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बिहार : परोपकारी संस्था है कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पीटल

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पटना। परोपकारी संस्था है कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पीटल। 1939 से 1958 तक पटना सिटी में हाॅस्पीटल संचालित था। मदर अन्ना डेंगल द्वारा संगठित संस्था कैथोलिक मेडिकल मिशन सिस्टर्स सोसायटी है। इनके द्वारा संचालित जेनरल नर्सिग ट्रेनिंग सेंटर में कुछ महीने के बाद ‘संत’घोषित होने वाली धन्य मदर टेरेसा ट्रेनिंग ली थीं। इस हाॅस्पीटल का स्थानान्तरण 1958 में कुर्जी क्षेत्र में किया गया। यहां पर आने के बाद कार्य विस्तार किया गया। जेनरल नर्सिग के बाद ए0एन0एम0 ट्रेनिंग सेंटर खोला गया। जेनरल नर्सिग में दक्षिण भारत की युवतियों को और ए0एन0एम0 में दक्षिण बिहार की युवतियों को प्रमुखता दी ट्रेनिंग में दिया जाता था। यदाकदा पश्चिम चम्पारण की युवतियां ए0एन0एम0 ट्रेनिंग कर पाते थे।बिहार परिचारिका निबंधक परिषद द्वारा परीक्षा ली जाती थी। अब मिड इंडिया द्वारा संचालित है। इसके लाबोरेट्री और एक्स-रे का ट्रेनिंग सेंटर खोला गया। लाबोरेट्री में पश्चिम चम्पारण के नौजवानों को प्रमुखता दिया जाता रहा। एक्स-रे में मिलीजुली नौजवानों को ट्रेनिंग दिया गया। अब यहां पर बीएससी नर्सिंग भी शुरू हो गया है।

तृतीय और चतुर्थवर्गीय कर्मियों में लोकल को रखा जाता था। अब तो संविदा में बहाल किया जा रहा है। अपने चहेते कर्मियों को अवकाश ग्रहण करने के बाद भी नौकरी में बहाल कर लिया जाता है। अपने नहीं चाहने वालों को जबरन नौकरी से बाहर कर दिया जाता है। इसके कारण आंदोलन भी हुआ। प्रेरितों की रानी ईश मंदिर में विरोध स्वरूप नौजवानों ने ताला जकड़ दिया। कुर्जी होली फैमिली हाॅस्पीटल की प्रशासिका के इशारे पर कर्मियों को बाहर निकालने की साजिश शुरू हो जाती है। अनेक कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया। मजे की बात है कि शुरूआती समय में शादी करने के पूर्व ही युवतियों को नौकरी से बाहर कर दी जाती थी। इसका विरोध हुआ तो अभी थम गया है। इसके बाद पुरूष कर्मियों पर वज्रपात किया गया। जिनकी बीबी नौकरी करती हैं। मनगढ़ंत आरोप लगाकर हटाया गया। कथित घरेलू जांच के नाम पर अपने कर्मियों को प्रशासिका गवाह बनाकर आरोपित कर्मी को पराजित करने में लग जाती हैं। कथित गबन का आरोप लगाकर जेवियर लुइस और अशोक कुमार को घरेलू जांच के घेरे में लिया गया। तबतक त्याग -पत्र नहीं दिये तबतक कहा जाता रहा कि आप त्याग-पत्र देकर चले जा सकते हो। एक माह का वेतन देंगे। जैसे ही त्याग-पत्र कर्मी देते हैं वैसे ही कथित गबन का आरोप स्वाहा हो जाता है। 

दो बार सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केन्द्र में प्रभारी बनकर आने वाली सिस्टर ने प्रशासिका के इशारे पर दो कर्मियों को हटाने में सफल हो गयी। प्रथम आगमन पर आलोक कुमार को मजबूर करके केन्द्र से अन्य विभागों में स्थानान्तरण करने में सफल हो गयी। इसके बाद कथित आरोप लगाकर घरेलू जांच के उपरांत जबरन इस्तीफा देने को बाध्य कर दिया। निलम्बित होने की तलवार लटकने के पहले ही आलोक कुमार इस्तीफा दे दिए। जब दूसरी बार आने पर विजय शर्मा को मजबूर करके इस्तीफा दिलवा दी। प्रभारी और कर्मी में तू-तू-मैं-मैं हो गयी थी। आखिर जबरन इस्तीफा देने को बाध्य करने वाले श्रम न्यायालय में क्यों नहीं जाते हैं? श्रम न्यायालय में मामले की बहुतायता है। इसमें काफी समय लग जाता है। अगर कर्मी श्रम न्यायालय में जीत फतह करता है। तो प्रशासिका मामले को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ले जाने तक का माद्दा रखती है। इनके पास नोट है तो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं को मोटी फीस देंकर रख सकते हैं। किसी तरह से कर्मी को पराजित करने के सिलसिले में अधिकारियों के बच्चों को मिशनरी स्कूलों में दाखिला और हाॅस्पीटल में आने से वीआईपी ट्रीटमेंट दी जाती है। 

क्यों नहीं पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष हस्तक्षेप नहीं करते हैं? पवित्र बाइबिल को मानने वाले लोग बाइबिल के अनुसार चलते ही नहीं है। ऐसे लोग बाइबिल को सिर्फ कर्मी और ईसाई समुदाय को मानने को विवश कर दिया जाता है। खुद पालन नहीं करते हैं। इस दिशा में महाधर्माध्यक्ष मौनधारण कर लेते हैं। जब मिशनरी पर आक्रमण होता है तब जाकर महाधर्माध्यक्ष शेर बन जाते हैं। ईसायत के नाम पर मिशनरी संस्था संगठित हो जाते हैं। इसी के आलोक में नाजरेथ हाॅस्पीटल चलाने वाली सिस्टर और कुर्जी हाॅस्पीटल चलाने वाली सिस्टरों के बीच सांठगांठ हो गया है। दोनों मिलकर कुर्जी हाॅस्पीटल को चला रहे हैं। मजे की बात है कि नाजरेथ हाॅस्पीटल चलाने वाली सिस्टरों ने नाजरेथ हाॅस्पीटल को बंद कर सैकड़ों कर्मियों को समुंद्र में ढकेल दी है। उनका भविष्य चैपट हो गयी है। बाल-बच्चा दरदर की ठोकर खाने को बाध्य है। वहां की नर्सिग ट्रेनिंग को कुर्जी हाॅस्पीटल में चलाया जा रहा है। कर्मी और ईसाई जनता पर आक्रमण होने पर धृतराष्ट्र बन जाते हैं। 

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (04 मार्च)

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मुख्यमंत्री जी पालक बेटी रिंकी के विवाह में पहुंचकर
  • बारातियों का किया हार्दिक स्वागत किया
  • वरमाला के बाद मुख्यमंत्री सहित अन्य सभी ने दिया आशीर्वाद
  • सुन्दर सेवा आश्रम में पली बड़ी रिंकी परिणय सूत्र में बंधी

vidisha news
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान के द्वारा विदिशा के मुखर्जी नगर मंें स्थापित सुन्दर सेवा आश्रम में पली बड़ी रिंकी आज पूरे धार्मिक रीति रिवाज से परिणय सूत्र में बंधी। वैवाहिक कार्यक्रम श्री बाढ़ वाले गणेश मंदिर में हुआ। वर-वधु को आशीष देने के लिए विशेष तौर पर मुख्यमंत्री स्वंय और उनकेे मंत्रीमण्डल के सदस्यगण, वरिष्ठ अधिकारी, जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिकों ने शुभ आशीष  दिया। 

हर रस्म में साधना साथ
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान उनकी पत्नी श्रीमती साधना सिंह ने पालक माता की भूमिका निभाते हुए रिंकी की शिक्षा दीक्षा का ही प्रबंध ही नही किया बल्कि उसके वैवाहिक जीवन के लिए हर संभव प्रयास किए है। साधना सिंह ने रिंकी के वैवाहिक हर रस्म अपनी मौजूदगी में कराई। सुन्दर सेवा आश्रम में सन् 2000 में आई रिंकी के लिए वर की तलाश का जिम्मा मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने साधना सिंह को सौंपा। रिंकी जिस वक्त आश्रम में आई, तब उसकी उम्र छह साल थी और अब वह 22 वर्ष की हो चुकी है। इस आश्रम की स्थापना मुख्यमंत्री श्री चैहान ने वर्ष 2002 में अपने विदिशा संसदीय क्षेत्र के सांसद रहते हुए की थी। हाई स्कूल तक शिक्षा प्राप्त रिंकी आज अहमदपुर के रहने वाले श्री भंवरलाल मेहर परिणय सूत्र में बंधे। 

