- जबकि 600 करोड़ की लागत से बनने वाली सड़कों का शिलान्यास कार्यक्रम हुआ संपन्न।
गाँधी मैदान, दुमका में दिन रविवार (21 फरवरी 2016) को मुख्यमंत्री, झारखण्ड रघुवर दास के कर कमलों से जिन योजनाओं का लोकार्पण हुआ उनमें पत्ताबाड़ी-मसानजोर पथ (पथ की लम्बाई 14.70 कि.मी.) यह पथ राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 114 ए के 15वें कि.मी. से प्रारंभ होकर पथ के 15 वें कि.मी. में मसानजोर डैम, जो पर्यटन की दृष्टिकोण से दर्शनीय स्थल हैै, तक जाती है तथा रानीबहाल-महेशखाला (पश्चिम बंगाल राज्य सीमा) तक जानेवाली पथ को संपर्क प्रदान करती है। यह पथ पत्ताबाड़ी, इंदरबनी, चकलता, पहरूडीह, कीताडीह, बाघनल, बसमत्ता, जीतपुर, दरबारपुर, झाझापाड़ा आदि गाँँवों होकर मसानजोर तक जाती है। यह पथ व्यवसायिक दृष्किोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि सघन खनन क्षेत्र से गुजरने वाली दुमका-रामपुरहाट पथ के विकल्प के तैार पर इसका उपयोग होता है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने के लिए महत्त्वपूर्ण पथ है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की भी पर्याप्त आबादी हैै। इस पथ की चैड़ाई 7 मीटर है। शिवपहाड़ चैक-गिधनी पहाड़ी-सगरभंगा-गोबरधना-चाँदनीचैक-धनबाड़ी-झिलीमिली-शहरजोरी हटिया पथ (पथ की लम्बाई 25.90 कि.मी.) शिवपहाड़ चैक-शहरजोरी हटिया पथ दुमका-साहेबगंज पथ के दूसरे कि.मी. से प्रारंभ होकर काठीकुण्ड - शिकारीपाड़ा पथ के 5वें कि.मी. में शहरजोरी हटिया के पास अंत होती है।
यह गधनीपहाड़ी, सगरभंगा, धोबना, चाँदनीचैक धनबाड़ी, झिलीमिली एवं शहरजोरी आदि गाँवों से गुुजरती है। इस पथ का अधिकांश भाग नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण तथा पत्थर, बालू आदि खनन सामग्रियों के परिवहन की दृष्टिकोण से भी यह पथ काफी महत्वपूर्ण है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन के दृष्टिकोण तथा आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की पर्याप्त आबादी हैै। सूदूर गाँवों से कृषि उत्पाद को दुमका शहर तक लाने के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है। दोंदिया-गुजिसेमल पथ (पथ की लम्बाई 17.365 कि.मी.) यह पथ दुमका-साहेबगंज पथ के 12वें कि.मी. से प्रारंभ होकर दुमका-रामपुरहाट पथ के 12वें कि.मी. में गुजीसीमल के पास अंत होती है। यह दोंदिया, लेटो, राजबाँध, आसनमनी, बड़तल्ली, गांदो, शहरघाटी, लकडा एवं गुुजीसीमल आदि गाँवों से गुुजरती है। इस पथ का अधिकांश भाग नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण एवं पत्थर, बालू आदि खनन सामग्रियों के परिवहन की दृष्टिकोण से भी यह पथ काफी महत्वपूर्ण है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्किोण से एवं आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की पर्याप्त आबादी हैै। सुदूर गाँवों से कृषि उत्पाद को दुमका शहर तक लाने के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है। रानीबहाल - महेशखाला पथ (पथ की लम्बाई 19.137 कि.मी.) यह पथ मसानजोर डैम (रानीबहाल) से प्रारंभ होकर महेशखाला (पश्चिम बंगाल राज्य सीमा) तक संपर्क प्रदान करती है। यह अंतर्राज्यीय पथ है। यह पथ व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि सघन खनन क्षेत्र से गुजरने वाली दुमका-रामपुरहाट पथ के विकल्प के तैार पर इसका उपयोग होता है।
