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चिदंबरम के पुत्र पर लगे आरोपों की सच्चाई सामने आये : पवार

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नयी दिल्ली, 01 मार्च, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद पवार ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मनमोहन सरकार में अपने सहयोगी रहे श्री पी. चिदंबरम के पुत्र कार्ति पर एयरसेल-मैक्सिस सौदे में अवैध रूप से अकूत संपत्ति अर्जित करने के आरोपों की जाँच करके सच्चाई का पता लगाने का समर्थन किया है। 

श्री पवार ने यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन में इस संबंध में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें इस मामले की विस्तृत जानकारी नहीं है। एक पार्टी ने आरोप लगाया है। किसी ने अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया होगा तो उसका कोई समर्थन नहीं करेगा। उन्हाेंने कहा कि इन आरोपों की सच्चाई सामने आनी चाहिये। संसद के दोनों सदनों में आज अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने पूर्व वित्त मंत्री के बेटे कार्ति चिदम्बरम पर एयरसेल-मैक्सिस सौदे में अवैध रूप से अकूत संपत्ति कमाने का आरोप लगाते हुए सरकार ने कार्रवाई करने की मांग करते हुए भारी हंगामा किया जिसके कारण दोनों सदनों में कार्रवाई नहीं चल पायी। लोकसभा को तीन बार और राज्यसभा को छह बार के स्थगन के बाद स्थगित करना पड़ा। 

लोकसभा में अन्नाद्रमुक के नेता डॉ पी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि श्री कार्ति ने अवैध तरीके से लंदन, फिलीपींस, दक्षिण अफ्रीका, दुबई, सिंगापुर सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भारी संपत्ति अर्जित की है। रियल एस्टेट क्षेत्र में उन्होंने भारी निवेश किया है और सरकार जान-बूझकर इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। अन्ना द्रमुक के सदस्य श्री चिदम्बरम और उनके बेटे की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हंगामा करते रहें। 

तमिलनाडु छोड़ पूरे देश में लागू हो जाएगा खाद्य सुरक्षा कानून

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नयी दिल्ली, 01 मार्च,  तमिलनाडु को छोड़कर देश के बाकी सभी राज्यों में इस महीने के अंत तक खाद्य सुरक्षा कानून लागू हो जाएगा। इसके दायरे में आने वाले सभी परिवारों को दो रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और तीन रुपये प्रतिकिलो की दर से चावल मिलता है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी देते हुए कहा कि करीब दो साल पहले जब मोदी सरकार ने कमान संभाली थी तो केवल 11 राज्यों में खाद्य सुरक्षा कानून को लागू किया गया था और वह भी आधा अधूरा। तब केवल इस पर दस प्रतिशत ही काम हुआ था जबकि 90 प्रतिशत काम बाकी था। अब गुजरात और तमिलनाडु को छोड़कर यह पूरे देश में लागू हो गया है। 

उन्होंने कहा कि गुजरात इसे सभी प्रावधानों के साथ लागू करना चाहता है और इस महीने के अंत तक इसे वहां लागू कर दिया जाएगा। श्री पासवान ने कहा, “कल ही मेरी गुजरात की मुख्यमंत्री से बात हुई थी। गुजरात इसे सभी शर्तों के साथ लागू करना चाहता है और यही वजह है कि इसमें देरी हुई है। तमिलनाडु ने जुलाई में इसे लागू करने की बात कही है।”  श्री पासवान ने कहा कि पिछले दो साल में पूरे देश में पौने चार करोड़ फर्जी राशन कार्ड का पता चला है और 61 लाख राशन कार्ड घटे हैं। इससे कुल 4000 करोड़ रुपये सब्सिडी की बचत हुयी है। अब तक दस करोड़ 55 लाख आधार कार्डों को राशन कार्ड से जोड़ा जा चुका है। संसद में कल पेश आम बजट की तारीफ करते हुए श्री पासवान ने कहा कि इस बजट ने इस भ्रम को तोड़ दिया है कि मोदी सरकार कॉर्पोरेट के लिए काम कर रही है। इसमें गांव, गरीब, किसान और युवाओं सहित समाज के हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। उन्होंने इस शानदार बजट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को धन्यवाद दिया। 

मधुबनी : नाबालिग से दुष्कर्म का आरोपी पुलिसकर्मी फरार, छापेमारी जारी

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मधुबनी में शनिवार 27 फरवरी को अनिल नामक सिपाही के द्वारा नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में अब तक आरोपी सिपाही की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. घटना के बाद से फरार सिपाही को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस सभी संभावित ठिकाने पर छापेमारी कर रही है. सिपाही अनिल मधुबनी कि जिलाधिकारी गिरिवर दयाल सिंह के आवास पर तैनात था.

मधुबनी के सदर डीएसपी कुमार इंद्रप्रकाश भी अपनी टीम के साथ आरोपी सिपाही के पैतृक घर नालंदा जिला के मुमराबाद मंगलवार सुबह पहुंच चुके हैं. रविवार की रात जब छापेमारी टीम सिपाही को पकड़ने उसके घर पहुंची थी तो आरोपी अनिल 2-3 राउंड फायरिंग कर सरकारी हथियार और कारतूस को खेत में छोड़कर फरार हो गया था.अनिल की गिरफ्तारी के बाद ही इस घटना में शामिल दो अन्य लोगों की पहचान हो सकेगी.

इधर दुष्कर्म पीड़िता का इलाज सदर अस्पताल में किया जा रहा है. मरीज की स्थिति के बारे में जब हमने उपाधीक्षक से जानकारी लेनी चाही तो मरीज को नहीं देखने की बात कहकर निकल गये. वहीं दूसरी ओर मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होने से परिजनों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. परिजनों ने आज तक का समय देते हुए कहा कि कल से मधुबनी की सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया जायेगा. हालांकि मधुबनी जिला प्रशासन पूरे मामले पर नजर रख रही है और जल्द ही आरोपी के गिरफ्तारी का भरोसा दिला रही है. जिला पुलिस अधीक्षक ने मामले पर रौशनी डालते हुए पुरे घटनाक्रम की जानकारी के साथ विभागीय करवाई पर भी रौशनी डाली.

विशेष आलेख : आध्यात्मिक सत्पुरुष गुरु समर्थ रामदास

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मुखमण्डल पर दाढ़ी, मस्तक पर जटाएँ, भालप्रदेश पर चन्दन का टीका, कंधे पर भिक्षा के लिए झोली तथा एक हाथ में जपमाला व कमण्डलु और दूसरे हाथ में योगदण्ड (कुबड़ी) लिए व पैरों में लकड़ी की पादुकाएँ धारण किये भक्ति, ज्ञान व वैराग्य से ओत-प्रोत व्यक्तित्व के स्वामी समर्थ रामदास भारत के ऐसे सन्त हैं, जिनकी महाराष्ट्र तथा सम्पूर्ण दक्षिण भारत में प्रत्यक्ष हनुमान जी के अवतार के रूप में पूजा की जाती है । भारत के साधु-सन्तों व विद्वत समाज में लोकख्यात आध्यात्मिक सत्पुरुष गुरु समर्थ स्वामी रामदास के जन्म स्थल जाम्ब गाँव में तो उनकी मूर्ति मन्दिर में स्थापित की गयी है। कहा जाता है कि समर्थ रामदास के मूर्ति स्थापना के समय अनेक विद्वानों ने कहा कि मनुष्यों की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा देवताओं के समान नहीं की जा सकती, परन्तु समर्थ रामदास के हनुमान जी के अवतार वाली जन मान्यता के सम्मुख उन्हें झुकना पड़ा। योगशास्त्र के अनुसार उनकी भूचरी मुद्रा थी। मुख में सदैव रामनाम का जाप चलता था और बहुत कम बोलते थे। समकालीन ग्रंथों में उल्लेखित प्रसंगों के अनुसार वे संगीत के उत्तम जानकार थे। उन्होनें अनेकों रागों में गायी जाने वाली रचनाएँ की हैं। वे प्रतिदिन बारह सौ सूर्य  नमस्कार लगाते थे। इस कारण शरीर अत्यंत बलवान था। जीवन के अंतिम कुछ वर्ष छोड़ कर पूरे जीवन में वे कभी एक जगह पर नहीं रुके। उनका वास्तव्य दुर्गम गुफाएँ पर्वत शिखर, नदी के किनारें तथा घने अरण्य में रहता था। बचपन से ही किसी बात को एक बार सुनकर याद कर लेने की अद्भुत शक्ति उनमें विद्यमान थी। रामदास स्वामी ने अपने जीवन काल में बहुत से ग्रंथ लिखे। इनमें दासबोध प्रमुख है। उन्होंने मानव मन को भी 'मनाचे श्लोक'के द्वारा संस्कारित करने का कार्य किया । इनके इस ग्रन्थ में मात्र छः श्लोकों में ही मन को वश मे रखने के लिये अनेक शिक्षाप्रद उदहारण दिये गये है । 

