Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all 73727 articles
Browse latest View live

मोदी सरकार ने डेढ लाख करोड के रक्षा सौदों के अनुबंध किये

0
0
modi-government-has-a-half-lakh-crore-defense-contract
नयी दिल्ली 23 फरवरी, मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से अब तक डेढ लाख करोड रूपये की लागत से 81 रक्षा खरीद सौदों को पूरी तरह मंजूरी देते हुए उत्पादों की आपूर्ति के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं लेकिन 314 सौदे अभी भी विभिन्न स्तरों पर मंजूरी की इंतजार में हैं। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता में आज यहां हुई रक्षा खरीद परिषद (डीएसी)की बैठक में पिछले दो वर्षों में किये गये सभी रक्षा खरीद सौदों की समीक्षा की गयी। श्री पर्रिकर ने तीनों सेनाओं से अभी भी प्रासंगिक रक्षा सौदों की खरीद से जुडे प्रस्तावों की प्रक्रिया को तेज करके इन्हें 4-5 महीनों में पूरा करने का निर्देश दिया। डीएसी ने सेना के लिए 457 करोड रूपये की लागत से 619 भारी वाहन खरीदने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। 

यह खरीद पहले से तय शर्तों के आधार पर की जायेगी। परिषद की बैठक में अगले दस वर्षों में प्रस्तावित रक्षा खरीद की भी समीक्षा की गयी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सरकार ने जून 2014 के बाद से डेढ लाख करोड की लागत वाले 81 खरीद सौदों को मंजूरी देते हुए इनसे जुडे उत्पादों की आपूर्ति के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गये। इसके अलावा 2 लाख करोड रूपये की लागत से 66 रक्षा सौदों को जरूरत के आधार पर मंजूरी प्रदान की गयी। इसी दौरान बारूदी सुरंग रोधी प्रणाली के लिए गोआ शिपयार्ड के साथ लेटर आफ इंटेट का करार हुआ। रक्षा मंत्री ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि रक्षा सौदों को तेजी से निपटाने की प्रक्रिया और प्रयासों के बावजूद अभी भी 314 सौदे विभिन्न स्तरों पर लटके पडे हैं। उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से इन्हें तेजी से निपटाने के प्रयास करने को कहा। उन्होंने कहा कि जिन सौदों की प्रासंगिकता बनी हुई है उन्हें तेजी से आगे बढायें।

आलोचना के साथ साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर हो सार्थक चर्चा : मोदी

0
0
along-with-criticism-meaningful-discussion-should-be-on-key-issues-modi
नयी दिल्ली, 23 फरवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उम्मीद जतायी है कि संसद के बजट सत्र में देशवासियों की आकांक्षाओं और अपेक्षााअों से जुडे सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा होगी तथा समय के सदुपयोग के साथ साथ सरकार की आलोचना और उसकी कमी भी उजागर की जायेगी। संसद का बजट सत्र शुरू होने से पहले श्री मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि सवा सौ करोड देशवासियों की निगाहें संसद की कार्यवाही , रेल तथा आम बजट पर केन्द्रित रहेंगी। इसके अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को देखते हुए दुनिया का ध्यान भी इस बजट पर रहेगा। उन्होंने कहा कि संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिए पिछले कई दिनों से सभी दलों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है। यह बातचीत औपचारिकता से ऊपर उठ कर हुई है तथा कुछ दलों के नेताओं के साथ ‘वन टू वन’ बातचीत भी हुई है। 

जितनी भी बैठकें हुई हैं विपक्ष के सभी साथियों ने सकारात्मक रूख दिखाया है। उन्होंने कहा ,“ यह मेरा विश्वास है,कि संसद के समय का सदुपयोग होगा, सार्थक चर्चाएं होगी। देश के सामान्‍य नागरिकों की जो आशाएं-अपेक्षाएं हैं, उन पर गहन चिंतन होगा। ” विपक्ष द्वारा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारियों की रिपोर्टों के मद्देनजर उन्होंने कहा ,“ मैं आशा करता हूं कि सदन का उपयोग गहन विचार-विमर्श के लिए होना चाहिए। सरकार की भी भरपूर आलोचना होनी चाहिए। सरकार की कमियां भी उजागर होनी चाहिए। यही एक मार्ग है लोकतंत्र को मजबूत बनाने का, जन-सामान्‍य की आशा-आकांक्षाओं को परिपूर्ण करने का। ” उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ आज संसद का बजट सत्र शुरू हो गया। रेज बजट 25 फरवरी को और आम बजट 29 फरवरी को पेश किया जायेगा।

बिहार : कन्हैया की गिरफ्तारी के विरोध में बेगूसराय बंद

0
0
begusarai-bandh-for-kanhaiya
बेगूसराय 23 फरवरी, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के विरोध में आज वामदलों के बिहार के बेगूसराय में बंद का मिलाजुला असर रहा । कन्हैया के गृह जिले बेगूसराय में वामदलों के कार्यकताओं ने उनकी गिरफ्तारी और बिना शर्त रिहाई को लेकर शहर के प्रमुख बाजारों को बंद करा दिया । शहर के प्रमुख व्यवसायिक प्रतिष्ठान जहां बंद रहे वहीं कुछ दुकाने खुली रही । सड़कों पर आम दिनों की अपेक्षा कम चहल-पहल देखी गयी । बंद के दौरान पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय उच्च पथ 31 पर वामदलों के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर यातायात को बाधित कर दिया । इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस आंदोलन को सड़क से लेकर संसद तक लड़ा जायेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने साजिश के तहत कन्हैया को गिरफ्तार किया है।कार्यकर्ताओं ने केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। वामदलों के कार्यकर्ताओं ने शहर में जुलूस निकाला और दुकानों को बंद कराया । बेगूसराय शहर के अलावा बरौनी, बीहट, तेधड़ा और बलिया में भी बंद समर्थकों ने यातायात को बाधित कर दिया । 

वामदल के नेता कन्हैया को बिना शर्त रिहा करने , उनके साथ मारपीट करने वाले वकीलो और पुलिस कमिश्नर पर मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहे है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) ,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा),भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी-लेनिनवादी), सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर आफ इंडिया(एसयूसीआई),अखिल भारतीय फारवर्ड ब्लाक और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी(आरएसपी) के कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रुप से इस बंद का आयोजन किया है । वहीं दूसरी ओर बेगूसराय में कन्हैया कुमार के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीभीपी) ने तिरंगे के साथ एक विरोध मार्च निकाला। मार्च में बड़ी संख्या में एबीभीपी के छात्र और छात्राओं ने भाग लिया। एबीभीपी के छात्र कन्हैया को फांसी देने की मांग कर रहे थे । मार्च शहर के ट्राफिक चैाक से निकल कर विभिन्न मार्गों से होता हुआ कैट्रीन चैाक पर पहुंचा । एबीभीपी ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि देश में रहकर देश के खिलाफ करने वाले कन्हैया पर सख्त कारवाई की जाये। गौरतलब है कि जेएनयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार बेगूसराय जिले के बिहट गांव के मसलनपुर टोला के निवासी है 

रेलवे का निजीकरण देश की एकता पर होगी भयंकर चोट : नीतीश

0
0
privatise-on-railway-hit-aour-unity-nitish-kumar
पटना,23 फरवरी. बिहार के मुख्यमंत्री एवं पूर्व रेल मंत्री नीतीश कुमार ने देश की एकता में रेलवे की महत्ता को रेखांकित करते हुए आज कहा कि इसका निजीकरण देश की एकता पर भयंकर चोट होगी। श्री कुमार ने यहां पत्रकारों से कहा कि देश की एकता में रेलवे की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। आज भी आम आदमी की सवारी रेलगाड़ियां ही हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे का विकास इस प्रकार होना चाहिये कि उसका लाभ सभी को मिले । रेल सेवा से वंचित देश की सुदूर इलाकों तक गाड़ियों को पहुंचाने की जरूरत है। रेलवे के निजीकरण की योजना बनायी जा रही है, लेकिन जिस दिन रेलवे का निजीकरण हो जायेगा,उस दिन देश की एकता पर भयंकर चोट पड़ेगी ।रेलवे का निजीकरण नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 फरवरी को पेश होने वाले रेल बजट से उन्हें कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान की बिहार में कई रेलवे परियोजनायें लंबित हैं, उनको पूरा करने की समय सीमा काफी पहले ही समाप्त हो चुकी है। उन्हें पूरा करने के लिये काफी धन खर्च करना होगा। उन्होंने कहा कि रेलवे का विकास केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है क्योंकि यह उसी के नियंत्रण में है। 

