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मोदी ही कांग्रेस की नैया पार लगा देंगे : रावत

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नयी दिल्ली, 07 मार्च, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत राज्य के अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की विजय के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं क्योंकि उनका मानना है कि आधी चुनावी वैतरणी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही पार करा देंगे और उन्हें जीत के लिये जरूरी केवल एक चौथाई हिस्सा पार करने के लिये ही मेहनत करनी पड़ेगी । श्री रावत ने यहां सवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वह अगले विधानसभा चुनावों में जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अपनी लोकप्रियता तेजी से खो रही है और उत्तराखंड की लगातार अनदेखी कर रही है। ऐसे में ‘‘मोदी जी ही आधी नदी पार करा देंगे और हमें तो जीत के लिये एक चौथाई नदी पार करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर जिस तरीके से श्री मोदी ,उनके मंत्री एवं पार्टी के नेता हमले कर रहे हैं उससे श्री गांधी का कद बढ़ा है। भाजपा को समझना चाहिये कि वह सत्ता में है और उसे विपक्ष की बातों पर गौर करना होगा उन्होंने खेद व्यक्त किया कि भाजपा तथा केन्द्र केवल इस बात का दंभ भर रहे हैं कि मोदी सरकार जो भी कर रही है, वही सही है और बाकी गलत है। 

श्री रावत का कहना था विपक्ष की बातों पर गौर तक नहीं करना असिहष्णुता है और मोदी सरकार गैर भाजपा खासतौर से कांग्रेस शासित राज्य सरकारों के विचारों की अनदेखी करके कोई सहिष्णुता का परिचय नहीं दे रही है। यह सरकार उत्तराखंड की जायज मांगों पर गौर तक नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार बनने के बाद से उत्तराखंड को केंद्रीय योजनाओं के मद में मिलनेवाली राशि बहुत कम कर दी गई है जिसके कारण राज्य सरकार को उन योजनाओं को चलाने के लिये विकास की अपनी योजनाओं का पैसा लगाना पड़ रहा है। उदाहरण के तौर पर अनुसूचित जाति को दी जानेवाली छात्रवृत्ति के मद में सालाना मिलनेवाली 300 करोड़ रुपये की राशि को घटाकर 70 करोड़ रुपये कर दिया गया। 

श्री रावत ने कहा कि हरिद्वार में लगनेवाले अर्द्धकुंभ के लिये केंद्र सरकार हमेशा मदद करती रही है लेकिन मोदी सरकार ने एक पैसा भी नहीं दिया अलबत्ता उज्जैन में होने जा रहे सिंहस्थ मेले के लिये हजारों करोड़ रुपये दिये गये। जब इस बारे में केंद्र सरकार काे ध्यान दिलाया गया तो उसने यह कहकर मामले को टाल दिया कि मध्यप्रदेश भी तो भारत का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने अपने बल पर लोगों के भले के लिये अनेक योजनाएं शुरू की है। उसने कृषि और मौसमी पहाड़ी फलों को प्रोत्साहन देने के लिये उनका न्यूनतम समर्थन मूल्य बढाया है । साथ ही पर्यटन को बढावा दिया जा रहा है जिसका नतीजा है इस बार अर्धकुंभ में 20 लाख लोग आये और राज्य में पर्यटकों की संख्या एक करोड़ का आंकड़ा पार कर गयी ।

निवेश के लिए सुधार पर जोर दें राज्य: जेटली

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गुड़गांव 07 मार्च, वित्त मंत्री अरूण जेटली ने राज्यों में अधिक से अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए न:न सिर्फ सरल कारोबारी माहौल बनाने बल्कि सुधार पर जोर देने की अपील करते हुये आज कहा कि राज्यों के सभी जिलों में हर तरह की सुविधायें होनी चाहिए और विकास का लाभ सभी जिलों को मिलना चाहिए। श्री जेटली ने हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित पहले वैश्विक निवेशक सम्मेलन ‘हैपनिंग हरियाणा’ का शुभारंभ करते हुये कहा कि यदि निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी है तो निवेश काे नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि निवेश आकर्षित करने के लिए सुधार करने का यह सही समय है। उन्होंने कहा कि देश में अब सहकारी संघवाद के साथ ही प्रतिस्पर्धी संघवाद का माहौल बन रहा है। 

पिछले कुछ महीने में देश के कई राज्यों में आयोजित वैश्विक निवेशक सम्मेलनों का हवाला देते हुये उन्होंने कहा कि निवेश आकर्षित करने के लिए अब राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा किये गये सुधारों और घरेलू कारकों के बल पर वैश्विक मंदी के बावजूद भारत दुनिया का सबसे तेज गति से बढ़ने वाला अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के निवेशक भारत की ओर देख रहे है क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था तीव्र गति से बढ़ रही है। घरेलू बाजार आैर मानव संसाधन आधार भी बढ़ा है। इस मौके पर शहरी विकास मंत्री एम वैंकेया नायडु, रेल मंत्री सुरेश प्रभु, तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और ऊद्योग मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के साथ ही कई देशों के राजदूत और उद्योगपति भाग ले रहे हैं।

दिल्ली सहित महानगरों में हाई अलर्ट, राजनाथ ने की बैठक

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नयी दिल्ली 07 मार्च, पाकिस्तान की ओर से समुद्र के जरिये कुछ आतंकवादियों के गुजरात और फिर वहां से राजधानी दिल्ली सहित अन्य महानगरों में घुसने की आशंका के मद्देनजर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यहां एक उच्च स्तरीय बैठक की। श्री सिंह ने गृह सचिव राजीव महर्षि , खुफिया एजेन्सियों तथा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ देश में सुरक्षा की स्थिति का जायजा लिया। अधिकारियों ने गृह मंत्री को राजधानी दिल्ली सहित गुजरात ,मुंबई और कुछ अन्य स्थानों पर हाई अलर्ट तथा इसके तहत किये गये सुरक्षा के इंतजामों की जानकारी दी गयी। बैठक में बताया गया कि गुजरात में राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (एनएसजी) की चार टीमें विभिन्न महत्वपूर्ण स्थलों पर तैनात की गयी है । 

विशेष रूप से धार्मिक स्थलों पर कडी सुरक्षा की गयी है तथा इन पर करीबी नजर रखी जा रही है। दिल्ली पुलिस के अनुसार राजधानी में कल से जारी हाई अलर्ट अभी भी कायम है और इसे हटाया नहीं गया है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाई अलर्ट की स्थिति में इस तरह की बैठकें नियमित रूप से होती हैं जिनमें स्थिति की समीक्षा के साथ साथ आगे की रणनीति पर विचार किया जाता है। लगभग दस पाकिस्तानी आतंकवादियों के गुजरात में समुद्र के रास्ते घुसने की खुफिया जानकारी मिलने के बाद कल देश भर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी थी। पुलिस के अनुसार ये आतंकवादी शापिंग माल, अस्पतालों , स्कूलों और कालेजों तथा भीड़भाड़ के अन्य ठिकानों को निशाना बना सकते हैं।

जदयू को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का सपना कभी पूरा नहीं होगा : भाजपा

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पटना 07 मार्च , बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज कहा कि कांग्रेस की वैसाखी पर सवार होकर मुख्यमंत्री एवं जनता दल यूनाईटेड(जदयू) के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार जितना भी उछल-कूद कर लें लेकिन जदयू को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का उनका सपना कभी पूरा नहीं होगा । 

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधान पार्षद मंगल पांडेय ने यहां कहा कि जदयू पूरी तरह क्षेत्रीय पार्टी है और बिहार तक ही सीमित है । यही हाल महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का भी है । उन्होंने कहा कि अगले माह पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में कुल मतदान का छह प्रतिशत वोट हासिल कर जदयू को राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का दर्जा दिलाने का मुख्यमंत्री श्री कुमार का यह सपना कभी पूरा नहीं होने वाला है। 

श्री पांडेय ने कहा कि गत वर्ष दिल्ली विधानसभा के चुनाव में जदयू की हुई दुर्गति से और भी बुरा हाल इन राज्यों के चुनाव में होगा । कांग्रेस से जदयू की हुई नयी दोस्ती से पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा के चुनाव में कोई लाभ मिलने वाला नहीं है । उन्होंने कहा कि चुनाव वाले राज्यों में न तो श्री कुमार का कोई चेहरा जानता है और न ही प्रवासी बिहारियों की कोई आबादी है । 

प्रशांत किशोर को तवज्जो देकर नीतीश नौकरशाही का मनोबल गिरा रहे हैं : सुशील

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पटना 07 मार्च,  बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी :भाजपा: के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज नीतीश सरकार पर जनता के पैसे का दुरूपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड :जदयू: के मुख्य रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर को जहां मुख्यमंत्री का परामर्शी और बिहार विकास मिशन के शासी निकाय का सदस्य बनाया गया है वहीं दूसरी ओर वे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्दर सिंह के राजनीतिक सलाहकार तथा उत्तर प्रदेष में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का दायित्व भी संभाल रहे हैं । श्री मोदी ने यहां कहा कि श्री किशोर जहां पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्दर सिंह के राजनीतिक सलाहकार का दायित्व संभाल रहे हैं वहीं श्री राहुल गांधी के साथ दिल्ली में बैठक कर उत्तरप्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। दूसरी ओर बिहार में उन्हें मुख्यमंत्री का परामर्शी और बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य के तौर पर मुख्य सचिव, विकास आयुक्त और विभागों के प्रधान सचिवों से अधिक तवज्जो दिया जा रहा है। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि क्या इससे बिहार में नौकरशाही का मनोबल नहीं गिर रहा है और क्या यह जनता के पैसे का दुरुपयोग नहीं है । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि बिहार सरकार का एक परामर्शी किस हैसियत से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्दर सिंह का राजनीतिक सलाहकार और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का दायित्व संभाल रहा है । 

श्री मोदी ने कहा कि श्री किशोर जदयू के राजनीतिक सलाहकार नहीं बल्कि नीति एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन के लिए बिहार के मुख्यमंत्री के परामर्शी और बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य हैं । उन्होंने कहा कि श्री कुमार बतायें कि श्री किशोर किस हैसीयत से जदयू कार्यकर्ताओं की बैठकों का प्रदेश अध्यक्ष को दरकिनार कर न केवल संचालन करते हैं, बल्कि टिप्स देने के साथ ही कार्यकारिणी का निर्धारण भी करते हैं । भाजपा नेता ने कहा कि ऐसे में बेहतर होता कि श्री कुमार श्री किशोर को मुख्यमंत्री के परामर्शी के पद से हटा कर जदयू का राजनीतिक सलाहकार या मंत्री बना लेते ताकि उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने की खुली छूट मिल जाये । उन्होंने कहा कि इसके पहले भी सरकार ने विभिन्न विभागों के लिए एस विजय राघवन, डा. मंगला राय, पी के राय और पवन के वर्मा को परामर्शी नियुक्त किया था लेकिन किसी ने भी राजनीतिक कार्यों में कोई दखलअंदाजी नहीं की जबकि श्री किशोर मुख्यमंत्री के परामर्शी होने के बावजूद जदयू से लेकर कांग्रेस तक की राजनीतिक गतिविधियों में जिस तरह से सक्रिय है, उससे एक गलत परिपाटी शुरू हो रही है। श्री मोदी ने कहा कि श्री कुमार को अविलम्ब उन्हें परामर्शी के पद से हटा कर जदयू या महागठबंधन का राजनीतिक सलाहकार नियुक्त कर लेना चाहिए । उन्होंने कहा कि श्री कुमार चाहे तो श्री किशोर को मंत्री बना लें जिससे उन्हें जदयू से लेकर सरकार तक के कार्यों में हस्तक्षेप करने का मौका मिल जाए। 

मुजफ्फरनगर दंगे की जांच रिपोर्ट में सपा को क्लीनचिट गलत : पुनिया

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बाराबंकी, 07 मार्च, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पी एल पुनिया ने उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगे की जांच रिपोर्ट में राज्य की समाजवादी पार्टी(सपा) सरकार को क्लीनचिट दिये जाने को गलत करार दिया है। श्री पुनिया ने इसके साथ ही अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा किसी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री पुनिया ने जस्टिस विष्णु सहाय की रिपोर्ट को खारिज करते हुये कहा कि रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन के पर पूरा दोषारोपण किया गया और राज्य सरकार को पूरे मामले में क्लीन चिट दे दी गयी जो सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा ने भड़काऊ बयान दिये जिस वजह से दंगा बढ़ा। राज्य सरकार पूरे मामले पर मूकदर्शक बनी रही। वह उनकी असफलता का कारण है। राज्य सरकार को जो क्लीनचिट दी गई है वह सरासर गलत है। पूरे दंगे के जिम्मेदार भड़काऊ भाषण देने वाले और उन पर कार्रवाई न करने वाली राज्य सरकार की है। 

अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के बारे में पूछे गये सवाल पर श्री पुनिया ने कहा कि बिहार की परिस्थिति और उत्तर प्रदेश की परिस्थिति भिन्न है। दोनो को बराबर से नहीं देखा जा सकता। कांग्रेस पार्टी प्रदेश में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। किसी से गठबन्धन नही करेगी। उन्होंने कहा कि श्री लालू प्रसाद यादव और श्री नितीश कुमार हमारे गठबंधन के सदस्य हैं। वह लोग जो सहयोग देंगे वह अपनी जगह है मगर उत्तर प्रदेश में पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस सांसद ने कहा कि बालीवुड अभिनेता अनुपम खेर की बोली भाजपा की अावाज है। अगर भाजपा को किसी से खतरा है तो वह केवल और केवल राहुल गांधी से है। श्री गांधी जनता के बीच गांव गांव पैदल जाकर उनकी समस्याओं को सुनते हैं उनकी तकलीफों मे शामिल होते हैं। आने वाला समय कांग्रेस का है। आज भाजपा सत्ता के अहंकार में है और आने वाले समय में वह धराशायी हो जायेगी। श्री पुनिया ने कहा कि यह बड़ी बिडम्बना है कि जनता खुलेआम राज्य की सपा सरकार के खिलाफ बोल रही है और दूसरी तरफ विधान परिषद चुनाव में सपा को पूर्ण बहुमत मिला है। यह खुल्लमखुल्ला प्रदेश सरकार द्वारा अपनी सरकारी मशीन का दुरूपयोग है। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन का दुरूपयोग करके लोगों को डरा धमकाकर वोट डलवाये गये हैं। पहले ब्लाक प्रमुख चुनाव में झगड़े हुआ करते थे लेकिन इस सरकार में सत्तारूढ़ दल के लोग निर्विरोध निर्वाचित हो जाते हैं। इससे सिद्ध होता है कि सपा सरकार सत्ता का दुरूपयोग करके सीटो पर काबिज हुई है। 

झारखण्ड : अब शादी का पंजीकरण भी होगा ऑनलाइन

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धनबाद 07 मार्च, झारखंड में अन्य प्रमाण पत्रों की तरह अब शादी का पंजीकरण भी ऑनलाइन होगा। अब कोई भी व्यक्ति दूसरे प्रमाण पत्रों की तरह मैरिज सर्टिफिकेट के लिए भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। सरकार ने ई-सेवा में मैरिज सर्टिफिकेट को भी शामिल किया है। नई व्यवस्था शुरू करने के लिए सभी जिला से डाटा मांगा गया है। धनबाद से सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग को आंकड़ा भेज दिया गया है। अब लोगों को मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए पंजीकरण कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। अन्य प्रमाण पत्रों की तरह मैरिज सर्टिफिकेट के लिए भी आवेदक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं या अपने नजदीकी प्रज्ञा केंद्र या जिला जनसुविधा केंद्र में भी आवेदन कर सकते हैं। 

मैरिज सर्टिफिकेट के लिए राज्यस्तर पर पोर्टल तैयार किया जा रहा है। धनबाद जिला प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार ऑनलाइन मैरिज सर्टिफिकेट अप्रैल तक बनना शुरू हो जाएगा। वर्तमान व्यवस्था में मैरिज सर्टिफिकेट के लिए महीनों निबंधन कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। 

विशेष आलेख : मानवता के पुजारी स्वामी रामकृष्ण परमहंस

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भारत के महान संत एवं विचारक और सर्वधर्मेकता पर जोर देने वाले स्वामी रामकृष्ण मानवता के ऐसे पुजारी थे , जो अपने साधना के फलस्वरूप इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं। वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधन मात्र हैं। रामकृष्ण परमहंस को बचपन से ही ऐसा विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन संभव है अर्थात हो सकते हैं । इसलिए ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया। रामकृष्ण परमहंस का जीवन अद्भुत कल्पनाओं, कामनाओं, विचारों से ही नहीं अपितु किंवदन्तियों से परिपूर्ण है,तदपि न केवल पूर्वी बंगाल में अपितु देश -देशान्तर में उनके असंख्य शिष्यों की ऐसी परम्परा प्रचलित है, इतने अधिक मठ और मन्दिर हैं कि कदाचित ही किसी अन्य संन्यासी के इतने मठ, शिष्य आदि हों। उनके चमत्कारों की कहानियाँ भी इसी संख्या में उनके शिष्यों में प्रचलित हैं। उनके शिष्यों में यह मान्यता है कि उनके जीवनकाल में जो कोई भी उनके सम्पर्क में आया उसको उन्होंने अपनी कृपा से उपकृत किया। स्वामी विवेकानन्द, जिनका पूर्व नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था, रामकृष्ण के ही अनन्य भक्त और शिष्य थे। उन्होंने जो कुछ भी पाया था, वह सब ठाकुर अर्थात् रामकृष्ण परमहंस की कृपा से ही प्राप्त किया था। स्वामी विवेकान्द ने विश्व भर में हिन्दुत्व का डंका बजाया था। इसीलिए अपने देश के साथ ही विदेशों में भी वे ‘हिंदु मोंक’ के नाम से ही विख्यात रहे हैं। विदेशों में हिन्दुत्व का डंका बजाने वाले कदाचित वे पहले संन्यासी थे। रामकृष्ण का जब उदय हुआ था, लगभग उसी समय बंगाल में ब्रह्मसमाज की स्थापना भी हुई थी। कालान्तर में रामकृष्ण द्वारा स्थापित संघ के प्रचार प्रसार से ब्रह्मसमाज के माध्यम से भारतवासियों के अर्द्ध ईसाईकरण की प्रक्रिया कम होती गई।  आज केवल ब्रह्मसमाज का नाम शेष है, कोई विशेष गतिविधि नहीं। इसका श्रेय रामकृष्ण परमहंस को ही देना श्रेयस्कर होगा। तदपि इसका थोड़ा श्रेय स्वामी दयानन्द को भी प्राप्त है, क्योंकि वह स्वामी दयानन्द ही थे जिन्होंने ब्रह्मसमाज के प्रवर्तन में प्रमुख बाबू केशवचन्द्र सेन को वेदों की ओर आकृष्ट किया और वास्तविक वैदिक धर्म का महत्त्व समझाया था । रामकृष्ण की दृष्टि में पत्नी के समीप रहते हुए भी जिसके विवेक और वैराग्य अक्षुण्ण बने रहते हैं उसी को वास्तविक रूप में बह्म में प्रतिष्ठित माना जाता है। स्त्री और पुरुष दोनों को ही जो समान आत्मा के रूप में देखे और तदनुसार आचरण करे उसी को वास्तविक ब्रह्मज्ञानी माना जा सकता है। मानवीय मूल्यों के पोषक संत रामकृष्ण परमहंस का विचार है कि, ‘मनुष्य को यदि भगवान तक पहुँचने का यत्न करना है तो उसको चाहिये कि सर्वप्रथम वह सभी पूर्वाग्रहों से मुक्त हो जाये। अपने सब पूर्व संस्कारों को भुला दे। घृणा, लज्जा, कुल, शील, भय, मान, जाति तथा अभिमान ये आठों मनुष्य की आत्मा को बन्धन में रखने वाले पाश के समान हैं। भगवान तक पहुँचने के लिए इनसे मुक्त होना आवश्यक है। यज्ञोपवीत, जाति अथवा कुल का सूचक अभिमान का प्रतीक है। इसलिए यह भी पाश के समान ही है। इसी प्रकार उसको समझना चाहिए कि यह सब रुपया पैसा भी मात्र मिट्टी है, इससे अधिक कुछ भी नहीं।‘ उनके आध्यात्मिक आन्दोलन ने परोक्ष रूप से देश में राष्ट्रवाद की भावना बढ़ने का काम किया क्योंकि उनकी शिक्षा जातिवाद एवं धार्मिक पक्षपात को नकारती हैं । रामकृष्ण कहते थे कि ‘कामिनी -कंचन ईश्वर प्राप्ति के सबसे बड़े बाधक हैं।‘

रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फ़रवरी 1836 को बंगाल प्रांत स्थित कामारपुकुर ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम खुदी राम और माता का  नाम चन्द्रमणी देवी था।इनके बचपन का नाम गदाधर था। परमहंस के भक्तों के अनुसार रामकृष्ण के माता- पिता को उनके जन्म के पूर्व से ही अलौकिक घटनाओं और दृश्यों का अनुभव हुआ था । गया में उनके पिता खुदीराम ने एक स्वप्न देखा था ।सपने में विष्णु के अवतार भगवान गदाधर ने उन्हें कहा कि वे उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे । उनकी माता चंद्रमणि देवी को भी ऐसा एक अनुभव हुआ था उन्होंने शिव मंदिर में अपने गर्भ में रोशनी प्रवेश करते हुए देखा था । परन्तु दुर्भाग्यवश  सात वर्ष की अल्पायु में ही गदाधर के सिर से पिता का साया उठ गया। ऐसी विपरीत परिस्थिति में पूरे परिवार का भरण-पोषण कठिन होता चला गया। आर्थिक कठिनाइयाँ भी सामने आईं। फिर भी बालक गदाधर का साहस कम नहीं हुआ। उनका सुन्दर स्वरूप, ईश्वरप्रदत्त संगीतात्मक प्रतिभा, चरित्र की पवित्रता, गहरी धार्मिक भावनाएँ, सांसारिक बातों की ओर से उदासीनता, आकस्मिक रहस्यमयी समाधि, और सबके ऊपर उनकी अपने माता-पिता के प्रति अगाध भक्ति इन सबने उन्हें पूरे गाँव का आकर्षक व्यक्ति बना दिया था। इनके बड़े भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय कलकत्ता (कोलकाता) में एक पाठशाला के संचालक थे। वे गदाधर को अपने साथ कोलकाता ले गए। संकीर्णताओं से बहुत दूर अपने कार्यो में सदैव लगे रहने वाले रामकृष्ण का अन्तर्मन अत्यंत निश्छल, सहज और विनयशील था। इनकी बाल सुलभ सरलता और मंत्रमुग्ध मुस्कान से हर कोई सम्मोहित हो जाता था।

सतत प्रयासों के बाद भी रामकृष्ण का मन अध्ययन-अध्यापन में नहीं लग पाया। 1855 में रामकृष्ण परमहंस के बड़े भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय को रानी रशमोनी द्वारा निर्मित दक्षिणेश्वर काली मन्दिर के मुख्य पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया । रामकृष्ण और उनके भाँजे ह्रदय रामकुमार की सहायता करते थे । रामकृष्ण को देवी प्रतिमा को सजाने का दायित्व सौंपा गया था। परन्तु 1856 में रामकुमार के मृत्यु के पश्चात रामकृष्ण को काली मन्दिर में पुरोहित के तौर पर नियुक्त कर दिया गया और मन से न चाहते हुए भी वे मन्दिर की पूजा- अर्चना करने लगे। अग्रज की मृत्यु की घटना से वे अत्यंत व्यथित हुए और संसार की अनित्यता को देखकर उनके मन मेँ वैराग्य का उदय हुआ। रामकुमार की मृत्यु के बाद रामकृष्ण अधिक समय तक ध्यान मग्न रहने लगे। वे काली माँ की मूर्ति को अपनी माता और ब्रह्माण्ड की माता के रूप में देखा करते थे।  कहा जाता है कि रामकृष्ण को काली माता के दर्शन ब्रह्माण्ड की माता के रूप में हुआ था। रामकृष्ण कहा करते थे कि ‘उन्होंने माँ काली का हाथ नहीं पकड़ा हुआ है अपितु माँ काली ने उनका हाथ पकड़ा हुआ है। इस कारण उनको कभी किसी के कथन की कोई चिन्ता ही नहीं रही। वह बराबर कहते थे मेरा तो हाथ माँ ने पकड़ा हुआ है वह जहाँ ले जाएँगी मैं वहीं चला जाऊँगा। उसी को अपने लिए कल्याणकारी मानूँगा।‘  ऐसे में यह अफवाह फ़ैल गई कि दक्षिणेश्वर में आध्यात्मिक साधना के कारण रामकृष्ण का मानसिक संतुलन ख़राब हो गया है । शादी होने पर रामकृष्ण का मानसिक संतुलन ठीक हो जाने तथा शादी के बाद आ पड़ने वाली अचानक ज़िम्मेदारियों के कारण उनका ध्यान आध्यात्मिक साधना से हट जाने की संभावना के मद्देनजर उनकी माता और उनके बड़े भाई रामेश्वर ने रामकृष्ण का विवाह करवाने का निर्णय लिया। रामकृष्ण ने स्वयं उन्हें यह बतलाया कि वे उनके लिए कन्या कामारपुकुर से तीन मील दूर उत्तर पूर्व की दिशा में जयरामबाटी में रामचन्द्र मुख़र्जी के घर पा सकते हैं। वे वहाँ जायें और कन्या के अभिभावकों से बात करें। 1859 में मात्र पाँच वर्ष की शारदामनि मुखोपाध्याय और 23 वर्ष के रामकृष्ण का विवाह संपन्न हो गया । विवाह के बाद शारदा जयरामबाटी में रहती थी और 18 वर्ष के होने पर वे रामकृष्ण के पास दक्षिणेश्वर में रहने लगी। रामकृष्ण तब सन्यासी का जीवन जीते थे और वीतराग परमंहस हो चुके थे। माँ शारदामणि का कहना था- ‘ठाकुर के दर्शन एक बार पा जाती हूँ, यही क्या मेरा कम सौभाग्य है?’ परमहंस जी कहा करते थे- ‘जो माँ जगत का पालन करती हैं, जो मन्दिर में पीठ पर प्रतिष्ठित हैं, वही तो यह हैं।‘  ऐसे विचार उनके अपनी पत्नी माँ शारदामणि के प्रति थे। 