महाराष्ट्र के प्रसिद्ध सन्त और हिन्दू पद पादशाही के संस्थापक छत्रपति शिवाजी के गुरु एवं मराठी ग्रन्थ दासबोध के रचयिता समर्थ रामदास (1608-1682) का जन्म महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के जाम्ब नामक स्थान पर चैत्र शुक्ल नवमी अर्थात रामनवमी को विक्रम सम्वत् 1665 तदनुसार शालिवाहन शके 1530 (1608 ई0) को दोपहर में जमदग्नी गोत्र के देशस्थ ऋग्वेदी ब्राह्मण परिवार में हुआ था । समर्थ रामदास का मूल नाम नारायण सूर्य (सूर्या) जी पंत कुलकर्णी (ठोसर) था । बाल्यकाल में उन्हें नारायण कहकर पुकारा जाता था । श्री राम के जन्म दिन श्रीरामनवमी  के दिन इनका जन्म होने के कारण इनका नाम रामदास रखा गया । एक अन्य कथा के अनुसार, बचपन में ही उन्हें साक्षात प्रभु श्रीराम के दर्शन हुए थे। इसलिए वे अपने आपको रामदास कहलाते थे। समर्थ रामदास के पिता का नाम सूर्यजी पन्त तथा उनकी माता का नाम राणुबाई था। सूर्याजी पन्त सूर्यदेव के उपासक थे और प्रतिदिन 'आदित्यह्रदय'स्तोत्र का पाठ करते थे। वे गाँव के पटवारी थे लेकिन उनका अधिकांश समय सूर्योपासना में ही व्यतीत होता था। माता राणुबाई संत एकनाथ जी के परिवार की दूर की रिश्तेदार थी। वे भी सूर्य नारायण की उपासिका थीं। सूर्यदेव की कृपा से सूर्याजी पन्त को दो पुत्र गंगाधर स्वामी और नारायण (समर्थ रामदास) प्राप्त हुए। समर्थ रामदास के बड़े भाई का नाम गंगाधर को सब 'श्रेष्ठ'कहते थे। वे आध्यात्मिक सत्पुरुष थे। उन्होंने सुगमोपाय नामक ग्रन्थ की रचना की है। मामा भानजी गोसावी प्रसिद्ध कीर्तनकार थे।

बाल्यकाल में ही एक दिन माता राणुबाई ने नारायण से कहा, तुम दिन भर शरारत करते रहते हो, कुछ काम-धाम किया करो। नहीं देखते, तुम्हारे बड़े भाई गंगाधर अपने परिवार की कितनी चिंता किया करते हैं ? माँ की यह बात नारायण के मन में घर कर गई और दो-तीन दिन बाद नारायण अपनी शरारत छोड़कर एक कमरे में ध्यानमग्न बैठ गये । दिन भर नारायण के कहीं नहीं दिखलाई देने पर माता ने बड़े पुत्र गंगाधर से पूछा कि तुम्हारा अनुज नारायण कहाँ है ? गंगाधर के नारायण को नहीं देखने की बात कहने पर दोनों को इस बात की चिंता हुई और वे उन्हें ढूँढने निकल पड़े,  परन्तु उनका कहीं कोई पता नहीं चला। शाम होने पर माता राणुबाई ने घर के एक कमरे में नारायण को ध्यानस्थ देखा तो उनसे पूछा, नारायण, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तब नारायण ने प्रत्युत्तर दिया, मैं सम्पूर्ण  विश्व की चिंता कर रहा हूँ। कहा जाता है कि इस घटना के पश्चात नारायण की दिनचर्या ही बदल गई। सात वर्ष की अवस्था में उन्होंने हनुमान जी को अपना गुरु मान लिया। इसके बाद तो उनका अधिकांश समय हनुमान मन्दिर में पूजा में बीतने लगा। कहा जाता है कि, एक बार उन्होंने निश्चय किया कि जब तक मुझे हनुमान जी दर्शन नहीं देंगे, तब तक मैं अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा। यह संकल्प देखकर हनुमान जी प्रकट हुए और उन्हें श्रीराम के दर्शन भी कराये। रामचन्द्र जी ने उनका नाम नारायण से बदलकर रामदास कर दिया। समर्थ रामदास ने समाज के युवा वर्ग को यह समझाया कि स्वस्थ एवं सुगठित शरीर के द्वारा ही राष्ट्र की उन्नति संभव है। इसलिए युवाओं को व्यायाम एवं कसरत करने की नितांत आवश्यकता है ।इसके साथ ही उन्होंने शक्ति के उपासक हनुमानजी की मूर्ति की स्थापना की। समस्त भारत का उन्होंने पद-भ्रमण किया। जगह-जगह पर हनुमान की मूर्ति स्थापित की, स्थान-स्थान पर मठ एवं मठाधीश बनाए ताकि सम्पूर्ण राष्ट्र में नव-चेतना का निर्माण हो। उनके जीवन की विचित्र बात यह भी है कि बारह वर्ष की अवस्था में अपने विवाह के समय शुभमंगल सावधान में ‘शुभम लग्नम सावधानं भव’ सावधान शब्द सुनकर वे विवाह मंडप से निकल लापता हो गए । गृह त्याग करने के बाद बारह वर्ष के नारायण नासिक के पास नंदिनी और गोदावरी नदियों के संगम स्थल पर बसे टाकली नामक गाँव की भूमि को अपनी तपोभूमि बनाने का निश्चय करके वहाँ उन्होंने कठोर तप शुरू कर दिया ।वे प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर प्रतिदिन बारह सौ सूर्यनमस्कार लगाते, तत्पश्चात गोदावरी नदी में खड़े होकर राम नाम और गायत्री मंत्र का जाप किया करते थे। मध्याह्न काल अर्थात दोपहर में सिर्फ पाँच घर की भिक्षा माँग कर वह प्रभु श्रीराम को भोग लगाते थे। उसके बाद प्रसाद का भाग प्राणियों और पंछियों को खिलाने के बाद स्वयं ग्रहण किया करते थे। दोपहर में वे वेद, वेदांत, उपनिषद्, शास्त्र ग्रन्थोंका अध्ययन करते थे ।उसके बाद फिर नाम जप करते थे। कहा जाता है कि उन्होंने तेरह करोड़ राम नाम जप बारह वर्षों में पूरा किया । ऐसा कठोर तप बारह वर्षों तक करते हुए उन्होंने स्वयं एक रामायण लिखा। यही पर उन्होंने प्रभु श्रीरामचन्द्र की प्रार्थनायें रची हैं , जो आज करुणाष्टक नाम से प्रसिद्ध है । तप करने के बाद उन्हें आत्म साक्षात्कार हुआ, तब उनकी आयु मात्र चौबीस वर्षों की थी। टाकली में ही समर्थ रामदास ने प्रथम हनुमान का मंदिर स्थापन किया । यहीं उनका नाम रामदास पड़ा। वे सदैव जय जय रघुवीर समर्थ कहा करते अर्थात नारा लगाया करते थे। इसलिये लोग उन्हें समर्थ गुरु रामदास कहने लगे। आत्मसाक्षात्कार होने के बाद समर्थ रामदास तीर्थयात्रा पर निकल पड़े और बारह वर्षों तक भारत का भ्रमण करते रहे। घूमते-घूमते वे हिमालय पर पहुँचे और हिमालय का पवित्र वातावरण देखने के बाद मूलतः विरक्त स्वभाव के रामदास के मन का वैराग्यभाव जागृत हो गया । उनके मन में ऐसा विचार आया कि अब इस देह को धारण करने की क्या जरुरत है ? ऐसा विचार कर उन्होंने स्वयं को एक हजार फीट की ऊँचाई से मंदाकिनी नदी में झोंक दिया अर्थात नदी में कूद गये । लेकिन उसी समय प्रभुराम ने उन्हें ऊपर ही उठा अर्थात खींच लिया और धर्म कार्य करने की प्रेरणा व आज्ञा दी । इस पर अपने शरीर को धर्म के लिए अर्पित कर देने का निश्चय कर वे तीर्थ यात्रा के लिए निकल पड़े और यात्रा करते हुए वे श्रीनगर आ गये । 

