिया। साथ ही भारत की संवैधानिक व्यवस्था पर कब्जा करके, समाज में अमानवीय मनुवादी मानसिकता के नये बीज बोना ​शुरू कर दिया।

केवल इतना ही नहीं संघ की कथित राष्ट्रभक्ति और हिन्दू धर्म से ओतप्रोत कट्टर विचारधारा ने हिन्दू और मुसलमान को आमने-सामने खड़ा करने की नींव रख दी। संघ द्वारा देश को हिन्दू-मुस्लिम में बांटने का अक्षम्य अपराध भी लगातार किया जाता रहा। जिसके चलते भारत का मुसलमान अपने देश में भी खुद को असुरक्षित अनुभव करने लगा। मुसलमान से देशभक्ति के सबूत मांगे जाने लगे। यह सिलसिला आज तक जारी है। मुसलमान को आतंक के पर्याय के रूप में प्रचारित किया जाने लगा। जबकि सारा संसार जानता है कि 15 अगस्त, 1947 के बाद भारत में पहली अमानवीय आतंकी घटना का जिम्मेदार कोई मुसलमान नहीं, बल्कि संघ का सदस्य रहा-'नाथूराम गोडसे'था। इतिहास गवाह है कि मोहनदास कर्मचंद गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांघी तीनों की हत्याओं से मुसलमानों का कोई सरोकार नहीं रहा।

इस्लामिक आतंक का दुष्प्रचार करने वाले यहूदी, ईसाई और आर्यों को इस बात का जवाब देना चाहिये कि संसार में पहला बम किसने बनाया? क्या पहला अणु या परमाणु बम बनाने वाला कोई मुसलमान था? पहला बम जापान पर अमेरिका ने गिराया, क्या मुसलमान का इससे कोई वास्ता था? सर्वाधिक विचारणीय तथ्य यह है कि आतंक और मानवविनाश के हथियारों के निर्माण की शुरूआत किसने की? मुसलमान को आतंक का पर्याय बनाने के पीछे वही शातिर मानसिकता है जो आदिवासी को नक्सलवादी बनाने के पीछे संचालित है। कार्पोरेट घरानों का प्राकृतिक संसाधनों पर बलात् कब्जा करवाने के लिये आदिवासियों को नक्सलवादी बना कर उनको, उनकी प्राकृतिक सम्पदा जल, जमीन और जंगलों से खदेड़ कर, उन्हें उनके पूर्वजों की भू​मि, कुलदेवों, कुलदेवियों, अराध्यदेवों से बेदखल कर दिया गया। जिसके चलते प्रकृति प्रेमी आदिवासी बन्दूक उठाने का विवश हो गया। इसी प्रकार से खाड़ी देशों के तेल कुओं पर कब्जा करने के लिये पश्चिमी देशों की ओर से इस्लामिक आतंक का झूठ प्रचारित किया गया, जो अब एके-47 और एके-56 के साथ हमारे सामने पैशाचिक रूप में खड़ा हो चुका है।

कड़वा सच तो यह है कि बेशक भारत आज सैद्धांतिक रूप से आजाद और लोकतांत्रिक गणराज्य है, जो संसार के सबसे बड़े संविधान से संचालित है। मगर असल में यहां का आम व्यक्ति वकवास—वर्गी विदेशी आर्य-ब्राह्मण का गुलाम ही बना हुआ है। आज भी भारत की 90 फीसदी वंचित (MOST=Minority+OBC+SC+Tribals) आबादी के मौलिक हक 10 फीसदी बकवास (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Va-वैश्य+S-संघी) वर्ग ने बलात् बंधक बना रखे हैं। राजनैतिक दलों पर बकवास वर्ग का प्रत्यक्ष और परोक्ष कब्जा है। जिसके चलते विधायिका और कार्यपालिका इनके इशारे पर चलती है। न्यायपालिका और प्रेसपालिका (मीडिया) पर बकवास वर्ग का एकाधिकार है। प्रशासन के निर्णायक और नीति-नियन्ता पदों पर बकवास वर्ग का एकछत्र कब्जा है। 90 फीसदी वंचित (MOST=Minority+OBC+SC+Tribals) आबादी की मुश्किल से 10 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि 10 फीसदी बकवास (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Va-वैश्य+S-संघी) वर्ग का 90 फीसदी से अधिक संसाधनों, सत्ता और प्रशासन पर कब्जा है। इससे भी दुःखद तथ्य यह कि 10 फीसदी के हिस्सेदार 90 फीसदी वंचित मोस्ट वर्ग, शोषक बकवास वर्ग को बेदखल करने के बजाय बकवास (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Va-वैश्य+S-संघी) वर्ग की अंधभक्ति करने और उनकी गुलामी करने में गौरव का अनुभव करते हैं या फिर आपस में लड़कर एक-दूसरे को नेस्तनाबूद करने में लिप्त देखे जा सकते हैं।

