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उच्चतम न्यायालय की निगरानी में हो पनामा खुलासे की जांच : कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 06 अप्रैल, कांग्रेस ने पनामा पेपर खुलासे में भारतीय मुद्रा की छपायी के लिए ठेका देने में कमीशन लेने संबंधी खुलासे को गंभीर बताते हुए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में गठित विशेष जांच दल(एसआईटी) से इसकी जांच कराने की आज मांग की। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा कि 2003 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) सरकार के कार्यकाल के दौरान भारतीय मुद्रा की छपाई को लेकर खुलासा हुआ है कि इसमें 15 प्रतिशत कमीशन लिया गया था। नोटों की छपायी के लिए ठेका देते समय अावश्यक शर्तों का भी पालन नहीं किया गया था। 

पनाम पेपर लीक मामले की बहुविभागीय जांच एजेंसी से जांच कराने की मांग को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की यह आंख में धूल झोंकने की कोशिश है और कांग्रेस इसे खारिज करती है। उन्होंने भारतीय नोट छापने के मामले में कमीशन देने संबंधी खुलासे को अत्यधिक गंभीर बताया और कहा कि इस मामले में धांधली संबंधी खुलासा सचमुच सही है तो यह बहुत गंभीर स्थिति है और इसका देश पर गहरा असर होगा। उन्होंने कहा कि ठेका देने में यदि कमीशन नहीं लिया गया था तो राजग को बताना चाहिए कि 3.74 करोड़ रुपए का भुगतान किसे किया गया।

भारत ने मसूद अजहर का मामला चीनी नेतृत्व के समक्ष उठाया

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नयी दिल्ली, 06 अप्रैल, भारत ने पाकिस्तान के साथ संबंधों में आतंकवाद काे मुख्य मुद्दा बताते हुए आज कहा कि उसने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अज़हर काे प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव पर चीन के वीटो के फैसले को उसके नेतृत्व के समक्ष उच्च स्तर पर उठाया है। विदेश सचिव एस. जयशंकर ने यहाँ कार्नेजी इंडिया के उद्घाटन अवसर पर कहा कि पाकिस्तान अपने आप में एक अलग श्रेणी है। हमने उसके साथ रिश्ताें में तमाम चुनौतियों के बावजूद अपना फोकस आतंकवाद पर ही कायम रखा है। जब तक हम आतंकवाद के मुद्दों का समाधान नहीं करते तब तक यह कहना मुश्किल है कि पाकिस्तान के साथ संबंध सामान्य हो सकते हैं। डाॅ. जयशंकर ने कहा कि अातंकवाद जैसे जटिल मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय आमराय बनाना एक कठिन परीक्षा है और इसके नतीजे का इंतजार है। 

पठानकोट हमले के सूत्रधार एवं जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर काे प्रतिबंधित करने संबंधी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर चीन के वीटाे का जिक्र आने पर विदेश सचिव ने कहा कि भारत ने इस मसले को उच्च स्तर पर उठाया है और इसे संयुक्त राष्ट्र के संदर्भ में उठाया गया है। कार्नेजी इंडिया की स्थापना की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से साझा लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास किया जाएगा। भारतीय कूटनीति का मकसद अपने प्रमुख साझीदारों को यह समझाना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती में ही उनका रणनीतिक हित हैं। हमारे द्विपक्षीय संबंधों के बढ़ते दायरों ने भारत की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता मजबूत की है।

प्रधानमंत्री से माफी मांगे केजरीवाल: प्रसाद

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नयी दिल्ली 06 अप्रैल, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट से तुलना करने पर कडी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये आज कहा कि इसके लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सार्वजिनक तौर पर माफी मांगनी चाहिए। श्री प्रसाद ने मंत्रिमंडल के निर्णयों की जानकारी देने के दौरान संवाददाताओं से कहा कि अब तक देश के किसी नेता ने इस तरह की गैर जिम्मेदार टिप्पणी नहीं की है। एक तरफ श्री केजरीवाल केन्द्र सरकार से सहयोग की बात करते हैं और दूसरी तरफ उनके मंत्री प्रधानमंत्री पर इस तरह की टिप्पणी करते हैं। इसके श्री केजरीवाल को सार्वजनिक तौर माफी मांगनी चाहिए। 

श्री मिश्रा ने पठानकोट वायु सेना अड्डे पर जनवरी में हुये आतंकी हमले की जांच के लिये पाकिस्तान से आये संयुक्त जांच दल (जेआईटी) पर सवाल खड़ा करते हुए ट्वीट किया “प्रधानमंत्री के रूप में हमारे यहां क्या यह आईएसआई एजेंट है, प्रधानमंत्री जिस तरीके से भारत विरोधी तत्वों के सामने आत्मसमर्पण कर रहे है, यह एक बहुत गंभीर मामला है।” इससे पहले मुख्यमंत्री ने भी जेआईटी को जांच के लिये भारत आने की अनुमति देने पर सवाल खड़े किये थे। श्री मिश्रा ने ट्वीट में कहा “अगर मोदी जी पाकिस्तान के जाल में फंस गये और उनसे गलती हो गयी तो देश से माफी मांग ले और अगर जानते-बूझते हुए ऐसा किया है तो नीयत पर सवाल उठेंगे। जब से आईएसआई इस देश में बुलायी गयी तब से बहुत गुस्सा है और अब आईएसआई की रिपोर्ट से जो देश का अपमान हुआ है उससे खून खौल रहा है।”

राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजी परियोजना का क्रियान्वयन करेगी सरकार

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नयी दिल्ली, 06 अप्रैल, सरकार ने देश जल संकट के प्रबंधन की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजी परियोजना के क्रियान्वयन तथा राष्ट्रीय जल सूचना केन्द्र की स्थापना को आज स्वीकृति दे दी और इसके लिए 3679.7674 करोड रूपए आवंटित किये । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया । केन्द्रीय सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि देश की सभी जल परियोजनाएं राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजी परियोजना के तहत आएंगी और देश में जल की समुचित उपलब्धता को सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए 3679.7674 करोड़ रूपये राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजी परियोजना के लिए तथा 39.7674 करोड़ रूपये राष्ट्रीय जल सूचना केन्द्र की स्थापना के लिए होंगे। इस केन्द्र के माध्यम से देश भर में जल की उपलब्धता मानचित्र बनाना, आंकड़ों को जुटाना, अनुमान लगाना आदि कार्य किये जाएंगे।

एनआईटी के छात्रों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे : स्मृति ईरानी

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नयी दिल्ली, 06 अप्रैल, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने श्रीनगर के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के छात्रों को भरोसा दिलाया है कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा और उनकी सुरक्षा हर हाल में सुनिश्चित की जाएगी। एनआईटी परिसर में मंगलवार को छात्रों के बीच झड़प के बाद वहां पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने की घटना को काफी गंभीरता से लेते हुए श्रीमती ईरानी ने आज यहां कहा कि हालांकि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है लेकिन फिर भी वह एनआईटी में जो कुछ हुआ है उसे लेकर चिंतित हैं और इसलिए राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से बात की है जिन्होंने उन्हें आश्वस्त किया है कि संस्थान के सभी छात्र सुरक्षित रहेंगे और किसी भी छात्र के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। श्रीमती ईरानी ने जानकारी दी कि उन्होंने मंत्रालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों को संस्थान के हालात का जायजा लेने के लिए श्रीनकर भेजा है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने करीब 400 छात्रों और कुछ अभिभावकों से बातचीत की है। ये अधिकारी संस्थान में परीक्षा खत्म होने तक वहां रुके रहेंगे। 