श्रीनगर में उनकी भेंट सिखों के गुरु हरगोविंद सिंहजी महाराज से हुई । गुरु हरगोविंद महाराज ने उन्हें धर्म रक्षा हेतु शस्त्र सज्ज रहने का मार्गदर्शन किया । श्रीनगर प्रवास काल में उन्होंने हिन्दुओं की दुर्दशा तथा उन पर हो रहे मुसलमानों के भीषण अत्याचार को प्रत्यक्ष देखा । वे समझ गये कि हिन्दुओं के संगठन के बिना भारत का उद्धार नहीं हो सकता। हिन्दुओं की दुर्दशा देख समर्थ रामदास का हृदय संतप्त हो उठा और उन्होंने मोक्षसाधना के साथ ही अपने जीवन का लक्ष्य स्वराज्य की स्थापना द्वारा आततायी मुगल शासकों के अत्याचारों से जनता को मुक्ति दिलाना बना लिया। शासन के विरुद्ध जनता को संगठित होने का उपदेश देते हुए वे घूमने लगे। इसी प्रयत्न में उन्हें छत्रपति श्रीशिवाजी महाराज जैसे योग्य शिष्य का लाभ हुआ और स्वराज्य स्थापना के स्वप्न को साकार होते हुए देखने का सौभाग्य उन्हें अपने जीवनकाल में ही प्राप्त हो सका। उस समय महाराष्ट्र में मराठों का शासन था और शिवाजी महाराज समर्थ रामदास के कार्य से बहुत प्रभावित हुए । इतना प्रभावित कि जब इनका मिलन हुआ, तब शिवाजी महाराज ने अपना राज्य ही समर्थ रामदास की झोली में डाल दिया। इस पर रामदास ने शिवाजी से कहा- यह राज्य न तुम्हारा है न मेरा। यह राज्य भगवान का है, हम सिर्फ़ इसके  न्यासी हैं। शिवाजी समय-समय पर उनसे सलाह-मशविरा किया करते थे। छत्रपति शिवाजी और रामदास स्वामी पहली बार 1674 ई० में मिले और शिवाजी ने रामदास स्वामी को अपना धार्मिक गुरु व मार्गदर्शक मान लिया था । उन्होंने शके 1603 तदनुसार सन 1682 में 73 वर्ष की अवस्था में महाराष्ट्र में सज्जनगढ़ नामक स्थान पर समाधि ली। मुर्दे में जान आ जाने की उनके जीवन से जुड़ी एक सच्ची घटना के अनुसार, एक घनी व्यक्ति श्री अग्निहोत्री की मृत्यु हो गई। अग्निहोत्रीजी की पत्नी ने सती होने का प्रण लिया हुआ। अतः वह समस्त आभूषणों से सुसज्जित अपने पति की चिता पर अपने को बलिदान करने जा रही थी । तभी संत समर्थ रामदास उधर से गुजर रहे थे और बिना शव को देखे ही उस महिला के प्रणाम करने पर उसको ‘अस्तापुत्र सौभाग्यवती भव‘ का आशीर्वाद दे डाला । स्त्री के द्वारा रोते-रोते संत को शव की ओर संकेत किये जाने पर पर समर्थ रामदास ने पास की बह रही गोदावरी नदी से चुल्लू भर पानी लिया और ईश्वर से प्राथना करते हुई वह जल शव पर झिड़क दिया। मुर्दे मे जान आ गयी और अग्निहोत्री जी उठ गये। उनके शिष्यमंडली में , कल्याण स्वामी, उध्दव स्वामी, दत्तात्रय स्वामी , आचार्य गोपालदास, भीम स्वामी, दिनकर स्वामी, केशव स्वामी, हणमंत स्वामी,रघुनाथ स्वामी,रंगनाथ स्वामी,भोला राम, वेणा बाई, आक्का बाई, अनंतबुवा मेथवडेकर, दिवाकर स्वामी, वासुदेव स्वामी, गिरिधर स्वामी,मेरु स्वामी,अनंत कवी, प्रभु दर्शन आदि भी शामिल हैं । समर्थ रामदास ने दासबोध, आत्माराम, मनोबोध, चौदह शतक ,जन्स्वभावा,पञ्च समाधी ,पुकाश मानस पूजा ,जुना राय बोध राम गीत आदि ग्रंथों की रचना की है। मानपंचक, पंचीकरण, चतुर्थमान, बाग़ प्रकरण, स्फूट अभंग इत्यादि समर्थ रामदास की अन्य रचनाएँ हैं। यह सभी रचनाएँ मराठी भाषा के ओवी नामक छंद में हैं। गुरु-शिष्य संवाद रूप में रचित समर्थ रामदास का प्रमुख ग्रन्थ दासबोध उन्होनें अपने परम शिष्य योगिराज कल्याण स्वामी के हाथों से महाराष्ट्र के शिवथर घल (गुफा) नामक रम्य एवं दुर्गम गुफा में लिखवाया। उनके द्वारा रची गयी 90 से अधिक आरतियाँ महाराष्ट्र के घर- घर में गायी जातीं हैं। आपने सैंकड़ो अभंग भी लिखें हैं। समर्थ स्वयं अद्वैत वेदान्ती एवं भक्तिमार्गी संत थे किन्तु उन्होंने तत्कालीन समाज की अवस्था देखकर ग्रंथों में राजनीति, प्रपंच, व्यवस्थापन शास्त्र, इत्यादि अनेक विषयों का मार्गदर्शन किया है । समर्थ रामदास ने सरल प्रवाही शब्दों में देवी देवताओं के 100 से अधिक स्तोत्र लिखें हैं। 

अपने शिष्यों के द्वारा समाज में एक चैतन्यदायी संगठन खड़ा करने वाले समर्थ रामदास जी ने सतारा जिले में चाफल नामक गाँव में केवल भिक्षावृति से प्राप्त  धन से भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण किया। कश्मीर से कन्याकुमारी तक उन्होंने 1100 मठ तथा अखाड़े स्थापित कर स्वराज्य स्थापना हेतु जनता को तैयार करने का प्रयत्न किया। शक्ति एवं भक्ति के आदर्श श्री हनुमान जी की मूर्तियाँ उन्होनें गाँव- गाँव में स्थापित कर अपने सभी शिष्यों को विभिन्न प्रांतों में भेजकर भक्तिमार्ग तथा कर्मयोग की सीख जन-जन में प्रचारित करने की आज्ञा दी । युवाओं को बल सम्पन्न करने हेतु सूर्यनमस्कार का प्रचार किया। समर्थजी नें 350 वर्ष पहले संत वेणा स्वामी जैसी विधवा महिला को मठपति का दायित्व देकर कीर्तन का अधिकार दिया। अपने जीवन का अंतिम समय उन्होंने सातारा के पास परली के किले पर व्यतीत किया। इस किले का नाम सज्जनगढ़ पड़ा। तमिलनाडु प्रान्त के तंजावर ग्राम में रहने वाले अरणिकर नाम के अंध कारीगर ने श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की मूर्ति बनाकर सज्जनगढ़ को भेज दी। इसी मूर्ति के सामने समर्थजी ने अंतिम पांच दिन निर्जल उपवास किया। और पूर्वसूचना देकर माघ वद्य नवमी शालिवाहन शक1603 तदनुसार सन 1682 को राम नाम जाप करते हुए पद्मासन में बैठकर ब्रह्मलीन हो गए। वहीं उनकी समाधि स्थित है। यह समाधि दिवस दासनवमी के नाम से जाना जाता हैं। 






