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झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (28 जनवरी)

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तकनीकी समूह की बैठक सम्पन्न

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झाबुआ---कलेक्टर जिला झाबुआ डाॅ. अरूणा गुप्ता की अध्यक्षता में दिनांक 27.01.2016 को तकनीकी समूह की बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई ।  उक्त बैठक में औसत उत्पादन के आधार पर वर्ष 2016.17 हेतु वित्तीय ऋणमानो का निर्धारण किया गया ।  विगत 02 वर्षो में जिले का औसत उत्पादन कम होने पर गत वर्ष अनुसार ही उत्पादन को आधार माना जाकर वित्तीय ऋण मान तय किये गये ।  बैठक में श्री संजय आरोहण डीडीएम नाबार्ड, श्री वी.वी.मिश्रा महाप्रबंधक नर्मदा ग्रा.बैंक, श्री प्रीतेष पाण्डेय एलडीएम झाबुआ, श्री वी.एस. चैहान एलडीएम अलीराजपुर, श्री जी.एस. त्रिवेदी उप संचालक कृषि, श्री जी.एल. बडौले उपायुक्त सहकारिता जिला झाबुआ, श्री एच.ए.के. पाण्डे प्रभारी महाप्रबंधक जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या. झाबुआ संयोजक तथा बैंक संचालक श्री संजय श्रीवास , श्री गणेष प्रजापत व श्री राधेष्याम राठौर उपस्थित रहे । श्री राजेष राठौर प्रभारी फील्ड कक्ष द्धारा कमेटी के समक्ष विषयवार जानकारी प्रस्तुत की गई जिस पर कमेटी द्धारा चर्चा कर जिला झाबुआ व अलीराजपुर हेतु वर्ष 2016.17 हेतु वित्तीय ऋणमानो का निर्धारण किया गया ।  प्रमुख रूप से सोयाबीन, कपास, गेहू, चना तथा मिर्ची के ऋण मानो में बढोतरी की गई ।  कलेक्टर महोदया द्धारा विगत वर्ष की बैठक का पालन प्रतिवेदन पर बिन्दुवार चर्चा की गई । आभार मनोज कोठारी प्रभारी स्थापना द्धारा माना गया ।

समर्पण दिवस के लिये प्रवक्ताओं एवं सह प्रवक्ताओं की नियुक्ति की

झाबुआ---जिला भाजपा अध्यक्ष दौलत भावसार ने आगामी 11 फरवरी पण्डित दीनदयाल उपाध्याय की पूण्यतिथि पर आयोजित होने वाले समर्पण सहयोग निधि कार्यक्रम को पूर्ण करने के लिये जिले के सभी 11 भाजपा मंडलों के लिये मुख्य प्रवक्ता एवं सह प्रवक्ता की नियुक्ति कर दी है । जिला मीडिया प्रभारी राजेन्द्र सोनी के अनुसार झाबुआ विधानसभा में नगर मंडल झाबुआ के लिये क्रमशः प्रवक्ता विधायक शांतिलाल बिलवाल विधायक एवं सह प्रवक्ता गोपालसिंह पंवार, झाबुआ ग्रामीण मंडल के लिये श्रीमती संगीता सोनी एवं दिलीप कुशवाह, रानापुर मंडल के लिये कीर्ति भावसार एवं गोविन्द अजनार, कल्याणपुरा मंडल के लिये प्रवीण सुराणा एवं कल्याणसिंह डामोर, थांदला विधानसभा में मेघनगर मंडल के लिये सीसीबी अध्यक्ष गौरसिंह वसुनिया एवं दिलीप कटारा, थांदला मंडल के लिये सुरेन्द्रसिंह मोटापाला एवं राजू डामोर, खवासा मंडल के लिये  अनोखीलाल मेहता एवं महेन्द्रसिंह बापू, पेटलावद विधानसभा में पेटलावद मंडल के लिये फकीरचंद राठौर, एवं आजाद गुगलिया,रायपुरिया मंडल के लिये सुश्री निर्मला भूरिया एवं पारस कोटडिया, रामा मंडल के लिये शैलेष दुबे एवं उत्तम जैन, तथा पारा मंडल के लिये  पुरूषोत्तम प्रजापति एवं छितूसिंह मेडा को  मुख्य प्रवक्ता एवं सह प्रवक्ता का दायित्व सौपा है।

शिक्षकों ने दिया धरना- मांगों को लेकर मुख्यमंत्री एवं कलेक्टर के नाम सौपा ज्ञापन

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झाबुआ---मध्यप्रदेश शिक्षक संघ जिला झाबुआ के बैनर तले जिले के शिक्षकों ने षिक्षा विभाग कार्यालय के निकट व्हालीबाल मेदान में जंगी धरना प्रदर्शन कर  अपनी मांगों के लिये आन्दोलन किया । शिक्षाक संघ के जिलाध्यक्ष अनिल कोठारी के नेतृत्व में आयोजित इस धरना प्रदर्शन में जिले भर से आये शिक्षक पदाधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन से उनकी जायज मांगों को पूरा करने की पूरजोर मांग उठाई । दोपहर ढाई बजे शिक्षकों ने धरना स्थल से जंगी रैली निकाल कर कलेक्टर कार्यालय पहूंच कर कलेक्टर को प्रदेश के मुख्यमंत्री  के नाम प्रदेश स्तरीय मांगों के लिये तथा कलेक्टर को जिले की समस्याओं के निराकरण के लिये ज्ञापन अध्यक्ष अनिल कोठारी, सचिव कालूसिंह परमार एवं कोषाध्यक्ष रवीन्द्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में सौपा गया । मुख्यमंत्रर को सौपे ज्ञापन में उल्लेखित किया गया है कि शिक्षक संघ द्वारा कई बार ध्यान आकृष्ठ कराने के बाद भी मांगों को निराकरण नही हुआ है । संचालक लोक शिखण एवं मुख्य सचिव से चर्चा एवं बैठक मे सहमति के बाद भी निराकरण के आदेश जारी नही किये गये । ज्ञापन के अनुसार आदिम जाति कल्याण विभाग एवं शिक्षा विभाग के  लगभग 21 हजार सहारयक शिक्षकों की पदोन्नति शासनस्तर से नही होने  से वरिष्ठता के क्रम में पदोन्नति के अलावा प्रदेश शासन द्वारा 2012 में सहायक शिक्षक से उश्रेशिक्षक के पद पर पदोन्नति के 13 हजार 13 पद स्वीकृत किये गये थे किंतु जिला प्रशासन  को जानकारी नही देने के कारण एक भी पद स्वीकृत नही किया गया है । 2014-15 में आरईटी के नियमानुसार जिले में 478 शिक्षक पदो की आवश्यकता है । प्रदेश के अधिकांश हा.से. एवं हाईस्कूल प्राचार्य विहीन है अतः उमावि प्राचार्य को सहायक संचालक, हाईस्कूल प्राचार्यो को उमावि प्राचार्य,व्यख्याता एवं प्रधान पाठक मावि को सीधे प्राचार्य हाईस्कूल के पद पर एवं स्नातकोत्तर उश्रेशिक्षकों को सीधे व्यख्याता पद पर पदोन्नति की मांग की गई । पदोन्नति  के अधिकार जिलास्तर पर दिये जाने, एवं प्रदेश के सभी कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ दिये जाने की तरह शिक्षक संवर्ग को इसका लाभ दिये जाने की मांग की गई हे । आदिम जाति विभाग के स्कूलों के शिक्षकों को भी स्कूल शिक्षा विभाग की तरह लाभ दिये जाने, प्रदेश के अन्य कर्मचारियों को 5 कार्य दिवस के सप्ताह की तरह तथा 30 दिन के अर्जित अवकाश के नगदीकरण की सुविधा दिये जाने, अनुकंपा नियुक्ति में बीएड एवं डीएड की अनिवार्यता को समाप्त कर अनुकंपा नियुक्ति के बाद प्रशिक्षण दिये जाने  अध्यापक संवर्ग का संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग एवं आजाक विभाग में किये जाने , संविदाशाला शिक्षकों को प्रथम नियुक्ति तिथि से पूर्ण वेतनमान व पद पर नियमित किये जाने  अतिथि शिक्षकों को 5000,7000 एवं 10 हजार मानदेय स्वीकृत किये जाने, अनुदातिक शिक्षकों को 5 वे एवं 6ठवे वेतनमान की किश्ते निर्धारित तिथि को भुगतान करनें , झाबुआ जिले में एक शिप्ट में विद्यालय संचालित होने से आरटीई नियमों के विरुद्ध एक ही कक्षा में 70-80 छात्रों  को एक साथ बैठाकर अध्यापन कराने से शिक्षकों एवं छात्रों को परेशानी आरही है । अतः दो शिप्ट में कक्षायें लगाने की मांग ज्ञापन में की गई वही गैर शैक्षणिक कार्य में सलग्न शिक्षकों का परीक्षा परिणाम प्रभावित होने पर किसी प्रकार की दण्डात्मक कार्यवाही से मुक्त रखने की मांग की गई । वही जिला कलेक्टर के नाम सौपे ज्ञापन में 18 सूत्रीय मांगे प्रस्तुत की गई जिजसमें 181 प्रावि में प्रधान अध्यापकों के पदों की पूर्ति, पदोन्नति सूची जारी करने, आदिवासी विकास विभाग में लोक शिक्षण के उन आदेशों जिससे शिक्षक अहित है क्रियान्वित नही करने, प्रकति 6 माह में पदोन्नति क्रमोन्नति की डीपीसी बुलाने, गृहभाडा भत्ते का भुगतान करनें, एरीयर राशि का भुगतान किये जाने, पदोन्नति सूची जारी करने, थांदला,झाबुआ रातीतलाई के शिक्षकों के वेतननिर्धारण पारित करवा कर उन्हे एरीयर राशि का भुगतान कराने, लम्बित चिकित्सा अवकाष स्वीकृत कर वेतन का भुगतान कराने, समयसीमा में सभी संकुलों से वेतन जमा कराने, आदि सहित मांगों को पूरा करने की मांग की गई । इसके पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल को भी शिक्षक संघ की ओर से उक्त ज्ञापन सौपा । ज्ञापन प्रस्तुत करते समय मप्र शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अनिल कोठारी, सचिव कालुसिंह परमार, रवीन्द्र श्रीवास्तव,राजेन्द्र पांचाल, मंगनसिंह बघेल, मानसिंह बामनिया, बंशीलाल राठौर, दीपसिंह सिंगाड, मंगलसिंह पणदा, विनोद सोनी, जयेश शर्मा,  अब्दूल हक खान, संजय धानक, अब्दूल हनीफ मंसूरी,  हेमंत शुक्ला, चन्द्रकांत टेलर, पारसिंह भूरिया सहित बडी संख्या मे शिक्षक शिक्षिकायें उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन अब्दूलहक खान थंादला ने किया आभार भारतसिंह चैहान ने माना

कृपाओं की माता मरियम पंचकुई ग्रोटो पर्व श्रद्धा भक्ति के साथ धूमधाम से मनाया जायेगा

झाबुआ---कैथोलिक डायसिस झाबुआ के पंचकुई स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल कृपाओं की माता मरियम का पर्व 7 फरवरी को धूमधाम के साथ मनाया जायेगा। कैथोलिक चर्च पंचकुई के संचालक फा. जोसेफ अमुदकनी व सहायक फा. एलियास ने बताया कि ग्रोटो पर्व के मुख्य याजक बिषप डाॅ. बसील भूरिया होंगे तथा मुख्य प्रवचक बिषप डाॅ. टी. जे. चाको इंदौर एवं विषिश्ट अतिथि बिषप डाॅ. देवप्रसाद गणावा उदयपुर रहेंगे। समारोह जुलुस के साथ 1 बजे ईमली मैदान से प्रारंभ होगा तथा दिनांक 7 फरवरी दोपहर 3 बजे ग्रोटो स्थल पहुंचकर मिस्सा पूजा का विषेश समारोह होगा। कैथोलिक चर्च के फ्रांसिस कटारा ने बताया कि माता मरियम के विषेश भक्ति हेतु नौ दिनी नौवेना दिनांक 29.01.16 षुक्रवार से प्रारंभ होगा जो प्रतिदिन षाम 4.30 बजे से रोजरी माला प्रार्थना से षुरू होकर मिस्सा पूजा के साथ समाप्त होगी। इन्ही नौ दिनों में षाम 8 बजे से 10 बजे तक गरबा का आयोजन रखा गया है। समारोह में प्रतिवर्शानुसार राजस्थान, गुजरात, महाराश्ट्र एवं मध्यप्रदेष के विभिन्न स्थानों से आयेंगे। मरियम भक्तों के लिये मेघनगर से पंचकुई आने जाने हेतु विषेश व्यवस्था की जा रही है। कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु माता मरियम संघ, युवा संघ पल्ली परिशद के साथ रूपसिंह भूरिया, सचिव दीदास दाहमा, मथियास भूरिया, दाविद कटारा, रतना गरवाल सहयोग प्रदान कर रहे है। उक्त जानकारी कैथोलिक डायसिस पीआरओ फादर रोकी षाह एवं मीडिया प्रभारी पीटर बबेरिया ने दी।