वंचित मोस्ट वर्ग में शामिल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की संख्याबल की दृष्टि से ताकतवर जातियां जैसे-जाट, यादव, गूजर, कुर्मी आदि अपने आप को राजनैतिक रूप से ताकतवर समझने की गलतफहमी की शिकार हैं। परिणामस्वरूप ओबीसी जो देश की आधी से अधिक आबादी है, उसे संवैधानिक संरक्षण तथा विधायिका और प्रशासन में उचित प्रतिनिधित्व तक प्राप्त नहीं है। शोषक बकवास वर्ग ने षड्यंत्र पूर्वक न्यायपालिका के सहयोग से समस्त ओबीसी को मात्र 27 फीसदी आरक्षण में समेटकर पंगु बना दिया है। यही नहीं ओबीसी में शामिल जातियों के सामाजिक, शैक्षिणिक और आर्थिक स्तर में अत्यधिक विसंगतियाँ है। फिर भी इनको दुराशयपूर्वक एक ही वर्ग में शामिल किया गया है। जो संविधान के अनुच्छेद 14 के समानता स्थापित करने के लिये जरूरी वर्गीकरण के सिद्धान्त का सराकर उल्लंघन है। इस कारण ओबीसी जातियां आपस में लड़ने-झगड़ने में अपनी ऊर्जा और संसाधन व्यर्थ कर रही हैं। इसी का परिणाम है कि वंचित वर्ग की जाट जाति को एक झटके में ओबीसी से बाहर किया जा चुका है। भविष्य में अन्य किसी भी सशक्त दिखने वाली और बकवास वर्ग को चुनौती देने वाली किसी भी जाति को, कभी भी ओबीसी से बाहर किया जा सकता है!

अफ्रीका मूल की (जबकि डॉ. अम्बेडकर के मतानुसार आर्य) बताई जाने वाली और बकवासवर्गीय लोगों द्वारा निर्मित हालातों के कारण अस्पृश्य तथा अछूत बना दी गयी, अनेक दलित जातियों को गणतांत्रित व्यवस्था में केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। विशेषकर मेहतर जाति की बदतर स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। सुधारात्मक हालातों ने उनको मेहतर और भँगी से वाल्मीकि बेशक बना दिया हो, लेकिन आज भी सबसे हीनतर, घृणित, अभावमय और अमानवीय जीवन उनकी नियति बना हुआ है। उनके उत्थान और मुक्ति के लिए सरकार और दलित नेतृत्व ने कोई पुख्ता संवैधानिक योजना बनाकर लागू करना तो दूर, विचारार्थ प्रस्तुत तक नहीं की, न ही इस बारे में बिना पूर्वाग्रह के मंथन किया जाता है। अनुसूचित जाति वर्ग में मेहतरों को शामिल करके बेशक उनको संवैधानिक आरक्षण जरूर प्रदान कर दिया गया है, लेकिन यह भी उनके साथ धोखा ही सिद्ध हुआ है। अजा वर्ग में मेहतर जाति उसी तरह से उपेक्षित है, जैसे अजजा और ओबीसी में अनेक दुर्बल और अति पिछड़ी जातियां एवं जनजातियां लगातार उपेक्षा की शिकार होती रही हैं।