श्री कुमार ने कहा कि बिहार में रेलवे के बड़ी संख्या में परियोजनायें वर्षों पहले स्वीकृत हुई हैं लेकिन उसे पूरा करने के लिये नाम मात्र धन का आवंटन होता है,इस कारण काम पूरा नहीं हो पाता है। अब रेल मंत्री कह रहे हैं कि रेल परियोजनायें में राज्य सरकार भी धन लगाये। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि केन्द्र प्रायोजित किस-किस योजना में राज्य सरकार पैसे लगायेगी, जिसकी जो जिम्मेवारी है,उसे पूरा करना चाहिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की प्रगति की जवाबदेही केन्द्र और राज्य दोनों की है। राज्य के जिम्मे जो काम है, उनकी सरकार कर रही है हैं। केन्द्र के जिम्मे जो काम है, उसे केन्द्र सरकार करे। उन्होंने कहा कि उन्हें तो ऐसा लगता है कि रेलवे को जितना धन चाहिये, केन्द्र सरकार देने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिये हर जगह निजी निवेश की बात की जाती है। रेलवे को केन्द्र सरकार से जितनी सहायता मिलनी चाहिये, वह सहायता भी उसे नहीं मिल पा रही है। रेलवे की हालत खस्ता है। 

बिहार में 10 चरणों में कराये जायेंगे पंचायत चुनाव

0
0
panchayat-election-in-bihar-in-10-phase
फोटो : साभार  
पटना,23 फरवरी, बिहार सरकार ने अप्रैल और मई में 10 चरणों में पंचायत चुनाव कराये जाने का निर्णय लिया है । मंत्रिमंडल एवं समन्वय विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने आज यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुयी मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि राज्य में अप्रैल और मई माह में 10 चरणों में पंचायत चुनाव करायें जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी है । श्री मेहरोत्रा ने बताया कि पहले चरण का चुनाव 24 एवं 28 अप्रैल को तीसरे चरण के लिये दो , चौथे चरण के लिये छह , पांचवें चरण के लिये 10, छठे चरण के लिये 14, सातवें चरण के लिये 18, आठवें चरण के लिये 22, नौवें चरण के लिये 26 तथा दसवें तथा अंतिम चरण के लिये 30 मई को मतदान होगा । 

श्री मेहरोत्रा ने बताया कि पहले चरण के लिये दो , दूसरे चरण के लिये चार , तीसरे चरण के लिये आठ , चौथे चरण के लिये दस , पांचवें चरण के लिये 11 , छठे चरण के लिये 26 , सातवें चरण के लिये 28 तथा आठवें चरण के लिये 30 अप्रैल को अधिसूचना जारी की जायेगी जबकि नौवें चरण के लिये चार मई एवं अंतिम चरण के लिये सात मई को अधिसूचना जारी होगी । मतगणना संबंधित जिले में मतदान समाप्त होने के चौथे दिन होगी । बिहार पंचायतराज अधिनियम 2006 के तहत मुखिया के 8398 ग्राम पंचायत सदस्य के 115191 ग्राम कचहरी सरपंच के 8398 ग्राम कचहरी पंच के 115191 पंचायत समिति सदस्य के 11566 और जिला परिषद सदस्य के 11 62 पदों के लिये चुनाव होना है । इसके अलावा बैठक में कुछ अन्य निर्णय भी लिये गये । बिहार देश का पहला राज्य है जहां पंचायतीराज संस्थाओं में वर्ष 2006 से ही महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। 

दलितों-पिछड़ों को मिले आरक्षण से संघ और भाजपा नाखुश : नीतीश

0
0
bjp-rss-unhappy-with-reservation-nitish-kumar
पटना 23 फरवरी,  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण संबंधी ताजा बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते आज कहा कि संघ की मानसिकता दलित एवं पिछड़ा वर्ग विरोधी है और वह इन वर्गों को मिले आरक्षण को समाप्त करना चाहती है। श्री कुमार ने यहां मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले भी श्री भागवत ने आरक्षण को लेकर बयान दिया था और कहा था कि इस पर विचार के लिए एक गैर राजनीतिक समिति बननी चाहिये। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो संघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता संविधान निर्माता बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण करते हैं तो दूसरी तरफ वे संविधान को समाप्त करने पर तुले हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आरक्षण के बारे संघ प्रमुख ने जो कहा है और उनके जो विचार हैं वहीं भाजपा की भी सोच है। सार्वजनिक रूप से मौके-बेमौके संघ और भाजपा एक दूसरे से दूरी बनाकर रखते हैं लेकिन यह दिखावटी होती है। केन्द्र सरकार में आज जो लोग शामिल हैं, उनकी विचारधारा वही है जो संघ की है। उनका वक्तव्यों से स्पष्ट है कि वे दलितों, आदिवासियों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण से खुश नहीं हैं और समिति की आड़ में आरक्षण को समाप्त करना चाहते हैं। 

जाट आरक्षण को लेकर पूछे एक सवाल पर मुख्यंमत्री ने कहा कि हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा ने चुनाव के दौरान जाटों को आरक्षण देने का वादा था लेकिन अबतक वे इसे टालते जा रहे थे। इस प्रकार की परिस्थिति की पूरी जिम्मेवारी वहां के सरकार और भाजपा नेताओं की है। उन्होंने कहा कि भाजपा के कुछ नेता जाट समाज के खिलाफ बयानबाजी करने लगे तो जाटों की भावनायें भड़क गयी। उन्होंने हरियाणावासियों से शांति बनाये रखने की अपील करते हुए कहा कि अहिंसा के रास्ते अपनी बातें सरकार के समक्ष रखें । उन्होंने हरियाणा के वर्तमान हालात के लिए केन्द्र को भी समान रूप से जिम्मेवार ठहराया। श्री कुमार ने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह असफल नरेन्द्र मोदी सरकार देश को भावनात्मक मुद्दों में उलझाकर लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है । भाजपा अपने विचार लोगों पर थोपना चाहती हैं, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिलेगी। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर जाटों द्वारा जारी आंदोलन के बीच संघ प्रमुख श्री भागवत ने कल कोलकाता में कहा था कि आरक्षण की पात्रता पर फैसला करने के लिए एक गैर-राजनीति समिति का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग आरक्षण की मांग कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि आरक्षण की पात्रता पर फैसला करने के लिए एक समिति का गठन किया जाना चाहिए जो गैर-राजनीतिक होनी चाहिए ताकि उसमें कोई निहित स्वार्थ शामिल न हो। 

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारत और अमेरिका की बड़ी पहचान : रिचर्ड वर्मा

0
0
पटना,23 फरवरी, भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड आर वर्मा ने जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय(जेएनयू) छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी को लेकर बढ़ रहे विवाद के बीच आज कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दोनों देशों की एक बड़ी पहचान है। श्री वर्मा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि भारत और अमेरिका विश्व के दो बड़े लोकतांत्रिक देश हैं जहां विचारों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को काफी महत्व दिया जाता है ।उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही दोनों देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तम्भ है जिसकी हर हाल में रक्षा की जानी चाहिए ।उन्होंने जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष की गिरफ्तारी के संबंध में पूछे गये एक सवाल का सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा“अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अमेरिका के साथ-साथ भारत की एक बड़ी पहचान है।” उन्होंने कहा कि प्रत्येक लोकतांत्रिक देश को फैसला करना होगा कि वह लोगों को कितनी अधिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है ।भारत और अमेरिका इस मामले में अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति साबित करते रहे हैं । राजदूत ने भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा“हम आपकी चिंता से अवगत हैं,आतंकवादी संगठनों के खिलाफ और प्रभावी तरीके से कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है।” 

श्री वर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के‘मेक इन इंडिया’कार्यक्रम की सराहना की और कहा कि इससे भारत में रोजगार के बड़ी संख्या में अवसर उत्पन्न होंगे। रोजगार प्रदान करने वाली यह एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने स्थिर कर प्रणाली की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि भारत में वाणिज्यिक अदालतें गठित किये जाने की आवश्यकता है।ऐसी अदालतों ने अमेरिका में व्यापार संबंधी मामलों के निपटारे में अपनी उपयोगिता साबित की है। राजदूत ने कहा कि अमेरिका में कार्यरत भारतीय कंपनियों में हजारों अमेरिकी नागरिक नौकरी कर रहे हैं ।उन्होंने कहा कि अमेरिका चाहता है कि और बड़ी संख्या में भारतीय कंपनियां वहां व्यवसाय करें। श्री वर्मा ने कहा कि अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने 1000 डीजल रेल इंजन बनाने के लिए भारतीय रेलवे के साथ 2.15 अरब डालर के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं ।इनमें से 900 इंजन बिहार के मढ़ौरा लोको प्लांट में बनाये जायेंगे शेष इंजन अमेरिका से बनाकर लाये जायेंगे । 

