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जेएनयू की आग को बुझाने का काम हम सबको करना चाहिए : शबाना

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आजमगढ 21 फरवरी, सिने तारिका व पूर्व सांसद शबाना आजमी ने कहा है कि जवाहर लाल विश्वविद्यालय (जेएनयू) का मामला अचानक नही भडका है इस पर निगाह पहले से ही रखी गयी थी । उन्होने कहा कि जेएनयू की आग को बुझाने का काम हम सबको करना चाहिए। ऐसा नही है कि यह सब अचानक हो गया इस पर निगाह पहले से ही रखी गयी थी। फिल्म अभिनेत्री ने स्वर्गीय कैफ़ी आज़मी की शायरी “प्यार का जश्न इस तरह मनाना होगा, ग़म किसी के सीने में हो उसको मिटाना होगा ” से लोगो को एक नयी दिशा देने का सन्देश दिया। अपने गृह जिला आजमगढ़ के बनकट बाजार मे स्थित एक निजी स्कूल के वर्षगांठ के अवसर पर मुख्य अतिथि सिने तारिका शबाना आजमी ने कहा कि इस तरह के स्कूलो की जिले में काफी जरूरत है। स्कूल में जिस प्रकार से भारतीय संस्कृति और सभ्यता की झलक देखने को मिली है वह काफी सराहनीय है। स्कूल को अपनी नाम की तरह अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर काम करना चाहिये। 

फिल्म अभिनेत्री ने अपनी आने वाली फिल्म नीरजा को मिल रहे लोगो के सहयोग से काफी खुश दिखी और कहा कि फिल्म नीरजा में उन्होंने नीरजा के मां का किरदार निभाया है। उन्होंने कहा कि अपने फिल्म कैरियर के 40 सालो के दौरान इतनी प्रसन्नता नही मिली जितनी इस फिल्म को लेकर पूरी युनिट को मिल रही है और इस फिल्म को उत्तर प्रदेश सरकार ने टैक्स फ्री कर दिया है। फिल्म अभिनेत्री ने कहा की समाज की तरक्की के लिए शिक्षा बहुत ज़रूरी है। शिक्षा से ही राष्ट्र की तरक्की हो सकती है। उन्होंने देश की तरक्की के लिए महिलाओँ के सम्मान और बराबरी का दर्जा देने पर जोर दिया। महिला को सम्मान मिलेगा तभी सामाजिक बुराइयां समाप्त होंगी। उन्होंने कहा कि आबादी के पचास फ़ीसदी हिस्से को नज़रअंदाज़ कर के हम राष्ट्र की तरक्की की कल्पना नहीं कर सकते। 

उन्होंने कहा कि पारिवारिक परवरिश से ही संस्कार मिलता है और उसी का समाज में प्रतिबिम्ब दिखता है ।उन्होंने स्वर्गीय कैफ़ी आज़मी साहब की शायरी “प्यार का जश्न इस तरह मनाना होगा, ग़म किसी के सीने में हो उसको मिटाना होगा ” से लोगो को एक नयी दिशा देने का सन्देश दिया। उन्होंने बेटी को गर्भ में ही मार देने पर चिंता जताई, कहा कि समाज को बेटी.बेटे में फर्क नहीं सोचना होगा क्योकि बेटियाँ आज किसी भी मायने में बेटे से कम नहीं हैं। देश के शीर्ष पदों पर महिलाओं ने नेतृत्व कर दिखा दिया कि वह किसी से कम नही हैं1 

संन्यास के सवाल पर भड़के धोनी, कहा मेरा जवाब नहीं बदलेगा

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कोलकाता, 21 फरवरी, अपने संन्यास को लेकर चल रही अटकलबाजियों से परेशान टीम इंडिया के सीमित ओवरों के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रविवार को एशिया कप के लिये बंगलादेश रवाना होने से पहले कहा कि प्रत्येक मंच पर उनसे इस तरह के सवाल किए जाने से उनका जवाब नहीं बदलेगा आैर वह लंबे समय तक खेलना जारी रखेंगे। धोनी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “अगर मैंने कोई बात एक महीने या 15 दिन पहले कही तो मेरा उसे लेकर जवाब नहीं बदलेगा। यह मायने नहीं रखता कि मैं कहां बोल रहा हूं। जवाब तब भी एक जैसा ही होगा। यह उसी तरह से है जैसे कोई पूछे कि तुम्हारा नाम क्या है और मैं कहूंगा महेंद्र सिंह धोनी। यह काफी समय तक एक जैसा ही रहेगा जब तक आप मुझे नया प्रारूप नहीं देते हो।” 34 वर्षीय धोनी ने शुक्रवार को भी साफ किया था कि वह फिलहाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा नहीं कहेंगे। धोनी ने दिसंबर 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के दौरान टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। टीम इंडिया के कप्तान ने कहा, “प्रश्न पूछे जाएंगे। आप मुझे पत्र या प्रार्थना भेजो। यदि आप स्वतंत्र हो तो फिर सभी तरह के सवाल करना सही नहीं है। हर किसी को इस बात का आंकलन करने की स्वतंत्रता है कि क्या करना चाहिए और ऐसा क्यों करना चाहिए क्योंकि अगर किसी को सवाल पूछने का मंच मिला हुआ तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप वही सवाल दोहराते रहो। आज की दुनिया में सब कुछ मीडिया कवर कर रहा है”

भारत ने नौ साल पहले धोनी की अगुवाई में दक्षिण अफ्रीका में पहला ट्वंटी-20 विश्वकप जीता था और उनकी नजरें फिर से इस खिताब पर लगी हुयी है जिसके लिए तैयारियां बंगलादेश में शुरू हो जाएंगी। भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के खिलाफ ट्वंटी-20 सीरीज जीतकर पहले ही लय हासिल कर चुकी है। कप्तान ने टीम की तैयारियों पर संतोष व्यक्त करते हुये कहा,“अच्छी बात यह है कि हमने ऑस्ट्रेलिया में तीन ट्वंटी-20 मैच खेले। हां परिस्थितियां अलग थी लेकिन इसके बाद हम श्रीलंका से खेले। इससे हमें इस प्रारूप से सामंजस्य बिठाने में मदद मिली। ट्वंटी- 20 से टेस्ट प्रारूप में लौटना और टेस्ट से ट्वंटी-20 प्रारूप में लौटने से बेहतर होता है। यह अच्छा है कि हमें इन मैचों में खेलने का मौका मिला। आपको ट्वंटी-20 विश्वकप में बहुत अधिक मैच खेलने को नहीं मिलते हैं और इसलिए अच्छा है कि हमें कुछ मैच खेलने और लय हासिल करने का मौका मिल रहा है।” भारत एशिया कप में 24 फरवरी को मेजबानी बांग्लादेश के खिलाफ अभियान की शुरुआत करेगा। धोनी ने कहा,“ हमारे पास बड़े टूर्नामेंट जीतने के लिये विश्वास और प्रतिभा है। यह टीम हर क्षेत्र में कुशल है। प्रत्येक को फिट रखना महत्वपूर्ण है। यदि सभी को खेलने का मौका मिलता है तो यह हमारे लिए बहुत अच्छा रहेगा। आखिर में आपको मैदान पर उतरकर अच्छा प्रदर्शन करना होता है।” अपनी कप्तानी के बारे में उन्होंने कहा,“ मैं अब भी शत प्रतिशत पहले की तरह ही हूं। मेरे विचारों और रणनीति में कोई बदलाव नहीं आया है। यह निश्चित तौर पर पहले जैसे ही है।” 

कन्हैया की अविलंब रिहाई को लेकर वाम दलों का प्रतिरोध दिवस 23 को

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पटना 21 फरवरी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जे.एन.यू) छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की अविलंब रिहाई और निर्दोष छात्र नेताओं पर से झूठे मुकदमे वापस लेने की मांग को लेकर सभी वामदलों ने आगामी 23 फरवरी को राज्यव्यापी प्रतिरोध दिवस का आयोजन किया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने बताया कि उनकी पार्टी के अलावा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी ), अखिल हिंद फारवर्ड ब्लाॅक, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर (कम्युनिस्ट) और आर.एस.पी. के संयुक्त तत्वावधान में प्रतिरोध दिवस का आयोजन किया गया है। 

