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एक अप्रैल से देशी शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध : नीतीश

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पटना 30 मार्च, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानमंडल के दोनों सदनों में कहा कि एक अप्रैल से राज्य में देशी शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जायेगा और अवैध रूप से बेचे गये शराब के पीने पर मौत होने की स्थिति में इसका उत्पादन और बिक्री में संलिप्त लोगों को मृत्युदंड दिया जायेगा । श्री कुमार ने विधानसभा और विधान परिषद में बिहार उत्पाद(संशोधन) विधेयक 2016 पर हुए चर्चा के बाद जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने एक अप्रैल से देशी शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है जबकि विदेशी शराब सिर्फ नगर निगम और नगर निकाय क्षेत्रों में ही बेचे जा सकेंगे । उन्होंने कहा कि विदेशी शराब की बिक्री पर चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध लगाया जायेगा । मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग मिलावट कर शराब बेचते है जिसके पीने से मौत हो जाती है । उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति में शराब बेचने वाले और उसका उत्पादन करने वाले दोनों को मृत्युदंड दिये जाने का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है । उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से इस तरह की खबरें ज्यादा आती है । 

श्री कुमार ने कहा कि शराबबंदी के लिये लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से सघन अभियान चलाया जा रहा है । उन्होंने कहा कि सात लाख जगहों पर दिवार पर नारे लिखे गये है जबकि आठ हजार 430 नुक्कड़ नाटक का आयोजन हुआ है । उन्होंने कहा कि स्कूली छात्रों के एक करोड़ अभिभावकों ने शपथ पत्र लिखकर दिया है कि वे न तो शराब पीयेंगे और न ही इसके लिये किसी को प्रेरित करेंगे । मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलों में शराब के नशे का लत छुड़ाने के लिये नशामुक्ति केन्द्र खोला गया है । उन्होंने कहा कि नयी उत्पाद नीति को कड़ाई से लागू करने के लिये सभी संबंधित पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये गये है । उन्होंने कहा कि चोरी छुपे शराब पीने और शराब बेचने पर रोक लगाने के लिये हरसंभव कार्रवाई किय जा रहे है । उन्होंने कहा कि मिलावटी शराब पीने से मौत होने की स्थिति में इसकी बिक्री और उत्पादन करने वालों को मृत्युदंड दिया जायेगा । दोनों सदनों में बिहार उत्पाद(संशोधन) विधेयक 2016 सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इसके बाद दोनों सदनों के सदस्यों ने शराब नहीं पीने और इसके लिए किसी को प्रेरित नहीं करने की शपथ ली। सदस्यों ने सरकार के नई उत्पाद नीति को सफलतापूर्वक लागू करने में सहयोग देने की भी शपथ ली। 

आतंकवाद से मुकाबले के लिए संधियां जरूरी : मोदी

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ब्रसेल्स 30 मार्च, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद से मुकाबले के लिए पारस्परिक विधिक सहयोग संधि पर बातचीत शुरू करने तथा भारत-बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण संधि और सजायाफ्ता कैदी आदान प्रदान संधि को अंजाम तक पहुंचाने की जरूरत पर आज बल दिया। श्री मोदी ने बेल्जियम की एक दिवसीय यात्रा के दौरान मेजबान प्रधानमंत्री चार्ल्स मिशेल के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद संयुक्त वक्तव्य में ब्रसेल्स आतंकवादी हमले के हताहतों के प्रति शोक संवेदना प्रकट करते हुए ये जरूरत व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बेल्जियम के लोगों के दुख और शोक में शामिल हैं जो पिछले आठ दिनों से उन्हें परेशान किये हुए हैं। उन्होंने हमले में मारे गये लोगों के परिजनों के प्रति शोक संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि भारत बेल्जियम के लोगों के प्रति एकजुटता से खड़ा है। 

उन्होंने कहा कि आतंकवाद की साझा चुनौती से निपटने के लिए पारस्परिक विधिक सहयोग संधि पर बातचीत पुन: शुरू करने तथा प्रत्यर्पण संधि तथा सजायाफ्ता कैदियों के आदान प्रदान संबंधी संधि को तार्किक परिणति तक पहुंचाने की जरूरत है। आर्थिक सहयोग के मुद्दे पर श्री मोदी ने कहा सात प्रतिशत वृद्धि दर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। बेल्जियम की क्षमताएं और भारतीय अर्थव्यवस्था का जोड़ दोनों पक्षों के लिए लाभकारी होगा। प्रधानमंत्री ने बेल्जियम के कारोबारी प्रमुखों के साथ बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि वह बेल्जियम सरकार एवं कंपनियों को भारत के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों में साझेदारी के लिए आमंत्रित करते हैं।

हत्या मामले में पांच आरएसएस कार्यकर्ताओं को उम्रकैद

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पलक्कड, 30 मार्च, केरल में पलक्कड की अतिरिक्त जिला सत्र अदालत ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) के दो कार्यकर्ताओं की हत्या में शामिल होने के जुर्म में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांच कार्यकर्ताओं को आज उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने पांचों दोषियों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना न भरने की स्थिति में इन्हें तीन वर्ष अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी। अदालत ने मणिकांतन, राजेश, मुरुकदसन, सुरेश और गिरीश को उम्रकैद की सजा सुनाई। 

गौरतलब है कि 29 अक्टूबर 2007 को मालमपुझा के समीप काडिनमकुलम में माकपा कार्यकर्ता गोपालकृष्णनन और रवींद्रन की हत्या कर दी गई थी। इनकी हत्या उस समय की गई जब ये एक शादी में से लौट रहे थे। 

कन्हैया को खुली बहस की चुनौती

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अमृतसर 30 मार्च, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र कन्हैया के 1984 के दंगों संबंधी दिए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी के नेता एच एस फुलका ने कन्हैया को खुली बहस की चुनौती दी है। श्री फुलका ने कहा कि कन्हैया ने जो बयान दिया है वह बहुत ही अफसोसजनक है। कन्हैया ने कहा था कि 1984 के दंगों के लिए सरकार ने नहीं उकसाया था। श्री फुलका ने कहा कि यही बयान कांग्रेस सरकार का भी था जिसे हम नानावती आयोग के समक्ष गलत साबित कर चुके हैं। आयोग को मानना पड़ा था कि दंगों के पीछे कांग्रेस का हाथ था। 

श्री फुलका ने कहा कि बयान देने से पूर्व कन्हैया को कम से कम पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर)की रिपोर्ट पढ़ लेनी चाहिए थी जिसमें साफ लिखा है कि कैसे सरकारी मशीनरी का प्रयोग करके सिखों का कत्लेआम किया गया था। यह रिपोर्ट पीयूडीआर और मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज़ (पीयूसीएल) ने नवंबर 1984 में लिखी थी। उन्होंने कहा कि कन्हैका तो पीयूडीआर से भी संबद्ध है। 

श्री फुलका ने कहा कि वह कन्हैया को पत्र लिख रहे हैं कि वह अपना बयान वापिस ले। अगर वह अपना बयान वापिस नहीं लेता तो इसी विषय पर उनसे खुली बहस करे।वह स्वंय जेएनयू विश्वविद्यालय जा कर छात्रों की मौजूदगी में बहस करेंगे तथा साबित कर देंगे कि दंगों के पीछे कांग्रेस का हाथ था। 

2016-17 में घटेगी विकास दर : एशियाई विकास बैंक

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नयी दिल्ली 30 मार्च, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारत को सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बताते हुये कहा कि निकट भविष्य में भी इसकी विकास दर सबसे तेज बनी रहेगी, हालाँकि 31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष की तुलना में 01 अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष में विकास दर घटकर 7.4 प्रतिशत रह जायेगी। एडीबी ने आज जारी बयान में बताया कि वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की विकास दर 7.4 प्रतिशत रहेगी, जबकि 2017-18 में यह एक बार फिर बढ़ते हुये 7.8 प्रतिशत पर पहुँच जायेगी। वित्त वर्ष 2015-16 में विकास दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री शांग जिन वेई ने कहा, “भारत दुनिया की सर्वाधिक तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और निकट भविष्य में इसकी रफ्तार तेज बनी रहेगी। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और श्रम बाजार कानून में सुधार के साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए और क्षेत्राें को खोलने जैसे सुधार लागू करने से भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता और बढ़ाई जा सकती है।” एडीबी ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है। 

सरकार की आर्थिक सुधार की नीतियों के लागू होने से देश में कारोबारी माहौल में सुधार हो सकता है। इस दौरान बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के विकास के लिए 200 अरब डॉलर की जरूरत होगी। वित्त वर्ष 2015-16 में विनिर्माण, निजी उपभोग और सरकार द्वारा पूँजीगत व्यय में तेजी की बदौलत भारतीय अर्थव्यवस्था को निर्यात में दहाई अंक की गिरावट से उबरने में मदद मिली है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण तेल आयात पर होने वाला व्यय घटने से इसके आयात में भी गिरावट रही है। वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में मंदी की वजह से महँगाई में नरमी का रुख रहा है। हालाँकि, दूसरी छमाही में इसमें तेजी रही थी। उसने कहा कि 01 अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2016-17 में भी वैश्विक अर्थव्यवस्था के कमजोर रुख के कारण भारत के निर्यात, खासकर रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर दबाव बना रहेगा। हालाँकि, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि होने पर घरेलू उपभोग में तेजी आने की उम्मीद है। तेल आयात बिल में कमी आने से सार्वजनिक निवेश के मजबूत रहने की उम्मीद है।