पुणे को पटककर पटना फाइनल में

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नयी दिल्ली, 04 मार्च, पटना पाइरेट्स ने जबर्दस्त प्रदर्शन करते हुये पुणेरी पल्टन को शुक्रवार को खेले गये पहले सेमीफाइनल में 40-21 से धोकर स्टार स्पोर्ट्स प्रो कबड्डी लीग के खिताबी मुकाबले में प्रवेश कर लिया। पटना और पुणे में जिस रोमांचक संघर्ष की उम्मीद की जा रही थी, उसे पटना के खिलाड़ियों ने पूरी तरह एकतरफा बना दिया। पटना ने आधे समय तक 25-7 की मजबूत बढ़त बना ली थी। पुणे की टीम ने हालांकि दूसरे हाफ में कुछ संघर्ष किया लेकिन पहले हाफ में अंकों का फासला इतना बड़ा हो चुका था कि पुणे की टीम पटना के आसपास भी नहीं पहुंच पायी। आईजी इंडोर स्टेडियम में खेले गये इस मुकाबले में पटना के रेडर और कैचर दोनों ने ही लाजवाब प्रदर्शन किया। पटना का डिफेंस इतना मजबूत था कि पुणे के रेडर उसे भेद नहीं पाये। पटना अौर पुणे के बीच लीग मैचों में दोनों मुकाबले टाई रहे थे। दोनों के बीच पहला मैच 30-30 के स्कोर पर और दूसरा मैच 28-28 के स्कोर पर टाई रहा था लेकिन जब सेमीफाइनल में करो या मरो के मुकाबले की बात आयी तो पटना के पाइरेट्स कहीं ज्यादा बेहतर साबित हुये। 

प्रदीप नरवाल ने पटना के लिये सर्वाधिक 10 अंक और रोहित कुमार ने सात अंक जुटाये। पुणे के लिये दीपक निवास हुड्डा ने छह अंक और कप्तान मंजीत छिल्लर ने पांच अंक अर्जित किये। पटना ने मुकाबले में तूफानी शुरुआत करते हुये बातों ही बातों में 14-4 की बढ़त बना ली। शुरुआत में स्कोर लगभग बराबर था लेकिन पटना ने शानदार रेड और मजबूत डिफेंस से अपनी बढ़त को लगातार बनाये रखा। पटना ने 14-4 के स्कोर पर लोना हासिल किया और उसका स्कोर 20-4 जा पहुंचा। हाफ टाइम तक मामला 25-7 से चल रहा था। दूसरे हाफ में पुणे ने कुछ रणनीति बदली और स्कोर को धीरे-धीरे 18-27 ले आये। पुणे ने इस दौरान पटना को आलआउट भी किया लेकिन पटना ने 33-19 के स्कोर पर पुणे काे ऑलआउट कर अपना स्कोर 37-19 पहुंचा दिया। पुणे का संघर्ष लगभग समाप्त हो चुका था और पटना ने 40-21 से बाजी मार ली। पटना के खिलाड़ियों ने जीत के बाद एक घेरे में खड़े होकर इसका जश्न मनाया। पटना ने रेड से 18 अंक और डिफेंस और 15 अंक जुटाये जबकि पुणे की टीम रेड से 11 और डिफेंस से आठ ही अंक जुटा सकी। पटना ने छह ऑलआउट अंक और एक अतिरिक्त अंक भी अर्जित किया। 

डीएमसीएच को सुपर स्पेस्लीटी अस्पताल बनाया जायेगा : स्वास्थ्य मंत्री

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पटना 04 मार्च,  बिहार विधानसभा में आज राज्य सरकार ने कहा कि 150 करोड़ रूपये की लागत से दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल :डीएमसीएच:को सुपर स्पेस्लीटी अस्पताल के रूप में विकसित किया जायेगा । संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव की अनुपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य संजय सरावगी के ध्यानाकर्षण का जवाब देते हुए कहा कि डीएमसीएच को प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना के तहत सुपर स्पेस्लीटी अस्पताल बनाये जाने के लिये चयनित किया गया है । उन्होंने कहा कि 150 करोड़ रूपये की लागत से इसे सुपर स्पेस्लीटी केन्द्र बनाया जायेगा । श्री कुमार ने कहा कि डीएमसीएच को सुपर स्पेस्लीटी केन्द्र बनाने के लिये केन्द्र सरकार से 120 करोड़ रूपये की राशि मिलेगी जबकि राज्य सरकार को 30 करोड़ रूपये खर्च करने होंगे । उन्होंने कहा कि डीएमसीएच के कई भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है जिसका पुनर्निर्माण और मरम्मत किया जाना है । 

मंत्री ने कहा कि इस परियोजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित कराने के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति बनायी गयी है । उन्होंने कहा कि डीएमसीएच के सुपर स्पेस्लीटी बनने पर बड़ी संख्या में उत्तर बिहार के मरीजों को राहत मिलेगी । इससे पूर्व प्रश्नकाल के दौरान स्वास्थ्य विभाग से संबंधित कई प्रश्नों का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री श्री कुमार ने कहा कि सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक और सभी जिलों के सिविल सर्जनों को आदेश दिया गया है कि वे आवश्यकता पड़ने पर अपने स्तर से स्थानीय बाजार से दवा खरीद कर मरीजों को उपलब्ध करायें । उन्होंने कहा कि दवा के अभाव में मरीजों को किसी तरह की असुविधा का सामना नहीं करने दिया जायेगा । वहीं शून्य काल के दौरान प्रतिपक्ष के नेता डा0 प्रेम कुमार ने कपड़ा पर कर लगाये जाने का मुद्दा उठाया । उन्होंने कहा कि देश के किसी भी राज्य में कपड़ा पर कर नहीं लगाया गया है और नीतीश सरकार ने कपड़ा पर कर लगाकर आम लोगों के लिये मुश्किलें पैदा कर दी है । उन्होंने कपड़ा पर लगाये गये कर को अविलम्ब वापस लिये जाने की मांग की । 

पठानकोट हमले पर भारत के आरोप दुर्भाग्यपूर्ण : पाकिस्तान

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इस्लामाबाद, 04 मार्च, पाकिस्तान ने भारत की ओर से उस पर लगाये गये आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा है कि इस मामले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग एवं समझ की जरूरत है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने संवाददाताओं से कहा कि पाकिस्तान पठानकोट घटना की निंदा करता है। उसने भारत की ओर से प्रदान की गई शुरुआती सूचना के आधार दोषियों को पकड़ने के लिए सभी जरूरी कदम उठाये। उन्होंने कहा कि जांच के लिए संयुक्त जांच दल का गठन भी किया गया है और उसकी भारत यात्रा के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूूरी की जा रही हैं। श्री जकारिया का कहना है कि पाकिस्तान का मानना है कि सभी देशों को आतंकवाद को पराजित करने के लिए एक- दूसरे के सहयोग की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने सहयोग का आश्वासन दिया है। हमले के लिए पाकिस्तान पर आरोप लगाने से जुड़े भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के बयान पर उन्होंने कहा कि भारत की ओर से आरोप-प्रत्यारोप का खेल गैरमददगार और दुर्भाग्यपूर्ण है। श्री पर्रिकर ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा था कि पठानकोट वायु सैनिक अड्डे पर इस साल के शुरू में किया गया आतंकवादी हमला पाकिस्तान की परोक्ष मदद के बिना संभव नहीं था। श्री पर्रिकर ने कहा था कि राष्ट्रीय जांच एजेन्सी (एनआईए)इस हमले की जांच कर रही है और इसके पूरा होने पर ही इस बारे में विस्तार से जानकारी मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि इतना जरूर है कि हमले में पाकिस्तान के आतंकवादी शामिल थे और इसमें उन्हें पाकिस्तान की मदद मिली थी।