स्मृति ईरानी ने इस बात की पुष्टि की कि संस्थान में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 11 अप्रैल यानी अगले सोमवार से परीक्षाएं होंगी। उन्होंने कहा कि छात्रों ने अंक पद्धति के बारे में शिकायत नहीं की है। कुछ छात्र घर जाना चाहते हैं जिसके लिए जरुरी व्यवस्था की गई है। इस बीच केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी एनआईटी के बारे में पूछे गए सवाल पर आज कहा कि श्रीमती ईरानी ने जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री से इस बारे में सारी बातें कर ली हैं और सारे हालात के बारें में उन्हे अवगत करा दिया है। उन्हाेंने कहा कि सुश्री मुफ्ती ने इस मसले पर उन्हें पूरे समर्थन का आश्वासन दिया है। एनआईटी पिछले हफ्ते से तनाव तब उपजा जब टी-20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज के हाथों भारतीय क्रिकेट टीम की हार के बाद स्थानीय और बाहरी छात्रों के बीच झगड़ा हो गया। एनआईटी में पढ़ने वाले बाहर से आए छात्रों ने इस घटना को लेकर असुरक्षा महसूस होने की बात कही और परिसर से जाने की कोशिश की जिससे पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई और इसी दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें कुछ छात्र घायल हो गए।

कमला आडवाणी का निधन, मोदी ने जताया शोक

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नयी दिल्ली, 06 अप्रैल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की पत्नी कमला आडवाणी का आज यहां दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आखिरी सांस ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीमती कमला आडवाणी के निधन पर दु:ख जताया है। उन्होंने ट्वीट किया, “कमला आडवाणी जी के निधन से मुझे गहरा दु:ख पहुंचा है। उन्होंने हमेशा कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया और वह लालकृष्ण आडवाणी जी की ताकत थीं।” श्री मोदी ने कहा, “मुझे कमला आडवाणी के साथ हुई कई बातें याद हैं। दु:ख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं आडवाणी परिवार के साथ हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।” गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने भी श्रीमती कमला आडवाणी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “श्रीमती कमला आडवाणी के निधन की खबर से मुझे दु:ख पहुंचा है। इस कठिन घड़ी में मेरी संवेदनाएं श्री लालकृष्ण आडवाणी और उनके परिवार के साथ है।” भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट किया, “श्रीमती कमला आडवाणी के निधन का समाचार सुनकर गहरा दु:ख पहुंचा है। इस अपूरणीय क्षति के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।”

मुंबई विस्फोट में तीन को उम्रकैद, चार को 10 वर्ष का कारावास

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मुंबई, 06 अप्रैल, आतंकवाद निरोधक कानून (पोटा) की विशेष अदालत ने मुंबई में दिसंबर 2002 और मार्च 2003 को हुए विस्फोटों के मामले में आज तीन दोषियों को आजीवन कारावास, चार अन्य दोषियों को 10 वर्ष के सश्रम कारावास और तीन दोषियों को दो वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। पोटा न्यायाधीश पी आर देशमुख मुजािल अंसारी, फरहान खूट और डा. अब्दुल वाहिद को उम्रकैद, मामले के मुख्य आरोपियों में से एक एवं प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आॅफ इंडिया के सदस्य साकिब नचान, हसीब मुल्ला, आतिफ मुल्ला और गुलाम अकबर खोटल को 10 वर्ष के सश्रम कारावास तथा कामिल शेचा, नूर मोहम्मद एवं अनवर अली को दो वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। 

सभी दोषियों को 30 हजार से एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी भरना होगा। पाेटा अदालत ने मुलुंड, विले पार्ले और मुंबई सेंट्रल में हुए बम धमाकों के मामलों में उन्हें दोषी ठहराया है। गौरतलब है कि मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर छह दिसंबर 2002 को एक रेस्तरां में हुए बम धमाके में कई लोग घायल हाे गये थे। इसके बाद 27 जनवरी 2003 को विले पार्ले में एक साइकिल पर रखा एक बम फटने से एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी। तीसरा विस्फोट 13 मार्च 2003 को मुलुंड में हुआ था जिसमें 12 लोग मारे गये थे और 71 अन्य घायल हो गये थे।

भाजपा को पूरे देश की जनता का विश्वास हासिल : मोदी

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नयी दिल्ली, 06 अप्रैल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 36वें स्थापना दिवस की बधाई देते हुए आज कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से अरुणाचल प्रदेश तक लोगों ने भाजपा में अपना विश्वास दिखाया है और उन्हें लगता है कि यह पार्टी उनके सपनों को पूरा कर सकती है। श्री मोदी ने ट्वीट किया, “भाजपा के स्थापना दिवस पर मैं उन करोड़ों कार्यकर्ताओं को नमन करता हूं जिन्होंने पूरी ऊर्जा और समर्पण के साथ पार्टी की सेवा की है। देश के लिए प्यार और देश को उन्नति की नयी ऊंचाई पर पहुंचाने की भावना के साथ कार्यकर्ताओं की कई पीढ़ियों ने अपना सर्वस्व पार्टी के लिए न्यौछावर किया है।” 

उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से अरुणाचल प्रदेश तक लोगों ने भाजपा में अपना विश्वास जताया है वे भाजपा को एक ऐसी पार्टी के रूप में देखते हैं जो उनके सपनों को पूरा कर सकती है। जहां भी भाजपा ने सरकार बनायी है वहां उन्होंने अनुकरणीय काम किया है। भाजपा को अपने कर्मयोगी मुख्यमंत्रियों पर गर्व है जो कई राज्यों में अपनी सेवायें दे रहे हैं। श्री मोदी ने कहा, “मैं भाजपा कार्यकर्ताओं को लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने और समाज सेवा की निष्काम यात्रा को जारी रखने के लिए बधाई देता हूं।”

वीरभद्र सिंह को गिरफ्तार न करे सीबीआई : उच्च न्यायालय

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नयी दिल्ली, 06 अप्रैल, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उन्हें गिरफ्तार न करने का केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आज आदेश दिया। न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी का यह आदेश उस वक्त आया जब श्री सिंह की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उनके मुवक्किल सीबीआई जांच में सहयोग को तैयार हैं। न्यायालय ने कहा कि श्री सिंह के वकील का कहना है कि उनके मुवक्किल जांच में सहयोग को तैयार हैं। अदालत ने कहा कि यह मामला जांच में शामिल होने से जुड़ा है और श्री सिंह जांच में शामिल होने को तैयार हैं। इसलिए जांच एजेंसी उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी। न्यायालय ने सीबीआई की उस याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया, जिसमें उसने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के गत वर्ष एक अक्टूबर के अंतरिम आदेश निरस्त करने की मांग की थी। उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में सीबीआई को श्री सिंह की गिरफ्तारी से रोक दिया था।

सायना-सिंधू की चुनौती बची, सभी पुरुष हारे

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शाह आलम, 06 अप्रैल, विश्व की छठे नंबर की महिला खिलाड़ी और स्टार शटलर भारत की सायना नेहवाल तथा 11 वीं रैंकिंग की पीवी सिंधू ने अपने अपने एकल मुकाबले जीतकर बुधवार को मलेशिया ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट के दूसरे दौर में जगह बना ली, लेकिन अन्य वर्गो में सभी भारतीय पुरुष खिलाड़ी हारकर बाहर हो गये। तीसरी सीड सायना ने गैर वरीय थाईलैंड की नित्चाओन जिंदापोल को 30 मिनट में लगातार गेमों में 21-16, 21-7 से पराजित किया जबकि गैर वरीय सिंधू ने चीन की ही बिंग जिआओ को 40 मिनट में 21-16,21-17 से हरा दिया। पुरूष एकल में एच एस प्रणय,किदाम्बी श्रीकांत और अजय जयराम पहले ही दौर में हार कर बाहर हो गये। पुरुष युगल में मनु अत्री और बी सुमित रेड्डी की जोड़ी को भी हार का सामना करना पड़ा। सायना ने गत सप्ताह संपन्न हुये इंडिया ओपन में भी थाई खिलाड़ी को पराजित किया था। 

