Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 74313 articles
Browse latest View live

झारखंड : मुख्यमंत्री ने कृषि बजट की समीक्षा की

$
0
0
cm-take-agriculture-report
राँची,03 फरवरी, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि लिफ्ट इरिगेशन योजना का पुनरूद्धार करते हुए इसे ग्राम पंचायत को सौंपें साथ ही जल संचय से संबंधित योजनाओं की सभी कार्रवाई 31 मार्च से पहले पूर्ण कर आगामी मानसून से पहले योजनाओं को धरातल पर उतारें। श्री दास ने आज यहां प्रोजेक्ट भवन में कृषि बजट की समीक्षा करते हुए कहा कि सरकार द्वारा संचालित परियोजनाओं में जनता को जितना अधिक जोड़ेंगे, सफलता उतनी ही अधिक मिलेगी। जनता एवं समय की आवश्यकता के अनुसार परियोजनाओं का चयन किया जाए। योजनाओं को निश्चित समय-सीमा में पूर्ण करने के लिए चरणबद्ध कार्य किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि कृषि के विकास के लिए ग्रामीण विकास विभाग, कृषि विभाग एवं जल संसाधन विभाग के द्वारा सम्मिलित प्रयास किया जा रहा है। इससे एक ही प्रकार के कार्य की पुनरावृति दूसरे विभाग के द्वारा होने की सम्भावना भी नहीं रहेगी। बैठक में कृषि विभाग ने कृषकों के प्रशिक्षण, फसल बीमा, बकरी पालन, सुअर पालन, मछली पालन, गाय वितरण, शेड निर्माण इत्यादि से संबंधित योजनाओं को सफलतापूर्वक संचालन के संबंध में प्रकाश डाला। जल संसाधन विभाग ने सिंचाई से संबंधित योजनाओं के बारे में बताया। इससे जुड़ी 15 योजनाओं का डी0पी0आर0 बना कर कार्रवाई की जा रही है। आंशिक रूप से पूर्ण 5 योजनाओं से सिंचाई की व्यवस्था के संबंध में भी बताया गया। 

ग्रामीण विकास विभाग ने स्कीमों की संख्या बढ़ाने के संबंध में बताया। इससे मनरेगा के अन्तर्गत अधिक से अधिक कार्य दिवस भी सृजित होंगे। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, नाबार्ड वाटर शेड योजना सहित योजना बनाओ अभियान के अन्तर्गत प्राप्त सुझावों पर भी चर्चा की गई। बैठक में मंत्री ग्रामीण विकास विभाग नीलकंठ सिंह मुण्डा, माननीय मंत्री कृषि रणधीर कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, प्रधान सचिव वित्त अमित खरे, प्रधान सचिव जल संसाधन सुखदेव सिंह, प्रधान सचिव ग्रामीण विकास विभाग एन0एन0सिन्हा एवं सचिव कृषि नितिन मदन कुलकर्णी उपस्थित थे। 

विशेष : परंपरा के पहरे में शिंगणापुर शनिदेव पर नारी दृष्टि

$
0
0
suresh gandhi
महाराष्ट्र के शिंगणापुर में आजकल शनिदेव ने हलचल मचा रखी है। उनका प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर उस परंपरा के पहरे में है, जिसके मुताबिक वहां महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकतीं। दूसरी ओर महिलाओं को लगता है कि यह उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार और उनका अपमान है, क्योंकि शनिदेव या दूसरे भगवान भला स्त्री-पुरुष में भेदभाव क्यों करेंगे। उनके लिए तो सभी बराबर हैं, सभी उनकी संतान हैं। शनिदेव पर आजकल नारी दृष्टि लगी हुई है... सवाल उठता है कि जब पुरुष प्रतिमा के करीब जाकर शनि देव की पूजा कर सकता है फिर महिलाओं को ऐसा करने से क्यों रोका जाता है। आखिर वो कौन सी वजह है जिसके चलते यहां पुरुष और महिला के बीच भेदभाव किया जाता है? प्रस्तुत है सीनियर रिपोर्टर सुरेश गांधी की जांच-पड़ताल एवं आंदोलनकारी महिलाओं को मंदिर जाने से रोकने के बाद समर्थक और विरोधियों के बीच छिड़ी जंग की एक विस्तृत रिपोर्ट-  

जी हां, न्याय के देवता शनिदेव को अन्याय कत्तई बर्दाश्त नहीं है। इंसान ही नहीं देवलोक में भी शनिदेव न्याय देते हैं। तभी तो उनके प्रकोप से देवो के देव महादेव भी नहीं बच सके। अन्यायी रावण का हश्र सबकों मालूम है। ऐसे न्यायधीश शनिदेव दरबार में इनदिनों न्याय पाने के लिए महिलाओं का कोहराम मचा है। चाहे वह सिंगणापुर शनिदेव मंदिर हो या मुंबई का हाजी अली दरगाह या दिल्ली का निजामुद्दीन दरगाह महिलाओं के दर्शन-पूजन व इबादत करने पर लगी पाबंदी पर पूरे देश में बहस का मुद्दा छिड़ गया है। तर्क है कि शनिदेव बाल ब्रह्मचारी हैं, इसलिए महिलाएं दूर से ही उनके दर्शन कर सकती हैं। जो ब्रह्मचारी होते हैं वो महिलाओं से दूर रहते हैं। इसलिए महिलाओं से भी ब्रह्मचारी शनि की भावना का सम्मान करने की उम्मीद की जाती है। जबकि मंदिरों में महिलाओं के जाने को लेकर सनातन धर्म में कहीं कोई मनाही नहीं है। पुरुष की तरह महिलाएं भी मंदिर के भीतर पूजा पाठ कर सकती हैं। महिलाएं का कहना है कि एक तरफ देश में बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं की दुहाई दी जा रही है। महिलाओं को पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने की दुहाई जा रही है। आरक्षण व्यवस्था के तहत बराबरी के हक की बात कहीं जा रही है। महिलाएं सीमा पर दुश्मनों के न सिर्फ छक्के छुड़ा रही है बल्कि जेट विमान तक उड़ा रही है, लेकिन देश के कुछ धार्मिक स्थलों पर दर्शन-पूजन व इबादत पर पाबंदी लगाकर उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है, लेकिन वह चुप बैठने वाली नहीं, अधिकार लेकर ही रहेंगी।  

singnapur
अभी कुछ महीनों पहले श्रद्धालुओं की भीड़ से निकल कर एक महिला अचानक शनि चबूतरे पर चली गई और उसने शनिदेव पर तेल चढ़ाकर जब चार सौ सालों से चली आ रही उस परंपरा को तोड़ दिया, जिसके मुताबिक शनिदेव की स्त्री-पूजा की मनाही है तो इतनी हलचल मची कि पूछिए मत। इस कथित अनर्थ के निदान के लिए पुजारियों ने शनिदेव को पवित्र करने के लिए उनका दुग्धाभिषेक किया था। इसके बावजूद शिंगणापुर के शनिदेव पर नारी दृष्टि लगी हुई है। महिलाओं का आक्रोश उस दिन आग बबूला हो गया जब 26 जनवरी दिन मंगलवार को समूचा देश 67 वां गणतंत्र दिवस मना रहा था। देशवासी अपने उस पवित्र संविधान की वर्षगांठ मना रहे थे जो सभी भारतीयों को समानता का अधिकार देता है। स्त्री हो या पुरुष संविधान सभी को बराबरी का हक देता है। देश गणतंत्र दिवस के जश्न में डूबा था तो महाराष्ट्र के अहमदनगर में सैकड़ों महिलाएं संविधान में मिले अपने बराबरी के अधिकार की आवाज बुलंद कर रही थीं। सामाजिक संगठन रणरागिनी भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई की अगुवाई में इन महिलाओं ने फैसला कर लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए स्त्री-पुरुष में भेदभाव करने वाली परंपरा को वो आज तोड़ कर ही रहेंगी। इन आंदोलनकारी महिलाओं का एक ही लक्ष्य था शिंगणापुर शनि मंदिर के चबूतरे पर पहुंचकर उस रूढिवादी परंपरा को ध्वस्त कर देना जो इन्हें 400 साल से मंदिर के भीतर आने की इजाजत नहीं दे रहा है। सुबह का समय था। बड़ी संख्या में महिलाएं शिंगणापुर जाने के लिए इकट्ठा हुईं। इन महिलाओं ने शिंगणापुर की यात्रा अभी शुरू भी नहीं की थी कि उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया गया। महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया। 

इसके बाद रणरागिनी भूमाता ब्रिगेड की सदस्यों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर इस भेदभाव को खत्म करने में उनका समर्थन मांगा। मुख्यमंत्री से अपनी पत्नी के साथ शनिदेव के दर्शन करने को कहा जिससे महिलाओं की मांग को ताकत मिल सके। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने महिलाओं के मंदिर के भीतर जाने की मांग का खुलकर समर्थन किया है। जबकि दूसरी ओर मंदिर ट्रस्ट के सदस्य परंपरा की दुहाई दे रहे हैं। हालांकि उनका कहना है कि वे महिलाओं का सम्मान करते हैं, उस महिला की भावना का भी, जिसने वहां जाकर पूजा की। लेकिन चूंकि पुरानी परंपरा के अनुसार वहां जाकर महिलाएं पूजा नहीं कर सकतीं और हम चली आ रही परंपरा को बदल नहीं सकते। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि जिला मजिस्ट्रेट और अहमदनगर जिले के एसपी को मंदिर ट्रस्ट और प्रदर्शन कर रही महिलाओं के बीच जल्दी से जल्दी सुलह कराने के निर्देश दिए गए हैं। फडणवीस का कहना है कि भगवान के पूजा-पाठ में भेदभाव करना हमारी संस्कृति नहीं है, इसलिए मामले को सुलझाने के लिए प्रशासन को उचित कदम उठाने चाहिए। इलाहाबाद के माघ मेले में कल्पवास कर रहे साधू-संतों ने भी महाराष्ट्र के शनि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को गलत बताया है। हालांकि इन साधू संतों का मानना है कि अगर महिलाएं पूरे नियम संयम के साथ शनि मंदिर में जाएं तो भी उन्हें सिर्फ दर्शन ही करना चाहिए। मूर्ति यापी विग्रह को कतई नहीं छूना चाहिए। कुरुक्षेत्र के नागेश्वर धाम के महंत स्वामी महेशाश्रम जी महाराज बताते हैं कि महिलाएं पीरियेड्स यानी मासिक धर्म खत्म होने पर किसी भी मंदिर में जाकर पूजा अर्चना कर सकती हैं लेकिन शनिदेव, पवन पुत्र हनुमान और कार्तिकेय की मूर्तियों को छूने की महिलाओं को मनाही है। अपवित्र होने की सूरत में ये देवगण नाराज होकर अहित कर सकते हैं। अखिल भारतीय दंडी स्वामी संत समिति के अध्यक्ष स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी का मानना है कि महिलाओं को खुद ही शनिदेव के मंदिर में जाने से बचना चाहिए। हालांकि वह पाबंदी लगाए जाने को गलत मानते हैं। उनका भी यही कहना है कि शनिदेव महिलाओं का अहित कर सकते हैं, इसलिए उन्हें पूरे नियम संयम के साथ ही मंदिरों में दाखिल होना चाहिए। 

singnapur
बहरहाल, मंदिर में सदियों से महिलाओं के पूजा करने पर रोक वाली परंपरा को तोड़ने जा रही महिलाओं को ही रोके जाने पर मुद्दा और गरमा गया है। यूपी की महिला साध्वियों ने पूजा न करने देने के फैसले पर कड़ा एतराज जताया है। फायरब्रांड हिंदू नेता साध्वी प्राची ने इसे सरासर गलत और दकियानूसी बताया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक युग में महिलाओं को पूजा न करने देने का वे विरोध करेंगी। पूजा से रोकना महिलाओं का अपमान है। भगवान शिव भी अर्धनारीश्वर स्वरूप में दिखाए गए हैं। कुछ लोगों के हठ की वजह से शनि शिंगणापुर में महिलाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है। इस तरह कैसे महिलाओं का सशक्तीकरण होगा। महिलाओं को पूजा से रोकना संविधान का भी अपमान है। वेद और पुराण में इस तरह की रोक के बारे में कहीं नहीं लिखा है। कुछ पुरुष पुजारियों ने खुद ऐसे नियम बनाए हैं। ऐसे गलत नियमों को तुरंत बदलने की मांग की गई है। जबकि किसी महिला को शनि के स्वरूप पर तेल चढ़ाने और पूजा का हक नहीं है और मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक बॉम्बे हाईकोर्ट भी इस रोक को सही ठहरा चुका है। महिलाओं की इस मांग के समर्थन को उस समय बड़ी ताकत मिली जब हिंदुओं की प्रतिष्ठित धार्मिक संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने साफ-साफ कहा कि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को पूजा से रोकना गलत है। महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि सनातन हिन्दू धर्म में पुरुष और महिला दोनों को समान रूप से मंदिर में प्रवेश करने का अधिकार है मिला हुआ है। जबकि हिन्दुओं के चार पीठों में से एक द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि शनि महाराज देवता नहीं एक क्रूर ग्रह हैं। शनि की पूजा उन्हें हटाने के लिए की जाती है न कि शनि को बुलाने के लिए। ऐसे में महिलाओं को सोचना है कि मंदिर में जाकर वो अपना कौन सा भला करना चाहती हैं। 