दुष्कर्म के मामले में फरार राजद विधायक के घर पर इस्तेहार चस्पा

0
0
bihar-rapist-mla-house-notice
नवादा 23 फरवरी, नाबालिग छात्रा के साथ दुष्कर्म के मामले में भूमिगत बिहार के नवादा से राष्ट्रीय जनता दल के विधायक राजबल्लभ यादव के कई ठिकनों पर पुलिस ने आज इस्तेहार चस्पा किया । पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि बिहारशरीफ की एक अदालत के आदेश पर नालंदा पुलिस ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से विधायक के मुफस्सिल थाना के पथरा इंगलिश तथा डीला इंगलिश स्थित आवास पर इस्तेहार चस्पा किये । इसके साथ ही विधायक की गिरफ्तारी के लिये पुलिस दबिश बढ़ा दी गयी है । सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा नालंदा पुलिस ने नवादा के अचंलाधिकारी को एक पत्र दिया है जिसमें दो दिनों के अंदर विधायक के चल एवं अचल सम्पत्ति का ब्यौरा मांगा है । दुष्कर्म के मामले में विधायक के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी है और इसके बाद भी वह फरार हैं । 

सूत्रों ने बताया कि विधायक की सम्पत्ति की कुर्की-जब्ती की कार्रवाई के लिये यह प्रक्रिया शुरू की गयी है । इस मामले के नौ फरवरी को उजागर होने के बाद से ही विधायक की गिरफ्तारी के लिये सभी संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है । इस बीच भारतीय जनता पार्टी:भाजपा: के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा कि दुष्कर्म के आरोपी राजद विधायक की गिरफ्तारी सियासी राजनीति की भेंट चढती जा रही है । एक ओर जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कानून अपना काम करेगा कहकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं वहीं इस मामले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव चुप्पी साधे हुए हैं । श्री पांडेय ने कहा कि राजद जिलाध्यक्ष एवं विधायक प्रकाश वीर ने विधिवत संवाददाता सम्मेलन कर कहा था कि विधायक श्री यादव अमुक तिथि को न्यायालय में आत्मसमर्पण करेंगे । इस तरह की बात विधायक से हुयी बातचीत और निर्देश पर ही कहा गया होगा । उन्होंने कहा कि इसके बाद सियासी राजनीति में आये उफान ने पूरे मामले को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया । 

देश में जंगलराज और फासीवाद लाना चाहती है मोदी सरकार : नीतीश

0
0
modi-governemtn-giving-nation-jangalraj-and-fasisam-nitish-kumar
पटना 23 फरवरी, बिहार के मुख्यंमत्री नीतीश कुमार ने देश के वर्तमान हालात के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार पर आज जमकर हमला बोला और कहा कि यह सरकार देश में जंगलराज और फासीवाद लाना चाहती है। श्री कुमार ने मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद यहां पत्रकारों से कहा कि मौजूदा वक्त में देश की हालत अराजक हो गयी है। भाजपा लोगों पर जबरन अपने विचारों को थोप रही है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा के विचारों से जो लोग सहमत नहीं, वे उनकी नजर में देशद्रोही हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार बताना चाहिए कि कन्हैया ने देश के खिलाफ कौन सा नारा लगाया था। साथ ही इसका सबूत भी देना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज संविधान की व्यवस्था का मजाक उड़ रहा है। जेएनयू प्रकरण में आज जो वीडियो सामने आया है, उसके हिसाब से वकील साफ गाली देते हुये स्वीकार कर रहे हैं कि उन्होंने कन्हैया की पिटाई की और पुलिस मूकदर्शक बनी रही । इसके बाद भी कह रहे हैं कि वे जेल जाकर कोठरी में उसकी पिटाई करेंगे। इससे स्पष्ट है कि केन्द्र में कानून का राज नहीं है और जिस तरह से ये सारी चीजें सामने आ रही हैं, उससे स्पष्ट है कि दिल्ली में जंगलराज है। 

श्री कुमार ने केन्द्र सरकार को सभी मोर्चे विफल बताया और कहा कि अपने वायदों को निभाने में नाकाम रहे लोग वास्तविक मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाने में लगे हैं। वादों के अनुरूप न काला धन आया, न युवाओं को रोजगार मिला, न देश की विकास दर बढ़ी और न ही देश में निवेश आ रहा है। उन्होंने कहा कि विकास दर का पैमाना बदलकर और आंकड़ों की जादूगरी से सरकार लोगों को बता रही है कि विकास दर बढ़ी है लेकिन आर्थिक मोर्चे के हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बैंकों की हालत खस्ता है, इनका पैसा डूब चुका है। ऐसी परिस्थिति में आर्थिक मोर्चे पर विफलता को छिपाने के लिये और मूल मुद्दे से लोगों से ध्यान हटाने के लिए भावनायें भड़कायी जा रही है। उन्होंने कहा कि सत्ता के बल पर वे अपनी विचारधारा लोगों पर थोपना चाहते हैं, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने फासीवाद से मुकाबला करने के लिए लोगों से एकजुट होने की अपील की। श्री कुमार ने कहा कि भाजपा से जुड़े लोग अपनी विचारधारा दूसरों पर थोपेंगे और जो इनसे असहमत होंगे, उन्हें देशद्रोही करार दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जिस वीडियो के आधार पर कन्हैया को गिरफ्तार किया गया , उससे छेड़छाड़ कर उसको फंसाने की कोशिश हो रही है, जो अब जगजाहिर है। उन्होंने कहा कि वह भारत के खिलाफ बोलने और देश के खिलाफ नारा लगाने वालों का कभी समर्थन नहीं कर सकते। 

रोमिला समेत कई लेखकों ने सरकार के रूख के प्रति जताया विरोध

0
0
writers-oppose-government-view-on-jnu
नयी दिल्ली, 23 फरवरी, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) मामले में केन्द्र सरकार की कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हुये रोमिला थापर अौर कृष्णा सोबती समेत कई लेखकों, इतिहासकारों ने अाज जेएनयू के छात्रों पर दर्ज सभी मामलों को वापस लेने की मांग की। सिटिजंस कमेटी फ़ॉर द डिफ़ेन्स ऑफ़ डेमोक्रेसी के बैनर तले विरोध दर्ज कराने वाले लेखकों और इतिहासकारों ने दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन की भी आलोचना की और कहा कि दोनों ही केन्द्र सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने एक बयान में कहा, “हमारा यह पक्का विश्वास है कि असहमति को राष्ट्रद्रोह करार देना, राष्ट्रद्रोह संबंधी क़ानूनों को छात्रों पर लागू करना, कैंपस में पुलिस का घुसना, ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से एक छात्र-नेता को गिरफ़्तार करना, अनेक छात्रों पर हिंसा भड़काने के आरोप दर्ज करना, छात्रों, शिक्षकों और एक गिरफ़्तार छात्र पर अदालत के परिसर में हमला करना, यह सब देश के नागरिकों के बुनियादी अधिकारों पर गंभीर हमले हैं। असहमति के अधिकार के बिना लोकतंत्र का बने रहना संभव नहीं है और हाल की घटनाचक्र ने लोकतंत्र की बुनियाद को ही हिला दिया है।” 

बयान में कहा गया है, “हमारे लिए यह भी अत्यंत चिंताजनक है कि छात्रों, कार्यकर्ताओं और शिक्षकों पर खुलेआम हमले होते हैं। आंदोलनकर्ता छात्रों के विरुद्ध नफ़रत और हिंसा भड़काई जाती है और पुलिस मूक दर्शक बनी रहती है। पुलिस ऐसे दुर्भावनापूर्ण वक्तव्य देती है जिनसे शांतिमय ढंग से रहने वाले नागरिकों को खतरा महसूस होता है। असहमत होना और सवाल खड़े करना हर नागरिक का अधिकार है और जेएनयू के छात्र सभ्य एवं शांतिपूर्ण तरीक़े से, संयत रहकर महज़ अपने इस अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं।” इसके साथ ही संस्था ने उन टेलीविज़न चैनलों, अख़बारों और पत्र-पत्रिकाओं की निन्दा की कि जिन्होंने पक्षधरतापूर्ण और ग़ैर-ज़िम्मेदाराना ढंग से ख़बरें दीं तथा दुष्प्रचार से दर्शकों, श्रोताओं और पाठकों को गुमराह किया। उन्होंने कहा कि वे यह महसूस करते हैं कि शहर के सभी विचारशील लोग संकट की इस घड़ी में एक साथ होकर विचार की आज़ादी और असहमति के अधिकार के पक्ष में आवाज़ उठाएं और लोकतांत्रिक विरोध की हर जगह रक्षा करें। संस्था ने आरोप लगाते हुये कहा जेएनयू प्रशासन पुलिस से मिलकर छात्रों के विरुद्ध झूठे आरोप गढ़ने, अपनी जांच प्रक्रिया पूरी करने करने और शिक्षक समुदाय या पदाधिकारियों को सूचित किये बिना के बजाय पुलिस को विश्वविद्यालय परिसर में बुलाकर जगह जगह और छात्रावासों की तलाशी लेने और उन्हे गिरफ़्तार करने के के लिए पूरी तरह जवाबदेह है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने सरकार के दबाव में आकर विश्विद्यालय की स्वायत्तता को क्षति पहुँचाई है और इसका प्रभाव छात्रों की शिक्षा और उनके कॅरियर पर पड़ सकता है। 