सायना इंडिया ओपन के सेमीफाइनल में चीन की ली जुईरूई से हार गई थीं। विश्व की 27वें नंबर की जिंदापोल के खिलाफ सायना की यह लगातार दूसरी और करियर की छठी जीत है। भारतीय खिलाड़ी का अब जिंदापोल के खिलाफ 6-0 का करियर रिकार्ड हो गया है। दूसरे दौर में सायना के सामने कोरिया की बेई यिओन जू की चुनौती होगी। इस वर्ष के शुरूआत में चोट से प्रभावित रहीं सायना ने कमाल का प्रदर्शन किया। पहले गेम में सायना ने 12-14 से पिछड़ने के बाद लगातार पांच अंक लिये और 17-14 की बढ़त बनाने के बाद यह गेम 21-16 पर समाप्त किया। दूसरे गेम में सायना ने शुरुआत से बढ़त बनाये रखते हुये आसानी से यह गेम 21-7 पर समाप्त कर मैच जीत लिया।

बिहार : शराबबंदी के फैसले को पटना उच्च न्यायालय में चुनौती

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पटना 06 अप्रैल, बिहार में पूर्ण शराबबंदी के फैसले के एक दिन बाद ही आज पटना उच्च न्यायालय में सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए एक लोकहित याचिका दायर की गयी । भारतीय वायु सेना के सेवानिवृत सार्जेंट अवध नारायण सिंह ने पटना उच्च न्यायालय में शराबबंदी के सरकार के फैसले को निरस्त करने के लिए लोकहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि शराब का उत्पादन, बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध लगाया जाना मानवाधिकार का उल्लंघन है । इसलिए अदालत को मानवाधिकार की रक्षा के लिए इस मामले में न्यायोचित आदेश देना चाहिए । श्री सिंह याचिका में कहा है कि सेना के जवान और अधिकारियों को कैंटिन से शराब लेने के बाद अपने घरों में भी उसे पीने की इजाजत नहीं होगी । उन्होंने कहा कि एक सेवानिवृत सैन्यकर्मी होने के कारण उसे अपनी पसंद का शराब पीने का अधिकार है और उसके इस अधिकार की रक्षा होनी चाहिए । 

सेना कैंटिन में शराब बिक्री की अनुमति पर सुशील मोदी ने उठाये सवाल

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पटना 06 अप्रैल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पूरे बिहार में शराबबंदी के बाद सेना के कैंटिन में शराब बिक्री की अनुमति देने के सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा किया है । श्री मोदी ने कहा कि विपक्ष के दबाव में राज्य सरकार को आंशिक शराबबंदी से पीछे हटते हुए पूर्ण शराबबंदी लागू करना पड़ा है । उन्होंने कहा कि जब जनहित में पूरे राज्य में किसी भी तरह की शराब की बिक्री पर रोक लगा दी गई है तो फिर आर्मी कैन्टोंमेंट में शराब बिक्री की अनुमति देने का क्या औचित्य है । भाजपा नेता ने सवाल किया कि सरकार यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि कैन्टोंमेंट के जरिए बिकने वाली शराब बाहर नहीं आयेगी । क्या पहुंच और रसूख वाले कैन्टोंमेंट से शराब हासिल नहीं कर लेंगे । उन्होंने कहा कि सरकार बताये कि ऐसे में पूर्ण शराबबंदी के अभियान को वह कैसे सफल बनायेगी । श्री मोदी ने कहा कि पहली अप्रैल 2015 से पाउच में देसी शराब की बिक्री पर रोक लगा कर उसकी बोटलिंग के लिए राज्य सरकार ने दर्जनों कम्पनियों को अनुमति दी। कम्पनियों ने बैंकों और अन्य स्रोतों से भारी भरकम कर्ज लेकर 10 से 12 करोड़ की लागत से बोटलिंग प्लांट लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने अनुदान देने के साथ ही उन्हें पांच वर्षों के लिए लाइसेंस निर्गत की लेकिन पूर्ण शराबबंदी के बाद अब बोटलिंग की जरूरत नहीं रही । ऐसे में सरकार की नीति के तहत प्लांट लगाने वालों को कर्ज चुकाने के लिए सरकार को क्षतिपूर्ति देनी चाहिए। 

भाजपा नेता ने कहा कि इसके साथ ही हाल ही में बार एवं रेस्टूरेंट में वर्ष 2016-17 के लिए शराब परोसने का लाइसेंस निर्गत कर सरकार ने शुल्क के तौर पर लाखों रुपये की वसूली की है। जब पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई है तो सरकार को अविलम्ब लाइसेंस शुल्क के तौर पर ली गई राशि को वापस करना चाहिए। दूसरी ओर बिहार में चावल उद्योग के बाद सबसे ज्यादा निवेश डिस्टिलरी और बीयर निर्माण के क्षेत्र में हुआ । सरकार के प्रोत्साहन और आश्वासन के बाद अनेक लोगों ने मक्का, चावल एवं अन्य अनाजों से स्प्रीट और बीयर बनाने की फैक्ट्री लगाई। श्री मोदी ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी के बाद स्प्रीट और बीयर की खपत बिहार में नहीं होगी, ऐसे में उन्हें बाहर निर्यात करना होगा। सरकार की अनुमति से ही डिस्टिलरी और बीयर उद्योग लगे थे जिन्हें सरकार सबसिडी भी दे रही थी। उन्होंने कहा कि इस उद्योग को बचाने के लिए सरकार को स्प्रीट पर लगने वाले निर्यात शुल्क को सुसंगत बनाने पर भी अविलम्ब विचार करना चाहिए। भाजपा नेता ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी के बाद देसी शराब की पेट बोटलिंग प्लांट लगाए दर्जनों कम्पनियों और मक्का, चावल तथा अन्य अनाजों से स्प्रीट और बीयर बनाने वाली फैक्ट्रियों के समक्ष बंदी का संकट उत्पन्न हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को देसी शराब की बोटलिंग करने वाली कम्पनियों को जहां क्षतिपूर्ति वहीं अनाजों से बनी स्प्रीट व बीयर की अन्य राज्यों में बिक्री के लिए निर्यात शुल्क में राहत देनी चाहिए। इस बीच सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि भाजपा नेता सुशील मोदी द्वेष की राजनीति में संघीय ढ़ांचे की व्यवस्था को भी भूल गये हैं । उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि सेना का कैंटिन राज्य सरकार के नियंत्रण में नहीं है । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जिस तरह से लोकप्रियता बढ़ रही है उसे भाजपा के लोग पचा नहीं पा रहे हैं । 

बिहार : शराबबंदी से शराबी हैं बेचैन , घर में है चैन

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पटना 06 अप्रैल, “आज इतनी भी मयस्सर नही मैखाने में, जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में” - शेर किसका है कोई नहीं जानता लेकिन शराबी फिल्म में बोला गया महानायक अमिताभ बच्चन का ये संवाद बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद शराब पीने वाले जरूर कह रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए राज्य में शराब को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। एक अप्रैल से राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद जनता ख़ासकर महिलाओं से मिले जनसमर्थन को देखते हुए कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यंमत्री नीतीश कुमार ने स्वयं मंगलवार से राज्य में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा की। पूर्ण शराबबंदी के के बाद शराब की लत पकड़ चुके लोगों की स्थिति काफी दयनीय हो गयी है। शराब नहीं मिलने से ऐसे लोग विक्षिप्तों के जैसा व्यवहार कर रहे हैं। राजधानी पटना समेत पूरे राज्य के कई जिलों से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। बिहार के बेतिया से एक खबर आई है कि एक दारोगाजी जो पिछले 20-25 सालों से शराब पी रहे थे, अचानक इसकी बिक्री पर रोक लगने असहज बर्ताव करने लगे। दारोगा जी जब कुछ नहीं सुझा तो उन्होंने घर में रखे साबून को खाना शुरू कर दिया। हालांकि परिवारवालों की नजर तत्काल दारोगा जी पर पड़ गयी और उन्होंने उसे ऐसा करने से रोक दिया। राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद से लोग खुद को संभाल नहीं पा रहे हैं। शराबबंदी के बाद नशा मुक्ति केंद्र में आने वाले मरीजों की संख्या तेजी बढ़ रही है। पिछले 24 घंटे के दौरान पटना समेत राज्य के अन्य हिस्सों में 40 से अधिक लोग इन केन्द्रों में पहुंचे हैं जहां चिकित्सकों की देखरेख में उनका इलाज किया जा रहा है। एक ओर जहां शराबी बेचैन हैं वहीं उनके घरों में चैन है। लोग सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं और राहत की सांस ले रहे हैं। 