विधायक ने किया सी सी रोड का भुमि पुजन

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रायपुरिया---क्षैत्रिय विधायक सुश्री निर्मला भूरिया द्वारा ग्राम रताम्बा एवं काजबी में क्रमशः पांच पांच लाख के दो सीमेंटेड मार्ग का भूमिपूजन किया। इस अवसर पर सुश्री भूरिया ने कहा कि ग्रामीण क्षैत्रों में मनरेगा व अन्य मदों से विभिन्न विकास कार्य चलाये जा रहे है। ग्रामीण क्षैत्रों में विकासकारी योजनाएं सतत रूप से चलायी जा रही है और ग्रामीणों को इनका भरपूर लाभ मिल रहा है। इस अवसर पर अंबालाल मेहता, अनिल मुथा, अजमेरसिह भूरिया, लक्ष्मण मालीवाड, काजबी सरंपच हुमा, ग्राम बनी के सरंपच राजु, कालुसिह कमलखेड़ा,नारायण, सुखराम, सहित अनेक ग्रामीणजन उपस्थित थें। कार्यक्रम पश्चात् सुश्री भूरिया रायपुरिया स्थित भाजपा कार्यकर्ता एवं व्यापारी महावीर भंडारी के यहां कुछ देर रूकी जहां कार्यकर्ताओं ने विधायक सुश्री भूरिया का स्वागत किया इस मौके पर ग्राम सरपंच सुखराम मैड़ा ने नगर में पेयजल समस्या के स्थानीय निराकरण के लिए नवीन पेयजल पाइप लाइन एवं समग्र स्वच्छता के अन्तर्गत स्वच्छता हेतु कचरा गाड़ी प्रदान करने का आश्वासन दिया।

4 हजार 900 से अधिक मजदूर कर्मकार मण्डल में पंजीकृत, समयावधि पत्रो की समीक्षा बैठक संपन्न

झाबुआ---श्रम पदा धिकारी द्वारा जिले में प्रतिदिन शिविर आयोजित कर भवन सह अन्य कर्मकार मण्डल योजना में पंजीयन किया जा रहा है। जनवरी माह में 25 शिविर आयोजित कर 4 हजार 900 से अधिक नवीन मजदूरों का पंजीयन इस योजना में किया गया। जिन बच्चों के माता पिता कर्मकार मण्डल योजना में पंजीकृत है उनको योजना में छात्रवृति देने एवं परिवार में यदि प्रसुति होती है, तो प्रसुति सहायता योजना का लाभ देने के निर्देश समयावधि पत्रों की समीक्षा बैठक में श्रम पदाधिकारी एवं प्रभारी अधिकारी सर्वशिक्षा अभियान को कलेक्टर डाॅ. अरूणा गुप्ता ने दिये।

60 से कम शौचालय बनाने वाले अधिकाारियों का वेतन रूका
टी.एल.बैठक में कलेक्टर डाॅ. अरूणा गुप्ता ने अधिकारियों को आवंटित ग्राम पंचायतों में दिये गये शौचालय निर्माण कार्य की समीक्षा की जिला अधिकारियों को 25 जनवरी तक 60 शौचालय निर्माण का लक्ष्य दिया गया था। समीक्षा के दौरान जिला कोषालय अधिकारी को निर्देशित किया कि जिन अधिकारियों के लक्ष्य पूर्ण नहीं हुए है उनका जनवरी माह का वेतन आहरण नहीं करे। बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री अनुराग चैधरी सहित जिला अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में विभागवार लंबित समयावधि पत्रों, जनसुनवाई, जनशिकायत सी.एम.हेल्पलाइन की समीक्षा की गई एवं आवश्यक निर्देश दिये गये।

सात दिवस में पेंशन स्वीकृत नहीं की तो सचिव होगा निलंबित 

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झाबुआ---कलेक्टर डाॅ. अरूणा गुप्ता मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री अनुराग चैधरी एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने पेटलावद ब्लाक के ग्राम असालिया एवं ग्राम अमरगढ में चैपाल लगाकर ग्रामीणो से समस्याएॅ सुनी एवं समस्याओं के निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया।

मथुरी भीमा एवं लक्क्षी को बहुविकलांग पेशन स्वीकृत
ग्राम असालिया में लगी चैपाल में दोनो आंखों से नहीं देख पाने वाली लक्क्षी मथुरी एवं भीमा को बहुविकलांग पेंशन स्वीकृत कर जमा करने के निर्देश कलेक्टर ने सचिव को दिये। चैपाल में पेंशन के कई हितग्राही खडे हो जाने पर कलेकटर ने सचिव को फटकार लगाई एवं सचिव ग्राम पंचायत असालिया द्वारा पात्र व्यक्तियों को आधार कार्ड के अभाव में पेंशन स्वीकृत नहीं करने के कारण सचिव मुन्ना अरड के वेतन आहरण पर कलेक्टर डाॅ. अरूणा गुप्ता ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी एवं सात दिवस में सभी को पेंशन स्वीकृत नहीं करने पर सचिव को निलंबित करने का अल्टीमेटम दिया गया।

विकलांग मथुरी पारसिंह भाभर को मिलेगी ट्रायसिकल
बहुविकलांग मथंुरी को चलने में सुविधा हो इसके लिए उसे ट्रायसिकल देने के निर्देश संयुक्त कलेक्टर श्री मण्डलोई को दिये।

सीडीपीओ को नोटिस जारी
ग्राम असालिया में बालिका का लाडली -लक्ष्मी योजना का प्रमाण-पत्र जारी नहीं करवाने के कारण सीडीपीओं पेटलावद को कारण बताओं सूचना पत्र जारी किया गया।

29 जनवरी को स्पेशल मेडीकल बोर्ड बैठेगा
जिला चिकित्सालय झाबुआ में 29 जनवरी को ग्राम असालिया के विकलांगो को विकलांगता प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए विशेष मेडीकल बोर्ड बैठेगा। कलेक्टर ने ग्राम असालिया के ग्रामीणों को 29 जनवरी को प्रातः 11 बजे जिला चिकित्सालय झाबुआ में पहुचंने के लिए कहाॅ है। ग्राम पंचायत सचिव को कर्मकार मण्डल योजना का लाभ देने के लिए शिविर लगाकर मजदूरांे का योजना में आॅन लाइन पंजीयन करने के निर्देश दिये। जल स्तर कम होने से ग्राम असालिया के हेण्डपम्पों में पानी नहीं होने की बात चैपाल में गा्रमीणो ने बताई। हेण्डपम्पों में राइजर पाइप बढाने एवं मोटर लगा कर पेयजल व्यवस्था करवाने के निर्देश एसडीओं पी एचई को कलेक्टर ने दिये। ग्राम अमरगढ में ग्रामीणों ने कपिलधारा कूप निर्माण में पत्थर आ जाने से कार्य पूर्ण नहीं होने की स्थिति बताई कलेक्टर डाॅ. अरूणा गुप्ता ने ब्लास्टिंग करवाकर कार्य पूर्ण करवाने के निर्देश दिये। इंदिरा आवास योजना के हितग्राहियों को सात दिवस में द्वितीय किश्त का भुगतान करवाने की बात हितग्राहियों को बताई गई।

मौके पर बंटी पेंशन
कलेक्टर डाॅ. अरूणा ने मौके पर कियोस्क सेंटर संचालक को बुलाया एवं पेंशन के सभी हितग्राहियों की पेंशन मौके पर बंटवाई। अमरगढ में जिन घरों में शौचालय नहीं बने है वहां शौचालय निर्माण कार्य करवा कर ओडीएफ करवाने के निर्देश सचिव को दिये। भवन सह अन्य निर्माण कर्मकार मण्डल योजना के पात्र सभी परिवारों एवं सदस्यों के आॅन लाइन पंजीयन सात दिवस में करवाने के निर्देश सचिव को दिये। कर्मकार मण्डल योजना के लिए शिविर लगाकर मजदूरों को पंजीकृत कर प्रसूति सहायता योजना एवं छात्रवृति योजना का लाभ दिलवाने के लिए सचिव को निर्देश दिये। जननी सुरक्षा योजना के 14 सौ रूपये बैंक खाते में जमा करवाने के निर्देश बीएमओं को दिये।

अमरगढ में नलजल योजना प्रारंभ होगी
ग्राम अमरगढ में पेयजल टंकी का काम जनसहयोग से करवाने के लिए ग्रामीणों ने सहमति दी। कलेक्टर ने सात दिवस में टंकी निर्माण का कार्य प्रारंभ करवाने के लिए पीएचई विभाग को निर्देशित किया। अमरगढ के ग्रामीणो ने माही की नहर का पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध करवाने के लिए कलेक्टर को आवेदन दिया। चैपाल में संयुक्त कलेक्टर श्री मण्डलोई, एसडीएम पेटलावद श्री सोलंकी, सहित जिला एवं ब्लाक स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।

सतर्कता एवं मूल्याकन समिति की बैठक 29 जनवरी को

झाबुआ --- कांतिलाल भूरिया,सांसद लोकसभा रतलाम म.प्र. की अध्यक्षता में 29 जनवरी को दोपहर 12.00 बजे जिला सतर्कता एवं मूल्याकंन समिति की बैठक का आयोजन कलेक्टर कार्यालय सभाकक्ष झाबुआ में किया गया है। उक्त बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारियों को जानकारी लेकर उपस्थित रहने के लिए आदेशित किया गया है।
बैठक में ग्रामीण विकास विभाग की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका परियोजना, इंदिरा आवास योजना,समेकित वाटरशेड प्रबंधक कार्यक्रम(आय.डब्ल्यू.एम.पी.), राष्ट्रीय भू-रिकार्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम(एन.आर.एल.एम.पी.), राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, निर्मल भारत अभियान,स्वच्छ भारत अभियान,राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम(एन.एस.ए.पी.), डी.आर.डी.ए.प्रशासन एवं अन्य विभागों की समीक्षा की जाएगी।

अपहरण का अपराध पंजीबद्व 

झाबुआ--- फरियादिया  रागु पिता दितीया डामोर, उम्र 55 निवासी कुवेरपुरा ने बताया कि लडकी उम्र 15 वर्ष पारा हाट बाजार करने जाने का कहकर घर से गयी थी। जो घर वापस नहीं आयी। संदेह है कि कोई अज्ञात आरोपी बहला-फुसलाकर कर अपहरण ले गया। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अप0क्र0 48/16, धारा 363,366 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

जहरीली दवाई पीने से मोत

झाबुआ--- फरियादी अम्बुडा पिता सकरिया गामड, उम्र 45 वर्ष निवासी अमलवानी ने बताया कि मृतक मंगलिया पिता सकरिया, उम्र 38 वर्ष निवासी अमलवानी की जहरीली दवाई पिने से ईलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। प्र्रकरण में थाना रायपुरिया में मर्ग क्र0 02/15, धारा 174 जा0फौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

फांसी लगाकर की आत्म हत्या
      
झाबुआ---फरियादी शंकर पिता कालु चैहान, उम्र 26 वर्ष निवासी मेघनगर ने बताया कि मृतक  राजु पिता कालु चैहान, उम्र 25 वर्ष निवासी मेघनगर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। प्र्रकरण में थाना मेघनगर में मर्ग क्र0 02/15, धारा 174 जा0फौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

बलात्कार का अपराध पंजीबद्व 

झाबुआ---आरोपी सादिक पिता रफिक हुसैन, निवासी झाबुआ ने विवाहित स्त्री है यह जानते हुए बहला-फुसलाकर उसके साथ जबरन शादी करने हेतु उज्जैन ले गया और एक कमरे में बंद कर जान से मारने की धमकी देकर बलात्कार किया एव डरा घमका कर आपसी सहमति विवाह पत्र पर हस्ताक्षर करवाये। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अप0क्र0 49/16, धारा 497,363,376,366,498 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

सट्टे खेलते आरोपी रंगे हाथों गिरफ्तार

झाबुआ---  आरोपी लालचन्द्र पिता हेमराज चैहान एवं अन्य 05 निवासीगण कल्याणपुरा को कल्याणपुरा की पुलिस टीम ने अवैध रूप से हार जीत का सटटा लिखते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपियों के कब्जे से दो सटटा पर्ची, एक लिड पेन, नगदी 2750/-रूपये जप्त किये गये। प्रकरण में थाना कल्याणपुरा में अप0क्र0 22/16, धारा 4-क धुत अधिनियम का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

दिल्ली निगम कर्मचारियों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी

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नई दिल्ली, 28 जनवरी, वेतन नहीं मिलने से नाराज दिल्ली के तीनों नगर निगमों के करीब 1.50 लाख कर्मचारियों की हड़ताल आज दूसरे दिन भी जारी रही।  निगम के सफाई कर्मचारियों ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के कार्यालय के बाहर कूड़ा फेंककर विरोध जताया । दिल्ली सरकार और तीनों निगमों के बीच फंड को लेकर लगातार टकराव बना हुआ है जिसकी वजह से कर्मचारियों को वेतन समय से नहीं मिल रहा । विधवा , बुजुर्गों और विकलांगों की पेंशन भी रुकी हुई है । कल हड़ताल के पहले दिन कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री निवास के बाहर प्रदर्शन किया था । सफाई कर्मचारियों ने श्री सिसौदिया के दफ्तर के बाहर और आसपास खड़ी गाड़ियों पर कूड़ा फेंका । कूड़े पर ही बैठकर कर्मचारियों ने दिल्ली सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की । दिल्ली सरकार का कहना है कि कर्मचारियों के वेतन की मद में तीनों निगमों का जो हिस्सा बनता था पूरी राशि का भुगतान कर दिया गया है । 