यह पथ बंदरकोदा, रानीबहाल, मुड़जोड़ा, शादीपुर, तकीपुर, रघुनाथपुर, रानेश्वर, सुखजोड़ा, कुमीरदाहा, महेशबथान, पथरा, महेशखाला आदि गाँवों होकर गुजरती है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने के लिए भी महत्त्वपूर्ण पथ है। सूदूर गाँवों से कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं पश्चिम बंगाल राज्य के सिउड़ी जिला मुख्यालय तक परिवहन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। कोलकत्ता पोर्ट तक सड़क मार्ग से माल परिवहन के लिए भी यह मार्ग सर्वोत्तम साबित हो रहा है। इस पथ की चैड़ाई 7 मीटर है। सुड़ीचुआँ से मलूटी पथ (पथ की लम्बाई 6.35 कि.मी.) यह पथ राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 114ए के 49वें कि.मी. से प्रारंभ होकर धार्मिक आस्था का प्रसिद्ध मलूटी स्थित माँ मौलिक्ष्या देवी की मंदिर से होते हुए पश्चिम बंगाल राज्य सीमा तक जाकर अंत होती हैै। माँ मौलिक्ष्या देवी को तारापीठ स्थित सिद्धपीठ माँ तारा देवी की बड़ी बहन कही जाती है। यह पथ सुड़ीचुआँ, सिजुआ, चाँदपुर, घटकपुर एवं मलूटी आदि गाँवो से होकर गुजरती है। टेराकोटा टाइल्स से निर्मित अति प्राचीन 108 मंदिरों का गाँव मलुटी होकर यह पथ गुजरती है, जो पर्यटन की दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। यह पथ व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है क्यांेकि यह सघन खनन क्षेत्र से गुजरने वाली पथ भी है। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं पड़ोसी राज्य के हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। इस पथ की चैड़ाई 7 मीटर है। काठीकुण्ड - शिकारीपाड़ा पथ (पथ की लम्बाई 16.45 कि.मी.) यह पथ दुमका - साहेबगंज पथ के 25वें कि.मी. से प्रारंभ होकर दुमका - रामपुरहाट पथ के 27वें कि.मी. के पास अंत होती है, काठीकुण्ड, शहरजोरी, आमगाछी, भुगतानडीह एवं शिकारीपाड़ा आदि गाँवों से गुुजरती है।
यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। खनन माल परिवहन के दृष्टिकोण से यह पथ महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसे दुमका - रामपुरहाट पथ एवं दुमका - काठीकुण्ड पथ के वैकल्पिक मार्ग के रूप में भी उपयोग किया जाता है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय, शिकारीपाड़ा प्रखंड एवं काठीकुंड प्रखंड आने-जाने केे लिए काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की पर्याप्त आबादी हैै। इस पथ की चैड़ाई 7.0 मीटर है। बुटबेरिया - मुर्गाबनी - पष्चिम बंगाल की सीमा पथ (पथ की लम्बाई 18.95 कि.मी.) यह पथ रघुनाथपुर - बरमसिया पथ के 19वें कि.मी. से प्रारंभ होकर कुलकुलीडंगाल स्थित पश्चिम बंगाल राज्य सीमा पर अंत होती है तथा बुटबेरिया, सरसाजोल, कोलपाड़ा, पलासी, दलदली, कुलकुलीडंगाल आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। खनन माल परिवहन की दृष्टिकोण से भी यह पथ काफी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं पड़ोसी राज्य के हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ मितव्ययी साबित हो रहा है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण हैं। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है।