गौरतलब है कि साल 2015, 29 नवंबर दिन शनिवार को मंदिर के कर्ताधर्ता उस वक्त सन्न रह गए जब सीसीटीवी कैमरे में कैद एक तस्वीर देखी कि दोपहर तीन बजे पुणे की एक महिला शनि मंदिर के चबूतरे पर पहुंचकर तेल चढ़ाकर दर्शन-पूजन की। कहते हैं तेल चढ़ाने से शनि ग्रह से मुक्ति मिलती है। हालांकि जब तक सुरक्षा में तैनात सेवादारों को मामला समझ में आता, वो महिला वहां से निकल चुकी थी जबकि उस वक्त मंदिर में कई श्रद्धालु मौजूद थे। तस्वीरें देखने के बाद व्यवस्थापकों में खलबली मच गयी। महिला द्वारा शनि महाराज को तेल चढ़ाने पर पुजारियों ने मूर्ति को अपवित्र घोषि‍त कर दिया। मंदिर प्रशासन ने 6 सेवादारों को निलंबित कर दिया और उसके बाद मूर्ति का शुद्धि‍करण किया गया। मूर्ति को अपवित्र मानते हुए मंदिर प्रशासन ने दूध से प्रतिमा का अभिषेक किया। यही नहीं, पवित्रता के लिए पूरे मंदिर को धोया गया। ऐसा पहली बार हुआ जब किसी महिला ने शनि देव की प्रतिमा का स्पर्श किया हो। विवाद को बढ़ता देख पूजा करने वाली महिला ने प्रशासन से ये कहते हुए माफी मांग ली कि उसे परंपरा की जानकारी नहीं थी। विडंबना की बात ये है कि जिस दिन ये घटना घटी थी उस दिन महान समाज सुधारक और क्रांतिकारी महात्मा फुले की पुण्यतिथि थी। महात्मा फुले ने दलितों और स्त्रियों के लिए ताउम्र संघर्ष किया था। शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं से होने वाले भेदभाव के खिलाफ करीब 15 साल पहले भी आंदोलन हुआ था। मंदिर की परंपरा के खिलाफ जानेमाने विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर ने मशहूर कलाकार डॉ श्रीराम लागू, पुष्पा भावे, और किसान नेता एनडी पाटिल के साथ मिल कर यहां सत्याग्रह किया था, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए थे और उन्होंने गिरफ्तारियां दी थीं। सैकड़ों सत्याग्रहियों के जत्थे ने पंढरपुर से शनि शिंगनापुर पैदल मार्च किया था। उस समय इस मार्च का दक्षिणपंथी संगठनों ने जबर्दस्त विरोध किया था और इस परंपरा को चुनौती देने के लिए पहुंचे सत्याग्रहियों को मंदिर में घुसने नहीं दिया था। 

सिंगणापुर के लोग नहीं चाहते महिलाओं का प्रवेश 
जिस शिंगनापुर गांव के शनि मंदिर में महिलाओं के जाने को लेकर हंगामा मचा है उस गांव के लोग सैकड़ों साल से चली आ रही परंपरा के साथ हैं। गांव के लोगों को लगता है कि शनि की वजह से इलाके में खुशहाली आई है और इसीलिए चोर यहां चोरी भी नहीं करते। ग्रामसभा ने बाकायता चबूतरे पर पूजा करने की कोशिश के लिए भूमाता ब्रिगेड और उसके कार्यकर्ताओं की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। 

ट्रस्ट अध्यक्ष हैं महिला 
श्रीशनि मंदिर ट्रस्ट में पहली बार महिलाओं को जगह दी गई है। यही नहीं, अनिता शेटे ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं। मंदिर ट्रस्ट में बतौर सदस्य चुनी गई अनीता शेटे और शालिनी लांडे पर ऐतिहासिक जिम्मेदारी आ गई है। यह दोनों महिलाएं शिंगणापुर के प्रसिद्ध शनि मंदिर में ट्रस्टी चुनी गई हैं। 400 वर्ष पुराने मंदिर की ट्रस्टी बनने वाली ये पहली महिलाएं हैं। दो महिलाओं का चयन होने से शनि मंदिर में परंपरा और नियमों के बदले जाने की संभावना है। इन महिलाओं से उम्मीद और अपील की गई है कि वे पुरुषों के हाथों की गुडि़या न बनकर महिला श्रद्धालुओं को शनिपूजा का अधिकार दिलवाने का कार्य करें। 

महिलाओं को वर्जित है तैलाभिषेक 
शनि देव के इस मंदिर में स्त्रियों का प्रतिमा के पास जाना वर्जित है। महिलाएं दूर से ही शनिदेव के दर्शन करती हैं। सुबह हो या शाम, सर्दी हो या गर्मी, यहां स्थित शनि प्रतिमा के समीप जाने के लिए पुरुषों का स्नान कर पीतांबर धारण करना अत्यावश्क है। केवल बड़े-बुजुर्ग ही नहीं अपितु तीन-चार वर्ष के शिशु भी इस शीतल जल से स्नान कर शनिदेव के दर्शन के लिए अपने पिता के साथ चल पड़ते हैं। 

चक-चैबंद है व्यवस्था 
शनि मंदिर का एक विशाल प्रांगण है, जहां दर्शन के लिए भक्तों की कतारें लगती हैं। मंदिर प्रशासन द्वारा शनिदेव के दर्शन की बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं, जिससे भक्तों को यहां दर्शन के लिए धक्कामुक्की जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता है। जब यहां स्थित विशाल शनि प्रतिमा के दर्शन होते हैं तो यात्री स्वयं सूर्य पुत्र शनिदेव की भक्ति में रम जाता है। यहां स्नान और वस्त्रादि की बेहतर व्यवस्थाएं हैं। खुले मैदान में एक टंकी में कई सारे नल लगे हुए हैं, जिनके जल से स्नान करके पुरुष शनिदेव के दर्शन का लाभ ले सकते हैं। पूजनादि की सामग्री के लिए भी यहां आसपास बहुत सारी दुकानें हैं, जहां से पूजन सामग्री लेकर शनिदेव को अर्पित कर सकते हैं। अब चर्चा करते हैं शनिदेव से जुड़ी पारंपरिक मान्यताओं की। 

आस्थावानों का जमघट 
शनिदेव को खुश करने के लिए यहां देश विदेश से हर रोज बड़ी तादाद में भक्त आते हैं और शनिदेव को तेल चढ़ाते हैं। तिल का तेल चढ़ाकर भक्त पत्थर की प्रतिमा की पूजा करते हैं। दर्शन करने के बाद श्रद्धालु यहां की दुकानों से घोड़े की नाल और काले कपड़ों से बनी शनि भगवान की गुडि़या जरूर खरीदते हैं। लोक मान्यता है कि घोड़े की नाल घर के बाहर लगाने से बुरी नजर से बचाव होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। 

 शनिदेव की महिमा 
कहते हैं कि विषैले सांप का काटा और शनि का मारा पानी नहीं मांगता। चाहे वह देवता हो या असुर या मानव, सिद्ध, विद्याधर और नाग ही क्यों न हो, शनिदेव की कुदृष्टि पड़ते ही सर्वनाश हो जाता है। लेकिन महाराष्ट्र के शिंगणापुर में विराजमान शनिदेव सिर्फ वरदान देते हैं। उनके दरबार में मत्था टेकने वाले भक्तों पर कभी शनिदेव की कुदृष्टि नहीं पड़ती। कहते हैं कि अगर उनकी शुभ दृष्टि पड़ गई तो रंक से राजा बनते भी देर नहीं लगती। ये एक ऐसा तीर्थस्थल है जिसकी मिसाल भारत ही नहीं पूरी दुनिया में कहीं भी देखने को नहीं मिलती है। माना जाता है इस गांव के राजा शनिदेव हैं, इसलिए यहां ताला-चाभी की तो बात ही दूर, किसी भी घर में न दरवाजे हैं और न किवाड़। लाखों-करोड़ों के जेवर सहित अन्य गृहस्थी के साथ लोग चैन की नींद सोते हैं। उनके घर से कभी एक कील भी चोरी नहीं हुई। शिंगणापुर के लोग मानते हैं कि शनि की इस नगरी की रक्षा खुद शनिदेव का पाश करता है। कोई भी चोर गांव की सीमारेखा को जीवित पार नहीं कर सकता। सालों पहले एक बार एक चोर यहां चोरी करने आया पर वो सामान चुरा कर गांव से बाहर निकल न सका क्योंकि उसके पांव अचानक खराब हो गए। आखिर शनिदेव के आगे चोर-उचक्कों की औकात ही क्या है? 

यहां प्रकोप नहीं, वरदान देते है शनिदेव 
वैसे तो सूर्यपुत्र शनिदेव हर जगह विराजमान हैं। लेकिन महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर की महिमा निराली है। जहां शनिदेव तो हैं, लेकिन मंदिर नहीं है। घर है, परंतु दरवाजा नहीं। वृक्ष है, लेकिन छाया नहीं। भय है, पर शत्रु नहीं। शनिदेव की स्वयंभू मूर्ति काले रंग की है। जिसे शनि का विग्रह माना जाता है। 5 फुट 9 इंच ऊंची और डेढ़ फुट चैड़ी पाषाणकालीन मूर्ति संगमरमर के एक चबूतरे पर खुले आसमान में है। चाहे तमतमाती धूप हो, आंधी-तूफान या बारिश हो, या हाड़ कंपा देनेवाली ठंड, सभी ऋतुओं में बिना छत के ही शनिदेव विराजमान हैं। शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए देश-विदेश से लोग लाखों की संख्या में यहां पहुंचते हैं और शनि विग्रह की पूजा करके शनि के कुप्रभाव से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। माना जाता है कि यहां पर शनि महाराज का तैलाभिषेक करने वाले को वे कभी कष्ट नहीं देते। राजनेता व प्रभावशाली वर्गों के लोग यहां नियमित रूप से व साधारण भक्त हजारों की संख्या में दर्शनार्थ प्रतिदिन पहुंचते हैं। यहां पर शनि अमावस और शनि जयंती पर लगने वाले मेले में करीब दस लाख लोग आते हैं। श्रद्धालु भगवान शनि की पूजा व तैलाभिषेक करते हैं। प्रतिदिन प्रातः चार बजे और सायंकाल पांच बजे आरती होती है, जिसमें बड़ी संख्या में आस्थावानों का जमावड़ा होता है। शनि जयंती पर विशेष मेले का आयोजन होता है जिसमें देशभर से पहुंचे प्रख्यात ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक होता है। यह कार्यक्रम प्रातः सात से सायं छह बजे तक चलता है। कहते है पुरुष बिना किसी रोकटोक के इस चबूतरे तक आ सकते हैं जिस पर शनिदेव विराजमान हैं। लेकिन इस मूर्ति तक आने की महिलाओं को इजाजत नहीं है। इसीलिए महिलाओं के साथ भेदभाव वाली इस परंपरा के खिलाफ महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया है। इस मूर्ति की पूजा की करीब चार सौ साल से एक परंपरा चली आ रही है जिसे हक की लड़ाई लड़ने वाली महिलाओं ने चुनौती दी है। 

चमत्कार की ढेरों कहानियां तकरीबन दस हजार की आबादी वाले शनि शिंगणापुर गांव में प्रचलित हैं। यों यहां किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। कहीं भी कुंडी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता। इतना ही नहीं, घर में लोग अलमारी, सूटकेस आदि नहीं रखते। ऐसा शनि भगवान की आज्ञा व कृपा है। लोग घर की मूल्यवान वस्तुएं, गहने, कपड़े, रुपए-पैसे आदि रखने के लिए थैली व डिब्बे या ताक का प्रयोग करते हैं। केवल पशुओं से रक्षा हो, इसलिए बांस का टट्टर दरवाजे पर लगाया जाता है। गांव छोटा जरूर है, लेकिन सबके सब समृद्ध हैं। लोगों के घर पक्के हैं। दूर-दराज से पहुंचने वाले भक्त भी अपने वाहनों में कभी लॉक नहीं लगाते, चाहे कितना भी बड़ा मेला ही क्यों न लगा हो। कभी किसी वाहन की चोरी नहीं हुई। कहते हैं कि मंदिर के नजदीक या गांव में कोई व्यक्ति चोरी करने की कोशिश करता है तो वह अंधा हो जाता है। 

पौराणिक मान्यताएं 
पौराणिक मान्यताएं नवग्रहों में शनि को सर्वश्रेष्ठ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह एक राशि पर सबसे ज्यादा समय तक विराजमान रहता है। कथानुसार सदियों पहले शिंगणापुर में खूब वर्षा हुई। वर्षा के कारण बाढ़ की स्थिति आ गई। लोगों को वर्षा प्रलय के समान लग रही थी। इसी बीच एक रात शनि महाराज एक गांववासी के सपने में आए। उन्होंने कहा कि मैं पानस नाले में विग्रह रूप में मौजूद हूं। मेरे विग्रह को उठाकर गांव में लाकर स्थापित करो। सुबह उस व्यक्ति ने गांव वालों को यह बात बताई। सभी लोग पानस नाले पर गए और वहां मौजूद शनि का विग्रह देखकर हैरान रह गए। गांव वाले मिलकर उस विग्रह को उठाने लगे, लेकिन विग्रह हिला तक नहीं। सभी हारकर वापस लौट आए। शनि महाराज फिर उस रात उसी व्यक्ति के सपने में आए और बताया कि कोई मामा-भांजा मिलकर मुझे उठाएं तो ही मैं उस स्थान से उठूंगा। मुझे उस बैलगाड़ी में बैठाकर लाना, जिसमें लगे बैल भी मामा-भांजा हों। अगले दिन उस व्यक्ति ने जब यह बात बताई, तब एक मामा-भांजे ने मिलकर विग्रह को उठाया। बैलगाड़ी पर बिठाकर शनि महाराज को गांव में लाया गया और उस स्थान पर स्थापित किया, जहां वर्तमान में शनि विग्रह मौजूद है। इस विग्रह की स्थापना के बाद गांव की समृद्धि और खुशहाली बढ़ने लगी। देखते ही देखते आस्थावानों की भीड़ बढ़ने लगी। जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन शनिदेव की प्रतिमा नील वर्ण दिखती है। पांच दिनों तक यज्ञ और सात दिनों तक भजन-प्रवचन-कीर्तन का सप्ताह कड़ी धूप में मनाया जाता है। 

क्या है साढ़ेसाती 
शनि एक राशि में ढाई वर्ष रहता है। इस प्रकार तीन राशि में शनि के कुल निवास साढ़ेसाती कहलाते हैं। किवदंती के अनुसार राजा विक्रमादित्य भी शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में आए थे और तब उनका राजपाट सब छिन गया था। जिस राशि में साढ़ेसाती लगती है, उस राशि के जातक को शनि महामंत्र के जाप 23 दिनों के अंदर पूरा करना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि जातक को शनि महामंत्र जाप एक ही बैठक में नित्य एक ही स्थान पर पूरा करना चाहिए। ज्योतिष के मुताबिक शनि जब किसी के लग्न से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है तो उस विशेष राशि से अगली दो राशि में गुजरते हुए अपना समय चक्र पूरा करता है। यह समय चक्र साढ़े सात वर्ष का होता है। ज्योतिषशास्त्र में इसे ही साढ़े साती के नाम से जाना जाता है। कहते हैं साढ़े साती का वक्त किसी भी इंसान को राजा से रंक बना देता है। 