दूसरी तरफ एमसीडी के नेताओं का कहना है कि सरकार ने जो पैसा दिया है वह पर्याप्त नही है । सफाई कर्मचारी इससे पहले भी वेतन विलंब से मिलने के विरोध में हड़ताल कर चुके हैं । इस बार वह पिछले तीन माह से वेतन नही मिलने को लेकर नाराज हैं और तीन दिन की हड़ताल पर हैं। सफाई कर्मचारी नेताओं का कहना है कि यदि दिल्ली सरकार ने उनकी दिक्कतों पर गौर नहीं किया और उनकी बात नहीं सुनी गयी तो वह अपना आन्दोलन और व्यापक करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के अन्य मंत्रियों और विधायकों के घर के बाहर भी कूड़ा फेंका जाएगा। हड़ताली कर्मचारियों ने कहा,“ हम जिन दिक्कतों में काम कर रहे हैं उसका शायद सरकार को आभास नही है । राजनीति में हमें पीसा जा रहा है । मंत्रियों को भी इस बात का आभास कराया जायेगा कि सरकार अगर हमारा बकाया और समय से वेतन जारी करने के लिए फंड नहीं देती है तो उनके घर के बाहर कूड़ा फेंका जायेगा जिससे उन्हें यह पता चल सके कि सफाई कर्मचारी किन परिस्थितियों में काम करते हैं।”

अंसारी ने किया प्रणव की पुस्तक का विमोचन

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नयी दिल्ली 28 जनवरी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की प्रतीक्षित पुस्तक ‘द टर्बूलेंट ईयर्स- 1980-96 का विमोचन किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह के दौरान विमोचित यह पुस्तक श्री मुखर्जी के संस्मरणों पर आधारित पुस्तक का दूसरा संस्करण है। इस अवसर पर श्री मुखर्जी ने कहा कि उनके संस्मरण पर आधारित पहली पुस्तक ‘द ड्रामैटिक डिकेड’ 11 दिसम्बर 2014 को आई थी और उन्होंने उस वक्त वादा किया था कि दूसरा संस्करण एक साल के भीतर आ जाएगा, लेकिन उन्हें खेद है कि वह अपने चहेते पाठकों से किया वादा पूरा नहीं कर पाए। 

राष्ट्रपति ने कहा कि वह खुद को बहुत ही खुशनसीब मानते हैं कि वह अस्सी और नब्बे के दशक के कुछ खास घटनाक्रमों का गवाह बने या उनमें खुद शामिल रहे। यह पुस्तक उन्हीं घटनाक्रमों के संस्मरणों पर आधारित है। उन्होंने कहा, ‘‘नित्य प्रति डायरी लिखने की मेरी पुरानी आदत रही है और इस पुस्तक में मैंने उन्हीं डायरियों के पन्नों से संस्मरण लिये हैं।‘’ इस अवसर पर उपराष्ट्रपति श्री अंसारी ने कहा कि यह पुस्तक हमारे समकालीन इतिहास का दस्तावेज साबित होगी। पुस्तक विमोचन समारोह में वरिष्ठ पत्रकार चंदन मित्रा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व राज्यपाल कर्ण सिंह भी उपस्थित थे।

राजद विधायक के पुत्र ने डॉक्टर को पीटा

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गया 28 जनवरी, बिहार में गया जिले के अतरी विधानसभा क्षेत्र के राष्ट्रीय जनता दल के विधायक कुंती देवी के पुत्र ने नीमचक बथानी के स्वास्थ्य केन्द्र में तैनात चिकित्सक सत्येन्द्र कुमार सिन्हा को कल रात लाठी -डंडा से पीट-पीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि बाहुबली पूर्व राजद विधायक राजेन्द्र यादव और उनकी पत्नी एवं अतरी विधानसभा क्षेत्र से निर्वतमान राजद विधायक कुंती देवी का बेटा रंजीत कुमार ने नीमचक बथानी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित डॉक्टर सत्येन्द्र कुमार सिन्हा को लाठी-डंडा से पीट-पीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया । 

सूत्रों ने बताया कि विधायक के पुत्र अपने 5-6 समर्थकों के साथ कल रात बथानी के स्वास्थ्य केन्द्र आये और चिकित्सक श्री सिन्हा पर प्राणघातक हमला कर दिया । इस घटना में चिकित्सक गंभीर रूप से घायल हो गये । घायल चिकित्सक को नीमचक बथानी के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में इलाज कराया गया तथा बेहतर इलाज के लिये उन्हें जेपी अस्पताल भेज दिया गया । सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने इस संबंध में चिकित्सक के बयान पर राजद विधायक के हमलावर पुत्र और उसके समर्थकों पर प्राथमिकी दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी गयी है । इस सिलिसे में अभी तक किसी की गिरफ्तारी की सूचना नही है । 

शादीशुदा कांग्रेसी विधायक लड़की के साथ फरार

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पटना 28 जनवरी, बिहार में विक्रम विधानसभा क्षेत्र के शादीशुदा और एक बच्चे के पिता कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सिंह आज सुबह एक लड़की को लेकर फरार हो गए। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि राजधानी के प्रतिष्ठित शिशु रोग विशेषज्ञ डा0 उत्पलकांत के बेटे और कांग्रेस विधायक श्री सिंह मसौढ़ी थाना क्षेत्र से 18 वर्षीय निधि कुमारी को लेकर फरार हो गये हैं । विधायक के साथ उनका सरकारी अंगरक्षक और पांच निजी सुरक्षाकर्मी भी लापता है । पुलिस के अनुसार सुश्री निधि के पिता अभय सिंह ने मसौढ़ी थाने में कांग्रेस के विधायक श्री सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है। 

प्राथमिकी में कहा गया है कि विधायक श्री सिंह ने आज सुबह उनकी बेटी का शादी की नीयत से अपहरण कर लिया है। हालांकि पुलिस इसे प्रेम-प्रसंग का मामला मान रही है । गौरतलब है कि श्री सिद्धार्थ सिंह पर वर्ष 1998 में 15 साल की उम्र में छात्र अभिषेक की हत्या का आरोप लगा था । इस हत्या का कारण भी सिद्धार्थ और अभिषेक के बीच एक लड़की का होना बताया गया था । इस मामले में सिद्धार्थ को निचली अदालत से फांसी की सजा मिली थी जिसे उच्च न्यायालय ने उम्रकैद में बदल दिया था । बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने सिद्धार्थ को सबूत के अभाव में बरी कर दिया ।

महादलितों पर तेजाब फेकने वालों का स्पीडी ट्रायल हो : मांझी

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पटना 28 जनवरी, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अररिया जिले में महादलित परिवारों पर तेजाब फेके जाने के मामले के सभी आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी और स्पीडी ट्रायल के जरिये उन्हें जल्द से जल्द सजा दिलाये जाने की मांग राज्य सरकार से की है । श्री मांझी ने आज यहां कहा कि अररिया जिले में कल महादलित परिवारों पर तेजाब फेका गया है जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है । पीडित लोगों का बेहतर से बेहतर इलाज हो इसकी व्यवस्था राज्य सरकार को सुनिश्चित करनी चाहिए । साथ ही पीड़ितों को उचित मुआवजा और सुरक्षा भी मिलनी चाहिए । उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की घटना न हो इसके लिए राज्य सरकार के स्तर से पुख्ता इंतजाम होना चाहिए । राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में अभी तक आठ आरोपियों में से पांच की ही गिरफ्तारी हुई है । शेष आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर स्पीडी ट्रायल के जरिये सुनवाई होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाऐं न हो इस पर भी सरकार को नजर रखनी चाहिए । 

श्री मांझी ने कहा कि दलितों पर होने वाले अत्याचार के लिए लोगों की मानसिकता भी जिम्मेवार है । कुछ लोग आज के समय में भी दलितों को दोयम दर्जे का समझते है । पार्टी का चार सदस्यीय शिष्टमंडल घटना की जांच और पीड़ित परिवारों से मिलकर सच्चाई की जानकारी लेने के लिए अररिया गया हुआ है । इस बीच पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा.दानिश रिजवान ने विक्रम से कांग्रेस के विधायक सिद्धार्थ के एक नवालिग लड़की को लेकर फरार होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि महागठबंधन के विधायक आये दिन अपना कथित रूप से अपराधिक रंग दिखा रहे है । उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि महागठबंधन अपराधियों का गठबंधन बन गया है । श्री रिजवान ने कहा कि महागठबंधन के विधायक विकास को छोड़ अन्य सभी बातों में दिलचस्पी दिखा रहे है । ऐसी घटनाओं से न सिर्फ सरकार बल्कि देश और दुनिया में बिहार की छवि खराब हो रही है । महिलाओं पर अत्याचार बंद नहीं हुआ तो पार्टी सड़क पर आंदोलन करेगी जिसकी जिम्मेवारी राज्य सरकार की होगी । 

महागठबंधन विधायको के लिए ही बिहार में बहार : सुशील कुमार मोदी

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पटना 28 जनवरी, बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज कहा कि ..बिहार में बहार हो ,नीतीशे कुमार हो ..का नारा सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के लिए कारगर साबित हो रहा है क्योंकि प्रदेश के लोगों के लिए बहार तो नहीं आयी लेकिन श्री यादव के साथ ही राजद -जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के विधायकों के लिए बहार आ गयी है । भाजपा विधानमंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां कहा कि जदयू का यह नारा महागठबंधन के घटक राजद अध्यक्ष के लिए शुभ साबित हो रहा है । राजद अध्यक्ष पर जहां एक-एक कर सरकार मुकदमें वापस करती जा रही है वहीं जदयू-राजद विधायकों को कानून हाथ में लेकर मनमानी करने की खुली छुट मिल गयी है । श्री मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार का यदि वश में होता तो अब तक चारा घोटाले के तमाम मुकदमों से भी श्री यादव को बरी कर चुके होते । मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि क्या आचार संहिता उल्लंघन के मुकदमें को श्री यादव पर से वापस लेने के पहले उन्होंने चुनाव आयोग से अनुमति ली थी । उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या मुख्यमंत्री आचार संहिता उल्लंघन के अन्य सभी मुकदमें भी वापस करेंगे । 

भाजपा नेता ने कहा कि एक सप्ताह पहले राजद अध्यक्ष सहित 263 लोगों के खिलाफ बिहार बंद के दौरान दर्ज मुकदमें को वापस लेकर श्री कुमार ने जहां श्री यादव को बिहार में आयी बहार का एहसास कराया वहीं अब चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामले को भी समाप्त कर यह जता दिया है कि अपनी कुर्सी बचाये रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री कुमार की इस कार्रवाई के बाद कोई भी अधिकारी किसी नेता के खिलाफ चुनाव आयोग के निर्देश के बावजूद मुकदमा दर्ज करने का साहस नहीं कर पायेगा । श्री मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री की इस ..बहार ..में जहां अपराधियों के पौं बारह हैं वहीं सत्तारूढ़ दल के विधायकों को भी मनमानी की पूरी छुट मिली हुई है । उन्होंने कहा कि बड़हरा ,गोपालपुर, बेलहर, जोकीहाट तथा रूपौली के सत्तारूढ़ दल के विधायको के बाद अब अतरी की विधायक कुंती देवी के पुत्र एवं उसके दोस्तों ने एक डाक्टर को बुरी तरह से पीट कर बिहार में आयी बहार का नमूना पेश किया है । भाजपा नेता ने कहा कि सत्तारूढ़ विधायकों को मालूम है कि वह कुछ भी करें उन पर मुकदमा नहीं होगा ,यदि होगा भी तो सरकार उसे वापस ले लेगी । मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि क्या सत्तारूढ़ दल के विधायको को कानून अपने हाथ में लेने की खुली छुट देकर और राजद अध्यक्ष पर से मुकदमा वापस लेकर वह राज्य में कानून का राज कायम करना चाहते है । मुख्यमंत्री क्या अब भी कहेंगे की वह न तो किसी को फंसाते है और न बचाते है । 

पांच वर्षो के अंदर सात निश्चय पूरे किये जायेंगे : मुख्यमंत्री

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पटना 28 जनवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि महिलाओं को सरकारी नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण देने का निश्चय पूरा हुआ है और शेष छह निश्चयों को जल्द ही पूरा कर लिया जायेगा । मुख्यमंत्री ने आज पंडित शीलभद्र याजी मेमोरियल वोकेशनल ट्रेनिंग इन्स्टीच्यूट सीढ़ीघाट मंदिर रोड बख्तियारपुर में प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी पंडित शीलभद्र याजी जी की 20वीं पुण्य तिथि के अवसर पर उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि बिहार के लोग आगे बढ़ रहे हैं। बिहार का बजट एक लाख बीस हजार करोड़ का हो गया है। हम अपने सात निश्चय को पूरा कर रहे हैं। सात निश्चय में से एक निश्चय को पूरा किया। महिलाओं को सरकारी नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण देने का निश्चय पूरा हुआ। सात निश्चय को पांच साल के अंदर पूरा कर लिया जायेगा। 