ऐसी परिस्थिति में भैरवी व्राह्मणी का दक्षिणेश्वर में आगमन हुआ। उन्होंने उन्हें  तंत्र की शिक्षा दी। मधुरभाव में अवस्थान करते हुए परमहंस ने श्रीकृष्ण का दर्शन किया। उन्होंने तोतापुरी महाराज से अद्वैत वेदान्त की ज्ञान लाभ की और जीवन्मुक्त की अवस्था को प्राप्त किया। सन्यास ग्रहण करने के वाद उनका नया नाम श्रीरामकृष्ण परमहंस प्रसिद्ध हुआ । इसके बाद उन्होंने उस समय प्रचलित सभी धर्म की भी साधना की। समय व्यतीत होने के साथ ही उनके कठोर आध्यात्मिक अभ्यासों और सिद्धियों के समाचार तेजी से फैलने लगे और दक्षिणेश्वर का मन्दिर उद्यान शीघ्र ही भक्तों एवं भ्रमणशील संन्यासियों का प्रिय आश्रयस्थल बन गया। बड़े-बड़े विद्वान एवं प्रसिद्ध वैष्णव और तांत्रिक साधक यथा - पं॰ नारायण शास्त्री, पं॰ पद्मलोचन तारकालकार, वैष्णवचरण और गौरीकांत तारकभूषण आदि उनसे आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त करते रहे। वह शीघ्र ही तत्कालीनन सुविख्यात विचारकों के घनिष्ठ संपर्क में आए जो बंगाल में विचारों का नेतृत्व कर रहे थे। इनमें केशवचंद्र सेन, विजयकृष्ण गोस्वामी, ईश्वरचंद्र विद्यासागर के नाम लिए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त साधारण भक्तों का एक दूसरा वर्ग था जिसके सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति रामचंद्र दत्त, गिरीशचंद्र घोष, बलराम बोस, महेंद्रनाथ गुप्त और दुर्गाचरण नाग थे। स्वामी विवेकानन्द उनके परम शिष्य थे । रामकृष्ण परमहंस जीवन के अंतिम दिनों में समाधि की स्थिति में रहने के कारण तन से शिथिल होने लगे। शिष्यों द्वारा स्वास्थ्य पर ध्यान देने की प्रार्थना पर वे उसे उनकी अज्ञानता जानकर हँस दिया करते थे। इनके शिष्य इन्हें ठाकुर नाम से पुकारते थे। रामकृष्ण के परमप्रिय शिष्य विवेकानन्द कुछ समय हिमालय के किसी एकान्त स्थान पर तपस्या करना चाहते थे। यह आज्ञा लेने जब वे गुरु के पास गये तो रामकृष्ण ने कहा-‘वत्स हमारे आस-पास के क्षेत्र के लोग भूख से तड़प रहे हैं। चारों ओर अज्ञान का अंधेरा छाया है। यहाँ लोग रोते-चिल्लाते रहें और तुम हिमालय की किसी गुफा में समाधि के आनन्द में निमग्न रहो क्या तुम्हारी आत्मा स्वीकारेगी?’ इससे विवेकानन्द हिमालय में तपस्या का विचार छोड़ दरिद्र नारायण की सेवा में लग गये। रामकृष्ण महान योगी, उच्चकोटि के साधक व विचारक थे। सेवा पथ को ईश्वरीय, प्रशस्त मानकर अनेकता में एकता का दर्शन करते थे। सेवा से समाज की सुरक्षा चाहते थे। गले में सूजन को जब डाक्टरों ने कैंसर बताकर समाधि लेने और वार्तालाप से मना किया तब भी वे मुस्कराते रहे । चिकित्सा कराने से रोकने पर भी विवेकानन्द इलाज कराते रहे, परन्तु चिकित्सा के वाबजूद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता ही गया। और अन्त में वह दुःखद दिन भी आ गया, जब  1886 ई. 16 अगस्त को सुबह होने के पूर्व ही आनन्दघन विग्रह श्रीरामकृष्ण इस नश्वर देह को त्याग कर महासमाधि द्वारा ब्रह्मलीन हो गये।




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--अशोक “प्रवृद्ध”-
गुमला
झारखण्ड 

भारतीय सिनेमा की पूंजी को बचाए रखने की ज़रूरत है : कमल हासन

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हमारे देश के सिनेमाई विरासत को आनेवाली पीढ़ी के लिए बचाए रखने के लिए पुणे स्तिथ नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ़ इंडिया में चल रहे 'फिल्म प्रिजर्वेशन एंड रीस्ट्रोरेशन'वर्कशॉप का समापन हुआ। यह वर्कशॉप  फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन और वायकॉम 18 द्वारा आयोजित किया गया था। भारतीय सिनेमा के दिग्गज कलकार कमल हासन इस वर्कशॉप के समापन समारोह के विशेष अतिथि थे। कमल  हस्सन ने इस ख़ास वर्कशॉप में शरीक होकर वर्कशॉप की शान बधाई। कमल हस्सन से पहले नसीरुद्दीन शाह और अमिताभ बच्चन नर भी इस'फिल्म प्रिजर्वेशन एंड रीस्ट्रोरेशन'वर्कशॉप का समर्थन किया है। 

इस वर्कशॉप के बारे में बताते हुए कमल हस्सन ने कहा है 'मुझे इस फिल्म प्रिजर्वेशन एंड   रीस्ट्रोरेशन वर्कशॉप के समापन समारोह का हिस्सा बन कर बेहद ख़ुशी हो रही है। हमारे सिनेमाई विरासत को बचाए रखने के लिए इस तरह के वर्कशॉप बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमें भावुक फिल्म आर्किविस्टम की एक सांसदन विकसित करने की ज़रूरत जो भारतीय सिनेमा की पूंजी को बचाने के लिए प्रतिबद्ध रहें। मैं इस उल्लेखनीय पहल के लिए फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन और नेशनल फिल्म अर्काइव ऑफ़ इंडिया को यह वर्कशॉप का आयोगं करने के लिए बहुत बहुत बधाई देता हूँ।'

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर (07 मार्च)

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सेमरोड बोलासा में श्री रामशरणम का उदघाटन

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झाबुआ --- श्री रामशरणम समिति झाबुआ द्वारा अपनले क्षेत्र सेमरोड बोलासा में श्री रामशरणम का नव निर्माण किया गया है जिसका उदघाटन 10 मार्च को होगा । इस दौरान आज 8 मार्च से 10 मार्च तक त्रिदिवसीय विभिन्न घार्मिक कार्यक्रम संपन्न होगें । श्री रामशरणम सेमरोड बोलासा के अध्यक्ष एवं सचिव ओम प्रकाश राठौर एवं विनोद गेहलोद के अनुसार विगत कई बरसों से इस क्षेत्र के लगभग पौने दो लाख राम साधको के मन की इच्छा थी कि यहां श्री रामशरणम का सत्संग भवन बने जो अब मूर्तरूप  ले चुकी है । नवनिर्मित श्री रामशरणम का उदघाटन समारोह तीन दिवसीय कार्यक्रमों के साथ संपन्न होगा जिसमें हजारों की संख्या में राम साधक शामील होगें । 8 मार्च को प्रातः 11-30 बजे श्री गणेश पूजन एवं हवन, 9 मार्च को प्रातद्यः 7 बजे से अखण्ड जाप, प्रातः 8 बजे से नवचंडी हवनात्मक प्रयोग । 10 मार्च को प्रातः 6-‘43 बजे हवन की पूर्णाहूति । मंगल प्रवेश प्रातः 9-30 बजे से अमृतवाणी /प्रवचन प्रातः 11-30 बजे नाम दीक्षा, दोपहर 1 बजे से भंडारा प्रसादी आदि का आयोजन होगा । उदघाटन समारोह की निर्विध्न संपन्नता के लिये दायित्व निर्धारण कर रामसाधकों को जिम्मवारी सौपी गई । बोलासा क्षेत्र के असंख्या कार्यकर्ता इस आयोजन को लेकर बहुत उत्साह में है । परम पूज्य विश्वामित्र जी सदगुरू महाराज ने श्रीराम शरणम झाबुआ के उदघाटन 2006 पर अपने द्वारा साधकों के लिये शुभकामनायें प्रेशित की थी । महाराज के पत्रानुसार  श्री रामशरणम सोसायटी झाबुआ के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई देता हूं । पूज्यपाद स्वामीजी महाराज के शब्दों में सभी सेवकों को याद दिलाता हूं  ’ सेवा कर्म कठिन कर जाना- सेवा धरम परम है माना ’’।

जिला महिला कांग्रेस द्वारा अन्तराश्ट्रीय महिला दिवस पर सभा आयोजन आज 

झाबुआ----जिला महिला कांग्रेस द्वारा अन्तराश्ट्रीय महिला दिवस पर दिनांक 08.03.16 मंगलवार को प्रातः 11.30 स्थानीय जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय पर सभा आयोजित की गई है। जिला महिला कांग्रेस अध्यक्ष कलावती मेडा एवं जिला कांग्रेस प्रवक्ता हर्ष भटट ने बताया कि इस अवसर पर मुख्य रूप से  वरिश्ठ व समाजसेवी महिलाओं का सम्मान किया जावेगा। जिला कांग्रेस कार्यवाहक अध्यक्ष सुश्री कलावती भ्ूारिया, महिला कांग्रेस अध्यक्ष कलावती मेडा, प्रदेश महिला सचिव सायरा बानो एंव समस्त महिला कांग्रेस पदाधिकारी आदि ने अधिक से अधिक महिलाओं को सभा  में षामिल होकर कार्यक्रम को सफल बनाने की अपिल की है।

अपहरण का अपराध पंजीबद्ध 

झाबुआ---  फरियादि शाहरूख पिता अहमद खांन, उम्र 22 वर्ष निवासी कालीदास मार्ग झाबुआ ने बताया कि अपहर्ता अपने घर पर थी। शंका है संदेही दिलीप देवडा निवासी भोईवाडा झाबुआ लडकी उम्र 17 वर्ष को घर के बाहर से बहला-फुसलाकर भगा कर ले गया। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अप0क्र0 143/16, धारा 363, भादवि 7/8 लै0अप0बा0संर0अधि0 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

ताला तोड कर कि चोरी 

झाबुआ--- फरियादि जितेन्द्र पिता रामंिसह सिसौदिया, उम्र 36 वर्ष निवासी झाबुआ ने बताया कि अज्ञात बदमाश, फरि0 के घर का ताला तोडकर अंदर घुसे व अलमारी का ताला तोडकर सामान इधर-उधर बिखेर दिया है। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अप0क्र0 145/16, धारा 457 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