परमाणु हथियारों से संपन्न पाकिस्तान एक बेहद बड़ी समस्या है: डोनाल्ड ट्रंप

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वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति पद की रिपब्लिकन उम्मीदवारी के प्रमुख दावेदार डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि परमाणु हथियारों से संपन्न पाकिस्तान 'बहुत-बहुत बड़ी समस्या'है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश को इस स्थिति पर 'नियंत्रण स्थापित करने'की जरूरत है। विंसकान्सिन में एक 'टाउन हॉल'के दौरान ट्रंप ने सीएनएन को बताया, 'पाकिस्तान एक बहुत-बहुत बड़ी समस्या है और वह हमारे लिए वाकई बहुत अहम देश है, क्योंकि उसके पास परमाणु हथियार हैं। उन्हें उनकी स्थिति पर नियंत्रण पाना होगा।'रिपब्लिकन पार्टी की प्रेजीडेंशियल प्राइमरी पांच अप्रैल को यहीं आयोजित होनी है।

लाहौर में ईस्टर संडे के अवसर पर किए गए आतंकी हमले का हवाला देते हुए ट्रंप ने कहा,  'मैंने देखा कि यह एक पार्क में किया गया, क्योंकि वहां अधिकतर लोग ईसाई थे... हालांकि वहां ईसाइयों से इतर भी बहुत से लोग मारे गए, मैं निश्चित तौर पर इसे एक भयावह कहानी मानता हूं।'लाहौर में हुए हमले में 74 लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा अन्य लोग घायल हो गए थे। वहीं एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा, 'मैं चरमपंथी इस्लामी आतंकवाद की बात कर रहा हूं। मैं किसी भी अन्य दावेदार की तुलना में इसे बेहतर ढंग से सुलझाउंगा।'

भाजप ने उत्तराखंड में लोकतंत्र का गला घोंट दिया' : शिवसेना

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मुंबई: उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के मुद्दे पर अपने सहयोगी दल बीजेपी की कड़ी आलोचना करते हुए शिवसेना ने कहा कि बीजेपी ने नैतिकता के नाम पर 'लोकतंत्र का गला घोंट'दिया है। इसके साथ ही शिवसेना ने चेतावनी भी दी है कि इससे देश में अस्थिरता और अराजकता का माहौल पैदा हो सकता है। शिवसेना प्रमुख ने साथ ही कहा, 'उत्तराखंड में जो हो हुआ, वह शर्मनाक है, इस मुद्दे को लौकतांत्रिक तरीके से हल किया जाना चाहिए था।'उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ उसका गठबंधन 'अस्थायी है और यह राजनीतिक अनिवार्यता का नतीजा है'... इस गठबंधन में 'नैतिकता या अनैतिकता का कोई सवाल नहीं है'।

उत्तराखंड में सत्ताधारी कांग्रेस में विद्रोह के मद्देनजर संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए केंद्र ने रविवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। इस पर शिवसेना ने अपने पार्टी मुखपत्र 'सामना'के संपादकीय में आरोप लगाया, 'बीजेपी ने उत्तराखंड सरकार को अस्थिर करने के लिए कांग्रेस के नौ बागी विधायकों का इस्तेमाल किया।'शिवसेना ने पूछा, 'अगर सरकार बहुमत खो चुकी थी तो फैसला राज्य विधानसभा में लिया जाना चाहिए था। राज्यपाल ने तो सरकार को 28 मार्च तक बहुमत साबित करने का वक्त भी दिया था, लेकिन उससे एक ही दिन पहले राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। बीजेपी ने इससे क्या हासिल कर लिया?'

एनडीए गठबंधन में कनिष्ठ सहयोगी दल ने कहा, 'हम कांग्रेस के भ्रष्ट कृत्यों के खिलाफ हैं, लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता में आई सरकार को लोकतांत्रिक माध्यमों से ही हटाया जाना चाहिए। ज्यादा समय नहीं लगेगा जब इससे देश में अस्थिरता और अराजकता पैदा हो जाएगी।'शिवसेना ने कहा, 'हमें कांग्रेस के सत्ता से जाने की चिंता नहीं है। लेकिन जैसा कि विपक्षी दल कहते हैं, आपने लोकतंत्र का गला घोंट दिया है? लोकतंत्र में, विपक्ष की आवाज का बहुत अधिक महत्व है। किसी एक पार्टी का शासन आपातकाल या तानाशाही से भी बुरा है। यदि विपक्ष को नष्ट कर दिया जाता है और सहयोगियों पर जहर फेंक दिया जाता है तो देश तबाह हो जाएगा।'

शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र में मौजूदा गठबंधन राजनीतिक मजबूरियों का परिणाम है। पार्टी ने कहा, 'शिवसेना सरकार के साथ है, क्योंकि हम राज्य में अस्थिरता और कानूनहीनता की स्थिति नहीं चाहते। यहां नैतिकता या अनैतिकता का सवाल नहीं है लेकिन यह राजनीतिक मजबूरियों के चलते की गई अस्थायी व्यवस्था है।'उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद कांग्रेस ने इस फैसले को 'लोकतंत्र की हत्या'और उस दिन को 'काला'दिन करार दिया था। इसी बीच, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को आदेश जारी करके 31 मार्च को विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने के लिए कहा। इसके साथ ही राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम में एक नया मोड़ आ गया है।

उत्तराखंड में खर्च के लिए अध्यादेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी

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नयी दिल्ली 30 मार्च, केन्द्र सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मद्देनजर राज्य की संचित निधि से एक अप्रैल से खर्च की व्यवस्था करने क लिए राष्ट्रपति से अध्यादेश जारी करने की सिफारिश करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अनुपस्थिति में गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आज यहां हुयी बैठक में लिया गया। संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि उत्तराखंड विधान सभा 18 मार्च को राज्य का बजट पारित नहीं कर पायी थी इसके कारण वहां एक अप्रैल से खर्च के लिए राज्य की संचित निधि से धन नहीं निकाला जा सकता। वहां इस समय राष्ट्रपति शासन लागू है इसलिए इसके लिए अध्यादेश लाना पड़ेगा और मंत्रिमंडल ने इसकी मंजूरी दे दी है। राज्य में 27मार्च को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। 18मार्च को विधान सभा में विनियोग विधेयक पारित कराने के समय भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने इस पर मत विभाजन कराने की मांग की थी जिसका कांग्रेस के नौ विधायकों ने भी समर्थन किया था लेकिन विधान सभा अध्यक्ष ने शाेर शराबे के बीच विधेयक को पारित घोषित कर दिया था, भाजपा विधायकों तथा कांग्रेस के नौ बागी विधायकों ने उसी दिन राज्यपाल से मिलकर अपना पक्ष रखा था और कहा था कि विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की उनकी मांग नहीं मानी गयी और यह पारित नहीं हुआ है। 

उनका कहाना था कि राज्य की हरीश रावत सरकार अल्पमत में आ गयी है उसे बर्खास्त किया जाना चाहिए। इस पूरे प्रकरण के बाद केन्द्र ने वहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि विधान सभा में विनियोग विधेयक पारित नहीं हो पाया है जबकि राज्य के मुख्यमंत्री का दावा था कि विधेयक परित हो चुका है। मंत्रिमंडल ने आज की बैठक में शत्रु संपत्ति अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करने को भी मंजूरी दी। उत्तराखंड के लिए खर्च की व्यवस्था संबंधी अध्यादेश लाने के लिए सरकार ने कल संसद के बजट सत्र का सत्रावसान कर दिया था , संसद के बजट सत्र के पहले चरण के बाद इस समय अवकाश चल रहा था और अगले वित्त वर्ष के लिए दो दिन ही शेष रह गये थे जिसके करण लोक सभा की बैठक तुरंत बुलाकर उसमें राज्य के खर्च के लिए विधेयक पारित कराना मुश्किल था।

जन अधिकार को लेकर प्रदर्शन

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नई दिल्ली। जंतर मंतर पर  विमुक्त घुमन्तू जनजाति ने विभिन्न माॅगों को लेकर प्रदर्शन किया। उन्होंने माॅग की कि  मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुसार अन्य पिछडे़ वर्गो को 27 प्रतिशत दिया गया है, किन्तु इस आरक्षण का लाभ कुछ चुनी हुई जातियों को मिल रहा है और विमुक्त घुमन्तु तथा अन्य अत्यंत पिछड़ी जातियांे को इसका पूरा जाभ नही मिल पा रहा है। विमुक्त घुमन्तु समुदाय के समर्थन में सांसद उदित राज पहुंचे और उन्होंने इस मुददे को संसद में उनकी बात रखने की बात कही। 