उन्होंने मांग की कि पुलिस ज़िम्मेदारी से अपना कर्तव्य का पालन करते हुए विश्वविद्यालय से बाहर, अदालतों में और सार्वजनिक स्थलों पर छात्रों शिक्षकों और जे एन यू के साथ एकता रखने वाले लोगों की सुरक्षा करे और अपने सरोकारों को अभिव्यक्त करने के उनके क़ानूनी अधिकार का सम्मान करे। इसके अलावा मांग की कि असामाजिक तत्वों को विश्वविद्यालय समुदाय पर हमले के लिए उकसाने के बजाय पुलिस इन तत्वों की हरकतों को प्रभावी ढंग से रोके। रोमिला थापर और कृष्णा सोबती के अलावा हरबंस मुखिया, हर्ष मंदार, नवशरण सिंह, नलिनी तनेजा, असद ज़ैदी, मंगलेश डबराल, सुभाष गाताडे, उमा चक्रवर्ती, सैयदा हमीद, सुकुमार मुरलीधरन, प्रवीर पुरकायस्थ, पुनीत बेदी, राहुल राय, सबा दीवान, उर्वशी बुटालिया, तपन बोस, नंदिता नारायण, पैगी मोहन, फ़राह नक़वी जैसे लोगों ने केन्द्र सरकार के कदम की आलोचना की।

झारखंड में होम गार्डों की सेवामुक्ति उम्र सीमा 60 वर्ष

0
0
jharkhand-homeguard-retirement-age-60
रांची, 23 फरवरी, झारखंड सरकार ने राज्य के होम गार्डों की सेवामुक्ति उम्र सीमा 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष करने की स्वीकृति प्रदान की है। मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में आज यहां राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में यह स्वीकृति प्रदान की गयी। बैठक के बाद जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में यहां यह जानकारी दी गयी। बैठक में राज्य के लिए भवन उपविधि-2016 की स्वीकृति भी दी गयी। इसमें कुल पार्किंग स्पेस का 15 प्रतिशत क्षेत्रफल आगंतुकों के लिए आरक्षित करते हुए रखे जाने का प्रावधान है जिसे किसी भी व्यक्ति को बेचा नहीं जा सकता है। 
बहुमंजिली पार्किंग प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए बहुमंजिली पार्किंग के क्षेत्रफल को एफएआर की गणना से मुक्त रखा गया है। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्यांश के रूप में प्रावधानित राशि 21 करोड़ एवं 20 करोड़ रुपये मात्र व्यय की स्वीकृति दी गयी तथा निबंधन कार्यालयों में दस्तावेज निबंधन एवं अन्य कार्यों यथा सच्ची प्रतिलिपि, खोज, ऋण अवभार प्रमाण-पत्र आदि कार्यों पर प्रभार्य शुल्क बैंकों के माध्यम से प्राप्त करने के लिए निबंधन नियमावली के नियम-37 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी। 

झारखंड कारखाना नियमावली, 1950 में संशोधन के अलावा झारखंड त्वरित पथ विकास कार्यक्रम अन्तर्गत पतरातू डैम-रामगढ़ पथ के विकास के लिएझार खण्ड त्वरित पथ विकास कम्पनी लि. के माध्यम से दावे के भुगतान के लिए 106 करोड़ 47 लाख 75 हजार अठाईस रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति भी बैठक में दी गयी। 

जेएनयू मामले में सरकार और भाजपा अपनायेगी कड़ा रुख

0
0
governemtn-and-bjp-will-take-strong-step-on-jnu
नयी दिल्ली, 23 फरवरी, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रकरण पर विपक्षी दलों के कड़े तेवरों को देखते हुये मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी संसद में इस मुद्दे पर आक्रामक रवैया अपनाने का फैसला किया है। जेएनयू प्रकरण पर राज्यसभा में कल चर्चा होनी है जबकि लोकसभा में इस पर 25 फरवरी को चर्चा करायी जा सकती है। भाजपा संसदीय दल की कार्यकारिणी और सत्तारूढ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों की आज शाम यहां हुई अलग-अलग बैठकों में जेएनयू मामले के सभी पहलुओं की जानकारी दी गयी। दोनों बैठकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू ने भाजपा सदस्यों और राजग के नेताओं को सरकार की रणनीति से अवगत कराया। भाजपा संसद के अंदर और बाहर इस मुद्दे को आक्रामक ढंग से उठायेगी। पार्टी का कहना है कि शिक्षण संस्थाओं में राष्ट्र विरोधी नारे बर्दाश्त नहीं किये जा सकते। भाजपा संसदीय दल की कार्यकारिणी की बैठक के बाद संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार और भाजपा दोनों चाहते हैं कि जेएनयू प्रकरण पर संसद में चर्चा हो। उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि वह देश के प्रमुख राजनीतिक दल के नेता हैं और उन्हें देश को बताना पड़ेगा कि वह तथा कांंग्रेस किसके साथ खडे हैं। वे राष्ट्र विरोधी नारे लगाने वालों के साथ हैं या देश के लिए शहीद होने वाले कैप्टन पवन कुमार जैसे सैनिकों के साथ। 

कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि जिस अफजल गुरु की याद में जेएनयू में कार्यक्रम आयोजित किया गया था उसको फांसी पर लटकाने की कानूनी प्रक्रिया पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में ही हुई थी। श्री गांधी को बताना चाहिए कि क्या वह इस कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। दोनों बैठकों में प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से सरकार के कामकाज और उसकी उपलब्धियों के बारे में एक प्रस्तुति दी गयी। राजग की बैठक में लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान, शिवसेना के संजय राउत और आनंदराव अडसुल, शिरोमणि अकाली दल के प्रेमसिंह चंदूमाजरा, अपना दल की अनुप्रिया पटेल और स्वाभिमानी दल के राजू शेट्टी मौजूद थे। 

झारखण्ड : जमीन खरीद में गड़बड़ी की जांच करेगा एसीबी

0
0
acb-will-investigate-land-scam-jharkhand
रांची, 23 फरवरी, झारखंड सरकार ने विधानसभा में लोहरदगा शहरी जलापूर्ति योजना के लिए जमीन खरीद मामले में अनियमितता की शिकायत की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से कराये जाने की घोषणा की है।राज्य के नगर विकास मंत्री सी.पी. सिंह ने विधानसभा में आज कांग्रेस के सुखदेव भगत के ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से उठाये गये सवाल के जवाब में इस आशय की घोषणा की। जमीन खरीद मामले में अब तक हुई जांच पर असंतोष व्यक्त करते हुए श्री भगत ने कहा कि 31 मार्च 2015 को लोहरदगा नगर परिषद द्वारा जलापूर्ति योजना के लिए 2.43 करोड़ रुपये में डेढ़ एकड़ जमीन खरीद की गयी। 

उन्होंने बताया कि उक्त जमीन की सरकारी दर मात्र 16 हजार रुपये प्रति डिसमल थी और पूरी जमीन मात्र 24 लाख रुपये में खरीदी जा सकती थी। वहीं जमीन क्रय के दौरान पाॅवर आॅफ एटार्नी करने वाले व्यक्ति की मौत रजिस्ट्री करने से कई वर्ष पहले ही हो चुकी है। उन्होंने बताया कि सीधे तरीके से जमीन की राशि हड़पने के उद्देश्य से इस खरीद-बिक्री को अंजाम दिया गया। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जिस व्यक्ति के नाम से जमीन दिखा कर इसकी खरीद की गयी, वस्तुतः खतियान में यह जमीन किसी अन्य व्यक्ति के नाम से दर्ज है। उन्होंने इस मामले में जालसाजी कर सरकारी राशि हड़पने वाले व्यक्ति तथा दोषी पदाधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की। 