श्री कुमार ने कहा कि शेष छह निश्चय में आर्थिक हल-युवाओं पर बल, तकनीकी शिक्षा, हर घर में बिजली का मुफ्त कनेक्शन, घर-घर नल का पानी, हर घर में शौचालय एवं गली, नली पक्का करने के लिये बिहार विकास मिशन का गठन किया गया है। सरकार के सात निश्चय को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाना है।उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक अप्रैल से शराबबंदी चरणबद्ध तरीके से लागू होगी। सिर्फ नगर निगम एवं नगर पालिका में शराब की बिक्री होगी। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम एक मई से लागू होगा। जनता को शिकायत निवारण का कानूनी अधिकार दिया जायेगा ।हर जिला में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी होंगे। लोगों द्वारा आवेदन देने पर उन्हें पावती रसीद दिया जायेगा। लोक निवारण पदाधिकारी द्वारा दिये गये समय पर शिकायतों का निवारण होगा। लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के फैसले के विरूद्ध अपील भी किया जायेगा। इस अवसर पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ,विधायक रणविजय सिंह, विधान पार्षद नीरज कुमार समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे । 

समय के साथ झारखंड के विकास पर ध्यान देना जरूरी : रघुवर दास

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रांची 28 जनवरी, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि तेजी से बदलती दुनिया में राज्य पिछड़ न जाए, इसका ध्यान रखने की जरूरत है। श्री दास ने आज कल्याण विभाग द्वारा आयोजित झारखंड जनजातीय परामर्शदात्री परिषद की 16वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि बदलते हुए आधुनिक परिवेश में विकास के लिए आगे बढ़ना होगा। गाँव के लोगों को भी गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है। समावेशी विकास के लिए झारखंड की मूल भावना को छेड़-छाड़ किए बिना हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं, इस पर विचार करने की जरूरत है। जनजातीय परामर्शदात्री परिषद का परामर्श आवश्यक है। जनजातीय परामर्शदात्री परिषद के सदस्यों ने बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुए निम्नांकित तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर अपने परामर्श दिएः-एस0ए0आर0 कोर्ट के अस्तित्व को कायम रखते हुए आदिवासी भूमि के मुआवजा के प्रावधान को समाप्त करने की अनुशंसा की गई। इससे आदिवासी के जमीन का गलत हस्तांतरण नहीं हो सकेगा। 

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी जमीन के गलत तरीके से हस्तानांतरण की शिकायतें मिल रही थीं। मुआवजा के प्रावधान का गलत उपयोग किया जा रहा था। मुआवजा के प्रावधान के समाप्त होने से आदिवासी का जमीन हस्तांतरित नहीं हो सकेगा। एस0ए0आर0 कोर्ट में लम्बित 4219 मामलों के समयबद्ध निष्पादन के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। रांची जिला में लम्बित वादों की अधिक संख्या को ध्यान में रखकर एक वर्ष के लिए दो अतिरिक्त एस0ए0आर0 पदाधिकारी का पद सृजित किया गया है, ताकि त्वरित निष्पादन हो सके।जमीन के स्वामित्व हक को प्रभावित किए बिना कृषि जमीन को गैर कृषि कार्य में परिवर्तन के प्रावधान को शामिल करने की अनुशंसा की गई, ताकि रैयत द्वारा भूमि का उपयोग कृषि कार्य के अलावा गैर कृषि कार्यों के लिए भी किया जा सके। उद्योग एवं खनन कार्य के अलावा रेलवे, सड़क, बिजली, नहर, विद्यालय, अस्पताल, आंगनबाड़ी इत्यादि के लिए धारा 49 सी0एन0टी0 के अन्तर्गत भूमि हस्तानांतरण को शामिल करने की अनुशंसा की गई। साथ ही धारा 49 सी0एन0टी0 के अन्तर्गत ही भविष्य में आवश्यक आधारभूत संरचनाओं के लिए भूमि हस्तानांतरण के लिए परामर्शदातृ परिषद को प्राधिकृत करने की अनुशंसा की गई। बैठक में उपाध्यक्ष डाॅ0 लुईस मरांडी, मुख्य सचिव राजीव गौबा सहित परामर्शदात्री परिषद के सदस्यगण एवं संबंधित प्रधान सचिव उपस्थित थे। 

फिल्म 'सरबजीत'से रिचा का फर्स्ट लुक हुए ज़ारी

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इनदिनों रिचा चड्ढा अपनी आगामी फिल्म 'सरिबजित'की शूटिंग में व्यस्त हैं। हाल ही में फिल्म 'सरबजीत'से रिचा का फर्स्ट लुक सामने आया हैं। फिल्म के अपने इस फर्स्ट लुक में रिचा पंजाबी कुड़ी के अंदाज़ में नज़र आरही हैं। इस पंजाबन के अवतार में रिचा बेहद खूबसूरत नज़र आरही हैं। 

फिल्म 'सरबजीत'ओमुंग कुमार के निर्देशन में बनाने वाली बायोपिक फिल्म है। इस फिल्म में रिचा के साथ ऐश्वर्या राय बच्चन और रणदीप हुड्डा भी नज़र आएंगे। इस फिल्म में रिचा सरबजीत की पत्नी का किरदार निभाने वाली हैं। फिल्म में रिचा, ऐश्वर्या और रणदीप का एक बेहद शानदार भागड़ा नृत्य भी होनेवाला है। 

इस बारे में बताते हुए रिचा ने कहा है 'फिल्म 'सरिबजित'में मेरा उत्तम किरदार है, फिलहाल मै अपने किरदार की बोली पर काम कर रही हूँ। इस फिल्म में दर्शकों को काफी रोमांस देखने को मिलेगा। ऐश्वर्या के साथ काम करने का बहुत ही अद्भुद अनुभव मिल रहा है।'

गीतकारों ने बदला सिनेमा का चेहरा

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यह अब तक भले ही किसी को समझ में आया हो या नहीं कि जिंदगी को जीना एक कला है या कला का दूसरा नाम जिंदगी। लेकिन इतना जरूर है कि इंसानी फितरत में कला की विधा का हर आयाम अपने हर स्वरूप में हमेशा मौजूद होता है। जो, कभी किसी को गरीबी की गुमनाम गलियों से निकाल कर नेता के रूप में राष्ट्र के फलक पर ले जाकर स्थापित कर देता है, तो किसी को खेल के मैदान में ले जाकर खिलाड़ी के रूप में खड़ा कर देता है। कभी यह किसी को जज्बातों के जंजाल से निकालकर बहुत निर्मम किस्म का अपराधी बना डालता है, तो किसी को अपने भीतर की भावनाओं को जहीन शब्दों में ढालकर हर किसी की भावनाओं के प्रतीक के रूप में परोसकर दुनिया के दिलों में उतरने वाला गीतकार बना देता है

फिल्मों में गीतों का एक मजा होता है, गीतों के शब्द किसी व्यक्ति की भावना और ऐसी बहुत बाते कह डालती है,जो किसी के समक्ष कहने झिझकते है । मनोज कुमार कि फिल्मों में देश भक्ति गीतों से परिपर्ण रहे है। गीतकारों ने किसी को अपने भीतर की भावनाओं को जहीन शब्दों में ढालकर हर किसी की भावनाओं के प्रतीक के रूप में परोसकर दुनिया के दिलों में उतरने वाला गीतकार बना देता है

गीतकारों ने गीतों के माध्यम से ऐसी बहुत सी बातें जो लोग जिंदगी में अपने भीतर की इस कला को वक्त रहते समझकर उसी के साथ उस रास्ते पर चल पड़ते हैं, वे शिखर का मुकाम हासिल कर ही लेते हैं हमारे सिनेमा में बोल की बारीकियों वाले गीतों से लेकर गीतकारों के नये-नये नामों का यह जो बदलाव दिखाई दे रहा है, इसी का परिणाम है कि आज गुलजार, रविंद्र जैन, शैलेंद्र, साहिर, जावेद अख्तर जैसे गीतकारों के बोल बाजार के बीच होने के बावजूद कम सुनाई दे रहे हैं, और संजय मासूम छाए हुए हैं, इरशाद कामिल वाह वाही बटोर रहे हैं, स्वानंद किरकिरे के बोल बिक रहे हैं और प्रसून जोशी की प्रज्ञा ज्वाला की तरह जल रही है। ‘कभी-कभी’ फिल्म के गीत ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’ में साहिर लुधियानवी ने बिल्कुल सही लिखा था कि - ‘कल और आएंगे नगमों की खिलती कलियां चुनने वाले, मुझसे बेहतर कहने वाले तुमसे बेहतर सुनने वाले.. ।’

नये जमाने में कुछ बेहतर पाने की ललक वाले इन गीतकारों के जज्बे ने जैसे ही जोर मारना शुरू किया, तो नये जमाने की नई फिल्मों में नये बोल लेकर नये गीतकारों की पूरी की पूरी नई फौज नये तरीके से खड़ी हो गई। अमिताभ भट्टाचार्य, प्रसून जोशी, पीयूष मिश्रा, नीलेश मिश्रा, फरहान अख्तर, विशाल भारद्वाज, जलीस शेरवानी, सैयद कादरी, श्रीधर वी सांभरम, इरशाद कामिल मयूर पुरी, जयदीप साहनी, जैसे बहुत सारे नये-नये ऐसे नाम हमें सुनने को मिल रहे हैं, जिनके लिखे गीत जमाने की लीक थोड़े से अलग हैं, लेकिन सीधे दिल में उतरते हैं। ये वे लोग हैं, जिनकी सबसे पहली चिंता पेट पालना नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ यही है कि हमारी फिल्मों में गीतों की अहमियत कुछ और बड़ी होनी चाहिए।

यह शायद किसी को भी बताने की जरूरत नहीं है कि बोल खूबसूरत हों तो गाने में चार चांद लग जाते हैं और इससे फिल्म की लोकप्रियता भी बढ़ जाती है। ‘राज-3’ फिल्म में संजय मासूम का गीत ‘रफ्ता-रफ्ता हो गई तू ही मेरी जिंदगी, रफ्ता-रफ्ता हो गई चारों तरफ रोशनी, सजदे में तेरे सर है, थोड़ा सा दिल में डर है, कैसे करूं मैं बयां, जानू ना जानू ना..’ इसकी सबसे बढ़िया बानगी है। पत्रकार से गीतकार बने संजय मासूम और इरशाद कामिल हों या प्रसून जोश, जयदीप साहनी या फिर अनुराग कश्यप- ये सारे के सारे लोग नया गीत और गद्य रच रहे हैं। कुछ साल पहले आई फिल्मों ‘रंग दे बसंती’ हो या ‘ब्लैक फ्राइडे’, अनुराग की लिखावट ने उनको सबसे अलग मुकाम दे दिया। ये नये गीतकार बीच बाजार में जा कर जिस तरह का दिल की गहराइयों में उतरने वाला गीत रच रहे हैं, वह बदले वक्त का गवाह है। ये वह पीढ़ी है जिसे देख कर यह कहना भले ही किसी को खराब लगे, लेकिन सच यही है कि बॉलीवुड में अब कई गुलजार पैदा हो गए हैं। इन नये गुलजारों के पास तमाम तरह के वगरे की भावनाओं की गहरी समझ है। ये लोग जानते हैं कि आवाम की आबो-हवा में फैली खुशबू को पकड़ने के लिए सिर्फ शब्द ही तो हैं, जो जिंदगी के र्जे-र्जे से गुजरते हुए अनुभव के तमाम लम्हों को बयां कर देने की तासीर रखते हैं। प्रसून जोशी ने बहुत सारे बढ़िया-बढ़िया गीत लिखे हैं, लेकिन ‘तारे जमीं पर’

का उनका लिखा ‘तू धूप है झम से बिखर, तू है नदी ओ बेखबर, बह चल कहीं उड़ चल कहीं, दिल खुश जहां, तेरी तो मंजिल है वहीं’ प्यारा-सा गीत तकलीफों की तपिश के तेवर की बदली हुई तस्वीर सा लगता है। जोशी कहते हैं, ‘तारे जमीं पर‘ फिल्म से पहले मैंने बच्चों के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। पर इसके गीत लिखते समय मुझे अहसास हुआ कि कितनी सुंदर दुनिया है। उन्हीं की तरह कई फिल्में और उनके डायलॉग लिखने से लेकर नामी गीतकार बनने के बाद अब संसद में बैठे जावेद अख्तर कहते हैं, ‘मैं देख रहा हूं कि कठिन गीत लिखना तो कठिन है ही, पारदर्शी भाषा में ऐसे आसान गीत लिखना और कठिन है’ जो लोगों की जुबान पर चढ़ सकें। लेकिन नई पीढ़ी के गीतकार यह सब बहुत आसानी से कर रहे हैं, इसीलिए इनके गीत दिल में उतर जाते है।