प्रदर्शनकारियों ने मांग की आजादी के 70 साल हो के बाद भी समुदाय के लोगों को अभी तक आजादी नहीं मिली है। कोई उनके अधिकार की बात नहीं करता। हमारा परंपारिक काम-धंधे छिन लिये गये हैं। हमें जानवर रखने की इजाजत नहीं है। सरकार ने हमें भिखारी बना दिया है। 

इस मौके पर प्रदर्शनकारियों का नेतत्व कर रहे सुरेश माहला ने कहा कि ‘केन्द्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर  विकास बोर्ड करना चाहिए, जैसे कि राजस्थान, हरियाणा और पंजाब राज्य की सरकारों ने इस बारे में अच्छी पहल की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आश्वासन दिया है।’ उन्होंने कहा कि‘  माॅगों को जल्द नही माना जाता तो बडे़ स्तर पर प्रदर्शन किया जायेगा।’

इस मौके पर सुरेश छाइड़ी,मनवीर,प्रकाश नाथ,बलजीत राणा,मुकेश,गुलाब,हेमंत,सुरेश विसाईया,सुभाष विसाईया, जोगिन्द्र,रंधीर तंडी, और विक्की विडू उपस्थित थे। 

गुलशन ग्रोवर, अलोक नाथ, चंकी पांडे और बाबा सहगल ने लॉच किया 'वूट'

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हाल में मुंबई में हुए वायकॉम 18 के इवेंट पर नए युग और नए दौर को नज़र रखते वायकॉम ग्रुप के सीईओ सुधांशु वत्स और सीओओ गौरव गांधी ने  एक 'वूट'नामक मोबाइल ऍप्लिकेशन का लौंच किया गया। इस नए एप्लीकेशन में दर्शकों और बच्चों के लिए मनोरंजन का भरमार है। इस नए एप्लीकेशन पर आनेवाले नए शोज में गुलशन ग्रोवर, अलोक नाथ, बाबा सहगल नज़र आनेवाले हैं। अलोक नाथ के शो का नाम 'संस्कारी'जोकि एक सेक्स चैट शो है। जहां गुलशन ग्रोवर अबतक अपने बैडमैन इमेज के लिए लोकप्रिय रहे हैं वहीँ 'वूट'पर आनेवाले नए शो में गुलशन  हीरो की भूमिका में नज़र आएंगे। 

इनके अलावा शो 'सोडिेस'जोकि रियलिटी शो रोडीज़ को पर्रित होकर बनाया गया है। शो 'सोडिेस'में बाबा सहगल मुख्या किरदार में नज़र आएंगे। इन सब के अलावा मनोरंजन के लिए शो 'चाइनीस भसड़'है जोकि चीनी और भारतीय परिवार के एक होने की कहानी है। इस खास मौका पर अलोक नाथ के शो 'संस्कारी'के निर्माता रघु और राजीव और बैडमैन शो के विलीन चंकी पांडेय भी मौजूद थे। 

विशेष आलेख : निजीकरण के दौर में सरकारी स्कूल

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सरकारी स्कूल हमारे देश के सावर्जनिक शिक्षा वयवस्था की बुनियाद हैं, ये  देश के सबसे वंचित  व हाशिये पर पंहुचा दिए गये समुदायों की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. देश की  शिक्षा वयवस्था के निजीकरण और इसे  मुनाफा आधारित बना डालने का मंसूबा पाले लोगों के रास्ते में भी सरकारी स्कूल सबसे बड़ी रूकावट हैं. तमाम हमलों और विफल बना दिए जाने की साजिशों के बीच इनका वजूद कायम है और आज भी जो लोग सामान शिक्षा व्यस्था का सपना पाले हुए हैं उनके लिए यह उम्मीद बनाये रखने का काम कर रहे हैं. नब्बे के दशक में उदारीकरण आने के बाद से सावर्जनिक सेवाओं पर बहुत ही सुनोयोजित तरीके से हमले हो रहे हैं और उन्हें नाकारा,चुका हुआ व अनुउपयोगी साबित करने हर कोशिश की जा रही है. एक तरह से सावर्जनिक सेवाओं का उपयोग करने वालों को पिछड़ा और सब्सिडी धारी गरीब के तौर पर पेश किया जा रहा है. उच्च मध्यवर्ग और यहाँ तक कि मध्यवर्ग भी अब सावर्जनिक सेवाओं के इस्तेमाल में बेइज्जती सा महसूस करने लगे हैं उनको लगता है इससे उनका क्लास स्टेटस कम हो जाएगा. इसकी वजह से  सरकारी सेवाओं पर  भरोसा लगातार  कम हो रहा है. कायदे से तो इसे लेकर सरकार को चिंतित होना चाहिए था लेकिन सरकारी तंत्र ,राजनेता और नौकरशाही इन सबसे खुश नजर आ रहे हैं, चूंकि निवेश और निजीकरण सरकारों के एजेंडे में सबसे ऊपर आ चुके हैं इसलिए सामाजिक सेवाओं में सरकारी निवेश को सब्सिडी कह कर मुफ्तखोरी के ताने माने जा रहे हैं और इन्हें कम या बंद करने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं दिया जा रहा है.

हमारे सरकारी स्कूलों में भी धीरे- धीरे नेताओं, नौकरशाहों ,बिजनेस और नौकरी पेशा लोगों के बच्चों का जाना लगभग बंद हो चुका है, अब जो लोग महंगी और निजी स्कूलों की सेवाओं को अफोर्ड नहीं कर सकते हैं उनके लिए सस्ते प्राइवेट स्कूल भी उपलब्ध हैं इनमें से कई तो सरकारी स्कूलों के सामने किसी भी तरह से नहीं टिकते हैं, लेकिन फिर भी लोग अपने बच्चों को  सरकारी स्कूल की जगह कमतर लेकिन निजी स्कूलों में भेजना ज्यादा पसंद करते हैं. और  तो और अब स्वयं सरकारी स्कूल के अध्यापक भी अपने बच्चों को प्राईवेट स्कूलों में भेजने को तरजीह देने लगे हैं. यह स्थिति हमारी सावर्जनिक शिक्षा व्यवस्था की त्रासदी ब्यान करती है. आज हमारे स्कूल भी हमारे आर्थिक और सामाजिक गैरबराबरी के नए प्रतीक बन गये हैं. सत्ताधारियों की मदद से शिक्षा को एक व्यवसाय के रूप में पनपने के सबूत भी है. यह बहुत आम जानकारी हो चुकी है कि किस तरह से नेताओं, अफसरों और व्यपारियों की गठजोड़ ने सावर्जनिक शिक्षा को दीमक की तरह  धीरे-धीरे को चौपट किया है ताकि यह दम तोड़ दें और उनकी जगह पर प्राइवेट क्षेत्र को मौका मिल सके.

इसलिए जब कुछ अपवाद सामने आते है तो वे राष्ट्रीय खबर बन जाते हैं 2011 में इसी तरह की एक खबर  तमिलनाडु से आई थी जहाँ इरोड जिले के कलेक्टर डॉ आर. आनंदकुमार ने जब  अपनी छह साल की बेटी को एक सरकारी स्कूल में दर्ज कराया तो यह घटना एक राष्ट्रीय खबर बन गयी, स्कूल स्तर पर भी इसका असर देखने तो मिला था कलेक्टर की बच्ची के सरकारी स्कूल में जाते ही सरकारी अमले ने उस स्कूल की सुध लेनी शुरु कर दी और उसकी दशा पहले से बेहतर हो गयी, जाहिर है अगर यह अपवाद आम बन जाये तो बड़े बदलाव देखने को मिल सकता है. शायद इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर 2014 में  केंद्र सरकार से कहा था जिस तरह से  सरकारी मेडिकल कॉलेज सबसे अच्छे माने जाते हैं उसी तरह से सरकार देशभर  में अच्छे स्कूल क्यों नहीं खोलती है,  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी पिछले साल अगस्त में एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए यूपी सरकार से कहा था कि जन-प्रतिनिधियों व सरकारी खजाने से वेतन या मानदेय पाने वाले हर व्यक्ति के बच्चे का सरकारी स्कूल में पढ़ना अनिवार्य किया जाए और इसकी अवहेलना करने वालों पर कड़ी कार्यवाही हो. इस फैसले का आम जनता द्वारा तो खूब स्वागत किया गया लेकिन संपन्न वर्ग की प्रतिक्रिया थी कि पालकों को यह आजादी होनी चाहिए कि उन्हें अपने बच्चों को कहां पढ़ाना है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश के मंत्री और नौकरशाह इ सपर अमल के लिए तैयार नहीं हुए, पिछले दिनों जो खबरें आई हैं उसके अनुसार यूपी सरकार हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल करने की तैयारी में है।