अवैध शराब के आठ अपराध मे शराब एवं कार जप्त

झाबुआ---  आरोपी झेतु पिता खीमा भूरिया, उम्र 50 वर्ष निवासी उबेराव ने अपने घर में 48 पेटी इम्पीरियल शराब ब्लयु कंपनी की, कीमती 2,76,480/- रू0 की अवैध रूप से संग्रहित कर रखी थी। थाना रानापुर पुलिस के द्वारा उक्त शराब को जप्त किया गया। थाना थांदला पुलिस को मूखबिर के द्वारा सूचना प्राप्त हुई कि आरोपी दशरथ पिता हरीसिह नायक, उम्र 24 वर्ष निवासी झायडा कल्याणपुरा, कार क्रमांक एम0पी0-09-सीक्यु-5815 में अवैध शराब 07 पेटी इम्पीरियल शराब ब्ल्यु कंपनी किमती 40,320/-रूपये की रखे हुए हैं। थाना थांदला की पुलिस टीम द्वारा शराब एवं कार को जप्त प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। थाना कोतवाली झाबुआ के द्वारा आरोपी कमला पिता थावरिया, निवासी भिमपुरा के कब्जे से 30 क्वाटर देशी प्लेन शराब, कीमती 1,000/-रूपये, थाना कालीदेवी के द्वारा आरोपिया हुलीबाई पति गुलसिंह भूरिया, निवासी सदावा के कब्जे से 16 क्वार्टर देशी प्लेन शराब कीमती 480/-रूपये, आरोपिया मोतीबाई पति नरवेसिंह, निवासी पिलीया खंदान के कब्जे से 18 क्वाटर देशी प्लेन शराब कीमती 540/-रूपये, आरोपी अमरसिंह पिता पैमा भूरिया, निवासी कोकावद के कब्जे से 24 क्वाटर देशी प्लेन शराब कीमती 720/-रूपये, थाना काकनवानी के द्वारा आरोपी शैतान पिता जवता, निवासी हरिनगर के कब्जे से 10 क्वाटर किंग फिशर शराब किमती 1,100/-रूपये की जप्त की गई। प्रकरण में थाना रानापुर, थांदला, कोतवाली झाबुआ, कालीदेवी, काकनवानी, मेघनगर में अपराध क्र0 79,81,144,34,35,36,30,35/16, धारा 34-ए, 34(2)36,35,36, आबकारी एक्ट का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

पशु वध का अपराध पंजीबद्ध 

झाबुआ---  फरियादि गुलचंद पिता कानजी डामोर, उम्र 32 वर्ष, निवासी बडी कयडावद ने बताया कि उसने अपनी बकरी को चराने के लिये छोड दिया था। आरोपी खिमा पिता कानजी डामोर, निवासी बडी कयडावद का कुल्हाडी लेकर आया व फरि0 की बकरी के सिर पर मारा जिससे बकरी दोनों सिंग टुट गये। प्रकरण में थाना कोतवाली झाबुआ में अप0क्र0 148/16, धारा 429 भादवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

विशेष : पंतजलि द्वारा कैंसर का भय दिखाना

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  • क्या नैतिक है? क्या कानून सम्मत है?

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03 मार्च, 2016 को राजस्थान पत्रिका के जयपुर संस्करण के मुखपृष्ठ पर एक विज्ञापन के शीर्षक ने चौंका दिया। पतंजलि की ओर से जारी विज्ञापन में कहा गया है कि 'आपके खाने के तेल में कैंसर कारक तत्वों की मिलावट तो नहीं—जरा सोचिए'यह 'जरा सोचिये', जरा सी बात नहीं, बल्कि भयानक बात हो सकती है और उपभोक्ताओं के विरुद्ध भयानक षड़यंत्र हो सकता है? लोगों को 'जरा सोचिये'के बहाने ​कैंसर का भय दिखलाकर पतंजलि द्वारा अपना सरसों का तेल परोसा जा रहा है। क्या यह सीधे-सीधे आम और भोले-भाले लोगों को भय दिखाकर अपना तेल खरीदने के लिये मानसिक दबाव बनान नहीं? क्या यह उपभोक्ताओं की मानसिक ब्लैक मेलिंग नहीं है?

दिमांग पर जोर डालिये रामदेव वही व्यक्ति है—जो 5-7 साल पहले अपने कथित योगशिविरों में जोर-शोर से योग अपनाने की सलाह देकर घोषणा करता था कि उनके योग के कारण बहुत जल्दी डॉक्टर और मैडीकल दुकानदार मक्खी मारेंगे। वर्तमान हकीकत सबके सामने है, कोई भी मक्खी नहीं मार रहा। हां यह जरूर हुआ है कि इन दिनों कथित योगशिविरों में योग कम और पतंजलि की दवाईयों का विज्ञान अधिक किया जाता है। इन दिनों शिविरों में योग के बजाय हर बीमारी के लिये केवल पतंजलि की दवाई बतलाई जाती है। जिसका सीधा सा मतलब यही है कि रामदेव का कथित योग असफल हो चुका है। रामदेव के योग शिविरों में सरकार के योगदान की तेजी के साथ-साथ वृद्धि हो रही है, लेकिन योग निष्प्रभावी हैं, क्यों रागियों और रोगों में तेजी से बढोतरी हो रही है। रामदेव के शिविरों के नियमित कथित योगी भी डॉक्टरों की शरण में हैं, लेकिन बेशर्मी की हद यह है कि अब लोगों को योग के साथ-साथ पतंजलि के उत्पादों के नाम गुमराह करने के साथ-साथ दिग्भ्रमित भी किया जा रहा है। केवल इतना ही नहीं, डराया और धमकाया जा रहा है। विज्ञापनों से जो संदेश प्रसारित हो रहा है, वह यह है कि पतंजलि के अलावा जितने भी तेल उत्पाद हैं, उनमें कैंसर कारक तत्वों की मिलवाट हो सकती है!

यह सीधे-सीधे भारतीय कंज्यूमेबल मार्केट पर रामदेव का कब्जा करने और कराने की इकतरफा मुहिम है, जिसमें केन्द्र और अनेक राज्यों की सरकार के साथ-साथ, बकवासवर्ग समर्थक मीडिया भी शामिल है। मेरा मानना है कि अब आम व्यक्ति को जरा सा नहीं, बल्कि गम्भीरता से इस बात पर भी गौर करना चाहिये कि पहले योग के नाम पर और अब उत्पादों की शुद्धता के नाम पर जिस प्रकार से उपभोक्ताओं को गुमराह और भयभीत किया जा रहा है, उसका लक्ष्य और अंजाम क्या हो सकता है? यह भी विचारणीय है कि रामदेव किस विचारधारा के समर्थक हैं?

अन्त में सबसे महत्वपूर्ण बात : कानूनविदों को इस बात का परीक्षण करना चाहिये कि उपभोक्ता अधिकार संरक्षण अधिनियम तथा विज्ञापन क़ानून क्या इस प्रकार से उपभोक्ताओं को भ्रमित और गुमराह करके या डराकर विज्ञापन के जरिये कैंसर का भय परोसा जाना क्या नैतिक रूप से उचित है? क्या ऐसा विज्ञापन करना कानून सम्मत है?




लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
संपर्क : 9875066111

व्यंग : बिकाऊ चेहरों का बाजार...!!​

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दुनिया को बदल कर रख देने वाले कंप्यूटर- इंटरनेट और स्मार्ट फोन बनाने वालोॆं ने क्या कभी हाथों में माइक पकड़ कर भाषण दिया। अविष्कार से पहले कभी दावा किया कि उसकी क्या योजना है , अथवा अविष्कार के बाद भी कोई सामने आया कि उसने किस तरह ये चीजें बना कर मानवता पर उपकार किया। आज से महज एक दशक पहले तक सेलफोन के तौर पर चुनिंदा हाथों तक सीमित रहने वाला मोबाइल आज यदि हर हाथ की जरूरत बन गया है तो उसे इस मुकाम तक पहुंचाने वालों ने क्या कभी ऐसा दावा किया था या लंबे - चौड़े भाषण दिए थे। टेलीविजन पर जब कभी किसी को लच्छेदार बातें करता देखता हूं तो मेरे मन में यही सवाल बार - बार कौंधने लगता है। बेशक लुभावनी बातें मुझे भी लुभाती है। लेकिन दिमाग बार - बार चुगली करता है कि ऐसी लच्छेदार बातें पहले भी बहुत सुनी। लेकिन दुनिया अपनी तरह से आगे बढ़ते हुए चलती है। सिर्फ बोलने - कहने से कुछ नहीं हो सकता। लेकिन बिकाऊ चेहरों के बाजार को क्या कहें जिसे हमेशा ऐसे चेहरों की तलाश रहती है जो बाजार में बिक सके। वह चेहरा किसी क्रिकेटर का हो सकता है या अभिनेता का अथवा किसी राजनेता का। 

बाजार में बिकाऊ चेहरों की मांग इस कदर है कि अब इसे उन चेहरों को भु नाने से भी परहेज नही जो गलत वजहों से चर्चा में आए । बिकाऊ चेहरों के इस बाजार को पोर्न स्टार को भी सेलिब्रेटी बनाने में कोई हिचक नहीं। पिछले कुछ दिनों से टेलीविजन चैनलों पर कन्हैया कुमार को छाया देख मुझे भारी आश्चर्य हुआ। मैं खुद से ही सवाल पूछने लगा कि कहीं जनलोकपाल बिल वाला 2011 का वह ऐतिहासिक आंदोलन  वापस तो नहीं लौट आया। क्योंकि ऐसा लग रहा था  जैसे अन्ना हजारे या अरविंद केजरीवाल का कोई नया संस्करण हमारे हाथ लग गया हो। जब देखो किसी न किसी बहाने कन्हैया की चर्चा।कोई उसके गांव - गली की खबरें दिखा रहा है तो कोई एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पूछ रहा है कि शादी कब रह रहे हैं। ऐसे सवाल तो साधारणतः फिल्मी हीरो या हीरोइनों से ही पूछे जाते हैं।  न कोई ब्रेक न व्यावसायिक व्यवधान। जब लगता कि यह कन्हैया डोज कुछ ज्यादा हो रहा है और दर्शक शायद इसे पचा नहीं पाए तभी बताया जाता कि फलां - फलां ने कन्हैया के समर्थन में ट्वीट किया है। आश्चर्य  कि जेएनयू में विवादास्पद नारे दूसरे छात्रों ने भी लगाए। लेकिन छाया सिर्फ कन्हैया है क्योंकि उसे बोलना आता है। 

बेशक उससे पहले कुछ ऐसा ही हाइप उमर खालिद ने भी लेने की कोशिश की। लेकिन वह ज्यादा सफल नहीं हो पाया। फिर पता चला कि वामपंथी कन्हैया से चुनाव प्रचार कराने की भी सोच रहे हैें। सही - गलत तरीके से रातोरात मिली इस प्रसिद्धि पर कन्हैया का खुश होना तो स्वाभाविक है। लेकिन उसे नहीं भूलना चाहिए कि बिकाऊ चेहरों का यह बाजार हर किसी को भुनाने में  माहिर है। मंडल कमीशन के बाद 80 के दशक का आरक्षण विरोधी आंदोलन जिन्हें याद होगा, वे राजीव गोस्वामी को शायद नहीं भूलें होगे जो आरक्षण के विरोध में अपने शरीर पर सार्वजनिक रूप से  आग लगा कर कन्हैया कुमार की तरह ही देश - दुनिया में छा गया था। तब चैनलों का  कोई प्रभाव तो नहीं था। लेकिन तत्कालीन पत्र - पत्रिकाओं में राजीव की खूब तस्वीरें और खबरें छपी थी। लेकिन कुछ साल बाद आखिरकार राजीव गोस्वामी एक दिन गुमनाम मौत का शिकार बना। 2008 से 2009 तक माओवाद प्रभावित जंगल महल में छत्रधर महतो को भी बिकाऊ चेहरों के बाजार ने जम कर भुनाया। चैनलों पर हर वक्त किसी न किसी बहाने छत्रधर महतो का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू हमेशा दिखाया जाता। लेकिन पकड़े जाने के बाद से छत्रदर महतो  का परिवार आज गुमनाम जिंदगी जी रहा है। जिसकी ओर देखने तक की फुर्सत आज उन्हीं के पास नहीं है जिसने कभी उसे हीरो की तरह पेश किया था। सही या गलत तरीके से  हीरो बनने या बनाने से बेशक किसी को फर्क नहीं पड़ता, लेकिन डर इसी बात का है कि इसके चलते समाज में बदनाम होकर नाम कमाने का नया ट्रेंड न चल निकले।



तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर (पशिचम बंगाल) 
संपर्कः 09434453934, 9635221463
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

विशेष : गुलदारों बेतहाशा की मौत के पीछे कौन ?