जब वी मेट‘, ‘लव आजकल‘, ‘रॉकस्टार‘, ‘मौसम‘, ‘मेरे ब्रदर की दुल्हन‘ जैसी सफलतम फिल्मों के शानदार गीतों के रचयिता इरशाद कामिल कहते हैं - ‘ताजा दौर में संगीत की गहरी समझ रखने वाले भले ही जरा मायूस हों, लेकिन ये मायूसी लंबी नहीं है। हवा बहुत तेजी से बदल रही है और हमारे सिनेमा का गीत-संगीत फिर से अपनी मूल जड़ों की ओर रुख करने वाला है।‘ अमिताभ भट्टाचार्य का ‘एक मैं और एक तू‘ के लिए लिखा गीत ‘कितने की है जमीं, कितने का आसमां, बिकते हैं ये कहां, भर लेंगे जेबों में दुकानें वो सभी, चल चलते हैं वहां‘ जिंदगी के अनछुए पहलुओं पर अपना असर छोड़ने की कामयाबी की कहानी रचते हैं।  महेश भट्ट की फिल्म ‘राज-3’ के गीत ‘दीवाना कर रहा है, तेरा रूप सुनहरा, मुसलसल खल रहा है मुझको अब ये सेहरा, बता अब जाएं तो जाएं कहां’ लिखकर राशिद अली ने तकदीर के तिराहे पर खड़ी रूमानियत भरी जिंदगी की जो असली तस्वीर पेश की है, वह सिनेमा के नए रास्ते की गवाह है। लखनऊ से गायक बनने मुंबई आए, लेकिन गीतकार बन गए।

अमिताभ भट्टाचार्य के बारे में माना जा रहा है कि ‘इमोशनल अत्याचार‘, ‘एंवेई एंवेई‘ और ‘अली रे‘ जैसे अपने गीतों से फिल्मों के गीत लेखन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ले आए हैं। भट्टाचार्य कहते हैं- मैंने पहले कभी गीत नहीं लिखे थे। मैं संगीत बनाता था और अभ्यास के लिए गीत लिखता था लेकिन फिर मैं गीतकार ही बन गया। किसी ताजी हवा के झोंके जैसे इन गीतकारों के गीतों से सजे इस गजब माहौल में यह एक बड़ा फायदा यह हुआ है कि बहुत- सी प्रतिभाओं के प्रदर्शन का रास्ता साफ हुआ और गीतों की एक नई बयार बहने लगी है। इन प्रतिभाओं में दरअसल कितनी ‘प्रतिभा’ है, यह हमारे सिनेमा का संसार तय कर ही रहा हैं। इस पूरे बदले हुए माहौल पर गुजरे जमाने के गीतकार नीरज की एक बात याद आती है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ दिन पहले फिल्म ‘एक विलेन’ में मिथुन का लिखा गीत ‘यूं मिले हो तुम मुझसे जैसे बंजारे को घर’ बहुत पसंद किया जा रहा है, यह मेरे लिए सुखद बात है। मैं मिथुन से कभी मिला नहीं हूं लेकिन गीत सुनकर लगता है कि इनमें अपार संभावनाएं हैं। नीरज को जो लगा, उन्होंने कहा। लेकिन सच्चाई भी यही है कि नये गीतकार नई शब्दावली गढ़कर गीतों के नये आयाम गढ़ रहे हैं। साहिर के बोल बिल्कुल सही थे कि वे पल दो पल के शायर थे। नये जमाने के गीतकारों की नई कतार नई कलियां चुनने आ गई हैं।

कौसर मुनीर - संईयारा संईयारा सितारों के जहां में मिलेंगे अब यारा इरशाद कामिल, आज दिन चढ्या जलिस शेरवानी  चोरी किया रे जिया रश्मी सिंह,खामोशियां अहमद अनीस, मैं तैनु समझावां सईद कादरी,भीगे होंठ तेरे संदीप नाथ, सुन रहा है ना तू, रो रहा हूं मैं प्रसून जोशी, मस्तानों के झुंड, हवन करेंगे।

'चॉक एन डस्टर' :- शिक्षा के व्यापारीकरण पर पर कमजोर फिल्म

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हमने अपनी शिक्षा प्रणाली को व्यापार बना दिया है और इस खेल में सरकार, कॉर्पोरेट, समाज, नेता और पेरेंट्स सभी शामिल हैं. अच्छी शिक्षा तक पहुँच पैसे वालों तक ही सीमित हो गयी है, यह लगातार आम आदमी के पहुँच से बाहर होती जा रही है. राज्य अपनी भूमिका से लगातार पीछे हटा है हालांकि इस बीच शिक्षा का अधिकार कानून  भी आया है जो 6 से 14 साल के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है, लेकिन इसका बहुत असर होने नहीं दिया गया है. एक बहुत ही सुनियोजित तरीके से सरकारी शिक्षा व्यवस्था को चौपट और बदनाम किया गया है और आज स्थिति यह बन गयी है कि सरकारी स्कूल मजबूरी का ठिकाना बन कर उभरे हैं. जो परिवार थोड़े से भी समर्थ होते है वे अपने बच्चों को तथाकथित अंग्रेजी माध्यम के प्राइवेट स्कूलों के शरण में भेजने में देरी नहीं करते हैं. हालांकि इन प्राइवेट स्कूलों की हालत भी बदतर है. हमारी शिक्षा में यह एक ऐसा वर्ग विभाजन है जिसकी लकीरें पूरी तरह से स्पष्ट है. “चॉक एंड डस्टर” का यह दावा है कि फिल्म शिक्षा के व्यापारीकरण पर सवाल उठती है, शायद इसलिए अभी तक इस फिल्म को राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार में कर मुक्त कर दिया गया है। यह साल 2016 की पहली महिला प्रधान फिल्म भी थी.

पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड में 'तारे जमीन पर'और  '3 इडियट्स'जैसी  फिल्में बनी हैं जिन्होंने  शिक्षा व्यवस्था और इसको लेकर  पेरेंट्स  के उनके बच्चे की तरफ रवैये पर सवाल  उठाया था। ऐसा करते समय वे मनोरंजक भी बनी रही थी जिसकी वजह से व्यापक स्तर पर इन्हीं दर्शकों ने इन फिल्मों को खूब पसंद भी किया था. “चॉक एन डस्टर” को लेकर भी लम्बे-चौड़े दावे किये गये थे लेकिन यह फिल्म अपने गंभीर विषय और भारी-भरकम कलाकरों के बोझ को ही सहन नहीं कर पाती है और जबरदस्ती की भावुकता व नैतिकता का लेक्चर बघारने वाली फिल्म ही साबित होती है.

 कहानी एक प्राइवेट स्कूल और वहां पढ़ाने वाली शिक्षकों की है, जिसमें एक तरफ विद्या (शबाना आजमी), ज्योति ठाकुर (जूही चावला) और दूसरी तरफ कामिनी गुप्ता (दिव्या दत्ता) है. सब कुछ ठीक चल रहा होता है कि स्कूल ट्रस्टी का बेटा अनमोल पारिख (आर्यन बब्बर) लंदन से एमबीए की पढ़ाई करके वापस आता है, वह अपने स्कूल को पूरी तरह से व्यवसायिक बना देना चाहता है, एक ऐसा पांच सितारा स्कूल जहाँ सिर्फ सलेब्रिटी और बड़े लोगों के ही बच्चे पढ़े. इसीलिए सबसे पहले वह स्कूल की पुरानी प्रिंसिपल मिसेज प्रधान (जरीना वहाब) को नौकरी से हटा देता है और उनकी जगह स्कूल की सुपरवाईजर कामिनी गुप्ता (दिव्या दत्ता) को प्रिंसिपल बना दिया जाता है। नई प्रिंसिपल का रवैया हिटलरी वाला होता है और वह पुराने-बुड्ढ़े हो चुके टीचरों की जगह नये और स्मार्ट टीचर कम सेलरी में लाना चाहती है इसलिए वह उन्हें तंग करना शुरू करती है, क्लासों से अध्यापकों की कुर्सी हटवा ली जाती है, उन्हें चाय के पैसे अदा करने पड़ते हैं और अध्यापकों को उसी स्कूल में पढ़ रहे अपने बच्चों की फीस में अदा करनी पड़ती है. फिर कामिनी गुप्ता बुजर्ग टीचर विद्या की काबिलियत पर ही प्रश्न उठा देती है और उसे स्कूल से निकाल देती है. बाद में विद्या का साथ देनी वाली अध्यापक ज्योति को भी स्कूल से निकाल दिया जाता है. विद्या को अपने काबिलियत पर ही प्रश्न उठा दिए जाने और स्कूल से निकाल दिए जाने की वजह से स्कूल में दिल का दौरा पड़ जाता है और वो अस्पताल में भर्ती हो जाती है. बात मीडिया तक पहुंच जाती है और हंगामा हो जाता है. अंत में विद्या और ज्योति को अपने आप को अच्छा टीचर साबित करने के लिए एक क्विज में हिस्सा लेना पड़ता है जिसमें यह शर्त होती है कि जिसमें अगर वे जीतेंगीं तो उन्हें स्कूल की ओर से पांच करोड़ रु. मिलेंगे और नौकरी वापस मिल जाएगी और प्रशासन उन दोनों से माफ़ी भी मांगेगी जबकि अगर वो क्विज हारती है हो उनका अध्यापन का कैरियर बर्बाद हो जाएगा।

फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी अस्पष्ट कहानी और कमजोर प्रस्तुतिकरण है, यह एक सपाट फिल्म है, दृश्य प्रभाव नहीं छोड़ पाते हैं. राजकुमार हिरानी बनने के चक्कर में कुछ भावुक दृश्य फिल्म में जबरदस्ती ठूंसे हुए लगते हैं. फिल्म का उद्देश्य साफ नहीं है कि यह शिक्षा के व्यवसीकरण पर है या शिक्षकों की समस्याओं पर. निर्दशक को अपनी कहानी पर भरोसा नहीं है शायद इसीलिए कहानी के जरिए नहीं ! थोड़ी- थोड़ी देर में बैकग्राउंड में ‘गुरू देवो नम:’ के माध्यम से दर्शकों को शिक्षकों की पीड़ा महसूस करने की कोशिश की गयी है, इसमें बच्चे और उनके पेरेंट्स भी गायब है. पूरी फिल्म बोझिल है सिवाये क्लाईमैक्स के जहाँ ऋषि कपूर ताजगी का अहसास करते है . 

डायरेक्टर जयंत गिलटर की इस फिल्म में शबाना आजमी,जूही चावला,दिव्या दत्ता,ऋचा चड्ढा,जरीना वहाब,उपासना सिंह और गिरीश कर्नाड जैसे कलाकार हैं, लेकिन यह फिल्म इतने अच्छे कलाकारों को यूँ ही जाया कर देती है.शायद फिल्म बनाने वाले यह मान कर चल रहे थे कि इन कलाकारों को साथ ले आना ही काफी है बाकि का काम खुद-बखुद हो जायेगा. 

शिक्षा का निजीकरण एक दिलचस्प विषय था जिस पर बहुत कम लोग फिल्म बनाने का सोचते हैं  लेकिन इस विषय पर मेनस्ट्रीम फिल्म बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास के जरूरत पड़ती है जिससे मनोरंजन के साथ-साथ अपनी बात भी कही जा सके लेकिन दुर्भाग्य 'चाक एंड डस्टर'इन दोनों में से एक अकेला काम भी नहीं कर पाती है. नतीजे के तौर पर 130 मिनट की यह फिल्म आप को उबाती तो है ही साथ ही साथ आप ऐसा महसूस करते है कि जैसे किसी बोरिंग टीचर के नैतिक शिक्षा का क्लास झेल रहे हों. कुल मिलकर कर यहाँ विषय और कलाकार तो उम्दा है लेकिन इसमें सिनेमा गायब है. यह शिक्षा के निजीकरण की व्यवस्था पर कोई ठोस सवाल खड़े करना तो दूर अंत में जब यह केबीसी मार्का प्रश्नों के आधार पर अच्छे शिक्षक होने का फैसला सुनती है तो  अपने ही बनाये हुए जाल में फंसी हुई नज़र आती है. 