यह एक ऐसा दौर है जब तमाम ताकतवर और रुतबे वाले लोग ‘सरकारी स्कूलों के निजीकरण’ के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं, इसके लिए खुले तौर लाबिंग की जा रही है, यह लोग सरकारी स्कूलों को ऐसा सफ़ेद हाथी बता रहे हैं जो चुका हुआ भ्रष्ट,निष्क्रिय, और बोझ बन चूका है. सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी नाम की कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी नुमा एक सामाजिक संस्था है जिसका मानना है कि सरकारी स्कूल भारत के बच्चों की जरूरतों पर खरे नहीं उतर रहे है इसीलिए यह निजी स्कूलों की वकालत करती है और जनमत बनाने का काम करती है। सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी  द्वारा “स्कूल चयन अभियान” नाम से एक परियोजना चलायी जा रही है जिसके तहत स्कूलों की जगह छात्रों को फंड देने की वकालत जा रही है जिसे वे “स्कूल वाउचर” का नाम दे रहे हैं, उनका तर्क है कि इस वाउचर के सहारे गरीब और वंचित परिवारों के बच्चे भी अपने चुने हुए स्कूलों में पढ़ सकेंगें, जाहिर सी बात है इससे उनका मतलब निजी स्कूलों से है .सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी की एक प्रमुख मांग यह भी है कि आरटीई कानून को लेकर उस गुजरात मॉडल को अपनाया जाए जहाँ निजी स्कूलों की मान्यता के लिए जमीन व अन्य आवश्यक संसाधनों में छूट मिली हुई है और लर्निग आउटपुट के आधार पर मान्यता का निर्धारण होता है। इस साल फरवरी में निजी स्कूलों के संगठन नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स एलांयस (नीसा) द्वारा इसी मांग को लेकर दिल्ले के जंतर-मंतर पर एक प्रदर्शन भी किया गया है जिसमें  प्रधानमंत्री से स्कूलों की मान्यता के मामले में गुजरात मॉडल को देशभर मे लागू करने की मांग की गयी थी. दरअसल यह ढील इसलिए मांगी जा रही है क्योंकि लाखों की संख्या में प्राइवेट स्कूल शिक्षा अधिकार कानून के मानकों को पूरा नहीं कररहे हैं इसलिए उनपर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है. दरअसल हमारी शिक्षा व्यवस्था सफ़ेद नहीं बीमार हाथी की तरह है जिसे गंभीर इलाज की जरूरत है लेकिन समस्या यह है कि हर कोई इसका अपने तरह से इलाज करना चाहता है ,यहाँ सूंड और पूंछ की कहानी सच साबित हो रही है और कुछ लोग इस भ्रम को और बढ़ाकर शिक्षा को अपनी दूकानों में सजाना चाहते हैं.

सरकारी स्कूल अगर बीमार हैं तो इसकी जिम्मेदार कोई और नहीं सरकारें हैं, शिक्षा को स्कूलों के एजेंडे से गायब कर दिया गया है और इसकी जगह पर शौचालय, एमडीएम एवं  सतत व व्यापक मूल्यांकन प्रणाली (सीसीई) को प्राथमिकता मिल गयी है, सारा जोर आंकड़े दुरुस्त करने पर है, और स्कूल एक तरह से  ‘डाटा कलेक्शन एजेंसी’ बना दिए गये हैं, कागजी काम बहुत हो गया है और शिक्षकों का काफी समय आँकड़े जुटाने व रजिस्टरों को भरने में ही चला जाता है. हर काम के लिए लक्ष्य और निश्चित समयावधि निर्धारित कर दी गयी है हमारे शिक्षकों का सारा ध्यान इसी लक्ष्य को पूरा करने की जोड़-तोड़ लगा रहता है. हमारे स्कूल ऐसे प्रयोगशाला बना दिए गये हैं जहाँ हर कोई विचारों और नवाचारों को  आजमाना चाहता है। देश के लगभग 20 फीसदी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, समुदाय के लोगों की ज्यादा रुचि  स्कूल में होने वाली शिक्षा की जगह वहां हो रहे आर्थिक कामों में अपना हिस्सा मांगने में दिखाई पड़ने लगी है. शिक्षकों के लिए किसी भी तरह के प्रोत्साहन की वयवस्था नहीं है उलटे  सारी नाकामियों का ठीकरा उन्हीं  के सर पर थोप दिया जाता है. 

इन तमाम समस्याओं से जूझते हुए भी हमारी सावर्जनिक शिक्षा वयवस्था अपने आप को बनाये और  बचाए हुए है और दौड़ नहीं तो कम से कम चल रही है, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के  अनुसार देश भर  में  करीब  दो  लाख  सरकारी  स्कूल  हैं जहाँ 13.8 करोड़  बच्चे  पढ़ते  हैं  जबकि  प्राइवेट  स्कूलों  में  करीब  9.2 करोड़  छात्र  पढ़ते  हैं, यानी अभी भी सरकारी स्कूल ही है जो तमाम कमजोरियों  के बावजूद  हमारी शिक्षा व्यवस्था को अपने कंधे पर उठाये हुए हैं  और आज भी सबेसे ज्यादा बच्चे अपनी शिक्षा के लिए इन्हीं पर निर्भर हैं जिनमें ज्यादातर गरीब और हाशिये पर पंहुचा दिए गये समुदायों से हैं, इसलिए जरूरी है कि इन्हें मजबूत बनाया जाए लेकिन यह काम सभी की सहभागिता और सहयोग के बिना नहीं हो सकता है, इस दिशा में राज्य , समाज शिक्षकों और  स्कूल प्रबंधन समिति आदि को मिलकर अपना योगदान देना होगा। कोठारी कमीशन द्वारा साठ के दशक में ही समान शिक्षा प्रणाली की वकालत की गयी थी . मजबूत सावर्जनिक शिक्षा व्यवस्था हमें उस सपने के और करीब ला सकती है.



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- जावेद अनीस-

विशेष : सारनाथ में पानी की बूंद-बूंद खातिर तरस रहे सैलानी

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कहीं ये जल माफियाओं का प्लान तो नहीं। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, धार्मिक व पर्यटन स्थल जहां भी जाओ वहां ठंडा पानी नहीं मिलता। ऐसा नहीं है कि इन सार्वजनिक स्थलों पर कहीं भी वाटर कूलर नहीं लगे। बाकायदा लगे हैं, पर ये कूलर मात्र सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। इसे लापरवाही कहें या कुछ और, खामियाजा पर्यटकों के साथ-साथ आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है  

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर्यटकस्थलों को लेकर काफी संजीदा है। उसके विकास व सुविधाएं बढ़ाने के लिए वह प्रयासरत भी है। लेकिन अफसोस, उन्हीं के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का बौद्धस्थली सारनाथ में सात समुंदर पार से आएं सैलानी पानी की एक-एक बूंद के लिए भटक रहे है। कड़ाके की धूप से व्याकुल सैलानी हलक तर करने के लिए महंगे दर पर बिसलरी की बोतलें खरीदने को विवश है। इसकी बड़ी वजह है यहां लगा वाटर कूलिंग मशीन महीनों से खराब पड़ा है। मशीन की खराबी का फायदा उठाकर वेंडर मनमाने दर पर सैलानियों को बिसलरी की बोतले बेंच रहे है। इसकी शिकायत ठेला-खुमचा लगाने वाले कारोबारियों ने प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार की, लेकिन खराब पड़ी मशीन को नहीं बनवाया जा सका। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर आएं तो आएं कैसे पर्यटक। देखा जाय तो यह मसला सिर्फ सारनाथ का ही नहीं है धर्म एवं आस्था की नगरी काशी के घाटों एवं तकरीबन हर मंदिरों की है, जहां कहीं पीने के पानी की किल्लत है तो कहीं साफ-सफाई, तो कहीं शौचालयों की। इसके अभाव में पर्यटकों को न सिर्फ परेशानियों का सामना करना पड़ता है बल्कि उनके मन-मस्तिष्क पर पर्यटक स्थलों की महिमा या छबि पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। जबकि पर्यटकों से ही सरकार को राजस्व के रुप में करोड़ों-अरबों तो मिलता ही है, छोटे तबके के व्यापारियों से लेकर ट्रेवेल एजेंसियों तक की रोजी-रोटी का बड़ा साधन भी है।    

इन दिनों भीषण गर्मी में हर दस मिनट के बाद प्यास लगती है। ऐसे में यदि शीतल जल न मिले तो आपको कैसा लगेगा। फिर यात्रियों व पर्यटकों के पास एकमात्र सहारा बचता है बोतल का चिल्ड वाटर। जो सिर्फ दुकानों पर बिकता है और इसे पीने के लिए रकम अदा करनी पड़ती है। मजबूरी का फायदा उठाकर दुकानदार भी साधारण कंपनी की बोतल के अधिक दाम वसूलते हैं। इस छिपी हुई लूट पर कोई गौर नहीं करता। जबकि सार्वजनिक स्थलों पर यह धड़ल्ले से चल रही है। सारनाथ के टिकट बुकिंग केन्द्र के पास ही लगा लगा वाटर कूलर पिछले करीब डेढ़ महीने से खराब पड़ा है। कुछ ऐसा ही रोडवेज बस स्टैंडों का है। बताते हैं काफी होहल्ला मचाने पर इसे विभाग द्वारा ठीक भी कराया जाता है। लेकिन कुछ दिन तक मोटर चलने के बाद खराब हो जाता है। क्या वास्तव में मशीन खराब होती है या फिर इसे जानबूझ कर खराब किया जाता है। लेकिन ऐसी स्थिति में सबसे अधिक समस्या यात्रियों को झेलनी पड़ती है, जिन्हें अपनी प्यास 15 से 20 रुपए तक मिलने वाले पानी से बुझानी पड़ती है। रेलवे स्टेशनों पर भी शीतल जल की दरकार है। कहने को यहां भी प्लेटफार्मो पर वाटर कूलर लगाएं गए है। लेकिन इनसे कूल वाटर के बजाय हिट वाटर निकल रहा है। यात्रियों को शीतल जल के नाम पर गर्म पानी मिल रहा है। स्टेशन पर हजारों यात्री रोजाना सफर करते हैं। इतनी गर्मी और उमस में हर व्यक्ति ठंडे पानी के लिए वाटर कूलर की तरफ ही भागता है। लेकिन वहां पहुंचकर उन्हें मायूसी ही हाथ लगती है। प्लेटफार्मो पर ठंडा पानी न मिलने से यात्रियों को कई बार मजबूरन दुसरे प्लेटफार्म या हैंडपंपों पर जाना पड़ता है। ऐसे में वहां हमेशा भीड़ रहती है, जिससे यात्रियों को भारी दिक्कत होती है। कई बार तो झगड़ा होने का भी खतरा बना रहता है। प्लेटफार्मो पर खराब कूलर होने के कारण कई बार जल्दबाजी में पानी की बोतल खरीदनी पड़ती है।