वहीं शराब बनाने , बेचने और पीने पर प्रतिबंध के एक दिन बाद ही आज पटना उच्च न्यायालय में नीतीश सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए भारतीय वायु सेना के सेवानिवृत सार्जेंट अवध नारायण सिंह ने इस फैसले को निरस्त करने के लिए लोकहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि शराब का उत्पादन, बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध लगाया जाना मानवाधिकार का उल्लंघन है । इसलिए अदालत को मानवाधिकार की रक्षा के लिए इस मामले में न्यायोचित आदेश देना चाहिए । श्री सिंह याचिका में कहा है कि सेना के जवान और अधिकारियों को कैंटिन से शराब लेने के बाद अपने घरों में भी उसे पीने की इजाजत नहीं होगी । उन्होंने कहा कि एक सेवानिवृत सैन्यकर्मी होने के कारण उसे अपनी पसंद का शराब पीने का अधिकार है और उसके इस अधिकार की रक्षा होनी चाहिए । इस बीच सदाबहार अभिनेता ऋषि कपूर ने सरकार के पूर्ण शराबबंदी के निर्णय पर ट्वीट करते हुए लिखा, 'शराब रखने के लिए दस साल और अवैध हथियार रखने के लिए पांच साल की सजा? वाह नीतीश... मैं अब बिहार नहीं आने वाला हूं।'शराबबंदी का फैसला विश्वस्तर पर फेल हो चुका है। जाग जाओ! इससे आपको 3 हजार करोड़ के राजस्व का नुकसान भी होगा। आप 2016 में इतने अदूरदर्शी कैसे हो गये..। उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने राज्य में पांच अप्रैल से पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी है। इससे पहले सरकार ने एक अप्रैल से राज्य में सिर्फ देसी शराब के निर्माण , बिक्री और उपभोग पर पाबंदी लगाई थी। 

राजग की पाकिस्तान नीति विफल : मनमोहन

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गुवाहाटी ,06 अप्रैल, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)नीत केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)सरकार की पाकिस्तान नीति के विफल होने का आरोप लगाया है। डाॅ सिंह ने यहां कांग्रेस के लिए चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि राजग की पाकिस्तान नीति पूरी तरह से विफल हाे गई है। आतंकवादी सिर्फ जम्मू कश्मीर को ही नहीं बल्कि पंजाब को भी निशाना बना रहे हैं और पठानकोट वायुसैनिक अड्डे पर हुआ आतंकवादी हमला इसका एक उदाहरण है। 

उन्होंने केन्द्र सरकार की पूरी विदेश नीति को ही करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों को एक उपल्ब्धि के तौर पर दिखाया जा रहा है जबकि हकीकत यह है कि इससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। इस दौरान मुख्यमंत्री तरुण गोगोई,स्टार प्रचार सचिन पायलट गुवाहाटी की चार विधानसभा सीटों के उम्मीदवार और बडी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे। 

विशेष : मौजूदा छात्र प्रतिरोध और नये सियासी प्रयोग की संभावनायें

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विश्वविद्यालयों  का काम क्रिटिकल सोच को बढ़ावा देना है और ये अलग अलग विचारधाराओं के नर्सरी होते हैं लेकिन हमारे उच्च शैक्षणिक संस्थान निशाने पर हैं, मामला केवल जेएनयू और एचसीयू (हैदराबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी) का नहीं है, इस सूची में अभी तक आधा दर्जन से अधिक संस्थान शामिल किये जा चुके हैं. इस पूरे कवायद का मकसद इन शैक्षणिक संस्थानों की वैचारिक स्वायत्तता पर काबू पाना और इनपर भगवाकरण थोपना जान पड़ता है. जेएनयू और एचसीयू  ऐसे चुनिन्दा संस्थान हैं जहाँ वाम,अम्बेडकरवादी  और प्रगतिशील  विचारों को मानने वालों का दबदबा रहा है और तमाम  कोशिशों के बावजूद संघ परिवार अपनी विचारधारा को यहाँ जमा नहीं पाया है और वैचारिक रूप से संघ को जिस तरह की खुली चुनौती इन संस्थानों से मिलती है वह देश का कोई दूसरा संस्थान दे नहीं पाता है. इन संस्थानों का  अपना मिजाज  है और  यहाँ के दरवाजे भेड़चाल और अंधभक्ति के लिए बंद है,किसी भी विचारधारा को अपनी जगह बनाने के लिए बहस मुहावसे की रस्साकशी से गुजरना पड़ता है ,यहीं पर संघ विचारधारा के लोग मात खा जाते हैं.

जेएनयू के नाम पर उठा राष्ट्रीय हंगामा  अभी थोड़ा नार्मल हुआ ही था कि हैदराबाद विश्वविद्यालय कैंपस की शांति एक बार फिर भंग हो गयी. इसकी वजह थी रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद अनिश्चितकालीन अवकाश  पर भेज दिए गये कुलपति अप्पा राव पोडिले को वापस बुला लिया जाना. जिसके विरोध में छात्र भड़क गये और  कथित रूप से उन्होंने कुलपति के दफ़्तर में तोड़फोड़ किया, जवाब में पुलिस द्वारा छात्रों की जमकर पिटाई की गयी और  25 छात्रों सहित  कुछ संकाय सदस्यों को गिरफ्तार के लिया गया. विश्वविद्यालय में बिजली, पानी, खाने और इंटरनेट तक की सुविधाएं बंद करने की भी खबरें आयीं। इससे पहले हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला के आत्महत्या के बाद इसका जोरदार प्रतिरोध हुआ, रोहित ने जाति के सवाल को एजेंडे पर ला दिया था, सरकार दबाव में आ गयी थी, लेकिन जेएनयू प्रकरण ने सरकार औरसं घ परिवार को  एक ऐसा मौका दे दिया जिससे वे एजेंडे पर आये जाति के सवाल को बायपास करते हुए “राष्ट्रवाद व साम्प्रदायिकता” अपने पसंदीदा  पिच पर वापस लौट सकें . जेएनयू विवाद की शुरुआत 9 फरवरी को हुई थी  जब अतिवादी वाम संगठन डीएसयू के पूर्व सदस्यों द्वारा जेएनयू परिसर में अफजल गुरू की फांसी के विरोध में आयोजित कार्यक्रम को लेकर  कुछ टी.वी. चैनलों द्वारा दावा किया गया कि इसमें कथित रूप से भारत-विरोधी नारे लगाये गये हैं. बाद में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन से जुड़े जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. कुछ दिनों बाद उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य की भी गिरफ्तारी हुई. इसके साथ ही  पूरे देश में एक खास तरह का माहौल बनाया गया और वामपंथियों, बुद्धिजीवियों व इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले दूसरे विचारों,आवाजों को देशद्रोही साबित करने की होड़ सी मच गयी,जेएनयू जैसे संस्थान को देशद्रोह का अड्डा साबित करने की कोशिश की गयी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने तो यह दावा कर डाला कि जेएनयू की घटना को हाफिज सईद का समर्थन था, जिस मसले को यूनिवर्सिटी के स्तर पर ही सुलझाया जा सकता था उसे एक राष्ट्रीय संकट के तौर पर पेश किया गया. इस मामले को लेकर जेएनयू की एक उच्च स्तरीय आंतरिक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कार्यक्रम में बाहरी लोगों देश विरोधी नारे लगाये थे. 