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जावेद अनीस
Javed4media@gmail.com

विशेष : राष्ट्र के साथ खिलवाड़ है मौत पर राजनीति

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हैदराबाद विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले पर जिस तरह देश के राजनैतिक दलों द्वारा घटिया राजनीति की जा रही है, उसकी जितनी निंदा की जाये कम है। दादरी की तरह ही इस मौत को भी जातिगत रंग देने का प्रयास किया जा रहा है। बिना पूरे मामले को जाने समझे तमाम राजनैतिक दलों द्वारा जिस तरह इस मौत पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने का प्रयास किया गया। उससे इन राजनैतिक दलों के बारे में यही बात सामने आ रही है कि उनको केवल विरोध के लिए ही राजनीति करने का आदेश मिला है। हालांकि सवाल यह आता है कि ऐसा करने के लिए उन्हें कौन प्रेरित कर रहा है। इसमें अगर राष्ट्रीय दृष्टिकोण से सोचा जाए तो यह कहना तर्कसंगत होगा कि ऐसे मामलों पर राजनीति कभी नहीं की जानी चाहिए, बल्कि ऐसे प्रकरण घटित न हों इसके लिए देश में राजनीति करने वाले सभी दलों को व्यापकता के साथ विचार विमर्श करना चाहिए।

हमारे देश में सर्व धर्म समभाव की बात की जाती रही है, लेकिन क्या ऐसे विरोध प्रदर्शन के चलते इस समभाव की कल्पना की जा सकती है। कदापि नहीं। जो लोग इस आत्महत्या पर विरोध करते रहे हैं, वह किसी न किसी रूप में देश के वास्तविक स्वरूप के साथ खिलवाड़ ही कर रहे हैं। जातिवाद के आधार पर देश में जो विद्वेष बढ़ रहा है, ऐसे मामले आग में घी डालने के समान है। ऐसे मामलों पर देशवासियों को अत्यंत सावधानी बरतना चाहिए।

इन आंकड़ों पर जरा गौर कीजिये। भारत में सालाना लगभग एक लाख लोग आत्महत्या करते हैं। 2014 में 1 लाख 31 हजार 666 लोगों ने खुद की जान ली। इनमें 2403 छात्र थे। यानी हर महीने 200 से ज्यादा छात्र आत्महत्या करते हैं। बकौल राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो, उस एक साल में 5650 किसानों और 20 हजार से ज्यादा घरेलू महिलाओं ने खुदकुशी की है। अब सवाल यह उठता है कि आत्महत्या के इन तमाम खबरों को अगर रोहित जितना ही फुटेज मिलता तो भारत आज एक आत्महत्या प्रधान देश ही कहा जाता। तो इस मामले में आखिर क्या ऐसा विशेष है? क्या जात के आधार पर ही आप आत्महत्याओं की विभीषिका को कम या ज्यादा करके आंकेंगे? पहली नजर में रोहित पर संस्थान द्वारा की जाने वाली कार्रवाई पूरी तरह जायज दिखती है। इसमें सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आत्महत्या वाले प्रकरणों में कभी जातिवाद का आधार नहीं बनाया जाना चाहिए। जो लोग रोहित के मामले में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें केवल देश की सरकार को नीचा दिखाने की राजनीति करने में ही मजा आ रहा है। आत्महत्या करने वाला व्यक्ति किसी न किसी कारण से ही आत्महत्या करने की ओर प्रवृत होता है। उसके जीवन में सब कुछ अच्छा नहीं होता। इसी कमी के चलते देश भर में न जानें कितने लोग मायूस होकर अपने जीवन का उत्सर्ग कर देते हैं। जो लोग विरोध कर रहे हैं उनको आतम्हत्या करने से पूर्व उन लोगों की दशा दिखाई नहीं देती। वास्तव में उनको करना यह चाहिए कि व्क्ति के जीवन में ऐसी परिस्थितियों का निर्माण नहीं हो पाए, जिसके लिए उसकी आवश्यकता की पूर्ति की जाए।

रोहित मामले में विरोध का झंडा थामे लोग केवल और केवल राजनीति ही कर रहे हैं। ऐसे में यह सवाल आता है कि हम किस प्रकार का वातावरण निर्मित करना चाह रहे हैं। रोहित मामले में विरोध करने से राष्ट्र विरोधी चेहरे सामने आ गये हैं। एक ऐसे मामले में केन्द्र सरकार व केन्द्रीय मंत्रियों को घसीटने का घटिया प्रयास किया जा रहा है। जिस मामले से केन्द्र सरकार या उसके मंत्रियों का कोई लेना देना नहीं है। एक आत्महत्या को दलित शोषण का रूप दिया जा रहा है। जबकि मरने वाला स्वंय अपने आत्महत्या नोट में यह साफ कर चुका है कि उसकी मौत का कोई जिम्मेदार नहीं है। मरने वाले छात्र रोहित वेमुला ने अपने आखिरी पत्र में अपनी बिगड़ी मानसिक स्थिति को आत्महत्या का जिम्मेदार माना। पत्र में कहीं भी उसने न तो किसी सरकार का जिक्र किया और न ही विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर या अन्य जिम्मेदारों का। दिशाहीन तथा स्वार्थ की राजनीति करने  वाले राजनैतिक दलों को इस आत्महत्या मेें कहां से दलित उत्पीडऩ नजर आ रहा है। यह तो वही बता सकते हैं लेकिन जिस तरह मौत को दलित अगड़े तथा पिछड़ो में बांटकर राजनीति की जा रही है वह देश के भविष्य के लिये खतरनाक है। 

पूरे प्रकरण पर अगर नजर डाली जाये तो आत्महत्या करने वाला छात्र रोहित वेमुला विवादित छात्र संगठन अम्बेडकर स्टूडेंट फैडरेशन से जुड़ा हुआ था। यह वही स्टूडेंट फैडरेशन है जिसमें बम्बई बम व्लास्ट के दोषी याकूब मेमन की फंासी पर जमकर आंसू बहाये थे। गौहत्या को सही ठहराने के लिये विश्वविद्यालय परिसर में गौमांस की पार्टी का आयोजन कर खुलेआम बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय की धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंचायी थी। राजनीति करने वाले लोग ऐसी घटनाओं को भले ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहकर टाल दें। लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं होता कि आप किसी धर्म या किसी व्यक्ति के स्वाभिमान को ठेस पहुंचायें। अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर दूसरे को बोलने से रोकें। जब अम्बेडकर स्टूडेंट फैडेशन के राष्ट्रद्रोही गतिविधियों का विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रो ने विरोध किया तो रोहित वेमुला तथा उसके साथियों ने कानून की धज्जियां उड़ाते हुये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उस दलित छात्र नेता सुशील कुमार की बेरहमी से पिटाई कर दी। जो इनकी राष्ट्रद्रोही गतिविधियों को रोकने का प्रयास कर रहा था। चूंकि सुशील कुमार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ा हुआ था। सो देश के दोगले राजनैतिक दलों के लिये वह दलित नहीं रहा। मरने वाला व्यक्ति रोहित वेमुला ही इन्हें दलित नजर आ रहा है। जबरन देश के माहौल को खराब करने वाले इन राजनैतिक दलों से भी पूछा जाना चाहिये कि आखिर किस आधार पर रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले को यह दलित उत्पीडऩ से जोड़ रहे हैं। कहां और किसने कब उत्पीडन किया, इनसे पूछा जाना चाहिये। अगर कोई प्रमाण है तो उन प्रमाणों को सामने लाये। अन्यथा देश का माहौल खराब करने का प्रयास न करें। ऐसे मामलों में केन्द्र सरकार को भी अपनी नीति में बदलाव करने चाहिये। आजकल फैशन हो गया है कि अगर किसी दलित या अल्पसंख्यक की मौत होती है, तो उस पर राजनैतिक दलों द्वारा जमकर होहल्ला मचाया जाता है। वहीं देश का कोई अन्य वर्ग उत्पीडऩ का शिकार होता है या किसी की मौत होती है तो यही राजनैतिक दल अजगर की तरह कुण्डली मारकर बैठ जाते हंै। आखिर यह कब तक चलता रहेगा। जरूरी है कि केन्द्र सरकार ऐसे मामलों के लिये सख्त कानून बनाये तथा बिना आधार के देश का माहौल खराब करने वालों के विरुद्ध राष्ट्रद्रोह के तहत मुकदमा दर्ज कर कठोर कार्यवाही की जाये, तभी देश के अंदर फैल रही इस घटिया राजनीति का अंत होगा।





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सुरेश हिन्दुस्थानी
झांसी, उत्तरप्रदेश पिन- 284001
मोबाइल-09455099388
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

आरक्षण व्यवस्था के साथ जारी बर्बरतापूर्ण बलात्कार कैसे रुके?

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भारत में हजारों सालों से संचालित अमानवीय मनुवादी व्यवस्था के कारण सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से वंचित वर्गों की दशा संविधान लागू होने के 66 साल बाद भी अत्यधिक दयनीय है। संविधान निर्माताओं को इन वर्गों की विशेष चिन्ता थी। इसी कारण से इन वंचित वर्गों को अजा, अजजा एवं ओबीसी वर्गों में वर्गीकृत करके, संविधान में कुछ विशेष प्रावधान किये गये थे। जिनमें विधायिका में प्रतिनिधित्व के साथ—साथ शिक्षण संस्थानों में प्रवेश तथा सरकारी नौकरियों में चयन एवं पदोन्नति के समय पात्रता में छूट, प्रमुख प्रावधान हैं। ओबीसी की दशा इस मामले में कमतर है। उनको न तो विधायिका में और न ही पदोन्नति में आरक्षण प्राप्त है। यही नहीं ओबीसी को उनकी जनंसख्या के अनुपात से आधे से भी ​कम आरक्षण प्राप्त है। जानबूझकर ओबीसी में असमान पृष्ठभूमि की जातियों को शामिल करके आरक्षण को आपसी संघर्ष का आखाड़ा बना दिया गया है।

संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था के परिणामस्वरूप या इसके दुष्परिणामस्वरूप वंचित वर्गों में विशेष रूप से अजा एवं अजजा के अनेक लोग उच्च पदों तक पहुंचे हैं। अनेक वर्तमान में भी पदस्थ हैं। इस सब के बाद भी मैं अत्यधिक दुःख के साथ, यह लिखने को विवश हूं कि उच्च प्रशासनिक और निर्णायक पदों पर पदस्थ रहते हुए, आरक्षित वर्ग के अनेक अधिकारी अपने वर्ग के आहत, पीड़ित और वंचित लोगों का प्रतिनिधित्व करने की तनिक भी परवाह नहीं करते हैं। इसके विपरीत अपने वर्ग के वंचित लोगों से दूरी बनाते देखे जा सकते हैं और बकवास (BAKVaS= B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Va-वैश्य+Sसंघी) वर्ग के मनुवादियों की खुशामद करते देखे जा सकते हैं। जिसे सीधे शब्दों में चाटुकारिता और चमचागिरी की संज्ञा दी जा सकती है।

जबकि सरकारी सेवाओं में चयन हेतु पात्रता में छूट प्रदान करने का मूल मकसद वंचित वर्गों के नये सामन्त पैदा करना कदापि नहीं था, बल्कि देश में सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु कार्यपालिका में वंचित वर्गों का पर्याप्त और सशक्त प्रतिनिधित्व स्थापित करना था। जिससे कि बकवास (BAKVaS= B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Va-वैश्य+Sसंघी) वर्ग से वंचित वर्गों के हितों की रक्षा की जा सके। वंचित वर्गों के उत्थान और संरक्षण के लिये नीतियों और कानूनों का निर्माण किया जा सके। पिछले 66 वर्ष के अनुभव को देखा जाये तो संविधान की मंशा के अनुरूप वंचित वर्गों का सच्चा और सशक्त प्रतिनिधित्व स्थापित नहीं हो सका है। इस मामले में वर्तमान आरक्षण व्यवस्था असफल रही है और आरक्षण का मूल मकसद समाप्त और बेमानी हो चुका है।

आरक्षण का लाभ प्राप्त करके उच्च पदों पर पदस्थ अनेक प्रशासनिक अधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों में अपने ही वंचित वर्ग के प्रति संवैधानिक जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का प्राय: अभाव दिखाई दे रहा है। इसके साथ—साथ यह भी देखने और सुनने में आता रहा है कि उच्च प्रशासनिक पदों पर बिराजमान आरक्षित वर्ग के अफसरों के परिजनों और सम्बन्धियों का ही प्रशासनिक पदों पर प्रमुखता से चयन हो रहा है? मुझे यह भी जानकारी मिली है कि लिखित और मुख्य परीक्षा में तुलनात्मक रूप से अधिक अंक प्राप्त करने वाले आम आरक्षित लोगों की संतानों की तुलना में, उच्च प्रशासनिक पदों पर बिराजमान आरक्षित वर्ग के अफसरों के कम अंक लाने परिजनों और सम्बन्धियों का अन्तिम रूप से चयन हो जाता है। यदि यह सत्य नहीं भी है तो क्या इसे सिर्फ संयोग ही माना जावे कि उच्च प्रशासनिक पदों पर बिराजमान लोगों के परिवार या रिश्तेदारी में ही अतिविलक्षण प्रतिभाशाली बच्चे पैदा हो रहे हैं, जिसके चलते भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में उनका चयन अवश्य हो रहा है। यदि यह सच है तो यह आरक्षण के आधार पर प्राप्त उच्च पदस्थिति का निजी हित में भयंकर दुरूपयोग और सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु लागू आरक्षण व्यवस्था के साथ सरेआम, क्रूरतापूर्ण और बर्बर बलात्कार नहीं तो और क्या है?