श्री जकारिया ने कहा कि पाकिस्तान सभी तरह के आतंकवाद को खारिज करता है और उसका मानना है कि इस समस्या को पराजित करने के लिए सभी देशों को एक-दूसरे से सहयोग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत विदेश सचिव स्तर की वार्ता के लिए तारीखें तय करने को लेकर काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि भारत ने बुधवार को पाकिस्तान को पठानकोट वायुसैनिक अड्डे पर आतंकवादी हमले के मामले में कार्रवाई तेज करने का संदेश देते हुए कहा था कि यह उसके लिए पड़ोसी देश के साथ कूटनीतिक बातचीत शुरू करने से अधिक अहम मुद्दा है। विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा था कि एक आतंकवादी हमले के बाद अगर आप मुझसे यह पूछेंगे कि प्राथमिकता क्या है, आतंकवाद से निपटना अथवा कूटनीतिक वार्ता तो जवाब स्पष्ट है। उन्होंने दोनों देशों के संबंध बेहतर बनाने की दिशा में बाधाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पाकिस्तान को कई मुद्दों को लेकर अपने रवैये में बदलाव करने की जरूरत है जिनमें आतंकवाद प्रमुख है।

नक्सली हमले में तीन जवान शहीद , तेरह घायल

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जगदलपुर 04 मार्च, छत्तीसगढ के सुकमा जिले में 16 घंटों से अधिक समय तक चली मुठभेड में कोबरा बटालियन के तीन जवान शहीद हो गए और तेरह अन्य घायल हो गए। सभी घायलों को हेलीकॉप्टर से रायपुर ले जाया गया है। पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि इस बीच एक वर्दी पहने हुए नक्सली का भी शव मिला है। लगभग आधा दर्जन नक्सलियों के भी मारे जाने की संभावना जतायी जा रही है। सूत्रों ने कहा कि पुलिस और नक्सलियों के बीच कल डब्बामरका गांव के पास मुठभेड हो गयी। यह मुठभेड कई घंटों के बाद आज सुबह समाप्त हुयी। पुलिस का गश्ती दल क्रिस्टारम थाने से रवाना हुआ था। 

इस दल में केंद्रीय सुरक्षा बल की 208 कोबरा बटालियन के जवान भी शामिल थे। डब्बामरका गांव के पास घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने गश्ती दल पर हमला बोल दिया। नक्सलियों के साथ मुठभेड में लिंगुराम मिंज, लक्ष्मण सिंह और फतेह सिंह शहीद हो गए। सूत्रों ने कहा कि इस मुठभेड में पी एस यादव, योगेंद्र कुुमार, राजवीर सिंह गुर्जर, कुलवीर सिंह, यशवंत राउत, प्रकाश राठौर, मोहम्मद अखलाख, संतोष कुमार, सुरेश कुमार, रमेश सोरेन, सोहाराम, संजय चहल और एस पी साहू घायल हुए हैं। इनमें से कुछ जवानों की हालत नाजुक बनी हुयी है। यह मठभेड दुर्दांत और घने जंगली इलाके में हुयी जहां नक्सलियों की काफी सक्रियता रहती है।

गरीबी पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती : मोदी

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नयी दिल्ली, 04 मार्च , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबी को पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए आज कहा कि उनकी सरकार जलवायु परिवर्तन को समस्या नहीं अवसर मानकर चल रही है और उसी के अनुरूप आगे बढ़ रही है। श्री मोदी ने 2030 के सतत विकास लक्ष्यों के संदर्भ में कानून की भूमिका पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि विकास टिकाऊ और समावेशी होना चाहिए और अगर विकास टिकाऊ नहीं है तो फिर वह विकास नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति सहजीवन और सहअस्तित्व की बात करती है। हमारे यहां देवी देवताओं को पशु, पक्षी और पेड़ों के साथ जोड़ा गया है और यही परंपरा हमारे विकास की मार्गदर्शक है। प्रधानमंत्री ने कहा,“गरीबी पर्यावरण की सबसे बड़ी चुनौती है। गरीबी दूर करने के लिए हमें विकास चाहिए और हम विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को भी आगे बढ़ा रहे हैं। हमारी नीति इसके अनुकूल है। विकास के ऊर्जा की बहुत अहमियत है और हमने 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा है और इसे हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन और नमामि गंगे अभियान भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकार की पहल है।” उन्होंने कहा,“ भारत की समस्या अनोखी नहीं है। विकसित सभ्यताओं को भी कभी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ा था और उन्होंने इस पर विजय पायी थी। हम भविष्य की पीढ़ियों की कीमत पर विकास नहीं चाहते हैं बल्कि सामूहिक प्रयास से टिकाऊ विकास करना चाहते हैं और इसमें हमें जरूर सफलता मिलेगी। भारत टिकाऊ विकास में दुनिया को नेतृत्व दे सकता है। हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो प्रतिबद्धताएं जतायी हैं उसी के मुताबिक आगे बढ़ रहे हैं।”

श्री मोदी ने कहा कि देश के नियम और कानून ऐसे होने चाहिए जो टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार हों। अगर नियमों और नीतियों में टकराव होगा तो किसी भी लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकेगा। प्रकृति पवित्र है और पवित्र मंशा के साथ ही हमें प्रकृति के संरक्षण की दिशा में काम करना चाहिए। अगर सभी अंशधारक प्रकृति के साथ सहअस्तित्व और सहजीवन की भावना से चलें तो फिर पर्यावरण सरंक्षण के लिए मानवीय नियमों की जरूरत नहीं पड़ेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार जलवायु परिवर्तन को समस्या नहीं बल्कि अवसर के रूप में देख रही है। जब हम ‘जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट’ की बात करते हैं तो हमारा उद्देश्य प्रकृति को कम से कम नुकसान सुनिश्चित करना होता है। श्री मोदी ने इस मौके पर विकसित देशों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्होंने पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है और अब उन्हें जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में बड़ी भूमिका निभानी होगी। हर देश की चुनौतियां अलग हैं और उनसे निपटने के तरीके भी अलग हैं। इस मौके पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बजट में पर्यावरण के लिए कई कदम उठाए गए हैं। सभी सेवाओं पर 0.5 प्रतिशत उपकर लगाया गया है। साथ ही हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया गया है जबकि प्रदूषण फैलाने वालों वाहनों को हतोत्साहित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत को करीब 30 प्रतिशत आबादी को गरीबी से बाहर निकालना है, 50-60 प्रतिशत आबादी को सस्ते मकान देने हैं लेकिन साथ ही पर्यावरण की भी चिंता करनी है। हमें आदर्श पारिस्थितिकी और विकास के बीच संतुलन कायम करना है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा,“ बाघ हमारे लिए अहम हैं लेकिन विकास भी जरूरी है। श्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जलवायु न्याय और जीवनशैली में बदलाव की बात कही थी और पेरिस समझौते की प्रस्तावना में इन दोनों बातों को समाहित किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोयले पर छह डॉलर कर लगाया है। अगर विकसित देश इसका अनुसरण करें तो 100 अरब डॉलर की राशि जुटायी जा सकती है जिसे उन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए विकासशील देशों को देना है।” इस मौके पर भारत के मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार और एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी भी मौजूद थे। यह सम्मेलन रविवार तक चलेगा और इसमें पर्यावरण से जुड़े देश विदेश के कई न्यायविद, वैज्ञानिक, वकील, शिक्षाविद और विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। 

बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की

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कोलकाता, 04 मार्च , पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीख की घोषणा होने के साथ ही पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पहली सूची आज जारी कर दी जिनमें खेल जगत और टॉलीवुड की जानी मानी हस्तियां शामिल हैं।  पार्टी प्रमुख एवं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा करते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस राज्य में विधानसभा की 294 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी। उन्होंने कहा “हमने राज्य की जनता के साथ गठबंधन किया है। हमने अपने सभी वादे पूरे किये हैं।”  सुश्री बनर्जी ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस इस बार 45 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारेगी जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में 31 महिलाओं ने अपना दमखम दिखाया था। मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या भी पिछली बार के 38 की तुलना में बढाकर 57 की गयी है। राज्य में दलितों के लिए 68 और आदिवासियों के लिए 16 सीटें आरक्षित हैं।  पार्टी के उम्मीदवारों की सूची में बंगाल क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान लक्ष्मी रतन शुक्ला, पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी बाइचुंग भूटिया, टॉलीवुड अभिनेता सोहम और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया की पुत्री वैशाली डालमिया शामिल हैं जो क्रमश: हावड़ा उत्तर, सिलीगुड़ी, बारजोरा और बल्ली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। इस सूची में 70 नये चेहरे शामिल किये गये हैं। 