वृक्ष है, छाया नहीं 
कहते हैं कि शिंगणापुर में शनिदेव के चबूतरे की उत्तर दिशा में नीम का पुराना पेड़ था। कई शनि भक्त तथा यहां के बुजुर्ग आखों देखा हाल कहते हैं कि जब नीम की डाली बढ़कर मूर्ति के ऊपर आ जाती तो सब संबद्ध डालियां या तो स्वतः जलकर खाक हो जाती थीं या फिर कभी-कभी जलने के बजाय टूटकर गिर जाती थीं। लेकिन डाली के जलने या टूटने से कभी कई हताहत नहीं हुआ और न ही किसी को कोई नुकसान हुआ। पेड़ की छाया कभी भी मूर्ति पर नहीं पड़ती थी। यह अजूबा ही है कि पेड़ हो, लेकिन उसकी छाया न हो। लगभग बीस-पच्चीस वर्ष पहले यहां एक चमत्कार हुआ। इसी नीम के पेड़ पर बिजली गिरी, बगल में शादी समारोह में आए लोग बैठे थे, लेकिन कोई घायल नहीं हुआ, न किसी को कोई पीड़ा हुई। जबकि वज्रपात से पेड़ में आग लग गई। वह वृक्ष करीब 12 घंटे तक जलता रहा। आग बुझाने के अनेक प्रयास के बाद आग बुझी। आश्चर्य की बात यह रही कि दूसरे दिन पेड़ फिर से हराभरा दिखाई देने लगा। इसीलिए यहां के लोग शनिदेव को एक जाग्रत देवता मानते हैं। 

भय है पर शत्रु नहीं 
लोगबाग अक्सर शनि को शत्रु समझते हैं। लेकिन यह गलत है। शनि एक सच्चे मित्र भी हैं। सामुद्रिक शास्त्र के मुताबिक क्लेश, दुख, पीड़ा व्यसन, धुत, पराभव आदि शनि की साढ़ेसाती के कारण होता है। लेकिन सच तो यह है कि जो जैसा करेगा, वैसा फल पाता है। यदि हमने स्वार्थवश कुछ गलत किया तो शनि उसका फल फौरन देता है। खामोशी, एकांतवास, उदास, निराशा से घिरे रहना, हरदम बुरे विचार आना, किसी से बात करने का जी न चाहना आदि हमारी मानसिकता की बातें है। आखिर इसमें शनिदेव का क्या दोष है। जन साधारण में ऐसा प्रचलित विश्वास है कि शनि एक दुष्ट ग्रह है, लेकिन सही मार्ग अपनाने पर संपत्ति, यश, कीर्ति, वैभव व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

दिल्ली में भी शनि मंदिर 
देश की राजधानी दिल्ली में भी प्राचीन शनि धाम मंदिर है। यहां शनि देव की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा विराजमान है। हर रोज यहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ग्रह गोचर से मुक्ति की कामना करते हैं। लेकिन महिलाओं को मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए कोई मनाही नहीं है। 

एमपी के मुरैना भी है शनि मंदिर 
मध्य प्रदेश के मुरैना के प्राचीन शनि मंदिर की गिनती सबसे पुराने मंदिर के रूप में होती है। ये मंदिर ग्वालियर से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर में लोग शनि की साढेसाती के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए दान और पूजा पाठ के लिए पहुंचते हैं। एमपी के ऐंती का ये शनिश्चरा मंदिर त्रेता युग के होने की वजह से पूरे भारत में प्रसिद्ध है। कहते हैं शनिदेव की ये असली प्रतिमा है। शनि से पीडित हजारों लोग समूचे भारत से ही नहीं विदेशों से शनि शान्ति और दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां भी महिलाओं के अंदर जाने पर रोक नहीं है। ये मंदिर शनि पर्वत पर बना हुआ है। यहां पर एक खास परंपरा के चलते शनि देव को तेल अर्पित करने के बाद उनसे गले मिलने की प्रथा है। यहां श्रद्धालु बड़े प्रेम और उत्साह से शनि देव से गले मिलते हैं। अपने सभी दुख-दर्द उनसे सांझा करते हैं। शनि देव के दर्शन के बाद भक्त अपने घर को जाने से पहले अपने पहने हुए कपड़े, चप्पल, और जूते को मंदिर में ही छोड़ कर जाते हैं। भक्तों का मानना है की उनके ऐसा करने से पाप और दरिद्रता से छुटकारा मिलता है। 

रावण को भी नहीं बख्शे शनिदेव 
कहते हैं शनि ने रावण को भी नहीं छोड़ा। शनि को बहुत धीरे चलने वाला ग्रह माना जाता है। इसीलिए शनि एक राशि में करीब ढाई साल रहता है। धीरे-धीरे यानी शनैः शनैः चलने की वजह से शनि को श्नैश्चर भी कहा जाता है। शनिदेव धीरे क्यों चलते हैं इसका राज रावण और शनिदेव से जुड़ी एक कहानी में छिपा है। कहा जाता है कि जब मेघनाद का जन्म होने वाला था तब रावण चाहता था कि उसका बेटा अजेय हो, जिसे कोई भी देवी-देवता हरा न सके। रावण प्रकाण्ड पंडित और ज्योतिष का जानकार भी था, इसी वजह से उसने मेघनाद के जन्म के समय सभी नौ ग्रहों और नक्षत्रों को ऐसी स्थिति में बने रहने का आदेश दिया, जिससे उसके पुत्र में वो सभी गुण आ जाए, जो वह चाहता था। उस समय पूरी सृष्टि में रावण का प्रभाव इतना ज्यादा था कि सभी ग्रह-नक्षत्र, देवी-देवता उससे डरते थे। इसी वजह से मेघनाद के जन्म के समय सभी ग्रह वैसी ही राशियों में स्थित हो गए, जैसा रावण चाहता था। रावण ये बात जानता था कि शनि देव न्यायाधीश हैं और आयु के देवता हैं। शनि इतनी आसानी से रावण की बात नहीं मानेंगे। इसीलिए शनि को भी जबरदस्ती रावण ने ऐसी स्थिति में रखा, जिससे मेघनाद की आयु बढ़ जाए। कहते हैं मेघनाद के जन्म के समय शनि ने नजरें तिरछी कर ली। तिरछी नजरों के कारण ही मेघनाद की उम्र घट गई। जब रावण को ये बात मालूम हुई तो वो शनि पर आग बबूला हो उठा। क्रोध में रावण ने शनिदेव के पैरों पर गदा से प्रहार कर दिया। इसी प्रहार की वजह से शनिदेव का पांव खराब हो गया जिसके चलते शनि धीरे-धीरे चलने को मजबूर हैं। शनि की तिरछी नजरों के कारण ही मेघनाद की मृत्यु लक्ष्मण के हाथों कम उम्र में हुई। यही वजह है कि लंबी उम्र के लिए न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाएं भी शनि की पूजा करती हैं। 

सूर्य भी हुए शनिदेव के प्रकोप का शिकार 
शनि देव को न्याय देवता कहा जाता है। कहते हैं वो जान बूझ कर किसी के साथ अन्याय नहीं करते हैं। शास्त्रों के मुताबिक भगवान शंकर शनि देव के गुरु हैं। शास्त्रों ने इन्हें क्रूर ग्रह की संज्ञा दी है। ऐसी मान्यता है कि शनि देव मनुष्य को उसके पाप और बुरे कर्मों का दण्ड प्रदान करते हैं। कहते हैं पिता सूर्य के कहने पर भगवान शंकर ने शनि की उदंडता दूर करने के लिए उन्हें समझाने की कोशिश की पर शनि नहीं माने। उनकी मनमानी पर भगवान शंकर ने शनि को दंडित किया। 

यहां भी है महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी
इक्कीसवीं सदी में महिलाओं को मंदिर के गर्भगृह तक जाने से रोकने में शनि शिंगनापुर अकेला नहीं है। ऐसे कई मंदिर अकेले महाराष्ट्र में आज भी मौजूद हैं। वैसे धार्मिक मान्यताओं के नाम पर स्त्रियों को पवित्र स्थान से दूर रखने में सभी धर्म एक जैसे हैं। मुंबई की हाजी अली दरगाह की मजार में महिलाओं को आज प्रवेश नहीं मिलता है। देश धार्मिक नियमों से नहीं संविधान से चलता है। संविधान की धारा 25 हर भारतीय को अपनी आस्था के मुताबिक घूमने और उसका प्रचार करने का अधिकार देती है। सभी भारतीयों से संविधान के मुताबिक चलने की उम्मीद की जाती है। 

पतबौसी सत्र मंदिर
असम के पतबौसी सत्र मंदिर में पिछले 500 वर्षों से स्त्रियों का प्रवेश वर्जित है। हालांकि इस बात की लिखित सूचना या जानकारी मंदिर या आसपास कहीं भी नहीं है। लेकिन परंपरागत ढंग से इसका पालन किया जा रहा है। 

हाजी अली दरगाह
मुंबई की प्रसिद्ध हाजी अली दरगाह के न्यासियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि एक पुरुष संत की दरगाह के बहुत करीब महिलाओं का प्रवेश इस्लाम में गंभीर गुनाह है। यहां प्रवेश के लिए भारतीय मुस्लिम महिलाओं के एक संघ ने कानून की शरण ली थी। लेकिन इजाजत नहीं मिली। 

जामा मस्जिद
जामा मस्जिद में महिलाएं प्रवेश तो कर सकती हैं, लेकिन वो मीनार के अंदर अकेले नहीं जा सकती हैं। यदि वो किसी पुरुष के साथ आई हों, तब भी ऐसा किया जा सकता है। मगरिब की नमाज के बाद यहां महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है।

अय्यप्पा का मंदिर
केरल के शबरीमाला में बना हुआ है भगवान अय्यप्पा का मंदिर। इस मंदिर में 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है। इस पाबंदी की वजह है मासिक चक्र। एक बार एक 35 वर्षीय महिला ने मंदिर में प्रवेश पा लिया था तो वहां के पंडितों ने पूरे मंदिर का शुद्धीकरण करवाया था।

कार्तिकेय मंदिर
राजस्थान के पुष्कर में बने कार्तिकेय मंदिर के बारे में प्रचलित है कि इसमें प्रवेश करने पर महिलाओं को आशीर्वाद के स्थान पर श्राप मिलता है। कहा जाता है कि जब कार्तिकेय इस स्थान पर तपस्या कर रहे थे, तब इंद्र उनसे भयभीत हो गए थे। उन्हें भय था कि कार्तिकेय के तप से खुश होकर भगवान ब्रह्मा उन्हें इंद्र से ज्यादा शक्तियां दे देंगे। इसलिए उन्होंने कार्तिकेय के तप को भंग करने के लिए अप्सराओं को भेजा। नाराज होकर कार्तिकेय ने अप्सराओं को पत्थर का बना दिया और श्राप दिया कि जो भी स्त्री इस स्थान पर आएगी, वह भी श्राप की भागी बन जाएगी। बस, तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

रनकपुर जैन मंदिर
राजस्थान के पाली जिले के रनकपुर में बने जैन मंदिर में भी स्त्रियों का प्रवेश वर्जित है। मासिक चक्र की वजह से उन्हें अशुद्ध माना जाता है और यही वजह है कि मंदिर में उनके जाने की मनाही है।

श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर
श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर में तो महिलाओं के प्रवेश को लेकर बड़ा अजीब कायदा बना हुआ है। यहां महिलाएं मंदिर परिसर में आकर पूजा कर सकती हैं, लेकिन गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। हालांकि ऐसा क्यों है, इसका जवाब मंदिर प्रबंधन के पास भी नहीं है। 

महिलाओं को पूजा से रोकना संविधान का अपमान 
इस वैज्ञानिक युग में महिलाओं को पूजा न करने देने का विरोध महिलाओं का अपमान नही ंतो और क्या कहेंगे। भगवान शिव भी अर्धनारीश्वर स्वरूप में दिखाए गए हैं। कुछ लोगों के हठ की वजह से शनि शिंगणापुर में महिलाओं के अधिकारों का हनन का मतलब महिलाओं के सशक्तीकरण पर पाबंदी लगाना जैसा है। महिलाओं को पूजा से रोकना संविधान का भी अपमान है। वेद और पुराण में इस तरह की रोक के बारे में कहीं नहीं लिखा है। कुछ पुरुष पुजारियों ने खुद ऐसे नियम बनाए हैं। ऐसे गलत नियमों को जिस तरह सती प्रथा को पांबद किया गया उसी तर्ज पर इसे भी तुरंत बदलने की जरुरत है। क्योंकि सनातन हिन्दू धर्म में पुरुष और महिला दोनों को समान रूप से मंदिर में प्रवेश करने का अधिकार है मिला हुआ है। प्रस्तुत है सीनियर रिपोर्टर सुरेश गांधी की पड़ताल  

हो जो भी, चाहे वह केरल स्थित सबरीमाला के अयप्पा स्वामी मंदिर हो या फिर महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर, या फिर मुंबई का हाजी अली दरगाह महिलाओं के मंदिर या मजार में घुसने अथवा पूजा-प्रार्थना या जियारत पर रोक भारतीय संविधान के मुताबिक असंगत और गैरकानूनी है। माना कि एक पक्ष परंपरा की दुहाई देकर इसे यथावत बरकरार रखना चाहता है। लेकिन बड़ा सवाल यह है जब देश में लगातार बढ़ती जागरुकता के चलते लोगबाग में बदलाव के मूड में है। पुरानी दकियानूसी व रुढीवादी मसलों व विचारों की आहुति देकर नए समाज का सृजन कर रहे है। महिलाएं घूंघट से निकलकर जेट विमान उड़ा रही है। सीमा पर अपने अदम्य साहस का परिचय दें दुश्मनों की छक्के छुड़ा रही है तो ऐसे में परंपरा के नाम पर कब तक उनकी उपेक्षा होती रहेगी। खासकर उस देश में जहां का गणतंत्र इस विचार पर टिका होता है कि शासन करने वाला तंत्र वर्ग, जाति, धर्म, लिंग से निरपेक्ष होकर सबकी समान भागीदारी हो, वहा महिलाओं को किसी धार्मिक स्थल में प्रवेश करने से मनाही, दर्शाता है कि शासन तंत्र अभी भी लिंग निरपेक्ष व्यवहार नहीं कर पा रहा है। यहां शासन तंत्र से तात्पर्य उन सभी राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं से है जो न केवल प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हम पर नियंत्रण स्थापित किए हुए हैं बल्कि भारतीय गणतंत्र के स्वस्थ संचालन के लिए भी उत्तरदायी हैं। 