नगर विकास मंत्री श्री सिंह ने कहा कि लोहरदगा नगर परिषद से शहरी जलापूर्ति योजना, पार्क, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना, सीवरेज व ड्रेनेज योजना और राजीव आवास योजना के कार्यान्वयन के लिए करीब 35 एकड़ जमीन क्रय का निर्णय लिया गया। इसी क्रम में जलापूर्ति योजना के लिए भी लोहरदगा के कैमो मौजा में 2.27 करोड़ रुपये में जमीन की खरीद की गयी। उन्होंने बताया कि निबंधन दस्तावेज में पावर आॅफ एटाॅर्नी लेने वाले व्यक्ति के जीवित रहने और पावर रद्द नहीं होने की बात लिखी गयी थी। इसलिए उक्त जमीन की खरीद की गयी। बाद में नगर विकास मंत्री ने भी इस पूरे मामले की जांच कराये जाने की घोषणा की और दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई का भरोसा दिलाया। 

झारखंड : बाबा रामदेव से दवा संयंत्र लगाने का मुख्यमंत्री का अनुरोध

0
0
cm-apeeal-to-ramdev-for-medicine-factory
रांची, 23 फरवरी ,  झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज विधानसभा में कहा कि राज्य में योगगुरू रामदेव से पंतजलि योग पीठ की ओर से दवा संयंत्र लगाने के लिए अनुरोध किया गया है। मुख्यमंत्री ने सदन में जय भारत समानता पार्टी की गीता कोड़ा के एक अल्पसूचित प्रश्न के जवाब के दौरान हस्तक्षेप करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि झारखंड में जड़ी बूटियों का अपार भंडार हैं। वेद, योग और आयुर्वेद तथा भारतीय चिकित्सा पद्धति को लेकर आज दुनिया भर में आस्था बढ़ी है। 

इससे पहले वन वर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभारी मंत्री सीपी सिंह ने बताया कि राज्य के वनों में औषधीय पौधों की प्रजाति और मात्रा का सही-सही आंकलन अभी नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि औषधीय पौधों के उपयोग को प्रोत्साहन देने एवं उनकी सुलभ उपलब्धता के लिए विभाग द्वारा औषधीय पादप परिषद के सहयोग से प्रायोगिक तौर पर कुछ वन प्रमंडलों में औषधीय पौधों की पौधषाला एवं वनरोपण कार्य किये गये हैं। इस संबंध में झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्टीफन मरांडी ने औषधीय पौधों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में हर्बल प्लांट स्थापित करने और भाजपा की विमला प्रधान ने भी इसे बढ़ावा देने की मांग की। 

सबका विकास सरकार का लक्ष्य, संसद में हो चर्चा : प्रणव

0
0
pranab-say-government-s-target-for-all-development-to-be-discussed-in-parliament
नयी दिल्ली, 23 फरवरी, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सांसदों को संसद के कामकाज में व्यवधान नहीं डालने की सलाह देते हुये आज कहा कि भारत विश्व की सबसे अधिक गतिशील अर्थव्यवस्था बन गया है और सरकार गरीबों की उन्नति, किसानों की समृद्धि और युवाओं को रोजगार दिलाने के लिये काम कर रही है। श्री मुखर्जी ने बजट सत्र के शुरू में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबाेधित करते हुये संसद के कामकाज, महत्व और मोदी सरकार की विकास योजनाओं की उपलब्धियों का विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य ‘सबका विकास’ है और इसके लिये वह निर्धन और वंचित वर्ग को सशक्त बनाने तथा सभी देशवासियों को देश की प्रगति में भागीदार बनाने के प्रयास में जुटी है। सरकार देश की सुरक्षा के प्रति और आतंकवाद से सख्ती से निपटने के लिये भी कृतसंकल्प है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रकरण को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में खींचतान के बीच शुरु हो रही संसद की कार्यवाही के लोकतांत्रिक प्रकिया में महत्व को रेखांकित करते हुये राष्ट्रपति ने सभी राजनीतिक दलों को नसीहत दी कि वे इसकी कार्यवाही में अवरोध डालने की बजाय देश के सामने मौजूद मुद्दों पर चर्चा और वाद -विवाद करें। उन्होंने कहा कि संसद जन आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती है तथा लोकतांत्रिक प्रणाली में वाद -विवाद और चर्चा जरुरी है न कि अवरोध पैदा करना। उन्होंने विश्वास जताया कि संसद में होने वाली चर्चा उस भरोसे पर खरी उतरेगी जो हमारे नागरिकों ने हमारे प्रति जताया है। 


भ्रष्टाचार से निपटने के सरकार के संकल्प को दोहराते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ किसी तरह की नरमी नहीं बरती जायेगी। सरकार ने एक ओर जहां भ्रष्टाचार की गुंजाइश समाप्त करने के उपाय किये हैं वहीं भ्रष्ट पाये गये व्यक्तियों को दंड देने में भी कोई नरमी नहीं बरती है। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में कड़े संशोधन भी किये जा रहे हैं ताकि भ्रष्टाचारियों के बचने कोई गुंजाइश ही न हो। उन्होंने कहा कि काले धन की समस्या से निपटने के लिये सरकार के सामंजस्यपूर्ण प्रयासों ने परिणाम दिखाने शुरू कर दिये हैं। कालेधन पर रोक लगाने के एक अधिनियम के तहत कड़े कानूनी प्रावधान किये गये हैं। देश के संसाधनों पर पहला अधिकार सबसे गरीब व्यक्ति का बताते हुये उन्होंने कहा कि गरीबी तथा अभाव को दूर करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। सरकार का मूलभूत सिद्धांत ‘सबका साथ सबका विकास’ है और वह गरीबों की उन्नति, किसानों की समृद्धि और युवाओं को रोजगार दिलाने के लिये समर्पित है। उन्होंने कहा, “सरकार का सर्वोपरि लक्ष्य गरीबी उन्मूलन है। गांधीजी ने कहा था कि गरीबी हिंसा का सबसे बुरा रूप है। प्रगति का सार इसी में है कि जो गरीब और वंचित हैं और समाज में हाशिये पर हैं, उनमें भी संतुष्टि का भाव हो। देश के संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार सबसे गरीब व्यक्ति का है। गरीबी और अभाव को दूर करना हमारी सबसे बड़ी नैतिक जिम्मेदारी है।” 
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने खाद्य सुरक्षा, सबके लिये आवास और ऐसी सब्सिडियों पर अधिक जोर दिया है जो सबसे अधिक जरूरतमंद को तब जरूर मिले जब उसे उनकी सर्वाधिक आवश्यकता हो। प्रधानमंत्री जन धन योजना संसार का सफलतम वित्तीय समावेशन कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत खोले गये 21 करोड़ से भी अधिक खातों में से 15 करोड़ खाते चालू हालत में हैं जिनमें कुल 32 हजार करोड़ रुपये जमा हैं। यह कार्यक्रम बैंक में खाता खोलने तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि गरीबी उन्मूलन का एक माध्यम बन गया है जो निर्धनों को मूलभूत वित्तीय सेवायें और सुरक्षा मुहैया कराता है। श्री मुखर्जी ने कहा कि सरकार की अभिनव पहल से विश्व बैंक की कारोबार करने की सुगमता के मामले की नयी रैंकिंग में भारत 12 पायदान ऊपर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक विवादों के शीघ्र समाधान के लिए मध्यस्थता अधिनियम में संशोधन किए गये हैं। इसके साथ ही रोजगार चाहने वालों को रोजगार सृजक बनाने के उद्देश्य से कई सुधार किये गये हैं। सरकार ने स्टार्ट अप इंडिया अभियान शुरू किया है। इससे देश में नवाचार को मजबूती मिलेगी और उसके विस्तार में सहायता मिलेगा। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया से प्रतिकूल वैश्विक निवेश के माहौल के बावजूद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 39 फीसदी की बढोतरी हुयी है। स्किल इंडिया मिशन में तेजी आ चुकी है और इसके तहत पिछले एक वर्ष में लगभग 76 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। श्री मुखर्जी ने कहा कि बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम को सरलता से रिण उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गयी प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत बैंकों ने 2.6 करोड़ से अधिक उद्यमियों को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के रिण वितरित किये हैं। 


अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए श्री मुखर्जी ने कहा कि लगातार उथल पुथल से गुजर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच भारत में आर्थिक स्थायित्व बना हुआ है। सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुयी है और दुनिया की बडी अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत दुनिया की सबसे गतिशील अर्थव्यवस्था बन गया है। मुद्रास्फीति, राजकोषीय घाटा और चालू खाता घाटा सभी कम हुये है। वर्ष 2015 में भारत का अब तक का सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार रहा है। राष्ट्रपति ने किसानों की समृद्धि को राष्ट्र के विकास का आधार बताते हुए कहा कि सरकार ने भूमि की उर्वरा शक्ति बढाने के लिए 2017 तक 14 करोड़ जोतधारकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड देने और आपदा से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई सुनश्चित करने जैसी किसान हित की कई योजनाएं शुरू कर दी हैं। किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिले और उत्पादन का ज्यादा लाभ मिले, इसके लिए 585 नियमित थोक बाजारों को एक साथ जोड़ने वाली एकीकृत राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना पर काम चल रहा है। श्री मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने पिछले वर्ष नयी यूरिया नीति जारी की है और इसके तहत अगले तीन साल के दौरान 17 लाख टन अतिरिक्त यूरिया का उत्पादन किया जाएगा। खाद्य प्रसंस्करण से किसानों की आय में बढाेतरी होती है और इसके लिए पिछले 19 माह के दौरान पांच नए फूड पार्क शुरू किए गए हैं। पूर्वी राज्यों में कृषि क्षमता के भरपूर इस्तेमाल के लिए द्वितीय हरित क्रांति शुरू करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। इसके तहत 109 नए कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना की जा रही है जिससे कृषि क्षेत्र में उच्च शिक्षा को मजबूती मिलेगी। राष्ट्रपति ने कहा कि मौजूदा सरकार ने देश में बिजली और सड़कों की कमी दूर करने के लिए उल्लेखनीय कदम उठाएं है और 2018 तक सभी गांवों में बिजली पहुंचा दी जाएगी तथा 2019 तक पौने दो लाख से अधिक गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ा जाएगा। श्री मुखर्जी ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में ऊर्जा की कमी चार प्रतिशत से घटकर 2.3 रह गयी है और स्थापित सौर ऊर्जा की क्षमता लगभग दोगुनी हुई। सरकार मई 2018 तक देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य बिजली बोर्डों को घाटे से उबारने तथा उन्हें वित्तीय सहयोग देने के लिए उज्ज्वल डिस्कॉम आश्वासन योजना(उदय) शुरू की गयी है जिससे अब तक कई राज्य जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मार्च 2019 तक ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के अंतर्गत एक लाख 78 हजार गांवों को पक्की सड़क से जाेड़ देगी और 7200 किलोमीटर लम्बे राजमार्गों का निर्माण पूरा करेगी। सरकार के राजमार्ग निर्माण क्षेत्र में उल्लेखनीय कदम उठाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अब तक 12 हजार 900 किमी लम्बे राजमार्गों के निर्माण का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सड़कों के निर्माण के क्षेत्र में यह किसी सरकार की अब तक की सर्वाधिक स्वीकृति है। राष्ट्रपति ने पड़ाेसी देशों के साथ विवाद रहित एवं विकास की दिशा में सहयोग की नीति को रेखांकित करते हुए कहा कि सरकार वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत के प्रति वचनबद्ध है। अपने पड़ोसी देशों के साथ संपर्क बढ़ाने के लिए उठाए गए उसके कदमों में इस सिद्धांत की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि सरकार पाकिस्तान के साथ सम्मानजनक आपसी संबंध बढ़ाने और सीमापार आतंकवाद का सामना करने के लिए सहयोग का माहौल तैयार करने के प्रति कृत-संकल्प है। 

ध्यानमार्ग पर चल कर ही अपने मूल स्वरूप का अनुभव कर सकते हैः सांई काका

0
0
saain-kaka
‘हमारे भीतर ही ईश्वर,अल्लाह,येशु सभी विद्यमान हंै। हमारा निरपेक्ष स्वरूप ही आनंदमय है, वस्तुतः साधना ध्यान के माध्यम से सापेक्षता से निरपेक्षता की तरफ,सुख से आनंद की तरफ तथा अहंकार से समर्पण की तरफ की यात्रा है। हम अंतर्मुखी होकर ध्यानमार्ग पर चल कर अपने मूल स्वरूप का अनुभव कर सकते है। यह कहना है सिद्व योग शाक्तिपात पंरपरा के संत सांईकाका जी का। 

विगत दिनों विश्व पुस्तक के मेले के अवसर पर उनके द्वारा संचलित ध्यान योग तथा आध्यत्मिक संकलन का पुस्तक तथा सीडी को आम दर्शकों द्वारा खासा पंसद किया गया। जिसका प्रचार प्रसार गुरू ओम क्रिएशन्स ने किया। प्रसार सामग्री का मुख्य अभिप्रेम व्यक्ति मात्र को अपनी पूर्णता का अहसास करना है। वर्तमान युग की विडंबनाआं के दुर्भाग्यवश अज्ञानता के कारण सम्पूर्ण संसार विसंगतियों भरा प्रतीत  है, तथा व्यक्ति को स्वयं से होने वाली दूरी का अहसास नही होता। वर्तमान जगत अहंकार से भरा है। मन,बुद्वि और चित का विचलित होना तथा कर्ताभाव की प्रबलता समान्य जीवन का अभिप्राय बन चुके है। सर्वत्र महत्वाकां़़क्षा तथा आपाधापी का भाव व्याप्त है। आपसी ईष्र्या,घृणाभाव बेचैनी आदि संसार के नियम बन चुके है।

ऐसी दशा में ध्यान साधना का महत्व समझ लेना बहुत आवश्यक है। सांई काका जी कहते है कि चारो तरफ अहेतुक कृपा की वर्षा हो रही है मगर अज्ञानता वश हम उसे प्राप्त करने में सक्षम नही है।ध्यान के माध्यम से हम आनंदस्वरूप का अनुभव करते हैं,एवं उस गुरूतत्व का भी अनुभव करते हैं जो कि कृपा का प्रतिरूप हंै। हर व्यक्ति अपने में परिपूर्ण है तथा अनुभव के स्तर पर हम समभाव तथा दृष्टाभाव की प्राप्ति करते हैं। पुस्तक मेले के स्टाल पर प्रस्तुत पुस्तकें व सीडी सामान्य नहीं हैं। ये शक्तिरूपा हैं व इन्हीं के माध्यम से से काकाजी साधको पर कृपा बरसाते हैं। अनुभुति के उच्चतम स्तर पर हर व्यक्ति एक ही हैं। यही प्रेम की भाषा है। यदि वहिर्जगत का मापदंड विभिन्नता है तब अंतरजगत का मापदंड समभाव एकता व प्रेम है। काकाजी हमें समभाव,प्रेम,निरपेक्षता तथा समानता का अनुभव कराते है।ं वे हमें साधना के उस पथ पर लेकर चलते हैं जहां प्रेम तथा आनंदके सिवा कुछ भी नहीं है। वे हमे उस बिन्दू व भाव का भी अनुभव कराते है। जो निर्विकल्पक,गुणातीत व कालातीत भी है।

टीवी पर वापसी करेंगे पूरब कोहली

0
0
purab-kohli-on-tv
छोटे परदे से अपने करियर की शुरुवात करने वाले अभिनेता पुरब कोहली जल्द ही छोटे परदे पर वापसी करेंगे। फिल्म 'एयरलिफ्ट'की कामयाबी के बाद फिल्म निर्माता  निखिल अडवाणी छोटे परदे की तरफ रुख मोड़ रहे हैं। निखिल पूरब कोहली को लेकर हॉलीवुड के प्रसिद्ध 'होमलैंड'सीरीज का इंडियन रीमेक बनाने जा रहे यहीं।  इस सीरीज में अभिनेता सत्यदीप मिश्रा भी नज़र आएंगे। अदाकारा संध्या मृदुल सत्यदीप मिश्रा की पत्नी के किरदार में नज़र आएँगी। इस सीरीज में फिल्म 'काय  पो छे'फेम अमृता पूरी पूरब कोहली की प्रेमिका के रूप में नज़र आनेवाली हैं। 

निखिल 'होमलैंड'सीरीज के हिंदी रीमेक को कारगिल वॉर से जोड़कर दर्शकों के समक्ष प्रस्सतुत करने वाले हैं। हलाकि इस सीरीज के हिंदी रीमेक का शीर्षक अबतक तय नही किया गया है। इस सीरीज के कुल 85 एपिसोड्स होंगे। सूत्रों की माने तो 'इस सीरीज की स्क्रिप्ट अबतक पूति नहीं हुई है। अबतक केवल कास्टिंग पूरी हुई है। इस सीरीज की शूटिंग की शुरुवात अप्रैल से की जानेवाली है और साल के अंत तक इसे टीवी पर टेलीकास्ट किया जाएगा।'