ठाढ़ीमोड़ - कनहेरा - बन्दरजोरी - सिन्दुरिया पथ (पथ की लम्बाई 12.620 कि.मी.) यह पथ ठाढ़ीहाट से प्रारंभ होकर चन्द्रदीप-मोहनपुर पथ के 11वें कि.मी. के पास अंत होती है तथा कनहेरा, बन्दरजोरा, नौखेता, सिंदुरिया आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने-जाने का महत्त्वपूर्ण पथ है। बड़ा पलासी से ठाढ़ी मोड़ पथ में पड़ने वाले तातलोई गर्म कुंड का झरना तथा बासलोई नदी के तट पर पिकनिक स्पाॅट तक आवागमन के लिए यह पथ काफी सुविधाजनक साबित हो रहा है। बड़ा पलासी से ठाढ़ी मोड़ पथ को भी ग्रामीण कार्य विभाग से अधिग्रहण कर इसके चैड़ीकरण एवं मजबूतीकरण की दिशा में सरकार द्वारा कारवाई की जा रही है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है। रामगढ़़ से हँसडीहा पथ (पथ की लम्बाई 19.80 कि.मी.) यह पथ गोड्डा - रामगढ ़- गुुहियाजोरी पथ के 36वें कि.मी. से प्रारंभ होकर पथ के दुमका - हँसडीहा पथ के 41वें कि.मी. के पास अंत होती है तथा रामगढ़, सारमी, मोहनपुर, राजबाँध, केनखपरा, पिंडारी, हाटगम्हरिया, सेजापहाड़ी, सतरला, परमा, सिलठा आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। यह दो अतिमहत्वपूर्ण एवं लंबे पथ गोड्डा-रामगढ़-गुहियाजोरी पथ एवं रामपुरहाट-दुमका-हँसडीहा- भागलपुर पथ को जोड़ने वाली पथ होने के कारण काफी जनोपयोगी साबित हो रहा है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए दुमका जिला मुख्यालय, बाबा बासुकीनाथ धाम, बाबा बैद्यनाथ धाम, जसीडीह रेलवे स्टेशन, रामगढ़ प्रखंड एवं हँसडीहा थाना आने-जाने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है।
अम्बाझरी - मंगलपुर - झीलमीली - ढाका - करमाटांड पथ (पथ की लम्बाई 16.25 कि.मी.) यह पथ दुमका-साहेबगंज पथ के 19वें कि.मी. से प्रारंभ होकर दुमका - रामपुरहाट पथ के 22वें कि.मी. के पास अंत होती है तथा आमझरी, मंगलपुर, करनपुरा, बाघाशोला, कोलहा, झिलीमिली, ढाका, सिमरा, करमाटाँड़ आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। खनन माल परिवहन के दृष्टिकोण से भी यह पथ काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसे दुमका - रामपुरहाट पथ एवं दुमका - काठीकुण्ड पथ के वैकल्पिक मार्ग के रूप में भी उपयोग किया जाता है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित हो रहा है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय, काठीकुंड प्रखंड एवं शिकारीपाड़ा प्रखंड आने-जाने का काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस पथ की चैड़ाई 5.5 मीटर है। सड़कें जिसका शिलान्यास किया गया है उसकी विशेषतायें निम्न हैं:- दुमका रिंग रोड पथ (पथ की लम्बाई 7.35 कि.मी.) यह पथ दुमका - साहेबगंज पथ के 3रें कि.मी. से प्रारंभ होकर दुमका - रामपुरहाट पथ के 6ठें कि.मी. के पास अंत होती है तथा श्रीअमड़ा, जोगीडीह, कोदोखीचा, बाघडुब्बी, आंदीपुर, खेरबनी, कुरूवा-रामपुर आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ दुमका शहर का बाईपास पथ है। वर्तमान में दुमका शहर से होकर हजारों की संख्या में व्यवसायिक वाहनों के आवागमन से जान-माल की हानि की आशंका बनी रहती है। खनन माल परिवहन के दृष्टिकोण से यह पथ काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसे दुमका-रामपुरहाट पथ एवं दुमका-काठीकुण्ड पथ के वैकल्पिक एवं संपर्क मार्ग के रूप में भी उपयोग किया जायगा। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित होगा। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का महत्त्वपूर्ण पथ है। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 7.0 होगी। आसनसोल - चकलता पथ का चैड़ीकरण एवं मजबूतीकरण कार्य (पथ की लम्बाई 13.800 कि.मी.) यह पथ दुमका - हवाईअड्डा पथ के 4थें कि.मी. से प्रारंभ होकर पत्ताबाड़ी - मसानजोर पथ के 3रें कि. मी. के पास अंत होती है तथा आसनसोल, मुड़ाबहाल, धधकिया, बासजोरा, गमरा, गंदरकपुर, चकलता आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ मसानजोर डैम जैसे पर्यटन स्थल एवं पश्चिम बंगाल स्थित सिउड़ी जाने के लिए दुमका-रामपुरहाट पथ एवं पत्ताबाड़ी - मसानजोर पथ का वैकल्पिक मार्ग होगा।
इस पथ के निर्माण से मयुराक्षी नदी के जल-ग्रहण क्षेत्र एवं मसानजोर जलाषय क्षेत्र में बसने वाले ग्रामीणों के लिए जीवन-रेखा साबित होगा। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी काफी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित होगा। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का काफी महत्त्वपूर्ण पथ है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की भी पर्याप्त आबादी हैै। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 7.0 होगी। मुड़ाबहाल - मकरपुर पथ का निर्माण कार्य (पथ की लम्बाई 6.35 कि.मी.) यह पथ आसनसोल - चकलता पथ के 5वें कि.मी. से प्रारंभ होकर सितपहाड़ी - सिगड़ीहड़को पथ के 12वें कि.मी़ के पास अंत होती है तथा मुड़ाबहाल, केन्द्रपानी, नयाडीह, जामदली, कुमड़ाबाद, मकरमपुर आदि गाँवों से गुुजरती है। यह पथ सुदूर ग्रामीणों के लिए आवागमन की दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण हैं। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ काफी मितव्ययी साबित होगा। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग के बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का महत्त्वपूर्ण पथ साबित होगा। यह पथ मसानजोर डैम जैसे पर्यटन स्थल एवं पश्चिम बंगाल स्थित सिउड़ी जाने के लिए आसनसोल-चकलता पथ से मुड़ाबहाल में धधकिया चैक के पास मिलती है। मसलिया प्रखंड अंतर्गत सितपहाड़ी-सिग्रीहरको पथ को आसनसोल - चकलता पथ से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण पथ है। मरकरमपुर एवं गिर्द-गिर्द के नक्सल प्रभावित क्षेत्र तक प्रशासन की शीघ्र पहुँच के लिए भी यह पथ काफी सुविधाजनक एवं नजदीक साबित होगी। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 5.5 मीटर होगी। श्रीअमड़ा - गोलपुर एंव सिद्धो कान्हू विष्वविधालय के लिंक पथ का निर्माण कार्य (पथ की लम्बाई 11.30 कि.मी.) यह पथ दुमका - साहेबगंज पथ के 3रें कि.मी. से प्रारंभ होकर शिवपहाड़ -शहरजोरी पथ के 7वें कि.मी. के पास अंत होती है तथा श्रीअमड़ा, दिग्घी, चाँदोपानी, उपरमुर्गाथली, हेटमुर्गाथली, गोलपुर, सागबैहरी आदि गाँवों से गुुजरती है। इसमें सिद्धो कान्हू मुर्मूू विश्वविद्यालय का लिंक पथ भी समाहित है। संथाल परगना प्रमंडल के एक मात्र विश्वविद्यालय एवं मेडिकल काॅलेज के लिए दोहरी लेन पथ की सुविधा प्राप्त होगी। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का महत्त्वपूर्ण पथ है। गाँवों केे कृषि उत्पाद को दुमका शहर एवं नजदीकी हाट-बाजार तक आवागमन के लिए यह पथ मितव्ययी साबित होगा। यह पथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र से गुजरने के कारण प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस मार्ग में पहाडि़या आदिम जनजाति की बहुलता हैै।