इस लिहाज से महिलाओं का मंदिर में प्रवेश हेतु जारी आंदोलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह सीधे हमारी गणतंत्र की यात्रा से जुड़ा हुआ है। जहां तक परंपरा के नाम पर चीजों को सही ठहराने का अर्थ है तो वह सामाजिक विकास की स्वाभाविक गति को रोक देने के सिवाय कुछ भी नहीं हैं। हर उस परंपरा को त्याग देना उचित है जो आधुनिक कसौटी पर खरे न उतर रहे हों। ऐसा नहीं है कि ये कोई पहला अवसर होगा जब परंपरागत मान्यताओं से इतर परिवर्तन की बात हो रही है। इसके पहले भी सती प्रथा, बाल विवाह, देवदासी आदि सामाजिक बुराईयों व कुरीतियों के विरुद्ध न सिर्फ आवाज उठी है बल्कि कानून भी बने हैं और काफी लंबे समय से प्रचलित इन परंपराओं की तिलांजलि दी गयी तो फिर अब क्यों नहीं? यह अपने आप में बड़ा सवाल इसलिए भी है कि आज जब महिलाएं जीवन के विविध क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर रही हैं तब यह खबर निराश करती है कि किसी मंदिर में प्रवेश के लिए महिलाओं को आंदोलन करने को विवश होना पड़ रहा है। जबकि हकीकत यह है कि शनि मंिदर हो या अन्य, मंदिरों में महिलाओं को पूजा का अधिकार है, ऐसा शास्त्रों में भी उल्लेखित है। जहां तक सफाई का मसला है तो मंदिरों के गर्भगृहों में महिलाओं तो क्या पुरुषों को भी मनाही है, इसीलिए प्रतिष्ठित मंदिरों में पूजा-आरती के लिए अलग से विद्वान पंडित रखे गए है, जो स्वच्छ होकर पूजन-अर्चन व मूर्ति का श्रृंगार आदि करते है। 

यह तर्क तो कत्तई हजम करने योग्य नहीं है कि हनुमानजी की तरह शनिदेव भी रुद्र देवता है। इसलिए महिलाएं उनकी प्रतिमा को स्पर्श नहीं कर सकती हैं। अच्छा तो यह होता जिस तरह साई मंदिर, सिद्धिविनायक मंदिर, माता वैष्णव देवी, माता ज्वाला देवी सहित अन्य बड़े तीर्थस्थलों में मूर्ति छूने के बजाय दूर से ही श्रद्धाुल दर्शन-पूजन करते है उसी तरह शनि सिंगणापुर में भी व्यवस्था कर देनी चाहिए कि लोग अपने प्रसाद गर्भगृह में तैनात पुजारी को सौंप दें और वह उन्हें चढ़ाने या जलाभिषेक या तैलाभिषेक के बाद वापस कर दें। वैसे भी अब तो आमतौर पर किसी भी मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं ही नहीं, पुरुषों को भी प्रवेश नहीं करने दिया जाता, तो फिर शनि शिंगणापुर में भी कुछ बदलाव होना ही चाहिए। इस तरह के बदलाव से महिला-पुरुष का भेद मिट जायेगा और लोग बिना विवाद या किसी पचड़े के आसानी से पूजन-अर्चन कर सकते है। या फिर अन्य शनि मंदिरों की तरह शनि शिंगणापुर मंिदर में भी शनिदेव के प्रतिरूप लौह प्रतिमा स्थापित कर दी जाय, जिसकी पूजा महिलाएं भी कर सके। ईश्वर के दर्शन में भेदभाव करना भारतीय संस्कृति नहीं है। महिलाओं को पूजा का हक मिलना ही चाहिए। वैसे भी न्याय के देवता शनिदेव को अन्याय कत्तई बर्दाश्त नहीं। इंसान ही नहीं देवलोक में भी शनिदेव न्याय देते हैं। तभी तो उनके प्रकोप से देवो के देव महादेव भी नहीं बच सके। अन्यायी रावण का हश्र सबकों मालूम है। मतलब साफ है ऐसी दकियानुसी मानसिकता व परंपरा के नाम पर महिलाओं के साथ भेदभाव किसी भी दशा में बर्दाश्त करने योग्य तो कत्तई नहीं है। दुख होता है कि ऐसे मसलों पर लोगों को एकमत हो जाना चाहिए लेकिन हम उसी दकियानूसी व रुढीवादी परंपरा की दुहाई दे रहे है जैसे सती प्रथा व बाल विवाह को खत्म कराने के लिए हुआ था। अब भी वक्त है तर्क-वितर्क करने के बजाय पूरा देश एकजुट होकर इस रोक के खिलाफ न सिर्फ आवाज बुलंद करें बल्कि यथाशीघ्र समाप्त हो तथा सबरीमाला मंदिर की तर्ज पर सभी धार्मिक स्थल समान रूप से सबके लिए पूजा-पाठ की इजाजत दी जाय। 

साल 2015, 29 नवंबर दिन शनिवार को मंदिर के कर्ताधर्ता उस वक्त सन्न रह गए जब सीसीटीवी कैमरे में कैद एक तस्वीर देखी कि दोपहर तीन बजे पुणे की एक महिला शनि मंदिर के चबूतरे पर पहुंचकर तेल चढ़ाकर दर्शन-पूजन की। कहते हैं तेल चढ़ाने से शनि ग्रह से मुक्ति मिलती है। हालांकि जब तक सुरक्षा में तैनात सेवादारों को मामला समझ में आता, वो महिला वहां से निकल चुकी थी जबकि उस वक्त मंदिर में कई श्रद्धालु मौजूद थे। तस्वीरें देखने के बाद व्यवस्थापकों में खलबली मच गयी। महिला द्वारा शनि महाराज को तेल चढ़ाने पर पुजारियों ने मूर्ति को अपवित्र घोषि‍त कर दिया। मंदिर प्रशासन ने 6 सेवादारों को निलंबित कर दिया और उसके बाद मूर्ति का शुद्धि‍करण किया गया। मूर्ति को अपवित्र मानते हुए मंदिर प्रशासन ने दूध से प्रतिमा का अभिषेक किया। यही नहीं, पवित्रता के लिए पूरे मंदिर को धोया गया। ऐसा पहली बार हुआ जब किसी महिला ने शनि देव की प्रतिमा का स्पर्श किया हो। विवाद को बढ़ता देख पूजा करने वाली महिला ने प्रशासन से ये कहते हुए माफी मांग ली कि उसे परंपरा की जानकारी नहीं थी। विडंबना की बात ये है कि जिस दिन ये घटना घटी थी उस दिन महान समाज सुधारक और क्रांतिकारी महात्मा फुले की पुण्यतिथि थी। महात्मा फुले ने दलितों और स्त्रियों के लिए ताउम्र संघर्ष किया था। शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं से होने वाले भेदभाव के खिलाफ करीब 15 साल पहले भी आंदोलन हुआ था। मंदिर की परंपरा के खिलाफ जानेमाने विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर ने मशहूर कलाकार डॉ श्रीराम लागू, पुष्पा भावे, और किसान नेता एनडी पाटिल के साथ मिल कर यहां सत्याग्रह किया था, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए थे और उन्होंने गिरफ्तारियां दी थीं। सैकड़ों सत्याग्रहियों के जत्थे ने पंढरपुर से शनि शिंगनापुर पैदल मार्च किया था। उस समय इस मार्च का दक्षिणपंथी संगठनों ने जबर्दस्त विरोध किया था और इस परंपरा को चुनौती देने के लिए पहुंचे सत्याग्रहियों को मंदिर में घुसने नहीं दिया था। 

असहिष्णुता के सबसे अधिक शिकार हैं प्रधानमंत्री : उमा भारती

$
0
0
pm-biggest-victime-of-intolarance-uma-bharti
संबलपुर, 03 फरवरी, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने आज कहा कि यदि देश में असहिष्णुता का कोई सबसे अधिक शिकार है तो वह हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो निसंदेह सर्वाधिक असहिष्णुता झेल रहे हैं। सुश्री भारती ने यहां संवाददाताओं से कहा कि असहिष्णुता देश के केवल चार-पांच सौ लोगों का मुद्दा है और इनमें सबसे ज्यादा कांग्रेस और वाम दलों के लोग हैं। निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि भारत में हिन्दू ही हैं जो दूसरे धर्मों का भी सम्मान करते हैं। 

उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री की इच्छा पर ओडिशा के इस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के दौर पर आई हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्येक सांसद ऐसा कर रहे हैं और कम से कम 30 घंटे प्री-बजट होमवर्क और लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिये निर्वाचन क्षेत्र में बिता रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री हीराकुंड जैसी पुरानी सिंचाई परियोजनाओं के 100 प्रतिशत उपयोग किये जाने को महत्व दे रहे हैं। उन्होंने संकेत दिया कि हीराकुंड बांध की जल संग्रहण क्षमता को बढाने के लिये इसका कचरा हटाया जायेगा। केंद्रीय मंत्री ने बाद में हीराकुंड के मुख्य बांध का दौरा भी किया। 

इस्लाम पर हमला सभी धर्मों पर हमला : ओबामा

$
0
0
attack-on-islam-attack-on-humanity-obama
वाशिंगटन 04 फरवरी, अमेरिकी चुनाव में बढ़ रही मुस्लिम विरोधी बयान बाजियों के बीच अपने कार्यकाल के दौरान कल पहली बार मस्जिद पहुंचे राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि इस्लाम पर हमला करना सभी धर्मों पर हमला करने जैसा है। अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिये प्रचार के दौरान रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवारी पेश कर रहे डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले दिनों मुस्लिम विरोधी बयान देते हुये कहा था कि अमेरिका में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगा देना चाहिये। ट्रंप के इस बयान की बाद में काफी आलोचना हुयी थी। 

श्री ओबामा कल राजधानी वाशिंगटन के निकट बाल्टीमोर स्थित एक मस्जिद पहुंचे थे। उन्होंने यहां संवाददाताओं से बातचीत में मुस्लिम विरोधी बयानों की कड़े शब्दों में निंदा करते हुये कहा ,“ सभी धर्मों की तरह इस्लाम का भी महत्व है और इस पर हमला करना हमारे लिये सभी धर्मों के खिलाफ हमला करना जैसा है। इस प्रकार का आचरण सर्वथा अनुचित है और इसके खिलाफ आचाज उठाना हमारा दायित्व है।” 

अपनी मस्जिद यात्रा के दौरान श्री ओबामा ने कभी मस्जिद न आये सभी मजहब के लोगों से आग्रह करते हुये कहा कि वे यहां आयें। वो यहां आकर महसूस करेंगे कि यह उनके धर्मस्थल जैसा ही है जहां लोग आते हैं और ईश्वर के प्रति अपना स्नेह व्यक्त करते हैं। उन्हें यहां आकर वैसी ही अनुभूति होगी जैसी वे अपने -अपने मजहब के धर्मस्थलों में करते हैं। 

डब्ल्यूएचओ ने ‘जीका’ से सुरक्षा के लिये युरोप को किया आगाह

$
0
0
who-warns-for-zica
जेनेवा,04 फरवरी, डेंगू के समान मच्छरों से संक्रमित होने वाले खतरनाक वायरस ‘जीका’ के प्रति यूरोपीय देशों को आगाह करते हुये विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ)ने कहा कि वायरस का खतरनाक ढंग से वैश्विक प्रसार हो रहा है और सभी यूरोपीय देशों को इससे सुरक्षा के लिये जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाने चाहिये। 

यूरोप में डब्ल्यूएचओ की निदेशक सुसाना जकाब ने कल एक बयान में कहा कि अमेरिकी देशों में बुरी तरह फैल रहा जीका वायरस धीरे-धीरे विश्व के अन्य देशों में भी फैल रहा है। ऐसे में यूरोपीय देशों को इस खरनाक वायरस से सुरक्षा के लिये पुख्ता इंतजाम कर लेना चाहिये। उन्होंने कहा कि जिन देशों में मच्छरों की संख्या बहुतायत है वहां एहतियान सुरक्षा जरूरी है। यूरोप में भले ही अब तक इस वायरस के मामले सामने न आये हों लेकिन जीका प्रभावित देशों से आ रहे यात्रियों के यहां आने के बाद यहां भी इस वायरस के पनपने की पूरी संभावना है। सभी देशों को ऐसे यात्रियों की जांच और इसकी रोकथाम के लिये आवश्यक कदम उठाने चाहिये। 

उल्लेखनीय है कि नवजात शिशुओ के लिये अधिक खतरनाक साबित हो रहे इस वायरस की चपेट में ब्राजील बुरी तरह है और यहां संक्रमित मरीजों की संख्या 4000 से ऊपर पहुंच गयी है। इसके अलावा 20 से अधिक अन्य देशों में भी इस वायरस का संक्रमण देखा गया है। इसके वैश्विक प्रसार को देखते हुये डब्ल्यूएचओ ने सोमवार को वैश्विक स्वास्थ आपात की घोषणा की थी। 

जनहित सेव द डेमोक्रेसी बिहार एसएससी के परीक्षा परिणाम में धांधली के खिलाफ बुलाई बैठक

$
0
0
ssc-bihar-exam
आज 4 फरवरी बरोज गुरुवार को पटना लाॅ काॅलेज में छात्रों की एक बैठक हुई जिसमें एसएससी परीक्षा के परसेंटाइल के आधार पर घोषित परिणाम का विरोध किया। छात्रों का कहना है कि परीक्षा दो दिनों में हुआ था काफी छात्रों को पहले ही उत्तर पत्र मिल चुका है जिसके बारे में छात्रों ने आयोग में शिकायत भी दर्ज कराया था और वाइरल की खबर मीडिया में भी प्रमुखता से आई थी। उसके बावजूद बिहार एसएससी विज्ञप्ति मंे जारी नियमों के खिलाफ बैंकिंग पैटर्न पर परीक्षाफल देना गरीब मेधावी छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जो सही नहीं है। आगामी 6 फरवरी को समय 01ः00 बजे नूतन विधि छात्रावास में आयोजित मीटिंग में निर्णय के बाद आगे की मजबूत रणनीति और जनहित याचिका दायर करने पर प्रस्ताव पास किया जाएगा। 
आज की बैठक में जनहित सेव द डेमोक्रेसी के प्रदेश प्रभारी बबलू सम्राट, छात्र नेता गौतम सागर, विश्वविद्यालय प्रभारी अखिलेश कुमार, आलोक आनंद, सुशांत यादव, अभिषेक कुमार, आलोक कुमार, रोहित कुमार, दिलीप सिंह, मनीष कुमार, कुमार नीतीश, आर्यन सिंह, अरविन्द झा, पंकज कुमार प्रिंस, विश्वजीत कुमार, आदित्य रिंकू, सुधीर सैनी, सोनू समेत दर्जनों छात्र ने भाग लिया।