उन्होंने बताया कि कन्हैया की रिहाई को लेकर वाम दलों के कार्यकर्ता और समर्थक आगामी 23 फरवरी को राज्य के सभी जिलों में सड़कों पर मार्च करेंगे। इस दौरान केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और दिल्ली के पुलिस आयुक्त बस्सी का पुतला दहन किया जायेगा। श्री सिंह ने बताया कि प्रतिरोध दिवस के दौरान राजधानी पटना में वाम दलों के कार्यकर्ता 23 फरवरी को 11 बजे गाँधी मैदान के समीप करगिल चौक पर इकट्ठे होंगे और वहां से राजभवन के लिए प्रतिरोध मार्च निकाला जाएगा। राज्यभवन पहुंचकर वाम दलों के नेता राज्यपाल को इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपेगे। 

अखिलेश ने बुखारी को किया आश्वस्त,तीन महीनों में पूरी होंगी मांगे

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लखनऊ 21 फरवरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी को आश्वस्त किया कि मुस्लिम समुदाय के उत्थान के लिये उनके द्वारा की गयी सभी मांगों को राज्य सरकार तीन महीनों के भीतर पूरा करेगी। मौलाना बुखारी के नेतृत्व में मुस्लिम समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इस दौरान मुख्य सचिव आलोक रंजन वहां मौजूद थे। मौलाना बुखारी ने पत्रकारों से कहा कि श्री यादव के साथ करीब डेढ घंटे तक चली बैठक सफल रही है। मुख्यमंत्री ने 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा रखी गयी तकरीबन सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि तीन महीनों के भीतर सभी मांगों को पूरा कर लिया जायेगा। श्री बुखारी ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने श्री यादव से राज्य की अलग अलग जेलों में बंद मुस्लिम युवकों की रिहाई की मांग की। वर्ष 2012 के राज्य विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने सत्ता पर आने पर मुस्लिम युवकों की रिहाई का वादा किया था। 

उन्होने बताया “ हम केरल और कर्नाटक की तर्ज पर राज्य सरकार से मुस्लिम समुदाय के पिछडे वर्ग की आरक्षण की मांग करते है। समाजवादी पार्टी सरकार ने मुस्लिम समुदाय से यह वादा पिछले चुनाव में किया था। ” जामा मस्जिद के इमाम ने कहा कि सपा ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह उर्दू मीडियम स्कूल खोलेगी मगर सत्तारूढ होने के चार साल बाद भी राज्य के स्कूलों में उर्दू की कक्षायें शुरू नही हो सकी हैं। इसके अलावा मुस्लिम नौजवानों को नौकरी के अवसर और मुस्लिम अधिकारियों की प्रोन्नति की भी मांग की गयी। सूबे में सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं से श्री यादव को अवगत कराते हुये मुस्लिम नेताओं ने अल्पसंख्यक वर्ग के जानमाल की सुरक्षा की मांग की। मौलाना बुखारी ने कल मुस्लिम प्रतिनिधियों के साथ बैठक में प्रदेश सरकार को पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान किये गये वादों को पूरा करने के लिये तीन महीने का अल्टीमेटम दिया था। उनका आरोप था कि अखिलेश सरकार मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिये किये गये वादों में से एक को भी पूरा नही कर सकी है। उन्होने हिदायत दी थी कि यदि निर्धारित अवधि तक वादे पूरे नही होते है तो 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम सपा को समर्थन नही देंगे।

राजनीतिक, आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष जारी रहेगा : महबूबा

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श्रीनगर, 21 फरवरी, अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के एजेंडे को प्रभावी ढंग से आगे ले जाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुये पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आज कहा कि जम्मू कश्मीर की राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए उनकी पार्टी का संघर्ष जारी रहेगा। पीडीपी अध्यक्ष ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री श्री सईद के जम्मू कश्मीर में शांति, स्थिरता और समृद्ध लाने के मिशन को आगे ले जाने और पूरा करने का संकल्प लिया। पीडीपी सांसद सुश्री महबूबा ने यहां पार्टी सदस्यता अभियान के लिये आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “हमारी पार्टी ने स्पष्ट राजनीतिक प्राथमिकताओं की स्थापना की है और हम जम्मू कश्मीर की राजनीतिक, आर्थिक, प्रशासनिक और वित्तीय समस्याओं के समाधान के अपने संघर्ष को जारी रखेंगे।” 

सुश्री महबूबा ने प्रभावी ढंग से पार्टी के एजेंडे को जमीनी स्तर तक ले जाने और बेहतर कार्य करने के लिये पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी।अपने पिता के बारे में उन्होंने कहा, “60 दशकों के अपने लंबे राजनीतिक कॅरियर में श्री सईद ने हमेशा ही लोगों के हितों को देखते हुये फैसले लिये। उन्होंने कभी भी सत्ता की इच्छा के लिये काम नहीं किया।” सुश्री महबूबा ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि कठिन समय में उन्होंने भी लगभग हर निर्णय सही लिया। 

विशेष : मोदी लिखेंगे दलितों के उत्थान की नयी इबारत

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  • पूर्व मंत्री दीनानाथ भास्कर ने किया दलितों को भाजपा से जुड़ने का आह्वान 

बसपा सुप्रीमों मायावती चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रही, लेकिन एक बार भी रविदास मंदिर में मत्था टेकने नहीं पहुंची। जबकि केजरीवाल का दलितप्रेम व मंदिर पहुंचना सिर्फ और सिर्फ ढोंगी राजनीति का हिस्सा है  

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दलितों के उत्थान व विकास के लिए संकल्पित है। अभियान के तहत दलितहित में शहर-शहर, गांव-गांव कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव से लेकर हाल के दिनों में बड़ी संख्या में दलित समाज का झुकाव भाजपा की ओर बढ़ा है। यह बाते मान्यवर कांसीराम के जमाने के कैडरबेस नेता एवं पूर्व मंत्री दीनानाथ भास्कर ने सीनियर रिपोर्टर सुरेश गांधी से एक विशेष मुलाकात में कहीं। बातचीत के दौरान श्री भास्कर ने कहा कि अब दलितों का झुकाव मायावती की तरफ से हट रहा है। इसकी बड़ी वजह है कि उन्होंने कुछ क्रीमीलेयर दलितों को छोड़ दे ंतो सामान्य तबके के दलितों के उत्थान के लिए कुछ भी नहीं किया। उनके लिए जो कल्याणकारी कार्यक्रम चलाएं भी गए उसका लाभ उन्हें नहीं मिला। श्री भास्कर ने दलितों का आह्वान करते हुए कहा कि वह भाजपा से जुड़े। क्योंकि मोदी दलितों के हित में कई कल्याणकारी योजनांए चला रहे है और आगे चलाने वाले है। 

कहने को हर बार 22 फरवरी को संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती मनाई जाती है। लेकिन इसके पहले तक इस दिन कार्यक्रम में भाग लेने कोई नेता या प्रधानमंत्री नहीं पहुंचा था। अब जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहुंचे है तो गैर भाजपा दलों में खलबली मच गयी है। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने न सिर्फ संत शिरोमणि रविदास मंदिर पहुंचे है बल्कि नागपुर स्थित डा भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली, मुबई स्थित इन्दू मिल, दिल्ली आवास एवं लंदन स्थित आवास को खरीदकर यादगार के रुप में पंचतीर्थ नाम मोदी ने ही दी है, जो अपनेआप में बेमिसाल है। एमएलसी चुनाव के मद्देनजर सीरगोवर्धन में मोदी जी कोई सभा व बड़ा ऐलान तो नहीं कर पायेंगे लेकिन भविष्य में कुछ ठोस पहल जरुर करेंगे। खास बात यह है कि मोदी जी ने मंदिर पहुंचकर एक नयी परंपरा की शुरुवात की है जहां अब हर जयंती के मौके पर कोई न कोई बड़ी सख्सियत जरुर पहुंचेगा।  

वाराणसी में संत रविदास जयंती पर सीरगोवर्धन स्थित मंदिर में मत्था टेकने पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी का फूलमालाओं से स्वागत करने के बाद भास्कर ने कहा, बसपा सुप्रीमों मायावती चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रही, लेकिन एक बार भी रविदास मंदिर में मत्था टेकने नहीं आयी। क्योंकि ऐसा करना उनके जेहन में है ही नहीं। रविदास गेट तथा रविदास पार्क बनाने का श्रेय मान्यवर कांसीराम जी का रहा है। मायावती को तो पार्क उद्घाटन में भी आने का वक्त नहीं था। जबकि सच तो यह है कि जयंती मौके पर पीएम के पहुंचने से बसपा में बौखलाहट पैदा हो गयी है। बीएसपी के मंच पर आजतक गुरु रविदास जी को याद करना तो दूर फोटो तक नहीं रखा जाता। अब अलग जयंती मनाने का ढोंग रचा गया है। शायद मायावती भूल रही है दलित समाज अब जागरुक हो गया है। वह जान गया है उसके वोटों का सौदा किस तरह होता है और किस तरह उसके वोटों की कीमत लगायी जाती है। 