पश्चिम बंगाल विधानसभा का कार्यकाल 29 मई को समाप्त हो रहा है। यहां पहले चरण में नक्सल प्रभावित 49 सीटों के लिए दो दिन 4 अप्रैल और 11 अप्रैल को मतदान होगा। पहले दिन 18 तथा दूसरे दिन 31 सीटों के लिए मतदान होंगे। अन्य चरणों में क्रमश 56 सीटों के लिए 17 अप्रैल, 62 सीटों के लिए 21 अप्रैल, 49 सीटों के लिए 25 अप्रैल , 53 सीटों के लिए 30 अप्रैल तथा 25 सीटों के लिए पांच मई को मतदान होगा। राज्य में छह करोड़ 55 लाख 46 हज़ार 101 मतदाता हैं और यहां 77 हजार 247 मतदान केंद्र बनाये गए हैं।  पहले चरण में सीटों के लिए 11 मार्च को अधिसूचना जारी होगी और नामांकन भरने की अंतिम तारीख 18 मार्च है। नामांकन पत्रों की जांच 19 मार्च तथा नामांकन वापसी की अंतिम तारीख 21 मार्च है। उन्होंने बताया कि पहले चरण में शेष 31 सीटों के लिए अधिसूचना 14 मार्च को जारी होगी और नामांकन की अंतिम तारीख 21 मार्च होगी। नामांकन पत्रों की जांच 22 मार्च को तथा नामांकन वापसी की अंतिम तारीख 26 मार्च है। दूसरे चरण में 56 सीटों के लिए अधिसूचना 22 मार्च, नामांकन पत्र भरने की अंतिम तारीख 29 मार्च, नामांकन पत्रों की जांच 30 मार्च एवं नामांकन वापसी की अंतिम तारीख एक अप्रैल है। 

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को लगाई फटकार

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नयी दिल्ली, 04 मार्च , उच्चतम न्यायालय ने मंत्रियों को क्रिकेट प्रशासन से अलग रखने सहित लोढ़ा समिति की अन्य सिफारिशों का पालन करने में अनिच्छा के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की शुक्रवार को जमकर खिंचाई की। मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला की पीठ ने सवालिया लहजे में बीसीसीआई से पूछा, “आप मंत्रियों को शामिल करने की तरफदारी क्यों कर रहे हैं, क्या मंत्री भी क्रिकेट खेलना चाहते हैं, अगर कोई मंत्री कहता तो बात समझ में आती लेकिन बोर्ड उनके लिए तरफदारी क्यों कर रहा है।” न्यायालय ने यह बात तब कही जब बीसीसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने नेताओं को अलग रखने की समिति की सिफारिश पर आपत्ति जताई। शीर्ष अदालत ने कहा कि 70 साल की उम्र में लोगों को घर में बैठकर टीवी पर क्रिकेट देखना चाहिए। आखिर 70 साल की उम्र में क्यों सदस्य बनाना चाहते हैं। इसके साथ ही उसने बोर्ड को यह भी लेखा-जोखा देने का निर्देश दिया कि उसके कितने सदस्य 70 साल से ज्यादा के हैं। अदालत ने उन कुछ राज्य क्रिकेट संघों के प्रति भी नाराजगी जाहिर की जिन्होंने लोढ़ा समिति के सामने फिर से सुनवाई की मांग की है। अदालत ने कहा कि इन संघों को ‘अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां’ बटोरने वाली समिति की सिफारिशें लागू करने में देरी की अनुमति नहीं दी जा सकती। 

न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, “क्रिकेट में सुधारों के लिए हमने न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति का गठन किया था जो अंतरराष्ट्रीय खबर थी। पूरा विश्व इसे जानता था। अब आप हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि सिफारिशें पूरी तरह से अप्रत्याशित थीं और आपसे सलाह नहीं की गयी। आप क्या कर रहे थे? क्या लिखित आमंत्रण का इंतजार कर रहे थे? पीठ ने कहा, “हम यह निर्णय करेंगे कि कुछ प्रतिबंध के मुद्दों को फैसले के लिए वापस समिति के पास भेजें या नहीं, वह भी निश्चित समयावधि के लिए। लोढ़ा समिति एक महंगी समिति है।” न्यायालय ने बीसीसीआई से पांच साल का हिसाब भी मांगा। उसने पूछा, “आपने इन पांच सालों में कितने पैसे राज्य क्रिकेट संघों को दिए हैं, उसका विवरण दीजिए। ये भी बताइये कि और कितने पैसे खर्च हुए हैं। ऐसा लगता है कि आप पैसा दे देते हैं, लेकिन खर्च कैसे करना है, इसकी योजना आपके पास नहीं है।” न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, “कैग के सदस्य से आपको समस्या है। आप ये चाहते है कि आपको फ्री हैंड दिया जाए। आप चाहते हैं कि आप पर कोई निगरानी न करे। आप कह रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) आपको निलंबित कर देगी। क्या ये जानते हुए कि यह नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट ने की है ओर खेल की पवित्रता को बरक़रार रखने के लिए की गई है। भ्रष्टाचार न हो, इसके लिए इसे नियुक्त किया गया हो फिर भी आपको आईसीसी निलंबित कर देगी।” मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।

विधानसभा चुनाव में कन्हैया होगा वामदलों का स्टार प्रचारक: येचुरी

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नयी दिल्ली 04 मार्च ,  मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि अगले महीने होने जा रहे विधानसभा चुनाव में कन्हैया कुमार वामदल का स्टार प्रचारक होगा। देशद्रोह के आरोप में करीब तीन सप्ताह जेल में काटने के बाद कल अंतरिम जमानत पर रिहा हुए जेएनयू छात्र संघ के नेता कन्हैया के लिए राष्ट्रीय राजनीति में अपनी शुरुआत करने का यह एक बेहतरीन मौका होगा। प्रभावी भाषण देने की कन्हैया की कला को पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल करने की नीयत से श्री येचुरी ने कहा कि कन्हैया के साथ ही वामदल को समर्थन देने वाले सभी छात्र, चुनाव प्रचार में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेंगे। 

वाम नेता ने वामदलों का युवा आधार खत्म होने के दावों को खारिज करते हुए कहा कि प्रचार के दौरान देश को पहली बार वामपंथी विचार धारा वाले युवाओं की ताकत देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि कल कन्हैया ने जिस तरह का भाषण दिया है और विभिन्न टीवी चैनलों में उसे जिस तरह सराहा गया है उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि उसने वामदल के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत कर दी है। 

पांच राज्यों में चार अप्रैल से 16 मई के बीच होंगे चुनाव

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नयी दिल्ली, 04 मार्च, पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल तथा पुड्डुचेरी में विधानसभा चुनाव चार अप्रैल से 16 मई के बीच होंगे और मतगणना 19 मई को होगी। चुनाव तिथियाें की घोषणा के साथ ही इन चारों राज्यों आैर केंद्र शासित क्षेत्र में आज तत्काल प्रभाव से आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी। पश्चिम बंगाल में छह तथा असम में दो चरणों में चुनाव होगा जबकि तमिलनाडु, केरल और पुड्डुचेरी में एक ही चरण में मतदान होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में चुनाव कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि 294 विधानसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में पहले चरण में नक्सल प्रभावित 49 सीटों के लिए दो दिन 4 अप्रैल और 11 अप्रैल को मतदान होगा। पहले दिन 18 तथा दूसरे दिन 31 सीटों के लिए वोट पडेगे। अन्य चरणों में क्रमश 56 सीटों के लिए 17 अप्रैल , 62 सीटों के लिए 21 अप्रैल, 49 सीटों के लिए 25 अप्रैल , 53 सीटों के लिए 30 अप्रैल तथा 25 सीटों के लिए पांच मई को मतदान होगा। 