 शैक्षणिक संस्थानों में जो कुछ भी हो रहा है उसे  सामान्य नहीं कहा जा सकता इसका  असर देशव्यापी है,कुछ लोग इसे संघ परिवार की नयी परियोजना बता रहे हैं जो संघ के राष्ट्रवाद के परिभाषा के आधार पर जनमत तैयार करने की उसकी लम्बी रणनीति का एक हिस्सा है.इतिहासकार रोमिला थापर इसे धार्मिक राष्ट्रवाद और सेक्युलर राष्ट्रवाद के बीच की लडाई मानती हैं. कुछ भी हो इन सबके बीच आज राष्ट्रवाद धुर्वीकरण का नया हथियार है जिसका इस्तेमाल वैचारिक राजनीति और आने वाले चुनावों  दोनों में देखने को मिलेगा. 19 और 20 मार्च को हुए को भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जिस तरह से राष्ट्रवाद पर राजनीतिक संकल्प पारित किया गया उससे यह स्पष्ट हो गया है कि पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा इसे प्रमुख  मुद्दा बनाने जा रही है, इससे पहले 11-13 मार्च को नागौर में  हुए आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में भी सरकार्यवाह द्वारा ‘राष्ट्रीय परिदृश्य’ पर जो रिपोर्ट पेश की गई थी उसमें भी जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय के बारे में चर्चा करते हुए कहा गया था कि यहाँ  “योजनापूर्वक देश विरोधी गतिविधि चलानेवाले व्यक्ति एवं संस्थाओं के प्रति समाज सजग हो और प्रशासन कठोर कार्रवाई करें”। सोसायटी अगेंस्ट कनफ्लिक्ट एंड हेट(सच) नाम की संघ की एक करीबी संस्था है, “सच” का कहना है कि वह देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में मोदी सरकार के खिलाफ तैयार किए जा रहे माहौल के खिलाफ अभियान चलाएगी, और इस काम में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में राष्ट्रवादी सोच रखने वाले छात्रों, शिक्षकों व बुद्धिजीवियों को जोड़ा जाएगा.सरकार में बैठे लोग भी इसे  वैचारिक लड़ाई मान रहे हैं वित्तमंत्री अरूण जेटली का कहना है कि “राष्ट्रवाद की 'वैचारिक लड़ाई'का पहला दौर हमने जीत लिया है”, इससे पहले भारतीय जनता युवा मोर्चा के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन भाषण में भी उन्होंने कहा था कि जेएनयू मामले में हमारी वैचारिक जीत हुई है.

अरूण जेटली इसे भले ही अपनी वैचारिक जीत बता रहे हों लेकिन बिना किसी पुख्ता सबूत के कन्हैया कुमार की हड़बड़ी में की गयी गिरफ्तारी एक ऐसी गलती थी जिसके खामियाजे का उन्हें अंदाजा भी नहीं था, जेल से वापस आने के बाद कन्हैया कुमार ने कहा भी था कि “जब लड़ाई विचारधारा की हो तो व्यक्ति को बिना मतलब का पब्लिसिटी नहीं देना चाहिये”. कन्हैया के मामले में भाजपा ने यही गलती की है, ज़मानत के बाद जिस तरह से कन्हैया कुमार ने अपना पक्ष रखते हुए लगातार संघ परिवार और मोदी सरकार को वैचारिक रूप से निशाना बनाया है उससे सभी  हैरान है और उनकी गिरफ्तारी को बड़ी भूल बता रहे हैं, अपनी रिहाई के कुछ घंटों बाद ही  उन्होंने जेएनयू कैम्पस में जो धारदार और समझदारी  भरा भाषण दिया था वह कुछ ही घंटों में पूरे मुल्क में जंगल की आग की तरह फ़ैल गया भाषण इतना असरदार था कि टी.वी. चैनलों द्वारा इसका कई बार प्रसारण किया गया जिसकी वजह से उनकी बातों को देश के सभी हिस्सों में सुना-समझा गया. इसके बाद लोग कहने लगे कि कि जोरदार भाषण देने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी को इस जोशीले स्टुडेंट के रूप में अपना जोड़ीदार मिल गया है.अब उन्हें एक उभरते हुए रहनुमा के तौर पर देखा जा रहा है जो लिबरल सोच और मार्क्सवाद का हामी है, एक अंग्रेजी अखबार ने तो उन्हें भारत का सुर्ख सितारा करार दिया, अपनी रिहाई के पहले हफ्ते में उन्होंने 50 से ज्यादा इंटरव्यू दिए. वे लगातार जिस आक्रमकता और तीखे तरीके से मोदी सहित पूरे संघ परिवार की विचारधारा पर हमला बोल रहे हैं उसने उन्हें  मोदी और संघ विरोधियों का चहेता बना दिया और वे हिन्दुतत्ववादी राजनीति के खिलाफ एक चहेरा बन कर उभरे हैं, दक्षिणपंथियों ने एक तरह से दूसरे खेमे के एक नौजवान को हीरो बना दिया है.

भाषण और इंटरव्यू देने के अलावा उनकी शख्सियत के कई और पहलु हैं, देशद्रोह का  इतना बड़ा आरोप लगने और जेल की हवा खाने के बाद जिस विलक्षण तरीके से अपने आप को व पुरसुकून और नार्मल बनाये रहे,उनको उकसाना भी आसन नहीं है, दिल से कही गयी उनकी बातों में गहराई होती है और उनकी मुहावरेदार भाषा में देसीपन, संजीदगी और हास्यबोध की मिलावट है. जब वे कहते हैं कि अनुपम खैर और परेश रावल उनके पसंदीदा कलाकार हैं तो फर्क करना मुश्किल हो जाता है कि यह बात उन्होंने गंभीरता से कही है या शोखी से. वे वामपंथ के पारंपरिक “टर्मिनालाजी” से परहेज करते है, उअर “लाल” व “नीले” को जोड़ने की बात करते हैं. कई मसलों पर उनमें जो स्पष्टता देखने में आई है वह लेफ्ट खेमे में दुर्लभ है, जैसे कि उनका यह कहना कि वर्तमान समय में अगर संघ परिवार से मुकाबला करना है तो भाजपा और कांग्रेस के बीच बुनियादी फर्क को देखना होगा, इसी तरह से शुद्धतावादी नजरिये पर भी वे सवाल खड़ा करते हुए कहते  हैं कि कि भारत में किसी भी तरह का अतिवाद सफल नहीं हो सकता है.

जेएनयू से लेकर एचसीयू तक जो प्रतिरोध हो रहा है उसमें  'नीला'और 'लाल'में मेल और इसे एक   एक नए राजनीतिक प्रतीक में बदलने की ध्वनि सुनाई पड़ रही है यही इसका नयापन है , अब देखना यह है कि इस प्रतीक को धरातल पर उतारने के लिए दोनों तरफ से क्या प्रयास किये जाते हैं. भविष्य में  अगर  वामपंथ भारतीय समाज को देखने–समझने के अपने पुराने आर्थिक नजरिये व रणनीति में बदलाव ला सका और बहुजन-दलित संगठनों वामपंथ के प्रति अपने द्रष्टिकोण को व्यापक कर सके तो आने वाले सालों में हमें एक नया राजनीतिक प्रयोग देखने को मिल सकता है.यह भारत में ब्राह्मणवाद और पूँजीवाद के खिलाफ सांझी लडाई होगी जिसके प्रतीक बाबा साहेब अम्बेडकर और शहीद भगत सिंह होंगें ,फिलहाल रोहित वेमुला और कन्हैया नई उम्मीद,अपेक्षाओं और संघर्षों के प्रतीक बन चुके हैं, लेकिन क्या भारत के वामपंथी और अंबेडकरवादी ताकतें खुद को इतना बदल पायेंगें कि वहां कन्हैया और रोहित को एक साथ अपने में समा सकें. यकीनन इसका जवाब भविष्य के गर्भ में है.