श्री भास्कर का कहना है कि अगर मायावती को संत रविदास जी से जरा सा भी लगाव होता तो वह मंदिर के आयोजकों की निमंत्रण को ठुकराती नहीं। समयाभाव का बहाना बताकर जयंती समारोह में आने से मना कर मायावती ने लाखों अनुयायियों एवं दलितों की भावनाओं की जीते जी तिलाजंलि दे दी है। सीरगोवर्धन में बीते कई सालों से स्थानीय परम्परागत झांकियों को जाने से रोकना, मायावती को भारी पड़ने वाला है। इसके पीछे मकसद सिर्फ एक ही है कि वह दिखावे की खातिर संदेश देना चाहती है कि स्थानीय रैदासी समाज के लोग बसपा के साथ हैं। लेकिन दलित समाज व लाखों-करोड़ों अनुयायी मायावती के इस कृत्य को कभी माफ नहीं करेगा। श्री भास्कर ने केजरीवाल पर ही निशाना साधते हुए कहा, जब वह 2014 में वाराणसी संसदीय क्षेत्र नरेन्द्र मोदी जी के सामने चुनाव मैदान में थे तो एक दिन भी सीर गोवर्धन स्थित रविदास मंदिर में मत्था टेकने नहीं पहुंचे, जबकि सारनाथ स्थित गौतम बुद्ध स्थली पर कई बार पहुंचे थे। अफसोस है जब नरेन्द्र मोदी दलितों को न सिर्फ हक बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सतत् प्रयत्नशील है और इसी कड़ी में मंदिर मत्था टेकने पहुंच रहे है तो ठेकेदारों को अपनी वोट खिसकने का डर सता रहा है। जबकि सच तो यह है कि चुनाव के दौरान केजरीवाल ने गला-गला फाड़-फाड़कर कहा था, वह चुनाव हारे या जीते बनारस हर महीने पहुंचेंगे, लेकिन अब याद आई भी तो रविदास जयंती पर, वह भी सिर्फ वोटबैंक की खातिर। 

केजरीवाल को अगर कुछ करना ही था तो सबसे पहले वह दिल्ली के दलितों के लिए कुछ करते, वहां उनकी जयंती मनाते, लोगों के सामने रविदास जी के विचारों को रखते, लेकिन ऐसा उन्होंने करने की जहमत नहीं उठाई। सच तो यह है कि दिल्ली में दलितों का खुल्लमखुल्ला शोषण किया जा रहा है, उनके हक का गला घोटा जा रहा है। दलितों को मकान देने का वादा सिर्फ वादा ही रहा। थोड़ी देर के लिए मान भी लिया जाय कि केजरीवाल दिखावा के लिए ही मंदिर आ रहे है तो उन्हें बताना चाहिए कि वह मंदिर व दलित समाज के लिए क्या करने वाले है। वरना उन्हें दलितों के वोटों की राजनीति बंद करनी चाहिए। जबकि सच तो यह है कि प्रधानमंत्री जी के आने से उच्च पदों पर आसीन लोगों को मंदिर में आने का रास्ता खुलेगा। मायावती को अलग जयंती मनाने के बजाय सीर गोवर्धन में ही मत्था टेकना चाहिए था। भास्कर ने कहा सीरगोवर्धनपुर ही रविदास जी की जन्‍म स्‍थली है। दलितों को नीचा दिखाने के उद्देश्य से सपा नेता शतरुद्र प्रकाश ने रविदास जी की जन्मस्थली मडुवाडीह बताई है। खासकर उनका बयान उस वक्त आया है जब पीएम उनकी जयंती में भाग लेने पहुंच रहे है। मतलब साफ है सत्रुद्र का बयान सिर्फ और सिर्फ दलितों को गुमराह करने के सिवाय कुछ भी नहीं है। उनके इस तरह के बेबुनियाद बयान तथ्य से परे, भाम्रक, दलित समाज को बांटने व गुमराह करने वाला है। वह सपा से है और इनके आका वह है जो अंबेडकर व रविदास जी को नहीं मानते। ऐसे में उनके द्वारा जन्मस्थली को लेकर दिया गया विवादित बयान का कोई मतलब नहीं है। भास्कर ने दलित समाज के लोगों से इस तरह के बयानों व नेताओं से सजग रहने की अपील की है। 

श्री भास्कर दलित छात्रों से दिखावे की राजनीतिक पचड़े में दन पड़ने की अपील करते हुए कहा कि जेएनयू प्रकरण एक साजिस के तहत कांग्रेस, कम्युनिष्ट व केजरीवाल जैसे नेताओं की उपज है। पहले हैदराबाद में रोहित प्रकरण को उछालकर दलित छात्रों को भरमाने की कोशिश की अब जेएनयू प्रकरण में दलितों व अल्पसंख्यकों को झुलसाना चाहते है। ऐसे में दलितों को चाहिए  िकवह अपने हक की लड़ाई अपने बूते लड़े न कि इन ठेकेदारों के बहकावें में आकर। इसके लिए उन्हें अपना आंदोलन अलग से चलाना चाहिए। हैदराबाद प्रकरण को मोदी जी ने काफी गंभीरता से लिया है और वाकये पर पहले ही अफसोस जता चुके है और आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए जा चुके है। 





(सुरेश गांधी)

बिहार घरेलू वर्कस यूनियन की 5 वीं वार्षिक सम्मेलन

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टना। राष्ट्रीय घरेलू श्रमिक आंदोलन और बिहार घरेलू श्रमिक संघ के संयुक्त तत्वावधान में बिहार घरेलू वर्कस यूनियन की 5 वीं वार्षिक सम्मेलन संपन्न हो गया। इस बात की जानकारी सिस्टर लीमा,आईसीएम ने दी है। आईसीएम सिस्टर लीमा ने कहा कि प्रदेश के 4 जिले पटना, दरभंगा, भोजपुर और भागलपुर के घरेलू कामगारों ने सक्रिय भाग लिया। आगत घरेलू कामगारों को कुल्हरिया काॅम्पेक्स स्थित कार्यालय में एकत्रित किया गया। इसके बाद रैली के शक्ल में कामगार सम्मेल स्थल आईएमए हॉल में पहुंचे। सभी कामगार झंडे पकड़कर चल रहे थे। वह कामगारों की एकता को दर्शायी।

बिहार एटक के अध्यक्ष मोहम्मद गजफर नवाब मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर सुश्री अलका वर्मा और रूपेश विशेष अतिथि थे। सुश्री नीरू देवी अध्यक्ष और लीलावती देवी कोषाध्यक्ष, और विरंजू देवी के साथ बीजीकेयू बिहार बिहार के मुख्य सचिव भी मौजूद थे। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने नृत्य और भाषण दिये। इन लोगों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से अपनी एकजुटता व्यक्त की है। कई घरेलू श्रमिकों व्यक्त की है कि वे संघ में शामिल होने के बाद साहस प्राप्त की। करीब 600 घरेलू श्रमिक आईएमए हॉल में एकत्र हुए और वे सब अपने भविष्य के बारे में आशा से भरे थे। 

पुस्तक : रमणिका गुप्ता को पढ़ने का आनंद

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हिन्दी की लेखिका और बिहार विधान मंडल की पूर्व सदस्य रमणिका गुप्ता की अपनी संघर्ष यात्रा रही है। देह यात्रा रही है। सत्ता यात्रा रही है। कभी हारीं, कभी जीतीं। यौन आनंद और यौन प्रताड़ना की सीमा रेखा। सुरक्षा का अहसास और सुरक्षित होने का भ्रम। और फिर अपनी पहचान का अंतहीन संघर्ष। यही हैं रमणिका गुप्ता। पढ़ना हमारे स्वभाव में नहीं है। रमणिका गुप्ता की आत्मकथा ‘आपहुदरी’ की चर्चा साथियों से सुनी थीं। उसकी विषय-वस्तु की चर्चा होती थी। इस पुस्तक में बिहारी राजनेताओं के साथ यौन आनंद या यौन प्रताड़ना का उनका आत्मानुभव है। जैसा झेला, वैसा लिखा। कोई लाग-लपेट नहीं। 