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जिस तरह से उत्तराखंड से गुलदारों का सफाया किया जा रहा है वह दिन दूर नहीं जब ये गुलदार केवल चित्रों व चिड़ियाघरों में ही देखने हो मिलेंगे वह भी जीवंत नहीं मरे हुए गुलदारों के चित्र Ι राज्य में गुलदारों की बेतहाशा मौत कहीं कोई समझी साजिश का हिस्सा तो नहीं क्योंकि एक व्यक्ति की जिंदगी को हम लोग महत्वपूर्ण तो मानते हैं लेकिन सफाया किये जा रहे गुलदारों के प्रति लोगों का नजरिया कहीं से भी मानवतावादी नहीं लगता Ι अन्यथा उन्हें भी बचाए जाने की मुहिम शुरू हो जाती Ι 

  गुलदार को इस तरह मारे जाने के पीछे के कारणों पर यदि विचार किया जाय तो यह कहीं न कहीं गुलदारों के प्रति सरकार व शिकारियों सहित माफियाओं का षड्यंत्र ही नज़र आता है Ι इसका एक बहुत बड़ा कारण यह भी है कि गुलदार सहित जंगलों में पाए जाने वाले तमाम जीव –जंतु कहीं न कहीं पारिस्थितिकीय संतुलन का हिस्सा हैं और ये सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं Ι वहीँ जंगलों में शिकारियों व वन्य जीव माफियाओं ने कहीं न कहीं इस नैसर्गिक पर्यावरणीय पारिस्थितिकीय संतुलन को बिगाड़ने का ही अब तक काम किया है Ι इसमें वन्य जीवों  की रक्षा करने का दायित्व जिस विभाग का था उसका भी बड़ा हाथ बताया जाता रहा है Ι गुलदार के ताबड़तोड़ तरीके से किये जा रहे शिकार को लेकर यह  बात भी प्रकाश में आयी है कि जंगल माफियाओं सहित लकड़ी माफिया,जड़ी-बूटी माफिया व उच्च पर्वतीय इलाकों से यारसागम्बू (कीड़ाजड़ी) सहित वन्यजीव तस्कर व अनेक प्रकार की दुर्लभ बूटियों के माफियाओं का भी गुलदारों के सफाए में बहुत बड़ा हाथ है Ι क्योंकि गुलदारों के जंगलों में रहते हुए ये माफिया व तस्कर जंगल में गुलदारों के डर से खुले आम नहीं घूम सकते और ये गुलदार कहीं न कहीं इन जंगलों में पायी जाने वाले वन्य उत्पादों के रक्षक के रूप  में इन भक्षकों के राह में रोड़ा बनकर खड़े हुए हैं लिहाज़ा इन्होने एक सोची –समझी रणनीति के तहत इन गुलदारों का सफाया किया Ι 

  कहने को तो उत्तराखंड में एक बहस छिड़ी हुई है कि पलायन के लिए कुछ हद तक ये गुलदार भी शामिल हैं लेकिन राज्य के अतीत में यदि झाँका जाय तो वर्ष 1926 में जिस गुलदार को विश्व प्रसिद्द शिकारी जिम कॉर्बेट ने मौत के घाट उतरा था वह रुद्रप्रयाग का आदमखोर तो 125 लोगों को अपना निवाला बना चुका था लेकिन तत्कालीन समय में राज्य से कोई पलायन  नहीं हुआ यदि ऐसा हुआ होता तो आज तक राज्य का पर्वतीय इलाका खाली हो चुका होता Ι 

  वहीँ दूसरी तरफ यदि आकड़ों पर गौर किया जाय तो वर्ष 2003 से लेकर 2012 तक गुलदारों के हमले में 200 लोग या तो मारे गए या घायल हुए हैं Ι लेकिन गुलदारों की मौत के आंकड़े देखे जायं तो अब तक 356 गुलदार मौत के मुंह में समा चुके हैं  और जो 114 बाघ मारे गए वे अलग हैं Ι इसमे वह रिकॉर्ड शामिल नहीं है जो अवैध रूप से मारे गए हैं Ι  

गौरतलब हो कि उत्तराखंड की सीमाएं तीन ओर से अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से लगी हुई है और चीन व तिब्बत में गुलदारों व बाघ की खाल व हड्डियों की खासी डिमांड है जो यहाँ से नेपाल के रास्ते तस्करी होकर पहुंचाई जाती है जिसमें ऐसे वन्य तस्करों व बिचौलियों को लाखों का नहीं बल्कि करोड़ों का मुनाफा होता रहा है यही कारण है कि उत्तराखंड ऐसे माफियाओं के लिए सुरक्षित ठिकाने व कमाई के लिए बेहतरीन राज्य बन गया है जहाँ से ये माफिया अपना व्यापार बढ़ा रहे हैं और इनके इस व्यापर में वन्य जीव विभाग से लेकर गुलदारों को मौत के घाट उतारने वाले तक शामिल हैं Ι  





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राजेन्द्र जोशी
उत्तराखंड 

क्या भाजपा से शुरु होगी डॉन का राजनीतिक सफर

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जी हां, सत्ता पक्ष की तमाम हनक व हथकंडों के बावजूद जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह डाॅन बृजेश सिंह जेल के सलाखों में रहते हुए अब राजनेता बन गया है। यह तगमा इसके पहले घूर प्रतिद्वंदी रहे मुख्तार अंसारी को मिल चुका है। श्री अंसारी अपने क्षेत्र से कई बार विधायक बन चुके है। कहा जा सकता है मुख्तार की तर्ज पर अब बृजेश सिंह को कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण हासिल है। एमएलसी चुनाव में इस सीट पर भाजपा द्वारा प्रत्याशी न उतारा जाना एक वजह है। जीत के बाद जनता के प्रति आभार व्यक्त करते हुए डाॅन ने ऐलान किया है वह निर्दोशों का उत्पीड़न किसी भी दशा में हजम नहीं करेंगे। वह जनता की समस्याएं चाहे वह किसी भी स्तर की होंगी, प्रमुखता से निपटाना उनकी प्राथमिेता है। चाहते हैं। मतलब साफ है वह वाराणसी, भदोही और चंदौली के नागरिकों की आवाज बनना चाहते है और यही से तय होगा उनकी राजनीतिक सफर 

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डाॅन बृजेश सिंह ने जरायम की दुनिया में कदम सिर्फ अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए रखा। लेकिन बाद में वह धीरे-धीरे दुश्मनी से रंगदारी के रास्ते कोयला, रेशम, रेलवे आदि का ठेकेदारी के चलते वर्चस्व की लड़ाई में तब्दील हो गयी। इसके बाद 32 साल के जरायम के सफर में न सिर्फ 27 से ज्यादा मुकदमे यूपी के पूर्वाचल सहित गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बंगाल तक बृजेश के खिलाफ दर्ज हुए, बल्कि पूरे भारत में इस कदर नेटवर्क फैला कि अंडरवल्र्ड डाॅन दाउद तक को मात देने के बाद एक पुलिसिया षडयंत्र के तहत आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद से ही कयास लगने लगे थे कि बृजेश का अब सियासी सफर शुरु होगा। इसकी उत्सुकता सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों के साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों में भी थी। उनके लिए चंदौली, वाराणसी, भदोही, मीरजापुर को मुफीद माना जा रहा था, लेकिन वर्ष 2012 में चंदौली की सैयदराजा विधानसभा सीट पर मिली हार ने बृजेश को बड़ा झटका दिया। हार के पीछे पारिवारिक उलझन की दलील दी जाती रही। बाद में पत्नी एमएलसी बनी तो दलीलें धरातल पर आ गईं। हालांकि, परिवार का राजनीति से जुड़ाव पहले से था। बड़े भाई उदयनाथ सिंह उर्फ चुलबुल सिंह दो बार विधान परिषद सदस्य रहे। पत्नी अन्नपूर्णा सिंह वाराणसी से ही एमएलसी थीं। इस बार उन्हीं की जगह बृजेश सिंह ने ली है। 

1 जनवरी 2008 में दिल्ली पुलिस ने जब भुवनेश्वर (उड़ीसा) में बृजेश को गिरफ्तार किया था, उस वक्त यूपी की पुलिस ने बृजेश पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। गिरफ्तारी के तीन साल पहले से बृजेश भुवनेश्वर में रह रहा था तथा उसने वहां (विंध्याचल रीयल इस्टेट डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड) नाम से एक कंपनी चला रखी थी। जरायम की दुनिया में इस बात की जोरदार चर्चा रही कि दिल्ली पुलिस का ‘आपरेशन बृजेश’ अत्यंत नाटकीय था। गिरफ्तारी के समय बृजेश पर दर्जन भर से अधिक मामले दर्ज थे लेकिन मामलों का निस्तारण होता गया और राजनीतिक गलियारों के फाटक खुलते गए। बता दें, बृजेश सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह का जन्म वाराणसी में हुआ। उनके पिता रविंद्र सिंह इलाके के रसूखदार लोगों में गिने जाते थे। राजनीति में भी उनकी पैठ थी। बृजेश सिंह बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी होनहार थे। 1984 में इंटर की परीक्षा में उन्होंने बहुत अच्छे अंक हासिल किए थे। इसके बाद उन्‍होंने यूपी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की। वहां भी उनका नाम होनहार छात्रों की श्रेणी में आता था। लेकिन 27 अगस्त 1984 में पिता की हत्‍या के बाद बृजेश सिंह ने बदला लेने की नियत से अपराध की दुनिया में कदम रखा, तो फिर पलटकर पीछे नहीं देखा। इस हत्‍याकांड को अंजाम बृजेश के विरोधी हरिहर सिंह और पांचू सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर दिया था। सालभर में ही 27 मई 1985 को रविंद्र सिंह का हत्यारा बृजेश के हाथ लग गया और दिनदहाड़े अपने पिता के हत्यारे हरिहर सिंह को मौत के घाट उतार दिया। यह पहला मौका था जब बृजेश के खिलाफ पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ।

इस वारदात के बाद फरार रहते हुए पिता के अन्‍य हत्‍यारोपियों की तलाश शुरू कर दी। 9 अप्रैल 1986 के दिन उन्‍होंने पिता की हत्या में शामिल रहे रघुनाथ यादव, लुल्लुर सिंह, पांचू और राजेश आदि को एक साथ गोलियों से भून डाला। इस घटना को अंजान देने के बाद बृजेश पहली बार गिरफ्तार हुए। पुलिस ने बृजेश को जेल भेज दिया। इसी दौरान उनकी मुलाकात गाजीपुर के मुडियार गांव में त्रिभुवन सिंह से हुई। बृजेश और त्रिभुवन के बीच दोस्ती हो गई और दोनों मिलकर साथ काम करने लगे। धीरे-धीरे इनका गैंग पूर्वांचल में सक्रीय होने लगा। बलुआ, कैंट, धानापुर, सकलडीहा, चेतगंज, सैदपुर, भांवरकोल, अहमदाबाद, महाराष्ट्र ही नहीं पश्चिम बंगाल तक बृजेश के खिलाफ मुकदमे दर्ज होते गए। 12 सितंबर-1992 में मुंबई के जेजे अस्पताल में दाऊद इब्राहीम के विरोधी शैलेष हलदनकर और मुंबई पुलिस के तीन जवानों की हत्या के 30 आरोपितों में बृजेश का भी नाम आया। जुलाई-2001 में गाजीपुर के उसरीचट्टी में मुख्तार गिरोह से सीधी मुठभेड़ के बाद 2004 की सर्दियों में लखनऊ के कैंट में दोनों गिरोहों का आमना-सामना हुआ। उसरीचट्टी के बाद बृजेश को गोली लगने और मौत की चर्चाएं आम हो चुकी थीं। बावजूद इसके दोनों मिलकर यूपी में शराब, रेशम और कोयले के धंधे में उतर आए। असली खेल तब शुरू हुआ जब बृजेश सिंह और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी कोयले की ठेकेदारी को लेकर आमने-सामने आ गए। ठेकेदारी और कोयले के कारोबार को लेकर दोनों गैंग के बीच कई बार गोलीबारी हुई। दोनों तरफ से जानमाल का नुकसान भी हुआ। 

90 के दशक में बृजेश सिंह का यूपी के बाहुबली मुख्‍तार अंसारी के गैंग से आमना-सामना हुआ। इस दौरान वह पुलिस और मुख्‍तार के गैंग से बचने के लिए मुंबई चले गए। यहां पहुंचने के बाद दाऊद के करीबी सुभाष ठाकुर से मुलाकात की। फिर इनके माध्‍यम से दाऊद से मिले। दाऊद के जीजा इब्राहिम कासकर की हत्या का बदला लेने के लिए ब्रृजेश ने 12 फरवरी 1992 को जेजे अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टर बनकर गवली के गैंग के 4 लोगों को पुलिस के पहरे के बीच मार दिया। उनकी इस शातिराना चाल देखकर दाऊद बृजेश के दिमाग का लोहा मान गया। इसके बाद दोनों बेहद करीब आ गए। इस प्रकार घरेलू हत्याओं से अपराध की दुनिया में आने वाले वाले बृजेश सिंह की दाऊद से दोस्‍ती हो गई। हालांकि, 1993 में हुए मुंबई ब्लास्ट के बाद दोनों में मतभेद हो गया। पहले दोनों का उद्देश्य गैरकानूनी काम करके पैसा कमाना और अपराध की दुनिया में एकछत्र राज्य कायम करना था। जानकारों की मानें तो बृजेश सिंह मुंबई को दहलाने की दाऊद की योजना से पूरी तरह अनजान थे। इस ब्लास्ट में हजारों बेगुनाह मारे गए या घायल हुए। इस वारदात से बृजेश सिंह को गहरा आघात लगा। दाऊद के इस कदम के बाद दोनों के बीच एक दीवार खड़ी हो गई। माना जाता है कि इसके बाद दोनों एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गए। हालांकि, मुंबई ब्लास्ट के पहले ही दाऊद ने देश छोड़ दिया। 