आदिवासी जो इस देश का वास्तविक आदिनिवासी है तथा भारत का असली स्वामी/मालिक है, उसे गणतंत्र भारत में इंसान तक नहीं समझा जाता है। आदिवासी मूलभूत जीवनरक्षक जरूरतों तक से महरूम है। जिसके लिये आदिवासियों के जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक प्रतिनिधि भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। दूसरी ओर भारत की सेना द्वारा आदिवासियों को आतंकी सदृश्य नक्सली घोषित करके बेरोकटोक मारा जा रहा है। आदिवासी की मूल आदिवासी पहचान को समाप्त करने का सुनियोजित षड्यंत्र लगातार जारी है। मनुवादी मानसिकता के बकवासवर्गीय संविधान निर्माताओं ने आदिवासी को, आदिवासी से जनजाति बना दिया। संघ ने आदिवासी को वनवासी, गिरवासी और जंगली बना दिया। अब आर्य-शूद्रों (डॉ. अम्बेडकर के मतानुसार शूद्र आर्यवंशी हैं) के नेतृत्व में संचालित बामसेफ आदिवासी को मूलनिवासी जैसा बेतुका तमगा थमाना चाहता है और खुद को भारत का 'मूलनिवासी'घोषित करके भारत पर शासन करने का सपना देख रहे हैं।

जबकि भारत की नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली मनुवादी सरकार आदिवासी शब्द को ही प्रतिबंधित और निसिद्ध घोषित करके जनजातियों की सूची में गैर-आदिवासियों को शामिल करने की षड्यंत्रपूर्ण योजना पर काम कर रही है। जिस पर मूलनिवासी, वनवासी, गिरवासी आदि की एकता का राग अलापने वाले आदिवासियों के कथित शुभचिन्तक, आदिवासी जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक प्रतिनिधि और मीडिया आश्चर्यजनक रूप से मौन धारण किये हुए हैं! आखिर क्यों? इस सवाल के जवाब में ही ही साजिश के मूल-सूत्र निहित हैं।

इन सब दुश्चक्रों और षड़यंत्रों के कारण 10 फीसदी बकवासवर्गीय मनुवादी लगातार ताकतवर होता जा रहा है। कट्टरपंथी और मनुवादी आतंक के समर्थक संघ का सीधे-सीधे भारत की सत्ता पर कब्जा हो चुका है। हम वंचितवर्गीय 90 फीसदी होकर भी बकवासवर्गीय शोषके लोगों से मुक्ति के लिए कुछ भी सार्थक नहीं कर रहे हैं। राम, रहीम, कृष्ण, विष्णू, महादेव, हनुमान, दुर्गा, भैंरूं, वाल्मीकि, बुद्ध, कबीर, रविदास, फ़ूले, गांधी, आंबेडकर, बिरसा, जयपाल मुंडा, एकलव्य, कृष्ण आदि को अपना तारणहार मानकर, अपने-अपने भगवानों और महापुरुषों के ज्ञान और विचारों को सर्वश्रेष्ठ मानकर दूसरों पर थोपने में मशगूल हैं। हम सब संवैधानिक बराबरी और अपने हकों की ढपली तो खूब बजाते हैं, लेकिन वास्तव में कोई भी किसी को हिस्सेदार नहीं बनाना चाहता। सत्य को मानना तो दूर कोई सुनना और पढ़ना तक नहीं चाहता।