शक्ति अरोड़ा बनेंगे ‘मन में है विश्वास‘ के होस्ट

0
0
shakti-arora
सोनी एन्टरटेनमेंट टेलीविजन द्वारा एक अन्य फिक्शन शो ‘मन में है विश्वास‘ की पेशकश की जा रही है। पर्पल कैनवास द्वारा निर्मित इस शो की अवधारणा लोगों के विश्वास पर आधारित है। शक्ति अरोड़ा अपने अभिनय और एंकरिंग कौशल के लिये प्रसिद्ध हैं और जल्द ही वे शो होस्ट करते नजर आयेंगे। 

इस संबंध में हमने जब शक्ति अरोड़ा से बात की, तो उन्होंने खबर की पुष्टि करते हुये प्रेमबाबू शर्मा को बताया , ‘‘हां, मैं मन में है विश्वास शो को होस्ट करूंगा।‘‘ अभिनेता ने कहा, ‘‘शो को होस्ट करना एक चुनौतीपूर्ण काम है। प्रोडक्शन हाऊस ने युवाओं को ध्यान में रखते हुये मुझे इस शो का होस्ट बनाने के लिये चुना होगा। इस प्रकार के काॅन्सेप्ट्स के प्रति युवाओं का ध्यान आकर्षित करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि वे आमतौर पर ब्रह्मांड, ऊर्जा और रहस्य में विश्वास करते हैं। हम साधारण और सरल भाषा का इस्तेमाल कर उन्हें शो के साथ जोड़ना चाहते हैं।"​

आरक्षण आंदोलन : राष्ट्रीय प्रगति में बाधक

0
0
किसी भी देश की प्रगति में प्रतिभा विकास का बहुत बड़ा योगदान रहता है। अगर प्रतिभा का विकास का कोई कार्यक्रम नहीं रहता तो उस देश की प्रगति रुक जाएगी, यह निश्चित है। भारत में आरक्षण की प्रक्रिया प्रतिभा विकास में बहुत बड़ा अवरोधक है। वास्तव में होना यह चाहिए कि जिस प्रकार से हम अपने बच्चों में प्रतिभा विकास करने के कई मार्ग अपनाते हैं, उसी प्रकार से थोड़ा विस्तृत सोचने पर यह बात सामने आती है कि भारत देश भी अपना ही देश है, जो व्यक्ति इस भाव के साथ सोचता है, उसे राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिए उपाय तलाश करते हुए देखा जा सकता है। वर्तमान में हमारी संकुचित सोच के चलते देश में कई प्रकार की समस्याओं का जन्म हुआ है। हम केवल अपने भले के बारे में सोचकर कार्यवाही करते हैं, तब हम अपनी राष्ट्रीय समस्याओं का परित्याग कर देते हैं। आज हम बड़ा क्यों नहीं सोच पा रहे हैं? क्या हमारे सोच का यह संकुचन वास्तव में हमारे देश की प्रगति में बाधक तो नहीं बन रहा, अगर यह सत्य है तो हमें अपने सोच का विस्तार करना चाहिए और अपने देश की समस्याओं के निर्दालन के बारे में सामूहिक रूप से चिन्तन करना चाहिए। आज हमारे देश की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि हम अपने उत्थान के लिए सरकारी प्रयासों पर निर्भर हो गए हैं। छोटी छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए हम सरकार से मांग करने लगते हैं। यह निर्भरता ही व्यक्ति को कुछ नहीं करने के लिए ही प्रवृत करती है। आरक्षण का सहारा व्यक्ति और समाज की क्षमताओं को कमजोर ही करती है। जाट समाज ने आंदोलन का मार्ग अपनाकर भले ही अपनी मांगें मनवा ली हों, लेकिन यह कदम उनके समाज को कमजोर करने वाला ही है, जिसका परिणाम देर सवेर उनको दिखाई देगा।

वर्तमान में हरियाणा की राजनीति में जाट आरक्षण का मामला आग की तरह से चला, इस आरक्षण की मांग के आंदोलन के चलते कई स्थानों पर हिंसक घटनाएं भी सामने आईं। इस पर सवाल यह आता है कि क्या आरक्षण मांगने का यह तरीका उचित है? अगर नहीं तो फिर हम और हमारा समाज इस प्रकार के आंदोलनों को करने की ओर प्रवृत क्यों हो रहा है। ऐसे आंदोलनों से हम अपने समाज के अंदर स्वार्थ भावना को विकसित करने का काम कर रहे हैं। ऐसे में यह बात सर्व विदित है कि आरक्षण के सहारे समाज किसी न किसी रूप से कमजोर ही होता है। वास्तव में होना यह चाहिए कि हम अपने समाज के भीतर प्रतिभा विकास के कार्यक्रमों का संचालन करें, जिससे हम समय के साथ अपने कदम बढ़ा सकें।

विश्व के विकसित देशों की बात की जाए तो यह दिखाई देता है कि वहां शैक्षणिक विकास के साथ साथ प्रतिभा विकास के कई कार्यक्रमों का संचालन किया जाता है। वहां किसी भी प्रकार का कोई आरक्षण नहीं है। यह बात सर्वविदित है कि किसी भी समाज को बौद्धिक रूप से कमजोर करना है तो आरक्षण का सहारा दे दीजिए, उसके बाद किसी को भी कुछ करने की जरूरत नहीं है, वह समाज अपने आप ही समय से काफी पीछे रह जाएगा। वर्तमान में हमारे देश में जिस प्रकार का जातिवाद का उभार दिखाई देरहा है, वह देश को कमजोर करने वाला कदम ही है। इसमें सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि हम वसुधैव कुटुम्बकम के भाव को भूलते जा रहे हैं। राष्ट्रीय उत्थान के भाव हमारे मन से गायब होते जा रहे हैं। हमारे देश की राजनीतिक कार्य पद्धति ने हमारे सोच को इतना सीमित कर दिया है कि हम राष्ट्र के बारे में सोच ही नहीं पा रहे हैं। विश्व के किसी भी देश में जहां राष्ट्रीय भाव सर्वोपरि होता है, वहां प्रगति के बारे में कुछ भी करने की आवश्कता नहीं होती, वहां केवल राष्ट्रीय प्रगति ही प्रमुख लक्ष्य होता है, इसके अलावा कुछ भी नहीं। इसके अलावा विश्व के विकसित देशों के व्यक्ति अपनी प्रगति के लिए सरकारी प्रयासों पर निर्भर नहीं रहते। हम भी उस प्रकार के प्रयास कर सकते हैं। और करना भी चाहिए।

आरक्षण आंदोलन के सहारे जो आंदोलन किया गया, उसमें अब राजनीतिक तड़का भी लगता दिखाई दे रहा है। हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग और गुजरात में पटेल समाज द्वारा की गई आरक्षण की मांग निश्चित ही राज्य की सरकारों के विरोध में उठाया गया कदम है। इससे पहले राजस्थान में गुर्जर समुदाय ने भी आरक्षण की मांग के चलते पूरे देश के रेल यातायात को बाधित किया था, रेल मार्ग तक उखाड़ दिए थे। आंदोलन का यह तरीका इसलिए भी ठीक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इससे राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान ही होता है। हम जानते हैं कि देश की जितनी भी सरकारी संपत्ति है, उसकी सुरक्षा का अधिकार जनता का है। इसलिए सीधे तौर यही कहा जाएगा कि उसका नुकसान भी सीधे सीधे जनता का ही नुकसान है।

हरियाणा में जाट समाज के आरक्षण आंदोलन के चलते 50 से अधिक सड़क परिवहन निगम की बसों को आग के हवाले कर दिया, इसके अलावा कई ऐसी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया, जिनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सीधे तौर पर जनता की भी है, लेकिन वर्तमान में भारत की जनता इन्हीं राष्ट्रीय संपत्तियों को नुकसान पहुंचाकर केवल अपना ही नुकसान कर रही है। इसका खामियाजा आने वाले समय में जनता को भुगतना पड़ेगा। आंदोलन करने वाले लोगों को संभवत: इस बात की जानकारी नहीं होगी कि उन्होंने कैसे पूरे देश को प्रभावित किया है। इस आंदोलन के कारण कई रेलगाडिय़ों का संचालन ठप करना पड़ा, सड़क यातायात बंद हो गया। जरा अनुमान लगाइये कि इससे देश को कितना नुकसान हुआ। देश में इस प्रकार के आंदोलन के कारण भले ही एक समाज को लाभ मिलता हो, लेकिन राष्ट्र का नुकसान तो होता ही है।