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-अशोक “प्रवृद्ध”-

मिसेज इंडिया क्वीन फैशन शो

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महिलाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान में रखते हुए एच सी डब्ल्यू ए के साथ अपनी तरह का पहला है शो ‘ मिसेज इंडिया क्वीन फैशन शो’ का आयोजन बाहरी दिल्ली द्वारका स्थित एक पाॅच सितारा होटल में हुआ।

शो की ज़ज अभिनेत्री महिमा चैधरी और भाग्यश्री थे। शो में विवाहित महिलाओं के लिए एक मिसाल रहा जिसमें देश के अलावा दुबई, शारजाह, लंदन, हांगकांग, संयुक्त राज्य अमेरिका से विभिन्न राज्यों से, प्रतियोगिता में भाग लिया और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया । 

​व्यंग : और बड़कू मामा बन गए बुद्धिजीवी...!!​

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बड़कू मामा गरीब बैकग्राऊंड से थे। लेकिन जैसा कि नाम से स्पष्ट है , वे अपने परिवार के दूसरे  भाई - बहनों में बड़े थे। लिहाजा उन्हें अपनों का सुनिश्चित सम्मान बराबर मिलता था। घर के बड़े बुजुर्ग भी परिवार के सभी सदस्यों को बड़े के नाते उन्हें अनिवार्य सम्मान देने का प्रेमपूर्वक दबाव देते रहते।  लेकिन इस अनड्यू एडवांज के  चलते बड़कू मामा में उचित - अनुचित किसी भी तरीके से सम्मान पाने की ललक तेज होने लगी।  कोई उन्हें बड़कू नाम से पुकारता तो उनके तन - मन में आग सी लग जाती। उन्हें लगता वे किसी न किसी सम्मानजनक संबोधन के अधिकारी है। लिहाजा उन्हें एक उपाय सूझा। 

वे गांव के कुछ गरीब - अनाथ  बच्चों को पढ़ाने लगे। वे हर बच्चे को कहते कि उन्हें मास्टरजी कह कर पुकारा जाए। उनकी युक्ति काम कर गई। जल्द ही वे पूरे गांव में मास्टरजी नाम से पुकारे जाने लगे। उनकी कीर्ति धीरे - धीरे बढ़ने लगी। इसके पीछे उनके उद्यम की विशेष भूमिका रही। वे खुद ही लोगों को उन्हें मास्टरजी कह कर पुकारने को प्रेरित करते रहते। 

धीरे - धीरे मास्टरजी का संबोधन उनका पर्याय बन गया। कोई जिज्ञासु उनसे पूछता कि वे किस स्कूल के मास्टर  हैं तो वे बगले झांकने लगते। या फिर गोल - मोल जवाब देकर सवाल टाल जाते। जिस तरह भूखे को अन्न का टुकड़ा मिलने पर उसकी भूख ज्वाला की तरह धधक उठती है उसी तरह बड़कू मामा के सम्मान की भूख भी बेकाबू होने लगी। उन्हें खुद को बुद्धिजीवियों की पांत में शामिल करने का शौक चर्राया। लेकिन इसमें वे खुद को असहाय महसूस करते। क्योंकि बुद्धिजीवी कहलाने की न्यूनतम योग्यता भी उनमें नहीं थी। लेकिन जज्बा तो खैर कूट - कूट कर भरा ही था। 

उन्होंने इसके लिए भी एक उपाय किया। अपने  मिशन के तहत उन्होंने पहले जोर - जोर से चिल्ला कर बातें करने का सिलसिला शुरू किया। किसी को पुकारना हो या सामान्य सी भी कोई बात करनी हो तो इतने जोर से चिल्ला कर बोलते कि दूर - दूर तक उनकी गर्जना सुनी जाती।  वे हमेशा कुतर्क भी करने लगे। कोई दिन को दिन कहता तो वे उसका गला पकड़ लेते। उनका कुतर्क होता ... मैं नहीं मानता, मैं साबित कर सकता हूं कि अभी दिन नहीं रात है। 

इससे पूरे इलाके में उनका खौफ तैयार होने लगा। कोई भी उनके मुंह लगना नहीं चाहता। लेकिन इससे बड़कू मामा का अहं तुष्ट होने लगा। अपनी गलत बात को भी साबित करने के लिए बड़कू मामा मनगढ़ंत आंकड़ों का कुछ यूं उद्धरण देते कि सामने वाला घबरा जाता। कोई देश - दुनिया की चर्चा करता तो  वे चिल्ला - चिल्ला कर बोल पड़ते --- अरे हमारे फलां महापुरुष , क्या जरूरत थी फलां तारीख को यह घोषणा करने की। उनके समकक्ष अमुक नेता ने फलां साल की फलां तारीख को पहले ही आगाह कर दिया था। लेकिन वे नहीं माने। अब हम उनकी करनी का फल भुगत रहे हैं।

बड़कू मामा की यह उक्ति भी काम कर गई। लोग उनसे डरने लगे। उन्हें लगता कि बड़कू मामा के पास हर बात का रिकार्ड है। समाज के खास मौकों पर उनकी राय सबसे अलग होती।अपनी गलत बात को भी सही साबित करने के लिए बड़कू मामा के तरकश में  तर्क के सैकड़ों तीर हमेशा सजे होते। जिससे बड़कू मामा जल्द ही प्रगतिशील बुद्धिजीवी के रूप में स्वीकार कर लिए गए। हर कोई उनसे खौफ खाने लगा। हालांकि गांव के  शरारती  युवक कल्लन की कारस्तानी से बड़कू मामा का आभामंडल मध्दिम पड़ने लगा। क्योंकि वह युवक भी बड़कू मामा की टक्कर के कुतर्क पेश कर  उनसे लोहा लेने लगा। मनगढ़ंत तर्क और आंकड़े पेश करने में वह बड़कू मामा से हमेशा इक्कीस साबित होने लगा। मुझे लगता है देश की बर्बादी की कामना करने वाले देशद्रोह को अभिव्यक्ति की आजादी बताने वाले तमाम लोग भी एक तरह से बड़कू मामा जैसे ही है। जो ओछी हरकत का समर्थन करके अपने को दूसरों से अलग दिखाना चाहते हैं। उनकी इच्छा शायद सेलिब्रेटी बनने की भी हो। 
लेकिन याद रहे कि जिस दिन उनका पाला कल्लन से पड़ेगा , कलई खुलने में देर नहीं लगेगी। 




तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

विशेष : स्पष्ट विचारों की अभिव्यक्ति ही पत्रकारिता है!

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देश जिस मीडिया से सच्चाई, साहस और संघर्ष की उम्मीद करता है उस मीडिया की अति महत्वाकांक्षी सम्पादकों व दलाल पत्रकारों ने ऐसी की तैसी करके रख दी है। इस पेशे में ऐसे-ऐसे लोग आ गये हैं जिनके लिए नैतिकता, ईमानदारी और मेहनत का कोई मोल नहीं है। कोई काम नहीं सूझ रहा तो पत्रकार बन जाओ। आज दूधिया से लेकर प्रापर्टी डीलर और पनवाड़ी से लेकर चिटफन्ड कम्पनी की आड़ में लोगों को लूटने वाले लोग किसी न किसी समाचार पत्र, पत्रिका व चैनल के मालिक बने बैठे हैं। इनका एकमात्र उद्देश्य मीडिया के माध्यम से अपने गलत कार्यों का बचाव करना और ब्लैकमेलिंग कर पैसे कमाना है। उनके इस कार्य में दलाल पत्रकार काफी उपयोगी साबित हो रहे हैं। शायद यही वजह है कि आज दलालों के चलते पत्रकारिता कलंकित हो रहा है, लोगों का भरोसा टूट रहा है। प्रस्तुत है सीनियर रिपोर्टर सुरेश गांधी से बातचीत पर एक विस्तृत रिपोर्ट -  