कहा जा सकता है शहर में बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के साथ-साथ पर्यटन स्थल दशाश्वमेघ घाट सहित अन्य घाटों व मंदिरों का है जहां ठंडे पानी का टोटा रहता है। कूलर तो हर जगह लगे हैं, लेकिन उसे दुरुस्त नहीं किया जाता। ऐसे में अधिकारियों की अनदेखी के कारण पर्यटकों को प्यासा रहना पड़ता है। यात्रियों व सेलानियों का कहना है कि रेलवे स्टेशन हो या बस स्टैंड या फिर धार्मिक व पर्यटक स्थलों पर लगे वाटर कूलर मात्र शो पीस हैं। ये यात्रियों को धोखा देते हैं। गर्मी के दौरान अधिकारियों को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि आम आदमी व पर्यटकों को परेशानी न हो। इसके अलावा पर्यटक स्थलों की सफाई व्यवस्था भी चरमराई हुई है। बदइंतजामी व गंदगी से यात्रियों, पर्यटकों को गुजरना पड़ता है। सार्वजनिक शौचालयों की खस्ताहालत किसी से छिपी नहीं है, मगर हैरत की बात है कि बार-बार इस मुख्य समस्या को उठाने के बाद भी सार्वजनिक शौचालय की हालत में सुधार नहीं हो सका है। यात्री, पर्यटक टूटे-फूटे दरबाजों, गंदगीयुक्त फ्लश व यूरिन पॉटो में शौच करने को मजबूर हैं। शौचालय की नियमित सफाई सुलभ इंटरनेशनल के इंचार्जों द्वारा नहीं करवाई जा रही है। स्टेशनों व बस स्टैंडों पर पीने के पानी की वर्षों पुरानी पानी टैंकी की भी हालत बेहद खराब है। यात्री गंदगी भरा पानी पीने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि कई बस अड्डों व स्टेशनों पर लगी टोटियां अब गायब हो चुका है। इतना ही नहीं इस तमतमाती गर्मी में शहर के अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी पीने के साफ पानी की किल्लत बरकरार है। शहर के किसी भी कोने में चले जाएं मगर साफ पानी कहीं भी मयस्सर नहीं है। कचहरी व चैक-चैराहों पर यूं तो पीने का पानी है ही नहीं। इक्का-दुक्का नल अगर हैं भी तो गंदा होने के चलते उसका पानी पीने की पाबंदी है। अनजान लोग आंख मूंदकर जहां भी पानी मिले पीकर गला तर करने से नहीं चूक रहे हैं। मगर जिनकों साफ पानी का फायदा पता है वे बोतल बंद पानी के लिए जेब ढीली करते दिख रहे हैं। कुछ जगहों पर लगा एक मात्र इंडिया मार्क हैंडपंप चालू तो है मगर उसके आसपास की गंदगी देखकर कोई पानी पीना नहीं चाहता। दुकानों के आसपास कुछ हैंडपंप लगे हैं मगर स्वास्थ्य के लिहाज से उनका पानी खतरनाक माना जा चुका है। गांव या दूर दराज से पहुंचने वाले सैकड़ों वादकारी या अन्य किसी काम से मुख्यालय पहुंचे लोग मजबूरी में गंदा पानी पीकर प्यास बुझाते देखे जा रहे हैं। 





-सुरेश गांधी-

विशेष : ई 'गोला'पर ही कउनो 'फिरकी'ले रहा है

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जाति और धर्म पर उंगलियां उठाते हुए ई गोला पर कउनो फिरकी ले रहा है। कउनों भिड़ाने की कोशिश कर रहा है। वो किसी अउर गोला से नहीं, इसी गोला से है। अब कउन है ये आप समझो। हालांकि है आपके आस-पास ही, हुई सकत है हम और आप ही फिरकी लई रहे हों..या फिर ई सफेद कपड़ा वाला हम लोगन का अपनी उंगलिया मा नचा रहा हो। ऊ बड़ा वाला गॉड के नाम पर हमको यहीं का कउनो ससुर का नाती बुड़बक बना रहा हो। संभलने की जरूरत है। ऊ गॉड हमको नहीं सिखाया कि हम किस जाति का, किस धर्म का हैं। वो हमको नहीं बोला कि ये फलाने धर्म का है तो ई तुम्हारा दुश्मन है। सब कुछ यहीं सिखाया जा रहा है अउर हम सीख भी मन लगाकर रहे हैं। इत्ते सारे माध्यम जो हैं हमरे पास। सोशल मी़डिया पर कउनो ब्राहम्मणों को गरिया रहा है, तो कउनो दलितों के लिए अफसोस जता रहा है। बड़का वाला माइक थाम कर पूंछ रहे हैं कि मरने वाला हिंदू था या मुसलमान, कहीं हिंदू तो नहीं था, अच्छा मुसलमान था क्या। मारने वाला किस मजहब से था। अरे साहेब इंसान हैं सब। सबके अंदर खून एकै रंग का है। मौत होती है तो तकलीफ सबका एक जईसन ही होत है। पर का समझाएं, किसको समझाएं। चलिए आगे देखत हैं। 

हम, आप और पूरा समाज हो रहा है प्रभावित
कोई धर्म पर सवाल खड़े करता है तो कोई जाति पर। जिसके बाद भावनाएं आहत होती हैं। आपसी टकराव होता है। टकराव से हिंसा होती है और हिंसा से मातम। सिर्फ यहीं पर नहीं रूकता पूरा प्रकृम। मातम पर सियासत और सियासत से तैयार किया जाता है वोट बैंक। फिर वोट बैंक से सत्ता हासिल की जाती है। सत्ता से दौलत और दौलत की खातिर भ्रष्टाचार किया जाता है। भ्रष्टाचार के कारण देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है, विकास प्रभावित होता है, साथ ही प्रभावित होता है पूरा का पूरा समाज। मैं ये नहीं कह रहा कि इसमें महज सियासी ताकतें ही भूमिका अदा कर रही हैं बल्कि मीडिया के अलग अलग माध्यमों का भी किरदार बेहद अहम है। आम से खास लोगों का भी योगदान है। 

संवेदनशील है जाति, धर्म जैसे मुद्दे
बहरहाल मूल सवाल है मजहब पर सवाल खड़े करने का, सवाल ये भी है कि क्यों लोग जाति के आधार पर अपराध तय करने लगे हैं। क्योंकि कहीं न कहीं लोगों को पता चल चुका है कि अपनी जाति को लेकर, अपने मजहब को लेकर लोग बेहद संवेदनशील हैं। यदि इस पर प्रहार किया जाता है तो देश की शांति भंग निश्चित तौर पर होगी। 

रोहित वेमुला के लिए इंसाफ नहीं, दलित के लिए इंसाफ की गुहार 
इस साल जनवरी में हैदराबाद यूनिवर्सिटी के रोहित वेमुला नामक छात्र द्वारा आत्महत्या करने का मामला देश भर में दलित की हवा के साथ पहुंच गया। न्याय की गुहार रोहित वेमुला के नाम पर नहीं बल्कि दलित के तमगे के लिए की जा रही थी और है। जबकि इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि रोहित वेमुला दलित खेमे से नहीं आता। रोहित की मां को दलित प्रमाण-पत्र देने वाले गंटूर जिले के स्थानीय प्रशासन से जब इस बाबत पूछताछ हुई तो उन्होंने भी अपनी गलती स्वीकार करते हुए यह मान लिया है कि रोहित वेमुला दलित परिवार से नहीं आता है। हालांकि मुद्दा ये नहीं कि रोहित वेमुला दलित था या नहीं। असल मुद्दा तो ये है कि क्या न्याय को महज किसी जाति धर्म के आधार पर सीमित कर दिया जाए। जाति के लबादे से ढ़का किसी व्यक्ति विशेष को मजबूती देने के लिए उसे खुलेआम हथियार थमा दिए जाएं कि तुम फलां फलां हो इसलिए तुम्हें आजादी है। निश्चित तौर पर आपका जवाब न में होगा। माना कि रोहित वेमुला ने आत्महत्या की, अब किन कारणों में की ये जांच का विषय है। लेकिन दलित के स्टीकर के साथ उसे कुछ खास तरह से पेश करना वास्तव में ये जनता के मुताबिक देश की संप्रभुता से खिलवाड़ है। 