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---जावेद अनीस ---

डा .मलविंदर मोहन को ‘आॅन्ट्रप्रेन्योर आॅफ द इयर अवाॅर्ड’’ का सम्मान

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नई दिल्ली। फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड के कार्यकारी चेयरमैन श्री मलविंदर मोहन सिंह को दिल्ली में हुए एषिया पैसिफिक आॅन्ट्रप्रेन्योरषिप अवाॅड्र्स समारोह में राज्य मंत्री वी. के. सिंह ने  ट्राॅफी प्रदान की।  यह पुरस्कार श्री सिंह को ऐसे सक्रिय और युवा बिज़नेस लीडर के रूप में दिया गया है, जिन्होंने लाभ के लिए कारोबार और सार्वजनिक हित भलाई के दोहरे उद्देष्यों का तालमेल इस तरह बनाया, जिससे लोगों के जीवन पर सकारात्मक असर पड़े। स्वास्थ्य की देखभाल से जुड़ी विष्वस्तरीय सेवाएं देने की राह पर चलते हुए फोर्टिस हेल्थकेयर ने स्वास्थ्य देखभाल उद्योग की दिषा तय की। समाज के जरूरतमंद वर्ग को बीमारियों के इलाज और बीमारियों से बचाव की स्वस्थ्य देखभाल सेवाएं फोर्टिस चैरिटेबल फाउंडेषन (थ्ब्थ्)के माध्यम से मुहैया कराने के सामाजिक कदमों को पुरस्कार समारोह में रेखांकित किया गया।

फोर्टिस हैल्थकेयर लिमिटेड भारत में अग्रणी एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्रदाता है। कंपनी की स्वास्थ्य सेवाओं में अस्पतालों के अलावा डायग्नाॅस्टिक एवं डे केयर स्पेष्यलिटी सेवाएं षामिल हैं। फिलहाल कंपनी भारत समेत दुबई, माॅरीषस और श्रीलंका में 54 हैल्थकेयर सुविधाओं (इनमें वे परियोजनाएं भी षामिल हैं जिन पर फिलहाल काम चल रहा है), करीब 10,000 संभावित बिस्तरों और 306 डायग्नाॅस्टिक केंद्रों का संचालन कर रही है।

एलबीएसआईएम में 20 वां दीक्षांत समारोह

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प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूल लाल बहादुर प्रबंधन संस्थान (एलबीएसआईएम) का 20 वां दीक्षांत समारोह के मौके पर मुख्य अतिथि तथा राष्ट्रीय विधि आयोग के पूर्व सदस्य प्रोफेसर मूल चंद शर्मा ने संबोधित किया। पूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा (एलबीएसआईएम) के चेयरमैन अनिल शास्त्री ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने इस साल के प्लेसमेंट विवरण तथा प्लेसमेंट के लिए एलबीएसआईएम आने वाली कंपनियों के बारे में जानकारियां प्रदान की। प्रोफेसर मूल चन्द शर्मा ने अपने सम्बोधन में भाषण में विषय इंडिया स्टोरी एंड रोल आॅफ बिजनेस लीडर , कल्चर आॅफ इनोवेशन, इन्टरप्रेन्युयर​​श्​प एंड इंटेलीजेंस - इमोशनल एंड सोशल (आईईआई)।’ पर विचार व्यक्त किये।

एलबीएसआईएम के निदेशक डाॅ. आर्य कुमार ने अपनी रिपोर्ट में गत शैक्षिक वर्ष के दौरान की संस्थान की उपलब्धियों को रेखांकित किया तथा इस साल के प्लेसमेंट के विवरण को पेश किया। इस साल कुल मिलाकर 227 छात्रों ने एलबीएसआईएम के स्नातकोत्तर के कार्यक्रम के तहत स्नातक किया और इस साल के दीक्षांत समारोह में डिप्लोमा की उपाधियां हासिल की। इस मौके पर ललिता ​शस्त्री​ पुरस्कार, बेस्ट समर ट्रेनिंग अवार्ड, बेस्ट इंड टर्म प्रोजेक्ट अवार्ड और अमित ​चोपडा​ पुरस्कार आदि पुरस्कार दिए गए। डाॅ. आर्य ने कहा, ‘‘यह पहला मौका है जब उत्तीर्ण करने वाले 2016 के बैच के सभी छात्रों को पाठ्यक्रम पूरा होने से पहले ही करीब-करीब 100 ​प्रतिशत​ प्लेसमेंट मिला। यहीं नहीं इस साल नियुक्ति के लिए एलबीएसआईएम परिसर आने वाली 77 कंपनियों में से अनेक कंपनियों को खाली हाथ लौटना पड़ा क्योंकि संस्थान में पहले से ही ‘‘हाउस फुल’’ की स्थिति बन गई थी। प्लेसमेंट के मामले में इस साल छात्रों के सबसे पसंदीदा क्षेत्रों में सबसे अग्रणी क्षेत्र कंसल्टिंग, रिसर्च एवं विश्लेशणात्मक कौशल (बिग डाटा) थे और इस मामले में आईबीएम के साथ गत ​वर्ष​ किए गए करार से मदद मिली।’’

लाल बहादुर शास्त्री प्रबंधन संस्थान (एलबीएसआईएम) ने वर्श 2014-16 के बैच के लिए प्लेसमेंट सत्र का आयोजन किया। यह प्लेसमेंट सत्र इस साल सम्पन्न हो गया जब 77 कंपनियों ने 277 छात्रों के लिए प्लेसमेंट प्रक्रिया में हिस्सा लिया और करीब-करीब 100 प्रतिशत प्लेसमेंट हुआ। इस साल नियुक्ति करने वाली कंपनियों में कई अलग क्षेत्र की कंपनियों ने भी हिस्सा लिया। प्लेसमेंट संयोजक डाॅ. आलोक पांडे ने बताया, ‘‘इस साल ​विशेषज्ञता​ लिहाज से कंसल्टिंग का क्षेत्र सबसे आगे (25 प्रतिशत) रहा। इसके बाद माकेर्टिंग एवं सेल (20 प्रतिशत), आईटी आधारित सेवाएं (15 प्रतिशत), बैंकिंग एवं फिनांस (15 प्रतिशत) तथा अन्य क्षेत्र (25 प्रतिशत) रहा।’’  ’इस साल औसत सैलरी पैकेज 8.3 लाख रुपए रहा जबकि गत वर्ष यह 7.9 लाख रुपए था। इस साल सबसे अधिक पैकेज 17 लाख रुपए प्रति वर्ष था जबकि गत वर्श यह 15.05 लाख रुपए प्रति​वर्ष था। हालांकि हम देखते हैं कि पिछले पांच  वर्षो​​ के विपरीत आज छात्र सैलरी पैकेज से कहीं अधिक महत्व कंपनी प्रोफाइल को देते हैं।’’ 

वित्तीय क्षेत्र में एलबीएसआईएम की क्षमता को स्वीकार करते हुए डी.ई. शॉ एंड कंपनी, डेलॉयट, पीडब्ल्यूसी, मार्श इंडिया, जार्डाइन लॉयड थॉम्पसन और ईवाई जैसी प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनियांे ने प्रतिष्ठित जाॅब प्रोफाइल की पेशकश की। इंडसइंड बैंक, डीसीबी बैंक, जनलक्ष्मी बैंक आदि बैकों के साथ स्वदेषी बैंकों ने भी एलबीएसआईएम के छात्रों को नौकरी की ​पेशकश​ की। अपने मजबूत विकास के साथ आईटी एंड कंसल्टेंसी क्षेत्र ने भी प्लेसमेंट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व जिन प्रमुख कंपनियों ने किया वे हैं - इंफोसिस, न्यूजेन सॉफ्टवेयर, टीसीएसए, टेक महिंद्रा, विप्रो, कोलोबेरा टेक्नोलॉजीज आदि। इस साल कई प्रतिष्ठित और विविध प्रोफाइल वाली कंपनियों ने भी पहली बार हिस्सा लिया जिनमें जेएलटी इंडिपेंटेंड, इवालुसर्व, यूटी स्टारकाॅम, एयरसेल, वेदांत रिसोर्सेज पीएलसी, क्रिसिल, केयर रेटिंग्स, ग्रेल अनुसंधान, बिड़ला सनलाइफ इंश्योरेंस, सीबीआरई, हैवेल्स, रैलिगेयर हेल्थ इंष्योरेंस, ओरिएंट इलेक्ट्रिक, डीसीबी बैंक आदि ​शमिल​ हैं। 