असम विधानसभा की 126 सीटों में 65 के लिए चार अप्रैल तथा 61 सीटों के लिए 11 अप्रैल को मतदान होगा। केरल की सभी 140 सीटों, तमिलनाडु की सभी 234 सीटों तथा पुड्डुचेरी की सभी 30 सीटों के लिए 16 मई को वोट डाले जाएगें। श्री जैदी ने बताया कि तमिलनाडु विधानसभा का कार्यकाल 22 मई को, पश्चिम बंगाल विधानसभा का कार्यकाल 29 मई, केरल विधानसभा का 31 मई, पुड्डुचेरी विधानसभा का दो जून तथा असम विधानसभा का कार्यकाल पांच जून को समाप्त होना है। 

पश्चिम बंगाल में छह करोड़ पचपन लाख 46 हज़ार 101 मतदाता हैं जबकि तमिलनाडु में पांच करोड़ 79 लाख एक हजार सात मतदाता हैं। केरल में दो करोड़ 56 लाख आठ हज़ार 720 तथा असम में एक करोड़ 98 लाख 66 हज़ार 496 एवं पुड्डुचेरी में मात्र नौ लाख 27 हज़ार 34 मतदाता हैं। पश्चिम बंगाल में 77 हजार 247 मतदान केंद्र बनाये गए हैं जबकि तमिलनाडु में 65 हज़ार 616 ,केरल में 21 हज़ार 398 एवं असम में 24 हज़ार 288 मतदान केंद्र हैं। इसी तरह बंगाल में मतदान केन्द्रों में 48.7 प्रतिशत की वृद्धि तमिलनाडु में 21.5 प्रतिशत एवं पुड्डुचेरी में 12 प्रतिशत ,असम में 4.5 प्रतिशत तथा केरल में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

पार्टी चुनावी जंग के लिए पूरी तरह तैयार : कांग्रेस

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नयी दिल्ली 04 मार्च, कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुड्डुचेरी में विधानसभा चुनाव तिथियों की घोषणा पर आज कहा कि वह इन राज्यों में चुनावी जंग के लिए पूरी तरह तैयार है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यहां पार्टी की नियमित ब्रीफिंग में संवाददाताओं के सवाल के जवाब में कहा कि विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की तैयारी पहले ही पूरी हो चुकी थी और पार्टी अब विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए तैयार है। 

असम में काग्रेस विरोधी महा गठबंधन से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसी तरह के गठबंधन से घबराती नहीं है। उन्होंने इस तरह के महागठबंधन को अवसरवादी करार दिया और कहा कि गठबंधन में समझदारी तथा सहमति जरूरी है। चुनाव आयोग ने आज ही इन राज्यों में चार अप्रैल से 16 मई के बीच चुनाव कराने की घोषणा की है। मतों की गणना 19 मई को होगी। पश्चिम बंगाल में छह चरणों, असम में दो चरणों तथा तमिलनाडु, केरल और पुड्डुचेरी में एक चरण में चुनाव होंगे। 

‘राहुल फोबिया’ से ग्रस्त है मोदी और भाजपा : कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 04 मार्च, कांग्रेस ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)‘राहुल फोबिया’ से ग्रस्त हैं और वे जनता की समस्याओं को सुलझाने की बाजए ध्यान भटकाने में लगे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यहां पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा कि संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब में श्री मोदी ने देश की चिंता से जुड़े सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। उन्हें संसद से देश की ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिए कदठ उठाए जाने का भरोसा देना चाहिए था लेकिन उन्होंने इन समस्याओं से जनता का ध्यान बांटने का काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने चर्चा के दौरान सदन में विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा उठाए सवालों का जवाब नहीं दिया बल्कि उनका भाषण पूरी तरह से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर केंद्रित रहा। उनके भाषण से फिर साबित हो गया है कि श्री मोदी और उनकी पार्टी ‘राहुल फोबिया’ की चपेट में है और यह बीमारी उनके लिए अब महामारी बनती जा रही है। प्रवक्ता ने कहा कि श्री मोदी इस महत्वपूर्ण मौके पर भी जनता के सवालों को टाल गए हैं। उनके लिए यह अवसर था जनता का विश्वास जीतने का लेकिन वह जन सामान्य को उनकी चिंता पर कोई भरोसा नहीं दे सके हैं। जनता के सवालों का उत्तर देने की बाजय श्री मोदी ने अपने भाषण से संसद तथा देश को गुमराह करने का प्रयास किया है इसलिए कांग्रेस उनके जवाब को खारिज करती है। 

श्री सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान तथ्यों से हटकर सिर्फ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस की विरासत पर हमला किया है। हमला इसलिए किया गया क्योंकि श्री गांधी ने जनता से जुड़े सवाल उठाए थे और उनका जवाब प्रधानमंत्री से मांगा था। उनका कहना था कि श्री मोदी ने एक बार फिर लोकतंत्र और संसद का मजाक उड़ाया है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए लोकतंत्र की पवित्रता को तार-तार किया है और प्रधानमंत्री पद की गरिमा को कम किया है। उन्होंने कहा देश ने कई प्रधानमंत्री देख लिए हैं, इस दौरान कई बार चुनाव हुए और कई पार्टियां सत्ता में रही हैं लेकिन श्री मोदी जिस तरह की तुच्छ राजनीति कर रहे हैं पहले इस स्तर का प्रधानमंत्री कभी नहीं देखा है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि श्री मोदी गलत बयानी करते हैं। वह यह नहीं बताते हैं कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में स्कूलों में 13.41 लाख शौचालयों का निर्माण हुआ था। इस दौरान 4.7 लाख सामुदायिक शौचालय बनाए गए और 27 हजार 829 सामुदायिक भवन बनाए गए हैं । 

बिहार : किसानों ने नहीं दिए खेत, प्रधानमंत्री मोदी की रैली का स्थल बदला

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हाजीपुर:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार के वैशाली जिले में होने वाली रैली के लिए जिले के किसानों द्वारा कच्ची फसल काटकर खेत खाली नहीं किए जाने के कारण प्रशासन ने कार्यक्रम स्थल बदल दिया है। प्रधानमंत्री अब सुल्तानपुर के बजाय छौकिया में लोगों को संबोधित करेंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने शुक्रवार को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी 12 मार्च को बिहार आने वाले हैं। वह पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी वर्ष समापन समारोह में भाग लेने के बाद वैशाली जिले के हाजीपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होंगे।

उन्होंने बताया कि हाजीपुर में प्रधानमंत्री महात्मा गांधी सेतु के समीप छौकिया गांव स्थित मैदान में कार्यक्रम आयोजित होगा। मोदी वहीं दीघा-सोनपुर पुल राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस मौके पर प्रधानमंत्री कई और योजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन भी करने वाले हैं। उल्लेखनीय है कि पहले प्रधानमंत्री का कार्यक्रम हाजीपुर औद्योगिक थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर में होना था, लेकिन खेतों को खाली कराकर कार्यक्रम स्थल बनाए जाने का किसानों ने विरोध किया। किसान प्रधानमंत्री की रैली के लिए अपनी कच्ची फसल काटने को राजी नहीं हुए।

विशेष आलेख : ब्राह्मणों द्वारा अपने ही आर्य-क्षत्रियों को दी गयी 'शूद्र'

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  • गाली को अकारण ही स्वीकार करने की गलती नहीं करें।

बेशक विश्वरत्न और अनुपम बुद्धिमता के धनि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेड़कर जी ने अपने शोधपूर्ण ग्रंथ 'शूद्र कौन थे'में यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि शूद्र वर्ण के लोग सूर्यवंशी-आर्य-क्षत्रियों के वंशज थे, लेकिन मेरी जानकारी में किसी भी विद्वान द्वारा या किसी भी निष्पक्ष चिन्तक द्वारा और न हीं मेरे अपने अनुभव तथा शोध के अनुसार आज तक इस बात का कोई पुख्ता, अकाट्य और संदेह से परे विश्वसनीय प्रमाण मिल सका/उपलब्ध है, जिससे कि यह प्रमाणित या सिद्ध हो सके कि वर्तमान अजा में शामिल लोग, जिन्हें कथित रूप से दलित या अछूत या अस्पृश्य जैसे अपमानजनक नामों से सम्बोधित किया जाता है, वही सूर्यवंशी-आर्य-क्षत्रियों के वंशज हैं। इसलिये बाबा साहब के शोधपूर्ण ग्रंथ 'शूद्र कौन थे'के निष्कर्षों के उपरान्त भी अजा वर्ग में शामिल जातियों को सूर्यवंशी-आर्य-क्षत्रियों के वंशज मानना, वर्तमान अजा वर्ग में शामिल जातियों की ऐतिहासिक तथा रणनीतिक चूक हो सकती है। यद्यपि अनेक अजा वर्ग के कथित सामाजिक कार्यकर्ता स्वयं को शूद्रवंशी घोषित करके आर्यों द्वारा थोपे गये शूद्रत्व स्वीकार करके मान्यता प्रदान कर रहे हैं, जो मेरी राय में कतई भी उचित और न्याससंगत नहीं है।