एक नेता के बारे में उन्होंने पूरी भूमिका के साथ लिखा- ‘नेता जी आए और देह में आग लगाकर चले गए। बाद में उनका बॉडीगार्ड आया। बॉडीगार्ड ने कहा- नेता जी, जो आग लगा गए हैं, हम उसे बुझाने आए हैं।‘ पूरी घटना का रोचक वर्णन। बिहार के मुख्यमंत्रियों से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक की देह गाथा। देह को लेकर कांग्रेसी हों या समाजवादी, सभी का एक ही नजरिया। लेकिन पुस्तक सिर्फ देह गाथा नहीं है। पुस्तक में धनबाद की कोलियरी में राजपूत और भूमिहारों का सत्ता संघर्ष, ब्राह्मणों का दखल की भी चर्चा है। समाजवादी रानजीति में अगड़ों-पिछड़ों के बीच नेतृत्व को लेकर लड़ाई तो कांग्रेस में आपसी गुटबाजी का खेल। सब कुछ है उनकी आत्म़कथा में। लेकिन पूरी आत्मकथा के केंद्र में है देह।

हमने पहले कहा था कि पढ़ना मेरे स्वभाव में नहीं है। इस पुस्तक को पढ़ने का मुख्य कारण बिहारी राजनीति की घटनाओं का होना है, बिहारी नेताओं के चरित्र आख्‍यान होना ही है। पूरी पुस्तक देह के आसपास ही घुमती है, लेकिन उसके साथ जीवन के तमाम पहलुओं, अपेक्षाओं, विवशताओं को समटने का जीवंत प्रयास है ‘आपहुदरी’।


बिरेन्द कुमार यादव के फेसबुक वाल से 

फर्जी राष्ट्रवाद के खिलाफ वामदल एकीकृत

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  • संघ गिरोह के उन्माद व उत्पात की राजनीति और फर्जी राष्ट्रवाद के खिलाफ न्याय, धर्मनिपरेक्षता व सामाजिक बराबरी की लड़ाई की अगली कतार में रहा है वामपंथ
  • जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार को अविलंब रिहा करो, पूर्व महासचिव चिंटू कुमारी को फंसाने की साजिश बंद करो
  • तमाम छात्र नेताओं पर से देशद्रोह का फर्जी मुकदमा व निलंबन वापस लो
  • राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद के तहत 23 फरवरी को बेगूसराय बंद, पटना में राजभवन मार्च और सिवान में विशाल प्रदर्शन
  • बिहार विधानसभा से जेएनयू प्रकरण पर भाजपा द्वारा फैलाये जा रहे उन्माद के खिलाफ प्रस्ताव लेने का होगा प्रयास

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पटना 22 फरवरी 2016, संघ परिवार और मोदी सरकार द्वारा कैंपसों की स्वायत्तता और अभिव्यक्ति की आजादी पर लगातार किया जा रहा हमला बेहद चिंताजनक है. जेएनयू प्रकरण में जिस तरह से वामपंथी छात्र नेताओं को निशाना बनाया गया और उसकी आड़ में पूरे देश में अंधराष्ट्रवाद पैदा करने की कोशिशें की गयीं, उसने देश के लोकतंात्रिक जनमत को गहरी चिंता में डाल दिया है. वाम दल संघ परिवार , केंद्र की मोदी सरकार और मीडिया के एक हिस्से द्वारा उन्माद फैलाने और जेएनयू व वामपंथियों को बदनाम करने की कोशिशों की तीव्र भत्र्सना करती है. देश की अमन व लोकतंत्र पसंद जनता को भाजपा व मोदी सरकार की हकीकत पता है.

जेएनयू पर संघी गिरोह का खास निशाना रहा है क्योंकि वह लंबे अर्से से वामपंथी विचारधारा का अभेद्य दुर्ग बना रहा है. लेकिन इसके पहले शैक्षणिक संस्थानों को बर्बाद करने और उसके सांप्रदायिककरण के कई उदाहरण हैं.  देश में जब से भाजपा की सरकार आई है, विश्वविद्यालयों के लोकतांत्रिक-वैचारिक माहौल पर हमला किया जा रहा है. न केवल कैंपसों पर हमले किये जा रहे बल्कि प्रतिरोध की हर आवाजा को दबाने की कोशिशें की जा रही हैं और प्रतिरोधी स्वर को देशद्रोही बताया जा रहा है. नरेन्द्र दाभोलकर, गोविंद पांसरे, एमएम कलबुर्गी आदि वैज्ञानिक-सामाजिक कार्यकत्र्ताओं की तो हत्या तक हो चुकी है. समाज का हर वर्ग भय के माहौल में जी रहा है.

एफटीआईआई में संघ समर्थक गजेन्द्र चैहान की नियुक्ति के खिलाफ चले छात्र आंदोलन का सवाल हो या फिर  चेन्नई में अंबेडकर-पेरियार स्टडी सर्किल को राष्ट्रद्रोही घोषित करके भंग करने का, मोदी सरकार हर कदम पर अपना सांप्रदायिक-फासीवादी चऱित्र दिखलाती रही है. हैदराबाद विश्वविद्यालय में ‘मुजफ्फरनगर बाकी है’ जैसी फिल्मों का प्रदर्शन व याकूब मेमन की फांसी का विरोध करने वाले दलित छात्रों को उत्पीडि़त किया गया, उनका सामाजिक बहिष्कार तक किया गया. भाजपा के दो मंत्रियों के दबाव में यह सारी कार्रवाईयां की गयी थीं. नतीजतन रोहित वेमुला आत्महत्या को मजबूर हुआ. 

इस बार संघी गिरोह ने उस जेएनयू को अपने हमले का निशाना बनाया है, जो हालिया हैदराबाद विश्वविद्यालय में भाजपा की साजिश के शिकार दलित शोध छात्र रोहित वेमुला के न्याय आंदोलन से लेकर अन्य छात्र आंदोलनों का केंद्र रहा है. केंद्र की भाजपा सरकार, आरएसएस, एबीवीपी और दिल्ली पुलिस जिस तरह से 9 फरवरी की घटना को लेकर जेएनयू को ‘देशद्रोहियों’ का अड्डा बताने पर तुल गयी, वह बेहद खतरनाक इरादों को जाहिर करता है. देशद्रोह के आरोप में आनन-फानन में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी, कोर्ट में पेशी के दौरान उनसे लगातार मारपीट और आइसा समेत अन्य वामपंथी छात्र संगठनों के कई नेताओं पर देशद्रोह के मुकदमे व कैंपस से निलंबन ने संघियों की असली मंशा जाहिर कर दी है. देशप्रेम के नाम पर चालू उपद्रव के खिलाफ देश का छात्र समुदाय, बुद्धिजीवी वर्ग, सांस्कृतिक संगठन लोकतान्त्रिक प्रक्रिया और अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थन में खुलकर लोग सामने आ रहे हैं. यहां तक कि एबीवीपी में भी विद्रोह शुरू हो चुका है.

कन्हैया कुमार, जेएनयूएसयू अध्यक्ष (एआइएसएफ) गिरफ्तार हैं. उनके अलावा रामा नागा, जेएनयूएसयू उपाध्यक्ष (आइसा) आशुतोष, जेएनयूएसयू पूर्व अध्यक्ष (आइसा) अनंत प्रकाश, पूर्व उपाध्यक्ष, जेएनयूएसयू (आइसा) श्वेता राज, काउंसिलर, जेएनयूएसयू (आइसा) और उमर खालिद, अनिर्बाण भट्टाचार्य व ऐश्वर्या (छात्रा, जेएनयू) पर देशद्रोह का मुकदमा ठोक दिया गया और जेएनयू से निलंबित कर दिया गया है. वहीं, चिंटू कुमारी, पूर्व महासचिव, जेएनयूएसयू (आइसा) सहित अन्य छात्र नेताओं को फंसाने की साजिश कर रही है. इन छात्र नेताओं में अधिकांश दलित व पिछड़ी पृष्ठभूमि से आते हैं. इससे जाहिर होता है कि मोदी सरकार दलितों, समाज के शोषित तबके व वामपंथी कार्यकत्र्ताओं के खिलाफ उन्मादपूर्ण लोकतंत्रविरोधी कार्रवाइयों पर उतर गयी है. यह अघोषित आपातकाल के समान है.