24 जनवरी-2008 को भुवनेश्वर (उड़ीसा) से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के हाथों गिरफ्तार किया गया। कहा जा रहा था कि यह सब गृहमंत्री राजनाथ सिंह के एक नाटकीय षडयंत्र के तहत हुआ। फिरहाल, पुराने मामलों की बंद फाइलें खुलने लगीं व फरवरी-2008 में उसे वाराणसी तलब कर सेंट्रल जेल में रखा गया। सालभर बाद मुंबई में जेजे शूटआउट की सुनवाई में तीन साल का समय महाराष्ट्र और गुजरात की जेलों में कटा। 2012 में वाराणसी सेंट्रल जेल लौटे बृजेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मकोका की कार्रवाई की और रिमांड पर तिहाड़ जेल ले गई। सालभर बाद लौटे बृजेश के खिलाफ फिलहाल वाराणसी जिला जज की अदालत में सिकरौरा नरसंहार कांड और गाजीपुर में उसरीचट्टी शूटआउट की सुनवाई चल रही है। 

बृजेश के खिलाफ कुल आठ मामले लंबित 
1. थाना चैबेपुर - गैंगस्टर एक्ट। 
2. थाना बलुआ (वर्तमान में चंदौली) - हत्या, हत्या का प्रयास, बलवा, साजिश व 25 शस्त्र अधिनियम। 
3. थाना भरवकोल (गाजीपुर) - बलवा, हत्या व हत्या का प्रयास। 
4. थाना मोहम्मदाबाद (गाजीपुर) - बलवा, हत्या व हत्या का प्रयास, 7 क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट। 
5. थाना सैदपुर (गाजीपुर) - धारा 147, 148,149, 379, 427। 
6. थाना कैंट (लखनऊ) - धारा 147, 148,149, 307, 427। 
7. थाना स्पेशल सेल (नई दिल्ली) - धारा 384, 387, 506, 419, 467, 120बी। 
8. थाना चैबेपुर (वाराणसी) - हत्या 

1. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी भोजपुर, आरा, बिहार - धारा 302, 307, 324, 120बी, 3-4-5 विस्फोटक अधिनियम। ं 
2. विशेष न्यायाधीश मकोका-अपर सत्र न्यायाधीश पटियाला हाउस- धारा 3-4 मकोका।
3. लक्ष्मीनगर (भुवनेश्वर) - धारा 419, 420, 467, 471। 



(सुरेश गांधी )

सरबजीत की पत्नी से मिलकर रिचा की आँखे भर आईं

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इनदिनों अमृतसर में अपनी आगामी फिल्म 'सरबजीत'की कर रही रिचा चड्ढा हाल में सरबजीत की पत्नी सुकप्रीत से मिलीं हैं। बता दे की फिल्म 'सरबजीत'में रिचा सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत का ही किरदार निभा रही हैं। अगर कलाकार जिस शक्स का किरदार फिल्म में निभा रहा हो उसी शक्स से मिलने का एहसास उस कलकार के लिए बेहद खास होता है। 

सुकप्रीत का किरदार निभा रही रिचा के लिए भी असल ज़िन्दगी की सुखप्रीत से मिलने का एहसास बेहद खास था। रिचा ने बताया है 'फिल्म के क्रू मेंबर में सुखप्रीत से मिलने वाली मैं आखरी शक्स थी। मै जैसी ही सुकप्रीत से मिली औए उन्हें बताया की मै उनका किरदार निभा रही हूँ। यह सुनकर सुखप्रीत मुझे पकड़ कर रोने लगीं। उस समय मेरी आँखे भी भर आयीं थी लेकिन किसी तरह खुदको रोक लिया। हमारा लक्षय किसी के वास्तविक  जीवन के व्यव्हार की नक़ल उतारना नहीं है। सरबजीत के परिवार से हमे जो कहानी मिली है हम उसके तथ्यों को निश्चितरूप रूप किसी भी तरह की गड़बड़ नहीं होने देंगे।

विदिशा (मध्यप्रदेश) की खबर (08 मार्च)

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाएं पुरस्कृत हुई
  • महिला उत्थान के बिना समाज का सर्वागणी विकास संभव नही

vidisha news
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था। उक्त आयोजन में जिले की ऐसी महिलाएं जिनके द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय ख्याति अर्जित की गई है। उन्हें अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया।महिला सशक्तिकरण ससम्मान समारोह जालोरी गार्डन में आयोजित किया गया था कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सेवानिवृत आईएएस श्रीमती सुधा चैधरी ने कहा कि महिलाओं के उत्थान के बिना समाज का सर्वागणी विकास संभव नही है। उन्होंने गिरते लिंगानुपात पर खेद जाहिर करते हुए कहा कि इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महिला और पुरूष दोनो ही विकास के द्योतक है। एक पक्ष कमजोर होने से विकास प्रभावित होने लगता है। श्रीमती सुधा चैधरी ने महिलाओं से आग्रह किया कि वे किसी भी प्रकार का अन्याय सहन ना करें और ना ही किसी के ऊपर अन्याय करें। यदि किसी महिला पर अन्याय होने की जानकारी प्राप्त होती है तो महिलाएं समूह में उसका विरोध प्रकट करें। कार्यक्रम को जिला पंचायत की महिला एवं बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य समिति की सभापति श्रीमती माधवी माथुर, जनपद पंचायत ग्यारसपुर की अध्यक्ष श्रीमती ममता कटारे, जनपद पंचायत अध्यक्ष विदिशा श्रीमती रमादेवी ठाकुर और नगरपालिका बासौदा की अध्यक्ष श्रीमती मधुलिका अग्रवाल, सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष श्रीमती मंजरी जैन ने भी सम्बोधित किया। अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की रूपरेखा को रेखंाकित किया वही महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री देवेन्द्र्र सुंदरियाल ने महिला सशक्तिकरण पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम स्थल पर कलेक्टर श्री एमबी ओझा, पुलिस अधीक्षक श्री धर्मेन्द्र चैधरी समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, स्वंयसेवी संगठनों के सदस्य और गणमान्य नागरिक मौजूद थे। 

सम्मान
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विभिन्न क्षेत्रों में ख्याति अर्जित करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया जिसमें पुलिस विभाग की चार, पशु चिकित्सा सेवाएं की एक, शासकीय कन्या महाविद्यालय की नौ, स्कूल शिक्षा विभाग की 14, राजस्व अनुविभाग ग्यारसपुर की 13, विदिशा नगरपालिका की तीन, बासौदा नगरपालिका की एक, राजस्व विभाग विदिशा की एक, तहसील शमशाबाद की एक, जिला बाल कल्याण समिति विदिशा की एक, लायंस क्लब की छह, राजस्व अनुविभाग बासौदा की एक, जिला पंचायत के दो सदस्य, स्वास्थ्य विभाग की एक, सामाजिक संस्था की तीन, सशक्त महिला तीन, निजी विद्यालयो के दो प्राचार्य, निर्विरोध निर्वाचित सात महिला सरपंच, तीन प्रशासनिक महिला अधिकारी, सूरज निकेतन विशेष स्कूल की एक, जिला पंचायत विदिशा की पांच, एक महिला पत्रकार, राजस्व अनुविभाग कुरवाई की दो, खेल एवं युवा कल्याण विभाग की 11, समाजसेवी तीन महिलाएं, डाइट की प्राचार्य, वन विभाग की एक, खनिज शाखा की दो खनिज निरीक्षक, राजस्व अनुविभाग शमशाबाद की एक, एनएसएस की पांच, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की पंाच, स्वास्थ्य विभाग की छह और जनपद पंचायत ग्यारसपुर की तीन महिलाओं को उल्लेखनीय ख्याति अर्जित करने पर सम्मानित किया गया। 

उत्पादकों का प्रदर्शन
आयोजन स्थल पर महिला स्व-सहायता समूहो के माध्यम से तैयार की जाने वाली सामग्री का प्रदर्शन कर विक्रय किया जा रहा है। उक्त स्टाल जालोरी गार्डन में दस मार्च तक लगे रहेंगे। 

लघु मैराथन का आयोजन हुआ
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जागरूकता के मद्देनजर मंगलवार की प्रातः नौ बजे महिलाओं की रैली, लघु मैराथन का आयोजन सम्पन्न हुआ। कांच मंदिर के समीप आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विधायक श्री कल्याण सिंह ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने महिलाओं के उत्थान हेतु योजनाओं को मूर्तरूप देने से पहले महिलाओं की पंचायत बुलाई और वहां प्राप्त हुए उत्थान संबंधी 14 सुझावों पर अमल करते हुए योजनाओं के रूप में क्रियान्वयन किया जा रहा है। उन्होंने लिंगानुपात को बढ़ावा देने के लिए विशेष बल, प्रचार करने की बात कही। कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा महिलाओं और बालिकाओं के विकास हेतु जो योजनाएं प्रारंभ कराई है उनका अन्य राज्यों के द्वारा अनुसरण कर क्रियान्वयन किया जा रहा है उन्होंने गिरते लिंगानुपात पर अंकुश लगाने के लिए परोक्ष रूप से संचालित लाड़ली लक्ष्मी योजना को रेखांकित किया। कलेक्टर श्री ओझा ने कहा कि वैदिक काल से ही महिलाओं का समाज में विशेष सम्मान होता आ रहा है।जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी ने कहा कि महिलाओं को बढावा देने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने पंचायत एवं निकायों के निर्वाचन में उनके आरक्षण की व्यवस्था की है। उन्होंने बेटियों को शिक्षावान बनाने में हर संभव योगदान देने के उद्धेश्य से क्रियान्वित योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम को अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया, सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष श्रीमती मंजरी जैन ने भी सम्बोधित किया।अतिथियों द्वारा हरी झंडी दिखाकर महिला रैली, मैराथन दौड़ को रवाना किया जो शहर के मुख्य मार्ग से होते हुए तिलक चैक पर सम्पन्न हुई।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर हुई कार्यशाला 

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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की निहित बिन्दुओं और क्रियान्वयन से अवगत कराने के उद्धेश्य से एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को कलेक्टेªट के सभाकक्ष में किया गया था। कलेक्टर श्री एमबी ओझा ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा जिले के प्रस्तावों के संबंध में जो डेट लाइन निर्धारित की है उसका अनुपालन किया जाए। उन्होंने इस प्रकार के आयोजन खण्ड स्तर पर कर स्थानीय जनप्रतिनिधियों, किसानों की राय को कार्यशाला में शामिल करने की समझाईंश दी। जिला पंचायत सीईओ श्री दीपक आर्य ने कहा कि हर खेत में पानी पहुंचे, पानी का सदुपयोग हो। पानी की उपलब्धता के अनुरूप किसानों के द्वारा फसली बीजो का चयन किया जाए। पुराने जलस्त्रोतो का जीर्णोद्वार के अलावा नए जलाश्य, नहरे और नदी नालो पर डेम बनाने के कार्यो को योजना में प्रमुखता से शामिल किया जाना है। जिला पंचायत अध्यक्ष श्री तोरण सिंह दांगी ने कहा कि सरकार का उद्धेश्य है कि हर किसान के खेत में पानी पहुंचे इसके लिए किए जाने वाले प्रबंध, तैयार की जाने वाली योजनाओं का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार स्थानीय स्तर पर किया जाए ताकि ऐसी कोई संरचना छूट ना जाए जिसकी स्थानीय स्तर पर महत्वता प्रतिपादित हो। कार्यशाला में एलसीडी प्रोजेक्टर के माध्यम से बताया गया कि हर खेत को पानी पहंुचाने के उद्धेश्य की प्राप्ति हेतु समय सीमा 2020 तय की गई है जिले की कार्ययोजना 20 मार्च तक तैयार की जानी है। पुराने जलीय संरचनाओं का जीर्णोद्वार, गहरीकरण, भू-जल दोहन, नए जल स्त्रोत बनाना, उपलब्ध जल स्त्रोतो का प्रबंधन, वितरण इत्यादि पर कार्य किया जा चुका है। जिले के जल संसाधनों की बिन्दुवार जानकारी, स्थलों का ब्यौरा भी प्रस्तुत किया गया। उक्त बैठक में जल संसाधन, उद्यानिकी, कृषि, आत्मा और निकायों के अधिकारी मौजूद थे।  