जिसका सबसे बड़ा विचारणीय आधार यह है कि वर्तमान भारत में वंचित वर्गों की एक ही जाति या एक ही जाति की शाखाओं के लोग अलग-अलग राज्यों में अजा, अजजा एवं ओबीसी वर्गों में शामिल है। ऐसे में केवल सरकार द्वारा घोषित अजा, अजजा एवं ओबीसी की अनुसूचियों के आधार पर दलित, आदिवासी या ओबीसी की परिभाषा को अन्तिम मान्यता प्रदान करके भारत के मूलवासियों को विखण्डित करना मूर्खता के सिवा कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। विशेषकर इसलिये भी क्योंकि भारत के मूलवासी हजारों सालों के युद्ध, शोषण, अत्याचार, उत्पीड़न और अन्यान्य कारणों से विभिन्न व्यवसायों और भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित एवं विखण्डित हुए होंगे, इस तथ्य से पृथम दृष्टया इनकार नहीं किया जा सकता। विशेषकर तब जबकि अजा, ओबीसी और आदिवासी जातियों में अनेक प्रकार की सामाजिक और धार्मिक परम्पराएं, कुप्रथाएं, रीति-रिवाज, कुरियां, गौत्र और दैनिक जीवन पद्धति से जुड़ी अनेक बातें ज्यों की त्यों मेल खाती हैं या आपस में मिलती-जुलती हैं। जिन्हें आसानी से नकारा नहीं जा सकता। इस कारण तीनों ही आरक्षित वर्गों तथा इन तीनों वर्गों के पूर्वजों में से धर्मपरिवर्तित मुसलमानों में भारत की मूलवासी-आदिवासी जातियों के वंशज हो सकते हैं-इस सम्भावना पर हमें निष्पक्षता पूर्वक शोध करने की जरूरत है। जिसमें केवल तथाकथित डीएनए रिपोर्ट अन्तिम निष्कर्ष निकालने के लिये सहायक नहीं हो सकती, क्योंकि भारत में नस्लीय नहीं, बल्कि जन्मजातीय विभेद का दुष्चक्र ही शोषण, उत्पीड़न तथा विभेद का मूलाधार है। इसके अलावा भी और भी कारण हैं, जिन पर उचित समय पर अलग से चर्चा की जायेगी।

इसके साथ ही साथ यह बात भी गम्भीरतापूर्वक विचारणीय है कि वंचित समाज के कुछ चालाक लोग भारत के गौरव तथा गरिमा के प्रतीक'मूलवासी'शब्द को उथले और हलके शब्द 'मूलनिवासी'में बदलकर समाज के वंचित वर्ग को एकजुट करने की बातें तो करते हैं, लेकिन अपने आप को आदिवासी नहीं मानते हैं। जबकि सारा संसार आदिवासियों को ही देश विशेष का मालिक या मूलवासी मानता है। इसके साथ—साथ हम सभी जानते हैं कि सक्षम सरकारी प्राधिकारी द्वारा जारी मूलनिवास प्रमाण—पत्रधारी भारत के तकरीबन सभी नागरिक भारत के 'मूलनिवासी'हैं, जिनमें बकवास  (BKVaS=B-ब्राह्मण+K-क्षत्रिय+Vaवैश्य+Sसंघी) वर्ग के लोग भी शामिल हैं। इसके विपरीत 'मूलवासी'और 'आदिवासी'शब्द भारत के प्राचीनतम अर्थात् प्रारम्भिक और संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा अधिकृत रूप से परिभाषित इंडीजिनियश—Indigenous—स्वदेशी लोगों के वर्तमान वंशजों का सार्थक और प्रतिनिधि शब्द हैं।

'मूलनिवासी'में सबसे बड़ा खतरा—'मूलनिवासी'के अन्तर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों के प्रवेश के लिये हमेशा के लिये उसी प्रकार से दरवाजे खुले हुए हैं, जिस प्रकार से बहुजन को सर्वजन बनाकर बसपा ने प्रवेश द्वारा खोल रखे हैं। जिसके चलते आज महामानव कांशीराम की बहुजन समाज पार्टी पर बकवास वर्ग का नियंत्रण हो चुका है। जिसके चलते व्यक्तिगत चर्चा के दौरान बसपा के विधायक रहे अनेक राजनेता बसपा को ब्राह्मण समाज पार्टी कहने से नहीं चूकते हैं। जिस बसपा में कभी 'तिलक, तराजू और तलवार! इनको मारो जूते चार!'का नारा लगाया जाता था, जबकि आज 'हाथी नहीं, गणेश है, ब्रह्मा, विषणु और महेश है'का नारा लगाया जाता है। इसी कारण मेरी दृष्टि में यह प्रबल आशंका बनी हुई है कि 'मूलवासी'को 'मूलनिवासी'बनाने में लिप्त लोग कभी भी 'मूलनिवासी'शब्द का सत्ता के लिये आसानी से ब्राह्मणीकरण और बकवासीकरण करने से नहीं चूकेंगे।

इन हालातों में सबसे पहले भारत के मूल आदिवासी-स्वदेशी-मूलवासियों के वर्तमान वंशजों के बारे में बिना पूर्वाग्रह के बाबा साहब के शोधों और बाबा साहब जैसी निष्पक्ष दृष्टि से विद्वतापूर्ण शोध करके, सभी मूलवासियों को एक मंच पर और एक वर्ग में शामिल करके एकत्रित करने की सबसे पहली जरूरत है। साथ ही शोषक बकवास वर्ग के शिकार सभी वंचित वर्गों के साथ आत्मीय सह-सम्बन्ध बनाने की जरूरत है। जिससे भारत के मूलवासियों के नेतृत्व में भारत के समस्त वंचित वर्गों की लोकतांत्रिक ताकत में स्थायी रूप से गुणात्मक इजाफा हो सके। इसके लिये 'बहुजन'को 'सर्वजन'तथा 'मूलवासी'को 'मूलनिवासी'बनाने वाले मुठ्ठीभर भ्रमित और चालाक लोगों को प्रथम समझाने, अन्यथा उनसे सजग तथा सावधान रहना पहली आवश्यकता है। मुझे उम्मीद है कि भारत के सच्चे 'मूलवासी'अपने आप को ब्राह्मणों द्वारा अपने ही आर्य-क्षत्रियों को दी गयी 'शूद्र'नामक गाली को अकारण ही स्वीकार करने की गलती नहीं करेंगे और मूलवासी के सत्यान्वेषण में अपना सम्पूर्ण समर्पण लगा देंगे। जिस दिन हम इसमें सफल हो गये, उसदिन केवल और केवल हमारी जीत होगी।




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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', 
राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, 
राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (BAAS), 
नेशनल चैयरमैन-जर्नलिस्ट्स, मीडिया एन्ड रॉयटर्स वेलफेयर एसोशिएशन (JMWA)

शिक्षा प्रणाली की कमियाँ को उजागर करने वाली फिल्म ‘रफबुक’

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नई दिल्ली, 3 मार्च। भारतीय शिक्षा प्रणाली की कमियाँ को उजागर करने वाली फिल्म ‘रफबुक’की संकल्पना ऐरिका सिनेवकर््स द्वारा की गई। इस फिल्म के निर्देशक अनन्त नारायण महादेवन हैं तथा कलाकार के रूप में मुख्य भूमिकाओं में तनिष्ठा चटर्जी, अमान एफ खान, कैज़ाद कोतवाल एवं राम कपूर हैं। फिल्म के प्रदर्शन के बाद निर्देशक तथा कलाकारों के साथ-साथ निर्माता आकाश चैधरी भी श्री सिसौदिया के साथ अन्तर्दृष्टिपूर्ण संवाद का हिस्सा थे।