एशियन पेंट्स, पेप्सिको (वरुण बेवरेज लिमिटेड), एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, बजाज फिनसर्व, पेंग्विन रैंडम हाउस, केविन केयर, मारुति आदि कंपनियों ने बिक्री और विपणन क्षेत्र की नौकरियांे की पेषकष की। वित्तीय और विपणन अनुसंधान की नौकरियों की पेशकश जिन कंपनियों ने की उनमें स्मार्ट क्यूब, इवालुसर्व, आईएमआरबी इंटरनेशनल, नील्सन, जेएस एसोसिएट्स, क्रिसिल, जेके पेपर जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। ऑटोमोबाइल क्षेत्र की जिन कंपनियों ने प्लेसमेंट में हिस्सा लिया वे हैं मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा आदि। नवीनतम जानकारी के अनुसार इस बैच में औसत वार्षिक पैकेज 8.30 लाख रुपये है जबकि बैच के लगभग 96  छात्रों का प्लेसमेंट हो चुका है ओर प्लेसमेंट अभी भी जारी है। उच्चतम घरेलू पैकेज की पेशकश 16.5 लाख रुपये प्रतिवर्ष है। बैच के करीब 3 ​प्रतिशत​ छात्रों को कई ऑफर मिले। बैच के 3 ​प्रतिशत​ छात्रों ने प्लेसमेंट पूर्व ऑफर हासिल कर लिया। पीजीडीएम और पीजीडीएम-वित्त की ग्रीश्म इंटर्नशिप के लिए 45 से अधिक कंपनियों ने देश भर में चल रही विभिन्न परियोजनाओं के लिए संस्थान के छात्रों को चुना। ग्रीष्म प्लेसमेंट वजीफे के तौर पर छात्रों को पांच हजार रूपए से लेकर पचपन हजार प्रतिमाह की पेशकश की गई। 

अभिनेत्री नीतू सरदाना फिल्म "शूर आम्ही सरदार"में।

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इंडो औस एंटरटेनमेंट, झुमका फिल्म्स एवं सासा प्रोडक्शन्स की नई फिल्म "शूर आम्ही सरदार"के लिए लखनऊ की नवोदित अभिनेत्री नीतू सरदाना को अनुभन्दित किया गया है, वे इस फिल्म में शांतनु मोघे व गणेश लोके के साथ अभिनय करेंगी, नीतू इसके पहले सयाजी शिंदे के साथ फिल्म कर चुकी है जो जल्द प्रदर्शित होने वाली है।   


फिल्म के निर्माता गणेश लोके हैं, सह-निर्मात्री एन आर आई प्रदन्या दुग्गल हैं जो एक डाक़्टर होने के साथ कत्थक नृत्य में पारंगत हैं,  इनके साथ श्वेता देशपांडे भी सह-निर्मात्री हैं, फिल्म के निर्देशक हैं प्रकाश जाधव, कथा गणेश लोके, पटकथा व संवाद सचिन दरेकर एवं गणेश लोके, संगीत वैष्णव देवा, गीत मुमताज़ निखत, संगीता महानता, मेघा दलवी और गणेश लोके। फिल्म आज के ज्वलंत विषय आतंकवाद पर आधारित है। फिल्म  कलाकार मोहन जोशी, सयाजी शिंदे, शांतनु मोघे, हर्षदा पाटील, गणेश लोके, प्रदन्या दुग्गल, श्वेत देशपांडे, भरत गणेशपुर आदि हैं। 

विशेष आलेख : “भारतीय मुसलमान:वतनपरस्त या बुतपरस्त”

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भारत के सरजमीं पर अपने आप को इस्लाम का सबसे बड़ा अध्यन केंद्र मानने वाली इस्लामी संस्था दारुल-उरुल देवबंद के एक फिरकापरस्त मौलवी ने मुसलमानों के लिए एक फतवा ज़ारी किया है.इस फतवे के अनुसार भारत के मुसलमानों को “भारत माता की जय” नही बोलना चाहिए.उस मौलवी के अनुसार “भारत माता की जय”कहना हराम है क्योंकि हिन्दू भारत माता की पूजा करते है.इस फतवे को देखकर तो ऐसा लगता है की दारुल-उरुल देवबंद इस्लामी शिक्षण संस्थान में फिरकापरस्त तबको का अड्डा है जो मत की आड़ में देश के साथ गद्दारी करने का भाव पैदा करता है.ऐसे संस्था जहां देश के लिए घातक है वहीँ उस समाज के लिए भी नासूर होते है.

अभी-अभी भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी उस मुस्लिम राज्य के सरकारी दौरे पर थे जिसकी जूठन पाने के लिए भारत के देवबंदी जैसे ज़मातों के लोग लालयित रहते है.वहाँ भारत के वज़ीरेआजम की जो खैरमकदम हुई,उससे भारत के इन ज़मातों और छद्म सेकुलर गिरोहों में अजव बेचैनी छा गयी है.एक तो मुस्लिम राज्य, उस पर मुस्लिम महिलाओं के बीच और वह भी श्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ और नारा क्या लगा तो-“भारत माता की जय”.यदि यह नारा भारत में किसी मुस्लिम महिलाओं के मजलिस में लगी होती तो आज देश में कोहराम मचता? 

किन्तु भारत से हज़ारों मिल दूर जिस पाक ज़मीन का सिजदा करना विश्व के हर मुसलमान की आखिरी तमन्ना होती है उस पाक ज़मीन पर “भारत माता की जय” का उद्घोष हुआ.क्या उस जलसे में उपस्थित सारी महिलायें काफिर हो गयी? प्रोफेट मोहम्मद साहब के पौत्र हजरत इमाम सज्जाद अल्लह-सलाम ने धरती को माँ मान, इसके संरक्षण की बात की थी? इतना ही नही भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के समय मौलवी अमानुल्लाह खां उस समय के राजे रजवाड़े को अंग्रेजो के खिलाफ और बहादुर शाह ज़फर के साथ इसी भारत माता की जय के उद्घोष के साथ लड़ने को तैयार कर रहे थे.फिर ये देवबंदी सऊदी अरव, प्रोफेट मोहम्मद साहब के पौत्र हजरत इमाम सज्जाद अल्लह-सलाम या मौलवी अमानुल्लाह खां को भी काफिर घोषित करने का माद्दा रखता है?

दीनी तालीम को सियासी तकरीर की चाशनी में लपेट ये देवबंदी ऐसे गैर इस्लामी फतवों के सहारे मुसलमानों को आतंक के राह में धकेल रहा है?देवबंदी जैसे कट्टरपंथी संगठनो जिसे भारत में छद्म सेकुलर राजनीति गिरोहों का वरदहस्त प्राप्त होता है इस तरह की अराष्ट्रीय कुकृत्य कर लोकतंत्र के ताना-वाना को छिन्न-भिन्न करना चाहती है.21वीं सदी का भारत को आज भी ये कट्टरपंथी छद्म सेकुलर राजनीति गिरोहों के सहारे मुस्लिम समाज को उस ज़ाहिलिया युग में ले जाने का जो ख्वाव पाले है वह अब असम्भव है?इस्लाम के ताने वाने को ये कट्टरपंथी अपने रूप में बुनकर समाज को बाहर की दुनिया से काटने का जो कुत्सित प्रयास किया है उसका मुंहतोड़ जबाव अब उसी मुस्लिम समाज के लोग इन कट्टरपंथी जमातो को दे रही है. 