खण्ड स्तरीय समीक्षा बैठक
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं अन्य योजनाओं की जनपद स्तरीय समीक्षा बैठके भी आयोजित की जाएगी। उक्त आयोजन के लिए जिला पंचायत सीईओ श्री दीपक आर्य द्वारा कार्यक्रम जारी किया जा चुका है। जारी कार्यक्रम अनुसार लटेरी में दस मार्च की प्रातः 10.30 बजे से और दस मार्च को ही सिरोंज में दोपहर दो बजे से आयोजित की गई है। इसी प्रकार 14 मार्च को बासौदा में 10.30 बजे से और कुरवाई में दोपहर दो बजे से तथा 16 मार्च को विदिशा में 10.30 बजे से एवं नटेरन जनपद पंचायत में दोपहर दो बजे से ततसंबंधी बैठक आयोजित की जाएगी। ग्यारसपुर में उक्त बैठक आज सम्पन्न हुई है। बैठकों में आरइएस, सिंचाई विभाग, कृषि विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, उद्यानिकी, राजस्व सहित अन्य विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।

साफ्टवेयर प्रविष्टियां हेतु प्रशिक्षण 

केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन के द्वारा निर्धारित प्रपत्र में ग्रामीण एवं नगरीय निकायों के आय-व्यय बजट को संकलित कर निर्धारित साफ्टवेयर में अपडेट करने के लिए सूचीबद्ध सर्वेक्षण सहायको के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। जिला योजना अधिकारी श्री प्रशांत मिश्रा ने प्रशिक्षण हेतु जारी कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया है कि विदिशा जनपद पंचायत में दस मार्च को 12 बजे से आयोजित प्रशिक्षण में विदिशा, ग्यारसपुर एवं नटेरन के सर्वेक्षण सहायक शामिल होंगे। गंजबासौदा के जनपद पंचायत कार्यालय में 14 मार्च को दोपहर 12 बजे से आयोजित होने वाले प्रशिक्षण में गंजबासौदा एवं कुरवाई के तथा 16 मार्च को दोपहर 12 बजे से सिरोंज के जनपद पंचायत कार्यालय में आयोजित ततसंबंधी प्रशिक्षण में सिरोंज एवं लटेरी के सर्वेक्षण सहायक सम्मिलित होंगे।

वाहनो चालकों के लिए नेत्र परीक्षण

विभिन्न विभागों के कार्यरत वाहन चालको के नेत्र परीक्षण हेतु जिला चिकित्सालय में विशेष व्यवस्था की गई है कि जानकारी देते हुए सिविल सर्जन सह अधीक्षक डाॅ शेखर जालवणकर ने बताया कि 14 मार्च को वाहन चालकों के नेत्रों का परीक्षण जिला चिकित्सालय के ओपीडी कक्ष-19 में प्रातः 9.30 बजे से किया जाएगा। उन्होंने वाहन चालकों से आग्रह किया कि वे इस सुविधा का लाभ उठाएं।

निविदाएं आज खुलेंगी

राज्य लोक सेवा प्राधिकरण के द्वारा जिला स्तर पर निविदाएं आमंत्रित की गई थी। निविदा जमा करने की अंतिम तिथि नौ मार्च की दोपहर तीन बजे तक का समय नियत किया गया है। इसके पश्चात् तकनीकी निविदा खोले जाने की कार्यवाही की जाएगी। अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन भदौरिया ने बताया कि वित्तीय निविदाएं 11 मार्च को खोली जाएगी।

बिजली बकाया राशि समाधान योजना 2016 लागू, उपभोक्ता लाभ उठाकर करें घर रोशन

मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के द्वारा कार्य क्षेत्र में 25 फरवरी से बकाया राशि समाधान योजना 2016 प्रारंभ की है। प्रदेश के बिजली कनेक्शन से विच्छेदित आर्थिक रूप से कमजोर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के गरीब उपभोक्ताओं से अनुरोध किया गया है कि वे इस योजना में शामिल होकर अपने घर को रोशन करें। इस योजना का लाभ प्रदेश के गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले और शहरी क्षेत्रों में अधिसूचित झुग्गी झोपड़ी बस्तियों में निवास करने वाले निम्नदाब घरेलू उपभोक्ता उठा सकेंगे। यह योजना 31 मई 2016 तक लागू रहेगी। उपभोक्ताओं की दो श्रेणियां ‘‘बकाया राशि समाधान योजना-2016’’ से लाभांवित होने वाले उपभोक्ताओं को दो श्रेणियों में बांटा गया है। प्रथम श्रेणी में गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले व शहरी क्षेत्रों में अधिूसूचित झुग्गी झोपड़ी बस्तियों में निवास करने वाले निम्नदाब घरेलू उपभोक्ता एवं द्वितीय श्रेणी में अन्य घरेलू उपभोक्ता। घरेलू उपभोक्ताओ के लिए उदार शर्ते प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के द्वारा ‘‘बकाया राशि समाधान योजना-2016’’ में घरेलू उपभोक्ताओं के हित को दृष्टिगत रखते हुए कुछ उदार नियम व शर्ते निर्धारित की गई है। घरेलू उपभोक्ता इन शर्तो को पूर्ण करने के पश्चात् इस योजना का लाभ उठा सकेंगे। बकाया राशि व न्यायालयीन प्रकरण दर्ज होने पर ‘‘बकाया राशि समाधान योजना-2016’’ में ऐसे उपभोक्ता भी शामिल हो सकते है जिन पर सामान्य बिजली बिल की राशि बकाया है एवं उन्होंने विद्युत वितरण कंपनी के विरूद्व बकाया राशि हेतु न्यायालयीन प्रकरण दर्ज किया है और उनके प्रकरण लंबित हैं। ऐसे उपभोक्ता न्यायालय से अपने प्रकरण वापस लेकर इस योजना का लाभ ले सकते हैं। धारा 138 प्रकरण की स्थिति में ऐसे उपभोक्ता जिन पर विद्युत बिल बकाया होने से विद्युत कनेक्शन विच्छेदित किया गया था व जिनके द्वारा कनेक्शन की धारा 138 में प्रकरण दर्ज किया गया हो। ऐसे उपभोक्ताओं को निर्धारण अधिकारी द्वारा जारी निर्धारण आदेश (असेसमेंट आर्डर) की सम्पूर्ण राशि के साथ यदि कंपाउडिंग फीस व देय ब्याज इत्यादि यदि कोई लागू हो तो ऐसी सम्पूर्ण राशि जमा करना होगी। धारा 135 या 126 प्रकरण की स्थिति में ऐसे उपभोक्ता जिनके विद्युत कनेक्शन की जांच में विद्युत चोरी अथवा विद्युत का अनाधिकृत उपयोग पाया गया हो व भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 135 या 126 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया हो एवं उनके सामान्य विद्युत बिल की राशि भी बकाया हो। ऐसे उपभोक्ताओं को निर्धारण अधिकारी द्वारा जारी निर्धारण आदेश (असेसमेंट आर्डर) की सम्पूर्ण राशि के साथ यदि कंपाउडिंग फीस व देय ब्याज इत्यादि यदि कोई लागू हो तो ऐसी सम्पूर्ण राशि जमा करना होगी। स्थाई रूप से विच्छेदित कनेक्शन की स्थिति में स्थाई रूप से विच्छेदित उपभोक्ता को कनेक्शन पुनः जुड़वाने के पूर्व बकाया राशि की प्रथम किश्त के साथ 45 दिनों की अनुमानित विद्युत खपत के समतुल्य सुरक्षा निधि का तथा रि-कनेक्शन चार्जेंस का भुगतान करना होगा। यदि ऐसे स्थाई रूप से विच्छेदित उपभोक्ता की विच्छेदन की अवधि मध्यप्रदेश विद्युत संहिता 2013 में निर्धारित अवधि से अधिक है तो उन्हें इस संहिता के प्रावधानों के अनुरूप नवीन कनेक्शन हेतु वांछनीय औपचारिकताएं पूर्ण कर आने वाले आगामी माहो के बिलों के साथ तय की गई किश्तों का भुगतान करना होगा। एक माह में भुगतान छूटने पर भी उपभोक्ता योजना में सम्मिकलित रह सकता है ‘‘बकाया राशि समाधान योजना-2016’’ में शामिल उपभोक्ता द्वारा योजना की अवधि में किसी एक माह में भुगतान छूट जाता है तो भी वह इस योजना का लाभ अगले माह बकाया किश्त की राशि को अगली किश्तों के साथ जमा कर योजना में शामिल रह सकेगा। यदि उपभोक्ता योजना की अवधि में दो बार से अधिक भुगतान में चूक करता है, तो वह योजना से बाहर हो जाएगा और उसे इस योजना के तहत दी जा रही सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा। जिन महीनों में उपभोक्ता द्वारा भुगतान में चूक की जाती है उन महीनों का सरचार्ज भी उपभोक्ता द्वारा देय होगा।

मतदाता सूची का पुर्नरीक्षण कार्य प्रेक्षक की उपस्थिति में दस को

नगरीय निकाय एवं त्रि-स्तरीय पंचायतों की फोटोयुक्त मतदाता सूची एक जनवरी 2016 की स्थिति का पुर्नरीक्षण कार्य हेतु नियुक्त प्रेक्षक द्वारा दस मार्च को जायजा लिया जाएगा। कि जानकारी देते हुए उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि दोपहर 12 बजे कलेक्टेªट कार्यालय के सभाकक्ष में प्रेक्षक द्वारा बैठक आयोजित की गई है। प्रेक्षक द्वारा आहूत बैठक में लिंगानुपात के आधार पर श्रेणीकरण, आयु समूहवार का विश्लेषण, लिंगानुपात में वृद्धि के लिए निकाय एवं विकासखण्डो के लिए लक्ष्यों का निर्धारण, मतदान केन्द्रों की संख्या का विश्लेषण एवं श्रेणीकरण तथा लक्ष्य प्राप्ति के लिए मतदाता जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार कार्ययोजना की जानकारी और ईव्हीएम के चतुर्मासिक भौतिक सत्यापन एवं अन्तर्जिला भौतिक सत्यापन की प्रगति तथा विनिष्टीकरण हेतु डीएमएम को ईसीआईएल में भेजने की प्रगति के अलावा पूर्वाद्ध में संभावित नगरीय, पंचायत के आम निर्वाचन और 31 मार्च 2016 की स्थिति में रिक्त पदो के लिए उप निर्वाचन तैयारियों की समीक्षा मुख्यतः की जाएगी। बैठक में मास्टर टेªनर्सो के मानदेय एवं यात्रा भत्ता भुगतान की भी समीक्षा की जाएगी।

दुमका में महिलाओं को उनका हक मिले : डीआईजी देव बिहारी शर्मा

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महिलाओं के सशक्तिकरण से लेकर उनके त्वरित विकास व समाज मे उनकी भूमिका को अक्षुण्ण बनाए रखने सहित आधी आबादी को मिलने वाले अधिकार के आलोक में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर उप राजधानी दुमका के विभिन्न क्षेत्रों में महती भूमिका निभा रही महिलाओं ने एक विशाल जुलूस के माध्यम से जहाँ एक ओर अपनी उपस्थिति का एहसास दिलाया वहीं दूसरी ओर पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर आगे बढ़ने का बड़ा पैगाम दिया। स्वामी विवेकानन्द चैक से सूचना भवन तक महिलाओं का विशाल जुलूस पैदल मार्च कर अपनी उपस्थिति से यह अवगत करा दिया कि महिलाएँ किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं। अपने दम-खम पर वे समाज और देश की तस्वीर बदलना जानती हैं। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सूचना भवन परिसर में आयोजित परिचर्चा में बोलते हुए दुमका के डीआईजी देव बिहारी शर्मा ने कहा कि महिलाओं को उनका हक मिले यह शासन प्रशासन के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों को मिलकर सुनिश्चित करना चाहिए। 