अखलाक की हत्या पर मजहबी आरोप 
बीते साल 28 सितंबर को दिल्ली से सटे दादरी जो कि उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आता है उस मामले को हत्या के साथ धर्म का नाम देकर अखबारों की, टेलीविजन की, सोशल मीडिया की प्रमुख खबर बना दिया गया। न्याय की गुहार बाया मजहबी के नाते लगाई गई। हत्या करने वालों को बाकायदा एक नाम दिया गया। फिर बांट दिया गया कल तक आपस में प्यार मुहब्बत से रहने वाले धर्मों की उन तमाम कहानियों को, जो देश पर नाज का कारण हुआ करती थीं। 

ताजा मजहबी मामला डॉ0 नारंग
एक दादरी हादसे को लेकर सेक्युलर बिरादरी जिस तरह से सोशल मीडिया पर एक्टिव हुई थी और मोमबती मार्च निकाल रही थी, ये सब करने की उसने डा.नारंग के कत्ल के बाद जरूरत नहीं समझी। सवाल उठता है आखिर क्यों? यहीं नहीं, इन्होंने संघ के कार्यकर्ताओं के केरल और असम में इस्लामिक कट्टरपंथियों और उग्र वामपंथियों द्वारा लगातार कत्ल की घटनाओं पर कभी स्यापा नहीं किया। ये कभी असम या पूर्वोत्तर राज्यों में हिन्दी भाषियों के मारे जाने पर भी विचलित नहीं हुए। क्या महज इसलिए क्योंकि केंद्र में मौजूद सरकार को वो मारे जाने वालों का कुछ ज्यादा ही हिमायती समझने की गफलत पाले हुए हैं। अरे साहब ये सरकार है, जिसे करीबन हर धर्म के लोगों ने चुना है। फिर ये किसी एक के साथ न्याय कैसेे कर सकती है। न्याय तो इसकी नजर में समान होगा न। पर माइक, कैमरा, टीआरपी की भीड़ ने एक खेमे को खास और दूसरे को बेचारा सा दिखा दिया है। जिसके बाद मतभेद की स्थिति का उबरना लाजमी है। 

सिर्फ यही नहीं बल्कि मतभेद की खातिर चमकने वाले या कहिए जबरदस्ती चमकाये जाने वाले मुद्दों की फेहरिस्त काफी लंबी है, लाउड स्पीकर से लेकर लव जिहाद तक। बीफ से स्लाटर हाउस तक। तो समझ में आया न कि धर्म, मजहब के बीच टकराव कराते हुए फायदा तलाशने की कोशिशों में कई दल सक्रिय हैं। सोशल मीडिया पर यह बहस अब ब्राह्म्मण बनाम.....तैयार की जाने लगी है। आस्थाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। महिषासुर को पूजने वाले नजर आने लगे हैं, इंसानियत का कत्लेआम करने की दबे होठों के जरिए कसम खाने लगे हैं। सच कउनो ई गोला में ही फिरकी ले रहा है। धमाका कहीं भी हो मजहब पहचान कर मौत का चुनाव नहीं करता। हाल ही में पाकिस्तान के लाहौर में इकबाल टाउन के पास गुलशन ए पार्क में आत्मघाती हमला हुआ। जिसमें न जाने कितने लोगों की मौत हो गई। कोई पूछे जाकर उन मरने वालों से कि तुम्हारा धर्म क्या था। लोगों की इल्तजा है कि भारत के मतलब को मत बदलने की कोशिश कीजिए। 



-हिमांशु तिवारी आत्मीय-

आतंकवाद पूरी मानवता के लिये गंभीर चुनौती : मोदी

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ब्रसेल्स, 31 मार्च, तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवाद पूरी मानवता के लिये एक गंभीर चुनौती बनी हुयी है आैर पूरे विश्व को मिलकर इससे लड़ना होगा। श्री मोदी ने यहां भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुये कहा कि आतंकवाद किसी एक देश को नहीं बल्कि मानवता को चुनौती दे रहा है। भारत 40 सालों से आतंकवाद झेल रहा है लेकिन यह देश न कभी आतंकवाद के सामने झुका है और न ही झुकेगा। उन्होंने कहा कि जो लोग मानवता में विश्वास रखते हैं, उन्हें मिलकर आतंकवाद से लड़ना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के 90 देश किसी न किसी आतंकी घटना के शिकार हुए। हजारों लोगों ने अपनी जानें गंवाई है। आतंकवाद किसी एक देश की चुनौती नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व के लिये एक गंभीर चुनौती है। इस समय आतंकवाद पूरी मानवता को चुनौती दे रहा है। इसालिये मानवता में विश्‍वास करने वाली दुनिया की सारी शक्तियों का एक साथ मिलकर आतंकवाद से मुकाबला करना होगा। उन्होंने कहा कि युद्ध में भारत ने जितने जवानों को नहीं गवाया, उससे ज्‍यादा जवान आतंकवाद की गोलियों से शहीद हुए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ बम, बंदूक से आतंकवाद को नहीं रोके जा सकते। हमें समाज में एक माहौल तैयार करना होगा। श्री मोदी ने कहा कि जब धरती पैरों के नीचे से हिलने लगी तब दुनिया को पता चला कि आतंकवाद क्‍या होता है। 9/11 ने दुनिया को झकझोर दिया, तब तक दुनिया मानने को तैयार नहीं थी कि भारत कितने बड़े संकट को झेल रहा है, लेकिन भारत आतंकवाद के सामने झुका नहीं और झुकने का तो सवाल ही नहीं उठता। आतंकवाद के खिलाफ मुकाबला बहुत बड़ी चुनौती है।

श्री मोदी ने कहा कि इस समय विश्व अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है और एक अाम धारणा के रुप में सभी एक आशा की किरण लिये भारत की अोर देख रहे हैं क्योंकि इस समय भारत दुनिया में तेजी से बढ़ती हुयी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष गरीबों को सबसे ज्यादा गैस कनेकशन देने का काम इस सरकार ने किया है। मैंने देश के संपन्न लोगों से गैस सब्सिडी नहीं लेने का अनुरोध किया और उन्होंने ऐसा ही किया। उन्होंने कहा कि उनके अनुरोध पर पूरे देश में 90 लाख लोगों ने अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी। इस कारण गत एक वर्ष में गरीबों को सबसे ज्यादा गैस सिलेंडर दिये गये। प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले तीन वर्षो में पांच करोड़ परिवारों को गैस सिलेंडर दिया जायेगा अौर इसका पूरा खर्चा सरकार उठाएगी। उन्होंने कहा कि 2015 में कोयले और बिजली का सबसे ज्यादा उत्पादन हुआ। इसके अलावा 2015 में ही गाय भैंस के दूध देने के अलावा इस वर्ष सबसे ज्यादा कार का उत्पादन भी हुआ। इसके साथ साथ गत वर्ष सबसे ज्यादा सोफ्टवेयर एक्सपोर्ट हुआ। उन्होंने कहा कि हमने जन धन-आधार मोबाइल (जाम योजना) शुरु किया है और गैस सब्सिडी को जन धन योजना से जोड़ने का काम किया है।  उन्होंने कहा कि हमने पड़ोसी देशें के साथ सदैव अच्छे संबंधों को अहमियत दी है। बंगलादेश के साथ जमीन सीमा का विवाद भी हल कर लिया गया है। इससे पहले ब्रसेल्स पहुंचने पर हजारों भारतीयों द्वारा प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत किया गया। बेल्जियम में प्रधानमंत्री का यह आखिरी कार्यक्रम था। श्री मोदी इसके बाद अमेरिका के लिये रवाना होंगे। 

बेल्जियम के बाद अमेरिका के लिये रवाना हुये मोदी

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ब्रसेल्स, 31 मार्च, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेल्जियम की अपनी एक दिन की यात्रा के बाद आज अमेरिका के लिये रवाना हो गये जहां वह परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान श्री मोदी 53 राष्ट्राध्यक्षों के साथ सम्मेलन में हिस्सा लेंगे अौर विश्व समुदाय से आतंकवाद तथा परमाणु हथियारों पर लगाम कसने के लिये अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने पर बल देंगे। अमेरिका यात्रा के बाद प्रधानमंत्री सऊदी अरब दौरे पर भी जाएंगे। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी एक दिन की यात्रा पर कल सुबह बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स पहुंचे और उन्होंने प्रधानमंत्री चार्ल्स मिशेल के साथ द्वपक्षीय संबंधों पर बातचीत की। 

इसके अलावा उन्होंने 13वें भारत यूरोपियन सम्मेलन की भी अध्यक्षता की। श्री मोदी बेल्जियम के प्रमुख कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), यूरोपीय संघ के सांसदों और बड़े उद्यमियों से भी मिले। इसके बाद वह मालब्रेक मेट्राे स्टेशन भी गये जहां पिछले सप्ताह आतंकी हमला हुआ था।