बिहार : मृत्यु प्रमाण निर्गत करने का अधिकार पंचायत सचिव को

$
0
0
secretery-can-give-cirtificate
पटना। बिहार सरकार के योजना एवं विकास विभाग अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय द्वारा मृत्यु प्रमाण निर्गत करने का अधिकार पंचायत सचिव को दिया गया है। पंचायत सचिव की नादानी पूर्ण कार्य करने से मृत्यु प्रमाण-पत्र नकारा साबित हो रहा है। 

पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत के कुर्जी बालूपर पो0 सदाकत आश्रम,थाना दीघा,जिला पटना में एफ0जौन रहते हैं। इनकी मृत्यु 16.01.2016 को बालूपर कुर्जी में हो गयी। पीएमसीएच में एफ0जौन कार्य करते थे। स्व0 जौन जेराड के पुत्र हैं एफ0जौन। पंजीयन संख्या- 88 है। पंजीयन दिनांक 19.1.2016 है। 

ग्राम पंचायत पूर्वी दीघा पटना के पंचायत सचिव द्वारा मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी किया गया है। प्रमाण- पत्र में प्राधिकारी का हस्ताक्षर हैं। इस मृत्यु प्रमाण-पत्र को जारी करने की तिथि में ही आॅवर राइटिंग कर दी गयी है। इसके कारण प्रमाण-पत्र को स्वीकार नहीं किया जा रहा है। इस संदर्भ में पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत के मुखिया पति का कहना है कि पंचायत सचिव अधिक पढ़ा-लिखा नहीं है। इसके कारण निर्गत प्रमाण-पत्र में आॅवर राइटिंग करने के पश्चात लघु हस्ताक्षर नहीं कर सका। 

जब स्व0 एफ0जौन के पुत्र पिताश्री द्वारा जमा की गयी राशि को निकालने का प्रयास करने लगे तो बैंक ने निर्गत प्रमाण-पत्र को अस्वीकार कर दिया। अब स्व0एफ0जौन के पुत्र प्रमाण-पत्र में सुधार करवाने में परेशान हैं। आजकल कहकर दौड़ाया जा रहा है। 

सीहोर (मध्यप्रदेश) की खबर (04 फ़रवरी)

$
0
0
एम श्रम सेवा एप के माध्यम से महत्वपूर्ण सेवा उपलब्ध

शासन द्वारा 26 जनवरी 2016 गणतंत्र दिवस के अवसर डिजीटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत श्रम विभाग की विभिन्न सेवाओ को मोबाइल एप-एम-श्रम सेवा एप के माध्यम से नागरिकों के लिए उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है । यह एप मोबाइल पर गूगल प्ले स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है । वर्तमान में एम-श्रम सेवा एप के माध्यम से निम्नलिखित महत्वूपर्ण सेवाएं नागरिकों हेतु उपलब्ध रहेगी । दुकान एवं स्थापनाओं के पंजीयन एवं नवीनीकरण संबंधी आवेदनों की स्थिति जानने एवं पंजीयन प्रमाण पत्र डाउन लोड करने की सुविधा । कारखानों के पंजीयन संबंधी आवेदनों की स्थिति जानने एवं अनुज्ञप्ति डाउनलोड करने की सुविधा । ठेका श्रम अधिनियम के अंतर्गत प्रमुख नियोजक के पंजीयन के ठेकेदारों की अनुज्ञप्ति की स्थिति जानने की सुविधा । भवन एवं अन्य संनिर्माण संस्थानों के पंजीयन हेतु ऑनलाइन आवेदन की स्थिति जानने की सुविधा । ईज ऑफ डुईग बिजनेस के अंतर्गत उपलब्ध सेवाओं की जानकारी । महत्वपूर्ण विभागीय आदेश, परिपत्र, प्रपत्र, सूचनाएं एवं घटनाओं की जानकारी । प्रचलित न्यूनतम वेतन की जानकारी । विभागीय लोक सेवाओं की जानकारी आदि महत्वपूर्ण सेवायें उपलब्ध रहेगी । विभागीय पोर्टल पर पंजीयन नवीनीकरण अनुज्ञप्ति हेतु अधिनियम के संबंध में पृथक से निर्देश भी जारी किये गये है।

5 माह में 533 मरीज फ्लोराईड के पाए गए

sehore newsजिले मंे संचालित राष्ट्रीय फ्लोरोसिस कार्यक्रम के अंतर्गत जिला स्तरीय जांच दल तथा भारत सरकार के अधिकारियों ने विगत दिनों जिले के विभिन्न ब्’लाॅकों के ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण किया भ्रमण के दौरान ग्रामीणों तथा स्कूली छात्र-छात्राआंे की जांच की गई जिसमें करीब 533 मरीज फ्लोरोसिस से पीडि़त पाए गए जिसमें आष्टा ब्लाॅक में 122, मरीज इछावर में 153, नसरूल्लागंज में 145, ष्यामपुर में 72 तथा सीहोर में 41 मरीजोें का सत्यापन किया गया। संबंधित ग्रामों के हेण्डपंप का पानी फ्लोराईड युक्त होने की संभावना व्यक्त करते हुए उन्हें बंद कराने हेतु लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग को इस संबंध में आवष्यक कार्यवाही के लिए पत्र लिखा गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.आर.के.गुप्ता ने बताया कि जिले में राष्ट्रीय फ्लोरोसिस कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं सहित ग्रामीणों की दंत जांच जिला स्तरीय दल द्वारा की जाती है। विगत दिनांे 20 जनवरी 2016 को भारत सरकार के उप संचालक डाॅ. प्रदीप सक्सेना, राज्य फ्लोरोसिस अधिकारी डाॅ. सिकरवार ने जिला स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. दिलीप कटेलिहा, फ्लोरोसिस सलाहकार श्री संदीप कुमार एवं फील्ड इंवेस्टीगेटर श्री रावेन्द्र सिंह के साथ इछावर ब्लॅाक के ग्राम बिसनखेडी का भ्रमण किया था जिसमें करीब 20 ग्रामीण फ्लोरोसिस से पीडि़त पाए गए। यह बीमारी फ्लोराईड युक्त पानी के पीने से होती है जिसमें हड्डियां टेढ़ी होने लगती है जिसका प्रभाव दांतों से प्रारंभ होता है। ज्ञात हो कि विगत 5 माह के दौरान किए गए निरीक्षण के दौरान बेदाखेड़ी में 19 बच्चे, गाडराखेडी में 7 बच्चे, नसरूलागंज में 40 बच्चें, श्यामपुर विकासखण्ड श्यामपुर में 36 बच्चे, अमलाहा में 42 बच्चे, रफीकगंज सीहोर में 33 बच्चे, सिंगपुर में 9 बच्चे, बिसनखेडी में 10 बच्चे, बसंतपुर में 10 दंत फ्लोरोसिस से ग्रसित पाए गए। डाॅ.गुप्ता ने बताया कि हेण्डपंप के पानी का फ्लोराइड टेस्ट उपरांत जल में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 पीपीएम से अधिक होेने पर ऐसे स्रोतों को तुरंत बंद करवाने हेतु कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग को विस्तृत रिपोर्ट से अवगत कराते हुए आवष्यक कार्यवाही हेतु पत्र लिखा गया है। 

मुझपर यौन उत्पीड़न के आरोप झूठे: सरदार

$
0
0
sexual-harresment-case-against-me-are-baseless-sardar-singh
चंडीगढ़, 04 फरवरी, भारतीय हाकी कप्तान सरदार सिंह ने गुरूवार को अपने ऊपर लगे आरोपों पर आखिरकार चुप्पी तोड़ते हुये सफाई दी कि जिस महिला ने उनपर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये हैं वह न तो उनकी मंगेतर है और न ही उन्होंने उनका शोषण किया है। हाकी इंडिया लीग(एचआईएल) में खेल रहे देश के स्टार मिडफील्डर सरदार ने चंडीगढ़ में संवाददाता सम्मेलन में अपने ऊपर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुये कहा कि वह इस मामले में किसी तरह की जांच से गुजरने के लिये तैयार हैं। 

उन्होंने कहा“ मैंने कुछ गलत नहीं किया है। हम दोनों अच्छे दोस्त थे लेकिन मैंने उनका कभी गलत फायदा नहीं उठाया अौर न ही उनका यौन उत्पीड़न किया। मैं किसी भी जांच से गुजरने के लिये तैयार हूं। मैं उन्हें लंबे समय से जानता हूं लेकिन जो भी आरोप उन्होंने लगाये हैं वे गलत हैं।” भारतीय हाकी कप्तान ने कहा“ आप इंतजार कीजिये और सबकुछ साफ हो जाएगा। मैंं पिछले एक वर्ष से न तो ट्वीटर इस्तेमाल कर रहा हूं और न ही कोई अन्य सोशल मीडिया और उस महिला ने मेरा पासवर्ड लेकर कई ट्वीट किये और तस्वीरों को भी भेजा। ये सबकुछ साफ तभी होगा जब एक बार जांच शुरू हो जाएगी।

माल ढुलाई नीति में बड़े बदलाव लाने के संकेत दिये प्रभु ने

$
0
0
prabhu-indicated-major-changes-in-policy-of-freight
नयी दिल्ली 04 फरवरी, सीमेंट, इस्पात, लौह अयस्क, कोयला आैर खाद्यान्न की ढुलाई में कमी के कारण राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करने की जद्दोजेहद में लगी रेलवे मालवहन के लिये अन्य क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करने और गैर-रेलवे गतिविधियों के माध्यम से धन जुटाने की योजना बना रही है, जिसका नये रेल बजट में खुलासा हो सकता है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कल रात यहाँ फॉरेन कॉरेस्पोन्डेंट क्लब आॅफ साउथ एशिया में विदेशी मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत में ऐसे संकेत दिये। उन्होंने कहा कि इस समय वैश्विक आर्थिक मंदी के प्रभाव के कारण रेलवे में इस्पात, सीमेंट, लौह अयस्क और काेयला की ढुलाई में अपेक्षित वृद्धि नहीं है। 

बाजार में इस क्षेत्रों में गिरावट का रुख है। चीन, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया आदि देशों में ऐसा ही माहौल है। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न खरीद की घरेलू नीतियों में बदलाव के कारण अनाज के परिवहन में कमी आयी है। ऐसे में मालढुलाई के लक्ष्य को पूरा करना एक चुनौती है। दूसरी ओर माल परिवहन की दरें भी कम नहीं हैं। ऐसे में मालपरिवहन के क्षेत्र को विविधता पूर्ण बनाने की जरूरत है। रेलवे को कई अन्य क्षेत्रों में माल ढुलाई पर ध्यान देना होगा।

भारत,दक्षिणपूर्व एशिया को रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने की जरूरत: अंसारी

$
0
0
india-southeast-asia-need-to-strengthen-strategic-partnership-ansari
बैंकॉक 04 फरवरी, भारत के उप राष्ट्रपति डॉ हामिद अंसारी ने आज कहा कि भारत और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों को वैश्विक मामलों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने के लिए रणनीतिक साझेदारी को अधिक मजबूत करना चाहिये। थाईलैंड के चुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय में अपने व्याख्यान के दौरान डॉ अंसारी ने कहा कि विश्व की अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक केन्द्र एशिया की ओर स्थानांतरित हो रहा है। उन्होंने कहा, “यह समय अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में समानता लाने के लिए हमारे प्रयासों को पूरा करने का है।” डॉ अंसारी ने कहा कि दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के दस सदस्य देश और भारत, वैश्विक कारोबारी व्यवस्था में खुलापन एवं निष्पक्षता और संयुक्त राष्ट्र विशेषकर सुरक्षा परिषद में सुधार चाहते हैं। उन्होंने कहा, “भारत ने ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’अौर एशियाई सदी के सपने के केन्द्र में आसियान को रखा है। विनिर्माण, व्यापार, कौशल, शहरी नवीनीकरण, स्मार्ट सिटी और मेक इन इंडिया कार्यक्रम जैसे घरेलू एजेंडे में भारत-आसियान का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है।” 

उप-राष्ट्रपति ने कहा, “दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत का अन्य स्थानीय देशों के मुकाबले व्यापक और गहरा संबंध है।” इसमें प्रधानमंत्री स्तर के समिट के साथ-साथ सात मंत्री स्तर के क्षेत्रीय संवाद सहित 30 वार्षिक संवाद शामिल है। भारत ने जकार्ता में एक मान्यताप्राप्त आसियान सचिवालय भी खोला है। भारत-आसियान सहयोग की मदद से नयी दिल्ली में तीन कोष का निर्माण किया गया है इसमें आसियान-भारत सहयोग कोष, आसियान-भारत विज्ञान एवं तकनीकी और आसियान-भारत हरित काेष शामिल है। यह अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और कृषि अनुसंधान से मलेरिया से लड़ने जैसी परियाेजना में मदद करेगा। डॉ अंसारी ने कहा आसियान के सदस्य राष्ट्रों एवं भारत के बीच भविष्य में वाणिज्य, संस्कृति और संपर्क जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित होगा। इसमें भारत-आसियान के बीच भौतिक एवं डिजिटल संपर्क जैसी परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए एक अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान करने कोे लेकर प्रतिबद्ध है।

नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया, राहुल पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

$
0
0
national-herald-case-sonia-rahul-arrived-sc
नयी दिल्ली 04 फरवरी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी एवं अन्य पार्टी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। कांग्रेस के इन नेताओं ने नेशनल हेराल्ड मामले में निचली अदालत द्वारा उन्हें तलब किये जाने के आदेश को उच्च न्यायालय द्वारा जायज ठहराये जाने को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। इन सभी ने समन आदेश को निरस्त किये जाने का अनुरोध उच्च न्यायालय से किया था, लेकिन वहां से उन्हें राहत नहीं मिली थी। 