जब तक किसी बात को जाना नहीं जाएगा, मानने का सवाल ही नहीं उठता। अधिकारों की बात सभी करते हैं, लेकिन कर्त्तव्यों का निर्वाह कोई नहीं करना चाहता। संविधान और संविधान निर्माता का गुणगान तो हम खूब करते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों द्वारा संविधान को खरीदा जाता है। खरीद भी लिया तो पढा नहीं जाता। पढ लिया तो समझा नहीं जाता और समझ में भी आ गया तो अमल में नहीं लाना चाहते। जबकि इसके विपरीत हम वेद, उपनिषद, पुराण, रामायण, कुरआन, बाईबल, गीता खरीदने और पढ़ने में ही नहीं, बल्कि इनको कंठस्थ करने में गौरव तथा गरिमा का अनुभव करते हैं। आखिर-धर्म के ठेकेदारों ने हमारे दिलोदिमांग में स्वर्ग का प्रलोभन और नर्क का भय जो बिठा रखा है। बेशक आध्यात्मिक लोगों के जीवन में धर्म महत्वपूर्ण है, लेकिन भौतिक जीवन कानून और संविधान से संचालित होता है। अत: जिस दिन हमारे बच्चों के मनोमस्तिष्क में देश का संविधान होगा और लोकतंत्र की ताकत संख्याबल का अहसास होगा, उस दिन धर्म, जाति, वर्ग, वर्ण, गौत्र आदि के विभेद और मनुवादियों के शोषण से मुक्ति की स्थायी शुरूआत हो जायेगी और भारत में सच्चे अर्थों में गणतंत्र लागू हो जायेगा। क्या इसके लिये तैयार हैं? यदि हां तो विलम्ब किस बात का, बेशक 66 साल बाद ही सही, भारत की 90 फीसदी वंचित (MOST=Minority+OBC+SC+Tribals) आबादी के लोग 26 जनवरी, 2016 को भारत का संविधान खरीदकर गणतंत्र मनाने की शुरूआत करे! 




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: डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, 
राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, 
राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (BAAS), नेशनल चैयरमैन-जर्नलिस्ट्स, मीडिया एन्ड रॉयटर्स वेलफेयर एसोशिएशन (JMWA), पूर्व संपादक-प्रेसपालिका (हिंदी पाक्षिक), 
पूर्व राष्ट्रीय महासचिव-अजा एवं अजजा संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, दाम्पत्य विवाद सलाहकार तथा लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में एकाधिक प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित। वाट्स एप एवं मो. नं.9875066111

एयर इंडिया बम विस्फोट मामले का दोषी जेल से रिहा

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एयर इंडिया के कनिष्क में 1985 में हुए विस्फोटों के एकमात्र दोषी इंद्रजीत सिंह रेयत को कनाडा की जेल से रिहा कर दिया गया है। गौरतलब है कि उस समय विस्फोट में विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए थे। वर्ष 2003 में रिपुदमन सिंह मलिक और अजायब सिंह बागरी की सुनवाई के दौरान अदालत के सामने झूठ बोलने के लिए रेयत को 2010 में झूठी गवाही देने का दोषी करार दिया था। एयर इंडिया का यह विमान मांट्रियल, कनाडा से लंदन, ब्रिटेन फिर भारत के रास्ते पर था।

पंजाब से यहां आए पेशे से मैकेनिक रेयत ने डायनामाइट, डिटोनेटर्स और बैटरियां खरीदी थीं। इन्हीं की मदद से किए गए विस्फोटों में एयर इंडिया की उड़ान 182 के 329 यात्रियों की जान चली गई थी। विमान जब लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे की ओर जा रहा था, उसी दौरान पहला विस्फोट आयरलैंड के तट पर हुआ। दूसरा विस्फोट जापान के नरीता हवाई अड्डे पर हुआ जिसमें सामान उठाने वाले दो कर्मचारी मारे गए थे। 10 साल की मिली सजा वर्ष 1991 में रेयत को सामान उठाने वाले दो कर्मचारियों की मौत के मामले में दोषी करार दिया गया। उसे इस अपराध के लिए 10 साल की सजा दी गई।

एयर इंडिया विमान विस्फोट मामले में उसे नरसंहार के एक अन्य आरोप में पांच वर्ष की सजा दी गई। रेयत को झूठी गवाही देने के लिए नौ साल की सजा मिली। यह अभी तक कनाडा में दी गई ऐसी सबसे लंबी सजा है। हालांकि सुनवाई के दौरान रेयत द्वारा जेल में गुजारे गए वक्त को इसमें जोड़ा गया। उसकी सजा सात जनवरी 2011 से शुरू हुई।