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यहां जिक्र करना जरुरी है कि सुरेश गांधी को 28 फरवरी को वाराणसी के जगतगंज स्थित भाग्यश्री गेस्टहाउस में ‘वाराणसी की आवाज‘ के तत्वाधान में आयोजित ‘राष्ट्र गौरव रत्न‘ अलंकरण सम्मान-पत्र समारोह में प्रशस्ति पत्र व मेडल देकर सम्मानित किया गया है। यह सम्मान श्री गांधी को उनके बेबाक व निर्भिक लेखनी के लिए दिया गया है। वह यूपी के भदोही से लेकर अन्य जनपदों व प्रांतों में निष्पक्ष और निर्भीक रिपोर्टिग करते रहे है। श्री गांधी इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से जीव विज्ञान से एमएससी व महात्मा गांधी विद्यापीठ वाराणसी से पत्रकारिता और जनसंचार में पीजी डिप्लोमा किया है। वह वर्ष 1996 में दैनिक समाचार पत्र हिन्दुस्तान से पत्रकारिता की शुरुवात की और वर्ष 2012 तक काम की। इसके अलावा उन्होंने प्रिंट मीडिया के साथ-साथ इलेक्टानिक मीडिया में वर्ष 2008 से ‘आजतक‘ टीवी न्यूज चैनल व दैनिक समाचार पत्र जनसंदेश टाइम्स में पत्रकारिता  की। इस बीच वह अपने बेबाक लेखनी के चलते कई बाहुबलियों, माफियाओं व सत्ता के विधायकों-मंत्रियों की साजिश में फर्जी मुकदमों के जरिए प्रशासनिक उत्पीड़न भी किया गया। बावजूद इसके वह अपनी लेखनी चलते रहे। अब वह फ्रीलांसिंग पत्रकारिता में सक्रिय है।  

श्री गांधी का कहना है, चंद टुकड़ों के लिए अपनी जमींर बेचने वाले कलम के दलालों को बेनकाब करने का वक्त आ गया है। ठीक उसी तरह जिस तरह समुंद्र मंथन के दौरान हुआ था। इन राक्षसी प्रवृत्तियों से निपटने के लिए उर्जावान कलम के सच्चे सिपाहियों को आगे आना होगा। क्योंकि पत्रकारिता की साख को घुन या यूं कहें दीमक की तरह चट कर रहे इन दलालों को समय रहते सबक नहीं सिखाया गया तो ये मुठ्ठीभर लोग पत्रकारिता के अस्तित्व को ही बेच खाने में देर नहीं लगायेंगें। माना कि पत्रकारिता अब मिशन नहीं, यह एक प्रोफेशन और बिजनेस हो चला है। मगर क्या हर प्रोफेशन और बिजनेस का कोई एथिक्स नही होता? चंद टुकड़ों पर अपनी जमीर बेचना ही अब कुछ के लिए पत्रकारिता बन गयी है। ताज्जुब तो इस बात का है कि इस घिनौने करतूतों में मालिकान सिर्फ इसलिए साथ देते है कि वह उनके स्वार्थो का बखूबी ख्याल रखता है। खास बात तो यह है कि पत्रकारों के हितों की रक्षा करने वाले कई संगठन बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर होती है। उनकी लफ्फाजी सिर्फ पत्रकारों की तालियां बटोरने के लिए होती है। जिसके बल पर वह चंदाखोरी करते हैं। जहां पत्रकारों के हितों की बात आती है तो इन संगठनों के नेता कहीं नजर नहीं आते हैं। 

यह सच है कि तिलक, गांधी और भगत सिंह सहित आजादी के दौर के प्रायः सभी क्रांतिकारियों-राजनेताओं ने मिशन के लिए पत्रकारिता का सहारा लिया। वह अपने कलम के जोर पर ही ब्रतानियां हुकूमत की न सिर्फ नींद हराम कर रखी थी, बल्कि उनकी चूलें तक हिला दी थी। अंततः उन्हें तमाम कुर्बानियों के बाद सफलता भी मिली। ठीक उसी तरह आज देश के रग-रग में समा चुके भ्रष्टाचार रुपी कैंसर को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए कलम के धार की जरुरत है। बशर्ते यह देखना होगा कलम को धार देने वाला शख्स अपने काम के प्रति कितना ईमानदार है-समाज के प्रति कितना जवाबदेह है। मीडिया आज पूरी तरह से बदलाव के दौर में हैं। पूंजीवादी व्यवस्था के बाजार की चपेट में है। ऐसे में स्वस्थ्य, सामाजिक व जनपक्षी मुद्दे मीडिया से दूर होते जा रहे है। पत्रकार काम और बाजार के दबाव में है। मीडिया के अंदर और बाहर सच बोलने की आजादी छिनती जा रही है। अब तो लोग बोलने व लिखने से डरते है। उन्हें नौकरी खोने का खतरा रहता है। बावजूद इसके अभी भी मेरे जैसे कई पत्रकार साथी कलम की धार कमजोर नहीं होने दी है। पत्रकारिता का अर्थ होता है स्पष्ट विचारों को व्यक्त करना, भ्रांतिपूर्ण विचारों को नहीं। भ्रांतिपूर्ण विचारों से बचते हुए आप जो कहना चाहते हैं, उसे कम शब्दों, वाक्यों में कहने की जरूरत है, क्योंकि स्थान उतना ही मिलता है। इसलिए आपको अपना स्पष्ट विचार रखना होता है। इसलिए अपनी ही लेखनी पर आपको स्वयं विचार करना होता है, आप जो लिख रहे हैं, वह सही है या नहीं, पर ध्यान देना होता है। हम जो सोच रहे हैं या व्यक्त कर रहे हैं, सही है या नहीं। पत्रकारिता चिंतन की अभिव्यक्ति है और जब उस चिंतन का एक लक्ष्य रहता है। 

गांधी जी ने एक आंदोलन किया, तब उस समय लोगों में स्वराज के चिंतन में, उसमें गांधी जी ने एक उत्साह लाया और वह पूरे समाज का एक लक्ष्य बन गया। इसलिए पत्रकारिता में भी स्पष्ट झलक दिखायी पड़ती है कि मनुष्य संकल्प को लेकर, विचार को लेकर आगे बढ़ रहा है। जब लक्ष्य सामने नहीं हो तो वहां विच्छेद आरंभ होता है। मनुष्य के मन का भटकाव आरंभ होता है और फिर पत्रकारिता में, संदेश के प्रसारण में उद्देश्य नहीं दिखायी देते। गांधी जी ने अपने चिंतन में भारत के बारे में एक कल्पना की. भारतीय समाज की कल्पना की। जिस प्रकार समाज के भेदों, विचारों को उन्होंने प्रस्तुत किया, उनके विचारों के संप्रेषण का माध्यम बना पत्रकारिता। सोशल मीडिया में पत्रकारिता प्रवेश कर रहा है। ठीक है सोशल मीडिया अपना काम करे। सोशल मीडिया में छोटी-सी बात को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप मिल सकता है। ऐसे में पत्रकारों की क्या भूमिका होनी चाहिए? चूंकि आप एक आंदोलन का निर्माण करते हैं, इसलिए मनुष्य को भटकने से रोकें। यह शक्ति आप पत्रकारों के पास है। हमलोग सही विचार व्यक्त कर  सकते हैं, लेकिन उस विचार को प्रसारित करना, जन-जन तक पहुंचाना और मानने के लिए लोगों को प्रेरित करना आदि काम आप पत्रकार करते हैं और कर सकते हैं। आपको, समाज को, हमसे अपेक्षा है, सांस्कृतिक-नैतिक समाज के निर्माण का मार्ग पकड़ा सके। जो अकेले साधु में नहीं है। संगठन के रूप में आप कर सकते हैं। सकारात्मक व्यवस्था लाने की दिशा में प्रयास निंरतर जारी रहना चाहिए। बदलाव के इस दौर में ‘जाके पैर न फटे बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई’ का जुमला उछालकर पत्रकार और पत्रकारिता के स्वरूप और दायित्वों को समेटना बेमानी है। ‘मिशन’ से ‘प्रोफेशन’ के दौर में पहुंची पत्रकारिता के इस दौर में तमाम झंझावतों को झेलने के बाद भी मेरे जैसे पत्रकार अपनी बेबाकी व निर्भिकता के जरिए पत्रकारिता की साख को बचाएं रखा है। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चैथा स्तंभ माना जाता है। जब न्यायपालिका को छोड़कर लोकतंत्र के बाकी स्तंभ भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो ऐसे समय पत्रकारिता की सामाजिक जिम्मेदारी कहीं अधिक बढ़ जाती है। पत्रकारों का यह दायित्व है कि वे लोगों को सही खबरों से अवगत कराएं और उनमें लोकतंत्र की आस्था को मजबूत करें। 