उच्च न्यायालय ने श्रीमती गांधी सहित पार्टी के छह नेताओं को निचली अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया था। कांग्रेस नेताओं की ओर से अपील दायर किये जाने के बारे में जारी अटकलों को कल ही वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह कहते हुए साफ कर दिया था कि कांग्रेस नेता उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर कर रहे हैं और इसकी पूरी तैयारी हो चुकी है। याचिकाकर्ता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड की सम्पत्ति हड़पने के लिए भ्रष्टाचार किये जाने का इन नेताओं पर आरोप लगाया है।

संसद का बजट सत्र 23 फरवरी से 13 मई तक चलेगा

$
0
0
parliament-s-budget-session-will-begin-23-feb-and-end-13-may
नयी दिल्ली, 04 फरवरी, मोदी सरकार के कार्यकाल में संसद का तीसरा बजट सत्र 23 फरवरी से शुरू होगा और 13 मई तक चलेगा और इस बीच 17 मार्च से 24 अप्रैल तक अवकाश रहेगा। इस बार बजट सत्र अपेक्षाकृत छोटा होगा और इस दौरान कुल 31 बैठकें होंगी। बजट सत्र का पहला चरण 23 फरवरी से 16 मार्च तक चलेगा जबकि दूसरा चरण 25 अप्रैल से 13 मई तक चलेगा। 23 फरवरी को संसद का संयुक्त अधिवेशन होगा जिसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संबोधित करेंगे। रेल बजट 25 फरवरी को, आर्थिक सर्वेक्षण 26 को तथा आम बजट 29 फरवरी को पेश होगा। संसदीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने आज यहां मंत्रिमंडल की संसदीय मामलों की समिति की बैठक के बाद पत्रकारों को यह जानकारी दी। 

बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्लाह, केन्द्रीय रासायनिक खाद मंत्री रामविलास पासवान, मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी संसदीय मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद, उपनेता आनंद शर्मा, कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा, जनता दल (यूनाइटेड) के शरद यादव, के सी त्यागी, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, बीजू जनता दल के भ्रतिहरी महताब, बहुजन समाज पार्टी के अम्बेठ राजन, तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन और अन्नाद्रमुक के डॉ वेणुगोपाल मौजूद थे।

नर्सरी एडमिशन पर सरकार को झटका, निजी स्कूलों को बड़ी राहत

$
0
0
admission-nursery-blow-to-the-government-a-big-relief-to-private-schools
नयी दिल्ली 04 फरवरी, दिल्ली उच्च न्यायालय से निजी स्कूलों में नर्सरी प्रवेश को लेकर दिल्ली सरकार को आज बड़ा झटका लगा। न्यायालय ने सरकार के प्रबंधन कोटा खत्म करने के आदेश पर रोक लगा दी। न्यायालय ने इस पर दिये अपने आदेश में कहा कि सरकार ने बिना किसी अधिकार के छह जनवरी को आदेश किया था । इस आदेश में सरकार ने निजी स्कूलों में नर्सरी प्रवेश में प्रबंधन का 75 प्रतिशत कोटा खत्म कर दिया था । न्यायालय ने कहा कि कोटा खत्म करने का आदेश सरकार के 2007 के स्वयं के अधिसूचना का उल्लंघन है । सरकार स्कूलों की स्वायत्ता नही छीन सकती है । 

प्रबंधन कोटा पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए न्यायालय ने निजी स्कूलों को प्रवेश में 62 मानदंडों में से केवल 11 की ही इजाजत दी है । न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई के बाद निजी स्कूलों द्वारा प्रबंधन कोटा खत्म करने के दिल्ली सरकार के आदेश के खिलाफ याचिका पर निर्णय सुरक्षित रख लिया था । न्यायालय ने हालांकि आप सरकार से कहा है कि निजी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश पर अभिभावकों से रिश्वत लेने जैसे गलत कामों पर कार्रवाई कर सकती है । दिल्ली सरकार ने प्रबंधन कोटा खत्म कर दिया था किन्तु आर्थिक रुप से पिछड़े वर्गों के लिए 25 प्रतिशत का कोटा बरकरार रखा था।

बजट सत्र में बहुप्रतीक्षित जीएसटी विधेयक पारित होने की उम्मीद : नायडूू

$
0
0
awaited-gst-bill-is-expected-to-be-passed-in-the-budget-session-naiduu
नयी दिल्ली,04 फरवरी, संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू ने आज कहा कि इस बार संसद के बजट सत्र में सरकार को बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक और रियल स्टेट तथा इनसाल्वेंसी एंड बैंकरप्सी जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पारित हाे जाने की उम्मीद है। श्री नायडू ने यहां संसद के बजट सत्र की तिथियों की जानकारी देने के मौके पर संवाददताओं से कहा कि ऐसे समय में जबकि देश विकास के पथ पर अग्रसर है, वह वह सभी राजनीतिक दलों से अपील करते हैं कि वे इन महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में पूरा सहयोग दें। संसद का बजट सत्र 23 फरवरी से शुरू होगा। इस दिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी संसद के केन्द्रीय कक्ष में दाेनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करेंगे। रेल मंत्री सुरेश प्रभु 25 फरवरी को रेल बजट पेश करेंगे और इसके बाद 29 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से आम बजट पेश किया जाएगा। 

गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की संसदीय मामलों की समिति की आज यहां हुई बैठक में संसद के बजट सत्र के विस्तृत कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया गया। इसके अनुसार बजट सत्र का पहला चरण 23 फरवरी से 16 मार्च तक चलेगा और उसके बाद दूसरा चरण 23 मार्च से 16 अप्रैल तक रहेगा। बैठक के पूर्व संसदीय समिति ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बजट सत्र की तिथियों के बारे में विस्तार से विचार विमर्श किया आैर उनके सुझाव लेने बाद बजट सत्र के कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया। आगामी सत्र में सरकार अपना विधायी एजेंडा आगे बढ़ाने की हर मुमकिन कोशिश करेगी क्योंकि पिछले सत्र में विपक्ष के हंगामें के कारण कई महत्वपूर्ण विधेयक अटक गए थे। दूसरी ओर विपक्ष दलित विद्यार्थी रोहित वेमुला की खुदकुशी और अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने सहित कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी कर सकता है।

राज्यपाल ने चह्वाण पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी

$
0
0
governor-permitted-to-prosecution-agaist-chavan
मुंबई, 04 फरवरी, कांग्रेस को झटका देते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने आदर्श हाउसिंग साेसायटी घोटाला मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की आज मंजूरी दे दी। राज्यपाल ने सीबीआई को श्री चह्वाण के खिलाफ आपराधिक दंड संहिता की धारा 197 और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी(साजिश) और 420(धोखाधड़ी) के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। गत वर्ष आठ अक्टूबर को सीबीआई मुंबई के संयुक्त निदेशक ने श्री चह्वाण के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी।

ओंटैरियो और प्रिंस एडवर्ड द्वीप के प्रधानमंत्रियों की मोदी से मुलाकात

$
0
0
ontario-and-prince-edward-island-s-prime-ministers-met-modi
नयी दिल्ली 04 फरवरी, प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कनाडा में ओंटैरियो द्वीप की प्रधानमंत्री कैथलीन वाइन और प्रिंस एडवर्ड द्वीप के प्रधानमंत्री श्री एच वाडे मेकलोक्‍लान के नेतृत्‍व में आये प्रतिनिधिमंडल का स्‍वागत किया। ओंटारियों और प्रिंस एडवर्ड द्वीप के प्रधान‍मंत्रियों ने भारत सरकार द्वारा निर्माण, कौशल, बुनियादी ढांचा विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, शहरी नवीकरण, अपशिष्‍ट प्रबंधन, शिक्षा, कृषि के क्षेत्र में उठाये गए कदमों की कल काफी सराहना की। उन्‍होंने बताया कि पिछले एक वर्ष में कनाडा के विभिन्‍न पेंशन कोष सहित व्‍यापारियों और निवेशकों के बीच भारत के प्रति रूचि और भरोसा बढ़ा है। 

यह तथ्‍य 4-5 फरवरी को यहां में हो रहे भारत निवेश सम्‍मेलन में कनाडा से कई प्रतिभागियों के शामिल होने से स्‍पष्‍ट होता है। प्रधानमं‍त्री ने कहा कि भारत कनाडा के साथ अपने संबंधों को उच्‍च प्राथमिकता देता है। पिछले साल अप्रैल में करीब 42 वर्षों के बाद भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्विपक्षीय कनाडा यात्रा बाद से दोनों देशों के बीच विभिन्‍न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों में तालमेल बढ़ा है। प्रधानमंत्री ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडु को भी शुभकामनाएं भेजी हैं और विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि इस वर्ष के अंत में होने वाली उनकी भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी अधिक प्रगाढ़ होगी।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (04 फ़रवरी)

$
0
0
सचिव निलंबित, सरपंच को नोटिस देने के निर्देश 

जिला पंचायत सीईओ श्री दीपक आर्य ने निर्माण कार्यो एवं योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही और गंभीर उदासीनता बरतने पर ग्राम पंचायत महू के सचिव सवल सिंह को तत्काल निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए है। जिपं सीईओ श्री आर्य ने उपखण्ड नटेरन के अनुविभागीय राजस्व अधिकारी को पत्र प्रेषित कर ग्राम पंचायत महू के सरपंच के खिलाफ धारा 40 एवं 92 के तहत कार्यवाही करने के निर्देश दिए है। ज्ञातव्य हो कि ई-पंचायत कक्ष की निर्माण राशि एक लाख 36 हजार रूपए सरपंच, सचिव द्वारा आहरण की गई है किन्तु कार्य नही कराया गया है। वित्तीय अनियमितता के कारण ग्राम के सचिव श्री सवल सिंह के खिलाफ निलम्बन की कार्यवाही की गई है निलम्बन अवधि में उनका मुख्यालय जनपद पंचायत कार्यालय नटेरन नियत किया गया है। उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा।

स्वास्थ्य शिविर में 243 मरीजों का परीक्षण 

vidisha news
हृदय रोग सहित असंचारी रोग से पीडि़तों के इलाज हेतु एक दिवसीय शिविर आज गुरूवार को जिला चिकित्सालय परिसर में आयोजित किया गया था। जिसका शुभांरभ अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने दीप प्रज्जवलित कर किया। अपर कलेक्टर श्रीमती भदौरिया ने कहा कि जिले के सभी गरीब मरीजों का निःशुल्क इलाज कराए जाने के प्रबंध सुनिश्चित किए गए है। उन्होंने इस प्रकार के आयोजन को सतत बनाए रखने के अपेक्षा व्यक्त करते हुए चिकित्सकों से कहा कि शिविर मंें शामिल मरीजो का बारीकी से परीक्षण कर उनकी बीमारियों का पता लगाएं और उनके इलाज हेतु आवश्यक प्रबंध किए जाएं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ बीएल आर्य ने कहा कि इस प्रकार के शिविर विकासखण्ड स्तर पर भी आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के अमले के द्वारा ग्रामवार मरीजो का चिन्हांकन किया जा रहा है ताकि उन्हें इस प्रकार के शिविरों में लाकर विशेषज्ञों से जांच पड़ताल कराई जाएगी और उनकी जांच, आवश्यकता होने पर आपरेशन सहित रोगोपचार की दवाईयां निःशुल्क मुहैया कराई जाएगी। डाॅ आर्य ने आज सम्पन्न हुए शिविर की जानकारी देते हुए बताया कि विशेषज्ञ चिकित्सकों के द्वारा शिविर में शामिल 243 मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। प्रारंभिक जांच के अनुसार 125 बच्चे हृदय रोग से पीडि़त पाए गए है। जिनका बारीकी से पुनः परीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा 65 मरीजो का रक्तचाप की जांच की गई है। कैंसर रोग के 18 मरीजो का परीक्षण किया गया है जिसमें से सात मरीजों में कैंसर के लक्षण पाए गए है। इसी प्रकार 44 मरीजों की शुगर जांच की गई जिसके 19 मरीज पाए गए है। शिविर में पांच मरीज थायराइड रोग से ग्रस्त पाए गए है। संबंधित मरीजों को रोगोपचार की दवाईयां मुहैया कराई गई है। इस अवसर पर सिविल सर्जन सह अधीक्षक डाॅ शेखर जालवणकर, मेडीकल आफीसर डाॅ केएस अहिरवार सहित अन्य चिकित्सकगण मौजूद थे।

डेम भूमि की गाद 15 अपै्रल से निकाल सकते है

सम्राट अशोक सागर संभाग क्रमांक-दो के कार्यपालन यंत्री श्री जेएस वर्मा ने बताया है कि डेम के डूब क्षेत्र की भूमि अर्थात सम्राट अशोक सागर बांध का जल स्तर 1508 फीट के नीचे खाली हो जाने के कारण उक्त भूमि से कृषक अपने निजी उपयोग के लिए गाद 15 अपै्रल से 15 जून के मध्य निःशुल्क निकाल सकते हैै।

मीडिया कार्यशाला सोमवार को

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला आठ फरवरी को विदिशा जिला मुख्यालय पर आयोजित की गई है। कलेक्टर श्री एमबी ओझा कार्यशाला का शुभांरभ जिला पंचायत के सभागार कक्ष में प्रातः 10 बजे करेंगे। पीआईबी भोपाल के उप निदेशक श्री अखिल कुमार नामदेव ने उक्त जानकारी देते हुए बताया है कि मीडिया कार्यशाला खासकर ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों की रचनात्मक, सकारात्मक और विकास परक पत्रकारिता को बढ़ावा देने के उद्धेश्य से आयोजित की गई है। श्री नामदेव ने जिले के सभी मीडिया बंधु से आग्रह किया कि वे नियत तिथि, स्थल पर उपस्थित होकर अपने बहुमूल्य सुझावों से अवगत कराते हुए कार्यशाला को सफल बनाने में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (04 फ़रवरी)