आखिर वह कौन सी चीज है जिसने मोदी सरकार को विश्वविद्यालयों के खिलाफ एकतरफा युद्ध की स्थिति में उतार दिया है. लंबे समय से संघ गिरोह की आंख की किरकरी बने जेएनयू पर हो रहे हमले को हम अलग-थलग काट कर नहीं देख सकते. यह देश भर में अलग-अलग समुदायों पर बढ़ रहे हमले की निरंतरता ही है. फर्क सिर्फ इतना है कि भाजपा द्वारा देश के दलितों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों पर जो हमले किये जा रहे थे, वे अब देश के सर्वाच्च शिक्षण संस्थानों तक पहुंच गये हैं. रोहित वेमुला परिघटना पर पूरी तरह बेनकाब संघ गिरोह ने बड़ी चालाकी से इस बार ‘देशभक्ति’ की आड़ में लोकतांत्रिक आवाज को कुचलने का प्रयास किया है और खासकर वामपंथ को निशाना बनाया है. संघियों के हिंदूवादी राष्ट्रवाद के खिलाफ देश में धर्मनिरपेक्षता, बराबरी और सामाजिक न्याय के संघर्ष की लड़ाई की अगली कतार में हमेशा वामपंथी रहे हैं. 

इस उन्माद व उत्पात की राजनीति के खिलाफ पूरा देश लड़ रहा है. वाम दलों ने भी राष्ट्रीय स्तर पर तय किया है कि आगामी 23-25 फरवरी को पूरे देश में भाजपा सरकार द्वारा लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की आजादी और संवैधानिक प्रक्रिया पर हमले के खिलाफ प्रतिरोध किया जाएगा. इसी के तहत 23 फरवरी को पूरे बिहार में कार्यक्रम होंगे. वाम दलों ने 23 फरवरी को बेगूसराय बंद का आह्वान किया है. पटना में राजभवन मार्च होगा और सिवान में विशाल प्रदर्शन होगा, जिसमें माले के महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य भाग लेंगे. जेएनयूएसयू अध्यक्ष की अविलंब रिहाई, सभी छात्र नेताओं पर से देशद्रोह के मुकदमे की वापसी, रोहित वेमुला की मौत के जिम्मेवार भाजपा के दोनों केंद्रीय मंत्रियों की बर्खास्ती तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी. बिहार विधानसभा के आगामी सत्र में जेएनयू प्रकरण पर भाजपा द्वारा फैलाये जा रहे उन्माद के खिलाफ प्रस्ताव लेने के भी प्रयास किया जाएगा.

बिहार : बी. एस. एस. सी. परीक्षा में व्यापक गड़बड़ी से बढ़ा आक्रोश

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  • 25 फरवरी को आयोग के कार्यालय पर धरना, 16 फरवरी 2015 को परीक्षा में 11 प्रश्नों एवं 23 फरवरी 2015 के 6 प्रश्नों पर सामने आया विवाद, मौडल उत्तर पत्र एवं व्डत् सीट जारी करने से मिली जानकारी।


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पटनाः-  बिहार कर्मचारी चयन आयोग ;ठैैब्द्ध की द्वितीय स्नातक स्तरीय परीक्षाफल में परसेन्टाइल हटाने को लेकर छात्रों के अनदोलन में 21 फरवरी 2016 को माॅडल उत्तर पत्र एवं व्डत् सीट जारी करने के बाद अब आक्रोश और बढ गया है 16 फरवरी 2015 के 11 प्र्रश्नों एवं 23 फरवरी 2015 के 6 प्रश्नों पर विवाद सामने आया है गड़बडियों के सामने आने के बाद पटना काॅलेज में ए0 आई0 एस0 एफ0 और आईसा के तत्वाधान में हुई बैठक में अगामी 25 फरवरी 2016 को आयोग के कार्यालय पर धरना का एलान किया गया। बैठक में मौजुद ए0 आई0 एस0एफ0 के राज्य सचिव सुशील कुमार ने कहा की जितने बड़े पैमाने पर गड़बडि़या सामने आई है इस परीक्षा को रद्द कर पुनः नए सिरे से परीक्षा नहीं की जाती है तबतक योग्य अभ्यर्थियों का चयन सुनिश्चित नही होगा। परसेन्टाइल जैसे विवादित आधार पर परीक्षाफल जारी करना एक समस्या थी लेकिन अब तो इतनी व्यापक गड़बड़ी सामने आना जाहिर करता है कि गड़बड़ीयाँ जानबूझ कर बेरोजगार नौजावानों को छाटने के इरादे से की गई है। 25 फरवरी को आयोग के कार्यालय पर हो रहे धरने में शामिल होने का अहवान किया। वहीं बैठक में शामिल आइसा के राज्य सहसचिव मोख्तार ने अभयार्थियों से एकजुट होकर संधर्ष तेज करने का आह्वान किया तथा 25 फरवरी को बड़ी संख्या में आयोग के गेट पर आने का आहवान किया।
16 फरवरी की परीक्षा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अद्यिवेशन 1885 में लाहौर में होने की बात आयोग कह रही है जबकि सही उत्तर बाम्बे होना चाहिए। वहीं प्लास्टर औफ पेरिस का रासायनिक नाम कैल्सियम सल्फेट हाइड्रेट होना चाहिए जबकि आयोग इनमें से कोई नहीं कह रहा है। 16 फरवरी के ग्रुप सं0 डी के प्रश्न सं0- 3,11,16,19,20,45,51,88,108,120, और 124 पर विवाद सामने आया है। वहीं 23 फरवरी की परीक्षा में नए राज्य तेलांगाना के गठन होने के बाद संविधान के अनुसूची में परिवर्तन पर सवाल है। इसका जवाब अनुसूची एक की बजाए अनुसूची 7 की राज्य सूची बताया गया है। 23 फरवरी में ग्रुप ए के प्रश्न सं0 12,115,125,126,137, एवं 119 पर विवाद सामने आया है। मौडल उत्तर पत्र जारी होने के बाद चार तरह की गड़बड़ीया सामने आयी है जिनमें सही उत्तर होने के बावजूद गलत उत्तर प्रस्तुत  करना, सही उत्तर होने पर भी प्रश्न हटा देना, हिंदी-अंग्रेजी के अनुवाद उत्तर में गड़बड़ी सामने आयी है।
16 फरवरी में एक सवाल भारत में हरित क्रंाति के जनक जिसमेें आयोग पिछली बार सर्वोच्च न्यायालय तक नार्मन बारलाग बता रहा था इस बार वह स्वामीनाथन नाम दे रहा है। बैठक की अध्यक्षता सुभाष पासवान ने की। बैठक में शंकर पंडित, अनंजय कुमार, राहुल कुमार, गौतम प्रियदर्शी, सतेन्द्र सिंह, रंजन यादव, ब्रजकिशोर मधुकर , संजिव कुमार, किशोर कुमार गिरी, नितेश कुमार सहीत दर्जनों छात्र मौजुद थे।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (22 फ़रवरी)

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संत शिरोमणि श्री रविदास जी की जयंती कार्यक्रम मंें शामिल हुए
  • ग्रामीणजनों को शासकीय योजनाओं की जानकारी दी गई