पैरोल बोर्ड कनाडा के पेसिफिक क्षेत्रीय प्रबंधक पैट्रिक स्टोरे ने बताया कि रेयत की रिहाई का वक्त आ गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्टोरे वैधानिक रिहाई विवेकाधीन रिहाई नहीं है। यह कानून के अनुसार स्वत: रिहाई है। उसकी वैधानिक रिहाई की तारीख 27 जनवरी, 2016 है और उसकी सजा छह अगस्त, 2018 को समाप्त हो रही है। स्टोरे ने कहा कि पैरोल बोर्ड के पास उसे रिहा करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था और कोई सुनवाई नहीं हुई। रेयत को पेरोल बोर्ड द्वारा तय आठ शर्तों का पालन करना होगा जैसे वह पीडि़त परिवारों से या पूर्व सह-षडयंत्रकारियों से कोई संपर्क नहीं करेगा और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं होगा। साथ ही, वह अपने घर नहीं जा सकेगा बल्कि उसे सुधार गृह में रहना होगा।

सिसोदिया ने की निगमों को भंग करने की मांग

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी, दिल्ली के तीनों निगमों के कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर दिल्ली सरकार और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के नेताओं के बीच जुबानी जंग और तेज हो गयी है । उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने निगम के नेताओं पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए तीनों निगमों को भंग कर दुबारा चुनाव कराने की मांग की है । श्री सिसोदिया ने आज यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार तीनों निगमों को कर्मचारियों के लिए 12 माह के वेतन की राशि दे चुकी है । निगम के नेता यह बतायें कि वह पैसा कहां गया । गौरतलब है कि निगमों के करीब डेढ़ लाख कर्मचारी वेतन नहीं मिलने से तीन दिन की हड़ताल पर हैं ।आज हड़ताल का दूसरा दिन था और सफाई कर्मचारियों ने श्री सिसोदिया के दफ्तर और आसपास कूड़ा फेंका और नारेबाजी की । श्री सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में आजकल कूड़े की राजनीति हो रही है । मेरे घर पर कूड़ा फेंकने से वेतन मिलता है तो और कूड़ा लाकर फेंक दो । उन्होंने कहा कि सरकार एमसीडी को कर्मचारियों के लिए 12 माह के वेतन की राशि दे चुकी है । 

हमें बताया जाए कि वह पैसा कहां गया । एमसीडी के नेता इसका कोई जवाब नहीं दे रहे है बल्कि हमारे घर और दफ्तर में कूड़ा फेंकवा रहे हैं । सरकार पर एमसीडी का कोई पैसा बकाया नहीं है । निगम पर काबिज भाजपा के नेता झूठ बोल रहे हैं । उप मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा नेता निगम नहीं चला पा रहे हैं। अब उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है । केन्द्र सरकार से हमारी मांग है कि निगमों को भंग कर दुबारा चुनाव कराये जायें। उधर, हड़ताली कर्मचारियों ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर रवीन्द्र गुप्ता और स्थायी समिति अध्यक्ष मोहन भारद्वाज का घेराव किया । श्री गुप्ता ने दिल्ली सरकार द्वारा निगमों को पैसा दिये जाने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनौती दी कि अगर सरकार ने हमारा पूरा पैसा दे दिया है, यह सिद्ध कर दे तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा । यदि यह गलत ठहर जाए तो मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा दें । श्री केजरीवाल के बेंगलुरु इलाज के लिए जाने पर व्यंग्य कसते हुए श्री गुप्ता ने कहा मुख्यमंत्री को अपना इलाज बेंगलुरु में नहीं बल्कि आगरा में कराना चाहिए ।