अब यह तथ्य किसी से छिपा नहीं रह गया है कि आरक्षण का लाभ लेकर उच्च पदों पर पदस्थ अनेक अधिकारी ऐश-ओ-आराम की जिंदगी जीते हैं और अवैध तरीकों से अकूत धन-सम्पदा अर्जित करते हैं। जिसे अपनी भावी पीढ़ियों के लिए अक्षुण्य बनाये रखने के लिए सरकारी सेवा में रहते हुए राजनैतिक दलों से नजदीकीयां बना लेते हैं और सेवानिवृति के बाद मनुवादी राजनैतिक दलों के टिकिट पर आरखित निर्वाचन क्षेत्रों से जीतकर MP या MLA बन जाते हैं। ऐसे लोगों का अपने वर्ग के आम लोगों के दुःख-दर्द या मुसीबतों या उनके हितों या अधिकारों के संरक्षण से दूर का भी वास्ता नहीं होता है। ऐसे लोग पहले प्रशासन में रहकर और बाद में विधायिका में पहुंचकर अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति करने के साथ—साथ अपने राजनैतिक दल के आकाओं के आदेशों की पालना करने के अलावा कुछ नहीं करते हैं। इसी कारण वंचित समाज के अन्दर गहरी खाई बन चुकी है और आरक्षित वर्ग के आम लोगों में गहरा असन्तोष और गुस्सा व्याप्त है।

इन हालातों में और संविधान को लागू हुए सात दशक पूर्ण होने जा रहे हैं, तब भी क्या आरक्षित वर्ग के आम लोगों के लिये यह विशेष चिन्ता का विषय नहीं होना चाहिये कि सामाजिक न्याय की वास्तविक स्थापना कैसे हो? वंचितों के प्रेरणा स्रोत ज्योतिबा फूले, विश्वस्तरीय विधिवेत्ता और बहुमुखी प्रतिभा के धनि बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेड़कर, आदिवासी हितों के लिये समर्पित प्रतिनिधि जयपालसिंह मुण्डा और आधुनिक भारत में सामाजिक न्याय के मसीहा कांशीराम की सामाजिक न्याय की लड़ाई का क्या यही लक्ष्य था? मुझे नहीं लगता कि वर्तमान आरक्षण व्यवस्था से इन महामानवों के सपने कभी पूर्ण हो सकेंगे।

मुझे ज्ञात है कि काले धन की ताकत पर आरक्षित वर्गों के दिखावटी मसीहा बने हुए कुछ स्वार्थी पूर्व या वर्तमान प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से मेरा और मेरे विचारों का कड़ा विरोध हो सकता है, जो अनपेक्षित और अस्वाभाविक नहीं है, लेकिन उनके स्वार्थपूर्ण विचारों की परवाह किये बिना समग्र वंचित समाज के संवैधानिक हित में हमें सत्य को स्वीकार कर के, इस समस्या का अविलम्ब स्थायी और संवैधानिक समाधान खोजना ही होगा।

कुछ कथित उथले विद्वान आरक्षित वर्गों में क्रीमी लेयर लागू करके इस समस्या का समाधान करने की बात करते हैं, जिसका मैं कभी समर्थन नहीं कर सकता। क्योंकि क्रीमी लेयर संवैधानिक प्रतिनिधित्व की मूल अवधारणा को ही नेस्तनाबूद कर देती है। यद्यपि मैं स्वीकरता हूं और उक्त विवेचन से प्रमाणित भी होता है कि वर्तमान व्यवस्था में वंचित वर्गों का उचित संवैधानिक प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है। इसके बावजूद भी हम हमारे समस्त प्रतिनिधियों को शतप्रतिशित नहीं नकार सकते, क्योंकि वर्तमान व्यवस्था की बदौलत ही अनेक संवेदनशील, सेवाभावी एवं जिम्मेदार अफसर और जनप्रतिनिधि, पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए वंचित वर्गों का निर्भीकतापूर्वक प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

इसके उपरान्त भी वंचित वर्ग के लिये अहितकर बन चुकी वर्तमान आरक्षण व्यवस्था का स्थायी और संवैधानिक समाधान खोजना ही होगा। बल्कि अविलम्ब खोजना होगा। इसलिये सामाजिक न्याय के लिये कार्यरत और संविधान के जानकार विद्वानों को इस बारे में गम्भीरतापूर्वक चिन्तन और मंथन करने की करने की जरूरत है। मेरे मनोमस्तिष्क में भी कुछ समाधान हैं, लेकिन उन्हें प्रस्तुत करूं उससे पहले बेहतर होगा कि इस विषय पर सार्वजनिक चर्चा होनी चाहिये। जिससे मेरे विचारों से प्रभावित हुए बिना, अधिक अच्छे समाधान सामने आ सकें। अब देखना होगा कि कितने लोग वंचित समाज के प्रति चिन्तनशील हैं और कितने लोग तार्किक, संवैधानिक और समाधानकारी सुझाव प्रस्तुत करने का साहस जुटा पाते हैं?




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लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', 
राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, 
राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (BAAS), 
नेशनल चैयरमैन-जर्नलिस्ट्स, मीडिया एन्ड रॉयटर्स वेलफेयर एसोशिएशन (JMWA), 
पूर्व संपादक-प्रेसपालिका (हिंदी पाक्षिक), 
पूर्व रा महासचिव-अजा एवं अजजा संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, दाम्पत्य विवाद सलाहकार तथा लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में एकाधिक प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित। वाट्स एप एवं मो. नं. 9875066111

श्रुति नागवंशी “काशी पुत्री” उपाधि से सम्मानित

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  • राष्ट्रपति भवन में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ओ’ योजना की प्रथम वर्षगांठ पर 100 सफल महिलाओं के लिए आयोजित लंच मे भी श्रुति आमंत्रित हो चुकी है 
  • महिला व बाल कल्याण केन्द्रीय मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भी सम्मानित हो चुकी है नागवंशी 
  • आल इण्डिया सेक्युलर फोरम, सेन्टर फॉर हार्मोनी एंड पीस और ग्राम्या संसथान के संयुक्त तत्वाधान में सम्मान समारोह आयोजित 

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वाराणसी (सुरेश गांधी )।धर्म एवं आस्था की नगरी काशी को गौरवान्वित करने वाली सामाजिक कार्यकत्री एवं मानवाधिकार जननिगरानी समिति की मैनेजिंग ट्रस्टी श्रुति नागवंशी को महिला व बाल कल्याण केन्द्रीय मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सम्मानित किए जाने के बाद वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल में खुशी की लहर है। श्रीमती नागवंशी के सम्मान में जगह-जगह सम्मान समारोह का आयोजन कर उन्हें बधाईयां दी जा रही है। गुरुवार को जगतगंज स्थित होटल कामेश हट में आल इण्डिया सेक्युलर फोरम, सेन्टर फॉर हार्मोनी एंड पीस और ग्राम्य संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में सम्मान समारोह का आयोजित किया गया। इस मौके पर सुप्रसिद्ध सामाजिक चिन्तक राकेश रंजन त्रिपाठी ने श्रुति नागवंशी को “काशी पुत्री” की उपाधि से सम्मानित किया। जबकि मानवाधिकार जननिगरानी समिति के गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष डा महेंद्र प्रताप सिंह ने श्रुति नागवंशी को विशेष प्रसस्ती पत्र देकर सम्मानित किया। समारोह में वक्ताओं ने कहा पूरे भारत से 100 महिलाओ में श्रुति नागवंशी को चुने जाना एवं गणतंत्र दिवस परेड में भारत सरकार द्वारा विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गर्व की बात है। इस सम्मान से न सिर्फ सामाजिक कार्यकर्ताओं में हर्ष है बल्कि काशी का भी गौरव बढ़ा है। 
     
आल इण्डिया सेक्युलर फोरम के संयोजक डा मोहम्मद आरिफ ने कहा श्रुति नागवंशी, यास्मीन, नंदिनी और पूजा राजभर ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने, महिलाओ को न्याय दिलाने एवं महिला अधिकार को सुरक्षित करने के लिए काफी सराहनीय कार्य किया है। मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा विभिन्न ब्लाको में गठित बाल पंचायत की परमंदापुर निवासिनी कुमारी यास्मिन और कुमारी नन्दिनी को उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री द्वारा दिसम्बर, 2015 में “बाल संसद” में बुलाया गया था। इन लोगों ने वाराणसी में बाल पंचायत के माध्यम से बाल यौन हिंसा के खिलाफ न सिर्फ आवाज बुलंद की बल्कि कुछ शोहदों को सलाखों के पीछे भी पहुचाया था। साथ ही अन्य ब्लाको में भी इस मुहीम को मानवाधिकार जननिगरानी समिति (पीवीसीएचआर) द्वारा गठित विभिन्न ब्लाको में बाल पंचायत में आगे बढ़ा रही है। वचितों के हक की लडाई लड़ने और मवाधिकारो के लिए संघर्ष करने के क्षेत्र में अन्तराष्ट्रीय ख्याति पा कर सूबे का गौरव बढ़ने वाली श्रुति नागवंशी इस बार नयी दिल्ली के गणतंत्र दिवस परेड में भी अथिति के रूप में बुलाई गयी। 22 जनवरी को उन्हें भारत के राष्ट्रपति, प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ओ’ योजना की प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर 100 सफल महिलाओं के लिए आयोजित लंच में भी आमंत्रित किया था। श्रुति दलितों, पिछड़ों, आदिवासी और समाज के कमजोर तबके के लिए बुनियादी सुविधाओं की लड़ाई में दो दशक से संघर्ष कर रही हैं। 

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15 जुलाई, 2015 को महिला और बाल विकास मंत्रालय के फेसबुक पृष्ठ पर रु 100 महिला नाम से प्रतियोगिता की घोषणा की गई, जिसमें 20 वर्गों में नामांकन आमंत्रित किये गए, जैसे महिलाओं और उनके अधिकारों की रक्षा करते हुए न्याय तक पहुंच, कृषि और पशुपालन, पशु कल्याण, कला और संस्कृति, वाणिज्य उद्योग और उद्यमिता, समुदाय एकजुटता, निशक्तता और पिछड़ापन, शिक्षा, पर्यावरण, वन और वन्यजीव, वैश्वीकृत होता भारत, स्वास्थ्य देखभाल और स्वास्थ्य, स्वच्छता और सफाई, बाल लैंगिक अनुपात सुधारना, नवान्वेषण विज्ञान और प्रौद्योगिकी, साहित्य, मीडिया, पोषण, खेल, सार्वजनिक जीवन में महिलाएं तथा महिला सशक्तीकरण आदि प्रमुख है। 20 वर्गों के अंतर्गत प्राप्त 474 नामांकनों से निर्णायक मंडल ने 200 नामित महिलाएं अल्पसूचीबद्ध की गईं। 200 अल्पसूचीबद्ध नामित महिलाओं के लिए 3 दिसम्बर 2015 से 30 दिसम्बर 2015 तक जनमत करवाया गया जिसमें से 100 महिलाएं चुनी गईं। वाराणसी की सुप्रसिद्ध महिलाधिकार कार्यकर्ता श्रुतिनागवंशी व नाजनीन अंसारी भी इन 100 महिलाओं में शामिल थी। श्रुति ने कहा, राष्ट्रपति भवन में पहले महामहिम राष्ट्रपति के साथ फोटो सेशन और फिर फिर भोज का आयोजन किया गया। देश की चुनी हुई 100 महिलाओ में मेधा पाटेकर, तीजनबाई, रेस्क्यू फाउंडेशन की त्रिवेणी आचार्या, खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा व पद्मश्री सुश्री सुनीता कृष्णन आदि प्रमुख लोग शामिल थे। 

इस मौके पर श्रुति नागवंशी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, वाराणसी समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलो में मानवाधिकार जननिगरानी समिति एवं सावित्री बा फूले महिला पंचायत लगातार काम कर रही है। इसके अंतर्गत महिलाओ, वंचितों, विशेषकर बच्चो की बाल पंचायत को सशक्त करने के लिए पिछले दो दशको से लगातार प्रयास किया जा रहा है। बच्चो के बाल पंचायत को मजबूत करते हुए सैकड़ो लडकियों के शिक्षा, स्वास्थ्य और बालाधिकार को सुनिश्चित करने का भी प्रयास किया गया है। यही वजह है कि वाराणसी की महिला कार्यकर्ती श्रुति को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा पूरे भारत से 100 महिलाओ में से चुना गया। साथ ही सरकार द्वारा महिला अधिकार और महिला पहचान को सशक्त करने हेतु इस कदम से उन्हें काफी सहुलियतें हुई है। इससे वह और बेहतर काम करने का प्रयास करेंगी। उनके लिएयह स्वर्णिम अवसर था जब उन्हें अपने देश के महामहिम राष्ट्रपति व अन्य विशिष्ट माननीयो एवं महिला अधिकार पर संघर्षशील 100 महिलाओ के साथ राष्ट्रपति भवन में भोज समारोह में आमंत्रित किया गया। 

वाराणसी के मलीन बस्ती बघवानाला में बाल पंचायत की बच्चियों ने बाल विवाह के खिलाफ मुहीम छेड़कर न सिर्फ बाल विवाह बंद कराई बल्कि उन्हें पीवीसीएचआर द्वारा चलाये गए शैक्षणिक प्रक्रियाओ के तहत शिक्षा से भी जोड़ा। आज वहां की बच्चियांयू पी कालेज से स्नातक कर रही है। उन्हीं में से एक बच्ची कुमारी पूजा को नार्वे सरकार द्वारा चलाये जा रहे यूथ फेलोशिप भी मिल रहा है। कुमारी पूजा और दो अन्य आर्थिक रूप से कमजोर लडकियों को साईकिल वितरण कर उनकी शिक्षा को आगे बढ़ाने हेतु प्रोत्साहित किया गया। पूजा ने कहा आज वह जो कुछ है या यूथ फेलोशिप मिला है उससे वह शिक्षा और अपने अधिकारो के प्रति सजग है। वह अपने जीवन में कभी नहीं सोचा था कि कभी वह वाराणसी से बाहर भी जायेंगी। लेकिन उन्हें काठमांडू व नार्वे जाने का अवसर मिला। वहां कई देशो के नवयुवको से मिलने का मिला। उनसे बातचीत कर जानकारी हासिल की। वह उनके जीवन की अभी तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह सब पीवीसेएचआर द्वारा अवसर प्रदान करने से ही संभव हुआ है। वह इस मुहिम को आगे भी जारी रखेंगी। जिसे उनकी जैसी और लडकियों को भी आगे बढने का मौका मिले। पीवीसीएचआर व इन्सेक नेपाल के संयुक्त तत्वाधान में एफ के फेलोशिप के तहत बघवानाला की पूजा के अलावा नेपाल के निर्मल व संगीता भट एवं भारत के दिलशाद खान को प्रशिक्षित किया जा रहा है। कार्यक्रम में मानवाधिकार जननिगरानी समिति के दलितों व गांव स्तर पर किये गए काम व लोगो की टेस्टीमनी पर आधारित पुस्तक “अँधेरा भारत” का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता व सैकड़ो लोग मौजूद थे। 