---रश्मि गाँधी ---

बिहार : रेप करने के आरोपी पुलिसकर्मी ने गलत तरीके से हासिल की थी नौकरी

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मधुबनी में पुलिस लाइन के पीछे लक्ष्मीसागर इलाके में नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाला आरोपी सिपाही अनिल की पुलिस विभाग ने कुंडली खंगालनी शुरु कर दी है. जैसे जैसे पुलिस छानबीन कर रही है,सिपाही के बारे में कई अहम जानकारी सामने आ रही है.आरोपी सिपाही अनिल ने साल 2010 में झूठा शपथपत्र देकर नौकरी हासिल की थी. यादव जाति से ताल्लुक रखने वाले अनिल ने तांती जाति के रुप में अपने को अतिपिछड़ा बता कर नौकरी हासिल की थी.

नौकरी के पांच साल कार्यकाल में ही अनिल पर कई बार अनुशासनहीनता का आरोप लग चुके है. एक बार उसने एक व्यक्ति के ऊपर गोली चलाने की भी कोशिश की थी. विभाग ने पहले ही उसके खिलाफ दो साल तक वेतन वृद्धि नहीं करने का दंड दिया था. अब जब अनिल पर नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने की पुष्टि हो रही है तो मधुबनी एसपी मोहम्मद अख्तर हुसैन ने उसे बर्खास्त करने की तैयारी शुरु कर दी है. आरोपी सिपाही को पत्र भेजकर जवाब मांगा जा रहा है उसके बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.

एसपी ऑफिस में प्रेस से वार्ता करते हुए एसपी ने कहा कि आरोपी सिपाही की गिरफ्तारी के लिए सदर डीएसपी के नेतृत्व में एक टीम उसके गांव नालंदा जिला के मुमराबाद पहुंच चुका है और संभावित ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है. एसपी ने लोगों से धैर्य बनाये रखने की अपील करते हुए कहा कि जल्द ही आरोपी सिपाही को गिरफ्तार कर लिया जायेगा.

अंत तक लादेन ही था अलकायदा का मुखिया

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वाशिंगटन, 02 मार्च, अमेरिका के दावों के विपरीत अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन अपनी अंतिम समय तक आतंकवादी संगठन को चला रहा था। यह बात उसके पत्रों तथा दस्तावेजों से सामने आई है। प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार छिपे रहने के दौरान लादेन ने पाकिस्तान से सैकड़ों पत्र लिखे और कई वीडियो बनाए। इनमें उसकी ओर से अपने मातहतों को फरमान जारी किए गए थे। दस्तावेजों के बारे में जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने कहा कि लादेन अल-कायदा की रोजमर्रा के अभियानों के बारे में पूरी तरह अवगत था। एबटाबाद में बैठकर वह अपने संचार नेटवर्क को पूरी तरह बरकरार रखने में भी कामयाब रहा था। वह ईरान में अपने रिश्तेदारों, सोमालिया, अफगानिस्तान, उत्तरी अफ्रीका, इराक और कई दूसरे स्थानों पर अपने कमांडरों से आसानी से संपर्क करता रहता था। 

दस्तावेजों में लादेन के हाथों से लिखा वसीयतनामा भी है। लादेन ने अपनी दो करोड़ 90 लाख डालर की रकम का अधिकांश भाग अंतरराष्ट्रीय जेहाद के लिए छोड़ रखा था। यह बात उसके पत्रों तथा दस्तावेजों से सामने आयी है। वर्ष 2011 में उसके मारे जाने के बाद अमेरिका के विशेष सैन्य बल ने जो 113 दस्तावेज बरामद किये गये थे, उससे लादेन के धन के बटवारे के संबंध में उसकी इच्छा का पता लगता है। इस पत्र को उसकी वसीयत के रूप में देखा जा रहा है लादेन को मारने के बाद अमेरिकी कमांडरों ने इन दस्तावेजों को बरामद किया था जिसे अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक कार्यालय ने जारी किया है।

दुनिया में सबसे अमीर बिल गेट्स, अंबानी 36वें स्थान पर

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न्यूयॉर्क, 02 मार्च ,  75 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ माइक्रोसॉफ्ट के सहसंस्थापक बिल गेट्स ने दुनिया के सबसे दौलतमंद व्यक्ति का तमगा बनाए रखा है। फोर्ब्स पत्रिका ने वर्ष 2016 के अरबपतियों की वार्षिक सूची में 84 भारतीयों को स्थान दिया है जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी 36वें स्थान के साथ शीर्ष पर है। फोर्ब्स की इस वर्ष की सूची में 1810 अरबपति हैं। बिल गेट्स लगातार तीसरे साल इस सूची में पहले स्थान पर हैं। बीते 22 साल में वह 17वीं बार इस सूची में पहले पायदान पर रहे हैं, उनकी कुल संपत्ति में 4.2 अरब डॉलर की गिरावट के बावजूद गेट्स ने पहला स्थान हासिल किया। सूची में स्पेन के अरबपति एमानसियो ओर्टेगा दूसरे पायदान पर हैं। तीसरे नंबर पर बर्कशायर हैथवे के सीईओ वॉरेन बफे हैं। मेक्सिको केकार्लोस स्लिम चौथे तथा अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस को पांचवां स्थान मिला है। 

इस सूची के अनुसार मुकेश अंबानी भारत के सबसे धनी व्यक्ति बने हुए हैं। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण उनकी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर प्रभावित हुए हैं। पत्रिका ने मुकेश अंबानी को 20.6 अरब डॉलर (करीब एक लाख 39 हजार करोड़ रुपये) की कुल पूंजी के साथ सूची में 36वें स्थान पर रखा है। भारत के जिन 84 दौलतमंदों ने इस सूची में जगह बनाई है उनमें दिलीप सांघवी 44वें, विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी 55वें, एचसीएल के सह-संस्थापक शिव नाडर 88वें स्थान पर हैं। इसके अलावा लक्ष्मी निवास मित्तल, गौतम अडानी, सावित्री जिंदल और एनआर नारायणमूर्ति भी इस सूची में शामिल हैं।

जेपीएससी परीक्षाफल की जांच सीबीआई से कराने की मांग

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रांची, 02 मार्च झारखंड विधानसभा में पांचवीं झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी), सिविल सेवा परीक्षाफल को निरस्त करने और कथित अनियमितताओं की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग को लेकर आज चौथे दिन भी सदन में गतिरोध कायम रहा। विधानसभा की कार्यवाही आज पूर्वाह्न 11 बजे शुरु होने पर नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने जेपीएससी मसले को उठाते हुए आसन से संरक्षण का आग्रह किया। 


उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री ने कल सदन में यह जानकारी दी कि पांचवीं जेपीएससी परीक्षाफल को लेकर अनुंशसा अभी सरकार को आयोग से प्राप्त नहीं हुयी हैं, वहीं अखबारों के माध्यम से यह पता चला है कि जेपीएससी की ओर से अनुशंसा सरकार को भेज दी गयी है। इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे। विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण 11 बजकर सात मिनट पर विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने सदन की कार्यवाही अपराह्न 12 बजकर 10 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी। 



सदन की कार्यवाही दुबारा शुरु होने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक दल के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार की ओर से सदन में जो जानकारी दी गयी है, उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है, जिसके कारण सदन में तीन-चार दिनों से गतिरोध उत्पन्न हैं, यहां तक कि सरकार के एक मंत्री का भी बयान है कि जेपीएससी परीक्षा में घोटाला हुआ है और सत्तापक्ष के भी कई विधायक गड़बड़ी की आशंका जाहिर कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में सरकार इस मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा करें। झामुमो के प्रदीप यादव ने भी इस मसले पर सरकार के जवाब पर असंतोष प्रकट करते हुए कहा कि मामले की जांच से सारी बातें स्पष्ट हो जाए