तीस्ता जांच में सहयोग करें या गिरफ्तारी को तैयार रहें

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नयी दिल्ली 28 जनवरी, उच्चतम न्यायालय ने गुजरात की गुलबर्ग सोसाइटी में म्यूजियम बनाने के नाम पर इकट्ठा की गई राशि में कथित हेराफेरी मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद की गिरफ्तारी पर रोक 18 मार्च तक बढ़ा दी है। न्यायमूर्ति अनिल आर दवे, न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद कलीफुल्ला और न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा की खंडपीठ ने दोनों की गिरफ्तारी पर रोक की अवधि 18 मार्च तक बढ़ाते हुए उन्हें आगाह भी किया कि वे जांच में पुलिस को सहयोग करेें अन्यथा गिरफ्तारी के लिए तैयार रहें। 

सुश्री सीतलवाड़ और श्री आनंद पर आरोप है कि उन्होंने गुलबर्ग सोसाइटी में प्रस्तावित ‘म्यूजियम ऑफ रेसिस्टेंस’ के लिए जमा राशि का गबन किया है। शीर्ष अदालत ने सीतलवाड़ दंपती की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा रखी है।

नीतीश की सभा में जूता फेकने वाला युवक गिरफ्तार

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पटना 28 जनवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सभा के दौरान आज एक युवक के मंच की ओर जूता फेकने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया । पुलिस सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री कुमार पटना जिले के बख्तियारपुर के सीढ़ी घाट मंदिर रोड के निकट स्वतंत्रता सेनानी शीलभद्र याजीजी की 20वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे तभी एक युवक ने दूर से मंच की ओर अपना जूता उछाल दिया । 

इसके बाद थोड़ी देर के लिए वहां अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी । हालांकि पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए युवक को दबोच लिया । इसबीच अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार तिवारी ने बताया कि गिरफ्तार युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त है । युवक की पहचान प्रवेश कुमार राय के रूप में की गयी है जो समस्तीपुर जिले का रहने वाला है । मामले की छानबीन की जा रही है । 

अब नबाम तुकी ने दी राष्ट्रपति शासन को चुनौती

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नयी दिल्ली 28 जनवरी, अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करके राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने को आज चुनौती दी। श्री तुकी ने अपनी याचिका में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने को अनुचित करार देते हुए न्यायालय से इस बारे में उचित निर्णय लेने का आग्रह किया है। न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने राष्ट्रपति शासन के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस के मुख्य सचेतक राजेश टाचू की याचिका की सुनवाई के दौरान कल केंद्र सरकार और राज्य के राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा को नोटिस जारी करके 29 जनवरी तक जवाबी हलफनामा देने का निर्देश दिया था। एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की आपत्तियों के बाद न्यायालय ने याचिकाकर्ता को याचिका में आवश्यक संशोधन करने की अनुमति भी दी थी। 

दरअसल श्री रोहतगी ने याचिका की वैधता पर ही सवाल खड़े कर दिये थे। उनका कहना था कि जब राष्ट्रपति शासन के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 26 जनवरी को हस्ताक्षर किये हैं, तो एक दिन पहले ही राष्ट्रपति शासन को चुनौती कैसे दी जा सकती है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति के मोहर लगाने के बाद राज्यपाल ने कल एक शासकीय अादेश जारी करके श्री तुकी सहित सभी मंत्रियों तथा मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त किये गए सलाहकारों और विशेष कार्य अधिकारियों (ओएसडीज) को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री एवं सभी मंत्रियों के कार्यालयों को सील करने, उनके वाहनों को जब्त करने तथा सभी दस्तावेजों को अपने कब्जे में लेने के भी आदेश जारी किये हैं।

अमर सिंह हमारे दिल मे थे ,हैं और रहेगे : मुलायम

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इटावा 28 जनवरी, समाजवादी पार्टी से अलग हो चुके अमर सिंह को लेकर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव अभी भी काफी नरम हैं और आज उन्होने इसका सार्वजनिक रूप इजहार करते हुये कह डाला कि अमर सिंह उनके दिल मे थे ,हैं और रहेगे। श्री यादव ने अमर सिंह के सपा मे शामिल होने के मुददे पर साफ किया कि अमर सिंह उनके दिल थे है और रहेगे बेशक वह अब पार्टी मे न हो लेकिन उनके दिली रिश्ते हमेशा कायम रहेगे । 