$
0
0
महामहिम राज्यपाल से मिलकर श्री भूरिया ने संसदीय क्षेत्र की
  • समस्याओं से अवगत कराते हुए त्वरित निराकरण करने की मांग की

jhabua news
झाबुआ----रतलाम  झाबुआ क्षेत्र के नव निर्वाचित सांसद श्री कांतिलाल भूरिया ने मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री रामनरेश यादव जी से राज भवन भोपाल में आज दिनांक 04 फरवरी को सौजन्य भेंट की. इस अवसर पर माननीय श्री रामनरेश यादव जी ने श्री कांतिलाल भूरिया को शाल व श्रीफल से सम्मानित किया. श्री कांतिलाल भूरिया द्वारा इस भेंट के दौरान माननीय राज्यपाल महोदय से रतलाम  झाबुआ संसदीय क्षेत्र में व्याप्त विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की एवं किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिलने, बिजली कंपनियों की मनमानी एवं अलीराजपुर जिले में स्वास्थ सेवाओं में राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे निजीकरण के प्रयासों के विरुद्ध ज्ञापन दे कर उचित कार्यवाही की मांग की । श्री भूरिया ने महामहिम राज्यपाल महोदय को निम्नलिखित समस्याओं से अवगत कराते हुए राज्यषासन से त्वरित निराकरण करवाने का अनुरोध किया । मांगों मे कहा गया है कि:-

पिछले कुछ वर्षों से हमारा क्षेत्र मौसम की मार झेल रहा है. कभी अतिवृष्टि, ओलावृष्टि  एवं सूखे के हालात रहे हैं. दुर्भाग्य से राज्य सरकार द्वारा न तो किसानों को उचित मुआवजा दिया जा रहा है ना ही रोजगार के अन्य उपाय किये गए हैं. केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित मनरेगा जैसी योजनाओं में भी कटौती की गयी है एवं इसके कारण गरीब आदिवासी पलायन हेतु मजबूर है. आपने महामहिम से निवेदन किया है कि इस आदिवासी क्षेत्र में रोजगार के नए उपाय किये जाएँ, मनरेगा योजना को पुरी तरह से लागु किया जाए जिससे गरीब आदिवासी अपने गाँव को छोडने पर मजबूर ना हों ।. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को मुफ्त बिजली, शुन्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण एवं अन्य सुविधाओं की चर्चा की जाती रही है, परन्तु इसके उलट हजारों किसान एवं गरीब आदिवासी बिजली के भारी भरकम बिल एवं वितरण कंपनी द्वारा बिजली काट दिए जाने से परेशान हो रहे हैं. कुछ प्रकरणों में किसान आत्महत्या तक कर चुके हैं, अतः निवेदन है कि क्षेत्र अथवा राज्य में विद्युत वितरण की स्थिति पर एक श्वेत पत्र जारी किया जाए एवं किसानों एवं गरीब आदिवासियों को बिजली कंपनी के आतंक से मुक्ति दिलाई जाए. हाल ही में समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों से ज्ञात हुआ है की राज्य सरकार द्वारा आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले में स्वास्थ सेवाओं को निजी हाथों में देने के उद्देश्य से एक संस्था के साथ एमओयु किया है. यह क्षेत्र की जनता के साथ अन्याय है एवं इसके कारण गरीब जनता महंगे इलाज के लिए मजबूर हो जायेगी. अतः आपसे अनुरोध है की राज्य सरकार के ऐसे किसी भी कदम को तत्काल रोका जाए एवं आदिवासी एवं गरीबों के हितों की रक्षा की जाए । उक्त जानकारी जिला कांगे्रस प्रवक्ता हर्श भटट ने दी ।

मनरेगा के 10 वर्ष पूर्ण होने पर जिला, कांगे्रस कार्यालय में कार्यशाला

झाबुआ---पूर्ववर्ती यूपीए सरकार द्वारा 2 फरवरी, 2006 से प्रारंभ की गई महात्वाकांक्षी, महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के 2 फरवरी-16 को 10 वर्ष पूर्ण होने पर जिला कांगे्रस कमेटी झाबुआ द्वारा जिला स्थित कांगे्रस कार्यालय के में एक कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर जिला कांगे्रस अध्यक्ष निर्मल मेहता ने मनरेगा की बीते दस वर्शोकी मनरेगा योजना की उपलब्धियों का बखान करते हुए कहा कि तत्कालीन केनद्र की यूपीए सरकार की महत्वकांक्षी रोजगार गारंटी के द्वारा काम के अधिकार का कानून लागू कर मजदूरों को 100दिन का रोजगार देना सुनिष्चित किया था । यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह एवं श्री राहुल गांधी ने देष के श्रमिकों के लिए बनायी गई इस योजना का लाभ गांव की गरीब जनता व काम करने वाले मजदूरों का सहारा बना । किन्तु वर्तमान केन्द्र की सरकार द्वारा मनरेगा के बजट में भरी कटोती कर दी हे । झाबुआ जिले में पिछले वर्श करीब 15 करोड रपये बकाया था । जिला कांगे्रस एवं सांसद कातिलाल भूरिया सहित जिला कांगे्रस के पदाधिकारियों एवंज न प्रतिनिधियों ने आन्दोलन कर प्रषासन पर दबावडाला जिस कारण मजदूरों का भुगतान प्रारंभ हुआ है । हमारे सांसद श्री कांतिलाल भूरिया जिला सर्तकता की बैठक में बताया कि अभी भी लगभग चार करोड रपये मजदूरों का भुगतान बकाया है । उन्होने इस संबंध में जिला प्रषासन एवं प्रदेष सरकार की से इस संबंध में त्वरित कार्यवाही कर इनका भुगतान करने की कोषिष की है । जिला पंचायत अध्यक्ष एवं कार्यवाहक जिला कांगे्रस अध्यक्ष सुश्री कलावती भूरिया ने बताया कि झाबुआ जिले का अधिकांष भाग में सूखा पडा हुआ है । यहां के मजदूर रोजगार के अभाव में बडी संख्या में झाबुआ जिले से बाहर पलायन कर गये है । जिले में काफी वर्शो से कोई राहत कार्य एवं कोई बडा निर्माण कार्य न होने से अपने माता पिता को छोडकर रोजगार की तलाष में इधर उधर भटकने पर मजबूर हो गए है । युवा नेता डा0 विक्रातं भूरिया ने केन्द्र एवं राज्य सरकार को आडे हाथों लेते हुए कहा कि केन्द्र सरकार इस योजना की ओर कोई ध्यान नहीं दे पा रही हे तथा यहां के मजदूरों के साथ साथ युवा वर्ग भी अपनी पढाइ्र छोडकर अपना पेट भरने के लिए रोजगार की तलाष में अन्य राज्यों की ओर अग्रसर हो रहे हैं । ब्लाॅक कांग्रेस अध्यक्ष हेमचंद्र डामोर एवं षहर कांग्रेस अध्यक्ष बंटु अग्निहोत्री ने मनरेगा योजना के दस वर्श पूर्ण होने पर कहा कि इस योजना से बीते दस वर्शों में कई गरीब परिवारों को लाभ पहुंचा है। किंतु वर्तमान मंे केन्द्र व राज्य सरकार से मांग की है कि इस योजना के सफल संचालन के लिए बजट में इस वर्श अधिक से अधिक राषि का आवंटन किया जावे। जिससे कि कई गरीब परिवारों को इस योजना का लाभ मिल सके।

कांगे्रस पार्टी के अभिभावक थे पूर्व राज्यपाल डा. बलराम जाखड़

झाबुआ---प्रबल इच्छाशक्ति, मृदु स्वभाव वाले मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डाॅ. बलराम जाखड़ का निधन हो गया। उनके निधन से पूरे कांग्रेस परिवार में षोक की लहर व्याप्त हो गई है। सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने उनके निधन पर षोक व्यप्त करते हुए कहा कि स्वर्गीय डाॅ. जाखड़ ने देश के साथ-साथ प्रदेश की राजनीति में भी एक अमिट छाप छोड़ी है, कांगे्रस के प्रति उनका पारिवारिक रवैया रहा था, किसान नेता के रूप में अपनी छवि बनाने वाले स्वर्गीय डाॅ. जाखड़ कांगे्रस परिवार के लिए एक अभिभावक के रूप में भी पहचाने जाते थे। उन्होने आगे कहा कि उनके निधन से भारतीय लोकतंत्र को एक बड़ी क्षति हई है, जिसकी पूर्ति संभव नहीं है। जिला कांगे्रस अध्यक्ष निर्मल मेहता ने कहा है कि मप्र और देश में अपने राजनैतिक जीवन में ऊंचा दर्जा प्राप्त करने, किसान नेता, मजदूर, गरीब और कांगेे्रसजनों में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले मप्र के पूर्व राज्यपाल डाॅ. बलराम जाखड़ के निधन से आज पूरा कांगे्रस परिवार हतप्रभ हुआ। जिला कांग्रेस कार्यवाहक अध्यक्ष एवं जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि सरल स्वभाव, लोगों के दिलों में राज करने वाले, मृदुभाषी, स्वच्छ राजनीतिक छवि, लोकतंत्र की मर्यादा करने वाले, अपनत्व, महान कृतित्व और व्यक्तित्व के निधन से पार्टी की आत्मा पर वज्रघात हुआ है, जिसकी पूर्ति प्रदेश और देश में संभव नहीं है। युवा नेता डाॅ.विक्रांत भूरिया ने स्वर्गीय डाॅ. जाखड़ के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रृद्धांजलि अर्पित करने हुए दिवंगत आत्मा को चिरशांति एवं उनके परिवार को इस गहन दुःख को सहन करने की परमपिता परमात्मा से प्रार्थना की है। इस अवसर पर कांग्रेस नेता रमेष डोषी, कांगे्रस उपाध्यक्ष प्रकाष रांका, विजय पांडो, रूपसिंह डामोर, ठा.हनुमंत सिंह डाबडी, नवलसिंह नायक, राजेन्द्र अग्निहोत्री, चंदु पडियार, जिला पंचायत उपाध्यक्ष चंदवीरसिंह राठौर, जिला कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष राजेष भटट, युवक कांग्रेस अध्यक्ष आषीश भूरिया, एनएसयूआई जिलाध्यक्ष विनय भाबोर, महिला कांग्रेस अध्यक्ष कलावती मेडा, प्रवक्ता, हर्श भट्ट, आचार्य नामदेव, जिला महामंत्री यामीन षेख, वीरेन्द्र मोदी, जितेन्द्र प्रसाद अग्निहोत्री, अलीमुद्दीन सैयद, सलेल पठान, सलीम षेख, देवीलाल भानपुरिया, ब्लाॅक कांग्रेस अध्यक्ष हेमचंद्र डामोर, गंेदाल डामोर, मन्नालाल हामड, पारसिंग डिंडोर, कालू मुणिया, अग्निनारायण सिंह, कैलाष डामोर, षहर कांग्रेस अध्यक्ष बंटु अग्निहोत्री, पूर्व विधायकगण वीरसिंह भूरिया, वालसिंह मेडा, रतनसिंह भाबोर, जेवियर मेडा, गंगाबाई बारिया, कांग्रेस नेता मानसिंग मेडा, गोपाल षर्मा, गौरव सक्सेना, षब्बीर भाई बोहरा, मांगीलाल सोलंकी आदि ने षोक व्यक्त करते हुए श्रद्वांजलि अर्पित की है।

पीजी की शिकायत 10दिनों से अधिक लंबित ना रहे, समयावधि पत्रों की समीक्षा बैठक सम्पन्न

झाबुआ---कलेक्ट्र्रेट सभाकक्ष में आज समयावधि पत्रों की समीक्षा बैठक संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता प्रभारी कलेक्टर श्री अनुराग चैधरी ने की। बैठक में लंबित समयावधि पत्रों, जनशिकायत, जनसुनवाई, सी.एम. हेल्पलाइन के प्रकरणों की विभागवार समीक्षा की गई एवं आवश्यक निर्देश दिये गये। बैठक में  प्रभारी कलेक्टर श्री अनुराग चैधरी ने कार्यालय प्रमुखों को निर्देशित किया कि पी.जी. कोड की शिकायत 10 दिवस से अधिक लंबित ना रहे। सी.एम. हेल्पलाईन का कोई भी प्रकरण एल-4 पर नहीं जाना चाहिए। बैठक में प्रभारी कलेक्टर श्री चैधरी ने कहा कि कोई भी जिला अधिकारी बिना कलेक्टर की अनुमती के मुख्यालय नहीं छोडे। बिना अनुमति के मुख्यालय छोडने वाले 5 अधिकारियों को नोटिस जारी करने के निर्देश एडीएम को दिये। परीक्षाऐं समाप्त होने के बाद शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए विकासखण्ड स्तर एवं जिला स्तर पर समस्याओं के निदान के लिए शिविर आयोजित किये जाएंगे। शिविर आयोजन के लिये सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को निर्देशित किया। शासकीय उचित मुल्य की दुकान के जितने भी उपभोक्ता है उनके आधार की सीडिंग समग्र पोर्टल पर 31 मार्च 2016 तक करवाने के लिए जिला आपुर्ति अधिकारी को निर्देशित किया। सड़क की खराबी के कारण दुर्घटना होने की स्थिति में सड़क निर्माण एजेन्सियों को नोटिस जारी कर क्रिमीनल एक्ट के तहत दण्ड़ात्मक कार्यवाही की जाएगी। इसके लिए एसडीएम एवं जिला परिवहन अधिकारी को निर्देशित किया। जिले में जल संसाधन विभाग एवं आरईएस विभाग के तालाबों में मत्स्य पालन करवाने के लिए मत्स्य अधिकारी को निर्देशित किया। 0-18 वर्ष तक के सभी बच्चों के आधार सीडिंग का कार्य 31 मार्च 2016 तक करने के निर्देश प्रभारी अधिकारी ई-गवर्नेंस को दिये।

अनुभूति अभियान 8 से 26 फरवरी तक चलेगा

jhabua news
झाबुआ---म0प्र0 शासन सामाजिक न्याय विभाग अंतर्गत जिला झाबुआ में निःशक्तजनों के समग्र पुनर्वास अंतर्गत ‘‘अनुभूति अभियान‘‘ प्रारंभ किया जा रहा है। अभियान 8 से 26 फरवरी तक चलाया जाएगा। ‘‘अनुभूति अभियान‘‘ के तहत प्रथम चरण में जिले में समस्त निःशक्तजनों का स्वास्थ्य परीक्षण तथा मूलभूत सुविधाओं हेतु चिन्हांकन की कार्यवाही की जावेगी तथा द्वितीय चरण में निःशक्तजनों को विभिन्न उपकरणो/सहायक उपकरणों का वितरण सुनिश्चित कराया जावेगा साथ ही शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं में पात्रता अनुसार लाभान्वित किया जावेगा। अभियान के सफल क्रियान्वयन हेतु कलेक्टर झाबुआ द्वारा अनुविभागीय अधिकारी को अपने अनुभाग क्षैत्रान्तर्गत नोडल अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। नगरीय निकाय क्षैत्रान्तर्गत सहायक नोडल अधिकारी मुख्यनगर पालिका अधिकारी रहेगे। ‘‘अनुभूति‘‘ के तहत प्रथम चरण में विकासखण्ड झाबुआ में 08 एवं 18 फरवरी 2016 को, विकासखण्ड रामा में 09 एवं 25 फरवरी 2016 को, विकासखण्ड पेटलावद में 10 एवं 24 फरवरी 2016 को, विकासखण्ड मेघनगर में 11 एवं 17 फरवरी 2016 को,  विकासखण्ड थांदला में 12 एवं 26 फरवरी 2016 को, एवं विकासखण्ड राणापुर में 16 एवं 23 फरवरी 2016 को प्रातः 9 बजे से रात्रि 9 बजे तक शिविर आयोजित किये जायेगे।