पहाडि़या जनजाति के छात्र-छात्राओं को दुमका शहर आकर समुचित शिक्षा प्राप्त करने में यह पथ काफी सहायक होगा। वर्तमान सरकार के शपथ ग्रहण के बाद माननीय मुख्यमंत्री द्वारा हेटमुर्गाथली गाँव में पहाडि़या समुदाय के ग्रामीणों के बीच जाकर विकास एवं स्वालंबन की ज्योंति जलाने के प्रयास क्रम में इस पथ के निर्माण की घोषणा वर्ष 2015 में की गई थी, जो अब मूर्तरुप लेने जा रहा है। यह सरकार के स्तर से गरीब, उपेक्षित एवं आदिम जनजातीय समुदाय के प्रति कल्याणकारी कदम का सार्थक प्रयास है। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 7.0 मीटर होगी। दुमका - मसालिया - कुंडहित - नाला पथ (पथ की लम्बाई 53.355 कि.मी.) यह पथांष दुमका-मसालिया -कुंडहित-नाला पथ के 13वें कि.मी. से प्रारम्भ होकर 67वें कि.मी. पर समाप्त होता है। इस पथ का प्रारंभिक 13 कि.मी. पथांष ए.डी.बी. फेज-1 (गोविदन्दपुर-साहेबगंज पथ) परियोजना का अंष है तथा यह भाग निर्माणाधीन है। पथ की कुल लंबाई 53.355 कि.मी. में से 20 कि.मी. दुमका जिला तथा षेष जामताड़ा जिला में स्थित है। यह पथ आदिवासी एवं अत्यन्त पिछड़े वर्ग बाहुुल्य क्षेत्र के लोगों के लिए जिला मुख्यालय आने का महत्त्वपूर्ण पथ है। इस पथ के निर्माण से भागलपुर, रामपुरहाट से आसनसोल तक दुमका जिला होते हुए आवागमन बेहतर होगा। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 10 मीटर है दुमका - हंसडीहा तक बिहार सीमा पथ (पथ की लम्बाई 44.200 कि.मी.) विषयगत परियोजना एस एच-17 पथ का अंष है। यह पथ दुमका के पास महारो मोड़ के 7वें कि.मी. से शुरू होता है एवं बिहार सीमा के 52वें कि.मी. तक बारापलासी, नोनीहाट और हॅसडीहा के अन्य क्षेत्रों से होते हुए जाती है। यह पथ हॅसडीहा से बांका का सम्पन्न पथ है। यह पथ बिहार में एस एच-19 के रूप में आरंभ होकर झारखंड में एस एच-17 में परिवर्तित हो जाती है। यह पथ 4 किमी० को छोड़कर दुमका जिले में पूरी तरह से निहित है। एस एच-17 पथ दुमका, जामा, जरमुण्डी, रामगढ़ ओैर सरैया के पांच ब्लाकों और गोड्डा के एक ब्लाकों से होकर जाती है । इस तरह पथ की कुल लंबाई 44.2 किमी है। यह झारखंड के दुमका और बिहार के भागलपुर का एक महत्वपूर्ण पथ माना जाता है। दुमका-भागलपुर ही नहीं अपितु पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर तक के रास्ते को सुगम बनाता है। इस पथ की प्रस्तावित चैड़ाई 10 मीटर है। इन सड़कों के माध्यम से यहाँ के आवागमन के साथ पर्यटन एवं औद्योगिक विकास को बल मिलेगा। क्षेत्र के आर्थिक व समाजिक परिवेष में आमूलचूल बदलाव होगा। पथ निर्माण विभाग के माध्यम से बनने वाली सड़कें अच्छी एवं उच्च गुणवत्ता की हो, इसके लिए जन सहयोग अत्यंत जरूरी पहलू है। तीव्र विकास की प्रक्रिया में जन सहयोग अपेक्षित है। आने वाले दिनों में पथ निर्माण विभाग की कई महती परियोजनाएँ धरातल पर उतरेगंी जो संतालपरगना को अलग पहचान देगी।