साल के अंत तक आ सकता है जिका का टीका

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विन्निपेग, मैनिटोबा 29 जनवरी, कई देशों को अपने चपेट में लेने वाले खतरनाक जिका वायरस से लड़ने में मददगार टीका इस वर्ष के आखिर तक आ सकता है। इसे तैयार करने में अमेरिका और कनाडा के वैज्ञानिक लगे हुए है। इस परियोजना से जुडे एक वरिष्ठ वैज्ञानिक गैरी कोबिंगर ने बताया कि ‘जिका’ से निपटने के लिए यह शायद पहला टीका होगा। 

इस परियोजना से वैज्ञानिक डेविड वेनर के नेतृत्व में पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय, गैरी कोबिंगर के नेतृत्व में लावल विश्वविद्यालय, इनोवियो फार्मास्यूटिकल्स इंक अौर दक्षिण कोरिया के जीवीवन लाइफ साइंस जुडे है। श्री कोबिंगर ने उम्मीद जतायी की इस टीके का परिक्षण सितंबर में मानवों पर शुरू हो जाएगा जिसके एक माह के बाद यह आपातकालीन परिस्थितियो में इस्तेमाल किया जा सकता है।

चेन्नई में कानून के 19 छात्रों को तीन वर्ष की सजा

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चेन्नई 29 जनवरी, चेन्नई की एक फास्ट ट्रैक अदालत ने कानून की पढाई कर रहे 19 छात्रों को तीन वर्ष की जेल की सजा सुनायी है। यह मामला 2008 का है जब यहां के अंबेडकर लॉ कॉलेज में छात्रों के दो गुटों के बीच झड़प हुई थी। न्यायाल ने इस मामले की सुनवायी करते हुए 19 छात्राें को तीन साल की जेल की सजा और 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। ये छात्र घारा 148 के तहत दंगा फैलाने के दोषी पाए गए जबकि इस मामले में 22 छात्रों को बरी कर दिया गया। 

उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद सितंबर 2014 फास्ट ट्रैक अदालत का गठन किया गया था। उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय से यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि इस मामले की सुनवायी एक साल में पूरा कर लिया जाए। हालांकि बाद में उच्चतम न्यायालय ने छह महीने की अवधि और बढा दी जिसके बाद फास्ट ट्रैक अदालत ने समय की उस अवधि में इसकी सुनवायी पूर कर दी।

अधिक व्यायाम से नहीं होगा वजन कम

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नयी दिल्ली 29 जनवरी, अगर लगातार व्यायाम और कठोर शारीरिक श्रम के बावजूद आपका वजन कम नहीं हो रहा है तो आपको बता दें कि इतनी कोशिश काफी नहीं है क्योंकि आपका शरीर कुछ ही समय बाद इस मेहनत के अनुकूल हो जाता है। ऐसे में वजन नियंत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत के साथ ही संतुलित खान-पान पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सेल प्रेस जर्नल करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित लेख के मुताबिक हम वजन कम करने के लिए अगर अधिक व्यायाम अथवा शारीरिक श्रम करते हैं तो शरीर को कुछ समय बाद इसकी आदत हो जाती है जिसके कारण अतिरिक्त वजन कम नहीं हो पाता। शरीर के श्रम के अनुकूल होने के बाद हम चाहे जितना भी व्यायाम कर लें, दैनिक ऊर्जा की खपत अधिक नहीं होती है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि नियमित व्यायाम मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है लेकिन वजन कम करने के लक्ष्य के साथ व्यायाम करने वाले लोग अक्सर निराशा का सामना करते हैं। वजन नियंत्रित करने के लिए व्यायाम और शारीरिक श्रम के साथ ही खान-पान भी संतुलित होना चाहिए। न्यूूयार्क की सिटी यूनिवर्सिटी के हर्मन पाैंत्जर कहते हैं, “व्यायाम हमारी सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन इसकी मदद से वजन घटाने और उसे नियंत्रित रखने के इच्छुक लोगों को अपनी भोजन संबंधी आदतों में भी बड़ा बदलाव लाने की जरूरत है। खान-पान में बदलाव से न सिर्फ वजन कम होता है बल्कि इसे लंबे समय तक नियंत्रित रखने में भी मदद मिलती है।” 

श्री पौंत्जर ने कहा कि तुलनात्मक अध्ययनों से पता चला है कि बहुत सक्रिय जीवनशैली वाले लोग कम सक्रिय लोगों की तुलना में रोजाना एक समान ऊर्जा खर्च करते हैं। उन्हाेंने बताया कि उत्तरी तंजानिया के पारंपरिक शिकारियों ‘हाज्दा’ के साथ काम करके उन्हें पता चला कि सक्रिय जीवनशैली से ऊर्जा की दैनिक खपत पर कोई खास असर नहीं पड़ता है। ‘हाज्दा’ बहुत अधिक सक्रिय रहते हैं, प्रतिदिन लंबी दूरिया तय करते हैं और काफी शारीरिक श्रम भी करते हैं लेकिन उनकी ऊर्जा खपत अमेरिका और यूरोप में रहने वाले आधुनिक जीवन शैली वाले कम सक्रिय लोगों के बराबर ही है। उन्होंने कहा “यह वास्तव में आश्चर्यजनक था, और इसने मुझे सक्रियता और ऊर्जा खपत के बीच के संबंध के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया।” इसके बाद श्री पौंत्जर और उनके सहयोगियों ने 300 से अधिक महिलाओं और पुरुषों पर एक सप्ताह तक अध्ययन करके पता लगाया कि आश्चर्यजनक रूप से कई बार मध्यम सक्रिय जीवनशैली वाले लोग कम सक्रिय लोगों की तुलना में 200 कैलाेरी तक ज्यादा ऊर्जा खर्च करते हैं लेकिन अधिक सक्रिय लोगों पर इसका कोई असर नहीं दिखता। 

भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का नैतिक अधिकार खो चुका है कांग्रेस नेतृत्व: भाजपा

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सौर घोटाले में फंसे केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी को बर्खास्त नहीं करने पर कांग्रेस नेतृत्व को आड़े हाथ लेते हुए आज कहा कि खुद घोटाले में फंसे होने के कारण वह भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने का नैतिक अधिकार खो चुका है। भाजपा के प्रवक्ता एम जे अकबर ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, “हमें यह जानकर धक्का लगा कि कांग्रेस ने श्री चांडी के इस्तीफे की मांग ठुकरा दी है। शायद इसकी वजह यह है कि खुद पार्टी नेतृत्व नेशनल हेराल्ड मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व के पास भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है।” श्री अकबर ने कहा कि श्री चांडी सौर घोटाले की आरोपी सविता नायर को मनाने के लिये अपने दूत भेजे थे ताकि अपने भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल सकें। 

यह सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग है। भाजपा प्रवक्ता ने श्री चांडी के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का नैतिक और राजनीतिक अधिकार खो दिया है। श्री अकबर ने कहा, “केरल में कांग्रेस की सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और अगर मुख्यमंत्री ने जनता की आवाज नहीं सुनी तो आने वाले दिनों में वहां आंदोलन तेज होगा। आने वाले चुनावों में वहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा।” उल्लेखनीय है कि केरल में त्रिशूर की एक अदालत ने कल सुश्री नायर के आरोपों के मद्देनजर श्री चांडी और राज्य के बिजली मंत्री आर्यदन मोहम्मद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। कांग्रेस ने श्री चांडी के इस्तीफे की मांग को खारिज करते हुए कल कहा था कि इसकी कोई जरूरत नहीं है।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (29 जनवरी)

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आपदा प्रबंधन कार्यो की हर माह समीक्षा होगी

जिले में आपदा प्रबंधन तैयारियों के परिपेक्ष्य में किए जा रहे कार्यो की समीक्षा  प्रत्येक माह की जाएगी के निर्देश शुक्रवार को कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने आपदा प्रबंधन की बैठक में दिए। कलेक्टेªट के सभाकक्ष में आयोजित इस बैठक में अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया, डिस्ट्रिक्ट कमाण्डेट होमगार्ड श्री सुनीत मिश्रा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि प्रत्येक माह समाधान आॅन लाइन के उपरांत आपदा प्रबंधन तैयारियों की समीक्षा की  जाएगी। उन्होंने विभागों के अधिकारियों से कहा कि वे आपदा प्रबंधन के परिपेक्ष्य में की जाने वाली तैयारियों की रूपरेखा एवं वैकल्पिक व्यवस्था चिन्हांकित करें। प्रत्येक विभाग के अधिकारी को नोड्ल अधिकारी का दायित्व सौंपा जाएगा ताकि विभागीय आवश्यकताओं की पूर्ति उनके माध्यम से की जा सकें। बैठक में संचार व्यवस्था, पेयजल आपूर्ति, स्वास्थ्य, आपदा से प्रभावितों को ठहराने की वैकल्पिक व्यवस्था सहित अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विभागवार जबावदेंही सौंपी गई है। इस दौरान बतलाया गया कि आपदा प्रबंधन के लिए गठित दलों को मई-जून में ही प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा नदी किनारे के ग्रामवासियों को बाढ़ जैसी आपदा के दौरान किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखना है कि जानकारी संबंधितों को ग्रामों में ही दी जाएगी। विभागवार संसाधनों की सूची तैयार करने के भी निर्देश दिए गए जिसमें उपकरणों की उपलब्धता और मानवीय पहलुओं को शामिल किया गया हैै। विभागवार चेक लिस्ट तैयार की जाएगी। स्थानीय स्तर पर गोताखोरो की सूची भी पूर्व में ही संधारित करने की बात कही गई है। 

बौद्धिक विकास को रेखांकित करते है माॅडल

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एक दिवसीय विज्ञान प्रदर्शनी मेला का आयोजन शुक्रवार को एसएसएल जैन स्कूल में किया गया था। जिसे सम्बोधित करते हुए अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने कहा कि बच्चों के बौद्धिक विकास और सोच को बढ़ावा देते है माॅडल। आधुनिक युग में विज्ञान के माध्यम से कार्यो की सुगमता को सहजता से और अधिक कैसे किया जा सकें। जिसे बच्चे समझें और उसका उपयोग करें। इस प्रकार की विज्ञान प्रदर्शनी से बच्चों में उत्साहवर्धन के साथ-साथ अन्य से संवाद स्थापित करने का मौका मिलता है। अपर कलेक्टर सहित अन्य के द्वारा बच्चों के द्वारा तैयार किए गए माॅडलों का अवलोकन कर उनका उत्साहवर्धन किया गया। जिला शिक्षा अधिकारी श्री एचएन नेमा ने आयोजन के उद्धेश्यों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि जिले के सभी शासकीय स्कूलों में अध्ययरनत कक्षा नवमीं से बारहवीं तक के बच्चों के द्वारा लगभग सौ माॅडल प्रदर्शनी में रखे गए है। वही विज्ञान के संबंध में उनकी जिज्ञासाओं के समाधान हेतु नाटिका, संक्षिप्त संगोष्ठियां और गीतो की भी प्रस्तुतियां विद्यार्थियों के द्वारा की जाएगी। कार्यक्रम स्थल पर मार्गदर्शी शिक्षकगणों के अलावा विभिन्न संस्थाओं से आए गुरूजन एवं बच्चे मौजूद थे।

शहीदो की स्मृति में मौन धारण आज

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले शहीदो की स्मृति में 30 जनवरी को दो मिनिट का मौनधारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। कलेक्टेªट में मौनधारण का आयोजन प्रातः 11 बजे से प्रारंभ होगा।

वित्त पोषण को सुनिश्चित करें बैंकर्स-कलेक्टर

कलेक्टर श्री एमबी ओझा की अध्यक्षता में आज जिला स्तरीय सलाहकार समिति (डीएलसीसी) की बैठक कलेक्टेªट के सभाकक्ष में आयोजित की गई थी। जिसमें जिला पंचायत सीईओ श्री दीपक आर्य, अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी और बैंकर्स प्रतिनिधि मौजूद थे। कलेक्टर श्री ओझा ने एसबीआई बैंक की कार्यप्रणाली पर गहरा असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि हितग्राहीमूलक योजनाओं के जिन प्रकरणों में बैंक द्वारा सहमति दी गई है उन प्रकरणों में शीघ्रतिशीघ्र वित्त पोषण कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि हितग्राही भटके ना ऐसी कार्यप्रणाली बैंकर्स अपनाएं। बैठक में योजना एवं बैंकवार हितग्राहियों के स्वीकृत और वित्त पोषण की जानकारी बैंकर्स प्रतिनिधियों द्वारा दी गई। बैठक में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित के सीईओ श्री विनय प्रकाश सिंह ने तकनीकी समूह के लिए बैंक के माध्यम से किए गए प्रबंधों की बिन्दुवार जानकारी दी। वही राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के प्रतिनिधि द्वारा जिले की वर्ष 2016-17 के लिए निर्धारित की गई संभाव्यतायुक्त ऋण योजना की विस्तृत जानकारी दी। वही पुस्तिका का विमोचन कलेक्टर द्वारा किया गया।
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