रिपोर्ट में वकार ने आफरीदी पर लगाए आरोप

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कराची, 31 मार्च, पाकिस्तान के कोच वकार यूनुस ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में टीम के कप्तान शाहिद आफरीदी पर एशिया कप और ट्‍वंटी 20 विश्वकप के दौरान अपने दायित्व के प्रति गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया है। 

वकार ने पीसीबीे काे सौंपी अपनी छह पेज की रिपोर्ट में आरोप लगाया कि कप्तान आफरीदी इन दोनों टूर्नामेंट में कप्तानी के प्रति और टीम के खराब प्रदर्शन के प्रति गंभीर नही थे। अफरीदी अभ्यास सत्र और टीम की बैठकों से भी गायब रहे। वकार और आफरीदी के बीच मतभेद पहली बार सामने नहीं आए है। जब वकार 2011 में पहली बार कोच बने थे तब भी उनके और अफरीदी के बीच टकराव हुआ था जिसके चलते अफरीदी से कप्तानी छीनी गई थी। 

कोच के अनुसार टीम के अनुभवी खिलाड़ी मोहम्मद हाफिज ने टीम प्रबंधन को अपनी घुटने की चोट के बारे में नहीं बताया, इस चोट के चलते उन्हें न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतिम दो मैचों से बाहर बैठना पड़ा। 
वकार ने इसके साथ ही उमर अकमल और अहमद शहजाद की अनुशासनहीनता के बारे में भी शिकायत की है। वकार ने कहा “टीम की चयन समिति उनकी सलाह नहीं लेती है। मैंने सलमान बट्‍ट को टीम में शामिल करने का अनुरोध किया था, लेकिन मुख्य चयनकर्ता हारून राशीद ने ‍बगैर उनसे चर्चा किए खुर्रम मंजूर को टीम में शामिल कर लिया।” 

आतंकवाद के खिलाफ संरा ने नहीं निभाई जिम्मेदारी : मोदी

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ब्रसेल्स, 31 मार्च, आतंकवाद से निपटने में वैश्विक स्तर पर संयुक्त प्रयास की कमी पर निराशा व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई है। तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स पहुंचे श्री मोदी ने कल रात भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद के खात्मे के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की है और न ही उसने अब तक कोई उचित हल बताया है। उन्होंने साथ ही मौजूदा परिदृश्य में संरा के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि जो संस्था मौजूदा स्थितियों के अनुकूल व्यवहार नहीं करती और खुद को उसके अनुरूप नहीं ढालती तो उसके असंबद्ध होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 40 साल से आतंकवाद को झेला है लेकिन जब तक अमेरिका पर हमला नहीं हुआ तब तक पूरी दुनिया में कहा जाता रहा कि भारत कानून व्यवस्था की समस्या से जूझ रहा है। भारत ने कभी आतंकवाद के सामने घुटने नहीं टेके। उन्हाेंने कहा कि आतंकवाद से गंभीर खतरा होने के बावजूद आतंकवाद की परिभाषा के स्पष्ट न होने और उस पर सहमति न बन पाने की वजह से देशों ने इसका समुचित जवाब नहीं दिया है। ‘अच्छा आतंकवाद’ और ‘बुरा आतंकवाद ’ जैसे शब्दों ने इसे और मजबूती दे दी । धर्म को आतंकवाद से अलग कर देखने की जरूरत पर बल देते हुए श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने कई वैश्विक नेताओं से बात की है कि और हाल में भारत की राजधानी नयी दिल्ली में आयोजित वैश्विक सूफी सम्मेलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान उदारवादी इस्लामी विद्वानों ने आतंकवाद को गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि इसी दृष्टि से कट्टरपंथ पर रोक लगायी जा सकती है और आतंकवाद के खात्मे के लिए सही माहौल बनाने की जरूरत है।

पड़ोसी देशों के प्रति भारत की नीति के बारे में बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि बंगलादेश से सीमा समझौता इस बात का उदाहरण है कि किस तरह विवादित मुद्दों को शांति से सुलझाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बेल्जियम के लोगों के दुख और शोक में शामिल हैं । उन्होंने हमले में मारे गये लोगों के परिजनों के प्रति शोक संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि भारत बेल्जियम के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की साझा चुनौती से निपटने के लिए पारस्परिक विधिक सहयोग संधि पर बातचीत पुन: शुरू करने तथा प्रत्यपर्ण संधि तथा सजायाफ्ता कैदियों के आदान प्रदान संबंधी संधि को तार्किक परिणति तक पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुनिया के 90 देश किसी न किसी आतंकी घटना के शिकार हुए। हजारों लोगों ने अपनी जानें गंवाई है। आतंकवाद किसी एक देश की चुनौती नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व के लिये एक गंभीर चुनौती है। इस समय आतंकवाद पूरी मानवता को चुनौती दे रहा है। इसीलिये मानवता में विश्‍वास करने वाली दुनिया की सारी शक्तियों का एक साथ मिलकर आतंकवाद से मुकाबला करना होगा। श्री माेदी ने कहा कि युद्ध में भारत ने जितने जवानों को नहीं गवाया, उससे ज्‍यादा जवान आतंकवाद की गोलियों से शहीद हुए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ बम, बंदूक से आतंकवाद को नहीं रोका जा सकता। हमें समाज में एक माहौल तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि जब धरती पैरों के नीचे से हिलने लगी तब दुनिया को पता चला कि आतंकवाद क्‍या होता है। 

विदेश में रहने वाले भारतीय समुदाय को भारत का ‘लोकदूत’ कहते हुए श्री मोदी ने बताया कि उनकी सरकार ने प्रवासी भारतीयों के लिए कई निर्णय लिए हैं। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारत के विकास की कहानी का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने नरेंद्र मोदी एप पर भारत-बेल्जियम रिश्ते के बारे में मिले सुझावों के बारे में भी बताया। श्री मोदी ने कहा कि इस समय विश्व अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है और एक अाम धारणा के रुप में सभी एक आशा की किरण लिये भारत की अोर देख रहे हैं क्योंकि इस समय भारत दुनिया में तेजी से बढ़ती हुयी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष गरीबों को सबसे ज्यादा गैस कनेक्शन देने का काम इस सरकार ने किया है। हमने देश के संपन्न लोगों से गैस सब्सिडी नहीं लेने का अनुरोध किया और उन्होंने ऐसा ही किया। उन्होंने कहा कि उनके अनुरोध पर पूरे देश में 90 लाख लोगों ने अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी। इस कारण गत एक वर्ष में गरीबों को सबसे ज्यादा गैस सिलेंडर दिये गये। प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले तीन वर्षो में पांच करोड़ परिवारों को गैस सिलेंडर दिया जायेगा अौर इसका पूरा खर्चा सरकार उठाएगी। उन्होंने कहा कि 2015 में कोयले और बिजली का सबसे ज्यादा उत्पादन हुआ। इसके अलावा 2015 में ही गाय भैंस के दूध देने के अलावा इस वर्ष सबसे ज्यादा कार का उत्पादन भी हुआ। इसके साथ साथ गत वर्ष सबसे ज्यादा सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट हुआ। आर्थिक सहयोग के मुद्दे पर श्री मोदी ने कहा सात प्रतिशत वृद्धि दर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। बेल्जियम की क्षमताएं और भारतीय अर्थव्यवस्था का जोड़ दोनों पक्षों के लिए लाभकारी होगा। प्रधानमंत्री ने बेल्जियम के कारोबारी प्रमुखों के साथ बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि वह बेल्जियम सरकार एवं कंपनियों को भारत के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों में साझेदारी के लिए आमंत्रित करते हैं। 

सेमीफाइनल में आज आमने-सामने होंगे भारत-वेस्ट इंडीज

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मुंबई: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रोमांचक जीत दर्ज करने के बाद भारतीय टीम सेमीफाइनल में वेस्ट इंडीज के खिलाफ भी अपने विजयी क्रम को जारी रखते हुए फाइनल में प्रवेश करना चाहेगी। दोनों टीमें आज आईसीसी टी-20 विश्व कप के दूसरे सेमीफाइनल में वानखेड़े स्टेडियम में आमने-सामने होंगी। विश्व कप के अपने पहले मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ मात खाने के बाद 2007 में हुए पहले टी-20 विश्व कप की विजेता टीम भारत ने शानदार वापसी की है। मेजबानों ने अपने शानदार खेल से पाकिस्तान, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त दे कर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की। सेमीफाइनल में भारत-वेस्टइंडीज दोनों ही टीमों का मकसद 3 अप्रैल को कोलकाता के ईडन गार्डन्स स्टेडियम में होने वाले फाइनल में प्रवेश करना होगा।