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नटेरन विकासखण्ड के ग्राम पमारिया में आज संत शिरामणि रविदास जी की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम स्थल पर जनसम्पर्क विभाग के द्वारा सूचना शिविर सह प्रदर्शनी के माध्यम से शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। वही विकास और सिंहस्थ पर केन्द्रित प्रदर्शनी का प्रदर्शन फ्लेक्सों के माध्यम से किया गया। ग्रामीणजनों को शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं पर आधारित आगे आएं लाभ उठाएं के अलावा अन्य साहित्य का वितरण किया गया। प्रदर्शनी का जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी, शमशाबाद विधायक श्री सूर्यप्रकाश मीणा, काॅ-आपरेटिव बैंक के अध्यक्ष श्री श्यामसुन्दर शर्मा समेत अन्य जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों और ग्रामीणजनों ने अवलोकन किया। ग्राम पमारिया में स्थित संत शिरोमणि श्री रविदास जयंती संबंधी कार्यक्रम रविदास मंदिर परिसर मंें आयोजित किया गया था। जिसे सम्बोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और विधायक श्री सूर्यप्रकाश मीणा ने कहा कि संतो के बताएं मार्गो का हमे अपने जीवन में अनुपालन करना चाहिए जिसे समाज और प्रदेश की प्रगति संभव है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गरीब और किसानों के उत्थान हेतु कृत संकल्पित है। विधायक श्री मीणा ने इस अवसर पर विधायकनिधि से निर्माण कार्य हेतु दो लाख रूपए देने की घोषणा की। उन्होंने ग्राम में हाई स्कूल और उप स्वास्थ्य केन्द्र खोले जाने के लिए तथा क्षेत्र में नहर की व्यवस्था कराए जाने का आश्वासन दिया। जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी ने कहा कि महापुरूषों ने सदैव मानवता को बढ़ावा दिया है। वे किसी भेदभाव के जीवन निर्वहन करते थे। उन्होंने सदैव मानव कल्याण के रास्ते बताए है जिसका अनुपालन कर हम स्वंय के साथ-साथ समाज को प्रगति की ओर ले जा सकते है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सदैव गरीबों के प्रति चिन्ता कर उनके उत्थान हेतु नई-नई योजनाओं का संचालन करा रही है। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बताए मार्ग को रेखांकित करते हुए कहा कि समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति का उत्थान हुए बिना प्रदेश समृद्ध नही हो सकता है को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री जी ने अधिक से अधिक योजनाएं गरीबों के उत्थान हेतु संचालित कराई है। काॅ-आपरेटिव बैंक के अध्यक्ष श्री श्यामसुन्दर शर्मा ने कहा कि संत किसी एक समाज के नही रहते है वे सदैव राष्ट्र के उत्थान का मार्ग बताते है जिनका पालन कर हम अपने आप को उन्नति के द्वार पर पहुंचा सकते है। संत शिरोमणि रविदास जी ने सदैव सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाया है जो हमारी एकता को बल देता है। आयोजन स्थल पर श्री लालाराम अहिरवार, संत शिरोमणि रविदास समिति के जिलाअध्यक्ष श्री छोटे लाल संभरवाल, पमारिया समिति के अध्यक्ष श्री नारायण सिंह अहिरवार सहित अन्य समाजबंधु नटेरन जनपद पंचायत के अध्यक्ष सहित जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे। 

लोकार्पण
सांसद श्री लक्ष्मीनारायण यादव, विधायक श्री सूर्यप्रकाश मीणा, जिला पंचायत अध्यक्ष सहित अन्य अतिथियों ने ग्राम पमारिया के मीडिल स्कूल में चार लाख की लागत से नवनिर्मित ई-कक्ष एवं मंगल भवन तथा सार्वजनिक चबूतरा का लोकार्पण किया। 

बिहार राज्य किसान सभा की राज्य किसान कौंसिल की बैठक

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पटना 22 फरवरी। बिहार राज्य किसान सभा की राज्य किसान कौंसिल की बैठक 22 फरवरी, 2016 को केदार भवन में हुई। बैठक की अध्यक्षता राज्याध्यक्ष साथी रामचन्द्र सिंह पूर्व विधायक ने की । बैठक का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष साथी सत्य नारायण सिंह, पूर्व विधायक ने देश दुनिया की राजनीतिक घटनाओं की चर्चा करते हुए हैदराबाद और जे.एन.यू. विश्वविद्यालय की घटनाओं की विस्तृत चर्चा की। बेकसूर कन्हैया को फर्जी विडियों के आधार पर फंसाने की साजिश और उसकी गिरफ्तारी की सख्त निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि जे.एन.यू. बंद और बदनाम करने के लिए कन्हैया को मोहरा बनाकर जाने से मारने के लिए कोर्ट में हमला से मोदी सरकार का फासिस्टी चेहरा बेनकाव हो गया। कन्हैया की बेशत्र्त रिहाई की मांग को लेकर 27 फरवरी, 2016 को शहीद चन्द्रशेखर आजाद की शहादत दिवस पर मोदी सरकार का पुतला पूरे राज्य में जलाने का फैसला लिया गया। 
गत वर्ष किसानों को 300 रू॰ प्रति क्विंटल धान पर बोनस भी मिला था। परंतु जातिय नारों से चुनाव में मिली भारी जीत के मद में चूर नीतीश सरकार द्वारा घोषणाओं के बाद भी बोनस देने की  अपनी वादों से मुकर गई। साथ ही धान अधि प्राप्ति में लगे पदाधिकारियों, मिलरों और दलालों की सांठ-गांठ से सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर धान क्रय में की जा रही आनाकानी के कारण किसानों को मजबूर होकर औने-पौने भाव में धान बेचने को विवश किया जा रहा है। दूसरी ओर डी.एम.एस.एफ.सी., डी.एस.ओ., डी.सी.ओ., एवं अन्य अधिकारी मिलरों के साथ धान खरीद के गोरख धंधा में लगे है। डेढ़ क्विंटल धान से एक क्विंटल चावल होता है। बाजार में एक क्विंटल चावल 1400 रू॰ में मिल जाता है। बदले में डेढ़ क्विंटल धान का पैसा 2115 रू॰ उन्हें एस.एफ.सी. से मिलता है। जिसमें 715 रू॰ का मुनाफा का बंटबारा में पदाधिकारियों को 250 रू॰ शेष राशि में मिलर और खरीद ऐजेंसी आपस में बांटते है। अगर कोई पैक्स धान अधि प्राप्ति के इस घोटालों में नहीं फंसना चाहता है। उन्हें पदाधिकारियों द्वारा प्रताडि़त किया जाता है। डराया धमकाया जाता है। यदि कोई पैक्स किसानों से धान खरीदना चाहता है तो उसे तरह-तरह से तंग किया जाता है। मिलर और पदाधिकारियों की मजबूत गठजोड़ से पैक्स अध्यक्ष परेशान है। धान अधिप्राप्ति के इस खेल को अविलम्ब बंद करें। दोषियों पर कार्रवाई की जाय तथा किसानों से धान खरीदने की गारंटी की मांग बिहार राज्य किसान सभा ने सरकार से की। 
विभिन्न खामियों के बावजूद किसान सभा द्वारा वर्षों से की जा रही मांग की फसल बीमा का आधार पंचायत क्षेत्र हो की मांग जहाँ केन्द्र सरकार ने मानने का ऐलान किया तो राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों की कमी का बहाना बनाकर विरोध करने का बिहार राज्य किसान सभा निदा करता है और पंचायत आधार पर ही फसल बीमा योजना को लागू करने की मांग करता है। बिहार राज्य किसान सभा के कार्यकारी महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि हमारा राष्ट्रीय सम्मेलन 3 से 6 मार्च, 2016 तक हैदराबाद में होने जा रहा है। इस अवसर पर बिहार से एक सौ से ज्यादा प्रतिनिधि हैदराबाद जायेगे। तथा बिहार में बड़े पैमाने पर किसान सभा का सदस्यता अभियान चलाया जायेगा। उन्होंने स्वामी सहजानन्द सरस्वती के जयंति के अवसर पर एक स्मारिका प्रकाशित करने का भी ऐलान किया । 