इस फिल्म को ह्यूस्टन भारतीय फिल्म महोत्सव  में सर्वश्रेष्ठ फिल्म घोषित किया गया है और यह फिल्म डीएफ डब्ल्यू दक्षिणी ऐशियाई फिल्म महोत्सव में समापन रात्रि को दिखाये जाने के लिए चयनित की गई थी। इस फिल्म की वाशिंगटन डीसी,दक्षिणी ऐशियाई फिल्म महोत्सव में भी प्रशंसा हुई है, जहाँ इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ कहानी का पुरस्कार जीता है, साथ ही अनन्त नारायण महादेवन ने राजस्थान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव जनवरी 2016 में रफ बुक के लिए, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का भी पुरस्कार जीता है।

अनन्त नारायण महादेवन, रफ बुक के निर्देशक ने फिल्म की समीक्षा करते हुए कहा कि ‘‘भारतीय शिक्षा प्रणाली में कईं कमियाँ हैं तथा इन कमियों की निन्दा किये बिना इन्हें सामने लाने के लिए यह एक साहसिक प्रयास किया गया है। रफ बुक एक शिक्षिका की कहानी है जो अपने विद्यार्थियों के लिए सिस्टम से लड़ती है तथा पाठ्य-पुस्तकों के परे भी निहित शिक्षा के उद्देश्य का महत्व सामने लाती है। नीरस पद्धतियों को रूचिकर बनाने की इस लड़ाई में उसे एक के बाद एक कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन वह तथा उसके विद्यार्थी हार नहीं मानते। केवल 92 मिनट लम्बी यह कथा अभिलाषी व नई है तथा अपने संदेश में बताती है कि ‘‘वास्तविक’’ शिक्षा हेतु आपको सीखने के लिए कक्षाओं से बाहर निकलने की आवश्यकता है।’’ 

ऐरिका सिनेवकर््स एक बूटिक प्रोडक्शन हाउस है जो वर्तमान में एक बूटस्ट्रैप वेंचर के रूप में कार्य कर रहा है। इसका ब्रान्ड संदेश थ्री सूत्र के आधार पर है जिसका उद्देश्य लोगों को शिक्षित, सामथ्र्यवान तथा मनोरंजन प्रदान करने वाले सिनेमा का निर्माण करना है। इसका एक स्पष्ट भावी कार्यक्रम है कि अगले पांच वर्षों में यह सम्पूर्ण विश्व के दर्शकों के लिए विभिन्न भाषाओं में अति महत्वपूर्ण फिल्मों का निर्माण करेगा। 

फिल्म की सफलता तथा इसकी सार्वभौमिक मांग का सच्चा प्रमाण इस तथ्य से है कि डलास तथा हृयूस्टन में स्क्रीनिंग के बाद इन क्षेत्रों मंे स्कूल तथा काॅलेजों के बच्चे फिल्म के कलाकारों तथा इसकी कहानी से जुड़ पाये। वितरकों तथा विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्रधानाध्यापकों ने छात्रों व अभिभावकों के लिए ‘रफ बुक’ को पर्दे पर प्रदर्शित करने की इच्छा जाहिर की।

जावेद अख्तर के साथ संगीत का एक सफर‘

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ज़ी क्लासिक अब अपनी ताजा पेशकश डेटॉॅल प्रेजेन्ट्स ‘द गोल्डन ईयर्स 1950-1975, अ म्यूजिकल जर्नी विथ जावेद अख्तर‘ को-पावर्ड बाय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया लेकर आया है। शो ज़ी क्लासिक पर 8 मार्च हर रविवार रात 8 बजे से दर्शकांें के बीच होगा।  यह शो 26 साप्ताहिक एपिसोड की सीरीज होगी, जो एक विशेष फाइनल एपिसोड के साथ समाप्त होगी। इस फाइनल एपिसोड को कोई और नहीं बल्कि स्वयं जावेद अख्तर डिजाइन करेंगे । हर एपिसोड दर्शकों को उस विशेष साल के संगीत में ले जाएगा, जो 1950 से शुरू होकर क्रमवार आगे बढ़ेगा और उस दौर की खास झलक भी दिखाएगा।

शो में फिल्म निर्माण के शुरुआती दशकों में जब उन्नत संगीत उपकरणों और रिकॉर्डिंग तकनीक का अभाव था, तब कुछ प्रतिभाशाली कलाकारों, गीतकारों और संगीतकारों ने अपनी मेहनत से कुछ मधुर धुनें तैयार कीं और हमें ऐसे गीत दिए जो आज भारतीय फिल्म संगीत की धरोहर बन गए हैं। ज़ी क्लासिक का ‘द गोल्डन ईयर्स‘ उस दौर के संगीत में वापस लौटने और इसकी खूबसूरती का जश्न मनाने का एक अवसर है। ज़ी एंटरटेनमेन्ट एंटरप्राइजेस के चीफ बिजनेस ऑफिसर श्री सुनील बुच कहते हैं,  ‘‘ज़ी क्लासिक में हमें स्वर्णिम दौर के सर्वश्रेष्ठ पल प्रस्तुत करते हुए बेहद गर्व हो रहा है। ‘वो ज़माना करे दीवाना‘ के चैनल के वादे के साथ ‘द गोल्डन ईयर्स 1950-1975, अ म्यूजिकल जर्नी विथ जावेद अख्तर‘ उस दौर के संगीत का जादू जगाएगा। इस कार्यक्रम के लिए जावेद साहब से बेहतर प्रस्तोता कोई और नहीं हो सकता है।

जावेद अख्तर ने प्रेमबाबू शर्मा को बताया ‘‘यह ज़ी क्लासिक के साथ मेरा चैथा कार्यक्रम है। हमने मिलकर ऐसी सामग्री तैयार की, जो फिल्म प्रेमियों के दिलों में अनमोल यादें बनकर रहेंगी। 1950 से 1975 का समय, वो दौर था जब सी. रामचंद्रन, राजेन्द्र कृष्ण, तलत मेहमूद, नौशाद, शहीदा बेगम, एस.डी. बर्मन, लता मंगेशकर, किशोर कुमार, गुलज़ार और आर. डी. बर्मन जैसे कलाकारों ने हिन्दी फिल्म संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। वो साल इंडस्ट्री के लिए वाकई यादगार थे जब हमें ऐसा संगीत मिला जो आज भी बेमिसाल है। मैं सिनेमा में इन हस्तियों के योगदान का जश्न मनाते हुए बेहद खुशी महसूस कर रहा हूं। 

ज़ी के हिन्दी मूवी क्लस्टर के बिजनेस हेड श्री रुचिर तिवारी ने कहा, जावेदजी के साथ इस चैनल का रिश्ता अनमोल है और इसने ज़ी क्लासिक की सफलता में खास योगदान दिया है। इस चैनल की ताजा पेशकश ‘द गोल्डन ईयर्स‘ में 26 साप्ताहिक एपिसोड होंगे, जिसमें एक विशेष समापन एपिसोड होगा। इसे स्वयं जावेद साहब तैयार करेंगे। हर एपिसोड दर्शकों को एक विशेष साल के संगीत के सफर पर ले जाएगा, जो 1950 से शुरू होगा। इसमें क्लासिक रेडियो ट्रेन एक्टिविटी भी शामिल होगी जिसमें मुुंबई की लोकल ट्रेनों को ज़ी क्लासिक रेडियो ट्रेन का नाम दिया जाएगा। इन ट्रेनों में पुराने दौर के क्लासिक गीत बजेंगे, साथ ही संगीत के इन महारथियों से जुड़े कुछ अनसुने किस्से भी सुनाए जाएंगे जो इन ट्रेनों में बनाए गए साउंड सिस्टम के जरिये चलेंगे।