दूसरी तरफ वेस्ट इंडीज ने इंग्लैंड, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लगातार तीन जीत दर्ज कर सेमीफाइनल की टिकट पक्का कर लिया था, लेकिन अपने अंतिम ग्रुप मैच में उसे अफगानिस्तान ने करारी और शर्मनाक मात दी थी। गुरुवार को डैरेन सैमी के नेतृत्व वाली वेस्टइंडीज टीम एक नए दिन नई शुरुआत करेगी। भारत को सेमीफाइनल से पहले बड़ा लग सकता है। अभी तक भारत की हर जीत में निर्णायक भूमिका निभाने वाले युवराज सिंह चोट के चलते टीम से बाहर हो सकते हैं। उनकी जगह मनीष पांडेय को टीम में शामिल किया गया है। पूरे विश्व कप में बाहर बैठने वाले अंजिक्य रहाणे को गुरुवार को विश्व कप में अपना पहला मैच खेलने का मौका मिल सकता है। युवराज की चोट को छोड़ दें तो भारतीय टीम इस समय संतुलित नजर आ रही है। विराट कोहली इस समय शानदार फॉर्म में हैं और टीम की बल्लेबाजी की धुरी बने हुए हैं।

कोहली ने अभी तक विश्व कप के चार मैचों में 182 रन बनाए हैं और लगातार टीम को जीत दिलाते आ रहे हैं। भारतीय कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के लिए सबसे बड़ी चिंता सलामी जोड़ी रोहित शर्मा और शिखर धवन का लगातार अच्छा प्रदर्शन न कर पाना है। वहीं मध्य क्रम में सुरेश रैना का बल्ला भी काफी समय से खामोश है। यह भी भारतीय कप्तान के लिए चिंता का विषय है। यह तीनों ही बल्लेबाज अच्छी शुरुआत को बड़ी पारी में बदलने में अभी तक असफल रह हैं। रहाणे अगर टीम में आते हैं तो टीम वेशक मजबूत होगी। निचले क्रम में धोनी और हार्दिक पंड्या टीम के लिए जरूरी योगदान देते आ रहे हैं।

भारतीय गेंदबाजी विश्व कप में अभी तक काफी प्रभावशाली रही है। टीम के गेंदबाज समय-समय पर विकेट लेते रहे हैं और अंतिम ओवरों में रन भी रोकते रहे हैं। टीम की गेंदबाजी की कमान अनुभवी आशीष नेहरा पर होगी, जिन्होंने अपने अनुभव का अभी तक शानदार इस्तेमाल किया है और जसप्रीत बुमराह जैसे युवा गेंदबाज की भी काफी मदद की है। रविचन्द्रन अश्विन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ थोड़े महंगे जरूर साबित हुए थे, लेकिन वह किसी भी बल्लेबाज के लिए खतरा बन सकते हैं। रविन्द्र जडेजा और हार्दिक पंड्या दोनों से टीम को अपने मौजूदा प्रदर्शन का जारी रखने की उम्मीद होगी।

दूसरी तरफ वेस्ट इंडीज को भी सेमीफाइनल से पहले बड़ा झटका लगा है। टीम के बल्लेबाज आंद्रे फ्लैचर मांसपेशियों में खिंचाव के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं। उनकी जगह लिंडेल सिमंस को टीम में जगह मिली है। वेस्ट इंडीज की टीम धुआंधार बल्लेबाज क्रिस गेल पर काफी हद तक निर्भर करेगी। गेल इस समय शानदार फॉर्म में हैं। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ पहले मैच में 48 गेंदों पर 100 रन की आतिशी पारी खेल अपनी फॉर्म में होने के संकेत दे दिए थे। गेल के अलावा टीम के पास टी-20 विशेषज्ञ काफी खिलाड़ी हैं जो भारत के लिए खतरा बन सकते हैं।

जॉनसन चार्ल्स, मार्लन सैमुएल्स, हरफनमौला सैमी, ड्वान ब्रावो, आंद्रे रसैल और कार्लोस ब्रेथवेट से सजी यह टीम टी-20 की एक खतरनाक टीम है, जो कहीं से भी मैच अपने नाम करने का दम रखती है। भारतीय परिस्थति में वेस्ट इंडीज के स्पिनर सैमुएल बद्री और सुलेमन बेन अभी तक टीम के कारगर साबित हुए हैं। टीम चाहेगी की वह भारत के खिलाफ भी अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखें।

टीम
भारत : महेंद्र सिंह धोनी (कप्तान), शिखर धवन, रोहित शर्मा, विराट कोहली, अंजिक्य रहाणे, मनीष पांडेय, सुरेश रैना, रविचन्द्रन अश्विन, रविन्द्र जडेजा, मोहम्मद समी, हरभजन सिंह, जसप्रीत बुमराह, पवन नेगी, आशीष नेहरा, हार्दिक पंड्या।

वेस्ट इंडीज : डैरेन सैमी (कप्तान), क्रिस गेल, जॉनसन चार्ल्स, मार्लन सैमुएल्स, लेंडल सिमंस, ड्वाएन ब्रावो, दिनेश रामदीन, आंद्र रसैल, जेसन होल्डर, कार्लोस ब्रेथवेट, एशले नर्स, जेरोम टेलर, सुलेमान बेन, सैमुएल बद्री।

डिजिटल दुनिया में भारत को टॉप 10 में पहुंचा देगा JIO 4G: मुकेश अंबानी

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मुंबई: रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने बुधवार को रिलायंस जियो इंफोकॉम को दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप बताया और कहा कि उसकी 4जी सेवा शुरू होने के बाद देश की मोबाइल इंटरनेट रैंकिंग 150वें स्थान से शीर्ष 10 में पहुंच जाएगी। उन्होंने हालांकि यह नहीं बताया कि कंपनी की वाणिज्यिक लांचिंग कब होगी। मुकेश अंबानी ने कहा, 'दुनिया डिजिटल हो रही है और भारत तथा भारतीय लोग पीछे नहीं छूट सकते। आज 230 देशों की मोबाइल इंटरनेट रैकिंग में देश का 150वां स्थान है। हमारे ऊपर देश को डिजिटल रूप से सशक्त करने की जिम्मेदारी है। डिजिटल विपन्नता को खत्म करने की जिम्मेदारी है।'

उन्होंने कहा, 'मुझे पूरा विश्वास है कि जियो को लांच करने के बाद मोबाइल इंटरनेट रैंकिंग में भारत का स्थान 150वें से ऊपर उठकर शीर्ष 10 में पहुंच जाएगा।'मुकेश अंबानी मुंबई में आयोजित फिक्की-फ्रेम्स मीडिया एंड एंटरटेनमेंट सम्मेलन में बोल रहे थे। अंबानी ने कहा कि जियो चार रणनीति पर काम करेगी : देश का कवरेज 15-20 फीसदी से बढ़ाकर 70 फीसदी करना, ब्रॉडबैंड रफ्तार 40-80 गुना बढ़ाना, डाटा उपलब्धता बढ़ाना और सेवा सस्ती करना। उन्होंने कहा, 'इन चार पहलों से दुनियाभर में चल रही डिजिटल क्रांति में भारत शीर्ष 10 में शामिल हो जाएगा।'

बिहार की तर्ज पर उप्र विस चुनाव में महागठबन्धन बनाने की तैयारी

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लखनऊ 31 मार्च, उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2017 में होने वाले चुनाव के मद्देनजर बिहार की तर्ज पर यहां भी महागठबन्धन की जोरदार तैयारी चल रही है। इस महागठबन्धन में बिहार के सत्तारुढ जनता दल (यूनाईटेड), राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और झारखण्ड विकास मोर्चा के आपस में विलय के बाद बनने की सम्भावना है। इन दलों के गठबन्धन से बनने वाली नयी पार्टी का नाम जन विकास पार्टी होगा। उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज यहां  बताया कि चुनाव में जन विकास पार्टी का कांग्रेस से गठबन्धन होने की सम्भावना है। सूत्रों का दावा है कि आगामी 11 अप्रैल को जद (यू) कार्य समिति की पटना में होने वाली बैठक में इस विलय सम्बन्धी निर्णय पर मुहर लग सकती है। इससे पहले दो अप्रैल को राष्ट्रीय लोकदल की दिल्ली में कार्य समिति की बैठक बुलाई गयी है। उसमें रालोद के जन विकास पार्टी में विलय के निर्णय को मंजूरी दी जा सकती है। सूत्रों ने बताया कि झारखण्ड विकास पार्टी के अध्यक्ष और वहां के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी भी इसी बीच विलय का निर्णय ले सकती है। 

सूत्रों का दावा है कि प्रस्तावित जन विकास पार्टी का अध्यक्ष बिहार के मुख्यमत्री नीतिश कुमार को बनाया जायेगा, जबकि महासचिव रालोद के पूर्व सांसद जयन्त चौधरी होंगे। श्री चौधरी को प्रस्तावित नयी पार्टी का प्रदेश प्रभारी बनाया जा सकता है।  सूत्रों ने बिहार के महागठबन्धन में शामिल लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल यहां गठबन्धन का हिस्सा बनेगी या नहीं, इस पर अनभिज्ञता जाहिर की।  दूसरी ओर, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रस्तावित जन विकास पार्टी से कांग्रेस के समझौते का निर्णय हाई कमान ही लेगा। उनका कहना था कि कांग्रेस का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रबन्धन संभाल रहे प्रशान्त किशोर पर काफी कुछ निर्भर करेगा। श्री किशोर की इस सम्बन्ध में राय अहम होगी। 
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