"मैथिली साहित्यक सम्बर्धन-प्रवासी मैथिलक भूमिका” के विषय पर वार्षिक संगोष्ठी

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21 फरवरी 2016 रविवार को विश्व मातृभाषा दिवस के अवसर पर मैथिली साहित्य महासभा के तत्वाधान में "मैथिली साहित्यक सम्बर्धन-प्रवासी मैथिलक भूमिका” के विषय पर वार्षिक संगोष्ठी  का आयोजन एन. डी. तिवारी भवन, जवाहर लाल नेशनल युथ सेंटर, 219 दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली में किया गया। मिथिला के सुविख्यात नाटककार श्री महेन्द्र मलंगिया जी की अध्यक्षता में कार्यक्रम का विधिवत शुरूआत दीप प्रज्वलित कर एवं मिथिला के प्रसिद्ध गायक सुनील पवन, विकाश झा एवं गायिका अंजू झा ने संयुक्त रूप से पारंपरिक गीत जय जय भैरवि गाकर किया। स्वागताध्यक्ष अपने उदबोधन से सभी अतिथियों एवं श्रोताओं का स्वागत किया। इसके ठीक बाद मिथिला मैथिली के लिए विभिन्न क्षेत्र में कार्य करने वाले एवं अनुराग रखने वाले सदस्यों के द्वारा पुष्पगुच्छ एवं संस्था के प्रतीक चिन्ह देकर अतिथियों को सम्मानित किया गया। जैसेे-मुख्य अतिथि मैथिली भोजपूरी अकादमी के उपाध्यक्ष कुमार संजोय को मिथिला रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक नीरज झा ने सम्मानित किया फिर अतिथि साहित्यकारों में डाॅ. गंगेश गुंजन जी एवं नोद नाथ झा जी को डाॅ. भस्कारानंद झा ‘भास्कर’,डाॅ. कामायिनी जी को जगदानंद झा ‘मनु’ श्री वीरेन्द्र मल्लिक जी एवं महेन्द्र मलंगिया जी को कामेश्वर चैधरी, डाॅ. चन्द्रशेखर पासवान जी को विभय कुमार झा, श्री मति मृदुला प्रधान जी को गायक विकास झा, श्री कृष्ण कुमार ‘अन्वेषक’ जी को आंदोलनी मनोज झा, शिरीष चैधरी जीे को ललितेश रौशन झा, कामेश्वर चैधरी जी को संजय झा नागदह विजय चंद्र झा जी को मैलोरंग के निदेशक प्रकाश झा, डाॅ. बीरबल झा जी को मिथिला स्टूडेंट यूनियन के महासचिव कमलेश मिश्र आदि लोगों ने सम्मानित किया। आजाद वत्स, राजेश झा जी को भी सम्मानित किया गया।

साहित्यकार वीरेन्द्र मल्लिक जी ने अपने संबोधन में कहा-‘साहित्यक सम्बर्धन विषय पर एकजुट हुए युवाओं को देख मन आनंदित हो गया है परन्तु मैं प्रवासी मैथिल से अनुरोध करूंगा कि अपने बच्चों से मैथिली में बात करें तथा उन्हें मैथिली भाषा की अहमियत को बताएं तभी जाके मैथिली भाषा एवं साहित्य पाएगी। नाटककार महेन्द्र मलंगिया जी अपने संबोधन में कहा-‘प्रवासी मैथिल को साहित्य को सम्बर्धन करने के दिशां में कदम बढाने के लिए सर्वप्रथम अपने बच्चें को एकबार गांव जरूर धुमा लाएं जिससे बच्चों में मैथिली शब्दकोष जानकारी बढेगी और नये पीढ़ी के बच्चें भी साहित्य में रूचि ले सकेंगे। साहित्यकार गंगेश गुंजन जी उपस्थित लोगों से आग्रह करते हुए कहा-‘आज से आप लोग संकल्प ले की प्रत्येक महिने एक-एक मैथिली पुस्तक खरीदेंगे।‘

भास्करानंद झा ‘भास्कर’ जी अपने संबोधन में-‘साहित्यक विषयों पर और व्यापक स्तर पर कार्यक्रम करने की आवश्यकता है। मै इन विषयों पर संगोष्ठी आयोजन करने के लिए मैथिल साहित्य महासभा को धन्यवाद देता हूं। अन्य और सभी साहित्यकारों ने मैथिली साहित्य सम्बर्धन के लिए अपने-अपने विचार से उपस्थित लोगों को प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर नेना-भुटका एवं लप्रेक नामक दो पत्रिका का विमोचन किया गया साथ हीं मिथिला रिसर्च फाउंडेशन ने मैथिली पुस्तकों की स्टाॅल लगायी गयी थी जिसे लोगों ने खरीदा और उनके प्रयासों को सराहा भी। मंच का संचालन मैथिल आंदोलनी शरत झा जी के द्वारा किया गया।

अन्तमें मैथिली साहित्य महासभा के संयोजक विजय झा एवं सह-संयोजक संजय झा नागदह ने कहा-‘प्रवासी मैथिल अपने साहित्य के सम्बर्धन के प्रति जगरूक है ये तो सभागार में उपस्थित साहित्य प्रेमी से मालूम पड़ रहा है । मैथिली साहित्य के सम्बर्धन के भाव जगाने का के लिए मैथिली साहित्य महासभा हर संभव प्रयास करेगी।’ मिथिला मैथिली के लिए काम करनेवाली सभी संस्थाओं के प्रतिनिधि को मैं तहेदिल धन्यवाद करता हूं। जिन्होंने मुझे सहयोग दिया। मै उन कर्मठ सहयोगी कार्यकर्ता बन्धु के प्रति आभार व्यक्त करता हुं जिन्होंने असंभव को संभव करने में संस्था को मदद किया।

फिजी में चक्रवाती तूफान से 21 लोगों की मौत

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सिडनी, 22 फरवरी, फिजी में चक्रवाती तूफान से 21 लोगों की मौत हो गयी है और हजारों लोग अस्थाई शिविरों में रहने के लिए मजबूर हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार फिजी के इतिहास का यह सबसे बड़ा समुद्री तूफान अपने पीछे विनाशलीला छोड़ गया है। 

प्रशान्त महासागर में यह तूफान 325 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आया। फिजी के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधक कार्यालय ने तूफान से 21 लोगों के मरने की पुष्टि की है। 7 मछुआरे तूफान में फंस जाने के कारण लापता हो गये हैं। तूफान से अनेक मकान क्षतिग्रस्त हो गये और निचले स्थान पानी से भर गये।

धोनी को चोट ,बैकअप बनेंगे पार्थिव पटेल

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फातुल्ला, 22 फरवरी,  भारतीय टीम को एशिया कप शुरू होने से 48 घंटे पहले सोमवार को उस समय गहरा झटका लगा जब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अभ्यास के दौरान पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव के कारण चोटिल हो गये। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) ने इसके बाद आनन फानन में जारी एक बयान में बताया कि विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल को धोनी के बैकअप के रूप में तैयार होने के लिये कहा गया है और वह जल्द से जल्द ढाका में टीम के साथ जुड़ेंगे। 

बीसीसीअाई सचिव अनुराग ठाकुर ने बयान में कहा कि अभ्यास सत्र के दौरान धोनी की पीठ में खिंचाव आ गया है और चयन समिति ने पार्थिव पटेल को एशिया कप के लिये बैकअप विकेटकीपर के रूप में चुना है। भारत को एशिया कप में अपना पहला मैच 24 फरवरी को बंगलादेश के खिलाफ खेलना है।

जांच में सहयोग करें छात्र वरना पुलिस करेगी कार्रवाई: बस्सी

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नयी दिल्ली, 22 फरवरी, देशद्रोह के आरोपी फरार छात्रों के 10 दिन बाद जेएनयू परिसर में लौटने और उनके पीछे दिल्ली पुलिस के विश्वविद्यालय परिसर में घुसने के विकल्प तलाशे जाने के बीच हालात और जटिल हो गए हैं। आराेपी छात्र उमर खालिद,अनंत प्रकाश नारायण,अाशुतोष कुमार, अनिर्बन भट्टाचार्य और राम नागा कल रात ही परिसर में लौट आए लेकिन पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है कि उन पर देशद्रोह के झूठे अारोप लगाए गए हैं। इन छात्रों पर विश्वविद्यालय परिसर में नौ फरवरी को आयोजित एक कार्यक्रम में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के समर्थन में देशविरोधी नारे लगाए जाने का आरोप है। 

इस घटना के बाद छात्र संघ नेता कन्हैया के गिरफ्तार होने के बाद से ही ये सभी छात्र फरार हो गए थे। दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने आरोपी छात्रों से अपील करते हुए कहा है कि अगर वे बेगुनाह है तो फिर अपनी बेगुनाही का सबूत देने के लिए उन्हें पुलिस के समक्ष पेश होना चाहिए। पुलिस कानून के हिसाब से काम करती है वह किसी के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं रखती। उन्हाेंने परिसर में पुलिस के प्रवेश की संभावनाओं के सवाल पर कहा कि सभी विकल्प खुले हैं। बेहतर होगा की छात्र खुद जांच में सहयोग के लिए आगे आएं, वरना पुलिस को अपने हिसाब से कार्रवाई करनी पड़ेगी।