श्री यादव ने आम जनता से मिलने के बाद पत्रकारों से कहा कि अमर सिंह से उनके परिवारिक रिश्ते हैं ,जो हमेशा बने रहेंगे। मुलायम सिंह यादव के उनके पैतृक गांव सैफई मे हाल ही में मनाये गये जन्मदिन पर अमर सिंह उनको केक खिलाने के लिए जयाप्रदा के साथ आये थे।

स्मार्ट सिटी के लिए 20 शहरों के नाम घोषित

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नयी दिल्ली, 28 जनवरी, सरकार ने देश में सौ स्मार्ट सिटी विकसित करने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना के तहत आज 20 शहरों के नाम घोषित कर दिए जिनमें पहले पांच शहरों में भुवनेश्वर, पुणे, जयपुर, सूरत और अहमदाबाद शामिल है। 

शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडु ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पहले चरण में भुवनेश्वर, पुणे, जयपुर, सूरत, कोच्चि, अहमदाबाद, जबलपुर, विशाखापत्तनम, सोलापुर, दावणगेरे, इंदौर, नयी दिल्ली नगर पालिका, कोयंबटूर, काकीनाडा, बेलगाम, उदयपुर, गुवाहाटी, चेन्नई, लुधियाना और भोपाल को स्मार्ट शहर के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अगले दो चरणों में 40-40 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। इन सभी शहरों में अत्याधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएंगी। 

देश को एक सूत्र में बांधे हुए हैं तिरंगा और संविधान : मोदी

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नयी दिल्ली, 28 जनवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा, देश का संविधान तथा सवा सौ करोड़ भारतीयों के सपने हमें एक सूत्र में बांधते हैं अौर राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के कैडेटों को यह भाव आत्मसात कर देश भर में एकता का संदेश फैलाना चाहिए। श्री मोदी ने गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने वाले एनसीसी कैडेटों को आज यहां छावनी स्थित परेड ग्राउंड में संबोधित करते हुए कहा कि एनसीसी में देश के हर राज्य तथा हिस्से से आकर युवक शामिल होते हैं । यह संस्था देश की विविधता और एकता का प्रतीक है और यह कैडेटों में परस्पर एकता की भावना पैदा करती है। उन्होंने कहा कि इस मंच पर कैडेटों को जो अलग-अलग अनुभव होते हैं, वे इस उम्र में बहुमूल्य होते हैं। एनसीसी में रहते हुए विभिन्न प्रशिक्षणों के दौरान उन्हें रोमांच का अहसास भी हाेता है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि तिरंगा, देश का संविधान और सवा सौ करोड़ भारतीयों के सपने हमें एक सूत्र में बांधते हैं। युवा कैडेटों का राष्ट्र निर्माण के लिए आह्वान करते हुए उन्होंने कहा ,“ देश के लिए मरने का मौका हर किसी के नसीब में नहीं होता , लेकिन देश के लिए जीने का अवसर हर इंसान की जिंदगी में होता है। ” उन्होंने कैडेटों से कहा कि वे पिछले एक महीने से कड़ाके की ठंड में परेड की तैयारी कर रहे थे लेकिन राष्ट्र और जीवन के निर्माण में इस तरह की कठिनाइयां आती रहती हैं। उन्हें इन कठिनाइयों पर विजय पाकर आगे बढते हुए अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि देश इस वर्ष संविधान निर्माता डा. भीमराव अंबेडकर की 125 वीं जयंती मना रहा है। उनके जीवन में बडी कठिनाई और चुनौतियां थी तथा उन्होंने कई अवसरों पर उपेक्षा का भी सामना किया लेकिन इसके बावजूद वह विचलित नहीं हुए और अपना काम जारी रखते हुए देश के संविधान का निर्माण किया। उन्होंने कहा कि कैडेटों को डा. अंबेडकर के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
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