पंचायत चुनाव : मधुबनी में तीन मार्च से शुरू होगा नामांकन प्रक्रिया

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मधुबनी। पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने 25 फरवरी को अधिसूचना जारी कर दिया है और इसको लेकर आदर्श आचार सहिंता भी लागू हो गयी है। मधुबनी जिले में कुल दस चरणों में चुनाव होने हैं, जिसको लेकर तीन मार्च से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पंचायत चुनाव में जिले के इक्कीस प्रखंड अंतर्गत 399 पंचायतों के कुल 28 लाख 9 हजार 995 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। जिसमें 1479604 पुरुष,1330288 महिला और 103 अन्य मतदाता हैं। 

वहीं, मुखिया और सरपंच के 399, पंचायत समिति के 555, पंचायत सदस्य और पंच के 5523 और परिसद सदस्य के 56 सीटों के लिए चुनाव होना है। जिसके लिए 5637 मतदान केंद्र निर्धारित किये गए हैं जिसमें 57 चलंत बूथों की भी व्यवस्था की गयी है।  जिलाधिकारी गिरिवर दयाल सिंह ने बताया कि शांतिपूर्ण और निष्पक्ष पंचायत चुनाव कराने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है, सभी प्रखंडों के बीडीओ को अपने-अपने प्रखंड का निर्वाची पदाधिकारी बनाया गया है।

40 साल बाद कोर्ट का आया फैसला

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मधुबनी। व्यवहार न्यायालय के इतिहास में एक ऐतिहासिक फैसला आया है। साल 1976 के एक हत्याकांड में एडीजे 6 प्रदीप कुमार शर्मा की कोर्ट ने चार अभियुक्त को हत्याकांड का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और दस-दस हजार रुपया जुर्माना की सजा सुनाया है। जुर्माना अदा नहीं करने पर दोषियों को छह-छह महीना अतिरिक्त जेल में रहना होगा।

दरअसल, यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है कि घटना के 40 साल के बाद इस मामले में फैसला आया है। हालांकि एक ओर जहां अभियोजन पक्ष ने कोर्ट के फैसला को न्याय की जीत बताया है। वहीं, बचाव पक्ष ने इस फैसला के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर करने की बात कही है। हत्याकांड में दोषी ठहराये गये बुजुर्गों ने अपने आप को निर्दोष बताया है। 

बता दें कि मधुबनी जिला के लौकही थाना क्षेत्र के मैनही गांव में भूमि विवाद की वजह से आनंद झा को इन लोगों ने पीट पीट कर अधमरा कर दिया था और बाद में उसकी मौत हो गयी थी। इस मामले में कुल 14 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था जिसमें से इन चालीस वर्षो में 10 अभियुक्त की मौत हो चुकी है। अब जिन चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा मिली है ये लोग भी जीवन के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुके हैं।

बिहार : कांस्टेबल के घर कुर्की को पहुंची पुलिस

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  • मां ने कहा- बेटे की करनी का फल भुगत रही हूं

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मधुबनी में नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी सिपाही अनिल यादव के घर की कुर्की जब्ती की कार्रवाई की गयी. नालंदा के नूरसराय प्रखंड के ममुराबाद गांव में मधुबनी और नालंदा पुलिस ने सयुंक्त रूप से कुर्की जब्ती का कार्रवाई की.

कुर्की जब्ती का नेतृत्व मधुबनी जिले के डीएसपी और राजगीर डीएसपी संजय कुमार ने किया. डीएसपी मधुबनी के नेतृत्व में 35 सदस्यों की टीम ने नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी अनिल यादव के घर का चौखट दरवाजा समेत घर में रखे सभी चल-अंचल संपति को कुर्की करने के बाद नालंदा थाना ले आयी.

पुलिस की इस कार्रवाई से आरोपी सिपाही अनिल यादव के परिजनों का बुरा हाल है. परिजनो का कहना है कि अनिल यादव की करनी का फल उन्हे भुगतना पड़ रहा है. मालूम हो कि बीते दिनों बिहार पुलिस के जवान अनिल को दुष्कर्म के मामले में संलिप्त पाया गया था.

माले नेताओं की लगातार हो रही हत्याओं को नहीं किया जाएगा बर्दाश्त: कुणाल

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  • राजनीतिक कारणों से सिवान में माले नेता संजय चैरसिया की गई हत्या, हत्यारों को तत्काल गिरफ्तार करो

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पटना 3 मार्च 2016, माले राज्य सचिव कुणाल ने चुनाव बाद माले नेताओं के उपर हमले व उनकी हत्या की लगातार बढ़ती घटनाओं के लिए नीतीश सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि सरकार सुशासन का दावा करती है, लेकिन उलटे बिहार में अपराध लगातार बढ़ता जा रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी हुयी है. सरकार को अपराध बढ़ाने और राजनीतिक विरोधियों की हत्या करवाने के लिए जनादेश नहीं मिला है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि सिवान में 2 मार्च को माले नेता काॅ. संजय चैरसिया की गला रेतकर हत्या कर दी गयी. घटना की जांच करने गए माले जिला सचिव नईमुद्दीन अंसारी ने बताया कि रघुनाथपुर प्रखंड के गबिरार पंचायत के रहने वाले अतिपिछड़ी जाति के संजय चैरसिया पार्टी की ओर से आने वाले पंचायत चुनाव में मुखिया पद के उम्मीदवार थे. उनकी हत्या राजनीतिक दुर्भावनाओं से प्रेरित होकर की गयी है. उसी गांव के चंद्रमा यादव ने उन्हें बगल के गांव में आर्केस्ट्रा देखने का निमंत्रण दिया था और सुबह में उनकी लाश मिली. इससे साफ जाहिर होता है कि अपराधी ताकतों का मनोबल लगातार बढ़ता जा रहा है और वे आंदोलनकारियों की हत्या कर रहे हैं.

माले कार्यकर्ताओं ने अपने नेता की हत्या के खिलाफ नेबारी मोड़ को घंटो जाम रखा और उसके बाद रघुनाथपुर प्रखंड पर भी प्रदर्शन किया. इसका नेतृत्व पार्टी के पूर्व विधायक अमरनाथ यादव ने किया. 6 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. माले नेता ने मांग की है कि सभी नामजद अभियुक्तों की अविलंब गिरफ्तारी हो और पीडि़त परिजन को सरकारी नौकरी व मुआवजा प्रदान किया जाए. इसके पूर्व भोजपुर में भी रणवीर सेना के गुंडों द्वारा माले नेता राजेन्द्र महतो की हत्या कर दी गयी थी, जब वे रात में अपने खेत की रखवाली कर रहे थे.

लगातार तीसरे दिन उछला बाजार

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मुंबई 03 मार्च, बजट के प्रावधानों से निवेशधारणा मजबूत होने के साथ ही विदेशी बाजारों से मिले सकारात्मक संकेतों के बल पर लगातार तीसरे कारोबारी सत्र घरेलू शेयर बाजार डेढ़ फीसदी उछलकर करीब एक महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया। बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 364.01 अंक यानी 1.50 फीसदी मजबूत होकर 24606.99 अंक पर पहुँच गया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 106.75 अंक यानी 1.45 प्रतिशत तेज होकर 7475.60 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से 26 में लिवाली का जोर रहा। टाटा स्टील को सर्वाधिक 7.17 प्रतिशत का मुनाफा हुआ। इसके अलावा टाटा मोटर्स, भेल एवं एलएंडटी को भी छह प्रतिशत से अधिक लाभ हुआ। वहीं, आईसीआईसीआई बैंक को सर्वाधिक 1.04 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा। 