एक बात और जातिवाद के उभार के चलते हमारा देश कभी भी प्रगति के मार्ग पर नहीं चल सकता। यह देश को कमजोर ही करेगा। अंग्रेज इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि भारत की जनता जब राष्ट्रीय भाव से सोचने लगेगी, तब भारत अपने आप ही प्रगति के मार्ग पर बढ़ेगा, इसलिए अंग्रेजों ने भारत में फूट डालो की नीति अपनाई, उन्होंने समाज में फूट डालकर भारतीय समाज को कमजोर किया। हम आज भी इस बात को नहीं समझ पा रहे कि समाज की फूट ही भारत की कमजोरी का कारण है। मेरा मानना है कि भारत में जिस दिन यह जातिवाद का उभार समाप्त हो जाएगा, उस दिन भारत को प्रगति करने से कोई ताकत नहीं रोक सकती।

देश को समृद्ध करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रकार के कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं, लेकिन वे कार्यक्रम पूरी तरह से सफल नहीं हो पाते हैं। उसके पीछे एक ही कारण माना जा सकता है कि वहां का समाज इस प्रकार के कार्यक्रमों में अपनी सहभागिता नहीं कर पाता, अगर समाज का सहभाग मिल जाए तो यह राष्ट्रीय कार्यक्रम निश्चित ही सफल होंगे। केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान का सूत्रपात किया। सरकारी स्तर पूरे प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन आम जनता स्वाथी मानसिकता के चलते इस प्रकार के देश हित वाले कार्यों में अपनी भागीदारी नहीं कर रही, जिसके कारण ऐसे कार्यक्रम असफल हो रहे हैं। इसी प्रकार केन्द्र सरकार का बौद्धिक प्रतिभा के विकास के लिए भी तमाम प्रकार के कार्यक्रम किए जा रहे हैं, लेकिन उनके प्रति जनता का लगाव नहीं है। अगर समाज का हर वर्ग सरकार के प्रयासों में सम्पूर्ण भागीदारी करे तो समाज की कई समस्याएं स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी।

आरक्षण के सहारे हम यह सोचें कि समाज में कौशल का विकास हो जाएगा तो यह सोच कहीं न कहीं गलत ही सिद्ध होगी। क्योंकि यह सत्य है कि आरक्षण के सहारे जो नौकरी प्राप्त होगी, वह सामान्य स्तर की नौकरी पाने वाले की प्रतिभा के समक्ष भले ही पद के मामले में समान हो, लेकिन बौद्धिक प्रतिभा के मामले में पीछे ही रहेगी। इसलिए समाज के ठेकेदारों को वास्तव में ही अपने समाज का उत्थान करना है तो उसे आरक्षण का सहारा लेना छोडऩा होगा और समय के साथ चलकर अपने समाज को स्थापित करने की दिशा में अपने कार्यों को संचालित करना होगा। यही राष्ट्रीय आवश्यकता है।



suresh hindutani

---सुरेश हिन्दुस्थानी---
सम्पर्क :09455099388

विशेष : ''अफजल''की खातिर ‘’भारत’’ की बर्बादी का समर्थन !

0
0
afjal-and-jnu
तुम कितने अफजल मारोगे, घर-घर से अफजल निकलेगा...वाह, कितनी शान की बात है न...वाकई। देखिए जरा इस बात को सुनकर कश्मीर के अलगाववादी, पाकिस्तान में मुशर्रफ समेत हाफिज सईद सरीखे आताताई तालियां ठोंक ठोंक कर हंसने में लगे हैं। क्या हुआ नहीं मानते आप...तो आप उदाहरण के तौर पर तख्तियों पर आतंकी इरादों के साथ लटके उन अक्षरों को ही देख लीजिए जो आईएसआईएस जैसे खूंख्वार संगठन के समर्थन में कश्मीर घाटी में जेएनयू का शुक्रिया अदा करते हुए हवा में उछाले गए। लेकिन अंधेरेबाजों ने मुद्दा ही पलट दिया। अफजल अभिव्यक्ति से जुड़ा, अभिव्यक्ति आजादी से और आजादी नारों से....जिसके बाद जेएनयू मु्द्दा बना और मुद्दे का बखूबी प्रयोग हुआ, जो कि आप जेएनयू के तौर पर देख भी रहे हैं।

मुद्दों के बीच खो गया जेएनयू
अफजल को एक खेमे ने क्रांतिवीर बना दिया गया। और बनाने वालों की वकालत करने के लिए अंधेरेबाज उतर आए। सामंतवाद, पूंजीवाद, मनुवाद के रूप में पहले से तैयार विकल्प पर कैमरों ने अपने काम के इतर न्यायिक मुहर लगा दी कि भले ही अफजल का समर्थन कर रहे थे पर ये आरोपी नहीं हैं। क्योंकि इनके पक्ष के वकील हम हैं। मुद्दा पलटा। देश द्रोहियों को देश भक्त बताकर बचाने की कोशिश हुई तो एक और खेमा देश भक्ति के मार्ग पर लोटते हुए खुद को सबसे ऊंचे दर्जे वाला बताते हुए आगे आया। कथित तौर पर न्याय के लिबासवालों ने इंसानियत का लिबास खो दिया। बद्सलूकी की। लेकिन इस बीच खो गया वो मुद्दा जिससे जेएनयू जलना शुरू हुआ था।

खुद कबूला हमले की साजिश में शामिल होने की बात
जी हां अफजल गुरू। जिसने मीडिया को दिए अपने इंटरव्यू में ये बात स्वीकार भी की है कि वह लोकसभा में हुए हमलों की साजिशकर्ताओं में से एक था। तारीख 13 दिसंबर 2001....समय 11 बजकर करीबन 35 मिनट पर लोकसभा संसद भवन परिसर में हमला हो गया। आतंकियों ने जमकर गोलियां, हथगोले चलाए। उनका उद्देश्य एमपी की हत्या करना था। इस बात का खुलासा खुद अफजल गुरू ने किया था। उस वक्त जिन मोटी मोटी हैडिंग्स के सहारे मुद्दे को गर्माहट दी गई उनमें से ये भी एक थी कि देश की अस्मिता के साथ खिलवाड़, संसद पर हुआ आतंकी हमला...।

https://www.youtube.com/watch?v=9zJcFO8VvqA

दरअसल हम इन बातों को आपके सामने इसलिए रख रहे हैं क्योंकि अफजल का समर्थन करने वाले, आतंक की हिमायत करने वाले आज धर्म के चोंगे में लपेटकर खुद के साथ अत्याचार होता हुआ बता रहे हैं। कन्हैया कुमार जो कि अफजल के समर्थन में खड़े उमर खालिद का साथ देता रहा वो शांति की अपील कर रहा है। वहीं समाज का एक खेमा भी इनकी खातिर न्याय की गुहार लगा रहा है। अजीब है न। एक अफजल जो कि अब जिंदा भी नहीं है...वह महज अपने नाम भर से समाज को अलग अलग हिस्सों में बांट गया। वहीं जब दूसरा हिस्सा मुखालिफत की खातिर सक्रिया हुआ तब तक मुद्दे को बद्सलूकी की खूंटी से टांग दिया गया। लेकिन लोग ये जानना चाहते हैं कि किसी आतंकी का समर्थन क्या देशभक्ति की श्रेणी में आता है। नहीं ये इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि तिरंगे को तानकर देशभक्ति सबूत के तौर पर बिलकुल भी नहीं पेश की जा सकती। जिस पर अंधेरेबाजों ने अपनी आवाजें बुलंद की है। टीआरपी का खेल रचा है। अगर ये समर्थन सही है तो जरा हाफिज सईद को हीरो बताने वालों, मुजाहिद्दीन को अपना करीबी मानने वालों, लश्कर को तैयार करने वालों को सुनकर अपनी स्थिति का अंदाजा लगाईये....

https://www.facebook.com/prasoon.shukla.332/videos/1160883203924982/

तो सुना आपने....अब तय कीजिए कि अफजल सरीखे लोगों के साथ खड़े होकर आप भारत को कहां ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। पूछिएगा जरा....ये सवाल खुद से भी और राष्ट्रवाद की लंबी चौड़ी परिभाषा बताने वालों से भी....साथ ही उनसे भी जो राष्ट्र भक्ति के लिए उदाहरणों पर सवालिया निशान लगाते हैं।



हिमांशु तिवारी आत्मीय
आर्यावर्त, यूपी हेड
Viewing all 73727 articles
Browse latest View live




Latest Images