विशेष : भारत के मूलवासी केवल भारत के आदिवासी हैं।

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हमारे कुछ मित्र दिन-रात "जय मूलनिवासी"और "मूलनिवासी जिंदाबाद"की रट लगाते नहीं थकते। बिना यह जाने और समझे कि मूलनिवासी का मतलब क्या होता है? साथ ही भारत के 85 फीसदी लोगों को भारत के मूलनिवासी घोषित करके, शेष आबादी ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रिय को विदेशी बतलाते हैं। आश्चर्य कि इनमें से बहुत से खुद को तर्क के समर्थक महामानव बुद्ध के अनुयायी भी बतलाते हैं, लेकिन इनको व्यवहार में बुद्ध के तर्क के सिद्धांत से परहेज है। तर्क करने वाला इनको मूर्ख, गद्दार और मनुवादियों का एजेंट नजर आता है। मूलनिवासी का नारा देने वाले शीर्ष लोग एक विशेष तबके या विशेष मानसिकता के लोग हैं, जो खुद को बुद्धिजीवियों का शिरोमणि मानते हैं। सबसे बड़ा दुःख तो यह है कि इनका बाबा आंबेडकर या कांशीराम या अन्य किसी के मिशन या सामाजिक न्याय या संविधान के प्रावधानों से कोई सरोकार नहीं है। इनको वंचित वर्ग शूद्रों की समस्याओं से भी कोई मतलब नहीं है। इनका लक्ष्य येनकेन प्रकारेण सत्ता पर कब्जा करना है, जिसके लिये इनको नरेंद्र मोदी का प्रचार करने वाली और बामणों को आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग करने वाली मायावती साक्षात देवी नजर आती हैं। आएं भी क्यों नहीं, आखिर मायावती के सहारे पहले की भाँति सत्ता की मलाई मिलने की उम्मीद जो जगी रहती है। 

इनको बाबा साहब और कांशीराम की संदिग्ध मौत की जांच की मांग करना तो दूर इस बारे में बात करना तक गवारा नहीं है। ऐसे लोग भारत की सत्ता पर कब्जा करने के सपने देखते हैं, जिनको बोलने, लिखने और संवाद करने की तहजीब तक नहीं? हकीकत में ऐसे लोग अभिव्यक्ति की आजादी को कुचल देना चाहते हैं। मूलाधिकारों में इनकी कोई आस्था नहीं। वंचित वर्गों की संख्यात्मक दृष्टि से छोटी-छोटी जातियों के प्रति इनके मन में कोई मान-सम्मान या जगह नहीं। सच में इनका व्यवहार ब्राह्मणों से कई गुना अधिक दुराग्रही और तानाशाही है। इनके लिए वंचित वर्गों के महान लोग, जैसे ज्योतिराव फ़ूले, बिरसा मुंडा, पेरियार, बाबा साहब, कांशीराम आदि के विचार, काम और नाम केवल सत्ता पाने की सीढ़ी मात्र हैं। इनको इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि आज भारत का प्रत्येक वह व्यक्ति भारत का मूलनिवासी है, जिसके पास मूलनिवास प्रमाण-पत्र है! ये लोग प्रायोजित और तथाकथित डीएनए को आधार बनाकर तर्क करते हैं, लेकिन हजारों सालों से बामणों और आर्य शासकों के यौनाचार के साथ-साथ विवाहेत्तर यौन सम्बंधों के कार्ब उटप्पन्न वर्णशंकर संतति के कड़वे सच पर विचार, चर्चा और तर्क नहीं करना चाहते। इनका मकसद केवल सत्ता है, सत्ता भी वंचित वर्ग के उद्धार के लिए नहीं, बामणों के साथ समझौता करके माल कमाने और नरेंद्र मोदी का प्रचार करने के लिए चाहिए। सत्ता चाहिये जिससे बामणों के हित में अजा एवं अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम को निलम्बित किया जा सके। संघ के लिए राम मन्दिर और धारा 370 का जो महत्व है, वही इनके लिए मूलनिवासी का अर्थ है। 

अर्थात लोगों को गुमराह करके वोट बैंक तैयार करना। इसलिए ये लोग सत्ता की खातिर वंचित वर्गों को मूलनिवासी के बहाने लगातार गुमराह कर रहे हैं। मूलनिवासी शब्द के बहाने ये लोग केवल खुद को अर्थात एक विशेष तबके को भारत के मूलवासी घोषित करना चाहते हैं। इनसे मेरा सीधा सवाल है कि यदि वास्तव में इनके पूर्वज भारत के मूलवासी थे तो मूलनिवासी जैसे हल्के शब्द को गढ़ने की क्या जरूरत है? अपने आप को भारत के मूलवासी अर्थात आदिवासी क्यों नहीं मानते? सारा संसार जानता है कि भारत के मूलवासी तो आदिवासी हैं। मूलनिवासी तो प्रत्येक देश के सभी नागरिक होते हैं। ईसाई, पारसी, यहूदी, आर्य-क्षत्रिय-शूद्र, अछूत, दलित, ओबीसी, घुमन्तु, विमुक्त, आदिवासी, हूँण, कुषाण, शक, मंगोल, मुगल, आर्य-ब्राह्मण और वैश्यों सहित सभी के वंशज जो भारत के नागरिक हैं, आज कानूनी तौर पर भारत के मूलनिवासी हैं, लेकिन भारत के मूलवासी नहीं हैं। भारत के मूलवासी केवल भारत के आदिवासी हैं। हाँ यदि इतिहास या अन्य किन्हीं साक्ष्य के मार्फत किन्हीं अन्य जाति, समुदायों के भारत के मूलवासी और आदिवासी होने के प्रमाण प्रकट होते हैं, तो सभी को अपने आप को भारत का आदिवासी मानना चाहिये और आदिवासी एकता को मजबूत करना चाहिए। अन्यथा लोगों को गुमराह करने और बुद्ध के नाम की माला जपने और तर्क से भागने का नाटक बन्द करना चाहिए।



-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', 
संपर्क : 9875066111

चीन रक्षा बजट में करेगा 7.6 प्रतिशत की वृद्धि

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बीजिंग, 05 मार्च , चीन अपने रक्षा तंत्र को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से इस वर्ष सैन्य खर्च में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि करेगा। चीन की सरकार ने आज घोषणा की कि वह इस वर्ष सेना पर 146.67 बिलियन डॉलर खर्च करेगी। हालांकि पिछले छह वर्ष में यह उसके रक्षा बजट में सबसे कम वृद्धि है। गत वर्ष चीन ने रक्षा बजट में 10.1 प्रतिशत की वृद्धि की थी और उसका खर्च 135.95 बिलियन डॉलर था। 

चीन की संसद के प्रवक्ता ने कल बताया था कि 2016 में रक्षा बजट में सात से आठ प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। 146.67 बिलियन डॉलर का चीन का बजट अमेरिका के रक्षा बजट का एक चौथाई है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में अन्य देशों के साथ तनातनी के माहौल के बीच अपने रक्षा बजट में वृद्धि का ऐलान किया है।

अमेरिका में सिख सैनिक के पक्ष में फैसला, रख सकेंगे दाढ़ी और पगड़ी

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वाशिंगटन, 05 मार्च, अमेरिका की एक अदालत ने एक सिख-अमेरिकी सैनिक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे अपनी धार्मिक मान्यता के अनुसार दाढ़ी, केश और पगड़ी के साथ काम करने की इजाजत दे दी है। सेना में कैप्टन के पद पर कार्यरत सिमरतपाल सिंह ने अारोप लगया था कि उसे अपने धर्म के कारण कुछ ऐसे ‘भेदभावपूर्ण’ परीक्षणों से होकर गुजरना पड़ता है जिससे अमेरिकी सेना का कोई अन्य सैनिक नहीं गुजरता। सेना की तरफ से उसे 31 मार्च से पहले ऐसे ही एक और परीक्षण से गुजरने को कहा गया था जिस पर 32,000 डॉलर का खर्च हाेता है। 

अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट जज बैरील हाॅवेल ने सिमरतपाल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा, “पहली नजर में इस तरह का परीक्षण सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी लगता है ताकि सुनिश्चित किया जा सकें कि वह सुरक्षित तरीके से हेलमेट और गैस मस्क पहन सके, लेकिन उन्होंने पहले ही मानक गैस मास्क परीक्षण को पास किया है तो अब इसकी जरुरत नहीं।” जज ने कहा “ बिना किसी महंगे परीक्षण के पहले ही चिकित्सा और अन्य कारणों से सेना में हजारों जवानों को लंबे केश और दाढ़ी रखने की अनुमति दी गई है।” मामले में सिमरतपाल सिंह की पैरवी कर रहे वकील अमनदीप सिद्धू ने कहा कि तथ्य यह है सिख किसी भी परिस्थिति का पूरी तरह सामना करने और बहुत कड़े मानकों में काम करने सक्षम हैं। उन्हाेंने कहा “यह उचित नहीं है कि सेना में सिख सैनिकों से धार्मिक अाधार पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जाए।” अमेरिका के रक्षा विभाग ने इसे लंबित मुकदमा बताते हुए इस पर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया।
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