बीएसई की छोटी एवं मझौली कंपनियों में भी बढ़त दर्ज की गयी। मिडकैप 0.58 फीसदी उछलकर 10110.46 अंक पर बंद हुआ। स्मॉलकैप भी 1.35 फीसदी तेज रहकर 10209.66 अंक पर रहा। बीएसई के सभी 20 समूहों में अधिकांश बढ़त में रहे। एफएमसीजी 0.20 प्रतिशत की गिरावट के साथ कमजोरी में रहने वाला एकमात्र समूह रहा। वहीं, पूँजीगत वस्तुएँ 4.12 प्रतिशत मजबूत हो गया। धातु एवं इंडस्ट्रियल्स समूह को भी तीन प्रतिशत से अधिक मुनाफा हुआ। बीएसई में कुल 2773 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ। 1736 कंपनियों के शेयर बढ़त मेंं रहे जबकि 899 के शेयर लुढ़क गये। 138 कंपनियों के शेयर पुराने स्तर पर टिके रहे। एनएसई में कुल 1435 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ जिनमें 994 के शेयर बढ़े। 383 कंपनियों के शेयर गिर गये जबकि 55 के स्थिर रहे।

दिल्ली सरकार ने कन्हैया, उमर खालिद को दी क्लीन चिट

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नयी दिल्ली, 03 मार्च, दिल्ली सरकार ने आज जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार तथा उमर खालिद को देशद्रोह के मामले में क्लीन चिट दे दी। सूत्रों के अनुसार दिल्ली सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी कार्यक्रम में कन्हैया द्वारा देश-विरोधी नारेबाजी करने का कोई सबूत नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर तथा अफजल के मामले में उमर खालिद के विचार सभी को पता हैं। वीडियो फुटेज में उसे यह कहते हुए पाया गया कि 'कश्मीरियों तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।'वीडियो में जेएनयू के बाहर के कश्मीरियों को देखा गया है, जो अपने मुंह पर कपड़ा बांधे हुए है तथा भारत विरोधी नारे लगा रहे हैं, इसलिए यह जांच का विषय है। रिपोर्ट के अनुसार पुलिस शिकायत में कहा गया कि उमर खालिद के नेतृत्व में भारत विरोधी नारे लगाये गये। हालांकि पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे वीडियो में नहीं सुने गये हैं। उल्लेखनीय है कि जेएनयू में कथित देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में कन्हैया, खालिद तथा अनिर्बान भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया गया था। कन्हैया को कल दिल्ली उच्च न्यायालय ने छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। दिल्ली सरकार ने इससे पहले सातों वीडियो की फोरेंसिक जांच के आदेश दिये थे जिसमें से दो वीडियो में छेड़छाड़ की पुष्टि हुई थी जिसमें विवादास्पद शब्दों को जोड़ा गया।

रिपोर्ट के अनुसार पुलिस शिकायत में कहा गया कि उमर खालिद के नेतृत्व में भारत विरोधी नारे लगाये गये। हालांकि पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे वीडियो में नहीं सुने गये हैं। उल्लेखनीय है कि जेएनयू में कथित देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में कन्हैया, खालिद तथा अनिर्बान भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया गया था। कन्हैया को कल दिल्ली उच्च न्यायालय ने छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। दिल्ली सरकार ने इससे पहले सातों वीडियो की फॉरेंसिक जांच के आदेश दिये थे जिसमें से दो वीडियो में छेड़छाड़ की पुष्टि हुई थी जिनमें विवादास्पद शब्दों को जोड़ा गया। कन्हैया कुमार,उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को विवादित कार्यक्रम में उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था। कन्हैया कुमार को आज तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। 

उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक काम करेगी सरकार: राजनाथ

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नयी दिल्ली, 03 मार्च, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को रिहा करने के मामले में केंद्र सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक काम करेगी। श्री सिंह ने लोकसभा में प्रश्नकाल के बाद कहा कि उन्हें कल ही इस बारें में तमिलनाडु सरकार का पत्र प्राप्त हुआ है और सरकार इस पर विचार कर रही है। इस संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसला आ चुका है और इसे मानना सरकार की संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी है। इससे पहले कांग्रेस के सदस्यों ने राजीव गांधी के हत्या के दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव का कडा विरोध करते हुए केन्द्र सरकार से इसकी इजाजत नहीं दिये जाने की मांग की। 

प्रश्नकाल शुरू होने के साथ ही कांग्रेस के सदस्यों ने इस मुद्दे पर बोलना शुरू कर दिया। इस पर तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के सदस्य गलियारे में आ गये । अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़ेगे को बोलने की इजाजत दी। श्री खरगे ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने गृह मंत्री को पत्र लिखकर राजीव गांधी की हत्या के दोषियों की रिहाई की इजाजत मांगी है। उन्होंने कहा कि यह मांग दुर्भाग्यपूर्ण है। पूर्व प्रधानमंत्री ने देश के लिए जान दी है, उनका सम्मान किया जाना चाहिए। यह देश की एकता और अखंडता के लिये जरूरी है। कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर राज्य को अनुमति दी गयी तो भविष्य में दूसरे राज्यों से भी ऐसी मांग उठेगी।

पाकिस्तानी टीम भारत जायेगी लेकिन मांगी सुरक्षा गारंटी

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इस्लामाबाद, 03 मार्च, पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि उनकी क्रिकेट टीम भारत में होने वाले ट्वंटी-20 विश्वकप में हिस्सा लेने जायेगी लेकिन उन्होंने भारत सरकार से क्रिकेट टीम की सुरक्षा की गारंटी मांगी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा, “पाकिस्तानी टीम विश्वकप में हिस्सा लेगी। यह भारत सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पाकिस्तानी टीम को सुरक्षा उपलब्ध कराये।” इससे पहले पाकिस्तान के गृह मंंत्री निसार अली खान ने कहा था कि पाकिस्तानी टीम विश्वकप में तभी हिस्सा लेने जायेगी जब भारत सरकार टीम के लिये पुख्ता सुरक्षा का भरोसा दे। 

पाकिस्तानी गृह मंत्री ने एक बयान में कहा, “पाकिस्तानी टीम को हम तभी भारत दौरा करने की इजाजत देंगे जब उन्हें पुख्ता सुरक्षा का भरोसा दिया जाएगा। सुरक्षा का पूरा इंतजाम करना भारत सरकार की ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की भी जिम्मेदारी है।” खान का बयान ऐसे समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के 19 मार्च को होने वाले मैच के मेजबान स्थल धर्मशाला में राज्य के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने बयान में कहा था कि वह इस मैच के लिये सुरक्षा मुहैया नहीं कराएंगे। हालांकि बीसीसीआई के सचिव अनुराग ठाकुर ने कहा है कि सुरक्षा की कोई समस्या नहीं होगी।

सुरक्षा की समस्या नहीं,धर्मशाला में होगा मैच: ठाकुर

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नयी दिल्ली, 03 मार्च, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) के सचिव अनुराग ठाकुर ने एक बार फिर दोहराया है कि धर्मशाला में भारत और पाकिस्तान के बीच ट्वंटी 20 विश्वकप मैच को लेकर सुरक्षा की कोई समस्या नहीं होगी और यह मैच इस मैदान पर होकर रहेगा। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ(एचपीसीए) के भी अध्यक्ष ठाकुर ने गुरूवार को यहां संवाददताओं से कहा“ मेरी कल राज्य के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ बैठक हुई थी जो बहुत सकारात्मक रही थी और मुझे मुख्यमंत्री से आश्वासन मिला है कि वह उन लोगों से बातचीत करेंगे जो इस मैच का विरोध कर रहे हैं।” 

ठाकुर ने साथ ही कहा“ मैं यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह मैच विश्वकप का मुकाबला है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सीरीज का मैच नहीं है। हम धर्मशाला में द्विपक्षीय सीरीज का मैच नहीं करा सकते लेकिन विश्वकप के मैच का कार्यक्रम एक साल पहले ही तय हो गया था और इसे अब रातों रात बदला नहीं जा सकता।” उन्होने कहा“ हमें इस समस्या को बातचीत के जरिये सुलझाना है। कारगिल युद्ध के बाद भी 2005 में पाकिस्तानी टीम ने धर्मशाला में मैच खेला था। विश्वकप का मैच देश के मान सम्मान की बात है और हमें इसे पूरा करना होगा।”
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