अनुभुति अभियान में बनेगी डाक्युमेन्ट्री
प्रभारी कलेक्टर श्री अनुराग चैधरी ने बताया की अनुभुति अभियान में जिले के हर जरूरतमंद निःशक्त व्यक्ति को चिन्हित कर यदि उसे किसी प्रकार की बीमारी है, तो शासन की योजनाओं के तहत उपचार करवाया जाएगा एवं शासन की जनकल्याणकारी योजनायों में लाभान्वित किया जाएगा। आगामी 8 फरवरी से 26 फरवरी तक विकासखण्ड़ स्तर पर शिविर आयोजित कर निःशक्तजन का नाम, पता एवं निःशक्तता संबंधी जानकारी पंचायत वार बनाई जाएगी।

जिन व्यक्तियों के पास प्रमाण-पत्र है वे साथ में लाये
प्रभारी कलेक्टर श्री अनुराग चैधरी ने सभी ग्राम पंचायत सचिवों को निर्देशित किया है कि ग्राम पंचायत के ऐसे निःशक्तजन जिनं को निःशक्तता संबंधी प्रमाण-पत्र जारी हो चुके है वे सभी साथ में लाये, ताकि उन व्यक्तियों को सीधे योजना से लाभान्वित किया जा सके। शिविर में श्रम विभाग अपना काउन्टर लगाकर विभागीय योजनाओं से हितग्राहियों को लाभान्वित करेंगे।

विश्व केंसर दिवस पर संगोष्ठि आयोजित

झाबुआ----आज विश्व केंसर दिवस के अवसर पर जिला चिकित्सालय झाबुआ में स्वास्थ्य विभाग द्वारा एवं म.प्र.जन अभियान परिषद् द्वारा चयनीत ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति गैलरछोटी में संगोष्ठि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर जिला चिकित्सालय में डाँ. परमार एवं डाँ. कौशल द्वारा मरीजों को केंसर से बचाव के लिए जानकारी दी गई दवं म.प्र. जन अभियान परिषद् के ब्लाक समन्वयक श्री दयाराम मुवेल द्वारा केंसर जैसी घातक बीमारी के संबंध में गांव के युवा वर्ग को प्रेरणा देते हुए कहा गया कि गांव में महिला, बच्चे, पुरूष सभी गुटखा, पाउच के शौकीन हो गये लेकिन वह एक केंसर जैसी घातक बिमारी को निमंत्रण दे रहे है। कैंसर से के लिए तम्बाकु सेवन का त्याग करे। इस अवसर पर गांव की महिला व पुरूषों द्वारा गुटखा पाउच का सेवन नहीं करने का संकल्प लिया गया और बच्चों को इसका सेवन करने करने से रोकने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष श्री छगनलाल भाबोर, सचिव विजय हटिला सदस्य दितिया भाबोर तड़वी, जोगड़ा भाबोर, नाथिया भाबोर एवं ग्रामीणजन उपस्थित थे।

आदिवासी उपयोजना अन्तर्गत विशेष केन्द्रीय सहायता, के संबंध में बैठक संपन्न

झाबुआ ---आदिवासी उपयोजना अन्तर्गत विशेष केन्द्रीय सहायता एवं संविधान के अनुच्छेद 275 (1) अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2016-17 की कार्ययोजना/प्रस्ताव तैयार करने के संबंध में कार्ययोजना तैयार करने के संबंध में आज बैठक आयोजित की गई है। बैठक में प्रभारी कलेक्टर श्री अनुराग चैधरी एवं एडीएम श्री दिलिप कपसे ने विभागीय अधिकारियों को 8 फरवरी तक कार्ययोजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।

बलात्कार के दो अपराध पंजीबद्ध 

झाबुआ---फरियादिया ने बताया कि वह घर पर अकेली थी। आरोपी चैनसियो पिता वीजन मेंडा, निवासी झावलिया का आया व बुरी नियत से दस रूपये देकर खाट पर लेटा दिया व खुद कपडे उतार कर नंगा होकर फरि0 के उपर चढने लगा, फरि0 के चिल्लाने पर आरोपी कपडे पहन कर भाग गया। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अप0क्र0 69/16, धारा 376, 511 भादवि एवं 3/4 लै0अ0बा0संर0 अधिनियम 2012 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। वही फरियादिया ने बताया कि आरोपी मोहन पिता नाथु कटारा, निवासी हमीरगढ का रात में आया व घर में घुस कर बजरन बलात्कार किया व चिल्लाने पर जान से मारने की धमकी दी। प्रकरण में थाना रायपुरिया में अप0क्र0 34/16, धारा 450,376, 506 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

 जिन्दा कारतुस कट्टे सहीत धराया 

झाबुआ---थाना कोतवाली झाबुआ के द्वारा मुखबिर की सूचना के आधार पर आरोपी शंकर पिता कासिया मेंडा, पंकज पिता कासीया मेंडा, निवासीगण खंगेला दाहोद के कब्जे से 01 देशाी कटटा, 12 बोर दो नाल, 04 कारतुस जिंदा जप्त कर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अप0क्र0 70/16, धारा 25(1) 27 आम्र्स एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

गुम इंसान का प्रकरण पंजीबद्ध

झाबुआ--फरियादी केशरसिंह पिता वागजी निवासी उमरकोट ने बताया कि लडकी दिपीका पिता केशरसिंह, उम्र 19 वर्ष निवासी उमरकोट की बिना बताये कहीं चली गयी।  प्र्रकरण में थाना कालीदेवी में गुम इंसान क्र0 02/15, धारा 174 जा0फौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
  
अज्ञात का कंकाल मीला
      
झाबुआ---फरियादी ने बताया कि अज्ञात पुरूष का कंकाल, उम्र करीबन 40-45 वर्ष खवासा दिता के खेत के किनारे पडा था। प्र्रकरण में थाना थांदला में मर्ग क्र0 05/15, धारा 174 जा0फौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

जहरीली दवाई पीने से मोत
      
झाबुआ---मृतक धुमसिंह पिता रेवा भुरिया, उम्र 40 वर्ष निवासी कोकावद ने जहरीली दवाई पिने के कारण ईलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। प्र्रकरण में थाना कालीदवेी में मर्ग क्र0 17/15, धारा 174 जा0फौ0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

जो मालिक थे आज नौकर बन गए और जो नौकर थे राज्य के मालिक बन बैठे हैं-हेमन्त सोरेन

$
0
0
  • 37 वंे झारखण्ड दिवस के अवसर पर गाँधी मैदान दुमका में विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए झामुमों के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा

jmm-staiblishment-day-dumka
जल, जंगल, जमीन हमारा किन्तु यहाँ का खजाना दूसरों के लिये है। जो मालिक थे आज नौकर बन कर रह गए और जो नौकर थे वे आज झारखण्ड के मालिक बन बैठे हैं। पूरे भारतवर्ष में झारखण्ड ही एक मात्र ऐसा राज्य है जहाँ का मुख्यमंत्री इस राज्य का नहीं हैं। इतना ही नहीं मुख्य सचिव भी इस राज्य से बाहर के हैं। जब तक झारखण्डी सपूत राज्य में नहीं बैठेगा तब तक झारखण्ड का विकास नहीं हो सकता। 37 वें स्थापना दिवस के अवसर पर झामुमों के कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन ने दुमका के ऐतिहासिक गाँधी मैदान से 02 फरवरी की देर रात संताल परगना के विभिन्न जिलों से हजारों की तादाद में दुमका पहुँचें लोगों की महती सभा को संबोधित करते हुए उपरोक्त बातें कही। श्री सोरेन ने कहा राज्य की वर्तमान सरकार आदिवासियों-मूलवासियों के बीच षडयंत्र रच रही है। पार्टी अध्यक्ष दिशोम गुरु व दुमका के सांसद शिबू सोरेन, झामुमों केन्द्रीय समिति के महासचिव अधिवक्ता विजय सिंह, राजमहल के सांसद विजय हांसदा, विधायक प्रो0 स्टीफन मराण्डी, नलिन सोरेन, रविन्द्र नाथ महतों, सीता सोरेन, अमित महतों, कुणाल सारंगी, अनिल मुर्मू, पूर्व विधायक शशांक शेखर भोक्ता, हाजी हुसैन अंसारी, लोबिन हेम्ब्रम इत्यादि की उपस्थिति में श्री सोरेन ने कहा सरकार मजदूर व किसान विरोधी नीति अपना रही है तथा कानून बना रही है। 

यह सरकार दलाली के काम से भी परहेज नहीं कर रही है। श्री सोरेन ने कहा 37 वर्ष पूर्व इस क्षेत्र के आदिवासियों-मूलवासियों ने मिलकर झामुमों का गठन किया था। अपनी संस्कृति, अपने धरोहरों को बचाने के लिये तथा जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में शोषण व दमन के शिकार हमारे पूर्वजों ने संघर्ष का शंखनाद किया था तथा अपनी कुर्बानियाँ दी थी। काफी संघर्षों के बाद झारखण्ड राज्य अस्तित्व में आया। पिछले वर्ष के चुनाव में इस क्षेत्र के आदिवासियों-मूलवासियों से काफी भूल हो गई थी जिसके शिकार आज हम सभी हैं। बाहरी लोगों के हाथों में शासन की बागडोर चली गई है। श्री सोरेन ने कहा आगे-आगे मोदी चल रहे हैं और पीछे-पीछे अडानी-अंबानी। उन्होनें कहा गोड्डा में अडानी के लिये रघुवर सरकार भूमि अधिग्रहण का कार्य कर रही है। मात्र 14 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से आदिवासियों की जमीन खरीदी जा रही है तथा उन्हें उनकी ही जमीन से बेदखल किया जा रहा है। बच्चों की पढ़ाई, सगे-संबंधियों के शादी-ब्याह व इलाज  के लिये जमीन ही आदिवासियों की एक मात्र संपत्ति हुआ करती है जिसे बेचकर वे उपरोक्त की पूर्ति कर पाने में सक्षम होते हैं। उन्होनें कहा पूँजीपतियों के लिये भूमि बैंक बन रहा है। 

jmm-staiblishment-day-dumka
गरीब दफनाए जाऐगें तथा पूँजीपतियों को अडानी खंड में तब्दील किया जाऐगा। श्री सोरेन ने कहा हम उद्योग के विरुद्ध नहंीं हैं किन्तु आदिवासियों को उजाड़कर ऐसा काम नहीं किया जा सकता। श्री सोरेन ने कहा उद्योगपतियों को 30 वर्ष के दी जा रही जमीन के एवज में सरकार 14 लाख लेती है जबकि आदिवासियों की ली जा रही जमीन से सरकार 2 करोड़ रुपये का आय प्राप्त कर रही है। मालिकाना हक सरकार ने ही ले रखा है। उन्होनें कहा रैयतों की जमीन 30 वर्ष के लिये ही ली जाय। सरकारी दर से 4 गुणा अधिक जमीन मालिकों को रकम का भुगतान किया जाय। उन्होनें कहा उद्योग के लिये आदिवासियों-मूलवासियों की जमीन का अधिग्रहण शीघ्र बंद हो। मुख्यमंत्री रघुवर दास पर तंज कसते हुए श्री सोरेन ने कहा यह सरकार वादा करो और फिर बाद में पलट जाओ वाली सरकार है। मुख्यमंत्री सुबह कुछ बोलते हैं और शाम कुछ और ही बात बोल जाते हैं। फरवरी 2015 में मुख्यमंत्री ने कहा था कि छः महीनें में सभी रिक्ति भर देगें। एक वर्ष हो गए। नौकरियाँ मिली क्या ? दो महीनें में स्थानीयता नीति घोषित हो जाऐगी, स्थानीयता नीति घोषित हुई क्या ? बिना स्थायी नीति बनाए सरकार बहाली की कोशिशें कर रही है। भाजपा अध्यक्ष पर प्रहार करते हुए श्री सोरने ने कहा कि वे कहते हैं इस राज्य में स्थानीय नीति की जरुरत ही नहीं है। 

इससे उनकी नियत में साफ खोट का पता चलता है। जल, जंगल, जमीन हड़पने की तैयारी की जा रही है। सड़क से सदन तक इनका विरोध करने की जरुरत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता झामुमों के केन्द्रीय महासचिव विजय सिंह ने की जबकि मंच संचालन का कार्य जिलाध्यक्ष सुभाष सिंह ने किया। इससे पूर्व राजमहल के सांसद विजय हांसदा, पाकुडि़या के विधायक स्टीफन मरांडी, लिट्टीपाड़ा के विधायक डा0 अनिल मुर्मू, शिकारीपाड़ा के विधायक नलिन सोरेन, नाला के विधायक रवीन्द्र नाथ महतों, सिल्ली के विधायक अमित कुमार, बहरागोड़ा के विधायक कुणाल सारंगी, ने मंच से लोगों को संबोधित किया था। सांसद विजय हांसदा ने कहा मात्र 14 महीनें के शासनकाल में हेमन्त सोरेन ने जिन-जिन योजनाओं की शुरुआत की थी इस सरकार ने उन सभी योजनाओं को बंद कर दिया। गरीब-गुरुवों को धोती-साड़ी, विधवा व वृद्धा पेंशन से दूर कर रखा है। 02 फरवरी की मध्यरात्रि के संबोधन के बाद रात्रि 02ः25 बजे सभा की कार्यवाही खत्म हुईं। हजारों की संख्या में गाँधी मैदान में आदिवासी-मूलवासी अपने-अपने नेताओं को सुनने के लिये बैठे हुए थे। 
Viewing all 74313 articles
Browse latest View live




Latest Images