अपने अध्यक्षीय संबोधन में दुमका की प्रथम महिला व डीसी दुमका राहुल कुमार सिन्हा  की पत्नी जया सिन्हा ने कहा कि बस लिंगानुपात में स्त्रियों को पुरूषों के बराबर होने की देरी है, महिलायें पुरूषों को बहुत पीछे छोड़ जायेंगी। एस0पी0 विपुल शुक्ला की पत्नी पूनम शुक्ला ने कहा बेटियों को सम्मान नहीं प्राप्त होगा तो बहु कैसे पाऐगें। बेटी बचाओं अभियान को शिद्दत से प्रचारित किये जाने की जरूरत है। दुमका के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने कहा कि बेटियाँ बचाओ केवल अभियान नहीं हर व्यक्ति का संकल्प होना चाहिये। उन्होंने कहा कि हम हर हाल में बेटियों को बचायेंगे। ‘‘सेव दि गर्ल चाईल्ड कैम्पेन’’ की शुरूआत दुमका में इसी आलोक में हुई है। उन्होंने कहा दुमका का स्त्री पुरूष अनुपात राज्य औसत से भी कम है। दुमका शहरी क्षेत्र में यह 891 मात्र है। उन्होनें कहा हर हाल में सब मिलकर इस सेव दि गर्ल चाइल्ड अभियान में हिस्सा लें और अपना सक्रिय योगदान दें। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक विपुल शुक्ला ने कहा महिलाओं व लड़कियों को अपने विरूद्ध किसी भी अत्याचार, उत्पीड़न की शिकायत करने में संकोच नहीं करना चाहिए बल्कि आगे आकर शिकायत करनी चाहिए। इस अवसर पर दुमका जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव अमरेश कुमार व न्यायिक पदाधिकारी निशीथ कुमार ने कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी। 

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उप निदेशक जनसम्पर्क अजय नाथ झा ने महिलाओं को पहले पढ़ाई फिर अपने रोजगार को प्राथमिकता देने की बात कही तथा विवाह उनकी प्राथमिकता में न हो से उन्हें अवगत कराया। इस अवसर पर सिंहासिनी कुमारी, डाॅ. प्रमोदिनी हाँसदा, अमिता रक्षित, किरण तिवारी, लता मुर्मू, डाॅ. बबिता अग्रवाल, अन्नु सुमिता सिंह, अंजुला मुर्मू, मेरीलिना मरांडी आदि ने महिलाओं के बढ़ते कदम और चुनौतियों पर अपने विचार रखे। सबका मानना था कि महिलाओं का सम्मान और उसके पहचान की लड़ाई मंे समाज को अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अमिता रक्षित ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन ऋतु गुटगुटिया ने किया। इस अवसर पर महिलाओं ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर केक काटकर एक-दूसरे को बधाई दिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया जिनमें जया सिन्हा, पूनम  शुक्ला, सिहासिनी कुमारी, डाॅ. प्रमोदिनी हाँसदा, अमिता रक्षित, डाॅ. छाया गुहा, अन्नू, सुमिता सिंह, ऋतु गुटगुटिया, अंजुला मुर्मू, किरन तिवारी, सुमिता मुखर्जी, मेरीलिना मरांडी, अंजुला मुर्मू, रंजू, सुनिता मुखर्जी, पूनम अग्रवाल, रजिया, अरूणिमा, ऐलिजाबेथ, डाॅ. बबीता, मार्था, अनामिका, छवि बागची आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर महिला जागरूकता रैली विवेकानन्द चैक से सूचना भवन तक निकाली गई जिसमें सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया।

आज की रोल मॉडल हैं ये ग्रामीण महिलाएं-डॉ.सुनीति

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  • -इनर व्हील क्लब की सदस्यों ने मुस्तफापुर गांव की महिलाओं को किया सम्मानित
  • -आपको सम्मानित करके हमें हमें गर्व महसूस हुआ-नीरजा कुमारी

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बिहार अभ्युदय:शहर की ख़बरों को लिखते लिखते मैं काफी ऊब चूका था।ये तो नालंदा स्थित मुस्तफापुर गांव की ग्रामीण महिलाओं का जूनून था जिसने मुझे उस गांव तक जाने को मज़बूर कर दिया।मैं तहे दिल से उस गांव की महिलाओं,इनर व्हील क्लब की सदस्यों और अभिभावक तुल्य डॉ.सुनीति आंटी को विशेष धन्यवाद देता हूँ जिनके कारण पहली बार रूरल जर्नलिज्म करने का मौका मिला।कुछ दिन पहले मैंने मुस्तफापुर गांव की महिलाओं की मुहीम को लेकर एक खबर लिखी थी जिसका शिर्षक था'पुरुषों की दारू पर भारी महिलाओं की झाड़ू'जिसे पढ़ने के बाद डॉ.सुनीति मैडम ने मुझे कहा कि रजनीकांत महिला दिवस की असल रोल मॉडल तो ये ग्रामीण महिलाएं है जिन्होंने समाज से शराब जैसी बीमारी को खत्म करने की ठानी है।बता दें कि महिलाएं हाथ में झाड़ू और डंडा थाम कर बड़े आत्मविश्वास से निकलती हैं और घूम-घूम कर लोगों से शराब न पीने की अपील करती हैं। जो मानता है उसके लिए बधाई और जो नहीं मानता उनकी पिटाई होती है,क्यों न आज के दिन इन्हें सम्मानित करें।सुबह से हमलोग कार्यक्रम की तैयारी में जुटे थे।करीब चार बजे शाम में हमलोग मुस्तफापुर गांव की ओर निकल पड़े।मैं भी लोकेशन को लेकर थोडा कंफ्यूज था।आधा घंटे हमलोग टपली खाते रहें।सड़क ख़राब होने के कारण हमलोग पैदल ही चल पड़े।डॉ.सुनीति क्लब की अध्यक्ष नीरजा कुमारी,सचिव भावना वर्मा, डॉ.रंजना, डॉ.प्रेरणा,मंजू प्रकाश,मधु कंचन,शोभा रानी,डॉ.प्रीति रंजना के साथ हमलोग पैदल ही स्थल तक पहुँच गए जहाँ की महिलाओं को सम्मानित करना था।सैकड़ों महिलाओं की भीड़ हमें रिसीव करने सड़क पर पहुँच गयी।शहर में शायद ही कभी इस तरह वार्म वेलकम देखने को मिला हो।

पुरे ग्रामीण महिलाओं की इस वेलकम से हमलोग काफी खुश हुए।इस पुरे मुहिम को मुकम्मल तरीके से अंजाम तक पहुँचाने वाली ग्रामीण महिलाओं को शाल व छाता भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया।आँखों में अपनेपन का अहसास व उम्मीद ग्रामीण महिलाओं की आँख में स्पष्ट दिख रहा था।इस मौके पर ग्रामीणों को संबोधित करते हुए अध्यक्ष नीरजा कुमारी ने कहा कि आज मुझे आपको सम्मानित करके काफी ख़ुशी हो रही है।डॉ.सुनीति ने कहा कि इनका प्रयास सराहनीय है।इनको जब भी हमारी ज़रूरत महसूस होगी मैं क्लब व व्यक्तिगत रूप से खड़ी हूँ।बस फिर क्या था सभी महिलौएं व ग्रामीण खड़े होकर सभी सदस्यों के सम्मान में खड़ी होकर ताली बजाती रही व सभी सदस्यों को माला पहनाकर उन्हें सम्मानित किया।गांव के माहौल को देखकर सभी सदस्यों की ऑंखें भर आयी।पहली बार रूरल जर्नलिज्म की कुछ सार्थकता महसूस हुई और अहसास हुआ कि जर्नलिज्म करने के सही मायने गांव से ही जुड़ा है। इस अभियान की नेतृत्वकर्ता पिंकी देवी ने बताया कि शराब से पुरे गांव की महिलाएं परेशान थी।बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ रहा था तो हमने सोचा कि चाहे जो हो जाए, इस बुराई को जड़ से समाप्त कर देंगें।इस मौके पर छमिया देवी,लाखो देवी,चन्द्रकान्ति देवी,मुन्नी देवी,निभा देवी के अलावे दर्जनों महिलाएं ने मिलकर इसके खिलाफ मुहीम छेड़ दी।तीन सौ महिलाओं के इस ग्रुप में कुछ ही पढ़ी-लिखी हैं। बाकी ने भले पढ़ाई नहीं की लेकिन इस कुरीति के खिलाफ डट कर खड़ी हैं। 

इनका कहना है कि ये गांव के लोगों को नशामुक्त करके ही रहेंगी। इतना ही नही ये महिलाएं जब गांव में घूमती हैं तो सभी पुरुष जो नशा करते हैं इधर-उधर भाग जाते हैं। इसके बावजूद भी ये ऐसे लोगों को ढूंढ निकालती हैं और समझा देती हैं।सम्मान समारोह में मौजूद महिलाओं का कहना है की घर में पति अगर शराब पीता है तो बेटा भी उसका आदी हो जाता है लगता है और फिर पूरा घर परेशान होता है। जिसकी वजह से आए दिन झगड़े होते थे।लोग इस हद तक नशे में चूर हो गए थे कि जान तक ले लेने पर उतारू थे। इस ग्रुप की महिलाओं का कहना है कि इन्हीं सब मुद्दे को देखकर हम लोगों ने यह बीड़ा उठाया है और पूरे गावं के बड़े-बूढ़े और जवानों को शराब से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करने की ठानी ।

धर्मशाला में भारत-पाक मैच होने की पूरी उम्मीद : श्रीधर

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धर्मशाला, 08 मार्च, आईसीसी ट्वंटी-20 विश्वकप के टूर्नामेंट निदेशक एमवी श्रीधर ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान के दो सदस्यीय दल द्वारा सुरक्षा स्थितियों का जायजा लेने के बाद 19 मार्च को धर्मशाला में होने वाले भारत-पाकिस्तान विश्वकप मैच के आयोजन की उन्हें पूरी उम्मीद है। श्रीधर ने केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करने के बाद यहां संवाददाताओं से कहा, “भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अौर टूर्नामेंट की ओर से मुझे पूरी उम्मीद है कि धर्मशाला में मैच आयोजित होगा। पाकिस्तानी सुरक्षा दल को मैदान के बारे में जानकारी दे दी गयी है और उन्होंने सुरक्षा स्थितियों का जायजा लिया है। अब फैसला उन्हें करना है।” 

टूर्नामेंट निदेशक ने कहा, “जाहिर तौर पर पाकिस्तानी दल अपने देश की सरकार और उच्चायुक्त से सलाह-मश्विरा करेगा और उसके बाद ही कोई फैसला लिया जायेगा। हम मैच के आयोजन के बारे में तब ही कुछ कह सकते हैं जब हम उनका पक्ष जान लेंगे।” पाकिस्तान का दो सदस्यीय सुरक्षा दल कल से भारत दौरे पर है। सुरक्षा दल में संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के निदेशक उस्मान अनवर और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारी आजम खान शामिल हैं। यह दल पाकिस्तान के मंत्री चौधरी नासिर अली खान और पीसीबी के अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। पाकिस्तान सरकार ने अपनी टीम के भारत में खेलने को लेकर चिंता जताई थी और सुरक्षा के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त होने के लिये यहां सुरक्षा दल भेजने का फैसला किया था।

1000 करोड़ की हेराफेरी में 10 ठिकानों पर सीबीआई के छापे

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नयी दिल्ली, 08 मार्च, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सिडिंकेट बैंक में 1000 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के सिलसिले में राजधानी दिल्ली और राजस्थान के जयपुर एवं उदयपुर के 10 ठिकानों पर आज एक साथ छापेमारी की। सीबीआई सूत्रों ने यहां बताया कि जांच एजेंसी ने बैंक की शाखाओं और अधिकारियों एवं कर्मचारियों के आवास सहित 10 जगहों पर छापेमारी की। इस मामले में फर्जी बिलों का इस्तेमाल और जीवन बीमा पॉलिसियों के न होने के बावजूद ओवरड्राफ्ट लिमिट मुहैया कराया गया था। 

सीबीआई ने बैंक के दिल्ली स्थित तत्कालीन महाप्रबंधक सतीश कुमार, जयपुर के तत्कालीन क्षेत्रीय उप महाप्रबंधक संजीव कुमार, एमआई रोड स्थित शाखा के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक देशराज मीणा और जयपुर की मालवीय नगर शाखा के तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक आदर्श मानचंदा तथा उदयपुर के तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक अवधेश तिवारी के अलावा उदयपुर स्थित चार्टर्ड अकाउंटेट भारत बम्ब एवं दो निजी व्यक्तियों -पीयूष जैन एवं विनीत जैन तथा जयपुर के निजी व्यक्ति शंकर खंडेलवाल के खिलाफ 1000 करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला दर्ज कर लिया है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी, 409, 420, 467, 468 तथा 471 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(2), 13(1)(सी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले में जांच जारी है। खबर लिखे जाने तक छापेमारी भी जारी थी। सिंडिकेट बैंक के लिए विवाद कोई नई बात नहीं है। डेढ़ साल पहले बैंक के तत्कालीन मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी) एस के जैन को 50 लाख रुपये की घूस लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया गया था। जैन कुछ कंपनियों की कर्ज की सीमा बढ़ाने के एवज में रिश्वत ले रहे थे। जैन को निलंबित कर दिया गया था।
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