न्यायालय ने पानी पर हरियाणा से मांगी रिपोर्ट, दिल्ली को लगाई फटकार

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नयी दिल्ली,22 फरवरी, उच्चतम न्यायालय ने जाट आंदोलन के कारण दिल्ली में मुनक नहर से पानी की आपूर्ति बाधित होने के मामले में आज हरियाणा सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी और वहीं दूसरी ओर इस मामले में दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उसे न्यायालय में आने की बजाए पहले अपने स्तर पर इसे सुलझाने के प्रयास करने चाहिए थे। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार की उस याचिका की सुनवाई के दौरान आज यह टिप्पणी कि जिसमें न्यायालय से हरियाणा की मुनक नहर से जलापूर्ति बहाल करने के मामले में केन्द्र को निर्देश दिए जाने की मांग की गई थी। दिल्ली सरकार ने यह याचिका शनिवार को दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में आज हरियाणा सरकार को जलापूर्ति के बारे में दो दिन के अंदर स्थिति रिपोर्ट देने का आदेश दिया और साथ ही केन्द्र सरकार को भी नोटिस जारी किया। 

हरियाणा सरकार के वकील ने न्यायालय से कहा कि मुनक नहर से जलापूर्ति बहाल करने के उपाय किए जा रहे हैं और आज ही इसे शुरु करने की कोशिश की जा रही है। न्यायालय ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह केन्द्र और हरियाणा सरकार से बातचीत कर अपने स्तर पर इस मामले को सुलझाने की बजाए सब कुछ न्यायालय से करवाना चाहती है। खंडपीठ ने कहा कि आपके मंत्री उस क्षेत्र में जाने की बजाए न्यायालय में बैठे हुए हैं। आप लोग वातानुकूलित चेंबरों में बैठे रहते हैं और चाहते हैं कि सबकुछ अदालत करे। हरियाणा में जाट आंदोलनकारियों के मुनक नहर पर कब्जा कर लेने के कारण नहर से जलापूर्ति बाधित हो गई है और इसके कारण राजधानी में पिछले दो दिनों से जल संकट पैदा हो गया है।

छात्रों की आवाज दबाने पर तुली है मोदी सरकार : साेनिया

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नयी दिल्ली, 22 फरवरी, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय विवाद को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज कहा कि मोदी सरकार बहस और असहमति की भावना को खत्म करने पर तुली हुई है और अब विश्वविद्यालयों के छात्रों की आवाज दबा रही है। श्रीमती गांधी ने पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक की शुरुआत में अपने संबोधन में कहा कि मौजूदा सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी कर रही है तथा सवाल उठाने, बहस करने तथा असहमति की भावना को खत्म करने पर आमादा है। पहले उसने लोकसभा में विपक्ष की आवाज दबाई। उसके बाद नागरिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को चुप कराया और अब विश्वविद्यालयों की बारी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ऐसे स्थान हैं जहां युवाओं को अपने को व्यक्त करने की पूरी आजादी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक और उदारवादी मूल्यों पर कुठाराघात किया जा रहा है। विचार और अभिव्यक्ति की आजादी असाधारण रुप से सीमित की जा रही है। सरकार ने एक बार फिर देशभक्ति और राष्ट्रवाद पर बहस छेड़ दी है जो पूरी तरह से अवांछित है और इससे वह अपना विभाजनकारी एजेंडा लागू कर रही है।

श्रीमती साेनिया गांधी ने आरोप लगाया कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगडने की सुनियोजित कोशिश हो रही है। पेशेवर संगठन सत्ता में बैठे लोगों प्रवक्ता बन गये हैं। अदालतों को अखाडा बना दिया गया है। अरुणाचल प्रदेश के संदर्भ में उन्होंने कहा कि निर्वाचित सरकारों को हटाया जा रहा है। भाजपा शासित राज्योंं में भारी भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है जबकि उसके साफ सबूत हैं। अर्थव्यवस्था की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के बडे बडे दावों के बावजूद अर्थव्यवस्था आगे नहीं बढ पा रही है। किसान और ग्रामीण मजदूर भारी संकट में हैं। महंगाई का बोझ करोडों परिवार जूझ रही है और ये सरकार सामाजिक क्षेत्र में व्यय घटा रही है। 

संसद पर मंगलवार से होगी सभी की नजर

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नयी दिल्ली, 22 फरवरी, कई मुद्दों पर विपक्ष के कड़े तेवरों को देखते हुये कल से शुरु हो रहे संसद के बजट सत्र के हंगामी रहने के आसार हैं और सरकार को वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के कल संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करने के साथ बजट सत्र का शुभारंभ होगा। राष्ट्रपति अपने अभिभाषण में सरकार के कामकाज का लेखा जोखा पेश करने के साथ ही उसकी एक वर्ष की योजनाआें और कार्यक्रमों की जानकारी देंगे। सरकार दो चरणों में होने वाले इस सत्र के दौरान जीएसटी सहित कई विधेयकों को पारित कराना चाहती है लेकिन कई मुद्दों पर विपक्ष के कड़े तेवरों को देखते हुये उसे इन विधेयकों को पारित कराने में मुश्किलों का सामना कर सकता है। 

संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू द्वारा आज बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने साफ कर दिया कि सरकार सत्र के पहले चरण में कोई भी विवादास्पद विधेयक बिना अाम सहमति के नहीं लाये। विपक्ष जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय विवाद तथा इस पर मचे बवाल, रोहित बेमुला की आत्महत्या ,जाट समुदाय के आंदोलन और जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हमलों जैसे कई मसलों पर चर्चा कराने पर जोर दे रहा है। सरकार ने कहा है कि वह हर मसले पर चर्चा के लिये तैयार है । लेकिन यदि वह जीएसटी समेत विवाद वाले कुछ विधेयकों को पारित कराने पर जोर देती है तो संसद में गतिरोध की स्थिति पैदा हो सकती है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस जीएसटी विधेयक के मौजूदा स्वरुप से सहमत नहीं है। वह अपनी तीन मांगों को इसमें शामिल करने पर जोर दे रही है जिसे सरकार ने अब तक स्वीकार नहीं किया है।

विवादास्पद विधेयकों को सहमति के बिना न लाये सरकार: विपक्ष

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नयी दिल्ली, 22 फरवरी, विपक्ष ने आज कहा कि वह संसद के बजट सत्र में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रकरण समेत सभी ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा चाहती है और सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सहित सभी विवादास्पद विधेयकों को विपक्ष को भरोसे में लिये बिना संसद में पेश न करे। बजट सत्र से पहले संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में सरकार ने सभी ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा कराने की विपक्ष की मांग को मानते हुए कहा कि वह इन पर नियमानुसार बहस कराने के लिए तैयार है। श्री नायडू ने कहा कि सरकार जेएनयू मुद्दे पर भी चर्चा के लिए तैयार है क्योंकि इस मामले में अलग-अलग राय है जिन पर बहस कराये जाने की जरूरत है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने जेएनयू मुद्दे पर सत्र के दूसरे दिन ही यानी 24 तारीख को चर्चा कराने के विपक्ष के सुझाव को मान लिया है लेकिन इस बारे में अंतिम निर्णय कार्य मंत्रणा समिति की कल होनी वाली बैठक में लिया जायेगा।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि सरकार को सभी विवादास्पद विधेयकों पर विपक्ष को भरोसे में लेकर आम सहमति बनानी चाहिए और इसके बिना इन विधेयकों को संसद सत्र के पहले हिस्से में पेश नहीं किया जाना चाहिए। जीएसटी विधेयक पर पार्टी के पुराने रूख को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि उसकी तीन मांगों को इस विधेयक में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन विधेयकों पर सहमति है उन्हें पारित कराने में पार्टी सहयोग करेगी लेकिन देखने की बात यह है कि संसद में सरकार का क्या रूख रहता है और वह विपक्ष को दिये भरोसे पर कायम रहती है या नहीं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि उनकी पार्टी सभी मुद्दों पर चर्चा चाहती है।उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह सत्र को सुचारू ढंग से नहीं चलाना चाहती और इसमें व्यवधान का एजेन्डा तय कर रही है। श्री नायडू ने कहा कि जीएसटी विधेयक सहित कुल 32 विषय बजट सत्र के एजेन्डे में रखे गये हैं और विपक्ष को सत्र को सुचारू ढंग से चलाने में सहयोग करना चाहिए क्योंकि सरकार उनके द्वारा उठाये जाने वाले सभी मुद्दों पर चर्चा कराने के लिए तैयार है। रेल बजट 25 फरवरी को तथा आम बजट 29 फरवरी को पेश किया जायेगा जिन पर सभी की नजर होगी। मोदी सरकार का यह तीसरा आम बजट है जिसकी लोग उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। 
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