एक समय था जब भारत को इस्लामी देश पाकिस्तान के चश्मे से देखता था किन्तु अब बह समय गया.आज इस्लाम का पवित्र राज्य सऊदी अरब सहित अनेक शांतिप्रिय मुस्लिम राज्य और भारत के रिश्ते में जो गर्माहट है वह भारत के कट्टरपंथी ज़मातों और छद्म सेकुलरों के गिरोहों के नापाक मंसूबो को गलाने के लिए पर्याप्त है.जिस सऊदी खैरात पर भारत में ये मुस्लिम कट्टरपंथी अपने आपको पाल रहा था अब उस खैरातों की रोक इन ज़मातों की तिलमिलाहट का मुख्य कारण है.आज के भारतीय मुस्लिम युवा इन कट्टरपंथीओ के झांसे आने के बजाय देश के विकास को अपना राजधर्म चुन रहा है.आज जो ज़मात भारतीय मुसलमानों की वतनपरस्ती को बुतपरस्ती के चश्मे से देख रहा वह भारत के लिए खतरनाक है.ऐसे फतवे ज़ारी करने वाले ना तो वतनपरस्त हो सकता है ना ही दीन-पनाह.

कभी वंदेमातरम् को लेकर, तो कभी भारत माता की जय के नाम पर, अपनी दीनीदूकान चलाने वाले अपने घृणित मनसूबो में सफल नही हो पा रहे है तो इसका मुख्य श्रेय भारत के देशभक्त मुसलमानों का है. जो वतन की सिजदा को वतनपरस्ती मानता और जानता है.इन कठमुल्लों और छद्म सेकुलर राजनीति दलों के कपोलकल्पित नारों और बुतपरस्ती के सिगुफा को देशभक्त मुसलमान सिरे से खारिज करता रहा है. आजादी के पूर्व जिन्ना और नेहरु की जिद से पीड़ित भारत का समाज अब इनके झांसे में आने बाला नही की भारत माता की जय कहना बुतपरस्ती है या वतनपरस्ती. भारत माता की जय तो इन देशभक्त मुसलमानों की रगों में दौड़ रहा है और इस भारत माता से वे वेपनाह मुहब्बत करते है और यही मोहब्बत भारत में ही विदेशी टुकड़ों पर पलने बाले लोगो को रास नही आ रही तो दीन की आड़ में फतवे ज़ारी कर इनके वतनपरस्ती को बुतपरस्ती कह इस्लाम की तौहीन कर रहा है. 


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---संजय कुमार आज़ाद---
शीतल अपार्टमेंट ; निवारणपुर ;रांची -834002
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व्यंग : शादी के लड्डू और राजनीति के रसगुल्ले...!!

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यदि कोई आपसे पूछे कि देश में हो रहे विधानसभा चुनावों की खास बात क्या है तो आपका जवाब कुछ भी हो सकता है। लेकिन मेरी नजरों से देखा जाए तो चुनाव दर चुनाव अब काफी परिवर्तन स्पष्ट नजर आने लगा है। सबसे बड़ी बात यह कि चुनाव  में अब वोटबैंक जैसी बात नदारद होती जा रही है। बड़े - बड़े दिग्गज भी चुनाव में जीत को लेकर पहले की तरह आश्वस्त नहीं रह पाते। उन पर जनता का भारी दबाव रहता है कि भैया चुनाव में खड़े हो तो कुछ करके दिखाओ। और कुछ नहीं तो कम से कम कुछ नामचीन चेहरों को ही हमारे सामने ले आओ।इसी बहाने किसी  सेलीब्रेटी के  दर्शन तो हों। फिर सोचेंगे किसे वोट देना है और किसे नहीं। राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान एक और खास बात नोट करने लायक रही। वह यह कि प्रख्यात फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती इस बार चुनावी परिदृश्य में कहीं नजर नहीं आए। श्रीमान अपने गृह राज्य पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पा र्टी तृणमूल का्ंग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं। सांसद बनने के बाद यह पहला मौका है जब वे अपनी पा र्टी के लिए चुनाव प्रचार करने सामने नहीं आए। 

अन्यथा अपने गृह प्रदेश  ही नहीं पड़ोसी राज्यों में भी जरूरत होने पर वे अपनी पा र्टी का चुनाव प्रचार करते रहे हैं। बताते हैं कि सारधा चिटफंड घोटाले में नाम आने से मिथुन चक्रव र्ती काफी दुखी हैं। इसी के चलते उन्होंने अपनी पा र्टी ही नहीं बल्कि राजनीति से भी दूरी बना ली है। अब यह तो शादी के लड्डू की तर्ज राजनीति के रसगुल्ले  वाली बात होती जा रही है। जिसमें खाने और न खाने वाला दोनों पछताता है। पता नहीं ऐसी क्या बात है जो राजनीति ताकतवर लोगों को हमेशा लुभाती है। यह देखते हुए भी कि इससे पहले उनके जैसे कई लोग राजनीति से तौबा कर चुके हैं। लेकिन राजनीति का मोह लगातार नए - नए लोगों को अपनी जद में लेता जाता है। नजदीकियों के मुताबिक मिथुन चक्रवर्ती  पहले वामपंथी विचारधारा से प्रभावित रहे हैं। बंगाल के कम्युनिस्टों से उनकी काफी पटती थी। हालांकि अपनी कर्मभूमि महाराष्ट्र में वे शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे  के भी नजदीकी रहे हैं। लेकिन हालात कुछ ऐसे बने कि मिथुन तृणमूल का्ंग्रेस के करीब आए और पा र्टी ने भी उन्हें राज्यसभा भेज दिया।  लेकिन सारधा चिटफंड घोटाले में नाम आने से वे इतने दुखी हुए कि उन्होॆंने न सिर्फ राजनीति बल्कि लोगों से भी दूरी बना ली। हालांकि घोटाले में नाम आने के बाद मिथुन पहले ऐसे व्यक्ति रहे जिन्होंने आरोपी चिटफंड कंपनी से लिए गए पैसे बकायदा मामले की जांच कर रही सीबीआई को वापस कर दिए। लेकिन इसके बाद वे राजनीति से दूर होते गए। अनेक नामी - गिरामी हस्तियों के बाद मिथुन का भी राजनीति से हुआ मोहभंग शादी के लड्डू वाली कहावत को ही चरितार्थ करता है। 

जिसमें खाने वाला भी पछताता है और न खाने वाला भी। लेकिन यह सवाल कौतूहल का विषय है कि आखिर किन वजहों से खाते - पीते लोग राजनीति की ओर आकृष्ट होते हैं जबकि जल्द ही उनका इससे मोहभंग भी हो जाता है।शायद मन के मुताबिक स्थापित होने के बाद जीवन के एक पड़ाव पर ऐसे लोगों को महसूस होता है कि राजनीति से जुड़ कर वह खुद को अधिक सुरक्षित महसूस कर सकता है। कुछ लोग अपेक्षित व्यस्तता के लिए भी इसकी ओर आकृष्ट होते हैं। बेशक जीवन के एक मोड़ पर स्थापित होने के बाद किसी को भी लग सकता है कि वह राजनीति से जुड़ कर जनता की सेवा करे अथवा  इसके पीछे निश्चित योजना  या उद्देश्य भी हो सकता है। जैसे मिथुन चक्रवर्ती के मामले में बताया जाता है कि वे हमेशा जनता से जुड़े रह कर और ईमानदारी से सबसे ज्यादा टैक्स चुकाने वाले कलाकार के तौर पर मिली अपनी पुरानी पहचान से ही खुश थे। लेकिन उन्हें इस बात हमेशा मलाल रहा कि लंबे समय से रुपहले पर्दे से जुड़े रहने के बावजूद अभी तक उन्हें कोई सरकारी एवार्ड नहीं मिल पाया। संभव है इसी वजह से वे राजनीति की ओऱ आकृष्ट हुए हों।  उन्हें लगा हो कि ताकतवर राजनेताओं की छत्रछाया में शायद उन्हें वह सब  मिल सके जिसकी वे चाह रखते हैं। लेकिन यहां तो लेने के देने पड़ गए। लिहाजा  अमिताभ बच्चन व गोविंदा समेत तमाम अभिनेताओं की तरह जल्द ही उनका इससे मोहभंग हो गया। 





तारकेश कुमार ओझा
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